JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
1. निम्नलिखित में से कौन-सा एक तृतीयक क्रियाकलाप है?
(क) खेती
(ख) बुनाई
(ग) व्यापार
(घ) आखेट।
उत्तर:
(ग) व्यापार।

2. निम्नलिखित क्रियाकलापों में से कौन-सा एक द्वितीयक सेक्टर का क्रियाकलाप नहीं है?
(क) इस्पात प्रगलन
(ख) वस्त्र निर्माण
(ग) मछली पकड़ना
(घ) टोकरी बुनना।
उत्तर:
(ग) मछली पकड़ना।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा एक क्षेत्र दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता में सर्वाधिक रोजगार प्रदान करता है?
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) पर्यटन
(घ) सेवा।
उत्तर:
(क) सेवा।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

4. वे काम जिनमें उच्च परिणाम और स्तर वाले अन्वेषण सम्मिलित होते हैं, कहलाते हैं
(क) द्वितीयक क्रियाकलाप
(ख) पंचम क्रियाकलाप
(ग) चतुर्थ क्रियाकलाप
(घ) प्राथमिक क्रियाकलाप।
उत्तर:
(ख) पंचम क्रियाकलाप।

5. निम्नलिखित में से कौन-सा क्रियाकलाप चतुर्थ क्षेत्र से सम्बन्धित है?
(क) संगणक विनिर्माण
(ख) विश्वविद्यालयी अध्यापन
(ग) कागज़ और कच्ची लुगदी निर्माण
(घ) पुस्तकों का मुद्रण।
उत्तर:
(ख) विश्वविद्यालयी अध्यापन।

6. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सत्य नहीं है?
(क) बाह्यस्रोतन दक्षता को बढ़ाता है और लागतों को घटाता है।
(ख) कभी-कभार अभियांत्रिकी और विनिर्माण कार्यों की भी बाह्यस्रोतन की जा सकती है।
(ग) बी० पी० ओज़ के पास के० पी० ओज़ की तुलना में बेहतर व्यावसायिक अवसर होते हैं।
(घ) कामों के बाह्यस्रोतन करने वाले देशों में काम की तलाश करने वालों में असन्तोष पाया जाता है।
उत्तर:
(ग) बी० पी० ओज़ के पास के० पी० ओज़ की तुलना में बेहतर व्यावसायिक अवसर होते हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
फुटकर व्यापार सेवा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फुटकर व्यापार सेवा (Retail Trading Service):
ये वह व्यापारिक क्रियाकलाप हैं जो उपभोक्ताओं को वस्तुओं के प्रत्यक्ष विक्रय से सम्बन्धित हैं। अधिकांश फुटकर व्यापार केवल विक्रय से नियत प्रतिष्ठानों और भण्डारों (Stores) में सम्पन्न होता है। उदाहरण-फेरी, रेहड़ी, द्वार से द्वार (Door to Door) डाक आदेश, दूरभाष, स्वचालित बिक्री मशीनें तथा इंटरनेट फुटकर बिक्री के भण्डार रहित उदाहरण हैं।

प्रश्न 2.
चतुर्थ सेवाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चतुर्थ सेवाएं ज्ञान आधारित सेवाएं हैं, ये सेवाएं शोध, विकास तथा उच्च सेवाओं पर केन्द्रित हैं जिनमें विशिष्ट ज्ञान, तकनीकी कुशलता तथा प्रबन्धकीय कुशलता की विशेषताएं हो।

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प्रश्न 3.
विश्व के चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से उभरते हुए देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
चिकित्सा पर्यटन (Medical Tourism) अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन से सम्बन्धित चिकित्सा उपचार है। भारत, थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, स्विट्ज़रलैण्ड तथा ऑस्ट्रेलिया में यह क्रियाकलाप तेज़ी से बढ़ रहा है।

प्रश्न 4.
अंकीय विभाजक क्या है?
उत्तर:
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित विकास से मिलने वाले अवसरों का वितरण पूरे ग्लोब पर असमान रूप से वितरित है। विकसित देश इस दिशा में आगे बढ़ गए हैं जबकि विकासशील देश पिछड़ गए हैं। इस प्रकार देशों में इस विभाजन को अंकीय विभाजन (Digital divide) कहते हैं।

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लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
आधुनिक आर्थिक विकास में सेवा क्षेत्र की सार्थकता और वृद्धि की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
सेवाएं (Services) आधुनिक विकास में सेवाएं एक महत्त्वपूर्ण घटक हैं। इसमें सभी प्रकार की सेवाएंशिक्षा, स्वास्थ्य, भलाई, आराम, मनोरंजन, व्यापार आदि शामिल हैं। इनसे उत्पादन की क्षमता बढ़ती है। इनमें रोज़गार के साधन बढ़ते हैं। सेवाओं के प्रकार

  1. उद्योगों में लोगों तथा परिवहन का प्रयोग होता है।
  2. निम्न स्तरीय सेवाओं में दुकानदार, लांडरी शामिल हैं।
  3. उच्च स्तरीय सेवाओं में लेखाकार, परामर्शदाता तथा चिकित्सक है।
  4. शारीरिक बल प्रयोग करने वालों में माली, नाई आदि शामिल हैं।
  5. मानसिक परिचय के अध्यापक, वकील, संगीतकार शामिल हैं।

नई प्रवृत्तियां:

  1. महामार्गों, पुलों का निर्माण करना
  2. परिवहन, दूर संचार, बिजली तथा जल की बिक्री
  3. स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग, वकील, प्रबन्ध आदि
  4. मनोरंजन सेवाएं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 2.
परिवहन एवं संचार सेवाओं की सार्थकता को विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवहन सेवाएं: ये लोगों, वस्तुओं, सम्पत्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजते हैं। ये मूलभूत वस्तुओं को गतिशीलता प्रदान करते हैं। इससे वस्तुओं का उत्पाद, वितरण तथा खपत बढ़ती है तथा मूल्य बढ़ता है। संचार साधन: संचार साधन शब्दों संदेशों, विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। प्रायः परिवहन साधन इनके लिए प्रयोग किए जाते हैं जैसे-रेलें, सड़कें, वायुमार्ग, मोबाइल दूरभाष सबसे तेज़ साधन हैं जो इसे गति प्रदान करते हैं। अन्य महत्वपूर्ण परीक्षाशैली प्रश्न

तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप JAC Class 12 Geography Notes

→ सेवा क्षेत्र (Service Area): आर्थिक विकास के लिए सेवाएं बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।

→ सेवाओं के प्रकार (Types of Services): शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण, मनोरंजन तथा वाणिज्यिक सेवाएं।

→ चतुर्थक क्रिया-कलाप (Quarternary activities): इस वर्ग में वे क्रियाएं शामिल हैं जो ज्ञान, शिक्षा, सूचना, शोध तथा विकास से सम्बन्धित हैं।

→ उच्च स्तरीय सेवाएं (Advanced Services): इनमें वित्त, बीमा, परामर्श, बचत तथा सूचना सेवाएं शामिल हैं।

→ सेवाओं के घटक (Components of Services): विज्ञापन, परामर्श, वित्त, बीमा, बचत, परिवहन, मनोरंजन, शिक्षा, वातावरण तथा ग्रामीण विकास।

→ वैश्विक नगर (Global cities): ये विश्व तंत्र में आर्थिक सम्बन्धों को जोड़ते हैं तथा नियन्त्रक केन्द्रों के रूप में काम करते हैं।

→ सूचना प्रौद्योगिकी (Information technology): यह कम्प्यूटर, दूर संचार, प्रसारण आदि का संयुक्त रूप है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए.

1. दो देशों के मध्य व्यापार कहलाता है।
(क) अन्तर्देशीय व्यापार
(ख) बाह्य व्यापार
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
(ग) स्थानीय व्यापार।
उत्तर:
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार।

2. निम्नलिखित में से कौन-सा स्थलबद्ध पोताश्रय है?
(क) विशाखापट्टनम
(ख) मुम्बई
(ग) एन्नोर
(घ) हल्दिया।
उत्तर;
(क) विशाखापट्टनम।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

3. भारत का अधिकांश विदेशी व्यापार वहन होता है
(क) स्थल और समुद्र द्वारा
(ख) स्थल और वायु द्वारा
(ग) समुद्र और वायु द्वारा
(घ) समुद्र द्वारा।
उत्तर;
(ग) समुद्र और वायु द्वारा।

4. वर्ष 2003-04 में निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था?
(क) यूनाइटेड किंग्डम
(ख) चीन (ग) जर्मनी
(घ) सं.रा. अमेरिका।
उत्तर;
(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका।

अति लघु आरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दोप्रश्न

1. भारत के विदेशी व्यापार की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. भारत का कुल व्यापार निरन्तर बढ़ रहा है।
  2. भारत का अधिकतर व्यापार समुद्र मार्गों द्वारा है।
  3. भारत में व्यापार सन्तुलन प्रतिकूल है।
  4. विश्व व्यापार में भारत के व्यापार का केवल 1% भाग है।
  5. भारत के आयात व्यापार में पेट्रोलियम का आयात बढ़ रहा है तथा निर्यात व्यापार में निर्मित वस्तुओं का प्रतिशत बढ़ रहा है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 2.
पत्तन और पोताश्रय में अन्तर बताओ।
उत्तर:
पत्तन समुद्री तट पर जहाज़ों के ठहरने के स्थान होते हैं। यहां जहाज़ों पर सामान लादने-उतारने की सुविधाएं होती हैं। यहां गोदामों की सुविधाएं होती हैं। पत्तन व्यापार के द्वार होते हैं जो पृष्ठभूमि से जुड़े होते हैं।

पोताश्रय समुद्र में जहाज़ों के प्रवेश करने का प्राकृतिक स्थान होता है। यहां जहाज़ लहरों तथा तूफान से सुरक्षा प्राप्त करते हैं। कटे फटे तट तथा खाड़ियां पोताश्रय स्थल होते हैं। यहां जहाज़ों के आगमन की सुविधाएं होती हैं।

प्रश्न 3.
पृष्ठ प्रदेश का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पृष्ठ प्रदेश वह क्षेत्र होता है जो रेल-सड़क मार्ग द्वारा पत्तन से जुड़ा होता है। यहां से उत्पाद निर्यात के लिए भेजे जाते हैं तथा आयात सामान वितरीत किया जाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 4.
उन महत्त्वपूर्ण मुद्दों के नाम बताइए जो भारत विदेशों से आयात करता है।
उत्तर:
पेट्रोलियम उत्पाद तथा पेट्रोलियम भारत की प्रमुख आयात है। इसके अतिरिक्त मशीनरी, गैर धात्विक खनिज, मोती बहुमूल्य रत्न, अलौह धातुएं, लुगदी, कागज़, खाद्य तेल, उर्वरक अन्य महत्त्वपूर्ण आयात हैं।

प्रश्न 5.
भारत के पूर्वी तट पर स्थित बन्दरगाहों के नाम लिखो।। उत्तर-कोलकाता, हल्दिया, पाराद्वीप, विशाखापट्टनम, एन्नौर, चेन्नई, तूतीकरन प्रमुख पत्तन हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में देंप्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में निर्यात और आयात व्यापार के संयोजन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आयात: भारत के प्रमुख आयात निम्नलिखित हैं: पेट्रोलियम उत्पाद, मशीनरी, मोती-रत्न, स्वर्ण व चांदी, व्यावसायिक उपस्कट, खाद्य तेल, उर्वरक, लुगदी, कागज़, अलौहधातुएं, दालें। ,

निर्यात: इंजीनियरिंग सामान, रसायन सम्बन्धी उत्पाद, मणिरत्न आभूषण, वस्त्रादि, पेट्रोलियम उत्पादन, कृषि-समवर्गी उत्पाद, इलेक्ट्रिक साधन चमड़ा।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 2.
भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रकृति पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:

  1. भारत के व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई है।
  2. कृषि तथा समवर्गी उत्पाद के निर्यात में हिस्सा घटा है।
  3. पेट्रोलियम उत्पादों को निर्यात बढ़ा है।
  4. कहवा, चाय, मसालों का निर्यात घटा है।
  5. ताजे फलों, चीनी आदि के निर्यात में वृद्धि हुई है।
  6. निर्यात क्षेत्र में विनिर्मित वस्तुओं की भागीदारी बढ़ी है।
  7. इंजीनियरिंग सामान में वृद्धि हुई है।
  8. मणिरत्नों तथा आभूषण का निर्यात में वृद्धि हुई है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार JAC Class 12 Geography Notes

→ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade): अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दो प्रमुख घटक हैं-आयात तथा निर्यात।

→ भारत का कुल विदेशी व्यापार (Total foreign trade of India): सन् 2004-05 में भारत का कुल विदेशी व्यापार का मूल्य ₹ 8371 अरब था।

→ आयात व्यापार तथा निर्यात व्यापार में अन्तर
JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार 1

→ पत्तन (Ports): पत्तन व्यापार के द्वार हैं।

→ पत्तनों के प्रकार (Types of Ports): समुद्री पत्तन, नदीय पत्तन, शुष्क पत्तन।

→ भारत के पूर्वी तट के पत्तन; कोलकाता, हल्दिया, पाराद्वीप, विशाखापट्टनम, चेन्नई, तूतीकोरन।

→ भारत के पश्चिमी तट के पत्तन: मुम्बई न्हावा शेवा, कांडला, मार्मगाओ, कोच्चि।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

1. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(क) हुगली के सारे जूट के कारखाने सस्ती जल यातायात की सुविधा के कारण स्थापित हुए।
(ख) चीनी. सूती वस्त्र एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग है।
(ग) खनिज तेल एवं जलविद्युत् शक्ति के विकास ने उद्योगों की अवस्थिति कारक के रूप में कोयला शक्ति के महत्व को कम किया है।
(घ) पत्तन नगरों ने भारत में उद्योगों को आकर्षित किया है। उत्तर-(ख) चीनी. सती वस्त्र, एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग है।

2. निम्न में से कौन-सी एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन का स्वामित्व व्यक्तिगत होता है?
(क) पूंजीवाद
(ख) मिश्रित
(ग) समाजवाद
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर:
(क) पंजीवाद

3. निम्न में से कौन-सा एक प्रकार का उद्योग अन्य उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन करता है?
(क) कुटीर उद्योग
(ख) छोटे पैमाने के उद्योग
(ग) आधारभूत उद्योग
(घ) स्वच्छंद उद्योग
उत्तर:
(ग) आधारभूत

4. निम्नलिखित में से कौन-सा एक जोड़ा सही मेल खाता है?
(क) स्वचालित वाहन उद्योग – लॉस एंजिल्स
(ख) पोत निर्माण उद्योग – लुसाका
(ग) वायुयान निर्माण उद्योग – फलोरेंस
(घ) लौह-इस्पात उद्योग – पिर्ट्सबर्ग।
उत्तर:
(क) लौह-इस्पात उद्योग-पिर्ट्सबर्ग। |

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग (High Tech. Industries) क्या है?
उत्तर:
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों का विकास उन्नत वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग उत्पादकों का निर्माण गहन शोध एवं विकास (Research and Development) के प्रयोग द्वारा किया जाता है। इसे (R & D) भी कहते हैं। उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग में यन्त्र मानव, कम्प्यूटर आधारित डिज़ाईन (CAD), धातु पिघलाने एवं शोधन के इलेक्ट्रोनिक नियन्त्रण एवं नए रासायनिक उत्पाद प्रमुख स्थान रखते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 2.
निर्माण (Manufacturing) किसे कहते हैं?
उत्तर:
कच्चे माल (Raw Material) का मशीनों की सहायता के रूप बदल कर अधिक उपयोगी तैयार माल प्राप्त करने की क्रिया को निर्माण उद्योग कहते हैं। यह मनुष्य का एक सहायक या गौण या द्वितीयक (Secondary) व्यवसाय है। इसलिए निर्माण उद्योग में जिस वस्तु का रूप बदल जाता है, वह वस्तु अधिक उपयोगी हो जाती है तथा निर्माण द्वारा उस पदार्थ की मूल्य-वृद्धि हो जाती है। जैसे लकड़ी से लुगदी तथा कागज़ बनाया जाता है। कपास से धागा और कपड़ा बनाया जाता है। खनिज लोहे से इस्पात तथा कल-पुर्जे बनाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
स्वछन्द उद्योग (Foot loose Industries) किसे कहते हैं?
उत्तर:
विगत कुछ दशकों में उच्च प्रौद्योगिक क्रियाओं का तीव्रता से विस्तार हो रहा है। अत्यन्त परिष्कृत उत्पादों को विकसित करने में वैज्ञानिक शोध व विकास का बहुत योगदान होता है। ये उद्योग अपने उत्पादों को बाजार की मांग के अनुरूप बड़ी तेजी से सुधारते रहते हैं तथा उच्च कुशलता प्राप्त श्रमिकों की भर्ती करते हैं। ऐसे उद्योगों को स्वच्छंद उद्योग कहते हैं क्योंकि ये उद्योग अवस्थित का चुनाव करने में अपेक्षाकृत स्वतन्त्र होते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
प्राथमिक एवं द्वितीयक क्रियाकलापों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाकलाप (Primary activities):
जब प्राकृतिक साधनों से प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं सीधे रूप से पर्यावरण से प्राप्त हो जाएं तो उन क्रियाओं को प्राथमिक क्रियाएं कहते हैं। इनमें संग्रहण, आखेट, मत्स्यन, वानिकी, खनन, पशुपालन तथा कृषि शामिल है। द्वितीयक गतिविधियां (Secondary activities)-जब किसी प्राकृतिक पदार्थ का रूप या स्थान बदल दिया जाए तो उसका मूल्य बढ़ जाता है। इन्हें द्वितीयक क्रियाएं कहते हैं। इनसे पदार्थों का मूल्य तथा उपयोगिता बढ़ जाती है जैसे विनिर्माण, डेयरी उद्योग तथा व्यापारिक मत्स्यन शामिल हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 2.
विश्व के विकसित देशों के उद्योगों के सन्दर्भ में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विकसित देशों में औद्योगिक विकास में निम्नलिखित प्रवृत्तियां अनुभव की जा रही हैं

  1. उच्च तकनीकी उद्योगों का विकास हो रहा है जब निम्न तकनीकी तथा श्रम-गहन उद्योग विकासशील देशों में विकसित हो रहे हैं।
  2. बड़े-बड़े कारखानों का स्थान छोटे पैमाने के कारखाने ले रहे हैं।
  3. डिज़ाइन तथा उत्पादन में बड़ी तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं।
  4. बड़े पैमाने पर उत्पादन तथा उच्च स्तरीय उत्पादन की विचारधारा पर अत्यधिक बल दिया जा रहा है।
  5. अवस्थितिक कारकों के महत्त्व में निरन्तर कमी आ रही है।
  6. अवशिष्ट पदार्थों में कमी, पुनः-चक्रण, प्रतिस्थापन तथा विकल्पों का योगदान अधिक है।

प्रश्न 3.
अधिकतर देशों में उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग प्रमुख महानगरों के परिधि क्षेत्रों में ही क्यों विकसित हो रहे हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
उच्च तकनीकी औद्योगिक एस्टेट एवं प्रौद्योगिकी पार्क-स्वच्छंद उद्योग की प्रवृत्ति उद्देश्य आधारित औद्योगिक क्षेत्र अथवा प्रौद्योगिकी पार्कों के रूप में कस्बों व नगरों को सीमाओं पर स्थापित होने की होती है जैसा लन्दन और टोकियो में है। ये स्थान, नगर के आन्तरिक भागों की तुलना में कई प्रकार के लाभ प्रदान करते हैं

  1. एक मंज़िले कारखानों तथा भविष्य में विस्तार के लिए स्थान।
  2. नगर-परिधि पर सस्ता भू-मूल्य,
  3. मुख्य सड़कों तथा वाहन मार्गों तक सभ्यता।
  4. सुखद पर्यावरण (बहुधा एक हरितक्षेत्र पर अवस्थित)
  5. निकटवर्ती आवासीय क्षेत्रों एवं पड़ोसी ग्रामों से प्रतिदिन आने जाने वाले लोगों से श्रम की आपूर्ति।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 4.
अफ्रीका के अपरिमित प्राकृतिक संसाधन है फिर भी औद्योगिक दृष्टि से यह बहुत पिछड़ा महाद्वीप है। समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
अफ्रीका महाद्वीप संभाव्य, जल विद्युत् तथा खनिज संसाधनों में बहुत धनी हैं। यहां विश्व की संभाव्य जल विद्युत् शक्ति का 40% भाग है परन्तु केवल 1% ही विकसित है। इसका मुख्य कारण प्रौद्योगिकी की कमी तथा लोगों की निम्न क्रय शक्ति है। अफ्रीका में खनिज भण्डार अपरिमित हैं, परन्तु इनका प्रयोग नहीं हो रहा है क्योंकि यहां उद्योगों की कमी है। किसी भी संसाधन का जब तक प्रयोग न हो, वह संसाधन नहीं कहलाता। इसलिए अफ्रीका अभी तक एक पिछड़ा हुआ महाद्वीप है।

द्वितीयक क्रियाएँ JAC Class 12 Geography Notes

→ द्वितीयक क्रियाएँ (Secondary Activities): मशीनों एवं प्रौद्योगिकी की सहायता से कच्चे माल का रूप बदल कर उपयोगी वस्तुएं तैयार करने की क्रिया को द्वितीयक क्रियाएँ कहते हैं।

→ निर्माण उद्योग (Manufacturing): यान्त्रिक अथवा रासायनिक विधियों द्वारा जैविक तथा अजैविक तत्त्वों से नए उत्पाद तैयार करने की क्रिया को निर्माण उद्योग कहते हैं।

→ उद्योगों का वर्गीकरण (Classification of Industries):

  • कुटीर उद्योग तथा बड़े पैमाने के उद्योग
  • भारी तथा हल्के उद्योग
  • आधारभूत उद्योग तथा वस्तु निर्माण उद्योग
  • कृषि आधारित उद्योग तथा खनिज आधारित उद्योग
  • सार्वजनिक क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र।

→ उद्योगों का स्थानीयकरण (Location of Industries): उद्योगों का स्थानीयकरण निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है

  • कच्चे माल,
  • ऊर्जा संसाधन,
  • जल,
  • श्रमिक,
  • मांग,
  • पूंजी,
  • वातावरण।

→ स्वच्छंद उद्योग (Foot-loose Industries): उच्च कुशलता प्राप्त उद्योगों को स्वच्छंद उद्योग कहते हैं।

→ प्रौद्योगिक ध्रुव (Technopoles): ये उच्च तकनीक औद्योगिक संकल है। ये उद्योग अपनी अवस्थिति का चुनाव करने में अन्य उद्योगों की अपेक्षा स्वतन्त्र होते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

1. निम्न में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है?
(क) कॉफी
(ख) गन्ना
(ग) गेहूँ
(घ) रबड़।
उत्तर;
(ग) गेहूँ।

2. निम्न देशों में से किस देश में सहकारी कृषि का सफल परीक्षण किया गया है?
(क) रूस
(ख) डेनमार्क
(ग) भारत
(घ) नीदरलैंड।
उत्तर:
(ख) डेनमार्क।

3. फूलों की कृषि कहलाती है
(क) ट्रक फार्मिंग
(ख) कारखाना कृषि
(ग) मिश्रित कृषिका
(घ) पुष्पोत्पादन। उत्तर-(घ) पुष्पोत्पादन।

4. निम्न में से कौन-सी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक समूहों द्वारा किया गया?
(क) कोलखोज़र
(ख) अंगूरोत्पादन
(ग) मिश्रित कृषि
(घ) रोपण कृषि।
उत्तर:
(घ) रोपण कृषि।

5. निम्न प्रदेशों में से किसमें विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि नहीं की जाती है?
(क) अमेरिका एवं कनाडा के प्रेयरी क्षेत्र
(ख) अर्जेंटाइना के पंपास क्षेत्र
(ग) यूरोपीय स्टैपीज़ क्षेत्र
(घ) अमेजन बेसिन।
उत्तर:
(घ) अमेजन बेसिन।

6. निम्न में से किस प्रकार की कृषि में खट्टे रसदार फलों की कृषि की जाती है?
(क) बाजारीय सब्जी कृषि
(ख) भूमध्यसागरीय कृषि
(ग) रोपण कृषि
(घ) सहकारी कृषि।
उत्तर:
(ख) भूमध्यसागरीय कृषि।

7. निम्न कृषि के प्रकारों में से कौन-सा प्रकार कर्तन-दहन कृषि का प्रकार है?
(क) विस्तृत जीवन निर्वाह कृषि
(ख) आदिकालीन निर्वाहक कृषि
(ग) विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि
(घ) मिश्रित कृषि।
उत्तर:
(ख) आदिकालीन निर्वाहक कृषि।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

8. निम्न में से कौन-सी एकल कृषि नहीं है?
(क) डेयरी कृषि
(ख) मिश्रित कृषि
(ग) रोपण कृषि
(घ) वाणिज्य अनाज कृषि।
उत्तर:
(ख) मिश्रित कृषि।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्न प्रश्नों का 30 शब्दों में उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
स्थानांतरी कृषि का भविष्य उज्ज्वल नहीं है। विवेचना कीजिए।
उत्तर:
घास के मैदानों में कठोर भौतिक वातावरण में चलवासी पशुचारण जीवन-निर्वाह की एक पद्धति है। यह पशुचारण पुराने ढंगों द्वारा किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में चलवासी पशुचारण में बहुत परिवर्तन आए हैं। रूस तथा ऑस्ट्रेलिया के घास के मैदानों में कृषि का विस्तार किया गया है। चलवासी पशुचारकों को स्थायी रूप से बसाया गया है।

कजाखस्तान, उज्बेक देशों में सिंचाई की सहायता से कपास की कृषि की जा रही है, औद्योगिक विकास ने लोगों को रोजगार प्रदान किया है। धीरे-धीरे चलवासी पशुपालकों की संख्या कम हो रही है तथा चलवासी पशुचारण क्षेत्र समाप्त हो रहा है।

प्रश्न 2.
बाज़ारीय सब्जी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही क्यों की जाती है?
उत्तर:
सब्जी कृषि (Market Gardening): यह कृषि औद्योगिक क्षेत्रों के उपनगरों में विकसित है। जैसे लन्दन, मास्को, कैलिफोर्निया आदि। इन नगरीय केन्द्रों में ऊंची आय वाले उपभोक्ता रहते हैं। यहां गहन श्रम, सिंचाई, उर्वरक, कीटनाशी सुलभ है। यह मांग क्षेत्रों के निकट ही विकसित होती है क्योंकि इस कृषि के उत्पाद शीघ्रता से खराब हो जाते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

प्रश्न 3.
विस्तृत पैमाने पर डेयरी कृषि का विकास यातायात के साधनों एवं प्रशीतकों को विकास के बाद ही क्यों सम्भव हो सका है?
उतार:
डेयरी कृषि में दुग्ध पदार्थ शीघ्र ही मांग क्षेत्रों तक पहुंचाए जाते हैं। ट्रक कृषि में साग-सब्जी को शहरों तक पहुंचने के लिए तेज़ यातायात के साधन प्रयोग किए जाते हैं। कई देशों में ट्रकों का प्रयोग किया जाता है ताकि ये पदार्थ रूराब न हों। इसलिए इस कृषि की सफलता तीव्र, अच्छे यातायात के साधनों पर निर्भर है। वर्तमान समय में विकसित यातायात के साधन, प्रशीतकों का प्रयोग, पास्तेरीकरण की सुविधा के कारण ही विभिन्न डेयरी उत्पादों को अधिक समय तक रखा जा सकता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न – (Short Answer Type Questions)

निजलिखित प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
चलवासी पशुतरह और वाणिज्य पशुधन पालन में अन्तर कीजिए।
उत्तर:

चलवासी पशुचारण (Nomadic Herding)वाणिज्य पशुधन पालन (Commercial Grazing)
1. इस पशुपालन में कई आदिवासी जातियों के लोग पशुओं के साथ जल तथा चरागाहों की तलाश में घूमते-फिरते रहते हैं।1. यह एक बड़े पैमाने पर चारे की फसलों की सहायता से घास के मैदानों में स्थायी रूप से पशुपालन है।
2. यह पशुपालन विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों में होता है जहां विशाल भूमि क्षेत्र उपलब्ध हैं।2. यह पशुपालन कम जंनसंख्या वाले क्षेत्रों में बड़ेबड़े फार्म (Ranches) बनाकर किया जाता है।
3. यह प्राय: मध्य एशिया, अफ्रीका तथा दक्षिणीपश्चिमी एशिया के अर्द्ध-शुष्क प्रदेशों में होता है।3. यह पशुपालन शीतोष्ण घास के मैदानों में प्रचलित है जहाँ सम जलवायु पाई जाती है।
4. यहां विभिन्न जातियों के लोग भोजन, आवास, वस्त्र आदि के लिए पशुओं पर निर्भर करते हैं।4. यह एक व्यापारिक पशुपालन है जहां विभिन्न वस्तुएं जैसे ऊन, डेयरी पदार्थ, मांस आदि निर्यात किए जाते हैं।
5. यह खिरगीज, मसाई, फलानी आदि चलवासी पशुचारकों में प्रचोलत़ है।5. यह प्राय: विकसित देशों में जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड आदि प्रदेशों में प्रचलित है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

प्रश्न 2.
रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएं बतलाइए एवं भिन्न-भिन्न देशों में उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख रोपण फसलों के नाम बतलाइए।
उत्तर:
रोपण कृषि (Plantation Agriculture):
यह एक विशेष प्रकार की व्यापारिक कृषि है। इसमें किसी एक नकदी फसल की बड़े पैमाने पर कृषि की जाती है। यह कृषि बड़े-बड़े आकार से खेतों या बागानों पर की जाती है इसलिए इसे बाग़ाती कृषि भी कहते हैं। रोपण कृषि की मुख्य फसलें रबड़, चाय, कहवा, कोको, गन्ना, नारियल, केला आदि हैं।

विशेषताएं (Characteristics):

  1. यह कृषि बड़े-बड़े आकार के फार्मों पर की जाती है।
  2. इसका अधिकतर भाग निर्यात कर दिया जाता है।
  3. इस कृषि में वैज्ञानिक विधियों, मशीनों, उर्वरक, अधिक पूंजी का प्रयोग होता है।
  4. इन बागानों में बड़ी संख्या में कुशल श्रमिक काम करते हैं। ये श्रमिक स्थानीय होते हैं। कुछ प्रदेशों में दास श्रमिक या नीग्रो लोग भी काम करते हैं। श्रीलंका के चाय के बागान तथा मलेशिया में रबड़ के बागान पर भारत के तमिल लोग काम करते हैं।
  5. रोपण कृषि के बागान विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों में अधिक भूमि प्राप्त होने के कारण लगाए जाते हैं।

प्रमुख फ़सलें (Main Crops):
उष्ण कटिबन्ध के विरल जनसंख्या वाले बड़े क्षेत्रों पर एक ही फ़सल की व्यापारिक कृषि को रोपण कृषि कहते हैं। रोपण कृषि की मुख्य फ़सलें हैं:

  1. रबड़ (मलेशिया तथा इन्डोनेशिया में)
  2. कोको (पश्चिमी अफ्रीका में)
  3. कहवा (ब्राज़ील में)
  4. चाय (भारत तथा श्रीलंका में)
  5. गन्ना (क्यूबा तथा जावा में)।

प्राथमिक क्रियाएँ JAC Class 12 Geography Notes

→ मानव क्रियाएं (Human Activities): मानव अपनी जीविका कमाने के लिए कुछ क्रियाएं अपनाता है जिन्हें मानव-क्रियाएं कहते हैं।

→ मानव क्रियाओं को चार वर्गों में बांटा जाता है

  • प्राथमिक क्रियाएं (Primary Activities): शिकार करना, मत्स्यन, संग्रहण, लकड़ी काटना, पशुपालन, खनन तथा कृषि।
  • द्वितीयक (सहायक) क्रियाएं (Secondary Activities): निर्माण उद्योग।
  • तृतीयक (टरशरी) क्रियाएं (Tertiary Activities): परिवहन तथा व्यापार।
  • चतुर्थ क्रियाएं (Quarternary Activities): शिक्षा, प्रबन्ध, सुरक्षा आदि।

→ मत्स्यन (Fishing): ताज़ा पानी मत्स्य क्षेत्र, सागरीय क्षेत्र।

→ व्यापारिक मत्स्यन: यह क्षेत्र शीतोष्ण कटिबन्ध में पाए जाते हैं।

→ पशुपालन (Pastoralism): व्यापारिक पशुपालन, शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदानों, स्टैप, प्रेयरीज़, डाऊनज आदि में प्रचलित है।

→ लकड़ी काटना (Lumbering): यह क्रिया शीतोष्ण वन क्षेत्रों में होती है।

→ खनन (Mining): भू-पर्पटी की ऊपरी सतह से विभिन्न उपकरणों की मदद के खनिज पदार्थ या सामग्री निकालना, खनन कहलाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

1. निम्नलिखित में से कौन-सा विकास का सर्वोत्तम वर्णन है?
(क) आकार में वृद्धि
(ख) गुणों में धनात्मक परिवर्तन
(ग) आकार में स्थिरता
(घ) गुणों में साधारण परिवर्तन।
उत्तर:
(ख) गुणों में धनात्मक परिवर्तन।

2. मानव विकास की अवधारणा निम्नलिखित में से किस विद्वान् की देन है?
(क) प्रो० अमर्त्य सेन
(ख) डॉ० महबूब-उल-हक
(ग) एलेन सी० सेम्पुल
(घ) रैट्ज़ेल।
उत्तर:
(ख) डॉ० महबूब-उल-हक।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा देश उच्च मानव विकास वाला नहीं है?
(क) नार्वे
(ख) अर्जेनटाइना
(घ) मिस्र।
(ग) जापान
उत्तर:
(घ) मिस्र।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
मानव विकास के तीन मूलभूत क्षेत्र कौन-से हैं?
उत्तर:
संसाधनों तक पहुँच, स्वास्थ्य एवं शिक्षा मानव विकास के तीन मूलभूत क्षेत्र हैं।

प्रश्न 2.
मानव विकास के चार प्रमुख कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मानव विकास के चार प्रमुख घटक हैं-समता, सतत् पोषणीयता, उत्पादकता एवं सशक्तिकरण।

प्रश्न 3.
मानव विकास सूचकांक के आधार पर देशों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
मानव विकास स्कोर के आधार पर देशों को तीन समूहों में बाँटा जाता है

मानव विकास स्तर |मानव विकास सूचकांक का स्कोरदेशों की संख्या उच्च
उच्व0.8 से ऊपर57
मध्यम0.5 से 3.99 तक88
निम्न0.5 से नीचे32


JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों से अधिक न दीजिए

प्रश्न 1.
मानवीय विकास क्या है? इसके सूचक बताओ।
उत्तर:
मानवीय विकास (Human Development):
विकास एक प्रगतिशील विचारधारा है। यह किसी प्रदेश के संसाधनों के विकास के लिए अधिकतम शोषण की प्रक्रिया है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी प्रदेश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इस सन्दर्भ में भूगोल वेत्ता विकसित देशों तथा विकासशील देशों के शब्द प्रयोग करते हैं। मानव भूतल पर सर्वोत्तम प्राणी है। मानव ने भूतल पर अनेक परिवर्तन किए हैं।

विज्ञान, शिक्षा तथा प्रौद्योगिकी में बहुत विकास हुआ है। फिर भी सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में अन्तर-प्रादेशिक विभिन्नताएं पाई जाती हैं। विकास से अभिप्राय एक ऐसे वातावरण की रचना करना है जिसमें प्रत्येक शिशु को शिक्षा प्राप्त हो, कोई भी मानव स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित न हो, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा प्रयोग कर सके।

मानवीय विकास के सूचक (Indicators of Human Development):
विश्व बैंक प्रति वर्ष विश्व विकास रिपोर्ट तैयार करके प्रस्तुत करता है। इसमें उत्पादन, खपत, मांग, ऊर्जा, वित्त, व्यापार, जनसंख्या वृद्धि, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के 177 देशों के आँकड़े एकत्रित किए जाते हैं। यह रिपोर्ट कुछ सूचकों पर आधारित होती है। मानवीय विकास के तीन मूल घटक हैं

  1. जीवन अवधि,
  2. ज्ञान
  3. रहन-सहन का स्तर।

भारत का विश्व में मानवीय विकास में 126वां स्थान है। मानवीय विकास के प्रमुख सूचक निम्नलिखित हैं

  1. जीवन प्रत्याशा
  2. साक्षरता
  3. प्रति व्यक्ति आय
  4. जनसंख्यात्मक विशेषताएं जैसे कि शिशु मृत्यु-दर, प्राकृतिक वृद्धि दर, आयु वर्ग आदि।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास

प्रश्न 2.
मानव विकास अवधारणा के अन्तर्गत समता और सतत पोषणीयता से आप क्या समझते हो ?
उत्तर:
समता से अभिप्राय प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुंच की व्यवस्था करना है। लोगों को समान अवसर मिलने चाहिए। इसमें लिंग प्रजाति, आय तथा जाति के भेदभाव न हो। सतत् पोषणीयता का अर्थ है कि अवसरों की उपलब्धता निरन्तर हो। प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिलें। समस्त संसाधनों का उपयोग भविष्य की पीढ़ियों के लिए समान रूप से हो।

मानव विकास JAC Class 12 Geography Notes

→ मानव विकास (Human Development)

→ मानव विकास (Human Development): मानवीय विकास, मानव जीवन में उत्तम गुण एवं संसाधन सम्पन्नता उत्पन्न करने की धनात्मक क्रिया है।

→ मानव विकास के सूचक: जीवन प्रत्याशा, साक्षरता, प्रति व्यक्ति आय मुख्य सूचक हैं।

→ भारत विश्व में मानवीय विकास के 126वें स्थान पर है।

→ मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन डॉ० महबूब-उल-हक (पाकिस्तान) के द्वारा तथा प्रो० अमर्त्य सेन के सहयोग से किया गया।

→ मानव विकास प्रतिवेदन सर्वप्रथम 1990 में प्रकाशित की गई।

→ समता, सतत पोषणीयता, उत्पादकता और सशक्तिकरण मानव विकास के चार स्तम्भ हैं।

→ मानव विकास सूचकांक (HDI): का मूल्य 0 से 1 तक है।

→ 57 देशों में उच्च मानव विकास स्तर है जबकि 32 देशों में निम्न विकास स्तर है।

→ मानव विकास प्रतिवेदन 2005 के अनुसार नार्वे, आइसलैंड, ऑस्ट्रेलिया, लक्ज़मबर्ग तथा कनाडा उच्च सूचकांक वाले 5 सर्वोच्च देश हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से किसने संयुक्त अरब अमीरात के लिंग अनुपात को निम्न किया है?
(क) पुरुष कार्यशील जनसंख्या का चयनित प्रवास
(ख) पुरुषों की उच्च जन्म दर
(ग) स्त्रियों की निम्न जन्म दर
(घ) स्त्रियों का उच्च उत्प्रवास।
उत्तर:
(घ) स्त्रियों का उच्च उत्प्रवास।

2. निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या जनसंख्या के कार्यशील आयु वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है?
(क) 15 से 65 वर्ष
(ख) 15 से 66 वर्ष
(ग) 15 से 64 वर्ष
(घ) 15 से 59 वर्ष।
उत्तर:
(घ) 15 से 59 वर्ष।

3. निम्नलिखित में से किस देश का लिंग अनुपात विश्व में सर्वाधिक है?
(क) लैटविया
(ख) जापान
(ग) संयुक्त अरब अमीरात
(घ) फ्रांस।
उत्तर:
(क) लैटविया।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जनसंख्या संघटन से आप क्या समझते हो?
उत्तर:
जनसंख्या संघटन से अभिप्राय: है कि जनांकिकीय विशेषताओं का अध्ययन करना। इसमें लिंगानुपात, साक्षरता, जीवन प्रत्याशा व्यवसाय आदि का अध्ययन किया जाता है। इन तत्त्वों के आधार पर लोगों की पहचान की जाती है।

प्रश्न 2.
आयु संरचना का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
आयु संरचना विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या को प्रदर्शित करती है। जनसंख्या संघटन का यह एक महत्त्वपूर्ण घटक है। इससे किसी प्रदेश की श्रम शक्ति का ज्ञान होता है। इससे रोज़गार की स्थिति तथा आश्रित जनसंख्या का पता चलता है। इससे भविष्य में जनसंख्या वृद्धि का अनुमान होता है।

प्रश्न 3.
लिंगानुपात कैसे मापा जाता है ?
उत्तर:
लिंगानुपात किसी देश की जनसंख्या में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या के बीच अनुपात है। इसकी गणना निम्न सूत्र द्वारा की जाती है
JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन 1
कुल पुरुषों की संख्या इस प्रकार लिंगानुपात प्रति एक हज़ार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या है।

लघु उत्तरीय प्रश्न। (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
(i) जनसंख्या के ग्रामीण-नगरीय संघटन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
निवास के आधार पर जनसंख्या को दो वर्गों में बांटा जाता है
(क) ग्रामीण जनसंख्या
(ख) नगरीय जनसंख्या।
तुलना (Comparison)-दोनों वर्ग एक-दूसरे से कई पक्ष से भिन्न हैं

  1. (जीवन शैली
  2. आजीविका
  3. सामाजिक दशाएं
  4. जनसंख्या घनत्व
  5. विकास स्तर।

(a) ग्रामीण क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जहां लोग प्राथमिक व्यवसायों में संलग्न होते हैं।
(b) नगरीय क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जहां अधिकतर कार्यशील जनसंख्या गैर-प्राथमिक कार्यों में लगे होते हैं।

  1. कारण: नगरीय क्षेत्रों में स्त्रियों की संख्या अधिक होने का कारण यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों से स्त्रियां नौकरियों के लिए प्रवास कर जाती हैं।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में पुरुषों का प्रभुत्व होता है।
  3. विकासशील देशों में कृषि कार्यों में महिलाओं की सहभागिता की दर काफ़ी ऊंची है।
  4. महिलाएं गांवों से नगरों की ओर प्रवास से डरती हैं क्योंकि वहां सुरक्षा की कमी है तथा रहन-सहन की उच्च लागत है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

(ii) विश्व के विभिन्न भागों में आयु लिंग में असन्तुलन के लिए उत्तरदायी कारकों तथा व्यावसायिक संरचना की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
लिंगानुपात स्त्रियों तथा पुरुषों की संख्या का अनुपात है। विकासशील देशों तथा विकसित देशों में लिंग संरचना में काफ़ी अन्तर मिलते हैं।

  1. ये अन्तर लिंग भेदभाव के कारण हैं।
  2. लिंगानुपात प्रतिकूल है जहां स्त्री भ्रूण हत्या तथा स्त्री शिशु हत्या तथा स्त्रियों के प्रति घरेलू हिंसा प्रचलित है।
  3. कई प्रदेशों में स्त्रियों का सामाजिक-आर्थिक स्तर निम्न है।

व्यावसायिक संरचना (Occupational Structure):
कार्यशील जनसंख्या (15 से 59 वर्ष की आयु) कई आर्थिक क्रियाओं में संलग्न रहती है जैसे कृषि, वानिकी, उद्योग, निर्माण, परिवहन, सेवाएं आदि इन व्यवसायों या क्रियाओं को प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थक क्रियाओं में बांटा जाता है। आर्थिक विकास में विभिन्नता के कारण विभिन्न प्रदेशों में ये क्रियाएं अलग-अलग हैं। आदिम आर्थिकता में लोग प्राथमिक क्रियाओं में अधिक कार्य करते हैं जबकि विकसित आर्थिकता में उद्योगों तथा अवसंरचना कार्यों से अधिक लोग सम्बन्धित होते हैं जो द्वितीयक तथा तृतीयक क्रियाओं में लगे होते हैं।

जनसंख्या संघटन JAC Class 12 Geography Notes

→ अध्याय के मुख्य तथ्य लिंगानुपात (Sex Ratio): स्त्रियों तथा पुरुषों की संख्या के बीच अनुपात।

→ औसत विश्व लिंगानुपात (Average World Sex Ratio): 990 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष।

→ उच्चतम लिंगानुपात (Highest Sex Ratio): लैट विया में 1187 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष।

→ निम्नतम लिंगानुपात (Lowest Sex Ratio): U.A.E. में 468 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष।

→ आयु संरचना (Age Structure): विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या।

→ जनसंख्या पिरामिड (Population Pyramid): जो आयु-लिंग संरचना प्रकट करे।

→ आयु वर्ग (Age groups): 0-14 वर्ष, 15-59 वर्ष, 60 वर्ष से अधिक।

→ जनसंख्या पिरामिड के प्रकार (Types of Population Pyramid): विस्तृत, स्थिर, ह्रासमान।

→ साक्षरता दर (Literacy Rate): सात वर्ष से अधिक आयु वाली जनसंख्या जो पढ़-लिख सके।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
1. निम्नलिखित में से किस महाद्वीप में जनसंख्या वृद्धि दर सर्वाधिक है?
(क) अफ्रीका
(ख) एशिया
(ग) दक्षिण अमेरिका
(घ) उत्तर अमेरिका।
उत्तर:
(क) अफ्रीका।

2. निम्नलिखित में से कौन-सा एक विरल जनसंख्या वाला क्षेत्र नहीं है?
(क) अटाकामा
(ख) भूमध्यरेखीय प्रदेश
(ग) दक्षिण-पूर्वी एशिया
(घ) ध्रुवीय प्रदेश।
उत्तर:
(ग) दक्षिण-पूर्वी एशिया।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रतिकर्ष कारक नहीं है?
(क) जलाभाव
(ख) बेरोज़गारी
(ग) चिकित्सा/शैक्षणिक सुविधाएँ
(घ) महामारियाँ।
उत्तर:
(ग) चिकित्सा/शैक्षणिक सुविधाएँ।

4. निम्नलिखित में से कौन-सा एक तथ्य नहीं है?
(क) विगत 500 वर्षों में मानव जनसंख्या 10 गुणा से अधिक बढ़ी है।
(ख) विश्व जनसंख्या में प्रतिवर्ष 8 करोड़ लोग जुड़ जाते हैं।
(ग) 5 अरब से 6 अरब तक बढ़ने में जनसंख्या को 100 वर्ष लगे।
(घ) जनांकिकीय संक्रमण की प्रथम अवस्था में जनसंख्या वृद्धि उच्च होती है।
उत्तर:
(ग) 5 अरब से 6 अरब तक बढ़ने में जनसंख्या को 100 वर्ष लगे।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले तीन भौगोलिक कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. जल की उपलब्धता-नदी घाटियां विश्व में सबसे सघन बसे हुए क्षेत्र हैं।
  2. भू-आकृति-पर्वत तथा पठार विरल जनसंख्या वाले प्रदेश हैं परन्तु मैदानों में जनसंख्या घनत्व अधिक है।
  3. जलवायु-मरुस्थल तथा शीत ध्रुवीय प्रदेश विरल जनसंख्या के प्रदेश हैं, परन्तु शीतोष्ण प्रदेश घने बसे हुए प्रदेश हैं।

प्रश्न 2.
“विश्व में उच्च जनसंख्या घनत्व वाले अनेक क्षेत्र हैं” ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
अनेक क्षेत्रों में उच्च जनसंख्या घनत्व निम्नलिखित कारणों से है

  1. दक्षिण-पूर्वी एशिया तथा पूर्वी एशिया में विकसित कृषि: इन क्षेत्रों में अनुकूल जलवायु, उपजाऊ मृदा, लम्बावर्धन काल, जल सिंचाई सुविधाएं हैं।
  2. पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरपूर्वी संयुक्त राज्य में औद्योगिक विकास: इन प्रदेशों में पर्याप्त खनिज भण्डार, उद्योग, औद्योगीकरण, तथा रहन-सहन स्तर ऊंचा है।

प्रश्न 3.
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक कौन-से हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक हैं।
JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि 2
(iii) प्रवास-प्रवास के कारण लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं।

अन्तर स्पष्ट करो

प्रश्न 1.
जन्म दर तथा मृत्यु दर में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

जन्म दर (Birth Rate)मृत्यु दर (Death Rate)
1. प्रति एक हज़ार व्यक्तियों के पीछे जीवित शिशुओं की दर को जन्म दर कहते हैं।1. प्रति एक हज़ार व्यक्तियों के पीछे मृतक शिशुओं की दर को मृत्यु दर कहते हैं।
2. इसकी गणना प्रति हजार प्रति वर्ष की दर से की जाती है।2. इसकी गणना प्रति हज़ार प्रति वर्ष की दर से की जाती है।
3. जब जन्मदर मृत्यु दर से अधिक हो तो इसे धनात्मक वृद्धि दर कहते हैं।3. जब मृत्यु दर जन्म दर से अधिक हो तो इसे ऋणात्मक वृद्धि दर कहते हैं।

प्रश्न 2.
प्रवास के प्रतिकर्ष कारक तथा अपकर्ष कारकों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

प्रतिकर्ष कारक (Push Factors)अपकर्ष कारक (Pull Factors)
1. प्रतिकर्ष कारकों के कारण लोग अपने उद्गम स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं।1. अपकर्ष कारक गन्तव्य स्थान को आकर्षक बनाते हैं।
2. बेरोज़गारी, रहन-सहन की निम्न दशाएँ, राजनीतिक उपद्रव, प्रतिकूल जलवायु, प्राकृतिक विपदाएं महामारियां प्रतिकर्ष कारक हैं।2. कार्य के बेहतर अवसर, रहन-सहन की अच्छी दशाएँ, शान्ति तथा स्थायित्व, जीवन व सम्पत्ति की सुरक्षा, अनुकूल जलवायु अपकर्ष कारक हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

लघुतरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
विश्व जनसंख्या के वितरण तथा घनत्व को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या का घनत्व (Density of Population):
किसी प्रदेश की जनसंख्या और भूमि के क्षेत्रफल के अनुपात को जनसंख्या का घनत्व कहते हैं। इससे किसी प्रदेश में लोगों की सघनता का पता चलता है। यह घनत्व प्रति वर्ग मील या वर्ग किलोमीटर द्वारा प्रकट किया जाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि 3

जनसंख्या घनत्व से जनसंख्या वितरण का पता चलता है। जनसंख्या का घनत्व प्रायः खाद्य पदार्थों की सुविधा तथा रोजगार की प्राप्ति पर निर्भर करता है। प्राकृतिक सुविधाओं का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है परन्तु कई प्रकार के भौतिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक कारण मिलकर जनसंख्या के घनत्व पर प्रभाव डालते हैं।

(क) भौगोलिक कारक (Geographical Factors)
1. धरातल (Land):
किसी देश में पर्वत, मैदान तथा पठार जनसंख्या के घनत्व पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। पर्वतीय भागों में समतल भूमि की कमी, कठोर जलवायु, यातायात के कम साधनों तथा कृषि के अभाव के कारण जनसंख्या कम होती है। इसीलिए रॉकी, एण्डीज़ तथा हिमालय पर्वत कम जनसंख्या वाले प्रदेश हैं।

मैदानी प्रदेशों में कृषि, जल-सिंचाई, यातायात, व्यापार तथा जीवन निर्वाह की सुविधाओं के कारण घनी जनसंख्या मिलती है। संसार की 80% जनसंख्या मैदानों में निवास करती है। गंगा का मैदान, चीन में ह्वांग-हो का मैदान विश्व में घनी जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं।

2. जलवायु (Climate):
तापमान तथा वर्षा जनसंख्या के घनत्व पर स्पष्ट प्रभाव डालते हैं। अधिक ठण्डे या अधिक गर्म क्षेत्रों में कम जनसंख्या होती है। इसीलिए संसार के ऊष्ण तथा शीत मरुस्थल व ध्रुवीय प्रदेश लगभग खाली हैं। सहारा मरुस्थल, एण्टार्कटिका महाद्वीप तथा टुण्ड्रा क्षेत्र में कम जनसंख्या मिलती है। यहां सम-शीतोष्ण भूमध्य सागरी तथा मानसूनी जलवायु के प्रदेशों में घनी जनसंख्या मिलती है। यहां पर्याप्त वर्षा कृषि के लिए उपयुक्त होती है। पश्चिमी यूरोप तथा दक्षिण पूर्वी एशिया में उत्तम जलवायु के कारण जनसंख्या का भारी केन्द्रीयकरण हुआ है। मध्य अक्षांशों में शीत-ऊष्ण जलवायु के कारण ही संसार की कुल जनसंख्या का 4/5 भाग निवास करता है।

3. मिट्टी (Soil):
गहरी उपजाऊ मिट्टी में कृषि उत्पादन अधिक होता है। इन प्रदेशों में अधिक लोगों को भोजन प्राप्त करने की क्षमता है। मानसूनी एशिया की नदी घाटियों में कछारी मिट्टी में चावल का अधिक उत्पादन होने के कारण अधिक जनसंख्या मिलती है। गंगा, सिन्धु तथा नील नदियों के उपजाऊ मैदानों में जनसंख्या का अधिक जमाव है। लावा मिट्टी के उपजाऊपन के कारण ही जावा द्वीप में इण्डोनेशिया की कुल जनसंख्या का 70% भाग मिलता है।

4. नदियां और जल प्राप्ति (River and Water Supply):
नदियां जल का मुख्य साधन होती हैं। इनका जल पीने, जल-सिंचाई, उद्योग-धन्धों तथा यातायात के लिए प्रयोग किया जाता है। इन सुविधाओं के कारण नदियों के किनारों पर अधिक जनसंख्या मिलती है। संसार की प्राचीन सभ्यताओं का जन्म नदी-घाटियों में हुआ। इसीलिए कई प्राचीन शहर, जैसे-कोलकाता, दिल्ली, आगरा तथा इलाहाबाद नदियों के किनारे ही स्थित हैं। मरुस्थल जल के अभाव के कारण विरल जनसंख्या प्रदेश है।

(ख) ऐतिहासिक कारण (Historical Factors):
कई बार ऐतिहासिक महत्त्व के स्थान पर जनसंख्या के केन्द्र बन जाते हैं। गंगा के मैदान में, सिन्धु के मैदान में तथा चीन में प्राचीन सभ्यता के कई केन्द्रों में जनसंख्या अधिक है। नील नदी में जनसंख्या का अधिक घनत्व ऐतिहासिक कारणों से ही है।

(ग) राजनीतिक कारण (Political Factors):
राजनीतिक कारणों का भी जनसंख्या पर प्रभाव पड़ता है। ऑस्ट्रेलिया में सरकार की “श्वेत नीति” (White Policy) के कारण गोरे लोगों के अतिरिक्त किसी जाति के लोग नहीं रह सके तथा ऑस्ट्रेलिया एक अल्प जनसंख्या वाला महाद्वीप है।

(घ) धार्मिक तथा सामाजिक कारण (Religious and Social Factors):
सामाजिक रीति-रिवाजों तथा धार्मिक विश्वासों का जनसंख्या के वितरण पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। इस्लाम धर्म में चार विवाहों की आज्ञा, चीन तथा भारत में बाल-विवाह जनसंख्या की वृद्धि के कारण हैं। कई तीर्थ स्थान अधिक जनसंख्या के केन्द्र बन जाते हैं। परिवार कल्याण अपनाने वाले देशों में जनसंख्या की वृद्धि दर कम होती है। यहूदी लोग भी धार्मिक अत्याचारों से तंग आकर इज़राइल देश में जा बसे हैं।

(ङ) आर्थिक कारण (Economic Factors)
1. खेतीबाड़ी (Agriculture):
अधिक कृषि उत्पादन वाले क्षेत्रों में अधिक भोजन प्राप्ति के कारण घनी जनसंख्या होती है। चावल उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में साल में तीन-तीन फसलों के कारण अधिक लोगों का निर्वाह हो सकता है। इसीलिए मानसूनी एशिया में अधिक जनसंख्या है। इसकी तुलना में गेहूँ की कृषि वाले क्षेत्रों में साल में एक फसल के कारण कम जनसंख्या होती है। कृषि में उत्तम बीज, कृषि यन्त्र, खाद, जल-सिंचाई की सुविधाओं के कारण
अधिक उत्पादन से कई क्षेत्रों में जनसंख्या बढ़ गई है।

2. उद्योग (Industries):
औद्योगिक विकास से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। औद्योगिक नगरों के निकट बहुत-सी बस्तियां बस जाती हैं तथा जनसंख्या अधिक हो जाती है। यूरोप, जापान में कोब-ओसाका प्रदेश के औद्योगिक विकास के कारण ही अधिक जनसंख्या है। इन क्षेत्रों में अधिक व्यापार के कारण भी घनी जनसंख्या होती है।

3. यातायात के साधनों की सुविधा (Easy Means of Transportation):
यातायात के साधनों की सुविधाओं के कारण उद्योग, कृषि तथा व्यापार का विकास होता है। साइबेरिया में ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग के विकास के कारण कई नगर बस गए हैं। पर्वतीय भागों में यातायात के साधनों की कमी के कारण कम जनसंख्या होती है।
JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि 4

4. नगरीय विकास (Urban Development):
किसी नगर के विकास के कारण उद्योग, व्यापार तथा परिवहन का विकास होता है। शिक्षा, मनोरंजन आदि सुविधाओं के कारण लोग ग्रामों से मैगा नगरों को प्रवास करते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 2.
जनसंख्या के जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त पर नोट लिखो।
उत्तर:
जनसंख्या का जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त
(Demographic Transition) वर्तमान जनसंख्या प्रवृत्तियों को देख कर कहा जाता है कि विकासशील देशों में जनसंख्या वृद्धि विकसित देशों की तुलना में 20 गुणा अधिक है। दोनों प्रकार के देशों में मृत्यु दर कम है परन्तु विकासशील देशों में जन्म दर विकसित देशों की तुलना में तीन गुणा अधिक है। E.W. Notestein नामक विद्वान् ने जनांकिकी संक्रमण मॉडल प्रस्तुत किया है कि जनसंख्या वृद्धि सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक विकास द्वारा निर्धारित होती है।

1. प्रथम अवस्था (First Stage):
इस पिछड़ी अर्थ-व्यवस्था में जनसंख्या कम होती है। जन्म-दर तथा मृत्यु दर बहुत ऊंचे होते हैं, परन्तु खुशहाली के समय मृत्यु दर कम होती है तथा आपदा के समय (जंग, अकाल, महामारी के समय) मृत्यु दर अधिक होती है। लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि होता है। जीवन प्रत्याशा निम्न होती है। प्रौद्योगिकी स्तर निम्न होता है। साक्षरता कम होती है।

2. द्वितीय अवस्था (Second Stage):
औद्योगिक क्रान्ति के कारण लोगों का रहन-सहन स्तर ऊँचा हो गया है। नगरों में स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त हो गई हैं। इससे मृत्यु दर धीरे-धीरे कम हो गई है। जन्म-दर ऊंची है। ज्यों-ज्यों जन्मदर तथा मृत्यु-दर में अन्तर बढ़ता है, जनसंख्या वृद्धि होती है।

3. तृतीय अवस्था (Third Stage):
इस अवस्था में जन्म-दर तथा मृत्यु-दर दोनों कम हो जाते हैं। जन्म-दर घटती-बढ़ती रहती है। नगरीयकरण में वृद्धि होती है तथा तकनीकी ज्ञान उच्च स्तर का होता है।

विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि JAC Class 12 Geography Notes

→ मानव (Man): मानव को भूतल पर केन्द्रीय स्थान प्राप्त है।

→ विश्व जनसंख्या (World Population): विश्व की इस समय कुल जनसंख्या 700 करोड़ है।

→ चीन (China): चीन 138 करोड़ जनसंख्या के साथ विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है।

→ जनसंख्या घनत्व (Density of Population): जनसंख्या घनत्व मानव-भूमि का अनुपात है। विश्व में औसत घनत्व 41 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।

→ जनसंख्या घनत्व नियन्त्रण करने वाले कारक (Factors controlling Density of Population): धरातल, जलवायु, मिट्टी, खनिज, नदियां, जल प्राप्ति, कृषि परिवहन तथा उद्योग।

→ एशिया (Asia): एशिया में विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या (60%) निवास करती है।

→ भारत (India): भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ है, जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है तथा जनसंख्या वृद्धि दर 1.7 प्रतिशत है।

→ जनसंख्या वृद्धि के निर्धारक (Determinants of Population Growth): जन्म दर, मृत्यु-दर,जनसंख्या की गतिशीलता।

→ जनसंख्या वृद्धि (Growth of Population): गत 500 वर्षों में जनसंख्या में 10 गुणा वृद्धि हुई है।

→ जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर (Annual Growth rate of population): प्रतिवर्ष कुल जनसंख्या में 8 करोड़ की वृद्धि होती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न – दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो –
1. किस प्रकार की कृषि को Slash and Burn कृषि कहते हैं ?
(A) आदि निर्वाह
(B) गहन निर्वाह
(C) रोपण
(D) व्यापारिक।
उत्तर:
(A) आदि निर्वाह

2. भारत का किस फ़सल के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान है ?
(A) चाय
(B) कहवा
(C) चावल
(D) कपास।
उत्तर:
(C) चावल

3. भारत में कौन-सा राज्य ज्वार का सबसे बड़ा उत्पादक है ?
(A) पंजाब
(B) महाराष्ट्र
(C) कर्नाटक
(D) राजस्थान
उत्तर:
(B) महाराष्ट्र

4. किस फ़सल उत्पादन में भारत का विश्व में पहला स्थान है ?
(A) पटसन
(B) कहवा
(C) चाय
(D) चावल
उत्तर:
(C) चाय

5. बाबा बूदन पहाड़ियों पर किस फ़सल की कृषि आरम्भ की गई ?
(A) चाय
(B) कहवा
(C) चावल
(D) कपास।
उत्तर:
(B) कहवा

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6. ‘सोने का रेशा’ किसे कहते हैं ?
(A) कपास
(B) रेशम
(C) पटसन
(D) ऊन।
उत्तर:
(C) पटसन

7. निम्नलिखित में से कौन-सी रबी की फ़सल है ?
(A) चावल
(B) मोटा अनाज
(C) चना
(D) कपास।
उत्तर:
(C) चना

8. कौन-सी फ़सल दलहन फ़सल है ?
(A) दालें
(B) मोटा अनाज
(C) ज्वार
(D) तोरिया।
उत्तर:
(A) दालें

9. किसी फ़सल की सहायता के लिए कौन-सा मूल्य निर्धारित किया जाता है ?
(A) उच्चतम समर्थन मूल्य
(B) निम्नतम समर्थन मूल्य
(C) दरमियाना समर्थन मूल्य
(D) प्रभावशाली समर्थन मूल्य।
उत्तर:
(B) निम्नतम समर्थन मूल्य

10. कपास के लिए कितने दिन का पाला रहित मौसम चाहिए ?
(A) 100
(B) 150
(C) 200
(D) 250
उत्तर:
(C) 200

11. कौन – सा राज्य सर्वाधिक गेहूं उत्पादक राज्य है ?
(A) पंजाब
(B) हरियाणा
(C) उत्तर प्रदेश
(D) राजस्थान
उत्तर:
(C) उत्तर प्रदेश

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12. भारत में कुल खाद्य उत्पादन कितना है ?
(A) 7 करोड़ टन
(B) 10 करोड़ टन
(C) 15 करोड़ टन
(D) 23 करोड़ टन।
उत्तर:
(D) 23 करोड़ टन।

13. किस ऋतु में खरीफ़ की फ़सलें बोई जाती हैं ?
(A) शीत
(B) ग्रीष्म
(C) बसन्त
(D) पतझड़।
उत्तर:
(A) शीत

14. भारत के निवल कृषि क्षेत्र हैं
(A) 77%
(B) 67%
(C) 45%
(D) 43%.
उत्तर:
(D) 43%.

15. भारत में खाद्य फ़सलों के अधीन क्षेत्र हैं
(A) 34%
(B) 44%
(C) 54%
(D) 64%
उत्तर:
(C) 54%

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions )

प्रश्न 1.
देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र में कितने प्रतिशत भाग पर कृषि होती है ?
उत्तर:
– 47%

प्रश्न 2.
भारत में परती भूमि कितने प्रतिशत है ?
उत्तर:
7.6%

प्रश्न 3.
भारत में औसत शस्य गहनता कितनी है ?
उत्तर:
135%

प्रश्न 4.
भारत में खाद्यान्न उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
320 करोड़ टन।

प्रश्न 5.
भारत में चावल का कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
850 लाख टन।

प्रश्न 6.
भारत में गेहूँ का कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
-687 लाख टन।

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प्रश्न 7.
भारत में गेहूँ की प्रति हेक्टेयर उपज कितनी है ?
उत्तर:
2743 कि० ग्रा० प्रति हेक्टेयर।

प्रश्न 8.
भारत में दालों का कुल उत्पादन बताओ।
उत्तर:
1 करोड़ टन।

प्रश्न 9.
भारत में तिलहन का कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
1.89 करोड टन।

प्रश्न 10.
भारत में चाय की कुल उत्पादन कितना है ?
उत्तर:
8 लाख टन।

प्रश्न 11.
भारत में कितने प्रतिशत लोग जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं ?
उत्तर:
70 प्रतिशत।

प्रश्न 12.
परती भूमि क्या है ?
उत्तर:
वह भूमि जिसमें एक से पांच वर्ष तक कोई फ़सल न उगाई गई हो।

प्रश्न 13.
शुद्ध बोये गए क्षेत्र की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
दूसरा स्थान।

प्रश्न 14.
भारत में शस्य गहनता किस राज्य में सर्वाधिक है ?
उत्तर:
पंजाब – 189 प्रतिशत।

प्रश्न 15.
वे तीन उद्देश्य बताओ जिनके लिए भूमि का प्रयोग होता है ?
उत्तर:
उत्पादन, निवास तथा मनोरंजन।

प्रश्न 16.
उस सरकारी संस्था का नाम बताओ जो भौगोलिक क्षेत्रफल के आंकड़े प्रदान करती हैं ?
उत्तर:
सर्वे ऑफ इण्डिया

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प्रश्न 17.
किस भूमि को सांझा सम्पत्ति संसाधन कहते हैं ?
उत्तर:
ग्रामीण पंचायतों के अधिकार में भूमि।

प्रश्न 18.
भूमि को परती क्यों छोड़ा जाता है ?
उत्तर:
ताकि भूमि अपनी खोई हुई उर्वरता पुनः प्राप्त कर सके।

प्रश्न 19.
फ़सलों की गहनता ज्ञात करने का सूत्र बताओ।
उत्तर:
फ़सल गहनता =
कुल बोया गया क्षेत्र
शुद्ध बोया गया क्षेत्र
x 100

प्रश्न 20.
भारत में फ़सलों की मुख्य ऋतुएं बताओ।
उत्तर:
खरीफ़, रबी तथा जायद।

प्रश्न 21.
आर्द्रता के आधार पर दो प्रकार की कृषि बताओ।
उत्तर:
शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि

प्रश्न 22.
पश्चिमी बंगाल में वर्ष में बोई जाने वाली चावल की तीन किस्में बताओ।
उत्तर:
ओस, अमन, बोरो।

प्रश्न 23.
भारत में बोये जाने वाले प्रमुख तिलहन बताओ।
उत्तर:
मूंगफली, तोरिया, सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी।

प्रश्न 24.
पंजाब में लम्बे रेशे वाली कपास को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
नरमा।

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प्रश्न 25.
पश्चिम बंगाल में चाय के तीन उत्पादक क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार।

प्रश्न 26.
भारत में उत्पन्न किए जाने वाले कहवे के तीन प्रकार बताओ।
उत्तर:
अरेबिका, रोबस्टा, लाईबीरिका।

प्रश्न 27.
भारत तथा विश्व में भूमि – मानव अनुपात क्या है ?
उत्तर:
0.31 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति भारत में 0.59 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति विश्व में

प्रश्न 28.
भारत में कितने क्षेत्र में जल सिंचाई होती है ?
उत्तर:
204.6 लाख हेक्टेयर में

प्रश्न 29.
भारत में कितने क्षेत्र में लवणता तथा क्षारता के कारण भूमि व्यर्थ हुई है ?
उत्तर:
80 लाख हेक्टेयर।

प्रश्न 30.
बहुफ़सलीकरण का क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर:
परती भूमि में कमी हुई रश्न

प्रश्न 31.
भारत की दो प्रमुख अनाजी फ़सलें बताओ। कोई दो राज्यों के नाम लिखो जो कि इन फ़सलों के प्रमुख उत्पादक हैं।
उत्तर:
गेहूँ तथा चावल प्रमुख अनाजी खाद्यान्न हैं।
प्रमुख उत्पादक –
(क) गेहूँ – उत्तर प्रदेश तथा पंजाब।
(ख) चावल – उत्तर प्रदेश तथा पंजाब।

प्रश्न 32.
भारत में कॉफ़ी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य
उत्तर:
कर्नाटक

प्रश्न 33.
भारत में कॉफी की किस किस्म का अधिक उत्पादन होता है ?
उत्तर:
अरेबिका कॉफी।

प्रश्न 34.
औस, अमन और बोरो किस खाद्य फ़सलों के नाम हैं ?
उत्तर:
चावल।

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प्रश्न 35.
भारत में शुष्क कृषि वाले प्रदेशों की एक फ़सल का नाम लिखो।
उत्तर:
बाजरा।

प्रश्न 36.
भारत में अधिकतम चावल पैदा करने वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर:
पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 37.
भारत में चाय का अधिकतम उत्पादन करने वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर:
असम

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भौगोलिक क्षेत्र तथा रिपोर्टिंग क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
भूराजस्व विभाग भू-उपयोग सम्बन्धी अभिलेख रखता है। भू-उपयोग संवर्गों का योग कुल प्रतिवेदन (रिपोर्टिंग ) क्षेत्र के बराबर होता है जो कि भौगोलिक क्षेत्र से भिन्न है । भारत की प्रशासकीय इकाइयों के भौगोलिक क्षेत्र की सही जानकारी देने का दायित्व भारतीय सर्वेक्षण विभाग पर है । भूराजस्व तथा सर्वेक्षण विभाग दोनों में मूलभूत अन्तर यह है कि भू-राजस्व द्वारा प्रस्तुत क्षेत्रफल पत्रों के अनुसार रिपोर्टिंग क्षेत्र पर आधारित है जो कि कम या अधिक हो सकता है। कुल भौगोलिक क्षेत्र भारतीय सर्वेक्षण विभाग के सर्वेक्षण पर आधारित है तथा यह स्थायी है।

प्रश्न 2.
वास्तविक वन क्षेत्र तथा वर्गीकृत वन क्षेत्रों में अन्तर बताओ।
उत्तर:
वास्तविक वन क्षेत्र वर्गीकृत वन क्षेत्र से भिन्न होता है। वर्गीकृत वन क्षेत्र का सरकार द्वारा सीमांकन किया जाता है जहां वन विकसित हो सकें। परन्तु वास्तविक वन क्षेत्र वह क्षेत्र है जो वास्तविक रूप से वनों से ढके हैं।

प्रश्न 3.
कृषि भूमि पर निरन्तर दबाव के कारण बताओ।
उत्तर:
यद्यपि समय के साथ, कृषि क्रियाकलापों का अर्थव्यवस्था में योगदान कम होता जाता है, भूमि पर कृषि क्रियाकलापों का दबाव कम नहीं होता। कृषि भूमि पर बढ़ते दबाव के कारण हैं –
(अ) प्रायः विकासशील देशों में कृषि पर निर्भर व्यक्तियों का अनुपात अपेक्षाकृत धीरे-धीरे घटता है जबकि कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान तीव्रता से कम होता है।
(ब) वह जनसंख्या में कृषि सेक्टर पर निर्भर होती है। प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है।

प्रश्न 4.
भू-उपयोग के कौन-से वर्गों के क्षेत्र में वृद्धि हुई है तथा क्यों ?
उत्तर:
तीन संवर्गों में वृद्धि व चार संवर्गों के अनुपात में कमी दर्ज की गई है। वन क्षेत्रों, गैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त भूमि, वर्तमान परती भूमि आदि के अनुपात में वृद्धि हुई है। वृद्धि के निम्न कारण हो सकते हैं –

  1. ग़ैर-कृषि कार्यों में प्रयुक्त क्षेत्र में वृद्धि दर अधिकतम है। इसका कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की बदलती संरचना है, जिसकी निर्भरता औद्योगिक व सेवा सेक्टरों तथा अवसंरचना सम्बन्धी विस्तार पर उत्तरोतर बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त गांवों व शहरों में, बस्तियों के अन्तर्गत क्षेत्रफल में विस्तार से भी इसमें वृद्धि हुई है।
  2. देश में वन क्षेत्र में वृद्धि सीमांकन के कारण हुई न कि देश में वास्तविक वन आच्छादित क्षेत्र के कारण।
  3. वर्तमान परती क्षेत्र में वृद्धि वर्षा की अनियमितता तथा फ़सल – चक्र पर निर्भर है।

प्रश्न 5.
भू-उपयोग के किन वर्गों के क्षेत्र में कमी हुई है ?
उत्तर:
वे चार भू-उपयोग संवर्ग, जिनमें क्षेत्रीय अनुपात में गिरावट आई है – बंजर, व्यर्थ भूमि व कृषि योग्य व्यर्थ भूमि, चरागाहों तथा तरु फ़सलों के अन्तर्गत क्षेत्र तथा निवल बोया गया क्षेत्र।
कारण –

  1. समय के साथ जैसे – जैसे कृषि तथा गैर कृषि कार्यों हेतु भूमि पर दबाव बढ़ा, वैसे-वैसे व्यर्थ एवं कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में समयानुसार कमी इसकी साक्षी है।
  2. निवल बोए गए क्षेत्र में धीमी वृद्धि दर्ज की जाती रही है। निवल बोए गए क्षेत्र में न्यूनता का कारण ग़ैर-कृषि में प्रयुक्त भूमि के अनुपात का बढ़ना हो सकता है।
  3. चरागाह भूमि में कमी का कारण कृषि पर बढ़ता दबाव है।

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प्रश्न 6.
दक्षिणी भारत में फ़सलों की ऋतुओं में विशेष परिवर्तन नहीं होता। क्यों ?
उत्तर:
फ़सलों की कृषि सिंचित भूमि पर की जाती है यद्यपि इस प्रकार की पृथक् फ़सल ऋतुएं देश के दक्षिण भागों में नहीं पाई जातीं। यहां का अधिकतम तापमान वर्षभर किसी भी उष्ण कटिबन्धीय फ़सल की बुवाई में सहायक है, इसके लिए पर्याप्त आर्द्रता उपलब्ध होनी चाहिए। इसलिए देश के इस भाग में, जहां भी पर्याप्त मात्रा में सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हैं, एक कृषि वर्ष में एक ही फ़सल तीन बार उगाई जा सकती है।

प्रश्न 7.
भारत में कृषि विकास के समर्थन में तीन कारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।

  1. वर्ष 2001 में देश की लगभग 53 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर थी।
  2. भारत में कृषि की महत्ता इस तथ्य से आंकी जा सकती है कि देश के 57 प्रतिशत भू-भाग पर कृषि की जाती; जबकि विश्व में कुल भूमि पर केवल 12 प्रतिशत भू-भाग पर कृषि की जाती है।
  3. भारत का एक बड़ा भू-भाग कृषि के अन्तर्गत होने के बावजूद यहां भूमि पर दबाव अधिक है। यहां प्रति व्यक्ति कृषि भूमि का अनुपात केवल 0.31 हेक्टेयर है जो विश्व औसत (0.59 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति) से लगभग आधा है। भारत ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात्, अनेक कठिनाइयों के बावजूद कृषि में अत्यधिक प्रगति की है।

प्रश्न 8.
कृषि की परिभाषा दो। कृषि के लिए किन दशाओं की आवश्यकता होती है ?
उत्तर:
भूमि से उपज प्राप्त करने की कला को कृषि कहते हैं। मिट्टी को जोतने, गोड़ने, फ़सलें उगाने तथा पशु पालने की कार्य-प्रणाली को कृषि कहते हैं। अंग्रेज़ी का ‘एग्रीकल्चर’ (Agriculture) शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों ‘एगर’ (ager) अर्थात् भूमि तथा ‘कल्चरा’ (cultura) अर्थात् जुताई से मिलकर बना है। इस प्रकार कृषि का अर्थ है जुताई करना ( फसलें उगाना) और पशुओं का पालना।

कृषि के लिए आवश्यक दशाएं – हम सभी जानते हैं कि सारी भूमि कृषि के योग्य नहीं होती हैं। फ़सलें उगाने के लिए निम्नलिखित की आवश्यकता होती है –
भौतिक दशाएं – समतल भूमि, उपजाऊ मृदा, पर्याप्त वर्षा और अनुकूल तापमान।
मानवीय दशाएं – मनुष्य के द्वारा भूमि का उपयोग इन बातों पर भी निर्भर करता है – प्रौद्योगिकी, काश्तकारी की अवधि तथा उनका आकार, सरकारी नीतियां और अन्य अनेक अवसंरचनात्मक कारक।

प्रश्न 9.
भारत में बोया गया शुद्ध क्षेत्र कितना है ? इसका विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
1950-51 में बोया गया शुद्ध क्षेत्र 11.87 करोड़ हेक्टेयर था, जो बढ़कर 1998-99 में 14.26 करोड़ हेक्टेयर हो गया था। इस प्रकार देश के कुछ भौगोलिक क्षेत्र के 46.59 प्रतिशत भाग में आजकल खेती होती है, जबकि 1950-51 में यह 36.1 प्रतिशत था। लगभग 2.34 करोड़ हेक्टेयर भूमि परती है, जो कुल प्रतिवेदित क्षेत्र का 7.6 के प्रतिशत है। इस प्रकार भारत का आधे से अधिक क्षेत्र कृषि के अन्तर्गत है । यहां यह जानना प्रासंगिक होगा कि कुल भौगोलिक क्षेत्र के सन्दर्भ में भारत का संसार में सातवां स्थान है, लेकिन कृषि के अन्तर्गत भूमि के सन्दर्भ में इसका दूसरा स्थान है। प्रथम स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका है, जो भूमि- क्षेत्र में भारत में ढाई गुना बड़ा।

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प्रश्न 10.
भारत में बोये गए शुद्ध क्षेत्रफल का उच्च अनुपात क्यों है ?
उत्तर:
कुल भौगोलिक क्षेत्र के अनुपात में बोया गया शुद्ध क्षेत्र सभी राज्यों में एक समान नहीं है। अरुणाचल प्रदेश में शुद्ध बोया गया क्षेत्र 3.2 प्रतिशत है, जबकि हरियाणा और पंजाब में यह 82.20 प्रतिशत है। सतलुज गंगा के जलोढ़ मैदान, गुजरात के मैदान, काठियावाड़ का पठार, महाराष्ट्र का पठार, पश्चिमी बंगाल का मैदान, अत्यधिक कृषि क्षेत्र हैं। कृषि क्षेत्र के इतने अधिक अनुपात के कारण ये हैं –

  1. सामान्य ढाल वाली भूमि
  2. उपजाऊ और आसानी से जुताई योग्य जलोढ़ और
  3. काली मृदा
  4. अनाज की कृषि के लिए अनुकूल जलवायु
  5. सिंचाई की उत्तम सुविधाएं तथा
  6. जनसंख्या के उच्च घनत्व का अत्यधिक दबाव।

पर्वतीय और सूखे क्षेत्रों का उच्चावच, जलवायु और मृदा और कृषि के लिए उपयुक्त नहीं है, अतः इन क्षेत्रों में कृषि की व्यापकता कम है ।

प्रश्न 11.
पंजाब राज्य में सर्वाधिक शस्य गहनता के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
पंजाब राज्य में भारत में सर्वाधिक शस्य गहनता 189 प्रतिशत है। पंजाब राज्य में 94 प्रतिशत से अधिक फ़सलगत क्षेत्र सिंचित हैं। सिंचाई अधिक शस्य गहनता का प्रमुख निर्धारक है। मृदा की सुघट्यता तथा उर्वरता भाग शस्य गहनता को अधिक करती है। जनसंख्या का अधिक दबाव भी शस्य गहनता को प्रभावित करता है । आधुनिक अधिक उपज देने वाली फसलें भी शस्य गहनता को बढ़ावा देती हैं।

प्रश्न 12.
‘भारतीय कृषि आज भी वर्षाधीन है। व्याख्या करो
उत्तर:
भारतीय कृषि आज भी वर्षाधीन है। 14.28 करोड़ हेक्टेयर के फ़सलगत शुद्ध क्षेत्र ( 1996-97 ) में से केवल 5.51 करोड़ हेक्टेयर ( 38.5%) क्षेत्र तक ही सिंचित है। मोटे अनाज और ज्वार, बाजरा, दालें, तिलहन और कपास मुख्य वर्षा पोषित फ़सलें हैं। 75 से० मी० से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे वर्षापोषित कृषि कहते हैं

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प्रश्न 13.
वर्तमान समय में भारतीय कृषि की किन्हीं तीन आर्थिक समस्याओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:

  1. विपणन सुविधाओं की कमी या उचित ब्याज पर ऋण न मिलने के कारण किसान कृषि के विकास के लिए आवश्यक संसाधन नहीं जुटा पाता है ।
  2. कृषि में अधिक उपज देने वाले बीजों, उर्वरक के सीमित प्रयोग के कारण उत्पादकता निम्न है।
  3. भूमि पर जनसंख्या का दबाव दिन प्रति दिन बढ़ रहा है । परिणामस्वरूप प्रति व्यक्ति फ़सलगत भूमि में कमी हो रही है। यह भूमि 0.219 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति है। जोतों के छोटे होने के कारण निवेश की क्षमता भी कम है।

प्रश्न 14.
भारत में फ़सल प्रतिरूपों का वर्णन करो।
उत्तर:
फ़सल प्रतिरूप (Cropping Pattern) – सभी फ़सलों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है – खाद्य फ़सलें तथा ग़ैर-खाद्य फ़सलें । खाद्य फ़सलों का पुनः तीन उपवर्गों में विभाजन किया जा सकता है –

  1. अनाज और ज्वार बाजरा
  2. दालें और
  3. फल तथा सब्ज़ियां।

अनाज, ज्वार – बाजरा और दालों को सामूहिक रूप से खाद्यान्न भी कहते हैं। ग़ैर-खाद्य फ़सलों में तिलहन, रेशेदार फ़सलें, अनेक रोपण फ़सलें तथा चारे की फ़सलें प्रमुख हैं ।

प्रश्न 15.
भारत में कृषि उत्पादकता अभी भी कम क्यों है ? तीन प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर:
भारत में प्रति हेक्टेयर फ़सलों की उपज कम है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  1. अधिक उपज वाले बीजों का कम प्रयोग – केवल 16% कृषिकृत भूमि HYV बीजों के अधीन है।
  2. पुरानी कृषि विधियां – मृदा का उपजाऊपन निरन्तर कम हो रहा है। उर्वरकों का अधिक प्रयोग नहीं है। कीटनाशक तथा उत्तम बीजों का प्रयोग कम है।
  3. निम्न निवेश – किसान निर्धन है, पूंजी की कमी के कारण कृषि में अधिक निर्वेश नहीं है। जनसंख्या के अधिक दबाव के कारण जोतों का आकार घट रहा है। जल सिंचाई का प्रयोग सीमित है। इसलिए उत्पादकता कम है।

प्रश्न 16.
भारत में हरित क्रान्ति की तीन प्रमुख उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. हरित क्रान्ति की सबसे अधिक उल्लेखनीय उपलब्धि खाद्यान्नों के उत्पादन में भारी वृद्धि है। खाद्यान्नों का उत्पादन 1965-66 में 7.2 करोड़ टन था जो 2010-11 में 23 करोड़ टन हो गया।
  2. घरेलू उत्पादन में वृद्धि के परिणामस्वरूप खाद्यान्नों का आयात घटते घटते अब बिल्कुल समाप्त हो गया है। 1965 में खाद्यान्नों का आयात 1.03 करोड़ टन था जो घटकर 1983-84 में 24 लाख टन रह गया तथा अब कोई आयात नहीं है।
  3. कृषिकृत क्षेत्र में तथा उपज प्रति हेक्टेयर में वृद्धि हुई है। अधिक उपज वाले बीजों के प्रयोग, जल सिंचाई तथा उर्वरक के प्रयोग में वृद्धि हुई है।

प्रश्न 17.
शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि की तीन-तीन विशेषताएं बताते हुए अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

  1. शुष्क कृषि उन प्रदेशों तक सीमित है जहां वार्षिक वर्षा 75 सें० मी० से कम है। जबकि आर्द्र कृषि (75 सें० मी० से अधिक) अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है ।
  2. शुष्क कृषि में आर्द्रता संरक्षण विधियां अपनाई जाती हैं जबकि आर्द्र कृषि क्षेत्रों में बाढ़ों तथा मृदा अपरदन की समस्याएं होती हैं ।
  3. शुष्क कृषि में कठोर फ़सलें तथा शुष्क वातावरण सहन करने वाली फ़सलें बोई जाती हैं जैसे रागी, बाजरा, मूंग आदि । परन्तु आर्द्र कृषि में चावल, पटसन, गन्ने की कृषि होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्वामित्व के आधार पर भूमिका का वर्गीकरण करो। साझा सम्पत्ति संसाधनों की विशेषताएं बताओ। उन्हें प्राकृतिक संसाधन क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
भूमि के स्वामित्व के आधार पर इसे मोटे तौर पर दो वर्गों में बांटा जाता है।
(1) निजी भू-सम्पत्ति तथा
(2) साझा सम्पत्ति संसाधन।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

पहले वर्ग की भूमिका पर व्यक्तियों का निजी स्वामित्व अथवा कुछ व्यक्तियों का सम्मिलित निजी स्वामित्व होता है। दूसरे वर्ग की भूमियां सामुदायिक उपयोग हेतु राज्यों के स्वामित्व में होती हैं । साझा सम्पत्ति संसाधन – पशुओं के लिए चारा, घरेलू उपयोग हेतु ईंधन, लकड़ी तथा साथ ही अन्य वन उत्पाद जैसे – फल, रेशे, गिरी, औषधीय पौधे आदि उपलब्ध कराती हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन छोटे कृषकों तथा अन्य आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के व्यक्तियों के जीवन-यापन में इन भूमियों का विशेष महत्त्व है; क्योंकि इनमें से अधिकतर भूमिहीन होने के कारण पशुपालन से प्राप्त आजीविका पर निर्भर हैं। महिलाओं के लिए भी इन भूमियों का विशेष महत्त्व है। क्योंकि ग्रामीण इलाकों में चारा व ईंधन लकड़ी के एकत्रीकरण की ज़िम्मेदारी उन्हीं की होती है । इन भूमियों में कमी से उन्हें चारे तथा ईंधन की तलाश में दूर तक भटकना पड़ता है।

साझा सम्पत्ति संसाधनों को सामुदायिक प्राकृतिक संसाधन भी कहा जा सकता है, जहां सभी सदस्यों को इसके उपयोग का अधिकार होता है तथा किसी विशेष के सम्पत्ति अधिकार न होकर सभी सदस्यों के कुछ विशेष कर्त्तव्य भी हैं। सामुदायिक वन, चरागाहों, ग्रामीण जलीय क्षेत्र तथा अन्य सार्वजनिक स्थान साझा सम्पत्ति संसाधन के ऐसे उदाहरण हैं जिसका उपयोग एक परिवार से बड़ी इकाई करती है तथा यही उसके प्रबन्धन के दायित्वों का निर्वहन करती हैं ।

प्रश्न 2.
भूमि संसाधनों का क्या महत्त्व है ? तीन तथ्य बताओ।
उत्तर:
भू-संसाधनों का महत्त्व उन लोगों के लिए अधिक है जिनकी आजीविका कृषि पर निर्भर है

  1. द्वितीयक व तृतीयक आर्थिक क्रियाओं की अपेक्षा कृषि पूर्णतया भूमि पर आधारित है। अन्य शब्दों में, कृषि उत्पादन में भूमि का योगदान अन्य सैक्टरों में इसके योगदान से अधिक है। अतः ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीनता प्रत्यक्ष रूप से वहां की ग़रीबी से सम्बन्धित है।
  2. भूमि की गुणवत्ता कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती है जो अन्य कार्यों में नहीं है
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में भू-स्वामित्व का आर्थिक मूल्य के अतिरिक्त सामाजिक मूल्य भी है तथा प्राकृतिक आपदाओं या निजी विपत्ति में एक सुरक्षा की भांति है एवं समाज में प्रतिष्ठा बढ़ाता है।

प्रश्न 3.
भारत में निवल बोए गए क्षेत्र में बढ़ोत्तरी की सम्भावनाएं सीमित हैं।’ व्याख्या करो कि किस प्रकार कृषि भूमि में वृद्धि की जा सकती है?
उत्तर:
समस्त कृषि भूमि संसाधनों का अनुमान – निवल बोया गया क्षेत्र तथा सभी प्रकार की परती भूमि और कृषि योग्य व्यर्थ भूमियों के योग से लगाया जा सकता है। तालिका 5.1 से यह निष्कर्ष निकालता है कि पिछले वर्षों में समस्त रिपोर्टिंग क्षेत्र से कृषि भूमि का प्रतिशत कम हुआ है । कृषि योग्य व्यर्थ भूमि संवर्ग में कमी के बावजूद कृषि योग्य भूमि में कमी आई है। भारत में निवल बोए गए क्षेत्र में बढ़ोत्तरी की संभावनाएं सीमित हैं । अतः भूमि बचत प्रौद्योगिकी विकसित करना आज अत्यन्त आवश्यक है।

यह प्रौद्योगिकी दो भागों में बांटी जा सकती हैं- पहली, वह जो प्रति इकाई भूमि में फ़सल विशेष की उत्पादकता बढ़ाएं तथा दूसरी, वह प्रौद्योगिकी जो एक कृषि में गहन भू-उपयोग से सभी फ़सलों का उत्पादन बढ़ाएं। दूसरी प्रौद्योगिकी का लाभ यह है कि इसमें सीमित भूमि से भी कुल उत्पादन बढ़ने के साथ श्रमिकों की मांग भी पर्याप्त रूप से बढ़ती है। भारत जैसे देश में भूमि की कमी तथा श्रम की अधिकता है, ऐसी स्थिति में फ़सल सघनता की आवश्यकता केवल भू-उपयोग हेतु वांछित है, अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोज़गारी जैसी आर्थिक समस्या को भी कम करने के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 4.
भारत में विभिन्न फ़सलों की ऋतुओं का वर्णन करो। प्रत्येक ऋतु में बोई जाने वाली फ़सलें बताओ ।
उत्तर:
हमारे देश के उत्तरी व आन्तरिक भागों में तीन प्रमुख फ़सल ऋतुएं- खरीफ, रबी व ज़ायद के नाम से जानी जाती हैं।

  1. खरीफ़ की फ़सलें अधिकतर दक्षिण-पश्चिमी मानसून के साथ बोई जाती हैं जिसमें उष्ण कटिबन्धीय फ़सलें सम्मिलित हैं, जैसे- चावल, कपास, जूट, ज्वार, बाजरा व अरहर आदि।
  2. रबी की ऋतु अक्तूबर-नवम्बर में शरद ऋतु से प्रारम्भ होकर मार्च-अप्रैल में समाप्त होती है। इस समय कम तापमान शीतोष्ण तथा उपोष्ण कटिबन्धीय फ़सलों जैसे- गेहूं, चना तथा सरसों आदि फ़सलों की बुवाई में सहायक है।
  3. ज़ायद एक अल्पकालिक ग्रीष्मकालीन, फ़सल ऋतु है, जो रबी की कटाई के बाद प्रारम्भ होता है। इस ऋतु में तरबूज, खीरा, ककड़ी, सब्ज़ियां व चारे की फ़सलों की कृषि सिंचित भूमि पर की जाती है।

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प्रश्न 5.
पंजाब तथा हरियाणा राज्यों में वर्षा की कमी के बावजूद चावल की कृषि होती है। क्यों ?
उत्तर:
पंजाब व हरियाणा पारम्परिक रूप से चावल उत्पादक राज्य नहीं हैं। हरित क्रान्ति के अन्तर्गत हरियाणा, पंजाब के सिंचित क्षेत्रों में चावल की कृषि 1970 से प्रारम्भ की गई। उत्तम किस्म के बीजों, अपेक्षाकृत अधिक खाद सिंचाई तथा कीटनाशकों का प्रयोग एवं शुष्क जलवायु के कारण फ़सलों में रोग प्रतिरोधता आदि कारक इस प्रदेश में चावल की अधिक पैदावार के उत्तरदायी हैं। इसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व उड़ीसा के वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों में बहुत कम है।

प्रश्न 6.
रक्षित सिंचाई कृषि तथा उत्पादक सिंचाई कृषि में अन्तर बताओ।
उत्तर:
आर्द्रता के प्रमुख उपलब्ध स्रोत के आधार पर कृषि को सिंचित कृषि तथा वर्षा निर्भर ( बारानी ) कृषि में वर्गीकृत किया जाता है। सिंचित कृषि में भी सिंचाई के उद्देश्य के आधार पर अन्तर पाया जाता है, जैसे- रक्षित सिंचाई कृषि तथा उत्पादक सिंचाई कृषि । रक्षित सिंचाई का मुख्य उद्देश्य आर्द्रता की कमी के कारण फ़सलों को नष्ट होने से बचाना है जिसका अभिप्राय यह है कि वर्षा के अतिरिक्त जल की कमी को सिंचाई द्वारा पूरा किया जाता है। इस प्रकार की सिंचाई का उद्देश्य अधिकतम क्षेत्र को पर्याप्त आर्द्रता उपलब्ध कराना है। उत्पादक सिंचाई का उद्देश्य फ़सलों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराकर उत्पादकता प्राप्त कराना है । उत्पादक सिंचाई में जल निवेश की मात्रा रक्षित सिंचाई की अपेक्षा अधिक होती है।

प्रश्न 7.
भारत में बोए जाने वाले प्रमुख तिलहन तथा उनके क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
खाद्य तेल निकालने के लिए तिलहन की खेती की जाती है। मालवा पठार, मराठवाड़ा, गुजरात, राजस्थान शुष्क भागों तथा आंध्र प्रदेश के तेलंगाना व रायलसीमा प्रदेश, भारत के प्रमुख तिलहन उत्पादक क्षेत्र हैं। देश के कुल शस्य क्षेत्र के लगभग 14 प्रतिशत भाग पर तिलहन फसलें बोई जाती हैं। भारत की प्रमुख तिलहन फ़सलों में मूंगफली, तोरिया, सरसों, सोयाबीन तथा सूरजमुखी सम्मिलित हैं।

प्रश्न 8.
भारत में कृषि वृद्धि तथा प्रौद्योगिकी के विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
पिछले पचास वर्षों में कृषि उत्पादन तथा प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है।
1. उत्पादन – बहुत-सी फ़सलों जैसे- चावल तथा गेहूँ के उत्पादन तथा पैदावार में प्रभावशाली वृद्धि हुई है तथा फ़सलों मुख्यतः गन्ना, तिलहन तथा कपास के उत्पादन में प्रशंसनीय वृद्धि हुई है। भारत को दालों, चाय, जूट तथा पशुधन, दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त है। यह चावल, गेहूँ, मूंगफली, गन्ना तथा सब्ज़ियों का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है।

2. जल सिंचाई – सिंचाई के प्रसार ने देश में कृषि उत्पादन बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । इसने आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी जैसे बीजों की उत्तम किस्में, रासायनिक खादों, कीटनाशकों तथा मशीनरी के प्रयोग के लिए आधार प्रदान किया है। 1950-51 से वर्ष 2000-01 तक, कुल सिंचित क्षेत्र 208.5 लाख से बढ़कर 546.6 लाख हेक्टेयर हो गया।

3. प्रौद्योगिकी – देश के विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी का प्रसार तीव्रता से हुआ है। पिछले 40 वर्षों में रासायनिक उर्वरकों की खपत में भी 15 गुना वृद्धि हुई है। भारत में वर्ष 2001-02 में रासायनिक उर्वरकों की प्रति हेक्टेयर खपत 91 किलोग्राम थी, जो विश्व की औसत खपत ( 90 किलोग्राम) के समान थी परन्तु पंजाब तथा हरियाणा के सिंचित भागों में यह देश की औसत खपत से चार गुना अधिक है।

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प्रश्न 9.
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान (Agricultural) देश है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला ही नहीं बल्कि जीवन-यापन की एक विधि है। देश की कुल श्रमिक शक्ति का 70% भाग कृषि कार्य में लगा हुआ है। देश के शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (Net national product) में 26 प्रतिशत का योगदान है। कृषि देश की लगभग 100 करोड़ जनसंख्या को भोजन प्रदान करती है। लगभग 20 करोड़ पशु कृषि से ही चारा प्राप्त करते हैं। कृषि नई महत्त्वपूर्ण उद्योगों जैसे सूती वस्त्र, पटसन, चीनी आदि को कच्चा माल प्रदान करती है। कई कृषि पदार्थ निर्यात करके लगभग 5000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त की जाती है जोकि देश के कुल निर्यात का लगभग 10% है।

प्रश्न 10.
भारतीय कृषि को कौन-से पर्यावरणीय कारक एक सशक्त आधार प्रदान करते हैं ?
उत्तर:
भारत में शताब्दियों से कृषि का विकास किया जा रहा है। यहां अनेक प्रकार की फ़सलों की कृषि की जाती है। भारत चावल, गेहूँ, पटसन, कपास, चाय, गन्ना आदि उपजों में विश्व में विशेष स्थान रखता है। निम्नलिखित भौगोलिक दशाएं कृषि को एक सशक्त आधार प्रदान करती हैं –

  1. विशाल भूमि क्षेत्र
  2. कृषिगत भूमि का उच्च प्रतिशत
  3. उपजाऊ मृदा
  4. लम्बा वर्द्धन काल (Long growing period)
  5. दीर्घ जलवायु परास (Wide climatic range)

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प्रश्न 11.
फ़सलों की गहनता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
फ़सलों की गहनता (Intensity of Cropping) से अभिप्राय यह है कि एक खेत में एक कृषि वर्ष में कितनी फ़सलें उगाई जाती हैं। यदि वर्ष में केवल एक फ़सल उगाई जाती है तो फ़सल का सूचकांक 100 है, यदि दो फ़सलें उगाई जाती हैं तो यह सूचकांक 200 होगा। अधिक फ़सल अधिक भूमि उपयोग की क्षमता प्रकट करती है।
शस्य गहनता को निम्नलिखित सूत्र की मदद से निकाला जा सकता है –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि - 1
पंजाब राज्य में शस्य गहनता 166 प्रतिशत, हरियाणा में 158 प्रतिशत, पश्चिमी बंगाल में 147 प्रतिशत तथा उत्तर प्रदेश में 145 प्रतिशत है। उच्चतर शस्य गहनता वास्तव में कृषि के उच्चतर तीव्रीकरण को प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 12.
शुष्क कृषि का क्या अर्थ है ?
अथवा
शुष्क कृषि किसे कहते हैं ?
उत्तर:
शुष्क कृषि (Dry Farming):
75 से० मी० से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में या जल सिंचाई रहित प्रदेशों में शुष्क कृषि की जाती है। यह कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है, जहां नमी को देर तक रख सकने वाली मिट्टी हो या पानी को एकत्रित करने की सुविधा हो। वर्षा से पहले खेतों को जोत कर मिट्टी मुलायम कर देते हैं ताकि वर्षा का जल गहराई तक पहुंच सके। ऐसे प्रदेशों में वर्ष में एक ही फ़सल उगाई जाती है। प्रायः गेहूँ, कपास, चने तथा दालों की फ़सलें उगाई जाती हैं। भारत में राजस्थान, गुजरात तथा हरियाणा के कई क्षेत्रों में शुष्क खेती होती है।

प्रश्न 13.
परती भूमि से क्या अभिप्राय है ? परती भूमि की अवधि को किस प्रकार घटाया जा सकता है ?
उत्तर”
एक ही खेत पर लम्बे समय तक लगातार फ़सलें उत्पन्न करने से मृदा के पोषक तत्त्व समाप्त हो जाते हैं। मृदा की उपजाऊ शक्ति को पुनः स्थापित करने के लिए भूमि को एक मौसम या पूरे वर्ष बिना कृषि किये खाली छोड़ दिया जाता है। इस भूमि को परती भूमि (Fallow land) कहते हैं। इस प्राकृतिक क्रिया द्वारा मृदा का उपजाऊपन बढ़ जाता है। जब भूमि को एक मौसम के लिए खाली छोड़ा जाता है तो उसे चालू परती भूमि कहते हैं। एक वर्ष से अधिक समय वाली भूमि को प्राचीन परती भूमि कहते हैं। इस भूमि में उर्वरक के अधिक उपयोग से परती भूमि की अवधि को घटाया जा सकता है।

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प्रश्न 14.
शस्यावर्तन किसे कहते हैं ? शस्यावर्तन क्यों अपनाया जाता है ?
अथवा
उत्तर:
एक ही खेत में फ़सलों को बदल-बदल कर बोने की पद्धति को शस्यावर्तन (Crop Rotations) कहते हैं । उदाहरण के लिए एक खेत में अनाज की फ़सल के बाद दालें या तिलहन की फ़सल उपजाई जाती है। फ़सलों का चुनाव मिट्टी के उपजाऊपन तथा किसान की समझदारी पर निर्भर करता है। यदि किसी भूमि पर बार-बार एक ही फ़सल उगाई जाए तो मिट्टी के उपजाऊ तत्त्व कम हो जाते हैं। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के लिए शस्यावर्तन अपनाया जाता है। अनाज की फ़सल के बाद सामान्य फलियों की फ़सल बोई जाती है। यह फसल मृदा में नाइट्रोजन की कमी को पूरा कर देती है।

प्रश्न 15.
भारत की दो प्रमुख खाद्यान्न फ़सलों के नाम बताइए। इन दोनों फ़सलों की जलवायु तथा मृदा सम्बन्धी आवश्यकताओं में तीन असमानताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
गेहूँ तथा चावल भारत की दो प्रमुख खाद्यान्न फ़सलें हैं। गेहूँ को शीत- आर्द्र उपज काल तथा पकते समय गर्म – शुष्क मौसम चाहिए। चावल की कृषि के लिए वर्ष भर गर्म-आर्द्र मौसम की आवश्यकता है। गेहूँ की कृषि के लिए दरमियानी वर्षा (50 से० मी०) तथा चावल की कृषि के लिए अधिक वर्षा (200 से० मी०) की आवश्यकता है। गेहूँ के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त है जबकि चावल की कृषि नदी घाटियों की जलोढ़ मिट्टी में की जाती है।

प्रश्न 16.
खरीफ़ और रबी फ़सलों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
रबी फसलें (Rabi Crops ):

  1. वर्षा ऋतु के पश्चात् शीतकाल में बोई जाने वाली फ़सलों को रबी की फ़सलें कहते हैं।
  2. गेहूँ, जौ, चना आदि रबी की फसलें हैं।
  3. ये फ़सलें ग्रीष्मकाल में पक कर तैयार होती हैं। शीतोष्ण जलवायु प्रदेशों में रबी की फ़सलें महत्त्वपूर्ण होती हैं।

खरीफ़ फ़सलें (Kharif Crops ):

  1. वर्षा ऋतु के आरम्भ में ग्रीष्म काल में बोई जाने वाली फ़सलों को खरीफ़ की फ़सलें कहते हैं।
  2. चावल, मक्का, कपास, तिलहन खरीफ़ की फ़सलें हैं।
  3. ये फ़सलें शीतकाल से पहले पक कर तैयार होती हैं। उष्ण जलवायु प्रदेशों में खरीफ़ की फ़सलें महत्त्वपूर्ण होती हैं।

प्रश्न 17.
गन्ने के लिए जलवायु की दशाएं दक्षिणी भारत में अधिक उत्तम हैं, फिर भी गन्ने का अधिक उत्पादन उत्तरी भारत में होता है। इसके क्या कारण हैं ?
उत्तर:
गन्ना एक उष्ण कटिबन्धीय फ़सल है। इसकी उपज के लिए जलवायु की आदर्श दशाएं दक्षिणी भारत में मिलती हैं। इसकी अधिक उत्पादकता के सभी क्षेत्र 15° उत्तर अक्षांश के दक्षिण में मिलते हैं। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज अधिक है। यह उपज 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक है जबकि उत्तरी भारत में केवल 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
परन्तु गन्ने के कुल उत्पादन का 60% भाग उत्तरी भारत से प्राप्त होता है।

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यहां उपजाऊ मिट्टी जल- सिंचाई के अधिक विस्तार, गन्ने के बेचने की सुविधाओं के कारण उत्पादन अधिक है। यहां शुष्क शीत ऋतु सर्दियों में पाले के कारण गन्ने में रस की मात्रा कम होती है तथा प्रति हेक्टेयर उपज भी कम होती है । दक्षिणी भारत में उच्च तापमान, छोटी शुष्क ऋतु, पाला रहित जलवायु तथा लम्बे वर्धनकाल के कारण गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज अधिक है। परन्तु दक्षिणी भारत में उपजाऊ मिट्टी की कमी के कारण गन्ने का कृषीय क्षेत्रफल कम है तथा कुल उत्पादन उत्तरी भारत की तुलना में कम है।

प्रश्न 18.
हरित क्रान्ति की योजना भारत में सर्वत्र लागू क्यों नहीं की जा सकी है ?
उत्तर:
हरित क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति है। इसके परिणाम इतने आशाजनक नहीं रहे हैं जितनी कि आशा की जाती थी। खाद्यान्न के अतिरिक्त अन्य फ़सलों के क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली किस्मों की कृषि को अपनाया गया है, जैसे कपास की नई किस्में गुजरात तथा तमिलनाडु में उगाई गई हैं। हरित क्रान्ति की योजना देश के चुने हुए क्षेत्रों में ही सफल रही है।

इसे देश के सभी भागों में लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि –

  1. बहुत-से भागों में जल – सिंचाई के साधन कम हैं ।
  2. उर्वरकों का उत्पादन, मांग की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है ।
  3. नये कृषि साधनों पर अधिक खर्च करने के लिए पूंजी की कमी है।
  4. इस योजना से छोटे किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचा है।
  5. यह योजना केवल सीमित भागों में ही सफल रही है, जहां जल सिंचाई के पर्याप्त साधन थे । इस योजना में कृषि तथा लघु सिंचाई पर विशेष जोर नहीं दिया गया है।
  6. छोटे आकार के खेतों में कृषि यन्त्रों का प्रयोग सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता है।
  7. अधिक उपज प्राप्त करने वाली विधियां केवल कुछ ही फसलों के प्रयोग में लाई गई हैं।

प्रश्न 19.
भारत के किन प्रदेशों में फ़सलों की गहनता अधिक, सामान्य, कम है ?
उत्तर:
भारत में फ़सलों की गहनता वास्तविक बोये जाने वाले क्षेत्र पर निर्भर करती है। उपजाऊ भूमि, सिंचाई के पर्याप्त साधनों तथा उत्तम कृषि विधियों के कारण कई प्रदेशों में फ़सलों की गहनता अधिक है। सिंचाई साधनों की कमी, वर्षा की कमी, बाढ़ों की अधिकता के कारण कई क्षेत्रों में भूमि उपयोग बहुत कम है तथा फ़सलों की गहनता कम है।

फसलों की गहनता का प्रादेशिक वितरण इस प्रकार है –
1. अधिक गहनता वाले प्रदेश – फ़सलों की अधिक गहनता के क्षेत्र पूर्वी तटीय मैदान, पश्चिमी असम घाटी, त्रिपुरा तथा उत्तरी मैदान के अनेक भागों में मिलते हैं। यहां पर वर्षा 80-100 से० मी० होती है; भूमि उपजाऊ है तथा सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं। प्रायः वर्ष में तीन-तीन फ़सलें उगाई जाती हैं।

2. सामान्य गहनता के प्रदेश – तमिलनाडु में ऊंचे तथा कर्नाटक के पठारी भाग, मध्यवर्ती भारत की पहाड़ियां, गंगा, सतलुज के मैदान में फ़सलों की सामान्य गहनता मिलती है। यह प्रायः दो फ़सली क्षेत्र है। इन भागों में सिंचाई के साधनों के विस्तार के कारण साल में दो फसलें प्राप्त की जाती हैं।

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3. कम गहनता वाले प्रदेश – भारत में दक्कन, राजस्थान के शुष्क प्रदेशों में पूर्वी हिमालय के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में कश्मीर तथा हिमालय के ठण्डे प्रदेशों में फ़सलों की गहनता कम मिलती है। ठण्डे प्रदेशों में फ़सलों का उपज काल कम होता है तथा शुष्क प्रदेशों में वर्षा की कमी के कारण साल में केवल एक फ़सल ही प्राप्त की जाती है ।

प्रश्न 20.
कौन-से ऐसे कारक हैं जिनके चलते खरीफ़ और रबी फ़सलों में अन्तर स्पष्ट किया जा सके ?
उत्तर:

कारकरबी फसलें (Rabi crops):खरीफ़ फ़सलें (Kharif crops ):
बुआई का समय(1) वर्षा ऋतु के पश्चात् शीतकाल में बोई जाने वाली फ़सलों को रबी की फ़सलें कहते हैं।(1) वर्षा ऋतु के आरम्भ में ग्रीष्म काल में बोई जाने वाली फ़सलों को खरीफ़ की फ़सलें कहते हैं।
प्रमुख फ़सलें(2) गेहूं, जौं, चना आदि रबी की फसलें हैं।(2) चावल, मक्का, कपास, खरीफ़ की फ़सलें हैं। तिलहन
पकने का समय तथा संबंधित जलवायु(3) ये फ़सलें ग्रीष्मकाल में पक कर तैयार होती हैं। शीतोष्ण जलवायु प्रदेशों में रबी की फ़सलें महत्त्वपूर्ण होती हैं।(3) ये फ़सलें शीतकाल से पहले पक कर तैयार होती हैं। उष्ण जलवायु प्रदेशों में खरीफ़ की फ़सलें महत्त्व पूर्ण होती हैं।

प्रश्न 21.
हरित क्रान्ति की योजना भारत के चुनिंदा क्षेत्रों में ही मिल सकी। यह योजना भारत में सर्वत्र लागू क्यों नहीं की जा सकी ? इसके लिए मुख्य उत्तरदायित्व कौन-से मूल्य आधारित कारण हैं ?
उत्तर:
हरित – क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति है। इसके परिणाम इतने आशा जनक नहीं रहे हैं जितनी कि आशा की जाती थी। खाद्यान्न के अतिरिक्त अन्य फ़सलों के क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली किस्मों की कृषि को अपनाया गया है, जैसे कपास की नई किस्में गुजरात तथा तमिलनाडु में उगाई गई हैं। हरित क्रान्ति की योजना देश के चुने हुए क्षेत्रों में ही सफल रही है।

इसे देश के सभी भागों में लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि –

  1. सिंचाई साधनों की कमी : बहुत-से भागों में जल – सिंचाई के साधन कम हैं।
  2. अपर्याप्त मांग : उर्वरकों का उत्पादन, मांग की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है।
  3. पूंजी का अभाव : नये कृषि साधनों पर अधिक खर्च करने के लिए पूंजी की कमी है। इसलिए इस योजना से छोटे किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचा है। यह योजना केवल सीमित भागों में ही सफल रही है, यहां जल सिंचाई के पर्याप्त साधन थे। इस योजना में कृषि तथा लघु सिंचाई पर विशेष जोर नहीं दिया गया है।
  4. छोटे आकार के खेतों में कृषि यन्त्रों का प्रयोग सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता है।
  5. अधिक उपज प्राप्त करने वाली विधियां केवल कुछ ही फसलों के प्रयोग में लाई गई हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions )

प्रश्न 1.
भारत की मुख्य फ़सलों के नाम लिखो। इनके वितरण, उत्पादन तथा उपज की दशाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां लगभग 70% लोगों का प्रमुख धन्धा कृषि है। इसलिए भारत को कृषकों का देश कहा जाता है। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 42% भाग (लगभग 14 करोड़ हेक्टेयर भूमि ) में कृषि की जाती है। देश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार अनेक प्रकार की महत्त्वपूर्ण फ़सलें उत्पन्न की जाती हैं। इनमें से खाद्य पदार्थ (Food Crops) सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। कुल बोई हुई भूमि का 80% भाग खाद्य पदार्थों के लिए प्रयोग किया जाता है। भारत की फ़सलों को निम्नलिखित वर्गों में बांटा जाता है-

  1. खाद्यान्न (Foodgrains) – चावल, गेहूँ, जौं, ज्वार, बाजरा, मक्की, चने, दालें इत्यादि।
  2. पेय पदार्थ (Beverage Crops ) – चाय तथा कहवा।
  3. रेशेदार पदार्थ (Fibre Crops ) – कपास तथा पटसन।
  4. तिलहन (Oil Seeds) – मूंगफली, तिल, सरसों, अलसी आदि।
  5. कच्चे माल (Raw Materials) – गन्ना, तम्बाकू, रबड़ आदि।

1. चावल (Rice):
महत्त्व – भारत में चावल की कृषि प्राचीन काल से हो रही है। भारत को चावल की जन्म भूमि माना जाता है। इसे ‘Gift of India’ भी कहते हैं। चावल भारत का मुख्य खाद्यान्न (Master Grain) है। भारत संसार का 22% चावल उत्पन्न करता है तथा यह संसार में दूसरे स्थान पर है। उपज की दशाएं – मुख्यतः चावल गर्म आर्द्र मानसूनी प्रदेशों की उपज है।
1. तापमान – चावल की कृषि के लिए ऊंचे तापमान (20°C) की आवश्यकता है। तेज़ वायु तथा बादल हानिकारक हैं।
2. वर्षा – चावल की कृषि के लिए वार्षिक वर्षा 200 सै०मी० से कम न हो। वर्षा की कमी के साथ-साथ चावल की कृषि भी कम होती जाती है।
3. जल सिंचाई – कम वर्षा वाले क्षेत्र में जल सिंचाई की सहायता से चावल की कृषि होती है। जैसे- पंजाब, हरियाणा में।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि - 2
4. मिट्टी – चावल के लिए चिकनी मिट्टी या दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसी कारण चावल नदी घाटियों, डेल्टाओं तथा तटीय मैदानों में अधिक होता है।
5. धरातल – चावल के लिए समतल भूमि की आवश्यकता है ताकि वर्षा व जल सिंचाई से प्राप्त जल खेतों में खड़ा रह सके। पहाड़ी ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेती की जाती है।
6. सस्ते मज़दूर – चावल की कृषि में सभी कार्य – जोतना, बोना, पौधे लगाना, फ़सल काटना, हाथ से करने पड़ते हैं । इसलिए घनी जनसंख्या वाले प्रदेशों में सस्ते मज़दूरों की आवश्यकता होती है।उत्पादन – देश की 25% बोई हुई भूमि पर चावल की कृषि होती है। 450 लाख हेक्टेयर भूमि में 890 लाख मीट्रिक टन चावल उत्पन्न होता है । प्रति हेक्टयर उपज 1365 कि० ग्राम है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

उपज के क्षेत्र (Areas of Cultivation ) – भारत में राजस्थान तथा दक्षिणी पठार के शुष्क भागों को छोड़कर सारे भारत में चावल की कृषि होती है। भारत में चावल की कृषि के लिए आदर्श शाएं पाई जाती हैं। भारत में चावल की कृषि वर्षा की मात्रा के अनुसार है।

  1. पश्चिमी बंगाल – यह राज्य भारत में सबसे अधिक चावल का उत्पादन करता है । इस राज्य की 80% भूमि पर चावल की कृषि होती है। सारा साल ऊंचे तापमान व अधिक वर्षा के कारण वर्ष में तीन फ़सलें अमन, ओस तथा बोरो होती हैं। शीतकाल में अमन की फ़सल मुख्य फ़सल है।
  2. तमिलनाडु – इस राज्य में वर्ष में दो फ़सलें होती हैं। यह राज्य चावल उत्पन्न करने में दूसरे स्थान पर है।
  3. आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा – पूर्वी तटीय मैदान तथा नदी डेल्टाओं में चावल की कृषि होती है।
  4. बिहार, उत्तर प्रदेश – भारत के उत्तरी मैदान में उपजाऊ क्षेत्रों में जल सिंचाई की सहायता से चावल का अधिक उत्पादन है।
  5. पंजाब, हरियाणा – इन राज्यों में प्रति हेक्टेयर उपज सबसे अधिक है। ये राज्य भारत में कमी वाले भागों को चावल
    भेजते हैं। इन्हें भारत का चावल का कटोरा कहते हैं।

2. गेहूँ (Wheat):
महत्त्व – भारत में प्राचीन काल में सिन्ध घाटी में गेहूँ की खेती के चिह्न मिले हैं। गेहूँ संसार का सर्वश्रेष्ठ तथा मुख्य खाद्य पदार्थ है। भारत संसार का 8% गेहूँ उत्पन्न करता है तथा इसका दूसरा स्थान उपज की दशाएं – गेहूँ शीतोष्ण कटिबन्ध का पौधा है। भारत में यह रबी की फ़सल है।

  1. तापमान – गेहूँ के बोते समय कम तापक्रम (15°C) तथा पकते समय ऊँचा तापक्रम (20°C) आवश्यक है।
  2. वर्षा – गेहूँ के लिए साधारण वर्षा (50 cm) चाहिए। शीतकाल में बोते समय साधारण वर्षा तथा पकते समय गर्म शुष्क मौसम ज़रूरी है। तेज़ हवाएं तथा बादल हानिकारक हैं। भारत में गेहूँ के लिए बोते समय आदर्श जलवायु मिलती है, परन्तु पकते समय कई असुविधाएं होती हैं।
  3. जल – सिंचाई – कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल – सिंचाई आवश्यक है, जैसे- पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में।
  4. मिट्टी – गेहूँ के लिए दोमट मिट्टी, चिकनी मिट्टी उत्तम है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद बहुत लाभदायक है।
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  5. धरातल – गेहूँ के लिए समतल मैदानी भूमि चाहिए ताकि उस पर कृषि यन्त्र और जल – सिंचाई का प्रयोग किया जा सके।
  6. गेहूँ की कृषि के लिए कृषि यन्त्रों, उत्तम बीज व खाद के प्रयोग के प्रति एकड़ उपज में वृद्धि होती है।
  7. गेहूँ की कृषि के लिए सस्ते मज़दूर चाहिएं।

उत्पादन – पिछले कुछ सालों में हरित क्रान्ति के कारण देश में गेहूँ की पैदावार में वृद्धि हुई है। देश की 14% बोई हुई भूमि पर गेहूं की कृषि होती है। देश में लगभग 270 लाख हेक्टेयर भूमि पर 800 लाख टन गेहूँ उत्पन्न होता है। प्रति हेक्टेयर उपज 2618 कि० ग्राम है। उपज के क्षेत्र भारत में अधिक वर्षा रेतीली भूमि तथा मरुस्थलों को छोड़ कर उत्तरी भारत के सभी राज्यों में गेहूँ की कृषि होती है। पहाड़ी क्षेत्रों में बहुत शीत के कारण गेहूँ नहीं होता।

1. उत्तर प्रदेश – यह राज्य भारत में सबसे अधिक गेहूँ उत्पन्न करता है। इस राज्य में गंगा-यमुना दोआब, तराई प्रदेश, गंगा – घाघरा दोआब प्रमुख क्षेत्र हैं । इस प्रदेश में नहरों द्वारा जल – सिंचाई तथा शीत काल की वर्षा की सुविधा है।
2. पंजाब – इसे भारत का अन्न भण्डार (Granary of India) कहते हैं। यहां उपजाऊ मिट्टी, शीत काल की वर्षा, जल – सिंचाई व खाद की सुविधाएं प्राप्त हैं । इस राज्य में मालवा का मैदान तथा दोआबा प्रमुख क्षेत्र हैं।
3. अन्य क्षेत्र –
(क) हरियाणा – हरियाणा में रोहतक – करनाल क्षेत्र।
(ख) मध्य प्रदेश में भोपाल – जबलपुर क्षेत्र
(ग) राजस्थान में गंगानगर क्षेत्र।
(घ) बिहार में तराई क्षेत्र।

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3. गन्ना ( Sugarcane)
महत्त्व – गन्ना भारत का मूल पौधा है। भारत में यह एक व्यापारिक फ़सल है। भारत में चीनी उद्योग गन्ने पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त गन्ने से कई पदार्थ जैसे कागज़ शीरा, खाद, मोम आदि भी तैयार किए जाते हैं।
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उपज की दशाएं – गन्ना उष्ण आर्द्र प्रदेशों की उपज है।
1. तापमान – गन्ने के लिए सारा साल उंचे तापक्रम ( 25°C) की आवश्यकता है। अति अधिक शीत तथा पाला फसल के लिए हानिकारक है।
2. वर्षा – गन्ने के लिए 100 से 200 सै०मी० वर्षा चाहिए। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल – सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं। गन्ने के पकते समय शुष्क जलवायु उत्तम होती है तथा अधिक वर्षा से गन्ने का रस पतला पड़ जाता है।
3. मिट्टी – गन्ने के लिए शहरी उपजाऊ मिट्टी उपयोगी है। मिट्टी में चूना तथा फॉस्फोरस का अंश अधिक होना चाहिए। नदी घाटियों की कांप की मिट्टी गन्ने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है।
4. सस्ते श्रमिक – गन्ने कृषि में अधिकतर कार्य से हाथ से किए जाते हैं, इसलिए सस्ते श्रम की आवश्यकता होती है। भारत की स्थिति – भारत में गन्ने की कृषि के लिए आदर्श दशाएं दक्षिणी भारत में मिलती हैं। यहां ऊंचे तापक्रम एवं पर्याप्त वर्षा है। उत्तरी भारत में लम्बी शुष्क ऋतु व पाले के कारण अनुकूल दशाएं नहीं हैं।
फिर भी उपजाऊ मिट्टी व जल – सिंचाई के कारण भारत का 60% गन्ना उत्तरी मैदान में होता है। भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है।
उत्पादन – भारत में संसार में सबसे अधिक क्षेत्रफल पर गन्ने की कृषि होती है, परन्तु प्रति हेक्टेयर उपज बहुत कम है। संसार का 40% गन्ना क्षेत्र भारत में है, परन्तु उत्पादन केवल 10% है। देश में 33 लाख हेक्टेयर भूमि में 2900 लाख टन गन्ना उत्पन्न किया जाता है।

उपज के क्षेत्र (Areas of Cultivation ) – भारत का 60% गन्ना उत्तरी भारत में उत्पन्न किया जाता है।
1. उत्तर प्रदेश – यह राज्य भारत में सबसे अधिक गन्ना उत्पन्न करता है। यहां पर गन्ना उत्पन्न करने के तीन क्षेत्र हैं –
(क) दोआब क्षेत्र – रुड़की से मेरठ तक।
(ख) तराई क्षेत्र – बरेली, शाहजहांपुर।
(ग) पूर्वी क्षेत्र – गोरखपुर

गोरखपुर को भारत का जावा (Jave of India) – भी कहते हैं। यहां गन्ने की कृषि के लिए कई सुविधाएं हैं –

  1. 100-200 सै०मी० वर्षा
  2. उपजाऊ मिट्टी
  3. जल- सिंचाई के साधन
  4. चीनी मिलों का अधिक होना।

2. दक्षिणी भारत – दक्षिणी भारत में अनुकूल जलवायु तथा अधिक प्रति हेक्टेयर उपज के कारण गन्ने की कृषि महत्त्वपूर्ण हो रही है –
(क) आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा व गोदावरी डेल्टे
(ख) तमिलनाडु में कोयम्बटूर क्षेत्र।
(ग) महाराष्ट्र में गोदावरी घाटी का नासिक क्षेत्र।
(घ) कर्नाटक में कावेरी घाटी।

3. अन्य क्षेत्र

  • पंजाब में गुरदासपुर, जालन्धर क्षेत्र।
  • हरियाणा में रोहतक, गुड़गाँव क्षेत्र।
  •  बिहार में तराई का चम्पारण क्षेत्र।

4. चाय (Tea)
महत्त्व – चाय एक पेय पदार्थ है। भारत में चाय एक व्यापारिक फ़सल है जिसकी कृषि बागवानी कृषि के रूप में होती है। भारत संसार की 35% चाय उत्पन्न करता है तथा इसका पहला स्थान है भारत संसार में चाय निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश है। देश में लगभग 700 चाय कम्पनियां हैं। देश में लगभग 12,000 चाय बागान हैं जिनमें 10 लाख मज़दूर काम करते हैं। उपज की दशाएं (Conditions of Growth) – चाय गर्म आर्द्र प्रदेशों का पौधा है।
1. तापमान – चाय के लिए सारा साल समान रूप से ऊंचे तापमान ( 25°C से 30°C) की आवश्यकता है। ऊंचे ताप के कारण वर्षभर पत्तियों की चुनाई हो सकती है, जैसे असम में।
2. वर्षा – चाय के लिए अधिक वर्षा (150 से०मी०) होनी चाहिए। वर्षा सारा साल समान रूप से हो। शुष्क मौसम (विशेषकर ग्रीष्मकाल ) चाय के लिए हानिकारक है। चाय के पौधों के लिए कुछ वृक्षों की छाया अच्छी होती है।
3. मिट्टी – चाय के उत्तम स्वाद के लिए गहरी मिट्टी चाहिए जिसमें पोटाश, लोहा तथा फॉस्फोरस का अधिक अंश हो।
4. धरातल — चाय की कृषि पहाड़ी ढलानों पर की जाती है ताकि पौधों की जड़ों में पानी इकट्ठा न हो। प्राय: 300 मीटर की ऊंचाई वाले प्रदेश उत्तम माने जाते हैं।
5. श्रम – चाय की पत्तियों को चुनने, सुखाने तथा डिब्बों में बन्द करने के लिए सस्ते मज़दूर चाहिएं। प्रायः स्त्रियों को इन कार्यों में लगाया जाता है।
6. प्रबन्ध – बाग़ान के अधिक विस्तार के कारण उचित प्रबन्ध व अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है।

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उत्पादन – देश में 42 लाख हेक्टेयर भूमि पर 99 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है। देश में हरी चाय (Green Tea) तथा काली चाय (Black Tea) दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। विभिन्न राज्यों में चाय का उत्पादन इस प्रकार है –
उपज के क्षेत्र – भारतीय चाय का उत्पादन दक्षिणी भारत की अपेक्षा उत्तरी भारत में कहीं अधिक है। देश में चाय के क्षेत्र एक-दूसरे से दूर-दूर हैं।
1. असम – यह राज्य भारत में सबसे अधिक चाय उत्पन्न करता है। इस राज्य में ब्रह्मपुत्र घाटी तथा दुआर का प्रदेश चाय के प्रमुख क्षेत्र हैं। इस राज्य को कई सुविधाएं प्राप्त हैं –

  • मानसून जलवायु
  • अधिक वर्षा तथा ऊंचे तापमान
  • पहाड़ी ढलानें
  • उपजाऊ मिट्टी
  • योग्य प्रबन्ध।

2. पश्चिमी बंगाल – इस राज्य में दार्जिलिंग क्षेत्र की चाय अपने विशेष स्वाद (Special Flavour) के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां अधिक ऊंचाई, अधिक नमी व कम तापमान के कारण चाय धीरे-धीरे बढ़ती है। जलपाइगुड़ी भी प्रसिद्ध क्षेत्र है।
3. दक्षिणी भारत – दक्षिणी भारत में नीलगिरि की पहाड़ियां (Nilgiri), इलायची तथा अनामलाई की पहाड़ियों में चाय उत्पन्न की जाती है।
(क) तमिलनाडु में कोयम्बटूर तथा नीलगिरी क्षेत्र।
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(ख) केरल में मालाबार तट।
(ग) कर्नाटक में कुर्ग क्षेत्र।
(घ) महाराष्ट्र में रत्नागिरी क्षेत्र।

4. अन्य क्षेत्र –
(क) झारखण्ड में रांची का पठार
(ख) हिमाचल प्रदेश में पालमपुर का क्षेत्र।
(ग) उत्तराखण्ड में देहरादून का क्षेत्र
(घ) त्रिपुरा क्षेत्र।

व्यापार – भारत संसार में तीसरा बड़ा चाय ( 35%) निर्यातक देश है। देश के उत्पादन का लगभग 1/4 भाग विदेशों को निर्यात किया जाता है। इससे लगभग 1100 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। यह निर्यात मुख्यतः इंग्लैण्ड, रूस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि 80 देशों को होता है। विदेशों में चाय के निर्यात को बढ़ाने तथा चाय के स्तर को उन्नत करने के लिए चाय बोर्ड (Tea Board) की स्थापना की गई है।

5. कपास (Cotton ):
महत्त्व – कपास एक रेशेदार पदार्थ है। देश की महत्त्वपूर्ण व्यापारिक फ़सल है। भारत में प्राचीनकाल से कपास की कृषि हो रही है । भारत में सूती वस्त्र उद्योग कपास पर निर्भर है। भारत संसार की 9% कपास उत्पन्न करता है तथा चौथे स्थान पर है। भारत में अधिकतर छोटे रेशे वाली कपास ( 22 किलोमीटर लम्बी ) उत्पन्न होती है।
उपज की दशाएं – कपास उष्ण प्रदेशों की उपज है तथा खरीफ़ की फ़सल है।

  • तापमान – कपास के लिए तेज़, चमकदार धूप तथा उच्च तापमान ( 25°C) की आवश्यकता है। पाला इसके लिए हानिकारक है। अतः इसे 200 दिन पाला रहित मौसम चाहिए।
  • वर्षा – कपास के लिए 50 से०मी० वर्षा चाहिए । चुनते समय शुष्क पाला रहित मौसम चाहिए । फ़सल पकते समय वर्षा न हो।
  • जल – सिंचाई – कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल – सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं, जैसे पंजाब में। इससे प्रति हेक्टेयर उपज भी अधिक होती है।
  • मिट्टी – कपास के लिए लावा की काली मिट्टी सबसे उचित है। लाल मिट्टी तथा नदियों की कांप की मिट्टी ( दोमट मिट्टी) में भी कपास की कृषि होती है।
  • सस्ता श्रम – कपास के लिए सस्ते मज़दूरों की आवश्यकता है। कपास चुनने के लिए स्त्रियों को लगाया जाता है।
  • धरातल – कपास की कृषि के लिए समतल मैदानी भाग अनुकूल होते हैं । साधारण ढाल वाले क्षेत्रों में पानी इकट्ठा नहीं होता।
    उत्पादन – भारत में 242 लाख हेक्टेयर भूमि पर 242 लाख गांठे कपास उत्पन्न की जाती है।

उपज के क्षेत्र – भारत में जलवायु तथा मिट्टी में विभिन्नता के कारण कपास के क्षेत्र बिखरे हुए हैं। उत्तर भारत की अपेक्षा दक्षिणी भारत में अधिक कपास होती है-
1. काली मिट्टी का कपास क्षेत्र – काली मिट्टी का कपास क्षेत्र सबसे महत्त्वपूर्ण है। इसमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश राज्यों के भाग शामिल हैं। गुजरात राज्य भारत में सबसे अधिक कपास उत्पन्न करता है । इस राज्य के खानदेश व बरार क्षेत्रों में देशी कपास की कृषि होती है।
2. लाल मिट्टी का क्षेत्र – तमिलनाडु, कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश राज्यों में लाल मिट्टी (Red Soil) क्षेत्र में लम्बे रेशे वाली कपास (कम्बोडियन) उत्पन्न होती है।
3. दरियाई मिट्टी का क्षेत्र-उत्तरी भारत में दरियाई मिट्टी के क्षेत्रों में लम्बे रेशे वाली अमरीकन कपास (नरमा) की कृषि होती है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान राज्य प्रमुख क्षेत्र हैं। पंजाब में जल – सिंचाई के कारण देश में सबसे अधिक प्रति हेक्टेयर उत्पादन है। भविष्य – भारत से छोटे रेशे वाली कपास का निर्यात होता है, परन्तु सूती वस्त्र उद्योग के लिए लम्बे रेशे वाली कपास आयात की जाती है। देश में प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। लम्बे रेशे वाली कपास के क्षेत्र में वृद्धि की जा रही है । आशा है, कपास के उत्पादन में देश शीघ्र ही आत्मनिर्भर हो जाएगा।

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6. पटसन (Jute ):
महत्त्व – पटसन भारत का मूल पौधा है। पटसन एक महत्त्वपूर्ण उपयोगी तथा सस्ता रेशा है। इसे सोने का रेशा कहते हैं। इससे टाट, बोरे, पर्दे, गलीचे तथा दरियां आदि बनाई जाती हैं। व्यापार में महत्त्व के कारण इसे थोक व्यापार का खाकी कागज़ भी कहते हैं। भारत का पटसन उद्योग पटसन की कृषि पर निर्भर करता है।
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उपज की दशाएं – पटसन मानसून खण्ड में उष्ण आर्द्र प्रदेशों का पौधा है।
1. तापमान – पटसन के लिए सारा साल ऊंचे तापमान (27°C) की आवश्यकता है। पटसन खरीफ़ की फ़सल है।
2. वर्षा – पटसन के लिए अधिक वर्षा (150 से० मी०) की आवश्यकता पड़ती है। वर्षा सारा साल समान रूप से होती है।
3. मिट्टी – पटसन के लिए गहरी उपजाऊ मिट्टी उपयोगी है। नदियों में बाढ़ क्षेत्र, डेल्टा प्रदेश पटसन के लिए आदर्श क्षेत्र होते हैं यहां नदियों द्वारा हर वर्ष मिट्टी की नई परत बिछ जाती है। खाद का भी अधिक प्रयोग किया जाता है।
4. स्वच्छ जल – पटसन को काटकर धोने के लिए नदियों के साफ़ पानी की आवश्यकता होती है।
5. सस्ता श्रम – पटसन को काटने, धोने और छीलने के लिए सस्ते तथा कुशल मज़दूरों की आवश्यकता होती है।

उत्पादन – भारत संसार का 35% पटसन उत्पन्न करता है तथा दूसरे स्थान पर है। विभाजन के कारण पटसन क्षेत्र का अधिकांश भाग बांग्लादेश को प्राप्त हो गया है। भारत में 7 लाख हेक्टेयर भूमि पर 12 लाख टन पटसन उत्पन्न होती है।
उपज के क्षेत्र – देश के विभाजन के कारण पटसन क्षेत्र कम हो गया है, परन्तु नए क्षेत्रों में पटसन की कृषि से इस कमी को पूरा किया जा रहा है।
1. पश्चिमी बंगाल – यह राज्य भारत में सबसे अधिक पटसन (36 लाख गांठें ) उत्पन्न करता है। इस राज्य में कई सुविधाएं हैं

  • नदी घाटियां तथा गंगा डेल्टाई प्रदेश
  • अधिक वर्षा
  • ऊँचा तापमान
  • अनेक नदियां
  • सस्ते मज़दूर।

2. आसाम – आसाम में ब्रह्मपुत्र घाटी पटसन के लिए प्रसिद्ध है। इस राज्य में कामरूप तथा गोलपाड़ा जिले प्रसिद्ध हैं।
3. बिहार – इस राज्य के तराई प्रदेश में पटसन उत्पन्न होता है।
4. दक्षिणी भारत – दक्षिणी भारत में महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों के डेल्टों में पटसन की कृषि होती है।

5. अन्य प्रदेश
(क) उत्तर प्रदेश में गोरखपुर क्षेत्र।
(ख) आन्ध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम क्षेत्र|
(ग) छत्तीसगढ़ में रायपुर क्षेत्र।
(घ) केरल में मालाबार तट।
(ङ) उत्तरी-पूर्वी भाग में मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर राज्य।

7. कहवा (Coffee):
कहवा (Coffee) कहवा भी चाय की तरह एक लोकप्रिय पेय पदार्थ है।
उपज की दशाएं – कहवा उष्ण कटिबन्ध के उष्ण- आर्द्र प्रदेशों का पौधा है। यह एक प्रकार के सदाबहार पौधे के फूलों (Berries) के बीजों (Beans) को सुखा कर पीसकर चूर्ण तैयार कर लिया जाता है।
1. तापमान (Temperature ) – कहवे के उत्पादन के लिए सारा साल ऊंचा तापमान ( औसत 22°C) होना चाहिए। पाला (Frost ) तथा तेज हवाएं (Strong winds) कहवे की कृषि के लिए हानिकारक होती हैं। इसलिए कहवे की कृषि सुरक्षित ढलानों (Protected hill-slopes) पर की जाती है।

2. वर्षा – कहवे के लिए 100 से 150 से०मी० वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। वर्षा का वितरण वर्षभर समान रूप से हो। शुष्क ऋतु में जल सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं। फल पकते समय ठण्डे शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है।

3. छायादार वृक्ष – सूर्य की सीधी व तेज़ किरणें कहवे के लिए हानिकारक होती हैं। इसलिए कहवे के बागों में केले तथा दूसरे छायादार फल उगाए जाते हैं। जो छाया के अतिरिक्त सहायक आय का भी साधन हैं।

4. मिट्टी – कहवे की कृषि के लिए गहरी, छिद्रदार उपजाऊ मिट्टी चाहिए जिसमें लोहा चूना तथा वनस्पति के अंश अधिक हों। लावा की मिट्टी तथा दोमट मिट्टी कहवे के लिए अनुकूल होती है।

5. धरातल – कहवे के बाग़ पठारों तथा ढलानों पर लगाए जाते हैं, ताकि पानी का अच्छा निकास हो। कहवे की कृषि 1000 मीटर तक ऊंचे प्रदेशों में की जाती है।

6. सस्ते श्रमिक – कहवे की कृषि के लिए सस्ते तथा अधिक मज़दूरों की आवश्यकता होती है। पेड़ों को छांटने, बीज तोड़ने तथा कहवा तैयार करने के लिए सभी कार्य हाथों से किए जाते हैं।

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7. बीमारियों की रोकथाम – कहवे के बाग़ में बीटल नामक कीड़े तथा कई बीमारियों के कारण भारत, श्रीलंका तथा इण्डोनेशिया में नष्ट हो गए हैं। इन बीमारियों की रोकथाम आवश्यक है।

उत्पादन – भारत में कहवे की कृषि एक मुस्लिम फ़कीर बाबा बूदन द्वारा लाए गए बीजों द्वारा आरम्भ की गई। भारत में कहवे का पहला बाग़ सन् 1830 में कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर क्षेत्र में लगाया गया। धीरे-धीरे कहवे की कृषि में विकास होता है। अब भारत में लगभग दो लाख हेक्टेयर भूमि पर दो लाख टन कहवे का उत्पादन होता है। देश में कहवे की खपत कम है। देश के कुल उत्पादन का 60% भाग विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है। इस निर्यात से लगभग 1500 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। यह निर्यात कोजीकोड (केरल) चेन्नईं तथा बंगलौर की बन्दरगाहों से किया जाता है।

उपज के क्षेत्र – भारत के कहवे के बाग़ दक्षिणी पठार की पर्वतीय ढलानों पर ही मिलते हैं। उत्तरी भारत में ठण्डी जलवायु के कारण कहवे की कृषि नहीं होती।
(क) कर्नाटक राज्य – यह राज्य भारत में सबसे अधिक कहवा उत्पन्न करता है। यहां पश्चिमी घाट तथा नीलगिरि की पहाड़ियों पर कहवे के बाग़ मिलते हैं। इस राज्य में शिमोगा, कादूर, हसन तथा कुर्ग क्षेत्र कहवे के लिए प्रसिद्ध हैं।
(ख) तमिलनाडु – इस राज्य में उत्तरी आरकाट से लेकर त्रिनेवली तक के क्षेत्र में कहवे के बाग़ मिलते हैं। यहां नीलगिरि तथा पलनी की पहाड़ियों की मिट्टी या जलवायु कहवे की कृषि के अनुकूल है।
(ग) केरल – केरल राज्य में इलायची की पहाड़ियों का क्षेत्र।
(घ) महाराष्ट्र में सातारा जिला।
(ङ) इसके अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश, असम, पश्चिमी बंगाल तथा अण्डेमान द्वीप में कहवे की कृषि के लिए यत्न किए जा रहे हैं ।

8. मोटे अनाज ( Millets):
(i) ज्वार (Jowar ) – खाद्यान्न में क्षेत्रफल की दृष्टि से ज्वार का तीसरा स्थान है। ज्वार 45 से०मी० से कम वर्षा वाले शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगाई जा सकती है। इसकी वृद्धि के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है । यह सामान्यतः कम उपजाऊ मिट्टियों और अनिश्चित वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है । ज्वार रबी और खरीफ़ दोनों की ही फ़सल है। यह भारत के लगभग एक करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती है। संकर बीजों की मदद से इसका उत्पादन सन् 2005-06 में 77 लाख टन हो गया था।

सम्पूर्ण प्रायद्वीपीय भारत में ज्वार पैदा की जाती है। लेकिन इसका सबसे अधिक संकेन्द्रण भारी और मध्यम वर्ग की काली मिट्टियों वाले तथा 100 से० मी० से कम वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में है। ज्वार के सम्पूर्ण फ़सलगत क्षेत्र का आधा भाग महाराष्ट्र में है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश तमिलनाडु और मध्य प्रदेश अन्य प्रमुख ज्वार उत्पादक राज्य हैं।

(ii) बाजरा (Bajra ) – बाजरा हल्की मिट्टियों और शुष्क क्षेत्रों में पैदा किया जाता है। इसीलिए यह अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट और उथली काली मिट्टियों में खूब पैदा किया जाता है। बाजरे की खेती के लिए महत्त्वपूर्ण क्षेत्र ये हैं- राजस्थान की मरुस्थली और अरावली की पहाड़ियां, दक्षिणी पश्चिमी हरियाणा, चंबल द्रोणी, दक्षिण पश्चिमी उत्तर प्रदेश, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तरी गुजरात, महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट के पवन विमुख ढाल। बाजरा वर्षापोषित खरीफ़ की फ़सल है। देश के कुल क्षेत्र के 76 लाख हेक्टेयर ( लगभग 5.0%) क्षेत्र में बाजरे की खेती की जाती है। कुल उत्पादन सन् 2005-06 में 104 लाख टन हो गया। राजस्थान देश का सबसे बड़ा बाजरा उत्पादक राज्य है। अन्य प्रमुख बाजरा उत्पादक राज्य ये हैं – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा।

(iii) मक्का (Maize ) – देश के कुल फ़सलगत क्षेत्र के 3.6 प्रतिशत भाग में मक्का बोई जाती है। इसका कुल उत्पादन 1.2 करोड़ टन था। मक्का के क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों में ही तेज़ी से वृद्धि हुई है। संकर जाति के उपज बढ़ाने वाले बीजों, उर्वरकों और सिंचाई के साधनों ने इसकी उत्पादकता बढ़ाने में सहायता की है। सन् 1951 और 2001 की अवधि में मक्का का उत्पादन दस गुना बढ़ गया है। मक्का की खेती सारे भारत में की जाती है। मक्का के उत्पादन में कर्नाटक का पहला स्थान है। इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश का स्थान है। मक्का के अन्य उत्पादक राज्य हैं – मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश

(iv) दालें (Pulses) – भारतीय भोजन में दालें प्रोटीन का मुख्य स्रोत हैं। ये फलीदार फ़सलें हैं तथा ये अपनी जड़ों के द्वारा मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाकर उसकी उर्वरता में वृद्धि करती है। दालों को कम नमी की आवश्यकता होती है। अतः ये शुष्क दशाओं में भी पनपती है। तुर, उड़द, मूंग और मोठ खरीफ़ की प्रमुख फ़सलें हैं तथा चना, मटर, तुर और मसूर रबी की फ़सलें हैं। दालों के अन्तर्गत क्षेत्रफल सन् 2000-01 में दो करोड़ हेक्टेयर हो गया। इसी अवधि में उनका उत्पादन भी बढ़कर 1.07 करोड़ टन हो गया।

(v) चना (Grams) – देश में दाल की प्रमुख फ़सल है। प्रमुख चना उत्पादक क्षेत्र ये हैं- मध्य प्रदेश का मालवा का पठार, राजस्थान का उत्तर पूर्वी भाग और दक्षिणी उत्तर प्रदेश। अधिक उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है। उत्तर प्रदेश का चने के उत्पादन में दूसरा स्थान है। तुर दाल की महत्त्वपूर्ण फ़सल है। तुर के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

प्रश्न 2.
हरित क्रान्ति से क्या अभिप्राय है ? कृषि उत्पादकता की वृद्धि में प्रयोग की जाने वाली विधियों का वर्णन करो । हरित क्रान्ति के प्रभावों का वर्णन करो ।
उत्तर:

हरित क्रान्ति (Green Revolution):
भारतीय कृषि एक परम्परागत कृषि संगठन है। कृषि क्षेत्र में एक मौलिक और मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता को देखते हुए एक नवीन कृषि प्रणाली को अपनाया गया है जिसे हरित क्रान्ति कहते हैं। हरित क्रान्ति वास्तव में एक खाद्यान्न क्रान्ति है जिससे सम्पूर्ण कृषि उत्पादन प्रक्रिया को एक नवीन मोड़ दे दिया है । हरित क्रान्ति भारतीय कृषि में आधुनिकीकरण की योजना भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है।

परन्तु प्राचीन विधियों के कारण कृषि का विकास नहीं हो पाया है। भारत में घनी आबादी तथा निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण खाद्यान्नों की कमी एक गम्भीर समस्या का रूप धारण कर रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए एक सामूहिक तथा वैज्ञानिक योजना लागू की गई। हरित क्रान्ति के पीछे निहित उद्देश्य हैं कि भारतीय भूमि हरीतिमा हरित क्रान्ति की मुख्य विशेषताएं – हरित क्रान्ति में निम्नलिखित तकनीकी विधियों पर बल दिया गया है

1. उन्नत बीजों का प्रयोग [Use of High Yielding Varieites (HYV)] – कृषि अनुसंधान के परिणामस्वरूप अधिक उपज देने वाले बीजों का विकास किया गया है। कम समय में तैयार होने वाली किस्में विकसित की गई हैं जिनमें वर्ष में 2 से अधिक फ़सलें प्राप्त की जा सकती हैं। इससे बहुफसलीय प्रणाली को प्रोत्साहन मिला है। गेहूं की नई किस्में जैसे कल्याण, सोना आदि तथा चावल की नई किस्में जैसे ‘विजय’, ‘रत्ना’, ‘पद्मा’ आदि के प्रयोग से उपज में वृद्धि हुई है। अब चावल 300 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उत्तम बीजों की कृषि की जाती है ।

2. उर्वरकों का अधिक प्रयोग (Use of Fertilizers ) – हमारे देश में गोबर खाद की वार्षिक प्राप्ति लगभग 100 करोड़ टन है, परन्तु इसका 40% भाग ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्राकृतिक खाद की अपर्याप्तता के कारण उर्वरक के उत्पादन और प्रयोग पर अधिक बल दिया जा रहा है। भारत में प्रति हेक्टेयर भूमि में खाद का प्रयोग विदेशों की तुलना में बहुत कम है । उर्वरक के अधिक प्रयोग से प्रति हेक्टेयर उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई है।

3. सिंचाई क्षेत्र में विस्तार (Increase in Irrigated Area ) – सिंचाई वर्षा अधिक की कमी को पूरा करती हैं तथा कृषि उपज बढ़ाने का साधन है। नहरों के अतिरिक्त सिंचाई की छोटी तथा बड़ी योजनाओं पर अधिक बल दिया गया है। नलकूपों का विस्तार किया गया है। इससे फसलों को गहनता तथा प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि हुई है।

4. नवीन कृषि यन्त्रों का प्रयोग (Use of New Agricultural Machinery ) – कृषि क्षेत्र में पुराने औज़ारों के स्थान पर आधुनिक मशीनों, यन्त्रों का प्रयोग बढ़ाया जा रहा है। कृषि क्षेत्र में मुख्यतः ट्रैक्टर, कम्बाइन हारवेस्टर, पिकर, ड्रिल आदि उपकरण प्रयुक्त होते हैं। कृषि उपकरणों को लोकप्रिय, सुगम बनाने के लिए कई कृषि उद्योग निगम स्थापित किए गए हैं। यान्त्रिक कृषि से देश के कृषि आधारित उद्योगों के लिए पर्याप्त कच्चा माल भी उपलब्ध हो सकता है । इस प्रकार कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे के पूरक हो गए हैं। यान्त्रिक कृषि से बहु- फ़सली कृषि प्रणाली (Multiple Cropping) का विकास हुआ है।

5. कीटनाशक औषधियों का प्रयोग ( Use of Pesticides ) – कीड़ों तथा बीमारियों से फ़सलों की सुरक्षा आवश्यक है । इसलिए कीटनाशक औषधियों का उत्पादन तथा वितरण कार्य एक सुनिश्चित ढंग से किया जा रहा हरित क्रान्ति के अधीन इनका प्रयोग बढ़ाया गया है।

6. भूमि सुधार (Land Reforms) – हरित क्रान्ति में नवीन विधियों के प्रयोग के साथ-साथ कृषि में भूमि सुधारों की ओर पर्याप्त ध्यान दिया गया है। मूलभूत सुधारों के बिना नवीन कृषि टैक्नोलॉजी व्यर्थ सिद्ध होगी।

7. भू-संरक्षण कार्यक्रम (Soil Conservation ) – भूमि कटाव रोकने तथा भूमि की उर्वरता को बनाए रखने की दृष्टि से विभिन्न पग उठाए गए हैं। मरुस्थलों के विस्तार को रोकने, शुष्क कृषि प्रणाली के विस्तार के कार्य अपनाए जा रहे हैं। देश में लगभग 500 लाख एकड़ बेकार भूमि को कृषि योग्य बनाने व सुधारने के प्रयत्न किए जा रहे हैं। ‘कल्लर’ (क्षारीय) भूमि तथा कन्दरायुक्त भूमि को कृषि योग्य बनाया जा रहा है। इस प्रकार जल प्लावन (Water Logging), क्षारीयता (Salination) तथा भू-क्षरण (Soil Erosion) के कार्यक्रम अपनाए गए हैं। मिट्टियों के सर्वेक्षण पर भी ध्यान दिया गया है।

8. गहन कृषि (Intensive Farming ) – कई राज्यों में भू-खण्डों के स्तर पर गहन कृषि तथा पैकेज प्रोग्राम आरम्भ किए गए। कालान्तर में इसे गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (IAAP) में बदल दिया गया। इससे किसानों को कृषि में प्रयोग होने वाली सभी साधनों की सुविधा प्रदान की गई ताकि उत्पादन में वृद्धि हो सके।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

हरित क्रान्ति के प्रभाव (Effects of Green Revolution)
1. कृषि उत्पादन में वृद्धि (Increase in Agricultural Production ) – हरित क्रान्ति एक महत्त्वपूर्ण कृषि योजना है जिसका मुख्य उद्देश्य खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाकर देश में खाद्यान्न की कमी को दूर करना है। देश के विभाजन के पश्चात् खाद्यान्नों की कमी हो गईं। सन् 1964-65 में खाद्यान्नों का कुल उत्पादन केवल 9 करोड़ टन था। इस कमी को पूरा करने के लिए विदेशों से खाद्यान्न आयात किए जाते थे। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के कारण कृषि क्षेत्र को एक नया मोड़ दिया गया, जिसके कारण खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि हुई है। देश में खाद्यान्नों का कुल उत्पादन लगभग 259 करोड़ टन हो गया।

वर्षखाद्यान्न उत्पादन (करोड़ टन)
1966 677.4
1970-7110.7
1977-7811.0
1980-8113.5
1984-8515.0
1993-9418.0
2011-2012259

2. प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि (Increase in Yield per Hectare ) – हरित क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति ही है। इसके लिए जल सिंचाई के साधनों में विस्तार किया गया। उर्वरकों का अधिक मात्रा में प्रयोग करके प्रति हेक्टेयर उपज को बढ़ाया गया। अधिक उपज देने वाली फ़सलों की कृषि पर ज़ोर दिया गया। चुने हुए क्षेत्रों में गेहूँ तथा चावल की नई विदेशी किस्मों का प्रयोग किया गया। गेहूँ की नई किस्में कल्याण, S-308, चावल की किस्में रत्ना, जया आदि का प्रयोग किया गया। पंजाब के लुधियाना क्षेत्र में गेहूँ का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 13 क्विंटल से बढ़कर 33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक जा पहुंचा है। गोदावरी डेल्टा में चावल प्रति हेक्टेयर उत्पादन, लगभग दुगुना हो गया है। इस प्रकार कृषि योग्य भूमि के विस्तार से नहीं अपितु प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ा कर ही खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि के लक्ष्य को पूरा किया गया है।
3. कृषि आधारित उद्योगों का बड़ी तेज़ी से विकास हुआ है।
4. यन्त्रीकरण तथा जल सिंचाई साधनों के प्रयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली तथा डीजल की खपत बढ़ी है।

त्रुटियां (Drawbacks) – हरित क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति है। इसके परिणाम इतने आशा जनक नहीं रहे हैं, जितनी की आशा की जाती थी । खाद्यान्न के अतिरिक्त अन्य फ़सलों के क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली किस्मों को अपनाया गया है। जैसे – कपास की नई किस्में गुजरात तथा तमिलनाडु में उगाई गई हैं । हरित क्रान्ति की योजना देश के चुने हुए क्षेत्रों में ही सफल रही है । इसे देश के सभी भागों में लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि –

  • बहुत से भागों में जल सिंचाई के साधन कम हैं।
  • उर्वरकों का उत्पादन मांग की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है।
  • नए कृषि साधनों पर अधिक खर्च करने के लिए पूंजी की कमी है।
  • इस योजना से छोटे किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं पहुंचा है।
  • यह योजना केवल सीमित भागों में ही सफल रही है। इस योजना में कृषि तथा लघु सिंचाई पर विशेष जोर नहीं दिया गया है।
  • छोटे आकार के खेतों में कृषि यन्त्रों का प्रयोग सफलतापूर्वक नहीं किया जा सकता है।
  • अधिक उपज प्राप्त करने वाली विधियां केवल कुछ ही फ़सलों के प्रयोग में लाई गई हैं।
  •  हरित – क्रान्ति द्वारा क्षेत्रीय असन्तुलन बढ़ गया है क्योंकि इसमें उपजाऊ क्षेत्रों पर ही ध्यान दिया गया है।
  • व्यापारिक फ़सलों के उत्पादन में भी वृद्धि की आवश्यकता है।

फिर भी यह कहा जा सकता है कि हरित क्रान्ति कृषि के ग्रामीण सर्वांगीण और बहुमुखी विकास की योजना है जो कृषि क्षेत्र में आत्म-निर्भरता प्राप्त करने में सहायक होगी।

प्रश्न 3.
भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं का वर्णन करो।
उत्तर:
भारतीय कृषि की समस्याएं:
भारतीय कृषि की समस्याएं विभिन्न प्रकार की हैं। अधिकतर कृषि समस्याएं प्रादेशिक हैं तथापि कुछ समस्याएं सर्वव्यापी हैं जिसमें भौतिक बाधाओं से लेकर संस्थागत अवरोध शामिल हैं। यद्यपि कृषि के विकास के लिए बहुत अधिक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन संसार के विकसित देशों की तुलना में हमारी कृषि की उत्पादकता अब भी कम है। इस परिस्थिति के लिए अनेक कारक संयुक्त रूप से ज़िम्मेदार हैं।
इनको चार वर्गों में बांटा गया है:

  1. पर्यावरणीय
  2. आर्थिक
  3. संस्थागत
  4. प्रौद्योगिकीय

1. अनियमित मानसून पर निर्भरता – सबसे गंभीर समस्या मानसून का अनिश्चित स्वरूप है। तापमान तो सारे साल ही ऊंचे रहते हैं। अतः यदि नियमित रूप में जल की पर्याप्त आपूर्ति होती रहे तो पूरे वर्ष फसलें पैदा की जा सकती हैं। लेकिन ऐसा संभव नहीं है क्योंकि देश के अधिकतर भागों में वर्षा केवल 3 या 4 महीनों में ही होती है। यही नहीं वर्षा की मात्रा तथा ॠतुनिष्ठ और प्रादेशिक वितरण अत्यधिक परिवर्तनशील है। इस परिस्थिति का कृषि के विकास पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। भारत में कृषि क्षेत्र का केवल एक तिहाई भाग ही सिंचित है। शेष कृषि क्षेत्र में फ़सलों का उत्पादन प्रत्यक्ष रूप से वर्षा पर निर्भर है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

जहां तक वर्षा का संबंध है, देश के अधिकतर भाग, उपार्द्र, अर्ध शुष्क और शुष्क हैं। इन क्षेत्रों में अक्सर सूखा पड़ता रहता है। राजस्थान तथा अन्य क्षेत्रों में वर्षा बहुत कम तथा अत्यधिक अविश्वसनीय है। ये क्षेत्र सूखा व बाढ़ दोनों से प्रभावित हैं। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सूखा एक सामान्य परिघटना है लेकिन यहां यदा कदा बाढ़ भी आ जाती है। वर्ष 2006 में महाराष्ट्र, गुजरात तथा राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में आई आकस्मिक बाढ़ उदाहरण है। सूखा तथा बाढ़ भारतीय कृषि के जुड़वा संकट बने हुए हैं। सिंचाई की सुविधाओं के विकास और वर्षा जल संग्रहण के द्वारा इन प्रदेशों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।

2. निम्न उत्पादकता – अंतर्राष्ट्रीय स्तर की उपेक्षा भारत में फ़सलों की उत्पादकता कम है। भारत में अधिकतर फ़सलों जैसे- चावल, गेहूँ, कपास व तिलहन की प्रति हेक्टेयर पैदावार अमेरिका, रूस तथा जापान से कम है। भू संसाधनों पर अधिक दबाव के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर की तुलना में भारत में श्रम उत्पादकता भी बहुत कम है। देश के विस्तृत वर्षा निर्भर विशेषकर शुष्क क्षेत्रों में अधिकतर मोटे अनाज, दालें तथा तिलहन की खेती की जाती है तथा यहाँ इनकी उत्पादकता बहुत कम है।

3. आर्थिक कारक – कृषि में निवेश जैसे अधिक उपज देने वाले बीज, उर्वरक आदि और परिवहन की सुविधाएं आर्थिक कारक हैं। विपणन सुविधाओं की कमी या उचित ब्याज पर ऋण का न मिलने के कारण किसान कृषि के विकास के लिए आवश्यक संसाधन नहीं जुटा पाता है। इसका परिणाम होता है-निम्न उत्पादकता। सच्चाई तो यह है कि भूमि पर जनसंख्या का दबाव दिनों-दिन बढ़ रहा है। परिणामस्वरूप प्रति व्यक्ति फसलगत भूमि में कमी हो रही है। 1921 में यह 0.444 हेक्टेयर, 1961 में 0.296 हेक्टेयर तथा और भी घटकर 1991 में 0.219 हेक्टेयर रह गई है। जोतों के छोटे होने के कारण निवेश की क्षमता भी कम है।

4. संस्थागत कारक – जनसंख्या के दबाव के कारण जोतों का उपविभाजन (पीढ़ियों के अनुसार बंटवारा) और छितराव हो रहा है। 1961-62 में कुल जोतों में से 52% जोतें सीमांत आकार में (दो हेक्टेयर से कम) और छोटी थीं। 1990-91 में कुल जोतों में छोटी जोतों का प्रतिशत बढ़कर 78 हो गया। इन छोटी जोतों में भी छोटे-छोटे खेत दूर दूर बिखरे हैं। जोतों का अनार्थिक होना (आर्थिक दृष्टि से अनुपयुक्त आकार) कृषि के आधुनिकीकरण की प्रमुख बाधा हैं। भूमि के स्वामित्व की व्यवस्था बड़े पैमाने पर निवेश के अनुकूल नहीं है, क्योंकि काश्तकारी की अवधि अनिश्चित बनी रहती है। अगली पीढ़ी में भूमि में बँटवारे से भू जोतों का पुनः विखण्डन हो गया है।

5. प्रौद्योगिकीय कारक – कृषि के तरीके पुराने और रूढ़िवादी / परम्परागत हैं। अधिकतर किसान आज भी लकड़ी का हल और बैलों का ही उपयोग करते हैं। मशीनीकरण बहुत सीमित है। उर्वरकों और अधिक उपज देने वाले बीजों का उपयोग भी सीमित है। फसलगत क्षेत्र के केवल एक तिहाई क्षेत्र के लिए ही सिंचाई की सुविधाएं जुटाई जा सकी हैं। इसका वितरण वर्षा की कमी और परिवर्तनशील के अनुरूप नहीं है। ये दशाएं कृषि की उत्पादकता और इसकी गहनता को निम्न स्तर पर बनाए हुए हैं।

6. भूमि सुधारों की कमी – भूमि के असमान वितरण के कारण भारतीय किसान लंबे समय से शोषित हैं । अंग्रेज़ी शासन के दौरान, तीन भूराजस्व प्रणालियों-महालवाड़ी, रैयतवाड़ी तथा ज़मींदारी में से ज़मींदारी प्रथा किसानों के लिए सबसे अधिक शोषणकारी रही है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात्, भूमि सुधारों को प्राथमिकता दी गई, लेकिन ये सुधार कमज़ोर राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण पूर्णतः फलीभूत नहीं हुए। अधिकतर राज्य सरकारों ने राजनीतिक रूप से शक्तिशाली ज़मींदारों के खिलाफ़ कठोर राजनीतिक निर्णय लेने में टालमटोल किया। भूमि सधारों के लागू न होने के परिणामस्वरूप कृषि योग्य भूमि का असमान वितरण जारी रहा जिससे कृषि विकास में बाधा रही है ।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. पृथ्वी का लगभग कितने प्रतिशत भाग जल से ढका है ?
(A) 51%
(B) 61%
(C) 71%
(D) 81%
उत्तर:
(C) 71%

2. कुल जल संसाधनों में अलवणीय जल कितने प्रतिशत है ?
(A) 0.5
(B) 1.0
(C) 2.5
(D) 3.0
उत्तर:
(D) 3.0

3. भारत में विश्व के जल-संसाधनों का कितने प्रतिशत भाग है ?
(A) 1%
(B) 2%
(C) 3%
(D) 4%
उत्तर:
(D) 4%

4. देश के कुल उपयोगी जल संसाधन हैं
(A) 1122 घन कि० मी०
(B) 1222 घन कि० मी०
(C) 1322 घन कि० मी०
(D) 1422 घन कि० मी०।
उत्तर:
(A) 1122 घन कि० मी०

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

5. भारत में धरातलीय जल का कितने % भाग उपयोग किया जा सकता है ? .
(A) 22%
(B) 25%
(C) 32%
(D) 35%.
उत्तर:
(C) 32%

6. बिहार राज्य में जल में किस तत्त्व का संकेन्द्रण बढ़ गया है ?
(A) नमक
(B) खारापन
(C) फलूओराइड
(D) संखिया।
उत्तर:
(D) संखिया।

7. भौम जल का कितने प्रतिशत कृषि में प्रयोग होता है ?
(A) 72%
(B) 82%
(C) 85%
(D) 92%.
उत्तर:
(D) 92%.

8. निम्नलिखित में से किस राज्य में भौम जल का अधिक उपयोग है ?
(A) पंजाब
(B) छत्तीसगढ़
(C) बिहार
(D) केरल।
उत्तर:
(A) पंजाब

9. पंजाब में निवल बोए गए क्षेत्र का कितने प्रतिशत भाग सिंचित है ?
(A) 65%
(B) 75%
(C) 80%
(D) 85%.
उत्तर:
(D) 85%.

10. नदी के किस भाग में जल की अच्छी गुणवत्ता होती है ?
(A) पहाड़ी
(B) मैदानी
(C) डेल्टा
(D) घाटी।
उत्तर:
(A) पहाड़ी

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
जल अभाव तथा घटती आपूर्ति के तीन कारण बताओ।
उत्तर:
(i) बढ़ती मांग
(ii) अति उपयोग
(iii) प्रदूषण।

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प्रश्न 2.
धरातलीय जल के चार मुख्य स्रोत बताओ।
उत्तर:
नदियां, झीलें, तलैया और तालाब।

प्रश्न 3.
भारत में नदियों की संख्या कितनी है ? (1.6 कि० मी० से अधिक लम्बी)
उत्तर:
10360

प्रश्न 4.
भौम जल का अधिक उपयोग करने वाले तीन राज्य बताओ।
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु।।

प्रश्न 5.
जल सिंचाई के दो प्रभाव बताओ।
उत्तर:
बहुफ़सलीकरण से वृद्धि तथा उत्पादकता में वृद्धि।

प्रश्न 6.
महाराष्ट्र में भौम जल के अधिक उपयोग से किस तत्त्व का संकेन्द्रण बढ़ा है ?
उत्तर:
फ्लू ओराइड।

प्रश्न 7.
शद्ध जल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
जब जल अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित हो।

प्रश्न 8.
जल संभर प्रबन्धन के अधीन कौन-से तीन कार्यक्रम चलाए गए हैं ?
उत्तर:
हरियाली, नीरू-मीरू, अरवारी पानी संसद्।

प्रश्न 9.
जल अधिनियम कब बनाया गया ?
उत्तर:
1974 में।

प्रश्न 10.
भारत की सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है ?
उत्तर:
दिल्ली और इटावा के बीच यमुना नदी।

प्रश्न 11.
जल संग्रहण कुण्ड को राजस्थान में क्या कहते हैं ?
उत्तर:
टांका।

प्रश्न 12.
राष्ट्रीय जल नीति के दो उद्देश्य बताओ।
उत्तर:’
सिंचाई के लिए जल तथा पेय जल प्रदान करना।

प्रश्न 13.
भारत में जल की गुणवत्ता के निम्नीकरण का मुख्य कारण बताओ।
उत्तर:
जल रसायन तथा प्रदूषण।

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प्रश्न 14.
विश्व के जल संसाधनों का कितने प्रतिशत भारत में उपलब्ध है ?
उत्तर:
4%.

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जल का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
अलवणीय जल की उपलब्धता स्थान और समय के अनुसार भिन्न-भिन्न है। इस दुर्लभ संसाधन के आबंटन और नियन्त्रण पर तनाव और लड़ाई-झगडे, सम्प्रदायों, प्रदेशों और राज्यों के बीच विवाद का विषय बन गए हैं। विकास को सुनिश्चित करने के लिए जल का मूल्यांकन, कार्यक्षम उपयोग और संरक्षण आवश्यक हो गए हैं।

प्रश्न 2.
भारत में भौम जल संसाधनों का वर्णन करें।
उत्तर:
भौम जल संसाधन-देश में कुल पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधन लगभग 432 घन कि० मी० है। कुल पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधन का लगभग 46 प्रतिशत गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिनों में पाया जाता है। उत्तर-पश्चिमी प्रदेश और दक्षिणी भारत के कुछ भागों के नदी बेसिनों में भौम जल उपयोग अपेक्षाकृत अधिक है।

प्रश्न 3.
जल सिंचाई उपयोग से क्या लाभ है ?
उत्तर:
(1) सिंचाई की व्यवस्था बहुफ़सलीकरण को सम्भव बनाती है।
(2) ऐसा पाया गया है कि सिंचित भूमि की कृषि उत्पादकता असिंचित भूमि की अपेक्षा ज़्यादा होती है।
(3) फ़सलों की अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए आर्द्रता आपूर्ति नियमित रूप से आवश्यक है जो केवल विकसित सिंचाई तन्त्र से ही सम्भव होती है।
(4) वास्तव में ऐसा इसलिए है कि देश में कृषि विकास की हरित क्रान्ति की रणनीति पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक सफल हुई है।

प्रश्न 4.
कुछ राज्यों में भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग के दुष्परिणाम क्या हैं ?
उत्तर:
(1) इन राज्यों में भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग से भौम जल स्तर नीचा हो गया है।
(2) वास्तव में, कुछ राज्यों, जैसे-राजस्थान और महाराष्ट्र में अधिक जल निकालने के कारण भूमिगत जल में फ्लु ओराइड का संकेंद्रण बढ़ गया है।
(3) इस वजह से पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ भागों में संखिया के संकेंद्रण की वृद्धि हो गई है।

प्रश्न 5.
पंजाब तथा हरियाणा राज्यों में पर्याप्त जल संसाधन है, परन्तु यहां भौम जल स्तर नीचे गिर रहा है। क्यों ?
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में निवल बोए गए क्षेत्र का 85 प्रतिशत भाग सिंचाई के अन्तर्गत है। इन राज्यों में गेहूँ और चावल मुख्य रूप से सिंचाई की सहायता से पैदा किए जाते हैं। निवल सिंचित क्षेत्र का 76.1 प्रतिशत पंजाब में और 51.3 प्रतिशत हरियाणा में, कुओं और नलकूपों द्वारा सिंचित है। इससे यह ज्ञात होता है कि ये राज्य अपने सम्भावित भौम जल के एक बड़े भाग का उपयोग करते हैं जिससे कि इन राज्यों में भौम जल में कमी आ जाती है। .

प्रश्न 6.
जल के गुणों का ह्रास क्यों होता है ? इसके प्रभाव बताओ।
उत्तर:
जल गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है। जल बाह्य पदार्थों, जैसे-सूक्ष्म जीवों, रासायनिक पदार्थों, औद्योगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से प्रदूषित होता है। इस प्रकार के पदार्थ जल के गुणों में कमी लाते हैं और इसे मानव उपयोग के योग्य नहीं रहने देते हैं। जब विषैले पदार्थ झीलों, सरिताओं, नदियों, समुद्रों और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते हैं, वे जल में घुल जाते हैं अथवा जल में निलम्बित हो जाते हैं। इससे जल-प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने से जलीय तन्त्र प्रभावित होते हैं। कभी-कभी प्रदूषक नीचे तक पहुँच जाते हैं और भौम जल को प्रदूषित करते हैं। देश में गंगा और यमुना, दो अत्यधिक प्रदूषित नदियां हैं।

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प्रश्न 7.
जल-संरक्षण क्यों आवश्यक है ? इसके उपाय बताओ।
उत्तर:
जल-संरक्षण और प्रबन्धन-अलवणीय जल की घटती हुई उपलब्धता और बढ़ती मांग से, सतत् पोषणीय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण जीवनदायी संसाधन के संरक्षण और प्रबन्धन की आवश्यकता बढ़ गई है। विलवणीकरण द्वारा सागर/महासागर से प्राप्त जल उपलब्धता, उसकी अधिक लागत के कारण नगण्य हो गई है।

भारत को जल-संरक्षण के लिए तुरन्त कदम उठाने हैं और प्रभावशाली नीतियां और कानून बनाने हैं और जल-संरक्षण हेतु प्रभावशाली उपाय अपनाने हैं। जल बचत तकनीकी और विधियों के विकास के अतिरिक्त, प्रदूषण से बचाव के प्रयास भी करने चाहिएं। जल-संभर विकास, वर्षा जल संग्रहण, जल के पुनः चक्रण और पुन: उपयोग और लम्बे समय तक जल की आपूर्ति के लिए जल का संयुक्त उपयोग बढ़ाना होगा।

प्रश्न 8.
भौम जल के भण्डारों को पुनः भरण की कम लागत वाली तकनीक बताओ।
उत्तर:
(i) छत के वर्षा जल का संग्रहण
(ii) खुदे हुए कुओं का पुनर्भरण
(ii) हैंड पम्पों का पुनर्भरण
(iv) रिसाव गड्ढों का निर्माण
(v) खेतों के चारों ओर बन्धिकाएं और रोक बांध बनना।

प्रश्न 9.
जल संभर विकास से क्या उद्देश्य प्राप्त किए जा सकते हैं ?
उत्तर:

  1. मृदा संरक्षण
  2. जल संरक्षण
  3. कृषि योग्य भूमि का संरक्षण
  4. उद्यान कृषि का विकास
  5. वानिकी और वन वर्धन का विकास
  6. पर्यावरण का संरक्षण
  7. कृषि उत्पादन में वृद्धि
  8. परितन्त्रीय ह्रास को रोकना।

प्रश्न 10.
वर्षा जल संग्रहण के उद्देश्य बताओ।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण-यह भौम जल के पुनर्भरण को बढ़ाने की तकनीक है। इस तकनीक में स्थानीय रूप से वर्षा जल को एकत्र करके भूमि जल भण्डारों में संगृहीत करना शामिल है, जिससे स्थानीय घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। वर्षा जल संग्रहण के उद्देश्य ये हैं –

  • जल की निरन्तर जल मांग को पूरा करना
  • नालियों को रोकने वाले सतही जल प्रवाह को कम करना
  • सड़कों पर जल फैलाव को रोकना
  • भौम जल में वृद्धि करना तथा जल स्तर को ऊंचा उठाना
  • भौम जल प्रदूषण को रोकना
  • भौम जल की गुणवत्ता को सुधारना
  • मृदा अपरदन को कम करना
  • ग्रीष्म ऋतु और सूखे के समय जल की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करना।

प्रश्न 11.
जल एक चक्रीय संसाधन है जो पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जल अभाव संभवतः इसकी बढ़ती हुई मांग, अति उपयोग तथा प्रदूषण के कारण घटती आपूर्ति के आधार पर सबसे बड़ी चुनौती है। उपरोक्त पंक्तियों को पढ़ो और निम्नलिखित के उत्तर दो –
(क) पृथ्वी का कितने प्रतिशत भाग जल से ढका है ?
उत्तर:
71 प्रतिशत।

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(ख) कुल जल में अलवणीय जल कितना है ?
उत्तर:
3 प्रतिशत।

(ग) भारत में कृषि क्षेत्र में सिंचाई किन कारणों के चलते आवश्यक है ?
उत्तर:
कृषि में, जल का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई के लिए होता है। भारत में सिंचाई निम्नलिखित तथ्यों के कारण आवश्यक है –
(1) देश में वर्षा के स्थानिक-सामयिक परिवर्तिता के कारण सिंचाई की आवश्यकता होती है।
(2) देश के अधिकांश भाग वर्षाविहीन और सुखाग्रस्त हैं। उत्तर-पश्चिमी भारत और दक्कन का पठार इसके अन्तर्गत आते हैं।
(3) देश के अधिकांश भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुओं में न्यूनाधिक शुष्कता पाई जाती है। इसलिए शुष्क ऋतुओं में बिना सिंचाई के खेती करना कठिन होता है।

प्रश्न 12.
ऐसी कौन-सी आधारभूत मुख्य तकनीक हैं जिनके चलते भौम जल के भंडारों का पुन: संरक्षण कर सकते हैं ?
अथवा
भौम जल के भण्डारों को पुनः भरण की कम लागत वाली मुख्य तकनीक बताओ।
उत्तर:

  1. छत के वर्षा जल का संग्रहण
  2. खुदे हुए कुओं का पुनर्भरण
  3. हैंड पम्पों का पुनर्भरण
  4. रिसाव गड्ढों का निर्माण
  5. खेतों के चारों ओर बन्धिकाएं और रोक बांध बनाना।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत के जल संसाधनों का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत के जल संसाधन –

  1. भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्र का लगभग 2.45 प्रतिशत जल संसाधनों का 4 प्रतिशत उपलब्ध है, देश में विश्व जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है।
  2. देश में एक वर्ष में वर्षण से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन कि० मी० है।
  3. धरातलीय जल और पुनः पूर्तियोग भौम जल से 1,869 घन कि० मी० जल उपलब्ध है।
  4. इसमें से केवल 60 प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। (
  5. इस प्रकार देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1,122 घन कि० मी० है।

प्रश्न 2.
भारत के भौम जल संसाधनों के उपयोग का वर्णन करो।
उत्तर:
(1) अधिक उपयोग वाले राज्य-पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तमिलनाडु राज्यों में भौम जल का उपयोग बहुत अधिक है।
(2) कम उपयोग वाले राज्य-कुछ राज्य जैसे छत्तीसगढ़, उड़ीसा, केरल आदि अपने भौम जल क्षमता का बहुत कम उपयोग करते हैं।
(3) मध्यम उपयोग वाले राज्य-गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा और महाराष्ट्र अपने भौम जल संसाधनों का मध्यम दर से उपयोग कर रहे हैं। यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रहती है तो जल के मांग की आपूर्ति करने की आवश्यकता होगी। ऐसी स्थिति विकास के लिए हानिकारक होगी और सामाजिक उथल-पुथल और विघटन का कारण हो सकती है।

प्रश्न 3.
भारत के लैगून और पश्च जल का वर्णन करते हुए इनका उपयोग बताओ।
उत्तर:
लैगून और पश्च जल-भारत की समुद्र तट रेखा विशाल है और कुछ राज्यों में समुद्र तट बहुत दंतुरित है। इसी कारण बहुत-सी लैगून और झीलें बन गई हैं। केरल, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में इन लैगूनों और झीलों में बड़े धरातलीय जल संसाधन हैं। यद्यपि सामान्यतः इन जलाशयों में खारा जल है, इसका उपयोग मछली पालन और चावल की कुछ निश्चित किस्मों, नारियल आदि की सिंचाई में किया जाता है।

प्रश्न 4.
भारत में जल के उपयोग के विभिन्न क्षेत्रों का वर्णन करो।
उत्तर:
जल की मांग और उपयोग –
1. कृषि क्षेत्र-पारम्परिक रूप से भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है और इसकी जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है। इसीलिए, पंचवर्षीय योजनाओं में, कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए सिंचाई के विकास को एक अति उच्च प्राथमिकता प्रदान की गई।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

2. बहु-उद्देशीय नदी घाटी योजनाएं-बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं जैसे-भाखड़ा नांगल, हीराकुड, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर, इन्दिरा गांधी नहर परियोजना आदि शुरू की गई है। वास्तव में, भारत की वर्तमान में जल की मांग, सिंचाई की आवश्यकताओं के लिए अधिक है। धरातलीय और भौम जल का सबसे अधिक उपयोग कृषि में होता है। इसमें धरातलीय जल का 89 प्रतिशत और भौम जल का 92 प्रतिशत जल उपयोग किया जाता है।

3. औद्योगिक सैक्टर-औद्योगिक सेक्टर में, सतह जल का केवल 2 प्रतिशत और भौम जल का 5 प्रतिशत भाग ही उपयोग में लाया जाता है।

4. घरेलू सैक्टर-घरेलू सैक्टर में धरातलीय जल का उपयोग भौम जल की तुलना में अधिक (9%) है। कुल जल उपयोग में कृषि सैक्टर का भाग दूसरे सैक्टरों से अधिक है। फिर भी, भविष्य में विकास के साथ-साथ देश में औद्योगिक और घरेलू सैक्टरों में जल का उपयोग बढ़ने की सम्भावना है।

प्रश्न 5.
भारत में कृषि क्षेत्र में सिंचाई क्यों आवश्यक है ? उदाहरण दो।
उत्तर:
कृषि में, जल का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई के लिए होता है।

  • देश में वर्षा के स्थानिक-सामयिक परिवर्तिता के कारण सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • देश के अधिकांश भाग वर्षाविहीन और सूखाग्रस्त हैं। उत्तर-पश्चिमी भारत और दक्कन का पठार इसके अन्तर्गत आते हैं।
  • देश के अधिकांश भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुओं में न्यूनाधिक शुष्कता पाई जाती है। इसलिए शुष्क ऋतुओं में बिना सिंचाई के खेती करना कठिन होता है।
  • पर्याप्त मात्रा में वर्षा वाले क्षेत्र जैसे पश्चिम बंगाल और बिहार में भी मानसून के मौसम में अवर्षा अथवा इसकी असफलता सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न कर देती है जो कृषि के लिए हानिकारक होती है।
  • कुछ फसलों के लिए जल की कमी सिंचाई को आवश्यक बनाती है। उदाहरण के लिए चावल, गन्ना, जूट आदि के लिए अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है जो केवल सिंचाई द्वारा सम्भव है।

प्रश्न 6.
जल के पुनःचक्र और पुन: उपयोग के उदाहरण दो।
उत्तर:
जल का पुनःचक्र और पुन: उपयोग-पुन:चक्र और पुन:उपयोग, दूसरे रास्ते हैं जिनके द्वारा अलवणीय जल की उपलब्धता को सुधारा जा सकता है। कम गुणवत्ता के जल का उपयोग, जैसे शोधित अपशिष्ट जल, उद्योगों के लिए एक आकर्षक विकल्प हैं और जिसका उपयोग शीतलन एवं अग्निशमन के लिए करके वे जल पर होने वाली लागत को कम कर सकते हैं।

इसी तरह नगरीय क्षेत्रों में स्नान और बर्तन धोने में प्रयुक्त जल को बागवानी के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। वाहनों को धोने के लिए प्रयुक्त जल का उपयोग भी बागवानी में किया जा सकता है। इससे अच्छी गुणवत्ता वाले जल का पीने के उद्देश्य के लिए संरक्षण होगा। वर्तमान में, पानी का पुनः चक्रण एक सीमित माप में किया गया है। फिर भी, पुनः चक्रण द्वारा पुनः पूर्तियोग्य जल की उपादेयता व्यापक है।

प्रश्न 7.
भारत में जल की दो समस्याएं कौन-सी हैं ? उपयक्त उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जल गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है। जल बाह्य पदार्थों, जैसे-सूक्ष्म जीवों, रासायनिक पदार्थों, औद्योगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से प्रदूषित होता है। इस प्रकार के पदार्थ जल के गुणों में कमी लाते हैं और इसे मानव उपयोग के योग्य नहीं रहने देते हैं। जब विषैले पदार्थ झीलों, सरिताओं, नदियों, समुद्रों और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते हैं, वे जल में घुल जाते हैं अथवा जल में निलम्बित हो जाते हैं।

इससे जल-प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने से जलीय तन्त्र प्रभावित होते हैं। कभी-कभी प्रदूषक नीचे तक पहुंच जाते हैं और भौम जल को प्रदूषित करते हैं। देश में गंगा और यमुना, दो अत्यधिक प्रदूषित नदियां हैं। जल-संरक्षण और प्रबन्धन-अलवणीय जल की घटती हुई उपलब्धता और बढ़ती मांग से, सतत् पोषणीय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण जीवनदायी संसाधन के संरक्षण और प्रबन्धन की आवश्यकता बढ़ गई है। विलवणीकरण द्वारा सागर/महासागर से प्राप्त जल उपलब्धता, उसकी अधिक लागत के कारण, नगण्य हो गई है।

भारत को जल-संरक्षण के लिए तुरन्त कदम उठाने हैं और प्रभावशाली नीतियां और कानून बनाने हैं और जल-संरक्षण हेतु प्रभावशाली उपाय अपनाने हैं। जल बचत तकनीकी और विधियों के विकास के अतिरिक्त, प्रदूषण से बचाव के प्रयास भी करने चाहिएं। जल-संभर विकास, वर्षा जल संग्रहण, जल के पुनः चक्रण और पुन: उपयोग और लम्बे समय तक जल की आपूर्ति के लिए जल का संयुक्त उपयोग बढ़ाना होगा।

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निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्रीय जल नीति की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय जल नीति, 2002 की मख्य विशेषताएं-राष्ट्रीय जल नीति 2002 जल आबंटन प्राथमिकताएं विस्तृत रूप में निम्नलिखित क्रम में निर्दिष्ट की गई हैं –

  1. पेयजल
  2. सिंचाई
  3. जलशक्ति
  4. नौकायान
  5. औद्योगिक और अन्य उपयोग।

इस नीति में जल व्यवस्था के लिए प्रगतिशील नए दृष्टिकोण निर्धारित किए गए हैं। इसके मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं –

  • सिंचाई और बहुउद्देशीय परियोजनाओं में पीने का जल घटक में सम्मिलित करना चाहिए जहां पेय जल के स्रोत का कोई विकल्प नहीं है।
  • पेय जल सभी मानव जाति और प्राणियों को उपलब्ध कराना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
  • भौम जल के शोषण को सीमित और नियमित करने के लिए उपाय करने चाहिए।
  • सतह और भौम जल दोनों की गुणवत्ता के लिए नियमित जांच होनी चाहिए। जल की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक चरणबद्ध कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए।
  • जल के सभी विविध प्रयोगों में कार्यक्षमता सुधारनी चाहिए।
  • दुर्लभ संसाधन के रूप में, जल के लिए जागरूकता विकसित करनी चाहिए।
  • शिक्षा विनिमय. उपक्रमणों. प्रेरकों और अनक्रमणों द्वारा संरक्षण चेतना बढानी चाहिए।

प्रश्न 2.
वर्षा जल संग्रहण की विधियों तथा प्रभावों का वर्णन करो।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण-वर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने और एकत्र करने की विधि है। इसका उपयोग भूमिगत जलभृतों के पुनर्भरण के लिए भी किया जाता है। यह एक कम मूल्य और पारिस्थिति की अनुकूल विधि है जिसके द्वारा पानी की प्रत्येक बूंद संरक्षित करने के लिए वर्षा जल को नलकूपों, गड्ढों और कुओं में एकत्र किया जाता है।

  • वर्षा जल संग्रहण पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है।
  • भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है।
  • फ्लुओराइड और नाइट्रेट्स जैसे संदूषकों को कम करके अवमिश्रण भूमिगत जल की गुणवत्ता बढ़ाता है।
  • मृदा अपरदन और बाढ़ को रोकता है। यदि इसे जलभृतों के पुनर्भरण के लिए उपयोग किया जाता है तो तटीय क्षेत्रों में लवणीय जल के प्रवेश को रोकता है।

विधियां – देश में विभिन्न समुदाय लम्बे समय से अनेक विधियों से वर्षा जल संग्रहण करते आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में परम्परागत वर्षा जल संग्रहण सतह संचयन जलाशयों, जैसे-झीलों, तालाबों, सिंचाई तालाबों आदि में किया जाता है। राजस्थान में वर्षा जल संग्रहण ढांचे जिन्हें कुंड अथवा टांका (एक ढका हुआ भूमिगत टंकी) के नाम से जानी जाती है।

लाभ – बहुमूल्य जल संसाधन के संरक्षण के लिए वर्षा जल संग्रहण प्रविधि का उपयोग करने का क्षेत्र व्यापक है। इसे घर की छतों और खुले स्थानों में वर्षा जल द्वारा संग्रहण किया जा सकता है। वर्षा जल संग्रहण घरेलू उपयोग के लिए, भूमिगत जल पर समुदाय की निर्भरता कम करता है। इसके अतिरिक्त मांग-आपूर्ति अन्तर के लिए सेतु बन्धन के कार्य के अतिरिक्त इससे भौम जल निकालने में ऊर्जा की बचत होती है क्योंकि पुनर्भरण से भौम जल स्तर में वृद्धि हो जाती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

आजकल वर्षा जल संग्रहण विधि का देश के बहुत-से राज्यों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। वर्षा जल संग्रहण से मुख्य रूप से नगरीय क्षेत्रों को लाभ मिल सकता है क्योंकि जल की मांग, अधिकांश नगरों और शहरों में पहले ही आपूर्ति से आगे बढ़ चुकी है। उपर्युक्त कारकों के अतिरिक्त विशेषकर तटीय क्षेत्रों में पानी के विलवणीकरण और शुष्क और अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में खारे पानी की समस्या, नदियों को जोड़कर अधिक जल के क्षेत्रों से कम जल के क्षेत्रों में जल स्थानान्तरित करके भारत में जल समस्या को सुलझाने का महत्त्वपूर्ण उपाय है। फिर भी, वैयक्तिक उपभोक्ता, घरेलू और समुदायों के दृष्टिकोण से, सबसे बड़ी समस्या जल का मूल्य है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न – दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. बस्तियों में लोगों के समूहन का आधार क्या है ?
(A) पोषण आधार
(B) जल आधार
(C) औद्योगिक आधार
(D) कृषि आधार।
उत्तर:
(A) पोषण आधार

2. ग्रामों में कौन-सी क्रिया प्रमुख होती है ?
(A) प्राथमिक
(C) तृतीयक
(B) द्वितीयक
(D) चतुर्थक
उत्तर:
(A) प्राथमिक

3. जलोढ़ मैदानों में किस प्रकार की बस्तियां मिलती हैं ?
(A) गुच्छित
(B) अर्द्ध-गुच्छित
(C) पल्लीकृत
(D) परिक्षिप्त
उत्तर:
(A) गुच्छित

4. गुजरात के मैदान तथा राजस्थान में किस प्रकार की बस्तियां मिलती हैं ?
(A) गुच्छित
(B) अर्द्ध-गुच्छित
(C) पल्लीकृत
(D) परिक्षिप्त।
उत्तर:
(B) अर्द्ध-गुच्छित

5. हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो नगर किस घाटी में स्थित थे ?
(A) गंगा
(B) नर्मदा
(C) सिन्धु
(D) ब्रह्मपुत्र
उत्तर:
(C) सिन्धु

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6. भारत में सर्वाधिक प्राचीन नगर है –
(A) हैदराबाद
(B) वाराणसी
(C) आगरा
(D) चेन्नई।
उत्तर:
(B) वाराणसी

7. कौन-सा नगर मध्यकालीन नगर है ?
(A) पाटलिपुत्र
(B) दिल्ली
(C) मुम्बई
(D) चण्डीगढ़
उत्तर:
(B) दिल्ली

8. कौन – सा नगर एक प्रशासनिक नगर है ?
(A) वाराणसी
(B) सूरत
(C) गांधी नगर
(D) रोहतक
उत्तर:
(C) गांधी नगर

9. भारत में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत है
(A) 18
(B) 20
(C) 25
(D) 28.
उत्तर:
(D) 28.

10. 20वीं शताब्दी में भारत में नगरीय जनसंख्या कितने गुणा बढ़ी है ?
(A) 5
(B) 7
(C) 11
(D) 15.
उत्तर:
(C) 11

11. मेगा नगर की जनसंख्या कितनी जनसंख्या से अधिक होती है ?
(A) 1 लाख
(B) 5 लाख
(C) 10 लाख
(D) 50 लाख
उत्तर:
(D) 50 लाख

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12. भारत में नगरों की संख्या है
(A) 4161
(B) 5161
(C) 6161
(D) 7161
उत्तर:
(B) 5161

13. भारत में एक लाख से अधिक जनसंख्या के नगर हैं
(A) 223
(B) 323
(C) 423
(D) 523
उत्तर:
(C) 423

14. भारत में दस लाख से अधिक जनसंख्या के नगर हैं
(A) 25
(B) 30
(C) 53
(D) 40
उत्तर:
(C) 53

15. मसूरी किस श्रेणी का नगर है ?
(A) शैक्षिक
(B) खनन
(C) पर्यटन
(D) औद्योगिक
उत्तर:
(C) पर्यटन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
बस्ती किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विभिन्न आकार के घरों के समूह को बस्ती कहते हैं।

प्रश्न 2.
बस्ती की मूल प्रक्रिया क्या है ?
उत्तर:
लोगों का समूहन तथा संसाधनों का आधार

प्रश्न 3.
ग्रामीण बस्तियों की मुख्य क्रिया बताओ
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाएं

प्रश्न 4.
ग्रामीण व नगरीय बस्तियों में प्रकार्यात्मक सम्बन्ध का माध्यम बताओ।
उत्तर:
परिवहन – संचार

प्रश्न 5.
उत्तरी मैदान में किस प्रकार की बस्तियां मिलती हैं ?
उत्तर:
संहत

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प्रश्न 6.
भारत में किन प्रदेशों में संहत बस्तियां मिलती हैं ?
उत्तर:
उत्तर पूर्वी राज्य, बुन्देलखण्ड, नागालैण्ड, राजस्थान।

प्रश्न 7.
अर्द्ध-गुच्छित बस्तियां किन प्रदेशों में मिलती हैं ?
उत्तर:
गुजरात व राजस्थान।

प्रश्न 8.
पल्ली बस्तियों के स्थानिक नाम बताओ
उत्तर:
पान्ना, पाढ़ा, पाली, नगला, ढाँणी।

प्रश्न 9.
पल्ली बस्तियां किन प्रदेशों में मिलती हैं ?
उत्तर:
मध्य व निम्न गंगा मैदान, छत्तीसगढ़, हिमालय की निचली घाटियां।

प्रश्न 10.
परिक्षिप्त बस्तियों के प्रदेश बताओ
उत्तर:
मेघालय, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, केरल

प्रश्न 11.
भारत में नगरों का उदय कब हुआ ?
उत्तर:
प्रागैतिहासिक काल के सिन्धु घाटी सभ्यता में मोहनजोदड़ो का हड़प्पा नगर ।

प्रश्न 12.
भारत का सर्वाधिक प्राचीन नगर बताओ।
उत्तर:
वाराणसी।

प्रश्न 13.
भारत के तीन प्रमुख नोड नगर बताओ।
उत्तर:
मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता।

प्रश्न 14.
दिल्ली के निकट तीन अनुषंगी नगर बताओ।
उत्तर:
गाज़ियाबाद, रोहतक, गुड़गांव

प्रश्न 15.
भारत में छ: मैगा नगर बताओ
उत्तर:
मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर, हैदराबाद

प्रश्न 16.
भारत में प्रथम श्रेणी के नगरों की संख्या का आकार क्या है ?
उत्तर:
1,00,000 जनसंख्या तथा इससे अधिक ।

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प्रश्न 17.
प्रदेश के सबसे बड़े महानगर का नाम बताइए। 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या लिखिए
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में कानपुर सबसे बड़ा महानगर है जिसकी जनसंख्या 2.69 मिलियन है।

प्रश्न 18.
भारत के किन्हीं तीन राज्यों के नाम बताइए, जिनमें से प्रत्येक में एक महानगर है। उन महानगरों के नाम भी लिखिए
उत्तर:
कर्नाटक – बंगलौर, राजस्थान – जयपुर, केरल – कोच्चि।

प्रश्न 19.
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े महानगर का नाम बताइए। 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर:
इन्दौर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा महानगर है। 2001 की जनसंख्या के अनुसार इसकी जनसंख्या 16.3 मिलियन है

प्रश्न 20.
भारतीय नगरों को तीन विभिन्न युगों में हुए उनके विकास के आधार पर वर्गीकृत कीजिए प्रत्येक युग से सम्बन्धित एक नगर का नाम बताइए।
उत्तर:
नगर इतिहासवेत्ता भारतीय नगरों को निम्नलिखित वर्गों में बांटते हैं –

  1. प्राचीन नगर : पाटलीपुत्र|
  2. मध्यकालीन नगर : आगरा।
  3. आधुनिक नगर : चण्डीगढ़।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
नगर आर्थिक वृद्धि के नोड (Node) के रूप में कार्य करते हैं । व्याख्या करो ।
उत्तर:
नगर आर्थिक वृद्धि के नोड (node) के रूप में कार्य करते हैं और न केवल नगर निवासियों को बल्कि अपने पश्च भूमि की ग्रामीण बस्तियों को भी भोजन और कच्चे माल के बदले वस्तुएं और सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। नगरीय और ग्रामीण बस्तियों के बीच प्रकार्यात्मक सम्बन्ध परिवहन और संचार परिपथ के माध्यम से स्थापित होता है

प्रश्न 2.
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में सामाजिक सम्बन्धों में अन्तर बताओ।
उत्तर:
ग्रामीण और नगयरीय बस्तियां सामाजिक सम्बन्धी अभिवृत्ति और दृष्टिकोण की दृष्टि से भी भिन्न होती हैं। ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं और इसलिए उनमें सामाजिक सम्बन्ध घनिष्ठ होते हैं। दूसरी ओर नगरीय क्षेत्रों में जीवन का ढंग जटिल और तीव्र होता है और सामाजिक सम्बन्ध औपचारिक होते हैं ।

प्रश्न 3.
ग्रामीण बस्तियों की स्थिति किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रकारों के अनेक कारक और दशाएं उत्तरदायी हैं । इनके अन्तर्गत भौतिक लक्षण – भू-भाग की प्रकृति, ऊंचाई, जलवायु और जल की उपलब्धता, सांस्कृतिक और मानवजातीय कारक सामाजिक संरचना, जाति और धर्म, सुरक्षा सम्बन्धी कारक – चोरियों और डकैतियों से सुरक्षा करते हैं ।

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प्रश्न 4.
ग्रामीण बस्तियों के मुख्य प्रकार बताओ ।
अथवा
भारत की ग्रामीण बस्तियों के चार मुख्य प्रकार लिखिए।
उत्तर:
बृहत् तौर पर भारत की ग्रामीण बस्तियों को चार प्रकारों में रखा जा सकता है –

  • गुच्छित / संकुलित/आकेन्द्रित/समूहित/केन्द्रीय
  • अर्द्ध-गुच्छित अथवा विखण्डित
  • पल्लीकृत और
  • परिक्षिप्त अथवा एकाकी।

प्रश्न 5.
गुच्छित बस्तियों के विभिन्न आकार बताओ।
उत्तर:
संकुलित निर्मित क्षेत्र और इसकी मध्यवर्ती गलियां कुछ जाने-पहचाने प्रारूप अथवा ज्यामितीय आकृतियां प्रस्तुत करते हैं जैसे कि आयताकार, अरीय, रैखिक इत्यादि।

प्रश्न 6.
अर्द्ध-गुच्छित बस्तियों के बाहरी भाग में निम्न वर्ग के लोग क्यों रहते हैं ?
उत्तर:
गांव के केन्द्रीय भाग में शक्तिशाली ज़मींदार निवास करते हैं, निम्न कार्य करने वाले निम्न वर्ग के लोग बस्ती के बाहरी भाग में रहते हैं। इस प्रकार बस्ती का सामाजिक व जातीय विखण्डन होता है।

प्रश्न 7.
परिक्षिप्त बस्तियों का विकास क्यों होता है ?
उत्तर:
भारत में परिक्षिप्त अथवा एकाकी बस्ती प्रारूप सुदूर जंगलों में एकाकी झोंपड़ियों अथवा कुछ झोंपड़ियों की पल्ली अथवा छोटी पहाड़ियों की ढालों पर खेतों अथवा चरागाहों के रूप में दिखाई पड़ता है। बस्ती का चरम विक्षेपण प्रायः भू-भाग और निवास योग्य क्षेत्रों में भूमि संसाधन आधार की अत्यधिक विखण्डित प्रकृति के कारण होता है । मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल के अनेक भागों में बस्ती का यह प्रकार पाया जाता है।

प्रश्न 8.
मानव बस्ती का क्या अर्थ है ? इसका क्या आधार है ?
उत्तर:
मानव बस्ती का अर्थ है किसी भी प्रकार और आकार के घरों का समूह जिनमें मनुष्य रहते हैं। इस उद्देश्य के लिए लोग मकानों और अन्य इमारतों का निर्माण करते हैं और अपने आर्थिक पोषण – आधार के लिए कुछ क्षेत्र पर स्वामित्व रखते हैं। अतः बस्ती की प्रक्रिया में मूल रूप से लोगों के समूहन और उनके संसाधन आधार के रूप में क्षेत्र का आवंटन सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 9.
ग्रामीण बस्तियों तथा नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर क्या हैं ?
उत्तर:
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर निम्नलिखित हैं ग्रामीण बस्तियां अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं जबकि नगरीय बस्तियां एक ओर कच्चे माल के प्रक्रमण और तैयार माल के विनिर्माण तथा दूसरी ओर विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर निर्भर करती हैं।

प्रश्न 10.
एक नगरीय संकुल का विकास कैसे होता है ?
उत्तर:
नगरीय संकुल हैं। एक नगरीय संकुल में निम्नलिखित तीन संयोजकों में से किसी एक का समावेश होता है – (क) एक नगर व उसका संलग्न नगरीय बहिर्बद्ध, (ख) बहिर्बुद्ध के सहित अथवा रहित दो अथवा अधिक संस्पर्शी नगर और (ग) एक अथवा अधिक संलग्न नगरों के बहिर्बुद्ध से युक्त एक संस्पर्शी प्रसार नगर का निर्माण । नगरीय बहिबद्ध के उदाहरण गांव अथवा शहर या नगर से संलग्न गांव की राजस्व सीमा में अवस्थित रेलवे कॉलोनियां, विश्वविद्यालय परिसर, पत्तन क्षेत्र, सैनिक छावनी इत्यादि हैं।

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प्रश्न 11.
बस्ती के विकास की प्रक्रिया बताओ।
उत्तर:
बस्ती – किसी स्थान या क्षेत्र में रहने के लिए एकत्र होने की प्रक्रिया को बस्ती कहते हैं। इस उद्देश्य के लिए कई कार्य करने होते हैं ।

  1. मकान या ढांचे खड़े किए जाते हैं।
  2. किसी क्षेत्र पर अपने आर्थिक भरण पोषण के लिए अधिकार किया जाता है।
  3. इस क्षेत्र में लोग समूह में रहते हैं। इस प्रकार किसी बस्ती का विकास होता है।

प्रश्न 12.
‘नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में पारस्परिक विनिमय प्रक्रिया होती है स्पष्ट करो।
उत्तर:
नगर वस्तुएं तथा सेवाएं पैदा करते हैं। वे इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रदान करते हैं। इसके बदले में नगर गांवों से कच्चा माल और खाद्य पदार्थ प्राप्त करते हैं। इस प्रकार संचार व परिवहन साधनों द्वारा यह पारस्परिक विनिमय की प्रक्रिया होती है।

प्रश्न 13.
‘ग्रामीण और नगरीय बस्तियों की जीवन शैली, व्यवहार तथा दृष्टिकोण में अंतर होता है स्पष्ट करो।
उत्तर:
ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं। इनमें सामाजिक सम्बन्ध बहुत प्रगाढ़ होते हैं। ये अपने काम धन्धे साधारण तकनीकों के द्वारा पूरा करते हैं। इनके जीवन की गति धीमी होती है। नगरीय क्षेत्रों में लोगों का जीवन जटिल व तेज होता है । सामाजिक सम्बन्ध औपचारिक और दिखावटी होते हैं। इनकी पारिस्थितिकी तथा प्रौद्योगिकी ग्रामीण क्षेत्रों से उन्नत होती है।

प्रश्न 14.
भारत में स्थित किन्हीं तीन वर्ग के नगरों की मुख्य विशेषताएं बताओ जो कि प्रकार्यत्मक आधार पर है।
उत्तर:
भारत में नगर अपने कार्यों के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांटे जाते हैं –
प्रशासनिक नगर – इस नगर में राज्यों की राजधानियां शामिल होती हैं। यहां सरकारी दफ्तर, कचहरी तथा कई शहरों के मुख्य कार्यालय स्थित होते हैं। इसके उदाहरण दिल्ली, चण्डीगढ़ हैं।
प्रतिरक्षा नगर – इन नगरों में स्थल सेना, नौसेना तथा वायु सेना के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं। यहां सैनिकों के लिए सड़कें बनाई जाती हैं। यहां सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जाता है जैसे जोधपुर, जम्मू।
खनन केन्द्र – ये नगर खनिजों की प्राप्ति के पश्चात् बस जाते हैं। जैसे – कोयला क्षेत्र – रानीगंज आदि।

प्रश्न 15.
‘ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में आप कौन मूल्यों के आधार पर अंतर स्पष्ट कर सकते हो ? जीवन-शैली, व्यवहार तथा दृष्टिकोण के आधार पर इन दोनों में अंतर किस प्रकार किया जा सकता है ?
उत्तर:
जीवन – शैली, व्यवहार तथा दृष्टिकोण के आधार पर इन दोनों में अंतर किए जा सकते हैं ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं। इनमें सामाजिक सम्बन्ध बहुत प्रगाढ़ होते हैं। ये अपने काम-धन्धे साधारण तकनीकों के द्वारा पूरा करते हैं। इनके जीवन की गति धीमी होती है। नगरीय क्षेत्रों में लोगों का जीवन जटिल व तेज़ होता है। सामाजिक सम्बन्ध औपचारिक और दिखावटी होते हैं। इनकी पारिस्थितिकी तथा प्रौद्योगिकी ग्रामीण क्षेत्रों से उन्नत होती है।

प्रश्न 16.
बस्तियाँ आकार और प्रकार में भिन्न होती हैं। उनका परिसर एक पल्ली से लेकर महानगर तक होता है। आकार के साथ बस्तियों के अभिलक्षण और सामाजिक संरचना बदल जाती है और साथ ही बदल जाते हैं पारिस्थितिकी और प्रौद्योगिकी। बस्तियाँ छोटी और विरल रूप से लेकर बड़ी और संकुचित अवस्थित हो सकती हैं।
उपरोक्त पंक्तियों को पढ़ो और निम्नलिखित के उत्तर दो –
(क) बस्तियों के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:
ग्रामीण तथा नगरीय।

(ख) ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का मुख्य व्यवसाय बताओ।
उत्तर:
प्राथमिक क्रिया।

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(ग) ग्रामीण बस्तियों तथा नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर क्या हैं ?
उत्तर:
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में आधारभूत अन्तर निम्नलिखित हैं –
ग्रामीण बस्तियां अपने जीवन का पोषण अथवा आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाओं से करती हैं जबकि नगरीय बस्तियां एक ओर कच्चे माल के प्रक्रमण और तैयार माल के विनिर्माण तथा दूसरी ओर विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर निर्भर करती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘बस्तियां आकार और प्रकार में भिन्न होती हैं।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
बस्तियां आकार और प्रकार में भिन्न होती हैं। उनका परिसर एक पल्ली से लेकर महानगर तक होता है। आकार के साथ बस्तियों के आर्थिक अभिलक्षण और सामाजिक संरचना बदल जाती है और साथ ही बदल जाते हैं पारिस्थितिकी और प्रौद्योगिकी। बस्तियां छोटी और विरल रूप से लेकर बड़ी और संकुलित अवस्थित हो सकती हैं विरल रूप से अवस्थित छोटी बस्तियां, जो कृषि अथवा अन्य प्राथमिक क्रियाकलापों में विशिष्टता प्राप्त कर लेती हैं, गांव कहलाती हैं । दूसरी ओर कम, किन्तु बड़े अधिवास द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों में विशेषीकृत होते हैं जो इन्हें नगरीय बस्तियां कहा जाता है।

प्रश्न 2.
भारतीय नगरों की प्रमुख विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भारतीय नगर प्रमुख विशेषताएं – भारतीय नगरों की विशेषताएं निम्नलिखित हैं
(1) अधिकतर कस्बे और नगर बड़े गांव के विस्तृत रूप हैं। इनकी गलियों में गांव का स्वरूप स्पष्ट दिखाई पड़ता है।
(2) अपनी आदतों और व्यवहार में लोग अधिक ग्रामीण हैं जो उनके सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण, मकानों की बनावट और अन्य पक्षों में स्पष्ट दिखाई देता है ।
(3) अधिकतर नगरों में अनेक मलिन बस्तियां हैं। ये प्रवास के प्रतिकर्ष कारकों का परिणाम हैं। इसमें आर्थिक अवसरों का योगदान कम है।
(4) अनेक नगरों में पूर्व शासकों और प्राचीन प्रकार्यों के चिह्न स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं।
(5) प्रकार्यात्मक पृथक्करण स्पष्ट तथा प्रारम्भिक है। भारतीय नगरों की पश्चिमी देशों के नगरों के साथ इस संदर्भ में कोई तुलना नहीं की जा सकती।
(6) जनसंख्या का सामाजिक पृथक्करण, जाति, धर्म, आय अथवा व्यवसाय के आधार पर किया जाता

प्रश्न 3.
जनसंख्या के आधार पर भारत के नगरों का वर्गीकरण करो।
उत्तर:
जनसंख्या के आधार पर कस्बों और नगरों के वर्ग- भारत के जनगणना विभाग ने नगरीय केन्द्रों को 6 वर्गों में विभाजित किया है। एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरीय केन्द्र को नगर तथा एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगर को कस्बा कहा जाता है। 10 से 50 लाख तक की जनसंख्या वाले नगरों को महानगर तथा 50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को बृहत् नगर कहते हैं। अधिकतर महानगर और बृहत् नगर नगरीय संकुल हैं।

यह स्पष्ट है कि अधिकतर नगरीय जनसंख्या 423 नगरों में रहती है, जो कुल नगरों का मात्र 8.2 प्रतिशत है। इन नगरों में देश की कुल नगरीय जनसंख्या का 61.48 प्रतिशत भाग रहता है। 423 नगरों में से 35 महानगर या नगरीय संकुल हैं, जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या 10 लाख से अधिक है, इसीलिए इन्हें महानगर कहते हैं। इनमें से छः (मैगा ) बृहत् नगर हैं, जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या 50 लाख से अधिक है। इन बृहत् नगरों में कुल नगरीय जनसंख्या के पांचवें भाग से अधिक ( 21.0 प्रतिशत) लोग रहते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions )

प्रश्न 1.
भारत में पाई जाने वाली ग्रामीण बस्तियों के प्रकार का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में कई प्रकार की ग्रामीण बस्तियां पाई जाती हैं। इनके आकार, आकृति तथा अभिन्यास में स्पष्ट भिन्नता मिलती है। मोटे तौर पर भारत में तीन प्रकार की ग्रामीण बस्तियां पाई जाती हैं –
1. केन्द्रीकृत बस्तियां ( गुच्छित बस्तियां ) – इन बस्तियों में संहत खण्ड पाए जाते हैं। घरों को दो कतारों की संकरी, तंग गलियां पृथक् करती हैं । इनका अभिन्यास प्रायः रैखिक, आयताकार तथा ‘L’ आकृति वाला होता है। घर पास-पास बने होते हैं। ये बस्तियां उपजाऊ मैदानों, शिवालिक घाटी तथा उत्तर पूर्वी राज्यों में मिलती हैं। ये बस्तियां राजस्थान, बुन्देल खण्ड, नागालैंड में पाई जाती हैं।

2. अर्द्ध – गुच्छित बस्तियां – इन बस्तियों में एक केन्द्र के चारों ओर छोटे आवास मुद्रिका के रूप में बिखरे होते हैं । प्रायः किसी बड़े संहत गांव के विखंडन के परिणामस्वरूप ये बस्तियां बनती हैं । प्रायः भू-स्वामी तथा प्रभावशाली लोग गांव के केन्द्रीय भाग में रहते हैं, जबकि समाज के निम्न वर्ग के लोग गांव के बाहरी भाग में रहते हैं। गुजरात के मैदान में ऐसी बस्तियां व्यापक रूप से पाई जाती हैं।

3. पुरवे वाली बस्तियां – कभी – कभी बस्ती एक-दूसरे से अलग इकाइयों के रूप में होती है तथा स्पष्ट दूरी पर होती है । देश के विभिन्न क्षेत्रों में इन्हें पल्ली, नंगला या ढाणी आदि स्थानीय नामों से जाना जाता है। गंगा के मध्यवर्ती और निचले मैदान, छत्तीसगढ़ और हिमालय की निचली घाटियों में प्रायः ऐसे गांव पाए जाते हैं । ये बस्तियां वनों में झोंपड़ियों के समूह के रूप में मिलती हैं। ऐसी बस्तियां छोटी पहाड़ी पर खेत या चरागाहों के निकट मिलती हैं । ये बस्तियां मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

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4. परिक्षिप्त बस्तियां – ये छोटे-छोटे हैमलेट आकार के बड़े क्षेत्र पर दूर-दूर बिखरे होते हैं। इन बस्तियों में केवल कुछ घर ही होते हैं । ये बस्तियां वनों में झोंपड़ियों के समूह के रूप में मिलती हैं। ऐसी बस्तियां छोटी पहाड़ी पर खेत या चरागाहों के निकट मिलती हैं । ये बस्तियां मेघालय, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 2.
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार को निर्धारित करने वाले कारकों की विवेचना करो।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण बस्तियों के आकार, आकृति, प्रकार आदि में स्पष्ट विभिन्नता दिखाई देती है। ग्रामीण बस्तियों के प्रकार निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करते हैं –
1. भौतिक कारक – बस्तियों के प्रकार प्रायः भौतिक कारकों द्वारा निर्धारित होते हैं। उच्चावच, ऊंचाई, अपवाह तन्त्र, भौम जल-स्तर तथा जलवायु एवं मृदा एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुष्क प्रदेशों में पानी की कमी के कारण प्रायः मकान तालाबों के चारों ओर बनाए जाते हैं। बस्तियां प्रायः संहित प्रकार की होती हैं।

2. सांस्कृतिक कारक – इनमें जन- जातीयता, सम्प्रदाय, जाति वर्ग बस्तियों के अभिन्यास पर प्रभाव डालते हैं। प्रायः गांव के मध्य में भू-स्वामियों के मकान होते हैं। इसके चारों ओर नौकरी – चाकरी करने वाली जातियों के मकान होते हैं। हरिजनों के मकान गांव की सीमा पार मुख्य बस्ती से दूर स्थित होते हैं। इस प्रकार का गांव कई सामाजिक इकाइयों में खण्डित हो जाता है।

3. ऐतिहासिक कारक – उत्तरी भारत के मैदानों में बाहरी आक्रमण होते रहे हैं। इन आक्रमणों से बचने के लिए प्रायः संहित बस्तियां पाई जाती हैं । लुटेरों से सुरक्षा पाने के लिए भी संहित बस्तियां बसाई जाती थीं।

प्रश्न 3.
नगर से क्या अभिप्राय है ? नगर इतिहास वेत्ताओं के अनुसार नगरों का वर्गीकरण तथा विकास बताओ।
उत्तर:
नगरों की परिभाषा – विभिन्न देशों में नगरों को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया जाता है। भारत में 2001 की जनगणना में दो प्रकार के नगरों की पहचान की है –
संवैधानिक नगर – वे सभी स्थान, जिनमें नगरपालिका या नगर निगम या केंटूनमैंट बोर्ड या नौटीफाइड टाऊन एरिया कमेटी हैं।
जनगणना नगर – वे सभी स्थान जो निम्नलिखित कसौटियों पर खरे उतरते हैं

  1. जिनकी जनसंख्या कम से कम 5000 हो,
  2. जिनकी 75 प्रतिशत कार्यशील पुरुष जनसंख्या ग़ैर कृषि कार्यों में लगी हो, और
  3. जिनकी जनसंख्या का घनत्व कम से कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० हो।

भारत में नगरों का विकास – भारत में प्रागैतिहासिक काल में नगर फलते-फूलते रहे हैं। सिंधु घाटी सभ्यता के समय भी हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे नगरों का अस्तित्व था। 600 ईसा पूर्व नगरीकरण का दूसरा दौर प्रारम्भ हुआ। यह सिलसिला 18वीं शताब्दी में यूरोपवासियों के आने तक थोड़े उतार-चढ़ाव के साथ निरन्तर चलता रहा। नगर इतिहासवेत्ता भारतीय नगरों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत करते हैं –
(1) प्राचीन नगर
(2) मध्यकालीन नगर और
(3) आधुनिक नगर।

1. प्राचीन नगर – लगभग 45 नगरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। इनका अस्तित्व 2000 वर्षों से भी अधिक समय से है। इनमें से अधिकतर का विकास धार्मिक और सांस्कृतिक केन्द्रों के रूप में हुआ था। वाराणसी इनमें से एक महत्त्वपूर्ण नगर है। अयोध्या, प्रयाग (इलाहाबाद), पाटलिपुत्र (पटना), मथुरा और मदुरै कुछ प्राचीन नगरों के अन्य उदाहरण हैं।

2. मध्यकालीन नगर – लगभग 101 वर्तमान नगरों का विकास मध्य काल में हुआ, इनमें से अधिकतर नगर रियासतों और राज्यों के मुख्यालयों या राजधानियों के रूप में विकसित हुए। इनमें से अधिकतर दुर्गनगर हैं जो पहले से विद्यमान नगरों के खंडहरों से उभरे हैं। इनमें कुछ प्रसिद्ध नगर हैं – दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ, आगरा और नागपुर।

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3. आधुनिक नगर – अंग्रेज़ों और अन्य यूरोपवासियों ने नगरीय परिदृश्य को बदल दिया। बाहरी शक्ति के रूप में इन्होंने पहले-पहल तटीय स्थानों पर अपने पैर जमाए थे। इन्होंने सबसे पहले कुछ व्यापारिक पत्तनों जैसे- सूरत, दमन, गोवा, पांडिचेरी आदि का विकास किया। बाद में अंग्रेज़ों ने तीन प्रमुख केन्द्रों – मुंबई (बम्बई), चेन्नई (मद्रास) और कोलकाता (कलकत्ता) से अपनी सत्ता को मज़बूत किया। उन्होंने इन नगरों का निर्माण अंग्रेज़ी स्थापत्य कला के अनुसार किया था। अंग्रेज़ों ने प्रत्यक्ष रूप से या बाह्य रूप से नियन्त्रण द्वारा देशी रियासतों पर अपना आधिपत्य बड़ी तेज़ी से स्थापित किया।

इसी दौरान उन्होंने प्रशासनिक केन्द्रों, पर्यटन स्थलों के रूप में पर्वतीय नगरों का विकास किया तथा पहले से विद्यमान नगरों में सिविल लाइंस, प्रशासनिक और छावनी क्षेत्र जोड़ दिए। भारत में आधुनिक उद्योगों पर आधारित नगरों का विकास भी 1850 के बाद ही हुआ । इस संदर्भ में जमशेदपुर का उल्लेख उदाहरण के रूप में किया जा सकता है। स्वतन्त्रता के बाद प्रशासनिक मुख्यालयों और औद्योगिक केन्द्रों के रूप में अनेक नगरों का उदय हुआ।

चण्डीगढ़, भुवनेश्वर, गांधीनगर, दिसपुर आदि प्रशासनिक मुख्यालय तथा दुर्गापुर, भिलाई, सिन्दरी, बरौनी, आदि औद्योगिक केन्द्रों के उदाहरण हैं। कुछ प्राचीन नगरों का महानगरों के चारों ओर उपनगरों के रूप में भी विकास हुआ है। दिल्ली के चारों ओर विकसित गाज़ियाबाद, नोएडा, रोहतक, गुड़गांव आदि ऐसे ही उपनगर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में विनिवेश के बढ़ने के साथ ही सारे देश में काफ़ी बड़ी संख्या में मध्यम और छोटे कस्बों का विकास हुआ है।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ - 1

स्मरणीय तथ्य (Points to Remember)
तालिका : भारत – वर्गानुसार शहरों और नगरों की संख्या एवं उनकी जनसंख्या, 2011

नगरीय संकुल / नगरों का नामजनसंख्या (दस लाख में)
बृहत् मुंबई18.41
दिल्ली16.31
कोलकाता14.11
चेन्नई8.69
बंगलौर8.49
हैदराबाद7.74
अहमदाबाद6.85
पुणे5.04
सूरत4.58
जयपुर3.07
कानपुर2.92
लखनऊ2.90
पटना2.49
गाजियाबाद2.30
इंदौर2.10
कोयंबटूर2.15
कोच्चि2.11
नागपुर2.04
कोजीकोड2.03
भोपाल1.98
थ्रिस्सूर1.95
वडोदरा1.81
आगरा1.74
विशाखापट्नम1.73
मालापुरुम1.61
तिरुवनंतपुरम1.68
कन्नौज1.64
लुधियाना1.64
नासिक1.56
विजयवाड़ा1.44
मदुरई1.43
वाराणसी1.43
मेरठ1.42
फरीदाबाद1.40
राजकोट1.39
जमशेदपुर1.33
श्रीनगर1.27
जबलपुर1.26
आसनसोल1.24
बसाई1.22
इलाहाबाद1.21
धनबाद1.19
औरंगाबाद1.15
अमृतसर1.18
जोधपुर1.13
रांची1.12
रायपुर1.12
कोल्लम1.11
ग्वालियर1.10
दुर्ग1.06
चण्डीगढ़1.02
तिरुचिरापल्ली1.02
कोटा1.01

 

मानचित्र कौशल (Map Skill)

प्रश्न- भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित दिखाओ।
उत्तर:
(1) सर्वाधिक ग्रामीण जनसंख्या प्रतिशत वाला राज्य – (हिमाचल प्रदेश)
(2) सर्वाधिक नगरीय जनसंख्या प्रतिशत वाला राज्य। – (गोवा)
(3) भारत का सर्वाधिक प्राचीन नगर। – (वाराणसी)
(4) दिल्ली के गिर्द एक अनुषंगी नगर। – (गाज़ियाबाद)
(5) राज्य जहां सर्वाधिक मिलियन नगर हैं। – (उत्तर प्रदेश)
(6) भारत का सबसे बड़ा महानगर। – (मुम्बई)
(7) दक्षिणी भारत में तीन बृहत् संकुल। – (बंगलौर, हैदराबाद, चेन्नई)
(8) पूर्वी भारत में एक करोड़ से अधिक जनसंख्या वाला नगर। – (कोलकाता)
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JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. किस सेवा को व्यावसायिक कुशलता की आवश्यकता नहीं होती ?
(A) वकील
(B) डॉक्टर
(C) अध्यापक
(D) दुकानदार।
उत्तर:
(D) दुकानदार।

2. कौन-सा कारक विनिमय में सम्मिलित नहीं होता ? .
(A) व्यापार
(B) परिवहन
(C) संचार
(D) वेतन।
उत्तर:
(D) वेतन।

3. तृतीयक क्रियाकलाप किस कारक पर निर्भर है ?
(A) कुशलता
(B) मशीनरी
(C) फैक्टरी
(D) उत्पादन।
उत्तर:
(A) कुशलता

4. तैयार वस्तुएँ कौन प्रदान करता है ?
(A) नगरीय केन्द्र
(B) ग्रामीण केन्द्र
(C) मण्डियां
(D) साप्ताहिक बाजार।
उत्तर:
(A) नगरीय केन्द्र

5. कौन-सी संस्था द्वार-से-द्वार सेवा प्रदान करती है ?
(A) फुटकर व्यापार
(B) थोक व्यापार
(C) श्रृंखला भण्डार
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
(A) फुटकर व्यापार

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6. किस संस्था से सर्वप्रथम बृहत स्तर पर फुटकर व्यापार किया ?
(A) उपभोक्ता सहकारी
(B) विभागीय भण्डार
(C) श्रृंखला भण्डार
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
(A) उपभोक्ता सहकारी

7. थोक व्यापारी की पूँजी पर कौन कार्य संचालन करता है ?
(A) बड़े भण्डार
(B) श्रृंखला भण्डार
(C) फुटकर विक्रेता
(D) विभागीय भण्डार।
उत्तर:
(C) फुटकर विक्रेता

8. समकाल रेखाएं किन स्थानों को जोड़ती हैं जो हो
(A) किलोमीटर दूरी
(B) समय दूरी
(C) लाग दूरी
(D) लाभ दूरी।
उत्तर:
(B) समय दूरी

9. दो शीर्षों को जोड़ती हैं
(A) लिंक
(B) शीर्ष
(C) जालतन्त्र
(D) नोड।
उत्तर:
(A) लिंक

10. संचार का सबसे तेज़ साधन है
(A) तार प्रेषण
(B) टैलेक्स
(C) रेडियो
(D) मोबाइल दूरभाष।
उत्तर:
(D) मोबाइल दूरभाष।

11. एक टैक्स परामर्शदाता किस वर्ग के कार्य कलाप से सम्बन्धित है ?
(A) प्राथमिक
(B) द्वितीयक
(C) तृतीयक
(D) चतुर्थक।
उत्तर:
(D) चतुर्थक।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
तृतीयक क्रियाकलाप किस क्षेत्र से सम्बन्धित है ?
उत्तर:
सेवा क्षेत्र।

प्रश्न 2.
तृतीयक क्रियाकलाप में दो प्रमुख तत्त्व बताओ।
उत्तर:
उत्पादन तथा विनिमय।

प्रश्न 3.
विनिमय में कौन-से तत्त्व शामिल हैं ?
उत्तर:
व्यापार, परिवहन तथा संचार।

प्रश्न 4.
व्यापार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
व्यापार अन्यत्र उत्पादित मदों का क्रय और विक्रय है।

प्रश्न 5.
व्यापार के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:
फुटकर तथा थोक व्यापार।

प्रश्न 6.
व्यापारिक केन्द्रों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
वह नगर तथा केन्द्र जहां व्यापार होता है व्यापारिक केन्द्र कहलाते हैं, ये संग्रहण तथा वितरण बिन्दु होते हैं।

प्रश्न 7.
अर्ध-नगरीय केन्द्रों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
ग्रामीण विपणन केन्द्र।

प्रश्न 8.
व्यापारिक केन्द्रों के दो प्रकार बताओ।
उत्तर-:
ग्रामीण तथा नगरीय।

प्रश्न 9.
मण्डियों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
थोक व्यापार के केन्द्र।

प्रश्न 10.
फुटकर व्यापार सेवा के चार उदाहरण दो।
उत्तर:
फेरी, रेहड़ी, डाक-आदेश, द्वार से द्वार।

प्रश्न 11.
किस भण्डार पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का व्यापार होता है ?
उत्तर;
विभागीय भण्डार।

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प्रश्न 12.
एक फुटकर विक्रेता किस प्रकार थोक विक्रेता की पूँजी पर कार्य करता है ?
उत्तर:
थोक विक्रेता फुटकर विक्रेता को उधार देता है।

प्रश्न 13.
ICT को विस्तार से लिखें।
उत्तर:
Information Communication Technology.

प्रश्न 14.
समकाल रेखाओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
मानचित्र पर समान समय में पहुंचने वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखाओं को समकाल रेखाएं कहते हैं।

प्रश्न 15.
परिवहन की मांग किन कारकों पर निर्भर है ?
उत्तर:
परिवहन की मांग जनसंख्या के आकार से प्रभावित होती है। अधिक जनसंख्या से परिवहन मांग भी अधिक होती है।

प्रश्न 16.
संचार का कौन-सा साधन तीव्र गति वाला है ?
उत्तर:
मोबाइल दूरभाष तथा उपग्रह।

प्रश्न 17.
विशाल डाक का निपटारन कौन-सी संस्था करती है ?
उत्तर:
डाक घर।

प्रश्न 18.
जनसंचार के दो माध्यम बताओ।
उत्तर:
रेडियो तथा दूरदर्शन।

प्रश्न 19.
निम्न स्तरीय सेवाओं के उदाहरण दो।
उत्तर:
पंसारी की दुकान, धोबीघाट।

प्रश्न 20.
उच्च स्तरीय सेवाओं के उदाहरण दो।
उत्तर:
लेखाकार, परामर्शदाता, चिकित्सक।

प्रश्न 21.
मानसिक श्रम उपयोग वाली तीन सेवाएं बताओ।
उत्तर:
अध्यापक, वकील, चिकित्सक।

प्रश्न 22.
CBD का विस्तार करें।
उत्तर:
Central Business District (केन्द्रीय व्यापारिक क्षेत्र)।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 23.
संयुक्त राज्य में तृतीयक क्रियाकलापों में लगे श्रमिकों का प्रतिशत क्या है ?
उत्तर:
75%

प्रश्न 24.
पर्यटन में पंजीकृत रोजगारों की संख्या बताओ।
उत्तर:
25 करोड़।

प्रश्न 25.
पर्यटन से प्राप्त कुल राजस्व बताओ।
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद का 40%।

प्रश्न 26.
पर्यटन किन उद्योगों को पोषित करता है ?
उत्तर:
अवसंरचना उद्योग, फुटकर व्यापार, शिल्प उद्योग।

प्रश्न 27.
मौसमी पर्यटन किन दशाओं पर निर्भर है ?
उत्तर;
अवकाश की अवधि।

प्रश्न 28.
संसार के दो पर्यटक प्रदेश बताओ।
उत्तर:
भूमध्य सागरीय तट तथा गोवा तट।

प्रश्न 29.
इतिहास एवं कला से सम्बन्धित कौन-से स्थान पर्यटकों को आकर्षित करते हैं ?
उत्तर:
प्राचीन नगर, पुरातत्व स्थान, गुफाएं, महल, गिरजाघर।

प्रश्न 30.
सशक्त कर्मी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
यह वे श्रमिक हैं जो आत्म यथार्थीकरण द्वारा प्रेरित होते हैं न कि धन द्वारा । ये जीवन की गुणवत्ता, रचनात्मक व व्यक्तिगत मूल्यों में विश्वास रखते हैं।

प्रश्न 31.
MRI का विस्तार करें।
उत्तर:
Magnetic Resonance Images.

प्रश्न 32.
KPO का विस्तार करें।
उत्तर:
Knowledge Processing Outsourcing.

प्रश्न 33.
BPO का विस्तार करें।
उत्तर:
Business Processing Outsourcing.

प्रश्न 34.
सेवाओं का आधार क्या होता है ?
उत्तर:
कुशल कर्मचारी।

प्रश्न 35.
सेवाओं के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा।

प्रश्न 36.
वाणिज्यिक सेवाओं का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
विज्ञापन व परामर्श।

प्रश्न 37.
विकसित देशों में सेवाओं में वृद्धि का क्या कारण है ?
उत्तर:
प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने से।

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प्रश्न 38.
उच्च सेवाओं के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
वित्त तथा बीमा।

प्रश्न 39.
दूरसंचार का एक नवीनतम संसाधन बताओ।
उत्तर:
इन्टरनेट।

प्रश्न 40.
किसी एक वैश्विक नगर का उदाहरण दो।
उत्तर:
लंदन।

प्रश्न 41.
पंचम क्रियाकलापों की परिभाषा दो।
उत्तर:
ये वे सेवाएं हैं जो आंकड़ों की व्याख्या तथा मूल्यांकन से सम्बन्धित हैं।

प्रश्न 42.
तृतीय क्रियाओं में किस प्रकार की क्रियाएं सम्मिलित की जाती हैं ?
उत्तर:
तृतीय क्रियाओं में सेवाएं सम्मिलित की जाती हैं जैसे शिक्षा, प्रबन्ध, अनुसंधान तथा सुरक्षा।

प्रश्न 43.
ज्ञानोमुखी व्यक्ति किस क्रियाकलाप में आते हैं ?
उत्तर:
चतुर्थक तथा पंचम क्रियाकलाप।

प्रश्न 44.
सूचना का संग्रहण किस क्रियाकलाप में आता है ?
उत्तर:
चतुर्थक।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जनशक्ति सेवा सेक्टर का एक महत्त्वपूर्ण कारक है’ तीन विशेषताएं बताकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
सेवा सेक्टर के लिए व्यावसायिक कुशल श्रमिक चाहिए। जनशक्ति अधिकांश तृतीय क्रियाकलापों का निष्पादन करती है। जनशक्ति की निम्नलिखित विशेषताएं आवश्यक हैं –

  1. श्रमिक कुशल हों।
  2. इनमें व्यावसायिक कशलता हो।
  3. विशेषज्ञ प्रशिक्षित हो।
  4. परामर्शदाता शिक्षित हो।

प्रश्न 2.
‘सभी प्रकार की सेवाएं विशिष्ट कलाएं होती हैं जो भुगतान के बदले प्राप्त होती हैं ‘ उदाहरण दो।
उत्तर:
अनेक व्यवसायी फ़ीस का भुगतान होने पर अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।

  1. एक चिकित्सक आपका उपचार करके फ़ीस प्राप्त करता है।
  2. एक अध्यापक आपको शिक्षा देता है तथा फ़ीस लेता है।
  3. एक वकील आपको कानूनी सलाह देकर फ़ीस लेता है।

प्रश्न 3.
विकसित तथा विकासशील देशों में विभिन्न प्रकार की सेवाओं में लगे श्रमिकों की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. विकासशील देशों में विकासशील अर्थव्यवस्था में बहुसंख्या में लोग प्राथमिक सेक्टर में कार्य करते हैं।
  2. विकसित देशों में-बहुसंख्यक श्रमिक तृतीयक क्रियाकलापों में रोज़गार पाते हैं। कम संख्या में द्वितीयक सेक्टर में लोग कार्यरत हैं।

प्रश्न 4.
सेवाओं द्वारा उपलब्ध विशेषज्ञता किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
सेवाओं द्वारा उपलब्ध विशेषज्ञता, विशिष्टीकृत कुशलता, अनुभव और ज्ञान पर निर्भर करती है। उत्पादन, मशीनरी, फैक्ट्री प्रक्रियाएं कम महत्त्वपूर्ण होती हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 5.
व्यापार से क्या अभिप्राय है ? इसका उद्देश्य क्या है ? व्यापारिक केन्द्रों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
व्यापार वस्तुतः अन्यत्र उत्पादित मदों का क्रय और विक्रय है।
इसके दो प्रकार के हैं –
(i) फुटकर और
(ii) थोक व्यापार अथवा वाणिज्य की सभी सेवाओं का विशिष्ट उद्देश्य लाभ कमाना है। यह सारा काम कस्बों और नगरों में होता है। जिन्हें व्यापारिक केन्द्र कहा जाता है। स्थानीय स्तर पर वस्तु विनिमय से लेकर अन्तर्राष्ट्रीय सोपान पर मुद्रा विनिमय तक व्यापार के उत्थान ने अनेक केन्द्रों और संस्थाओं को जन्म दिया है जैसे कि व्यापारिक केन्द्र अथवा संग्रहण और वितरण बिंदु। व्यापारिक केन्द्रों को ग्रामीण और नगरीय विपणन केन्द्रों में विभक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
कालिक मण्डियों (आवधिक बाज़ार) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में आवधिक बाजार-ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ नियमित बाज़ार नहीं होते विभिन्न कालिक अन्तरालों पर स्थानीय आवधिक बाज़ार लगाए जाते हैं। ये साप्ताहिक पाक्षिक बाज़ार होते हैं। जहाँ परिग्रामी क्षेत्रों से लोग आकर समय-समय पर अपनी आवश्यक ज़रूरतों को पूरा करते हैं। ये बाज़ार निश्चित तिथि दिन पर लगते हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगते रहते हैं। दुकानदार इस प्रकार सभी दिन व्यस्त रहते हैं और एक विस्तृत क्षेत्र को सेवा प्रदान करते हैं।

प्रश्न 7.
विभिन्न प्रकार के भण्डारों का वर्णन करो।
उत्तर:
भण्डारों के प्रकार –
(i) उपभोक्ता सहकारी (Consumer Co-operatives):
फुटकर व्यापार में वृहत स्तर पर सबसे पहले नवाचार लाने वाले उपभोक्ता सहकारी समुदाय थे।

(ii) विभागीय भण्डार (Departmental Stores):
वस्तुओं की खरीद और भण्डारों के विभिन्न अनुभागों में बिक्री के सर्वेक्षण के लिए विभागीय प्रमुखों को उत्तरदायित्व और प्राधिकार सौंप देते हैं।

(ii) श्रृंखला भण्डार (Chain Stores):
अत्यधिक मितव्ययता से व्यापारिक माल खरीद पाते हैं, यहां तक कि अपने विनिर्देश पर सीधे वस्तुओं का विनिर्माण करा लेते हैं। वे अनेक कार्यकारी कार्यों में अत्यधिक कुशल विशेषज्ञ नियुक्त कर लेते हैं। उनके पास एक भण्डार के अनुभव के परिणामों को अनेक भण्डारों में लागू करने की योग्यता होती है।

प्रश्न 8.
थोक व्यापार सेवा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
थोक व्यापार सेवाएं (Whole Sale Trading Services)-थोक व्यापार का गठन अनेक बिचौलिए सौदागरों और पूर्तिघरों द्वारा होता है न कि फुटकर भण्डारों द्वारा। शृंखला भण्डारों सहित कुछ बड़े भण्डार विनिर्माताओं से सीधी खरीद करते हैं। फिर भी बहुसंख्यक फुटकर भण्डार बिचौलिए स्रोत से पूर्ति लेते हैं। थोक विक्रेता प्रायः फुटकर भण्डारों को उधार देते हैं, यहाँ तक कि फुटकर विक्रेता अधिकतर थोक विक्रेत जी पर ही अपने कार्य का संचालन करते हैं।

प्रश्न 9.
परिवहन सेवाएं क्या हैं ? यह आवश्यक क्यों हैं ?
उत्तर:
परिवहन सेवाएं (Transport Services)-परिवहन एक ऐसी सेवा अथवा सुविधा है जिससे व्यक्तियों, विनिर्मित माल तथा सम्पत्ति को भौतिक रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। यह मनुष्य की गतिशीलता की मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने हेतु निर्मित एक संगठित उद्योग है।

प्रश्न 10.
परिवहन व्यवस्था के कार्य क्या हैं ?
उत्तर:
आधुनिक समाज वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और उपभोग में सहायता देने के लिए तीव्र और सक्षम परिवहन व्यवस्था चाहते हैं। इस जटिल व्यवस्था की प्रत्येक अवस्था में परिवहन द्वारा पदार्थ का मूल्य अत्यधिक बढ़ जाता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 11.
परिवहन सेवाओं के मार्ग किन कारकों पर निर्भर करते हैं ?
उत्तर:
परिवहन सेवाएं (Transport Services):

  • नगरों, कस्बों, गाँवों, औद्योगिक केन्द्रों और कच्चे माल, उनके मध्य व्यापार के प्रारूप।
  • उनके मध्य भू-दृश्य की प्रकृति
  • जलवायु के प्रकार और मार्ग की लम्बाई पर आने वाले व्यवधानों को दूर करने के लिए उपलब्ध निधियों (मुद्रा) पर मार्ग निर्भर करते हैं।

प्रश्न 12.
संचार साधनों द्वारा किन तत्त्वों का प्रेषण होता है ? परिवहन के सभी रूपों को संचार पथ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
संचार सेवाएं (Communication Services):
संचार सेवाओं में शब्दों और सन्देशों, तथ्यों और विचारों का प्रेषण सम्मिलित है। लेखन के आविष्कार ने सन्देशों .. को संरक्षित किया और संचार को परिवहन के साधनों पर निर्भर करने में सहायता की। ये वास्तव में हाथ, पशुओं, नाव, सड़क, रेल तथा वायु द्वारा परिवहित होते थे। यही कारण है कि परिवहन के सभी रूपों को संचार पथ कहा जाता है। जहाँ परिवहन जाल-तन्त्र सक्षम होता है वहाँ संचार का फैलाव सरल होता है।

प्रश्न 13.
दूरसंचार ने किस प्रकार संचार सेवाओं में क्रान्ति ला दी है ?
उत्तर:
दूरसंचार (Telecommunication):
दूर संचार का प्रयोग विद्युतीय प्रौद्योगिकी के विकास से जुड़ा है। सन्देशों के भेजे जाने की गति के कारण इसने संचार में क्रान्ति ला दी है। समय सप्ताहों से मिनटों में घट गया है और मोबाइल दूरभाष जैसी नूतन उन्नति ने किसी भी समय कहीं से भी संचार को प्रत्यक्ष और तत्काल बना दिया है। तार प्रेषण, मोर्स कूट और टैलेक्स अब लगभग भूतकाल की वस्तुएँ बन गई हैं।

प्रश्न 14.
जनसंचार माध्यम कौन-से हैं ? इनके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
जनसंचार माध्यम (Means of Mass Media):
रेडियो और दूरदर्शन भी समाचारों, चित्रों व दूरभाष कालों का पूरे विश्व में विस्तृत श्रोताओं को प्रसारण करते हैं और इसलिए इन्हें जनसंचार माध्यम कहा जाता है। इनके कार्य (Functions) –

  1. ये विज्ञापन एवं मनोरंजन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  2. समाचार-पत्र विश्व के सभी कोनों से घटनाओं का प्रसारण करने में सक्षम होते हैं।
  3. उपग्रह संचार पृथ्वी और अंतरिक्ष से सूचना का प्रसारण करता है।
  4. इन्टरनेट ने वैश्विक संचार तन्त्र में वास्तव में क्रान्ति ला दी है।

प्रश्न 15.
असंगठित श्रमिकों से क्या अभिप्राय है ? मुम्बई के डब्बावाला की सेवा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
अनौपचारिक/गैर-औपचारिक सेक्टर-दैनिक जीवन में काम को सुविधाजनक बनाने के लिए लोगों को व्यक्तिगत सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। कामगार रोज़गार की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवास करते हैं और अकुशल होते हैं। वे मोची, गृहपाल, खानसामा और माली जैसी घरेलू सेवाओं के लिए नियुक्त किए जाते हैं और इन्हें कम भुगतान किया जाता है। कर्मियों का यह वर्ग असंगठित है। ऐसा एक उदाहरण मुम्बई की डब्बावाला सेवा है जो पूरे नगर में लगभग 1,75,000 उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराई जाती है।

प्रश्न 16.
चतुर्थक सेवाओं का क्या आकार है ? इसमें कौन-सी क्रियाएं शामिल हैं ?
उत्तर:
ज्ञान आधारित सेवा सेक्टर को चतुर्थक सेवाएं कहते हैं। इसमें तीन क्रियाएं सम्मिलित हैं।

  1. सूचना संग्रहण
  2. उत्पादन व प्रकीर्णन
  3. सूचना का उत्पादन।

प्रश्न 17.
पंचम क्रियाकलाप क्या है ? उदाहरण दो।
उत्तर:
पंचम क्रियाकलाप वे सेवाएँ हैं जो नवीन एवं वर्तमान विचारों की रचना, उनके पुनर्गठन और व्याख्या; आँकड़ों की व्याख्या और प्रयोग तथा नई प्रौद्योगिकी के मूल्यांकन पर केन्द्रित होती हैं। प्रायः ‘स्वर्ण कॉलर’ (Gold collar) कहे जाने वाले ये व्यवसाय तृतीयक सेक्टर का एक और उप-विभाग हैं जो वरिष्ठ व्यावसायिक कार्यकारियों, सरकारी अधिकारियों, अनुसन्धान वैज्ञानिकों, वित्त एवं विधि परामर्शदाताओं इत्यादि की विशेष और उच्च वेतन वाली कुशलताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की संरचना में उनका महत्त्व उनकी संख्या से कहीं अधिक होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तृतीयक क्रियाकलापों में उत्पादन तथा विनिमय दोनों सम्मिलित होते हैं। व्याख्या करो।
उत्तर:
तृतीयक क्रियाकलापों में उत्पादन और विनिमय दोनों सम्मिलित होते हैं।
(1) उत्पादन में सेवाओं की उपलब्धता शामिल होती है जिनका उपभोग किया जाता है। उत्पादन को परोक्ष रूप से पारिश्रमिक और वेतन के रूप में मापा जाता है।
(2) विनिमय के अन्तर्गत व्यापार, परिवहन और संचार सुविधाएँ सम्मिलित होती हैं जिनका उपयोग दूरी को निष्प्रभाव करने के लिए किया जाता है। इसलिए तृतीयक क्रियाकलापों में मूर्त वस्तुओं के उत्पादन के बजाय सेवाओं का व्यावसायिक उत्पादन सम्मिलित होता है। वे भौतिक कच्चे माल के प्रक्रमण में प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित नहीं होतीं।

उदाहरण:
एक नलसाज, बिजली मिस्त्री, तकनीशियन, धोबी, नाई, दुकानदार, चालक, कोषपाल, अध्यापक, डॉक्टर, वकील और प्रकाशक इत्यादि का काम इनका सामान्य उदाहरण हैं। द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों में मुख्य अंतर यह है कि सेवाओं द्वारा उपलब्ध विशेषज्ञता उत्पादन तकनीकों, मशीनरी और फैक्ट्री प्रक्रियाओं की अपेक्षा कर्मियों की विशिष्टीकृत कुशलताओं, अनुभव और ज्ञान पर अत्यधिक निर्भर करती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 2.
ग्रामीण विपणन केन्द्रों तथा नगरीय बाजार केन्द्रों में अन्तर बताओ।
उत्तर:
ग्रामीण विपणन केन्द्र निकटवर्ती बस्तियों का पोषण करते हैं। ये अर्ध-नगरीय केन्द्र होते हैं। ये अत्यन्त अल्पवर्धित प्रकार के व्यापारिक केन्द्रों के रूप में सेवा करते हैं। यहाँ व्यक्तिगत और व्यावसायिक सेवाएँ सुविकसित नहीं होती। ये स्थानीय संग्रहण और वितरण केन्द्र होते हैं। इनमें से अधिकांश केन्द्रों में मण्डियां (थोक बाज़ार) और फुटकर व्यापार क्षेत्र भी होते हैं। ये स्वयं में नगरीय केन्द्र नहीं हैं किन्तु ग्रामीण लोगों की अधिक माँग वाली वस्तुओं और सेवाओं को उपलब्ध कराने वाले महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं।

नगरीय बाजार केन्द्रों में और अधिक विशिष्टीकृत नगरीय सेवाएं मिलती हैं। इनमें न केवल साधारण वस्तुएँ और सेवाएँ बल्कि लोगों द्वारा वांछित अनेक विशिष्ट वस्तुएँ व सेवाएँ भी उपलब्ध होती हैं। नगरीय केन्द्र, इसलिए विनिर्मित पदार्थों के साथ-साथ विशिष्टीकृत बाजार भी प्रस्तुत करते हैं जैसे श्रम बाजार, आवासन, अर्ध-निर्मित एवं निर्मित उत्पादों . का बाज़ार। इनमें शैक्षिक संस्थाओं और व्यावसायिकों की सेवाएँ जैसे-अध्यापक, वकील, परामर्शदाता, चिकित्सक, दाँतों का डॉक्टर और पशु चिकित्सक आदि उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न 3.
किलोमीटर दूरी, समय दूरी, लागत दूरी में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
परिवहन दूरी को किलोमीटर दूरी अथवा मार्ग लम्बाई की वास्तविक दूरी, समय दूरी अथवा एक मार्ग पर यात्रा करने में लगने वाले समय और लागत दूरी अथवा मार्ग पर यात्रा के खर्च के रूप में मापा जा सकता है। परिवहन न में समय अथवा लागत के संदर्भ में एक निर्णायक कारक है। मानचित्र पर समान समय में पहँचने वाले स्थानों को मिलाने वाली समकाल रेखाएँ खींची जाती हैं।

प्रश्न 4.
जालतन्त्र, नोड तथा योजक में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
जैसे ही परिवहन व्यवस्थाएँ विकसित होती हैं विभिन्न स्थान आपस में जुड़कर जाल-तन्त्र की रचना करते हैं। जाल-तन्त्र तथा योजक से मिलकर बनते हैं। दो अथवा अधिक मार्गों का सन्धि-स्थल, एक उद्गम बिन्दु, एक गंतव्य बिन्दु अथवा मार्ग के सहारे कोई बड़ा कस्बा नोड अथवा शीर्ष होता है। प्रत्येक सड़क जो दो नोडों को जोड़ती है योजक अथवा किनारा कहलाती है। एक विकसित जाल-तन्त्र में अनेक योजक होते हैं, जिसका अर्थ है कि स्थान सुसम्बद्ध है।

प्रश्न 5.
समुद्र पार रोगियों के लिए स्वास्थ्य सेवा या चिकित्सा पर्यटन पर नोट लिखो।
उत्तर:
भारत में समद्रपार रोगियों के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ-2005 ई० में संयक्त राज्य अमेरिका से उपचार के लिए 55,000 रोगी भारत आए। संयुक्त राज्य स्वास्थ्य सेवा तन्त्र के अन्तर्गत प्रतिवर्ष होने वाले लाखों शल्यकर्मों की तुलना में यह संख्या बहुत कम है। भारत विश्व में चिकित्सा पर्यटन में अग्रणी देश बन कर उभरा है। महानगरों में अवस्थित विश्वस्तरीय अस्पताल सम्पूर्ण विश्व के रोगियों का उपचार करते हैं। भारत, थाईलैंड, सिंगापुर और मलेशिया जैसे विकासशील देशों को चिकित्सा पर्यटन से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

चिकित्सा पर्यटन के अतिरिक्त चिकित्सा परीक्षणों और आँकड़े के निर्वचन के बाह्यस्रोतन के प्रति भी झुकाव पाया जाता है। भारत, स्विट्ज़रलैंड और आस्ट्रेलिया के अस्पताल विकिरण बिम्बों के अध्ययन से लेकर चुम्बकीय अनुनाद बिम्बों के निर्वचन और पराश्राव्य परीक्षणों तक की विशिष्ट चिकित्सा सुविधाओं को उपलब्ध करा रहे हैं। बाह्यस्रोतन में, यदि यह गुणवत्ता में सुधार करने अथवा विशिष्ट सेवाएं उपलब्ध कराने पर केन्द्रित है, तो बाह्यस्रोतन रोगियों के लिए अत्यधिक लाभ होता है।

प्रश्न 6.
सेवा क्षेत्रों के प्रमुख घटकों का वर्णन करो।
उत्तर:
सेवाओं के प्रमुख वर्ग निम्नलिखित हैं –

  1. वाणिज्यिक सेवाएं-विज्ञापन, कानूनी सेवाएँ, जनसम्पर्क और परामर्श।
  2. वित्त, बीमा, वाणिज्यिक और आवासीय भूमि और भवनों जैसी अचल सम्पत्ति का क्रय-विक्रय।
  3. उत्पादक और उपभोक्ता को जोड़ने वाले थोक और फुटकर व्यापार तथा रख-रखाव, सौन्दर्य प्रसाधक तथा मुरम्मत के कार्य जैसी सेवाएँ।
  4. परिवहन और संचार-रेल, सड़क, जहाज़ और वायुयान सेवाएं, डाक-तार सेवाएँ।
  5. मनोरंजन-दूरदर्शन, रेडियो, फिल्म और साहित्य।
  6. विभिन्न स्तरीय प्रशासन-स्थानीय, राज्यीय तथा राष्ट्रीय प्रशासन, अधिकारी वर्ग, पुलिस, सेना तथा अन्य जन-सेवाएं।
  7. गैर-सरकारी संगठन-शिशु चिकित्सा, पर्यावरण ग्रामीण विकास आदि लाभरहित सामाजिक क्रियाकलापों से जुड़े व्यक्तिगत या सामूहिक परोपकारी संगठन।

प्रश्न 7.
संसार में चतुर्थक सेवाओं की प्रकृति तथा वृद्धि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
चतुर्थक क्रिया-कलाप-विगत कुछ वर्षों में आर्थिक क्रिया-कलाप बहुत विशिष्ट और जटिल हो गए हैं। परिणामस्वरूप, चतुर्थक क्रिया-कलापों के रूप में एक नया वर्ग बन गया है। उत्पादों में भी ज्ञान से सम्बन्धित क्रिया-कलापों जैसे शिक्षा, सूचना, शोध और विकास को सेवाओं का एक भिन्न वर्ग मान लिया गया है।

विशेषताएं:

  1. चतुर्थक शब्द से तात्पर्य उच्च बौद्धिक व्यवसायों से है।
  2. इनका दायित्व चिन्तन, शोध और विकास के लिए नए विचार देना है।
  3. आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक विकसित देशों में अभी तो थोड़े ही लोग चतुर्थक क्रिया-कलापों में लगे हैं, लेकिन इनकी संख्या निरन्तर बढ़ रही है।
  4. चतुर्थक क्रिया-कलापों में लगे लोगों के वेतनमान ऊँचे होते हैं और ये अपनी पद प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बहुत अधिक गतिशील हैं।

चतुर्थक सेवाओं में वृद्धि-विगत कुछ वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी में क्रान्ति के फलस्वरूप ज्ञान आधारित उद्योगों में वृद्धि हुई है। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर आधारित औद्योगिक समूहों (विज्ञान नगर) तथा प्रौद्योगिकी पार्कों ने बहुत प्रगति की है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
पर्यटन सेवा से क्या अभिप्राय है ? पर्यटन किन कारकों द्वारा प्रभावित होता है ? (H.B. 2010, 11, 12, 14)
उत्तर:
पर्यटन (Tourism):
पर्यटन एक यात्रा है जो व्यापार की बजाय प्रमोद के उद्देश्यों के लिए की जाती है। कुल पंजीकृत रोज़गारों तथा कुल राजस्व (सकल घरेलू उत्पाद का 40 प्रतिशत) की दृष्टि से यह विश्व का अकेला सबसे बड़ा (25 करोड़) तृतीयक क्रियाकलाप बन गया है। इनके अतिरिक्त पर्यटकों के आवास, भोजन, परिवहन, मनोरंजन तथा विशेष दुकानों जैसी सेवा उपलब्ध कराने के लिए अनेक स्थानीय व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता है। पर्यटन अवसंरचना उद्योगों, फुटकर व्यापार तथा शिल्प उद्योगों (स्मारिका) को पोषित करता है।

पर्यटन के प्रकार (Types of Tourism):
कुछ प्रदेशों में पर्यटन ऋतुनिष्ठ होता है क्योंकि अवकाश की अवधि अनुकूल मौसमी दशाओं पर निर्भर करती है, किन्तु कई प्रदेश वर्षपर्यंत पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

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पर्यटक प्रदेश (Tourist Regions)

  1. भूमध्यसागरीय तट के चारों ओर कोष्ण स्थान तथा
  2. भारत का पश्चिमी तट विश्व से लोकप्रिय पर्यटक गंतव्य स्थानों में से हैं।
  3. शीतकालीन खेल प्रदेश, जो मुख्यतः पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  4. मनोहारी दृश्यभूमियाँ तथा
  5. यत्र-तत्र फैले राष्ट्रीय उद्यान सम्मिलित हैं। स्मारकों, विरासत स्थलों और सांस्कृतिक गतिविधियों के कारण ऐतिहासिक नगर भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

पर्यटन को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Tourism):
1. माँग (Demand) – विगत शताब्दी से अवकाश के लिए माँग तीव्रता से बढी है। जीवन स्तर में सुधार तथा बढे हुए फुरसत के समय के कारण अधिक लोग विश्राम के लिए अवकाश पर जाते हैं।

2. परिवहन (Transport) – परिवहन सुविधाओं में सुधार के साथ पर्यटन क्षेत्रों का आरंभ हुआ। बेहतर सड़क प्रणालियों में कार द्वारा यात्रा सुगम होती है। हाल के वर्षों में वायु परिवहन का विस्तार अधिक महत्त्वपूर्ण रहा। उदाहरणतः वायु-यात्रा द्वारा कुछ ही घंटों में अपने घरों से विश्व में कहीं भी जाया जा सकता है। पैकेज अवकाश के प्रारम्भ ने लागत घटा दी है।

3. पर्यटन आकर्षण (Tourists Attraction) – जलवायु-ठंडे प्रदेशों के अधिकांश लोग पुलिन विश्राम के लिए ऊष्ण व धूपदार मौसम के अपेक्षा करते हैं। दक्षिणी युरोप और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में पर्यटन के महत्त्व का यह एक मुख्य कारण है। अवकाश के शीर्ष मौसम में यूरोप के अन्य भागों की अपेक्षा भूमध्यसागरीय जलवायु में लगभग सतत् ऊँचा तापमान, धूप की लम्बी अवधि और निम्न वर्षा की दशाएँ होती हैं। शीतकालीन अवकाश का आनन्द लेने वाले लोगों की विशिष्ट जलवायवी ज़रूरतें होती हैं, जैसे या तो अपनी गृह-क्षेत्रों की तुलना में ऊँचे तापमान अथवा स्कींग के लिए अनुकूल हिमावरण।

4. भू-दृश्य (Landscape) – कई लोग आकर्षित करने वाले पर्यावरण में अवकाश बिताना पसन्द करते हैं, जिसका प्रायः अर्थ होता है पर्वत, झीलें, दर्शनीय समुद्री तट और मनुष्य द्वारा पूर्ण रूप से अपरिवर्तित भू-दृश्य।।

5. इतिहास एवं कला (History and Arts) – किसी क्षेत्र के इतिहास और कला में सम्भावित आकर्षण होता है। लोग प्राचीन और सुन्दर नगरों, पुरातत्व के स्थानों पर जाते हैं और किलों, महलों और गिरिजाघरों को देखकर आनन्द उठाते हैं।

6. संस्कृति और अर्थव्यवस्था – मानवजातीय और स्थानीय रीतियों को पसन्द करने वालों को पर्यटन लुभाता है। यदि कोई प्रदेश पर्यटकों की जरूरतों को सस्ते दाम में पूरा करता है तो वह अत्यन्त लोकप्रिय हो जाता है। ‘घरों में रुकना’ एक लाभदायक व्यापार बन कर उभरा है जैसे-गोवा के हैरीटेज होम्स तथा कर्नाटक में मेदी केरे और कूर्ग।

प्रश्न 2.
बाह्यस्त्रोतन से क्या अभिप्राय है ? के० पी० ओ० तथा बी० पी० ओ० के कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर:
बाह्यस्रोतन (Out Sourcing):
बाह्यस्त्रोतन अथवा ठेका देना दक्षता को सुधारने और लागतों को घटाने के लिए किसी बाहरी अभिकरण को काम सौंपना है। जब बाह्यस्रोतन में कार्य समुद्रपार के स्थानों पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है तो इसका अपतरन (आफशोरिंग) कहा जाता है, यद्यपि दोनों अपतरन और बाह्यस्रोतन का प्रयोग इकट्ठा किया जाता है।

क्रियाएं:
जिन व्यापारिक क्रियाकलापों को बाह्यस्रोतन किया जाता है उनमें सूचना प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन, ग्राहक सहायता और काल सेंटर सेवाएं और कई बार विनिर्माण तथा अभियान्त्रिकी भी सम्मिलित की जाती हैं। . आँकड़ा प्रक्रमण सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित एक सेवा है जिसे आसानी से एशियाई, पूर्वी यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में क्रियान्वित किया जा सकता है। इन देशों में विकसित देशों की अपेक्षा कम पारिश्रमिक पर अंग्रेज़ी भाषा में अच्छी निपुणता वाले सूचना प्रौद्योगिकी में कुशल कर्मचारी उपलब्ध हो जाता है।

अत: हैदराबाद अथवा मनीला में स्थापित एक कम्पनी भौगोलिक सूचना तन्त्र की तकनीक पर आधारित परियोजना पर संयुक्त राज्य अमेरिका अथवा जापान जैसे देशों के लिए काम करती है। श्रम सम्बन्धी कार्यों को समुद्र पार क्रियान्वित करने से, चाहे वह भारत, चीन और यहाँ तक कि अफ्रीका का कम सघन जनसंख्या वाला देश बोत्सवाना हो, ऊपरी लागत बहुत कम होती है, जिससे यह सेवा लाभदायक हो जाती है।

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काल सेंटर (Call Centres):
बाह्यस्रोतन के परिणामस्वरूप भारत, चीन, पूर्वी यूरोप, इस्रायल, फिलीपींस और कोस्टारिका में बड़ी संख्या में काल सेंटर खुले हैं। इससे इन देशों में नए काम उत्पन्न हुए हैं। बाह्यस्रोतन उन देशों में आ रहा है जहाँ सस्ता और कुशल श्रम उपलब्ध है। ये उत्प्रवास वाले देश भी हैं। बाह्यस्रोतन के द्वारा काम उपलब्ध होने पर देशों से प्रवास कम हो सकता है। बाह्यस्रोतन वाले देश अपने यहाँ काम तलाश कर रहे युवकों का प्रतिरोध झेल रहे हैं। बाह्यस्रोतन के बने रहने का मुख्य कारण तुलनात्मक लाभ है।

नवीन प्रवृत्तियां (New Talents):
चतुर्थ सेवाओं की नवीन प्रवृत्तियों में ज्ञान प्रक्रमण बाह्यस्रोतन (के० पी० ओ०) और ‘होम शोरिंग’ है, जो बाह्यत्रोतन का विकल्प है। ज्ञान प्रकरण बाह्यस्रोतन उद्योग व्यवसाय प्रक्रमण बाह्यस्रोतन (बी० पी० ओ०) से भिन्न है क्योंकि इसमें उच्च कुशलकर्मी सम्मिलित होते हैं। यह सूचना प्रेरित ज्ञान की बाह्यस्रोतन है। ज्ञान प्रकरण बाह्यस्रोतन कम्पनियों को अतिरिक्त व्यावसायिक अवसरों को उत्पन्न करने में सक्षम बनाता है। ज्ञान प्रकरण बाह्यस्रोतन के उदाहरणों में अनुसन्धान और विकास क्रियाएँ, ई० लर्निंग, व्यवसाय अनुसन्धान, बौद्धिक सम्पदा, अनुसन्धान, कानूनी व्यवसाय और बैंकिंग सेक्टर आते हैं।

प्रश्न 3.
वैश्विक नगर विश्व प्रणाली के आदेश और नियन्त्रण केन्द्र के रूप में कार्य करते हैं। व्याख्या करें।
उत्तर:
वित्तीय बाजार के अन्तर्राष्ट्रीयकरण का सबसे उल्लेखनीय प्रभाव वैश्विक नगरों के विकास के रूप में पड़ा है। लंदन, न्यूयार्क और टोकियो ऐसे ही वैश्विक नगर हैं। कुछ अन्य नगरों जैसे पेरिस, टोरंटो, लॉस एंजिल्स, ओसाका, हांगकांग एवं सिंगापुर का भी अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण स्थान है। लेकिन बीसवीं शताब्दी के अन्त में सूचना पर आधारित अर्थव्यवस्था में इन तीन नगरों न्यूयार्क, लन्दन और टोकियो की भूमिका बहुत उल्लेखनीय रही है।

ये विश्व तन्त्र के नियन्त्रक केन्द्रों के रूप में काम करते हैं। इन नगरों में राष्ट्रपारीय कम्पनियों के मुख्यालय हैं। यहीं पर वित्तीय कम्पनियों और व्यापारिक सेवाओं के कार्यालयों के बड़े-बड़े परिसर हैं। यहाँ कम्पनियों के बड़े अधिकारियों को प्रत्यक्ष सम्पर्क, राजनीतिक सम्बन्ध बनाने और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के अवसर अनायास ही मिल जाते हैं। संक्षेप में दूर संचार के द्वारा आज उच्च वेतन तथा उच्च मूल्य सम्बन्धित सफेदपोश कार्यों को करने वाले कर्मचारी एक ही स्थान पर इकट्ठे होने लगे हैं।

इसके विपरीत निम्न वेतन, निम्न मूल्य वृद्धि और कायिक कार्य करने वाले कर्मचारियों के विकेन्द्रीकरण को भी इससे प्रेरणा मिली है। नगरों और प्रदेशों पर इनके सकारात्मक और नकारात्मक कई प्रकार के प्रभाव पड़े हैं। दैनिक जीवन में इलेक्ट्रोनिक तन्त्र का बहुत उपयोग होता है। पासपोर्ट, करों के रिकार्ड, चिकित्सा रिपोर्ट, टेलीफोन और अपराध के आंकड़ों में इनका बहुत उपयोग होता है। इनके कारण सत्ता और सम्पत्ति तथा भौगोलिक केन्द्र और निकटवर्ती क्षेत्र के रूप में कुछ वर्ग बन गए हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इन्टरनेट के उपयोग में असमानता इसका एक उदाहरण है।

प्रति एक लाख लोगों पर इन्टरनेट का उपयोग करने के आधार पर देशों के दो वर्ग बन गए हैं-एक विकासशील देशों का तथा दूसरा विकसित देशों का। स्कैंडिनेविया के देश, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया इन्टरनेट के द्वारा सबसे अच्छी तरह से जुड़े हैं। इस सन्दर्भ में इनके बाद यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और जापान का स्थान है। इस मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान आश्चर्यजनक रूप में काफ़ी नीचा है। क्योंकि इसकी काफ़ी बड़ी जनसंख्या इन्टरनेट का बहुत कम उपयोग करती है। लेकिन इन्टरनेट के अन्तर्राष्ट्रीय यातायात का उद्गम स्थान या लक्ष्य संयुक्त राज्य अमेरिका होता है। एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के अधिकतर लोग इन्टरनेट का बहुत कम या बिल्कुल ही उपयोग नहीं करते।

प्रश्न 4.
परिवहन व संचार क्रियाकलापों का वर्णन करें।
उत्तर:
परिवहन-परिवहन एक ऐसी सेवा अथवा सुविधा है जिससे व्यक्तियों, विनिर्मित माल तथा संपत्ति को भौतिक रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। यह मनुष्य की गतिशीलता की मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने हेतु निर्मित एक संगठित उद्योग है। आधुनिक समाज वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और उपभोग में सहायता देने के लिए तीव्र और सक्षम परिवहन व्यवस्था चाहते हैं। इस जटिल व्यवस्था की प्रत्येक अवस्था में परिवहन द्वारा पदार्थ का मूल्य अत्यधिक बढ़ जाता है। परिवहन दूरी को किलोमीटर दूरी अथवा मार्ग लंबाई की वास्तविक दूरी, समय दूरी अथवा एक मार्ग पर यात्रा करने में लगने वाला समय और लागत दरी अथवा मार्ग पर यात्रा के खर्च के रूप में मापा जा सकता है।

परिवहन के साध के चयन में समय अथवा लागत के संदर्भ में एक निर्णायक कारक है। मानचित्र पर समान समय में पहँचने वाले स्थानों को मिलाने वाली समकाल रेखाएँ खींची जाती हैं। संचार-संचार सेवाओं में शब्दों और संदेशों, तथ्यों और विचारों का प्रेषण सम्मिलित है। लेखन के आविष्कार ने संदेशों को संरक्षित किया और संचार को परिवहन के साधनों पर निर्भर करने में सहायता की।

ये वास्तव में हाथ, पशुओं, नाव, सड़क, रेल तथा वायु द्वारा परिवहित होते थे। यही कारण है कि परिवहन के सभी रूपों को संचार पथ कहा जाता है। जहाँ परिवहन जाल-तंत्र सक्षम होता है वहाँ संचार का फैलाव सरल होता है। मोबाइल दूरभाष और उपग्रहों जैसे कुछ विकासों ने संचार को परिवहन से मुक्त कर दिया है। पुराने तंत्रों के सस्ता होने के कारण संचार के सभी रूपों का साहचर्य पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुआ है। अत: पूरे विश्व में अभी भी विशाल मात्रा में डाक का निपटारन डाकघरों द्वारा हो रहा है।