JAC Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

Jharkhand Board Class 10 Science मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Textbook Questions and Answers

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या-219-220)

प्रश्न 1.
मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा हो पाने का करण है-
(a) जरा दूरदृष्टिता
(b) समंजन
(c) निकट-दृष्टि
(d) दीर्घ-दृष्टि
उत्तर:
(b) समंजन

प्रश्न 2.
मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनाते हैं वह है-
(a) कॉर्निय
(b) परितारिका
(c) पु
(d) दृष्टिपटल
उत्तर:
(d) दृष्टिपटल।

प्रश्न 3.
सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग-
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5 m
उत्तर:
(c) 25 em.

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प्रश्न 4.
अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है-
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा
उत्तर:
(c) पक्ष्माभी द्वारा।

प्रश्न 5.
किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए 5.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिए उसे +1.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की फोकस दूरी क्या होगी – (i) दूर की दृष्टि के लिए (ii) निकट की दृष्टि के लिए।
हल:
(i) दूर की दृष्टि के लिए-
फोकस दूरी =
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(ii) निकट की दृष्टि के लिए-
फोकस दूरी =
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उत्तर:
(i) 18.2 सेमी
(ii) 66.7 सेमी।

प्रश्न 6.
किसी निकट दृष्टिदोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिन्दु नेत्र के सामने 80 cm दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी?
उत्तर:
व्यक्ति को दीप संशाधित करने के लिए अवतल लेंस चाहिए।
लेंस की क्षमता,
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प्रश्न 7.
चित्र बनाकर दर्शाइए कि दीर्घ दृष्टिदोष कैसे संशोधित किया जाता है? एक दीर्घ दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिन्दु 1 mm है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट बिन्दु 25 em है।
उत्तर:
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(ii) संशोधन के लिए उत्तल लेंस उपयुक्त होता तथा प्रश्नानुसार,
u = – 25cm
v = – 1m = – 100 cm
लेंस सूत्र से,
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
⇒ \(\frac{1}{-100}-\frac{1}{-25}=\frac{1}{f}\)
f = \(\frac { 100 }{ 3 }\) cm
f = \(\frac { 1 }{ 3 }\)m
लैस क्षमता P = \(\frac { 1 }{ f }\)
P = \(\frac{\frac{1}{3}}{\frac{3}{3}}\)
P = + 3 डाइऑप्टर

प्रश्न 8.
सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर:
25 cm से कम दूरी पर रखी हुई वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरणों को दृष्टिपटल पर फोकस करने के लिए मानव नेत्र की क्षमता में जितनी वृद्धि होनी चाहिए उतना नहीं हो पाता है, क्योंकि मानव नेत्र की फोकस दूरी 25 cm से कम नहीं हो सकती है। इसलिए उस वस्तु का प्रतिबिम्ब दिखाई नहीं देता है।

प्रश्न 9.
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं, तो नेत्र में प्रतिबिम्ब दूरी का क्या होता है?
उत्तर:
प्रतिबिम्ब दूरी स्थिर रहती है क्योंकि मानव नेत्र के लेंस की फोकस दूरी इस प्रकार से समायोजित होती है कि प्रतिबिम्ब हमेशा दृष्टिपटल पर ही बने।

प्रश्न 10.
तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर:
गर्म और ठंडी हवाओं के कारण पृथ्वी के वायुमण्डल का अपवर्तनांक लगातार परिवर्तित होता रहता है। तारों से आने वाली प्रकाश किरणों का इस प्रकार लगातार अपवर्तन होता है, तो प्रकाश किरणें निरीक्षक की आँखों तक अनियमित रूप से आती हैं। इसके कारण तारों की आभासी स्थिति बदलती है और तारे टिमटिमाते नजर आते हैं।

प्रश्न 11.
व्याख्या कीजिए कि यह क्यों नहीं टिमटिमाते हैं?
उत्तर:
ग्रह पृथ्वी के बहुत नजदीक है। यह प्रकाश के वृहद स्रोत माने जाते हैं। अतः ग्रहों से आने वाली प्रकाश किरणों में औसत परिवर्तन न के बराबर होता है। इसलिए ग्रहों की आभासी स्थिति स्थिर होती है एवं ग्रह नहीं टिमटिमाते।

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प्रश्न 12.
सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
दृश्य प्रकाश किरणों के तरंगदैर्ध्य से भी छोटे धूलकणों या जल कणों की वायुमण्डल में उपस्थिति के कारण प्रकाश किरणों का प्रकीर्णन होता है।

सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज पर होता है। इस समय सूर्य से आने वाला प्रकाश हमारे नेत्रों तक पहुँचने से पहले पृथ्वी के वायुमण्डल में वायु की मोटी परतों से गुजरता है अतः कम तरंगदैर्ध्य वाले रंग यथा नीला, बैंगनी आदि का प्रकीर्णन हो जाता है तथा केवल लंबी प्रकाश तरंगें जैसे – लाल हमारे नेत्रों तक पहुँचती है। अतः सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।

प्रश्न 13.
किसी अंतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
अंतरिक्षयात्री के लिए ऊँचाई पर कोई भी वायुमण्डल नहीं होता है। इसलिए प्रकाश किरणों का प्रकीर्णन नहीं होता है और अंतरिक्षयात्री को आकाश काला नजर आता है।

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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 211)

प्रश्न 1.
नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नेत्र की वह क्षमता जिसके कारण वह विभिन्न दूरियों पर स्थित वस्तुओं के प्रतिबिम्ब रेटिना पर बना सकती है, उसकी समंजन क्षमता कहलाती है।

प्रश्न 2.
निकट दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर:
यह निकट दृष्टिदोष है, जिसे दूर करने के लिए उचित क्षमता का अवतल लेंस लेना चाहिए।

प्रश्न 3.
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिन्दु तथा निकट बिन्दु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
उत्तर:
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिन्दु अनन्त पर तथा निकट बिन्दु नेत्र से 25 cm की दूरी पर होता है, जिसे सुस्पष्ट दर्शन की न्यूनतम (या अल्पतम) दूरी भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टिदोष से पीड़ित है? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर:
यह विद्यार्थी निकट दृष्टिदोष से पीड़ित है। इसे उचित क्षमता के अवतल लेंस द्वारा संशोधित किया जा सकता है।

क्रिया-कलाप – 11.1

  • एक ड्राइंग बोर्ड पर ड्राइंग पिनों की सहायता से सफेद कागज की एक शीट लगाइए।
  • इस शीट पर काँच का प्रिज्म इस प्रकार रखिए कि इसका त्रिभुजाकार फलक आधार बन जाए। एक पेंसिल का प्रयोग करके प्रिज्म की सीमा रेखा खींचिए।
  • प्रिज्म के किसी एक अपवर्तक पृष्ठ AB से कोई कोण बनाती हुई एक सरल रेखा PE खींचिए।
  • रेखा PE पर दो पिनें, बिन्दु P तथा Q पर गाड़िए जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है।
  • फलक AC की ओर से P तथा Q पिनों के प्रतिबिम्बों को देखिए।
  • R तथा S बिन्दुओं पर दो और पिनें इस प्रकार गाड़िए कि पिन R तथा S एवं पिन P तथा Q के प्रतिबिम्ब एक सीधी रेखा में दिखाई दें।
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  • पिनों तथा काँच के प्रिज्म को हटाइए।
  • रेखा PE प्रिज्म की सीमा रेखा के बिन्दु E पर मिलती है (चित्र देखिए)। इसी प्रकार, बिन्दुओं, R तथा S को एक रेखा से जोड़िए तथा इस रेखा को इस प्रकार आगे बढ़ाइए कि यह प्रिज्म के फलक AC से F पर मिले। हम पहले ही देख चुके हैं कि पिनों P तथा Q को मिलाने वाली रेखा फलक AB से E पर मिलती है। E तथा F को मिलाइए।
  • प्रिज्म के अपवर्तक पृष्ठों AB तथा AC पर क्रमशः बिन्दुओं E तथा F पर अभिलम्ब खींचिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आपतित किरण, अपवर्तित किरण, निर्मर्त किरण तथा विचलन कोण को दर्शाने के लिए एक चित्र बनाइए।
उत्तर:
PE – आपतित किरण ∠i – आपतन कोण
EF – अपवर्तित किरण ∠r – अपवर्तन कोण
FS – निर्गत किरण ∠e – निर्गत कोण
∠A – प्रिज्म कोण ∠D – विचलन कोण
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प्रश्न 2.
एक प्रकाश की किरण कितनी बार अपवर्तित होती है और प्रत्येक बार अपवर्तित किरण की दिशा क्या होगी?
उत्तर:
जब प्रकाश की किरण प्रिज्म से गुजरती यह दो बार अपवर्तित होती है। एक बार तब, जब यह हवा से काँच में प्रवेश करती है तथा दूसरी बार तब, जब यह काँच से हवा में प्रवेश करती है। प्रत्येक बार यह प्रिज्म के आधार की तरफ मुड़ती है।

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प्रश्न 3.
विचलन कोण क्या है?
उत्तर:
आपतित किरण की दिशा तथा निर्गत किरण की दिशा के बीच बनने वाले कोण को विचलन कोण कहते हैं।

प्रश्न 4.
किस प्रकार के प्रकाश के लिए विचलन कोण सबसे कम एवं किस प्रकार के प्रकाश के लिए यह सबसे अधिक होता है?
उत्तर:
लाल प्रकाश के लिए सबसे कम तथा नीले प्रकाश के लिए विचलन कोण सबसे अधिक होता है।

क्रिया-कलाप – 11.2

  • गत्ते की एक मोटी शीट लीजिए तथा इसके मध्य में एक छोटा छिद्र या एक पतली झिर्री बनाइए।
  • पतली झिर्री पर सूर्य का प्रकाश पड़ने दीजिए। इससे श्वेत प्रकाश का एक पतला किरण पुंज प्राप्त होता है।
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  • अब काँच का एक प्रिज्म लीजिए तथा चित्र में दर्शाए अनुसार झिर्री से प्रकाश को इसके एक फलक पर डालिए।
  • प्रिज्म को धीरे से इतना घुमाइए कि इससे बाहर निकलने वाला प्रकाश पास रखे किसी परदे पर दिखाई देने लगे।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आप क्या देखते हैं? आप वर्णों की एक आकर्षक पट्टी देखेंगे। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
ऐसा प्रकाश के विक्षेपण के कारण होता है। काँच में प्रकाश के अलग-अलग अवयवी वर्णों की चाल अलग-अलग होने के कारण ये अलग-अलग कोणों पर विक्षेपित हो जाते हैं।

क्रिया-कलाप – 11.3

  • कोई अभिसारी लेंस L1 ( उत्तल लेंस) लेकर इसके फोकस पर श्वेत प्रकाश का तीव्र स्रोत (S) रखिए। लेंस, प्रकाश का एक समांतर किरण पुंज प्रदान करता है।
  • प्रकाश के समांतर किरण पुंज को स्वच्छ जल से भरे एक पारदर्शी काँच के टैंक (T) से गुजारिए।
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  • किसी एक गत्ते में बने एक वृत्ताकार छिद्र (C) से इस प्रकाश किरण पुंज को गुजरने दीजिए। चित्र में दर्शाए अनुसार एक दूसरे अभिसारी लेंस (L2) का प्रयोग करके वृत्ताकार छिद्र का स्पष्ट प्रतिबिम्ब परदे (MN) पर बनाइए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
टैंक में लगभग 2 L स्वच्छ जल लेकर 200 g सोडियम थायोसल्फेट (हाइपो) घोलिए। जल में लगभग 1 से 2 mL सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल डालिए। आप क्या देखते हैं?
उत्तर:
लगभग 2-3 मिनट के पश्चात् सल्फर के सूक्ष्म कणों द्वारा प्रकाश का अवक्षेपण होता है एवं काँच के टैंक से नीला प्रकाश दिखाई देता है। यह घटना कोलाइडी घोल के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होता है।

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