JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

Jharkhand Board JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग रहते थे-
(अ) क्यूबा
(ब) अन्ध महासागर के क्षेत्र
(स) मैक्सिको
(द) कैरीबियन द्वीप-समूह।
उत्तर:
(द) कैरीबियन द्वीप-समूह।

2. एजटेक लोग रहते थे –
(अ) ब्राजील
(ब) काँगो
(स) मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी
(द) न्यूयार्क।
उत्तर:
(स) मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी

3. मक्का की खेती किन लोगों की सभ्यता का मुख्य आधार था –
(अ) तुपिनांबा
(ब) अरावाकी
(स) एजटेक
(द) माया।
उत्तर:
(द) माया।

4. दक्षिणी अमरीकी देशों की संस्कृतियों में से सबसे बड़ी संस्कृति थी –
(अ) स्पेनिश लोगों की
(ब) इंका लोगों की
(स) एजटेक लोगों की
(द) अरावाकी लोगों की।
उत्तर:
(ब) इंका लोगों की

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5. पन्द्रहर्वीं शताब्दी में खोज-यात्रियों में कौनसे यूरोपीय देश सबसे आगे थे?
(अ) इंग्लैण्ड
(ब) हालैण्ड
(स) स्पेन और पुर्तगाल
(द) बेल्जियम और फ्रांस।
उत्तर:
(स) स्पेन और पुर्तगाल

6. कोलम्बस द्वारा खोजे गए उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का नामकरण किसके नाम पर किया गया-
(अ) कोलम्बस
(ब) वास्कोडिगामा
(स) अमेरिगो वेस्पुस्सी
(द) हेनरी।
उत्तर:
(ब) वास्कोडिगामा

7. मैक्सिको पर अधिकार करने वाला स्पेन का निवासी था-
(अ) डियाज –
(ब) हेनरी
(स) मोंटेजुमा
(द) कोर्टेस।
उत्तर:
(द) कोर्टेस।

8. इंका साम्राज्य पर अधिकार करने वाला स्पेन का निवासी था-
(अ) कैब्राल
(ब) पिजारो
(स) क्वेटेमोक
(द) कोर्टेस।
उत्तर:
(ब) पिजारो

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

1. . …………… लोग लड़ने की बजाय बातचीत से झगड़ा निपटाना अधिक पसंद करते थे।
2. …………….. क्जिए ………….. लोग दक्षिणी अमरीका के पूर्वी समुद्र तट तथा ब्राजील-पेड़ों के जंगलों में बसे हुए गांवों में रह थे।
3. 12 वीं सदी में ………….. लोग उत्तर से आकर मेक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे।
4. ………….. की खेती मैक्सिको की माया संस्कृति का मुख्य आधार थी।
5. दक्षिणी अमरीकी देशज संस्कृतियों में सबसे बड़ी पेरू में …………….. लोगों की संस्कृति थी।
उत्तर:
1. अरावाक
2. तुपिनांबा
3. एजटेक
4. मक्का
5. इंका

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निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये-

(अ) बहामा द्वीप समूह के गुहानाहानि द्वीप की खोज की
(ब) मैक्सिको पर विजय प्रास की
(स) इंका राज्य पर विजय प्राप्त की
(द) ‘ज्योग्राफी’ नामक पुस्तक लिखी
(य) ब्राजील की खोज की
1. टॉलेमी
2. कोलम्बस
3. कोर्टेस
4. पिजारो
5. क्रैब्राल

उत्तर-
1. टॉलेमी
(द) ‘ज्योग्राफी’ नामक पुस्तक लिखी
2. कोलम्बस
(अ) बहामा द्वीप समूह के गुहानाहानि द्वीप की खोज की
3. कोर्टेस
(ब) मैक्सिको पर विजय प्रास की

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
18वीं शताब्दी में सबसे बड़ा शहर कौन सा था ?
उत्तर:
लन्दन।

प्रश्न 2.
बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
1694 ई. में।

प्रश्न 3.
इंग्लैण्ड में मशीनीकरण में काम आने वाली दो मुख्य सामग्रियों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
(1) कोयला तथा
(2) लोहा।

प्रश्न 4.
म्यूल का आविष्कार किसने किया और कब ?
उत्तर:
1779 में, सैम्युअल क्राम्पटन ने।

प्रश्न 5.
वाटर फ्रेम का आविष्कार किसने किया और कब ?
उत्तर:
1769 में, रिचर्ड आर्कराइट ने।

प्रश्न 6.
प्रथम भाप से चलने वाले रेल का इंजन किसने बनाया और कब ?
उत्तर:
1814 में, स्टीफेन्सन ने।

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प्रश्न 7.
इंग्लैण्ड में 1788 से 1796 की अवधि किस नाम से पुकारी जाती है?
उत्तर:
‘नहरोन्माद’ के नाम से।

प्रश्न 8.
इंग्लैण्ड में पहली नहर किसने बनाई और कब ?
उत्तर:
1761 में, जेम्स ब्रिंडली ने।

प्रश्न 9.
1801 में किसने इंजन बनाया?
उत्तर:
रिचर्ड ट्रेविथिक ने।

प्रश्न 10.
रिचर्ड ट्रेविथिक द्वारा निर्मित इंजन क्या कहलाता था ?
उत्तर:
पफिंग डेविल (फुफकारने वाला दानव)।

प्रश्न 11.
1814 में जार्ज स्टीफेन्सन ने किस रेल इंजन का निर्माण किया ?
उत्तर:
‘ब्लुचर’ नामक रेल इंजन का।

प्रश्न 12.
1850 में इंग्लैण्ड में 50 हजार से अधिक की आबादी वाले कितने नगर थे ?
उत्तर:
29।

प्रश्न 13.
अंग्रेजी में ‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसके द्वारा किया गया ?
उत्तर:
आरनाल्ड टायनबी द्वारा।

प्रश्न 14.
स्पिन्निंग जैनी का आविष्कार किसने किया और कब किया ?
उत्तर:
1765 में, हारग्रीव्ज ने।

प्रश्न 15.
‘पावरलूम’ का आविष्कार किसने किया और कब किया?
उत्तर:
1787 में, एडमण्ड कार्टराइट ने।

प्रश्न 16.
भाप के इंजन का आविष्कार किसने किया और कब किया ?
उत्तर:
1769 में, जेम्स वाट ने।

प्रश्न 17.
किस देश के साथ लम्बे समय तक युद्ध करने में इंग्लैण्ड को औद्योगिक क्षेत्र में हानि उठानी पड़ी?
उत्तर:
फ्रांस के साथ।

प्रश्न 18.
फ्लाइंग शटल का आविष्कारक कौन था ?
उत्तर:
जान के।

प्रश्न 19.
चार्ल्स डिकन्स ने अपने किस उपन्यास में एक काल्पनिक औद्योगिक नगर कोकटाउन की दशा का वर्णन किया है ?
उत्तर:
‘हार्ड टाइम्स’ में।

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प्रश्न 20.
मजदूरों की दशा में सुधार के लिए ‘लुडिज्म’ नामक आन्दोलन किसने चलाया था?
उत्तर:
जनरल नेडलुड ने।

प्रश्न 21.
‘प्रथम औद्योगिक क्रान्ति’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ब्रिटेन में 1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच उद्योग और अर्थव्यवस्था का जो रूपान्तरण हुआ, उसे ‘प्रथम औद्योगिक क्रान्ति’ कहते हैं।

प्रश्न 22.
इंग्लैण्ड में दूसरी औद्योगिक क्रान्ति कब हुई ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में दूसरी औद्योगिक क्रान्ति लगभग 1850 के बाद आई। इसमें रसायन तथा बिजली जैसे नये औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार हुआ।

प्रश्न 23.
‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किन विद्वानों के द्वारा किया गया ?
उत्तर:
‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम फ्रांस के विद्वान जार्जिस मिशले तथा जर्मनी के विद्वान फ्रेडरिक एंजेल्स द्वारा किया गया।

प्रश्न 24.
लन्दन इंग्लैण्ड के बाजारों का केन्द्र क्यों बना हुआ था ?
उत्तर:
लन्दन इंग्लैण्ड का सबसे बड़ा शहर था। लन्दन ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए ऋण-प्राप्ति के प्रमुख स्रोत के रूप में एम्सटर्डम का स्थान ले लिया था।

प्रश्न 25.
‘औद्योगिक क्रान्ति’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब हाथ के स्थान पर बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा विशाल कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाने लगा, उसे ‘औद्योगिक क्रान्ति’ कहते हैं।

प्रश्न 26.
सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के शुरू होने के दो कारण बताइए।
उत्तर:
(1) इंग्लैण्ड सत्रहवीं शताब्दी से राजनीतिक दृष्टि से सुदृढ़ एवं सन्तुलित रहा था।
(2) इंग्लैण्ड में कोयला और लोहा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध था।

प्रश्न 27.
1750 से 1800 के बीच इंग्लैण्ड में बड़ी आबादी वाले शहरों की संख्या कितनी थी ? उनमें सबसे बड़ा शहर कौनसा था ?
उत्तर:
(1) 11
(2) लन्दन।

प्रश्न 28.
इंग्लैण्ड की वित्तीय प्रणाली का केन्द्र कौनसा बैंक था ? उस बैंक की स्थापना कब हुई थी ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड की वित्तीय प्रणाली का केन्द्र बैंक ऑफ इंग्लैण्ड था। बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना 1694 में हुई

प्रश्न 29.
लोहा प्रगलन की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं? इसमें किसका प्रयोग किया जाता था ?
उत्तर:
लोहा प्रगलन की प्रक्रिया के द्वारा लौह खनिज में से शुद्ध तरल – धातु के रूप में निकाला जाता है। इसमें काठ कोयले (चारकोल) का प्रयोग किया जाता था।

प्रश्न 30.
लोहा प्रगलन की प्रक्रिया में काठ कोयले (चारकोल) के प्रयोग करने से उत्पन्न दो समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) काठ कोयला लम्बी दूरी तक ले जाने की प्रक्रिया में टूट जाया करता था।
(2) घटिया प्रकार के लोहे का ही उत्पादन होता था।

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प्रश्न 31.
लौह धातुकर्म उद्योग में क्रान्ति लाने का श्रेय किस परिवार को है?
उत्तर:
लौह धातुकर्म उद्योग में क्रान्ति लाने का श्रेय श्रीप शायर के एक डर्बी परिवार को है। इस परिवार की तीन पीढ़ियों ने धातुकर्म उद्योग में क्रान्ति ला दी।

प्रश्न 32.
धमन भट्टी का आविष्कार किसने किया और कब किया?
उत्तर:
1709 में प्रथम अब्राहम डर्बी ने धमन भट्टी का आविष्कार किया जिसमें सर्वप्रथम ‘कोक’ का प्रयोग किया गया।

प्रश्न 33.
धमन भट्टी में कोक के प्रयोग के दो लाभ बताइए।
उत्तर:
(1) कोक में उच्च ताप उत्पन्न करने की शक्ति थी।
(2) अब भट्टियों को काठ कोयले पर निर्भर नहीं रहना पड़ता था।

प्रश्न 34.
लौह- उद्योग के क्षेत्र में हेनरी कोर्ट ने क्या आविष्कार किया ?
उत्तर:
हेनरी कोर्ट ने आलोडन भट्टी तथा बेलन मिल का आविष्कार किया।

प्रश्न 35.
लौह उद्योग के विकास में जोन विल्किन्सन के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1770 के दशक में जोन विल्किन्सन ने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ, आसव तथा शराब की भट्टियों के लिए टंकियाँ और लोहे की सभी आकार की पाइपें बनाईं।

प्रश्न 36.
विश्व में प्रथम लोहे का पुल किसने और कब बनाया?
उत्तर:
1779 ई. में तृतीय डर्बी ने विश्व में पहला लोहे का पुल कोलब्रुकडेल में सेवर्न नदी पर बनाया।

प्रश्न 37.
इंग्लैण्ड में मशीनीकरण में काम आने वाले कौनसे मुख्य खनिज बहुतायत में उपलब्ध थे ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में मशीनीकरण में काम आने वाले मुख्य खनिज कोयला तथा लौह-अयस्क बहुतायत में उपलब्ध

प्रश्न 38.
कपास की कताई और बुनाई के क्षेत्र में हुए दो आविष्कारों और उनके आविष्कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) 1733 ई. में जान के ने ‘उड़न तुरी करघे’ (फ्लाइंग शटल लूम) तथा
(2) 1765 में हारग्रीव्ज ने स्पिन्निंग जैनी का आविष्कार किया।

प्रश्न 39.
‘वाटर फ्रेम’ का आविष्कार किसने किया और कब किया?
उत्तर:
1769 ई. में रिचर्ड आर्कराइट ने ‘वाटर फ्रेम’ नामक मशीन का आविष्कार किया।

प्रश्न 40.
औद्योगीकरण में भाप की शक्ति का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
भाप की शक्ति उच्च तापमानों पर दबाव उत्पन्न करती जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलाई जा सकती

प्रश्न 41.
भाप की शक्ति के क्षेत्र में थामस सेवरी ने क्या आविष्कार किया ?
उत्तर:
1698 में थामस सेवरी ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए ‘माइनर्स फ्रेंड’ (खनक-मित्र) नामक एक भाप के इंजन का मॉडल बनाया।

प्रश्न 42.
थॉमस न्यूकामेन ने भाप के इंजन का कब आविष्कार किया?
उत्तर:
1712 में थॉमस न्यूकामेन ने भाप का इंजन बनाया।

प्रश्न 43.
जेम्स वाट ने भाप का इंजन कब बनाया? इसकी क्या विशेषता थी ?
उत्तर:
1769 में जेम्स वाट ने ऐसा भाप का इंजन बनाया जिससे कारखानों में शक्ति चालित मशीनों को ऊर्जा मिलने लगी।

प्रश्न 44.
‘सोहो फाउन्ड्री’ का निर्माण किसने किया?
उत्तर:
1775 में जेम्स वाट ने एक धनी निर्माता मैथ्यू बॉल्टन की सहायता से बर्मिंघम में ‘सोहो फाउन्ड्री’ की स्थापना की।

प्रश्न 45.
1800 ई. के पश्चात् किन तत्त्वों ने भाप के इंजन की प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान दिया ?
उत्तर:
अधिक हल्की तथा सुदृढ़ धातुओं के प्रयोग ने, अधिक सटीक मशीनी औजारों के निर्माण ने और वैज्ञानिक उन्नति के अधिक प्रसार ने।

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प्रश्न 46.
प्रारम्भ में इंग्लैण्ड में नहरों का निर्माण क्यों किया गया?
उत्तर:
प्रारम्भ में इंग्लैण्ड में नहरों का निर्माण कोयले को शहरों तक ले जाने के लिए किया गया।

प्रश्न 47.
इंग्लैण्ड में पहली नहर कब और किसके द्वारा बनाई गई ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में पहली नहर ‘वर्सली कैनाल ‘ 1761 ई. में जेम्स ब्रिंडली द्वारा बनाई गई।

प्रश्न 48.
नहरों के निर्माण के दो लाभ बताइए।
उत्तर:
(1) नहरों के आपस में जुड़ जाने से नए-नए शहरों में बाजार बन गए।
(2) बर्मिंघम शहर का विकास तीव्र गति से हुआ।

प्रश्न 49.
पहला भाप से चलने वाला रेल का इंजन किसके द्वारा बनाया गया और कब ?
उत्तर:
पहला भाप से चलने वाला रेल का इंजन ‘रॉकेट’ 1814 में स्टीफेंसन के द्वारा बनाया गया।

प्रश्न 50.
रेलवे परिवहन के दो लाभ बताइए।
उत्तर:
(1) रेलगाड़ियाँ वर्ष भर उपलब्ध रहती थीं।
(2) ये सस्ती और तेज भी थीं तथा माल और यात्री दोनों को ढो सकती थीं।

प्रश्न 51.
रिचर्ड ट्रेविथिक ने रेल के इंजन का निर्माण कब किया? इसे क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
1801 में रिचर्ड ट्रेविथिक ने रेल के इंजन का निर्माण किया। इसे ‘पफिंग डेविल’ (फुफकारने वाला दानव) कहते थे।

प्रश्न 52.
‘ब्लचर’ नामक रेलवे इंजन किसने बनाया और कब ?
उत्तर:
1814 में जार्ज स्टीफेन्सन नामक एक रेलवे इन्जीनियर ने ‘ब्लचर’ नामक रेल इंजन बनाया।

प्रश्न 53.
इंग्लैण्ड में पहली रेलवे लाइन कब बनाई गई ?
उत्तर:
1825 में इंग्लैण्ड में पहली रेलवे लाइन स्टाकटन तथा डार्लिंगटन शहरों के बीच बनाई गई।

प्रश्न 54.
1830 के दशक में नहरी परिवहन में कौनसी समस्याएँ आईं ?
उत्तर:
(1) नहरों के कुछ भागों में जलपोतों की भीड़भाड़ के कारण परिवहन की गति धीमी पड़ गई।
(2) पाले, बाढ़ या सूखे के कारण नहरों के प्रयोग का समय सीमित हो गया।

प्रश्न 55.
‘छोटे रेलोन्माद’ तथा ‘बड़े रेलोन्माद’ के दौरान कितने मील लम्बी रेल लाइन बनाई गई ?
उत्तर:
1833-37 के ‘छोटे रेलोन्माद’ के दौरान 1400 मील लम्बी रेल लाइन और 1844-47 के ‘बड़े रेलोन्माद’ के दौरान 9500 मील लम्बी रेल लाइन बनाई गई।

प्रश्न 56.
ब्रिटेन के उद्योगपति प्रायः स्त्रियों और बच्चों को अपने कारखानों में काम पर क्यों लगाते थे? दो कारण बताइए।
उत्तर:
(1) स्त्रियों और बच्चों को पुरुषों की अपेक्षा कम मजदूरी दी जाती थी।
(2) स्त्रियाँ और बच्चे अपने काम की घटिया परिस्थितियों की कम आलोचना करते थे।

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प्रश्न 57.
कारखानों में काम करते समय बच्चों को किन दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता था ?
उत्तर:
(1) कारखानों में काम करते समय कई बार तो बच्चों के बाल मशीनों में फँस जाते थे अथवा उनके हाथ कुचल जाते थे। (2) कभी – कभी बच्चे मशीनों में गिर कर मर जाते थे।

प्रश्न 58.
कोयले की खानें बच्चों के काम करने के लिए क्यों खतरनाक होती थीं? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(1) खानों की छतें धँस जाती थीं अथवा वहाँ विस्फोट हो जाता था।
(2) छोटे बच्चों को ‘ट्रैपर’ का काम करना पड़ता था।

प्रश्न 59.
कारखानों के मालिक बच्चों से काम लेना आवश्यक क्यों समझते थे ?
उत्तर:
कारखानों के मालिक बच्चों से काम लेना बहुत आवश्यक समझते थे ताकि वे अभी से काम सीख कर बड़े होकर उनके लिए अच्छा काम कर सकें।

प्रश्न 60.
फ्रांस के साथ लम्बे समय तक युद्ध करते रहने से इंग्लैण्ड पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
(1) इंग्लैण्ड तथा यूरोप के बीच होने वाला व्यापार अस्त-व्यस्त हो गया।
(2) अनेक फैक्ट्रियों को बन्द करना पड़ा।
(3) बेरोजगारी में वृद्धि हुई।

प्रश्न 61.
1795 के अधिनियम के अन्तर्गत ब्रिटेनवासियों पर क्या प्रतिबन्ध लगाए गए ?
उत्तर:
1795 के अधिनियम के अन्तर्गत ब्रिटेनवासियों को भाषण या लेखन द्वारा उकसाना अवैध घोषित कर दिया

प्रश्न 62.
ब्रिटेनवासियों ने ‘पुराने भ्रष्टाचार’ के विरुद्ध अपना आन्दोलन जारी रखा। ‘पुराना भ्रष्टाचार’ क्या था ?
उत्तर:
‘पुराना भ्रष्टाचार’ शब्द का प्रयोग राजतन्त्र और संसद के सम्बन्ध में किया जाता था।

प्रश्न 63.
‘कार्न लाज’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
‘कार्न लाज’ कानून के अन्तर्गत ब्रिटेन में विदेशों से सस्ते अनाज के आयात पर रोक लगा दी गई थी।

प्रश्न 64.
लुडिज्म आन्दोलन क्या था ?
उत्तर:
ब्रिटेन के जनरल नेडलुड के नेतृत्व में लुडिज्म (1811-17) नामक एक आन्दोलन चलाया गया। यह एक प्रकार के विरोध प्रदर्शन का उदाहरण था।

प्रश्न 65.
लुडिज्म के अनुयायियों की प्रमुख माँगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) न्यूनतम मजदूरी
(2) नारी एवं बाल-श्रम पर नियन्त्रण
(3) मशीनों के आविष्कारों से बेरोजगार हुए लोगों के लिए काम।

प्रश्न 66.
‘पीटरलू के नरसंहार’ की घटना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ब्रिटेन में अगस्त, 1819 में 80,000 लोग अपने लिए लोकतान्त्रिक अधिकारों की माँग करने के लिए सेंट पीटर्स मैदान में इकट्ठे हुए, परन्तु उनका बलपूर्वक दमन कर दिया गया।

प्रश्न 67.
1819 के कानूनों के अनुसार ब्रिटेन में मंजदूरों को क्या सुविधाएँ प्रदान की गई ?
उत्तर:
1819 के कानूनों के अन्तर्गत 9 वर्ष से कम की आयु वाले बच्चों से फैक्ट्रियों में काम करवाने पर प्रतिबन्ध लंगा दिया गया।

प्रश्न 68.
फैक्ट्री पद्धति की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) एक ही कारखाने में असंख्य लोगों का एक-साथ काम करना।
(2) मशीनों का यान्त्रिक शक्ति से चलना।

प्रश्न 69.
औद्योगिक क्रान्ति के दो सामाजिक परिणाम (प्रभाव) बताइए।
उत्तर:
(1) स्त्रियों और बच्चों की स्थिति शोचनीय हो गई।
(2) मजदूरों की स्थिति भी शोचनीय हो गई।

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प्रश्न 70.
औद्योगिक क्रान्ति के दो आर्थिक परिणाम बताइए।
उत्तर:
(1) वस्तुओं के उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई।
(2) औद्योगिक पूँजीवाद का विकास हुआ।

प्रश्न 71.
‘नहरोन्माद’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
1788 से 1796 ई. तक की अवधि को ‘नहरोन्माद’ कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में 46 नहरों के निर्माण की परियोजनाएँ शुरू की गई थीं।

लघुत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
ब्रिटेन में सम्पन्न हुई ‘प्रथम औद्योगिक क्रान्ति’ एवं ‘द्वितीय औद्योगिक क्रान्ति’ के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
ब्रिटेन में ‘प्रथम औद्योगिक क्रान्ति’ – ब्रिटेन में 1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच उद्योग और अर्थव्यवस्था का जो रूपान्तरण हुआ, उसे ‘प्रथम औद्योगिक क्रान्ति’ कहते हैं। इस क्रान्ति के ब्रिटेन में दूरगामी प्रभाव हुए। ब्रिटेन में ‘द्वितीय औद्योगिक क्रान्ति’ – इंग्लैण्ड में ‘दूसरी औद्योगिक क्रान्ति’ लगभग 1850 ई. के बाद आई। इस क्रान्ति में रसायन तथा बिजली जैसे नये औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार हुआ। उस अवधि में ब्रिटेन, जो पहले विश्व- भर में औद्योगिक शक्ति के रूप में अग्रणी था, पिछड़ गया और जर्मनी तथा संयुक्त राज्य अमेरिका उससे आगे निकल गए।

प्रश्न 2.
औद्योगिक क्रान्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक क्रान्ति का अर्थ- जब हाथ के स्थान पर मशीनों द्वारा बड़े-बड़े कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा, जिसके परिणामस्वरूप उद्योग, व्यवसाय, यातायात, संचार आदि क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए, उन्हें ‘औद्योगिक क्रान्ति’ के नाम से पुकारा जाता है। अब घरेलू उत्पादन पद्धति का स्थान कारखाना पद्धति ने ले लिया, जहाँ बड़े पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन होने लगा। इस प्रकार, औद्योगिक जीवन में परिवर्तन इतने बड़े और तीव्र गति से हुए कि उन्हें व्यक्त करने के लिए ‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। इंग्लैण्ड में 1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच उद्योग और अर्थव्यवस्था का जो रूपान्तरण हुआ, उसे प्रथम ‘औद्योगिक क्रान्ति’ कहते हैं। इंग्लैण्ड में दूसरी औद्योगिक क्रान्ति लगभग 1850 के बाद आई। इतिहासकार डेविस ने ‘औद्योगिक क्रान्ति’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है कि ” ‘औद्योगिक क्रान्ति’ का अभिप्राय उन परिवर्तनों से है, जिन्होंने यह सम्भव कर दिया कि मनुष्य उत्पादन के प्राचीन साधनों को त्याग कर विशाल पैमाने पर विशाल कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन कर सके।”

प्रश्न 3.
‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किन विद्वानों द्वारा किया गया ?
उत्तर:
‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग – ‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग फ्रांस के विद्वान जार्जिस मिले और जर्मनी के विद्वान फ्रेडरिक एंजेल्स द्वारा किया गया। अंग्रेजी में इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम दार्शनिक एवं अर्थशास्त्री आरनाल्ड टायनबी द्वारा उन परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए किया गया जो ब्रिटेन के औद्योगिक विकास में 1760 और 1820 के बीच हुए थे। इस सम्बन्ध में टायनबी ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कई व्याख्यान दिए थे। उनके व्याख्यान उनकी मृत्यु के पश्चात् 1884 में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुए, जिसका नाम था -‘लेक्चर्स ऑन दि इण्डस्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैण्ड’।

प्रश्न 4.
सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में ही औद्योगिक क्रान्ति के प्रारम्भ होने के क्या कारण थे?
उत्तर:
1. इंग्लैण्ड में सुदृढ़ राजनीतिक व्यवस्था – इंग्लैण्ड सत्रहवीं शताब्दी से राजनीतिक दृष्टि से सुदृढ़ एवं सन्तुलित रहा था। इंग्लैण्ड में एक ही कानून व्यवस्था, एक ही सिक्का ( मुद्रा – प्रणाली) और एक ही बाजार व्यवस्था थी। मुद्रा का प्रयोग विनिमय के रूप में होने से लोगों को अपनी आय से अधिक खर्च करने के लिए साधन प्राप्त हो गए और वस्तुओं की बिक्री के लिए बाजार का विस्तार हो गया।

2. कृषि क्रान्ति – अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में ‘कृषि क्रान्ति’ सम्पन्न हुई। इसके परिणामस्वरूप बड़े जमींदारों ने छोटे-छोटे खेत खरीद लिए। इससे भूमिहीन किसान और चरवाहे एवं पशुपालक रोजगार की तलाश में शहरों में चले गए।

3. भूमंडलीय व्यापार – 18वीं सदी तक आते-आते भूमंडलीय व्यापार का केन्द्र इटली और फ्रांस के पत्तनों से हटकर हालैंड और ब्रिटेन के पत्तनों पर आ गया और लंदन ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में एम्सटर्डम का स्थान ले लिया।

4. कोयला, लोहा आदि की उपलब्धता – इंग्लैण्ड इस मामले में सौभाग्यशाली था कि वहाँ मशीनीकरण में काम आने वाली मुख्य सामग्रियाँ – कोयला और लौह अयस्क तथा उद्योगों में काम आने वाली खनिज जैसे सीसा, ताँबा, रांगा (टिन) आदि बहुतायत में उपलब्ध थीं।

5. अन्य कारण – उक्त कारणों के साथ-साथ अन्य कारण थे-
(i) गाँवों से आए गरीब लोग नगरों में काम करने के लिए उपलब्ध हो गए।
(ii) बड़े-बड़े उद्योग धंधे स्थापित करने के लिए आवश्यक ऋण राशि उपलब्ध कराने के लिए बैंक मौजूद थे।
(iii) परिवहन के लिए एक अच्छी व्यवस्था उपलब्ध थी। रेल मार्गों के निर्माण से वहाँ एक नया परिवहन तंत्र तैयार हो गया था।
(iv) प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों (आविष्कारों) की एक श्रृंखला ने उत्पादन के स्तर में अचानक वृद्धि कर दी थी।

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प्रश्न 5.
18वीं शताब्दी तक ब्रिटेन में लोहे के क्षेत्र में क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर:
18वीं शताब्दी तक ब्रिटेन में प्रयोग योग्य लोहे की कमी थी। लोहा प्रगलन की प्रक्रिया के द्वारा लौह खनिज में से शुद्ध तरल – धातु के रूप में निकाला जाता था। प्रगलन प्रक्रिया के लिए काठ कोयले (चारकोल) का प्रयोग किया जाता था। इस कार्य में निम्नलिखित समस्याएँ थीं-
(1) काठ कोयला लम्बी दूरी तक ले जाने की प्रक्रिया में टूट जाया करता था।
(2) इसकी अशुद्धताओं के कारण घटिया प्रकार के लोहे का ही उत्पादन होता था।
(3) यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध भी नहीं था, क्योंकि लकड़ी के लिए जंगल काट लिए गए
(4) यह उच्च तापमान उत्पन्न नहीं कर सकता था।

प्रश्न 6.
18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में लोहा उद्योग के क्षेत्र में हुए विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
18वीं सदी में ब्रिटेन में लोहा उद्योग के क्षेत्र में हुए विकास –
(i) 1709 में प्रथम अब्राहम डर्बी ने धमन भट्टी का आविष्कार किया। इसमें सर्वप्रथम ‘कोक’ का प्रयोग किया गया। कोक में उच्च ताप उत्पन्न करने की शक्ति थी। इस आविष्कार से काठ कोयले की निर्भरता समाप्त हो गई।
(ii) द्वितीय डर्बी ने ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहे का विकास किया जो कम भंगुर था।
(iii) हेनरी कोर्ट ने आलोडन भट्टी और बेलन मिल का आविष्कार किया। अब लोहे से अनेकानेक उत्पाद बनाना संभव हो गया।
(iv) 1770 के दशक में जोन विल्किन्सन ने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ, आसव तथा शराब की भट्टियों के लिए टंकियाँ तथा लोहे की नलियाँ (पाइपें ) बनाईं।
(v) 1779 में तृतीय डर्बी ने विश्व में पहला लोहे का पुल कोलब्रुकडेल में सेवर्न नदी पर बनाया। (vi) विलकिन्सन ने पेरिस को पानी की आपूर्ति के लिए 40 मील लम्बी पानी की पाइपें पहली बार ढलवाँ लोहे में बनाई। ब्रिटेन के लौह उद्योग ने 1800 से 1830 की अवधि में अपने उत्पादन को चौगुना बढ़ा लिया।

प्रश्न 7.
कपास की कताई और बुनाई के क्षेत्र में ब्रिटेन में हुए विभिन्न आविष्कारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. उड़न तुरी करघा (फ्लाइंग शटल लूम ) – 1733 ई. में लंकाशायर निवासी जान के ने उड़न तुरी करघा (फ्लाइंग शटल लूम) का आविष्कार किया। इसकी सहायता से कम समय में अधिक चौड़ा कपड़ा बनाना सम्भव हो गया।

2. स्पिनिंग जैनी – 1765 ई. में ब्लैकबर्न निवासी जेम्स हारग्रीव्ज ने ‘स्पिन्निंग जैनी’ नामक मशीन का आविष्कार किया। इस पर एक अकेला व्यक्ति एक साथ कई धागे कात सकता था।

3. वाटर फ्रेम – 1769 ई. में रिचर्ड आर्कराइट ने ‘वाटर फ्रेम’ नामक मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन द्वारा पहले से कहीं अधिक मजबूत धागा बनाया जाने लगा।

4. म्यूल – 1779 ई. में सेम्युल क्राम्पटन ने ‘म्यूल’ नामक मशीन का आविष्कार किया।

5. पावरलूम – 1787 में एडमंड कार्टराइट ने पावरलूम अर्थात् शक्ति-चालित करघे का आविष्कार किया।

प्रश्न 8.
18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में ब्रिटेन में कताई व बुनाई के उद्योग में क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर:
ब्रिटेन में कताई व बुनाई के उद्योग में समस्याएँ – अठारहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ब्रिटेन में कताई का काम इतनी धीमी गति और परिश्रम से किया जाता था कि एक बुनकर को व्यस्त रखने के लिए आवश्यक धागा कातने के लिए 10 कातने वालों, अधिकतर स्त्रियों की आवश्यकता पड़ती थी। इसलिए कातने वाले दिन भर कताई के काम में व्यस्त रहते थे, जबकि बुनकर बुनाई के लिए धागे की प्रतीक्षा में समय नष्ट करते रहते थे।

प्रश्न 9.
“1780 के दशक से कपास उद्योग कई रूपों में ब्रिटिश औद्योगीकरण का प्रतीक बन गया। ” स्पष्ट कीजिए। इस उद्योग की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी में कपास की कताई और बुनाई के उद्योग में अनेक आविष्कार हुए जिसके फलस्वरूप वस्त्र उद्योग में अत्यधिक उन्नति हुई। 1780 के दशक से कपास उद्योग कई रूपों में ब्रिटिश औद्योगीकरण का प्रतीक बन गया। इस उद्योग की दो प्रमुख विशेषताएँ थीं –
(1) कच्चे माल के रूप में आवश्यक कपास सम्पूर्ण रूप से आयात करना पड़ता था।
(2) जब उससे कपड़ा तैयार हो जाता था, तो उसका अधिकांश भाग निर्यात किया जाता था। इसके लिए इंग्लैण्ड के पास अपने उपनिवेश होना आवश्यक था ताकि वह इन उपनिवेशों से कच्चा कपास प्रचुर मात्रा में मँगा सके और फिर इंग्लैण्ड में उससे कपड़ा बनाकर तैयार माल को उन्हीं उपनिवेशों के बाजारों में बेच सके।

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प्रश्न 10.
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में भाप की शक्ति के क्षेत्र में हुए आविष्कारों व परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. भाप के इंजन के मॉडल का आविष्कार – भाप की शक्ति का प्रयोग सर्वप्रथम खनन उद्योगों में किया गया। 1698 में थॉमस सेवरी ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए माइनर्स फ्रेंड ( खनक – मित्र) नामक एक भाप के इंजन का मॉडल बनाया। ये छिछली गहराइयों में धीरे-धीरे काम करते थे।

2. थॉमस न्यूकामेन द्वारा भाप का इंजन बनाना – 1712 ई. में थॉमस न्यूकामेन ने भाप का एक और इंजन बनाया। इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि संघनन बेलन के निरन्तर ठण्डा होते रहने से इसकी ऊर्जा समाप्त होती रहती थी।

3. जेम्स वाट द्वारा भाप के इंजन का आविष्कार – 1769 ई. में जेम्स वाट ने भाप के इंजन का आविष्कार किया। जेम्स वाट ने एक ऐसी मशीन विकसित की, जिससे भाप का इंजन केवल एक साधारण पम्प की बजाय एक प्रमुख चालक के रूप में काम देने लगा जिससे कारखानों में शक्ति चालित मशीनों को ऊर्जा मिलने लगी।

4. सोहो फाउन्डरी का निर्माण – 1775 में जेम्स वाट ने मैथ्यू बाल्टन की सहायता से बर्मिंघम में ‘सोहो फाउन्डरी’ का निर्माण किया। उस फाउन्डरी से जेम्स वाट के स्टीम इंजन बराबर बढ़ती हुई संख्या में निकलने लगे। 18वीं सदी के अन्त तक जेम्स वाट के भाप इंजन ने द्रवचालित शक्ति का स्थान लेना शुरू कर दिया था। 1800 के बाद भाप के इंजन की प्रौद्योगिकी और अधिक विकसित हो गई।

प्रश्न 11.
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में नहरों के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटेन में प्रारम्भ में नहरें कोयले को शहरों तक ले जाने के लिए बनाई गईं। इसका कारण यह था कि कोयले को नहरों के मार्ग से ले जाने में समय और खर्च दोनों ही कम लगते थे।
इंग्लैण्ड में पहली नहर ‘वर्सली कैनाल ‘1761 ई. में जेम्स ब्रिंडली द्वारा बनाई गई। इस नहर के निर्माण का केवल यही उद्देश्य था कि इसके द्वारा वर्सले के कोयला भण्डारों से शहर तक कोयला ले जाया जाए। नहरों के आपस में जुड़ जाने से नए-नए शहरों में बाजार बन गए और उनका विकास हुआ। उदाहरणार्थ बर्मिंघम शहर का विकास केवल इसलिए तेजी से हुआ क्योंकि वह लन्दन, ब्रिस्टल चैनल और करसी तथा हंबर नदियों के साथ जुड़ने वाली नहर प्रणाली के बीच में स्थित था। ब्रिटेन में 1760 से 1790 के बीच नहरें बनाने की 25 परियोजनाएँ शुरू की गईं। 1788 से 1796 तक की अवधि में 46 नई परियोजनाएँ शुरू की गईं। उसके पश्चात् अगले 60 वर्षों में अनेक नहरें बनाई गईं जिनकी लम्बाई कुल मिलाकर 4000 मील से अधिक थी।

प्रश्न 12.
औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप ब्रिटेन में वेतनभोगी मजदूरों के जीवन की औसत अवधि कम क्यों थी?
उत्तर:
1842 में ब्रिटेन में किए गए एक सर्वेक्षण से यह ज्ञात हुआ कि वहाँ वेतनभोगी मजदूरों या कामगारों के जीवन की औसत अवधि शहरों में रहने वाले अन्य सामाजिक समूहों के जीवन-काल से कम थी जैसे बर्मिंघम में यह 15 वर्ष, मैनचेस्टर में 17 वर्ष तथा डर्बी में 21 वर्ष थी। नए औद्योगिक नगरों में गाँवों से आकर रहने वाले लोग ग्रामीण लोगों की तुलना में काफी छोटी आयु में मौत के मुँह में चले जाते थे। वहाँ उत्पन्न होने वाले बच्चों में से आधे तो पाँच वर्ष की आयु प्राप्त करने से पूर्व ही मर जाते थे।
मजदूरों की मृत्यु अधिकतर उन महामारियों के कारण होती थी जो जल- प्रदूषण से जैसे हैजा तथा आंत्रशोथ से और वायु-प्रदूषण से जैसे क्षय रोग से होती थी। 1832 में ब्रिटेन में हैजे की महामारी फैल गई जिसमें 31,000 से अधिक लोग मौत के मुँह में चले गए। 19वीं सदी के अंतिम दशकों तक नगर – प्राधिकारी जीवन की इन भयंकर परिस्थितियों की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे और इन बीमारियों के निदान व उपचार के बारे में चिकित्सकों को कोई जानकारी नहीं थी।

प्रश्न 13.
औद्योगिक क्रान्ति से ब्रिटेनवासियों के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
1. पूँजी में वृद्धि – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप धनी लोगों ने उद्योग-धन्धों में पूँजी निवेश किया जिससे उन्हें खूब मुनाफा हुआ और उनके धन में अत्यधिक वृद्धि हुई।
2. अन्य क्षेत्रों में वृद्धि – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप धन, माल, आय, सेवाओं, ज्ञान और उत्पादक कुशलता के रूप में महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई।
3. नगरीय जनसंख्या में वृद्धि – 1750 में इंग्लैण्ड में 50,000 से अधिक की आबादी वाले नगरों की संख्या केवल दो थी जो बढ़कर 1850 में 29 हो गई।
4. परिवारों का टूटना – पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों और बच्चों को भी कारखानों में काम करना पड़ता था। परिणामस्वरूप अनेक परिवार टूट गए।
5. नवीन समस्याएँ उत्पन्न होना – मजदूरों को अनेक नई समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्हें कारखानों के आस-पास भीड़भाड़ वाली गन्दी बस्तियों में रहना पड़ा। वे अनेक बीमारियों के शिकार बन गए और असमय मौत के मुँह में जाने लगे।

प्रश्न 14.
फैक्ट्री पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फैक्ट्री पद्धति की विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –
(1) बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना हुई जिनमें हजारों लोग एक-साथ काम करते थे
(2) उत्पादन के सभी साधनों पर पूँजीपतियों का स्वामित्व था।
(3) श्रमिकों की देखभाल के लिए निरीक्षकों की नियुक्ति की जाती थी।
(4) पूँजीपति कारखानों के स्वामी होते थे तथा मजदूर कारखानों में अपनी मजदूरी पाने के लिए कार्य करते थे।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इंग्लैण्ड में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्रान्ति के प्रारम्भ होने के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्रान्ति के प्रारम्भ होने के कारण
इंग्लैण्ड में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्रान्ति के प्रारम्भ होने के कारण निम्नलिखित थे-
1. इंग्लैण्ड में राजनीतिक स्थिरता – इंग्लैण्ड सत्रहवीं शताब्दी से राजनीतिक दृष्टि से सुदृढ़ एवं सन्तुलित था और इसके तीनों भागों—इंग्लैण्ड, वेल्स और स्कॉटलैण्ड पर एक ही राजतन्त्र अर्थात् सम्राट का एकछत्र शासन रहा था। वहाँ अन्य देशों की अपेक्षा राजनीतिक स्थिरता अधिक थी। इंग्लैण्ड में एक ही कानून व्यवस्था, एक ही सिक्का ( मुद्रा- प्रणाली) और एक ही बाजार व्यवस्था थी। इस बाजार व्यवस्था में स्थानीय प्राधिकरणों का कोई हस्तक्षेप नहीं था। सत्रहवीं शताब्दी तक आते-आते, मुद्रा का प्रयोग विनिमय के रूप में व्यापक रूप से होने लगा था। तब तक बड़ी संख्या में ब्रिटेनवासी अपनी कमाई वस्तुओं की बजाय मजदूरी और वेतन के रूप में प्राप्त करने लगे। इससे उन्हें अपनी आय से अधिक खर्च करने के लिए साधन प्राप्त हो गए और वस्तुओं की बिक्री के लिए बाजार का विस्तार हो गया।

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2. कृषि क्रान्ति – अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में ‘कृषि – क्रान्ति’ सम्पन्न हुई। इसके परिणामस्वरूप बड़े जमींदारों ने अपनी जमीनों के आस-पास छोटे-छोटे खेत खरीद लिए और गाँव की सार्वजनिक जमीनों को घेर लिया। इससे विवश होकर भूमिहीन किसान, चरवाहे और पशुपालक रोजगार की तलाश में शहरों में चले गए।

3. शहरों का विकास – यूरोप के जिन 19 शहरों की आबादी सन् 1750 से 1800 के बीच दोगुनी हो गई थी; उनमें से 11 ब्रिटेन में थे। इन 11 शहरों में लन्दन सबसे बड़ा था, जो देश के बाजारों का केन्द्र था, शेष बड़े- बड़े शहर भी लन्दन के आसपास ही स्थित थे। लन्दन ने सम्पूर्ण विश्व में भी एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया था। शहरों में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण वस्तुओं की माँग बहुत बढ़ गई। इससे उद्योगपतियों को बड़े पैमाने पर वस्तुओं के उत्पादन की प्रेरणा मिली।

4. व्यापार की उन्नति – 18वीं सदी तक आते-आते भू-मण्डलीय व्यापार का केन्द्र इटली तथा फ्रांस के भूमध्य सागरीय बन्दरगाहों से हट कर हालैण्ड और ब्रिटेन के अटलान्टिक बन्दरगाहों पर आ गया था। इसके बाद लन्दन ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार हेतु ऋण प्राप्ति के प्रमुख स्रोत के रूप में एम्स्टर्डम का स्थान ले लिया था। लन्दन इंग्लैण्ड, अफ्रीका और वेस्टइण्डीज के बीच स्थापित त्रिकोणीय व्यापार का केन्द्र बन गया था।

5. यातायात का विकास – 1724 से इंग्लैण्ड के पास नदियों के द्वारा लगभग 1160 मील लम्बा जलमार्ग था जिसमें नौकाएँ चल सकती थीं तथा पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश स्थान नदी से अधिक से अधिक 15 मील की दूरी पर थे। इंग्लैण्ड की नदियों के समस्त नौचालन के भाग समुद्र से जुड़े हुए थे, इसलिए नदी पोतों के द्वारा ढोया जाने वाला माल समुद्र-तटीय जहाजों तक सरलता से ले जाया और सौंपा जा सकता था।

6. बैंकों का विकास – इंग्लैण्ड में बैंकों का विकास हो चुका था। 1694 में बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना हो चुकी थी। यह देश की वित्तीय प्रणाली का केन्द्र था। 1784 तक इंग्लैण्ड में कुल मिलाकर एक सौ से अधिक प्रान्तीय बैंक थे। 1820 के दशक तक प्रान्तों में 600 से अधिक बैंक थे। अतः बड़े-बड़े उद्योग-धन्धे स्थापित करने के लिए आवश्यक ऋण-राशि उपलब्ध कराने के लिए बैंक मौजूद थे।

7. लोहे तथा कोयले का प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होना – इंग्लैण्ड में लोहे और कोयले की खानें आसपास थीं। वहां लोहा तथा कोयला प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे। इससे पक्के लोहे का निर्माण सरलता से होने लगा।

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8. पूँजी की अधिकता – इंग्लैण्ड में पूँजी की अधिकता थी। वाणिज्यवाद के परिणामस्वरूप इंग्लैण्ड में प्रचुर पूँजी जमा हो गई थी। बैंकिंग व्यवस्था ने भी इंग्लैण्ड में पूँजी – संचय तथा विनियोग को समान बनाया।

9. वैज्ञानिक आविष्कार – 18वीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में अनेक वैज्ञानिक हुए जिन्होंने कृषि, व्यवसाय, यातायात आदि क्षेत्रों के अनेक आविष्कार किये। इन आविष्कारों ने औद्योगिक क्रान्ति को सफल बनाने में योगदान दिया।

10. कुशल श्रमिकों की उपलब्धि – इंग्लैण्ड में कुशल श्रमिक बड़ी संख्या में उपलब्ध थे। यूरोप के अधिकांश देशों में आन्तरिक शान्ति तथा व्यवस्था का अभाव था। इसलिए वहाँ के बहुत से कुशल श्रमिक भाग कर इंग्लैण्ड में आ गए थे।

11. औपनिवेशिक साम्राज्य – अठारहवीं शताब्दी के अन्त तक इंग्लैण्ड ने एक विस्तृत औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित कर लिया था। इंगलैण्ड इन उपनिवेशों से कच्चा माल प्राप्त कर सकता था तथा वहाँ अपना तैयार माल बेच सकता था।

प्रश्न 2.
अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में कोयले और लोहे के उद्योग क्षेत्र में हुए विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में कोयले और लोहे के उद्योग क्षेत्र में विकास
इंग्लैण्ड में मशीनीकरण में काम आने वाली मुख्य सामग्रियाँ – कोयला और लौह-अयस्क प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थीं। इसके अतिरिक्त वहाँ उद्योग में काम आने वाले अन्य खनिज, जैसे-सीसा, ताँबा और राँगा (टिन) आदि भी उपलब्ध थे। परन्तु अठारहवीं शताब्दी तक, वहाँ प्रयोग योग्य लोहे की कमी थी।

1. काठ कोयले ( चारकोल ) के प्रयोग की समस्याएँ – लोहा प्रगलन की प्रक्रिया के द्वारा लौह खनिज में से शुद्ध तरल – धातु के रूप में निकाला जाता है। सैकड़ों वर्षों तक इस प्रगलन प्रक्रिया के लिए काठ – कोयले ( चारकोल) का प्रयोग किया जाता था। इस प्रक्रिया की निम्नलिखित समस्याएँ थीं –
(i) काठ – कोयला लम्बी दूरी तक ले जाने की प्रक्रिया में टूट जाया करता था।
(ii) इसकी अशुद्धताओं के कारण घटिया प्रकार के लोहे का ही उत्पादन होता था।
(iii) यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं था क्योंकि लकड़ी के लिए जंगल काट लिये गए थे।
(iv) यह उच्च तापमान भी उत्पन्न नहीं कर सकता था।

2. धमन भट्टी का आविष्कार – लौह उद्योग के क्षेत्र में, 1709 में प्रथम अब्राहम डर्बी ने धमन भट्टी का आविष्कार किया जिसमें सर्वप्रथम कोक का प्रयोग किया गया। इस आविष्कार के परिणामस्वरूप भटिट्यों को काठ कोयले पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। इन भट्टियों से निकलने वाला पिघला हुआ लोहा पहले की अपेक्षा श्रेष्ठ होता था। 3. पिटवाँ लोहे का विकास- द्वितीय अब्राहम डर्बी ने ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहे का विकास किया जो कम भंगुर था।

4. आलोडन भट्टी तथा बेलन मिल का आविष्कार – हेनरी कोर्ट ने आलोडन भट्टी तथा बेलन मिल का आविष्कार किया, जिसमें परिशोधित लोहे से छड़ें तैयार करने के लिए भाप की शक्ति का प्रयोग किया जाता था। अब लोहे से अनेकानेक उत्पाद बनाना सम्भव हो गया।
5. लोहे की कुर्सियाँ, आसव तथा शराब की भट्टियों के लिए टंकियाँ बनाना – 1770 के दशक में जोन विल्किन्सन ने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ, आसव तथा शराब की भट्टियों के लिए टंकियां और लोहे की सभी आकारों की नलियाँ (पाइपें ) बनाई।

6. लोहे के पुल का निर्माण – 1779 ई. में तृतीय अब्राहम डर्बी ने विश्व में प्रथम लोहे का पुल कोलब्रुकडेल में सेवर्न नदी पर बनाया। विल्किन्सन ने पानी की पाइपें पहली बार ढलवाँ लोहे से बनाईं।

7. इस्पात बनाने की विधि – 1856 में हेनरी बैस्सेमर ने इस्पात बनाने की विधि खोज निकाली।

8. लौह उत्पादन में वृद्धि – ब्रिटेन के लौह उद्योग ने 1800 से 1830 के दौरान अपने उत्पादन को चौगुना बढ़ा लिया और उसका उत्पादन सम्पूर्ण यूरोप में सबसे सस्ता था। 1820 में एक टन ढलवाँ लोहा बनाने के लिए 8 टन कोयले की आवश्यकता होती थी, परन्तु 1850 तक आते-आते यह मात्रा घट गई और केवल 2 टन कोयले से ही एक टन ढलवाँ लोहा बनाया जाने लगा। 1848 तक ब्रिटेन द्वारा पिघलाए जाने वाले लोहे की मात्रा शेष सम्पूर्ण विश्व द्वारा कुल मिलाकर पिघलाए जाने वाले लोहे से अधिक थी।

प्रश्न 3.
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में कपास की कताई व बुनाई के उद्योग में हुए विकास का वर्णन कीजिए।
अथवा
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में कपास की कताई व बुनाई के उद्योग में हुए आविष्कारों का वर्णन कीजिए। उत्तर- अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में कपास की कताई तथा बुनाई के उद्योग में विकास – अठारहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ब्रिटेन में कताई का काम धीमी गति से किया जाता था। एक ओर कातने वाले लोग दिन-भर कताई के काम में व्यस्त रहते थे, तो दूसरी ओर बुनकर लोग बुनाई के लिए धागे के लिए अपना समय नष्ट करते रहते थे। परन्तु कालान्तर में कताई व बुनाई की प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनेक आविष्कार हुए जिसके फलस्वरूप कपास से धागा कातने और उससे कपड़ा बनाने की गति में जो अन्तर था, वह समाप्त हो गया।

कपास की कताई और बुनाई के उद्योग में महत्त्वपूर्ण आविष्कार अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में कपास की कताई और बुनाई के उद्योग में निम्नलिखित आविष्कार हुए-
1. उड़न तुरी करघा (फ्लाइंग शटल लूम ) – 1733 ई. में लंकाशायर निवासी जान के ने उड़न तुरी करघा (फ्लाइंग शटल लूंम) का आविष्कार किया। इसकी सहायता से कम समय में चौड़ा कपड़ा बनाना सम्भव हो गया। इसकी सहायता से दुगुनी गति से कपड़ा बुना जा सकता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 9 संस्कृतियों का टकराव

2. स्पिन्निंग जैनी – 1765 में ब्लैकबर्न निवासी जेम्स हारग्रीव्ज ने ‘स्पिन्निंग जैनी’ नामक मशीन का आविष्कार किया। इस पर एक अकेला व्यक्ति एक-साथ सूत के आठ धागे कात सकता था। इससे बुनकरों को उनकी आवश्यकता से अधिक तेजी से धागा मिलने लगा।

3. वाटर फ्रेम – 1769 ई. में रिचर्ड आर्कराइट ने ‘वाटर फ्रेम’ नामक सूत कातने की मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन द्वारा पहले से कहीं अधिक मजबूत धागा बनाया जाने लगा। इससे लिनन और सूती धागा दोनों को मिलाकर कपड़ा बनाने की बजाय अकेले सूती धागे से ही विशुद्ध सूती कपड़ा बनाया जाने लगा। इसने भावी ‘कारखाना पद्धति’ को जन्म दिया।

4. म्यूल – 1779 ई. में सैम्युल क्राम्पटन ने ‘म्यूल’ नामक मशीन का आविष्कार किया। इससे कता हुआ धागा बहुत मजबूत और श्रेष्ठ होता था।

5. पावरलूम – 1787 ई. में एडमण्ड कार्टराइट ने शक्ति से चलने वाले ‘पावरलूम’ नामक करघे का आविष्कार किया। ‘पावरलूम’ को चलाना अत्यन्त आसान था। जब भी धागा टूटता, वह अपने आप काम करना बन्द कर देता था। इससे किसी भी प्रकार के धागे से बुनाई की जा सकती थी। 1830 के दशक से, वस्त्र उद्योग में नई-नई मशीनें बनाने की बजाय श्रमिकों की उत्पादकता बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा। इन आविष्कारों के बाद कताई – बुनाई का काम अब घरों से हटकर, कारखानों में चला गया ताकि इस कार्य में और कुशलता लायी जा सके।

प्रश्न 4.
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में भाप की शक्ति के क्षेत्र में क्या परिवर्तन एवं आविष्कार हुए?
अथवा
‘भाप की शक्ति बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के लिए निर्णायक सिद्ध हुई। “स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में भाप की शक्ति के क्षेत्र में आविष्कार एवं परिवर्तन भाप की शक्ति ने ब्रिटेन के औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। भाप की शक्ति उच्च तापमानों पर दबाव पैदा करती थी जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलाई जा सकती थीं। इस प्रकार भाप की शक्ति ऊर्जा का एकमात्र ऐसा स्त्रोत था जो मशीनरी बनाने के लिए विश्वसनीय एवं कम खर्चीला था। अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में भाप की शक्ति के क्षेत्र में निम्नलिखित आविष्कार एवं परिवर्तन हुए-

1. भाप के इंजन के मॉडल का आविष्कार – भाप की शक्ति का प्रयोग सर्वप्रथम खनन उद्योगों में किया गया। खानों में अचानक पानी भर जाना भी एक जटिल समस्या थी। 1698 ई. में थॉमस सेवरी ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए ‘माइनर्स फ्रेंड’ नामक एक भाप के इंजन का मॉडल बनाया। ये इंजन छिछली गहराइयों में धीरे-धीरे काम करते थे तथा अधिक दबाव हो जाने पर उनका बायलर फट जाता था।

2. थॉमस न्यूकॉमेन द्वारा भाप का इंजन बनाना – 1712 ई. में थॉमस न्यूकॉमेन ने भाप का एक और इंजन बनाया। इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि संघनन बेलन के निरन्तर ठंडा होते रहने से इसकी ऊर्जा समाप्त होती रहती थी।

3. जेम्स वाट द्वारा भाप के इंजन का आविष्कार – 1769 तक भाप के इंजन का प्रयोग केवल कोयले की खानों में ही होता था। परन्तु 1769 में जेम्स वाट ने इसका एक और प्रयोग खोज निकाला। 1769 में जेम्स वाट ने ऐसी मशीन विकसित की, जिससे भाप का इंजन केवल एक साधारण पम्प की बजाय एक प्रमुख चालक के रूप में काम देने लगा। इससे कारखानों में शक्ति चालित मशीनों को ऊर्जा मिलने लगी। इस प्रकार जेम्स वाट के भाप के इंजन के आविष्कार के कारण अब कारखानों में भी भाप की शक्ति का प्रयोग किया जाने लगा।

4. सोहो फाउन्डरी का निर्माण – 1775 में जेम्स वाट ने एक धनी निर्माता मैथ्यू बाल्टन की सहायता से बर्मिंघम में ‘सोहो फाउन्डरी’ का निर्माण किया। इस फाउन्डरी से जेम्स वाट के भाप के इंजन बड़ी संख्या में बनकर निकलने लगे। अठारहवीं सदी के अन्त तक जेम्स वाट के भाप के इंजन ने द्रवचालित शक्ति का स्थान लेना शुरू कर दिया था।

5. भाप के इंजन की प्रौद्योगिकी का विकास – 1800 ई. के बाद भाप के इंजन की प्रौद्योगिकी का और अधिक विकास हुआ। इसमें निम्नलिखित तत्त्वों ने सहयोग दिया –
(i) अधिक हल्की तथा मजबूत धातुओं का प्रयोग।
(ii) अधिक सटीक मशीनी औजारों का निर्माण।
(iii) वैज्ञानिक जानकारी का अधिक व्यापक प्रसार।
1840 में स्थिति यह थी कि ब्रिटेन में बने भाप के इंजन ही सम्पूर्ण यूरोप में आवश्यक ऊर्जा की 70 प्रतिशत से अधिक अश्व शक्ति का उत्पादन कर रहे थे।

प्रश्न 5.
अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटेन में रेलों के विकास का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटेन में रेलों का विकास अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटेन में रेलों के विकास का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है –
1. भाप से चलने वाले रेल के इंजन का आविष्कार – 1814 में पहला भाप से चलने वाला रेल का इंजन- स्टीफेन्सन का राकेट बना। अब रेलगाड़ियाँ परिवहन का एक ऐसा नया साधन बन गईं, जो साल भर उपलब्ध रहती थीं, सस्ती तथा तेज भी थीं और माल तथा यात्री दोनों को ढो सकती थीं। इस साधन में एक-साथ दो आविष्कार शामिल थे –
(1) लोहे की पटरी जिसने 1760 के दशक में लकड़ी की पटरी का स्थान ले लिया था तथा
(2) भाप के इंजन द्वारा इस लोहे की पटरी पर रेल के डिब्बों को खींचना।

2. रिचर्ड ट्रेविथिक द्वारा ‘पफिंग डेविल’ नामक रेलवे इंजन का निर्माण करना – 1801 में रिचर्ड ट्रेविथिक ने एक इंजन का निर्माण किया जिसे ‘पंफिंग डेविल’ (फुफकारने वाला दानव) कहते थे। यह इंजन ट्रकों को कार्नवाल में उस खान के चारों ओर खींच कर ले जाता था, जहाँ रिचर्ड ट्रेविथिक काम करता था।

3. ‘ब्लचर’ नामक रेल इंजन का निर्माण करना – 1814 में जार्ज स्टीफेन्सन नामक एक रेलवे इंजीनियर ने एक रेल इंजन का निर्माण किया, जिसे ‘ब्लचर’ कहा जाता था। यह इंजन 30 टन भार 4 मील प्रति घण्टे की गति से एक पहाड़ी पर ले जा सकता था।

4. ब्रिटेन में रेल मार्ग का विस्तार – सर्वप्रथम 1825 में स्टाकटन और डार्लिंगटन शहरों के बीच 9 मील लम्बा रेलमार्ग 24 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से 2 घण्टे में रेल द्वारा तय किया गया। 1830 में लिवरपूल तथा मैनचेस्टर को आपस में रेल मार्ग से जोड़ दिया गया। 20 वर्षों के अन्दर रेलें 30 से 50 मील प्रति घण्टे की गति से दौड़ने लगीं। 1830 से 1850 के बीच ब्रिटेन में रेल पथ कुल मिलाकर दो चरणों में लगभग 6000 मील लम्बा हो गया। 1833-37 के ‘छोटे रेलोन्माद’ के दौरान, 1400 मील लम्बी रेल लाइन बनाई गई। इसके बाद 1844-47 के ‘बड़े रेलोन्माद’ के दौरान फिर 9500 मील लम्बी रेल लाइन बनाने की स्वीकृति दी गई। रेलवे लाइन के निर्माण में कोयले और लोहे का प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया गया तथा बड़ी संख्या में लोगों को . काम पर लगाया गया। इसके फलस्वरूप निर्माण तथा लोक कार्य उद्योगों की गतिविधियों में तेजी आई। 1850 तक अधिकांश इंग्लैण्ड के नगर और गाँव रेल मार्ग से जुड़ गए।

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प्रश्न 6. ब्रिटेन की स्त्रियों और बच्चों पर औद्योगिक क्रान्ति के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
ब्रिटेन की स्त्रियों और बच्चों पर औद्योगिक क्रान्ति के प्रभाव ब्रिटेन की स्त्रियों और बच्चों पर औद्योगिक क्रान्ति के अग्रलिखित प्रभाव पड़े –
1. स्त्रियों और बच्चों के काम करने के तरीकों में परिवर्तन-औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप स्त्रियों और बच्चों के काम करने के तरीकों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए। औद्योगिक क्रान्ति से पूर्व गरीब ग्रामीणों के बच्चे घरों में या खेतों में अपने माता-पिता अथवा सम्बन्धियों की देख-रेख में अनेक प्रकार के काम किया करते थे। ये काम समय, दिन अथवा मौसम के अनुसार परिवर्तित होते रहते थे। इसी प्रकार गाँवों में स्त्रियाँ भी खेती के काम में हिस्सा लेती थीं और अपने घरों में चरखे चलाकर सूत कातती थीं।

2. प्रतिकूल परिस्थितियों में कारखानों में काम करना – औद्योगिक क्रान्ति के सूत्रपात के बाद स्त्रियों तथा बच्चों को प्रतिकूल परिस्थितियों में कारखानों में काम करना पड़ा। क्योंकि पुरुषों को बहुत कम मजदूरी मिलती थी जिससे परिवार का खर्च नहीं चल पाता था। उन्हें निरन्तर कई घण्टों तक नीरस काम कठोर अनुशासन में करना पड़ता था तथा साधारण-सी गलतियों पर उन्हें कठोर दण्ड दिया जाता था। कारखानों के मालिक पुरुषों की बजाय स्त्रियों और बच्चों को अपने यहाँ काम पर लगाना अधिक पसन्द करते थे। इसके दो कारण थे –
(1) स्त्रियों और बच्चों की मजदूरी कम होती थी तथा
(2) स्त्री एवं बच्चें कठोर और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी प्रायः शान्तिपूर्ण बने रहते थे।

3. सूती कपड़ा उद्योग में स्त्रियों और बच्चों को काम पर लगाना – स्त्रियों और बच्चों को लंकाशायर तथा यार्कशायर नगरों के सूती कपड़ा उद्योग में बड़ी संख्या में काम पर लगाया जाता था। रेशम, फीते बनाने और बुनने के उद्योग-धन्धों में और बर्मिंघम के धातु – उद्योगों में बच्चों के साथ-साथ स्त्रियों को ही अधिकतर कारखानों में काम पर लगाया जाता था। कपास कातने की जेनी जैसी अनेक मशीनें तो कुछ इस प्रकार की बनाई गई थीं कि उनमें बच्चे ही अपनी चुस्त उंगिलयों और छोटी कद-काठी के कारण सरलता से काम कर सकते थे। बच्चों को प्रायः कपड़ा मिलों में रखा जाता था क्योंकि वहाँ सटाकर रखी गई मशीनों के बीच से छोटे बच्चे सरलता से आ-जा सकते थे।

4. बच्चों का शोषण – कारखानों में बच्चों से कई घण्टों तक काम लिया जाता था। उन्हें हर रविवार को भी मशीनें साफ करने के लिए काम पर आना पड़ता था। इसके परिणामस्वरूप उन्हें विश्राम करने, ताजा हवा खाने या व्यायाम करने का कभी कोई अवसर नहीं मिलता था। काम करते समय कई बार तो बच्चों के बाल मशीनों में फँस जाते थे अथवा उनके हाथ कुचल जाते थे। निरन्तर कई घण्टों तक काम करते रहने के कारण बच्चे इतने थक जाते थे कि उन्हें नींद की झपकी आ जाती थी और वे मशीनों में गिरकर मर जाते थे।

5. कोयले की खतरनाक खानों में बच्चों द्वारा काम करना – बच्चों के लिए कोयले की खानों में काम करना बहुत खतरनाक था। खानों की छतें धँस जाती थीं या वहाँ विस्फोट हो जाता था। इससे बच्चों को चोट लगना सामान्य बात थी। कोयला खानों के मालिक कोयले के गहरे अन्तिम छोरों को देखने के लिए संकरे रास्ते पर जाने के लिए, वहाँ बच्चों को ही भेजते थे। छोटे बच्चों को कारखानों में ‘ट्रैपर’ का काम भी करना पड़ता था। कोयला कारखानों में जब कोयला भरे डिब्बे इधर-उधर ले जाये जाते थे, तो वे आवश्यकतानुसार उन दरवाजों को खोलते तथा बन्द करते थे। उन्हें अपनी पीठ पर रख कर कोयले का भारी वजन भी ढोना पड़ता था।

6. कारखानों के मालिकों द्वारा बच्चों से काम लेना – कारखानों के मालिक बच्चों से काम लेना अत्यन्त आवश्यक समझते थे, ताकि वे अभी से काम सीख कर बड़े होकर उनके लिए अच्छा काम कर सकें।

7. स्त्रियों पर प्रभाव – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप स्त्रियों को मजदूरी मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ तथा उनके आत्म-सम्मान में भी वृद्धि हुई। परन्तु इससे उन्हें लाभ कम हुआ और हानि अधिक हुई। उन्हें अपमानजनक परिस्थितियों में काम करना पड़ता था। प्रायः उनके बच्चे पैदा होते ही या बचपन में ही मर जाते थे। उन्हें विवश होकर शहर की गन्दी एवं घिनौनी बस्तियों में रहना पड़ता था।

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प्रश्न 7.
ब्रिटेन में अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध मजदूरों के विरोध- आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटेन में अठारहवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध मजदूरों का विरोध- आन्दोलन इंग्लैण्ड में फैक्ट्रियों में काम करने की कठोर एवं अपमानजनक परिस्थितियों के विरुद्ध राजनीतिक विरोध बढ़ता जा रहा था और मजदूर लोग मताधिकार प्राप्त करने के लिए आन्दोलन कर रहे थे। परन्तु ब्रिटिश सरकार ने मजदूरों की माँगों को स्वीकृत करने की बजाय दमनकारी नीति अपनाना शुरू कर दिया।

1. ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति – 1795 ई. में ब्रिटिश संसद ने दो जुड़वाँ अधिनियम पारित किए। इनके अन्तर्गत लोगों को भाषण या लेखन द्वारा सम्राट, संविधान या सरकार के विरुद्ध घृणा या अपमान करने के लिए उकसाना अवैध घोषित कर दिया गया और 50 से अधिक लोगों की अनधिकृत, सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। परन्तु लोगों ने ‘पुराने भ्रष्टाचार’ के विरुद्ध आन्दोलन करना जारी रखा जो मजदूरों को मताधिकार दिए जाने की माँग से संबंधित था। .

2. ब्रेड के लिए दंगे – 1790 के दशक से सम्पूर्ण इंग्लैण्ड में ब्रेड अथवा खाद्य के लिए दंगे होने लगे। गरीब लोगों का मुख्य आहार ब्रैड ही था और इसके मूल्य पर ही उनके रहन-सहन का स्तर निर्भर करता था। आन्दोलनकारियों ने ब्रैड के भण्डारों पर अधिकार कर लिया और उन्हें मुनाफाखोरों द्वारा निर्धारित ऊँची कीमतों से काफी कम मूल्य में बेचना शुरू किया। यह कीमत सामान्य व्यक्ति के लिए उचित थी और नैतिक दृष्टि से भी सही थी। ऐसे दंगे, विशेषकर 1795 ई. में इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच चलने वाले युद्ध के दौरान बार- बार हुए परन्तु वे 1840 के दशक तक जारी रहे।

3. चकबन्दी या बाड़ा पद्धति से मजदूरों में असन्तोष – इंग्लैण्ड के लोगों में चकबन्दी या बाड़ा-पद्धति के विरुद्ध भी तीव्र असन्तोष था। इस पद्धति के अन्तर्गत 1770 के दशक से छोटे-छोटे सैकड़ों खेत शक्तिशाली जमींदारों के बड़े फार्मों में मिला दिए गए। इससे गरीब लोगों में घोर असन्तोष उत्पन्न हुआ और उन्होंने औद्योगिक काम देने की माँग की। परन्तु मशीनों के प्रचलन के कारण हजारों की संख्या में हथकरघा बुनकर बेरोजगार हो गए थे तथा गरीबी का जीवन व्यतीत कर रहे थे।

4. बुनकरों द्वारा हड़ताल – 1790 के दशक से बुनकर लोग अपने लिए न्यूनतम वैध मजदूरी की माँग करने लगे। परन्तु जब ब्रिटिश संसद ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया, तो वे हड़ताल पर चले गए। परन्तु सरकार ने दमनकारी नीति अपनाते हुए आन्दोलनकारियों को तितर-बितर कर दिया। इससे हताश और क्रुद्ध होकर सूती कपड़े के बुनकरों ने लंकाशायर में पावरलूमों को नष्ट कर दिया। इसका कारण यह था कि वे अपना रोजगार छिन जाने के लिए इन बिजली के करघों को ही उत्तरदायी मानते थे। नोटिंघम में ऊनी वस्त्र उद्योग में भी मशीनों के प्रयोग का प्रतिरोध किया गया। इसी प्रकार लैसेस्टरशायर और डर्बीशायर में भी मजदूरों ने विरोध-प्रदर्शन किये।

5. यार्कशायर में विरोध आन्दोलन – यार्कशायर में ऊन कतरने वालों ने ऊन कतरने के ढाँचों को नष्ट कर दिया। ये लोग अपने हाथों से भेड़ों के बालों को काटते थे। 1830 के दंगों में फार्मों में काम करने वाले, मजदूरों को भी उनके धन्धे के चौपट हो जाने की आशंका पैदा हुई क्योंकि खेती में भूसी से दाना अलग करने के लिए नई खलिहानी मशीनों का प्रयोग शुरू हो गया था। दंगाइयों ने इन खलिहानी मशीनों को नष्ट कर दिया। परिणामस्वरूप नौ दंगाइयों को फाँसी की सजा हुई और 450 लोगों को बन्दियों के रूप में आस्ट्रेलिया भेज दिया गया।

6. लुडिज्म आन्दोलन – इंग्लैण्ड में जनरल नेडलुड के नेतृत्व में लुडिज्म नामक आन्दोलन चलाया गया। लुडिज्म के अनुयायी मशीनों की तोड़-फोड़ में ही विश्वास नहीं करते थे, बल्कि न्यूनतम मजदूरी आदि अनेक माँगों पर भी जोर देते थे। लुडिज्म के अनुयायियों की माँगें निम्नलिखित थीं –

(i) न्यूनतम मजदूरी प्रदान की जाए
(ii) नारी एवं बाल-श्रम पर नियन्त्रण स्थापित किया जाए
(iii) मशीनों के आविष्कार एवं प्रचलन से बेरोजगार हुए लोगों को काम दिया जाए
(iv) कानूनी तौर पर अपनी माँगें प्रस्तुत करने के लिए उन्हें मजदूर संघ (ट्रेड यूनियन) बनाने का अधिकार दिया जाए।

7. ‘पीटरलू का नर-संहार’ – अगस्त, 1819 में 80,000 लोग अपने लिए लोकतान्त्रिक अधिकारों अर्थात् राजनीतिक संगठन बनाने, सार्वजनिक सभाएँ करने तथा प्रेस की स्वतन्त्रता के अधिकारों की माँग करने हेतु मैनचेस्टर में सेन्टपीटर्स मैदान में इकट्ठे हुए। वे शान्तिपूर्ण थे, परन्तु सरकार ने उनका कठोरतापूर्वक दमन कर दिया। इसे ‘पीटरलू का नरसंहार’ के नाम से पुकारा जाता है। उन्होंने जिन अधिकारों की माँग की थी, उन्हें उसी वर्ष संसद द्वारा ठुकरा दिया गया। परन्तु इससे कुछ लाभ भी हुए। पीटरलू के नरसंहार के बाद ब्रिटिश संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ को अधिक प्रतिनिधित्वकारी बनाए जाने की आवश्यकता उदारवादी राजनीतिक दलों द्वारा अनुभव की गई। 1824-25 ई. में 1795 के जुड़वाँ अधिनियमों को भी निरस्त कर दिया गया।

प्रश्न 8.
ब्रिटिश सरकार द्वारा मजदूरों की दशा सुधारने के लिए बनाए गए कानूनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार द्वारा मजदूरों की दशा सुधारने के लिए बनाए गए कानून धीरे-धीरे मजदूरों में जागृति उत्पन्न हुई और उन्होंने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू कर दिया। अन्त में बाध्य होकर सरकार को मजदूरों की दशा में सुधार करने के लिए अनेक कानून बनाने पड़े। ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का वर्णन निम्नानुसार है –
1. 1819 के कानून-1819 में ब्रिटिश सरकार द्वारा कुछ कानून बनाए गए जिनके अन्तर्गत नौ वर्ष से कम की आयु वाले बच्चों से फैक्ट्रियों में काम करवाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। नौ से सोलह वर्ष की आयु वाले बच्चों से काम कराने की सीमा 12 घण्टे तक सीमित कर दी गई। परन्तु इस कानून में प्रमुख दोष यह था कि इस कानून का पालन कराने के लिए आवश्यक अधिकारों की व्यवस्था नहीं की गई।

2. 1833 का अधिनियम – 1833 में एक अन्य अधिनियम पारित किया गया जिसके अन्तर्गत नौ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को केवल रेशम की फैक्ट्रियों में काम पर लगाने की अनुमति दी गई। बड़े बच्चों के लिए काम के घण्टे सीमित कर दिए गए और कुछ फैक्ट्री निरीक्षकों की व्यवस्था की गई ताकि अधिनियम के प्रावधानों का उचित प्रकार से पालन कराया जा सके।

3. दस घण्टा विधेयक – 1847 में ‘दस घण्टा विधेयक’ पारित किया गया। इस कानून के अन्तर्गत स्त्रियों और युवकों के लिए काम के घण्टे सीमित कर दिए गए तथा पुरुष श्रमिकों के लिए 10 घण्टे का दिन निश्चित कर दिया गया। ये अधिनियम वस्त्र उद्योगों पर ही लागू होते थे, खान उद्योग पर नहीं। ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित, 1842 के खान आयोग ने यह घोषित किया कि खानों में काम करने की परिस्थितियाँ वास्तव में 1833 के अधिनियम के लागू होने से पहले कहीं अधिक खराब हो गई हैं। इसका कारण यह था कि पहले से अधिक संख्या में बच्चों को कोयला खानों में काम पर लगाया जा रहा था।

4. 1842 का खान और कोयला खान अधिनियम – 1842 के खान और कोयला खान अधिनियम के अन्तर्गत दस वर्ष से कम आयु के बच्चों और स्त्रियों से खानों में नीचे काम लेने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।

5. फील्डर्स फैक्ट्री अधिनियम – फील्डर्स फैक्ट्री अधिनियम ने 1847 में यह कानून बना दिया कि अठारह वर्ष से कम आयु के बच्चों और स्त्रियों से 10 घण्टे प्रतिदिन से अधिक काम न लिया जाए।

6. त्रुटियाँ – इन कानूनों का पालन फैक्ट्री निरीक्षकों के द्वारा किया जाना था, परन्तु यह एक कठिन और जटिल काम था। निरीक्षकों का वेतन बहुत कम था। प्रायः प्रबन्धक उन्हें रिश्वत देकर सरलता से चुप कर देते थे। दूसरी ओर, बच्चों के माता-पिता भी उनकी आयु के सम्बन्ध में झूठ बोलकर उन्हें काम पर लगवा देते थे ताकि उनकी मजदूरी से परिवार का खर्च चलाने में सुविधा मिले।

प्रश्न 9.
क्या 1780 के दशक से 1820 के दशक के बीच हुए औद्योगिक विकास को ‘औद्योगिक क्रान्ति’ के नाम से पुकारना तर्कसंगत है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक क्रान्ति – 1970 के दशक तक, इतिहासकार ‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द का प्रयोग ब्रिटेन में 1780 के दशक से 1820 के दशक के बीच हुए औद्योगिकी विकास व विस्तारों के लिए करते थे। परन्तु उसके पश्चात् इस शब्द के प्रयोग को अनेक आधारों पर चुनौती दी जाने लगी। 1780 के दशक से 1820 के दशक के बीच हुए औद्योगिक विकास को औद्योगिक क्रान्ति की संज्ञा देना तर्क-संगत नहीं – कुछ विद्वानों का विचार है कि 1780 के दशक से 1820 के दशक के बीच हुए औद्योगिक विकास को ‘औद्योगिक क्रान्ति’ की संज्ञा देना तर्क संगत नहीं है। इन विद्वानों का कहना है कि औद्योगीकरण की क्रिया इतनी धीमी गति से होती रही कि इसे क्रान्ति की संज्ञा देना उचित नहीं है। इसके परिणामस्वरूप फैक्ट्रियों में मजदूरों की संख्या अवश्य बहुत अधिक बढ़ गई तथा धन का प्रयोग भी पहले से अधिक व्यापक रूप से होने लगा। इस सम्बन्ध में विद्वानों निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए हैं –

1. इंग्लैण्ड के बड़े-बड़े क्षेत्रों में फैक्ट्रियाँ या खानों का अभाव – उन्नीसवीं शताब्दी शुरू होने के काफी समय बाद तक भी इंग्लैण्ड के बड़े-बड़े क्षेत्रों में कोई फैक्ट्रियाँ या खानें नहीं थीं। इसलिए इसे ‘औद्योगिक क्रान्ति’ शब्द की संज्ञा देना उपयुक्त नहीं है। इंग्लैण्ड में परिवर्तन प्रमुख रूप से लन्दन, मैनचेस्टर, बर्मिंघम, न्यूकासल आदि नगरों के चारों ओर हुआ, परन्तु यह परिवर्तन सम्पूर्ण देश में नहीं हुआ।

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2. कपास या लोहा उद्योगों में हुए विकास को क्रान्तिकारी कहना उचित नहीं है- इन विद्वानों का कहना है कि 1780 के दशक से 1820 के दशक तक कपास या लौह उद्योग अथवा विदेशी व्यापार में हुए विकास को क्रान्तिकारी कहना उचित नहीं है। नई मशीनों के कारण सूती वस्त्र उद्योग में जो उल्लेखनीय विकास हुआ, वह एक ऐसे कच्चे माल (कपास) पर आधारित था जो इंग्लैण्ड में बाहर से मँगाया जाता था। इसी प्रकार तैयार माल भी दूसरे देशों में विशेषतः भारत में बेचा जाता था। धातु से निर्मित मशीनें तथा भाप की शक्ति तो उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक दुर्लभ रहीं। 1780 के दशक में ब्रिटेन के आयात-निर्यात में वृद्धि अमरीकी स्वतंत्रता संग्राम के खत्म होने के कारण हुई, न कि औद्योगिक क्रांति के कारण।

3. सतत् औद्योगीकरण का 1815-20 के बाद में दिखाई देना- विद्वानों के अनुसार सतत् औद्योगीकरण 1815-20 से पहले की बजाय बाद में दिखाई दिया था। लाभदायक निवेश उत्पादकता के स्तरों के साथ – साथ 1820 के बाद धीरे-धीरे बढ़ने लगा। 1840 के दशक तक कपास, लोहा और इन्जीनियरिंग उद्योगों से आधे से भी कम औद्योगिक उत्पादन होता था। तकनीकी उन्नति केवल इन्हीं शाखाओं में नहीं हुई, बल्कि वह कृषि उपकरणों तथा मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे अन्य उद्योग-धन्धों में भी देखी जा सकती थी। स्पष्ट है कि ब्रिटेन में औद्योगिक विकास 1815 से पहले की अपेक्षा उसके बाद ही अधिक तीव्र गति से हुआ।

4. क्रांति के साथ प्रयुक्त ‘औद्योगिक’ शब्द सीमित अर्थ वाला है – ब्रिटेन में इस काल में जो रूपान्तरण हुआ वह केवल आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उसका विस्तार इन क्षेत्रों से परे समाज के भीतर भी हुआ। इसके फलस्वरूप ही दो वर्गों – मध्यम वर्ग और मजदूर ( सर्वहारा ) वर्ग को प्रधानता मिली। अतः इसे औद्योगिक क्रांति कहना इस परिवर्तन के आयामों को सीमित करना है।

प्रश्न 10.
औद्योगिक क्रान्ति के सामाजिक एवं आर्थिक परिणामों की विवेचना कीजिए।
अथवा
औद्योगिक क्रान्ति के परिणामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
I. औद्योगिक क्रान्ति के सामाजिक परिणाम – औद्योगिक क्रान्ति के सामाजिक परिणामों का विवेचन निम्नानुसार है –
1. मजदूरों की दयनीय दशा – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप मजदूरों की दशा दयनीय बनी हुई थी। उनसे अधिक से अधिक काम लिया जाता था परन्तु उन्हें मजदूरी बहुत कम दी जाती थी। मजदूरों को गन्दे मकानों में पशुओं की भाँति जीवन व्यतीत करना पड़ता था।

2. संयुक्त परिवारों का विघटन – मजदूर रोजगार की तलाश में गाँव छोड़कर नगरों में आ गए जिससे संयुक्त परिवार प्रथा विघटित होती चली गई। अब संयुक्त परिवार टूट गए।

3. गन्दी बस्तियों की समस्या – कारखानों के आसपास मजदूरों के परिवार बस गए। वे कच्चे-पक्के झोंपड़ों में रहने लगे। इससे गन्दी बस्तियों का जन्म हुआ।

4. स्वास्थ्य की हानि – मजदूरों को गन्दे कारखानों में काम करना पड़ता था। कारखानों में शुद्ध वायु तथा प्रकाश का अभाव था। गन्दी बस्तियों में रहने तथा शुद्ध पेय जल की व्यवस्था न होने से मजदूर कई प्रकार की बीमारियों के शिकार बन जाते थे।

5. नैतिक पतन – थकावट को दूर करने के लिए मजदूरों को मनोरंजन के रूप में मद्यपान, जुए, वेश्यावृत्ति आदि का सहारा लेना पड़ा। इसके फलस्वरूप उनका नैतिक पतन हुआ।

6. मध्यम वर्ग का उदय – कारखानों के संचालन के लिए पूँजी तथा व्यावसायिक बुद्धि की आवश्यकता थी। मध्यम वर्ग के लोगों के पास पूँजी तथा व्यावसायिक बुद्धि दोनों ही थीं। इसके फलस्वरूप मध्यम वर्ग का उदय हुआ।

7. पारिवारिक जीवन पर बुरा प्रभाव – जीवन – निर्वाह करने के लिए पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों और बच्चों को भी कारखानों में काम करना पड़ता था। अतः अब घर सुनसान रहने लगे। स्त्री, पुरुष और बच्चों को आपस में मिलने- जुलने का समय नहीं मिल पाता था।

8. मानव समाज की सुख-सुविधा में वृद्धि – औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप लोगों के रहन-सहन, खान-पान, वस्त्रादि में परिवर्तन आ गया। अब मानव जीवन को अधिक से अधिक सुखदायक बनाए जाने पर बल दिया जाने लगा।

II. औद्योगिक क्रान्ति के आर्थिक परिणाम – औद्योगिक क्रान्ति के निम्नलिखित आर्थिक परिणाम हुए –
1. औद्योगिक पूँजीवाद का विकास – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप औद्योगिक पूँजीवाद का विकास हुआ। नवीन औद्योगिक व्यवस्था में वही लोग ठहर सके जिनके पास अधिक पूँजी थी।

2. नये नगरों का विकास – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप हजारों भूमिहीन किसान अपने गाँव छोड़कर आजीविका की तलाश में नगरों में आ गए और औद्योगिक केन्द्रों के आसपास रहने लगे। इस प्रकार औद्योगिक केन्द्रों के आसपास नये नगरों का विकास हुआ।

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3. राष्ट्रीय पूँजी में वृद्धि – उद्योग-धन्धों तथा व्यापार की उन्नति के कारण अनेक देशों की राष्ट्रीय पूँजी में वृद्धि हुई।

4. बड़े कारखानों की स्थापना – औद्योगिक क्रान्ति के कारण बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना हुई जिनमें हजारों लोग एक-साथ काम करते थे। बड़े-बड़े कारखानों में ‘फैक्ट्री पद्धति अपनाई गई।

5. बड़े पैमाने पर उत्पादन – औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप उत्पादन बहुत बढ़ गया। इंग्लैण्ड में वस्त्र – उद्योग, लौह एवं इस्पात उद्योग, कोयला उद्योग, जहाज, मशीनों तथा रेलों के उद्योगों में आश्चर्यजनक उन्नति हुई।

6. दैनिक जीवन की वस्तुओं का सस्ता होना – बड़े-बड़े कारखानों में दैनिक आवश्यकता में काम में आने वाली वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाने लगा। परिणामस्वरूप दैनिक जीवन में काम में आने वाली वस्तुएँ सस्ती हो गईं।

7. घरेलू उद्योगों का विनाश – मशीनों से बनी हुई वस्तुएँ घरेलू उद्योगों की वस्तुओं से काफी सस्ती तथा सुन्दर होती थीं। परिणामस्वरूप घरेलू उद्योग-धन्धे नष्ट होते गए।

8. बेरोजगारी की समस्या – घरेलू उद्योग-धन्धों के नष्ट हो जाने से असंख्य लोग बेरोजगार हो गए। एक मशीन कई व्यक्तियों का कार्य कर सकती थी। परिणामस्वरूप घरेलू उद्योगों में लगे हुए कारीगर बड़ी संख्या में बेरोजगार हो गए।

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Jharkhand Board JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव Important Questions and Answers.

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बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग रहते थे –
(अ) क्यूबा
(ब) अन्ध महासागर के क्षेत्र
(स) मैक्सिको
(द) कैरीबियन द्वीप-समूह।
उत्तर:
(द) कैरीबियन द्वीप-समूह।

2. एजटेक लोग रहते थे –
(अ) ब्राजील
(ब) काँगो
(स) मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी
(द) न्यूयार्क।
उत्तर:
(स) मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी

3. मक्का की खेती किन लोगों की सभ्यता का मुख्य आधार था-
(अ) तुपिनांबा
(ब) अरावाकी
(स) एजटेक
(द) माया।
उत्तर:
(द) माया।

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4. दक्षिणी अमरीकी देशों की संस्कृतियों में से सबसे बड़ी संस्कृति. थी –
(अ) स्पेनिश लोगों की
(ब) इंका लोगों की
(स) एजटेक लोगों की
(द) अरावाकी लोगों की।
उत्तर:
(ब) इंका लोगों की

5. पन्द्रहर्वीं शताब्दी में खोज-यात्रियों में कौनसे यूरोपीय देश सबसे आगे थे?
(अ) इंग्लैण्ड
(ब) हालैण्ड
(स) स्पेन और पुर्तगाल
(द) बेल्जियम और फ्रांस।
उत्तर:
(स) स्पेन और पुर्तगाल

6. कोलम्बस द्वारा खोजे गए उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का नामकरण किसके नाम पर किया गया-
(अ) कोलम्बस
(ब) वास्कोडिगामा
(स) अमेरिगो वेस्पुस्सी
(द) हेनरी।
उत्तर:
(स) अमेरिगो वेस्पुस्सी

7. मैक्सिको पर अधिकार करने वाला स्पेन का निवासी था-
(अ) डियाज
(ब) हेनरी
(स) मोटेजुमा
(द) कोर्टेस।
उत्तर:
(द) कोर्टेस।

8. इंका साम्राज्य पर अधिकार करने वाला स्पेन का निवासी था-
(अ) कैब्राल
(ब) पिजारो
(स) क्वेटेमोक
(द) कोर्टेस।
उत्तर:
(ब) पिजारो

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रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. ……………. लोग लड़ने की बजाय बातचीत से झगड़ा निपटाना अधिक पसंद करते थे।
2. …………….. लोग दक्षिणी अमरीका के पूर्वी समद्र तट तथा ब्राजील-पेड़ों के जंगलों में बसे हुए गांवों में रहते थे।
3. 12 वीं सदी में …………… लोग उत्तर से आकर मेक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे।
4. ……………. की खेती मैक्सिको की माया संस्कृति का मुख्य आधार थी।
5. दक्षिणी अमरीकी देशज संस्कृतियों में सबसे बड़ी पेरू में ……….. लोगों की संस्कृति थी।
उत्तर:
1. अरावाक
2. तुपिनांबा
3. एजटेक
4. मक्का
5. इंका

निम्न में से सत्य/असत्य कथन छाँटिये –
1. 1380 में कुतुबनुमा का आविष्कार हो चुका था।
2. 15 वीं शताब्दी में इंग्लैंड और फ्रांस के लोग समुद्री खोज यात्राओं में सबसे आगे रहे।
3. 14 वीं शताब्दी के मध्य से 15 वीं शताब्दी के मध्य तक यूरोप की अर्थव्यवस्था उन्नति के दौर से गुजर रही थी।
4. 12 अक्टूबर, 1492 को कोलम्बस ने बहाना द्वीपसमूह के गुआनाहानि द्वीप की खोज की।
5. सन् 1521 में कोर्टेस ने एजटेक लोगों को हराया।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
3. असत्य
4. सत्य
5. सत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये –

1. टॉलेमी (अ) बहामा द्वीप समूह के गुहानाहानि द्वीप की खोज की
2. कोलम्बस (ब) मैक्सिको पर विजय प्रास की
3. कोर्टेस (स) इंका राज्य पर विजय प्राप्त की
4. पिजारो (द) ‘ज्योग्राफी’ नामक पुस्तक लिखी
5. क्रैब्राल (य) ब्राजील की खोज की

उत्तर:

1. टॉलेमी (द) ‘ज्योग्राफी’ नामक पुस्तक लिखी
2. कोलम्बस (अ) बहामा द्वीप समूह के गुहानाहानि द्वीप की खोज की
3. कोर्टेस (ब) मैक्सिको पर विजय प्रात की
4. पिजारो (स) इंका राज्य पर विजय प्राप्त की
5. क्रैब्नाल (य) ब्राजील की खोज की

 

प्रश्न 1.
समुद्री खोजों का कार्य सर्वप्रथम किन यूरोपीय देशों ने किया ?
उत्तर:स्पेन और पुर्तगाल ने।

प्रश्न 2.
मैक्सिको की माया संस्कृति का मुख्य आधार क्या थी?
उत्तर:
मक्के की खेती।

प्रश्न 3.
कुतुबनुमा का आविष्कार कब हुआ ?
उत्तर:
1380 ई. में

प्रश्न 4.
कुतुबनुमा की समुद्री यात्राओं में क्या उपयोगिता थी ?
उत्तर:
यात्रियों को खुले समुद्र में दिशाओं की सही जानकारी मिलना।

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प्रश्न 5.
एजटेक लोग कहाँ के निवासी थे ?
उत्तर:
मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी के।

प्रश्न 6.
एजटेक लोगों ने भूमि उद्धार क्यों किया?
उत्तर:
भूमि की कमी के कारण।

प्रश्न 7.
माया संस्कृति कहाँ प्रचलित थी ?
उत्तर:
मैक्सिको में।

प्रश्न 8.
टालेमी ने किस पुस्तक की रचना की थी ?
उत्तर:
‘ज्योग्राफी’।

प्रश्न 9.
‘ज्योग्राफी’ पुस्तक कब प्रकाशित हुई ?
उत्तर:
1477 ई. में।

प्रश्न 10.
कोलम्बस अपने अभियान पर कब रवाना हुआ?
उत्तर:
अगस्त, 1942 को।

प्रश्न 11.
कोलम्बस ने किस द्वीप की खोज की?
उत्तर:
बहामा द्वीप समूह के गुआनाहानि द्वीप की।

प्रश्न 12.
कोलम्बस द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका का क्या नाम रखा गया ?
उत्तर:
नई दुनिया

प्रश्न 13.
मैक्सिको पर किसने विजय प्राप्त की और कब ?
उत्तर:
1519 में स्पेन के निवासी कोर्टेस ने।

प्रश्न 14.
इंका राज्य पर किसने विजय प्राप्त की और कब की ?
उत्तर:
1532 में पिजारो ने इंका राज्य पर विजय प्राप्त की।

प्रश्न 15.
ब्राजील की खोज किसने की ?
उत्तर:
स्पेन – निवासी कैब्राल ने।

प्रश्न 16.
यूरोपवासियों को अमेरिका में पैदा होने वाली किन नई फसलों के बारे में जानकारी हुई?
उत्तर:
आलू, तम्बाकू, गन्ने की चीनी, रबड़, लाल मिर्च।

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प्रश्न 17.
एजटेक की राजधानी कौन सी थी ?
उत्तर:
टेनोक्टिलान।

प्रश्न 18.
माया संस्कृति में खेतों में बेशुमार पैदावार क्यों होती थी?
उत्तर:
खेती करने के उन्नत और कुशलतापूर्ण तरीकों के कारण।

प्रश्न 19.
दक्षिणी अमरीकी देशज संस्कृतियों में सबसे बड़ी संस्कृति किनकी थी ?
उत्तर:
इंका लोगों की।

प्रश्न 20.
आज दक्षिण अमेरिका को क्या कहा जाता है ?
उत्तर:
‘लैटिन अमेरिका’।

प्रश्न 21.
अफ्रीका के किन देशों से दास पकड़ कर यूरोप और अमेरिका ले जाये जाते थे? दो का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
(1) अंगोला
(2) सिमरालोन।

प्रश्न 22.
कोलम्बस ने गुआनाहानि का क्या नाम रखा ?
उत्तर:
सैन सैल्वाडोर।

प्रश्न 23.
पुर्तगाल का राजकुमार हेनरी किस नाम से प्रसिद्ध था ?
उत्तर:
‘नाविक’ के नाम से।

प्रश्न 24.
कोलम्बस ने किस देश की खोज की थी ?
उत्तर:
उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका।

प्रश्न 25.
कोलम्बस ने अमेरिका का नाम किसके नाम पर रखा था ?
उत्तर:
‘अमेरिगो वेस्पुस्सी’ नामक भूगोलवेत्ता के नाम पर।

प्रश्न 26.
पन्द्रहवीं शताब्दी से सत्रहवीं शताब्दी के बीच यूरोपीय लोगों ने कौनसी वस्तुएँ प्राप्त करने के लिए समुद्री यात्राएँ कीं ?
उत्तर:
पन्द्रहवीं शताब्दी तथा सत्रहवीं शताब्दी के बीच यूरोपीय लोगों ने चाँदी और मसाले प्राप्त करने के लिए समुद्री यात्राएँ कीं।

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प्रश्न 27.
दक्षिण अमेरिका की खोज और बाद में बाहरी लोगों का वहाँ बस जाना वहां के मूल निवासियों के लिए उनकी संस्कृतियों के लिए विनाशकारी क्यों सिद्ध हुआ?
उत्तर:
यूरोपवासी अफ्रीका से गुलाम पकड़ कर या खरीद कर उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका की खानों तथा बागानों में काम करने के लिए बेचने लगे।

प्रश्न 28.
अमेरिका के लोगों पर यूरोपवासियों की विजय का क्या दुष्परिणाम हुआ ?
उत्तर:
अमरीकी लोगों की पांडुलिपियों तथा स्मारकों को निर्ममतापूर्वक नष्ट कर दिया गया।

प्रश्न 29.
दक्षिणी अमेरिका तथा मध्य अमेरिका की भौगोलिक स्थिति बताइए।
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिका घने जंगलों तथा पहाड़ों से ढका हुआ था। विश्व की सबसे बड़ी नदी अमेजन वहाँ के घने वन्य प्रदेशों से होकर बहती थी।

प्रश्न 30.
मध्य अमेरिका की भौगोलिक स्थिति बताइये।
उत्तर:
मध्य अमेरिका में मेक्सिको में समुद्रतट के आस-पास के क्षेत्र तथा मैदानी प्रदेश घने बसे हुए थे, अन्यत्र सघन वनों वाले प्रदेशों में गाँव दूर-दूर स्थित थे जबकि

प्रश्न 31.
अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कहाँ रहते थे?
उत्तर:
अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कैरीबियन सागर में स्थित छोटे-छोटे सैकड़ों द्वीप-समूहों तथा बृहत्तर ऐंटिली में रहते थे।

प्रश्न 32.
अरावाकी लोगों की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) अरावाकी लोग शान्तिप्रिय थे। वे लड़ने की बजाय वार्तालाप से झगड़ा निपटाना अधिक पसन्द करते थे।
(2) वे कुशल नौका-निर्माता थे।

प्रश्न 33.
‘जीववादी’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जीववादियों का विश्वास है कि आज के वैज्ञानिक जिन वस्तुओं को निर्जीव मानते हैं, उनमें भी जीव या आत्मा हो सकती है।

प्रश्न 34.
अरावाकी संस्कृति की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) अरावाकी संस्कृति के लोग अपने वंश के बुजुर्गों के अधीन संगठित थे। (2) उनमें बहु-विवाह प्रथा प्रचलित थी।

प्रश्न 35.
‘तुपिनांबा’ लोग कहाँ रहते थे?
उत्तर:
तुपिनांबा लोग दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी समुद्र तट पर और ब्राजील नामक पेड़ों के जंगलों में बसे हुए गाँवों में रहते थे।

प्रश्न 36.
तुपिनांबा लोग खेती क्यों नहीं कर पाते थे ?
उत्तर:
तुपिनांबा लोग खेती के लिए घने जंगलों का सफाया नहीं कर सके क्योंकि पेड़ काटने का कुल्हाड़ा बनाने के लिए उनके पास लोहा नहीं था।

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प्रश्न 37.
तुपिनांबा लोगों को कृषि पर निर्भर क्यों नहीं होना पड़ा ?
उत्तर:
तुपिनांबा लोगों को बहुतायत से फल, सब्जियाँ, मछलियाँ आदि मिल जाती थीं जिससे उन्हें खेती पर निर्भर नहीं रहना पड़ता था।

प्रश्न 38.
मध्य अमेरिका की संस्कृति की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) मध्य अमेरिका के राज्यों में मक्के की उपज अत्यधिक होती थी
(2) इन शहरों की वास्तुकला उच्चकोटि की थी।

प्रश्न 39.
एजटेक लोग कौन थे ?
उत्तर:
बारहवीं शताब्दी में एजटेक लोग उत्तर से आकर मेक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे। उन्होंने अनेक जनजातियों को हराकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया।

प्रश्न 40.
एजटेक समाज किन वर्गों में विभाजित था ?
उत्तर:
(1) अभिजात वर्ग (उच्चकुलोत्पन्न, पुरोहित)
(2) व्यापारी वर्ग थे।
(3) शिल्पी, चिकित्सक तथा विशिष्ट अध्यापक।

प्रश्न 41.
भूमि उद्धार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
भूमि उद्धार का अभिप्राय बंजर भूमि को आवासीय अथवा कृषि योग्य भूमि में परिवर्तन से है।

प्रश्न 42.
एजटेक लोगों द्वारा बनाए गए चिनाम्पा क्या थे?
उत्तर:
एजटेक लोगों ने मैक्सिको झील में कृत्रिम टापू बनाए जिन्हें ‘चिनाम्पा’ कहते थे। ये द्वीप अत्यन्त उपजाऊ थे।

प्रश्न 43.
एजटेक लोगों की वास्तुकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
एजटेक लोगों ने 1325 में राजधानी टेनोक्टिलान का निर्माण किया जिसके राजमहल और पिरामिड झील के बीच में खड़े हुए दर्शनीय लगते थे।

प्रश्न 44.
एजटेक लोगों के धर्म की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) एजटेक लोग सूर्य देवता तथा अन्न देवी की पूजा करते थे।
(2) उनके मन्दिर भी युद्ध के देवताओं और सूर्य भगवान को समर्पित थे।

प्रश्न 45.
माया संस्कृति की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) मक्के की खेती माया संस्कृति का मुख्य आधार थी।
(2) खेती करने के तरीके उन्नत और कुशलतापूर्ण थे।

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प्रश्न 46.
माया लोगों की लिपि के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
माया लोगों की लिपि चित्रात्मक लिपि कहलाती थी। परन्तु इस लिपि को अभी तक पूरी तरह नहीं पढ़ा जा सका है।

प्रश्न 47.
माया संस्कृति की दो उपलब्धियाँ बताइए।
उत्तर:
(1) माया संस्कृति में वास्तुकला, खगोल विज्ञान और गणित जैसे विषयों की पर्याप्त उन्नति हुई।
(2) माया लोगों के पास अपनी एक चित्रात्मक लिपि थी।

प्रश्न 48.
इंका लोगों की संस्कृति कहाँ विकसित हुई थी ? उनका साम्राज्य कहाँ तक फैला हुआ था ?
उत्तर:
(1) पेरू में इंका लोगों की संस्कृति विकसित हुई।
(2) उनका साम्राज्य इक्वेडोर से चिली तक 3000 मील में फैला हुआ था।

प्रश्न 49.
इंका संस्कृति की दो राजनीतिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) साम्राज्य अत्यन्त केन्द्रीकृत था। राजा में ही सम्पूर्ण शक्ति निहित थी।
(2) प्रत्येक व्यक्ति को प्रशासन की भाषा क्वेचुआ बोलनी पड़ती थी।

प्रश्न 50.
“इंका लोगों की वास्तुकला उच्चकोटि की थी।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उन्होंने पहाड़ों के बीच इक्वेडोर से चिली तक अनेक सड़कें बनाईं। उनके किले शिलापट्टियों को बारीकी से तराश कर बनाए जाते थे।

प्रश्न 51.
इंका सभ्यता की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) इंका सभ्यता का आधार कृषि था।
(2) उनकी बुनाई और मिट्टी के बर्तन बनाने की कला उच्च कोटि की थी।

प्रश्न 52.
इंका लोगों की हिसाब लगाने की प्रणाली को समझाइए।
उत्तर:
इंका लोगों के पास हिसाब लगाने की एक प्रणाली थी, जो ‘क्विपु’ कहलाती थी। इसके अनुसार डोरियों पर गाँठें लगाकर गणितीय इकाइयों का हिसाब रखा जाता था।

प्रश्न 53.
एजटेक तथा इंका संस्कृतियाँ यूरोपीय संस्कृति से किस प्रकार भिन्न थीं?
उत्तर:
एजटेक तथा इंका लोगों का समाज श्रेणीबद्ध था, परन्तु वहाँ यूरोप की भाँति कुछ लोगों के हाथों में संसाधनों का निजी स्वामित्व नहीं था।

प्रश्न 54.
15वीं शताब्दी से लेकर 17वीं शताब्दी तक की अवधि में खोज – यात्राएँ करना सरल हो गया था। इसके दो कारण बताइए |
उत्तर:
(1) 1380 में कुतुबनुमा (दिशासूचक यन्त्र) का आविष्कार हो चुका था।
(2) इस समय तक समुद्री यात्रा पर जाने वाले जहाजों में काफी सुधार हो चुका था।

प्रश्न 55.
सृष्टि – शास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सृष्टि – शास्त्र विश्व का मानचित्र तैयार करने का विज्ञान है।

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प्रश्न 56.
टालेमी की पुस्तक ‘ज्योग्राफी’ से समुद्री खोज करने वाले यात्री किस प्रकार लाभान्वित हुए?
उत्तर:
टालेमी ने विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति को अक्षांश और देशान्तर रेखाओं के रूप में व्यवस्थित किया था। जिनसे यूरोपवासियों को संसार के बारे में जानकारी मिली।

प्रश्न 57.
स्पेन और पुर्तगाल के शासक समुद्री खोज के लिए लालायित क्यों थे? दो कारण लिखिए।
उत्तर:
(1) यूरोप की अर्थव्यवस्था में गिरावट आ गई थी।
(2) स्पेन और पुर्तगाल के ईसाई बाहरी विश्व के लोगों को ईसाई बनाना चाहते थे।

प्रश्न 58.
अफ्रीकी देशों की खोज में पुर्तगाल के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पुर्तगाल के राजकुमार हेनरी ने पश्चिमी अफ्रीका की तटीय यात्रा आयोजित की और सिउटा पर आक्रमण किया। अफ्रीका के बोजाडोर अन्तरीप में पुर्तगालियों ने अपना व्यापार- केन्द्र स्थापित कर लिया।

प्रश्न 59.
‘रीकांक्विस्टा’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
कांक्विस्टा ईसाई राजाओं द्वारा आइबेरियन प्रायद्वीप (स्पेन और पुर्तगाल) पर प्राप्त की गई सैनिक विजय

प्रश्न 60.
‘कैपिटुलैसियोन’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘कैपिटुलैसियोन’ एक प्रकार के इकरारनामे थे जिनके अन्तर्गत स्पेन का शासक नव – विजित प्रदेशों पर अपनी प्रभुसत्ता स्थापित कर लेता था।

प्रश्न 61.
कोलम्बस कौन था ?
उत्तर:
कोलम्बस इटली का निवासी था। 12 अक्टूबर 1492 ई. को उसने बहामा के गुआनाहानि द्वीप की खोज

प्रश्न 62.
कोलम्बस किन तीन जहाजों को लेकर अटलांटिक यात्रा के लिए रवाना हुआ था ?
उत्तर:
‘सान्ता मारिया’ नामक एक छोटी नाओ ( भारी जहाज) तथा दो कैरेवल (छोटे हल्के जहाज) ‘पिंटा’ तथा ‘नीना’ को लेकर।

प्रश्न 63.
कोलम्बस ने गुआनाहानि द्वीप का नया नाम क्या रखा ? उसने वहाँ अपने आपको क्या घोषित किया ?
उत्तर:
(1) कोलम्बस ने गुआनाहानि का नया नाम सैन सैल्वाडोर रखा।
(2) उसने अपने आपको वायसराय (स्पेन के राजा का प्रतिनिधि) घोषित किया।

प्रश्न 64.
कोलम्बस की विशेष उपलब्धि क्या थी?
उत्तर:
कोलम्बस की विशेष उपलब्धि यह रही कि उसने अनन्त समुद्र की सीमाएं खोज निकालीं।

प्रश्न 65.
कोलम्बस द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का नामकरण किसके नाम पर किया गया ?
उत्तर:
कोलम्बस द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का नामकरण ‘अमेरिगो वेस्पुस्सी’ के नाम पर किया गया।

प्रश्न 66.
अमेरिका में स्पेनी साम्राज्य का विस्तार किसकी बदौलत हुआ?
उत्तर:
अमेरिका में स्पेनी साम्राज्य का विस्तार बारूद और घोड़ों के प्रयोग पर आधारित स्पेन की सैन्य शक्ति की बदौलत हुआ।

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प्रश्न 67.
बार्टोलोम डिलास कैसास कौन था? उसने स्पेनी उपनिवेशक के बारे में क्या कहा है?
उत्तर:
बार्टोलोम डिलास कैसास एक कैथोलिक भिक्षु था। उसने कहा है कि स्पेनी उपनिवेशक प्रायः अपनी तलवार की धार अरावाकों के नंगे शरीर पर आजमाते थे।

प्रश्न 68.
स्पेन के आक्रमणकारी टेनोक्टिलैन नगर को देखकर क्यों आश्चर्यचकित हुए?
उत्तर:
क्योंकि यह नगर मैड्रिड से पाँच गुना बड़ा था और इसकी जनसंख्या स्पेन के सबसे बड़े शहर सेविली से दो गुनी ( अर्थात् एक लाख ) थी.

प्रश्न 69.
डोना मैरीना कौन थी?
उत्तर:
डोना मैरीना कोर्टेस की सहायिका थी। उसने कोर्टेस के लिए दुभाषिये के रूप में कार्य किया।

प्रश्न 70.
कौनसी घटना ‘आँसू भरी रात’ के नाम से जाना जाती है?
उत्तर:
एजटेकों तथा स्पेनियों के बीच हुई लड़ाई में लगभग 600 अत्याचारी स्पेनिश सैनिक और उतने ही ट्लैक्सक्लान के लोग मारे गए। इसे ‘आँसू भरी रात’ कहा जाता है।

प्रश्न 71.
मैक्सिको पर स्पेन की विजय के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
(1) कोर्टेस मैक्सिको में ‘न्यू स्पेन’ का कैप्टन – जनरल बन गया।
( 2 ) स्पेनियों ने अपना नियन्त्रण . ग्वातेमाला, निकारगुआ पर भी कर लिया।

प्रश्न 72.
पिजारो कौन था ?
उत्तर:
पिजारो एक निर्धन और अनपढ़ व्यक्ति था। उसने इंका राज्य पर विजय प्राप्त की थी।

प्रश्न 73.
पिजारो द्वारा इंका राज्य की विजय का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1532 में स्पेन निवासी पिजारो ने इंका राज्य पर आक्रमण किया और लूट-पाट के बाद इंका राज्य पर अधिकार कर लिया।

प्रश्न 74.
कैब्राल कौन था?
उत्तर:
कैब्राल पुर्तगाल-निवासी था। उसने पश्चिमी अफ्रीका का एक चक्कर लगाया और ब्राजील पहुँच गया।

प्रश्न 75.
ब्राजील में कौनसा प्राकृतिक संसाधन था?
उत्तर:
ब्राजील में एक प्राकृतिक संसाधन था और वह था ‘इमारती लकड़ी’।

प्रश्न 76.
पुर्तगालियों और फ्रांसीसियों में किस कारण भयंकर लड़ाइयाँ हुईं और इनमें कौन विजयी हुए?
उत्तर:
इमारती लकड़ी के व्यापार के कारण पुर्तगालियों और फ्रांसीसियों के बीच भयंकर लड़ाइयाँ हुईं जिनमें पुर्तगालियों की जीत हुई।

प्रश्न 77.
यूरोपीय निवासी जेसुइट पादरियों को पसन्द क्यों नहीं करते थे ?
उत्तर:
जेसुइट पादरी मूल निवासियों के साथ दया का बर्ताव करने की सलाह देते थे और दास प्रथा की कटु आलोचना करते थे।

प्रश्न 78.
अमरीका की खोज के यूरोपवासियों के लिए निकले दो परिणाम बताइए।
उत्तर:
(1) सोने-चाँदी की बाढ़ ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और औद्योगीकरण का और अधिक विस्तार किया।
(2) यूरोपवासियों को अमेरिका में पैदा होने वाली नई-नई फसलों के बारे में जानकारी मिली।

प्रश्न 79.
उत्पादन की पूँजीवादी प्रणाली से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उत्पादन की पूँजीवादी प्रणाली वह होती है जिसमें उत्पादन तथा वितरण के साधनों का स्वामित्व व्यक्तियों अथवा निगमों के पास होता है।

प्रश्न 80.
दक्षिण अमरीका को आज ‘लैटिन अमरीका’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
दक्षिण अमेरिका को आज ‘लैटिन अमरीका’ भी कहा जाता है क्योंकि स्पेनी और पुर्तगाली दोनों भाषाएँ लैटिन भाषा परिवार की हैं।

प्रश्न 80.
उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के मूल निवासियों के लिए यूरोपवासियों के अभियानों के क्या परिणाम निकले ?
उत्तर:
(1) उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के मूल निवासियों की जनसंख्या कम हो गई।
(2) उनकी जीवन- शैली नष्ट हो गई।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अमेरिका के लोगों पर यूरोपवासियों की विजय का क्या दुष्परिणाम हुआ ?
उत्तर:
अमेरिका के लोगों पर यूरोपवासियों की विजय का दुष्परिणाम – अमरीका के लोगों पर यूरोपवासियों की विजय का एक दुष्परिणाम यह हुआ कि अमरीकी लोगों की पांडुलिपियों और स्मारकों को नष्ट कर दिया गया। इसके बाद उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम दौर में जाकर ही मानव विज्ञानियों द्वारा इन संस्कृतियों का अध्ययन प्रारम्भ किया गया और उसके पश्चात् पुरातत्त्ववेत्ताओं ने इन सभ्यताओं के भग्नावशेषों को ढूँढ़ निकाला। सन् 1911 में इंकाई नगर माचू-पिच्चू की पुनः खोज की गई। वर्तमान में, वायुयान से लिए गए चित्रों से ज्ञात होता है कि वहाँ और भी कई नगर थे जो अब जंगलों से ढके हुए हैं।

प्रश्न 2.
“हम अमरीका के मूल निवासियों तथा यूरोपवासियों के बीच हुई मुठभेड़ों के बारे में मूल निवासियों के पक्ष को तो अधिक नहीं जानते, परन्तु यूरोपीय पक्ष को विस्तारपूर्वक जानते हैं। ” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
र-हम अमरीका के मूल निवासियों तथा यूरोपवासियों के बीच हुई मुठभेड़ों के सम्बन्ध में मूल निवासियों के पक्ष को तो अधिक नहीं जानते, परन्तु यूरोपीय पक्ष को विस्तारपूर्वक जानते हैं। इसका कारण यह है कि जो यूरोपवासी अमरीका की यात्राओं पर गए, वे अपने साथ रोजनामचा और डायरियाँ रखते थे। इनमें वे अपनी यात्राओं का दैनिक विवरण लिखते थे। हमें यूरोप के सरकारी अधिकारियों एवं जेसुइट धर्म प्रचारकों के विवरणों से भी इन संघर्षों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। परन्तु यूरोपवासियों ने अपनी अमरीकी खोज के बारे में जो कुछ विवरण दिया है और वहाँ के देशों के जिन इतिहासों की रचना की है, उनमें यूरोपीय बस्तियों के बारे में ही अधिक लिखा गया है। उनमें स्थानीय लोगों के बारे में बहुत कम या न के बराबर ही लिखा गया है।

प्रश्न 3.
‘समुद्री खोजी यात्राओं’ के पीछे वास्तविक प्रेरक तत्त्व क्या थे?
उत्तर:
समुद्री खोजी यात्राओं के पीछे मुख्य प्रेरक तत्त्व निम्नलिखित थे –
(i) 14वीं तथा 15वीं सदी में यूरोप में आयी अर्थव्यवस्था की गिरावट से उबरने हेतु पूर्वी देशों से व्यापार कर व्यापार में वृद्धि करना तथा धन कमाने की इच्छा का प्रबल होना।
(ii) मसाले और सोना प्राप्त करके यश कमाना।
(iii) रोमांचकारी साहसिक यात्राएँ करके विदेशों में ईसाई धर्म का प्रचार करना।
(iv) नये स्थानों की खोज करके वहाँ अपना राजनैतिक नियंत्रण स्थापित कर, उन्हें अपने उपनिवेश बना कर अधिक लाभ कमाना।

प्रश्न 4.
अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कौन थे? उनकी संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कैरीबियन सागर में स्थित छोटे-छोटे सैकड़ों द्वीप-समूहों और बृहत्तर ऐंटिलीज में रहते थे।
अरावाक संस्कृति की विशेषताएँ –
1. अरावाक लोग शान्तिप्रिय, उदार तथा सहयोगी प्रवृत्ति के थे। वे लड़ने की अपेक्षा वार्तालाप द्वारा झगड़े निपटाना चाहते थे।
2. वे कुशल नौका-निर्माता थे और डोंगियों में बैठकर खुले समुद्र में यात्रा करते थे।
3. वे खेती, शिकार और मछली पकड़ कर अपना जीवन-निर्वाह करते थे। वे मक्का, मीठे आलू, कन्द-मूल और कसावा की फसलें उगाते थे।
4. वे सब एक साथ मिलकर खाद्य उत्पादन करते थे। उनका यह प्रयत्न रहता था कि समुदाय के प्रत्येक सदस्य को भोजन प्राप्त हो।
5. वे अपने वंश के बुजुर्गों के अधीन संगठित रहते थे।
6. उनमें बहु-विवाह प्रथा प्रचलित थी। वे जीववादी थे।
7. अरावाक लोग सोने के आभूषण पहनते थे, परन्तु यूरोपवासियों की भाँति सोने को उतना महत्त्व नहीं देते थे उनमें बुनाई की कला बहुत विकसित थी। वे झूले का प्रयोग करते थे।
8. उनमें बनाई की कला बहत विकसित थी। वे झले का प्रयोग करते थे।

प्रश्न 5.
अरावाक लोगों के प्रति यूरोपीय ( स्पेनी) लोगों के व्यवहार की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
अरावाक लोगों को यदि कोई यूरोपवासी सोने के बदले काँच के मनके दे देता था, तो वे प्रसन्न हो जाते थे, क्योंकि उन्हें काँच का मनका अधिक सुन्दर दिखाई देता था। हैमक अर्थात् झूले का प्रयोग उनकी एक विशेषता थी जिसे यूरोपीय लोग बहुत पसन्द करते थे। अरावाकी लोगों का व्यवहार उदारतापूर्ण होता था और वे सोने की तलाश में स्पेनी लोगों की सहायता करने के लिए सदैव तैयार रहते थे। परन्तु सोने के लालच में स्पेनी लोग अरावाकों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने लगे तो उनमें असन्तोष उत्पन्न हुआ। अतः अरावाकों ने स्पेनियों की अत्याचारपूर्ण नीति का विरोध किया, परन्तु उन्हें उसके विनाशकारी परिणाम भुगतने पड़े। स्पेनी लोगों के सम्पर्क में आने के बाद लगभग 25 वर्ष के अन्दर ही अरावाकों और उनकी जीवन-शैली का विनाश हो गया।

प्रश्न 6.
‘तुपिनांबा’ लोग कहाँ रहते थे? उनकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तुपिनांबा – तुपिनांबा लोग दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी समुद्रतट पर तथा ब्राजील नामक वृक्षों के जंगलों में बसे गाँवों में रहते थे। वे खेती के लिए जंगलों का सफाया नहीं कर सके, क्योंकि वृक्ष काटने का कुल्हाड़ा बनाने के लिए उनके पास लोहा नहीं था। फिर भी उन्हें बड़ी मात्रा में फल, सब्जियाँ और मछलियाँ मिल जाती थीं जिससे उन्हें . खेती पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। वे प्रसन्नचित्त रहते थे और स्वतन्त्रतापूर्वक जीवन व्यतीत करते थे। उनसे मिलने वाले यूरोपीय लोग उनकी स्वतन्त्रता को देखकर उनसे ईर्ष्या करने लगते थे। इसका कारण यह था कि वहाँ न कोई राजा था, न सेना थी, न कोई चर्च था जो उनके जीवन को नियन्त्रित कर सके।

प्रश्न 7.
एजटेक लोग कौन थे? उनके सामाजिक संगठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एजटेक लोग-बारहवीं शताब्दी में एजटेक लोग उत्तर से आकर मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे। उन्होंने अनेक जनजातियों को हराकर अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया और उन पराजित लोगों से कर वसूल करने लगे। एजटेक लोगों का सामाजिक संगठन- एजटेक समाज श्रेणीबद्ध था। अभिजात वर्ग में उच्चकुलोत्पन्न, पुरोहित तथा वे लोग सम्मिलित थे जिन्हें बाद में यह प्रतिष्ठा दी गई थी। वे सरकार, सेना और पौरोहित्य कर्म में उच्च पदों पर नियुक्त थे। अभिजात वर्ग के लोग अपनों में से एक सर्वोच्च नेता का चुनाव करते थे जो आजीवन शासक बना रहता था। राजा पृथ्वी पर सूर्य देवता का प्रतिनिधि माना जाता था। समाज में योद्धा, पुरोहित तथा अभिजात वर्गों को सर्वाधिक सम्मान दिया जाता था। व्यापारियों को भी अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे। उन्हें प्रायः सरकारी राजदूतों तथा गुप्तचरों के पदों पर नियुक्त किया जाता था। कुशल शिल्पियों, चिकित्सकों तथा विशिष्ट अध्यापकों को भी आदर की दृष्टि से देखा जाता था।

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प्रश्न 8.
एजटेक लोगों ने भूमि की कमी को पूरा करने के लिए किस प्रकार भूमि उद्धार किया?
उत्तर:
(1) एजटेक लोगों के पास भूमि की कमी थी, इसलिए उन्होंने भूमि उद्धार (जल में से जमीन लेकर इस कमी को पूरा करना) किया। सरकंडे की बहुत बड़ी चटाइयाँ बुनकर और उन्हें मिट्टी तथा पत्तों से ढककर उन्होंने मैक्सिको झील में कृत्रिम टापू बनाये, जो ‘चिनाम्पा’ कहलाते थे। इन अत्यन्त उपजाऊ द्वीपों के मध्य नहरों का निर्माण किया गया। इन पर 1325 में एजटेक राजधानी टेनोक्टिलान का निर्माण किया गया। इसमें बने हुए राजमहल और पिरामिड झील के बीच में खड़े हुए बड़ा सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करते थे।

प्रश्न 9.
एजटेक लोगों की आर्थिक स्थिति का विवेचन कीजिए।
(2) एजटेक लोग मक्का, फलियाँ, कुम्हड़ा, कद्दू, कसावा, आलू और अन्य फसलें उगाते थे। भूमि का स्वामित्व किसी व्यक्ति विशेष के पास नहीं होता था, बल्कि यह स्वामित्व कुल के पास होता था। खेतिहर लोग अभिजातों के खेत जोतते थे और इसके बदले उन्हें फसल में से कुछ हिस्सा मिलता था। गरीब लोग कभी-कभी अपने बच्चों को भी गुलामों के रूप में बेच देते थे।

प्रश्न 10.
शिक्षा के प्रति एजटेक लोगों का क्या दृष्टिकोण था ?
अथवा
एजटेक लोगों की शैक्षणिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
शिक्षा के प्रति एजटेक लोगों का दृष्टिकोण – एजटेक लोगों की शिक्षा में बड़ी रुचि थी। वे इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखते थे कि उनके सभी बच्चे स्कूल अवश्य जाएँ। कुलीन वर्ग के बच्चे ‘कालमेकाक’ में भर्ती किये जाते थे। यहाँ उन्हें सेना अधिकारी और धार्मिक नेता बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। शेष समस्त बच्चे पड़ोस के तेपोकल्ली स्कूल में पढ़ते थे। यहाँ उन्हें इतिहास, पुराण – मिथकों, धर्म और उत्सवी गीतों की शिक्षा दी जाती थी। लड़कों को सैन्य प्रशिक्षण, खेती और व्यापार करना सिखाया जाता था और लड़कियों को घरेलू काम- -धन्धों में निपुण बनाया जाता था।

प्रश्न 11.
माया संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मैक्सिको की माया संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

  • मक्के की खेती माया लोगों की सभ्यता का मुख्य आधार थी। उनके अनेक धार्मिक क्रिया-कलाप एवं उत्सव मक्का बोने, उगाने और काटने से जुड़े होते थे।
  • उनके खेती करने के तरीके उन्नत तथा कुशलतापूर्ण थे, जिनके कारण खेतों में बहुत अधिक पैदावार होती थी। इससे शासक वर्ग, पुरोहितों तथा प्रधानों को एक उन्नत संस्कृति का विकास करने में सहायता मिली।
  • माया संस्कृति के अन्तर्गत वास्तुकला, खगोल विज्ञान और गणित की पर्याप्त उन्नति हुई।
  • माया लोगों के पास अपनी एक चित्रात्मक लिपि थी। परन्तु इस लिपि को अभी तक पूरी तरह से नहीं पढ़ा जा सका है।

प्रश्न 12.
माया लोगों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
माया लोगों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ – माया लोगों की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ निम्नलिखित थीं –

  • वास्तुकला – माया लोग वास्तुकला में निपुण थे। उन्होंने अनेक मन्दिरों, वेधशालाओं, पिरामिडों आदि का है। निर्माण करवाया। टिकल, ग्वातेमाला में स्थित माया मन्दिर तत्कालीन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना
  • गणित एवं खगोल विज्ञान – माया लोग गणित एवं खगोल विज्ञान में भी निपुण थे। वे शून्य के लिए एक प्रतीक चिह्न का प्रयोग करते थे।
  • पंचांग- माया लोगों के पंचांग में वर्ष में 365 दिन होते थे। उन्होंने वर्ष को 18 महीने में विभाजित किया था और प्रत्येक महीना 20 दिन का होता था।
  • चित्रात्मक लिपि – माया लोगों के पास अपनी एक चित्रात्मक लिपि भी थी।

प्रश्न 13.
इंका लोगों के राजनीतिक जीवन का विवेचन कीजिए।
अथवा
इंका संस्कृति की राजनीतिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  • दक्षिणी अमरीकी देशों की संस्कृतियों में से सबसे बड़ी पेरू में क्वेचुआ अथवा इंका लोगों की संस्कृति थी। इंका राज्य का विस्तार इक्वेडोर से चिली तक 3000 मील में फैला हुआ था।
  • इंका साम्राज्य अत्यन्त केन्द्रीकृत था। साम्राज्य की सम्पूर्ण शक्ति राजा में ही निहित थी। वही साम्राज्य का सर्वोच्च अधिकारी था।
  • प्रत्येक इंका व्यक्ति को प्रशासन की भाषा क्वेचुआ बोलनी पड़ती थी।
  • प्रत्येक कबीला स्वतन्त्र रूप से वरिष्ठ लोगों की एक सभा द्वारा शासित होता था, परन्तु पूरा कबीला अपने आप में शासक के प्रति निष्ठावान था।

प्रश्न 14.
इंका लोगों की वास्तुकला का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संजीव पास बुक्स – इंका लोगों की वास्तुकला – इंका लोग उच्च कोटि के भवन निर्माता थे। उन्होंने पहाड़ों के बीच इक्वेडोर से चिली तक अनेक सड़कों का निर्माण किया था। उनके दुर्ग शिलापट्टियों को इतनी बारीकी से तराश कर बनाए जाते थे कि उन्हें जोड़ने के लिए गारे की आवश्यकता नहीं होती थी। वे टूटकर गिरी हुईं चट्टानों से पत्थरों को तराशने और ले जाने के लिए श्रम-प्रधान प्रौद्योगिकी का उपयोग करते थे।

इसके लिए अपेक्षाकृत अधिक संख्या में मजदूरों की आवश्यकता पड़ती थी। राजमिस्त्री खण्डों को सुन्दर रूप देने के लिए शल्क पद्धति ( फ्लेकिंग) का प्रयोग करते थे। यह पद्धति प्रभावकारी और सरल होती थी। कई शिलाखण्ड वजन में 100 मेट्रिक टन से भी अधिक भारी होते थे, उनके पास इतने बड़े शिलाखण्डों को ढोने के लिए पहियेदार गाड़ियाँ नहीं थीं। यह समस्त कार्य मजदूरों द्वारा ही बड़ी सावधानी से सम्पन्न कराया जाता था।

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प्रश्न 15.
इंका संस्कृति की आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
इंका संस्कृति की आर्थिक स्थिति – इंका संस्कृति का आधार कृषि था। इंका लोगों के यहाँ जमीन खेती के लिए बहुत उपजाऊ नहीं थी। इसलिए उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीदार खेत बनाए और जल निकासी तथा सिंचाई की प्रणालियाँ विकसित कीं। पन्द्रहवीं शताब्दी में ऊँची भूमियों में खेती आज की तुलना में काफी अधिक परिमाण में की ती थी। इंका लोग मक्का तथा आलू की फसलें उगाते थे और भोजन तथा श्रम के लिए लामा पालते थे। इंका लोगों की बुनाई तथा मिट्टी के बर्तन बनाने की कला उच्च कोटि की थी।

प्रश्न 16.
एजटेक तथा इंका संस्कृतियाँ यूरोपीय संस्कृति से किस प्रकार भिन्न थीं?
उत्तर:
(1) एजटेक तथा इंका संस्कृतियों में समाज श्रेणीबद्ध था, परन्तु वहाँ यूरोप की भाँति कुछ लोगों के हाथों में संसाधनों का निजी स्वामित्व नहीं था।
(2) एजटेक तथा इंका संस्कृतियों में पुरोहितों तथा शमनों को समाज में ऊँचा स्थान प्राप्त था, परन्तु यूरोप में ऐसा नहीं था।
(3) यद्यपि एजटेक तथा इंका लोग भव्य मन्दिर बनाते थे तथा उनमें परम्परागत रूप से सोने का प्रयोग करते थे; परन्तु वे सोने-चाँदी को अधिक महत्त्व नहीं देते थे। इसके विपरीत यूरोपीय लोग सोने-चाँदी को अत्यधिक महत्त्व देते थे। सोना-चाँदी प्राप्त करने के लिए वे क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते थे और स्थानीय लोगों को गुलाम बनाकर उनका शोषण करते थे।

प्रश्न 17.
पुर्तगालियों द्वारा पश्चिमी अफ्रीका में व्यापारिक केन्द्र स्थापित करने के प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जब यूरोपवासी स्पेन और मसालों की खोज में नए-नए प्रदेशों में जाने की योजनाएँ बना रहे थे, तो यूरोप के एक छोटे से देश पुर्तगाल ने पश्चिमी अफ्रीका के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने का निश्चय किया। पुर्तगाल के राजकुमार हेनरी ने पश्चिमी अफ्रीका की तटीय यात्रा आयोजित की और 1415 में सिउटा पर आक्रमण कर दिया। उसके पश्चात् कई अभियान आयोजित किये गए और अफ्रीका के बोजडोर अन्तरीप में पुर्तगालियों ने अपना व्यापार केन्द्र स्थापित कर लिया। उन्होंने अफ्रीकियों को बड़ी संख्या में गुलाम बना लिया और स्वर्णधूलि को साफ करके सोना तैयार करने लगे।

प्रश्न 18.
“स्पेन में आर्थिक कारणों ने लोगों को महासागरी शूरवीर बनने के लिए प्रोत्साहित किया।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्पेन के आर्थिक कारणों ने लोगों को महासागरी शूरवीर बनने के लिए प्रोत्साहन दिया। धर्म-युद्धों की याद और रीकांक्विस्टा की सफलता ने उनकी व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षाओं को बढ़ा दिया था। रीकांक्विस्टा (पुनर्विजय) ईसाई राजाओं द्वारा आइबेरियन प्रायद्वीप (स्पेन और पुर्तगाल के राज्य) पर प्राप्त की गई सैनिक विजय थी।

इस विजय के द्वारा इन राजाओं ने 1492 में इस प्रायद्वीप को अरबों के आधिपत्य से मुक्त करा लिया था। अब स्पेन के लोगों ने इकरारनामों की शुरुआत की जिसके अन्तर्गत स्पेन का शासक नव – विजित प्रदेशों पर अपनी प्रभुसत्ता स्थापित कर लेता था और उन्हें विजयी अभियानों के नेताओं को पुरस्कार के रूप में पदवियाँ तथा विजित प्रदेशों पर शासनाधिकार देता था।

प्रश्न 19.
अमरीका में स्पेन के साम्राज्य की स्थापना किस प्रकार हुई ?
उत्तर:
अमेरिका में स्पेन के साम्राज्य का विस्तार उसकी सैन्य शक्ति के आधार पर हुआ। उसकी सैन्य शक्ति बारूद तथा घोड़ों के प्रयोग पर आधारित थी। स्पेन के लोग वहाँ शुरू में खोज के बाद छोटी बस्ती बसा लेते थे जिसमें रहने वाले स्पेनी लोग स्थानीय मजदूरों पर निगरानी रखते थे। स्थानीय प्रधानों को नये-नये प्रदेश और सोने के नए-नए स्रोतों की खोज के लिए भर्ती किया जाता था।

अधिक से अधिक सोना प्राप्त करने के लालच में स्पेन के लोगों ने दमनकारी नीति अपनाई जिसका स्थानीय लोगों ने प्रतिरोध किया। इसके अतिरिक्त स्पेन की सेना के साथ आई चेचक की महामारी ने अरावांक लोगों का सफाया कर दिया क्योंकि उनमें प्रतिरोध क्षमता नहीं थी।” कोलम्बस के अभियानों के पश्चात् स्पेनवासियों द्वारा मध्यवर्ती तथा दक्षिणी अमरीका में खोज बराबर चलती रही और उसमें सफलता मिलती गई। 50 वर्षों के भीतर ही स्पेनवासियों ने लगभग 40 डिग्री उत्तरी से 40 डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक के समस्त क्षेत्र को खोज खोज कर उस पर अधिकार कर लिया।

प्रश्न 20.
कोलम्बस की अटलान्टिक यात्रा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोलम्बस की अटलान्टिक यात्रा – 3 अगस्त, 1492 को कोलम्बस पालोस के पत्तन से अटलान्टिक यात्रा के लिए रवाना हुआ। कोलम्बस के बेड़े में सांता मारिया नाम की एक छोटी नाओ ( भारी जहाज) और दो कैरेवल – छोटे हल्के जहाज ‘पिंटा’ और ‘नीना’ थे। ‘सांता मारिया’ की कमान स्वयं कोलम्बस के हाथों में थी।

उसमें 40 कुशल नाविक थे। 33 दिनों तक कोलम्बस का बेड़ा आगे बढ़ता गया। अन्त में 12 अक्टूबर, 1492 को कोलम्बस को जमीन दिखाई दी जिसे उसने भारत समझा परन्तु वह स्थान बहामा द्वीप समूह का गुआनाहानि द्वीप था। कोलम्बस ने गुआनाहानि में स्पेन का झण्डा गाड़ दिया और उसने उस द्वीप का नया नाम ‘सैन सैल्वाडोर’ रखा। उसने अपने-आपको वाइसराय घोषित कर दिया। उसने बड़े द्वीप समूह क्यूबानास्कैन, क्यूबा तथा किस्केया तक आगे बढ़ने के लिए स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त किया।

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प्रश्न 21.
समुद्री खोज के सम्बन्ध में कोलम्बस की विशेष उपलब्धि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
समुद्री खोज के सम्बन्ध में कोलम्बस की विशेष उपलब्धि यह रही कि उसने अनन्त समुद्र की सीमाएँ खोज निकालीं और यह दिखा दिया कि यदि पाँच सप्ताहों तक व्यापारिक हवाओं के साथ-साथ यात्रा की जाए तो पृथ्वी के गोले के दूसरी ओर पहुँचा जा सकता है। कोलम्बस के द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमरीका का नामकरण फ्लोरेन्स के एक भूगोलवेत्ता ‘अमेरिगो वेस्पुस्सी’ के नाम पर किया गया। उसने उन्हें ‘नई दुनिया’ के नाम से पुकारा। उनके लिए ‘अमरीका’ नाम का प्रयोग सर्वप्रथम एक जर्मन प्रकाशक द्वारा 1507 में किया गया।

प्रश्न 22.
स्पेनिश सेनापति कोर्टेस की मैक्सिको विजय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1519 में स्पेनिश सेनापति कोर्टेस क्यूबा से मैक्सिको आया था जहाँ उसने टाटानैक समुदाय से मैत्री कर ली। स्पेनी सैनिकों ने ट्लेक्सकलानों पर आक्रमण कर दिया और वहाँ के लोगों को पराजित कर दिया। इसके बाद 8 नवम्बर, 1519 को स्पेनी सैनिकों ने टेनोक्टिलान पर अधिकार कर लिया।

मैक्सिको के शासक मोंटेजुमा ने कोर्टेस का हार्दिक स्वागत किया, परन्तु कोर्टेस ने सम्राट मोंटेजुमा को नजरबन्द कर लिया और उसके नाम पर शासन चलाने का प्रयास करने लगा। जब कोर्टेस क्यूबा लौट गया तो मैक्सिको की जनता ने विद्रोह कर दिया, परन्तु स्पेनी सेना ने उनके विद्रोह का दमन कर दिया। कुछ समय बाद कोर्टेस ने 180 सैनिकों और 30 घोड़ों के साथ टैनोक्टिलान पर आक्रमण किया और उस पर अधिकार कर लिया। मैक्सिको पर विजय प्राप्त करने में दो वर्ष का समय लग गया।

प्रश्न 23.
डोना मैरीना के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
डोना मैरीना – बर्नार्ड डियाज डेलकैस्टिलो ने अपने ग्रन्थ ‘टू हिस्ट्री ऑफ मैक्सिको’ में लिखा है कि टैबेस्को के लोगों ने स्पेन के सेनापति कोर्टेस को डोना मैरीना नामक एक सहायिका दी थी।

डोना मैरीना तीन भाषाओं में प्रवीण थी और उसने कोर्टेस के लिए दुभाषिये के रूप में अत्यन्त निर्णायक भूमिका निभाई थी। बर्नार्ड डियाज ने लिखा है कि, “यह हमारी विजयों की जोरदार शुरुआत थी और डोना मैरीना की सहायता के बिना हम न्यू स्पेन और मैक्सिको की भाषा नहीं समझ सकते थे। ” बर्नार्ड डियाज का विचार था कि डोना मैरीना एक राजकुमारी थी। परन्तु मेक्सिकन लोग उसे ‘मांलिच’ अर्थात् विश्वासघाती कहते थे। ‘मांलिचिस्टा’ का अर्थ है – वह व्यक्ति जो दूसरों की भाषाओं तथा कपड़ों की हू-ब-हू नकल करता है।

प्रश्न 24.
पिजारो द्वारा इंका साम्राज्य की विजय का विवरण दीजिए।
उत्तर:
पिजारो सेना में भर्ती होकर 1502 में कैरीबियन द्वीप समूह में आया था। स्पेन के राजा ने पिजारो को यह वचन दिया था कि यदि वह इंका राज्य को जीत लेगा, तो उसे वहाँ का राज्यपाल बना दिया जायेगा। 1532 में पिजारो इंका राज्य पहुँचा और धोखे से वहाँ के राजा को बन्दी बना लिया। राजा ने अपनी मुक्ति के लिए पिजारो को एक कमरा भर सोना फिरौती में देने का प्रस्ताव किया।

परन्तु पिजारो ने इस प्रस्ताव पर कोई ध्यान नहीं दिया और राजा का वध करवा दिया। पिजारो के सैनिकों ने इंका राज्य को लूटने के बाद इंका राज्य पर अधिकार कर लिया। 1534 में स्पेनी सैनिकों के अत्याचारों के विरुद्ध इंका राज्य के लोगों ने विद्रोह कर दिया, जो दो वर्ष तक चलता रहा। अगले पाँच वर्षों में स्पेनियों ने पोटोसी, ऊपरी पेरू की खानों में चाँदी के विशाल भण्डारों का पता लगा लिया और उन खानों में काम करने के लिए उन्होंने इंका लोगों को गुलाम बना लिया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अरावाकी लुकायो समुदाय की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अरावाकी लुकायो समुदाय – अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कैरीबियन सागर में स्थित छोटे- छोटे सैकड़ों द्वीप समूहों और बृहत्तर ऐंटिलीज में रहते थे। कैरिब नामक एक खूंखार कबीले ने उन्हें लघु ऐंटिलीज प्रदेश से मार भगाया था। अरावाक लोग शान्तिप्रिय थे तथा लड़ने की अपेक्षा वार्तालाप से अपने झगड़े निपटाना चाहते थे। अरावाक संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ अरावाक संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

1. कुशल नौका-निर्माता-अरावाक लोग कुशल नौका-निर्माता थे। वे वृक्ष के खोखले तनों से अपनी डोंगियाँ बनाते थे और डोंगियों में बैठकर खुले समुद्र में यात्रा करते थे।

2. शान्तिप्रिय लोग – अरावाकी लोग शान्तिप्रिय थे तथा लड़ने की अपेक्षा वार्तालाप से अपने झगड़े निपटाना चाहते थे।

3. जीवन – निर्वाह के साधन – अरावाक लोग खेती, शिकार तथा मछली पकड़कर अपना जीवन-निर्वाह करते थे खेती में वे मक्का, मीठे आलू और अन्य प्रकार के कन्द-मूल और कसावा उगाते थे।

4. मिल-जुलकर खाद्य उत्पादन करना – अरावाक संस्कृति की एक प्रमुख विशेषता यह थी कि वे सब एक-साथ मिलकर खाद्य उत्पादन करते थे ताकि समुदाय के प्रत्येक सदस्य को भोजन प्राप्त हो सके। वे अपने वंश के बुजुर्गों के अधीन संगठित रहते थे।

5. रीति-रिवाज – अरावाक लोगों में बहुविवाह प्रथा प्रचलित थी। वे जीववादी थे। अरावाक समाज में भी शमन लोगों का बड़ा प्रभाव था। शमन लोग कष्ट दूर करने वालों तथा इहलोक और परलोक के बीच मध्यस्थों के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

6. सोने को अधिक महत्त्व नहीं देना – अरावाक लोग सोने के आभूषण पहनते थे परन्तु यूरोपवासियों की भाँति सोने को उतना महत्त्व नहीं देते थे। यदि कोई यूरोपीय व्यक्ति सोने के बदले काँच के मनके दे देता था, तो वे बहुत प्रसन्न होते थे क्योंकि उन्हें काँच का मनका अधिक सुन्दर दिखाई देता था।

7. बुनाई की उन्नत कला – अरावाक लोगों की बुनाई की कला बहुत उन्नत थी। हैमक अर्थात् झूले का प्रयोग उनकी एक विशेषता थी। इसे यूरोपीय लोगों ने भी बहुत पसन्द किया था।

8. उदारतापूर्ण व्यवहार – अरावाक लोगों का व्यवहार बड़ा उदारतापूर्ण होता था। वे सोने की खोज में स्पेनी लोगों को सहयोग देने के लिए सदैव तैयार रहते थे। परन्तु कालान्तर में जब स्पेनी लोगों ने दमनकारी नीति अपनाई, तो अरावाकों ने उसका विरोध किया। परन्तु इस विरोध के उन्हें विनाशकारी परिणाम भुगतने पड़े। अरावाक संस्कृति का विनाश – स्पेनी लोगों ने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए अरावाक लोगों का क्रूरतापूर्वक दमन किया। स्पेनी लोगों के सम्पर्क में आने के बाद लगभग 25 वर्ष के अन्दर ही अरावाकों और उनकी संस्कृति का अन्त हो गया।

प्रश्न 2.
एजटेक संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
एजटेक जन – बारहवीं शताब्दी में एजटेक लोग उत्तर से आकर मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे। उन्होंने अनेक जनजातियों को पराजित करके अपने साम्राज्य का विस्तार कर लिया। उन्होंने पराजित लोगों से नजराना वसूल किया। एज़टेक संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ एंजटेक संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित थीं –

1. समाज- एजटेक समाज श्रेणीबद्ध था। अभिजातवर्ग में उच्च कुलोत्पन्न, पुरोहित तथा वे लोग सम्मिलित थे जिन्हें बाद में यह प्रतिष्ठा दी गई थी। पुश्तैनी अभिजातों की संख्या बहुत कम थी और वे सरकार, सेना तथा पौरोहित्य-कर्म में उच्च पदों पर आसीन थे। अभिजात लोग अपने में से एक सर्वोच्च नेता का चुनाव करते थे, जो आजीवन शासक बना रहता था। राजा का पद अत्यन्त प्रतिष्ठित था। वह पृथ्वी पर सूर्य देवता का प्रतिनिधि माना जाता था।

योद्धा, पुरोहित तथा अभिजात वर्गों को समाज में सर्वाधिक सम्मान दिया जाता था। व्यापारियों को भी अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे। वे प्रायः सरकारी राजदूतों तथा गुप्तचरों के रूप में कार्य करते थे। कुशल शिल्पियों, चिकित्सकों तथा विशिष्ट अध्यापकों को भी आदर की दृष्टि से देखा जाता था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव

2. भूमि उद्धार – एजटेक लोगों के पास भूमि की कमी थी। इसलिए उन्होंने भूमि उद्धार किया अर्थात् जल में से जमीन लेकर इस कमी को पूरा किया।

3. निर्माण कार्य – सरकंडे की बहुत बड़ी चटाइयाँ बन कर और उन्हें मिट्टी तथा पत्तों से ढक कर उन्होंने मेक्सिको झील में कृत्रिम टापू बनाये, जिन्हें ‘चिनाम्पा’ कहते थे। इन अत्यन्त उपजाऊ द्वीपों के बीच नहरें बनाई गईं। 1325 में इन पर एजटेक राजधानी टेनोक्टिलान का निर्माण किया गया। यहाँ के राजमहल और पिरामिड झील के बीच में खड़े हुए बड़ा सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करते थे। एजटेक शासक प्रायः युद्धों में व्यस्त रहते थें, इसलिए उनके सर्वाधिक भव्य मन्दिर भी युद्ध के देवताओं और सूर्य भगवान को समर्पित थे। .

4. आर्थिक जीवन – एजटेक साम्राज्य ग्रामीण आधार पर टिका हुआ था। एजटेक लोग मक्का, फलियाँ, कुम्हड़ा, कद्दू, कसावा, आलू और अन्य फसलें उगाते थे। भूमि का स्वामी कोई व्यक्ति विशेष नहीं होता था, बल्कि यह स्वामित्व कुल के पास होता था जो सार्वजनिक निर्माण कार्यों को सामूहिक रूप से पूरा करवाता था। खेतिहर लोग अभिजात वर्ग के लोगों के खेत जोतते थे तथा बदले में उन्हें फसल में से कुछ हिस्सा दे दिया जाता था। निर्धन लोग, कभी – कभी अपने बच्चों को भी गुलामों के रूप में बेच देते थे, परन्तु यह बिक्री प्राय: कुछ वर्षों के लिए ही की जाती थी। गुलाम अपनी स्वतन्त्रता फिर से खरीद सकते थे।

5. शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण – एजटेक लोगों की शिक्षा में काफी रुचि थी। वे इस बात का अत्यधिक ध्यान रखते थे कि उनके सभी बच्चे स्कूल अवश्य जाएँ। कुलीन वर्ग के बच्चे ‘कालमेकाक’ में भर्ती किये जाते थे। वहाँ उन्हें सेना अधिकारी तथा धार्मिक नेता बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। शेष समस्त बच्चे पड़ोस के तपोकल्ली स्कूल में पढ़ते थे। वहाँ उन्हें इतिहास, पुराण – मिथकों, धर्म और उत्सवी गीतों की शिक्षा दी जाती थी। लड़कों को सैन्य प्रशिक्षण, खेती और व्यापार करना सिखाया जाता था और लड़कियों को घरेलू काम-धन्धों में निपुण बनाया जाता था।

6. एजटेक साम्राज्य में अस्थिरता – सोलहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में, एजटेक साम्राज्य में अस्थिरता के चिह्न दिखाई देने लगे। यह अस्थिरता हाल ही जीते गए लोगों में उत्पन्न असन्तोष के कारण आई थी, जो एजटेक शासकों के नियन्त्रण मुक्त होने के लिए प्रयत्नशील थे।

प्रश्न 3.
“दक्षिणी अमरीकी देशों की संस्कृतियों में से सबसे बड़ी पेरू में क्वेचुआ या इंका लोगों की संस्कृति थी। ” व्याख्या कीजिए।
अथवा
पेरू की इंका संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
पेरू की इंका संस्कृति – दक्षिणी अमरीकी देशों की संस्कृतियों में से सबसे बड़ी पेरू में क्वेचुआ या इंका लोगों की संस्कृति थी। बारहवीं शताब्दी में प्रथम इंका शासक मैंकोकपाक ने कुजको में अपनी राजधानी स्थापित की थी। ‘नौवें इंका शासक के काल में इंका राज्य का विस्तार शुरू हुआ और अन्त में इंका साम्राज्य इक्वेडोर से चिली तक 3000 मील में फैल गया। इंका संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ इंका संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

1. केन्द्रीकृत साम्राज्य – इंका साम्राज्य अत्यन्त केन्द्रीकृत था। राजा साम्राज्य का सर्वोच्च अधि कारी होता था। राजा में ही सम्पूर्ण शक्ति निहित थी। नवविजित कबीलों तथा जनजातियों को साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया गया था। प्रत्येक व्यक्ति को प्रशासन की भाषा क्वेचुआ बोलनी पड़ती थी। प्रत्येक कबीला स्वतन्त्र रूप से व ष्ठों की एक सभा द्वारा शासित होता था। परन्तु पूरा कबीला शासक के प्रति वफादार होता था। स्थानीय शासकों को उन के सैनिक सहयोग के लिए पुरस्कृत किया जाता था। इस प्रकार इंका साम्राज्य एक संघ के समान था। विद्वानों का अनुमान है कि इंका साम्राज्य की आबादी 10 लाख से अधिक थी।

2. वास्तुकला – इंका साम्राज्य में वास्तुकला की पर्याप्त उन्नति हुई। एजटेक लोगों की भाँति इंका लोग भी उच्च कोटि के भवन-निर्माता थे। इंका लोगों ने पहाड़ों के बीच इक्वेडोर से चिली तक अनेक सड़कें बनाई थीं। उनके दुर्ग शिलापट्टियों को इतनी बारीकी से तराश कर बनाए जाते थे कि उन्हें जोड़ने के लिए गारे की आवश्यकता नहीं होती थी। वे निकटवर्ती प्रदेशों में टूटकर गिरी हुई चट्टानों से पत्थरों को तराशने और ले जाने के लिए श्रम – प्रधान प्रौद्योगिकी का उपयोग करते थे।

इसमें अपेक्षाकृत अधिक मजदूरों की आवश्यकता पड़ती थी। राजमिस्त्रीखण्डों को सुन्दर रूप देने के लिए शल्क पद्धति का प्रयोग करते थे। यह पद्धति प्रभावकारी तथा सरल थी। कई शिलाखण्ड 100 मैट्रिक टन से भी अधिक भारी होते थे; परन्तु उनके पास इतने बड़े शिलाखण्डों को ढोने के लिए पहिएदार गाड़ियाँ नहीं थीं। वे इस काम को मजदूरों के सहयोग से बड़ी सावधानी से करवाते थे।

3. कृषि – इंका सभ्यता का आधार कृषि था। इंका साम्राज्य में जमीन खेती के लिए बहुत उपजाऊ नहीं थी। इसलिए इंका लोगों ने पहाड़ी प्रदेशों में सीढ़ीदार खेत बनाए और जल निकासी तथा सिंचाई की प्रणालियाँ विकसित कीं। इंका लोग मक्का और आलू उगाते थे तथा भोजन और श्रम के लिए लामा पालते थे।

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4. उद्योग – इंका लोगों की बुनाई और मिट्टी के बर्तन बनाने की कला उच्च कोटि की थी।

5. हिसाब लगाने की प्रणाली- इंका लोगों के पास हिसाब लगाने की एक प्रणाली थी— यह थी ‘क्विपु’ अर्थात् डोरियों पर गाँठें लगाकर गणितीय इकाइयों का हिसाब रखना। कुछ विद्वानों का विचार है कि इंका लोग इन धागों में एक प्रकार का संकेत (कोड) बुनते थे।

6. साम्राज्य का पिरामिडनुमा ढाँचा – इंका साम्राज्य का ढाँचा पिरामिडनुमा था। इसका अभिप्राय यह था कि इंका शासक के बन्दी बना लिए जाने पर उसके शासन की समस्त श्रृंखला टूट जाती थी। जब स्पेनी सैनिकों ने इंका – राज्य पर आक्रमण किया, तो उस समय भी यही स्थिति उत्पन्न हुई।

प्रश्न 4.
कोलम्बस की अमरीका की खोज-यात्रा का विवरण दीजिए।
उत्तर:
कोलम्बस का परिचय – क्रिस्टोफर कोलम्बस (1451-1506) इटली का निवासी था। वह एक स्वयं- शिक्षित व्यक्ति था। उसमें साहसिक कार्य करने तथा यश प्राप्त करने की इच्छा कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह भविष्यवाणियों में विश्वास करता था। उसका विश्वास था कि उसके भाग्य में पश्चिम की ओर से यात्रा करते हुए पूर्व की ओर जाने का मार्ग खोजना लिखा है। कोलम्बस कार्डिनल पिएर डिएली द्वारा 1410 में रचित पुस्तक ‘इमगो मुंडी’ से बहुत प्रेरित हुआ। सर्वप्रथम उसने पुर्तगाल के शासक के समक्ष अपने योजनाएँ प्रस्तुत कीं, परन्तु वे स्वीकृत नहीं हुईं। परन्तु स्पेन के शासक ने उसकी एक साधारण-सी योजना स्वीकार कर ली।

(1) कोलम्बस द्वारा अमरीका की खोज – यात्रा – 3 अगस्त, 1492 को कोलम्बस ने तीन जहाजों तथा 87 नाविकों के साथ पालोस के पत्तन से पश्चिम की ओर प्रस्थान किया। कोलम्बस का बेड़ा छोटा-सा था जिसमें ‘सांता मारिया’ नामक एक छोटी नाओ ( भारी जहाज) और दो कैरेवल (छोटे, हल्के जहाज) ‘पिंटा’ तथा ‘नीना’ थे। ‘सांता मारिया’ की कमान स्वयं कोलम्बस के हाथों में थी। उसमें 40 कुशल नाविक थे। कोलम्बस का बेड़ा अनुकूल व्यापारिक हवाओं के सहारे आगे बढ़ता जा रहा था। 33 दिनों तक बेड़ा तैरता हुआ आगे से आगे बढ़ता गया, परन्तु तट दिखाई नहीं दिया। उसके नाविक अधीर हो उठे और उनमें से कुछ तुरन्त वापस लौटने की माँग करने लगे।

(2) बहामा द्वीप समूह पहुँचना – अन्तत: 12 अक्टूबर, 1492 को नाविकों को जमीन दिखाई दी। कोलम्बस ने इसे भारत समझा परन्तु वह स्थान बहामा द्वीप – समूह का गुआनाहानि द्वीप था। गुआनाहानि पहुँचने पर अरावाक लोगों ने इस बेड़े के नाविकों का स्वागत किया। उन्होंने नाविकों के प्रति मैत्री प्रदर्शित की और उन्हें खाने-पीने का सामान भी दिया। कोलम्बस उनकी उदारता से बड़ा प्रभावित हुआ।

(3) कोलम्बस द्वारा अपने आपको वायसराय घोषित करना – कोलम्बस ने गुआनाहानि में स्पेन का झण्डा गाड़ दिया। वहाँ उसने सार्वजनिक उपासना करवाई और स्थानीय लोगों से बिना पूछे ही अपने आप को वायसराय घोषित कर दिया। उसने बड़े द्वीप समूह क्यूबानास्कैन और किस्केया तक आगे बढ़ने के लिए इन स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त किया।

(4) कोलम्बस की कठिनाइयाँ और वापसी यात्रा – शीघ्र ही कोलम्बस का यह अभियान दुर्घटनाओं में फँस गया और खूँखार कैरिब कबीलों की शत्रुता का भी उन्हें सामना करना पड़ा। नाविक शीघ्रातिशीघ्र घर लौटने के लिए बेचैन हो गए। वापसी यात्रा अधिक कठिन सिद्ध हुई क्योंकि जहाजों को दीमक लग गई थी और नाविकों को थकान व घर की याद सताने लग गई थी।

इस सम्पूर्ण यात्रा में कुल 32 सप्ताह लगे। कुछ समय बाद कोलम्बस द्वारा ऐसी तीन यात्राएँ और आयोजित की गईं, जिनके दौरान कोलम्बस ने बहामा और बृहत्तर ऐंटिलीज द्वीपों, दक्षिणी अमरीका की मुख्य भूमि तथा उसके तटवर्ती प्रदेशों में अपना खोज कार्य पूरा किया। बाद की यात्राओं से यह ज्ञात हुआ कि इन स्पेनी नाविकों ने ‘इंडीज’ नहीं, बल्कि एक नया महाद्वीप ही खोज निकाला था।

(5) कोलम्बस की उपलब्धि – कोलम्बस की विशेष उपलब्धि यह रही कि उसने अनन्त समुद्र की सीमाएँ खोज निकालीं तथा यह दिखा दिया कि यदि पाँच सप्ताहों तक व्यापारिक हवाओं के साथ-साथ यात्रा की जाए तो पृथ्वी के गोले के दूसरी ओर पहुँचा जा सकता है। उसके द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमरीका का नामकरण फ्लोरेन्स के एक भूगोलवेत्ता ‘अमेरिगो वेस्पुस्सी’ के नाम पर किया गया जिसने उन्हें ‘नई दुनिया’ के नाम से पुकारा। ‘अमरीका’ नाम का प्रयोग सर्वप्रथम एक जर्मन प्रकाशक द्वारा 1507 ई. में किया गया।

प्रश्न 5.
कोर्टेस की मैक्सिको की विजय का वर्णन कीजिए।
अथवा
मैक्सिको पर स्पेनियों की विजय का वर्णन कीजिये।
अथवा
कोर्टस के मैक्सिको अभियान का विवरण दीजिए।
उत्तर:
कोर्टेस की मैक्सिको की विजय कोर्टेस स्पेन का एक वीर योद्धा तथा कुशल सेनापति था। उसने बड़ी आसानी से मैक्सिको पर अधिकार कर लिया। 1519 ई. में कोर्टेस क्यूबा से मैक्सिको आया था जहाँ उसने टाटानैक लोगों से मैत्री कर ली। टाटानैक लोग एजटेक शासन से अलग होना चाहते थे। एजटेक शासक मोंटेजुमा ने कोर्टेस से भेंट करने के लिए अपना एक अधिकारी भेजा। वह स्पेनवासियों की सैन्य शक्ति, आक्रमण-क्षमता, उनके बारूद और घोड़ों के प्रयोग को देखकर भयभीत हो गया। स्वयं मोंटेजुमा को यह विश्वास हो गया कि कोर्टेस वास्तव में किसी निर्वासित देवता का अवतार है जो अपना बदला लेने के लिए पुनः प्रकट हुआ है।

(1) टेनोविट्टलैन पर कोर्टेस का अधिकार – स्पेनी सैनिकों ने ट्लैक्सकलानों पर आक्रमण कर दिया। ट्लैक्सकलान वीर-योद्धा थे। यद्यपि उन्होंने स्पेनी सैनिकों का प्रबल प्रतिरोध किया, परन्तु अन्त में उन्हें पराजय का मुँह देखना पड़ा और उन्होंने समर्पण कर दिया। स्पेनी सैनिकों ने क्रूरतापूर्वक उन सबको मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद 8 नवम्बर, 1519 को उन्होंने टेनोक्टिलैन पर अधिकार कर लिया। स्पेनी सैनिक टेनोक्ट्रिटलैन के दृश्य को देखकर आश्चर्यचकित हो गए। यह नगर मैड्रिड से पाँच, गुना बड़ा था और इसकी जनसंख्या स्पेन के सबसे बड़े नगर सेविली से दो गुनी अर्थात् 1,00,000 थी।

(2) एजटेक शासक मोंटेजुमा द्वारा कोर्टेस का स्वागत करना- एजटेक शासक मोटेजुमा ने कोर्टेस का हार्दिक स्वागत किया। स्पेनियों को बड़े सम्मान के साथ नगर के बीचोंबीच लाया गया, जहाँ मोटेजुमा ने उन्हें उपहार भेंट किये। परन्तु ट्लैक्सकलान के हत्या – काण्ड के बारे में जानकारी होने के कारण एजटेक लोगों के मन में आशंका थी।

(3) कोर्टेस द्वारा मोंटेजुमा को नजरबन्द करना – एजटेक लोगों की धारणा सही सिद्ध हुई। कोर्टेस ने बिना कोई कारण बताए सम्राट मोंटेजुमा को नजरबन्द कर लिया और फिर उसके नाम पर शासन संचालन करने का प्रयास करने लगा। कोर्टेस ने एजटेक मन्दिरों में ईसाई मूर्तियाँ स्थापित करवाईं। एक समझौते के अनुसार मन्दिरों में एजटेक और ईसाई दोनों प्रकार की मूर्तियाँ स्थापित की गईं।

(4) एजटेक लोगों के विद्रोह का दमन करना- इसी समय कोर्टेस को अपने सहायक एल्वारैडो को सत्ता सौंप कर शीघ्रता से क्यूबा लौटना पड़ा। स्पेनी शासन के अत्याचारों से परेशान होकर तथा सोने के लिए स्पेनियों की निरन्तर माँगों के दबाव के कारण, एजटेक लोगों ने विद्रोह कर दिया। एल्वारैडो ने हुईजिलपोक्टली के वसन्तोत्सव में विद्रोहियों के कत्ले-आम का आदेश दे दिया।

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(5) कोर्टेस की कठिनाइयाँ- जब 25 जून, 1520 को कोर्टेस वापस लौटा, तो उसे भीषण संकटों का सामना करना पड़ा। विद्रोहियों द्वारा पुल नष्ट कर दिए गए थे, जल-मार्ग काट दिए गए थे तथा सड़कें बन्द कर दी गई थीं। स्पेनी सैनिकों को पानी और भोजन की भीषण कमी का सामना करना पड़ा। अन्त में कोर्टेस को विवश होकर वापस लौटना पड़ा।

(6) एजटेकों तथा स्पेनियों के बीच संघर्ष – इसी समय मोंटेजुमा की मृत्यु हो गई। एजटेकों तथा स्पेनियों के बीच संघर्ष जारी रहा जिसके परिणामस्वरूप लगभग 600 स्पेनी सैनिक और उतने ही ट्लैक्सकलान के लोग मारे गए। हत्याकाण्ड की इस भयंकर रात को ‘आँसूभरी रात’ के नाम से पुकारा जाता है।

(7) टेनोक्ट्ठिलैन पर कोर्टेस का पुनः अधिकार- मोटेजुमा के बाद क्वेटेमोक एजटेक का नया राजा निर्वाचित हुआ। कोर्टेस को उसके विरुद्ध अपनी रणनीति की योजना बनाने हेतु ट्लैक्सकलान में शरण लेनी पड़ी। उस समय एजटेक लोग यूरोपीय लोगों के साथ आई चेचक की महामारी के प्रकोप से मर रहे थे। कोर्टेस केवल 180 सैनिकों और 30 घोड़ों के साथ टेनोक्ट्रिटलान में प्रविष्ट हो गया। एजटेक लोगों ने स्पेनियों का मुकाबला करने का निश्चय किया। परन्तु अपशकुनों ने एजटेकों को बता दिया कि उनका अन्त निकट है। परिणामस्वरूप एजटेक सम्राट ने अपनी जीवनलीला समाप्त करना ही उचित समझा।

(8) मैक्सिको – अभियान की समाप्ति – मैक्सिको पर विजय प्राप्त करने में दो वर्ष का समय लग गया। कोर्टेस मैक्सिको में ‘न्यू स्पेन’ का कैप्टन – जनरल बन गया। उसे चार्ल्स पंचम द्वारा सम्मानों से विभूषित किया गया। मैक्सिको से, स्पेनियों ने अपना नियन्त्रण ग्वातेमाला, निकारगुआ तथा होंडुरास पर भी स्थापित कर लिया।

प्रश्न 6.
पुर्तगालियों द्वारा ब्राजील पर आधिपत्य किस प्रकार स्थापित किया गया?
अथवा
ब्राजील में पुर्तगालियों द्वारा अपना उपनिवेश स्थापित करने का वर्णन कीजिए। कैब्राल द्वारा ब्राजील पर अधिकार करना
उत्तर:
ब्राजील पर पुर्तगालियों का आधिपत्य संयोगवश ही हुआ। सन् 1500 में पुर्तगाल निवासी पेड्रो अल्वारिस कैब्राल जहाजों का एक बेड़ा लेकर भारत के लिए रवाना हुआ। तूफानी समुद्रों से बचने के लिए उसने पश्चिमी अफ्रीका का एक बड़ा चक्कर लगाया और ब्राजील के समुद्रतट पर पहुँच गया। दक्षिणी अमरीका का यह पूर्वी भाग उस क्षेत्र के अन्तर्गत था जिसे पोप ने पुर्तगाल को सौंप रखा था। इसलिए पुर्तगाली इस क्षेत्र को अपना क्षेत्र ही मानते थे।

(1) ब्राजील में इमारती लकड़ी की प्रचुरता – पुर्तगाली ब्राजील की बजाय पश्चिमी भारत के साथ अपना व्यापार बढ़ाना चाहते थे, क्योंकि ब्राजील में सोना मिलने की कोई सम्भावना नहीं थी। परन्तु ब्राजील में इमारती लकड़ी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी, जिसका पुर्तगालियों ने भरपूर लाभ उठाया। ब्राजीलवुड वृक्ष से एक सुन्दर लाल रंजक मिलता था।

ब्राजील के मूल निवासी लोहे के चाकू-छुरियों और आरियों के बदले में इमारती लकड़ी के वृक्षों को काटने और इनके लठ्ठे बनाकर जहाजों तक ले जाने के लिए तुरन्त तैयार हो गए। वे बहुत सरल प्रकृति के व्यक्ति थे तथा एक हंसिए, चाकू या कंघे के बदले ढेरों मुर्गियाँ, बन्दर, तोते, शहद, मोम, सूती धागा आदि चीजें देने को तैयार रहते थे।

(2) ब्राजील को पुर्तगाली आनुवंशिक कप्तानियों में बाँटना – इमारती लकड़ी का व्यापार बड़ा लाभप्रद था। अतः इमारती लकड़ी के व्यापार के कारण पुर्तगालियों और फ्रांसीसियों के बीच भयंकर लड़ाइयाँ हुईं। अन्त में इन लड़ाइयों में पुर्तगालियों की विजय हुई क्योंकि वे स्वयं तटीय क्षेत्र में बसना और अपना उपनिवेश स्थापित करना चाहते थे। 1534 में पुर्तगाल के शासक ने ब्राजील के तट को चौदह आनुवंशिक कप्तानियों में बाँट दिया।

उसने इनके स्वामित्व सम्बन्धी अधिकार उन पुर्तगालियों को दे दिए जो वहाँ स्थायी रूप से रहना चाहते थे। उसने उन्हें स्थानीय लोगों को गुलाम बनाने का अधिकार भी प्रदान कर दिया। ब्राजील में बसने वाले बहुत से पुर्तगाली लोग भूतपूर्व सैनिक थे, जिन्होंने भारत के गोवा – क्षेत्र में लड़ाइयों में भाग लिया था। ये पुर्तगाली लोग स्थानीय लोगों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते थे।

(3) पुर्तगालियों द्वारा स्थानीय लोगों का शोषण – 1540 के दशक में पुर्तगालियों ने ब्राजील के बड़े-बड़े बागानों में गन्ना उगाना और चीनी बनाने के लिए मिलें चलाना शुरू कर दिया। इस चीनी को यूरोप के बाजारों में बेचा जाता था। बहुत ही गर्म तथा नम जलवायु में चीनी की मिलों में काम करने के लिए पुर्तगाली लोग स्थानीय लोगों पर निर्भर थे।

जब स्थानीय लोगों ने इस कष्टदायक और थकाने वाले नीरस काम को करने से इनकार कर दिया, तो मिल मालिकों ने उनका अपहरण करवाकर उन्हें गुलाम बनाना शुरू कर दिया पुर्तगालियों की इस शोषणकारी नीति से स्थानीय लोगों में घोर असन्तोष उत्पन्न हुआ और वे मिल मालिकों के अत्याचारों से बचने के लिए गाँव छोड़ कर जंगलों में भाग गए। परिणामस्वरूप स्थानीय लोगों के अधिकांश गाँव खाली हो गए, परन्तु उनके बदले यूरोपीय लोगों के कस्बे बस गए। विवश होकर पुर्तगालियों ने पश्चिमी अफ्रीका से गुलामों को लाना शुरू कर दिया।

(4) पुर्तगाली राजा के अधीन एक औपचारिक सरकार स्थापित करना – 1549 में ब्राजील में पुर्तगाल के शासक के अधीन एक औपचारिक सरकार स्थापित की गई और बहिया / सैल्वाडोर को उसकी राजधानी बनाया गया। इस समय तक ईसाई धर्म के प्रचार के लिए जेसुइट पादरियों ने ब्राजील जाना शुरू कर दिया था। परन्तु यूरोपीय नागरिक इन जेसुइट पादरियों को पसन्द नहीं करते थे। इसका कारण यह था कि जेसुइट पादरी मूल निवासियों के साथ दया का बर्ताव करने की सलाह देते थे। वे जंगलों में जाकर मूल निवासियों के गाँवों में रहते हुए यह शिक्षा देते थे कि ईसाई धर्म एक आनन्ददायक धर्म है और उसका आनन्द लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त ये धर्म प्रचारक दास प्रथा की कटु आलोचना करते थे।

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प्रश्न 7.
समुद्री यात्राओं तथा अमरीका की खोज के यूरोप तथा उत्तरी- दक्षिणी अमरीका पर क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
I. समुद्री यात्राओं के यूरोप पर प्रभाव – समुद्री यात्राओं तथा अमरीका की खोज के यूरोप पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े –
1. ‘अटूट समुद्री मार्गों’ का खुलना – समुद्री यात्राओं ने एक महासागर से दूसरे महासागर तक के ‘अटूट समुद्री मार्ग’ खोल दिए। इन समुद्री यात्राओं से पूर्व तक, इनमें से अधिकांश मार्ग यूरोप के लोगों के लिए अज्ञात थे और कुछ मार्गों को तो कोई भी नहीं जानता था। तब तक कोई भी जहाज कैरीबियन या अमरीका महाद्वीपों के जल-क्षेत्रों में प्रविष्ट नहीं हुआ था। दक्षिणी अटलांटिक तो पूरी तरह से अछूता था। कोई भी जहाज दक्षिणी अटलांटिक से प्रशान्त महासागर या हिन्द महासागर तक नहीं पहुँचा था। 15वीं शताब्दी के अन्तिम तथा 16वीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों में ये सभी साहसिक कार्य सम्पन्न किए गए।

2. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार तथा औद्योगीकरण का विस्तार – अमरीका की खोज के यूरोपवासियों के लिए दीर्घकालीन परिणाम निकले। सोने-चाँदी की बाढ़ ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार तथा औद्योगीकरण का और अधिक विस्तार किया। 1560 से 1600 तक सैकड़ों जहाज प्रतिवर्ष दक्षिणी अमरीकी की खानों से चाँदी स्पेन को लाते रहे। परन्तु स्पेन और पुर्तगाल इसका अधिक लाभ नहीं उठा सके। उन्होंने अपने मुनाफों को आगे व्यापार में या अपने व्यापारी जहाजों के बेड़े का विस्तार करने में नहीं लगाया।

3. इंग्लैण्ड, फ्रांस, बैल्जियम, हालैण्ड को लाभ- इंग्लैण्ड, फ्रांस, बैल्जियम, हालैण्ड आदि देशों ने इन खोजों का भरपूर लाभ उठाया। उनके व्यापारियों ने बड़ी-बड़ी संयुक्त पूँजी कम्पनियों की स्थापना की और अपने बड़े-बड़े व्यापारिक अभियान चलाए। इसके अतिरिक्त उन्होंने उपनिवेश स्थापित किये तथा यूरोपवासियों को नई दुनिया में पैदा होने वाली नई-नई चीजों जैसे तम्बाकू, आलू, गन्ने की चीनी, ककाओ तथा रबड़ आदि से परिचित कराया।

4. नई फसलों से परिचित होना – यूरोपीय देश अमरीका से आने वाली नई फसलों विशेष रूप मिर्च से परिचित हो गए। आगे चलकर यूरोपवासी इन फसलों को भारत जैसे अन्य देशों में ले गए।

II. समुद्री यात्राओं के उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका पर प्रभाव – समुद्री यात्राओं के उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका पर निम्नलिखित प्रभाव हुए –
1. मूल निवासियों की जनसंख्या का कम होना – यूरोपवासियों की नर-संहार की नीति के कारण उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका के मूल निवासियों की जनसंख्या कम हो गई। इस जन हानि के लिए लड़ाइयाँ और बीमारियाँ प्रमुख रूप से जिम्मेदारी थीं।

2. मूल निवासियों की जीवन-शैली का नष्ट होना-यूरोपवासियों की नर-संहार की नीति के कारण मूल निवासियों की जीवन-शैली का विनाश हो गया।

3. मूल निवासियों का शोषण – यूरोपवासियों ने मूल निवासियों को गुलाम बनाकर खानों, बागानों तथा कारखानों में उनसे काम लेना शुरू किया। वहाँ उत्पादन की पूँजीवादी प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ। स्पेनी मालिकों ने आर्थिक लाभ के लिए स्थानीय लोगों का शोषण किया।

प्रश्न 8.
समुद्री यात्राओं के परिणामस्वरूप दास प्रथा के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समुद्री यात्राओं के परिणामस्वरूप दास प्रथा का विकास – यूरोपवासियों ने अपनी उत्कृष्ट सैन्य शक्ति के बल पर स्थानीय निवासियों को पराजित कर दिया और हारे हुए लोगों को गुलाम बना लिया। दक्षिणी अमेरिका में दास-प्रथा के साथ-साथ वहाँ उत्पादन की पूँजीवादी प्रणाली का उदय हुआ।

स्पेन के शासक को दास प्रथा को चालू रखने पर विवश करना – 1601 ई. में स्पेन के शासक फिलिप द्वितीय सार्वजनिक रूप से बेगार की प्रथा पर प्रतिबन्ध लगा दिया, परन्तु उसने एक गुप्त आदेश के द्वारा इसे चालू रखने की भी व्यवस्था कर दी। 1609 ई. में स्पेन की सरकार ने एक कानून बनाया जिसके अन्तर्गत ईसाई तथा गैर-ईसाई सभी प्रकार के स्थानीय लोगों को पूरी स्वतन्त्रता प्रदान कर दी गई। परन्तु इस कानून से यूरोप से आकर अमेरिका में बसे हुए लोग नाराज हो गए। उन्होंने दो वर्ष के भीतर ही स्पेन के शासक को यह कानून हटाने तथा गुलाम बनाने की प्रथा को चालू रखने के लिए विवश कर दिया।

दास प्रथा को प्रोत्साहन – 1700 ई. में सोने की खोज के बाद खानों के काम में बड़ी प्रगति हुई और खानों के कामों के लिए सस्ते श्रम की माँग बनी रही। यह निश्चित था कि स्थानीय लोग गुलाम बनने का विरोध करेंगे। अतः अफ्रीका से गुलाम मँगाए जाने का निश्चय किया गया। 1550 ई. के दशक से 1880 ई. के दशक तक ब्राजील में 36 लाख से भी अधिक अफ्रीकी गुलामों का आयात किया गया। 1750 ई. में कुछ ऐसे प्रभावशाली व्यक्ति भी थे, जिनके पास हजार-हजार गुलाम होते थे। दास प्रथा को जारी रखने के प्रयास- कुछ लोगों ने दास प्रथा के उन्मूलन के बारे में यह तर्क दिया कि यूरोपवासियों के अफ्रीका में आने से पहले भी वहाँ दास प्रथा विद्यमान थी।

उनका कहना था कि पन्द्रहवीं शताब्दी में अफ्रीका में स्थापित किए जाने वाले राज्यों में भी अधिकांश मजदूर वर्ग गुलामों से ही बना था। यूरोपीय व्यापारियों को युवा स्त्री-पुरुषों को गुलाम बनाने में अफ्रीकी लोगों से भी सहायता प्राप्त होती थी। ये व्यापारी बदले में उन अफ्रीकावासियों को दक्षिणी अमरीका से आयात की गई फसलें जैसे मक्का, कसावा, कुमाला आदि देते थे। इस सम्बन्ध में 1789 ई. की अपनी आत्मकथा में ओलाउदाह एक्वियानो नामक एक मुक्त किये गये गुलाम ने इन तर्कों का उत्तर देते हुए लिखा है कि अफ्रीका में गुलामों के साथ परिवार के सदस्यों जैसा व्यवहार किया जाता था।

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बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. लार्ड का घर कहलाता था –
(अ) राजमहल
(ब) वैसल
(स) वर्साई का महल
(द) मेनर।
उत्तर:
(द) मेनर।

2. कुशल घुड़सवारों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए किस नए वर्ग का प्रादुर्भाव हुआ?
(अ) सामन्त वर्ग
(ब) योद्धा वर्ग
(स) नाइट वर्ग
(द) पादरी वर्ग।
उत्तर:
(स) नाइट वर्ग

3. लार्ड द्वारा नाइट को दिया गया भूमि का भाग कहलाता था –
(अ) सर्फ
(ब) मेनर
(स) जागीर
(द) फीफ।
उत्तर:
(द) फीफ।

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4. कृषकों द्वारा चर्च को दिया जाने वाला कर कहलाता था –
(अ) टीथ
(ब) धार्मिक कर
(स) कृषक कर
(द) स्वैच्छिक कर।
उत्तर:
(अ) टीथ

5. इंग्लैण्ड में सामन्तवाद का विकास हुआ –
(अ) तेरहवीं सदी में
(ब) नौवी सदी में
(स) ग्यारहर्वी सदी में
(द) दसवीं सदी में।
उत्तर:
(स) ग्यारहर्वी सदी में

6. फ्रांस के प्रान्त नारमैंडी के किस ड्यूक ने इंग्लैण्ड पर विजय प्राप्त की थी?
(अ) जेम्स
(ब) चार्ल्स
(स) लुई तेरहवाँ
(द) विलियम।
उत्तर:
(द) विलियम।

7. फ्रांस में समाज में किसने एक चौथा वर्ग बना लिया था?
(अ) शिल्पकारों ने
(ब) व्यवारियों ने
(स) सैनिकों ने
(द) नगरवासियों ने।
उत्तर:
(द) नगरवासियों ने।

8. फ्रांस के नगरों में बनने वाले बड़े चर्च क्या कहलाते थे?
(अ) आबे
(ब) विशाल चर्च
(स) कथीड्रल
(द) वृहद गिरजाघर।
उत्तर:
(स) कथीड्रल

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. सामन्तवाद की पहचान थी-दुर्गों व मेनर-भवन के इर्द-गिर्द ……………….
2. जीवन के सुनिश्चित तरीके के रूप में सामन्तवाद की उत्पत्ति यूरोप के अनेक भागों में ………………. के उत्तराई्द्ध में हुई।
3. जर्मनी की एक जनजाति ………………. ने गॉल को अपना नाम देकर उसे फ्रांस बना दिया।
4. यूरोप में ईसाई समाज का मार्गदर्शन विशपों और पादरियों द्वारा किया जाता था, जो ………………. के अंग थे।
5. काश्तकार दो तरह के होते थे ………………. (i) स्वतंत्र किसान और (ii) ……………….
उत्तर:
1. कृषि-उत्पादन
2: 11वीं सदी
3. फ्रैंक
4. प्रथम वर्ग
5. सर्फ ( कृषिदास)।

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निम्नलिखित में से सत्य / असत्य कथन छाँटिये –

1. तीर्थयात्रा ईसाइयों के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा थी।
2. भिक्षु जिस धार्मिक समुदाय में रहते थे, उसे चर्च कहा जाता था।
3. यूरोप में स्थानीय युद्धों के कारण कुशल अश्व सेना की आवश्यकता ने एक नए वर्ग को बढ़ावा दिया जो लार्ड कहलाते थे।
4. फ्रांस के शासकों का लोगों से जुड़ाव ‘वैसलेज’ प्रथा के कारण था।
5. 9वीं से 16वीं सदी के मध्य चर्च यूरोप में एक मुख्य भूमिधारक और राजनीतिक शक्ति बन गया था।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
3. असत्य
4. सत्य
5. सत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये –

1. मेनर (क) फ्रांस के नगरों में बनने वाले बड़े चर्च
2. फीफ (ख) लार्ड का घर
3. टीथ (ग) मठों में रहने वाले अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति
4. कथीड्रल (घ) लार्ड द्वारा नाइट को दिया गया भूमि का भाग
5. भिक्षु (च) कृषकों द्वारा चर्च को दिया जाने वाला कर

उत्तर:

1. मेनर (ख) लार्ड का घर
2. फीफ (घ) लार्ड द्वारा नाइट को दिया गया भूमि का भाग
3. टीथ (च) कृषकों द्वारा चर्च को दिया जाने वाला कर
4. कथीड्रल (क) फ्रांस के नगरों में बनने वाले बड़े चर्च
5. भिक्षु (ग) मठों में रहने वाले अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति

 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मार्क ब्लाक कौन थे ?
उत्तर:
मार्क ब्लाक (1886 – 1994) फ्रांस के प्रसिद्ध विद्वान थे।

प्रश्न 2.
सामन्ती समाज’ का रचयिता कौन था ?
उत्तर:
मार्क ब्लाक।

प्रश्न 3.
मार्क ब्लाक क्यों प्रसिद्ध थे ?
उत्तर:
सामन्तवाद पर महत्त्वपूर्ण कार्य करने के लिए।

प्रश्न 4.
अभिजात वर्ग का घर क्या कहलाता था ?
उत्तर:
मेनर

प्रश्न 5.
योरोप में काश्तकार कितने प्रकार के होते थे?
उत्तर:
दो प्रकार के –
(1) स्वतन्त्र किसान तथा
(2) कृषि – दास।

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प्रश्न 6.
एंजिललैण्ड किस देश का रूपान्तरण है ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड का।

प्रश्न 7.
1614 के बाद फ्रांस की एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन कब बुलाया गया ?
उत्तर:
1789 ई. में।

प्रश्न 8.
यूरोप में चौथा वर्ग किन लोगों का था ?
उत्तर:
नगरवासियों का।

प्रश्न 9.
इंग्लैण्ड में सामन्तवाद का विकास कब हुआ ?
उत्तर:
ग्यारहवीं शताब्दी से।

प्रश्न 10.
शार्लमैन कौन था ?
उत्तर:
शार्लमैन (742-814 ई.) फ्रांस का राजा था।

प्रश्न 11.
इंग्लैण्ड पर ग्यारहवीं सदी में किस व्यक्ति ने विजय प्राप्त की थी ?
उत्तर:
नारमैंडी के ड्यूक विलियम ने।

प्रश्न 12.
आबे से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
आबे से तात्पर्य है-मठ।

प्रश्न 13.
1347 और 1350 के मध्य यूरोप पर महामारी का क्या प्रभाव हुआ ?
उत्तर:
यूरोप की आबादी का लगभग 20% भाग नष्ट हो गया।

प्रश्न 14.
15वीं और 16वीं शताब्दी में किन नए शासकों का प्रादुर्भाव हुआ? दो का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) इंग्लैण्ड में हैनरी सप्तम
(2) फ्रांस में लुई ग्यारहवाँ।

प्रश्न 15.
इंग्लैण्ड में स्थापित संसद के दो सदनों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
(1) हाउस ऑफ लाईर्ड्स
(2) हाउस ऑफ कामन्स।

प्रश्न 16.
इंग्लैण्ड के किस शासक को मृत्यु – दण्ड देकर वहाँ गणतन्त्र की स्थापना की गई ?
उत्तर:
चार्ल्स प्रथम को।

प्रश्न 17.
फ्रांस के एस्टेट्स जनरल के तीन सदनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) पादरी वर्ग
(2) अभिजात वर्ग
(3) सामान्य लोगों का वर्ग।

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प्रश्न 18.
विश्व इतिहास में विभिन्न तरीकों से परम्पराएँ बदलने के क्या कारक थे? दो का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) वैज्ञानिक ज्ञान का विकास
(2) लोक-सेवाओं का निर्माण।

प्रश्न 19.
‘वाइकिंग’ कौन थे?
उत्तर:
वाइकिंग स्कैंडीनेविया के वे लोग थे जो आठवीं से ग्यारहवीं शताब्दी के मध्य उत्तर-पश्चिमी यूरोप पर आक्रमण करने के बाद वहाँ बस गए थे ।

प्रश्न 20.
तीन वर्ग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
तीन वर्ग यूरोप की तीन सामाजिक श्रेणियाँ थीं। ये वर्ग थे –
(1) ईसाई पादरी
(2) भूमि- धारक अभिजात वर्ग तथा
(3) कृषक।

प्रश्न 21.
‘मध्यकालीन युग’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
‘मध्यकालीन युग’ शब्द पाँचवीं और पन्द्रहवीं सदी के मध्य के यूरोपीय इतिहास को इंगित करता है।

प्रश्न 22.
‘सामन्तवाद’ शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामन्तवाद शब्द जर्मन शब्द ‘फ्यूड’ से बना है जिसका अर्थ है- ‘भूमि का टुकड़ा’। यह ऐसे समाज की ओर इंगित करता है जो फ्रांस और इंग्लैण्ड में विकसित हुआ।

प्रश्न 23.
‘सामन्तवाद’ की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर:
जीवन के सुनिश्चित तरीके के रूप में सामन्तवाद की उत्पत्ति यूरोप के अनेक देशों में ग्यारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुई।

प्रश्न 24.
फ्रांस की स्थापना किस प्रकार हुई ?
उत्तर:
जर्मनी की एक जनजाति फ्रैंक ने रोमन साम्राज्य के गॉल नामक एक प्रान्त को अपना नाम देकर उसे फ्रांस बना दिया।

प्रश्न 25.
फ्रांस में समाज कितने वर्गों में विभाजित था ?
उत्तर:
फ्रांस में समाज मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभाजित था –
(1) पादरी
(2) अभिजात
(3) कृषक।

प्रश्न 26.
सामाजिक प्रक्रिया में अभिजात वर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका क्यों थी ?
उत्तर:
भूमि पर अभिजात वर्ग के नियन्त्रण के कारण सामाजिक प्रक्रिया में अभिजात वर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका

प्रश्न 27.
अभिजात वर्ग के दो विशेषाधिकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) अभिजात वर्ग का अपनी सम्पदा पर स्थायी तौर पर पूर्ण नियन्त्रण था।
(2) वे अपना स्वयं का न्यायालय लगा सकते थे।

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प्रश्न 28.
मेनर की जागीर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
फ्रांस में लार्ड का घर मेनर कहलाता था। वह गाँवों पर नियन्त्रण रखता था। प्रतिदिन के उपभोग की प्रत्येक वस्तु जागीर पर मिलती थी। जागीरों में अरण्य भूमि और वन होते थे

प्रश्न 29.
तेरहवीं शताब्दी से दुर्गों का विकास क्यों किया गया ?
उत्तर:
तेरहवीं शताब्दी से कुछ दुर्गों का विस्तार किया गया ताकि नाइट के परिवार के लोग उन दुर्गों में निवास कर सकें।

प्रश्न 30.
मेनर के आत्मनिर्भर न होने के क्या कारण थे?
उत्तर:
(1) मेनर को नमक, चक्की का पाट तथा धातु के बर्तन बाहर के स्रोतों से प्राप्त करने पड़ते थे।
(2) लार्ड को महँगे साजो-सामान को, दूसरे स्थानों से प्राप्त करना पड़ता था।

प्रश्न 31.
‘फीफ’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लार्ड ‘नाइट’ को भूमि का एक भाग देता था, जो ‘फीफ’ कहलाता था। फीफ की भूमि को कृषक जोतते थे।

प्रश्न 32.
फ्रांस में घुमक्कड़ चारण कौन थे ?
उत्तर:
घुमक्कड़ चारण गायक लोग थे।

प्रश्न 33.
फ्रांस में घुमक्कड़ चारणों का क्या कार्य था ?
उत्तर:
ये लोग फ्रांस के मेनरों में वीर राजाओं और नाइट्स की वीरता की कहानियाँ गीतों के रूप में सुनाते हुए घूमते रहते थे।

प्रश्न 34.
कौन लोग पादरी बनने के लिए अयोग्य थे ?
उत्तर:
(1) कृषि – दास तथा शारीरिक रूप से बाधित लोग पादरी नहीं हो सकते थे।
(2) स्त्रियाँ भी पादरी नहीं बन सकती थीं।

प्रश्न 35.
बिशप कौन थे ?
उत्तर:
धर्म के क्षेत्र में बिशप अभिजात माने जाते थे। बिशपों के पास भी लार्ड की भाँति बड़ी-बड़ी जागीरें थीं तथा वे शानदार महलों में रहते थे।

प्रश्न 36.
टीथ’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
चर्च को एक वर्ष में कृषक से उसकी उपज का दसवाँ भाग लेने का अधिकार था। इसे ‘टीथ’ कहा जाता था।

प्रश्न 37.
कैथोलिक चर्च की आय के दो स्रोत बताइए।
उत्तर:
(1) किसानों द्वारा चर्च को दिया जाने वाला ‘टीथ’,
(2) धनी लोगों द्वारा चर्च को दिया जाने वाला दान।

प्रश्न 38.
भिक्षु कौन लोग थे ?
उत्तर:
कुछ अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति एकान्त जीवन जीना पसन्द करते थे। ये लोग मठों में रहते थे जो प्रायः मनुष्य की आम आबादी से बहुत दूर होते थे है।

प्रश्न 39.
‘मोनेस्ट्री’ शब्द से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
‘मोनेस्ट्री’ शब्द ग्रीक भीषा के शब्द ‘मोनोस’ से बना है जिसका अर्थ है – ऐसा व्यक्ति जो अकेला रहता

प्रश्न 40.
पादरियों और भिक्षुओं में क्या अन्तर था ?
उत्तर:
पादरी लोगों के बीच में नगरों और गाँवों में गिरजाघरों में रहते थे परन्तु भिक्षु मठों में रहते हुए एकान्त जीवन पसन्द करते थे।

प्रश्न 41.
मठ किसे कहते थे ?
उत्तर:
कुछ अत्यधिक धार्मिक व्यक्ति एकान्त जीवन व्यतीत करना पसन्द करते थे। वे धार्मिक समुदायों में रहते थे, जिन्हें मठ कहते थे।

प्रश्न 42.
यूरोप के दो सबसे अधिक प्रसिद्ध मठों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) 529 ई. में इटली में स्थापित सेंट बेनेडिक्ट का मठ।
(2) 910 ई. में बरगंडी में स्थापित क्लूनी का मठ।

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प्रश्न 43.
अबेसे हिल्डेगार्ड कौन था ?
उत्तर:
अबेसे हिल्डेगार्ड एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ था। उसने चर्च की प्रार्थनाओं में सामुदायिक गायन की प्रथा के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।

प्रश्न 44.
‘फ्रायर’ कौन थे ?
उत्तर:
यूरोप में तेरहवीं शताब्दी से भिक्षुओं के कुछ समूह मठों में नहीं रहते थे तथा विभिन्न स्थानों पर घूम-घूम कर लोगों को उपदेश देते थे। ये ‘फ्रायर’ कहलाते थे।

प्रश्न 45.
चौदहवीं शताब्दी में मठवाद के महत्त्व में कमी आने के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(1) भिक्षुओं के द्वारा आरामदायक एवं विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करना
(2) चौसर द्वारा अपनी रचना ‘कैंटरबरी टेल्स’ में भिक्षु–भिक्षुणी तथा फ्रायर का हास्यास्पद चित्रण करना।

प्रश्न 46.
‘टैली कर’ क्या था ?
उत्तर:
टैली एक प्रकार का प्रत्यक्ष कर था, जिसे राजा कृषकों पर कभी-कभी लगाते थे।

प्रश्न 47.
लार्ड को कृषि – दासों पर क्या एकाधिकार प्राप्त थे
उत्तर:
(1) कृषि दास अपने लार्ड की चक्की में ही आटा पीस सकते थे।
(2) वे उनके तन्दूर में ही रोटी सेंक सकते थे तथा उनकी मदिरा सम्पीडक में ही शराब बना सकते थे।

प्रश्न 48.
मध्यकाल में प्रारम्भ में इंग्लैण्ड की कृषि प्रौद्योगिकी के दो दोष बताइए।
उत्तर:
(1) कृषक का लकड़ी का हल केवल पृथ्वी की सतह को खुरच सकता था।
(2) फसल चक्र के एक प्रभावहीन तरीके का उपयोग हो रहा था।

प्रश्न 49.
इंग्लैण्ड में मेनरों के लार्ड के विरुद्ध कृषकों ने निष्क्रिय प्रतिरोध की नीति क्यों अपनाई?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में कृषकों को मेनरों की जागीर की समस्त भूमि को कृषिगत बनाने के लिए बाध्य होना पड़ता था।

प्रश्न 50.
इंग्लैण्ड में नई कृषि प्रौद्योगिकी नीति के अन्तर्गत कृषि में हुए कोई दो परिवर्तन बताइए।
उत्तर:
(1) लोहे के भारी नोक वाले हल और साँचेदार पटरे का उपयोग होने लगा।
(2) पशुओं को हलों में जोतने के तरीकों में सुधार हुआ।

प्रश्न 51.
मध्यकाल में यूरोप में नगरों के विकास के दो कारण लिखिए।
उत्तर:
(1) कृषि का विस्तार और जनसंख्या का बढ़ना।
(2) नगरों का वातावरण स्वतन्त्रतापूर्ण था।

प्रश्न 52.
‘श्रेणी’ (गिल्ड) से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
आर्थिक संस्था का आधार ‘ श्रेणी’ (गिल्ड ) था। प्रत्येक शिल्प या उद्योग एक ‘ श्रेणी’ के रूप में संगठित था। यह उत्पाद की गुणवत्ता, उसके मूल्य और बिक्री पर नियन्त्रण रखती थी।

प्रश्न 53.
आप ‘कथीड्रल नगर’ के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर:
बारहवीं सदी में फ्रांस में बड़े- बड़े चर्चों का निर्माण होने लगा, जो कथीड्रल कहलाते थे। इन चर्चों के चारों तरफ विकसित होने वाले नगर ‘कथीड्रल नगर’ कहलाये।

प्रश्न 54.
कथीड्रल बनाते समय किन दो बातों का ध्यान रखा जाता था ?
उत्तर:
(1) कथीड्रल इस प्रकार बनाए जाते थे कि पादरी की आवाज सभागार में लोगों को स्पष्ट रूप से सुनाई पड़े
(2) लोगों को प्रार्थना के लिए बुलाने वाली घण्टियाँ दूर तक सुनाई पड़ सकें।

प्रश्न 55.
यूरोप में चौदहवीं शताब्दी के दो संकटों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) 1315 और 1317 में यूरोप में भयंकर अकाल पड़े।
(2) 1347-1350 के मध्य यूरोप में भीषण महामारी फैल गई।

प्रश्न 56.
यूरोप में चौदहवीं शताब्दी के संकट के सामाजिक क्षेत्र में पड़े दो प्रभाव बताइए।
उत्तर:
(1) जनसंख्या में अत्यधिक कमी हो गई तथा मजदूरों की संख्या में अत्यधिक कमी आई।
(2) कृषि और उत्पादन के बीच असन्तुलन हुआ।

प्रश्न 57.
चौदहवीं शताब्दी में हुए कृषकों के विद्रोह के दो कारण बताइए।
उत्तर:
(1) आय कम होने से अभिजात वर्ग ने धन सम्बन्धी अनुबन्धों को तोड़ दिया।
(2) उन्होंने पुरानी मजदूरी सेवाओं को फिर से प्रचलित कर दिया।

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प्रश्न 58.
पन्द्रहवीं तथा सोलहवीं शताब्दी में यूरोपीय शासकों को ‘नए शासक’ क्यों कहा गया ? उत्तर-पन्द्रहवीं तथा सोलहवीं शताब्दी में यूरोपीय शासकों ने अपनी सैनिक एवं वित्तीय शक्ति में वृद्धि की और नए शक्तिशाली राज्यों का निर्माण किया।

प्रश्न 59.
फ्रांस की ‘एस्टेट्स जनरल’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
फ्रांस की ‘एस्टेट्स जनरल’ फ्रांस की परामर्शदात्री सभा थी। इसके तीन सदन थे जो पादरी, अभिजात वर्ग तथा साधारण लोगों का प्रतिनिधित्व करती थी।

प्रश्न 60.
1789 ई. तक फ्रांस की एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन क्यों नहीं बुलाया गया ?
उत्तर:
फ्रांस की एस्टेट्स जनरल का अधिवेशन 1789 ई. तक नहीं बुलाया गया, क्योंकि फ्रांस के राजा तीन वर्गों के साथ अपनी शक्ति बाँटना नहीं चाहते थे।

प्रश्न 61.
मध्यकालीन यूरोप के पादरी वर्ग (प्रथम वर्ग) को समझाइये
उत्तर:
पादरी लोग चर्च में धर्मोपदेश दिया करते थे। ये लोग ईसाई समाज का मार्गदर्शन करते थे। ये अविवाहित होते थे।

प्रश्न 62.
पाँचवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी तक यूरोप में पर्यावरण का कृषि पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
तीव्र सर्दी के कारण फसलों का उपज काल छोटा हो गया और कृषि की उपज कम हो गई। परन्तु 11वीं सदी में तापमान बढ़ने से कृषि पर अच्छा प्रभाव पड़ा।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मध्यकालीन यूरोप में वैसलेज नामक प्रथा क्या थी?
उत्तर:
वैसलेज प्रथा के अन्तर्गत बड़े भू-स्वामी ( अभिजात वर्ग) राजा के अधीन और कृषक भू-स्वामियों के अधीन होते थे। अभिजात वर्ग राजा को अपना स्वामी मान लेता था और वे आपस में वचनबद्ध होते थे। अभिजात वर्ग दास व कृषक की रक्षा करता था और बदले में वह उसके प्रति निष्ठावान रहता था। इस प्रकार वैसलेज की प्रथा के कारण फ्रांस के शासकों का लोगों से जुड़ाव रहता था।

प्रश्न 2.
मध्यकालीन यूरोप के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक इतिहास की जानकारी के मुख्य स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक इतिहास की जानकारी इतिहासकारों को भू- स्वामित्व के विवरणों, मूल्यों, कानूनी मुकदमों जैसी बहुत-सी सामग्री दस्तावेजों के रूप में उपलब्ध थी। इसलिए वे विविध क्षेत्रों के इतिहासों पर उपयोगी कार्य कर सके। उदाहरण के लिए चर्चों में मिलने वाले जन्म, मृत्यु तथा विवाह के अभिलेखों की सहायता से परिवारों और जनसंख्या की संरचना को समझने में सहायता मिली। चर्चों से प्राप्त अभिलेखों से व्यापारिक संस्थाओं के बारे में जानकारी मिली और गीतों तथा कहानियों से त्यौहारों तथा सामुदायिक गतिविधियों के बारे में बोध हुआ।

प्रश्न 3.
मार्क ब्लाक की रचनाओं से सामन्तवाद पर क्या प्रकाश पड़ता है?
उत्तर:
सामन्तवाद पर सर्वप्रथम कार्य करने वाले विद्वानों में से एक फ्रांस के मार्क ब्लाक थे। मार्क ब्लाक का ‘सामन्ती समाज’ यूरोपियों, विशेषकर 900 से 1300 के बीच, फ्रांसीसी समाज के सामाजिक सम्बन्धों और श्रेणियों, भूमि प्रबन्धन तथा उस समय की जन-संस्कृति के बारे में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण जानकारी देता है।

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प्रश्न 4.
‘सामन्तवाद’ के बारे में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सामन्तवाद-‘सामन्तवाद’ (Feudalism) जर्मन शब्द ‘फ्यूड’ से बना है जिसका अर्थ है – एक भूमि का टुकड़ा। यह एक ऐसे समाज की ओर संकेत करता है जो मध्य फ्रांस और बाद में इंग्लैण्ड तथा दक्षिणी इटली में भी विकसित हुआ। आर्थिक दृष्टि से सामन्त एक प्रकार के कृषि उत्पाद की ओर संकेत करता है जो सामन्त तथा कृषकों के सम्बन्धों पर आधारित है। कृषक अपने खेतों के साथ-साथ लार्ड (सामन्त ) के खेतों पर कार्य करते थे।

इस प्रकार कृषक लार्ड को – सेवा प्रदान करते थे तथा बदले में लार्ड उन्हें सैनिक सुरक्षा प्रदान करते थे। इसके अतिरिक्त लार्ड को कृषकों पर न्यायिक अधिकार भी प्राप्त थे। इस प्रकार सामन्तवाद ने कृषकों के आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन पर अधिकार कर लिया था। श्रम-ऐसा माना जाता है कि जीवन के सुनिश्चित तरीके के रूप में सामन्तवाद की उत्पत्ति यूरोप के अनेक भागों में गयारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुई।

प्रश्न 5.
फ्रांस और इंग्लैण्ड किस प्रकार अस्तित्व में आए ?
उत्तर:
गॉल रोमन साम्राज्य का एक प्रान्त था। इसमें दो विस्तृत तट रेखाएँ, पर्वत – श्रेणियाँ, लम्बी नदियाँ, वन और कृषि करने के लिए विस्तृत मैदान थे। जर्मनी की फ्रैंक नामक एक जनजाति ने गॉल को अपना नाम देकर उसे फ्रांस बना दिया। छठी शताब्दी से इस प्रदेश पर फ्रैंकिश अथवा फ्रांस के ईसाई राजा शासन करते थे। फ्रांसीसियों के चर्च के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध थे। ये सम्बन्ध पोप द्वारा फ्रांस के सम्राट शार्लमैन को ‘पवित्र रोमन सम्राट’ की उपाधि दिए जाने पर और अधिक सुदृढ़ हो गए। ग्यारहवीं शताब्दी में फ्रांस के नारमंडी नामक प्रान्त के राजकुमार विलियम ने एक संकरे जलमार्ग के पार स्थित इंग्लैण्ड- स्काटलैण्ड के द्वीपों पर अधिकार कर लिया। छठी शताब्दी में मध्य यूरोप से ऐंजिल और सेक्सन इंग्लैण्ड में आकर बस गए थे। इंग्लैण्ड देश का नाम ‘एंजिल लैण्ड’ का रूपान्तरण है।

प्रश्न 6.
मध्यकालीन यूरोप में मठों में रहने वाले भिक्षुओं के जीवन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भिक्षु – भिक्षु कुछ विशेष श्रद्धालु ईसाइयों की एक श्रेणी थी। ये अत्यन्त धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे तथा एकान्त जीवन जीना पसन्द करते थे। वे धार्मिक समुदायों में रहते थे जिन्हें एबी या मठ कहते थे। ये मठ अधिकतर मनुष्य की सामान्य आबादी से बहुत दूर होते थे। मध्यकालीन यूरोप के दो सबसे प्रसिद्ध मठों में एक मठ 529 में इटली में स्थापित सेन्ट बेनेडिक्ट था तथा दूसरा 910 में बरगंडी में स्थापित क्लूनी का मठ था।

भिक्षुओं का जीवन – मध्यकालीन यूरोप के भिक्षु अपना सारा जीवन ऐबी में रहने और अपना समय प्रार्थना करने तथा अध्ययन एवं कृषि जैसे शारीरिक श्रम में लगाने का व्रत लेते थे। भिक्षु का जीवन पुरुष और स्त्री दोनों ही अपना सकते थे। ऐसे पुरुषों को ‘मोंक’ तथा स्त्रियों को ‘नन’ कहा जाता था। पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग मठ थे। पादरियों की भाँति भिक्षु और भिक्षुणियाँ भी विवाह नहीं कर सकते थे।

प्रश्न 7.
मध्यकालीन यूरोप के भिक्षुओं तथा भिक्षुणियों के लिए बनाए गए नियमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बेनेडिक्टीन मठों में भिक्षुओं के लिए एक हस्तलिखित पुस्तक होती थी जिसमें नियमों के 73 अध्याय थे। भिक्षुओं द्वारा इन नियमों का पालन कई सदियों तक किया जाता रहा। इनमें से कुछ नियम इस प्रकार हैं –
(1) भिक्षुओं को बोलने की आज्ञा कभी-कभी ही दी जानी चाहिए।
(2) विनम्रता का अर्थ है-आज्ञा-पालन।
(3) किसी भी भिक्षु को निजी सम्पत्ति नहीं रखनी चाहिए।
(4) आलस्य आत्मा का शत्रु है। इसलिए भिक्षु भिक्षुणियों को निश्चित समय में शारीरिक श्रम और निश्चित घण्टों में पवित्र पाठ करना चाहिए।
(5) मठों का निर्माण इस प्रकार करना चाहिए कि आवश्यकता की सभी वस्तुएँ- जल, चक्की, उद्यान, कार्यशाला आदि सभी उसकी सीमा के अन्दर हों।

प्रश्न 8.
मध्यकालीन यूरोप के समाज पर चर्च का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
यद्यपि यूरोपवासी ईसाई बन गए थे, परन्तु उन्होंने अभी भी कुछ सीमा तक चमत्कार और रीति-रिवाज से जुड़े अपने पुराने विश्वासों को नहीं त्यागा था। चौथी शताब्दी से ही क्रिसमस तथा ईस्टर कैलेंडर की महत्त्वपूर्ण तिथियाँ बन गए थे। 25 दिसम्बर को मनाए जाने वाले ईसा मसीह के जन्म दिन ने एक पुराने पूर्व- रोमन त्यौहार का स्थान ले लिया था। इस तिथि की गणना सौर- पंचांग के आधार पर की गई थी। ईस्टर ईसा के शूलारोपण तथा उनके पुनर्जीवित होने का प्रतीक था।

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इसने एक प्राचीन त्यौहार का स्थान ले लिया था जो लम्बी सर्दी के बाद बसन्त के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाया जाता था। यद्यपि यह दिन प्रार्थना करने के लिए था, परन्तु लोग सामान्यतः इसका अधिकतर समय मौज-मस्ती करने और दावतों में बिताते थे। तीर्थयात्रा ईसाइयों के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण भाग थी। अतः बहुत से लोग शहीदों की समाधियों अथवा बड़े गिरजाघरों की लम्बी यात्राओं पर जाते थे।

प्रश्न 9.
मध्यकालीन यूरोप में कृषि – दासों द्वारा लार्ड को दी गई सेवाओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा
मध्यकालीन यूरोप में कृषि – दासों की दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कृषि – दास अपने जीवन – निर्वाह के लिए जिन भू-खण्डों पर कृषि करते थे, वे लार्ड के स्वामित्व में थे। इसलिए उनकी अधिकतर उपज भी लार्ड को ही मिलती थी। कृषि-दास उन भूखण्डों पर भी कृषि करते थे, जो केवल लार्ड के स्वामित्व में थे। इसके लिए उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिलती थी।

कृषि – दासों पर अनेक प्रतिबन्ध लगे हुए थे। वे लार्ड की आज्ञा के बिना जागीर नहीं छोड़ सकते थे। कृषि – दास केवल अपने लार्ड की चक्की में ही आटा पीस सकते थे, उनके तन्दूर में ही रोटी सेंक सकते थे तथा उनकी मदिरा – सम्पीडक में ही मदिरा और बीयर तैयार कर सकते थे। लार्ड को कृषि – दास का विवाह तय करने का भी अधिकार था। वह कृषि – दास की पसन्द को भी अपना आशीर्वाद दे सकता था, परन्तु इसके लिए कृषि – दास से शुल्क लेता था।

प्रश्न 10.
मध्यकालीन यूरोप में स्वतन्त्र कृषकों की दशा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
स्वतन्त्र कृषक अपनी भूमि को लार्ड के काश्तकार के रूप में रखते थे। पुरुषों को सैनिक सेवा भी देनी पड़ती थी। कृषकों के परिवारों को लार्ड की जागीरों पर जाकर काम करने के लिए सप्ताह के तीन या उससे अधिक कुछ दिन निश्चित करने पड़ते थे। इस श्रम से होने वाला उत्पादन ‘ श्रम – अधिशेष’ कहलाता था। यह ‘श्रम – अधिशेष’ सीधे लार्ड के पास जाता था। इसके अतिरिक्त उनसे गड्ढे खोदना, जलाने के लिए लकड़ियाँ इकट्ठी करना, बाड़ बनाना, सड़कों व इमारतों की मरम्मत करने आदि कार्य करने की भी आशा की जाती थी ।

इन कार्यों के लिए उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिलती थी। स्त्रियों और बच्चों को खेतों में सहायता करने के अतिरिक्त अन्य कार्य भी करने पड़ते थे। वे सूत कातते, कपड़ा बुनते, मोमबत्ती बनाते तथा लार्ड के उपयोग के लिए अंगूरों से रस निकाल कर शराब तैयार करते थे । कृषकों को एक प्रत्यक्ष कर ‘टैली’ भी राजा को देना पड़ता था, जबकि पादरी वर्ग तथा अभिजात वर्ग इस कर से मुक्त थे।

प्रश्न 11.
इंग्लैण्ड में सामन्तवाद के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में सामन्तवाद का विकास – सामन्तवाद का विकास इंग्लैंड में 11वीं सदी से हुआ। ग्यारहवीं शताब्दी में फ्रांस के एक प्रान्त नारमैंडी के ड्यूक विलियम ने इंग्लैण्ड पर आक्रमण किया और वहाँ के सैक्शन राजा को पराजित कर दिया और इंग्लैण्ड पर अधिकार कर लिया। विलियम प्रथम ने देश की भूमि नपवाई, उसके नक्शे तैयार करवाये और उसे अपने साथ आए 180 नारमन अभिजातों में बाँट दिया।

ये लार्ड राजा के प्रमुख काश्तकार बन गए। इनसे राजा सैन्य सहायता की आशा करता था। वे राजा को कुछ नाइट देने के लिए बाध्य थे। शीघ्र ही लार्ड नाइटों को कुछ भूमि उपहार में देने लगे और बदले में वे उनसे उसी प्रकार सेवा की आशा रखते थे जैसी वे राजा से करते थे। परन्तु वे अपने निजी युद्धों के लिए नाइटों का उपयोग नहीं कर सकते थे। क्योंकि इस पर इंग्लैण्ड में प्रतिबन्ध था। ऐंग्लो-सेक्सन कृषक विभिन्न स्तरों के भूस्वामियों के काश्तकार बन गए।

प्रश्न 12.
पाँचवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी तक यूरोप में पर्यावरण का कृषि पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
पाँचवीं से दसवीं शताब्दी तक यूरोप का अधिकांश भाग विस्तृत वनों से घिरा हुआ था। अतः कृषि के लिएं उपलब्ध भूमि सीमित थी। इसके अतिरिक्त अत्याचारों से बचने के लिए कृषक वहाँ से भाग कर वनों में आश्रय प्राप्त कर सकते थे। इस समय यूरोप में भीषण शीत का दौर चल रहा थ। इससे सर्दियाँ प्रचण्ड और लम्बी अवधि की हो गई थीं।

इससे फसलों का उपज – काल भी छोटा हो गया था। इसके कारण कृषि की उपज कम हो गई। ग्यारहवीं शताब्दी से यूरोप में गर्मी का दौर शुरू हो गया और औसत तापमान बढ़ गया जिसका कृषि पर अच्छा प्रभावं पड़ा। अब कृषकों को कृषि के लिए लम्बी अवधि मिलने लगी। मिट्टी पर पाले का प्रभाव कम होने से खेती आसानी से की जा सकती थी। इसके परिणामस्वरूप यूरोप के अनेक भागों में वन- -क्षेत्रों में कमी हुई जिसके फलस्वरूप कृषि भूमि का विस्तार · हुआ।

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प्रश्न 13.
“प्रारम्भ में यूरोप में कृषि प्रौद्योगिकी बहुत आदिम किस्म की थी। ” स्पष्ट कीजिए।
अथवा
11वीं शताब्दी से पूर्व यूरोप में कृषि की दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) प्रारम्भ में किसानों के पास केवल बैलों की जोड़ी से चलने वाला लकड़ी का हल था। यह हल केवल पृथ्वी की सतह को खुरच ही सकता था । यह भूमि की प्राकृतिक उत्पादकता को पूरी तरह से बाहर निकाल पाने में असमर्थ था। इसलिए कृषि में अत्यधिक परिश्रम करना पड़ता था । भूमि को प्रायः चार वर्ष में एक बार हाथ से खोदा जाता था जिसके लिए अत्यधिक मानव श्रम की आवश्यकता होती थी।

(2) उस समय फसल-चक्र के एक प्रभावहीन तरीके का उपयोग हो रहा था। भूमि को दो भागों में बाँट दिया जाता था। एक भाग में शरद् ऋतु में सर्दी का गेहूँ बोया जाता था, जबकि दूसरी भूमि को परती या खाली रखा जाता था। अगले वर्ष परती भूमि पर राई बोई जाती थी, जबकि दूसरा आधा भाग खाली रखा जाता था। इस व्यवस्था के कारण मिट्टी की उर्वरता का धीरे-धीरे ह्रास होने लगा और प्रायः अकाल पड़ने लगे। दीर्घकालीन कुपोषण और विनाशकारी अकालों से गरीबों के लिए जीवन अत्यन्त मुश्किल हो गया।

प्रश्न 14.
मध्यकालीन यूरोप में कृषि सम्बन्धी समस्याओं के कारण लार्डों तथा कृषकों के बीच विवाद क्यों उत्पन्न हुआ?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में लार्ड अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील रहते थे। चूँकि भूमि का उत्पादन बढ़ाना सम्भव नहीं था, इसलिए कृषकों को मेनरों की जागीर की समस्त भूमि को कृषिगत बनाने के लिए बाध्य होना पड़ता था। यह कार्य करने के लिए उन्हें नियमानुसार निर्धारित समय से अधिक समय देना पड़ता था। कृषक इस अत्याचार को सहन नहीं कर सकते थे। चूँकि उनमें खुलकर विरोध करने की सामर्थ्य नहीं थी, इसलिए उन्होंने निष्क्रिय प्रतिरोध का सहारा लिया।

वे अपने खेतों पर कृषि करने में अधिक समय लगाने लगे और उस परिश्रम का अधिकतर उत्पाद अपने पास रखने . लगे। वे बेगार करने से भी संकोच करने लगे। चरागाहों तथा वन- -भूमि के कारण उनका उन लार्डों के साथ विवाद होने लगा। लार्ड इस भूमि को अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति समझते थे जबकि कृषक इसको सम्पूर्ण समुदाय की साझी सम्पदा मानते थे।

प्रश्न 15.
ग्यारहवीं शताब्दी में यूरोप में होने वाले नये प्रौद्योगिकी परिवर्तनों के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
ग्यारहवीं शताब्दी में यूरोप में होने वाले नये प्रौद्योगिकी परिवर्तनों के निम्नलिखित परिणाम हुए –
(1) विभिन्न सुधारों से भूमि की प्रत्येक इकाई में होने वाले उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि हुई। फलस्वरूप भोजन की उपलब्धता दुगुनी हो गई।
(2) आहार में मटर और सेम का अधिक उपयोग अधिक प्रोटीन का स्रोत बन गया।
(3) पशुओं को भी अच्छा चारा मिलने लगा।
(4) कृषक अब कम भूमि पर अधिक भोजन का उत्पादन कर सकते थे।
(5) तेरहवीं सदी तक एक कृषक के खेत का औसत आकार सौ एकड़ से घट कर बीस से तीस एकड़ तक रह गया। छोटी जोतों पर अधिकतर कुशलता से कृषि की जा सकती थी और उसमें कम श्रम की आवश्यकता थी। इससे कृषकों को अन्य गतिविधियों के लिए समय मिल गया।

प्रश्न 16.
मध्यकालीन यूरोप में प्रौद्योगिकी परिवर्तनों में लगने वाली धन-सम्बन्धी समस्याओं का समाधान किस प्रकार किया गया?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में कुछ प्रौद्योगिकी परिवर्तनों में अत्यधिक धन लगता था। कृषकों के पास पनचक्की तथा पवन चक्की स्थापित करने के लिए पर्याप्त धन नहीं था । इस सम्बन्ध में पहल लार्डों द्वारा की गई। परन्तु कृषक भी कुछ मामलों में पहल करने में सक्षम रहे। उदाहरण के लिए, उन्होंने खेती – योग्य भूमि का विस्तार किया । उन्होंने फसलों की तीन चक्रीय व्यवस्था को अपनाया और गाँवों में लोहार की दुकानें तथा भट्टियाँ स्थापित कीं। यहाँ पर लोहे की नोक वाले हल तथा घोड़ों की नाल बनाने और मरम्मत करने का काम सस्ती दरों पर किया जाने लगा।

प्रश्न 17.
ग्यारहवीं शताब्दी में लार्डों तथा कृषकों के बीच व्यक्तिगत सम्बन्ध क्यों कमजोर पड़ गए ?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में कथीड्रलों का निर्माण- मध्यकालीन यूरोप में कथीड्रलों का निर्माण इस प्रकार किया गया था कि पादरी की आवाज कथीड्रल में लोगों के एकत्रित होने वाले सभागार में स्पष्ट रूप से सुनाई दे सके और भिक्षुओं का गायन भी अधिक मधुर सुनाई पड़े। इस प्रकार का भी प्रावधान रखा जाता था कि लोगों को प्रार्थना के लिए बुलाने वाली घण्टियाँ दूर तक सुनाई पड़ सकें।

खिड़कियों के लिए अभिरंजित काँच का प्रयोग होता था। दिन के समय सूर्य की रोशनी उन्हें कथीड्रल के अन्दर मौजूद व्यक्तियों के लिए चमकदार बना देती थी। सूर्य अस्त होने के बाद मोमबत्तियों की रोशनी उन्हें बाहर के व्यक्तियों के लिए स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाला भवन बनाती थी। अभिरंजित काँच की खिड़कियों पर बने चित्र बाइबल की कथाओं से सम्बन्धित थे जिन्हें अनपढ़ व्यक्ति भी पढ़ सकते थे

प्रश्न 23.
एबट सुगेर ने पेरिस के निकट सेन्ट डेनिस में स्थित आबे के बारे में क्या विवरण दिया है?
उत्तर:
एबट सुगेर ने पेरिस के निकट सेन्ट डेनिस में स्थित आबे के बारे में लिखा है कि विभिन्न क्षेत्रों से आए अनेक विशेषज्ञों के अत्यन्त कुशल हाथों से अनेक प्रकार की शानदार नई खिड़कियों की पुताई करवाई, क्योंकि ये खिड़कियाँ अपने अद्भुत निर्माण तथा अत्यधिक महँगे रंजित एवं सफायर काँच के कारण बहुत मूल्यवान थीं। इसलिए उनकी रक्षा के लिए हमने एक सरकारी प्रधान शिल्पकार और स्वर्णकार को नियुक्त किया। वे अपना वेतन वेदिका से सिक्कों के रूप में और आटा अपने भाई-बन्धुओं के सार्वजनिक भण्डार से प्राप्त कर सकते थे। वे उन कला- देखभाल के कर्त्तव्यों की अवहेलना कभी नहीं कर सकते थे।

प्रश्न 24.
चौदहवीं सदी के शुरू में यूरोप में पड़े भीषण अकालों के लिए कौनसी परिस्थितियाँ उत्तरदायी
उत्तर:
उत्तरी यूरोप में तेरहवीं सदी के अन्त तक पिछले तीन सौ वर्षों की तेज ग्रीष्म ऋतु का स्थान तेज ठण्डी ग्रीष्म ऋतु ने ले लिया था। परिणामस्वरूप उपज वाले मौसम छोटे हो गए तथा ऊँची भूमि पर फसल उगाना काफी कठिन हो गया। तूफानों और सागरीय बाढ़ों के कारण अनेक फार्म-प्रतिष्ठान नष्ट हो गए जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकारों को करें द्वारा कम आय हुई तेरहवीं सदी के पूर्व की अनुकूल जलवायु के कारण अनेक जंगल तथा चरागाह कृषि भूमि में बदल गए।

परन्तु गहन जुताई ने फसलों के तीन क्षेत्रीय फसल चक्र के प्रचलन के बावजूद भूमि को कमजोर बना दिया। भूमि के कमजोर होने का कारण उचित भू-संरक्षण का अभाव था। चरागाहों की कमी के कारण पशुओं की संख्या में भारी कमी आ गई। दूसरी ओर जनसंख्या इतनी तीव्र गति से बढ़ी कि उपलब्ध संसाधन कम पड़ गए। इसके परिणामस्वरूप यूरोपवासियों को अकालों का सामना करना पड़ा। 1315 और 1317 के बीच यूरोप में भीषण अकाल पड़े। इसके पश्चात् 1320 के दशक में अनगिनत पशुओं की मौतें हुईं।

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प्रश्न 25.
चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में फैली महामारियों का वर्णन कीजिए। इनके क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
बारहवीं तथा तेरहवीं सदी में वाणिज्य – व्यापार में विस्तार के कारण दूर देशों से व्यापार करने वाले पोत यूरोप के तटों पर आने लगे। पोतों के साथ-साथ बड़ी संख्या में चूहे भी आ गए जो अपने साथ ब्यूबोनिक प्लेग जैसी महामारी का संक्रमण ( Black Death) लाए। अतः पश्चिमी यूरोप 1347 और 1350 के बीच महामारी से अत्यधिक प्रभावित हुआ। आधुनिक विद्वानों के अनुसार यूरोप की आबादी का लगभग 20% भाग मौत के मुँह में चला गया।

कुछ स्थानों पर तो मौत के मुँह में जाने वाली संख्या वहाँ की जनसंख्या का 40% तक थी। व्यापार केन्द्र के होने के कारण, नगर महामारी से सर्वाधिक प्रभावित हुए। मठों तथा आश्रमों में जब एक व्यक्ति प्लेग की चपेट में आ जाता था, तो वहाँ रहने वाले सभी व्यक्ति महामारी के शिकार बन जाते थे । परिणामस्वरूप कोई भी व्यक्ति महामारी से नहीं बच पाता था। इस प्लेग के पश्चात् 1360 और 1370 में प्लेग की कुछ छोटी-छोटी घटनाएँ हुईं। इस महामारी के कारण यूरोप की जनसंख्या 1300 ई. में 730 लाख से घटकर 1400 ई. में 450 लाख रह गई।

प्रश्न 26.
यूरोप में फैली महामारी के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
यूरोप में फैली महामारी के निम्नलिखित परिणाम हुए –
(1) इस विनाश – लीला के साथ आर्थिक मंदी के जुड़ने से व्यापक सामाजिक विस्थापन हुआ।
(2) जनसंख्या में कमी के कारण मजदूरों की संख्या में अत्यधिक कमी आ गई।
(3) कृषि और उत्पादन के बीच भारी असन्तुलन पैदा हो गया। क्योंकि इन दोनों ही कार्यों में पर्याप्त संख्या में लग सकने वाले लोगों में भारी कमी आ गई थी।
(4) खरीददारों की कमी के कारण कृषि उत्पादों के मूल्यों में कमी आई।
(5) प्लेग के बाद इंग्लैण्ड में मजदूरों, विशेषकर कृषि मजदूरों की भारी माँग के कारण मजदूरी की दरों में 250 प्रतिशत तक वृद्धि हो गई।

प्रश्न 27.
चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में कृषकों के विद्रोहों का वर्णन कीजिए। इन विद्रोहों के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
चौदहवीं शताब्दी में यूरोप में कृषकों के विद्रोह – चौदहवीं शताब्दी में पड़े अकालों, महामारी, आर्थिक मन्दी आदि के कारण यूरोप के लार्डों की आय काफी कम हो गई। मजदूरों की दरें बढ़ने तथा कृषि सम्बन्धी मूल्यों में कमी ने अभिजात वर्ग की आय को कम कर दिया। इससे उनमें निराशा आ गई और उन्होंने उन धन सम्बन्धी अनुबन्धों को तोड़ दिया जिसे उन्होंने हाल ही में सम्पन्न किया था। उन्होंने पुरानी मजदूरी सेवाओं को फिर से प्रचलित कर दिया। इससे कृषकों में असन्तोष उत्पन्न हुआ और उन्होंने विशेषकर पढ़े-लिखे तथा समृद्ध कृषकों ने विद्रोह कर दिया। 1323 में कृषकों ने फ्लैंडर्स में, 1358 में फ्रांस में तथा 1381 में इंग्लैण्ड में विद्रोह किए।

प्रश्न 28.
चौदहवीं शताब्दी में हुए कृषकों के विद्रोहों के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
चौदहवीं शताब्दी में हुए कृषकों के विद्रोहों के निम्नलिखित परिणाम हुए-
(1) यद्यपि इन विद्रोहों का क्रूरतापूर्वक दमन कर दिया गया, परन्तु इससे स्पष्ट हो गया कि कृषक पिछली संदियों हुए लाभों को बचाने के लिए प्रयत्नशील थे।
(2) इन विद्रोहों की तीव्रता ने यह सुनिश्चित कर दिया कि पुराने सामन्ती सम्बन्धों को पुनः थोपा नहीं जा सकता। धन अर्थव्यवस्था काफी अधिक विकसित थी, जिसे पलटा नहीं जा सकता था।
(3) यद्यपि लार्डों ने कृषक – विद्रोहों का दमन कर दिया, परन्तु कृषकों ने यह सुनिश्चित कर लिया कि दासता का युग पुनः नहीं लौट सकेगा।

प्रश्न 29.
पन्द्रहवीं तथा सोलहवीं सदियों में यूरोप में शक्तिशाली राज्यों का प्रादुर्भाव किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में शक्तिशाली राज्यों का प्रादुर्भाव – पन्द्रहवीं तथा सोलहवीं सदियों में यूरोपीय शासकों ने अपनी सैनिक तथा आर्थिक शक्ति में काफी वृद्धि कर ली। उनके द्वारा निर्मित शक्तिशाली राज्य उस समय होने वाले आर्थिक परिवर्तनों के समान ही महत्त्वपूर्ण थे। इसी कारण इतिहासकारों ने इन राजाओं को ‘नए शासक’ की संज्ञा दी। फ्रांस में लुई ग्यारहवें आस्ट्रिया में मैक्समिलन, इंग्लैण्ड में हेनरी सप्तम तथा स्पेन में इजाबेला और फर्डीनेण्ड निरंकुश शासक थे। उन्होंने संगठित स्थायी सेनाओं, स्थायी नौकरशाही तथा राष्ट्रीय कर – र- प्रणाली की स्थापना की। स्पेन और पुर्तगाल ने यूरोप के समुद्र पार विस्तार की योजनाएँ बनाईं।

प्रश्न 30.
मध्यकालीन यूरोप में शक्तिशाली राजतन्त्रों की स्थापना के लिए उत्तरदायी तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. सामाजिक परिवर्तन – जागीरदारी तथा सामन्तशाही वाली सामन्त प्रथा के विलय और आर्थिक विकास की धीमी गति ने यूरोप के शासकों को प्रभावशाली बनाया। शासकों ने सामन्तों से अपनी सेना के लिए कर लेना बन्द कर दिया और उसके स्थान पर बन्दूकों तथा बड़ी तोपों से सुसज्जित प्रशिक्षित सेना का गठन किया जो पूर्ण रूप से उनके अधीन थी। राजाओं की शक्तिशाली सेना के कारण अभिजात वर्ग उनका विरोध करने में असमर्थ रहा।

2. करों में वृद्धि से शासकों की आय में वृद्धि -करों में वृद्धि करने से यूरोप के शासकों को पर्याप्त राजस्व प्राप्त हुआ। इसके फलस्वरूप वे पहले से बड़ी सेनाएँ रखने में समर्थ हुए। सेना की सहायता से उन्होंने अपने राज्य में होने वाले आन्तरिक विद्रोहों का भी दमन कर दिया।

प्रश्न 31.
इंग्लैण्ड में हुए राजनीतिक परिवर्तन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में राजनीतिक परिवर्तन- इंग्लैण्ड में नारमन – विजय से भी पहले ऐंग्लो-सेक्सन लोगों की एक महान परिषद होती थी। अपनी प्रजा पर कर लगाने से पहले राजा को महान परिषद की सलाह लेनी पड़ती थी। यह परिषद कालान्तर में पार्लियामेन्ट के रूप में विकसित हुई जिसमें ‘हाउस ऑफ लाईस’ तथा ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ शामिल थे। इंग्लैण्ड के शासक चार्ल्स प्रथम (1629 – 1640 ) ने पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बिना बुलाए ग्यारह वर्षों तक शासन किया।

धन की आवश्यकता पड़ने पर एक बार उसे पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बुलाना पड़ा। इस अवसर पर पार्लियामेन्ट के एक भाग ने राजा का विरोध किया। बाद में चार्ल्स प्रथम को मृत्यु – दण्ड देकर इंग्लैण्ड में गणतन्त्र की स्थापना की गई। परन्तु यह व्यवस्था अधिक समय तक नहीं चल सकी और राजतन्त्र की पुनः स्थापना इस शर्त पर की गई कि अब पार्लियामेन्ट नियमित रूप से बुलायी जायेगी।

निबन्धात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
मध्यकालीन यूरोपीय समाज कितने सामाजिक वर्गों में बंटा हुआ था? मध्यकाल के अन्त में कौन- सा नया वर्ग इन समाजों में उदय हुआ?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोपीय समाज तीन सामाजिक वर्गों में बंटा हुआ था। ये सामाजिक वर्ग निम्नलिखित थे –
(1) प्रथम वर्ग – पादरी वर्ग-पादरियों ने स्वयं को प्रथम वर्ग में रखा था। यूरोप में ईसाई समाज का मार्गदर्शन बिशपों तथा पादरियों द्वारा किया जाता था। जो पुरुष पादरी बनते थे, वे शादी नहीं कर सकते थे। धर्म के क्षेत्र में विशप अभिजात माने जाते थे। बिशपों के पास लॉर्ड की तरह विस्तृत जागीरें थीं तथा वे शानदार महलों में रहते थे चर्च एक शक्तिशाली संस्था थी। अधिकतर गांवों में चर्च हुआ करते थे, जहाँ पर प्रत्येक रविवार को लोग पादरी के धर्मोपदेश सुनने तथा सामूहिक प्रार्थना हेतु इकट्ठा होते थे।

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(2) दूसरा वर्ग – अभिजात वर्ग- दूसरा सामाजिक वर्ग अभिजात वर्ग था। यह बड़ा भू-स्वामी वर्ग था। बड़े भू- स्वामी और अभिजात राजा के अधीन होते थे और कृषक भू-स्वामियों के अधीन होते थे। भूस्वामियों का अपनी संपदा पर स्थायी रूप से नियंत्रण था। वह अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा सकते थे तथा स्वयं अपना न्यायालय लगा सकते थे एवं अपनी मुद्रा भी प्रचलित कर सकते थे। वे अपनी भूमि पर बसे सभी व्यक्तियों के मालिक थे। वे विस्तृत क्षेत्रों के मालिक थे। उनका घर ‘मेनर’ कहलाता था। उनकी भूमि कृषकों द्वारा जोती जाती थी जिनको वे आवश्यकता पड़ने पर युद्ध के समय पैदल सैनिकों के रूप में काम में लेते थे।

(3) तीसरा वर्ग – किसान-यूरोपीय समाज का तीसरा वर्ग काश्तकारों का था जो पहले दो वर्गों का भरण-पोषण करते थे। काश्तकार दो तरह के होते थे –
(i) स्वतंत्र किसान और
(ii) सर्फ ( कृषि दास ) –
स्वतंत्र किसान- ये अपनी भूमिका को लॉर्ड के काश्तकार के रूप में देखते थे। इसकी एवज में पुरुषों का सैनिक सेवा में योगदान आवश्यक होता था। कृषक के परिवार कुछ लार्ड की जागीरों पर काम करते थे। इस श्रम से होने वाला उत्पादन सीधे लार्ड के पास जाता था। इसके अतिरिक्त भी उनसे अन्य अनेक काम कराये जाते थे। इनके लिए उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिलती थी। इसके अतिरिक्त एक प्रत्यक्ष कर ‘टैली’ था जिसे राजा कृषकों पर कभी – कभी लगाते थे।

(4) चौथा वर्ग-नए नगरवासी – कृषि के विस्तार के साथ-साथ जनसंख्या, व्यापार और नगरों का विस्तार हुआ। नगरों में लोग, सेवा के स्थान पर, उन लार्डों को जिनकी भूमि पर वे बसे थे, कर देने लगे। इसके कृषक परिवारों को लार्ड के नियंत्रण से मुक्ति मिली। इसके अतिरिक्त नगर में आकर कृषि दास भी स्वाधीन नागरिक बने। ये लोग कार्य की दृष्टि से अकुशल श्रमिक होते थे। इसके बाद वकीलों और साहूकारों की आवश्यकता हुई। इस प्रकार नगरों में नया वर्ग स्वतंत्र श्रमिकों, व्यापारियों तथा मध्यम वर्ग अस्तित्व में आया।

प्रश्न 2. मध्यकालीन फ्रांस में अभिजात वर्ग की दशा की विवेचना कीजिए।
अथवा
मध्यकालीन फ्रांस में अभिजात वर्ग को कौन-कौनसे अधिकार प्राप्त थे ? इस वर्ग की समाज में क्या भूमिका
उत्तर:
मध्यकालीन फ्रांस में अभिजात वर्ग की दशा- यद्यपि पादरी को प्रथम वर्ग में तथा अभिजात वर्ग को द्वितीय वर्ग में रखा गया था, परन्तु वास्तव में सामाजिक प्रक्रिया में अभिजात वर्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। इसका कारण यह था किं भूमि पर अभिजात वर्ग का नियन्त्रण था। यह नियन्त्रण वैसलेज नामक एक प्रथा के विकास के कारण हुआ।
वैसलेज की प्रथा – फ्रांस के शासक ‘वैसलेज’ नामक एक प्रथा के कारण लोगों से जुड़े हुए थे। बड़े भू-स्वामी और अभिजात वर्ग राजा के अधीन होते थे, जबकि कृषक भू-स्वामियों के अधीन होते थे।

अभिजात वर्ग राजा को अपना स्वामी (Seigneur अथवा Senior) – मान लेता था और वे आपस में वचनबद्ध होते थे। सेन्योर अथवा लार्ड दास (वैसल) की रक्षा करता था और बदले में वह लार्ड के प्रति निष्ठावान रहता था। इन सम्बन्धों के साथ व्यापक रीति-रिवाज तथा शपथें जुड़ी हुई थीं। ये शपथें चर्च में बाइबल की शपथ लेकर ली जाती थीं। इस समारोह में दास को लार्ड द्वारा दी गई भूमि के प्रतीक के रूप में एक लिखित अधिकार-पत्र अथवा एक छड़ी या केवल एक मिट्टी का डला दिया जाता था।

अभिजात वर्ग के अधिकार ( समाज में भूमिका) – अभिजात वर्ग के निम्नलिखित अधिकार थे –
1. सम्पदा पर स्थायी अधिकार – अभिजात वर्ग की एक विशेष हैसियत थी। उनका अपनी सम्पदा पर स्थायी तौर पर पूर्ण नियन्त्रण था।
2. सैन्य क्षमता में वृद्धि करना – वे अपनी सैन्य क्षमता में वृद्धि कर सकते थे। उनके द्वारा गठित सेना सामन्ती सेना कहलाती थी।
3. अपना न्यायालय स्थापित करना – वे अपना स्वयं का न्यायालय स्थापित कर लेते थे
4. मुद्रा प्रचलित करना – यहाँ तक कि वे अपनी मुद्रा भी प्रचलित कर सकते थे।
5. विस्तृत क्षेत्र के स्वामी – वे अपनी भूमि पर बसे सभी लोगों के स्वामी थे। वे विस्तृत क्षेत्रों के स्वामी थे जिसमें उनके घर, उनके निजी खेत, जोत व चरागाह और उनके असामी कृषकों के घर और खेत होते थे। उनका घर ‘मेनर’ कहलाता था।
6. कृषकों द्वारा सेवा प्रदान करना – उनकी व्यक्तिगत भूमि कृषकों द्वारा जोती जाती थी। आवश्यकता पड़ने पर युद्ध के समय कृषकों को पैदल सैनिकों के रूप में कार्य करना पड़ता था । इसके अतिरिक्त उन्हें अपने लार्ड के खेतों पर भी काम करना पड़ता था।

प्रश्न 3.
‘मेनर की जागीर’ के बारे में आप क्या जानते हैं? इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेनर की जागीर – मध्यकालीन यूरोप में समाज में अभिजात वर्ग का बोलबाला था। लार्ड का अपना मेनर- भवन होता था। वह गाँवों पर नियन्त्रण रखता था। कुछ लार्ड अनेक गाँवों के स्वामी थे। किसी छोटे मेनर की जागीर में दर्जन भर तथा बड़ी जागीर में 50-60 परिवार हो सकते थे।

मेनर की जागीर की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

1. दैनिक उपभोग की वस्तुओं का उपलब्ध होना – दैनिक उपभोग की प्रत्येक वस्तु जागीर पर ही मिलती थी। अनाज खेतों में उगाये जाते थे। लोहार तथा बढ़ई लार्ड के औजारों की देखभाल तथा हथियारों की मरम्मत करते थे। राजमिस्त्री लार्ड की इमारतों की देखभाल करते थे। स्त्रियाँ सूत कातती एवं बुनती थीं। बच्चे लार्ड की मदिरा – सम्पीडक में कार्य करते थे। जागीरों में विस्तृत अरण्य भूमि और वन होते थे जहाँ लार्ड शिकार करते थे। जागीर में चरागाह होते थे जहाँ लार्ड के पशु और घोड़े चरते थे। जागीर में एक चर्च और सुरक्षा के लिए एक दुर्ग होता था ।

2. दुर्गों का विकास – तेरहवीं शताब्दी से कुछ दुर्गों को बड़ा बनाया जाने लगा ताकि वे नाइट के परिवार का निवास-स्थान बन सकें। वास्तव में इंग्लैण्ड में नारमन – विजय के पहले दुर्गों की कोई जानकारी नहीं थी और दुर्गों का विकास सामन्त प्रथा के अन्तर्गत राजनीतिक प्रशासन तथा सैनिक शक्ति के केन्द्रों के रूप में हुआ था ।

3. मेनरों का आत्म-निर्भर न होना – मेनर कभी भी आत्म-निर्भर नहीं हो सकते थे क्योंकि उन्हें नमक, चक्की का पाट और धातु के बर्तन बाहर के स्रोतों से प्राप्त करने पड़ते थे । कुछ लार्ड विलासी जीवन व्यतीत करना चाहते थे। उन्हें महंगी वस्तुएँ, वाद्य-यन्त्र और आभूषण आदि दूसरे स्थानों से प्राप्त करनी पड़ती थीं क्योंकि ये वस्तुएँ स्थानीय जगह पर उपलब्ध नहीं होती थीं।.

प्रश्न 4.
नाइट कौन थे? उनके लार्ड के साथ क्या सम्बन्ध थे?
उत्तर:
नाइट- नौवीं शताब्दी में यूरोप में स्थानीय युद्ध प्रायः होते रहते थे। शौकिया कृषक – सैनिक इन युद्धों के लिए अधिक उपयोगी नहीं थे। इनके लिए कुशल घुड़सवारों की आवश्यकता थी। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए एक नये वर्ग का उदय हुआ, जो ‘नाइट्स’ कहलाते थे। लार्ड से सम्बन्ध-नाइट लार्ड से उसी प्रकार सम्बद्ध थे, जिस प्रकार लार्ड राजा से सम्बद्ध था।

लार्ड नाइट को भूमि का एक भाग देता था और उसकी रक्षा करने का वचन देता था। इस भू-भाग को ‘फीफ’ कहा जाता था। फीफ को उत्तराधिकार में प्राप्त किया जा सकता था। यह 1000-2000 एकड़ या इससे अधिक क्षेत्र में फैली हुई हो सकती थी। इसमें नाइट और उसके परिवार के लिए एक पनचक्की और मदिरा – सम्पीडक के अतिरिक्त उसके व उसके परिवार के लिए घर, चर्च और उस पर निर्भर व्यक्तियों के रहने का स्थान होता था।

सामन्ती मेनर की भाँति फीफ की भूमि को भी कृषक जोतते थे। इसके बदले में नाइट, अपने लार्ड को एक निश्चित रकम देता था तथा युद्ध में उसकी ओर से लड़ने का वचन देता था। अपनी सैन्य- योग्यताओं को बनाए रखने के उपाय – अपनी सैन्य- योग्यताओं को बनाए रखने के लिए नाइट प्रतिदिन अपना समय बाड़ बनाने, घेराबन्दी करने और पुतलों से लड़ने तथा अपने बचाव का अभ्यास करने में व्यतीत अन्य लार्डों को सेवाएँ प्रदान करना – नाइट अपनी सेवाएँ अन्य लार्डों को भी प्रदान कर सकता था, परन्तु उसकी सर्वप्रथम निष्ठा अपने लार्ड के प्रति ही होती थी। घुमक्कड़ चारणों द्वारा नाइट्स की वीरता की कहानियाँ सुनाना – बारहवीं शताब्दी से गायक फ्रांस के मेनरों में वीर और पराक्रमी राजाओं तथा नाइट्स की वीरता की कहानियाँ, गीतों के रूप में सुनाते हुए घूमते रहते थे। उस युग में जब शिक्षित लोगों की कमी थी तथा पाण्डुलिपियाँ भी अधिक नहीं थीं, ये घुमक्कड़ चारण बहुत प्रसिद्ध थे।

प्रश्न 5.
मध्यकालीन यूरोप में पादरी-वर्ग की स्थिति की विवेचना कीजिए।
अथवा
कैथोलिक चर्च तथा पादरी-वर्ग की समाज में क्या भूमिका थी?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में पादरी-वर्ग की स्थिति – मध्यकालीन यूरोप में समाज में पादरी वर्ग को प्रथम वर्ग में रखा गया था। समाज में कैथोलिक चर्च तथा पादरी वर्ग का बोलबाला था। कैथोलिक चर्च के अपने नियम थे। उसके पास बड़ी-बड़ी भूमियाँ थीं जिनसे वे कर वसूल करते थे। इसलिए कैथोलिक चर्च एक शक्तिशाली संस्था थी, जो राजा पर निर्भर नहीं थी। पोप पश्चिमी चर्च के अध्यक्ष थे। वे रोम में रहते थे। यूरोप में ईसाई समाज का मार्गदर्शन बिशपों तथा पादरियों द्वारा किया जाता था। अधिकतर गाँवों के अपने चर्च होते थे जहाँ प्रत्येक रविवार को लोग पादरी के धर्मोपदेश सुनने तथा सामूहिक प्रार्थना करने के लिए एकत्रित होते थे। कृषि – दास, शारीरिक रूप से बाधित व्यक्ति और स्त्रियाँ पादरी नहीं बन सकते थे। वे विवाह नहीं कर सकते थे।

पादरी वर्ग के अधिकार – धर्म के क्षेत्र में बिशप अभिजात माने जाते थे। बिशपों के पास भी लार्ड की भाँति बड़ी-बड़ी जागीरें थीं और वे शानदार महलों में रहते थे । चर्च को एक वर्ष में कृषक से उसकी उपज का दसवाँ भाग लेने का अधिकार था। इसे ‘टीथ’ कहा जाता था। इसके अतिरिक्त धनी लोग अपने कल्याण तथा मृत्यु के बाद अपने सम्बन्धियों के कल्याण के लिए चर्च को दान देते थे। यह भी चर्च की आय का एक स्रोत था।

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चर्च के औपचारिक सामन्ती रीति-रिवाज – चर्च के औपचारिक रीति-रिवाज की कुछ महत्त्वपूर्ण रस्में सामन्ती कुलीनों की नकल थीं। चर्च में प्रार्थना करते समय हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर घुटनों के बल झुकना, नाइट द्वारा अपने वरिष्ठ लार्ड के प्रति स्वामि भक्ति की शपथ लेते समय अपनाये गए तरीके की नकल थी। इसी प्रकार ईश्वर के लिए लार्ड शब्द का प्रचलन इस बात का प्रतीक था कि सामन्ती संस्कृति ने चर्च के उपासना – कक्षों में प्रवेश कर लिया था। इस प्रकार चर्च ने अनेक सांस्कृतिक सामन्ती रीति-रिवाजों और तौर-तरीकों को अपना लिया था।

प्रश्न 6.
मध्यकालीन यूरोप के मठों तथा उनमें रहने वाले भिक्षुओं के जीवन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप के मठ तथा भिक्षु भिक्षु कुछ विशेष श्रद्धालु ईसाइयों की एक श्रेणी थी। भिक्षु अत्यन्त धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे तथा एकान्त जीवन जीना पसन्द करते थे। वे धार्मिक समुदायों में रहते थे, जो ऐबी या मोनेस्ट्री या मठ कहलाते थे। ये मठ अधिकतर मनुष्य की सामान्य आबादी से बहुत दूर होते थे। मध्यकालीन यूरोप के दो सबसे प्रसिद्ध मठों में एक मठ 529 ई. में इटली में स्थापित सेन्ट बेनेडिक्ट मठ था तथा दूसरा 910 में बरगंडी में स्थापित क्लून मठ था।

भिक्षुओं का जीवन – मध्यकालीन यूरोप के भिक्षु अपना सारा जीवन ऐबी में रहने और अपना समय प्रार्थना करने तथा अध्ययन एवं कृषि जैसे शारीरिक श्रम में लगाने का व्रत लेते थे। भिक्षु का जीवन पुरुष और स्त्रियाँ दोनों ही अपना सकते थे। ऐसे पुरुषों को ‘मोंक’ तथा स्त्रियों को ‘नन’ कहा जाता था। पुरुष और स्त्रियों के लिए अलग-अलग मठ थे। पादरियों की भाँति भिक्षु और भिक्षुणियाँ भी विवाह नहीं कर सकते थे।

बेनेडिक्टीन – मठों में भिक्षुओं के लिए एक हस्तलिखित पुस्तक होती थी जिसमें नियमों के 73 अध्याय थे इसका पालन भिक्षुओं द्वारा कई सदियों तक किया जाता रहा। इसके कुछ प्रमुख नियम थे – विनम्रता तथा आज्ञापालन, निजी सम्पत्ति नहीं रखना, निश्चित समय में शारीरिक श्रम और निश्चित घंटों में पवित्र पाठ करना तथा आवश्यकता की समस्त वस्तुएँ मठ की सीमा के अंदर हो आदि। मठों के आकार का विस्तार- कालान्तर में मठों का आकार बढ़ गया और उनमें भिक्षुओं की संख्या सैकड़ों तक पहुँच गई।

इन बड़े मठों से बड़ी इमारतें और भू- जागीरों के साथ-साथ स्कूल या कॉलेज और अस्पताल सम्बद्ध थे। कला के विकास में मठों का योगदान- इन मठों ने कला के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। आबेस हिल्डेगार्ड एक प्रसिद्ध एवं प्रतिभाशाली संगीतज्ञ था जिसने चर्च की प्रार्थनाओं में सामुदायिक गायन की प्रथा के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। फ्रायर-तेरहवीं सदी में भिक्षुओं के ऐसे समूहों का प्रादुर्भाव हुआ जो फ्रायर कहलाते थे। फ्रायर मठों में नहीं रहते थे। वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूम-घूम कर लोगों को उपदेश देते थे और दान से अपनी जीविका चलाते थे।

प्रश्न 7.
मध्यकालीन यूरोप में कृषकों की दशा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
मध्यकालीन यूरोप में कृषकों की दशा मध्यकालीन यूरोप में कृषक तीसरे वर्ग में रखे गये थे।
कृषक दो प्रकार के होते थे –
(1) स्वतन्त्र किसान
(2) कृषिदास अथवा सर्फ।

1. स्वतन्त्र कृषकों की दशा – स्वतन्त्र कृषक अपनी भूमि को लार्ड के काश्तकार के रूप में देखते थे। पुरुषों को सैनिक सेवा भी देनी पड़ती थी । उन्हें अपने लार्ड को वर्ष में कम-से-कम 40 दिन सैनिक सेवा देनी पड़ती थी। कृषकों के परिवारों को लार्ड की जागीरों पर जाकर काम करना पड़ता था। उन्हें सप्ताह में तीन या उससे अधिक दिनों तक लार्ड की जागीरों पर जाकर काम करना पड़ता था। इस श्रम से होने वाला उत्पादन ‘ श्रम – अधिशेष’ कहलाता था।

यह श्रम- अधिशेष सीधे लार्ड के पास जाता था। इसके अतिरिक्त उनसे खड्डे खोदना, जलाने के लिए लकड़ियाँ इकट्ठे करना, बाड़ बनाना, सड़कों व इमारतों की मरम्मत करने आदि कार्य करने की भी आशा की जाती थी। इन कार्यों के लिए उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिलती थी। स्त्रियों और बच्चों को खेतों में सहायता करने के अतिरिक्त अन्य कार्य भी करने पड़ते थे। वे. सूत कातते, कपड़ा बुनते, मोमबत्ती बनाते तथा लार्ड के उपयोग के लिए अंगूरों से रस निकाल कर शराब तैयार करते थे। कृषकों को एक प्रत्यक्ष कर ‘टैली’ भी राजा को देना पड़ता था, जबकि पादरी और अभिजात वर्ग इस कर से मुक्त थे।

2. कृषि – दासों की दशा – कृषि – दास अथवा सर्फ अपने जीवन – निर्वाह के लिए जिन भूखण्डों पर कृषि करते थे, वे लार्ड के स्वामित्व में थे। इसलिए उनकी अधिकतर उपज भी लार्ड को मिलती थी। कृषि – दास उन भूखण्डों पर भी कृषि करते थे जो केवल लार्ड के स्वामित्व में थे। इसके लिए उन्हें कोई मजदूरी नहीं मिलती थी। वे लार्ड की आज्ञा के बिना जागीर नहीं छोड़ सकते थे। कृषि – दासों पर अनेक प्रतिबन्ध लगे हुए थे।

वे केवल अपने लार्ड की चक्की में ही आटा पीस सकते थे, उनके तन्दूर में ही रोटी सेंक सकते थे तथा उनकी मदिरा – सम्पीडक में ही शराब और बीयर तैयार कर सकते थे। लार्ड को कृषि – दास का विवाह तय करने का भी अधिकार था। वह कृषि – दास की पसन्द को भी अपना आशीर्वाद दे सकता था, परन्तु इसके लिए वह कृषि – दास से शुल्क लेता था। इस प्रकार मध्यकालीन यूरोप में कृषकों की दशा बड़ी शोचनीय थी। लार्ड द्वारा उनका शोषण किया जाता था जिससे उनकी दशा दयनीय बनी हुई थी । कठोर परिश्रम करने के बाद भी उन्हें भरपेट भोजन नहीं मिल पाता था।

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प्रश्न 8.
मध्यकालीन यूरोप में ग्यारहवीं शताब्दी में कृषि प्रौद्योगिकी में आए परिवर्तनों का वर्णन कीजिए । इनके क्या परिणाम हुए ?
अथवा
मध्यकालीन यूरोप में लार्ड और सामन्तों के सामाजिक और आर्थिक सम्बन्धों को प्रभावित करने वाले कारकों का विवेचन कीजिए ।
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में सामाजिक और आर्थिक सम्बन्धों को प्रभावित करने वाले कारक मध्यकालीन यूरोप में सामाजिक और आर्थिक सम्बन्धों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित थे –
1. पर्यावरण-पाँचवीं से दसवीं शताब्दी तक यूरोप का अधिकांश भाग विस्तृत वनों से घिरा हुआ था। अतः कृषि के लिए उपलब्ध भूमि सीमित थी। इस समय यूरोप में भीषण शीत पड़ने के कारण सर्दियाँ प्रचण्ड और लम्बी अवधि की हो गई थीं। इससे फसलों का उपज – काल भी छोटा हो गया था। इसके कारण कृषि की उपज कम हो गई।

ग्यारहवीं शताब्दी में यूरोप में गर्मी का दौर शुरू हो गया और औसत तापमान बढ़ गया, जिसका कृषि पर अच्छा प्रभाव पड़ा। अब कृषकों को कृषि के लिए लम्बी अवधि मिलने लगी। मिट्टी पर पाले का प्रभाव कम होने से खेती आसानी से की जा सकती थी । इसके परिणामस्वरूप यूरोप के अनेक भागों में वन क्षेत्रों में कमी हुई, जिसके परिणामस्वरूप कृषि भूमि का विस्तार हुआ ।

2. भूमि का उपयोग – प्रारम्भ में कृषि प्रौद्योगिकी बहुत आदिम किस्म की थी। कृषक बैलों की जोड़ी से चलने वाले लकड़ी के हल से जमीन जोतते थे। भूमि को प्रायः चार वर्ष में एक बार हाथ से खोदा जाता था और उसमें अत्यधिक मानव श्रम की आवश्यकता होती थी। इसके अतिरिक्त फसल चक्र के एक प्रभावहीन तरीके का उपयोग हो रहा था। इस व्यवस्था के कारण, मिट्टी की उर्वरता का धीरे-धीरे ह्रास होने लगा और प्राय: अकाल पड़ने लगे। दीर्घकालीन कुपोषण और विनाशकारी अकाल बारी- बारी से पड़ने लगे जिससे गरीबों के लिए जीवन अत्यन्त कठिन हो गया।

इन कठिनाइयों के बावजूद लार्ड अपनी आय को अधिकाधिक बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील रहते थे। भूमि के उत्पादन को बढ़ाना सम्भव नहीं था, इसलिए कृषकों को मेनरों की जागीर की समस्त भूमि को कृषिगत बनाने के लिए बाध्य किया जाता था। इस कार्य के लिए उन्हें नियमानुसार निर्धारित समय से अधिक समय देना पड़ता था। कृषक इस अत्याचार को मौन रहकर नहीं सहते थे। उन्होंने निष्क्रिय प्रतिरोध का मार्ग अपनाया। वे अपने खेतों पर कृषि करने में अधिक समय लगाने लगे और उस श्रम का अधिकतर उत्पाद अपने लिए रखने लगे। वे बेगार करने से भी बचने लगे। चरागाहों व वन – भूमि के कारण उनका उन लार्डों के साथ विवाद होने लगा। लार्ड इस भूमि को अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति समझते थे, जबकि कृषक इसको सम्पूर्ण समुदाय द्वारा उपयोग की जाने वाली साझा सम्पदा मानते थे।

3. नई कृषि प्रौद्योगिकी – यूरोप में कृषि प्रौद्योगिकी में निम्नलिखित परिवर्तन हुए –
(1) लोहे की भारी नोक वाले हल और साँचेदार पटरे का उपयोग – अब लकड़ी के हल के स्थान पर लोहे की भारी नोक वाले हल तथा साँचेदार पटरे का उपयोग होने लगा। ऐसे हल अधिक गहरा खोद सकते थे तथा साँचेदार पटरे सही तरीके से ऊपरी मिट्टी को पलट सकते थे। इसके फलस्वरूप भूमि में मौजूद पौष्टिक तत्त्वों का बेहतर उपयोग होने लगा।

(2) पशुओं को हलों में जोतने के तरीकों में सुधार – पशुओं को हलों में जोतने के तरीकों में सुधार हुआ। अब जुआ पशु के गले के स्थान पर कन्धे पर बाँधा जाने लगा। इससे पशुओं को अधिक शक्ति मिलने लगी।

(3) घोड़े के खुरों पर लोहे की नाल लगाना – घोड़े के खुरों पर अब लोहे की नाल लगाई जाने लगी जिससे उनके खुर सुरक्षित हो गए।

(4) कृषि के लिए वायु-शक्ति और जल- शक्ति का उपयोग – कृषि के लिए वायु-शक्ति तथा जल-शक्ति का उपयोग बड़ी मात्रा में होने लगा।

(5) कारखानों की स्थापना – अन्न को पीसने तथा अंगूरों को निचोड़ने के लिए अधिक जल-शक्ति तथा वायु- शक्ति से चलने वाले कारखाने स्थापित हुए।

(6) भूमि के उपयोग के तरीके में परिवर्तन – भूमि के उपयोग के तरीके में भी परिवर्तन आया। सबसे क्रान्तिकारी परिवर्तन था—दो खेतों वाली व्यवस्था से तीन खेतों वाली व्यवस्था में परिवर्तन। इस व्यवस्था में कृषक तीन वर्षों में से दो वर्ष अपने खेत का उपयोग कर सकता था।

परिणाम – कृषि प्रौद्योगिकी में परिवर्तनों के निम्नलिखित परिणाम हुए –
1. उत्पादन में वृद्धि – इन सुधारों के कारण भूमि की प्रत्येक इकाई में होने वाले उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि
2. अधिक प्रोटीन का स्त्रोत- मटर और सेम जैसे पौधों का अधिक उपयोग यूरोपीय लोगों के आहार में अधिक प्रोटीन का स्रोत बन गया। इसी प्रकार उनके पशुओं के लिए अच्छे चारे का स्रोत बन गया।
3. कृषकों को उत्तम अवसर प्राप्त होना – अब कृषकों को उत्तम अवसर मिलने लगे। अब वे कम भूमि पर अधिक खाद्यान्न का उत्पादन कर सकते थे
4. छोटी जोतों पर अधिक कुशलता से कृषि करना – तेरहवीं शताब्दी तक एक कृषक के खेत का औसत आकार घटकर बीस से तीस एकड़ तक रह गया। छोटी जोतों पर अधिक कुशलता से खेती की जा सकती थी और उसमें कम श्रम की आवश्यकता होती थी। इससे कृषकों को अन्य गतिविधियों के लिए समय मिल गया।
5. खेती योग्य भूमि का विस्तार- कृषकों ने खेती योग्य भूमि का विस्तार करने में पहल की।

प्रश्न 9.
मध्यकालीन यूरोप में नगरों के विकास की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में नगरों का विकास मध्यकालीन यूरोप में नगरों के विकास के लिए निम्नलिखित परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं –
1. कृषि के विकास व विस्तार से नगरों का विकास – रोमन साम्राज्य के पतन के पश्चात् उसके नगर उजाड़ और बर्बाद हो गए थे। परन्तु ग्यारहवीं शताब्दी से जब कृषि का विस्तार हुआ और वह अधिक जनसंख्या का भार ‘सहन करने में सक्षम हुई, तो नगरों का पुनः विकास होने लगा। जिन कृषकों के पास अपनी आवश्यकता से अधिक खाद्यान्न होता था, उन्हें एक ऐसे स्थान की आवश्यकता अनुभव हुई जहाँ वे अपना बिक्री केन्द्र स्थापित कर सकें और जहाँ से वे अपने उपकरण और कपड़े आदि खरीद सकें।

इस आवश्यकता ने मियादी हाट – मेलों को प्रोत्साहन दिया और छोटे विपणन – केन्द्रों का विकास किया, जिनमें धीरे-धीरे नगरों के लक्षण पनपने लगे। ये लक्षण थे – एक नगर चौक, चर्च, सड़कें, व्यापारियों के घर और दुकानें। इन लक्षणों में एक कार्यालय भी था जहाँ नगर के प्रशासन का संचालन करने वाले व्यक्ति आपस में मिलते थे। अन्य स्थानों पर नगरों का विकास, बड़े दुर्गों, बिशपों की जागीरों और बड़े चर्चों के चारों ओर होने लगा।

2. नगरों में लोगों द्वारा सेवा के स्थान पर कर देना- नगरों में लोग सेवा के स्थान पर उन लार्डों को कर देने लगे जिनकी भूमि पर नगर बसे हुए थे।

3. नगरों में कृषक परिवारों के लोगों को वैतनिक कार्य मिलना-नगरों में कृषक परिवारों के नवयुवक लोगों को वैतनिक कार्य मिलने लगा। इसके अतिरिक्त नगरों में रहने से उन्हें लार्ड के कठोर नियन्त्रण से मुक्ति मिलने की अधिक सम्भावनाएँ थीं।

4. नगरों का स्वतन्त्र जीवन तथा मध्यम वर्ग का उदय – स्वतन्त्र होने के इच्छुक अनेक कृषि – दास भाग कर नगरों में छिप जाते थे। अपने लार्ड की नजरों से एक वर्ष व एक दिन तक छिपे रहने में सफल रहने वाला कृषि – दास एक स्वतन्त्र नागरिक माना जाता था। नगरों में रहने वाले अधिकतर व्यक्ति या तो स्वतन्त्र कृषक या भगोड़े कृषक होते थे। ये कार्य की दृष्टि से अकुशल श्रमिक होते थे। इनके अतिरिक्त दुकानदार एवं व्यापारी भी काफी बड़ी संख्या में थे। बाद में विशिष्ट कौशल वाले व्यक्तियों जैसे साहूकारों एवं वकीलों की आवश्यकता हुई। बड़े नगरों की जनसंख्या लगभग तीस हजार होती थी। इस प्रकार नगरों का विकास होता गया।

5. श्रेणी (गिल्ड ) – मध्यकालीन यूरोप में आर्थिक संस्था का आधार श्रेणी (गिल्ड) था। प्रत्येक शिल्प या उद्योग एक श्रेणी के रूप में संगठित था। श्रेणी उत्पाद की गुणवत्ता, उसके मूल्य तथा बिक्री पर नियन्त्रण रखती थी। ‘ श्रेणी सभागार’ प्रत्येक नगर का एक आवश्यक अंग था। इस सभागार में आनुष्ठानिक समारोह आयोजित किये जाते थे, जहाँ श्रेणियों के प्रधान आपस में मिलते थे और विचार-विमर्श करते थे । पहरेदार नगर के चारों ओर गश्त लगाते थे तथा नगर में शान्ति स्थापित करते थे। संगीतकारों को प्रीतिभोजों तथा नागरिक जुलूसों में अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए बुलाया जाता था । सराय वाले यात्रियों की देखभाल की जाती थी।

6. वाणिज्य – व्यापार का विकास – ग्यारहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में यूरोप तथा पश्चिमी एशिया के बीच नवीन व्यापार-मार्ग विकसित हो रहे थे । बारहवीं सदी तक फ्रांस में भी वाणिज्य और शिल्प का विकास होने लग गया था । पहले दस्तकारों को एक मेनर से दूसरे मेनर में जाना पड़ता था । परन्तु अब उन्हें एक स्थान पर बसना अधिक सुविधाजनक लगा जहाँ वे वस्तुओं का उत्पादन कर सकते थे तथा अपने जीवन-निर्वाह के लिए उनका व्यापार कर सकते थे। इस प्रकार वाणिज्य-व्यापार तथा शिल्प के विकास के कारण नगर भी विकसित होते चले गए।

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प्रश्न 10.
यूरोप में चौदहवीं शताब्दी का संकट क्या था? इसके लिए उत्तरदायी कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
यूरोप में चौदहवीं शताब्दी के संकट के लिए कौनसी परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं? इसके क्या परिणाम हुए? चौदहवीं शताब्दी का संकट
उत्तर:
चौदहवीं शताब्दी में यूरोपवासियों को भीषण अकालों, धातु मुद्रा की कमी तथा प्लेग जैसी महामारी का सामना करना पड़ा।
चौदहवीं शताब्दी के यूरोप के संकट के लिए निम्नलिखित परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं –

1. मौसम में परिवर्तन – उत्तरी यूरोप में, तेरहवीं शताब्दी के अन्त तक पिछले तीन सौ वर्षों की तेज ग्रीष्म ऋतु का स्थान तेज ठण्डी ग्रीष्म ऋतु ने ले लिया था। परिणामस्वरूप उपज वाले मौसम छोटे हो गए और ऊँची भूमि पर फसल उगाना काफी कठिन हो गया। तूफानों और सागरीय बाढ़ों के कारण अनेक फार्म-प्रतिष्ठान नष्ट हो गए जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकारों को करों द्वारा कम आय हुई । तेरहवीं सदी के पूर्व की अनुकूल जलवायु के कारण अनेक जंगल तथा चरागाह कृषि भूमि में बदल गए।

2. भूमि का कमजोर होना – गहन जुताई ने फसलों के तीन क्षेत्रीय फसल चक्र के प्रचलन के बावजूद भूमि को कमजोर बना दिया। भूमि के कमजोर होने का कारण उचित भू-संरक्षण का अभाव था। चरागाहों की कमी के कारण पशुओं की संख्या में भारी कमी आ गई।

3. जनसंख्या में वृद्धि – मध्यकालीन यूरोप में जनसंख्या इतनी तीव्र गति से बढ़ी कि उपलब्ध संसाधन कम पड़ गए। इसके परिणामस्वरूप यूरोपवासियों को अकालों का सामना करना पड़ा। 1315 और 1317 के बीच यूरोप में कई भयंकर अकाल पड़े। इसके पश्चात् 1320 के दशक में अनगिनत पशु मृत्यु के मुँह में चले गए।

4. चाँदी के उत्पादन में कमी – आस्ट्रिया और सर्बिया की चाँदी की खानों के उत्पादन में कमी आ गई। इसके कारण धातु मुद्रा में भारी कमी आई जिसका व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसके फलस्वरूप सरकार को मुद्रा में चाँदी की शुद्धता में कमी करनी पड़ी और उसमें सस्ती धातुओं का मिश्रण करना पड़ा।

5. महामारी-बारहवीं तथा तेरहवीं शताब्दी में वाणिज्य – व्यापार में विस्तार के कारण दूर देशों से व्यापार करने वाले पोत यूरोप के तटों पर आने लगे। पोतों के साथ-साथ बड़ी संख्या में चूहे भी आ गए, जो अपने साथ ब्यूबोनिक . प्लेग जैसी महामारी का संक्रमण (Black Death) लाए। अतः पश्चिमी यूरोप 1347 और 1350 के बीज महामारी से अत्यधिक प्रभावित हुआ।

आधुनिक विद्वानों के अनुसार महामारी के कारण यूरोप की जनसंख्या का लगभग 20% भाग मौत के मुँह में चला गया। नगर इस महामारी से सर्वाधिक प्रभावित हुए। इस महामारी के कारण यूरोप की जनसंख्या 1300 ई. में 730 लाख से घट कर 1400 ई. में 450 लाख रह गई।
परिणाम- इसके निम्नलिखित परिणाम हुए –

1. सामाजिक विस्थापन – इस विनाशलीला के साथ आर्थिक मंदी के जुड़ जाने से व्यापक सामाजिक विस्थापन
2. मजदूरों की संख्या में कमी- जनसंख्या में कमी के कारण मजदूरों की संख्या में अत्यधिक कमी आ गई।
3. कृषि और उत्पादन के बीच असन्तुलन – कृषि और उत्पादन के बीच भारी असन्तुलन पैदा हो गया।
4. कृषि उत्पादों के मूल्यों में कमी-खरीददारों की कमी के कारण कृषि उत्पादों के मूल्यों में कमी आई।
5. मजदूरी की दरों में वृद्धि – प्लेग के पश्चात् इंग्लैण्ड में मजदूरों, विशेषकर कृषि मजदूरों की भारी माँग के कारण मजदूरों की दरों में 250 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई।

प्रश्न 11.
मध्यकालीन यूरोप में हुए राजनीतिक परिवर्तनों की विवेचना कीजिए।
अथवा
मध्यकालीन यूरोप में शक्तिशाली राज्यों के प्रादुर्भाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में राजनीतिक परिवर्तन ( शक्तिशाली राज्यों का प्रादुर्भाव ) – पन्द्रहवीं तथा सोलहवीं शताब्दियों में यूरोप के शासकों ने अपनी सैनिक एवं वित्तीय शक्ति में काफी वृद्धि कर ली थी। फ्रांस में लुई ग्यारहवें आस्ट्रिया में मैक्समिलन, इंग्लैण्ड में हेनरी सप्तम तथा स्पेन में इजाबेला और फर्डीनेण्ड निरंकुश शासक थे।

उन्होंने संगठित स्थायी सेनाओं, स्थायी नौकरशाही और राष्ट्रीय कर प्रणाली की स्थापना की । स्पेन और पुर्तगाल ने यूरोप के समुद्र – पार विस्तार की योजनाएँ बनाईं। इस प्रकार यूरोप में अनेक शक्तिशाली राज्यों की स्थापना हुई। यूरोप में शक्तिशाली राजतन्त्रों की स्थापना के लिए उत्तरदायी तत्त्व – यूरोप में शक्तिशाली राजतन्त्रों की स्थापना के लिए निम्नलिखित तत्त्व उत्तरदायी थे –

1. सामाजिक परिवर्तन – मध्यकालीन यूरोप में बारहवीं तथा तेरहवीं सदी में जागीरदारी तथा सामन्तशाही वाली सामन्त प्रथा के विलय तथा आर्थिक विकास की धीमी गति ने यूरोप के शासकों को प्रभावशाली बनाया और उन्हें जन – साधारण पर अपना नियन्त्रण स्थापित करने का अवसर दिया। शासकों ने सामन्तों से अपनी सेना के लिए कर लेना बन्द कर दिया और उसके स्थान पर बन्दूकों तथा बड़ी तोपों से सुसज्जित तथा प्रशिक्षित सेना का गठन किया जो पूर्ण रूप से उनके अधीन थी । राजाओं की शक्तिशाली सेनाओं के कारण अभिजात वर्ग उनका विरोध करने में असमर्थ रहा।

2. करों में वृद्धि से शासकों की आय में वृद्धि-करों में वृद्धि करने से यूरोप के शासकों को पर्याप्त राजस्व प्राप्त हुआ । इसके फलस्वरूप वे पहले से बड़ी सेनाएँ रखने में समर्थ हुए। अपनी शक्तिशाली सेनाओं की सहायता से उन्होंने अपने राज्यों की सीमाओं की रक्षा की तथा उनका विस्तार किया। सेना की सहायता से उन्होंने राज्य में होने वाले आन्तरिक विद्रोहों का भी दमन कर दिया।

प्रश्न 12.
मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के अभिजात वर्ग के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए। फ्रांस और इंग्लैण्ड राजनीतिक परिवर्तनों से किस प्रकार प्रभावित हुए?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के अभिजात वर्ग के साथ सम्बन्ध – मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के विरुद्ध अभिजात वर्ग ने अनेक विद्रोह किये, परन्तु उनका दमन कर दिया गया।

1. अभिजात वर्ग द्वारा अपने को राजभक्त के रूप में बदलना – अभिजात वर्ग ने अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए कूटनीति से काम लिया। उन्होंने नई शासन व्यवस्था का विरोधी होने की बजाय अपने को राज-भक्त के रूप में बदल लिया। इसी कारण शाही निरंकुशता को सामन्तवाद का सुधरा हुआ रूप माना जाता है।

वास्तव में लार्ड, जो सामन्ती प्रथा में शासक थे, राजनीतिक क्षेत्र में अभी भी प्रभावशाली बने हुए थे। उन्हें प्रशासनिक सेवाओं में स्थायी स्थान दिए गए थे। परन्तु नवीन शासन व्यवस्था कई तरीकों में सामन्ती प्रथा से अलग थी। अब शासक उस पिरामिड के शिखर पर नहीं था जहाँ राज – भक्ति विश्वास और आपसी निर्भरता पर टिकी थी। अब शासक एक व्यापक दरबारी समाज का केन्द्र – बिन्दु था। वह अपने अनुयायियों को आश्रय देने वाला केन्द्र-बिन्दु भी था।

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2. राजतन्त्रों द्वारा सत्ताधारियों से सहयोग प्राप्त करना – सभी राजतन्त्र, चाहे वे कमजोर हों अथवा शक्तिशाली हों, सत्ताधारियों का सहयोग प्राप्त करना चाहते थे। धन इस प्रकार के सहयोग को प्राप्त करने का साधन था। सत्ताधारियों का सहयोग अथवा समर्थन धन के माध्यम से दिया या प्राप्त किया जा सकता था । अतः धन गैर – अभिजात वर्गों जैसे व्यापारियों और साहूकारों के लिए राजदरबार में प्रवेश करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम बन गया। वे राजाओं को धन उधार देते थे तथा राज़ा इस धन का उपयोग सैनिकों को वेतन देने के लिए करते थे । इस प्रकार शासकों ने राज्य-व्यवस्था में गैर-सामन्ती तत्त्वों के लिए स्थान बना दिया।

राजनीतिक परिवर्तनों का फ्रांस पर प्रभाव – 1614 में शासक लुई XIII के शासन काल में फ्रांस की परामर्शदात्री सभा-एस्टेट्स जनरल का एक अधिवेशन हुआ। इसके तीन सदनं थे, जो तीन वर्गों―पादरी वर्ग, अभिजात वर्ग तथा सामान्य लोगों का प्रतिनिधित्व करते थे। इसके पश्चात् 175 वर्ष तक अर्थात् 1789 तक इसका अधिवेशन नहीं बुलाया गया। इसका कारण यह था कि फ्रांस के राजा तीन वर्गों के साथ अपनी शक्ति बाँटना नहीं चाहते थे।

राजनीतिक परिवर्तनों का इंग्लैण्ड पर प्रभाव – इंग्लैण्ड में नारमन – विजय से भी पहले ऐंग्लो-सेक्सन लोगों की एक महान परिषद होती थी। अपनी प्रजा पर कर लगाने से पहले राजा को महान परिषद की सलाह लेनी पड़ती थी। यह परिषद कालान्तर में पार्लियामेन्ट के रूप में विकसित हुई, जिसमें ‘हाउस ऑफ लार्ड्स’ तथा ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ शामिल थे। हाउस ऑफ लाईस के सदस्य लार्ड तथा पादरी थे तथा ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में नगरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते थे।

इंग्लैण्ड के शासक चार्ल्स प्रथम (1629 – 1640 ) ने पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बिना बुलाए ग्यारह वर्षों तक शासन किया। धन की आवश्यकता पड़ने पर एक बार पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बुलाना पड़ा। इस अवसर पर पार्लियामेन्ट के एक भाग ने राजा का विरोध किया। बाद में चार्ल्स प्रथम को मृत्यु – दण्ड देकर इंग्लैण्ड में गणतन्त्र की स्थापना की गई।

परन्तु यह व्यवस्था अधिक दिनों तक नहीं चल सकी और राजतन्त्र की पुनः स्थापना इस शर्त पर की गई कि अब पार्लियामेन्ट नियमित रूप से बुलाई जायेगी। साधारण पर अपना नियन्त्रण स्थापित करने का अवसर दिया। शासकों ने सामन्तों से अपनी सेना के लिए कर लेना बन्द कर दिया और उसके स्थान पर बन्दूकों तथा बड़ी तोपों से सुसज्जित तथा प्रशिक्षित सेना का गठन किया जो पूर्ण रूप से उनके अधीन थी। राजाओं की शक्तिशाली सेनाओं के कारण अभिजात वर्ग उनका विरोध करने में असमर्थ रहा।

2. करों में वृद्धि से शासकों की आय में वृद्धि-करों में वृद्धि करने से यूरोप के शासकों को पर्याप्त राजस्व प्राप्त हुआ । इसके फलस्वरूप वे पहले से बड़ी सेनाएँ रखने में समर्थ हुए। अपनी शक्तिशाली सेनाओं की सहायता से उन्होंने अपने राज्यों की सीमाओं की रक्षा की तथा उनका विस्तार किया। सेना की सहायता से उन्होंने राज्य में होने वाले आन्तरिक विद्रोहों का भी दमन कर दिया।

प्रश्न 12.
मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के अभिजात वर्ग के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए। फ्रांस और इंग्लैण्ड राजनीतिक परिवर्तनों से किस प्रकार प्रभावित हुए?
उत्तर:
मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के अभिजात वर्ग के साथ सम्बन्ध – मध्यकालीन यूरोप में राजाओं के विरुद्ध अभिजात वर्ग ने अनेक विद्रोह किये, परन्तु उनका दमन कर दिया गया।

1. अभिजात वर्ग द्वारा अपने को राजभक्त के रूप में बदलना – अभिजात वर्ग ने अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए कूटनीति से काम लिया। उन्होंने नई शासन व्यवस्था का विरोधी होने की बजाय अपने को राज-भक्त के रूप में बदल लिया। इसी कारण शाही निरंकुशता को सामन्तवाद का सुधरा हुआ रूप माना जाता है।

वास्तव में लार्ड, जो सामन्ती प्रथा में शासक थे, राजनीतिक क्षेत्र में अभी भी प्रभावशाली बने हुए थे। उन्हें प्रशासनिक सेवाओं में स्थायी स्थान दिए गए थे। परन्तु नवीन शासन व्यवस्था कई तरीकों में सामन्ती प्रथा से अलग थी। अब शासक उस पिरामिड के शिखर पर नहीं था जहाँ राज – भक्ति विश्वास और आपसी निर्भरता पर टिकी थी। अब शासक एक व्यापक दरबारी समाज का केन्द्र – बिन्दु था। वह अपने अनुयायियों को आश्रय देने वाला केन्द्र-बिन्दु भी था।

2. राजतन्त्रों द्वारा सत्ताधारियों से सहयोग प्राप्त करना – सभी राजतन्त्र, चाहे वे कमजोर हों अथवा शक्तिशाली हों, सत्ताधारियों का सहयोग प्राप्त करना चाहते थे। धन इस प्रकार के सहयोग को प्राप्त करने का साधन था। सत्ताधारियों का सहयोग अथवा समर्थन धन के माध्यम से दिया या प्राप्त किया जा सकता था। अतः धन गैर – अभिजात वर्गों जैसे व्यापारियों और साहूकारों के लिए राजदरबार में प्रवेश करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम बन गया। वे राजाओं को धन उधार देते थे तथा राज़ा इस धन का उपयोग सैनिकों को वेतन देने के लिए करते थे। इस प्रकार शासकों ने राज्य-व्यवस्था में गैर-सामन्ती तत्त्वों के लिए स्थान बना दिया।

राजनीतिक परिवर्तनों का फ्रांस पर प्रभाव – 1614 में शासक लुई XIII के शासन काल में फ्रांस की परामर्शदात्री सभा-एस्टेट्स जनरल का एक अधिवेशन हुआ। इसके तीन सदनं थे, जो तीन वर्गों-पादरी वर्ग, अभिजात वर्ग तथा सामान्य लोगों का प्रतिनिधित्व करते थे। इसके पश्चात् 175 वर्ष तक अर्थात् 1789 तक इसका अधिवेशन नहीं बुलाया गया। इसका कारण यह था कि फ्रांस के राजा तीन वर्गों के साथ अपनी शक्ति बाँटना नहीं चाहते थे।

राजनीतिक परिवर्तनों का इंग्लैण्ड पर प्रभाव – इंग्लैण्ड में नारमन – विजय से भी पहले ऐंग्लो-सेक्सन लोगों की एक महान परिषद होती थी। अपनी प्रजा पर कर लगाने से पहले राजा को महान परिषद की सलाह लेनी पड़ती थी। यह परिषद कालान्तर में पार्लियामेन्ट के रूप में विकसित हुई, जिसमें ‘हाउस ऑफ लार्ड्स’ तथा ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ शामिल थे। हाउस ऑफ लाईस के सदस्य लार्ड तथा पादरी थे तथा ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में नगरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते थे।

इंग्लैण्ड के शासक चार्ल्स प्रथम (1629 – 1640 ) ने पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बिना बुलाए ग्यारह वर्षों तक शासन किया। धन की आवश्यकता पड़ने पर एक बार पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बुलाना पड़ा। इस अवसर पर पार्लियामेन्ट के एक भाग ने राजा का विरोध किया। बाद में चार्ल्स प्रथम को मृत्यु – दण्ड देकर इंग्लैण्ड में गणतन्त्र की स्थापना की गई। परन्तु यह व्यवस्था अधिक दिनों तक नहीं चल सकी और राजतन्त्र की पुनः स्थापना इस शर्त पर की गई कि अब पार्लियामेन्ट नियमित रूप से बुलाई जायेगी।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Jharkhand Board JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

JAC Class 9 English A Legend of the Northland Textbook Questions and Answers

Thinking about the Poem

I.

Question 1.
Which country or countries do you think “the Northland’ refers to?
आपके विचार से ‘The Northland’ किस देश या देशों की ओर संकेत करता है
Answer:
The Northland’ refers to those countries which lie beside the North Pole. In this area during winter, the days are shorter and the nights are longer. The land is almost covered with snow. People use sledge pulled by reindeer for the purpose of travelling. Children wear fur coats.

नॉर्थलैण्ड उन देशों की ओर संकेत करता है जो उत्तरी ध्रुव के नज़दीक हैं । उन क्षेत्रों में दिन छोटे व रातें लम्बी होती हैं । जमीन अक्सर बर्फ से ढकी रहती है। लोग यात्रा के लिए रेनडियर द्वारा खींची जाने वाली स्लेज गाड़ी का प्रयोग करते हैं । बच्चे फर वाले कोट पहनते हैं ।

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Question 2.
What did Saint Peter ask the old lady for ? What was the lady’s reaction ?
संत पीटर ने बूढ़ी महिला से क्या माँगा ? उस महिला की क्या प्रतिक्रिया थीं ?
Answer:
Saint Peter asked the old lady for a cake to eat. The old lady became ready to give him a single cake. But she did not want to give him a big cake. So she made smaller and smaller cake. Owing to her greed, she could not give him that too.

संत पीटर ने बूढ़ी महिला से खाने को एक रोटी माँगी । वह महिला उन्हें एक रोटी देने को तैयार हो गई । लेकिन वह उन्हें एक बड़ी रोटी नहीं देना चाहती थी। अतः उसने छोटी से छोटी रोटी बनाई । लेकिन अपने लालच के कारण वह उस को भी नहीं दे पाई ।

Question 3.
How did he punish her ?
उन्होंने उसे किस प्रकार से सजा दी ?
Answer:
Being angry by the woman’s selfishness, Saint Peter cursed her to punish. As a punishment he cursed her to convert into a woodpecker. Now she had to live in the tree and get her scanty food by boring all day in the hard, dry wood.

उस औरत की स्वार्थपरता से नाराज होकर संत पीटर ने उसे एक कठफोड़वा पक्षी के रूप में बदल जाने का शाप देकर सजा दी । कठफोड़बा के रूप में उसे अब पेड़ों पर रहना पड़ता था और सूखी – कठोर लकड़ी में सूराख करके थोड़ा सा भोजन जुटाना पड़ता था ।

Question 4.
How does the woodpecker get her food ?.
कठफोड़वा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है ?
Answer:
The woodpecker gets her food by boring all day in the hard and dry wood.

कठफोड़वा अपना भोजन दिन भर कठोर व सूखी लकड़ियों में सूराख करके प्राप्त करता है ।

Question 5.
Do you think that the old lady would have been so ungenerous if she had known who Saint Peter really was ?What would she have done then?
यदि उस बूढ़ी महिला को यह ज्ञात होता कि संत पीटर वास्तव में कौन हैं, तो आपके विचार से क्या वह इतनी अनुदार होती ? उस समय वह क्या करती ?
Answer:
I think if the old lady had known who Saint Peter really was, she would not have been so ungenerous. She would have entertained him in a well manner instead.

मेरे विचार से यदि उस बूढ़ी महिला को यह ज्ञात होता कि संत पीटर वास्तव में कौन थे, तो वह इतनी अनुदार नहीं होती। इसके बजाय वह उनकी अच्छी खातिरदारी करती ।

Question 6.
Is this a true story ? Which part of this poem do you feel is the most important ?
क्या यह एक सच्ची कहानी है ? आप इस कविता के कौन-से भाग को सबसे महत्त्वपूर्ण महसूस करते हो ?
Answer:
No, it is not a true story. I feel that stanza No. 10 is the most important part of the poem because it highlights the climax of selfishness of a person in this materialistic world.

नहीं, ‘यह एक सच्ची कहानी नहीं है । मैं महसूस करता हूँ कि पद संख्या 10 इस कविता का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है क्योंकि यह इस भौतिक संसार में एक व्यक्ति के स्वार्थ की पराकाष्ठा की ओर ध्यान आकर्षित करता है ।

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Question 7.
What is a legend ? Why is this poem called a legend ?
पौराणिक कथा क्या होती है ? इस कविता को एक पौराणिक कथा क्यों कहा गया है?
Answer:
A legend is a story that is handed down from the past through popular oral tradition. Legends are generally related to unreliable account of some actually or possibly historical person, like saint, monarch, etc. This poem is a legend because it is related to the life of Saint Peter who was made angry by a selfish old lady and as a result she was changed into a woodpecker by him.

एक पौराणिक कथा वह कहानी होती है जो कि अतीत से मौखिक परम्परा के रूप में चली आ रही हो । ये कथाएँ सामान्यतया किसी वास्तविक या सम्भावित ऐतिहासिक व्यक्ति, जैसे संत, राजा इत्यादि के अविश्वसनीय वर्णन से सम्बन्धित होती हैं । यह कविता एक पौराणिक कहानी है क्योंकि यह संत पीटर के जीवन से सम्बन्धित है, जिन्हें एक स्वार्थी वृद्ध महिला द्वारा नाराज कर दिया गया था तथा परिणाम स्वरूप उसे ( उस बूढ़ी महिला को) उनके द्वारा कठफोड़वा पक्षी में बदल दिया गया था ।

Question 8.
Write the story of ‘A Legend of the Northland’ in about ten sentences.
‘नॉर्थलैण्ड की एक पौराणिक कथा’ को लगभग दस वाक्यों में लिखिए ।
Answer:
‘A Legend of the Northland’
Once St. Peter was travelling round the world for his preachings. One day he reached the door of an old woman’s cottage in Northland. She was making cakes. St. Peter was almost faint with hunger and travel. He asked her for a cake. She did not want to give a big cake, so she made smaller and smaller cakes.

But she was so selfish that she could not part with even a thin wafer like cake. St. Peter became angry at such a selfish behaviour of that lady. He turned her into a woodpecker. Now she has to get her little food by boring and boring into hard and dry wood.

नॉर्थलैण्ड की एक पौराणिक कथा
एक बार संत पीटर अपने उपदेशों के लिए संसार की यात्रा कर रहे थे। उसी दौरान एक दिन वह घूमते-घूमते नॉर्थलैण्ड में एक बूढ़ी महिला की कुटिया के दरवाजे पर पहुँचे । वह रोटियाँ बना रही थी । संत पीटर भूख व यात्रा से बहुत कमजोर हो गए थे । उन्होंने उससे केवल एक रोटी माँगी । वह इतनी स थी कि उन्हें बड़ी रोटी नहीं देना चाहती थी इसलिए उसने छोटी-से-छोटी रोटियाँ बनाईं । लेकिन वह इतनी स्वार्थी थी कि वह एक पतली वेफर जैसी रोटी भी उन्हें नहीं दे सकी । संत पीटर ऐसे स्वार्थपूर्ण व्यवहार से नाराज हो गए । उन्होंने उसे कठफोड़वा पक्षी में बदल दिया । अब वह कठोर, सूखी लकड़ी में छेद करके थोड़ा-सा भोजन प्राप्त करती है ।

II.

Question 1.
Let’s look at the words at the end of the second and fourth lines, viz., ‘ snows’ and ‘clothes’, ‘true’ and ‘you’, ‘below’ and ‘know’. We find that ‘snows’ rhymes with ‘clothes’, ‘true’ rhymes with ‘you’ and ‘below’ rhymes with ‘know ‘. Find more such rhyming words.
दूसरी व चौथी लाइन के अन्त में ‘snows’ तथा ‘clothes’, ‘true’ तथा ‘you’, ‘below’ तथा ‘know’ शब्दों को देखिए । हम देखते हैं कि snows और clothes, true और you, below और know में तुकबन्दी है। इस प्रकार के अन्य तुकबंदी के शब्द खोजो ।
Answer:
earth-hearth, done-one, lay-away, one-done, flat-that, myself-self, faint-saint, form- warm, food-wood, word-bird, same-flame.

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Question 2.
Go to the local library or talk to older persons in your locality and find legends in own language. Tell the class these legends..
your
स्थानीय पुस्तकालय में जाइए या अपने पड़ोस में किसी बुजुर्ग से बात कीजिए और अपनी भाषा में पौराणिक कथाओं का पता लगाइये। उन कथाओं को अपनी कक्षा में सुनाइये ।
Answer:
Do it yourself, स्वयं करें ।

JAC Class 9 English A Legend of the Northland Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions

Question 1.
Describe the Northland.
नॉर्थलैण्ड का वर्णन कीजिए ।
Answer:
The Northland is a polar region where days are shorter and nights are longer in winter. For travelling here, people use sledges which are pulled by reindeer. People wear fur clothes.

नॉर्थलैण्ड एक ध्रुवीय प्रदेश है, जहाँ पर सर्दी में दिन छोटे व रातें लम्बी होती हैं । यहाँ यात्रा करने के लिए लोग रेनडियर द्वारा खींची जाने वाली स्लेज गाड़ियों का प्रयोग करते हैं। लोग फर वाले कपड़े पहनते हैं ।

Question 2.
Which legend does this poem tell about ?
यह कविता किस पौराणिक कथा के बारे में बताती है ?
Answer:
The poem tells about the legend of Saint Peter and an old woman. Once being hungry, St. Peter asked an old woman for a cake to eat. But the selfish woman did not give him any cake. Having been angry he changed her into a woodpecker.

यह कविता संत पीटर और एक बूढ़ी महिला की कहानी के बारे में बताती है। एक बार भूख लगने पर संत पीटर ने एक बूढ़ी महिला से खाने को एक रोटी माँगी । परन्तु उस स्वार्थी महिला ने उन्हें कोई रोटी नहीं दी । इसलिए नाराज होकर उन्होंने उसे कठफोड़वे में बदल दिया ।

Question 3.
What lesson does the story teach us ?
यह कहानी हमें क्या शिक्षा देती है ?
Answer:
The story teaches us to be generous. It teaches us to give up selfishness. We learn that selfishness gets us punished as the old woman was punished by Saint Peter.

यह कहानी हमें उदार बनने की शिक्षा देती है । यह हमें स्वार्थ को छोड़ देना सिखाती है । हमें इससे शिक्षा मिलती है कि स्वार्थ हमें संत पीटर द्वारा दण्डित बूढ़ी महिला के समान ही दण्ड दिलवा सकता है।

Question 4.
How did Saint Peter come to the old woman’s cottage ?
संत पीटर बूढ़ी महिला की कुटिया पर कैसे पहुँचे ?
Answer:
Once Saint Peter was travelling round the earth preaching the people. One evening, he was very hungry and almost faint due to his fasting. In such a state, he came to the old woman’s cottage.

एक बार, संत पीटर लोगों को उपदेश देते हुए पृथ्वी पर घूम रहे थे । एक शाम वह उपवास के कारण बहुत भूखे और कमजोर थे । ऐसी स्थिति में वह बूढ़ी महिला की कुटिया पर पहुँचे ।

Question 5.
What did the woman do on being asked to give away a cake ?
एक रोटी देने के लिए कहे जाने पर महिला ने क्या किया ?
Answer:
At first she agreed to give one. She made a very small cake but it seemed her as if it were too large to be given away. Then she made an even smaller cake and finally a wafer like thin cake. But due to her selfish nature she could not give him that too.

पहले वह एक रोटी देने के लिए तैयार हो गई । उसने एक बहुत छोटी रोटी बनाई लेकिन उसे लगा मानो कि वह रोटी दिए जाने के लिए बहुत बड़ी हो। फिर उसने एक और भी छोटी रोटी बनाई और अन्त में एक वेफर जितनी पतली रोटी बनाई । परन्तु अपने स्वार्थी स्वभाव के कारण वह उसे भी उन्हें नहीं दे सकी ।

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Question 6.
Why couldn’t the woman part away with any cake ?
वह महिला कोई रोटी क्यों नहीं दे सकी ?
Answer:
The woman was very selfish. She thought about herself only. Every time when she made a cake to give, it seemed her too large to be given away. So she could not part away with any cake.

वह स्त्री बहुत स्वार्थी थी । वह मात्र अपने ही बारे में सोचती थी । प्रत्येक बार जब भी उसने देने के लिए रोटी बनाई, वह उसे इतनी बड़ी लगी कि उसे दिया नहीं जा सकता था । इसलिए वह कोई रोटी नहीं दे पाई ।

Question 7.
What did the old woman say about her cakes and why?
उस बूढ़ी महिला ने अपनी रोटियों के बारे में क्या कहा और क्यों ?
Answer:
The old woman said that her cakes looked very small when she ate them herself. But when she had to give them to someone, they looked her very large. She said so because she was very selfish.

उस बूढ़ी महिला ने कहा कि जब वह अपनी रोटियाँ स्वयं खाती है तो वे उसे बहुत छोटी लगती हैं। परन्तु जब उसे उन्हें किसी को देना होता है तो वे उसे अत्यधिक बड़ी लगती हैं । उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह बहुत स्वार्थी थी ।

Question 8.
What did the Saint do when the woman did not give him any cake ?
जब उस महिला ने संत को कोई रोटी नहीं दी तो उन्होंने क्या किया ?
Answer:
Saint Peter was almost faint due to the whole day fasting. When the woman did not give him any cake, he got angry at her selfish behaviour. He cursed her to change into a woodpecker and thus punished her.

सन्त पीटर सारा दिन उपवास रखने के कारण बहुत कमज़ोरी महसूस कर रहे थे । जब उस महिला ने उनको कोई रोटी नहीं दी तो वह उसके स्वार्थी व्यवहार पर क्रोधित हो गये । उन्होंने उसे एक कठफोड़वे के रूप में बदल जाने का शाप दे दिया और इस प्रकार उसे दण्डित किया ।

 A Legend of the Northland Summary and Translation in Hindi

About the Poem:

यह कविता एक बूढ़ी महिला की लोक-कथा का वर्णन करती है। जिसने अपने लालच के कारण संत पीटर को नाराज कर दिया था ।

Word-Meanings And Hindi Translation

Stanza I. Away …………. them throught

Word-Meanings: away (अवे) = दूर । where ( वेअँ) = जहाँ । few (फ्यू) = बहुत कम, निने-चुने। so long (सो लॉड) = quite lengthy, इसनी लम्बी । sleep through (स्लीप् थूर) = spending the entire duration of time in sleep, सो कर बिताना।

हिन्दी अनुवाद – बहुत दूर नार्थलैण्ड में जहाँ दिन बहुत छोटे होते हैं और शीतकाल में रातें इतनी लम्बी छोती हैं कि लोग उन्हें पूरी रात सोकर नहीं गुजार सकते हैं ।

Stanza II. Where they. furry clothes; (lines 5-8)

Word-Meanings: harnes’s (हा:नस्) = a kind of tool equipped with horse, (here) reindeer are attached to the sledges, घोड़े का साज, (यहाँ) रेण्डियर स्लेज गाड़ियों में जोत दिए जाते हैं । swift (स्विफ्ट् )= तेज । reindeer (रेन्डिअ) = उत्तरी ठण्डे प्रदेशों में पाया जाने वाला (हिरण जैसा) बड़ा भूरा-सा वन्य पशु (रेंडियर)। snows (स्नोज़) = हिमपात हंता है । cub (कब) = small ones, शावक, बच्चे । funny (फॅनि) = मनोरंजक । furry (फरि) = रोंएदार । sledge (स्लेज्) = बर्फ पर चलने वाली बिना पहियों की गाड़ी

हिन्दी अनुवाद – वहाँ जब हिमपात होता है तो लोग तेज दौड़ने वाले रेनडियरों को स्लेज गाड़ी में जोत देते हैं। और बच्चे अपने मनोरंजक एवं रोंएदार कपड़ों में भालू के शावकों (बच्चे) जैसे दिखाई देते हैं।

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Stanza III. They tell ………. tale to you. (Lines 9-12)

Word-Meanings: curious (क्युरिअस्) = strange, विचित्र, कुतूहलपूर्ण । ’tis = it is (इट इज़) = यह है । learn (लॅ:न् ) = सीखना । lesson (लेस्ट) = सबक, शिक्षा । tale (टेल) = काल्पनिक कथा, किस्सा।

हिन्दी अनुवाद – वे (वहाँ के लोग) एक विचित्र कहानी सुनाते हैं- मुझे विश्वास नहीं होता है कि यह सच्ची है। फिर भी यदि मैं तुम्हें वह काल्पनिक कथा सुनाऊँ तो तुम लोग शायद उससे कोई सबक सीख सकते हो ।

Stanza IV. Once, when …….. you know. (Lines 13-16)

Word-Meanings : once (वन्स्) = एक बार की बात है । good (गुड) = भले । world below (वॅल्ड् बिलो) = down on the earth, नीचे पृथ्वी पर । walked about (वाक्ट् अबाउद्) ए विभिन्न स्थानों पर इधर-उधर घूमे । preaching (प्रीचिंगु) = giving sermons, उपदेश देते हुए ( धर्मों का) । as he did = as he used to do, जैसा वे किया करते थे |:

हिन्दी अनुवाद – एक बार की बात है जब भले संत पीटर इस दुनिया में (नीचे पृथ्वी पर) निवास करते थे और जैसा कि आप जानते हो वह पृथ्वी पर धर्म का उपदेश देते हुए विभिन्न स्थानों पर घूमते थे। जैसा कि वे किया करते थे ठीक वैसा ही उन्होंने किया ।

Stanza V. He came the hearth. (Lines 17-20)

Word-Meanings: cottage ( कॉटिज्) = a small house, कुटिया । travelling ( ट्रेवलिंग) = journeying, यात्रा करते हुए । little woman ( लिट्ल् वुमन) = (here) old woman, कमजोर महिला (यहाँ) बूढ़ी महिला। cake (केक) = bread, रोटी 1 bake ( बेक् )= सेंकना । hearth ( हाथ्) = stove, चूल्हा ।

हिन्दी अनुवाद – पूरी पृथ्वी का भ्रमण करते हुए वे (संत पीटर) एक कुटिया के दरवाजे पर आये जहाँ. फ फर एक बूढ़ी महिला रोटी क्ना रही थी और उन्हें चूल्हे पर सेंक रही थी ।

Stanza VI. And being ……………….. a single one. (Lines 21-24)

Word-Meanings: faint (फेन्ट्) = weak, बहुत दुर्बल, कमजोर । fasting (फास्टिंग) = remaining hungry, उपबास रखना । almost (ऑलमोस्ट्) , near about, लगभग, करीब-करीब । was done (वाज डन् ) = was ended (nearly), (लगभग) दिन समाप्त हो गया था। store (स्टॉ(र)) = large collection, भण्डार। single (सिड्ग्रा) = only one, केषल एक ।

हिन्दी अनुवाद – टूँंक दिन करीष-करीब समाप्त हो चुका था, और उपवास से कमजोर होने के कारण उन्होंने उस (महिला) को अपनी रोटियों में से केबल एक रोटी देने को कहा ।

Stanza VII. So she ………………………………………….give away.

Word-Meanings : a very little (अ वेरि लिट्ल्) = बहुत ही छोटा । as. (अज़) = while, जेसे, जब। lay ( ले) = put to bake, (सेंकमे के लिए) डाला । seemed (सीम्ड) = appeared, प्रतीत हुआ । large (ला:ज) = very big, बड़ा। give away (गिव् अवे) = giving in alms, दान में देना ।

हिन्दी अनुवाद – इसलिए उसने एक बहुत ही छोटी रोटी बनाई लेकिन जब यह सिक रही थी तो उसने इसे देखा व सोचा कि यह इतनी बड़ी दिखाई देती है कि इसे दान ही नहीं दिया जा सकता ।

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Stanza VIII. Therefore …………… had done. (Lines 29-32)

Word-Meanings: therefore (देअफॉॅ) = इसलिए, अतएव I kneaded (नीडिड् ) = kneaded flour, आटा गूँधा | another (अनद्र) = एक और | still (स्टिल्) = yet, और भी’ turn over (ट:न् ओवर) = changing up and down, पलटना. I as large as the first had done = this cake seemed to her as large as was the first one, यह दूसरी रोटी भी उतनी ही बड़ी दिखाई दी जितनी कि पहली रोटी थी।

हिन्दी अनुवाद – इसलिए उसने एक और रोटी के लिए आटा गूँथा और पहले से भी छोटी रोटी बनाई। लेकिन जब उसने इसे पलटा तो यह पहले सेकी गई रोटी जितनी ही बड़ी दिखाई दी ।

Stanza IX. Then she ……………………. with that. (Lines 33-36)

Word-Meanings: tiny ( टाइनि) = very small, बहुत छोटा । scrap (स्क्रैप् ) = piece, टुकड़ा। dough (डो) = kneaded flour, गुँधा हुआ आटा, आटे की लोई । rolled (रॉल्ड) = बेला । flat (फ्लैद्) = even, सपाट, समतल | thin (थिन) = पतला I wafer (वेफर) = very thin bread, बहुत पतल़ी रोटी । part with (पा:ट प्रिद) = to be separated, अलग होना ।

हिन्दी अनुवाद – फिर उसमे छोटी-सी लोई ली और उसे बेल-बेलकर चपटा, कर दिया, और एक बहुत पतली रोटी की तरह से सेका लेकिन वह इस (पतली रोटी) को भी नहीं दे सकी ।

Stanza X. For the ………………… on the shelf (Lines 37- 40)

Word – Meanings: for (फॉर) = because, क्योंकि, चूंकि । too (टू) = very, अपेक्षा से अधिक । put ( पुट् )=kept, रख दियम shelf = ताक ।

हिन्दी अनुवाद – क्योंक ‘उसने कहा, “ज़ब मैं अपनी रोटियों को खाती हूँ तो वे बहुत ही छोटी लगती हैं लेकिन दूसरों को देने के लिए मुझे ये बहुत ही बड़ी लगती हैं ।” इसलिए उसने उन्हें ताक में रख दिया।

Stanza XI.Then good ……………. a saint. (Lines 41 – 44)

Word-Meanings : grew angry (ग्रू एंग्रि) = got annoyed, नाराज हो गये । faint (फेण्ट् ) = weak, दुर्बल, कमजोर। surely (श्युऊ:लि) = undoubtedly, निस्संदेह । such (सच्) = ऐसा, इस प्रकार का । enough (इनफ़) = very much, पर्याप्त । provoke (प्रवोक् ) = to make someone angry, भड़काना, नाराज कर देना। saint (सेन्ट) = holy priest, संत।

हिन्दी अनुवाद – क्योंकि भले संत पीटर भूखे और निर्बल थे इसलिए वे क्रोधित हो गये और निस्सदेह ऐसी महिला एक संत को नाराज करने के लिए पर्याप्त थी ।

Stanza XII. And he said ………… you warm. (Lines 45-48)

Word Meanings: far (फार) = too much, बहुत अधिक । selfish (सेल्फिश) = स्वार्थी । dwell (ड्वेल्) = live, एक स्थान पर रहना । human form (हृयूमन् फॉम्) = shape of a human, मानव रूप । shelter ( शैल्टट् ) = a place to live, पनाह, शरण, आश्रय। warm ( वाःम) = hot, गर्म ।

हिन्दी अजुवाद – और उन्होंमे (संत पीटर ने) कहा, ‘तुम इतनी अधिक स्वार्थी हो कि तुम मानव रूप में रहने के योग्य नहीं हो, तुम दोनों ही चीजें-भोजन व आश्रय पाने के योग्य नहीं हो और तुम इस योग्य भी नहीं हो कि तुम्हें गर्मी पाने के लिए आग मिले ।

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Stanza XIII. Now, you shall ………… dry wood. (Lines 49-52)

Word-Meanings: build (बिल्ड्) = create, बनाना, निर्माण करना । scanty (स्कैन्टि) = very little, अत्यल्प। boring (बॉरिड्) = making hole, छेद करके \mid wood (वुड) = लकड़ी।

हिन्दी अनुवाद – अब तुम्हें पक्षियों की ही तरह से घोंसला बनाना होगा । और दिन भर कठोर, सूखी लकड़ी में छेद (सुराख) करंके अपना थोड़ा सा भोजन जुटाना होगा ।

Stanza XIV.Then up ………… to a bird. (Lines 53-56)

Word-Meanings: through ( भ्रू) =across the space, में से होकर । chimney (चिम्नि) = passage for throwing out smoke, चिमनी, किसी भवन की छत में ऊपर निकला पाइप जिससे भवन का धुँआ निकल जाता है । out of (आउट् ऑव्) = में से। flew (फ्ल्यू) = उड़ी । woodpecker (वुड्पेकर) =a kind of bird with scarlet fur cap, कठफोड़वा।

हिन्दी अनुवाद – जैसे ही संत पीटर ने उस महिला को पक्षी बन जाने का शाप दिया, वह चिमनी में से होकर ऊपर चली गई। वह एक शब्द भी नहीं बोली। और चिमनी के ऊपर से एक कठफोड़वा नामक पक्षी निकलकर उड़ा क्योंकि वही नारी एक पक्षी के रूप में बदल गई थी ।

Stanza XV. She had in the flame. (Lines 57-60)

Word-Meanings scarlet (स्का:लट्) = bright red colour, चमकीला लाल रंग । same (सेम) = वैसी ही। left (लेफ्ट) = रह गया । rest (रेस्ट) = शेष, बाकी । burned (बन्ड्) = were burnt in fire, आग से जल गये । coal (कोल) = कोयला 1 . flame (फ्लेम् ) = a portion of fire, लपट, ज्वाला ।

हिन्दी अनुवाद – उसके सिर पर एक चमकीले लाल रंग की टोपी थी और वह वैसी ही रही लेकिन उसके बाकी सारे कपड़े आग की लपटों में जलकर कोयले के जैसे काले हो गये।

Stanza XVI. And every. for food. (Lines 61-64)

Word-Meanings ; country (कन्ट्रि) = rural area, देहात । wood (वुड) = forest, जंगल। very ( वेरि) = same, यही, वहीं। boring ( बोरिंग ) taking holes and holes, छेद करती रहती है।

हिन्दी अनुवाद – और स्कुल जाने वाले प्रत्येक देहाती बच्चे ने उसे जंगल में देखां होगो जहाँ पर वह आज भी पेड़ों पर रहती है और अपने भोजन के लिए (पेड़ों में) छेद’ (सुराख) करती रहती है।

Explanation Win Reference To Context & Comprenension Questions

Stanza 1.

Away, away in the Northland,
Where the hours of the day are few,
And the nights are so long in winter.
That they cannot sleep them throught.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: These lines give a brief introduction of the Northland.

Explanation: The poet says that he is going to tell a legend that took place in the Northland. Northland is a place where in winter, the days are very short and nights are too long. There the nights are so long that the people can’t keep on sleeping for the whole night.

संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।.
प्रसंग : ये पंक्तियाँ नॉर्थलैण्ड का संक्षिप्त सा परिचय देती हैं ।
व्याख्या: कवि कहता है कि वह नॉर्थलैण्ड में घटित हुई एक पौराणिक कथा सुनाने जा रहा है। नॉर्थलैण्ड में सर्दियों में दिन बहुत छोटे होते है और रातें अत्यधिक लम्बी होती हैं। वहाँ रातें इतनी अधिक लम्बी होती हैं कि लोग पूरी रात सो नहीं पाते हैं।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Questions
1. Which country does this legend belong to ?
2. Why do the people of the Northland have ‘few’ hours during the day in winter?
3. Why can the people of the Northland not sleep through the night?
4. Whom does ‘they’ in the fourth line indicate?
Answers
1. This legend belongs to the Northland.
2. In the polar region, like the Northland, the nights are longer but the days are shorter in winter. Therefore, they have ‘few’ hours during the day.
3. The people of the Northland can’t sleep through the night because there the nights in winter are too long.
4. ‘They’ in the fourth line indicates the people of Northland.

Stanza 2.

Where they harness the swift reindeer
To the sledges, when it snows;
And the children look like bear’s cubs
In their funny, furry clothes:

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ com- posed by the poet Phoebe Cary.

Context: These lines give a brief introduction of sledges and reindeer besides the clothing of the children.

Explanation: In the Northland when it snows, fast moving animals such as- reindeer are attached to the sledges. These sledges run on the snow. It being very cold there, the children wear clothes made of fur. These clothes look very funny. The children look like bear’s cubs in these clothes.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।
प्रसंग : ये पंक्तियाँ बच्चों के पहनने के कपड़ों के अतिरिक्त स्लेज व रेंडियर का संक्षिप्त परिचय देती हैं।
व्यारव्या : नॉर्थलैण्ड में जब बर्फ गिरती है तो तेज चलने वाले पशु रेण्डियर स्लेज गाड़ियों में जोड़ दिये जाते हैं। ये स्लेज गाड़ियाँ बर्फ पर चलती हैं। बहुत ठण्ड होने के कारण वहाँ के बच्चे फर के बने कपड़े पहनते हैं। ये कपड़े बहुत विचित्र लगते हैं। बच्चे इन कपड़ों में भालू के शावकों जैसे दिखते हैं।

Questions
1. Which animal is used to pull the sledge?
2. How do the children of the Northland look like in winter?
3. Why do the children look like bear’s cubs in winter?
4. What are the sledges drawn upon?
Answers
1. Reindeer is used to pull the sledge.
2. They look like the cubs of a bear.
3. They look like the bear’s cub in winter because they wear dresses made of the fur of animals.
4. The sledges are drawn upon snow.

Stanza 3.

They tell them a curious story —
I don’t believe ’tis true;
And yet you may learn a lesson
If I tell the tale to you.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: In these lines the poet is going to tell us a curious story about the Northland. Explanation: The poet says that a strange story is told in the Northland. The poet does not believe the story to be true. But he is sure that the stor, will surely give a lesson to the listeners if it is told.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं। प्रसंग : इन पंक्तियों में कवि हमें एक अजीब कहानी सुनाने जा रहा है।

व्यारव्या : कवि कहता है कि नॉर्थलैण्ड में एक अजीब कहानी प्रचलित है । कवि कहता है कि उसे उस कहानी की सत्यता में तनिक भी विश्वास नहीं है, फिर भी उसे पूरा विश्वास है कि यदि वह कहानी लोगों को सुनायी जाये तो उससे सुनने वालों को कुछ न कुछ शिक्षा अवश्य मिलेगी।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Questions
1. What does the poet want to tell?
2. What does the poet not believe?
3. Why does the poet want to tell the story?
4. Whom does ‘they’ refer to in the first line?
Answers
1. The poet wants to tell a strange story of Northland.
2. The poet does not believe that the story which he is going to tell may be true.
3. The poet wants to tell the story so that we may learn a lesson.
4. ‘They’ refers to the people of Northland.

Stanza 4.

Once, when the good Saint Peter
Lived in the world below,
And walked about it preaching,
Just as he did, you know.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: In these lines the poet starts telling a story with the introduction of Saint Peter.

Explanation: The poet says that there was a time when good Saint Peter was alive in the world. As we all know that he walked about the world preaching people wherever he went.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।
प्रसंग : इन पंक्तियों में कवि संत पीटर का परिचय देते हुए एक कहानी सुनाना शुरू करता है।
व्याख्या : कवि कहता है कि एक समय ऐसा था जब भले संत पीटर इस संसार में जीवित थे। जैसा कि अब हम सभी जानते हैं कि वह जहाँ भी जाते थे, लोगों को उपदेश देते हुए इस संसार में पैदल भ्रमण करते रहते थे ।

Questions
1. What did St. Peter do?
2. Why did St. (Saint ) Peter travel around the world ?
3. Is St. Peter still alive today?
4. What does St. Peter’s living in the world below mean ?
Answers
1. Saint Peter walked about the world and preached to the people.
2. He travelled around the world to preach to the people.
3. No, Saint Peter is not alive today.
4. It means that Saint Peter was alive then.

Stanza 5.

He came to the door of a cottage,
In travelling round the earth,
Where a little woman was making cakes,
And baking them on the hearth;

Reference: These lines have been taken from the poem ‘Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: These lines describe Saint Peter’s coming to the cottage of an old and little woman.

Explanation: Those days Saint was walking about on foot the whole world. While preaching people, he came to the door of a cottage. In that cottage, a little old woman was making cakes. She was baking those cakes on the hearth.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।

प्रसंग : इन पंक्तियों में संत पीटर के एक बूढ़ी और छोटे कद की महिला की कुटिया पर पहुँचने का वर्णन है।

व्यारव्या : उन दिनों संत पीटर लोगों को उपदेश देते हुए सम्पूर्ण संसार में पैदल भ्रमण कर रहे थे। उस दौरान वह एक कुटिया के दरवाजे पर पहुँचे। उस कुटिया में एक बूढ़ी एवं नाटे कद की महिला रोटियाँ बना रही थी । वह उन रोटियों को चूल्हे पर सेंक रही थी ।

Questions
1. Where was Saint Peter travelling ?..
2. Where did St. Peter reach one day ?
3. What was the old woman doing in her cottage ?
4. What did Saint Peter see in the cottage ?
Answers
1. Saint Peter was travelling round the earth.
2. One day Saint Peter reached at the door of a cottage of an old woman.
3. The old woman was making cakes and baking them on the hearth.
4. Saint Peter saw an old woman making cakes and baking them on the hearth.

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Stanza 6.

And being faint with fasting,
For the day was almost done,
He asked her, from her store of cakes,
To give him a single one.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: These lines describe Saint Peter’s asking for a cake from the old little lady who . was selfish.

Explanation: It was the time of evening, when Saint Peter reached the door of a cottage. Because of his fasting, he had been hungry during the whole. Now he was feeling weak. So he asked the old little woman to give him a cake out of her store of cakes.

संदर्भ : ‘पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।

प्रसंग : इन पंक्तियों में संत पीटर द्वारा स्वार्थी महिला से एक रोटी माँगे जाने का वर्णन है।

व्यारव्या : जब संत पीटर कुटिया के दरवाजे पर पहुँचे, उस समय शाम हो गई थी। व्रत रखने के कारण वह पूरे दिन भूखे रहे थे। अब उन्हें कमजोरी महसूस हो रही थी। इसलिए उन्होंने उस वृद्ध महिला से कहा कि वह अपने रोटियों के भण्डार में से एक रोटी उन्हें दे दे।

Questions
1. Why was St Peter faint ?
2. What did the Saint ask her ?
3. Why did St Peter ask for a cake ?
4. What was the time of day then?
Answers
1. St Peter was faint because of fasting.
2. The Saint asked her for a cake.
3. St Peter asked for a cake because he was faint with fasting.
4. It was the time of evening.

Stanza 7.

So she made a very little cake,
But as it baking lay,
She looked at it, and thought it seemed
Too large to give away.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: These lines describe how the little woman showed her miserly nature to Saint Peter.

Explanation: When Saint Peter asked the old little woman to give him a cake, she made a very little cake to give him. She started baking it. When the cake lay baking, she saw it and then thought it was so large that she could not give it away.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।

प्रसंग : इन पंक्तियों में उस बूढ़ी नारी महिला ने अपनी कंजूस प्रवृत्ति का प्रदर्शन किया।

व्याख्या : जब संत पीटर ने उस नाटी महिला से एक रोटी माँगी तो उसने उनके लिए एक बहुत छोटी रोटी बनाई। उसने उसे सेंकना शुरू किया। रोटी सेंके जाते समय उस बूढ़ी महिला ने उसे (रोटी को) देखा और तब उसने सोचा कि वह रोटी इतनी बड़ी थी कि उसे दिया नहीं जा सकता था

Questions
1. Who made a very little cake?
2. Why did she make a very little cake?
3. How did the little cake appear to her?
4. Why did the old woman not give the cake to St Peter?
Answers
1. The old woman made a very little cake.
2. She made a very little cake because she did not want to give away a big cake.
3. The little cake appeared to her a very big one.
4. The cake seemed to her too large to give away so she did not give it to St Peter.

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Stanza 8.

Therefore she kneaded another,
And still a smaller one;
But it looked, when she turned it over,
As large as the first had done.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: These lines describe the old little woman’s greed and selfishness.

Explanation: The little woman could not give away the very small cake that she had specially made for Saint Peter. So she kneaded flour again to make another smaller cake. After cutting this dough, she made a still smaller cake. In the process of baking, she turned it over and saw it. This cake seemed to her as large as the first one.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।

प्रसंग : ये पंक्तियाँ उस बूढ़ी महिला के लालच व स्वार्थ का वर्णन करती हैं।

व्याख्या : उस बूढ़ी महिला ने विशेष रूप से संत पीटर को देने के लिए अत्यधिक छोटी रोटी बनाई थी, वह उसे दे नहीं पाई । इसलिए छोटी रोटी बनाने के लिए उसने पुनः आटा गूँथा । इस गुँथे हुए आटे से उसने पहले से भी अधिक छोटी एक रोटी बनाई। उस रोटी को सेंकने की प्रक्रिया में उसने उसे उलटा पलटा तो उसे यह रोटी पहली रोटी जितनी ही बड़ी लगी ।

Questions
1. Why did she knead another?
2. What did the old woman do with freshly kneaded flour?
3. What was the size of the second cake?
4. Why did she not give the second little cake to St Peter?
Answers
1. She kneaded another to make a smaller cake to give to St Peter.
2. She made a cake with it that was smaller than the first one.
3. The second cake was smaller in size than the first one.
4. She did not give the second cake to St Peter because it seemed to her as large as the first one.

Stanza 9.

Then she took a tiny scrap of dough,
And rolled and rolled it flat;
And baked it thin as a water
But she couldn’t part with that.

Reference: These lines describe that have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.
Context: These lines describe that the little woman makes yet another very small cake for St
Explanation: Now the little woman took a very small quantity of dough. She rolled it too much to make it quite flat. Now she baked this cake. It was as thin as a wafer. But she was so greedy that she could not give away even this wafer like cake to Saint Peter.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।
प्रसंग : इन पंक्तियों में यह वर्णन है कि वह बूढ़ी महिला संत पीटर के लिए एक और बहुत पतली रोटी बनाती है ।
व्यारव्या : अब उस बूढ़ी महिला ने बहुत थोड़ा-सा गुँथा हुआ आटा लिया। उसने इस आटे को अत्यधिक बेलकर चपटा कर लिया। अब उसने इस पापड़ जैसी पतली रोटी को सेंका। लेकिन वह इतनी लालची थी कि वह उस पापड़ जैसी पतली रोटी को भी संत पटर को न दे सकी।

Questions
1. What is the cake compared with ?
2. Why did she take a tiny scrap of dough ?
3. How did she make the cake flat?
4. Why couldn’t she part with the cake ?
Answers
1. The cake is compared with the wafer.
2. She took a tiny scrap of dough because she wanted to bake a still smaller cake for St Peter.
3. She made the cake flat by rolling it again and again.
4. She couldn’t part with the cake because she was very selfish.

Stanza 10.

For she said, “My cakes that seem too small
When I eat as them myself
Are yet too large to give away”
So she put them on the shelf.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: These lines show the little woman’s greed at its extreme.

Explanation: The little woman said to herself that her cakes seemed very small to her when she herself ate them and the same cakes seemed to be very large when she wanted to give them away to anybody. Thinking this, she put all her cakes on the shelf. In this way she gave no cake to Saint Peter to eat.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।

प्रसंग : ये पंक्तियाँ उस बूढ़ी महिला के लालच की चरम सीमा को प्रदर्शित करती हैं ।

व्यारव्या : उस बूढ़ी महिला ने अपने मन में कहा जब अपनी रोटियाँ वह स्वयं खाती है तो उसे वे बहुत छोटी लगती हैं किन्तु जब उन्हीं रोटियों को वह किसी को देना चाहती है, तो वे बहुत बड़ी लगती हैं। यह सोचकर उसने अपनी सारी रोटियाँ ताक पर रख दीं। उसने संत पीटर को खाने को एक भी रोटी नहीं दी।

Questions
1. When did her cakes look smaller to her?
2. When did her cakes look large to her?
3. Why did her cakes look too large to give them away?
4. Why did she put the cakes on the shelf?
Answers
1. Her cakes looked smaller to her when she ate them herself.
2. Her cakes looked large to her when she had to give them away.
3. Her cakes looked too large to give them away because she was very greedy.
4. She put the cakes on the shelf because she didn’t want to give them away to St Peter.

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Stanza 11.

Then good Saint Peter grew angry,
For he was hungry and faint;
And surely such a woman
Was enough to provoke a saint.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.
Context: These lines describe Saint Peter’s anger at the old little woman.
Explanation: When the old little woman did not give any cake to Saint Peter, he grew angry because he was hungry and weak. Such a greedy behaviour of the old little woman provoked even a saint.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।
प्रसंग : इन पंक्तियों में संत पीटर के बूढ़ी महिला से नाराज हो जाने का वर्णन है।
व्याख्या : जब उस बूढ़ी नाटी महिला ने संत पीटर को एक भी रोटी नहीं दी तो वह नाराज हो गये क्योंकि वह भूखे व कमजोर थे। उस महिला के ऐसे लालची व्यवहार ने एक संत को भी गुस्सा दिला दिया ।

Questions
1. Why did a good saint like St Peter grow angry?
2. What provoked the Saint?
3. What was the condition of St Peter?.
4. What does ‘such a woman’ mean?
Answers
1. He grew angry because the old woman did not give him even a single wafer-like cake.
2. The selfish behaviour of the old woman provoked the saint.
3. He was hungry and faint.
4. ‘Such a woman’ means that selfish woman who could not give away even a single wafer- like cake.

Stanza 12.

And he said, “You are far too selfish.
To dwell in a human form,
To have both food and shelter,
And fire to keep you warm.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: These lines describe Saint Peter’s anger at the old little woman.

Explanation: Saint Peter told the little woman that she was so selfish that she could not live as a human being. He further said that she did not deserve food for herself, shelter to live in or fire to keep herself warm.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।
प्रसंग : ये पंक्तियाँ संत पीटर की बूढ़ी नाटी महिला से नाराजगी का वर्णन करती हैं।
व्याख्या : संत पीटर ने उस बूढ़ी महिला से कहा कि वह इतनी स्वार्थी है कि वह मानव रूप में रहने के योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि वह इस योग्य नहीं है कि उसे स्वयं के भोजन, रहने के लिए स्थान अथवा स्वयं को गर्म रखने के लिए आग मिले।

Questions
1. Whom does ‘he’ refer to in the first line ?
2. Why did the woman not deserve to live in a human form ?
3. Name the three things which St Peter deprived her of.
4.How did St Peter feel about the old woman?
Answers
1.’He’ refers to St Peter.
2. The woman did not deseve to live in a human form because she was very selfish and greedy.
3. The three things which St Peter deprived her of were-food, shelter and fire to keep her warm.
4. St Peter felt that the old woman was very selfish.

Stanza 13.

Now, you shall build as the birds do,
And shall get your scanty food
By boring and boring, and boring,have been
All day in the hard, dry wood.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: These lines describe Saint Peter’s cursing the old little woman.

Explanation: Saint Peter became angry with the greedy nature of old little woman. He cursed her to build a nest and to live there like the birds after that day. He cursed that she would get her little food by boring in the hard and dry wood the whole day long.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।
प्रसंग : इन पंक्तियों में संत पीटर के उस बूढ़ी नारी महिला को शाप देने का वर्णन है।
व्याख्या : संत पीटर उस वृद्ध नारी महिला से नाराज हो गये। उन्होंने उसे शाप दिया कि उसी समय से वह पक्षियों की भाँति घोंसला बनाएगी और उसमें रहेगी । उन्होंने उसे यह भी शाप दिया कि वह अपना थोड़ा बहुत भोजन दिन भर कठोर, सूखी लकड़ी में सुराख करके प्राप्त कर सकेगी।

Questions
1. How will she get her scanty food ?
2. How much food will the little woman get?
3. How will she build her house?
4. How did St Peter punish the old woman?
Answers
1. She will get scanty food.
2. She will get her scanty food by boring and boring all day in the hard and dry wood.
3. She will build her house as a bird does Conde.
4. St Peter punished her by changing her into a bird.

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Stanza 14.

Then up she went through the chimney,
Never speaking a word,
And out of the top flew a woodpecker,
For she was changed to a bird.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: These lines describe how the little old woman was turned into a woodpecker. Explanation: As Saint Peter cursed the little woman to be a bird, she went up through the chimney. She did not speak a single word. This woodpecker was the old little woman who was changed into a bird.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।
प्रसंग : इन पंक्तियों में उस बूढ़ी महिला के कठफोड़वा पक्षी में बदल जाने का वर्णन है।
व्याख्या : जैसे ही संत पीटर ने उस बूढ़ी नाटी महिला को पक्षी बन जाने का शाप दिया, वह चिमनी (धुँआरा ) में होकर ऊपर चली गई। वह एक शब्द भी नहीं बोली। यह कठफोड़वा वही बूढ़ी महिला थी जो पक्षी में बदल गई थी ।

Questions
1.Name the bird which she was changed into.
2. Where did she reach when she was changed into a bird?
3. What did the old woman do after she had been changed into a bird?
4. Who was the woodpecker that flew out of the top of the chimney?
Answers
1.She was changed into a woodpecker.
2. She reached out through the top of the chimney when she was changed into a bird.
3. She went up through the chimney. She did not utter a word and flew away.
4. It was the selfish woman who was punished by St Peter.

Stanza 15.

She had a scarlet cap on her head
And that was left the same;
But all the rest of her clothes were burned
Black as a coal in the flame.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: These lines describe the face and feature of the old little woman after being turned into a woodpecker.

Explanation: Before being turned into a woodpecker, the old little woman was wearing a red cap on her head. When she was turned into a woodpecker, the cap remained the same. But all other clothes of her body were burnt out. They turned black as a coal in the flame.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।
प्रसंग : इन पंक्तियों में उस वृद्ध बौनी महिला के एक कठफोड़वे में बदल जाने पर उसके रूप-रंग का वर्णन है।
व्याख्या : कठफोड़वे में बदलने से पहले उस बूढ़ी महिला ने अपने सिर पर एक लाल टोपी पहनी हुई थी। जब वह कठफोड़वे में बदल गई तो वह टोपी वैसी की वैसी रही। लेकिन उसके बाकी सभी कपड़े जल गये। वे लपटों में जलकर कोयले जैसे काले हो गये।

Questions
1. What did she have on her head?
2. What happened to the clothes of the old woman?
3. Which part of the woman’s dress was left the same?
4. How did her clothes turn black as coal?
Answers
1. She had a scarlet cap on her head.
2. All clothes except her cap were burnt in the flame.
3. The scarlet cap on her head was left the same.
4. Her clothes were burnt so they turned black as coal.

Stanza 16.

And every country schoolboy
Has seen her in the wood,
Where she lives in the trees till this very day,
Boring and boring for food.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘A Legend of the Northland’ composed by the poet Phoebe Cary.

Context: Here, the poet describes the condition and habit of the old little woman after she was turned into a bird.

Explanation: Every school going boy in the villages has seen that woodpecker in the forest. That little woman in the form of a woodpecker lives in the trees even now. She always keeps on boring in the wood to get her food.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Phoebe Cary द्वारा रचित कविता ‘A Legend of the Northland’ से ली गई हैं।
प्रसंग : इन पंक्तियों में कवि उस बूढ़ी महिला के एक पक्षी में बदल जाने के बाद की दशा का वर्णन करता है।
व्याख्या : विद्यालय जाने वाले प्रत्येक ग्रामीण लड़के ने जंगल में उस कठफोड़वे को देखा है। कठफोड़वे के रूप में वह बूढ़ी महिला अब भी पेड़ों में रहती है। वह अपना भोजन पाने के लिए सदैव लकड़ी में सुराख करती रहती है।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Questions
1. Who has seen her in the wood?
2. Whom has every country schoolboy seen?
3. Where does she live now?
4. How does she get her food now?
Answers
1. Every country schoolboy has seen her in the wood.
2. Every country schoolboy has seen the woodpecker.
3. She lives in the trees now.
4. She gets her food by boring and boring in the hard, dry wood.

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.2

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Exercise 4.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विकल्पों में से कौन-सा विकल्प सत्य है, और क्यों ?
y = 3x + 5 का
(i) एक अद्वितीय हल है, (ii) केवल दो हल हैं, (iii) अपरिमित रूप से अनेक हल हैं।
हल:
(iii) दिया गया समीकरण y = 3x + 5
x = 0 रखने पर, y = 3 × 0 + 5 = 5
∴ (0, 5) एक हल है।
x = 1 रखने पर, y = 3 × 1 + 5 = 8
∴ (1, 8) एक और हल है।
x = 2 रखने पर, y = 3 × 2 + 5
= 6 + 5 = 11
∴ (2, 11) भी हल है।
स्पष्ट है कि के विभिन्न मानों के लिए y के भिन्न-भिन्न मान प्राप्त होते हैं, अतः दिए गए समीकरण के अपरिमित रूप से अनेक हल हैं।
∴ (iii) सत्य है। उत्तर

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.2

प्रश्न 2.
निम्नलिखित समीकरणों में से प्रत्येक समीकरण के चार हल लिखिए:
(i) 2x + y = 7
(ii) x + y = 9
(iii) x = 4y.
हल:
(i) दिया गया समीकरण
2x + y = 7 ⇒ y = 7 – 2x
x = 0 रखने पर, y = 7 – 2 × 0 = 7
x = 1 रखने पर, y = 7 – 2 × 1 = 5
x = 2 रखने पर, y = 7 – 2 × 2 = 3
x = 3 रखने पर, y = 7 – 2 × 3 = 1
अतः दिये गये समीकरण के चार हल (0, 7), (1, 5), (2, 3) और (3, 1) हैं।

(ii) दिया गया समीकरण πx + y = 9
⇒ y = 9 – πx
x = 0 रखने पर, y = 9 – π × 0 = 9 – 0 = 9
x = 1 रखने पर, y = 9 – π × 1 = 9 – π
x = -1 रखने पर, y = 9 – π(-1) = 9 + π
x = \(\frac{1}{x}\) रखने पर y = 9 – π × \(\pi \times \frac{1}{\pi}\) = 8
अतः दिये गये समीकरण के चार हल (0, 9) (1, 9 – π), (-1, 9 + π) तथा (\(\frac{1}{\pi}\), 8) हैं।

(iii) दिया गया समीकरण x = 4y या y = \(\frac{x}{4}\)
x = 0 रखने पर, y = 0
x = 4 रखने पर, y = 1
x = -4 रखने पर, y = -1
x = 2 रखने पर, y = \(\frac{2}{4}=\frac{1}{2}\)
अतः दिये गये समीकरण के चार हल (0, 0), (4, 1), (-4. -1) तथा (2, \(\frac{1}{2}\)) हैं।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.2

प्रश्न 3.
बताइए कि निम्नलिखित हलों में कौन-कौन समीकरण x – 2y = 4 के हल हैं और कौन-कौन हल नहीं हैं:
(i) (0, 2)
(ii) (2, 0)
(iii) (4, 0)
(iv) (\(\sqrt{2}\), 4\(\sqrt{2}\))
(v) (1, 1).
हल:
(i) दिया गया समीकरण x – 2y = 4 है। (0, 2) के लिए समीकरण में x = 0 रखने पर,
0 – 2y = 4
या -2y = 4
या y = -2 ≠ 2
अत: (0, 2) दिये गये समीकरण का हल नहीं है।

(ii) (2, 0) के लिए समीकरण में x = 2 रखने पर,
2 – 2y = 4
या -2y = 4 – 2
या -2y = 2
या y = -1 ≠ 0
अत: (2, 0) दिये गये समीकरण का हल नहीं है।

(iii) (4, 0) के लिए समीकरण में x = 4 रखने पर,
4 – 2y = 4
∴ y = 0
अतः (4, 0) दिये गये समीकरण का एक हल है।

(iv) (\(\sqrt{2}\), 4\(\sqrt{2}\)) के लिए समीकरण में x = \(\sqrt{2}\) रखने पर,
\(\sqrt{2}\) – 2y = 4
या 2y = \(\sqrt{2}\) – 4
या y = \(\frac{\sqrt{2}-4}{2} \neq 4 \sqrt{2}\)
अतः (\(\sqrt{2}\), 4\(\sqrt{2}\)) दिए गए समीकरण का हल नहीं है।

(v) (1, 1) के लिए समीकरण में x = 1 रखने पर,
1 – 2y = 4
1 – 4 = 2y
y = \(\frac{-3}{2} \neq 1\)
अतः (1, 1) दिये गये समीकरण का हल नहीं है।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.2

प्रश्न 4.
k का मान ज्ञात कीजिए जबकि x = 2, y = 1 समीकरण 2x + 3y = k का एक हल है।
हल:
यदि x = 2, y = 1 समीकरण 2x + 3y = k का हल है, तो ये मान समीकरण को सन्तुष्ट करेंगे।
∴ 2 × 2 + 3 × 1 = k ⇒ k = 4 + 3 = 7.

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 4 The Lake Isle of Innisfree

Jharkhand Board JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 4 The Lake Isle of Innisfree Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 English Solutions Beehive Poem 4 The Lake Isle of Innisfree

JAC Class 9 English The Lake Isle of Innisfree Textbook Questions and Answers

Thinking about the Poem

Question 1.
What kind of place is Innisfree ?
इनिसफ्री किस प्रकार का स्थान है ?
Answer:
Innisfree is a lake island. It is a simple, natural place, full of beauty and peace.
इनिसफ्री एक झील वाला टापू है । यह एक साधारण, प्राकृतिक स्थान है जो सुन्दरता व शांति से भरा हुआ है।

(i) the three things the poet wants to do when he goes back there. (Stanza – I)
उन तीन कार्यों के बारे में सोचिये जिन्हें कवि तब करना चाहता है जब वह वहाँ वापिस जायेगा ।
Answer:
On going back the poet wants to :

  • build a small cabin of clay and wattles.
  • grow nine bean rows for food.

(ii) what he hears and sees there and its effect on him. (Stanza (II)
कवि जो वहाँ सुनता व देखता है तथा इसके उस पर पड़ने वाले प्रभाव के
Answer:
He hears cricket’s singing and peace comes dropping there. He sees the glimmer of the midnight, purple glow of the noon and evenings full of linnets. He feels peace and tranquility in his heart.

वहाँ झींगुरों का गाना व खामोशी का छा जाना (उतरना) सुनता है। वह अर्द्धरात्रि की झिलमिलाहट, दोपहर की बैंगनी रंग की आभा, व लिनेट पक्षियों से भरी संध्या को देखता है। वह अपने अन्तर्मन में शांति व विश्रांति महसूस करता है ।

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(iii) what he hears in his “heart’s core” even when he is far away from Innisfree. (Stanza III)
इनिसफ़ी से बहुत दूर होने के बावजूद जो वह सोचता है, उसके विषय में लिखिए ।
Answer:
Even when the poet is far away from Innisfree, he hears the low sounds of lake water lapping on the shore in his heart’s core.

यद्यपि कवि इनिसफ्री से बहुत दूर है फिर भी वह अपने अन्तर्मन में झील के किनारे पर पानी के टकराने से होने वाली छप छप की मंद मंद ध्वनि को सुनता है ।

Question 2.
By now you may have concluded that Innisfree is a simple, natural place, full of beauty and peace. How does the poet contrast it with where he now stands? (Read Stanza III)
अब तक शायद आप यह निष्कर्ष निकाल चुके होंगे कि इनिसफ्री सुन्दरता व शांति से भरा एक साधारण प्राकृतिक स्थल है । कवि उस स्थान से जहाँ वह अभी खड़ा है, इसकी किस प्रकार तुलना करता है ?
Answer:
The poet contrasts lake water lapping on the island to the roadway and grey pavements of London that symbolise dullness. On the other hand, Innisfree provides the poet peace, beauty and happiness.

कवि टापू पर झील के पानी की छप छप की तुलना लंदन की सड़क व स्लेटी पंगडंडियों से करता है जो नीरसता की प्रतीक हैं। दूसरी ओर, इनिसफ्री कवि को शांति, सुन्दरता व प्रसन्नता प्रदान करता है ।

Answer: 3.
Do you think Innisfree is only a place, or a state of mind ? Does the poet actually miss the place of his boyhood days?
आपके विचार में क्या इनिसफ्री केवल एक स्थान है या कोई मानसिक स्थिति है ? क्या कवि वास्तव में उस स्थान को याद करता है जहाँ उसने अपना लड़कपन गुजारा था ?
Answer:
Innisfree is an actual place which is full of beauty and peace. Yes, the poet actually misses the place of his boyhood days. He is fed up with busy and noisy life of the city.

इनिसफ्री एक वास्तविक स्थान है जो कि सुन्दरता व शांति से भरा हुआ है । हाँ, कवि अपने लड़कपन – के स्थान को वास्तव में याद करता है । वह शहर के व्यस्त व शोरगुल भरी जिन्दगी से ऊब गया है ।

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II.

1. Look at the words the poet uses to describe what he sees and hears at Innisfree.

कवि इनिसफ्री में जो कुछ देखता है और सुनता है उसका वर्णन कवि जिन शब्दों में करता है उन शब्दों को देखिये
Answer:

  • bee-loud glade
  • evenings full of the linnet’s wings
  • lake water lapping with low sounds

What pictures do these words create in your mind?
इन शब्दों से आपके मन में कैसा चित्र उभरता हैं ?

(i) bee-loud glade – The poet will be standing on the clear area of a jungle. It will be surrounded by blooming flowers. There will be bee hives. Thus, the place will be resounded with the buzzing of the bees.

कवि एक जंगल में साफ ( खुली) जगह पर खड़ा होगा । यह स्थान खिलते हुए फूलों से घिरा होगा । वहाँ मधुमक्खियों के छत्ते होंगे । इस प्रकार से यह स्थान मधुमक्खियों की भिनभिनाहट से गूँजता होगा ।

(ii) evenings full of the linnet’s wings – Linnets will return to their nests. They will fly here and there in the sky at that time. The sky will be covered with them. It will seem as if the ‘sky were full of linnet’s wings.

संध्या के समय लिनेट पक्षी अपने- अपने घोंसलों में लौटेंगे । वे उस समय आकाश में इधर-उधर उड़ेंगे। आकाश उनसे ढका होगा । ऐसा प्रतीत होगा मानो आकाश लिनेट पक्षियों के पंखों से भरा हुआ हो ।

(iii) lake water lapping with low sounds – There is a lake. Its waves are rippling and gently striking the shore that creates a pleasant murmuring sound.
वहाँ पर एक झील है । इसकी लहरें उठ रही हैं और हल्के से किनारे से टकरा रही हैं जो कल-कल की सुहावनी ध्वनि उत्पन्न करती है ।

2. Look at these words;

इन शब्दों को देखिये;
…………………… peace comes dropping slow
Dropping from the veils of the morning to where the cricket sings.
What do these words mean to you ? What do you think “comes dropping slow……. from the veils of the morning ” ? What does ‘to where the cricket sings’ mean?
आपके अनुसार इन शब्दों का क्या अर्थ है ? ‘प्रातः काल के घूँघट से धीरे-धीरे उतरना’ से आप क्या समझते हैं? ‘जहां झींगुर गाते हैं’ से क्या तात्पर्य है ?
Answer:
A thin sheet of darkness at the lighted face of early morning has been called the veil of morning. When night insects stop making noise, then the natural peace comes out from its hidden place through this morning veil. This state of peace remains all day long from morning till evening until crickets start singing again.

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प्रातः काल के प्रकाश से भरे चेहरे पर अंधेरे की हल्की चादर को प्रातः काल का घूँघट कहा गया है । जब रात्रि के धीर शान्त हो जाते हैं तो प्रातः के इस घूँघट से होकर प्राकृतिक शान्ति अपने प्राकृतिक स्थलों पर धीरे-धीरे आती है । शान्ति की यह स्थिति प्रातः से सांय तक पूरे दिन तब तक रहती है जब तक कि झींगुर पुन: (रात्रि होने पर) अपना गाना शुरू नहीं कर देते ।

JAC Class 9 English The Lake Isle of Innisfree Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions

Question 1.
Why does the poet want to go to Innisfree ?
कवि इनिसफ्री क्यों जाना चाहता है ?
Answer:
Innisfree is the place where the poet spent his boyhood. It is a place full of natural beauty. The poet is fed up of the busy and noisy city life. So he wants to go to Innisfree to live in peace.

इनिसफ्री वह स्थान है जहाँ कवि ने अपना बचपन बिताया था । यह प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण स्थान है । कवि शहर के व्यस्त व शोरगुल से युक्त जीवन से ऊब गया है । इसलिए वह शान्ति से रहने के लिए इनिसफ्री जाना चाहता है ।

Question 2.
How will the poet live there ?
कवि वहाँ कैसे रहेगा ?
Answer:
The poet will build a small cabin there. It will be built of clay and wattles. He will have nine been-rows there for his food and a hive for the honeybees. At that place of natural beauty, he will live alone.

कवि वहाँ एक छोटी-सी कुटिया बनायेगा । यह मिट्टी और खपच्चियों की बनी होगी । वह वहाँ अपने भोजन के लिए नौ पंक्तियों में सेम के पौधे लगायेगा और मधुमक्खियों के लिए उनका एक छत्ता भी रखेगा । प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण उस स्थान पर वह अकेला रहेगा।

Question 3.
Describe the peaceful atmosphere of Innisfree.
इनिसफ्री के शान्त वातावरण का वर्णन कीजिए ।
Answer:
Innisfree is a lake island surrounded by natural beauty. Peace reigns there all day long. Only sounds that can be heard thereare of birds and insects. The place is totally free from the noise of city life.

इनिसफ्री प्राकृतिक सौन्दर्य से घिरा हुआ एक झील वाला टापू है । वहाँ दिन-भर शान्ति का साम्राज्य रहता है । वहाँ केवल पक्षियों और कीटों की आवाज़ें सुनाई देती हैं। वह स्थान शहरी-जीवन के शोरगुल से पूर्णतः मुक्त है।

Question 4.
Discuss the poem as a lyric.
एक गीत के रूप में कविता पर चर्चा कीजिए ।
Answer:
Lyric is a small poem that can be sung. It has a constant rhyme scheme.’The Lake Isle of Innisfree’ is divided into three stanzas of four lines each. Every stanza has a constant rhyme scheme. It is- abba, abba, abba.

गीत वह छोटी कविता होती है जिसे गाया जा सके । इसकी एक नियत लय-योजना होती है । ‘The Lake Isle of Innisfree’ कविता चार-चार पंक्तियों के तीन पदों में बँटी है । प्रत्येक पद की एक नियत लय-योजना है । यह है- abba, abba, abba.

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 4 The Lake Isle of Innisfree

Question 5.
Describe the beauty of Innisfree.
इनिसफ्री के सौन्दर्य का वर्णन कीजिए ।.
Answer:
Innisfree is a place of complete natural beauty. Mornings bring peace there and noons have a purple glow. Evenings are full of linnet’s wings and midnights have glimmer of moonlight.

इनिसफ्री पूर्ण प्राकृतिक सौन्दर्ययुक्त स्थान है.। वहाँ प्रातःकाल के समय शान्ति होती है, दोपहर बैंगनी रंग की अरुणिमा से भरी होती है, संध्या के समय आकाश लिनेट पक्षियों से भरा होता है और अर्द्धरात्रि को चाँदनी की झिलमिलाहट होती है ।

Question 6.
What does the poet hear in his heart and when ?
कवि को अपने हृदय में क्या सुनाई देता है और कब ?
Answer:
When the poet is standing on the roadway or on grey pavement, he hears low sounds of nature in his heart. These are the sounds of the lake water lapping by the shore.

जब कवि सड़क पर या स्लेटी रंग की पगडंडी पर खड़ा होता है, उस समय उसे अपने हृदय में प्रकृति की धीमी आवाज़ें सुनाई देती हैं। ये आवाज़ें झील के किनारे पर पानी के टकराने से उत्पन्न होती हैं।

Question 7.
Give an account of the poet’s love for nature on the basis of this poem.
इस कविता के आधार पर कवि के प्रकृति-प्रेम का वर्णन कीजिए ।
Answer:
The poet wants to go to a place of natural beauty and live there. His description of Innisfree shows that he is deeply attached to nature. Even when he is far away from that place, he feels its natural beauty in his heart.

कुवि एक प्राकृतिक सौन्दर्ययुक्त स्थान पर जाकर रहना चाहता है। उसके द्वारा किये गये इनिसफ्री के वर्णन से पता चलता है कि उसे प्रकृति से गहरा लगाव है । यहाँ तक कि जब वह प्राकृतिक वातावरण से दूर होता है, तब भी इसके प्राकृतिक सौन्दर्य को अपने हृदय में अनुभव करता है ।

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Question 8.
How do we know that the poet is fed up of city-life?
हमें कैसे पता चलता है कि कवि शहरी जीवन से ऊब गया है ?
Answer:
The poet wishes to go to Innisfree which is a place full of natural beauty. He wants to make a small cabin there to live peacefully among natural scenes. This shows that he is fed up of city-life.

कवि इनिसफ्री जाना चाहता है जो कि एक प्राकृतिक सौन्दर्ययुक्त स्थान है । वह वहाँ एक छोटी-सी कुटिया बनाकर प्रकृति के बीच में शान्ति से रहना चाहता है । इससे पता चलता है कि बह शाही- जीवन से ऊब गया है ।

The Lake Isle of Innisfree Summary and Translation in Hindi

About the Poem

यह प्रसिद्ध कविता इनिसफ्री की शांति व प्रशान्ति के लिए कवि की चाह को प्रकट करती है, यह (इनिसफ्री) वह स्थान है जहाँ उसने एक बच्चे के रूप में बहुत सारा समय व्यतीत किया था। यह कविता एक गीत है ।

Word-Meanings And Hindi Translation

Stanza 1. I will arise.. bee-loud glade. (Lines 1-4)

Word-Meanings: arise ( अराइज्ञ) = उठना । cabin (केबिन्)=a small wooden cottage, लकड़ी से बना छोटा मकान, कुटिया । clay (क्ले) = mud, मिट्टी, गारा । wattles (वॉटल्ज्) = twisted sticks for making fences, walls, दीवार, बाड़ इत्यादि बनाने की मुड़ी हुई लकड़ी की टहनियाँ, खपच्चियाँ । bean(बीन) = सेम। rows ( रॉज़ )= कतारें। hive (हाइव् ) = honeycomb, मधुमक्खी का छत्ता । honeybee ( हनिबी )= मधुमक्खी। alone (अलोन ) = अकेला । bee-loud (बी-लाउड्) = loud noise due to the sound of honeybees, मधुमक्खियों की भिनभिनाहट से गूँजता हुआ। glade(ग्लेड्) = clearing, open space in the forest, जंगल में खुला स्थान।

Stanza II. And I shall have. linnet’s wings. (Lines 5-8)

Word -Meanings : peace (पीस्) = शांति । dropping ( ड्रॉपिड) = (here) coming, आती हुई । veils ( वेल्ज्ञ) = coverings, पर्दे, आँचल, घूँघट । cricket (क्रिकिट्) = a small insect, झींगुर । midnight (मिड्नाइट्) = मध्यरात्रि । glimmer (ग्लिमर्) = a faint light, झिलमिलाहट, टिमटिमाहट । purple (पःप्ल्) = जामुनी, बैंगनी। glow (ग्लो) = shine, अरुणिमा, दीप्ति, चमक । linnet (लिनेट) =a small brown and grey bird with a short beak, एक प्रकार का छोटा भूरा व स्लेटी रंग का पक्षी जिसकी चोंच छोटी होती है।

हिन्दी अनुवाद – और मुझे वहाँ कुछ शांति मिलेगी, क्योंकि शांति धीरे-धीरे आती है, प्रातःकाल के आँचल पे आती हुई वहाँ तक जाती है जहाँ पर झींगुर गाते हैं (अर्थात् सुबह से शाम तक शान्ति रहती है) । जहाँ पध्यरात्रि के समय प्रकाश टिमटिमाता रहता है, और दोपहर को बैंगनी रंग की सी अरुणिमा (दीप्ति) होती है तथा संध्या (उड़ते हुए) लिनेट पक्षी के पंखों से भर जाती है ।

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Stanza III. I will arise. heart’s core. (Lines 9-12)

Word – Meanings : lake ( लेक् ) = झील, सरोवर । lapping (लैपिङ) = sound of water striking he shore, तट आदि से टकराते हुए छप-छप करना। shore (शॉः:) = झील का तट । pavements (पेवमन्ट्स) = footpaths, पगडंडियाँ। grey (ग्रे) = स्लेटी रंग । core (कॉ:) = innermost part, अन्तर्मन, मर्म, दिल की ाहराई ।

हिन्दी अनुवाद – अब मैं उठकर जाऊँगा क्योंकि हमेशा दिन और रात मैं झील के पानी को तट पर टकराकर नद्धिम आवाज में छप-छप करते हुए सुनता हूँ। जब मैं सड़क मार्ग पर या स्लेटी पगडंडियों पर खड़ा होता तो मैं इसे अपनें दिल की गहराई (अन्तर्मन) में सुनता हूँ।

Explanation With Reference To Context & Comprehension Question –

Stanza-1.

I will arise and go now, and go to Innisfree,
And a small cabin build there, of clay and wattles made :
Nine bean-rows will I have there, a hive for the honeybee,
And live alone in the bee-loud glade.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘The Lake Isle of Innisfree’ composed by the poet William Butler Yeats.

Context: In these lines, the poet tells about his wish to go to Innisfree. He also tells how he will live there.

Explanation: The poet says that he will get up now and go to Innisfree. There he will build a small cabin of clay and wattles. He will sow there beans in nine rows. There will be a hive for the honeybee. There he will live alone in the glade that will be full of the buzz of bees.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि William Butler Yeats द्वारा रचित कविता “The Lake Isle of Innisfree’ से ली गई हैं।
प्रसंग : इन पंक्तियों में कवि इनिसफ्री जाने की अपनी इच्छा के बारे में बताता है। वह यह भी बताता है कि वह वहाँ किस प्रकार रहेगा ।
व्याख्या : कवि कहता है कि अब वह उठेगा और इनिसफ्री जायेगा । वहाँ वह मिट्टी व तिनकों से एक छोटी सी कुटिया बनायेगा । वहाँ वह नौ पंक्तियों में सेम के पौधे उगायेगा । वहाँ मधुमक्खियों के लिए एक छत्ता होगा। वहाँ वह मधुमक्खियों की आवाज़ से गूँजते कुँज में अकेला रहेगा।

Questions
1. Why does the poet want to go to Innisfree ?
2. Where will the poet live in Innisfree ?
3.What will the cabin be made of by the poet ?
4. What will the poet have there?
Answers
1. The poet wants to go to Innisfree to get peace there.
2. The poet will live in the bee-loud glade in Innisfree.
3. The cabin will be made of clay and wattles.
4. He will have nine bean rows and a hive for the honeybee there.

Stanza 2

And I shall have some peace there, for peace comes dropping slow
Dropping from the veils of the morning to where the cricket sings;
There midnight’s all a glimmer and noon a purple glow,
And evenings full of the linnet’s wings.
Reference: These lines have been taken from the poem
‘The Lake Isle of Innisfree’ composed by the poet William Butler Yeats.

Context: In these lines the poet describes what type of a place Innisfree is.

Explanation: The poet says that while living in Innisfree, he will have some peace. There peace reigns from morning till night. Midnights are full of glimmer there and noons have a purple glow. In the evening linnet birds fly in the sky. Then the sky is filled with the wings of linnet.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि William Butler Yeats द्वारा रचित कविता ‘The Lake Isle of Innisfree’ से ली गई हैं।
प्रसंग : इन पंक्तियों में कवि वर्णन करता है कि इनिसफ्री किस प्रकार का स्थान है।
व्याख्या : कवि कहता है कि इनिसफ्री में रहते हुए उसे कुछ शान्ति मिलेगी। वहाँ प्रात: काल से रात्रि तक शान्ति का साम्राज्य रहता है। वहाँ अर्द्धरात्रियाँ चमकीली होती हैं और दोपहर बैंगनी आभा से परिपूर्ण होती हैं। सायंकाल लिनेट पक्षी आसमान में उड़ते, तब आकाश लिनेट पक्षी के पंखों से भर जाता है।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 4 The Lake Isle of Innisfree

Questions
1. How does peace come there?
2. How does midnight look at Innisfree?
3. Describe the noon at Innisfree.
4. How are the evenings at Innisfree?
Answers
1. Peace comes slowly dropping from the veils of the morning.
2.The midnight is full of glimmer of moonlight there.
3.The noon has the purple glow there.
4. Evenings are full of linnet’s wings at Innisfree.

Stanza 3.

I will arise and go now, for always night and day
I hear the lake water lapping with low sounds by the shore;
While I stand on the roadway, or on the pavements grey,
I hear it in the deep heart’s core.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘The Lake Isle of Innisfree’ composed by the poet William Butler Yeats.

Context: These lines describe the poet’s great fascination for Innisfree, a place full of natural beauty.

Explanation: The poet says that he will get up now and go to Innisfree. He pines so much for the place that even while standing on the roadway or on the grey coloured pavement, he thinks of Innisfree only. He hears the sound of water lapping of the lake by the shore in the depth of his heart.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि William Butler Yeats द्वारा रचित कविता ‘The Lake Isle of Innisfree’ से ली गई हैं।
प्रसंग : ये पंक्तियाँ प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण स्थान इनिसफ्री के प्रति कवि के अत्यधिक आकर्षण का वर्णन करती हैं।
व्यारव्या : कवि कहता है कि अब वह उठेगा और इनिसफ्री जायेगा । उसे उस स्थान की इतनी चाह है कि सड़क पर या पैदल मार्ग पर खड़े रहने के समय भी वह इनिसफ्री के विषय में ही सोचता है। उसे अपने हृदय की गहराई में झील के किनारे पर उत्पन्न होने वाली पानी की छप छप की आवाज सुनाई देती है ।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 4 The Lake Isle of Innisfree

Questions
1. What does the poet hear there?
2. Where is the poet standing?
3. What is the effect of the sound of iake water on the poet?
4. What does the poet’s hearing it in the deep core of the heart express?
Answers
1. The poet hears the lake water lapping with low sounds by the shore.
2. The poet is standing either on the roadway or on the pavement in a city.
3. The poet feels the sound of lake water in his deep heart’s core.
4. This expresses his deep love for nature.

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.1

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Exercise 4.1

प्रश्न 1.
एक नोटबुक की कीमत एक कलम की कीमत से दोगुनी है। इस कथन को निरूपित करने के लिए दो चरों वाला एक रैखिक समीकरण लिखिए।
हल:
माना एक नोटबुक की कीमत = x
तथा एक कलम की कीमत = y
प्रश्नानुसार,
नोटबुक की कीमत = 2 × कलम की कीमत
∴ रैखिक समीकरण, x = 2y या x – 2y = 0.

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रैखिक समीकरणों को ax + by + c = 0 के रूप में व्यक्त कीजिए और प्रत्येक स्थिति में a, b और c के मान बताइए:
(i) 2x + 3y = \(9.3 \overline{5}\)
(ii) x – \(\frac{y}{5}\) – 10 = 0
(iii) -2x + 3y = 6
(iv) x = 3y
(v) 2x = -5y
(vi) 3x + 2 = 0
(vii) y – 2 = 0
(viii) 5 = 2x.
हल:
(i) समीकरण 2x + 3 = \(9.3 \overline{5}\) का मानक रूप 2x + 3y – \(9.3 \overline{5}\) = 0 है।
इसकी तुलना ax + by + c = 0 से करने पर,
a = 2, b = 3 और c = –\(9.3 \overline{5}\)

(ii) समीकरण x – \(\frac{y}{5}\) – 10 = 0 की तुलना ax + by + c = 0 से करने पर,
a = 1, b = \(-\frac{1}{5}\) और c = -10.

(iii) समीकरण -2x + 3y = 6 का मानक रूप = -2x + 3y – 6 = 0 है|
इसकी तुलना ax + by + c = 0 से करने पर,
a = -2, b = 3, C = -6.

(iv) समीकरण x = 3y का मानक रूप = x – 3y + 0 = 0 है। इसकी तुलना ax + by + c = 0 से करने पर,
a = 1, b = -3, c = 0.

(v) समीकरण 2x = -5y का मानक रूप 2x + 5y + 0 = 0 है।
इसकी तुलना ax + by + c = 0 से करने पर,
a = 2, b = 5, c = 0

(vi) समीकरण 3x + 2 = 0 का मानक रूप 3x + 0.y + 2 = 0 है।
इसकी तुलना ax + by + c = 0 से करने पर,
a = 3, b = 0, c = 2.

(vii) समीकरण y – 2 = 0 ⇒ 0x + y – 2 = 0 की तुलना ax + by + c = 0 से करने पर,
a = 0, b = 1 और c = -2.

(viii) समीकरण 5 = 2x को 2x + 0. y – 5 = 0 के रूप में लिख सकते हैं। इस समीकरण की तुलना ax + bx + c = 0 से करने पर, a = 2, b = 0 और c = -5.

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 8 On Killing a Tree

Jharkhand Board JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 8 On Killing a Tree Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 English Solutions Beehive Poem 8 On Killing a Tree

JAC Class 9 English On Killing a Tree Textbook Questions and Answers

Thinking about the Poem

Question 1.
Can a “simple jab of knife ” kill a tree ? Why not ?
क्या चाकू का एक साधारण प्रहार एक पेड़ को मार सकता है ? क्यों नहीं ?
Answer:
No, a “simple jab of knife” cannot kill a tree. When a tree is jabbed with a knife, it is wounded but not dead. It heals up again. New sprouts begin to grow to be a new developed tree.

नहीं, चाकू का एक साधारण प्रहार किसी पेड़ को नहीं मार सकता है । जब पेड़ को चाकू से गोदा जाता है तो यह घायल हो जाता है पर यह मरता नहीं है । यह फिर से स्वस्थ हो जाता है । नयी कोपलें फूटती हैं और नया पेड़ विकसित हो जाता है।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 8 On Killing a Tree

Question  2.
How has the tree grown to its full size? List the words suggestive of its life and activity.
पेड़ अपने पूरे आकार में कैसे बड़ा होता है ? उन शब्दों की सूची बनाइये जो इसके जीवन व गतिविधि को दर्शाते हैं ।
Answer:
The tree has grown up to its full size by taking light, air and water from nature. The words indicating its life and activity are – absorbing, consuming, feeding and sprouting.

पेड़ प्रकृति से प्रकाश, वायु तथा पानी लेकर बड़ा होता है । इसके जीवन और क्रियाशीलता के सूचक शब्द हैं अवशोषित करना, उपभोग करना, भोजन लेना, और अंकुरण ।

Question  3.
What is the meaning of ‘bleeding bark’ ? What makes it bleed ?
रक्तरंजित छाल से क्या आशय है ? यह रक्तरंजित कैसे होती है ?
Answer:
A tree’s bark leaves fluid that is known as sap after being wounded badly by hacking and chopping. At that time it looks as if it is bleeding.

जब पेड़ की छाल को बुरी तरह काटा और छीना जाता है तो इसमें से तरल पदार्थ अर्थात् पौधों का रस (sap) निकलता है उस समय ऐसा प्रतीत होता है मानो कि इसमें से खून निकल रहा हो।’

Question 4.
The poet says ‘No’ in the beginning of the third stanza, What does he mean by this?
कवि तृतीय, पद के प्रारम्भ में कहता है ‘नहीं’ । इससे उसका क्या आशय है ?
Answer:
The poet says ‘No’ in the beginning of the third stanza to suggest that small efforts are not enough to kill a tree. Much more efforts are needed to kill it.

कवि तृतीय पद के प्रारम्भ में ‘नहीं’ इसलिए कहता है कि पेड़ को मारने के लिए छोटे-मोटे प्रयास काफी ‘नहीं’ है । इसे मारने के लिए बहुत अधिक प्रयास करने होते हैं ।

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 8 On Killing a Tree

Question 5.
What is the meaning of ‘anchoring earth’ and ‘earth cave’ ? ‘भूमि की जकड़न’ और ‘भूमिगत गुफा’ का क्या अर्थ है ?
Answer:
‘Anchoring earth’ means that the roots of a tree ‘keep the tree firm by holding it by its roots like a ship which is made still by an anchor’. ‘Earth cave’ means the roots live in ‘small holes under the ground’.

‘Anchoring earth’ का तात्पर्य है- ‘पेड़ की जड़ों को पृथ्वी इस तरह जकड़े रहती है जैसे जहाज का लंगर जहाज को एक जगह स्थिर रखता है।’ ‘Earth cave’ का अर्थ है कि ‘पेड़ की जड़ें पृथ्वी के भीतर छोटे खोखले स्थान’ में रहती हैं ।

Question 6.
What does he mean by ‘the strength of tree exposed’ ?
‘पेड़ की असली ताकत उजागर होने’ से कवि का क्या आशय है ?
Answer:
The above quoted words mean that ‘the roots are visible now’ which are the true source of power to a tree. When the tree is pulled out, its strenght is visible.

उपरोक्त उद्धरित शब्दों से कवि का आशय पेड़ की जड़ों के प्रदर्शित होने से है जो पेड़ की असली ताकत होती हैं । जब पेड़ को बाहर निकाला जाता है तो उसकी शक्ति प्रदर्शित हो जाती है।

Question 7.
What finally kills the tree ?
अंततः पेड़ किससे मरता है ?
Answer:
When the roots of the tree are pulled out of the ground, it cannot feed itself. It cannot get water. Gradually it dries up and becomes lifeless. And the tree is finally killed.

जब पेड़ को जड़ों सहित उखाड़ दिया जाता है तो यह स्वयं को पोषित नहीं कर पाता है। यह पानी भी प्राप्त नहीं कर पाता है । यह धीरे-धीरे सूखता है व निर्जीव हो जाता है। और पेड़ अंततः मर जाता है ।

JAC Class 9 English On Killing a Tree Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions

Question 1.
What happens when a tree is jabbed with a knife ?
जब किसी पेड़ को चाकू से गोदा जाता है तो क्या होता है ?
Answer:
When a tree is jabbed with a knife, it gets wounded. Its bark begins sapping that can be said bleeding. But it soon heals and becomes green again. A simple jab of knife cannot take its life.

जब किसी पेड़ को चाकू से गोदा जाता है तो वह घायल हो जाता है । उसकी छाल में से एक तरल पदार्थ निकलने लगता है जिसको रक्त प्रवाह कहा जा सकता है । परन्तु शीघ्र ही वह पुनः स्वस्थ होकर हरा-भरा हो जाता है । चाकू का एक साधारण प्रहार उसका जीवन नहीं ले पाता है ।

Question 2.
What effect does hacking and chopping lay upon a tree ?
एक पेड़ पर काट-छाँट का क्या प्रभाव पड़ता है ?
Answer:
Hacking and chopping causes much pain to a tree. Its bark begins sapping. This sapping is just like the bleeding in human being. But it soon gets well and new twigs start coming out of it. This pain cannot kill it.

काट-छाँट से पेड़ को बहुत दर्द होता है। उसकी छाल में से एक तरल पदार्थ निकलने लगता है। यह तरल स्राव बिल्कुल मनुष्य में होने वाले रक्त स्राव के समान होता है। परन्तु पेड़ शीघ्र ही ठीक हो जाता है और उसमें से नई कोपलें फूटने लगती हैं । यह दर्द उसे मार नहीं पाता है ।

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Question 3.
What does the poet want to tell us through this poem ?
इस कविता के माध्यम से कवि हमसे क्या कहना चाहता है ?
Answer:
The poem portrays a tree like a living being. The description of its getting wounded, bleeding, feeling pain and at last dying arouses pity in our heart. We feel an urge to save – trees.

यह कविता पेड़ को एक जीवित प्राणी के रूप में चित्रित करती है। इसके घायल होने, रक्तरंजित होने, दर्द अनुभव करने और अन्त में मर जाने का वर्णन हमारे हृदय में दया का भाव उत्पन्न करता है । हमारे मन में पेड़ों को बचाने की भावना उत्पन्न होती है।

Question 4.
Write a note on the theme of the poem. इस कविता की विषयवस्तु पर एक टिप्पणी लिखिए ।
Answer:
The theme or central idea of this poem is man’s cruelty towards trees. We humans stab trees, cause pain to them and at last deprive them of their lives. Trees that are the source of life to us get death from our hands. Through this poem, the poet appeals us to save trees.

इस कविता की विषयवस्तु या मूल भाव पेड़ों के प्रति मनुष्य की निर्दयता है । हम मनुष्य पेड़ों में चाकू घोंपते हैं, उन्हें दर्द देते हैं और अन्त में उन्हें जीवन से वंचित कर देते हैं। पेड़ जो कि हमारे जीवन का स्रोत हैं, उन्हें हमारे ही हाथों मृत्यु मिलती है । इस कविता के द्वारा कवि हमसे पेड़ों को सुरक्षित रखने की याचना करता है।

Question 5.
How does a tree flourish ?
एक पेड़ कैसे फलता-फूलता है ?
Answer:
A seed gets its food from the earth. Then it rises out and starts growing upon earth’s crust. As its food materials, it absorbs sunlight, air and water. Then leaves come out of its shoot and by and by it becomes a full grown tree.

एक बीज धरती के अन्दर से अपना भोजन प्राप्त करता है । फिर वह बाहर निकलता है और धरती की ऊपरी कठोर सतह से वृद्धि प्राप्त करने लगता है । अपने भोजन के रूप में वह धूप, हवा और पानी को अवशोषित कर लेता है । फिर उसके पतले तने से पत्तियाँ निकलती हैं और धीरे-धीरे वह एक पूरा बड़ा पेड़ बन जाता है ।

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Question 6.
How does a tree defy death?
एक पेड़ कैसे मृत्यु को पीछे धकेल देता है ?
Answer:
When a tree is chopped, its bark begins sapping that can be said bleeding. But this wound is not enough to take its life. It heals and again green twigs rise out of it. These green trees change into branches and the tree develops to its former size.

जब किसी पेड़ को काटा जाता है तो उसकी छाल से एक तरल पदार्थ बहने लगता है जिसको रक्त स्राव कहा जा सकता है । परन्तु ह उसका जीवन नहीं ले पाता है । पेड़ पुनः स्वस्थ हो जाता है और उससे हरी-भरी कोपलें फूटने लगती हैं । ये कोपलें शाखाओं में बदल जाती हैं और पेड़ बढ़कर पुनः अपने पहले वाले आकार में आ जाता है ।

Question 7.
Describe the process of a tree’s dying.
एक पेड़ के मरने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए ।.
Answer:
The dying process in a tree starts with its uprooting. Once the root is pulled out of the earth, the tree gets scorched and chocked in sun and air. Then it becomes brown and hard. Afterwards, it twists, withers and thus the process of a tree’s dying is over.

किसी वृक्ष की मरण प्रक्रिया इसकी जड़ उखड़ने के साथ प्रारम्भ होती है। जड़ के धरती से उखाड़े जाते ही पेड़ धूप और हवा में कुम्हला जाता है। फिर वह मटमैला और कठोर हो जाता है। उसके बाद ऐंठ जाता है, मुरझा जाता है और इस प्रकार पेड़ के मरने की क्रिया पूरी हो जाती हैं ।

Question 8.
Describe the root of a tree.
पेड़ की जड़ का वर्णन कीजिए ।
Answer:
Root is the strength of a tree. All other organs of a tree are fed only through the root. It is white in colour and remains wet. It is the most sensitive part of a tree and remains hidden inside the earth.

जड़ पेड़ की शक्ति होती है। पेड़ के अन्य सभी अंगों को जड़ के माध्यम से ही भोजन प्राप्त होता है । यह सफेद रंग की होती है और गीली रहती है । यह पेड़ का सबसे संवेदनशील भाग होता है और धरती के अन्दर छुपा रहता है।

On Killing a Tree Summary and Translation in Hindi

About the Poem:

आपने लोगों को पेड़ काटते हुए देखा होगा लेकिन क्या वे पेड़ को काट सकते हैं ? क्या ऐसा करना आसान है ? चलो यह कविता पढ़ें और पता लगायें कि कवि पेड़ काटने के बारे में क्या कहता है ।

Word-Meanings And Hindi Translation

Stanza I. It takes ………… leaves. (Lines 1-9)

Word Meanings: simple (सिम्प्ल) = easy, आसान, साधारण | jab ( जैब) = sudden rough blow, आकस्मिक प्रहार | grown (ग्रोन) = developed, विकसित हुआ । consuming (कॅन्ज्यूमिंग) = से पोषण प्राप्त करता हुआ । rising (राइजिंग) = ऊपर उठता हुआ । feeding (फीडिंग) = से भोजन प्राप्त करता हुआ । crust (क्रस्ट) upper hard surface, वस्तु की ऊपरी कठोर पपड़ी | absorbing ( अब्ज़ॉबिंग) = soaking up, सोखते हुए, आत्मसात् करते हुए । sunlight ( सन्लाइट) = धूप । leprous hide ( लेप्रस हाइड) = discoloured bark, मटमैली-सी छाल । sprouting (स्प्राउटिंग) = उत्पन्न करते हुए । बहुत समय लगता है। किसी धारदार हथियार के एक धीरे-धीरे पोषण प्राप्त करते हुए, इससे ऊपर निकलते हुए,

हिन्दी अनुवाद एक वृक्ष को मृत्यु प्रदान करने में साधारण प्रहार से यह सम्भव नहीं है । क्योंकि यह धरती से इसकी ऊपरी कठोर सतह से भोजन प्राप्त करते हुए, वर्षों तक धूप, हवा और पानी को सोखते हुए और अपनी मटमैली छाल से पत्तियाँ उत्पन्न करते हुए विकसित हुआ है ।

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Stanza II. So hack …….. former size. (Lines 10-18)

Word Meanings : hack ( हैक) = cut roughly by striking heavy blows, तीव्र प्रहार कर निर्ममता से काटना । chop (चॉप) = cut into pieces, काटकर टुकड़े करना । bleeding ( ब्लीडिंग) = blood coming out of the body, शरीर से खून का बहना । bark (बा: क) = छाल । heal (हील ) = फिर से स्वस्थ हो जाना । rise (राइज़) = निकलना । curled (क:ल्ड) = twisted, टेढ़ी-मेढ़ी व बल खाती । twigs (ट्विग्ज़) = टहनियाँ (यहाँ ) कोपलें । miniature(मिन्येचर) = very short, बहुत छोटी | boughs (बोज़) = branches, शाखाएँ । unchecked (अन्चेक्ट) = न रोकी गई । expand (इक्स्पॅन्ड) = grow, विकसित होना, फैलना । former ( फॉ: मर) = पहले वाला ।

हिन्दी अनुवाद – अतएव (पेड़ काटने के लिए) निर्ममतापूर्वक तीव्र प्रहार कीजिये और काटिये । किन्तु मात्र काटने कुछ नहीं होगा । परन्तु इससे इसको इतना अधिक दर्द भी नहीं होगा । और यह खून बहती हुई ( घाव भरी ) पेड़ की छाल फिर से स्वस्थ हो जायेगी तथा भूमि के निकट ( कटे हुए तने) के स्थान से फिर से टेढ़ी-मेढ़ी व बलखाती नयी-नयी व छोटी-छोटी, हरी-भरी कोपलें फूट पड़ेंगी और यदि इनको फिर से रोका या काटा न जाये तो ये छोटी-छोटी डालियाँ पहले वाले बड़े पेड़ जैसी बड़ी हो जायेंगी ।

Stanza III. No, The root ………… the earth. (Lines 19-25)

Word-Meaning: is to be pulled out ( इज टु बी पुल्ड आउट) = उखाड़ने के लिए | anchoring earth ( एंकरिंग अर्थ ) = जहाज के लंगर की तरह मजबूती से जकड़े रहने वाली पृथ्वी । snapped out (स्नैप्ट आउट) झटके के साथ बाहर खींचा जाना । entirely (इन्टाइअलि ) = पूरी तरह से । cave (केव) = गुफ़ा | strength (स्ट्रेन्थ) शक्ति | exposed (एक्स्पोज़्ड) = प्रदर्शित | source (सोस ) = स्रोत । sensitive ( सेन्सिटिव) संवेदनशील । hidden (हिड्न) = छुपा हुआ ।

हिन्दी अनुवाद – नहीं ! ( पेड़ को मारने के लिए इतना ही काफी नहीं है ।) इसे जमीन में से उखाड़ने के लिए रस्सी से बाँधकर झटके के साथ खींचना पड़ेगा जिसने इसे अपने भीतर मजबूती के साथ जहाज़ के लंगर की तरह जकड़ रखा है । अब इसकी वास्तविक शक्ति का स्रोत अर्थात् इसकी जड़ उजागर हो जाती है । इसका यह स्रोत सफेद रंग का और गीला है जो बहुत ही संवेदनशील है और यह वर्षों तक जमीन के भीतर छुपा हुआ रहा है ।

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Stanza IV. Then the matter …………… is done. (Lines 26-31)

Word Meanings: scorching (स्कॉ: चिंग) = getting dried, कुम्हलाना, सूखना | choking (चोकिंग) difficulty in breathing, साँस लेने में कठिनाई | browning (ब्राउनिंग) = getting brown, भूरा या मटमैला हो जाना । hardening (हा:डनिंग) = getting hard कठोर हो जाना । twisting (ट्विस्टिंग) = bending, ऐंठना | withering (विदरिंग) = wilting, मुरझा जाना । then it is done way the tree dies,

हिन्दी अनुवाद – और फिर कुम्हलाने और सांस रुकने के दौर शुरू होते हैं सूरज की धूप इस प्रकार पेड़ का अंत हो जाता है। और हवा के सुखा डालने वाले प्रभाव ! और (असली हरा रंग उड़ने के कारण ) मटमैला हो जाना और ( नमी समाप्त होने के कारण) कठोर होते चले जाना ! (सूखने के कारण) ऐंठ जाना और मुरझा जाना ! और तब जाकर यह ( पेड़ को मारने का कार्य ) पूरा होता है ।

Explanation With Reference To Context & Comprehension Questions

Stanza -1

It takes much time to kill a tree,
Not a simple jab of the knife
Will do it. It has grown
Slowly consuming the earth,
Rising out of it, feeding
Upon its crust, absorbing
Years of sunlight, air, water,
And out of its leprous hide
Sprouting leaves.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘On Killing a Tree’ composed by the poet Gieve Patel.

Context: These lines describe the strength of a tree. It is not easy to destroy a tree. A simple cut cannot kill it.

Explanation: Killing a tree needs a lot of time. It cannot be killed by a simple stab of knife. It has got its strength from the earth during the period of its growth. For years it has been absorbing sunlight, air and water leaves sprout out of its skin that otherwise look faded.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Gieve Patel द्वारा रचित कविता ‘On Killing a Tree’ से ली गई हैं।

प्रसंग : इन पंक्तियों में एक पेड़ की शक्ति का वर्णन है। पेड़ का विनाश करना इतना आसान नहीं है। एक साधारण सा प्रहार पेड़ को नहीं मार सकता है।-

व्याख्या : एक पेड़ को मारने में बहुत समय लगता है। इसे चाकू के एक साधारण प्रहार से नहीं मारा जा सकता है। इसको अपने विकास के वर्षों में धरती से असीम शक्ति मिली है। यह वर्षों से सूरज की धूप, हवा व पानी को सोखता रहा है। सामान्यतः मुर्झाई सी दिखने वाली इसकी त्वचा से नई कोपलें फूटती हैं।

Questions
1. What do you mean by the term ‘And out of its leprous hide’?
2. What is not enough to kill a tree ?
3. Where does a tree rise from?
4. What does a tree absorb ?
Answers
1. The term refers to the origin of something from the dead skin or the outer part of the tree’s boughs and trunk.
2. A simple blow with a knife is not enough to kill a tree.
3. A tree rises (grows) out of the earth.
4. A tree absorbs sunlight, air and water.

Stanza 2.

So hack and chop
But this alone wont do it.
Not so much pain will do it.
The bleeding bark will heal
And from close to the ground
Will rise curled green twigs,
Miniature boughs
Which if unchecked will expand again
To former size. bis molos.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘On Killing a Tree’ composed by the poet Gieve Patel.

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Context: These lines describe the strength of a tree that takes its growth from the earth.

Explanation: A tree being very strong cannot be killed by hacking and chopping. When it is tried to kill a tree with a jab of a knife or such an instrument, it does not die instead it feels pain and from its bark bleeding starts. But it heals again. Then new curled green twigs rise from its stem from close to the ground. These grow into small branches. If their growth is not checked, the tree again grows to its former size.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Gieve Patel द्वारा रचित कविता ‘On Killing a Tree’ से ली गई हैं।

प्रसंग : इन पंक्तियों में एक पेड़ की शक्ति का वर्णन है जो पृथ्वी से अपनी शक्ति अर्जित करता है।

व्याख्या : एक शक्तिशाली पेड़ मात्र गोदने व काटने से नहीं मारा जा सकता है। जब किसी चाकू अथवा उस जैसे अन्य यन्त्र के तीव्र प्रहार से किसी वृक्ष को मारने का प्रयास किया जाता है तो वह मरता नहीं है अपितु उसे पीड़ा महसूस होती है और उसकी छाल से रक्त बहने लगता है। लेकिन यह पुनः स्वस्थ हो जाता है। फिर जमीन पर इसके तने के पास से नई घुमावदार टहनियाँ निकलने लगती हैं। वे बड़ी होकर छोटी-छोटी शाखाएँ बन जाती हैं। यदि उनकी वृद्धि को रोका न जाये तो पेड़ पुनः बढ़कर अपने पहले वाले आकार को प्राप्त कर लेता है।

Questions
1. Explain the contrast used in ‘bleeding bark’ and ‘green twigs’.
2. How can a tree grow to its former size?
3. What happens when a tree is hacked but not uprooted?
4. Where will the green twigs rise?
Answers
1. A tree can produce small branches and leaves even after being wounded.
2. A tree can grow to its former size naturally if man does not cut it again.
3. A tree is wounded badly by hacking but it does not die until it is uprooted.
4. Green twigs will rise close to the ground.

Stanza 3.

No,
The root is to be pulled out-
Out of the anchoring earth;
It is to be roped, tied,
And pulled out-snapped out
Or pulled out entirely,
Out from the earth-cave,
And the strength of the tree exposed
The source, white and wet,
The most sensitive, hidden
For years inside the earth,

Reference: These lines have been taken from the poem ‘On Killing a Tree’ composed by the poet Gieve Patel.

Context: These lines describe a tree’s root as the source of its strength. The root of a tree is white in colour and it is very sensitive part of a tree.

Explanation: If a tree is to be killed, its root has to be pulled out of the earth that keeps holding it tightly. In order to kill a tree a rope is tied to the tree and pulled hard so that root may come out of its cave in the earth. It is the true source of a tree’s strength. It is white in colour and wet. It is most sensitive part of a tree. It remains hidden in the earth for years before it is pulled out.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Gieve Patel द्वारा रचित कविता ‘On Killing a Tree’ से ली गई हैं।

प्रसंग : ये पंक्तियाँ किसी पेड़ की जड़ का उसकी शक्ति के रूप में वर्णन करती हैं। पेड़ की जड़ का रंग श्वेत तथा यह बहुत ही संवेदनशील भाग होती है।

व्याख्या : यदि किसी पेड़ को मारना है तो उसकी जड़ को धरती से बाहर खींचना होता है जो (धरती) उसे (जड़ को) कसकर जकड़े रखती है। पेड़ को मारने के लिए उससे एक रस्सी बाँधकर उसे जोर से खींचते है ताकि उसकी जड़ धरती की अपनी गुफा से बाहर आ सके। यह पेड़ की शक्ति का वास्तविक स्रोत होती है। यह सफेद रंग की और गीली होती है और पेड़ का सबसे अधिक संवेदनशील भाग होती है। यह बाहर खींचे जाने से पहले वर्षों तक धरती में छिपी रहती है।

Questions
1. Where does the source of the strength of a tree lie?
2. Explain the ‘anchoring earth’ in your own words.
3. How do the roots of a tree look like when they are pulled out of the earth?
4. How is the root pulled out?
Answers
1. The source of the strength of a tree lies in its roots.
2. The earth keeps a tree firm by holding it by its roots like a ship which is made still by an anchor.
3. The roots of a tree look white and wet just after these are pulled out of the earth.
4. The tree is tied with a rope and pulled. It is then that the root comes out.

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Stanza 4.

Then the matter
Of scorching and choking
In sun and air,
Browning, hardening
Twisting, withering,
And then it is done.

Reference: These lines have been taken from the poem ‘On Killing a Tree’ composed by the poet Gieve Patel.

Context: These lines describe the drying up process of a tree after being uprooted.

Explanation: When the root of a tree is pulled out of the earth, it starts scorching and choking in the sun and air. By and by it grows brown and hard. Then it starts twisting and then withers down completely. Thus an end comes to a tree.

संदर्भ : ये पंक्तियाँ कवि Gieve Patel द्वारा रचित कविता ‘On Killing a Tree’ से ली गई हैं।
प्रसंग : इन पंक्तियों में एक पेड़ के सूखने की प्रक्रिया का वर्णन है। जब पेड़ को पृथ्वी से उखाड़ दिया जाता है तो वह सूखने लगता है।
व्यारव्या : जब किसी पेड़ की जड़ को खींचकर धरती से बाहर निकाल दिया जाता है तो यह धूप व वायु में झुलसने लगता है व इसकी साँस रुकने लगती है। धीरे-धीरे यह भूरे रंग का व कठोर हो जाता है। फिर यह ऐंठने लगता है और फिर पूरी तरह मुरझा जाता है। इस प्रकार एक पेड़ का अन्त हो जाता है।

Questions
1. Narrate the steps of the death of a tree.
2.What does this stanza point out?
3. What does the last line of this stanza suggest ?
4. What happens to the tree after it is uprooted ?
Answers
1. The first step is drying, then its becoming brown and hard and then twisting and at last withering.
2. This stanza points out that killing of a tree is a very cruel thing.
3. It suggests that man is selfish and he does not stop till he destroys the last bit of a tree.
4. The tree dies after it is uprooted.

Trees

Read and Enjoy

पदिये और आनन्द लीजिए-

I think that I shall never see,
A poem lovely as a tree.
A tree whose hungry mouth is prest,
Against the earth’s sweet flowing breast;
A tree that looks at God all day,
And lifts her leafy arms to pray;
A tree that may in summer wear,
A nest of robins in her hair;
Upon whose bosom snow has lain;
Who intimately lives with rain.
Poems are made by fools like me,
But only God can make a tree.

JAC Class 9 English Solutions Beehive Poem 8 On Killing a Tree

हिन्दी अनुवाद – मैं सोचता हूँ कि मैं कभी भी एक पेड़ जैसी सुन्दर कविता नहीं देखूँगा ।
एक पेड़ जिसका मुँह पृथ्वी के मधुर प्रवाहपूर्ण वक्षस्थल से लगा होता है ।
एक पेड़ जो दिन भर ईश्वर को निहारता है व अपने पत्तों रूपी भुजाओं को प्रार्थना में उठाये रखता है ।
एक पेड़ जो गर्मी में अपने बाल रूपी टहनियों में अबाबील चिड़ियों के घोंसले को आश्रय देता है ।
जिसके वक्षस्थल पर बर्फ पड़ती है,
जो वर्षा के साथ घनिष्ठता से रखता है ।
कविताएँ मेर जैसे मूखों द्वारा रची जाती हैं
लेकिन पेड़ को केवल भगवान ही बना सकते हैं।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 3 निर्देशांक ज्यामिति Ex 3.3

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 3 निर्देशांक ज्यामिति Ex 3.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 3 निर्देशांक ज्यामिति Exercise 3.3

प्रश्न 1.
किस चतुर्थांश में या किस अक्ष पर बिन्दु (− 2, 4), (3, -1), (-1, 0), (1, 2) और (-3, -5) स्थित हैं ? कार्तीय तल पर इनका स्थान निर्धारित करके अपने उत्तर सत्यापित कीजिए।
हल:
(i) बिन्दु (-2, 4) में भुज ऋणात्मक तथा कोटि धनात्मक है। अत: यह द्वितीय चतुर्थांश में है।
(ii) बिन्दु (3, -1) में भुज धनात्मक तथा कोटि ऋणात्मक है। अतः यह चतुर्थ चतुर्थांश में है।
(iii) (1, 0) में भुज ऋणात्मक तथा कोटि शून्य है। अतः यह X-अक्ष पर है।
(iv) बिन्दु (1, 2) में भुज व कोटि दोनों धनात्मक हैं। अतः यह प्रथम चतुर्थांश में है।
(v) बिन्दु (-3, -5) में भुज और कोटि दोनों ऋणात्मक हैं। अतः यह तृतीय चतुर्थांश में है।
इन बिन्दुओं का कार्तीय तल पर निर्धारण करने के लिए ग्राफ में बिन्दु (-2, 4), B(3, -1), C(-1, 0), D(1, 2) और E (-3, -5) को दर्शाया गया है।
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 3 निर्देशांक ज्यामिति Ex 3.3 1

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 3 निर्देशांक ज्यामिति Ex 3.3

प्रश्न 2.
अक्षों पर दूरी का उपयुक्त पैमाना लेकर नीचे सारणी में दिए गए बिन्दुओं को कार्तीय तल पर आलेखित कीजिए :
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 3 निर्देशांक ज्यामिति Ex 3.3 2
हल:
बिन्दु A(-2, 8), B (-1, 7), C(0, -1.25), D(1, 3) और E(3, -1) का आलेख निर्देशांक अक्ष खींचकर निम्न प्रकार करते हैं-
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 3 निर्देशांक ज्यामिति Ex 3.3 3

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 3 निर्देशांक ज्यामिति Ex 3.2

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 3 निर्देशांक ज्यामिति Ex 3.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 3 निर्देशांक ज्यामिति Exercise 3.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दीजिए :
(i) कार्तीय तल में किसी बिन्दु की स्थिति निर्धारित करने वाली क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर रेखाओं के क्या नाम हैं ?
(ii) इन दो रेखाओं से बने तल के प्रत्येक भाग का नाम बताइए।
(iii) उस बिन्दु का नाम बताइए जहाँ ये दोनों रेखाएँ प्रतिच्छेदित होती हैं।
हल:
(i) कार्तीय तल में किसी बिन्दु की स्थिति निर्धारित करने वाली क्षैतिज रेखाओं को X-अक्ष तथा ऊर्ध्वाधर रेखाओं को Y-अक्ष कहते हैं।
(ii) X-अक्ष और Y-अक्ष द्वारा बने प्रत्येक तल को चतुर्थांश कहते हैं।
(iii) दोनों अक्ष मूलबिन्दु (0, 0) पर प्रतिछेदित होती हैं।

प्रश्न 2.
आकृति देखकर ज्ञात कीजिए :
(i) B के निर्देशांक
(ii) C के निर्देशांक
(iii) निर्देशांक (-3, -5) द्वारा पहचाना गया बिन्दु
(iv) निर्देशांक (2, -4) द्वारा पहचाना गया बिन्दु
(v) D का भुज
(vi) बिन्दु H की कोटि
(vii) बिन्दु L के निर्देशांक
(viii) बिन्दु M के निर्देशांक
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 3 निर्देशांक ज्यामिति Ex 3.2 1
हल:
चित्र से स्पष्ट है कि :
(i) B के निर्देशांक (-5, 2) हैं।
(ii) C के निर्देशांक (5, -5) हैं।
(iii) निर्देशांक (-3, -5) बिन्दु E को दर्शाता है।
(iv) निर्देशांक (2, -4) बिन्दु G को दर्शाता है।
(v) बिन्दु D का भुज 6 है ।
(vi) बिन्दु H की कोटि -3 है।
(vii) बिन्दु L के निर्देशांक (0, 5) हैं।
(viii) बिन्दु M के निर्देशांक (-3, 0) हैं।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भारतीय संविधान में निम्न में से कौनसा मौलिक अधिकार प्रदान नहीं किया गया है।
(क) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(ख) स्वास्थ्यप्रद पर्यावरण और पर्यावरण संरक्षण का अधिकार
(ग) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(घ) स्वतन्त्रता का अधिकार।

2. 1928 में किस समिति ने भारत में अधिकारों के घोषणा-पत्र की माँग उठायी थी।
(क) साइमन कमीशन ने
(ख) कैबिनेट मिशन ने
(ग) मोतीलाल नेहरू समिति ने
(घ) वांचू समिति ने।

3. निम्नलिखित में कौनसा कथन असत्य है?
(क) मौलिक अधिकारों की गारण्टी और उनकी सुरक्षा स्वयं संविधान करता है।
(ख) मौलिक अधिकारों को संसद कानून बनाकर परिवर्तित कर सकती है।
(ग) मौलिक अधिकार वाद योग्य हैं।
(घ) सरकार के कार्यों से मौलिक अधिकारों के हनन को रोकने की शक्ति और इसका उत्तरदायित्व न्यायपालिका के पास है।

4. संविधान का कौनसा अनुच्छेद साफ-साफ यह कहता है कि राज्य के अधीन सेवाओं में पिछड़े हुए नागरिकों को नियुक्तियों या पदों के आरक्षण जैसी नीति को समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं मानता।
(क) अनुच्छेद 16 (4)
(ख) अनुच्छेद 21
(ग) अनुच्छेद 19
(घ) अनुच्छेद 14

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5. निम्नलिखित में किस प्रावधान से धर्मनिरपेक्षता के जीवन को बल नहीं मिलता है।
(क) भारत का कोई राजकीय धर्म नहीं है।
(ख) सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के सम्बन्ध में सरकार धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करेगी।
(ग) शासकों से अलग धर्म को मानने वाले लोगों को शासकों द्वारा मान्य धर्म को ही स्वीकार करने के लिए विवश करना।
(घ) राज्य द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थाओं में न तो किसी धर्म का प्रचार किया जायेगा और न ही कोई धार्मिक शिक्षा दी जायेगी।

6. भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को व्यवहार में लाने और उल्लंघन होने पर उनकी रक्षा का साधन है।
(क) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(ग) समानता का अधिकार
(ख) स्वतन्त्रता का अधिकार
(घ) शोषण के विरुद्ध अधिकार।

7. जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करके किसी मुकदमे की सुनवाई करती है तो ऊपर की अदालतें उसे ऐसा करने से रोकने के लिए जो आदेश जारी करती है, उसे कहते हैं।
(क) बंदी प्रत्यक्षीकरण
(ग) निषेध आदेश
(ख) परमादेश
(घ) अधिकार पृच्छा।

8. किस आदेश के द्वारा न्यायालय किसी गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने का आदेश देता है।
(क) बंदी प्रत्यक्षीकरण
(ग) परमादेश
(ख) उत्प्रेषण लेख
(घ) अधिकार पृच्छा।

9. राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों के पीछे वह कौनसी शक्ति है जो सरकार को यह बाध्य करेगी कि वह नीति। निर्देशक तत्त्वों को गम्भीरता से ले।
(क) संवैधानिक शक्ति
(ख) कानूनी शक्ति
(ग) नैतिक शक्ति
(घ) धार्मिक शक्ति।

10. निम्नलिखित में से कौनसा कथन असत्य है।
(क) भारतीय संविधान नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों को लागू करने के सम्बन्ध में संविधान मौन है।
(ख) संविधान में मौलिक कर्त्तव्यों के समावेश से हमारे मौलिक अधिकारों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है।
(ग) नागरिकों के मौलिक अधिकार वाद – योग्य हैं।
(घ) राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व वाद – योग्य हैं।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. दक्षिण अफ्रीका का संविधान दिसंबर ………………….. में लागू हुआ।
उत्तर:
1996

2. अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में नागरिकों के अधिकारों को ………………. में सूचीबद्ध कर दिया जाता है।
उत्तर:
संविधान

3. भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान 1928 में ही …………………… समिति ने अधिकारों के एक घोषणापत्र की माँग उठायी थी।
उत्तर:
मोतीलाल नेहरू

4. डॉ. अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों के अधिकार को संविधान का ………………. और ……………….. की संज्ञा दी।
उत्तर:
हृदय, आत्मा

5. संविधान में नीति निर्देशक तत्त्वों को …………………… के माध्यम से लागू करवाने की व्यवस्था नहीं की गई है।
उत्तर:
न्यायालय।

निम्नलिखित में से सत्य/असत्य कथन छाँटिये

1. मौलिक अधिकारों की गारंटी और उनकी सुरक्षा स्वयं संविधान करता है।
उत्तर:
सत्य

2. संसद कानून बनाकर मौलिक अधिकारों को परिवर्तित कर सकती है।
उत्तर:
असत्य

3. सरकार का कोई भी अंग मौलिक अधिकारों के विरुद्ध कोई कार्य नहीं कर सकता।
उत्तर:
सत्य

4. सरकार मौलिक अधिकारों के प्रयोग पर औचित्यपूर्ण प्रतिबंध लगा सकती है।
उत्तर:
सत्य

5. बंदी प्रत्यक्षीकरण के द्वारा निचली अदालत द्वारा अधिकार क्षेत्र से अतिक्रमण करने से उच्च अदालतें रोकती हैं।
उत्तर:
असत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये

1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अ) नीति निर्देशक तत्त्व
2. काम का अधिकार (ब) कानूनी अधिकार
3. सम्पत्ति का अधिकार (स) 42वां संविधान संशोधन
4. संविधान में नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों मुकदमे का निर्णयकी सूची का समावेश (द) केशवनानंद भारती का निर्णय
5. संविधान के ‘मूल ढांचे’ की अवधारणा अतिलघूत्तरात्मक (य) मूल अधिकार

उत्तर:

1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (य) मूल अधिकार
2. काम का अधिकार (अ) नीति निर्देशक तत्त्व
3. सम्पत्ति का अधिकार (ब) कानूनी अधिकार
4. संविधान में नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों मुकदमे का निर्णयकी सूची का समावेश (स) 42वां संविधान संशोधन
5. संविधान के ‘मूल ढांचे’ की अवधारणा अतिलघूत्तरात्मक (द) केशवनानंद भारती का निर्णय

प्रश्न 1.
अधिकारों के घोषणा-पत्र से क्या आशय है?
उत्तर:
संविधान द्वारा प्रदान किये गये और संरक्षित अधिकारों की सूची को अधिकारों का घोषणा-पत्र कहते हैं।

प्रश्न 2.
अधिकारों का घोषणा-पत्र क्या भूमिका निभाता है?
उत्तर:
अधिकारों का घोषणा-पत्र सरकार को नागरिकों के अधिकारों के विरुद्ध काम करने से रोकता है और उनका उल्लंघन हो जाने पर उपचार सुनिश्चित करता है।

प्रश्न 3.
संविधान नागरिकों के अधिकारों को किससे संरक्षित करता है?
उत्तर:
संविधान नागरिक के अधिकारों को किसी अन्य व्यक्ति, निजी संगठन तथा सरकार के विभिन्न अंगों से संरक्षित करता है।

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प्रश्न 4.
भारत के संविधान में मौलिक अधिकारों की संज्ञा किसे दी गई है?
उत्तर:
भारत के संविधान में उन अधिकारों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें सुरक्षा देनी थी । इन्हीं सूचीबद्ध अधिकारों को मौलिक अधिकारों की संज्ञा दी गई है।

प्रश्न 5.
सरकार के कार्यों से मौलिक अधिकारों के हनन को रोकने के उत्तरदायित्व को न्यायपालिका किस प्रकार निभाती है?
उत्तर:
विधायिका या कार्यपालिका के किसी कार्य से या किसी निर्णय से यदि मौलिक अधिकारों का हनन होता है तो न्यायपालिका उसे अवैध घोषित कर सकती है।

प्रश्न 6.
क्या मौलिक अधिकार निरंकुश या असीमित अधिकार हैं?
उत्तर:
नहीं, मौलिक अधिकार निरंकुश या असीमित अधिकार नहीं हैं। सरकार मौलिक अधिकारों के प्रयोग पर औचित्यपूर्ण प्रतिबन्ध लगा सकती है।

प्रश्न 7.
स्वतन्त्रता के अधिकार से क्या आशय है?
उत्तर:
स्वतन्त्रता के अधिकार से आशय है बिना किसी अन्य की स्वतन्त्रता को नुकसान पहुँचाये और बिना कानून व्यवस्था को ठेस पहुँचाये प्रत्येक व्यक्ति अपनी चिन्तन, अभिव्यक्ति एवं कार्य करने की स्वतन्त्रता का आनन्द ले सके।

प्रश्न 8.
निवारक नजरबन्दी किसे कहते है?
उत्तर:
जब किसी व्यक्ति को, इस आशंका पर कि वह कोई गैर-कानूनी कार्य करने वाला है, गिरफ्तार कर वर्णित प्रक्रिया का पालन किये बिना कुछ समय के लिए जेल भेज दिया जाता है तो इसे निवारक नजरबन्दी कहते हैं।

प्रश्न 9.
प्रत्यक्ष रूप से निवारक नजरबन्दी सरकार का किनसे निपटने का एक हथियार है?
उत्तर:
प्रत्यक्ष रूप से निवारक नजरबन्दी सरकार के हाथ में असामाजिक तत्त्वों और राष्ट्र-विरोधी तत्त्वों से निपटने का एक हथियार है।

प्रश्न 10.
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर किस आधार पर प्रतिबन्ध लगाये जा सकते हैं?
उत्तर:
भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर कानून व्यवस्था, शान्ति और नैतिकता के आधार पर प्रतिबन्ध लगाये जा सकते हैं।

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प्रश्न 11.
धार्मिक स्वतन्त्रता के मौलिक अधिकार पर सरकार किन आधारों पर प्रतिबन्ध लगा सकती है?
उत्तर:
सरकार लोक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के आधार पर धार्मिक स्वतन्त्रता के मौलिक अधिकार पर प्रतिबन्ध लगा सकती है।

प्रश्न 12.
अल्पसंख्यक किसे कहते हैं?
उत्तर:
अल्पसंख्यक वह समूह है जिसकी अपनी एक भाषा या धर्म होता है और देश के किसी एक भाग में या पूरे देश में संख्या के आधार पर वह अन्य समूह से छोटा होता है।

प्रश्न 13.
संपत्ति के अधिकार को किस अनुच्छेद के अन्तर्गत एक सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया गया है?
उत्तर:
संपत्ति के अधिकार को अनुच्छेद 300 (क) के अन्तर्गत एक सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया गया है।

प्रश्न 14.
संवैधानिक उपचारों का अधिकार क्या है?
उत्तर:
संवैधानिक उपचारों का अधिकार वह साधन है जिसके द्वारा मौलिक अधिकारों को व्यवहार में लाया जा सकता है और उल्लंघन होने पर उनकी रक्षा की जा सकती है।

प्रश्न 15.
मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय कौन – कौनसे आदेश जारी कर सकते हैं?
उत्तर:
मूल अधिकारों की रक्षा के सन्दर्भ में सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय पाँच प्रकार के आदेश जारी कर सकते हैं। ये हैं।

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण,
  2. परमादेश,
  3. निषेध आदेश,
  4. अधिकार पृच्छा तथा
  5.  उत्प्रेषण

प्रश्न 16.
भारत में मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय के अतिरिक्त अन्य किन-किन संरचनाओं का भी निर्माण किया गया है?
उत्तर:
मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका के अलावा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग आदि संरचनाओं का निर्माण किया गया है।

प्रश्न 17.
राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व क्या हैं?
उत्तर:
संविधान निर्माताओं ने देश में सामाजिक और आर्थिक समानता व स्वतन्त्रता की स्थापना के लिए संविधान में सरकार के लिए कुछ नीतिगत निर्देशों का प्रावधान किया है, जो वाद – योग्य नहीं हैं। इन्हीं को राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व कहा जाता है।

प्रश्न 18.
नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू करने के प्रयास में कौनसी योजनाएँ क्रियान्वित की गई हैं? किन्हीं दो योजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू करना।
  2. रोजगार गारण्टी योजना के अन्तर्गत काम क सीमित अधिकार प्रदान करना।

प्रश्न 19.
भारत के संविधान में लिखे किसी एक नीति-निर्देशक सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
महिला व पुरुष दोनों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाये।

प्रश्न 20.
शिक्षा के अधिकार से संबंधित संशोधन का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
शिक्षा के अधिकार के संशोधन का यह महत्त्व है कि जिन बच्चों को किन्हीं अभावों के कारण शिक्षा नहीं मिल पा रही थी, वह अब मिल पा रही है।

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प्रश्न 21.
मौलिक अधिकारों में संशोधन किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
मौलिक अधिकारों में संशोधन भारतीय संसद के द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 22.
भारतीय संविधान में कौनसे संविधान संशोधन के द्वारा नागरिकों के कितने मौलिक कर्त्तव्यों का समावेश किया गया है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में 42वें संविधान संशोधन, 1976 के द्वारा नागरिकों के दस मौलिक कर्त्तव्यों का समावेश किया गया है।

प्रश्न 23.
महाराष्ट्र के किस समाज-सुधारक की रचनाओं में इस बात की झलक मिलती है कि अधिकारों में स्वतन्त्रता और समानता दोनों ही निहित हैं?
उत्तर:
महाराष्ट्र के क्रान्तिकारी समाज-सुधारक ज्योतिबा राव फुले की रचनाओं में हमें इस बात की झलक दिखाई देती है कि अधिकारों में स्वतन्त्रता और समानता दोनों ही निहित हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“मौलिक अधिकार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। ” सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
मौलिक अधिकार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। इसीलिए उन्हें संविधान में सूचीबद्ध किया गया है और उनकी सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान बनाये गये हैं। सके वे अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं इसलिए संविधान स्वयं यह सुनिश्चित करता है कि सरकार भी उनका उल्लंघन न कर

प्रश्न 2.
मौलिक अधिकार और साधारण अधिकारों में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
मौलिक अधिकार और साधारण अधिकारों में अन्तर।

  1. जहाँ साधारण अधिकारों को सुरक्षा देने और लागू करने के लिए साधारण कानूनों का सहारा लिया जाता है, वहाँ मौलिक अधिकारों की गारण्टी और उनकी सुरक्षा स्वयं संविधान करता है।
  2. सामान्य अधिकारों को संसद कानून बनाकर परिवर्तित कर सकती है लेकिन मौलिक अधिकारों में परिवर्तन के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ता है।

प्रश्न 3.
संविधान नागरिकों के अधिकारों को किससे संरक्षित करता है?
उत्तर:
संविधान नागरिकों के अधिकारों को किसी अन्य व्यक्ति या निजी संगठन तथा सरकार के विभिन्न अंगों से संरक्षित करता है। यथा

  1. किसी अन्य व्यक्ति या निजी संगठन से संरक्षण: नागरिक के अधिकारों को किसी अन्य व्यक्ति या निजी संगठन से खतरा हो सकता है। ऐसी स्थिति में संविधान व्यक्ति के अधिकारों को सरकार द्वारा सुरक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करता है। इसके लिए यह आवश्यक है कि सरकार व्यक्ति के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हो।
  2. सरकार से संरक्षण: सरकार के अंग विधायिका, कार्यपालिका, नौकरशाही अपने कार्यों के सम्पादन में व्यक्ति के अधिकारों का हनन कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में न्यायपालिका व्यक्ति के अधिकारों को संरक्षित करती है।

प्रश्न 4.
भारत में न्यायपालिका सरकार के कार्यों से व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का संरक्षण किस प्रकार करती है?
उत्तर:
भारत में सरकार के कार्यों से मौलिक अधिकारों के हनन को रोकने की शक्ति और इसका उत्तरदायित्व न्यायपालिका के पास है। विधायिका या कार्यपालिका के किसी निर्णय या कार्य से यदि मौलिक अधिकारों का हनन होता है या उन पर अनुचित प्रतिबन्ध लगाया जाता है, तो न्यायपालिका उसे अवैध घोषित कर सकती है।

प्रश्न 5.
समता के अधिकार में कौन-कौनसे अधिकार सम्मिलित हैं?
उत्तर:
समता के अधिकार में निम्न अधिकार सम्मिलित हैं।

  1. कानून के समक्ष समानता
  2. कानून का समान संरक्षण
  3. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध
  4. दुकानों, होटलों, कुओं, तालाबों, स्नानघरों, सड़कों आदि में प्रवेश की समानता
  5. रोजगार में अवसर की समानता
  6. छूआछूत का अन्त
  7. उपाधियों का अन्त आदि।

प्रश्न 6.
अवसर की समानता के मौलिक अधिकार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संविधान के अनुच्छेद 16 में कहा गया है कि सरकारी नियुक्तियों के लिए सभी नागरिकों को समान अवसर दिये जायेंगे। कोई भी नागरिक धर्म, वंश, जाति, जन्म-स्थान या निवास-स्थान के आधार पर सरकारी नियुक्तियों के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जायेगा। अनुच्छेद 16 के दो अपवाद हैं।

  • कुछ विशेष पदों के लिए निवास स्थान सम्बन्धी शर्तें आवश्यक मानी जा सकती हैं।
  • सरकार बच्चों, महिलाओं तथा सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में स्थान आरक्षित कर सकती है।

आरक्षण जैसी नीति को समानता के अधिकार के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जा सकता, बल्कि संविधान की भावना के अनुसार ‘अवसर की समानता’ के अधिकार को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है।

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प्रश्न 7.
न्यायालय में निष्पक्ष मुकदमे के लिए संविधान अभियुक्त के किन अधिकारों की व्यवस्था करता है?
उत्तर:
आरोपी या अभियुक्त के अधिकार; न्यायालय में निष्पक्ष मुकदमे के लिए संविधान आरोपी के तीन अधिकारों की व्यवस्था करता है।

  1. किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से ज्यादा सजा नहीं मिलेगी।
  2. कोई भी कानून किसी भी ऐसे कार्य को जो उक्त कानून के लागू होने के पहले किया गया हो अपराध घोषित नहीं कर सकता।
  3. किसी भी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्ष्य देने के लिए नहीं कहा जा सकेगा।

प्रश्न 8.
धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार को लोकतन्त्र का प्रतीक क्यों माना जाता है?
उत्तर:
धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार को लोकतन्त्र का प्रतीक माना जाता है क्योंकि इतिहास गवाह है कि दुनिया के अनेक देशों के शासकों और राजाओं ने अपने-अपने देश की जनता को धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार नहीं दिया । शासकों से अलग धर्म मानने वाले लोगों को या तो मार डाला गया या विवश किया गया कि वे शासकों द्वारा मान्य धर्म को स्वीकार कर लें। अतः लोकतन्त्र में अपनी इच्छा के अनुसार धर्म – पालन की स्वतन्त्रता को हमेशा एक बुनियादी सिद्धान्त के रूप में स्वीकार किया गया है।

प्रश्न 9.
नागरिक के दो धार्मिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. धार्मिक विश्वास का अधिकार: भारत में प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म चुनने और उसका पालन करने का अधिकार है। धार्मिक स्वतन्त्रता में अन्तःकरण की स्वतन्त्रता भी समाहित है।
  2. धार्मिक प्रचार का अधिकार: प्रत्येक धर्म के मानने वालों को अपने धर्म का प्रचार करने का समान अधिकार है।

प्रश्न 10.
धार्मिक स्वतन्त्रता पर सरकार किन-किन आधारों पर प्रतिबन्ध लगा सकती है?
उत्तर:
धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार निरपेक्ष नहीं है। इस पर कुछ प्रतिबन्ध भी हैं।

  1. लोक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के आधार पर सरकार धार्मिक स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध लगा सकती है।
  2. कुछ सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए सरकार धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है, जैसेसती-प्रथा और मानव-बलि जैसी कप्रथाओं पर सरकार ने प्रतिबन्ध के लिए अनेक कदम उठाये हैं।

प्रश्न 11.
“नीति-निर्देशक तत्त्व वाद – योग्य नहीं हैं।” इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
“नीति-निर्देशक तत्त्व वाद-योग्य नहीं हैं।” इस कथन का आशय यह है कि संविधान में नीति-निर्देशक तत्त्वों का समावेश तो किया गया है लेकिन उन्हें न्यायालय के माध्यम से लागू करवाने की व्यवस्था नहीं की गई है। यदि सरकार किसी निर्देश को लागू नहीं करती तो हम न्यायालय में जाकर यह माँग नहीं कर सकते कि उसे लागू करने के लिए न्यायालय सरकार को आदेश दे।

प्रश्न 12.
नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू किये जाने के सम्बन्ध में संविधान निर्माताओं की क्या मान्यता थी?
उत्तर:
नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू किये जाने के सम्बन्ध में संविधान निर्माताओं की मान्यता थी कि।

  1. इन निर्देशक तत्त्वों के पीछे जो नैतिक शक्ति है, वह सरकार को बाध्य करेगी कि सरकार इन्हें गम्भीरता से ले।
  2. जनता इन निर्देशक तत्त्वों को लागू करने की जिम्मेदारी भावी सरकारों पर डालेगी।

प्रश्न 13.
नीति-निर्देशक तत्त्वों की सूची में प्रमुख बातें क्या हैं?
उत्तर:
नीति-निर्देशक तत्त्वों की सूची में तीन बातें प्रमुख हैं।

  1. वे लक्ष्य और उद्देश्य जो एक समाज के रूप में हमें स्वीकार करने चाहिए।
  2. वे अधिकार जो नागरिकों को मौलिक अधिकारों के अलावा मिलने चाहिए।
  3. वे नीतियाँ जिन्हें सरकार को स्वीकार करनी चाहिए।

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प्रश्न 14.
क्या संविधान में मौलिक कर्तव्यों के समावेश से हमारे मौलिक अधिकारों पर कोई प्रतिकूल असर पड़ा है?
उत्तर:
संविधान मौलिक कर्त्तव्यों के अनुपालन के आधार पर या उनकी शर्त पर हमें मौलिक अधिकार नहीं देता । इस दृष्टि से संविधान में मौलिक कर्त्तव्यों के समावेश से हमारे मौलिक अधिकारों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है।

प्रश्न 15.
नीति-निर्देशक तत्त्वों के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नीति-निर्देशक तत्त्वों के प्रमुख उद्देश्य ये हैं।

  1. लोगों का कल्याण तथा आर्थिक-सामाजिक न्याय की स्थापना।
  2. लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठाना तथा संसाधनों का समान वितरण करना।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति को बढ़ावा देना।

प्रश्न 16.
अल्पसंख्यक किसे कहा गया है? भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के किन्हीं दो अधिकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अल्पसंख्यक से आशय अल्पसंख्यक वह समूह है जिनकी अपनी एक भाषा या धर्म होता है और देश के किसी एक भाग में या पूरे देश में संख्या के आधार पर वह किसी अन्य समूह से छोटा है। भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के अधिकार

  1. अल्पसंख्यक समूहों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को सुरक्षित रखने और उसे विकसित करने का अधिकार है।
  2. भाषायी या धार्मिक अल्पसंख्यक अपने शिक्षण संस्थान खोल सकते हैं। ऐसा करके वे अपनी संस्कृति को सुरक्षित और विकसित कर सकते हैं। शिक्षण संस्थाओं को वित्तीय अनुदान देने के मामले में सरकार इस आधार पर भेदभाव नहीं करेगी कि उस शिक्षण संस्थान का प्रबन्ध किसी अल्पसंख्यक समुदाय के हाथ में है।

प्रश्न 17.
नीति-निर्देशक तत्त्व और मौलिक अधिकारों में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
नीति-निर्देशक तत्त्व और मौलिक अधिकारों में सम्बन्ध – मौलिक अधिकार और नीति-निर्देशक तत्त्व एक-दूसरे के पूरक हैं। यथा।

  1. जहाँ मौलिक अधिकार सरकार के कुछ कार्यों पर प्रतिबन्ध लगाते हैं, वहीं नीति-निर्देशक तत्त्व उसे कुछ कार्यों को करने की प्रेरणा देते हैं।
  2. मौलिक अधिकार खास तौर से व्यक्ति के अधिकारों को संरक्षित करते हैं, वहाँ नीति-निर्देशक तत्त्व पूरे समाज के हित की बात करते हैं।
  3. कभी-कभी सरकार जब नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू करने का प्रयास करती है, तो वे नागरिकों के मौलिक अधिकारों से टकरा भी सकते हैं।
  4. मौलिक अधिकार वे अधिकार हैं जो संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त व संरक्षित किये गये हैं, जबकि नीति-निर्देशक तत्त्व वे अधिकार हैं जो नागरिकों को मौलिक अधिकारों के अलावा मिलने चाहिए।

प्रश्न 18.
नीति-निर्देशक तत्त्वों में ऐसे कौनसे अधिकार दिये गये हैं जिनके लिए न्यायालय में दावा नहीं किया जा सकता?
उत्तर:
राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों में निम्नलिखित अधिकार दिये गये हैं जिनके लिए न्यायालय में दावा नहीं किया जा सकता।

  1. पर्याप्त जीवन-यापन का अधिकार।
  2. महिलाओं और पुरुषों को समान काम के लिए समान मजदूरी का अधिकार।
  3. आर्थिक शोषण के विरुद्ध अधिकार।
  4. काम का अधिकार।
  5. बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।

प्रश्न 19.
भारत में नीति-निर्देशक तत्त्वों के नागरिकों के मौलिक अधिकारों से टकराने का मूल कारण क्या रहा तथा इसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
भारत में मौलिक अधिकारों और नीति-निर्देशक तत्त्वों के बीच टकराहट का एक महत्त्वपूर्ण कारण- सम्पत्ति का मूल अधिकार रहा। यह समस्या तब पैदा हुई जब सरकार ने जमींदारी उन्मूलन कानून बनाने का फैसला किया। इसका विरोध इस आधार पर किया गया कि उससे सम्पत्ति के मूल अधिकार का हनन होता है। लेकिन यह सोचकर कि सामाजिक आवश्यकताएँ वैयक्तिक हित के ऊपर हैं, सरकार ने नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू करने के लिए संविधान का संशोधन किया। इससे एक लम्बी कानूनी लड़ाई शुरू हुई। कार्यपालिका और न्यायपालिका ने इस पर परस्पर विरोधी दृष्टिकोण अपनाया। यथा

  1. कार्यपालिका की मान्यता थी कि नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू करने के लिए मौलिक अधिकारों पर प्रतिबन्ध लगाये जा सकते हैं क्योंकि लोक-कल्याण के मार्ग में अधिकार बाधक हैं।
  2. न्यायपालिका की यह मान्यता थी कि मौलिक अधिकार इतने महत्त्वपूर्ण और पावन हैं कि नीति-निर्देशक तत्त्वों को लागू करने के लिए उन्हें प्रतिबन्धित नहीं किया जा सकता।

इसने एक और विवाद को जन्म दिया कि संसद संविधान के किस अंश या प्रावधान में संशोधन कर सकती है और किसमें नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानन्द भारती वाद में इस प्रश्न का निपटारा यह निर्णय करके दिया कि संसद संविधान के ‘मूल ढाँचे’ में कोई संशोधन नहीं कर सकती तथा सम्पत्ति का अधिकार संसद के मूल ढाँचे का तत्त्व नहीं है। अतः संसद इसमें संशोधन कर सकती है। परिणामतः 1978 में 44वें संविधान संशोधन द्वारा संसद ने सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से निकाल दिया।

प्रश्न 20.
नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों का संविधान में कब समावेश किया गया? ये कर्त्तव्य कितने हैं? चार प्रमुख कर्त्तव्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्य वर्ष 1976 में संविधान का 42वाँ संशोधन किया गया जिसमें अन्य प्रावधानों के साथ-साथ संविधान में नागरिकों के दस कर्त्तव्यों की एक सूची का समावेश किया गया। लेकिन इन्हें लागू करने के सम्बन्ध में संविधान मौन है। प्रमुख कर्त्तव्य – नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों की सूची में चार प्रमुख कर्त्तव्य निम्नलिखित हैं।

  1. नागरिक के रूप में हमें अपने संविधान का पालन करना चाहिए।
  2. सभी नागरिकों को देश की रक्षा करनी चाहिए।
  3. सभी नागरिकों में भाईचारा बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए।
  4. सभी नागरिकों को पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।

प्रश्न 21.
भारतीय संविधान में वर्णित शोषण के विरुद्ध अधिकार का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
शोषण के विरुद्ध अधिकार शोषण के विरुद्ध अधिकार का उद्देश्य है। समाज के निर्बल वर्ग को शक्तिशाली वर्ग के शोषण से बचना। इसमें निम्न प्रावधान हैं।

  1. मानव के क्रय-विक्रय तथा शोषण पर प्रतिबन्ध संविधान के अनुच्छेद 23 में दास के रूप में मानव के क्रय-विक्रय तथा किसी भी व्यक्ति से बेगार लेना गैर-कानूनी घोषित किया गया है। शोषण से मनाही के बावजूद देश में अभी भी बंधुआ मजदूरी के रूप में आज भी शोषण किया जा रहा है। अब इसे अपराध घोषित कर दिया गया है और यह कानूनी दण्डनीय अपराध है।
  2. कारखानों आदि में बच्चों को काम करने की मनाही – संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी कारखाने, खदान या अन्य किसी खतरनाक काम में नियोजित नहीं किया जायेगा। बाल-श्रम को अवैध बनाकर और शिक्षा को बच्चों का मौलिक अधिकार बनाकर ‘शोषण के विरुद्ध संवैधानिक अधिकार’ को और अर्थपूर्ण बनाया गया है।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

प्रश्न 22.
शिक्षा और संस्कृति से सम्बन्धित कौनसे अधिकार भारतीय नागरिकों को प्रदान किये गये हैं?
उत्तर:
संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 तथा 30 में इन अधिकारों का वर्णन है। इन अधिकारों को संविधान में स्थान देकर अल्पसंख्यकों के अधिकारों को भी स्पष्ट किया गया है। यथा

  1. भारत के नागरिकों को अपनी भाषा, लिपि या संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार है।
  2. धर्म, वंश, जाति, भाषा अथवा इनमें से किसी एक के आधार पर किसी भी नागरिक को किसी राजकीय संस्था या राजकीय सहायता प्राप्त संस्था में प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता।
  3. अल्पसंख्यकों को अपनी इच्छानुसार स्कूल, कॉलेज खोलने का अधिकार होगा। इस प्रकार की संस्थाओं को अनुदान देने में राज्य कोई भेदभाव नहीं करेगा।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान में दिये गए स्वतन्त्रता के अधिकार का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता का अधिकार भारतीय संविधान में अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक नागरिकों को प्रदत्त स्वतन्त्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है। यथा (अ) नागरिक स्वतन्त्रताएँ ( अनुच्छेद 19 ) – 44वें संविधान संशोधन के पश्चात् अनुच्छेद 19 में भारतीय नागरिकों को निम्नलिखित छः स्वतन्त्रताएँ प्रदान की गई हैं।

1. भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता: नागरिकों को भाषण, लेख, चलचित्र अथवा अन्य किसी माध्यम से अपने विचारों को प्रकट करने की स्वतन्त्रता प्रदान की गई है। समाचार-पत्रों को संसद, विधानमण्डलों की कार्यवाही प्रकाशित करने की पूर्ण स्वतन्त्रता होगी। परन्तु राज्य देश की अखण्डता, सुरक्षा, शान्ति, नैतिकता, न्यायालयों के सम्मान तथा विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को ध्यान में रखते हुए इन अधिकारों पर उचित प्रतिबन्ध लगा सकता है।

2. शान्तिपूर्ण ढंग से जमा होने और सभा करने की स्वतन्त्रता: नागरिकों को शान्तिपूर्वक एकत्र होने की स्वतन्त्रता है। लेकिन सुरक्षा और शान्ति की दृष्टि से इस अधिकार पर भी राज्य द्वारा उचित प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है।

3. संगठित होने की स्वतन्त्रता: नागरिकों को संस्था व संघ बनाने की पूर्ण स्वतन्त्रता है परन्तु उसका उद्देश्य सुरक्षा व शान्ति को खतरा पहुँचाना न हो।

4. भ्रमण की स्वतन्त्रता: नागरिकों को देश की सीमाओं के भीतर कहीं भी आने-जाने की स्वतन्त्रता है परन्तु सार्वजनिक हित तथा जनजातियों की रक्षा के लिए सरकार इस स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध लगा सकती है।

5. देश के किसी भी भाग में बसने और रहने की स्वतन्त्रता: नागरिकों को देश के किसी भाग में निवास करने और बस जाने की स्वतन्त्रता है परन्तु सार्वजनिक हित और जनजातियों की रक्षा के लिए इस पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है।

6. कोई भी पेशा चुनने तथा व्यापार करने की स्वतन्त्रता: नागरिकों को अपना कोई भी व्यवसाय करने की स्वतन्त्रता दी गई है लेकिन सार्वजनिक हित में इस पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है। दूसरे, किसी भी व्यवसाय के लिए कुछ व्यावसायिक योग्यताएँ निर्धारित की जा सकती हैं। तीसरे, राज्य को स्वयं या किसी सरकारी कम्पनी द्वारा किसी भी व्यापार या धन्धे को अपने हाथों में ले लेने का अधिकार है।

(ब) व्यक्तिगत स्वतन्त्रता: अनुच्छेद 20-21 में व्यक्तिगत स्वतन्त्रता प्रदान की गई है। जब तक न्यायालय किसी व्यक्ति को किसी अपराध का दोषी नहीं ठहराता तब तक उसे दोषी नहीं माना जा सकता । यह भी जरूरी है कि किसी अपराध के आरोपी को स्वयं को बचाने का समुचित अवसर मिले। न्यायालय में निष्पक्ष मुकदमे के लिए संविधान निम्न अधिकारों की व्यवस्था करता है।

(क) किसी भी व्यक्ति को किसी ऐसे कानून का उल्लंघन करने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता जो अपराध करते समय लागू न हो।

(ख) किसी व्यक्ति को उससे अधिक दण्ड नहीं दिया जा सकता जो उस कानून के लिए उल्लंघन करते समय निश्चित हो।

(ग) किसी भी व्यक्ति पर एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक न तो मुकदमा चलाया जा सकता है और न ही दोबारा दण्डित किया जा सकता है।

(घ) किसी भी व्यक्ति को अपने विरुद्ध किसी अपराध में गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। संविधान में जीवन तथा निजी स्वतन्त्रता की रक्षा की व्यवस्था की गई है। यथा

किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त अन्य किसी तरीके से जीवन अथवा निजी स्वतन्त्रता से वंचित नहीं किया जा सकता। गिरफ्तार किये जाने पर उस व्यक्ति को अपने पसन्दीदा वकील के माध्यम से अपना बचाव करने का अधिकार है। इसके अलावा, पुलिस के लिए यह आवश्यक है कि वह अभियुक्त को 24 घण्टे के अन्दर निकटतम न्यायाधीश के सामने पेश करे। न्यायाधीश ही इस बात का निर्णय करेगा कि गिरफ्तारी उचित है या नहीं।

इस अधिकार द्वारा किसी व्यक्ति के जीवन को मनमाने ढंग से समाप्त करने के विरुद्ध ही गारण्टी नहीं मिलती बल्कि इसका दायरा और भी व्यापक है। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले अनेक निर्णयों द्वारा इस अधिकार का दायरा बढ़ाया है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुसार इसमें शोषण से मुक्त और मानवीय गरिमा से पूर्ण जीवन जीने का अधिकार अन्तर्निहित है।

न्यायालय ने माना है कि ‘जीवन के अधिकार’ का अर्थ है व्यक्ति को आश्रय और आजीविका का भी अधिकार हो क्योंकि इसके बिना कोई व्यक्ति जिन्दा नहीं रह सकता। अनुच्छेद 20 तथा 21 में प्राप्त अधिकारों को आपात स्थिति में भी निलम्बित नहीं किया जा सकता। (स) निवारक नजरबन्दी – यदि सरकार को लगे कि कोई व्यक्ति देश की कानून व्यवस्था या शान्ति और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है, तो वह उसे बन्दी बना सकती है।

लेकिन निवारक नजरबन्दी अधिकतम 3 महीने तक के लिए ही हो सकती है। तीन महीने के बाद ऐसे मामले समीक्षा के लिए एक सलाहकार बोर्ड के समक्ष लाए जाते हैं। प्रत्यक्ष रूप से निवारक नजरबन्दी सरकार के हाथ में असामाजिक तत्त्वों और राष्ट्र-विद्रोही तत्त्वों से निपटने का एक हथियार है। लेकिन सरकार ने प्राय: इसका दुरुपयोग किया है।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में दिये गये समानता के अधिकार की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
समानता का अधिकार भारतीय संविधान में समानता के अधिकार का वर्णन अनुच्छेद 14 से 18 तक किया गया है। यथा-
1. कानून के समक्ष समानता तथा कानून का समान संरक्षण- संविधान के अनु. 14 में कहा गया है कि ‘राज्य किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।” कानून की दृष्टि में सब व्यक्ति समान हैं।

2. भेदभाव का निषेध: अनुच्छेद 15 में भेदभाव का निषेध किया गया है। इसके अनुसार, “राज्य केवल धर्म, वंश, जाति, लिंग व जन्म स्थान या इनमें से किसी एक आधार पर किसी नागरिक को दुकानों, भोजनालयों, मनोरंजन की जगहों, तालाबों, पूजा स्थलों और कुओं का प्रयोग करने से वंचित नहीं कर सकेगा।” परन्तु महिलाओं और बच्चों को विशेष सुविधाएँ प्रदान की जा सकती हैं। अनुसूचित जातियों व जनजातियों के लिए राज्य विशेष प्रकार की व्यवस्था कर सकता है।

3. रोजगार में अवसर की समानता: अनुच्छेद 16 के अनुसार सरकारी सेवाओं पर नियुक्तियों के लिए सभी नागरिकों को समान अवसर दिये जायेंगे। कोई भी नागरिक धर्म, वंश, जाति, जन्म-स्थान या निवास स्थान के आधार पर सरकारी नियुक्तियों के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जायेगा। इस अनुच्छेद के कुछ अपवाद भी दिये गये हैं।

  • कुछ विशेष पदों के लिए निवास स्थान सम्बन्धी शर्तें आवश्यक मानी जा सकती हैं।
  • अनुच्छेद 16(4) के अनुसार, “इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में, जिनका प्रतिनिधित्व राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, नियुक्तियों या पदों के आरक्षण का प्रावधान करने से नहीं रोकेगी।”

इस प्रकार संविधान यह स्पष्ट करता है कि सरकार बच्चों, महिलाओं तथा सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की बेहतरी के लिए विशेष योजनाएँ या निर्णय लागू कर सकती है। वास्तव में संविधान अनुच्छेद 16 (4) की आरक्षण जैसी नीति को समानता के अधिकार के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जा सकता। संविधान की भावना के अनुसार तो यह ‘अवसर की समानता’ के अधिकार को पूरा करने के लिए आवश्यक है।

4. अस्पृश्यता की समाप्ति: संविधान के अनुच्छेद 17 में छुआछूत का अन्त कर दिया गया है। किसी भी रूप को बरतने की मनाही की गई है। इसे दण्डनीय अपराध बना दिया गया है।

5. उपाधियों का अन्त: अनुच्छेद 18 के अन्तर्गत यह व्यवस्था की गई है कि

  • केवल उन लोगों को छोड़कर जिन्होंने सेना या शिक्षा के क्षेत्र में गौरवपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है, राज्य किसी भी व्यक्ति को कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा।
  • भारत का नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा।
  • कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है, लेकिन वह भारत राज्य के अधीन किसी पद को धारण किये हुए है, तो वह इस पद को धारण करते हुए किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि राष्ट्रपति की सहमति के बिना स्वीकार नहीं करेगा।

प्रश्न 3.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार से क्या तात्पर्य है ? मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय कितने प्रकार के लेख जारी कर सकता है? इस अधिकार का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
संवैधानिक उपचारों का अधिकार ( अनुच्छेद 32): संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अनुसार प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार दिया गया है कि यदि उसे प्राप्त मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप किया जाये या छीना जाये, चाहे वह सरकार ही क्यों न हो, तो वह सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय से न्याय की माँग कर सकता है। विभिन्न प्रकार के लेख – म जारी कर सकते हैं। अधिकारों की रक्षा के लिए ये न्यायालय निम्न प्रकार के निर्देश, आदेश या लेख।
1. बंदी प्रत्यक्षीकरण: बन्दी प्रत्यक्षीकरण के द्वारा न्यायालय किसी गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने का आदेश देता है। यदि गिरफ्तारी का तरीका या कारण गैर-कानूनी या असन्तोषजनक हो, तो न्यायालय गिरफ्तार व्यक्ति को छोड़ने का आदेश दे सकता है।

2. परमादेश: यह आदेश तब जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता है कि कोई सार्वजनिक पदाधिकारी अपने कानूनी और संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है और इससे किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।

3. निषेध आदेश: जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करके किसी मुकदमे की सुनवाई करती है तो ऊपर की अदालतें ( उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय) निषेध आदेश के माध्यम से उसे ऐसा करने से रोकती हैं।

4. अधिकार पृच्छा: जब न्यायालय को लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसे पद पर नियुक्त हो गया है जिस पर उसका कोई कानूनी हक नहीं है, तब न्यायालय ‘अधिकार पृच्छा आदेश’ के द्वारा उसे उस पद पर कार्य करने से रोक देता है।

5. उत्प्रेषण लेख: जब कोई निचली अदालत या सरकारी अधिकारी बिना अधिकार के कोई कार्य करता है, तो न्यायालय उसके समक्ष विचाराधीन मामले को उससे लेकर उत्प्रेषण लेख द्वारा उसे ऊपर की अदालत या अधिकारी को हस्तान्तरित कर देता है।

संवैधानिक उपचारों के अधिकार का महत्त्व संविधान में संवैधानिक उपचारों के अधिकार द्वारा मौलिक अधिकारों की सुरक्षा प्रदान की गई है। इस अधिकार के बिना मौलिक अधिकार खोखले वायदे साबित होते । संविधान के अनुच्छेद 32 और अनुच्छेद 226 द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा का दायित्व सर्वोच्च न्यायालय तथा राज्य के उच्च न्यायालयों को सौंपा गया है। यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकार का हनन होता है तो वह उन न्यायालयों में प्रार्थना-पत्र देकर अपने अधिकार की रक्षा कर सकता है।

JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार

प्रश्न 4.
भारत में मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका के अतिरिक्त किन संरचनाओं का निर्माण किया गया है ? राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका के अलावा कुछ और संरचनाओं का भी निर्माण किया गया है। इनमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग प्रमुख हैं। ये संस्थाएँ क्रमशः अल्पसंख्यकों, महिलाओं, दलितों के अधिकारों तथा मानवाधिकारों की रक्षा करती हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग गठन-मौलिक अधिकारों और अन्य अधिकारों की रक्षा करने के लिए वर्ष 2000 में भारत सरकार ने कानून द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में सर्वोच्च न्यायालय का एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश, किसी उच्च न्यायालय का एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश तथा मानवाधिकारों के सम्बन्ध में ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले दो और सदस्य होते हैं। कार्यक्षेत्र मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतें मिलने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग स्वयं अपनी पहल या किसी पीड़ित व्यक्ति की याचिका पर जाँच कर सकता है। जेलों में बन्दियों की स्थिति का अध्ययन कर सकता है; मानवाधिकार के क्षेत्र में शोध कर सकता है या शोध को प्रोत्साहन कर सकता है।

प्राप्त शिकायतों का स्वरूप: आयोग को प्रतिवर्ष हजारों शिकायतें मिलती हैं। इनमें से अधिकतर हिरासत में मृत्यु, हिरासत के दौरान बलात्कार, लोगों के गायब होने, पुलिस की ज्यादतियों, कार्यवाही न किये जाने, महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार आदि से सम्बन्धित होती हैं। आयोग को स्वयं मुकदमा सुनने का अधिकार नहीं है। यह सरकार या न्यायालय को अपनी जाँच के आधार पर मुकदमे चलाने की सिफारिश कर सकता है।