JAC Class 10 Social Science Notes Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग

JAC Board Class 10th Social Science Notes Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग

पाठ सारांश

  • कच्ची सामग्री को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण या वस्तु निर्माण कहा जाता है। द्वितीयक आर्थिक क्रियाकलापों में कार्यरत व्यक्ति कच्चे पदार्थ को परिष्कृत वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं।
  • किसी भी देश की आर्थिक उन्नति का मापन उसके विनिर्माण उद्योगों के विकास से किया जाता है। विनिर्माण उद्योग कृषि के आधुनिकीकरण के साथ-साथ द्वितीयक एवं तृतीयक सेवाओं में रोजगार उपलब्ध कराकर कृषि पर निर्भरता को कम करते हैं।
  • कृषि एवं उद्योग एक-दूसरे से पृथक्-पृथक् न होकर वरन् एक-दूसरे के सम्पूरक हैं।
  • पिछले दो दशकों से विनिर्माण उद्योग का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 17 प्रतिशत का योगदान है।
  • वैश्वीकरण के दौर में हमारे देश के उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्धी एवं सक्षम बनाने की आवश्यकता है।
  • विनिर्माण क्षेत्र का विकास करने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धा परिषद् की स्थापना की। किसी भी उद्योग की स्थापना कच्चे माल, पूँजी, श्रम, शक्ति के संसाधन एवं बाजार आदि की उपलब्धता से प्रभावित होती है।
  • नगरीय केन्द्रों द्वारा प्रदत्त सुविधाओं से लाभान्वित कई बार अनेक उद्योग नगरों के आस-पास ही केन्द्रित हो जाते हैं, जिसे समूहन बचत के नाम से जाना जाता है। न्यूनतम उत्पादन लागत द्वारा किसी उद्योग की अवस्थिति का निर्धारण किया जाता है। कच्चे माल के स्रोतों के आधार पर उद्योगों को दो भागों अर्थात् कृषि एवं खनिज आधारित में बाँटा जा सकता है।
  • आधारभूत उद्योगों की श्रेणी में लोहा इस्पात, ताँबा प्रगलन एवं ऐल्यूमिनियम प्रगलन उद्योग आदि आते हैं।
  • एक करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाले उद्योग वृहत उद्योग की श्रेणी में आते हैं।
  • राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से चलाए जाने वाले उद्योगों को संयुक्त उद्योगों की श्रेणी में रखा जाता है।
  • कृषि से प्राप्त कच्चे माल पर आधारित उद्योगों में सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, रेशम, पटसन, चीनी एवं वनस्पति तेल आदि प्रमुख हैं।
  • वस्त्र उद्योग का औद्योगिक उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान होने के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व है।
  • सूती वस्त्र उद्योग का सर्वाधिक केन्द्रीयकरण महाराष्ट्र, गुजरात एवं तमिलनाडु राज्यों में देखने को मिलता है।
  • भारत जापान को सूत का निर्यात करता है जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, रूस, फ्रांस, पूर्वी यूरोपीय देश, नेपाल सिंगापुर, श्रीलंका और अफ्रीका भारत में बने सूती वस्त्र के अन्य आयातक देश हैं।
  • भारत पटसन एवं पटसन निर्मित सामान का सबसे बड़ा उत्पादक तथा बांग्लादेश के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
  • भारत का अधिकांश पटसन (जूट) उद्योग पश्चिम बंगाल में हुगली नदी तट पर 98 किमी. लम्बी एवं 3 किमी चौड़ी एक सँकरी पट्टी में केन्द्रित है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, घाना, सऊदी अरब, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया पटसन के प्रमुख खरीददार देश है।

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  • भारत का चीनी उत्पादन में विश्व में द्वितीय स्थान है, लेकिन गुड़ व खांडसारी के उत्पादन में प्रथम स्थान है।
  • अधिकांश चीनी मिलें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा एवं मध्य प्रदेश राज्यों में स्थित हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में 60 प्रतिशत चीनी मिलें हैं।
  • खनिज एवं धातुओं को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करने वाले उद्योगों को खनिज आधारित उद्योग कहा जाता है।
  • लौह-इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है। इस उद्योग की स्थापना मुख्यतया कच्चे माल की प्राप्ति स्थानों पर ही होती है।
  • वर्ष 2019 में भारत का विश्व में कच्चा इस्पात उत्पादकों में दूसरा एवं स्पंज लौह उत्पादन में प्रथम स्थान था।
  • वर्ष 2019 में भारत में प्रतिवर्ष प्रतिव्यक्ति इस्पात खपत केवल 74.3 किलोग्राम थी जबकि इसी समय विश्व में प्रतिव्यक्ति औसत खपत 229.3 किलोग्राम थी।
  • चीन विश्व में इस्पात का सबसे बड़ा उत्पादक तथा सर्वाधिक खपत वाला देश है।
  • ऐल्यूमिनियम प्रगलन भारत में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण धातु शोधन उद्योग है। यहाँ ओडिशा, पश्चिम बंगाल, केरल, उत्तर  प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु राज्यों में ऐल्यूमिनियम प्रगलन संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
  • ऐल्यूमिनियम प्रगलन संयंत्रों में बॉक्साइट का कच्चे पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • भारत में रसायन उद्योग की सकल घरेलू उत्पाद में भागीदारी लगभग 3 प्रतिशत है।
  • भारत में कार्बनिक एवं अकार्बनिक दोनों प्रकार के रसायन निर्मित किये जा रहे हैं।
  • उर्वरक उद्योग नाइट्रोजनी उर्वरक (विशेषतः यूरिया), फास्फेटिक उर्वरक (डी.ए.पी.) और अमोनियम फास्फेट तथा मिश्रित उर्वरक के उत्पादन क्षेत्रों के आस-पास केन्द्रित हैं।
  • भारत में होने वाले कुल उर्वरक उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत उत्पादन गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा केरल राज्यों में होता है।
  • भारत का पहल सीमेंट उद्योग सन् 1904 में चेन्नई में स्थापित किया गया था।
  • भारत में मोटरगाड़ी उद्योग का विकास दिल्ली, गुड़गाँव, मुम्बई, पुणे, चेन्नई, लखनऊ, कोलकाता, हैदराबाद, इंदौर, बंगलुरु एवं जमशेदपुर के आस-पास स्थित क्षेत्रों में हुआ है। बेंगलूरू को भारत की इलैक्ट्रॉनिक राजधानी’ के रूप में जाना जाता है।
  • भारत के इलेक्ट्रॉनिक सामान के प्रमुख उत्पादक केन्द्रों में मुम्बई, दिल्ली, हैदराबाद, पुणे, चेन्नई, कोलकाता एवं लखनऊ आदि हैं।
  • उद्योगों से चार प्रकार का प्रदूषण होता है-वायु, जल, भूमि तथा ध्वनि।
  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अपशिष्ट व परमाणु शक्ति उत्पादक कारखानों से कैंसर, जन्मजात विकार एवं अकाल प्रसव जैसी बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  • भारत में राष्ट्रीय ताप विद्युत कॉरपोरेशन विद्युत प्रदान करने वाला प्रमुख निगम है। यह निगम प्राकृतिक पर्यावरण एवं संसाधन जैसे-खनिज तेल, जल, गैस एवं ईंधन संरक्षण नीति का प्रबल समर्थक है तथा इन्हें ध्यान में रखकर ही विद्युत संयंत्रों की स्थापना करता है।

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→ प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली
1. उद्योग: मानव तकनीक द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का रूप बदलकर उन्हें अधिक उपयोगी बनाने की क्रिया को उद्योग कहते हैं।

2. विनिर्माण: कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण या वस्तु निर्माण कहा जाता है।

3. विनिर्माण उद्योग: प्राथमिक उत्पादों का मशीनों की सहायता से रूप बदलकर इनसे अधिक उपयोगी तैयार माल प्राप्त करने की क्रिया को विनिर्माण उद्योग कहा जाता है।

4. समूहन बचत: नगरीय केन्द्रों द्वारा दी गयी सुविधाओं के कारण बहुत-से उद्योग नगर केन्द्रों के समीप ही केन्द्रित हो जाते हैं। इनको समूहन बचत कहा जाता है।

5. कृषि आधारित उद्योग: वे उद्योग जिन्हें अपना कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, कृषि आधारित उद्योग कहलाते हैं।

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6. खनिज आधारित उद्योग: वे उद्योग जिन्हें अपना कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है, खनिज आधारित उद्योग कहलाते

7. आधारभूत उद्योग: वे उद्योग जिनके उत्पादन अथवा कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर रहते हैं, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं।

8. उपभोक्ता उद्योग: वे उद्योग जो मुख्यतालोगों के उपयोग की वस्तुएँ बनाते हैं, उपभोक्ता उद्योग कहलाते हैं।

9. वृहत उद्योग: वे उद्योग जिनमें निवेशित राशि एक करोड़ रुपये से अधिक है, वृहत उद्योग कहलाते हैं।

10. लघु उद्योग: वे उद्योग जिनमें निवेशित राशि एक करोड़ रुपये से कम है, लघु उद्योग कहलाते हैं।

11. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग: वे उद्योग जिनका स्वामित्व एवं प्रबंधन केन्द्र अथवा राज्य सरकार के किसी संगठन के पास होता है, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं।

12. निजी क्षेत्र के उद्योग: वे उद्योग जिनका स्वामित्व व प्रबन्धन कुछ व्यक्तियों, फर्म अथवा कम्पनी के पास होता है, निजी क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं।

13. संयुक्त उद्योग: वे उद्योग जो राज्य सरकार एवं निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से चलाये जाते हैं, संयुक्त उद्योग कहलाते हैं।

14. सहकारी उद्योग: वे उद्योग जिनका स्वामित्व एवं प्रबन्धन कच्चे माल के उत्पादकों, श्रमिकों अथवा दोनों के हाथों में होता है तथा उद्योग को चलाने के लिए सहकारी संस्था का गठन किया जाता है; सहकारी उद्योग कहलाते हैं।

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15. भारी उद्योग: वे उद्योग जो भारी कच्चे माल का प्रयोग कर भारी तैयार माल का निर्माण करते हैं, भारी उद्योग कहलाते हैं।

16. हल्के उद्योग: वे उद्योग जो कम भार वाले कच्चे माल का प्रयोग कर हल्के तैयार माल का उत्पादन करते हैं, हल्के उद्योग कहलाते हैं।

17. प्रगलक: अयस्क से धातु अलग करने के लिए प्रयोग की गयी गलन भट्टियों को प्रगलक कहते हैं।

18. सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क-वे संस्थान जो सॉफ्टवेयर विशेषताओं को एकल विंडो सेवा एवं उच्च आँकड़े संचार की सुविधा प्रदान करते हैं, सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क कहलाते हैं।

19. पर्याबरण निम्नीकरण: पर्यावरण की गुणवत्ता में कमी आ जाना, पर्यावरण निम्नीकरण कहलाता है।

20. औद्योगिकी अपशिष्ट-उद्योगों से निकलने वाला कचरा अथवा बचे पदार्थ, औद्योगिक अपशिष्ट कहलाता है।

21. ग्रामीण कृषि पृष्ठ प्रदेश-वह क्षेत्र जिससे किसी उद्योग को कृषि से कच्चा माल प्राप्त होता है, ग्रामीण कृषि पृष्ठ प्रदेश कहलाता है।

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