JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 7 भू-आकृतियाँ तथा उनका विकास

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न – दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो-
1. संसार के किस प्रदेश में पाताल तोड़ कुएं सबसे अधिक पाए जाते हैं?
(A) गुजरात ( भारत )
(B) क्वींसलैंड (आस्ट्रेलिया)
(C) यूक्रेन (रूस)
(D) ह्वांग – हो मैदान (चीन)।
उत्तर:
(B) क्वीसलैंड (आस्ट्रेलिया)।

2. निम्नलिखित में से कौन-सा कारक भौम जल स्तर को प्रभावित नहीं करता?
(A) वाष्पीकरण
(B) वर्षा
(C) चट्टानों की कठोरता
(D) चट्टानों की पारगम्यता।
उत्तर:
(D) चट्टानों की पारगम्यता।

3. कार्स्ट प्रदेशों में भूमिगत जल का कार्य अधिकतर किस क्रिया द्वारा होता है?
(A) अपरदन
(B) अपवाहन
(C) अपघर्षण
(D) घुलन।
उत्तर:
(D) घुलन।

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4. ओल्ड फेथफुल गाईज़र किस देश में स्थित है?
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका
(B) आइसलैंड
(C) न्यूज़ीलैंड
(D) ऑस्ट्रेलिया।
उत्तर:
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका।

5. विलयन रंध्र किस प्रकार के धरातल पर बनते हैं ?
(A) कार्स्ट प्रदेश में
(B) नदी घाटी में
(C) महासागरों में
उत्तर:
(A) कार्स्ट प्रदेश में।

6. ‘ग्रेट आर्टेजियन बेसिन’ स्थित है-
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका के येलोस्टोम पार्क में
(B) न्यूज़ीलैंड के उत्तरी द्वीप में
(C) ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के मध्य पूर्व भाग में
(D) आइसलैंड में।
उत्तर:
ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के मध्य पूर्व भाग में।

7. ओल्ड फेथफुल गीज़र पाया जाता है-
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका के येलोस्टोन पार्क में
(B) न्यूज़ीलैंड के उत्तरी द्वीप में
(C) ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के मध्य पूर्व भाग में
(D) आइसलैंड में।
उत्तर:
(C) ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के मध्य पूर्व भाग में।

8. हिमानी प्रदेशों में शृंग की रचना का मुख्य कारण क्या है?
(A) उत्थान क्रिया
(B) चारों ओर हिमसागर का बनना
(C) अपरदन
(D) अपक्षरण।
उत्तर:
(C) अपरदन।

9. गुम्बद आकार भाग से बहने वाली नदियों द्वारा किस प्रवाह की रचना होती है?
(A) युग्म आकृतिक प्रवाह
(B) समान्तर प्रवाह
(C) जलायित प्रवाह
(D) आरीय प्रवाह
उत्तर:
(D) आरीय प्रवाह।

10. नदी के मुहाने पर बनने वाली संकीर्ण तथा गहरी घाटी को क्या कहते हैं?
(A) डेल्टा
(B) ज्वार नदमुख
(C) मुहाना
(D) घाटी।
उत्तर:
(B) ज्वार नदमुख।

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11. गुफ़ाओं की रचना किस क्रिया द्वारा होती है?
(A) ऑक्सीकरण
(B) कार्बोनेटीकरण
(C) जल योजना
(D) घोलीकरण।
उत्तर:
(B) कार्बोनेटीकरण।

12. नदी के किस भाग में जल प्रपात की रचना होती है?
(A) ऊपरी भाग
(B) मध्य भाग
(C) निचला भाग
(D) मुहाना।
उत्तर:
(A) ऊपरी भाग।

13. स्थैतिक साधनों द्वारा चट्टानों का विघटन तथा अपघटन
(A) अपक्षय
(B) अपरदन
(C) निक्षेपण
(D) परिवहन।
उत्तर:
(A) अपक्षय।

14. कौन-सी अपवाह प्रणाली में महाखड्ड का निर्माण होता है?
(A) द्रुमाकृतिक
(B) पूर्ववर्ती
(C) अरीय
(D) जालीनुमा।
उत्तर:
(C) पूर्ववर्ती।

15. नदी के मध्य मार्ग में इसकी कौन-सी मुख्य विशेषता होती है?
(A) घाटी को गहरा करना
(B) डेल्टा का निर्माण
(C) घाटी को चौड़ा करना
(D) वितरकाओं का निर्माण।
उत्तर:
(C) घाटी को चौड़ा करना

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मुख्य भू-आकृतिक कारक कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. नदी
  2. हिमनदी
  3. वायु
  4. सागरीय तरंगें।

प्रश्न 2.
अपक्षय के दो मुख्य प्रकार बताओ।
उत्तर:
भौतिक तथा रासायनिक।

प्रश्न 3.
रासायनिक अपक्षय की मुख्य क्रियाएं बताओ
उत्तर:

  1. ऑक्सीकरण
  2. जल योजन
  3. विलयन
  4. कार्बोनेटीकरण।

प्रश्न 4.
अपरदन चक्र में मुख्य अवस्थाएं कौन-सी हैं?
उत्तर:
युवा, प्रौढ़, वृद्धावस्था।

प्रश्न 5.
भू-आकृतिक कारकों के कार्य के प्रकार बताओ।
उत्तर:

  1. अपरदन
  2. परिवहन
  3. निक्षेपण।

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प्रश्न 6.
मुख अपवाह ढांचों के नाम लिखो।
उत्तर:

  1. आरीय
  2. द्रुमाकृतिक
  3. समान्तर
  4. जलायित।

प्रश्न 7.
नदी की युवा अवस्था में बनने वाले भू-आकार बताओ।
उत्तर:
गार्ज, केनियन, झरने।

प्रश्न 8.
नदी निक्षेप से बनने वाले भू-आकार बताओ।
उत्तर:
विसर्प, तटबन्ध, बाढ़ का मैदान।

प्रश्न 9.
वायु अपरदन से बनने वाले चार भू-आकार बताओ।
उत्तर:

  1. छत्रक,
  2. यारडांग
  3. ज्यूज़न,
  4. इन्सेलबर्ग।

प्रश्न 10.
हिम नदी अपरदन से बनने वाले भू-आकार बताओ।
उत्तर:
सर्क, श्रृंग, लटकती घाटी, ‘U’ आकार घाटी।

प्रश्न 11.
निम्नीकरण (Degradation) किसे कहते हैं?
उत्तर:
बाह्य कारकों द्वारा धरातल के अपरदन को निम्नीकरण कहते हैं।

प्रश्न 12.
निम्नीकरण में कौन-सी क्रियाएं शामिल हैं?
उत्तर:

  1. अपक्षय
  2. अपरदन
  3. परिवहन।

प्रश्न 13.
अपरदन चक्र की धारणा का सबसे पहले प्रतिपादन किसने किया था?
उत्तर:
विलियम मारिस डेविस ने।

प्रश्न 14.
यदि नदी का वेग दुगुना हो जाए तो उसकी भार वाहन शक्ति कितने गुना बढ़ जाएगी?
उत्तर:
64 गुना।

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प्रश्न 15.
ग्रैंड केनियन कहाँ स्थित हैं?
उत्तर:
संयुक्त राज्य में, कोलोरेडो नदी पर।

प्रश्न 16.
जल प्रपात किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब नदी चट्टानी कगार पर ऊपर से सीधे नीचे गिरती है तो उसे जल प्रपात कहते हैं।

प्रश्न 17.
उत्तरी अमेरिका के एक प्रसिद्ध जल प्रपात का नाम लिखो।
उत्तर:
नियाग्रा जल प्रपात 120 मीटर ऊंचा।

प्रश्न 18.
भारत में दो प्रसिद्ध जल प्रपातों के उदाहरण दो।
उत्तर:

  1. जोग जल प्रपात 260 मीटर ऊंचा।
  2. हुण्ड्र जल प्रपात 97 मीटर ऊँचा।

प्रश्न 19.
चीन का शोक किस नदी को कहते हैं?
उत्तर:
ह्वांग-हो नदी।

प्रश्न 20.
कोई तीन प्रसिद्ध डैल्टाओं के नाम लिखो।
उत्तर:

  1. नील डैल्टा
  2. गंगा डैल्टा
  3. मिसीसिपी डेल्टा।

प्रश्न 21.
लोएज प्रदेश कहां पाये जाते हैं?
उत्तर:
पश्चिमी चीन में ।

प्रश्न 22.
भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे बड़े डेल्टा का नाम बताएं
उत्तर:
सुन्दरवन डेल्टा।

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प्रश्न 23.
स्टैलेक्टाइट का निर्माण किस भू-प्राकृतिक कारक द्वारा होता है?
उत्तर:
चूना युक्त जल की गुफा की छत पर लटकी बूंदों के वाष्पीकृत से स्टैलेक्टाइट का निर्माण होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत के पश्चिमी तट पर नर्मदा व ताप्ती नदियां डैल्टे क्यों नहीं बनातीं?
उत्तर:
पश्चिमी तट पर नदियों के निचले भाग में तीव्र ढाल है। नदियां तेज़ गति से समुद्र में गिरती हैं तथा मिट्टी का निक्षेप नहीं होता। इसलिए डैल्टा का निर्माण नहीं होता। पश्चिमी तटीय मैदान की चौड़ाई भी कम है। इसलिए डैल्टा निर्माण के लिए समतल भूमि की कमी है।

प्रश्न 2.
गार्ज तथा प्रपात खड्ड में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
पर्वतीय भागों में गहरे और तंग नदी मार्ग को गार्ज कहते हैं। नदी कठोर चट्टानों के बने अपने किनारों को तोड़-फोड़ नहीं सकती। इसलिए जब पर्वत ऊंचे उठते रहते हैं तो नदी घाटी लगातार गहरी होती रहती है। प्रपाती खड्ड (कैनियन) प्रायः शुष्क प्रदेशों में बनती हैं। इस घाटी में ऋतु प्रहार (weathering) के कारण घाटी का ऊपरी भाग कुछ अधिक चौड़ा हो जाता है। गार्ज में नदी मार्ग के किनारे दीवार की भांति खड़े (Vertical) होते हैं, परन्तु कैनियन की दीवारें पूर्ण रूप से लम्बवत् नहीं होतीं।

प्रश्न 3.
किसी जल प्रपात की रचना कैसे होती है?
उत्तर:
जब अधिक ऊंचाई से जल अधिक वेग से खड़े ढाल पर बहता है तो उसे जल-प्रपात कहते हैं। जब नदी के मार्ग में ऊपरी पर्त कठोर चट्टानों की हो और नीचे की पर्त नर्म चट्टानों की हो, तो नीचे की नर्म चट्टान जल्दी कट जाती है। दोनों परतों में एक अन्तर आ जाता है। कठोर चट्टान आगे बढ़ी रहती है। इस प्रकार इस ढाल पर पानी झरने के रूप में बहता है। भारत में जोग जल प्रपात 260 मीटर ऊंचा है।

प्रश्न 4.
छत्रक शैल किसे कहते हैं? इसके विभिन्न कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
मरुस्थलीय भागों में छतरी के आकार की कठोर चट्टानों को छत्रक कहते हैं। कठोर चट्टानों के निचले भागों में चारों तरफ से नीचे का कटाव (under cutting) होता है। एक पतले आधार के ऊपर छतरी के आकार की चट्टानें खड़ी रहती नीचे की चट्टान एक गुफा के समान कट जाती है। जोधपुर के निकट ग्रेनाइट चट्टानें नीचे से कट कर छत्रक बन गई हैं।

प्रश्न 5.
नदी की शक्ति किन कारकों पर निर्भर करती है? उसकी भार वहन की क्षमता को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
नदी की अपरदन तथा परिवहन शक्ति दो कारकों पर निर्भर करती है

  1. नदी का वेग
  2. जल की मात्रा।

नदी के वेग तथा अपरदन शक्ति में वर्ग का अनुपात होता है, यदि वेग दुगुना हो जाए तो अपरदन शक्ति चौगुनी होती है तथा परिवहन शक्ति 64 गुना बढ़ जाती है। जल की मात्रा बढ़ जाने से नदी अधिक भार का परिवहन कर सकती है। नदी की परिवहन शक्ति मुख्यतः नदी के ढाल तथा नदी के भार पर निर्भर करती है।

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प्रश्न 6.
समुद्र द्वारा किए जाने वाले विभेदी अपरदन से आप क्या समझते हैं? इस क्रिया से किन स्थलाकृतियों का निर्माण होता है?
उत्तर:
समुद्र तट पर स्थित नर्म तथा कठोर चट्टानों की क्षैतिज अथवा लम्ब स्थिति के कारण विभेदी अपरदन होता है। नर्म चट्टानें शीघ्र टूट जाती हैं परन्तु कठोर चट्टानें खड़ी रहती हैं। इस प्रकार नर्म चट्टानों के अपरदन से खाड़ियां बनती हैं। कठोर चट्टानें भृगु के रूप में खड़ी रहती हैं। घुलनशील चट्टानों के घुल जाने से गुफाओं का निर्माण होता है। उन क्षेत्रों में मेहराब तथा प्राकृतिक पुल बनते हैं। कठोर चट्टानें स्टैक के रूप में बची-खुची रहती हैं।

प्रश्न 7.
पुनर्योवन के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
भू-संचरण या जलवायु परिवर्तन के कारण पुरानी नदियां यदि युवा अवस्था में आ जाती हैं तो इसे पुनर्योवन कहते हैं। इस क्रिया के निम्नलिखित प्रभाव होते हैं:

  1. नदी की अपरदन क्षमता बढ़ जाती है।
  2. पुरानी घाटी में एक नई घाटी का निर्माण शुरू हो जाता है।
  3. नदी वेदिकाएं बनती हैं।
  4. गहरे विसर्प बनते हैं ।

प्रश्न 8.
महाद्वीपीय हिमनदी तथा घाटी हिमनदी में अन्तर बताओ।
उत्तर:
महाद्वीपीय हिमनदी या हिम चादरों का विस्तार ध्रुवीय प्रदेशों में अंटार्कटिका तथा ग्रीनलैण्ड में है। ये विशाल क्षेत्रों में फैले हुए हैं। घाटी हिमनदियां हिमालय, आल्पस आदि ऊंचे पर्वतों के हिम क्षेत्रों से जन्म लेती हैं। यह पर्वतीय क्षेत्रों में तथा ढलानों पर अपरदन का कार्य करती हैं। हिम चादरें किसी क्षेत्र को समतल करने का कार्य करती है। परन्तु घाटी हिमनदी कई भू-आकार जैसे यू-घाटी, सर्प आदि की रचना करती है।

प्रश्न 9.
‘V’ आकार घाटी तथा ‘U’ आकार घाटी में अन्तर बताओ।
उत्तर:
नदी के अपरदन से ‘V’ आकार घाटी बनती है, परन्तु हिमनदी के अपरदन से ‘U’ आकार घाटी बनती है। ‘V’ आकार घाटी अधिक गहरी होती है। ‘U’ आकार घाटी की दीवारें लगभग लम्बवत् होती हैं परन्तु ‘V’ आकार घाटी की दीवारें पूर्ण रूप से लम्ब नहीं होतीं । हिमनदी अपनी कोई घाटी नहीं बनाती, अपितु वह नदी घाटी का रूप बदल कर उसे ‘U’ आकार बना देती है।

प्रश्न 10.
हिम तोंदों तथा हिमनदियों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
हिम तोंदे हिम चादरों से जन्म लेते हैं। जैसे ग्रीनलैण्ड तथा अण्टार्कटिका में परन्तु हिमनदियां ऊंचे पर्वतों के हिम क्षेत्रों से निकलती हैं जैसे हिमालय तथा आल्पस पर्वत हिम तोंदे समुद्र में तैरते हुए दिखाई देते हैं तथा गर्म प्रदेशों में आकर पिघल जाते हैं। हिमनदियां पर्वतीय ढलानों पर खिसकती हैं तथा मैदानों में आकर पिघलती हैं। हिम तोंदों का 1/10 भाग जल से बाहर दिखाई देता है, परन्तु हिमनदी का सारा भाग धरातल पर दिखाई देता है।

प्रश्न 11.
लटकती घाटी (Hanging Valley) की रचना कैसे होती है?
उत्तर:
हिमनदी की मुख्य घाटी अधिक हिम के कारण अधिक गहरी होती है। पर्वतों की ढलानों से उतरने वाली सहायक हिमनदी की घाटी कम गहरी होती है। जब हिम पिघलती है तो सहायक हिम नदी की घाटी मुख्य घाटी से ऊंची रह जाती है तथा लटकती हुई प्रतीत होती है। इसे लटकती हुई घाटी कहते हैं।

प्रश्न 12.
वायु तथा नदी के कार्य की तुलना करो।
उत्तर:

वायु के कार्य नदी का कार्य
(1) वायु का कार्य मरूस्थल प्रदेशों में महत्त्वपूर्ण होता है। (1) नदी का कार्य आर्द्र प्रदेशों में महत्त्वपूर्ण होता है।
(2) नदी अपने मलबे को दूर-दूर प्रदेशों तक परिवहन करती है। (2) नदी का कार्य अपनी घाटी तक ही सीमित होता है।
(3) वायु का कार्य वायु की गति पर निर्भर करता है। (3) नदी का कार्य क्षेत्र की ढलान पर निर्भर करता है।
(4) वायु का कार्य धीमी गति से होता है तथा वायु भार कम होता है। (4) नदी का कार्य तीव्र गति से होता है तथा नदी भार बहुत अधिक होता है।

प्रश्न 13.
“वायु द्वारा अपरदन की तुलना रेगमार से की जाती है।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वायु रेत के बारीक कणों को उड़ा कर दूर-दूर तक ले जाती है। वायु के धूलि कण इस अपरदन के यन्त्र (Tools) हैं। तीव्र गति से वायु रेत के कणों को चट्टानों से टकराती है। ये कण एक रेगमार (Sand paper) की तरह कटाव करते हैं। ये कण चट्टानों को रगड़ कर इस तरह मुलायम कर देते हैं जैसे पालिश किया हो या रेगमार से घिसा हो।

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प्रश्न 14.
ज्यूजन तथा यारडांग में क्या अन्तर है?
उत्तर:

यारडांग ज्यूजन
(1) इसमें कठोर तथा नर्म चट्टानें लम्ब रूप में मिलती हैं। (1) इसमें कठोर तथा नर्म चट्टाने एक-दूसरे के समानान्तर होती हैं।
(2) इसका आकार पसलियों (Ribs) जैसा होता है। (2) इसका आकार एक ढक्कन दवात जैसा होता है।
(3) इसमें लम्बे कटाव मिलते हैं। (3) इसमें गहरे कटाव मिलते हैं।
(4) इसकी ऊंचाई 15 मीटर होती है। (4) इनकी ऊंचाई 10 मीटर होती है।

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प्रश्न 15.
लम्बे बालू स्तूप तथा आड़े बालू स्तूप में क्या अन्तर है?
उत्तर:

लम्बे बालू स्तूप आड़े बालू स्तूप
(1) ये रेत की लम्बी दीवारें होती हैं। (1) ये अर्द्ध-चन्द्राकार टीले होते हैं।
(2) ये प्रचलित पवनों की दिशा के समानान्तर बनते हैं। (2) ये प्रचलित पवनों की दिशा के समकोण पर बनते हैं।
(3) ये 100 मीटर तक ऊँचे होते हैं। (3) ये 50 मीटर तक ऊंचे होते हैं।
(4) ये तलवार के आकार जैसे होते हैं तथा इन्हें सीफ़ भी कहा जाता है। (4) ये लहरों के आकार जैसे होते हैं।

प्रश्न 16.
सागरीय लहरों द्वारा अपरदन किन तत्त्वों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
सागरीय लहरों द्वारा अपरदन प्रायः तूफ़ानी लहरों द्वारा 200 मीटर की गहराई तक होता है। यह अपरदन कई तत्त्वों पर निर्भर करता है-

  1. लहरों का अधिक वेग तथा ऊँचाई
  2. चट्टानों की रचना
  3. तट का ढाल
  4. जल की गहराई
  5. छिद्रों तथा दरारों का होना
  6. वायु की गति।

प्रश्न 17.
भृगु (Cliff) की रचना कैसे होती है
उत्तर:
समुद्र तट पर खड़ी ढाल वाली चट्टान को भृगु कहते हैं। लहरों के सीधे अपरदन से चट्टान आधार पर कट जाती है तथा दांत (Notch ) की रचना होती है। यह खोखला स्थान धीरे-धीरे बड़ा हो जाता है। ऊपरी भाग धीरे- धीरे आगे बढ़कर लटकने लगता है। जब ऊपर का भाग टूट कर गिर जाता है, तो नीचे का कठोर भाग एक भृगु का रूप धारण कर लेता है।

प्रश्न 18.
गुम्फित नदी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
गुम्फित नदी ( Braided Channels):
नदी द्वारा प्रवाहित नद्य भार का निक्षेपण अगर नदी के मध्य में लम्बी रोधिका या रोध के रूप में हो जाए तो नदी धारा दो शाखाओं में विभाजित हो जाती हैं और यह प्रवाह किनारों पर क्षैतिज अपरदन करता है। नदी घाटी की चौड़ाई बढ़ने पर और जल आयतन कम होने पर, प्रजाहित जलोढ़ अधिक मात्रा में एक क्षैतिज अवरोध के रूप में द्वीप की भान्ति निक्षेपित हो जाते हैं तथा मुख्य जल धारा कई जल धाराओं में बंट जाती है।

गुम्फित नदी प्रारूप के लिए तटों पर अपरदन व निक्षेप आवश्यक है। या जब नदी में जल की मात्रा कम तथा जलोढ़ अधिक हो जाए, तब नदी प्रवाह में ही रेत, मिट्टी, बजरी आदि की लम्बी अवरोधिकाओं का जमाव हो जाता है और नदी प्रवाह कई जल वितरिकाओं में बंट जाता है। जल प्रवाह की ये विरिक्ताएं मिलती हैं और फिर उपधाराओं में बंट जाती हैं। इस प्रकार एक गुम्फित नदी प्रारूप का विकास होता है।

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प्रश्न 19.
गम्भीरभूत विसर्प तथा नदी वेदिकाएं किस प्रकार बनती हैं?
उत्तर:
अधः कर्तित विसर्प या गम्भीरभूत विसर्प (Incised or Entrenched Meanders ):
तीव्र ढालों में तीव्रता से बहती हुई नदियां सामान्यतः नदी तल पर अपरदन करती हैं। तीव्र नदी ढालों में भी पार्श्व/ क्षैतिज अपरदन अधिक नहीं होता लेकिन मंद ढालों पर बहती हुई नदियां अधिक पार्श्व अपरदन करती हैं। क्षैतिज अपरदन अधिक होने के कारण, मंद ढालों पर बहती हुई नदियां वक्री होकर बहती हैं या नदी विसर्प बनाती हैं।
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नदी वेदिकाएं (River Terraces):
नदी वेदिकाएं प्रारम्भिक बाढ़ मैदान या पुरानी नदी घाटियों के चिह्न हैं। ये चट्टानी धरातल या नदियों के तल हैं जो जलोढ़ रहित वा निक्षेपित जलोढ़ वेदिकाओं के रूप में पाए जाते हैं। नदी वेदिकाएं मुख्यतः अपरदित स्थलरूप हैं क्योंकि ये नदी निक्षेपित बाढ़ मैदानों के लम्बवत् अपरदन से निर्मित होते हैं। ये वेदिकाएं संख्या में कई तथा भिन्न ऊंचाई की भी हो सकती हैं जो आरम्भिक नदी जल स्तर को दर्शाते हैं। नदी वेदिकाएं नदी के दोनों तरफ समान ऊंचाई वाली हो सकती हैं और इनके इस स्वरूप को युग्म (Paired ) वेदिकाएं कहते हैं।

प्रश्न 20.
नदी के मार्ग को विभिन्न अवस्थाओं में बांट कर प्रत्येक की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
नदी मार्ग को उद्गम से लेकर सागर में गिरने तक तीन प्रमुख भागों में बांटा जाता है:
1. तरुणावस्था (Youth ):
इस अवस्था में नदियों की संख्या बहुत कम होती है तथा इनका मूल ढाल पर दुर्बल एकीकरण होता है। ये नदियां उथली V-आकार घाटी बनाती हैं और जिनमें बाढ़ के मैदान लगभग अनुपस्थित या संकरे बाढ़ मैदान मुख्य नदी के साथ-साथ पाए जाते हैं। जल विभाजक अत्यधिक विस्तृत (चौड़े) व समतल होते हैं, जिनमें दलदल व झीलें होती हैं। इन ऊंचे समतल धरातल पर नदी विसर्प विकसित हो जाते हैं। ये विसर्प अंततः ऊंचे धरातलों में गम्भीरभूत हो जाते हैं (अर्थात् विसर्प की तली में निम्न कटाव होता है और ये गहराई में बढ़ते हैं ।) जहां कठोर चट्टानों का अनावरण होता है वहां जलप्रपात व क्षिप्रितकाएं पाई जाती हैं।
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2. प्रौढ़ावस्था (Mature ):
इस अवस्था में नदियों में जल की मात्रा अधिक होती है और सहायक नदियां भी इसमें आकर मिलती हैं। नदी घाटियां V-आकार की होती हैं लेकिन गहरी होती हैं। मुख्य नदी व्यापक विस्तृत होने से विस्तृत बाढ़ के मैदान पाए जाते हैं जिसमें घाटी के भीतर ही नदी विसर्प बनाती हुई प्रवाहित होती है। युवावस्था में निर्मित समतल, विस्तृत व दलदली अन्तर नदी क्षेत्र विलीन हो जाते हैं और नदी विभाजक स्पष्ट होते हैं। जलप्रपात व क्षिपिकाएं लुप्त हो जाती हैं।

3. जीर्णावस्था (Old ):
जीर्णावस्था में छोटी सहायक नदियां कम होती हैं और ढाल मंद होता है। नदियां स्वतन्त्र रूप से विस्तृत बाढ़ के मैदानों में बहती हुई नदी विसर्प, प्राकृतिक तटबन्ध, गोखुर झील आदि बनाती है विभाजक विस्तृत तथा समतल होते हैं जिनमें दलदल, कच्छ व अनूप उपस्थित होते हैं। अधिकतर भूदृश्य समुद्रतल के बराबर या थोड़ा ऊंचा होता है।

प्रश्न 21.
पेडीमेंट तथा पदस्थली की रचना बताओ।
उत्तर:
अपरदनात्मक स्थलरूप पेडीमेंट (Pediment ) और पदस्थली (Pediplain): मरुस्थलों में भूदृश्य का विकास मुख्यतः पेडीमेंट का निर्माण व उसका ही विकसित रूप है। पर्वतों के पाद पर मलबे रहित अथवा मलबे सहित मंद ढाल वाले चट्टानी तल पेडीमेंट कहलाते हैं। पेडीमेंट का निर्माण पर्वतीय अग्रभाग के अपरदन मुख्यतः सरिता के क्षैतिज अपरदन व परत बाढ़- दोनों के संयुक्त अपरदन से होता है। पर्वतों के तीव्र अग्रभाग या किनारों का अपरदन होता है और ये अपरदित भाग धरातल पर गिरते हैं। बाढ़ के कारण व तत्पश्चात् क्लिफ निर्माण से जो कटाव होते हैं उससे पेडीमेंट निर्मित होते हैं।

ये बाढ़ कटाव व क्लिफ निवर्तन करते हैं। यह अपरदन क्रिया पृष्ठक्षरण (backwasting) द्वारा की गई समानान्तर ढाल निवर्तन प्रक्रिया (paralled retreat of slope) कहलाती है। अत: समानान्तर ढाल विवर्तन द्वारा पेडीमेंट पर्वतों के अग्रभाग को अपरदित करते हुए पीछे हटते हैं और धीरे-धीरे पर्वतों का अपरदन होता है तथा इन्सेलबर्ग (Inselberg ) निर्मित होते हैं जो कि पर्वतों के अवशिष्ट रूप,हैं। इस प्रकार मरुस्थलीय प्रदेशों में एक उच्च धरातल आकृति विहीन मैदान में परिवर्तित हो जाता जिसे पेड़ीप्लेन या पदस्थली कहते हैं।

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प्रश्न 22.
प्लाया तथा ब्नजादा की रचना बताओ।
उत्तर:
प्लाया और बजादा (Playa and Bajada):
मरुभूमियों में मैदान (Plains) प्रमुख स्थलरूप हैं। पर्वत व पहाड़ियों से घिरे बेसिनों में अपवाह मुख्यतः बेसिन के मध्य में होता है, तथा बेसिन के किनारों से लगातार तलछट जमाव के कारण बेसिन के मध्य में लगभग समतल मैदान की रचना हो जाती है। पर्याप्त जल उपलब्ध होने पर यह मैदान उथले जल क्षेत्र में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार की उथली जल झीलें ही प्लाया ( Playa) कहलाती हैं। प्लाया में वाष्पीकरण के कारण जल अल्प समय के लिए ही रहता है और अक्सर प्लाया में लवणों के घने निक्षेप पाए जाते हैं।

ऐसे प्लाया मैदान जो लवणों से भरे हों, कल्लर भूमि या क्षारीय क्षेत्र (Alkali flats) कहलाती हैं। अगर प्लाया मरुस्थल बेसिन के समतल मध्य मैदान हैं तो इनके ऊपर के ढाल वाले मैदान (जिनका ढाल 1° से 5° के मध्य है ) और जो गिरिपद पर जमाव से बने हैं, उन्हें बजादा (Bajada) कहते हैं। प्लाया व बजादा मुख्यतः पर्वतों के निवर्तन से बने पेडिमेंट के ही हिस्से हैं, जो बाढ़ अपरदित मलबे से ढके हैं। चूंकि प्लाया व बजादा पर तलछटों के जमाव की मोटी परत नहीं होती और इनके तल अपरदन के फलस्वरूप बनते हैं; इसलिए इन्हें कई बार अपरदनात्मक स्थलरूपों में वर्णित किया जाता है।

प्रश्न 23.
जल चक्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रकृति का जल अपने कई रूपों में बदलते हुए पुन: उसी रूप में लौट आता है। इसे ही जल चक्र की संज्ञा दी जाती है। जैसे पृथ्वी के जलाशयों का जल सूर्य के ताप के कारण जलवाष्प में बदलकर वायुमण्डल में चला जाता है। वायुमण्डल में यह संघनित होकर बर्फ या जल के रूप में पुनः पृथ्वी पर आ जाता है। इस प्रकार जल वायुमण्डल, स्थलमण्डल तथा जलमण्डल पर स्थानान्तरित होता है।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न 1.
अपरदन तथा अपक्षय में अन्तर स्पष्ट करो
उत्तर:

अपरदन (Erosion) अपक्षय (Weathering)
(1) भू-तल पर खुरचने, काँट-छाँट तथा मलवे को परिवहन करने के कार्य को अपरदन कहते हैं। (1) चट्टानों को अपघटन तथा विघटन के द्वारा अपने मूल स्थान पर तोड़-फोड़ करने की क्रिया को अपक्षय कहते हैं।
(2) अपरदन एक बड़े क्षेत्र में होता है। (2) अपक्षय छोटे क्षेत्रों की क्रिया है।
(3) अपरदन गतिशील कारकों द्वारा जैसे जल, हिमनदी, वायु आदि से होता है। (3) अपक्षय सूर्यतप, पाला तथा रासायनिक क्रियाओं द्वारा होता है।
(4) अपक्षय अपरदन में सहायक होता है। (4) अपक्षय चट्टानों को कमज़ोर करके अपरदन में सहायता करता है ।

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प्रश्न 2.
‘V’ आकार घाटी तथा ‘U’ आकार घाटी में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

V आकार घाटी ‘U’ आकार घाटी
(1) नदी अपरदन से ‘V’ आकार घाटी बनती है। (1) हिमनदी के अपरदन से ‘U’ आकार घाटी बनती है।
(2) यह घाटी अधिक गहरी होती है। जब यह ‘T’ आकार में बन जाती है तो इसे कैनियन कहते हैं। (2) यह घाटी अधिक गहरी नहीं होती है। इससे ऊंचाई पर बनी घाटी को लटकती घाटी कहते हैं।
(3) इसके किनारे पूर्ण रूप से लम्ब नहीं होते। (3) इसकी दीवारें पूर्ण रूप से लम्ब होती हैं।
(4) नदी अपने गहरे कटाव से इस घाटी की रचना करती है। (4) हिमनदी की अपनी कोई घाटी नहीं होरी। यह नदी घाटी का रूप बदल कर उसे ‘U’ आकार की घाटी बना देती है।

प्रश्न 3.
निम्नीकरण तथा अधिवृद्धि में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

निम्नीकरण अधिवृद्धि
(1) बाह्य कारकों द्वारा स्थानीय धरातल के अपरदन को निम्नीकरण कहते हैं। (1) धरातल के निचले स्थानों को मलवे के निक्षेप से भरने की क्रिया को अधिवृद्धि कहते हैं।
(2) यह अपरदन का ही दूसरा रूप है। (2) यह निक्षेप का ही दूसरा रूप है।
(3) इससे ऊंचे प्रदेश निचले प्रदेश हो जाते हैं। (3) इससे निचले प्रदेश का तल ऊँचा हो जाता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
तरंगों (लहरों) द्वारा अपरदन, परिवहन तथा निक्षेप के कार्य का वर्णन करो।
उत्तर:
समुद्री लहरों का कार्य (Work of Sea Waves) दूसरे कार्यकर्त्ताओं के समान लहरें भी अपरदन, परिवहन तथा निक्षेप का कार्य करती हैं।
(क) अपरदन (Erosion ): तट पर तोड़-फोड़ का कार्य प्राय: सर्फ ( Surf) लहरें तथा तूफानी लहरों द्वारा ही होता है। समुद्री लहरों द्वारा अपरदन अधिक-से-अधिक 600 फुट की गहराई तक होता है। यह अपरदन चार प्रकार से होता है:

  1. जल दबाव क्रिया (Water Pressure ): छिद्रों में जल के दबाव से चट्टानें टूटने-बिखरने लगती हैं।
  2. अपघर्षण (Abrasion): बड़े – बड़े पत्थर चट्टानों से टकरा कर उन्हें तोड़ते रहते हैं।
  3. संनिघर्षण (Attrition ): पत्थरों के टुकड़े आपस में टकरा कर टूटते रहते हैं।
  4. घुलन क्रिया (Solution ): समुद्री जल चूना युक्त चट्टानों को घुला कर अपरदन कर देता है।

अपरदन द्वारा बने स्थलाकार:
1. खाड़ियां (Bays ): जब किसी तट पर कोमल तथा कठोर चट्टानें लम्ब रूप में स्थित हों तो कोमल चट्टानें (Soft Rocks) भीतर की ओर अधिक कट जाती हैं। इस प्रकार कोमल चट्टानों में खाड़ियां (Bays) बन जाती हैं तथा कठोर चट्टानें आगे निकल जाती हैं तथा अन्तरीप (Cape ) की रचना करती हैं।
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2. भृगु (Cliff): समुद्र तट पर खड्ढे ढाल वाले पर्वत को भृगु या क्लिफ (Cliff) कहते हैं। लहरों के लगातार सीधे आक्रमण के कारण चट्टानें अपने आधार पर कट जाती हैं तथा दांत (Notch ) की रचना होती है। ऊपर का भाग धीरे-धीरे आगे बढ़कर लटकने लगता है। कुछ समय के पश्चात् यह भाग टूट कर गिर जाता है। इससे तटों पर खड़े किनारों की रचना होती है जिसे भृगु ( Cliff) कहते हैं। भारत के पश्चिमी तट पर भृगुओं के उदाहरण मिलते हैं।
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3. समुद्री गुफाएं (Sea Caves): आधार की कोमल चट्टानों के टूटने या घुल जाने पर तट के समीप खोखले स्थान बन जाते हैं । लहरों द्वारा वायु के बार-बार घुसने व निकलने की क्रिया से ये स्थान चौड़े हो जाते हैं तथा गुफाएं बन जाती हैं। दो पड़ोसी गुफाओं के बीच की दीवार टूट जाने से मेहराब (Arch) बन जाती है जिसे प्राकृतिक पुल भी कहते हैं, जैसे- इंग्लैण्ड में Needle’s Eye।
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4. वात छिद्र (Blow Holes): वायु के दबाव से कई बार गुफा की छत में छिद्र हो जाते हैं, इनमें से जल फव्वारे के रूप में बाहर निकलता है। इन छिद्रों से पवन सीटी बजाती हुई ऊपर निकलती है और साथ ही पानी फव्वारे के रूप में बाहर निकलता है। इन्हें उगलने वाले छिद्र (Spouting Horns) कहते हैं।

5. सागरीय स्तम्भ (Stack): मेहराब के छत के टूट जाने से कठोर चट्टानों के कुछ अंश स्तम्भ के रूप में खड़े रह जाते हैं जिन्हें स्तम्भ (Stack) कहते हैं। इंग्लैण्ड में St. Kilda के स्तम्भ 627 फुट ऊंचे हैं।

परिवहन का कार्य (Work of Transportation ): समुद्र में खुरचा हुआ पदार्थ लहरों, वायु तथा धाराओं द्वारा परिवहन होता है। लहरों द्वारा सागरीय पदार्थों का परिवहन दो रूपों में होता है:

  1. तट की ओर
  2. सागर की ओर

निक्षेप के कार्य (Work of Deposition): लहरों द्वारा अपरदन से प्राप्त पदार्थ तट के सहारे या तट के दूर जमा होते हैं। लहरों के नीचे के प्रवाह (Undertow) के कारण तट के दूर सागर में निक्षेप होता है। इससे तट का ढाल कम होता है तथा तट का विस्तार आगे बढ़ता रहता है। इस निक्षेप से कई भू-आकार बनते हैं:

1. पुलिन अथवा बीच (Beach ):
सागरीय तट के साथ-साथ मलवा के निक्षेप से बनी तटीय श्रेणियों को पुलिन कहते हैं। तट के निकट ये ऊंचे से प्रदेश क्रीड़ा के उत्तम स्थल बन जाते हैं। समतल तटों पर चौड़े पुलिन मिलते हैं, परन्तु पर्वतीय भागों में पुलिन कम मिलते हैं, जैसे – चिल्ली का तट।

2. रोधिका (Bars):
लहरों द्वारा तट के समानान्तर निक्षेप से ऊंची मुंडेर या श्रेणी बन जाती है। इन्हें तटीय रोध (Offshore Bars) कहते हैं। ये तट से दूर खुले समुद्र में बनती हैं। ये श्रेणियां तट रेखा तथा सागरीय जल के बीच रुकावट का कार्य करती हैं।

3. लैगून झीलें (Lagoons):
यदि रोधिका के दोनों छोर स्थल भाग से जुड़ जाते हैं तो बीच में खारे जल की झील बन जाती है। तट रेखा और मुंडेरों के बीच का जल एक छोटी झील का रूप धारण कर लेता है जिसे लैगून कहते हैं। भारत के पूर्वी तट पर चिल्का (Chilka) तथा पुलीकट (Pulicat) झीलें तथा केरल में वेम्बनाद झील इसी प्रकार बनी हैं।

4. भूजिहवा (Spit ):
भूजिहवा लहरों के निक्षेप से बनी एक रेतीली श्रेणी होती है। यह एक बांध के समान है जिसका एक सिरा तट से जुड़ा होता है तथा दूसरा सिरा खुले सागर में डूबा रहता है।

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