JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अंत

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अंत Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अंत

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. सोवियत संघ का विघटन हुआ
(अ) 1990 में
(स) 1992 में
(ब) 1991 में
(द) 1993 में।
उत्तर:
(ब) 1991 में

2. पूँजीवादी दुनिया और साम्यवादी दुनिया के बीच विभाजन का प्रतीक थी
अथवा
शीत युद्ध का सबसे बड़ा प्रतीक थी-
(अ) बर्लिन की दीवार का खड़ा किया जाना।
(ब) बर्लिन की दीवार का गिराया जाना।
(स) हिटलर के नेतृत्व में नाजी पार्टी का उत्थान।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) बर्लिन की दीवार का खड़ा किया जाना।

3. बर्लिन की दीवार बनाई गई थी
(अ) 1961 में
(ब) 1951 में
(स) 1971 में
(द) 1981 में।
उत्तर:
(अ) 1961 में

4. पूर्वी जर्मनी के लोगों ने बर्लिन की दीवार गिरायी-
(अ) 1946 में
(ब) 1991 में
(स) 1989 में
(द) 1961 में।
उत्तर:
(स) 1989 में

5. सोवियत संघ के विघटन के लिए किस नेता को जिम्मेदार माना गया
(अ) निकिता ख्रुश्चेव
(स) बोरिस येल्तसिन
(ब) स्टालिन
(द) मिखाइल गोर्बाचेव।
उत्तर:
(द) मिखाइल गोर्बाचेव।

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6. सोवियत संघ के विभाजन के बाद विश्व पटल पर कितने नए देशों का उद्भव हुआ
(अ) 11
(ब) 9
(स) 10
(द) 15
उत्तर:
(द) 15

7. साम्यवादी गुट के विघटन का प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय प्रभाव पड़ा
(अ) द्वि- ध्रुवीय विश्व व्यवस्था का उदय
(ब) बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का उदय
(स) एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था का उदय
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था का उदय

8. वर्तमान विश्व में कौनसा देश एकमात्र महाशक्ति है-
(अ) रूस
(ब) चीन
(स) अमेरिका
(द) फ्रांस।
उत्तर:
(स) अमेरिका

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. 1964 से 1982 तक ………………… सोवियत संघ के राष्ट्रपति थे।
उत्तर:
लियोनेड ब्रेझनेव

2. …………………… द्वारा समाजवादी सोवियत संघ की व्यवस्था को सुधारने की चाह और प्रयास उसके विघटन का कारण बने।
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव

3. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ का राष्ट्राध्यक्ष ……………………… था।
उत्तर:
जोजेफ स्टालिन

4. …………………… पूरी दुनिया में साम्यवाद के प्रेरणास्रोत थे।
उत्तर:
व्लादिमीर लेनिन

5. रूस ने भारत के अन्तरिक्ष उद्योग में जरूरत के वक्त ………………………..देकर मदद की।
उत्तर:
क्रायोजेनिक रॉकेट

6. 2001 के भारत-रूस सामरिक समझौते के अंग के रूप में भारत और रूस के बीच …………………….. पर हस्ताक्षर हुए।
उत्तर:
6.80

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बर्लिन की दीवार किसका प्रतीक थी ?
उत्तर:
बर्लिन की दीवार पूँजीवादी दुनिया और साम्यवादी दुनिया के बीच विभाजन का प्रतीक थी।

प्रश्न 2.
समाजवादी सोवियत गणराज्य कब अस्तित्व में आया?
उत्तर:
समाजवादी सोवियत गणराज्य रूस में हुई 1917 की समाजवादी क्रांति के बाद अस्तित्व में आया।

प्रश्न 3.
बोल्शेविक कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक कौन थे?
उत्तर:
बोल्शेविक कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक ब्लादिमीर लेनिन थे।

प्रश्न 4.
1917 की रूसी क्रांति के नायक कौन थे?
उत्तर:
ब्लादिमीर लेनिन।

प्रश्न 5.
विश्व में सर्वप्रथम कब और कहाँ साम्यवादी पार्टी की सरकार लोकतांत्रिक चुनावों के आधार पर बनी?
उत्तर:
अक्टूबर, 1917 में, सोवियत संघ में।

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प्रश्न 6.
सोवियत प्रणाली के अनुसार राज्य की प्रमुख प्राथमिकता क्या थी?
उत्तर:
सोवियत प्रणाली के अनुसार राज्य की प्रमुख प्राथमिकता देश के समस्त संसाधनों पर सार्वजनिक स्वामित्व वाले साम्यवादी शासन की स्थापना थी।

प्रश्न 7.
सोवियत संघ के नेतृत्व में बने पूर्वी यूरोप के देशों के सैनिक गठबंधन का नाम लिखिये।
उत्तर:
वारसा पैक्ट।

प्रश्न 8.
लेनिन के उत्तराधिकारी कौन थे?
उत्तर:
जोजेफ स्टालिन।

प्रश्न 9.
पश्चिम के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का सुझाव रखने वाले सोवियत संघ के नेता कौन थे?
उत्तर:
निकिता ख्रुश्चेव।

प्रश्न 10.
शीतयुद्ध काल में हुए किन्हीं दो संघर्षों (युद्धों) का उल्लेख कीजिए, जिनमें अमेरिका ने निर्णायक भूमिका निभाई।
उत्तर:

  1. बर्लिन संकट
  2. क्यूबा संकट।

प्रश्न 11.
मिखाइल गोर्बाचेव ने आर्थिक और राजनैतिक सुधार हेतु किन दो नीतियों को अपनाया?
उत्तर:

  1. पेरेस्त्रोइका (पुनर्रचना) और
  2. ग्लासनोस्त ( खुलेपन) की नीतियों को।

प्रश्न 12.
सोवियत संघ कितने गणराज्यों से मिलकर बना था?
उत्तर:
15 गणराज्यों से।

प्रश्न 13.
सोवियत संघ का अन्त ( विघटन) कब हुआ?
उत्तर:
25 दिसम्बर, 1991 को।

प्रश्न 14.
सोवियत संघ के विघटन के समय राष्ट्रपति कौन था?
अथवा
सोवियत संघ का अन्तिम राष्ट्रपति कौन था ?
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव।

प्रश्न 15.
गोर्बाचेव सोवियत संघ के राष्ट्रपति किस वर्ष बने?
उत्तर:
1985 में।

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प्रश्न 16.
समाजवादी सोवियत गणराज्य कब अस्तित्व में आया?
उत्तर:
समाजवादी सोवियत गणराज्य रूस में हुई 1917 की समाजवादी क्रान्ति के बाद अस्तित्व में आया।

प्रश्न 17.
1917 की रूसी क्रान्ति क्यों हुई थी?
उत्तर:
1917 की रूसी क्रान्ति पूँजीवादी व्यवस्था के विरोध में हुई थी तथा समाजवाद के आदर्शों और समतामूलक समाज की जरूरत से प्रेरित थी।

प्रश्न 18.
सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी क्या थी?
उत्तर:
सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी।

प्रश्न 19.
सोवियत राजनीतिक प्रणाली किस विचारधारा पर आधारित थी?
उत्तर:
सोवियत राजनीतिक प्रणाली साम्यवादी विचारधारा पर आधारित थी।

प्रश्न 20.
दूसरी दुनिया किसे कहा जाता है?
उत्तर:
पूर्वी यूरोप के जो देश समाजवादी खेमे में शामिल हुए थे, उनको दूसरी दुनिया कहा जाता है।

प्रश्न 21.
सोवियत संघ के किन क्षेत्रों की जनता उपेक्षित और दमित महसूस करती थी और क्यों?
उत्तर:
रूस गणराज्य के अतिरिक्त सोवियत संघ के अन्य क्षेत्रों की जनता प्रायः उपेक्षित और दमित महसूस करती

प्रश्न 22.
गोर्बाचेव ने सोवियत संघ में सुधार हेतु क्या प्रयत्न किये?
उत्तर:
गोर्बाचेव ने देश के अन्दर आर्थिक-राजनीतिक सुधारों और लोकतन्त्रीकरण की नीति चलायी।

प्रश्न 23.
गोर्बाचेव के सुधारों का विरोध किन नेताओं ने किया?
उत्तर:
कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने गोर्बाचेव की सुधार नीतियों का विरोध किया।

प्रश्न 24.
रूस के पहले चुने हुए राष्ट्रपति कौन थे?
उत्तर:
बोरिस येल्तसिन।

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प्रश्न 25.
‘शॉक थेरेपी’ की सर्वोपरि मान्यता क्या थी?
उत्तर:
शॉक थेरेपी की सर्वोपरि मान्यता थी कि मिल्कियत का सबसे प्रभावी रूप निजी स्वामित्व होगा।

प्रश्न 26.
सोवियत संघ के पतन का प्रमुख कारण क्या रहा?
उत्तर:
सोवियत संघ की राजनीतिक-आर्थिक संस्थाओं की अन्दरूनी कमजोरी सोवियत संघ के पतन का प्रमुख कारण रही।

प्रश्न 27.
बाल्टिक गणराज्य में कौन-कौनसे राष्ट्र आते हैं?
उत्तर:
बाल्टिक गणराज्य के अन्तर्गत एस्टोनिया, लताविया और लिथुआनिया आते हैं।

प्रश्न 28.
सोवियत संघ के विघटन का अन्तिम और सर्वाधिक तात्कालिक कारण क्या रहा?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन का अन्तिम और सर्वाधिक तात्कालिक कारण रहा बाल्टिक गणराज्यों, उक्रेन, जार्जिया और रूस जैसे विभिन्न गणराज्यों में राष्ट्रीयता और सम्प्रभुता का उभार।

प्रश्न 29.
सोवियत संघ के विघटन के कोई दो परिणाम लिखिए।
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के परिणामस्वरूप

  1. शीत युद्ध का दौर समाप्त हो गया।
  2. एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था का उदय हुआ।

प्रश्न 30.
शीत युद्ध की समाप्ति के प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. दूसरी दुनिया (सोवियत संघ खेमे ) का पतन तथा
  2. एकध्रुवीय विश्व का उदय शीत युद्ध की समाप्ति का प्रभाव था।

प्रश्न 31.
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् रूस ने किस तरह की अर्थव्यवस्था को अपनाया?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् रूस ने उदारवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया।

प्रश्न 32.
सोवियत संघ के विघटन के बाद अधिकांश गणराज्यों की अर्थव्यवस्था के पुनर्जीवित होने का क्या कारण था?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के बाद अधिकांश गणराज्यों की अर्थव्यवस्था खनिज तेल, प्राकृतिक गैस के निर्यात से पुनर्जीवित हुई। मिले ?

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प्रश्न 33.
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् भारत को रूस के साथ मित्रता बनाए रखने से कौन से दो लाभ
उत्तर:

  1. भारत को रूस से आधुनिकतम सैनिक सामान मिलते रहे।
  2. विघटित हुए नवीन गणराज्यों के साथ भारत अपने व्यापारिक सम्बन्ध कायम रख पाया।

प्रश्न 34.
सोवियत संघ के विघटन के समय किन दो गणराज्यों में हिंसक अलगाववादी आंदोलन हुए?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के समय दो पूर्व गणराज्यों

  1. चेचन्या तथा
  2. दागिस्तान में हिंसक अलगाववादी आंदोलन हुए लादना।

प्रश्न 35.
शॉक थैरेपी से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर;
शॉक थैरेपी से आशय है। धीरे-धीरे परिवर्तन न करके एकदम आमूल-चूल परिवर्तन के प्रयत्नों को

प्रश्न 36.
शॉक थैरेपी का कोई एक परिणाम बताइए।
अथवा
‘शॉक थैरेपी’ के परिणामस्वरूप सोवियत खेमे का प्रत्येक राज्य किस अर्थतन्त्र में समाहित हुआ?
उत्तर:
शॉक थैरेपी के परिणामस्वरूप सोवियंत खेमे का प्रत्येक राज्य पूँजीवादी अर्थतन्त्र में समाहित हुआ।

प्रश्न 37.
सोवियत प्रणाली की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी।
  2. अर्थव्यवस्था योजनाबद्ध और राज्य के नियन्त्रण में थी।

प्रश्न 38.
सोवियत प्रणाली के दो गुण बताइये।
उत्तर:

  1. सरकार बुनियादी जरूरत की चीजें रियायती दर पर उपलब्ध कराती थी।
  2. बेरोजगारी नहीं थी।

प्रश्न 39.
सोवियत प्रणाली में आये किन्हीं दो दोषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का शिकंजा कसता चला गया।
  2. यह प्रणाली सत्तावादी हो गई तथा नागरिकों का जीवन कठिन होता चला गया।

प्रश्न 40.
1991 में सोवियत संघ के कौनसे गणराज्यों ने अपने लिये स्वतन्त्रता की माँग नहीं की?
उत्तर:
मध्य एशियाई गणराज्यों ने सोवियत संघ से अपने लिए स्वतन्त्रता की माँग नहीं की।

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प्रश्न 41.
सोवियत संघ पर हथियारों की होड़ से क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
हथियारों की होड़ के कारण सोवियत संघ प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे (मसलन- परिवहन, मामले में पश्चिमी देशों की तुलना में पीछे रह गया।

प्रश्न 42.
सोवियत संघ से सबसे पहले और कब, किस गणराज्य ने स्वतन्त्रता की घोषणा की?
उत्तर:
मार्च, 1990 में लिथुआनिया ने सबसे पहले सोवियत संघ से स्वतन्त्रता की घोषणा की।

प्रश्न 43.
पूर्व सोवियत संघ से स्वतन्त्र हुए राष्ट्रों ने किस संगठन का निर्माण किया?
उत्तर:
पूर्व सोवियत संघ से स्वतन्त्र हुए राष्ट्रों ने ‘स्वतन्त्र राज्यों के राष्ट्रकुल’ संगठन का निर्माण किया।

प्रश्न 44.
सोवियत संघ के इतिहास की सबसे बड़ी ‘गराज सेल’ कौन सी थी?
अथवा
सोवियत संघ की ‘गराज सेल’ किसे कहा गया है?
उत्तर:
पूर्व सोवियत संघ के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को अनाप-शनाप कीमतों पर निजी कम्पनियों को बेचने को उसके इतिहास की सबसे बड़ी ‘गराज सेल’ कहा गया।

प्रश्न 45.
मध्य एशियाई गणराज्यों में किस संसाधन का विशाल भंडार है?
उत्तर:
मध्य एशियाई गणराज्यों में हाइड्रोकार्बनिक (पेट्रोलियम) संसाधनों का विशाल भंडार है।

प्रश्न 46.
सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस ने किस तरह की अर्थव्यवस्था को अपनाया?
उत्तर:
उदारवादी अर्थव्यवस्था को।

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प्रश्न 47.
ताजिकिस्तान में हुआ गृह-युद्ध कितने वर्ष तक चलता रहा?
उत्तर:
ताजिकिस्तान में हुआ गृह-युद्ध 1991 से 2001 तक दस वर्षों तक चलता रहा।

प्रश्न 48.
पूर्व सोवियत संघ में कितने गणराज्य तथा स्वायत्तशासी गणराज्य सम्मिलित थे?
उत्तर:
पूर्व सोवियत संघ में 15 गणराज्य तथा 20 स्वायत्त गणराज्य और 18 स्वायत्तशासी गणराज्य सम्मिलित थे।

प्रश्न 49.
ब्लादिमीर लेनिन कौन थे?
उत्तर:
ब्लादिमीर लेनिन रूस में बोल्शेविक पार्टी के संस्थापक, 1917 की रूसी क्रांति के नायक तथा सोवियत संघ के संस्थापक अध्यक्ष थे।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बर्लिन की दीवार का निर्माण एवं विध्वंस किस प्रकार की ऐतिहासिक घटना कहलाती है?
उत्तर:
शीत युद्ध के उत्कर्ष के चरम दौर में सन् 1961 में बर्लिन की दीवार खड़ी की गई। यह दीवार शीत युद्ध का प्रतीक रही। सन् 1989 में पूर्वी जर्मनी की आम जनता ने इसे गिरा दिया। यह दोनों जर्मनी के एकीकरण, साम्यवादी खेमे की समाप्ति तथा शीत युद्ध की समाप्ति की शुरूआत थी ।

प्रश्न 2.
सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में गतिरोध क्यों आया?
उत्तर:
सोवियत संघ ने अपने संसाधनों का अधिकांश भाग परमाणु हथियारों के विकास, सैन्य साजो-सामान के निर्माण तथा पूर्वी यूरोप के देशों के विकास पर लगाया इसलिए इसकी राजनीतिक-आर्थिक संस्थाएँ आंतरिक रूप से कमजोर हो गईं। फलतः इसकी अर्थव्यवस्था में गतिरोध आ गया।

प्रश्न 3.
द्वि- ध्रुवीयता से आप क्या समझते हैं? युद्ध के पश्चात्
उत्तर:
द्विध्रुवीयता से आशय है विश्व का दो गुटों में बंटा होना द्वितीय विश्व विश्व पूँजीवादी तथा साम्यवादी दो गुटों में बंट गया पूँजीवादी गुट का नेता अमरीका तथा साम्यवादी गुट का नेता सोवियत संघ था।

प्रश्न 4.
द्वि- ध्रुवीय विश्व के पतन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व सोवियत संघ और अमेरिका के दो गुटों में विभाजित हो गया था। इसलिए इसे द्विध्रुवीय विश्व कहा जाता था। लेकिन 1991 में सोवियत संघ के पतन होने से दूसरे ध्रुव (गुट) का पतन हो गया। इसी को द्वि- ध्रुवीय विश्व का पतन कहा जाता है।

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प्रश्न 5.
शॉक थेरेपी से क्या आशय है?
उत्तर:
शॉक थेरेपी से आशय है कि धीरे-धीरें परिवर्तन न करके एकदम आमूल-चूल परिवर्तन के प्रयत्नों को लादना रूसी गणराज्य में शॉक थैरेपी के अन्तर्गत तुरत-फुरत निजी स्वामित्व, मुक्त व्यापार, वित्तीय खुलापन तथा मुद्राओं की आपसी परिवर्तनीयता पर बल दिया गया

प्रश्न 6.
आपकी राय में शॉक थेरेपी का रूस की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा? ‘शॉक थेरेपी’ से क्या हानि हुई ?
अथवा
उत्तर:

  1. शॉक थेरेपी से रूस में पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गयी;
  2. इससे इस क्षेत्र की जनता को बर्बादी की मार झेलनी पड़ी;
  3. इससे रूस का औद्योगिक ढाँचा चरमरा गया।

प्रश्न 7.
आपकी राय में सोवियत संघ के विघटन के दो मुख्य कारण क्या थे?
अथवा
सोवियत संघ के विघटन का तात्कालिक कारण क्या था ?
उत्तर:

  1. सोवियत संघ के विघटन का पहला कारण उसकी राजनीतिक आर्थिक संस्थाओं की अंदरूनी कमजोरी था।
  2. सोवियत संघ के विघटन का दूसरा और सर्वाधिक तात्कालिक कारण था – विभिन्न गणराज्यों – बाल्टिक गणराज्य, उक्रेन, रूस तथा जार्जिया आदि में राष्ट्रीयता और संप्रभुता के भावों का उभार।

प्रश्न 8.
सोवियत संघ में आम जनता कम्युनिस्ट पार्टी तथा राजनीतिक व्यवस्था तथा शासकों से अलग- थलग क्यों पड़ गयी थी?
उत्तर:
सोवियत संघ में 90 के दशक में कम्युनिस्ट पार्टी जनता के प्रति जवाबदेह नहीं रह गयी थी। गतिरुद्ध प्रशासन, भारी भ्रष्टाचार, शासकों की अक्षमता, खुलापन लाने की अनिच्छा तथा सत्ता के केंन्द्रीकृत होने आदि बातों के कारण आम जनता शासन व शासकों से अलग-थलग पड़ गयी थी।

प्रश्न 9.
सोवियत संघ के विघटन के कोई दो परिणाम स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सोवियत संघ के पतन के परिणाम लिखिए।
उत्तर:

  1. सोवियत संघ के पतन के परिणामस्वरूप शीतयुद्ध के दौर का संघर्ष समाप्त हो गया।
  2. सोवियत संघ के पतन के परिणामस्वरूप एकध्रुवीय विश्व का उदय हुआ।
  3. सोवियत संघ के पतन के परिणामस्वरूप अनेक नये देशों को स्वतंत्र पहचान मिली।

प्रश्न 10.
भारत-रूस सम्बन्धों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1. भारत-रूस सम्बन्धों का इतिहास आपसी विश्वास और साझे हितों का इतिहास है।
  2. भारत और रूस दोनों देशों के आपसी सम्बन्ध इन देशों की जनता की अपेक्षाओं से मेल खाते हैं।
  3. दोनों देशों का सपना बहुध्रुवीय विश्व का है।

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प्रश्न 11.
सोवियत प्रणाली का पूर्वी यूरोप या दूसरी दुनिया पर क्या प्रारम्भिक प्रभाव पड़ा था?
उत्तर:
दूसरे विश्व युद्ध के बाद पूर्वी यूरोप के देश सोवियत संघ के अंकुश में आ गये थे। सोवियत सेना ने उन्हें फासीवादी ताकतों के चंगुल से मुक्त कराया था। इन सभी देशों की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को सोवियत संघ की समाजवादी प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया।

प्रश्न 12.
जोजेफ स्टालिन का सोवियत संघ के एक महत्त्वपूर्ण नेता के रूप में संक्षिप्त परिचय दीजिए
उत्तर:
जोजेफ स्टालिन – जोजेफ स्टालिन लेनिन के बाद सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता और राष्ट्राध्यक्ष बने उन्होंने सोवियत संघ का 1924 से 1953 तक नेतृत्व किया। उनके काल में सोवियत संघ में औद्योगीकरण को बढ़ावा मिला तथा खेती का बलपूर्वक सामूहिकीकरण किया गया। उन्हीं के काल में शीतयुद्ध का प्रारम्भ हुआ।

प्रश्न 13.
निकिता ख्रुश्चेव का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
निकिता ख्रुश्चेव निकिता ख्रुश्चेव स्टालिन के बाद सन् 1953 में सोवियत संघ के राष्ट्रपति बने और 1964 तक वे इस पद पर बने रहे। उन्होंने पश्चिम के साथ ‘शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व’ का सुझाव रखा तथा हंगरी के जन- विद्रोह का दमन किया।

प्रश्न 14.
लिओनिद ब्रेझनेव का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
लिओनिद ब्रेझनेव लिओनिद ब्रेझनेव सन् 1964 से 1982 तक सोवियत संघ के राष्ट्रपति रहे थे। उन्होंने एशिया की सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था का सुझाव दिया था। वे सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच सम्बन्ध सुधारने तथा पारस्परिक तनाव में कमी लाने के लिए प्रयत्नशील रहे।

प्रश्न 15.
मिखाइल गोर्बाचेव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ के अन्तिम राष्ट्रपति (1985 से 1991 तक) थे। उन्होंने सोवियत संघ में पेरेस्त्रोइका (पुनर्रचना) और ग्लासनोस्त ( खुलेपन) के आर्थिक और राजनैतिक सुधार शुरू किये। उन्होंने शीतयुद्ध समाप्त किया।

प्रश्न 16.
बोरिस येल्तसिन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
बोरिस येल्तसिन सोवियत संघ के विघटन के बाद बोरिस येल्तसिन रूस के प्रथम चुने हुए राष्ट्रपति बने । इस पद पर उन्होंने 1991 से 1999 तक कार्य किया। सन् 1991 में सोवियत संघ के शासन के विरुद्ध उठे विरोधी आन्दोलन का नेतृत्व करते हुए उन्होंने सोवियत संघ के विघटन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी

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प्रश्न 17.
चेकोस्लोवाकिया के विघटन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
सोवियत संघ के साम्यवादी गठबंधन से मुक्त होकर लोकतंत्रीय आंदोलन में चेकोस्लोवाकिया में राष्ट्रवादी ज्वार उठा और चेकोस्लोवाकिया शांतिपूर्ण ढंग से चेक और स्लोवाकिया नामक दो देशों में विभाजित हो गया। चेकोस्लोवाकिया इन्हीं दो राष्ट्रीयताओं से मिलकर बना था।

प्रश्न 18.
यूगोस्लाविया का विघटन किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
यूगोस्लाविया में गहन जातीय संघर्ष हुआ और सन् 1991 में यूगोस्लाविया कई प्रान्तों में विभाजित हो गया। यूगोस्लाविया में शामिल बोस्निया हर्जेगोविना, स्लोवेनिया तथा क्रोएशिया ने अपने को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया ।

प्रश्न 19.
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् स्वतंत्र हुए 15 गणराज्यों के नाम लिखिये।
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् स्वतंत्र हुए 15 गणराज्य ये हैं।
रूसी संघ, कजाकिस्तान, एस्टोनिया, लताविया, लिथुआनिया, बेलारूस, उक्रेन, माल्दोवा, आर्मेनिया, जार्जिया, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान,  उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान।

प्रश्न 20.
शीत युद्ध के दौरान भारत व सोवियत संघ के बीच आर्थिक सम्बन्धों की विवेचना कीजिए
उत्तर:
शीत युद्ध के दौरान भारत व सोवियत संघ के बीच आर्थिक सम्बन्ध घनिष्ठ थे। यथा

  1. सोवियत संघ ने भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों को ऐसे वक्त में आर्थिक और तकनीकी मदद की जब ऐसी मदद पाना मुश्किल था।
  2. भारत में जब विदेशी मुद्रा की कमी थी तब उसने रुपये में भारत के साथ व्यापार किया।

प्रश्न 21.
सोवियत संघ के प्रति राष्ट्रवादी असन्तोष यूरोपीय और अपेक्षाकृत समृद्ध गणराज्यों में सबसे प्रबल क्यों रहा?
उत्तर:
सोवियत संघ के प्रति राष्ट्रवादी असन्तोष यूरोपीय और अपेक्षाकृत समृद्ध गणराज्यों रूस, उक्रेन, जार्जिया और बाल्टिक क्षेत्र में सबसे प्रबल रहा क्योंकि-

  1. यहाँ के आम लोग अपने को मध्य एशियाई गणराज्यों के लोगों से अलग-थलग महसूस कर रहे थे।
  2. यहाँ के लोगों में यह भाव घर कर गया था कि ज्यादा पिछड़े इलाकों को सोवियत संघ में शामिल रखने की उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।

प्रश्न 22.
सोवियत संघ के विघटन का तात्कालिक कारण क्या रहा तथा इसके पीछे निहित कारणों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन का अन्तिम और तात्कालिक कारण था राष्ट्रवादी भावनाओं और सम्प्रभुता की इच्छा का उभार। सोवियत संघ के विभिन्न गणराज्य सोवियत संघ से स्वतन्त्र होकर अपना पृथक् सम्प्रभु राज्य के निर्माण करने को आन्दोलनरत हुए। राष्ट्रीयता और सम्प्रभुता के ज्वार के उठने के अनेक कारण बताये जाते हैं-

  1. सोवियत संघ के आकार, विविधता तथा उसकी बढ़ती हुई आन्तरिक समस्याओं ने लोगों को इस ओर सोचने को प्रेरित किया।
  2. गोर्बाचेव के सुधारों ने राष्ट्रवादियों के असन्तोष को इस सीमा तक भड़काया कि उस पर शासकों का नियन्त्रण नहीं रहा ।
  3. यूरोपीय तथा बाल्टिक गणराज्यों में यह भाव घर कर गया था कि ज्यादा पिछड़े इलाकों को सोवियत संघ में शामिल रखने की उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अंत

प्रश्न 23.
सोवियत प्रणाली क्या थी?
अथवा
सोवियत प्रणाली की विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ।
उत्तर:
समाजवादी सोवियत गणराज्य (यू.एस.एस.आर.) रूस में हुई 1917 की समाजवादी क्रान्ति के बाद अस्तित्व में आया। सोवियत प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ ये थीं

  1. सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी। इसमें किसी अन्य राजनीतिक दल या विपक्ष के लिए जगह नहीं थी।
  2. सोवियत आर्थिक प्रणाली योजनाबद्ध और राज्य के नियन्त्रण में थी, सम्पत्ति पर राज्य का स्वामित्व व नियन्त्रण था।
  3. सोवियत संघ की संचार प्रणाली बहुत उन्नत थी।
  4. उसके पास विशाल ऊर्जा संसाधन था, घरेलू उपभोक्ता उद्योग भी बहुत उन्नत था । सरकार ने अपने सभी नागरिकों के लिए न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित कर दिया था । बेरोजगारी नहीं थी ।

प्रश्न 24.
सोवियत संघ के विघटन में गोर्बाचेव की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन में गोर्बाचेव की भूमिका – सोवियत संघ के विघटन का एक प्रमुख कारण गोर्बाचेव की सुधारवादी नीतियाँ भी रही थीं। गोर्बाचेव ने देश में स्वतंत्रता, समानता, राष्ट्रीयता और भ्रातृत्व व एकता के वातावरण को तैयार किए बिना ही पुनर्गठन (पेरेस्त्रोइका) व खुलापन ( ग्लासनोस्त) जैसी नीतियों को लागू कर दिया। परिणामस्वरूप सोवियत संघ के कुछ राष्ट्रों को संघ से अलग होने के निर्णय को मान्यता देनी पड़ी। तत्पश्चात् एक के बाद एक सभी गणराज्य : स्वतंत्र होते चले गये और देखते ही देखते सोवियत संघ का विघटन हो गया।

प्रश्न 25.
सोवियत प्रणाली की किन्हीं चार कमियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
सोवियत प्रणाली के प्रमुख दोषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सोवियत प्रणाली में निम्नलिखित प्रमुख दोषों ने अपनी पैठ बना ली थी, जिसके कारण सोवियत अर्थव्यवस्था ठहर गयी थी। यथा

  1. सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का शिकंजा कसता चला गया। यह प्रणाली सत्तावादी होती गई और नागरिकों का जीवन कठिन होता चला गया।
  2. सोवियत संघ में कम्युनिस्ट पार्टी के शासन का सभी संस्थाओं पर गहरा अंकुश था। यह दल जनता के प्रति जवाबदेह नहीं था।
  3. संघ के 15 गणराज्यों में रूस का हर मामले में प्रभुत्व था । अन्य गणराज्यों की जनता अक्सर उपेक्षित और दमित महसूस करती थी।
  4. उत्पादकता और प्रौद्योगिकी के मामले में सोवियत संघ पश्चिम के देशों से बहुत पीछे रह गया था। इससे हर तरह की उपभोक्ता वस्तुओं की कमी हो गई थी।

प्रश्न 26.
स्पष्ट कीजिए कि पूर्व सोवियत संघ के अधिकांश गणराज्य संघर्ष व संघर्ष की आशंका से ग्रस्त रहे हैं।
उत्तर:
पूर्व सोवियत संघ के अधिकांश गणराज्य संघर्षों से ग्रस्त रहे हैं। यथा

  1. रूस के दो गणराज्यों चेचन्या और दागिस्तान में हिंसक अलगाववादी आन्दोलन चले।
  2. ताजिकिस्तान दस वर्षों तक अर्थात् 2001 तक गृहयुद्धों की चपेट में रहा।
  3. अजरबैजान का एक प्रान्त नगरनो कराबाख है। यहाँ के कुछ स्थानीय अर्मेनियाई अलग होकर आर्मेनिया से मिलना चाहते हैं।
  4. जार्जिया में दो प्रान्त स्वतन्त्रता चाहते हैं और गृहयुद्ध लड़ रहे हैं।
  5. युक्रेन, किरगिझस्तान तथा जार्जिया में मौजूदा शासन को उखाड़ फेंकने के लिए आन्दोलन चल रहे हैं।
  6. कई देश और प्रान्त नदी – जल के प्रश्न पर आपस में भिड़े हुए हैं।

प्रश्न 27.
मध्य एशियाई गणराज्यों में बाहरी ताकतों की बढ़ती दखल की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मध्य एशियाई गणराज्यों में पेट्रोलियम संसाधनों का विशाल भण्डार है। इसी कारण से यह क्षेत्र बाहरी ताकतों और तेल कम्पनियों की आपसी प्रतिस्पर्द्धा का अखाड़ा भी बन गया है। यथा

  1. यह क्षेत्र रूस, चीन और अफगानिस्तान से सटा है और पश्चिम एशिया के नजदीक है।
  2. अमरीका इस क्षेत्र में सैनिक ठिकाना बनाना चाहता है।
  3. रूस इन राज्यों को अपना निकटवर्ती ‘विदेश’ मानता है और उसका मानना है कि इन राज्यों को रूस के प्रभाव में रहना चाहिए।
  4. खनिज तेल जैसे संसाधन की मौजूदगी के कारण चीन के हित भी इस क्षेत्र से जुड़े हैं और चीनियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में आकर व्यापार करना शुरू कर दिया है।

प्रश्न 28.
मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत प्रणाली में सुधार क्यों लाना चाहते थे?
अथवा
किन कारणों ने गोर्बाचेव को सोवियत संघ में सुधार करने के लिए बाध्य किया?
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत प्रणाली में निम्नलिखित कारणों की वजह से सुधार लाना चाहते थे-

  1. सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था पश्चिमी देशों की तुलना में काफी पिछड़ गई थी; अर्थव्यवस्था में गतिरोध पैदा होने की वजह से देश में उपभोक्ता वस्तुओं की भारी कमी उत्पन्न हो रही थी। सोवियत संघ को उत्पादकता और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पाश्चात्य देशों की बराबरी करने के लिए गोर्बाचेव सोवियत प्रणाली में सुधार लाना चाहते थे।
  2. सोवियत संघ के अधिकांश गणराज्य समाजवादी शासन से ऊब गये थे और वे विद्रोह करने पर आमादा हो गये थे।
  3. गोर्बाचेव ने पश्चिम के देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने तथा सोवियत संघ को लोकतांत्रिक रूप देने के लिए वहां सुधार करने का फैसला किया।

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प्रश्न 29.
द्वि- ध्रुवीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अन्तर्राष्ट्रीय जगत् में दो महाशक्तियाँ उभर कर आयीं। ये थीं-

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका और
  2. सोवियत संघ। दोनों ने अपने प्रभाव क्षेत्र में विस्तार करने के लिए प्रयास किये; इससे उनके मध्य शीत युद्ध प्रारम्भ हो गया। इस शीत युद्ध ने यूरोप को अमेरिकी खेमे और साम्यवादी खेमे में बाँट दिया। सन्धियों व प्रतिसन्धियों ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में विश्व को परस्पर दो विरोधी खेमों में बाँट दिया, जिसमें प्रत्येक का नेतृत्व एक महाशक्ति द्वारा किया जा रहा था । इसी अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था को द्वि- ध्रुवीकरण कहा गया।

प्रश्न 30.
“भारत का उज्बेकिस्तान से मजबूत सांस्कृतिक संबंध है इसका उदाहरण यह है कि इस देश में हिन्दुस्तानी फिल्मों की धूम रहती है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उज्बेकिस्तान तथा भारत में अच्छे तथा मजबूत सांस्कृतिक संबंध है। इसका प्रमाण हमें फिल्मों द्वारा मिलता है। सोवियत संघ को विघटित हुए सात साल बीत गए लेकिन हिन्दी फिल्मों के लिए उज्बेक लोगों में वही ललक मौजूद है। हिन्दुस्तान में कोई नई फिल्म रिलीज होने के चंद हफ्तों के भीतर इसकी पाइरेटेड कॉपियाँ उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में बिकने के लिए उपलब्ध हो जाती है । उज्बेक लोग मध्य एशियाई हैं, वे एशिया के अंग हैं। उनकी एक साझी संस्कृति है। यहाँ अधिकांश लोग – हिन्दी गा लेते हैं। अर्थ चाहे न मालूम हो लेकिन उसका उच्चारण सही होता है और वे संगीत भी पकड़ लेते हैं। भारतीय फिल्मों और उनके ‘हीरो’ के लिए उज्बेकी लोगों की दीवानगी उज्बेकिस्तानवासी अनेक भारतीयों को आश्चर्यजनक जान पड़ती है।

प्रश्न 31.
द्वि- ध्रुवीय विश्व के पतन के कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर:
द्विध्रुवीय विश्व के पतन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  1. अमेरिकी गुट में फूट – द्वि- ध्रुवीय विश्व के पतन का एक प्रमुख कारण अमेरिकी गुट में फूट पड़ना था। फ्रांस जैसा देश अमेरिका पर अविश्वास करने लगा था।
  2. सोवियत गुट में फूट – सोवियत गुट से पूर्वी यूरोपीय देशों तथा चीन का अलग होना सोवियत खेमे को कमजोर कर गया।
  3. सोवियत संघ का पतन – द्विध्रुवीय विश्व के पतन का अन्तिम प्रभावी कारण सोवियत संघ का पतन रहा।
  4. गुटनिरपेक्ष आन्दोलन – गुटनिरपेक्ष आन्दोलन ने अधिकांश विकासशील देशों को दोनों गुटों से अलग रखने में सफलता पायी। इससे द्विध्रुवीय विश्व को झटका लगा।

प्रश्न 32.
सोवियत संघ और पूर्वी यूरोप की समाजवादी व्यवस्था की दूसरी दुनिया के विघटन के परिणाम विश्व राजनीति के लिहाज से गंभीर रहे – स्पष्ट कीजिये।
अथवा
सोवियत संघ तथा पूर्वी यूरोप की समाजवादी व्यवस्था के विघटन के विश्व राजनीति में क्या परिणाम निकले?
उत्तर:
पूर्वी यूरोप की समाजवादी व्यवस्था तथा सोवियत संघ के विघटन के परिणाम विश्व राजनीति के लिहाज से गंभीर रहे। इसके निम्न परिणाम रहे

  1. दूसरी दुनिया के पतन का एक परिणाम शीत युद्ध के दौर के संघर्ष की समाप्ति में हुआ। शीत युद्ध के समाप्त होने से हथियारों की होड़ भी समाप्त हो गई और एक नई शांति की संभावना का जन्म हुआ।
  2. दूसरी दुनिया के पतन से विश्व राजनीति में शक्ति-संबंध बदल गए और इस कारण विचारों और संस्थाओं के आपेक्षिक प्रभाव में भी बदलाव आया।
  3. सोवियत संघ के पतन के बाद अमरीका अकेली महाशक्ति बन कर उभरा और एक- ध्रुवीय विश्व राजनीति सामने आयी।
  4. सोवियत खेमे के अन्त से अनेक नये देशों का उदय हुआ। इन देशों ने रूस के साथ अपने मजबूत रिश्ते को जारी रखते हुए पश्चिमी देशों के साथ सम्बन्ध बढ़ाये।

प्रश्न 33.
मान लीजिए सोवियत संघ का विघटन नहीं हुआ होता तथा विश्व 1980 के मध्य की तरह द्वि- ध्रुवीय होता, तो यह अन्तिम दो दशकों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता? इस प्रकार के विश्व के तीन क्षेत्रों या प्रभाव तथा विकास का वर्णन करें, जो नहीं हुआ होता?
उत्तर:
1991 में यदि सोवियत संघ का पतन नहीं हुआ होता तो ये अन्तिम दोनों दशक भी शीत युद्ध की राजनीति से प्रभावित रहते और विश्व में निम्नलिखित प्रभाव होते-

  1. एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था की स्थापना नहीं होती – यदि सोवियत संघ का पतन नहीं हुआ होता तो विश्व राजनीति में एक ही महाशक्ति अमरीका का यह वर्चस्व नहीं होता।
  2. अफगानिस्तान तथा इराक देशों की स्थिति में परिवर्तन- यदि सोवियत संघ का पतन न हुआ होता तो अफगानिस्तान और इराक में सोवियत संघ अमेरिका का विरोध करता और युद्ध का विरोध करता।
  3. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थिति में परिवर्तन – यदि सोवियत संघ का पतन नहीं होता तो संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिका की मनमानी नहीं चलती और संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रभावशीलता समाप्त नहीं होती।

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प्रश्न 34.
रूस और भारत दोनों का सपना बहुध्रुवीय विश्व का है। संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
रूस और भारत दोनों का सपना बहुध्रुवीय विश्व का है। बहुध्रुवीय विश्व से इन दोनों देशों का आशय यह है कि अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर कई शक्तियाँ मौजूद हों, सुरक्षा की सामूहिक जिम्मेदारी हो (यानी किसी भी देश पर हमला हो तो सभी देश उसे अपने लिए खतरा माने और साथ मिलकर कार्रवाई करें ); क्षेत्रीयताओं का ज्यादा जगह मिले; अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों का समाधान बातचीत के द्वारा हो; हर देश की स्वतन्त्रता विदेश नीति हो और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं द्वारा फैसले किए जाएँ तथा इन संस्थाओं को मजबूत, लोकतांत्रिक और शक्तिसंपन्न बनाया जाए।

प्रश्न 35.
शीतयुद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के राजनीतिक संबंध पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
शीतयुद्ध के दौरान सोवियत संघ ने कश्मीर मामले पर संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत के रूख को समर्थन दिया । सोवियत संघ ने भारत के संघर्ष के गाढ़े दिनों, खासकर सन् 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान मदद की। भारत ने भी सोवियत संघ की विदेश नीति का अप्रत्यक्ष, लेकिन महत्त्वपूर्ण तरीके से समर्थन किया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण स्पष्ट कीजिए । सोवियत संघ के विघटन के कारण
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
1. राजनीतिक:
आर्थिक संस्थाओं की अंदरूनी कमजोरी- सोवियत संघ की राजनीतिक-आर्थिक संस्थाएँ अंदरूनी कमजोरी के कारण लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकीं। कई सालों तक उसकी अर्थव्यवस्था गतिरुद्ध रही इससे उपभोक्ता वस्तुओं की बड़ी कमी हो गई और सोवियत संघ की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अपनी राज व्यवस्था को शक की नजर से देखने लगा, उस पर खुले आम सवाल खड़े करने शुरू किये।

2. लोगों को अपने पिछड़ेपन की पहचान होना:
जब पश्चिमी देशों की प्रगति और अपने पिछड़ेपन के बारे में सोवियत संघ के आम नागरिकों की जानकारी बढ़ी तो इससे सोवियत संघ के लोगों को राजनीतिक मनोवैज्ञानिक रूप से धक्का लगा।

3. प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से गतिरुद्धता:
सोवियत संघ की प्रशासनिक गतिरुद्धता, पार्टी का जनता के प्रति जवाबदेह न रह जाना, भारी भ्रष्टाचार, शासन में ज्यादा खुलापन लाने की अनिच्छा तथा सत्ता का केन्द्रीकृत रूप आदि के कारण सरकार का जनाधार खिसकता चला गया।

4. गोर्बाचेव के समर्थन की समाप्ति:
जनता का एक तबका सुधारों की धीमी गति के कारण गोर्बाचेव से नाराज हो गया, तो सुविधाभोगी वर्ग उसके सुधारों की तीव्र गति से नाराज हो गया। इस प्रकार सुधारों के कारण गोर्बाचेव का समर्थन चारों तरफ से समाप्त हो गया।
(5) राष्ट्रवादी भावनाओं और संप्रभुता का ज्वार – बाल्टिक गणराज्य, उक्रेन, जार्जिया जैसे गणराज्यों में राष्ट्रीयता और संप्रभुता के भावों का उभार सोवियत संघ के विघटन का अंतिम और तात्कालिक कारण सिद्ध हुआ।

प्रश्न 2.
सोवियत प्रणाली से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोवियत प्रणाली का अर्थ समाजवादी सोवियत गणराज्य 1917 की समाजवादी क्रांति के बाद अस्तित्व में आया। उसने समाजवाद के आदर्शों एवं समतामूलक समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी संपत्ति की संस्था को समाप्त करने और समाज को समानता के सिद्धान्त पर रचने की जो कोशिश की, उसे ही सोवियत प्रणाली कहा गया। इसमें राज्य और पार्टी की संस्था को प्राथमिक महत्त्व दिया गया। इसकी धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी। अर्थव्यवस्था योजनाबद्ध और राज्य के नियंत्रण में थी। विशेषताएँ – सोवियत प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

  1. समाजवादी खेमे की स्थापना: दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ के नेतृत्व में पूर्वी यूरोप के देशों की राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था को सोवियत प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया। इस खेमे का नेता समाजवादी सोवियत गणराज्य था।
  2. राज्य का स्वामित्व तथा नियंत्रण:  सोवियत प्रणाली में सम्पत्ति का प्रमुख रूप राज्य का स्वामित्व था तथा भूमि और अन्य उत्पादक संपदाओं पर स्वामित्व होने के अलावा नियंत्रण भी राज्य का ही था।
  3. सत्तावादी प्रणाली: सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का शिकंजा कसता चला गया और यह प्रणाली सत्तावादी हो गयी। लोगों को लोकतंत्र तथा अभिव्यक्ति की आजादी नहीं थी।
  4. कम्युनिस्ट पार्टी का शासन:  सोवियत प्रणाली में एक दल यानी कम्युनिस्ट पार्टी का शासन था और इस दल का सभी संस्थाओं पर गहरा अंकुश था। यह दल जनता के प्रति जवाबदेह नहीं था।
  5. रूसी गणराज्य का प्रभुत्व: हालांकि सोवियत संघ के नक्शे में रूस, संघ के 15 गणराज्यों में से एक था लेकिन वास्तव में रूस का हर मामले में प्रभुत्व था।

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प्रश्न 3.
सोवियत संघ के विघटन के कारणों व परिणामों का वर्णन करें।
अथवा
सोवियत संघ का विघटन क्यों हुआ? इस विघटन के परिणाम बताइए।
अथवा
सोवियत संघ के विघटन ( पतन) के उत्तरदायी कारकों का विवेचन कीजिए । सोवियत संघ के पतन के उत्तरदायी कारक
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन या पतन के प्रमुख उत्तरदायी कारक निम्नलिखित थे-

  1. सोवियत संघ की राजनीतिक-आर्थिक संस्थाएँ अपनी आन्तरिक कमजोरियों के कारण लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकीं।
  2. सोवियत संघ ने अपने संसाधन परमाणु हथियार, सैन्य साजो-सामान तथा पूर्वी यूरोप के अन्य पिछलग्गू देशों के विकास पर भी खर्च किए ताकि वे सोवियत नियन्त्रण में बने रहें इससे सोवियत संघ पर गहरा आर्थिक दबाव बना और सोवियत व्यवस्था इसका सामना नहीं कर सकी।
  3. सोवियत संघ के पिछड़ेपन की पहचान से वहां के लोगों को राजनीतिक – मनोवैज्ञानिक रूप से धक्का लगा।
  4. कम्युनिस्ट पार्टी जनता के प्रति उत्तरदायी नहीं रह गयी थी।
  5. गोर्बाचेव ने देश में स्वतन्त्रता, समानता और राष्ट्रीयता व भ्रातृत्व व एकता के वातावरण को तैयार किए बिना ही पुनर्गठन (पेरेस्त्रोइका) व खुलापन ( ग्लासनोस्त) जैसी महत्त्वपूर्ण नीतियों को लागू कर दिया था

सोवियत संघ के विघटन के परिणाम – विश्व राजनीति पर सोवियत संघ के विघटन के गम्भीर परिणाम रहे हैं 1

  1. सोवियत संघ के विघटन के परिणामस्वरूप शीत युद्ध समाप्त हो गया तथा हथियारों की दौड़ भी समाप्त हो गई।
  2. अब संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति बन गया तथा विश्व पर उसका वर्चस्व स्थापित हो गया।
  3. अब पूँजीवादी अर्थव्यवस्था अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभुत्वशाली अर्थव्यवस्था बन गई तथा तृतीय विश्व में साम्यवादी विचारधारा का प्रचार- प्रसार रुक गया।
  4. सोवियत संघ के विघटन के परिणामस्वरूप विश्व में 15 स्वतन्त्र और सम्प्रभु राज्यों की संख्या में बढ़ोतरी हुई।
  5. तृतीय विश्व को अब नए उपनिवेशवाद के खतरे का सामना करना पड़ रहा है तथा मध्य-पूर्व के तेल भण्डारों पर अमरीका ने अपना एकछत्र प्रभुत्व स्थापित कर लिया है।

प्रश्न 4.
मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा किये गये सुधारों से सोवियत संघ का विघटन किस प्रकार हुआ? समझाइये गोर्बाचेव और सोवियत संघ का विघटन
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव 1980 के दशक के मध्य में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव पद पर आसीन हुए। इस समय सोवियत संघ आर्थिक, प्रशासनिक तथा राजनीतिक रूप से गतिरुद्ध हो चुका था। गोर्बाचेव ने अर्थव्यवस्था को सुधारने, पश्चिम की बराबरी पर लाने और प्रशासनिक ढांचे में ढील देने के लिए सुधारों को लागू किया। लेकिन इन सुधारों से सोवियत संघ का विघटन हो गया। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित रहे

  1. लोगों की आकांक्षाओं पर ज्वार उमड़ना: जब गोर्बाचेव ने सुधारों को लागू किया और अर्थव्यवस्था में ढील दी तो लोगों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं का ऐसा ज्वार उमड़ा कि उस पर काबू पाना असंभव हो गया।
  2. राष्ट्रवादी भावनाओं और संप्रभुता की इच्छा का उभार: सोवियत संघ के विभिन्न गणराज्यों में राष्ट्रवादी भावना और संप्रभुता का उभार उठा। राष्ट्रीयता और संप्रभुता के भावों का उभार सोवियत संघ के विघटन का अंतिम और सर्वाधिक तात्कालिक कारण सिद्ध हुआ।
  3. राष्ट्रवादियों का असंतुष्ट होना- कुछ लोगों का मत है कि गोर्बाचेव के सुधारों ने राष्ट्रवादियों के असंतोष को इस सीमा तक भड़काया कि उस पर शासकों का नियंत्रण नहीं रहा।

प्रश्न 5.
शीत युद्ध के दौरान भारत तथा सोवियत संघ सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
अथवा
शीत युद्ध के दौरान पूर्ववर्ती सोवियत संघ के साथ भारत के सम्बन्धों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
भारत और सोवियत संघ सम्बन्ध
शीत युद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के सम्बन्ध बहुआयामी थे। यथा-
1. आर्थिक सम्बन्ध:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सोवियत संघ भारत का सबसे बड़ा साझीदार था। इस व्यापार का सालाना कारोबार दो हजार करोड़ रुपये से ऊपर पहुँच गया था। सोवियत संघ ने भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों की ऐसे वक्त में मदद की जब ऐसी मदद पाना मुश्किल था। भारत में जब विदेशी मुद्रा की कमी थी तब सोवियत संघ ने रुपये को माध्यम बनाकर भारत के साथ व्यापार किया।

2. राजनीतिक सम्बन्ध:
सोवियत संघ ने कश्मीर मामले पर संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के दृष्टिकोण को समर्थन दिया। सोवियत संघ ने भारत को सन् 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान सहायता की। भारत ने भी सोवियत संघ की विदेश नीति का अप्रत्यक्ष, लेकिन महत्त्वपूर्ण तरीके से समर्थन किया।

3. भारत:
सोवियत सैन्य सम्बन्ध – शीत युद्ध काल में सैनिक साजो-सामान के आयात व उत्पादन के मामले में भारत सोवियत संघ पर काफी निर्भर रहा सोवियत संघ ने भारत को सैनिक सामान के सम्बन्ध में पूर्ण मदद की। उसने भारत के साथ ऐसे कई समझौते किये जिससे भारत संयुक्त रूप से सैन्य उपकरण तैयार कर सका।

4. भारत:
सोवियत सांस्कृतिक सम्बन्ध – प्रारम्भ से ही भारत व सोवियत संघ का यह प्रयत्न रहा है कि आर्थिक व सामरिक परिप्रेक्ष्य में सम्बन्धों को सांस्कृतिक आदान-प्रदान का जामा पहनाया जाए। यही कारण है कि हिन्दी फिल्म तथा भारतीय संस्कृति सोवियत संघ में काफी लोकप्रिय रहीं।

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प्रश्न 6.
शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद भारत-रूस तथा पूर्व साम्यवादी गणराज्य के सम्बन्धों का विवरण दीजिये।
उत्तर:
भारत और रूस सम्बन्ध शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भारत-रूस सम्बन्धों को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।

  • दोनों देशों की जनता की अपेक्षाओं में समानता: भारत-रूस के आपसी सम्बन्ध इन देशों की जनता की अपेक्षाओं से मेल खाते हैं। हम वहाँ हिन्दी फिल्मों के गीत बजते सुन सकते हैं। भारत यहाँ के जनमानस का एक अंग है।
  • बहुध्रुवीय विश्व पर दोनों देशों का समान दृष्टिकोण: रूस और भारत दोनों का सपना बहुध्रुवीय विश्व का है। बहुध्रुवीय विश्व से इन दोनों का आशय यह है कि अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर कई शक्तियाँ विद्यमान हों; सुरक्षा की सामूहिक जिम्मेदारी की व्यवस्था हो; क्षेत्रीयताओं को ज्यादा जगह मिले; अन्तर्राष्ट्रीय संघर्षों का समाधान बातचीत के द्वारा हो, हर देश की स्वतंत्र विदेश नीति हो और संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाओं द्वारा फैसले किये जाएं तथा इन संस्थओं को मजबूत, लोकतांत्रिक और शक्ति – सम्पन्न बनाया जाये।
  • विभिन्न मुद्दों व विषयों में परस्पर सहयोग:
    1. कश्मीर समस्या, ऊर्जा – आपूर्ति तथा अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के दृष्टिकोणों में समानता रही है।
    2. भारतीय सेनाओं को अधिकांश सैनिक साजो-सामान रूस से प्राप्त होते हैं तथा भारत रूस के लिए हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा खरीददार है।
    3. रूस ने तेल के संकट के समय हमेशा भारत की मदद की है तथा रूस के लिए भारत तेल के आयातक देशों में एक प्रमुख देश है।

भारत और पूर्व – साम्यवादी गणराज्यों के साथ सम्बन्ध: भारत कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान गणराज्यों के साथ पारस्परिक सहयोग की परम्परागत नीति का पालन कर रहा है। इन गणराज्यों के साथ सहयोग के अन्तर्गत तेल वाले इलाकों में साझेदारी और निवेश करना भी शामिल है।

प्रश्न 7.
सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस की विश्व परिदृश्य पर भूमिका का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस की विश्व राजनीति में भूमिका सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस की विश्व परिदृश्य में भूमिका का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है।

  • रूस तथा राष्ट्रकुल: सोवियत संघ के सभी गणराज्यों ने संयुक्त राष्ट्र संघ में सोवियत संघ का स्थान रूसी गणराज्य को दिये जाने की सिफारिश की।
  • रूस तथा विश्व के अन्य राष्ट्रों से सम्बन्ध:  सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस के अमरीका व विश्व के अन्य प्रमुख राष्ट्रों के बीच सम्बन्धों को निम्न प्रकार रेखांकित किया जा सकता है।
    1. रूस संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है।
    2. रूस ने अब अमरीका व यूरोपीय देशों के साथ घनिष्ठ आर्थिक सम्बन्ध स्थापित किये हैं।
    3. परस्पर एक-दूसरे के देशों की यात्राओं व समझौतों के द्वारा रूस चीन की निकटता बढ़ी है।
    4. रूस और जापान के सम्बन्धों में भी निकटता आयी है।

इस प्रकार विभिन्न प्रमुख देशों से संबंध सुधार कर रूस पुनः विश्व राजनीति में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

3. विश्व राजनीति में गौण भूमिका:
रूस (सोवियत संघ के विघटन के बाद) वर्तमान में एक महाशक्ति नहीं रहा है, यद्यपि उसके पास अणु-परमाणु अस्त्रों-प्रक्षेपास्त्रों का भण्डार है लेकिन आर्थिक दृष्टि से उसकी अर्थव्यवस्था जर्जर है। वर्तमान में दूसरे देशों की भूमि पर उनकी उपस्थिति घट गई है। अब वह घटनाओं को अपनी इच्छानुसार मोड़ नहीं दे सकता। इसी तरह अब वह अपने पुराने मित्रों की सहायता करने में सक्षम नहीं रहा है। सुरक्षा परिषद् में अब वह अमेरिका का विरोध कर सकने की स्थिति में नहीं रह गया है।

प्रश्न 8.
सोवियत खेमे के विघटन के घटना चक्र पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
सोवियत खेमे के विघटन का घटना चक्र सोवियत संघ नीति साम्यवादी गुट के विघटन की प्रक्रिया को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।

  1. मार्च, 1985 में गोर्बाचेव सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव चुने गए। बोरिस येल्तसिन को रूस की कम्युनिस्ट पार्टी का प्रमुख बनाया। उन्होंने सोवियत संघ में सुधारों की श्रृंखला प्रारम्भ कर दी।
  2. 1988 में लिथुआनिया में आजादी के लिए आन्दोलन शुरू हुए। यह आंदोलन एस्टोनिया और लताविया में भी फैला।
  3. अक्टूबर, 1989 में सोवियत संघ ने घोषणा कर दिया कि ‘वारसा समझौते’ के सदस्य अपना भविष्य तय करने के लिए स्वतंत्र है। नवंबर में बर्लिन की दीवार गिरी।
  4. फरवरी, 1990 में गोर्बाचेव ने सोवियत संसद ड्यूमा के चुनाव के लिए बहुदलीय राजनीति की शुरुआत की। सोवियत सत्ता पर कम्युनिस्ट पार्टी का 72 वर्ष पुराना एकाधिकार समाप्त।
  5. जून, 1990 में रूसी संसद ने सोवियत संघ से अपनी स्वतंत्रता घोषित की।
  6. मार्च, 1990 में लिथुआनिया स्वतंत्रता की घेषणा करने वाला पहला सोवियत गणराज्य बना।
  7. जून, 1991 में येल्तसिन का कम्युनिस्ट पार्टी से इस्तीफा दे दिया और रूस के राष्ट्रपति बने।
  8. अगस्त, 1991 में कम्युनिस्ट पार्टी के गरमपंथियों ने गोर्बाचेव के खिलाफ एक असफल तख्तापलट किया।
  9. एस्टोनिया, लताविया और लिथुआनिया तीनों बाल्टिक गणराज्य सितंबर, 1991 में संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य बने।
  10. दिसंबर, 1991 में रूस, बेलारूस और उक्रेन ने 1922 की सोवियत संघ के निर्माण से संबद्ध संधि को समाप्त करने का फैसला किया और स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल बनाया। आर्मेनिया, अजरबैजान, माल्दोवा, कजाकिस्तान, किरगिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान ओर उज्बेकिस्तान भी राष्ट्रकुल में शामिल हुए। जार्जिया 1993 में राष्ट्रकुल का सदस्य बना। संयुक्त राष्ट्रसंघ में सोवियत संघ की सीट रूस को मिली।
  11. 25 दिसंबर, 1991 में गोर्बाचेव ने सोवियत संघ के राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दिया। इस प्रकार सोवियत संघ का अंत हो गया।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अंत

प्रश्न 9.
शॉक थेरेपी का अर्थ बताते हुए इसके परिणाम बताइये।
अथवा
शॉक थेरेपी क्या है? शॉक थेरेपी के परिणाम बताइये।
अथवा
शॉक थेरेपी से क्या अभिप्राय है? उत्तर साम्यवादी सत्ताओं पर इसके परिणामों का आकलन कीजिए।
उत्तर:
शॉक थेरेपी से आशय शॉक थेरेपी का आशय है कि धीरे-धीरे परिवर्तन न करके एकदम आमूल-चूल परिवर्तन के प्रयत्नों को लादना । रूसी गणराज्य में इसके तहत तुरत-फुरत निजी स्वामित्व, मुक्त व्यापार, वित्तीय खुलापन · तथा मुद्रा परिवर्तनीयता पर बल दिया गया। ‘शॉक थेरेपी’ के परिणाम 1990 में अपनायी गयी ‘शॉक थेरेपी’ के निम्नलिखित प्रमुख परिणाम निकले

  1. अर्थव्यवस्था का तहस-नहस होना: शॉक थेरेपी से सोवियत संघ के पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई। लगभग 90 प्रतिशत उद्योगों को निजी हाथों या कम्पनियों को बेचा गया। यह कदम सभी उद्योगों को मटियामेट करने वाला साबित हुआ।
  2. रूसी मुद्रा ( रूबल ) में गिरावट: शॉक थेरेपी के कारण ‘रूबल’ को भारी गिरावट का सामना करना पड़ा। इस गिरावट के कारण मुद्रास्फीति इतनी ज्यादा बढ़ गई कि लोगों ने जो पूँजी जमा कर रखी थी, वह धीरे-धीरे समाप्त हो गई और लोग कंगाल हो गये।
  3. खाद्यान्न सुरक्षा की समाप्ति: ‘शॉक थेरेपी’ के परिणामस्वरूप सामूहिक खेती प्रणाली समाप्त हो चुकी थी। अब लोगों की खाद्यान्न सुरक्षा व्यवस्था भी समाप्त हो गयी।
  4. समाज कल्याण की समाजवादी व्यवस्था का खात्मा: शॉक थेरेपी के परिणामस्वरूप रूस तथा अन्य राज्यों में गरीबी का दौर बढ़ता ही चला गया तथा वहाँ अमीरी और गरीबी के बीच विभाजन रेखा बढ़ती चली गई।
  5. लोकतान्त्रिक संस्थाओं के निर्माण को प्राथमिकता नहीं-‘शॉक थेरेपी’ के अन्तर्गत लोकतान्त्रिक संस्थाओं का निर्माण हड़बड़ी में किया गया। फलस्वरूप संसद अपेक्षाकृत कमजोर संस्था रह गयी।

प्रश्न 10.
सोवियत संघ से स्वतन्त्र हुए गणराज्यों में हुए आन्तरिक संघर्ष और तनाव पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन से 15 प्रभुतासम्पन्न राज्यों का जन्म हुआ सोवियत संघ का मुख्य उत्तरदायित्व रूस गणराज्य ने संभाला, क्योंकि सोवियत संघ के अधिकांश गणराज्यों में संघर्ष और तनाव की स्थिति थी। यथा
1. आंदोलन, तनाव तथा संघर्ष की स्थितियाँ: केन्द्रीय एशिया के अधिकांश राज्य सोवियत संघ से विघटन के पश्चात् अनेक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। चेचन्या, दागिस्तान, ताजिकिस्तान तथा अजरबैजान आदि देशों में हिंसा की वारदातों के कारण गृह-युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है। ये देश जातीय और धार्मिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। ताजिकिस्तान, उक्रेन, किरगिझस्तान तथा जार्जिया में शासन से जनता नाराज है और उसको उखाड़ फेंकने के लिए अनेक आन्दोलन चल रहे हैं।

2. नदी जल के सवाल पर संघर्ष – कई देश और प्रान्त नदी जल के सवाल पर परस्पर भिड़े हुए हैं।

3. विदेशी शक्तियों की इस क्षेत्र में रुचि बढ़ना – मध्य एशियाई गणराज्यों में पैट्रोलियम संसाधनों का विशाल भण्डार होने से यह क्षेत्र बाहरी ताकतों और तेल कम्पनियों की आपसी प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा भी बन चला है। फलतः अमेरिका इस क्षेत्र में सैनिक ठिकाना बनाना चाहता है। रूस इन राज्यों को अपना निकटवर्ती ‘विदेश’ मानता है और उसका मानना है कि इन राज्यों को रूस के प्रभाव में रहना चाहिए। चीन के हित भी इस क्षेत्र से जुड़े हैं और चीनियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में आकर व्यापार करना शुरू कर दिया है।

प्रश्न 11.
यदि सोवियत संघ का विघटन नहीं हुआ होता तो एक ध्रुवीय विश्व में हुए कौन-कौन से आर्थिक विकास नहीं होते?
उत्तर:
यदि सोवियत संघ का विघटन नहीं होता तो अन्तर्राष्ट्रीय जगत् में पिछले दो दशकों में हुए निम्नलिखित आर्थिक परिवर्तन या विकास नहीं होते-
1. अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण शुरू नहीं होता:
द्विध्रुवीय विश्व की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ में अमरीकी वर्चस्व स्थापित नहीं होता और व्यापार संगठन पर भी उसका वर्चस्व स्थापित नहीं हो पाता ऐसी स्थिति में अमेरिका विकासशील देशों को उदारीकरण की नीति अपनाने के लिए मजबूर नहीं कर पाता तथा इन देशों में व्यापार नियंत्रण, कोटा प्रणाली और लाइसेंस नीति चलती रहती तो मुक्त व्यापार जैसी स्थितियाँ नहीं आतीं।

2. वैश्विक स्तर पर पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का वर्चस्व नहीं होता:
यदि सोवियत संघ का विघटन नहीं हुआ होता तो पूँजीवादी अर्थव्यवस्था सीमा का अतिक्रमण करने वाली छलांग नहीं लगा पाती क्योंकि साम्यवादी अर्थव्यवस्था उसके मार्ग को अवरुद्ध कर देती और न ही संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे संगठन अनेक देशों से शक्तिपूर्वक अपनी बात मनवा पाते। अमेरिका ने इन अन्तर्राष्ट्रीय अभिकरणों के द्वारा ही अपने. वर्चस्व का विस्तार किया है।

3. पूर्वी यूरोप के साम्यवादी देश शॉक थेरेपी के दौर से नहीं गुजरते:
सोवियत संघ के विघटन के बाद सोवियत संघ के सभी स्वतंत्र गणराज्यों तथा पूर्वी यूरोप के देशों को शॉक थेरेपी के दौर से गुजरना पड़ा तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग निजी क्षेत्र की कम्पनियों को औने-पौने कीमत पर बेच दिये गये। यदि सोवियत संघ का विघटन नहीं हुआ होता तो ये देश शॉक थेरेपी के दौर से नहीं गुजरते।

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