Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन Important Questions and Answers.
JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन
बहुचयनात्मक प्रश्न
1. विश्व की साझी विरासत में क्या शामिल नहीं है।
(अ) वायुमंडल
(ब) सड़क मार्ग
(स) समुद्री सतह
(द) बाहरी अंतरिक्ष
उत्तर:
(ब) सड़क मार्ग
2. क्योटो प्रोटोकॉल सम्मेलन जिस देश में हुआ वह है।
(अ) जापान
(ब) सिंगापुर
(स) नेपाल
(द) बाली
उत्तर:
(स) नेपाल
3. रियो पृथ्वी सम्मेलन में कितने देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया-
(अ) 172
(ब) 170.
(स) 175
(द) 180
उत्तर:
(ब) 170.
4. पर्यावरण के प्रति बढ़ते सरोकारों का कारण है
(अ) पर्यावरण की सुरक्षा मूलवासी लोगों और प्राकृतिक पर्यावासों के लिये जारी है।
(ब) विकसित देश प्रकृति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं।
(स) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुँच गया है।
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुँच गया है।
5. पृथ्वी सम्मेलन कब हुआ
(अ) 1992 में
(ब) 1995 में
(स) 1997 में
(द) 2000 में
उत्तर:
(अ) 1992 में
6. 1992 में संयुक्त राष्ट्रसंघ का पर्यावरण और विकास सम्मेलन कहाँ हुआ था?
(अ) ब्रिटेन
(ब) चीन
(स) ब्राजील
(द) भारत
उत्तर:
(स) ब्राजील
7. धरती के वायुमंडल में निम्न में से जिस गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है, वह है
(अ) ओजोन गै
(ब) कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैसस
(स) मीथेन गैस
(द) नाइट्रस ऑक्साइड गैस
उत्तर:
(अ) ओजोन गै
8. भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल ( 1997) पर हस्ताक्षर किये और इसका अनुमोदन किया-
(अ) सन् 1997 में
(ब) सन् 1998 में
(स) सन् 2002 में
(द) सन् 2001 में
उत्तर:
(स) सन् 2002 में
9. स्थलीय हिम का 90 प्रतिशत हिस्सा और धरती पर मौजूद स्वच्छ जल का 70 प्रतिशत हिस्सा कहाँ मौजूद है?
(अ) लातिनी अमरीका
(ब) अंटार्कटिक
(स) अफ्रीका
(द) फिलीपीन्स
उत्तर:
(ब) अंटार्कटिक
10. ‘लिमिट्स टू ग्रोथ’ नामक पुस्तक किसने प्रकाशित की?
(अ) क्लब ऑवरोम
(स) अवर कॉमन फ्यूचर
(ब) संयुक्त राष्ट्रसंघ
(द) अजेण्डा – 21
उत्तर:
(अ) क्लब ऑवरोम
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. ………………………. के अन्तर्गत औद्योगिक देशों के लिए ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकॉल
2. भारत ने 2 अक्टूबर, 2016 को ………………………. जलवायु समझौते का अनुमोदन किया।
उत्तर:
पेरिस
3. भारत ने पृथ्वी सम्मेलन के समझौतों के क्रियान्वयन …………………….. का एक पुनरावलोकन
उत्तर:
1997
4. फिलीपीन्स के कई समूहों और संगठनों ने मिलकर एक ऑस्ट्रेलियाई बहुराष्ट्रीय कंपनी ………………….. अभियान चलाया।
उत्तर:
वेस्टर्न माइनिंग कारपोरेशन
5. के दशक के शुरुआती और मध्यवर्ती वर्षों में विश्व का पहला बाँध – विरोधी आंदोलन दक्षिणी गोलार्द्ध में चला।
उत्तर:
1980
6. चिले में …………………. नामक मूलवासी रहते हैं।
उत्तर:
मापुशे
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्यावरण सुरक्षा संबंधी भूमंडलीय सम्मेलन कब हुआ?
उत्तर:
पर्यावरण सुरक्षा संबंधी भूमंडलीय सम्मेलन सन् 1975 में हुआ।
प्रश्न 2.
पृथ्वी सम्मेलन जिस शहर में हुआ उसका नाम लिखिये।
अथवा
पृथ्वी सम्मेलन कहाँ हुआ था?
अथवा
पृथ्वी सम्मेलन क्या है तथा यह कब हुआ?
उत्तर:
पृथ्वी सम्मेलन 1992 में रियो डी जेनेरियो (ब्राजील) में हुआ । यह संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण की सुरक्षा और विकास से संबंधित विश्व सम्मेलन है।
प्रश्न 3.
पृथ्वी सम्मेलन की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि क्या रही थी?
उत्तर:
1992 के पृथ्वी सम्मेलन ने पर्यावरण विषय को विश्व राजनीति के प्रमुख मुद्दों में शामिल कर दिया।
प्रश्न 4.
अराल के आसपास बसे हजारों लोगों को घर क्यों छोड़ना पड़ा?
उत्तर:
अराल के आसपास बसे हजारों लोगों को घर छोड़ना पड़ा क्योंकि पानी के विषाक्त होने से मत्स्य उद्योग नष्ट हो गया था।
प्रश्न 5.
1970 के दशक में अफ्रीका की सबसे बड़ी विपदा कौन-सी थी?
उत्तर:
अनावृष्टि
प्रश्न 6.
पर्यावरण प्रदूषण का कोई एक कारण बताएँ।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण का महत्त्वपूर्ण कारण जनसंख्या वृद्धि है।
प्रश्न 7.
पर्यावरण संरक्षण का कोई एक उपाय लिखें।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण के लिये जनसंख्या को नियंत्रित करना आवश्यक है।
प्रश्न 8.
क्योटो प्रोटोकोल सम्मेलन कब और किस देश में हुआ?
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकोल सम्मेलन 1997 में जापान में हुआ।
प्रश्न 9.
भारत ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम कब पास किया?
उत्तर:
भारत ने 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पास किया।
प्रश्न 10.
साझी सम्पदा किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन संसाधनों पर एक व्यक्ति की बजाय पूरे समुदाय का अधिकार हो उसे साझी सम्पदा कहते हैं।
प्रश्न 11.
‘वैश्वी साझी सम्पदा’ से क्या तात्पर्य है?
अथवा
विश्व की साझी विरासत से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘वैश्वी साझी संपदा’ किसी संप्रभु राज्य का हिस्सा नहीं होता और उस पर किसी के राज्य का नियंत्रण नहीं होता जैसे धरती का वायुमण्डल, समुद्र सतह आदि।
प्रश्न 12.
‘अवर कॉमन फ्यूचर’ के रिपोर्ट में क्या संकेत दिया गया था?
उत्तर:
‘अवर कॉमन फ्यूचर’ के रिपोर्ट में यह संकेत दिया गया था कि आर्थिक विकास के तौर-तरीके आगे चलकर टिकाऊ साबित नहीं होंगे।
प्रश्न 13.
वैश्वी साझी सम्पदा में क्या सम्मिलित किया जाता है?
उत्तर:
धरती का वायुमण्डल, अंटार्कटिका, समुद्र सतह और बाहरी अंतरिक्ष को ‘विश्व की साझी विरासत’ माना जाता है।
प्रश्न 14.
संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण एवं विकास के मुद्दे पर केन्द्रित ‘पृथ्वी सम्मेलन’ में किन्होंने भाग लिया था?
अथवा
पृथ्वी सम्मेलन में कितने देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया?
उत्तर:
पृथ्वी सम्मेलन में 170 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
प्रश्न 15.
भारत ने क्योटो प्रोटोकोल पर कब हस्ताक्षर किये?
उत्तर:
भारत ने क्योटो प्रोटोकोल पर अगस्त, 2002 में हस्ताक्षर किये।
प्रश्न 16.
विश्व जलवायु के संदर्भ में अण्टार्कटिक महाद्वीप की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
विश्व जलवायु का संतुलन करना।
प्रश्न 17.
‘वैश्विक सम्पदा’ की सुरक्षा के लिये किये गये किन्हीं दो समझौतों के नाम लिखें।
उत्तर:
- अंटार्कटिका (1959)
- मांट्रियल न्यायाचार (प्रोटोकोल 1987 )।
प्रश्न 18.
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सम्मेलन कब और कहाँ हुआ?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सम्मेलन बाली (इन्डोनेशिया) में दिसम्बर,
प्रश्न 19.
पर्यावरण का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्त:
पर्यावरण से तात्पर्य उन सभी प्रभावों व परिस्थितियों के समूह से है जो मनुष्य को चारों ओर से घेरे हुए हैं। जिसके परिणामस्वरूप जीवन संभव है।
प्रश्न 20.
वैश्विक तापवृद्धि करने वाली गैसों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और हाइड्रो-फ्लोरो कार्बन।
प्रश्न 21.
1950 और 1960 के दशक में किन देशों के बीच स्वच्छ जल-संसाधनों को हथियाने के लिए संघर्ष
उत्तर:
इजरायल, सीरिया और जार्डन।
प्रश्न 22.
ऐसे दो देशों के नाम बताओ जिनको क्योटो प्रोटोकॉल की शर्तों से अलग रखा गया।
उत्तर:
भारत और चीन।
प्रश्न 23.
मूलवासी का अर्थ बताइये।
उत्तर:
मूलवासी ऐसे लोगों के वंशज हैं जो किसी देश में बहुत दिनों से रहते चले आ रहे हैं।
प्रश्न 24.
फिलीपिन्स के कोरडिलेरा क्षेत्र में कितने लाख मूलवासी लोग रहते हैं?
उत्तर:
20 लाख मूलवासी।
प्रश्न 25.
प्राकृतिक संसाधनों को कितने और कौन-कौनसे वर्गों में रखा जा सकता है?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों को तीन वर्गों में रखा जा सकता है।
- क्षय संसाधन
- अक्षय संसाधन तथा
- चक्रीय संसाधन।
प्रश्न 26.
‘वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इंडिजिनस पीपल’ का गठन कब हुआ?
उत्तर:
सन् 1975 में ‘वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इंडिजिनस पीपल’ का गठन हुआ।
प्रश्न 27.
रियो- सम्मेलन में किनके संबंध में नियमाचार निर्धारित हुए?
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता और वानिकी
प्रश्न 28.
‘वैश्विक संपदा’ या ‘मानवता की साझी विरासत’ के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी का वायुमंडल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह और बाहरी अंतरिक्ष।
प्रश्न 29.
पर्यावरण संरक्षण के कोई दो उपाय बताएँ।
उत्तर:
- पर्यावरण संरक्षण के लिये जनसंख्या को नियंत्रित करना आवश्यक है।
- पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिये तथा देश के संतुलित विकास के लिए आवश्यक है कि वनों की रक्षा की जाये।
प्रश्न 30.
‘साझी विरासत’ की सुरक्षा के दो उपाय बताएँ।
उत्तर:
- विश्व की साझी विरासतों का सीमित प्रयोग करना चाहि ।
- विश्व की साझी विरासतों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करनी चाहिये।
प्रश्न 31.
किन देशों ने अंटार्कटिक क्षेत्र पर अपने संप्रभु अधिकार का वैधानिक दावा किया?
उत्तर:
ब्रिटेन, अर्जेण्टीना, चिले, नार्वे, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड
प्रश्न 32.
‘वैश्विक संपदा’ की सुरक्षा हेतु कौनसे महत्त्वपूर्ण समझौते हुए?
उत्तर:
अंटार्कटिका संधि (1959), मांट्रियल न्यायाचार (प्रोटोकॉल 1987) और अंटार्कटिका पर्यावरणीय न्यायाचार (1991)
प्रश्न 33.
टिकाऊ विकास क्या ह ?
उत्तर:
टिकाऊ विकास से आशय है कि प्राकृतिक संसाधनों का ऐसा प्रयोग करना कि वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताएँ पूरी हो और भविष्य के लिए भी बची रहे।
प्रश्न 34.
साझी संपदा से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
साझी संपदा का आशय है ऐसी संपदा जिस पर किसी समूह के प्रत्येक सदस्य का स्वामित्व हो।
प्रश्न 35.
भारत, चीन और अन्य विकासशील देशों को क्योटों प्रोटोकॉल की बाध्यताओं से छूट क्यों दी गई?
उत्तर:
क्योंकि औद्योगीकरण के दौर में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन के मामले में इन देशों का खास योगदान नहीं था।
प्रश्न 36.
विश्व में सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश कौन-सा है?
उत्तर:
सऊदी अरब।
प्रश्न 37.
इराक के तेल भंडारों के बारे में क्या संभावना है?
उत्तर:
इराक के तेल भंडारों के बारे में यह संभावना है कि इराक का तेल भंडार 112 अरब बैरल से ज्यादा
प्रश्न 38.
विश्व – राजनीति के विद्वानों ने ‘जलयुद्ध’ शब्द क्यों गढ़ा है?
उत्तर:
पानी जैसे जीवनदायी संसाधन को लेकर भविष्य में होने वाले हिंसक संघर्ष को इंगित करने के लिए विश्व – राजनीति के विद्वानों ने ‘जलयुद्ध’ शब्द गढ़ा है।
प्रश्न 39.
1950 और 1960 के दशक में इजरायल, सीरिया और जार्डन के बीच संघर्ष का क्या कारण था?
उत्तर:
इनमें से प्रत्येक देश ने जॉर्डन और यारमुक नदी से पानी का बहाव मोड़ने की कोशिश की थी।
प्रश्न 40.
तुर्की, सीरिया और इराक के बीच किस नदी पर बाँध बनाने को लेकर एक-दूसरे से ठनी है?
उत्तर:
फरात।
प्रश्न 41.
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड समेत ओसियाना क्षेत्र में किन वंश के मूलवासी रहते हैं?
उत्तर:
पॉलिनेशिया, मैलनेशिया और माइक्रोनेशिया।
प्रश्न 42.
भारत में ‘मूलवासी’ के लिए किन शब्दों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
नुसूचित जनजाति या आदिवासी।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्यावरण का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर:
पर्यावरण से तात्पर्य उन भौतिक घेराव, दशाओं, परिस्थितियों आदि से है जिनमें कोई व्यक्ति रहता है। इसके अन्तर्गत जल, वायु, भूमि, मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों, पौधों, सूक्ष्म जीवों तथा सम्पत्ति में पाये जाने वाले अन्तर्सम्बन्ध को शामिल किया गया है।
प्रश्न 2.
पर्यावरण प्रदूषित होने के कोई दो कारण बताएँ।
उत्तर:
- पश्चिमी देशों ने प्राकृतिक संसाधनों का अन्धाधुंध दोहन कर पर्यावरण को प्रदूषित किया है।
- वनों की निरन्तर कटाई के फलस्वरूप भूमि की कठोरता कम हो रही है और भू-क्षरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है तथा पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही ह।
प्रश्न 3.
आप पर्यावरण आंदोलन के स्वयं सेवक के रूप में किन कदमों को उठाना पसन्द करेंगे?
उत्तर:
पर्यावरण आंदोलन के स्वयं सेवक के रूप में
- हम वनों की अंधाधुंध कटाई के विरुद्ध आंदोलन चलायेंगे तथा वृक्षारोपण के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे तथा
- खनिजों के अंधाधुंध दोहन के विरोध में आंदोलन करेंगे।
प्रश्न 4.
खाद्य-उत्पादन में कमी आने की क्या वजहें हैं?
उत्तर:
खाद्य उत्पादन में कमी आने की निम्न वजहें है
- दुनियाभर में कृषि योग्य भूमि में अब कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है दूसरी तरफ मौजूदा उपजाऊ जमीन के एक बड़े हिस्से की उर्वरता कम हो रही है:
- चरागाहों के चारे खत्म होने को है और मत्स्य भंडार घट रहा है।
- जलाशयों की जलराशि बड़ी तेजी से कम हुई है उसमें प्रदूषण बढ़ा है।
प्रश्न 5.
क्योटो प्रोटोकॉल के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर;
जलवायु परिवर्तन के संबंध में विभिन्न देशों के सम्मेलन का आयोजन जापान के क्योटो शहर में 1997 में हुआ। इसके अंतर्गत औद्योगिक देशों के लिए ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
प्रश्न 6.
आपके दृष्टिकोण से क्योटो-प्रोटोकॉल से विश्व को होने वाले लाभ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकॉल से विश्व को होने वाले लाभ
- इसमें जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और वानिकी के सम्बन्ध में कुछ नियम- आचार निर्धारित हुए।
- इसमें यह सहमति बनी कि आर्थिक विकास का तरीका ऐसा होना चाहिए जिससे पर्यावरण को हानि न
प्रश्न 7.
आजकल नैसर्गिक घटनाएँ और इनका अध्ययन भूगोल की जगह राजनीति विज्ञान का विषय बनते जा रहा है। संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
आजकल नैसर्गिक घटनाएँ और इनका अध्ययन भूगोल की जगह राजनीति विज्ञान का विषय सामग्री बनते जा रहा है क्योंकि पर्यावरण के नुकसान से जुड़े मसलों की चर्चा तथा उन पर अंकुश रखने के लिए अगर विभिन्न देशों की सरकारें कदम उठाती हैं तो इन मसलों की परिणति इस अर्थ में राजनीतिक होगी। इन मामलों में अधिकांश ऐसे हैं जिसका समाधान किसी देश की सरकार अकेले दम पर नहीं कर सकतीं इसी कारण ये मसले विश्व राजनीति का हिस्सा बन जाते हैं।
बहरहाल, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के मसले एक और गहरे अर्थ में राजनीतिक हैं। कौन पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है? इस पर रोक लगाने के उपाय करने की जिम्मेदारी किसकी है? धरती के प्राकृतिक संसाधनों पर किसको कितने इस्तेमाल का हक है? इन सवालों के जवाब बहुधा इस बात से निर्धारित होते हैं कि कौन देश ताकतवर है। इस तरह ये मसले गहरे अर्थों में राजनीतिक है।
प्रश्न 8.
विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
1997 में नई दिल्ली में विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक हुई। इस बैठक में निर्धनता, पर्यावरण तथा संसाधन प्रबंध के समाधान के संबंध में विकसित तथा विकासशील देशों में व्यापार की सम्भावनाओं पर विचार किया गया।
प्रश्न 9.
‘साझी सम्पदा’ से क्या अभिप्राय है? आप इसमें किन क्षेत्रों को सम्मिलित करेंगे?
अथवा
विश्व की ‘साझी विरासत’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
कुछ क्षेत्र एक देश के क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं, जैसे पृथ्वी का वायुमण्डल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह तथा बाहरी अंतरिक्ष इत्यादि। इसका प्रबंधन अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा साझे तौर पर किया जाता है। इन्हीं को विश्व की साझी विरासत या ‘साझी सम्पदा’ कहा जाता है।
प्रश्न 10.
विश्व की साझी विरासत की सुरक्षा के दो उपाय बताएं।
उत्तर:
विश्व की साझी विरासत की रक्षा के दो उपाय अग्रलिखित हैं।
- सीमित प्रयोग: विश्व की साझी विरासतों का सीमित प्रयोग करना चाहिए।
- जागरूकता पैदा करना: विश्व की साझी विरासतों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करनी चाहिए।
प्रश्न 11.
वैश्विक संपदा के रूप में बाहरी अंतरिक्ष के इतिहास से क्या पता चलता है?
उत्तर:
वैश्विक संपदा के रूप में बाहरी अंतरिक्ष के इतिहास से यह पता चलता है कि इस क्षेत्र के प्रबंधन पर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के बीच मौजूद असमानता का असर पड़ा है। धरती के वायुमंडल और समुद्री सतह के समान यहाँ भी महत्त्वपूर्ण मसला प्रौद्योगिकी और औद्योगिकी विकास का है। यह एक जरूरी बात है क्योंकि बाहरी अंतरिक्ष में जो दोहन – कार्य हो रहे हैं उनके फायदे न तो मौजूदा पीढ़ी में सबके लिए बराबर हैं और न आगे की पीढ़ियों के लिए।
प्रश्न 12.
पर्यावरण को लेकर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के रवैये में अंतर है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण को लेकर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के रवैये में अंतर है क्योंकि उत्तर के विकसित देश पर्यावरण के मसले पर उसी रूप में चर्चा करना चाहते हैं जिस दशा में आज पर्यावरण मौजूद है। ये देश चाहते हैं कि पर्यावरण के संरक्षण में हर देश की जिम्मेदारी बराबर हो । दक्षिण के विकासशील देशों का तर्क है कि विश्व में पारिस्थितिकी को नुकसान अधिकांशतया विकसित देशों के औद्योगिक विकास से पहुँचा है।
प्रश्न 13.
मूलवासियों को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
मूलवासी ऐसे लोगों के वंशज हैं जो किसी मौजूद देश में लम्बी समयावधि से रहते चले आ रहे हैं। यद्यपि किसी दूसरी जातीय मूल के लोगों ने अन्य हिस्सों से आकर इनको अपने अधीन कर लिया तथापि वे अभी भी अपनी परम्परा, संस्कृति, रीति-रिवाज का पालन करना पसन्द करते हैं।
प्रश्न 14.
मूलवासियों के अधिकारों का वर्णन करें।
उत्तर:
मूलवासियों के अधिकार निम्नलिखित हैं।
- विश्व में मूलवासियों को बराबरी का दर्जा प्राप्त हो।
- मूलवासियों को अपनी स्वतंत्र पहचान रखने वाले समुदाय के रूप में जाना जाय ।
- मूलवासियों के आर्थिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन न किया जाये।
- देश के विकास से होने वाला लाभ मूलवासियों को भी मिलना चाहिये।
प्रश्न 15.
‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ के संदर्भ में रियो के घोषणा पत्र में क्या कहा गया है?
उत्तर:
‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ के संदर्भ में रियो घोषणा-पत्र का कहना है। धरती के पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता और गुणवत्ता बहाली, सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए विभिन्न देश विश्व- बंधुत्व की भावना से आपस में सहयोग करेंगे। पर्यावरण के विश्वव्यापी अपक्षय में विभिन्न राज्यों का योगदान अलग- अलग है। इसे देखते हुए विभिन्न राज्यों की ‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ होगी। विकसित देशों के समाजों का वैश्विक पर्यावरण पर दबाव ज्यादा है और इन देशों के समाजों का वैश्विक पर्यावरण पर दबाव ज्यादा है और इन देशों के पास विपुल प्रौद्योगिकी एवं वित्तीय संसाधन हैं। इसे देखते हुए टिकाऊ विकास के अंतर्राष्ट्रीय प्रयास में विकसित देश अपनी खास जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं। ”
प्रश्न 16.
समुद्रतटीय क्षेत्रों का प्रदूषण किस प्रकार से बढ़ रहा है?
उत्तर:
समुद्रतटीय क्षेत्रों का जल जमीनी क्रियाकलापों से प्रदूषित हो रहा है। पूरी दुनिया में समुद्रतटीय इलाकों में मनुष्यों की सघन बसावट जारी है और इस प्रवृत्ति पर अंकुश न लगा तो समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में भारी गिरावट आयेगी।
प्रश्न 17.
ओजोन परत में छेद होने से परिस्थिति तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
अथवा
धरती के ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में हो रही निरंतर कमी से मानव के लिये कैसे खतरा पैदा हो रहा है?
उत्तर:
धरती के ऊपरी वायुमण्डल में ओजोन गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है। इसे ओजोन परत में छेद होना कहते हैं। इससे पारिस्थितिकी तंत्र और मनुष्य के स्वास्थ्य पर एक वास्तविक खतरा मँडरा रहा है। इसके कारण विश्व तापमान में वृद्धि हो रही है और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं।
प्रश्न 18.
प्राकृतिक वन जलवायु के संतुलन को बनाये रखने में किस तरह से महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक वन जलवायु को संतुलित रखने में मदद करते हैं, इनसे जल चक्र भी संतुलित बना रहता है। और इन्हीं वनों में धरती की जैव-विविधता का भंडार भरा रहता है।
प्रश्न 19.
वैश्विक राजनीति में पर्यावरण के बारे में बढ़ती चिन्ता के कोई दो कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्विक राजनीति में पर्यावरण के बारे में बढ़ती चिन्ता के दो प्रमुख कारण ये हैं।
- वनों की अंधाधुंध कटाई: दक्षिणी देशों में वनों की अंधाधुंध कटाई से जलवायु, जलचक्र असंतुलित हो रहा है, जैव विविधता खत्म हो रही है।
- ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन-ग्रीन हाउस गैसों के अत्यधिक उत्सर्जन से ओजोन गैस की परत के क्षीण होनें के स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
प्रश्न 20.
पर्यावरण से सम्बन्धित भारत सरकार के किन्हीं दो प्रयासों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
भारत सरकार ने पर्यावरण से सम्बन्धित निम्न प्रयास किये-
- भारत ने अपनी ‘नेशनल ऑटो- फ्यूल पॉलिसी’ के अन्तर्गत वाहनों के लिये स्वच्छतर ईंधन अनिवार्य कर दिया।
- 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पारित हुआ । इसमें ऊर्जा के ज्यादा कारगर इस्तेमाल की पहलकदमी की गई है।
प्रश्न 21.
तथ्य दीजिये कि पर्यावरण से जुड़े सरोकार 1960 के दशक के बाद से राजनैतिक चरित्र ग्रहण कर सके।
उत्तर:
पर्यावरण से जुड़े सरोकारों का लंबा इतिहास है लेकिन आर्थिक विकास के कारण पर्यावरण पर होने वाले असर की चिंता ने 1960 के दशक के बाद से राजनीतिक चरित्र ग्रहण किया। 1972 में प्रकाशित ‘लिमिट्स टू ग्रोथ’ पुस्तक इसका स्पष्ट उदाहरण है।
प्रश्न 22.
संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट 2016 के आधार पर बताइये कि प्रदूषण के कारण तीस लाख से ज्यादा बच्चे प्रतिवर्ष क्यों मौत के शिकार हो जाते हैं?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व विकास रिपोर्ट (2016) के अनुसार विकासशील देशों की एक अरब बीस करोड़ जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होता और यहाँ की दो अरब चालीस करोड़ आबादी साफ-सफाई की सुविधा से वंचित है। इस वजह से 30 लाख से ज्यादा बच्चे हर साल मौत के शिकार होते हैं।
प्रश्न 23.
अराल के आस-पास के हजारों लोगों को अपना घर क्यों छोड़ना पड़ा?
उत्तर:
अराल के आस-पास बसे हजारों लोगों को अपना घर: बार छोड़ना पड़ा क्योंकि पानी के विषाक्त होने से मत्स्य उद्योग नष्ट हो गया। जहाजरानी उद्योग और इससे जुड़े तमाम कामकाज खत्म हो गये। पानी में नमक की सांद्रता बढ़ जाने से पैदावार कम हो गई।
प्रश्न 24.
पर्यावरण आन्दोलन को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
पर्यावरण की हानि की चुनौतियों के मद्देनजर विश्व के विभिन्न भागों में पर्यावरण के प्रति सचेत कार्यकर्ताओं की सक्रियता, सामाजिक चेतना के दायरे में ही राजनीतिक कार्यवाही की नई सोच ने एक आंदोलन का रूप ले लिया है। इसी को पर्यावरण आंदोलन के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 25.
पर्यावरण प्रदूषण के लिये उत्तरदायी कोई चार कारण लिखें।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारण निम्न हैं।
- पश्चिमी विचारधारा: पर्यावरण प्रदूषण के लिये पश्चिमी चिंतन तथा उनकी भौतिक जीवन दृष्टि काफी सीमा तक उत्तरदायी है।
- जनसंख्या में वृद्धि: जनसंख्या वृद्धि के कारण मानव की आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रकृति का शोषण बढ़ता है तथा पर्यावरण प्रदूषित होता है।
- वनों की कटाई एवं भूक्षरण: वनों की निरन्तर कटाई के फलस्वरूप कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है और पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ रहा है।
- जल प्रदूषण: कारखानों से निकलने वाले विषैले रसायनों तथा नगरों के गंदे पानी से नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है।
प्रश्न 26.
पर्यावरण प्रदूषण के कोई चार उपाय लिखिए।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण के चार उपाय निम्नलिखित हैं-
- समग्र चिंतन की आवश्यकता: पश्चिमी जगत् के भौतिक चिंतन में इस बात पर जोर दिया जाता है कि इस पृथ्वी पर व प्रकृति पर जो कुछ भी है, वह मानव के उपभोग के लिये है। अतः आवश्यकता मानव की सोच बदलने की है। इसके लिये समग्र चिंतन आवश्यक है।
- वन संरक्षण: पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना अति आवश्यक है।
- जनसंख्या नियंत्रण: पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिये जनसंख्या को नियंत्रित करना आवश्यक है।
- वन्य-जीवन का संरक्षण: पर्यावरण संरक्षण के लिये वन संरक्षण के साथ-साथ वन्य जीवन का संरक्षण करना आवश्यक है।
प्रश्न 27.
पर्यावरण के संदर्भ में हम मूलवासियों के अधिकारों की रक्षा किस प्रकार कर सकते हैं?
उत्तर:
हम पर्यावरण के संदर्भ में मूलवासियों के अधिकारों की रक्षा निम्न प्रकार से कर सकते हैं।
- मूलवासियों के प्राकृतिक आवास अर्थात् वन क्षेत्र को कुल भूमि क्षेत्र का 33.3 प्रतिशत तक बढ़ा दिया जाना चाहिए।
- आदिवासियों को उनकी परम्परा में परिवर्तन किये बिना मूल रूप में राजनीतिक संरक्षण दिया जाए।
- आदिवासियों (मूलवासियों) को संगठित करके विश्व स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रतिनिधित्व दिलाया जाए।
- आदिवासियों को शिक्षा तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी मार्गदर्शन देकर मुख्यधारा के साथ जुड़ने की उनमें स्वतः इच्छा जामृत की जाए।
प्रश्न 28.
रियो घोषणा पत्र में से लिये गये पैरे को पढ़ें तथा संबंधित प्रश्नों के उत्तर दें।
“पृथ्वी के पर्यावरण को संरक्षित, सुरक्षित तथा पोषित करने के लिए राज्य विश्व भागीदारी की भावना के आधार पर सहयोग करेंगे। पर्यावरण को खराब करने से संबंधित असमान भागीदारी को ध्यान में रखते हुए राज्य साझे परन्तु भिन्न-भिन्न जिम्मेदारियों को निभायेंगे ।”
(क) इस पैरे में जिस प्रकार के पर्यावरण की बात कही गई है, उसके दो उदाहरण दें।
(ख) विश्व के किस भांग की पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी अधिक है और क्यों?
(ग) रियो सम्मेलन के बाद राज्यों ने अपने कार्यान्वयन में इस भावना को कितना पूरा किया है?
उत्तर:
(क) इस पैरे में पृथ्वी के संरक्षित तथा सुरक्षित पर्यावरण की बात की गई है। उदाहरण के लिए
- वनों की अंधाधुंध कटाई रोककर नये पेड़ लगाये जायें। इससे पर्यावरण संरक्षित और सुरक्षित रह सकेगा।
- सुरक्षित और संरक्षित पर्यावरण के लिए यह आवश्यक है कि विश्व के सभी देश मिलकर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के समयबद्ध नियम निर्धारित करें तथा इन्हें बाध्यतामूलक बनाया जाये। साथ ही सौर ऊर्जा तथा पवन ऊर्जा के स्रोतों का विकास करें।
(ख) पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी विकसित देशों की अधिक है क्योंकि पर्यावरण को खराब करने में विकसित देशों की सर्वाधिक भूमिका रही है।
(ग) रियो सम्मेलन के बाद अधिकांश देशों ने रियो घोषणा पत्र का पालन नहीं किया है
प्रश्न 29.
यू. एन. ई. पी. क्या है? इसके किन्हीं दो मुख्य कार्यों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
यू.एन. ई. पी. से आशय – यू. एन. ई. पी. संयुक्त राष्ट्र संघ की पर्यावरण कार्यक्रम से जुड़ी एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है। मुख्य कार्य – इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं।
- पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं पर सम्मेलन कराना तथा इस विषय पर अध्ययन को बढ़ावा देना।
- पर्यावरण की समस्याओं पर ज्यादा कारगर और सुलझी पहलकदमियों की विश्वस्तर पर व्यापक ढंग से शुरुआत करना।
प्रश्न 30.
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने हेतु भारत द्वारा किये गये किन्हीं चार प्रयासों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने हेतु भारत ने अग्र प्रयास किये हैं।
- भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल को 2002 में हस्ताक्षरित करके उसका अनुमोदन किया है।
- भारत ने वाहनों के लिए स्वच्छतर ईंधन अनिवार्य कर दिया है।
- भारत ने ऊर्जा के अधिक कारगर उपाय पर विशेष जोर दिया है।
- प्राकृतिक गैस के आयात, स्वच्छ कोयले के उपयोग पर आधारित प्रौद्योगिकी को अपनाने की दिशा में कार्य करना प्रारंभ कर दिया है।
प्रश्न 31.
‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
- भारत में मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरने वाली नर्मदा नदी पर 30 बड़े, 135 मझोले तथा 300 छोटे बांध बन रहे हैं। फलतः नर्मदा नदी पर बन रहे इन बाँधों के खिलाफ चलने वाले आन्दोलन को ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ कहा जाता है।
- इससे देश में चल रही विकास की अन्य परियोजनाओं पर प्रश्न खड़े हुए हैं।
- इस आंदोलन ने विकास के मॉडल और उसके सार्वजनिक औचित्य पर भी सवाल खड़े हुए हैं।
प्रश्न 32.
वैश्विक राजनीति में पर्यावरण की चिंता के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्विक राजनीति में पर्यावरण की चिंता: वैश्विक राजनीति में पर्यावरण की चिंता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।
- विश्व में कृषि योग्य भूमि में उर्वरता की कमी होने, चारागाहों के चारे खत्म होने, मत्स्य भंडारों के घटने तथा जलाशयों में प्रदूषण बढ़ने से खाद्य उत्पादन में कमी आ रही है।
- प्रदूषित पेयजल व स्वच्छता की सुविधा की कमी के कारण विकासशील देशों में 30 लाख से भी अधिक बच्चे प्रतिवर्ष मौत के शिकार हो रहे हैं।
- वनों की अंधाधुंध कटाई से जैव-विविधता में कमी आ रही है।
- वायुमंडल में ओजोन गैस की परत में छेद होने से पारिस्थितिकीय तंत्र और मानव स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा
- समुद्र तटों पर बढ़ते प्रदूषण से समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में भारी गिरावट आ रही है।
प्रश्न 33.
पर्यावरण के सम्बन्ध में दक्षिणी और उत्तरी गोलार्द्ध के देशों के दृष्टिकोणों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
पर्यावरण के सम्बन्ध में दक्षिणी और उत्तरी गोलार्द्ध के देशों के दृष्टिकोणों में अन्तर: पर्यावरण को लेकर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के दृष्टिकोणों में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं।
- उत्तर के विकसित देश चाहते हैं कि पर्यावरण के संरक्षण में हर देश की जिम्मेदारी बराबर हो, जबकि दक्षिण के विकासशील देशों का कहना है कि विकसित देशों ने पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुँचाया है, उन्हें इस नुकसान की भरपाई की ज्यादा जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
- विकासशील देश अभी औद्योगीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं, इसलिए उन पर वे प्रतिबंध न लगें जो विकसित देशों पर लगाए जाने हैं।
प्रश्न 34.
‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ के नियमाचार को स्वीकार करने वाले देश किन दो बातों पर सहमत थे?
उत्तर:
साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ के नियमाचार को स्वीकार करने वाले देश निम्न दो बातों पर सहमत थे।
- ऐतिहासिक रूप से भी और मौजूदा समय में भी ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन में सबसे ज्यादा हिस्सा विकसित देशों का है।
- विकासशील देशों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है।
प्रश्न 35.
साझी संपदा के पीछे का मूल तर्क क्या है? उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिये इसका आकार घटने का कारण बताइये।.
उत्तर:
साझी संपदा के पीछे का मूल तर्क यह है कि ऐसे संसाधन की प्रकृति, उपयोग के स्तर और रख-रखाव के संदर्भ में समूह के हर सदस्य को समान अधिकार प्राप्त होंगे और समान उत्तरदायित्व निभाने होंगे। उदाहरण के लिए, सदियों के चलन और आपसी समझदारी से भारत के ग्रामीण समुदायों ने साझी संपदा के संदर्भ में अपने सदस्यों के अधिकार और दायित्व तय किए हैं। निजीकरण, गहनतर खेती, आबादी की वृद्धि और पारिस्थितिकी तंत्र की गिरावट समेत कई कारणों से पूरी दुनिया में साझी संपदा का आकार घट रहा है, उसकी गुणवत्ता और गरीबों को उसकी उपलब्धता कम हो रही है।
प्रश्न 36.
‘देवस्थान’ किन्हें कहा जाता है?
उत्तर:
कई पुराने समाजों में धार्मिक कारणों से प्रकृति की रक्षा का चलन है। भारत में मौजूद ‘पावन वन – प्रांतर’ इस चलन का उदाहरण है। इस चलन के अंतर्गत वनों के कुछ हिस्सों को काटा नहीं जाता है क्योंकि इन स्थानों पर देवता अथवा किसी पुण्यात्मा का वास माना जाता है। इन्हें ही ‘पावन वन-प्रांतर’ या ‘देवस्थान’ कहा जाता है।
प्रश्न 37.
देवस्थानों को भारत के अलग-अलग राज्यों में किस नाम से संबोधित किया जाता है?
उत्तर:
देवस्थान के देशव्यापी फैलाव का अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि देशभर की भाषाओं में इनके लिए अलग-अलग शब्द हैं। इन देवस्थानों को राजस्थान में वानी, केंकड़ी और ओरान; झारखंड में जहेरा यान और सरना; मेघालय में लिंगदोह; केरल में काव; उत्तराखंड में थान या देवभूमि और महाराष्ट्र में देव रहतिस इत्यादि नामों से जाना जाता है।
प्रश्न 38.
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार पावन वन-प्रांतर का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
कुछ अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार देवस्थान से जैव-विविधता और पारिस्थितिकी, संरक्षण में ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक वैविध्य को भी कायम रखने में सहायता मिलती है। देवस्थान की व्यवस्था वन संरक्षण के विभिन्न तौर-तरीकों में संपन्न है और इसकी विशेषताएँ साझी संपदा के संरक्षण की व्यवस्था से मिलती है।
प्रश्न 39.
‘देवस्थान’ के महत्त्व का परंपरागत आधार इसकी आध्यात्मिक अथवा सांस्कृतिक विशेषताएँ हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘देवस्थान’ के महत्त्व का परंपरागत आधार इसकी आध्यात्मिक अथवा सांस्कृतिक विशेषताएँ हैं। इसको निम्न कथनों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
- हिन्दू समवेत रूप से प्राकृतिक वस्तुओं की पूजा करते हैं जिसमें पेड़ और वन- प्रान्तर भी शामिल हैं।
- बहुत से मंदिरों का निर्माण ‘देवस्थानों’ में हुआ है।
- संसाधनों की विरलता नहीं बल्कि प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा वह आधार थी जिसने इतने युगों से वनों को बचाए रखने की प्रतिबद्धता कायम रखी।
प्रश्न 40.
देवस्थान के प्रबंधन में कठिन समस्या कब आती है?
उत्तर:
देवस्थान के प्रबंधन में कठिन समस्या तब आती है जब इन स्थानों का कानूनी स्वामित्व एक के पास हो और व्यावहारिक नियंत्रण किसी दूसरे के हाथ में हो अर्थात् कानूनी स्वामित्व राज्य का हो और व्यावहारिक नियंत्रण समुदाय के हाथ में। क्योंकि इन दोनों के नीतिगत मानक अलग-अलग हैं और देवस्थान के उपयोग के उद्देश्यों में भी इनके बीच कोई मेल नहीं।
प्रश्न 41.
साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांत के अनुरूप भारत का विचार क्या है?
उत्तर:
साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांत के अनुरूप भारत का विचार है कि उत्सर्जन – दर में कमी करने की सबसे ज्यादा जिम्मेवारी विकसित देशों की है क्योंकि इन देशों ने एक लंबी अवधि तक बहुत ज्यादा उत्सर्जन किया है।
प्रश्न 42.
भारत द्वारा संचालित बायोडीजल मिशन का ध्येय क्या है?
उत्तर:
भारत पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी के अंतर्गत भारत बायोडीजल से संबंधित मिशन चला रहा है। इसके अंतर्गत 2011-12 तक बायोडीजल तैयार होने लगेगा और इसमें 1 करोड़ 10 लाख हेक्टेयर भूमि का इस्तेमाल होगा ।
प्रश्न 43.
भारत द्वारा पृथ्वी सम्मेलन के समझौतों के क्रियान्वयन के पुनरावलोकन का निष्कर्ष क्या है?
उत्तर:
भारत ने पृथ्वी सम्मेलन के समझौतों के क्रियान्वयन का एक पुनरावलोकन सन् 1997 में किया इसका निष्कर्ष यह था कि विकासशील देशों को रियायती शर्तों पर नये और अतिरिक्त वित्तीय संसाधन तथा पर्यावरण के संदर्भ में बेहतर साबित होने वाली प्रौद्योगिकी मुहैया कराने की दिशा में कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है।
प्रश्न 44.
आज पूरे विश्व में पर्यावरण आंदोलन सबसे ज्यादा जीवंत, विविधतापूर्ण तथा ताकतवर आंदोलन है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण आंदोलन आज पूरे विश्व में सबसे ज्यादा जीवंत, विविधतापूर्ण तथा ताकतवर आंदोलन में शामिल किया जाता है क्योंकि इन आंदोलन से नए विचार निकलते हैं। इन आंदोलनों ने समाज को यह नजरिया दिया है कि वैयक्तिक और सामूहिक जीवन के लिए आगे के दिनों की योजना क्या होनी चाहिए।
प्रश्न 45.
अंटार्कटिका महादेशीय क्षेत्र की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
अंटार्कटिक महादेशीय क्षेत्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।
- अंटार्कटिक महादेशीय इलाका 1 करोड़ 40 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है।
- विश्व के निर्जन क्षेत्र का 26 प्रतिशत हिस्सा इसी महादेश के अंदर आता है।
- यह महादेश हिम और जल का भंडार है।
- इस महादेश का 3 करोड़ 60 लाख वर्ग किलोमीटर तक अतिरिक्त विस्तार समुद्र में है
- सीमित स्थलीय जीवन वाले इस महादेश का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र अत्यंत उर्वर है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अंटार्कटिका महादेशीय क्षेत्र की विशेषताएँ तथा महत्त्व बताइये इस पर किसका स्वामित्व है?
उत्तर:
- अंटार्कटिका महादेश की विशेषताएँ:
- अंटार्कटिका महादेशीय क्षेत्र एक करोड़ 40 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
- विश्व के निर्जन क्षेत्र का 26 प्रतिशत हिस्सा इसी महादेश के अन्तर्गत आता है ।
- स्थलीय हिम का 90 प्रतिशत हिस्सा और धरती पर मौजूद जल का 70 प्रतिशत हिस्सा इस महादेश में स्थित है अर्थात् यह महादेश हिम और स्वच्छ जल का भंडार है।
- इसका 3 करोड़ 60 लाख वर्ग किलोमीटर तक अतिरिक्त विस्तार समुद्र में है।
- इस महादेश का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र अत्यन्त उर्वर है जिसमें सूक्ष्म शैवाल, कवक और लाइकेन, समुद्री स्तनधारी जीव, मत्स्य तथा विभिन्न पक्षी तथा क्रिल मछली शामिल हैं।
- अंटार्कटिका महादेश का महत्त्व: अंटार्कटिका महादेश के महत्त्व को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है।
- इसमें क्रिल मछली तथा अन्य पादप व पक्षी पाये जाते हैं जो समुद्री आहार श्रृंखला की धुरी है।
- यह प्रदेश विश्व की जलवायु को संतुलित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इस प्रदेश की अंदरूनी हिमानी परत ग्रीन हाउस गैस के जमाव का महत्त्वपूर्ण सूचना स्रोत है।
- इससे लाखों बरस पहले के वायुमंडलीय तापमान का पता किया जा सकता है। इस पर विश्व के सभी देशों का साझा स्वामित्व है।
प्रश्न 2.
पर्यावरण की सुरक्षा की दृष्टि से भारत के पावन वन प्रांतर पर एक लेख लिखिये।
उत्तर:
पावन वन प्रांतर का अर्थ – बहुत से पुराने समाजों में धार्मिक कारणों से प्रकृति की रक्षा करने का चलन है। भारत में विद्यमान ‘पावन वन प्रांतर’ इस चलन के सुंदर उदाहरण हैं। ‘पावन वन प्रांतर’ प्रथा में वनों के कुछ हिस्सों को काटा नहीं जाता। इन स्थानों पर देवता अथवा किसी पुण्यात्मा का निवास माना जाता है। इन्हें ही ‘पावन वन प्रांतर’ या देव स्थान कहा जाता है। पावन वन प्रांतर या देवस्थान का देशव्यापी फैलाव – भारत में पावन वन प्रांतर या देवस्थान का देशव्यापी फैलाव पाया जाता है।
इनके देशव्यापी फैलाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देशभर की भाषाओं में इनके लिए अलग-अलग शब्द हैं। इन देवस्थानों को राजस्थान में वानी, केंकड़ी और ओरान, झारखंड में जहेरा थान और सरना, मेघालय में लिंगदोह, केरल में काव, उत्तराखंड में थान या देवभूमि और महाराष्ट्र में देव रहतिस आदि सैकड़ों नामों से जाना जाता है।
प्रश्न 3.
पर्यावरण की सुरक्षा की दृष्टि से देवस्थान के महत्त्व को समझाइये।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण में देवस्थान का महत्त्व: पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से देवस्थान के महत्त्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।
- समुदाय आधारित संसाधन: प्रबंधन देवस्थान को हम ऐसी व्यवस्था के रूप में देख सकते हैं जिसके अन्तर्गत पुराने समाज प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इस तरह करते हैं कि पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बना रहे।
- जैव-विविधता तथा सांस्कृतिक विविधता को कायम रखने में सहायक – ‘देवस्थान’ की मान्यता से जैव- विविधता और पारिस्थितिकीय संरक्षण को ही नहीं, सांस्कृतिक वैविध्य को भी कायम रखने में मदद मिल सकती है।
- साझी संपदा के संरक्षण की व्यवस्था के समान: देवस्थान व्यवस्था की विशेषताएँ साझी संपदा के संरक्षण की व्यवस्था से मिलती-जुलती हैं।
- आध्यात्मिक या सांस्कृतिक विशेषताएँ”: देवस्थान के महत्व का परम्परागत आधार ऐसे क्षेत्र की आध्यात्मिक या सांस्कृतिक विशेषताएँ हैं। प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा ही वह आधार थी जिसने इतने युगों से वनों को बचाये रखने की प्रतिबद्धता कायम रखी। वर्तमान स्थिति: हाल के वर्षों में मनुष्यों की बसावट के विस्तार ने धीरे-धीरे ऐसे ‘देवस्थानों पर अपना कब्जा कर लिया है
प्रश्न 4.
क्या वन निर्जन होते हैं? इस प्रश्न की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये ।
उत्तर: दक्षिणी देशों के वन निर्जन नहीं हैं जबकि उत्तरी गोलार्द्ध के देशों के वन जनविहीन हैं या कहें कि इन देशों में वन को निर्जन प्रांत के रूप में देखा जाता है। इसी कारण उत्तरी देशों में वन भूमि को निर्जन भूमि का दर्जा दिया गया है अर्थात् वन भूमि ऐसी जगह है जहाँ लोग नहीं रहते – बसते। यह दृष्टिकोण मनुष्य को प्रकृति का हिस्सा नहीं मानता। दूसरे शब्दों में, यह दृष्टिकोण पर्यावरण को मनुष्य से दूर की चीज मानता है; एक ऐसी चीज जिसे बाग-बगीचे या अभयारण्य में तब्दील कर पर्यावरण को मनुष्य से बचाया जाना चाहिए।
अविकसित निर्जन वन क्षेत्र – वनों को विजनपन का प्रतीक मानने का दृष्टिकोण आस्ट्रेलिया, स्कैंडिनेविया, उत्तरी अमेरिका और न्यूजीलैंड में हावी है। इन इलाकों में ‘अविकसित निर्जन वन क्षेत्र’ अपेक्षाकृत ज्यादा हैं। दूसरी तरफ, दक्षिणी देशों में पर्यावरण के अधिकांश मसले इस मान्यता पर आधारित हैं कि लोग वनों में भी रहते हैं।
प्रश्न 5.
पर्यावरण सुरक्षा के मसले पर भारत के दृष्टिकोण तथा प्रयासों पर एक निबन्ध लिखिये।
उत्तर:
पर्यावरण की सुरक्षा के मुद्दे पर भारत का दृष्टिकोण भारत ने 2002 में क्योटो प्रोटोकॉल (1997) पर हस्ताक्षर किये और इसका अनुमोदन किया । भारत, चीन और अन्य विकासशील देशों को क्योटो प्रोटोकॉल की बाध्यताओं से छूट दी गई है। पर्यावरण सुरक्षा के मसले पर भारत ने जून, 2005 में ग्रुप-8 के देशों की बैठक में अपने दृष्टिकोण को निम्न प्रकार स्पष्ट किया हैं।
- विकासशील देशों में ग्रीन हाउस गैसों की प्रति व्यक्ति उत्सर्जन दर विकसित देशों की तुलना में नाममात्र है।
- उत्सर्जन – दर में कमी करने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी विकसित देशों की है क्योंकि इन देशों ने एक लम्बी अवधि तक बहुत ज्यादा उत्सर्जन किया है। यथा
- ग्रीन हाउस गैसों के रिसाव की ऐतिहासिक और मौजूदा जवाबदेही ज्यादातर विकसित देशों की है।
भारत के पर्यावरण से संबंधित प्रयास: भारत की सरकार विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये पर्यावरण से संबंधित वैश्विक प्रयासों में शिरकत कर रही है।
- भारत ने अपनी ‘नेशनल ऑटो-फ्यूल पॉलिसी’ के अन्तर्गत वाहनों के लिए स्वच्छतर ईंधन अनिवार्य कर दिया है।
- ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 में ऊर्जा के ज्यादा कारगर इस्तेमाल की पहलकदमी की गई है। (3) सन् 2003 के बिजली अधिनियम में पुनर्नवा ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया है।
- भारत में प्राकृतिक गैस के आयात और स्वच्छ कोयले के उपयोग पर आधारित प्रौद्योगिकी को अपनाने की तरफ रुझान बढ़ा है
- भारत बायोडीजल से संबंधित एक राष्ट्रीय मिशन चलाने के लिए भी तत्पर है।
प्रश्न 6.
संसाधनों की भू-राजनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
उत्तर:
संसाधनों की भू-राजनीति संसाधनों की वैश्विक भू-राजनीति का विवेचन अग्रलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है।
- व्यापारिक संबंध, युद्ध तथा ताकत के संदर्भ में संसाधनों की भू-राजनीति-संसाधनों से जुड़ी भू- राजनीति को पश्चिमी दुनिया ने ज्यादातर व्यापारिक सम्बन्ध, युद्ध तथा ताकत के संदर्भ में सोचा। इस सोच के मूल में था- -विदेश में संसाधनों की मौजूदगी तथा समुद्री नौवहन में दक्षता।
- 18वीं तथा 19वीं सदी में भू-राजनीति इमारती लकड़ियों की आपूर्ति पर आधारित रही।
- दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सामरिक संसाधनों, विशेषकर तेल की निर्बाध आपूर्ति का महत्त्व बहुत अच्छी तरह उजागर हो गया। शीत युद्ध के दौरान इसके अन्तर्गत संसाधन – दोहन के क्षेत्रों तथा परिवहन मार्गों के इर्द-गिर्द सेना की तैनाती, महत्त्वपूर्ण संसाधनों का भंडारण, संसाधनों के उत्पादक देशों में मनपसन्द सरकारों की बहाली तथा बहुराष्ट्रीय निगमों और अपने हितसाधक अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों को समर्थन देना शामिल है।
- तेल पर आधारित भू-राजनीति: शीत युद्ध की समाप्ति के बाद वैश्विक भू-राजनीति में तेल महत्त्वपूर्ण संसाधन बना हुआ है। तेल के साथ विपुल संपदा जुड़ी है और इस कारण इस पर कब्जा जमाने के लिए राजनीतिक संघर्ष छिड़ता है।
- स्वच्छ पानी के क्षेत्रों पर विश्व: राजनीति – विश्व: राजनीति के लिए पानी एक और महत्त्वपूर्ण संसाधन है। विश्व के कुछ भागों में साफ पानी की कमी हो रही है। साथ ही, विश्व के हर हिस्से में स्वच्छ जल समान मात्रा में मौजूद नहीं है। इस कारण, इस जीवनदायी संसाधन को लेकर हिंसक संघर्ष की सम्भावना हैं।
प्रश्न 7.
पर्यावरण आंदोलन से आप क्या समझते हैं? मौजूदा पर्यावरण आंदोलनों की विविधता को समझाइये
उत्तर:
पर्यावरण आंदोलन से आशय – पर्यावरण की हानि की चुनौतियों के मद्देनजर विश्व के विभिन्न भागों में सक्रिय पर्यावरण के प्रति सचेत कार्यकर्ताओं की पर्यावरण के प्रति सक्रियता, सामाजिक चेतना के दायरे में ही राजनीतिक कार्यवाही की नई सोच ने एक आंदोलन का रूप ले लिया है। इसी को पर्यावरण आंदोलन के नाम से जाना जाता है। पर्यावरण आंदोलन की विविधता पर्यावरण आंदोलन की विविधता की विशेषताओं को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है।
- वन-आंदोलन: दक्षिणी देशों, जैसे कि मैक्सिको, चिली, ब्राजील, मलेशिया, इंडोनेशिया, महादेशीय अफ्रीका और भारत में वनों की अंधाधुंध कटाई से वन- आंदोलनों पर काफी दबाव है
- खनिजों के अंधाधुंध दोहन के विरोध में आंदोलन: खनिज उद्योग रसायनों का भरपूर उपयोग करता है; भूमि और जलमार्गों को प्रदूषित करता है और स्थानीय वनस्पतियों का विनाश करता है। इसके कारण जन-समुदायों को विस्थापित होना पड़ता है। अतः स्पष्ट है कि खनिज उद्योग वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण का प्रमुख कारण है। इसके कारण विश्व के विभिन्न भागों में खनिज उद्योगों के विरोध में एक जन-आंदोलन आकार ले रहा है, जैसे- फिलिपींस तथा आस्ट्रेलिया में।
- बांध-विरोधी तथा नदियों को बचाओ आंदोलन: कुछ आंदोलन बड़े बांधों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। अब बांध विरोधी-आंदोलनों को नदियों को बचाने के आंदोलनों के रूप में देखने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है।
प्रश्न 8.
एजेण्डा-21 से आप क्या समझते हैं? साझी पर अलग-अलग जिम्मेदारियों से क्या आशय है? एजेण्डा – 21 का अभिप्राय
उत्तर:
1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण एवं विकास के मुद्दे पर केन्द्रित ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो सम्मेलन के अवसर पर एजेण्डा-21 पारित किया गया एजेण्डा – 21 के प्रमुख बिन्दु निम्न प्रकार थे।
- पर्यावरण एवं विकास के बीच सम्बन्ध के मुद्दों को समझा जाए।
- ऊर्जा का अधिक कुशल तरीके से प्रयोग किया जाए।
- किसानों को पर्यावरण सम्बन्धी जानकारी दी जाएँ।
- प्रदूषण फैलाने वालों पर भारी अर्थदण्ड लगाए जाएँ।
- इस दृष्टिकोण से राष्ट्रीय योजना बनाई और लागू की जाए।
इस प्रकार एजेण्डा-21 के रूप में इस सम्मेलन में विकास के ऐसे तौर-तरीके सुझाये गये जिनसे पर्यावरण को हानि न पहुँचे। कुछ आलोचकों का कहना है कि टिकाऊ विकास के नाम पर ‘एजेंडा – 21’ का झुकाव पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने के बजाय आर्थिक वृद्धि की ओर है। साझी पर अलग-अलग जिम्मेदारियाँ: यद्यपि विश्व पर्यावरण की रक्षा के सम्बन्ध में सभी देशों की साझी जिम्मेदारी है, लेकिन यह जिम्मेदारी विकासशील देशों की तुलना में विकसित देशों की अधिक है क्योंकि विकसित देशों ने पर्यावरण को ज्यादा नुकसान पहुँचाया है तो इन्हें इस नुकसान की भरपाई की जिम्मेदारी भी ज्यादा उठानी चाहिए। 1992 के पृथ्वी सम्मेलन में इस तर्क को मान लिया गया और इसे ‘साझी परन्तु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ का सिद्धान्त कहा गया।
प्रश्न 9.
मूलवासी और उनके अधिकार विषय पर एक लेख लिखें।
उत्तर-
मूलवासी और उनके अधिकार: मूलवासी से आशय – संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार मूलवासी ऐसे लोगों के वंशज हैं जो किसी मौजूदा देश में बहुत दिनों से रहते चले आ रहे थे। फिर किसी दूसरी संस्कृति या जातीय मूल के लोग विश्व के दूसरे हिस्से से उस देश में आए और इन लोगों को अधीन बना लिया। मूलवासी आज भी उस देश की संस्थाओं के अनुरूप आचरण करने से ज्यादा अपनी परंपरा, सांस्कृतिक रिवाज तथा अपने खास सामाजिक-आर्थिक ढर्रे पर जीवन-यापन करना पसंद करते हैं।
- मूलवासियों का अपने अधिकारों के लिए संघर्ष व आंदोलन: मूलवासी अपने अधिकारों की आवाज उठाते रहे हैं। यथा
- विश्व राजनीति में मूलवासियों की आवाज विश्व-बिरादरी में बराबरी का दर्जा पाने के लिए उठी है।
- सरकारों से इनकी मांग है कि इन्हें मूलवासी कौम के रूप में अपनी स्वतंत्र पहचान रखने वाला समुदाय माना जाये।
- अपने मूल वास स्थान पर ये अपना अधिकार चाहते हैं, क्योंकि ये यहाँ अनंतकाल से रहते चले आ रहे हैं।
- भौगोलिक रूप से चाहे मूलवासी अलग-अलग जगहों पर कायम हैं लेकिन जमीन और उस पर आधारित विभिन्न जीवन-प्रणालियों के बारे में इनकी विश्व दृष्टि एक समान है।
- मूलवासियों के अधिकारों के लिए वैश्विक प्रयास:
- 1970 के दशक में विश्व के विभिन्न भागों के मूलवासियों के नेताओं के बीच पारस्परिक सम्पर्क बढ़ा । इससे इनके साझे अनुभवों और सरोकारों को एक शक्ल मिली।
- 1975 में ‘वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इंडिजिनस पीपल’ का गठन हुआ । संयुक्त राष्ट्र संघ में सबसे पहले इस परिषद् को परामर्शदात्री परिषद् का दर्जा दिया गया।
प्रश्न 10.
पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारकों की व्याख्या करें।..
उत्तर:
पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले प्रमुख उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं। पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारक
- जनसंख्या में वृद्धि: पिछले 50 वर्षों में विश्व की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप मानव की आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति के लिए प्रकृति का शोषण बढ़ रहा है तथा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।
- वनों की कटाई: वनों की अंधाधुंध कटाई से कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है और ऑक्सीजन गैस की मात्रा घट रही है।
- जल-प्रदूषण: समुद्र का तटवर्ती जल जमीनी क्रियाकलापों से प्रदूषित हो रहा है। पूरी दुनिया में समुद्रतटीय इलाकों में मनुष्यों की सघन बसावट जारी है और इस प्रवृत्ति पर अंकुश न लगा तो समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में भारी गिरावट आएगी। दूसरे, औद्योगीकरण के कारण उद्योगों के विषैले रसायनों को नदियों में डालने, उनमें शहरों के कूड़े-कचरे व गंदगी को डालने आदि से नदियों का स्वच्छ जल गंदला हो रहा है।
- वायु प्रदूषण: नगरीकरण तथा औद्योगीकरण, यातायात के बढ़ते साधनों, खनन परियोजनाओं, ताप बिजली परियोजनाओं, परमाणु बिजली परियोजनाओं, बड़े कारखानों की चिमनी से निकलते धुएँ आदि के कारण विश्व में वायुमण्डल प्रदूषित हो रहा है ।
- औद्योगीकरण: बढ़ते औद्योगीकरण के कारण बढ़ते कारखानों से विषैली गैसें पैदा होती हैं जो वायु जल को प्रदूषित कर देती हैं।
- ध्वनि प्रदूषण: विभिन्न प्रकार की ध्वनियों व शोर ने भी नगरों के पर्यावरण को प्रदूषित किया है। बड़े-बड़े नगरों में चारों ओर शोरगुल व्याप्त है।
प्रश्न 11.
पर्यावरण के संबंध में ‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारी’ इस अवधारणा के महत्त्व और भूमिका की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
दुनिया के विभिन्न देशों द्वारा पर्यावरण को बचाने हेतु ‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारी’ में योगदान अति आवश्यक है परंतु उत्तरी और दक्षिणी गोलाद्ध में पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति अलग-अलग धारणाएँ हैं।
- उत्तरी गोलार्द्ध के विकसित देश पर्यावरण के मुद्दे पर उसी रूप में चर्चा करना चाहते हैं जिस दशा में पर्यावरण वर्तमान में है। ये देश पर्यावरण के संरक्षण में हर देश का बराबर योगदान चाहते हैं।
- दक्षिण के विकासशील देशों के अनुसार विश्व के पारिस्थितिकी को नुकसान पहुँचाने में ज्यादा योगदान विकसित देशों का है क्योंकि विकसित देशों में औद्योगिक क्रांति पहले हुई थी। यदि विकसित देशों ने पर्यावरण को ज्यादा क्षति पहुँचायी है तो उन्हें इस नुकसान की भरपाई की जिम्मेदारी भी ज्यादा उठानी चाहिए।
- विकासशील देशों के औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया अभी चल रही है इसलिए उन पर वे प्रतिबंध न लगे जो विकसित देशों पर लगाए गए हैं। उदाहरण के लिए क्योटो प्रोटोकॉल इत्यादि।
- इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून के निर्माण, प्रयोग और व्याख्या में विकासशील देशों की विशिष्ट जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए। उपरोक्त सभी प्रावधानों को 1992 के पृथ्वी सम्मेलन में मान लिया गया है और इसे ही ‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारी ‘ का सिद्धांत कहा गया है।
प्रश्न 12.
तेल वैश्विक राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है जो भूराजनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
तेल वह संसाधन है जो अपार धन उत्पन्न करता है, इसलिए यह औद्योगिक देशों से जुड़े राजनीतिक संघर्ष का कारण बनता है। तेल के स्थिर प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न उपायों को अपनाया जा सकता है।
- इसमें शोषण स्थलों तथा संचार के समुद्री मार्गों के पास सैन्य बल की तैनाती शामिल है।
- तेल सामरिक संसाधनों का भंडार है।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अनुकूल अंतर्राष्ट्रीय समझौता होना चाहिए।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था, तेल पर एक पोर्टेबल और अपरिहार्य ईंधन के रूप में निर्भर करती है। इसलिए पेट्रोलियम का इतिहास संघर्षों का इतिहास युद्ध और संघर्षों भरा है।
- तेल के आधिपत्य को लेकर इराक और सऊदी अरब के बीच संघर्ष हो चुका है क्योंकि इराक के ज्ञात भंडार सऊदी अरब के बाद दूसरे नंबर पर है चूँकि इराकी क्षेत्र के पर्याप्त हिस्से का पूरी तरह पता लगाया जाना बाकी है। इस बात की पूरी संभावना है कि वास्तविक भंडार कहीं अधिक बड़ा हो सकता है।