JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय संगठन

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय संगठन Textbook Exercise Questions and Answers

JAC Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय संगठन

Jharkhand Board Class 12 Political Science अंतर्राष्ट्रीय संगठन InText Questions and Answers

पृष्ठ 82

प्रश्न 1.
यही बात तो वे संसद के बारे में कहते हैं? क्या हमें बतकही की ऐसी चौपालें वास्तव में चाहिए?
उत्तर:
हाँ, हमें बतकही की ऐसी चौपालें वास्तव में चाहिए क्योंकि इनमें हुए वाद-विवाद के पश्चात् समस्याओं के समाधान सरलता से तलाश लिये जा सकते हैं।

पृष्ठ 83

प्रश्न 2.
ऐसे मुद्दों और समस्याओं की एक सूची बनाएँ जिन्हें सुलझाना किसी एक देश के लिए संभव नहीं है और जिनके लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की जरूरत है।
उत्तर:
ऐसे मुद्दे व समस्याओं की सूची, जिन्हें सुलझाना किसी एक देश के लिए संभव नहीं है तथा जिनके लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की जरूरत है, इस प्रकार है।

  1. अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान।
  2. प्राकृतिक आपदाएँ-भूकम्प, बाढ़, सुनामी आदि।
  3. महामारियाँ।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद।
  5. विश्वव्यापी ताप वृद्धि को रोकना।
  6. युद्धों को रोकना।
  7. विभिन्न देशों के मध्य नदी जल बंटवारा।

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प्रश्न 3.
क्या हम पांच बड़े दादाओं की दादागिरी खत्म करना चाहते हैं या उनमें शामिल होकर एक और दादा बनना चाहते हैं?
उत्तर:
भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनना चाहता है ताकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में अपनी बात को रख सके और अन्य स्थायी सदस्यों की दादागिरी को रोक सके क्योंकि यदि भारत के पास सुरक्षा परिषद् में पांच स्थायी राष्ट्रों की तरह वीटो शक्ति होगी तो वह उसका प्रयोग करके दादागिरी को रोक सकेगा। इस प्रकार भारत सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनकर सुरक्षा परिषद् के निर्णयों को न्यायसंगत दिशा की ओर मोड़ना चाहेगा। वह उन देशों की समस्याओं को मुखरित करेगा जो दादागिरी के असहनीय व्यवहार से पीड़ित हैं।

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पृष्ठ 94

प्रश्न 4.
अगर संयुक्त राष्ट्र संघ किसी को न्यूयार्क बुलाए और अमरीका उसे वीजा न दे तो क्या होगा?
उत्तर:
अगर संयुक्त राष्ट्र संघ किसी को न्यूयार्क बुलाए और अमरीका उसे वीजा न दे तो वह संयुक्त राष्ट्र संघ नहीं आ सकेगा क्योंकि न्यूयार्क संयुक्त राज्य अमेरिका का एक प्रान्त है और न्यूयार्क के लिए वीजा देने या न देने का निर्णय करना अमेरिका के क्षेत्राधिकार में आता है।

पृष्ठ 95

प्रश्न 5.
आसियान क्षेत्रीय मंच के सदस्यों के नाम पता करें।
उत्तर:
आसियान क्षेत्रीय सुरक्षा मंच की स्थापना 1993 में हुई। 10 आसियान देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रुनेई दारुस्सलाम, वियतनाम, लाओ, म्यांमार, कंबोडिया के अतिरिक्त इस क्षेत्रीय मंच के अन्य सदस्य देश हैं। अमरीका, चीन, जापान, कनाडा, यूरोपीय यूनियन, पापुआ न्यूगिनी, आस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और भारत।

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प्रश्न 1.
निषेधाधिकार ( वीटो ) के बारे में नीचे कुछ कथन दिए गए हैं। इनमें प्रत्येक के आगे सही या गलत चिह्न लगाएँ।
(क) सुरक्षा परिषद् के सिर्फ स्थायी सदस्यों को ‘वीटो’ का अधिकार है।
(ख) यह एक तरह की नकारात्मक शक्ति है।
(ग) सुरक्षा परिषद् के फैसलों से असंतुष्ट होने पर महासचिव ‘वीटो’ का प्रयोग करता है।
(घ) एक ‘वीटो’ से भी सुरक्षा परिषद् का प्रस्ताव नामंजूर हो सकता है।
उत्तर:
(क) सही,
(ख) सही,
(ग) गलत,
(घ) सही।

प्रश्न 2.
संयुक्त राष्ट्र संघ के कामकाज के बारे में नीचे कुछ कथन दिए गए हैं। इनमें से प्रत्येक के सामने सही या गलत का चिह्न लगाएँ-
(क) सुरक्षा और शांति से जुड़े सभी मसलों का निपटारा सुरक्षा परिषद् में होता है।
(ख) मानवतावादी नीतियों का क्रियान्वयन विश्वभर में फैली मुख्य शाखाओं तथा एजेंसियों के मार्फत होता है।
(ग) सुरक्षा के किसी मसले पर पाँचों स्थायी सदस्य देशों का सहमत होना उसके बारे में लिए गए फैसले के क्रियान्वयन के लिए जरूरी है।
(घ) संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के सभी सदस्य संयुक्त राष्ट्र संघ के बाकी प्रमुख अंगों और विशेष एजेंसियों के स्वतः सदस्य हो जाते हैं।
उत्तर:
(क) सही,
(ख) सही,
(ग) सही,
(घ) गलत।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा तथ्य सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रस्ताव को ज्यादा वजनदार बनाता है?
(क) परमाणु क्षमता
(ख) भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के जन्म से ही उसका सदस्य है।
(ग) भारत एशिया में है
(घ) भारत की बढ़ती हुई आर्थिक ताकत और स्थिर राजनीतिक व्यवस्था।
उत्तर:
(घ) भारत की बढ़ती हुई आर्थिक ताकत और स्थिर राजनीतिक व्यवस्था।

प्रश्न 4.
परमाणु प्रौद्योगिकी के शांतिपूर्ण उपयोग और उसकी सुरक्षा से संबद्ध संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसी का नाम है-
(क) संयुक्त राष्ट्रसंघ निरस्त्रीकरण समिति
(ख) अंतर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी
(ग) संयुक्त राष्ट्रसंघ अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा समिति
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) अंतर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी

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प्रश्न 5.
विश्व व्यापार संगठन निम्नलिखित में से किस संगठन का उत्तराधिकारी है?
(क) जेनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड एंड टैरिफ
(ख) जेनरल एरेंजमेंट ऑन ट्रेड एंड टैरिफ
(ग) विश्व स्वास्थ्य संगठन
(घ) संयुक्त राष्ट्र संघ विकास कार्यक्रम
उत्तर:
(क) जेनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड एंड टैरिफ

प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:
(क) संयुक्त राष्ट्रसंघ का मुख्य उद्देश्य …………….. है।
(ख) संयुक्त राष्ट्रसंघ का सबसे जाना-पहचाना पद ……………. का है।
(ग) संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा – परिषद् में ……….. स्थायी और ……….. अस्थायी सदस्य हैं।
(घ) ………….. “संयुक्त राष्ट्रसंघ के वर्तमान महासचिव हैं।
(ङ) मानवाधिकारों की रक्षा में सक्रिय दो स्वयंसेवी संगठन …………..”और …………… हैं।
उत्तर:
(क) विश्व में शांति व सुरक्षा बनाए रखना,
(ख) महासचिव,
(ग) पांच और दस
(घ) एंटोनियो गुटेरेस
(ङ) एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच।

प्रश्न 7.
संयुक्त राष्ट्रसंघ की मुख्य शाखाओं और एजेंसियों का सुमेल उनके काम से करें-

1. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् (क) वैश्विक वित्त व्यवस्था की देखरेख।
2. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ख) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का संरक्षण।
3. अंतर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी (ग) सदस्य देशों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण की चिंता।
4. सुरक्षा परिषद् (घ) परमाणु प्रौद्योगिकी का शांतिपूर्ण उपयोग और सुरक्षा।
5. संयुक्त राष्ट्र संघ शरणार्थी उच्चायोग (ङ) सदस्य देशों के बीच मौजूद विवादों का निपटारा।
6. विश्व व्यापार संगठन (च) आपातकाल में आश्रय तथा चिकित्सीय सहायता मुहैया कराना।
7. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (छ) वैश्विक मामलों पर बहस-मुबाहिसा।
8. आम सभा (ज) संयुक्त राष्ट्र संघ के मामलों का समायोजन और प्रशासन।
9. विश्व स्वास्थ्य संगठन (झ) सबके लिए स्वास्थ्य।
10. सचिवालय (ञ) सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार की राह आसान बनाना।

उत्तर:

1. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् (ग) सदस्य देशों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण की चिंता।
2. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय (ङ) सदस्य देशों के बीच मौजूद विवादों का निपटारा।
3. अन्तर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी (घ) परमाणु प्रौद्योगिकी का शांतिपूर्ण उपयोग और सुरक्षा।
4. सुरक्षा परिषद् (ख) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का संरक्षण।
5. संयुक्त राष्ट्र संघ शरणार्थी उच्चायोग (च) आपातकाल में आश्रय तथा चिकित्सीय सहायता मुहैया कराना।
6. विश्व व्यापार संगठन (ञ) सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार की राह आसान बनाना ।
7. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (क) वैश्विक वित्त व्यवस्था की देखरेख।
8. आम सभा (छ) वैश्विक मामलों पर बहस – मुबाहिसा।
9. विश्व स्वास्थ्य संगठन (झ) सबके लिए स्वास्थ्य।
10. सचिवालय (ज) संयुक्त राष्ट्र संघ के मामलों का समायोजन और

प्रश्न 8.
सुरक्षा परिषद् के कार्य क्या हैं?
उत्तर;
सुरक्षा परिषद् के कार्य – सुरक्षा परिषद् निम्न कार्य करती है-

  1. सुरक्षा परिषद् विचार-विमर्श, बातचीत, पूछताछ, मध्यस्थता, जाँच-पड़ताल, मेल-मिलाप के माध्यम से शांति और सुरक्षा की स्थापना का प्रयास करती है।
  2. पंच निर्णय, न्यायिक समझौता, क्षेत्रीय व्यवस्थाओं या अन्य शांतिमय उपायों का प्रयोग करती है।
  3. प्रवर्तन साधनों का प्रयोग, जिनके अन्तर्गत परिषद् संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों की शांति और सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न करने या शांति भंग करने या आक्रमणकारी राज्य के विरुद्ध पूर्ण या आंशिक आर्थिक सम्बन्धी, रेल, समुद्री वायु, डाक-तार, रेडियो संचारण के अन्य साधनों और कूटनीतिक सम्बन्धों के विच्छेद के प्रयोग के लिये कर सकती है।
  4. सुरक्षा परिषद् अंतिम उपाय के रूप में वायु, जल और थल सेनाओं द्वारा भी सैनिक कार्यवाही कर सकती है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य सुरक्षा परिषद् की मांग पर सशस्त्र सेनाएँ तथा अन्य प्रकार की सहायता देने के लिये वचनबद्ध हैं। सुरक्षा परिषद् ने प्रवर्तन साधनों के बजाय शांति साधनों का ही प्रयोग किया है।
  5. सुरक्षा परिषद् अपने आन्तरिक मामलों का स्वयं निर्णय करती है।
  6. सुरक्षा परिषद् नये राष्ट्रों को संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता प्रदान करना, महासचिव का चयन, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति आदि कार्य महासभा से मिलकर करती है।

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प्रश्न 9.
भारत के नागरिक के रूप में सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता के पक्ष का समर्थन आप कैसे करेंगे? अपने प्रस्ताव का औचित्य सिद्ध करें।
उत्तर:
हम भारत के नागरिक के रूप में सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन निम्नलिखित आधारों पर करते हैं।

  1. भारत विश्व में सबसे बड़ी आबादी वाला दूसरा देश है।
  2. भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।
  3. संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति बहाल करने के प्रयासों में भारत लंबे समय से ठोस भूमिका निभाता आ रहा है।
  4. भारत तेजी से अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर एक बड़ी आर्थिक शक्ति बनकर उभर रहा है।
  5. भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में नियमित रूप से अपना योगदान दिया है और यह कभी भी अपने भुगतान से चूका नहीं है।
  6. भारत इस बात से आगाह है कि सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता का एक प्रतीकात्मक महत्त्व भी है।
  7. भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के झण्डे के नीचे कई देशों में शांति स्थापना के लिये अपनी सेनाएँ भेजी हैं।
  8. भारतीय संस्कृति सदैव ही अहिंसा, शांति, सहयोग की समर्थक रही है।

प्रश्न 10.
संयुक्त राष्ट्रसंघ के ढाँचे को बदलने के लिये सुझाये गये उपायों के क्रियान्वयन में आ रही कठिनाइयों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
उत्तर:
प्रमुख सुझाव- संयुक्त राष्ट्र संघ के ढांचे को बदलने के लिए निम्नलिखित प्रमुख सुझाव दिये गये है।

  1. सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों में वृद्धि की जाए।
  2. सभी निर्णय महासभा में बहुमत से होने चाहिए। सभी सदस्यों को एक मत देने का अधिकार होना चाहिए और व्यक्तिगत रूप में गुप्त मतदान के रूप में इसका प्रयोग होना चाहिए।
  3. सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यों को दिया गया वीटो का अधिकार समाप्त होना चाहिए।
  4. बदले हुए विश्व वातावरण में भारत, जापान, जर्मनी, कनाडा, ब्राजील एवं दक्षिणी अफ्रीका को सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता प्रदान करनी चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र संघ के ढांचे को बदलने के लिये सुझाये गये उपर्युक्त उपायों के क्रियान्वयन में अनेक कठिनाइयाँ आ रही हैं। यथा-

  1. संयुक्त राष्ट्रसंघ के साधारण सभा के सदस्यों की संख्या में हुई वृद्धि के आधार पर सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों की संख्या में वृद्धि किये जाने के सुझाव पर यह समस्या आ रही है कि इनमें किन सदस्यों को शामिल किया जाये? जनसंख्या, आर्थिक स्थिति, अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रभाव आदि में से किस आधार पर देशों को शामिल किया जाये।
  2. स्थायी सदस्यों की वीटो पॉवर समाप्त कर दी जायेगी तो वे देश संयुक्त राष्ट्र संघ में उतनी रुचि नहीं लेंगे यह भी अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टि से उचित नहीं है।

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प्रश्न 11.
हालांकि संयुक्त राष्ट्रसंघ युद्ध और इससे उत्पन्न विपदा को रोकने में नाकामयाब रहा है लेकिन विभिन्न देश अभी भी इसे बनाये रखना चाहते हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ को एक अपरिहार्य संगठन मानने के क्या कारण हैं? संयुक्त राष्ट्रसंघ एक अपरिहार्य संगठन है
उत्तर:
यद्यपि संयुक्त राष्ट्रसंघ युद्ध और इससे उत्पन्न विपदा को रोकने में नाकामयाब रहा है तथापि वर्तमान में यह एक अपरिहार्य संगठन है, क्योंकि

  1. अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान – संयुक्त राष्ट्रसंघ विभिन्न देशों के बीच विवाद पैदा करने वाली घटनाओं को शांतिपूर्वक समाधान की दिशा में पहल करने वाला महत्त्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है।
  2. प्राकृतिक आपदा, महामारी आदि से निपटने के लिए – प्राकृतिक आपदा, महामारी, आतंकवाद आदि से निपटने के लिए देशों के पारस्परिक सहयोग की आवश्यकता होती है और संयुक्त राष्ट्रसंघ इसके लिए सर्वश्रेष्ठ अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है।
  3. विश्वव्यापी ताप वृद्धि के दुष्प्रभावों के समाधान में सहायक – विश्वव्यापी ताप वृद्धि के दुष्प्रभावों का समाधान संयुक्त राष्ट्रसंघ जैसा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ही कर सकता है। संयुक्त राष्ट्रसंघ इस सम्बन्ध में सभी देशों के लिए एक आधार तैयार करने में सहायता करता है।
  4. युद्धों की रोकथाम में सहायक – आज विश्व को युद्ध की विभीषिका से बचाने में संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक अहम भूमिका है।
  5. सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अपरिहार्य – झगड़ों और सामाजिक-आर्थिक विकास के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्रसंघ के माध्यम से 193 राष्ट्रों को एक साथ किया जा सकता है।
  6. अन्य कारण
    • विश्व के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ ऐसा मंच है जहाँ अमरीकी रवैये और नीतियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
    • विश्व के समाजों की बढ़ती पारस्परिक निर्भरता संयुक्त राष्ट्रसंघ की अपरिहार्यता को सिद्ध करती है।

प्रश्न 12.
संयुक्त राष्ट्रसंघ में सुधार का अर्थ है सुरक्षा परिषद् के ढाँचे में बदलाव इस कथन का सत्यापन
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार का अर्थ है। सुरक्षा परिषद् के ढाँचे में बदलाव अर्थात् सुरक्षा परिषद् में ही अधिकांश सुधारों की बात की जाती है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य अंगों जैसे महासभा में सभी सदस्य राज्यों को समान अधिकार प्राप्त है, परन्तु सुरक्षा परिषद् में सभी राज्यों को समान अधिकार प्राप्त नहीं है। इसमें पाँच स्थायी सदस्यों को सर्वाधिक शक्तियाँ प्राप्त हैं। इन पांचों को ही किसी प्रस्ताव पर वीटो शक्ति का प्रयोग करने का अधिकार है। इस प्रकार समस्त निर्णय इन पांचों सदस्यों द्वारा ही लिये जाते हैं। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार की अधिकांश मांगें सुरक्षा परिषद में सुधार से संबंधित हैं।

  1. सुरक्षा परिषद् में स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाये तथा इसमें एशिया, अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के देशों का समुचित प्रतिनिधित्व हो।
  2. पांच सदस्यों को दिया गया वीटो पावर खत्म किया जाये।
  3. निषेधाधिकार लोकतंत्र की धारणा से मेल नहीं खाता है।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार का मुख्य बिन्दु सुरक्षा परिषद् में सुधार से ही संबंधित है।

अंतर्राष्ट्रीय संगठन JAC Class 12 Political Science Notes

→ हमें अन्तर्राष्ट्रीय संगठन क्यों चाहिए?

  • अन्तर्राष्ट्रीय संगठन देशों की समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान में सदस्य देशों की सहायता करते हैं- अन्तर्राष्ट्रीय संगठन कोई शक्तिशाली राज्य नहीं होता जिसकी अपने सदस्यों पर धौंस चलती हो। इसका निर्माण विभिन्न राज्य ही करते हैं और यह उनके मामलों के लिए जवाबदेह होता है। जब राज्यों में इस बात की सहमति होती है कि कोई अन्तर्राष्ट्रीय संगठन बनना चाहिए, तभी ऐसे संगठन कायम होते हैं। एक बार इनका निर्माण हो जाने के बाद ये सदस्य देशों की समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान में सहायता करते हैं।
  • एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन सहयोग करने के उपाय और सूचनाएँ जुटाने में मदद कर सकता।
  • एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन नियमों और नौकरशाही की एक रूपरेखा दे सकता है ताकि सदस्यों को यह विश्वास हो कि आने वाली लागत में सबकी समुचित साझेदारी होगी, लाभ का बँटवारा न्यायोचित होगा और कोई सदस्य उस समझौते में शामिल हो जाता है तो वह इस समझौते के नियम और शर्तों का पालन करेगा।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ आज की दुनिया का सबसे महत्त्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय संगठन माना जाता है। इस संगठन को विश्व भर के अधिकांश लोग एक अनिवार्य संगठन मानते हैं। यह संगठन उनकी नजर में शांति और प्रगति के प्रति | मानवता की आशा का प्रतीक है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना-
→ अगस्त, 1941: अमरीकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट और ब्रितानी प्रधानमंत्री चर्चिल द्वारा अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए।

→ जनवरी, 1942: धुरी शक्तियों के खिलाफ लड़ रहे 26 मित्र – राष्ट्र अटलांटिक चार्टरे समर्थन में वाशिंग्टन में मिले और दिसंबर, 1943 में संयुक्त राष्ट्रसंघ की घोषणा पर हस्ताक्षर हुए।

→ फरवरी,1945: तीन बड़े नेताओं ( रूजवेल्ट, चर्चिल और स्टालिन) ने याल्टा सम्मेलन में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय संगठन के बारे में संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक सम्मेलन करने का निर्णय किया।

→ अप्रैल-मई, 1945: सेन फ्रांसिस्को में संयुक्त राष्ट्रसंघ का अंतर्राष्ट्रीय संगठन बनाने के मामले पर केंद्रित दो महीने लंबा सम्मेलन संपन्न।

→ 26 जून, 1945: संयुक्त राष्ट्रसंघ चार्टर पर 50 देशों के हस्ताक्षर। पोलैंड ने 15 अक्टूबर को हस्ताक्षर किए। इस तरह संयुक्त राष्ट्रसंघ में 51 मूल संस्थापक सदस्य हैं।

→ 24 अक्टूबर, 1945: संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना 24 अक्टूबर संयुक्त राष्ट्रसंघ दिवस।

→ 30 अक्टूबर 1945 – भारत संयुक्त राष्ट्रसंघ में शामिल।

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→ संयुक्त राष्ट्रसंघ का विकास-

  • प्रथम विश्वयुद्ध ने दुनिया को इस बात का आभास करवाया कि एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय संगठन होना चाहिए जो झगड़ों का निपटारा कर सके। इसके परिणामस्वरूप ‘लीग ऑफ नेशंस’ का जन्म हुआ। किन्तु यह संगठन दूसरा विश्वयुद्ध (1939-45) रोकने में असफल रहा। इसलिए 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होते ही संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना हुई। 51 देशों द्वारा इसके घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
  • संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्य :
    • अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों को रोकना और राष्ट्रों के बीच सहयोग की राह दिखाना।
    • अंतर्राष्ट्रीय युद्ध होने की स्थिति में यह संगठन शत्रुता के दायरे को सीमित करने का काम करता है।
    • पूरे विश्व में सामाजिक-आर्थिक विकास की संभावनाओं को बढाने हेतु विभिन्न देशों को एक साथ लाना।
  • 2011 तक संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य देशों की संख्या 193 थी।
  • इसकी सुरक्षा परिषद् में पाँच स्थायी सदस्य हैंअमरीका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन।
  • संयुक्त राष्ट्रसंघ की कई शाखाएँ और एजेंसियाँ हैं। जिनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्रसंघ विकास कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्रसंघ मानवाधिकार आयोग, संयुक्त राष्ट्रसंघ बाल कोष और संयुक्त राष्ट्रसंघ शैक्षिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन शामिल हैं।

→ शीत युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार: संयुक्त राष्ट्र संघ के सामने दो तरह के बुनियादी सुधारों का मसला है। संगठन की बनावट और प्रक्रियाओं में सुधार – इस सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि

→ सुरक्षा परिषद् में स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ायी जाये, विशेषकर एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमरीका के ज्यादा देशों को इसमें सदस्यता दी जाये।

→ अमरीका और पश्चिमी देश इसके बजट से जुड़ी प्रक्रियाओं और इसके प्रशासन में सुधार चाहते हैं। सुरक्षा परिषद् में सदस्यों की संख्या बढ़ाने तथा नये सदस्यों को चुने जाने के लिए स्थायी और अस्थायी सदस्यता के लिए निम्नलिखित मानदण्ड सुझाये गये हैं

  • वह देश बड़ी आर्थिक ताकत हो,
  • वह बड़ी सैन्य ताकत हो,
  • संयुक्त राष्ट्र के बजट में अधिक योगदान हो,
  • जनसंख्या की दृष्टि से बड़ा राष्ट्र हो,
  • लोकतंत्र तथा मानवाधिकारों का सम्मान करता हो तथा
  • अपने भूगोल, अर्थव्यवस्था और संस्कृति की दृष्टि से विश्व की विविधता का प्रतिनिधित्व करता हो।

इन कसौटियों में भी अनेक किन्तु परन्तु हैं। सदस्यता की प्रकृति को बदलने का भी मुद्दा उठाया गया है कि पाँच स्थायी सदस्यों को दिया गया ‘वीटो ‘ समाप्त होना चाहिए या नहीं? इस सम्बन्ध में भी कोई एक राय नहीं बन पायी है।

→ न्यायाधिकार में आने वाले मुद्दों की समीक्षा सम्बन्धी सुधार – इस सम्बन्ध में कुछ देश चाहते हैं कि यह संगठन शांति एवं सुरक्षा से जुड़े मिशनों में ज्यादा प्रभावकारी भूमिका निभाये, जबकि कुछ देश चाहते हैं कि यह संगठन अपने को विकास तथा मानवीय भलाई के कामों तक सीमित रखे। सन् 2005 में संयुक्त राष्ट्र की 60वीं सालगिरह के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ को अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए निम्न कदम उठाने का फैसला किया गया-

  • शांति संस्थापक आयोग का गठन।
  • यदि कोई राष्ट्र अपने नागरिकों को अत्याचारों से बचाने में असफल हो जाए तो विश्व बिरादरी इसका उत्तरदायित्व ले।
  • मानवाधिकार परिषद् की स्थापना।
  • सहस्राब्दि विकास लक्ष्य को प्राप्त करने पर सहमति।
  • हर रूप – रीति के आतंकवाद की निंदा।
    एक लोकतंत्र कोष का गठन।
  • ट्रस्टीशिप काउंसिल को समाप्त करने पर सहमति। लेकिन ये मुद्दे भी संयुक्त राष्ट्र संघ के लिए अनेक किन्तु परन्तुओं से भरे हुए हैं।

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संयुक्त राष्ट्रसंघ में सुधार और भारत
→ (अ) भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के ढांचे में बदलाव के मसले को कई आधारों पर समर्थन दिया है-

  • विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की मजबूती और दृढ़ता आवश्यक है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ को विभिन्न देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और विकास को बढ़ावा देने में ज्यादा बड़ी ‘भूमिका निभानी चाहिए।
  • सुरक्षा परिषद् में सदस्यों की संख्या बढ़ाने से सुरक्षा परिषद् ज्यादा प्रतिनिधिमूलक होगी और उसे विश्व- बिरादरी का ज्यादा समर्थन मिलेगा। इसलिए सुरक्षा परिषद् के स्थायी और अस्थायी दोनों प्रकार के सदस्यों की संख्या बढ़ायी जानी चाहिए।

→ (ब) भारत की सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता के पक्ष में तर्क:

  • भारत विश्व में सबसे बड़ी जनसंख्या वाला दूसरा देश है।
  • भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ की लगभग सभी पहलकदमियों में भाग लिया है
  • भारत तेजी से अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर आर्थिक शक्ति बनकर उभर रहा है।
  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में नियमित रूप से अपना योगदान दिया है।
  • भारत सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता के प्रतीकात्मक महत्त्व को समझता है।

→ (स) भारत की सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता की दावेदारी के विपक्ष में तर्क- कुछ देश वीटोधारी स्थायी सदस्य के रूप में भारत की सदस्यता के विरोध में ये तर्क देते हैं-

  • भारत एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है तथा पाक – भारत तनावों के कारण वह स्थायी सदस्य के रूप में सफल नहीं रहेगा।
  • भारत के साथ ही ब्राजील, जर्मनी, जापान और दक्षिण अफ्रीका को भी शामिल करना पड़ेगा, जिसका ये देश विरोध करते हैं।
  • सुरक्षा परिषद् में प्रतिनिधित्व की दृष्टि से दक्षिण अमरीका महाद्वीप तथा अफ्रीका महाद्वीप की पहली दावेदारी होनी चाहिए।

→ एक ध्रुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ:
एक ध्रुवीय विश्व में क्या संयुक्त राष्ट्र संघ ढांचे और प्रक्रियाओं में सुधार के बाद अमरीका की मनमानी को रोकने में सफल होगा। इस सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ अमरीका की मनमानी पर आसानी से अंकुश नहीं लगा सकेगा क्योंकि-

  • विश्व की एकमात्र महाशक्ति रह जाने के कारण अमरीका अपनी सैन्य और आर्थिक शक्ति के बल पर वह संयुक्त राष्ट्र संघ की अनदेखी कर सकता है।
  • अमरीका संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में सबसे ज्यादा योगदान करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ अमरीकी भू-क्षेत्र में स्थित है तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के कई नौकरशाह इसके नागरिक हैं।
  • उसके पास निषेधाधिकार की शक्ति है।
  • वीटो ताकत के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के चयन में भी अमरीका की चलती है।
  • अमरीका अपनी सैन्य तथा आर्थिक शक्ति के बल पर विश्व में फूट डालने की क्षमता रखता है।

इन कारणों से संयुक्त राष्ट्र संघ के भीतर अमरीका का खासा प्रभाव है जिसके कारण यह संगठन उसकी मनमानी को नहीं रोक सकता।

→ एकध्रुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता:
यद्यपि एकध्रुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ अमरीका पर नियंत्रण नहीं लगा सकता तथापि निम्न संदर्भ में उसकी अभी भी प्रासंगिकता विद्यमान है-

  • संयुक्त राष्ट्र संघ अमरीका और शेष विश्व के बीच विभिन्न मुद्दों पर बातचीत कायम कर सकता है।
  • झगड़ों और सामाजिक-आर्थिक विकास के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ के जरिये 193 देशों को एक साथ किया जा सकता है।
  • शेष विश्व संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच के माध्यम से अमरीकी रवैये और नीतियों पर कुछ न कुछ अंकुश लगा सकता है।
  • आज विभिन्न समाजों और मुद्दों के बीच आपसी तार जुड़ते जा रहे हैं। आने वाले दिनों में पारस्परिक निर्भरता बढ़ती जायेगी। इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ का महत्त्व भी निरन्तर बढ़ेगा।

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