JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. भारत में नई आर्थिक नीति शुरू हुई।
(अ) 1990 में
(ब) 1991 में
(स) 1992 में
(द) 1993 में
उत्तर:
(ब) 1991 में

2. एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण का प्रवाह है।
(अ) विश्व के एक हिस्से से विचारों का दूसरे हिस्सों में पहुँचना
(ब) पूँजी का एक से ज्यादा जगहों पर जाना
(स) वस्तुओं का कई-कई देशों में पहुँचना
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

3. निम्न में से कौनसा वैश्वीकरण का कारण नहीं है।
(अ) किसी देश की पारंपरिक वेशभूषा
(ब) प्रौद्योगिकी
(स) विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव
(द) संचार के साधनों की तरक्की
उत्तर:
(अ) किसी देश की पारंपरिक वेशभूषा

4. वैश्वीकरण के फलस्वरूप राज्य की शक्ति में वृद्धि हुई है।
(अ) कानून-व्यवस्था के सम्बन्ध में
(ब) राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्बन्ध में
(स) नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटाने के सम्बन्ध में
(द) आर्थिक कार्यों के सम्बन्ध में
उत्तर:
(स) नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटाने के सम्बन्ध में

5. वैश्वीकरण के कारण जिस सीमा तक वस्तुओं का प्रवाह बढ़ा है उस सीमा तक प्रवाह नहीं बढ़ा है।
(अ) पूँजी का
(ब) व्यापार का
(स) लोगों की आवाजाही का
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) लोगों की आवाजाही का

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6. आर्थिक वैश्वीकरण का दुष्परिणाम है।
(अ) व्यापार में वृद्धि
(ब) पूँजी के प्रवाह में वृद्धि
(स) जनमत के विभाजन में वृद्धि
(द) विचारों के प्रवाह में वृद्धि
उत्तर:
(स) जनमत के विभाजन में वृद्धि

7. भारत में नई आर्थिक नीति के संचालक हैं।
(अ) डॉ. मनमोहन सिंह
(ब) यशवन्त सिन्हा
(स) वी. पी. सिंह
(द) इन्दिरा गांधी
उत्तर:
(अ) डॉ. मनमोहन सिंह

8. टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच किसकी क्रांति कर दिखाई है?
(अ) विचार की
(ब) संचार की
(स) पूँजी की
(द) वस्तु की
उत्तर:
(ब) संचार की

9. वैश्वीकरण के किस प्रभाव ने पूरे विश्व के जनमत को गहराई से बाँट दिया है?
(अ) आर्थिक
(ब) सामाजिक
(स) राजनीतिक
(द) व्यावहारिक
उत्तर:
(अ) आर्थिक

10. वैश्वीकरण के किस प्रभाव को देखते हुए इस बात का भय है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृति को खतरा पहुँचाएगी?
(अ) राजनीतिक
(ब) आर्थिक
(स) सांस्थानिक
(द) सांस्कृतिक
उत्तर:
(द) सांस्कृतिक

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

1…………………….. वैश्वीकरण की प्रक्रियाओं के समर्थकों का तर्क है कि इससे समृद्धि बढ़ती है।
उत्तर:
आर्थिक

2. कुछ अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक वैश्वीकरण को विश्व का ……………………. कहा है।
उत्तर:
पुनः उपनिवेशीकरण

3. वैश्वीकरण एक ………………………….. धारणा है।
उत्तर:
बहुआयामी

4. वैश्वीकरण से हर संस्कृति अलग और विशिष्ट हो रही है, इस प्रक्रिया को ……………….. कहते हैं।
उत्तर:
सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण

5. औपनिवेशिक दौर में भारत आधारभूत वस्तुओं और कच्चे माल का ……………………….. तथा बने-बनाये सामानों का ………………… देश था।
उत्तर:
निर्यातक, आयातक

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वैश्वीकरण का बुनियादी अर्थ क्या है?
उत्तर:
वैश्वीकरण का बुनियादी अर्थ है – विचार, पूँजी, वस्तु और सेवाओं का विश्वव्यापी प्रवाह।

प्रश्न 2.
वर्ल्ड सोशल फोरम (W.S.F.) क्या है?
उत्तर:
वर्ल्ड सोशल फोरम वैश्वीकरण का विरोध करने वाले पर्यावरणविदों, मजदूरों, युवकों और महिला कार्यकर्ताओं का एक विश्वव्यापी मंच है।

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प्रश्न 3.
वैश्वीकरण की नीति में अभी भी सबसे महत्त्वपूर्ण संसाधन कौन-सा है?
उत्तर:
प्रौद्योगिकी।

प्रश्न 4.
‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ की पहली बैठक कब और कहाँ हुई?
उत्तर:
वर्ल्ड सोशल फोरम की पहली बैठक 2001 में ब्राजील में हुई।

प्रश्न 5.
वर्ल्ड सोशल फोरम की चौथी बैठक कब और कहाँ हुई?
उत्तर:
वर्ल्ड सोशल फोरम की चौथी बैठक 2004 में मुम्बई में हुई।

प्रश्न 6.
जनार्दन काल सेंटर में काम करते हुए हजारों किलोमीटर दूर बसे अपने ग्राहकों से बात करता है, यह वैश्वीकरण का कौनसा पक्ष है?
उत्तर:
इसमें जनार्दन सेवाओं के वैश्वीकरण में हिस्सेदारी कर रहा है।

प्रश्न 7.
कोमिन्टर्न का सम्बन्ध किस एशियाई देश से था?
उत्तर:
कोमिन्टर्न का सम्बन्ध साम्राज्यवाद तथा उपनिवेशवाद के शिकार हुए चीन से था।

प्रश्न 8.
वैश्वीकरण के विभिन्न प्रवाहों की निरंतरता से क्या पैदा हुआ है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के विभिन्न प्रवाहों की निरन्तरता से ‘विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव पैदा हुआ है।

प्रश्न 9.
राष्ट्रवाद की आधारशिला किस प्रौद्योगिकी ने रखी?
उत्तर:
छपाई (मुद्रण) की तकनीक ने।

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प्रश्न 10.
किन आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार क्रांति कर दिखाई है?
उत्तर:
टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने।

प्रश्न 11.
विचार, पूँजी, वस्तु और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही की आसानी किसके कारण संभव हुई है?
उत्तर:
प्रौद्योगिकी में हुई तरक्की के कारण।

प्रश्न 12.
कोई ऐसी दो घटनाओं के नाम लिखिये जो राष्ट्रीय सीमाओं का जोर नहीं मानतीं।
उत्तर:

  1. बर्ड फ्लू
  2. सुनामी किसी एक राष्ट्र की हदों में सिमटे नहीं रहते।

प्रश्न 13.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में विश्व में कल्याणकारी राज्य की धारणा की जगह किस धारणा ने ले ली है?
उत्तर:
न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की धारणा ने।

प्रश्न 14.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया के तहत राज्य अब किन कामों तक ही अपने को सीमित रखता है?
उत्तर:
राज्य अब कानून और व्यवस्था को बनाए रखने तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करने तक ही अपने को. सीमित रखता है।

प्रश्न 15.
भूमंडलीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
यातायात और संचार के साधनों ने दुनिया के देशों को एक-दूसरे से जोड़कर विश्व ग्राम में बदल दिया है। इसी को भूमंडलीकरण कहते हैं।

प्रश्न 16.
वैश्वीकरण के दौर में अब आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक कौन है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के दौर में अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक है।

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प्रश्न 17.
वैश्वीकरण के जिम्मेदार कोई दो कारण बताइये।
उत्तर:
वैश्वीकरण के जिम्मेदार दो कारण ये हैं।

  1. प्रौद्योगिकी में तरक्की
  2. विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव।

प्रश्न 18.
वैश्वीकरण के कारण किस क्षेत्र में राज्य की शक्ति में वृद्धि हुई है?
उत्तर:
अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बूते अब राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं

प्रश्न 19.
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को देखते हुए किस भय को बल मिला है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को देखते हुए इस भय को बल मिला है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचायेगी ।

प्रश्न 20.
विश्व – संस्कृति के नाम पर क्या हो रहा है?
उत्तर:
विश्व – संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है।

प्रश्न 21.
वैश्वीकरण का एक सकारात्मक प्रभाव लिखिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण का एक सकारात्मक प्रभाव यह है कि इससे हमारी पसंद-नापसंद का दायरा बढ़ता है।

प्रश्न 22.
औपनिवेशिक दौर में भारत किस प्रकार का देश था?
उत्तर:
पनिवेशिक दौर में भारत आधारभूत वस्तुओं और कच्चे माल का निर्यातक तथा बने-बनाए सामानों का आयातक देश था।

प्रश्न 23.
स्वतंत्रता के बाद भारत ने आर्थिक दृष्टि से कौनसी नीति अपनाई?
उत्तर:
स्वतंत्रता के बाद भारत ने संरक्षणवाद की नीति अपनाई।

प्रश्न 24.
संरक्षणवाद की नीति क्या है?
उत्तर;
संरक्षणवाद की नीति वैश्वीकरण का विरोध करती है तथा देशी उद्योगों एवं वस्तुओं को प्रतिस्पर्द्धा से बचाने हेतु चुंगी तथा तटकर का पक्ष लेती है।

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प्रश्न 25.
मैक्डोनाल्डीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
मैक्डोनाल्डीकरण का तात्पर्य है कि संसार की विभिन्न संस्कृतियाँ अब अपने आप को प्रभुत्वशाली अमेरिकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं।

प्रश्न 26.
साम्राज्यवाद से क्या आशय है?
उत्तर:
जब कोई देश अपनी सीमा से बाहर के क्षेत्र के लोगों के आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन पर अपना आधिपत्य स्थापित कर ले, उसे साम्राज्यवाद कहते हैं।

प्रश्न 27.
‘संरक्षणवाद’ की नीति से भारत को क्या दिक्कतें पैदा हुईं।
उत्तर:
संरक्षणवाद की नीति के कारण प्रथमतः भारत स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास के क्षेत्र में ध्यान नहीं दे पाया। दूसरे, भारत की आर्थिक वृद्धि दर धीमी रही।

प्रश्न 28.
1991 में भारत ने आर्थिक सुधारों की योजना क्यों शुरू की?
उत्तर:

  1. वित्तीय संकट से उबरने तथा
  2. आर्थिक वृद्धि की ऊँची दर हासिल करने के लिए 1991 में भारत आर्थिक सुधारों की योजना शुरू की।

प्रश्न 29.
आर्थिक सुधारों की योजना की दो विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:

  1. इसके अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों पर से आयात प्रतिबंध हटाये गए।
  2. व्यापार और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया गया।

प्रश्न 30.
वामपंथी आलोचक वैश्वीकरण के विरोध में क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:
वामपंथी आलोचकों का कहना है कि वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूँजीवाद की एक खास अवस्था है जो धनी और निर्धनों के बीच की खाई को और बढ़ायेगा।

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प्रश्न 31.
दक्षिणपंथी आलोचक वैश्वीकरण के विरोध में क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:
दक्षिणपंथी आलोचकों का कहना है कि इससे राज्य कमजोर हो रहा है; परम्परागत संस्कृति की हानि होगी।

प्रश्न 32. वैश्वीकरण के विरोधी आंदोलनों का स्वरूप क्या है?
उत्तर:
वैश्वीकरण विरोधी बहुत से आंदोलन वैश्वीकरण के विरोधी नहीं बल्कि वैश्वीकरण के साम्राज्यवादी समर्थक कार्यक्रम के विरोधी हैंहोगी ।

प्रश्न 33.
1999 में सिएटल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री स्तरीय बैठक में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन क्यों हुए?
उत्तर:
ये विरोध-प्रदर्शन आर्थिक रूप से ताकतवर देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर-तरीकों के अपनाने के विरोधमें हुए।

प्रश्न 34.
सिएटल (1999) के विरोध प्रदर्शनकारियों का क्या तर्क था?
उत्तर:
सिएटल (1999) के विरोध प्रदर्शनकारियों का तर्क था कि उदीयमान वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में विकासशील देशों के हितों को समुचित महत्त्व नहीं दिया गया है।

प्रश्न 35.
नव-उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच कौनसा है?
उत्तर:
नव-उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ (WSF) है।

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प्रश्न 36.
वर्ल्ड सोशल फोरम’ में कौन लोग सम्मिलित हैं?
उत्तर:
‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ में मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता एकजुट -उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते हैं।

प्रश्न 37.
भारत में वैश्वीकरण का विरोध करने वाले किन्हीं दो क्षेत्रों का नाम बताइये।
उत्तर:

  1. वामपंथी राजनैतिक दल
  2. इन्डियन सोशल फोरम
  3. औद्योगिक श्रमिक और किसान संगठन।

प्रश्न 38.
भारत में दक्षिणपंथी खेमों से वैश्वीकरण का विरोध किस संदर्भ में किया जा रहा है?
उत्तर:
भारत में दक्षिणपंथी खेमा वैश्वीकरण के विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों का विरोध कर रहा है।

प्रश्न 39.
बहुराष्ट्रीय निगम से क्या आशय है?
उत्तर:
बहुराष्ट्रीय निगम वह कम्पनी है जो एक से अधिक देशों में अपनी आर्थिक व व्यापारिक गतिविधियाँ चलाती है।

प्रश्न 40.
सांस्कृतिक समरूपता से क्या आशय है?
उत्तर:
सांस्कृतिक समरूपता का आशय हैथोपना। विश्व संस्कृति के नाम पर पश्चिमी संस्कृति को विकासशील देशों में थोपना।

प्रश्न 41.
सामाजिक सुरक्षा कवच से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को वैश्वीकरण के प्रभाव से बचाने का सांस्थानिक उपाय को सामाजिक सुरक्षा कवच कहा गया है।

प्रश्न 42.
बहुराष्ट्रीय निगम से आप क्या समझते हो?
उत्तर:
वह कंपनियाँ जो एक से अधिक दिशाओं में आर्थिक गतिविधियाँ चलाती हैं।

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प्रश्न 43.
क्या साम्राज्यवाद ही वैश्वीकरण है?
उत्तर:
नहीं, साम्राज्यवाद में एक देश अपनी सीमा के बाहर के देश पर आर्थिक और राजनीतिक कब्जा करता है जबकि वैश्वीकरण में इस प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होता है।

प्रश्न 44.
कल और आज के वैश्वीकरण में आप क्या अंतर देखते हैं?
उत्तर:
पहले दो देशों के बीच वस्तु तथा कच्चे माल का आवागमन होता था और आज के युग में व्यक्ति, विचार, पूँजी, तकनीक तथा कच्चे माल का आवागमन होता है। वस्तु,

प्रश्न 45.
दो महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष
  2. विश्व व्यापार संगठन।

प्रश्न 46.
वैश्वीकरण के लिए अपरिहार्य कारक क्या है?
उत्तर:
प्रौद्योगिकी

प्रश्न 47.
भारत वैश्वीकरण को किन तरीकों से प्रभावित कर रहा है? कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  1. भारत विदेशी भूमि पर भारतीय संस्कृति तथा रीति-रिवाजों को बढ़ावा दे रहा है।
  2. भारत में उपलब्ध सस्ते श्रम ने विश्व को अपनी ओर आकर्षित किया है।

प्रश्न 48.
आर्थिक वैश्वीकरण का सरकारों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सरकारें कुछ जिम्मेदारियों से अपना हाथ पीछे कर रही हैं।

प्रश्न 49.
वैश्वीकरण के मध्यमार्गी समर्थकों का वैश्वीकरण के संदर्भ में क्या कहना है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के मध्यमार्गी समर्थकों का कहना है कि वैश्वीकरण ने चुनौतियाँ पेश की हैं और लोगों को इसका सामना सजग और सचेत रूप में करना चाहिए।

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प्रश्न 50.
सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप हर संस्कृति अलग और विशिष्ट होती जा रही है। इस प्रक्रिया को सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण कहते हैं।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ क्या है?
उत्तर:
वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) – नव-उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ है। इस मंच के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता एकजुट होकर नव-उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते हैं।

प्रश्न 2.
वैश्वीकरण के विरोध में वामपंथी क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:
वैश्वीकरण के विरोध में वामपंथी आलोचकों का तर्क है कि मौजूदा वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूँजीवाद की एक खास अवस्था है जो धनिकों को और ज्यादा धनी ( तथा इनकी संख्या में कमी) और गरीब को और ज्यादा गरीब बनाती है।

प्रश्न 3.
दक्षिणपंथी आलोचक वैश्वीकरण के विरोध में क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:
वैश्वीकरण के दक्षिणपंथी आलोचकों को

  1. राजनीतिक अर्थों में राज्य के कमजोर होने की चिंता है।
  2. आर्थिक क्षेत्र में वे चाहते हैं कि कम से कम कुछ क्षेत्रों में आर्थिक आत्मनिर्भरता और संरक्षणवाद का दौर फिर कायम हो और
  3. सांस्कृतिक संदर्भ में इनकी चिंता है कि इससे परंपरागत संस्कृति की हानि होग ।

प्रश्न 4.
सांस्कृतिक विभिन्नीकरण को परिभाषित कीजिए।
अथवा
सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण की प्रक्रिया से क्या आशय है?
उत्तर:
सांस्कृतिक विभिन्नीकरण:
वैश्वीकरण से हर संस्कृति कहीं ज्यादा अलग और विशिष्ट होती जा रही है। इस प्रक्रिया को सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण कहते हैं। इसका आशय यह है कि सांस्कृतिक मेलजोल का प्रभाव एकतरफा नहीं होता है, बल्कि दुतरफा होता है।

प्रश्न 5.
विश्व सामाजिक मंच एक मुक्त आकाश का द्योतक है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण में विश्व सामाजिक मंच एक मुक्त आकाश के समान होगा। जिस प्रकार मुक्त आकाश सम्पूर्ण पक्षियों के लिए खुला होता है, ठीक उसी प्रकार विश्व को एक सामाजिक मंच मान लिया जाये तो सभी जगह उदारीकरण की अर्थव्यवस्था आ जायेगी जो सभी के लिए खुली होगी।

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प्रश्न 6.
उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये कि वैश्वीकरण में परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना संस्कृति का परिष्कार होता है।
उत्तर:
बाहरी संस्कृति के प्रभावों से कभी-कभी परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना संस्कृति का परिष्कार होता है। उदाहरण के लिए, नीली जीन्स भी हथकरघा पर बुने खादी के कुर्ते के साथ खूब चलती है। जीन्स के ऊपर कुर्ता पहने अमरीकियों को देखना अब संभव है।

प्रश्न 7.
स्पष्ट कीजिये कि कभी-कभी बाहरी प्रभावों से हमारी पसंद-नापसंद का दायरा बढ़ता है।
उत्तर:
कभी-कभी बाहरी प्रभावों से हमारी पसंद-नापसंद का दायरा बढ़ता है। उदाहरण के लिए बर्गर, मसाला- डोसा का विकल्प नहीं है, इसलिए बर्गर से मसाला डोसा को कोई खतरा नहीं है। इससे इतना मात्र हुआ है कि हमारे भोजन की पसंद में एक और चीज शामिल हो गयी ह ।

प्रश्न 8.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों की आवाजाही वस्तुओं और पूँजी के प्रवाह के समान क्यों नहीं बढ़ी है?
उत्तर:
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों की आवाजाही वस्तुओं और पूँजी के प्रवाह के समान नहीं बढ़ी है। क्योंकि विकसित देश अपनी वीजा नीति के जरिये अपनी राष्ट्रीय सीमाओं को अभेद्य बनाए रखते हैं ताकि दूसरे देशों के नागरिक आकर कहीं उनके नागरिकों के नौकरी-धंधे न हथिया लें।

प्रश्न 9.
वैश्वीकरण की चार विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. वैश्वीकरण के कारण वित्तीय क्रियाकलापों में तेजी आती है।
  2. वैश्वीकरण में अन्तर्राष्ट्रीय बाजार का प्रादुर्भाव होता है।
  3. वैश्वीकरण में बहुराष्ट्रीय निगमों का अधिक विकास होता है।
  4. वैश्वीकरण में भौगोलिक और राजनैतिक गतिरोध कम हो जाता है।

प्रश्न 10.
जनार्दन के एक काल सेंटर में काम करने तथा विदेशी ग्राहकों को सेवा प्रदान करने, रामधारी का अपनी बेटी के लिए चीनी – साइकिल खरीदने तथा सारिका के नौकरी करने में वैश्वीकरण के कौन-कौनसे पहलू दिखते हैं?
उत्तर:
उक्त तीनों उदाहरणों में वैश्वीकरण का कोई न कोई पहलू दिखता है। यथा।

  1. जनार्दन सेवाओं में वैश्वीकरण में हिस्सेदारी कर रहा है.
  2. रामधारी जन्मदिन के लिए चीनी – साइकिल के रूप में जो उपहार खरीद रहा है उससे हमें विश्व के एक भाग से दूसरे भाग में वस्तुओं की आवाजाही का पता लगता है।
  3. सारिका के सामने जीवन-मूल्यों के बीच दुविधा की स्थिति है। यह दुविधा अन्ततः उन अवसरों के कारण पैदा हुई है जो उसके परिवार की महिलाओं कों पहले उपलब्ध नहीं थे, लेकिन आज वे एक सच्चाई हैं और जिन्हें व्यापक स्वीकृति मिल रही है।

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प्रश्न 11.
वैश्वीकरण की अवधारणा से आप क्या समझते हैं? व्याख्या कीजि।
अथवा
वैश्वीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण की अवधारणा – एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण की बुनियादी बात है। प्रवाह प्रवाह कई तरह के हो सकते हैं, जैसे- विचार – प्रवाह, पूँजी – प्रवाह, वस्तु – प्रवाह, व्यापार – प्रवाह, आवाजाही का प्रवाह आदि। विश्व के एक हिस्से के विचारों का दूसरे हिस्सों में पहुँचना विचार प्रवाह है। पूँजी का एक से ज्यादा देशों में जाना पूँजी प्रवाह है; वस्तुओं का कई देशों में पहुँचना वस्तु प्रवाह है और उनका व्यापार तथा बेहतर आजीविका की तलाश में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों की आवाजाही क्रमशः व्यापार प्रवाह तथा लोगों की आवाजाही का प्रवाह है। इन सब प्रवाहों की निरन्तरता से ‘विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव पैदा हुआ है और फिर यह जुड़ाव निरन्तर बना रहता है। इस सबका मिला-जुला रूप ही वैश्वीकरण की अवधारणा है।

प्रश्न 12.
वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है क्योंकि इसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव हैं। यथा।

  1. आर्थिक आयाम: वैश्वीकरण के कारण व्यापार में खुलापन आता है, व्यापार में वृद्धि होती है, पूँजी निवेश बढ़ता है, वस्तुओं तथा सेवाओं की आवाजाही एक देश से दूसरे देश में बढ़ती है।
  2. राजनैतिक आयाम: वैश्वीकरण के कारण दुनिया में लोककल्याणकारी राज्य की धारणा अब पुरानी पड़ गई है और इसकी जगह न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की धारणा ने ले ली है।
  3. सांस्कृतिक आयाम: वैश्वीकरण से हमारी पसंद-नापसंद का निर्धारण होता है। हम जो कुछ खाते-पीते- पहनते हैं अथवा सोचते हैं। सब पर इसका असर नजर आता है। अतः स्पष्ट है कि वैश्वीकरण एक बहुआयामी धारणा है।

प्रश्न 13.
आपकी राय में वैश्वीकरण के क्या कारण हैं? किन्हीं चार की विवेचना कीजिये।
अथवा
वैश्वीकरण के चार कारणों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के कारकों की व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
हमारी राय में वैश्वीकरण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैंअथवा

  1. प्रौद्योगिकी और वैश्वीकरण: विचार, पूंजी, वस्तु और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही की आसानी प्रौद्योगिकी में हुई तरक्की के कारण संभव हुई है। इसी प्रकार हमारे सोचने के तरीके पर भी प्रौद्योगिकी का प्रभाव पड़ा है।
  2. विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव: विश्व के विभिन्न भागों के लोग अब इस बात को लेकर सजग हैं कि विश्व के एक भाग में घटने वाली घटना का प्रभाव विश्व के दूसरे भाग में भी पड़ेगा। इससे वैश्वीकरण को बढ़ावा मिला।
  3. आर्थिक प्रवाह में तीव्रता: न्यूनतम हस्तक्षेप की राज्य की अवधारणा, पूँजीवादी व्यवस्था के वर्चस्व तथा बहुराष्ट्रीय निगमों की बढ़ती भूमिका ने वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया है।
  4. साम्यवादी गुट का पतन: साम्यवादी गुट के पतन के बाद पूँजीवाद का वर्चस्व स्थापित हुआ जिसने वैश्वीकरण को गति दी।

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प्रश्न 14.
वैश्वीकरण ने विश्व की राज व्यवस्थाओं को प्रभावित किया है।
अथवा
आपके मतानुसार कोई चार प्रभावों की विवेचना कीजिए। वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव क्या हैं?
अथवा
वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभावों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव: वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभावों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया, राज्य की क्षमता में कमी- वैश्वीकरण के कारण राज्य की क्षमता यानी सरकारों को जो करना है, उसे करने की ताकत में कमी आती है। यथा

(अ) पूरी दुनिया ने वैश्वीकरण के दौर में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को त्याग कर न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की अवधारणा को अपना लिया है।

(ब) वैश्वीकरण के चलते राज्य अब आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का ही निर्धारण करता है।

(स) बहुराष्ट्रीय निगमों की भूमिका बढ़ी है। इससे सरकारों के अपने दम पर फैसला करने की क्षमता में कमी आयी है। राज्य की ताकत में वृद्धि – कुछ मायनों में वैश्वीकरण के फलस्वरूप राज्य की ताकत में वृद्धि हुई है।

(द) अब राज्यों के हाथ में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं।

प्रश्न 15.
आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया से क्या आशय है?
उत्तर:
र्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया – आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया से आशय है। विश्व में वस्तुओं, पूँजी, श्रम तथा विचारों के प्रवाह का व्यापक होना।

  1. वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में वस्तुओं के व्यापार का इजाफा हुआ है क्योंकि आयात प्रतिबंधों को कम किया गया है।
  2. वैश्वीकरण के चलते दुनियाभर में पूँजी की आवाजाही पर अब अपेक्षाकृत कम प्रतिबंध हैं इसलिए विदेशी निवेश बढ़ रहा है।
  3. वैश्वीकरण के चलते अब विचारों के सामने राष्ट्र की सीमाओं की बाधा नहीं रही, उनका प्रवाह अबाध हो उठा है। इंटरनेट और कंप्यूटर से जुड़ी सेवाओं का विस्तार इसका एक उदाहरण है।
  4. वैश्वीकरण के चलते एक देश से दूसरे देश में लोगों की आवाजाही भी बढ़ी है। एक देश के लोग अब दूसरे देश में जाकर नौकरी कर रहे हैं।

प्रश्न 16.
आर्थिक वैश्वीकरण के विरोध में तर्क दीजिये।
उत्तर:
आर्थिक वैश्वीकरण के विरोध में तर्क-आर्थिक वैश्वीकरण के विरोध में निम्न प्रमुख तर्क दिये जाते हैं।

  1. जनमत का विभाजन: आर्थिक वैश्वीकरण के कारण पूरे विश्व में जनमत बड़ी गहराई से बंट गया है।
  2. सरकारों द्वारा सामाजिक न्याय की उपेक्षा- आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सरकारें कुछ जिम्मेदारियों से अपना हाथ खींच रही हैं और इससे सामाजिक न्याय से सरोकार रखने वाले लोग चिंतित हैं क्योंकि इससे नौकरी और जनकल्याण के लिए सरकार पर आश्रित रहने वाले लोग बदहाल हो जायेंगे।
  3. विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण: आर्थिक वैश्वीकरण विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण है।
  4. गरीब देशों के लिए अहितकर: वैश्वीकरण से गरीब देशों के गरीब लोग आर्थिक रूप से बर्बादी की कगार पर पहुँच जाएंगे।

प्रश्न 17.
आर्थिक वैश्वीकरण के समर्थन में तीन तर्क दीजिये।
उत्तर:
आर्थिक वैश्वीकरण के समर्थन में तर्क-आर्थिक वैश्वीकरण के समर्थन में अग्रलिखित तर्क दिये जाते संजीव पास बुक्स

  1. समृद्धि का बढ़ना: आर्थिक वैश्वीकरण से समृद्धि बढ़ती है और खुलेपन के कारण ज्यादा से ज्यादा जनसंख्या की खुशहाली बढ़ती है।
  2. व्यापार में वृद्धि: आर्थिक वैश्वीकरण से व्यापार में वृद्धि होती है। इससे पूरी दुनिया को फायदा होता है।
  3. पारस्परिक जुड़ाव का बढ़ना: आर्थिक वैश्वीकरण से लोगों में पारस्परिक जुड़ाव बढ़ रहा है। पारस्परिक निर्भरता की रफ्तार अब तेज हो चली है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के विभिन्न भागों में सरकार, व्यवसाय तथा लोगों के बीच जुड़ाव बढ़ रहा है।

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प्रश्न 18.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया किस रूप में विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचायेगी?
उत्तर:
वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लेकर आता है। सांस्कृतिक समरूपता में विश्व संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति को लादा जा रहा है। राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभुत्वशाली संस्कृति कम ताकतवर समाजों पर अपनी छाप छोड़ती है और संसार वैसा ही दीखता है जैसा ताकतवर संस्कृति इसे बनाना चाहती है। यही कारण है कि बर्गर या नीली जीन्स की लोकप्रियता का नजदीकी रिश्ता अमरीकी जीवनशैली के गहरे प्रभाव से है। विभिन्न संस्कृतियाँ वैश्वीकरण की सांस्कृतिक समरूपता के तहत अब अपने को प्रभुत्वशाली अमरीकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं। इससे पूरे विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे – धीरे खत्म हो रही है और यह समूची मानवता के लिए भी खतरनाक है।

प्रश्न 19.
आपके अनुसार क्या भविष्य में वैश्वीकरण जारी रहेगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, वैश्वीकरण भविष्य में भी जारी रहेगा। इसके निम्न कारक हैं।

  1. प्रत्येक व्यक्ति तथा देश एक दूसरे पर निर्भर है।
  2. कोई भी व्यक्ति स्वयं अपनी आवश्यकता को पूरी नहीं कर सकता है।
  3. क्षेत्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का निर्माण और आपसी निर्भरता के कारण।
  4. भविष्य में विश्व सहयोग बढेगा तथा विकसित देश दूसरे देशों के शोषण के बजाय सहयोग करेंगे।

प्रश्न 20.
वैश्वीकरण की दिशा में भारत द्वारा उठाये गये किन्हीं चार कदमों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
भारत के वैश्वीकरण की दिशा में बढ़ते कदम: भारत ने वैश्वीकरण की दिशा में निम्नलिखित प्रमुख कदम उठाये हैं।

  1. उद्योग नीति में सुधार: सन् 1991 से भारत सरकार ने नई औद्योगिक नीति के अन्तर्गत कुछ उद्योगों को छोड़कर सभी उद्योगों को लाइसेंस मुक्त कर दिया है।
  2. विदेशी निवेश को बढ़ावा: भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के अवसरों का पता लगाने के प्रयास तेज करने पर बल दिया गया है। उच्च प्राथमिकता वाले उद्योगों में 51 प्रतिशत तक विदेशी पूँजी निवेश को तथा अनिवासी भारतीयों द्वारा भारत में निवेश करने को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
  3. विदेशी प्रौद्योगिकी समझौते: भारत सरकार ने औद्योगिक विकास और प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से विदेशों से प्रौद्योगिकी समझौते करने पर विशेष बल दिया है।
  4. विनिमय दर: 1992-93 से भारतीय रुपये को विदेशी मुद्रा में पूर्ण परिवर्तनीय बना दिया गया है।

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प्रश्न 21.
वैश्वीकरण के प्रतिरोध के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण का प्रतिरोध क्यों हो रहा है? प्रमुख कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का प्रतिरोध निम्न कारणों से हो रहा है।

  1. वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूँजीवाद की खास अवस्था है जो धनिकों को और ज्यादा धनी और गरीबों को और ज्यादा गरीब बनाती है।
  2. राजनीतिक अर्थ में वैश्वीकरण में राज्य के कमजोर होने की चिंता है। इससे गरीबों के हितों की रक्षा करने की राज्य की क्षमता में कमी आती है।
  3. सांस्कृतिक स्तर पर परम्परागत संस्कृति की हानि हो रही है। लोग अपने सदियों पुराने जीवन-मूल्य तथा तौर-तरीकों से हाथ धो बैठेंगे।
  4. यह साम्राज्यवाद का नया रूप है। इसके चलते विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
  5. वैश्वीकरण की प्रक्रिया का लाभ अधिकांश जनता तक नहीं पहुँचता है। इससे तृतीय विश्व के देशों में गरीबी व आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है।

प्रश्न 22.
वैश्वीकरण के कारण विकासशील देशों में राज्यों की बदलती भूमिका का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण के कारण विकासशील देशों में राज्यों की भूमिका में परिवर्तन आया है। यथा।

  1. वैश्वीकरण के कारण राज्यों की आत्मनिर्भरता की नीतियाँ समाप्त होती जा रही हैं; क्योंकि वर्तमान वैश्वीकरण के युग में कोई भी विकासशील देश आत्मनिर्भर नहीं हो सकता।
  2. वैश्वीकरण के युग में पूँजी निवेश के कारण विकासशील देशों ने भी अपने बाजार विश्व के लिए खोल दिये हैं।
  3. वैश्वीकरण के कारण अंब प्रत्येक देश आर्थिक नीति को बनाते समय विश्व में होने वाले आर्थिक घटनाक्रम तथा विश्व संगठनों जैसे विश्व बैंक व विश्व व्यापार संगठन के प्रभाव में रहता है।
  4. राज्यों द्वारा बनाई जाने वाली निजीकरण की नीतियाँ, कर्मचारियों की छंटनी, सरकारी अनुदानों में कमी तथा कृषि से संबंधित नीतियों पर वैश्वीकरण का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।

प्रश्न 23.
भारतीय राजनीति का दक्षिणपंथी खेमा वैश्वीकरण का विरोध क्यों कर रहा है?
उत्तर:
भारतीय राजनीति का दक्षिणपंथी खेमा वैश्वीकरण का विरोध कर रहा है क्योंकि इस खेमे के अनुसार केबल नेटवर्क के जरिए उपलब्ध कराए जा रहे विदेशी टी.वी. चैनलों के कारण स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राएँ वैलेन्टाइन डे मना रहे हैं तथा पश्चिमी पोशाकों की तरफ उनकी अभिरूची बढ़ रही है।

प्रश्न 24.
1999 में सिएटल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री स्तरीय बैठक में क्या घटनाएँ हुई थीं?
उत्तर:
1999 में सिएटल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री – स्तरीय बैठक में वैश्वीकरण के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। ये विरोध आर्थिक रूप से ताकतवर देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर-तरीकों के अपनाने के विरोध में ये प्रदर्शन हुए थे। विरोधियों के अनुसार उदीयमान वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में विकासशील देशों के हितों को समुचित महत्त्व नहीं दिया गया था।

प्रश्न 25.
आजादी हासिल करने के बाद भारत ने क्या फैसला किया? इन फैसलों की वजह से कौनसी दिक्कतें पैदा हुई?
उत्तर:
औपनिवेशिक दौर में ब्रिटेन के साम्राज्यवादी नीति के परिणामस्वरूप भारत आधारभूत वस्तुओं और कच्चे माल का निर्यातक देश था तथा बने बनाए सामानों का आयातक देश था। आजादी हासिल करने के बाद ब्रिटेन के साथ अपने अनुभवों से सबक लेते हुए भारत ने फैसला किया कि दूसरे पर निर्भर रहने के बजाय खुद सामान बनाया जाए तथा दूसरे देशों को निर्यात की अनुमति नहीं होगी ताकि हमारे अपने उत्पादक चीजों का बनाना सीख सकें। इस ‘संरक्षणवाद’ से कुछ नयी दिक्कतें पैदा हुईं। कुछ क्षेत्रों में तरक्की हुई तो कुछ जरूरी क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, आवास और प्राथमिक शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया जितने के वे हकदार थे। भारत में आर्थिक वृद्धि की दर धीमी रही।

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प्रश्न 26.
क्या हम कह सकते हैं कि वैश्वीकरण केवल एक आर्थिक आयाम है?
उत्तर:
नहीं, वैश्वीकरण केवल एक आर्थिक आयाम नहीं है बल्कि यह राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों वाली बहुआयामी अवधारणा है। वैश्वीकरण विचारों, पूँजी, वस्तुओं और लोगों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया है।

प्रश्न 27.
” वैश्वीकरण एक बहुआयामी धारणा है।” कथन के पक्ष में अपना तर्क दीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ अन्य देशों के साथ अन्योन्याश्रितता के आधार पर अर्थव्यवस्था के एकीकरण से है। यह राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति वाली अवधारणा है तथा इसमें विचारों, पूँजीगत वस्तुओं और लोगों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया होती है।

प्रश्न 28.
एक उग्रवादी समूह ने एक बयान जारी किया जिसमें कॉलेज की छात्राओं को पश्चिमी कपड़े पहने की धमकी दी गई थी। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
यह कथन वैश्वीकरण की सांस्कृतिक निहितार्थों को दर्शाता है, जो कि समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के सिकुड़ने का नेतृत्व करने के लिए पश्चिमी संस्कृति को थोपने के बारे में एक रक्षा समूह के डर के रूप में है।

प्रश्न 29.
भारत पर वैश्वीकरण के प्रभावों के विषय में दो भिन्न विचारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत पर वैश्वीकरण के प्रभावों पर दो विचार निम्न है।

  1. वैश्वीकरण अपनाने से भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
  2. वैश्वीकरण के बारे में इसके आलोचकों का विचार है कि भारत द्वारा वैश्वीकरण की योजनाएँ लागू करने से देश के श्रम बाजार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी।

प्रश्न 30.
यह कहना कहाँ तक सही है कि वैश्वीकरण राज्य की सम्प्रभुता का हनन करता है। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ऊपर दिया गया कथन सही है क्योंकि वैश्वीकरण से राज्य की संप्रभुता प्रभावित होना हैं। राज्यों को वैश्विक मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करना होता है। उदाहरण के लिए वैश्विक बाजार की भूमिका में वृद्धि, समुन्नत प्रौद्योगिकी, पर्यावरण संबंधी अंतर्राष्ट्रीय कानून कुछ हद तक राज्यों की संप्रभुता को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 31.
नव-उपनिवेशवाद क्या है?
उत्तर:
समय तथा युग के साथ-साथ उपनिवेशवाद का रूप भी बदल गया है। नव उपनिवेशवाद परंपरागत उपनिवेशवाद का एक नया रूप है। ‘नव उपनिवेशवाद’ का लक्ष्य सैनिक तथा राजनीतिक प्रभुत्व के स्थान पर आर्थिक प्रभुत्व की स्थापना करना है। एक समृद्ध तथा शक्तिशाली देश, कमजोर देश को आर्थिक सहायता देकर उस देश की नीतियाँ तथा राजनीतिक गतिविधियों पर नियंत्रण करता है और उन नीतियों तथा गतिविधियों को अपने लाभ की ओर प्रभावकारी बनाता है।

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प्रश्न 32.
कल और आज के वैश्वीकरण में अंतर के कुछ तर्क दीजिए।
उत्तर:
कल और आज के वैश्वीकरण में बहुत अंतर है। इसको हम निम्न तर्क द्वारा देख सकते हैं।

  1. आज न केवल वस्तुएँ बल्कि लोग भी बड़ी संख्या में एक देश से दूसरे देश में जा रहे हैं।
  2. पहले पूर्व के देशों को ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रमुखता प्राप्त थी किन्तु आज विपरीत स्थिति है। पश्चिम की वस्तुओं को भी उतना ही सम्मान मिलता है।
  3. कई कंपनियाँ विकासशील देशों के उत्पाद पर अपना लेबल लगाकर पूरे विश्व बाजार में विकसित देशों के उत्पाद के रूप में बेच रही है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वैश्वीकरण को परिभाषित कीजिये इसके अंग तथा सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ एवं परिभाषा; वैश्वीकरण विचार, पूँजी, वस्तु और लोगों की वैश्विक आवाजाही से जुड़ी वह परिघटना है, जिसमें इन प्रवाहों का धरातल सम्पूर्ण विश्व है और इन प्रवाहों की गति तीव्र तथा निरन्तरता लिए हुए है जो अन्ततः ‘विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव पैदा कर रही है। गाय ब्रायंबंटी के शब्दों में, “वैश्वीकरण की प्रक्रिया केवल विश्व व्यापार की खुली व्यवस्था, संचार के आधुनिकतम तरीकों के विकास, वित्तीय बाजार के अन्तर्राष्ट्रीयकरण, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बढ़ते महत्त्व, जनसंख्या के देशान्तरगमन तथा विशेषतः लोगों, वस्तुओं, पूँजी तथा विचारों के गतिशील होने से ही संबंधित नहीं है बल्कि संक्रामक रोगों तथा प्रदूषण का प्रसार भी इसमें शामिल है।

  • वैश्वीकरण के अंग- विद्वानों के मतानुसार वैश्वीकरण के प्रमुख अंग निम्नलिखित हैं।
    1. व्यापार या वस्तुओं का विभिन्न देशों में निर्बाध प्रवाह,
    2. विभिन्न देशों में पूँजी का स्वतन्त्र प्रवाह,
    3. तकनीक तथा विचार का बेरोकटोक प्रवाह तथा
    4. विभिन्न देशों में श्रम प्रवाह।
  • वैश्वीकरण के लिए निर्देशक सिद्धान्त: वैश्वीकरण के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं।
    1. राजकोषीय अनुशासन।
    2. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को खुला रखना।
    3. संस्थागत एवं रचनात्मक सुधार।
    4. बाजार की शक्तियों द्वारा आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं को निर्धारित करना।
    5. निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देना।
    6. व्यापार का उदारीकरण करना।
    7. कर प्रणाली में सुधार करना।
    8. पारदर्शिता लाना।
    9. अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के निर्देशों का पालन करना।
    10. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग।

प्रश्न 2.
“वैश्वीकरण एक बहुआयामी धारणा है। “इस कथन की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा के रूप में: वैश्वीकरण एक बहुआयामी धारणा है; इसके राजनैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आयाम हैं। यथा।

  • वैश्वीकरण का राजनैतिक आयाम: वैश्वीकरण के प्रमुख राजनीतिक आयाम इस प्रकार हैं।
    1. वैश्वीकरण के कारण राज्य अब मुख्य कार्यों, जैसे: कानून-व्यवस्था तथा नागरिक सुरक्षा तक ही अपने को सीमित रखता है। इससे आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में राज्य की शक्तियाँ कम हुई हैं।
    2. वैश्वीकरण के चलते अब राज्यों के हाथों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं। इससे राज्य की क्षमता बढ़ी है।
  • वैश्वीकरण का आर्थिक आयाम: आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया में दुनिया के विभिन्न देशों के बीच आर्थिक प्रवाह तेज हो जाता है। इसके चलते दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि हुई है, पूँजी के निवेश की बाधाएँ हटी हैं, विचारों का प्रवाह अबाध हुआ है।
  • वैश्वीकरण के सांस्कृतिक आयाम: वैश्वीकरण में राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभुत्वशाली संस्कृति कम ताकतवर समाजों पर अपनी छाप छोड़ती हैं और संसार वैसा ही दीखता है जैसा ताकतवर संस्कृति इसे बनाना चाहती है। इससे विश्व की सांस्कृतिक धरोहरें खत्म हो रही हैं। दूसरी तरफ, हमारी पसंद-नापसंद का दायरा बढ़ रहा है, और प्रभुत्वशाली संस्कृति के सांस्कृतिक प्रभावों के अन्तर्गत ही परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना स्थानीय संस्कृति का परिष्कार भी हो रहा है।

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प्रश्न 3.
वैश्वीकरण के कारण तथा इसके राजनैतिक प्रभावों का विवेचन कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण के कारण: वैश्वीकरण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।
1. प्रौद्योगिकी: प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति के कारण ही विचार, पूंजी, वस्तु और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही में आसानी हुई है।
2. विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव: विश्वव्यापी प्रवाहों की निरन्तरता से लोगों में विश्वव्यापी पारस्परिक पैदा हुआ और इस जुड़ाव ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को तीव्र कर दिया है।
वैश्वीकरण के राजनैतिक प्रभाव: वैश्वीकरण के राजनैतिक प्रभाव का विवेचन निम्नलिखित तीन बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है।

  • वैश्वीकरण ने कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति को कमजोर किया है- यथा-
    1. वैश्वीकरण के कारण पूरी दुनिया में अब राज्य कुछेक मुख्य कामों, जैसे कानून व्यवस्था को बनाये रखना तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करना आदि तक ही अपने को सीमित रखता है।
    2. वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण राज्य की जगह अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक है।
    3. बहुराष्ट्रीय निगमों का बढ़ता प्रभाव: वैश्वीकरण के चलते पूरे विश्व में बहुराष्ट्रीय निगमों की भूमिका बढ़ी है। इससे सरकारों के अपने दम पर फैसला करने की क्षमता में कमी आती हैं।
  • कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति पर वैश्वीकरण का कोई प्रभाव नहीं राजनीतिक समुदाय के आधार के रूप में राज्य की प्रधानता को वैश्वीकरण से कोई चुनौती नहीं मिली है।
  • वैश्वीकरण ने राज्य की शक्ति में वृद्धि भी की है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकता है। इस सूचना के दम पर राज्य ज्यादा कारगर ढंग से काम कर सकते हैं।

प्रश्न 4.
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव पर एक निबंध लिखिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव: वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव निम्नलिखित हैं।

I. वैश्वीकरण के नकारात्मक सांस्कृतिक प्रभाव:
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को देखते हुए इस भय मिला है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचायेगी; क्योंकि वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लाता है जिसमें विश्व संस्कृति के नाम पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है। इस कारण विभिन्न संस्कृतियाँ अब अपने को प्रभुत्वशाली अमेरिकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं। इससे पूरे विश्व में विभिन्न संस्कृतियों की समृद्ध धरोहर धीरे धीरे खत्म होती जा रही है। यह स्थिति समूची मानवता के लिए खतरनाक है।

II. वैश्वीकरण के सकारात्मक सांस्कृतिक प्रभाव- वैश्वीकरण के कुछ सकारात्मक सांस्कृतिक प्रभाव भी पड़े हैं। जैसे
1. बाहरी संस्कृति के प्रभावों से हमारी पसंद-नापसंद का दायरा बढ़ता है; जैसे—बर्गर के साथ-साथ मसाला- डोसा भी अब हमारे खाने में शामिल हो गया है।
2. इसके प्रभावस्वरूप कभी-कभी संस्कृति का परिष्कार भी होता है, जैसे- नीली जीन्स के साथ खादी का कुर्ता पहनना।
3. वैश्वीकरण से हर संस्कृति कहीं ज्यादा अलग और विशिष्ट होती जा रही है। प्रश्न 5. वैश्वीकरण के पक्ष तथा विपक्ष में तर्क दीजिये।
उत्तर:

  • वैश्वीकरण के पक्ष में तर्कवैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये गये हैं।
    1. वैश्वीकरण से लोगों में विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव बढ़ा है।
    2. वैश्वीकरण के कारण पूँजी की गतिशीलता बढ़ी है। इससे प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश बढ़ा है तथा विकासशील देशों की अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं पर निर्भरता कम हुई है।
    3. वैश्वीकरण की प्रक्रिया द्वारा विकासशील देशों को उन्नत तकनीक का लाभ मिल सकता है।
    4. वैश्वीकरण ने विश्वव्यापी सूचना क्रांति को जन्म दिया है। इससे सामाजिक गतिशीलता बढ़ी है।
    5. वैश्वीकरण के कारण रोजगार की गतिशीलता में भारी वृद्धि हुई है।
  • वैश्वीकरण के विपक्ष में तर्क: वैश्वीकरण के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जाते हैं।
    1. वैश्वीकरण की व्यवस्था धनिकों को ज्यादा धनी और गरीब को और ज्यादा गरीब बनाती है। इससे आर्थिक असमानता को बढ़ावा मिला है तथा तीसरी दुनिया के देशों में गरीबी बढ़ती जा रही है।
    2. वैश्वीकरण से राज्य की गरीबों के हित की रक्षा करने की उसकी क्षमता में कमी आती है।
    3. वैश्वीकरण से परम्परागत संस्कृति की हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन-मूल्य तथा तौर- तरीकों से हाथ धो बैठेंगे।
    4. वैश्वीकरण के चलते विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
    5. वैश्वीकरण की प्रक्रिया प्रभुतासम्पन्न राष्ट्रों द्वारा विकासशील देशों के बाजारों को हस्तगत करने के लिए कमजोर राष्ट्रों पर जबरन थोपी जा रही है।

प्रश्न 6.
वैश्वीकरण विरोधी आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण विरोधी आंदोलन: वैश्वीकरण की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है। वैश्वीकरण के विरोध में आंदोलन किये जा रहे हैं। वैश्वीकरण विरोधी आन्दोलनों को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।
1. किसी खास कार्यक्रम का विरोध:
वैश्वीकरण – विरोधी बहुत से आन्दोलन वैश्वीकरण की धारणा के विरोधी नहीं हैं; बल्कि वे वैश्वीकरण के किसी खास कार्यक्रम के विरोधी हैं जिसे वे साम्राज्यवाद का एक रूप मानते हैं।

2. बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन:
वैश्वीकरण के प्रति विरोध के प्रदर्शन मुख्यतः आर्थिक रूप से ताकतवर देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर-तरीकों के अपनाने के विरोध में हुए थे। उनका तर्क था कि उदीयमान वैश्विक आर्थिक- व्यवस्था में विकासशील देशों के हितों को समुचित महत्त्व नहीं दिया गया है।

3. वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF ):
नव-उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्व व्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ (WSF) है। इस मंच के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता एकजुट होकर नव-उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते हैं ।

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प्रश्न 7.
भारत सरकार द्वारा वैश्वीकरण की दिशा में क्या-क्या कदम उठाये गये हैं तथा उसके क्या प्रभाव पड़े हैं? समझाइये
उत्तर:

  • भारत द्वारा वैश्वीकरण की दिशा में उठाये गये कदम सन् 1991 के बाद से आर्थिक सुधारों को अपनाते हुए भारत ने वैश्वीकरण की दिशा में निम्नलिखित प्रमुख कदम उठाये हैं।
    1. 1990 के दशक में उदारीकरण वैश्वीकरण की नीति के तहत औद्योगिक लाइसेंस युग को समाप्त कर दिया गया, सार्वजनिक क्षेत्र में कटौती की गई, व्यापारिक गतिविधियों पर सरकार का एकाधिकार समाप्त कर दिया गया तथा निजीकरण सम्बन्धी कार्यक्रमों की पहल की गई।
    2. 1990 के दशक के दौरान ही विभिन्न क्षेत्रों पर आयात बाधायें हटायी गईं। इन क्षेत्रों में व्यापार और विदेशी निवेश भी शामिल थे।
    3. भारतीय शुल्क दरों में तेजी से कमी की गई। भारत में वैश्वीकरण के सकारात्मक परिणाम
  • वैश्वीकरण के भारत में निम्नलिखित सकारात्मक परिणाम परिलक्षित हो रहे हैं।
    1. वैश्वीकरण को अपनाने से भारत में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दर तथा विकास दर में तेजी से वृद्धि हुई है।
    2. उदारीकरण के बाद GDP विकास में जो उछाल आया, उसने भारत की वैश्विक स्थिति में सुधार ला दिया।
    3. वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप भारत में गरीबी में जीवन-यापन कर रहे लोगों का अनुपात धीरे-धीरे घट रहा है। भारत में वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव
  • आर्थिक सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर कुछेक प्रतिकूल प्रभाव भी डाले हैं, यथा।
    1. वैश्वीकरण के कारण कृषि में सब्सिडी को कम किये जाने से अनाज की कीमतों में वृद्धि हुई है तथा कृषि क्षेत्र में आधारिक संरचना में कमी आई है।
    2. वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारतीय बाजार को धीरे-धीरे हड़प रही हैं।
    3. अपनी विनिवेश नीति के तहत सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने से सरकार को बहुत नुकसान उठाना पड़

प्रश्न 8.
वैश्वीकरण के प्रतिरोध को लेकर भारत के अनुभव क्या हैं?
उत्तर:
भारत में भी वैश्वीकरण का प्रतिरोध हुआ है और कई आंदोलन हुए हैं। सामाजिक आंदोलनों के द्वारा हमें आस-पड़ोस की दुनिया और समाज को समझने में सहायता मिलती है। इस आंदोलनों के माध्यम से हम अपनी समस्याओं का हल तलाश सकते हैं। भारत में वैश्वीकरण का विरोध कई माध्यमों द्वारा हो रहा है।

  1. वामपंथी राजनीतिक दलों ने आर्थिक वैश्वीकरण के खिलाफ आवाज उठाई है तो दूसरी तरफ मानवाधिकार- कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता इंडियन सोशल फोरम के मंचों के माध्यम से नव-उदारवादी वैश्वीकरण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
  2. औद्योगिक श्रमिक और किसानों के संगठनों ने बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रवेश का विरोध किया है।
  3. कुछ औषधीय वनस्पतियों जैसे ‘नीम’ को अमरीकी और यूरोपीय कंपनी ने पेटेन्ट कराने का प्रयास किया इसका भी कड़ा विरोध हुआ है।
  4. वैश्वीकरण का विरोध राजनीति के दक्षिण पंथी खेमा भी कर रहा है। यह खेमा विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों का विरोध कर रहा है जैसे- केवल नेटवर्क के द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे विदेशी टी.वी. चैनलों से लेकर वैलेन्टाईन- डे मनाने तथा स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राओं की पश्चिमी पोशाकों के लिए बढ़ी अभिरुचि का विरोध भी शामिल है।

प्रश्न 9.
वैश्वीकरण की व्याख्या कीजिए। वैश्वीकरण को बढ़ावा देने में प्रौद्योगिकी का क्या योगदान रहा है?
उत्तर:
अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण मौलिक रूप से प्रवाह से संबंधित है। ये प्रवाह कई तरह के हो सकते हैं। दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने वाले विचार, दो या दो से अधिक स्थानों के बीच पूँजी का टकराव, सीमाओं के पार होने वाली वस्तुओं और दुनिया के विभिन्न भागों में बेहतर आजीविका की तलाश में घूम रहे लोग ‘विश्वव्यापी अन्तर्सम्बन्ध’ एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है जो इन निरंतर प्रवाह के परिणामस्वरूप बना और टिका हुआ है। जबकि वैश्वीकरण का कोई एक कारण नहीं है अपितु प्रौद्योगिकी इसका एक अपरिहार्य वजह है । इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाल के वर्षों में टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के आविष्कार ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों के बीच संचार में क्रांति लाई है। जब शुरू में मुद्रण हुआ तो यह राष्ट्रवाद के निर्माण का आधार बना। इसलिए आज हमें यह भी उम्मीद करनी चाहिए कि प्रौद्योगिकी हमारे व्यक्तिगत ही नहीं बल्कि हमारे सामाजिक जीवन के बारे में सोचती है। दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में अधिक आसानीपूर्वक आने जाने के लिए विचारों, पूँजी, वस्तुओं और लोगों की क्षमता को तकनीकी विकास द्वारा बड़े पैमाने पर संभव बनाया गया है। इन प्रवाहों की गति भिन्न हो सकती है।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण

प्रश्न 10.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया को आलोचक कैसे देखते हैं?
उत्तर:
वैश्वीकरण ने कुछ सकारात्मक आलोचनाओं को भी इसके सकारात्मक प्रभावों के बावजूद आमंत्रित किया है। इसके महत्त्वपूर्ण तर्कों को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है।
1. आर्थिक:
(अ) विदेशी लेनदारों को शक्तिशाली बनाने के लिए बड़े पैमाने पर उपभोग के सामान पर सब्सिडी में कमी।
(ब) इसने अमीर और गरीब राष्ट्रों के बीच असमानता बढ़ा दी है, अमीर राष्ट्र और अधिक अमीर और गरीब राष्ट्र और अधिक गरीब हुए हैं।
(स) राज्यों ने भी विकसित और विकासशील राष्ट्रों के बीच असमानताएँ पैदा की हैं।

2. राजनीतिक:
(अ) राज्य के कल्याण कार्यों को कम कर दिया गया है।
(ब) राज्यों की संप्रभुता प्रभावित हुई है ।
(स) राज्य अपने लिए निर्णय लेने में कमजोर हुए हैं।

3. सांस्कृतिक:
(अ) लोग अपने पुराने मूल्यों और परंपराओं को खो रहे हैं।
(ब) दुनिया कम शक्तिशाली समाज पर अपना प्रभुत्व जमा रही है।
(स) यह संपूर्ण विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सिकोड़ता है।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन 

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. विश्व की साझी विरासत में क्या शामिल नहीं है।
(अ) वायुमंडल
(ब) सड़क मार्ग
(स) समुद्री सतह
(द) बाहरी अंतरिक्ष
उत्तर:
(ब) सड़क मार्ग

2. क्योटो प्रोटोकॉल सम्मेलन जिस देश में हुआ वह है।
(अ) जापान
(ब) सिंगापुर
(स) नेपाल
(द) बाली
उत्तर:
(स) नेपाल

3. रियो पृथ्वी सम्मेलन में कितने देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया-
(अ) 172
(ब) 170.
(स) 175
(द) 180
उत्तर:
(ब) 170.

4. पर्यावरण के प्रति बढ़ते सरोकारों का कारण है
(अ) पर्यावरण की सुरक्षा मूलवासी लोगों और प्राकृतिक पर्यावासों के लिये जारी है।
(ब) विकसित देश प्रकृति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं।
(स) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुँच गया है।
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुँच गया है।

5. पृथ्वी सम्मेलन कब हुआ
(अ) 1992 में
(ब) 1995 में
(स) 1997 में
(द) 2000 में
उत्तर:
(अ) 1992 में

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6. 1992 में संयुक्त राष्ट्रसंघ का पर्यावरण और विकास सम्मेलन कहाँ हुआ था?
(अ) ब्रिटेन
(ब) चीन
(स) ब्राजील
(द) भारत
उत्तर:
(स) ब्राजील

7. धरती के वायुमंडल में निम्न में से जिस गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है, वह है
(अ) ओजोन गै
(ब) कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैसस
(स) मीथेन गैस
(द) नाइट्रस ऑक्साइड गैस
उत्तर:
(अ) ओजोन गै

8. भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल ( 1997) पर हस्ताक्षर किये और इसका अनुमोदन किया-
(अ) सन् 1997 में
(ब) सन् 1998 में
(स) सन् 2002 में
(द) सन् 2001 में
उत्तर:
(स) सन् 2002 में

9. स्थलीय हिम का 90 प्रतिशत हिस्सा और धरती पर मौजूद स्वच्छ जल का 70 प्रतिशत हिस्सा कहाँ मौजूद है?
(अ) लातिनी अमरीका
(ब) अंटार्कटिक
(स) अफ्रीका
(द) फिलीपीन्स
उत्तर:
(ब) अंटार्कटिक

10. ‘लिमिट्स टू ग्रोथ’ नामक पुस्तक किसने प्रकाशित की?
(अ) क्लब ऑवरोम
(स) अवर कॉमन फ्यूचर
(ब) संयुक्त राष्ट्रसंघ
(द) अजेण्डा – 21
उत्तर:
(अ) क्लब ऑवरोम

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. ………………………. के अन्तर्गत औद्योगिक देशों के लिए ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकॉल

2. भारत ने 2 अक्टूबर, 2016 को ………………………. जलवायु समझौते का अनुमोदन किया।
उत्तर:
पेरिस

3. भारत ने पृथ्वी सम्मेलन के समझौतों के क्रियान्वयन …………………….. का एक पुनरावलोकन
उत्तर:
1997

4. फिलीपीन्स के कई समूहों और संगठनों ने मिलकर एक ऑस्ट्रेलियाई बहुराष्ट्रीय कंपनी ………………….. अभियान चलाया।
उत्तर:
वेस्टर्न माइनिंग कारपोरेशन

5. के दशक के शुरुआती और मध्यवर्ती वर्षों में विश्व का पहला बाँध – विरोधी आंदोलन दक्षिणी गोलार्द्ध में चला।
उत्तर:
1980

6. चिले में …………………. नामक मूलवासी रहते हैं।
उत्तर:
मापुशे

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण सुरक्षा संबंधी भूमंडलीय सम्मेलन कब हुआ?
उत्तर:
पर्यावरण सुरक्षा संबंधी भूमंडलीय सम्मेलन सन् 1975 में हुआ।

प्रश्न 2.
पृथ्वी सम्मेलन जिस शहर में हुआ उसका नाम लिखिये।
अथवा
पृथ्वी सम्मेलन कहाँ हुआ था?
अथवा
पृथ्वी सम्मेलन क्या है तथा यह कब हुआ?
उत्तर:
पृथ्वी सम्मेलन 1992 में रियो डी जेनेरियो (ब्राजील) में हुआ । यह संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण की सुरक्षा और विकास से संबंधित विश्व सम्मेलन है।

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प्रश्न 3.
पृथ्वी सम्मेलन की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि क्या रही थी?
उत्तर:
1992 के पृथ्वी सम्मेलन ने पर्यावरण विषय को विश्व राजनीति के प्रमुख मुद्दों में शामिल कर दिया।

प्रश्न 4.
अराल के आसपास बसे हजारों लोगों को घर क्यों छोड़ना पड़ा?
उत्तर:
अराल के आसपास बसे हजारों लोगों को घर छोड़ना पड़ा क्योंकि पानी के विषाक्त होने से मत्स्य उद्योग नष्ट हो गया था।

प्रश्न 5.
1970 के दशक में अफ्रीका की सबसे बड़ी विपदा कौन-सी थी?
उत्तर:
अनावृष्टि

प्रश्न 6.
पर्यावरण प्रदूषण का कोई एक कारण बताएँ।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण का महत्त्वपूर्ण कारण जनसंख्या वृद्धि है।

प्रश्न 7.
पर्यावरण संरक्षण का कोई एक उपाय लिखें।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण के लिये जनसंख्या को नियंत्रित करना आवश्यक है।

प्रश्न 8.
क्योटो प्रोटोकोल सम्मेलन कब और किस देश में हुआ?
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकोल सम्मेलन 1997 में जापान में हुआ।

प्रश्न 9.
भारत ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम कब पास किया?
उत्तर:
भारत ने 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पास किया।

प्रश्न 10.
साझी सम्पदा किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन संसाधनों पर एक व्यक्ति की बजाय पूरे समुदाय का अधिकार हो उसे साझी सम्पदा कहते हैं।

प्रश्न 11.
‘वैश्वी साझी सम्पदा’ से क्या तात्पर्य है?
अथवा
विश्व की साझी विरासत से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘वैश्वी साझी संपदा’ किसी संप्रभु राज्य का हिस्सा नहीं होता और उस पर किसी के राज्य का नियंत्रण नहीं होता जैसे धरती का वायुमण्डल, समुद्र सतह आदि।

प्रश्न 12.
‘अवर कॉमन फ्यूचर’ के रिपोर्ट में क्या संकेत दिया गया था?
उत्तर:
‘अवर कॉमन फ्यूचर’ के रिपोर्ट में यह संकेत दिया गया था कि आर्थिक विकास के तौर-तरीके आगे चलकर टिकाऊ साबित नहीं होंगे।

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प्रश्न 13.
वैश्वी साझी सम्पदा में क्या सम्मिलित किया जाता है?
उत्तर:
धरती का वायुमण्डल, अंटार्कटिका, समुद्र सतह और बाहरी अंतरिक्ष को ‘विश्व की साझी विरासत’ माना जाता है।

प्रश्न 14.
संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण एवं विकास के मुद्दे पर केन्द्रित ‘पृथ्वी सम्मेलन’ में किन्होंने भाग लिया था?
अथवा
पृथ्वी सम्मेलन में कितने देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया?
उत्तर:
पृथ्वी सम्मेलन में 170 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रश्न 15.
भारत ने क्योटो प्रोटोकोल पर कब हस्ताक्षर किये?
उत्तर:
भारत ने क्योटो प्रोटोकोल पर अगस्त, 2002 में हस्ताक्षर किये।

प्रश्न 16.
विश्व जलवायु के संदर्भ में अण्टार्कटिक महाद्वीप की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
विश्व जलवायु का संतुलन करना।

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प्रश्न 17.
‘वैश्विक सम्पदा’ की सुरक्षा के लिये किये गये किन्हीं दो समझौतों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. अंटार्कटिका (1959)
  2. मांट्रियल न्यायाचार (प्रोटोकोल 1987 )।

प्रश्न 18.
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सम्मेलन कब और कहाँ हुआ?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सम्मेलन बाली (इन्डोनेशिया) में दिसम्बर,

प्रश्न 19.
पर्यावरण का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्त:
पर्यावरण से तात्पर्य उन सभी प्रभावों व परिस्थितियों के समूह से है जो मनुष्य को चारों ओर से घेरे हुए हैं। जिसके परिणामस्वरूप जीवन संभव है।

प्रश्न 20.
वैश्विक तापवृद्धि करने वाली गैसों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और हाइड्रो-फ्लोरो कार्बन।

प्रश्न 21.
1950 और 1960 के दशक में किन देशों के बीच स्वच्छ जल-संसाधनों को हथियाने के लिए संघर्ष
उत्तर:
इजरायल, सीरिया और जार्डन।

प्रश्न 22.
ऐसे दो देशों के नाम बताओ जिनको क्योटो प्रोटोकॉल की शर्तों से अलग रखा गया।
उत्तर:
भारत और चीन।

प्रश्न 23.
मूलवासी का अर्थ बताइये।
उत्तर:
मूलवासी ऐसे लोगों के वंशज हैं जो किसी देश में बहुत दिनों से रहते चले आ रहे हैं।

प्रश्न 24.
फिलीपिन्स के कोरडिलेरा क्षेत्र में कितने लाख मूलवासी लोग रहते हैं?
उत्तर:
20 लाख मूलवासी।

प्रश्न 25.
प्राकृतिक संसाधनों को कितने और कौन-कौनसे वर्गों में रखा जा सकता है?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों को तीन वर्गों में रखा जा सकता है।

  1. क्षय संसाधन
  2. अक्षय संसाधन तथा
  3. चक्रीय संसाधन।

प्रश्न 26.
‘वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इंडिजिनस पीपल’ का गठन कब हुआ?
उत्तर:
सन् 1975 में ‘वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इंडिजिनस पीपल’ का गठन हुआ।

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प्रश्न 27.
रियो- सम्मेलन में किनके संबंध में नियमाचार निर्धारित हुए?
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता और वानिकी

प्रश्न 28.
‘वैश्विक संपदा’ या ‘मानवता की साझी विरासत’ के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी का वायुमंडल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह और बाहरी अंतरिक्ष।

प्रश्न 29.
पर्यावरण संरक्षण के कोई दो उपाय बताएँ।
उत्तर:

  1. पर्यावरण संरक्षण के लिये जनसंख्या को नियंत्रित करना आवश्यक है।
  2. पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिये तथा देश के संतुलित विकास के लिए आवश्यक है कि वनों की रक्षा की जाये।

प्रश्न 30.
‘साझी विरासत’ की सुरक्षा के दो उपाय बताएँ।
उत्तर:

  1. विश्व की साझी विरासतों का सीमित प्रयोग करना चाहि ।
  2. विश्व की साझी विरासतों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करनी चाहिये।

प्रश्न 31.
किन देशों ने अंटार्कटिक क्षेत्र पर अपने संप्रभु अधिकार का वैधानिक दावा किया?
उत्तर:
ब्रिटेन, अर्जेण्टीना, चिले, नार्वे, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड

प्रश्न 32.
‘वैश्विक संपदा’ की सुरक्षा हेतु कौनसे महत्त्वपूर्ण समझौते हुए?
उत्तर:
अंटार्कटिका संधि (1959), मांट्रियल न्यायाचार (प्रोटोकॉल 1987) और अंटार्कटिका पर्यावरणीय न्यायाचार (1991)

प्रश्न 33.
टिकाऊ विकास क्या ह ?
उत्तर:
टिकाऊ विकास से आशय है कि प्राकृतिक संसाधनों का ऐसा प्रयोग करना कि वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताएँ पूरी हो और भविष्य के लिए भी बची रहे।

प्रश्न 34.
साझी संपदा से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
साझी संपदा का आशय है ऐसी संपदा जिस पर किसी समूह के प्रत्येक सदस्य का स्वामित्व हो।

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प्रश्न 35.
भारत, चीन और अन्य विकासशील देशों को क्योटों प्रोटोकॉल की बाध्यताओं से छूट क्यों दी गई?
उत्तर:
क्योंकि औद्योगीकरण के दौर में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन के मामले में इन देशों का खास योगदान नहीं था।

प्रश्न 36.
विश्व में सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश कौन-सा है?
उत्तर:
सऊदी अरब।

प्रश्न 37.
इराक के तेल भंडारों के बारे में क्या संभावना है?
उत्तर:
इराक के तेल भंडारों के बारे में यह संभावना है कि इराक का तेल भंडार 112 अरब बैरल से ज्यादा

प्रश्न 38.
विश्व – राजनीति के विद्वानों ने ‘जलयुद्ध’ शब्द क्यों गढ़ा है?
उत्तर:
पानी जैसे जीवनदायी संसाधन को लेकर भविष्य में होने वाले हिंसक संघर्ष को इंगित करने के लिए विश्व – राजनीति के विद्वानों ने ‘जलयुद्ध’ शब्द गढ़ा है।

प्रश्न 39.
1950 और 1960 के दशक में इजरायल, सीरिया और जार्डन के बीच संघर्ष का क्या कारण था?
उत्तर:
इनमें से प्रत्येक देश ने जॉर्डन और यारमुक नदी से पानी का बहाव मोड़ने की कोशिश की थी।

प्रश्न 40.
तुर्की, सीरिया और इराक के बीच किस नदी पर बाँध बनाने को लेकर एक-दूसरे से ठनी है?
उत्तर:
फरात।

प्रश्न 41.
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड समेत ओसियाना क्षेत्र में किन वंश के मूलवासी रहते हैं?
उत्तर:
पॉलिनेशिया, मैलनेशिया और माइक्रोनेशिया।

प्रश्न 42.
भारत में ‘मूलवासी’ के लिए किन शब्दों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
नुसूचित जनजाति या आदिवासी।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर:
पर्यावरण से तात्पर्य उन भौतिक घेराव, दशाओं, परिस्थितियों आदि से है जिनमें कोई व्यक्ति रहता है। इसके अन्तर्गत जल, वायु, भूमि, मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों, पौधों, सूक्ष्म जीवों तथा सम्पत्ति में पाये जाने वाले अन्तर्सम्बन्ध को शामिल किया गया है।

प्रश्न 2.
पर्यावरण प्रदूषित होने के कोई दो कारण बताएँ।
उत्तर:

  1. पश्चिमी देशों ने प्राकृतिक संसाधनों का अन्धाधुंध दोहन कर पर्यावरण को प्रदूषित किया है।
  2. वनों की निरन्तर कटाई के फलस्वरूप भूमि की कठोरता कम हो रही है और भू-क्षरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है तथा पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही ह।

प्रश्न 3.
आप पर्यावरण आंदोलन के स्वयं सेवक के रूप में किन कदमों को उठाना पसन्द करेंगे?
उत्तर:
पर्यावरण आंदोलन के स्वयं सेवक के रूप में

  1. हम वनों की अंधाधुंध कटाई के विरुद्ध आंदोलन चलायेंगे तथा वृक्षारोपण के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे तथा
  2. खनिजों के अंधाधुंध दोहन के विरोध में आंदोलन करेंगे।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 4.
खाद्य-उत्पादन में कमी आने की क्या वजहें हैं?
उत्तर:
खाद्य उत्पादन में कमी आने की निम्न वजहें है

  1. दुनियाभर में कृषि योग्य भूमि में अब कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है दूसरी तरफ मौजूदा उपजाऊ जमीन के एक बड़े हिस्से की उर्वरता कम हो रही है:
  2. चरागाहों के चारे खत्म होने को है और मत्स्य भंडार घट रहा है।
  3. जलाशयों की जलराशि बड़ी तेजी से कम हुई है उसमें प्रदूषण बढ़ा है।

प्रश्न 5.
क्योटो प्रोटोकॉल के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर;
जलवायु परिवर्तन के संबंध में विभिन्न देशों के सम्मेलन का आयोजन जापान के क्योटो शहर में 1997 में हुआ। इसके अंतर्गत औद्योगिक देशों के लिए ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।

प्रश्न 6.
आपके दृष्टिकोण से क्योटो-प्रोटोकॉल से विश्व को होने वाले लाभ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकॉल से विश्व को होने वाले लाभ

  1. इसमें जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और वानिकी के सम्बन्ध में कुछ नियम- आचार निर्धारित हुए।
  2. इसमें यह सहमति बनी कि आर्थिक विकास का तरीका ऐसा होना चाहिए जिससे पर्यावरण को हानि न

प्रश्न 7.
आजकल नैसर्गिक घटनाएँ और इनका अध्ययन भूगोल की जगह राजनीति विज्ञान का विषय बनते जा रहा है। संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
आजकल नैसर्गिक घटनाएँ और इनका अध्ययन भूगोल की जगह राजनीति विज्ञान का विषय सामग्री बनते जा रहा है क्योंकि पर्यावरण के नुकसान से जुड़े मसलों की चर्चा तथा उन पर अंकुश रखने के लिए अगर विभिन्न देशों की सरकारें कदम उठाती हैं तो इन मसलों की परिणति इस अर्थ में राजनीतिक होगी। इन मामलों में अधिकांश ऐसे हैं जिसका समाधान किसी देश की सरकार अकेले दम पर नहीं कर सकतीं इसी कारण ये मसले विश्व राजनीति का हिस्सा बन जाते हैं।

बहरहाल, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के मसले एक और गहरे अर्थ में राजनीतिक हैं। कौन पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है? इस पर रोक लगाने के उपाय करने की जिम्मेदारी किसकी है? धरती के प्राकृतिक संसाधनों पर किसको कितने इस्तेमाल का हक है? इन सवालों के जवाब बहुधा इस बात से निर्धारित होते हैं कि कौन देश ताकतवर है। इस तरह ये मसले गहरे अर्थों में राजनीतिक है।

प्रश्न 8.
विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
1997 में नई दिल्ली में विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक हुई। इस बैठक में निर्धनता, पर्यावरण तथा संसाधन प्रबंध के समाधान के संबंध में विकसित तथा विकासशील देशों में व्यापार की सम्भावनाओं पर विचार किया गया।

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प्रश्न 9.
‘साझी सम्पदा’ से क्या अभिप्राय है? आप इसमें किन क्षेत्रों को सम्मिलित करेंगे?
अथवा
विश्व की ‘साझी विरासत’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
कुछ क्षेत्र एक देश के क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं, जैसे पृथ्वी का वायुमण्डल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह तथा बाहरी अंतरिक्ष इत्यादि। इसका प्रबंधन अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा साझे तौर पर किया जाता है। इन्हीं को विश्व की साझी विरासत या ‘साझी सम्पदा’ कहा जाता है।

प्रश्न 10.
विश्व की साझी विरासत की सुरक्षा के दो उपाय बताएं।
उत्तर:
विश्व की साझी विरासत की रक्षा के दो उपाय अग्रलिखित हैं।

  1. सीमित प्रयोग: विश्व की साझी विरासतों का सीमित प्रयोग करना चाहिए।
  2. जागरूकता पैदा करना: विश्व की साझी विरासतों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करनी चाहिए।

प्रश्न 11.
वैश्विक संपदा के रूप में बाहरी अंतरिक्ष के इतिहास से क्या पता चलता है?
उत्तर:
वैश्विक संपदा के रूप में बाहरी अंतरिक्ष के इतिहास से यह पता चलता है कि इस क्षेत्र के प्रबंधन पर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के बीच मौजूद असमानता का असर पड़ा है। धरती के वायुमंडल और समुद्री सतह के समान यहाँ भी महत्त्वपूर्ण मसला प्रौद्योगिकी और औद्योगिकी विकास का है। यह एक जरूरी बात है क्योंकि बाहरी अंतरिक्ष में जो दोहन – कार्य हो रहे हैं उनके फायदे न तो मौजूदा पीढ़ी में सबके लिए बराबर हैं और न आगे की पीढ़ियों के लिए।

प्रश्न 12.
पर्यावरण को लेकर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के रवैये में अंतर है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण को लेकर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के रवैये में अंतर है क्योंकि उत्तर के विकसित देश पर्यावरण के मसले पर उसी रूप में चर्चा करना चाहते हैं जिस दशा में आज पर्यावरण मौजूद है। ये देश चाहते हैं कि पर्यावरण के संरक्षण में हर देश की जिम्मेदारी बराबर हो । दक्षिण के विकासशील देशों का तर्क है कि विश्व में पारिस्थितिकी को नुकसान अधिकांशतया विकसित देशों के औद्योगिक विकास से पहुँचा है।

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प्रश्न 13.
मूलवासियों को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
मूलवासी ऐसे लोगों के वंशज हैं जो किसी मौजूद देश में लम्बी समयावधि से रहते चले आ रहे हैं। यद्यपि किसी दूसरी जातीय मूल के लोगों ने अन्य हिस्सों से आकर इनको अपने अधीन कर लिया तथापि वे अभी भी अपनी परम्परा, संस्कृति, रीति-रिवाज का पालन करना पसन्द करते हैं।

प्रश्न 14.
मूलवासियों के अधिकारों का वर्णन करें।
उत्तर:
मूलवासियों के अधिकार निम्नलिखित हैं।

  1. विश्व में मूलवासियों को बराबरी का दर्जा प्राप्त हो।
  2. मूलवासियों को अपनी स्वतंत्र पहचान रखने वाले समुदाय के रूप में जाना जाय ।
  3. मूलवासियों के आर्थिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन न किया जाये।
  4. देश के विकास से होने वाला लाभ मूलवासियों को भी मिलना चाहिये।

प्रश्न 15.
‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ के संदर्भ में रियो के घोषणा पत्र में क्या कहा गया है?
उत्तर:
‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ के संदर्भ में रियो घोषणा-पत्र का कहना है। धरती के पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता और गुणवत्ता बहाली, सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए विभिन्न देश विश्व- बंधुत्व की भावना से आपस में सहयोग करेंगे। पर्यावरण के विश्वव्यापी अपक्षय में विभिन्न राज्यों का योगदान अलग- अलग है। इसे देखते हुए विभिन्न राज्यों की ‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ होगी। विकसित देशों के समाजों का वैश्विक पर्यावरण पर दबाव ज्यादा है और इन देशों के समाजों का वैश्विक पर्यावरण पर दबाव ज्यादा है और इन देशों के पास विपुल प्रौद्योगिकी एवं वित्तीय संसाधन हैं। इसे देखते हुए टिकाऊ विकास के अंतर्राष्ट्रीय प्रयास में विकसित देश अपनी खास जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं। ”

प्रश्न 16.
समुद्रतटीय क्षेत्रों का प्रदूषण किस प्रकार से बढ़ रहा है?
उत्तर:
समुद्रतटीय क्षेत्रों का जल जमीनी क्रियाकलापों से प्रदूषित हो रहा है। पूरी दुनिया में समुद्रतटीय इलाकों में मनुष्यों की सघन बसावट जारी है और इस प्रवृत्ति पर अंकुश न लगा तो समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में भारी गिरावट आयेगी।

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प्रश्न 17.
ओजोन परत में छेद होने से परिस्थिति तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
अथवा
धरती के ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में हो रही निरंतर कमी से मानव के लिये कैसे खतरा पैदा हो रहा है?
उत्तर:
धरती के ऊपरी वायुमण्डल में ओजोन गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है। इसे ओजोन परत में छेद होना कहते हैं। इससे पारिस्थितिकी तंत्र और मनुष्य के स्वास्थ्य पर एक वास्तविक खतरा मँडरा रहा है। इसके कारण विश्व तापमान में वृद्धि हो रही है और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं।

प्रश्न 18.
प्राकृतिक वन जलवायु के संतुलन को बनाये रखने में किस तरह से महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक वन जलवायु को संतुलित रखने में मदद करते हैं, इनसे जल चक्र भी संतुलित बना रहता है। और इन्हीं वनों में धरती की जैव-विविधता का भंडार भरा रहता है।

प्रश्न 19.
वैश्विक राजनीति में पर्यावरण के बारे में बढ़ती चिन्ता के कोई दो कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्विक राजनीति में पर्यावरण के बारे में बढ़ती चिन्ता के दो प्रमुख कारण ये हैं।

  1. वनों की अंधाधुंध कटाई: दक्षिणी देशों में वनों की अंधाधुंध कटाई से जलवायु, जलचक्र असंतुलित हो रहा है, जैव विविधता खत्म हो रही है।
  2. ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन-ग्रीन हाउस गैसों के अत्यधिक उत्सर्जन से ओजोन गैस की परत के क्षीण होनें के स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

प्रश्न 20.
पर्यावरण से सम्बन्धित भारत सरकार के किन्हीं दो प्रयासों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
भारत सरकार ने पर्यावरण से सम्बन्धित निम्न प्रयास किये-

  1. भारत ने अपनी ‘नेशनल ऑटो- फ्यूल पॉलिसी’ के अन्तर्गत वाहनों के लिये स्वच्छतर ईंधन अनिवार्य कर दिया।
  2. 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पारित हुआ । इसमें ऊर्जा के ज्यादा कारगर इस्तेमाल की पहलकदमी की गई है।

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प्रश्न 21.
तथ्य दीजिये कि पर्यावरण से जुड़े सरोकार 1960 के दशक के बाद से राजनैतिक चरित्र ग्रहण कर सके।
उत्तर:
पर्यावरण से जुड़े सरोकारों का लंबा इतिहास है लेकिन आर्थिक विकास के कारण पर्यावरण पर होने वाले असर की चिंता ने 1960 के दशक के बाद से राजनीतिक चरित्र ग्रहण किया। 1972 में प्रकाशित ‘लिमिट्स टू ग्रोथ’ पुस्तक इसका स्पष्ट उदाहरण है।

प्रश्न 22.
संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट 2016 के आधार पर बताइये कि प्रदूषण के कारण तीस लाख से ज्यादा बच्चे प्रतिवर्ष क्यों मौत के शिकार हो जाते हैं?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व विकास रिपोर्ट (2016) के अनुसार विकासशील देशों की एक अरब बीस करोड़ जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होता और यहाँ की दो अरब चालीस करोड़ आबादी साफ-सफाई की सुविधा से वंचित है। इस वजह से 30 लाख से ज्यादा बच्चे हर साल मौत के शिकार होते हैं।

प्रश्न 23.
अराल के आस-पास के हजारों लोगों को अपना घर क्यों छोड़ना पड़ा?
उत्तर:
अराल के आस-पास बसे हजारों लोगों को अपना घर: बार छोड़ना पड़ा क्योंकि पानी के विषाक्त होने से मत्स्य उद्योग नष्ट हो गया। जहाजरानी उद्योग और इससे जुड़े तमाम कामकाज खत्म हो गये। पानी में नमक की सांद्रता बढ़ जाने से पैदावार कम हो गई।

प्रश्न 24.
पर्यावरण आन्दोलन को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
पर्यावरण की हानि की चुनौतियों के मद्देनजर विश्व के विभिन्न भागों में पर्यावरण के प्रति सचेत कार्यकर्ताओं की सक्रियता, सामाजिक चेतना के दायरे में ही राजनीतिक कार्यवाही की नई सोच ने एक आंदोलन का रूप ले लिया है। इसी को पर्यावरण आंदोलन के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 25.
पर्यावरण प्रदूषण के लिये उत्तरदायी कोई चार कारण लिखें।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारण निम्न हैं।

  1. पश्चिमी विचारधारा: पर्यावरण प्रदूषण के लिये पश्चिमी चिंतन तथा उनकी भौतिक जीवन दृष्टि काफी सीमा तक उत्तरदायी है।
  2. जनसंख्या में वृद्धि: जनसंख्या वृद्धि के कारण मानव की आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रकृति का शोषण बढ़ता है तथा पर्यावरण प्रदूषित होता है।
  3. वनों की कटाई एवं भूक्षरण: वनों की निरन्तर कटाई के फलस्वरूप कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है और पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ रहा है।
  4. जल प्रदूषण: कारखानों से निकलने वाले विषैले रसायनों तथा नगरों के गंदे पानी से नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है।

प्रश्न 26.
पर्यावरण प्रदूषण के कोई चार उपाय लिखिए।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण के चार उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. समग्र चिंतन की आवश्यकता: पश्चिमी जगत् के भौतिक चिंतन में इस बात पर जोर दिया जाता है कि इस पृथ्वी पर व प्रकृति पर जो कुछ भी है, वह मानव के उपभोग के लिये है। अतः आवश्यकता मानव की सोच बदलने की है। इसके लिये समग्र चिंतन आवश्यक है।
  2. वन संरक्षण: पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना अति आवश्यक है।
  3. जनसंख्या नियंत्रण: पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिये जनसंख्या को नियंत्रित करना आवश्यक है।
  4. वन्य-जीवन का संरक्षण: पर्यावरण संरक्षण के लिये वन संरक्षण के साथ-साथ वन्य जीवन का संरक्षण करना आवश्यक है।

प्रश्न 27.
पर्यावरण के संदर्भ में हम मूलवासियों के अधिकारों की रक्षा किस प्रकार कर सकते हैं?
उत्तर:
हम पर्यावरण के संदर्भ में मूलवासियों के अधिकारों की रक्षा निम्न प्रकार से कर सकते हैं।

  1. मूलवासियों के प्राकृतिक आवास अर्थात् वन क्षेत्र को कुल भूमि क्षेत्र का 33.3 प्रतिशत तक बढ़ा दिया जाना चाहिए।
  2. आदिवासियों को उनकी परम्परा में परिवर्तन किये बिना मूल रूप में राजनीतिक संरक्षण दिया जाए।
  3. आदिवासियों (मूलवासियों) को संगठित करके विश्व स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रतिनिधित्व दिलाया जाए।
  4. आदिवासियों को शिक्षा तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी मार्गदर्शन देकर मुख्यधारा के साथ जुड़ने की उनमें स्वतः इच्छा जामृत की जाए।

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प्रश्न 28.
रियो घोषणा पत्र में से लिये गये पैरे को पढ़ें तथा संबंधित प्रश्नों के उत्तर दें।
“पृथ्वी के पर्यावरण को संरक्षित, सुरक्षित तथा पोषित करने के लिए राज्य विश्व भागीदारी की भावना के आधार पर सहयोग करेंगे। पर्यावरण को खराब करने से संबंधित असमान भागीदारी को ध्यान में रखते हुए राज्य साझे परन्तु भिन्न-भिन्न जिम्मेदारियों को निभायेंगे ।”
(क) इस पैरे में जिस प्रकार के पर्यावरण की बात कही गई है, उसके दो उदाहरण दें।
(ख) विश्व के किस भांग की पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी अधिक है और क्यों?
(ग) रियो सम्मेलन के बाद राज्यों ने अपने कार्यान्वयन में इस भावना को कितना पूरा किया है?
उत्तर:
(क) इस पैरे में पृथ्वी के संरक्षित तथा सुरक्षित पर्यावरण की बात की गई है। उदाहरण के लिए

  1. वनों की अंधाधुंध कटाई रोककर नये पेड़ लगाये जायें। इससे पर्यावरण संरक्षित और सुरक्षित रह सकेगा।
  2. सुरक्षित और संरक्षित पर्यावरण के लिए यह आवश्यक है कि विश्व के सभी देश मिलकर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के समयबद्ध नियम निर्धारित करें तथा इन्हें बाध्यतामूलक बनाया जाये। साथ ही सौर ऊर्जा तथा पवन ऊर्जा के स्रोतों का विकास करें।

(ख) पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी विकसित देशों की अधिक है क्योंकि पर्यावरण को खराब करने में विकसित देशों की सर्वाधिक भूमिका रही है।
(ग) रियो सम्मेलन के बाद अधिकांश देशों ने रियो घोषणा पत्र का पालन नहीं किया है

प्रश्न 29.
यू. एन. ई. पी. क्या है? इसके किन्हीं दो मुख्य कार्यों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
यू.एन. ई. पी. से आशय – यू. एन. ई. पी. संयुक्त राष्ट्र संघ की पर्यावरण कार्यक्रम से जुड़ी एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है। मुख्य कार्य – इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं।

  1. पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं पर सम्मेलन कराना तथा इस विषय पर अध्ययन को बढ़ावा देना।
  2. पर्यावरण की समस्याओं पर ज्यादा कारगर और सुलझी पहलकदमियों की विश्वस्तर पर व्यापक ढंग से शुरुआत करना।

प्रश्न 30.
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने हेतु भारत द्वारा किये गये किन्हीं चार प्रयासों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने हेतु भारत ने अग्र प्रयास किये हैं।

  1. भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल को 2002 में हस्ताक्षरित करके उसका अनुमोदन किया है।
  2. भारत ने वाहनों के लिए स्वच्छतर ईंधन अनिवार्य कर दिया है।
  3. भारत ने ऊर्जा के अधिक कारगर उपाय पर विशेष जोर दिया है।
  4. प्राकृतिक गैस के आयात, स्वच्छ कोयले के उपयोग पर आधारित प्रौद्योगिकी को अपनाने की दिशा में कार्य करना प्रारंभ कर दिया है।

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प्रश्न 31.
‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  1. भारत में मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरने वाली नर्मदा नदी पर 30 बड़े, 135 मझोले तथा 300 छोटे बांध बन रहे हैं। फलतः नर्मदा नदी पर बन रहे इन बाँधों के खिलाफ चलने वाले आन्दोलन को ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ कहा जाता है।
  2. इससे देश में चल रही विकास की अन्य परियोजनाओं पर प्रश्न खड़े हुए हैं।
  3. इस आंदोलन ने विकास के मॉडल और उसके सार्वजनिक औचित्य पर भी सवाल खड़े हुए हैं।

प्रश्न 32.
वैश्विक राजनीति में पर्यावरण की चिंता के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्विक राजनीति में पर्यावरण की चिंता: वैश्विक राजनीति में पर्यावरण की चिंता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।

  1. विश्व में कृषि योग्य भूमि में उर्वरता की कमी होने, चारागाहों के चारे खत्म होने, मत्स्य भंडारों के घटने तथा जलाशयों में प्रदूषण बढ़ने से खाद्य उत्पादन में कमी आ रही है।
  2. प्रदूषित पेयजल व स्वच्छता की सुविधा की कमी के कारण विकासशील देशों में 30 लाख से भी अधिक बच्चे प्रतिवर्ष मौत के शिकार हो रहे हैं।
  3. वनों की अंधाधुंध कटाई से जैव-विविधता में कमी आ रही है।
  4. वायुमंडल में ओजोन गैस की परत में छेद होने से पारिस्थितिकीय तंत्र और मानव स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा
  5. समुद्र तटों पर बढ़ते प्रदूषण से समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में भारी गिरावट आ रही है।

प्रश्न 33.
पर्यावरण के सम्बन्ध में दक्षिणी और उत्तरी गोलार्द्ध के देशों के दृष्टिकोणों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
पर्यावरण के सम्बन्ध में दक्षिणी और उत्तरी गोलार्द्ध के देशों के दृष्टिकोणों में अन्तर: पर्यावरण को लेकर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के दृष्टिकोणों में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं।

  1. उत्तर के विकसित देश चाहते हैं कि पर्यावरण के संरक्षण में हर देश की जिम्मेदारी बराबर हो, जबकि दक्षिण के विकासशील देशों का कहना है कि विकसित देशों ने पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुँचाया है, उन्हें इस नुकसान की भरपाई की ज्यादा जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
  2. विकासशील देश अभी औद्योगीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं, इसलिए उन पर वे प्रतिबंध न लगें जो विकसित देशों पर लगाए जाने हैं।

प्रश्न 34.
‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ के नियमाचार को स्वीकार करने वाले देश किन दो बातों पर सहमत थे?
उत्तर:
साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ के नियमाचार को स्वीकार करने वाले देश निम्न दो बातों पर सहमत थे।

  1. ऐतिहासिक रूप से भी और मौजूदा समय में भी ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन में सबसे ज्यादा हिस्सा विकसित देशों का है।
  2. विकासशील देशों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है।

प्रश्न 35.
साझी संपदा के पीछे का मूल तर्क क्या है? उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिये इसका आकार घटने का कारण बताइये।.
उत्तर:
साझी संपदा के पीछे का मूल तर्क यह है कि ऐसे संसाधन की प्रकृति, उपयोग के स्तर और रख-रखाव के संदर्भ में समूह के हर सदस्य को समान अधिकार प्राप्त होंगे और समान उत्तरदायित्व निभाने होंगे। उदाहरण के लिए, सदियों के चलन और आपसी समझदारी से भारत के ग्रामीण समुदायों ने साझी संपदा के संदर्भ में अपने सदस्यों के अधिकार और दायित्व तय किए हैं। निजीकरण, गहनतर खेती, आबादी की वृद्धि और पारिस्थितिकी तंत्र की गिरावट समेत कई कारणों से पूरी दुनिया में साझी संपदा का आकार घट रहा है, उसकी गुणवत्ता और गरीबों को उसकी उपलब्धता कम हो रही है।

प्रश्न 36.
‘देवस्थान’ किन्हें कहा जाता है?
उत्तर:
कई पुराने समाजों में धार्मिक कारणों से प्रकृति की रक्षा का चलन है। भारत में मौजूद ‘पावन वन – प्रांतर’ इस चलन का उदाहरण है। इस चलन के अंतर्गत वनों के कुछ हिस्सों को काटा नहीं जाता है क्योंकि इन स्थानों पर देवता अथवा किसी पुण्यात्मा का वास माना जाता है। इन्हें ही ‘पावन वन-प्रांतर’ या ‘देवस्थान’ कहा जाता है।

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प्रश्न 37.
देवस्थानों को भारत के अलग-अलग राज्यों में किस नाम से संबोधित किया जाता है?
उत्तर:
देवस्थान के देशव्यापी फैलाव का अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि देशभर की भाषाओं में इनके लिए अलग-अलग शब्द हैं। इन देवस्थानों को राजस्थान में वानी, केंकड़ी और ओरान; झारखंड में जहेरा यान और सरना; मेघालय में लिंगदोह; केरल में काव; उत्तराखंड में थान या देवभूमि और महाराष्ट्र में देव रहतिस इत्यादि नामों से जाना जाता है।

प्रश्न 38.
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार पावन वन-प्रांतर का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
कुछ अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार देवस्थान से जैव-विविधता और पारिस्थितिकी, संरक्षण में ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक वैविध्य को भी कायम रखने में सहायता मिलती है। देवस्थान की व्यवस्था वन संरक्षण के विभिन्न तौर-तरीकों में संपन्न है और इसकी विशेषताएँ साझी संपदा के संरक्षण की व्यवस्था से मिलती है।

प्रश्न 39.
‘देवस्थान’ के महत्त्व का परंपरागत आधार इसकी आध्यात्मिक अथवा सांस्कृतिक विशेषताएँ हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘देवस्थान’ के महत्त्व का परंपरागत आधार इसकी आध्यात्मिक अथवा सांस्कृतिक विशेषताएँ हैं। इसको निम्न कथनों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

  1. हिन्दू समवेत रूप से प्राकृतिक वस्तुओं की पूजा करते हैं जिसमें पेड़ और वन- प्रान्तर भी शामिल हैं।
  2. बहुत से मंदिरों का निर्माण ‘देवस्थानों’ में हुआ है।
  3. संसाधनों की विरलता नहीं बल्कि प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा वह आधार थी जिसने इतने युगों से वनों को बचाए रखने की प्रतिबद्धता कायम रखी।

प्रश्न 40.
देवस्थान के प्रबंधन में कठिन समस्या कब आती है?
उत्तर:
देवस्थान के प्रबंधन में कठिन समस्या तब आती है जब इन स्थानों का कानूनी स्वामित्व एक के पास हो और व्यावहारिक नियंत्रण किसी दूसरे के हाथ में हो अर्थात् कानूनी स्वामित्व राज्य का हो और व्यावहारिक नियंत्रण समुदाय के हाथ में। क्योंकि इन दोनों के नीतिगत मानक अलग-अलग हैं और देवस्थान के उपयोग के उद्देश्यों में भी इनके बीच कोई मेल नहीं।

प्रश्न 41.
साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांत के अनुरूप भारत का विचार क्या है?
उत्तर:
साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांत के अनुरूप भारत का विचार है कि उत्सर्जन – दर में कमी करने की सबसे ज्यादा जिम्मेवारी विकसित देशों की है क्योंकि इन देशों ने एक लंबी अवधि तक बहुत ज्यादा उत्सर्जन किया है।

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प्रश्न 42.
भारत द्वारा संचालित बायोडीजल मिशन का ध्येय क्या है?
उत्तर:
भारत पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी के अंतर्गत भारत बायोडीजल से संबंधित मिशन चला रहा है। इसके अंतर्गत 2011-12 तक बायोडीजल तैयार होने लगेगा और इसमें 1 करोड़ 10 लाख हेक्टेयर भूमि का इस्तेमाल होगा ।

प्रश्न 43.
भारत द्वारा पृथ्वी सम्मेलन के समझौतों के क्रियान्वयन के पुनरावलोकन का निष्कर्ष क्या है?
उत्तर:
भारत ने पृथ्वी सम्मेलन के समझौतों के क्रियान्वयन का एक पुनरावलोकन सन् 1997 में किया इसका निष्कर्ष यह था कि विकासशील देशों को रियायती शर्तों पर नये और अतिरिक्त वित्तीय संसाधन तथा पर्यावरण के संदर्भ में बेहतर साबित होने वाली प्रौद्योगिकी मुहैया कराने की दिशा में कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है।

प्रश्न 44.
आज पूरे विश्व में पर्यावरण आंदोलन सबसे ज्यादा जीवंत, विविधतापूर्ण तथा ताकतवर आंदोलन है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण आंदोलन आज पूरे विश्व में सबसे ज्यादा जीवंत, विविधतापूर्ण तथा ताकतवर आंदोलन में शामिल किया जाता है क्योंकि इन आंदोलन से नए विचार निकलते हैं। इन आंदोलनों ने समाज को यह नजरिया दिया है कि वैयक्तिक और सामूहिक जीवन के लिए आगे के दिनों की योजना क्या होनी चाहिए।

प्रश्न 45.
अंटार्कटिका महादेशीय क्षेत्र की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
अंटार्कटिक महादेशीय क्षेत्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. अंटार्कटिक महादेशीय इलाका 1 करोड़ 40 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है।
  2. विश्व के निर्जन क्षेत्र का 26 प्रतिशत हिस्सा इसी महादेश के अंदर आता है।
  3. यह महादेश हिम और जल का भंडार है।
  4. इस महादेश का 3 करोड़ 60 लाख वर्ग किलोमीटर तक अतिरिक्त विस्तार समुद्र में है
  5. सीमित स्थलीय जीवन वाले इस महादेश का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र अत्यंत उर्वर है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अंटार्कटिका महादेशीय क्षेत्र की विशेषताएँ तथा महत्त्व बताइये इस पर किसका स्वामित्व है?
उत्तर:

  • अंटार्कटिका महादेश की विशेषताएँ:
    1. अंटार्कटिका महादेशीय क्षेत्र एक करोड़ 40 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
    2. विश्व के निर्जन क्षेत्र का 26 प्रतिशत हिस्सा इसी महादेश के अन्तर्गत आता है ।
    3. स्थलीय हिम का 90 प्रतिशत हिस्सा और धरती पर मौजूद जल का 70 प्रतिशत हिस्सा इस महादेश में स्थित है अर्थात् यह महादेश हिम और स्वच्छ जल का भंडार है।
    4. इसका 3 करोड़ 60 लाख वर्ग किलोमीटर तक अतिरिक्त विस्तार समुद्र में है।
    5. इस महादेश का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र अत्यन्त उर्वर है जिसमें सूक्ष्म शैवाल, कवक और लाइकेन, समुद्री स्तनधारी जीव, मत्स्य तथा विभिन्न पक्षी तथा क्रिल मछली शामिल हैं।
  • अंटार्कटिका महादेश का महत्त्व: अंटार्कटिका महादेश के महत्त्व को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है।
    1. इसमें क्रिल मछली तथा अन्य पादप व पक्षी पाये जाते हैं जो समुद्री आहार श्रृंखला की धुरी है।
    2. यह प्रदेश विश्व की जलवायु को संतुलित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    3. इस प्रदेश की अंदरूनी हिमानी परत ग्रीन हाउस गैस के जमाव का महत्त्वपूर्ण सूचना स्रोत है।
    4. इससे लाखों बरस पहले के वायुमंडलीय तापमान का पता किया जा सकता है। इस पर विश्व के सभी देशों का साझा स्वामित्व है।

प्रश्न 2.
पर्यावरण की सुरक्षा की दृष्टि से भारत के पावन वन प्रांतर पर एक लेख लिखिये।
उत्तर:
पावन वन प्रांतर का अर्थ – बहुत से पुराने समाजों में धार्मिक कारणों से प्रकृति की रक्षा करने का चलन है। भारत में विद्यमान ‘पावन वन प्रांतर’ इस चलन के सुंदर उदाहरण हैं। ‘पावन वन प्रांतर’ प्रथा में वनों के कुछ हिस्सों को काटा नहीं जाता। इन स्थानों पर देवता अथवा किसी पुण्यात्मा का निवास माना जाता है। इन्हें ही ‘पावन वन प्रांतर’ या देव स्थान कहा जाता है। पावन वन प्रांतर या देवस्थान का देशव्यापी फैलाव – भारत में पावन वन प्रांतर या देवस्थान का देशव्यापी फैलाव पाया जाता है।

इनके देशव्यापी फैलाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देशभर की भाषाओं में इनके लिए अलग-अलग शब्द हैं। इन देवस्थानों को राजस्थान में वानी, केंकड़ी और ओरान, झारखंड में जहेरा थान और सरना, मेघालय में लिंगदोह, केरल में काव, उत्तराखंड में थान या देवभूमि और महाराष्ट्र में देव रहतिस आदि सैकड़ों नामों से जाना जाता है।

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प्रश्न 3.
पर्यावरण की सुरक्षा की दृष्टि से देवस्थान के महत्त्व को समझाइये।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण में देवस्थान का महत्त्व: पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से देवस्थान के महत्त्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।

  1. समुदाय आधारित संसाधन: प्रबंधन देवस्थान को हम ऐसी व्यवस्था के रूप में देख सकते हैं जिसके अन्तर्गत पुराने समाज प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इस तरह करते हैं कि पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बना रहे।
  2. जैव-विविधता तथा सांस्कृतिक विविधता को कायम रखने में सहायक – ‘देवस्थान’ की मान्यता से जैव- विविधता और पारिस्थितिकीय संरक्षण को ही नहीं, सांस्कृतिक वैविध्य को भी कायम रखने में मदद मिल सकती है।
  3. साझी संपदा के संरक्षण की व्यवस्था के समान: देवस्थान व्यवस्था की विशेषताएँ साझी संपदा के संरक्षण की व्यवस्था से मिलती-जुलती हैं।
  4. आध्यात्मिक या सांस्कृतिक विशेषताएँ”: देवस्थान के महत्व का परम्परागत आधार ऐसे क्षेत्र की आध्यात्मिक या सांस्कृतिक विशेषताएँ हैं। प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा ही वह आधार थी जिसने इतने युगों से वनों को बचाये रखने की प्रतिबद्धता कायम रखी। वर्तमान स्थिति: हाल के वर्षों में मनुष्यों की बसावट के विस्तार ने धीरे-धीरे ऐसे ‘देवस्थानों पर अपना कब्जा कर लिया है

प्रश्न 4.
क्या वन निर्जन होते हैं? इस प्रश्न की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये ।
उत्तर: दक्षिणी देशों के वन निर्जन नहीं हैं जबकि उत्तरी गोलार्द्ध के देशों के वन जनविहीन हैं या कहें कि इन देशों में वन को निर्जन प्रांत के रूप में देखा जाता है। इसी कारण उत्तरी देशों में वन भूमि को निर्जन भूमि का दर्जा दिया गया है अर्थात् वन भूमि ऐसी जगह है जहाँ लोग नहीं रहते – बसते। यह दृष्टिकोण मनुष्य को प्रकृति का हिस्सा नहीं मानता। दूसरे शब्दों में, यह दृष्टिकोण पर्यावरण को मनुष्य से दूर की चीज मानता है; एक ऐसी चीज जिसे बाग-बगीचे या अभयारण्य में तब्दील कर पर्यावरण को मनुष्य से बचाया जाना चाहिए।

अविकसित निर्जन वन क्षेत्र – वनों को विजनपन का प्रतीक मानने का दृष्टिकोण आस्ट्रेलिया, स्कैंडिनेविया, उत्तरी अमेरिका और न्यूजीलैंड में हावी है। इन इलाकों में ‘अविकसित निर्जन वन क्षेत्र’ अपेक्षाकृत ज्यादा हैं। दूसरी तरफ, दक्षिणी देशों में पर्यावरण के अधिकांश मसले इस मान्यता पर आधारित हैं कि लोग वनों में भी रहते हैं।

प्रश्न 5.
पर्यावरण सुरक्षा के मसले पर भारत के दृष्टिकोण तथा प्रयासों पर एक निबन्ध लिखिये।
उत्तर:
पर्यावरण की सुरक्षा के मुद्दे पर भारत का दृष्टिकोण भारत ने 2002 में क्योटो प्रोटोकॉल (1997) पर हस्ताक्षर किये और इसका अनुमोदन किया । भारत, चीन और अन्य विकासशील देशों को क्योटो प्रोटोकॉल की बाध्यताओं से छूट दी गई है। पर्यावरण सुरक्षा के मसले पर भारत ने जून, 2005 में ग्रुप-8 के देशों की बैठक में अपने दृष्टिकोण को निम्न प्रकार स्पष्ट किया हैं।

  1. विकासशील देशों में ग्रीन हाउस गैसों की प्रति व्यक्ति उत्सर्जन दर विकसित देशों की तुलना में नाममात्र है।
  2. उत्सर्जन – दर में कमी करने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी विकसित देशों की है क्योंकि इन देशों ने एक लम्बी अवधि तक बहुत ज्यादा उत्सर्जन किया है। यथा
  3. ग्रीन हाउस गैसों के रिसाव की ऐतिहासिक और मौजूदा जवाबदेही ज्यादातर विकसित देशों की है।

भारत के पर्यावरण से संबंधित प्रयास: भारत की सरकार विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये पर्यावरण से संबंधित वैश्विक प्रयासों में शिरकत कर रही है।

  1. भारत ने अपनी ‘नेशनल ऑटो-फ्यूल पॉलिसी’ के अन्तर्गत वाहनों के लिए स्वच्छतर ईंधन अनिवार्य कर दिया है।
  2. ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 में ऊर्जा के ज्यादा कारगर इस्तेमाल की पहलकदमी की गई है। (3) सन् 2003 के बिजली अधिनियम में पुनर्नवा ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया है।
  3. भारत में प्राकृतिक गैस के आयात और स्वच्छ कोयले के उपयोग पर आधारित प्रौद्योगिकी को अपनाने की तरफ रुझान बढ़ा है
  4. भारत बायोडीजल से संबंधित एक राष्ट्रीय मिशन चलाने के लिए भी तत्पर है।

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प्रश्न 6.
संसाधनों की भू-राजनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
उत्तर:
संसाधनों की भू-राजनीति संसाधनों की वैश्विक भू-राजनीति का विवेचन अग्रलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है।

  • व्यापारिक संबंध, युद्ध तथा ताकत के संदर्भ में संसाधनों की भू-राजनीति-संसाधनों से जुड़ी भू- राजनीति को पश्चिमी दुनिया ने ज्यादातर व्यापारिक सम्बन्ध, युद्ध तथा ताकत के संदर्भ में सोचा। इस सोच के मूल में था- -विदेश में संसाधनों की मौजूदगी तथा समुद्री नौवहन में दक्षता।
    1. 18वीं तथा 19वीं सदी में भू-राजनीति इमारती लकड़ियों की आपूर्ति पर आधारित रही।
    2. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सामरिक संसाधनों, विशेषकर तेल की निर्बाध आपूर्ति का महत्त्व बहुत अच्छी तरह उजागर हो गया। शीत युद्ध के दौरान इसके अन्तर्गत संसाधन – दोहन के क्षेत्रों तथा परिवहन मार्गों के इर्द-गिर्द सेना की तैनाती, महत्त्वपूर्ण संसाधनों का भंडारण, संसाधनों के उत्पादक देशों में मनपसन्द सरकारों की बहाली तथा बहुराष्ट्रीय निगमों और अपने हितसाधक अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों को समर्थन देना शामिल है।
  • तेल पर आधारित भू-राजनीति: शीत युद्ध की समाप्ति के बाद वैश्विक भू-राजनीति में तेल महत्त्वपूर्ण संसाधन बना हुआ है। तेल के साथ विपुल संपदा जुड़ी है और इस कारण इस पर कब्जा जमाने के लिए राजनीतिक संघर्ष छिड़ता है।
  • स्वच्छ पानी के क्षेत्रों पर विश्व: राजनीति – विश्व: राजनीति के लिए पानी एक और महत्त्वपूर्ण संसाधन है। विश्व के कुछ भागों में साफ पानी की कमी हो रही है। साथ ही, विश्व के हर हिस्से में स्वच्छ जल समान मात्रा में मौजूद नहीं है। इस कारण, इस जीवनदायी संसाधन को लेकर हिंसक संघर्ष की सम्भावना हैं।

प्रश्न 7.
पर्यावरण आंदोलन से आप क्या समझते हैं? मौजूदा पर्यावरण आंदोलनों की विविधता को समझाइये
उत्तर:
पर्यावरण आंदोलन से आशय – पर्यावरण की हानि की चुनौतियों के मद्देनजर विश्व के विभिन्न भागों में सक्रिय पर्यावरण के प्रति सचेत कार्यकर्ताओं की पर्यावरण के प्रति सक्रियता, सामाजिक चेतना के दायरे में ही राजनीतिक कार्यवाही की नई सोच ने एक आंदोलन का रूप ले लिया है। इसी को पर्यावरण आंदोलन के नाम से जाना जाता है। पर्यावरण आंदोलन की विविधता पर्यावरण आंदोलन की विविधता की विशेषताओं को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है।

  1. वन-आंदोलन: दक्षिणी देशों, जैसे कि मैक्सिको, चिली, ब्राजील, मलेशिया, इंडोनेशिया, महादेशीय अफ्रीका और भारत में वनों की अंधाधुंध कटाई से वन- आंदोलनों पर काफी दबाव है
  2. खनिजों के अंधाधुंध दोहन के विरोध में आंदोलन: खनिज उद्योग रसायनों का भरपूर उपयोग करता है; भूमि और जलमार्गों को प्रदूषित करता है और स्थानीय वनस्पतियों का विनाश करता है। इसके कारण जन-समुदायों को विस्थापित होना पड़ता है। अतः स्पष्ट है कि खनिज उद्योग वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण का प्रमुख कारण है। इसके कारण विश्व के विभिन्न भागों में खनिज उद्योगों के विरोध में एक जन-आंदोलन आकार ले रहा है, जैसे- फिलिपींस तथा आस्ट्रेलिया में।
  3. बांध-विरोधी तथा नदियों को बचाओ आंदोलन: कुछ आंदोलन बड़े बांधों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। अब बांध विरोधी-आंदोलनों को नदियों को बचाने के आंदोलनों के रूप में देखने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है।

प्रश्न 8.
एजेण्डा-21 से आप क्या समझते हैं? साझी पर अलग-अलग जिम्मेदारियों से क्या आशय है? एजेण्डा – 21 का अभिप्राय
उत्तर:
1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण एवं विकास के मुद्दे पर केन्द्रित ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो सम्मेलन के अवसर पर एजेण्डा-21 पारित किया गया एजेण्डा – 21 के प्रमुख बिन्दु निम्न प्रकार थे।

  1. पर्यावरण एवं विकास के बीच सम्बन्ध के मुद्दों को समझा जाए।
  2. ऊर्जा का अधिक कुशल तरीके से प्रयोग किया जाए।
  3. किसानों को पर्यावरण सम्बन्धी जानकारी दी जाएँ।
  4. प्रदूषण फैलाने वालों पर भारी अर्थदण्ड लगाए जाएँ।
  5. इस दृष्टिकोण से राष्ट्रीय योजना बनाई और लागू की जाए।

इस प्रकार एजेण्डा-21 के रूप में इस सम्मेलन में विकास के ऐसे तौर-तरीके सुझाये गये जिनसे पर्यावरण को हानि न पहुँचे। कुछ आलोचकों का कहना है कि टिकाऊ विकास के नाम पर ‘एजेंडा – 21’ का झुकाव पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने के बजाय आर्थिक वृद्धि की ओर है। साझी पर अलग-अलग जिम्मेदारियाँ: यद्यपि विश्व पर्यावरण की रक्षा के सम्बन्ध में सभी देशों की साझी जिम्मेदारी है, लेकिन यह जिम्मेदारी विकासशील देशों की तुलना में विकसित देशों की अधिक है क्योंकि विकसित देशों ने पर्यावरण को ज्यादा नुकसान पहुँचाया है तो इन्हें इस नुकसान की भरपाई की जिम्मेदारी भी ज्यादा उठानी चाहिए। 1992 के पृथ्वी सम्मेलन में इस तर्क को मान लिया गया और इसे ‘साझी परन्तु अलग-अलग जिम्मेदारियाँ’ का सिद्धान्त कहा गया।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 9.
मूलवासी और उनके अधिकार विषय पर एक लेख लिखें।
उत्तर-
मूलवासी और उनके अधिकार: मूलवासी से आशय – संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार मूलवासी ऐसे लोगों के वंशज हैं जो किसी मौजूदा देश में बहुत दिनों से रहते चले आ रहे थे। फिर किसी दूसरी संस्कृति या जातीय मूल के लोग विश्व के दूसरे हिस्से से उस देश में आए और इन लोगों को अधीन बना लिया। मूलवासी आज भी उस देश की संस्थाओं के अनुरूप आचरण करने से ज्यादा अपनी परंपरा, सांस्कृतिक रिवाज तथा अपने खास सामाजिक-आर्थिक ढर्रे पर जीवन-यापन करना पसंद करते हैं।

  • मूलवासियों का अपने अधिकारों के लिए संघर्ष व आंदोलन: मूलवासी अपने अधिकारों की आवाज उठाते रहे हैं। यथा
    1. विश्व राजनीति में मूलवासियों की आवाज विश्व-बिरादरी में बराबरी का दर्जा पाने के लिए उठी है।
    2. सरकारों से इनकी मांग है कि इन्हें मूलवासी कौम के रूप में अपनी स्वतंत्र पहचान रखने वाला समुदाय माना जाये।
    3. अपने मूल वास स्थान पर ये अपना अधिकार चाहते हैं, क्योंकि ये यहाँ अनंतकाल से रहते चले आ रहे हैं।
    4. भौगोलिक रूप से चाहे मूलवासी अलग-अलग जगहों पर कायम हैं लेकिन जमीन और उस पर आधारित विभिन्न जीवन-प्रणालियों के बारे में इनकी विश्व दृष्टि एक समान है।
  • मूलवासियों के अधिकारों के लिए वैश्विक प्रयास:
    1. 1970 के दशक में विश्व के विभिन्न भागों के मूलवासियों के नेताओं के बीच पारस्परिक सम्पर्क बढ़ा । इससे इनके साझे अनुभवों और सरोकारों को एक शक्ल मिली।
    2. 1975 में ‘वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इंडिजिनस पीपल’ का गठन हुआ । संयुक्त राष्ट्र संघ में सबसे पहले इस परिषद् को परामर्शदात्री परिषद् का दर्जा दिया गया।

प्रश्न 10.
पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारकों की व्याख्या करें।..
उत्तर:
पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले प्रमुख उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं। पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारक

  1. जनसंख्या में वृद्धि: पिछले 50 वर्षों में विश्व की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप मानव की आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति के लिए प्रकृति का शोषण बढ़ रहा है तथा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।
  2. वनों की कटाई: वनों की अंधाधुंध कटाई से कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है और ऑक्सीजन गैस की मात्रा घट रही है।
  3. जल-प्रदूषण: समुद्र का तटवर्ती जल जमीनी क्रियाकलापों से प्रदूषित हो रहा है। पूरी दुनिया में समुद्रतटीय इलाकों में मनुष्यों की सघन बसावट जारी है और इस प्रवृत्ति पर अंकुश न लगा तो समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में भारी गिरावट आएगी। दूसरे, औद्योगीकरण के कारण उद्योगों के विषैले रसायनों को नदियों में डालने, उनमें शहरों के कूड़े-कचरे व गंदगी को डालने आदि से नदियों का स्वच्छ जल गंदला हो रहा है।
  4. वायु प्रदूषण: नगरीकरण तथा औद्योगीकरण, यातायात के बढ़ते साधनों, खनन परियोजनाओं, ताप बिजली परियोजनाओं, परमाणु बिजली परियोजनाओं, बड़े कारखानों की चिमनी से निकलते धुएँ आदि के कारण विश्व में वायुमण्डल प्रदूषित हो रहा है ।
  5. औद्योगीकरण: बढ़ते औद्योगीकरण के कारण बढ़ते कारखानों से विषैली गैसें पैदा होती हैं जो वायु जल को प्रदूषित कर देती हैं।
  6. ध्वनि प्रदूषण: विभिन्न प्रकार की ध्वनियों व शोर ने भी नगरों के पर्यावरण को प्रदूषित किया है। बड़े-बड़े नगरों में चारों ओर शोरगुल व्याप्त है।

प्रश्न 11.
पर्यावरण के संबंध में ‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारी’ इस अवधारणा के महत्त्व और भूमिका की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
दुनिया के विभिन्न देशों द्वारा पर्यावरण को बचाने हेतु ‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारी’ में योगदान अति आवश्यक है परंतु उत्तरी और दक्षिणी गोलाद्ध में पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति अलग-अलग धारणाएँ हैं।

  1. उत्तरी गोलार्द्ध के विकसित देश पर्यावरण के मुद्दे पर उसी रूप में चर्चा करना चाहते हैं जिस दशा में पर्यावरण वर्तमान में है। ये देश पर्यावरण के संरक्षण में हर देश का बराबर योगदान चाहते हैं।
  2. दक्षिण के विकासशील देशों के अनुसार विश्व के पारिस्थितिकी को नुकसान पहुँचाने में ज्यादा योगदान विकसित देशों का है क्योंकि विकसित देशों में औद्योगिक क्रांति पहले हुई थी। यदि विकसित देशों ने पर्यावरण को ज्यादा क्षति पहुँचायी है तो उन्हें इस नुकसान की भरपाई की जिम्मेदारी भी ज्यादा उठानी चाहिए।
  3. विकासशील देशों के औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया अभी चल रही है इसलिए उन पर वे प्रतिबंध न लगे जो विकसित देशों पर लगाए गए हैं। उदाहरण के लिए क्योटो प्रोटोकॉल इत्यादि।
  4. इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून के निर्माण, प्रयोग और व्याख्या में विकासशील देशों की विशिष्ट जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए। उपरोक्त सभी प्रावधानों को 1992 के पृथ्वी सम्मेलन में मान लिया गया है और इसे ही ‘साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारी ‘ का सिद्धांत कहा गया है।

प्रश्न 12.
तेल वैश्विक राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है जो भूराजनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
तेल वह संसाधन है जो अपार धन उत्पन्न करता है, इसलिए यह औद्योगिक देशों से जुड़े राजनीतिक संघर्ष का कारण बनता है। तेल के स्थिर प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न उपायों को अपनाया जा सकता है।

  1. इसमें शोषण स्थलों तथा संचार के समुद्री मार्गों के पास सैन्य बल की तैनाती शामिल है।
  2. तेल सामरिक संसाधनों का भंडार है।
  3. बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अनुकूल अंतर्राष्ट्रीय समझौता होना चाहिए।
  4. वैश्विक अर्थव्यवस्था, तेल पर एक पोर्टेबल और अपरिहार्य ईंधन के रूप में निर्भर करती है। इसलिए पेट्रोलियम का इतिहास संघर्षों का इतिहास युद्ध और संघर्षों भरा है।
  5. तेल के आधिपत्य को लेकर इराक और सऊदी अरब के बीच संघर्ष हो चुका है क्योंकि इराक के ज्ञात भंडार सऊदी अरब के बाद दूसरे नंबर पर है चूँकि इराकी क्षेत्र के पर्याप्त हिस्से का पूरी तरह पता लगाया जाना बाकी है। इस बात की पूरी संभावना है कि वास्तविक भंडार कहीं अधिक बड़ा हो सकता है।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. मास्ट्रिस्ट संधि पर हस्ताक्षर कब हुए थे?
(अ) फरवरी, 1993
(स) जून, 1992
(ब) फरवरी, 1992
(द) जुलाई, 1992
उत्तर:
(ब) फरवरी, 1992

2. मास्ट्रिस्ट संधि किस संगठन का आधार है
(अ) गैट
(ब) विश्व – व्यापार संगठन
(स) नाफ्टा
(द) यूरोपीय संघ
उत्तर:
(द) यूरोपीय संघ

3. यूरोपीय संघ के झंडे में सितारों की संख्या है
(अ) 15
(ब) 13
(स) 12
(द) 14
उत्तर:
(स) 12

4. देंग श्याओपंग ने ‘ओपेन डोर’ की नीति चलाई-
(अं) दिसंबर, 1978
(स) फरवरी 1947
(ब) जुलाई, 1949
(द) जून, 1947
उत्तर:
(अं) दिसंबर, 1978

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5. यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना कब
(अं) 1949
(ब) 1950
(स) 1966
(द) 1951
उत्तर:
(स) 1966

6. यूरोपीय संसद के लिए पहला प्रत्यक्ष चुनाव हुआ
(अ) जून, 1979
(ब.) मई, 2004
(स) अप्रैल, 1951
(द) जनवरी, 1973
उत्तर:
(अ) जून, 1979

7. आसियान की स्थापना किस वर्ष में हुई थी?
(अ) 1967
(ब) 1977
(स) 1966
(द) 1958
उत्तर:
(अ) 1967

8. चीन की साम्यवादी क्रांति कब हुई?
(अ) दिसम्बर, 1948
(ब) जनवरी, 1949
(स) अक्टूबर, 1949
(द) फरवरी, 1950
उत्तर:
(स) अक्टूबर, 1949

9. आसियान के झंडे का वृत्त किसका प्रतीक है?
(अ) प्रगति का
(ब) मित्रता का
(स) एकता का
(द) समृद्धि का
उत्तर:
(स) एकता का

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

1. ……………………………. में यूरोपीय संघ ने एक साझा संविधान बनाने की कोशिश की थी।
उत्तर:
2003

2. आसियान के प्रतीक चिन्ह में धान की ………………………… बालियाँ दक्षिण-पूर्व एशिया के दस देशों को इंगित करती है।
उत्तर:
दस

3. …………………………. का उद्देश्य मुख्य रूप से आर्थिक विकास को तेज करना था।
उत्तर:
आसियान

4. …………….. में आसियान क्षेत्रीय मंच ( ARF) की स्थापना की गई।
उत्तर:
1994

5. भारत ने 1991 से ………………….. और 2014 से ………………… नीति अपनायी।
उत्तर:
लुक ईस्ट, एक्ट ईस्ट

6. चीन ने …………………… में खेती का निजीकरण किया और ………………………… में उद्योगों का निजीकरण किया।
उत्तर:
1982, 1998

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जर्मनी का एकीकरण कब हुआ?
उत्तर:
अक्टूबर, 1990 में जर्मनी का एकीकरण हुआ।

प्रश्न 2.
यूरोपीय संघ के गठन के लिए मास्ट्रिस्ट संधि पर हस्ताक्षर कब हुए?
उत्तर:
फरवरी, 1992 में यूरोपीय संघ के गठन के लिए मास्ट्रिस्ट संधि पर हस्ताक्षर हुए।

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प्रश्न 3.
ASEAN (आसियान) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एसियन नेशन्स।

प्रश्न 4.
यूरोपीय संघ के झण्डे में 12 सितारे क्यों हैं?
उत्तर:
यूरोपीय संघ के झण्डे में 12 सितारे हैं क्योंकि बारह की संख्या को वहाँ पारम्परिक रूप से पूर्णता, समग्रता और एकता का प्रतीक माना जाता है।

प्रश्न 5.
आसियान शैली किसे कहा जाता है?
उत्तर:
आसियान देशों की अनौपचारिक, टकरावरहित और सहयोगात्मक मेल-मिलाप की नीति को आसियान शैली कहा जाता है।

प्रश्न 6.
चीन में साम्यवादी क्रांति किस वर्ष और किसके नेतृत्व में हुई?
उत्तर:
चीन में सन् 1949 में माओ के नेतृत्व में साम्यवादी क्रांति हुई।

प्रश्न 7.
चीन में ‘ओपेन डोर’ की नीति किसने और कब चलायी?
उत्तर:
चीन में ‘ओपेन डोर’ की नीति देंग श्याओपेंग ने 1978 के दिसम्बर में चलायी।

प्रश्न 8.
चीन ने खेती के निजीकरण को कब अपनाया?
उत्तर:
चीन में सन् 1982 में खेती के निजीकरण को अपनायां।

प्रश्न 9.
भारत और चीन के बीच किस वर्ष युद्ध लड़ा गया?
उत्तर:
सन् 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध लड़ा गया।

प्रश्न 10.
यूरोपीयन इकॉनामिक कम्युनिटी का गठन कैसे ‘हुआ?
उत्तर:
यूरोप के पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था के आपसी एकीकरण की प्रक्रिया चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ी और इसके परिणामस्वरूप 1957 में यूरोपीयन इकॉनामिक कम्युनिटी का गठन हुआ।

प्रश्न 11.
परमाणु बम की विभीषिका झेलने वाला देश कौनसा है?
उत्तर:
परमाणु बम की विभीषिका झेलने वाला एकमात्र देश जापान है।

प्रश्न 12.
यूरोपीय संघ के झंडे में कितने सितारे हैं?
उत्तर:
यूरोपीय संघ के झण्डे में 12 सितारे हैं।

प्रश्न 13.
जापान के किन शहरों पर परमाणु बम गिराए गए थे?
उत्तर:
हिरोशिमा और, नागासाकी शहरों में।

प्रश्न 14.
यूरोपीय संघ के कौनसे दो देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य हैं?
उत्तर:
ब्रिटेन और  फ्रांस।

प्रश्न 15.
यूरोपीय संघ की स्थापना कब हुई? यूरोपीय संघ द्वारा प्रेरित किन्हीं दो प्रकार के प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
यूरोपीय संघ की स्थापना 1992 में हुई थी। यूरोपीय संघ द्वारा प्रेरित दो प्रभाव हैं। आर्थिक, राजनीतिक।

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प्रश्न 16.
यूरोपीय आर्थिक समुदाय का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
यूरोपीय देशों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करना।

प्रश्न 17.
आसियान की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
आसियान के देशों का आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास करना।

प्रश्न 18.
भारत के उस पड़ोसी देश का नाम लिखिये जो आसियान का सदस्य है।
उत्तर:
म्यांमार

प्रश्न 19.
वर्तमान में आसियान के सदस्य देशों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
दस।

प्रश्न 20.
आसियान किस प्रकार का संगठन है?
उत्तर:
आसियान एक असैनिक आर्थिक संगठन है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
यूरोपीय संघ के झण्डे में बना हुआ सोने के रंग के सितारों का घेरा किस बात का प्रतीक है?
अथवा
यूरोपीय संघ के झंडे में 12 सितारों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
यूरोपीय संघ के झंडे में सोने के रंग के 12 सितारों का घेरा यूरोप के लोगों की एकता और मेलमिलाप का प्रतीक है; क्योंकि 12 की संख्या को वहाँ पूर्णता, समग्रता और एकता का प्रतीक माना जाता है।

प्रश्न 2.
मार्शल योजना क्या है?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमरीका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए जबरदस्त सहायता की। इसे मार्शल योजना के नाम से जाना जाता है। यह योजना अमेरिकी विदेश मंत्री मार्शल के नाम से प्रसिद्ध हुई।

प्रश्न 3.
यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय का गठन कब और कैसे हुआ?
उत्तर:
अप्रेल, 1951 में पश्चिमी यूरोप के छः देशों – फ्रांस, पश्चिम जर्मनी, इटली, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग ने पेरिस संधि पर हस्ताक्षर कर यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय का गठन किया।

प्रश्न 4.
रोम संधि ( 1957 ) के द्वारा यूरोप की किन संस्थाओं का गठन हुआ?
उत्तर:
मार्च, 1957 में यूरोप के छः देशों ने रोम संधि के माध्यम से

  1. यूरोपीय आर्थिक समुदाय और
  2. यूरोपीय एटमी ऊर्जा समुदाय का गठन किया।

प्रश्न 5.
यूरोपीय संघ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
यूरोपीय संघ की स्थापना 1992 में हुई। यूरोपीय संघ यूरोप के देशों का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। इसका आर्थिक, सैनिक, राजनैतिक व कूटनीतिक रूप में विश्व राजनीति में महत्त्वपूर्ण स्थान है।

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प्रश्न 6.
यूरोपीय संघ के निर्माण के कोई दो कारण बताएँ।
उत्तर:

  1. यूरोपीय संघ का निर्माण यूरोप के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए किया गया।
  2. इसका निर्माण अमेरिका की आर्थिक शक्ति के मुकाबले के लिए किया गया।

प्रश्न 7.
यूरोपीय संघ के विस्तार के कोई दो चरण लिखें।
उत्तर:

  1. 1948 में यूरोपीय राज्यों ने आर्थिक पुनर्निर्माण हेतु यूरोपीय आर्थिक समुदाय का निर्माण किया।
  2. 18 अप्रेल, 1951 को यूरोपीय राज्यों ने यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय की स्थापना की।

प्रश्न 8.
यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय का प्रमुख कार्य क्या था?
उत्तर:
इसका मुख्य कार्य सदस्य राष्ट्रों के कोयले एवं इस्पात के उत्पादन व वितरण पर नियंत्रण रखना तथा सदस्य राज्यों के कोयले व इस्पात के साधनों की एक सामान्य मण्डी बनाकर उनके उपयोग की व्यवस्था करना था।

प्रश्न 9.
आसियान की स्थापना कब और किसने की?
उत्तर:
1967 में दक्षिण-पूर्व एशियायी क्षेत्र के 5 देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर और थाइलैंड ने बैंकाक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करके ‘आसियान’ की स्थापना की।

प्रश्न 10.
आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य है। सदस्य देशों के सामाजिक, आर्थिक विकास में सहायता करना तथा उन्हें साझा बाजार देना।

प्रश्न 11.
आसियान के मुख्य स्तंभों के नाम लिखिये।
उत्तर:
2003 में आसियान ने तीन मुख्य स्तंभ बताये हैं।

  1. आसियान सुरक्षा समुदाय
  2. आसियान आर्थिक समुदाय और
  3. आसियान सामाजिक- सांस्कृतिक समुदाय।

प्रश्न 12.
आसियान सुरक्षा समुदाय का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
आसियान सुरक्षा समुदाय का मुख्य उद्देश्य है। क्षेत्रीय विवादों को सैनिक टकराव तक न ले जाकर उन्हें बातचीत के द्वारा सुलझाने का प्रयास करना।

प्रश्न 13.
आसियान के दस देशों के नाम लिखिये।
उत्तर:
आसियान के दस देश ये हैं।

  1. मलेशिया,
  2. सिंगापुर,
  3. इण्डोनेशिया,
  4. थाइलैंड,
  5. फिलीपींस,
  6. लाओस,
  7. कम्बोडिया,
  8. म्यांमार,
  9. वियतनाम और
  10. ब्रुनेई।

प्रश्न 14.
चीन में विदेशी व्यापार वृद्धि के कोई दो कारण बताएँ।
उत्तर:

  1. चीन ने विदेशी व्यापार वृद्धि के लिए 1978 में ‘खुले द्वार’ की नीति की घोषणा की।
  2. विदेशी निवेश एवं व्यापार को आकर्षित करने के लिए उसने विशेष आर्थिक क्षेत्रों का निर्माण किया।

प्रश्न 15.
चीन की नई आर्थिक नीति की कोई दो असफलताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. नई आर्थिक नीति के सुधारों का लाभ चीन में सभी क्षेत्रों को नहीं मिल पाया है।
  2. नई आर्थिक नीति से चीन में बेरोजगारी की समस्या पैदा हुई है।

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प्रश्न 16.
आसियान के झण्डे की व्याख्या करें।
उत्तर:
आसियान के प्रतीक चिन्ह में धान की दस बालियाँ दक्षिण-पूर्व एशिया के दस देशों को इंगित करती हैं जो आपस में मित्रता और एकता के धागे से बंधे हैं। वृत्त आसियान की एकता का प्रतीक है

प्रश्न 17.
1978 से पहले एवं बाद में चीन की आर्थिक नीतियों में कोई दो अन्तर बताएँ।
उत्तर:

  1. चीन ने आर्थिक क्षेत्र में 1978 से पहले एकान्तवास की नीति अपनायी थी, जबकि 1978 के पश्चात् खुले द्वार की नीति अपनायी।
  2. 1978 से पहले कृषि राज्य नियंत्रित थी जबकि 1978 के बाद कृषि का निजीकरण कर दिया गया।

प्रश्न 18.
समेकित कीजिए।
(i) आसियान की स्थापना 1948
(ii) यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना 1992
(iii) यूरोपीय परिषद की स्थापना 1967
(iv) यूरोपीय संघ की स्थापना 1949
उत्तर:
(i) 1967
(ii) 1948
(iii) 1949
(iv) 1992

प्रश्न 19.
किस कारण से आज भारत और चीन के बीच संबंधों को ज्यादा मजबूत बनाने में मदद मिली है?
उत्तर:
परिवहन और संचार मार्गों की बढ़ोतरी, समान आर्थिक हित तथा एक जैसे वैश्विक सरोकारों के कारण भारत और चीन के बीच सम्बन्धों को ज्यादा सकारात्मक तथा मजबूत बनाने में मदद मिली है।

प्रश्न 20.
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को आसियान संगठन बनाने की पहल क्यों करनी पड़ी?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध से पहले और उसके दौरान एशिया का कुछ हिस्सा बार-बार यूरोपीय और जापानी उपनिवेशवाद का शिकार हुआ तथा भारी राजनैतिक और आर्थिक कीमत चुकाई युद्ध समाप्त होने पर इसे राष्ट्र-निर्माण, आर्थिक पिछड़ेपन और गरीबी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसे शीतयुद्ध के दौर में किसी एक महाशक्ति के साथ जाने के दबाव को भी झेलना पड़ा। टकरावों और भागमभाग की ऐसी स्थिति को दक्षिण-पूर्व एशिया संभालने की स्थिति में नहीं था।

बांडुंग सम्मेलन और गुटनिरपेक्ष आंदोलन वगैरह के माध्यम से एशिया और तीसरी दुनिया के देशों में एकता कायम करने के प्रयास अनौपचारिक स्तर पर सहयोग और मेलजोल कराने के मामले में कारगर नहीं हो रहे थे। इसी के चलते दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने दक्षिण-पूर्व एशियाई संगठन (आसियान) बनाकर एक वैकल्पिक पहल की।

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प्रश्न 21.
आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर:
आसियान के सदस्य देशों ने 2003 तक कई समझौते किए जिनके द्वारा हर सदस्य देश ने शांति, निष्पक्षता, सहयोग, अहस्तक्षेप को बढ़ावा देने और राष्ट्रों के आपसी अंतर तथा संप्रभुता के अधिकारों का सम्मान करने पर अपनी वचनबद्धता जाहिर की। आसियान के देशों की सुरक्षा और विदेश नीतियों में तालमेल बनाने के लिए 1994 में आसियान क्षेत्रीय मंच (ARF) की स्थापना की गई।

प्रश्न 22.
भारत व चीन के मध्य अच्छे संबंध बनाने हेतु दो सुझाव दीजिये।
उत्तर:
भारत व चीन के मध्य अच्छे संबंध बनाने हेतु निम्न सुझाव दिये जा सकते हैं।

  1. दोनों देशों की सरकारें, पारस्परिक बातचीत के द्वारा विवादों का हल निकालने का प्रयत्न करें।
  2. दोनों देश अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर समान दृष्टिकोण अपनाकर सहयोग को बढ़ावा दें।

प्रश्न 23.
यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना कब व किन उद्देश्यों को लेकर की गई? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यूरोप के देशों में मेल-मिलाप तथा यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के उद्देश्यों को लेकर मार्शल योजना के तहत सन् 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई। इसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद दी गई।

प्रश्न 24.
यूरोपीय संघ की चार प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
यूरोपीय संघ की प्रमुख विशेषताएँ ये हैं।

  1. यूरोपीय संघ की साझी मुद्रा यूरो, स्थापना दिवस, गान तथा झण्डा है।
  2. यूरोपीय संघ आर्थिक-राजनैतिक मामलों में हस्तक्षेप करने में सक्षम है।
  3. इसके दो सदस्य ब्रिटेन और फ्रांस- सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं।
  4. इसका आर्थिक, राजनैतिक, सैनिक तथा कूटनीतिक वैश्विक प्रभाव बहुत अधिक है।

प्रश्न 25.
यूरोपीय संघ के राजनैतिक स्वरूप पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
यूरोपीय संघ का राजनैतिक स्वरूप – एक लम्बे समय में बना यूरोपीय संघ आर्थिक सहयोग वाली व्यवस्था से बदलकर ज्यादा से ज्यादा राजनैतिक रूप लेता गया है। यथा।

  1. अब यूरोपीय संघ स्वयं काफी हद तक एक विशाल राष्ट्र-राज्य की तरह ही काम करने लगा है।
  2. यद्यपि यूरोपीय संघ की एक संविधान बनाने की कोशिश तो असफल हो गई लेकिन इसका अपना झंडा, गानं, स्थापना – दिवस और अपनी मुद्रायूरो है।
  3. अन्य देशों से सम्बन्धों के मामले में इसने काफी हद तक साझी विदेश और सुरक्षा नीति भी बना ली है।
  4.  नये सदस्यों को शामिल करते हुए यूरोपीय संघ ने सहयोग के दायरे में विस्तार की कोशिश की। नये सदस्य मुख्यतः भूतपूर्व सोवियत खेमे के थे।
  5.  सैनिक ताकत के हिसाब से यूरोपीय संघ के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है।

प्रश्न 26.
यूरोपीय संघ के देशों में पाये जाने वाले मतभेदों को बताइये।
उत्तर:
यूरोपीय संघ के देशों के मध्य पाये जाने वाले प्रमुख मतभेद ये हैं।

  1. यूरोपीय देशों की विदेश एवं रक्षा नीति में परस्पर मतभेद विद्यमान हैं।
  2. इराक के सम्बन्ध में यूरोपीय देशों में मतभेद हैं।
  3. यूरोप के कुछ देशों में यूरो मुद्रा को लागू करने के सम्बन्ध में मतभेद हैं।

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प्रश्न 27.
1962 के युद्ध का भारत-चीन सम्बन्धों पर क्या असर हुआ?
उत्तर:
1962 के युद्ध में भारत को सैनिक पराजय झेलनी पड़ी और भारत-चीन सम्बन्धों पर इसका दीर्घकालिक असर हुआ। 1976 तक दोनों देशों के बीच कूटनैतिक संबंध समाप्त हो गए।

प्रश्न 28.
आसियान की स्थापना कब हुई? इसके सदस्य देशों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
आसियान की स्थापना: 1967 में दक्षिण – पूर्व एशिया के पांच देशों ने बैंकाक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करके ‘आसियान’ की स्थापना की। ये देश थे – इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर और थाइलैंड ब्रूनई दारुसलेम इस समूह में 1984 में शामिल हो गया। उसके बाद 28 जुलाई, 1995 को वितयनाम, 23 जुलाई, 1997 को लाओस और म्यांमार तथा 30 अप्रेल, 1999 को कम्बोडिया इसमें शामिल हो गये। इस प्रकार वर्तमान में आसियान के 10 सदस्य हैं। ये है। इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रूनई दारुसलेम, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कम्बोडिया।

प्रश्न 29.
आसियान के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
आसियान के प्रमुख उद्देश्य ये हैं।

  1. दक्षिण एशिया क्षेत्र में आर्थिक विकास को तेज करना।
  2. सदस्य राष्ट्रों में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, वैज्ञानिक तथा तकनीकी क्षेत्रों में परस्पर सहायता करना।
  3. सामूहिक सहयोग तथा बातचीत से साझी समस्याओं का हल ढूँढ़ना।
  4. इस क्षेत्र में साझा बाजार तैयार करना।
  5. क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना।

प्रश्न 30.
आसियान के मौलिक सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
आसियान के मौलिक सिद्धान्त – सन् 1976 में बाली शिखर सम्मेलन में एक संधि के द्वारा आसियान ने निम्नलिखित सिद्धान्तों को अंगीकृत किया है। सम्मान।

  1. सभी राष्ट्रों की स्वतंत्रता, सार्वभौमिकता, समानता, राजक्षेत्रीय संपूर्णता और राष्ट्रीय पहचान के प्रति पारस्परिक
  2. बाह्य हस्तक्षेप, अवपीड़न से मुक्ति तथा अपने राष्ट्रीय अस्तित्व के संचालन का प्रत्येक राष्ट्र का अधिकार।
  3. एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में अहस्तक्षेप।
  4. शांतिपूर्ण तरीकों से मतभेदों या झगड़ों का समाधान।
  5. धमकी या बल प्रयोग का परित्याग।
  6. आपस में कारगर सहयोग।

प्रश्न 31.
मास्ट्रिस्ट संधि पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
मास्ट्रिस्टं संधि-यूरोपीय आर्थिक समुदाय के सभी 12 सदस्यों को बैठक नीदरलैंड के नगर मास्ट्रिस्ट में 9 व 10 दिसम्बर को हुई थी, 1991 को 12 सदस्यीय यूरोपीय आर्थिक समुदाय ने यूरोपीय मौद्रिक संघ के एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसे ‘मास्ट्रिस्ट संधि’ कहा जाता है। फरवरी, 1992 में यूरोपीय संघ के गठन के लिए सभी देशों ने मास्ट्रिस्ट संधि पर हस्ताक्षर किये। मास्ट्रिस्ट संधि यूरोप के एकीकरण के मार्ग में एक मील का पत्थर है। इस संधि ने पूरे यूरोप के लिए एक अर्थव्यवस्था, एक मुद्रा, एक बाजार, एक नागरिकता, एक संसद, एक सरकार, एक सुरक्षा व्यवस्था, एक विदेश नीति का मार्ग प्रशस्त किया।

प्रश्न 32.
यूरोपीय संघ के वर्तमान में कितने राष्ट्र सदस्य हैं? उनके नाम लिखिये।
उत्तर:
1 जुलाई, 2013 को क्रोएशिया द्वारा यूरोपीय संघ की सदस्यता ग्रहण करने के पश्चात् यूरोपीय संघ के सदस्य राष्ट्रों की कुल संख्या 28 हो गई है। ये राष्ट्र हैं।
आयरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन, लक्जमबर्ग, बेल्जियम, नीदरलैंड, जर्मनी, डेनमार्क, स्वीडन,  फिनलैंड, आस्ट्रिया, इटली, माल्टा, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैण्ड, चेकरिपब्लिक, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया,  हंगरी, ग्रीस, साइप्रस, बुल्गारिया, रूमानिया, क्रोएशियां।

प्रश्न 33.
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् यूरोप के समक्ष आने वाली प्रमुख समस्याओं को लिखिये
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् यूरोप के समक्ष निम्नलिखित प्रमुख समस्यायें आयीं:

  1. यूरोपीय देशों के समक्ष द्वितीय विश्व युद्ध में तहस-नहस हुई अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण की समस्या थी।
  2. यूरोपीय देशों के समक्ष यूरोपीय नागरिकों की नष्ट हुई मान्यताओं और मूल्यों को पुनः बहाल करने की समस्या थी।
  3. इनके समक्ष विश्व स्तर पर अपने राजनैतिक और आर्थिक सम्बन्धों को स्थापित करने की समस्या थी।
  4. यूरोपीय देशों के बीच पारस्परिक शत्रुता विद्यमान थी। इस शत्रुता को छोड़कर परस्पर सहयोग करने की और बढ़ने की समस्या थी।

प्रश्न 34.
यूरोपीय आर्थिक समुदाय पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
र-यूरोपीय आर्थिक समुदाय या यूरोपीय साझा बाजार: यूरोपीय आर्थिक समुदाय या यूरोपीय साझा बाजार का जन्म 25 मार्च, 1957 को रोम की संधि के तहत 1 जनवरी, 1958 को हुआ था । इस पर हस्ताक्षर करने वाले छः राष्ट्र थे।

  1. फ्रांस,
  2. जर्मनी
  3. इटली
  4. बेल्जियम
  5. नीदरलैंड और
  6. लक्जमबर्ग।

वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 28 हो गई है।
उद्देश्य: यूरोपीय साझा बाजार का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों की आर्थिक नीतियों में उत्तरोत्तर सामञ्जस्य स्थापित करके समुदाय के क्रमबद्ध आर्थिक विकास की उन्नति करना, सदस्य देशों में निकटता स्थापित कराना है। यूरोपीय साझा बाजार के साथ ही यूरोपीय एकीकरण की नींव पड़ी और यूरोपीय आर्थिक समुदाय ही 1992 में यूरोपीय संघ में बदल गया है।

प्रश्न 35.
विश्व राजनीति में यूरोपीय संघ की भूमिका पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:

  1. यूरोपीय संघ अब काफी हद तक विशाल राष्ट्र-राज्य की तरह ही काम करने लगा है। इसका अपना झंडा, गान, स्थापना दिवस और अपनी मुद्रा है।
  2. अन्य देशों से संबंधों के मामले में यूरोपीय संघ ने काफी हद तक साझी विदेश और सुरक्षा नीति बना ली है। अब यह एक सार्थक राजनैतिक इकाई के रूप में विश्व व्यापार संगठन में अपनी भूमिका निभा रहा है।
  3. आज यूरो मुद्रा अमरीकी डालर को चुनौती दे रही है। यूरोपीय संघ विश्व के सबसे बड़े व्यापार ब्लॉक के रूप में उभरकर इस क्षेत्र में अमेरिका के लिए समस्या पैदा कर रहा है।
  4. यूरोपीय संघ के कई देश सुरक्षा परिषद् के स्थायी और अस्थायी सदस्यों में शामिल हैं। इसके चलते यह अमरीका समेत सभी देशों की नीतियों को प्रभावित करता है।

प्रश्न 36.
यूरो, अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व के लिए खतरा कैसे बन सकता है?
उत्तर:
निम्न रूप में यूरो अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व के लिए खतरा बन सकता है।

  1. यूरोपीय संघ के सदस्यों की संयुक्त मुद्रा यूरो का प्रचलन दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही चला जा रहा है और यह डॉलर को चुनौती प्रस्तुत करता नजर आ रहा है क्योंकि विश्व व्यापार में यूरोपीय संघ की भूमिका अमेरिका से तिगुनी है।
  2. यूरोपीय संघ राजनैतिक, कूटनीतिक तथा सैनिक रूप से भी अधिक प्रभावी है। इसे अमेरिका धमका नहीं सकता।
  3. यूरोपीय संघ की आर्थिक शक्ति का प्रभाव अपने पड़ौसी देशों के साथ-साथ एशिया और अफ्रीका के राष्ट्रों पर भी है।
  4. यूरोपीय संघ की विश्व की एक विशाल अर्थव्यवस्था है जो सकल घरेलू उत्पादन में अमेरिका से भी अधिक

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प्रश्न 37.
यूरोपीय संघ ने अपना राजनीतिक तथा कूटनीतिक प्रभाव किस प्रकार क्रियान्वित किया है? उत्तर – यूरोपीय संघ ने निम्न रूप में अपना राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव क्रियान्वित किया है।

  1. यूरोपीय संघ विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। विश्व व्यापार में इसकी सहभागिता अमेरिका से तिगुनी है।
  2. यूरोपीय संघ के दो सदस्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं तथा कई देश इसके अस्थायी सदस्य हैं। इसीलिये यह अमरीका सहित सभी देशों की नीतियों को प्रभावित कर रहा है।
  3. सैन्य शक्ति के दृष्टिकोण से इसके पास विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। इसका कुल रक्षा बजट अमेरिका के पश्चात् सर्वाधिक है। अंतरिक्ष विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इसका स्थान दूसरा है।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में यह राजनीतिक तथा सामाजिक मामलों में हस्तक्षेप करने में सक्षम है।

प्रश्न 38.
संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच समानताओं का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
अमेरिका तथा यूरोपीय संघ में समानताएँ-

  1. अमेरिका और यूरोपीय संघ के देश लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को अपनाए हुए हैं।
  2. दोनों ही वैश्वीकरण, उदारवादी तथा पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का समर्थन करते हैं।
  3. अमेरिका सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है तो यूरोपीय संघ के दो सदस्य ब्रिटेन और फ्रांस भी सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं।
  4. अमेरिका और यूरोपीय संघ दोनों ही परमाणु हथियारों से सम्पन्न हैं।
  5. दोनों की अपनी-अपनी मुद्राएँ हैं। अमेरिका की मुद्रा डालर है तो यूरोपीय संघ की मुद्रा यूरो है।

प्रश्न 39.
दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों ने आसियान के निर्माण की पहल क्यों की?
उत्तर:
दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों ने निम्नलिखित कारणों से आसियान के निर्माण की पहल की

  1. दूसरे विश्व युद्ध से पहले और उसके दौरान, दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्र यूरोपीय और जापानी उपनिवेशवाद के शिकार हुए तथा भारी राजनैतिक और आर्थिक कीमत चुकाई।
  2. युद्ध के बाद इन्हें राष्ट्र निर्माण, आर्थिक पिछड़ेपन और गरीबी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
  3. शीत युद्ध काल में इन्हें किसी एक महाशक्ति के साथ जाने के दबावों को भी झेलना पड़ा था।
  4. परस्पर टकरावों की स्थिति में ये देश अपने आपको संभालने की स्थिति में नहीं थे।
  5. गुट निरपेक्ष आंदोलन तीसरी दुनिया के देशों में सहयोग और मेलजोल कराने में सफल नहीं हो रहे थे।

प्रश्न 40.
“विजन 2020 में अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बहिर्मुखी भूमिका को प्रमुखता दी गई है।” कथन के पक्ष में चार तर्क दीजिए।
अथवा
‘आसियान तेजी से बढ़ता हुआ एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है।” कथन के पक्ष में चार तर्क दीजिए।
अथवा
आसियान की प्रासंगिकता पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
आसियान की प्रासंगिकता या महत्त्व:

  1. आसियान तेजी से बढ़ता हुआ एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। यह टकराव की जगह बातचीत को बढ़ावा देने की नीति पर बल देता है।
  2. इसने पूर्व: एशियायी सहयोग पर बातचीत के लिए 1999 से नियमित रूप से वार्षिक बैठक आयोजित की है। बातचीत की नीति के तहत ही इसने कंबोडिया के टकराव को समाप्त किया है और पूर्वी तिमोर के संकट को संभाला है।
  3. आसियान की मौजूदा आर्थिक शक्ति ने चीन और भारत के साथ व्यापार और निवेश के मामले में अपनी प्रासंगिकता को स्पष्ट किया है।
  4. यह एशिया का एकमात्र ऐसा क्षेत्रीय संगठन है जो एशियायी देशों और विश्व शक्तियों को राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा के लिए राजनैतिक मंच उपलब्ध कराता है।

प्रश्न 41.
आर्थिक शक्ति के रूप में चीन के उदय को किस तरह देखा जा रहा है?
उत्तर:
1978 के बाद से जारी चीन की आर्थिक सफलता को एक महाशक्ति के रूप में इसके उभरने के रूप में देखा जा रहा है। यथा

  1. आर्थिक सुधारों की शुरुआत करने के बाद से चीन सबसे ज्यादा तेजी से आर्थिक विकास कर रहा है और यह माना जाता है कि इस रफ्तार से चलते हुए 2040 तक वह दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति, अमरीका से भी आगे निकल जाएगा।
  2. आर्थिक स्तर पर अपने पड़ोसी देशों से जुड़ाव के चलते चीन पूर्व एशिया के विकास का इंजन जैसा बना हुआ है और इस कारण क्षेत्रीय मामलों में उसका प्रभाव बहुत बढ़ गया है।
  3. इसकी विशाल आबादी, बड़ा भू-भाग, संसाधन, क्षेत्रीय अवस्थिति, सैन्य शक्ति और राजनैतिक प्रभाव इस तेज आर्थिक वृद्धि के साथ मिलकर चीन के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देते हैं।

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प्रश्न 42.
1970 के दशक में चीनी नेतृत्व ने किन कारणों से आधुनिकीकरण और खुले द्वार की नीति को अपनाया? ये थीं-
उत्तर:
1970 तक आते-आते चीन में राज्य नियंत्रित अर्थव्यवस्था की कमियाँ सामने आ गयीं। कुछ प्रमुख कमियाँ

  1. खेती की पैदावार उद्योगों को पूरी जरूरत लायक अधिशेष नहीं दे पाती थी। इससे औद्योगिक उत्पादन में गतिरोध आ गया था। यह पर्याप्त तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रहा था।
  2. आर्थिक एकांतवास और राज्य नियंत्रित अर्थव्यवस्था के कारण विदेशी निवेश और विदेशी व्यापार न के बराबर था।
  3. चीन की प्रति व्यक्ति आय बहुत कम थी।

प्रश्न 43.
1970 के दशक में चीनी नेतृत्व ने कौनसे बड़े नीतिगत निर्णय लिये?
उत्तर:
चीनी नेतृत्व ने 1970 के दशक में कुछ बड़े नीतिगत निर्णय लिये। ये थे

  1. चीन ने 1972 में अमरीका से सम्बन्ध बढ़ाकर अपने राजनैतिक और आर्थिक एकान्तवास को खत्म किया।
  2. सन् 1973 में चीनी प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने कृषि, उद्योग, सेना और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव रखे।
  3. 1978 में तत्कालीन नेता देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और ‘खुले द्वार की नीति’ की घोषणा की। अब नीति यह हो गयी कि विदेशी पूँजी और प्रौद्योगिकी के निवेश से उच्चतर उत्पादकता को प्राप्त किया जाए।

प्रश्न 44.
बाजारमूलक अर्थव्यवस्था को अपनाने के लिए चीन ने क्या तरीका अपनाया?
उत्तर:
बाजारमूलक अर्थव्यवस्था को अपनाने के लिए चीन ने अर्थव्यवस्था को चरणबद्ध ढंग से खोलने का तरीका अपनाया। यथा:

  1. सन् 1978 में चीन ने आर्थिक सुधारों और खुले द्वार की नीति की घोषणा की तथा विदेशी पूँजी और प्रौद्योगिकी के निवेश से उच्चतर उत्पादकता प्राप्त करने पर बल दिया गया।
  2. 1982 में चीन ने खेती का निजीकरण किया।
  3. 1998 में उसने उद्योगों का निजीकरण किया।
  4. चीन ने व्यापार सम्बन्धी अवरोधों को सिर्फ ‘विशेष आर्थिक क्षेत्रों’ के लिए ही हटाया है, जहाँ विदेशी निवेशक अपने उद्यम लगा सकते हैं।

प्रश्न 45.
भारत-चीन के सम्बन्धों में कटुता पैदा करने वाले कोई चार मुद्दे लिखिये।
उत्तर:
भारत-चीन सम्बन्धों में कटुता पैदा करने वाले प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं।

  1. सीमा विवाद: भारत-चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है । यह विवाद मैकमोहन रेखा, अरुणाचल प्रदेश के एक भाग तवांग तथा अक्साई चिन के क्षेत्र को लेकर है।
  2. पाक को परमाणु सहायता: चीन गोपनीय तरीके से पाकिस्तान को परमाणु ऊर्जा एवं तकनीक प्रदान कर रहा है। इससे चीन के प्रति भारत में खिन्नता है।
  3. हिन्द महासागर में पैठ: चीन हिन्द महासागर में अपनी पैठ जमाना चाहता है । इस हेतु उसने म्यांमार से कोको द्वीप लिया है तथा पाकिस्तान में कराची के पास ग्वादर का बन्दरगाह बना रहा है।
  4. भारत विरोधी रवैया: चीन भारत की परमाणु नीति की आलोचना करता है और सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का विरोधी है।

प्रश्न 46.
चीन के साथ भारत के सम्बन्धों को बेहतर बनाने के लिए आप क्या सुझाव देंगे?
उत्तर:
चीन के साथ भारत के सम्बन्धों में सुधार हेतु सुझाव:

  1. सांस्कृतिक सम्बन्धों में सुदृढ़ता लाना: चीन और भारत दोनों के बीच सांस्कृतिक सम्बन्ध सुदृढ़ हों इसके लिए भाषा और साहित्य का आदान-प्रदान एवं अध्ययन किया जाये।
  2. नेताओं का आवागमन: दोनों देशों के प्रमुख नेता परस्पर एक-दूसरे का भ्रमण करें, अपने विचारों का आदान-प्रदान कर परस्पर सहयोग एवं सद्भाव की भावना को विकसित करें।
  3. व्यापारिक सम्बन्धों में बढ़ावा: दोनों देशों के बीच व्यापारिक सम्बन्धों में निरन्तर विस्तार किया जाना चाहिए।
  4. पर्यावरण सुरक्षा पर समान दृष्टिकोण: दोनों ही देश विश्व सम्मेलनों में पर्यावरण सुरक्षा के सम्बन्ध में समानं दृष्टिकोण अपना कर परस्पर एकता को बढ़ावा दे सकते हैं।
  5. बातचीत द्वारा विवादों का समाधान: दोनों देश अपने विवादों का समाधान निरन्तर बातचीत द्वारा करने का प्रयास करते रहें

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प्रश्न 47.
नयी आर्थिक नीतियों के कारण चीन की अर्थव्यवस्था में क्या परिवर्तन आये?
उत्तर:
नयी आर्थिक नीतियों के कारण चीन की अर्थव्यवस्था को अपनी जड़ता से उबरने में मदद मिली। यथा

  1. कृषि के निजीकरण के कारण कृषि उत्पादों तथा ग्रामीणों की आय में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई। इससे ग्रामीण उद्योगों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ी।
  2. उद्योग और कृषि दोनों ही क्षेत्रों में चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तेज रही।
  3. व्यापार के नये कानून तथा विशेष आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण से विदेश व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
  4. चीन अब पूरे विश्व में विदेशी निवेशी के लिए सबसे आकर्षक देश बनकर उभरा है। उसके पास विदेशी मुद्रा का विशाल भंडार हो गया है और इसके दम पर वह दूसरे देशों में निवेश कर रहा है।

प्रश्न 48.
सत्ता के उभरते हुए वैकल्पिक केन्द्रों द्वारा विभिन्न देशों में समृद्धशाली अर्थव्यवस्थाओं का रूप देने में निभाई गई भूमिका की व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
विश्व राजनीति में एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था के शुरू होने पर राजनीति तथा आर्थिक सत्ता के वैकल्पिक केन्द्रों ने कुछ सीमा तक अमरीका के प्रभुत्व को सीमित किया है। यथा है।

  1. यूरोप में यूरोपीय संघ तथा एशिया में आसियान का प्रादुर्भाव एक समृद्धशाली अर्थव्यवस्थाओं के रूप में हुआ
  2. यूरोपीय संघ और आसियान दोनों ने ही अपने-अपने क्षेत्रों में चलने वाली ऐतिहासिक दुश्मनियों तथा कमजोरियों का क्षेत्रीय स्तर पर समाधान तलाशा है तथा अपने-अपने क्षेत्रों में शांतिपूर्ण एवं सहकारी क्षेत्रीय व्यवस्था विकसित की है।
  3. यूरोपीय संघ और आसियान के अतिरिक्त चीन के आर्थिक उभार ने भी विश्व राजनीति पर प्रभावी प्रभाव डाला है।

प्रश्न 49.
नयी अर्थव्यवस्था को अपनाने से चीन में कौन-कौन सी समस्यायें उभरी हैं?
उत्तर:
नयी अर्थव्यवस्था को अपनाने से चीन में निम्न समस्यायें उभरी हैं। मिला है।

  1. चीन में आर्थिक सुधारों का लाभ प्रत्येक व्यक्ति को नहीं मिला है। इन सुधारों का लाभ कुछ ही वर्गों को
  2. सुधारों के कारण चीन में बेरोजगारी बढ़ी है और 10 करोड़ लोग रोजगार की तलाश में हैं।
  3. नयी अर्थव्यवस्था में पर्यावरण के नुकसान और भ्रष्टाचार के बढ़ने जैसे परिणाम भी सामने आये हैं
  4. गांव और शहर के तथा तटीय और मुख्य भूमि पर रहने वाले लोगों के बीच आर्थिक फासला बढ़ता जा रहा

प्रश्न 50.
वैश्विक स्तर पर चीन के आर्थिक प्रभाव को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
वैश्विक स्तर पर चीन का आर्थिक प्रभाव निम्नलिखित है।

  1. चीन की अर्थव्यवस्था का बाहरी दुनिया से जुड़ाव और पारस्परिक निर्भरता ने अब यह स्थिति बना दी है कि अपने व्यावसायिक साझीदारों पर चीन का जबरदस्त प्रभाव बन चुका है और यही कारण है कि जापान, आसियान, अमरीका और रूस — सभी व्यापार के लिए चीन से अपने विवादों को भुला चुके हैं।
  2. 1997 के वित्तीय संकट के बाद आसियान देशों की अर्थव्यवस्था को टिकाए रखने में चीन के आर्थिक उभार ने काफी मदद की है।
  3. लातिनी अमरीका और अफ्रीका में निवेश और मदद की इसकी नीतियाँ बताती हैं कि विकासशील देशों के मामले में चीन एक नई विश्व शक्ति के रूप में उभरता जा रहा है।

प्रश्न 51.
यूरोपीय संघ अमरीका और चीन से व्यापारिक विवादों में पूरी धौंस के साथ बात करता है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यूरोपीय संघ का आर्थिक, राजनैतिक, कूटनीतिक तथा सैनिक प्रभाव बहुत ज्यादा है। 2016 में यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और इसका सकल घरेलू उत्पादन 17000 अरब डॉलर से ज्यादा था जो अमरीका के ही लगभग है। इसकी मुद्रा यूरो अमरीका डालर के प्रभुत्व के लिए खतरा बन सकती है। विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अमेरिका से तीन गुनी ज्यादा है औरइसी के कारण यह अमरीका ओर चीन से व्यापारिक विवादों में पूरी धौंस के साथ बात करता है।

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प्रश्न 52.
“हान नदी पर चमत्कार” किसे कहा जाता है?
उत्तर:
1 – द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात कोरियाई प्रायद्वीप को दक्षिण और उत्तरी कोरिया में विभाजित किया गया। 1950-53 के बीच कोरियाई युद्ध और शीतयुद्ध काल की गतिशीलता ने दोनों पक्षों के बीच प्रतिद्वंद्विता को तेज कर दिया। 17 सितंबर को दोनों कोरिया संयुक्त राष्ट्र के सदस्य बने। 1960 से 1980 के दशक के बीच इसका आर्थिक शक्ति के रूप में तेजी से विकास हुआ, जिसे ‘हान नदी पर चमत्कार’ की संज्ञा दी गई।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पश्चिमी यूरोप को एकताबद्ध करने के प्रयासों के आर्थिक तथा राजनैतिक प्रयासों की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
पश्चिमी यूरोप का आर्थिक पुनरुद्धार और एकीकरण: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पश्चिमी यूरोप को एकताबद्ध करने के आर्थिक-राजनैतिक प्रयास निम्नलिखित रहे:

  1. शीत युद्ध: शीत युद्ध के दौर में पूर्वी यूरोप तथा पश्चिमी यूरोप के देश अपने-अपने खेमों में एक-दूसरे के नजदीक आए।
  2. मार्शल योजना-1947: इस योजना के तहत अमरीका ने पश्चिमी यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए जबरदस्त मदद की।
  3. नाटो: अमेरिका ने नाटो के तहत पश्चिमी यूरोप में एक सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था को जन्म दिया।
  4. यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन: 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन के माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों ने व्यापार और आर्थिक मामलों में एक- दूसरे की मदद शुरू की।
  5. यूरोपीय परिषद् 5 मई, 1949 को यूरोपीय परिषद् की स्थापना हुई। जिसके तहत आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए अपनी सामान्य विरासत के आदर्शों और सिद्धान्तों में एकता लाने का प्रयास किया गया।
  6. यूरोपीय कोयला तथा इस्पात समुदाय: 18 अप्रेल, 1951 को पश्चिमी यूरोप के छः देशों ने यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय का गठन किया।
  7. यूरोपीय अणु-शक्ति समुदाय तथा यूरोपीय आर्थिक समुदाय – 25 मार्च, 1957 को यूरोपीय आर्थिक समुदाय ( यूरोपीय साझा बाजार) और यूरोपीय अणु शक्ति समुदाय का गठन किया गया।
  8. मास्ट्रिस्ट संधि ( 1991 ): इस संधि ने यूरोप के लिए एक अर्थव्यवस्था, एक मुद्रा, एक बाजार, एक नागरिकता, एक संसद, एक सरकार, एक सुरक्षा व्यवस्था तथा एक विदेश नीति का मार्ग प्रशस्त किया।
  9. यूरोपीय संघ ( 1992 ): 1992 में यूरोपीय संघ के रूप में समान विदेश और सुरक्षा नीति, आंतरिक मामलों तथा न्याय से जुड़े मुद्दों पर सहयोग और एक समान मुद्रा के चलन के लिए रास्ता तैयार हो गया। 1 जनवरी, 1999 को यूरोपीय संघ की साझा यूरो मुद्रा को औपचारिक रूप से स्वीकृति दे दी।

प्रश्न 2.
यूरोपीय संघ की संस्थाओं या अंगों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
यूरोपीय संघ की संस्थाएँ ( अंग ) यूरोपीय संघ सात प्रधान संस्थाओं ( अंगों ) के माध्यम से कार्य करता है। ये निम्नलिखित हैं।

  1. यूरोपियन संघीय परिषद्: यह मुख्य निर्णयकारी संस्था है। इसमें 15 सदस्य देशों के मंत्री शामिल होते हैं। यह परिषद् संघीय कानूनों का निर्माण करती है।
  2. यूरोपीय संसद: 2003 में यूरोपीय संसद के सदस्यों की संख्या 626 थी। ये सदस्य सीधे 5 साल के लिए चुने जाते हैं। यह यूरोपीय संघ के लिए राजनीतिक मंच का कार्य पूरा करती है।
  3. यूरोपीय आयोग: यूरोपीय आयोग के तहत सभी अधिशासियों का विलय कर दिया गया है। इसे यूरोपीय संघ की कार्यकारी संस्था का स्थान प्राप्त है। इसके सदस्यों की संख्या 30 है। इसका कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
  4. न्यायालय: यूरोपीय संघ के दो न्यायालय हैं।
    • (अ) न्याय का न्यायालय और
    • (ब) उपाय का न्यायालय। दोनों में 15-15 न्यायाधीश होते हैं। इनके न्यायाधीशों की नियुक्ति सदस्य राज्यों की आपसी सहमति से की जाती है। इनका कार्यकाल 6 वर्ष होता है।
  5. लेखा परीक्षकों का न्यायालय-यूरोपीय संघ में लेखा-परीक्षकों का एक न्यायालय है जिसमें 15 सदस्य होते हैं। इसका कार्य यह देखना है कि संघ का आय तथा व्यय कानून के अनुसार हो।
  6. आर्थिक व सामाजिक समिति: यह एक सलाहकार संस्था है। इसमें 222 सदस्य होते हैं। यह समिति नौकरी देने वाले व्यापार संघों तथा उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करती है।
  7. यूरोपीय निवेश बैंक: विभिन्न प्रोजेक्टों को धन देना, समुदाय के हितों की रक्षा तथा साझे बाजार के संतुलित विकास के लिए कार्य करना इस बैंक के मुख्य उद्देश्य हैं।

प्रश्न 3.
माओ युग के पश्चात् चीन में अपनायी गई नयी आर्थिक नीतियों, उसके कारणों तथा परिणामों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
माओ के पश्चात् नवीन आर्थिक नीतियाँ अपनाने के कारण – 1950-60 के दशक में चीन अपना उतना आर्थिक विकास नहीं कर पा रहा था, जितना वह चाह रहा था; क्योंकि-

  1. अर्थव्यवस्था की विकास दर 5-6 फीसदी थी, लेकिन जनसंख्या में 2-3 फीसदी की वार्षिक वृद्धि इस विकास दर पर पानी फेर रही थी और बढ़ती आबादी विकास के लाभ से वंचित रह जा रही थी।
  2. खेती की पैदावार उद्योगों की पूरी जरूरत लायक अधिशेष नहीं दे पा रही थी।
  3. इसका औद्योगिक उत्पादन तेजी से नहीं बढ़ रहा था। विदेशी व्यापार न के बराबर था और प्रति व्यक्ति आय बहुत कम थी।

माओ युग के पश्चात् चीन की नयी आर्थिक नीतियाँ: 1970 के दशक में आर्थिक संकट से उबरने के लिये अमरीका से संबंध बढ़ाकर अपने राजनैतिक और आर्थिक एकान्तवास को खत्म किया; कृषि, उद्योग, सेना तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण का रास्ता अपनाया; आर्थिक सुधारों और खुले द्वार की नीति अपनायी और खेती तथा उद्योगों का निजीकरण किया।

नयी आर्थिक नीतियों के लाभकारी परिणाम: नयी आर्थिक नीतियों के निम्न परिणाम निकले

  1. कृषि-उत्पादों तथा ग्रामीण आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई तथा ग्रामीण उद्योगों की तादाद बड़ी तेजी से
  2. उद्योग और कृषि दोनों ही क्षेत्रों में चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तेज रही।
  3. विदेश – व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
  4. अब चीन पूरे विश्व में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सबसे आकर्षक देश बनकर उभरा।
  5. लेकिन इससे चीन में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार तथा गरीबी- अमीरी की खाई भी बढ़ी है।

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प्रश्न 4.
आसियान के संगठन तथा उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
दक्षिण – पूर्वी एशियायी राष्ट्रों का संघ – आसियान आसियान की स्थापना 8 अगस्त, 1967 को बैंकाक में 5 मौलिक सदस्यों :

  1. इंडोनेशिया
  2. थाइलैंड
  3. फिलिपींस,
  4. मलेशिया और
  5. सिंगापुर द्वारा की गई। बाद में 1984 में
  6. ब्रूनई दारुस्सलेम, 1995 में
  7. वियतनाम, 1997 में
  8. लाओस और
  9. म्यांमार तथा 1999 में
  10. कम्बोडिया इसमें शामिल हो गये। इस प्रकार आसियान में वर्तमान में 10 सदस्य देश हैं। इसका कार्यालय जकार्ता (इण्डोनेशिया) में है और उसका अध्यक्ष महासचिव होता है।

आसियान की प्रमुख संस्थाएँ ये हैं।

  1. विदेश मंत्रियों के सम्मेलन
  2. सचिवालय
  3. आसियान सुरक्षा समुदाय
  4. आसियान क्षेत्रीय सुरक्षा मंच
  5. आसियान आर्थिक समुदाय आसियान की संस्थाएँ
  6. आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय।

आसियान के उद्देश्य – आसियान निर्माण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. आसियान क्षेत्र में आर्थिक प्रगति को तेज करना तथा उसके आर्थिक स्थायित्व को बनाए रखना।
  2. सदस्य राष्ट्रों में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रशासनिक क्षेत्रों में परस्पर सहायता करना।
  3. सामूहिक सहयोग से साझी समस्याओं का हल ढूँढ़ना।
  4. साझा बाजार तैयार करना तथा सदस्य देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना।
  5. कानून के शासन और संयुक्त राष्ट्र के कायदों पर आधारित क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना।

प्रश्न 5.
आसियान के कार्य, भूमिका एवं उपलब्धियों की चर्चा कीजिये।
उत्तर:
आसियान के कार्य, भूमिका तथा उपलब्धियाँ आसियान तेजी से बढ़ता हुआ एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। आसियान टकराव की जगह बातचीत को बढ़ावा देने की नीति अपनाये हुए है। अनौपचारिक, टकराव रहितं और सहयोगात्मक मेल-मिलाप की आसियान शैली से आसियान ने कंबोडिया के टकराव को समाप्त किया है, पूर्वी तिमोर के संकट को संभाला है।

आसियान की कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार रही हैं।

  1. राजनैतिक सुरक्षा व सहयोग: आसियान सुरक्षा समुदाय तथा आसियान क्षेत्रीय सुरक्षा मंच ने मैत्री और सहयोग संधि, दक्षिण चीन सागर में पक्षकार देशों के आचार पर घोषणा, दक्षिण-पूर्व एशिया नाभिकीय शस्त्र मुक्त क्षेत्र · आयोग आदि के द्वारा सदस्य देशों के बीच सुरक्षा व स्थिरता बनाए रखने के लिए सहकारी ढांचे के निर्माण के प्रयास किये हैं।
  2. आर्थिक सहयोग के प्रयत्न: आर्थिक सहयोग की दिशा में आसियान ने ‘आसियान मुक्त व्यापार क्षेत्र’ तथा ‘आसियान आर्थिक समुदाय’ का गठन कर चीन तथा दक्षिण कोरिया के साथ मुक्त व्यापार सम्बन्धी मसौदे पर हस्ताक्षर किये हैं तथा अन्य देशों के साथ इस ओर प्रयत्न जारी है।
  3. सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में भूमिका: आसियान ने सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
  4. एशियायी समुदाय के गठन के मार्ग को प्रशस्त करना: एशियायी समुदाय के गठन की दिशा में आसियान प्रयासरत है।
  5.  एक राजनैतिक मंच के रूप में: आसियान एशिया का एकमात्र ऐसा क्षेत्रीय संगठन है जो एशियायी देशों और विश्व शक्तियों को राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा के लिए राजनैतिक मंच उपलब्ध कराता है।

प्रश्न 6.
भारत-चीन के बीच संघर्ष के मुद्दों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत-चीन के संघर्ष के मुद्दे चीन की स्वतंत्रता- 1949 के बाद से कुछ समय के लिए दोनों देशों के सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण रहे। कुछ समय के लिए ‘हिन्दी – चीनी भाई-भाई’ का नारा भी लोकप्रिय हुआ किन्तु निम्न मुद्दों के कारण दोनों देशों के बीच संघर्ष व कटुता पैदा हो गयी।

1. तिब्बत का प्रश्न :1949 से पूर्व तिब्बत नाममात्र के लिए चीन के अधीन था और आन्तरिक तथा बाह्य मामलों में पूर्णतः स्वतंत्र था। भारत के साथ तिब्बत के घनिष्ठ व्यापारिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध रहे हैं। 1950 में चीन ने तिब्बत को हड़पने की प्रक्रिया चालू कर दी तथा 1954 में चीन की सरकार ने तिब्बत पर अपना सम्पूर्ण अधिकार जमा लिया। तिब्बतियों ने चीन की नीति का विरोध किया और दलाईलामा ने भारत में आकर शरण ली। चीन ने शरण दिये जाने की भारत की कार्यवाही को अपने प्रति शत्रुता की संज्ञा दी। दलाईलामा की भारत में उपस्थिति वर्तमान में भी चीन के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है।

2. मैकमोहन रेखा तथा सीमा विवाद:
भारत के साथ सीमा विवाद एक ऐतिहासिक देन है। भारत मैकमोहन रेखा को दोनों के बीच सीमा रेखा मानता है, लेकिन चीन इसे स्वीकार नहीं करता है। फलतः वह भारतीय भू-भाग में घुसपैठ करता रहता है। सन् 1962 में भारत और चीन दोनों देश अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों और लद्दाख के अक्साई-चिन क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धी दावों के चलते लड़ पड़े । 1962 के भारत को सैनिक पराजय झेलनी पड़ी तथा भारत का काफी भू-भाग उसने अपने कब्जे में ले लिया। 1962 से लेकर 1976 तक दोनों देशों के बीच कूटनीतिक सम्बन्ध समाप्त रहे। 1981 के दशक के बाद दोनों देशों के बीच सीमा विवादों को दूर करने के लिए वार्ताओं का सिलसिला जारी है।

3. सिक्किम का भारत में विलय:
श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने सन् 1975 में सिक्किम को भारत में मिलाकर उसे देश का 22वां राज्य घोषित कर दिया। चीन ने इसकी आलोचना की तथा उसके द्वारा प्रदर्शित मानचित्रों में सिक्किम को भारत के हिस्से के रूप में नहीं दर्शाया गया। लेकिन वर्ष 2005 में चीन ने सिक्किम को भारतीय भू-भाग में शामिल कर इसे मान्यता दे दी है और दोनों के मध्य यह विवाद समाप्त हो गया है।

4. भारत के परमाणु परीक्षण पर चीन का विरोध:
मई, 1998 में भारत द्वारा परमाणु परीक्षण किये जाने पर चीन ने अमेरिका के साथ मिलकर भारत की निंदा की। चीन ने भारत पर यह आरोप लगाया कि इससे दक्षिण एशिया में संजीव पास बुक्स परमाणु होड़ शुरू हो जाएगी। वह एक सुसंगठित अभियान चलाकर भारत पर एन. पी. टी. पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डालता रहा । ऐसी स्थिति में दोनों देशों के मध्य कड़वाहट होना स्वाभाविक था।

5. चीन-पाकिस्तान के बीच बढ़ती निकटता:
पाकिस्तान ने परमाणु कार्यक्रम को विकसित करने एवं मिसाइलों के निर्माण में चीन की अहम भूमिका रही है। चीन पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है तथा पाकिस्तान को सैन्य सहयोग दे रहा है। ये सभी तथ्य भारत के मन में चीन के प्रति संदेह पैदा करते हैं।

6. अन्य मुद्दे – भारत – चीन के कटुता के अन्य मुद्दे ये हैं-

  1. चीन नेपाल को भारत से अलग कर वहाँ अपने सैनिक अड्डे बनाने के प्रयास कर रहा है।
  2. वह समय-समय पर भारतीय सीमा में घुसपैठ करता रहता है।

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प्रश्न 7.
वैकल्पिक शक्ति केन्द्र के रूप में जापान प्रभावकारी है। तथ्यों के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैकल्पिक शक्ति केन्द्र के रूप में जापान अत्यंत प्रभावकारी है इस बात का अनुमान निम्न तथ्यों से लगाया जा सकता है।

  1. सोनी, पैनासोनिक, कैनन, सुजुकी, होंडा, ट्योटा और माज्दा आदि प्रसिद्ध ब्रांड जापान के हैं। इनके नाम उच्च प्रौद्योगिकी के उत्पाद बनाने के लिए मशहूर हैं।
  2. जापान के पास प्राकृतिक संसाधन कम हैं और वह ज्यादातर कच्चे माल का आयात करता है। इसके बावजूद दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान ने बड़ी तेजी से प्रगति की।
  3. जापान 1964 में आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकॉनामिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OCED) का सदस्य बन गया। 2017 में जापान की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।
  4. एशिया के देशों में अकेला जापान ही समूह -7 के देशों में शामिल है। आबादी के लिहाज से विश्व में जापान ग्यारहवें स्थान पर है।
  5. परमाणु बम की विभीषिका झेलने वाला जापान इकलौता देश है। जापान संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में 10 प्रतिशत का योगदान करता है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में अंशदान करने के लिहाज से जापान दूसरा सबसे बड़ा देश है।
  6. 1951 से जापान का अमरीका के साथ सुरक्षा – गठबंधन है। जापान के संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार- “राष्ट्र के संप्रभु अधिकार के रूप में युद्ध को तथा अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाने में बल-प्रयोग अथवा धमकी से काम लेने के तरीके का जापान के लोग हमेशा त्याग करते हैं।”
  7. जापान का सैन्य व्यय उसके सकल घरेलू उत्पाद का केवल 1 प्रतिशत है फिर भी सैन्य व्यय के लिहाज से जापान सातवें स्थान पर है। उपरोक्त तथ्यों से हम अनुमान लगा सकते हैं कि वैकल्पिक शक्ति केन्द्र के रूप में जापान अत्यंत प्रभावकारी है।

प्रश्न 8.
शीतयुद्ध के पश्चात् दक्षिण कोरिया के अर्थव्यवस्था में तेजी आई। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कोरियाई प्रायद्वीप को द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में दक्षिण कोरिया और उत्तरी कोरिया में 38वें समानांतर के साथ-साथ विभाजित किया गया था। 1950-53 के दौरान कोरियाई युद्ध और शीत युद्ध काल की गतिशीलत ने दोनों पक्षों के बीच प्रतिद्वंद्विता को तेज कर दिया। अंतत: 17 सितंबर, 1991 को दोनों कोरिया संयुक्त राष्ट्र के सदस्य बने। इसी बीच दक्षिण कोरिया एशिया में सत्ता के रूप में केन्द्र बनकर उभरा। 1960 के दशक से 1980 के दशक के बीच, इसका आर्थिक शक्ति के रूप में तेजी से विकास हुआ, जिसे “हान नदी पर चमत्कार” कहा जाता है।

अपने सर्वांगीण विकास को संकेतित करते हुए, दक्षिण कोरिया 1996 में ओईसीडी का सदस्य बन गया। 2017 में इसकी अर्थव्यवस्था दुनिया में ग्यारहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और सैन्य खर्च में इसका दसवां स्थान है। मानव विकास रिपोर्ट, 2016 के अनुसार दक्षिण कोरिया का एचडीआई रैंक 18 है। दक्षिण कोरिया के उच्च मानव विकास के प्रमुख कारण ‘सफल भूमि सुधार, ग्रामीण विकास, व्यापक मानव संसाधन विकास, तीव्र न्यायसंगत आर्थिक वृद्धि, निर्यात उन्मुखीकरण, मजबूत पुनर्वितरण नीतियाँ, निर्यात उन्मुखीकरण, मजबूत पुनर्वितरण नीतियाँ, सार्वजनिक अवसंरचना विकास, प्रभावी संस्थाएँ और शासन आदि हैं।’

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Vyakaran अलंकार Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9 Hindi Vyakaran अलंकार

परिभाषा – अलंकार का सामान्य अर्थ होता है-शोभा, शृंगार, आभूषण या अलंकृत करना। लोकभाषा में इसे गहना कहते हैं। अलंकार कविता की शोभा को बढ़ाने का काम करते हैं। ये स्वयं शोभा नहीं होते अपितु कविता की शोभा बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। संस्कृत के विद्वानों ने इसीलिए कहा है- ‘अलंकरोति इति अलंकार:’ अर्थात जो शोभा बढ़ाए उसे अलंकार कहते हैं।
कविता में कभी शब्द विशेष का प्रयोग कविता को शोभा प्रदान करता है तो कभी अर्थ अर्थात शब्द और अर्थ में चमत्कार उत्पन्न कर कविता की शोभा बढ़ाने वाले तत्व को अलंकार कहते हैं।

कविता में चमत्कार और सौंदर्य उत्पन्न करने में शब्द और अर्थ दोनों का समान महत्व होता है। कहीं शब्द विशेष के प्रयोग के कारण कविता की शोभा बढ़ जाती है तो कहीं अर्थ चमत्कार के कारण। जहाँ शब्द विशेष के कारण चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ शब्दालंकार होते हैं। जब अर्थ विशेष आकर्षण को उत्पन्न करता है, वहाँ अर्थालंकार होता है। कविता में जहाँ चमत्कार शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित होता है, उन्हें उभयालंकार कहते हैं। अलंकार के प्रमुख रूप से दो भेद माने जाते हैं-शब्दालंकार और अर्थालंकार।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

शब्दालंकार :

काव्य में जहाँ शब्द विशेष से चमत्कार की उत्पत्ति होती है, वहाँ शब्दालंकार होता है। यदि किसी शब्द विशेष को हटाकर वहाँ कोई अन्य समानार्थी शब्द रख दिया जाए तो वहाँ अलंकार नहीं रहता। प्रमुख शब्दालंकार हैं- अनुप्रास, यमक, श्लेष।

1. अनुप्रास अलंकार

लक्षण – जहाँ व्यंजनों की बार-बार आवृत्ति के कारण चमत्कार उत्पन्न हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण –

चारु चंद्र की चंचल किरणें,
खेल रही थीं जल-थल में।

यहाँ ‘च’ व ‘ल’ वर्ण की आवृत्ति के कारण चमत्कार उत्पन्न हुआ है। अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

विशेष – व्यंजनों की आवृत्ति के साथ स्वर कोई भी आ सकता है अर्थात् जहाँ स्वरों की विषमता होने पर भी व्यंजनों की एक क्रम से आवृत्ति हो वहाँ ‘अनुप्रास’ अलंकार होता है; जैसे –

क्या आर्यवीर विपक्ष वैभव देखकर डरते नहीं।

यहाँ ‘व’ के साथ भिन्न-भिन्न स्वरों का प्रयोग होने पर भी ‘अनुप्रास’ अलंकार है। विद्यार्थी सुविधानुसार निम्नलिखित उदाहरण कंठस्थ कर सकते हैं –

1. तरनि- तनूजा – तट तमाल तरुवर बहु छाए।
2. तजकर तरल तरंगों को,
इंद्रधनुष के रंगों को। (‘त’ की आवृत्ति)
3. साध्वी सती हो गई। (‘स’ की आवृत्ति)
4. तुम तुंग हिमालय श्रृंग,
और मैं चंचल गति सुर- सरिता। (‘त’ और ‘स’ की आवृत्ति)
5. मैया मैं नहिं माखन खायो। (‘म’ की आवृत्ति)
6. बसन बटोरि बोरि – बोरि तेल तमीचर। (‘ब’ की आवृत्ति)
7. सत्य सनेहसील सुख सागर। (‘स’ की आवृत्ति)
8. मुदित महीपति मंदिर आए।
सेवक सचित सुमंत बुलाए। (‘म’ और ‘स’ की आवृत्ति)
9. संसार की समरस्थली में धीरता धारण करो। (‘स’ और ‘ध’ की आवृत्ति)
10. मधुर मधुर मुस्कान मनोहर। (‘म’ की आवृत्ति)
11. बंदऊँ गुरुपद पदुम परागा।
सुरुचि सुवास सरस अनुरागा। (‘प’ तथा ‘स’ की आवृत्ति)
12. रघुपति राघव राजा राम। (‘र’ वर्ण की आवृत्ति)
13. सखी, निरख नदी की धारा। (‘न’ वर्ण की आवृत्ति)
14. सठ सुधरहिं सत संगति पाई।
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥ (‘स’ तथा ‘प’ वर्ण की आवृत्ति)
15. सुधा सुरा सम साधु असाधू।
जनक एक जग जलधि अगाधू। (‘स’ और ‘ज’ वर्ण की आवृत्ति)
16. सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुझ पर खिलते हैं (‘स’ वर्ण की आवृत्ति)
17. इस सोते संसार बीच (‘स’ वर्ण की आवृत्ति)
18. बैठे किंशुक छत्र लगा बाँध पाग – पीला। (‘प’ वर्ण की आवृत्ति)
19. भज दीनबंधु दिनेश दानव दैत्यवंश निकनंदनम। (‘द’ वर्ण की आवृत्ति)
20. कितनी करुणा कितने संदेश। (‘क’ वर्ण की आवृत्ति)

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

2. यमक अलंकार

यमक अलंकार में एक ही शब्द या शब्दांश की आवृत्ति होती है परंतु प्रत्येक बार शब्द या शब्दांश का अर्थ भिन्न-भिन्न होता है।

लक्षण – जहाँ एक शब्द अथवा शब्द- समूह का एक से अधिक बार प्रयोग हो परंतु प्रत्येक बार उसका अर्थ भिन्न-भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। जहाँ पर निरर्थक अथवा भिन्न-भिन्न अर्थ वाले सार्थक समुदाय का अनेक बार प्रयोग हो, वहाँ यमक अलंकार होता है।

इसे याद रखने का सूत्र है – वह शब्द पुनि-पुनि परै अर्थ भिन्न ही भिन्न।

उदाहरण –

कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय,
या खाए बौराय नर, वाह पाए बौराय।

‘सोने’ में ‘ धतूरे’ से भी सौ गुना नशा अधिक होता है। उसको (धतूरे को) खाने से मनुष्य पागल अर्थात् नशे का अनुभव करता है। इसको (सोने को) प्राप्त कर लेने मात्र से नशे का अनुभव करने लगता है।
यहाँ ‘कनक’ शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है परंतु प्रत्येक बार उसका अर्थ भिन्न-भिन्न है।
पहले ‘कनक’ का अर्थ ‘ धतूरा’ है तथा दूसरे ‘कनक’ का अर्थ ‘सोना’ है।
अतः यहाँ यमक अलंकार का चमत्कार है।

अन्य उदाहरण –

तो पर वारौं उरबसी, सुन राधिके सुजान।
तू मोहन के उरबसी, है उरवसी समान ॥

उरबसी –

(क) उर्वशी नामक अप्सरा।
(ख) उर (हृदय) में बसी हुई।
(ग) गले में पहना जाने वाला आभूषण।

उदाहरण –

1. माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर ॥
(मनका माला का दाना, मन का = हृदय का)
(फेर = हेरा-फेरी, चक्कर, फेर = फेरना)

2. कहे कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी।
(बेनी = कवि का नाम, चोटी)

3. तीन बेर खाती थीं वे तीन बेर खाती हैं।
(तीन बेर = तीन बार, बेर के तीन फल)

4. काली घटा का घमंड घटा।
(घटा = बादल, कम होना)

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

5. रति रति सोभा सब रति के शरीर की।
(रति-रति = ज़रा-ज़रा-सी, कामदेव की पत्नी)

6. जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं।
(तारे = उद्धार किया, सितारे)

7. खग-कुल कुल-कुल सा बोल रहा।
(कुल = परिवार, कुल-कुल = पक्षियों की चहचहाहट)

8. लहर-लहर कर यदि चूमे तो, किंचित विचलित मत होना।
(लहर तरंग, मचलना)

9. गुनी गुनी सब के कहे, तिगुनी गुनी न होतु।
सुन्यो कहुँ तरु अरक तैं, अरक समानु उदोतु ॥
(अरक = आक का पौधा, सूर्य)

10. ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी,
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती हैं।
(मंदर = महल, = महल, पर्वत)

11. जगती जगती की मूक प्यास।
(जगती जागती, जगत, संसार)

3. श्लेष अलंकार

लक्षण – श्लेष का अर्थ है – चिपका हुआ। काव्य में जहाँ एक शब्द के साथ अनेक अर्थ चिपके हों, अर्थात् जहाँ एक ही शब्द के एक से अधिक अर्थ निकलें, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

उदाहरण –

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती, मानुस, चून ॥

(कवि रहीम कहते हैं कि मनुष्य को पानी अर्थात अपनी इज्जत अथवा मान-मर्यादा की रक्षा करनी चाहिए। बिना पानी के सब सूना है, व्यर्थ है। पानी के चले जाने से मोती का, मनुष्य का और चूने का कोई महत्त्व नहीं।)

यहाँ ‘पानी’ शब्द के तीन अर्थ हैं।

(1) मोती के पक्ष में ‘पानी’ का अर्थ है ‘चमक’, (2) मनुष्य के पक्ष में ‘पानी’ का अर्थ है ‘इज्जत’, (3) चून (आटा) के पक्ष में ‘पानी’ का अर्थ है पानी (जल)। पानी के बिना आटा नहीं गूँधा जा सकता।
यहाँ ‘पानी’ शब्द के एक से अधिक अर्थ निकलते हैं। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।
श्लेष अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण हैं –

विपुल धन अनेकों रत्न हो साथ लाए।
प्रियतम बतला दो लाल मेरा कहाँ है ॥

यहाँ ‘लाल’ शब्द के दो अर्थ पुत्र और मणि हैं।

को घटि ये वृष भानुजा, वे हलधर के वीर।

यहाँ वृषभानु की पुत्री अर्थात् राधिका और वृष की अनुजा अर्थात् बैल की बहन है। हलधर से बलराम और हल को धारण करने वाले का अर्थ है।

नर की अरु नल नीर की, गति एके कर जोय।
जेतो नीचो ह्वै चले, तेतो ऊँचो होय।

यहाँ ‘नीचो’ का अर्थ नीचे की तरफ़ तथा नम्र और ‘ऊँचो’ का अर्थ ऊँचाई की ओर तथा सम्मान है।

पी तुम्हारी मुख बास तरंग, आज बौरे भौरे सहकार।

हे सखि ! तुम्हारे मुख की सुगंध की तरंगों से भौरे बौरा गए हैं अर्थात मस्त हो गए हैं, उधर सहकार अर्थात् आम भी बौरा रहे हैं अर्थात् आमों पर मंजरियाँ निकल रही हैं। यहाँ ‘बौरे’ शब्द के दो अर्थ हैं। अतः ये श्लेष अलंकार हैं।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

अन्य उदाहरण –

1. मधुवन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ।
(कलियाँ खिलने से पूर्व की अवस्था, यौवन की अवस्था, यौवन पूर्व की अवस्था)

2. मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाँईं परै, स्यामु हरित दुति होय ॥
(स्याम = श्रीकृष्ण, काला / गहरा नीला, दुख, पीड़ा)

3. बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाइ।
कहत धतूरे सौं कनक, गहनौ गढ्यो न जाइ ॥
(कनक = सोना, धतूरा)

4. सुबरन को ढूँढ़त फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
(सुबरन के तीन अर्थ हैं-‘कवि’ के संदर्भ में, ‘सुबरन’ का अर्थ है – अच्छा शब्द, ‘व्यभिचारी’ के संदर्भ में ‘सुबरन’ का अर्थ है – अच्छा रूप रंग तथा ‘चोर’ के संदर्भ में ‘सुबरन’ का अर्थ है – स्वर्ण (सोना)।

अर्थालंकार

अर्थालंकार का संबंध भावों की सुंदरता से है। इसके द्वारा भावों की अनुभूति चमत्कारपूर्ण ढंग से व्यक्त होती है। अर्थात् जहाँ काव्य में अर्थ के कारण आकर्षण उत्पन्न होता है, उसे अर्थालंकार कहते हैं। उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति आदि इसके विभिन्न प्रकार हैं।

1. उपमा अलंकार :

जिस काव्य पंक्ति में किसी जग प्रसिद्ध व्यक्ति या वस्तु की तुलना सामान्य वस्तु को अच्छा बताने के लिए असामान्य वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

उपमा – उपमा अलंकार के चार अंग हैं –
(1) उपमेय (2) उपमान (3) वाचक शब्द (4) साधारण धर्म।

1. उपमेय – जिसकी समता की जाती है, उसे उपमेय कहते हैं।
2. उपमान – जिससे समता की जाती है, उसे उपमान कहते हैं।
3. वाचक शब्द – उपमेय और उपमान की समता प्रकट करने वाले शब्द को वाचक शब्द कहते हैं।
4. साधारण धर्म -उपमेय और उपमान में गुण (रूप, रंग आदि) की समानता को साधारण धर्म कहते हैं।

उपमा अलंकार का लक्षण – जहाँ रूप, रंग या गुण के कारण उपमेय की उपमान से तुलना की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। उदाहरण – पीपर पात सरिस मन डोला।
(पीपल के पत्ते के समान मन डोल उठा)
उपमेय – मन
उपमान – पीपर पात
वाचक शब्द – सरिस (समान)
साधारण धर्म – डोला

जिस उपमा में चारों अंग होते हैं, उसे पूर्णोपमा कहते हैं। इनमें से किसी एक अथवा अधिक के लुप्त होने से लुप्तोपमा अलंकार होता है। अत: उपमा दो प्रकार की होती है – (1) पूर्णोपमा (2) लुप्तोपमा।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

अन्य महत्वपूर्ण उदाहरण –

1. हो क्रुद्ध उसने शक्ति छोड़ी एक निष्ठुर नाग-सी।
(उसने क्रोध से भरकर एक शक्ति (बाण) छोड़ी जो साँप के समान भयंकर थी।) यहाँ ‘शक्ति’ उपमेय की ‘नाग’ उपमान से तुलना होने के कारण उपमा अलंकार है।
2. वह किसलय के से अंग वाला कहाँ है।
(यहाँ ‘ अंग’ उपमेय की ‘किसलय’ उपमान से तुलना है।)
3. यहाँ कीर्ति चाँदनी-सी, गंगा जी की धारा-सी
सुचपला की चमक से सुशोभित अपार है।
(धर्मलुप्त है अतः यहाँ लुप्तोपमा अलंकार है।)
4. मुख बाल – रवि सम
लाल होकर ज्वाला-सा बोधित हुआ।
(यहाँ क्रोध से लाल मुख की प्रातः कालीन सूर्य से तुलना है।)
5. नील गगन सहृदय शांत-सा सो रहा।
6. हरिपद कोमल कमल से।
7. गंगा का यह नीर अमृत के सम उत्तम है।
8. कबीर माया मोहिनी, जैसे मीठी खांड।
9. तारा – सी तुम सुंदर।
10. नंदन जैसे नहीं उपवन है कोई।
11. सिंहनी – सी काननों में, योगिनी-सी शैलों में,
शफरी-सी जल में,
विहंगिनी – सी व्योम में,
जाती अभी और उन्हें खोज कर लाती मैं।
12. रति सम रमणीय मूर्ति राधा की।
13. पड़ी थी बिजली-सी विकराल।
14. वह नव नलिनी से नयन वाला कहाँ है ?
15. नदियाँ जिनकी यशधारा-सी, बहती हैं अब भी निशि – बासर।
16. सूरदास अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यों पागी।
17. असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी।
18. सिंधु – सा विस्तृत और अथाह,
एक निर्वासित का उत्साह।
19. हाय फूल – सी कोमल बच्ची।
हुई राख की थी ढेरी ॥
20. वह दीपशिखा -सी शांत भाव में लीन।
21. यह देखिए, अरविंद से शिशुवृंद कैसे सो रहे।
22. तब तो बहता समय शिला-सा जम जाएगा।
23. चाटत रह्यौ स्वान पातरि ज्यौं, कबहूँ न पेट भरयो।
24. माबूत शिला-सी दृढ़ छाती।
25. मखमल के झूल पड़े हाथी-सा टीला।
26. लघु तरणि हंसिनी-सी सुंदर,
तिर रही खोल पालों के पर ॥
27. कंचन जैसी कामिनी, कमल सुकोमल रूप।
बदन बिलोको चंद्रमा, वनिता बनी अनूप ॥
28. लावण्य भार थर-थर
काँपा कोमलता पर सस्वर
ज्यों मालकोश नववीणा पर
29. यों ताशों के महलों-सी मिट्टी की वैभव बस्ती क्या।
30. किरण की लालिमा-सी लाल मदिरा में।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

2. रूपक अलंकार :

जब प्रसिद्ध वस्तु से गुणों की समानता को दर्शाने के लिए किसी सामान्य वस्तु पर उसकी समानता दर्शाने के बदले सीधा आरोपण कर दिया जाता है, तो वहाँ रूपक अलंकार होता है।
अर्थात रूपक अलंकार में दो वस्तुओं अथवा व्यक्तियों में अद्भुतता को प्रकट किया जाता है। नाटक को भी रूपक कहते हैं क्योंकि वहाँ एक व्यक्ति के ऊपर दूसरे व्यक्ति का आरोप होता है, जैसे कोई राम का अभिनय करता है तो कोई रावण का।
लक्षण – जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
उदाहरण – चरण-कमल बंदौं हरि राई।
(मैं भगवान के कमल रूपी चरणों की वंदना करता हूँ।)
यहाँ ‘ चरण’ उपमेय पर ‘कमल’ उपमान का आरोप है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

अन्य उदाहरण –

1. बीती विभावरी जाग री।
अंबर – पनघट में डुबो रही तारा-घट उषा नागरी।
यहाँ अंबर पर कुएँ का सितारों पर घड़े का तथा उषा पर नागरी का आरोप होने के कारण रूपक अलंकार है।

2. दुख हैं जीवन-तरु के मूल।
‘जीवन’ उपमेय पर ‘तरु’ उपमान का आरोप है। अतः यहाँ भी रूपक अलंकार है।

3. मैया मैं तो चंद्र – खिलौना लैहौं।
चंद्र उपमेय पर खिलौना उपमान का आरोप होने के कारण यहाँ रूपक अलंकार है।
मेखलाकार पर्वत अपार, अपने सहस्त्र दृग सुमन फाड़,

4. अवलोक रहा था बार-बार, नीचे जल में महाकार।
यहाँ दृग (आँखें) उपमेय पर फूल उपमान का आरोप है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

5. मेरे अंतर में आते ही देव निरंतर कर जाते हो व्यथा – भार।
लघु बार-बार कर- कंज बढ़ा कर।
यहाँ कर (हाथ) उपमेय पर कंज (कमल) उपमान का आरोप है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

6. मन – मधुकर पन करि तुलसी रघुपति पद कमल बसैहौं।
मन उपमेय पर मधुकर (भ्रमर) तथा पद (चरण) उपमेय पर कमल उपमान का आरोप है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

7. विषय – नारि मन-मीन भिन्न गति होत पल एक।

8. यहाँ विषय-वासना के ऊपर वारि (जल) तथा मन के ऊपर मीन (मछली) का आरोप है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है। प्रेम-सलिल से द्वेष का सारा मल धुल जाएगा।
यहाँ प्रेम उपमेय पर सलिल अर्थात जल उपमान का आरोप होने के कारण रूपक अलंकार है।

9. संत – हंस गुन गहहिं पय परिहरि वारि विकार।
यहाँ संत पर हंस का, गुण पर पय (दूध) का और वारि (जल) पर विकार का आरोप होने के कारण रूपक अलंकार है।

10. माया दीपक नर पतंग,
श्रमि भ्रमि इमै पड़त।
यहाँ ‘माया’ उपमेय पर ‘दीपक’ उपमान का तथा ‘नर’ उपमेय पर ‘पतंग’ उपमान का आरोप होने के कारण रूपक अलंकार है।

11. भजु मन चरण कंवल अविनासी।
यहाँ ‘ चरण’ उपमेय पर ‘कमल’ उपमान का आरोप होने के कारण रूपक अलंकार है।

12. दुख – जलनिधि डूबी का सहारा कहाँ है ?
यहाँ दुख में जलनिधि (समुद्र) का आरोप होने से रूपक अलंकार है।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

3. उत्प्रेक्षा अलंकार –

जहाँ एक वस्तु में दूसरी की कल्पना या संभावना हो, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

लक्षण – जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना पाई जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इस अलंकार में मानो, मनो, मनु, मनहुँ, जनु, जानो आदि शब्दों के द्वारा उपमेय को उपमान मान लिया जाता है।

उदाहरण –
सिर फट गया उसका वहीं
मानो अरुण रंग का घड़ा।

यहाँ ‘ फटा हुआ सिर’ उपमेय में ‘लाल रंग का घड़ा’ उपमान की संभावना होने के कारण उत्प्रेक्षा अलंकार है।

अन्य उदाहरण –

1. सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।
मनो नीलमणि सैल पर, आतप पर्यो प्रभात।
यहाँ श्रीकृष्ण के साँवले रूप तथा उनके पीले वस्त्रों में प्रातः कालीन सूर्य की धूप से सुशोभित नीलमणि पर्वत की संभावना होने के कारण उत्प्रेक्षा अलंकार है।

2. कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।
हिमकणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए।
यहाँ आँसुओं से भरे उत्तरा के नेत्रों उपमेय में ओस की बूँदों से युक्त कमलों की संभावना होने के कारण उत्प्रेक्षा अलंकार है।

3. उस काल मारे क्रोध के तनु काँपने उनका लगा।
मानो हवा के ज़ोर से सोता हुआ सागर जगा।
यहाँ क्रुद्ध अर्जुन उपमेय में सागर उपमान की संभावना होने के कारण उत्प्रेक्षा अलंकार है।

4. पद्मावती सब सखी बुलाई।
मनु फुलवारी सबै चलि आई।
यहाँ सखियाँ उपमेय में फुलवारी उपमान की संभावना है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

5. नील परिधान बीच सुकुमार
खुल रहा मृदुल अधखुला अंग,
खिला हो ज्यों बिजली का फूल
मेघ वन बीच गुलाबी रंग।
यहाँ नील परिधान उपमेय में बादल के भीतर चमकने वाली बिजली उपमान की संभावना होने के कारण उत्प्रेक्षा अलंकार है।

6. जान पड़ता, नेत्र देख बड़े-बड़े,
हीरकों में गोल नीलम हैं जड़े।
यहाँ नेत्रों उपमेय में हीरों में जड़े नीलम उपमान की संभावना होने के कारण उत्प्रेक्षा अलंकार है।

7. बहुत काली सिल
ज़रा-से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो।

8. ले चला साथ मैं तुझे कनक
ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक।

9. पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के,
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

10. चम चमाए चंचल नयन बिच घूँघट पट झीन। मानहु सुरसरिता विमल जल बिछुरत जुग मीन ॥

11. लंबा होता ताड़ का वृक्ष जाता,
मानो नभ छूना चाहता वह तुरंत ही।

12. हरि मुख मानो मधुर मयंक

13. लट- लटकानि मनु मत्त मधुमगन मादक मधुहि पिए।

14. चमचमात चंचल नयन बिच घूँघट पट झीन।
मानो सुरसरिता विमल जल उछलत जुग मीन।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

15. मनु दृग फारि अनेक जमुन निरखत ब्रज सोभा।

16. पुलक प्रकट करती है धरती,
हरित तृणों की नोकों से,
मानो झूम रहे हैं तरु भी,
मंद पवन के झोंकों से।

4. अतिशयोक्ति अलंकार – 

अतिशयोक्ति = अतिशय उक्ति। अतिशय का अर्थ है – अत्यधिक और उक्ति का अर्थ है कथन। इस प्रकार अतिशयोक्ति का अर्थ हुआ बढ़ा-चढ़ाकर कहना अर्थात् जब किसी गुण या स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर कहा जाए तो वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।

लक्षण – जहाँ किसी वस्तु या विषय का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि लोक मर्यादा का उल्लंघन हो जाए, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।

उदाहरण –

देख लो साकेत नगरी है यही।
स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही ॥

साकेत नगरी में स्वर्ग जैसा गुण नहीं हो सकता। लेकिन कवि ने साकेत अर्थात् अयोध्या का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया है, इसलिए यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

अन्य उदाहरण –

1. हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग।
लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग ॥

प्रस्तुत उदाहरण में हनुमान की पूँछ में आग लगते ही लंका का जल जाना और राक्षसों का भाग जाना आदि बातें बहुत ही बढ़ा-चढ़ा कर कही गई हैं। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

2. पंखुरी लगे गुलाब की परिहैं गात खरोट।
गुलाब की पंखुरी से शरीर में खरोट पड़ जाएगी, यह संभव नहीं। यहाँ शरीर की सुकुमारता की अत्यंत प्रशंसा की गई है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

3. वह शर इधर गांडीव – गुण से भिन्न जैसे ही हुआ।
धड़ से जयद्रथ का उधर सिर छिन्न वैसे ही हुआ।
यहाँ बाण का छूटना तथा सिर का गिरना एक साथ दिखाए गए हैं। अतः यह अतिशयोक्ति अलंकार है।

4. प्राण छुटै प्रथमै रिपु के रघुनायक सायक छूट न पाए।
राम के बाण छोड़ने से पहले ही शत्रु के प्राण निकल जाने में अतिशयोक्ति है।

5. मानवीकरण अलंकार – 

जहाँ जड़ वस्तुओं की भी मानव के समान जीवित मानते हुए मानवीय भावनाएँ निरूपित की जाती हैं, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।
लक्षण – जहाँ जड़ प्रकृति पर मानवीय भावनाओं तथा क्रियाओं का आरोप होता है, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है; जैसे-

दिवसावसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही है,
वह संध्या सुंदर परी-सी
धीरे-धीरे – धीरे।

यहाँ सूर्यास्त के समय संध्या को एक परी के समान धीरे-धीरे आकाश में उतरते हुए चित्रित किया गया है, अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।

अन्य महत्वपूर्ण उदाहरण –

1. चंचल पग दीपशिखा के घर गृह, मग, वन में आया बसंत !
2. सुलगा फाल्गुन का सूनापन सौंदर्य शिखाओं में अनंत !
3. उदयाचल से किरन – धेनुएँ, हाँक ला रहा प्रभात का ग्वाला !
4. पूँछ उठाए, चली आ रही क्षितिज जंगलों से टोली।
5. अचल हिमगिरि के हृदय में आज चाहे कंप होले,
6. या प्रलय के आँसुओं में मौन अलसित व्योम रो ले। 7. आए महंत वसंत
8. मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
9. लो यह लतिका भी भर लाई
मधु मुकुल नवल रस गागरी।
10. कार्तिक की एक हँसमुख सुबह
नदी तट से लौटती गंगा नहाकर।
11. तन कर भाला यह बोला, राणा मुझको विश्राम न दे।
मुझको शोणित की प्यास लगी, बढ़ने दे शोणित पीने दे।
12. बीती विभावरी जाग री,
अंबर पनघट में डुबो रही। तारा-घट ऊषा नागरी।
13. प्राची का मुख तो देखो।
14. मेघमय आसमान से उतर रही
संध्या सुंदरी परी -सी धीरे-धीरे।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

अभ्यास के लिए प्रश्नोत्तर –

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
अलंकार किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कविता की शोभा बढ़ाने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं।

प्रश्न 2.
शब्दालंकार से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
शब्दालंकार का तात्पर्य है- जहाँ शब्दों के कारण कविता में चमत्कार उत्पन्न हो।

प्रश्न 3.
अर्थालंकार किसे कहते हैं ?
उत्तर :
अर्थालंकार का तात्पर्य है – जहाँ अर्थ के कारण किसी कविता या काव्यांश में चमत्कार उत्पन्न हो।

प्रश्न 4.
उपमान किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिससे उपमेय की समता की जाती है, उसे उपमान कहते हैं।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

प्रश्न 5.
उपमा तथा रूपक अलंकार में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अत्यंत सादृश्य (समता) के कारण जहाँ एक वस्तु या प्राणी की तुलना दूसरी प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है। अत्यंत समानता प्रकट करने के लिए रूपक अलंकार द्वारा उपमेय तथा उपमान में अभेद स्थापित किया जाता है।

प्रश्न 6.
दो अर्थालंकारों तथा दो शब्दालंकारों के नाम लिखिए।
उत्तर :
अर्थालंकार – उपमा, उत्प्रेक्षा।
शब्दालंकार – यमक, श्लेष।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में प्रयुक्त अलंकारों के नाम बताइए –
1. तरनि- तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
2. मृदु मंद-मंद मंथर मंथर, लघु तरणि हंस-सी सुंदर प्रतिभट – कटक कटीले कोते काटि काटि
3. कालिका -सी किलकि कलेऊ देती काल को।
4. रावनु रथी विरथ रघुबीरा
5. रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून, पानी गए न उबरे मोती मानुस चून।
6. उदित उदय गिरि मंच पर रघुवर बाल पतंग, विकसे संत सरोज सब हरषे लोचन भृंग।
7. वह इष्ट देव के मंदिर की पूजा-सी,
वह दीप शिखा – सी शांत भाव में लीन
वह टूटे तरु की छूटी लता-सी दीन,
दलित भारत की विधवा है।
8. सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात
मनो नीलमणि शैल पर आतप पड्यो प्रभात।
9. माली आवत देखकर कलियाँ करें पुकार
फूले-फूले चुन लिए काल्हि हमारी बार।
10. राम नाम – अवलंब बिनु, परमारथ की आस,
बरसत बारिद बूँद गहि, चाहत चढ़न अकास।
11. पच्छी परछीने ऐसे परे परछीने बीर,
तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के।
उत्तर :
1. अनुप्रास
2. उपमा
3. अनुप्रास
4. अनुप्रास
5. श्लेष
6. रूपक
7. उपमा
8. अतिशयोक्ति
9. अन्योक्ति
10. अनुप्रास
11. यमक।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

2. निम्नलिखित पदों में अलंकार पहचानिए –

प्रश्न :
1. निर्मल तेरा नीर अमृत के सम उत्तम है।
2. विज्ञान-यान पर चढ़ी सभ्यता डूबने जाती है।
3. चमक गई चपला चम-चम।
4. काँपा कोमलता पर सस्वर ज्यों मालकौश नव वीणा पर।
5. सुनहु सखा कह कृपा निधाना जेहि जप होइ सो स्यंदन आना।
6. जहाँ कली तू खिली, स्नेह से हिली पली।
7. ईस भजन सारथी सुजाना।
8. ले चला साथ तुझे कनक।
ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक।
9. वन-शारदी चंद्रिका चादर ओढ़े।
10. नभ-मंडल छाया मरुस्थल-सा
11. जगकर सजकर रजनी बाले।
12. चँवर सदृश डोल रहे सरसों के सर अनंत।
13. महा अजय संसार रिपु।
14. तपके जगती-तल जावे जला।
उत्तर :
1. उपमा
2. रूपक
3. अनुप्रास,
4. उपमा, उत्प्रेक्षा
5. अनुप्रास
6. अनुप्रास
7. अनुप्रास
8. उत्प्रेक्षा
9. रूपक
10. उपमा
11. रूपक
12. उपमा
13. रूपक
14. अनुप्रास

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

3. निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम बताइए –

प्रश्न :
1. मुख बाल – रवि सम होकर,
ज्वाला – सा बोधित हुआ।
2. मुदित महीपति मंदिर आए, सेवक सचिव सुमंत बुलाए।
3. गिर पड़ा मैं पाद- पद्मों में पिता सब जानते हो।
4. कूकि कूकि केकी कलित, कुंजन करत कलोल।
5. युग नेत्र उनके जो अभी थे पूर्ण जल की धारा से,
अब रोष के मारे हुए वे दहकते अंगार से।
6. मनौ नील मनि सैल पर आतप पर्यो प्रभात।
7. हरि नीके नैनानुतें, हरि नीके ए नैन।
8. रानी मैं जानी अज्ञानी महा,
पवि पाहन हूँ तें कठोर हियो है।
9. चरण कमल बंदौं हरि राई।
10. आहुति सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला सी।
11. छलकती मुख की छवि पुंजता, छिटकती छिति छू तन की छटा।
12. पंखुरी लगे गुलाब की परिहैं गात खरौट।
13. चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल-थल में।
14. करि कर सरिस सुभग भुजदंडा।
15. या अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहिं कोई।
ज्यों-ज्यों बूढ़े स्याम रंग, त्यों-त्यों उज्जलु होई ॥
16. बंद नहीं अब भी चलते हैं,
नियति नटी के कार्य कलाप।
17. तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
18. तीन बेर खाती थी। वे तीन बेर खाती हैं।
19. काली घटा का घमंड घटा।
20. कहे कवि बेनी बेनी व्याल की चुराई लीनी।
21. मधुवन की छाती को देखो,
सुखी कितनी इसकी कलियाँ।
22. हाय फूल – सी कोमल बच्ची ! हुई राख की थी ढेरी।
23. नदियाँ जिनकी यशधारा- सी
बहती है अब भी निशि – बासर।
24. मखमल के झूल पड़े हाथी – सा टीला।
25. सब प्राणियों के मत्त मनोमयूर अहा नचा रहा।
26. मृदु मंद-मंद मंथर, लघु प्राणि हंस-सी सुंदर।
27. कलिका-सी कलेऊ देती काल को।
28. रावनु रथी विरथ रघुवीरा।
29. उदित उदय गिरि मंच पर रघुवर बाल पतंग।
विकसे संत सरोज सब हरषे लोचन भृंग ॥
30. वह इष्ट देव के मंदिर की पूजा-सी,
वह दीपशिखा – सी शांत भाव में लीन।
वह टूटे तरु की छूटी लता-सी दीन,
दलित भारत की विधवा है।
31. सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात,
मनो नीलमणि शैल पर आतप परयो प्रभात।
32. माली आवत देखकर कलियाँ करें पुकार,
फूले-फूले चुन लिए, कालि हमारी बार।
33. राम नाम अवलंब बिनु, परमारथ की आस,
बरसत वारिद बूँद गहि, चाहत चढ़त आकास।
34. पक्षी परछीने पर परछीने बीर।
तेरी बरछी ने वर छीने खलन के।
35. हनुमान की पूँछ में लग न पाई आग,
लंका सिगरी जरि गई, गए निसाचर भाग।
36. आवत-जात कुंज की गलियन रूप-सुधा नित पीजै।
37. हृदय यंत्र निनादित हो गया,
तुरत ही अनियंत्रित भाव से।
38. नभ – मंडल छाया मरुस्थल-सा,
दलबाँध अंधड़ आवैचला।
39. वह बाँसुरी की धुनि कानि परै,
कुल कानि हियो तजि भाजति हैं।
40. गोपी पद – पंकज पावन की रज जा में सिर भीजै।
41. सिंधु – सा विस्तृत और अथाह एक निर्वासित का उत्साह।
42. गुरु पद पंकज रेनु।
43. रती – रती सोभा सब रती के सरीर की।
44. तब तो बहता समय शिला-सा जम जाएगा।
45. तुमने अनजाने वह पीड़ा
छवि के सर से दूर भगा दी।
46. वह जिंदगी क्या जिंदगी, सिर्फ़ जो अपानी – सी बही।
47. निसि – बासर लाग्यो रहे कृष्ण चंद्र की ओर।
48. एक राम घनस्याम हित चातक तुलसीदास।
49. कितनी करुणा कितने संदेश।
50. परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाए।
51. विमल वाणी ने वीणा ली. कमल कोमल कर।
52. बरषत बारिद बूँद।
53. जुड़ गई जैसे दिशाएँ।
54. आए महंत बसंत।
55. यह देखिए अरविंद से शिशुवृंद कैसे सो रहे ?
56. भगन मगन रत्नाकर में वह राह।
57. बाल्य की केलियों का प्रांगण।
58. कूकै लगी कोइलें कदंबन पै बैठि फेरि।
59. यवन को दिया दया का दान।
60. निर्मल तेरा नीर अमृत के सम उत्तम है।
61. प्रातः नभ था बहुत गीला, शंख जैसे।
62. रामनाम मनि दीप धरु जीह देहरी द्वार।
63. झुककर मैंने पूछ लिया
खा गया मानो झटका।
64. वन शारदी चंद्रिका ओढ़े लसै समलंकृत कैसे भला।
65. राख का लीपा चौका।
66. तब सिव तीसरा नेत्र उभारा।
चितवत काम भयो जरि छारा।
उत्तर :
1. उपमा
2. अनुप्रास
3. रूपक
4. अनुप्रास
5. उपमा
6. उत्प्रेक्षा
7. यमक
8. उपमा
9. रूपक
10. उपमा
11. अनुप्रास
12. अतिशयोक्ति
13. अनुप्रास
14. उपमा
15. श्लेष
16. रूपक
17. अनुप्रास
18. यमक
19. यमक
20. यमक
21. अन्योक्ति
22. उपमा
23. उपमा
24. उपमा
25. रूपक अनुप्रास
26. अनुप्रास, उपमा
27. उपमा
28 अनुप्रास
29. रूपक
30. उपमा
31. उत्प्रेक्षा
32. अन्योक्ति
33. रूपक
34. यमक
35. अतिशयोक्ति
36. रूपक
37. रूपक
38. उपमा
39. यमक
40. रूपक
41. उपमा
42. रूपक
43. यमक
44. उपमा
45. रूपक
46. उपमा
47. रूपक
48. रूपक
49. अनुप्रास
50. उपमा
51. अनुप्रास
52. अनुप्रास
53. उपमा
54. रूपक
55. उपमा
56. अनुप्रास
57. उपमा
58. अनुप्रास
59 अनुप्रास
60. उपमा
61. उपमा
62. रूपक
63. उत्प्रेक्षा
64. उत्प्रेक्षा
65. उत्प्रेक्षा
66. अतिशयोक्ति।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम लिखिए –
1. (क) चारु चंद्र की चंचल किरणें
(ख) चंचल अंचल – सा नीलांबर
(ग) मैया मैं चंद्र खिलौना लैहों।
(घ) रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न उबरै मोती मानुस चून।
(ङ) मानो हवा के ज़ोर से सोता हुआ सागर जगा।

2. (क) लट-लटकनि मनु मत्त मधुपगन मादक मधुहिं पिए।
(ख) मुख बाल रवि सम लाल होकर ज्वाल – सा बोधित हुआ।
(ग) संसार की समरस्थली में धीरता धारण करो।
(घ) भज मन चरण कमल अविनासी।
(ङ) औषधालय अयोध्या में बने तो थे सही।
किंतु उनमें रोगियों का नाम तक भी था नहीं।

3. (क) कल कानन कुंडल।
(ख) बढ़त – बढ़त संपति सलिल, मन सरोज बढ़ जाइ। (रूपक)
(ग) या अनुरागी चित्त की गति समुझे नहिं कोइ।
ज्यौं – ज्यौँ बूढ़े स्याम रंग त्यौं त्यौं उज्जलु होइ। (श्लेष)
(घ) कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
वा पाए बोराय नर वा खाए बौराय। (यमक)
(ङ) सिंधु – सा विस्तृत और अथाह। (उपमा)
उत्तर :
1. (क) अनुप्रास (ख) उपमा (ग) रूपक (घ) श्लेष (ङ) उत्प्रेक्षा
2. (क) अनुप्रास तथा उत्प्रेक्षा (ख) उपमा (ग) अनुप्रास (घ) रूपक (ङ) अतिशयोक्ति
3. (क) अनुप्रास (ख) रूपक (ग) श्लेष (घ) यमक (ङ) उपमा

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम लिखिए –
(क) निमिष में वन व्यापित वीथिका।
विविध धेनु विभूषित हो गई।
(ख) भजन कह्यो ताते, भज्यो न एकहुँ बार।
दूर भजन जाते कह्यो, सो तू भज्यो गँवार ॥
(ग) चंचल है ज्यों मीन, अरुणोद पंकज सरिस।
(घ) गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन।
(ङ) बान न पहुँचे अंग लौ। अरि पहले गिर जाहिं।
उत्तर :
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) उपमा
(घ) अनुप्रास
(ङ) अतिशयोक्ति

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम लिखिए –
(क) रघुपति राघव राजा राम।
(ख) रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न उबरे मोती मानुस चून ॥
(ग) कमल-सा कोमल गात सुहाना।
(घ) चरण-कमल बंदौं हरि राई।
(ङ) जिन दिन देखे वे कुसुम गई सु बीति बहार।
अब अलि रही गुलाब की अपत कँटीली डार ॥
उत्तर :
(क) अनुप्रास
(ख) श्लेष
(ग) उपमा
(घ) रूपक
(ङ) अन्योक्ति

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम लिखिए –
(क) सकल सुमंगल मूल जग।
(ख) आवत जात कुंज की गलियन रूप – सुधा नित पीजै।
(ग) सिंधु – सा विस्तृत और अथाह एक निर्वासित का उत्साह।
(घ) कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
या खाए बौराय जग, वा पाए बौराय ॥
(ङ) कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए।
उत्तर :
(क) अनुप्रास
(ख) रूपक
(ग) उपमा
(घ) यमक
(ङ) उत्प्रेक्षा

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

प्रश्न 8.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम लिखिए-
(क) चरण-कमल बंदौ हरि राई।
(ख) नदियाँ जिनकी यशधारा-सी बहती हैं अब भी निशि – बासर।
(ग) कहे कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराइ लीनी।
(घ) कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि।
(ङ) सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात,
मनो नीलमणि शैल पर आतप पर्यो प्रभात।
उत्तर :
(क) रूपक
(ख) उपमा
(ग) यमक
(घ) अनुप्रास
(ङ) उत्प्रेक्षा

प्रश्न 9.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम लिखिए –
(क) तरनि- तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
(ख) यह देखिए, अरविंद से शिशु वृंद कैसे सो रहे।
(ग) राम नाम – अवलंब बिनु, परमारथ की आस।
(घ) काली घटा का घमंड घटा।
(ङ) मधुवन की छाती को देखो, सूखी कितनी इसकी कलियाँ।
उत्तर :
(क) अनुप्रास
(ख) उपमा
(ग) रूपक
(घ) यमक
(ङ) श्लेष

प्रश्न 10.
(क) निम्नलिखित अलंकारों की परिभाषा देकर उदाहरण दीजिए –
यमक और उत्प्रेक्षा
(ख) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम लिखिए।
1. तरनि- तनूजा तट तमाल- तरुवर बहु छाए।
2. एक राम – घनश्याम हित चातक तुलसीदास।
उत्तर :
(क) यमक – जहाँ एक शब्द का एक से अधिक बार प्रयोग हो, पर प्रत्येक बार अर्थ में भिन्नता हो, वहाँ यमक अलंकार होता है।
उदाहरण: तीन बेर खाती थीं, वे तीन बेर खाती हैं।
उत्प्रेक्षा – जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना हो, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उदाहरण: लंबा होता ताड़ का वृक्ष जाता,
मानो गम छूना चाहता वह तुरंत हो।
(ख) 1. अनुप्रास 2. रूपक।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अलंकार

प्रश्न 11.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों के नाम लिखिए –
(क) चारु चंद्र की चंचल किरणें
(ख) चंचल अंचल सा नीलांबर
(ग) मैया, मैं चंद्र – खिलौना लैहों।
(घ) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती मानस, चून॥
(ङ) मानो हवा के ज़ोर से सोता हुआ सागर जगा।
उत्तर :
(क) अनुप्रास
(ख) उपमा
(ग) रूपक
(घ) श्लेष
(ङ) उत्प्रेक्षा।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अर्थ की दृष्टि से वाक्य-भेद

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Vyakaran अर्थ की दृष्टि से वाक्य-भेद Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9 Hindi Vyakaran अर्थ की दृष्टि से वाक्य-भेद

परिभाषा – एक विचार पूर्णता से प्रकट करने वाले शब्द-समूह को वाक्य कहते हैं। वाक्य शब्दों का व्यवस्थित एवं सार्थक समूह होता है। जैंसे – (i) अशोक पुस्तक पढ़ता है। (ii) राम दिल्ली गया है।
एक वाक्य में कम-से-कम दो शब्द – कर्ता और क्रिया अवश्य होने चाहिए। लेकिन वार्तालाप की स्थिति में कभी-एक शब्द भी पूरे वाक्य का काम कर जाता है।
जैसे – आप कहाँ गए थे?
दिल्ली।
कौन बीमार है ?
माता जी।
वाक्य के दो अंग होते हैं – 1. उद्देश्य 2. विधेय।
1. उद्देश्य – वाक्य में जिसके बारे में कुछ बताया जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं।
2. विधेय – वाक्य में उद्देश्य अर्थात् करता के विषय में जो कुछ बताया जाता है, उसे विधेय कहते हैं। वाक्य के दो भेद होते हैं – 1. अर्थ के आधार पर, 2. रचना के आधार पर।

प्रश्न 1.
वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
सार्थक शब्दों का वह व्यवस्थित समूह जिसके माध्यम से मनोभाव प्रकट किए जाते हैं, उन्हें वाक्य कहते हैं।

प्रश्न 2.
अर्थ की दृष्टि से वाक्य के कितने भेद होते हैं?
उत्तर :
आठ।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अर्थ की दृष्टि से वाक्य-भेद

प्रश्न 3.
आज्ञा या अनुमति का बोध किस वाक्य से होता है?
उत्तर :
आज्ञार्थक वाक्य से।

प्रश्न 4.
किन वाक्यों में क्या, कौन, कहाँ लगते हैं?
उत्तर :
प्रश्नवाचक वाक्यों में।

प्रश्न 5.
वाक्य के कौन-से दो अंग होते हैं?
उत्तर- 1. उद्देश्य
2. विधेयक

अर्थ की दुष्टि से वाक्य-भेद – 

अर्थ की दृष्टि से वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं :
1. विधानवाचक वाक्य – जिस वाक्य से कार्य के होने की निश्चित सूचना मिलती है, उसे विधानवाचक वाक्य कहते हैं। सूचना असत्य भी हो सकती है और सत्य भी। ऐसा वाक्य किसी बात अथवा कार्य के करने या होने का सामान्य कथन मात्र होता है। जैसे –

  1. वह विद्यालय गया है।
  2. मैं पढ़ रहा हूँ।
  3. वह कल लौट आया था।
  4. गंगा हिमालय से निकलती है।

2. निषेधात्मक (नकारात्मक) वाक्य – जिस वाक्य से कार्य के न होने का बोध होता है, उसे निषेधात्मक अथवा नकारात्मक वाक्य कहते हैं। जैसे –

  1. मैं पढ़ नहीं रहा हूँ।
  2. मैं कल लखनऊ नहीं जाऊँगा।
  3. वह कल नहीं लौटा।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अर्थ की दृष्टि से वाक्य-भेद

3. आज्ञावाचक वाक्य – जिस वाक्य से आज्ञा या अनुमति का बोध होता है, उसे आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  1. अपना काम देखो।
  2. अब बैठकर पाठ याद करो।
  3. अब कढ़ाई में मसाला भूनिए।
  4. मुझे यह पुस्तक दीजिए।
  5. आप जा सकते हैं।

4. प्रश्नवाचक वाक्य – जिस वाक्य के मूल में जिज्ञासा होती है, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं। इन वाक्यों में क्या, कौन, कब, कहाँ आदि शब्द लगते हैं। जैसे-

  1. आप कल कहाँ गए थे ?
  2. कल कौन आया था ?
  3. क्या सूर्य एक ग्रह है ?

5. इच्छवाचक वाक्य – जिस वाक्य द्वारा इच्छा, आशीष या स्तुति प्रकट हो, उसे इच्छावाचक वाक्य कहते हैं। सुझाव भी इसी कोटि में आता है। जैसे-

  1. तुम जल्दी स्वस्थ हो जाओ।
  2. आपकी यात्रा मंगलमय हो।
  3. ईश्वर तुम्हारा भला करे।
  4. काश, आज कहीं से मिठाई मिल जाए।

6. संदेहवाचक वाक्य-जिस वाक्य से संदेह अथवा संभावना का बोध होता है, उसे संदेहवाचक वाक्य कहते हैं। इसमें संदेहार्थी वृत्ति का प्रयोग होता है। जैसे –

  1. शायद वह कल यहाँ आए।
  2. यह पत्र उनके बड़े पुत्र ने लिखा होगा।
  3. अब वह घर पहुँच चुका होगा।
  4. शायद आज बारिश होगी।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अर्थ की दृष्टि से वाक्य-भेद

7. संकेतवाचक वाक्य-जिस वाक्य में विधान किसी शर्त की पूर्ति के बाद हो अथवा जिस वाक्य में एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया के होने पर निर्भर करे, उसे संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। इसमें संकेतार्थी वृत्ति का प्रयोग होता है। जैसे –

  1. अगर वह आएगा तो मैं जाऊँगा।
  2. अगर तुमने परिश्रम किया होता तो सफल हो जाते।
  3. अगर वह आ जाता तो मैं उससे मिल लेता।
  4. यदि बस आई तो मैं स्कूल जाऊँगा।

8. विस्मयवाचक वाक्य-जिस वाक्य में हर्ष, शोक, घृणा, विस्मय आदि भाव प्रकट होते हैं, उन्हें विस्मयवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे –

  1. वाह ! बहुत सुंदर फूल है।
  2. शाबाश ! क्या चौका मारा है।
  3. छि ! वहाँ बहुत गंदगी है।
  4. उफ़ ! कितनी गरमी है।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण अर्थ की दृष्टि से वाक्य-भेद

अभ्यास के लिख प्रश्नातर –

निम्नलिखित वाक्यों को कोष्ठक में दिए गए निर्देशानुसार बदलिए –

  1. इस बार हमारे विद्यालय में बहुत बड़े-बड़े आदमी आ रहे हैं। (निषेधार्थक रूप में)
  2. वह सामान खरीदने के लिए बाज़ार में गया है। (निषेधार्थक रूप में)
  3. राम और श्याम अब साथ-साथ रहते हैं। (निषेधार्थक रूप में)
  4. श्याम पढ़ता है। (प्रश्नवाचक में)
  5. सूर्य भ्रमणशील है। (निषेधार्थक रूप में)
  6. आप अपना पाठ याद करेंगे। (प्रश्नवाचक में)
  7. मैं अपनी बात कह चुका हूँ। (प्रश्नवाचक में)
  8. वे कल बाहर जाएँगे। (संदेहवाचक वाक्य में)
  9. धर्म समाज से चला गया है। (निषेधार्थक वाक्य में)
  10. कपिलवस्तु जाना अब संभव है। (प्रश्नवाचक में)
  11. भूख हमारा कुछ बिगाड़ सकती है ? (निषेधार्थक में)
  12. युद्ध में जय बोलने वालों का भी महत्त्व है। (प्रश्नवाचक में)
  13. विवेकानंद अपने समय के श्रेष्ठ वक्ता थे। (प्रश्नवाचक में)
  14. शीला रोज़ पढ़ने जाती है। (आज्ञार्थक में)
  15. तुम आ गए। (विस्मयादिबोधक में)

उत्तर :

  1. इस बार हमारे विद्यालय में बहुत बड़े-बड़े आदमी नहीं आ रहे हैं।
  2. वह सामान खरीदने के लिए बाज़ार में नहीं गया है।
  3. राम और श्याम अब साथ-साथ नहीं रहते हैं।
  4. क्या श्याम पढ़ता है ?
  5. सूर्य भ्रमणशील नहीं है।
  6. क्या आप अपना पाठ याद करेंगे ?
  7. क्या मैं अपनी बात कह चुका हूँ ?
  8. शायद वे कल बाहर जाएँगे।
  9. धर्म समाज से चला नहीं गया है।
  10. क्या कपिलवस्तु जाना अब संभव है ?
  11. भूख हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती है।
  12. क्या युद्ध में जय बोलने वालों का महत्त्व है ?
  13. क्या विवेकानंद अपने समय के श्रेष्ठ वक्ता थे ?
  14. शीला रोज़ पढ़ने जाए।
  15. अरे ! तुम आ गए।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण समास

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JAC Board Class 9 Hindi Vyakaran समास

परिभाषा – परस्पर संबंध रखने वाले दो अथवा दो से अधिक शब्दों के मेल का नाम समास है। जैसे – राजा का पुत्र = राजपुत्र। समास के छह भेद होते हैं-अव्ययीभाव, तत्पुरुष, कर्मधारय, द्विगु, द्वंद्व और बहुव्रीहि।

(क) समस्तपद – विभिन्न शब्दों के समूह को संरक्षित करने से जो शब्द बनता है, उसे समस्तपद अथवा सामासिक शब्द बनता है।
(ख) समास-विग्रह – सामासिक पद को तोड़ना समास-विग्रह कहलाता है। जैसे राष्ट्रपिता एक समस्तपद अथवा सामासिक पद है। इसका समास-विग्रह होगा-राष्ट्र का पिता।

JAC Class 9 Hindi व्याकरण समास

1. अव्ययीभाव समास –

जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त पद अव्यय (क्रिया-विशेषण) का काम करे, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।

जैसे – यथाशक्ति, भरपेट, प्रति-दिन, बीचों-बीच।

अव्ययीभाव के कुछ उदाहरण –

  • यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
  • यथासंभव – जैसा संभव हो
  • यथामतिं – मति के अनुसार
  • आमरण – मरण-पर्यंत
  • आजानु – जानुओं (घुटनों) तक
  • भरपेट – पेट भर कर
  • यथाविधि – विधि के अनुसार
  • प्रतिदिन – दिन-दिन
  • प्रत्येक – एक-एक
  • मनमन – मन-ही-मन
  • द्वार-द्वार – द्वार-ही-द्वार
  • बेशक – बिना संदेह
  • बेफ़ायदा – फ़ायदे (लाभ) के बिना
  • बखूबी – खूबी के साथ
  • बाकायदा – कायदे के अनुसार
  • भरसक – पूरी शक्ति से
  • निडर – बिना डर
  • घर-घर – हर घर
  • अनजाने – जाने बिना
  • बीचों-बीच – ठीक बीच में
  • रातों-रात – रात-ही-रात में
  • हाथों हाथ – हाथ-ही-हाथ
  • आसमुद्र – समुद्र पर्यंत
  • बेखटके – खटके के बिना
  • दिनों-दिन – दिन के बाद दिन
  • हर-रोज़ – रोज़-रोज़

JAC Class 9 Hindi व्याकरण समास

2. तत्पुरुष समास –

तत्पुरुष का शाब्दिक अर्थ है (तत् = वह, पुरुष = आदमी) वह (दूसरा) आदमी। इस प्रकार ‘तत्पुरुष’ शब्द अपना एक अच्छा उदाहरण है। इसी आधार पर इसका नाम यह पड़ा है, क्योंकि ‘तत्पुरुष’ समास का दूसरा पद प्रधान होता है। इस प्रकार जिस समास का दूसरा पद प्रधान होता है और दोनों पदों के बीच प्रथम (कर्ता) तथा अंतिम (संबोधन) कारक के अतिरिक्त शेष किसी भी कारक की विभक्ति का लोप पाया जाता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे –

  • राजपुरुष – राजा का पुरुष
  • ॠणमुक्त – ॠण से मुक्त
  • राहखर्च – राह के लिए खर्च
  • वनवास – वन में वास।

तत्पुरुष के छह भेद हैं जिनका परिचय इस प्रकार है –

(क) कर्म तत्पुरुष –

जिसमें कर्म कारक की विभक्ति (को) का लोप पाया जाता है। जैसे –

  • ग्रंथकर्ता – ग्रंथ को करने वाला
  • स्वर्गप्राप्त – स्वर्ग को प्राप्त
  • देशगत – देश को गत (गया हुआ)
  • यशप्राप्त – यश को प्राप्त
  • परलोक गमन – परलोक को गमन
  • आशातीत – आशा को लाँघ कर गया हुआ
  • जलपिपासु – जल को पीने की इच्छा वाला
  • गृहागत – गृह को आगत (आया हुआ)
  • ग्रंथकार – ग्रंथ को रचने वाला
  • ग्रामगत – ग्राम को गत (गया हुआ)

JAC Class 9 Hindi व्याकरण समास

(ख) करण तत्पुरुष –

जिसमें करण कारक की विभक्ति (से तथा के द्वारा) का लोप पाया जाता है। जैसे –

  • हस्तलिखित – हस्त से लिखित
  • तुलसीकृत – तुलसी से कृत
  • बाणबिद्ध – बाण से बिद्ध
  • वज्रहत – वज्र से हत
  • ईश्वरप्रदत्त – ईश्वर से प्रदत्त
  • मनगढ़ंत – मन से गढ़ी हुई
  • कपड़छन – कपड़े से छना हुआ
  • मदमाता – मद से माता
  • शोकाकुल – शोक से आकुल
  • प्रेमातुर – प्रेम से आतुर
  • दयार्द्र – दया से आर्द्र
  • अकाल पीड़ित – अकाल से पीड़ित
  • कष्ट साध्य – कष्ट से साध्य
  • गुरुकृत – गुरु से किया हुआ
  • मदांध – मद से अंधा
  • दु:खार्त्त – दु:ख से आर्त्त
  • मनमाना – मन से माना हुआ
  • रेखांकित – रेखा से अंकित
  • कीर्तियुक्त – कीर्ति से युक्त
  • अनुभवजन्य – अनुभव से जन्य
  • गुणयुक्त – गुण से युक्त
  • जन्मरोगी – जन्म से रोगी
  • दईमारा – दई से मारा हुआ
  • बिहारी रचित – बिहारी द्वारा रचित

(ग) संप्रदान तत्पुरुष

जिसमें संप्रदान कारक की विभक्ति (के लिए) का लोप पाया जाता है। जैसे –

  • देशभक्ति – देश के लिए भक्ति
  • रणनिमंत्रण – रण के लिए निमंत्रण
  • कृष्पार्पण – कृष्ण के लिए अर्पण
  • यज्शाला – यज्ञ के लिए शाला
  • क्रीड़ाक्षेत्र – क्रीड़ा के लिए क्षेत्र
  • राहखर्च – राह के लिए खर्च
  • रसोईघर – रसोई के लिए घर
  • रोकड़बही – रोकड़ के लिए बही
  • हथकड़ी – हाथों के लिए कड़ी
  • मालगाड़ी – माल के लिए गाड़ी
  • पाठशाला – पाठ के लिए शाला
  • ठकुरसुहाती – ठाकुर को सुहाती
  • आरामकुर्सी – आराम के लिए कुर्सी
  • बलिपशु – बलि के लिए पशु
  • विद्यागृह – विद्या के लिए गृह
  • गुरुदक्षिणा – गुरु के लिए दक्षिणा
  • हवनसामग्री – हवन के लिए सामग्री
  • मार्गव्यय – मार्ग के लिए व्यय
  • युद्धभूमि – युद्ध के लिए भूमि
  • राज्यलिप्सा – राज्य के लिए लिप्सा
  • डाकगाड़ी – डाक के लिए गाड़ी
  • जेबखर्च – जेब के लिए खर्च

JAC Class 9 Hindi व्याकरण समास

(घ) अपादान तत्पुरुष

जिसमें अपादान कारक की विभक्ति का लोप पाया जाता है। जैसे –

  • पथभ्रष्ट – पथ से भ्रष्ट
  • भयभीत – भय से भीत
  • पदच्युत – पद से च्युत
  • ऋणमुक्त – ॠण से मुक्त
  • देशनिर्वासित – देश से निर्वासित
  • बंधनमुक्त – बंधन से मुक्त
  • ईश्वरविमुख – ईश्वर से विमुख
  • मदोन्मत्त – मद से उन्मत्त
  • विद्याहीन – विद्या से हीन
  • आकाशपतित – आकाश से पतित
  • धर्मभ्रष्ट – धर्म से भ्रष्ट
  • देशनिकाला – देश से निकालना
  • गुरुभाई – गुरु के संबंध से भाई
  • रोगमुक्त – रोग से मुक्त
  • कामचोर – काम से जी चुराने वाला
  • आकाशवाणी – आकाश से आगत वाणी
  • जन्मांध – जन्म से अंधा
  • धनहीन – धन से हीन

(ङ) संबंध तत्पुरुष –

जिसमें संबंध कारक की विभक्ति का लोप पाया जाता है। जैसे –

  • मृगशावक – मृग का शावक
  • वज्रपात – वज्र का पात
  • घुड़दौड़ – घोड़ों की दौड़
  • लखपति – लाखों (रुपए) का पति
  • राजरानी – राजा की रानी
  • अमचूर – आम का चूर
  • बैलगाड़ी – बैलों की गाड़ी
  • वनमानुष – वन का मानुष
  • दीनानाथ – दीनों के नाथ
  • रामकहानी – राम की कहानी
  • रेलकुली – रेल का कुली
  • पितृगृह – पिता का घर
  • राष्ट्रपति – राष्ट्र का पति
  • चायबागान – चाय के बगीचे
  • वाचस्पति – वाच: (वाणी) का पति
  • विद्याभ्यासी – विद्या का अभ्यासी
  • रामाश्रय – राम का आश्रय
  • अछूतोद्धार – अछूतों का उद्धार
  • विचाराधीन – विचार के अधीन
  • देवालय – देवों का आलय
  • लक्ष्मीपति – लक्ष्मी का पति
  • रामानुज – राम का अनुज
  • पराधीन – पर (अन्य) का अधीन
  • राजपुत्र – राजा का पुत्र
  • पवनपुत्र – पवन का पुत्र
  • राजकुमार – राजा का कुमार

JAC Class 9 Hindi व्याकरण समास

(च) अधिकरण तत्पुरुष –

जिसमें अधिकरण कारक की विभक्ति का लोप पाया जाता है । जैसे –

  • देशाटन – देशों में अटन
  • वनवास – वन में वास
  • कविश्रेष्ठ – कवियों में श्रेष्ठ
  • आनंदमग्न – आनंद में मग्न
  • गृहप्रवेश – गृह में प्रवेश
  • शरणागत – शरण में आगत
  • ध्यानावस्थित – ध्यान में अवस्थित
  • कलाप्रवीण – कला में प्रवीण
  • शोकमग्न – शोक में मग्न
  • दानवीर – दान (देने) में वीर
  • कविशिरोमणि – कवियों में शिरोमणि
  • आत्मविश्वास – आत्म (स्वयं) पर विश्वास
  • आपबीती – अपने पर बीती
  • घुड़सवार – घोड़े पर सवार
  • कानाफूसी – कानों में फुसफुसाहट
  • हरफ़नमौला – हर फ़न में मौला
  • नगरवास – नगर में वास
  • घरवास – घर में वास

इनके अतिरिक्त तत्पुरुष के तीन अन्य भेद और भी माने जाते हैं –

(i) नञ् तत्पुरुष –

निषेध या अभाव के अर्थ में किसी शब्द से पूर्व ‘अ’ या ‘अन्’ लगाने से जो समास बनता है, उसे नञ् तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे –

  • अहित – न हित
  • अधर्म – न धर्म
  • अनुदार – न उदार
  • अनिष्ट – न इष्ट
  • अपूर्ण – न पूर्ण
  • असंभव – न संभव
  • अनाश्रित – न आश्रित
  • अनाचार – न आचार

विशेष – (क) प्रायः संस्कृत शब्दों में जिस शब्द के आदि में व्यंजन होता है, तो ‘नञ्’ समास में उस शब्द से पूर्व ‘अ’ जुड़ता है और यदि शब्द के आदि में स्वर होता है, तो उससे पूर्व ‘अन्’ जुड़ता है। जैसे –

  • अन् + अन्य = अनन्य
  • अ + वांछित = अवांछित
  • अन् + उत्तीर्ण = अनुत्तीर्ण
  • अ + स्थिर = अस्थिर

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(ख) किंतु उक्त नियम प्रायः तत्सम शब्दों पर ही लागू होता है, हिंदी शब्दों पर नहीं। हिंदी में सर्वत्र ऐसा नहीं होता। जैसे –

  • अन् + चाहा – अनचाहा
  • अन् + होनी – अनहोनी
  • अ + न्याय – अन्याय
  • अ + टूट – अटूट
  • अ + काज – अकाज
  • अन + बन – अनबन
  • अन + देखा – अनदेखा
  • अ + सुंदर – असुंदर

(ग) हिंदी और संस्कृत शब्दों के अतिरिक्त ‘गैर’ और ‘ना’ वाले शब्द भी ‘नञ्’ तत्पुरुष के अंतर्गत आ जाते हैं। जैसे –

  • नागवार
  • ग़ैरहाज़िर
  • नालायक
  • नापसंद
  • नाबालिग
  • गैरवाज़िब

(ii) अलुक् तत्पुरुष –

जिस तत्पुरुष समास में पहले पद की विभक्ति का लोप नहीं होता, उसे ‘अलुक्’ समास कहते हैं। जैसे –

  • मनसिज – मन में उत्पन्न
  • वाचस्पति – वाणी का पति
  • विश्वंभर – विश्व को भरनेवाला
  • युधिष्ठिर – युद्ध में स्थिर
  • धनंजय – धन को जय करने वाला
  • खेचर – आकाश में विचरनेवाला

(iii) उपपद तत्पुरुष –

जिस तत्पुरुष समास का स्वतंत्र रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता, ऐसे सामासिक शब्दों को ‘उपपद तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे- जलज (‘ज’ का अर्थ उत्पन्न अर्थात पैदा होने वाला है, पर इस शब्द को अलग से प्रयोग नहीं किया जा सकता है। )

  • तटस्थ – तट + स्थ
  • पंकज – पंक + ज
  • कृतघ्न – कृत + हन
  • तिलचट्टा – तिल + चट्टा
  • बटमार – बट + मार
  • पनडुब्बी – पन + डुब्वी
  • कलमतराश – कलम + तराश
  • गरीबनिवाज़ – गरीब + निवाज़

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3. कर्मधारय समास – 

जिस समास के दोनों पदों के बीच विशेष्य- विशेषण अथवा उपमेय-उपमान का संबंध हो और दोनों पदों में एक ही कारक (कर्ता कारक) की विभक्ति आए, उसे कर्मधारय समास कहते हैं । जैसे –

  • नीलकमल – नीला है जो कमल
  • लाल मिर्च – लाल है जो मिर्च
  • पुरुषोत्तम – पुरुषों में है जो उत्तम
  • महाराजा – महान है जो राजा
  • सज्जन – सत् (अच्छा) है जो जन
  • भलामानस – भला है जो मानस (मनुष्य)
  • सद्गुण – सद् (अच्छे) हैं जो गुण
  • शुभागमन – शुभ है जो आगमन
  • नीलांबर – नीला है जो अंबर
  • महाविद्यालय – महान है जो विद्यालय
  • कालापानी – काला है जो पानी
  • चरणकमल – कमल रूपी चरण
  • प्राणप्रिय – प्राणों के समान प्रिय
  • वज्रदेह – वज्र के समान देह
  • विद्याधन – विद्या रूपी धन
  • देहलता – देह रूपी लता
  • घनश्याम – घन के समान श्याम
  • कालीमिर्च – काली है जो मिर्च
  • महारानी – महान है जो रानी
  • नीलगाय – नीली है जो गाय
  • करकमल – कमल के समान कर
  • मुखचंद्र – मुख रूपी चंद्र
  • नरसिंह – सिंह के समान है जो नर
  • देहलता – देह रूपी लता
  • भवसागर – भव रूपी सागर
  • पीतांबर – पीत है जो अंबर
  • मालगाड़ी – माल ले जाने वाली गाड़ी
  • चंद्रमृगशावकमुख – चंद्र के समान है जो मुख
  • पुरुषसिंह – सिंह के समान है जो पुरुष
  • नीलकंठ – नीला है जो कंठ
  • महाजन – महान है जो जन
  • बुद्धिबल – बुद्धि रूपी बल
  • गुरुदेव – गुरु रूपी देव
  • करपल्लव – पल्लव रूपी कर
  • कमलनयन – कमल के समान नयन
  • कनकलता – कनक की सी लता
  • चंद्रमुख – चंद्र के समान मुख
  • मृगनयन – मृग के नयन के समान नयन
  • कुसुमकोमल – कुसुम के समान कोमल
  • सिंहनाद – सिंह के नाद के समान नाद
  • जन्मांतर – अंतर (अन्य) जन्म
  • नराधम – अधम है जो नर
  • दीनदयालु – दीनों पर है जो दयालु
  • मुनिवर – मुनियों में है जो श्रेष्ठ
  • मानवोचित – मानवों के लिए है जो उचित
  • पुरुषरत्न – पुरुषों में है जो रत्न
  • घृतान्न – घृत में मिला हुआ अन्न
  • छायातरु – छाया-प्रधान तरु
  • वनमानुष – वन में निवास करने वाला मानुष
  • गुरुभाई – गुरु के संबंध से भाई
  • बैलगाड़ी – बैलों से खींची जाने वाली गाड़ी
  • दहीबड़ा – दही में डूबा हुआ बड़ा
  • जेबघड़ी – जेब में रखी जाने वाली घड़ी
  • पनचक्की – पानी से चलने वाली चक्की

कर्मधारय और बहुव्रीहि तथा द्विगु और बहुव्रीहि का अंतर –

(i) कर्मधारय समास विशेषण और विशेष्य, उपमान और उपमेय में होता है। बहुव्रीहि समास में समस्त पदों को छोड़कर अन्य तीसरा ही अर्थ प्रधान होता है। जैसे- नीलांबर-यहाँ नीला विशेषण तथा अंबर विशेष्य है। अतः यह कर्मधारय समास का उदाहरण है। दशानन- दश हैं आनन जिसके अर्थात रावण। यहाँ दश और आनन दोनों शब्द मिलकर अन्य अर्थ का बोध करा रहे हैं। अतः यह बहुव्रीहि समास का उदाहरण है।

(ii) द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक होता है और समस्त पद से समुदाय का बोध होता है। जैसे-दशाब्दी – दस वर्षों का समूह, पंचसेरी-पाँच सेरों का समूह। बहुव्रीहि में भी पहला खंड संख्यावाचक हो सकता है। उसके योग से जो समस्त शब्द बनता है, वह किसी अन्य अथवा तीसरे अर्थ का बोधक होता है। जैसे- चतुर्भुज- यदि इसका अर्थ चार भुजाओं का समूह लें तो यह द्विगु समास है, पर चार हैं भुजाएँ जिसकी’ अर्थ लेने से बहुव्रीहि समास बन जाएगा।

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4. द्विगु समास –

जिस समास में पहला पद संख्यावाचक (गिनती बनाने वाला) हो, दोनों पदों के बीच विशेषण – विशेष्य संबंध हो और समस्त पद समूह या समाहार का ज्ञान कराए उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे –

  • शताब्दी – शत (सौ) अब्दों (वर्षों)
  • सतसई – सात सौ दोहों का समूह
  • चौराहा – चार राहों (रास्तों) का समाहार
  • चौमासा – चार मासों का समाहार
  • अठन्नी – आठ आनों का समूह
  • पंसेरी – पाँच सेरों का समाहार
  • दोपहर – दो पहरों का समाहार
  • त्रिफला – तीन फलों का समूह
  • चौपाई – चार पदों का समूह
  • नव-रत्न – नौ रत्नों का समूह
  • त्रिवेणी – तीन वेणियों (नदियों) का समाहार का समूह
  • सप्ताह – सप्त (सात) अह (दिनों) का समूह
  • सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
  • अष्टार्यायी – अष्ट (आठ) अध्यायों का समूह
  • त्रिभुवन – तीन भुवनों (लोकों) का समूह
  • पंचवटी – पाँच वट (वृक्षों) का समाहार
  • नवग्रह – नौ ग्रहों का समाहार
  • चतुर्वर्ण – चार वर्णों का समूह
  • चतुष्पदी – चार पदों का समाहार
  • पंचतत्व – पाँच तत्वों का समूह

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5. दद्वंद्व समास –

जिस समस्त पद के दोनों पद प्रधान हों तथा विग्रह (अलग – अलग) करने पर दोनों पदों के बीच ‘और’, ‘तथा’, ‘अथवा’, ‘या’ योजक शब्द लगें, उसे द्वंद्व समास कहते हैं। जैसे –

  • अन्न-जल – अन्न और जल
  • पाप-पुण्य – पाप और पुण्य
  • धर्माधर्म – धर्म और अधर्म
  • वेद-पुराण – वेद और पुराण
  • दाल-रोटी – दाल और रोटी
  • नाम-निशान – नाम और निशान
  • दीन-ईमान – दीन और ईमान
  • लव-कुश – लव और कुश
  • नमक-मिर्च – नमक और मिर्च
  • अमीर-गरीब – अमीर और गरीब
  • राजा-रंक – राजा और रंक
  • राधा-कृष्ण – राधा और कृष्ण
  • निशि-वासर – निशि (रात) और वासर (दिन)
  • देश- विदेश – देश और विदेश
  • माँ-बाप – माँ और बाप
  • नदी-नाले – नदी और नाले
  • रूपया-पैसा – रुपया और पैसा
  • दूध-दही – दूध और दही
  • आब-हवा – आब (पानी) और हवा
  • आमद-रफ़्त – आमद (आना) और रफ़्त (जाना)
  • घी-शक्कर – घी और शक्कर
  • नर-नारी – नर और नारी
  • गुण-दोष – गुण तथा दोष
  • देश-विदेश – देश और विदेश
  • राम-लक्ष्मण – राम और लक्ष्मण
  • भीमारुन – भीम और अर्जुन
  • धन-धाम – धन और धाम
  • भला-बुरा – भला और बुरा
  • धर्माधर्म – धर्म या अधर्म
  • पाप-पुण्य – पाप या पुण्य
  • ऊँच-नीच – ऊँच और नीच
  • सुख-दुख – सुख और दुख
  • माता-पिता – माता और पिता
  • भाई-बहन – भाई और बहन
  • रात-दिन – रात और दिन
  • छोटा-बड़ा – छोटा या बड़ा
  • जात-कुजात – जात या कुजात
  • ऊँचा-नीचा – ऊँचा या नीचा
  • न्यूनाधिक – न्यून (कम) या अधिक
  • थोड़ा-बहुत – थोड़ा या बहुत

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6. बहुव्रीहि समास –

जिस समास का कोई भी पद प्रधान नहीं होता और दोनों पद मिलकर किसी अन्य शब्द (संज्ञा) के विशेषण होते हैं, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे –

  • चक्रधर – चक्र को धारण करने वाला अर्थात विष्णु
  • कुरूप – कुत्सित (बुरा) है रूप जिसका (कोई व्यक्ति)
  • बड़बोला – बड़े बोल बोलने वाला (कोई व्यक्ति)
  • लंबोदर – लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात गणेश
  • महात्मा – महान है आत्मा जिसकी (व्यक्ति विशेष)
  • सुलोचना – सुंदर हैं लोचन (नेत्र) जिसके (स्त्री विशेष)
  • आजानुबाहु – अजानु (घुटनों तक) लंबी हैं भुजाएँ जिसकी (व्यक्ति विशेष)
  • दिगंबर – दिशाएँ ही हैं वस्त्र जिसके अर्थात नग्न।
  • राजीव-लोचन – राजीव (कमल) के समान लोचन (नेत्र) हैं जिसके (व्यक्ति विशेष)
  • चंद्रमुखी – चंद्र के समान मुख है जिसका (कोई स्त्री)
  • चतुर्भुज – चार हैं भुजाएँ जिसकी अर्थात विष्णु
  • अलोना – (अ) नहीं है लोन (नमक) जिसमें ऐसी कोई पकी सब्ज़ी
  • अंशुमाली – अंशु (किरणें) हैं माला जिसकी अर्थात सूर्य
  • लमकना – लंबे हैं कान जिसके अर्थात चूहा
  • तिमंज़िला – तीन हैं मंज़िल जिसमें वह मकान
  • अनाथ – जिसका कोई नाथ (स्वामी या संरक्षक) न हो (कोई बालक)
  • असार – सार (तत्व) न हो जिसमें (वह वस्तु)
  • सहस्तबाहु – सहस्र (हज़ार) हैं भुजाएँ जिसकी अर्थात दैत्यराज
  • षट्कोण – षट् ( छह) कोण हैं जिसमें (वह आकृति)
  • मृगलोचनी – मृग के समान लोचन हैं जिसके (कोई स्त्री)
  • वज्रांगी (बजंरगी) – वज्र के समान अंग हैं जिसके अर्थात हनुमान
  • पाषाण हदय – पाषाण के समान कठोर हो हददय जिसका (कोई व्यक्ति)
  • सतखंडा – सात हैं खंड जिसमें (वह भवन)
  • सितार – सितार (तीन) हों जिसमें (वह बाजा)
  • त्रिनेत्र – तीन हैं नेत्र जिसके अर्थात शिव
  • द्विरद – द्वि (दो) हों रद (दाँत) जिसके अर्थात हाथी
  • चारपाई – चार हैं पाए जिसमें अर्थात खाट
  • कलहप्रिय – कलह (क्लेश, झगड़ा) प्रिय हो जिसको (कोई व्यक्ति)
  • कनफटा – कान हो फटा हुआ जिसका (कोई व्यक्ति)
  • मनचला – मन रहता हो चलायमान जिसका (कोई व्यक्ति)
  • मृत्युंजय – मृत्यु को भी जीत लिया है जिसने अर्थात शंकर
  • सिरकटा – सिर हो कटा हुआ जिसका (कोई भूत-प्रेतादि)
  • पतझड़ – पत्ते झड़ते हैं जिसमें वह ऋतु
  • मेघनाद – मेघ के समान नाद है जिसका अर्थात रावण का पुत्र
  • घनश्याम – घन के समान श्याम है जो अर्थात कृष्ण
  • मक्खीचूस – मक्खी को भी चूस लेने वाला अर्थात कृपण (कंजूस)
  • विषधर – विष को धारण करने वाला अर्थात सर्प
  • गिरिधर – गिरि (पर्वत) को धारण करने वाला अर्थात कृष्ण
  • जितेंद्रिय – जीत ली है इंद्रियाँ जिसने (संयमी पुरुष)
  • कृत-कार्य – कर लिया है कार्य जिसने (सफल व्यक्ति)
  • इंद्रजीत – इंद्र को जीत लिया है जिसने (मेघनाद)
  • गजानन – गज के समान आनन (मुख) है जिसका अर्थात गणेश
  • बारहसिंगा – बारह सींग हैं जिसके ऐसा मृग विशेष
  • पीतांबर – पीत (पीले) अंबर (वस्त्र) हैं जिसके अर्थात ‘कृष्ण’
  • चंद्रशेखर – चंद्र है शेखर (मस्तक) पर जिसके अर्थात ‘शिव’
  • नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव
  • शुभ्र-वस्त्र – शुभ्र (स्वच्छ) हैं वस्त्र जिसके (कोई व्यक्ति)
  • श्वेतांबर – श्वेत हैं अंबर (वस्त्र) जिसके अर्थात सरस्वती
  • अजातशत्रु – नहीं पैदा हुआ हो शत्रु जिसका (कोई व्यक्ति)