JAC Class 10 Maths Notes Chapter 15 प्रायिकता

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JAC Board Class 10 Maths Notes Chapter 15 प्रायिकता

भूमिका :
कक्षा IX में हमने किसी घटना के प्रायोगिक या अनुभाविक प्रायिकता के बारे में अध्ययन किया था। स्मरण करें जिस प्रायिकता का अनुमापन हम वास्तविक प्रयोगों के परिणामों तथा घटनाओं के घटित होने की पर्याप्त रिकार्डिंग के आधार पर करते हैं, उस प्रायिकता को प्रायोगिक या आनुभाविक प्रायिकता कहते हैं।

प्रायिता-एक सैद्धान्तिक दृष्टिकोण :
उदाहरण के लिए-जब हम एक सिक्का उछालें तो यह समतल पर गिरेगा। यह एक क्रिया या प्रयोग है जिससे दो परिणाम प्राप्त हो सकते हैं-चित (अशोक वाला) तल दिखायी दे अथवा पट (दूसरा तल) दिखायी दे ये दो सम्भव घटनाएँ (Events) हैं।
(i) इस प्रकार हम देखते हैं कि सिक्का उछालने के किसी प्रयोग में कुल सम्भावित घटनाएँ दो हैं चित गिरने की सम्भावना 2 घटनाओं में से 1 है और पट गिरने की सम्भावना भी उतनी ही है। तब गणित की भाषा में हम कहते हैं कि सिक्के के चित गिरने की प्रायिकता \(\frac{1}{2}\) है। सिक्के के पट गिरने की भी प्रायिकता \(\frac{1}{2}\) है।

(ii) किसी चुनाव में A, B, C, D चार उम्मीदवार खड़े हैं, तब सफल प्रत्याशी के चुनाव की कुल 4 सम्भावनाएँ हैं, क्योंकि चारों प्रत्याशियों में से कोई भी सफल हो सकता है, तब प्रत्याशी A की सफलता की सम्भावना 4 में से 1 है।
हम गणित की भाषा में कह सकते हैं कि प्रत्याशी A की सफलता की प्रायिकता \(\frac{1}{4}\) है; शेष प्रत्याशियों B, C व D की सफलता की भी प्रायिकता उतनी ही है। यहाँ हम कह सकते हैं कि किसी प्रत्याशी की असफलता की प्रायिकता है क्योंकि एक प्रत्याशी के सफल होने की दशा में शेष 3 के असफल होने की घटना अवश्य घटित होगी।

(iii) ताश की गड्डी में से पत्ता खींचिए। इसके लाल होने की प्रायिकता पर विचार कीजिए। कुल 52 पत्तों की गड्डी में 26 लाल और 26 काले पत्ते होंगे, तब पत्ते के लाल होने की प्रायिकता \(\frac{26}{52}\) या \(\frac{1}{2}\) है। खींचे गए पत्ते के लाल न होने की भी प्रायिकता \(\frac{26}{52}\)या \(\frac{1}{2}\) ही है।
→ प्रायिकता (Probability) : जब किसी घटना के घटित होने की सम्भावना संख्यात्मक रूप में व्यक्त की जाती है तो उसे प्रायिकता कहते हैं।

→ प्रयोग (Experiment) : वह विधि जिसके द्वारा हमें किसी प्रेक्षण का परिणाम प्राप्त होता है प्रयोग कहलाता है।

→ परिणाम (Outcome) : किसी प्रयोग के विशिष्ट निष्कर्ष को परिणाम कहते हैं।

→ यादृच्छया प्रयोग (Random Experiment) : ऐसे प्रयोग जिनके निश्चित परिणाम नहीं हों यादृच्छया प्रयोग कहलाते हैं।

→ अभिप्रयोग (Trial) : किसी भी यादृच्छिक प्रयोग को करने की प्रक्रिया को एक अभिप्रयोग (trial) कहते है।

→ पूरक घटनाएँ (Complimentary events) : यदि ‘E’ किसी घटना के घटित होने की प्रायिकता है तथा ‘E नहीं’ न घटित होने की प्रायिकता है तब E और ‘E नहीं’ पूरक घटनाएँ कहलाती हैं।
∴ P(E) + P(E नहीं) = 1.

→ मिश्रित घटनाएँ (Compound events ) : किसी यादृच्छिक प्रयोग से जुड़ी ऐसी घटनाएँ जो दो या दो से अधिक प्रारम्भिक घटनाओं के मिश्रण से प्राप्त होती हैं, मिश्रित घटनाएँ कहलाती हैं।

→ अनुकूल प्रारंभिक घटना (Favourable elementary event) एक ऐसी प्रारम्भिक घटना जो किसी मिश्रित घटना के अनुकूल हो अनुकूल प्रारम्भिक घटना कहते हैं।

→ पासा (Dice or die) : एक छोटा घन जिसके पृष्ठों पर 1 से 6 तक संख्याएँ लिखी हों पासा कहलाता है। प्रायिकता एक सैद्धान्तिक दृष्टिकोण

→ यादृच्छया उछाल (Random toss) : किसी सिक्के को बिना किसी पक्षपात (bias) या रुकावट के स्वतन्त्रता पूर्वक गिरने दिया जाता है तो उसे यादृच्छया उछाल कहते हैं।

→ समप्रायिक (Equally likely) जब किसी यादृच्छया प्रयोग में किसी घटना E के सभी परिणामों के प्राप्त होने की सम्भावना समान होती है तो यह परिणाम समप्रायिक कहलाते हैं।
जैसे- किसी सिक्के को उछालने में चित या पट आना अथवा पाँसे की उछाल में पासे पर अंकित अंकों में से कोई अंक प्राप्त होने की घटना समप्रायिक घटनाएँ हैं।

→ सैद्धान्तिक प्रायिकता (Theoretical Probability) किसी प्रयोग में यदि एक घटना E घटित होती है और यह कल्पना करने पर प्रयोग में घटना E के सभी परिणाम बिल्कुल एक हों तो.
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इस प्रकार से अवकलित प्रायिकता को सैद्धान्तिक प्रायिकता कहते हैं।

→ प्रारम्भिक घटना (Elementary event) : वह घटना है जिसका केवल एक ही परिणाम है। किसी पासे को उछालने पर 5 प्राप्त होना प्रारम्भिक घटना है क्योंकि 5 प्राप्त होने का केवल एक ही परिणाम है।
परन्तु विषम या सम संख्या प्राप्त होना प्रारम्भिक घटना नहीं है क्योंकि विषम संख्या प्राप्त होने की घटना के 1, 3, 5 तीन परिणाम हैं। ऐसे ही सम संख्या या 5 से छोटी संख्या प्राप्त होने की घटना भी प्रारम्भिक घटना नहीं है क्योंकि इनके परिणाम 1 से अधिक हैं।
किसी प्रयोग की सभी प्रारम्भिक घटनाओं की प्राथकिताओं का योग होता है।

→ असम्भव घटना (Impossible event) : ऐसी घटना जिसकी प्रायिकता शून्य होती है अर्थात् उस घटना का घटित होना असम्भव हो तो उस घटना को असम्भव घटना (Impossible Event) कहते हैं।
किसी पासे की उछाल में “6 से बड़ा अंक प्राप्त होने की घटना” असम्भव घटना है।

→ निश्चित घटना (Sure event) यदि किसी घटना की प्रायिकता हो तो उस घटना को निश्चित घटना (Sure event) कहते हैं।
जैसे-किसी पासे की फेंक में 7 से छोटी संख्या प्राप्त होने की घटना के सभी परिणाम 1, 2, 3, 4, 5, 6 सम्भव हैं। यह एक निश्चित घटना है।

→ घटना (E) घटित नहीं हो : इसे E1 या \(\bar{E}\) से व्यक्त करते हैं तथा घटना को “E नहीं” से जाना जाता है। यदि किसी घटना की प्रायिकता सदैव शून्य के बराबर या उससे अधिक तथा के बराबर या उससे कम होती है।
0 ≤ P(E) ≤ 1

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ताश के पत्ते (Playing Cards) :
ताश की गड्डी में कुल पत्तों की संख्या = 52
कुल पत्ते 4 समूहों में विभाजित होते हैं-
(1) हुकुम (Spades), (2) पान (Hearts), (3) ईट (Diamonds), (4) चिड़ी (Clubs)
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प्रत्येक समूह में तेरह पत्ते होते हैं अर्थात्
हुकुम के 13, पान के 13, ईंट के 13 और चिड़ी के 13 पत्ते होते हैं।
काले रंग के पत्ते : हुकुम 13 व चिड़ी 13 = कुल 26
लाल रंग के पत्ते : पान 13 व ईंट 13 = कुल 26
प्रत्येक समूह में इक्का (ace), बादशाह (king), बेगम (queen) और गुलाम (jack) उच्च क्रम के पत्ते होते हैं। इक्का (ace) पहले क्रम का पत्ता है और बादशाह (king), बेगम (queen) तथा गुलाम (jack) फेस पत्ते (face cards) कहलाते हैं।

ध्यान देने योग्य बिन्दु :
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उक्त प्रकार से अवकलित प्रायिकता को सैद्धान्तिक प्रायिकता कहते हैं।
→ किसी प्रयोग की सभी प्रारम्भिक घटनाओं की प्रायिकता का योग 1 है। यह व्यापक रूप में भी सत्य है।
→ व्यापक रूप में किसी घटना E के लिए सत्य है कि P(\(\bar{E}\)) = 1 – P(E)
→ एक निश्चित या निर्धारित घटना की प्रायिकता 1 होती है।
→ एक असम्भव घटना की प्रायिकता 0 होती है।
→ घटना E की प्रायिकता एक ऐसी संख्या है, कि (PE)
0 ≤ P(E) ≤ 1
→ किसी भी घटना E के लिए P(E) + P(\(\bar{E}\)) = 1 होता है।
जहाँ \(\bar{E}\) घटना ‘E नहीं’ को व्यक्त करता है। E और \(\bar{E}\) पूरक घटनाएँ कहलाती हैं।
→ एक असम्भव घटना की प्रायिकता 0 (या 0%) होती है। जैसे-सूर्य के कभी अस्त नहीं होने की प्रायिकता 0 है।

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