JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

Jharkhand Board JAC Class 9 Sanskrit Solutions रचना अनुवाद-प्रकरणम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9th Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय कर्ता, कर्म, क्रिया तथा अन्य शब्दों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कर्ता जिस पुरुष या वचन में हो, उसी के अनुरूप पुरुष, वचन तथा काल के अनुसार क्रिया का प्रयोग करना चाहिए। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए –

1. कारक:

संज्ञा और सर्वनाम के वे रूप जो वाक्य में आये अन्य शब्दों के साथ उनके सम्बन्ध को बताते हैं, ‘कारक’ कहलाते हैं। मुख्य रूप से कारक छः प्रकार के होते हैं, किन्तु ‘सम्बन्ध’ और ‘सम्बोधन’ सहित ये आठ प्रकार के होते हैं। संस्कृत में इन्हें ‘विभक्ति’ भी कहते हैं। इन विभक्तियों के चिह्न प्रकार हैं –

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नोट – जिस शब्द के आगे जो चिह्न लगा हो, उसके अनुसार विभक्ति का प्रयोग करते हैं। जैसे राम ने यहाँ पर राम के आगे ‘ने’ चिह्न है। अतः राम शब्द में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग करते हुए ‘रामः’ लिखा जायेगा। ‘रावण को’ यहाँ पर रावण के आगे ‘को’ यह द्वितीया विभक्ति का चिह्न है। अतः ‘रावण’ शब्द में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग करके ‘रावणम्’ लिखा जायेगा।

‘बाण के द्वारा’ यहाँ पर बाण शब्द के बाद ‘के द्वारा यह तृतीया का चिह्न लगा है। अतः ‘बाणेन’ का प्रयोग किया जायेगा। इसी प्रकार अन्य विभक्तियों के प्रयोग के विषय में समझना चाहिए।

यह बात विशेष ध्यान रखने की है कि जिस पुरुष तथा वचन का कर्ता होगा, उसी पुरुष तथा वचन की क्रिया भी प्रयोग की जायेगी। जैसे –
‘पठमि’ इस वाक्य में कर्ता, ‘अहम्’ उत्तम पुरुष तथा एकवचन है तो क्रिया भी उत्तम पुरुष, एकवचन की है। अतः ‘पठामि’ का प्रयोग किया गया है।

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2. पुरुष

पुरुष तीन होते हैं, जो निम्न हैं –
(अ) प्रथम पुरुष – जिस व्यक्ति के विषय में बात की जाय, उसे प्रथम पुरुष कहते हैं। इसे अन्य पुरुष भी कहते हैं। जैसे – सः = वह। तौ = वे दोनों। ते = वे सब। रामः = राम। बालकः = बालक। कः = कौन। भवान् = आप (पुं.)। भवती = आप (स्त्री.)।
(ब) मध्यम पुरुष – जिस व्यक्ति से बात की जाती है, उसे मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे
अहम् = मैं। आवाम् = हम दोनों। वयम् = हम सब।

3. वचन।

संस्कत में तीन वचन माने गये हैं –
(अ) एकवचन जो केवल एक व्यक्ति अथवा एक वस्तु का बोध कराये, उसे एकवचन कहते हैं। एकवचन के कर्ता के साथ एकवचन की क्रिया का प्रयोग किया जाता है। जैसे – ‘ अहं गच्छामि’ इस वाक्य में एकवचन कर्ता, ‘अहम्’ तथा एकवचन की क्रिया ‘गच्छामि’ का प्रयोग किया गया है।

(ब) द्विवचन – दो व्यक्ति अथवा वस्तुओं का बोध कराने के लिए द्विवचन का प्रयोग होता है। जैसे ‘आवाम’ तथा क्रिया ‘पठावः’ दोनों ही द्विवचन में प्रयुक्त हैं।।

(स) बहुवचन – तीन या तीन से अधिक व्यक्ति अथवा वस्तुओं का बोध कराने के लिये बहुवचन का प्रयोग किया जाता है। जैसे-‘वयम् पठामः’ इस वाक्य में अनेक का बोध होता है। अतः कर्ता ‘वयम्’ तथा क्रिया ‘पठामः’ दोनों ही बहुवचन में प्रयुक्त हैं।

4. लिंग

संस्कृत में लिंग तीन होते हैं –
(अ) पुल्लिंग – जो शब्द पुरुष-जाति का बोध कराता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं। जैसे ‘रामः काशी गच्छति’ (राम काशी जाता है) में ‘राम’ पुल्लिंग है।
(ब) स्त्रीलिंग – जो शब्द स्त्री-जाति का बोध कराये, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे गीता गृहं गच्छति’ (गीता घर जाती है।) इस वाक्य में ‘गीता’ स्त्रीलिंग है।
(स) नपुंसकलिंग – जो शब्द नपुंसकत्व (न स्त्री, न पुरुष) का बोध कराये, उसे नपुंसक-लिंग कहते हैं। जैसे धनम्, वनम्, फलम्, पुस्तकम, ज्ञानम्, दधि, मधु आदि।

5. धातु

क्रिया अपने मूल रूप में धातु कही जाती है। जैसे-गम् = जाना, हस् = हँसना। कृ – करना, पृच्छ = पूछना। ‘भ्वादयो धातवः’ सूत्र के अनुसार क्रियावाची-‘भू’, ‘गम्’, ‘पठ्’ आदि की धातु संज्ञा होती है।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

6. लकार

लकार – ये क्रिया की विभिन्न अवस्थाओं तथा कालों (भूत, भविष्य, वर्तमान) का बोध कराते हैं। लकार दस हैं, इनमें पाँच प्रमुख लकारों का विवरण निम्नवत् है :
(क) लट् लकार (वर्तमान काल) – इस काल में कोई भी कार्य प्रचलित अवस्था में ही रहता है। कार्य की समाप्ति नहीं होती। वर्तमान काल में लट् लकार का प्रयोग होता है। इस काल में वाक्य के अन्त में ‘ता है’, ‘ती है’, ‘ते हैं’ का प्रयोग होता है जैसे –

राम पुस्तक पढ़ता है। – (रामः पुस्तकं पठति।)
बालक हँसता है। – (बालकः हसति।)
हम गेंद से खेलते हैं। – (वयं कन्दुकेन क्रीडामः।)
छात्र दौड़ते हैं। – (छात्राः धावन्ति।)
गीता घर जाती है। – (गीता गृहं गच्छति।)

(ख) लङ् लकार (भूतकाल)-जिसमें कार्य की समाप्ति हो जाती है, उसे भूतकाल कहते हैं। भूतकाल में लङ् लकार का प्रयोग होता है। जैसे –
राम गाँव गया। – (रामः ग्रामम् अगच्छत् ।)
मैंने रामायण पढ़ी। – (अहम् रामायणम् अपठम्।)
मोहन वाराणसी गया। – (मोहनः वाराणीसम् अगच्छत्।)
राम राजा हुए। – (रामः राजा अभवत्।)
उसने यह कार्य किया। – (सः इदं कार्यम् अकरोत्।)।

(ग) लृट् लकार (भविष्यत् काल) – इसमें कार्य आगे आने वाले समय में होता है। इस काल के सूचक वर्ण गा, गी, गे आते हैं। जैसे –

राम आयेगा। (रामः आगमिष्यति।)
मोहन वाराणसी जायेगा। (मोहनः वाराणसीं गमिष्यति।)
वह पुस्तक पढ़ेगा। (सः पुस्तकं पठिष्यति।)
रमा जल पियेगी। (रमा जलं पास्यति।)

(घ) लोट् लकार (आज्ञार्थक) – इसमें आज्ञा या अनुमति का बोध होता है। आशीर्वाद आदि के अर्थ में भी इस लकार का प्रयोग होता है। जैसे –

वह विद्यालय जाये। (सः विद्यालयं गच्छतु।)
तुम घर जाओ। (त्वं गृहं गच्छ।)
तुम चिरंजीवी होओ। (त्वं चिरंजीवी भव।)
राम पुस्तक पढ़े। (रामः पुस्तकं पठतु।)
जल्दी आओ। (शीघ्रम् आगच्छ।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

(ङ) विधिलिङ् लकार – ‘चाहिए’ के अर्थ में इस लकार का प्रयोग किया जाता है। इससे निमन्त्रण, आमन्त्रण तथा सम्भावना आदि का भी बोध होता है। जैसे –

उसे वहाँ जाना चाहिए। (सः तत्र गच्छेत्।)
तुम्हें अपना पाठ पढ़ना चाहिए। (त्वं स्वपाठं पंठेः।)
मुझे वहाँ जाना चाहिए। (अहं तत्र गच्छेयम्।)

हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय सर्वप्रथम कर्ता को खोजना चाहिए। कर्ता जिस पुरुष एवं वचन का हो, उसी पुरुष एवं वचन की क्रिया भी प्रयोग करनी चाहिए।

कर्ता – कार्य करने वाले को कर्ता कहते हैं। जैसे-‘देवदत्तः पुस्तकं पठति’ यहाँ पर पढ़ने का काम करने वाला देवदत्त है। अतः देवदत्त कर्ता है।

कर्म – कर्ता जिस काम को करे वह कर्म है। जैसे ‘भक्तः हरिं भजति’ में भजन रूपी कार्य करने वाला भक्त है। वह हरि को भजता है। अतः हरि कर्म है।

क्रिया – जिससे किसी कार्य का करना या होना प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे-जाना, पढ़ना, हँसना, खेलना आदि क्रियाएँ हैं।

निम्न तालिका से पुरुष एवं वचनों के 3-3 प्रकारों का ज्ञान भलीभाँति सम्भव है –

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इस प्रकार स्पष्ट है कि कर्ता के इन प्रारूपों के अनुसार प्रत्येक लकार में तीनों पुरुषों एवं तीनों वचनों के लिए क्रिया के भी ‘नौ’ ही रूप होते हैं। अब निम्नतालिका से कर्ता एवं क्रिया के समन्वय को समझिये –

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नोट – संज्ञा शब्दों को प्रथम पुरुष मानकर उनके साथ क्रियाओं का प्रयोग करना चाहिए। निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा कर्ता के अनुरूप क्रिया-पदों का प्रयोग करना सीखें –

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नोट भवान् एवं भवती को प्रथम पुरुष मानकर इनके साथ प्रथम पुरुष की ही क्रिया का प्रयोग करना चाहिए।

सर्वनामों का तीनों लिंगों में प्रयोग

संज्ञा के बदले में या संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किये जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। जैसे अहम् = मैं। त्वम् = तुम। अयम् = यह। कः = कौन। यः = जो। सा = वह। तत् = वह। सः = वह आदि। केवल ‘अपने और तुम्हारे’ बोधक ‘अस्मद् और ‘युष्मद्’ सर्वनामों का प्रयोग तीनों लिंगों में एक रूप ही रहता है, शेष का पृथक् रूप रहता है।

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प्रथम पुरुष तद् सर्वनाम (वह-वे) का प्रयोग

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 5

जब कर्ता प्रथम पुरुष का हो तो क्रिया भी प्रथम पुरुष की ही प्रयोग की जाती है। जैसे –

वे सब फल हैं।
तानि फलानि सन्ति।
वह जल पीता है। – सः जलं पिबति।
वे दोनों लिखते हैं। – तौ हसतः।
वे दोनों हँसते हैं। – ते लिखन्ति।

स्त्रीलिंग प्रथम पुरुष में –

वह पढ़ती है। – सा पठति।
वे दोनों जाती हैं। – ते गच्छतः।
वे सब हँसती हैं। – ताः हसन्ति।

नपुंसकलिंग प्रथम पुरुष में –

वह घर है। – तद् गृहम् अस्ति।
वे दोनों पुस्तकें हैं। – ते पुस्तके स्तः।
वे सब फल हैं। – तानि फलानि सन्ति।

विद्यार्थी इस श्लोक को कण्ठस्थ करें :

उत्तमाः पुरुषाः ज्ञेयाः – अहम् आवाम् वयम् सदा।
मध्यमाः त्वम् युवाम् यूयम्, अन्ये तु प्रथमाः स्मृताः।।

अर्थात् अहम्, आवाम्, वयम् – उत्तम पुरुषः; त्वम्, युवाम्, यूयम् – मध्यम पुरुष; (शेष) अन्य सभी सदा प्रथम पुरुष जानने चाहिए।

उदाहरण – लट् लकार (वर्तमान काल) (गम् धातु = जाना) का प्रयोग

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प्रथम पुरुष

1 सः गच्छति। वह जाता है।
1 तौ गच्छतः। वे दोनों जाते हैं।
1 ते गच्छन्ति। वे सब जाते हैं।

मध्यम पुरुष

1. त्वं गच्छसि। तुम जाते हो।
2. युवां गच्छथः। तुम दोनों जाते हो।
3. यूयं गच्छथ। तुम सब जाते हो।

उत्तम पुरुष

1. अहं गच्छामि मैं जाता है।
2. आवां गच्छावः। हम दोनों जाते हैं।
3. वयं गच्छामः। हम सब जाते हैं।

उपर्युक्त उदाहरणों में ‘प्रथम पुरुष’ के कर्ता-पद क्रमशः ‘सः, तौ, ते’ दिये गये हैं। इनके स्थान पर किसी भी संज्ञा-सर्वनाम के रूप रखे जा सकते हैं। जैसे – गोविन्दः गच्छति, बालकौ गच्छतः, मयूराः नृत्यन्ति।

अभ्यास 1

  1. आलोक दौड़ता है।
  2. गोविन्द पढ़ता है।
  3. अर्चना खेलती है।
  4. बालक दौड़ता है।
  5. सिंह आता है।
  6. वह प्रात:काल उठता है।
  7. राधा दूध पीती है।
  8. श्याम हँसता है।
  9. बन्दर फल खाता है।
  10. हाथी जाते हैं।
  11. दो बालक पढते हैं।
  12. विनोद और प्रमोद पढ़ते हैं।
  13. दो किसान जोतते हैं।
  14. दो हिरन दौड़ते हैं।
  15. दो बालक क्या करते हैं?
  16. वे विद्यालय जाते हैं।
  17. ग्रामीण हृष्ट-पुष्ट होते हैं।
  18. सब मोर क्या करते हैं?
  19. सब बकरियाँ चरती हैं।
  20. ये सब फूल खिलते हैं।

उत्तर :

  1. आलोक: धावति।
  2. गोविन्दः पठति।
  3. अर्चना क्रीडति।
  4. बालकः धावति।
  5. सिंहः आगच्छति।
  6. स: प्रात:काले उत्तिष्ठति।
  7. राधा दुग्धं पिबति।
  8. श्यामः हसति।
  9. कपिः फलं खादति।
  10. करिण: गच्छन्ति।
  11. बालकौ पठतः।
  12. विनोदः प्रमोद पठतः
  13. कृषको कर्षतः।
  14. मृगौ धावतः।
  15. बालकौ किं कुरुतः?
  16. ते विद्यालयं गच्छन्ति।
  17. ग्रामीणाः हृष्ट-पुष्टाः भवन्ति।
  18. सर्वे मयूराः किं कुर्वन्ति ?
  19. सर्वाः अजाः चरन्तिः।
  20. एतानि सर्वाणि पुष्पाणि विकसन्ति।

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अभ्यास 2

  1. तुम क्या देखते हो?
  2. तुम दोनों कब खेलते हो?
  3. तुम सब क्या पढ़ते हो?
  4. क्या तुम चित्र देखते हो?
  5. तुम दोनों क्या लिखते हो?
  6. तुम सब फल खाते हो।
  7. तुम बाजार जाते हो।
  8. तुम दोनों क्यों दौड़ते हो?
  9. तुम सब पानी क्यों पीते हो?
  10. तुम क्यों हँसते हो?
  11. क्या तुम दोनों गीत गाते हो?

उत्तर :

  1. त्वं कि पश्यसि?
  2. युवां कदा क्रीडथः?
  3. ययं किं पठथ?
  4. किं त्वं चित्रं पश्यसि?
  5. यवां किं लिखथः?
  6. यूयं फलं भक्षयथ।
  7. त्वम् आपणं गच्छसि।
  8. युवां किमर्थं धावथः?
  9. यूयं जलं किमर्थं पिबथ?
  10. त्वं किमर्थं हससि?
  11. किं युवां गीतं गायथः?
  12. यूयं कुत्र वसथ?

अभ्यास 3

  1. मैं फल खाता हूँ।
  2. हम दोनों बाजार जाते हैं।
  3. हम सब गीत गाते हैं।
  4. मैं कार्य करता हूँ।
  5. हम दोनों खेलते हैं।
  6. हम सब खेल के मैदान में खेलते हैं।
  7. मैं एक चित्र देखता हूँ।
  8. हम दोनों विद्यालय जाते हैं।
  9. हम सब दूध पीते हैं।
  10. मैं घर में पढ़ता हूँ।

उत्तर :

  1. अहं फलं भक्षयामि।
  2. आवाम आपणं गच्छावः।
  3. वयं गीतं गायामः।
  4. अहं कार्यं करोमि।
  5. आवां क्रीडावः।
  6. वयं क्रीडाक्षेत्रे क्रीडामः।
  7. अहम् एकं चित्रं पश्यामि।
  8. आवां विद्यालयं गच्छावः।
  9. वयं दुग्धं पिबामः।
  10. अहं गृहे पठामि।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 4

  1. आलोक कक्षा में पढ़ता है।
  2. वह बैठता है।
  3. तुम मैदान में खेलते हो।
  4. विनोद मेरा मित्र है।
  5. यही धर्म है।
  6. मैं पुल बनाता हूँ।
  7. देवता यहाँ जन्म लेना चाहते हैं।
  8. भाई उपहार देता है।
  9. कृष्ण सहायात करते हैं।
  10. हाथी मतवाला है।

उत्तर :

  1. आलोक: कक्षायां पठति।
  2. सः उपविशति।
  3. त्वं क्षेत्रे क्रीडसि।
  4. विनोदः मम मित्रम् अस्ति।
  5. एषः एव धर्मः अस्ति।
  6. अहं सेतुनिर्माणं करोमि।
  7. देवाः अत्र जन्म इच्छन्ति।
  8. भ्राता उपहारं यच्छति।
  9. कृष्ण: सहायता करोति।
  10. करी मत्तः अस्ति।

उदाहरण – लङ् लकार (भूतकाल) में (पठ् धातु = पढ़ना) का प्रयोग

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अभ्यास 5

  1. ब्राह्मण गाँव को आया।
  2. तपोदत्त ब्राह्मण था।
  3. लड़की ने पुस्तक पढ़ी।
  4. वे दोनों कहाँ गये?
  5. वे सब कब दौड़े?
  6. हरि ने पानी पिया।
  7. वे दोनों विद्यालय गये।
  8. मैं वहाँ दौड़ा।
  9. छात्रों ने चित्र देखा।
  10. उसने पत्र लिखा।
  11. वह अपने घर गया।
  12. हम सबने पाठ पढ़ा।

उत्तर :

  1. विप्रः ग्रामम् आगछत्।
  2. तपोदत्तः विप्रः आसीत्।
  3. बालिका पुस्तकम् अपठत्।
  4. तौ कुत्र अगच्छताम्?
  5. ते कदा अधावन्?
  6. हरिः जलम् अपिबत्।
  7. तौ विद्यालयम् अगच्छताम्
  8. अहं तत्र अधावम्।
  9. छात्राः चित्रम् अपश्यन्।
  10. सः पत्रम् अलिखत्।
  11. सः स्वगृहम् अगच्छत्।
  12. वयं पाठम् अपठाम्।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 6

  1. ब्राह्मण कौन था?
  2. इन्द्र ने क्या किया?
  3. तपोदत्त ने तप किया।
  4. उसने नदी में स्नान किया।
  5. बालक भयभीत हो गये।
  6. अर्जुन ने कृष्ण से कहा।
  7. नल द्यूत में हार गया।
  8. दमयन्ती वन गयी।
  9. हाथी अन्धा हो गया।
  10. मेरा मित्र उपस्थित था।

उत्तर :

  1. ब्राह्मणः कः आसीत् ?
  2. इन्द्रः किम् अकरोत् ?
  3. तपोदत्तः तपः अकरोत्।
  4. सः नद्यां स्नानम् अकरोत्।
  5. बालकाः भयभीताः अभवन्।
  6. अर्जुनः कृष्णम् अकथय।
  7. नलः द्यूते पराजितः अभवत्।
  8. दमयन्ती वनम् अगच्छत्।
  9. करी अन्धः अभवत्।
  10. मम मित्रम् उपस्थितम् आसीत्।

नोट – लट् लकार की क्रिया में ‘स्म’ लगाकर लङ्लकार (भूतकाल) में अनुवाद किया जा सकता है। जैसे –
1. वन में सिंह रहता था।
2. बालक खेल रहा था। वने सिंहः निवसति स्म।
बालकः क्रीडति स्म।

उदाहरण – लट् लकार (भविष्यत् काल) (लिख धात् = लिखना) का प्रयोग

प्रथम पुरुष

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 7

अभ्यास 7

  1. लेखराज पढ़ेगा।
  2. हरीमोहन शाम को लिखेगा।
  3. लड़कियाँ खेलेंगी।
  4. मैं बाजार जाऊँगा।
  5. हम दोनों दूध पियेंगे।
  6. तुम यहाँ क्या करोगे?
  7. तुम दोनों चित्र देखोगे।
  8. तुम सब क्या खाओगे?
  9. मोर नृत्य करेगा।
  10. हम दोनों खेत को जायेंगे।
  11. किसान खेत जोतेगा।
  12. बालक खेल के मैदान खेलेंगे।

उत्तर :

  1. लेखरामः पठिष्यति।
  2. हरीमोहनः सायंकाले लेखिष्यति।
  3. बलिकाः क्रीडिष्यति।
  4. अहम् आपणं गमिष्यामि।
  5. आवां दुग्धं पास्यावः।
  6. त्वम् यत्र किं करियसि?
  7. युवा चित्रं द्रक्ष्यथः
  8. यूयं किं भक्षयिष्यथ?
  9. मयूरः नृत्यं करिष्यति।
  10. आवां क्षेत्रं गमिष्यावः।
  11. कृषकः क्षेत्र कमंति।
  12. बालकाः क्रीडाक्षेत्रे क्रीडिष्यन्ति।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 8

  1. तुम सुख अनुभव करोगे।
  2. वे दोनों गाँव में रहेंगे।
  3. वह कक्षा में प्रथम आयेगा।
  4. वह कहाँ जायेगी।
  5. मैं ब्रज की रक्षा करूँगा।
  6. मैं मित्र से मिलूँगा।
  7. मैं फिर नहीं आऊँगा।
  8. मैं प्रयत्न करूँगा।
  9. मैं गुणों को कहूँगा।
  10. वे सभी सुखी होंगे।

उत्तर :

  1. त्वं सुखम् अनुभविष्यसि।
  2. तौ ग्रामे वसिष्यतः।
  3. सः कक्षायां प्रथमः आगमिष्यति।
  4. सा कुत्र गमिष्यति?
  5. अहं व्रजं रक्षिष्यामि।
  6. अहं मित्रेण मेलिष्यामि।
  7. अहं पुनः न आगमिष्यामि।
  8. अहं प्रयत्न करिष्यामि।
  9. अहं गुणान् कथपिष्यामि।
  10. ते सर्वे सुखिनः भविष्यन्ति।

उदाहरण – लोट् लकार (आज्ञार्थक) (कथ् धातु = कहना)

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 8

अभ्यास 9

  1. सुशीला जाये।
  2. विद्यार्थी खेलें।
  3. ईश्वर रक्षा करे।
  4. तुम युद्ध करो।
  5. लड़कियाँ नाचें।
  6. क्या हम जायें?
  7. इस समय छात्र पढ़ें।
  8. नौकर जायें।
  9. लड़के दौड़ें।
  10. क्या मैं जाऊँ ?
  11. क्या हम सब खेलें?
  12. वे सब न हँसे।
  13. अब तुम खेलो।
  14. तुम दोनों पढ़ो।

उत्तर :

  1. सुशीला गच्छतु।
  2. छात्राः क्रीडन्तु।
  3. ईश्वरः रक्षतु।
  4. त्वं युद्धं कुरु।
  5. बालिकाः नृत्यं कुर्वन्तु।
  6. किं वयं गच्छाम?
  7. इदानी छात्राः पठन्तु।
  8. सेवकाः गच्छन्तु।
  9. बालकाः धावन्तु।
  10. किम् अहं गच्छानि?
  11. किं वयं क्रीडाम?
  12. ते न हसन्तु।
  13. इदानीं त्वं क्रीड।
  14. युवां पठतम्।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 10

  1. तुम दोनों मत हँसो।
  2. तुम सब दौड़ो।
  3. नर्तकियों नाचें।
  4. तुम मत हँसो।
  5. तुम यहाँ आओ।
  6. वहाँ मत जाओ।
  7. दौड़ो मत।
  8. मत हँसो।
  9. आओ, नाचो।
  10. पाठ पढ़ो।
  11. अब खेलो मत, पढ़ो।
  12. सबात्र पढ़ें।
  13. तुम वहाँ जाओ।
  14. दो छात्र दौड़ें।

उत्तर :

  1. युवां मा हसतम्।
  2. यूयं धावत।
  3. नर्तक्यः नृत्यन्तु।
  4. त्वं मा हस।
  5. त्वम् अत्र आगच्छ।
  6. तत्र मा गच्छ।
  7. मा धाव।
  8. मा हस।
  9. आगच्छ, नृत्यं कुरु।
  10. पाठं पठ।
  11. अधुना मा क्रीड, पठ।
  12. सर्वे छात्राः पठन्तु।
  13. त्वं तत्र गच्छ।
  14. छात्रौ धावताम्।

अभ्यास 11

  1. जलपान कीजिये।
  2. अब देश की रक्षा करो।
  3. आप स्वयम्वर में जायें।
  4. जुआ नहीं खेलो।
  5. रक्षाबन्धन उत्सव कब हो?
  6. बिना ज्ञा प्रवेश न करो।
  7. स्वामिभक्त बनो।
  8. कक्षा में झगड़ा मत करो।
  9. ब्रज की रक्षा करो।
  10. स्वच्छ जल पियो।

उत्तर :

  1. जलपानं कुरु।
  2. अधुना देशस्य रक्षां कुरु।
  3. भवान् स्वयंवरे गच्छतु।
  4. द्यूतं मा क्रीड।
  5. रक्षाबन्धनोत्सवः कदा भवतु?
  6. आज्ञां बिना मा प्रविश।
  7. स्वामिभक्तः भव।
  8. कक्षायां कलहं मा कुरु।
  9. व्रजस्य रक्षां कुरु।
  10. स्वच्छं जलं पिब।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

उदाहरण – विधिलिङ् लकार (प्रेरणार्थक-चाहिए के अर्थ में)
स्था (तिष्ठ) = ठहरना का प्रयोग

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 9

नोट – विधिलिङ् लकार में कर्ता में कर्म कारक जैसा चिह्न लगा रहता है। जैसे – उसे, उन दोनों को, तुमको आदि। किन्तु ये कार्य के करने वाले (कर्ता) हैं। अत: इनमें प्रथमा विभक्ति (कर्ता कारक) का ही प्रयोग किया जाता है।

अभ्यास 12

  1. उसे पढ़ना चाहिए।
  2. तुम्हें सत्य बोलना चाहिए।
  3. राजेश को खेलना चाहिए।
  4. उसे लज्जा नहीं करनी चाहिए।
  5. तुमको खाना चाहिए।
  6. उसे देश की रक्षा करनी चाहिए।
  7. तुमको चित्र देखना चाहिए।
  8. छात्रों को पढ़ना चाहिए।
  9. मुझे पत्र लिखना चाहिए।
  10. विमला को हँसना चाहिए।
  11. हम दोनों को गाना चाहिए।
  12. तुम्हें जाना चाहिए।

उत्तर :

  1. सः पठेत्।
  2. त्वं सत्यं वदेः।
  3. राजेश क्रीडेत्
  4. सः लज्जा न कुर्यात्।
  5. त्वं भक्षयः।
  6. सः देशस्य रक्षां कुर्यात्।
  7. त्वं चित्रं पश्येः
  8. छात्राः पठेयुः।
  9. अहं पत्रं लिखेयम्।
  10. विमला हसेत्।
  11. आवां गायेव।
  12. त्वं गच्छेः।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 13

  1. हमें देश की रक्षा करनी चाहिए।
  2. उसे घर जाना चाहिए।
  3. उसे सदैव सत्य बोलना चाहिए।
  4. उसे हरिजनों का उद्धार करना चाहिए।
  5. छात्रों को हमेशा खेलना चाहिए।
  6. विद्वान् की पूजा करनी चाहिए।
  7. तुम्हें कक्षा में पढ़ना चाहिए।
  8. तुम्हें डरना नहीं चाहिए।
  9. मुझे कलह नहीं करनी चाहिए।
  10. हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए।

उत्तर :

  1. वयं देशस्य रक्षां कुर्याम्।
  2. सः गृहं गच्छेत्।
  3. सः सदैव सत्यं वदेत्।
  4. सः हरिजनानाम् उद्धार कुर्यात्।
  5. छात्राः सदैव क्रीडेयुः।
  6. प्राज्ञस्य पूजां कुर्यात्।
  7. त्वं कक्षायां पठेः।
  8. त्वं भयं न कुर्याः।
  9. अहं कलहं न कुर्याम्।
  10. वयं असत्यं न वदेम।

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