JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1.
किसके कल्पनादर्श (युटोपिया) में दुनिया के लोग अलग राष्ट्रों के समूह में बँटे हुए हैं
(क) फ्रेड्रिक सॉरयू
(ख) लुई फिलिप
(ग) ग्रिम्स फेयरीटेल्स
(घ) कार्ल वेल्कर
उत्तर:
(क) फ्रेड्रिक सॉरयू

2. राष्ट्रवाद को चित्रों के माध्यम से दर्शाने वाला निम्नलिखित में से कौन है?
(क) फ्रेडिरिक सॉरयू
(ख) मेत्सिनी
(ग) इमेनुएल
(घ) हैब्सबर्ग
उत्तर:
(क) फ्रेडिरिक सॉरयू

3. राष्ट्रवाद का प्रारम्भ जिस देश से हुआ, वह है
(क) फ्रांस
(ख) जर्मनी
(ग) इंग्लैण्ड
(घ) इटली
उत्तर:
(क) फ्रांस

4. अठारहवीं सदी में यूरोप में कौन-सा वर्ग सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से प्रभुत्व रखता था ?
(क) भू-स्वामी कुलीन वर्ग
(ख) पादरी
(ग) मजदूर
(घ) सैनिक
उत्तर:
(क) भू-स्वामी कुलीन वर्ग

5. 19वीं सदी यूरोप में उदारवादी राष्ट्रवाद के विचार से निम्नलिखित में से कौन निकटता से जुड़ा हुआ था?
(क) सामाजिक न्याय पर बल
(ख) राज्य में सामाजिक, आर्थिक प्रणाली नियोजित की
(ग) व्यक्ति के लिए आजादी और कानून के समक्ष सबकी बराबरी
(घ) राज्य के प्रभुत्व ने राष्ट्रवाद को जन्म दिया।
उत्तर:
(ग) व्यक्ति के लिए आजादी और कानून के समक्ष सबकी बराबरी

6. निम्न में से किस वर्ष वियना में एक शांति संधि का आयोजन किया गया था?
(क) सन् 1834
(ख) सन् 1813
(ग) सन् 1815
(घ) सन् 1915
उत्तर:
(ग) सन् 1815

7. ज्युसेपे मेत्सिनी था
(क) फ्रांस का क्रान्तिकारी
(ख) इटली का क्रान्तिकारी
(ग) ब्रिटेन का क्रान्तिकारी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) इटली का क्रान्तिकारी

8. “जब फ्रांस छींकता है, तो बाकी यूरोप को सर्दी-जुकाम हो जाता है।” यह प्रसिद्ध कथन निम्नलिखित में से किसने कहा?
(क) ज्युसेपे मेत्सिनी
(ख) मैटरनिख
(ग) ऑटो वॉन बिस्मार्क
(घ) ज्युसेपे गैरीबॉल्डी
उत्तर:
(ख) मैटरनिख

9. जर्मनी को एक स्वतंत्र राज्य घोषित किया गया
(क) सन् 1817 में
(ख) सन् 1848 में
(ग) सन् 1871 में
(घ) सन् 1885 में
उत्तर:
(ग) सन् 1871 में

10. जर्मन बलूत प्रतीक है
(क) वीरता
(ख) स्वतन्त्रता
(ग) गुलामी
(घ) एकता
उत्तर:
(क) वीरता

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति सन् ………. में फ्रांसीसी क्रांति के साथ हई।
उत्तर:
1789

2. सन् 1815 ई. में ………. संधि हुई।
उत्तर:
वियना,

3. ………. इटली का एक क्रांतिकारी था।
उत्तर:
ज्युसेपे मेत्सिनी,

4. 18 मई, 1848 ई. गठित जर्मन नेशनल एसेम्बली को ………. के नाम से जाना गया।
उत्तर:
फ्रैंकफर्ट संसद,

5. फ्रांस की जुलाई क्रांति …….. में हुई।
उत्तर:
1830 ई.

अति लयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रेडरिक सॉरयू कौन था ?
अथवा
1848 में फ्रेडरिक सॉरयू ने अपने चित्रों में स्वप्नदर्शी प्रस्तुति क्यों की? एक कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फ्रेड्रिक सॉरयू एक फ्रांसीसी कलाकार था, जिसने 1848 ई. में चार चित्रों की एक श्रृंखला बनाई। इसमें उसने अपने सपनों का एक संसार रचा जो उसके शब्दों में जनतान्त्रिक और सामाजिक गणतन्त्रों से मिलकर बना था।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 2.
युटोपिया क्या है ?
अथवा
कल्पनादर्श क्या है?
उत्तर:
यूटोपिया (कल्पनादर्श) एक ऐसे समाज की कल्पना है जो इतना आदर्श है कि उसका साकार होना लगभग असम्भव होता है।

प्रश्न 3.
फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
यूरोप के लोगों को निरंकुश शासकों से मुक्त कराना।

प्रश्न 4.
1804 की नागरिक संहिता का नाम लिखिए, जिसने फ्रांस में कानून के समक्ष बराबरी और सम्पत्ति के अधिकार को सरक्षित बनाया।
उत्तर:
नेपोलियन की संहिता

प्रश्न 5.
राष्ट्र राज्य क्या है ?
उत्तर:
वह राज्य जिसमें उसके अधिकांश नागरिकों एवं शासकों में सामूहिक पहचान की भावना पैदा हो।

प्रश्न 6.
उदारवाद का अर्थ बताइए।
अथवा
‘उदारवादंश राष्ट्ववाद’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उदाग्वाद लैटिन भाषा के शब्द Liber पर आधारित हैं, जिसका अथ है-स्वतन्त्रता अर्थात् व्यक्ति के लिए म्वतन्त्रता व कानुन के समक्ष सबको समानता।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 7.
1834 ई. में किसकी पहल पर एक शुल्क संघ जॉलवेराइन स्थापित किया गया ?
उत्तर:
834 ईं. में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ जॉलवेराइन स्थीपित किया गया।

प्रश्न 8.
किन यूरोपीय शक्तियों ने 1815 ई. में नेपोलियन को हराया था?
उत्तर:
ब्रिंग, रूस, प्रशा और ऑंस्टिया ने 1815 ईं. नेपोलियन को रराया था।

प्रश्न 9.
1815 ई. में आयोजित वियना शांति संधि की अध्यक्षता किसने की?
उत्तर:
ऑंटिय्रया के चांसलर ड्यूक मैटरनिख ने 1815 ई. में आयंजित वियना शांति संधि की अध्यक्षता की थी।

प्रश्न 10.
1815 ई. में आयोजित वियना शांति संधि का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
1815 ईं. में आयोजित वियना शांति संधि का प्रमुख उद्देश्य नेपोलियाई युद्धों के दौरान हुए कई सारे बदलावों को खत्म करना था।

प्रश्न 11.
गूढ़िवाद क्या है ?
उत्तर:
रुं ऩवाद एक ऐसा राजनीतिक दर्शन है जो परम्परा द्वारा स्थापित मंध्थाओं एवं रीति-रिवाजों पर बल देता है तथा चरित परिवर्तन के स्थान पर क्रमिक व धीमे परिवर्तन में विश्वास करता है।

प्रश्न 12.
ज्युसेपे मेत्मिनी का जन्म कब व कहाँ हुआ ?
उत्तर:
ज्युसेपे मेंत्मिनी का जन्म 1807 ई. में जेनोआ में हुआ था।

प्रश्न 13.
ज्युसेपे मेत्तिनी द्वारा स्थापित दो भूमिगत संगठनां कं नाम लिखिए।
उत्तर:
ब्युप्रेपे मेत्सिनी द्वारा स्थापित दो भृमिगत संगटन हैं

  1. यंग इटती (मार्सेई में),
  2. यंग यूरोप (बर्न में)।

प्रश्न 14.
मेत्सिनी द्वारा स्थापित संगठन-यंग इटली व यंग यूरोप कें सदस्य कौन थे?
उत्तर:
मेत्सनी द्वारा स्थापित संगठन-यंग इटली व यंग यूरोप के सदस्स्य पोलेण्ड, फ्रांस, इटली व जर्मन राज्यों में मयान विन्नार ₹वनने नाले युत्रा थे।

प्रश्न 15.
मेत्सिनी का क्या विश्वास था ?
उत्तर:
मेत्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 16.
मैटरनिख ने किसे हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन बताया?
उत्तर:
ज्युसेपे मेत्सिनी को।

प्रश्न 17.
बुसेल्स किस वर्ष यूनाइटेड ऑफ द नीदरलैंड से अलग हो गया?
उत्तर:
सन् 1830 ई. में ब्रुसेल्स यूनाइटेड ऑफ द नीदरलेंड से अलग हो गया।

प्रश्न 18.
किस संधि ने यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता दी?
उत्तर:
1832 ई. में हुई कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी।

प्रश्न 19.
रूमानीवाद क्या है ?
उत्तर:
रूमानीवाद एक सांस्कृतिक आन्दोलन था, जो एक विशेष तरह की राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता था।

प्रश्न 20.
किस दार्शंनिक ने दावा किया कि सच्ची जर्मनी संस्कृति उसके आम लोगों में निहित थी ?
उत्तर:
योहान गॉंटफ्रीड नामक दार्शनिक ने दावा किया था कि सच्ची जर्मनी संस्कृति उसके आम लोगों में निहित थी।

प्रश्न 21.
फ्रांस के वर्चस्व को जर्मन संस्कृति के लिए खतरा किसने माना ?
उत्तर:
जैकब ग्रिम व विल्हेल्म ग्रिम ने फ्रांस के वर्चस्व को जर्मन संस्कृति के लिए खतरा माना।

प्रश्न 22.
किस वर्ष सेंट पॉल चर्च में फ्रैंकफर्ट संसद का आयोजन किया गया ?
उत्तर:
18 मई, 1848 ई. को सेंट पॉल चर्च में फ्रफकफर्ट संसद का आयोजन किया गया।

प्रश्न 23.
जर्मनी के एकीकरण का श्रेय किसे दिया जाता है ?
उत्तर:
ऑंटो वॉन बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण का श्रेय दिया जाता है।

प्रश्न 24.
प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट कब घोषित किया गया ?
उत्तर:
जनवरी 1871 ई. में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्नाट घोषित किया गया।

प्रश्न 25.
वर्साय के शीशमहल में आयोजित एक समारोह के दौरान किसे जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया ?
उत्तर:
काइजर विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 26.
इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किसने किया था?
उत्तर:
इटली के प्रदेशों को एकत्रित करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व प्रमुख मंत्री कावूर ने किया था।

प्रश्न 27.
इमेनुएल द्वितीय एकीकृत इटली का राजा कब बना?
उत्तर:
1861 ई. में इमेनुएल द्वितीय एकीकृत इटली का राजा बना।

प्रश्न 28.
यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन कब हुआ?
उत्तर:
1707 ई. में यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन किया गया।

प्रश्न 29.
कौन: सा देश कैथलिक और प्रोटेस्टेंट धार्मिक गुटों में बँटा हुआ था?
उत्तर:
आयरलैंड।

प्रश्न 30.
आयरलैंड को यूनाइटेड किंगडम में कब शामिल किया गया?
उत्तर:
सन् 1801 में।

प्रश्न 31.
‘गॉड सेव अवर नोबल किंग ‘ किस देश का राष्ट्रीय गान है?
उत्तर:
‘गॉड सेव अवर नोबल किग’ ग्रेट ब्रिटेन का राष्ट्रीय गान है।

प्रश्न 32.
किस देश ने नारी रूपकों कों मारीआन नाम दिया?
उत्तर:
फ्रांस ने नारी रूपकों को मारीझान नाम दिया।

प्रश्न 33.
सन् 1871 के पश्चात् यूरोप में गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
सन् 1871 के पश्चात् यूरोप में गम्भीर राप्ट्रवादी तनाव का स्रोत बाल्कन क्षेत्र था।

प्रश्न 34.
किस क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर ‘स्लाव’ के नाम से पुकारा जाता था?
उत्तर:
बाल्कन क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर स्लाव के नाम से पुकारा जाता था।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति के परिणामस्वरूप कौन-कौन से परिवर्तन हुए?
उत्तर:
1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप निम्न परिवर्तन हुए:

  1. 1789 ई. की क्रान्ति के परिणामस्वरूप प्रभुसत्ता राजतंत्र के हाथों से निकलकर फ्रांसीसी नागरिकों के समूह के हाथों में हस्तान्तरित हो गई।
  2. क्रान्ति ने स्पष्ट रूप से घोषणा की कि अब लोगों द्वारा राष्ट्र का गठन होगा एवं वे ही राष्ट्र का भाग्य निर्धारित करेंगे।

प्रश्न 2.
नेपोलियन संहिता क्या थी?
उत्तर:
नेपोलियन ने 1804 ई. में एक नागरिक संहिता का निर्माण किया जिसे नेपोलियन की संहिता के नाम से जाना जाता है। इस संहिता ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिये थे तथा कानून के समक्ष समानता व सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।

प्रश्न 3.
जीते हुए इलाकों में स्थानीय लोगों की फ्रांसीसी शासन के प्रति क्या प्रतिक्रियाएँ थीं?
अथवा
विजित क्षेत्रों में फ्रांसीसी शासन के प्रति स्थानीय निवासियों की क्या प्रतिक्रियाएँ थीं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जीते हुए इलाकों में स्थानीय लोगों ने फ्रांसीसी शासन के प्रति मिली-जुली प्रतिक्रिया दिखलाई कई स्थानों एवं शहरों में फ्रांसीसी सेना का स्वतन्त्रता के रक्षक के रूप में स्वागत किया गया। परन्तु यह उत्साह शीघ्र ही दुश्मनी में परिवर्तित हो गया क्योंकि नवीन प्रशासनिक व्यवस्थाएँ लोगों को राजनीतिक स्वतन्त्रता के अनुरूप नहीं लगी थीं। करों में वृद्धि, सेंसरसिप, फ्रांसीसी सेना में जबरदस्ती भर्ती आदि फ्रांसीसी शासन द्वारा उठाये गये कुछ ऐसे कदम थे, जिनका स्थानीय लोगों ने बहुत अधिक विरोध किया।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 4.
जॉलवेराइन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
सन् 1834 ई. में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ स्थापित किया गया जिसे जॉलवेराइन के नाम से जाना गया। जॉलवेराइन में अधिकांश जर्मन राज्य सम्मिलित हो गए। इस संघ ने शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया तथा मुद्राओं की संख्या घटाकर दो कर दी जो उससे पहले तीस से भी ऊपर थी। जॉलवेराइन ने आर्थिक राष्ट्रवाद के आन्दोलन को जन्म दिया जिसने इस समय में पनप रही व्यापक राष्ट्रवादी भावनाओं को मजबूत बनाया।

प्रश्न 5.
यूरोप में 1848 ई. में उदारवादियों के विद्रोह की प्रमुख माँगें कौन-कौन सी थीं?
उत्तर:
1848 ई. में उदारवादियों के विद्रोह की प्रमुख माँगें निम्नलिखित थीं

  1. उदारवादी मध्य वर्गों के स्त्री-पुरुषों ने संविधानवाद के साथ-साथ राष्ट्रीय एकीकरण की माँग सामने रखी।
  2. उन्होंने संविधान, प्रेस की स्वतन्त्रता तथा संगठन बनाने की स्वतन्त्रता जैसे संसदीय सिद्धान्तों पर आधारित राष्ट्र राज्य की माँग की।
  3. महिलाओं ने राजनीतिक अधिकारों की माँग की।

प्रश्न 6.
यूरोप में 1848 ई. की उदारवादी क्रान्ति के क्या परिणाम सामने आये?
उत्तर:
यूरोप में 1848 ई. की उदारवादी क्रान्ति के निम्नलिखित परिणाम सामने आये–

  1. मध्य तथा पूर्वी यूरोप की निरंकुश राजशाही ने उन परिवर्तनों को लागू करना प्रारम्भ कर दिया जो पश्चिमी यूरोप में 1815 ई. से पहले लागू हो चुके थे।
  2. हैब्सबर्ग अधिकार वाले क्षेत्रों में भू-दासत्व एवं बंधुआ मजदूरी समाप्त कर दी गयी।
  3. हैब्सबर्ग शासकों ने हंगरी के लोगों को पर्याप्त स्वतन्त्रता प्रदान की।

प्रश्न 7.
ऑटो वॉन बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण का जनक क्यों कहा गया था?
उत्तर:
ऑटो वॉन बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण का जनक कहा गया क्योंकि उसने 1848 में जर्मनी के एकीकरण के नेतृत्व को सँभाला तथा अपनी ‘रक्त और लौह’ की नीति के द्वारा उसे पूरा किया।

प्रश्न 8.
इटली के एकीकरण में कावूर की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कावूर ने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया। कावूर ने इटली को एक राष्ट्रीय स्वरूप देने के लिए कूटनीतिक संधियों का सहारा लिया। उसने फ्रांस के साथ संधि की तथा ऑस्ट्रियाई साम्राज्य को पराजित किया जो इटली के उत्तरी हिस्से में एक विस्तृत क्षेत्र पर शासन कर रहा था। इससे उसे इटली को एकीकृत करने के लिए आगे रास्ता तैयार मिला।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 9.
रूपक से क्या आशय है ? फ्रांस के नारी रूपक के विषय में संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
रूपक से आशय है कोई अमूर्त विचार; जैसे-लालच, ईर्ष्या, स्वतंत्रता एवं मुक्ति आदि को किसी व्यक्ति या किसी वस्तु के माध्यम से इंगित किया जाता है तो उसे रूपक कहते हैं। एक रूपकात्मक कहानी के दो अर्थ होते हैं- एक शाब्दिक व एक प्रतीकात्मक। फ्रांस का नारी रूपक मारीआन था जिसने जन राष्ट्र के विचारों को रेखांकित किया।

प्रश्न 10.
बाल्कन क्षेत्र में वर्तमान में कौन-कौन से देश मम्मिलित थे? यह क्षेत्र गहरे टकराव का क्षेत्र क्यों बन गया?
उत्तर:
बाल्कन क्षेत्र में वर्तमान के रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बानिया, यूनान, मेसिडोनिया, क्रोएशिया, बोस्निया, हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया एवं मॉन्टिनिग्रो देश सम्मिलित थे। इस क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर स्लाव कहकर पुकारा जाता था। जैसे-जैसे विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों ने अपनी पहचान एवं स्वतंत्रता की परिभाषा तय करने की कोशिश की, बाल्कन क्षेत्र गहरे टकराव का क्षेत्र बन गया।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों द्वारा उठाए गये किन्हीं पाँच कदमों का वर्णन कीजिए, जिससे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा हो सकी।
अथवा
लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव उत्पन्न करने के लिए फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों द्वारा कौन-कौन से उपाय किये गये?
उत्तर:
लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव उत्पन्न करने के लिए फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों द्वारा निम्नलिखित कदम उठाये गये

  1. पितृभूमि और नागरिक जैसे विचार-पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया जिसे संविधान के अन्तर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।
  2. नये राष्ट्रीय चिह्न-पुराने शाही प्रतीक चिह्नों को विस्थापित करने के लिए एक नये तिरंगे राष्ट्रध्वज का चुनाव किया गया।
  3. केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था-सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाने के लिए केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई।
  4. राष्ट्रीय भाषा-क्षेत्रीय भाषाओं को राष्ट्रीयता की राह में अवरोध माना गया इसलिए उन्हें हतोत्साहित किया गया। इन भाषाओं की जगह फ्रेंच भाषा को सामान्य लोगों के बोलने और लिखने की भाषा के रूप में प्रोत्साहित किया गया।
  5. भार व नाप की एक समान व्यवस्था-फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने भार व नाप की एक समान व्यवस्था लागू की।
  6. आयात-निर्यात शुल्क की समाप्ति-आंतरिक आयात-निर्यात शुल्कों को समाप्त कर दिया गया।

प्रश्न 2.
“फ्रांस में राजतंत्र वापस लाकर नेपोलियन ने निःसन्देह वहाँ प्रजातन्त्र को नष्ट किया था परन्तु प्रशासनिक क्षेत्र में उसने क्रान्तिकारी सिद्धान्तों का समावेश किया।” इस कथन का औचित्य सिद्ध कीजिए।
अथवा
“फ्रांस में नेपोलियन ने प्रजातंत्र को नष्ट किया था परन्तु प्रशासनिक क्षेत्र में उसने क्रांतिकारी सिद्धान्तों का समावेश किया जिससे पूरी व्यवस्था अधिक तर्क-संगत और कुशल बन सके।” तर्कों सहित इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
“निःसन्देह नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस में लोकतन्त्र को समाप्त कर दिया था परन्तु उसने कई क्रान्तिकारी प्रशासनिक सुधार भी लागू किए।” उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन का औचित्य सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त कथन का औचित्य सिद्ध करने हेतु निम्नलिखित उदाहरण दिए जा सकते हैं
1. नेपोलियन संहिता:
इस संहिता को सन् 1804 ई. में लागू किया गया। इस संहिता ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया। इसने न केवल न्याय के समक्ष समानता स्थापित की बल्कि सम्पत्ति के अधिकार को भी सुरक्षित बनाया।

2. ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार:
नेपोलियन ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया, समिति व्यवस्था को समाप्त कर दिया। किसानों को भू-दासत्व व जागीरदारी शल्कों से मुक्ति दिलाई।

3. शहरी क्षेत्रों में सुधार:
शहरों में कारीगरों की श्रेणी संघों के नियंत्रण को समाप्त कर दिया। परिवहन व संचार व्यवस्थाओं में सुधार किया।

4. व्यापार में सुधार:
नेपोलियन ने एक समान कानून, मानक भार व नाप की व्यवस्था तथा एक राष्ट्रीय मुद्रा को लाग किया, जिससे व्यापार और व्यापारियों के विकास को बहुत अधिक बल मिला तथा वस्तुओं व पूँजी के आवागमन में सुविधा हुई।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 3.
फ्रांस पर नेपोलियन के आधिपत्य के बाद फ्रांस के लोगों का प्रारंभिक उत्साह किस प्रकार शीध्र ही दुश्मनी में बदल गया? कोई चार कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फ्रांस पर नेपोलियन के आधिपत्य के बाद फ्रांस के लोगों के प्रारंभिक उत्साह के शीघ्र ही दुश्मनी में बदलने के चार कारण निम्नलिखित हैं

  1. प्रशासनिक सुधारों का सही ढंग से लागू नहीं कर पाना-नेपोलियन ने फ्रांस में एक बड़े भू-भाग को शामिल करने में सफलता हासिल की परन्तु वह नवीनतम प्रशासनिक सुधारों को सही ढंग से लागू करने में विफल रहा और लोगों का जीवन प्रशासनिक दुष्चक्र में उलझ कर रह गया।
  2. करों में वृद्धि-नेपोलियन ने सत्ता संभालते ही करों की दरों में वृद्धि कर दी जिससे जनता की हालत नाजुक हो गई।
  3. सेंसरशिप को लागू करना-नेपोलियन ने सेंसरशिप लागू कर स्वतंत्र विचारों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके तहत सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने पर कठोर दण्ड का प्रावधान किया गया।
  4. फ्रेंच सेना में जबरन भर्ती-नेपोलियन ने शेष यूरोप को जीतने के लिए लोगों को जबरन फ्रेंच सेना में भर्ती करना शुरू कर दिया जिससे लोगों में उसके प्रति रोष उत्पन्न होने लगा।

प्रश्न 4.
यूरोप में राष्ट्रवाद के किन्हीं चार कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
यूरोप में राष्ट्रवाद के चार कारण निम्नलिखित हैं
1. मध्य वर्ग का उदय:
यूरोप में 19वीं सदी में हुए औद्योगीकरण के कारण नए सामाजिक समूह-श्रामिक वर्ग व मध्य वर्ग, अस्तित्व में आए। मध्य वर्ग ने कुलीन विशेषाधिकारों की समाप्ति के बाद शिक्षित व उदारवादी वर्गों के बीच राष्ट्रीय एकता के विचारों को लोकप्रिय बनाया।

2. उदारवादी विचारधारा का प्रारम्भ:
19वीं सदी में प्रारम्भ हुई इस विचारधारा ने राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया। उदारवाद, राजनीतिक रूप से सहमति से बनी सरकार पर जोर देता था तथा नए मध्य वर्गों के लिए इसका अर्थ था-व्यक्ति के लिए आज़ादी और कानून के समक्ष सबकी बराबरी।

3. यूनान का स्वतत्रंता संग्राम:
यूनान को 1832 ई. में हुई कुस्तुनतुनिया की संधि ने एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्रदान की। इसी के साथ यूरोप के अन्य देश भी एकीकरण के लिए प्रेरित हुए।

4. जन-विद्रोह:
1830 के दशक में यूरोप में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई तथा बेरोजगारी व खाद्यान्न की कमी के कारण लोगों ने विद्रोह करने शुरू कर दिए। इन विद्रोहों से रूढ़िवादी सरकारें कमजोर होने लगी तथा राष्ट्रवादी भावनाएँ जन्म लेने लगी।

प्रश्न 5.
यूरोप महाद्वीप के शक्तिशाली कुलीन वर्ग की प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
यूरोपीय महाद्वीप के शक्तिशाली कुलीन वर्ग की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

  1. जीवन जीने की एक समान शैली: सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से कुलीन वर्ग यूरोप महाद्वीप का सबसे प्रभुत्वशाली वर्ग था। इन लोगों की जीवन जीने की शैली एक समान थी। इस साझी जीवन शैली से इस वर्ग के सदस्य एक दूसरे से जुड़े थे।
  2. भू-स्वामित्व: ये लोग ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के मालिक थे। इनके पास बड़ी-बड़ी जागीरें थीं तथा शहरी क्षेत्रों में विशाल भवनों के स्वामी थे।
  3. फ्रेंच भाषा का प्रयोग: कुलीन वर्ग, राजनीतिक कार्यों के लिए एवं उच्च वर्गों के बीच फ्रेंच भाषा का प्रयोग करते थे।
  4. आपस में वैवाहिक सम्बन्ध: कुलीन वर्गों के परिवार वैवाहिक सम्बन्धों के माध्यम से आपस में जुड़े होते थे।
  5. छोटा समूह: यूरोप महाद्वीप में कुलीन वर्ग संख्या की दृष्टि से एक छोटा समूह था।

प्रश्न 6.
यूरोप में मध्यम वर्ग के उदय के क्या कारण थे? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
यूरोप में मध्यम वर्ग के उदय के निम्नलिखित कारण थे

  1. पश्चिमी एवं मध्य यूरोप के विभिन्न भागों में औद्योगिक उत्पादन और व्यापार में वृद्धि से शहरों का विकास तथा वाणिज्यिक वर्गों का उदय हुआ। इस वर्ग का अस्तित्व बाजार के उत्पादन पर निर्भर था।
  2. इंग्लैण्ड में 18वीं शताब्दी के द्वितीय चरण में औद्योगीकरण प्रारम्भ हुआ जबकि फ्रांस व जर्मनी के राज्यों के कुछ हिस्सों में यह 19वीं शताब्दी के दौरान ही हुआ।
  3. औद्योगीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप श्रमिक वर्ग एवं मध्य वर्ग अस्तित्व में आये। यह वर्ग उद्योगपतियों, व्यापारियों एवं सेना क्षेत्र के लोगों से बनाया गया।
  4. मध्य और पूर्वी यूरोप के इन समूहों का आकार 19वीं शताब्दी के अन्तिम दशकों तक छोटा ही था। यह वर्ग शिक्षित, धन सम्पन्न एवं उदारवादी था।
  5. कुलीन विशेषाधिकारों की समाप्ति के पश्चात् शिक्षित और उदारवादी मध्य वर्गों के बीच ही राष्ट्रीय एकता के विचार लोकप्रिय हुए।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 7.
यूरोप में 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ में विकसित होने वाले उदारवादी राष्ट्रवाद की अवधारणा की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
उदारवाद शब्द लैटिन भाषा के मूल शब्द Liber पर आधारित है जिसका अर्थ है ‘स्वतन्त्र’। उदारवाद का अर्थ विभिन्न लोगों ने अपने-अपने ढंग से स्पष्ट किया है। नये मध्य वर्गों के लिए उदारवाद का अर्थ है-व्यक्ति के लिए स्वतन्त्रता तथा कानून के समक्ष सबकी बराबरी। राजनीतिक रूप से उदारवाद एक ऐसी सरकार पर जोर देता था जो सहमति से गठित हो।

उदारवाद निरंकुश शासन का विरोधी, निरंकुश शासकों एवं पादरियों के विशेषाधिकारों की समाप्ति, संविधान तथा संसदीय प्रतिनिधि सरकार का समर्थक था। 19वीं शताब्दी के उदारवादी, निजी सम्पत्ति के स्वामित्व की अनिवार्यता पर भी बल देते थे। आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद का अर्थ है- बाजारों की मुक्ति, उदारवादी, वस्तुओं व पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाये गये नियन्त्रणों की समाप्ति के पक्ष में थे।

प्रश्न 8.
1815 में नेपोलियन की हार के पश्चात् यूरोपीय सरकारें रूढ़िवाद की भावना से क्यों प्रेरित थीं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1815 ई. में नेपोलियन की हार के पश्चात् यूरोपीय सरकारें रूढ़िवाद की भावना से प्रेरित थीं। रूढ़िवादी यह मानते थे कि राज्य और समाज की स्थापित पारम्परिक संस्थाएँ; जैसे-राजतंत्र, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच, सम्पत्ति व परिवार को बनाये रखना चाहिए फिर भी रूढ़िवादी लोग क्रान्ति से पहले के दौर में वापसी नहीं चाहते थे।

नेपोलियन द्वारा प्रारम्भ किये गये परिवर्तनों से उन्होंने यह जान लिया था कि आधुनिकीकरण, राजतन्त्र जैसी पारम्परिक संस्थाओं को मजबूत बनाने में सक्षम था। वह राज्य की शक्ति को और अधिक शक्तिशाली बना सकता था। अतः एक आधुनिक सेना, कुशल नौकरशाही, गतिशील अर्थव्यवस्था, सामंतवाद तथा भू-दासत्व की समाप्ति यूरोप के निरंकुश राजतन्त्रों को शक्ति प्रदान कर सकते थे।

प्रश्न 9.
वियना सम्मेलन के प्रमुख प्रस्ताव क्या थे? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
सन् 1815 ई. की वियना संधि द्वारा लाये गये दो महत्वपूर्ण परिवर्तनों को संक्षेप में बताइए।
अथवा
1815 की वियना संधि के उद्देश्य स्पष्ट रूप से समझाइए।
अथवा
वियना सम्मेलन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
नेपोलियन की पराजय के पश्चात् यूरोपीय शक्तियों ने वियना की संधि की। इस संधि के उद्देश्य नेपोलियाई युद्धों द्वारा लाये गये परिवर्तनों को समाप्त करना तथा यूरोप में एक नई रूढ़िवादी व्यवस्था स्थापित करना था। वियना सम्मेलन के प्रमुख प्रस्ताव/वियना संधि की प्रमुख विशेषताएँ/दो महत्वपूर्ण परिवर्तन निम्नलिखित हैं

  1. फ्रांसीसी क्रान्ति के दौरान हटाये गये बूबों राजवंश को सत्ता में बहाल किया गया तथा फ्रांस को नेपोलियन से हुए। युद्धों के दौरान प्राप्त विभिन्न क्षेत्रों को लौटाना पड़ा।
  2. भविष्य में फ्रांस द्वारा सम्भावित विस्तार को रोकने के लिए फ्रांस की सीमाओं पर कई नये राज्यों की स्थापना की – गई। इस प्रकार उत्तर में नीदरलैण्ड का राज्य स्थापित किया गया जिसमें बेल्जियम सम्मिलित था और दक्षिण में पीडमॉण्ट में जेनोआ को सम्मिलित कर दिया गया।
  3. प्रशा को उसकी पश्चिमी सीमाओं पर महत्वपूर्ण नये क्षेत्र दिये गये जबकि ऑस्ट्रिया को उत्तरी इटली का नियन्त्रण सौंपा गया।
  4. नेपोलियन द्वारा स्थापित 39 राज्यों के जर्मन महासंघ को बरकरार रखा गया।

प्रश्न 10.
ज्युसेपे मेसिनी कौन था? इटली के एकीकरण के सन्दर्भ में उसकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
अथवा
ज्यसेपे मेत्सिनी के बारे में आप क्या जानते हैं? उसके विचार बताइए।
अथवा
इटली के एकीकरण में मेत्सिनी के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक महान् क्रान्तिकारी नेता था। इनका जन्म 1807 ई. में जेनोआ में हुआ। वह कार्बोनारी के गुप्त संगठन का सदस्य बन गया। मेत्सिनी ने दो भूमिगत संगठनों की स्थापना की-(i) यंग इटली (ii) यंग यूरोप। इन संगठनों के सदस्य पोलैण्ड, फ्रांस, इटली व जर्मनी के युवा थे।
इटली के एकीकरण के सन्दर्भ में मेत्सिनी की भूमिका/विचार:

  1. मेत्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की इच्छा के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी।
  2. वह राजशाही के विरुद्ध था तथा लोकतन्त्र में विश्वास करता था।
  3. वह छोटे राज्यों में विश्वास नहीं करता था। वह इटली के विभिन्न राज्यों एवं प्रदेशों को एकीकृत कर एकीकृत इटली एवं एकीकृत गणराज्य बनाना चाहता था। यह एकीकरण ही इटली की मुक्ति का आधार हो सकता था।
  4. मेत्सिनी ने ‘यंग इटली’ के माध्यम से इटलीवासियों में राष्ट्रीयता, देशभक्ति, त्याग एवं बलिदान की भावनाएँ उत्पन्न की।
  5. मेत्सिनी ने प्रजातांत्रिक गणराज्यों के अपने स्वप्न से रूढ़िवादियों को पराजित कर दिया।
  6. 1830 के दशक में मेत्सिनी ने एकीकृत इतालवी गणराज्य के लिए एक सुविचारित कार्यक्रम प्रस्तुत करने का प्रयास किया।

प्रश्न 11.
रूढ़िवादी, मेत्सिनी के गुप्त संगठनों और विचारों से क्यों डरे हुए थे? कोई दो कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1. ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक क्रांतिकारी युवक था। चौबीस वर्ष की अवस्था में लिगुरिया में क्रांति करने पर उसे बहिष्कृत कर दिया गया। तत्पश्चात् उसने दो और भूमिगत संगठनों की स्थापना की। एक मार्सेई में यंग इटली और दूसरा बर्न में यंग यूरोप, जिसके सदस्य पोलैंड, फ्रांस, इटली और जर्मन राज्यों में समान विचार रखने वाले युवा थे जो कभी भी आन्दोलन खड़ा कर सकते थे।

2. मेत्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई है। अतः इटली छोटे राज्यों और प्रदेशों के पैबंदों की तरह नहीं रह सकता। उसे जोड़कर राष्ट्रों के व्यापक गठबंधन के अंदर एकीकृत गणतंत्र बनाना है। यह एकीकरण ही इटली की मुक्ति का आधार हो सकता था। उसके ऐसे विचारों तथा राजतंत्र का विरोध करने के कारण ही रूढ़िवादी मेत्सिनी से डरे हुए थे।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 12.
सन् 1830 का दशक यूरोप में घोर आर्थिक कठिनाइयों का काल था? इसके कारण बताइए।
अथवा
“यूरोप में सन् 1830 का दशक भारी आर्थिक कठिनाइयों का वर्ष सिद्ध हुआ।” इसकी व्याख्या के लिए कारण दीजिए।
उत्तर:
सन् 1830 का दशक यूरोप में घोर आर्थिक कठिनाइयों का काल था। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

  1. सन् 1830 के दशक में यूरोप की जनसंख्या में बहुत अधिक वृद्धि हुई।
  2. रोजगार के अवसर कम हो गये किन्तु नौकरी की खोज करने वालों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई।
  3. ग्रामीण क्षेत्रों की अतिरिक्त जनसंख्या शहरों में भीड़ से भरी गरीब बस्तियों में रहने लगी।
  4. शहरों के छोटे उत्पादकों को इंग्लैण्ड से आयातित मशीनों से बने सस्ते वस्त्रों से कठोर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था।
  5. यूरोप में कई भागों में कृषक, सामंती शुल्कों व जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे हुए थे।
  6. खाने-पीने की वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि होने तथा फसल के खराब होने से शहरों व गाँवों में व्यापक निर्धनता फैल रही थी।

प्रश्न 13.
उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि एकीकरण से पहले इटली राजनीतिक रूप से बहुत अधिक विखण्डित था।
उत्तर:
अपने एकीकरण से पहले इटली राजनीतिक रूप से बहुत अधिक विखण्डित था। जर्मनी की तरह इटली में भी राजनीतिक विखण्डन का एक लम्बा इतिहास था, जिसके उदाहरण निम्नलिखित हैं

  1. इटली अनेक वंशानुगत राज्यों एवं बहुराष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में बिखरा हुआ था।
  2. उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य इटली सात राज्यों में बँटा हुआ था।
  3. सार्डिनिया-पीडमॉण्ट पर एक इतालवी राजघराने का शासन था। उत्तरी भाग में हैब्सबर्ग शासकों का अधिकार था, मध्य क्षेत्र पर पोप का शासन था तथा दक्षिण क्षेत्र पर स्पेन के बू! राजवंश का शासन था।
  4. इतालवी भाषा सम्पूर्ण राष्ट्र की भाषा नहीं थी। अभी तक उसके विविध क्षेत्रीय व स्थानीय रूप, प्रचलन में थे। 1830 के दशक में ज्युसेपे मेत्सिनी ने इटली को राजनीतिक रूप से एकीकृत करने के लिए एक सुविचारित कार्यक्रम प्रस्तुत करने की कोशिश कर एकीकृत इतालवी गणराज्य की अवधारणा को आगे बढ़ाया।

प्रश्न 14.
ज्युसेपे गैरीबॉल्डी के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
ज्युसेपे गैरीबॉल्डी इटली का सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी था। इसका जन्म 1807 ई. में हुआ था। गैरीबॉल्डी का सम्बन्ध एक ऐसे परिवार से था जो तटीय व्यापार में संलग्न था तथा वह स्वयं व्यापारिक नौसेना में एक नाविक था। 1833 ई. में वह मेत्सिनी के ‘यंग इटली’ आन्दोलन का सदस्य बन गया तथा 1834 ई. में उसने पीडमॉण्ट के गणतंत्रीय विद्रोह में भाग लिया। विद्रोह के कुचल दिये जाने के कारण गैरीबॉल्डी को दक्षिण अमेरिका भागना पड़ा। 1854 ई. में उसने इटली लौटकर विक्टर इमेनुएल द्वितीय का समर्थन किया जो इतालवी राज्यों को एकीकृत करने का प्रयास कर रहा था।

1860 ई. में गैरीबॉल्डी ने दक्षिण इटली की ओर एक्सपिडिशन ऑफ द थाउजेंड (हजार लोगों का अभियान) का सफल नेतृत्व किया, इस अभियान में 30,000 स्वयंसेवक जुड़ गये जो रेड शर्ट्स के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1867 ई. में गैरीबॉल्डी के नेतृत्व में स्वयंसेवकों की एक सेना मेपल राज्यों से लड़ने रोम गयी। वहाँ रेड शर्ट्स, फ्रांसीसी व मेपल सैनिकों के सामने टिक नहीं पाये और पराजित हो गये। 1870 ई. में जब प्रशा से युद्ध के दौरान फ्रांस ने रोम से अपने सैनिक हटा लिए तब जाकर मेपल राज्य अन्ततः इटली में सम्मिलित हुए।

प्रश्न 15.
स्कॉटलैण्ड को किस प्रकार यूनाइटेड किंगडम में शामिल किया गया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच ‘एक्ट ऑफ यूनियन’ (1707) समझौते के तहत यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ का गठन हुआ। इससे इंग्लैण्ड, स्कॉटलैण्ड पर अपना प्रभुत्व जमा पाने में कामयाब हुआ। इसके पश्चात् ब्रितानी संसद में आंग्ल सदस्यों का दबदबा हो गया। स्कॉटलैण्ड की खास संस्कृति और राजनीतिक संस्थानों को योजनाबद्ध तरीकों से दबा दिया गया और ब्रितानी पहचान का विकास हुआ।

स्कॉटिश हाइलैंड्स के निवासी, कैथोलिक कुलों ने जब भी अपनी आजादी को व्यक्त करने का प्रयास किया, उन्हें जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। स्कॉटिश हाइलैंड्स के लोगों को अपनी गेलिक भाषा बोलने या अपनी राष्ट्रीय पोशाक पहनने की मनाही थी। उनमें बहुत से लोगों को अपना वतन छोड़ने पर मजबूर किया गया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रवाद की प्रथम अभिव्यक्ति 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति से प्रारम्भ हुई थी। स्पष्ट करें।
अथवा
“राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 में ‘फ्रांसीसी क्रान्ति’ के साथ हुई।” कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा
1789 ई. में हुई फ्रांस की क्रान्ति के परिणामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फ्रांस की 1789 ई. में होने वाली क्रान्ति को निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत समझा जा सकता है
1. फ्रांसीसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप हुए परिवर्तन:
1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप प्रभुसत्ता राजतंत्र से निकलकर फ्रांसीसी नागरिकों के समूह के हाथों में आ गयी। क्रांतिकारियों ने स्पष्ट रूप से घोषणा की कि अब लोगों के द्वारा राष्ट्र का गठन होगा एवं वे ही राष्ट्र का भाग्य निर्धारित करेंगे।

2. फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों द्वारा उठाये गये कदम:
प्रारम्भ से ही फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने ऐसे अनेक कदम उठाये जिनसे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा हुई

  1. पितृभूमि एवं नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया जिसे एक संविधान के अन्तर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।
  2. एक नया फ्रांसीसी झंडा-तिरंगा चुना गया जिसने पहले के राष्ट्रध्वज का स्थान ले लिया।
  3. एस्टेट जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा तथा उसका नाम परिवर्तित कर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।
  4. नवीन स्तुतियाँ रची गयीं, शपथें ली गयीं एवं शहीदों का गुणगान किया गया। यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ। .
  5. एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गयी जिसने अपने भू-भाग में निवास करने वाले समस्त नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाये।
  6. आन्तरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिये गये।
  7. तौलने एवं नापने के लिए एक तरह की व्यवस्था लागू की गयी।
  8. क्षेत्रीय बोलियों के स्थान पर पेरिस की फ्रेंच भाषा ही राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित हुई।

3. यूरोप पर फ्रांसीसी क्रान्ति का प्रभाव-फ्रांसीसी क्रान्ति का यूरोप पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा

  1. फ्रांस की क्रान्ति ने राष्ट्रवाद के बीज बो दिये, जिससे यूरोप में राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना हुई!
  2. फ्रांस की क्रान्ति ने सम्पूर्ण विश्व को लोकतंत्रीय सिद्धान्त प्रदान किया।
  3. फ्रांस ने यूरोप के अन्य लोगों को राष्ट्रों के गठन में सहायता प्रदान की।
  4. फ्रांसीसी क्रान्ति के पश्चात् यूरोप के विभिन्न देशों के छात्रों एवं शिक्षित मध्य वर्गों के लोगों ने जैकोबिन क्लबों की
  5. स्थापना करना प्रारम्भ कर दिया।
  6. जैकोबिन क्लबों की गतिविधियों एवं अभियानों ने उन फ्रांसीसी सेनाओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया जो 1790 ई. के दशक में हॉलैण्ड, स्विट्जरलैण्ड एवं इटली के बड़े भू-भाग में प्रविष्ट हुई थीं।
  7. फ्रांसीसी सेनाएँ राष्ट्रवाद के विचार को विदेशों में भी ले गयीं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 2.
19वीं सदी के यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद से आपका क्या अभिप्राय है?
अथवा
यूरोप में 19वीं सदी के शुरुआती दशकों में राष्ट्रीय एकता के विचार उदारवाद से किस प्रकार जुड़े थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद का अर्थ-यूरोप में 19वीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों में राष्ट्रीय एकता से सम्बन्धित विचार उदारवाद से जुड़े थे। उदारवाद शब्द लैटिन भाषा के मूल शब्द ‘Liber’ पर आधारित है, जिसका अर्थ है-‘आजाद’। उदारवाद का अर्थ विभिन्न लोगों ने अपने-अपने ढंग से स्पष्ट किया है

  1. नये मध्य वर्गों के लिए उदारवाद का अर्थ था-व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता एवं कानून के समक्ष सबकी बराबरी।
  2. राजनैतिक रूप से उदारवाद एक ऐसी सरकार पर बल देता था जो सहमति से गठित हो।
  3. कुछ लोगों के लिए इसका अर्थ था-निजी सम्पत्ति रख सकने का अधिकार।
  4. आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद का अर्थ बाजारों की मुक्ति था। व्यापारी वर्ग अपने सामान एवं पूँजी के मुक्त आवागमन की माँग करता था।

19वीं सदी के यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद की विशेषताएँ:
1830 ई. के दशक के पश्चात् यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद की कई विशेषताएँ पायी गयीं जो निम्न प्रकार से हैं

  1. व्यक्ति की आजादी एवं कानून के समक्ष सबको समानता का अधिकार प्राप्त हो।
  2. उदारवादी निजी सम्पत्ति के स्वामित्व की अनिवार्यता पर भी बल देते थे।
  3. उदारवाद निरंकुश सरकार एवं पादरी वर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति, संविधान तथा संसदीय प्रतिनिधि सरकार का पक्षधर था।
  4. आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद बाजारों की मुक्ति एवं चीजों तथा पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाये गये नियंत्रणों को समाप्त करने के पक्ष में था।
  5. आर्थिक हितों का राष्ट्रीय एकीकरण करना एवं व्यापक राष्ट्रवादी भावनाओं को आर्थिक राष्ट्रवाद की लहर से मजबूत बनाना।
  6. उदारवादी राष्ट्रवादियों ने प्रेस की आजादी की आवश्यकता पर भी बल दिया।

प्रश्न 3.
1830 ई. से 1848 ई. तक के काल को क्रान्तियों का युग’ क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1830 ई. से 1848 ई. तक के काल में कई क्रान्तियाँ हुईं। जैसे ही रूढ़िवादी ताकतें अपनी शक्ति संगठित करने लगीं, उदारवादियों तथा राष्ट्रवादियों ने उनका विरोध किया। इस काल में इटली, जर्मन राज्यों, ऑटोमन साम्राज्य, ऑयरलैण्ड व पॉलैण्ड में क्रान्तियाँ हुईं। ये क्रान्तियाँ उदारवादी-राष्ट्रवादियों के नेतृत्व में हुईं जो शिक्षित मध्य वर्गीय विशिष्ट लोग थे। इन विशिष्ट लोगों में प्रोफेसर, स्कूल शिक्षक, क्लर्क एवं व्यापार में लगे मध्य वर्ग के लोग थे।
1. फ्रांस में विद्रोह:
प्रथम विद्रोह फ्रांस में जुलाई 1830 में हुआ। बूढे राजा, जिन्हें रूढ़िवादी प्रतिक्रिया के दौरान सत्ता में बहाल किया गया, उन्हें उदारवादी क्रान्तिकारियों ने उखाड़ फेंका। उनके स्थान पर एक संवैधानिक राजतंत्र स्थापित किया गया जिसके अध्यक्ष लुई फिलिप थे।

2. ब्रसेल्स में विद्रोह:
मैटरनिख ने एक बार यह टिप्पणी की थी कि “जब फ्रांस छींकता है तो सारे यूरोप को सर्दी-जुकाम हो जाता है।” यह बात सत्य सिद्ध हुई। फ्रांस में हुई जुलाई की क्रान्ति से ब्रूसेल्स में भी विद्रोह भड़क गया जिसके परिणामस्वरूप यूनाइटेड किंगडम ऑफ द नीदरलैण्ड से ब्रूसेल्स अलग हो गया।

3. यूनान का स्वतन्त्रता संग्राम:
यूनान 15वीं शताब्दी से ही मुस्लिम ऑटोमन साम्राज्य का एक भाग था। यूरोप में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति होने लगी जिससे प्रेरित होकर यूनानियों ने भी सन् 1821 ई. में स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष प्रारम्भ कर दिया। यूनानियों को स्वतन्त्रता संग्राम में निर्वाचित यूमानियों के साथ-साथ पश्चिमी यूरोप के अनेक लोगों का भी सहयोग प्राप्त हुआ।

कवियों और कलाकारों ने भी यूनान को यूरोपीय सभ्यता का पालक बताकर भरपूर प्रशंसा की तथा एक मुस्लिम साम्राज्य के विरुद्ध यूनान के संघर्ष के लिए जनमत का निर्माण किया। अंग्रेजी कवि लॉर्ड बायरन ने धन एकत्रित किया तथा युद्ध में भी सम्मिलित हुए। अंततः 1832 ई. की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता प्रदान कर दी। यूनान के स्वतंत्रता संग्राम ने सम्पूर्ण यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रीय भावनाओं का संचार किया।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीयता के विकास में रूमानीवाद, लोक परम्परा एवं भाषा के महत्त्व पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राष्ट्रीयता के विकास में रूमानीवाद, लोंक परम्परा एवं भाषा का बहुत अधिक महत्त्व रहा है, जो निम्नलिखित
1. रूमानीवाद:
रूमानीवाद, एक ऐसा सांस्कृतिक आंदोलन था जो एक विशेष प्रकार की राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता था। साधारणतया रूमानी कलाकारों और कवियों ने तर्क-वितर्क व विज्ञान के महिमामंडन की आलोचना की तथा उसके स्थान पर भावनाओं, अन्तर्दृष्टि और रहस्यवादी भावनाओं पर बल दिया। उनका यह प्रयास था कि एक साझा सामूहिक विरासत की अनुमति तथा एक साझा सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का आधार बनाया जाए।

2. लोक परम्पराएँ:
जर्मन दार्शनिक योहान गॉटफ्रीड जैसे रूमानी चिंतकों ने दावा किया कि सच्ची जर्मन संस्कृति उसके आम लोगों में निहित थी। राष्ट्र की सच्ची आत्मा लोकगीतों, जन काव्य तथा लोक नृत्यों से प्रकट होती है इसलिए लोक संस्कृति के इन स्वरूपों को एकत्र और अंकित करना राष्ट्र के निर्माण की परियोजना के लिए आवश्यक था।

स्थानीय बोलियों पर बल तथा स्थानीय लोक साहित्य को एकत्र करने का उद्देश्य मात्र प्राचीन राष्ट्रीय भावना को वापस लाना नहीं था बल्कि आधुनिक राष्ट्रीय संदेश को अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाना था जिनमें से अधिकांश निरक्षर थे। संगीत व भाषा के माध्यम से राष्ट्रीय भावना जीवित रखी गयी। केरोल कुर्पिस्की ने राष्ट्रीय संघर्ष का अपने ऑपेरा व संगीत से गुणगान किया। पोलेनेस तथा माजुरका जैसे लोकनृत्यों को राष्ट्रीय प्रतीकों में बदल दिया गया।

3. भाषा:
भाषा ने भी राष्ट्रीयता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूसी कब्जे के पश्चात् पोलिश भाषा को स्कूलों से बलपूर्वक हटाकर रूसी भाषा को प्रत्येक जगह जबरदस्ती थोपा गया। 1831 ई. में रूस के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह हुआ जिसे आखिरकार कुचल दिया गया। इसके अनेक सदस्यों ने राष्ट्रवादी विरोध के लिए भाषा को एक हथियार बनाया। चर्च के आयोजनों तथा सम्पूर्ण धार्मिक शिक्षा में पोलिश भाषा का प्रयोग हुआ।

इसका परिणाम यह हुआ कि बड़ी संख्या में पादरियों और बिशपों को जेल में डाल दिया गया। रूसी अधिकारियों ने उन्हें सजा देते हुए साइबेरिया भेज दिया क्योंकि उन्होंने रूसी भाषा का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया था। पोलिश भाषा रूसी शासन के विरुद्ध एक संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखी जाने लगी।

प्रश्न 5.
1848 ई. के जर्मन उदारवादी आंदोलन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
1848 ई. की जर्मन क्रांति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1848 ई. के जर्मन उदारवादी आंदोलन को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. 1848 ई. में जब अनेक यूरोपीय देशों में निर्धनता, बेरोजगारी एवं भुखमरी से ग्रस्त किसान-मजदूर विद्रोह कर रहे थे तब उनके समानांतर शिक्षित मध्य वर्गों में भी एक क्रान्ति हो रही थी।
  2. फरवरी 1848 ई. की घटनाओं के कारण राजा को गद्दी छोड़नी पड़ी तथा एक गणतन्त्र की घोषणा की गई जो समस्त पुरुषों के सार्वभौमिक मताधिकार पर आधारित था।
  3. जर्मन क्षेत्रों में विशाल संख्या में राजनीतिक संगठनों ने फ्रैंकफर्ट शहर में मिलकर एक सर्व जर्मन नेशनल एसेंबली के समर्थन में मतदान का निर्णय लिया।
  4. 18 मई, 1848 ई. को 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक सजे-धजे जुलूस में जाकर फ्रैंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया। सेंटपॉल चर्च में आयोजित इस बैठक में जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया गया।
  5. नवोदित जर्मन राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गयी जिसे संसद के नियन्त्रण में रहना था।
  6. प्रशा के राजा फ्रेडरिक विल्हेम चतुर्थ ने इस संविधान को अस्वीकृत कर निर्वाचित सभा के विरोधी राजाओं का साथ दिया।
  7. इस बात पर कुलीन वर्ग व सेना का विरोध बढ़ गया, जिससे संसद का सामाजिक आधार कमजोर हो गया।
  8. संसद में मध्य वर्गों का अधिक प्रभाव था जिन्होंने श्रमिकों व कारीगरों की माँगों का विरोध किया।
  9. बहुत बड़ी संख्या में महिलाएँ भी आन्दोलन में सम्मिलित हुईं तथापि उन्हें उनके राजनीतिक अधिकार नहीं दिये गये।
  10. अन्त में सैनिकों को बुलाया गया तथा एसेम्बली को भंग कर दिया गया। इस तरह रूढ़िवादी ताकतें 1848 ई. के उदारवादी आन्दोलन को दबा पाने में सफल हो गयीं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 6.
ग्रेट ब्रिटेन के आदर्श राष्ट्र राज्य बनने के कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ग्रेट ब्रिटेन में आदर्श खण्ड राष्ट्र का निर्माण अचानक हुई किसी उथल-पुथल अथवा क्रान्ति का परिणाम नहीं था, बल्कि यह एक लम्बी चलने वाली प्रक्रिया का परिणाम था। ग्रेट ब्रिटेन के आदर्श राष्ट्र राज्य बनने के कारण निम्नलिखित थे

1. अठारहवीं सदी से पूर्व ब्रिटिश राष्ट्र का न होना:
अठारहवीं सदी से पूर्व ब्रिटेन राष्ट्र नहीं था। ब्रिटिश द्वीप समूह में रहने वाले लोगों-अंग्रेज, वेल्स, स्कॉट या आयरिश की मुख्य पहचान नृजातीय थी। इन समस्त जातीय समूहों की अपनी सांस्कृतिक व राजनीतिक परम्परायें थीं, परन्तु जब आंग्ल राष्ट्र की शक्ति, जन सम्पत्ति एवं गौरव में वृद्धि होने लगी तो वह द्वीप समूह के अन्य राष्ट्रों पर अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफल हुआ।

2. आंग्ल संसद द्वारा अपनी सर्वोच्चता स्थापित करना:
एक लम्बे संघर्ष के पश्चात् आंग्ल संसद ने 1688 ई. में राजतन्त्र से सत्ता छीन ली तथा अपनी सर्वोच्च सत्ता स्थापित कर ली। इस संसद के माध्यम से एक राष्ट्र राज्य का निर्माण हुआ, जिसके केन्द्र में इंग्लैण्ड था।

3. यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन की स्थापना:
1707 ई. में इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के मध्य एक्ट ऑफ यूनियन के द्वारा ‘यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ का गठन हुआ। इस एक्ट के माध्यम से इंग्लैण्ड को स्कॉटलैण्ड पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का अधिकार मिल गया।

4. स्कॉटलैण्ड की संस्कृति का दमन:
ब्रिटिश संसद में आंग्ल (अंग्रेज) सदस्यों के दबदबे के कारण अब स्कॉटलैण्ड की संस्कृति एवं राजनीतिक संस्थाओं का दमन होने लगा। स्कॉटलैण्ड के लोगों को संसद में अपनी भाषा का प्रयोग करने एवं अपनी राष्ट्रीय पोशाक पहनने से मना कर दिया गया। इसके अतिरिक्त अनेक लोगों को देश छेड़ने के लिए मजबूर भी किया गया।

5. आयरलैण्ड में कैथोलिक धर्मावलम्बियों का दमन करना:
आयरलैण्ड कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेंट धार्मिक गुटों में विभाजित था, परन्तु अधिकांश लोग कैथोलिक थे। इंग्लैण्ड ने कैथोलिकों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए प्रोटेस्टेंटों को समर्थन देना प्रारम्भ कर दिया। इंग्लैण्ड के इस कार्य के विरुद्ध कैथोलिक धर्म मानने वाले लोगों ने विद्रोह प्रारम्भ कर दिया। इस विद्रोह को बलपूर्वक दबा दिया गया।

6. आयरलैण्ड को यूनाइटेड किंग्डम में सम्मिलित करना:
1801 ई. में आयरलैण्ड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में सम्मिलित कर लिया गया। इस प्रकार एक नवीन ब्रिटिश राष्ट्र का निर्माण हुआ।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

वस्तुनिष्ठ

प्रश्न 1.
निम्न में से किस वर्ष महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे
(क) 1915 ई.
(ख) 1951 ई.
(ग) 1927 ई.
(घ) 1918 ई.
उत्तर:
(क) 1915 ई.

2. सत्याग्रह निम्नलिखित में से क्या था ?
(क) शुद्ध आत्मिक बल
(ख) कमज़ोर का हथियार
(ग) भौतिक (शारीरिक बल)
(घ) हथियारों का बल
उत्तर:
(क) शुद्ध आत्मिक बल

3. चौरी-चौरा कांड किस वर्ष हुआ
(क) 1920 ई.
(ख) 1922 ई.
(ग) 1925 ई.
(घ) 1928 ई.
उत्तर:
(ख) 1922 ई.

4. कुछ घटनाएँ नीचे दी गई हैं। उचित कालक्रमानुसार क्रम का चयन कीजिए
1. साइमन कमीशन का भारत आना ।
2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग
3. भारत अधिनियम 1919
4. चंपारन सत्याग्रह सही विकल्प का चयन कीजिए
(क)3-2-4-1
(ख) 1-2-3-4
(ग) 2-3-1-4
(घ) 4-3-1-2
उत्तर:
(घ) 4-3-1-2

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

5. किस घटना से सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत हुई
(क) जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ा
(ख) जब गाँधी-अम्बेडकर समझौता हुआ
(ग) जब गाँधीजी ने इरविन को पत्र लिखा
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ा

6. पूना पैक्ट किन दो नेताओं के मध्य हुआ?
(क) गाँधीजी व नेहरू
(ख) नेहरू व सुभाषचन्द्र बोस
(ग) गाँधीजी व डॉ.अम्बेडकर
(घ) गाँधीजी व सरदार पटेल
उत्तर:
(ग) गाँधीजी व डॉ.अम्बेडकर

7. निम्नलिखित में से किसने ‘वन्देमातरम्’ लिखा?
(क) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(ख) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
(ग) अवनीन्द्रनाथ टैगोर
(घ) द्वारकानाथ टैगोर
उत्तर:
(ख) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

8. निम्न में से किसने आन्दोलन से प्रेरित होकर भारत माता की विख्यात छवि को चित्रित किया
(क) बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने
(ख) अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने
(ख) कृपाल सिंह शेखावत ने ।
(घ) राजा रवि वर्मा ने
उत्तर:
(ख) अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. भारत आने के बाद गाँधीजी ने कई स्थानों पर ……. आंदोलन चलाया।
उत्तर:
सत्यग्राह

2. ………. आंदोलन जनवरी, 1921 में प्रारंभ हुआ।
उत्तर:
असहयोग-खिलाफत,

3. फरवरी माह, 1992 ई. में ………. कांड हुआ।
उत्तर:
चौरी-चौरा,

4. ………. को गांधी-इरविन समझौता हुआ।
उत्तर:
मार्च,

5. ………. ने भारत माता की छवि को चित्रित किया।
उत्तर:
अवनीन्द्रनाथ टैगोर।

अति लयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सत्याग्रह के विच्चार में किस बात पर जोर दिया जाता है?
उत्नर:
सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति के आय्रह एबं सत्य की खोज पर जोर दिया आता है।

प्रश्न 2.
सत्याय्रह से कर्मा अभिप्राय है?
उत्तर:
मात्मा गाँधी के अनुसार, सत्याग्रह शुद्ध आत्मबल है। मत्य ही आत्मा का आधार होता है। इसीलिए इस बल को सत्याग्रह का नाम दिया गया है।

प्रश्न 3.
उन तीन स्थानों के नाम बताइए जहाँ गाँधीजी ने सत्याग्रह किया था ?
उत्तर:
गाँधीजी के सत्याग्रह से सम्बन्धित तीन स्थान-

  1. चंपारन-बिहार,
  2. खेड़ा-गुजरात,
  3. अहमदाबाद – गुजरात।

प्रश्न 4.
भारत में सबसे पहले महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह किस स्थान पर आयोजित किया था?
उत्तर: चंपारन (बिहार, 1916) में।.

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 5.
चंपारन में गाँधी ने किसानों को क्या प्रेरणा दी?
उत्तर:
सन् 1916 में गाँधीजी ने बिहार के चंपारन का दौरा कर दमनकारी शासन व्यवस्था के विरुद्ध किसानों को संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

प्रश्न 6.
तैरेट एकड दर्यो तागू किया गया था?
अथवा
भारतीयों ने किस विधेयक को ‘काला कानून’ का
उत्तर:
रॉलेट एक्ट को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने तथा राजनीतिक कैदियों को बिना मुकदमा चलाए दो साल तक जेल में बन्द रखने के लिए लागू किया गया। भारतीयों ने इसे ‘काला कानून’ कहा और विरोध किया।

प्रश्न 7.
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड कब व कहाँ हुआ?
उत्तर:
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में हुआ।

प्रश्न 8.
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के लिए कौन
उत्तर:
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के लिए जनरल डायर उत्तरदायी था जिसने निहत्थी जनता पर गोली चलाने का आदेश दिया।

प्रश्न 9.
भारत में खिलाफ़ आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया गया ?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार द्वारा तुर्की के खलीफा के साथ किये गये विश्वासघात के कारण मुसलमानों में असन्तोष था। खलीफा की प्रतिष्ठा की पुनस्थ्थापना हेतु भारत में खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ किया गया था।

प्रश्न 10.
खिलाफ्त समिति का गठन कब व क्यों किया गया ?
उत्तर:
खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च, 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 11.
हिन्द स्वराज पुस्तक के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:
हिन्द स्वराज्य पुस्तक के लेखक महात्मा गाँधी थे।

प्रश्न 12.
कांग्रेस के किस अधिवेशन में असहयोग कार्यक्रम को स्वीकृति प्राप्त हुई?
उत्तर:
दिसम्बर, 1920 में आयोजित कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में असहयोग कार्यक्रम को स्वीकृति प्राप्त हुई।

प्रश्न 13.
असहयोग-खिलाफत आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ तथा इसमें किसने हिस्सा लिया ?
उत्तर:
असहयोग-खिलाफत आन्दोलन जनवरी, 1921 में प्रारम्भ हुआ। इस आन्दोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों ने हिस्सा लिया।

प्रश्न 14.
पिकेर्टिंग क्या है ?
उत्तर:
प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दुकान, कारखाना अथवा कार्यालय के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।

प्रश्म 15.
अवध किसान सभा किसके द्वारा बमाई गई?
उतर:
अवध किसान सभा जवाहरलाल नेहरू, बाबा रामचंत्र और कुछ अन्य लोगों द्वारा बनाई गई।

प्रश्न 16.1
920 के दशक में किस राज्य में एक उग्र गुरिल्ला आन्दोलन शुरू हुआ?
उत्तर:
1920 के दशक में आन्ध्र प्रदेश राज्य की गूड़ेम पहाड़ियों में एक उग्र गुरिल्ला आन्दोलन शुरू हुआ था।

प्रश्न 17.
“इनलैंड इमिग्रेशन एक्ट” क्या था?
उत्तर:
इनलेंड इमिग्रेशन एक्ट 1859 ई. में बना था। इसके तहत बागानों में काम करने वाले मजदूर बिना इजाजत बागानों से बाहर नहीं जा सकते थें।

प्रश्न 18.
गाँधीजी ने किस घटना के कारण असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया ?
अथवा
गाँधीजी ने 1922 में असहयोग आन्दोलन वापस लेने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर:
चौरी-चौरा की हिंसात्मक घटना के कारण गाँधी जी ने फरवरी, 1922 में असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 19.
साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया था?
उत्तर:
भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्य-शैली का अध्ययन करने के लिए साइमन कमीशन का गठन किया गया था ?

प्रश्न 20.
पूर्ण स्वराज की माँग कांग्रेस के किस अधिवेशन में और कब रखी गयी?
अथवा
कांग्रेस ने किस अधिवेशन में “पूर्ण स्वराज्य”‘ की माँग की?
उत्तर:
पूर्ण स्वराज की माँग दिसम्बर, 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में रखी गयी।

प्रश्न 21.
1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
जवाहर लाल नेहरु।

प्रश्न 22.
दिसम्बर, 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में क्या तय किया गया?
उत्तर:
दिसम्बर, 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में यह तय किया गया कि 26 जनवरी, 1930 को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जायेगा तथा उस दिन लोग पूर्ण स्वराज्य के लिए संघर्ष की शपथ लेंगे।

प्रश्न 23.
1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन का क्या महत्व धा?
उत्तर:
1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग को औपचारिक रूप से मान लिया गया था।

प्रश्न 24.
देश की एकजुटता के लिए गाँधीजी को कौन शक्तिशाली प्रतीक के रूप में दिखाई दिया?
उत्तर:
देश की एकजुटता के लिए गाँधीजी को नमक एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में दिखाई दिया।

प्रश्न 25.
गाँधीजी की नमक यात्रा का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
गाँधीजी की नमक यात्रा का प्रमुख उद्देश्य अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ना था।

प्रश्न 26.
गाँधी-इरविन समझौता कब हुआ? इस समझौते की मुख्य बात क्या थी?
उत्तर:
5 मार्च, 1931 को गाँधी-इरविन समझौता हुआ। इस समझौते के माध्यम से गाँधीजी ने लन्दन में आयोजित होने वाले दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर अपनी सहमति प्रदान की थी।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 27.
लेजिस्लेटिव असेंबली पर कब व किसने बम फेंका ?
उत्तर:
1929 ई. में भगतसिहह एवं बटुकेश्वर दत्त ने लेजिस्लेटिव असेंबली पर बम फेंका था।

प्रश्न 28.
यह किसने कहा था कि “हम बम और पिस्तौल की उपासना नहीं करते बल्कि समाज में क्रांति चाहते हैं।”
उत्तर:
भगतसिंह ने।

प्रश्न 29.
‘इंकलाब जिन्दाबाद’ का नारा किस स्वतन्त्रता सेनानी ने दिया?
उत्तर:
‘इंकलाब जिन्दाबाद’ का नारा सरदार भगतसिंह ने दिया था।

प्रश्न 30.
गाँवों में सम्पत्न कृषकों एवं उत्तर प्रदेश के जाटों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में क्यों सक्रिय भाग लिया?
उत्तर:
क्योंकि वे व्यावसायिक फसलों की खेती के कारण व्यापार में मंदी एवं गिरती कीमतों से परेशान थे।

प्रश्न 31.
अधिकांश व्यवसायी स्वराज को कैसे युग के रूप में देखते थे?
उत्तर:
जहाँ व्यापार पर औपनिवेशिक पाबन्दियाँ नहीं होंगी एवं व्यापार व उद्योग निर्बाध ढंग से फल-फूल सकेंगे।

प्रश्न 32.
किसने व कब दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया?
अथवा
दमित वर्ग एसोसिएशन का गठन कब हुआ? 1930 में किसने दलितों को ‘दमित वर्ग एसोसिएशन 1930 में किसने दलितों को ‘दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया। में संगठित किया।
उत्तर:
सन् 1930 ई. में डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया।

प्रश्न 33.
दलित वर्गों ने अलग निर्वाचन क्षेत्रों की माँग क्यों की?
उत्तर:
दलित वर्गों का मत था कि उनकी सामाजिक अपंगता केवल राजनीतिक सशक्तिकरण से ही दूर हो सकती है। इसलिए उन्होंने अलग निर्वाचन क्षेत्रों की माँग की।

प्रश्न 34.
पूना समझौता कब और किन-किन के मध्य हुआ?
उत्तर:
पूना समझौता सितम्बर, 1932 में महात्मा गाँधी व डॉ. भीमराम अम्बेडकर के मध्य हुआ था।

प्रश्न 35.
पूना पैक्ट की किन्हीं दो मुख्य बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1. दलित वर्गों के लिए प्रान्तीय एवं केन्द्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें दी जायें,
2. दलित वर्गों के लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही-हो।

प्रश्न 36.
‘आनंदमठ’ उपन्यास के लेखक का नाम बताइए।
उत्तर:
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय।

प्रश्न 37.
अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित भारत माता की पेंटिंग की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता को एक संन्यासिनी के रूप में दर्शाया, जिसमें वह शान्त, गम्भीर, दैवीय और आध्यात्मिक गुणों से युक्त दिखाई देती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
दक्षिणी अफ्रीका में महात्मा गाँधी सत्याग्रह में क्यों सम्मिलित हुए?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने 6 नवम्बर, 1913 ई. को न्यूकैसल से ट्रांसवाल की ओर बढ़ रहे मजदूरों के जुलूस का नेतृत्व किया। इस जुलूस को जब अंग्रेज सरकार द्वारा रोका गया तो हजारों मजदूर अश्वेतों के अधिकारों का हनन करने वाले नस्लभेदी कानूनों के खिलाफ महात्मा गाँधी के सत्याग्रह में सम्मिलित हो गये।

प्रश्न 2.
रॉलेट एक्ट क्या था? इस एक्ट का किसने विरोध किया?
उत्तर:
रॉलेट एक्ट, इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल द्वारा पारित एक ऐसा कानून था जिसके तहत ब्रिटिश सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने एवं राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकद्मा चलाये जेल में बन्द रखने की अनुमति मिल गयी थी। इस एक्ट का भारतीयों ने विरोध किया।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 3.
अंग्रेज सरकार ने रॉलेट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह के विरोध में क्या-क्या कदम उठाए?
अथवा
राष्ट्रवादियों पर शिकंजा कसने के लिए ब्रिटिश प्रशासन द्वारा उठाए गए किन्हीं तीन दमनकारी उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंग्रेज सरकार ने रॉलट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह के विरोध में निम्नलिखित कदम उठाए

  1. रैलियों एवं जुलूसों पर रोक लगाई गयी।
  2. अंग्रेजी सरकार द्वारा रेलवे व संचार व्यवस्था की सुरक्षा हेतु इंतजाम किये गये।
  3. अमृतसर के स्थानीय नेताओं को गिरफ्तार किया गया।
  4. दिल्ली में महात्मा गाँधी के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी।
  5. अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया तथा जनरल डायर ने कमान संभाल ली।

प्रश्न 4.
जलियाँवाला बाग घटना के बाद लोगों की प्रतिक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जलियाँवाला बाग घटना के बाद लोगों की प्रतिक्रिया निम्न प्रकार थीं

  1. जलियाँवाला बाग घटना की खबर फैलते ही उत्तर भारत के अनेक शहरों में लोग अंग्रेज सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतरने लगे।
  2. हड़तालें होने लगीं, लोग पुलिस का सामना करने लगे तथा सरकारी इमारतों को निशाना बनाने लगे।

प्रश्न 5.
गाँधीजी ने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन क्यों किया?
उत्तर:
महात्मा गाँधीजी सम्पूर्ण भारत में और भी ज्यादा जनाधार वाला आन्दोलन चलाना चाहते थे लेकिन उनका मानना था कि हिन्दू और मुसलमानों को एक-दूसरे के नजदीक लाए बिना ऐसा कोई आन्दोलन नहीं चलाया जा सकता इसलिए उन्होंने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया। मोहम्मद अली एवं शौकत अली बन्धुओं जैसे युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जन कार्यवाही की सम्भावना तलाशने के लिए महात्मा गाँधीजी के साथ चर्चा शुरू कर दी थी।

प्रश्न 6.
महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश सरकार के प्रति असहयोग की नीति क्यों अपनायी?
अथवा
गाँधीजी ने अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर:
अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘हिन्द स्वराज’ में महात्मा गाँधी ने कहा था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था तथा यह शासन इसी सहयोग की वजह से चलाया जा रहा है। यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो वर्षभर के भीतर ब्रिटिश शासन समाप्त हो जायेगा और स्वराज की स्थापना हो जायेगी। अत: गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निश्चय कर लिया।

प्रश्न 7.
असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ करने के पीछे गाँधीजी की कौन-कौन सी योजनाएँ थीं?
अथवा
असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
महात्मा गाँधी द्वारा सुझाए गए असहयोग आन्दोलन के संदर्भ में प्रमुख प्रस्तावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ करने के पीछे गाँधीजी की निम्नलिखित योजनाएँ थीं

  1. असहयोग आन्दोलन चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए।
  2. अंग्रेज सरकार द्वारा दी गई समस्त पदयिय वापिस कर दी जाने
  3. भारतीयों को सरकारी नाकारयों, सेना, पुलिस, अदालतों, म्कलों, विधाया परिषदों एवं विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए।
  4. यदि अंग्रेज सरकार दमनात्मक कार्यवाही करती है तो एक व्यापक सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत की जायेगी।

प्रश्न 8.
भारत के शहरी मध्यम वर्ग में असहयोग आन्दोलन के प्रति क्या प्रतिक्रिया हुई ?
अथवा
असहयोग आन्दोलन के किन्हीं तीन आर्थिक प्रभावों को संक्षेप में बताइए।
अथवा
भारतीय अर्थव्यवस्था पर असहयोग आन्दोलन का क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
‘असहयोग आन्दोलन’ किस प्रकार शहरी मध्य वर्ग की हिस्सेदारी के साथ शहरों में हुआ? आर्थिक मोर्चे पर इसके प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:

  • भारत के शहरी मध्यम वर्ग में असहयोग आन्दोलन के प्रति निम्नलिखित प्रतिक्रियाएँ हुईं
    1. हजारों की संख्या में विद्यार्थियों ने विद्यालयों एवं महाविद्यालयों का परित्याग कर दिया।
    2. प्रधानाध्यापकों एवं अध्यापकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
    3. वकीलों ने मुकदमे लड़ना बन्द कर दिया।
    4. मद्रास (वर्तमान चेन्नई) के अतिरिक्त अधिकांश प्रान्तों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया।
  • असहयोग आन्दोलन के आर्थिक प्रभाव निम्नलिखित थे
    1. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों पर धरने दिये गये तथा विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई।
    2. 1921 से 1922 ई. के मध्य विदेशी कपड़ों का आयात आधा हो गया। उसकी कीमत 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गई।
    3. जब लोगों ने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया तो भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा।

प्रश्न 9.
कुछ समय पश्चात् शहरों में असहयोग-खिलाफत आन्दोलन धीमा पड़ने लगा। क्यों?
अथवा
असहयोग आन्दोलन के धीरे-धीरे धीमा हो जाने के पीछे कौन से कारण उत्तरदायी थे?
अथवा
शहरों में असहयोग आन्दोलन के मंद होने के किन्हीं तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शहरों में असहयोग-खिलाफत आन्दोलन के धीमा पड़ने/पतन के निम्नलिखित कारण थे

  1. वृहत् स्तर पर मिलों में बनने वाले कपड़ों की अपेक्षा खादी के कपड़े महँगे थे जिन्हें गरीब नहीं खरीद सकते थे। अतः गरीब लोगों ने मिलों के कपड़े पहनने ही पसन्द किए।
  2. वैकल्पिक शिक्षण संस्थानों की स्थापना की प्रक्रिया के धीमा होने के कारण विद्यार्थी व शिक्षक राजकीय विद्यालयों में वापस लौटने लगे।
  3. वकीलों के लिए बेरोजगारी एक समस्या बन गयी। अत: वे अपने काम पर धीरे-धीरे वापस लौटने लगे।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 10.
अवध के किसानों की क्या समस्याएँ थीं? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
अवध के किसानों की निम्नलिखित समस्याएँ थीं

  1. अवध के तालुकदारों एवं जमींदारों द्वारा किसानों से अधिक लगान एवं अन्य प्रकार के कर वसूले जा रहे थे।
  2. किसानों को जमींदारों के खेतों पर बेगार अर्थात् बिना किसी पारिश्रमिक के काम करना पड़ता था।
  3. एक पट्टेदार के रूप में किसानों के पट्टे निश्चित नहीं होते थे। उन्हें बार-बार पट्टे की जमीन से बेदखल कर दिया जाता था ताकि जमीन पर उनका कोई अधिकार स्थापित न हो सके।

प्रश्न 11.
ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन का विरोध कर रहे भारतीय नेताओं को सन्तुष्ट करने के लिए क्या किया?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन का विरोध कर रहे भारतीय नेताओं को सन्तुष्ट करने के लिए निम्नलिखित घोषणाएँ की

  1. वायसराय लॉर्ड इरविन ने भारत को एक डोमिनियन स्टेट्स प्रदान करने के अस्पष्ट प्रस्ताव की घोषणा की।
  2. भारत के भावी संविधान के बारे में चर्चा करने के लिए एक गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

प्रश्न 12.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने से पहले गाँधीजी ने क्या किया?
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने से पहले गाँधीजी ने 31 जनवरी, 1930 को वायसराय इरविन को पत्र लिखकर अपनी 11 सूत्री माँगें उसके समक्ष पी। इन्हीं माँगों में से एक थी नमक कर को समाप्त करना। गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार को 11 मार्च 1930 ई. तक सभी माँगें मान ल. की चेतावनी दी अन्यथा वे सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ कर देंगे।

प्रश्न 13.
महात्मा गाँधी ने अंग्रेज सरकार के विरुद्ध लड़ने के लिए नमक को ही अस्त्र के रूप में क्यों चुना?
उत्तर:

  1. नमक भोजन का एक अभिन्न हिस्सा था जिसका प्रयोग अमीर व गरीब दोनों समान रूप से करते हैं।
  2. ब्रिटिश सरकार ने नमक पर कर तथा उसके उत्पादन पर सरकारी एकाधिकार स्थापित कर रखा था जो कि ब्रिटिश सरकार का एक दमनकारी पहलू था।
  3. स्वतन्त्रता आन्दोलन को व्यापक आधार प्रदान करने के लिए गाँधीजी ने नमक को एक अस्त्र के रूप में चुना।

प्रश्न 14.
गाँधीजी की नमक यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या था? गाँधीजी द्वारा इस उद्देश्य की पूर्ति किस प्रकार की गई?
उत्तर:
गाँधीजी की नमक यात्रा 12 मार्च, 1930 को साबरमती से प्रारम्भ होकर 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुँचकर समाप्त हुई। गाँधीजी की इस नमक यात्रा का मुख्य उद्देश्य अंग्रेज सरकार द्वारा निर्मित नमक कानून को तोड़ना था। गाँधीजी ने समुद्र के पानी को उबालकर नमक बनाकर इस उद्देश्य को पूर्ण किया।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 15.
गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस क्यों लिया ?
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान अप्रैल, 1930 में महात्मा गाँधी के साथी खान अब्दुल गफ्फार खान एवं मई, 1930 में महात्मा गाँधी की गिरफ्तारी से आन्दोलन उग्र हो गया। लोगों ने हिंसक गतिविधियों की जिससे कई लोग मारे गये। अतः जनता द्वारा की जाने वाली हिंसात्मक कार्यवाहियों के कारण गाँधीजी ने आन्दोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया।

प्रश्न 16.
गाँवों के सम्पन्न किसान समुदाय ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में क्यों भाग लिया?
अथवा
सम्पन्न कृषक सिविल नाफरमानी आन्दोलन में क्यों सम्मिलित हुए?
उत्तर:

  1. सम्पन्न कृषक व्यापारिक फसलों का उत्पादन करते थे, कीमतों में गिरावट के कारण व्यापार में मन्दी आ गई, जिसके कारण उनकी आय में बहुत कमी आ गई थी।
  2. उनकी नगद आय समाप्त होने से उनके द्वारा राजकीय लगान चुकाना मुश्किल हो गया।
  3. ब्रिटिश सरकार द्वारा लगान में कमी करने से इन्कार कर दिया गया था।
  4. इससे सम्पन्न कृषकों में रोष उत्पन्न हो गया और वे सविनय अवज्ञा आन्दोलन में सक्रिय हो गये।

प्रश्न 17.
‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ में गरीब किसानों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गरीब किसान जमींदारों से पट्टे पर जमीन लेकर खेती करते थे। महामंदी के लम्बी खिंचने तथा नकद आमदनी के कम होने पर उनके लिए जमीन का किराया चुकाना मुश्किल हो गया। अतः वे लगान में कमी के साथ ही जमींदारों को दिए जाने वाले भाड़े की माफी चाहते थे। इसलिए उन्होंने कई क्रांतिकारी आन्दोलनों में भाग लिया। इन आन्दोलनों का नेतृत्व प्रायः समाजवादियों तथा कम्युनिस्टों द्वारा किया जाता था। कांग्रेस ‘भाड़ा विरोधी’ आन्दोलनों का समर्थन करने में संकोच करती थी क्योंकि इससे अमीर किसानों तथा जमींदारों के नाराज होने का डर था। अत: गरीब किसानों तथा कांग्रेस के मध्य संबंध अनिश्चित बने रहे।

प्रश्न 18.
1930 ई. के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
महिलाओं ने सविनय अवज्ञान आन्दोलन में किस प्रकार भाग लिया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1930 ई. के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में बड़े पैमाने पर महिलाओं ने भाग लिया। गाँधीजी के नमक सत्याग्रह के दौरान वे अपने घरों से बाहर निकलीं। उन्होंने जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया तथा विदेशी वस्त्रों एवं शराब की दुकानों पर विरोध प्रदर्शन किया। कई महिलाएँ जेल भी गईं। शहरी क्षेत्रों में जो महिलाएँ उच्च जाति वर्ग की तथा ग्रामीण क्षेत्रों में से धनिक कृषक परिवारों में से थीं, वे राष्ट्र की सेवा को अपना पवित्र कर्त्तव्य मानती थीं।

प्रश्न 19.
गाँधीजी ने अछूतों को उनके अधिकार दिलाने के लिए कौन-कौन से प्रयास किए ? संक्षेप में बताइए।
अथवा
गाँधी द्वारा हरिजनों को उनके अधिकारों को दिलाने के लिए लिए तीन प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी ने अछूतों को उनके अधिकार दिलाने के लिए निम्नलिखित प्रयास किये

  1. गाँधीजी ने अछूतों को हरिजन अर्थात् ईश्वर की सन्तान बताया।
  2. उन्होंने मन्दिरों, सार्वजनिक तालाबों, सड़कों एवं कुओं पर समान अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह किया।
  3. मैला ढोने वालों के काम को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए उन्होंने स्वयं शौचालय साफ किए।
  4. गाँधीजी ने ऊँची जातियों का आह्वान किया कि वे अपना हृदय परिवर्तन करें एवं अस्पृश्यता के पाप का त्याग करें।

प्रश्न 20.
मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता कौन थे? इस संगठन की प्रमुख माँगें क्या थीं?
उत्तर:
मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता मोहम्मद अली जिन्ना थे। मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचक मण्डल की माँग की किन्तु बाद में मुस्लिम लीग अपनी इस माँग को छोड़ने के लिए तैयार हो गयी बशर्ते मुसलमानों को केन्द्रीय सभा में सीटों का आरक्षण दिया जाए तथा मुस्लिम बाहुल्य प्रान्तों में मुसलमानों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाए।

प्रश्न 21.
बंगाल में ‘स्वदेशी आन्दोलन’ के दौरान किस प्रकार का झण्डा तैयार किया गया था? इसकी मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन के दौरान हरे, पीले व लाल रंग का एक तिरंगा झण्डा तैयार किया गया। मुख्य विशेषताएँ:

  1. इसमें कमल के आठ फूलों को दर्शाया गया जो कि ब्रिटिश भारत में आठ प्रान्तों का प्रतिनिधित्व करते थे।
  2. इसमें अर्द्धचंद्र दर्शाया गया जो हिन्दुओं और मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता था।

प्रश्न 22,
1921 तक किसने स्वराज का झण्डा’ तैयार कर लिया था? स्वराज के इस झण्डे की मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1921 तक महात्मा गाँधी ने भी स्वराज का झण्डा तैयार कर लिया था। मुख्य विशेषताएँ

  1. यह झण्डा तिरंगा (सफेद, हरा व लाल) था।
  2. इसके बीच में गाँधीवादी प्रतीक चरखें को स्थान दिया गया था जो स्वावलंबन का प्रतीक था।
  3. यह झण्डा जुलूसों में थामकर चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत था।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत में उत्पन्न नई आर्थिक एवं राजनैतिक परिस्थितियों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
प्रथम विश्वयुद्ध द्वारा भारत में पैदा की गई नयी आर्थिक स्थिति के संदर्भ में किन्हीं तीन तथ्यों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर प्रथम विश्वयुद्ध के निहितार्थों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा

  1. प्रथम विश्वयुद्ध ने नई आर्थिक एवं राजनैतिक स्थिति पैदा कर दी थी।
  2. युद्ध के कारण रक्षा व्यय में बहुत अधिक वृद्धि हुई, जिसकी भरपाई युद्ध-ऋणों व करों में वृद्धि से की गई।
  3. युद्ध के दौरान देश में विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई। 1913 से 1918 ई. के मध्य कीमतें लगभग दो गुनी हो गईं जिसके कारण सामान्य जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें अपनी सीमित आमदनी से घरेलू आवश्यकता की वस्तुओं को खरीदना मुश्किल हो गया।
  4. अंग्रेजों ने गाँवों के लोगों को जबरदस्ती सेना में भर्ती कर लिया जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रोष फैल गया।
  5. आर्थिक कठिनाइयों के कारण लोगों का जीवन स्तर निम्न होने से उन्हें अनेक बीमारियों ने घेर लिया जिनमें फ्लू की महामारी प्रमुख थी।

प्रश्न 2.
किन्हीं ऐसे तीन कार्यों को बताइए जो गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के तुरन्त बाद किए ?
अथवा
भारत आने के बाद गाँधी जी ने किन-किन तीन स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया?
गाँधीजी ने निम्नलिखित सत्याग्रह क्यों किए
(अ) चम्पारन,
(ब) खेड़ा,
(स) अहमदाबाद।
अथवा चम्पारन किसान आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के तुरन्त बाद महात्मा गाँधी द्वारा किए गए कार्य अथवा सत्याग्रह निम्नलिखित थे
1. बिहार के चम्पारन में अंग्रेज सरकार द्वारा बागान श्रमिकों का शोषण किया जाता था। महात्मा गाँधी को यह जानकारी प्राप्त होने पर उन्होंने 1916 ई. में चम्पारन का दौरा कर सत्याग्रह के माध्यम से दमनकारी बागान व्यवस्था के विरुद्ध किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।

2. फसल खराब हो जाने एवं प्लेग की महामारी के कारण गुजरात के खेड़ा जिले के किसान लगान चुकाने की स्थिति में नहीं थे। वे चाहते थे कि लगान वसूली में ढील दी जाये। – जी को यह जानकारी मिलने पर उन्होंने 1917 ई. में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की सहायता के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया।

3. अहमदाबाद के सूती कपड़ा मिलों के मजदूर अपनी कठोर सेवा शतों से परेशान थे। गाँधीजी को यह जानकारी मिलने पर उन्होंने सन् 1918 ई. में अहमदाबाद में सूती कपड़ा मिलों के मजदूरों के समर्थन में सत्याग्रह का आयोजन किया।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 3.
खिलाफत आन्दोलन क्या था? राष्ट्रीय आन्दोलन में इसके महत्त्व को बताइए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन तुर्की साम्राज्य को पराजय का सामना करना पड़ा था। भारतीय मुसलमान अंग्रेज सरकार से नाराज थे क्योंकि उसने तुर्की के सुल्तान के साथ उचित व्यवहार नहीं किया। तुर्की के सुल्तान को विश्वभर के मुसलमानों का आध्यात्मिक नेता (खलीफा) माना जाता था।

इस आशय की खबर फैली हुई थी कि इस्लामिक विश्व के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) ऑटोमन सम्राट पर एक कठोर सन्धि थोपी जायेगी। इस प्रकार से खलीफा को अपमानित किये जाने से भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त था। मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया। मोहम्मद अली व शौकत अली इसके प्रमुख नेता थे।

गाँधीजी ने इस आन्दोलन का समर्थन किया। सितम्बर 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाँधीजी ने दूसरे अन्य नेताओं को खिलाफत आन्दोलन का समर्थन करने एवं स्वराज्य के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू करने का आह्वान किया। राष्ट्रीय आन्दोलन में खिलाफत आन्दोलन का बहुत अधिक महत्त्व था। इस आन्दोलन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को गति प्रदान की तथा हिन्दू व मुसलमानों में एकता स्थापित की। मुसलमानों ने भी असहयोग आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

प्रश्न 4.
1909 में गाँधी जी द्वारा रचित पुस्तक का नाम बताइए। उन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग की नीति क्यों अपनावी?
उत्तर:
महात्मा गाँधी जी ने 1909 में ‘हिन्दू स्वराज’ नामक पुस्तक का लेखन किया था। गाँधी जी का मानना था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था और यह शासन उसी सहयोग की वजह से चल रहा है। यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो वर्ष भर के भीतर ही ब्रिटिश शासन समाप्त हो जायेगा और स्वराज्य की स्थापना हो जायेगी।

असहयोग का विचार आन्दोलन कैसे बन सकता था? गाँधी जी का सुझाव था कि यह आन्दोलन चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। सर्वप्रथम लोगों को सरकार द्वारा दी गई उपाधियाँ लौटा देनी चाहिए तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए, यदि ब्रिटिश सरकार भारतीयों पर दमन का रास्ता अपनाती है तो व्यापक सविनय अवज्ञा आन्दोलन खत्म कर दिया जाए।

प्रश्न 5.
देहात में असहयोग आन्दोलन के फैलने का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी द्वारा संचालित असहयोग आन्दोलन शहरों से बढ़कर देहात में भी फैल गया। प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् देश के विभिन्न भागों में चले किसानों व आदिवासियों के संघर्ष भी इस आन्दोलन में समा गए। अवध में किसानविद्रोह का नेतृत्व संन्यासी बाबा रामचन्द्र कर रहे थे। उनका आन्दोलन तालुकदारों व जमीदारों के विरुद्ध था।

जवाहरलाल नेहरू ने अनेक गाँवों का दौरा कर किसानों को असहयोग आन्दोलन में सम्मिलित करने का प्रयास किया। 1921 में जब असहयोग आन्दोलन फैला तो तालुकदारों और व्यापारियों के मकानों पर हमले होने लगे। आन्ध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में फैले आन्दोलन का नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू कर रहे थे। उन्होंने लोगों को खादी पहनने एवं शराब छोड़ने को प्रेरित किया।

प्रश्न 6.
आन्ध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासी किसानों की क्या समस्याएँ थीं?
अथवा
वे कौन-कौन से कारण थे जिनकी वजह से आन्ध्र प्रदेश की गुडेम पहाड़ियों के आदिवासी किसानों ने विद्रोह किया ?
उत्तर:
आन्ध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासी किसानों की निम्नलिखित समस्याएँ थीं जिसकी वजह से उन्होंने विद्रोह किया

  1. ब्रिटिश सरकार ने सम्पूर्ण वन क्षेत्र में लोगों के प्रवेश पर पाबन्दी लगा दी थी।
  2. आदिवासी लोग अपने मवेशियों को वन क्षेत्र में नहीं चरा सकते थे।
  3. अब आदिवासी लोग वन क्षेत्र से जलावन की लकड़ी एवं फल इकट्ठा नहीं कर सकते थे।
  4. ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें सड़कों के निर्माण कार्य में बेगार करने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
  5. ब्रिटिश सरकार द्वारा आदिवासी लोगों के परम्परागत अधिकारों को छीना जा रहा था जिससे उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा था। इन समस्याओं के कारण पहाड़ी क्षेत्र के आदिवासी किसानों ने 1920 के दशक के प्रारम्भ में उग्र गुरिल्ला आन्दोलन के रूप में विद्रोह कर दिया।

प्रश्न 7.
गाँधीजी की ‘नमक यात्रा’ को स्पष्ट कीजिए और सविनय अवज्ञा आन्दोलन की कार्य-योजना बताइए।
अथवा
‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ का कार्यक्रम क्या था? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
गाँधीजी की नमक यात्रा-नमक कर को समाप्त करने की गाँधीजी की माँग को ब्रिटिश सरकार द्वारा नहीं माना गया फलस्वरूप गाँधीजी ने 12 मार्च, 1930 को अपने 78 विश्वसनीय सहयोगियों के साथ प्रसिद्ध दांडी यात्रा की शुरुआत की। यह यात्रा साबरमती में गाँधीजी के आश्रम से लेकर गुजरात के तटीय शहर दांडी तक 240 किमी लम्बी थी।

6 अप्रैल, 1930 ई. को गाँधीजी दांडी पहुँचे तथा समुद्री पानी को उबालकर नमक बनाकर उन्होंने नमक कानून को तोड़ा। यहीं से सविनय आन्दोलन प्रारम्भ हो गया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन की कार्य-योजना-गाँधीजी द्वारा प्रारम्भ सविनय अवज्ञा आन्दोलन की कार्य-योजना में निम्नलिखित बातें सम्मिलित थीं

  1. नमक बनाकर नमक कानून को तोड़ना,
  2. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना एवं स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना,
  3. महिलाओं द्वारा शराब व विदेशी वस्तुओं की दुकानों पर धरना देना,
  4. अंग्रेजों को सहयोग न करना,
  5. औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करना,
  6. सरकारी कर्मचारियों द्वारा अपनी नौकरियों से त्याग-पत्र देना,
  7. जन-सामान्य द्वारा सरकारी स्कूलों व कॉलेजों का बहिष्कार करना।

प्रश्न 8.
इतिहास की पुनर्व्याख्या ने राष्ट्रवाद की भावनाओं को बढ़ावा देने में किस प्रकार मदद की?
अथवा
“भारत के इतिहास की पुनर्व्याख्या राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने का एक और साधन थी।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रवाद के विकास के लिए इतिहास की पुनर्व्याख्या को साधन बनाया गया। 19वीं शताब्दी के अन्त तक समस्त भारतीय यह महसूस करने लगे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाया जाना चाहिए। अंग्रेज भारतीयों को पिछड़ा तथा आदिम मानते थे जो अपना शासन स्वयं नहीं चला सकते थे। इसके जवाब में भारत के लोग अपनी महान उपलब्धियों की खोज में अतीत की ओर देखने लगे।

उन्होंने प्राचीन समय के गौरवपूर्ण विकास के बारे में लिखा जब भारत में कला, वास्तुशिल्प, विज्ञान एवं गणित, धर्म और संस्कृति, कानून एवं दर्शन, हस्तकला एवं व्यापार उन्नत अवस्था में थे। उनका मानना था कि इस महान युग के पश्चात् पतन का समय आया और भारत को गुलाम बना लिया गया। अतः राष्ट्रवादी इतिहास में भारत की महानता एवं उसकी उपलब्धियों पर गर्व का आह्वान किया गया था। ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत देश की दुर्दशा से मुक्ति के लिए एवं संघर्ष का मार्ग अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया। निबन्धात्मक प्रश्न

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 1.
भारत में प्रथम विश्व युद्ध द्वारा थोपी गई किन्हीं पाँच प्रमुख समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में प्रथम विश्व युद्ध द्वारा थोपी गई पाँच प्रमुख समस्यायें निम्नलिखित थीं:
1. करों में वृद्धि-प्रथम विश्व युद्ध के कारण रक्षा व्यय में बहुत अधिक वृद्धि हुई। इन खर्चों की पूर्ति हेतु सरकार ने करों में वृद्धि कर दी। सीमा शुल्क को बढ़ा दिया तथा आयकर नामक एक नया कर भी लगा दिया गया। इससे जनता दुखी हो गई।

2. कीमतों में वृद्धि-प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वस्तुओं की कीमतें लगभग दो गुनी हो चुकी थीं। बढ़ती हुई कीमतों के कारण आम जनता की कठिनाइयाँ बढ़ गयीं और उनका जीवन निर्वाह करना भी कठिन हो रहा था।

3. सैनिकों की बलपूर्वक भर्ती-प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सरकार को अधिक से अधिक सैनिकों की आवश्यकता थी। अतः गाँवों में भारतीय युवाओं को सेना में बलपूर्वक भर्ती किया गया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आक्रोश फैल गया।

4. दुर्भिक्ष और महामारी का प्रकोप-वर्ष 1918-1920 व 1920-1921 में देश में खाद्य पदार्थों की भारी कमी हो गई। उसी समय देशभर में फ्लू की महामारी फैल गयी। दुर्भिक्ष व महामारी के कारण 120-130 लाख भारतीय मौत के मुँह में समा गए।

5. जनता की आकांक्षाएँ पूरी न होना-भारतीय जनता को यह आशा थी कि प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् उसके कष्टों एवं कठिनाइयों का अन्त हो जायेगा परन्तु उनकी आकांक्षाएँ पूरी नहीं हुई। इस कारण भी भारतीयों में घोर असन्तोष फैला हुआ था।

प्रश्न 2.
गाँधीजी के सत्याग्रह सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए। गाँधीजी के किन गुणों ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम को एक जन आन्दोलन बना दिया?
उत्तर:
महात्मा गाँधी जनवरी, 1915 दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। गाँधीजी ने एक नए तरह के आन्दोलन पर चलते हुए दक्षिण अफ्रीका की नस्लभेदी सरकार से सफलतापूर्वक लोहा लिया था। इस पद्धति को वह सत्याग्रह कहते थे। सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता था।

सत्याग्रह का अर्थ यह था कि यदि आपका उद्देश्य सच्चा है, आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है, तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का भारत में राष्ट्रवाद 45 सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। सत्याग्रह के लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए।

उत्पीड़क शत्रु को हिंसा के जरिए सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने की बजाए सच्चाई को देखने और सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इस संघर्ष में अन्ततः सत्य की जीत होती है। गाँधीजी का विश्वास था कि अहिंसा का यही मार्ग सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है। गाँधीजी के अहिंसावादी गुणों के कारण उनके साथ विद्यार्थी, शिक्षक, वकील, किसान, उद्योगपति, श्रमिक व सभी जाति, धर्मों के लोग जुड़ गये और उनके आन्दोलन ने जन आन्दोलन का रूप ले लिया।

प्रश्न 3.
रॉलेट एक्ट क्या था? गाँधीजी द्वारा रॉलेट एक्ट का विरोध एवं ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति का वर्णन कीजिए।
अथवा
रॉलेट एक्ट का सविस्तार वर्णन कीजिए।
अथवा
गाँधीजी ने प्रस्तावित रॉलेट एक्ट (1919) के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह चलाने का निर्णय क्यों लिया? इसका विरोध किस प्रकार किया गया? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
रॉलेट एक्ट-देश में गाँधीजी के नेतृत्व में संचालित राष्ट्रीय आन्दोलन की बढ़ती हुई लोकप्रियता से ब्रिटिश सरकार चिन्तित थी। अतः उसने आन्दोलन के दमन के लिए एक कठोर कानून बनाने का निश्चय किया। मार्च 1919 में भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने जल्दबाजी में एक कानून पारित किया जिसे रॉलेट एक्ट के नाम से जाना गया। इस कानून के तहत भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार को राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने एवं राजनीतिक कैदियों को दो वर्ष तक बिना मुकद्मा चलाये जेल में बन्द करने का अधिकार मिल गया था।

गाँधीजी द्वारा रॉलेट एक्ट का विरोध-गाँधीजी रॉलेट एक्ट जैसे अन्यायपूर्ण कानून के विरुद्ध अहिंसात्मक ढंग से नागरिक अवज्ञा चाहते थे। अतः उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का निश्चय किया। उन्होंने 6 अप्रैल, 1919 को देशभर में एक हड़ताल करने का आह्वान किया। गाँधीजी के आह्वान पर देश के विभिन्न शहरों में रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे वर्कशॉप में श्रमिक हड़ताल पर चले गये। दुकानों को बन्द कर दिया गया। ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति-गाँधीजी के आह्वान पर रॉलेट एक्ट के विरोध में लोगों द्वारा किये गये आन्दोलन को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति अपनाई।

अमृतसर में अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। गाँधीजी के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। 10 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में रॉलेट एक्ट के विरोध में एक शान्तिपूर्ण जुलूस का आयोजन किया गया। पुलिस ने इस शान्तिपूर्ण जुलूस पर गोलियाँ चला दीं। ब्रिटिश सरकार के इस दमनकारी कदम के विरोध में उत्तेजित होकर लोगों ने बैंकों, डाकखानों एवं रेलवे स्टेशनों पर हमला करना प्रारम्भ कर दिया।

ऐसी स्थिति में ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया तथा जनरल डायर ने सेना की कमान सम्भाल ली। 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में वार्षिक वैशाखी मेले का आयोजन किया गया जिसमें अनेक लोग एक्ट का शान्तिपूर्ण विरोध करने के लिए भी एकत्रित हुए। शान्तिपूर्ण सभा कर रहे लोगों पर जनरल डायर के निर्देश पर सैनिकों ने अन्धाधुन्ध गोलाबारी कर दी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये व हजारों की संख्या में घायल हो गये।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 4.
असहयोग:
खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ होने के पीछे कौन-कौन सी परिस्थितियां जिम्मेदार थीं?
अथवा
गाँधीजी ने असहयोग व खिलाफत आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? किस कारण यह आन्दोलन वापस ले लिए गए?
अथवा
1919 में प्रस्तावित रॉलेट एक्ट के खिलाफ गाँधीजी ने राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का फैसला क्यों लिया? कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
असहयोग-खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ होने के पीछे निम्नलिखित परिस्थितियाँ जिम्मेदार थीं
1. प्रथम विश्वयुद्ध द्वारा पैदा की गई परिस्थितियाँ:
प्रथम विश्वयुद्ध 1914 ई. से 1918 ई. के मध्य लड़ा गया। इस युद्ध के कारण रक्षा व्यय में बहुत अधिक वृद्धि हुई, इन खर्चों की भरपाई के लिए करों में वृद्धि की गयी। युद्ध के कारण कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई, सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया तथा आयकर शुरू कर दिया गया। इन सब कारणों से लोगों की मुश्किलें बढ़ गयीं।

ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जबरन सेना में भर्ती करने के कारण बहुत अधिक रोष व्याप्त था। सन् 191819 एवं 1920-21 में देश के अधिकांश भागों में फसल खराब हो गयी थी, जिसके कारण खाद्य पदार्थों का भारी अभाव उत्पन्न हो गया था। दुर्भिक्ष एवं फ्लू की महामारी के कारण अनेक लोग मारे गये। लोगों को ऐसी उम्मीद थी कि विश्वयुद्ध की समाप्ति से उनकी मुसीबत कम होगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

2. गाँधीजी की दक्षिण अफ्रीका से वापसी एवं सत्याग्रह:
महात्मा गाँधी जनवरी 1915 ई. में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अहिंसा एवं सत्याग्रह का नया तरीका अपनाकर वहाँ की औपनिवेशिक सरकार से सरलतापूर्वक टक्कर ली। भारत में भी उन्होंने अनेक स्थानों; जैसे-चंपारन (बिहार), खेड़ा (गुजरात) एवं अहमदाबाद (गुजरात) आदि में सफलतापूर्वक सत्याग्रह का आयोजन किया। इन सत्याग्रहों ने असहयोग आन्दोलन को आधार प्रदान किया।

3. रॉलेट एक्ट:
भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल ने रॉलेट एक्ट कानून को पारित कर दिया। इस एक्ट के तहत पुलिस के अधिकारों में बहुत अधिक वृद्धि हुई। इस कानून के तहत सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने के लिए तथा राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाये जेल में बन्द रखने का अधिकार मिलं गया था। अतः गाँधी जी ने इस एक्ट के खिलाफ राष्ट्रव्यायी सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का फैसला लिया।

4. जलियाँवाला बाग की घटना:
जलियाँवाला बाग की घटना ने भारतीयों को ब्रिटिश शासन का और अधिक विरोधी बना दिया। पहले से ही रॉलेट एक्ट के विरुद्ध आन्दोलन हो रहे थे। जलियाँवाला बाग में लोग वैशाखी मेले के साथ-साथ इस एक्ट का विरोध करने के लिए एकत्रित हुए। जनरल डायर ने वहाँ पहुँचकर निहत्थी भीड़ को गोलियों से भून दिया। इस हत्याकांड में अनेक लोग मारे गये व अनेक घायल हुए। जैसे ही इस हत्याकांड की खबर देश की जनता में फैली, लोग अंग्रेज सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतर पड़े।

आन्दोलन वापस लेने के कारण निम्नलिखित थे:
1. गोरखपुर स्थित चौरी:
चौरा के बाज़ार से गुज़र रहा एक शान्तिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया। इस घटना के बारे में सुनते ही महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन रोकने का आहवान किया।

2. फरवरी:
1922 में महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन वापस लेने का फैसला कर लिया क्योंकि उनको लगता था कि आन्दोलन हिंसक हाता जा रहा है और सत्याग्रहियों को व्यापक प्रशिक्षण की ज़रूरत है।

3. आन्दोलन यापन लेने का:
एक कारण यह भी था कि कांग्रेस के कुछ नेता इस तरह के जनसंघर्षों से थक चुके थे तथा वे प्रान्तीय परिपदी के चुनाव में हिस्सा होना चाहते थे जिससे कि वे ब्रिटिश नीतियों का विरोध कर सकें।

प्रश्न 5.
अवध किसान आन्दोलन के घटनाक्रम का वर्णन कीजिए। किसानों ने विरोध प्रदर्शन कैसे किया ?
उत्तर:
अवध में संन्यासी बाबा रामचन्द्र किसानों के आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे थे। बाबा रामचन्द्र इससे पहले फिजी में गिरमिटिया मजदूर के तौर पर काम कर चुके थे। उनका आन्दोलन तालुकदारों और जमींदारों के खिलाफ था, जो किसानों से भारी-भरकम लगान और तरह-तरह के कर वसूल कर रहे थे। किसानों को बेगार करनी पड़ती थी।

पट्टेदार के तौर पर उनके पट्टे निश्चित नहीं होते थे। उन्हें बार-बार पट्टे की जमीन से हटा दिया जाता था ताकि जमीन पर उनका कोई अधिकार स्थापित न हो सके। किसानों की माँग थी कि लगान कम किया जाए, बेगार खत्म हो और दमनकारी ज़मींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए। बहुत सारे स्थानों पर ज़मींदारों को नाई-धोबी की सुविधाओं से भी वंचित करने के लिए पंचायतों ने नाई-धोबी कार्य बन्द करने का फैसला लिया।

भारत में राष्ट्रवाद (47) जून, 1920 में जवाहर लाल नेहरू ने अवध के गाँवों का दौरा किया, गाँव वालों से बातचीत की और उनकी व्यथा समझने का प्रयास किया। अक्टूबर तक जवाहर लाल नेहरू, बाबा रामचन्द्र तथा कुछ अन्य लोगों के नेतृत्व में अवध किसान सभा का गठन कर लिया गया।

महीने भर में इस पूरे इलाके के गाँवों में संगठन की 300 से ज्यादा शाखाएँ बन चुकी थीं। अगले साल जब असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ तो कांग्रेस ने अवध के किसान संघर्ष को इस आन्दोलन में शामिल करने का प्रयास किया लेकिन किसानों के आन्दोलन में ऐसे स्वरूप विकसित हो चुके थे जिनसे कांग्रेस का नेतृत्व खुश नहीं था।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 6.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन किन परिस्थितियों में चलाया गया?
अथवा
1930 में महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने का निर्णय कैसे किया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन एवं नमक आन्दोलन निम्न परिस्थितियों में चलाया गया
1. साइमन कमीशन की असफलता:
भारत में राष्ट्रवादियों की बढ़ती हुई गतिविधियों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन कर दिया। इस आयोग का प्रमुख कार्य भारत में संवैधानिक कार्य शैली का अध्ययन कर उसके बारे में सुझाव देना था।

इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य न होने के कारण 1928 ई. में इस कमीशन के भारत पहुँचने पर उसका स्वागत साइमन कमीशन वापस जाओ (साइमन कमीशन गो बैक) के नारों से किया गया। इस तरह यह कमीशन भारतीय लोगों एवं नेताओं की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा।

2. पूर्ण स्वराज की माँग:
दिसम्बर, 1929 ई. में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग को औपचारिक रूप से मान लिया गया। इस अधिवेशन में 26 जनवरी, 1930 ई. को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय किया गया।

उस दिन लोग पूर्ण स्वराज के लिए संघर्ष की शपथ लेंगे। परन्तु इस उत्सव की ओर बहुत ही कम लोगों का ध्यान गया। अत: महात्मा गाँधी को स्वतन्त्रता के इस अमूर्त विचार को दैनिक जीवन के ठोस मुद्दे से जोड़ने के लिए कोई और रास्ता ढूँढ़ना था।

3. गाँधीजी की 11 माँगें:
31 जनवरी, 1930 ई. को गाँधीजी ने भारतीय जनता के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करने के लिए अंग्रेज वायसराय लॉर्ड इरविन के समक्ष 11 माँगों को प्रस्तुत करते हुए एक पत्र लिखा। इनमें एक प्रमुख माँग थी-नमक पर लगाए कर को समाप्त करना। महात्मा गाँधी का यह पत्र एक चेतावनी की तरह था। यदि 11 मार्च, 1930 तक उनकी माँगें नहीं मानी गईं तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आन्दोलन छेड़ देगी।

लॉर्ड इरविन ने गाँधीजी की शर्ते मानने से इन्कार कर दिया फलस्वरूप गाँधीजी ने अपने विश्वासपात्र 78 स्वयंसेवकों के साथ साबरमती स्थित अपने आश्रम से दांडी तक यात्रा की। गाँधीजी ने दांडी पहुँचकर समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना प्रारम्भ कर दिया। यह सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत थी।

4. आर्थिक कारण:
1929 ई. की आर्थिक महामंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था विशेषकर कृषि पर बहुत अधिक दुष्प्रभाव पड़ा। कृषि उत्पादों की कीमतें बहुत अधिक गिर गयीं वहीं दूसरी ओर औपनिवेशिक सरकार ने लगानों में वृद्धि कर दी जिससे किसानों को अपनी उपज बेचकर लगान चुकाना भी कठिन हो गया। व्यापारी वर्ग औपनिवेशिक सरकार के व्यापार नियमों से परेशान थे। इन सब कारणों ने आन्दोलन करने के मार्ग को प्रशस्त किया।

प्रश्न 7.
भारत में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न सहायक तत्वों के योगदान का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान राष्ट्रवाद को साकार करने में लोककथाओं, गीतों एवं चित्रों आदि के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न सहायक तत्वों के योगदान का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है
1. चित्र:
किसी भी राष्ट्र की पहचान सबसे अधिक किसी चित्र में अंकित की जाती है। इससे लोगों को एक ऐसी छवि निर्मित करने में सहायता मिलती है जिसके माध्यम से वे राष्ट्र को पहचान सकते हैं। स्वदेशी आन्दोलन की प्रेरणा से सन् 1905 में अबनीन्द्रनाथ द्वारा बनाए चित्र में भारत माता को एक संन्यासिनी के रूप में चित्रित किया गया, इस चित्र में वह शान्त, गम्भीर, दैवीय और आध्यात्मिक गुणों से युक्त दिखाई देती हैं। इस छवि में भारत माता को शिक्षा, भोजन व कपड़े देती हुई दर्शाया गया है। इस मातृ छवि के प्रति श्रद्धा को राष्ट्रवाद की आस्था का प्रतीक माना जाने लगा।

2. चिह्न एवं प्रतीक:
भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रसार के साथ-साथ राष्ट्रवादी नेता लोगों को एकजुट करने एवं उनमें राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न करने के लिए विभिन्न चिह्नों एवं प्रतीकों का भरपूर उपयोग होने लगा। . बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन के दौरान एक तिरंगा झंडा तैयार किया गया जिसमें हरा, पीला व लाल रंग थे।

इस तिरंगे झण्डे में ब्रिटिश भारत के आठ प्रान्तों का प्रतिनिधित्व करते कमल के आठ फूल तथा हिन्दुओं व मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता हुआ एक अर्धचन्द्र दर्शाया गया था। 1921 ई. तक गाँधीजी ने भी स्वराज का एक झण्डा तैयार कर लिया था, यह भी तिरंगा था, इसमें सफेद, हरा व लाल रंग था। इस झण्डे के मध्य में गाँधीवादी प्रतीक चरखे को जगह दी गई थी जो स्वावलम्बन का प्रतीक था। जुलूसों में यह झण्डा थामे चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत था।

3. लोक कथाएँ एवं गीत:
भारतीय लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने में आन्दोलन ने भी राष्ट्रवाद के विकास में पर्याप्त योगदान दिया। 19वीं सदी में अन्त में राष्ट्रवादियों ने भाटों एवं चारणों द्वारा गाई-सुनाई जाने वाली लोक कथाओं का संग्रह करना प्रारम्भ कर दिया। वे लोकगीतों व जनश्रुतियों को एकत्रित करने के लिए गाँव-गाँव घूमने लगे। उनकी मान्यता थी कि ये लोक कथाएँ हमारी उस परम्परागत संस्कृति की सही तस्वीर प्रस्तुत करती हैं जो बाहरी शक्तियों के प्रभाव से भ्रष्ट व दूषित हो चुकी हैं।

बंगाल में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लोक कथा गीतों, बाल गीतों एवं मिथकों का संग्रह करने का प्रयास किया। उन्होंने लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया। मद्रास में नटेसा शास्त्री ने ‘द फोकलोर्स ऑफ सदर्न इण्डिया’ के नाम से तमिल लोक कथाओं का विशाल संग्रह चार खण्डों में प्रकाशित किया। उनका मत था कि लोक कथाएँ राष्ट्रीय साहित्य होती हैं। यह लोगों के वास्तविक विचारों एवं विशिष्टताओं की सबसे विश्वसनीय अभिव्यक्ति हैं।

4. इतिहास की पुनर्व्याख्या:
राष्ट्रवाद के विकास के लिए इतिहास की पुनर्व्याख्या को साधन बनाया गया। 19वीं शताब्दी के अन्त तक समस्त भारतीय यह महसूस करने लगे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाया जाना चाहिए। अंग्रेज भारतीयों को पिछड़ा तथा आदिम मानते थे जो अपना शासन स्वयं नहीं चला सकते थे। इसके जवाब में भारत के लोग अपनी महान उपलब्धियों की खोज में अतीत की ओर देखने लगे।

उन्होंने प्राचीन समय के गौरवपूर्ण विकास के बारे में लिखा जब भारत में कला, वास्तुशिल्प, विज्ञान एवं गणित, धर्म और संस्कृति, कानून एवं दर्शन, हस्तकला एवं व्यापार उन्नत अवस्था में थे। उनका मानना था कि इस महान युग के पश्चात् पतन का समय आया और भारत को गुलाम बना लिया गया। अत: राष्ट्रवादी इतिहास में भारत की महानता एवं उनकी उपलब्धियों पर गर्व का आह्वान किया गया था। ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत देश की दुर्दशा से मुक्ति के लिए संघर्ष का मार्ग अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया।

स्रोत पर आधारित प्रश्न

दिए गए स्रोत को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
स्रोत : शहरों में आंदोलन
आंदोलन की शुरुआत शहरी मध्यवर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई। हज़ारों विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए। प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बंद कर दिया। मद्रास के अलावा ज्यादातर प्रांतों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया।

मद्रास में गैर-ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई जस्टिस पार्टी का मानना था कि काउंसिल में प्रवेश के ज़रिए उन्हें वे अधिकार मिल सकते हैं जो सामान्य रूप से केवल ब्राह्मणों को मिल पाते हैं इसलिए इस पार्टी ने चुनावों का बहिष्कार नहीं किया।

आर्थिक मोर्चे पर असहयोग का असर और भी ज़्यादा नाटकीय रहा। विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई, और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी। 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया था।

उसकी कीमत 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गई। बहुत सारे स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इनकार कर दिया। जब बहिष्कार आंदोलन फैला और लोग आयातित कपड़े को छोड़कर केवल भारतीय कपड़े पहनने लगे तो भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा।

प्रश्न 1.
परिषद् चुनावों के बहिष्कार के संबंध में जस्टिस पार्टी’ की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जस्टिस पार्टी का मत था कि काउंसिल में प्रवेश के द्वारा वह उन अधिकारों को हासिल कर सकती है जो सामान्य रूप से केवल ब्राह्मणों को मिलते हैं। अत: उसने चुनावों का बहिष्कार नहीं किया।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 2.
‘आर्थिक मोर्चे पर असहयोग आन्दोलन’ का असर नाटकीय क्यों रहा?
उत्तर:
विदेशी सामानों का बहिष्कार किए जाने, शराब की दुकानों की पिकेटिंग करने तथा विदेशी कपड़ों की होती जलाने के कारण आर्थिक मोर्चे पर असहयोग आन्दोलन का असर नाटकीय रहा।

प्रश्न 3.
‘विदेशी कपड़ा व्यापार’ पर ‘बहिष्कार’ आन्दोलन से पड़े प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘विदेशी कपड़ा व्यापार’ पर ‘बहिष्कार आन्दोलन’ के प्रभाव के कारण लोगों ने आयापित कपड़ों को छोड़कर केवल भारतीय कपड़ों को पहनना शुरू कर दिया जिससे भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघो का उत्पादन बढ़ गया।

मानचित्र कार्य

1. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) चंकरण
(ii) खेड़ा

2. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) दिल्ली
(ii) जलियाँवाला बाग

3. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) अवध
(ii) बंबई

4. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिएअंकित कीजिए-
(i) साबरमती
(ii) पूना

5. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को
(i) अमृतसर
(ii) चंपारण। अंकित कीजिए-

6. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) बंगाल
(ii) पंजाब

7. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) चौरी-चौरा
(ii) कलकत्ता

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

8. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
(i) चेन्नई (मद्रास)
(ii) दांडी

9. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
(i) बंगाल
(ii) बारदोली।

10. भारत के रेखा मानचित्र में भारत के राष्ट्रवाद से जड़े अंकित कीजिए किन्हीं दो स्थलों को दर्शाइए।
(i) अहमदाबाद
(ii) अमृतसर।

11. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को
(i) अमृतसर
(ii) चंपारण।

12. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
(i) सूरत
(ii) गोवा।

13. दिए गए भारत के रेखा मानत्रित मानचित्र मेंनिम्नलिखित को अंकित कीजिए

  1. अहमदाबाद
  2. दादरा और नगर हवेली
  3. सिक्किम
  4. दिल्ली

1. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. वह स्थान जहाँ दिसंबर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। (नागयुर)
  2. वह स्थान जो किसानों के सत्याग्रह से जुड़ा था। – खेडा (गुजरता)
  3. वह स्थान जो असहयोग आन्दोलन को वापस लेने से जुड़ा था। – चौरी-चौरा
    • अथवा
      वह स्थान जहाँ 22 पुलिस वालों को हिंसक भीड़ द्वारा जला दिया था और इस कारण गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया था।
  4.  वह स्थान जहाँ नील उगाने वाले किसानों का आन्दोलन हुआ था। – चंपारन (बिहार)

2. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. सन् 1918 में सूती कपड़ा मिलों के मजदूरों के समर्थन में गाँधी जी ने सत्याग्रह किया। – अहमदाबादं (गुजरात)
  2. 10 अप्रैल, 1919 में अंग्रेजों ने शांतिपूर्ण जुलूस पर गोलीबारी की। -अमृतसर (पंजाब)

3. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. वह स्थान जहाँ सविनय अवज्ञा आन्दोलन का आरम्भ हुआ। -दांडी (गुजरात)
  2. वह स्थान जहाँ 1927 का (में) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन हुआ था। -मद्रास
  3. वह स्थान जहाँ जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ था। -अमृतसर (पंजाब)

4. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए

  1. वह स्थान जहाँ 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। -लाहोर
  2. वह स्थान जहाँ नील की ख्वेती करने वाले किसानों ने सत्याग्रह आयोजित किया था। – चंपारन (बिहार)

5. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए

  1. सितम्बर 1920 में यहाँ कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। अथवा लेजिस्लेटिव असेम्बली पर भगतसिंह व बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंका।
  2. दिसम्बर 1920 में हुए कांग्रेस अधिवेशन का स्थल। -नागपुर

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

6. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. वह स्थान जहाँ 1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। -मद्रास
  2. वह स्थान जहाँ गाँधीजी ने सूती मिल मजदूरों के पक्ष में सत्याग्रह किया। – हमदाबाद (गुजरात)

7. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. 6 जनवरी, 1921 को पुलिस ने किसानों पर गोलियाँ चलाईं। – रायबरेली (उत्तरप्रदेश)
  2. वह स्थान जहाँ महात्मा गाँधी के सत्याग्रह के आह्वान पर बागानी मजदूरों ने बागान छोड़ दिए। – असम

8. दिए गए भारत के रेखा मानचिन्न में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. शांतिपूर्ण जुलूस तथा पुलिस के हिंसक टकराव में सत्याग्रहियों ने एक पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया। -चौरी-चौरा (उत्तरप्रदेश)
  2. सन 1931 में कांग्रेस की बैठक हुई जिसमें महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार बल्लभ भाई पटेल, जवाहर लाल नेहरु आदि उपस्थित थे। -इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश)

9. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. वह स्थान जहाँ से गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया था। -साबरमती (गुजरात)
  2. वह स्थान जहाँ 1927 में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। गएास भार

10. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. वह स्थान जहाँ सितम्बर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। -कलकत्ता
  2. वह स्थान जहाँ किसान सत्याग्रह हुआ था। – खेड़ा (गुजरात)

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद  1

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

JAC Class 10th Economics उपभोक्ता अधिका Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बाजार में नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता क्यों पड़ती है? कुछ उदाहरणों के द्वारा समझाएँ।
अथवा
नियम और विनियम किस प्रकार उपभोक्ता की बाजार में सहायता करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“बाजार में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए नियम और विनियमों की आवश्यकता होती है।” इस कथन को न्यायोचित ठहराइए।
उत्तर:
बाजार में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए नियमों व विनियमों की आवश्यकता होती है। जिसके निम्नलिखित कारण हैं
1. कमजोर उपभोक्ता:
बाजार में व्यक्तिगत उपभोक्ता स्वयं को प्रायः कमजोर स्थिति में पाते हैं। खरीदी गई वस्तु या सेवा के बारे में जब भी कोई शिकायत होती है तो विक्रेता समस्त उत्तरदायित्व क्रेता पर डालने का प्रयास करता है। ऐसी स्थिति में अधिकतर उपभोक्ताओं का शोषण होता है।

2. उपभोक्ता का शोषण:
बाजार में उपभोक्ताओं का शोषण कई रूपों में होता है। उदाहरण के लिए; कई बार बेईमान दुकानदार उचित वजन से कम वजन तोलते हैं अथवा व्यापारी उन शुल्कों को जोड़ देते हैं जिनका वर्णन पहले नहीं किया गया हो अथवा मिलावटी वस्तुएँ व दोषपूर्ण वस्तुएँ बेच देते हैं। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा हेतु नियमों-विनियमों की आवश्यकता होती है।

3. अनुचित बाजार:
जब उत्पादक कम संख्या में एवं अधिक शक्तिशाली होते हैं तो बाजार का संचालन उचित ढंग से नहीं हो पाता है। विशेष रूप से यह स्थिति तब होती है, जब इन वस्तुओं का उत्पादन बड़ी कम्पनियों कर रही होती हैं। अधिक पूँजी वाली, शक्तिशाली और समृद्ध कम्पनियाँ विभिन्न प्रकार से चालाकीपूर्ण तरीके से बाजार को प्रभावित कर उपभोक्ताओं का शोषण करती हैं।

4. गलत सूचना:
उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए अधिकांश बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ समय-समय पर मीडिया व अन्य संकेतों के माध्यम से गलत सूचनाएँ उपलब्ध कराती हैं; जैसे एक कम्पनी पाउडर वाला दूध बेचती है और यह दावा करती है कि उसका उत्पाद माँ के दूध से बेहतर है तो यह सरासर झूठ होगा।

इसी प्रकार एक सिगरेट निर्माता कम्पनी विज्ञापन के माध्यम से यह बताती है कि सिगरेट मानव शरीर में सुस्ती को समाप्त करती है जबकि वास्तविक रूप से सिगरेट पीने से कैंसर होता है। इन सब कारणों से उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा हेतु बाजार में नियमों व विनियमों की आवश्यकता पड़ती है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

प्रश्न 2.
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई? इसके विकास के बारे में पता लगाएं।
अथवा
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन क्यों प्रारम्भ हुआ? इस आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत निम्नलिखित कारणों से हुई

  1. उपभोक्ताओं का असन्तोष,
  2. बाजार में उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए किसी कानून का न होना,
  3. अत्यधिक खाद्य पदार्थों की कमी,
  4. जमाखोरी,
  5. कालाबाजारी,
  6. खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेलों में मिलावट।

इन सब कारणों की वजह से सन् 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत हुई। 1970 के दशक तक उपभोक्ता संस्थाएँ व्यापक स्तर पर उपभोक्ता अधिकार से सम्बन्धित आलेखों के लेखन एवं प्रदर्शनों के आयोजन का कार्य करने लगी थीं। उन्होंने सड़क यात्री परिवहन से अत्यधिक भीड़भाड़ एवं राशन की दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर ध्यान रखने के लिए उपभोक्ता दलों का गठन किया।

हाल ही में भारत में उपभोक्ता दलों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि देखी गयी है। 24 दिसम्बर, 1986 में भारत सरकार द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया। इस वर्ष उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 पारित किया गया जो COPRA के नाम से प्रसिद्ध है।

प्रश्न 3.
दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत का वर्णन करें।
उत्तर:
उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत निम्न उदाहरणों द्वारा स्पष्ट हो सकती है:
1. उपभोक्ता द्वारा रसोई में रोजाना काम आने वाले मसालों की खरीददारी बाजार से की जाती है। मुकेश द्वारा बाजार से मसाले खरीदे गये उनमें मिलावट पायी गयी। मुकेश ने उपभोक्ता अदालत में इसकी शिकायत की। उपभोक्ता अदालत ने दुकानदार को दोषी ठहराकर हर्जाना देने का आदेश दिया।

2. लोकेश ने बाजार से प्रसिद्ध पेय पदार्थ कम्पनी की एक शीतल पेय की बोतल खरीदी। उस बोतल में उसे कुछ गंदगी दिखाई दी। लोकेश ने सम्बन्धित दुकानदार को दिखाया तो उसने बोतल को वापस करने से मना कर दिया। लोकेश के पास शीतल पेय बोतल क्रय का कैशमीमो उपलब्ध था। उसने जिला उपभोक्ता मंच में शिकायत की। मंच द्वारा दुकानदार व सम्बन्धित कम्पनी को दोषी माना और जुर्माना लगाकर उस राशि को 1 महीने के भीतर लोकेश को देने का आदेश दिया।

उपर्युक्त उदाहरणों की भाँति अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिनमें उत्पादक एवं विक्रेताओं द्वारा उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है। इसका मुख्य कारण उपभोक्ता की अशिक्षा एवं अज्ञानता है। आज भी अनेक उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों का ज्ञान नहीं है न ही इससे सम्बन्धित कानूनों की जानकारी है। फलस्वरूप वे शोषण का शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को जागरूक बनाना अत्यंत आवश्यक है। जब तक उपभोक्ता स्वयं जागरूक नहीं बनेंगे उन्हें शोषण से नहीं बचाया जा सकता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

प्रश्न 4.
कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें जिनमें उपभोक्ताओं का शोषण होता है ?
अथवा
एक जागरूक नागरिक के रूप में, उपभोक्ता शोषण के कोई चार कारक सुझाइए।
उत्तर:
उपभोक्ताओं के शोषण के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं
1. माँग व पूर्ति में असन्तुलन:
जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि के कारण माँग की तुलना में वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धि कम होने के कारणं माँग व पूर्ति में असन्तुलन अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यवसायी घटिया वस्तुओं का उत्पादन कर उपभोक्ता से ऊँचा मूल्य वसूलते हैं।

2. अशिक्षा एवं अज्ञानता:
भारत में उपभोक्ता शोषण का एक प्रमुख कारण उपभोक्ता का अशिक्षित होना व उपभोक्ता अधिकार से अनभिज्ञ होना है। बहुत अधिक संख्या में उपभोक्ता वस्तुओं की गुणवत्ता की पहचान भी नहीं कर पाते हैं। इस वजह से उपभोक्ताओं का शोषण होता है।

3. उपभोक्ता की उदासीनता:
भारत में उपभोक्ताओं के असंगठित होने के कारण एवं अपने अधिकारों के प्रति जानकारी व सजग नहीं होने के कारण वह अपने अधिकारों के प्रति उदासीन रहता है। जिन उपभोक्ताओं को कुछ जानकार होती भी है तो संगठन के अभाव में उनकी प्रवृत्ति समझौतावादी हो जाती है।

4. एकाधिकार;
कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन व वितरण पर एक व्यावसायिक समूह अथवा किसी राजकीय उपक्रम का एकाधिकार होता है। प्रतिस्पर्धा के अभाव में इन संस्थाओं द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के ऊँचे मूल्य रखे जाते हैं एवं उनमें निरन्तर वृद्धि की जाती है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं के पास अधिक मूल्य देने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं बचता है।

5. गलत जानकारी:
कई कम्पनियाँ उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए विज्ञापनों पर बहुत अधिक धन खर्च करती हैं। ये उपभोक्ताओं को अपने उत्पादन की गलत जानकारियाँ देती हैं।

6. सीमित जानकारी:
उपभोक्ताओं को उत्पादों के लिखित पक्षों; यथा-मूल्य, गुणवत्ता, बनावट, प्रयोग की शर्तों आदि की जानकारी न होने के कारण उपभोक्ता गलत वस्तु का चयन कर लेते हैं और शोषण का शिकार हो जाते हैं।

7. वस्तुओं का गैर लिखित विक्रय:
अधिकांश विक्रेता विक्रय का लेख नहीं करते हैं इसलिए उन पर इस विक्रय के सम्बन्ध में कोई मुकदमा नहीं किया जा सकता है। इसी कारण उपभोक्ता का शोषण होता है।

8. लम्बी वैधानिक प्रक्रिया:
सभी शिक्षित एवं अशिक्षित उपभोक्ता विक्रेताओं के अनुचित व्यवहार के विरुद्ध अपव्ययी एवं जटिल वैयक्तिक प्रक्रिया को अपनाने से घबराते हैं। अत: विक्रेता इस बात का लाभ उठाकर उपभोक्ताओं का भरपूर शोषण करते हैं।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी?
अथवा
उपभोक्ता के हितों को संरक्षित करने के लिए क्या बड़ा कदम उठाया गया है?
अथवा
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कब पारित हुआ? इसकी आवश्यकता क्यों अनुभव हुई?
उत्तर:
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत निम्न कारणों से पड़ी-

  1. उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों एवं कर्त्तव्यों की जानकारी देना।
  2. उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण करना।
  3. वस्तुओं के मूल्यों पर नियन्त्रण स्थापित करने के लिए।
  4. उत्पादकों को उनकी गुणवत्ता युक्त वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु।
  5. व्यापारियों द्वारा की जाने वाली जमाखोरी व कालाबाजारी को रोकने हेतु।
  6. उत्पादकों व विक्रेताओं द्वारा खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट को रोकने हेतु।
  7. विक्रेताओं द्वारा निर्धारित माप-तोल व बाटों का प्रयोग करने तथा ग्राहकों से अनुचित कीमतों को वसूलने से रोकने हेतु।
  8. उत्पादकों, व्यापारियों, दुकानदारों व वितरकों के अनुचित व्यवहारों के विरुद्ध उन्हे न्यायालय में सजा दिलाने व उपभोक्ताओं के हितों की हानि की क्षतिपूर्ति करने के लिए।

प्रश्न 6.
अपने क्षेत्र के बाजार में जाने पर उपभोक्ता के रूप में अपने कुछ कर्त्तव्यों का वर्णन करें।
अथवा
एक उपभोक्ता को शोषण से मुक्त होने के लिए किन कर्त्तव्यों का पालन आवश्यक है?
अथवा
आपके अनुसार उपभोक्ता को हानि से बचने के लिए किन कर्तव्यों का पालन करना चाहिए?
अथवा
बाजार में शोषण से बचाने के लिए उपभोक्ताओं में जागरूकता कैसे फेलाई जा सकती है? किन्हीं तीन तरीकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक उपभोक्ता को शाषण से मुक्त होने के लिए निम्न कर्तव्यों का पालन किया जाना आवश्यक हैं

  1. हमें माल खरीदने से पहले वस्तुओं व सेवाओं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
  2. हमें प्रायः अधिकृत दुकान से ही सामान खरीदना चाहिए।
  3. हमें डिब्बाबंद या पैक ब्राण्ड पर लगे लेबल पर आवश्यक सूचनाएँ तथा ब्राण्ड का नाम, उसमें प्रयुक्त संघटक, उत्पादक का नाम व पता, शुद्ध वजन या माप, बैच नम्बर, पैकिंग तिथि एवं उपभोग योग्यता की अन्तिम तिथि आदि अनिवार्य रूप से देख लेनी चाहिए।
  4.  हमें वस्तुओं को क्रय करते समय आई.एस.आई., एगमार्क, एफ.पी.ओ. हॉलमार्क आदि मानक एवं प्रमाणन की
    मोहर लगे उत्पादों को ही खरीदने में प्राथमिकता प्रदान करनी चाहिए।
  5. हमें वस्तुएँ खरीदने से पहले यह भी सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वस्तु का माप-तौल पूरा हो और इसके लिए प्रमाणित बाँट या माप ही प्रयोग में लिये गये हैं एवं माप-तौल सेन्टीमीटर -मीटर, ग्राम-किलोग्राम, लीटर में है।
  6. जिन वस्तुओं के लिए राजनियम द्वारा मूल्य निर्धारित हैं अगर व्यापारी ने मूल्य सूची जारी की है तो उसमें अधिक मूल्य उपभोक्ता द्वारा नहीं दिया जाना चाहिए।
  7. हमें वस्तु के विज्ञापन में बताई गई विशेषताओं का यथार्थ स्थिति से मिलान कर गारण्टी या वारण्टी की शर्तों को ठीक से समझकर ही माल खरीदना चाहिए।
  8. हमारा यह भी कर्त्तव्य है कि दुकानदार से सामान खरीदने पर कैशमीमो या वाउचर अवश्य प्राप्त कर लें।
  9. हमें सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण हेतु बनाये गये नियमों-कानूनों की जानकारी अवश्य होनी चाहिए।
  10. हमें उपभोक्ता जागरूकता संगठन का सदस्य अवश्य बनना चाहिए।
  11. हमें अपनी शिकायतों पर क्षतिपूर्ति के लिए उपभोक्ता संगठनों की मदद लेनी चाहिए।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

प्रश्न 7.
मान लीजिए, आप शहद की एक बोतल और बिस्किट का एक पैकेट खरीदते हैं। खरीदते समय आप कौन-सा लोगो या शब्द चिह्न देखेंगे और क्यों ?
उत्तर:
मैं शहद की एक बोतल एवं बिस्किट का एक पैकेट खरीदता हूँ तो मुझे एगमार्क या ISI का चिह्न देखना चाहिए क्योंकि उत्पाद पर लोगो होने का अर्थ है कि यह प्रमाणित है तथा इसमें मिलावट घटिया किस्म अथवा मात्रा की कमी की कोई गुंजाइश नहीं है तथा यह उत्पाद प्रयोग करने के योग्य है।

प्रश्न 8.
भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा किन कानूनी मापदण्डों को लागू करना चाहिए?
उत्तर:
भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित कानूनी मापदण्डों को लागू करना चाहिए

  1. उपभोक्ता के अधिकारों को प्रोत्साहित एवं संरक्षित करने के लिए जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तरों पर त्रिस्तरीय न्यायिक तन्त्र की स्थापना की गयी है। इनके माध्यम से उपभोक्ताओं की शिकायतों को सरल, तीव्र एवं कम खर्च में दूर किया जाता है।
  2. सरकार उत्पादों के मानकीकरण द्वारा उत्पादों की गुणवत्ता में कमी एवं उत्पादों के मानकों से उपभोक्ताओं की सुरक्षा करती है।
  3. भारत सरकार ने उत्पादों की गुणवत्ता एवं मानकता को निर्धारित करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो, एगमार्क, हॉलमार्क जैसे विश्वसनीयता के चिह्न अंकित करने का प्रावधान किया है।
  4. सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं के वितरण के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अपनाया गया है। इस प्रणाली के माध्यम से उचित मूल्य की दुकानों से गरीब लोगों को उचित मूल्य पर आवश्यक सामग्री उपलब्ध करायी जाती है।
  5. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 कुछ विशिष्ट वस्तुओं को छोड़कर सभी वस्तुओं व सेवाओं पर लागू होता है। सरकार को इन सभी को कड़ाई से लागू करना चाहिए, तभी उपभोक्ता के हितों का संरक्षण हो सकता है।

प्रश्न 9.
उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को बताएँ और प्रत्येक अधिकार पर कुछ पंक्तियाँ लिखें। उत्तर-उपभोक्ताओं के प्रमुख अधिकार निम्नलिखित हैं
1. सुरक्षा का अधिकार:
इसके अन्तर्गत उपभोक्ताओं को ऐसे माल के क्रय-विक्रय के विरुद्ध संरक्षण पाने का अधिकार प्रदान किया गया है, जो जीवन व सम्पत्ति के लिए हानिकारक हैं। उपभोक्ता को किसी भी वस्तु या सेवा के क्रय या उपभोग से बीमार होने, चोट लगने या किसी भी व्यक्ति के अविवेकपूर्ण इस्तेमाल से होने वाली हानि के विरुद्ध सुरक्षा पाने का अधिकार है।

2. सूचना पाने का अधिकार:
उपभोक्ता को यह अधिकार प्रदान किया गया है कि उसे माल की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, मानक एवं मूल्यों के बारे में सूचना प्रदान की जाये, यदि ये सूचनाएँ माल के उत्पादक द्वारा नहीं लिखी गयी .. हैं, तो उपभोक्ता इन सूचनाओं को प्राप्त करने का अधिकार रखता है।

3. चुनाव का अधिकार:
इस अधिकार के तहत उपभोक्ता बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं में से किसी का भी चयन कर सकता है। वह किसी भी व्यवसायी द्वारा उत्पादित माल की किसी भी किस्म को अपनी इच्छा से पसन्द कर सकता है।

4. क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार:
इस अधिकार के अन्तर्गत उपभोक्ता को व्यवसायी द्वारा किये जाने वाले प्रतिबन्धात्मक एवं अनुचित व्यवहार के कारण होने वाली हानि की क्षतिपूर्ति कराने का अधिकार दिया गया है।

5. प्रतिनिधित्व:
का अधिकार उपभोक्ता को वस्तु या सेवा सम्बन्धी किसी भी शिकायत को उचित मंच पर प्रस्तुत करने का अधिकार है। एक उपभोक्ता के रूप में अनुचित व्यापारिक व्यवहार के होने पर उपभोक्ता को अदालतों में जाने का अधिकार है। इस हेतु त्रिस्तरीय न्यायिक तन्त्र की व्यवस्था की गई है।

6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार:
इस अधिकार के अन्त.. पभोक्ता को वस्तुओं, सेवाओं एवं उनके उपयोग की विधि आदि के सम्बन्ध में जानकारी या शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होता है। यह अधिकार उपभोक्ताओं को जागरूक उपभोक्ता बने रहने के लिए ज्ञान तथा क्षमता प्रदान करने का अधिकार है। .

प्रश्न 10.
उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन निम्न प्रकार कर सकते हैं

  1. उपभोक्ता संगठनों का निर्माण करके।
  2. उपभोक्ता अदालतों में शिकायत दर्ज कराके।
  3. बेईमान उत्पादकों, दुकानदारों, व्यापारियों आदि द्वारा किये जाने वाले अनुचित कार्यों के विरुद्ध प्रदर्शन, प्रचार एवं घेराव करके।
  4. उपभोक्ता संरक्षण समितियों में भागीदारी करके।
  5. धोखाधड़ी करने वाली कम्पनियों के विरुद्ध संयुक्त रूप से आवाज उठाकर।

प्रश्न 11.
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की प्रगति की समीक्षा करें। उत्तर भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की प्रगति को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. भारत में सामाजिक बल के रूप में उपभोक्ता आन्दोलन का जन्म, अनैतिक और अनुचित व्यवसाय कार्यों से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने व प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के साथ हुआ।
  2. देश में खाद्य पदार्थों की अत्यधिक कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट की वजह से सन् 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आन्दोलन का जन्म हुआ।
  3. सन् 1970 के दशक तक उपभोक्ता संस्थाएँ वृहत स्तर पर उपभोक्ता अधिकार से सम्बन्धित आलेखों के लेखन एवं प्रदर्शनों के आयोजन का कार्य करने लगी थीं। उन्होंने सड़क यात्री परिवहन में अत्यधिक भीड़-भाड़ तथा राशन की दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर निगरानी रखने के लिए उपभोक्ता दल बनाया।
  4. व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं के शोषण के अनेक मामले सामने आने पर हाल में ही भारत में उपभोक्ता दलों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।
  5. सन् 1986 में भारत सरकार ने एक बड़ा एवं प्रभावी कदम उठाया और सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित किया। यह COPRA के नाम से जाना जाता है।
  6. भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की गति धीमी है। कोपरा अधिनियम के 30 वर्ष बाद भी भारत में उपभोक्ता ज्ञान धीरे-धीरे फैल रहा है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

प्रश्न 12.
निम्नलिखित को सुमेलित करें:

(क) सुरक्षा का अधिकार (1) एक उत्पाद के घटकों का विवरण
(ख) उपभोक्ता मामलों में सम्बन्ध (2) एगमार्क
(ग) अनाजों और खाद्य तेलों का प्रमाण। (3) स्कूटर में खराब इंजन के कारण हुई दुर्घटना
(घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था (4) जिला उपभोक्ता अदालत विकसित करने वाली एजेंसी
(ङ) सूचना का अधिकार (5) उपभोक्ता इंटरनेशनल
(च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक (6) भारतीय मानक ब्यूरो

उत्तर:

(क) सुरक्षा का अधिकार (ङ) सूचना का अधिकार
(ख) उपभोक्ता मामलों में सम्बन्ध (ग) अनाजों और खाद्य तेलों का प्रमाण।
(ग) अनाजों और खाद्य तेलों का प्रमाण। (क) सुरक्षा का अधिकार
(घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था (ख) उपभोक्ता मामलों में सम्बन्ध
(ङ) सूचना का अधिकार (घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था
(च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक (च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक

प्रश्न 13.
सही या गलत बताएँ
(क) कोपरा केवल सामानों पर लागू होता है। .
(ख) भारत विश्व के उन देशों में से एक है जिनके पास उपभोक्ताओं की समस्याओं के निवारण के लिए विशिष्ट अदालतें हैं।
(ग) जब उपभोक्ता को ऐसा लगे कि उसका शोषण हुआ है, तो उसे जिला उपभोक्ता अदालत में निश्चित रूप से – मुकदमा दायर करना चाहिए।
(घ) जब अधिक मूल्य का नुकसान हो, तभी उपभोक्ता अदालत में जाना लाभप्रद होता है।
(ङ) हॉलमार्क, आभूषणों की गुणवत्ता बनाये रखने वाला प्रमाण है।
(च) उपभोक्ता समस्याओं के निवारण की प्रक्रिया अत्यन्त सरल और शीघ्र होती है।
(छ) उपभोक्ता को मुआवजा पाने का अधिकार है, जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करती है।
उत्तर:
(क) गलत,
(ख) सही,
(ग) सही,
(घ) गलत,
(ङ) सही,
(च) गलत,
(छ) सही।

अतिरिक्त परियोजना/कार्यकलाप

प्रश्न 1.
आपका विद्यालय उपभोक्ता जागरूकता सप्ताह का आयोजन करता है। उपभोक्ता जागरूकता फोरम के सचिव के रूप में सभी उपभोक्ता अधिकारों बिन्दुओं को शामिल करते हुए एक पोस्टर तैयार करें। इसके लिए आप पाठ्य पुस्तक पृष्ठ 84 एवं 85 पर दिए गये विज्ञापनों के विचारों और संकेतों का उपयोग कर सकते हैं। ये कार्य आपके अंग्रेजी शिक्षक के सहयोग से करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

प्रश्न 2.
श्रीमती कृष्णा ने 6 महीने की वारण्टी वाला रंगीन टेलीविजन खरीदा। 3 महीने बाद टी.वी. ने काम करना बंद कर दिया। जब उन्होंने उस दुकान पर शिकायत की, जहाँ से टी.वी. खरीदा था तो उसने सही करने के लिए एक इंजीनियर भेजा। टी.वी. बार-बार खराब होता रहा और श्रीमती कृष्णा को दुकानदार से शिकायतों का कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने अपने क्षेत्र के उपभोक्ता फोरम से शिकायत करने का निर्णय लिया। आप उनके लिए एक पत्र लिखिए। आप लिखने से पहले अपने सहयोगी/समूह सदस्यों से चर्चा कर सकते हैं।
उत्तर:

सेवा में,
श्रीमान् अध्यक्ष महोदय
जिला उपभोक्ता मंच
जिला भरतपुर
विषय : रंगीन टेलीविजन विक्रेता की लापरवाही के क्रम में।
महोदय,
विषयानुसार नम्र निवेदन है कि मैंने दिनांक 12 सितम्बर, 2020 को 6 महीने की वारंटी वाला एक रंगीन टेलीविजन, श्याम इलेक्ट्रोनिक्स, भरतपुर से खरीदा था। परन्तु यह टेलीविजन तीन महीने पश्चात् ही खराब हो गया। मैंने इसकी शिकायत सम्बन्धित विक्रेता से की। प्रत्युत्तर में उन्होंने इसे ठीक करने के लिए एक इंजीनियर भेजा परन्तु इस टेलीविजन में लगातार खराबी आती रही है। मैंने कई बार विक्रेता से शिकायत की परन्तु मेरी शिकायतों का कोई जवाब नहीं मिला। अतः इस सम्बन्ध में आपसे निवेदन है कि इस दिशा में उचित कार्यवाही हेतु मेरी शिकायत दर्ज कर तथा मुझे पथ प्रदर्शित कर  अनुग्रहीत करें।
संलग्न : रंगीन टेलीविज़न की खरीद का बिल।

दिनांक : 6 जनवरी, 2021.

प्रार्थिनी
श्रीमती कृष्णा
पता- D-45, कृष्णा नगर
भरतपुर

प्रश्न 3.
अपने विद्यालय में उपभोक्ता क्लब स्थापित करें। बनावटी उपभोक्ता जागरूकता कार्यशाला आयोजित करें और उसमें अपने विद्यालय क्षेत्र के पुस्तक केन्द्रों, भोजनालयों और दुकानों के नियंत्रण जैसे मुद्दों को शामिल करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं हल करें।

प्रश्न 4.
आकर्षक नारों वाले विज्ञापन तैयार करें, जैसे:
सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है। ग्राहक सावधान। सचेत उपभोक्ता अपने अधिकारों को पहचानो। उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करें। उठो, जागो और तब तक मत रुको ……….. (पूरा करें)
उत्तर:
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक इन्साफ न मिल जाये। जागो, ग्राहक जागो ग्राहक अपने अधिकारों को पहचानो।

पाठगत एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 77)

प्रश्न 1.
वे कौन से विभिन्न तरीके हैं, जिनके द्वारा बाजार में लोगों का शोषण हो सकता है?
अथवा
उपभोक्ता शोषण के कोई दो रूप लिखिए।
अथवा बाजार में उपभोक्ता शोषण के कोई तीन प्रकार समझाइए।
उत्तर:
बाजार में लोगों का शोषण विभिन्न तरीकों से हो सकता है, जो निम्नलिखित हैं
1. निर्धारित मूल्य से अधिक वसूली:
एक व्यवसायी उपभोक्ताओं से अधिक मूल्य वसूल करके उनका शोषण करता है। कई व्यापारी उपभोक्ता द्वारा खरीदी गयी वस्तु या सेवा के बदले राजनियम द्वारा निर्धारित मूल्य या व्यापारी द्वारा जारी की गई मूल्य सूची में दर्शाये गये मूल्य से अधिक मूल्य वसूल करते हैं।

2. नकली या घटिया किस्म का माल उपलब्ध कराना:
जिन वस्तुओं की माँग बाजार में अत्यधिक बढ़ जाती है तो व्यापारी उपभोक्ता को उन वस्तुओं के स्थान पर नकली वस्तुएँ देने लग जाते हैं। कई बार व्यापारी घटिया एवं दोषपूर्ण माल भी उपभोक्ता को उपलब्ध करा देते हैं।

3. कम माप-तोल:
कुछ व्यापारियों द्वारा माप-तोल के लिए प्रयोग में लिये जाने वाले उपकरण दोषयुक्त होते हैं एवं उनका प्रमाणन भी नहीं किया हुआ होता है। इसके अतिरिक्त व्यापारियों द्वारा पैकिंग सामग्री को भी तोल में सम्मिलित कर उपभोक्ता का शोषण किया जाता है।

4. अशुद्धता व अपमिश्रण:
आजकल व्यापारियों द्वारा मसाले, तेल, घी तथा सोना व चाँदी के आभूषणों में अशुद्धता एवं मिलावट करके उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है।

5. कृत्रिम अभाव उत्पन्न करना:
व्यापारियों द्वारा माल की कमी के समय माल की जमाखोरी कर वस्तुओं का कृत्रिम अभाव उत्पन्न किया जाता है। इस कारण बाजार में वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि हो जाती है। व्यापारी उपभोक्ताओं से माल पर बढ़ा हुआ मूल्य वसूल कर उनका शोषण करते हैं।

6. सुरक्षा उपायों का अभाव:
स्थानीय व्यापारियों द्वारा उत्पादित विभिन्न उपकरणों की गुणवत्ता, डिजाइन, पैकिंग आदि के बारे में निर्धारित वैधानिक सुरक्षा प्रमाणों का पालन नहीं किया जाता है, जिससे उपभोक्ताओं को दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है।

7. भ्रामक व मिथ्या प्रस्तुतीकरण:
व्यापारी विभिन्न माध्यमों से विज्ञापन देकर वस्तु की किस्म, निष्पादन क्षमता, उपयुक्तता तथा जीवन-काल के बारे में भ्रामक व मिथ्या सूचनाएँ प्रदान करके उपभोक्ताओं को माल खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं।

8. विक्रयोपरान्त सेवाएँ असन्तोषजनक:
स्कूटर, मोटर साइकिल, क , इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रोनिक उपकरणों आदि के लिए विक्रयोपरान्त सेवाओं की आवश्यकता होती है। उपभोक्ताओं द्वारा आवश्यक भुगतान कर देने के पश्चात् भी अधिकांश व्यवसायियों द्वारा ये सेवाएँ सन्तोषजनक ढंग से उपलब्ध नहीं करवायी जाती हैं। अतः यह भी उपभोक्ता शोषण का एक प्रकार है।

प्रश्न 2.
अपने अनुभव से एक ऐसे उदाहरण पर विचार करें, जहाँ आपको यह लगा ो कि बाजार में धोखा’ दिया जा रहा था। कक्षा में चर्चा करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

प्रश्न 3.
आपकी राय में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए सरकार की क्या भूमिका होनी चाहिए?
उत्तर:
उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए सरकार की निम्न भूमिका होनी चाहिए

  1. सरकार को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को कठोरता के साथ लागू करना चाहिए।
  2. सरकार को विभिन्न जनसंचार माध्यमों के द्वारा उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों की स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिए।
  3. सरकार उपभोक्ताओं के संरक्षण हेतु बनायी गयी त्रिस्तरीय न्यायिक प्रक्रिया की पूर्ण जानकारी प्रदान करे।
  4. सरकार सभी विक्रेताओं के लिए कीमत सूची लटकाना अनिवार्य करे।
  5. सरकार उत्पादकों के लिए यह अनिवार्य करे कि प्रत्येक उत्पाद पर कीमत, निर्माण तिथि, प्रयोग की अन्तिम तिथि, गारण्टी अथवा वारण्टी अवधि, उत्पाद के गुण, उत्पादक का नाम, पता व टेलीफोन नम्बर भी हो।
  6. सरकार को राशन की दुकानों के माध्यम से समाज के निर्धन वर्गों के लिए सभी आवश्यक वस्तुओं को वितरित करना चाहिए।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 78)

प्रश्न 1.
उपभोक्ता दलों द्वारा कौन-कौन से उपाय अपनाए जा सकते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता दलों द्वारा निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं।

  1. उपभोक्ता जागरूकता पर प्रदर्शनी का आयोजन करना।
  2. सड़क यात्री परिवहन में अत्यधिक भीड़भाड़ पर निगरानी रखना।
  3. राशन की दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर नजर रखना।
  4. उपभोक्ता अधिकार से सम्बन्धित आलेखों के लेखन का कार्य करना।
  5. उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ एवं अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कम्पनियों एवं सरकार पर दबाव डालना।

प्रश्न 2.
नियम एवं कानून होने के बावजूद उनका अनुपालन नहीं होता है। क्यों? विचार-विमर्श करें।
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता संरक्षण के अनेक नियम एवं कानून होने के बावजूद उनका अनुपालन नहीं होता है। इसके निम्नलिखित कारण हैं

  1. उपभोक्ता का जागरूक न होना।
  2. कानून लागू करने वाले कई सरकारी अधिकारी भ्रष्ट होते हैं। वे बेईमान व्यापारियों और दुकानदारों से रिश्वत लेकर उन्हें बच निकलने का अवसर देते रहते हैं।
  3. अधिकांश उपभोक्ता सीधे-सादे होते हैं जो कि विक्रेता या उत्पादक के विरुद्ध शिकायत कर किसी झगड़े में नहीं पड़ना चाहते हैं। वे न्यायालय जाने से घबराते हैं।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 79)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित उत्पादों/सेवाओं (आप सूची में नया नाम जोड़ सकते हैं) पर चर्चा करें कि इनमें उत्पादकों द्वारा किन सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए
(क) एल.पी.जी. सिलिंडर,
(ख) सिनेमा थिएटर,
(ग) सर्कस,
(घ) दवाइयाँ,
(च) खाद्य तेल,
(घ) विवाह पंडाल,
(ज) एक बहुमंजिली इमारत।
उत्तर:
दिए गए उत्पादों/सेवाओं की स्थिति में उत्पादकों द्वारा निम्नलिखित सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए:
(क) एल.पी.जी. सिलिंडर:
सिलिंडर में किसी भी प्रकार का गैस रिसाव नहीं होना चाहिए। सिलिंडर का वजन व गुणवत्ता एवं उत्पादक कम्पनी की सील भी ठीक होनी चाहिए।

(ख) सिनेमा थिएटर:
सिनेमा थिएटर के मालिक को सिनेमा थिएटर में सुरक्षित भवन, पार्किंग, पर्याप्त संख्या में निकास एवं प्रवेश द्वार, अग्निशमन यंत्र, कैंटीन एवं शौचालय आदि की व्यवस्था करनी चाहिए।

(ग) सर्कस:
सर्कस के स्थान पर सुरक्षा सम्बन्धी व्यवस्थाएँ होनी चाहिए जिनमें अग्निशमन यंत्र, पानी के टैंक, रेत की बाल्टियाँ, खतरनाक जानवरों के लिए पिंजरे, प्रशिक्षित कर्मचारी आदि प्रमुख हैं। सभी जानवरों को मजबूत पिंजरों में रखना चाहिए। प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा जानवरों का करतब दिखाने के पश्चात् उन्हें पिंजरों में बंद कर देना चाहिए।

(घ) दवाइयों:
दवाई उत्पादक कम्पनियों द्वारा दवाई बनाते समय सभी स्वास्थ्य नियमों व निर्धारित मात्रा में रसायनों का प्रयोग करना चाहिए। दवाइयों पर निर्माण तिथि, खराब होने की अन्तिम तिथि, बैच संख्या, कीमत, फार्मूला आदि लिखा होना चाहिए।

(च) खाद्य तेल:
खाद्य तेलों में किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होनी चाहिए। खाद्य तेल सीलबन्द डिब्बों या पैकेटों में होना चाहिए। इन पैकेटों पर निर्माण तिथि, समाप्ति तिथि, निर्धारित कीमत तथा एगमार्क अवश्य होना चाहिए।

(झ) विवाह पंडाल:
विवाह पंडाल में उचित स्थान, जनरेटर की व्यवस्था, अग्निशमन यंत्र, शौचालय व पार्किंग व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त विवाह पंडाल, टैंट का कपड़ा, नाइलॉन, सिल्क या रेशमी नहीं होना चाहिए।

(ज) एक बहुमंजिली इमारत:
एक बहुमंजिली इमारत का निर्माण सरकार द्वारा अनुमोदित मानचित्र के अनुसार ही होना चाहिए। भवन की मजबूती का ध्यान रखते हुए भूकम्परोधी तकनीक का प्रयोग करना चाहिए। इमारत में पर्याप्त निकास-द्वार, अग्निशमन यंत्र, लिफ्ट तथा इमारत के पास में ही पार्किंग व पार्क की व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रश्न 2.
अपने आसपास के लोगों के साथ हुई किसी दुर्घटना या लापरवाही की किसी घटना का पता कीजिए, जहाँ आपको लगता हो कि उसका ज़िम्मेदार उत्पादक है। इस पर विचार विमर्श करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 81)

प्रश्न 1.
“जब हम वस्तुएँ खरीदते हैं तो पाते हैं कि कभी-कभी पैकेट पर छपे मूल्य से अधिक या कम मूल्य लिया जाता है।” इसके सम्भावित कारणों पर बात करें। क्या उपभोक्ता समूह इस मामले में कुछ कर सकते हैं ? चर्चा करें।
उत्तर:
जब हम वस्तुएँ खरीदते हैं तो पाते हैं कि कभी-कभी पैकेट पर छपे मूल्य से अधिक या कम मूल्य लिया जाता है। इसके सम्भावित कारण निम्नलिखित हैं:

  1. उपभोक्ता की अशिक्षा, अज्ञानता अथवा उदासीनता।
  2. जब पूर्ति की अपेक्षा वस्तु की माँग अधिक होती है तो विक्रेता इस बात का फायदा उठाकर उपभोक्ताओं से अधिक मूल्य वसूल करके अपने लाभ को अधिकतम करना चाहते हैं।
  3. विक्रेता द्वारा निर्धारित कीमत से कम कीमत पर वस्तुएँ बेचने पर हो सकता है कि वह नकली वस्तुएँ बेच रहा हो। इस अवस्था में उपभोक्ता समूहों को विक्रेताओं पर अधिकतम खुदरा मूल्य से कम मूल्य रखने के लिए दबाव डालना चाहिए। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय अथवा पुलिस की मदद भी ली जा सकती है।

प्रश्न 2.
कुछ डिब्बा बन्द वस्तुओं के पैकेट लें, जिन्हें आप खरीदना चाहते हैं और उन पर दी गई जानकारियों का परीक्षण करें। देखें कि वे किस तरह उपयोगी हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन डिब्बा बन्द वस्तुओं पर कुछ ऐसी जानकारियाँ दी जानी चाहिये, जो उस पर नहीं हैं ? चर्चा करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

प्रश्न 3.
लोग नागरिकों की समस्याओं; जैसे-खराब सड़कों या दूषित पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में शिकायत करते हैं, लेकिन कोई नहीं सुनता। अब RTI कानून आपको प्रश्न पूछने का अधिकार देता है। क्या आप सहमत हैं? विचार कीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ कि RTI कानून लोगों को प्रश्न पूछने का अधिकार देता है। यह कानून नागरिकों को सड़क, जल व स्वास्थ्य विभाग आदि के क्रियाकलापों की सूचना व समस्याओं के कारण जानने का अधिकार देता है।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 82)

प्रश्न 1.
यहाँ कुछ ऐसी वस्तुओं के लुभाने वाले विज्ञापन दिये गये हैं, जिन्हें हम बाजार से खरीदते हैं। इनमें वास्तव में क्या कोई ऐसा विज्ञापन है जो सचमुच में उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाता हो ? इस पर विचार-विमर्श कीजिए।
1. प्रत्येक 500 ग्राम के पैक पर 15 ग्राम की अतिरिक्त छूट।
2. अखबार के ग्राहक बनें, साल के अन्त में उपहार पायें।
3. खुरचिये और 10 लाख तक का इनाम जीतिए।
4. 500 ग्राम ग्लूकोज डिब्बे के भीतर दूध का चाकलेट।
5. पैकेट के भीतर एक सोने का सिक्का।
6. 2000 रुपये तक का जूता खरीदें और 500 रुपये तक का एक जोड़ी जूता मुफ्त पायें।
उत्तर:

  1. प्रत्येक 500 ग्राम के पैक पर 15 ग्राम की अतिरिक्त छूट।
  2. 500 ग्राम ग्लूकोज डिब्बे के भीतर दूध का चाकलेट।
  3. 2000 रु. तक का जूता खरीदें और 500 रुपये तक का एक जोड़ी जूता मुफ्त पायें।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 84)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को सही क्रम में रखें
(क) अरिता जिला उपभोक्ता अदालत में एक मुकदमा दायर करती है।
(ख) वह शिकायत के लिए पेशेवर व्यक्ति से मिलती है।
(ग) वह महसूस करती है कि दुकानदार ने उसे दोषयुक्त सामग्री दी है।
(घ) वह अदालती कार्यवाहियों में भाग लेना शुरू कर देती है।
(ड.) वह शाखा कार्यालय जाती है और डीलर के विरुद्ध शिकायत दर्ज करती है, लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(च) अदालत के समक्ष पहले उससे बिल और वारंटी प्रस्तुत करने को कहा गया।
(छ) वह एक खुदरा विक्रेता से दीवाल घड़ी खरीदती है।
(ज) कुछ ही महीनों के भीतर, न्यायालय ने खुदरा विक्रेता को आदेश दिया कि उसकी पुरानी दीवार घड़ी की जगह बिना कोई अतिरिक्त मूल्य लिए उसे एक नयी घड़ी दी जाए।
उत्तर:
(छ) वह एक खुदरा विक्रेता से दीवाल घड़ी खरीदती है।
(ग) वह महसूस करती है कि दुकानदार ने उसे दोषयुक्त सामग्री दी है।
(ड.) वह शाखा कार्यालय जाती है और डीलर के विरुद्ध शिकायत दर्ज करती है। लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(ख) वह शिकायत के लिए पेशेवर व्यक्ति से मिलती है।
(क) अरिता जिला उपभोक्ता अदालत में एक मुकदमा दायर करती है।
(घ) वह अदालती कार्यवाहियों में भाग लेना शुरू कर देती है।
(च) अदालत के समक्ष पहले उससे बिल और वारंटी प्रस्तुत करने को कहा गया।
(ज) कुछ ही महीनों के भीतर, न्यायालय ने खुदरा विक्रेता को आदेश दिया कि उसकी पुरानी दीवाल घड़ी की जगह बिना कोई अतिरिक्त मूल्य लिए उसे एक नयी घड़ी दी जाए।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 86)

प्रश्न 1.
इस अध्याय के पोस्टरों के कार्टूनों को देखें-एक उपभोक्ता के दृष्टिकोण से किसी वस्तु विशेष की उससे सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं पर विचार करें। इसके लिए एक पोस्टर बनाएँ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
अपने क्षेत्र के निकटतम उपभोक्ता अदालत का पता करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता संरक्षण परिषद एवं उपभोक्ता अदालत में क्या अन्तर है?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण परिषद:
उपभोक्ता संरक्षण परिषद वह सामाजिक संगठन है जो कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करता है एवं उन्हें बढ़ावा देता है। उपभोक्ता अदालत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत एक त्रिस्तरीय न्यायिक तंत्र स्थापित किया गया है जिन्हें जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तरों पर उपभोक्ता अदालतें कहा जाता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

प्रश्न 4.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 एक उपभोक्ता को निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है
(क) चयन का अधिकार,
(ख) सूचना का अधिकार,
(ग) निवारण का अधिकार,
(घ) प्रतिनिधित्व का अधिकार,
(च) सुरक्षा का अधिकार,
(छ) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।

निम्नलिखित मामलों को उनके नाम से दिये गये खानों में अलग शीर्षक और चिह्न के साथ श्रेणीबद्ध करें।
(क) लता को एक नए खरीदे गए आयरन-प्रेस से विद्युत का झटका लगा। उसने तुरन्त दुकानदार से शिकायत की।
(ख) जॉन विगत कुछ महीनों से एम.टी.एन.एल द्वारा दी गई सेवाओं से असंतुष्ट है। उसने जिलास्तरीय उपभोक्ता फोरम में मुकदमा दर्ज किया।
(ग) तुम्हारे मित्र ने एक दवा खरीदी, जो समाप्ति तारीख (एक्सपायरी डेट) पार कर चुकी है और तुम उसे शिकायत दर्ज करने की सलाह दे रहे हो।
(घ) इकबाल कोई भी सामग्री खरीदने से पहले उसके आवरण पर दी गई सारी जानकारियों की जाँच करता है।
(च) आप अपने क्षेत्र के केबल ऑपरेटर द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से असंतुष्ट हैं, लेकिन आपके पास कोई विकल्प । नहीं है।
(छ) आपने यह महसूस किया कि दुकानदार ने आपको खराब कैमरा दिया है। आप मुख्य कार्यालय में दृढ़ता से शिकायत करते हैं।
उत्तर:
(क) सुरक्षा का अधिकार,
(ख) निवारण का अधिकार,
(ग) सूचना का अधिकार,
(घ) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार,
(च) चयन का अधिकार,
(छ) प्रतिनिधित्व का अधिकार।

प्रश्न 5.
यदि मानकीकरण वस्तुओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है तो क्यों बाजार में बहुत-सी वस्तुएँ बिना आई.एस.आई. अथवा एगमार्क प्रमाणन के मौजूद हैं ?
उत्तर:
बाजार में कई वस्तुएँ बिना आई.एस.आई. अथवा एगमार्क प्रमाणन के मौजूद हैं क्योंकि कुछ उत्पादक असली उत्पादों जैसा नकली उत्पाद बनाकर कम कीमत पर बेचते हैं। इससे उत्पादकों को बहुत अधिक लाभ होता है। इसके अतिरिक्त सभी उत्पादकों को इन मानदण्डों का पालन करना जरूरी नहीं होता है।

प्रश्न 6.
हॉलमार्क या आई.एस.ओ. प्रमाणन उपलब्ध कराने वालों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर:

  1. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) हॉलमार्क प्रमाणन प्रदान करता है।
  2. स्वर्ण जवाहारात के हॉलमार्क प्रमाणन सम्पूर्ण देश के प्रादेशिक और शाखा कार्यालयों के BIS नेटवर्क द्वारा प्रदान . किए जाते हैं।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं के मानकों को प्रमाणित करता है। इसकी स्थापना 1947 में की गई थी जो जेनेवा में स्थित है।
  4. बी.आई.एस., अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आई.एस.ओ.) का एक कार्यशील सदस्य है। इसलिए यह भारतीय व्यापार और उद्योग के हितों की सुरक्षा के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

JAC Class 10th Economics वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Textbook Questions and Answers

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 1.
वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न देशों के मध्य परस्पर सम्बन्ध एवं तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण कहलाती है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया के अन्तर्गत विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का समन्वय किया जाता है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं, प्रौद्योगिकी, पूँजी एवं श्रम का इनके मध्य प्रवाह हो सके। वैश्वीकरण के अन्तर्गत विदेशी व्यापार अवरोधक हटा लिये जाते हैं जिससे पूँजी व श्रम का स्वतन्त्र रूप में आवागमन होता है, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ता है, आयात-निर्यात में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त उत्पादन व उत्पादकता का स्तर बढ़ता है।

प्रश्न 2.
भारत सरकार द्वारा विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी?
अथवा
“भारत में 1991 से विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश पर से अवरोधों को काफी हद तक हटा दिया गया था।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।
‘अथवा
स्वतन्त्रता के बाद भारत सरकार ने विदेशी व्यापार तथा विदेशी निवेशों पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया? इन अवरोधों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत सरकार ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगा दिए थे। ये अवरोधक सन् 1991 तक लगे रहे। सरकार ने विदेशी प्रतिस्पर्धा से देश में उत्पादकों की रक्षा करने के लिए यह प्रतिबन्ध लगाए। सन् 1950 एवं 1960 के दशक में भारतीय उद्योग अपनी प्रारम्भिक अवस्था में था। इस अवस्था में आयातों से प्रतिस्पर्धा इन उद्योगों को बढ़ने नहीं देती।

यही कारण था कि भारत सरकार ने आयातों को केवल मशीनरी, उर्वरक, खनिज तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं तक ही सीमित रखा और विदेश व्यापार व विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाया। इन अवरोधकों को सरकार इसलिए हटाना चाहती थी क्योंकि सन् 1991 तक भारतीय उत्पादक विश्व के उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो गये थे। अब यह महसूस किया जाने लगा था कि प्रतिस्पर्धा से देश के उत्पादकों के प्रदर्शन में सुधार होगा . क्योंकि उन्हें अपनी गुणवत्ता में सुधार करना आवश्यक होगा।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 3.
श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों की कैसे मदद करेगा ?
उत्तर:
श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों की निम्नलिखित प्रकार से मदद करेगा

  1. श्रम कानूनों में लचीलेपन के कारण कम्पनियाँ श्रमिकों को अस्थाई रूप से रोजगार में लगाएँगी जिससे कि उन्हें श्रमिकों को पूरे वर्ष का भुगतान न करना पड़े।
  2. कम्पनियाँ श्रमिकों से अधिक घण्टे एवं अत्यधिक माँग की अवधि में रात . में भी काम कराएँगी। इस प्रकार वे श्रम लागतों में कमी कर अधिक लाभ कमाएँगी।

प्रश्न 4.
दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ किस प्रकार उत्पादन पर नियन्त्रण स्थापित करती हैं ?
अथवा
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपनी उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने के लिए ध्यान में रखने योग्य किन्हीं तीन परिस्थितियों की परख कीजिए।
उत्तर:
दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ निम्न प्रकार से उत्पादन पर नियन्त्रण स्थापित करती हैं:
1. संयुक्त उत्पादन द्वारा:
कभी-कभी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ कुछ देशों की स्थानीय कम्पनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करती हैं। संयुक्त उत्पादन से स्थानीय कम्पनी को दोहरा लाभ प्राप्त होता है। प्रथम, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अतिरिक्त निवेश के लिए धन प्रदान कर सकती हैं जैसे कि तीव्र उत्पादन के लिए मशीनें खरीदना। दूसरा, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उत्पादन की नवीनतम प्रौद्योगिकी अपने साथ ला सकती हैं।

2. स्थानीय कम्पनियाँ खरीद कर:
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ स्थानीय कम्पनियों को खरीदकर अपने उत्पादन का विस्तार करती हैं। अपार सम्पदा वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ यह आसानी से कर सकती हैं।

3. छोटे उत्पादकों को उत्पादन का आर्डर देना:
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ एक अन्य तरीके से भी उत्पादन नियन्त्रित करती हैं। विकसित देशों की बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ छोटे उत्पादकों को उत्पादन का आर्डर देती हैं। वस्त्र, जूते चप्पल एवं खेल का सामान ऐसे उद्योग हैं जहाँ विश्वभर में बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों द्वारा उत्पादन किया जाता है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को इन उत्पादों की आपूर्ति की जाती है। ये कम्पनियाँ इन वस्तुओं को अपने ब्रांड नाम से उपभोक्ताओं को बेच देती हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 5.
विकसित देश, विकासशील देशों से उनके व्यापार और निवेश का उदारीकरण क्यों चाहते हैं? क्या आप मानते हैं कि विकासशील देशों को भी बदले में ऐसी माँग करनी चाहिए?
उत्तर:
विकसित देश, विकासशील देशों से उनके व्यापार और निवेश का उदारीकरण इसलिए चाहते हैं ताकि वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा विदेशी व्यापार व विदेशी निवेश के माध्यम से विकासशील देशों में अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकें। इसके अतिरिक्त विकसित देश ऊँची दर का लाभ अर्जित करने के लिए विकासशील देशों में निवेश करना चाहते हैं।

विकासशील देशों को भी बदले में विकसित देशों द्वारा अनुचित ढंग से अपनाये गये व्यापार अवरोधक को हटाने, उनके बाजार तक पहुँच तथा अधिक आर्थिक सहायता की माँग करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त विकासशील देश समान हितों वाले अन्य विकासशील देशों के साथ मिलकर विकसित देशों के प्रभाव का विरोध कर सकते हैं तथा उचित व सही नियमों के लिए वे विश्व व्यापार संगठन व अन्य संगठनों से बातचीत कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
‘वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है।’ इस कथन की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
अथवा
“वैश्वीकरण का प्रभाव समान रूप में नहीं पड़ता है।” उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है यह बिल्कुल सत्य है। यह सभी के लिए लाभप्रद नहीं है। कुछ वर्गों पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ा है जबकि कुछ वर्गों पर इसका प्रतिकूल एवं हानिकारक प्रभाव भी पड़ा है। अनेक लोग वैश्वीकरण से प्राप्त लाभों से वंचित भी रह गये हैं।
उपर्युक्त कथन की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है:
(i) सकारात्मक प्रभाव-विभिन्न वर्गों पर वैश्वीकरण के निम्नलिखित सकारात्मक प्रभाव पड़े हैं।

  1. स्थानीय व विदेशी उत्पादकों के मध्य प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं विशेषकर शहरी क्षेत्र में रह रहे धनी वर्ग के उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है। इन उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं। वे अब अनेक वस्तुओं और सेवाओं की उत्कृष्टता, गुणवत्ता तथा कम कीमत से लाभान्वित हो रहे हैं। परिणामस्वरूप, ये लोग पहले की तुलना में आज अपेक्षाकृत उच्चतम जीवन स्तर का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं।
  2. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने शहरी क्षेत्रों में सेलफोन, मोटर गाड़ियाँ, इलेक्ट्रोनिक उत्पादों, ठण्डे पेय पदार्थों, जंक खाद्य पदार्थों एवं बैंकिंग जैसी सेवाओं के निवेश में रुचि दिखाई है जिससे शहरी क्षेत्रों में पढ़े-लिखे लोगों एवं कुशल श्रमिकों के लिए बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसर पैदा हुए हैं।
  3. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को कच्चे माल की आपूर्ति करने वाली स्थानीय कम्पनियों के लाभ में वृद्धि हुई है।
  4. प्रमुख भारतीय कम्पनियों द्वारा नवीनतम तकनीकी व उत्पादन प्रणाली अपनाये जाने के कारण बढ़ती प्रतिस्पर्धा से लाभ हुआ है। कुछ भारतीय कम्पनियों ने विदेशी कम्पनियों के साथ सहयोग कर लाभ अर्जित किया है।
  5. वैश्वीकरण ने कुछ वृहत् भारतीय कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में उभरने के योग्य बनाया है।
  6.  वैश्वीकरण सूचना प्रौद्योगिकी, आँकड़ा प्रविष्टि, लेखांकन, प्रशासनिक कार्य, इंजीनियरिंग आदि कई सेवाएँ प्रदान करने वाली कम्पनियों के लिए नए अवसर उत्पन्न किए हैं। आज ये सेवाएँ भारत जैसे देशों में सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं और विकसित देशों को इनका निर्यात भी किया जाता है।

(ii) नकारात्मक प्रभाव विभिन्न वर्गों पर वैश्वीकरण के निम्नलिखित नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं

  1. वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव भी पड़े हैं। कुछ छोटे उद्योगों; जैसे-बैटरी, संधारण, प्लास्टिक, खिलौने, टायर, डेयरी उत्पाद एवं खाद्य तेल आदि को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण बहुत नुकसान झेलना पड़ा है।
  2. कई उद्योग बन्द हो गये जिसके कारण अनेक श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं।
  3. वैश्वीकरण तथा प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन में बहुत परिवर्तन ला दिया है। बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण अधिकांश नियोक्ता आजकल श्रमिकों को रोजगार देने में लचीलापन पसंद करते हैं। इसका अर्थ है कि अब श्रमिकों का रोजगार सुनिश्चित एवं सुरक्षित नहीं रह गया है।
  4. नियोक्ता श्रम लागतों में निरन्तर कटौती कर रहे हैं वे कम वेतन पर श्रमिकों से अधिक समय काम ले रहे हैं।
  5.  वैश्वीकरण ने धनिक एवं निर्धन वर्ग के मध्य अन्तर में और अधिक वृद्धि की है।

प्रश्न 7.
व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण, वैश्वीकरण प्रक्रिया में कैसे सहायता पहुँचाता है?
उत्तर:
व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण, वैश्वीकरण प्रक्रिया में निम्नलिखित प्रकार से सहायता पहुँचाता है।
1. व्यापार अवरोधकों का हटना:
उदारीकरण की नीति के अन्तर्गत भारत सरकार ने वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात से विभिन्न प्रतिबन्धों को हटा लिया है। अब बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भारत में वस्तुओं का आयात करने के लिए एवं भारतीय कम्पनियाँ विदेशों में वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्यात करने के लिए स्वतंत्र हैं। इसके अतिरिक्त विदेशी नियाँ भारत में अपने कार्यालय एवं कारखाने स्थापित कर सकती हैं।

2. निवेश का उदारीकरण:
इस नीति के अन्तर्गत बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भारत में निवेश करने के लिए स्वतंत्र हैं। अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने सेलफोन, मोटरगाड़ी, बैंकिंग, ठण्डे पेय पदार्थों व इलेक्ट्रोनिक उत्पादों आदि क्षेत्र में निवेश किया है। भारत सरकार व राज्य सरकारें भी विभिन्न सुविधाएँ प्रदान कर देश में निवेश हेतु बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को आमन्त्रित कर रही हैं। देश में विदेशी निवेश निरन्तर बढ़ रहा है।

3. सूचना व संचार प्रौद्योगिकी का विकास:
उदारीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप भारत में सूचना व प्रौद्योगिकी का पर्याप्त विकास हुआ है जिससे वैश्वीकरण को बढ़ावा मिला है। सूचना व संचार प्रौद्योगिकी ने अन्य देशों में सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 8.
विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में किस प्रकार मदद करता है? यहाँ दिए गए उदाहरण से भिन्न उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
“विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को आपस में जोड़ता है।” कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
अथवा
विदेशी व्यापार किस प्रकार विभिन्न देशों के बाजारों का एकीकरण कर रहा है? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
कुछ ही वर्षों में हमारे बाजार किस प्रकार परिवर्तित हो गए हैं? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में निम्नलिखित प्रकार से मदद करता है

  1. सभी देश लगभग एक-दूसरे पर निर्भर हो गए हैं। प्रत्येक देश को वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करना पड़ता है।
  2. विदेश व्यापार घरेलू बाजारों से बाहर के बाजारों में पहुँचने के लिए एक अवसर प्रदान करता है। उत्पादक केवल अपने देश के बाजारों में ही अपने उत्पाद नहीं बेच सकते हैं बल्कि विश्व के अन्य देशों के बाजारों से भी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
  3. इसी प्रकार-दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं का आयात कर सकते हैं। इससे क्रेताओं के समक्ष उन वस्तुओं के घरेलू उत्पादन के अन्य विकल्पों का विस्तार होता है।
  4. विदेश व्यापार के खुलने से वस्तुओं का एक बाजार से दूसरे बाजार में आवागमन होता है। बाजार में वस्तुओं के विकल्पों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हो जाती है।
  5. दो बाजारों में एक ही वस्त्र का मूल्य एक समान होने लगता है।
  6. इस प्रकार विदेशी व्यापार में दो देशों के उत्पादक एक-दूसरे से हजारों मील दूर होकर भी एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

उदाहरण:
भारत में सूती व ऊनी वस्त्रों का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन होता है। भारत में किसी भी अन्य देश द्वारा इनकी माँग करने पर इन वस्तुओं का निर्यात किया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ, भारत में खनिज तेल की कमी है। अतः भारत खनिज तेल उत्पादक देशों से इसका आयात कर सकता है। इस प्रकार विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में मदद करता है।

प्रश्न 9.
वैश्वीकरण भविष्य में जारी रहेगा। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आज से बीस वर्ष बाद विश्व कैसा होगा? अपने उत्तर का कारण दीजिए।
उत्तर:
निःसन्देह वैश्वीकरण भविष्य में भी जारी रहेगा। आज से लगभग 20 वर्ष पश्चात् सम्पूर्ण विश्व एक बड़े बाजार के रूप में दिखाई देगा। इसके निम्नलिखित कारण हैं

  1. सम्पूर्ण विश्व में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का अत्यधिक विस्तार होगा।
  2. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विस्तार विश्व बाजारों को एक-दूसरे के निकट ले आएगा।
  3. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा विदेशी निवेश में अत्यधिक वृद्धि होगी।
  4. श्रम की गतिशीलता बढ़ने से कुशल व अकुशल श्रमिक समस्त विश्व में फैल जाएँगे।
  5. विभिन्न देशों के मध्य विदेशी व्यापार में अत्यधिक वृद्धि होगी।
  6. अधिकाधिक वस्तुओं, सेवाओं, निवेश व प्रौद्योगिकी का विभिन्न देशों के मध्य आवागमन बढ़ेगा।
  7. विभिन्न देशों में लोगों का वृहत स्तर पर आवागमन होगा।
  8. सांस्कृतिक मूल्यों के आदान-प्रदान मे वृद्धि होगी।
  9. रोजगार में वृद्धि होगी। सम्भवतः बेरोजगारी का समापन हो जायेगा।
  10. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा का लाभ प्राप्त होगा।
  11. लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा।

प्रश्न 10.
मान लीजिए कि आप दो लोगों को तर्क करते हुए पाते हैं-एक कह रहा है कि वैश्वीकरण ने हमारे देश के विकास को क्षति पहुँचाई है, दूसरा कह रहा है कि वैश्वीकरण ने भारत के विकास में सहायता की है। इन लोगों को आप कैसे जवाब दोगे ?
उत्तर:
दो व्यक्तियों को वैश्वीकरण के पक्ष व विपक्ष में तर्क करता हुआ पाने पर मैं कहूँगा कि वैश्वीकरण ने एक ओर हमारे देश के विकास को कोई क्षति नहीं पहुँचायी है क्योंकि वैश्वीकरण विकास के लिए अति आवश्यक है। वैश्वीकरण ने रोजगार का सृजन किया है, इससे धनी उपभोक्ता, उत्पादक, कुशल व अच्छे पढ़े-लिखे श्रमिक अधिक लाभान्वित हुए हैं।

देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ा है। उत्पादन व उत्पादकता का स्तर बढ़ा है, परिवहन व संचार की कम लागत के कारण विदेशी व्यापार का हिस्सा बढ़ा है वैश्वी रण ने देश की अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतियोगी बनाया है। अतः भारत विदेशी प्रतिस्पर्धा के समक्ष ठहरने में समर्थ हो गया है।

वहीं दूसरी ओर वैश्वीकरण के कुछ दुष्प्रभाव भी पड़े हैं। कई छोटे उत्पादक व श्रमिक बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण: जपरीत रूप से प्रभावित हुए हैं। कई छोटे कारखाने बन्द हो गये हैं। वे वैश्वीकरण के लाभों से लाभान्वित नहीं हुए हैं। अतः भारत सरकार को चाहिए कि वह वैश्वीकरण को अधिक न्यायसंगत बनाने का प्रयास करे। न्यायसंगत वैश्वीकरण सभी के लिए समान अवसरों का सृजन करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करेगा कि इसके लाभों में सभी की उपयुक्त हिस्सेदारी हो।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 11.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए। दो दशक पहले की तुलना में भारतीय खरीददारों के पास वस्तुओं के अधिक विकल्प हैं। यह ……. की प्रक्रिया से नजदीक से जुड़ा हुआ है। अनेक दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं को भारत के बाजारों में बेचा जा रहा है। इस का अर्थ है कि अन्य देशों के साथ ……. बढ़ रहा है। इससे भी आगे भारत में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा उत्पादित ब्रांडों की बढ़ती संख्या हम बाजारों में देखते हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भारत में निवेश कर रही हैं क्योंकि ………। जबकि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प इसलिए बढ़ते ………….. और ……….. के प्रभाव का अर्थ है उत्पादकों के बीच अधिकतम ……
उत्तर:
दो दशक पहले की तुलना में भारतीय खरीददारों के पास वस्तुओं के अधिक विकल्प हैं। यह वैश्वीकरण की प्रक्रिया से नजदीक से जुड़ा हुआ है। अनेक दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं को भारत के बाजारों में बेचा जा रहा है। इसका अर्थ है कि अन्य देशों के साथ विदेशी व्यापार बढ़ रहा है। इससे भी आगे भारत में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा उत्पादित ब्रांडों की बढ़ती संख्या हम बाजारों में देखते हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भारत में निवेश कर रही हैं क्योंकि उन्हें लाभ कमाने की आशा है। जबकि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प हैं इसलिए बढ़ते विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश के प्रभाव का अर्थ है उत्पादकों के बीच अधिकतम प्रतिस्पर्धा ।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए

(क) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ छोटे उत्पादकों से सस्ते दरों पर (अ) मोटर गाड़ियों खरीदती हैं।
(ख) आयात पर कर और कोटा का उपयोग, व्यापार नियमन (ब) कपड़ा, जूते, चप्पल, खेल के सामान के लिए किया जाता है।
(ग) विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कम्पनियाँ। (स) कॉल सेंटर
(घ) आई. टी. ने सेवाओं के उत्पादन व प्रसार में सहायता (द) टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी की है।
(ङ) अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने उत्पादन करने के लिए (य) व्यापार अवरोधक। निवेश किया है।

उत्तर:

(क) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ छोटे उत्पादकों से सस्ते दरों पर (ब) कपड़ा, जूते, चप्पल, खेल के सामान के लिए किया जाता है।
(ख) आयात पर कर और कोटा का उपयोग, व्यापार नियमन (य) व्यापार अवरोधक। निवेश किया है।
(ग) विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कम्पनियाँ। (द) टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी की है।
(घ) आई. टी. ने सेवाओं के उत्पादन व प्रसार में सहायता (स) कॉल सेंटर
(ङ) अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने उत्पादन करने के लिए (अ) मोटर गाड़ियों खरीदती हैं।

प्रश्न 13.
सही विकल्प का चयन कीजिए
(अ) वैश्वीकरण के विगत दो दशकों में द्रुत आवागमन देखा गया है
(क) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और लोगों का
(ख) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों का
(ग) देशों के बीच वस्तुओं, निवेशों और लोगों का
उत्तर:
(ख) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों का

(आ) विश्व के देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निवेश का सबसे अधिक सामान्य मार्ग है
(क) नये कारखानों की स्थापना ।
(ख) स्थानीय कम्पनियों को खरीद लेना
(ग) स्थानीय कम्पनियों से साझेदारी करना
उत्तर:
(ख) स्थानीय कम्पनियों को खरीद लेना

(इ) वैश्वीकरण ने जीवन स्तर के सुधार में सहायता पहुँचाई है
(क) सभी लोगों के
(ख) विकसित देशों के लोगों के
(ग) विकासशील देश के श्रमिकों के
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) विकसित देशों के लोगों के

अतिरिक्त परियोजना/कार्यकलाप

इन प्रश्नों को विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं हल करें।

पाठगत एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

आओ- इस पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 57)

प्रश्न 1.
यह दर्शाने के लिए निम्न कथन की पूर्ति करें कि वस्त्र उद्योग में उत्पादन-प्रक्रिया कैसे विश्व-भर में फैली हुई एक ब्रांड लेवल पर ‘मेड इन थाइलैण्ड’ लिखा है, परन्तु उसमें एक भी थाई उत्पाद नहीं है। हम विनिर्माण- प्रक्रिया का विश्लेषण करते हैं और प्रत्येक चरण में सर्वोत्तम निर्माण को देखते हैं। हम इसे विश्व-स्तर पर कर रहे हैं। जैसे, वस्त्र निर्माण में कंपनी कोरिया से सूत ले सकती है
उत्तर:
एक ब्रांड लेबल पर ‘मेड इन थाइलैण्ड’ लिखा है, परन्तु उसमें एक भी थाई उत्पाद नहीं है। हम विनिर्माण-प्रक्रिया का विश्लेषण करते हैं और प्रत्येक चरण में सर्वोत्तम निर्माण को देखते हैं। हम इसे विश्व-स्तर पर कर रहे हैं, जैसे वस्त्र निर्माण में कंपनी कोरिया से सूत ले सकती है। चीन और भारत में कपड़े का विनिर्माण कर सकती हैं। भारत के पास वस्त्र उद्योग से सम्बंधित उच्च कोटि के कुशल इंजीनियर उपलब्ध हैं जो उनका संचालन कर सकते हैं।

यहाँ अंग्रेजी बोलने में दक्ष शिक्षित युवक भी हैं, जो ग्राहक देखभाल सेवाएँ उपलब्ध करा सकते हैं। इन वस्त्रों को समस्त विश्व में बेचा जा सकता है। इन समस्त सुविधाओं के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों की लागत में लगभग 40 से 50 प्रतिशत की कमी होती है जिससे उन्हें बहुत अधिक मात्रा में लाभ होता है।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 59)

नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें एक अमेरिकी कंपनी फोर्ड मोटर्स विश्व के 26 देशों में प्रसार के साथ विश्व की सबसे बड़ी मोटरगाड़ी निर्माता कंपनी है। फोर्ड मोटर्स 1995 में भारत आयी और चेन्नई के निकट 1,700 करोड़ रुपए का निवेश करके एक विशाल संयंत्र की स्थापना की। यह संयंत्र भारत में जीपों एवं ट्रकों के प्रमुख निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा के सहयोग से स्थापित किया गया। वर्ष 2017 तक फोर्ड मोटर्स भारतीय बाजारों में 88,000 कारें बेच रही थी, जबकि 1,81,000 कारों का निर्यात भी भारत से दक्षिण अफ्रीका, मेक्सिको, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका किया गया। कंपनी विश्व के दूसरे देशों में अपने संयंत्रों के लिए फोर्ड इंडिया का विकास पुर्जा आपूर्ति केन्द्र के रूप में करना चाहती है।

प्रश्न 1.
क्या आप मानते हैं कि फोर्ड मोटर्स एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी है? क्यों?
उत्तर:
हाँ, हम मानते हैं कि फोर्ड मोटर्स एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी है क्योंकि मूल रूप से अमरीकी कम्पनी फोर्ड मोटर्स विश्व के 26 देशों में अपना व्यापार कर रही है। यह विश्व की सबसे बड़ी मोटरगाड़ी निर्माता कम्पनी है।

प्रश्न 2.
विदेशी निवेश क्या है? फोर्ड मोटर्स ने भारत में कितना निवेश किया था?
उत्तर:
किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा दूसरे देश में किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहते हैं। फोर्ड मोटर्स ने भारत में 1700 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 3.
भारत में उत्पादन संयंत्र स्थापित करके फोर्ड मोटर्स जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ केवल भारत जैसे देशों के विशाल बाजार का ही लाभ नहीं उठाती हैं, बल्कि कम उत्पादन लागत का भी लाभ प्राप्त करती हैं। कथन की व्याख्या करें।
उत्तर:
सामान्यतः बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उसी स्थान पर उत्पादन संयंत्र स्थापित करती हैं जो बाजार के निकट हो, जहाँ कम लागत तथा कुशल व अकुशल श्रमिक उपलब्ध हों, जहाँ उत्पादन के उच्च कारकों की उपलब्धता सुनिश्चित हो तथा. सम्बन्धित देशों की सरकारी नीतियाँ बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के अनुकूल हों।

इन समस्त सुविधाओं की उपलब्धता के कारण भारत बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए एक पसंदीदा देश बन गया है। भारत में न केवल विशाल जनसंख्या के कारण विशाल बाजार उपलब्ध है बल्कि कम लागतों पर कुशल व अकुशल दोनों ही प्रकार के श्रमिक उपलब्ध कराता है। फोर्ड मोटर्स जैसी. अन्य बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने भी भारत में इन्हीं सुविधाओं का लाभ उठाया है।

प्रश्न 4.
आपके विचार से कंपनी अपने वैश्विक कारोबार के लिए कार के पुों के विनिर्माण केन्द्र के रूप में भारत का विकास क्यों करना चाहती है? निम्न कारकों पर विचार करें
(अ) भारत में श्रम और अन्य संसाधनों पर लागत।
(ब) कई स्थानीय विनिर्माताओं की उपस्थिति, जो फोर्ड मोटर्स को कलपुर्जी की आपूर्ति करते हैं।
(स) अधिक संख्या में भारत और चीन के ग्राहकों से निकटता।
उत्तर:
भारत एक विकासशील देश है जहाँ आने वाले समय में कारों की माँग में बहुत अधिक वृद्धि हो सकती है जिसके कारण फोर्ड मोटर्स को एक अच्छा बाजार प्राप्त हो सकता है। इसलिए फोर्ड कम्पनी वैश्विक स्तर पर अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए कार के पुर्जी के विनिर्माण केन्द्र के रूप में भारत का विकास करना चाहती है।

(अ) भारत में विशाल जनसंख्या के कारण बेरोजगारी व अर्द्धबेरोजगारी पर्याप्त रूप से विद्यमान है। यहाँ पर्याप्त कुशल व अकुशल श्रमिक बहुत कम लागत पर उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त भारत में अन्य संसाधनों की लागतें भी कम हैं।

(ब) भारत में कई प्रकार के छोटे पैमाने की स्थानीय औद्योगिक इकाइयाँ विनिर्माणकर्ता के रूप में फोर्ड मोटर्स को कल-पुर्षों की आपूर्ति करती हैं। जिनके पास कीमत, गुणवत्ता प्रदान करने एवं श्रम शर्तों का निर्धारण करने की अपार क्षमता होती है।

(स) भारत और चीन दोनों पड़ौसी देश हैं। दोनों ही देशों के ग्राहकों से निकटता है तथा वे फोर्ड कम्पनी को विशाल बाजार प्रदान कर सकते हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 5.
भारत में फोर्ड मोटर्स द्वारा कारों के निर्माण से उत्पादन किस प्रकार परस्पर सम्बन्धित होगा?
उत्तर:
भारत में फोर्ड मोटर्स द्वारा कारों के निर्माण से उत्पादन परस्पर इस प्रकार सम्बन्धित होगा कि भारत की अनेक छोटी-छोटी कम्पनियाँ संयुक्त रूप से फोर्ड मोटर्स कम्पनी के साथ विनिर्माण केन्द्रों का संचालन कर सकेंगी।

प्रश्न 6.
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अन्य कम्पनियों से किस प्रकार अलग हैं?
उत्तर:
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अन्य कम्पनियों से निम्नलिखित प्रकार से अलग हैं

बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अन्य कम्पनियाँ
(i) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ एक से अधिक देशों में अपनी औद्योगिक इकाइयाँ व कार्यालय स्थापित करती हैं। (i) अन्य कम्पनियों की औद्योगिक इकाइयाँ व कार्यालय एक ही देश में स्थापित किये जाते हैं।
(ii) ये एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियन्त्रण व स्वामित्व रखती हैं। (ii) ये एक देश के भीतर ही उत्पादन पर नियन्त्रण व स्वामित्व रखती हैं।
(iii) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में पूँजी निवेश अधिक होता है। (iii) इन कम्पनियों में पूँजी निवेश कम होता है।
(iv) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के उत्पादन की माँग और पूर्ति बड़े पैमाने पर होती है। (iv) अन्य कम्पनियों के उत्पादन की माँग व पूर्ति छोटे पैमाने पर होती है।
(v) इन कम्पनियों के उत्पादन की लागत कम होती है। इसलिए ये अधिक लाभ कमाती हैं। (v) इन कम्पनियों की उत्पादन की लागत अधिक होने के कारण ये कम लाभ कमा पाती हैं।
(vi) इन कम्पनियों की इकाइयों का आकार विशाल होता है। (vi) इत़ कम्पनियों की इकाइयाँ छोटी होती हैं।

प्रश्न 7.
लगभग सभी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ, अमेरिका, जापान या यूरोप की हैं; जैसे: नोकिया, कोका-कोला, पेप्सी, होन्डा, नाइकी। क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि ऐसा क्यों है ?
उत्तर:
लगभग सभी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अमेरिका, जापान या यूरोप की हैं; जैसे नोकिया, ‘कोका-कोला, पेप्सी, होन्डा, नाइकी आदि । क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान व कई यूरोपीय देश विकसित देश हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को देश के बाहर अपने उत्पादन और बाजारों का विस्तार करने के लिए पर्याप्त मात्रा में धन, नवीनतम प्रौद्योगिकी, कुशल प्रबन्धन, उच्च-स्तरीय उद्यमीय क्षमता आदि की आवश्यकता होती है। इतना सब कुछ सामान्यतः गरीब देशों की कम्पनियों के पास नहीं होता है। यही कारण है कि लगभग सभी प्रमुख कम्पनियाँ अमेरिका, जापान या यूरोप की हैं।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 61)

प्रश्न 1.
अतीत में देशों को जोड़ने वाला मुख्य माध्यम क्या था? अब यह अलग कैसे है?
उत्तर:
अतीत में देशों को जोड़ने वाला मुख्य माध्यम विदेशी व्यापार था। अतीत में विदेशी व्यापार समुद्र द्वारा किया जाता था परन्तु अब यह विभिन्न मार्गों; जैसे: वायु मार्गों, स्थल मार्गों, समुद्री मार्गों एवं दूरसंचार माध्यमों आदि से होता है। इसके अतिरिक्त विदेशी व्यापार का परिणाम विभिन्न देशों के बाजारों के जुड़ने के रूप में निकला है। इसलिए अब यह अलग है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 2.
विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
1. विदेशी व्यापार: दो या दो से अधिक देशों में वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान विदेशी व्यापार कहलाता है। विदेश व्यापार देशों के बाजारों को जोड़ने में सहायक होता है तथा यह उत्पादकों को घरेलू बाजारों के बाहर पहुँचने का अवसर प्रदान करता है।

2. विदेशी निवेश: किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा दूसरे देश में किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहते हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निवेश अधिक लाभ कमाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 3.
हाल के वर्षों में चीन भारत से इस्पात आयात कर रहा है। व्याख्या करें कि चीन द्वारा इस्पात का आयात कैसे प्रभावित करेगा
(क) चीन की इस्पात कंपनियों को
(ख) भारत की इस्पात कंपनियों को
(ग) चीन में अन्य औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन के लिए इस्पात खरीदने वाले उद्योगों को
उत्तर:
(क) चीन की इस्पात कंपनियों को भारत की इस्पात कम्पनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी, जिससे उनके लाभ में कमी आयेगी तथा उनके व्यापारिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

(ख) भारत की इस्पात कंपनियाँ इस्पात की अधिक माँग होने से अपने व्यवसाय का विस्तार करेंगी, अतः उन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

(ग) चीन में अन्य औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन के लिए इस्पात खरीदने वाले उद्योगों को चीन में ही कच्चा माल शीघ्र व कम कीमतों पर मिल जायेगा जिससे चीन में अन्य औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन के लिए इस्पात खरीदने वाले उद्योगों के लाभ में वृद्धि हो जायेगी।

प्रश्न 4.
चीन के बाजारों में भारत से इस्पात का आयात किस प्रकार दोनों देशों के इस्पात बाजार के एकीकरण में सहायता करेगा? व्याख्या करें।
उत्तर:
चीन के बाजारों में भारत से इस्पात का आयात निम्न प्रकार से दोनों देशों के इस्पात बाजार के एकीकरण में सहायता करेगा

  1. दोनों देशों के इस्पात व्यापारियों व कम्पनी प्रतिनिधियों का आवागमन बढ़ेगा।
  2. चीन कच्चे इस्पात का आयात करेगा तथा भारत चीन से निर्मित माल का आयात करेगा।
  3. दोनों देशों के उत्पादक संयुक्त उपक्रम के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।
  4. दोनों देशों के बाजारों में समान गुणवत्ता वाले इस्पातों एवं उससे निर्मित वस्तुओं की कीमतें बराबर होंगी।
  5. भारतीय इस्पात घरेलू बाजार से चीन के बाजार तक पहुँच जायेगा।
  6. दोनों देशों के उत्पादन एक-दूसरे से निकट प्रतिस्पर्धा करेंगे।
  7. दोनों देश अच्छे मित्रों की तरह वस्तुओं और सेवाओं का विनिर्माण कर सकेंगे।
  8. दोनों देशों के मध्य नवीनतम उन्नत प्रौद्योगिकी का भी आदान-प्रदान होगा।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 62)

प्रश्न 1.
वैश्वीकरण प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की क्या भूमिका है ?
उत्तर:
वैश्वीकरण का जन्म विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश के कारण हुआ है। ये दोनों क्रियाएँ मुख्यतः बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा सम्पादित की जाती हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। ये कम्पनियाँ अन्य देशों में अपने उत्पादन का विस्तार कर रही हैं। विभिन्न देशों के बीच अधिक से अधिक वस्तुओं और सेवाओं, निवेश और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान हो रहा है। विगत कुछ वर्षों की तुलना में विश्व के अधिकांश देश एक-दूसरे के अपेक्षाकृत अधिक सम्पर्क में आए हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 2.
वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं, जिनके द्वारा देशों को परस्पर संबंधित किया जा सकता है?
उत्तर:
निम्नलिखित विभिन्न तरीकों के द्वारा देशों को परस्पर संबंधित किया जा सकता है

  1. विभिन्न देशों के बीच लोगों का आवागमन।
  2. विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं व सेवाओं का आवागमन
  3. देशों के बीच विदेशी व्यापार द्वारा।
  4. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की संख्या में वृद्धि द्वारा।
  5. नवीनतम एवं उन्नत प्रौद्योगिकी का आवागमन।

प्रश्न 3.
सही विकल्प का चयन करेंदेशों को जोड़ने से वैश्वीकरण के परिणाम होंगे
(क) उत्पादकों के बीच कम प्रतिस्पर्धा होगी
(ख) उत्पादकों के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा होगी
(ग) उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धा में परिवर्तन नहीं होगा।
उत्तर:
(ख) उत्पादकों के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा होगी।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 63)

लंदन के पाठकों के लिए प्रकाशित एक समाचार पत्रिका की डिजाइनिंग और छपाई दिल्ली में की जाती है। पत्रिका का पाठ्य-विषय इंटरनेट के द्वारा दिल्ली कार्यालय को भेज दिया जाता है। दिल्ली कार्यालय में डिज़ाइनर दूरसंचार सुविधाओं का उपयोग करके लंदन कार्यालय से पत्रिका की डिज़ाइन के बारे में निर्देश प्राप्त करते हैं।

डिज़ाइन तैयार करने का काम कंप्यूटर पर किया जाता है। छपाई के बाद पत्रिकाओं को वायुमार्ग से लंदन भेजा जाता है। यहाँ तक कि डिज़ाइन और छपाई के पैसे का भुगतान इंटरनेट (ई-बैंकिग) के द्वारा लंदन के एक बैंक से दिल्ली के एक बैंक को तत्काल कर दिया जाता है।

प्रश्न 1.
ऊपर दिए गए उदाहरण में, उत्पादन में प्रौद्योगिकी के प्रयोग का उल्लेख करने वाले शब्दों को रेखांकित करें।
उत्तर:
लंदन के पाठकों के लिए प्रकाशित एक समाचार पत्रिका की डिजाइनिंग और छपाई दिल्ली में की जाती है। पत्रिका का पाठ्य-विषय इंटरनेट के द्वारा दिल्ली कार्यालय को भेज दिया जाता है। दिल्ली कार्यालय में डिज़ाइनर दूरसंचार सुविधाओं का उपयोग करके लंदन कार्यालय से डिज़ाइन के बारे में निर्देश प्राप्त करते हैं ।

डिज़ाइन तैयार करने का काम कम्प्यूटर पर किया जाता है। छपाई के बाद पत्रिकाओं को वायुमार्ग से लंदन भेजा जाता है। यहाँ तक कि डिज़ाइन और छपाई के पैसे का भुगतान इंटरनेट (ई-बैंकिंग) के द्वारा लंदन के एक बैंक से दिल्ली के एक बैंक को तत्काल कर दिया जाता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 2.
सूचना प्रौद्योगिकी वैश्वीकरण से कैसे जुड़ी हुई है ? क्या सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के बिना वैश्वीकरण सम्भव होता?
उत्तर:
सूचना प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत दूर-संचार सुविधाओं (टेलीग्राफ, टेलीफोन, मोबाइल फोन व फैक्स) ने सम्पूर्ण विश्व में एक-दूसरे से सम्पर्क करने, सूचनाओं को तत्काल प्राप्त करने और दूरवर्ती क्षेत्रों से संवाद को आसान बना दिया है। आज हम इन सुविधाओं के माध्यम से व्यापार कर सकते हैं।

विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत जैसे विकासशील देशों में कॉल सेन्टर स्थापित करके विश्व में फैले ग्राहकों को जानकारी प्रदान कर रही हैं। इस प्रकार सूचना प्रौद्योगिकी वैश्वीकरण से जुड़ी हुई है। सूचना प्रौद्योगिकी के विस्तार के बिना वैश्वीकरण सम्भव नहीं होता।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 64)

प्रश्न 1.
विदेशी व्यापार के उदारीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर से सरकार द्वारा निर्धारित अवरोधों व प्रतिबन्धों को हटाने की प्रक्रिया विदेशी व्यापार का उदारीकरण कहलाता है।

प्रश्न 2.
आयात पर कर एक प्रकार का व्यापार अवरोधक है। सरकार आयात होने वाली वस्तुओं की संख्या भी सीमित कर सकती है। इसे कोटा कहते हैं। क्या आप चीन के खिलौनों के उदाहरण से व्याख्या कर सकते हैं कि व्यापार अवरोधक के रूप में कोटा का प्रयोग कैसे किया जा सकता है ? आपके विचार से क्या इसका प्रयोग किया जाना चाहिए ? चर्चा करें।
उत्तर:
यदि भारत सरकार चीन के खिलौनों पर कोटा अर्थात् आयात होने वाले खिलौनों की संख्या पर एक सीमा निर्धारित करती है तो भारतीय बाजारों में चीनी खिलौनों की आपूर्ति कम हो जायेगी। बाजार में चीनी खिलौनों की सीमितता के कारण भारतीय क्रेताओं के पास सस्ती कीमतों पर चीन निर्मित खिलौने खरीदने का विकल्प भी कम हो जायेगा। धीरेधीरे भारतीय खिलौनों की माँग में वृद्धि हो जायेगी और भारतीय खिलौना निर्माताओं को लाभ की प्राप्ति होगी।

साथ ही साथ देश के बेरोजगार श्रमिकों को भी रोजगार की प्राप्ति होगी। इस तरह कोटा प्रणाली का प्रयोग व्यापार अवरोधक के रूप में किया जा सकता है। मेरे विचार से भारत में इसका प्रयोग सीमित रूप में किया जाना चाहिए। इससे कुछ उद्योगों को संरक्षण प्राप्त होगा तथा बेरोजगारी के समाधान में भी मदद मिलेगी।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 66)

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें…..
विश्व व्यापार संगठन ……. देशों की पहल पर शुरू हुआ था। विश्व व्यापार संगठन का ध्येय …….” है। विश्व व्यापार संगठन सभी देशों के लिए ……… से सम्बन्धित नियम बनाता है और देखता है कि ……… व्यवहार में, देशों के बीच व्यापार ……… नहीं है। विकासशील देश, जैसे भारत ……… है जबकि अधिकांश स्थितियों में विकसित देशों ने अपने उत्पादकों को संरक्षण देना जारी रखा है।
उत्तर:
विकसित, विदेशी व्यापार का उदारीकरण, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार, इन नियमों के उपरान्त, पूर्णतः मुक्त, ने व्यापार अवरोधक हटा लिया।

प्रश्न 2.
आपके विचार से विभिन्न देशों के बीच अधिकाधिक न्यायसंगत व्यापार के लिए क्या किया जा सकता है ?
उत्तर:
मेरे विचार से विभिन्न देशों के बीच अधिकाधिक न्याय-संगत व्यापार के लिए निम्नलिखित प्रयास किये जा सकते हैं

  1. विदेशी निवेश व विदेशी व्यापार पर से अनावश्यक प्रतिबन्धों को एक निश्चित सीमा तक हटाया जाना चाहिए।
  2. सभी देशों से चाहे वे विकासशील हों अथवा विकसित व्यापार अवरोधक हटाये जाने चाहिए।
  3. उदारीकरण की नीति को अपनाया जाना चाहिए।
  4. विकासशील देशों को विश्व व्यापार संगठन जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के समक्ष संयुक्त रूप से मजबूती के साथ अपने विचार रखने चाहिए।
  5. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व व्यापार संगठन जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों को सशक्त बनाया जाना चाहिए।

प्रश्न 3.
उपर्युक्त उदाहरण में, हमने देखा कि अमेरिकी सरकार किसानों को उत्पादन के लिए भारी धनराशि देती है। कभी-कभी सरकार कुछ विशेष प्रकार की वस्तुओं जैसे पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सहायता देती है। यह न्यायसंगत है या नहीं, चर्चा करें।
उत्तर:
नहीं, यह न्याय-संगत नहीं है क्योंकि अमेरिकी सरकार इस सहायता द्वारा औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ कृषि उत्पादन के द्वारा सम्पूर्ण विश्व बाजार पर अपना एकाधिकार स्थापित करना चाहती है। अमेरिकी सरकार द्वारा किसानों को दी जा रही इस भारी धनराशि के कारण अमेरिकी किसान अपने कृषि उत्पादों को असाधारण रूप से कम कीमत पर अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में बेचने में सफल हो जाते हैं।

इस सबका भारत जैसे विकासशील देशों के किसानों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि विकासशील देश, विकसित देशों की सरकारों से सवाल कर रहे हैं कि हमने विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार व्यापार अवरोधकों को कम कर दिया लेकिन आप लोगों ने विश्व व्यापार संगठन के नियमों को नजरअंदाज कर दिया और अपने किसानों को भारी धनराशि देना बरकरार रखा है।

आप लोगों ने हमारी सरकारों को अपने किसानों की सहायता बंद करने को कहा, परन्तु आप स्वयं यही काम कर रहे हैं। क्या यह युक्त और न्यायसंगत व्यापार है? हाँ, यह न्यायसंगत हो सकता है, यदि मांग के अनुसार उत्पादन में वृद्धि के लिए मुद्रा के रूप में कुछ सहायता दी जाए परन्तु यह शर्त समस्त प्रकार की वस्तुओं के उत्पादन पर लागू की जानी चाहिए।

कभी-कभी सरकारों द्वारा कुछ विशेष प्रकार की वस्तुओं जैसे पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दी जाने वाली सहायता को मैं न्यायसंगत मानता हूँ क्योंकि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या सम्पूर्ण विश्व की समस्या बन चुकी है। यदि इस प्रकार कुछ मात्रा में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या का समाधान हो तो यह सम्पूर्ण विश्व के हित में होगा।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 67)

प्रश्न 1.
प्रतिस्पर्धा से भारत के लोगों को कैसे लाभ हुआ है ?
अथवा
“वैश्वीकरण और उत्पादकों के बीच वृहत्तर प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।” उदाहरणों सहित इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
प्रतिस्पर्धा से भारत के लोगों को निम्नलिखित प्रकार से लाभ हुआ है

  1. प्रतिस्पर्धा के कारण लोग अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुएँ कम कीमत पर खरीद सकते हैं।
  2. उपभोक्ताओं विशेषकर शहरी क्षेत्र में निवास कर रहे अमीर वर्ग के उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प उपलब्ध हो गये हैं। वे अब अनेक वस्तुओं की उत्कृष्टता, गुणवत्ता व कम कीमत से लाभान्वित हो रहे हैं।
  3. पहले की तुलना में लोगों के जीवन-स्तर में सुधार आया है। अब ते अपेक्षाकृत उच्चतर जीवन स्तर का उपयोग कर रहे हैं।
  4. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने सेलफोन, मोटर गाड़ियों, इलेक्ट्रोनिक उत्पादों, ठण्डे पेय पदार्थों एवं जंक खाद्य पदार्थों जैसी वस्तुओं एवं बैंकिंग सुविधाओं में निवेश किया है, जिससे इन उद्योगों में रोजगार के नये अवसर उत्पन्न हुए हैं।
  5. कुछ भारतीय कम्पनियों ने विदेशी कम्पनियों के साथ सफलतापूर्वक सहयोग कर लाभ प्राप्त किया है।
  6. कई बड़ी भारतीय कम्पनियों ने उन्नत तकनीकी और उत्पादन प्रणाली में निवेश कर अपने उत्पादन मानकों में वृद्धि की है।
  7. कुछ बड़ी भारतीय कम्पनियों ने अपने कामकाज का सम्पूर्ण विश्व में विस्तार कर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में अपने को उभारा है; जैसे-टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी आदि।
  8. विभिन्न सेवा प्रदान करने वाली भारतीय कम्पनियों एवं सूचना व मंचार प्रौद्योगिकी वाली कम्पनियों के लिए अवसरों का सृजन हुआ है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 2.
क्या और भारतीय कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में उभारना चाहिए? इससे देश की जनता को क्या लाभ होगा?
उत्तर:
हाँ, और भारतीय कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में उभारना चाहिए। इससे देश की जनता को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होंगे

  1. इससे देश के लोगों को रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होंगे।
  2. इससे लोगों को विभिन्न देशों के मध्य प्रतिस्पर्धा होने के कारण कम कीमत पर गुणवत्तापूर्ण वस्तुएँ उपलब्ध हो सकेंगी।
  3. ये भारतीय कम्पनियाँ विदेशों से नई प्रौद्योगिकी लाएँगी एवं उत्पादन के मापदण्डों में वृद्धि करेंगी।
  4. भारतीय कम्पनियाँ जब विश्व के अन्य देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में काम करेंगी तो देश के लिए विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होगी।

प्रश्न 3.
सरकारें अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास क्यों करती हैं?
उत्तर:
सरकारें निम्नलिखित कारणों से अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास करती हैं

  1. देश में आधारभूत संरचना के विकास के लिए
  2. औद्योगिक विकास के लिए
  3. तकनीकी विकास के लिए
  4. कृषि विकास के लिए
  5. देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए।

प्रश्न 4.
अध्याय 1 में हमने देखा कि एक का विकास दूसरे के लिए कैसे विध्वंसक हो सकता है। भारत के कुछ लोगों ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) की स्थापना का विरोध किया है। पता कीजिए, ये लोग कौन हैं और वे इसका विरोध क्यों कर रहे हैं ?
उत्तर:
पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार व राज्य सरकारों ने भारत में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए विशेष कदम उठाये हैं। जिनमें विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की स्थापना प्रमुख है। भारत के कुछ लोगों ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना का विरोध किया है। इन लोगों में किसान व आदिवासी लोग हैं। ये लोग विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना का इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि इन लोगों को डर है कि सेज की स्थापना से उनकी भूमि छीन ली जाएगी और उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 68)

प्रश्न 1.
रवि की लघु उत्पादन इकाई बढ़ती प्रतिस्पर्धा से किस प्रकार प्रभावित हुई ?
उत्तर:
रवि ने सन् 1992 ई. में तमिलनाडु के होसुर शहर में संधारित्रों का निर्माण करने वाली अपनी कम्पनी शुरू करने के लिए बैंक से ऋण लिया। तीन वर्षों के भीतर वह अपने उत्पादन का विस्तार करने में सक्षम हो गया। सरकार ने सन् 2001 ई. में विश्व व्यापार संगठन के समझौते के अनुसार संधारित्रों के आयात पर से प्रतिबन्धों को हटा लिया। अब बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के ब्रांडों से उनकी प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ हो गयी।

इस प्रतिस्पर्धा ने भारतीय टेलीविजन कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ संयोजन कार्य करने के लिए विवश कर दिया। ये कम्पनियाँ रवि जैसे लोगों द्वारा निर्धारित कीमतों से कम कीमतों पर विदेशों से संधारित्रों का आयात करने लगी। इससे रवि की कम्पनी पर अपने अस्तित्व का संकट छा गया। अब रवि पहले की अपेक्षा आधे से भी कम संधारित्रों का उत्पादन करता है। रवि के कुछ मित्रों ने इस व्यवसाय की अपनी लघु उत्पादन इकाइयों को तो बंद कर दिया है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 2.
दूसरे देशों के उत्पादकों की तुलना में उत्पादन लागत अधिक होने के कारण क्या रवि जैसे उत्पादकों को उत्पादन रोक देना चाहिए? आप क्या सोचते हैं?
उत्तर:
दूसरे देशों के उत्पादकों की तुलना में उत्पादन लागत अधिक होने के कारण रवि जैसे उत्पादकों को अपना उत्पादन नहीं रोकना चाहिए बल्कि उन्नत प्रौद्योगिकी एवं उत्पादन विधियों को अपनाकर अपने उत्पादन की गुणवत्ता सुधारनी चाहिए तथा उत्पादन लागत को घटाना चाहिए। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ साझेदारी भी की जा सकती है। इसके अतिरिक्त कम ब्याज दर पर ऋण लेकर अपनी प्रौद्योगिक इकाई का विस्तार करना चाहिए।

प्रश्न 3.
नवीनतम अध्ययनों ने संकेत किया है कि भारत के लघु उत्पादकों को बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा के लिए तीन चीजों की आवश्यकता है
(अ) बेहतर सड़कें, बिजली, पानी, कच्चा माल, विपणन और सूचना तंत्र,
(ब) प्रौद्योगिकी में सुधार एवं आधुनिकीकरण, और
(स) उचित ब्याज दर पर साख की समय पर उपलब्धता।
1. क्या आप व्याख्या कर सकते हैं कि ये तीन चीजें भारतीय उत्पादकों को किस प्रकार मदद करेंगी?
2. क्या आप मानते हैं कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ इन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए इच्छुक होंगी? क्यों?
3. क्या आप मानते हैं कि इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने में सरकार की भूमिका है? क्यों?
4. क्या आप कोई ऐसा उपाय सुझा सकते हैं जिसे कि सरकार अपना सके? चर्चा करें।
उत्तर:
1. यदि हमें बेहतर सड़कें मिलेंगी तो हम कच्चे माल व उत्पादित वस्तुओं के परिवहन में तेजी ला सकते हैं तथा तीव्रता से वस्तुओं का उत्पादन कर सकते हैं। प्रौद्योगिकी में सुधार ला सकते हैं। उचित ब्याज दर पर साख (ऋण) की उपलब्धता से हम उत्पादन लागत को कम करके लघु उत्पादकों की किस्म में सुधार ला सकते हैं। ऐसा करके हम लघु उद्योगों की प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ा सकते हैं। फलस्वरूप भारतीय उत्पादकों को नवीन प्रौद्योगिकी एवं अन्य दो चीजें, उत्पादन गतिविधियों में निवेश के लिए प्रेरित करेंगी।

2. नहीं, मैं नहीं मानता हूँ कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ इन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए इच्छुक होंगी क्योंकि बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ ऐसे क्षेत्रों में निवेश करती हैं जहाँ से वह शीघ्रतापूर्वक अधिक से अधिक लाभ अर्जित कर सकें परन्तु इन क्षेत्रों में निवेश करने पर प्रतिफल देरी से मिलते हैं व लाभ भी बहुत कम होता है।

3. हाँ, मैं मानता हूँ कि इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने में सरकार की भूमिका है। इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने में बहुत अधिक धनराशि का व्यय होता है जो कि सरकार के अतिरिक्त अन्य कोई व्यय नहीं कर सकता है। इन सुविध गाओं से सामाजिक कल्याण होता है, जो किसी भी लोक कल्याणकारी सरकार का प्रमुख लक्ष्य होता है।

4. सरकार देश में निवेश करने के लिए विदेशों में रहने वाले भारतीयों को आमन्त्रित करे। इन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए उदार नीति अपनाये। इन क्षेत्रों के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन दे। उद्यमियों को अधिक से अधिक सुविधायें उपलब्ध कराये।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 70)

प्रश्न 1.
वस्त्र उद्योग के श्रमिकों, भारतीय निर्यातकों और विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को प्रतिस्पर्धा ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर:
वस्त्र उद्योग के श्रमिकों, भारतीय निर्यातकों और विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को प्रतिस्पर्धा ने निम्नलिखित रूप से प्रभावित किया है

  • वस्त्र उद्योग के श्रमिकों पर प्रभाव
    1. श्रमिकों का रोजगार अब सुनिश्चित नहीं है। वे अब अस्थायी रूप से काम करते हैं।
    2. श्रमिकों की मजदूरी कम हो गई है।
    3. श्रमिकों को अधिक घण्टे काम करना पड़ता है।
    4. वस्त्रों की अत्यधिक माँग की स्थिति में उन्हें नियमित रूप से रात में भी काम करना पड़ता है।
    5. वस्त्र व्यवसायियों को मिलने वाले लाभ में उन्हें न्यायसंगत हिस्सा नहीं मिल पाता है।
  • भारतीय निर्यातकों पर प्रभाव:
    1. उन्हें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से उत्पादन आदेश प्राप्त हो रहे हैं।
    2. उन्हें अपने वस्त्रों की उत्पादन लागतों को कम करने का प्रयास करना पड़ रहा है।
    3. वे श्रम लागतों को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
    4. वे अपने कारखानों में श्रमिकों को अस्थायी रूप से काम पर लगा रहे हैं, ताकि उन्हें वर्ष-भर श्रमिकों को वेतन नहीं देना पड़े।
  • विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों पर प्रभाव:
    1. बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अपने लाभ को अधिकतम करने के लिए सबसे सस्ती वस्तुओं की तलाश करती हैं।
    2. वस्त्र निर्यातकों के मध्य प्रतिस्पर्धा से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को बहुत अधिक लाभ प्राप्त हुआ है।

प्रश्न 2.
वैश्वीकरण से मिले लाभों में श्रमिकों को न्यायसंगत हिस्सा मिल सके, इसके लिए.प्रत्येक निम्नलिखित वर्ग क्या कर सकते हैं?
(क) सरकार,
(ख) निर्यातक फैक्ट्रियों के नियोक्ता,
(ग) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ,
(घ) श्रमिको
उत्तर:
वैश्वीकरण से मिले लाभों में श्रमिकों को न्यायसंगत हिस्सा मिल सके, इसके लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं
(क) सरकार:
सरकार श्रमिकों के पक्ष में कुछ श्रम कानून; जैसे-वर्षभर स्थायी नियुक्ति, नियमित मजदूरी व कार्य के घण्टे आदि बना सकती है तथा उन्हें लागू करने के लिए उत्पादकों को मजबूर भी कर सकती है। इस तरह सरकार श्रमिकों को संरक्षण प्रदान कर सकती है।

(ख) निर्यातक फैक्ट्रियों के नियोक्ता:
निर्यातक फैक्ट्रियों के नियोक्ता को अपने श्रमिकों को उचित मजदूरी, रोजगार सुरक्षा, काम के घण्टों का निर्धारण, अतिरिक्त समय काम करने का भत्ता, स्वास्थ्य बीमा व भविष्य निधि आदि सुविधाएँ उपलब्ध करानी चाहिए।

(ग) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ:
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को उन्हीं निर्यातकों को वस्तुओं की आपूर्ति का उत्पादन आदेश देना चाहिए जो श्रम कानूनों का कठोरतापूर्वक पालन करते हैं। इसके अतिरिक्त बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अपने श्रमिकों को पर्याप्त सुविधाएँ दें तथा उत्पादन इकाइयों के प्रति उदार रुख अपनायें।

(घ) श्रमिक:
श्रमिकों को अपनी नियोक्ता कम्पनी के हित में काम करना चाहिए, बार-बार हड़ताल नहीं करें, हिंसा व संघर्ष का रास्ता छोड़ें, अपने निजी स्वार्थ का त्याग करें, अपने दायित्वों के प्रति जवाबदेह बनें। इसके अतिरिक्त उन्हें श्रमिक संघों की स्थापना करनी चाहिए एवं उनके माध्यम से निर्यातकों से लाभ में से अपना उचित हिस्सा प्राप्त करने के लिए दबाव बनाना चाहिए।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 3.
वर्तमान समय में भारत में बहस है कि क्या कम्पनियों को रोजगार नीतियों के मुद्दे पर लचीलापन अपनाना चाहिए। इस अध्याय के आधार पर नियोक्ताओं और श्रमिकों के पक्षों का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर:
वर्तमान समय में भारत में बहस है कि क्या कम्पनियों को रोजगार नीतियों के मुद्दे पर लचीलापन अपनाना चाहिए। इस अध्याय के आधार पर नियोक्ताओं और श्रमिकों का पक्ष निम्नलिखित प्रकार से है
1. नियोक्ताओं का पक्ष अधिकांश नियोक्ता श्रमिकों को अस्थायी रूप से काम पर लगाना पसन्द करते हैं। इसका अर्थ है कि श्रमिकों का रोजगार अब सुरक्षित नहीं है। नियोक्ता विश्व स्तर पर बढ़ रही प्रतिस्पर्धा के कारण अपनी लागतों को कम करने का भरपूर प्रयास करते हैं। वे श्रमिकों को अस्थायी रूप से रोजगार पर लगाना चाहते हैं जिससे कि उन्हें श्रमिकों को पूरे वर्ष की मजदूरी का भुगतान न करना पड़े।

2. श्रमिकों का पक्ष-वैश्वीकरण व प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है। श्रमिक रोजगार की लचीली नीतियों के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि इन लचीली नीतियों के कारण उनका रोजगार अब सुनिश्चित नहीं रह गया है। उन्हें वर्षभर काम नहीं मिलता है तथा कम मजदूरी पर अधिक समय काम करना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त उन्हें वैश्वीकरण के कारण मिले लाभ में भी उचित हिस्सा नहीं दिया गया है।

JAC Class 10 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

JAC Class 10th Economics मुद्रा और साख Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“ऋण कभी-कभी कर्जदारों को ऐसी परिस्थिति में धकेल देता है जहाँ से निकलना काफी कष्टदायक होता है।” कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए।
अथवा
अनौपचारिक ऋण के स्रोतों के कर्जदारों पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा
किन्हीं तीन परिस्थितियों की जाँच कीजिए जिनमें ऋण, कर्जदार को ऋण-जाल में फंसा देता है?
उत्तर:
अधिक जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार की समस्याओं को हल करने के स्थान पर उन्हें और अधिक बढ़ा देता है। इस तथ्य को निम्नलिखित उदाहरणों के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
1. यदि व्यक्ति ने साहूकार, महाजन अथवा किसी गाँव के ब्याजखोर व्यक्ति से ऋण लिया है, तो इसके लिए उसने ऋण लेने से पूर्व किसी वस्तु, भूमि, भवन, पशु, आभूषण आदि को ऋणाधार के रूप में ऋणदाता के पास अवश्य रखा होगा, जिसकी कीमत ऋण में दी गयी राशि व ब्याज़ से कहीं अधिक होती है।

यह गिरवी रखी गयी सम्पत्ति एक निश्चित समय की गारण्टी होती है, जब तक कि ऋणी व्यक्ति ऋण अदा नहीं कर देता। निर्धारित समय-सीमा समाप्त होने के बाद ऋणदाता बंध क सम्पत्ति को बेचने का अधिकार रखता है। जिससे कि एक ओर तो ऋणी को आर्थिक क्षति होती है, वहीं दूसरी ओर उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी गिरती है।

2. कभी-कभी ऋणी को ऋण अदा करने के लिए अपनी फसल को भी कम कीमतों पर बेचकर भारी हानि उठानी पड़ती है।

3. ऋण अदा न कर पाने पर यदि ऋणदाता न्यायालय चला जाता है तो मुकदमों आदि पर कर्जदार को भारी व्यय करना पड़ता है।

4. यदि ऋणी को कर्ज अदा करने के लिए बार-बार ऋण लेना पड़े तो वह स्वतः ही ऋण-जाल में फंसता चला जाता है, जिससे जीवन भर बाहर निकलना उसके लिए मुश्किल हो जाता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

प्रश्न 2.
मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस प्रकार सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए।
अथवा
आवश्यकताओं के दोहरे संयोग में छुपी समस्या को उजागर कीजिए।
उत्तर
वस्तु विनिमय प्रणाली में जहाँ मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुओं का सीधे ही विनिमय अर्थात् आदान-प्रदान किया जाता है वहाँ आवश्यकताओं का दोहरा संयोग होना एक आवश्यक विशेषता होती है। इसके विपरीत ऐसी अर्थव्यवस्था जहाँ मुद्रा का उपयोग होता है, वहाँ मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में एक मध्यस्थ की भूमिका में कार्य करती है तथा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को समाप्त कर देती है।

उदाहरण:
सर्वप्रथम यह जानना आवश्यक है कि दोहरे संयोग की समस्या क्या है। माना एक किसान सरसों के बदले गुड़ लेना चाहता है, सबसे पहले सरसों विक्रेता किसान को ऐसे दुकानदार को ढूँढ़ना होगा जो न केवल गुड़ बेचना चाहता है बल्कि वह उसके बंदले सरसों भी खरीदना चाहता हो अर्थात् दोनों पक्ष एक-दूसरे से वस्तुएँ खरीदने-बेचने पर सहमति रखते हों। इसे ही
आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहा जाता है।

अर्थात् एक व्यक्ति जो वस्तु बेचने की इच्छा रखता है, वही वस्तु दसरा व्यक्ति खरीदने की इच्छा रखता हो। वस्तु विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत जहाँ मुद्रा का उपयोग किए बिना वस्तुओं का विनिमय होता है वहाँ आवश्यकताओं का दोहरा संयोग होना अनिवार्य विशिष्टता है परन्तु साथ ही दोहरे संयोगों का मिलना एक महत्त्वपूर्ण समस्या भी है। मुद्रा द्वारा इस समस्या का समाधान हो जाता है।

मुद्रा महत्त्वपूर्ण मध्यवर्ती भूमिका का निर्वाह करके आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को समाप्त कर देती है। अतः अब सरसों विक्रेता किसान के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह ऐसे गुड़ विक्रेता दुकानदार को तलाश करे जो न केवल उसकी सरसों खरीदे अपितु साथ-साथ वह उसको गुड़ भी बेचे। अब किसान किसी भी क्रेता को मुद्रा के बदले सरसों बेच सकता है और सरसों के बेचने से प्राप्त मुद्रा से बाजार से अपनी जरूरत के अनुसार कोई भी वस्तु या सेवा खरीद सकता है।

प्रश्न 3.
अतिरिक्त मुद्रा वाले और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस तरह मध्यस्थता करते हैं?
उत्तर:
अतिरिक्त मुद्रा वाले और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक निम्न प्रकार से मध्यस्थता करते हैं
1. बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों से मुद्रा प्राप्त करके उनका खाता खोलता है तथा जमाओं पर ब्याज भी प्रदान करता है। लोगों को आवश्यकतानुसार इसमें से धन निकालने की सुविधा भी उपलब्ध होती है।

2.बैंक इस जमाराशि को अन्य जरूरतमंद लोगों के लिए ऋण देने में प्रयोग करते हैं। बैंक नकद के रूप में लोगों की जमाओं का एक छोटा हिस्सा ही अपने पास रखते हैं। इसे किसी एक दिन में जमाकर्ताओं द्वारा नकद निकालने की सम्भावना को देखते हुए रखा जाता है। बैंक जमाराशि के अधिकांश भाग का जरूरतमंद लोगों को ऋण देने में प्रयोग करते हैं। इस प्रकार बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोग एवं जरूरतमंद लोगों के बीच मध्यस्थता करते हैं।

प्रश्न 4.
10 रुपये के नोट को देखिए। इसके ऊपर क्या लिखा है ? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते
उत्तर:
यदि हम 10 रुपये के नोट को देखें तो उसके ऊपर यह स्पष्ट लिखा होता हैभारतीय रिजर्व बैंक केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत मैं धारक को 10 रुपये अदा करने का वचन देता हूँ। इस कथन का तात्पर्य यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक को भारत में केन्द्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करने का अधिकार है। इस पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं।

करेंसी केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत है अर्थात् भारतीय कानून भुगतान के माध्यम के रूप में 10 रुपये के प्रयोग को वैध बनाता है जिसे भारत में लेन-देन के व्यवस्थापनों में इन्कार नहीं किया जा सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक 10 रुपये के नोट के धारक को प्रत्येक परिस्थिति में 10 रुपये देने का . वायदा करता है। इससे लोगों में विश्वसनीयता पैदा होती है।

प्रश्न 5.
हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है ?
अथवा
आर्थिक विकास में ऋण के औपचारिक स्रोतों के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऋण के औपचारिक स्रोतों के अन्तर्गत बैंकों व सहकारी समितियों से लिए गए ऋण आते हैं। हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को निम्नलिखित कारणों से बढ़ाने की जरूरत है

  1. ऋणदाताओं की तुलना में अधिकांश अनौपचारिक ऋणदाता; जैसे-साहूकार, व्यापारी आदि ऋणों पर अधिक ऊँची ब्याज माँगते हैं।
  2. अनौपचारिक ऋणदाता अपना ऋण वसूलने करने के लिए प्रत्येक अनुचित साधन अपना सकते हैं। इन पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता है।
  3. अनौपचारिक क्षेत्र में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देखरेख करने वाली कोई संस्था नहीं है जबकि औपचारिक क्षेत्र में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऋणों के औपचारिक स्रोतों की कार्यप्रणाली पर नजर रखी जाती है।
  4. वे लोग जो ऋण लेकर अपना कोई उद्यम शुरू करना चाहते हैं, वे अनौपचारिक स्रोतों से ऋण लेने की अधिक लागत के कारण ऐसा नहीं कर पाते हैं।
  5. ऋण के औपचारिक स्रोतों से लोग साहूकार, व्यापारी, भूस्वामी आदि से बच सकते हैं जो लोगों को सदैव अपने चंगुल में फंसाने का अवसर ढूँढ़ते रहते हैं।
  6. इन सब कारणों को देखते हुए भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की जरूरत है।

प्रश्न 6.
गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या हैं? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
अथवा
“‘स्वयं सहायता समूह’ कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या से उबारने में सहायता करते हैं।” कथन की परख कीजिए।
उत्तर:
गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठन के पीछे मूल विचार यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों विशेषकर महिलाओं को छोटे-छोटे स्वयं सहायता समूहों में संगठित करना और उनकी बचत पूँजी को एकत्रित करना है। स्वयं सहायता समूह के अन्तर्गत 15-20 लोग एक समूह बना लेते हैं। वे नियमित रूप से मिलते हैं एवं अपनी बचतों को इकट्ठा करते हैं। यह बचत धीरे-धीरे बढ़ती चली जाती हैं। ये समूह अपने सदस्यों को ऋण देकर उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं। इस ऋण की जरूरत से लोग अपना छोटा-मोटा रोजगार प्रारम्भ कर सकते हैं।

बचत व ऋण गतिविधियों सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण निर्णय समूह के सदस्यों द्वारा स्वयं लिये जाते हैं। समूह दिए जाने वाले ऋण, उसका लक्ष्य, उसकी रकम ब्याज दर एवं वापस लौटाने की अवधि आदि के बारे में निर्णय करता है। ऋणाधार के बिना बैंक भी स्वयं सहायता समूहों को ऋण देने को तैयार हो जाते हैं। इस पर स्वयं सहायता समूह अपने सदस्यों को उचित ब्याज दर पर ऋण प्रदान करके उन्हें स्वावलम्बी बनाने में योगदान देते हैं। इसके अतिरिक्त समूह की बैठकों के माध्यम से वह विभिन्न प्रकार के सामाजिक विषयों; जैसे-स्वास्थ्य, पोषण, घरेलू हिंसा आदि विषयों पर चर्चा कर पाते हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

प्रश्न 7.
क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते हैं

  1. बैंक उन लोगों को ऋण देना नहीं चाहते हैं जिनके पास समर्थक ऋणाधार नहीं होते हैं।
  2. कुछ लोग अपनी नौकरी के विषय में बैंकों को ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराते हैं।
  3. कुंछ लोग बैंकों को अपना वेतन सम्बन्धी अभिलेख उपलब्ध नहीं कराते हैं।
  4. जिन कर्जदारों ने अपने पुराने कर्ज का भुगतान नहीं किया है, बैंक उन्हें पुनः कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते हैं।

प्रश्न 8.
भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नजर रखता है? यह जरूरी क्यों है?
अथवा.
भारतीय रिजर्व बैंक के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऋणों के औपचारिक स्रोतों के निरीक्षण की आवश्यकता का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर निम्नलिखित प्रकार से नजर रखता है

  1. भारतीय रिजर्व बैंक इस बात का ध्यान रखता है कि बैंक अपनी जमाओं का एक न्यूनतम नकद हिस्सा अपने पास रख रहे हैं या नहीं।
  2. भारतीय रिजर्व बैंक यह भी नजर रखता है कि बैंक न केवल लाभ कमाने वाले व्यवसायियों एवं व्यापारियों को ही ऋण उपलब्ध नहीं करा रहे बल्कि छोटे किसानों, छोटे उद्योगों, छोटे कर्जदारों आदि को भी ऋण प्रदान कर रहे हैं।
  3. समय-समय पर, बैंकों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को यह जानकारी देनी पड़ती है कि वे कितना व किनको ऋण दे रहे हैं और उनकी ब्याज की दरें क्या हैं।

प्रश्न 9.
विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
“सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।” इस कथन का आकलन कीजिए।
अथवा
ऋण का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
किसी भी देश के विकास में ऋण की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। व्यक्ति और राष्ट्र दोनों को विभिन्न आर्थिक क्रियाओं के लिए ऋणों की आवश्यकता होती है। ऋण उद्योगों के स्वामियों को उत्पादन के कार्यशील खर्चों एवं समय पर उत्पादन पूरा करने में सहायता प्रदान करता है। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है। अनेक लोग विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं; जैसे कृषि, व्यवसाय, लघु उद्योगों की स्थापना अथवा वस्तुओं का व्यापार आदि करने के लिए ऋण लेते हैं। इस प्रकार सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल ऋण किसी भी देश के विकास में अति लाभदायक सिद्ध होता है।

प्रश्न 10.
मानव को एक छोटा व्यवसाय करने के लिए ऋण की जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से ? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मानव निम्नलिखित आधार पर निश्चित करेगा कि उसे ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से
1. ब्याज की दर: मानव यह देखेगा कि बैंक अथवा साहूकार में से किसके ऋणों पर कितनी ब्याज दर है जिसकी ब्याज दर कम होगी, मानव उससे ही ऋण लेगा।

2. ऋण की शर्ते: मानव यह देखेगा कि बैंक या साहूकार में से किसकी ऋण की शर्ते सरल हैं अथवा कठोर, कागजी कार्यवाही अधिक तो नहीं है एवं ऋण की अदायगी की किश्तें आसान हैं या नहीं। प्रायः साहूकार की तुलना में बैंकों की ऋण की शर्ते सरल, कागजी कार्यवाही कम एवं ऋण अदायगी संरल है। इसके अतिरिक्त बैंकों की ब्याज दरें भी कम हैं। इन सब बातों को देखते हुए मानव अपना व्यवसाय करने के लिए साहूकार की अपेक्षा बैंक से ऋण लेना अधिक पसंद करेगा।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

प्रश्न 11.
भारत में 80 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की जरूरत होती है।
(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?
(ख) वे दूसरे स्रोत कौन-से हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं?
(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्ते छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं।
(घ) सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।
उत्तर:
(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने में इसलिए हिचकिचाते हैं क्योंकि उनके पास बैंक ऋण के लिए ऋणों के विरुद्ध गारंटी के रूप में समर्थक ऋणाधार और उचित कागजातों का अभाव होता है। इसके अतिरिक्त किसान फसल की अनिश्चितता के कारण ऋणों का समय पर भुगतान नहीं कर पाते हैं।

(ख) साहूकार, भू-स्वामी, व्यापारी, मित्र, रिश्तेदार, स्वयं सहायता समूह अथवा सहकारी समिति आदि से छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं।

(ग) ऋण की शर्ते निम्न प्रकार से छोटे किसानों के लिए प्रतिकूल हो सकती हैं उदाहरणस्वरूप, यदि कोई व्यक्ति अनौपचारिक स्रोतों अर्थात् साहूकार आदि से अपनी जमीन गिरवी रखकर ऊँची ब्याज दर पर ऋण लेता है तथा फसल खराब हो जाने पर समय पर ऋण का भुगतान नहीं कर पाता है तो इस स्थिति में साहूकार उसकी जमीन को बेचकर ऋण की राशि का भुगतान प्राप्त कर सकता है अथवा किसान को ही अपनी जमीन का एक टुकड़ा बेचना पड़ सकता है। इस तरह किसान की स्थिति पहले से अधिक बदतर हो जाती है।

(घ) स्वयं सहायता समूह, सहकारी समितियों एवं बैंकों द्वारा छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है। क्योंकि इनसे प्राप्त होने वाला ऋण अन्य स्रोतों की तुलना में कम ब्याज दर पर प्राप्त होता है जिसकी आसानी से एक लम्बे समय पश्चात् अदायगी की जा सकती है।

प्रश्न 12.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
(क) ……….. परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।
(ख) ………… ऋण की लागत ऋण का बोझ बढ़ाती है।
(ग) ………… केन्द्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।
(घ) बैंक ………… पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
वह सम्पत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारण्टी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता।
उत्तर:
(क) ग्रामीण
(ख) ची ब्याज दर
(ग) भारतीय रिजर्व बैंक
(घ) जमाओं
(ङ) समर्थक ऋणाधार

प्रश्न 13.
सही उत्तर का चयन करें
(क) स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण सम्बन्धित अधिकतर निर्णय लिए जाते हैं
(i) बैंक द्वारा
(ii) सदस्यों द्वारा
(iii) गैर सरकारी संस्था द्वारा
उत्तर:
(ii) सदस्यों द्वारा।

(ख) ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है
(i) बैंक
(ii) सहकारी समिति
(iii) नियोक्ता
उत्तर:
(iii) नियोक्ता।

अतिरिक्त परियोजना/कार्यकलाप

नीचे दी गई तालिका शहरी क्षेत्रों के विभिन्न लोगों के व्यवसाय दिखाती है। इन लोगों को किन उद्देश्यों के लिए ऋण की जरूरत हो सकती है? रिक्त स्तम्भों को भरें।
उत्तर:

व्यवसाय ऋण लेने का कारण
(i) निर्माण मजदूर निर्माण के लिए आवश्यक औजारों व घरेलू आवश्यकताओं के लिए।
(ii) कम्प्यूटर शिक्षित स्नातक छात्र कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र खोलने के लिए।
(iii) सरकारी सेवा में नियोजित व्यक्ति घर अथवा प्लाट खरीदने के लिए।
(iv) दिल्ली में प्रवासी मजदूर झुग्गी-झोंपड़ी को खरीदने अथवा किराये पर लेने के लिए।
(v) घरेलू नौकरानी दैनिक घरेलू आवश्यकताओं एवं आकस्मिक बीमारी के लिए।
(vi) छोटा व्यापारी व्यापार के विस्तार के लिए।
(vii) ऑटो रिक्शा चालक एक नई टैक्सी खरीदने के लिए।
(viii) बन्द फैक्ट्री का मजदूर दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए।

आगे लोगों को दो वर्गों में विभाजित कीजिए, जिन्हें आप सोचते हैं कि बैंक से कर्ज मिल सकता है और जिन्हें कर्ज मिलने की आशा नहीं है। आपने वर्गीकरण के लिए किन कारकों का उपयोग किया?

बैंक से कर्ज मिल सकता है बैंक से कर्ज नहीं मिल सकता
(ii) कम्प्यूटर शिक्षित स्नातक छात्र (i) निर्माण मजदूर
(iii) सरकारी सेवा में नियोजित व्यक्ति (iv) दिल्ली में प्रवासी मजदूर
(v) छोटा व्यापारी (vi) घरेलू नौकरानी
(vii) ऑटो रिक्शा चालक (viii) बन्द फैक्ट्री का मजदूर।

हमने वर्गीकरण के लिए इन कारकों का उपयोग किया:
1. उचित कागजात,
2. समर्थक ऋणाधार प्रदान करने की क्षमता।

पाठगत एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 42)

प्रश्न 1.
मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत कैसे आती है?
उत्तर: वस्तु विनिमय प्रणाली में जहाँ वस्तुएँ मुद्रा के प्रयोग के बिना सीधे आदान-प्रदान की जाती हैं, वहाँ आवश्यकताओं का दोहरा संयोग एक आवश्यक शर्त होती है। मुद्रा के प्रयोग से आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की जरूरत एवं वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयाँ समाप्त हो गयी हैं। इस तरह मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत आती है।

उदाहरण:
माना एक चावल विक्रेता चावल के बदले जूते खरीदना चाहता है। वस्तु-विनिमय प्रणाली में उसके लिए ऐसे व्यक्ति को ढूँढ़ना मुश्किल होगा जो उससे चावल लेकर बदले में जूते दे दे। किन्तु मुद्रा के प्रयोग ने इस कठिनाई को हल कर दिया है। अब चावल विक्रेता चावल बेचकर मुद्रा अर्जित करेगा तथा उस मुद्रा से जूते खरीद लेगा।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

प्रश्न 2.
क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण सोच सकते हैं, जहाँ वस्तुओं तथा सेवाओं का विनिमय या मजदूरी की अदायगी वस्तु विनिमय के जरिए हो रही है ?
उत्तर:
हाँ, हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्यतः वस्तुओं और सेवाओं का विनिमय या मजदूरी की अदायगी वस्तु विनिमय के जरिए हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में अनाजों क. विनिमय मुद्रा के प्रयोग के बिना सीधे किया जाता है। इसी प्रकार खेतिहर मजदूरों को मजदूरी भुगतान सामान्यत: नकद में न किया जाकर वस्तुओं के रूप में किया जाता है। यह वस्तु गेहूँ, चावल, बाजरा अथवा कोई वस्तु हो सकती है।

(पृष्ठ संख्या 43)

प्रश्न 1.
एम. सलीम भुगतान के लिए 20,000 रु. नकद निकालना चाहते हैं। इसके लिए वह चेक कैसे लिखेंगे ?
उत्तर:
सर्वप्रथम एम. सलीम चेक में दिए गए स्थान पर सम्बन्धित तारीख लिखेंगे। वह बैंक को स्वयं भुगतान का आदेश देंगे। वह चेक में छपे शब्द रुपये के आगे ‘बीस हजार रुपये मात्र’ भी लिखेंगे और दिये गये बॉक्स में राशि और खाता संख्या क्रमश: 20,000/- भरेंगे। एम. सलीम को चेक पर दोनों तरफ अर्थात् आगे तथा पीछे हस्ताक्षर करने पड़ेंगे तत्पश्चात् उस चेक को लेकर बैंक के राशि निकासी काउंटर पर जमा कराकर कैशियर से राशि प्राप्त करेंगे।
JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख 1

प्रश्न 2.
सही उत्तर पर निशान लगाएँ
(अ) सलीम और प्रेम के बीच लेन-देन के बाद
(क) सलीम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।
(ख) सलीम के बैंक खाते में शेष घट जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।
(ग) सलीम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष घट जाता है।
उत्तर:
(ख) सलीम के बैंक खाते में शेष घट जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है।

प्रश्न 3.
माँग जमा को मुद्रा क्यों समझा जाता है ?
उत्तर:
माँग जमा करने पर चेक या मुद्रा निकालने वाली पर्ची के माध्यम से भुगतान योग्य होता है। इसलिए माँग जमा को मुद्रा समझा जाता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 44)

प्रश्न 1.
अगर सभी जमाकर्ता एक ही समय में अपनी धन राशि की माँग करने बैंक पहुँच जाएँ तो क्या होगा?
उत्तर:
अगर सभी जमाकर्ता एक ही समय में अपनी धनराशि की माँग करने बैंक पहुँच जाएँ तो बैंक जमाकर्ताओं को धनराशि नहीं दे पायेंगे। इसका कारण यह है कि बैंक पहले ही अपने पास जमाओं का अधिकांश भाग ऋण देने में उपयोग कर चुका होगा।

प्रश्न 4.
मेघा के आवास ऋण के निम्नलिखित विवरणों की पूर्ति करें
उत्तर:

ऋण राशि (रुपये में) 5,00,000
ऋण अवधि 10 वर्ष
आवश्यक कागजात नौकरी व वेतन सम्बन्धी रिकार्ड
ब्याज दर 12 प्रतिशत वार्षिक
अदायगी का स्वरूप मासिक किश्त
समर्थक ऋणाधार नये घर के समस्त कागजात

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 45)

प्रश्न 1.
उधारदाता उधार देते समय समर्थक ऋणाधार की माँग क्यों करता है ?
अथवा
‘समर्थक ऋणाधार’ का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उधारदाता उधार देते समय ऋण के विरुद्ध सुरक्षा के रूप में समर्थक ऋणाधार की माँग करता है क्योंकि यदि कर्जदार उधार लौटा नहीं पाता है तो उधारदाता को भुगतान प्राप्ति के लिए समर्थक ऋणाधार बेचने का अधिकार होता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

प्रश्न 2.
हमारे देश की एक बहुत बड़ी आबादी निर्धन है। क्या यह उनके कर्ज लेने की क्षमता को प्रभावित करती है ?
उत्तर:
हाँ, हमारे देश की एक बहुत बड़ी आबादी निर्धन है। यह उनके कर्ज लेने की क्षमता को प्रभावित करती है क्योंकि कर्ज लेने के लिए लोगों को गारंटी के रूप में समर्थक ऋणाधार देना पड़ता है। निर्धन लोगों के पास इन संपत्तियों का अभाव होता है जो ऋण लेने की उनकी क्षमता को प्रभावित करती है।

प्रश्न 3.
कोष्ठक में दिए गए सही विकल्पों का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
ऋण लेते समय कर्जदार आसान ऋण शर्तों को देखता है। इसका अर्थ है ……. (निम्न/उच्च) ब्याज दर, …… (आसान/कठिन) अदायगी की शर्ते,..” (कम/अधिक) समर्थक ऋणाधार एवं आवश्यक कागजात।
उत्तर:
निम्न, आसान, कम।

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 47)

प्रश्न 1.
सोनपुर में ऋण के विभिन्न स्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर:
सोनपुर में ऋण के विभिन्न स्रोत निम्नलिखित हैं

  1. भू-स्वामी
  2. महाजन
  3. कृषि व्यापारी
  4. कृषि सहकारी समिति
  5. बैंक।

प्रश्न 2.
ऊपर दिये अनुच्छेदों में ऋण के विभिन्न प्रयोगों वाली पंक्तियों को रेखांकित कीजिये।
उत्तर:
ऊपर दिये अनुच्छेदों में ऋण के विभिन्न प्रयोगों वाली पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं

  1. श्यामल का कहना है कि उसे अपनी 1.5 एकड़ जमीन को जोतने के लिए हर मौसम में उधार लेने की जरूरत पड़ती है।
  2. अरुण सोनपुर के उन लोगों में से है जिसे खेती के लिए बैंक से ऋण मिला है।
  3. साल में कई महीने रमा के पास कोई काम नहीं होता है उसे अपने रोजमर्रा के (दैनिक) खर्चों के लिए कर्ज लेना पड़ता है। अचानक बीमार पड़ने पर या परिवार में किसी समारोह में खर्च करने के लिए उसे कर्ज लेना पड़ता है।

प्रश्न 3.
सोनपुर के छोटे किसान, मध्यम किसान और भूमिहीन कृषि मजदूर के लिए ऋण की शर्तों की तुलना कीजिये।

छोटे किसान मध्यम किसान भूमिहीन कृषि मजदूर
1. ऋण प्राप्ति की ब्याज दर 36% से 60% वार्षिक है। ब्याज दर 8.5 वर्षिक है। ब्याज दर 60% प्रतिवर्ष है।
2. समर्थक ऋणाधार एवं कागजातों की कोई आवश्यकता नहीं होती है। समर्थक ऋणाधार व कागजातों की आवश्यकता होती है। समर्थक ॠणाधार व कागजातों की आवश्यकता नहीं होती है।
3. छोटे किसान द्वारा लिया गया ऋण फसल कटने पर चुकाना होता है। ऋण को अगले तीन वर्षों में कभी भी चुकाया जा सकता है। भूमिहीन कृषि मजदूर भू-स्वामी के यहाँ काम करके ऋण का भुगतान करता है।
4. छोटे किसान को ब्याज दर के अतिरिक्त व्यापारी को फसल बेचने का वायदा करना पड़ता है। मध्यम किसान को कोई वायदा नहीं करना पड़ता है। भूमि हीन कृषि मजदूर को अन्य किसी प्रकार का कोई वायदा नहीं करना पड़ता है।

प्रश्न 4.
श्यामल की तुलना में अरुण को खेती से ज्यादा आय क्यों होगी?
उत्तर:
श्यामल की तुलना में अरुण को खेती से ज्यादा आय होगी जिसके निम्नलिखित कारण हैं

  1. अरुण के पास 7 एकड़ भूमि है जबकि श्यामल के पास 1.5 एकड़ भूमि है।
  2. अरुण ने 8.5 प्रतिशत वार्षिक दर से बैंक ऋण लिया है जबकि श्यामल ने गाँव के महाजन से 60 प्रतिशत वार्षिक दर से एवं कृषि व्यापारी से 36 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से ऋण लिया है।
  3. अरुण अपनी फसल को अपनी इच्छानुसार कीमत पर किसी को व कभी भी बेच सकता है जबकि श्यामल को वायदे के अनुसार व्यापारी को फसल बेचनी पड़ती है।

प्रश्न 5.
क्या सोनपुर के सभी लोगों को सस्ती ब्याज दर पर कर्ज मिल सकता है? किन लोगों को मिल सकता है?
उत्तर:
नहीं, सोनपुर के सभी लोगों को सस्ती ब्याज दर पर कर्ज नहीं मिल सकता है क्योंकि सस्ती ब्याज दर पर बैंक से कर्ज लेने के लिए समर्थक ऋणाधार की आवश्यकता पड़ती है। जो हर किसी के पास नहीं होती है। जो लोग बैंक की समर्थक ऋणाधार व आवश्यक कागजात सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं उन्हें ही सस्ती ब्याज दरों पर बैंक से ऋण मिल सकता है।

प्रश्न 6.
सही उत्तर पर निशान लगाइए
(क) समय के साथ रमा का ऋण
(i) बढ़ जायेगा
(ii) समान रहेगा
(iii) घट जायेगा।
उत्तर:
(i) बढ़ जायेगा।

(ख) अरुण सोनपुर के उन लोगों में से है जो बैंक से उधार लेते हैं क्योंकि
(i) गाँव में अन्य लोग साहूकारों से कर्ज लेना चाहते हैं।
(ii) बैंक समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं जो हर किसी के पास नहीं होता।
(iii) बैंक ऋण पर ब्याज दरें उतनी ही हैं जितना कि व्यापारी लेते हैं।
उत्तर:
(ii) बैंक समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं जो हर किसी के पास नहीं होती है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

प्रश्न 7.
कुछ लोगों से बातचीत कीजिये, जिनसे आपको अपने क्षेत्र में ऋण प्रबंधों के बारे में कोई जानकारी मिले। अपनी बातचीत को रिकार्ड कीजिए। विभिन्न लोगों की ऋण की शर्तों में विभिन्नता को लिखिए।
उत्तर:
विद्यार्थी इस प्रश्न को अपने शिक्षक की सहायता से हल करें।

(पृष्ठ संख्या 50)

प्रश्न 1.
ऋण के औपचारिक व अनौपचारिक स्रोतों में क्या अन्तर है ?
अथवा
औपचारिक एवं अनौपचारिक क्षेत्रक ऋण में कोई दो अन्तर बताइए।
अथवा
औपचारिक ऋण क्षेत्रक और अनौपचारिक ऋण क्षेत्रक में किन्हीं तीन अन्तरों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
ऋण के औपचारिक व अनौपचारिक स्रोतों में निम्नलिखित अन्तर हैं

औपचारिक स्रोत अनौपचारिक स्रोत
1. इसके अन्तर्गत ऋण के वे स्रोत सम्मिलित होते हैं जो सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं। 1. इसके अन्तर्गत वे छोटी और छुटपुट इकाइयाँ सम्मिलित होती हैं जो प्रायः सरकार के नियन्त्रण से बाहर होती हैं।
2. इन्हें सरकारी नियमों व विनियमों का पालन करना पड़ता है। 2. यद्यपि इनके लिए भी सरकारी नियम और विनियम होते हैं परन्तु उनका पालन नहीं किया जाता।
3. ऋण के औपचारिक स्रोतों में बैंक व सहकारी समितियाँ हैं। 3. ॠण के अनौपचारिक स्रोतों में साहूकार, व्यापारी, नियोक्ता, भूस्वामी, रिश्तेदार एवं मित्र आदि होते हैं।
4. भारतीय रिजर्व बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों के कामकाज पर नजर रखता है। 4. अनौपचारिक स्रोत में ऐसी कोई संस्था नहीं है जो ऋणदाताओं की ऋण क्रियाओं का निरीक्षण करती है।
5. ऋण के औपचारिक स्रोतों का उद्देश्य लाभ कमाने के साथ-साथ सामाजिक लाभ भी होता है। 5. ऋण के अनौपचारिक स्रोतों का उद्देश्य लाभ कमाना होता है ।
6. इन स्रोतों से ऋण कम ब्याज दर पर उपलब्ध हो जाता है। 6. इन स्रोतों से ऋण महँगी ब्याज दर पर उपलब्ध होता है।
7. ऋण के औपचारिक स्रोत ऋण लेने वाले के संमक्ष कोई अनुचित शर्त नहीं लगाते हैं। 7. ऋण के अनौपचारिक स्रोत ऋण लेने वाले के समक्ष ऊँची ब्याज दरों के अतिरिक्त कई कठोर शर्तें लगाते हैं।

प्रश्न 2.
सभी लोगों के लिए यथोचित दरों पर ऋण क्यों उपलब्ध होना चाहिए ?
अथवा
देश के विकास के लिए सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज आवश्यक क्यों है? किन्हीं तीन कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हमारी दिन-प्रतिदिन की क्रियाओं में व्यापक लेन-देन किसी-न-किसी रूप में ऋण द्वारा ही होता है। ऋण किसानों को अपनी फसल उगाने में मदद करता है। यह उद्यमियों के लिए व्यावसायिक इकाइयों की स्थापना, समय पर उत्पादन को पूरा करने एवं उत्पादन के कार्यशील खर्चों को पूरा करने में सहायक होता है। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है। ऋण देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ऋण के अधिक ब्याज दर पर मिलने से ऋणी की अधिकांश आय ऋण के ब्याज-भुगतान में ही व्यय हो जाती है। ऋणी के पास अपने लिए बहुत कम आय बचती है। कई बार अत्यधिक ऊँची ब्याज दरों के कारण ऋणी जीवन भर ऋण के बोझ से दबा रहता है और विकास में पिछड़ जाता है। इन सब कारणों से सभी लोगों के लिए यथोचित दरों पर ऋण उपलब्ध होना चाहिए।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

प्रश्न 3.
क्या भारतीय रिजर्व बैंक के जैसा कोई निरीक्षक होना चाहिए जो अनौपचारिक ऋणदाताओं की गतिविधियों पर नजर रखे ? उसका काम मुश्किल क्यों होगा?
उत्तर:
हाँ, भारतीय रिजर्व बैंक के जैसा कोई निरीक्षक होना चाहिए जो अनौपचारिक ऋणदाताओं की गतिविधियों पर नजर रखे। उसका काम मुश्किल होगा क्योंकि अनौपचारिक ऋणदाता सरकार या किसी भी अन्य मान्यता प्राप्त संस्थाओं द्वारा पंजीकृत नहीं होते हैं। वे छोटे तथा फैले हुए होते हैं तथा उनका कर्जदारों के साथ व्यक्तिगत सम्बन्ध होता है। ऐसे अनौपचारिक ऋणदाताओं की जानकारी प्राप्त करना एवं उन पर कार्यवाही करना कठिन होगा।

प्रश्न 4.
आपकी समझ में गरीब परिवारों की तुलना में अमीर परिवारों के औपचारिक ऋणों का हिस्सा अधिक क्यों होता है ?
उत्तर:
गरीब परिवारों की तुलना में अमीर परिवारों के औपचारिक ऋणों का हिस्सा अधिक होता है क्योंकि वे गरीब परिवारों से अधिक शिक्षित होते हैं एवं वे जानते हैं कि बैंक कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त अमीर परिवारों के पास बैंक से प्राप्त होने वाले ऋण के बदले बैंक में गिरवी रखने हेतु समर्थक ऋणाधार व आवश्यक कागजात होते हैं, जबकि गरीब परिवारों के पास इनका अभाव होता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

JAC Class 10th Economics भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि ……..। (हुई है/नहीं हुई है)
(ख) ……. क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक/कृषि)
(ग) ……. क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा प्राप्त होती है। (संगठित/असंगठित)
(घ) भारत में ……. अनुपात में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। (बड़े/छोटे)
(ङ) कपास एक ……. उत्पाद है और कपड़ा एक …… उत्पाद है। (प्राकृतिक/विनिर्मित)
(च) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ …… हैं। (स्वतन्त्र/परस्पर निर्भर)
उत्तर:
(क) नहीं हुई है,
(ख) तृतीयक,
(ग) संगठित,
(घ) बड़े,
(ङ) प्राकृतिक, विनिर्मित,
(च) परस्पर निर्भर।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

प्रश्न 2.
सही उत्तर का चयन करें
(अ) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक …………के आधार पर विभाजित हैं।
(क) रोजगार की शर्तों
(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
(ग) उद्यमों के स्वामित्व
(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या
उत्तर:
(ग) उद्यमों के स्वामित्व

(ब) एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन ……. क्षेत्रक की गतिविधि है।
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सूचना प्रौद्योगिकी
उत्तर:
(क) प्राथमिक

(स) किसी वर्ष में उत्पादित ……… के मूल्य के कुल योगफल को स. घ. उ. कहते हैं।
(क) सभी वस्तुओं और सेवाओं ……
(ख) सभी अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं
(ग) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
(घ) सभी मध्यवर्ती एवं अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं
उत्तर:
(ख) सभी अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं

(द) स. घ. उ. के पदों में वर्ष 2013 – 14 में तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी ……… प्रतिशत है।
(क) 20 से 30
(ख) 30 से 40
(ग) 50 से 60
(घ) 60 से 70
उत्तर:
(घ) 60 से 70

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए

कृषि क्षेत्रक की समस्याएँ कुछ सम्भावित उपाय।
1. असिंचित भूमि (अ) कृषि-आधारित मिलों की स्थापना
2. फसलों का कम मूल्य (ब) सहकारी विपणन समितियाँ
3. कर्ज भार (स) सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली
4. मंदी काल में रोजगार का अभाव (द) सरकार द्वारा नहरों का निर्माण
5. कटाई के तुरन्त बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता (य) कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना

उत्तर:

कृषि क्षेत्रक की समस्याएँ कुछ सम्भावित उपाय।
1. असिंचित भूमि (द) सरकार द्वारा नहरों का निर्माण
2. फसलों का कम मूल्य (स) सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली
3. कर्ज भार (य) कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना
4. मंदी काल में रोजगार का अभाव (अ) कृषि-आधारित मिलों की स्थापना
5. कटाई के तुरन्त बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता (ब) सहकारी विपणन समितियाँ

प्रश्न 4.
विषम की पहचान करें और बताइए क्यों?
(क) पर्यटन-निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार
(ख) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील
(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल
(घ) एम. टी. एन. एल., भारतीय रेल, एयर इण्डिया, जेट एयरवेज, ऑल इण्डिया रेडियो।
उत्तर:
(क) पर्यटन निर्देशक क्योंकि यह तृतीयक क्षेत्रक का है।
(ख) सब्जी विक्रेता क्योंकि इसे नियमित रोजगार प्राप्त नहीं होता है।
(ग) मोची क्योंकि यह असंगठित क्षेत्रक के अन्तर्गत आता है।
(घ) जेट एयरवेज क्योंकि यह निजी क्षेत्रक का उपक्रम है जबकि अन्य राजकीय क्षेत्र के उपक्रम हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

प्रश्न 5.
एक शोध छात्र ने सूरत शहर में काम करने वाले लोगों से मिलकर निम्न आँकड़े जुटाए

कार्य स्थान रोजगार की प्रकृति श्रमिकों का प्रतिशत
1. सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में संगठित 15
2. औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लीनिक 15
3. सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक 20
4. छोटी कार्यशालाओं में काम करते लोग, जो प्रायः सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं

तालिका को पूरा कीजिए। इस शहर में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की प्रतिशतता क्या है?
उत्तर:

कार्य स्थान रोजगार की प्रकृति श्रमिकों का प्रतिशत
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों में संगठित 15
औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लीनिक असंगठित 15
सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक असंगठित 20
छोटी कार्यशालाओं में काम करते लोग, जो प्रायः सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं। असंगठित 50

सूरत शहर में असंगठित क्षेत्रक में 85% श्रमिक कार्यरत हैं।

प्रश्न 6.
क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों की प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर:
1. हाँ, हम मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों की प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है। क्षेत्रों पर आधारित अर्थव्यवस्था का वर्गीकरण यह प्रदर्शित करता है कि आर्थिक क्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं। प्राथमिक क्षेत्रक के अन्तर्गत वे गतिविधियाँ सम्मिलित होती हैं जो प्राकृतिक संसाधनों के प्रत्यक्ष उपयोग पर आधारित होती हैं; जैसे: कृषि, डेयरी, मत्स्य, वनारोपण आदि।

2. द्वितीयक क्षेत्रक के अन्तर्गत वे गतिविधियाँ सम्मिलित होती हैं जिसमें प्राकृतिक या प्राथमिक उत्पादों को विनिर्माण प्रक्रिया के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है; जैसे-कपास से कपड़ों का निर्माण।

3. तृतीयक क्षेत्रक के अन्तर्गत वे गतिविधियों सम्मिलित होती हैं जो प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रकों के विकास में मदद करती हैं; जैसे-परिवहन, बीमा, बैंकिंग आदि। यह वर्गीकरण अत्यधिक उपयोगी है क्योंकि इसके द्वारा हमें विकास के साथ-साथ व्यावसायिक स्थिति के बारे में भी ज्ञान प्राप्त होता है। इसके द्वारा हमें निम्नलिखित जानकारी प्राप्त होती है।

  1. आर्थिक क्रियाओं का स्पष्ट विभाजन,
  2. सकल घरेलू उत्पादन में विभिन्न क्षेत्रकों का योगदान,
  3. विभिन्न क्षेत्रकों में कार्यरत श्रमिकों की संख्या,
  4. विभिन्न क्षेत्रकों में उपलब्ध रोजगार का वितरण,
  5. विभिन्न क्षेत्रकों का राष्ट्रीय आय में योगदान।

प्रश्न 7.
इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रक को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) पर ही क्यों केन्द्रित करना चाहिए? क्या अन्य वाद पदों का परीक्षण किया जा सकता है? चर्चा करें।
उत्तर:
इस अध्याय में आर्थिक गतिविधियों को विभिन्न क्षेत्रकों में बाँटा गया है; जैसे-प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रक, संगठित व असंगठित क्षेत्रक तथा निजी व सार्वजनिक क्षेत्रक। रोजगार बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह गरीबी जैसी अनेक आर्थिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। वहीं दूसरी तरफ सकल घरेलू उत्पाद राष्ट्रीय आय में प्रत्येक क्षेत्र के योगदान को ज्ञात करने में मदद करता है।

हमें अपनी वर्तमान तथा भविष्य की आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए प्रत्येक क्षेत्रक को  रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जी. डी. पी.) पर केन्द्रित होना चाहिए क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद एवं प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर अर्थव्यवस्था का विकास नहीं हो सकता है। अर्थव्यवस्था का विकास न होने की स्थिति में रोजगारों में वृद्धि नहीं होगी। बेरोजगारी व अल्प रोजगार की भयावह समस्या उत्पन्न होगी जो देश के लिए अनेक समस्याओं की जड़ होगी।

प्रश्न 8.
जीविका के लिए काम करने वाले अपने आस-पास के वयस्कों के सभी कार्यों की लम्बी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने चयन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मेरे आस-पास रहने वाले लोग विभिन्न प्रकार के कार्य करते हैं। इनकी सूची निम्नलिखित है

  1. कृषि कार्य, पशुपालन, लकड़ी काटना, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, वनों से कन्द-मूल-फल संग्रह करना आदि।
  2. विभिन्न वस्त्र मिलों में कार्य करना, कपड़ा बुनना, चीनी, गुड़ व खाण्डसारी उद्योग में काम करना, फर्नीचर उद्योग में काम करना। रेलवे, जहाजरानी एवं इंजीनियरिंग उद्योग में काम करना आदि।
  3. विभिन्न व्यवसायों में कार्यरत लोग, जैसे-अध्यापक, डॉक्टर, वकील, क्लर्क, सिपाही, टेलीफोन ऑपरेटर, बैंकिंग व बीमा कम्पनियों में कार्यरत लोग, व्यावसायिक परिवहन व संचार सेवाओं में काम करना।
  4. दैनिक मजदूरी पर कार्य करने वाले लोग।
  5. घरेलू नौकर।

उपरोक्त कार्यों में संलग्न लोगों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है

  1. प्राथमिक क्षेत्रक में कार्य करने वाले लोग
  2. द्वितीयक क्षेत्रक में कार्य करने वाले लोग
  3. तृतीयक क्षेत्रक में कार्य करने वाले लोग।
  4. में संगठित क्षेत्रक में कार्य करने वाले लोग तथा असंगठित क्षेत्रक में कार्य करने वाले लोग।

प्रश्न 9.
तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से कैसे भिन्न है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
अथवा
“तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ, प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में सहायता करती हैं।” इस कथन का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
तृतीयक क्षेत्रक किस प्रकार प्राथमिक और द्वितीय क्षेत्रों के विकास में सहायता करता है? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्रक परिवहन, संचार, बीमा, बैंकिंग, भण्डारण व व्यापार आदि से सम्बन्धित सेवाएँ प्रदान करता है। तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहते हैं। तृतीयक क्षेत्रक अन्य दो क्षेत्रकों से भिन्न है। इसका कारण है कि अन्य दो क्षेत्रक (प्राथमिक व द्वितीयक क्षेत्रक) वस्तुएँ उत्पादित करते हैं जबकि यह क्षेत्रक अपने आप कोई वस्तु उत्पादित नहीं करता है बल्कि इस क्षेत्रक में सम्मिलित क्रियाएँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रकों के विकास में माध्यम होती हैं अर्थात् ये प्राथमिक क्रियाएँ उत्पादन प्रक्रिया में मदद करती हैं।

उदाहरण के लिए प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को बेचने के लिए ट्रैक्टर, ट्रकों एवं रेलगाड़ी द्वारा परिवहन करने की जरूरत पड़ती है। इन वस्तुओं को कभी-कभी गोदाम या शीतगृह में भण्डारण की भी आवश्यकता होती है। हमें उत्पादन एवं व्यापार में सुविधा के लिए कई लोगों से टेलीफोन से भी बातें करनी होती हैं या पत्राचार करना पड़ता है एवं कभी-कभी बैंक से पैसा भी उधार लेना पड़ता है। इस प्रकार परिवहन, भण्डारण, संचार एवं बैंकिंग प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रकों के विकास में सहायक होते हैं। अतः स्पष्ट है कि तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ, प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में सहायता करती हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

प्रश्न 10.
प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रच्छन्न बेरोजगारी या छिपी हुई बेरोजगारी के अन्तर्गत लोग नियोजित प्रतीत होते हैं परन्तु वास्तव में बेरोजगार होते हैं। इस व्यवस्था में लोग आवश्यकता से अधिक संख्या में लगे होते हैं। यदि उन्हें इस व्यवस्था से हटाकर किसी अन्य व्यवस्था में स्थानान्तरित कर दिया जाए तो भी उत्पादन प्रभावित नहीं हो, तो यह स्थिति प्रच्छन्न बेरोजगारी की स्थिति कही जायेगी।
इस प्रकार प्रच्छन्न बेरोजगारी से आशय किसी विशेष आर्थिक क्रिया में उत्पादन हेतु आवश्यकता से अधिक मात्रा में श्रमिकों के लगे होने से है।

1. शहरी क्षेत्रों के उदाहरण:
प्रच्छन्न बेरोजगारी शहरी क्षेत्रों में प्रायः छोटी फुटकर दुकानों एवं छोटे व्यवसायों में लगे परिवारों की स्थिति से भी मापी जाती है। एक शहरी क्षेत्र की एक दुकान में जिसमें केवल दो लोगों की आवश्यकता है, यदि मालिक व 3 नौकर कार्य करते हैं। इसमें 2 नौकर प्रच्छन्न रूप से बेरोजगार हैं क्योंकि इनकी दुकान में आवश्यकता ही नहीं है।

2. ग्रामीण क्षेत्रों के उदाहरण:
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रच्छन्न बेरोजगारी प्रायः कृषि क्षेत्र में पायी जाती है। उदाहरण के लिए, किसी किसान के पास 3 हेक्टेयर का एक छोटा-सा खेत है जिसमें कार्य करने के लिए दो लोग पर्याप्त हैं परन्तु उस किसान के परिवार के सभी सात सदस्य इस खेत में लगे रहते हैं। यदि इस कार्य से 5 लोगों को हटा लिया जाए तो कृषि उत्पादन में कोई कमी नहीं आएगी। इस तरह 5 लोग प्रच्छन्न बेरोजगार की श्रेणी में आएंगे क्योंकि उनकी खेत में आवश्यकता ही नहीं है।

प्रश्न 11.
खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्नं बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर:
खली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच निम्नलिखित विभेद (अन्तर) हैं

खुली बेरोजगारी प्रच्छन्न बेरोजगारी
1. इसके अन्तर्गत एक श्रमिक काम करने के लिए तैयार होता है, परन्तु उसे काम नहीं मिलता। 1. इसके अन्तर्गत श्रमिक काम करता है परन्तु यदि उसे इस काम से हटा दिया जाए तो उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात् कोई कमी नहीं आती है।
2. यह स्थाई प्रकृति की होती है। 2. यह अस्थाई प्रकृति की होती है।
3. इस प्रकार की बेरोजगारी प्रायः देश के औद्योगिक 3. इस प्रकार की बेरोजगारी प्रायः कृषि क्षेत्र में पाई जाती क्षेत्रों में पायी जाती है।
4. यह बेरोजगारी ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन खेतिहर 4. यह बेरोजगारी शहरी क्षेत्रों में छोटी-छोटी दुकानों एवं मजदूरों में भी पाई जाती है। छोटे व्यवसायों में लगे परिवारों में भी पाई जाती है।

प्रश्न 12.
“भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।” क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर:
नहीं, मैं इस कथन से सहमत नहीं हूँ कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है। वास्तव में वर्ष 1973-74 और 2013-14 के बीच चालीस वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्ष 2013-14 में भारत में प्राथमिक क्षेत्रक को प्रतिस्थापित करते हुए सी. क्षेत्रक सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्रक के रूप में उभरा है। तृतीयक क्षेत्रक का योगदान निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट

1. भारत सरकार की नई आर्थिक नीति से देश में तृतीयक क्षेत्रक का तेजी से विस्तार हुआ है। देश में आधारभूत सुविधाओं का विस्तार हो रहा है, शिक्षा, आवास एवं स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि हुई है, बैंकिंग, परिवहन व संचार के विस्तार पर बल दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त अनेक नवीन सेवाएँ; जैसे-इंटरनेट कैफे, ए. टी. एम. बूथ, कॉल सेन्टर, सॉफ्टवेयर कम्पनी आदि में कार्यरत लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

2. सकल घरेलू उत्पाद (जी. डी. पी.) में तृतीयक क्षेत्रक का योगदान लगातार बढ़ रहा है। अब तृतीयक क्षेत्रक प्राथमिक क्षेत्रक की बजाय भारत में सर्वाधिक उत्पादक क्षेत्रक बन गया है। सन् 1973-74 में सकल घरेलू उत्पाद में तृतीयक क्षेत्रक का हिस्सा लगभग 48 प्रतिशत था जो 2013-14 में बढ़कर लगभग 67 प्रतिशत हो गया है। यद्यपि 1973-74 से 2013-14 के मध्य के 40 वर्षों में तीनों क्षेत्रों के उत्पादन में वृद्धि हुई परन्तु तृतीयक क्षेत्रक में यह वृद्धि सर्वाधिक रही है।

3. रोजगार में तृतीयक क्षेत्रक का प्रतिशत भी तीव्र गति से बढ़ा है। सन् 1977-78 में इसका योगदान 18 प्रतिशत था जो सन् 2017-18 में बढ़कर 31 प्रतिशत हो गया। यद्यपि रोजगार की दृष्टि से तृतीयक क्षेत्रक का प्रतिशत योगदान बहुत अधिक नहीं है, परन्तु इसमें वृद्धि दर्ज की गयी है।

4. तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ प्राथमिक व द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं; जैसे-परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंक सेवाएँ एवं व्यापार तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के उदाहरण हैं। ये गतिविधियाँ वस्तुओं के स्थान पर सेवाओं का सृजन करती हैं। अतः कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

प्रश्न 13.
“भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता है।”ये लोग कौन हैं?
उत्तर:
भारत में सेवा क्षेत्रक को दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करते हैं। ये लोग हैं-
1. प्रथम वर्ग में वे लोग आते हैं जिनकी सेवाएँ प्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं के उत्पादन में सहायता करती हैं। यह सहायता प्राथमिक एवं द्वितीयक दोनों ही क्षेत्रकों को प्राप्त होती हैं। उदाहरण के लिए-परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंकिंग, व्यापार आदि क्षेत्रकों में नियोजित लोग।

2. दूसरे वर्ग में कुछ ऐसे सेवा प्रदाता आते हैं जो प्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं के उत्पादन में सहायता नहीं करते। उदाहरण के लिए-अध्यापक, डॉक्टर, वकील, धोबी, मोची, नाई आदि। वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित कुछ नवीन सेवाएँ; जैसे-इन्टरनेट कैफे, ए. टी. एम. बूथ, कॉलसेन्टर, सॉफ्टवेयर कम्पनी आदि भी महत्त्वपूर्ण हो गई हैं, जो इसी वर्ग में सम्मिलित

प्रश्न 14.
“असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।” क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं इस विचार से सहमत हूँ कि असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है। इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं:

  1. इस क्षेत्रक में श्रमिकों के संरक्षण के लिए बनाये गये सरकारी नियमों एवं विनियमों का पालन नहीं होता है।
  2. असंगठित क्षेत्रक में बहुत कम वेतन/मजदूरी दी जाती है और वह भी नियमित रूप से नहीं दी जाती है।
  3. इस क्षेत्रक में मजदूर सामान्यतः अशिक्षित, अनभिज्ञ व असंगठित होते हैं, इसलिए वे नियोक्ता से मोल-भाव कर अच्छी मजदूरी सुनिश्चित करने की स्थिति में नहीं होते हैं।
  4. इस क्षेत्रक में अतिरिक्त समय में काम तो लिया जाता है परन्तु अतिरिक्त वेतन नहीं दिया जाता है।
  5. इस क्षेत्रक में सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं है।
  6. इस क्षेत्रक में रोजगार सुरक्षा भी नहीं होती है। नियोक्ता द्वारा कर्मचारियों को बिना किसी कारण काम से हटाया जा सकता है।
  7. इस क्षेत्रक के अन्तर्गत कुछ मौसमों में जब काम नहीं होता है, तो कुछ लोगों को काम से छुट्टी दे दी जाती है। बहुत से लोग नियोक्ता की पसन्द पर निर्भर होते हैं।

प्रश्न 15.
अर्थव्यवस्था में गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर संगठित एवं असंगठित क्षेत्रकों में वर्गीकृत की जाती हैं
1. संगठित क्षेत्रक:
संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्य-स्थान आते हैं, जहाँ रोजगार की अवधि नियत होती है और इसलिए लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है। ये क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं एवं उन्हें राजकीय नियमों व विनियमों का अनुपालन करना होता है। इन नियमों व विनियमों का अनेक विधियों; जैसे-कारखाना अधिनियम की निश्चित न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, सेवानुदान अधिनियम, दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम आदि में उल्लेख किया गया है।

यह क्षेत्रक संगठित क्षेत्रक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसकी कुछ औपचारिक प्रक्रिया एवं क्रियाविधि होती है। इस क्षेत्रक के अन्तर्गत रोजगार सुरक्षित होता है, काम के घण्टे निश्चित होते हैं, अतिरिक्त कार्य के लिए अतिरिक्त वेतन मिलता है। कर्मचारियों को कार्य के दौरान एवं सेवानिवृति के पश्चात् भी अनेक सुविधाएँ मिलती हैं।

2. असंगठित क्षेत्रक:
असंगठित क्षेत्रक के अन्तर्गत वे छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयाँ सम्मिलित होती हैं जो अधिकांशतः सरकारी नियन्त्रण से बाहर होती हैं। यद्यपि इस क्षेत्रक के नियम और विनियम तो होते हैं परन्तु उनका पालन नहीं होता है। ये अनियमित एवं कम वेतन वाले रोजगार होते हैं। इनमें सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी आदि का कोई प्रावधान नहीं होता है और न ही रोजगार की सुरक्षा। श्रमिकों को बिना किसी कारण काम से हटाया जा सकता है।

प्रश्न 16.
संगठित एवं असंगठित क्षेत्रकों में विद्यमान रोजगार परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर:
संगठित एवं असंगठित क्षेत्रकों में विद्यमान रोजगार परिस्थितियों की तुलना निम्नलिखित प्रकार से है

संगठित क्षेत्रक की रोजगार परिस्थितियाँ असंगठित क्षेत्रक की रोजगार परिस्थितियाँ
1. इस क्षेत्रक के उद्योगों एवं प्रतिष्ठानों को सरकार द्वारा 1. इस क्षेत्रक के अन्तर्गत दुकानों व प्रतिष्ठानों को सरकार पंजीकृत कराना अवश्यक होता है। से पंजीकृत कराना अनिवार्य नहीं है।
2. यह क्षेत्रक सरकारी नियमों व उपनियमों के अधीन कार्य करता है। ये नियम व विनियम सभी नियोक्ताओं कर्मचारियों व श्रमिकों पर समान रूप से लागू होते हैं। 2. इस क्षेत्रक के नियम व विनियम तो होते हैं परन्तु उनका , अनुपालन नहीं किया जाता है।
3. इस क्षेत्रक में काम करने की अवधि व काम के घण्टे नहीं होते हैं। 3. इस क्षेत्रक में काम करने की अवधि व घण्टे निश्चित निश्चित होते हैं।
4. इस क्षेत्रक में कार्य करने वाले कर्मचारियों, श्रमिकों को मासिक वेतन प्राप्त होता है। 4. इस क्षेत्रक में काम करने वाले कर्मचारी/श्रमिक दैनिक मजदूरी प्राप्त करते हैं।
5. इस क्षेत्रक के अन्तर्गत कर्मचारी मासिक वेतन के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के भत्ते, समर्पित अवकाश का भुगतान, प्रोविडेंट फंड, वार्षिक वेतन वृद्धि आदि सुविधाएँ प्रा: करते हैं। 5. इस क्षेत्रक के अन्तर्गत श्रमिकों को दैनिक मजदूरी के अतिरिक्त कोई अन्य भत्ता नहीं मिलता है।
6. इस क्षेत्रक के न्तर्गत कर्मचारियों/ श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा प्राप्त होती है। 6. इस क्षेत्रक के अन्तर्गत कार्यरत कर्मचारियों/ श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा प्राप्त नहीं होती है।
7. इस क्षेत्रक के अन्तर्गत कर्मचारियों/श्रमिकों को नियोक्ता द्वारा एक नियुक्ति पत्र दिया जाता है जिसमें काम की सभी शर्ते एवं दशाएँ वर्णित होती हैं। 7. इस क्षेत्रक के अन्तर्गत कर्मचारियों/श्रमिकों को कोई औपचारिक नियुक्ति पत्र नहीं दिया जाता है।
8. इस क्षेत्रक के अन्तर्गत कर्मचारियों को कार्यस्थल पर स्वच्छ पानी, स्वास्थ्य एवं कार्य का सुरक्षित वातावरण आदि सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। 8. इस क्षेत्रक के अन्तर्गत कर्मचारियों को इस प्रकार की सुविधाओं का लगभग अभाव देखने को मिलता है।
9. इस क्षेत्रक में श्रम संघ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः श्रमिकों का शोषण नहीं होता है। 9. इस क्षेत्रक में श्रम संघों के अभाव के कारण श्रमिकों का अत्यधिक शोषण होता है।

प्रश्न 17.
मनरेगा (महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) 2005 (MNREGA, 2005) के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को काम का अधिकार’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
भारत की केन्द्र सरकार ने वर्ष 2005 में भारत के चयनित 200 जिलों (अब 625 जिलों) के ग्रामीण क्षेत्रों में ‘काम का अधिकार’ लागू करने के लिए एक कानून बनाया है। इस कानून को महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम, 2005 कहते हैं। इस कानून को बनाने का उद्देश्य उन लोगों को जो कार्य करने योग्य हैं तथाः जिन्हें कार्य की आवश्यकता है, सरकार द्वारा एक वर्ष में 100 दिनों का रोजगार का आश्वासन देना है।

यदि सरकार इस उद्देश्य की प्राप्ति में असफल रहती है तो वह लोगों को बेरोजगार भत्ता देगी। अतः इसे ‘काम का अधिकार’ अधिनियम भी कहते हैं। इस कानून को वर्तमान में देश के समस्त जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में लागू कर दिया गया है तथा इसका नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया है। इस अधिनियम के अन्तर्गत इस तरह के कार्यों को वरीयता दी गयी है जिनमें भविष्य में भूमि से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

प्रश्न 18.
अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना तथा वैषम्य कीजिए।
उत्तर:
सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना तथा वैषम्य निम्नांकित प्रकार से है

सार्वजनिक क्षेत्रक निजी क्षेत्रक
1. इस क्षेत्रक के अन्तर्गत अधिकांश परिसम्पत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध कराती है; जैसे-डाकघर, भारतीय रेलवे आकाशवाणी, इण्डियन एयरलाइन्स आदि। 1. इस क्षेत्रक में परिसम्पत्तियों पर स्वामित्व एवं सेवाओं के वितरण की जिम्मेदारी एकल व्यक्ति या कम्पनी के हाथों में होती है; जैसे-मित्तल पब्लिकेशन्स, टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी, रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड आदि।
2. सार्वजनिक क्षेत्रक का उद्देश्य सार्वजनिक कल्याण में करना होता है। 2. निजी क्षेत्रक की गतिविधियों का उद्देश्य लाभ अर्जित वृद्धि करना होता है।
3. इस क्षेत्रक में उत्पादन एवं वितरण सम्बन्धी समस्त निर्णय सरकार द्वारा निर्धारित नीति के तहत लिये जाते हैं। 3. इस क्षेत्रक में उत्पादन एवं वितरण सम्बन्धी निर्णय निजी स्वामियों अथवा प्रबन्धकों द्वारा लिए जाते हैं।
4. सरकार समाज के लिए आवश्यक सार्वजनिक परियोजनाओं में बहुत अधिक राशि का व्यय करती है। जैसे-सड़क पुल, नहर, बन्दरगाह आदि का निर्माण करना। 4. निजी क्षेत्रक अपने लाभ के उद्देश्य के कारण बहुत अधिक राशि व्यय करने वाली परियोजनाओं में निवेश नहीं करता
5. कई प्रकार की गतिविधियों को पूरा करना सरकार का प्राथमिक दायित्व होता है; जैसे-शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत आदि। इसलिए सरकार बड़ी संख्या में विद्यालय,महाविद्यालय, अस्पताल, विद्युत परियोजनाएँ आदि चलाती है। 5. निजी क्षेत्रक का ऐसा किसी प्रका। कोई दायित्व नहीं होता है। यदि वह ऐसी सेवाएँ प्रदान करता है तो इसके लिए वह राशि वसूलता है। उदाहरण के लिए, हमारे क्षेत्र में निजी पब्लिक स्कूल, सरकारी स्कूल की तुलना में बहुत अधिक फीस लेते हैं।

वैषम्य:
1. कुछ गतिविधियाँ ऐसी हैं, जिन्हें सरकारी समर्थन की जरूरत पड़ती है; जैसे-उत्पादन-मूल्य पर बिजली की बिक्री से बहुत से उद्योगों में वस्तुओं की उत्पादन लागत में वृद्धि हो सकती है। जिससे अनेक इकाइयाँ बंद हो सकती हैं। यहाँ सरकार लागत का कुछ अंश वहन कर सकती है।
2. इसी प्रकार, भारत सरकार किसानों से उचित मूल्य पर गेहूँ और चावल खरीदकर गोदामों में भण्डारण कर, राशन-दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर बेचती है।

प्रश्न 19.
अपने क्षेत्र से एक-एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए।

सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन कुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन
सार्वजनिक क्षेत्रक
निजी क्षेत्रक

उत्तर:

सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन कुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन
निजी क्षेत्रक पंजाब नेशनल बैंक, भरतपुर राज स्थान राज्य पथ परिवहन निगम आगार-भरतपुर
सार्वजनिक क्षेत्रक सेण्ट सोफिया विद्यालय, मथुरा साहिल मिष्ठान भण्डार, मथुरा

नोट विद्यार्थी अपने क्षेत्र का उदाहरण ले सकते हैं।

प्रश्न 20.
सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यान्वयन क्यों किया जाता है ?
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के उदाहरण निम्नलिखित हैं

  1. भारतीय रेलवे
  2. डाकघर
  3. भारत संचार निगम लिमिटेड
  4. भारतीय जीवन बीमा निगम
  5. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान
  6. प्रसार भारती,
  7. भारतीय खाद्य निगम।

ऐसी अनेक वस्तुएँ व सेवाएँ होती हैं जिनकी समाज में सभी सदस्यों को आवश्यकता होती है। सरकार के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह उनकी उचित कीमतों पर आपूर्ति बनाये रखे। निजी क्षेत्रक लाभ प्रेरणा से निर्देशित होता है। अतः वह इन सेवाओं की उचित कीमत पर आपूर्ति नहीं कर पाता है।

इसके अतिरिक्त उन क्षेत्रों में विशाल निवेश की जरूरत होती है जो निजी क्षेत्रक की क्षमता से बाहर होता है। ऐसे प्रमुख क्षेत्रों में सड़क, पुल, रेलवे, बाँध आदि का निर्माण है। इन पर किये जाने वाले भारी व्यय को सरकार स्वयं वहन करती है एवं जनसामान्य के लिए इन सुविधाओं को सुनिश्चित करती है। इन सब कारणों से सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यान्वयन किया जाता है।

प्रश्न 21.
व्याख्या कीजिए कि किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?
उत्तर:
किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक निम्नलिखित प्रकार से योगदान करता है

  1. देश के सुदृढ़ औद्योगिक आधार के निर्माण में सार्वजनिक क्षेत्रक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है,
  2. सार्वजनिक क्षेत्रक के विस्तार से रोजगार के अवसरों में पर्याप्त वृद्धि होती है,
  3. सार्वजनिक क्षेत्रक अधिक पूँजी निवेश द्वारा पूँजी निर्माण की दर में वृद्धि करने में सहायक है,
  4. सार्वजनिक क्षेत्रक विकास के लिए वित्तीय संसाधन जुटाता है,
  5. यह क्षेत्रक सस्ती दर पर आसानी से वस्तुओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करता है,
  6. यह सन्तुलित प्रादेशिक विकास को प्रोत्साहित करता है,
  7. यह आधारभूत संरचनाओं के निर्माण एवं विस्तार द्वारा तीव्र आर्थिक विकास को प्रेरित करता है,
  8. यह अर्थव्यवस्था पर निजी एकाधिकार को नियन्त्रित करता है,
  9. यह लघु व कुटीर स्तरीय उद्योगों को प्रोत्साहित करता है,
  10. यह आय व सम्पत्ति की समानता लाता है,
  11. देश के कुछ सार्वजनिक उद्यम विदेशी आयातों पर हमारी निर्भरता को कम करने में सहायक रहे हैं।

प्रश्न 22.
असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है-मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
निःसन्देह असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को मजदूरी, सुरक्षा व स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है।

1. मजदूरी:
असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों को बहुत कम मजदूरी दी जाती है। उनका प्रायः शोषण किया जाता है। उन्हें दैनिक मजदूरी के अतिरिक्त कोई भत्ता नहीं दिया जाता है। न ही उनको वार्षिक वेतन वृद्धि दी जाती है। इसके समाधान हेतु राज्य व केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के समान मजदूरी दी जानी चाहिए एवं मजदूरी के अतिरिक्त उन्हें अन्य भत्ते; जैसेपरिवहन, शिक्षा, चिकित्सा एवं आवास भी दिये जाने चाहिए। उनकी मजदूरी में वार्षिक वेतन वृद्धि भी की जानी चाहिए।

2. सुरक्षा:
असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों को रोजगार की सुरक्षा नहीं होती है, उन्हें अकारण किसी भी समय काम छोड़ने के लिए कहा जा सकता है। इस क्षेत्रक में श्रमिक सामान्यतः ईंट, खदान, पटाखे जैसे अति जोखिम भरे उद्योगों में काम करते हैं इसलिए उन्हें सुरक्षा की अति आवश्यकता होती है। सभी श्रमिकों को रोजगार की सुरक्षा होनी चाहिए। कोई भी नियोक्ता उन्हें मनमाने रूप से नौकरी से बाहर न कर सके।

नौकरी से निकालने की प्रक्रिया नियमानुसार होनी चाहिए तथा श्रमिकों को इसके लिए उचित क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए। कारखानों के अन्दर काम करते समय अथवा काम पर आते और काम समाप्त करके घर लौटते समय होने वाली किसी भी दुर्घटना के लिए उन्हें क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए जैसा कि राज्य एवं केन्द्र सरकार करती है।

3. स्वास्थ्य:
असंगठित क्षेत्रक के श्रमिक कम मजदूरी की प्राप्ति के कारण पौष्टिक भोजन नहीं ले पाते हैं परिणामस्वरूप उनकी स्वास्थ्य स्थिति बहुत कमजोर होती है। अतः उन्हें संरक्षण की आवश्यकता है। इस हेतु सभी श्रमिकों व कर्मचारियों को सेवाकाल के दौरान एवं सेवानिवृत्ति के पश्चात् स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए; जैसे-शिक्षकों, डॉक्टरों, लिपिकों आदि की सेवा सुविधाएँ, चिकित्सा सुविधाएँ आदि।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

प्रश्न 23.
अहमदाबाद में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नगर के 15,00,000 श्रमिकों में से 11,00,000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997-98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ थी। इसमें से 320 करोड़ रुपये संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होती थी। इस आँकड़े को तालिका में प्रदर्शित कीजिए। नगर में और अधिक रोजगार सृजन के लिए किन तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए।
उत्तर:
तालिका: 1997-98 में अहमदाबाद में संगठित और असंगठित क्षेत्रकों में आय एवं रोजगार

अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक श्रमिकों की संख्या आय (करोड़ रुपये में)
संगठित 4,00,000 320
असंगठित 11,00,000 280
कुल 15,00,000 600

उपरोक्त तालिका से प्रदर्शित होता है कि अधिकांश श्रमिक (11,00,000) असंगठित क्षेत्रक में कार्य करते हैं, जिनके द्वारा अर्जित आय केवल 280 करोड़ रुपये है। जबकि 4,00,000 श्रमिक संगठित क्षेत्रक में कार्य करते हैं, जिनके द्वारा 320 करोड़ रुपये आय के रूप में प्राप्त किये जाते हैं जो कि असंगठित क्षेत्रक की आय से अधिक है। नगर में और अधिक रोजगार सृजन के लिए निम्नलिखित तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए:

  1. सरकार द्वारा लघु एवं कुटीर उद्योगों के अतिरिक्त कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए,
  2. सरकार को कम ब्याज दरों के साथ-साथ आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराना चाहिए जिससे लोग अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर सकें,
  3. उत्पादन के क्षेत्र में पूँजी गहन तकनीकों के स्थान पर श्रम गहन तकनीकों को अपनाया जाना चाहिए इससे निश्चय ही रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न होंगे,
  4. प्रत्येक क्षेत्र में निर्माण को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। सड़क, पुल, सम्पर्क मार्ग, विद्यालय भवन, आवासीय बस्तियों के निर्माण, व्यावसायिक भवनों के निर्माण एवं अस्पताल निर्माण आदि. पर निवेश किया जाना चाहिए,
  5. तृतीयक क्षेत्रक का पर्याप्त मात्रा में विकास किया जाना चाहिए। बैंक, बीमा, डाकघर, परिवहन, संचार, स्वास्थ्य, चिकित्सा, शैक्षणिक सेवाएँ एवं सार्वजनिक पार्क, बाजार व मनोरंजन केन्द्र आदि की पर्याप्त मात्रा में स्थापना की जानी चाहिए।

प्रश्न 24.
निम्नलिखित तालिका में तीन क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद (स. घ. उ.) रुपए (करोड़) में दिया गया

वर्ष प्राथमिक द्वितीयक तृतीयक
2000 52,000 48,500 1,33,500
2013 8,00,500. 10,74,000 38,68,000

(क) वर्ष 2000 एवं 2013 के लिए स. घ. उ. में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए।
(ख) इन आँकड़ों को अध्याय में दिए आलेख-2 के समान एक दण्ड-आलेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
(ग) दण्ड-आलेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
(क) अग्र तालिका वर्ष 2000 एवं 2013 के लिए स. घ. उ. में तीनों की हिस्सेदारी को दर्शाती है

वर्ष जी. डी. पी. में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी (प्रतिशत में) जी. डी. पी में द्वितीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी (प्रतिशत में)
2000 22.22 20.73
2013 13.94 18.70
  1. वर्ष 2000 में क्षेत्रकों की स. घ. उ. में हिस्सेदारी
    तीनों क्षेत्रकों की स. घ. उ. में कुल हिस्सेदारी = (52,000 + 48,500 + 1,33,500)
    = 2,34,000

प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी = \(\frac{52,000}{2,34,000}\) × 100
= 22.22%

द्वितीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी = \(\frac{48,500}{2,34,000} \) × 100
= 20.73%

ततीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी = \(\frac{1,33,500}{2,34,000}\) × 100
= 57.05%

2. वर्ष 2013 में क्षेत्रकों की स. घ. उ. में हिस्सेदारी
तीनों क्षेत्रकों की स. घ. उ. में कुल हिस्सेदारी = (8,00,500 + 10,74,000 + 38,68,000)
= रु. 57,42,500 करोड़
प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी = \( \frac{8,00,500}{57,42,500}\) × 100
= 13.94%

द्वितीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी = \(\frac{10,74,900}{57,42,500}\) × 100
= 18.70%

तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी = \(\frac{38,68,000}{57,42,500}\) × 100
= 67.36%

(ख) दण्ड आरेख द्वारा प्रदर्शन
JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 1

(ग) दण्ड आरेख से हम निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं.
1. सन् 2000 में स. घ. उ. में तृतीयक क्षेत्रक का योगदान सबसे अधिक था, प्राथमिक क्षेत्रक का दूसरा स्थान था जबकि द्वितीयक क्षेत्रक का योगदान सबसे कम था।

2. सन् 2013 में स्थितियों में परिवर्तन हुआ। इस वर्ष स. घ. उ. में तृतीयक क्षेत्रक का योगदान सर्वाधिक था, द्वितीय स्थान द्वितीयक क्षेत्रक का था जबकि प्राथमिक क्षेत्रक का योगदान सबसे कम था। इस प्रकार कहा जा सकता है कि स. घ. उ. में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी बहुत कम व द्वितीयक क्षेत्रक की कम हुई है जबकि इसमें तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है।

पाठगत एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

आओ-जन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 21)

प्रश्न 1.
विभिन्न क्षेत्रकों की परस्पर-निर्भरता दिखाते हुए तालिका 2.1 को भरें।
उत्तर:
तालिका 2.1 आर्थिक गतिविधियों के उदाहरण

उदाहरण यह क्या प्रदर्शित करता है?
1. कल्पना करें कि यदि किसान किसी चीनी मिल को गन्ना बेचने से इंकार कर दे, तो क्या होगा। मिल बंद हो जायेगी। 1. यह द्वितीयक या औद्योगिक क्षेत्रक का उदाहरण है, जो प्राथमिक क्षेत्रक पर निर्भर है।
2. कल्पना करें कि यदि कम्पनियाँ भारतीय बाज़ार से कपास नहीं खरीदतीं और अन्य देशों से कपास आयात करने का निर्णय करती हैं, तो कपास की खेती का क्या होगा ? भारत में कपास है। की खेती कम लाभकारी रह जाएगी और यदि किसान शीघ्रता से अन्य फसलों की ओर उन्मुख नहीं होते हैं, तो वे दिवालिया भी हो सकते हैं तथा कपास की कीमत गिर जायेग 2. यह क्षेत्र प्राथमिक क्षेत्रक का उदाहरण है। यह क्षेत्र पूर्ण रूप से द्वितीयक क्षेत्रक पर निर्भरता को प्रदर्शित करता है।
3. किसान ट्रैक्टर, पम्पसेट, बिजली, कीटनाशक और उर्वरक जैसी अनेक वस्तुएँ खरीदते हैं। कल्पना करें कि यदि उर्वरकों और पम्पसेटों की कीमत बढ़ जाती है, तो क्या होगा ? खेती पर लागत बढ़ जायेगी और किसानों का लाभ कम हो जायेगा। 3. यह प्राथमिक क्षेत्रक की द्वितीयक क्षेत्रक पर निर्भरता को दर्शाता है।
4. औद्योगिक और सेवा क्षेत्रक में काम करने वाले लोगों को भोजन की आवश्यकता होती है। कल्पना करें कि यदि ट्रांसपोर्टरों ने हड़ताल कर दी है और ग्रामीण क्षेत्रों से सब्जियाँ, दूध इत्यादि ले जाने से इंकार कर दिया, तो क्या होगा ? शहरी क्षेत्रों में भोजन की कमी हो जाएगी और किसान अपने उत्पाद बेचने में असमर्थ हो जायेंगे। 4. यह सभी क्षेत्रकों की एक-दूसरे पर निर्भरता को दर्शाता है।

प्रश्न 2.
पुस्तक में वर्णित उदाहरणों से भिन्न उदाहरणों के आधार पर प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों के अंतर की व्याख्या करें।
उत्तर:
पुस्तक में वर्णित उदाहरणों से भिन्न उदाहरणों के आधार पर प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में निम्नलिखित अन्तर हैं

1. प्राथमिक क्षेत्रक:
जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं तो इसे प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधियाँ कहा जाता है। उदाहरण: गेहूँ की खेती, मछली पालन, वनोपज इकट्ठा करना, खानों से खनिजों का उत्खनन, लकड़ी काटना, पशुपालन आदि।

2. द्वितीयक क्षेत्रक:
इस क्षेत्रक के अन्तर्गत वे क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं जिनमें प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रक्रिया के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण: फर्नीचर उद्योग, कागज निर्माण उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, लोहा व इस्पात उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग आदि।

3. तृतीयक क्षेत्रक:
इसके अन्तर्गत वे क्रियाएँ आती हैं जो प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रकों के विकास में मदद करती हैं। इसे सेवा क्षेत्रक भी कहते हैं। उदाहरण: अध्यापक, डॉक्टर, वकील, रेलवे, दूरसंचार व दुकानदार, व्यापार शिक्षा, स्वास्थ्य आदि।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित व्यवसायों को प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में विभाजित करें:
दर्जी, पुजारी, कुम्हार, टोकरी बुनकर, कूरियर पहुँचाने वाला, मधुमक्खी पालक, फूल की खेती करने वाला, दियासलाई कारखाना में श्रमिक, अंतरिक्ष यात्री, दूध विक्रेता, महाजन,
कॉल सेंटर का कर्मचारी, मछुआरा, माली।
उत्तर:
व्यवसायों की इस सूची को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रकों में निम्नलिखित रूप से विभाजित किया जा सकता है

  1. प्राथमिक क्षेत्रक फूलों की खेती करने वाला, मछुआरा, माली, मधुमक्खी पालक।
  2. द्वितीयक क्षेत्रक: दियासलाई कारखाना में श्रमिक, कुम्हार, टोकरी बुनकर, दर्जी।
  3. तृतीयक क्षेत्रक: दूध विक्रेता, पुजारी, कूरियर पहुँचाने वाला, महाजन, अंतरिक्ष यात्री, कॉल सेंटर का कर्मचारी।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

प्रश्न 4.
विद्यालय में छात्रों को प्रायः प्राथमिक और द्वितीयक अथवा वरिष्ठ और कनिष्ठ वर्गों में विभाजित किया जाता है। इस विभाजन की कसौटी क्या है ? क्या आप मानते हैं कि यह विभाजन उपयुक्त है? चर्चा करें।
उत्तर:
विद्यालय में छात्रों को प्रायः प्राथमिक और द्वितीयक अथवा वरिष्ठ और कनिष्ठ वर्गों में विभाजित किया जाता है। इस विभाजन की कसौटी उनके शैक्षिक स्तर, आयु वर्ग, मानसिक विकास आदि के स्तर पर निर्भर है। कक्षा एक से सातवीं तक के बच्चों को कनिष्ठ तथा आठवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा के बच्चों को वरिष्ठ कहा जाता है। हाँ, मैं यह मानता हूँ कि यह एक उपयुक्त वर्गीकरण है क्योंकि वरिष्ठ तथा कनिष्ठ विद्यार्थियों का शैक्षिक स्तर, आयुवर्ग एवं मानसिक विकास का स्तर भिन्न-भिन्न होता है।

(पृष्ठ संख्या 23)

प्रश्न 1.
विकसित देशों का इतिहास क्षेत्रकों में हुए परिवर्तन के सम्बन्ध में क्या संकेत करता है ?
उत्तर:
अधिकांश विकसित देशों के इतिहास के माध्यम से यह संकेत मिलता है कि विकास की प्राथमिक अवस्थाओं में प्राथमिक क्षेत्रक ही आर्थिक सक्रियता का महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक रहा है। जैसे-जैसे कृषि की विधियों में परिवर्तन हुआ, कृषि क्षेत्रक पहले की अपेक्षा अधिक अनाज उत्पादित करने लगा। धीरे धीरे यह क्षेत्रक समृद्ध होने लगा। प्रारम्भ में अधिकांश लोग इसी क्षेत्रक में कार्यरत थे। धीरे-धीरे विनिर्माण की नई विधियाँ आईं तो कारखानों की स्थापना और विस्तार होने लगा।

अधिकांश लोग अब कारखानों में काम करने लगे लोग कारखानों में सस्ती दरों पर उत्पादित वस्तुओं का उपयोग करने लगे। इस प्रकार धीरेधीरे कुल उत्पादन एवं रोजगार की दृष्टि से द्वितीयक क्षेत्रक का महत्त्व बढ़ गया। विगत 100 वर्षों में विकसित देशों में द्वितीयक क्षेत्रक से तृतीयक क्षेत्रक की ओर पुनः बदलाव हुआ है। अब सेवा क्षेत्रक कुल उत्पादन और रोजगार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। अधिकांश श्रमजीवी लोग सेवा क्षेत्रक में ही नियोजित हैं। विकसित देशों में यही सामान्य लक्षण देखा गया है।

प्रश्न 2.
अव्यवस्थित वाक्यांश से स. घ. उ. की गणना हेतु महत्त्वपूर्ण पहलुओं को व्यवस्थित एवं सही करें। उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की गणना करने के लिए हम उनकी संख्याओं को जोड़ देते हैं। हम विगत पाँच वर्षों में उत्पादित सभी वस्तुओं की गणना करते हैं। चूँकि हमें किसी चीज़ को छोड़ना नहीं चाहिए इसलिए हम इन वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का योगफल प्राप्त करते हैं।
उत्तर:
उपर्युक्त वाक्यांश का व्यवस्थित एवं सही क्रम निम्न प्रकार से होगा

  1. उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की गणना करने के लिए हम उनकी संख्याओं को जोड़ देते हैं।
  2. चूँकि हमें किसी चीज को छोड़ना नहीं चाहिए इसलिए हम इन वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का योगफल प्राप्त करते
  3. हम विगत पाँच वर्षों में उत्पादित सभी वस्तुओं की गणना करते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 24)

आरेख का अवलोकन करते हुए निम्नलिखित का उत्तर दें आलेख-प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक द्वारा स. घ. उ.
JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक 2

प्रश्न 1. 1
973 – 74 में सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्रक कौन था?
उत्तर:
सन् 1973 – 74 में सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्रक प्राथमिक क्षेत्रक था।

प्रश्न 2.
2013 – 14 में सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्रक कौन था?
उत्तर:
सन् 2013 – 14 में सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्रक तृतीयक क्षेत्रक था।

प्रश्न 3.
क्या आप बता सकते हैं कि चालीस वर्षों में किस क्षेत्रक में सबसे अधिक संवृद्धि हुई ?
उत्तर:
पिछले चालीस वर्षों में तृतीयक क्षेत्रक में सबसे अधिक संवृद्धि हुई।

प्रश्न 4.
2013 – 14 में भारत का जी.डी.पी. क्या है?
उत्तर:
सन् 2013 – 14 में भारत का जी.डी.पी. 5,70,000 करोड़ रुपये है।

प्रश्न 5.
सन् 1973 – 74 और 2013 – 14 के बीच तुलना क्या प्रदर्शित करती है? इससे आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं? विचार करें।
उत्तर:
सन् 1973 – 74 और 2013 – 14 के बीच तुलना यह प्रदर्शित करती है कि भारत में तीनों क्षेत्रकों में उत्पादन बढ़ा है परन्तु तीनों क्षेत्रकों में से सबसे अधिक उत्पादन तृतीयक क्षेत्रक में ही बढ़ा है। इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भारत में तृतीयक क्षेत्रक प्राथमिक क्षेत्रक से आगे तीव्र गति से बढ़ते हुए सबसे बड़े क्षेत्रक के रूप में उभर रहा है।

(पृष्ठ संख्या 27)

प्रश्न 1.
आरेख 2 और 3 में दिए गए आँकड़ों का प्रयोग कर सारणी की पूर्ति करें और नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें
तालिका 2.2. : स. घ. उ. और रोजगार में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी

1973-74 1977-78 2013-14 2017-18
स. घ. उ. में हिस्सेदारी
रोजगार में हिस्सेदारी

40 वर्षों में प्राथमिक क्षेत्रक में आप क्या परिवर्तन देखते हैं?
उत्तर:
तालिका 2.2 स. घ. उ. और रोजगार में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी

1973-74 1977-78 2013-14 2017-18
स. घ. उ. में हिस्सेदारी 40% 13%
रोजगार में हिस्सेदारी 71% 44%

मैंने 40 वर्षों में प्राथमिक क्षेत्रक में निम्नलिखित परिवर्तन देखे हैं:

  1. इस अवधि में स.घ.उ. में प्राथमिक क्षेत्रक का हिस्सा 40% से घटकर 13% हो गया है। इसका अर्थ है कि द्वितीयक क्षेत्रक व तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी बढ़ी है।
  2. रोजगार के क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी घट गई है। यह 71% से घटकर 44% तक आ गया है। इसका अर्थ है कि द्वितीयक क्षेत्रक एवं तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी बढ़ गई है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

प्रश्न 2.
सही उत्तर का चयन करेंअल्प बेरोजगारी तब होती है जब लोग
(अ) काम करना नहीं चाहते हैं।
(ब) सुस्त ढंग से काम कर रहे हैं।
(स) अपनी क्षमता से कम काम कर रहे हैं।
(द) उनके काम के लिए भुगतान नहीं किया जाता है।
उत्तर:
(स) अपनी क्षमता से कम काम कर रहे हैं।

प्रश्न 3.
विकसित देशों में देखे गए लक्षण की भारत में हुए परिवर्तनों से तुलना करें और वैषम्य बताएँ। भारत में क्षेत्रकों के बीच किस प्रकार के परिवर्तन वांछित थे, जो नहीं हुए ?
उत्तर:
भारत में विकासात्मक परिवर्तनों की विकसित देशों के साथ तुल एवं विषमता अग्रलिखित सारणी से अधिक स्पष्ट हो सकती है
तुलना

विकसित देश भारत
1. विकसित देशों में विकास की प्रारम्भिक अवस्था में प्राथमिक क्षेत्रक उत्पादन एवं रोजगार दोनों दृष्टि से आर्थिक क्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक था। 1. भारत में विकास की प्राथमिक अवस्था में प्राथमिक क्षेत्रक कुल उत्पादन एवं रोजगार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक था।
2. अर्थव्यवस्था में विकास के साथ-साथ धीरे-धीरे द्वितीयक क्षेत्रक कुल उत्पादन और रोजगार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। 2. भारत में द्वितीयक क्षेत्रक अभी तक न तो उत्पादन और न ही रोजगार की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक हुआ है।
3. देश में विकास के उच्चतर स्तरों पर विकसित देशों में स. घ. उ. और रोजगार में तृतीयक क्षेत्रक (सेवा क्षेत्रक) की हिस्सेदारी सबसे अधिक होती है। 3. भारत में स. घ. उ. में तृतीयक क्षेत्र (सेवा क्षेत्रक) की हिस्सेदारी बढ़ी है, जो अन्य दोनों क्षेत्रकों से अधिक है परन्तु रोजगार की दृष्टि से अभी भी सर्वाधिक कार्यशील व्यक्ति प्राथमिक क्षेत्रक में ही नियोजित हैं।

वैषम्य:
1. यह वांछित था कि अर्थव्यवस्था के विकास के साथ द्वितीयक क्षेत्रक, प्राथमिक क्षेत्रक को प्रतिस्थापित कर स. घ. उ. की दृष्टि से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक बन जायेगा परन्तु ऐसा भारत में नहीं हुआ है। यहाँ तृतीयक क्षेत्रक, द्वितीयक क्षेत्रक से आगे बढ़ गया।

2. यह भी वांछित था कि विकास के साथ-साथ रोजगार में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी कम होगी तथा द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रकों की हिस्सेदारी बढ़कर क्रमशः सर्वाधिक हो जाएगी परन्तु भारत में ऐसा भी नहीं हुआ। आज भी प्राथमिक क्षेत्रक सबसे बड़ा नियोक्ता है। द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रक में रोजगार के पर्याप्त अवसरों का सृजन नहीं हुआ है।

प्रश्न 4.
हमें अल्प बेरोजगारी के सम्बन्ध में क्यों विचार करना चाहिए?
उत्तर:
अल्प बेरोजगारी वह स्थिति है जब लोग नियोजित दिखाई देते हैं परन्तु वास्तव में अल्प बेरोजगार होते हैं। इस स्थिति में आवश्यकता से अधिक लोग एक ही काम में लगे रहते हैं। यदि उन लोगों को उस काम से हटा दिया जाये तो उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस स्थिति को छुपी हुई अथवा प्रच्छन्न जगारी भी कहते हैं। भारत में अपेक्षा थी कि भारत में तीनों ही क्षेत्रकों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और धीरे-धीरे बेरोजगारी समाप्त हो जाएगी परन्तु ऐसा नहीं हो सका। आशानुरूप द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रक का न तो विकास हुआ और न ही रोजगार के समुचित अवसर सृजित हो सके हैं।

यह एक गम्भीर चिन्ता का विषय है कि भारत में लाखों लोग अल्प बेरोजगार हैं। यह स्थिति सामान्यतः कृषि क्षेत्र में पायी जाती है। इसके अतिरिक्त अल्प बेरोजगारी दूसरे क्षेत्रकों में भी हो सकती है; जैसे-शहरों में सेवा क्षेत्रक में कार्यरत अनियमित श्रमिक। यदि ये लोग अन्य किसी स्थान पर काम कर रहे होते तो उनके द्वारा अर्जित आय से उनकी कुल पारिवारिक आय में वृद्धि होती। इस प्रकार कहा जा सकता है कि हमें अल्प बेरोजगारी के सम्बन्ध में विचार करना चाहिए क्योंकि यह जनसंख्या की आय अर्जित करने की क्षमता कम करती है जिससे निम्न जीवन स्तर एवं निर्धनता जन्म लेती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 28)

प्रश्न 1.
आपके विचार से आपके क्षेत्र में किस समूह के लोग बेरोजगार अथवा अल्प बेरोजगार हैं, क्या आप कुछ उपाय सुझा सकते हैं, जिन पर अमल किया जा सके?
उत्तर:

  • हमारे विचार से हमारे क्षेत्र में निम्न समूहों के लोग बेरोजगार अथवा अल्प बेरोजगार हैं
    1. खेतिहर श्रमिक परिवार,
    2. छोटे किसान परिवार,
    3. अनुसूचित जनजाति के लोग,
    4. अनुसूचित जाति के लोग,
    5. पिछड़ी जाति के लोग,
    6. पेंटर, बढ़ई, फेरीवाला, मरम्मत का कार्य करने वाले लोग, मकानों के निर्माण पर कार्य करने वाले लोग, सड़कों पर ठेला खींचने वाले लोग, कबाड़ उठाने वाले लोग, सिर पर. बोझा ढोने वाले लोग आदि जैसे अनियमित मजदूर।
  • इनके लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए जा सकते हैं
    1. रोजगार सृजन कार्यक्रमों को लागू किया जाना,
    2. सिंचाई के लिए नये बाँधों का निर्माण अथवा नहर खोदा जाना ताकि कृषि क्षेत्र में रोजगार के अनेक अवसर सृजित
    3. हो सकें,
    4. सरकार द्वारा अर्द्धग्रामीण क्षेत्रों में उन उद्योगों और सेवाओं को बढ़ावा देना जिनमें अधिक से अधिक लोग नियोजित हो सकें,
    5. बेरोजगारों व अल्प बेरोजगारों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना ताकि वे अपने छोटे-मोटे व्यवसाय प्रारम्भ कर सकें,
    6. सरकार को परिवहन और फसलों के भण्डारण पर अथवा ग्रामीण सड़कों के निर्माण पर निवेश करना चाहिए। इस कार्य से किसानों, परिवहन और व्यापार सेवाओं में लगे लोगों को भी रोजगार प्राप्त हो सकता है।

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 29)

प्रश्न 1.
आपके विचार से म. गाँ. रा. ग्रा. रो. गा. अ. को काम का अधिकार’ क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
म. गाँ. रा. ग्रा. रो. गा. अ. को ‘काम का अधिकार’ इसलिए कहा गया है क्योंकि महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम, 2005 प्रतिवर्ष ग्रामीण क्षेत्र के उन सभी लोगों को, जो काम करने में सक्षम हैं और जिन्हें काम की जरूरत है, को 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित कराता है। यदि किसी आवेदक को 15 दिन के भीतर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो वह दैनिक रोजगार भत्ता प्राप्त करने का अधिकारी होगा।

प्रश्न 2.
कल्पना कीजिए कि आप ग्राम के प्रधान हैं और इस हैसियत से कुछ ऐसे क्रियाकलापों का सुझाव दीजिए जिसे आप मानते हैं कि उससे लोगों की आय में वृद्धि होगी और उसे इस अधिनियम के अन्तर्गत शामिल किया जाना चाहिए। चर्चा करें।
उत्तर:
ग्राम प्रधान की हैसियत से मेरे अनुसार इस अधिनियम के अन्तर्गत निम्नलिखित क्रियाकलापों को सम्मिलित किया जाना चाहिए, जिससे कि लोगों की आय में वृद्धि होगी

  1. ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया जाना चाहिए जिससे कि कृषि श्रमिक वर्षभर रोजगार प्राप्त कर सकें। इसके अतिरिक्त बेहतर सड़कों से किसानों को अपने उत्पाद नजदीकी बाजार में ले जाने में सहायता मिलेगी,
  2. सिंचाई हेतु नये बाँधों, कुओं अथवा नहरों का निर्माण किया जाना चाहिए जिससे कि कृषि क्षेत्र में रोजगार का सृजन होगा,
  3. गाँव में ही उन उद्योगों व सेवाओं को बढ़ावा देना चाहिए जहाँ बहुत अधिक लोग नियोजित किये जा सकें तथा. इस कार्य हेतु उन्हें प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए,
  4. ग्रामीणों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि वे खेती की आधुनिकतम विधियों को अपना सकें।

प्रश्न 3.
यदि किसानों को सिंचाई और विपणन सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती हैं तो रोजगार और आय में वृद्धि कैसे होगी?
उत्तर:
यदि किसानों को सिंचाई और विपणन सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाती हैं तो रोजगार और आय में निम्न प्रकार से वृद्धि होगी
1. सिंचाई सविधाएँ भारत में वर्षा की अपर्याप्तता व अनिश्चितता रहती है। अत: वर्षा की अपर्याप्तता वं अनिश्चितता वाले क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाएँ वर्ष में एक से अधिक फसल उत्पन्न करने में सहायक होंगी। कृषि भूमि पर . जितनी अधिक फसल उगायी जायेंगी रोजगार व आय में उतनी ही अधिक वृद्धि होगी। इस प्रकार सिंचाई कृषि उत्पादन, रोजगार एवं आय में वृद्धि का एक महत्त्वपूर्ण उपाय है।

2. विपणन सुविधाएं विपणन सुविधाओं की सहायता से एक किसान फसल उगाकर उसे सरलता से बेच सकता है। इस क्रिया से न केवल किसान बल्कि अन्य लोगों के लिए भी रोजगार उत्पन्न होगा। फसल को बेचने के लिए परिवहन की भी आवश्यकता पड़ेगी, जिससे परिवहनकर्ता के लिए भी रोजगार उत्पन्न होगा। इसके अतिरिक्त फसल बाजार में पहुँचने पर इसका विक्रय होगा जिससे व्यापार के साथ-साथ रोजगार उत्पन्न होने से उनकी आय में भी वृद्धि होगी। – भण्डारण सुविधा से किसानों को अच्छी कीमत पर अपनी उपज बेचने का अवसर प्राप्त होगा।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

प्रश्न 4.
शहरी क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि कैसे की जा सकती है?
उत्तर:
शहरी क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि लघु व कुटीर उद्योगों का विकास करके, शिक्षा प्रणाली को रोजगारोन्मुखी बनाकर, व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष बल, ऋण, प्रशिक्षण व विपणन जैसी सुविधाएँ प्रदान कर, परिवहन व संचार के साधनों का विकास करके भी स्वरोजगार को प्रोत्साहन दिया जा सकता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 30)

प्रश्न 1.
क्या आप कान्ता और कमल के रोजगार की परिस्थितियों में अन्तर देखते हैं?
उत्तर:
हाँ, कान्ता और कमल के रोजगार की परिस्थितियों में अन्तर दिखाई देता है जो निम्नलिखित है

  1. कान्ता को केवल 8 घण्टे काम करना पड़ता है जबकि कमल को 12.30 घण्टे काम करना पड़ता है।
  2. कान्ता को नियमित रूप से प्रत्येक माह के अन्त में अपना वेतन मिल जाता है जबकि कमल को जिस दिन वह काम करता है उस दिन की ही मजदूरी मिलती है।
  3. कान्ता को वेतन के अतिरिक्त भविष्य निधि, चिकित्सकीय और अन्य भत्ते मिलते हैं जबकि कमल को मजदूरी के अतिरिक्त अन्य कोई भत्ता नहीं मिलता है।
  4. कान्ता को रविवार के दिन का सवेतन अवकाश मिलता है जबकि कमल को कोई छुट्टी या सवेतन अवकाश नहीं मिलता है।
  5. कान्ता को नौकरी प्रारम्भ करते समय एक नियुक्ति पत्र दिया गया था जबकि कमल को ऐसा कोई औपचारिक पत्र नहीं दिया गया।

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 31)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित उदाहरणों को देखें। इनमें से कौन असंगठित क्षेत्रक की गतिविधियाँ हैं?
1. विद्यालय में पढ़ाता एक शिक्षक
2. बाजार में अपनी पीठ पर सीमेन्ट की बोरी ढोता हआ एक श्रमिक
3. अपने खेत की सिंचाई करता एक किसान
4. एक ठेकेदार के अधीन काम करता एक दैनिक मजदूरी वाला श्रमिक
5. एक बड़े कारखाने में काम करने जाता एक कारखाना श्रमिक
6. अपने घर में काम करता एक करघा बुनकर।
उत्तर:
1. असंगठित क्षेत्रक की गतिविधियाँ इस प्रकार से हैं
2. बाजार में अपनी पीठ पर सीमेन्ट की बोरी ढोता हुआ श्रमिक।
3. अपने खेत की सिंचाई करता हुआ एक श्रमिक।
4. एक ठेकेदार के अधीन काम करता एक दैनिक मजदूरी वाला श्रमिक।
5. एक बड़े कारखाने में काम करने जाता एक कारखाना श्रमिक।
6. अपने घर में काम करता एक करघा बुनकर।

प्रश्न 2.
संगठित क्षेत्रक में नियमित काम करने वाले एक व्यक्ति और असंगठित क्षेत्रक में काम करने वाले किसी दूसरे व्यक्ति से बात करें। सभी पहलुओं पर उनकी कार्य-स्थितियों की तुलना करें।
उत्तर:
मैंने अपने पड़ौसी श्री रामविलास शर्मा से बात की; जो सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। यह एक संगठित क्षेत्र है। असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत दैनिक मज़दूरी पर भवन निर्माण के कार्य में कार्यरत श्रमिक श्री मोतीलाल वर्मा से भी बात की। इन दोनों से हुए वार्तालाप के आधार पर हम उनकी कार्य-स्थितियों की तुलना निम्नलिखित प्रकार से कर सकते हैं

रामविलास शर्मा की कार्य-स्थितियाँ मोतीलाल वर्मा की कार्य-स्थितियाँ
1. इनके काम के घंटे निश्चित हैं तथा यदि वह अन्य कार्य करते हैं तो उसका उन्हें अतिरिक्त भुगतान किया जाता है। 1. इनके काम के घंटे निश्चित नहीं हैं। यदि वह अधिक घण्टे कार्य करते हैं तो उसका उन्हें अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जाता है।
2. रामविलास शर्मा को माह के अंतिम कार्य दिवस को मासिक वेतन मिल जाता है। 2. मोतीलाल वर्मा को दैनिक मजदूरी प्राप्त होती है। जिस दिन वह काम पर नहीं जाता है, उस दिन के लिए उसे कोई भुगतान नहीं मिलता है।
3. इन्हें मासिक वेतन के अतिरिक्त भविष्य निधि चिकित्सा भत्ता, छुट्टी का भुगतान, पेंशन एवं अन्य भत्ते आदि मिलते हैं। 3. इन्हें मज़दूरी के अतिरिक्त किसी प्रकार का भत्ता नहीं मिलता है।
4. इन्हें रविवार के दिन सवेतन अवकाश मिलता है। 4. इन्हें कोई छुट्टी या सवेतन अवकाश नहीं मिलता है।
5. इन्हें नौकरी आरम्भ करते समय एक नियुक्ति पत्र दिया गया था। 5. इन्हें नियोक्ता द्वारा ऐसा कोई औपचारिक पत्र नहीं दिया गया।

प्रश्न 3.
असंगठित और संगठित क्षेत्रक के बीच आप विभेद कैसे करेंगे ? अपने शब्दों में व्याख्या करें।
अथवा
असंगठित एवं संगठित क्षेत्रक में अन्तर स्पष्ट करें।
अथवा
संगठित और असंगठित क्षेत्र की सेवा शर्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
असंगठित और संगठित क्षेत्रक के बीच निम्नलिखित भेद हैं

अंतर का आधार असंगठित क्षेत्रक संगठित क्षेत्रक
1. अर्थ असंगठित क्षेत्रक से आशय उन छोटी-मोटी और बिखरी इकाइयों से है, जो अधिकांशत: राजकीय नियन्त्रण से बाहर होती हैं। संगठित क्षेत्रक से तात्पर्य उस उद्यम या कार्य के स्थान से है, जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है।
2. नियम और विनियम इस क्षेत्रंक के नियम और विनियम होते है लेकिन उनका पालन नहीं किया जाता। इस क्षेत्रक में सरकारी नियमों व विनियमों व पालन करना होता है।
3. रोजगार की शर्ते इस क्षेत्रंक के नियम और विनियम होते है लेकिन उनका पालन नहीं किया जाता। वेतन श्रमिक दैनिक मजदूरी प्राप्त करते हैं।
4. कार्य की प्रकृति रोजगार की शर्ते अनियमित होती हैं। रोजगार की शर्ते नियमित होती हैं।
5. वेतन इसमें कार्य अनियमित होता है एवं श्रमिक को बिना किसी कारण किसी भी समय काम छोड़ने को कहा जा सकता है। इसमें कार्य नियमित होता है एवं श्रमिक को बिना किसी कारण काम से नहीं निकाला जा सकता है।
6. कार्य अवधि श्रमिक दैनिक मजदूरी प्राप्त करते है। कर्मचारी व श्रमिक नियमित रूप से मासिक वेतन प्राप्त करते हैं।
7. अन्य परिलाभ यहाँ काम के घंटे निश्चित नहीं होते हैं। साथ ही काम के अतिरिक्त घंटों के लिए भगतान की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग निश्चित घंटे ही काम करते हैं। यदि वे अधिक घंटे काम करते हैं तो इसके लिए नियोक्ता द्वारा अतिरिक्त भुगतान किया जाता है।
8. कार्य स्थितियाँ दैनिक मजदूरी के अतिरिक्त अन्य किसी लाभ का कोई प्रावधान नहीं है। वेतन के अतिरिक्त कर्मचारी अन्य लाभ भी प्राप्त करते हैं; जैसे-भविष्य निधि, ‘चिकित्सकीय भत्ते, छुट्टी का भुगतान, पेंशन आदि।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

प्रश्न 4.
संगठित एवं असंगठित क्षेत्रक में भारत के सभी श्रमिकों की अनुमानित संख्या नीचे दी गई सारणी में दी गई है। सारणी को सावधानी से पढ़ें। विलुप्त आँकड़ों की पूर्ति करें और प्रश्नों का उत्तर दें।
सारणी-विभिन्न क्षेत्रकों में श्रमिकों को संख्या (दस लाख में)

क्षेत्रक संगठित असंगठित कुल
प्राथमिक 1 232
द्वितीयक 41 74 115
तृतीयक 40 88 172
कुल 82
कुल प्रतिशत में 100%

1. असंगठित क्षेत्रक में कृषि में लोगों का प्रतिशत क्या है?
2. क्या आप सहमत हैं कि कृषि असंगठित क्षेत्रक की गतिविधि है? क्यों?
3. यदि हम सम्पूर्ण देश पर नज़र डालते हैं तो पाते हैं कि भारत में ……… % श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में हैं। भारत में लगभग ……… % श्रमिकों को ही संगठित क्षेत्रक में रोज़गार उपलब्ध है।
उत्तर:
सारणी में विलुप्त आँकड़ों की पूर्ति

क्षेत्रक संगठित असंगठित कुल
प्राथमिक 1 231 232
द्वितीयक 41 74 115
तृतीयक 40 88 128
कुल 82 393 475
कुल प्रतिशत में 17.26% 82.74% 100%

1. असंगठित क्षेत्रक में कृषि में लगे लोगों का प्रतिशत = \(\frac{231}{393}\) × 100 = 58.78% है।

2. हाँ, मैं सहमत हूँ कि कृषि असंगठित क्षेत्रक की गतिविधि है क्योंकि कृषि कार्य में लगे हुए किसानों या भूमिहीन कृषकों अथवा श्रमिकों के काम के घण्टे सुनिश्चित नहीं हैं। उन्हें रोज़गार की सुरक्षा प्राप्त नहीं है। उन्हें निश्चित मजदूरी अथवा वेतन नहीं मिलता है। इसके अतिरिक्त उनकी आय निम्न व अनियमित है।

3. यदि हम सम्पूर्ण देश पर नज़र डालते हैं तो पाते हैं कि भारत में 82.74% श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में हैं। भारत में लगभग 17.26% श्रमिकों को ही संगठित क्षेत्रक में रोज़गार उपलब्ध है।

JAC Class 10 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

JAC Class 10th Economics विकास Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है ?
(क) प्रतिव्यक्ति आय
(ख) औसत साक्षरता स्तर
(ग) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है
(क) बांग्लादेश
(ख) श्रीलंका
(घ) पाकिस्तान
उत्तर:
(ख) श्रीलंका

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

प्रश्न 3.
मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रति व्यक्ति आय 3,000 रुपये है। अगर तीन परिवारों की आय क्रमशः 4,000, 7,000 और 3,000 रुपये है तो चौथे परिवार की आय क्या है ?
(क)7,500 रुपये
(ख) 3,000 रुपये
(ग) 2,000 रुपये
(घ) 6,000 रुपये
उत्तर:
(घ) 6,000 रुपये

प्रश्न 4.
विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की अगर कोई सीमाएँ हैं, तो सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर:
विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए प्रति व्यक्ति आय का मापदण्ड प्रयोग करता है। प्रति व्यक्ति आय को औसत आय भी कहा जाता है। विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार देशों का वर्गीकरण करने में इसी मापदण्ड का प्रयोग किया गया है। वे देश जिनकी सन् 2017 में प्रति व्यक्ति आय US डॉलर 12,056 प्रतिवर्ष या उससे अधिक थी, वे समृद्ध माने गये हैं तथा वे देश जिनकी प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 995 प्रतिवर्ष या इससे कम थी, वे निम्न आय वर्ग वाले देश माने गये हैं। सीमा: प्रतिव्यक्ति आय मापदण्ड की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं

  1. प्रतिव्यक्ति आय के आँकड़े आय के वितरण के बारे में कुछ नहीं बताते हैं अर्थात् यह आय के वितरण की उपेक्षा करता है।
  2. प्रतिव्यक्ति आय का अधिक होना जनकल्याण में वृद्धि का सूचक नहीं है।
  3. प्रतिव्यक्ति आय के अधिक होने के बावजूद यह सम्भव हो सकता है कि देश में कुछ ही लोग अत्यधिक धनवान हों एवं अधिकांश लोग अत्यधिक निर्धन हों।

प्रश्न 5.
विकास मापने का यू. एन. डी. पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?
उत्तर:
विश्व बैंक के विकास मापने के मापदण्ड के अनुसार प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 12,056 प्रतिवर्ष या उससे अधिक है, वे समृद्ध देश कहलाते हैं जबकि वे देश जिनकी प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 995 प्रतिवर्ष या इससे कम है, उन्हें निम्न आय वर्ग वाला देश कहा जाता है। महत्त्वपूर्ण होते हुए भी विकास मापने का यह मापदण्ड एक अपर्याप्त एवं दोषपूर्ण मापदण्ड है। यू. एन. डी. पी. विकास के मापदण्ड के रूप में, मानव विकास सूचकांक का प्रयोग करता है।

यू. एन. डी. पी. द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट विभिन्न देशों की तुलना करते समय प्रतिव्यक्ति आय के साथ-साथ लोगों के शैक्षिक तथा . स्वास्थ्य स्तर को भी आधार बनाती है। इस प्रकार विश्व बैंक विकास के मापदण्ड के रूप में आय का प्रयोग करता है, जबकि यू. एन. डी. पी. विकास के मापदण्ड के रूप में आय के साथ-साथ शिक्षा व स्वास्थ्य संकेतकों का भी प्रयोग करता है।

प्रश्न 6.
हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
देशों के बीच तुलना करने के लिए कुल आय एक उपयुक्त माप नहीं है, क्योंकि विभिन्न देशों में जनसंख्या भिन्न-भिन्न होती है इसलिए कुल आय से यह पता नहीं चलता है कि औसत व्यक्ति कितना कमा रहा है। इसका पता औसत आय से ही चलता है। यही कारण है कि हम विकास की माप के लिए औसत या औसत आय का प्रयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त यह दो देशों की आर्थिक स्थिति को जानने का एक अच्छा व सरल मापदण्ड है।

इसके उपयोग की सीमा यह है कि यह हमें लोगों के बीच आय के विभाजन को सही रूप में नहीं दर्शाता है अर्थात औसत आय से हमें यह पता नहीं चलता है कि यह आय लोगों में कैसे वितरित है। यद्यपि औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है, फिर भी यह असमानता को छुपा देती है।

उदाहरण के लिए माना ‘A’ और ‘B’ दो देश हैं और प्रत्येक देश में 5 लोग निवास करते हैं

देश

 

नागरिकों की मासिक आय (रुपये में)
1 2 3 4 5 औसत आय
देश ‘A’ 9500 10500 9800 10000 10200, 50,000/5 = 10,000
देश ‘B’ 500 500 500 500 48000 50,000/5 = 10,000

यद्यपि दोनों देशों ‘A’ और ‘B’ की प्रतिव्यक्ति आय समान अर्थात् 10,000 ₹ है। तालिका को देखने से स्पष्ट होता है कि दोनों देश समान रूप से विकसित नहीं हैं। अधिकांश लोग ‘A’ में रहना अधिक पसंद करेंगे क्योंकि इस देश में आय के वितरण में समानताएँ पाई जाती हैं। उपर्युक्त तालिका के अध्ययन में स्पष्ट होता है कि देश में न बहुत अमीर लोग हैं और न ही बहुत निर्धन परन्तु, देश ‘B’ में 5 में से 4 लोग अर्थात् 80 प्रतिशत लोग बहुत निर्धन हैं तथा 5 में से केवल 1 अर्थात् 20 प्रतिशत लोग बहुत अमीर हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

प्रश्न 7.
प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नहीं, मैं इस कथन से सहमत नहीं हूँ कि प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड नहीं है। प्रतिव्यक्ति आय मानव विकास का सबसे महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है, विश्व का कोई भी देश इसकी उपेक्षा नहीं कर सकता। विश्व बैंक विकास के मापदण्ड के रूप में अर्थात् देशों की तुलना के लिए प्रति व्यक्ति आय का प्रयोग करता है परन्तु इस मापदण्ड की कुछ सीमाएँ भी हैं। यह सच है कि प्रतिव्यक्ति आय मानक उपयुक्त मानव विकास नहीं दर्शाता है।

मुद्रा से वे सभी वस्तुएँ व सेवाएँ नहीं खरीदी जा सकी जो अच्छे रहन-सहन के लिए आवश्यक हो सकती हैं। उदाहरणस्वरूप; आपके पास उपलब्ध मुद्रा से आप प्रदूषणरहित वातावरण नहीं खरीद सकते। इसलिए केरल की प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी उनका मानव विकास हरियाणा से अच्छा है क्योंकि केरल के पास हरियाणा की तुलना में अन्य सुविधाएँ, जैसे-अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ, अधिक साक्षरता आदि र नब्ध हैं। इसके अतिरिक्त हरियाणा की तुलना में केरल में प्राथमिक कक्षाओं में विद्यार्थियों की निक्ल उपस्थिति अनुपात अधिक है।

प्रश्न 8.
भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या सम्भावनाएँ हो सकती हैं ?
उत्तर:
भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के निम्नलिखित स्रोत प्रयोग किये जाते हैं

  • परम्परागत स्रोत:
    1. कोयला
    2. खनिज तेल
    3. प्राकृतिक गैस
    4. विद्युत।
  • गैर परम्परागत स्रोत:
    1. पवन ऊर्जा
    2. सौर ऊर्जा
    3. बायो गैस
    4. भूतापीय ऊर्जा
    5. ज्वारीय ऊर्जा
    6. परमाणु ऊर्जा।

आज से 50 वर्ष पश्चात् सम्भवतः ऊर्जा के कुछ स्रोतों पर भारी संकट होगा। पेट्रोलियम उत्पादों की माँग अत्यधिक बढ़ेगी और देश के लिए उनकी आपूर्ति कर पाना सम्भव नहीं हो पायेगा। अपने प्राकृतिक संसाधनों द्वारा पर्ति न कर पाने के साथ-साथ विश्व में भी इनका भण्डार कम होता जाएगा। इन उत्पादों के मूल्यों में निरन्तर वृद्धि के कारण इनका आयात महँगा होगा फलस्वरूप भुगतान असन्तुलन की स्थिति पैदा होगी। अतः नये-नये ऊर्जा स्रोतों को खोजना शुरू हो जायेगा। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायो गैस आदि पर निर्भरता बढ़ जायेगी।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

प्रश्न 9.
धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
अथवा
विकास के लिए धारणीयता (सतत् पोषणीय) महत्त्वपूर्ण क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
धारणीयता का मुद्दा विकास के लिए किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
आर्थिक वृद्धि के लिए सतत् पोषणीय विकास अति आवश्यक क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धारणीयता से आशय है कि हमने विकास का जो स्तर प्राप्त कर लिया है, वह भावी-पीढ़ी के लिए भी बना रहे। यदि विकास मनुष्य को क्षति पहुँचाता है तो इसके दुष्परिणाम भावी-पीढ़ी को भुगतने होंगे। धारणीयता का विषय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है, इसके निम्नलिखित कारण हैं
1. विश्व स्तर पर हो रहे तीव्र आर्थिक विकास एवं औद्योगीकरण से प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हुआ है। इस अत्यधिक दोहन के कारण सीमित प्राकृतिक संसाधन समाप्त होते जा रहे हैं। उदाहरणस्वरूप, खनिज तेल सीमित है। यदि यह सीमित संसाधन पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं तो भविष्य में सभी देशों का विकास खतरे में पड़ जायेगा।

2. यद्यपि खनिज तेल एवं विभिन्न खनिज पदार्थ किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए आवश्यक हैं। परन्तु, इनका प्रयोग पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाता है। ये धरती पर प्रदूषण का कारण बनते हैं एवं भविष्य में सन्तुलन को बाधित करते हैं।

प्रश्न 10.
धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त कथन विकास की चर्चा में बहुत प्रासंगिक है, हमारी धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। दूसरे शब्दों में, धरती पर मिट्टी, वायु, जल, वन, वन्य प्राणी, खनिज संसाधन आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। परन्तु इन संसाधनों का विवेकपूर्ण एवं सुनियोजित ढंग से विदोहन किया जाये। हम इनका लालची ढंग से अति विदोहन न करें, दुरुपयोग न करें एवं विनाश न करें।

यदि ऐसा होता है तो धरती पर इनका अभाव नहीं होगा। परन्तु मानव बहुत लालची प्राणी है। उसका लालच इन साधनों के लिए उसे अन्धा बना देता है। विभिन्न देशों की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति के कारण उनके द्वारा अन्य देशों पर आक्रमण करने की लालसा, उसके संसाधनों को लूटकर ले जाने की इच्छा, स्वयं को विश्व का सर्वेसर्वा बनाने की इच्छा और इन सबके लिए विनाशकारी परमाणु हथियारों का प्रयोग इन संसाधनों को क्षणभर में राख में परिवर्तित कर देगा परिणामस्वरूप संसाधनों का अभाव हो जाएगा।

अतः हमें आर्थिक विकास में लालची नहीं होना चाहिए। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि विश्व के समस्त देश धरती पर उपलब्ध संसाधनों का विवेकपूर्ण, सुनियोजित एवं मितव्ययी ढंग से उपयोग करें। इसके अतिरिक्त विभिन्न वैज्ञानिक कल्याण अनुसंधानों एवं विधियों की सहायता से नये-नये संसाधनों की खोज करें तभी विश्व का कल्याण सम्भव है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

प्रश्न 11.
पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आसपास देखे हों।
उत्तर:
मैंने अपने आसपास पर्यावरण में गिरावट के निम्नलिखित उदाहरण देखे हैं
1. भूमिगत जलस्तर: में कमी हमारे आसपास भूमिगत जल का अति उपयोग हो रहा है जिसके कारण जल के स्तर में निरन्तर कमी आती जा रही है, जो एक चिंता का विषय है।

2. वनों की कटाई हमारे: आसपास वनों की अन्धाधुन्ध कटाई हो रही है, वन क्षेत्र कारखानों, आवासीय भवनों एवं वाणिज्यिक भवनों में परिवर्तित हो गए हैं। जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा है तथा रेगिस्तान के फैलाव का खतरा भी उत्पन्न हो गया है।

3. वन्य जीवों का शिकार: शिकारी एवं तस्कर निरन्तर वन्य जीवों का शिकार कर रहे हैं एवं उनके विभिन्न अंगों का व्यापार कर रहे हैं। इससे दुर्लभ वन्य प्राणियों के लुप्त होने का खतरा बढ़ गया है।

4. खनन क्रिया से प्रदूषण: हमारे क्षेत्र के आसपास खनिज निकालने की क्रियाएँ भूमि, जल, वायु को प्रदूषित कर रही हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है।

5. वायु प्रदूषण: औद्योगीकरण एवं शहरीकरण से वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई है। कल-कारखानों से निकलने वाली विभिन्न प्रकार की गैसें न केवल मानव स्वास्थ्य को वरन् पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचा रही हैं।

6. जल प्रदूषण: उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट जल, घरेलू मल, उर्वरकों व कीटनाशक दवाइयों के कारण जल प्रदूषण बढ़ा है।

7. औद्योगीकरण व शहरीकरण से ध्वनि-प्रदूषण में भी वृद्धि हुई है।

प्रश्न 12.
तालिका (1.6 पाठ्य पुस्तक) में दी गई प्रत्येक मद के लिए ज्ञात कीजिए कि कौन-सा देश सबसे ऊपर है और कौन-सा सबसे नीचे।
उत्तर:
उपर्युक्त तालिका के आधार पर हम निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं

तालिका 1.6 : वर्ष 2017 के लिए भारत और उसके पड़ोसी देशों के कछ आँकडे

देश सकल राष्ट्रीय आय (स.रा.आ.) प्रतिव्यक्ति आय (अमरीकी डॉलर में) (2011 क्रय शक्ति क्षमता)। जन्म के समय ।सम्भावित आयु (2017) विद्यालयी सम्भावित आयु औसत आयु 25 वर्ष या उसके अधिक (2017) विश्व में मानव विकास सूचकांक (HDI) का क्रमांक (2016)
श्रीलंका 11,326 75.5 10.9 76
भारत 6,353 68.8 6.4 130
म्यांमार 5,567 66.7 4.9 148
पाकिस्तान 5,331 66.6 5.2 150
नेपाल 2,471 70.6 4.9 149
बांग्लादेश 3,677 72.8 5.8 136
  1. श्रीलंका की प्रतिव्यक्ति आय 11,326 अमेरिकी डॉलर है जो सर्वाधिक है, नेपाल की प्रतिव्यक्ति आय सबसे कम 2,471 डॉलर है।
  2. जन्म के समय सम्भावित आयु की दृष्टि से श्रीलंका की स्थिति सर्वोच्च 75.5 वर्ष है जबकि पाकिस्तान की स्थिति निम्नतम 66.6 है।
  3. 25 वर्ष या उससे अधिक आयु की जनसंख्या की विद्यालय औसत आयु के आधार पर श्रीलंका प्रथम (10.9%) है जबकि म्यांमार व नेपाल निम्नतम (4.9%) स्थान पर है।
  4. उपयुक्त तालिका में मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से श्रीलंका का स्थान उच्चतम (76) एवं पाकिस्तान का स्थान निम्नतम (150) है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

प्रश्न 13.
नीचे दी गई तालिका में भारत में वयस्कों (15-49 वर्ष आयु वाले) जिनका बी.एम.आई. सामान्य से कम है (बी.एम.आई. < 18.5 kg/m)का अनुपात दिखाया गया है। यह वर्ष 2015-16 में देश के विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। तालिका का अध्ययन करके निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए:

राज्य पुरुष (%) महिला (%)
केरल 8.5 10
कर्नाटक 17 21
मध्य प्रदेश 28 28
सभी राज्य 20 23

(क) केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तरों की तुलना कीजिए।
(ख) क्या आप अंदाज लगा सकते हैं कि देश के लगभग हर पाँच में से एक व्यक्ति अल्पपोषित क्यों है, यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।
उत्तर:
(क) केरल में अल्पपोषित वयस्कों में पुरुष महिलाओं का प्रतिशत क्रमशः 8.5 व 10 है जबकि मध्य प्रदेश में यह प्रतिशत क्रमशः 17 व 21 है। इसका अभिप्राय है कि केरल की तुलना में मध्य प्रदेश में अल्पपोषण की समस्या पुरुष व महिला दोनों में ही अधिक है।

(ख) हमारे देश के लगभग हर पाँच में से एक व्यक्ति अल्पपोषित है। इसके निम्न कारण हैं

  1. हमारे देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली सही ढंग से कार्य नहीं करती जिससे गरीब लोगों को सस्ता खाद्यान्न नहीं मिलता है और वे अल्पपोषित रहते हैं।
  2. देश के अधिकांश लोग इतने गरीब हैं कि वे पौष्टिक भोजन खरीद सकने में समर्थ नहीं हैं।
  3. राशन की दुकानों के विक्रेता घटिया गुणवत्ता वाले अनाज बेचते हैं।
  4. राशन विक्रेताओं द्वारा लाभ कमाने के लिए अनाज को खुले बाजार में बेच दिया जाता है।
  5. देश के अनेक भागों में शैक्षिक एवं स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है इसलिए अधिकांश लोग पिछड़े हुए गरीब हैं तथा पौष्टिक भोजन नहीं ले पाते हैं।

अतिरिक्त परियोजना/कार्यकलाप

प्रश्न 1.
अपने क्षेत्र के विकास के विषय में चर्चा के लिए तीन भिन्न वक्ताओं को आमंत्रित कीजिए। अपने मस्तिष्क में आने वाले सभी प्रश्नों को उनसे पूछिए। इन विचारों की समूहों में चर्चा कीजिए। प्रत्येक समूह एक दीवार चार्ट बनाए जिसमें कारण सहित उन विचारों का उल्लेख करे, जिनसे आप सहमत अथवा असहमत हैं।
उत्तर:
निर्देश: विद्यार्थी इसे शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

पाठगत एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

विकास क्या वादा करता है……….. (पृष्ठ संख्या 4)

हम यह कल्पना करने का प्रयास करें कि तालिका 1.1 में दी गई सूची के अनुसार लोगों के लिए विकास का क्या अर्थ हो सकता है? उनकी क्या आकांक्षाएँ हैं? आप देखेंगे कि कुछ स्तम्भ अधूरे भरे हुए हैं। इस तालिका को पूरा करने की कोशिश कीजिए। आप चाहें तो किन्हीं और श्रेणी के व्यक्तियों को जोड़ सकते हैं। तालिका 1.1 विभिन्न श्रेणी के लोगों के विकास के लक्ष्य

व्यक्ति की श्रेणी विकास के लक्ष्य/आकांक्षाएँ
भूमिहीन ग्रामीण मजदूर काम करने के अधिक दिन और बेहतर मजदूरी; स्थानीय स्कूल उनके बच्चों को उत्तम शिक्षा प्रदान करने में सक्षम; कोई सामाजिक भेदभाव नहीं और गाँव में वे भी नेता बन सकते हैं।
पंजाब के समृद्ध किसान किसानों को उनकी उपज के लिए ज्यादा समर्थन मूल्यों और मेहनती और सस्ते मजदूरों द्वारा उच्च पारिवारिक आय सु नेश्चित करना ताकि वे अपने बच्चों को विदेशों में बसा सकें।
किसान जो खेती के लिए केवल वर्षा पर निर्भर हैं अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि, उन्नत बीजों, रासांयनिक उर्वरक एवं कीटनाशक दवाइयों की उपलबधता तथा सस्ती कृषि ॠण सुविधाएँ, फसलों का बीमा, उपज का उचित मूल्य दिलाना।
भूस्वामी परिवार की एक ग्रामीण महिला पर्याप्त पारिवारिक आमदनी, शिक्षा की समानता, स्वास्थ्य सुविधाओं की समानता, घर में स्वतन्त्रता, ग्रामीण समाज में गृहकार्य के लिए नौकरानी, आधुनिक सुविधाओं का सामान।
शहरी बेरोजगार युवक रोजगार की प्राप्ति, अच्छा वेतन व प्रशिक्षण की आवश्यकता, आवास सुविधा, परिवहन सुविधा।
शहर के अमीर परिवार का एक लड़का अच्छी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करना, अधिक जेब खर्च, विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करना, पर्याप्त पूँजी से अपना व्यवसाय प्रारम्भ करना, मनोरंजन, मौजमस्ती।
शहर के अमीर परिवार की एक लड़की उसे अपने भाई के जैसी आजादी मिलती है और वह अपने फैसले खुद कर सकती है। वह अपनी पढ़ाई विदेश में कर सकती है।
नर्मदा घाटी का एक आदिवासी नियमित काम, पर्याप्त मजदूरी, बच्चों के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएँ, उपयुक्त शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, सुरक्षा व आवास के लिए सुरक्षित स्थान।
अनुसूचित जाति/जनजाति के लोग पर्याप्त आमदनी, उपयुक्त काम-धन्धा, सामाजिक समानता, रोजगार के अवसरों में वृद्धि, अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा, छात्रवृत्ति की व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाएँ, शुद्ध पेयजल व आवास की व्यवस्था।

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 6)

प्रश्न 1.
अलग: अलग लोगों की विकास की धारणाएँ अलग क्यों हैं? नीचे दी गई व्याख्याओं में कौन-सी अधिक महत्त्वपूर्ण है और क्यों?
(क) क्योंकि लोग भिन्न होते हैं।
(ख) क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
उत्तर:
उपर्युक्त दोनों व्याख्याओं में ‘ख’ अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ एक-दूसरे से भिन्न होती हैं तथा उनकी आवश्यकताएँ भी परिस्थितियों के अनुरूप भिन्न-भिन्न होती हैं तथा इन आवश्यकताओं के आधार पर लोगों के विकास के लक्ष्य अथवा धारणाएँ भी भिन्न-भिन्न होती हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

प्रश्न 2.
क्या निम्न दो कथनों का एक अर्थ है, कारण सहित उत्तर दीजिए
(क) लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न होते हैं।
(ख) लोगों के विकास के लक्ष्यों में परस्पर विरोध होता है।
अथवा
दो व्यक्तियों के विकास के लक्ष्य किस प्रकार भिन्न हो सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, दोनों कथनों के अर्थ भिन्न-भिन्न हैं।
(क) लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न होने से तात्पर्य यह है कि वे वह वस्तुएँ खोजते हैं जोकि उनकी इच्छाओं की सन्तुष्टि के लिए अति आवश्यक हैं।

(ख) लोगों के विकास के लक्ष्यों में परस्पर विरोध होता है। कई बार दो व्यक्ति या दो गुट ऐसी वस्तुएँ चाह सकते हैं जिनमें परस्पर विरोध हो सकता है। उदाहरणस्वरूप, एक लड़की अपने भाई के समान आजादी व अवसर चाहती है एवं यह भी आशा रखती है कि भाई भी घर के कामकाज में हाथ बँटाये परन्तु यह शायद उसके भाई को पसंद नहीं होगा।

प्रश्न 3.
कुछ ऐसे उदाहरण दीजिए, जहाँ आय के अतिरिक्त अन्य कारक हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं।
उत्तर:
आय के अतिरिक्त कुछ अन्य कारक भी हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं जो निम्नलिखित हैं

  1. लोग समानता का व्यवहार अर्थात् पक्षपातरहित व्यवहार चाहते हैं।
  2. लोग नियमित काम व बेहतर मजदूरी चाहते हैं।
  3. लोग विचारों की स्वतन्त्रता, धर्म की स्वतन्त्रता एवं आने-जाने की स्वतन्त्रता चाहते हैं।
  4. लोग अपने जान-माल एवं सम्मान की सुरक्षा चाहते हैं।

प्रश्न 4.
ऊपर दिए गए खण्ड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचारों को अपनी भाषा में समझाइए।
उत्तर:
रशा गा रखण्ड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचार निम्नलिखित है:

  1. लोग मंच नियमित कार्य, उपयुक्त मजदूरी, अपनी फसल या उत्पाद के माध्यम से उपयुक्त कीमत चाहते हैं।
  2. अधिक से अधिक आय के अतिरिक्त लोगों के अन्य विकास लक्ष्य होते हैं; जैसे- समान व्यवहार, स्वतन्त्रता, सुरक्षा, आश्रय, उचित शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा एवं आत्मसम्मान आदि।
  3. विकास के लिए लोग मिले-जुले लक्ष्यों को देखते हैं अर्थात् लोगों के कई प्रकार के लक्ष्य होते हैं।
  4. यदि महिलाएँ वेतन भोगी कार्य करती हैं तो उनके घर के साथ-साथ समाज के कई प्रकार के लक्ष्य होते हैं।
  5. एक सुरक्षित एवं संरक्षित वातावरण के कारण अधिक से अधिक महिलाएँ अनेक प्रकार की नौकरियाँ अथवा व्यापार कर सकती हैं।

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 7)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित स्थितियों पर चर्चा कीजिए:
दाहिनी ओर दिए गए चित्र को देखिए। इस प्रकार के क्षेत्र के विकासात्मक लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर:
इस प्रकार के क्षेत्र के निम्नलिखित विकासात्मक लक्ष्य होने चाहिए

  1. इस प्रकार का क्षेत्र सही ढंग से नियोजित होना चाहिए। झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए पक्के घर बनाये जाने चाहिए।
  2. झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले लोगों को उनके परिवार के अनुसार स्थान प्राप्त होना चाहिए।
  3. इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए सड़क व गलियाँ आदि बनायी जानी चाहिए।
  4. उनके लिए पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था होनी चाहिए तथा सफाई सुविधाओं का उचित प्रबन्ध होना चाहिए।
  5. इस क्षेत्र में बच्चों के लिए विद्यालय की व्यवस्था होनी चाहिए तथा लोगों को सभी प्रकार की सार्वजनिक सुविधाएँ प्राप्त होनी चाहिए।
  6. नियमित कार्य एवं उपयुक्त मजदूरी के माध्यम से झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले लोगों की आय में वृद्धि की जानी चाहिए।
  7. इस क्षेत्र में स्थानीय बाजार की व्यवस्था होनी चाहिए जहाँ समस्त प्रकार की आवश्यक वस्तुएँ: यथा- राशन, फल, सब्जी, दूध आदि उपलब्ध हों।
  8. इस क्षेत्र की समस्त बहुमंजिली इमारतों में लिफ्ट की व्यवस्था होनी चाहिए।
  9. आग जैसी आकस्मिक घटना घटित होने की स्थिति में उसको बुझाने के लिए रेत की बोरियाँ, पानी का टैंक एवं अग्निशमन यंत्र उपलब्ध होने चाहिए।
  10. निकट ही फायर ब्रिगेड केन्द्र होना चाहिए।
  11. इस प्रकार से क्षेत्र के समाज में किसी की तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास 1

प्रश्न 2.
इस अखबार की रिपोर्ट देखिए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए एक जहाज ने 500 टन तरल ज़हरीले अवशेष एक शहर के खुले कूड़ेघर और आसपास के समुद्र में डाल दिए। यह अफ्रीका देश के आइवरी कोस्ट में अबिदजान शहर में हुआ। इन खतरनाक जहरीले अवशेषों से निकलने वाले धुएँ से लोगों ने जी मितलाना, चमड़ी पर ददोरे पड़ना, बेहोश होना, दस्त लगना इत्यादि की शिकायतें कीं। एक महीने के बाद 7 लोग मारे गए, 20 लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया तथा विषाक्तता के कारण 26,000 लोगों का उपचार किया गया। पेट्रोल और धातुओं से सम्बन्धित एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी ने आइवरी कोस्ट की एक स्थानीय कम्पनी को अपने जहाज से जहरीले पदार्थ फेंकने का ठेका दिया था।
(क) किन लोगों को लाभ हुआ और किनको नहीं ?
उत्तर:
इससे बहुराष्ट्रीय और स्थानीय कम्पनी के साथ-साथ जहाजरानी कम्पनी को लाभ हुआ जबकि स्थानीय लोगों को हानि हुई। ये लोग बहुत-सी बीमारियों से ग्रस्त हो गये।

(ख) इस देश के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए ?
उत्तर:

  1. औद्योगिक अपशिष्ट की उचित निकासी।
  2. जनसामान्य के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ।
  3. औद्योगिक कृषि, यातायात, संचार आदि का विकास किया जाये जिससे कि वातावरण किसी प्रकार भी दूषित न

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

प्रश्न 3.
आपके गाँव या शहर या स्थानीय इलाके के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर:
हमारे गाँव या शहर या स्थानीय इलाके के विकास के लक्ष्य निम्नलिखित होने चाहिए

  1. गाँव या शहर या स्थानीय इलाके का सही ढंग से नियोजन होना चाहिए।
  2. आस-पास के झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले गरीब लोगों के लिए पक्के घर बनाये जाने चाहिए।
  3. क्षेत्र में सड़कें, गलियाँ आदि साफ-सुथरी होनी चाहिए।
  4. लोगों के लिए पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।
  5. बच्चों के लिए विद्यालय की व्यवस्था होनी चाहिए जो अच्छी शिक्षा प्रदान करने में सक्षम हो।
  6. स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध होने चाहिए।
  7. लोगों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं अस्पताल की व्यवस्था होनी चाहिए।
  8. बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन आदि नजदीक ही होने चाहिए। इसके अतिरिक्त पुलिस स्टेशन आदि की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
  9. स्थानीय बाजार की भी व्यवस्था होनी चाहिए जहाँ दैनिक आवश्यकता से सम्बन्धित समस्त सामग्री प्राप्त हो सके।
  10. स्थानीय निवासियों के परिवार के भीतर लिंग असमानता नहीं होनी चाहिए।
  11. स्थानीय समाज से बाल विवाह, बाल श्रम एवं जाति प्रथा का समापन होना चाहिए।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 9)

प्रश्न- तालिका (1.2 पाठ्य पुस्तक ) में दिए आँकड़ों के अनुसार दोनों देशों की औसत आय निकालिए
तालिका 1.2: दो देशों की तुलना देश

देश

 

2017 में नागरिकों की मासिक आय (रूपये में)
1 2 3 4 5 औसत आय
देश क 9,500 10.500 9.800 10.000 10.200 10,000
देश ख 500 500 500 500 48,000 10,000

1. क्या आप इन दोनों देशों में रहकर समान रूप से सुखी होंगे?
उत्तर:
नहीं, हम इन दोनों देशों में रहकर समान रूप से सुखी नहीं होंगे क्योंकि देश ‘ख’ में आय का वितरण समान नहीं

2. क्या दोनों देश बराबर विकसित हैं?
उत्तर:
नहीं, दोनों देश बराबर विकसित नहीं हैं। देश ‘क’ के नागरिकों में आय का वितरण समान है। इसके विपरीत देश ‘ख’ के 5 में से 4 नागरिक निर्धन हैं।

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 9)

प्रश्न 1.
तीन उदाहरण दीजिए जहाँ स्थितियों की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर:
निम्नलिखित स्थितियों की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है

  1. आय की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
  2. किसी परीक्षा में विद्यार्थियों की उपलब्धियों की तुलना करने के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
  3. क्रिकेट खिलाड़ियों की उपलब्धि की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 2.
आप क्यों सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न देशों में विकास को मापने के लिए आय एक महत्त्वपूर्ण तत्व है। परन्तु कुल आय उपयोगी मापदण्ड नहीं है क्योंकि विभिन्न देशों की जनसंख्या भिन्न भिन्न होती है इसलिए कुल आय की तुलना करने से हमें यह पता नहीं चल पाता है कि प्रत्येक व्यक्ति क्या कमा रहा है? यह औसत आय या प्रतिव्यक्ति आय से जाना जा सकता है, इसी कारण हम औसत आय की तुलना करते हैं जो कि कुल आय को देशों की कुल जनसंख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है। इसलिए हम सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

प्रश्न 3.
प्रतिव्यक्ति आय के माप के अतिरिक्त, आय के कौन-से अन्य लक्षण हैं जो दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए महत्व रखते हैं?
उत्तर:
यद्यपि प्रतिव्यक्ति आय (औसत आय) दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए उपयोगी है परन्तु इससे यह जानकारी नहीं मिलती है कि यह आय देश के लोगों में किस प्रकार वितरित है, इसलिए प्रतिव्यक्ति आय के माप के अतिरिक्त आय का समान वितरण शिशु मृत्यु दर, साक्षरता आदि को दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए महत्त्व रखता

प्रश्न 4.
मान लीजिए कि रिकॉर्ड ये दिखाते हैं कि किसी देश की आय समय के साथ बढ़ती जा रही है। क्या इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गए हैं? अपना उत्तर उदाहरण सहित दीजिए।
उत्तर:
नहीं, हम नहीं मानते हैं कि किसी देश की आय के बढ़ने से अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र बेहतर हो गये हैं। समय के साथ किसी देश की औसत आय में वृद्धि का यह अर्थ नहीं होता है कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गये हैं। उदाहरण के लिए: हम अपने देश भारत की स्थिति पर एक नजर डालते हैं। कुछ विशेष वर्षों को छोड़कर स्वतन्त्रता के बाद से भारत की राष्ट्रीय आय एवं औसत आय निरन्तर बढ़ रही है। परन्तु देश की कुल आय में कृषि का योगदान निरन्तर घट रहा है।

प्रश्न 5.
विश्व विकास रिपोर्ट 2017 के अनुसार निम्न आय वाले देशों की प्रतिव्यक्ति आय ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट-2017 के अनुसार, निम्न आय वाले देशों की प्रतिव्यक्ति आय आधार वर्ष के रूप में सन् 2017 में US डॉलर 995 प्रतिवर्ष या इससे कम है।

प्रश्न 6.
एक अनुच्छेद लिखिए कि भारत को एक विकसित देश बनने के लिए क्या करना या प्राप्त करना चाहिए?
उत्तर:
भारत को एक विकसित देश बनने के लिए निम्नलिखित कार्य करना या प्राप्त करना चाहिए

  1. सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर तीव्र करनी चाहिए।
  2. लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।
  3. कृषि क्षेत्र के विकास पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।
    • भारत की कुल श्रमशक्ति का लगभग 60 प्रतिशत से भी अधिक भाग कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है जो भारत के संकल राष्ट्रीय उत्पाद में केवल 27 प्रतिशत का योगदान देता है।
    • इसके अतिरिक्त वैश्वीकरण की प्रक्रिया में इस क्षेत्र की क्षा हुई है जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र की वृद्धि दर में कमी आयी है।
    • अत: इस क्षेत्र में वृद्धि हेतु किसानों को कृषि आगतों, प्रशिक्षण, ऋण व विपणन आदि सुविधाएँ प्रदान कर इस क्षेत्र की वृद्धि दर को तीव्र किया जाना चाहिए।
  4. बुनियादी संरचना, उद्यमिता, उत्पादन की श्रम गहन तकनीक, प्रशिक्षण, ऋण एवं विपणन सुविधाओं में विस्तार करना चाहिए।
  5. देश के विभिन्न राजकीय कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहिए।
  6. देश में व्याप्त भाई-भतीजावाद को भी समाप्त किया जाना चाहिए।
  7. आयातों की तुलना में निर्यातों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि देश को अधिकाधिक विदेशी मुद्रा की प्राप्ति हो सके।

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 12)

प्रश्न 1.
तालिका 1.3 और 1.4 के आँकड़ों को देखिए। क्या हरियाणा केरल से साक्षरता दर आदि में उतना ही आगे है जितना कि प्रतिव्यक्ति आय के विषय में ?
उत्तर:
तालिका 1.3 व 1.4 के आँकड़ों के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि हरियाणा साक्षरता दर की दृष्टि से केरल से पीछे है जबकि प्रतिव्यक्ति आय की दृष्टि से केरल से आगे है। हरियाणा की साक्षरता दर (82%) केरल की साक्षरता दर (94%) से 12% कम है। जबकि प्रतिव्यक्ति आय की दृष्टि से केरल (1,63,475) की तुलना में हरियाणा (1,80,174) की प्रतिव्यक्ति आय 16,699 रु. अधिक है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

प्रश्न 2.
ऐसे दूसरे उदाहरण सोचिए, जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ व्यक्तिगत स्तर की अपेक्षा सामूहिक स्तर पर उपलब्ध कराना अधिक सस्ता है।
उत्तर:
ऐसे निम्नलिखित उदाहरण हैं जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ व्यक्तिगत स्तर की अपेक्षा सामूहिक स्तर पर उपलब्ध कराना अधिक सस्ता है

  1. आवश्यक वस्तुओं का राशन की दुकानों व डेयरी बूथों द्वारा निर्धारित कीमतों पर उपलब्ध कराना।
  2. सामूहिक यातायात प्रणाली को अपनाना।
  3. सामूहिक रूप से लोगों को स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना।
  4. सामूहिक रूप से बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करना।
  5. सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था करना।
  6. सामूहिक रूप से लोगों को किसी विशेष स्थान, यथा-सामूहिक भवन आदि का उपलब्ध कराना सस्ता पड़ता है।

प्रश्न 3.
अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता क्या केवल सरकार द्वारा इन सुविधाओं के लिए किए गए व्यय पर ही निर्भर करती है? अन्य कौन से कारक प्रासंगिक हो सकते हैं? .
उत्तर:
नहीं, यद्यपि एक विकासशील अर्थव्यवस्था में अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता इन सुविधाओं पर सरकार द्वारा किए गए व्यय पर अत्यधिक निर्भर करती है, परन्तु यह केवल इसी कारक पर निर्भर नहीं करती है। इसके अतिरिक्त कुछ और महत्त्वपूर्ण कारक हैं जो शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के लिए प्रासंगिक हैं, यह निम्नलिखित हैं….

  1. अपने स्वास्थ्य की जाँच कराने की एवं रोगों के बारे में जानने की रोगी की स्वयं की इच्छा।
  2. शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर व्यय करने के लिए अभिभावकों की तत्परता।
  3. परिवार के मुखिया की आमदनी।
  4. अभिभावकों की स्वास्थ्य व शिक्षा के प्रति जनजागरूकता।
  5. स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्र में निजी सहभागिता।

प्रश्न 4.
तमिलनाडु में ग्रामीण क्षेत्रों के 90 प्रतिशत लोग राशन की दुकानों का प्रयोग करते हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में केवल 35 प्रतिशत ग्रामीण निवासी इसका प्रयोग करते हैं। कहाँ के लोगों का जीवन बेहतर होगा और क्यों ?
उत्तर:
हमारे अनुसार तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का जीवन बेहतर होगा क्योंकि उन्हें राशन की दुकानों से कम कीमत पर वस्तुओं की प्राप्ति हो रही है। वस्तुओं की कीमत कम होने के कारण वे लोग अधिक से अधिक मात्रा में उनका उपयोग कर सकते हैं अर्थात् इनका उपभोग स्तर उच्च है। जबकि इस सुविधा का प्रयोग न करने वाले पश्चिम बंगाल के लोगों का उपभोग स्तर निम्न रहता है।

कार्यकलाप 2 (पृष्ठ संख्या 12)

प्रश्न 1.
तालिका 1.5 का ध्यान से अध्ययन कीजिए और निम्न अनुच्छेदों में रिक्त स्थानों को भरिए। हो सकता है इसके लिए आपको तालिका के आधार पर कुछ गणना करनी पड़े।
तालिका 1.5 उत्तर प्रदेश की ग्रामीण जनसंख्या की शैक्षिक उपलब्धि श्रेणी

श्रेणी पुरुष महिला
ग्रामीण जनसंख्या की साक्षरता दर 76% 54%
10-14 वर्ष के बच्चों में साक्षरता दर 90% 87%
10-14 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले ग्रामीण बच्चों का प्रतिशत 85% 82%

(क) सभी आयु वर्गों की साक्षरता दर, जिसमें युवक और वृद्ध दोनों सम्मिलित हैं, ग्रामीण पुरुषों के लिए ….. थी और ग्रामीण महिलाओं के लिए ……. थी। यही नहीं कि बहुत से वयस्क स्कूल ही नहीं जा पाए बल्कि ……. ……. ग्रामीण लड़के तथा …… ग्रामीण लड़कियाँ इस समय स्कूल में नहीं हैं।

(ख) इस तालिका से स्पष्ट है कि ……. प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और ……. प्रतिशत ग्रामीण लड़के स्कूल नहीं जा रहे हैं। इसलिए 10 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों में से …… प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और …… प्रतिशत ग्रामीण लड़के निरक्षर

(ग) हमारी स्वतंत्रता के 68 वर्षों के बाद भी, ……….. आयु के वर्ग में इस उच्च स्तर की निरक्षरता चिंताजनक है। बहुत से अन्य राज्यों में भी 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के संवैधानिक लक्ष्य के निकट भी नहीं पहुँच पाए हैं, जबकि इस लक्ष्य को 1960 तक पूरा करना था।
उत्तर:
(क) 76%, 54%, 15% ग्रामीण लड़के व 18% ग्रामीण लड़कियाँ
(ख) 18%, 15%, 13%, 10%
(ग) 10 – 14

उदाहरण (पृष्ठ संख्या 14)

उदाहरण 1.
भारत में भूमिगत जल: “हाल के प्रमाणों से पता चलता है कि देश के कई भागों में भूमिगत जल का अति-उपयोग होने का गंभीर संकट है। 300 जिलों से सूचना मिली है कि वहाँ पिछले 20 सालों में पानी के स्तर में 4 मीटर से अधिक की गिरावट आयी है। देश का लगभग एक-तिहाई भाग, भूमिगत जल भण्डारों का अति-उपयोग कर रहा है। यदि इस साधन के प्रयोग करने का वर्तमान तरीका जारी रहा हो अगले 25 वर्षों में देश का 60 प्रतिशत भाग इस साधन का अति-उपयोग कर रहा होगा। भूमिगत जल का अति-उपयोग विशेष रूप से पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कृषि की दृष्टि से समृद्ध क्षेत्रों, मध्य और दक्षिण भारत के चट्टानी पठारी क्षेत्रों, कुछ तटवर्ती क्षेत्रों और तेजी से विकसित होती शहरी बस्तियों में पाया जाता है।”
JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास 2
1. आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि जल का अति-उपयोग हो रहा है?
उत्तर:
हाँ, देश के कई भागों में जल, विशेषकर भूमिगत जल का अति उपयोग हो रहा है। देश का लगभग एक तिहाई भाग भूमिगत जल भण्डारों का अति उपयोग कर रहा है। लोग घरेलू कार्य, सिंचाई, उद्योगों आदि में जल का अति उपयोग कर उसका दुरुपयोग कर रहे हैं। जल के अति उपयोग के कारण ही दिनों-दिन भूमिगत जल स्तर नीचा होता जा रहा है।

2. क्या बिना अति-उपयोग के विकास हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, जल के अति उपयोग के बिना विकास हो सकता है इसके लिए जरूरी है कि हम जल का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग करें एवं जल संरक्षण के आवश्यक उपायों को अपनायें।

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास

उदाहरण (पृष्ठ संख्या 15)

उदाहरण: प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कच्चे तेल के लिए निम्न आँकड़ों को देखिए
तालिका 1.7 कच्चे तेल के अतिरिक्त भण्डार

क्षेत्र/देश भण्डार (हजार मिलियन बैरल) भण्डारों के चलने की अवधि (वर्षों में)
मध्य-पूर्व 807.7 70
संयुक्त राज्य अमरीका 50 10.5
विश्व 1696.6 50.2

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास 3

यह तालिका कच्चे तेल के भण्डारों के अनुमान (कॉलम 1) को दर्शाती है। अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि यह बताती है कि यदि कच्चे तेल का प्रयोग वर्तमान दर पर चालू रहा तो ये भण्डार कितने वर्ष चलेंगे। यह सम्पूर्ण विश्व के लिए है किन्तु अलग-अलग देशों की अलग-अलग स्थितियाँ हैं। यह भण्डार केवल 50 वर्षों में समाप्त हो जाएँगे। भारत जैसे देश इसके आयात पर निर्भर हैं, जिसके पास तेल के पर्याप्त भण्डार नहीं हैं।

तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो प्रत्येक स्तर पर भार पड़ता है। संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे कुछ देश हैं जिनके पास भण्डार तो कम है लेकिन वे इसे सैन्य और आर्थिक शक्ति के द्वारा पाना चाहते हैं। विकास की धारणीयता का प्रश्न, इसकी प्रकृति और प्रक्रिया के बारे में कई अन्य मूल नए विषय खड़े कर देता है।

1. क्या किसी देश की विकास प्रक्रिया के लिए कच्चा तेल अनिवार्य है? चर्चा कीजिए।
2. भारत को कच्चा तेल का आयात करना पड़ता है। उपरोक्त स्थिति को देखते हुए आप भारत के लिए आने वाले समय में किन समस्याओं का पूर्वानुमान करते हैं?
उत्तर:
1. हाँ, किसी देश की विकास प्रक्रिया के लिए कच्चा तेल अनिवार्य है, कच्चा तेल विभिन्न प्रकार की मशीनों, यंत्रों एवं परिवहन आदि के लिए एक संचालक शक्ति का कार्य करता है।

2. भारत को कच्चे तेल का आयात करना पड़ता है। आने वाले समय में भारत को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है :

  1. भारत के आयातों में वृद्धि,
  2. प्रतिकूल भुगतान सन्तुलन की स्थिति उत्पन्न होगी,
  3. विदेशी विनिमय संकट उत्पन्न होगा।
  4. कालाबाजारी बढ़ेगी।

JAC Class 10 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

JAC Class 10th Civics लोकतंत्र की चुनौतियाँ Textbook Questions and Answers

गतिविधि एवं क्रियाकलाप सम्बन्धी प्रश्न

कार्टून चित्र से (पृष्ठ संख्या 103)

प्रश्न 1.
इनमें से प्रत्येक कार्टून लोकतंत्र की एक चुनौती को दिखाता है। बताएँ कि वह चुनौती क्या है? यह भी बताएँ कि इस अध्याय में चुनौतियों की जो श्रेणियाँ बतायी गई हैं यह उनमें से किस श्रेणी की चुनौती है?
1. मुबारक फिर चुने गए,
उत्तर:
यह चुनावी प्रक्रिया है, पर धनी एवं ताकतवर लोगों के प्रभाव को दिखाता है। चुनौती-लोकतंत्र की जड़ें मज़बूत करने से संबंधित है।

2. लोकतंत्र पर नज़र
उत्तर:
यह दिखलाना चाहता है कि लोकतंत्र बुलेट के प्रयोग से नहीं आता, बल्कि लोगों के समर्थन से आता है। चुनौती-बुनियादी आधार से संबंधित।

3. उदारवादी लैंगिक समानता
उत्तर:
यह पता चलता है कि हम केवल सैद्धान्तिक रूप से महिला समानता की बात करते हैं, जबकि व्यवहार में लोकतंत्र में पुरुषों का ही बोलबाला है। चुनौती-विस्तार से संबंधित चुनौती।

4. चुनाव अभियान का पैसा
उत्तर:
यह प्रदर्शित करता है कि लोकतंत्र में किस तरह धनी एवं शक्तिशाली लोगों द्वारा निर्णय की प्रक्रिया को धन के प्रयोग द्वारा प्रभावित किया जाता है। चुनौती-लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने से संबंधित चुनौती।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-104 – 105)

उदाहरण और संदर्भ इस मामले में लोकतंत्र की चुनौती का आपका विवरण
1. मैक्सिको: पी. आर. आई की पराजय के बाद 2000 में दूसरा स्वतंत्र चुनाव; पराजित उम्मीदवारों ने चुनावी धाँधली  की शिकायत की। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों का आयोजन करना।
2. चीन: कम्युनिस्ट पार्टी आर्थिक सुधार अपनाती है पर राजनीतिक सत्ता पर एकाधिकार बनाए रखती है। विकेन्द्रीकरण। लोकतांत्रिक राज्यों की स्थापना, प्रांतों के मध्य सत्ता का विकेन्द्रीकरण।
3. पाकिस्तान: जनरल मुशर्रफ जनमत संग्रह कराते; मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप लगाते थे। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों का आयोजन, लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने की चुनौती।
4. इराक: नई सरकार अपनी सत्ता कायम नहीं कर पाती; बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा। जातीय समूहों के बीच वार्ता तथा संवाद, बहुसंख्यक एवं अल्पसंख्यक समूहों के नेताओं के मध्य वार्ता ।
5. दक्षिण अफ्रीका : मंडेला का सक्रिय राजनीति से संन्यास, उनके उत्तराधिकारियों पर गोरे अल्पसंख्यकों को दी गई राजनीतिक दलों के बीच समझौता, बहुसंख्यक एवं अल्पसंख्यक दलों के प्रतिनिधियों के मध्य समझौता।
6. अमेरिका, गुआंतानामो बे: संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव इसे अन्तर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते थे; अमेरिका का उनकी बात मानने से इनकार। अमेरिका के साथ बातचीत, भुक्तभोगियों को मुआवजे का प्रबन्ध ।
7. सऊदी अरब : महिलाओं को सार्वजनिक गतिविधियों में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं; धार्मिक अल्पसंख्यकों को आजादी नहीं। लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करना, नागरिकों की समानता के प्रति लोगों को जागरूक बनाना।
8. यूगोस्लाविया : कोसोवो प्रांत में सर्व और अल्बानियाई लोगों के बीच जातीय तनावः यूगोस्लाविया बिखर गया। विभिन्न जातीय समुदायों के बीच वार्ता, शांति-स्थापना से संबंधित  उपाय, आम चुनावों का आयोजन।
9. बेल्जियम: संवैधानिक सुधारों का एक दौर चला लेकिन डच भाषी लोग असंतुष्ट; उनकी अधिक स्वायत्तता की माँग। विभिन्न भाषायी समूहों के साथ वार्ता, जायज माँगों का समायोजन।
10. श्रीलंका : 2009 में गृहयुद्ध का अंत हुआ; विभिन्न समुदायों के बीच सामंजस्य की प्रक्रिया शुरू। हिंसा की रोकथाम, लिट्टे तथा सरकार के बीच वार्ता का दौर पुनः शुरू करना। पुनः शुरू करना।
11. अमेरिका, नागरिक अधिकार : अश्वेत लोगों को समान अधिकार मिले लेकिन वे अब भी गरीब, कम शिक्षित और कमजोर स्थिति में। अश्वेतों को देश के विकास में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करना, लोगों के मध्य जागरूकता उत्पन्न करना।
12. उत्तरी आयरलैंड : गृह-युद्ध समाप्त पर कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट लोगों में पारस्परिक विश्वास का अभाव। आपसी विश्वास हेतु आवश्यक उपाय करना, विभिन्न धार्मिक समूहों के साथ बातचीत।
13. नेपाल : राजतंत्र को खत्म किया, संविधान सभा ने नये समानता का भाव पैदा करना। संविधान का निर्माण करना, उसे देश में लागू करना व लोगों में संविधान को अपनाया।
14. बोलिविया : जल-संघर्ष के समर्थक मोरालेज प्रधानमंत्री बने। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने धमकी दी कि हम देश छोड़कर चले जाएँगे। जल-आपूर्ति की समस्या का समाधान ढूँढ़ना, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से बातचीत करना।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 106)

अब, जबकि आपने इन सभी चुनौतियों को लिख डाला है तो आइए बड़ी श्रेणियों में डालें। नीचे लोकतांत्रिक राजनीति के कुछ दायरों को खानों में रखा गया है। पिछले खंड में एक या एक से अधिक देशों में आपने कुछ चुनौतियाँ लक्ष्य की थीं। कुछ कार्टून में भी आपने इन्हें देखा। आप चाहें तो नीचे दिए गए खानों के सामने मेल का ध्यान रखते हुए इन चुनौतियों को लिख सकते हैं। इनके अलावा भारत से भी इन खानों में दिए जाने वाले एक-एक उदाहरण दर्ज करें। अगर आपको कई चुनौती इन खानों में फिट बैठती नहीं लगतीं तो आप नयी श्रेणियाँ बनाकर उनमें इन मुद्दों को रख सकते हैं।

1. उत्तर: संवैधानिक बनावट:
चिली: संविधान सभा की स्थापना।
घाना: नए संविधान बनाने की आवश्यकता।
म्यांमार: लोकतांत्रिक युग की स्थापना एवं नए संविधान का निर्माण।
इराक: संदर्भित संवैधानिक प्रावधान बनाकर जातीय समूहों को एक समान आधार पर रखना।
सऊदी अरब: नागरिकों की समानता।
श्रीलंका: किसी विशेष भाषा को संवैधानिक संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए।
दक्षिणी अफ्रीका: कानून के समक्ष समानता का अधिकार संरक्षित करने के प्रावधान।
भारत: समान पारिवारिक कानून के प्रावधान।

2. लोकतांत्रिक अधिकार:
चिली: सभी नेताओं को निर्वासन से वापस बुलाना।
म्यांमार: सू की रिहाई-लोकतांत्रिक शासन की स्थापना।
बोलिविया: जलापूर्ति की समस्या का हल ढूँढ़ना।
चीन: लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना।
अमरीका, गुआंतानामो खाड़ी: प्रभावित लोगों के लिए मुआवजे का प्रबंध।
भारत: विधायी निकायों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण।

3. संस्थाओं का कामकाज:
चिली: सभी सरकारी संस्थानों पर नागरिक नियंत्रण स्थापित करना।
घाना: एक प्रभावी प्रशासनिक एवं न्यायिक व्यवस्था की स्थापना।
नई नीतियों एवं कार्यक्रमों का आयोजन।
सऊदी अरब: लोगों को लोकतांत्रिक मूल्यों तथा समान नागरिक अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना।
भारत: कैद के दौरान होने वाली मृत्यु पर रोक लगाना।

4. चुनाव:
चिली: पहले बहुदलीय चुनावों का आयोजन।
पोलैंड: सभी प्रमुख दलों को साथ लेकर आम चुनावों का आयोजन।
स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों को सुनिश्चित करना।
मैक्सिको: स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों का आयोजन।
म्यांमार: स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों का आयोजन।
पाकिस्तान: स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों का आयोजन।
इराक: बहुदलीय, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों का आयोजन।
यूगोस्लाविया: आम चुनावों का आयोजन।
आयरलैंड: स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों का आयोजन करना।
भारत: चुनावी धाँधली रोकने के उपाय करना।

5. संघवाद विकेन्द्रीकरण:
घाना: सम्पूर्ण देश में प्रभावी प्रशासनिक एवं न्यायिक व्यवस्था की स्थापना।
चीन: राज्यों के मध्य सत्ता का विकेन्द्रीकरण।
भारत: स्थानीय स्वशासन की और अधिक स्वायत्तता एवं वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना।

6. विविधता को समेटना:
यूगोस्लाविया: जातीय समूहों के मध्य वार्ता विश्वास बढ़ाने वाले उपायों का विकास।
सऊदी अरब: नागरिकों की समानता के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना।
नेपाल: तराई क्षेत्र में हिंसक आन्दोलन पर रोक लगाना।
भारत: विशेष पिछड़े वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण के मुद्दे को सुलझाना।

7. राजनीतिक संगठन:
म्यांमार: राजनीतिक दलों के गठन द्वारा लोकतंत्र की स्थापना।
चीन: लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना तथा सत्ता का विकेन्द्रीकरण।
सऊदी अरब: जनता में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूकता पैदा करना।
नेपाल: संविधान, सभा का गठन। अन्तर्राष्ट्रीय संगठन-संयुक्त राष्ट्र संघ के अंदर तथा बाहर अमेरिका पर दबाव डालना।
भारत: राजनेताओं द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार की निगरानी के लिए एक स्वायत्त निकाय की स्थापना।

8. कोई अन्य श्रेणी – (विवादों पर वार्ता):
इराक: जातीय समूहों के बीच वार्ता ।
दक्षिण अफ्रीका: राजनीतिक दलों के बीच वार्ता।
यूगोस्लाविया: जातीय समूहों के बीच वार्ता।
श्रीलंका: सरकार तथा लिट्टे के बीच वार्ता।
बेल्जियम: भाषायी समूहों के बीच वार्ता।
बोलिविया: भाषायी समूहों के बीच वार्ता।
भारत: दिल्ली तथा राजस्थान सरकार के बीच परिवहन विवाद पर वार्ता।
पोलैड: सैन्य कानून को वापस लेना।

9. कोई अन्य श्रेणी (शांति स्थापना संबंधी उपाय):
श्रीलंका: हिंसक संघर्षों को रोकना।
यूगोस्लाविया: शांति स्थापना संबंधी कदम उठाना।
आयरलैंड: विश्वास बढ़ाने वाले उपायों का विकास करना।
भारत: उत्तर-पूर्वी राज्यों में चरमपंथी आन्दोलनों को रोकना।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 8 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 107)

प्रश्न 1.
आइए इन श्रेणियों का नया वर्गीकरण करें। इस बार इसके लिए हम उन मानकों को आधार बनाएँगे, जिनकी चर्चा अध्याय के पहले हिस्से में हुई है। इन सभी श्रेणियों के लिए कम-से-कम एक उदाहरण भारत से भी खोजें।
उत्तर:
1. आधार तैयार करने की चुनौतियाँ:
निम्नलिखित के कारण एवं संदर्भ: पोलैंड, चिली, म्यांमार, चीन, सऊदी अरब व नेपाल।
भारत से उदाहरण: उत्तरी-पूर्वी राज्यों तथा जम्मू एवं कश्मीर की समस्याएँ।

2. विस्तार की चुनौती:
निम्नलिखित के कारण संदर्भ: मैक्सिको, इराक, घाना, यूगोस्लाविया, श्रीलंका तथा आयरलैंड।
भारत से उदाहरण: स्थानीय सरकारों को और अधिक स्वायत्तता तथा संसाधन उपलब्ध कराना।

3. लोकतंत्र को गहराई तक मजबूत बनाने की चुनौती:
निम्नलिखित के कारण एवं सदंर्भ: अन्तर्राष्ट्रीय संगठन, अमेरिका गुआंतानामो खाड़ी, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका एवं पाकिस्तान। भारत से उदाहरण: चुनाव आयोग को और अधिक अधिकार

प्रदान करना। पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 107)

प्रश्न 1.
आइए, अब सिर्फ भारत के बारे में विचार करें। समकालीन भारत के लोकतंत्र के सामने मौजूद चुनौतियों पर गौर करें। इनमें से उन पाँच की सूची बनाइए जिस पर पहले ध्यान दिया जाना चाहिए। यह सूची प्राथमिकता को भी बताने वाली होनी चाहिए यानी आप जिस चुनौती को सबसे महत्त्वपूर्ण और भारी मानते हैं, उसे सबसे ऊपर रखें। शेष को इसी क्रम के बाद में। ऐसी चुनौती का एक उदाहरण दें और बतायें कि आपकी प्राथमिकता में उसे कोई खास जगह क्यों दी गई है?
उत्तर:

लोकतंत्र की चुनौती उदाहरण प्राथमिकता का कारण
विधायिका में महिलाओं की सहभागिता महिलाऐँ हमारे देश कीं आधी जनसख्या बनाती हैं किन्तु विधायिकाओं में उनका प्रतिनिधित्व न्यूनतम है। महिलाओं को सत्ता में भागीदारी मिलनी चाहिए, ताकि उनके ऊपर हो रहे अत्याचार तथा भेदभाव को प्रभावी रूप से, रोका जा सके।
सरकारी अधिकारियों के द्वारा भ्रष्टाचार कोई भी कार्य करने अथवा करवाने के लिए घूस देना या लेना एक स्वीकृत व्यवहार का रूप ले चुका है। यह लोकतंत्र के कार्य कंरने पर बुरा प्रभाव डालता है तथा कई लोगों को उनके अधिकार से वंचित करता है। इसके कारण लोग लोकतंत्र में विश्वास खो रहे हैं।
न्याय में देरी कभी-कभी तो न्याय तब मिलता है जब याचिकाकर्ता इस दुनिया में ही नहीं रहता। यह लोकतंत्र में लोगों के विश्वास को कमजोर करेगा। अर्थात् इससे लोकतंत्र का आधार कमजोर होगा। न्याय में देरी न्याय न मिलने के बराबर ही होती है।
बढ़ती गरीबी गरीब लोग और अधिक गरीब होते जा रहे हैं। आर्थिक असमानता बढ़ी है तथा गरीबों के लिए अपनी मौलिक आवश्यकताओं को पूरा करना दिन-पर-दिन मुश्किल होता जा रहा है।
कम महिला साक्षरता दर हमारे देश में महिला साक्षरता की दर आज भी $65.46%(2011) ही है। चूँकि हमारी आधी जनसंख्या महिलाओं की है। अत हमारा आधा मानव संसाधन या तो अंल्पप्रयुक्त है या फिर अप्रयुक्त है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 112)

प्रश्न 1.
अच्छे लोकतंत्र को परिभाषित करने के लिए यह रही आपके लिखने की जगह। (अपना नाम लिखें) …………….. अच्छे लोकतंत्र की परिभाषा (अधिकतम 50 शब्दों में।)
उत्तर:
एक अच्छा लोकतंत्र वह है जिसमें जनता द्वारा निर्वाचित शासकों द्वारा, जनता की इच्छाओं तथा आशाओं को पूरी करने के लिए, संवैधानिक ढाँचे के अन्तर्गत, मुख्य फैसले लिये जाते हैं और यदि ये शासक जनता की उम्मीदों पर खरे ही उतर पाते तो इस स्थिति में, जनता के पास उन्हें वापस बुला सकने का प्रावधान हो। लोकतंत्र की विशेषताएँ:

  1. लोकतंत्र को एक दूसरे के विरोधाभासों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें कम करने के प्रयास करने चाहिए।
  2. एक बार गंभीर अपराधी पाए जाने पर, व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
  3. जनता को अपने प्रतिनिधियों द्वारा सही तरीके से काम न करने पर उन्हें वापस बुलाने का अधिकार प्राप्त होना चाहिए।
  4. लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों तथा वंचितों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व उपलब्ध कराना चाहिए।
  5. एक अच्छे लोकतंत्र में, निर्वाचित नेताओं को कुछ निश्चित नैतिक नियमों का पालन करना चाहिए।

JAC Class 10 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

JAC Class 10th Civics लोकतंत्र के परिणाम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लोकतन्त्र किस तरह उत्तरदायी, ज़िम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है ?
अथवा
क्या लोकतन्त्र उत्तरदायी, जिम्मेदार और वैध शासन है? अपने दृष्टिकोण के पक्ष में तर्क दीजिए।
अथवा
लोकतान्त्रिक व्यवस्था किस प्रकार नागरिकों की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं के प्रति उत्तरदायी और जिम्मेदार है? विश्लेषण कीजिए।
अथवा
“आपके मतानुसार लोकतन्त्र उत्तरदायी, जिम्मेदार व वैध शासन है।” अपने मत के पक्ष में तीन तर्क दीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र एक उत्तरदायी, जिम्मेदार और वैध सरकार शासन का गठन निम्नलिखित प्रकार से करता है
1. उत्तरदायी सरकार:
लोकतन्त्र एक उत्तरदायी सरकार का गठन करता है। लोकतन्त्र में सबसे बड़ी चिन्ता यह होती है कि लोगों को अपना शासक चुनने का अधिकार और शासकों पर नियन्त्रण बरकरार रहे। लोकतन्त्र में जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। ये प्रतिनिधि सरकार बनाते हैं और अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इस प्रकार एक निश्चित समय अन्तराल पर निर्वाचन की व्यवस्था के द्वारा लोकतन्त्र एक उत्तरदायी सरकार का गठन करता है।

2. जिम्मेवार सरकार:
लोकतन्त्र एक जिम्मेवार सरकार का गठन करता है क्योंकि इसका निर्णय जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि करते हैं। ये प्रतिनिधि समाज की समस्याओं पर बहस करते हैं एवं तदनुसार नीतियाँ एवं कार्यक्रम बनाते हैं। समस्याओं को सुलझाने के लिए इन्हीं नीतियों एवं कार्यक्रमों को लागू किया जाता है।

3. वैध सरकार:
लोकतन्त्र एक वैध सरकार का निर्माण करता है क्योंकि यह जनता की सरकार होती है। लोकतान्त्रिक सरकारें जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की सरकारें होने के कारण वैध सरकारें होती हैं। इन्हें देश की जनता की स्वाभाविक स्वीकृति मिली हुई होती है। यह जनता ही होती है जो अपने द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार बनाकर स्वयं के ऊपर शासन करवाती है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 2.
लोकतन्त्र किन स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है और उनके बीच सामंजस्य बैठाता है ?
अथवा
“लोकतन्त्र सामाजिक विविधताओं के सामंजस्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।” उदाहरणों सहित कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सामाजिक विभाजनों के बीच सामंजस्य बैठाने के लिए लोकतन्त्र सबसे अच्छा तरीका है।” कथन को न्यायोचित ठहराइए।
उत्तर:
लोकतन्त्र निम्नलिखित स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है एवं उनके बीच सामंजस्य बैठाता है
1. विश्व के अधिकांश देशों में, जिनमें लोकतान्त्रिक व्यवस्था को अपनाया गया है, उनमें अनेक प्रकार की सामाजिक विविधताएँ देखने को मिलती हैं। लोकतन्त्र शान्तिपूर्ण एवं सद्भाव के वातावरण में सामाजिक विभिन्नताओं को उचित स्थान प्रदान करता है व उन्हें अपनाता है। उदाहरण के रूप में, बेल्जियम की लोकतान्त्रिक व्यवस्था ने अपने यहाँ के विभिन्न जातीय समूहों की आकांक्षाओं के बीच सफलतापूर्वक सामंजस्य स्थापित किया।

2. लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में वार्तालाप, विचार-विमर्श एवं वाद-विवाद के आधार पर निर्णय लिया जाता है। इससे लोगों के मध्य तनाव कम होते हैं जिससे हिंसा भड़कने अथवा रक्तपात होने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है।

3. लोकतन्त्र में सामाजिक विविधताओं से उत्पन्न समस्याओं के समाधान की क्षमता निहित होती है। देश की अधिक जनसंख्या होने के कारण व्यक्तियों के आचार-विचार, हित, दृष्टिकोण एवं दर्शन भिन्न-भिन्न होते हैं। इनके मध्य सामंजस्य स्थापित करने के लिए लोकतान्त्रिक व्यवस्था ही सबसे अच्छी है।

4. कोई भी समाज अपने विभिन्न समूहों के मध्य के टकरावों को पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकता पर हम इन अन्तरों और विभेदों का आदर करना सीख सकते हैं तथा उनके बीच बातचीत से सामंजस्य बैठाने का तरीका विकसित कर सकते हैं। इस हेतु लोकतन्त्र सबसे अच्छा है।

5. लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था विभिन्न विचारों के मध्य तभी सामंजस्य स्थापित करने में सफल हो सकती है जब बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यके की एकता एवं विचारों को सुने व समझे। लोकतन्त्र को भाषायी, जातिगत एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों को देश में उचित स्थान तथा सम्मानपूर्वक स्थिति प्रदान करनी चाहिए। अल्पसंख्यकों को भी देश के सर्वोच्च पद का सम्मान प्राप्त होना चाहिए। यदि जन्म के आधार पर किसी व्यक्ति को बहुसंख्यक समुदाय का हिस्सा बनने से रोका जाता है तो हम यह मानते हैं कि ऐसे लोग या ऐसे समूहों को सदैव के लिए बहुमत की स्थिति में आने से रोक दिया जाता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें
1. औद्योगिक देश ही लोकतान्त्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं, पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए।
2. लोकतन्त्र अपने नागरिकों के बीच की असमानता को कम नहीं कर सकता।
3. गरीब देशों की सरकार को अपने ज्यादा संसाधन गरीबी को कम करने और आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर लगाने की जगह उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढाँचे पर खर्च करने चाहिए।
4. नागरिकों के बीच आर्थिक समानता अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतान्त्रिक देशों में है।
5. लोकतन्त्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतन्त्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।
उत्तर:

  1. यद्यपि तानाशाही शासन से गरीब देशों में आर्थिक वृद्धि होती है, किन्तु स्वतन्त्रता, सम्मान जो केवल लोकतन्त्र में पाये जाते हैं, की कीमत पर तानाशाही का समर्थन नहीं किया जा सकता।
  2. नागरिकों के बीच में असमानता आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों के कारण हो सकती है। अतः सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ लोकतन्त्र के द्वारा नहीं मिटायी जा सकती हैं।
  3. औद्योगिक और बुनियादी ढाँचे पर पैसा खर्च करने और शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर कम पैसा खर्च करने पर कमजोर व्यक्तियों की संख्या बढ़ जायेगी तथा अशिक्षित लोगों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी, जो किसी उद्योग को संचालित नहीं कर सकते हैं। इसके विपरीत स्वस्थ और शिक्षित नागरिक स्वयं ही एक संस्थान हैं।
  4. अमीर और गरीब सभी देशों में पाए जाते हैं और यह असमानता दूर नहीं की जा सकती।
  5. सभी को एक मत का अधिकार है किन्तु टकराव अन्य मुद्दों पर होता है। एक पार्टी अपने हित के लिए चाहती है कि उसके पक्ष में अधिक से अधिक वोट पड़ें।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए ब्यौरों में लोकतन्त्र की चुनौतियों की पहचान करें। ये स्थितियाँ किस तरह नागरिकों के गरिमापूर्ण, सुरक्षित और शान्तिपूर्ण जीवन के लिए चुनौती पेश करती हैं। लोकतन्त्र को मजबूत बनाने के लिए नीतिगत-संस्थागत उपाय भी सुझाएँ
1. उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद ओडिशा में दलितों और गैर-दलितों के प्रवेश के लिए अलग-अलग दरवाजा रखने वाले एक मन्दिर को एक ही दरवाजे से सबको प्रवेश की अनुमति देनी पड़ी। :
2. भारत के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
3. जम्मू-कश्मीर के गंडवारा में मुठभेड़ बताकर जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा तीन नागरिकों की हत्या करने के आरोप को देखते हुए इस घटना के जाँच के आदेश दिए गए।
उत्तर:

  1. लोकतन्त्र में जाति-धर्म के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव न किया जाए इसी कारण सबके लिए एक ही दरवाजा कर दिया गया।
  2. सरकार की नीतियों के विरोध में ऐसा हुआ। सरकार को चाहिए प्रत्येक वर्ग का ध्यान रखकर अपनी नीतियों का निर्धारण करे।
  3. इस घटना से यह पता चलता है कि लोकतन्त्र लोगों की स्वतन्त्रता की रक्षा करने में नाकाम रहा।
  4. लोकतन्त्र को मजबूत करने के लिए अग्र उपाय हैं:
    • आपसी विवादों को बातचीत के जरिए हल करना चाहिए।
    • भ्रष्टाचार को समाप्त करके।
    • राजनैतिक पार्टियों को जाति-धर्म निरपेक्षपूर्ण कार्यक्रम बनाने चाहिए।
    • सामान्य समस्याओं पर विचार कर उन्हें दूर करना चाहिए।
    • सरकार को सभी लोगों के हित का ध्यान रखकर अपनी नीतियाँ बनानी चाहिए।

प्रश्न 5.
लोकतान्त्रिक व्वस्थानों के सन्दर्भ में इनमें से कौन-सा विचार सही है-लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं ने सफलतापूर्वक:
1. लोगों के बीच टाव को समाप्त कर दिया है।
2. लोगों के बीच की आर्थिक असमानताएँ समाप्त कर दी हैं।
3. हाशिए के समूहों से कैसा व्यवहार हो, इस बारे में सारे मतभेद मिटा दिए हैं।
4. राजनीतिक गैर-बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।
उत्तर:
3. हाशिए के समूहों से कैसा व्यवहार हो, इस बारे में सारे मतभेद मिटा दिए हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 6.
लोकतन्त्र के मूल्यांकन के लिहाज से इनमें कोई एक चीज लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है। उसे चुनें
(क) स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव
(ख) व्यक्ति की गरिमा
(ग) बहुसंख्यकों का शासन
(घ) कानून के समक्ष समानता।
उत्तर:
(ग) बहुसंख्यकों का शासन।

प्रश्न 7.
लोकतान्त्रिक व्यवस्था के राजनीतिक और सामाजिक असमानताओं के बारे में किए गए अध्ययन बताते हैं कि
1. लोकतन्त्र और विकास साथ ही चलते हैं।
2. लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।
3. तानाशाही में असमानताएँ नहीं होती।।
4. तानाशाहियाँ लोकतन्त्र से बेहतर साबित हुई हैं।
उत्तर:
2. लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़ें नन्नू एक दिहाड़ी मजदूर है। वह पूर्वी दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती वेलकम मज़दूर कॉलोनी में रहता है। उसका राशन कार्ड गुम हो गया और जनवरी 2006 में उसने डुप्लीकेट राशन कार्ड बनाने के लिए अर्जी दी। अगले तीन महीनों तक उसने राशन विभाग के दफ्तर के कई चक्कर लगाए लेकिन वहाँ तैनात किरानी और अधिकारी उसका काम करने या उसकी अर्जी की स्थिति बताने की कौन कहे, उसको देखने तक के लिए तैयार न थे। आखिरकार उसने सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुए अपनी अर्जी की दैनिक प्रगति का ब्यौरा देने का आवेदन किया। इसके साथ ही उसने इस अर्जी पर काम करने वाले अधिकारियों के नाम और काम न करने की सूरत में उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई का ब्यौरा भी माँगा।

सूचना के अधिकार वाला आवेदन देने के हफ्ते भर के अन्दर खाद्य विभाग का एक इन्स्पेक्टर उसके घर आया और उसने नन्नू को बताया कि तुम्हारा राशन कार्ड तैयार है और तुम दफ्तर आकर उसे ले जा सकते हो। अगले दिन जब नन्नू राशन कार्ड लेने गया तो उस इलाके के खाद्य और आपूर्ति विभाग के सबसे बड़े अधिकारी ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। इस अधिकारी ने उसे चाय की पेशकश की और कहा कि अब आपका काम हो गया है, इसलिए सूचना के अधिकार वाला अपना आवेदन आप वापस ले लें।

नन्नू का उदाहरण क्या बताता है? नन्नू के इस आवेदन का अधिकारियों पर क्या असर हुआ? अपने माँ-पिताजी से पूछिए कि अपनी समस्याओं के लिए सरकारी कर्मचारियों के पास जाने का उनका अनुभव कैसा रहा है?
उत्तर:
नन्नू के आवेदन देने पर आवेदन से जुड़े अधिकारियों और उनके द्वारा किए गए कार्यों से सम्बन्धित रिपोर्ट उसे प्राप्त हुई तथा उसे इस बात की जानकारी मिली कि जिन अधिकारियों ने कार्य नहीं किया है उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की जा सकती है। अतः अधिकारी इस बात से डर गये और उन्होंने उसका राशन कार्ड तैयार कर दिया और नन्नू की आवभगत कर रहे हैं जिससे वह सूचना के अधिकार के तहत डाला गया अपना आवेदन वापस ले लें। (उत्तर का शेष भाग छात्र स्वयं अपने माता-पिता की सहायता से लिखें।)

गतिविधि एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 91)

प्रश्न 1.
क्या आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि सरकार आपके तथा आपके परिवार के बारे में क्या-क्या जानती है और कैसे जानती है (जैसे-राशन-कार्ड या मतदाता पहचान-पत्र) ?
उत्तर:
सरकार मेरे परिवार के बारे में राशन-कार्ड व मतदाता पहचान पत्र के माध्यम से आयु, लिंग और वयस्क सदस्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करती है।

प्रश्न 2.
सरकार के बारे में जानकारी के लिए आपके पास कौन-कौन से स्रोत हैं?
उत्तर:
सरकार के बारे में जानकारी रेडियो, टेलीविजन, समाचार माध्यमों से प्राप्त होती है। सरकार के बारे में सूचना के अधिकार के तहत भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 93)

प्रश्न 1.
इस तथा इससे आगे के तीन पन्नों पर दिए गए कार्टून धनी और गरीब लोगों के बीच के अन्तर को दिखाते हैं। क्या आर्थिक संवृद्धि का लाभ सबको बराबर-बराबर हुआ है? राष्ट्र के धन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए गरीब किस तरह आवाज़ उठा सकते हैं? विश्व के धन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए गरीब देश क्या करें?
उत्तर:
लोकतन्त्र का अर्थ सभी को समान अधिकार प्रदान करना तथा आर्थिक संवृद्धि प्रदान करना है, यह तभी होगा जब सभी समूह सत्ता में भागीदारी करें, इसके लिए उन्हें एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे देश की जनता का विश्वास प्राप्त करें, उनके द्वारा दिए गए वोट ही उन्हें सत्ता में भागीदारी दिला सकते हैं।

प्लस बॉक्स से (पृष्ठ संख्या 94)

प्रश्न 1.
अगर आमदनी के समान वितरण और आर्थिक प्रगति को आधार मानकर ही लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं के आर्थिक कामकाज का मूल्यांकन करना हो तो आपका फैसला क्या होगा?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक देशों की अपेक्षा तानाशाही शासनों ने आर्थिक रूप से अधिक उन्नति की है। लोकतन्त्र में आय का वितरण ठीक प्रकार से नहीं है। आर्थिक विकास लगभग दोनों ही व्यवस्थाओं में पूर्ण सन्तोषजनक नहीं है, पर लोकतन्त्र में लोगों को अपना आर्थिक स्तर बढ़ाने के लिए अवसर होते हैं। उन्हें अपनी योग्यता के अनुसार आगे बढ़ने में मदद मिलती है। मैं लोकतन्त्र को चुनूँगा।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 95)

प्रश्न 1.
लोकतन्त्र का मतलब है बहुमत का शासन। गरीबों का बहुमत है, इसलिए लोकतन्त्र का मतलब हुआ गरीबों का राज। पर ऐसा होता क्यों नहीं है ?
उत्तर:
लोकतन्त्र में बहुमत का अर्थ प्राप्त सीटों से होता है। लोगों की जनसंख्या से नहीं, अलग-अलग समय पर अलग-अलग समूह बहुमत में हो सकते हैं। अगर हप यह है कि लोकतन्त्र में गरीबों का शासन होना चाहिए तो यह एक नई सोच को जन्म देता है। गरीब लोग हर जाति और हर में होते हैं। लोकतन्त्र में अमीर हो या गरीब सभी को चुनाव लड़केर सत्ता में भागीदारी करने का अवसर प्राप्त होता है। अग्ः गरीब अपनी अलग से पार्टी बनाए तो वे शासन चला सकते हैं।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 96)

प्रश्न 1.
आपके कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि लोकतन्त्र में इस बात का पक्का इन्तजाम होता है कि लोग एक-दूसरे का सिर न फोड़ें। यह तो सद्भाव की स्थिति नहीं हुई। क्या हम इतने भर से सन्तोष कर लें ?
उत्तर:
नहीं, लोकतन्त्र का मतलब सिर्फ एक-दूसरे का सिर न फोड़ें, इससे नहीं होता है बल्कि लोकतन्त्र में सार्वजनिक वस्तु, स्थान का उपयोग हर कोई कर सकता है। लोकतन्त्र यह निश्चित नहीं करता कि लोग आपस में न लड़ें। अगर कोई किसी से लड़ता है तो उस स्थिति में कानून व्यवस्था दोषी को सज़ा देती है, जिससे शान्ति बनी रहे। विभिन्नताओं के कारण समाज में संघर्ष होते रहते हैं। वे समाप्त नहीं हो सकते, लोकतन्त्र हमें इन विभिन्नताओं के साथ शान्तिपूर्वक रहने की शिक्षा प्रदान करता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 97)

प्रश्न 1.
सामाजिक विभाजन पर लोकतान्त्रिक राजनीति के दो तरह के प्रभावों को इन दो तस्वीरों के माध्यम से दिखाया गया है। प्रत्येक तस्वीर का उदाहरण देते हुए लोकतान्त्रिक राजनीति में दोनों स्थितियों के नतीजों के बारे में एक-एक अनुच्छेद लिखें।
उत्तर:
जब कोई राजनीतिक पार्टी जाति, धर्म को अपने वोट बैंक का आधार बनाती है तो इससे समाज में संघर्ष बढ़ता है और विभाजन होता है। जब राजनीतिक दल राष्ट्रीय मुद्दों; जैसे-सीमाओं की सुरक्षा, सम्पूर्ण विकास, सभी के लिए शिक्षा, बेरोजगारी आदि पर जनमत तैयार करते हैं तो इससे समाज के विभिन्न वर्गों में आपसी मेल-जोल बढ़ता है तथा सामाजिक विभाजन समाप्त होता है।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 98)

प्रश्न 1.
मुझे सिर्फ अपनी बोर्ड-परीक्षा की चिन्ता है पर लोकतन्त्र को इतनी सारी परीक्षाओं से गुज़रना होता है और परीक्षा लेने वाले भी करोड़ों होते हैं।
उत्तर:
लोकतन्त्र को देश में मौजूद अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लोकतान्त्रिक सरकार की जाँच-परख और परीक्षा कभी खत्म नहीं होती। वह एक जाँच पर खरा उतरे तो अगली जाँच सामने आ जाती है। लोगों को जब लोकतन्त्र से थोड़ा लाभ मिल जाता है तो वे और लाभों की मांग करने लगते हैं। वे लोकतन्त्र से और अच्छा काम चाहने लगते हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

JAC Class 10th Civics राजनीतिक दल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा करें।
अथवा
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों का क्या महत्त्व है?
अथवा
आधुनिक लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
अथवा
एक राजनीतिक दल के किन्हीं पाँच कार्यों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों के किन्हीं पाँच प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
अथवा
लोकतान्त्रिक सरकार में राजनीतिक दलों के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय राजनीतिक दलों के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं/कार्यों को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है
1. चुनाव लड़ना:
विश्व के अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में चुनाव राजनीतिक दलों द्वारा चयनित उम्मीदवारों के मध्य लड़ा जाता है। राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों का चुनाव कई तरीकों से करते हैं; जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका में उम्मीदवारों का चुनाव दल के सदस्य व समर्थक करते हैं, वहीं भारत में दलों के नेता ही उम्मीदवार चुनते हैं।

2. नीतियों एवं कार्यक्रमों को मतदाताओं के समक्ष रखना:
संजनीतिक दल अलग-अलग नीतियों एवं कार्यक्रमों को मतदाताओं के समक्ष रखते हैं तथा मतदाता अपनी पसंद की नीतियाँ एवं कार्यक्रम चुनते हैं। लोकतंत्र में समान या एक जैसे विचारों को एक साथ लाना होता है, ताकि सरकार की नीतियों को एक दिशा प्रदान की जा सके। राजनैतिक दल यही कार्य करते हैं। वे विभिन्न प्रकार के विचारों को कुछ बुनियादी राय तक समेट लाते हैं जिनका वे समर्थन करते हैं। सरकार प्रायः शासक दल की राय के अनुरूप अपनी नीतियाँ तय करती है।

3. कानून निर्माण में भूमिका:
राजनीतिक दल देश के कानून-निर्माण में निर्णायक भूमिका का निर्वाह करते हैं, कानूनों पर औपचारिक बहस होती है तथा उन्हें विधायिका में पास करवाना होता है। लेकिन विधायिका के अधिकांश सदस्य किसी-न-किसी राजनीतिक दल के सदस्य होते हैं, इस कारण वे अपने दल के नेता के निर्देश पर फैसला करते हैं।

4. सरकार का निर्माण एवं संचालन:
राजनैतिक दल ही सरकार का निर्माण करते हैं एवं उसका संचालन करते हैं जो भी राजनीतिक दल अथवा उनका गठबन्धन विधायिका में बहुमत प्राप्त करता है, वह सरकार बनाता है और अपनी विचार पारा के अनुसार सरकार को चलाता है व नीतियाँ बनाता है।

5. शासक दल के विरोधी पक्ष की भूमिका का निर्वाह करना:
चुनाव में पराजय का सामना करने वाले दल शासन में विरोधी पक्ष की भूमिका निभाते हैं। ऐसे दल सरकार की गलत नीतियों व असफलताओं की आलोचना करते हैं तथा अपनी राय भी रखते हैं। इसके अतिरिक्त विपक्षी दल सरकार के विरुद्ध आम जनता को भी गोलबन्द करते हैं।

6. जनमत का निर्माण करना:
जनमत निर्माण में राजनीतिक दल महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं। वे उन मुद्दों को जनता के समक्ष लाते हैं जिनका सरकार ठीक ढंग से प्रबंध नहीं कर पाती है। इससे ये अपने पक्ष में एवं सत्ताधारी दल के विरुद्ध जनमत का निर्माण करते हैं।

7. सरकारी तंत्र व कल्याणकारी कार्यक्रमों तक जनता की पहुँच को आसान बनाना:
राजनीतिक दल ही सरकारी तंत्र एवं सरकार द्वारा संचालित कल्याण कार्यक्रमों तक लोगों की पहुँच बनाते हैं। जनता एक राजकीय अधिकारी के स्थान पर एक नेता तक आसानी से पहुँच सकती है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 2.
राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं ?
अथवा
लोकतांत्रिक भारत में राजनैतिक दलों के समक्ष कौन-कौन-सी चुनौतियाँ हैं?
अथवा
भारत में राजनीतिक दलों के समक्ष आने वाली किन्हीं चार चुनौतियों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक युग में राजनीतिक दलों के सामने निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं
1. आंतरिक लोकतंत्र का अभाव होना:
अधिकांश राजनीतिक दलों, के समक्ष आन्तरिक लोकतंत्र की कमी एक प्रमुख चुनौती है। समस्त विश्व में यह प्रवृत्ति बन गयी है कि समस्त शक्ति एक या कुछेक नेताओं के हाथ में सिमट जाती है। दलों के पास न तो सदस्यों की खुली सूची होती है, न ही नियमित रूप से संगठनात्मक बैठकें होती हैं, इसके अतिरिक्त आन्तरिक चुनाव भी नहीं होते हैं। कार्यकर्ताओं से वे सूचनाओं का साझा भी नहीं करते। सामान्य कार्यकर्ता दल में चल रही हलचलों से अनजान बना रहता है।

2. वंशवाद की प्रवृत्ति:
भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों के समक्ष यह एक प्रमुख चुनौती है। जो लोग बड़े नेता होते हैं, वे अनुचित लाभ लेते हुए अपने नजदीकी लोगों विशेषकर अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ाते हैं। अनेक दलों में उच्च पदों पर हमेशा एक ही परिवार के लोग आते हैं।

3. धन एवं अपराधी तत्वों की बढ़ती घुसपैठ:
चूँकि समस्त राजनीतिक दलों की चिन्ता चुनाव जीतने की होती है अतः इसके लिए वे कोई भी जायज-नाजायज तरीका अपनाने से भी परहेज नहीं करते हैं। वे ऐसे ही लोगों को चुनाव में उतारते हैं जिनके पास अधिक पैसा है या अधिक पैसा जुटा सकते हैं। कई बार राजनीतिक दल चुनाव जीत सकने वाले अपराधियों का भी समर्थन करते हैं तथा उनकी मदद लेते हैं।

4. राजनैतिक दलों के मध्य विकल्पहीनता की स्थिति:
आधुनिक युग में राजनीतिक दलों के पास मतदाताओं को देने के लिए सार्थकः विकल्प की कमी है। सार्थक विकल्प देने के लिए विभिन्न दलों की नीतियों में अन्तर होना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न देशों में दलों के बीच वैचारिक अन्तर कम होता जा रहा है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 3.
राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करें, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव दें।
अथवा
भारत में राजनीतिक दलों के सुधार हेतु किए गए चार प्रमुख प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजनैतिक दल अपना काम-काज बेहतर ढंग से करें, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने हेतु निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं
1. कानून का निर्माण:
राजनीतिक दलों के आंतरिक कामकाज को व्यवस्थित करने के लिए कानून का निर्माण किया जाना चाहिए। सभी दल अपने-अपने सदस्यों की सूची रखें, अपने संविधान का पालन करें, दल में विवाद की स्थिति में एक स्वतन्त्र प्राधिकारी को पंच बनाएँ, दल के सबसे बड़े पदों के लिए खुला चुनाव कराएँ। इन समस्त व्यवस्थाओं को अनिवार्य किया जाना चाहिए।

2. महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था:
राजनीतिक दलों को महिलाओं को एक न्यूनतम अनुपात (लगभग एक-तिहाई) में चुनाव में टिकट दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त दल के प्रमुख पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।

3. चुनाव खर्च का सरकार द्वारा वहन:
विभिन्न प्रकार के चुनावों का खर्चा सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए। सरकार को चुनावों हेतु विभिन्न राजनीतिक दलों को धन प्रदान करना चाहिए। यह धन नकद रूप में अथवा मदद जैसे-पेट्रेल, कागज, फोन आदि के रूप में हो सकता है।

4. राजनीतिक दलों पर जनता द्वारा दबाव बनाना:
राजनीतिक दलों पर जनता द्वारा दबाव बनाया जाय इस हेतु पत्र लिखने, प्रचार करने एवं आन्दोलन के माध्यम.से जनता यह कार्य कर सकती है। आम नागरिक दबाव समूह, आन्दोलन एवं मीडिया के माध्यम से यह कार्य कर सकता है। अपनी छवि खराब होने के भय से राजनीतिक दल अपने में सुधार करेंगे।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 4.
राजनीतिक दल का क्या अर्थ होता है ?
अथवा
राजनीतिक दल से क्या तात्पर्य है ?
अथवा
राजनीतिक दल का क्या अभिप्राय है? राजनीतिक दल के तीन अवयवों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजनीतिक दल का अर्थ:
राजनीतिक दल को लोगों के एक ऐसे संगठित समूह के रूप में समझा जा सकता है जो चुनाव लड़ने व सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है। समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर यह समूह कुछ नीतियाँ एवं कार्यक्रम तय करता है। इसके तीन प्रमुख अंग (अवयव) हैं-नेता, सक्रिय सदस्य एवं अनुयायी या समर्थक।

प्रश्न 5.
किसी भी राजनीतिक दल के क्या गुण होते हैं?
उत्तर:
किसी भी राजनीतिक दल के निम्नलिखित गुण होते हैं

  1. यह लोगों का एक ऐसा संगठित समूह होता है जो सरकार बनाने एवं चलाने के लिए समान मुद्दों पर सहमति दिखाते हुए साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं।
  2. समाज के सामूहिक हितों को सुनिश्चित करने के लिए इनके पास नीति व कार्यक्रम होते हैं।
  3. इनका एक चुनाव चिह्न होता है।
  4. समाज के विकास के लिए धरना, प्रदर्शन आदि करते हैं।
  5. वे अपनी नीतियों व कार्यक्रमों को चुनाव द्वारा जनता से प्राप्त लोकप्रिय समर्थन के माध्यम से लागू करते हैं।
  6. राजनीतिक दल समाज के मौलिक राजनीतिक विभाजन को परिलक्षित करते हैं।

प्रश्न 6.
चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता संभालने के लिए एकजुट हुए लोगों के समूह को “….”कहते हैं।
उत्तर:
राजनीतिक दल।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 7.
पहली सूची (संगठन/दल) और दूसरी सूची (गठबंधन/मोर्चा) के नामों का मिलान करें और नीचे दिए गए कूट नामों के आधार पर सही उत्तर ढूँढ़ें

सूची-I सूची-II
1. इंडियन नेशनल कांग्रेस (क) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन
2. भारतीय जनता पार्टी (ख) क्षेत्रीय दल
3. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (ग) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन
4. तेलुगु देशम पार्टी (घ) वाम मोर्चा उत्तर- कूट।
1 2 3 4
(क)
(ख)
(ग)
(ग)

उत्तर:
(ग) 1. ग,.2. क, 3. घ, 4. ख।

प्रश्न 8.
इनमें से कौन बहुजन समाज पार्टी का संस्थापक है?
(क) कांशीराम
(ख) साहू महाराज
(ग) बी. आर. आंबेडकर
(घ) ज्योतिबा फुले
उत्तर:
(क) कांशीराम।

प्रश्न 9.
भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धान्त क्या है?
(क) बहुजन समाज
(ख) क्रांतिकारी लोकतन्त्र
(ग) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
(घ) आधुनिकता
उत्तर:
(ग) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 10.
पार्टियों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर गौर करें
(अ) राजनीतिक दलों पर लोगों का ज्यादा भरोसा नहीं है।
(ब) दलों में अक्सर बड़े नेताओं के घोटालों की गूंज सुनाई देती है।
(स) सरकार चलाने के लिए पार्टियों का होना जरूरी नहीं। इन कथनों में से कौन सही है ?
(क) अ, ब और स
(ख) अ और ब
(ग) ब और स
(घ) अ और स
उत्तर:
(ख) अ और ब।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित उद्धरण को पढ़ें और नीचे दिए गए प्रश्नों का जवाब दें मोहम्मद युनूस बांग्लादेश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं। गरीबों के आर्थिक और सामाजिक विकास के प्रयासों के लिए उन्हें अनेक अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उन्हें और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को संयुक्त रूप से वर्ष 2006 का नोबेल शान्ति पुरस्कार दिया गया। फरवरी 2007 में उन्होंने एक राजनीतिक दल बनाने तथा संसदीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। उनका उद्देश्य सही नेतृत्व को उभारना, अच्छा शासन देना और नए बांग्लादेश का निर्माण करना है। उन्हें लगता है कि पारम्परिक दलों से अलग एक नए राजनीतिक दल से ही नई राजनीतिक संस्कृति पैदा हो सकती है।

उनका दल निचले स्तर से लेकर ऊपर तक लोकतांत्रिक होगा। नागरिक शक्ति नामक इस नये दल के गठन से बांग्लादेश में हलचल मच गई है। उनके फैसले को काफी लोगों ने पसंद किया तो अनेक को यह अच्छा नहीं लगा। एक सरकारी अधिकारी शाहेदुल इस्लाम ने कहा, “मुझे लगता है कि अब बांग्लादेश में अच्छे और बुरे के बीच चुनाव करना सम्भव हो गया है। अब एक अच्छी सरकार की उम्मीद की जा सकती है। यह सरकार न केवल भ्रष्टाचार से दूर होगी बल्कि भ्रष्टाचार और काले धन की समाप्ति को भी अपनी प्राथमिकता बनायेगी।”

मर दशकों से मुल्क की राजनीति में रुतबा रखने वाले पुराने दलों के नेताओं में संशय है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है-“नोबेल पुरस्कार जीतने पर क्या बहस हो सकती है पर राजनीति एकदम अलग चीज है। एकदम चुनौती भरी और अक्सर विवादास्पद।” कुछ अन्य लोगों का स्वर और कड़ा था। वे उनके राजनीति में आने पर सवाल उठाने लगे। एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा, “देश से बाहर की ताकतें उन्हें राजनीति पर थोप रही हैं।”

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

प्रश्न 1.
क्या आपको लगता है कि यूनुस ने नई राजनीतिक पार्टी बनाकर ठीक किया? क्या आप विभिन्न लोगों द्वारा जारी बयानों और संदेशों से सहमत हैं? इस पार्टी को दूसरों से अलग काम करने के लिए खुद को किस तरह संगठित करना चाहिए? अगर आप इस राजनीतिक दल के संस्थापकों में एक होते तो इसके पक्ष में क्या दलील देते?
उत्तर:
1. हाँ, मेरे विचार से युनूस ने नई राजनीतिक पार्टी बनाकर ठीक किया है।

2. हाँ, मैं समस्त प्रगतिशील लोकतांत्रिक जनता की भलाई के लिए किए गए उन लोगों के बयानों व अंदेशों से सहमत हूँ जो किसी-न-किसी रूप में युनूस के कार्यक्रम से सहमत हैं। लेकिन मैं बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक बड़े नेता के कथन से सहमत नहीं हूँ।

3. इस पार्टी को सभी लोगों के हित में काम करना चाहिए। अमीर-गरीब, साक्षर-निरक्षर, सभी तरह के लोगों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए, जो सभी लोगों के हित में हों।

4. यदि मैं इस राजनीतिक दल के संस्थापकों में से एक होता तो मैं बांग्लादेश के लोगों को यह विश्वास दिलाने का प्रयत्न करता कि इस नवगठित दल का एकमात्र उद्देश्य जनता की भलाई करना है। यह पार्टी जमीनी स्तर से ही ऊपरी स्तर तक लोकतांत्रिक होगी जिससे इस पर जन-साधारण का नियंत्रण रहेगा तथा वंशवाद का उभार नहीं होगा। यह पार्टी एक अधिक लोकतांत्रिक एवं पारदर्शी नवीन राजनीतिक संस्कृति को जन्म देने जा रही है, जिसकी बांग्लादेश को अति आवश्यकता है।

गतिविधि एवं क्रियाकलाप सम्बन्धी प्रश्न

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ सं. 74)

प्रश्न 1.
ठीक है, मान लिया कि हम दलों के बगैर नहीं रह सकते। पर ज़रा यह बताइए कि किस आधार पर जनता किसी राजनीतिक दल का समर्थन करती है?
उत्तर:
राजनीतिक दल हमारे ही लोगों का संगठन होता है। यदि हम सही विचार और उचित माँग के साथ हों और व्यवहार सही हो तो हम किसी भी राजनीतिक दल को सही कार्य करने पर मजबूर कर सकते हैं। ये दल हमारे प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित होते हैं जिन्हें हम चुनकर भेजते हैं। यदि फिर भी वह राजनीतिक पार्टी अपनी मनमानी करती है तो अगले चुनाव में हम अपने मताधिकार का प्रयोग करके उसे सबक सिखा सकते हैं।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 75)

प्रश्न 1.
राजनीतिक दलों की गतिविधियाँ दर्शाने वाली इन तस्वीरों का वर्गीकरण करें। ऊपर बताई गई गतिविधियों से सम्बन्धित अपने इलाके की कोई तस्वीर या खबर की कतरन ढूँढ़िए।
उत्तर:

  1. प्रथम तस्वीर: विपक्ष की भूमिका निभाता हुआ दल।
  2. द्वितीय तस्वीर: नीतियाँ व कार्यक्रमों का क्रियान्वयन।
  3. तृतीय तस्वीर: जनमत का निर्माण। (करतनें छात्र स्वयं ढूँढ़ें)

प्लस बॉक्स से (पृष्ठ संख्या 76)

प्रश्न 1.
किशन जी अब इस दुनिया में नहीं हैं। इन चारों कार्यकर्ताओं के बारे में आपकी क्या राय है? क्या उन्हें नया राजनीतिक दल बनाना चाहिए? क्या कोई राजनीतिक दल राजनीति में नैतिक बल बन सकता है? यह दल कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
किशन जी के न होने पर इन कार्यकर्ताओं को नया राजनीतिक दल बनाना चाहिए। प्रारम्भ में कुछ समय लग जायेगा, इन्हें अपनी पहचान बनाने में, लेकिन इस मुद्दे और नैतिक बल के होने पर लोग धीरे-धीरे उन पर विश्वास करने लगेंगे, लोगों का साथ उन्हें प्राप्त होने लगेगा, तब वे जनता की भलाई के लिए कुछ कर सकते हैं। कोई भी राजनीतिक दल अपने किए गए वादों को पूरा करके नैतिक बल प्राप्त कर सकता है।

वादों को पूरा करने पर लोगों का विश्वास उस राजनीतिक दल पर बढ़ेगा और उस दल को लोगों का समर्थन प्राप्त होगा। इस दल को लोगों की वर्तमान समस्याओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए। कार्यकर्ताओं का चयन ऐसे व्यक्तियों के रूप में हो जो समाज की सेवा के उद्देश्य से पार्टी से जुड़े हैं। लोगों की छोटी से छोटी समस्या पर ध्यान देकर उन्हें दूर करने का प्रयत्न करें। चुनाव में पर्याप्त सीट न होने पर विपक्ष में शामिल होकर लोगों की सेवा करके अपनी पार्टी की छवि को और स्वच्छ तथा मजबूत करना चाहिए।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 77)

प्रश्न 1.
आइए, दलीय व्यवस्था के बारे में हमने जो जाना उसे भारत के विभिन्न राज्यों पर लागू करें। यहाँ राज्य स्तर पर मौजूद तीन तरह की दलीय व्यवस्थाएँ दी गई हैं। क्या आप इन श्रेणियों के लिए कम से कम दो-दो राज्यों के नाम बता सकते हैं?
1. दो दलीय व्यवस्था
2. दो गठबंधनों वाली बहुदलीय व्यवस्था
3. बहुदलीय व्यवस्था।
उत्तर:
1. राजस्थान, गुजरात।
2. बिहार, असम।
3. उत्तर प्रदेश, बंगाल।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 83)

प्रश्न 1.
दल महिलाओं को पर्याप्त टिकट क्यों नहीं देते? क्या इसका कारण आंतरिक लोकतंत्र की कमी है? ।
उत्तर:
भारत में ज्यादातर आबादी गाँवों में निवास करती है। जहाँ महिलाएँ आज भी अशिक्षित हैं। जो महिलाएँ चुनाव जीत जाती हैं, उनके पति ही उनके कार्य-भार को सँभालते हैं, बिहार में लालू यादव के स्थान पर उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं, किन्तु समस्त काम-काज लालू यादव के हाथों में ही था। दूसरा, अभी आन्तरिक लोकतंत्र का अभाव है। महिलाएँ स्वयं भी राजनीति में कम भाग लेती हैं, धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ रही है, आगे आने वाले समय में महिलाओं की सत्ता में भागीदारी बढ़ेगी।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

क्या सीखा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 85)

प्रश्न 1.
क्या आप इस हिस्से में (पृष्ठ 83 से 85 तक) तक दिए गए कार्टूनों में दर्शायी गई चुनौतियों की पहचान कर सकते हैं? राजनीति में धन तथा बल के दुरुपयोग को रोकने के क्या तरीके हैं?
उत्तर:
इन कार्टूनों में राजनीति में धन तथा बल के प्रयोग से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को दर्शाया गया है। राजनीति में धन तथा बल के दुरुपयोग को रोकने के लिए सर्वप्रथम भ्रष्टाचार की समाप्ति करनी होगी। सूचना के अधिकार’ के द्वारा लोगों को अधिक जागरूक होना होगा, तभी धन तथा बल के दुरुपयोग से बचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त चुनाव आयोग को और अधिक कड़े कदम उठाने चाहिए तथा भ्रष्टाचारियों एवं अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगानी चाहिए।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 85)

प्रश्न 1.
क्या इसका मतलब यह है कि लोकतंत्र में लोग सिर्फ पैसे बनाने के लिए चुनाव लड़ते हैं? पर क्या यह सही नहीं कि बहुत से राजनेता जनता की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हैं?
उत्तर:
ऐसा नहीं है कि सभी लोग लोकतंत्र में सिर्फ पैसा बनाने के लिए चुनाव लड़ते हैं। हमारे देश में भी पहले कई ऐसे राजनेता हुए हैं जो जनता की भलाई के प्रतिबद्ध थे क्योंकि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है इसलिए हमें ऐसा लगता है कि सभी लोग पैसे बनाने के लिए ही चुनाव लड़ते हैं।

कार्टून से (पृष्ठ संख्या 86)

प्रश्न 1.
क्या आप इस तरह से राजनीतिक दलों को सुधारने का समर्थन करते हैं?
उत्तर:
हाँ, क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। राजनीतिक दलों का उद्देश्य लोकतंत्र को मजबूत बनाना होना चाहिए।

JAC Class 10 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

JAC Class 10th Civics जन-संघर्ष और आंदोलन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
दबाव: समूह और आन्दोलन राजनीति को किस तरह प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
दबाव समूह और आन्दोलन राजनीति को निम्न प्रकार से प्रभावित करते हैं
1. प्रचार के माध्यम से:
दबाव समूह एवं आन्दोलन अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए जनता का व्यापक समर्थन व सहानुभूति प्राप्त करने के लिए प्रचार का सहारा लेते हैं। इसके लिए सूचना अभियान चलाना, बैठकें आयोजित करना अथवा याचिका दायर करना जैसे तरीकों का सहारा लिया जाता है। ऐसे अधिकांश समूह मीडिया को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं ताकि उनके द्वारा उठाये गये मुद्दों पर मीडिया का ध्यान आकर्षित हो।

2. हड़ताल अथवा राजकीय कामकाज में बाधा पहुँचाना:
दबाव समूह एवं आन्दोलन सामान्यतया हड़ताल अथवा राजकीय कामकाज में बाधा पहुँचाने जैसे उपायों का सहारा लेते हैं ताकि सरकार उनकी माँगों की ओर ध्यान देने के लिए मजबूर हो। सामान्यतया मजदूर संगठन, कर्मचारी संघ एवं अधिकांश आन्दोलनकारी समूह ऐसी ही युक्तियों का प्रयोग करते हैं।

3. पेशेवर ‘लॉबिस्ट’ नियुक्त करना:
व्यवसाय समूह प्रायः पेशेवर ‘लॉबिस्ट’ नियुक्त करते हैं अथवा महँगे विज्ञापनों को प्रायोजित करते हैं। दबाव समूह एवं आन्दोलनकारी समूहों के कुछ सदस्य सरकार को सलाहकार समितियों एवं आधिकारिक निकायों को साथ लेकर अपने पक्ष में सरकार पर दबाव बनाते हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

प्रश्न 2.
दबाव: समूहों तथा राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप कैसा होता है ? वर्णन करें।
उत्तर:
दबाव समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप निम्नलिखित प्रकार का होता है
1. राजनीतिक दलों की शाखा के रूप में:
कई मामलों में दबाव समूह राजनीतिक दलों के ही निर्मित होते हैं अथवा उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के नेता ही करते हैं। कुछ दबाव समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, भारत के अधिकांश मजदूर संगठन एवं छात्र संगठन या तो बड़े राजनीतिक दलों द्वारा निर्मित होते हैं अथवा उनकी संवद्धता राजनीतिक दलों से होती है।

2. राजनीतिक दलों का रूप ले लेनी:
कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप ले लेते हैं। उदाहरण के रूप में, विदेशी लोगों के विरुद्ध छात्रों ने असम आन्दोलन का संचालन किया तथा जब इस आन्दोलन का समापन हुआ तो इसने असम गण परिषद नाम से राजनीतिक दल का रूप ले लिया।

3. राजनीतिक दलों के साथ संवाद:
अधिकांश दबाव समूह एवं आन्दोलनों का राजनीतिक दलों के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता। दोनों परस्पर विरोधी पक्ष लेते हैं। इसके बावजूद उनके बीच संवाद कायम रहता है तथा समझौते की बातचीत चलती रहती है। आन्दोलनकारी समूहों ने नए-नए मुद्दे उठाये हैं तथा राजनीतिक दलों ने इन मुद्दों को आगे बढ़ाया है। राजनीतिक दलों के अधिकांशत: नए नेता दबाव समूहों अथवा आन्दोलनकारी समूहों से आते हैं।

प्रश्न 3.
दबाव: समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकारको कामकाज में कैसे उपयोगी होती हैं ?
उत्तर:
प्रायः सरकार धनी एवं शक्तिशाली लोगों के अनुचित दबाव में आ सकती है। दबाव समूह एवं आन्दोलन समूह इस अनुचित दबाव को कम करने में सहायक सिद्ध होते हैं। दबाव समूह सामान्य लोगों के हितों और आवश्यकताओं के बारे में याद दिलाते हैं। जहाँ एक समूह आन्दोलन करके सरकार को अपने पक्ष में निर्णय लेने के लिए दबाव डालता है वहीं दूसरा समूह उसके पक्ष में निर्णय न लेने के लिए दबाव डालता है और सरकार को सोच-समझकर निर्णय लेने पर बाध्य करता है। दबाव समूह की गतिविधियाँ इस प्रकार सरकार के लिए उपयोगी होती हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

प्रश्न 4.
दबाव समूह क्या हैं? कुछ उदाहरण बताइए।
अथवा
दबाव समूह का अर्थ बताइए।
उत्तर:
वे संगठन दबाव समूह कहलाते हैं जो सरकार की नीतियों से असंतुष्ट होते हैं और उन्हें प्रभावित करते हैं। इसमें एक समान इच्छा, व्यवसाय या विचार के लोग एक जैसी माँगों के लिए एकत्रित होकर आन्दोलन करते हैं। उदाहरण वर्ग विशेष के हित समूह जैसे मजदूर संगठनं, व्यावसायिक संघ एवं पेशेवरों (वर्कील, डॉक्टर व शिक्षक आदि के निकाय)। जन सामान्य के हित समूह जैसे मानवाधिकारों के संगठन, बँधुआ मजदूरी के विरुद्ध लड़ने वाले समूह आदि।

प्रश्न 5.
दबाव समूह और राजनीतिक दल में क्या अन्तर है ?
अथवा
राजनीतिक दल तथा दबाव समूह में तीन प्रमुख अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दबाव समूह तथा राजनीतिक दल में निम्नलिखित अन्तर हैं

  1. राजनीतिक दलों में लोगों की संख्या कम होती है, जबकि दबाव समूहों में लोगों की संख्या अधिक होती है।
  2. दबाव समूहों में एक नेता होता है जिसके निर्देश पर समूह कार्य करता है, जबकि राजनीतिक दलों में कई नेता हो सकते हैं।
  3. राजनीतिक दल सरकार से सीधे सम्बन्धित होते हैं जबकि दबाव समूह सत्ता से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े नहीं होते हैं।
  4. दबाव समूहों का संगठन, सुगठित नहीं होता है जबकि राजनीतिक दलों का संगठन सुगठित होता है।

प्रश्न 6.
जो संगठन विशिष्ट सामाजिक वर्ग जैसे मजदूर, कर्मचारी, शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलाते हैं, उन्हें ……….. कहा जाता है।
उत्तर:
वर्ग विशेष के हित समूह।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में किस कथन से स्पष्ट होता है कि दबाव समूह और राजनीतिक दल में अन्तर होता है
(क) राजनीतिक दल राजनीतिक पक्ष लेते हैं, जबकि दबाव: समूह राजनीतिक मसलों की चिन्ता नहीं करते।
(ख) दबाव: समूह कुछ लोगों तक ही सीमित होते हैं, जबकि राजनीतिक दल का दायरा ज्यादा लोगों तक फैला होता है।
(ग) दबाव: समूह सत्ता में नहीं आना चाहते, जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।
(घ) दबाव: समूह लोगों की लामबंदी नहीं करते, जबकि राजनीतिक दल करते हैं।
उत्तर:
(ग) दबाव: समूह सत्ता में नहीं आना चाहते, जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

प्रश्न 8.
सूची-I(संगठन और संघर्ष) का मिलान सूची-II से कीजिए और सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर चुनिए

सूची-I सूची-II
1. किसी विशेष तबके या समूह के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन (क) आन्दोलन
2. जन-सामान्य के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन। (ख) राजनीतिक दल
3. किसी सामाजिक समस्या के समाधान के लिए चलाया गया एक ऐसा संघर्ष जिसमें सांगठनिक संरचना हो भी सकती है और नहीं भी। (ग) वर्म-विशेष के हित समूह
4. ऐसा संगठन जो राजनीतिक सत्ता पाने की गरज से लोगों को (घ) लोक कल्याणकारी हित समूह लामबंद करता है।
1 2 3 4
(क)
(ख)
(ग)
(घ)

प्रश्न 9.
सूची-I का सूची-II मिलान करें और सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर को चनें

सूची-I सूची-II
1. दबाव समूह (क) नर्मदा बचाओ आन्दोलन
2. लम्बी अवधि का आन्दोलन (ख) असम गण परिषद्
3. एक मुद्दे पर आधारित आन्दोलन (ग) महिला आन्दोलन
4. राजनीतिक दल (घ) खाद विक्रेताओं का संघ
1 2 3 4
(अ)
(ब)
(स)
(द)

उत्तर:
(अ)1. (घ), 2. (ग), 3. (क), 4. (ख)।

प्रश्न 10.
दबाव: समूहों और राजनीतिक दलों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(क) दबाव: समूह समाज के किसी खास तबके के हितों की संगठित अभिव्यक्ति होते हैं।
(ख) दबाव: समूह राजनीतिक मुद्दों पर कोई-न-कोई पक्ष लेते हैं।
(ग) सभी दबाव: समूह राजनीतिक दल होते हैं। अब नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनें
(अ) क, ख, और ग
(ब) क और ख
(स) ख और ग
(द) क और ग
उत्तर:
(ब) क और खं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

प्रश्न 11.
मेवात हरियाणा का सबसे पिछड़ा इलाका है। यह गुड़गाँव और फरीदाबाद जिले का हिस्सा हुआ करता था। मेवात के लोगों को लगा कि इस इलाके को अगर अलग जिला बना दिया जाय तो इस इलाके पर ज्यादा ध्यान जाएगा। लेकिन, राजनीतिक दल इस बात में कोई रुचि नहीं ले रहे थे। सन् 1996 में मेवात एजुकेशन एंड सोशल ऑर्गेनाइजेशन तथा मेवात साक्षरता समिति ने अलग जिला बनाने की मांग उठाई। बाद में सन् 2000 में मेवात विकास सभा की स्थापना हुई। इसने एक के बाद एक कई जन-जागरण अभियान चलाये।

इससे बाध्य होकर बड़े दलों यानी। कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल को इस मुद्दे को अपना समर्थन देना पड़ा। उन्होंने फरवरी 2005 में होने वाले विधानसभा के चुनाव से पहले ही कह दिया कि नया जिला बना दिया जाएगा। नया जिला सन् 2005 की जुलाई में बना। इस उदाहरण में आपको आन्दोलन, राजनीतिक दल और सरकार के बीच क्या रिश्ता नजर आता है? क्या आप कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हैं जो इससे अलग रिश्ता बताता हो ?
उत्तर:
इस उदाहरण से यह पता चलता है कि जब कोई आन्दोलन होता है तो राजनीतिक दल अपने हित में उसे समर्थन देते हैं। सरकार यदि सत्ता में बनी रहना चाहती है तो इस जनाधार की मांगों को मान लेने में ही उसका हित है। ऐसा ही एक उदाहरण नर्मदा बचाओ आन्दोलन है। इस आन्दोलन को बड़ा जनाधार प्राप्त है। फिर भी सरकार इन माँगों को नहीं मान रही है। राजनीतिक दलों के विचार भी अलग-अलग हैं।

गतिविधि एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 60)

प्रश्न 1.
क्या आप यह बताना चाहते हैं कि हड़ताल, धरना, प्रदर्शन और बंद जैसी चीजें लोकतंत्र के लिए अच्छी
उत्तर:
लोकतंत्र में कोई भी व्यक्ति अपनी मांगों को प्रदर्शित करने के लिए स्वतंत्र है। उसके लिए हड़ताल, धरना, प्रदर्शन आदि लोकतंत्र के तरीके हैं जिन्हें कोई भी अपना सकता है। यह सभी उचित माँगों के लिए किया जाता है तो ठीक होता है। वहीं यदि अनुचित माँगों के लिए किया जाता है, तो यह अच्छा नहीं होता है। किसी देश में इन सबका होने का अर्थ है कि वहाँ लोकतंत्र सही अर्थों में चल रहा है। यह केवल हमारा देश नहीं है जहाँ .ये सब चीजें होती हैं। प्रत्येक लोकतांत्रिक देश में जब जनता की सामान्य इच्छाओं का दमन होता है तो लोग धरना प्रदर्शन आदि करते हैं।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 61)

प्रश्न 1.
क्या इसका मतलब यह हुआ कि जिस पक्ष ने ज्यादा संख्या में लोग जुटा लिए वह अपना चाहा हुआ सब कुछ हासिल कर लेगा? क्या हम यह माने कि लोकतंत्र का मतलब जिसकी लाठी उसकी भैंस?
उत्तर:
भीड़ एकत्रित होकर कोई प्रदर्शन करती है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह जिस माँग की बात कर रहे हैं वह पूरी हो जाए। यदि उनकी माँग उचित है तो सरकार उनकी माँग पर विचार करती है। यदि माँग जायज है तो उनकी माँग मान ली जाती है। यदि माँग उचित नहीं है तो सरकार इस प्रकार के प्रदर्शन या. हड़ताल को अवैध मानती है और उसे समाप्त करने का आदेश देती है।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 61)

प्रश्न 1.
सन् 1984 में कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक पल्पवुड लिमिटेड नाम से एक कम्पनी बनाई। इस कम्पनी को लगभग 30,000 हेक्टेयर जमीन 40 सालों के लिए एक तरह से मुफ्त में दे दी गई। इसमें से अधिकांश जमीन का इस्तेमाल किसान अपने पशुओं के लिए चरागाह के रूप में करते थे। कम्पनी ने इस जमीन पर यूक्लिप्टस के पेड़ लगाने शुरू किए। इन पेड़ों का इस्तेमाल कागज बनाने की लुग्दी तैयार करने के लिए किया जाना था। सन् 1987 में कित्तिको-हक्चिको (अर्थात् तोड़ो और रोपो) नाम का एक आन्दोलन शुरू हुआ। इसमें अहिंसक प्रतिरोध का रास्ता अख्तियार किया गया। लोगों ने यूक्लिप्टस के पेड़ तोड़े और इनकी जगह वैसे पेड़ों के बिचड़े लगाए जो जनता के लिए फायदेमंद थे। नीचे कुछ समूहों के नाम दिए गए हैं। अगर आप इनमें से किसी भी समूह में होते तो अपने पक्ष के समर्थन में क्या दलील देते? स्थानीय किसान, पर्यावरणवादी कार्यकर्ता, उपर्युक्त कम्पनी में काम करने वाला अधिकारी अथवा कागज का उपभोक्ता।
उत्तर:
स्थानीय किसान-यूक्लिप्टस के पेड़ आस-पास होने से वह अन्य पेड़ों को नष्ट कर देते हैं जिससे जानवरों के लिए चारा नष्ट हो जाता है। कुछ समय बाद जमीन बंजर हो जाती है, इसलिए इस पेड़ को न उगाया जाए। पर्यावरणवादी कार्यकर्ता-जिस स्थान पर यूक्लिप्टस का पेड़ लगाया जाता है वह जमीन कुछ दिनों बाद बंजर हो जाती है। इसके अलावा वे अपने नीचे किसी भी पेड़-पौधे को पनपने नहीं देते।

उपर्युक्त कम्पनी में काम करने वाला अधिकारी-कम्पनी का अधिकारी होने के कारण मेरा कार्य अपने कर्त्तव्य की पूर्ति करना है। कागज की लुग्दी तैयार करने के लिए मैं इन पेड़ों को अधिक संख्या में लगाकर अपना कार्य कर रहा हूँ। यदि ये पेड़ नहीं होंगे तो कागज कहाँ से बनेगा। काका कागज का उपभोक्ता-मुझे खुशी है कि यहाँ लुगदी बनाने वाली कम्पनी खुल रही है। कम्पनी के पास में होने के कारण हमें जल्दी ही सस्ते दामों में कागज प्राप्त होगा।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्योन 63)

प्रश्न 1.
अखबार की इन कतरनों में जिन दबाव-समूहों का जिक्र किया गया है? क्या आप उन्हें पहचान सकते हैं? वे क्या माँग कर रहे हैं ?
उत्तर:
पाठ्यपुस्तक की पृष्ठ संख्या 63 पर दी गयी अखबार की कतरनों में जिन दबाव-समूहों का जिक्र किया गया है, वे हैं-ऐटक, पत्रकार, दिल्ली के व्यापारी, गैर-सरकारी संगठन आदि।
उपर्युक्त दबाव-समूहों द्वारा निम्नलिखित माँगें की जा रही हैं

  1. ऐटक: इसके द्वारा विदेश नीति में अमेरिका की तरफ झुकाव का विरोध किया जा रहा है।
  2. पत्रकार: ये साथी पत्रकारों पर हुए हमले का विरोध कर रहे हैं तथा हमलावरों के विरुद्ध कार्यवाही की माँग कर रहे हैं।
  3. दिल्ली के व्यापारी: ये मूल्यवर्धित कर (VAT) की समय पर व्यापारियों को पुनर्वापसी किए जाने की माँग कर रहे हैं।
  4. गैर: सरकारी संगठन-ये संगठन भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मानक दवाइयों की आपूर्ति किए जाने की माँग कर रहे हैं क्योंकि इन पीड़ितों को नकली या कम गुणवत्ता वाली दवाइयों की आपूर्ति की जा रही है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 66)

प्रश्न 1.
समाचार की इन कतरनों में किन सामाजिक आन्दोलनों का जिक्र है? ये आन्दोलन क्या प्रयास कर रहे हैं और समाज के किस तबके को लामबंद करने की कोशिश में जुटे हैं?
उत्तर:

  1. दी गयी कतरनों में सामाजिक आन्दोलनों की जानकारी दी गयी है। सरकारी खातों का सामयिक ऑडिट, मध्य प्रदेश के आदिवासी लोगों द्वारा जंगल की भूमि पर अपने अधिकार की माँग आदि प्रमुख हैं।
  2. सामाजिक संगठन राजस्थान में अनियमितताओं को दूर करने के लिए लोगों को अपनी जिम्मेदारी उठाने के लिए लामबंद कर रहे हैं।
  3. सूचना का अधिकार के कार्यकर्ता सार्वजनिक वितरण प्रणाली के विरोध में मुद्दे उठाने का प्रयत्न कर रहे हैं। इस प्रकार समाज के गरीब लोगों को लामबंद करने की कोशिश कर रहे हैं।
  4. मध्य प्रदेश के आदिवासी जंगल से अपने विस्थापन का विरोध कर रहे हैं। वन भूमि पर अपने पूर्ण अधिकार को प्राप्त करने के लिए आदिवासी लोगों को लामबंद करने का प्रयत्न कर रहे हैं।
  5. के. एस. एस. पी., ए. डी. बी. ऋणों को सही ढंग से बाँटने के लिए बैंक कर्मचारियों पर दबाव डाल रहे हैं और वे ऋण के प्रति जागरूक होने के लिए गरीब किसानों को लामबंद कर रहे हैं।

कार्टून से (पृष्ठ संख्या 66)

प्रश्न:
क्या आप ऐसा सोचते हैं कि यह कार्टून इस कानून के पालन में नौकरशाही की अवरोधी भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है ?
उत्तर:
नहीं, यह कार्टून इस स्थिति का बिल्कुल ठीक ढंग से व्याख्यान नहीं कर रहा है। यह कार्टून दिखाता है कि प्रधानमन्त्री जनता के मध्य ‘सूचना का अधिकार कानून’ का उद्घाटन कर रहे हैं। एक व्यक्ति इस कानून को जनता को उपलब्ध करा रहा है किन्तु जनता को यह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है क्योंकि इस कानून के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा : .सरकारी कर्मचारी अथवा नौकरशाह ही हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 68)

प्रश्न 1.
ऊपर के अनुच्छेद में आपको लोकतंत्र और सामाजिक आन्दोलन में क्या सम्बन्ध नजर आ रहा है? इस आन्दोलन को सरकार के प्रति क्या रवैया अपनाना चाहिए ?
उत्तर:
उपरोक्त अनुच्छेद में बांगरी मथाई किसानों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन उन्हें जब यह पता चला कि इस भूमि को सरकार ने बेच दिया है तो वे बहुत नाखुश हुई। यह सरकार द्वारा फैलाया जा रहा भ्रष्टाचार था। ऐसा करना लोकतंत्र के नियमों के खिलाफ था। अतः इस सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन करना चाहिए, आन्दोलन में सरकारी काम-काज के तरीकों का विरोध करना चाहिए। जब तक न्याय न मिले तब तक आन्दोलन चालू रखना चाहिए।

कार्टून से (पृष्ठ संख्या 68)

प्रश्न 1.
इस कार्टून का शीर्षक है ‘खबर-बेखबर’। मीडिया में अक्सर किसकी चर्चाएं चलती हैं? अखबारों में ज्यादातर किनके बारे में लिखा गया होता है ?
उत्तर:

  1. व्यवसायी, मंत्री, नेता, खिलाड़ी, फिल्म आदि के बारे में मीडिया में अक्सर चर्चाएँ होती हैं।
  2. दैनिक जीवन में घटने वाली घटनाएँ, खेल, पर्यावरण, सामाजिक कार्यकर्ता आदि के बारे में लिखा होता है।

JAC Class 10 Social Science Solutions