JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Exercise 13.2

प्रश्न 1.
एक ठोस एक अर्द्धगोले पर खड़े एक शंकु के आकार का है जिनकी त्रिज्याएँ 1 ऊँचाई उसकी त्रिज्या के बराबर है। इस ठोस का आयतन π के पदों में ज्ञात कीजिए ।
हल :
दिया है,
सेमी हैं तथा शंकु की
अर्द्धगोले की त्रिज्या (r) = शंकु की त्रिज्या (r) = 1 सेमी
तथा शंकु की ऊँचाई (h) = शंकु की त्रिज्या (r)
h = 1 सेमी
अर्द्धगोले का आयतन = \(\frac {2}{3}\)πr3
= \(\frac {2}{3}\) × π × (1)3
= \(\frac {2}{3}\) π घन सेमी
शंक्वाकार भाग का आयतन = \(\frac {1}{3}\)πr2h
= \(\frac {1}{3}\)π × (1)2 × (1)
= \(\frac {1}{3}\)π घन सेमी
∴ ठोस का आयतन = अर्द्धगोले का आयतन + शंक्वाकार भाग का आयतन
= (\(\frac {2}{3}\)π + \(\frac {1}{3}\)π) घन सेमी
= π = 3.14 घन सेमी
अतः ठोस का आयतन = 3.14 घन सेमी

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प्रश्न 2.
एक इंजीनियरिंग के विद्यार्थी रचेल से एक पतली ऐलुमिनियम की शीट का प्रयोग करते हुए एक मॉडल बनाने को कहा गया जो एक ऐसे बेलन के आकार का हो जिसके दोनों सिरों पर दो शंकु जुड़े हुए हों। इस मॉडल का व्यास 3 सेमी है और इसकी लम्बाई 12 सेमी है। यदि प्रत्येक शंकु की ऊँचाई 2 सेमी हो, तो रचेल द्वारा बनाए गए मॉडल में अन्तर्विष्ट हवा का आयतन ज्ञात कीजिए। (यह मान लीजिए कि मॉडल की आन्तरिक और बाहरी विमाएँ लगभग बराबर हैं।)
हल :
दिया है,
शंकु की त्रिज्या (r) = बेलन की त्रिज्या (r)
= \(\frac {3}{2}\)सेमी = 1.5 सेमी
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∵ प्रत्येक शंकु की ऊँचाई (h) = 2 सेमी
∴ बेलन की ऊँचाई (H) = (12 – 2 – 2) सेमी
= 8 सेमी
बेलन में हवा का आयतन = बेलन का आयतन + 2 × शंकु का आयतन
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 2
अतः बेलन में हवा का आयतन = 66 घन सेमी

प्रश्न 3.
एक गुलाबजामुन में उसके आयतन की लगभग 30% चीनी की चाशनी होती है। 45 गुलाबजामुनों में लगभग कितनी चाशनी होगी, यदि प्रत्येक गुलाब जामुन एक बेलन के आकार का है, जिसके दोनों सिरे अर्द्ध- गोलाकार हैं तथा इसकी लम्बाई 5 सेमी और व्यास 2.8 सेमी है (देखिए आकृति) ।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 3
हल :
दिया है,
बेलनाकार गुलाब जामुन का व्यास = 2.8 सेमी
गुलाब जामुन के बेलनाकार भाग तथा अर्द्धगोलाकार भाग की उभयनिष्ठ त्रिज्या (r) = \(\frac {2.8}{2}\) = 1.4 सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 4
बेलनाकार भाग की ऊँचाई (h) = (5 – 1.4 – 1.4) सेमी
= 2.2 सेमी
एक गुलाबजामुन का आयतन = बेलनाकार भाग का आयतन + 2 × अर्द्धगोलाकार भाग का आयतन
= πr²h + 2 × \(\frac {2}{3}\)πr3 = πr²[h + \(\frac {4}{3}\)r]
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 5
∴ एक गुलाब जामुन का = 25.05 घन सेमी
∴ 45 गुलाब जामुन का आयतन = 45 × 25.05 घन सेमी
= 1127.28 घन सेमी
चीनी की चाशनी का आयतन = 45 गुलाब जामुन के आयतन का 30%
= 1127.28 × \(\frac {30}{100}\)
= 338.184 घन सेमी
अतः चीनी की चाशनी की मात्रा = 338 घन सेमी (लगभग)।

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प्रश्न 4.
निम्न चित्र में एक कलमदान घनाभ के आकार की एक लकड़ी से बना है जिसमें कलम रखने के लिए चार शंक्वाकार गड्ढे बने हुए हैं। घनाभ की विमाएँ 15 सेमी × 10 सेमी × 3.5 सेमी हैं। प्रत्येक गड्ढे की त्रिज्या 0.5 सेमी है और गहराई 1.4 सेमी है। पूरे कलमदान में लकड़ी का आयतन ज्ञात कीजिए ।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 6
हल :
दिया है,
घनाभ की लम्बाई (l) = 15 सेमी
घनाभ की चौड़ाई (b) = 10 सेमी
घनाभ की ऊँचाई (h) = 3.5 सेमी
शंक्वाकार गड्ढे की त्रिज्या (r) = 0.5 सेमी
शंक्वाकार गड्ढे की गहराई (h’) = 1.4 सेमी
घनाभ का आयतन = l × b × h
= 15 × 10 × 3.5
= 525 घन सेमी
प्रत्येक शंक्वाकार गड्ढे का आयतन = \(\frac {1}{3}\)πr²h
= \(\frac{1}{3} \times \frac{22}{7}\) × 0.5 × 0.5 × 1.4
= \(\frac {1.1}{3}\) घन सेमी
चार शंक्वाकार गड्ढों का आयतन = 4 × \(\frac {1.1}{3}\) घन सेमी
= \(\frac {4.4}{3}\) = 1.467 घन सेमी
∴ कलमदान में लगी लकड़ी का आयतन
= घनाभ का आयतन – 4 शंक्वाकार गड्ढों का आयतन
= (525 – 1.467) घन सेमी
= 523.533 घन सेमी
अत: पूरे कलमदान में लकड़ी का आयतन
= 523.53 घन सेमी

प्रश्न 5.
एक बर्तन एक उल्टे शंकु के आकार का है। इसकी ऊँचाई 8 सेमी है और इसके ऊपरी सिरे (जो खुला हुआ है) की त्रिज्या 5 सेमी है। यह ऊपर तक पानी से भरा हुआ है। जब इस बर्तन में सीसे की कुछ गोलियाँ जिनमें वा प्रत्येक 0.5 सेमी त्रिज्या वाला एक गोला है, डाली जाती हैं 8 तो इसमें से भरे हुए पानी का एक-चौथाई भाग बाहर निकल जाता है। बर्तन में डाली गई सीसे की गोलियों की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है,
शंकु की त्रिज्या (r) = 5 सेमी
तथा शंकु की ऊँचाई (h) = 8 सेमी
सीसे की गोली की त्रिज्या (r’) = 0.5 सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 7
∴ शंक्वाकार बर्तन या उसमें भरे पानी का आयतन
= \(\frac {1}{3}\)πr²h
= \(\frac {1}{3}\) × π × (5)² × 8
= \(\frac {200π}{3}\) घन सेमी
∵ सीसे की गोलियाँ डालने से भाग \(\frac {1}{4}\) पानी बाहर निकलता है।
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प्रश्न 6.
ऊँचाई 220 सेमी और आधार व्यास 24 सेमी वाले एक बेलन, जिस पर ऊँचाई 60 सेमी और त्रिज्या 8 सेमी वाला एक अन्य बेलन आरोपित है, से लोहे का एक स्तम्भ बना है। इस स्तम्भ का द्रव्यमान ज्ञात कीजिए, जबकि दिया है 1 घन सेमी लोहे का द्रव्यमान लगभग 8 ग्राम होता है। (π = 3.14 लीजिए)
हल :
दिया है,
एक बेलन का व्यास = 24 सेमी
बेलन की त्रिज्या (R) = \(\frac {24}{2}\) = 12 सेमी
बेलन की ऊँचाई (H) = 220 सेमी
इस बेलन का आयतन = πr²H
= π × (12)² × 220
= π × 144 × 220 = 31680π घन सेमी
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अब, दूसरे बेलन की त्रिज्या (r) = 8 सेमी
तथा ऊँचाई (h) = 60 सेमी
दूसरे बेलन का आयतन
= πr²h
= π × (8)² × 60
= π × 64 × 60
= 3840π घन सेमी
∴ पूरे स्तम्भ का आयतन = एक बेलन का आयतन + दूसरे बेलन का आयतन
= 31680π + 3840π
= 35520π घन सेमी
= 35520 × 3.14 घन सेमी
= 111532.8 घन सेमी
बेलनाकार स्तम्भ का द्रव्यमान
= आयतन × 1 घन सेमी लोहे का भार
= 111532.8 × 8 ग्राम
= 892262.4 ग्राम
= \(\frac {892262.4}{1000}\) किग्रा
= 892.2624 किग्रा = 892.26 किग्रा
अतः स्तम्भ का द्रव्यमान = 892.26 किग्रा

प्रश्न 7.
एक ठोस में, ऊँचाई 120 सेमी और त्रिज्या 60 सेमी वाला एक शंकु सम्मिलित है, जो 60 सेमी त्रिज्या वाले एक अर्द्धगोले पर आरोपित है। इस ठोस को पानी से भरे हुए एक लम्बवृत्तीय बेलन में इस प्रकार सीधा डाल दिया जाता है कि बेलन की तली को स्पर्श करे। यदि बेलन की त्रिज्या 60 सेमी है और ऊंचाई 180 सेमी है तो बेलन में शेष बचे पानी का आयतन ज्ञात कीजिए ।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 10
हल :
दिया है,
शंकु की त्रिज्या (r) = अर्द्धगोले की त्रिज्या (r)
= बेलन की त्रिज्या (r)
= 60 सेमी
शंकु की ऊँचाई (h) = 120 सेमी
बेलन की ऊँचाई (H) = 180 सेमी
बेलनाकार बर्तन में पानी का आयतन = πr²H
= \(\frac {22}{7}\) × 60 × 60 × 180
= 2036571.4 घन सेमी
बेलन में डाले गये ठोस का आयतन
= अर्द्धगोले का आयतन + शंकु का आयतन
= \(\frac {2}{3}\)πr3 + \(\frac {1}{3}\)πr²h
= \(\frac {1}{3}\)πr²[2r + h]
= \(\frac {1}{3}\) × \(\frac {22}{7}\) × 60 × 60[2 × 60 + 120]
= \(\frac {1}{3}\) × \(\frac {22}{7}\) × 3600 × 240
= 905142.86 घन सेमी
∴ बेलन में शेष बचे पानी का आयतन = बेलन का आयतन – बर्तन में डाले गए ठोस का आयतन
= 2036571.4 – 905142.86
= 1131428.5 घन सेमी
= \(\frac{1131428.5}{100 \times 100 \times 100}\)घन मीटर
= 1.131 घन मीटर
अतः बेलन में शेष बच्चे पानी का आयतन = 1.131 घन मीटर

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प्रश्न 8.
एक गोलाकार काँच के बर्तन की एक बेलन के आकार की गर्दन है जिसकी लम्बाई 8 सेमी है और व्यास 2 सेमी है जबकि गोलाकार भाग का व्यास 8.5 सेमी है। इसमें भरे जा सकने वाले पानी की मात्रा माप कर, एक बच्चे ने यह ज्ञात किया कि इस बर्तन का आयतन 345 सेमी है। जाँच कीजिए कि उस बच्चे का उत्तर सही है या नहीं, यह मानते है हुए कि उपर्युक्त मापन आन्तरिक मापन है और π = 3.14.
हल :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 11
दिया है,
बेलनाकार गर्दन का व्यास = 2 सेमी
बेलनाकार गर्दन की त्रिज्या (r) = \(\frac {2}{2}\) = 1 सेमी
बेलनाकार भाग की ऊँचाई (h) = 8 सेमी
गोलाकार भाग का व्यास = 8.5 सेमी
गोलाकार भाग की त्रिज्या (R) = \(\frac {8.5}{2}\)सेमी
बर्तन में पानी का आयतन = गोलाकार भाग का आयतन + बेलनाकार भाग का आयतन
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 12
अतः बच्चे का उत्तर 345 घन सेमी गलत है।
बर्तन का आयतन = 346.51 घन सेमी।

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JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Exercise 13.1

प्रश्न 1.
दो घनों, जिनमें से प्रत्येक का आयतन 64 सेमी3 है, के संलग्न फलकों को मिलाकर एक ठोस बनाया जाता है। इससे प्राप्त घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए ।
हल :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1 - 1
माना कि घन की प्रत्येक भुजा = x सेमी
घन का आयतन = 64 सेमी3 (दिया है)
हम जानते हैं,
घन का आयतन = (भुजा)3
⇒ 64 = (x)3
⇒ x = \(\sqrt[3]{64}\)
∴ x = 4 सेमी
∴ घन की भुजा = 4 सेमी
∵ जब दोनों घनों को साथ-साथ जोड़ा जाता है, तो घनाभ बन जाता है।
जिसकी लम्बाई (l) = 2x = 2 × 4 = 8 सेमी
चौड़ाई (b) = x = 4 सेमी
ऊँचाई (h) = x = 4 सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1 - 2
∴ घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2 × (lb + bh + hl)
= 2 × (8 × 4 + 4 × 4 + 4 × 8)
= 2 × (32 + 16 + 32)
= 2 × 80
= 160 वर्ग सेमी
अतः नये घनाभ का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 160 वर्ग सेमी

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प्रश्न 2.
कोई बर्तन एक खोखले अर्धगोले के आकार का है जिसके ऊपर एक खोखला बेलन ध्यारोपित है। अर्द्धगोले का व्यास 14 सेमी है और इस बर्तन (पात्र) की कुल चाई 13 सेमी है। इस बर्तन का आन्तरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1 - 3
हल :
दिया है,
अर्द्धगोले तथा बेलन की उभयनिष्ठ त्रिज्या (r) = \(\frac {14}{2}\) = 7 सेमी
∴ अर्द्धगोले की त्रिज्या (r) = 7 सेमी
बेलन की त्रिज्या (r) = 7 सेमी
∵ बर्तन की कुल ऊँचाई = 13 सेमी
∴ बेलन की ऊँचाई (h) = (13 – 7) = 6 सेमी
बर्तन का आन्तरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल
= बेलन का आन्तरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल + अर्द्धगोले का आन्तरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2πrh + 2πr² = 2πr (h + r)
= 2 × \(\frac {22}{7}\) × 7× (6 + 7)
= 44 × 13 = 572 वर्ग सेमी
अतः बर्तन (पात्र) का कुल आन्तरिक पृष्ठीय क्षेत्रफल = 572 वर्ग सेमी।

प्रश्न 3.
एक खिलौना त्रिज्या 3.5 सेमी वाले एक शंकु के आकार का है, जो उसी त्रिज्या वाले एक अर्धगोले पर अध्यारोपित है। इस खिलौने की सम्पूर्ण ऊंचाई 15.5 सेमी है। इस खिलौने का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1 - 4
हल :
दिया है,
शंकु की त्रिज्या (r) = अर्द्धगोले की त्रिज्या (r)
= 3.5 सेमी
तथा खिलौने की ऊँचाई = 15.5 सेमी
∴ शंकु की ऊँचाई (h) = (15.5 – 3.5) सेमी = 12 सेमी
शंकु की तिर्यक ऊँचाई (l) = \(\sqrt{(3 \cdot 5)^2+(12)^2}\)
= \(\sqrt{(3 \cdot 5)^2+(12)^2}\)
= \(\sqrt{(3 \cdot 5)^2+(12)^2}\)
= \(\sqrt{12 \cdot 25+144}\)
= \(\sqrt{156.25}\)
∴ l = 12.5 सेमी
बर्तन का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = शंकु का पृष्ठीय क्षेत्रफल + अर्द्धगोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= πrl + 2πr²
= πr (l + 2r)
= \(\frac {22}{7}\) × 3.5 × (12.5 + 2 × 3.5)
= 22 × 0.5 × (12.5 + 7)
= 11 × 19.5
= 214.5 सेमी²
अतः बर्तन का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 214.5 वर्ग सेमी

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प्रश्न 4.
भुजा 7 सेमी वाले एक घनाकार ब्लॉक के ऊपर एक अर्द्धगोला रखा हुआ है। अर्द्धगोले का अधिकतम व्यास क्या हो सकता है? इस प्रकार बने ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए ।
हल
दिया है,
∵ अर्द्धगोले का आधार घन के ऊपरी फलक पर टिका है ।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1 - 5
∴ अर्द्धगोले का अधिकतम व्यास = घन की भुजा 7 सेमी (दिया है)
∴ अर्द्धगोले की त्रिज्या (r) = \(\frac {7}{2}\)सेमी
ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= घन का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल + अर्द्धगोले का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल – वृत्तीय आधार का क्षेत्रफल
= 6 × (भुजा)² + 2πr² – πr²
= 6 × (भुजा)² + πr²
= 6 × (7)² + \(\frac{22}{7} \times \frac{7}{2} \times \frac{7}{2}\)
= 6 × 49 + \(\frac {77}{2}\)
= 294 + 38.5 = 332.5 वर्ग सेमी
अतः अर्द्धगोले का अधिकतम व्यास = 7 सेमी
तथा ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 332.5 वर्ग सेमी।

प्रश्न 5.
एक घनाकार ब्लॉक के एक फलक को अन्दर की ओर से काटकर एक अर्द्धगोलाकार गड्डा इस प्रकार बनाया गया है कि अर्द्धगोले का व्यास घन के एक किनारे के बराबर है। शेष बचे ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए ।
हल :
माना कि घन की भुजा = a
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1 - 6
∴ अर्द्धगोले का व्यास = घन की भुजा
⇒ 2r = a
⇒ r = \(\frac {a}{2}\)
अर्द्धगोले की त्रिज्या (r) = \(\frac {a}{2}\)
शेष बचे ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल = घन का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल – घन के तल का क्षेत्रफल + अर्द्धगोले का आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 6a2 – πr² + 2πr²
= 6a2 + πr²
= 6a2 + π(\(\frac {a}{2}\))²
= 6a2 + π\(\frac{a^2}{4}\)
= a2[6 + \(\frac {π}{4}\)]सेमी²
= \(\frac{a^2}{4}\)(24 + π)सेमी²
अतः शेष बचे ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= \(\frac{a^2}{4}\)(24 + π) वर्ग सेमी

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प्रश्न 6.
दवा का एक कैप्सूल (capsule) एक बेलन के आकार का है जिसके दोनों सिरों पर एक-एक अर्द्धगोला लगा हुआ है (देखिए आकृति)। पूरे कैप्सूल की लम्बाई 14 मिमी है और उसका व्यास 5 मिमी है। इसका पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1 - 7
हल :
दिया है,
कैप्सूल का व्यास = 5 मिमी
∴ बेलनाकार भाग तथा अर्ध गोले की उभयनिष्ठ त्रिज्या(r) = \(\frac {5}{2}\) मिमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1 - 8
कैप्सूल की आन्तरिक लम्बाई (h) = 14 मिमी
बेलनाकार भाग की लम्बाई = [14 – \(\frac {5}{2}\) – \(\frac {5}{2}\)] मिमी
= (14 – 5) मिमी = 9 मिमी
कैप्सूल का पृष्ठीय क्षेत्रफल = बेलन का पृष्ठीय क्षेत्रफल + 2 अर्द्धगोलों का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2πrh + 2 × (2πr²)
= 2πrh + 4πr² = 2πr (h + 2r)
= 2 × \(\frac{22}{7} \times \frac{5}{2}\) × (9 + 2 × \(\frac {5}{2}\))
= \(\frac {110}{7}\) × (9 + 5) = \(\frac{110 \times 14}{7}\) = 220 मिमी²
अतः कैप्सूल का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 220 वर्ग मिमी

प्रश्न 7.
कोई तम्बू एक बेलन के आकार का है जिस पर एक शंकु अध्यारोपित है। यदि बेलनाकार भाग की ऊँचाई और व्यास क्रमशः 2.1 मीटर और 4 मीटर हैं तथा शंकु की तिर्यक ऊँचाई 2.8 मीटर है तो इस तम्बू को बनाने में प्रयुक्त कैनवास (canvas) का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। साथ ही, ₹500 प्रति वर्ग मीटर की दर से इसमें प्रयुक्त कैनवास की लागत ज्ञात कीजिए। (ध्यान दीजिए कि तम्बू के आधार को कैनवास से नहीं ढका जाता है।)
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1 - 9
हल :
दिया है,
बेलन का व्यास = शंकु का व्यास = 4 मी.
∴ बेलन और शंकु की उभयनिष्ठ त्रिज्या (r) = \(\frac {4}{2}\)
= 2 मीटर
शंकु की त्रिज्या = बेलन की त्रिज्या = r = 2सेमी
बेलन की ऊँचाई (h) = 2.1 मीटर
तथा शंकु की तिर्यक ऊँचाई (l) = 2.8 मीटर
तम्बू का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = बेलनाकार भाग का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल + शंक्वाकार भाग का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2πrh + πrl = πr (2h + l)
= \(\frac {22}{7}\) × 2 × (2 × 2.1 + 2.8)
= \(\frac {22}{7}\) × (4.2 + 2.8)
= \(\frac {22}{7}\) × 7 = 44 मीटर²
∴ तम्बू का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 44 मीटर²
∵ 1 मीटर² कैनवास की लागत = ₹ 500
∴ 44 मीटर² कैनवास की लागत = 44 × 500 = ₹ 22000
अतः कैनवास की कुल लागत = ₹ 22000

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1

प्रश्न 8.
ऊँचाई 2.4 सेमी और व्यास 1.4 सेमी वाले एक ठोस बेलन में से इसी ऊँचाई और इसी व्यास वाला एक शंक्वाकार खोल (cavity) काट लिया जाता है। शेष बचे ठोस का निकटतम वर्ग सेण्टीमीटर तक पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए ।
हल :
दिया है,
बेलन का व्यास = 1.4 सेमी
∴ बेलन तथा शंकु की उभयनिष्ठ त्रिज्या (r) = \(\frac {1.4}{2}\) = 0.7 सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1 - 10
बेलन की ऊँचाई (h) = 2.4 सेमी
शंक्वाकार खोल की तिर्यक ऊँचाई (l) = \(\sqrt{r^2+h^2}\)
= \(\sqrt{(0 \cdot 7)^2+(2 \cdot 4)^2}\)
= \(\sqrt{0.49+5 \cdot 76}\)
= \(\sqrt{6.25}\)
l = 2.5 सेमी
शेष बचे ठोस का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल = बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल + बेलन के आधार का क्षेत्रफल + शंक्वाकार का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2πrh + πr² + πrl = πr(2h + r + l)
= \(\frac {22}{7}\) × 0.7 × [2 × 2.4 + 0.7 + 2.5]
= 2.2 × [4.8 + 0.7 + 2.5]
= 2.2 × 8 = 17.6 ≈ 8 वर्ग सेमी
अतः शेष बचे ठोस का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल = 18 वर्ग सेमी

प्रश्न 9.
लकड़ी के एक ठोस बेलन के प्रत्येक सिरे पर एक अर्द्धगोला खोदकर निकालते हुए, एक वस्तु बनाई गई है, जैसा कि आकृति में दर्शाया गया है। यदि बेलन की ऊँचाई 10 सेमी है और आधार की त्रिज्या 3.5 सेमी है, तो इस वस्तु का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.1 - 11
हल :
दिया है,
बेलन की त्रिज्या (r) = 3.5 सेमी
अर्द्धगोले की त्रिज्या (r) = 3.5 सेमी
तथा बेलन की ऊँचाई (h) = 10 सेमी
वस्तु का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल = बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल + दोनों अर्द्धगोलों का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2πrh + 2 × 2πr²
= 2πrh + 4πr² = 2πr (h + 2r)
= 2 × \(\frac {22}{7}\) × 3.5 × (10 + 2 × 3.5)
= 2 × 22 × 0.5 × (10 + 7)
= 22 × 17 = 374 वर्ग सेमी
अतः वस्तु का सम्पूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल = 374 वर्ग सेमी

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

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अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या-219-220)

प्रश्न 1.
मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा हो पाने का करण है-
(a) जरा दूरदृष्टिता
(b) समंजन
(c) निकट-दृष्टि
(d) दीर्घ-दृष्टि
उत्तर:
(b) समंजन

प्रश्न 2.
मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनाते हैं वह है-
(a) कॉर्निय
(b) परितारिका
(c) पु
(d) दृष्टिपटल
उत्तर:
(d) दृष्टिपटल।

प्रश्न 3.
सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग-
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5 m
उत्तर:
(c) 25 em.

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प्रश्न 4.
अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है-
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा
उत्तर:
(c) पक्ष्माभी द्वारा।

प्रश्न 5.
किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए 5.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिए उसे +1.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की फोकस दूरी क्या होगी – (i) दूर की दृष्टि के लिए (ii) निकट की दृष्टि के लिए।
हल:
(i) दूर की दृष्टि के लिए-
फोकस दूरी =
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(ii) निकट की दृष्टि के लिए-
फोकस दूरी =
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उत्तर:
(i) 18.2 सेमी
(ii) 66.7 सेमी।

प्रश्न 6.
किसी निकट दृष्टिदोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिन्दु नेत्र के सामने 80 cm दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी?
उत्तर:
व्यक्ति को दीप संशाधित करने के लिए अवतल लेंस चाहिए।
लेंस की क्षमता,
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प्रश्न 7.
चित्र बनाकर दर्शाइए कि दीर्घ दृष्टिदोष कैसे संशोधित किया जाता है? एक दीर्घ दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिन्दु 1 mm है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट बिन्दु 25 em है।
उत्तर:
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(ii) संशोधन के लिए उत्तल लेंस उपयुक्त होता तथा प्रश्नानुसार,
u = – 25cm
v = – 1m = – 100 cm
लेंस सूत्र से,
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
⇒ \(\frac{1}{-100}-\frac{1}{-25}=\frac{1}{f}\)
f = \(\frac { 100 }{ 3 }\) cm
f = \(\frac { 1 }{ 3 }\)m
लैस क्षमता P = \(\frac { 1 }{ f }\)
P = \(\frac{\frac{1}{3}}{\frac{3}{3}}\)
P = + 3 डाइऑप्टर

प्रश्न 8.
सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर:
25 cm से कम दूरी पर रखी हुई वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरणों को दृष्टिपटल पर फोकस करने के लिए मानव नेत्र की क्षमता में जितनी वृद्धि होनी चाहिए उतना नहीं हो पाता है, क्योंकि मानव नेत्र की फोकस दूरी 25 cm से कम नहीं हो सकती है। इसलिए उस वस्तु का प्रतिबिम्ब दिखाई नहीं देता है।

प्रश्न 9.
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं, तो नेत्र में प्रतिबिम्ब दूरी का क्या होता है?
उत्तर:
प्रतिबिम्ब दूरी स्थिर रहती है क्योंकि मानव नेत्र के लेंस की फोकस दूरी इस प्रकार से समायोजित होती है कि प्रतिबिम्ब हमेशा दृष्टिपटल पर ही बने।

प्रश्न 10.
तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर:
गर्म और ठंडी हवाओं के कारण पृथ्वी के वायुमण्डल का अपवर्तनांक लगातार परिवर्तित होता रहता है। तारों से आने वाली प्रकाश किरणों का इस प्रकार लगातार अपवर्तन होता है, तो प्रकाश किरणें निरीक्षक की आँखों तक अनियमित रूप से आती हैं। इसके कारण तारों की आभासी स्थिति बदलती है और तारे टिमटिमाते नजर आते हैं।

प्रश्न 11.
व्याख्या कीजिए कि यह क्यों नहीं टिमटिमाते हैं?
उत्तर:
ग्रह पृथ्वी के बहुत नजदीक है। यह प्रकाश के वृहद स्रोत माने जाते हैं। अतः ग्रहों से आने वाली प्रकाश किरणों में औसत परिवर्तन न के बराबर होता है। इसलिए ग्रहों की आभासी स्थिति स्थिर होती है एवं ग्रह नहीं टिमटिमाते।

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प्रश्न 12.
सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
दृश्य प्रकाश किरणों के तरंगदैर्ध्य से भी छोटे धूलकणों या जल कणों की वायुमण्डल में उपस्थिति के कारण प्रकाश किरणों का प्रकीर्णन होता है।

सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज पर होता है। इस समय सूर्य से आने वाला प्रकाश हमारे नेत्रों तक पहुँचने से पहले पृथ्वी के वायुमण्डल में वायु की मोटी परतों से गुजरता है अतः कम तरंगदैर्ध्य वाले रंग यथा नीला, बैंगनी आदि का प्रकीर्णन हो जाता है तथा केवल लंबी प्रकाश तरंगें जैसे – लाल हमारे नेत्रों तक पहुँचती है। अतः सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।

प्रश्न 13.
किसी अंतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
अंतरिक्षयात्री के लिए ऊँचाई पर कोई भी वायुमण्डल नहीं होता है। इसलिए प्रकाश किरणों का प्रकीर्णन नहीं होता है और अंतरिक्षयात्री को आकाश काला नजर आता है।

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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 211)

प्रश्न 1.
नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नेत्र की वह क्षमता जिसके कारण वह विभिन्न दूरियों पर स्थित वस्तुओं के प्रतिबिम्ब रेटिना पर बना सकती है, उसकी समंजन क्षमता कहलाती है।

प्रश्न 2.
निकट दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर:
यह निकट दृष्टिदोष है, जिसे दूर करने के लिए उचित क्षमता का अवतल लेंस लेना चाहिए।

प्रश्न 3.
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिन्दु तथा निकट बिन्दु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
उत्तर:
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिन्दु अनन्त पर तथा निकट बिन्दु नेत्र से 25 cm की दूरी पर होता है, जिसे सुस्पष्ट दर्शन की न्यूनतम (या अल्पतम) दूरी भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टिदोष से पीड़ित है? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर:
यह विद्यार्थी निकट दृष्टिदोष से पीड़ित है। इसे उचित क्षमता के अवतल लेंस द्वारा संशोधित किया जा सकता है।

क्रिया-कलाप – 11.1

  • एक ड्राइंग बोर्ड पर ड्राइंग पिनों की सहायता से सफेद कागज की एक शीट लगाइए।
  • इस शीट पर काँच का प्रिज्म इस प्रकार रखिए कि इसका त्रिभुजाकार फलक आधार बन जाए। एक पेंसिल का प्रयोग करके प्रिज्म की सीमा रेखा खींचिए।
  • प्रिज्म के किसी एक अपवर्तक पृष्ठ AB से कोई कोण बनाती हुई एक सरल रेखा PE खींचिए।
  • रेखा PE पर दो पिनें, बिन्दु P तथा Q पर गाड़िए जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है।
  • फलक AC की ओर से P तथा Q पिनों के प्रतिबिम्बों को देखिए।
  • R तथा S बिन्दुओं पर दो और पिनें इस प्रकार गाड़िए कि पिन R तथा S एवं पिन P तथा Q के प्रतिबिम्ब एक सीधी रेखा में दिखाई दें।
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  • पिनों तथा काँच के प्रिज्म को हटाइए।
  • रेखा PE प्रिज्म की सीमा रेखा के बिन्दु E पर मिलती है (चित्र देखिए)। इसी प्रकार, बिन्दुओं, R तथा S को एक रेखा से जोड़िए तथा इस रेखा को इस प्रकार आगे बढ़ाइए कि यह प्रिज्म के फलक AC से F पर मिले। हम पहले ही देख चुके हैं कि पिनों P तथा Q को मिलाने वाली रेखा फलक AB से E पर मिलती है। E तथा F को मिलाइए।
  • प्रिज्म के अपवर्तक पृष्ठों AB तथा AC पर क्रमशः बिन्दुओं E तथा F पर अभिलम्ब खींचिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आपतित किरण, अपवर्तित किरण, निर्मर्त किरण तथा विचलन कोण को दर्शाने के लिए एक चित्र बनाइए।
उत्तर:
PE – आपतित किरण ∠i – आपतन कोण
EF – अपवर्तित किरण ∠r – अपवर्तन कोण
FS – निर्गत किरण ∠e – निर्गत कोण
∠A – प्रिज्म कोण ∠D – विचलन कोण
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प्रश्न 2.
एक प्रकाश की किरण कितनी बार अपवर्तित होती है और प्रत्येक बार अपवर्तित किरण की दिशा क्या होगी?
उत्तर:
जब प्रकाश की किरण प्रिज्म से गुजरती यह दो बार अपवर्तित होती है। एक बार तब, जब यह हवा से काँच में प्रवेश करती है तथा दूसरी बार तब, जब यह काँच से हवा में प्रवेश करती है। प्रत्येक बार यह प्रिज्म के आधार की तरफ मुड़ती है।

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प्रश्न 3.
विचलन कोण क्या है?
उत्तर:
आपतित किरण की दिशा तथा निर्गत किरण की दिशा के बीच बनने वाले कोण को विचलन कोण कहते हैं।

प्रश्न 4.
किस प्रकार के प्रकाश के लिए विचलन कोण सबसे कम एवं किस प्रकार के प्रकाश के लिए यह सबसे अधिक होता है?
उत्तर:
लाल प्रकाश के लिए सबसे कम तथा नीले प्रकाश के लिए विचलन कोण सबसे अधिक होता है।

क्रिया-कलाप – 11.2

  • गत्ते की एक मोटी शीट लीजिए तथा इसके मध्य में एक छोटा छिद्र या एक पतली झिर्री बनाइए।
  • पतली झिर्री पर सूर्य का प्रकाश पड़ने दीजिए। इससे श्वेत प्रकाश का एक पतला किरण पुंज प्राप्त होता है।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 7
  • अब काँच का एक प्रिज्म लीजिए तथा चित्र में दर्शाए अनुसार झिर्री से प्रकाश को इसके एक फलक पर डालिए।
  • प्रिज्म को धीरे से इतना घुमाइए कि इससे बाहर निकलने वाला प्रकाश पास रखे किसी परदे पर दिखाई देने लगे।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आप क्या देखते हैं? आप वर्णों की एक आकर्षक पट्टी देखेंगे। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
ऐसा प्रकाश के विक्षेपण के कारण होता है। काँच में प्रकाश के अलग-अलग अवयवी वर्णों की चाल अलग-अलग होने के कारण ये अलग-अलग कोणों पर विक्षेपित हो जाते हैं।

क्रिया-कलाप – 11.3

  • कोई अभिसारी लेंस L1 ( उत्तल लेंस) लेकर इसके फोकस पर श्वेत प्रकाश का तीव्र स्रोत (S) रखिए। लेंस, प्रकाश का एक समांतर किरण पुंज प्रदान करता है।
  • प्रकाश के समांतर किरण पुंज को स्वच्छ जल से भरे एक पारदर्शी काँच के टैंक (T) से गुजारिए।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 8
  • किसी एक गत्ते में बने एक वृत्ताकार छिद्र (C) से इस प्रकाश किरण पुंज को गुजरने दीजिए। चित्र में दर्शाए अनुसार एक दूसरे अभिसारी लेंस (L2) का प्रयोग करके वृत्ताकार छिद्र का स्पष्ट प्रतिबिम्ब परदे (MN) पर बनाइए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
टैंक में लगभग 2 L स्वच्छ जल लेकर 200 g सोडियम थायोसल्फेट (हाइपो) घोलिए। जल में लगभग 1 से 2 mL सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल डालिए। आप क्या देखते हैं?
उत्तर:
लगभग 2-3 मिनट के पश्चात् सल्फर के सूक्ष्म कणों द्वारा प्रकाश का अवक्षेपण होता है एवं काँच के टैंक से नीला प्रकाश दिखाई देता है। यह घटना कोलाइडी घोल के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होता है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Exercise 6.2

प्रश्न 1.
आकृति (i) और (ii) में DE || BC है। (i) में, EC और (ii) में AD ज्ञात कीजिए।
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अथवा
यदि ΔABC में DE || BC है, AD = 1.5 सेमी, BD = 3 सेमी तथा AE = 1 सेमी हो, तो EC ज्ञात कीजिए।
हल:
(i) ΔABC में,
DE || BC (दिया है)
(आधारभूत समानुपातिक प्रमेय से)
\(\frac{A D}{D B}=\frac{A E}{E C}\)
⇒ \(\frac{1.5}{3}=\frac{1}{E C}\)
⇒ EC = \(\frac{3}{1.5}\)
∴ EC = 2 सेमी

(ii) ΔABC में,
DE || BC (आधारभूत समानुपातिक प्रमेय से)
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JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2

प्रश्न 2.
किसी ΔPQR की भुजाओं PQ और PR पर क्रमशः बिन्दु E और F स्थित हैं। निम्नलिखित में से प्रत्येक स्थिति के लिए, बताइए कि क्या EF || QR है:
(i) PE = 3.9 सेमी, EQ = 3 सेमी, PF = 3.6 सेमी और FR = 2.4 सेमी।
(ii) PE = 4 सेमी, QE = 4.5 सेमी, PF = 8 सेमी और RF = 9 सेमी।
(iii) PQ = 1.28 सेमी, PR = 2.56 सेमी, PE = 0.18 सेमी और PF = 0.36 सेमी।
हल:
ΔPQR में दो बिन्दु E और F क्रमश: PQ और PR भुजाओं पर स्थित हैं।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 3
(i) PE = 3.9 सेमी, EQ = 3 सेमी, PF = 3.6 सेमी और FR = 2.4 सेमी,
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 4
अत: EF, QR के समान्तर नहीं है।

(ii) PE = 4 सेमी, QE = 4.5 सेमी, PF = 8 सेमी और RF = 9 सेमी,
\(\frac{P E}{Q E}=\frac{4}{4.5}=\frac{40}{45}=\frac{8}{9}\) …(1)
तथा \(\frac{P F}{R F}=\frac{8}{9}\) …(2)
समीकरण (1) व (2) से,
\(\frac{P E}{Q E}=\frac{P F}{R F}\)
(आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय के विलोम से)
अत: EF || QR

(iii) PQ = 1.28 सेमी, PR = 2.56 सेमी, PE = 0.18 सेमी, PF = 0.36 सेमी
EQ = PQ – PE
= 1.28 – 0.18 = 1.10 सेमी
FR = PR – PF
= 2.56 – 0.36 = 2.20 सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 5
समीकरण (1) व (2) से,
\(\frac{P E}{E Q}=\frac{P F}{F R}\)
(आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय के विलोम से)
अत: EF || QR

प्रश्न 3.
निम्न आकृति में, यदि LM || CB और LN || CD हो, तो सिद्ध कीजिए कि \(\frac{A M}{A B}=\frac{A N}{A D}\) है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 6
हल:
ΔABC में,
ML || BC (दिया है)
∴ \(\frac{A M}{M B}=\frac{A L}{L C}\) …(i)
(आधारभूत समानुपातिक प्रमेय से)
∴ पुन: ΔADC में,
LN || DC (दिया है)
\(\frac{A N}{N D}=\frac{A L}{L C}\) …(ii)
(आधारभूत आनुपातिकता प्रमेय से)
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 7

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2

प्रश्न 4.
निम्न चित्र में, DE || AC और DF || AE है। सिद्ध कीजिए कि \(\frac{B F}{F E}=\frac{B E}{E C}\) है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 8
हल:
दिया है : ΔABC में भुजा AB पर एक बिन्दु D हैं और भुजा BC पर दो बिन्दु E व F हैं। रेखाखण्ड DF, DE व AE खींचे गये हैं।
सिद्ध करना है : \(\frac{B F}{F E}=\frac{B E}{E C}\)
उपपत्ति : ΔBCA में, DE || AC (दिया है)
∴ \(\frac{B E}{E C}=\frac{B D}{D A}\) …(i)
(आधारभूत समानुपातिक प्रमेय से)
पुन: ΔBEA में, DF || AE (दिया है)
∴ \(\frac{B F}{F E}=\frac{B D}{D A}\) …(ii)
(आधारभूत समानुपातिक प्रमेय से)
समीकरण (i) व (ii) से,
\(\frac{B F}{F E}=\frac{B E}{E C}\) इति सिद्धम्।

प्रश्न 5.
निम्न चित्र में, DE || OQ और DF || OR है। दर्शाइए कि EF || QR है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 9
हल:
दिया है दी गई आकृति में DE || OQ तथा DF || OR है।
सिद्ध करना है : EF || QR
उपपत्ति : ΔPOQ में,
DE || OQ
\(\frac{P E}{E Q}=\frac{P D}{D O}\) …(i)
(आधारभूत आनुपातिकता प्रमेव से)
पुन: ΔPOR में,
DF || OR
\(\frac{P F}{F R}=\frac{P D}{D O}\) …(ii)
(आधारभूत आनुपातिकता प्रमेव से)
समीकरण (i) व (ii) से,
\(\frac{P E}{E Q}=\frac{P F}{F R}\)
अब ΔPQR में,
\(\frac{P E}{E Q}=\frac{P F}{F R}\)
(आधारभूत अनुपातिकता प्रमेय के विलोम से)
∴ EF || QR इति सिद्धम्।

प्रश्न 6.
निम्न चित्र में क्रमश: OP, OQ और OR पर स्थित बिन्दु A, B और C इस प्रकार हैं कि AB || PQ और AC || PR है। दर्शाइए कि BC || QR है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 10
हल:
दिया है : ΔPQR में बिन्दु A, B और C क्रमश: OP, OQ और OR पर इस प्रकार स्थित हैं कि AB || PQ और AC || PR
सिद्ध करना है : BC || QR
उपपत्ति : ΔPQO में,
AB || PQ (दिया है)
\(\frac{O A}{A P}=\frac{O B}{B Q}\) …(i)
(आधारभूत समानुपातिक प्रमेय से)
पुन: ΔPRO में,
AC || PR
\(\frac{O A}{A P}=\frac{O C}{C R}\) …(ii)
(आधारभूत समानुपातिक प्रमेय से)
समीकरण (i) व (ii) से,
\(\frac{O B}{B Q}=\frac{O C}{C R}\)
(आधारभूत समानुपातिक प्रमेय के विलोम से)
ΔCQR में, BC || QR. इति सिद्धम्।

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प्रश्न 7.
प्रमेय 6.1 का प्रयोग करते हुए सिद्ध कीजिए कि एक त्रिभुज की एक भुजा के मध्य बिन्दु से होकर दूसरी भुजा के समान्तर खींची गई रेखा तीसरी भुजा को समद्विभाजित करती है। (याद कीजिए कि आप इसे कक्षा IX में सिद्ध कर चुके हैं।)
हल:
दिया है : ΔABC में; D, AB का मध्य- बिन्दु है अर्थात् AD = DB है।
BC के समान्तर रेखा l, AB व AC को क्रमश: D तथा E बिन्दु पर प्रतिच्छेद करती है।
सिद्ध करना है : E, AC का मध्य- बिन्दु है।
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उपपत्ति: ∵ D, AB का मध्य बिन्दु है (दिया है)
∴ AD = DB
\(\frac{A D}{B D}=1\) …(i)
ΔABC में DE || BC
\(\frac{A D}{D B}=\frac{A E}{E C}\)
(आधारभूत समानुपातिक प्रमेय से)
\(1=\frac{A E}{E C}\)
[समी. (i) के प्रयोग से]
AE = EC
∴ E, AC का मध्यबिन्दु है। इति सिद्धम्।

प्रश्न 8.
प्रमेय 6.2 का प्रयोग करते हुए सिद्ध कीजिए कि एक त्रिभुज की किन्हीं दो भुजाओं के मध्य-बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा तीसरी भुजा के समान्तर होती है। (याद कीजिए कि आप कक्षा IX में ऐसा कर चुके हैं।)
हल:
दिया है ΔABC में, AB तथा AC के मध्य-बिन्दु क्रमश: D और E हैं अर्थात् AD = BD और AE = EC हैं। D को E से मिलाया।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 12
सिद्ध करना है: DE || BC
उपपत्ति D, AB का मध्य बिन्दु है
∴ AD = BD (दिया है)
⇒ \(\frac{A D}{B D}=1\) …(i)
E, AC का मध्य- बिन्दु है।
∴ AE = EC
⇒ \(\frac{A E}{E C}=1\) …(ii)
समीकरण (i) व (ii) से,
⇒ \(\frac{A D}{B D}=\frac{A E}{E C}\)
(आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के विलोम से)
∴ DE || BC इति सिद्धम्।

प्रश्न 9.
ABCD एक समलम्ब है जिसमें AB || DC है तथा इसके विकर्ण परस्पर बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करते हैं। दर्शाइए कि \(\frac{A O}{B O}=\frac{C O}{D O}\) हैं।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 13
हल:
दिया है : समलम्ब चतुर्भुज ABCD है जिसमें AC और BD दो विकर्ण हैं, जो परस्पर O बिन्दु पर काटते हैं।
सिद्ध करना है : \(\frac{A O}{B O}=\frac{C O}{D O}\)
रचना : O से जाती हुई OE || CD खींची।
उपपत्ति: ΔADC में,
OE || DC
\(\frac{A E}{E D}=\frac{A O}{C O}\) …(i)
(आधारभूत समानुपातिक प्रमेय से)
समलम्ब चतुर्भुज ABCD में,
AB || CD
∴ OE || CD (रचना से)
OE || AB
अब ΔADB में,
OE || AB
\(\frac{E D}{A E}=\frac{D O}{B O}\)
⇒ \(\frac{A E}{E D}=\frac{B O}{D O}\) …(ii)
समीकरण (i) व समीकरण (ii) से,
\(\frac{A O}{C O}=\frac{B O}{D O}\)
⇒ AO × DO = BO × CO
⇒ \(\frac{A O}{B O}=\frac{C O}{D O}\) इति सिद्धम्।

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प्रश्न 10.
एक चतुर्भुज ABCD के विकर्ण परस्पर हिन्दु O पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि \(\frac{A O}{B O}=\frac{C O}{D O}\) है। दर्शाइए कि ABCD एक समलम्ब है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 14
हल:
दिया है ABCD एक चतुर्भुज है जिसके विकर्णं AC तथा BD बिन्दु O पर एक दूसरे को इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि
\(\frac{A O}{B O}=\frac{C O}{D O}\)
सिद्ध करना है : ABCD एक समलम्ब है।
रचना : O से OE || DC खींची।
उपपत्ति: ΔBDC में,
OE || DC
\(\frac{B O}{D O}=\frac{B E}{E C}\) …(i)
परन्तु दिया है, \(\frac{A O}{B O}=\frac{C O}{D O}\)
⇒ \(\frac{A O}{C O}=\frac{B O}{D O}\) … (ii)
समीकरण (i) व (ii) से,
\(\frac{A O}{C O}=\frac{B E}{E C}\)
⇒ \(\frac{C O}{A O}=\frac{E C}{B E}\)
∴ OE || AB
(आधारभूत आनुपातिक प्रमेय के विलोम से)
इसी प्रकार, OE || CD
⇒ AB || CD
अत: ABCD एक समलम्ब है। इति सिद्धम्।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

अतिलयु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गोलीय दर्पण की वक्रता-त्रिज्या तथा फोकस-दूरी में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
वक्रता त्रिज्या (R) = 2 x फोकस दूरी (f)।

प्रश्न 2.
अपने चेहरे का सीधा एवं बड़ा प्रतिबिम्ब देखने के लिए किस प्रकार के दर्पण का प्रयोग कीजिएगा?
उत्तर:
अवतल दर्पण का।

प्रश्न 3.
किस प्रकार के दर्पणों से केवल आभासी प्रतिबिम्ब बनते हैं?
उत्तर:
समतल दर्पणों तथा उत्तल दर्पणों से केवल आभासी प्रतिबिम्ब बनते हैं।

प्रश्न 4.
एक दर्पण, वस्तु के सापेक्ष सीधा व आकार में छोटा प्रतिबिम्ब बनाता है। यह किस प्रकार का दर्पण है? प्रतिबिम्ब वास्तविक है अथवा आभासी।
उत्तर:
उत्तल दर्पण (आभासी)।

प्रश्न 5.
किस प्रकार के दर्पण में रेखीय आवर्धन 1 से अधिक प्राप्त हो सकता है?
उत्तर:
अवतल दर्पण में।

प्रश्न 6.
प्रतिबिम्ब को पर्दे पर लेने के लिए किस प्रकार के दर्पण का प्रयोग कीजिएगा?
उत्तर:
अवतल दर्पण का।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 7.
समतल दर्पण की फोकस-दूरी कितनी होगी?
उत्तर:
अनन्त (∞) क्योंकि समान्तर आपतित किरणें परावर्तन के पश्चात् समान्तर ही रहती हैं-अर्थात् अनन्त पर ही मिलती हैं।

प्रश्न 8.
दर्पण का मुख्य अक्ष क्या होता है?
उत्तर:
दर्पण के ध्रुव एवं वक्रता-केन्द्र से गुजरने वाली रेखा को मुख्य अक्ष कहते हैं।

प्रश्न 9.
समान्तर किरणों को उदपसरित करने के लिए किस प्रकार का दर्पण उपयोगी होता है?
उत्तर:
उत्तल दर्पण।

प्रश्न 10. अवतल दर्पण के लिए u, v तथा f में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\)

प्रश्न 11.
समतल दर्पण में तथा उत्तल दर्पण में बने प्रतिबिंबों में क्या समानताएँ होती हैं?
उत्तर:

  • दोनों में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनते हैं।
  • दोनों में बने प्रतिबिम्ब आभासी तथा सीधे होते हैं।

प्रश्न 12.
संलग्न चित्रों में आपतित एवं परावर्तित किरणों का मार्ग देखकर बताइए कि चित्र में प्रदर्शित बॉक्स में किस प्रकार का दर्पण स्थित हो सकता है?
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 1
उत्तर:

  • उत्तल दर्पण (समान्तर आपतित किरणें परावर्तन के बाद अपसरित होती हैं)।
  • समतल दर्पण (समान्तर आपतित किरणें समान्तर बनी रहती हैं)।
  • अवतल दर्पण (समान्तर आपतित किरणें परावर्तन के बाद अपसरित होती हैं)।

प्रश्न 13.
परावर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब प्रकाश किसी चिकने व चमकदार पृष्ठ पर पड़ता है तो इसका अधिकांश भाग विभिन्न दिशाओं में लौट आता है। इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

प्रश्न 14.
दर्पण कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
दर्पण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
(1) समतल दर्पण
(2) गोलीय दर्पण –

  • अवतल दर्पण
  • उत्तल दर्पण।

प्रश्न 15.
अवतल तथा उत्तल दर्पण में अन्तर समझाइए।
उत्तर:
अवतल दर्पण में बाह्य उभरे हुए गोलीय पृष्ठ पर पॉलिश कर दी जाती है जिससे प्रकाश का परावर्तन आन्तरिक पृष्ठ (अवतल) पर होता है। जबकि उत्तल दर्पण में भैंसे हुए गोलीय पृष्ठ पर पॉलिश कर दी जाती है जिससे प्रकाश का परावर्तन बाह्य पृष्ठ (उत्तल) पर होता है।

प्रश्न 16.
अवतल दर्पण के फोकस की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली सभी प्रकाश किरणें दर्पण से परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष पर स्थित जिस बिन्दु पर एकत्रित होती हैं वह बिन्दु अवतल दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है।

प्रश्न 17.
लम्बन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लम्बन (विस्थापनाभास) – यदि दो वस्तुओं ( या प्रतिबिम्बों) को एक सीध में विभिन्न स्थितियों में रखकर देखें तो वे सम्पाती प्रतीत होती हैं। लेकिन आँख को दायें या बायें हटाने पर दोनों वस्तुएँ एक दूसरे से अलग होती हुई प्रतीत होती हैं। आँख से दूर वाली वस्तु (या प्रतिबिम्ब) पास वाली वस्तु की अपेक्षा उसी दिशा हटती दिखाई देती है जिस दिशा में आँख हटाते हैं। इस प्रकार आँख को इधर-उधर हटाने पर दो वस्तुओं के बीच सापेक्ष विस्थापन को लम्बन (या विस्थाना भास) कहते हैं।

प्रश्न 18.
गोलीय दर्पण के लिए 40 व में सम्बन्ध लिखिए।
अथवा
दर्पण सूत्र लिखिए एवं प्रत्येक संकेत का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
गोलीय दर्पण के लिए u, v व f में निम्न सम्बन्ध को दर्पण सूत्र कहते हैं-
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
जहाँ
u = दर्पण से वस्तु की दूरी
v = दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी
f = दर्पण की फोकस दूरी

प्रश्न 19.
गोलीय दर्पण कितने प्रकार के होते हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं-

  • अवतल दर्पण
  • उत्तल दर्पण।

प्रश्न 20.
एक समतल दर्पण की फोकस दूरी तथा उसकी वक्रता त्रिज्या में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
एक समतल दर्पण की फोकस दूरी तथा उसकी वक्रता त्रिज्या दोनों ही अनन्त होती हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 21.
एक अवतल दर्पण को यदि पानी में रख दिया जाये तो उसकी फोकस दूरी में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
कोई परिवर्तन नहीं होगा।

प्रश्न 22.
यदि एक वस्तु का प्रतिबिम्ब सदैव छोटा व आभासी बनता है तो दर्पण कैसा होगा?
उत्तर:
यदि वस्तु का प्रतिबिम्ब सदैव छोटा व आभासी बनता है तो दर्पण उत्तल होगा।

प्रश्न 23.
एक दर्पण में हम अपने चेहरे का सीधा व बड़ा प्रतिबिम्ब देख रहे हैं तो बताइए कि दर्पण कैसा होगा?
उत्तर:
अवतल दर्पण।

प्रश्न 24.
एक अवतल दर्पण के वक्रता केन्द्र पर एक वस्तु रखी है। इस वस्तु के प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन कितना होगा?
उत्तर:
जब वस्तु अवतल दर्पण के वक्रता केन्द्र पर होती है तो प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु के आकार के बराबर, वास्तविक तथा उलटा होता है अतः प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन 1 होगा।

प्रश्न 25.
किसी अवतल दर्पण के ध्रुव तथा फोकस मध्य स्थित वस्तु के सापेक्ष उसके प्रतिबिम्ब की प्रकृति कैसी होगी?
उत्तर:
किसी अवतल दर्पण के ध्रुव तथा फोकस के मध्य स्थित वस्तु के सापेक्ष उसका प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा व बड़ा होगा।

प्रश्न 26.
एक अवतल दर्पण में हम अपना वास्तविक तथा अपने आकार का प्रतिबिम्ब देख रहे हैं तो बताइए कि हमारी स्थिति क्या है?
उत्तर:
यदि हम अवतल दर्पण में अपना वास्तविक तथा अपने आकार का प्रतिबिम्ब देख रहे हैं तो हम अवतल दर्पण के वक्रता केन्द्र पर स्थित हैं।

प्रश्न 27.
अच्छी शेव के लिए कौन-सा दर्पण प्रयुक्त करना ठीक रहता है।
उत्तर:
अच्छी शेव करने के लिए अधिक फोकस दूरी का अवतल दर्पण ठीक रहता है।

प्रश्न 28.
दाढ़ी बनाने के लिए अवतल दर्पण का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
जब किसी वस्तु को अवतल दर्पण के सामने उसके ध्रुव एवं फोकस के बीच रखा जाता है तो उसका सीधा, आभासी एवं वस्तु से बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है जो दाढ़ी बनाने के लिए उपयुक्त होता है।

प्रश्न 29.
उत्तल दर्पण के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
उत्तल दर्पण के दो उपयोग निम्नलिखित हैं-

  • मोटर वाहनों में पीछे का ट्रैफिक देखने में।
  • सड़क या चौराहे पर लगी बत्तियों में परावर्तक के रूप में।

प्रश्न 30.
अवतल दर्पण के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
अवतल दर्पण के उपयोग निम्नलिखित हैं-

  • टार्च, कार, मोटर, रेलवे इंजन के हैडलाइट में परावर्तक के रूप में।
  • चिकित्सा में डॉक्टरों द्वारा कान, नाक, गला की जाँच करने में।

प्रश्न 31.
रैखिक आवर्धन से क्या तात्पर्य है? गोलीय दर्पण के लिए आवर्धन सूत्र लिखिए।
उत्तर:
रैखिक आवर्धन- यदि वस्तु एवं प्रतिबिम्ब की लम्बाई मुख्य अक्ष के लम्बवत् नापी जाये तो प्रतिबिम्ब की लम्बाई एवं वस्तु की लम्बाई के अनुपात को रेखीय आवर्धन कहते हैं।
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प्रश्न 32.
प्रकाश क्या है? इसके प्राकृतिक स्रोत का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रकाश ऊर्जा का वह रूप है जिसकी सहायता से नेत्र द्वारा देखने की अनुभूति होती है। प्रकाश का प्राकृतिक स्रोत सूर्य है।

प्रश्न 33.
किसी अवतल दर्पण की फोकस दूरी = 20 सेमी है, उसकी वक्रता त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है अवतल दर्पण की-
फोकस दूरी (f) = – 20 सेमी
वक्रता त्रिज्या (R) = ?
∵ R = 2 x f
∴ R = 2 x (- 20) = – 40 सेमी
अतः अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 40 सेमी होगी।

प्रश्न 34.
यदि कोई अवतल दर्पण एक ऐसे खोखले गोले का भाग है जिसकी त्रिज्या 40 सेमी है, तो अवतल दर्पण की फोकस दूरी क्या होगी?
उत्तर:
दिया है अवतल दर्पण की-
वक्रता त्रिज्या (R) = 40 सेमी.
फोकस दूरी (f) =?
∵ R = 2 x f
⇒ f = \(\frac{R}{2}=\frac{-40}{2}\) = – 20 सेमी
अतः अवतल दर्पण की फोकस दूरी 20 सेमी है।

प्रश्न 35.
प्रकाश की एक किरण वायु से आती हुई स्वच्छ जल के स्थिर तल पर आपतित होती है। यह किरण के तल पर परावर्तित होगी या अपवर्तित या दोनों।
उत्तर:
जल के तल से प्रकाश का कुछ अंश परावर्तित तथा अधिकांश अपवर्तित होगा।

प्रश्न 36.
एक माध्यम (1) में किसी प्रकाश किरण का आपतन कोण 35° तथा दूसरे माध्यम (2) में उसी किरण का अपवर्तन कोण 45° है। दोनों में से किस माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक अधिक है?
उत्तर:
माध्यम (1) का।

प्रश्न 37.
किसी माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक, वायु के सापेक्ष उस माध्यम के अपवर्तनांक के लगभग बराबर माना जाता है। वायु का निरपेक्ष अपवर्तनांक लगभग कितना होगा?
उत्तर:
वायु का निरपेक्ष अपवर्तनांक लगभग 1 होगा।

प्रश्न 38.
दो माध्यमों A तथा B के अपवर्तनांक nA तथा nB हैं। इनमें से किस माध्यम से किस माध्यम में जाने पर प्रकाश का पूर्ण-आंतरिक परावर्तन संभव है यदि NA > nB?
उत्तर:
माध्यम A से माध्यम B की ओर।

प्रश्न 39.
प्रकाश के ‘स्पेक्ट्रम’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी मिश्रित प्रकाश के संयोजी वर्णों (रंगों) को उनके तरंगदैघ्यों के आरोही अथवा अवरोही क्रम को प्रकाश का स्पेक्ट्रम कहते हैं।

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प्रश्न 40.
सौर प्रकाश के स्पेक्ट्रम के रंगों को अपवर्तनांक बढ़ते हुए क्रम में लिखिए।
उत्तर:
लाल (Red), नारंगी (Orange), पीला (Yel-low), हरा (Green), आसमानी (Blue), नीला (Indigo), बैंगनी (Violet)।

प्रश्न 41.
किसी प्रिज्म के न्यूनतम विचलन कोण, प्रिज्म कोण एवं प्रिज्म के पदार्थ के अपवर्तनों में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
यदि प्रिज्म कोण A, न्यूनतम विचलन कोण δm तथा अपवर्तनांक n हो तो
n = \(\frac{\sin [(A+\delta m) / 2]}{\sin [A / 2]}\)

प्रश्न 42.
श्वेत प्रकाश के किन रंगों के लिए काँच का अपवर्तनांक अधिकतम और न्यूनतम होता है?
उत्तर:
बैंगनी रंग श्वेत प्रकाश के लिए काँच अपवर्तनांक अधिकतम और लाल के लिए न्यूनतम होता है।

प्रश्न 43.
पूर्ण परावर्तक प्रिज्म क्या है?
उत्तर:
एक ऐसा काँच का प्रिज्म जो समकोण समद्विबाहु त्रिभुजाकार होता है, वह पूर्ण परावर्तक प्रिज्म होता है जो पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के सिद्धान्त पर कार्य करता है।

प्रश्न 44.
पूर्ण परावर्तन प्रिज्म के दो उपयोग लिखो।
उत्तर:
पूर्ण परावर्तक प्रिज्म का उपयोग प्रकाशिक यन्त्रों में होता है-

  • 90° के विचलन के लिए पेरिस्कोप में।
  • 180° के विचलन के लिए बायनोकुलर में।

प्रश्न 45.
प्रकाशिक तन्तु क्या है?
उत्तर:
प्रकाशिक तन्तु पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धान्त पर आधारित ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा प्रकाशिक संकेत को इसकी तीव्रता में बिना क्षय हुए एक स्थान से दूसरे स्थान तक वक्रीय पथ से स्थानांतरित किया जा सकता है।

प्रश्न 46.
लेंस किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो गोलीय तलों में घिरे पारदर्शीय माध्यम को लेंस कहते हैं जिसका एक तल गोलीय व दूसरा तल उत्तल, अवतल अथवा समतल होता है।

प्रश्न 47.
लेंस के प्रकारों के नाम लिखो।
उत्तर:
लेंस मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

  • उत्तल लेंस (अभिसारी लेंस)
  • अवतल लेंस (अपसारी लेंस)

प्रश्न 48.
अभिसारी और अपसारी लेंस की विशेषता क्या है?
उत्तर:

  • अभिसारी लेंस की विशेषता जब प्रकाश की समान्तर किरण पुंज अभिसारी लेंसों में से होकर गुजरती है तो लेंस से अपवर्तन के पश्चात् उन्हें एक बिन्दु पर केन्द्रित कर देता है।
  • अपसारी लेंस की विशेषता – जब प्रकाश की समान्तर किरण पुंज अपसारी लेंसों में से होकर गुजरती है तो लेंस से अपवर्तन के पश्चात् उन्हें एक बिन्दु से अपसरित करता हुआ प्रतीत होती है।

प्रश्न 49.
उत्तल लेंस के उपयोग लिखो।
उत्तर:
उत्तल लेंस के निम्नलिखित उपयोग हैं-

  • प्रकाशिक यन्त्रों, जैसे दूरदर्शी, कैमरा आदि।
  • दूर दृष्टि दोष दूर करने हेतु चश्में में।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आवश्यक किरण आरेख बनाकर निम्नलिखित की परिभाषा दीजिए-
(i) वक्रता केन्द्र तथा वक्रता त्रिज्या,
(ii) अवतल दर्पण का मुख्य फोकस तथा फोकस दूरी
(iii) उत्तल दर्पण का मुख्य फोकस फोकस दूरी।
उत्तर:
(i) वक्रता केन्द्र तथा वक्रता त्रिज्या वक्रता केन्द्र (Centre of Curvature) – गोलीय दर्पण जिस खोखले गोले का भाग होता है, उसके केन्द्र को वक्रता केन्द्र कहा जाता है। चित्र में इसे C अक्षर से प्रदर्शित किया गया है।
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वक्रता त्रिज्या (Radius of Curvature)- गोलीय दर्पण का भाग होता है, उसकी त्रिज्या को गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहते हैं अतः दर्पण के किसी भी बिन्दु को वक्रता केन्द्र से मिलाने वाली रेखा की लम्बाई को वक्रता त्रिज्या कहते हैं। सामान्यतः यह दूरी वक्रता केन्द्र (C) से ध्रुव (P) तक नापी जाती है अत: राशि (L/R) को दर्पण की वक्रता कहते हैं।

(ii) अवतल दर्पण का मुख्य फोकस तथा फोकस – दूरी (Focal Length and Principal Focus of Concave Mirror) – अवतल मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित किरणें परावर्तन के पश्चात् दर्पण के मुख्य अक्ष पर स्थित जिस बिन्दु से होकर जाती हैं- उसे मुख्य फोकस कहते हैं। दर्पण के ध्रुव से मुख्य फोकस की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं।

(iii) उत्तल दर्पण का मुख्य फोकल तथा फोकस दूरी (Focal Length and Principal Focus Convex Mirror) – उत्तल दर्पण के मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित किरणें परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु अपसरित होती प्रतीत होती हैं। उसे मुख्य फोकस कहते हैं।

प्रश्न 2.
‘प्रतिबिम्ब’ से क्या तात्पर्य है? आभासी तथा वास्तविक प्रतिबिम्ब में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
प्रतिबिम्ब (Image) – दर्पण के तल से परावर्तन के पश्चात् प्रकाश किरणें, जिस बिन्दु पर अभिसरित (converge) होती हैं अथवा जिस बिन्दु से अपसरित (diverge) होती प्रतीत होती हैं, उसे वस्तु का प्रतिबिम्ब कहते हैं [चित्र (क) तथा (ख)]
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(i) वास्तविक प्रतिबिम्ब (Real Image) – यदि परावर्तन के पश्चात् किरणें वास्तव में किसी बिन्दु पर अभिसरित होती हैं, , तो इसे वास्तविक प्रतिबिम्ब कहते हैं। चित्र (क) में 1, वस्तु O का वास्तविक प्रतिबिम्ब है। यदि स्थान I पर कोई पर्दा (Screen) रखा जाय तो यह प्रतिबिम्ब एक प्रकाश बिन्दु के रूप में दिखाई देगा। अतः वास्तविक प्रतिबिम्ब को पर्दे पर लिया जा सकता है।

(ii) आभासी प्रतिबिम्ब (Virtual Image)- यदि परावर्तन के पश्चात् किरणें अपसारी (divergent ) हों तो वे किसी बिन्दु पर वास्तव में अभिसरित नहीं होतीं। ऐसी किरणें दर्पण के पीछे स्थित किसी बिन्दु से अपसरित (di- verge) होती प्रतीत होती हैं। परावर्तन के पश्चात् प्रकाश की अपसारी किरणें, जिस बिन्दु से अपसरित होती प्रतीत होती हैं, उसे वस्तु का आभासी

प्रतिबिम्ब कहते हैं। चित्र (ख) में I, वस्तु O का आभासी प्रतिबिम्ब है। आभासी प्रतिबिम्ब को पर्दे पर नहीं देखा जा सकता क्योंकि इस बिन्दु’ प्रकाश वास्तव में नहीं पहुँचता।

प्रश्न 3.
केवल किरण आरेख बनाकर, अवतल दर्पण में प्रतिबिम्ब का बनना प्रदर्शित कीजिए जब
(i) वस्तु मुख्य फोकस पर हो
(ii) प्रतिबिम्ब मुख्य फोकस पर बने।
उत्तर:
(i) वस्तु मुख्य फोकस (F) पर

(ii) प्रतिबिम्ब मुख्य फोकस (F) पर
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प्रश्न 4.
अवतल दर्पण आभासी प्रतिबिम्ब बनने का किरण आरेख बनाइए। इसके लिए वस्तु की स्थिति का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वस्तु की स्थिति दर्पण के मुख्य फोकस (F) तथा ध्रुव (P) के बीच कहीं पर।
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प्रश्न 5.
उत्तल दर्पण किस प्रकार का प्रतिबिम्ब बनता है? किरण आरेख बनाकर बताइए।
उत्तर:
प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे, आभासी सीधा तथा वस्तु के आकार से छोटा बनता है। प्रतिबिम्ब की स्थिति ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच में ही होती है।
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प्रश्न 6.
आरेख बनाकर स्पष्ट कीजिए कि उत्तल दर्पण की फोकस – दूरी धनात्मक तथा अवतल दर्पण की फोकस – दूरी ऋणात्मक क्यों मानी जाती है?
उत्तर:
दर्पणों में दूरियों के चिन्ह निर्देशांक ज्यामिति की प्रणाली के अनुसार निर्धारित किये जाते हैं। निर्देशांक ज्यामिति की चिन्ह प्रणाली के अनुसार, दर्पण के ध्रुव को मूल बिन्दु, मुख्य अक्ष को X- अक्ष तथा मुख्य अक्ष के लम्बवत् ध्रुव से गुजरने वाली रेखा को Y- अक्ष मानते हैं। इस प्रणाली के अनुसार-
(1) गोलीय दर्पणों (और लेंसों) पर प्रकाश किरणें सदैव बायीं ओर से डाली जाती हैं।

(2) समस्त दूरियाँ दर्पण के ध्रुव से मुख्य अक्ष के अनुदिश नापी जाती हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 8
(3) दर्पण के ध्रुव से दायीं नापी गयी दूरियाँ धनात्मक चिन्ह (+) के साथ ली जाती हैं या दूरियाँ जो आपतित किरण जाती हैं।

(4) दर्पण के ध्रुव से बायीं ओर नापी गयी दूरियाँ ऋणात्मक चिन्ह (-) के साथ ली जाती हैं या वे दूरियाँ जो आपतित किरण की विपरीत दिशा में नापी जाती हैं, ऋणात्मक चिन्ह (-) के साथ ली जाती हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 9
चित्र (क) तथा (ख) में अवतल दर्पण तथा उसल दर्पण के मुख्य फोक्सों की स्थितियाँ प्रदर्शित हैं। चित्रास स्पष्ट है कि उत्तल दर्पण में फोकस दूरी () धनात्मको तथा अवतल दर्पण में ऋणात्मक (-) होगी।

प्रश्न 7.
केवल प्रतिबिम्ब देखकर कैसे विभेद कीजिएगा?
(i) उत्तल दर्पण एवं अवतल दर्पण में,
(ii) उत्तल दर्पण एवं समतल दर्पण में,
(iii) समतल दर्पण एवं अवतल दर्पण में।
उत्तर:
(i) किसी दूरस्थ वस्तु का प्रतिबिम्ब उत्तल दर्पण में सीधा परन्तु अवतल दर्पण में उल्टा दिखाई देगा। किसी निकटस्थ वस्तु का प्रतिबिम्ब उत्तल दर्पण में छोटा परन्तु अवतल दर्पण में बड़ा दिखाई देगा।

(ii) उत्तल दर्पण में किसी भी वस्तु का प्रतिबिम्ब छोटा परन्तु समतल दर्पण में वस्तु के समान आकार का दिखाई देगा।

(iii) समतल दर्पण में दूरस्थ वस्तु का प्रतिबिम्ब सीधा परन्तु अवतल दर्पण में उल्टा दिखाई देगा। समतल दर्पण में निकटस्थ वस्तु का प्रतिबिम्ब समान आकार का परन्तु अवतल दर्पण में बड़ा दिखाई देगा।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 8.
अवतल दर्पण में वस्तु को किस स्थिति पर रखने से रेखीय आवर्धन 1 होता है? आवश्यक आरेख बनाकर बताइए।
उत्तर:
वस्तु को दर्पण के वक्रता केन्द्र पर रखने से प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु के आकार के समान होता है अतः आवर्धन 1 होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 10

प्रश्न 9.
समान्तर आपाती किरणों के परावर्तन के आरेख बनाकर स्पष्ट कीजिए कि किस प्रकाश का दर्पण अभिसारी (convergent) होता है तथा किस प्रकार का दर्पण अपसारी (divergent )?
उत्तर:
चित्र (क) तथा (ख) में अवतल तथा उत्तल दर्पण से समान्तर आपाती किरणों का परावर्तन दिखाया गया है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 11
चित्र (क) से स्पष्ट है कि अवतल दर्पण समान्तर’ किरणों को एक बिन्दु (मुख्य फोकस) पर केन्द्रित अथवा अभिसरित कर देता है। अतः अवतल दर्पण अभिसारी होता है।

इसके विपरीत उत्तल दर्पण पर आपतित समान्तर किरणें परावर्तन के पश्चात् एक बिन्दु (फोकस) से अपसरित होती प्रतीत होती हैं। अतः उत्तल दर्पण अपसारी होता है।

प्रश्न 10.
किरण आरेख बनाकर, प्रदर्शित कीजिए कि-
(i) अवतल दर्पण
(ii) उत्तल दर्पण में परावर्तन के नियम का पालन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
दोनों चित्रों में आपतित किरण AP दर्पण से परावर्तन के पश्चात् किरण PB के रूप में प्रदर्शित है। परावर्तन के बिन्दु P को दर्पण की वक्रता केन्द्र C से मिलाने पर अभिलम्ब CN प्राप्त होता है। दोनों ही दर्पणों में परावर्तन के नियम के अनुसार आपतन कोण (i) परावर्तन कोण (r) के बराबर होता है।
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प्रश्न 11.
किरण- आरेख बनाकर समझाइए कि अवतल दर्पण द्वारा, किसी बिन्दु प्रकाश स्रोत से-
(i) समान्तर किरण पुंज,
(ii) अभिसारी किरण- पुंज।
(iii) अपसारी किरण पुंज कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:
अवतल दर्पण –
(i) अवतल दर्पण के ध्रुव और फोकस के बीच रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब वस्तु के सापेक्ष सीधा तथा बड़ा बनता है। अतः अवतल दर्पण का उपयोग दाढ़ी बनाने में किया जाता है।

(ii) कान, नाक व गले के आन्तरिक भागों की जाँच करने के लिए डॉक्टर अवतल दर्पण का उपयोग करते हैं।

(iii) अवतल दर्पण का उपयोग ऐसे परावर्तक के रूप में किया जाता है जो किसी प्रकाश स्रोत के प्रकाश को समान्तर पुंज (Parallel beam) के रूप में परिवर्तित करें. अथवा किसी अभिसारी किरण पुंज के रूप में किसी वस्तु पर केन्द्रित करें।

पहली दशा में प्रकाश स्रोत को दर्पण के मुख्य फोकस (F) पर रखना होगा [चित्र (क)]

दूसरी दशा में प्रकाश – स्रोत को दर्पण के मुख्य फोकस (F) तथा वक्रता केन्द्र (C) के बीच में इस प्रकार रखना होगा कि दर्पण से परावर्तित संपूर्ण प्रकाश, वस्तु पर केन्द्रित हो।

इस प्रकार का उपयोग बहुधा सूक्ष्मदर्शी, प्रोजेक्टर आदि में किया जाता है-
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(iv) अवतल दर्पण का उपयोग परावर्तक दूरदर्शी (Re-flecting telescope) में किया जाता है।

प्रश्न 12.
रेखीय आवर्धन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
रेखीय आवर्धन वस्तु के प्रतिबिम्ब की लम्बाई एवं वस्तु की लम्बाई के अनुपात को प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन कहते हैं। यदि प्रतिबिम्ब की लम्बाई तथा वस्तु की लम्बाई हो तो प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन M = \(\frac { I }{ O }\)।

प्रश्न 13.
अवतल दर्पण के ध्रुव एवं फोकस के मध्य रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब बनने का किरण आरेख खींचिए।
उत्तर:
जब वस्तु अवतल दर्पण के सामने ध्रुव तथा फोकस के मध्य रखी हो तो प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे, आभासी, सीधा व वस्तु से बड़ा बनता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 14

प्रश्न 14.
किसी लेंस के लिए फोकस दूरी एवं प्रकाशित केन्द्र को परिभाषित करो।
उत्तर:
(i) लेंस की फोकस दूरी-लेंस के प्रकाशिक केन्द्र से मुख्य फोकस की दूरी को लेंस की फोकस दूरी कहते हैं। इसे संकेत से दर्शाते हैं।
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(ii) प्रकाशिक केन्द्र-लेंस के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जिससे गुजरने वाली प्रकाश किरण अपवर्तन के पश्चात् आपतित किरण की दिशा में निर्गमित होती है, लेंस का प्रकाशिक केन्द्र कहलाता है।
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प्रश्न 15.
क्या कारण है कि रात को तारे टिमटिमाते दिखाई देते हैं जबकि चन्द्रमा नहीं।
उत्तर:
तारों का टिमटिमाना प्रकाश के अपवर्तन के कारण होता है। तारों से आने वाला प्रकाश वायु की विभिन्न घनत्व की परतों से अपवर्तित होता है। वायुमण्डल की परिस्थिति (ताप) जल्दी-जल्दी बदलने के कारण वायुमण्डल की परतों का घनत्व तथा अपवर्तनांक भी बदलता रहता है जिससे तारों की आभासी स्थिति एक सी नहीं रहती है बल्कि प्रत्येक क्षण बदलती है। इसलिए तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं।

चन्द्रमा पृथ्वी से तारों की अपेक्षा पास होने के कारण आकार में बड़ा दिखाई देता है तथा तारे की अपेक्षा कहीं अधिक किरणें भेजता है। अतः किरणों की संख्या अधिक होने के कारण किरणों पर होने वाले परिवर्तन का आँख पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है, इसलिए चन्द्रमा टिमटिमाता प्रतीत नहीं होता है।

प्रश्न 16.
तालाब में पड़ी मछली वहाँ नहीं होती है जहाँ वह दिखायी देती है। कारण बताइये।
उत्तर:
जब हम स्वच्छ जल से भरे किसी तालाब की तली को ऊर्ध्वाधर लम्बवत् देखते हैं तो हमें तली का प्रत्येक बिन्दु ऊपर उठा दिखाई देता है अर्थात् तालाब की आभासी गहराई, उसकी वास्तविक गहराई से कम प्रतीत होती है। चूँकि वायु के सापेक्ष जल का अपवर्तनांक
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अर्थात् जल के भीतर स्थित किसी वस्तु को बाहर से देखने पर वह अपनी वास्तविक गहराई की \(\frac { 3 }{ 4 }\) गहराई पर ही दिखाई देगी। यही कारण है कि तालाब में पड़ी मछली वहाँ नहीं होती है जहाँ वह दिखाई देती है।

प्रश्न 17.
जल में डूबी हुई सीधी छड़ मुड़ी हुई दिखाई देती है? कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चित्रानुसार छड़ के बिन्दु C से चलने वाली प्रकाश की किरणें CP और CQ अपवर्तन के पश्चात् PR और QS मार्ग पर चलती हैं तथा नेत्र E को बिन्दु C से आती हुई प्रतीत होती हैं अर्थात् बिन्दु C का आभासी प्रतिबिम्ब है। इसी प्रकार BC के प्रत्येक बिन्दु के आभासी प्रतिबिम्ब BC के संगत बिन्दुओं पर बनते हैं अतः जल में डूबा हुआ भाग BC, BC’ पर प्रतीत होता है। इस प्रकार जल की सतह से सीधी छड़ मुड़ी प्रतीत होती है।
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प्रश्न 18.
पानी में पड़ा सिक्का सतह दिखाई देता है? कारण दीजिए।
उत्तर:
चित्रानुसार पानी में पड़ा सिक्का P से आने वाली प्रकाश किरणें सघन माध्यम (जल) से विरल माध्यम (वायु) में आती हैं अतः अभिलम्ब से दूर हट जाती हैं जो P’ से आती हुई प्रतीत होती हैं जिससे सिक्के P का आभासी प्रतिबिम्ब P’ बनता है और सिक्का उठा हुआ P’ पर दिखाई देता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 19

प्रश्न 19.
स्वच्छ जल के तालाब की गहराई, उसकी वास्तविक गहराई से कम क्यों प्रतीत होती है?
उत्तर:
माना तालाब के जल की सतह PR है। इसकी तली में स्थित वस्तुएँ O1, O2, O3, इत्यादि से चलने वाली प्रकाश किरणें OP1, OP2, OP3 …….. जल (सघन माध्यम) से चलकर वायु के अपवर्तक के पश्चात् E स्थान से देखी जाती हैं। नेत्र E को ये क्रमश: I1, I2, I3……. बिन्दुओं से आती हुई प्रतीत होती हैं अतः स्पष्ट है कि दर्शक को दूर स्थित वस्तुएँ समीप स्थित वस्तुओं की अपेक्षा अधिक उठी हुई प्रतीत होती हैं। यही कारण है तालाब कम गहरा दिखाई देता है।
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प्रश्न 20.
पानी को बीकर में रखी खाली परख नली चाँदी जैसी चमकदार दिखायी देती है। कारण समझाइए।
उत्तर:
पानी के बीकर में रखी खाली परखनली चाँदी जैसी चमकदार दिखायी देती है, इसका कारण यह है कि प्रकाश किरणें जल (सघन माध्यम) से परखनली की वायु (विरल माध्यम) में प्रवेश करती हैं। अतः वे किरणें जो जल के क्रान्तिक कोण (49° लगभग) से बड़ा कोण बनाते हुए परखनली पर आपतित होती हैं पूर्ण परावर्तित हो जाती हैं।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अवतल दर्पण का उदाहरण लेकर सिद्ध कीजिए कि गोलीय दर्पण की फोकस दूरी, दर्पण की वक्रता त्रिज्या की आधी होती है।
उत्तर:
चित्र में एक किरण AM अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष (CP) के समान्तर आपतित होती है। यह किरण दर्पण से MF दिशा में परावर्तित है जहाँ F दर्पण का फोकस है। दर्पण का ध्रुव P तथा वक्रता केन्द्र C है बिन्दु M पर अभिलम्ब MC है क्योंकि दर्पण के किसी बिन्दु से वक्रता केन्द्र को मिलाने वाली रेखा दर्पण पर अभिलम्ब होती है। ∠AMC आपतन कोण तथा ∠FMC परावर्तन कोण है।
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परावर्तन के नियमानुसार,
∠AMC = ∠FMC
∵ AM || CP तथा CM इन्हें काटती है। … (1)
∴ ∠AMC = ∠FCM (एकान्तर कोण) … (2)
समीकरण (1) और समीकरण (2) से,
∠FMC = ∠FCM
अतः इन कोणों सम्मुख ∆FMC की भुजाएँ भी बराबर होंगी,
अर्थात् FC = MF … (3)
यदि अवतल दर्पण द्वारक बहुत अधिक छोटा है, तो बिन्दु M ध्रुव P के बहुत निकट होगा और तब इस दशा में,
FM = FP (लगभग) … (4)
समीकरण (3) में FM = FP रखने पर,
FC = FP
अर्थात् F, CP का मध्य बिन्दु होगा। …(5)
समीकरण (5) के दोनों पक्षों में FP जोड़ने पर,
FC + FP = FP + FP
या, PC = 2.FP
या, FP = \(\frac { PC }{ 2 }\)
अर्थात् फोकस दूरी = \(\frac { 1 }{ 2 }\) x वक्रता त्रिज्या
अथवा f = \(\frac { R }{ 2 }\)

प्रश्न 2.
उत्तल दर्पण के लिए सूत्र f = \(\frac { R { 2 \) प्राप्त कीजिए, जबकि तथा R अपने सामान्य अर्थों में प्रयुक्त हैं।
उत्तर:
उत्तल दर्पण के लिए फोकस दूरी एवं वक्रता त्रिज्या में सम्बन्ध (Relation between Radius of Curvature and Focal Length by Con- vex Mirror) – माना M1 M2 एक उत्तल दर्पण है, जिसके फोकस F. वक्रता केन्द्र C तथा ध्रुव P हैं। अतः इसकी वक्रता त्रिज्या PC = R तथा फोकस दूरी PF = f है। माना, एक प्रकाश किरण AB मुख्य अक्ष PC के समान्तर दर्पण पर आपतित होती है। परन्तु बिन्दु B पर CN अभिलम्ब है। अतः यह किरण BD दिशा में परावर्तित हो जाती है तथा फोकस F से आती हुई प्रतीत होती है। ∠ABN आपतन कोण तथा ∠DBN परावर्तन कोण है।
अत: ∠ABN = ∠DBN  (परावर्तन के नियम से)
तथा ∠ABN = ∠FBC (शीर्षाभिमुख कोण) … (1)
अब AB एवं PC परस्पर समान्तर हैं तथा NC इन्हें काटती है,
∴ ∠ABN = ∠FCB (संगत कोण) … (2)
समीकरण (1) व समीकरण (2) से ∠FBC = ∠FCB
अब ∆FBC में, ∠FBC = ∠FCB
FC = FB … (3)
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 23
यदि उत्तल दर्पण बहुत अधिक छोटे द्वारक का है, तो बिन्दु B ध्रुव P के बहुत निकट होगा और तब इस दशा में
PB = FP (लगभग) … (4)
समीकरण (3) में FB = FP रखने से,
FC = FP … (5)
समीकरण (5) के दोनों ओर PF जोड़ने पर,
PF + FC = PF + PF
PC = 2 PF
∴ PF = \(\frac { 1 }{ 2 }\) PC
अर्थात् फोकस-दूरी = \(\frac { 1 }{ 2 }\) x वक्रता त्रिज्या

प्रश्न 3.
अवतल दर्पण के समुख स्थित वस्तु के प्रतिबिम्ब का बनना किरण आरेख द्वारा प्रदर्शित कीजिए, जबकि वस्तु की स्थिति-
(i) वक्रता केन्द्र से अधिक दूरी पर हो,
(ii) वकता केन्द्र पर हो,
(iii) वक्रता केन्द्र तथा फोकस कें षीच हो,
(iv) फोकस तथा दर्पण के बीच में हो।
प्रत्येक प्रतिबिम्ब की प्रकृति बताइए।
उत्तर:
(i) वस्तु दर्पण के वक्रता केन्द्र से अधिक दूरी पर हो (u > R)
प्रतिबिम्ब की स्थिति-मुख्य फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच में [R > v > F]
आकार-वस्तु से छोटा I = \(\frac { v { u \) x O [ [I] < O]
प्रकृति- वास्तविक तथा उल्टा।
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(ii) वस्तु दर्पण के वक्रता केन्द्र पर हो – [u = R]
प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र पर [v = R]
आकार-वस्तु के समान [I = O]
प्रकृति-वास्तविक तथा उल्टा।

(iii) वस्तु दर्पण के वक्रता केन्द्र तथा मुख्य फोकस के बीच में [R > u > f]
प्रतिविम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र के आगे (v > R)
आकार वस्तु से बड़ा (I > O)
प्रकृति – वास्तविक तथा उल्टा।
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(iv) वस्तु फोकस तथा दर्पण के बीच हो [u < f]
प्रतिबिम्ब की स्थिति दर्पण के पीछे।
आकार – वस्तु से बड़ा (I > O)
प्रकृति – सीधा तथा आभासी।

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प्रश्न 4.
अवतल दर्पण (गोलीय दर्पण) के लिए सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\) का निगमन कीजिए।
उत्तर:
माना M1M2 एक अवतल दर्पण है जिसका P ध्रुव तथा C वक्रता केन्द्र है। दर्पण की मुख्य अक्ष पर AB एक वस्तु रखी है जिनका प्रतिबिम्ब A’B’ बनता है। दर्पण के ध्रुव (P) से वस्तु की दूरी PA माना है। ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी PA’ माना है तथा दर्पण की फोकस दूरी PF माना है। मुख्य अक्ष के समान्तर प्रकाश किरण है। D से मुख्य अक्ष पर लम्ब DN है।
अतः DN = AB
अब ∆ABC तथा ∆A’B’C में।
∠BAC = ∠B’A’C (प्रत्येक समकोण है)
∠BCA = ∠B’C’A ( शीर्षाभिमुख कोण)
अतः तीसरा कोण ABC = CB’A’
अर्थात् दोनों त्रिभुज समरूप हैं।
∴ \(\frac{A B}{A^{\prime} B^{\prime}}=\frac{C A}{C A^{\prime}}\) …(i)
अब ∆DNF तथा ∆ABF भी समरूप हैं
∴ \(\frac{D N}{A^{\prime} B^{\prime}}=\frac{F N}{F A^{\prime}}\) …(2)
समीकरण ( 1 ) व समीकरण (2) से,
∴ \(\frac{C A}{C A^{\prime}}=\frac{F N}{F A^{\prime}}\) …(3) (∵ DN = AB)
यदि अवतल दर्पण का द्वारक बहुत अधिक छोटा हो, तो बिन्दु N दर्पण के ध्रुव (P) के बहुत निकट होगा।
इस दशा में, FN = FP (लगभग)
तथा समीकरण (3) को निम्न प्रकार लिख सकते हैं
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अवतल दर्पण में, चिन्हों के नियमानुसार-
वस्तु की दर्पण के ध्रुव से दूरी PA = – u
प्रतिबिम्ब की दर्पण के ध्रुव से दूरी PA’ = – v
दर्पण की फोकस दूरी PF = – f
दर्पण की वक्रता त्रिज्या PC = – r = 2f
समीकरण (4) में मान रखने पर,
\(\frac{-u-(-2 f)}{-2 f-(-v)}=\frac{-f}{-v-(-f)}\)
अथवा \(\frac{-u+2 f}{-2 f+v}=\frac{-f}{-v+f}\)
-f(-2f + v) = (- v + f)(-u + 2f)
अथवा 2f² – vf = uv – 2vf – uf + 2f²
अथवा uv = uf + vf
दोनों पक्षों में uvf से भाग देने पर,
अवतल दर्पण का सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}/latex]

प्रश्न 5.
उत्तल दर्पण के के सम्मुख किसी भी स्थिति में रखी वस्तु के दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब की स्थिति, आकार एवं प्रकृति किरण आरेख खींचकर बनाइए।
उत्तर:
नीचे चित्र में MPN एक उत्तल दर्पण है जिसके सम्मुख मुख अक्ष पर वस्तु AB स्थित है। बिन्दु A से चलने वाली प्रकाश किरणें AM और AQ दर्पण से परावर्तन के पश्चात् FM व CA में चली जाती है जो A से आती हुई प्रतीत होती है। इस प्रकार A’ आभासी प्रतिबिम्ब बनता है। इसी प्रकार AB के विभिन्न बिन्दुओं के अभासी A’B’ ‘के संगत बिन्दुओं पर बनते हैं। अतः उत्तल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिम्ब सदैव वस्तु से छोटा, सीधा, आभासी एवं दर्पण के पीछे सदैव फोकस और ध्रुव के मध्य बनता है।
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प्रश्न 6.
लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब बनाने के नियम लिखो।
उत्तर:
लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब बनाने के नियम निम्नलिखित है-

  • वह प्रकाश किरण जो लेंस की मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित होती है, उत्तल लेंस से अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष की ओर झुककर फोकस F से गुजरती है तथा अवतल लेंस से अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष से दूर हटकर लेंस के फोकस से आती प्रतीत होती है।
  • लेंस के प्रकाशिक केन्द्र 0 से गुजरने वाली किरण अपने मार्ग पर ही बिना किसी विचलन के चली जाती है।
  • लेंस के फोकस से गुजरने वाली आपतित किरण (उत्तल लेंस में) अथवा एकत्रित प्रतीत होने वाली आपतित किरण (अवतल लेंस में) लेन्स से परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है।

लेंस द्वारा किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनाने के लिए उपर्युक्त तीनों में से किन्हीं दो किरणों का ही उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 7.
किरण आरेख द्वारा पूर्ण परावर्तक प्रिज्म का (i) 90° विचलन, (ii) 180° विचलन प्रिज्म के लिए उपयोग बताइये।
उत्तर:
(i) 90° विचलन के लिए पूर्ण परावर्तक का उपयोग – चित्रानुसार जब वस्तु AB, प्रिज्म के सम्मुख रखते हैं तो उससे निकलने वाली प्रिज्म भुजा PQ किरणें AC व BD अत: तल PQ पर लम्बवत् आपतित होती हैं बिना मुड़े सीधे कर्ण PR के बिन्दु 0 एवं O’ पर पड़ती तथा अभिलम्ब के साथ 45° का कोण बनाती हैं। चूँकि 42° होता है अतः इनका पूर्ण परावर्तन हो जाता है।

पूर्ण हो जाता है। पूर्ण परावर्तित किरणें OE व OF क्रान्ति क्रमशः तल OR के बिन्दु E व F पर लम्ब लम्बवत् पड़ती हैं अत: सीधे EA’ व FB’ की दिशा में निकल जाती हैं। इस प्रकार AB का प्रतिबिम्ब A’B’ बनता है जो AB से 90° झुका हुआ है। स्पष्ट है इससे साधारण दर्पण की अपेक्षा अधिक चमकीला प्रतिबिम्ब बनता है। इसलिए इसका उपयोग पेरिस्कोप में समतल दर्पण के स्थान पर करते हैं।
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(ii) 180° विचलन के लिए पूर्ण परावर्तक प्रिज्म का उपयोग – चित्रानुसार जब वस्तु AB, प्रिज्म के कर्ण भुजा PR के सम्मुख रखते हैं तो उससे निकलने वाली किरणें PR पर लम्बवत् आपतित होती हैं जिसका (काँच का क्रांतिक कोण 42° होने के कारण) प्रिज्म के फलक PQ व QR पर दो बार पूर्ण आन्तरिक परावर्तन हो जाता है। तथा निर्गत किरण का मार्ग आपतित किरण के विपरीत दिशा में अर्थात् 180° कोण से विचलित हो जाता है। इस प्रकार यह प्रिज्म उल्टे प्रतिबिम्ब को सीधा करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
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प्रश्न 8.
किसी अवतल लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब बनने की प्रक्रिया का रेखाचित्र दीजिए।
उत्तर:
चित्रानुसार, अवतल लेंस के सम्मुख एक वस्तु AB रखी गयी है जिसका प्रतिबिम्ब A’B’ लेंस के सामने वस्तु की ओर लेंस व प्रकाशिक केन्द्र के बीच आभासी, सीधा तथा वस्तु छोटा बनता है। वस्तु को अवतल लेंस के सामने कितनी भी दूरी पर रखें, उसका प्रतिबिम्ब सदैव उसी ओर प्रकाशिक केन्द्र व फोकस के बीच वस्तु से छोटा, सीधा व आभासी बनता है।
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प्रश्न 9.
काँच के गुटके का अपवर्तनांक ज्ञात करने की विधि को लिखकर आरेख खींचिए।
उत्तर:
काँच के गुटके का अपवर्तनांक ज्ञात करना – सर्वप्रथम ड्राइंग बोर्ड पर एक सफेद कागज ड्राइंग पिन की सहायता से लगा देते हैं। कागज पर काँच के गुटके की सीमा रेखा ABCD बना दें। अब पृष्ठ AB पर एक बिन्दु O लें तथा AB पर अभिलम्ब N1ON2 खींचे। अब रेखा N1N2 के साथ बिन्दु पर ∠N1OX बनाते हुए रेखा OX खींचें। रेखा OX पर दो पिनें P1 तथा P2 ऊर्ध्वाधर ठोंक दो।

अब काँच के गुटके को ABCD पर रख दें तथा CD तल पर पिनों P1 व P2 के प्रतिबिम्बों को देखते हुए उनके ठीक सीध में दो अन्य पिनें P3 तथा P4 पुनः ठोंक दो। इस प्रकार चारों पिनें एक सीध में दिखेंगी। काँच का गुटका हटा देते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 31
अब पिनों को हटाकर P3 तथा P4 को मिला देते हैं जो पृष्ठ CD को O1 पर मिलती है। बिन्दु O व O1 को मिला दो। अब O को केन्द्र मानकर किसी त्रिज्या का एक वृत्त बनाया जो OX को Q पर तथा OO1 को S पर काटती है। अब Q व S से अभिलम्ब N1ON2 पर लम्ब OR व ST खींचें। OR व ST की लम्बाई माप लेते हैं।

प्रश्न 10.
प्रकाश के अपवर्तन से क्या तात्पर्य है? यह प्रकाश के परावर्तन से किस प्रकाश भिन्न होता है। जब किसी दूसरे पारदर्शी माध्यम (2) के तल पर आपतित
उत्तर:
किसी एक माध्यम (1) में चलता हुआ प्रकाश जब किसी दूसरे पारदर्शी माध्यम (2) के तल पर आपतित होता है तो आपतित प्रकाश का कुछ अंश, पहले माध्यम से ही वापस लौट जाता है-जिसे प्रकाश परावर्तन कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 32
आपतित प्रकाश का अधिकांश भाग दूसरे माध्यम में अपने पहले मार्ग से कुछ विचलित होकर, गमन करता है। एक माध्यम से दूसरे माध्यम में, अपने पूर्व मार्ग से विचलित होकर गमन को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 11.
प्रकाश के अपवर्तन के नियम लिखिए तथा उपयुक्त आरेख बनाकर स्नैल का नियम स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्रकाश के अपवर्तन सम्बन्धी स्नैल के नियम लिखिए तथा समझाइए।
उत्तर:
चित्र में प्रकाश के माध्यम-1 से माध्यम -2 में अपवर्तन को दर्शाया गया है। अपवर्तन बिन्दु 0 पर अभिलम्ब एवं आपतित किरण के बीच बने कोण (i) को आपतन कोण तथा अभिलम्ब एवं अपवर्तित किरण के बीच बने कोण (r) को आयतन कोण कहते हैं।

अपवर्तन के नियमों के अनुसार,
(1) आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर खींचा गया अभिलम्ब, तीनों एक ही समतल में होते हैं।

(2) आपतन कोण (sin i) तथा अपवर्तन कोण (sin r) की ज्या (sin e) परस्पर समानुपाती होते हैं।
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इस नियम को स्नैल का नियम कहते हैं। इसके अनुसार,
sin i ∝ sin r
अथवा [latex]\frac { sin i }{ sin r }\) = n (n एक नियतांक है।)
नियतांक n को पहले माध्यम (1) के सापेक्ष दूसरे माध्यम (2) का अपवर्तनांक कहते हैं तथा प्रतीक 1n2 से व्यक्त करते हैं।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
अवतल दर्पण से 2.0 सेमी दूर रखी वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब 30 सेमी दूर बनता है। दर्पण की फोकस – दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अवतल दर्पण के लिए,
वस्तु की दूरी (u) = – 20 सेमी
वास्तविक प्रतिबिम्ब की दूरी
(v) = – 30 सेमी
अवतल दर्पण के सूत्र
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{-30}+\frac{1}{-20}\)
\(\frac{1}{f}=\frac{(-20)+(-30)}{600}=\frac{-50}{600}\)
= – \(\frac { 1 }{ 12 }\)
अतः अवतल दर्पण की फोकस-दूरी
(f) = – 12 सेमी।

प्रश्न 2.
एक अवतल दर्पण की फोकस-दूरी 25 सेमी है। दर्पण से $2.0$ सेमी दूरी पर रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं प्रकृति ज्ञात किजिए।
उत्तर:
अवतल दर्पण की फोकस-दूरी (f) = – 25 सेमी.
दर्पण से वस्तु की दूरी
(u) = – 20 सेमी.
अवतल दर्पण के सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\) से,
\(\frac{1}{v}+\left(-\frac{1}{20}\right)=-\frac{1}{25}+\frac{1}{20}\)
\(\frac{1}{v}=-\frac{1}{25}+\frac{1}{20}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{-4+5}{100}=\frac{1}{100}\)
∴ v = 100 सेमी, v का मान धनात्मक है। अत: प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है। प्रतिबिम्ब का आवर्धन
m = \(\frac { v }{ u }\)
= \(\frac { 100 }{ 20 }\) = 5
अर्थात् प्रतिबिम्ब सीधा तथा वस्तु से 5 गुना बड़ा बनता है। प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनने के कारण आभासी हैं। ]

प्रश्न 3.
एक अवतल दर्पण से 30 सेमी दूर रखी वस्तु का तीन गुना बड़ा
(i) आभासी,
(ii) वास्तविक प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है। प्रत्येक दशा में अवतल दर्पण की फोकस-दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(i) आभासी प्रतिबिम्ब के लिए-
अवतल दर्पण से वस्तु की दूरी
(u) = – 30 सेमी
प्रतिबिम्ब का आवर्धन
(m) = + 3
प्रतिबिम्ब का आवर्धन
m = – \(\frac { v }{ u }\) से
v = – m u = – 3 x (- 30)
= – 90 सेमी
अवतल दर्पण के सूत्र \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से,
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{-30}+\frac{1}{90}\)
\(\frac{-3+1}{90}\)
= \(\frac { -2 }{ 90 }\) = – \(\frac { 1 }{ 45 }\)
अर्थात् अवतल दर्पण की फोकस दूरी
(f) = – 45 सेमी

(ii) वास्तविक प्रतिबिम्ब के लिए-
m = – 3
v = – m u
= – (- 3) x (- 30) = – 90 सेमी
अवतल दर्पण के सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{u}+\frac{1}{v}\) से,
= – \(\frac{1}{30}-\frac{1}{90}\)
= \(\frac{-3-1}{90}=\frac{-4}{90}\)
f = – \(\frac{90}{4}\) = – 22.5 सेमी
अतः अवतल दर्पण की फोकस-दूरी
(f) = – 22.5 सेमी

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प्रश्न 4.
उत्तल दर्पण से 40 सेमी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब 10 सेमी दूर बनता है। उत्तल दर्पण की फोकस-दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
उत्तल दर्पण में,
दर्पण से वस्तु की दूरी
(u) = – 40 सेमी
प्रतिबिम्ब की दूरी
(v) = + 10 सेमी
उत्तल दर्पण के सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\) से,
\(\frac{1}{f} =-\frac{1}{40}+\frac{1}{10}\)
= \(\frac{-1+4}{40}=\frac{3}{40}\)
∴ उत्तल दर्पण की फोकस-दूरी
(f) = \(\frac{40}{3}\) = 13.33 सेमी
अतः उत्तल दर्पण की फोकस-दूरी = 13.33 सेमी।

प्रश्न 5.
एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 20 सेमी है। इस दर्पण से 25 सेमी दूर रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
उत्तल दर्पण में,
उत्तल दर्पण की फोकस दूरी
(f) = 20 सेमी
वस्तु की दूरी (u) = – 25 सेमी
उत्तल दर्पण के सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\) से
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}\)
= \(\frac{1}{20}-\frac{1}{(-25)}\)
= \(\frac{1}{20}+\frac{1}{-25}\)
= \(\frac { 5+4 }{ 100 }\) = \(\frac { 9 }{ 100 }\)
अथवा प्रतिबिम्ब की स्थिति
v = \(\frac { 100 }{ 9 }\)
= 11.11 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब उत्तल दर्पण के पीछे 11.11 सेमी पर बनता है।

प्रश्न 6.
एक उत्तल दर्पण से 25 सेमी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब वस्तु की लम्बाई का आधा होता है। दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
उत्तल दर्पण में,
वस्तु की दूरी (u) = -25 सेमी.
प्रतिबिम्ब की लम्बाई
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 34
अथवा दर्पण की फोकस दूरी f = 25 सेमी

प्रश्न 7.
6 सेमी लम्बाई की एक कील उत्तल दर्पण के सामने 20 सेमी दूर रखी है। यदि इस दर्पण की फोकस – दूरी 10 सेमी हो, तो कील के प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं लम्बाई ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
उत्तल दर्पण में,
कील की लम्बाई (O) = 6 सेमी
कील की दूरी (u) = – 20 + 10 सेमी
फोकस दूरी (f) = + 10 सेमी
∴ उत्तल दर्पण के सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\) से
\(\frac{1}{10}=-\frac{1}{20}+\frac{1}{v}\)
अथवा \(\frac{1}{v}=\frac{1}{10}+\frac{1}{20}\)
= \(\frac{2+1}{20}=\frac{3}{20}\)
अथवा v = \(\frac { 20 }{ 3 }\)
= 6.67 सेमी दर्पण के पीछे
अब आवर्धन m = \(\frac { v }{ u }\) = \(\frac { 20/3 }{ 20 }\)
= \(\frac { 1 }{ 3 }\) = तथा m = \(\frac { I }{ O }\)
∴ प्रतिबिम्ब की लम्बाई (I) = m x 0 = \(\frac { 1 }{ 3 }\) x 6 = 2 सेमी।
अतः प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे 6.67 सेमी दूरी पर 2 सेमी लम्बाई का बनता है।

प्रश्न 8.
एक वस्तु 30 सेमी वक्रता त्रिज्या वाले अवतल दर्पण से 25 सेमी की दूरी पर रखी है। प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अवतल दर्पण में,
वस्तु की दूरी (u) = 25 सेमी
वक्रता त्रिज्या (R) = 30 सेमी
फोकस दूरी (f) = \(\frac { R }{ 2 }\) = \(\frac { -30 }{ 2 }\) = – 15 सेमी
∴ उत्तल दर्पण के सूत्र \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\) से,
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{-15}-\frac{1}{-25}\)
= \(-\frac{1}{15}+\frac{1}{25}\)
= \(\frac{-25+15}{375}=-\frac{10}{375}\)
v = – \(\frac { 375 }{ 10 }\)
= – 37.5
∴ प्रतिबिम्ब की दूरी (v) = 37.5 सेमी दर्पण के सामने।

प्रश्न 9.
एक 10 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण से कितनी दूरी पर कोई वस्तु रखी जाय कि उसका 5 गुना बड़ा प्रतिबिम्ब बने जबकि प्रतिबिम्ब (i) आभासी, (ii) वास्तविक हो।
उत्तर:
अवतल दर्पण के लिए,
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
(i) वास्तविक प्रतिबिम्ब वस्तु तथा फोकस सभी दर्पण के बायीं ओर होते हैं इसलिए निर्देशांक ज्यामिति की चिन्ह परिपाटी के अनुसार ७, ७ तथा सब ऋणात्मक होंगे। अतः आवर्धन
(m) = 5 = \(\frac { v }{ u }\)
∴ प्रतिबिम्ब की दूरी (v) = 5u
अव तल दर्पण की फोकस – दूरी
(f) = – 10 सेमी
∴ \(\frac { 1 }{ v }\) + \(\frac { 1 }{ u }\) = \(\frac { 1 }{ f }\)
या, \(-\frac{1}{5 u}+\frac{1}{u}=-\frac{1}{10}\)
या, \(\frac{-1+5}{5 u}=-\frac{1}{10}\)
या, \(\frac{4}{5 u}=-\frac{1}{10}\)
5u = – 40
u = \(\frac { -40 }{ 5 }\)
∴ u = – 8 सेमी
अतः वस्तु से पाँच गुना बड़ा वास्तविक प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए वस्तु को अवतल दर्पण से 8 सेमी दूर रखना होगा।

(ii) यदि आभासी प्रतिबिम्ब बनेगा तो वह अवतल दर्पण के पीछे बनेगा। ऐसी दशा में धनात्मक होगा।
अवतल दर्पण के सूत्र से
\(\frac { 1 }{ v }\) + \(\frac { 1 }{ u }\) = \(\frac { 1 }{ f }\)
∴ \(\frac{1}{5 u}+\frac{1}{u}=\frac{1}{-10}\)
\(\frac{1+5}{5 u}=\frac{1}{-10}\)
∴ \(\frac{6}{5u}=\frac{1}{-10}\)
5u = – 60
या u = – 12 सेमी।
∴ वस्तु का पाँच गुना बड़ा आभासी प्रतिबिम्ब अवतल दर्पण द्वारा प्राप्त करने के लिए वस्तु दर्पण के ध्रुव से 12 सेमी की दूरी पर रखना होगा।

प्रश्न 10.
एक उत्तल दर्पण 20 सेमी वक्रता त्रिज्या वाला है। इसके सामने कोई वस्तु रखी जाती है तो उसका प्रतिबिम्ब वस्तु के आधे आकार का बनता है। वस्तु तथा प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
उत्तल दर्पण की वक्रता-त्रिज्या = 20 सेमी
प्रश्नानुसार, आवर्धन
m = \(\frac { v }{ vu}\) = \(\frac { 1 }{ 2 }\)
अथवा u = 2v
फोकस – दूरी (f) = \(\frac { R }{ 2 }\) = + \(\frac { 20 }{ 2 }\) = 10 सेमी
चूँकि उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है अतः v का चिन्ह धनात्मक एवं u का चिन्ह ऋणात्मक होगा।
उत्तल दर्पण के सूत्र \(\frac { 1 }{ v }\) + \(\frac { 1 }{ u }\) = \(\frac { 1 }{ f }\)
\(\frac { 1 }{ v }\) + \(\frac { 1 }{ -2v }\) = \(\frac { 1 }{ 10 }\)
\(\frac { 1 }{ v }\) – \(\frac { 1 }{ v }\) = \(\frac { 1 }{ 10 }\)
\(\frac { 2-1 }{ 2v }\) = \(\frac { 1 }{ 10 }\)
अथवा \(\frac { 1 }{ 2v }\) = \(\frac { 1 }{ 10 }\)
∴ v = \(\frac { 10 }{ 2 }\) = 5 सेमी दर्पण के पीछे
तथा u = 2v = 5 x 2
= 10 सेमी दर्पण के सामने।

प्रश्न 11.
एक वस्तु अवतल दर्पण से 15 सेमी की दूरी पर रखी गयी है। इसका प्रतिबिम्ब वस्तु की ओर 30 सेमी की दूरी पर बनता है। यदि वस्तु 8 सेमी की दूरी पर रहे तो प्रतिबिम्ब का स्थान कहाँ होगा? उत्तर:
पहली दशा में वस्तु की दूरी (u) = 15 सेमी, प्रतिबिम्ब की दूरी (v) = – 30 सेमी
अतः अवतल दर्पण के सूत्र \(\frac { 1 }{ f }\) = \(\frac { 1 }{ v }\) + \(\frac { 1 }{ u }\) से,
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{-30}+\frac{1}{-15}\)
= \(\frac{-15-30}{450}=\frac{-45}{450}=\frac{1}{-10}\)
दूसरी दशा में वस्तु की दूरी (u) = 8 सेमी, प्रतिबिम्ब की दूरी (u) = ?
अतः \(\frac{1}{v}+\frac{1}{-8}=\frac{1}{-10}\)
अथवा \(\frac{1}{v}=\frac{1}{8} \frac{1}{-10}=\frac{8-10}{80}=\frac{1}{40}\)
v = + 40 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे 40 सेमी दूरी पर बनेगा।

प्रश्न 12.
12 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण के सामने 4 सेमी लम्बी वस्तु रखी है। इसका 1 सेमी लम्बा प्रतिबिम्ब बनता है तो वस्तु की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अवतल दर्पण की फोकस दूरी f = 12 सेमी
वस्तु की लम्बाई (O) = 4 सेमी
आवर्धन (m) = \(\frac { I }{ O }\) = \(\frac { 1 }{ 4 }\) = \(\frac { v }{ u }\)
अथवा v = \(\frac { u }{ 4 }\); f = – 12 सेमी
अवतल दर्पण में छोटा प्रतिबिम्ब वस्तु की ही ओर बनता है अतः u तथा v दोनों के चिन्ह (-) होंगे। अवतल दर्पण के सूत्र
\(\frac { 1 }{ v }\) + \(\frac { 1 }{ u }\) = \(\frac { 1 }{ f }\) से,
\(\frac{1}{-(u / 4)}+\frac{1}{-u}=-\frac{1}{12}\)
अथवा \(\frac { 4 }{ u }\) – \(\frac { 1 }{ u }\) = – \(\frac { 1 }{ 12 }\) या \(\frac { 5 }{ u }\) = – \(\frac { 1 }{ 12 }\)
सरल करने पर u = 60 सेमी
अतः वस्तु दर्पण के सामने 60 सेमी दूर स्थित है।

प्रश्न 13.
50 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण के सामने 25 सेमी की दूरी पर रखी वस्तु के दर्पण से बने प्रतिविम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अवतल दर्पण में.
वस्तु की दूरी (u) = – 25 सेमी
फोकस – दूरी (f) = – 50 सेमी
प्रतिबिम्ब की दूरी (v) = ?
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{-50}=\frac{1}{v}+\frac{1}{-25}\)
या, \(\frac{1}{v}=\frac{1}{25}-\frac{1}{50}=\frac{2-1}{50}=\frac{1}{50}\)
\(\frac { 1 }{ v }\) = \(\frac { 1 }{ 50 }\)
∴ v = 50 सेमी, दर्पण के पीछे प्रतिबिम्ब बनेगा।

प्रश्न 14.
10 सेमी फोकस दूरी के उत्तल दर्पण एक वस्तु को 30 सेमी की दूरी पर रखने से प्रतिविम्ब कहाँ बनेगा? यदि वस्तु की लम्बाई 6 सेमी हो तो प्रतिबिम्ब की लम्बाई कितनी होगी?
उत्तर:
उत्तल दर्पण में,
f = + 10 सेमी
वस्तु की दूरी (u) = – 30 सेमी,
v = ?, O = 6 सेमी, I = ?
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 35

प्रश्न 15.
एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 5 सेमी है। इसके सामने 10 सेमी की दूरी पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब कहाँ पर बनेगा? क्या यह वास्तविक होगा।
उत्तर:
अवतल दर्पण की फोकस दूरी (f) = – 5 सेमी
वस्तु की दूरी (u) = 10 सेमी
प्रतिबिम्ब की दूरी (v) = ?
∴ \(\frac { 1 }{ v }\) + \(\frac { 1 }{ u }\) = \(\frac { 1 }{ f }\) से,
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{10}=\frac{1}{-5}\)
\(\frac{1}{v}=-\frac{1}{5}+\frac{1}{10}=-\frac{1}{10}\)
v = – 10 सेमी
अर्थात् प्रतिबिम्ब दर्पण से 10 सेमी दूर वस्तु की ओर बनेगा। प्रतिबिम्ब वास्तविक होगा
दर्पण से 10 सेमी दूर वस्तु की ओर, वास्तविक।

प्रश्न 16.
यदि वायु के सापेक्ष जल का एवं शीशे का अपवर्तनांक क्रमशः 4/3 एवं 3/2 हो तो शीशे के सापेक्ष जल के अपवर्तनांक की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है –
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 36

प्रश्न 17.
जल में प्रकाश की चाल 2.25 x 108 मी/से है। यदि जल का अपवर्तनांक 4/3 हो तो निर्वात् में प्रकाश की चाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 37

प्रश्न 18.
जल और काँच के अपवर्तनांक क्रमशः 1.35 एवं 1.50 हैं। यदि प्रकाश किरणें काँच से जल में जा रही हों, तो काँच के सापेक्ष जल का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 38

प्रश्न 19.
यदि प्रिज्म का प्रिज्म कोण 60° तथा न्यूनतम विचलन कोण 36° हो तो प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 39

प्रश्न 20.
वायु के सापेक्ष किसी द्रव का क्रान्तिक कोण 45° है। उस द्रव का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
वायु के सापेक्ष द्रव का क्रान्तिक कोण (C) = 45°
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 40

प्रश्न 21.
यदि वायु के सापेक्ष किसी पारदर्शी द्रव का अपवर्तनांक 1.25 है तथा काँच का अपवर्तनांक 1.5 है, तो द्रव के सापेक्ष काँच के अपवर्तनांक की गणना कीजिए।
उत्तर:
वायु के सापेक्ष द्रव का अपवर्तनांक
= 1.25 (anw)
वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक= 1.5 (ang)
तो द्रव के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक
= \({ }_w n_g=\frac{{ }_a n_g}{{ }_a n_w}=\frac{1.5}{1.25}\) = 1.2
= 1.2

प्रश्न 22.
संलग्न चित्र के अनुसार प्रकाश की किरण वायु से किसी माध्यम में प्रवेश करती है। वायु के सापेक्ष माध्यम का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 41
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 42

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. एक अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 सेमी है। इसकी फोकस दूरी होगी-
(a) 10 सेमी
(b) 15 सेमी
(c) 10 सेमी
(d) 20 सेमी
उत्तर:
(a) 10 सेमी

2. उस उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या क्या होगी जिसकी फोकस दूरी 10 सेमी है?
(a) 5 सेमी
(b) 10 सेमी
(c) 20 सेमी
(d) 30 सेमी
उत्तर:
(c) 20 सेमी

3. गोलीय दर्पण की फोकस दूरी और वक्रता त्रिज्या में सम्बन्ध होता है-
(a) f = \(\frac { R }{ 2 }\)
(b) f = 2R
(c) R = \(\frac { f }{ 2 }\)
(d) f = R
उत्तर:
(a) f = \(\frac { R }{ 2 }\)

4. 10 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण के सामने 20 सेमी पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनेगा-
(a) दर्पण के पीछे
(b) फोकस पर
(c) दर्पण और फोकस के बीच
(d) दर्पण के वक्रता केन्द्र पर
उत्तर:
(d) दर्पण के वक्रता केन्द्र पर

5. एक अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 12 सेमी है, तो इसकी फोकस दूरी होगी-
(a) 12 सेमी
(b) + 6 सेमी
(c) 24 सेमी
(d) 6 सेमी
उत्तर:
(d) 6 सेमी

6. किसी अवतल दर्पण के सामने वस्तु कहाँ रखी जाय कि प्रतिविम्ब आभासी, सीधा बड़ा बने?
(a) फोकस तथा दर्पण के बीच
(b) f दूरी तथा 2f के बीच
(c) 2f दूरी पर
(d) कहीं भी
उत्तर:
(a) फोकस तथा दर्पण के बीच

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

7. उत्तल दर्पण के सामने रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है-
(a) वस्तु की स्थिति पर ही
(b) दर्पण के सामने वस्तु की स्थिति से दुगुनी दूरी पर
(c) दर्पण के सामने वस्तु की स्थिति से आधी दूरी पर
(d) दर्पण के पीछे
उत्तर:
(d) दर्पण के पीछे

8. एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 12 सेमी है दर्पण के उत्तल पृष्ठ की त्रिज्या होगी-
(a) 6 सेमी
(b) 12 सेमी
(c) 18 सेमी
(d) 24 सेमी
उत्तर:
(d) 24 सेमी

9. इनमें से कौन-सा दर्पण वस्तु छोटा व आभासी प्रतिविम्ब बनाता है?
(a) समतल
(b) अवतल
(c) उत्तल
(d) उपर्युक्त तीनों
उत्तर:
(c) उत्तल

10. एक व्यक्ति दर्पण में अपना सीधा और बड़ा प्रतिबिम्ब देखता है। यह दर्पण है-
(a) उत्तल
(b) अवतल
(c) समतल
(d) उपर्युक्त तीनों
उत्तर:
(b) अवतल

11. उत्तल दर्पण से बना प्रतिबिम्ब होता है सदैव-
(a) वस्तु से छोटा
(b) वस्तु से बड़ा
(c) समान आकार का
(d) वास्तविक
उत्तर:
(a) वस्तु से छोटा

12. किसका दृष्टि क्षेत्र सबसे अधिक होता है?
(a) समतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण
(c) अवतल दर्पण
(d) उत्तल लेंस
उत्तर:
(c) अवतल दर्पण

13. यदि किसी वस्तु को दर्पण के निकट रखने पर सीधा प्रतिबिम्ब बने तथा दूर रखने पर वास्तविक प्रतिबिम्ब बने तो वह दर्पण होगा-
(a) अवतल
(b) उत्तल
(c) समतल
(d) उत्तल अथवा समतल
उत्तर:
(a) अवतल

14. किसी अवतल दर्पण द्वारा आभासी, सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिम्ब बनता है। वस्तु की स्थिति होगी-
(a) ध्रुव व फोकस के बीच
(b) फोकस तथा वक्रता केन्द्र
(c) वक्रता केन्द्र पर
(d) वक्रता केन्द्र से पीछे
उत्तर:
(b) फोकस तथा वक्रता केन्द्र

15. एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी है। दर्पण की वक्रता त्रिज्या होगी?
(a) 10 सेमी
(b) 20 सेमी
(c) 30 सेमी
(d) 40 सेमी
उत्तर:
(b) 20 सेमी

16. किसी अवतल दर्पण की फोकस दूरी 15 सेमी है। उसकी वक्रता त्रिज्या होगी-
(a) 15 सेमी
(b) 30 सेमी
(c) 45 सेमी
(d) 60 सेमी
उत्तर:
(b) 30 सेमी

17. समतल दर्पण की फोकस दूरी होती है-
(a) शून्य
(b) अनन्त
(c) 25 सेमी
(d) -25 सेमी
उत्तर:
(b) अनन्त

18. फोकस दूरी व वक्रता त्रिज्या के बीच सम्बन्ध है-
(a) f = r
(b) f = \(\frac { 1 }{ r }\)
(c) 2f = r
(d) f = 2r
उत्तर:
(c) 2f = r

19. एक अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 15 सेमी है। इसकी फोकस दूरी होगी-
(a) 15 सेमी
(b) 7.5 सेमी
(c) + 30 सेमी
(d) 7.5 सेमी
उत्तर:
(b) 7.5 सेमी

20. समतल दर्पण के सामने एक वस्तु दर्पण से 10 सेमी की दूरी पर रखी गयी है। दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी होगी-
(a) 5 सेमी
(b) 10 सेमी
(c) 20 सेमी
(d) 0 सेमी
उत्तर:
(b) 10 सेमी

21. उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब सदैव बनता है-
(a) वक्रता केन्द्र तथा फोकस के बीच
(b) वक्रता केन्द्र तथा अनन्त के बीच
(c) ध्रुव व फोकस के बीच
(d) कहीं भी बन सकता है।
उत्तर:
(a) वक्रता केन्द्र तथा फोकस के बीच

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

22. यदि आपतन कोण 42° तथा अपवर्तन कोण 30° हो तब अपवर्तित किरण विचलित होती है-
(a) 12°
(b) 72°
(c) 1.4°
(d) \(\frac { sin 45° }{ sin 30° }\)
उत्तर:
(a) 12°

23. वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक 3/2 है। वायु प्रकाश की चाल 3 x 108 मी/सेकण्ड है। काँच में प्रकाश की चाल होगी-
(a) 1.5 x 108 मी/सेकण्ड
(b) 2 x 108 मी/सेकण्ड
(c) 3 x 108 मी/सेकण्ड
(d) 4.5 x 108 मी/सेकण्ड
उत्तर:
(b) 2 x 108 मी/सेकण्ड

24. जब एक श्वेत प्रकाश की किरण काँच से बने किसी प्रिज्म से गुजरती है, तो किस रंग की किरण के लिए सबसे अधिक विचलन होता है-
(a) पीला
(b) बैंगनी
(c) लाल
(d) हरा
उत्तर:
(b) बैंगनी

25. यदि वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक 1.5 है तो काँच के सापेक्ष वायु का अपवर्तनांक होगा-
(a) 3.00
(b) 1.50
(c) 0.75
(d) 0.67
उत्तर:
(d) 0.67

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. एक काँच की स्लैब की क्षमता …………………. होती है।
  2. एक लेंस जो बीच में से मोटा और किनारों पर से पतला होता है …………………. लेंस कहलाता है।
  3. एक मोटे लेंस की फोकस दूरी कम होती है। इसकी क्षमता …………………. होगी।
  4. एक उत्तल लेंस की दक्षता का चिन्ह ………………….।
  5. एक अवतल लेंस की क्षमता का चिन्ह …………………. होती है।

उत्तर:

  1. शून्य
  2. उत्तल
  3. अधिक
  4. धनात्मक होता है।
  5. – 0.5 D
  6. धनात्मक।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Exercise 14.4

प्रश्न 1.
निम्नलिखित बंटन किसी फैक्टरी के 50 श्रमिकों की दैनिक आय दर्शाता है
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 - 1
उपरोक्त बंटन को एक ‘से कम प्रकार’ के संचयी बारम्बारता बंटन में बदलिए और उसका तोरण खींचिए ।
हल :
‘से कम’ प्रकार का संचयी बारम्बारता बंटन
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 - 2
(i) अब बिन्दुओं A(120, 12), B (140, 26), C (160, 34 ) D ( 180, 40) और E(200, 50) को ग्राफ पेपर पर अंकित करते हैं।
(ii) अंकित बिन्दुओं को वक्र के रूप में हाथ से जोड़कर तोरण प्राप्त करते हैं।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 - 3
अत: ABCDE अभीष्ट तोरण है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

प्रश्न 2.
किसी कक्षा के 35 विद्यार्थियों की मेडिकल जाँच के समय, उनके भार निम्नलिखित रूप में रिकॉर्ड किए गए –

भार (किग्रा में) विद्यार्थियों की संख्या
38 से कम
40 से कम
42 से कम
44 से कम
46 से कम
48 से कम
50 से कम
52 से कम
0
3
5
9
14
28
32
35

उपरोक्त आँकड़ों के लिए ‘से कम’ प्रकार का तोरण खींचिए। इसके बाद माध्यक भार ज्ञात कीजिए।
हल :
‘से कम’ प्रकार का बंटन

भार (किग्रा में) संचयी बारम्बारता तोरण पर स्थित बिन्दु
38 से कम
40 से कम
42 से कम
44 से कम
46 से कम
48 से कम
50 से कम
52 से कम
0
3
5
9
14
28
32
35
A(38, 0)
B(40, 3)
C(42, 5)
D(44, 9)
E(46, 14)
F(48, 28)
G(50, 32)
H (52, 35)

अब बिन्दुओं A(38, 0), B(40, 3), C(42, 5), D(44, 9), E (46, 14), F(48, 28), G(50, 32) तथा H (52, 35) को ग्राफ पेपर अंकित करते हैं। इन बिन्दुओं को वक्र के रूप में हाथ से जोड़कर तोरण प्राप्त करते हैं।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 - 4
अत: ABCDEFGH अभीष्ट तोरण है।

माध्यक ज्ञात करना. :

∵ \(\frac{\Sigma f}{2}=\frac{N}{2}=\frac{35}{2}\) = 17.5
(i) Y-अक्ष पर 17.5 पर एक बिन्दु अंकित किया।
(ii) इस बिन्दु से X- अक्ष के समान्तर रेखा खींची जो वक्र को बिन्दु P पर काटती है।
(iii) बिन्दु P का भुज ज्ञात किया जो कि 46.8 है।
अतः अभीष्ट माध्यक 46.8 किग्रा है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सारणी किसी गाँव के 100 फार्मों में किग्रा प्रति हेक्टेअर गेहूँ का उत्पादन दर्शाती है :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 - 5
इस बंटन को ‘से अधिक प्रकार के बंटन में बदलिए और फिर उसका तोरण खींचिए ।
हल :
दिए गए बंटन को ‘से अधिक’ प्रकार के बंटन में बदलना
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 - 6
(i) अब बिन्दुओं A(50, 100); B(55, 98); C (60, 90); D(65, 78); E (70, 54) और F(75, 16) को ग्राफ पेपर पर अंकित करते हैं।
(ii) इन बिन्दुओं को वक्र के रूप में हाथ से जोड़कर तोरण प्राप्त करते हैं।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 - 7
अत: ABCDEF अभीष्ट तोरण है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Exercise 14.3

प्रश्न 1.
निम्नलिखित बारम्बारता बंटन किसी मोहल्ले के 68 उपभोक्ताओं की बिजली की मासिक खपत दर्शाता है। इन आँकड़ों से माध्यक, माध्य और बहुलक ज्ञात कीजिए। इनकी तुलना भी कीजिए ।

मासिक खपत (इकाइयों में) उपभोक्ताओं की संख्या
65-85
85-105
105-125
125-145
145-165
165-185
185-205
4
5
13
20
14
8
4

हल :
माध्य के लिए :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 1
यहाँ N = 68
∴ \(\frac{N}{2}=\frac{68}{2}\) = 34 से ठीक बड़ी संचयी बारम्बारता 42 के संगत वर्ग अन्तराल 125 – 145 है।
∴ माध्यक वर्ग = 125 – 145
अतः l = 125; N = 68; f = 20, C = 22 और h = 20
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 3

माध्य के लिए :

माना कल्पित माध्य (4) = 135, वर्ग अन्तराल (h) = 20
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 4

बहुलक के लिए :

दिए गए आँकड़ों में अधिकतम बारम्बारता 20 है। इसके संगत वर्ग अन्तराल 125-145 है।
∴ बहुलक वर्ग 125-145
∴ l = 125; f1 = 20; f0 = 13; f2 = 14 और h = 20
अतः दिए गए आँकड़ों का माध्यक = 137, माध्य = 137.05 तथा बहुलक = 135.77 (लगभग) मात्रक है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

प्रश्न 2.
यदि नीचे दिए हुए बंटन का माध्यक 28.5 हो, तो x और y के मान ज्ञात कीजिए :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 5
हल :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 5
परन्तु बारम्बारताओं का योग Σfi = N = 60 है। अन्तिम संचयी बारम्बारता वर्ग बारम्बारताओं के योग के बराबर होता है।
∴ 45 + x + y = 60
⇒ x + y = 60 – 45
⇒ x + y = 15 …(i)
अब \(\frac{N}{2}=\frac{60}{2}\) = 30 तथा बंटन का माध्यक = 28.5 है,
जो कि वर्ग-अन्तराल 20 – 30 में स्थित है।
∴ माध्यक वर्ग = 20 – 30
∴ l = 20; f = 20; C = 5 + x और h = 10
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 7
x का मान समीकरण (i) में प्रतिस्थापित करने पर,
8 + y = 15 ⇒ y = 15 – 8 = 7
अत: x = 8 और y = 7

प्रश्न 3.
एक जीवन बीमा एजेण्ट 100 पॉलिसी धारकों की आयु के बंटन के निम्नलिखित आँकड़े ज्ञात करता है। माध्यक आयु परिकलित कीजिए, यदि पॉलिसी केवल उन्हीं व्याक्यिों को दी जाती है, जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक हो, परन्तु 60 वर्ष से कम हो।

आयु (वर्षो में) पॉलिसी धारकों की संख्या
20 से कम
25 से कम
30 से कम
35 से कम
40 से कम
45 से कम
50 से कम
55 से कम
60 से कम
2
6
24
45
78
89
92
98
100

हल :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 8
यहाँ N = 100
∴ \(\frac{N}{2}=\frac{100}{2}\) = 50 से ठीक बड़ी संचयी बारम्बारता 78 के संगत वर्ग अन्तराल 35 – 40 है।
∴ माध्यक वर्ग 35 – 40
∴ l = 35, \(\frac{N}{2}\) = 50, C = 45, f = 33 और h = 5
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 9
अतं : दिएा गएा आँकड़ों से माध्यक आयु 35.76 वर्ष है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

प्रश्न 4.
एक पौधे की 40 पत्तियों की लम्बाइयाँ निकटतम मिलीमीटरों में मापी जाती हैं तथा प्राप्त आंकड़ों को अग्रलिखित सारणी के रूप में निरूपित किया जाता है:

लम्बाई (मिमी) पत्तियों की संख्या
118-126
127-135
136-144
145-153
154-162
163-171
172-180
3
5
9
12
5
4
2

पत्तियों की माध्यक लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल :
दिए गए वर्ग लगातार नहीं हैं। इसलिए पहले इसे लगातार (सतत) वर्ग में बदलेंगे।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 10
यहाँ N = 40
∴ \(\frac{N}{2}=\frac{40}{2}\) = 20 से ठीक बड़ी संचयी बारम्बारता 29 के संगत वर्ग अन्तराल 144.5 – 153.5 है।
∴ माध्यक वर्ग = 144.5 – 153.5
l = 144.5, f = 12, C = 17 और h = 9
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 11
अतः पत्तियों की माध्यक लम्बाई 146.75 मिमी है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित सारणी 400 नीऑन लैम्पों के जीवनकालों (Life time) को प्रदर्शित करती है :

जीवनकाल (घण्टों में) लैम्पों की संख्या
1500 -2000
2000-2500
2500-3000
3000-3500
3500-4000
4000-4500
4500-5000
14
56
60
86
74
62
48

एक लैम्प का माध्यक जीवनकाल ज्ञात कीजिए।
हल :

जीवन काल (घण्टों में) लैम्पों की संख्या संचयी बारम्बारता (c.f.)
1500-2000
2000-2500
2500-3000
3000-3500
3500-4000
4000-4500
4500-5000
14
56
60
86
74
62
48
14=14
(14+56) = 70
(70+60) = 130
(130+86)=216
(216+74) = 290
(290+62) = 352
(352+48) = 400
योग Σf<sub>i</sub> = N = 400

योग N = 400
∴ \(\frac{N}{2}=\frac{400}{2}\) = 200 से ठीक बड़ी संचयी बारम्बारता 216 के संगत वर्ग अन्तराल 3000 – 3500 है:
∴ माध्यक वर्ग = 3000 – 3500
∴ l = 3000; \(\frac{N}{2}\) = 200; f = 86, C = 130 और h = 500
माध्यक = l + (\(\frac{\frac{N}{2}-C}{f}\)) × h = 3000 + (\(\frac{200-130}{86}\)) × 500
= 3000 + \(\frac{70 \times 500}{86}\)
= 3000 + 406.98 (लगभग) = 3406.98
अतः एक लैम्प का माध्यक जीवनकाल = 3406.98 घण्टे हैं।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

प्रश्न 6.
एक स्थानीय टेलीफोन निर्देशिका से 100 कुलनाम (surnames) लिए गए और उनमें प्रयुक्त अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों की संख्या का निम्नलिखित बारम्बारता बंटन प्राप्त हुआ:
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 12
कुलनामों में माध्यक अक्षरों की संख्या ज्ञात कीजिए। कुलनामों में माध्य अक्षरों की संख्या ज्ञात कीजिए। साथ ही कुलनामों का बहुलक ज्ञात कीजिए।
हल :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 13

माध्यक के लिए :
यहाँ N = 100
\(\frac{N}{2}=\frac{100}{2}\) = 50 से ठीक बड़ी संचयी बारम्बारता 76 के संगत वर्ग अन्तराल 7-10 है।
∴ माध्यक वर्ग 7 – 10
∴ l = 7, \(\frac{N}{2}\) = 50 , f = 40, C = 36 और h = 3
माध्यक = l + (\(\frac{\frac{N}{2}-C}{f}\)) × h = 7 + (\(\frac{50-36}{40}\)) × 3 = 7 + \(\frac{14 \times 3}{40}\)
= 7 + \(\frac {21}{20}\)
= 7 + 1.05 = 8.05
अत: माध्यक = 8.05

माध्य के लिए :

Σfixi = 832, Σfi = 100
माध्य (\(\bar{x}\)) = \(\frac{\sum f_i x_i}{\sum f_i}\) = \(\frac {832}{100}\) = 8.32
अतः माध्य अक्षरों की संख्या = 8.32 है।

बहुलक के लिए :

दिए गए आँकड़ों में अधिकतम बारम्बारता 40 है। इसके संगत वर्ग अन्तराल 7 – 10 है।
∴ बहुलक वर्ग = 7 – 10
∴ l = 7, f1 = 40, f0 = 30, f2 = 16 और h = 3
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 14
अतः कुलनामों में माध्यक अक्षरों की संख्या = 8.05, माध्य अक्षरों की संख्या 8.32 तथा बहुलक 7.88.

प्रश्न 7.
नीचे दिया हुआ बंटन एक कक्षा के 30 विद्यार्थियों के भार दर्शा रहा है। विद्यार्थियों का माध्यक भार ज्ञात कीजिए।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 15
हल :
माध्यक के लिए संचयी बारम्बारता सारणी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 - 16
यहाँ N = 30
\(\frac{N}{2}=\frac{30}{2}\) = 15 से ठीक बड़ी संचयी बारम्बारता 19 के संगत वर्ग अन्तराल 55-60 है।
∴ माध्यक वर्ग = 55 – 60
∴ l = 55, \(\frac{N}{2}\) = 15, C = 13, f = 6 और h = 5
माध्यक = l + (\(\frac{\frac{N}{2}-C}{f}\)) × h = 55 + (\(\frac{15-13}{6}\)) × 5
= 55 + \(\frac{2}{6}\) × 5 = 55 + \(\frac{5}{3}\) × 5 = 55 + \(\frac{5}{3}\) = 55 + \(\frac{5}{3}\) = 55 + 1.67 = 56.67 किग्रा (लगभग)
अतः विद्यार्थियों का माध्यक भार = 56.67 किग्रा (लगभग) है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

Jharkhand Board Class 10 Science प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Textbook Questions and Answers

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या-204-206)

1. निम्न में से कौन-सा पदार्थ लेंस बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता?
(a) जल
(b) काँच
(c) प्लास्टिक
(d) मिट्टी
उत्तर:
(d) मिट्टी।

2. किसी बिंब का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा बिंब से बड़ा पाया गया। वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए?
(a) मुख्य फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच
(b) वक्रता केन्द्र पर
(c) वक्रता केन्द्र से परे
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच।

3. किसी बिंब का वास्तविक तथा समान साइज का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए बिंब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखें?
(a) लेंस के मुख्य फोकस पर
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर
(c) अनंत पर
(d) लेंस के प्रकाशिक केन्द्र तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर।

4. किसी गोलीय दर्पण तथा किसी पतले गोलीय लेंस दोनों की फोकस दूरियाँ 15 cm हैं। दर्पण तथा लेंस संभवत: हैं-
(a) दोनों अवतल
(b) दोनों उत्तल
(c) दर्पण अवतल तथा लेंस उत्तल
(d) दर्पण उत्तल तथा लेंस अवतल
उत्तर:
(a) दोनों अवतल।

5. किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिंब सदैव सीधा प्रतीत होता है। संभवतः दर्पण है-
(a) केवल समतल
(b) केवल अवतल
(c) केवल उत्तल
(d) या तो समतल अथवा उत्तल
उत्तर:
(d) या तो समतल अथवा उत्तल

6. किसी शब्दकोश (Dictionary) में पाए गए छोटे अक्षरों को पढ़ते समय आप निम्न में से कौन-सा लेंस पसंद करेंगे?
(a) 50 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(b) 50 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(d) 5 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
उत्तर:
(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 7.
15 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण का उपयोग करके हम किसी बिंब का सीधा प्रतिबिंब बनाना चाहते हैं। बिंब ‘दर्पण से दूरी का परिसर (Range) क्या होना चाहिए? प्रतिबिंब की प्रकृति कैसी है? प्रतिबिंब बिंब से बड़ा है अथवा छोटा? इस स्थिति में प्रतिबिंब बनने का एक किरण आरेख बनाइए।
उत्तर:
बिंब का दर्पण से दूरी दर्पण के ध्रुव से 0 से 15 सेमी के बीच है (अर्थात्, 15 सेमी से कम है)।

  • प्रतिबिंब की प्रकृति आभासी तथा सीधा
  • प्रतिबिंब, बिंब से बड़ा है।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 1

प्रश्न 8.
निम्न स्थितियों में प्रयुक्त दर्पण का प्रकार बताइए-
(a) किसी कार का अग्रदीप (हैडलाइट)
(b) किसी वाहन का पार्श्व / पश्च दृष्टि दर्पण
(c) सौर मट्टी
अपने उत्तर की कारण सहित पृष्टि कीजिए।
उत्तर:
(a) किसी कार के हैड लाइट में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है क्योंकि वह प्रकाश को परावर्तित कर सकता है।

(b) किसी वाहन के पार्श्व तथा पश्च दृश्य के लिए उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह वस्तु का सीधा प्रतिबिंब बनाता है और पीछे के ट्रैफिक के विस्तृत क्षेत्र को देख सकता है।

(c) सौर भट्टी में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि दर्पण सूर्य की किरणों को वस्तु पर फोकस करके उसे ताप प्रदान करता है।

प्रश्न 9.
किसी उत्तल लेंस का आधा भाग काले कागज से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस किसी बिंब का पूरा प्रतिबिंब बना पाएगा? अपने उत्तर की प्रयोग द्वारा जाँच कीजिए। अपने प्रेक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हाँ, उत्तल लेंस आधा भाग काले कागज से ढकने के बावजूद भी वस्तु का पूरा प्रतिबिंब बनाता है। चूँकि प्रकाश किरणें लेंस के आधा भाग वस्तु पर से गुजरती हैं और वस्तु का पूरा प्रतिबिंब बनाती हैं।

प्रश्न 10.
5 cm लंबा कोई बिंब 10 cm फोकस दूरी के किसी अभिसारी लेंस से 25. cm दूरी पर रखा जाता है। प्रकाश किरण आरेख खींचकर बनने वाले प्रतिबिंब की स्थिति, साइज तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए। उत्तर:
वस्तु की लंबाई (h) = 5 cm
वस्तु की दूरी (u) = – 25 cm
फोकस दूरी (f) = + 10 cm
चूँकि \(\frac { 1 }{ v }\) – \(\frac { 1 }{ u }\) = \(\frac { 1 }{ f }\)
⇒ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{u}+\frac{1}{f}\)
⇒ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{-25}+\frac{1}{10}\)
⇒ \(\frac{1}{v}=\frac{-2+5}{50}=\frac{+3}{50}\)
⇒ v = + \(\frac { 50 }{ 3 }\)
= + 16.56 cm
v का धनात्मक चिन्ह यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब लेंस के प्रकाशीय केन्द्र के दाई तरफ 16.67 cm की दूरी पर बनेगा। इसलिए प्रतिबिंब वास्तविक तथा उलटा बनेगा।
आवर्धन m = \(\frac{h_1}{h}=\frac{v}{u}\)
या h1 = h x \(\frac { v }{ u }\)
प्रतिबिंब का आकार
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 2
h1 का ऋणात्मक चिन्ह दर्शाता है कि प्रतिबिंब उलटा बनेगा। यह मुख्य अक्ष के नीचे बनेगा।
इस प्रकार, एक वास्तविक, उलटा प्रतिबिंब लेंस की दाईं तरफ 16.67 की दूरी पर 3\(\frac { 1 }{ 3 }\)cm लंबा बनेगा।

प्रश्न 11.
15 cm फोकस दूरी का कोई अवतल लेंस किसी बिंब का प्रतिबिंब लेंस से 10 cm दूरी पर बनाता है। बिंब लेंस से कितनी दूरी पर स्थित है? किरण आरेख खींचिए।
उत्तर:
फोकस दूरी f = 15 सेमी, प्रतिबिंब की दूरी v = – 10 सेमी, बिंब दूरी u = ?
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 3
अर्थात्, बिंब अवतल लेंस से 30 सेमी की दूरी पर है।

प्रश्न 12.
15 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल दर्पण से कोई बिंब 10 cm दूरी पर रखा है। प्रतिबिंब की स्थिति तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
फोकस दूरी f = 15 सेमी, बिंब की दूरी = – 10 सेमी, प्रतिबिंब दूरी v = ?
हम जानते हैं कि \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
⇒ \(\frac{1}{-10}+\frac{1}{v}=\frac{1}{15}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{15}+\frac{1}{10}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{2+3}{30}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{5}{30}\)
v = 6 सेमी
अर्थात्, प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 6 सेमी की दूरी पर बनता है। प्रतिबिंब वास्तविक तथा उलटा है।

प्रश्न 13.
एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन + 1 है। इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:
धनात्मक चिन्ह यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा समान आकार का बना है।

प्रश्न 14.
5.0 सेमी लंबाई का कोई बिंब 30 सेमी वक्रता त्रिज्या के किसी उत्तल दर्पण के सामने 20 सेमी. दूरी पर रखा गया है। प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति तथा साइज ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
यहाँ, बिंब की ऊँचाई h1 = 5 सेमी,
वक्रता त्रिज्या R = 30 सेमी
\(\frac { R }{ 2 }\) = f
या फोकस दूरी f = \(\frac { 30 }{ 2 }\) = + 15 सेमी
बिंब दूरी u = – 20 सेमी
प्रतिबिंब की दूरी = ?
प्रतिबिंब की ऊँचाई h2 = ?
तो प्रतिबिंब की दूरी v = ?
प्रतिबिंब की ऊँचाई h2 = ?
हम जानते हैं कि \(\frac { 1 }{ v }\) + \(\frac { 1 }{ u }\) = \(\frac { 1 }{ f }\)
⇒ \(\frac { 1 }{ v }\) + \(\frac { 1 }{ -20 }\) = \(\frac { 1 }{ +15 }\)
\(\frac { 1 }{ v }\) = \(\frac { 1 }{ 15 }\) + \(\frac { 1 }{ 20 }\) = \(\frac { 4+3 }{ 60 }\)
v = \(\frac { 60 }{ 7 }\) सेमी = 8.57 सेमी
प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 8.6 सेमी की दूरी पर बना है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 4
अर्थात्, प्रतिबिंब का आकार 2.175 (या 2.2 सेमी) है। प्रतिबिंब आभासी सीधा तथा छोटी है।

प्रश्न 15.
7.0 cm साइज का कोई बिंब 18 सेमी फोकस दूरी के अवतल दर्पण के सामने 27 सेमी दूरी पर रखा गया है। दर्पण से कितनी दूरी पर किसी परदे को रखें कि उस पर वस्तु का स्पष्ट फोकसित प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सके। प्रतिबिंब का साइज तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
यहाँ, बिंब की ऊँचाई h1 = 5 सेमी,
बिंब दूरी u = – 27 सेमी,
फोकस दूरी f = – 18 सेमी,
तो प्रतिबिंब की दूरी v = ?
प्रतिबिंब की ऊँचाई h2 = ?
हम जानते हैं कि
\(\frac { 1 }{ v }\) + \(\frac { 1 }{ u }\) = \(\frac { 1 }{ f }\)
⇒ \(\frac { 1 }{ -27 }\) + \(\frac { 1 }{ v }\) = \(\frac { 1 }{ -18 }\)
\(\frac { 1 }{ v }\) = \(\frac { -1 }{ 18 }\) + \(\frac { 1 }{ 27 }\)
= \(\frac { -3+2 }{ 5 }\)
v = – 54 सेमी.
अर्थात्, परदे को दर्पण से 54 सेमी की दूरी पर रखी जानी चाहिए।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 5
h2 = 14 सेमी.
अर्थात्, प्रतिबिंब की ऊँचाई 14 सेमी है तथा यह वास्तविक और उलटा है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 16.
उस लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी क्षमता – 2.0D है। यह किस प्रकार का लेंस है?
उत्तर:
P = \(\frac { 1 }{ f }\)
– 20 = \(\frac { 1 }{ f }\)
f = \(\frac { -1 }{ 2 }\) मी
f = – \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 100 मी
f = 50 मी = – 0.50 सेमी
अर्थात्, लेंस की फोकस दूरी 0.40 मी है तथा यह अवतल लेंस है।

प्रश्न 17.
कोई डॉक्टर + 1.5D क्षमता का संशोधक लेंस निर्धारित करता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। क्या निर्धारित लेंस अभिसारी है अथवा अपसारी?
उत्तर:
P = \(\frac { 1 }{ f }\)
1.5 = \(\frac { 1 }{ f }\)
f = \(\frac { 1 }{ 1.5 }\) मी = \(\frac { 10 }{ 15 }\) मी
= \(\frac { 2 }{ 3 }\) मी = + 0.67 मी
अर्थात्, लेंस की फोकस दूरी + 0.67 मी है निर्धारित लेंस अभिसारी है।

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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 185 )

प्रश्न 1.
अवतल दर्पण के मुख्य फोकस की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
अवतल दर्पण पर मुख्य अक्ष के समांतर आपतित किरणें परावर्तित होकर दर्पण की मुख्य फोकस के जिस बिन्दु पर मिलती है प्रतिच्छेदी है, वह बिन्दु अवतल दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है।

प्रश्न 2.
एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 सेमी है। इसकी फोकस दूरी क्या होगी?
उत्तर:
हम जानते हैं कि,
R = 2f
जहाँ, R = 20 सेमी
∴ f = \(\frac { 20 }{ 2 }\) = 10 सेमी
गोलीय दर्पण की फोकस दूरी = 10 सेमी

प्रश्न 3.
उस दर्पण का नाम बताइए जो बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सके।
उत्तर:
अवतल दर्पण।

प्रश्न 4.
हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं?
उत्तर:
वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च- दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता निम्न कारणों से देते हैं-

  • यह सदैव सीधा एवं छोटा प्रतिबिंब बनाते हैं।
  • इनका दृष्टि- क्षेत्र बहुत अधिक होता है क्योंकि ये बाहर की ओर वक्रित होते हैं।

अतः समतल दर्पण की तुलना में उत्तल दर्पण ड्राइवर को अपने पीछे के बहुत बड़े क्षेत्र को देखने में सक्षम बनाते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-188)

प्रश्न 1.
उस उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी वक्रता त्रिज्या 32 cm है।
उत्तर:
उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या
R = 32 cm
अतः f = \(\frac { R }{ 2 }\) = \(\frac { 32 }{ 2 }\)
= 16 cm
अतः उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 16 cm होगी।

प्रश्न 2.
कोई अवतल दर्पण अपने सामने 10 em दूरी पर रखे किसी बिंब का तीन गुणा आवर्धित (बड़ा) वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है। प्रतिबिंब दर्पण से कितनी दूरी पर है?
उत्तर:
बिंब- दूरी u = – 10 cm
आवर्धन m = – 3 चूँकि प्रतिबिंब वास्तविक है।
m = – \(\frac { v }{ u }\)
⇒ – 3 = \(\frac { v }{ -10 }\)
∴ v = – 30 cm
अतः प्रतिबिंब दर्पण के सामने 30 cm की दूरी पर बनता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 194)

प्रश्न 1.
वायु में गमन करती प्रकाश की एक किरण जल में तिरछी प्रवेश करती है। क्या प्रकाश किरण अभिलंब की ओर झुकेगी अथवा अभिलंब से दूर हटेगी? बताइए क्यों?
उत्तर:
प्रकाश की किरण जब वायु से जल में गमन करती है तो यह अभिलंब की ओर झुकती है, क्योंकि जल, वायु की तुलना में सघन माध्यम है अर्थात् प्रकाश की किरणें विरल से सघन माध्यम में प्रवेश करने पर अभिलंब की ओर झुकेंगी।

प्रश्न 2.
प्रकाश वायु से 1.50 अपवर्तनांक की काँच की प्लेट में प्रवेश करता है। काँच में प्रकाश की चाल कितनी है? निर्वात में प्रकाश की चाल 3 x 108 m/s है।
उत्तर:
दिया है-
निर्वात में प्रकाश की चाल
(c) = 3 x 108 m/s
काँच की प्लेट का अपवर्तनांक
(nm) = 1.50
nm = \(\frac { c }{ u }\);
v = काँच में प्रकाश की चाल
⇒ 1.50 = \(\frac{3 \times 10^8}{v}\)
⇒ v = \(\frac{3 \times 10^8}{1.5}=\frac{30 \times 10^8}{15}\)
= 2 x 108 m/s
अतः काँच में प्रकाश की चाल = 2 x 108 m/s

प्रश्न 3.
पाठ्य पुस्तक की सारणी 10.3 से अधिकतम प्रकाशित घनत्व के माध्यम को ज्ञात कीजिए। न्यूनतम प्रकाशित घनत्व के माध्यम को भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिए गए सारणी 10.3 के अवलोकन से पता चलता है कि अधिकतम प्रकाशित घनत्व का माध्यम हीरा है जिसका अपवर्तनांक (n) = 2.42 है तथा न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व का माध्यम वायु है, जिसका अपवर्तनांक (n) = 1.0003 है।

प्रश्न 4.
आपको किरोसिन, तारपीन का तेल तथा जल दिए गए हैं। इसमें से किसमें प्रकाश सबसे अधिक तीव्र गति से चलता है? पाठ्य पुस्तक की सारणी 10.3 में दिए गए आँकड़ों का उपयोग कीजिए।
उत्तर:
किरोसिन, तारपीन का तेल और जल में, प्रकाश सबसे अधिक तीव्र गति से जल में चलता है।

प्रश्न 5.
हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का तात्पर्य है कि वायु अथवा निर्वात में प्रकाश की चाल का अनुपात और हीरे में प्रकाश की चाल का अनुपात 2.42 के बराबर है। दूसरे शब्दों में हीरे में प्रकाश की चाल उसकी निर्वात में चाल की 2.42 गुना कम हो जाती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 203)

प्रश्न 1.
किसी लेंस की 1 डाइऑप्टर क्षमता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
जब एक लेंस की फोकस दूरी 1 मीटर हो तो लेंस की क्षमता 1 डाइऑप्टर कहलाती है।

प्रश्न 2.
कोई उत्तल लेंस किसी सुई का वास्तविक तथा उलटा प्रतिबिंब उस लेंस से 50 सेमी दूर बनाता है। यह सुई, उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखी है, यदि इसका प्रतिबिंब उसी साइज का बन रहा है जिस साइज का बिंब है। लेंस की क्षमता भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
यहाँ, प्रतिबिंब दूरी = + 50 सेमी
v = 50 सेमी
m = 1
P = \(\frac { 1 }{ f }\) = ?
लेंस द्वारा वास्तविक प्रतिबिंब के लिए,
m = \(\frac { v }{ u }\)
1 = \(\frac { u }{ v }\)
v = u
∴ u = – 50 सेमी
∴ बिंब दूरी = 50 सेमी
अब, \(\frac { 1 }{ v }\) – \(\frac { 1 }{ u }\) = \(\frac { 1 }{ f }\)
⇒ \(\frac { 1 }{ 50 }\) – \(\frac { 1 }{ -50 }\) = \(\frac { 1 }{ f }\)
⇒ \(\frac { 1+1 }{ 50 }\) = \(\frac { 1 }{ f }\)
∴ f = 25 सेमी
P = \(\frac{\frac{2}{25}}{100}\) मी =\(\frac{\frac{1}{1}}{4}\)
P = 4 डाइऑप्टर

प्रश्न 3.
2 मी फोकस दूरी वाले किसी अवतल लेंस की क्षमता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अवतल लेंस के लिए
f = – 2 मी
∴ P = \(\frac { 1 }{ f }\)
∴ P = – \(\frac { 1 }{ 2 }\)
P = – 0.5 डाइऑप्टर

क्रिया-कलाप – 10.1

  • एक बड़ी चमकदार चम्मच लीजिए। इसके वक्रित पृष्ठ में अपना चेहरा देखने का प्रयत्न कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या आप प्रतिबिंब देख पाते हैं? यह छोटा है या बड़ा?
उत्तर:
हाँ। प्रतिबिंब छोटा है।

प्रश्न 2.
चम्मच को धीरे-धीरे अपने चेहरे से दूर ले जाइए। प्रतिबिंब को देखते रहिए। यह कैसे परिवर्तित होता है?
उत्तर:
इसका आकार छोटा होता जा रहा है।

प्रश्न 3.
चम्मच को उलटा कीजिए (पलटिए) तथा दूसरे पृष्ठ से क्रियाकलाप को दोहराइए। अब प्रतिबिंब कैसा दिखाई देगा?
उत्तर:
पहले, प्रतिबिंब उलटा था परन्तु अब प्रतिबिंब सीधा है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 4.
दोनों पृष्ठों पर प्रतिबिंब के अभिलक्षणों की तुलना कीजिए।
उत्तर:

आंतरिक पृष्ठ बाहरी पृष्ठ
(i) कभी-कभी प्रतिबिंब उलटा तथा कभी सीधा दिखाई देता है। (i) प्रतिबिंब हमेशा सीधा होता है।
(ii) प्रतिबिंब का आकार कभी छोटा तो कभी बड़ा दिखाई देता है। (ii) प्रतिबिंब हमेशा छोटा होता है।

क्रियाकलाप – 10.2

चेतावनी-सूर्य की ओर या दर्पण द्वारा परावर्तित सूर्य के प्रकाश की ओर सीधा मत देखिए। यह आपकी आँखों को क्षतिग्रस्त कर सकता है।

  • एक अवतल दर्पण को अपने हाथ में पकड़िए तथा इसके परावर्तक पृष्ठ को सूर्य की ओर कीजिए।
  • दर्पण द्वारा परावर्तित प्रकाश को दर्पण के पास रखी एक कागज की शीट पर डालिए।
  • कागज की शीट को धीरे-धीरे आगे पीछे कीजिए जब तक कि आपको कागज की शीट पर प्रकाश का एक चमकदार, तीक्ष्ण बिन्दु प्राप्त न हो जाए।
  • दर्पण तथा कागज को कुछ मिनट के लिए उसी स्तिथि में पकड़े रखिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आप क्या देखते हैं? ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
कागज जलना शुरू हो जाता है। सूर्य से आने वाला प्रकाश दर्पण के द्वारा एक तीक्ष्ण, चमकदार बिन्दु के रूप में अभिकेन्द्रित होता है जिससे ऊष्मा उत्पन्न होती है और कागज जलने लगता है।

क्रिया-कलाप – 10.3
(i) आप अवतल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करने की विधि पहले ही सीख चुके हैं। क्रियाकलाप 10.2 में आपने देखा है कि आपको कागज पर मिला प्रकाश का तीक्ष्ण चमकदार बिन्दु वास्तव में सूर्य का प्रतिबिंब है। यह अत्यंत छोटा, वास्तविक तथा उलटा ॰ै। दर्पण से इस प्रतिबिंब की दूरी मापकर आपने अवतल दर्पण की लगभग फोकस दूरी ज्ञात की थी।

(ii) एक अवतल दर्पण लीजिए। ऊपर वर्णित विधि से इसकी सन्निकट फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। फोकस दूरी का मान नोट कीजिए। (आप किसी दूरस्थ वस्तु का प्रतिबिंब एक कागज की शीट पर प्राप्त करके भी फोकस दूरी ज्ञात कर सकते हैं)।

(iii) मेज पर चॉक से एक लाइन बनाइए। अवतल दर्पण को एक स्टैंड पर रखिए। स्टैंड को लाइन पर इस प्रकार रखिए कि दर्पण का ध्रुव इस लाइन पर स्थित हो।

(iv) चॉंक से पहली लाइन के समांतर और इसके आगे, दो लाइनें इस प्रकार खींचिए की किन्हीं दो उत्तरोत्तर लाइनों के बीच की दूरी दर्पण की फोकस दूरी के बराबर हो। ये लाइनें अब क्रमशः बिन्दुओं P, rmF तथा C की स्थितियों के तद्नुरूपी होंगी। याद रखिए-छोटे द्वारक के गोलीय दर्पण के लिए मुख्य फोकस F, ध्रुव P तथा वक्रता केन्द्र C को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर स्थित होता है।

(v) एक चमकीला बिंब, जैसे एक जलती हुई मोमबत्ती C से बहुत दूर किसी स्थिति पर रखिए। एक कागज का परदा रखिए तथा इसको दर्पण के सामने आगे-पीछे तब तक खिसकाइए जब तक कि आपको इस पर मोमबत्ती की लौ का तीक्ष्ण तथा चमकीला प्रतिबिंब प्राप्त न हो जाए।

(vi) प्रतिबिंब को ध्यानपूर्वक देखिए। इसकी प्रकृति, स्थिति तथा बिंब के साइज के सापेक्ष इसका आपेक्षिक साइज नोट कीजिए।

(vii) इस क्रियाकलाप को मोमबत्ती की निम्न स्थितियों के लिए दोहराइए-

  • C से थोड़ा दूर
  • C पर
  • F तथा C के बीच
  • F पर तथा
  • P और F के बीच।

(viii) इनमें से एक स्थिति में आप परदे पर प्रतिबिंब प्राप्त नहीं कर पाएँगे। इस अवस्था में बिंब की स्थिति को अभिनिर्धारित कीजिए। तब, इसके आभासी प्रतिबिंब को सीधे दर्पण में देखिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अपने प्रेक्षणों को नोट कीजिए तथा सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
किसी अवतल दर्पण से बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए बने प्रतिबिंब-

बिंब की स्थिति प्रतिबिंब की स्थिति प्रतिबिंब का साइज प्रतिबिंब की प्रकृति
(a) अनंत पर फोकस F पर अत्यधिक छोटा, बिंदु साइज वास्तविक एवं उल्टा
(b) C से परे F तथा C के बीच छोटा वास्तविक तथा उल्टा
(c) C पर C पर समान साइज वास्तविक तथा उल्टा
(d) C तथा F के बीच C से परे विवर्धित (बड़ा) वास्तविक तथा उल्टा
(e) F पर अनंत पर अत्यधिक विवर्धित वास्तविक तथा उल्टा
(f) P तथा F के बीच दर्पण के पीछे विवर्धित (बड़ा) आभासी तथा सीधा

अवतल दर्पण द्वारा बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए बने प्रतिबिंब का किरण आरेख-
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 6a

क्रिया-कलाप – 10.4

  • (i) सारणी 10.1 में दर्शायी गई बिंब की प्रत्येक स्थिति के लिए स्वच्छ किरण आरेख खींचिए।
  • (ii) प्रतिबिंब का स्थान निर्धारित करने के लिए आप पूर्व अनुच्छेद में वर्णित कोई दो किरणें ले सकते हैं।
  • (iii) अपने चित्रों की तुलना ऊपर दिये गये चित्रों से कीजिए।
  • (iv) प्रत्येक दशा में बनने वाले प्रतिबिंब की प्रकृति, स्थिति तथा आपेक्षिक साइज का वर्णन कीजिए।
  • (v) अपने परिणामों को सुविधाजनक प्रारूप में सारणीबद्ध कीजिए।

संकेत-अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब का बनना दर्शाने के लिए किरण आरेख तथा प्रत्येक दशा में बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति, स्थिति एवं आपेक्षिक साइज का वर्णन क्रियाकलाप -10.3 में दिया गया है।

क्रिया-कलाप- 10.5

  • कोई उत्तल दर्पण लीजिए। इसे हाथ में पकड़िए।
  • दूसरे हाथ में एक सीधी बड़ी पेंसिल पकड़िए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
दर्पण में पेंसिल का प्रतिबिंब देखिए प्रतिबिंब सीधा है या उलटा? क्या यह छोटा है अथवा विवर्धित (बड़ा) है?
उत्तर:
सीधा तथा छोटा।

प्रश्न 2.
पेंसिल को धीरे-धीरे दर्पण से दूर ले जाइए। क्या प्रतिबिंब छोटा होता जाता है या बड़ा होता जाता है?
उत्तर:
छ्छेटा प्रतिबिम्ब बनता है।

प्रश्न 3.
क्रियाकलाप को सावधानीपूर्वक दोहराइए। बताइए कि जब बिंब को दर्पण से दूर ले जाते हैं तो प्रतिबिंब फोकस के निकट आता है अथवा उससे और दूर चला जाता है?
उत्तर:
प्रतिबिंब फोकस के निकट आता है। प्रतिबिंब फोकस के निकट बनता है।

क्रियाकलाप – 10.6

  • समतल दर्पण में किसी दूरस्थ बिम्ब जैसे कोई दूरस्थ पेड़ का प्रतिबिम्ब देखिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या आप पूर्ण लम्बाई (Full length) का प्रतिबिंब देख पाते हैं?
उत्तर:
पूर्ण लम्बाई का प्रतिबिम्ब नहीं देख पाते हैं।

प्रश्न 2.
विभिन्न साइज के समतल दर्पण लेकर प्रयोग दोहराइए। क्या आप दर्पण में बिंब का संपूर्ण प्रतिबिंब देख पाते हैं?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 3.
इस क्रियाकलाप को अवतल दर्पण लेकर दोहराइए। क्या यह दर्पण बिंब की पूरी लंबाई का प्रतिबिंब बना पाता है?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 4.
अब एक उत्तल दर्पण लेकर इस प्रयोग को दोहराइए। क्या आपको सफलता मिली? अपने प्रेक्षणों की कारण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हाँ, अब हमें बिंब का संपूर्ण प्रतिबिंब देख पाने में सफलता मिली। उत्तल दर्पण हमेशा छोटा, सीधा तथा आभासी प्रतिबिंब बनाता है। इसलिए दूर का बिंब उत्तल दर्पण में साफ देखा जा सकता है।

क्रियाकलाप- 10.7

  • पानी से भरी एक बाल्टी की तली पर एक सिक्का रखिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अपनी आँख को पानी के ऊपर किसी पार्श्व (Side) में रखकर सिक्के को एक बार में उठाने का प्रयत्न कीजिए। क्या आप सिक्का उठने में सफल हो पाते हैं?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 2.
इस क्रियाकलाप को दोहराइए। आप इसे एक बार में करने में क्यों सफल नहीं हो पाए थे?
उत्तर:
क्योंकि अपवर्तन के कारण सिक्का अपने वास्तविक स्थान से ऊपर की ओर उठा हुआ प्रतीत होता है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 3.
अपने मित्रों से इसे करने के लिए कहिए। उनके साथ अपने अनुभव की तुलना कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

क्रिया-कलाप – 10.8

  • किसी मेज पर एक बड़ा उथला कटोरा रखकर उसकी तली में एक सिक्का रखिए।
  • कटोरे से धीरे-धीरे दूर हटिए। जब सिक्का ठीक दिखाई देना बन्द हो जाए तो रूक जाइए।
  • अपने मित्र से सिक्के को विक्षुब्ध किए बगैर कटोरे में पानी डालने को कहिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अपनी स्थिति से सिक्के को देखते रहिए। क्या सिक्का उसी स्थिति से पुनः दिखाई देने लगता है? यह कैसे संभव हो पाता है?
उत्तर:
कटोरे में पानी डालने पर सिक्का पुन: उसी स्थिति में दिखाई देने लगता है क्योंकि अपवर्तन के कारण सिक्के की स्थिति उसकी वास्तविक स्थिति से उठी हुई प्रतीत होती है, इसलिए सिक्का दिखाई देने लगता है।

क्रिया-कलाप-10.9

  • मेज पर रखे एक सफेद कागज की शीट पर एक मोटी सीधी रेखा खींचिए।
  • इस रेखा के ऊपर एक काँच का स्लैब इस प्रकार रखिए कि इसकी एक कोर इस रेखा से कोई कोण बनाएँ।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्लैब के नीचे आए रेखा के भाग को पार्श्व (side) से देखिए आप क्या देखते हैं? क्या काँच के स्लैब के नीचे की रेखा कोरों (edges) के पास मुड़ी हुई प्रतीत होती है?
उत्तर:
हाँ, ऐसा रोशनी के अपवर्तन के कारण हो रहा है।

प्रश्न 2.
अब काँच के स्लैब को इस प्रकार रखिए कि यह रेखा के अभिलंबवत हो। अब आप क्या देखते हैं? क्या काँच के स्लैब के नीचे रेखा का भाग मुड़ा हुआ प्रतीत होता है?
उत्तर:
अब, रेखा सीधी है और मुड़ी हुई प्रतीत नहीं हो रही क्योंकि रोशनी की सीधी किरण में अपवर्तन नहीं होता है।

प्रश्न 3.
रेखा को काँच के स्लैब के ऊपर से देखिए। क्या स्लैब के नीचे रेखा का भाग उठा हुआ प्रतीत होता है? ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
हाँ, ऐसा अपवर्तन के कारण होता है। इसकी वजह से बिंब की स्थिति वास्तविक स्थिति से उठी हुई दिखाई देती है।

क्रिया-कलाप – 10.10

  • एक ड्राइंग बोर्ड पर सफेद कागज की एक शीट, ड्राइंग पिनों की सहायता से लगाइए।
  • शीट के ऊपर बीच में काँच का एक आयताकार स्लैब रखिए।
  • पेंसिल से स्लैब की रूपरेखा खींचिए। इस रूपरेखा का नाम ABCD रखते हैं।
  • चार एकसमान ऑलपिन लीजिए।
  • दो पिर्ने, मान लीजिए E तथा F ऊर्ध्वाधरत: इस प्रकार लगाइए कि पिनों को मिलाने वाली रेखा कोर AB से कोई कोण बनाती हुई हो।
  • पिन E तथा F के प्रतिबिंबों को विपरीत फलक से देखिए। दूसरी दो पिनों, माना G तथा H, को इस प्रकार लगाइए कि ये पिर्ने एवं E तथा F के प्रतिबिंब एक सीधी रेखा पर स्थित हों।
  • पिनों तथा स्लैब को हटाइए।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 6
  • पिनों E तथा F की नोकों (tip) की स्थितियों को मिलाइए तथा इस रेखा को AB तब बढ़ाइए। मान लीजिए EF, AB से बिंदु पर मिलती है। इसी प्रकार पिनों G तथा H की नोकों की स्थितियों को मिलाइए तथा इस रेखा को कोर CD तक बढ़ाइए। मान लीजिए HG, CD से O’ पर मिलती है।
  • O तथा O’ को मिलाइए EF को भी P तक बढ़ाइए, जैसा कि चित्र में बिंदुकित रेखा द्वारा दर्शाया गया है।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या होता है जब प्रकाश की किरणें काँच के स्लैब में प्रवेश करती हैं?
उत्तर:
प्रकाश का अपवर्तन होता है और यह अभिलंब की तरफ मुड़ जाती है। ऐसा प्रकाश की चाल काँच के स्लैब में अपेक्षाकृत कम होने के कारण होता है।

प्रश्न 2.
क्या होता है जब प्रकाश की किरणें स्लैब से बाहर निकलती हैं?
उत्तर:
वायु में प्रकाश की चाल अधिक होती है अतः प्रकाश अभिलंब से दूर मुड़ जाता है।

प्रश्न 3.
निर्गत किरण तथा आपतित किरण के बीच की लंबवत दूरी को क्या कहते हैं?
उत्तर:
पाश्विक विस्थापन।

प्रश्न 4.
आपतित कोण तथा निर्गत कोण के बीच क्या संबंध होता है अगर आपतित किरण तथा निर्गत किरण दोनों का माध्यम समान हो ?
उत्तर:
आपतित कोण = निर्गत कोण।

क्रिया-कलाप – 10.11

चेतावनी- इस क्रियाकलाप को करते समय अथवा अन्यथा भी सूर्य की ओर सीधे या लेंस से न देखें। यदि आप रेसा करेंगे तो आपकी आँखों को क्षति हो सकती है

  • एक उत्तल लेंस को अपने हाथ में पकड़िए। इसे की ओर निर्दिष्ट कीजिए।
  • सूर्य के प्रकाश को एक कागज की शीट पर फोकसित कीजिए। सूर्य का एक तीक्ष्ण चमकदार प्रतिबिंब प्राप्त कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कागज तथा लेंस को कुछ समय के लिए उसी स्थिति में पकड़े रखिए। कागज को देखते रहिए। क्या होता है? ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
कागज पूरी तरह जल गया। लेंस की मदद से सूर्य के प्रकाश को एक बिंदु पर फोकसित किया गया। सूर्य की किरणों में ऊर्जा होती है जिससे कि ऊष्मा उत्पन्न हुई और कागज जल गया।

क्रिया-कलाप – 10.12

  • एक उत्तल लेंस लीजिए। क्रियाकलाप 10.11 में वर्णित विधि द्वारा इसकी सन्निकट फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
  • एक लंबी मेज पर चॉक का प्रयोग करके पाँच समांतर सीधी रेखाएँ इस प्रकार खींचिए कि किन्हीं दो उत्तरोतर रेखाओं के बीच की दूरी लेंस की फोकस दूरी के बराबर हो।
  • लेंस को एक लेंस स्टैंड पर लगाइए। इसे मध्य रेखा पर इस प्रकार रखिए कि लेंस का प्रकाशिक केन्द्र इस रेखा पर स्थिति हो।
  • लेंस के दोनों ओर दो रेखाएँ क्रमशः लेंस के स तथा 2F के तदनुरूपी होंगी। इन्हें उचित अक्षरों द्वारा अंति कीजिए, जैसे क्रमश: 2F1, F1, F2 तथा 2F2
  • एक जलती हुई मोमबत्ती को बाईं ओर, 2 F1 से काफी दूर रखिए। लेंस के विपरीत दिशा में रखे एक परदे पर इसका स्पष्ट एवं तीक्ष्ण प्रतिबिंब बनाइए।
  • प्रतिबिंब की प्रकृति, स्थिति तथा आपेक्षिक साइज नोट कीजिए।
  • इस क्रियाकलाप में बिंब को 2F1 से थोड़ा दूर, F1 तथा 2F1 के बीच, F1 पर तथा F1 और 0 के बीच रखकर दोहराइए। अपने प्रेक्षणों को नोट कीजिए तथा सारणीबद्ध कीजिए।

सारणी में बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए उत्तल लेंस द्वारा बने प्रतिबिंब की प्रकृति, स्थिति तथा आपेक्षिक साइज सारणी में दर्शाई गयी है।

बिंब की स्थिति प्रतिबिंब की स्थिति प्रतिबिंब का आपेक्षिक साइज प्रतिबिंब की प्रकृति
अनंत पर फोकस F2 पर अत्यधिक छोटा, वास्तविक तथा उलटा
2F1 से परे F2तथा 2F2 के बीच बिन्दु आकार वास्तविक तथा उलटा
2F1 पर 2F2 पर छोटा वास्तविक तथा उलटा
F1 तथा 2F1 के बीच 2F2 से परे रापान साइज वास्तविक तथा उलटा
फोकस F1 पर अनंत पर नक़ (लिर्धर्धित वास्तविक तथा उलटा
फोकस F1 तथा प्रकाशिक केन्द्र O के बीच जिस ओर बिंब है असीमित चप थे बड़ा आभासी तथा सीधा

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 7

क्रिया-कलाप – 10.13

  • एक अवतल लेंस लीजिए। इसे एक लेंस स्टैंड पर रखिए।
  • लेंस के एक ओर एक जलती हुई, मोमबत्ती को रखिए।
  • लेंस के दूसरी ओर से प्रतिबिम्ब का प्रेक्षण कीजिए। प्रतिबिंब को यदि संभव हो तो परदे पर प्राप्त करने का प्रयत्न कीजिए। यदि ऐसा संभव न हो तो प्रतिबिंब को लेंस में से सीधे ही देखिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रतिबिंब की प्रकृति, आपेक्षिक आकार तथा सन्निकट स्थिति नोट कीजिए।
उत्तर:
प्रतिबिंब फोकस F1 तथा प्रकाशीय केन्द्र O के मध्य बना है। इसका आपेक्षिक साइज छोटा, आभासी तथा सीधा है।

प्रश्न 2.
मोमबत्ती को लेंस से दूर ले जाइए। प्रतिबिंब के साइज में परिवर्तन नोट कीजिए। जब मोमबत्ती को लेंस से बहुत दूर रखा जाता है तो प्रतिबिंब के साइज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
प्रतिबिंब छोटा हो जाता है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Exercise 14.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित सारणी किसी अस्पताल में एक विशेष वर्ष में भर्ती हुए रोगियों की आयु को दर्शाती है :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 - 1
उपर्युक्त आँकड़ों से बहुलक और माध्य ज्ञात कीजिए। दोनों केन्द्रीय प्रवृत्ति की मापों की तुलना कीजिए और उनकी व्याख्या कीजिए।
हल :
बहुलक के लिए :
यहाँ अधिकतम बारम्बारता 23 है। इसका संगत वर्ग अन्तराल 35-45 है।
∴ बहुलक वर्ग 35-45 होगा
∴ l = 35, f1 = 23, f0 = 21, f2 = 14 और h = 10
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 - 2
अतः बहुलक = 36.8 वर्ष

माध्य के लिए-

माना कल्पित माध्य (A) = 40 है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 - 3
अतः आँकड़ों का बहुलक = 36.8 वर्ष तथा माध्य = 35.375 वर्ष
अस्पताल में भर्ती अधिकतम् रोगी 36.8 वर्ष आयु (लगभग) के हैं। जबकि औसतन अस्पताल में भर्ती किए गए रोगियों की आयु 35.57 वर्ष है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़े, 225 बिजली उपकरणों के प्रेक्षित जीवन काल (घण्टों में) की सूचना देते हैं:
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 - 4
उपकरणों का बहुलक जीवन काल ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ अधिकतम बारम्बारता 61 है। इसका संगत वर्ग अन्तराल 60-80 हैं:
∴ बहुलक वर्ग = 60-80
l = 60, f1 = 61, f0 = 52, f2 = 38 और h = 20
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 - 5
अतः परिवारों का बहुलक मासिक व्यय = ₹ 1847.83
तथा माध्य मासिक व्यय = ₹ 2662.50

प्रश्न 4.
निम्नलिखित बंटन भारत के उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में, राज्यों के अनुसार, शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात को दर्शाता है। इन आँकड़ों के बहुलक और माध्य ज्ञात कीजिए। दोनों मापकों की व्याख्या कीजिए।

प्रति शिक्षक विद्यार्थियों की संख्या राज्य / संघीय क्षेत्रों की संख्या
15-20
20-25
25-30
30-35
35-40
40-45
45-50
50-55
3
8
9
10
3
0
0
2

हल :
बहुलक के लिए :
यहाँ, अधिकतम बारम्बारता 10 है। इस बारम्बारता का संगत वर्ग अन्तराल 30-35 है।
∴ बहुलक वर्ग = 30-35
∴ l = 30, f1 = 10, f0 = 9, f2 = 3 और h = 5
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 - 6

माध्य के लिए :

माना कल्पित माध्य (A) = 27.5 है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 - 7
अतः बहुलक 30.6 तथा माध्य = 29.2, अधिकांश राज्यों / UT. में छात्र और अध्यापक का अनुपात 30.6 और औसतन अनुपात 29.2 है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 5.
दिया हुआ बंटन विश्व के कुछ श्रेष्ठतम बल्लेबाजों द्वारा एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में बनाए गए रनों को दर्शाता है:

बनाए गए रन बल्लेबाजों की संख्या
3000-4000
4000-5000
5000-6000
6000-7000
7000-8000
8000-9000
9000-10000
10000-11000
4
18
9
7
6
3
1
1

इन आंकड़ों का बहुलक ज्ञात कीजिए।
हल :
बहुलक के लिए दिए गए आँकड़ों में अधिकतम बारम्बारता 18 है। इसका संगत वर्ग अन्तराल 4000 – 5000 है।
∴ बहुलक वर्ग = 4000 – 5000
∴ l = 4000; f1 = 18; f0 = 4; f2 = 9 और h = 1000
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 - 8
अतः दिए गए आँकड़ों का बहुलक = 46087 रन

प्रश्न 6.
एक विद्यार्थी ने एक सड़क के किसी स्थान से होकर जाती हुई कारों की संख्याएँ नोट कीं और उन्हें नीचे दी हुई सारणी के रूप में व्यक्त किया। सारणी में दिया प्रत्येक प्रेक्षण 3 मिनट के अन्तराल में उस स्थान से होकर जाने वाली कारों की संख्याओं से सम्बन्धित है। ऐसे 100 अन्तरालों पर प्रेक्षण लिए गए। इन आँकड़ों का बहुलक ज्ञात कीजिए ।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 - 9
हल :
दिए गए आँकड़ों में अधिकतम बारम्बारता 20 है। इस बारम्बारता का संगत वर्ग अन्तराल 40-50 है।
∴ बहुलक वर्ग = 40-50
∴ l = 40; f1 = 20; f0 = 12; f2 = 11 और h = 10
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 - 10
अतः दिए गए आँकड़ों का बहुलक 44.7 कारें

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिकता’ की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जीवधारियों की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में विभिन्न लक्षणों के प्रेषण या संचरण को आनुवंशिकता कहते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों का अर्थ बताइए-
(i) संकर
(ii) एलील
(iii) प्रतीप संकरण
(iv) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण
(v) एक संकर संकरण
(vi) द्विसंकर संकरण
(vii) समयुग्मनज
(viii) विषमयुग्मनज
(ix) फीनोटाइप
(x) जीनोटाइप।
उत्तर:
(i) संकर – किसी प्रजाति के दो परस्पर विरोधी लक्षणों के जीवों के निषेचन से उत्पन्न जीव को संकर (hy-brid) कहते हैं।

(ii) एलील – एक ही गुण के विभिन्न विपर्यायी रूपों को प्रकट करने वाले कारकों को एक-दूसरे को एलील या एलीलोमॉर्फ कहते हैं।

(iii) प्रतीप संकरण – संकर संतानों को किसी जनक (माता / पिता) से संकरित कराने की क्रिया को प्रतीप संकरण (Back crossing) कहते हैं।

(iv) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण-जीवों में सभी लक्षण इकाइयों के रूप में होते हैं। इन्हें कारक कहते हैं। प्रत्येक इकाई – लक्षण कारकों के एक युग्म (pair ) से नियन्त्रित होता है। वास्तव में, इनमें से एक कारक मातृक तथा दूसरा पैतृक होता है। यद्यपि युग्म के दोनों कारक एक-दूसरे के विपरीत प्रभाव के हो सकते हैं किन्तु उनमें से एक ही कारक अपना प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है दूसरा दबा रहता है। अतः जो कारक प्रभाव प्रदर्शित करता है उसे प्रभावी (dominant) तथा जो दबा रहता है उसे अप्रभावी (recessive) कहते हैं।

(v) एक संकर संकरण – परस्पर विरोधी किसी एक लक्षण वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को एक संकर क्रॉस कहते हैं।

(vi) द्विसंकर संकरण – परस्पर विरोधी दो लक्षणों वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को द्वि-संकर क्रॉस कहते हैं।

(vii) समयुग्मनज (Homozygote) – जब युग्मनज (zygote) में किसी लक्षण के दोनों कारक एक ही प्रकार के हों तो ऐसे युग्मनज को समयुग्मनज तथा इस अवस्था को समयुग्मी कहते हैं।

(viii) विषमयुग्मनज (Heterozygote) – जब युग्मनज में किसी लक्षण के दोनों कारक एक-दूसरे से भिन्न रूप के हों तो ऐसा युग्मन विषमयुग्मनज कहलाता है।

(ix) फीनोटाइप – किसी जीवधारी की बाह्य संरचना (अर्थात् प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले लक्षणों) का वर्णन, फीनोटाइप (Phenotype) कहलाता है।

(x) जीनोटाइप- इसके विपरीत जीवधारी की कोशिकाओं को आनुवंशिक संरचना अर्थात् उसकी कोशिका में उपस्थित जीनों (genes) का वर्णन, जीनोटाइप (Geno-type) कहलाता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 3.
बैंक क्रॉस क्या होता है तथा किसी द्विसंकर क्रॉस में इसका क्या अनुपात होता है?
उत्तर:
बैक क्रॉस-यदि संकर संतानों को किसी भी जनक (माता-पिता) से संकरित कराया जाय तो ऐसे संकरण को प्रतीप संकरण कहते हैं।
अनुपात – 9 : 3 : 3 : 1

उदाहरण – मिराबिलिस जलापा के ऐसे दो पौधों के, जिनमें से एक में लाल पुष्प तथा दूसरे में सफेद पुष्प हों, क्रॉस कराने पर पहली पीढ़ी (F1) लाल पुष्पों के स्थान पर गुलाबी रंग के पुष्प उत्पन्न होते हैं। जब इन्हीं पौधों में स्वपरागण कराया जाता है तो दूसरी पीढ़ी (F2) में 1 लाल, गुलाबी तथा 1 सफेद रंग के पौधे बनते हैं।

प्रश्न 14.
शुद्ध लम्बे (TT) एवं शुद्ध बौने (tt) पौधों के मध्य एक संकरण से प्रथम पीढ़ी F1 के वंशज किस प्रकार के प्राप्त होंगे?
उत्तर:
शुद्ध लम्बे (TT) एवं शुद्ध बौने (tt) पौधों के मध्य एक संकरण से प्रथम पीढ़ी F1 के वंशज (Tt) लम्बे प्राप्त होंगे।

प्रश्न 5.
मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधे को क्यों चुना?
उत्तर:
मेण्डल ने अपने प्रयोग में मटर का पौधा इसलिए चुना क्योंकि यह आसानी से विभिन्न गुण वाले होते हैं और पूरे वर्ष मिल जाते हैं।

प्रश्न 6.
कोशिका में ‘जीन’ कहाँ पर स्थित होते हैं?
उत्तर:
जीन गुणसूत्रों पर पाये जाते हैं।

प्रश्न 7.
जीन – विनिमय किस प्रकार के कोशिका-विभाजन में होता है?
उत्तर:
जीन-विनिमय का सम्बन्ध अर्द्धसूत्री विभाजन की प्रक्रिया से है।

प्रश्न 8.
डी. एन. ए. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
डी ऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड।

प्रश्न 9.
मनुष्य के X तथा Y गुणसूत्रों के संयोग से उत्पन्न संतान का लिंग क्या होगा, यदि युग्मनज में उपस्थित संयोग – (a ) XX हो, (b) YY हो, (c) XY हो?
उत्तर:

  • मादा
  • यह संयोग संभव नहीं
  • नर।

प्रश्न 10.
क्या अन्तर है : (a) गुणसूत्र तथा जीन में; (b) जीन तथा DNA में?
उत्तर:
(a) गुणसूत्र तथा जीन में क्रोमेटिन दो पदार्थों प्रोटीन तथा डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड के अणुओं के संयुक्त होने से बनता है। जिस समय कोशिका विभाजित होने लगती है, तब क्रोमेटिन सिकुड़कर अनेक मोटे एवं छोटे धागों के रूप में संगठित हो जाते हैं। इन धागों को गुणसूत्र कहा जाता है।

गुणसूत्रों में सूक्ष्म जैनेक रचनायें होती हैं जिन्हें जीन कहते हैं। ये जीन जीवधारी के पैतृक गुणों के वाहक होते हैं।

(b) जीन तथा DNA में जीन डी-ऑक्सी राइबो- न्यूक्लिक एसिड (DNA) अणु के खंड होते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र में DNA का अणु होता है तथा विभिन्न जीन इस अणु के खंड होते हैं। जीन में उपस्थित नाइट्रोजनी बेसों (एडीनीन, ग्वानीन, साइटोसीन तथा थायमीन) युक्त न्यूक्लियोटाइडों का विशेष क्रम जीन द्वारा व्यक्त किसी विशेष आनुवंशिक लक्षण को स्पष्ट करता है।

प्रश्न 11.
मानव कोशिकाओं में ‘अलिंगी’ तथा ‘लिंगी’ गुणसूत्रों की संख्या कितनी कितनी होती है?
उत्तर:
अलिंगी में 22 जोड़ा (44) गुणसूत्र होते हैं तथा मानव में लिंगी गुणसूत्रों की संख्या 23 जोड़ा (46) होते हैं।

प्रश्न 12.
कौन-सा एंजाइम सभी प्राणियों पर क्रिया करता है?
उत्तर:
ट्रिप्सिन।

प्रश्न 13.
जीन कहाँ पर स्थित होते हैं?
उत्तर:
जीन क्रोमोसोम पर स्थित होते हैं।

प्रश्न 14.
रेट्रोवायरस क्या है?
उत्तर:
जिस वायरस में आर. एन. ए. आनुवंशिक पदार्थ होता है उस वायरस को रेट्रोवायरस कहते हैं। जैसे एड्स का विषाणु।

प्रश्न 15.
DNA में कितने प्रकार के नाइट्रोजनधारी क्षार विद्यमान होते हैं? उनके नाम बताइए।
उत्तर:
DNA में दो प्रकार के नाइट्रोजन क्षार होते हैं- प्यूरीन व पाइरीमिडीन।

प्रश्न 16.
RNA में पाए जाने वाले चार नाइट्रोजनी बेसों का नाम बताइए।
उत्तर:
एडीनीन, गुआनीन, सायटोसीन एवं यूरेसिल।

प्रश्न 17.
समजात अंग को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वे अंग जो संरचना में समान परंतु देखने में अलग दिखाई देते हैं और भिन्न कार्य करते हैं। ऐसे अंगों को समजात अंग कहते हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 18.
समयुग्मजी और विषमयुग्मजी किसे कहते हैं?
उत्तर:

  • समयुग्मजी – इसमें जीन के दोनों एलील समान होते हैं। जैसे- (TT या tt)।
  • विषमयुग्मजी – इसमें जीन के दोनों एलील असमान होते हैं। जैसे- (Tt)।

प्रश्न 19.
वियोजन का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
गैमीटों के बनने के दौरान कारकों की जोड़ी के दो सदस्य सम्मिश्रित नहीं होते, वरन् विभिन्न गैमीटों में विसंयोजित हो जाते हैं। जाइगोट निर्माण के समय गैमीट पुनः परस्पर संयोजित हो जाते हैं। इसे गैमीटों की शुद्धता का नियम भी कहते हैं।

प्रश्न 20.
DNA के संरचनात्मक मॉडल को किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
वाट्सन और क्रिक ने।

प्रश्न 21.
एक जीन एक एंजाइम मत में क्या कहा गया है?
उत्तर:
एक जीन एक एंजाइम का अर्थ यह है कि प्रत्येक एंजाइम का अथवा विशिष्ट कोशिकीय प्रोटीन का नियंत्रण एक विशिष्ट जीन द्वारा होता है। प्रश्न 22 म्यूटेशन से आप क्या समझते हैं? उत्तर: क्रोमोसोम और जीनों की संख्या और उनकी संरचना में अचानक हुए वंशागतिशील परिवर्तन को म्यूटेशन कहते हैं।

प्रश्न 23.
जीवन के उद्भव तथा जीवन के विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जीवन के उदभव से अभिप्राय है- निर्जीव पदार्थ से सरलतम जीव का विकास। सरल जीवों से जटिल जीवों का बनना, जैव विकास है।

प्रश्न 24.
उस पादप का नाम लिखें जिस पर मेण्डल ने प्रयोग किया था?
उत्तर:
मटर।

प्रश्न 25.
ए.आई. ओपेरिन ने कौन-सा मत प्रस्तुत किया था?
उत्तर:
ए.आई. ओपेरिन के अनुसार जीवन का उद्भव द के भीतर रासायनिक पदार्थों के संयोजन से हुआ।

प्रश्न 26.
जीवाश्म किसे कहते हैं?
उत्तर:
पौधों अथवा प्राणियों के अवशेषों को जीवाश्म कहते हैं।

प्रश्न 27.
अर्जित लक्षणों की वंशागति का मत किसने प्रस्तुत किया था?
उत्तर:
जीवविज्ञानी ज्यां बैप्टिटस्ट लैमार्क ने।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मेण्डल ने अपने प्रयोगों में मटर के पौधे के किन लक्षणों का अध्ययन किया? इनमें से प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
मेण्डल द्वारा अध्ययन किये गये सात लक्षणों के प्रभावी तथा अप्रभावी स्वरूपों की सूची निम्नवत् है-

गुण प्रभावी लक्षण अप्रभाबी लक्षण
1. तने की ऊँचाई लम्बा (tall) बौना (dwarf)
2. बीज की आकृति गोल (round) झुरीदार (wrinkled)
3. पुष्प की स्थिति कक्षीय (auxillary) अंतस्थ (terminal)
4. फली का रंग हरा (green) पीला (yellow)
5. बीज का रंग पीला (yellow) हरा (green)
6. फली की आकृति फूली हुई (inflated) संकुचित (constricted)
7. पुष्प का रंग लाल (red) श्वेत (white)

प्रश्न 2.
मेण्डल के आनुवंशिकता सम्बन्धी नियमों का उल्लेख कीजिए तथा रेखाचित्र बनाकर एकसंकर संकरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मेण्डल के आनुवंशिकता के नियमों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेण्डल के नियम (Mendel’s Laws):
1. प्रभाविता का नियम (Law of Domi- nance)- जब परस्पर विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के बीच संकरण कराया जाता है तो उनकी संतानों में एक लक्षण परिलक्षित होता है तथा दूसरा दिखाई नहीं देता। इसमें पहले को प्रभावी लक्षण (Dominant characteristic ) तथा दूसरे को अप्रभावी लक्षण (Recessive character- istic) कहते हैं।
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2. पृथक्करण अथवा युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Segregation or Law of Purity of Gametes ) किसी संकर में उपस्थित प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक स्वरूपों का अगली पीढ़ी में एक निश्चित अनुपात (1 : 3) में पृथक्करण हो जाता है।

3. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Inde pendent Assortment ) – जब जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले जनकों का संकरण कराया जाता है तो दोनों लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे स्वतंत्र रूप से होता है- अर्थात् एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती।

प्रश्न 3.
‘एलील’ से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
एलील या एलीलोमॉर्फ (Allele or Allelomorph) – एक ही गुण के विभिन्न विपर्यायी रूपों को प्रकट करने वाले कारकों को एक-दूसरे का एलील या एलीलोमॉर्फ कहते हैं। जैसे कि फूल के रंग के सम्बन्ध में लाल रंग व सफेद रंग एक-दूसरे के एलील हैं। लम्बापन व बौनापन एक-दूसरे के एलील हैं। बीजों की गोलाई गोल व झुर्रीदार बीज एक-दूसरे के एलील हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित का अन्तर स्पष्ट कीजिए-
(i) युग्मक तथा युग्मनज
(ii) समयुग्मनज तथा विषमयुग्मनज
(iii) फीनोटाइप तथा जीनोटाइप
(iv) एकसंकर क्रॉस तथा द्विसंकर क्रॉस
(v) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण
(vi) शुक्राणु तथा अण्डाणु।
उत्तर:
(i) युग्मक तथा युग्मनज – जीवों के जननांगों में कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) से उत्पन्न संतति कोशिकाओं को युग्मक (Gamete) कहते हैं। युग्मक कोशिकाओं में गुणसूत्रों (chromosomes ) की संख्या मातृ- कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या की आधी होती है। उदाहरणतः मानव कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या 46 तथा इसके अर्द्धसूत्री विभाजन से प्राप्त युग्मकों में गुणसत्रों की संख्या 23 होती है।

लिंगीय प्रजनन में नर युग्मक तथा मादा युग्मक के संयोग से बनी कोशिका को युग्मनज (zygote) कहते हैं। इसमें गुणसूत्रों की संख्या, जीव की सामान्य कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या के बराबर होती है।

(ii) समयुग्मनज (Homozygote) – जब युग्मनज (zygote) किसी लक्षण के दोनों कारक एक ही प्रकार के हों तो ऐसे युग्मनज को समयुग्मनज तथा इस अवस्था समयुग्मी कहते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि मटर के किसी जाइगोट में मातृ पौधे से मिला कारक भी लम्बेपन का हो और पितृ पौधे से मिला कारक भी लम्बेपन का हो तो दोनों कारक एक जैसे होने के कारण यह युग्मनज समयुग्मी है। इसी प्रकार कोई युग्मनज बौनेपन के लिए, पुष्प के लाल या सफेद रंग के लिए अर्थात् किसी भी लक्षण के लिए समयुग्मी हो सकता है।

विषमयुग्मनज (Heterozygote) – जब युग्मनज में किसी लक्षण के दोनों कारक एक-दूसरे से भिन्न रूप के हों तो ऐसा युग्मन विषमयुग्मनज कहलाता है। यह अवस्था विषमयुग्मी कहलाती है। जैसे कि यदि मटर का लम्बेन के कारक काला युग्मक, मटर के बौनेपन के कारक वाले युग्मक से संलयन करे तो जो जाइगोट बनेगा उसमें एक कारक लम्बेपन का व दूसरा कारक बौनेपन का होगा।

(iii) फीनोटाइप तथा जीनोटाइप (Phenotype and Genotype) – किसी जीवधारी की बाह्य संरचना (अर्थात् प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले लक्षणों) का वर्णन, फीनोटाइप (Phenotype) कहलाता है।
इसके विपरीत जीवधारी की कोशिकाओं की आनुवंशिक संरचना अर्थात् उसकी कोशिका में उपस्थित जीनों (genes) का वर्णन, जीनोटाइप (Genotype ) कहलात है।

(iv) एक संकर क्रॉस तथा द्विसंकर क्रॉस (Mono- hybrid and Dihybrid Cross) – परस्पर विरोधी किसी एक लक्षण वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को एक संकर क्रॉस (monohybrid cross) तथा परस्पर विरोधी दो लक्षणों वाले नर एवं मादा जीवों के संकरण को द्वि-संकर क्रॉस (Dihybrid cross) कहते हैं। उदाहरणत: सफेद नर एवं भूरे मादा चूहे के बीच निषेचन एक संकर क्रॉस होगा तथा गोल बीज वाले लम्बे पौधे एवं झुर्रीदार बीज वाले बौने पौधे का निषेचन द्विसंकर क्रॉस होगा।

(v) प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण (Character- istics of Dominant and Recessive) – जीवों में सभी लक्षण इकाइयों के रूप में होते हैं। इन्हें कारक कहते हैं। प्रत्येक इकाई लक्षण कारकों के एक युग्म (pair) से नियन्त्रित होता है। वास्तव में, इनमें से एक कारक मातृक तथा दूसरा होता है। यद्यपि युग्म के दोनों कारक एक-दूसरे के विपरीत प्रभाव के हो सकते हैं किन्तु उनमें से एक ही कारक अपना प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है दूसरा दबा रहता है। अतः जो कारक प्रभाव प्रदर्शित करता है उसे प्रभावी (dominant) तथा जो दबा रहता है उसे अप्रभावी (recessive) कहते हैं। इस प्रकार अप्रभावी लक्षण तब प्रदर्शित होगा जब प्रभावी उपस्थित न हो।

(vi) शुक्राणु तथा अण्डाणु ( Sperm and Ovum) – लैंगिक प्रजनन में नर जीव की कोशिका के अर्धसूत्री विभाजन से उत्पन्न नर युग्मक (male gamete) को शुक्राणु (Sperm) तथा मादा जीव की कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन से उत्पन्न मादा युग्मक (female ga- mete) को अण्डाणु (Ovum) कहते हैं। शुक्राणु तथा अण्डाणु के संयोजन (निषेचन) से युग्मनज (zygote) उत्पन्न होता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 5.
यदि मटर के एक शुद्ध लम्बे तथा शुद्ध बौने पौधों में संकरण कराया जाय तो द्वितीय संतानीय पीढ़ी (F2) में किस प्रकार के कितने पौधे प्राप्त होंगे? रेखाचित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
स्पष्टीकरण – एक शुद्ध लम्बे (TT) तथा दूसरा शुद्ध बौने (tt) पौधे के क्रॉस कराने से प्रथम पीढ़ी F मैं लम्बे संकर (Tt) पौधे प्राप्त हुए जिनमें गुणसूत्रों की संख्या आधी थी।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 2
इन पौधों में स्वपरागण द्वारा निषेचन कराने पर तीन प्रकार के जीन वाले पौधे प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 6.
मानव नर तथा मादा के गुणसूत्रों में क्या अन्तर होता है? स्पष्ट कीजिए कि सन्तान का नर या मादा होना पिता पर निर्भर करता है, माता पर नहीं।
उत्तर:
संतान का नर या मादा होना पिता के दिये गये गुणसूत्र (X या Y) पर निर्भर करता है न कि माता के गुणसूत्रों पर क्योंकि मादा कोशिका में दोनों ही लिंग गुणसूत्र (समान X, X) होते ति हैं।

प्रश्न 7.
आनुवंशिकी के गुणसूत्र सिद्धान्त के प्रमुख बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
आनुवंशिकी के गुणसूत्र सिद्धान्त के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं-

  • जीन में स्वयं विभाजन की क्षमता होती है।
  • गुणसूत्रों पर जीन पाये जाते हैं।
  • प्रत्येक जीन किसी एक विशेष गुण वाहक होता है।
  • गुणसूत्रों की संख्या प्रत्येक जीव में निश्चित होती है।
  • युग्मनज द्वारा प्रदर्शित गुणों का सार गुणसूत्रों में होता है।

प्रश्न 8.
‘गुणसूत्र’ क्या होते हैं तथा जीवधारी में कहाँ पर पाये जाते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक जीव कोशिका (पौधे तथा जन्तु) में कोशिका विभाजन के समय केन्द्रक में कुछ मोटे धागे के आकार की रचनाएँ पायी जाती हैं, जिन्हें गुणसूत्र कहते हैं। गुणसूत्र सभी जीवधारियों की कोशिकाओं में पाये जाते हैं।

प्रश्न 9.
‘जीन’ (Genes) क्या होते हैं तथा जीवधारी कहाँ पर पाये जाते हैं? जीवों में जीन की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
कोशिका के केन्द्रक में उपस्थित गुणसूत्रों की लम्बाई में अनेक सूक्ष्म रचनायें क्रमबद्ध रूप से स्थित पायी जाती हैं। इन रचनाओं को जीन कहते हैं। किसी जीवधारी के अनेक लक्षण जीनों द्वारा व्यक्त किये जा सकते हैं। जीवधारी के शरीर प्रत्येक भाग की रचना, आकार, आकृति तथा भौतिक एवं मानसिक व्यवहार उसकी कोशिकाओं में उपस्थित जीनों की विशिष्टता पर निर्भर करता है।

प्रश्न 10.
‘क्रोमेटिन’, ‘क्रोमोसोम’ तथा ‘क्रोमेटिङ’ में अंतर बताइए।
उत्तर:
क्रोमेटिन – कोशिका के केन्द्र में पाया जाने वाला जैव पदार्थ क्रोमेटिन कहलाता है, जो लक्षणों (Characters) के स्थानान्तरण का मुख्य भाग है।

क्रोमोसोम-क्रोमेटिन पदार्थ कोशिका विभाजन के समय लम्बी धागे जैसी संरचनाओं में परिवर्तित हो जाता है, प्रत्येक संरचना क्रोमोसोम कहलाती है। क्रोमोसोम पर जीन उपस्थित होते हैं। प्रत्येक जीन जीव के आनुवंशिक गुण के लिए उत्तरदायी होती है।

क्रोमेटिड – कोशिका विभाजन के समय, प्रत्येक क्रोमोसोम दो समान एवं प्रतिरूप संरचनाओं में विभाजित होता है। प्रत्येक संरचना क्रोमेटिड कहलाती है। प्रत्येक क्रोमेटिड मूल क्रोमोसोम की प्रतिलिपि (कापी) होता है।

प्रश्न 11.
जीनों की ‘असहलग्नता’, ‘पूर्ण सहलग्नता’ तथा ‘अपूर्ण सहलग्नता’ का क्या अर्थ है? ये सम्बन्ध किन दशाओं में होते हैं?
उत्तर:
जब किसी कोशिका में दो भिन्न प्रकार के जीन, दो भिन्न गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं तो अर्द्धसूत्री विभाजन से प्राप्त संतति कोशिकाओं में भी ये जीन भिन्न-भिन्न गुणसूत्रों पर ही स्थित रहते हैं – अर्थात् दो भिन्न गुणसूत्रों के बीच जीनों का कोई आदान-प्रदान नहीं होता। यह जीनों के असहलग्नता (Non-linkage) की दशा है।

ऐसे गुणसूत्र जिनमें जीन विनिमय नहीं होता वे मातृ कोशिका की भाँति ही गुणसूत्रों की रचना करते हैं। इनसे बने युग्मकों में आनुवंशिक लक्षण बिना किसी परिवर्तन के स्थानान्तरित होते हैं। इसे पूर्ण जीन सहलग्नता कहते हैं।

इसके विपरीत जिन गुणसूत्रों में जीन विनिमय होता है, उनसे बने युग्मकों में स्थानान्तरित आनुवंशिक लक्षण, मातृ- कोशिका के लक्षणों से भिन्न हो सकते हैं। यही विशेषता अपूर्ण जीन सहलग्नता कहलाती है।

प्रश्न 12.
‘जीन विनिमय’ क्या होता है? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
जीन सहलग्नता एवं विनिमय का सम्बन्ध अर्द्धसूत्री विभाजन की प्रक्रिया से है। अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रथम चरण में एक कोशिका का विभाजन दो संतति कोशिकाओं में होता है तथा इस चरण में मातृ कोशिका में उपस्थित गुणसूत्रों के किसी समजात युग्माक एक संतति कोशिका में तथा दूसरा गुणसूत्र दूसरी कोशिका में चला जाता है। इस क्रिया में मातृ कोशिका की अपेक्षा संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। इसके दूसरे चरण में दोनों संतति कोशिकाओं का समसूत्री विभाजन होता है जिससे चार संतति कोशिकाओं का समसूत्री विभाजन होता है।

जीन-विनिमय का महत्त्व – (Importance of Gene Cross):
जीन-विनिमय के फलस्वरूप एक ही प्रकार के गुणसूत्रों से विभिन्न प्रकार के पुनर्योजित गुणसूत्र उत्पन्न होते हैं। माना कि किसी मातृ- कोशिका में समजात गुणसूत्रों के जोड़े में से एक पर जीन A, B, C तथा दूसरे पर जीन a, b, c हैं। कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन के समय गुणसूत्र खण्डों के विनिमय के कारण दो नये प्रकार के गुणसूत्र Abe तथा aBC बनेंगे। जब इन गुणसूत्रों से युक्त संतति कोशिकाएं बनेंगी उनमें दो नये प्रकार की जीन श्रृंखला Abe तथा aBC होंगी।

चूंकि जीन ही जीवधारी के लक्षण निर्धारित करते हैं, इन दोनों कोशिकाओं से विकसित होने वाले जीवों के लक्षण मातृ- कोशिका धारण करने वाले जीव से कुछ भिन्न होंगे। उनमें आपस में कुछ विभिन्नता भी होगी। इसी कारण एक इन दोनों संतानों के बहुत से लक्षणों समानता होगी परन्तु ही माता-पिता की सन्तानों में काफी समानता होते हुए भी कुछ अन्तर भी मिलता है। इस अन्तर को विविधता (varia-tions) कहते हैं।

किसी जीव जाति के उभरने एवं अस्तित्व में बने रहने के लिए विविधता का बहुत महत्त्व है। प्राकृतिक वरण (natural selection) की प्रक्रिया द्वारा प्रकृति उन जीवधारियों का चयन करती है जो अपने वातावरण के अनुकूलतम (Most adapted) होते हैं वातावरण निरन्तर बदलता रहता है अतः जितनी अधिक विविधता किसी जाति के जीवधारियों में होगी, उस जाति के बने रहने की सम्भावनाएं उतनी ही अधिक होंगी।

प्रश्न 13.
स्पष्ट कीजिए कि जीन उत्परिवर्तन से जीवों के लक्षणों की वंशानुगति कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर:
जीन – उत्परिवर्तन में अकेले जीन की संरचना या गुणसूत्रों की संरचना एवं संख्या तक में परिवर्तन हो सकते हैं। ये परिवर्तन युग्मनज से लेकर जीवधारी की मृत्यु से पहले तक किसी भी समय तथा लैंगिक जनन में युग्मकों के निर्माण के समय हो सकते हैं। ये वंशागत होते हैं अतः आने वाली पीढ़ियों की संतानों में विविधता का कारण बनते हैं।

प्रश्न 14.
जीन की संरचना में परिवर्तन के विभिन्न प्रकार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीन – उत्परिवर्तनों के प्रकार (Types of Gene Mutations):
(क) जीव के जीवनकाल में परिवर्तन होने के समय के अनुसार जीन – उत्परिवर्तन तीन प्रकार के होते हैं-

  • युग्मकी उत्परिवर्तन (Gametic Muta-tions) – ये उत्परिवर्तन युग्मक (Gamete) बनने के समय होते हैं।
  • युगमनजी उत्परिवर्तन (Zygotic Muta-tions) ये परिवर्तन भ्रूण बनने की क्रिया में युग्मनज के प्रथम विभाजन के समय होते हैं।
  • कायिक उत्परिवर्तन (Somatic Muta-tions) – ये परिवर्तन वयस्क शरीर में मृत्यु से पहले कभी भी हो सकते हैं। ये प्रायः दैहिक कोशिकाओं में होते हैं- अतः ये वंशागत नहीं होते।

(ख) जैविक पदार्थ के प्रभावित अंश के आधार पर इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है-
(a) जीन – उत्परिवर्तन (Gene Mutations) – ऐसे परिवर्तन में किसी विशेष लक्षण के वाहक जीन की रासायनिक संरचना में परिवर्तन हो जाता है। यह परिवर्तन निम्नवत् हो सकता है-

  • न्यूक्लियोटाइडों के विलोपन द्वारा इस क्रिया में जीन की न्यूक्लियोटाइड श्रृंखला से एक या अधिक न्यूक्लियोटाइड टूटकर अलग हो जाते हैं।
  • न्यूक्लियोटाइडों का संवर्धन- इस क्रिया में जीन (DNA) की न्यूक्लियोटाइड श्रृंखला में एक अथवा अधिक अतिरिक्त न्यूक्लियोटाइड जुड़ जाते हैं।
  • नाइट्रोजनी बेस का परिवर्तन- इस प्रकार के उत्परिवर्तन में न्यूक्लियोटाइडों के नाइट्रोजन बेस का परिवर्तन जैसे किसी प्यूरीन बेस का पिरीमिडीन बेस से या पिरीमिडीन बेस का प्यूरीन बेस से अथवा एक प्रकार के प्यूरीन/ पिरीमिडीन बेस का दूसरे प्रकार के प्यूरीन / पिरीमिडीन बेस से परिवर्तन हो जाता है।

(b) गुणसूत्र उत्परिवर्तन (Chromosomal Mutations) – इनमें एक या अधिक गुणसूत्रों की रचना में परिवर्तन हो जाते हैं ये परिवर्तन प्रायः युग्मक जनन के अर्द्धसूत्री विभाजन के समय होते हैं। इन परिवर्तनों में-

  • गुणसूत्र पहले दो या दो से अधिक खण्डों में टूटते हैं तथा पुनः जुड़ते समय इनमें अदला-बदली हो सकती है अथवा कुछ खण्ड वापस नहीं जुड़ पाते तथा कोशिका द्रव्य में घुलकर समाप्त हो जाते हैं।
  • गुणसूत्रों के एक या एक से अधिक खण्ड गलत स्थानों पर जुड़ जाते हैं।
  • एक या एक से अधिक टुकड़ों के जुड़ने में इनके सिरे बदल जाते हैं।
  • किसी गुणसूत्र पर एक या एक से अधिक जीन दोहरे हो जाते हैं।

(c) गुणसूत्र समूह में उत्परिवर्तन- इसमें कोशिका के गुणसूत्रों की संख्या बदल (बढ़ या घट सकती है।

प्रश्न 15.
गामा – विकिरणों के प्रभाव से विकलांग संतानों की उत्पत्ति क्यों होती है?
उत्तर:
प्रकृति में अत्यधिक ऊर्जावान विकिरणों जैसे अन्तरिक्ष विकिरण (cosmic radiations ), गामा-विकिरण (gamma radiations), आदि की क्रिया से भी जीन की संरचना में परिवर्तन हो जाते हैं जो उत्परिवर्तन उत्पन्न करते हैं।

इस प्रकार के विकिरणों उत्परिवर्तन के फलस्वरूप, शरीर में विभिन्न प्रकार के कैन्सर तथा सन्तानों में विकलांगता उत्पन्न हो सकती है। द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी नामक नगरों पर गिराये गये परमाणु बम के विस्फोट से जो विकिरण उत्पन्न हुए उनके प्रभाव से वहाँ के निवासियों की जीव संरचनाओं में ऐसे उत्परिवर्तन हो गये, जिनके कारण वहाँ अब भी विकलांग सन्तानें उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 16.
निम्न पर टिप्पणी लिखिए-
(i) लिंग गुणसूत्र
(ii) सेण्ट्रोमियर
(iii) उत्परिवर्तन
उत्तर:
(i) लिंग गुणसूत्र तथा मानव में लिंग निर्धारण – बहुत से एकलिंगी जीवों में प्रत्येक कोशिका में एक जोड़ी विशेष गुणसूत्र होते हैं, जिन्हें लिंग गुणसूत्र (Sex-chromosomes) कहते हैं अनेक प्रकार के जन्तुओं तथा एक जोड़ा तथा उसके विपरीत लिंग का जीव समान लिंग पादपों में कोई भी एकलिंगी जीव असमान लिंग गुणसूत्रों का गुणसूत्रों का एक जोड़ा धारण करता है जैसे मानव के नर में एवं Y लिंग गुणसूत्र तथा मादा में दो X लिंग-गुणसूत्र पाये जाते हैं। इन लिंग गुणसूत्रों के जोड़े को अन्य गुणसूत्रों से विभेदित करने के लिए शेष बचे गुणसूत्रों को अलिंग गुणसूत्र (Autosomal chromosomes ) कहा जाता है।

मानव में लिंग निर्धारण (Sex Determination in Human): मानव गुणसूत्र (Human Chromosomes)-मनुष्य की प्रत्येक कोशिका में 23 जोड़े (46) गुणसूत्र होते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-
1. अलिंग गुणसूत्र अथवा ऑटोसोम्स (Autosomes) – ये गुणसूत्र संख्या में 22 जोड़े (44) होते हैं और प्रत्येक जोड़े के गुणसूत्र समजात (Homologous) होते हैं। आटोसोम्स की लिंग निर्धारण में कोई भूमिका नहीं है।

2. लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosomes) अथवा एलोसोम्स (Allosomes) अथवा असमजात (Heterosomes)-ये गुणसूत्र भ्रूण के लिंग निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये दो प्रकार के हैं-

  • एक्स गुणसूत्र (X-chromosome)
  • वाई गुणसूत्र (Y-chromosome)।

मानव में लैंगिक जनन होता है। इसके लिए पुरुष के जननांगों में अर्द्धसूत्री विभाजन शुक्राणु (Sperms) बनते हैं। प्रत्येक शुक्राणु को आटोसोम्स का एक-एक गुणसूत्र (अर्थात् ऑटोसोम्स) तथा एलोसोम के XY जोड़े का कोई एक गुणसूत्र प्राप्त होता है। इस प्रकार पुरुष में दो प्रकार के शुक्राणु होते हैं-

  • जिनमें X + 22 ऑटोसोम्स तथा
  • Y + 22 ऑटोसोम्स होते हैं।

इसके विपरीत, स्त्री में 23वें जोड़े के गुणसूत्र भी एकसमान होते हैं। अत: स्त्री के जननांगों में अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप उत्पन्न सभी अंड कोशिका (Ovum) एक ही प्रकार की होती हैं जिनमें X + 22 गुणसूत्र होते हैं। अब यदि पुरुष का (X + 22) गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्ड को निषेचित करता है तो मादा शिशु (लड़की) का जन्म होगा-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 3
इसके विपरीत यदि (Y+22) गुणसूत्र वाला शुक्राणु (X+22) गुणसूत्र वाले अण्ड कोशिका को निषेचित करता है तो नर शिशु (लड़के) का जन्म होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 4
जिनमें 50% में (X + 22) गुणसूत्र तथा 50% में (Y + 22 ) गुणसूत्र होते हैं, यह केवल संयोग पर निर्भर करता है कि कौन-सा शुक्राणु अंड को निषेचित करता है। स्पष्ट है कि पुत्र या पुत्री होने की सम्भावना 50% होती है।

उपर्युक्त से यह भी स्पष्ट होता है कि सन्तान का नर या मादा होना, पिता के द्वारा दिये गये गुणसूत्र (X या Y) पर निर्भर करता है न कि माता के गुणसूत्रों पर क्योंकि मादा कोशिका में दोनों ही लिंग-गुणसूत्र समान (XX) होते हैं।

(ii) सेण्ट्रोमियर (Centromere) – गुणसूत्र के दोनों क्रोमेटिड्स या स या अर्द्धगुणसूत्र सेण्ट्रोमियर (Cen-tromere) द्वारा आपस में जुड़े होते हैं। यह मेटाफेज अवस्था में विभाजन के समय ट्रैक्टाइल तन्तुओं से जुड़ता है मेटाफेज अवस्था में सेण्ट्रोमियर विभाजित ‘जाता है। सेन्टोमियर के विभाजन के आधार पर यह निम्न प्रकार के होते हैं-

  • टीलोसेन्ट्रिक – इसमें सेन्ट्रोमियर गुणसूत्र के एक और स्थित होता. है।
  • एक्रोसेन्ट्रिक – इसमें गुणसूत्र का एक भाग बहुत छोटा तथा दूसरा बहुत बड़ा होता है।
  • सबमेटासेन्ट्रिक – इसमें गुणसूत्र के दोनों भाग असमान होते हैं।
  • मेटासेन्ट्रिक – इसमें गुणसूत्र की दोनों भुजाएँ लगभग समान होती हैं।

(iii) उत्परिवर्तन – ह्यूगो डी व्रीज (Hugo de Vries) नामक वैज्ञानिक ने वर्ष 1901 में जीवों के विकास क्रम में नयी जातियों के उत्पत्ति के बारे में जीन- उत्परिवर्तन का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। डी व्रीज के सिद्धान्त के अनुसार, नयी जाति की अकस्मात् उत्पत्ति एक ही बार में होने वाली स्पष्ट एवं स्थायी (वंशागत ) बड़ी विभिन्नताओं (उत्परिवर्तनों) के कारण होती है। ये परिवर्तन जीव कोशिकाओं में उपस्थित जीनों (Gene) की रासायनिक संरचना में उत्पन्न होते हैं।

किसी जीन की रासायनिक संरचना में होने वाले परिवर्तन को जीन उत्परिवर्तन कहते हैं। चूँकि जीन DNA अणु के खण्ड होते हैं, जीन उत्परिवर्तन की क्रिया में DNA खण्ड न्यूक्लियोटाइडों की संख्या तथा क्रमायोजन में परिवर्तन होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिकता से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीवधारियों की एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में उनके विभिन्न लक्षणों के प्रेषण अथवा संचरण को आनुवंशिकता कहते हैं।

इसका अर्थ है कि प्रत्येक जीवधारी अपने ही समान संरचना एवं गुण वाली सन्तानों को जन्म देता है। शेर का बच्चा शेर ही होता है। खरगोश से केवल खरगोश का ही जन्म होता है। गुलाब से केवल गुलाब ही पैदा होता है, आम से केवल आम इस प्रकार देखा जाता है कि पौधों व जन्तुओं की विभिन्न जातियाँ अपने ही जैसी सन्तानों को जन्म देती हैं। यह बात केवल जाति के स्तर पर ही नहीं, बल्कि और नीचे के भी लागू होती है, जैसे कि परिवार के स्तर पर एक ही परिवार के सदस्यों के बीच काफी ज्यादा समानताएं देखने को मिलती हैं।

बच्चों के अनेक लक्षण (जैसे-रंग-रूप, आंख, कान, नाक, हाथ-पैर की बनावट), आवाज आदि उनके माता-पिता, दादा-दादी, चाचा, बुआ, मामा, मौसी आदि से काफी मिलते हैं। जीवधारियों के के अनेक लक्षण माता-पिता के माध्यम से संतानों में पीढ़ी-दर- चलते रहते हैं। सन्तानों में, माता-पिता से प्राप्त इस प्रकार के गुणों को को पैतृक या आनुवंशिक लक्षण कहते हैं।

इन लक्षणों की पीढ़ी-दर-पीढ़ी निरन्तरता को ही आनुवंशिकता कहते हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 2.
मेण्डल के प्रयोगों का संक्षिप्त विवरण दीजिए। इनके आधार पर प्रतिपादित मेण्डल के नियमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मेण्डल के प्रयोग (Mendel’s Experi-ments):
मेण्डल द्वारा मटर के पौधे पर किये गये संकरण प्रयोग अत्यन्त मूल्यवान तथा मौलिक माने जाते हैं। इन प्रयोगों द्वारा उन्होंने यह जानने का प्रयत्न किया कि आनुवंशिक लक्षण माता-पिता से अगली पीढ़ी में कैसे पहुँचते हैं। नीचे मेण्डल के प्रयोगों की मुख्य विधियों तथा सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन किया गया है।

मेण्डल ने उद्यान मटर का उपयोग अपने प्रयोगों में इसलिए किया, क्योंकि यह पौधा कुछ महीनों में अपना जीवन-चक्र पूरा कर लेता है, अतः प्रयोग के परिणाम कम समय में ही मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त मटर का पौधा स्वपरागित है तथा इसमें दिखाई देने वाले अनेक वैकल्पिक लक्षण एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न होते हैं, जैसे लम्बा पौधा व बौना पौधा, लाल फूल व सफेद फूल, गोल बीज व झुर्रीदार बीज आदि।

मेण्डल ने आनुवंशिक लक्षणों के निम्नलिखित सात जोड़ों को चुना-

  • बीज का रूप – गोल अथवा झुर्रीदार
  • बीजपत्र का रंग पीला अथवा हरा
  • बीजचोल अथवा फूल का रंग लाल अथवा सफेद
  • फली (पॉड) का रूप फूला अथवा संकीर्णित
  • फली (पॉड) का रंग हरा अथवा पीला
  • फूल का स्थान- कक्षीय अथवा शीर्षस्थ
  • तने की लम्बाई – लम्बा अथवा बौना।

मेण्डल ने प्रत्येक लक्षण के लिए शुद्ध वंशाक्रमी (true breeding) पौधों को चुना।

उन्होंने मटर के एक जोड़ी विरोधी लक्षण वाले दो शुद्ध वंशाक्रमी पौधों के बीजों का परागण कराया। उदाहरणार्थ, फूल के रंग के दो विरोधी लक्षण अथवा वैकल्पिक रूप हैं- लाल रंग के फूल और सफेद रंग के फूल। ऐसे दो पौधों के बीच परागण किया गया। इससे बने बीजों को उगाकर अगली पीढ़ी प्राप्त की गयी। इस पीढ़ी के पौधों को संकर (hybrid) कहते हैं।

मेण्डल अपने द्वारा छाँटे गये लक्षणों की सातों जोड़ी में से प्रत्येक के लिए ऊपर दी गयी विधि से संकर बनाये। शुद्ध वंशाक्रमी जनकों के संकरण से प्राप्त पीढ़ी को प्रथम संतानीय पीढ़ी (First filial generation) कहते हैं। इस पीढ़ी को F1 से से प्रदर्शित करते हैं। इसी पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण कराया गया और प्राप्त बीजों को उगाकर द्वितीय संतानीय पीढ़ी (Second filial generation) प्राप्त की गयी। इसे F2 द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

मेण्डल ने अपनी गणित शिक्षा के आधार पर F2 पीढ़ी में प्राप्त लक्षणों के अनुपात की की गणना की। चूँकि इस प्रयोग में केवल एक लक्षण (फूल का रंग) के दो वैकल्पिक रूपों (लाल व सफेद) का अध्ययन किया गया। अत: गया। अतः इनसे प्राप्त प्राप्त अनुपातों को एकसंकर अनुपात (Monohybrid ratio) कहते हैं।

इसके पश्चात् मेण्डल ने दो जोड़ी विरोधी लक्षणों का एक साथ अध्ययन किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने गोल बीज वाले लम्बे पौधों का परागण झुर्रीदार बीज वाले बौने है। इस पौधों के साथ किया। इस प्रकार के संकरण को द्विसंकरण-क्रॉस (Dihybrid cross) कहा अध्ययन के आधार पर मेण्डल ने द्विसंकर- अनुपात (Dihy- brid ratio) प्रस्तुत किया।

मेण्डल के नियम (Mendel’s Laws):
मेण्डल के प्रयोगों तथा निष्कर्षों के आधार पर जो तथ्य प्राप्त हुए, उन्हें तीन नियमों के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जाता है-
1. प्रभाविता का नियम (Law of Dominance) – जब परस्पर विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के बीच संकरण कराया जाता है तो उनकी संतानों में एक लक्षण परिलक्षित होता है तथा दूसरा दिखाई नहीं देता। इसमें पहले को प्रभावी लक्षण (Dominant characteristic) तथा दूसरे को अप्रभावी लक्षण (Recessive characteristic) कहते हैं।

2. पृथक्करण अथवा युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Segregation or Law of Purity of Gametes) – किसी संकर में उपस्थित प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक स्वरूपों का अगली पीढ़ी में एक निश्चित अनुपात (13) में पृथक्करण हो जाता है।

3. स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of Inde-pendent Assortment) – जब दो जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले जनकों का संकरण कराया जाता है तो दोनों लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से होता है- अर्थात् एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती।

प्रश्न 3.
मेण्डल के निम्नलिखित नियमों को उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए-
(i) प्रभाविता का नियम
(ii) पृथक्करण का नियम
(iii) स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम।
अथवा
मेण्डल के वंशागति नियमों को समझाइए।
अथवा
स्वतंत्र अपव्यूहन से आप क्या समझते हैं? केवल रेखाचित्र द्वारा द्विसंकर क्रॉस समझाइए।
अथवा
मेण्डल का प्रथम नियम लिखिए। इसको विस्तृत रूप से समझाइए।
अथवा
मेण्डल द्वारा प्रतिपादित पृथक्करण नियम को उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
(i) प्रभाविता का नियम (Law of Dominance):
पौधा युग्मनज से बनता है। इसमें पौधे के प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूप होते हैं। उदाहरण के लिए, मटर के के रंग के दो वैकल्पिक रूप होंगे- लाल फूल और सफेद ऐसे प्रत्येक रूप को व्यक्त करने के लिए युग्मनज में एक इकाई पायी जाती है। मेण्डल ने इस इकाई को फैक्टर (Factor) कहा, परन्तु अब इन्हें जीन (Gene) के नाम से जाना जाता है।

युग्मनज का निर्माण दो युग्मकों (Gametes) के संलयन (Fusion ) से होता है। प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूपों में से एक रूप के जीन नर युग्मक में और दूसरे वैकल्पिक रूप के जीन मादा युग्मक में होते हैं। जब ये युग्मक संलयित होकर युग्मनज बनाते हैं तब उसमें प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक रूपों को व्यक्त करने वाली दो जीन आ जाती हैं। उदाहरणार्थ, यदि मटर के हैं और मादा

युग्मक में फूल युग्मक क मैं लाल रंग व्यक्त करने वाली जीन सफेद रंग व्यक्त करने वाली जीन है, तब दोनों युग्मकों के न से बनने वाले युग्मनज में लाल और सफेद, दोनों संलयन रूपों को व्यक्त करने वाली जीन साथ आ जायेंगी। युग्मनज से बीज बनता है और बीज के अंकुरण से पौधा बनता है। पौधे की सभी कोशिकाओं में प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक रूपों के लिए जीन उपस्थित होती हैं। यदि दोनों जीन एक रूप को व्यक्त करती हैं तो वह लक्षण स्पष्ट रूप दिखाई देता है।

जैसे मटर के पौधे में यदि दोनों जीन लाल रंग को व्यक्त करने वाली हैं तो फूल का रंग परंतु फूल लाल होगा और यदि दोनों जीन सफेद रंग को व्यक्त करने वाली हैं तो का रंग सफेद होता है। जब पौधे एक जीन लाल रंग की तथा दूसरी जीन सफेद रंग को व्यक्त करने वाली होगी तब फूल का रंग लाल होगा अथवा सफेद मेण्डल ने यह पाया कि दो विपरीत जीनों में से केवल एक जीन के लक्षण ही संकर में परिलक्षित होते हैं। दूसरी जीन उपस्थित होते भी उसके बाह्य लक्षण व्यक्त नहीं होते। मेण्डल ने प्रथम जीन के लक्षण को प्रभावी लक्षण (Dominant characteristic) तथा दूसरी के लक्षण को अप्रभावी लक्षण (Recessive char-acteristic) कहा।

उदाहरणार्थ लाल तथा सफेद रंग के फूलों वाले पौधों के संकरण से उत्पन्न फूल लाल रंग के होते हैं। अतः लाल रंग प्रभावी लक्षण तथा सफेद रंग अप्रभावी लक्षण है।

(ii) पृथक्करण का नियम (Law of Segregation):
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 5
यह नियम विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के संकरण से उत्पन्न संकरों के परस्पर संकरण से प्राप्त परिणामों को व्यक्त करता है।

इस प्रयोग के लिए मेण्डल ने एक लम्बे (200 सेमी) तथा दूसरे बौने (50 सेमी) पौधे को चुना। ये दोनों पौधे शुद्ध वंशानुक्रमी थे – अर्थात् लम्बे पौधे में दोनों जीन लम्बे गुण के (T,T) तथा बौने पौधे में दोनों जीन बौने गुण (t, t) थे। इन पौधों के बीच संकरण कराने से जो पौधे प्रथम संतानीय पीढ़ी (First filial generation, F1) में प्राप्त हुए वे सभी लम्बे थे। इसका अर्थ यह है कि लम्बाई (dominant) तथा तथा बौनेपन का गुण का गुण प्रभावी अप्रभावी (recessive) था, यद्यपि इन सभी पौधों में दोनों प्रकार के जीन (T, t) उपस्थित थे।

प्रथम संतानीय पीढ़ी के (लम्बे) पौधों के बीच परागण से द्वितीय संतानीय पीढ़ी (Second filial generation, F2) प्राप्त होती है। इस पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे नहीं थे। F2 पीढ़ी में केवल 75% (3/4) पौधे लम्बे (प्रभावी लक्षण के) तथा 25% (1/4) पौधे बौने (अप्रभावी लक्षण के) पाये गये। इस प्रकार द्वितीय संतानीय पीढ़ी में प्रभावी तथा अप्रभावी स्वरूप के पौधों का अनुपात 3 : 1 पाया जाता है।

द्वितीय पीढ़ी के सभी बौने पौधे, स्वपरागण करने पर वंशाक्रमी पाये गये अर्थात् इनकी दोनों जीनें बौनेपन द्वितीय पीढ़ी के लम्बे पौधों में से 1/3 अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी थे अर्थात् इनकी सभी जीने लम्बेपन (T, T) की थीं तथा शेष 2/3 अर्थात् 66.67% पौधे संकर थे-अर्थात् इनमें एक जीन लम्बेपन की तथा दूसरी बौनेपन की (T, t) थी।

द्वितीय पीढ़ी में जीनों के इस विवरण को चित्र द्वारा समझा जा सकता है। प्रत्येक जनक में दो जीन होते हैं तथा प्रत्येक जनक संतान को केवल एक जीन प्रदान करता है। चित्र में में प्रदर्शित उदाहरण में लम्बे जनक ने लम्बेपन की जीन (T) तथा बौने जनक ने बौनेपन की जीन (t) प्रदान की। इस प्रकार प्रथम पीढ़ी (F1) की प्रत्येक संतान में दोनों वैकल्पिक जीन (T, ,t) उपस्थित रहीं तथा T जीन के प्रभावी होने के कारण सभी पौधे लम्बे रहे। द्वितीय पीढ़ी की संतानों में प्रत्येक जनक से दो वैकल्पिक जीनों (T तथा t) में से कोई एक प्राप्त होती है।

यदि प्रथम जनक की जीनों को T1, t1 तथा द्वितीय जनक की जीनों को T2, t2 लिखा जाय तो दोनों से
जीन लेकर इनका समूहन निम्नवत् चार प्रकार से एक-एक किया जा सकता है-
(T1, T2), (T1, t2), (T1,T2), (T1,T2)
इससे स्पष्ट है कि इस समूहन से उत्पन्न तीन समूहों में प्रभावी जीन (T) उपस्थित होगी तथा केवल एक समूह में दोनों जीन अप्रभावी होंगे। इस प्रकार प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण वाले पौधों का अनुपात 3 : 1 होगा।

तीनों प्रभावी लक्षण के पौधों में भी केवल एक समूह, शुद्ध लक्षण (T, T) का है तथा शेष दो समूह संकर है। इस प्रकार मेण्डल का द्वितीय नियम (प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों का 3:1 के अनुपात में पृथक्करण) स्पष्ट हो जाता है।

(iii) स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of In-dependent Assortment)
यह नियम द्विसंकर क्रॉस (Dihybrid cross) के परिणामों पर आधारित है। इस प्रकार के क्रॉस में पौधे के दो जोड़ी लक्षणों का अध्ययन किया जाता है (एक संकर क्रॉस में केवल एक जोड़ी लक्षण का अध्ययन किया जाता है)।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 6
द्विसंकर क्रॉस के लिए मेण्डल ने दो पौधों को चुना-

  • पीले (YY) और गोल (RR) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा ये दोनों प्रभावी लक्षण हैं।
  • हरे (yy) और झुर्रीदार (Tr) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा ये दोनों अप्रभावी लक्षण हैं।

इस प्रकार एक पौधे के दोनों लक्षण प्रभावी व दूसरे पौधे के लक्षण अप्रभावी थे। इन दोनों पौधों के बीच परागण के बाद प्राप्त प्रथम संतानीय पीढ़ी (F1) के संकर पौधे प्रभाविता के नियम के अनुसार विषमयुग्मजी (Yy Rr) होते हैं। इनका बाह्य रूप (फीनोटाइप) दोनों प्रभावी लक्षण दिखाता है अर्थात् इन पौधों के बीज पीले व गोल होते हैं प्रथम संतानीय पीढ़ी के संकर पौधों के स्वपरागण से द्वितीय संतानीय पीढ़ी (F2) प्राप्त होती है। इस पीढ़ी में चार प्रकार के पौधे प्राप्त होते हैं। इनका (बाह्य रूप) व जीनोटाइप (जीनी संरचना) तालिका में दर्शाये गये हैं।

तालिका में दिये गये फीनोटाइप व जीनोटाइप का अवलोकन करने पर आप देखेंगे कि जो लक्षण जनकों में साथ-साथ थे, उनका F2 पीढ़ी में साथ रहना आवश्यक नहीं है।

फीनोटाइप जीनोटाइप (संक्षेपित) अनुपात
1. पीले व गोल बीज वाले पौधे YR 9
2. पीले व झुर्रीदार बीज वाले पौधे Yr 3
3. हरे व गोल बीज वाले पौधे yR 3
4. हरे व झुर्रीदार बीज वाले पौधे yr 1

उपर्युक्त से स्पष्ट है कि पृथक लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे से स्वतंत्र होता है।

प्रश्न 4.
‘जीन’ से क्या तात्पर्य है? इसके आधार पर एक संकरण क्रॉस की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एक संकरण क्रॉस की व्याख्या (Expla- nation of Monohybrid Cross):
हम जानते हैं कि प्रत्येक जीव जाति (species) की कोशिका में गुणसूत्र (chromosomes) होते हैं जिनकी संख्या निश्चित होती है। ये गुणसूत्र जोड़े (pairs) में होते हैं तथा एक जोड़े के दोनों गुणसूत्र जीव के समान लक्षणों को व्यक्त करता है। उदाहरणार्थ: यदि किसी जोड़े का एक गुणसूत्र आँख के रंग, लम्बाई, बालों के प्रकार आदि का नियंत्रण करता है तो जोड़े का दूसरा गुणसूत्र भी इन्हीं गुणों को निर्धारित करता है। ऐसे जोड़े को समजात गुणसूत्र कहते हैं।

समजात गुणसूत्रों के प्रत्येक जोड़े पर कारक (factors) जिन्हें अब जीन (gene) कहते हैं, पाये जाते हैं। प्रायः जीव के किसी एक लक्षण का वाहक एक जीन होता है तथा एक जीन के दो रूप एलील (alleles) होते हैं – एक प्रभावी (dominant) तथा दूसरा अप्रभावी (recessive)।

जीवधारी कैसा लक्षण प्रदर्शित करता है-यह इस बात पर निर्भर करता है कि समजात गुणसूत्रों पर उस लक्षण के कौन-से एलील उपस्थित हैं। माना कि मटर में लम्बे होने का एलील T तथा बौनेपन का एलील t है। T प्रभावी तथा t अप्रभावी होता है। यदि समजात जोड़े के एक गुणसूत्र पर T तथा दूसरे पर भी T जीन है तो पौधा लम्बा होगा। इसी प्रकार यदि दोनों गुणसूत्रों पर ‘t ‘ जीन है तो पौधा शुद्ध बौना होगा। यदि एक गुणसूत्र पर ‘T ‘ व दूसरे पर ‘t ‘ जीन है तो पौधा संकर लम्बा होगा।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 7
अब जब अर्द्धसूत्री विभाजन होता है तो युग्मकों (जनन कोशिकाओं) में प्रत्येक जोड़े में से केवल एक गुणसूत्र युग्मक में पहुँचता है। स्पष्ट है कि किसी युग्मक में ” T ” पहुँचेगा व किसी में ‘ t ‘ । अब यह केवल संयोग पर निर्भर करता है कि नर युग्मक मादा युग्मक के संलयन से उत्पन्न जाइगोट तथा उसमें विकसित जीवधारी कैसा होगा? यदि ‘T ” जीन वाला नर/मादा युग्मकरण जीन वाले मादा /नर से संलयन करेगा तो नयी पीढ़ी की कोशिका में “TT” जीन (दोनों लम्बाई के) होंगे और पौधा लम्बा होगा।

यदि ‘t ‘ जीन वाला नर/मादा युग्मक, ‘t ‘ जीन वाले मादा/नर से संलयन करेगा तो नयी पीढ़ी की कोशिकाओं में ‘tt’ जीन होंगे (दोनों बौनेपन के), पौधा बौना होगा। यदि ‘T ‘ जीन वाला नर/मादा युग्मक, ‘t’ जीन वाले मादा/नर युग्मक से संलयन करेगा तो ‘Tt’ यानी संकर संतान होगी परन्तु लम्बी होगी क्योंकि T प्रभावी है। अब जीन के आधार पर एकसंकर क्रॉस की व्याख्या की जा सकती है। अब जीन के आधार पर एकसंकर क्रॉस की व्याख्या की जा सकती है।

अपने प्रयोग में मेण्डल ने मटर के शुद्ध लम्बे पौधों व शुद्ध बौने पौधों के बीच संकरण कराया । लम्बेपन के जीन को ‘ T ‘ से तथा बौनेपन के जीन को ‘ t ‘ से प्रदर्शित कर सकते हैं। इस प्रकार शुद्ध लम्बे पौधे का जीनोटाइप ‘TT’ तथा शुद्ध बौने पौधे का जीनोटाइप ‘tt’ हुआ। आप जानते हैं कि शुद्ध लम्बे पौधे में “TT’ जीन जोड़े में से एक “T” जीन समजात गुणसूत्रों के जोड़े में से एक गुणसूत्र पर व दूसरा ‘T ‘ जीन, दूसरे गुणसूत्र पर होगा।

इसी तरह शुद्ध बौने पौधे में tt (दो जीन t व t समजात गुणसूत्रों पर अलग-अलग होंगे।) जब इनसे नर युग्मक व मादा युग्मक (gamete) बनते हैं तो अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप युग्मकों में प्रत्येक जोड़े से केवल एक जीन पहुँचता है अतः युग्मक में केवल एक जीन पहुँचेगा T या t। परन्तु शुद्ध लम्बे पौधे (TT) के सभी युग्मकों में T जीन होगा। इस प्रकार शुद्ध बौने पौधे (tt) के सभी युग्मक में t जीन होगा।

जब लम्बे पौधे के युग्मकों का संलयन बौने पौधे के युग्मक से होगा तो युग्मनज (zygote) में T व t जीन वाले गुणसूत्र होंगे। इसका जीनोटाइप Tt होगा। चूँकि T प्रभावी है तथा t क्षीण है, इसमें विकसित F1 से पीढ़ी के पौधे होंगे तो लम्बे व शुद्ध नहीं बल्कि संकर लम्बे। अब जब इस F1 पीढ़ी के युग्मक बनेंगे तो अर्द्धसूत्री विभाजन के दौरान गुणसूत्र फिर पृथक होंगे और अलग-अलग युग्मों में पहुँचेंगे, परन्तु अबकी बार 50 \% युग्मकों में T जीन व 50 \% युग्मकों में t जीन होगा। इस प्रकार से बने युग्मकों में जब स्वपरागण के बाद संलयन होता है तो 4 प्रकार के संचय बनते हैं-

  • नर युग्मक से T, मादा युग्मक से भी T → TT समयुग्मी (शुद्ध) लम्बे
  • नर युग्मक से T, मादा युग्मक से t → Tt विषमयुग्मी (संकर) लम्बे
  • नर युग्मक से t, मादा युग्मकों से T → tT
  • नर युग्मक से t, मादा युग्मक से भी t → tt → समयुग्मी (शुद्ध) बौने

इस प्रकार F2 पीढ़ी में जीनोटाइप के अनुसार 1 : 2 : 3 के अनुपात में TT ( शुद्ध लम्बे), Tt/ tT (संकर लम्बे) व tt ( शुद्ध बौने) पौध्रे प्राप्त होते हैं। फीनोटाइप (बाह्य आकार) के आधार पर लम्बे व बौने पौधे 3: 1 के अनुपात में होते हैं।

अब चूँक TT जीन वाले पौधे शुद्ध लम्बे हैं, ये आगे सभी पीढ़ियों में लम्बे पौधों को ही जन्म देते हैं। इसी प्रकार tt जीन वाले शुद्ध बौने पौधे अगली पीढ़ियों में केवल बौने पौधों को ही जन्म देते हैं, परन्तु Tt जीन वाले अगली पीढ़ी में फिर 3: 1 के अनुपात में लम्बे व बौने पौधों को जन्म देते हैं। यही क्रम पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहता है।

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प्रश्न 5.
‘द्वि-संकरण’ से क्या तात्पर्य है? उपयुक्त नियम के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब दो विपरीत लक्षणों वाले दो पौधों के बीच संकरण कराया जाता है तो उसे द्वि-संकर संकरण कहते हैं, जैसे पीले गोल बीजों वाले पौधों तथा हरे झुर्रीदार बीजों वाले पौधों के बीच संकरण | इसकी क्रिया स्वतंत्र अपव्यूहन के नियम पर आधारित है जिसका अर्थ है कि दो पृथक लक्षणों के वैकल्पिक स्वरूपों का पृथक्करण एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से होता है।

द्विसंकर क्रॉस के लिए मेण्डल ने दो पौधों को चुना-

  • पीले (YY) और गोल (RR) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा। ये दोनों प्रभावी लक्षण हैं।
  • हरे (yy) और झुर्रीदार (rr) बीज वाला समयुग्मजी (अर्थात् शुद्ध वंशाक्रमी) पौधा। ये दोनों अप्रभावी लक्षण हैं।

इस प्रकार एक पौधे के दोनों लक्षण प्रभावी व दूसरे पौधे के लक्षण अप्रभावी थे।

इन दोनों पौधों के बीच परागण के बाद प्राप्त प्रथम संतानीय पीढ़ी (F1) के संकर पौधे प्रभाविता के नियम के अनुसार विषमयुग्मजी (Yy Rr) होते हैं। इनका बाह्य रूप (फीनोटाइप) दोनों प्रभावी लक्षण दिखाता है अर्थात् इन पौधों के बीज पीले व गोल होते हैं। प्रथम संतानीय पीढ़ी के संकर पौधों के स्वपरागण से द्वितीय संतानीय पीढ़ी (F2) प्राप्त होती है। इस पीढ़ी में चार प्रकार के पौधे प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 6.
‘प्रभावी’ तथा ‘अप्रभावी’ लक्षणों से’ क्या तात्पर्य है? इनके आधार पर ‘प्रभाविता’ का नियम समझाइए।
अथवा
प्रभाविता नियम को समझाइए।
अथवा
प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षणों से क्या तात्पर्य है?
F2 पीढ़ी में उपस्थित प्रभावी लक्षणों को उपयुक्त उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
परस्पर विरोधी लक्षणों वाले दो शुद्ध जनकों के बीच संकरण कराने से उनकी संतानों में जो लक्षण परिलक्षित होता है, उसे प्रभावी लक्षण (Dominant characteris- tic) तथा जो लक्षण परिलक्षित नहीं होता उसे अप्रभावी लक्षण (Recessive characteristic) कहते हैं।

प्रभाविता का नियम (Law of Dominance):
पौधा युग्मनज से निर्मित होता है। इसमें पौधे के प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूप होते हैं। उदाहरण के लिए मटर के युग्मनज में फूल के रंग के दो वैकल्पिक रूप होंगे-लाल और सफेद। ऐसे प्रत्येक रूप को व्यक्त करने के लिए युग्मनज में एक इकाई पायी जाती है। मेण्डल ने इस इकाई को फैक्टर कहा, परन्तु अब इन्हें जीन के नाम से जाना जाता है। युग्मनज का निर्माण दो युग्मकों के संलयन से होता है।

प्रत्येक लक्षण के दो वैकल्पिक रूपों में से एक रूप के जीन नर युग्मक में और दूसरे वैकल्पिक रूप के जीन मादा युग्मक में होते हैं। जब ये युग्मक संलयित होकर युग्मनज बनाते हैं तब उसमें प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक रूपों को व्यक्त करने वाली दो जीन आ जाती हैं। उदाहरणार्थ-यदि मटर के नर युग्मक में फूल का रंग व्यक्त करने वाली जीन है और मादा युग्मक में सफेद रंग व्यक्त करने वाली जीन है तब F2 पीढ़ी में दोनों युग्मकों के संलयन से बनने वाले युग्मनज में लाल और सफेद दोनों रूपों को व्यक्त करने वाली जीन साथ आ जायेंगी।

प्रश्न 7.
आनुवंशिकी के गुणसूत्र सिद्धान्त का आधार क्या है? इसे स्पष्ट करते हुए सिद्धान्त के प्रमुख बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
आनुवंशिकी का गुणसूत्र सिद्धान्त (Chro-mosome Theory of Heredity)
जिस समय मेण्डल, मटर पर किये गये कार्यों को अन्तिम रूप दे रहे थे, लगभग उसी समय विलियम फ्लेमिंग (1879), ने सैलामेण्डर की कोशिकाओं के केन्द्रक में गुणसूत्रों को देखा था। वर्ष 1902 में वाल्टर सटन तथा थियोडोर बावेरी ने मेण्डल के सिद्धान्तों एवं गुणसूत्रों में पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण के समय एवं कोशिका विभाजन -विभाजन समय मेण्डल के कारकों (factors) एवं गुणसूत्रों की कार्यविधि में समानता होती है।

मेण्डल ने कहा था था कि कारक (factors) जोड़ों (allelomorphs) में में होते हैं और गुणसूत्र भी जोड़ों में होते हैं और प्रत्येक जोड़े का एक-एक गुणसूत्र विभिन्न मातृ पौधे से आते हैं। मेण्डल ने यह भी देखा कि जिस समय युग्मक (gamete) का निर्माण होता है जोड़े में आये कारक अलग-अलग हो जाते हैं और अलग युग्मकों में वितरित हो जाते हैं, [मेण्डल का पृथक्करण का नियम (Mendel’s Law of Segregation)]।

अर्द्धसूत्री विभाजन के समय समयुग्मी (homozygous) गुणसूत्रों के के जोड़े फिर अलग-अलग जाते हैं, और एक युग्मक में जोड़े का केवल एक ही सदस्य जाता है। मेण्डल ने यह भी पाया कि यदि एक जोड़े के एक कारक (factor) का अध्ययन किया जाय उनका वितरण दूसरे जोड़े के कारकों से स्वतन्त्र रूप होता [स्वतन्त्र पृथक्करण का सिद्धन्त (Law of Independent Assortment)]। अगर हम यह मान कि एक लक्षण, आनुवंशिक कारक (gene) जैसे फूलों का रंग एक जोड़े गुणसूत्र के ऊपर होता है और दूसरे लक्षण का कारक (gene) जोड़े के दूसरे गुणसूत्र पर है तब अर्द्धसूत्री विभाजन के समय गुणसूत्र का स्वतन्त्र पृथक्करण के कारण लक्षणों (कारकों) का भी पृथक्करण होगा।

आनुवंशिक कारकों तथा अर्द्धसूत्री विभाजन के समय गुणसूत्रों के व्यवहार की इस समानता के आधार पर आनुवंशिकी का गुणसूत्र सिद्धान्त निम्नवत् समझा जा सकता है-

  • युग्मनज (zygote) द्वारा प्रदर्शित गुणों का सार गुणसूत्रों में होता है।
  • गुणसूत्रों की संख्या प्रत्येक जीव में निश्चित होती है।
  • गुणसूत्रों पर जीन (genes) होते हैं
  • जीन डिऑक्सीराइबो – न्यूक्लियक – एसिड (DNA) द्वारा निर्मित होते हैं।
  • प्रत्येक जीन किसी एक विशेष गुण का वाहक होता है।
  • जीन में स्वयं विभाजन की क्षमता होती है।

प्रश्न 8.
‘जीन – उत्परिवर्तन’ से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देते हुए जीन विनिमय की प्रक्रिया समझाइए।
उत्तर:
जीन का उत्परिवर्तन (Mutations of Gene):
हयूगो डी ब्रीज (Hugo de Vries) नामक वैज्ञानिक ने वर्ष 1901 में जीवों के विकास क्रम में नयी जातियों की उत्पत्ति के बारे में जीन – उत्परिवर्तन का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। जब वे ईवनिंग प्रिमरोज नामक पौधे की अनेक पीढ़ियों में वंशानुगति का अध्ययन कर रहे थे थे तो उन्होंने पाया कि कभी-कभी अकस्मात् कुछ ऐसे पौधे उत्पन्न हो जाते हैं जो जनक पौधों से इतने भिन्न होते हैं कि उन्हें नयी जाति का माना जा सकता है।

वंशानुगत में इन अकस्मात् तस्मात् परिवर्तनों की, विकास के सामान्य सिद्धान्तों जीवन-संघर्ष (struggle for existence), योग्यतम की उत्तरजीविता (survival of the fittest), प्राकृतिक वरण (natural selection) आदि के द्वारा व्याख्या नहीं की जा सकती। डी ब्रीज के सिद्धान्त के अनुसार, नयी जाति की अकस्मात् उत्पत्ति एक ही बार में होने वाली स्पष्ट एवं स्थायी (वंशागत) बड़ी विभिन्नताओं (उत्परिवर्तनों) के कारण होती है। ये परिवर्तन परिस्थत जीनों (genes) की रासायनिक जीव-कोशिकाओं में उपस्थित संरचना में में परिवर्तन से उत्पन्न होते हैं।

किसी जीन की रासायनिक संरचना में होने वाले परिवर्तन को जीन-उत्परिवर्तन [न (Gene mutation) कहते हैं। चूँकि जीन DNA अणु के खण्ड होते हैं, जीन उत्परिवर्तन की क्रिया मैं DNA खण्ड के न्यूक्लियोटाइडों को संख्या तथा क्रमायोजन में परिवर्तन होता है।

जीन-उत्परिवर्तन में DNA की संरचना में अकस्मात् एवं स्थायी परिवर्तन हो जाता है। यद्यपि इसके द्वारा DNA के वृहत् अणु के केवल के केवल एक छोटे खण्ड में ही परिवर्तन होता है, फिर भी इसके द्वारा DNA में संचित आनुवंशिक कोड में परिवर्तन हो जाने से कोशिका एवं जीवधारी के विकास पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।

उदाहरणत: होमोग्लोबिन प्रोटीन के संश्लेषण से सम्बद्ध जीन की न्यूक्लियोटाइड शृंखला में केवल एक नाइट्रोजनी बेस के बदल जाने से लाल रक्त कणिकाओं की गोल आकृति बदल कर हँसिया की आकृति (sickle shape) हो जाती है जिससे मानव में रक्ताल्पता (anaemia) हो जाता है।

जीन – उत्परिवर्तन में एकाकी जीन की संरचना अथवा गुणसूत्रों की संरचना तथा संख्या तक में परिवर्तन हो सकते हैं। ये परिवर्तन युग्मनज (zygote) से लेकर जीवधारी की मृत्यु से पहले तक किसी भी समय तथा लैंगिक जनन में युग्मकों (gametes) ‘निर्माण के समय हो सकते हैं। ये वंशागत होते हैं – अतः अगली पीढ़ियों की सन्तानों में विभिन्नताओं का कारण बनते हैं।

जीन – विनिमय (Gene Cross-over ) – कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन के समय यह क्रिया तब होती है जब दो भिन्न-भिन्न जीन एक ही गुणसूत्र पर स्थित हो।

जीन – विनिमय की प्रक्रिया को चित्र में प्रदर्शित किया गया है। चित्र में मातृ-कोशिका के समजात गुणसूत्री का एक युग्म तथा प्रत्येक गुणसूत्र के दो क्रोमेटिड (Chroma- tid), जो सेन्ट्रीमियर पर परस्पर सम्बद्ध होते हैं, प्रदर्शित हैं। इन गुणसूत्रों पर दो भिन्न जीन a एवं b एक गुणसूत्र पर तथा A एवं B दूसरे गुणसूत्र स्थित हैं।

चित्र में एक गुणसूत्र के क्रोमेटिड (a,b) का दूसरे गुणसूत्र के क्रोमेटिड (A,B) से क्रॉस करना प्रदर्शित है। क्रोमेटिडों के क्रॉस करने वाले बिन्दु को कायस्मा (chiasma) कहते हैं। इस बिन्दु पर दोनों क्रोमेटिड, एक एन्जाइम इण्डोन्यूक्लिएज (endo- nuclease) की क्रिया से भंग हो जाते हैं तथा इनके खण्डों के बीच विनिमय (exchange) होकर, दूसरे एन्जाइम लाइगेज (ligase) की क्रिया से पुनः जुड़ जाते हैं। यह अवस्था चित्र में प्रदर्शित है। अन्त में अर्द्धसूत्री विभाजन से दोनों गुणसूत्रों के चार क्रोमेटिड अलग-अलग होकर चार अगुणित गुणसूत्र बनाते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 8
चित्र से स्पष्ट है कि इन चार संतति गुणसूत्रों में से दो (ab तथा AB) तो मातृ- कोशिका के गुणसूत्रों के समान ही रहेंगे परन्तु दो गुणसूत्र (ab तथा AB) में जीनों का वितरण मातृ – कोशिका से भिन्न होगा।

प्रश्न 9.
‘जीन-विनिमय’ से क्या तात्पर्य है? उत्परिवर्तन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जीन विनिमय जब दो गुणसूत्रों (समान या असमान) के बीच अर्द्धसूत्री विभाजन के दौरान गुणों (लक्षण) का आदान-प्रदान होकर नयी पीढ़ी का निर्माण होता है तो उसे जीन विनिमय कहते हैं।
उत्परिवर्तन के कारण (Causes of Mutations):

  • युग्मकजनन में त्रुटि – युग्मक निर्माण के समय गुणसूत्रों के अर्धसूत्री विभाजन एवं पारगमन के समय कोई त्रुटि हो जाने से उत्परिवर्तन हो जा सकता है।
  • शारीरिक दशाएँ – कभी-कभी असामान्य शारीरिक दशाओं जैसे हॉरमोनों का असामान्य प्रवाह, शारीरिक ताप का असामान्य परिवर्तन, पोषक पदार्थों की कमी, उपापचय क्रियाओं में गड़बड़ी आदि से भी उत्परिवर्तन हो सकता है।
  • वातावरणीय दशाएँ – युग्मक निर्माण के समय वातावरण के ताप में अकस्मात् कमी हो जाने से उत्परिवर्तन हो सकता है।
  • विकिरणों का प्रभाव – प्रकृति में अत्यधिक ऊर्जावान विकिरणों, जैसे अन्तरिक्ष विकिरण (Cosmic ra- diations), गामा – विकिरण (Gamma radiations), आदि की क्रिया से भी जीन की संरचना में परिवर्तन हो जाते है- जो उत्परिवर्तन उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 10.
DNA के वाटसन एवं क्रिक मॉडल को चित्र की सहायता से समझाइए।
अथवा
वाटसन एवं क्रिक द्वारा बनाये गये DNA मॉडल का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर:
DNA की आण्विक संरचना (Molecular Structure of DNA) – जे. डी. वाटसन (J. D Watson) और एच.एफ.सी. क्रिक (H.F.C. Crick) ने सन् 1953 ई. में DNA की रचना के बारे में एक मॉडल प्रस्तुत किया जिसे उनके नाम पर वाटसन और क्रिक का मॉडल कहते हैं। इसके लिए वाटसन (Watson) एवं क्रिक (Crick) तथा विलकिन्स (Wilkins) को सम्मिलित रूप से सन् 1962 ई. में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। उनके अनुसार-
(1) DNA द्विचक्राकार रचना (Double helical structure) है, जिसमें पॉलीन्यूक्लियोटाइड की दोनों श्रृंखलाएँ एक अक्ष रेखा पर एक-दूसरे के विपरीत दिशा में कुण्डलित अथवा रस्सी की तरह ऐंठी हुई रहती हैं।

(2) दोनों श्रृंखलाओं का निर्माण फॉस्फेट (P) एवं शर्करा (S) के अनेक अणुओं के मिलने से होता है। नाइट्रोजनी बेस शर्करा के अणुओं से पार्श्व में लगे होते हैं।

(3) पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं के बेस लम्बी अक्ष रेखा के सीधे कोणीय तल में लगे रहते हैं तथा सीढ़ी के डण्डे के आकार की रचना बनाते हैं

(4) नाइट्रोजनी क्षारक एक विशिष्ट क्रम में जुड़े रहते हैं। एडीनीन (A) तथा थायमीन (T) के मध्य हाइड्रोजन बन्ध (A = T) होते हैं जबकि साइटोसीन (C) तथा ग्वानीन (G) के मध्य तीन हाइड्रोजन बन्ध (C ≡ G) होते हैं।

(5) DNA के दोहरे हेलिक्स का व्यास 20 Å होता है। हेलिक्स के प्रत्येक कुण्डल (turn) में 10 नाइट्रोजन क्षारक जोड़े होते हैं। प्रत्येक नाइट्रोजन क्षारक के मध्य की दूरी 3.4Å होती है और हेलिक्स के प्रत्येक कुण्डल की लम्बाई 34Å होती है।

(6) DNA अणु में एडीनीन की कुल मात्रा थायमीन के बराबर और ग्वानीन की मात्रा साइटोसीन के बराबर होती है। इसे चारगाफ का तुल्यता का नियम कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 9

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश – प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. मटर में शुद्ध लम्बे एवं शुद्ध बौने पौधे में संकरण कराया जाता है, तो लम्बे मटर के पौधे प्राप्त होते हैं, द्वितीय पीढ़ी में प्राप्त पौधे होंगे-
(a) शुद्ध लम्बे
(b) शुद्ध बौने
(c) संकर लम्बे
(d) शुद्ध लम्बे एवं शुद्ध बौने
उत्तर:
(c) संकर लम्बे

2. मटर में बीजों का गोल आकार तथा पीला रंग होता है-
(a) अपूर्ण प्रभावी
(b) अप्रभावी
(c) संकर
(d) प्रभावी
उत्तर:
(d) प्रभावी

3. एक संकर संकरण की F2 पीढ़ी में शुद्ध तथा संकर गुणों वाले पौधों का प्रतिशत अनुपात होता है-
(a) 1/3
(b) 3/1
(c) 1/1
(d) 2/3
उत्तर:
(c) 1/1

4. मेण्डल ने आनुवंशिकता के प्रयोग जिस पौधे पर किये उसका नाम है-
(a) गुड़हल
(b) गेंदा
(c) गुलाब
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

5. TT और tt प्रकार के क्रॉस से संतानों में होगा-
(a) TT
(b) Tt
(c) tt
(d) मटर
उत्तर:
(d) मटर

6. आनुवंशिक लक्षणों के रासायनिक कारक हैं-
(a) DDT
(b) DNA
(c) प्रोटीन
(d) कार्बोहाइड्रेट
उत्तर:
(b) DNA

7. किसी प्राणी की जीनी संरचना को कहते हैं-
(a) जीनोटाइप
(b) फीनोटाइप
(c) एलीलोमॉर्फ
(d) संकर
उत्तर:
(b) फीनोटाइप

8. जीन पाये जाते हैं-
(a) कोशिका में
(b) केन्द्रक में
(c) माइटोकॉण्ड्रिया में
(d) गुणसूत्रों पर
उत्तर:
(d) गुणसूत्रों पर

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

9. एक संकर संकरण की F2 पी ढ़ी में प्रभावी तथा अप्रभावी गुणों वाले पौधों का अनुपात होगा-
(a) 25 : 75
(b) 75 : 25
(c) 50 : 50
(d) 40 : 60
उत्तर:
(b) 75 : 25

10. उद्यान मटर में अप्रभावी लक्षण है-
(a) लम्बे तने
(b) झुर्रीदार बीज
(c) रंगीन बीजकवक
(d) गोल बीज
उत्तर:
(b) झुर्रीदार बीज

11. आनुवंशिकता के जनक हैं-
(a) चार्ल्स डार्विन
(b) ग्रेगर जान मेण्डल
(c) हयूगो डी ब्रीज
(d) हरगोविन्द
उत्तर:
(b) ग्रेगर जान मेण्डल

12. विपरीत लक्षणों के जोड़ों को कहते हैं-
(a) युग्म विकल्पी या एलीलोमॉर्फ
(b) निर्धारक
(c) समयुग्मजी
(d) समरूप
उत्तर:
(a) युग्म विकल्पी या एलीलोमॉर्फ

13. पृथक्करण का नियम प्रस्तुत किया-
(a) लैमार्क ने
(b) डार्विन ने
(c) ह्युगो डी व्रीज ने
(d) मेण्डल ने
उत्तर:
(d) मेण्डल ने

14. पुष्प में लाल रंग लक्षण प्रभावी है। इसका विपरीत या तुलनात्मक लक्षण क्या होगा?
(a) बौना पौधा
(b) गोल बीज
(c) सफेद पुष्प
(d) हरे बीज
उत्तर:
(c) सफेद पुष्प

15. मनुष्य में गुणसूत्रों की संख्या क्या होती है?
(a) 44
(b) 45
(c) 46
(d) 47
उत्तर:
(c) 46

16. मानव में ऑटोसोम (Autosome) के जोड़े होते हैं-
अथवा
मनुष्य के शुक्राणु में ऑटोसोम की संख्या कितनी होती है?
(a) 22
(b) 23
(c) 1
(d) 46
उत्तर:
(a) 22

17. निम्नलिखित में मादा का जीनोटाइप होगा-
(a) XY
(b) YY
(c) XX
(d) सभी तीनों
उत्तर:
(c) XX

18. निम्नलिखित में प्यूरीन क्षारक है-
(a) ग्वानीन
(b) थाइमीन
(c) साइटोसीन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ग्वानीन

19. जीन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किया-
(a) मेण्डल ने
(b) जोहन्सन ने
(c) बीजमान ने
(d) ऐवरी ने
उत्तर:
(b) जोहन्सन ने

20. प्यूरीन क्षारक होता है-
(a) एडीनीन
(b) साइटोनिन
(c) यूरेसिल
(d) थायमीन
उत्तर:
(a) एडीनीन

21. सेण्ट्रोमियर एक भाग है-
(a) गुणसूत्र का
(b) जीन का
(c) कोशिकाद्रव्य का
(d) राइबोसोम का
उत्तर:
(a) गुणसूत्र का

22. जीन – विनिमय होता है-
(a) समसूत्री विभाजन में
(b) अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रथम चरण में
(c) अर्द्धसूत्री विभाजन के द्वितीय चरण में
(d) उपर्युक्त सभी में
उत्तर:
(b) अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रथम चरण में

23. दो भिन्न जीनों में सहलग्नता नहीं होती, यदि-
(a) वे एक ही गुणसूत्र पर एक-दूसरे से दूर स्थित हों
(b) वे एक ही गुणसूत्र पर परस्पर निकट स्थित हों
(c) वे दो भिन्न गुणसूत्रों पर स्थित हों
(d) समजात गुणसूत्र-युग्म के भिन्न-भिन्न गुणसूत्रों पर हों
उत्तर:
(d) समजात गुणसूत्र-युग्म के भिन्न-भिन्न गुणसूत्रों पर हों

24. उत्परिवर्तन का कारण है-
(a) जीन परिवर्तन
(b) जीवन संघ
(c) उद्विकास
(d) प्राकृतिक चयन
उत्तर:
(a) जीन परिवर्तन

25. गुणसूत्र किस पदार्थ के बन होते हैं?
(a) प्रोटीन
(b) आर.एन.ए.
(c) डी.एन.ए.
(d) डी.एन.ए. व प्रोटीन
उत्तर:
(d) डी.एन.ए. व प्रोटीन

26. डॉ. हरगोविन्द खुराना को नोबेल पुरस्कार मिला है-
(a) 1970 में
(b) 1972 में
(c) 1980 में
(d) 1968 में
उत्तर:
(d) 1968 में

27. टी. च मार्गन ने अपना आनुवंशिक प्रयोग किस पर किया?
(a) घरेलू मक्खी
(b) बालू मक्खी
(c) फल मक्खी
(d) सी.सी. मक्खी
उत्तर:
(c) फल मक्खी

28. निम्नलिखित में आनुवंशिक पदार्थ है-
(a) गॉल्जी बॉडी
(b) DNA
(c) राइबोसोम्स
(d) माइट्रोकॉण्ड्रिया
उत्तर:
(d) माइट्रोकॉण्ड्रिया

29. केन्द्रक का निर्माण होता है-
(a) DNA से
(b) प्रोटीन से
(c) RNA से
(d) न्यूक्लियो प्रोटीन से
उत्तर:
(d) न्यूक्लियो प्रोटीन से

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. एक लाल पुष्पी मटर के पौधे का संकरण सफेद पुष्पी मटर के पौधे से किया गया। F1 पीढ़ी में लाल पुष्प थे। अतः सफेद पुष्प ………………… गुण है।
  2. Test Cross ……………….. है।
  3. सफेद फूले हुए तथा चिपके हुए लाल पुष्पों वाले पौधों के बीच संकरण ………………… कहलाता है।
  4. जैव विकास के सिद्धान्त का मुख्य सम्बन्ध ………………… है।
  5. जैव विकास में उत्परिवर्तन का महत्त्व ………………… होता है।

उत्तर:

  1. अप्रभावी
  2. Ttxxtt
  3. द्विसंकरण
  4. धीरे-धीरे होने वाले परिवर्तनों से
  5. जननिक भिन्नताएँ।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Exercise 6.1

प्रश्न 1.
कोष्ठकों में दिए गए शब्दों में से सही शब्दों का प्रयोग करते हुए, रिक्त स्थानों को भरिए:
(i) सभी वृत्त ……… होते हैं। (सर्वांगसम, समरूप)
(ii) सभी वर्ग ………. होते हैं। (समरूप, सर्वांगसम)
(iii) सभी……… त्रिभुज समरूप होते हैं। (समद्विबाहु, समबाहु)
(iv) भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज समरूप होते हैं, यदि (a) उनके संगत कोण ………….. हों तथा (b) उनकी संगत भुजाएँ ………. हों । (बराबर, समानुपाती)
हल:
(i) समरूप,
(ii) समरूप,
(iii) समबाहु,
(iv) (a) बराबर (b) समानुपाती।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित युग्मों के दो भिन्न-भिन्न उदाहरण दीजिए:
(i) समरूप आकृतियाँ।
(ii) ऐसी आकृतियाँ जो समरूप नहीं हैं।
हल:
(i) 1. समबाहु त्रिभुजों का युग्म समरूप आकृतियाँ हैं।
2. वर्गों का युग्म समरूप आकृतियाँ हैं।

(ii) 1. एक त्रिभुज और एक चतुर्भुज ऐसी आकृतियों का युग्म बनाती हैं जो समरूप नहीं हैं।
2. एक वर्ग और एक समचतुर्भुज ऐसी आकृतियों का युग्म बनाती हैं जो समरूप नहीं हैं।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1

प्रश्न 3.
बताइए कि निम्नलिखित चतुर्भुज समरूप हैं या नहीं :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1 1
हल:
दोनों चतुर्भुज समरूप हैं क्योंकि उनके संगत कोण बराबर हैं।