JAC Class 10 Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

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JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

→ रासायनिक अभिक्रिया – जब एक या एक से अधिक पदार्थ आपस में क्रिया करके नये पदार्थ का निर्माण करते हैं तो ऐसी अभिक्रिया रासायनिक अभिक्रिया कहलाती है।

→ आयनिक अभिक्रिया – जब अभिकारकों एवं क्रियाफलों के मध्य आयनिक बन्ध टूटकर नये आयनिक बन्ध बनाते हैं तो आयनिक अभिक्रिया होती है। ये मुख्यत: तीन प्रकार की होती हैं- संयोजन, वियोजन एवं विस्थापन अभिक्रिया।

→ विद्युत या आयनिक वियोजन अभिक्रिया- कुछ यौगिक जल में घोलने पर या विद्युत धारा प्रवाहित करने पर अपने ऋण एवं धन आयनों में टूट जाते हैं तो इसे विद्युत अथवा आयनिक वियोजन कहते हैं।

→ रासायनिक समीकरण – किसी रासायनिक अभिक्रिया को अभिकारकों तथा उत्पादों के प्रतीक व रासायनिक सूत्रों का प्रयोग करके प्रदर्शित करना, रासायनिक समीकरण कहलाता है।

JAC Class 10 Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

→ संयोजन अभिक्रिया जब दो या दो से अधिक पदार्थ मिलकर एक नया पदार्थ बनाते हैं, उसे संयोजन अभिक्रिया कहते हैं।

→ वियोजन अभिक्रिया – वियोजन अभिक्रिया संयोजन अभिक्रिया के विपरीत होती है। वियोजन अभिक्रिया में एकल पदार्थ वियोजित होकर दो या दो से अधिक पदार्थ बनते हैं।

→ ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ-वे अभिक्रियाएँ जिसमें ऊष्मा उत्पन्न होती है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।

→ ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ – वे अभिक्रियाएँ जिनमें ऊष्मा अवशोषित होती है, ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।

→ विस्थापन अभिक्रिया- वह अभिक्रिया जिसमें एक तत्त्व (या पदार्थ) किसी दूसरे तत्त्व (या पदार्थ) को उसके यौगिक में से हटाकर स्वयं उसका स्थान ले लेता है, विस्थापन अभिक्रिया कहलाती है।

→ द्विविस्थापन अभिक्रिया में दो अलग-अलग परमाणु या परमाणुओं के समूह (आयन) का आपस में आदान-प्रदान होता है।

→ अवक्षेपण अभिक्रिया से अविलेय लवण प्राप्त होता है।

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→ सह-संयोजक अभिक्रिया जब रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों एवं क्रियाफलों के मध्य सह-संयोजक बन्ध टूटकर नये सह-संयोजक बन्ध बनाते हैं तो इसे सह-संयोजक अभिक्रिया कहते हैं।

→ उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ ऐसी अभिक्रियाएँ जो समान परिस्थितियों में अग्र एवं पश्च दोनों दिशाओं में होती हैं और किसी भी दिशा में पूर्णता को नहीं पहुँचतीं उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।

→ अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ-वे अभिक्रियाएँ जो केवल एक ही दिशा में चलती हैं तथा पूर्णता को प्राप्त होती हैं, अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।

→ अभिक्रिया दर- अभिकारकों की वह मात्रा जो इकाई समय में उत्पादों में परिवर्तित होती हैं, उस अभिक्रिया की दर कहलाती है।

→ मंद अभिक्रियाएँ वे अभिक्रियाएँ जो धीरे-धीरे होती हैं व जिनके पूर्ण होने में अत्यधिक समय लगता है, मंद अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।

→ तीव्र अभिक्रियाएँ वे अभिक्रियाएँ जो अतिशीघ्रता (लगभग 10 सेकण्ड ) में पूर्ण होती हैं तीव्र अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।

→ रासायनिक साम्यावस्था किसी उत्क्रमणीय अभिक्रिया की वह अवस्था जिसमें अग्र व विपरीत दोनों अभिक्रियाओं के वेग बराबर हो जाते हैं, रासायनिक साम्यावस्था कहलाती हैं।

→ आयनिक साम्य-आयनिक अभिक्रियाओं की वह अवस्था जिसमें आयनिक क्रियाकारकों तथा उत्पादों का सान्द्रण परिवर्तित नहीं होता, आयनिक साम्य कहलाता है।

→ विकृतगंधिता-ऐसी प्रक्रिया जिसमें वसायुक्त सामग्री खराब होने लगती है तथा स्वाद व गंध में परिवर्तन होने लगता है, खाद्य पदार्थों का ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके ऑक्सीकरण कर देते हैं विकृतगंधिता कहलाती है।

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Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

Jharkhand Board Class 10 Science रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
नीचे दी गयी अभिक्रिया के सम्बन्ध में कौन-सा कथन असत्य है?
2PbO (s) + C (s) → 2Pb ( s) + CO2(s)
(a) सीसा अपचयित हो रहा है।
(b) कार्बन डाइऑक्साइड उपचयित हो रहा है।
(c) कार्बन उपचयित हो रहा है।
(d) लेड ऑक्साइड अपचयित हो रहा है।
(i) (a) एवं (b)
(ii) (a) एवं (c)
(iii) (a) (b) एवं (c)
(iv) सभी
उत्तर:
(i) (a) एवं (b).

प्रश्न 2.
Fe2O3 + 2Al → Al2O3 + 2Fe
ऊपर दी गयी अभिक्रिया किस प्रकार की है?
(a) संयोजन अभिक्रिया
(b) द्विविस्थापन अभिक्रिया
(c) वियोजन अभिक्रिया
(d) विस्थापन अभिक्रिया
उत्तर:
(d) विस्थापन अभिक्रिया।

प्रश्न 3.
लौह-चूर्ण पर तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालने से क्या होता है? सही उत्तर पर निशान लगाइए।
(a) हाइड्रोजन गैस एवं आयरन क्लोराइड बनता है।
(b) क्लोरीन गैस एवं आयरन हाइड्रॉक्साइड बनता है।
(c) कोई अभिक्रिया नहीं होती है।
(d) आयरन लवण एवं जल बनता है।
उत्तर:
(a) हाइड्रोजन गैस एवं आयरन क्लोराइड बनता है।

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प्रश्न 4.
संतुलित रासायनिक समीकरण क्या है? रासायनिक समीकरण को संतुलित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
जब किसी रासायनिक समीकरण में विभिन्न तत्त्वों के परमाणुओं की संख्या दोनों तरफ बराबर होती है तो उसे संतुलित रासायनिक समीकरण कहते हैं रासायनिक समीकरण को संतुलित करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इसके द्वारा हम न केवल समीकरण की वास्तविक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं बल्कि अभिकारकों एवं उत्पादों की वास्तविक संख्या की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
निम्न कथनों को रासायनिक समीकरण के रूप में परिवर्तित कर उन्हें संतुलित कीजिए-
(a) नाइट्रोजन हाइड्रोजन गैस से संयोग करके अमोनिया बनाती है।
(b) हाइड्रोजन सल्फाइड गैस का वायु पर जल एवं सल्फर डाइऑक्साइड बनता है।
(c) ऐलुमिनियम सल्फेट के साथ अभिक्रिया करके बेरियम क्लोराइड, ऐलुमिनियम क्लोराइड एवं बेरियम सल्फेट का अवक्षेप प्रदान देता है।
(d) पोटैशियम धातु जल के साथ अभिक्रिया करके पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड एवं हाइड्रोजन गैस देती है।
उत्तर:
(a) N2(g) + 3H2 (g) → 2NH3(g)
(b) 2H2S(g) + 3O2 (g) → 2H2O(l) + 2SO2(g)
(c) 3BaCl2 + Al2(SO4)3 → 3BaSO4 + 2AlCl3
(d) 2K + 2H2O → 2KOH + H2(g)

प्रश्न 6.
निम्न रासायनिक समीकरणों को संतुलित कीजिए-
(a) HNO3 + Ca(OH)2 → Ca(NO3)2 + H2O
(b) NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + H2O
(c) NaCl + AgNO3 → AgCl + NaNO3
(d) BaCl2 + H2SO4 → BaSO4 + HCl
उत्तर:
(a) 2HNO3 + Ca(OH)2 → Ca(NO3)2 + 2H2O
(b) 2NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + 2H2O
(c) NaCl + AgNO3 → AgCl + NaNO3
(d) BaCl2 + H2SO4 → BaSO4 + 2HCl

प्रश्न 7.
निम्न अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए-
(a) कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड + कार्बन डाइ ऑक्साइड → कैल्सियम कार्बोनेट + जल
(b) जिंक + सिल्वर नाइट्रेट → जिंक नाइट्रेट सिल्वर
(c) ऐलुमिनियम + कॉपर क्लोराइड → ऐलुमिनियम क्लोराइड + कॉपर
(d) बेरियम क्लोराइड + पोटैशियम सल्फेट → बेरियम सल्फेट + पोटैशियम क्लोराइड
उत्तर:
(a) Ca(OH)2 + CO2 → CaCO3 + H2O
(b) Zn + 2AgNO3 → Zn (NO3)2 + 2Ag
(c) 2Al + 3Cucl2 → 2Alcl3 + 3Cu
(d) BaCl2 + K2SO4 → BaSO4 + 2KCl

प्रश्न 8.
निम्न अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए एवं प्रत्येक अभिक्रिया का प्रकार बताइए।
(a) पोटैशियम ब्रोमाइड (aq) + बेरियम आयोडाइड (aq) → पोटैशियम आयोडाइड (aq) + बेरियम ब्रोमाइड (aq)
(b) जिंक कार्बोनेट (s) → जिंक ऑक्साइड (s) + कार्बन डाइऑक्साइड (g)
(c) हाइड्रोजन (g) + क्लोरीन (g) → हाइड्रोजन क्लोराइड (g)
(d) मैग्नीशियम (s) + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (aq) → मैग्नीशियम क्लोराइड (aq) + हाइड्रोजन (g)
उत्तर:
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प्रश्न 9.
ऊष्माक्षेपी एवं ऊष्माशोषी अभिक्रिया का क्या अर्थ है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ – ऐसी अभिक्रियाएँ जिनमें ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ (Exothermic Reaction) कहलाती हैं।
उदाहरण-
(i) मेथेन गैस का वायु में जलना-
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(ii) थर्माइट अभिक्रिया-लौह ऑक्साइड Fe2O3 का ऐलुमिनियम धातु से अपचयन। इस अभिक्रिया का उपयोग रेल की बेल्डिंग में होता है।
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ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ ऐसी अभिक्रियाएँ जिनमें ऊर्जा का अवशोषण होता है, ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ (En- dothermic Reaction) कहलाती हैं।
उदाहरण-
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प्रश्न 10.
श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया क्यों कहते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यह स्पष्ट है कि चावल, आलू तथा ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट होता है जो पाचन क्रिया के समय छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं, इस प्रकार के टूटने से ग्लूकोज प्राप्त होता है। यह ग्लूकोज हमारे शरीर की कोशिकाओं में उपस्थित ऑक्सीजन से मिलकर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। इस अभिक्रिया का विशेष नाम श्वसन होता है।
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प्रश्न 11.
वियोजन अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया के विपरीत क्यों कहा जाता है? इन अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर:
वियोजन अभिक्रियाएँ वे अभिक्रियाएँ हैं जिनमें कोई यौगिक दो या अधिक नये यौगिकों में विघटित हो जाता है।
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संयोजन अभिक्रियाएँ वे अभिक्रियाएँ हैं जिनमें दो पदार्थ आपस में संयोग करके एक नए पदार्थ का निर्माण करते हैं।
CaO + CO2 → CaCO3
उपर्युक्त उदाहरणों में दोनों अभिक्रियाएँ समान हैं किन्तु विपरीत स्थितियाँ दिखा रही हैं। अतः वियोजन अभिक्रियाओं को संयोजन अभिक्रियाओं के विपरीत कहा जाता है।

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प्रश्न 12.
उन वियोजन अभिक्रियाओं के एक-एक समीकरण लिखें जिनमें ऊष्मा, प्रकाश एवं विद्युत के रूप में ऊर्जा प्रदान की जाती है।
उत्तर:
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प्रश्न 13.
विस्थापन एवं द्विविस्थापन अभिक्रिया में क्या अन्तर है? इन अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
विस्थापन अभिक्रिया – जब अधिक क्रियाशील तत्त्व, कम क्रियाशील तत्त्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है तो विस्थापन अभिक्रिया होती है।
Zn(s) + CuCl2(aq) → ZnClg (aq) + Cu (s)
यहाँ, Zn, Cu से अधिक क्रियाशील है जो CuCl2 से Cu को विस्थापित कर देता है।
द्विविस्थापन अभिक्रिया – अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है।
जैसे – AB + CD → AC + BD
NaOH + HCl → NaCl + H2O

प्रश्न 14.
सिल्वर के शोधन में, सिल्वर नाइट के विलयन से सिल्वर प्राप्त करने के लिए कॉपर धातु द्वारा विस्थापन किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
Cu(s) + 2AgNO3 → Cu(NO3)2(aq) + 2Ag(s)

प्रश्न 15.
अवक्षेपण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें अविलेय लवण बनता है, जो विलयन से पृथक हो जाता है, अवक्षेपण अभिक्रिया कहलाती है।
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प्रश्न 16.
ऑक्सीजन के योग या ह्रास के आधार पर निम्न पदों की व्याख्या करें। प्रत्येक के लिए दो उदाहरण दें- (a) उपचयन (b) अपचयन
उत्तर:
(a) उपचयन वे अभिक्रियाएँ जिनमें ऑक्सीजन का योग होता है, उन्हें उपचयन कहते हैं।
उदाहरण :

  • 2Cu + O2 → 2CuO
  • 2H2 + O2 → 2H2O

(b) अपचयन – वे अभिक्रियाएँ जिनमें ऑक्सीजन का ह्रास होता है उन्हें अपचयन कहते हैं।
उदाहरण :

  • ZnO + C → Zn + CO
  • CuO + H2 → Cu + H2O

प्रश्न 17.
एक भूरे रंग का चमकदार तत्त्व ‘X’ को वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर वह काले रंग का हो जाता है। इस तत्त्व ‘X’ एवं उस काले रंग के यौगिक के नाम बताइए।
उत्तर:
चमकदार भूरे रंग का तत्त्व ‘X’ कॉपर है। जब इसे हवा में गर्म किया जाता है तो यह कॉपर ऑक्साइड के जमा होने के कारण काला पड़ जाता है।
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प्रश्न 18.
लोहे की वस्तुओं को हम पेन्ट क्यों करते हैं?
उत्तर:
लोहे की वस्तुओं को संक्षारण से बचाने के लिए हम पेन्ट करते हैं। पेन्ट, वस्तु की सतह तथा हवा या नमी के बीच प्रत्यक्ष सम्पर्क को समाप्त कर देता है।

प्रश्न 19.
तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से प्रभावित क्यों किया जाता है?
उत्तर:
क्योंकि तेल व वसायुक्त खाद्य पदार्थ ऑक्सीजन के साथ मिलकर विकृतगंधिता उत्पन्न करते हैं जबकि नाइट्रोजन ऐसा नहीं कर पाता। अतः चिप्स आदि बनाने वाले, चिप्स की थैली में नाइट्रोजन गैस भरकर वायुरोधी कर देते हैं ताकि थैली में कोई भी ऑक्सीजन न हो और खाद्य सामग्री का ऑक्सीकरण न हो सके।

प्रश्न 20.
निम्न पदों का वर्णन कीजिए तथा प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए-
(a) संक्षारण
(b) विकृतगंधिता।
उत्तर:
(a) संक्षारण – धातु का अभिकारकों द्वारा यौगिकों में बदलकर नष्ट होने की प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं। जैसे – आयरन को नम वायु में डाल देने से, वह नम वायु से क्रिया करके आयरन ऑक्साइड बनाता है। यह आयरन ऑक्साइड ही आयरन पर जंग के रूप में पर्त बना लेता है। इस आयरन ऑक्साइड के गुण, आयरन के गुणों से भिन्न होते हैं।

(b) विकृतगंधिता – ऐसी प्रक्रिया जिसमें वसायुक्त अथवा तैलीय खाद्य सामग्री खराब होने लगती है तथा स्वाद व गंध में परिवर्तन होने लगता है। खाद्य पदार्थों का ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके ऑक्सीकरण कर देते हैं।

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पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 6)

प्रश्न 1.
वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को साफ क्यों किया जाता है?
उत्तर:
वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को इसलिए साफ किया जाता है कि इसकी ऊपरी सतह हट जाए, साथ ही धूलकण आदि भी साफ हो जाएँ ताकि मैग्नीशियम की सतह हवा के प्रत्यक्ष सम्पर्क में आ सके।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए संतुलित समीकरण लिखिए-
(i) हाइड्रोजन + क्लोरीन → हाइड्रोजन क्लोराइड
(ii) बेरियम क्लोराइड + ऐलुमिनियम सल्फेट → बेरियम सल्फेट + ऐलुमिनियम क्लोराइड
(iii) सोडियम + जल → सोडियम हाइड्रॉक्साइड + हाइड्रोजन
उत्तर:
(i) H2 + Cl2 → 2HCl
(ii) 3BaCl2 + Al2(SO4)3 → 3BaSO4 + 2AlCl3
(iii) 2Na + 2H2O → 2NaOH + H2

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए उनकी अवस्था के संकेतों के साथ संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए-
(i) जल में बेरियम क्लोराइड तथा सोडियम सल्फेट के विलयन अभिक्रिया करके सोडियम क्लोराइड का विलयन तथा अघुलनशील बेरियम सल्फेट का अवक्षेप बनाते हैं।
(ii) सोडियम हाइड्रॉक्साइड का विलयन (जल में) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के विलयन (जल में) से अभिक्रिया करके सोडियम क्लोराइड का विलयन तथा जल बनाते हैं।
उत्तर:
(i) BaCl2(l) + Na2SO4 (aq) → BaSO4 (8) + 2NaCl(l)
(ii) NaOH (aq) + HCl(aq) → NaCl (l) + H2O(l)

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 11)

प्रश्न 1.
किसी पदार्थ ‘X’ के विलयन का उपयोग सफेदी करने के लिए होता है।
(i) पदार्थ ‘X’ का नाम तथा इसका सूत्र लिखिए।
(ii) ऊपर (i) में लिखे पदार्थ ‘X’ की जल के साथ अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
(i) पदार्थ ‘X’ बिना बुझा चूना (कैल्सियम ऑक्साइड) है इसका सूत्र CaO होता है।

(ii) CaO की जल के साथ अभिक्रिया निम्न प्रकार है-
CaO(s) + H2O(l) → Ca(OH)2
कैल्सियम ऑक्साइड जल कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड

प्रश्न 2.
क्रिया-कलाप 1.7 (पाठ्य-पुस्तक देखें) एक परखनली में एकत्रित गैस की मात्रा दूसरी से दोगुनी क्यों है? उस गैस का नाम बताइए।
उत्तर:
जल के विद्युत अपघटन करने पर, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन गैस प्राप्त होती है।
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दिए गए संतुलित रासायनिक समीकरण से प्रतीत होता है कि जल के 2 आयतन से हाइड्रोजन के 2 आयतन तथा ऑक्सीजन का एक आयतन प्राप्त होता है। इसीलिए एक परखनली में गैस का आयतन दूसरी परखनली में गैस के आयतन का दुगना है। अतः यह गैस हाइड्रोजन है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 15)

प्रश्न 1.
जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोया जाता है तो विलयन का रंग क्यों बदल जाता है?
उत्तर:
जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डुबोया जाता है, तो लोहा कॉपर को कॉपर सल्फेट के विलयन से विस्थापित कर देता है और आयरन सल्फेट बनाता है क्योंकि आयरन, कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील होता है जिस कारण आयरन, कॉपर सल्फेट से कॉपर को विस्थापित कर देता है जो हल्के हरे रंग का है। इसलिए कॉपर सल्फेट विलयन जो नीले रंग का है, का रंग बदल जाता है।
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प्रश्न 2.
क्रिया-कलाप 1.10 से भिन्न द्विविस्थापन अभिक्रिया का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 3.
निम्न अभिक्रियाओं में उपचयित तथा अपचयित पदार्थों की पहचान कीजिए-
(i) 4Na(s) + O2(g) → 2Na2O(s)
(ii) CuO(s) + H2(g) → Cu(s) + H2O(l)
उत्तर:
(i) इस अभिक्रिया में सोडियम (Na) Nago में उपचयित होता है, क्योंकि Na का O2 से संयोग हो रहा है और O2 अपचयित होने वाला पदार्थ है। अत: उपचयित एवं अपचयित होने वाले पदार्थ क्रमश: Na और O2 हैं।
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(ii) CuO + H2 → Cu + H2O(l)
अपचयन (ऑक्सीजन का ह्रस)
अत: उपचयित होने वाला पदार्थ-H2
और अपचयित होने वाला पदार्थ-CuO

क्रिया-कलाप – 1.1
सावधानी – इस क्रिया-कलाप में शिक्षक के सहयोग की आवश्यकता है। सुरक्षा के लिए छात्र आँखों पर चश्मा पहन लें तो उचित होगा।
(i) लगभग 2 cm लंबे मैग्नीशियम रिबन को रेगमाल से रगड़कर साफ कर लीजिए।
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(ii) इसे चिमटे से पकड़कर स्पिरिट लैंप या बर्नर से इसका दहन करिए तथा इससे बनी राख को वॉच ग्लास में इकट्ठा कर लीजिए जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। मैग्नीशियम रिबन का दहन करते समय इसे अपनी आँखों से यथासंभव दूर रखिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आपने क्या प्रेक्षण किया?
उत्तर:
हम प्रेक्षण करते हैं कि मैग्नीशियम रिबन एक चमकदार श्वेत लौ के साथ जलती है तथा श्वेत चूर्ण में परिवर्तित हो जाती है। यह सफेद चूर्ण मैग्नीशियम ऑक्साइड है। यह वायु में उपस्थित ऑक्सीजन तथा मैग्नीशियम के बीच होने वाली अभिक्रिया के कारण बनता है।

क्रिया-कलाप – 1.2

  • एक परखनली में लेड (सीसा) नाइट्रेट का घोल लीजिए।
  • इसमें पोटैशियम आयोडाइड का घोल मिला दीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आपने क्या प्रेक्षण किया?
उत्तर:
हम प्रेक्षण करते हैं कि दोनों ही पदार्थ आपस में अभिक्रिया करते हैं तथा निम्नलिखित अभिक्रिया संपादित होती है-
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क्रिया-कलाप – 1.3

  • एक शंक्वाकार फ्लास्क या परखनली में कुछ दानेदार जिंक लीजिए।
  • इसमें तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल या सल्फ्यूरिक अम्ल मिला दीजिए।
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सावधानी – अम्ल का इस्तेमाल सावधानी से कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या जस्ते के दानों के आस-पास कुछ होता दिखाई दे रहा है?
उत्तर:
हाँ, जस्ते के दानों का आकार धीरे-धीरे घटता जा रहा है तथा एक गैस का निर्माण हो रहा है जो हाइड्रोजन है।

प्रश्न 2.
शंक्वाकार फ्लास्क या परखनली को स्पर्श कीजिए। क्या इसके तापमान में कोई परिवर्तन हुआ है?
उत्तर:
हाँ, इसका तापमान थोड़ा-सा बढ़ गया है।

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क्रिया-कलाप – 1.4

  • एक बीकर में थोड़ा कैल्सियम ऑक्साइड तथा बुझा हुआ चूना लीजिए।
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  • इसमें धीरे-धीरे जल मिलाइए।
  • अब बीकर को स्पर्श कीजिए जैसा चित्र में दिखाया गया है।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या इसके ताप में कोई परिवर्तन हुआ?
उत्तर:
हाँ, कैल्सियम ऑक्साइड जल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके बुझे हुए चूने (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) का निर्माण करके अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता है।
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क्रिया-कलाप – 1.5

  • एक शुष्क क्वथन नली में 2 g फेरस सल्फेट के क्रिस्टल लीजिए।
  • फेरस सल्फेट के क्रिस्टल के रंग पर ध्यान दीजिए।
  • क्वथन नली को बर्नर या स्पिरिट लैंप की ज्वाला पर गर्म कीजिए, जैसा चित्र में दिखाया गया है।
  • गर्म करने के पश्चात् क्रिस्टल के रंग को देखिए।
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क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गर्म करने से पहले फेरस सल्फेट के क्रिस्टल के रंग पर ध्यान दीजिए। गर्म करने के बाद फेरस सल्फेट के क्रिस्टल के रंग का निरीक्षण कीजिए।
उत्तर:
गर्म करने से पहले फेरस सल्फेट के क्रिस्टल का रंग हरा होता है जबकि गर्म करने पर इसका रंग गायब हो जाता है।
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क्रिया-कलाप – 1.6

  • एक क्वथन ली में 2g लेड नाइट्रेट का चूर्ण लीजिए।
  • चिमटे से वथन नली को पकड़कर ज्वाला के ऊपर रखकर इसे गर्म कीजिए जैसा चित्र में दिखाया गया है।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 17

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आपने क्या देखा? यदि कोई परिवर्तन है तो उसे नोट कर लीजिए।
उत्तर:
हम देखते हैं कि भूरे रंग का धुआँ उत्सर्जित होता है। यह धुआँ नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड (NO2) का है। निम्नलिखित अभिक्रिया घटित होती है-
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क्रिया-कलाप – 1.7

  • एक प्लास्टिक का मग लीजिए। इसकी तली में दो छिद्र करके उनमें रबड़ का डॉट लगा दीजिए। इन छिद्रों में कार्बन इलेक्ट्रोड डाल दीजिए जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
  • इन इलेक्ट्रोडों को 6 वोल्ट की बैटरी से जोड़ दीजिए।
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  • मग में इतना जल डालिए कि इलेक्ट्रोड उसमें डूब जाए। जल में तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की कुछ बूँदें डाल दीजिए।
  • जल से भरी दो अंशांकित परखनलियों को दोनों कार्बन इलेक्ट्रोडों के ऊपर उलटा करके रख दीजिए।
  • अब विद्युत धारा प्रवाहित करके इस उपकरण को थोड़ी देर के लिए छोड़ दीजिए।
  • दोनों इलेक्ट्रोडों पर आप बुलबुले बनते हुए देखेंगे। ये बुलबुले अंशांकित नली से जल को विस्थापित कर देते हैं।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या दोनों परखनलियों में एकत्रित गैस का आयतन समान है?
उत्तर:
नहीं, दोनों परखनलियों में एकत्रित गैस का आयतन समान नहीं है।

  • जब दोनों परखनलियाँ गैस से भर जाएँ तब उन्हें सावधानीपूर्वक हटा लीजिए।
  • एक जलती हुई मोमबत्ती को दोनों परखनलियों के मुँह के ऊपर लाकर इन गैसों की जाँच कीजिए।

प्रश्न 2.
दोनों स्थितियों में क्या होता है?
उत्तर:
दोनों स्थितियों में एक परखनली में गैस का आयतन, दूसरी परखनली में गैस के आयतन का दो गुना है।

प्रश्न 3.
दोनों परखनलियों में कौन-सी गैस उपस्थित है?
उत्तर:
एक परखनली में हाइड्रोजन गैस उपस्थित है जबकि दूसरी परखनली में ऑक्सीजन गैस उपस्थित है।

क्रिया-कलाप – 1.8

  • चायना डिश में 2g सिल्वर क्लोराइड लीजिए।
  • इस चायना डिश को थोड़ी देर के लिए सूर्य के प्रकाश में रख दीजिए (चित्र)।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 20

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
इसका रंग क्या है?
उत्तर:
इसका रंग उजले (सफेद) रंग का है।

प्रश्न 2.
थोड़ी देर पश्चात् सिल्वर क्लोराइड के रंग को देखिए।
उत्तर:
सूर्य के प्रकाश में श्वेत रंग का सिल्वर क्लोराइड धूसर रंग का हो जाता है। प्रकाश की उपस्थिति में सिल्वर क्लोराइड का सिल्वर तथा क्लोरीन में वियोजन के कारण से ऐसा होता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 21

क्रिया-कलाप – 1.9

  • लोहे की तीन कील लीजिए और उन्हें रेगमाल रगड़कर साफ कीजिए।
  • (A) तथा (B) से चिन्हित की हुई दो परखनलियाँ लीजिए। प्रत्येक परखनली में 10 mL कॉपर सल्फेट का विलयन लीजिए।
  • दो कीलों को धागे से बाँधकर सावधानीपूर्वक परखनली (B) के कॉपर सल्फेट विलयन में लगभग 20 मिनट तक डुबो कर रखिए चित्र (a) तुलना करने के लिए एक कील को अलग रखिए।
  • 20 मिनट बाद दोनों कीलों को कॉपर सल्फेट के विलयन से बाहर निकाल लीजिए।
  • परखनली (A) तथा (B) में कॉपर सल्फेट के विलयन के नीले रंग की तीव्रता की तुलना कीजिए चित्र (b)।
  • कॉपर सल्फेट के विलयन में डूबी कीलों के रंग की तुलना बाहर रखी कील से कीजिए चित्र (b)।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 22

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
परखनली (A) में रखे कॉपर सल्फेट विलयन का रंग क्या है?
उत्तर:
परखनली (A) में रखे कॉपर सल्फेट विलयन का रंग नीला हो जाता है।

प्रश्न 2.
परखनली (B) में रखे कॉपर सल्फेट विलयन का रंग क्या है?
उत्तर:
परखनली (B) में रखे कॉपर सल्फेट विलयन का नीला रंग बहुत हल्का हो जाता है।

प्रश्न 3.
कॉपर सल्फेट विलयन का रंग क्यों बहुत हल्का है?
उत्तर:
विलयन से कॉपर के विस्थापन के कारण कॉपर सल्फेट विलयन का रंग बहुत हल्का है।

प्रश्न 4.
परखनली (B) में रखी लोहे की कील का रंग क्या है?
उत्तर:
लोहे की कील का रंग भूरा है।

प्रश्न 5.
लोहे की कील का रंग भूरा क्यों हो जाता है?
उत्तर:
लोहे की कील का रंग लोहे के ऊपर कॉपर के जमा होने के कारण भूरा हो जाता है।
CuSO4 + Fe → FeSO4 + Cu

क्रिया-कलाप – 1.10

  • एक परखनली में 3mL सोडियम सल्फेट का विलयन लीजिए।
  • एक अन्य परखनली में 3 mL बेरियम क्लोराइड लीजिए।
  • दोनों विलयनों को मिला लीजिए (चित्र)।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 23

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आपने क्या देखा?
उत्तर:
हम देखते हैं कि उजले रंग का एक पदार्थ (BaSO4) बनता है जो जल में अघुलनशील है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 24

क्रिया-कलाप – 1.11
चायना डिश में 1g कॉपर चूर्ण लेकर उसे गर्म कीजिए (चित्र)।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आपने क्या देखा?
उत्तर:
हम देखते हैं कि कॉपर चूर्ण की सतह कॉपर (II) ऑक्साइड की परत जमने के कारण काली पड़ जाती है। यह कॉपर चूर्ण का ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया के कारण बनता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 25

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. हरित क्रांति सम्बन्धित है-
(a) दुग्ध उत्पादन से
(b) फसल उत्पादन में वृद्धि से
(c) मछली उत्पादन से
(d) मधुमक्खी पालन से।
उत्तर:
(b) फसल उत्पादन में वृद्धि से।

2. श्वेत क्रांति सम्बन्धित है-
(a) उर्वरक उत्पादन से
(b) खाद उत्पादन से
(c) दुग्ध उत्पादन से
(d) कृषि उत्पादन से।
उत्तर:
(c) दुग्ध उत्पादन से।

3. निम्न से कौन-से प्राथमिक पोषक तत्व हैं?
(a) नाइट्रोजन, पोटैशियम एवं फॉस्फोरस
(b) सल्फर, लोहा, मैंगनीज
(c) कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन
(d) कॉपर, क्लोरीन, बोरॉन
उत्तर:
(a) नाइट्रोजन, पोटैशियम एवं फॉस्फोरस।

4. उर्वरक का प्रयोग कब किया जाता है-
(a) बीज बोने से पहले
(b) बीज बोने के बाद
(c) फसल कटने के बाद
(d) कभी भी।
उत्तर:
(c) फसल कटने के बाद

5. कीटनाशी का प्रयोग किसे मारने के लिए किया जाता है?
(a) कीट
(b) जीवाणु
(c) पौधा
(d) चूहा।
उत्तर:
(a) कीट।

6. दो सामान्य फसलों के बीच दलहनी फसल उगाने की विधि को कहते हैं-
(a) एकल खेती
(b) फसल चक्र
(c) मिश्रित खेती
(d) बहुफसली खेती।
उत्तर:
(d) बहुफसली खेती।

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7. मुर्गियों की संकर नस्ल कौन सी है-
(a) व्हाइट लेगहॉर्न
(b) बसरा
(c) असील
(d) ILS-82
उत्तर:
(d) ILS-82।

8. खरपतवार वाले पौधे हैं-
(a) गोखरू
(b) गाजर घास
(c) मोथा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

9. पौधों में रोग उत्पन्न करने वाले कारक हैं-
(a) बैक्टीरिया
(b) कवक
(c) वाइरस
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

10. पशुओं की सामान्य बीमारी कौन-सी है?
(a) बुखार
(b) हैजा
(c) पशु महामारी
(d) मुँहपका एवं खुरपका।
उत्तर:
(d) मुँहपका एवं खुरपका।

11. माँस के लिए पाला जाता है-
(a) ब्रौलर
(b) लेयर
(c) बौलर एवं लेयर
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर:
(a) ब्रौलर।

12. ऑएस्टर का संवर्धन किया जाता है.
(a) गोश्त प्राप्ति के लिए
(b) अंडे प्राप्ति के लिए
(c) मोतियों को प्राप्त करने के लिए
(d) औषधि निर्माण के लिए।
उत्तर:
(c) मोतियों को प्राप्त करने के लिए।

13. मिश्रित मछली संवर्धन किया जाता है-
(a) समुद्र में
(b) नदियों में
(c) झीलों में
(d) तालाबों में
उत्तर:
(d) तालाबों में।

14. देशी किस्म की मधुमक्खी है-
(a) ऐपिस सेरना इंडिका
(b) ऐपिस डोरसेटा
(c) ऐपिस फ्लोरी
(d) उपर्युक्त तीनों ही।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त तीनों ही।

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15. फसल के लिए कुल कितने पोषक तत्व आवश्यक हैं-
(a) 16
(b) 13
(c) 7
(d) 6
उत्तर:
(a) 16।

16. निम्नलिखित में से कौन-सी फसल मृदा को नाइट्रोजन से समृद्ध करेगी-
(a) सेम
(b) मटर
(c) धान
(d) आलू।
उत्तर:
(b) मटर।

रिक्त स्थान भरो-

  1. ………………….. क्रांति द्वारा फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है।
  2. ………………….. क्रांति द्वारा दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई है।
  3. पशुधन के प्रबंधन को ………………….. कहते हैं।
  4. नस्लों की गायों में रोगप्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है।

उत्तर:

  1. हरित
  2. श्वेत
  3. पशुपालन
  4. देशी।

सुमेलन कीजिए-

कॉलम ‘क’ कौलम ‘ख’
1. विदेशी गाय (क) मत्स्य पालन
2. देशी गाय (ख) रेडसिंधी
3. मछली (ग) जर्सी
4. देशी मुर्गी (घ) एसिल

उत्तर:
1. (ग) जर्सी
2. (ख) रेडसिंधी
3. (क) मत्स्य पालन
4. (घ) एसिल

सत्य / असत्य-

  1. माँस के लिए लेयर मुर्गी को पाला जाता है।
  2. मधुमक्खी पालन में बहुत अधिक पूँजी निवेश होता है।
  3. सामान्य भारतीय मधुमक्खी का वैज्ञानिक नाम ऐपिस सेरना इंडिका है।
  4. ग्रास कॉर्प मछली खरपतवार खाती है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन से हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
भोजन से हमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन तथा खनिज लवण प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 2.
हमारे भोजन के स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
जन्तु तथा पौधे हमारे भोजन के स्रोत हैं।

प्रश्न 3.
हमारे देश की जनसंख्या कितनी है?
उत्तर:
हमारे देश की जनसंख्या 1 बिलियन (1 अरब) से अधिक है।

प्रश्न 4.
किस क्रान्ति से फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है?
उत्तर:
हरित क्रांति से फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है।

प्रश्न 5.
दुग्ध उत्पादन किस प्रकार बढ़ाया गया है?
उत्तर:
दुग्ध उत्पादन श्वेत क्रांति से बढ़ाया गया है।

प्रश्न 6.
कृषि और पशुपालन के लिए किन प्रणालियों को अपनाने की आवश्यकता है?
उत्तर:
कृषि और पशुपालन के लिए संपोषणीय प्रणालियों को अपनाने की आवश्यकता है।

प्रश्न 7.
कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए हमें क्या अपनाना होगा?
उत्तर:
कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक प्रणालियाँ एवं प्रबन्धन अन्तराफसलीकरण तथा सम्बन्धित कृषि प्रणालियाँ अपनानी होंगी।

प्रश्न 8.
हमें कार्बोहाइड्रेट किन फसलों से प्राप्त होता है?
उत्तर:
हमें कार्बोहाइड्रेट गेहूँ, चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा से प्राप्त होता है।

प्रश्न 9.
प्रोटीन किन-किन फसलों से प्राप्त होता है?
उत्तर:
प्रोटीन चना, मटर, अरहर, उड़द, मूंग और मसूर से प्राप्त होता है।

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प्रश्न 10.
तेल प्रदान करने वाले बीजों के नाम बताइये।
उत्तर:
सरसों, अलसी, सूरजमुखी, अरंड, तिल, सोयाबीन, मूंगफली तेल देने वाले बीज हैं।

प्रश्न 11.
चारा देने वाली फसलों के नाम बताइये।
उत्तर:
बरसीम, जई, सूडान घास, चरी (हरी ज्वार) के पौधे आदि चारा देने वाली फसलें हैं।

प्रश्न 12.
फसलों की उचित वृद्धि के लिए किन-किन परिस्थितियों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
फसल की उचित वृद्धि के लिए जलवायुवीय परिस्थितियाँ, उचित तापमान और दीप्तिकाल की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 13.
दीप्ति काल किससे सम्बन्धित है?
उत्तर:
दीप्तिकाल सूर्य के प्रकाश काल से सम्बन्धित है।

प्रश्न 14.
पौधों में पुष्पन और वृद्धि किस पर निर्भर है?
उत्तर:
पौधों में पुष्पन और वृद्धि सूर्य के प्रकाश पर निर्भर है।

प्रश्न 15.
पौधे किस प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन निर्माण करते हैं?
उत्तर:
पौधे प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन निर्माण करते हैं।

प्रश्न 16.
वर्षा ऋतु में कौन सी फसलें उगाई जाती हैं?
उत्तर:
वर्षा ऋतु में धान, सोयाबीन, अरहर, मक्का, मूंग तथा उड़द की फसलें उगाई जाती हैं। इन्हें खरीफ फसल कहते हैं।

प्रश्न 17.
खरीफ फसलों का समय बताइये।
उत्तर:
खरीफ फसलों का समय जून से अक्टूबर माह तक है।

प्रश्न 18.
रबी में कौन सी फसलें उगाई जाती हैं?
उत्तर:
रबी में गेहूँ, चना, मटर, सरसों, अलसी की फसलें उगाई जाती हैं। ये शीत ऋतु की फसलें हैं।

प्रश्न 19.
रबी की फसलों का समय क्या है?
उत्तर:
रबी की फसलों का समय नवम्बर से अप्रैल तक का है।

प्रश्न 20.
कृषि प्रणालियों को किन तीन चरणों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
कृषि प्रणालियों को तीन चरणों में बाँटा जा सकता है-

  • बीज का चुनना
  • फसल की उचित देखभाल
  • खेत में उगी फसल की सुरक्षा तथा कटी हुई फसल को हानि से बचाना।

प्रश्न 21.
फसल की किस्मों में ऐच्छिक गुण किस विधि से डाले जाते हैं?
उत्तर:
फसल की किस्मों में ऐच्छिक गुण संकरण विधि से डाले जाते हैं।

प्रश्न 22.
सस्य विज्ञान वाली किस्में किसमें सहायक हैं?
उत्तर:
सस्य विज्ञान वाली किस्में अधिक उत्पादन में सहायक हैं।

प्रश्न 23.
पौधे अपने पोषण के लिए पोषक तत्व कहाँ से प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
पौधे अपने पोषण के लिए हवा से ऑक्सीजन, CO2, पानी से हाइड्रोजन और मिट्टी से 13 पोषक तत्व प्राप्त करते हैं।

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प्रश्न 24.
पौधों को कितने वृहत् और कितने सूक्ष्म पोषकों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
पौधों को 6 बृहत् और 7 सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 25.
पौधों के लिए वृहत् पोषकों के नाम लिखिये।
उत्तर:
पौधों के लिए बृहत् पोषक हैं- नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर।

प्रश्न 26.
सूक्ष्म पोषक तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
आयरन, मैंगनीज, जिंक, कॉपर, बोरॉन, मॉलिब्डेनम और क्लोरीन सूक्ष्म पोषक हैं।

प्रश्न 27.
खाद में किन पदार्थों की अधिकता होती है?
उत्तर:
खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।

प्रश्न 28.
खाद की उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
खाद मिट्टी को पोषक तथा कार्बनिक पदार्थों को प्रचुर मात्रा में प्रदान कर उसकी उर्वरता को बढ़ाता है।

प्रश्न 29.
रेतीली मिट्टी पर खाद का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
खाद से रेतीली मिट्टी में पानी को रोकने की क्षमता बढ़ जाती है।

प्रश्न 30.
कम्पोस्ट खाद किसे कहते हैं?
उत्तर:
कृषि और जन्तु अपशिष्ट (गोबर), घरेलू कचरे, खरपतवार आदि को गड्ढों में अपघटित करके बनाई जाने वाली खाद को कम्पोस्ट खाद कहते हैं।

प्रश्न 31.
वर्मीकम्पोस्ट क्या है?
उत्तर:
केंचुए के उपयोग से तैयार कम्पोस्ट को वर्मी कम्पोस्ट कहते हैं।

प्रश्न 32.
हरी खाद क्या है?
उत्तर:
खेत में फसल उगाने से पहले पटसन, मूंग, ज्वार, ढेंचा आदि को उगाकर उन्हें खेत की जुताई करके मिट्टी में मिला देनें से हरे पौधे खाद में बदल जाते हैं।

प्रश्न 33.
हरी खाद में कौन-कौन से तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं?
उत्तर:
हरी खाद में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं।

प्रश्न 34.
उर्वरक क्या हैं?
उत्तर:
उर्वरक व्यावसायिक रूप से तैयार पादप पोषक हैं, जिनमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम की अधिकता होती है। जैसे यूरिया, डी.ए.पी. आदि।

प्रश्न 35.
उर्वरक के अधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता कम क्यों हो जाती है?
उत्तर:
उर्वरकों के अधिक उपयोग से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की पुनः पूर्ति नहीं होती है तथा सूक्ष्म जीवों का जीवन चक्र अवरुद्ध हो जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है।

प्रश्न 36.
मिट्टी की उर्वरता बनाये रखने का प्राकृतिक उपाय क्या है?
उत्तर:
मिट्टी की उर्वरता बनाये रखने का प्राकृतिक उपाय फसल चक्र अपनाया जाना है।

प्रश्न 37.
सिंचाई के चार जल स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सिंचाई के चार जल स्रोत हैं- कुएँ, नहरें, नदियाँ, तालाब।

प्रश्न 38.
सिंचाई की मात्रा निर्धारित करने वाले कारकों का नाम लिखो।
उत्तर:
सिंचाई की मात्रा निर्धारित करने वाले कारक हैं- मिट्टी की प्रकृति, फसल विशेष की प्रकृति और वर्षा।

प्रश्न 39.
नदी लिफ्ट पम्प क्या है?
उत्तर:
नदियों के किनारे स्थित खेतों में सिंचाई करने के लिए नदियों से सीधे ही पानी निकालना (पम्पिंग सैट द्वारा) ‘नदी लिफ्ट पम्प’ कहलाता है।

प्रश्न 40.
चैक डैम का क्या उपयोग है?
उत्तर:
चैक डैम वर्षा के पानी को बहने से रोकते हैं और मृदा अपरदन को कम करते हैं।

प्रश्न 41.
मिश्रित फसल के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
मिश्रित फसल के उदाहरण मेहूँ सरसों, गेहूँ + चना, मूंगफली + सूरजमुखी।

प्रश्न 42.
अन्तराफसलीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ एक ही खोत में निर्दिष्ट पैटर्न पर उगाया जाता है तो इसे अन्तराफसलीकरण कहते हैं। इसमें कुछ पंक्तियों में एक प्रकार की फसल तथा उसके एकान्तर दूसरी पंक्तियों में दूसरी फसल उगाई जाती है।

प्रश्न 43.
अन्तराफसलीकरण के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • सोयाबीन + मक्का
  • बाजरा लोबिया।

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प्रश्न 44.
खरपतवार क्या हैं? इनके उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
फसल के पौधों के साथ उगने वाले अवांछित पौधों को खररपतवार कहते हैं, जैसे- गोखरू, गाजर घास, मोथा, जई, चौलाई, बथुआ तथा हिरनखुरी, जंगली मेथी आदि।

प्रश्न 45.
पौधों में रोग किन कारकों से होते हैं?
उत्तर:
पौधों में रोग बैक्टीरिया, वाइरस और कवक द्वारा होते हैं।

प्रश्न 46.
हानिकारक कारक अनाज को क्या हानि पहुँचाते हैं?
उत्तर:
हानिकारक कारक अनाज की गुणवत्ता खराब करते हैं, वजन कम कर देते हैं, अंकुरण करने की क्षमता कम करते हैं और उन्हें बदरंग करते हैं।

प्रश्न 47.
पशुपालन किसे कहते हैं? इसके अन्तर्गत क्या-क्या कार्य किये जाते हैं?
उत्तर:
पशुओं को पालने के प्रबन्धन को पशुपालन कहते हैं। इसके अन्तर्गत पशुओं को भोजन देना, प्रजनन कराना तथा रोगों पर नियन्त्रण करना शामिल हैं।

प्रश्न 48.
दुधारू तथा ड्राफ्ट पशु किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
दूध देने वाली मादाओं को दुधारू पशु तथा बोझा ढोने वाले पशुओं को ड्राफ्ट पशु कहते हैं।

प्रश्न 49.
लम्बे समय तक दुग्ध स्रावणकाल के लिए विदेशी नसलें कौन-सी हैं?
उत्तर:
जर्सी, ब्राउन, स्विस गाय का दुग्ध स्रावण काल लम्बा होता है।

प्रश्न 50.
अधिक रोग प्रतिरोधकता वाली गाय की दो देशी नस्लों के नाम बताओ।
उत्तर:
रेडसिंधी तथा साहीवाल अधिक रोग प्रतिरोधकता वाली नस्ल की गाय हैं।

प्रश्न 51.
पर्णकृमि कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
पर्णकृमि (फ्लूकवर्म) पशुओं के यकृत में पाया जाता है।

प्रश्न 52.
कुक्कुट पालन में किन मुर्गियों का पालन किया जाता है?
उत्तर:
कुक्कुट पालन में अण्डों के लिए लेअर तथा माँस के लिए बौलर का पालन किया जाता है।

प्रश्न 53.
नई किस्मों के लिए किन कुक्कुटों का संकरण कराया जाता है ?
उत्तर:
नई किस्मों के लिए देशी एसिल तथा विदेशी लेगहार्न नस्लों का संकरण कराया जाता है।

प्रश्न 54.
बौलर के आहार में कौन से तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं?
उत्तर:
ब्रॉलर के आहार में प्रोटीन तथा वसा प्रचुर मात्रा में होते हैं।

प्रश्न 55.
मुर्गियों में रोग होने के कारण बताइए।
उत्तर:
मुर्गियों में रोग होने के कारण हैं- जीवाणु, विषाणु, कवक, परजीवी तथा पोषणहीनता।

प्रश्न 56.
प्रोटीन प्राप्ति का अच्छा और सस्ता स्रोत कौन-सा है?
उत्तर:
मछली प्रोटीन प्राप्ति का अच्छा और सस्ता स्रोत है।

प्रश्न 57.
भारत का समुद्री संसाधन क्षेत्र कितना है?
उत्तर:
भारत का समुद्री संसाधन क्षेत्र 7500 किलोमीटर समुद्री तट तथा इसके बाद समुद्र की गहराई तक है।

प्रश्न 58.
सर्वाधिक प्रचलित समुद्री मछलियों के नाम बताइए।
उत्तर:
पॉसफेट, मैकलं, दुना, सारडाइन व कंबेडक सर्वाधिक प्रचलित समुद्री मछलियाँ हैं।

प्रश्न 59.
मछलियों के बड़े समूह का पता कैसे लगाया जाता है?
उत्तर:
मछलियों के बड़े समूह का पता सैटेलाइट तथा प्रतिध्वनि ध्वनित्र से लगाया जाता है।

प्रश्न 60.
समुद्री जल में संवर्द्धित मछलियों के नाम बताओ।
उत्तर:
मुलेट, भेटकी तथा पर्लस्पॉट (पंख युक्त मछलियाँ)।

प्रश्न 61.
मोतियों की प्राप्ति के लिए किसका संवर्धन किया जाता है?
उत्तर:
मोतियों की प्राप्ति के लिए ऑएस्टर का संवर्धन किया जाता है।

प्रश्न 62.
समुद्री संवर्धन (मेरी कल्चर) किसे कहते हैं?
उत्तर:
समुद्री मछलियों का भण्डार (स्टॉक) कम होने की दशा में इन मछलियों की पूर्ति संवर्धन के द्वारा हो सकती है। इस प्रणाली को समुद्री संवर्धन (मेरीकल्चर) कहते हैं।

प्रश्न 63.
एस्चुरी किसे कहते हैं?
उत्तर:
ताजे पानी और समुद्री खारे पानी के मिश्रण को एस्चुरी कहते हैं।

प्रश्न 64.
उस फसल का नाम बताइए जिसके साथ मछली संवर्धन किया जाता है।
उत्तर:
धान की फसल के साथ मछली संवर्धन किया जाता है।

प्रश्न 65.
खारे तथा मीठे पानी की मछलियों की दो किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर:

  • खारे पानी की मछलियाँ हिल्सा, कैट फिश, डॉग फिश, रेड, मुलैट आदि।
  • मीठे पानी की मछलियाँ – कतला, रोहू (लेबियो) मिरिटस, मिल्क फिश।

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प्रश्न 66.
मधुमक्खी क्या बनाती है?
उत्तर:
मधुमक्खी शहद और मोम तैयार करती है।

प्रश्न 67.
व्यावसायिक स्तर पर शहद उत्पादन के लिए किस देशी मधुमक्खी का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
व्यावसायिक स्तर पर शहद उत्पादन के लिए ऐपिस सेरना इण्डिका (सामान्य भारतीय मधुमक्खी), ऐपिस डोरसेटा (एक शैल मधुमक्खी) तथा ऐपिस फ्लोरी (छोटी मधुमक्खी) का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 68.
किसी मधुमक्खी की सहायता से मधु उत्पादन बढ़ाया जा रहा है?
उत्तर:
इटेलियन मधुमक्खी ऐपिस मेलीफेरा की सहायता से मधु उत्पादन बढ़ाया जा रहा है।

प्रश्न 69.
इटेलियन मधुमक्खी की दो विशेषताएँ बताओ।
उत्तर:
इटेलियन मधुमक्खी में-

  • मधु एकत्र करने की क्षमता अधिक होती है
  • यह डंक कम मारती है।

प्रश्न 70.
मधु की गुणवत्ता किस पर निर्भर करती है?
उत्तर:
मधु की गुणवत्ता मधुमक्खियों द्वारा मकरंद एकत्र करने के लिए उपलब्ध फूलों पर निर्भर करती है।

लघूत्तरात्मक एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पौधों के लिए आवश्यक बृहत् और सूक्ष्म तत्व कौन-कौन से हैं? प्रत्येक को उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हरे पौधों की सामान्य वृद्धि के लिए 16 तत्वों की आवश्यकता होती है, जिन्हें वानस्पतिक पोषक तत्व कहते हैं। ये पौधों की आवश्यकता की मात्रा के आधार पर दो प्रकार के होते हैं-

  • बृहत् पोषक तत्व ऐसे पोषक तत्व जिनकी आवश्यकता पौधों को अधिक मात्रा में होती है, वृहत् पोषक तत्व कहलाते हैं। ये पोषक तत्व हैं- नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम ऑक्सीजन और सल्फर।
  • सूक्ष्म पोषक तत्व- वे पोषक तत्व जिनकी आवश्यकता पौधों को सूक्ष्म (अल्प) मात्रा में होती है, सूक्ष्म पोषक तत्व कहलाते हैं। ये पोषक तत्व हैं- आयरन, मैगनीज, बोरॉन, जिंक, कॉपर, मॉलिब्डेनम, क्लोरीन।

प्रश्न 2.
पौधों के लिए पोषक तत्वों के विभिन्न स्त्रोत बताइए।
उत्तर:
पौधों के लिए पोषक तत्व तीन स्रोतों से प्राप्त होते हैं- हवा, पानी तथा मृदा।

स्रोत पोषक
हवा कार्बन, ऑक्सीजन
पानी हाइड्रोजन, ऑक्सीजन
मृदा (i) वृहत् पोषक: नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर
(ii) सूक्ष्म पोषक: आयरन, मैंगनीज, बोरॉन, जिंक, कॉपर, क्लोरीन, मॉलिब्डेनम

प्रश्न 3.
खाद किसे कहते हैं? खाद के प्रयोग करने से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
खाद एक कार्बनिक पदार्थ है जो पौधों और जन्तुओं के अपशिष्ट पदार्थों से प्राप्त होता है। खाद पौधों के लिए पोषक तत्वों का स्रोत है। गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, हरी खाद वर्मीखाद मुख्य प्रकार की खाद हैं।
खाद के प्रयोग से लाभ-

  • मिट्टी में अपघटन के द्वारा कार्बनिक खाद हयूमस में परिवर्तित हो जाती है।
  • खाद से मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ जाती है।
  • पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं।
  • कार्बनिक खादें मृदा की नमी को संरक्षित करने में सहायक होती हैं।
  • खादों के प्रयोग से मृदा प्रदूषण कम होता है।
  • अपशिष्ट पदार्थों का पुनः चक्रीकरण हो जाता है।
  • खाद में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों का भोजन हैं। ये जीव पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध कराने में सहायक होते हैं।
  • खादों के प्रयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।

प्रश्न 4.
उर्वरक क्या हैं? ये खाद से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
उर्वरक (फर्टीलाइजर्स) – ये व्यावसायिक रूप से तैयार रासायनिक खाद हैं, जो मृदा में पौधों को पोषक तत्व – नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम प्रदान करते हैं। इनके उपयोग से पौधों की अच्छी वृद्धि होती है, स्वस्थ पौधों की प्राप्ति होती है और फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।

उर्वरक और खाद में अन्तर:

उर्वरक (फर्टीलाइजस) खाद (मैन्योस)
1. ये कृत्रिम रूप से बनाए गये मुख्यतः अकार्बनिक रासायनिक पदार्थ हैं। 1. ये प्राकृतिक पदार्थों से प्राप्त होने वाले कार्बनिक पदार्थ हैं।
2. ये कम स्थान घेरते हैं। 2. ये अधिक स्थान घेरते हैं।
3. इनमें भंडारण, स्थानातरण तथा उपयोग की विधि आसान है। 3. इनका भंडारण तथा स्थानान्तरण, असुविधाजनक है।
4. उर्वरक नमी का अवशोषण करके शीघ्र खराब हो जाते हैं। 4. ये नमी का अवशोषण करके खराब नहीं होते हैं।
5. ये मृदा के संघटन को स्थिर नहीं रखते हैं। 5. ये मृदा के संघटन को स्थिर रखते हैं।
6. इनके उपयोग से मृदा में पानी रोकने तथा वातन की क्षमता कम होती है। 6. इनमें मृदा में पानी रोकने एवं वातन की क्षमता अधिक होती है।
7. इनमें विशिष्ट पोषक तत्व पाया जाता है। 7. इनमें सभी पोषक तत्व उपस्थित होते हैं।

प्रश्न 5.
भंडारण में अनाज की क्षति किन कारणों से होती है?
उत्तर:
भंडारण में अनाज की क्षति दो प्रमुख कारणों से होती है ये कारक निम्नलिखित हैं-

  • जैविक कारक-इनमें चूहे आदि कृंतक, कीट, दीमक, जन्तु, कवक, पक्षी तथा जीवाणु आदि सम्मिलित हैं।
  • अजैविक कारक-इनमें नमी तथा तापमान सम्मिलित हैं ताप, आर्द्रता, नमी आदि अजैविक घटक फलों एवं सब्जियों को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 6.
कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट तथा हरी खाद पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर:
खाद मिट्टी को पोषक तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता, को बढ़ाती है। खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा मिट्टी की संरचना में सुधार करती है। जबकि उर्वरक का सतत् प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को घटाता है क्योंकि कार्बनिक पदार्थ की पुनः पूर्ति नहीं हो पाती है तथा इससे सूक्ष्म जीवों एवं भूमिगत जीवों का जीवनचक्र अवरुद्ध होता है। उर्वरकों के उपयोग से फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त हो सकता है, किन्तु यह मृदा की उर्वरता को कुछ समय बाद हानि पहुँचाते हैं। जबकि खाद के उपयोग के लाभ दीर्घावधि हैं।

कार्बनिक खेती, खेती करने की वह पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरक, पीड़कनाशी, शाकनाशी आदि का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता। इस पद्धति में अधिकाधिक कार्बनिक खाद, कृषि अंपशिष्ट (पुआल तथा पशुधन) का पुनर्चक्रण, जैविक कारक जैसे-नील-हरित शैवाल का संवर्धन, जैविक उर्वरक बनाने में उपयोग किया जाता है। नीम की पत्तियों तथा हल्दी का विशेष रूप से जैव कीटनाशकों के रूप में खाद्य संग्रहण में प्रयोग किया जाता है। कुशल फसलीकरण पद्धति के लिए मिश्रित खोती, अन्तर फसलीकरण तथा फसल चक्र आवश्यक हैं। ये फसल तन्त्र कीट, पीड़क तथा खरपतवार को नियन्त्रित करते हैं और पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं।

प्रश्न 7.
कार्बनिक खेती किसे कहते हैं?
उत्तर:
फसल उत्पादन प्रबन्धन – भारत में कृषि छोटेछोटे खेतों से लेकर बहुत बड़े फार्मों तक में होती है। इसलिए विभिन्न किसानों के पास भूमि, धन, सूचना तथा तकनीकी उपलब्धता कम या अधिक होती है। संक्षेप में धन अथवा आर्थिक परिस्थितियाँ किसान को विभिन्न कृषि प्रणालियों तथा कृषि तकनीकों को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। योगदान, उच्च निवेश तथा फसल उत्पादन में सह-सम्बन्ध है। इस प्रकार किसान की लागत क्षमता फसलतन्त्र तथा उत्पादन प्रणालियों का निर्धारण करती है। बिना लागत उत्पादन, अल्प लागत उत्पादन तथा अधिक लागत उत्पादन प्रणालियौँ इनमें सम्मिलित हैं।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

प्रश्न 8.
सिंचाई के साधनों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
सिंचाई (Itrigation) – भारत में अधिकांश कृषि वर्षा पर आधारित हैं अथथत् अधिकांश क्षेत्रों में फसल की उपज, समय पर मानसून आने तथा वृद्धि काल में वर्षा होने पर निर्भर करती है। इसलिए कम वर्षा होने पर फसल उत्पादन कम हो जाता है। फसल की वृद्धि काल में उचित समय पर सिंचाई करने से सम्भावित फसल उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। इसलिए अधिकाधिक कृषि भूमि को सिचित करने के लिए अनेक उपाय किये जाते हैं।

भारत में पानी के अनेक सोता हैं और विभिन्न प्रकार की जलवायु है। इन परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार की सिंचाई की विधियाँ पानी के स्रोत की उपलब्यता के आधार पर अपनायी जाती है। इन स्रोतों के कुछ उदाहरण; कुएँ, नहरें, नदियाँ और तालाब हैं।
(1) कुएँ-कुएँ दो प्रकार के होते हैं- खुदे हुए कुएँ और नलकुप। स्रुदे हुए कुएँ द्वारा भूमिगत जल स्तरों में स्थित पानी को एकत्रित किया जाता है। नलकूप में पानी गहरे जलस्तरों से निकाला जाता है। इन कुओं से सिंचाई के लिए पानी को पम्प द्वारा निकाला जाता है।

(2) नहों-यह सिंचाई का बहुत विस्तृत तथा व्यापक तन्त्र है। इनमें पानी एक या अधिक जलाशयों अथवा नदियों से आता है। मुख्य नहर से शाखाएँ निकलती हैं जो विभाजित होकर खेतों में सिंचाई करती हैं।

(3) नदी जल उठाव प्रणाली-जिन क्षेत्रों में जलाशयों से कम पानी मिलने के कारण नहरों का बहाव अनियमित अथवा अपर्याप्त होता है वहाँ जल उठाव प्रणाली अधिक उपयोगी होती है। नदियों के किनारे स्थित ख्रेतों में सिंचाई करने के लिए नदियों से सीधे ही पानी निकाला जाता है।

(4) तालाब-छोटे जलाशय जो छोटे क्षेत्रों में बहते हुए पानी का संग्रह करते हैं, तालाब का रूप ले लेते हैं।

कृषि में पानी की उपलब्धि बढ़ाने के लिए आधुनिक विधियाँ, जैसे-वर्षां के पानी का संग्रहण तथा जल विभाजन का उचित प्रबन्धन द्वारा उपयोग किया जाता है। इसके लिए छोटे बाँध बनाने होते हैं जिससे कि भूमि के नीचे जलस्तर बढ़ जाए। ये छोटे बाँध वर्षा के पानी को बहने से रोकते हैं तथा मृदा अपरदन को भी कम करते हैं।

प्रश्न 9.
फसल चक्र किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ हैं?
उत्तर:
फसल चक्र – एक ही खेत में प्रतिवर्ष अनाज तथा फलीदार पौधों की फसल को अदल-बदल कर एक के बाद एक को उगाने की क्रिया को फसल चक्र कहते हैं।
फसल चक्र के लाभ –

  • मृदा की उर्वरता बनी रहती है।
  • अधिक उपज प्राप्त होती है।
  • खरपतवार नष्ट हो जाते हैं।
  • कीट-पतंगों और रोगों पर नियंत्रण में सहायता मिलती है।

प्रश्न 10.
फसल चक्र के लिए फसलों का चुनाव कैसे किया जाता है?
उत्तर:
फसल चक्र के लिए फसलों का चुनाव-फसल चक्र के लिए फसलों का चुनाव करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  • मृदा में पोषक तत्व गहरी तथा उथली हुई जड़ वाली फसलों को एक के बाद एक करके बौना चाहिए जिससे फसलें मिट्टी की विभिन्न सतहों से पोषक तत्व ग्रहण कर सकें।
  • नमी या जल की उपलब्धता अधिक पानी वाली फसल के बाद कम पानी वाली फसल बोनी चाहिए जिससे मिट्टी में वायु का संचार हो सके।
  • पोषक तत्वों की उपलब्धता अनाज की फसल के बाद दलहनी फसल बोनी चाहिए ताकि दलहनी फसलों की जड़ों में उपस्थित जीवाणु नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके भूमि की उर्वरता को बनाए रखें।

प्रश्न 11.
फसल चक्र का महत्व बताइए।
उत्तर:
फसल चक्र का महत्व –

  • इससे मृदा की उर्वरता में कमी नहीं आती है और वह यथावत बनी रहती है।
  • इससे खेतों में खरपतवार कम पैदा होते हैं।
  • दलहनी फसल उगाने से भूमि में नाइट्रोजन की वृद्धि हो जाती है।
  • फसलें कीटों तथा अन्य व्याधियों से सुरक्षित रहती हैं।
  • इससे मृदा अपरदन कम होता है।

प्रश्न 12.
पादपों में संकरण के लाभ बताइये।
उत्तर:
पादपों में संकरण के लाभ निम्नलिखित हैं-

  • संकरण से प्राप्त पौधे पर्यावरण के प्रति अनुकूलित होते हैं।
  • ये पौधे छोटे होते हैं इसलिए इन पर तेज हवाओं का प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • इन पौधों में वांछित लक्षण पाये जाते हैं।
  • इन पौधों से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जाता है अर्थात् ये अच्छी उपज देते हैं।

प्रश्न 13.
कुक्कुट पालन क्यों किया जाता है? किन गुणों की प्राप्ति के लिए इनकी नई किस्में विकसित की जाती हैं?
उत्तर:
कुक्कुट (मुर्गी पालन) (Poultry farming) अंडे व कुक्कुट माँस के उत्पादन को बढ़ाने के लिए मुर्गी पालन किया जाता है। इसलिए कुक्कुट पालन में उन्नत मुर्गी की नस्लें विकसित की जाती हैं। अंडों के लिए अंडे देने वाली ( लेयर) मुर्गी पालन किया जाता है तथा माँस के लिए ब्रौलर को पाला जाता है।

निम्नलिखित गुणों के लिए नई-नई किस्में विकसित की जाती हैं। नई किस्में बनाने के लिए देशी; जैसे-एसिल तथा विदेशी; जैसे-लेगहॉर्न नस्लों का संकरण कराया जाता है-

  • चूजों की संख्या तथा गुणवत्ता;
  • छोटे कद के ब्रोलर माता-पिता द्वारा चूजों के व्यावसायिक उत्पादन हेतु;
  • गर्मी अनुकूलन क्षमता। उच्च तापमान को सहने की क्षमता;
  • देखभाल में कम खर्च की आवश्यकता;
  • अंडे देने वाले तथा ऐसी क्षमता वाले पक्षी जो कृषि के उपोत्पाद (एग्रीकल्चर बाइप्रोडक्ट्स) से प्राप्त सस्ते रेशेदार आहार का उपभोग कर सकें।

प्रश्न 14.
खौलर क्या है? इसकी आवश्यकताएँ क्या हैं?
उत्तर:
ब्रौलर-मांस प्रदान करने वाले कुक्कुटों को बौलर कहते हैं। इनकी आवास, पोषण तथा पर्यावरणीय आवश्यकताएँ अंडे देने वाली मुर्गियों से कुछ भिन्न होती हैं। इनको इनकी तीव्र वृद्धि एवं अल्पमृत्यु दर के अनुकूल परिस्थितियों में रखना आवश्यक है। इनके आहार में प्रोटीन वसा के साथ विटामिन A व K की मात्रा अधिक रखी जाती है।

प्रश्न 15.
हमारे देश में अलवण जलीय मछलियों के स्त्रोत एवं नस्लों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हमारे देश में तालाब, पोखर, झील, झरने, नदियाँ आदि अलवण मछलियों के स्रोत हैं कतला, रोहू, मृगल, सिल्वर कार्प तथा ग्रास कार्प आदि अलवण जल प्रदायों की खाद्य मछलियाँ हैं। कतला मछली सबसे तीव्र (शीघ्र) वृद्धि करने वाली मछली है।

प्रश्न 16.
मछली संवर्धन की उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
मछली संवर्धन की उपयोगिता-मछली संवर्धन धान की फसल के साथ किया जा सकता है। अधिक मछली संवर्धन मिश्रित मछली संवर्धन तन्त्र से तालाब में किया जाता है। इसमें देशी तथा विदेशी प्रकार की मछलियों का उपयोग किया जाता है ऐसे तन्त्र में अकेले तालाब में 5 या 6 प्रकार की मछलियों की स्पीशीज का उपयोग किया जाता है। इनमें ऐसी मछलियों का चुनाव किया जाता है। जिनमें आहार के लिए प्रतिस्पर्धा न हो तथा उनके आहार की आदत अलग-अलग हो।

इससे तालाब के हर भाग में स्थित उपलब्ध आहार का उपयोग हो जाता है जैसे कटला मछली पानी की सतह से भोजन लेती है, रोहू मछली तालाब के मध्य क्षेत्र से अपना भोजन लेती है। मृगल तथा कॉमन कार्य तालाब की तली से भोजन लेती है। ग्रास कार्प खरपतवार खाती है। इस प्रकार ये मछलियाँ साथ साथ रहते हुए भी स्पर्धा के बिना अपना-अपना आहार लेती हैं। इससे तालाब में मछली उत्पादन में वृद्धि होती है।

प्रश्न 17.
शहद क्या है? इसकी शुद्धता की पहचान कैसे की जा सकती है? शहद के मुख्य गुण व उपयोग बताइये।
उत्तर:
शहद एक गाड़ा, मीठा तरल पदार्थ है जो मधुमक्खियों द्वारा अपने छत्तों में एकत्र किया जाता है। शहद मुख्य संघटक जल, शर्करा, खनिज तथा प्रकिण्व हैं।

शुद्ध शहद की पहचान –

  • काँच के एक गिलास में पानी भरकर उसमें शहद की बूँदें मिलाने पर शुद्ध शहद पानी में एक पतला तार बनाएगा जबकि मिलावटी शहद पानी में घुल जायेगा।
  • सूक्ष्मदर्शी से देखने पर शुद्ध शहद में अनेक परागकण दिखाई देते हैं, अशुद्ध शब्द में नहीं।

शहद के गुण-शहद स्वाद में मीठा और पानी में घुलनशील होता है। शहद को खुला रखने पर वायुमंडल से नमी सोख लेता है तथा इसका किण्वन हो जाता है।

उपयोग – शहद सहज ही पाचक तथा एंटीसेप्टिक होता है इसलिए इसका प्रयोग अनेक प्रकार की औषधियों में किया जाता है।

प्रश्न 18.
मधुमक्खी के छत्ते से शहद किस प्रकार निकाला जाता है?
उत्तर:
मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकालना – छते से शहद दो विधियों द्वारा निकाला जाता है-

  • सीधे ही छत्ते से धूम्र विधि से रात के समय मक्खियों को उड़ा दिया जाता है और छत्ते को तोड़कर निचोड़ कर शहद प्राप्त कर लिया जाता है। किन्तु यह विधि अवैज्ञानिक है।
  • मशीन द्वारा – शहद निकालने की मशीन एक खोखले सिलिन्डर से बनी होती है। इसके केन्द्रीय अक्ष पर धातु की जाली का सिलिन्डर के आकार का कक्ष बना होता है और कक्ष की तली में जाली लगी होती है। एक हैन्डिल की सहायता से इस कक्ष को केन्द्रीय अक्ष के चारों ओर घुमाया जाता है।

शहद निकालने के लिए मधुकोषों सहित लकड़ी के फ्रेमों को मशीन में बने जालीदार कक्ष को घुमाया जाता है। जिससे शहद मधुकोषों से निकलकर मशीन के तल में एकत्रित हो जाता है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

Jharkhand Board Class 9 Science खाद्य संसाधनों में सुधार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
फसल उत्पादन की एक विधि का वर्णन करो जिससे अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।
उत्तर:
फसल उत्पादन में सुधार की प्रक्रिया में प्रयुक्त विधियों को निम्नलिखित प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है-

  • फसल की किस्मों में सुधार
  • फसल उत्पादन प्रबन्धन
  • फसल सुरक्षा प्रबन्धन।

(1) फसल की किस्मों में सुधार-(इसके लिए कृपया खंड 15.1 .1 का अध्ययन कीजिए)।
15.1.1 फसल की किस्मों में सुधार-फसलों का उत्पादन अच्छा हो, यह प्रयास फसलों की किस्मों के चयन पर निर्भर करता है। फसल की किस्मों के लिए विभिन्न उपयोगी गुणों (जैसे – रोग प्रतिरोधक क्षमता, उर्वरक के प्रति अनुरूपता, उत्पादन की गुणवत्ता तथा उच्च उत्पादन) का चयन प्रजनन द्वारा कर सकते हैं।

फसल की किस्मों में ऐच्छिक गुणों को संकरण द्वारा डाला जा सकता है। संकरण विधि में विभिन्न आनुवंशिक गुणों वाले पौधों में संकरण करवाते हैं। यह संकरण अन्तराकिस्मीय (विभिन्न किस्मों में), अन्तरास्पीशीज (एक ही जीन्स की दो विभिन्न स्पीशीजों में) अथवा अन्तराकंशीय (विभिन्न जेनेरा में) हो सकता है। फसल सुधार की दूसरी विधि है, ऐच्छिक गुणों वाले जीन का ड्डालना। इसके परिणामस्वरूप आनुवंशिकीय रूपान्तरित फसल प्राप्त होती हैं।

नसल प्रभेदों के लिए यह आवश्यक है कि फसल की किस्म विभिन्न परिस्थितियों में जो विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होती हैं, अच्छा उत्पादन दे सकें। किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले विशेष बीज उपलब्ध होने चाहिए जो अनुकूल परिस्थितियों में अंकुरित हो सकें।

कृषि प्रणालियाँ तथा फसल उत्पादन मौसम, मिट्टी की गुणवत्ता तथा पानी की उपलब्धता पर निर्भर करते हैं। चूंक मौसम परिस्थितियों, जैसे-सूखा तथा बाढ़ का पूर्वानुमान कठिन होता है, इसलिए ऐसी किस्में अधिक उपयोगी हैं जो विविध जलवायु परिस्थितियों में भी उग सकें। इसी प्रकार ऐसी किस्में बनाई गई हैं जो उच्च लवणीय मिट्टी में उग सकें। किस्मों में सुधार के लिए कुछ कारक निम्नलिखित हैं-
1. उच्च उत्पादन-प्रति एकड़ फसल की उत्पादंकता बढ़ाना।

2. उन्तत किसमें-फसल उत्पाद की गुणवत्ता, प्रत्येक फसल में भिन्न-भिन्न होती है। दाल में प्रोटीन की गुणवत्ता तिलहन में तेल की गुणवत्ता और फल तथा सब्जियों का संरक्षण महत्वपूर्ण है।

3. जैविक तथा अजैविक प्रतिरोधकता-जैविक (रोग, कीट तथा निमेटोड) तथा अजैविक (ससखा, भारता, जलाक्रांति, गमीं, ठंड तथा पाला) परिस्थितियों के कारण फसल उत्पादन कम हो सकता है। इन परिस्थितियों को सहन कर सकने वाली किस्में फसल उत्पादन में सुधार कर सकती हैं।

4. परिपक्वन काल में परिवर्तन-फसल को उगाने से लेकर कटाई तक कम से कम समय लगना आर्थिक दृष्टि से अच्छ है। इससे किसान प्रतिवर्ष अपने खेतों में कई फसलें उगा सकते हैं। कम समय होने के कारण फसल उत्पादन में धन भी कम खर्च होता है। समान परिपक्वन कटाई की प्रक्रिया को सरल बनाता है और कटाई के समय होने वाली फसल की हानि कम हो जाती है।

5. व्यापक अनुकूलता-व्यापक अनुकूलता वाली किस्मों का विकास करना विभिन्न पर्यांवरणीय परिस्थितियों में फसल उत्पादन को स्थायी करने में सहायक होगा। एक ही किस्म को विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न जलवायु में आाया जा सकता है।

6. ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण-चारे वाली फसलों के लिए लम्बी तथा सघन शाखाएँ ऐच्छिक गुण हैं। अनाज के लिए बौने पौधें उपयुक्त हैं ताकि इन फसलों को उगाने के लिए कम पोषकों की आवश्यकता हो। इस प्रकार सस्य विज्ञान वाली किसेें अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सहायक होती है।

प्रश्न 2.
खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग क्यों करते हैं?
उत्तर:
खाद मिट्टी को पोषक तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता, को बढ़ाती है। खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा मिट्टी की संरचना में सुधार करती है। जबकि उर्वरक का सतत् प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को घटाता है क्योंकि कार्बनिक पदार्थ की पुनः पूर्ति नहीं हो पाती है तथा इससे सूक्ष्म जीवों एवं भूमिगत जीवों का जीवनचक्र अवरुद्ध होता है। उर्वरकों के उपयोग से फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त हो सकता है, किन्तु यह मृदा की उर्वरता को कुछ समय बाद हानि पहुँचाते हैं। जबकि खाद के उपयोग के लाभ दीर्घावधि हैं।

कार्बनिक खेती, खेती करने की वह पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरक, पीड़कनाशी, शाकनाशी आदि का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता। इस पद्धति में अधिकाधिक कार्बनिक खाद, कृषि अंपशिष्ट (पुआल तथा पशुधन) का पुनर्चक्रण, जैविक कारक जैसे-नील-हरित शैवाल का संवर्धन, जैविक उर्वरक बनाने में उपयोग किया जाता है।

नीम की पत्तियों तथा हल्दी का विशेष रूप से जैव कीटनाशकों के रूप में खाद्य संग्रहण में प्रयोग किया जाता है। कुशल फसलीकरण पद्धति के लिए मिश्रत खोती, अन्तर फसलीकरण तथा फसल चक्र आवश्यक हैं। ये फसल तन्त्र कीट, पीड़क तथा खरपतवार को नियन्त्रित करते हैं और पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं।

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प्रश्न 3.
अन्तराफसलीकरण तथा फसल चक्र से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
अन्तराफसलीकरण विधि द्वारा पीड़क व रोगों को एक प्रकार की फसल के सभी पौधों में फैलने से रोका जा सकता है। इस प्रकार दोनों फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता हैं।
फसल चक्र को उचित ढंग से अपनाने पर एक वर्ष में दो या तीन फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
आनुवंशिक फेरबदल क्या है? कृषि प्रणालियों में ये कैसे उपयोगी है?
उत्तर:
आनुवंशिक फेरबदल पौधों में ऐच्छिक गुणों को डालने की प्रक्रिया है। संकरण विधि द्वारा रोग की प्रतिरोधकता, उर्वरक के प्रति अनुकूलता, उत्पादन की गुणवत्ता तथा उच्च उत्पादन क्षमता के गुणों की प्राप्ति की जा सकती है तथा फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। यह संकरण अन्तराकिस्मीय (विभिन्न किस्मों में), अन्तरास्पीशीज (एक ही जीन्स की दो विभिन्न स्पीशीजों में) अथवा अन्तरावंशीय (विभिन्न जेनरा में) हो सकता है। इसके फलस्वरूप रूपान्तरित फसलें प्राप्त हो सकती हैं। कृषि प्रणालियों में इस विधि ने बीजों की नई-नई किस्में तथा जातियाँ प्रदान की हैं जिससे अनाज उत्पादन बढ़ा है तथा किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

प्रश्न 5.
भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है?
उत्तर:
भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि के जैविक कारक कीट, कृंतक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु हैं तथा इस हानि के अजैविक कारक भंडारण के स्थान पर उपयुक्त नमी एवं ताप का अभाव है ये कारक उत्पाद की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं, वजन कम कर देते हैं तथा अंकुरण करने की क्षमता कम कर देते हैं, उत्पाद को बदरंग कर देते हैं जिससे बाजार में उत्पाद की कीमत कम हो जाती है।

प्रश्न 6.
किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ कैसे लाभदायक हैं?
उत्तर:
किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ बहुत लाभदायक हैं। इनसे उन्हें खेती के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी होता है। खाद्य पदार्थों की प्राप्ति- गाय, भैंस आदि पशुओं से दूध मिलता है। दूध मनुष्य का पूर्ण भोजन है तथा इसमें शरीर की समुचित वृद्धि के लिए सभी आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं। दूध से दही, घी, मक्खन, पनीर आदि भोज्य पदार्थ बनाये जाते हैं, कृषि कार्य में सहायक बैल, भैंसे आदि पशु किसान की खेती का काम करते हैं तथा सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ढोते हैं।

खाद की प्राप्ति – सभी पालतू पशु जैसे- गाय, भैंस, बकरी, ऊँट, घोड़ा आदि के अपशिष्ट, बचा हुआ चारा तथा मलमूत्र (गोबर) आदि से हमें कृषि कार्य के लिए उपयोगी जैविक खाद प्राप्त होती है।

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प्रश्न 7.
पशु पालन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
पशुओं से हमें दूध प्राप्त होता है जो हमारे भोजन का पौष्टिक आहार है। कृषि कार्य जैसे हल चलाना, सिंचाई करना तथा बोझ ढोने के लिए हम पशुओं का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 8.
उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर:
उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन में उचित देख-रेख तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रति अनुकूलता की आवश्यकता है। इन तीनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए संकरण विधि का प्रयोग किया जाता है जिससे हमें उत्तम स्पीशीज प्राप्त होती हैं। इनसे हमें अधिक मात्रा में अंडे, मास (गोश्त ) तथा शहद प्राप्त होता

प्रश्न 9.
प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
ताजा जल के स्रोत नाले, तालाब, पोखर, नदियों में मछली पालन को प्रग्रहण मत्स्यन कहते हैं समुद्री मछलियों की पूर्ति हेतु समुद्री संवर्धन को मेरीकल्चर कहते हैं। कुछ आर्थिक महत्व वाली मछलियों का समुद्र में संवर्धन किया जाता है, जिसे जल संवर्धन कहते हैं।

Jharkhand Board Class 9 Science खाद्य संसाधनों में सुधार InText Questions and Answers

खंड 15.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 229)

प्रश्न 1.
अनाज, दाल, फल तथा सब्जियों से हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
अनाजों से हमें कार्बोहाइड्रेट, दालों से प्रोटीन तथा फलों एवं सब्जियों से विटामिन व खनिज लवण, कुछ मात्रा में प्रोटीन, वसा तथा कार्बोहाइड्रेट भी प्राप्त होते हैं।

विभिन्न फसलों के लिए विभिन्न जलवायु सम्बन्धी परिस्थितियों, तापमान तथा दीप्तिकाल (photoperiods) की आवश्यकता होती है जिससे कि उनकी समुचित वृद्धि हो सके और वे जीवनचक्र पूरा कर सकें। दीप्तिकाल सूर्य प्रकाश के समय से सम्बन्धित होता है। पौधों में पुष्पन तथा वृद्धि सूर्य के प्रकाश पर निर्भर करती है। हम यह जानते हैं। कि पौधे सूर्य के प्रकाश में प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन बनाते हैं कुछ ऐसी फसलें जिन्हें हम वर्षा ऋतु मैं उगाते हैं, खरीफ फसल कहलाती हैं जो जून से आरम्भ होकर अक्टूबर मास तक होती हैं। कुछ फसलें शीत ऋतु में उगायी जाती हैं जो नवम्बर से अप्रैल मास तक होती हैं। इन फसलों को रबी फसल कहते हैं धान, सोयाबीन, अरहर, मक्का, मूंग तथा उड़द खरीफ फसलें हैं। गेहूँ, जौ, चना, मटर, सरसों तथा अलसी रबी फसलें हैं।

भारत में सन् 1952 से सन् 2010 तक कृषि भूमि में 25% की वृद्धि हुई है, जबकि अनाज की पैदावार में चार गुनी वृद्धि हुई है। पैदावार में इस वृद्धि होने को तीन चरणों में बाँट सकते हैं – सबसे पहले बीज का चुनना, दूसरा फसल की उचित देखभाल तथा तीसरा, खेतों में उगी फसल की सुरक्षा तथा कटी हुई फसल को हानि से बचाना। इस प्रकार फसल उत्पादन में सुधार की प्रक्रिया में प्रयुक्त गतिविधियों को निम्न तीन प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है-

  • फसल की किस्मों में सुधार।
  • फसल उत्पादन प्रबन्धन।
  • फसल सुरक्षा प्रबन्धन।

खंड 15.1.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पु. सं. 230)

प्रश्न 1.
जैविक और अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
जैविक तथा अजैविक प्रतिरोधकता-जैविक (रोग, कीट तथा निमेटोड) तथा अजैविक (सूखा, क्षारता, जलाक्रांति, गर्मी, ठंड तथा पाला) परिस्थितियों के कारण फसल उत्पादन कम हो सकता है। इन परिस्थितियों को सहन कर सकने वाली किस्में फसल उत्पादन में सुधार कर सकती हैं।

प्रश्न 2.
फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण क्या हैं?
उत्तर:
ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण-चारे वाली फसलों के लिए लम्बी तथा सघन शाखाएँ ऐच्छिक गुण हैं। अनाज के लिए बौने पौधें उपयुक्त हैं ताकि इन फसलों को उगाने के लिए कम पोषकों की आवश्यकता हो। इस प्रकार सस्य विज्ञान वाली किस्में अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सहायक होती हैं।

खंड 15.1.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 231)

प्रश्न 1.
वृहत् पोषक क्या हैं और इन्हें वृहत् पोषक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
पौधों के लिए 16 पोषक पदार्थों की आवश्यकता होती है। हवा से कार्बन व ऑक्सीजन तथा पानी से हाइड्रोजन व ऑक्सीजन एवं शेष 13 पोषक पदार्थ मिट्टी से प्राप्त होते हैं। इन 13 में से 6 पोषकों की अधिक मात्रा चाहिए इसलिए इन्हें वृहत् पोषक कहते हैं।

प्रश्न 2.
पौधे अपना पोषक कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
पौधे अपना पोषक पदार्थ हवा, पानी तथा मिट्टी प्राप्त करते हैं।
खाद खाद में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा अधिक होती है तथा यह मिट्टी को अल्पमात्रा में पोषक प्रदान करते हैं। खाद को जन्तुओं के अपशिष्ट तथा पौधों के कचरे के अपघटन से तैयार किया जाता है। खाद मिट्टी को पोषकों तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है।

खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा मिट्टी की संरचना में सुधार करती है। इसके कारण रेतीली मिट्टी में पानी को रखने की क्षमता बढ़ जाती है। चिकनी मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा पानी को निकालने में सहायता करती है जिससे पानी एकत्रित नहीं होता है।

खाद के बनाने जैविक कचरे का उपयोग किया जाता है। इससे उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग की आवश्यकता नहीं होती तथा इस प्रकार पर्यावरण संरक्षण में सहयोग मिलता है। खाद बनाने की प्रक्रिया में विभिन्न जैव पदार्थों के उपयोग के आधार पर खाद को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है-
(i) कंपोस्ट तथा वर्मी कंपोस्ट-कंपोस्टीकरण प्रक्रिया में कृषि अपशिष्ट पदार्थ जैसे- पशुओं का गोबर (भलमूत्र आदि), सब्जी के छिलके एवं कचरा, सीवेज कचरे, घरेलू कचरे, जानवरों द्वारा छोड़े गये चारे फेंके हुए खर-पतवार आदि को गड्ढों में विगलित करते हैं। कंपोस्ट में कार्बनिक पदार्थ तथा पोषक बहुत अधिक मात्रा में होते हैं। जब कंपोस्ट को केंचुओं द्वारा पौधों तथा जानवरों के अपशिष्ट पदार्थों के शीघ्र निरस्तीकरण की प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है। तब इसे वर्मी कंपोस्ट कहते हैं।

(ii) हरी खाद – फसल उगाने से पहले खेतों में कुछ पौधे जैसे- पटसन, मूंग, चा अथवा ग्वार आदि उगा देते है और उसके बाद उन पर हल चला कर खेत की मिट्टी में मिला दिया जाता है। ये पौधे हरी खाद में परिवर्तित हो जाते हैं जो मिट्टी को नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस से परिपूर्ण करने में सहायक होते हैं।

उर्वरक उर्वरक व्यावसायिक रूप से तैयार पादप पोषक हैं। ये नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम प्रदान करते हैं। इनके उपयोग से अच्छी कायिक वृद्धि होती है और स्वस्थ पौधों की प्राप्ति होती है। अधिक उत्पादन के लिए उर्वरक का भी उपयोग होता है, किन्तु ये आर्थिक दृष्टि से मँहगे पड़ते हैं।

उर्वरक का उपयोग बड़े ध्यान से करना चाहिए और उसके सदुपयोग के लिए इसकी खुराक की उचित मात्रा, उचित समय तथा उर्वरक देने से पहले तथा उसके बाद की सावधानियों को अपनाना चाहिए। उदाहरण के लिए, कभी-कभी उर्वरक अधिक सिंचाई के कारण पानी में बह जाते हैं और पौधे उसका अवशोषण नहीं कर पाते हैं। उर्वरक की अधिक मात्रा जल प्रदूषण का कारण होती है।

उर्वरक का सतत् प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को घटाता है। क्योंकि कार्बनिक पदार्थ की पुनः पूर्ति नहीं हो पाती तथा इससे सूक्ष्मजीवों एवं भूमिगत जीवों का जीवन चक्र अवरुद्ध होता हैं। उर्वरकों के उपयोग द्वारा फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त हो सकता है परन्तु यह मृदा की उर्वरता को कुछ समय बाद हानि पहुँचाते हैं। जबकि खाद के उपयोग के लाभ दीर्घावधि हैं।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

खंड 15.1.2 (i) से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 232)

प्रश्न 1.
मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए खाद तथा उर्वरक के उपयोग की तुलना कीजिए।
उत्तर:
खाद मिट्टी को पोषक तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है। खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा मिट्टी की संरचना में सुधार करती है। जबकि उर्वरक का सतत् प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को घटाता है क्योंकि कार्बनिक पदार्थ की पुन: पूर्ति नहीं हो पाती है तथा इससे सूक्ष्म जीवों एवं भूमिगत जीवों का जीवनचक्र अवरुद्ध होता है। उर्वरकों के उपयोग से फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त हो सकता है, किन्तु यह मृदा की उर्वरता को कुछ समय बाद हानि पहुँचाते हैं। जबकि खाद के उपयोग के लाभ दीर्घावधि हैं।

कार्बनिक खेती, खेती करने की वह पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरक, पीड़कनाशी, शाकनाशी आदि का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता। इस पद्धति में अधिकाधिक कार्बनिक खाद, कृषि अपशिष्ट (पुआल तथा पशुधन) का पुनर्चक्रण, जैविक कारक जैसे-नील हरित शैवाल का संवर्धन, जैविक उर्वरक बनाने में उपयोग किया जाता है। नीम की पत्तियों तथा हल्दी का विशेष रूप से जैव कीटनाशकों के रूप में खाद्य संग्रहण में प्रयोग किया जाता है। कुशल फसलीकरण पद्धति के लिए मिश्रित खेती, अन्तर फसलीकरण तथा फसल चक्र आवश्यक हैं। ये फसल तन्त्र कीट, पीड़क तथा खरपतवार को नियन्त्रित करते हैं और पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं।

खंड 15.1.2 तथा 15.1.3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 235)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सी परिस्थितियों में सबसे अधिक लाभ होगा? क्यों?
(a) किसान उच्च कोटि के बीज का उपयोग करें, सिंचाई न करें अथवा उर्वरक का उपयोग न करें।
(b) किसान सामान्य बीजों का उपयोग करें, सिंचाई करें तथा उर्वरक का उपयोग करें।
(c) किसान अच्छी किस्म के बीज का उपयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ।
उत्तर:
(c) किसान अच्छी किस्म के बीज का उपयोग करें सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ तो अधिक लाभ होगा। क्योंकि इस परिस्थिति में मुदा में पोषक तत्वों की अधिक मात्रा होगी। पौध को समय पर सिंचाई से पानी मिलेगा। अच्छी किस्म के बीजों का उपयोग करने पर उत्पादन में वद्धि होगी तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाने से फसल की सुरक्षा होगी तथा उत्पादन में वृद्धि होगी।

क्रियाकलाप 15.1 (पा.पु. पू. सं. 235)
जुलाई अथवा अगस्त के महीने में खरपतवार से ग्रसित किसी खेत का अवलोकन करो। खेत में स्थित खरपतवार तथा कीट पीड़कों की एक सूची बनाओ।

नोट – इस क्रियाकलाप को जुलाई-अगस्त में अपने अध्यापक या माता-पिता या किसी अन्य के सहयोग से एवं मार्गदर्शन में खेतों में उपस्थित खरपतवारों तथा कीट पीड़कों की एक सूची बनाते हैं। कुछ खरपतवारों के नाम इस प्रकार हैं – गोखरू (जैथियम), गाजर घास (पारथेनियम), मोथा (साइरेनस रोटेंडस), बथुआ ( चीनोपोडियम) आदि। कुछ कीट पीड़कों के नाम इस प्रकार हैं- एफिड, पायरिला, शलभ, टिड्डी, दीमक, डिसडर्कस, बारगेटा, माहूँ, धान का गंधी कीट आदि।

अनाज का भंडारा कृषि उत्पाद के भंडारण में बहुत हानि हो सकती है। इस हानि के जैविक कारक कीट, कृतंक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु हैं तथा इस हानि के अजैविक कारक भंडारण के स्थान पर उपयुक्त नमी व ताप का अभाव है। ये कारक उत्पाद की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं, वजन कम कर देते हैं तथा अंकुरण करने की क्षमता को कम कर देते हैं। उत्पाद को बदरंग कर देते हैं। ये सब
लक्षण बाजार में उत्पाद की कीमत को कम कर देते हैं। इन कारकों पर नियन्त्रण पाने के लिए उचित उपचार और भंडारण का प्रबन्ध होना चाहिए।

निरोधक तथा नियन्त्रण विधियों का उपयोग भंडारण करने से पहले किया जाता है। इन विधियों में भंडारण से पहले उत्पाद की नियन्त्रित सफाई और अच्छी तरह सुखाना ( पहले सूर्य के प्रकाश में फिर छाया में) तथा धूमक (fumi- gation) का उपयोग, जिससे कि पीड़क मर जाये, सम्मिलित हैं।

खंड 15.1.3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पू. सं. 235)

प्रश्न 1.
फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ तथा जैव नियन्त्रण क्यों अच्छा समझा जाता है?
उत्तर:
फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ अपनाना इसलिए अच्छा समझा जाता है, क्योंकि ये विधियों अपनाना सरल है और इन विधियों से तथा जैव नियन्त्र पीड़क मर जाते हैं।

प्रश्न 2.
भंडारण की प्रक्रिया में कौन-कौन से कारक अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
भंडारण की प्रक्रिया में अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी कारक हैं- जैविक कारक कीट, कवक, चिंचड़ा तथा जीवाणु एवं अजैविक कारक भंडारण के स्थान पर उपयुक्त नमी व ताप का अभाव होना।

क्रियाकलाप 15.2. (पा.पु. पू. सं. 235)
अनाज, दाल तथा तिलहन के बीजों को एकत्रित करो तथा उनके उगाने तथा कटाई की ऋतुएँ बताओ।
नोट- धान, सोयाबीन, अरहर, मक्का, उड़द तथा मूँग आदि खरीफ की फसलें हैं। इनको वर्षा ऋतु में उगाया जाता है जो जून से प्रारम्भ होकर अक्टूबर तक होती हैं।
गेहूँ, चना, मटर, सरसों तथा अलसी आदि रबी की फसलें हैं। इनको शीत ऋतु में उगाया जाता है जो नवम्बर से अप्रैल तक होती हैं।

खंड 15.2.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 236)

प्रश्न 1.
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्राय: कौन-सी विधि का उपयोग किया जाता है और क्यों?
उत्तर:
पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः संकरण विधि का उपयोग किया जाता है। इस विधि में देशी और विदेशी नस्लों के बीच संकरण कराया जाता है क्योंकि इन दोनों नस्लों के संकरण से एक ऐसी सन्तति प्राप्त होती है जिसमें दोनों के ऐच्छिक गुण (रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं लम्बा दुग्ध स्रावण काल) होते हैं।

क्रियाकलाप 15.3. (पा.पु. पू. सं. 236)
पशुधन फार्म पर जाएँ और निम्नलिखित की ओर ध्यान दें-

  • पशुओं की संख्या तथा विभिन्न प्रकार की नस्लों की संख्या
  • विभिन्न नस्लों से प्रतिदिन प्राप्त दूध।

नोट- इस क्रियाकलाप को अपने अध्यापक या अभिभावकों की सहायता से छात्र स्वयं करें अपने समीप वर्ती किसी पशुधन फार्म हाउस पर जाएँ और वहाँ पर विभिन्न प्रकार की नस्लों के पशुओं की सूची बनाएँ तथा उनसे प्रतिदिन प्राप्त दूध की मात्रा भी लिखें।

उत्पादन की मात्रा-मानवीय व्यवहार आधारित पशुपालन में पशुओं के स्वास्थ्य तथा स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए गाय तथा भैंस के शरीर की उचित सफाई तथा आवास की आवश्यकता होती है। पशु के शरीर पर झड़े हुए बाल तथा धूल को हटाने के लिए नियमित रूप से पशु की सफाई करनी चाहिए। उनका आवास छायादार तथा रोशनदान युक्त होना चाहिए। ऐसे आवास उन्हें वर्षा, गर्मी तथा सर्दी से बचाते हैं। आवास का फर्श बलवां होना चाहिए जिससे वह साफ और सूखा रहे।

दूध देने वाले पशु (डेयरी पशु) के आहार की आवश्यकता दो प्रकार की होती है-

  • एक प्रकार का आहार जो उसके स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखे।
  • दूसरा वह जो दुग्ध उत्पादन को बढ़ाये। इसकी आवश्यकता दुग्ध स्रावण काल में होती है।

पशु आहार के अन्तर्गत आते हैं-
(i) मोटा चारा ( रुक्षांश) – जो प्रायः मुख्यतः रेशे होते हैं।

(ii) सान्द्र चारा – जिसमें रेशे कम होते हैं और प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्व अधिक होते हैं। पशु को सन्तुलित आहार की आवश्यकता होती है जिसमें उचित मात्रा में सभी पोषक तत्व हों। ऐसे पोषक तत्वों के अतिरिक्त कुछ सूक्ष्म पोषक तत्व भी मिलाए जाते हैं जो दुधारू पशुओं को स्वस्थ रखते हैं तथा दूध उत्पादन को बढ़ाते

पशु अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित हो सकते हैं जिसके कारण उनकी दूध उत्पादन की क्षमता में कमी अथवा उनकी मृत्यु हो सकती है। एक स्वस्थ पशु नियमित रूप से खाता है ढंग से बैठता व उठता है। पशु के बाह्य परजीवी तथा अन्तः परजीवी दोनों ही होते हैं। बाह्य परजीवी जैसे किलनी, जूँ त्वचा पर रहते हैं जिनसे पशु को त्वचा रोग हो सकते हैं। अन्तः परजीवी जैसे कीड़े आमाशय तथा आँत को तथा पर्णकृमि ठीक रोग (फ्लूक) यकृत को प्रभावित करते हैं संक्रामक बैक्टीरिया तथा वाइरस के कारण होते हैं। अनेक विषाणु (वाइरस) तथा जीवाणु (बैक्टीरिया) जनित रोगों से पशुओं को बचाने के लिए टीका (वैक्सीन) लगाया जाता है।

खंड 15.2.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 237)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथन की विवेचना कीजिए- “यह रुचिकर है कि भारत में कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पोषकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तन करने के लिए सबसे अधिक सक्षम है। अल्प रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।”
उत्तर:
पशु को सन्तुलित आहार की आवश्यकता होती है जिसमें उचित मात्रा में सभी पोषक तत्व उपस्थित हों। ऐसे पोषक तत्वों के अतिरिक्त कुछ सूक्ष्म पोषक तत्व भी मिलाए जाते हैं जो दुधारू पशुओं को स्वस्थ रखते हैं तथा दूध उत्पादन को बढ़ाते हैं। पशु आहार के अन्तर्गत मोटा चारा ( रूक्षांश) जो प्राय: रेशे होते हैं तथा सांद्र चारा जिसमें रेशे कम और प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्व अधिक होते हैं।

कुक्कुट तथा बौलर आहार से हमें प्रोटीन, वसा तथा विटामिन प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। इसलिए भारत के कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पोषकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तन करने में सबसे अधिक सक्षम है अल्प रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए इसलिए उपयुक्त नहीं होते क्योंकि उनमें पौष्टिकता बहुत ही कम मात्रा में होती है।

अंडों तथा बौलर का उत्पादन बौलर चूजों को अच्छी वृद्धि दर और अच्छी आहार दक्षता के लिए विटामिन से भरपूर आहार मिलते हैं उनकी मृत्युदर कम रखने और उनके पंख और मांस की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सावधानी बरती जाती है। उन्हें ब्रॉलर के रूप में उत्पादित किया जाता है तथा मांस के प्रयोजन के लिए विपणन किया जाता है।

मुर्गीपालन में अच्छा उत्पाद प्राप्त करने के लिए अच्छी प्रबन्धन प्रणालियाँ बहुत आवश्यक हैं। इसके अन्तर्गत इनके आवास में उचित ताप तथा स्वच्छता का निर्धारण करके कुक्कुट आहार की गुणवत्ता को बनाए रखा जाता है। इनके साथ-साथ रोगों तथा पीड़कों पर नियंत्रण तथा उनके बचाव करना भी सम्मिलित है।

बौलर की आवास, पोषण तथा पर्यावरणीय आवश्यकताएँ अंडे देने वाले कुक्कुटों (मुर्गियों) से कुछ भिन्न होती हैं ब्रौलर के आहार में प्रोटीन तथा वसा प्रचुर मात्रा में होता है। कुक्कुट आहार में विटामिन A तथा विटामिन K की मात्रा भी अधिक रखी जाती है।

विषाणु, जीवाणु, कवक, परजीवी तथा पोषणहीनता के कारण मुर्गियों में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। अतः सफाई तथा स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए नियमित रूप से रोगाणुनाशी पदार्थों का छिड़काव आवश्यक है। मुर्गियों को संक्रामक रोगों से बचाने के लिए टीका लगवाना चाहिए जिससे ये महामारी से ग्रसित न हों। इन सावधानियों के बरतने से रोगों के फैलने की दशा में कुक्कुट को न्यूनतम हानि होती है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार

खंड 15.2.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 238)

प्रश्न 1.
पशुपालन तथा कुक्कुट पालन के प्रबन्धन प्रणाली में क्या समानता है?
उत्तर:
पशुपालन तथा कुक्कुट पालन में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए अच्छी प्रबन्धन प्रणालियाँ बहुत आवश्यक हैं। इनके अन्तर्गत इनके आवास में उचित ताप तथा स्वच्छता का निर्धारण करके पशु एवं कुक्कुट आहार की गुणवत्ता को बनाए रखा जाता है। इसके साथ ही रोगों तथा पीड़कों पर नियन्त्रण तथा उनसे बचाव करना भी सम्मिलित है। दोनों की प्रबन्धन प्रणाली में यही समानता है।

प्रश्न 2.
बौलर तथा अंडे देने वाली लेयर में क्या अन्तर है? इनके प्रबन्धन के अन्तर को भी स्पष्ट करें।
उत्तर:
बौलर की आवास, पोषण तथा पर्यावरणीय आवश्यकताएँ अंडे देने वाली मुर्गियों से भिन्न होती हैं बौलर के आहार में प्रोटीन और वसा प्रचुर मात्रा में होता है। कुक्कुट आहार में विटामिन A तथा K की मात्रा भी अधिक रखी जाती है। बौलर को माँस के लिए पाला जाता है, जबकि अंडे देने वाली मुर्गियों को लेयर्स कहा जाता है। बौलर की तीव्र वृद्धि तथा अल्पमृत्यु दर की अनुकूल परिस्थितियों में रखना आवश्यक है।

क्रियाकलाप 15.4. (पा.पु. पू. सं. 238)
विद्यार्थी स्वयं कुक्कुट पालन केन्द्र में जाएँ। वहाँ विभिन्न प्रकार की नस्लों का अवलोकन करें। उनको दिये जाने वाले आहार, उनके आवास तथा प्रकाश सुविधाओं को नोट करें। अंडे देने वाली लेयर तथा बौलर को पहचानें।
नोट- किसी कुक्कुट पालन केन्द्र में जाकर वहाँ किसी सहायक की सहायता से उनकी नस्लों का अवलोकन करें और उनको दिये जाने वाले आहार, आवास तथा प्रकाश की सुविधाओं को ध्यान से देखकर नोट कर लेते हैं। अंडे देने वाली लेयर तथा बौलर की पहचान कर उन्हें भी नोट कर लेते हैं।

खंड 15.2.3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 239)

प्रश्न 1.
मछलियाँ कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
(i) समुद्री मत्स्यकी (Marine fisheries) भारत का समुद्री मछली संसाधन क्षेत्र 7500 किलोमीटर समुद्री तट तथा इसके अतिरिक्त समुद्र की गहराई तक है। सर्वाधिक प्रचलित समुद्री मछलियाँ पॉमफ्रेट, मैकर्ल, टुना, सारडाइन तथा बांबेडक हैं। समुद्री मछली पकड़ने के लिए विभिन्न प्रकार के जालों का उपयोग मछली पकड़ने वाली नावों में किया जाता है। सैटेलाइट तथा प्रतिध्वनि ध्वनित्र से खुले समुद्र में मछलियों के बड़े समूह का पता लगाया जा सकता है। तथा इन सूचनाओं का उपयोग कर मछली का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

कुछ आर्थिक महत्व वाली समुद्री मछलियों का समुद्री जल में संवर्धन भी किया जाता है। इनमें प्रमुख हैं-मुलेट, भेटकी तथा पर्लस्पॉट (पंखयुक्त मछलियाँ), कवचीय मछलियाँ जैसे-झींगा (प्रॉन), मस्सल तथा ऑएस्टर एवं साथ ही खरपतवार। ऑएस्टर का संवर्धन मोतियों को प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है।

भविष्य में समुद्री मछलियों का भंडार कम होने की अवस्था में इन मछलियों की पूर्ति संवर्धन के द्वारा हो सकती है। इस प्रणाली को समुद्री संवर्धन (मेरीकल्चर) कहते हैं।
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(ii) अन्त:स्थली मत्स्यकी (Inland fisheries) ताजा जल के स्रोत नाले, तालाब, पोखर तथा नदियाँ हैं। खारे जल के संसाधन, जहाँ समुद्री जल तथा ताजा जल मिश्रित होते हैं जैसे कि नदीमुख (एस्चुरी) तथा लैगून भी महत्वपूर्ण मछली भंडारण हैं। जब मछलियों का प्रग्रहण अन्तःस्थली स्रोतों पर किया जाता है तो उत्पादन अधिक नहीं होता। इन स्रोतों से अधिकांश मछली उत्पादन जल संवर्धन द्वारा ही होता है।

मछली संवर्धन कभी-कभी धान की फसल के साथ भी किया जाता है। अधिक मछली संवर्धन मिश्रित मछली संवर्धन तन्त्र से किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में देशी तथा आयातित प्रकार की मछलियों का प्रयोग किया जाता है।

ऐसे तन्त्र में एक ही तालाब में 5 या 6 मछलियों की स्पीशीज का प्रयोग किया जाता है। इनमें ऐसी मछलियो को चुना जाता है जिनमें आहार के लिए प्रतिस्पर्धा न हो अथवा उनके आहार भिन्न-भिन्न हों। इसके परिणामस्वरूप तालाब के प्रत्येक भाग में उपलब्ध आहार का उपयोग हो जाता है। जैसे- कटला मछली जल की सतह से अपना भोजन लेती है। रोहू मछली तालाब के मध्य से अपना भोजन लेती है। मृगल तथा कॉमन कार्प तालाब की तली से भोजन लेती हैं। ग्रास कॉर्प खरपतवार खाती है। इस प्रकार ये सभी मछलियाँ साथ-साथ रहते हुए भी बिना स्पर्धा के अपना-अपना आहार लेती हैं। इससे तालाब से मछली के उत्पादन में वृद्धि होती है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार 2

मिश्रित मछली संवर्धन में एक समस्या यह है कि इनमें से कई मछलियाँ केवल वर्षा ऋतु में ही प्रजनन करती हैं। यहाँ तक कि यदि मत्स्य डिंभ देशी नस्ल से लिए जायें तो अन्य स्पीशीज के डिंभों के साथ मिल सकते हैं। अतः मछली संवर्धन के लिए अच्छे गुणवत्ता वाले डिंभों का उपलब्ध न होना एक गम्भीर समस्या है। इस समस्या के समाधान के लिए ऐसी विधियाँ खोजी जा रही हैं कि तालाब में इन मछलियों का संवर्धन हार्मोन के उपयोग द्वारा किया जा सके। इससे ऐच्छिक मात्रा में शुद्ध मछली के डिंभ प्राप्त होते रहेंगे।

प्रश्न 2.
मिश्रित मछली संवर्धन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
मिश्रित मछली संवर्धन में तालाब के प्रत्येक भाग में उपलब्ध आहार का उपयोग हो जाता है, जैसे- कटला मछली जल की सतह से अपना भोजन लेती है। रोहू मछली तालाब के मध्य क्षेत्र से अपना भोजन लेती है। मृगल तथा कॉमन कार्प तालाब की तली से भोजन लेती है। ग्रास कार्प खरपतवार खाती है। इस प्रकार ये सभी मछलियाँ साथ-साथ रहकर भी बिना स्पर्धा के अपना-अपना आहार लेती हैं। इससे तालाब में मछली के उत्पादन में वृद्धि होती है।

क्रियाकलाप-15.5. (पा. पु. पू. सं. 239)
मछलियों के जनन काल में मछली फार्म में जाओ और निम्नलिखित का अवलोकन करो-

  • तालाब में मछलियों की विभिन्न किस्में
  • तालाबों के प्रकार
  • फार्म में प्रयुक्त आहार में शामिल तत्व
  • ज्ञात करो कि फार्म की मछली उत्पादन क्षमता क्या है?

नोट- किसी मछली पालन केन्द्र में जाइए और अपने अध्यापक या मछली पालन केन्द्र के सहायक कर्मचारी की सहायता से ऊपर दिये गये प्रश्नों के विषय में जानकारी एकत्रित करके अपनी नोट बुक में सूची बनाइये।

खंड 15.2.4 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 240)

प्रश्न 1.
मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खी में कौन से ऐच्छिक गुण होने चाहिए?
उत्तर:
मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खी में निम्नलिखित ऐच्छिक गुण होने चाहिए-

  • मधुमक्खी में मधु एकत्र करने की क्षमता बहुत अधिक होनी चाहिए
  • वे डंक भी कम मारने वाली हों।
  • वे निर्धारित छत्ते में काफी समय तक रहें।
  • प्रजनन तीव्रता से करें।

प्रश्न 2.
चरागाह क्या है और ये मधु उत्पादन से कैसे सम्बन्धित है?
उत्तर:
मधुमक्खियों द्वारा मधु एकत्र करने के लिए उपलब्ध फूलों वाली जगह को चरागाह कहते हैं। मधुमक्खियाँ फूलों से मकरंद और पराग एकत्र करती हैं। चरागाह की पर्याप्त उपलब्धता मधु की गुणवत्ता और स्वाद को निर्धारित करती है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) दो आसन्न कोण एक रेखीय युग्म बनाते हैं, यदि वे ……………… हों ।
(ii) यदि एक किरण एक रेखा पर खड़ी है तो इस प्रकार बने दो आसन्न कोणों का योग ………………….. होता है।
(iii) यदि दो आसन्न कोणों का योग 180° हो तो वे एक ………………. बनाते हैं।
(iv) दो आसन्न कोणों का शीर्ष बिन्दु …………. ही होता है।
(v) यदि दो शीर्षाभिमुख कोणों में से एक x° हो तो दूसरा कोण …………….. होगा।
(vi) यदि दो रेखाऐं एक दूसरे पर लम्ब हों तो वे परस्पर ……………. होती हैं।
(vii) यदि दो रेखाओं को एक तियक रेखा काटे और इस प्रकार बने संगत कोण बराबर हों, तो वे रेखाएँ परस्पर ……………… होती हैं।
(viii) यदि दो समान्तर रेखाओं को एक तिर्यक रेखा काटे तो इस प्रकार बने एकान्तर कोण ……………….. होते हैं।
(ix) दो आसन्न सम्पूरक कोणों के समद्विभाजक एक दूसरे पर ……………….. होते हैं।
(x) त्रिभुज की किसी भुजा को बढ़ाने पर ………………. बनता है, जो के मानों के योग के बराबर होता है।
हल :
(i) सम्पूरक कोण
(ii) 180°
(iii) रेखीय युग्म,
(iv) एक
(v) x°
(vi) समान्तर
(vii) समान्तर,
(viii) समान,
(ix) लम्ब
(x) शीर्षाभिमुख कोण, अंत: अभिमुख कोणों ।

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प्रश्न 2.
चित्र में प्रतिवर्ती कोण ∠POQ बराबर है :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 1
(A) 60°
(B) 120°
(C) 300°
(D) 360°.
हल :
∵ किसी बिन्दु पर समस्त कोणों का योग = 360°
∴ दीर्घ ∠POQ = 360° – लघु ∠POQ = 360° – 60° = 300°
अत: विकल्प (C) सही है।

प्रश्न 3.
चित्र में दो समान्तर रेखाओं l तथा m को एक तिर्यक् रेखा n, बिन्दुओं G तथा H पर काट रही है। इस प्रकार बनने वाले कोण चित्र में अंकित हैं। यदि ∠1 न्यूनकोण हो, तो बताइए निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 2
(A) ∠1 + ∠2 = 180°
(B) ∠2 + ∠5 = 180°
(C) ∠3 + ∠8 = 180°
(D) ∠2 + ∠6 = 180°
हल :
∠1 + ∠2 = 180° (रैखिक कोण युग्म)
∠2 + ∠5 = 180° (संगत अन्तः कोणों का योग)
∠3 + ∠8 = 180° (संगत अन्तः कोणों का योग)
∠1 + ∠2 = 180°
न्यूनकोण + ∠2 = 180°
⇒ ∠2 = 180° – न्यूनकोण
⇒ ∠2 = अधिक कोण
⇒ ∠2 = ∠6 (संगतकोण)
अतः अधिक कोण अधिक कोण > 180°

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प्रश्न 4.
चित्र में दो समान्तर रेखाओं a तथा b को एक तिर्यक रेखा c बिन्दुओं A तथा B पर काटती है। A तथा B पर बनने वाले कोण चित्र में अंकित हैं। चित्र में बताइए कि निम्न में से कौन-से कोण युग्म का समान होना आवश्यक नहीं है:
(A) ∠1, ∠2
(B) ∠1, ∠3
(C) ∠1, ∠5
(D) ∠2, ∠8
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 3
हल :
∠1 और ∠2 तब तक बराबर नहीं हो सकते जब तक कि तिर्यक रेखा c, भुजाओं a तथा b पर लम्ब न हो।
∠1 = ∠3 (शीर्षाभिमुख कोण)
∠1 = ∠5 (संगत कोण)
∠2 = ∠8 (एकान्तर कोण)
∵ ∠1 व ∠2 का समान होना आवश्यक नहीं है।
अतः विकल्प (A) सही है।

प्रश्न 5.
निम्न में पूरक कोण युग्म नहीं है:
(A) 60°, 30°
(B) 56°, 34°
(C) 0°, 90°
(D) 150°, 30°.
हल :
पूरक कोण युग्म का योग 90° होता है।
अतः विकल्प (D) सही है।

प्रश्न 6.
निम्न में सम्पूरक कोण युग्म नहीं है:
(A) 90°, 90°
(B) 32°, 58°
(C) 0°, 180°
(D) 76°, 104°
हल :
सम्पूरक कोण युग्म का योग 180° होता है।
अतः विकल्प (B) सही हैं।

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प्रश्न 7.
चित्र में दर्शाए कोण ∠AOB तथा ∠BOC हैं:
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 4
(A) पूरक कोण
(B) सम्पूरक कोण
(C) आसन्न कोण
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
हल :
किरण AOB के बिन्दु पर दो आसन्न कोण ∠AOB तथा ∠BOC हैं।
अत: विकल्प (D) सही है।

प्रश्न 8.
चित्र में दो सरल रेखाएँ AB तथा CD एक-दूसरे को O बिन्दु पर प्रतिच्छेद कर रही हैं और इस प्रकार बिन्दु O पर बने कोण अंकित हैं। यहाँ ∠x – ∠y का मान है :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 5
(A) 56°
(B) 118°
(C) 620
(D) 180°.
हल :
∠BOC + ∠BOD = 180° (रैखिक युग्म कोण)
x + 62° = 180°
x = 180° – 62° = 118°
अत: विकल्प (A) सही है।
[∵ ∠x – ∠y = 118° – 62° = 56°]

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प्रश्न 9.
चित्र से बताइए कि निम्न में कौन-सा युग्म, संगत कोण नहीं हैं:
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 6
(A) ∠1, ∠5
(B) ∠2, ∠6
(C) ∠3, ∠7
(D) ∠3, ∠5
हल :
∠3 और ∠5 एकान्तर कोण हैं। अन्त तीन संगत कोण हैं। अतः विकल्प (D) सही है।

प्रश्न 10.
चित्र में रेखाएँ l तथा m समान्तर हैं, तो ∠x का मानज्ञात कीजिए । कारण भी स्पष्ट कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 7
हल :
∠y = 68° (एकान्तर कोण)
∠y + ∠x + ∠x = 180° (रेखिक कोण युग्म)
⇒ 68° + 2∠x = 180°
⇒ 2∠x = 180° – 68°
⇒ 2∠x = 112°
⇒ ∠x = \(\frac {112°}{2}\)
∴ ∠x = 56°

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प्रश्न 11.
चित्र में, ∠AOB, ∠COD एवं ∠EOF ज्ञात कीजिए ।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 8
हल :
दिया है, CF और BE, दो रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद कर रही हैं,
∴ ∠COB = ∠EOF (शीर्षाभिमुख कोण)
5x° = ∠EOF
∴ ∠EOF = 5x°
अत: ∠AOF + ∠EOF + ∠DOE = 180°
[∵ DOA एक सरल रेखा है]
4x° + 5x° + 3x° = 180°
⇒ 12x° = 180°
⇒ x° = \(\frac {180°}{12}\)
∴ x° = 15°
अतः
∠AOB = ∠DOE (शीर्षाभिमुख कोण)
= 3x° = 3 × 15° = 45°
∠COD = ∠AOF (शीर्षाभिमुख कोण)
= 4x° = 4 × 15° = 60°
∠EOF = ∠COB (शीर्षाभिमुख कोण)
= 5x° = 5 × 15° = 75°
अत: ∠AOB, ∠COD और ∠EOF क्रमश: 45°, 60° और 75° हैं।

प्रश्न 12.
चित्र में, ∠POR और ∠QOR एक रैखिक कोण युग्म बनाते हैं। यदि a – b = 80°, तो a और b का मान ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 9
हल :
दिया है, ∠a तथा ∠b रैखिक युग्म हैं
अतः a + b = 180° …………..(i)
एवं a – b = 80° …………..(ii) (दिया है)
समीकरण (i) और (ii) को जोड़ने पर,
2a = 260°
∴ a = \(\frac {260°}{2}\) = 130°
a का मान समीकरण (i) में रखने पर,
⇒ 130° + b = 180°
⇒ b = 180° – 130°
∴ b = 50°
अतः a = 130°, b = 50°

प्रश्न 13.
आकृति में रेखाएँ PQ और RS परस्पर बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करती हैं यदि ∠POR : ∠ROQ = 5 : 7 हो, तो सभी कोण ज्ञात करो ।
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 10
∠POR + ∠ROQ = 180° (रैखिक कोण युग्म)
∵ ∠POR : ∠ROQ = 5 : 7 (दिया है)
माना ∠POR = 5x, तथा ∠ROQ = 7x
∴ 5x + 7x = 180°
12x = 180°
x = \(\frac {180°}{2}\) = 15°
∴ ∠POR = 5 × 15 = 75°
तथा ∠ROQ = 7 × 15 = 105°
अत: ∠POS = ∠ROQ = 105° (शीर्षाभिमुख कोण)
और ∠SOQ = ∠POR = 75° (शीर्षाभिमुख कोण)

प्रश्न 14.
आकृति में, OP, OQ, OR और OS चार किरणें हैं। सिद्ध कीजिए कि
∠POQ + ∠QOR + ∠SOR + ∠POS = 360° है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 11
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 12
किरण QO को T बिन्दु तक आगे बढ़ाया। TOQ सरल रेखा हैं।
∴ ∠TOP + ∠POQ = 180° ……….(1)
(रैखिक कोण युग्म)
इसी प्रकार, किरण OS, रेखा TOQ पर खड़ी है।
⇒ ∠TOS +∠SOQ= 180° (रैखिक कोण युग्म)
परन्तु ∠SOQ = ∠SOR + ∠QOR है।
⇒ ∠TOS + ∠SOR + ∠QOR = 180° … (2)
अब (1) और (2) को जोड़ने पर,
∠TOP + ∠POQ + ∠TOS + ∠SOR + ∠QOR
= 180° + 180°
[∵ ∠TOP + ∠TOS = ∠POS]
= ∠POQ + ∠QOR + ∠SOR + ∠POS
= 360°. इति सिद्धम् ।

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प्रश्न 15.
आकृति में AB || CD और CD || EF है। साथ ही EA ⊥ AB है। यदि ∠BEF = 55° है, तो x, y और z के मान ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 13
हल :
y + 55° = 180°
(CD || EF, तिर्यक रेखा ED के एक ही ओर के अन्त:कोण)
⇒ y = 180° – 55° = 125°
x = y (संगत कोण)
∴ x = 125°
∵ AB || CD और CD || EF
∴ AB || EF होगी।
⇒ ∠EAB + ∠FEA = 180° (अन्तःकोण)
⇒ 90° + z + 55° = 180°
∴ z = 180° – 90° – 55°
= 35°
अतः x y और z के मान क्रमशः 125°, 125° और 350° हैं।

प्रश्न 16.
यदि दो समान्तर रेखाओं को एक तिर्यक रेखा प्रतिच्छेदित करती है, तो सिद्ध कीजिए कि अन्तः कोणों के समद्विभाजकों से एक आयत बनता है।
हल :
दिया है AB || CD तथा तिर्यक रेखा EF || AB व CD को क्रमश: P तथा Q पर काटती है अन्तः कोणों के समद्विभाजक क्रमश: PR व QR बिन्दु R पर तथा ∠BPQ एवं ∠PQD के समद्विभाजक PS व QS बिन्दु S पर काटते हैं।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 14
उपपत्ति: AB || CD, व तिर्यक रेखा EF उन्हें P तथा Q पर काटती है।
∴ ∠APQ = ∠PQD (एकान्तर कोण )
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠APQ = \(\frac {1}{2}\)∠PQD
⇒ ∠2 = ∠4
परन्तु ∠2 व ∠4 एकान्तर कोण युग्म है।
∴ RP || QS ………..(i)
इसी प्रकार ∠1 = ∠3
∴ PS || QR …….(ii)
(i) व (ii) से
PSQR एक समान्तर चतुर्भुज है ….(iii)
परन्तु ∠APQ + ∠BPQ = 180°
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠APQ + \(\frac {1}{2}\)∠BPQ = \(\frac {1}{2}\) × 180°
⇒ ∠2 = ∠1 = 90°
⇒ ∠RPS = 90°
∴ PS QR एक आयत हैं। इति सिद्धम्

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प्रश्न 17.
चित्र में AB || DC हो, तो दिए गए कोणों से ∠x, ∠y तथा ∠z ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 15
हल :
AB || DC
∴ x = 102° (एकान्तर कोण)
और 88° = 22° + z (CBE का बहिष्कोण)
z° = 88° – 22° = 66°
और ∵ AB || DC
∴ y + 88° = 180°
(एक ही ओर के अन्तः कोणों का योग)
∴ ∠y = 180° – 88°
∴ ∠y = 92°
अतः ∠x = 102°, y = 92°, z = 66°

प्रश्न 18.
दिए गए चित्र से ∠x तथा ∠y के माप ज्ञात कीजिए। यदि ∠x – ∠y = 10° हो ।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 16
हल :
∠x – ∠y = 10° (दिया है) … (i)
और ∠x + ∠y = 120°
(बहिष्कोण = दोनों अन्तराभिमुख अन्तः कोणों का योगफल) … (ii)
(i) व (ii) को जोड़ने पर
⇒ 2∠x = 130° ⇒ ∠x = 65°
समी. (ii) से,
65° + ∠y = 120°
∴ ∠y = 120° – 65° = 55°.
अतः ∠x = 65° तथा ∠y = 55°

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प्रश्न 19.
आकृति में, ΔABC की भुजाओं AB और AC को क्रमशः E और D तक बढ़ाया गया है। यदि ∠CBE और ∠BCD के समद्विभाजक क्रमश: BO और CO बिन्दु O पर मिलते हैं, तो सिद्ध कीजिए कि
∠BOC = 90° – \(\frac {1}{2}\)∠BAC
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 17
किरण BO, ∠CBE की समद्विभाजक है।
∴ ∠CBO = \(\frac {1}{2}\)∠CBE
= \(\frac {1}{2}\)(180° – y)
= 90° – \(\frac {z}{2}\) ………….(1)
इसी प्रकार, किरण CO, ∠BCD की समद्विभाजक
∠BCO = \(\frac {1}{2}\)∠BCD = \(\frac {1}{2}\)(180° – z)
= 90° – \(\frac {z}{2}\) ……….(2)
ΔBOC में,
∠BOC + ∠BCO + ∠CBO = 180° ……….(3)
समीकरण (1) व (2) के मान (3) में रखने पर,
∠BOC + 90° – \(\frac {z}{2}\) + 90° – \(\frac {y}{2}\) = 180°
∠BOC = \(\frac{z}{2}+\frac{y}{2}\)
∠BOC = \(\frac {1}{2}\)(y + z)
[∵ त्रिभुज के तीनों कोणों का योग (x + y + z) = 180°]
y + z = 180° – x
\(\frac {1}{2}\)(y + z) = \(\frac {1}{2}\)(180 – x)
∠BOC = \(\frac {1}{2}\)(180° – x)
= \(\frac {1}{2}\) × 180° – \(\frac {x}{2}\)
अतः ∠BOC = 90° – \(\frac {1}{2}\)∠BAC. इति सिद्धम् ।

प्रश्न 20.
निम्न चित्र में m और n दो समतल दर्पण हैं जो परस्पर लम्बवत है। दिखाइए कि आपतित किरण CA, परावर्तित किरण BD के समान्तर है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 18
हल :
दिया है: m ⊥ n तथा
आ CA, n पर आपतित व BD, m पर परावर्तित किरणें हैं।
सिद्ध करना है : CA || BD
रचना : AE ⊥ n तथा BF ⊥ Lin खींचे
उपपत्ति : AE ⊥ n तथा BF ⊥ m एवं m ⊥ n
∴ BF ⊥ AE या BG ⊥ GA
ΔBGA = 90°
एवं ∠GAB + ∠GBA + ∠BGA = 180°
(त्रिभुज के अन्त कोणों का योग)
⇒ ∠GAB + ∠GBA + 90° = 180°
⇒ ∠GAB + ∠GBA = 90° ……………..(i)
∵ आपतन कोण परावर्तन कोण
∴ ∠CAG = ∠GAB ……(i)
⇒ ∠GBA = \(\frac {1}{2}\)∠CAB … (ii)
इसी प्रकार ∠CAG = \(\frac {1}{2}\)∠ABD … (iii)
(i), (ii) तथा (iii) से
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠CAB + \(\frac {1}{2}\)∠ABD = 90°
⇒ ∠CAB + ∠ABD = 180°
किन्तु में तिर्यक रेखा के एक ही ओर के कोण हैं
अत: CA || BD इति सिद्धम्

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प्रश्न 21.
यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि संगत कोणों के एक युग्म के समद्विभाजक परस्पर समान्तर हों, तो सिद्ध करो कि दोनों रेखाएँ भी परस्पर समान्तर होती हैं।
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 19
दिया है : एक तिर्यक रेखा AD दो रेखाओं PQ और RS को B व C बिन्दु पर प्रतिच्छेद करती है। किरण BE, ∠ABQ की समद्विभाजक और किरण CG, ∠BCS की समद्विभाजक है तथा BE || CG है।
सिद्ध करना है : PQ || RS
उपपत्ति: किरण BE, ∠ABQ की समद्विभाजक है।
∴ ∠ABE = \(\frac {1}{2}\)∠ABQ ……. (1)
इसी प्रकार, किरण CG, ∠BCS की समद्विभाजक है।
∴ ∠BCG = \(\frac {1}{2}\)∠BCS …….. (2)
∵ BE || CG है और AD तिर्यक काटती है।
∴ ∠ABE = ∠BCG (संगत कोण)
समी (1) और (2) से मान रखने पर,
\(\frac {1}{2}\)∠ABQ = \(\frac {1}{2}\)∠BCS (संगत कोण)
⇒ ∠ABQ = ∠BCS
∴ PQ || RS. इति सिद्धम् ।

प्रश्न 22.
निम्न आकृति में, ∠ABC और ∠BCA के कोण समद्विभाजक बिन्दु O पर परस्पर प्रतिच्छेद करते हैं। सिद्ध कीजिए कि ∠BOC = 90° + \(\frac {1}{2}\)∠A.
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 20
दिया है ΔABC में ZABC तथा ∠BCA के समद्विभाजक BO तथा CO बिन्दु पर एक-दूसरे को काटते हैं।
सिद्ध करना है: ∠BOC = 90° + \(\frac {1}{2}\)∠A
उपपत्ति : ∵BO, ∠ABC की समद्विभाजक है।
∴ ∠OBC = \(\frac {1}{2}\)∠ABC
इसी प्रकार CO, ∠BCA की समद्विभाजक है।
∴ ∠OCB = \(\frac {1}{2}\)∠BCA
⇒ ∠OBC + ∠OCB = \(\frac {1}{2}\)∠ABC + \(\frac {1}{2}\)∠BCA … (1)
ΔABC से, ∵ ∠ABC + ∠BCA + ∠A = 180°
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠ABC + \(\frac {1}{2}\)∠BCA + \(\frac {1}{2}\)∠A = \(\frac {1}{2}\) × 180°
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠ABC + \(\frac {1}{2}\)∠BCA = 90° – \(\frac {1}{2}\)∠A …..(2)
समी (2) में समी. (1) का मान रखने पर,
∠BOC + ∠OCB = 90° – \(\frac {1}{2}\)∠A …………..(3)
ΔOBC से, ∠OBC + ∠OCB + ∠BOC = 180°
समीकरण (3) से मान रखने पर
90° – \(\frac {1}{2}\)∠A + ∠BOC = 180°
∴ ∠BOC = 90° + \(\frac {1}{2}\)∠A इति सिद्धम् ।

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प्रश्न 23.
सिद्ध करो कि किसी चतुर्भुज के चारों कोणों का योगफल चार समकोण के बराबर होता है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 21
हल :
दिया है
चतुर्भुज PQRS
रचना : PR को मिलाया, अत: रेखा PR, चतुर्भुज PQRS को दो त्रिभुओं PQR तथा SPR में बाँटती है।
ΔPQR में, ∠1 + ∠2 + ∠3 = 180° … (i)
एवं ΔPSR में ∠4 + ∠5 + ∠6 = 180° …(ii)
समीकरण (i) तथा (ii) से,
∠1 + ∠2 + ∠3 + ∠4 + ∠5 + ∠6 = 360°
या (∠1 + ∠4) + ∠2 + (∠3 + ∠5) + ∠6 = 360°
या ∠P + ∠Q + ∠R + ∠S = 360°
या ∠P + ∠Q + ∠R + ∠S = 4 × 90°
या ∠P + ∠Q + ∠R + ∠S = 4 समकोण । इति सिद्धम् ।

प्रश्न 24.
दिये गये चित्र में AB और CD दो समान्तर रेखाओं के बीच विन्दु P इस प्रकार है किं ∠PAB 45° तथा ∠PCD = 30° तो बृहत कोण APC का मान ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 22
हल :
बिन्दु P से AB रेखा के समान्तर RS रेखा खींची।
अतः
∠BAP = ∠APR = 45° (एकान्तर कोण)
इसी प्रकार, ∠SPC = ∠PCD = 30° (एकान्तर कोण)
अव ∠RPC = 180° – 30° = 150°
∴ ∠APC = ∠APR + ∠RPC
= 45° + 150°
∴ ∠APC = 195°.

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प्रश्न 25.
दिये गये चित्र में AB || CD तथा PQ || EF तो ∠x का मान ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 23
हल :
∠DEF = 60° + 52° = 112°
∠EMQ = ∠DEF (संगत कोण)
परन्तु
∠PMC = ∠EMQ
= 112° (शीर्षाभिमुख कोण)
∴ ∠x = ∠PMC (संगत कोण)
∴ ∠x = 112°

प्रश्न 26.
दी गई आकृति में AB || CD हैं तो ∠x तथा के मान ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 24
हल :
(i) ∠ABC = ∠BCD (एकान्तर कोण)
∵ ∠x + 80° = 116
∴ ∠x = 116° – 80°
= 36°

(ii) परन्तु
∠y + ∠x + 80° = 180°,
(सरल रेखा पर बने कोण)
⇒ ∠y + 80° + 36° = 180°
⇒ ∠y = 180 – 80 – 36 = 180° – 116°
∴ ∠y = 64°

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण

प्रश्न 27.
दिये गये चित्र में यदि, QT ⊥ PR, ∠TQR = 40°, ∠SPR = 30° है तो x तथा y के मान ज्ञात कीजिए।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 6 रेखाएँ और कोण - 25
हल :
(i) ΔTQR में, ∠T = 90° (∵ OT⊥PR)
∴ 90° + 40° + x = 180°
(त्रिभुज के अन्तःकोणों का योग )
⇒ ∠x = 180° – 40° – 90° = 180° – 130°
∴ ∠x = 50°.

(ii) ΔPSR में,
∠y, ΔPSR का बहिष्कोण है।
∴ ∠y = 30° + x = 30° + 50°
∴ ∠y = 80°.

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. पृथ्वी के कितने प्रतिशत भाग पर जल है?
(a) 60% पर
(b) 70% पर
(c) 75% पर
(d) 80% पर।
उत्तर:
(c) 75% पर।

2. जीवन को आश्रय देने वाला पृथ्वी का घेरा कहलात है-
(a) वायुमण्डल
(b) स्थलमण्डल
(c) जलमण्डल
(d) जीवमण्डल।
उत्तर:
(d) जीवमण्डल।

3. ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है-
(a) कोयला
(b) पेट्रोलियम
(c) कैरोसीन
(d) बायोगैस।
उत्तर:
(d) बायोगैस।

4. कम छिद्रयुक्त मिट्टी है-
(a) रेतीली मिट्टी
(b) दोमट मिट्टी
(c) चिकनी मिट्टी
(d) काली मिट्टी।
उत्तर:
(c) चिकनी मिट्टी

5. सबसे अच्छी उपजाऊ मिट्टी है-
(a) रेतीली मिट्टी
(b) ह्यूमस युक्त मिट्टी
(c) चिकनी मिट्टी
(d) क्षारीय मिट्टी।
उत्तर:
(b) ह्यूमस युक्त मिट्टी।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

6. वायुमण्डल में नाइट्रोजन की प्रतिशत मात्रा होती है-
(a) 58%
(b) 68%
(c) 78%
(d) 88%।
उत्तर:
(c) 78%।

7. निम्न में से कौन-सा जीवों का मूल घटक है?
(a) ऑक्सीजन
(b) कार्बन डाइऑक्साइड
(c) नाइट्रोजन
(d) कार्बन।
उत्तर:
(d) कार्बन।

8. निम्न में से कौन नाइट्रोजन का स्थिरीकरण नहीं कर सकता?
(a) नाइट्रोसोमोनास
(b) राइजोबियम
(c) नील हरित शैवाल
(d) बैसिलस सबटिलिस।
उत्तर:
(d) बैसिलस सबटिलिस।

9. कौन-सी गैस ईंधन के जलने से निकलती है-
(a) हाइड्रोजन सल्फाइड
(b) कार्बन डाइऑक्साइड
(c) सल्फर डाइऑक्साइड
(d) नाइट्रोजन।
उत्तर:
(b) कार्बन डाइऑक्साइड।

10. ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैस है-
(a) कार्बन डाइऑक्साइड
(b) ऑक्सीजन
(c) अमोनिया
(d) क्लोरीन।
उत्तर:
(a) कार्बन डाइऑक्साइड।

11. पौधे प्रकाश संश्लेषण में वायुमण्डल से गैस ग्रहण करते है-
(a) ऑक्सीजन
(b) कार्बन डाइऑक्साइड
(c) ओजोन
(d) नाइट्रस ऑक्साइड।
उत्तर:
(b) कार्बन डाइऑक्साइड।

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12. ओजोन की परत किससे हमारी सुरक्षा करती है-
(a) सूर्य की किरणों से
(b) पराबैंगनी किरणों से
(c) कार्बन डाइऑक्साइड से
(d) क्लोरोफ्लोरो कार्बन से।
उत्तर:
(b) पराबैंगनी किरणों से।

रिक्त स्थान भरो-

  1. पृथ्वी की सबसे बाहरी परत को ……………….. कहते हैं।
  2. जैवमण्डल दो घटकों से मिलकर बना है ……………….. और ………………… घटक।
  3. स्मॉग ……………….. प्रदूषण का ही एक प्रकार है।
  4. ओजोन को सूत्र ……………….. है।

उत्तर:

  1. स्थलमंडल
  2. जैव, अजैव
  3. वायु
  4. O3

सुमेलन कीजिए-

कालम ‘क’ कॉलम ‘ख’
1. जैव घटक (क) मिट्टी
2. अजैव घटक (ख) H2SO4 + HNO3
3. स्मोग (ग) पौधे
4. अम्लीय वर्षा (घ) धुँआ + धुंध

उत्तर:
1. (ग) पौधे
2. (क) मिट्टी
3. (घ) धुँआ + धुंध
4. (ख) H2SO4 + HNO3

सत्य / असत्य –

  1. पृथ्वी की सतह लगभग 95% भाग पानी है।
  2. वायु प्रदूषण से मनुष्यों में श्वसन तथा गुर्दे की बीमारी, उच्च रक्तचाप, आँखों में जलन जैसी बीमारियाँ होती हैं।
  3. CFC का विस्तार रूप क्लारो क्लोरो कार्बन है।
  4. ह्यूमस मृदा का घटक है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. सत्य।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवन के लिए किस-किस की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
जीवन के लिए परिवेश, ताप, पानी और भोजन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
सभी जीवों की मूल आवश्यकता की पूर्ति किसके द्वारा होती है?
उत्तर:
सभी जीवों की मूल आवश्यकता की पूर्ति सूर्य से प्राप्त ऊर्जा और पृथ्वी पर उपलब्ध सम्पदा द्वारा होती है।

प्रश्न 3.
पृथ्वी की सबसे बाहरी परत को क्या कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की सबसे बाहरी परत को स्थलमण्डल कहते हैं।

प्रश्न 4.
पृथ्वी के कितने प्रतिशत भाग पर जल है?
उत्तर:
पृथ्वी के 75% भाग पर जल है।

प्रश्न 5.
जीवमण्डल किसे कहते हैं?
उत्तर:
जीवन को आश्रय देने वाला पृथ्वी का वह घेरा जहाँ वायुमण्डल, स्थलमण्डल और जलमण्डल एक-दूसरे से मिलकर जीवन को सम्भव बनाते हैं, उसे जीवमण्डल कहते हैं।

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प्रश्न 6.
जीवमण्डल के जैविक और निर्जीव घटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
सजीव जीवमण्डल के जैविक घटक हैं तथा वायु, जल और मृदा जीवमण्डल के निर्जीव घटक हैं।

प्रश्न 7.
वायु किन गैसों का मिश्रण है?
उत्तर:
वायु नाइट्रोजन ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा जलवाष्प का मिश्रण है।

प्रश्न 8.
शुक्र और मंगल ग्रहों पर मुख्य रूप से कौन-सी गैस है?
उत्तर:
शुक्र और मंगल ग्रहों के वायुमण्डल में 95% से 97% तक CO2 गैस है।

प्रश्न 9.
दहन क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह क्रिया जिसमें ऑक्सीजन की खपत तथा CO2 का उत्पादन होता है, उसे दहन क्रिया कहते हैं।

प्रश्न 10.
CO2 किन दो विधियों से स्थिर होती है?
उत्तर:

  1. हरे पेड़-पौधों के द्वारा CO2 को ग्लूकोज में बदलने से, तथा
  2. समुद्री जल में घुले कार्बोनेट से कवच बनाने से, CO2 स्थिर होती है।

प्रश्न 11.
पृथ्वी का औसत तापमान वर्ष भर किसके द्वारा नियत रहता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर औसत तापमान वायुमण्डल द्वारा वर्ष भर नियत रहता है।

प्रश्न 12.
चन्द्रमा की सतह पर अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान कितना रहता है?
उत्तर:
चन्द्रमा की सतह पर न्यूनतम तापमान – 190°C तथा अधिकतम तापमान 110°C रहता है।

प्रश्न 13.
गर्म होने से वायु में कौन-सी धाराएं उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
गर्म होने से वायु में संवहन धाराएँ उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 14.
दिन के समय वायु किस दिशा से किस दिशा की ओर चलती है?
उत्तर:
दिन के समय वायु समुद्र से स्थल की ओर चलती है।

प्रश्न 15.
रात के समय वायु किस दिशा से किस दिशा की ओर चलती है।
उत्तर:
रात के समय वायु स्थल से समुद्र की ओर चलती है।

प्रश्न 16.
वायु की गति किसका परिणाम है?
उत्तर:
वायु की गति वायुमण्डलीय प्रक्रियाओं का परिणाम है।

प्रश्न 17.
हवाओं को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
हवाओं को पृथ्वी की घूर्णन गति और पवन के मार्ग में आने वाली पर्वत शृंखलाएँ प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 18.
बादल कैसे बनते हैं?
उत्तर:
गर्म वायु के साथ जलवाष्प ऊपर उठकर संघनित हो जाती है और हवा में उपस्थित कणों के चारों ओर एकत्र होकर बूँदों में बदलकर बादलों का रूप ले लेती है।

प्रश्न 19.
ओले कब गिरते हैं?
उत्तर:
जब कभी वायु का तापमान काफी कम हो जाता है तब वर्षा की बूँदें ओलों के रूप में गिरती हैं।

प्रश्न 20.
वर्षा का पैटर्न किस पैटर्न पर निर्भर करता है?
उत्तर:
वर्षा का पैटर्न पवनों के पैटर्न पर निर्भर करता है।

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प्रश्न 21.
भारत के बड़े भू-भाग पर किसके कारण वर्षा होती है?
उत्तर:
भारत के बड़े भू-भाग पर अधिकतर वर्षां दक्षिण-पश्चिमी या पूर्व उत्तरी मानसून के कारण होती है।

प्रश्न 22.
अम्लीय वर्षा किस प्रकार होती है?
उत्तर:
SO2 और NO2 वर्षा के पानी के साथ मिलकर अम्लीय वर्षा होती है।

प्रश्न 23.
धूम कोहरा किससे बनता है और वह किस ओर संकेत करता है?
उत्तर:
सर्दी के मौसम में पानी के साथ हवा में संघनन से धूम कोहरा बनता है। यह वायु प्रदूषण की ओर संकेत करता है।

प्रश्न 24.
वायु प्रदूषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायु में हानिकारक पदार्थों की वृद्धि को वायु प्रदूषण कहते हैं।

प्रश्न 25.
शुद्ध जल कहाँ विद्यमान है?
उत्तर:
शुद्ध जल ध्रुवों पर बर्फ के रूप में, भूमिगत जल, नदियों, झीलों और तालाबों में विद्यमान है।

प्रश्न 26.
जल प्रदूषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जल में मिली अवांछित और हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति को जल प्रदूषण कहते हैं।

प्रश्न 27.
जलीय जीव प्रदूषण से कब प्रभावित होते हैं?
उत्तर:
प्रदूषण के कारण जल में ऑक्सीजन की कमी के फलस्वरूप जलीय जीव प्रभावित होते हैं।

प्रश्न 28.
भूमिगत जल स्तर के घटने के तीन कारण लिखो।
उत्तर:
भूमिगत जल स्तर घटने के तीन कारण हैं- कम वर्षा होना, भूमिगत जल का अत्यधिक उपयोग होना तथा वनों की अन्धाधुन्ध कटाई होना।

प्रश्न 29.
मिट्टी (मृदा) क्या है?
उत्तर:
चट्टानों के टूटने के बाद अन्त में बचे बारीक कण मिट्टी कहलाते हैं।

प्रश्न 30.
वे कौन से पौधे हैं जो मिट्टी बनाने में सहायक हैं?
उत्तर:
लाइकेन, मॉस तथा अन्य छोटे-छोटे और बड़े पेड़-पौधे मिट्टी बनाने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 31.
ह्यूमस किसे कहते हैं?
उत्तर:
मिट्टी में सड़े-गले जीवों के टुकड़े ह्यूमस कहलाते हैं।

प्रश्न 32.
मिट्टी के गुण किस-किस के कारण होते हैं?
उत्तर:
मिट्टी के गुण उसमें हयूमस की मात्रा तथा सूक्ष्म जीवों के कारण होते हैं।

प्रश्न 33.
मिट्टी की संरचना किस के कारण बरबाद हो गई है?
उत्तर:
मिट्टी की संरचना पीड़कनाशकों तथा उर्वरकों के अधिक प्रयोग के कारण बरबाद हो गई है। इन पदार्थों ने सूक्ष्म जीवों तथा केंचुओं को नष्ट कर दिया है।

प्रश्न 34.
मिट्टी में स्थित जैव विविधता किस प्रकार नष्ट होती है?
उत्तर:
मिट्टी में स्थित जैव विविधता उपयोगी घटकों का मिट्टी से हटना तथा दूसरे हानिकारक पर्ने के मिट्टी में मिलने से नष्ट होती है।

प्रश्न 35.
मृदा का अपरदन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब भूमि की उपजाऊ सतह पर उपरिमृदा वायु द्वारा उड़कर तथा जल के बहाव द्वारा कटकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँच जाती है तो इसे मृदा का अपरदन कहते है।

प्रश्न 36.
मृदा अपरदन को रोकने का क्या उपाय है?
उत्तर:
मृदा अपरदन को रोकने के उपाय- अधिकाधिक वृक्षारोपण किया जाय, पशुओं की अनियन्त्रित चराई पर नियन्त्रण रखा जाय। पहाड़ी ढालों पर सीढ़ीदार, कन्टूर विधि से वेदिका बनाकर खेती की जाय।

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प्रश्न 37.
वायुमण्डल में नाइट्रोजन की मात्रा कितने प्रतिशत है?
उत्तर:
वायुमण्डल में नाइट्रोजन की मात्रा 78% है।

प्रश्न 38.
नाइट्रोजन का उपयोग जीवन के लिए किस रूप में होता है?
उत्तर:
नाइट्रोजन का उपयोग जीवन के लिए प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल, DNA, RNA और विटामिनों के रूप में होता है।

प्रश्न 39.
नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने वाले बैक्टीरिया कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने वाले बैक्टीरिया राइजोबियम लेग्यूमीनोसेरम फलीदार पौधों, जैसे- चना, मटर, सेम आदि की जड़ों में स्थित मूल ग्रन्थिकाओं में मिलते हैं।

प्रश्न 40.
बादलों में चमकने वाली विद्युत (बिजली) का नाइट्रोजन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
बादलों में चमकने वाली बिजली नाइट्रोजन को नाइट्रोजन के ऑक्साइड में बदल देती है।

प्रश्न 41.
विभिन्न खनिजों में कार्बन किस रूप में पाया जाता है?
उत्तर:
विभिन्न खनिजों में कार्बन, कार्बोनेट और बाई कार्बोनेट के रूप में पाया जाता है।

प्रश्न 42.
जीवों में कार्बन आधारित अणुओं के नाम बताइये।
उत्तर:
जीवों में कार्बन आधारित अणु-प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स वसा, न्यूक्लिक अम्ल और विटामिन हैं।

प्रश्न 43.
श्वसन क्रिया में ग्लूकोज किसमें बदल जाता है?
उत्तर:
श्वसन क्रिया के फलस्वरूप ग्लूकोज ऊर्जा और CO2 में बदल जाता है।

प्रश्न 44.
ग्रीन हाउस प्रभाव किस गैस के कारण होता है?
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव CO2 गैस के कारण होता है।

प्रश्न 45.
ग्रीन हाउस प्रभाव का पृथ्वी पर क्या असर पड़ रहा है?
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव द्वारा वैश्विक ऊष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

प्रश्न 46.
वायुमण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा कितने प्रतिशत है?
उत्तर:
वायुमण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा 21% है।

प्रश्न 47.
किन जैविक अणुओं में ऑक्सीजन पाई जाती है?
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, वसा और न्यूक्लिक अम्ल में ऑक्सीजन पाई जाती है।

प्रश्न 48.
ओजोन परत का कार्य बताइये।
उत्तर:
ओजोन परत सूर्य के हानिकारक विकिरणों (पराबैंगनी किरणों) को सोखकर पृथ्वी की सतह पर आने से रोकती है।

प्रश्न 49.
ओजोन परत की क्षति किसके कारण हो रही है?
उत्तर:
ओजोन परत की क्षति (ह्रास) क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) के कारण हो रही है।

प्रश्न 50.
ओजोन परत में छिद्र कहाँ पाया गया है?
उत्तर:
ओजोन परत में छिद्र अंटार्कटिका के ऊपर पाया गया है।

लघुत्तरात्मक एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक सम्पदा या संसाधन किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक सम्पदा या संसाधन मानवों के लिए उपयोगी प्रकृति में पाए जाने वाले विभिन्न पदार्थों के भण्डार प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। हमारी मौलिक आवश्यकताएँ जैसे- भोजन, आश्रय, वस्त्र आदि इन्हीं प्राकृतिक संसाधनों से पूरी होती हैं वायु, जल, मृदा, कोयला, पेट्रोलियम, खनिज धातुएँ, वनस्पति तथा जन्तु सभी प्राकृतिक संसाधन हैं। हमारी मूल आवश्यकताओं के अतिरिक्त ये ऊर्जा के स्रोत हैं।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार उदाहरण सहित बताओ।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार प्राकृतिक संसाधन दो प्रकार के होते हैं-
1. क्षय योग्य या समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन – ये वे प्राकृतिक संसाधन हैं जिनके प्रकृति में सीमित भण्डार हैं। मानव क्रियाकलापों के द्वारा इनकी मात्रा एवं गुणवत्ता में कमी आ रही है। इनका पुनः पूरण या निर्माण लगभग असम्भव है। उदाहरणार्थ- कोयला, पेट्रोलियम, खनिज, वन्य जीव, मृदा आदि।

2. अक्षय या समाप्त न होने वाले प्राकृतिक संसाधन ये वे प्राकृतिक संसाधन हैं जो प्रकृति में असीमित मात्रा में पाए जाते हैं तथा मानवीय क्रिया कलापों द्वारा इनको समाप्त नहीं किया जा सकता है। उदाहरणार्थ- सौर ऊर्जा, वायु, जल आदि।

प्रश्न 3.
जल एक अद्भुत द्रव क्यों है?
उत्तर:
इसके उत्तर के लिए खण्ड 14.2 देखिये।

प्रश्न 4.
हमें शुद्ध जल कहाँ से और कैसे प्राप्त होता है?
उत्तर:
इसके उत्तर के लिए क्रियाकलाप 14.7 का तीसरा पैराग्राफ देखिए।

प्रश्न 5.
जल हमारे लिए महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर:
इसके उत्तर के लिए क्रियाकलाप 14.7 का पैराग्राफ 5 देखिए।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

प्रश्न 6.
जल प्रदूषण के प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
जल प्रदूषण के कारण – खण्ड 14.2.1 देखिये।

प्रश्न 7.
मृदा बनाने वाली प्रमुख कारक प्रक्रियाएँ बताइये।
उत्तर:
मृदा बनाने वाली प्रमुख कारक प्रक्रियाएँ- खण्ड 14.3 के अन्तर्गत सूर्य, जल, वायु तथा जीव का अध्ययन कीजिए।

प्रश्न 8.
जैव-रासायनिक चक्रण क्या होता है?
उत्तर:
जैव-रासायनिक चक्रण-पौधे वातावरण से ऊर्जा के अतिरिक्त विभिन्न अजैविक पदार्थों को ग्रहण करके जटिल जैविक क्रियाओं द्वारा इनको कार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित करते रहते हैं। मृत्यु के पश्चात् जटिल कार्बनिक पदार्थ पुनः अकार्बनिक यौगिकों में अपघटित कर दिये जाते हैं जिससे जीवधारी इनका पुनः उपयोग कर सकें। इसके अन्तर्गत जैविक, भौतिक तथा रासायनिक क्रियाएँ होती रहती हैं। पारिस्थितिक तन्त्र या जीवमण्डल में इनका पुनः प्रवेश करना जैव रासायनिक चक्रण कहलाता। जो प्रकृति में चलते रहते हैं।

उदाहरणार्थ- जलीय चक्र, नाइट्रोजन चक्र, कार्बन चक्र, ऑक्सीजन चक्र आदि।

प्रश्न 9.
प्रकृति में जलीय चक्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जलचक्र के लिए खण्ड 14.4.1 देखिए।

प्रश्न 10.
प्रकृति में नाइट्रोजन चक्र किस प्रकार चलता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नाइट्रोजन चक्र के लिए खण्ड 14.4.2 देखिए।

प्रश्न 11.
जीव मण्डल में कार्बन चक्र किस प्रकार सम्पन्न होता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जीवमण्डल में कार्बन चक्र के लिए खण्ड 14.43 देखिए।

प्रश्न 12.
ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है? समझाइए।
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव – सूर्य द्वारा उत्सर्जित विकिरण वायुमण्डल में प्रवेश करते हैं तथा पृथ्वी तल से टकराकर परावर्तित होते हैं। वायुमण्डल में उपस्थित CO2 गैस एवं कुछ अन्य गैसें पृथ्वी से परावर्तित विकिरणों को कुछ सीमा तक वायुमण्डल के ऊपरी भाग में रोकती हैं या परावर्तित विकिरणों को अवशोषित कर लेती हैं।

इससे वायुमण्डल के तापमान में वृद्धि हो जाती है। वायुमण्डलीय गैसों द्वारा पृथ्वी से परावर्तित विकिरणों का अवशोषण कर लेने के कारण वायुमण्डल का गर्म होना ग्रीन हाउस प्रभाव कहलाता है। CO2 एक ग्रीन हाउस प्रभाव वाली गैस है जो वायुमण्डल की ऊष्मा या ताप में वृद्धि कर वैश्विक ऊष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) की स्थिति उत्पन्न कर रही है। यदि यह अधिक बढ़ जाए तो पर्वतों तथा ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघलने लगेगी जिससे मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ भी आ सकती है।

प्रश्न 13.
प्रकृति में ऑक्सीजन चक्र का विवरण दीजिए।
उत्तर:
ऑक्सीजन चक्र का विवरण खण्ड 14.4.4 के अन्तर्गत देखिए।

प्रश्न 14.
ओजोन परत क्या है? इसका महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ओजोन परत – वायुमण्डल में तत्वीय ऑक्सीजन सामान्यतः द्विपरमाण्विक अणु (O2) के रूप में पाई जाती है। परन्तु 16 किमी. की ऊँचाई पर सूर्य की किरणें वहाँ उपस्थित ऑक्सीजन (O) को तीन परमाणु वाले आणुओं अर्थात् ओजोन (O3) में परिवर्तित कर देती हैं। 23 किमी. की ऊँचाई तक ओजोन का घनत्व अधिकतम होता है।

ओजोन की परत पृथ्वी के समस्त जीवों के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। यह परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों को अवशोषित कर लेती है जिससे पराबैंगनी विकिरणें पृथ्वी तक नहीं पहुँच पातीं। पराबैंगनी विकिरणों का तरंगदैर्ध्य कम होने के कारण यह हमारे शरीर में बहुत गहराई तक प्रवेश कर सकती हैं और शरीर के विभिन्न ऊतकों को नष्ट करके त्वचा के कैंसर का कारण बन सकती हैं। ओजोन परत मनुष्य की पराबैंगनी विकिरणों के हानिकारक प्रभाव से रक्षा करती है।

प्रश्न 15.
क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) ओजोन परत को किस प्रकार हानि (क्षति) पहुँचाते हैं?
उत्तर:
क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) वातानुकूलन (एयर कण्डीशनर) तथा शीतलन संयंत्रों में प्रयुक्त किये जाते हैं। जब ये वायुमण्डल में स्थिर अवस्था में उपस्थित हो जाते हैं। तो ये स्थायी होने के कारण किसी भी जैविक क्रिया से विघटित नहीं होते हैं। एक बार जब ये ओजोन परत के समीप पहुँच जाते हैं तो वे विसरित होकर पराबैंगनी किरणें के प्रभाव से विखण्डित हो जाते हैं और फिर ओजोन परत को क्षतिग्रस्त कर देते हैं। हाल ही में अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में छिद्र का पाया जाना CFC के प्रभाव का परिणाम है।

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Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा Textbook Exercise Questions and Answers.

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प्रश्न 1.
जीवन के लिए वायुमण्डल क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
जीवन के लिए वायुमण्डल की आवश्यकताजीवों के लिए वायुमण्डल बहुत आवश्यक है। पृथ्वी पर जीवन वायु के घटकों का परिणाम है। स्थलीय जन्तु श्वसन के लिए ऑक्सीजन वायुमण्डल से ही प्राप्त करते हैं। जलीय जीव इसे पानी में घुली हुई अवस्था में प्राप्त करते हैं। यूकैरियोटिक तथा प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं को ग्लूकोज के अणुओं को तोड़ने के लिए तथा उससे ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इसी कारण CO2 उत्पन्न होती है। पौधे इस CO2 को ग्लूकोज में बदलते हैं तथा अपने लिए भोजन के रूप में प्राप्त करते हैं। वायुमण्डल ने पूरी पृथ्वी को कम्बल की तरह ढक रखा है।

वायु ताप की कुचालक है इसलिए वायुमण्डल पृथ्वी के औसत तापमान को पूरे वर्ष भर लगभग नियत रखता है। वायुमण्डल दिन के तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है और रात के समय ऊष्मा को बाहरी अन्तरिक्ष में जाने की दर को कम करता है। मौसम सम्बन्धी सभी क्रियाएँ वायुमण्डल द्वारा निर्मित होती हैं। इसलिए जीवन के लिए वायुमण्डल आवश्यक है।

प्रश्न 2.
जीवन के लिए जल क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:
जीवन के लिए जल की अनिवार्यता – जल जीवमण्डल का एक महत्त्वपूर्ण निर्जीव घटक है। जल बहुत से पदार्थों को अपने में घोल लेने में सक्षम है। जीवन की विभिन्न प्रक्रियाओं में स्थलीय जीव-जन्तु और पौधे जल का उपयोग करते हैं। सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में ही होती हैं। हमारे शरीर में या कोशिकाओं के अन्दर होने वाली सभी प्रक्रियाएँ जल में घुले हुए पदार्थों से ही होती हैं। शरीर के अन्दर पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है। इसलिए सजीव प्राणी व पौधे जीवित रहने के लिए अपने शरीर में जल की मात्रा का सन्तुलन बनाये रखते हैं। स्थलीय जीवों को जीवित रहने के लिए शुद्ध जल की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
जीवित प्राणी मृदा पर कैसे निर्भर हैं? क्या जल में रहने वाले जीव सम्पदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतन्त्र हैं?
उत्तर:
जीवित प्राणियों की मृदा पर निर्भरता जीवित प्राणी मृदा पर ही निर्भर करते हैं। मृदा में उत्पन्न पेड़-पौधों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं जो हमें ऊर्जा प्रदान करता है। जीवनयापन के लिए अन्य बहुत से आवश्यक तत्व मृदा से ही प्राप्त होते हैं। पौधे अनेक प्रकार के खनिज लवण मृदा से ही प्राप्त करते हैं और भोजन के तत्वों के रूप में प्राणियों के जीवन का आधार बनते हैं। जल में रहने वाले जीव सम्पदा के रूप में मुदा से पूरी तरह स्वतन्त्र नहीं हैं।

क्योंकि जलीय जीव भी भोजन और ऊर्जा के लिए जल में उगने वाले पौधों पर आश्रित हैं। जलीय पौधे खनिजों को जल से प्राप्त करते हैं। इस प्रकार जल में रहने वाले जीव सम्पदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतन्त्र हैं। परन्तु फिर भी कहीं न कहीं मृदा का उनके साथ सम्बन्ध अवश्य है।

प्रश्न 4.
आपने टेलीविजन पर और समाचार-पत्र में मौसम सम्बन्धी रिपोर्ट को देखा होगा। क्या आप सोचते हैं कि हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं?
उत्तर:
मौसम का पूर्वानुमान जी हाँ, हम मौसम के पूर्वानुमान के सम्बन्ध में भविष्यवाणी पवनों की दिशाओं का अध्ययन करने के बाद कर सकते हैं। पवनों की दिशाओं द्वारा हमें वर्षा होने या न होने, पवनों की गति, तापमान आदि की जानकारी मिल जाती है। पवनों का पैटर्न हमें बता सकता है कि किस दिशा में गर्म और ठंडी हवाएँ बहेंगी और कम वायु दाब तथा उच्च वायु दाब वाले क्षेत्र कौन-कौन से हैं। भारत के अधिकतर भाग में वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी या पूर्वी उत्तरी मानसूनों (मौसमी हवाओं) द्वारा होती है। कम वायु दाब तथा उच्च वायु दाब वाले क्षेत्रों को पहचान कर और मानसून पवनों की दिशा ज्ञात कर हम मौसम सम्बन्धी पूर्वानुमान लगा सकते हैं।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

प्रश्न 5.
हम जानते हैं कि बहुत सी मानवीय गतिविधियाँ वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण स्तर को बढ़ा रही हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता मिलेगी?
उत्तर:
बहुत से मानवीय क्रियाकलाप वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण स्तर को निरन्तर बढ़ा रहे हैं। यदि इन क्रिया कलापों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर दिया जाए तो प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता मिल सकेगी। यातायात के भारी वाहनों का अस्पतालों के आसपास व घनी बस्तियों में आवागमन प्रतिबन्धित कर वातावरण में हानिकारक गैसों पर नियन्त्रण पाया जा सकता है। पेट्रोल और डीजल के स्थान पर वाहनों में CNG का प्रयोग कुछ नगरों में प्रारम्भ किया गया है जिसके अनुकूल प्रभाव दिखाई दिये हैं।

खानों की खनन क्रिया को रोककर वायुमण्डल तथा पेड़-पौधों की रक्षा की गई है। नदियों के जल के शुद्धीकरण के लिए प्रयत्न किये गये हैं। यह ठीक है कि हमारे देश में जनसंख्या बहुत अधिक है, अशिक्षा है, निर्धनता है, परन्तु फिर भी प्रयत्न करने पर सकारात्मक परिणाम अवश्य प्राप्त होंगे। इनसे प्रदूषण तो पूर्णरूपेण समाप्त नहीं होगा परन्तु प्रदूषण के स्तर को घटाने में अवश्य सहायता मिलेगी।

प्रश्न 6.
जंगल वायु, मृदा तथा जलीय स्रोत की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
जंगल (वन) तीनों प्राकृतिक स्रोतों वायु, जल तथा मृदा की गुणवत्ता को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित करते हैं-
1. जंगल वायुमण्डल में CO2 तथा O2 के अनुपात को बनाए रखते हैं-वृक्ष हमारे पर्यावरण से CO2 गैस की अवशोषित करके तथा O2 गैस मुक्त करके पर्यावरण को स्वच्छ करने का महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं, जिसके कारण वायुमण्डल में CO2 और O2 की मात्रा का अनुपात ठीक बना रहता है।

2. जंगल मृदा अपरदन को रोकने में सहायक होते हैं- वृक्षों तथा अन्य पौधों एवं वनस्पतियों की जड़ें मिट्टी को जकड़े रहती हैं। यह जल तथा वायु के तेज प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करते हैं जिसके कारण मृदा का अपरदन नहीं होने पाता है तथा मृदा की ऊपरी उपजाऊ परत का संरक्षण होता रहता है।

3. जंगल जलस्रोतों के पुनः पूरण में सहायक होते हैंवृक्ष वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया द्वारा अत्यधिक मात्रा में जलवाष्प उत्सर्जित करते हैं। यह जलवाष्प संघनित होकर वर्षा वाले बादलों में परिवर्तित हो जाती है। यदि किसी क्षेत्र में वृक्षों की संख्या कम होगी तो उस क्षेत्र में वर्षा कम होगी, परिणामस्वरूप, उस क्षेत्र में जल की कमी हो जायेगी और एक समय ऐसा आयेगा कि वह क्षेत्र मरुस्थल (रेगिस्तान) बन सकता है। अतः ऐसे स्थानों पर वृक्षारोपण और उनकी सुरक्षा करना बहुत आवश्यक है।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वन वृक्ष वर्षा को आकर्षित करते हैं जिससे हमारे जलस्रोतों का पुनः पूरण होता रहता है। अतः वन (जंगल) हमारे राष्ट्र की अमूल्य निधि हैं।

Jharkhand Board Class 9 Science प्राकृतिक सम्पदा InText Questions and Answers

क्रियाकलाप 14.1. (पा. पु. पृ. सं. 214)
निम्नलिखित का ताप मापिए- (i) जल से भरा एक बीकर, (ii) मृदा या बालू से भरा एक बीकर और (iii) एक बन्द बोतल लें, जिसमें थर्मामीटर लगा हो। इन सभी को सूर्य के प्रकाश में तीन घन्टे तक रखो। अब तीनों बोतलों के तापमान को मापो। इसी समय छाया में भी तापमान को देखिए।
(i) या (ii) में से किसमें तापमान की माप अधिक है?
उत्तर:
(ii) मृदा या बालू से भरे बीकर का तापमान अधिक है।

प्राप्त निष्कर्ष के आधार पर कौन सब से पहले गर्म होगा – स्थल या समुद्र?
उत्तर:
सबसे पहले स्थल गर्म होगा।

क्या छाया में वायु का तापमान बालू तथा जल के तापमान के समान होगा? आप इसके कारण के बारे में क्या सोचते हैं और तापमान को छाया में क्यों मापा जाता है?
उत्तर:
छाया में वायु का तापमान बालू तथा जल के तापमान से कम होगा, क्योंकि बालू जल्दी गर्म हो जाती है। इसी प्रकार जल भी वायु की अपेक्षा जल्दी गर्म हो जाता है।

तापमान को छाया में इसलिए मापा जाता है कि सूर्य की गर्मी या किरणों के परावर्तन के कारण तापमान में वृद्धि हो जाती है। अतः इसके कारण तापमान सही मापने में अनुमान लगाना कठिन होता है।

क्या बन्द बोतल या शीशे के बर्तन में लिया गया हवा का तापमान और खुले में लिया गया हवा का तापमान समान है? इसके कारण के बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या हम प्रायः इस प्रकार की घटनाओं से अवगत होते हैं?
उत्तर:
बन्द बोतल या शीशे के बर्तन में ली गई हवा का तापमान खुले में लिए गए तापमान से कम होगा क्योंकि बाहर की हवा अन्दर की हवा की तुलना में अधिक गर्म होती है और उस पर मौसम का प्रभाव भी बना रहता है। हम इस प्रकार की घटनाओं से प्रतिदिन अवगत होते रहते हैं।

क्रियाकलाप 14.2. (पा.पु. पृ. सं. 214)
चित्र 14.1 के अनुसार एक मोमबत्ती को चौड़े मुँह वाली बोतल या बीकर में रखकर उसे जलाते हैं। अब एक अगरबत्ती को जलाकर उसे बोतल के मुँह के पास ले जाते हैं।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा 1
जब अगरबत्ती को बोतल के मुँह के किनारे पर ले जाया जाता है तब अवलोकन करते हैं कि धुँआ किस ओर जाता है? जब अगरबत्ती को मोमबत्ती के थोड़ा ऊपर रखा जाता है। तब धुँआ किस ओर जाता है?

दूसरे भागों में जब अगरबत्ती को रखा जाता है तब धुँआ किस ओर जाता है?

धुँआ की दिशाओं को देखने से हमें पता चलता है कि किस दिशा में गर्म और ठंडी हवाएँ बहती हैं। इसी प्रकार जब वायु स्थल और जल के विकिरण के कारण गर्म होती है। तब यह ऊपर की ओर प्रवाहित होती है। चूँकि जल की अपेक्षा स्थल शीघ्र गर्म हो जाता है इसलिए स्थल के ऊपर की वायु जल के ऊपर की वायु की अपेक्षा तेजी से गर्म होती है।

दिन में जब हम तटीय क्षेत्रों की ओर देखते हैं तो पाते हैं कि स्थल के ऊपर की वायु तेजी से गर्म होकर ऊपर की और उठना प्रारम्भ कर देती है। जैसे ही यह वायु ऊपर की ओर उठती है, वहाँ कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है और समुद्र के ऊपर की वायु कम दाब वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित हो जाती है। एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में वायु की गति पवनों (winds) का निर्माण करती है। दिन के समय हवा की दिशा समुद्र से स्थल की ओर हो जाती है।

रात के समय स्थल और समुद्र दोनों ठंडे होने लगते हैं। चूँकि स्थल की अपेक्षा जल धीरे-धीरे ठंडा होता है। इसलिए जल के ऊपर की वायु स्थल के ऊपर की वायु से गर्म होगी।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

तटीय क्षेत्रों पर कम तथा उच्च दाब के क्षेत्र रात में प्रतीत होते हैं, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि दिन के समय हवा की दिशा समुद्र से स्थल की ओर होती है। दिन के समय स्थल के ऊपर की वायु तेज गति से गर्म होकर ऊपर उठने लगती है। जैसे ही यह वायु ऊपर की ओर उठती है, वहाँ कम दाब का क्षेत्र बन जाता है और समुद्र के ऊपर की वायु कम दाब वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित हो जाती है।

तटीय क्षेत्रों में रात के समय वायु की दिशा क्या होगी?
उत्तर:
रात के समय स्थल और समुद्र दोनों ठण्डे होने लगते हैं। चूँकि स्थल की अपेक्षा जल धीरे-धीरे ठंडा होता है। इसलिए जल के ऊपर की वायु स्थल के ऊपर की वायु से अधिक गर्म होगी तथा वायु का प्रवाह ऊपर की ओर होगा। हवा की गति और दिशाओं को बहुत से अन्य कारक भी प्रभावित करते हैं, जैसे- पृथ्वी की घूर्णन गति तथा पवन के मार्ग में आने वाली पर्वत श्रृंखलाएँ।

क्रियाकलाप 14.3. (पा. पु. पृ. सं. 215)
एक पतली प्लास्टिक की बोतल लेकर इसमें 5 से 10 ml जल भर लेते हैं तथा बोतल को कसकर बन्द कर देते हैं। अब इसे अच्छी तरह से हिलाकर 10 मिनट तक धूप में रख देते हैं। इससे बोतल में मौजूद वायु जलवाष्प से संतृप्त हो जाती है।

अब एक जली हुई अगरबत्ती लेते हैं और बोतल के मुँह को खोलकर अगरबत्ती के धुँए की कुछ मात्रा को बोतल के अन्दर जाने देते हैं। पुनः बोतल को कसकर बन्द कर देते हैं। बोतल को अपनी हथेलियों के बीच में रखकर खूब जोर से दबाते हैं। अब कुछ समय तक प्रतीक्षा करने के बाद बोतल को छोड़ देते हैं। एक बार पुनः बोतल को जितना जोर से सम्भव हो, दबाते हैं।

आपने कब देखा कि बोतल के अन्दर स्थित हवा कुहरे की भाँति हो जाती है?
उत्तर:
बोतल के अन्दर की हवा कुहरे की भाँति तब हो जाती है जब हमने अगरबत्ती के धुँए की कुछ मात्रा को बोतल के अन्दर जाने दिया।

यह कुहासा कब समाप्त होता है?
उत्तर:
यह कुहांसा तब समाप्त होता है जब हम बोतल को हथेलियों के बीच रखकर जोर से दबाते हैं।

बोतल के अन्दर दाब कब अधिक है?
उत्तर:
बोतल के अन्दर अगरबत्ती का धुँआ पहुँचने के बाद बोतल के अन्दर का दाब अधिक हो गया।

कुहासा दिखाई देने की स्थिति में, बोतल के अन्दर का दाब कम है या अधिक।
उत्तर:
कुहासा दिखाई देने की स्थिति में बोतल के अन्दर का दाब अधिक होगा।

इस प्रयोग के लिए बोतल के भीतर धुँए की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
इस बोतल के भीतर दाब बढ़ाने के लिए और बादल की संरचना प्रदर्शित करने के लिए धुँए की आवश्यकता हैं।

क्या होगा जब हम इस प्रयोग को बिना अगरबत्ती के धुँए के करेंगे? अब ऐसा प्रयत्न करते हैं और देखते हैं कि परिकल्पना सही थी या गलत।
उत्तर:
जब हम इस प्रयोग को बिना अगरबत्ती के धुए के करेंगे तो बोतल में कुहासा की स्थिति नहीं बनेगी। इस स्थिति में प्रयोग करने पर हमें यह मालूम हो जाता है कि परिकल्पना सही थी।

क्या होता है जब जलवाष्प से भरी हुई वायु उच्च दाब वाले क्षेत्र से कम दाब वाले क्षेत्र में या इसके विपरीत प्रवाहित होती है?
उत्तर:
दिन के समय जब जलीय भाग गर्म हो जाते हैं तब बहुत अधिक मात्रा में जलवाष्प बन जाती है और यह वाष्प वायु में प्रवाहित हो जाती है जलवाष्प की कुछ मात्रा विभिन्न जैविक क्रियाओं के कारण वायुमण्डल में चली जाती है। यह वायु भी गर्म हो जाती है। गर्म वायु अपने साथ जलवाष्प को लेकर ऊपर की ओर उठ जाती है।

यह वायु ऊपर पहुँचकर फैलती है तथा ठंडी हो जाती है। ठंडा होने के – कारण हवा में उपस्थित जलवाष्प छोटी-छोटी जल की बूँदों में संघनित हो जाती है जिन्हें बादल कहते हैं। जल का यह संघनन सरलतापूर्वक हो जाता है। कुछ कण नाभिक के समान कार्य करके अपने चारों ओर बूँदों को एकत्र होने देते हैं। सामान्यतः वायु में उपस्थित धूल के कण तथा दूसरे निलम्बित कण नाभिक के रूप में कार्य करते हैं।

एक बार जब जल की बूँदें बन जाती हैं तो वे संघनित होने के कारण बड़ी हो जाती हैं। बड़ी और भारी हो जाने पर ये बूँदें वर्षा के रूप में नीचे की ओर गिरती हैं। कभी-कभी जब वायु का तापमान बहुत कम हो जाता है तब ये हिम वृष्टि अथवा ओलों के रूप में गिरती हैं।

वर्षा का पैटर्न पवनों के पैटर्न पर निर्भर करता है। भारत के बहुत बड़े भू-भाग में अधिकतर वर्षा दक्षिण-पश्चिम या उत्तर पूर्वी मानसून के कारण होती है। ऐसा बंगाल की खाड़ी पर वायु का दाब कम होने के कारण कई क्षेत्रों में वर्षा होती है।

क्रियाकलाप 14.4. (पा.पु. पृ. सं. 216)
पूरे देश में होने वालो वर्षा के पैटर्न के बारे में समाचार पत्र या टेलीविजन के माध्यम से मौसम सम्बन्धी सूचनाओं की जानकारी एकत्र करते हैं। यह भी पता लगाते हैं कि एक वर्षामापक यन्त्र कैसे बनाया जाता है और उसे बनाते हैं। वर्षामापक यन्त्र से सही डाटा (आँकड़े) प्राप्त करने के लिए कौन-कौन से सुरक्षात्मक उपाय करने आवश्यक हैं?

किस महीने में आपके शहर/नगर/ गाँव में सबसे अधिक वर्षा हुई?
उत्तर:
जुलाई और अगस्त के महीने में हमारे शहर / नगर / गाँव में सबसे अधिक (मानसूनी) वर्षा हुई।

किस महीने में आपके राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश में सबसे अधिक वर्षा हुई?
उत्तर:
जुलाई-अगस्त के महीने में हमारे राज्य में सबसे अधिक वर्षा हुई।

क्या वर्षा हमेशा बादल गरजने और बिजली चमकने के साथ होती है? अगर नहीं, तो किस मौसम में सबसे अधिक वर्षा, बादल गरजने और बिजली चमकने के साथ होती है।
उत्तर:
वर्षा हमेशा बादल गरजने और बिजली चमकने के साथ नहीं होती है। जून-जुलाई तथा अगस्त में ग्रीष्मकालीन मौसम में सर्वाधिक वर्षा बादल गरजने एवं बिजली चमकने के साथ होती है।

क्रियाकलाप 14.5. (पा. पु. पू. सं. 216)
पुस्तकालय से मानसून और चक्रवात के बारे में और अधिक जानकारी एकत्र करें। किसी दूसरे देश की वर्षा के पैटर्न का पता लगाएँ क्या पूरे विश्व में वर्षा के लिए मानसून उत्तरदायी होता है?
उत्तर:
मानसून पवनें- वे पवनें हैं जिनकी दिशा मौसम के अनुसार पूर्णरूपेण उल्टी हो जाती है ये पवनें ग्रीष्म ऋतु के 6 महीने समुद्र से स्थल की ओर तथा शीत ऋतु के 6 महीने स्थल से समुद्र की ओर चलती है। ये पवनें मुख्य रूप से भारत, पाकिस्तान, बंग्लादेश, बर्मा, श्रीलंका, अरब सागर, बंगाल की खाड़ी, चीन, जापान, उत्तरी आस्ट्रेलिया एवं अमेरिका में चलती हैं।

क्रियाकलाप 14.6.
लाइकेन नामक जीव वायु में उपस्थित सल्फर डाइऑक्साइड के स्तर के प्रति अधिक संवेदी होते हैं। ये प्रायः वृक्षों की छालों पर पतले हरे और सफेद रंग की परत के रूप में पाए जाते हैं। यदि आप के आस-पास वृक्षों पर लाइकेन है तो आप उसे देख सकते हैं।
व्यस्त सड़क के समीप पेड़ पर स्थित लाइकेन और कुछ दूरी पर स्थित पेड़ पर स्थित लाइकेन की तुलना करें।
सड़क के समीप स्थित पेड़ों पर सड़क की ओर की सतहों पर लगे लाइकेन की तुलना सड़क की विपरीत दिशा की ओर वाली सतहों पर लगे लाइकेन से करें।

खंड 14.1.4 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 217)

प्रश्न 1.
शुक्र और मंगल ग्रहों के वायुमण्डल से हमारा वायुमण्डल कैसे भिन्न है?
उत्तर:
शुक्र और मंगल ग्रहों के वायुमण्डल का मुख्य घटक कार्बन डाइऑक्साइड है। इनके वायुमण्डल में 95 से 97 प्रतिशत तक कार्बन डाइऑक्साइड है। जबकि हमारी पृथ्वी के वायुमण्डल में नाइट्रोजन ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा जलवाष्प का मिश्रण है।

प्रश्न 2.
वायुमण्डल एक कम्बल की तरह कैसे कार्य करता है?
उत्तर:
वायु ऊष्मा का कुचालक है वायुमण्डल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय और यहाँ तक कि पूरे वर्ष भर लगभग नियत रखता है। वायुमण्डल दिन में तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है और रात के समय ऊष्मा की बाहरी अन्तरिक्ष में जाने की दर को कम करता है। इस तरह वायुमण्डल एक कम्बल की तरह कार्य करता है।

प्रश्न 3.
वायु प्रवाह (पवन) के क्या कारण हैं?
उत्तर:
वायु प्रवाह, हमारे वायुमण्डल में हवा के गर्म होने और जलवाष्प बनने का परिणाम है जलवाष्प जीवित प्राणियों के क्रियाकलापों और जल के गर्म होने के कारण बनती है। स्थलीय भाग या जलीय भाग से होने वाले विकिरण के परावर्तन तथा पुनर्विकिरण के कारण वायुमण्डल गर्म होता है जिससे वायु में संवहन धाराएँ उत्पन्न होती हैं।

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प्रश्न 4.
बादलों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
बादलों का निर्माण क्रियात्मक प्रश्नोत्तर 14.3 के अन्तर्गत प्रश्न (7) का उत्तर देखिए।.

प्रश्न 5.
मनुष्य के तीन क्रियाकलापों का उल्लेख करें, जो वायु प्रदूषण में सहायक हैं।
उत्तर:
वायु प्रदूषण में सहायक मनुष्य के तीन क्रियाकलाप निम्नलिखित हैं-

  • मोटर वाहनों में पेट्रोल और डीजल का उपयोग ईंधन के रूप में करना।
  • कल-कारखानों, इंजनों और थर्मल पावर स्टेशनों में कोयले का ईंधन के रूप में उपयोग किया जाना तथा औद्योगिक विस्तार।
  • अन्य मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न होने वाला धुँआ, वनों की अबाध कटाई तथा नगरीकरण का विकास आदि।

क्रियाकलाप 14.7. (पा.पु. पू. सं. 218)
बहुत से नगर निगम जल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए जल संग्रहण की तकनीकों पर कार्य कर रहे हैं। पता लगाइये कि ये कौन कौन-सी तकनीक हैं तथा ये उपयोग के लिए उपलब्ध जल की मात्रा बढ़ाने में किस प्रकार सहायक हैं?
उत्तर:
जल की उपलब्धता विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न है। गर्मी में अधिकतर स्थानों पर भूमिजल की मात्रा भी कम हो जाती है। शुद्ध जल के भंडार विभिन्न स्थानों पर बिखरे हुए हैं। देश के प्रत्येक व्यक्ति तक शुद्ध पेय जल पहुँचाना सरकार का कार्य है। यह कार्य नगर निगमों के द्वारा जल आपूर्ति करके किया जाता है।

शुद्ध जल हमें प्राकृतिक रूप में वर्षा के द्वारा प्राप्त होता है जो नदियों, तालाबों और झीलों के रूप में मिलता है। इस जल को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने हेतु नदियों पर बड़े-बड़े बाँध बनाये जाते हैं। फिर इन बाँधों से नहरों के द्वारा इस जल को गाँव-गाँव तक पहुँचाया जाता है। शहर और कस्बों में तालाब या बड़े-बड़े टैंकों में नहर से जल की आपूर्ति होती रहती है। पहले नहर के जल को क्लोरीनीकरण क्रिया या छनन क्रिया द्वारा शुद्ध करके पाइप लाइनों के माध्यम से घर-घर तक पहुँचाया जाता है।

बाँधों में संग्रहित जल से बिजली बनाई जाती है, सिंचाई की जाती है तथा करोड़ों लोगों को समय पर शुद्ध पेय जल मिलता है। जल संग्रहण तकनीक से जल की उपलब्धता की मात्रा कई गुना बढ़ गई है।

जल हमारे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि सभी प्रतिक्रियाएँ जो हमारे शरीर में या कोशिकाओं के अन्दर होती हैं वह जल में घुले हुए पदार्थों में, जलीय माध्यम में होती हैं। शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है। स्थलीय जीवों को जीवित रहने के लिए शुद्ध जल की आवश्यकता होती है क्योंकि खारे जल में नमक की अधिक मात्रा होने के कारण जीवों का शरीर उसे सहन नहीं कर पाता है। इसलिए प्राणियों और पौधों को पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए सुगमतापूर्वक जल उपलब्धि के स्रोत आवश्यक हैं।

क्रियाकलाप 14.8. (पा.पु. पू. सं. 218)
किसी नदी, तालाब या झील के समीप एक छोटे से स्थान को चुनते हैं। माना कि एक वर्ग मीटर। इस क्षेत्र में पाए जाने वाले विभिन्न पौधों एवं जन्तुओं की संख्या को गिन लें। प्रत्येक स्पीशीज की अलग-अलग गणना करें।
इसकी तुलना सूखे और पथरीले भाग के उतने ही बड़े क्षेत्र में पाए जाने वाले जन्तुओं और पौधों से करें। क्या दोनों क्षेत्रों में पाए जाने वाले पौधे और जन्तु एक प्रकार के हैं?
उत्तर:
क्रियाकलाप के अनुसार हमने चुने हुए दोनों क्षेत्रों के पौधों और जन्तुओं की गणना कर ली।

नदी के पास वाले क्षेत्र की सूखे और पथरीले क्षेत्र से तुलना करने पर हमने पाया कि सूखे व पथरीले क्षेत्र में बहुत ही कम स्पीशीज के थोड़े से पौधे और जन्तु थे जबकि सूखे क्षेत्र की तुलना में नदी के समीप वाले क्षेत्र में कई गुना अधिक विभिन्न प्रकार के सैकड़ों पौधों और जन्तुओं की स्पीशीज पाई गई।

क्रियाकलाप 14.9. (पा.पु. पु. सं. 218)
अपने विद्यालय के समीप या किसी प्रयोग में न आने वाली भूमि को चुनें।
उसी प्रकार उस क्षेत्र में पाए जाने वाले विभिन्न जन्तुओं और पौधों तथा प्रत्येक स्पीशीज के जीवों की संख्याओं की गणना करें।
उसी स्थान की गणना वर्ष में दो बार करें। एक बार गर्मी में या सूखे मौसम में और दूसरी बार बरसात के मौसम के बाद।

अब उत्तर दें

प्रश्न 1.
क्या दोनों बार संख्याएँ समान थीं?
उत्तर:
नहीं, दोनों बार समान संख्या नहीं थीं।

प्रश्न 2.
किस मौसम में आपने विभिन्न प्रकार के पौधों और जन्तुओं की अधिकता पाई?
उत्तर:
बरसात के मौसम के बाद गणना करने पर गर्मी की गणना की अपेक्षा कई गुना अधिक पौधों और जन्तुओं की संख्या हमें प्राप्त हुई।

प्रश्न 3.
प्रत्येक प्रकार के जीवों की संख्या किस मौसम में अधिक थी?
उत्तर:
बरसात के बाद वाले मौसम में प्रत्येक प्रकार के जीवों की संख्या गर्मी वाले मौसम की संख्या से अधिक थी।

इसी प्रकार वर्षा के पैटर्न के अनुसार 200 cm वर्षा वाले क्षेत्र में हम सबसे अधिक प्रकार के जीवों की उपलब्धता पाते हैं।

मानचित्र में वर्षा के पैटर्न को देखकर हम असम तथा उत्तरांचल राज्यों में सबसे अधिक जैव विविधता पाते हैं, जबकि राजस्थान और गुजरात राज्यों में सबसे कम जैव विविधता पाते हैं।

निष्कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि जल की उपलब्धता प्रत्येक स्पीशीज के वर्ग जो कि एक विशेष क्षेत्र में जीवित रहने में सक्षम हैं, की संख्या को ही निर्धारित नहीं करती, अपितु यह वहाँ के जीवन में विविधता को भी निर्धारित करती है। जीवन की विविधता को निर्धारित करने के लिए जल के अतिरिक्त तापमान और मिट्टी की प्रकृति भी महत्त्वपूर्ण कारक है। किन्तु जल एक महत्त्वपूर्ण संपदा है जो जीवन को स्थल पर निर्धारित करता है।

खंड 14.2.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 219)

प्रश्न 1.
जीवों को जल की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
जीवों को जल की आवश्यकता – जीवों की सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं। हमारे शरीर में या कोशिकाओं में होने वाली प्रक्रियाएँ जल में घुलित पदार्थों में होती हैं। शरीर के एक भाग से दूसरे भागों में पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है। इसलिए जीवों को जीवित रहने के लिए जल की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
जिस गाँव / शहर / नगर में आप रहते हैं, वहाँ पर उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य स्रोत क्या है?
उत्तर:
हमारे गाँव में उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य स्रोत वर्षा तथा हैण्डपम्प का जल है। शहर / नगर में शुद्ध जल, टंकियों में एकत्रित किये हुए जल को क्लोरीनीकरण क्रिया द्वारा (या छनन क्रिया द्वारा) शुद्ध करके पाइप लाइनों के माध्यम से घर-घर पहुँचाया जाता है।

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प्रश्न 3.
क्या आप किसी ऐसे क्रियाकलाप के बारे में जानते हैं जो इस जल के स्रोत को प्रदूषित कर रहा है?
उत्तर:
हाँ, वें क्रियाकलाप हैं- जलाशयों में अनैच्छिक पदार्थों का डालना जैसे पीड़कनाशी, रासायनिक उर्वरक, कारखानों से निकलने वाले विषैले अपशिष्ट पदार्थ। शहरों की सीवर लाइनों तथा गन्दी नालियों का दूषित पानी, जिसमें अनेक प्रकार के विषाक्त पदार्थ मिले होते हैं।

क्रियाकलाप 14.10. (पा. पु. पृ. सं. 220)
कुछ मृदा लेकर उसे जल से भरे बीकर में डालते हैं। ली गई मृदा की मात्रा का लगभग 5 गुना जल लेते हैं। मृदा और जल को मिलाते हैं और फिर मृदा को नीचे जमने देते हैं। कुछ समय बाद उसका अवलोकन करें।
क्या बीकर के तल में मृदा समांगी है या परतों में विभाजित है?
अगर परतों का निर्माण हुआ है तो किस प्रकार एक परत दूसरे से भिन्न है?
क्या वहाँ जल की सतह पर कुछ तैर रहा है?

क्या आप सोच सकते हैं कि कुछ पदार्थ जल में घुल गए होंगे? आप इसे कैसे रोकेंगे?
उत्तर:
क्रियाकलाप से हमने देखा कि मृदा एक मिश्रण है। इसमें विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे टुकड़े मिले होते हैं। इसमें सड़े-गले जीवों के टुकड़े भी मिले होते हैं जिसे ह्यूमस (Humus) कहा जाता है। इसके अतिरिक्त मिट्टी में विभिन्न प्रकार के जीव भी मिले होते हैं। मृदा के प्रकार का निर्णय उसमें पाये जाने वाले कणों के औसत आकार द्वारा निर्धारित किया जाता है। मृदा के गुण का निर्धारण उसमें स्थित ह्यूमस की मात्रा और उसमें पाये जाने वाले सूक्ष्म जीवों के आधार पर किया जाता है।

मृदा की संरचना का मुख्य कारक ह्यूमस है, क्योंकि यह मृदा को सरन्ध्र बनाता है और वायु तथा जल को भूमि के अन्दर जाने में सहायक होता है। खनिज पोषक तत्व जो उस मृदा में पाये जाते हैं वह उन पत्थरों पर निर्भर करते हैं जिनसे मृदा बनी है। किस मृदा पर कौन सा पौधा होगा यह इस पर निर्भर करता है कि उस मृदा में पोषक तत्व कितने हैं, हयूमस की मात्रा कितनी है और उसकी गहराई कितनी है। इस प्रकार, मृदा की ऊपरी परत में जिसमें मृदा के कणों के अतिरिक्त हयूमस और सजीव स्थित होते हैं, उसे उपरिमृदा कहा जाता है। उपरिमृदा की गुणवत्ता, जो उस क्षेत्र की जैव विविधता को निर्धारित करती है, एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

आधुनिक समय में खेतों में पीड़कनाशकों और उर्वरकों का बहुत बड़ी मात्रा में प्रयोग हो रहा है। लम्बे समय तक इन पदार्थों का उपयोग करने से मृदा के सूक्ष्म जीव मृत हो जाते हैं और मृदा की संरचना को नष्ट कर सकते हैं जो कि मृदा के पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण करते हैं। ह्यूमस बनाने में सहायक भूमि में स्थित केंचुओं को भी वे समाप्त कर सकते हैं उपयोगी घटकों का मृदा से हटना और दूसरे हानिकारक पदार्थों का मृदा में मिलना जो कि मृदा की उर्वरता को प्रभावित करते हैं और उसमें स्थित जैविक विविधता को नष्ट कर देते हैं। इसे भूमि प्रदूषण कहते हैं।

क्रियाकलाप 14.11. (पा.पु. पू. सं. 221)
एक ही प्रकार की दो ट्रे लेकर मृदा से भर देते हैं। एक ट्रे में सरसों या मूंग अथवा धान या हरे चने का पौधा रोपते हैं और दोनों ट्रे में तब तक जल देते हैं जब तक कि जिस ट्रे में पौधा रोपा गया है, वह पौधे की वृद्धि से ढक नहीं जाए। यह सुनिश्चित कर लेते हैं कि दोनों ट्रे एक ही कोण पर झुके हों। दोनों ट्रे में समान मात्रा में जल इस प्रकार डालते हैं कि जल बाहर की ओर न निकलने पाए।

  • ट्रे से बाहर जाने वाली मृदा की मात्रा का अध्ययन करें। क्या बहने वाली मृदा की मात्रा दोनों ट्रे में समान है?
  • अब कुछ ऊँचाई से दोनों ट्रे में समान मात्रा में जल डालते हैं जितना कि हमने पहले डाला था उतनी ही मात्रा में जल तीन से चार बार डालते हैं।
  • अब मृदा की मात्रा का अध्ययन करते हैं जो ट्रे से बाहर चली गई है। क्या दोनों ट्रे में मृदा की मात्रा समान है?
    JAC Class 9 Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा 2

उत्तर:
उपरोक्त प्रकार से हमने अपनी प्रयोगात्मक व्यवस्था सैट कर ली। फिर इसके कुछ समय बाद जल के साथ बहने वाली मृदा का अध्ययन किया तो पाया कि एक ट्रे जिसमें पौधा नहीं रोपा गया था वह मृदा दूसरे ट्रे की मृदा से बहुत अधिक बढ़ गई थी। फिर कुछ ऊँचाई से 3-4 बार दोनों ट्रे में समान मात्रा में पानी डालने पर फिर मृदा का अध्ययन किया जो ट्रे से बाहर चली गई थी तो हमने पाया कि एक ट्रे में कम और रोपे गए पौधे वाली ट्रे में अधिक मृदा है।

इस क्रियाकलाप से यह स्पष्ट होता है कि पौधों की जड़ें मृदा के अपरदन (erosion) को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बड़े स्तर पर जंगलों को काटना न केवल जैव विविधता को नष्ट कर रहा है बल्कि मृदा के अपरदन के लिए भी उत्तरदायी है। वनस्पति के लिए सहायक उपरिमृदा अपरदन की प्रक्रिया में तीव्रता से हट सकती है। अतः मृदा अपरदन को रोकना बहुत कठिन है। सतह पर पायी जाने वाली वनस्पति जल को परतों के अन्दर जाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

खंड 14.3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 222)

प्रश्न 1.
मृदा (मिट्टी) का निर्माण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
मृदा (मिट्टी) का निर्माण हजारों और लाखों वर्षों के लम्बे समयान्तराल में पृथ्वी की सतह या उसके समीप पाये जाने वाले पत्थर विभिन्न प्रकार के भौतिक- रासायनिक और कुछ जैव प्रक्रमों के द्वारा टूट जाते हैं। टूटने के बाद सबसे अंत में बचा महीन कण मृदा है। सूर्य, जल, वायु और जीव मृदा निर्माण प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण योगदान करते हैं।

प्रश्न 2.
मृदा अपरदन क्या है?
उत्तर:
मृदा अपरदन – जल तथा वायु के प्रभाव से मृदा की ऊपरी परत बह जाती है जिसे मृदा अपरदन कहते हैं। मृदा अपरदन प्रमुख रूप से वनस्पति हीन, ढालू तथा कम ह्यूमस वाले क्षेत्रों में अधिक होता है। मृदा अपरदन का मुख्य कारण मनुष्य के अवांछित क्रियाकलाप जैसे वनों की अन्धाधुन्ध कटाई, पशुओं द्वारा अनियन्त्रित चराई कराना तथा अवैज्ञानिक ढंग से खेती करना आदि हैं।

प्रश्न 3.
अपरदन को रोकने और कम करने के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर:
अपरदन को रोकने के तरीके- हमारे देश में मृदा अपरदन एक बहुत ही गम्भीर समस्या बन गई है। ऐसी परिस्थिति में मृदा का संरक्षण बहुत ही आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं-
(1) वृक्षारोपण – मृदा अपरदन को रोकने का सबसे कारगार उपाय वृक्षारोपण है। जहाँ अपरदन की समस्या गम्भीर हो गई हो, वहाँ नए वृक्ष लगाए जाने चाहिए। वनों की अन्धाधुन्ध कटाई तथा उनके दुरुपयोग पर रोक लगाई जानी चाहिए।

(2) पशुचारण पर नियन्त्रण – खाली खेतों में पशुओं के बिना रोक-टोक घूमने से उनके खुरों से मिट्टी ढीली हो जाती है। इससे वर्षा के जल और वायु के लिए मृदा अपरदन आसान हो जाता है। अतः पशुचारण पर नियन्त्रण होना चाहिए। नियन्त्रित पशु चराई से मृदा अपरदन रुक सकता है।

(3) कृषि प्रणाली में सुधार – कृषि प्रणाली में सुधार करके मृदा अपरदन को बहुत कुछ रोका जा सकता है। इनमें फसल चक्र अपनाना, सीढ़ीदार खेती करना तथा ढालों पर समोच्च रखी जुताई करना आदि उपाय किये जाने चाहिए।

(4) बाँध बनाना – बरसात के दिनों में जब नदी में बाढ़ आती है तो बहुत सी उपजाऊ मिट्टी जल के साथ बह जाती हैं। इसे रोकने के लिए नदियों पर बाँध बनाये जाने चाहिए। इससे जल के वेग में कमी आती है और मृदा अपरदन रुक जाता है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

क्रियाकलाप 14.12. (पा. पु. पृ. सं. 225)
(i) वैश्विक ऊष्मीकरण के क्या परिणाम हो सकते हैं?
(ii) कुछ अन्य ग्रीन हाउस गैसों के नामों का भी पता लगाइए।
उत्तर:
(i) वैश्विक ऊष्मीकरण के कारण हमारी पृथ्वी के वायुमण्डल में ऊष्मा (गर्मी) की वृद्धि हो रही है जिसके फलस्वरूप –

  • हिमचोटियों और हिमनदियों के पिघलने से -समुद्र तल की ऊँचाई में वृद्धि हो रही है और तटवर्ती क्षेत्र तथा द्वीप डूबते जा रहे हैं या डूबने की स्थिति में हैं।
  • समय से पहले फसलें पक जाने के कारण अनाज के दानों का आकार छोटा होता जा रहा है।
  • मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इससे उसकी कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रही है।

(ii) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के अतिरिक्त वायुमण्डल में ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली अन्य गैसें मीथेन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरो कार्बन, SO2 आर्गन, अमोनिया तथा क्रिप्टान आदि हैं।

क्रियाकलाप 14.13: (पा. पु. पृ. सं. 226)
पता लगाएँ कि और कौन से अणु हैं जो ओजोन परत को हानि पहुचाते हैं? समाचार-पत्रों में प्रायः ओजोन परत में होने वाले छिद्र की चर्चा की जाती है। पता लगाएँ कि क्या छिद्र में कोई परिवर्तन हो रहा है ? वैज्ञानिक क्या सोचते हैं कि यह किस प्रकार पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित करेगा ?
उत्तर:
क्रियाकलाप के इन प्रश्नों के उत्तर के लिए खण्ड 14.5 के अन्तर्गत ‘ओजोन परत’ को ध्यानपूर्वक पढ़िये।

खंड 14.4 और 14.5 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 226)

प्रश्न 1.
जल चक्र के क्रम में जल की कौन-कौन सी अवस्थाएँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
जलचक्र के क्रम में जल पहले वाष्प बनता है। फिर संघनित होकर वर्षा के रूप में पृथ्वी की सतह पर गिरता है और फिर यह जल नदियों के द्वारा समुद्र में पहुँच जाता है।

प्रश्न 2.
जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण दो यौगिकों के नाम दीजिए जिनमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाए जाते हों।
उत्तर:
जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण यौगिक प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल, DNA तथा RNA तथा कुछ विटामिन हैं।

प्रश्न 3.
मनुष्य की किन्हीं तीन गतिविधियों को पहचानें जिनसे वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है।
उत्तर:
मनुष्य की तीन गतिविधियाँ जिनसे वायु में CO2 की मात्रा बढ़ती है निम्नांकित हैं-

  • दहन की क्रिया जहाँ ईंधन का उपयोग भोजन पकाने व गर्म करने में होता है। होना।
  • यातायात के लिए मोटर वाहनों का उपयोग करना।
  • उद्योगों के द्वारा वायुमण्डल में (CO2) का प्रवेश

प्रश्न 4.
ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है?
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव- कुछ गैसें, जैसे- CO2, मीथेन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, CFC आदि पृथ्वी से ऊष्मा को पृथ्वी के वायुमण्डल के बाहर जाने से रोकती हैं। वायुमण्डल में विद्यमान इस प्रकार की गैसों में वृद्धि संसार के औसत तापमान को बढ़ा सकती है। इस प्रकार के प्रभाव को फ़ोन हाउस प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल में पाए जाने वाले ऑक्सीजन के दो रूप कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
वायुमण्डल में पाये जाने वाले ऑक्सीजन के दो रूप-

  • द्विपरमाण्विक अणु O2, तथा
  • वायुमण्डल के ऊपरी भाग में तीन परमाणु वाले अणु O3 (ओजोन)

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. रोग कहते हैं-
(a) स्वास्थ्य की कमी
(b) स्वास्थ्य का अभाव
(c) दु ₹खी रहना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

2. रोगों का लक्षण है-
(a) दस्त लगना
(b) उल्टी होना
(c) बुखार आना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

3. निम्न में दीर्घकालिक रोग है-
(a) फ्लू
(b) सिर दर्द
(c) क्षयरोग
(d) बुखार।
उत्तर:
(b) सिर दर्द।

4. रोग के कारक हैं-
(a) वाइरस
(b) बैक्टीरिया
(c) प्रोटोजोआ
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

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5. संक्रामक रोग फैलते हैं-
(a) प्रदूषित जल
(b) प्रदूषित वायु
(c) रोगवाहक द्वारा
(d) उपर्युक्त सभी से।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

6. टीकाकरण द्वारा निवारण
(a) संक्रामक रोगों का
(b) असंक्रामक रोगों का
(c) यौन रोगों का
(d) इन्फ्लुएंजा का।
उत्तर:
(a) संक्रामक रोगों का।

7. अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है-
(a) पौष्टिक भोजन
(b) स्वच्छ वातावरण
(c) नियमित व्यायाम करना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

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8. एड्स का संचरण होता है-
(a) रोगी व्यक्ति का रक्त दूसरे व्यक्ति को देने से
(b) संक्रमित सुई द्वारा इंजेक्शन लगाने से
(c) यौन सम्पर्क द्वारा
(d) उपर्युक्त सभी से।
उत्तर:
(c) यौन सम्पर्क द्वारा।

9. एड्स का कारक है-
(a) प्रोटोजोआ जन्तु
(b) बैक्टीरिया
(c) वाइरस
(d) H.I.V. वाइरस।
उत्तर:
(d) H.I.V. वाइरस।

10. बैक्टीरिया का संक्रमण होने पर किसका उपयोग लाभदायक होगा?
(a) एण्टीबायोटिक
(c) एण्टीवाइरल
(b) एण्टीसैप्टिक
(d) उपर्युक्त सभी का।
उत्तर:
(a) एण्टीबायोटिक।

11. मच्छर के काटने से होने वाला रोग है-
(a) मलेरिया
(b) डेंगूज्वर
(c) ‘अ’ तथा ‘ब’ दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) ‘अ’ तथा ‘ब’

12. पीलिया रोग किस अंग को प्रभावित करता है-
(a) आमाशय को
(b) बी.सी.जी. का
(c) फेंफड़ों को
(d) एण्टी वाइरल का
उत्तर:
(b) यकृत को।

13. कुत्ते के काटने पर कौन-सा
(a) टेटनस का
(b) बी. सी. जी. का
(c) एंटीरेबीज का
(d) एण्टी वाइरल का
उत्तर:
(b) बी. सी. जी. का

14. रक्ताल्पता का कारण है-
(a) शरीर में आयरन की कमी
(b) आयोडीन की कमी
(c) विटामिनों की कमी
(d) प्रोटीन की कमी।
उत्तर:
(a) शरीर में आयरन की कमी।

रिक्त स्थान भरो-

  1. WHO का विस्तार रूप ……………….. है।
  2. AIDS एक ……………….. (संक्रामक / असंक्रामक) रोग है।
  3. सर्दी-जुकाम एक ………………… (तीव्र / दीर्घकालिक) रोग है।
  4. वेक्सीन की खोज सबसे पहले ……………….. ने की थी।

उत्तर:

  1. World Health Organization
  2. संक्रामक
  3. तीव्र
  4. एडवर्ड जेनर।

सुमेलन कीजिए-

कौलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
1. वायु (क) मलेरिया
2. जल (ख) AIDS
3. रोग वाहक (ग) क्षय रोग
4. लैंगिक संपर्क (घ) हैजा

उत्तर:
1. (ग) क्षय रोग
2. (घ) हैजा
3. (क) मलेरिया
4. (ख) AIDS

सत्य / असत्य

  1. तीव्र रोग लम्बे समय तक चलते हैं।
  2. रोगाणु को मारने के लिए एंटीबायोटिक दिया जाता है।
  3. 17 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाते हैं।
  4. व्यक्तिगत तथा सामुदायिक समस्याएँ दोनों, स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य।

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य क्या है?
उत्तर:
स्वास्थ्य शरीर की वह अवस्था है जिसके अन्तर्गत शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक कार्य करने की समुचित क्षमता हो व कोई भी कार्य उचित प्रकार से किया जा सके।

प्रश्न 2.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए किन-किन बातों की जरूरत है?
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक व सन्तुलित भोजन, नियमित व्यायाम, सामुदायिक स्वच्छता आदि की जरूरत है।

प्रश्न 3.
‘बाधित आराम’ और ‘असुविधा’ क्या है?
उत्तर:
बाधित आराम तथा असुविधा, रोग का दूसरा नाम है।

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प्रश्न 4.
शरीर की क्रियाओं में बदलाव क्या प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर:
शरीर की क्रियाओं में बदलाव रोग के लक्षण प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 5.
कोई चार लक्षण बताइए जिनसे रोग का पता लगता है।
उत्तर:
सिर दर्द, खाँसी, दस्त होना, किसी घाव में मवाद पड़ना।

प्रश्न 6.
तीव्र रोग या प्रचंड रोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन रोगों की अवधि कम होती है उन्हें तीव्र रोग या प्रचंड रोग कहते हैं।

प्रश्न 7.
दीर्घकालिक रोग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
लम्बी अवधि तक या जीवन पर्यन्त रहने वाले रोगों को दीर्घकालिक रोग कहते हैं।

प्रश्न 8.
तीव्र रोग व दीर्घकालिक रोग का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
खाँसी-जुकाम तीव्र रोग तथा क्षयरोग दीर्घकालिक रोग हैं।

प्रश्न 9.
पतले दस्त या अतिसार लगने का क्या कारण है?
उत्तर:
दूषित भोजन और गन्दे पानी का प्रयोग अतिसार लगने का कारण है।

प्रश्न 10.
संक्रामक रोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे रोग जिनके तात्कालिक कारक सूक्ष्म जीव (रोगाणु) होते हैं, उन्हें संक्रामक रोग कहते हैं। ये सूक्ष्म जीव जन समुदाय में रोग फैला देते हैं।

प्रश्न 11.
कैंसर रोग का क्या कारण है?
उत्तर:
कैंसर रोग का कारण आनुवंशिक असामान्यता है।

प्रश्न 12.
उच्च रक्त चाप का क्या कारण है?
उत्तर:
वजन अधिक होना तथा व्यायाम न करना उच्च रक्त चाप का कारण है।

प्रश्न 13.
पेप्टिक व्रण का क्या कारण है?
उत्तर:
पेप्टिक व्रण का कारण हेलीकोबैक्टर पायलोरी नामक बैक्टीरिया है।

प्रश्न 14.
उन दो वैज्ञानिकों के नाम लिखो जिन्होंने पेष्टिक व्रण के कारक बैक्टीरिया का पता लगाया था।
उत्तर:
आस्ट्रेलिया के रोग विज्ञानी रॉबिन वारेन तथा बैरी मार्शल।

प्रश्न 15.
पेप्टिक व्रण का उपचार किस दवा से होता है?
उत्तर:
पेप्टिक व्रण का उपचार एंटीबायोटिक से हो जाता है।

प्रश्न 16.
मार्शल तथा वारेन को शरीर क्रिया विज्ञान तथा औषधि के लिए कब नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था?
उत्तर:
मार्शल तथा वारेन को शरीर क्रिया विज्ञान तथा औषधि के लिए सन् 2005 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।

प्रश्न 17.
रोग उत्पन्न करने वाले जीवों के चार वर्गों का नाम लिखो।
उत्तर:
रोग उत्पन्न करने वाले जीवों के चार वर्ग हैं- वाइरस, कुछ बैक्टीरिया, कुछ फंजाई तथा कुछ प्रोटोजोआ।

प्रश्न 18.
वाइरस से होने वाले चार रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
वाइरस से होने वाले चार रोग सर्दी-जुकाम, फ्लू, डेंगू ज्वर और एड्स।

प्रश्न 19.
बैक्टीरिया द्वारा फैलने वाले चार रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
बैक्टीरिया द्वारा फैलने वाले चार रोग- हैजा, टाइफॉइड, क्षय रोग (टी.बी) तथा ऐन्थ्रेक्स।

प्रश्न 20.
प्रोटोजोआ से होने वाले दो रोगों का नाम लिखो।
उत्तर:
प्रोटोजोआ से होने वाले दो रोग-मलेरिया, कालाजारं।

प्रश्न 21.
स्टेफाइलोकोकाई बैक्टीरिया किसका कारक है?
उत्तर:
स्टेफाइलोकोकाई बैक्टीरिया मुँहासे रोग का कारक है।

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प्रश्न 22.
दिनोसोमा किस रोग का कारक है?
उत्तर:
ट्रिप्नोसोमा निद्रा रोग का कारक है।

प्रश्न 23.
लेश्मानिया किस व्याधि का कारक है?
उत्तर:
लेश्मानिया कालाजार व्याधि का कारक है।

प्रश्न 24.
गोलकृमि (एस्केरिस लुंग्रीकाइडिस) कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
गोल कृमि मनुष्य (छोटे बच्चों) की छोटी आँत में पाया जाता है।

प्रश्न 25.
एंटीबायोटिक रोग की अवस्था में क्या करते हैं?
उत्तर:
एंटीबायोटिक बैक्टीरिया के महत्त्वपूर्ण जैव रासायनिक मार्ग को बन्द कर देते हैं।

प्रश्न 26.
पेनिसिलीन एंटीबायोटिक का कार्य बताइए।
उत्तर:
पेनिसिलीन एंटीबायोटिक बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति बनाने वाली प्रक्रिया को बाधित कर देती है। अतः बैक्टीरिया कोशिका भित्ति नहीं बना सकते और वे सरलता से मर जाते हैं। पेनिसिलीन का मनुष्य पर कोई प्रभाव नहीं होता है।

प्रश्न 27.
सामान्य खाँसी-जुकाम पर एंटीबायोटिक क्यों प्रभाव नहीं दिखा पाते हैं?
उत्तर:
सामान्य खाँसी-जुकाम वाइरस के प्रभाव से होता है और एंटीबायोटिक वाइरस को प्रभावित नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 28.
संचारी रोग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
जो रोग सूक्ष्मजीवीय कारक रोगी से अन्य स्वस्थ मनुष्यों में फैलते हैं, उन्हें संचारी रोग कहते हैं।

प्रश्न 29.
वायु द्वारा फैलने वाले रोगों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
खाँसी-जुकाम, निमोनिया तथा क्षय रोग वायु द्वारा फैलते हैं।

प्रश्न 30.
जल से संक्रमण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
जब संक्रमणीय रोग से ग्रस्त रोगी के अपशिष्ट पेय जल में मिल जाते हैं और यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति जाने-अनजाने में इस जल को पी लेता है तो रोगाणुओं का संक्रमण उस व्यक्ति में हो होता है।

प्रश्न 31.
लैंगिक सम्पर्क से फैलने वाले दो रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
सिफलिस तथा एड्स लैंगिक सम्पर्क से होने वाले रोग हैं।

प्रश्न 32.
एड्स रोग किन-किन स्थितियों में फैलता है?
उत्तर:
एड्स रोग लैंगिक सम्पर्क द्वारा, रक्त स्थानान्तरण द्वारा संक्रमित सुई से इंजेक्शन लगवाने तथा गर्भावस्था में रोगी माता से अथवा शिशु को स्तनपान कराने से फैलता है।

प्रश्न 33.
मच्छर समतापी प्राणियों का रक्त क्यों पीता है?
उत्तर:
मच्छर अत्यधिक पोषण के लिए समतापी प्राणियों का रक्त पीता है ताकि परिपक्व अण्डे दे सके।

प्रश्न 34.
पीलिया रोग के कारक का नाम बताइए।
उत्तर:
पीलिया रोग का कारक हिपेटाइटिस बैक्टीरिया है।

प्रश्न 35.
टाइफॉयड उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया कहाँ रहते हैं?
उत्तर:
टाइफॉयड उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया मनुष्य की आहार नाल में रहते हैं।

प्रश्न 36.
HIV कहाँ फैलते हैं?
उत्तर:
HIV लसीका ग्रन्थियों में फैलते हैं।

प्रश्न 37.
मलेरिया उत्पन्न करने वाले रोगाणु शरीर में कहाँ से कहाँ जाते हैं?
उत्तर:
मलेरिया के रोगाणु यकृत से लाल रुधिर कोशिकाओं में जाते हैं।

प्रश्न 38.
जापानी बुखार (ऐंसेफेलाइटिस) किस अंग को प्रभावित करता है?
उत्तर:
जापानी बुखार मस्तिष्क को प्रभावित करता है।

प्रश्न 39.
शोध किसे कहते हैं?
उत्तर:
शरीर का प्रतिरक्षा तन्त्र क्रियाशील होकर प्रभावित ऊतक के चारों ओर रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्म जीवों को मारने के लिए अनेक कोशिकाएँ बना देता है। नई कोशिकाओं के बनने के प्रक्रम को शोथ कहते हैं।

प्रश्न 40.
HIV AIDS से व्यक्ति की मृत्यु प्रायः क्यों हो जाती है?
उत्तर:
HIV AIDS संक्रमण से प्रतिरक्षा तन्त्र के कार्य नष्ट हो जाते हैं। इससे प्रतिदिन होने वाले छोटे-छोटे संक्रमणों का मुकाबला भी व्यक्ति नहीं कर पाता है। अतः ये संक्रमण ही HIV AIDS के रोगी की मृत्यु के कारण बन जाते हैं।

प्रश्न 41.
संक्रामक रोगों के उपचार के दो उपाय बताइए।
उत्तर:
संक्रामक रोगों के उपचार के दो उपाय-

  • रोग के प्रभाव को कम करना तथा
  • रोग के कारण को मार देना।

प्रश्न 42.
बीमार होने पर हम आराम क्यों करते हैं?
उत्तर:
बीमार होने पर हम आराम इसलिए करते हैं, क्योंकि इससे ऊर्जा का संरक्षण होता है और बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है।

प्रश्न 43.
HIV संक्रमण किन औषधियों से नियन्त्रित हो जाता है?
उत्तर:
HIV संक्रमण एंटीवाइरल औषधियों से नियन्त्रित हो जाता है।

प्रश्न 44.
रोगाणुओं से हमारे शरीर में कौन लड़ता है?
उत्तर:
रोगाणुओं से हमार शरीर में स्थित प्रतिरक्षा तन्त्र लड़ता है।

प्रश्न 45.
गम्भीर संक्रामक रोग किसकी असफलता की ओर संकेत करता है?
उत्तर:
गम्भीर संक्रामक रोग हमारे प्रतिरक्षा तन्त्र की असफलता की ओर संकेत करता है।

प्रश्न 46.
प्रतिरक्षाकरण किस नियम पर आधारित है?
उत्तर:
जब रोगाणु प्रतिरक्षा तन्त्र पर दूसरी बार आक्रमण करता है तो स्मृति के आधार पर प्रतिरक्षा तन्त्र अपनी पूरी शक्ति से उसे नष्ट कर देता है।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

प्रश्न 47.
टीकाकरण से हमारे शरीर में क्या प्रविष्ट कराया जाता है?
उत्तर:
टीकाकरण से हमारे शरीर में विशिष्ट संक्रमण रोधी तत्व प्रविष्ट कराया जाता है।

प्रश्न 48.
टीकाकरण का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
टीकाकरण से प्रविष्ट विशिष्ट संक्रमण रोधी तत्व रोग उत्पन्न नहीं होने देते, लेकिन ये वास्तव में रोग उत्पन्न करने वाले रोगाणुओं को रोग उत्पन्न करने से रोक देते हैं।

प्रश्न 49.
चेचक के टीके की खोज किसने की थी?
उत्तर:
चेचक के टीके की खोज एडवर्ड जेनर ने की थी।

प्रश्न 50.
आजकल रोग निवारण के लिए कौन-कौन से टीके उपलब्ध हैं?
उत्तर:
आजकल रोग निवारण के लिए टेटनस, डिप्थीरिया, कुकर खाँसी, चेचक, पोलियो आदि के टीके उपलब्ध है।

प्रश्न 51.
हिपेटाइटिस के किस प्रकार के लिए टीका उपलब्ध है?
उत्तर:
हिपेटाइटिस ‘A’ के लिए टीका उपलब्ध है।

प्रश्न 52.
पेनिसिलीन प्रतिजैविक की खोज किसने की थी?
उत्तर:
पेनिसिलीन प्रतिजैविक की खोज अलेक्जेण्डर फ्लेमिंग ने की थी।

प्रश्न 53.
संक्रमित कुत्ते के काटने से कौन सा रोग हो जाता है?
उत्तर:
रेबीज वाइरस से संक्रमित कुत्ते के काटने से रेबीज रोग हो जाता है।

लघुत्तरात्मक एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) के अनुसार, “स्वास्थ्य केवल शारीरिक रोग या विकलांगता की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक जीवन क्षमता की सामान्य स्थिति है।” स्वस्थ जीवन हेतु अच्छा स्वास्थ्य आवश्यक है। यह केवल रोग से मुक्ति ही नहीं अपितु मानसिक तनाव व चिन्ता से मुक्ति की दशा है।

प्रश्न 2.
अच्छे स्वास्थ्य की चार दशाएँ बताइए।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य के लिए निम्न चार दशाएँ आवश्यक हैं-

  • सन्तुलित एवं पौष्टिक भोजन लेना।
  • स्वच्छ भोजन, जल एवं वायु का होना
  • व्यक्तिगत एवं घरेलू स्वच्छता का होना
  • अच्छी आदतें, नियमित व्यायाम तथा उचित विश्राम करना।

प्रश्न 3.
सामुदायिक स्वास्थ्य किसे कहते हैं? सामाजिक स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत क्या कार्य आते हैं?
उत्तर:
सामुदायिक स्वास्थ्य – सम्पूर्ण व्यक्तिगत स्वास्थ्य और उसके साथ-साथ समुदाय के स्वास्थ्य हेतु महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय सेवाएँ उपलब्ध करना सामुदायिक स्वास्थ्य कहलाता है।

सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत निम्न कार्य सम्मिलित हैं-
1. पर्यावरण की सफाई सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए पर्यावरण की सफाई बहुत आवश्यक है। इसके लिए अपशिष्ट पदार्थों का निपटान जैसे मूत्राशय, शौचालय, सेप्टिक टैंक, सोकपिट, कम्पोस्ट पिट की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रदूषण रोकने की व्यवस्था होनी चाहिए। स्वच्छ जल उपलब्ध कराना, सार्वजनिक स्थानों की सफाई के लिए व्यवस्था बनाना, शुद्ध और कीटाणु रहित भोजन उपलब्ध कराना आदि।

2. उचित चिकित्सा सुविधाएँ- बीमारों की चिकित्सा व उचित देख-रेख के लिए अच्छी चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग भी लिया जा सकता है।

3. स्वास्थ्य शिक्षा अच्छे स्वास्थ्य और रोगों को फैलने से रोकने के लिए लोगों को शिक्षित करना, सन्तुलित भोजन, नशाखोरी की बुरी आदत एवं उसके दुष्प्रभावों आदि की जानकारी रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्र, व्यक्तिगत सम्पर्क या छपी हुई सामग्री द्वारा देना अति आवश्यक है।

4. संक्रमण रोगों से बचाव एवं उनकी रोकथाम- सामान्य रोगों से बचाव के टीके लगवाना, जैसे- हैजा, चेचक, काली खाँसी, टिटेनस, पोलियो, टाइफॉइड आदि । मलेरिया उन्मूलन, फाइलेरिया की रोकथाम, कुष्ठ रोग की रोकथाम, क्षयरोग की रोकथाम आदि के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करने चाहिए।

5. मातृ एवं शिशु कल्याण-शिशु के जन्म होने के पश्चात् उसकी उचित देखभाल, बच्चों को मुख्य रोगों से बचाव के टीके लगवाना, अल्परक्तता या कुपोषण सम्बन्धी रोगों की जानकारी, परीक्षण व बचाव आदि की व्यवस्था होनी चाहिए।

6. परिवार नियोजन परिवार को स्वस्थ और सीमित रखने के लिए परिवार नियोजन की शिक्षा व परिवार नियोजन की चिकित्सकीय व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे जहाँ एक ओर जनसंख्या सीमित या नियन्त्रित होगी, वहीं दूसरी और सामुदायिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।

7. पार्कों एवं व्यायामशालाओं का प्रबन्ध-सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए पार्कों की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे लोगों को श्वास के लिए स्वच्छ वायु मिल सके। इसके अलावा मनुष्य को निरोगी, स्वस्थ और बलिष्ठ बनाये रखने के लिए व्यायामशालाओं की व्यवस्था होनी चाहिए।

8. विद्यालय स्वास्थ्य सेवाएँ – इसमें विद्यालय के बच्चों की जाँच, उनको टीके लगवाना, औषधियाँ देना, परामर्श देना, सफाई व स्वच्छता का ध्यान रखना, व्यक्तिगत सफाई की ओर ध्यान देना, स्वास्थ्य शिक्षा देना और मध्याह्नकालीन अल्पाहार की व्यवस्था शामिल है।

9. आँकड़े एकत्रित करना – सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मचारी विभिन्न संक्रामक रोगों, जैसे- हैजा, चेचक, टाइफॉइड, कुष्ठ, मलेरिया, पोलियो आदि के निश्चित आँकड़े एकत्रित करने के लिए प्रशिक्षित किये जाते हैं और उन्हें स्वास्थ्य योजना बनाने वालों को भेजते हैं। इन आँकड़ों के आधार पर सामुदायिक स्वास्थ्य योजनाएँ बनाई जाती हैं।

प्रश्न 4.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए पर्यावरण को प्रदूषण रहित बनाये रखना कठिन क्यों हो गया है?
उत्तर:
देश में बढ़ती हुई जनसंख्या के स्वस्थ जीवन के लिए प्रदूषण मुक्त शुद्ध पर्यावरण बनाये रखना बहुत कठिन हो गया है, क्योंकि तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण घनी आबादी वाले क्षेत्रों में निवास अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा में अत्यधिक वृद्धि, यातायात के साधनों में वृद्धि, जंगलों की अबाध कटाई आदि हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर स्वास्थ्य के लिए अनुपयुक्त बना देते हैं। इससे पृथ्वी, जल एवं वायु को प्रदूषण मुक्त करने की क्षमता पर दबाव पड़ता है और ये शुद्ध नहीं हो पाते हैं।

प्रश्न 5.
अशुद्ध वातावरण से व्यक्ति का स्वास्थ्य किस प्रकार प्रभावित हो सकता है?
उत्तर:
व्यक्ति का स्वास्थ्य उसके वातावरण द्वारा अत्यधिक प्रभावित होता है। यह बात निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट हो जाती है-
(1) जल, वायु तथा भोजन व्यक्ति के वातावरण के भाग हैं। यदि किसी स्थान पर पीने के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं है तथा लोग प्रदूषित जल पीने के लिए विवश हैं तो वे हैजा, पीलिया, जोड़ों का दर्द, पोलिया टायफॉइड आदि रोगों से पीड़ित हो जाते हैं अर्थात् अस्वस्थ हो जाते हैं।

(2) प्रदूषित वायु में कार्य करने वाले व्यक्ति श्वसन सम्बन्धी रोगों, जैसे- ब्रॉकाइटिस, सांस फूलना, खाँसी आदि से पीड़ित हो जाते हैं। शोर युक्त वातावरण में काम करने वाले व्यक्ति मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा, सिरदर्द आदि से पीड़ित हो जाते है उनकी सुनने की क्षमता भी कम हो जाती है अर्थात् बहरापन के शिकार हो जाते हैं।

(3) यदि वे अशुद्ध, प्रदूषित, विषाक्त, बासी भोजन खाते हैं तो वे अपच, मन्दाग्नि, एसिडिटी, पीलिया, टाइफॉइड, उल्टी-दस्त (अतिसार) आदि से पीड़ित हो जाते हैं।

प्रश्न 6.
यदि आपका घर स्वच्छ है, परन्तु पास-पड़ौस स्वच्छ नहीं है तो क्या आप स्वस्थ रह सकेंगे? यदि नहीं, तो क्यों?
उत्तर:
यदि हमारा घर स्वच्छ है, परन्तु पास पड़ौस स्वच्छ नहीं है तो हम स्वस्थ नहीं रह सकते हैं। हम अपनी व्यक्तिगत तथा अपने घरों की सफाई इसलिए करते हैं, ताकि हम रोग के कारक सूक्ष्म जीवों तथा अन्य संक्रमण के कारणों से बचे रह सकें। परन्तु पास-पड़ोस स्वच्छ न होने से अशुद्ध वायु मक्खी, मच्छर आदि फोटों द्वारा जाने-आने के कारण ये संक्रमणकारी सूक्ष्मजीव हमें भी संक्रमित करके अस्वस्थ कर देंगे और हम बीमार हो जायेंगे।

प्रश्न 7.
संतुलित भोजन अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
अच्छा स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए सन्तुलित भोजन बहुत आवश्यक है। ऐसा भोजन जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन एवं खनिज लवणों की उपयुक्त मात्रा उपस्थित हो, सन्तुलित भोजन (आहार) कहलाता है। सन्तुलित भोजन प्राप्त न होने की स्थिति में मनुष्य अभावजनित रोग से पीड़ित हो जाते हैं। अज्ञानता के कारण लोग उपयुक्त भोजन नहीं ले पाते हैं और वे कुपोषण के कारण अस्वस्थ (बीमार) हो जाते हैं।

प्रश्न 8.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य और सामुदायिक स्वास्थ्य में परस्पर क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य में सम्बन्ध – व्यक्तिगत स्वास्थ्य और सामुदायिक स्वास्थ्य दोनों ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य हैं। दोनों ही एक-दूसरे  के पूरक हैं। हम व्यक्तिगत रूप से स्वच्छ रहकर अपने घर को स्वच्छ रखकर और सन्तुलित भोजन करके व्यक्तिगत रूप से स्वस्थ रहते हैं। सदैव स्वस्थ बने रहने के लिए यह आवश्यक है कि हमें स्वस्थ पर्यावरण मिले। यदि हम व्यक्तिगत स्वच्छता के कारण स्वस्थ हैं, किन्तु हमारे चारों ओर का वातावरण गन्दा और प्रदूषित है अर्थात् रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों से भरा तो ये सूक्ष्मजीव हमारे स्वास्थ्य को अवश्य ही प्रभावित करेंगे और हम व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने पर भी अस्वस्थ हो जायेंगे। अतः व्यक्तिगत शारीरिक, मानसिक, जैविक और सामाजिक स्थिरता बनाये रखने के लिए सामुदायिक स्वस्थ वातावरण आवश्यक है। इस प्रकार व्यक्तिगत स्वास्थ्य और सामुदायिक स्वास्थ्य का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध हैं।

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प्रश्न 9.
व्यक्तिगत स्तर पर स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
व्यक्तिगत स्तर पर हमें अपना स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए प्रतिदिन साफ पानी से स्नान करना चाहिए ताकि शरीर पर लगी धूल व शरीर की दुर्गन्ध दूर हो जाए। त्वचा साफ हो तो शरीर से दुर्गन्ध नहीं आती और चर्म रोग आदि होने की सम्भावना नहीं रहती है। हमारे वस्त्र स्वच्छ होने चाहिए। सूक्ष्मजीवों से भोजन भी संक्रमित हो जाता है।

अतः खाने के बर्तनों तथा खाद्य पदार्थों को मक्खियों तथा कीटों से बचाकर जालीदार अलमारी में अथवा स्वच्छ कपड़े से ढककर रखना चाहिए। मल-मूत्र त्यागने के बाद तथा भोजन करने से पहले अपने हाथों को साबुन और स्वच्छ पानी से अच्छी तरह धो लेने से वे रोगाणु मुक्त हो जाते हैं। ऐसा न करने से सूक्ष्म जीवों की वृद्धि हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी।

प्रश्न 10.
रोग शब्द से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
रोग (Disease)- रोग को अंग्रेजी में डिजीज (Disease) कहते हैं जिसका शाब्दिक अर्थ है – Disease अर्थात् आसानी या सुविधा का न होना। रोग की परिभाषा किसी कारणवश शरीर के अंगों की ठोक से कार्य न करने की स्थिति के रूप में दी जा सकती है। दूसरे शब्दों में, शरीर में किसी प्रकार के विकार (दोष) को रोग कहते हैं।

प्रश्न 11.
संचारी या संक्रामक रोग तथा असंचारी या असंक्रामक रोग क्या हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
संचारी (संचरणीय) या संक्रामक रोग-ये ऐसे रोग होते हैं जो रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में जल, वायु, भोजन, कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा फैलते हैं। संक्रामक रोग बैक्टीरिया, वाइरस, प्रोटोजोआ या फंजाई वर्ग के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण के कारण हो जाते हैं। इन सूक्ष्म जीवों को रोगाणु भी कहते हैं ये रोगाणु प्रदूषित जल, वायु, भोजन, कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति मैं पहुँचते हैं।

हैजा, क्लेरिया, डेंगू ज्वर, फ्लू, क्षय रोग, टाइफॉयड, रेबीज, एड्स, अतिसार, कर्णफेर, चेचक आदि संचरणीय या संक्रामक रोगों के उदाहरण हैं।

असंचारी (असंचरणीय) या असंक्रामक रोग-ये ऐसे रोग हैं जो स्वस्थ व्यक्ति में नहीं फैलते हैं। कुछ रोग शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण हो जाते हैं, इन्हें असंक्रामक या हीनताजन्य रोग कहते हैं घेघा एनीमिया, रतौंधी, क्वाशियोरकोर, मेरेस्मस आदि असंक्रामक रोगों के उदाहरण “हैं। कुछ असंचरणीय रोग शरीर के अंगों की असामान्य क्रिया के कारण हो जाते हैं, जैसे मधुमेह (डायबिटीज), गठिया, कैंसर, हृदय रोग आदि।

प्रश्न 12.
संचरणीय तथा असंचरणीय रोगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संचरणीय तथा असंचरणीय रोग में अन्तर

संचरणीय रोग असंचरणीय रोग
1. ये रोग शरीर में रोगाणुओं के प्रवेश कर जाने के कारण होते हैं। 1. ये रोग शरीर में पोषक तत्वों की कमी या उपापचयी क्रियाओं में त्रुटि या परजीवी जीवों के कारण होते हैं।
2. इन रोगों का संचरण वायु, जल, भोजन, कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में हो सकता है। उदाहरणार्थ – है जा, मलेरिया, फ्लू, क्षय रोग, रेबीज, चेचक, एड्स आदि। 2. ये रोग, रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में नहीं फैलते। उदाहरणार्थ – छों घा, एनीमिया (अरक्तता), रतौंधी, डायबिटीज आदि।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित रोगों के कारक जीवों के नाम लिखिए – हैजा, मलेरिया, क्षयरोग, टाइफॉयड, रेबीज, फ्लू (इन्फ्लूएंजा)।
उत्तर:

रोग का नाम कारक जीव का नाम
1. हैजा विब्रियो कॉलेरी
2. मलेरिया प्लाज्मोडियम वाइवैक्स
3. क्षयरोग माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस
4. टाइफॉयड साल्मोनेला टाइफी
5. रेबीज रेबीज वाइरस
6. फ्लू (इन्फ्लुएंजा) मिक्सोवाइरस इन्फ्लूएन्जाई।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित सूक्ष्म जीवों द्वारा उत्पन्न रोगों के नाम लिखो-
(क) बैक्टीरिया
(ख) वाइरस
(ग) प्रोटोजोआ वर्ग।
उत्तर:

सूक्ष्मजीव उत्पन्न रोग का नाम
1. बैक्टीरिया (जीवाणु) हैजा, अतिसार, टाइफॉइड, क्षयरोग (टी.बी), टेटनस आदि।
2. वाइरस इन्फ्लूएन्जा, रेबीज, एड्स, पोलियो, चिकन पॉक्स, खसरा आदि।
3. प्रोटोजोआ वर्ग के जीव मलेरिया अमीबीय पेचिश, पायरिया आदि।

प्रश्न 15.
वाहक (Vector) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वाहक (Vector) – बीमारी फैलाने वाले सूक्ष्म जीवों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने वाले जीवों को वाहक कहते हैं। घरेलू मक्खी हैजा, पेचिश, टाइफॉयड आदि के रोगाणुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती है। मादा एनोफिलीज मच्छर मलेरिया रोग की वाहक है। एडीज मच्छर डेंगू ज्वर का वाहक है।

प्रश्न 16.
प्रतिजैविक (एन्टीबायोटिक) किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रतिजैविक (एन्टीबायोटिक)- ये वे पदार्थ हैं। जो सूक्ष्म जीवों से उत्पन्न किए जाते हैं। ये सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकते हैं। पेनिसिलीन ऐसा पहला प्रतिजैविक पदार्थ है जो मनुष्य द्वारा उपयोग के लिए तैयार किया गया है। पेनिसिलीन की खोज सर्वप्रथम अलैक्जेन्डर फ्लेमिंग ने की थी।

प्रश्न 17.
एंटीबायोटिक बैक्टीरिया को प्रभावित करते हैं, परन्तु मनुष्य को नहीं, क्यों?
उत्तर:
इसका उत्तर खण्ड 13.3.1 के अन्तर्गत पैराग्राफ 5 देखिए।

प्रश्न 18.
वाइरस पर एंटीबायोटिक का प्रभाव क्यों नहीं दिखाई देता है?
उत्तर:
वाइरस की जैव प्रक्रियाएँ बैक्टीरिया से भिन्न होती हैं। ये मेजबानों की कोशिकाओं में रहते हैं। इनमें ऐसा मार्ग नहीं होता है जैसा कि बैक्टीरिया में होता है। यही कारण है कि कोई भी एंटीबायोटिक वाइरस संक्रमण पर प्रभावकारी नहीं होता है यदि हम खाँसी-जुकाम से ग्रस्त हैं तो एंटीबायोटिक लेने से रोग की तीव्रता अथवा उसकी समयावधि कम नहीं होती है।

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प्रश्न 19.
एंटीवाइरल औषधि बनाना एंटीबैक्टीरियल औषधि बनाने से कठिन क्यों है?
उत्तर:
इसका उत्तर खण्ड 13.3.4 के अन्तर्गत पैराग्राफ 4 में देखिये।

प्रश्न 20.
शोध के कारण शरीर पर कुछ स्थानीय सामान्य प्रभाव क्यों पड़ते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संक्रामक रोगों के ऊतक विशिष्ट प्रभाव के अतिरिक्त उनके अन्य सामान्य प्रभाव भी होते हैं। (शेष भाग के लिए खण्ड 13.3.3 के अन्तर्गत पैराग्राफ 5 देखिये।)

प्रश्न 21.
HIV AIDS रोगी की मृत्यु का कारण क्यों बन जाता है?
उत्तर:
इसका उत्तर खण्ड 13.3.3 के अन्तर्गत पैराग्राफ 6 देखिये।

प्रश्न 22.
किसी रोग की तीव्रता किस बात पर निर्भर करती है?
उत्तर:
इसका उत्तर खण्ड 13.3.3 के अन्तर्गत अन्तिम पैराग्राफ देखिये।

प्रश्न 23.
यदि एक बार किसी को चेचक हो जाये तो दुबारा उसे कभी चेचक नहीं हो सकती, क्यों? कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यदि कोई व्यक्ति एक बार चेचक से ग्रसित हो जाता है तो उसे दुबारा यह रोग कभी नहीं हो सकता क्योंकि जब चेचक के रोगाणु प्रतिक्षा तन्त्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तन्त्र रोगाणुओं के प्रति क्रिया करता है और फिर इसका विशेष रूप से स्मरण कर लेता है। इस प्रकार जब वहीं जीवाणु या उससे मिलता-जुलता रोगाणु सम्पर्क में आता है तो पूरी शक्ति से उसे नष्ट कर देता है। इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र समाप्त हो जाता है। यह प्रतिरक्षाकरण के नियम का आधार है।

प्रश्न 24.
टीकाकरण से आप क्या समझते हैं?
अथवा
टीकाकरण क्या है?
उत्तर:
टीकाकरण – आजकल रोगों से बचने अथवा उनके उपचार के लिए टीकाकरण की बहुत अधिक सहायता ली जाती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पदार्थ का संरोपण एक स्वस्थ व्यक्ति में किया जाता है जिससे उस व्यक्ति में विशेष बीमारी के प्रति प्रतिरक्षी (एण्टीबॉडी) पैदा हो जायें।

प्रतिरक्षा पॉस्क बीमारी को पहचानने, समाप्त करने तथा उसे पूरी तरह उखाड़ फेंकने में सहायता करते हैं। टीकाकरण की प्रक्रिया में किसी सूक्ष्म जीव की जीवित या मृत कुछ मात्रा व्यक्ति के शरीर में पहुँचायी जाती है, जो बीमारी के विपरीत प्रतिरक्षा करते हुए हानिकारक बाह्य सूक्ष्म-जीवों को नष्ट कर देते हैं। टीके में रोग वाहक सूक्ष्म जीव कम सांद्रित अवस्था में रहते हैं।

प्रश्न 25.
विभिन्न प्रकार के टीकों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
विभिन्न प्रकार के टीकों से विभिन्न प्रकार की बीमारियों के प्रति प्रतिरक्षण में सहायता मिलती है। चेचक, रेबीज, पोलियो, डिव्थीरिया, हिपेटाइटिस, कुकर खाँसी, क्षयरोग, टाइफॉयड आदि बीमारियों से बचने के लिए टीके लगाये जाते हैं। हमारी सरकार ने टीकाकरण का बृहद् कार्यक्रम चला रखा है ताकि बीमारियाँ सदैव के लिए देश से दूर की जा सकें। प्रमुख टीके निम्न हैं-

  • चेचक का टीका, चेचक से बचने के लिए लगाया जाता है।
  • खसरे का टीका, खसरे से बचने के लिए लगाया जाता है।
  • टाइफॉयड का टीका, टाइफायड (मियादी ज्वर) से बचने के लिए लगाया जाता है।
  • पोलियो का टीका, बूँदों के रूप में बच्चों को अपंगता से बचने के लिए पिलाया जाता है।
  • बी.सी.जी. का टीका, क्षयरोग से बचने के लिए लगाया जाता है।
  • डी.पी.टी. का टीका डिप्थीरिया, काली खाँसी तथा टिटेनस को नियन्त्रित करने के लिए लगाया जाता है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

Jharkhand Board Class 9 Science हम बीमार क्यों होते हैं Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पिछले एक वर्ष में आप कितनी बार बीमार हुए? बीमारी क्या थीं?
(a) इन बीमारियों को हटाने के लिए आप अपनी दिनचर्या में क्या परिवर्तन करेंगे?
(b) इन बीमारियों से बचने के लिए आप अपने पास- पड़ोस में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर:
पिछले वर्ष में मैं दो बार बीमार हुआ / हुई। पहली बार मुझे वाइरल बुखार हुआ और दूसरी बार मलेरिया हुआ था।
(a) बीमारी से बचने के लिए प्रतिरक्षा तन्त्र का सुदृढ़ होना जरूरी है। इसलिए इन रोगों से बचने के लिए मैंने अपनी दिनचर्चा में इस प्रकार परिवर्तन किये-
पौष्टिक और सन्तुलित आहार लेना प्रारम्भ कर दिया। मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करने लगा। मच्छर घर में प्रवेश न कर सकें इसका प्रबन्ध किया।

(b) उपर्युक्त बीमारियों से बचने के लिए-

  • हम अपने पास-पड़ोस में समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना करना चाहेंगे। जहाँ पर सभी रोगों के लिए टीकाकरण और अन्य स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हों।
  • संक्रामक रोगों से बचने के लिए (रोकथाम के लिए) टीकाकरण का कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
  • लोगों में स्वास्थ्य शिक्षा में प्रति जागरूकता पैदा करेंगे।
  • अपने चारों ओर के वातावरण की सफाई पर उचित ध्यान देंगे।
  • विद्यालय में भी स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी तथा टीकाकरण की व्यवस्था करने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं व सरकार को प्रेरित करेंगे।

प्रश्न 2.
डॉक्टर / नर्स / स्वास्थ्य कर्मचारी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा रोगियों के सम्पर्क में अधिक रहते हैं। पता करो कि वे अपने आपको बीमार होने से कैसे बचाते हैं?
उत्तर:
डॉक्टर / नर्स / स्वास्थ्य कर्मचारी निरन्तर रोगियों के सम्पर्क में रहते हैं। रोगों से बचने के लिए वे सभी व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हैं। रोगी का परीक्षण व चिकित्सा करते समय वे अपने चेहरे पर मास्क का प्रयोग करते हैं जिससे कि रोगाणुओं के प्रत्यक्ष सम्पर्क से बचे रहें। रोगी का परीक्षण करने के बाद वे अपने हाथों को एन्टीसेप्टिक रसायन या साबुन से धोते हैं। वे पौष्टिक व सन्तुलित आहार लेते हैं। जिससे इनका प्रतिरक्षा तन्त्र सक्रिय बना रहता है। इस प्रकार वे बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं।

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प्रश्न 3.
अपने पास-पड़ोस में एक सर्वेक्षण कीजिए तथा पता लगाइए कि सामान्यतः कौन-सी तीन बीमारियाँ होती हैं? इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन को तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर:
हमारे पास-पड़ोस में सामान्यतः मलेरिया, हैजा, अतिसार, टाइफॉयड डायरिया (दस्त) आदि रोग होते हैं। ये रोग सामाजिक अस्वच्छता एवं प्रदूषित पर्यावरण के कारण फैलते हैं। इन रोगों को फैलने से रोकने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन को निम्नलिखित सुझाव देंगे-

  • सड़क के किनारों पर बनी नालियों की नियमित सफाई करायें। उनमें गंदा पानी रुकने न पाये।
  • रुके हुए तालाब व पोखरों के जल पर मिट्टी का तेल डी.डी.टी. आदि कीटनाशक छिड़कवायें।
  • कटे हुए फलों, खुले हुए खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगवाएँ
  • रोगों से बचाव हेतु सामाजिक स्वच्छता एवं टीकाकरण कार्यक्रम की व्यवस्था कराएँ।

प्रश्न 4.
एक बच्चा अपनी बीमारी के विषय में नहीं बता पा रहा है? हम कैसे पता करेंगे कि-
(a) बच्चा बीमार है?
(b) उसे कौन सी बीमारी है?
उत्तर:
(a) बीमार होने की स्थिति में बच्चे का सामान्य व्यवहार ठीक नहीं रहेगा। वह पीड़ा के कारण रोयेगा, कुछ भी खाना पसन्द नहीं करेगा, उल्टी-दस्त करेगा, बेचैन रहेगा, सुस्त हो जायेगा, शरीर का ताप बढ़ जायेगा। खांसना, छींकना आदि लक्षण प्रदर्शित करेगा।

(b) उल्टी-दस्त, भोजन ग्रहण न करना, बुखार आना, सुस्त व बेचैन रहना और परेशानी के कारण रोना आदि लक्षण हैं तो बच्चा अतिसार (डायरिया) रोग से पीड़ित हो गया है। यह रोग प्रदूषित खाद्य पदार्थ खाने या प्रदूषित जल पीने के कारण हो गया है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित किन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति पुनः बीमार हो सकता है?
(a) जब वह मलेरिया से ठीक हो रहा है।
(b) वह मलेरिया से ठीक हो चुका है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
(c) मलेरिया से ठीक होने के बाद चार दिन उपवास करता है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
उत्तर:
(c) मलेरिया से ठीक होने के बाद भी शारीरिक कमजोरी बनी रहेगी और वह व्यक्ति चार दिन उपवास करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और कम हो जायेगी। अतः चेचक के रोगाणुओं का संक्रमण ऐसे व्यक्ति पर आसानी से हो जायेगा। जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं। और जिसका प्रतिरक्षा तन्त्र सक्रिय न हो। अतः रोग से बचने के लिए प्रतिरक्षा तन्त्र का स्वस्थ और सक्रिय बने रहना अति आवश्यक है। इसके लिए उस व्यक्ति को पौष्टिक आहार की आवश्यकता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किन परिस्थितियों में आप बीमार हो सकते हैं? क्यों – (a) जब आपकी परीक्षा का समय है। (b) जब आप बस तथा रेलगाड़ी में दो दिन तक · यात्रा कर चुके हैं। (c) जब आपका मित्र खसरा से पीड़ित है।
उत्तर:
(c) जब हमारा मित्र खसरा से पीड़ित है। क्योंकि खसरा एक संक्रामक रोग है अतः खसरा पीड़ित मित्र के सम्पर्क में रहने से खसरे का संक्रमण हो जाता है और सम्पर्क में रहने वाला व्यक्ति बीमार हो जाता है।

प्रश्न 7.
यदि आप किसी एक संक्रामक रोग के टीके की खोज कर सकते हो तो आप किसको चुनते हैं? (a) स्वयं की? (b) अपने क्षेत्र में फैले एक सामान्य रोग की क्यों?
उत्तर:
यदि हम किसी एक संक्रामक रोग के टीके की खोज कर सकते हैं, तो हम अपने क्षेत्र में फैले सामान्य रोग के टीके की खोज करेंगे जिससे ज़्यादा से ज्यादा लोगों को इसका फायदा हो सके।

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क्रियाकलाप 13.1 (पा. पु. पृ. सं. 198)
लातूर, भुज, कश्मीर आदि में आए भूकंप या तटवर्ती भाग को प्रभावित करने वाले चक्रवात जैसी आपदाओं से वहाँ के लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।

अब उत्तर दें-

प्रश्न 1.
इन आपदाओं के वास्तव में घटने के समय हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ेंगे?
उत्तर:
इन आपदाओं की वजह से अनेक बुरे प्रभाव हम पर पड़ेंगे। इसके कारण स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा। स्वच्छ तथा साफ जल तथा भोजन के अभाव से बीमारियाँ भी हो सकती हैं।

प्रश्न 2.
आपदा घटित होने के पश्चात् कितने समय तक विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ पैदा होती रहेंगी?
उत्तर:
जब तक स्वच्छ वातावरण नहीं मिलेगा, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ पैदा होती रहेंगी।

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प्रश्न 3.
पहली स्थिति में (आपदा के समय) स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ते हैं? तथा दूसरी स्थिति में (आपदा के पश्चात् ) स्वास्थ्य संबंधी कौन-कौन सी समस्याएँ उत्पन्न होंगी?
उत्तर:
पहली स्थिति में (आपदा के समय) जान माल की हानि होगी तथा भोजन न मिलने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। दूसरी स्थिति में (आपदा के पश्चात् ) पौष्टिक भोजन और स्वच्छ वातावरण न मिलने के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

मानव समुदाय में स्वास्थ्य एवं रोग एक जटिल समस्या है, जिसके लिए एक दूसरे से सम्बन्धित अनेक कारक उत्तरदायी हैं। हम यह भी अनुभव करते हैं कि स्वास्थ्य और रोग का अर्थ स्वयं में बहुत जटिल है।

हम जानते हैं कि कोशिकाएँ सजीवों की मौलिक इकाई हैं। कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों जैसे- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा या लिपिड आदि से बनी होती हैं। इनमें काफी सक्रियता पाई जाती है। इनके अन्दर कुछ न कुछ क्रियाएँ सदैव होती रहती हैं।

कोशिकाएँ एक स्थान से दूसरे स्थान को गतिशील रहती हैं। जिन कोशिकाओं में गति नहीं होती उनमें भी कुछ न कुछ मरम्मत का कार्य चलता रहता है। नई-नई कोशिकाएँ बनती रहती हैं। हमारे अंगों अथवा ऊतकों में बहुत सी विशिष्ट क्रियाएँ चलती रहती हैं, जैसे- हृदय धड़कता है, फेफड़े सांस लेते हैं, वृक्क में निस्यन्दन द्वारा मूत्र बनता है, मस्तिष्क सोचता है।

सभी क्रियाएँ परस्पर सम्बन्धित हैं। उदाहरणार्थं यदि वृक्क (गुर्दे) में निस्यन्दन न हो तो विषैले पदार्थ हमारे शरीर में एकत्र हो जायेंगे। इस स्थिति में मस्तिष्क उचित प्रकार से सोच नहीं सकेगा। इन सभी पारस्परिक क्रियाओं को करने के लिए ऊर्जा तथा कच्चे पदार्थों की आवश्यकता होती है।

ये कच्चे पदार्थ हमारे शरीर को बाहर से प्राप्त होते हैं अर्थात् कोशिकाओं तथा ऊतकों को कार्य करने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। ऐसा कोई भी कारक जो कोशिकाओं एवं ऊतकों को उचित प्रकार से कार्य करने से रोकता है, वह हमारे शरीर की समुचित क्रिया में कमी का कारण होगा।

क्रियाकलाप 13.2 (पा.पु. पू. सं. 199)
आपके स्थानीय प्राधिकरण (पंचायत / नगर निगम) ने स्वच्छ जल की आपूर्ति के लिए क्या उपाय किये हैं?
उत्तर:
हमारे कस्बे शहर को स्वच्छ जल की आपूति के लिए नगर के प्राधिकरण ने एक बहुत बड़ा जल आपूर्ति घर (Water Supply home) बनाया हुआ है। वहाँ पर कई विधियों द्वारा जल को साफ करके शुद्ध पेय जल बनाया जाता है। फिर उस शुद्ध जल को पानी की टंकी में एकत्र किया जाता है। इसके बाद शुद्ध जल पाइप लाइनों के द्वारा घर-घर में वितरित कर दिया जाता है।

क्या आपके मोहल्ले में सभी निवासियों को स्वच्छ जल प्राप्त हो रहा है?
उत्तर:
नहीं, हमारे मोहल्ले के सभी निवासियों को स्वच्छ जल प्राप्त नहीं हो पाता है, क्योंकि जनसंख्या के हिसाब से स्वच्छ पेय जल की मात्रा बहुत कम होती है। इसलिए कम मात्रा में शुद्ध जल मिल पाने के कारण हमारे मोहल्ले के सभी निवासियों को पीने के लिए शुद्ध जल नहीं मिल पाता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुद्ध जल की आवश्यकता होती है। जिसके अभाव में अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न होती रहती हैं।

क्रियाकलाप 13.3 (पा.पु. पू. सं. 199)
आपका स्थानीय प्राधिकरण आपके मोहल्ले में उत्पन्न कचरे का निपटारा कैसे करता है?
उत्तर:
हमारे शहर का स्थानीय प्राधिकरण मोहल्ले में उत्पन्न कचरे का निपटारा घर-घर जाकर कूड़ा-कचरा इकट्ठा करने वाली ढकेलों द्वारा कराता है, जिसका संचालन एक सफाई कर्मचारी करता है सड़कों और गलियों की सफाई, सफाई कर्मचारियों के द्वारा की जाती है। इस कचरे को प्राधिकरण द्वारा बनाए गये डलाब घर में डाल दिया जाता है। जहाँ से प्राधिकरण की गाड़ियाँ उस कचरे को शहर से बाहर ले जाती हैं।

क्या प्राधिकरण द्वारा किये गये उपाय पर्याप्त हैं?
उत्तर:
प्राधिकरण द्वारा कचरे का निपटारा करने के लिए किये गये उपाय पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि सफाई कर्मचारियों का संख्या अपेक्षाकृत कम है। सफाई कर्मचारी ठीक से कार्य नहीं करते हैं। कचरे का निपटारा करने वाली गाड़ियों की संख्या भी कम है जो कि कम चक्कर करती हैं परिणामस्वरूप कचरा सड़ने लगता है, जिससे वायु प्रदूषित हो जाती है और बीमारियाँ फैलने लगती हैं।

यदि नहीं, तो इसके सुधार के लिए आप क्या सुझाव देंगे?
उत्तर:
प्राधिकरण को चाहिए कि आवश्यकतानुसार पर्याप्त सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति करे, कचरा ढोने वाली गाड़ियों की संख्या बढ़ाये कर्मचारियों को समय से वेतन का भुगतान करे और उनमें कर्त्तव्यनिष्ठा की भावना पैदा करे। कचरे का निपटारा प्रतिदिन पूरा कराया जाये। कचरे को एकत्र न होने दिया जाये।

आप अपने घर में दैनिक / साप्ताहिक उत्पन्न होने वाले कचरे को कम करने के लिए क्या रेंगे?
उत्तर:
हम अपने घर में उत्पन्न होने वाले कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, जलने वाले कचरे को जला देंगे। पुनः प्रयोग में न आने वाली वस्तुओं को अलग करके कबाड़े वाले को दे देंगे खाद के रूप में काम आने वाले कचरे को खेतों और बाग-बगीचों में प्रयोग कर लेंगे।

स्वास्थ्य के लिए हमें भोजन की आवश्यकता होती है। भोजन प्राप्त करके लिए हमें काम करना पड़ता है। इसके लिए हमें काम करने के अवसर खोजने पड़ते हैं। अच्छी आर्थिक परिस्थितियाँ तथा कार्य व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।

स्वस्थ्य रहने के लिए हमें प्रसन्न रहना आवश्यक है। यदि किसी से हमारा व्यवहार ठीक नहीं है और हमें एक-दूसरे से डर हो तो हम प्रसन्न तथा स्वस्थ नहीं रह सकते। अतः व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए सामाजिक समानता बहुत आवश्यक है। अनेक सामुदायिक समस्याएँ भी हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

खण्ड 13.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. सं. 200)

प्रश्न 1.
अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ हैं-

  • पौष्टिक भोजन की आवश्यकता।
  • प्रसन्न रहना और सामुदायिक स्वच्छता।

प्रश्न 2.
रोग मुक्ति की कोई दो आवश्यक परिस्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
रोगमुक्ति की दो आवश्यक परिस्थितियाँ हैं-

  • सामुदायिक और व्यक्तिगत स्वच्छता।
  • चिकित्सा (पौष्टिक व सन्तुलित भोजन तथा औषधियाँ)।

प्रश्न 3.
क्या उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे हैं अथवा भिन्न, क्यों?
उत्तर:
उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे नहीं हैं, कुछ भिन्न हैं। फिर भी उनका एक-दूसरे से गहरा सम्बन्ध है। क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक एवं सन्तुलित भोजन के साथ-साथ स्वच्छ रहना भी आवश्यक है, जबकि रोग से मुक्ति पाने के लिए स्वच्छता के साथ-साथ अच्छी चिकित्सा ( औषधियों एवं चिकित्सक) की भी आवश्यकता है। केवल एक ही परिस्थिति में रोग से मुक्ति पाना सम्भव नहीं है।

क्रियाकलाप (13.4) (पा. पु. पू. सं. 201)
पिछले तीन महीनों में कितने लोग तीव्र रोगों से ग्रसित हुए?
उत्तर:
पिछले तीन महीनों में हमारे गाँव / कस्बे / शहर में 1000 लोग तीव्र रोगों से ग्रसित हुए।

पिछले तीन महीनों में कितने लोग दीर्घकालिक रोग से ग्रसित हुए?
उत्तर:
पिछले तीन महीनों में 2000 लोग दीर्घकालिक रोग से ग्रसित हुए।

आपके पड़ोस में कुल कितने लोग दीर्घकालिक रोग से पीड़ित हैं?
उत्तर:
हमारे पड़ोस में कुल 100 लोग दीर्घकालिक रोग से पीड़ित हैं।

क्या उपरोक्त प्रश्न 1 तथा 2 के उत्तर भिन्न हैं?
उत्तर:
हाँ, उपरोक्त प्रश्न 1 तथा 2 के उत्तर भिन्न हैं।

क्या उपरोक्त प्रश्न 2 तथा 3 के उत्तर भिन्न हैं?
उत्तर:
हाँ, उपरोक्त प्रश्न 2 तथा 3 के उत्तर भिन्न हैं।

इस भिन्नता के क्या कारण हो सकते हैं? इस भिन्नता का लोगों के सामान्य स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
भिन्नता के कारण-

  • हमारे आस-पास स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाओं की कमी है।
  • अच्छी स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएँ प्रत्येक नागरिक को प्राप्त नहीं हैं।
  • जनसंख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी हो रही है।
  • अशिक्षा के कारण रोगियों की उचित देख-रेख नहीं हो पाती है। जिसके कारण तीव्र रोग ठीक नहीं हो पाते हैं और वे
  • दीर्घकालिक रोग में बदल जाते हैं इसलिए लोगों के स्वास्थ्य में गिरावट आती है। (v) बीमार होने के कारण लोग काम करने के
  • लिए नहीं जा पाते हैं तथा घर के दूसरे लोग भी बीमार व्यक्ति की देखभाल में लगे रहते हैं, जिससे लोगों की निरन्तर आर्थिक हानि होती है।
  • पैसे की कमी से बीमार व्यक्ति की चिकित्सा नहीं हो पाती है।

उपरोक्त कारणों से लोगों के व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा सामुदायिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

खण्ड 13.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 203)

प्रश्न 1.
ऐसे तीन कारण लिखिए जिससे आप सोचते हैं कि आप बीमार हैं तथा चिकित्सक के पास जाना चाहते हैं। यदि इनमें से एक भी लक्षण हो तो क्या आप फिर भी चिकित्सक के पास जाना चाहेंगे? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
जब हमारे शरीर का कोई अंग या अंग तन्त्र ठीक से कार्य नहीं कर पाता है तो हमें शारीरिक कष्ट होता है तब हम सोचते हैं कि हम बीमार हैं तथा हमें चिकित्सक के पास जाना चाहिए। बीमार होने के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं- सिरदर्द, खाँसी, दस्त, किसी घाव में पस आना आदि। यदि हमारे शरीर में इनमें से कोई भी एक या अधिक लक्षण दिखाई दें तो हमें शीघ्र ही चिकित्सक के पास जाना चाहिए और पूरी जाँच करानी चाहिए, जिससे हमें पता चल सके कि किस रोग के कारण हमारे शरीर के अंग ठीक तरह से कार्य नहीं कर रहे हैं। रोग और उसके होने के कारणों के पता चलने के बाद ही रोग की चिकित्सा सम्भव हो सकेगी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किसके लम्बे समय तक रहने के कारण आप समझते हैं कि आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा क्यों – यदि आप पीलिया रोग से ग्रस्त हैं। यदि आपके शरीर पर जूँ (Lice) हैं। यदि आप मुँहासों से ग्रस्त हैं।
उत्तर:
पीलिया रोग के लम्बे समय तक बने रहने के कारण यकृत (Liver) में सूजन आ जाती है। जिससे पाचन क्रिया बुरी तरह प्रभावित हो जाती है। इस स्थिति में हमें तेज बुखार, सिर दर्द तथा जोड़ों में दर्द का अनुभव होता है। हमें भूख नहीं लगती है, शरीर में खुजली, जलन व उत्तेजनशील चकते उत्पन्न हो जाते हैं। अधिक लम्बे समय तक इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इस रोग के कारण स्वास्थ्य पर बड़ा बुरा प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति कमजोर हो जाता है।

जूँ तथा मुँहासे तीव्र प्रभाव दिखाते हैं और वे आसानी से दूर हो सकते हैं तथा उनका शरीर पर प्रभाव देर तक नहीं रहता है।

क्रियाकलाप (13.5) (पा. पु. पृ. सं. 205)
आपकी कक्षा में कुछ दिनों पहले कितने विद्यार्थियों को जुकाम, खाँसी तथा बुखार हुआ था?
उत्तर:
हमारी कक्षा में कुछ दिन पहले 20 विद्यार्थियों को जुकाम/खाँसी तथा बुखार हुआ था।

उनको बीमारी कितने दिनों तक रही?
उत्तर:
उनको बीमारी एक सप्ताह से लेकर 15 दिनों तक रही।

इनमें से कितनों ने एंटीबायोटिक का उपयोग किया?
उत्तर:
इनमें से 15 विद्यार्थियों ने एंटीबोयोटिक का उपयोग किया था।

जिन्होंने एंटीबायोटिक लिया था वे कितने दिनों तक बीमार रहे ?
उत्तर:
जिन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक लिया था वे 5-6 दिनों तक बीमार रहे और शीघ्र ही ठीक हो गये।

जिन्होंने एंटीबायोटिक नहीं लिया था वे कितने दिनों तक बीमार रहे?
उत्तर:
जिंन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक नहीं लिया था वे कई दिनों तक बीमार रहे।

क्या इन दोनों वर्गों में अन्तर है?
उत्तर:
हाँ, दोनों वर्गों में अन्तर है।

यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्यों?
उत्तर:
दोनों वर्गों में यह अन्तर है कि जिन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक लिया था उनकी प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ गई, जिससे वे शीघ्र ठीक हो गये। जिन विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक नहीं लिया था उनके शरीर में बैक्टीरिया फैलते रहे और शरीर प्रतिरक्षा तन्त्र कमजोर हो गया, जिसके कारण उनको देर से रोग से मुक्ति मिल सकी।

क्रियाकलाप 13.6. (पा. पु. पृ. सं. 209)
अपने मोहल्ले में एक सर्वेक्षण करो। दस परिवारों से बात करो जिनका रहन-सहन उच्च स्तर का है, जो अच्छी प्रकार रहते हैं और दस ऐसे परिवार जो आपके अनुमान के अनुसार गरीब हैं। इन दोनों परिवारों में बच्चे होने चाहिए जिनकी आयु पाँच वर्ष से कम हो। प्रत्येक बच्चे की ऊँचाई मापो और आयु लिखो तथा एक ग्राफ बनाओ।

क्या दोनों (अमीर और गरीब) वर्गों में कोई अन्तर है? यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर:
हाँ, दोनों वर्गों में अन्तर है। क्योंकि अमीर के पास खर्च करने के लिए धन उपलब्ध है जबकि गरीब के पास धन का अभाव है।

यदि उनमें अन्तर नहीं है तो क्या आप यह निष्कर्ष निकालते हैं कि स्वास्थ्य के लिए अमीरी तथा गरीबी का कोई महत्व नहीं है।
उत्तर:
स्वास्थ्य पर अमीरी और गरीबी का स्पष्ट अन्तर दिखाई देता है। अमीर लोगों के बच्चों को पौष्टिक व सन्तुलित ‘भोजन, शुद्ध पेय जल, अच्छा वातावरण, अच्छा घर तथा अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हैं जबकि गरीब लोगों बच्चों को न तो पौष्टिक व सन्तुलित भोजन मिल पाता है, न ही पीने के लिए शुद्ध जल, न ही रहने के लिए अच्छा वातावरण, न अच्छा घर और न ही अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ मिल पाती हैं। इसलिए गरीब वर्ग के रोगी बच्चों की संख्या अमीर वर्ग के बच्चों की अपेक्षा अधिक होती है।

संक्रमण से बचने की विशिष्ट विधियाँ प्रतिरक्षा तन्त्र के विशिष्ट गुणों से सम्बन्धित हैं, जो प्रायः रोगाणु से लड़ते रहते हैं। जैसे इन दिनों सारे विश्व में चेचक (स्मॉल पॉक्स) नहीं है, किन्तु 100 वर्ष पहले चेचक महामारी बहुत होती थी। लोग रोगी के पास आने से डरते थे, क्योंकि उन्हें डर था कि उन्हें भी चेचक न हो जाये।

लेकिन एक वर्ग ऐसा भी था जो चेचक से नहीं डरता था और वे चेचक के रोगी की सेवा करते थे। इस वर्ग के व्यक्तियों को बहुत भयानक चेचक हुआ था, लेकिन फिर भी वे जीवित रहे, किन्तु उनके शरीर पर (मुख्यत: चेहरे पर बहुत से दाग थे। अर्थात् यदि किसी को एक बार चेचक हो जाए तो उसे चेचक रोग पुनः होने की सम्भावना नहीं होती। इसलिए यह एक बार रोग होने पर उसी रोग से बचने की एक विधि है।

ऐसा इसलिए होता है कि जब रोगाणु प्रतिरक्षा तन्त्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तन्त्र रोगाणुओं से प्रतिक्रिया करते हैं और फिर उसका विशिष्ट रूप से स्मरण कर लेता है। अतः जब वही रोगाणु या उससे मिलता-जुलता रोगाणु सम्पर्क में आता है तो पूरी शक्ति से उसे नष्ट कर देता है। इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है। यह प्रतिरक्षाकरण के नियम का आधार है।

इस प्रकार, टीकाकरण का सामान्य नियम यह है कि शरीर में विशिष्ट संक्रमण तत्व प्रविष्ट कराकर प्रतिरक्षा तन्त्र को ‘मूर्ख’ बना सकते हैं वह उन रोगाणुओं की नकल करता है जो टीके के द्वारा शरीर में पहुँचे हैं। वह वास्तव में रोग उत्पन्न नहीं करते, किन्तु यह वास्तव में रोग उत्पन्न करने वाले रोगाणुओं को उसके बाद रोग उत्पन्न करने से रोकता है।

आजकल ऐसे बहुत से टीके उपलब्ध हैं जो संक्रामक रोगों का निवारण करते हैं और रोग निवारण के विशिष्ट साधन प्रदान करते हैं। टेटनस, डिप्थीरिया, कुकर खाँसी, चेचक, पोलियो आदि के टीके उपलब्ध हैं। यह बच्चों की संक्रामक रोगों से रक्षा करने के लिए सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रम है।

ऐसे कार्यक्रम तभी सफल होते हैं जब ऐसी स्वास्थ्य सुविधाएँ सभी बच्चों को प्राप्त हों हिपेटाइटिस के कुछ वाइरस जिससे पोलियो होता है, पानी द्वारा संचारित होता है। हिपेटाइटिस ‘A’ के लिए टीका उपलब्ध है। देश के अधिकांश भागों में जब बच्चे की आयु पाँच वर्ष हो जाती है तब तक वह हिपेटाइटिस ‘A’ के प्रति प्रतिरक्षी हो चुका होता है। इसका कारण यह है कि यह पानी के द्वारा वाइरस के प्रभाव में आ चुका हो।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

क्रियाकलाप 13.7. (पा.पु. पृ. सं. 210)
संक्रमित कुत्ते तथा अन्य जन्तुओं के काटने से रेबीज वाइरस फैलता है। मनुष्य तथा जन्तु दोनों के लिए प्रति रेबीज टीके उपलब्ध हैं पता करो कि आपके पास पड़ौस में स्थानीय प्रशासन रेबीज को फैलने से रोकने के लिए क्या कर रहा है?
क्या (प्रशासन द्वारा रेबीज फैलने से रोकने के लिए) ये उपाय पर्याप्त हैं? यदि नहीं, तो आप इसके सुधार के लिए क्या सुझाव देंगे ?
उत्तर:
स्थानीय प्रशासन द्वारा रेबीज को फैलने से रोकने के लिए स्थानीय चिकित्सा केन्द्र में टीकाकरण की सेवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। अतः जब इन सेवाओं की जरूरत पड़ती है तो स्थानीय चिकित्सा केन्द्र टीकों के अभाव में असमर्थ दिखाई देते हैं। चिकित्सक व परिचारिका (नर्स) या सहायक भी उपलब्ध नहीं होते हैं इसलिए चिकित्सा में देरी हो जाती है। चिकित्सा सही ढंग से नहीं हो पाती और रोगी की हालत बिगड़ जाती है और उसका जीवन खतरे में पड़ जाता है। यहाँ तक कि उसकी मृत्यु हो जाती है। इसका बुरा असर पूरे समाज पर पड़ता है।

अतः प्रशासन को चाहिए कि स्थानीय चिकित्सा केन्द्र पर पर्याप्त मात्रा में रेबीज के टीके उपलब्ध कराये, चिकित्सक, नर्स व सहायक भी उपलब्ध रहें ताकि उनकी सेवाओं का लाभ उठाया जा सके।

खण्ड 13.7 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्न (पा.पु. पू. सं. 210)

प्रश्न 1.
जब आप बीमार होते हैं तो आपको सुपाच्य तथा पोषण युक्त भोजन करने का परामर्श क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
बीमार होने पर सुपाच्य तथा पोषणयुक्त भोजन का परामर्श इसलिए दिया जाता है, क्योंकि ऐसे भोजन से हमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन एवं खनिज लवण उचित मात्रा में प्राप्त हो जाते हैं। ये तत्व हमारे शरीर के लिए जरूरी हैं। स्वस्थ होने के लिए ऐसा आहार आवश्यक है, क्योंकि भोजन से हमें ऊर्जा मिलती है तथा शरीर के टूटे-फूटे ऊतकों की मरम्मत होती है।

प्रश्न 2.
संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ इस प्रकार हैं-

  • रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में
  • दूषित जल
  • प्रदूषित वायु
  • दूषित भोजन, तथा
  • कीट या शारीरिक सम्पर्क द्वारा फैलते हैं ये रोग बैक्टीरिया, वाइरस, प्रोटोजोआ, एवं कवक वर्ग के सूक्ष्म जीवों के संक्रमण के कारण होते हैं।

प्रश्न 3.
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए आपके विद्यालय में कौन-कौन सी सावधानियाँ आवश्यक हैं?
उत्तर:
संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए हमें निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी आवश्यक हैं-

  • अपने को रोगी साथियों से अलग रखना।
  • उनके साथ उठना-बैठना, खाना-पीना, स्पर्श एवं अन्य सम्पर्क न रखना।
  • सूक्ष्म जीवों से बचने के लिए स्वच्छ जल का उपयोग करना।
  • स्वच्छता अपनाना तथा पर्यावरण को स्वच्छ रखना।
  • खुले स्थान पर रहना।
  • संक्रामक रोगों से बचने के लिए आवश्यक टीके लगवाना।

प्रश्न 4.
प्रतिरक्षीकरण क्या है?
उत्तर:
प्रतिरक्षीकरण-एक बार रोग होने पर उसी रोग से बचने की एक विधि प्रतिरक्षीकरण है। जब रोगाणु प्रतिरक्षा तन्त्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तन्त्र रोगाणुओं के प्रति क्रिया करता है और फिर इसका विशिष्ट रूप से स्मरण कर लेता है। इस प्रकार जब वही रोगाणु या उससे मिलता-जुलता रोगाणु सम्पर्क में आता है तो पूरी शक्ति के साथ उसे नष्ट कर देता है। इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 5.
आपके पास में स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में टीकाकरण के कौन-कौन से कार्यक्रम उपलब्ध हैं? आपके क्षेत्र में कौन-कौन सी स्वास्थ्य सम्बन्धी मुख्य समस्या है?
उत्तर:
हमारे पास स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में टेटनस डिप्थीरिया, चेचक, कुकर खाँसी, पोलियो, बी.सी.जी. आदि के टीकाकरण कार्यक्रम उपलब्ध हैं। हमारे क्षेत्र में हैजा, टाइफॉयड, अतिसार, मलेरिया, फ्लू, रेबीज, क्षयरोग, एनीमिया, गलगण्ड (घेंघा) डाइबिटीज, गठिया, मेरेस्मस और हृदय रोग आदि स्वास्थ्य सम्बन्धी मुख्य समस्याएँ हैं।

प्रश्न 6.
क्या रोगी व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर सभी रोग फैल जाते हैं? (पा. पु. पृ. सं. 202)
उत्तर:
नहीं; रोगी व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर केवल संक्रामक रोग ही फैलते हैं।

प्रश्न 7.
ऐसे कौन से रोग हैं जो नहीं फैलते हैं?
उत्तर:
कैंसर, उच्च रक्त चाप, मोटापा, शरीर के किसी भाग में दर्द होना, गठिया, किसी दुर्घटना से होने वाली शारीरिक क्षति से उत्पन्न रोग आदि।

प्रश्न 8.
मनुष्टों में वे रोग कैसे हो जाते हैं जो रोगी के सम्पर्क में आने से नहीं फैलते?
उत्तर:
मनुष्य के शरीर में बहुत से असंक्रामक रोग हो जाते हैं; जैसे-आनुवंशिक असामान्यता, दुर्घटना, पौष्टिक भोजन की कमी, प्रदूषित पर्यावरण, व्यक्तिगत तथा सामुदायिक अस्वस्थता, विषाक्त भोजन, व्यायाम न करना तथा अप्रसन्न (दु:खी) रहना आदि। ये रोग एक रोगी से दूसरे रोगी में नहीं फैलते।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. वह तरंग, जिसमें संपीडन और विरलन हैं, कहलाती है-
(a) अनुप्रस्थ तरंग
(b) अनुदैर्ध्य तरंग
(c) प्रकाश तरंग
(d) जल तरंग।
उत्तर:
(b) अनुदैर्ध्य तरंग।

2. तरंग के वेग v, तरंगदैर्ध्य (λ) तथा आवृत्ति n के बीच सम्बन्ध है-
(a) v = nλ
(b) λ = vn
(c) n = vλ
(d) n = λ/v।
उत्तर:
(a) v = nλ

3. अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न की जा सकती हैं-
(a) ठोस व गैस में
(b) ठोस व द्रव में
(c) गैस व द्रव में
(c) ठोस, द्रव व गैस तीनों में।
उत्तर:
(b) ठोस व द्रव में।

4. अनुदैर्ध्य तरंग में माध्यम के कणों का कम्पन्न-
(a) तरंग की दिशा में होता है
(b) तरंग की दिशा के लम्बवत् होता है।
(c) कण कम्पन नहीं करते हैं
(d) तरंग की दिशा में 60° के कोण पर।
उत्तर:
(a) तरंग की दिशा में होता है।

5. ध्वनि की चाल अधिकतम होती है-
(a) वायु में
(b) ठोसों में।
(c) जल में
(d) जल व ठोस दोनों में।
उत्तर:
(b) ठोसों में

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि

6. घड़ी की सुइयों में घण्टे वाली सुई का आवर्तकाल होता है-
(a) 1 घण्टे
(b) 24 घण्टे
(c) 12 घण्टे
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) 12 घण्टे।

7. एक तरंग की चाल 350 मी/से. तथा तरंगदैर्ध्य 50 सेमी है, तो तरंग की आवृत्ति होगी-
(a) 13500 प्रति सेकण्ड
(b) 700 प्रति सेकण्ड
(c) 400 प्रति सेकण्ड
(d) 300 प्रति सेकण्ड।
उत्तर:
(b) 700 प्रति सेकण्ड।

8. प्रति सेकण्ड समय में पूर्ण किए गए दोलनों की संख्या को कहते हैं-
(a) आयाम
(b) चाल
(c) आवर्तकाल
(d) आवृत्ति।
उत्तर:
(d) आवृत्ति।

9. कम्पन करती एक वस्तु का आवर्तकाल 0.02 सेकण्ड है, वस्तु के कम्पन की आवृत्ति होगी-
(a) 100 सेकण्ड
(b) 20 सेकण्ड1
(c) 50 सेकण्ड
(d) 1 सेकण्ड।
उत्तर:
(c) 50 सेकण्ड

10. घड़ी में सेकण्ड वाली सुई का आवर्तकाल होता है-
(a) 1 मिनट
(b) 1 घण्टा
(c) 12 घण्टे
(d) 24 घण्टे।
उत्तर:
(a) 1 मिनट।

11. श्रव्यता सीमा होती है-
(a) 200 Hz से 20000 Hz तक
(b) 20 Hz से 20000 Hz तक
(c) 2 Hz से 20 Hz तक
(d) 20000 Hz से अधिक।
उत्तर:
(b) 20Hz से 20000 Hz तक।

12. प्रतिध्वनि सुनने के लिए हमारे कान तक ध्वनि कम से कम कितने समय बाद पहुंचनी चाहिए?
(a) 0.1 सेकण्ड
(b) 0.5 सेकण्ड
(c) 1 सेकण्ड
(d) 2 सेकण्ड।
उत्तर:
(c) 1 सेकण्ड

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि

13. अल्ट्रासोनोग्राफी में प्रयुक्त तरंगों की आवृत्ति है-
(a) 20 हर्ट्ज
(b) 20 हर्ट्ज तक से कम
(c) 20 हर्ट्ज से 20000 हर्ट्ज तक
(d) 20000 हर्ट्ज से अधिक।
उत्तर:
(d) 20000 हर्ट्ज से अधिक।

14. आयाम का मात्रक है-
(a) मीटर
(b) मीटर / सेकण्ड
(c) हर्ट्ज
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) मीटर।

15. ध्वनि की निर्वात में चाल होती है-
(a) 3 x 108 मी/सेकण्ड
(b) 330 मीटर / सेकण्ड
(c) ध्वनि निर्वातु में नहीं चल सकती
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) ध्वनि निर्वात् में नहीं चल सकती।

रिक्त स्थान भरो-

  1. ध्वनि तब उत्पन्न होती है जब वस्तु ……………….. करती है।
  2. ध्वनि तरंगें ……………….. तरंगें होती हैं।
  3. ध्वनि संचरण के लिए ……………….. की आवश्यकता होती है।
  4. एकल आवृत्ति की ध्वनि को ……………….. कहते हैं।

उत्तर:

  1. कम्पन
  2. अनुदैर्ध्य
  3. माध्यम
  4. टोन।

सुमेलन कीजिए-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
1. चाल (क) 20 Hz से कम
2. ध्वनि का वेग (ख) दूरी/समय
3. अपश्रव्य ध्वनि (ग) 20 kHz से अधिक
4. पराश्रव्य ध्वनि (घ) तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति

उत्तर:
1. (ख) दूरी/समय
2. (घ) तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति
3. (क) 20 Hz से कम
4. (ग) 20 kHz से अधिक

सत्य / असत्य –

  1. शोर सुनने में कर्णप्रिय होता है।
  2. ध्वनि की चाल आर्द्रता बढ़ने पर बढ़ती है।
  3. ध्वनि का आयतन कोण हमेशा ध्वनि के परावर्तन कोण बड़ा होता है।
  4. तरंगदैर्ध्य का SI मात्रक हर्ट्ज होता है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य।

अति लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अनुप्रस्थ तरंगें किस प्रकार के माध्यम में उत्पन्न की जा सकती हैं?
उत्तर:
ठोसों में तथा द्रवों की सतह पर, जिनमें दृढ़ता होती है।

प्रश्न 2.
अनुदैर्ध्य तरंगें किस प्रकार के माध्यम में उत्पन्न की जा सकती हैं?
उत्तर:
ठोस, द्रव तथा गैस तीनों माध्यमों में।

प्रश्न 3.
जल में पत्थर फेंकने से जल की सतह पर उत्पन्न तरंगें किस प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
अनुप्रस्थ तरंगें।

प्रश्न 4.
लोहे में उत्पन्न ध्वनि तरंगें किस प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
अनुदैर्ध्य तरंगें।

प्रश्न 5.
वायु में उत्पन्न ध्वनि तरंगें किस प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
अनुदैर्ध्य तरंगें।

प्रश्न 6.
किसी तार को दो खूँटियों के बीच तानकर लम्बाई के लम्बवत् खींचकर छोड़ दिया जाता है तो तार में उत्पन्न तरंग का नाम बताइए।
उत्तर:
अनुप्रस्थ तरंग।

प्रश्न 7.
अनुप्रस्थ तरंग के कारण जिस क्षण तालाब का जल ऊपर को उठता है, उस उठे भाग का क्या कहते हैं?
उत्तर:
श्रृंग (Crest)।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 8.
अनुप्रस्थ तरंग के कारण जिस क्षण तालाब का जल नीचे की ओर दबा होता है, उस दबे भाग को क्या कहते हैं?
उत्तर:
गर्त (trough)।

प्रश्न 9.
अनुप्रस्थ तरंगों में दो क्रमागत शृंगों (दो क्रमागत गर्तों) के बीच की दूरी कितनी होती है?
उत्तर:
तरंग दैर्ध्य के बराबर।

प्रश्न 10.
तरंगदैर्ध्य का SI मात्रक क्या है?
उत्तर:
तरंगदैर्ध्य का SI मात्रक मीटर है।

प्रश्न 11.
आवृत्ति का SI मात्रक क्या है?
उत्तर:
आवृत्ति का SI मात्रक हर्ट्ज (Hz) है।

प्रश्न 12.
एक स्वतंत्र रूप से लटकी स्लिंकी को खींचकर छोड़ दिया जाए तो किस प्रकार की तरंगें उत्पन्न होंगी?
उत्तर:
अनुदैर्ध्य तरंगें।

प्रश्न 13.
घड़ी की सुइयों की गति किस प्रकार की होती है?
उत्तर:
आवर्ती गति।

प्रश्न 14.
हमारे कान में ध्वनि की संवेदना कितने समय तक बनी रहती है?
उत्तर:
0.1 सेकण्ड तक।

प्रश्न 15.
प्रतिध्वनि सुनाई देने का क्या कारण है?
उत्तर:
प्रतिध्वनि सुनाई देने का कारण ध्वनि का परावर्तन है।

प्रश्न 16.
स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए अवरोध प्रतिध्वनि से कम-से-कम कितनी दूर होना चाहिए?
उत्तर:
प्रतिध्वनि सुनने के लिए अवरोध कम-से-कम 17.2 मीटर दूर होना चाहिए।

प्रश्न 17.
हम छोटे कमरों में प्रतिध्वनि क्यों नहीं सुन पाते?
उत्तर:
क्योंकि प्रतिध्वनि सुनने के लिए दीवारों के बीच न्यूनतम 17.2 मीटर की दूरी होनी चाहिए।

प्रश्न 18.
पराध्वनिक वस्तु किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायु में ध्वनि की चाल की अपेक्षा, अधिक चाल से चलने वाली वस्तु को पराध्वनिक वस्तु कहते हैं।

प्रश्न 19.
पराध्वनिक बूम क्यों सुनाई देता है?
उत्तर:
किसी वस्तु के वायु में ध्वनि की चाल से अधिक चाल से चलने के कारण।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 20.
SONAR किस वाक्य का संक्षिप्त रूप है? उसे लिखिए।
उत्तर:
SONAR, Sound Navigation And Ranging वाक्य का संक्षिप्त रूप है।

प्रश्न 21.
SONAR में प्रयुक्त होने वाली दो युक्तियों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रेषक तथा ग्राही

प्रश्न 22.
SONAR के दो उपयोग बताइए।
उत्तर:

  1. समुद्र की गहराई ज्ञात करना
  2. शत्रु पनडुब्बी की स्थिति का ज्ञान प्राप्त करना।

प्रश्न 23.
संपीडन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब कोई अनुदैर्ध्य तरंग आगे बढ़ती है तो जिन स्थानों पर माध्यम के कण एक-दूसरे के बहुत समीप आ जाते हैं तो इन्हें संपीडन कहते हैं।

प्रश्न 24.
विरलन किसे कहते हैं?
उत्तर:
अनुदैर्ध्य तरंगों में जिन स्थानों पर माध्यम के कणों की संख्या कम हो जाती है अर्थात् कण दूर-दूर चले जाते हैं, विरलन कहते हैं।

प्रश्न 25.
यदि किसी बिन्दु पर किसी समय संपीडन हो रहा हो तो कितने समय पश्चात्-
(i) उसी स्थान पर विरलन होगा?
(ii) उसी स्थान पर संपीडन होगा?
उत्तर:
(i) T / 2 समय पश्चात् विरलन होगा।
(ii) T समय पश्चात् पुनः संपीडन होगा।

प्रश्न 26.
स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा को रबड़ पैड पर मारने से उत्पन्न तरंग स्पंद का उदाहरण है या आवर्ती तरंग का।
उत्तर:
आवर्ती तरंग।

लघुत्तरात्मक एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अनुप्रस्थ तरंगों तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में क्या अन्तर
उत्तर:
अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में अन्तर

अनुप्रस्थ तरंग अनुदैर्ध्य तरंग
1. इन तरंगों में माध्यम के कण तरंग के संचरण की दिशा के लम्बवत् कंपन या दोलन करते हैं। 1. इन तरंगों में माध्यम के कण तरंग के संचरण की दिशा के अनुरूप ही कंपन या दोलन करते हैं।
2. इनमें श्रंग (crest) गर्त (trough) बनते हैं जिनकी सहायता से ये तरं गें संचरित होती है। एक भूंग व एक गर्त मिलकर एक तरंग बनाते हैं। 2. इनमें संपीडन तथा विरलन बनते हैं जिनकी सहायता से ये तरंगें संचरित होती हैं। एक संपीडन व एक विरलन मिलकर एक तरंग बनाते है।
3. ये तरंगें ठोस में तथा द्रवों की ऊपरी सतहों पर से संचरित हो सकती हैं। ये वायु या अन्य गैसों में संचरित नहीं हो सकरीं। 3. ये तरंगें ठोस, द्रव तथा गैस तीनों में से संचरित हो सकती हैं।

प्रश्न 2.
अनुदैर्ध्य तरंगों के चलने पर माध्यम में घनत्व व दाब वितरण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
अनुदैर्ध्य तरंग के चलने से माध्यम में संपीडन तथा विरलन पैदा हो जाते हैं। संपीडन वाले स्थानों पर माध्यम के कण पास-पास होते हैं। अतः वहाँ माध्यम का घनत्व एवं दाब सामान्य अवस्था की अपेक्षा अधिक रहता है। इसी प्रकार विरलन वाले स्थानों पर माध्यम का घनत्व एवं दाब सामान्य अवस्था की अपेक्षा कम रहता है।

प्रश्न 3.
‘पराध्वनिक’ से क्या तात्पर्य है? क्या यह पराश्रव्य से भिन्न है?
उत्तर:
कई बार पराश्रव्य (Ultrasonic ) तरंग तथा पराध्वनिक तरंगों में भ्रम हो जाता है।
पराश्रव्य तरंगें 20,000 Hz से अधिक आवृत्ति वाली तरंगें हैं जबकि पराध्वनिक (Supersonic) पिंड की चाल से संबंधित है। जब कोई पिण्ड ध्वनि की चाल से अधिक चाल से गति करता है तब उसकी चाल को पराध्वनिक चाल कहते हैं।

प्रश्न 4.
ध्वनि बूम से आप क्या समझते हैं? इसके हानिकारक प्रभाव लिखिए।
उत्तर:
जब पराध्वनिक वायुयान वायु में ध्वनि के वेग से अधिक वेग से उड़ते हैं तो वायु में एक प्रघाती तरंग उत्पन्न हो जाती है। ध्वनि से अधिक तीव्र गति से चलने वाली ये प्रघाती तरंगें ऊर्जा की विशाल मात्रा की वाहक हैं। इन तरंगों के कारण वायु दाब से अत्यधिक परिवर्तन होता है तथा वायु में तीव्र ध्वनि (बादल फटने जैसी) उत्पन्न होती है जिसे ध्वनि बूम (Sonic Boom) कहते हैं।

ध्वनि बूम के हानिकारक प्रभाव –

  • काँच के बर्तन, खिड़कियों के काँच टूट जाते हैं तथा ऊँचे-ऊँचे भवनों को गंभीर हानि हो सकती है।
  • असहनीय शोर होता है जिससे कानों में पीड़ा होती है तथा कर्णपटल को क्षति पहुँच सकती है।

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 5.
ध्वनि के परावर्तन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब कोई ध्वनि तरंग दो माध्यमों के सीमा पृष्ठ पर पहुँचती है तो उसका कुछ भाग पहले माध्यम में वापस आ जाता है। इस प्रक्रिया को ध्वनि का परावर्तन कहते हैं।

जब हम कुएँ पर बोलते हैं या ताली बजाते हैं तो हमें वही किन्तु कुछ धीमी ध्वनि कुएँ के अंदर से आती हुई दोबारा सुनाई देती है। दोबारा सुनाई देने वाली ध्वनि पहली ध्वनि की प्रतिध्वनि (Echo) है जो पहली ध्वनि के कुएँ के जल से परावर्तन के कारण दोबारा सुनाई देती है। इसी प्रकार की प्रतिध्वनि हम एक बड़े हॉल या गुंबद से भी ध्वनि के परावर्तन के कारण सुनते हैं।

प्रश्न 6.
यान्त्रिक तरंगें कितने प्रकार की होती हैं? प्रत्येक को उदाहरण देकर समझाइए तथा इनके प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यान्त्रिक तरंगें-वे तरंगें जो किसी (ठोस, द्रव अथवा गैस) पदार्थ के कणों के दोलनों द्वारा उत्पन्न होती हैं तथा आगे बढ़ती हैं यान्त्रिक तरंगें कहलाती हैं; जैसे – वायु में ध्वनि तरंगें, जल में गिरे पत्थर के कारण उत्पन्न तरंगें रस्सी में दोलनों के द्वारा उत्पन्न तरंगें आदि।
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि 1
माध्यम के कणों के कम्पन करने की दिशा के आधार पर यान्त्रिक तरंगें दो प्रकार की होती हैं-
(1) अनुप्रस्थ तरंगें जब किसी तरंग में माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा के लम्बवत् कम्पन करते हैं तो उत्पन्न तरंग अनुप्रस्थं तरंग कहलाती है। यह तरंग श्रृंग तथा गर्त के मिलने से बनती है जब तालाब के जल में पत्थर फेंकते हैं तो अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न होती हैं तालाब में पत्थर फेंकने से उत्पन्न अनुप्रस्थ तरंग के उठे हुए भाग को शृंग (crest) तथा दबे हुए भाग की गर्त (trough) कहते हैं (चित्र 12.18)।

उदाहरण- वायलिन, सितार आदि की तनी हुई डोरियों में उत्पन्न तरंगें तथा जल की सतह पर उत्पन्न तरंगें ।

गुण- इस प्रकार की तरंगें केवल ठोस तथा द्रव की सतह पर ही उत्पन्न की जा सकती हैं, जिनमें दृढ़ता होती है। ये तरंगें गैसों में उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं; क्योंकि गैसों दृढ़ता नहीं होती है।
में

(2) अनुदैर्ध्य तरंगें जब किसी तरंग में माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा में ही कम्पन करते हैं तो उत्पन्न तरंग अनुदैर्ध्य तरंग कहलाती है। यह तरंग संपीडन एवं विरलनों के मिलने से बनती है। जब स्वरित्र को कम्पित कराते हैं और स्वरित्र की भुजाएँ बाहर की ओर जाती हैं तो संपीडन तथा जब भुजाएँ अन्दर की ओर जाती हैं तो विरलन उत्पन्न होता है। (चित्र 12.19 ) ।
उदाहरण – वायु में चलने वाली ध्वनि तरंगें, हुक से लटके एक स्प्रिंग के सिरे से बाँट बाँधकर खींचकर छोड़ने से उत्पन्न तरंगें, जल के अन्दर चलने वाली तरंगें।

गुण – इस प्रकार की तरंगें ठोस, द्रव तथा गैस तीनों ही माध्यमों में उत्पन्न होती हैं। वायु में ध्वनि इन्हीं तरंगों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती है।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक तरंग की चाल 250 मीटर / सेकण्ड तथा आवृत्ति 500 हर्ट्ज है। तरंग की तरंगदैर्ध्य तथा आवर्तकाल की गणना कीजिए।
हल:
दिया है v = 250 मीटर / सेकण्ड,
v = 500 हर्ट्ज
तरंगदैर्ध्य λ = \(\frac { V }{ v }\)
= \(\frac { 250 }{ 300 }\)
= 0.5 मीटर
तथा आवर्तकाल T = \(\frac { 1 }{ v }\)
= \(\frac { 1 }{ 500 }\)
= 0.002 सेकण्ड

प्रश्न 2.
एक सरल लोलक 20 सेकण्ड में 40 दोलन पूरे करता है। दोलनों की आवृत्ति तथा आवर्तकाल ज्ञात कीजिए।
हल:
20 सेकण्ड में पूरे किए गए दोलन = 40
∴ 1 सेकण्ड में पूरे किए गए दोलन = \(\frac { 40 }{ 20 }\) = 2
अत: दोलनों की आवृत्ति v = 2 हज
तथा दोलनों का आवर्तकाल
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि 2

प्रश्न 3.
किसी माध्यम में चलने वाली दो यान्त्रिक तरंगों की आवृत्तियों का अनुपात 3 4 है इन तरंगों के
(i) तरंगदैयों का अनुपात क्या दोष होगा?
(ii) आवर्तकाल का अनुपात क्या होगा?
हल:
(i) दिया है v1 : v2 = 3 : 4
∵ v = vλ अत: v1λ1 = v2λ2
अतः \(\frac{v_1}{v_2}=\frac{\lambda_2}{\lambda_1}\) या \(\frac{\lambda_2}{\lambda_1}=\frac{3}{4}\) [∵ \(\frac{v_1}{v_2}=\frac{3}{4}\) ]
अतः \(\frac{λ_1}{λ_2}=\frac{4}{3}\)
अत: λ1 : λ1 = 4 : 3

(ii) आवर्तकाल का अनुपात
तथा v = \(\frac { 1 }{ T }\) अर्थात् \(\frac{v_1}{v_2}=\frac{T_2}{T_1}\)
परन्तु \(\frac{v_1}{v_2}=\frac{3}{4}\)
\(\frac{\mathrm{T}_2}{\mathrm{~T}_1}=\frac{3}{4}\) या \(\frac{T_1}{T_2}=\frac{4}{3}\)
आवर्तकाल का अनुपात T1 : T2 = 4 : 3

प्रश्न 4.
यदि प्रकाश का वेग 3 x 108 मीटर/सेकण्ड हो तथा आवृत्ति 5 x 1014 प्रति सेकण्ड हो, तो प्रकाश की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रकाश का वेग v = 3 x 108 मीटर/सेकण्ड
आवृत्ति v = 5 x 1014 प्रति सेकण्ड?
∵ v = vλ अतः λ = \(\frac { υ }{ v }\)
या λ = \(\frac{3 \times 10^8}{5 \times 10^{14}}\) = 6 × 10-7 मीटर

प्रश्न 5.
X किरणों की तरंगदैर्ध्य 1 Å है। यदि X किरणों की चाल 3 x 108 मीटर/सेकण्ड हो, तो इसकी आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है λ = 1 Å = 10-10 मीटर
V = 3 x 108 मीटर/सेकण्ड
v = ?
V = vλ अत: v = \(\frac{v}{\lambda}=\frac{3 \times 10^8}{10^{-10}}\)
v = 3 × 1018 हर्ट्ज

JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 6.
एक इलेक्ट्रॉन के दोलन का आवर्तकाल 0.05 माइक्रोसेकण्ड है, इसकी आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है T = 0.05 माइक्रोसेकण्ड 0.05 × 10-6
सेकण्ड v = ?
∴ v = \(\frac { 1 }{ T }\) = \(\frac{1}{0.05 \times 10^{-6}}\)
या v = \(\frac{100 \times 10^6}{5}\) = 20 x 106
या v = 2 x 10-6 हर्ट्ज

प्रश्न 7.
एक स्वरित्र की आवृत्ति 512 हर्ट्ज है। यह स्वरित्र 10 सेकण्ड में कितने दोलन करेगा तथा इसका आवर्तकाल क्या होगा?
हल:
दिया है v = 512 हर्ट्ज
अतः 1 सेकण्ड में स्वरित्र द्वारा किए गए दोलन = 512
10 सेकण्ड में स्वरित्र द्वारा किए गए दोलन = 512 × 10 = 5120 दोलन
तथा आवर्तकाल T = \(\frac { 1 }{ v }\) = \(\frac { 1 }{ 512 }\) सेकण्ड

प्रश्न 8.
एक तरंग की आवृत्ति 120 हर्ट्ज है। यदि तरंग की चाल 480 मीटर / सेकण्ड हो, तो तरंगदैर्ध्य का मान क्या होगा?
हल:
दिया है v = 120 हर्ट्ज, V = 480 मीटर / सेकण्ड,
λ = ?
∵ V = vλ अत: λ = \(\frac { υ }{ v }\) = \(\frac { 480 }{ 120 }\)
या λ = 4 मीटर

प्रश्न 9.
एक रेडियो प्रसारण केन्द्र से 40 मेगाहर्टज आवृत्ति की विद्युत चुम्बकीय तरंगें प्रसारित होती हैं। यदि विद्युत चुम्बकीय तरंग की चाल 3 x 108 मीटर / सेकण्ड हो तो इन तरंगों की तरंगदैर्ध्य क्या होगी?
हल:
दिया है आवृत्ति v = 40 मेगा हर्ट्ज 40 x 106 हर्ट्ज
V = 3 x 108 मीटर / सेकण्ड
λ = ?
υ = vλ अत: λ = \(\frac { υ }{ v }\)
अतः λ = \(\frac{3 \times 10^8}{40 \times 10^6}=\frac{300}{40}\)
या λ = 7.5 मीटर

प्रश्न 10.
जहाज में लगा हुआ एक सोनार उपकरण समुद्र के अन्दर पराश्रव्य तरंगें भेजता है ये तरंगें समुद्र तल से परावर्तित होती हैं। यदि पराश्रव्य तरंगें जहाज से समुद्र तल तक वापस चलने में 2 सेकण्ड लेती हैं; तो समुद्र ‘की गहराई क्या है? (जल में ध्वनि की चाल = 1500 m/s )
हल:
जहाज से समुद्र के तल तक जाने में ध्वनि \(\frac { 2 }{ 2 }\) = 1 सेकण्ड लेती है।
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि 3

प्रश्न 11.
सोनार की सहायता से पानी की सतह पर ध्वनि स्पंदन छोड़ा जाता है। पेंदी से टकराकर परावर्तित होने पर इन स्पंदनों को ग्रहण कर लिया जाता है। यदि स्पंदन के छोड़े एवं ग्रहण किये जाने तक लगा कुल समय 4 सेकण्ड हो तो पानी की गहराई ज्ञात करो।
हल:
स्पंदन द्वारा लिया गया कुल समय = 4s
माना कि भूमि की सतह से पानी की गहराई हो, तो स्पंदन द्वारा तय की गई कुल दूरी = 2d
अत: ध्वनि का वेग = \(\frac { 2d }{ 4s }\)
अथवा,
344 m/s = \(\frac { d }{ 2s }\)
अथवा d = 344 m/s x 2s = 688m

प्रश्न 12.
जहाज में लगा हुआ एक सोनार उपकरण समुद्र के अंदर पराश्रव्य तरंगें भेजता है ये तरंगें समुद्र तल से परावर्तित होती हैं। यदि पराश्रव्य तरंगें जहाज से समुद्र तल तक और वापस जहाज तक (प्रतिध्वनि के रूप में) चलने में 4 सेकण्ड लेती हैं, तो समुद्र की गहराई क्या है? (जल में ध्वनि की चाल = 1500m/s)
हल:
पराश्रव्य ध्वनि तरंगों द्वारा जहाज से समुद्र तल और वापस जहाज तक चलने में लिया गया समय 4 सेकण्ड है। इसलिए, पराश्रव्य ध्वनि द्वारा जहाज से समुद्र तल जाने में लिया गया समय इस समय का आधा होगा जो \(\frac { 4 }{ 2 }\) = 2 सेकण्ड है।
अतः जहाज से समुद्र तल तक जाने में ध्वनि 2 सेकण्ड लेती है।
JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि 4
अत: जहाज के नीचे इस समुद्र की गहराई 3000m है।

प्रश्न 13.
समुद्र के अंदर एक व्हेल 75 किमी. दूर अपने मित्र से कुछ कहती है। उसके मित्र को सुनने में कितना समय लगेगा? (ध्वनि की पानी में चाल 1500m/s)।
हल:
दिया है ध्वनि की चाल = 1500m/s
दूरी = 75 km
= 75 x 1000
= 75,000m
लिया गया समय = ?
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इस प्रकार, व्हेल का मित्र, बात की ध्वनि को 50 सेकण्ड बाद सुनेगा।

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Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि Textbook Exercise Questions and Answers.

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Jharkhand Board Class 9 Science ध्वनि Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
उत्तर:
ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमारे कान में श्रवण संवेदना उत्पन्न करती है। जब हम किसी घण्टे पर चोट मारते हैं तो हमें ध्वनि सुनाई देती है तथा घण्टे को हल्का-सा छूने पर उसमें झनझनाहट-सी महसूस होती है। जैसे ही घण्टे में कंपन बंद हो जाता है ध्वनि भी बंद हो जाती है। इसी कारण जब सितार के तार को अँगुली से दबाकर छोड़ देते हैं, तो वह कम्पन करने लगता है और उससे ध्वनि निकलने लगती है। जीवधारी अपने गले की झिल्ली में कम्पन करके मुँह से ध्वनि निकालते हैं। इन कम्पनों की आवृत्ति 20 से 20,000 प्रति सेकण्ड के बीच होती है।

प्रश्न 2.
एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट बायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
ध्वनि हवा के माध्यम से गमन करती है। कोई कंपित वस्तु जब आगे बढ़ती है, तो वह अपने सामने वाली हवा पर बल लगाकर उसे संपीडित करती है, जिससे कि उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र संपीडन कहलाता है। यह क्षेत्र कंपित वस्तु से दूर जाने लगता है। कंपित वस्तु
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 1
पीछे की ओर हटती है, जिससे निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र विरलन कहलाता है जैसे-जैसे वस्तु कंपित होती है, वैसे-वैसे हवा में संपीडनों और विरलनों की श्रृंखला बनती चली जाती है। इससे हवा में ध्वनि का संचरण होता है।

प्रश्न 3.
किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
चित्र 12.16 के अनुसार उपकरणों को व्यवस्थित करके स्विच को दबाने पर हम घंटी की आवाज सुनते हैं। बेलजार से धीरे-धीरे हवा निकालने पर घंटी की आवाज धीमी होती जाती है, हालाँकि अभी भी उसमें उतनी ही विद्युत प्रवाहित हो रही है बेलजार में थोड़ी-सी हवा बचने पर घंटी की आवाज बहुत धीमी सुनाई पड़ती है। हवा पूरी तरह निकल जाने पर घंटी की आवाज बिल्कुल सुनाई नहीं देती। इस प्रयोग से हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि ध्वनि को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 2

प्रश्न 4.
ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है?
उत्तर:
जब ध्वनि तरंगें संचरण करती हैं, तो हवा के अणु तरंग की गति की दिशा के अनुदिश गति करते हैं। इसीलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं।

प्रश्न 5.
ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अँधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?
उत्तर:
ध्वनि की गुणता वह अभिलक्षण है जो हमें आवाज पहचानने में सहायता करता है और हम मित्र की आवाज पहचान लेते हैं।

प्रश्न 6.
तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं, लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं लेकिन पहले चमक दिखाई देती है और गर्जन की आवाज बाद में सुनाई देती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वायु में प्रकाश का वेग, ध्वनि के वेग से अधिक होता है। अतः चमक हमें पहले दिखाई देती है और ध्वनि कुछ देर बाद सुनाई देती है।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 7.
किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20 Hz से 20 kHz है। दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1
हल:
I. आवृत्ति = 20 हज
वायु में ध्वनि का वेग v = 344 मीटर / सेकण्ड
तरंगदैर्ध्य λ = ?
वेग = तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति
v = λ × v
344 मीटर / सेकण्ड = λ x 20 हर्ट्ज
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 3

II. आवृत्ति v = 20 किलो हर्ट्ज = 20,000 हर्ट्ज
वायु में ध्वनि का वेग v = 344 मी./से.
तरंगदैर्ध्य λ = ?
वेग तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति
344 मीटर / सेकण्ड = λ × 20,000 हर्ट्ज
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 4
इस प्रकार, 20 हर्ट्ज और 20 किलो हर्ट्ज के अनुरूप तरंगदैर्ध्य हैं क्रमश: 17.2 मीटर और 0.0172 मीटर।

प्रश्न 8.
दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल:
हवा में ध्वनि का वेग v1 = 346 मी./से.
ऐलुमिनियम में ध्वनि का वेग v2 = 6420 मी./से.
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 5

प्रश्न 9.
किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कंपन करेगा?
हल:
आवृत्ति = 100 Hz
समय = 1 मिनट = 60 सेकण्ड
कंपनों की संख्या = आवृत्ति x समय
= 100 Hz x 60 सेकण्ड
= 6000 कंपन।

प्रश्न 10.
क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए।
उत्तर:
हाँ, ध्वनि भी परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका प्रकाश तरंगें करती हैं। ये नियम इस प्रकार हैं-

  • अभिलम्ब तथा ध्वनि के आपतित होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा के बीच बने कोण आपस में बराबर होते हैं।
  • ये तीनों एक ही तल में होते हैं।

प्रश्न 11.
ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक सतह की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी – (i) जिस दिन तापमान अधिक हो? (ii) जिस दिन तापमान कम हो?
उत्तर:
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 6
समय और वेग में प्रतिलोम अनुपात है। किसी भी माध्यम का ताप बढ़ने से उनमें ध्वनि का वेग बढ़ जाता है। इसलिए, गर्म दिन में अधिक तापमान के कारण ध्वनि का वेग बढ़ जाएगा और हमें प्रतिध्वनि ठंडे दिन की अपेक्षा जल्दी सुनाई देगी।

प्रश्न 12.
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के उपयोग-

  • श्रवण सहायक यंत्र ध्वनि के परावर्तन की प्रक्रिया पर ही आधारित होते हैं।
  • सोनार

प्रश्न 13.
500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी। (g = 10ms-2 तथा ध्वनि की चाल 340 ms है)
हल:
मीनार की ऊँचाई = 500 मी.
ध्वनि की चाल = 340 ms-1
g = 10ms-1
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 7
ध्वनि द्वारा तालाब से मीनार की चोटी पर पहुँचने में लगा समय = \(\frac { 500 }{ 340 }\) = 1.5 सेकण्ड
पत्थर द्वारा चोटी से तालाब तक पहुँचने में लगा समय
s = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) gt²
500 = 0 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 10 x t²
(पत्थर विरामावस्था में था अतः u = 0 व ut = 0)
5t² = 500
t² = \(\frac { 500 }{ 5 }\) = 100
t = \(\sqrt{100}\)
= 10 सेकण्ड
अतः ध्वनि को मीनार की चोटी पर पहुँचने में लगा कुल समय
= 1.5 सेकण्ड + 10 सेकण्ड = 11.5 सेकण्ड

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 14.
एक ध्वनि तरंग 339 ms की चाल से चलती है। यदि ध्वनि की तरंगदैर्ध्य 1.5 सेमी हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होंगी?
हल:
ध्वनि की चाल = 339 ms-1
तरंगदैर्ध्य = 1.5 सेमी. = 0.015 मी.
हम जानते हैं-
चाल = आवृत्ति x तरंगदैर्ध्य
339 = आवृत्ति x 0.015 मी.
आवृत्ति =\(\frac { 339 }{ 0.015 }\)
= \(\frac { 339×1000 }{ 15 }\)
= 22600 Hz
यह श्रव्य नहीं है।

प्रश्न 15.
अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर:
ध्वनि के बार बार दीवार से टकराकर बार-बार परावर्तन के कारण ध्वनि निर्बंध होता है। इसे अनुरणन कहते है।
अनुरणन को कम करने के लिए सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों, जैसे- संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरा या पर्दे लगा देते हैं।

प्रश्न 16.
ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
किसी ध्वनि की प्रबलता उसकी तीव्रता है। यह उसके आयाम पर निर्भर करती है। ऐसी ध्वनि को जिसमें अधिक ऊर्जा होती है, उसकी प्रबलता कहते हैं।

कारक – यह निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है-

  • आयाम पर
  • ऊर्जा पर
  • तीव्रता पर
  • तरंग के वेग पर

इकाई क्षेत्र से 1 सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि को प्रबलता कहते हैं।

प्रश्न 17.
चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चमगादड़ों की आँखें कमजोर होती हैं, इसीलिए वे अपना शिकार देख नहीं पाते। अपनी उड़ान के समय वे उच्च आवृत्ति वाली पराश्रव्य तरंगें छोड़ते हैं ये तरंगें अवरोध या शिकार द्वारा परावर्तित होकर चमगादड़ के कान तक वापस पहुँचती हैं। इन परावर्तित तरंगों की प्रकृति से चमगादड़ अवरोध या शिकार की स्थिति व आकार जान लेते हैं।

प्रश्न 18
वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर:
पराध्वनि का उपयोग ऐसे भागों को साफ करने के लिए किया जाता है, जो पहुँच से परे होती हैं, जैसे- सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे आदि। इन्हें साफ करने के लिए साफ करने वाले मार्जन विलयन में रखते हैं। इस विलयन में पराध्वनि की तरंगें भेजी जाती हैं। उच्च आवृत्ति के कारण, धूल, चिकनाई तथा गंदगी अलग हो जाती है। इस प्रकार वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती है।

प्रश्न 19.
सोनार की कार्यविधि तथा उसके उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसे जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। सोनार में एक प्रेषित्र तथा एक संसूचक होता है। प्रेषित पराध्वनि उत्पन्न व प्रेषित करता है, ये तरंगें जल में चलती हैं तथा जल से टकराकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदल देता है। जिसका उचित विश्लेषण करके अनेक चीजों की जानकारी हासिल की जाती है।

सोनार के उपयोग:

  • सोनार का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
  • इसका उपयोग जल के अन्दर स्थित चट्टानों या घाटियों को ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
  • इसका उपयोग हिम शैल या डूबे हुए जहाज आदि की जानकारी प्राप्त करने में किया जाता है।

प्रश्न 20.
कडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
हल:
वस्तु की दूरी = 3625m; समय = 5s
ध्वनि की चाल = ?
2 x दूरी = चाल x समय
2 x 3625 = v x 5
5v = 2 x 3625
v = \(\frac {2×3625 }{ 5 }\) = 1450m/s
अतः ध्वनि की चाल = 1450m/s

प्रश्न 21.
किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पराध्वनि का उपयोग धातुओं से बने ब्लॉकों के दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र जो बाहर से दिखाई नहीं देते हैं। पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि जरा सा भी दोष आता है तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती हैं। इस प्रकार धातु के ब्लॉकों से दोष दूर कर दिया जाता है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 8

प्रश्न 22.
मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य का बाहरी कान, जिसे कर्णपल्लव कहते हैं, वातावरण से ध्वनि को एकत्र करके उसे श्रवण नलिका से होकर, मध्य कर्ण की ओर प्रेषित कर देता है। ध्वनि तरंगों के संपीडन तथा विरलन श्रवण नलिका से होकर कर्णपटल तक पहुँच जाते हैं। संपीडन कर्णपटल पर भीतर की ओर दवाब डालता है और विरलन के कारण कर्णपटल बाहर की ओर गति करता है। इस प्रकार ध्वनि तरंगों के कारण कर्णपटल कम्पन्न करने लगता है।

मुग्दरक, निहाई तथा वलयक नामक हडडियाँ इन कम्पनों को कई गुना बढ़ा देती हैं। मध्य कर्ण इन दाब परिवर्तनों को आन्तरिक कर्ण में स्थित कर्णावर्त इन दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदल देता है और श्रवण तन्त्रिका द्वारा मस्तिष्क को भेज देता है। मस्तिष्क इन विद्युत संकेतों की ध्वनि के रूप में व्यख्या कर लेता है।

Jharkhand Board Class 9 Science ध्वनि InText Questions and Answers

क्रियाकलाप 12.1. (पा. पु. पृ. सं. 179)
एक स्वरित्र द्विभुज लेकर इसकी किसी भुजा को एक रबड़ के पैड पर मार कर इसे कंपित कराकर अपने कान के पास लाइए। क्या आपको इसकी ध्वनि सुनाई देती है और क्या अँगुली से स्पर्श करने पर यह कंपित हो रही है।

अब एक टेबिल टेनिस या एक छोटी प्लास्टिक की गेंद को एक धागे से लटकाकर चिंत्रानुसार पहले कम्पन न करते हुए स्वरित्र की एक भुजा से गेंद को स्पर्श करिये। फिर कम्पन करते हुए स्वरित्र की एक भुजा से गेंद को स्पर्श करिये और दोनों अवस्थाओं में अन्तर की व्याख्या करने का प्रयास करिये।
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क्रियाकलाप 12.2. (पा. पु. पृ. सं. 179)
एक बीकर या गिलास को ऊपर तक पानी से भरकर कंपमान स्वरित्र की एक भुजा को चित्र में दर्शाए अनुसार पानी की सतह से स्पर्श कराये तथा कंपमान स्वरित्र की दोनों भुजाओं को पानी में डुबोइए और दोनों अवस्थाओं के बारे में अपने मित्रों के साथ विचार-विमर्श कीजिए।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 10

क्रियाकलाप 12.3. (पा. पु. पृ. सं. 180 )
विभिन्न वाद्य यंत्रों की सूची बनाकर अपने मित्रों के साथ विचार-विमर्श कीजिए कि ध्वनि उत्पन्न करने के लिए इस वाद्य यंत्रों का कौन सा भाग कंपन करता है।
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अब उत्तर दें –

प्रश्न 1.
क्रियाकलाप 12.1 में दोनों अवस्थाओं में क्या विचार-विमर्श किया?
उत्तर:
स्वरित्र की भुजा को पैड पर मारने पर इसमें कम्पन उत्पन्न होते हैं तथा लटकाई गेंद को कंपन करते हुए स्वरित्र की भुजा से छूने पर गेंद भी कंपित होने लगती है।

प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 12.2 में चित्र 12.2 व 12.3 से क्या निष्कर्ष निकलता है?
उत्तर:
स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा पानी की सतह को छूती है तो स्वरित्र के स्पर्श बिन्दु से तरंगें उत्पन्न होकर फैल जाती हैं (चित्र 12.2) तथा चित्र 12.3 में स्वरित्र द्विभुज के दोनों सिरे पानी की सतह को छू रहे हैं तो तरंगें एक-दूसरे के ऊपर आकर अवरोध उत्पन्न करती हैं।

प्रश्न 3.
क्रियाकलाप 12.3 में वाद्य यंत्रों की सूची व कंपित भाग की सूची बनाइए।
उत्तर:

वाद्य यंत्र कंपित भाग
गिटार, सितार तार में उत्पन्न कम्पन
बाँसुरी बाँसुरी के अन्दर की वायु
ढोलक पर्दा
हारमोनियम हारमोनियम की रीड

खंड 12.2 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 182)

प्रश्न 1.
किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?
उत्तर:
जब ध्वनि के कारण किसी माध्यम में कोई विक्षोभ उत्पन्न होता है तो यह विक्षोभ माध्यम के कणों में गति उत्पन्न कर देता है। ये कण अपने समीपवर्ती माध्यम के अन्य कणों में उसी प्रकार की गति उत्पन्न कर देते हैं। यह क्रिया इसी प्रकार माध्यम के अन्य कणों में फैलती जाती है और विक्षोभ हमारे कानों तक पहुँच जाता है।

खंड 12.2.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 182)

प्रश्न 1.
आपके विद्यालय की घण्टी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर:
जब घण्टी पर हथौड़े से आघात किया जाता है तो घण्टी कम्पित हो उठती है। घण्टी के कम्पित होने से ध्वनि उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें इसलिए कहा जाता है; क्योंकि ये माध्यम के कणों की कम्पनिक गति के द्वारा संचारित होती हैं, अर्थात् इनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?
उत्तर:
किसी स्रोत से उत्पन्न ध्वनि तरंग वायु से होकर हमारे कानों तक पहुँचती है और तब हमें सुनाई पड़ती है। वायु की अनुपस्थिति में ध्वनि तरंगों का हमें सुनाई पड़ना सम्भव नहीं है। चूँक चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं है; अत: हम अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को नहीं सुन पायेंगे।

JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

क्रियाकलाप 12.4. (पा. पु. पृ. सं. 182)
एक स्लिंकी लेकर चित्र के अनुसार खींचिए तथा अपने मित्र की ओर स्लिंकी को एक तेज झटका दीजिए। यदि आप अपने हाथ से स्लिंकी को लगातार आगे पीछे बारी-बारी से धक्का देते और खीचते रहें और स्लिंकी पर एक चिह्न लगा दें तो आप पायेंगे कि स्लिंकी पर लगा चिह्न विक्षोभ के संचरण की दिशा के समान्तर आगे-पीछे गति करता है।
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 12
उन क्षेत्रों को जहाँ कुंडलियाँ पास-पास आ जाती हैं संपीडन (C) कहते हैं तथा उन क्षेत्रों को जहाँ कुण्डलियाँ दूर दूर हो जाती हैं, विरलन (R) कहते हैं। स्लिंकी में विक्षोभ के संचरण की तरंगों को अनुदैर्ध्य तरंगें कहते हैं। इन तरंगों में माध्यम से कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समान्तर होता है।

खंड 12.2.3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 186)

प्रश्न 1.
तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है?
(a) प्रबलता
(b) तारत्व।
उत्तर:
(a) प्रबलता-किसी ध्वनि तरंग की प्रबलता मूलत: उसके आयाम द्वारा निर्धारित होती है। बड़े आयाम की ध्वनि प्रबल तथा छोटे आयाम की ध्वनि मृदु होती है।

(b) तारत्व-ध्वनि का तारत्व उसकी आवृत्ति द्वारा निर्धारित होता है। उच्च आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व ऊँचा तथा निम्न आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व नीचा होता है।

प्रश्न 2.
अनुमान लगाइए कि निम्नलिखित में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है ?
(a) गिटार
(b) कार का हॉर्न।
उत्तर:
गिटार की ध्वनि का तारत्व अधिक होता है।
तरंग के किसी बिन्दु जैसे एक संपीडन या एक विरलन द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी तरंग वेग कहलाती है।
हम जानते हैं
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 13
v = λv (∵ \(\frac { 1 }{ T }\) = v)
अथवा V = λv
वेग = तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति

क्रियाकलाप 12.5. (पा. पु. पृ. स. 188)
चित्र 12.10 की भाँति दो एक जैसे पाइप लेकर इन्हें दीवार के समीप किसी मेज पर व्यवस्थित करें। एक पाइप के खुले सिरे के पास एक घड़ी रखिए तथा दूसरे पाइप की ओर से ध्वनि सुनने की कोशिश कीजिए। जब ठीक प्रकार से समायोजित होने पर ध्वनि सुनाई देने लगे तब इन पाइपों तथा दर्शाए अभिलंब के बीच के कोणों को मापिए तथा इनके बीच के संबंध को देखिए। दाईं ओर का पाइप थोड़ा सा उठाने पर क्या प्रेक्षित होता है?
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि 14
निष्कर्ष-

  • जब पाइप दीवार के साथ बराबर कोण पर होते है अर्थात् ∠i = ∠r तब घड़ी की ध्वनि सबसे अच्छी सुनाई देती है।
  • जब दायीं ओर के पाइप को थोड़ा ऊपर उठाया जाता है तो घड़ी की ध्वनि अच्छी तरह सुनाई नहीं देगी।

खंड 12.3 .1 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 189)

प्रश्न 1.
कोई प्रतिध्वनि 3 s पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?
उत्तर:
धवनि की चाल (V) = 342-1
प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय (t) = 3 s
ध्वनि द्वारा चली गई दूरी = V x t = 342 ms-1 x 3 s
3 s में प्रतिध्वनि सुनाई दी। अतः 3 s में ध्वनि ने स्रोत तथा परावर्तक के बीच की दुगनी दूरी तय की।
स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच की दूरी होगी
= \(\frac { 1026 }{ 2 }\)m = 513 m

खंड 12.3.3 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 190)

प्रश्न 1.
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?
उत्तर:
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए बनाई जाती हैं जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए।

खंड 12.4 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 191)

प्रश्न 1.
सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है?
उत्तर:
मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परास लगभग 20 हर्ट्ज से 20,000 हर्ट्ज तक होता है।

प्रश्न 2.
निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परास क्या है?
(a) अपश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।
उत्तर:
(a) 20 हर्ट्ज से कम आवृत्ति की ध्वनियाँ।
(b) 20000 हर्ट्ज से अधिक आवृत्ति की ध्वनियाँ।

खंड 12.5 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 193)

प्रश्न 1.
एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
सोनार स्पंद प्राप्त करने तथा प्रेषित्र के बीच समय, t = 1.02 s
लवणीय जल (खारे पानी) में ध्वनि की गति, V = 1531 ms-1
माना चट्टान की दूरी = d
ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी = 2d
परंतु 2d = ध्वनि की गति x समय = v t
= 1531 x 1.02 m
d = \(\frac { 1531×1.02 }{ 2 }\)
= 780.81 m
नोट-चमगादड़ अंधेरे में भोजन को खोजने के लिए उड़ते समय पराध्वनिक तरंगें उत्सर्जित करके परावर्तन के पश्चात् इनका संसूचन करता है। चमगादड़ द्वारा उत्पन्न उच्च तारत्व के पराध्वनि स्पंद अवरोधों या कीटों से टकराकर उनसे परावर्तित होकर चमगादड़ के कान तक पहुँचते हैं, इससे चमगादड़ को अवरोध या कीट आदि की स्थिति का पता लग जाता है।