JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. झारखण्ड किस खनिज का भारत में सर्वाधिक उत्पादन है ?
(A) बॉक्साइट
(B) अभ्रक
(C) लौह खनिज
(D) तांबा।
उत्तर:
(C) लौह खनिज

2. मानोजाइट रेत में कौन-सा खनिज मिलता है ?
(A) तेल
(B) यूरेनियम
(C) थोरियम
(D) कोयला।
उत्तर:
(C) थोरियम

3. सबसे कठोर खनिज है
(A) हीरा
(B) ग्रेनाइट
(C) बसाल्ट
(D) गैब्रो।
उत्तर:
(A) हीरा

4. कौन-सी धातु लौह धातु है ?
(A) बॉक्साइट
(B) लौह खनिज
(C) अभ्रक
(D) कोयला।
उत्तर:
(B) लौह खनिज

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5. हैमेटाइट लौह खनिज में लौह अंश है
(A) 20-30%
(B) 30-40%
(C) 40-50%
(D) 60-70%.
उत्तर:
(D) 60-70%.

6. तांबा की प्रसिद्ध खान है
(A) बस्तर
(B) खेतड़ी
(C) बेलौर
(D) झरिया।
उत्तर:
(B) खेतड़ी

7. लिग्नाइट कोयला कहां मिलता है ?
(A) झरिया
(B) नेवेली
(C) बोकारो
(D) रानीगंज।
उत्तर:
(B) नेवेली

8. भारत में सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्लांट कहां स्थित है ?
(A) नासिक
(B) माधोपुर
(C) कैगा
(D) चन्द्रपुर।
उत्तर:
(B) माधोपुर

9. निम्नलिखित में से कौन-सा अधात्विक खनिज है?
(A) लोहा
(B) चूना
(C) मैंगनीज़
(D) तांबा।
उत्तर:
(B) चूना

10. किरुबुरू लोहे की खान किस राज्य में स्थित है ?
(A) बिहार
(B) झारखण्ड
(C) उड़ीसा
(D) छत्तीसगढ़।
उत्तर:
(C) उड़ीसा

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11. कर्नाटक में कौन-सी लोहे की खान स्थित है ?
(A) करीम नगर
(B) कुडप्पा
(C) कुद्रेमुख
(D) वैलाडिला।
उत्तर:
(C) कुद्रेमुख

12. हज़ारी बाग पठार किस खनिज के लिए प्रसिद्ध है ?
(A) लौह
(B) तांबा
(C) अभ्रक
(D) कोयला।
उत्तर:
(C) अभ्रक

13. भारत में सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है
(A) झरिया
(B) रानीगंज
(C) नेवेली
(D) सिंगारेनी।
उत्तर:
(A) झरिया

14. कल्पक्कम परमाणु गृह किस राज्य में है ?
(A) केरल
(B) कर्नाटक
(C) तमिलनाडु
(D) आन्ध्र प्रदेश।
उत्तर:
(C) तमिलनाडु

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत में निकाले गए खनिजों का 2006 में कितना मूल्य था?
उत्तर:
5.30 अरब रुपए।

प्रश्न 2.
भारत में कोयले के कुल भण्डार कितने हैं?
उत्तर:
21,390 करोड़ टन।

प्रश्न 3.
कोयला क्षेत्रों के दो समूह बताओ।
उत्तर:
गोंडवाना तथा टरशरी।।

प्रश्न 4.
बॉम्बे हाई कहां स्थित है ?
उत्तर:
मुम्बई से 176 कि० मी० दूर अरब सागर में।

प्रश्न 5.
भारत में खनिज तेल का उत्पार कितना है?
उत्तर:
3.24 करोड़ टन।

प्रश्न 6.
भारत में सबसे बड़ी तेल परिष्करणशाला कहां स्थित है?
उत्तर:
गुजरात राज्य में जाम नगर में (रिलायंस पेट्रोलियम लिमेटिड)।

प्रश्न 7.
भारत में लौह-अयस्क का कुल उत्पादन बताओ।
उत्तर:
7.5 करोड़ टन।

प्रश्न 8.
भारत में विद्युत् की उत्पादन क्षमता बताओ।
उत्तर:
101600 मेगावाट।

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प्रश्न 9.
भारत में पहला परमाणु शक्ति केन्द्र कहां लगाया गया?
उत्तर:
1969 में मुम्बई के निकट तारापुर।

प्रश्न 10.
अपारम्परिक ऊर्जा के दो स्त्रोत बताओ।
उत्तर:
बायोगैस, सौर ताप।

प्रश्न 11.
भारत में कितने खनिजों का उत्पादन होता है?
उत्तर:
68 खनिजों का।

प्रश्न 12.
भारत की तीन खनिज पेटियों के नाम लिखो।
उत्तर:
उत्तर-पूर्वी पठार, दक्षिण-पश्चिमी पठार, उत्तर-पश्चिमी प्रदेश।

प्रश्न 13.
भारत में किस राज्य में कोयले का सर्वाधिक उत्पादन है?
उत्तर:
झारखण्ड में।

प्रश्न 14.
तालेचर में कोयले पर आधारित दो उद्योग बताओ।
उत्तर:
उर्वरक तथा ताप बिजली।

प्रश्न 15.
कोयले के दो प्रक्षालन केन्द्र बताओ।
उत्तर:
जामादोबा तथा लोदना।

प्रश्न 16.
भारत की किस नदी घाटी में गोंडवाना कोयला क्षेत्र है ?
उत्तर:
दामोदर घाटी।

प्रश्न 17.
सर्वप्रथम अपतटीय क्षेत्र में कहां तेल खोजा गया?
उत्तर:
गुजरात के अलियाबेट नामक द्वीप पर तथा मुम्बई हाई।

प्रश्न 18.
कावेरी द्रोणी के दो तेल क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
नारीमनम तथा कोविलप्पल।

प्रश्न 19.
भारत में कच्चे तेल का सबसे बड़ा क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
बॉम्बे हाई।

प्रश्न 20.
भारत में पहला बिजली घर कहां लगाया गया ?
उत्तर:
1897 में दार्जिलिंग में।

प्रश्न 21.
भारत में राष्ट्रीय ताप विद्युत् निगम के अधीन कितने बिजली घर हैं?
उत्तर:
13.

प्रश्न 22.
नहर कटिया से बारौनी तक तेल पाइप लाइन की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता बताओ।
उत्तर:
यह भारत में पहली तेल पाइप लाइन थी जो भारतीय तेल लिमेटिड (I.O.L.) द्वारा 1956 में निर्मित की गई।

प्रश्न 23.
भारत में एक प्रकार के लौह अयस्क का नाम लिखो।
उत्तर:
हेमेटाइट अथवा मेगनेटाइट।

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प्रश्न 24.
कोयले के दो प्रकार के नाम लिखो।
उत्तर:
बिटुमिनस तथा एन्थेसाइट।

प्रश्न 25.
मैंगनीज़ उत्पन्न करने वाले दो प्रमुख राज्यों के नाम लिखो।
उत्तर:
कर्नाटक, छत्तीसगढ़।

प्रश्न 26.
दो परमाणु शक्ति गृहों के नाम लिखो।
उत्तर:
तारापुर, कल्पक्कम।

प्रश्न 27.
एल्यूमिनियम किस अयस्क से प्राप्त होता है ?
उत्तर:
बॉक्साइट।

प्रश्न 28.
कोयला उत्पादक करने वाले दो प्रमुख केन्द्रों/क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
झरिया रानीगंज।

प्रश्न 29.
अपारंपरिक ऊर्जा के दो महत्त्वपूर्ण स्रोत बताओ।
उत्तर:
सौर ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा।

प्रश्न 30.
असम राज्य के दो पेट्रोलियम उत्पादन क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
डिगबोई तथा नहर कटिया।

प्रश्न 31.
भारत में बॉक्साइट उत्पादन करने वाले दो मुख्य राज्य कौन-से हैं ?
उत्तर:
उड़ीसा तथा झारखंड।

प्रश्न 32.
अंकलेश्वर में किस खनिज पदार्थ का उत्पादन होता है ?
उत्तर:
खनिज तेल।

प्रश्न 33.
उड़ीसा राज्य के दो कोयला उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखो।
उत्तर:
तलचर, रामपुर।

प्रश्न 34.
भारत में डोलोमाइट के दो प्रमुख उत्पादक राज्य बताओ।
उत्तर:
गुजरात व राजस्थान।

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प्रश्न 35.
भारत में लौह अयस्क उत्पादन करने वाले दो मुख्य राज्य कौन-से हैं ?
उत्तर:
उड़ीसा, झारखण्ड।

प्रश्न 36.
कोलार क्षेत्र में किस धातु का उत्पादन होता है ?
उत्तर:
सोना।

प्रश्न 37.
भारत में कल्पक्कम तथा हीराकुड किस लिए प्रसिद्ध हैं ?
उत्तर:
अणु शक्ति तथा जल विद्युत्।

प्रश्न 38.
खनिज की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
खनिज निश्चित रासायनिक एवं भौतिक गुणधर्मों वाला प्राकृतिक पदार्थ है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
खनिजों की प्रमुख विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
खनिजों की कुछ निश्चित विशेषताएं होती हैं। यह क्षेत्र में असमान रूप से वितरित होते हैं। खनिजों की गुणवत्ता और मात्रा के बीच प्रतिलोमी सम्बन्ध पाया जाता है अर्थात् अधिक गुणवत्ता वाले खनिज, कम गुणवत्ता वाले खनिजों की तुलना में कम मात्रा में पाए जाते हैं। तीसरी प्रमुख विशेषता यह है कि ये सभी खनिज समय के साथ समाप्त हो जाते हैं। भूगर्भिक दृष्टि से इन्हें बनने में लम्बा समय लगता है और आवश्यकता के समय इनका तुरन्त पुनर्भरण नहीं किया जा सकता। अतः इन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए और इनका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि इन्हें दोबारा उत्पन्न नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2.
खनिज के अन्वेषण में संलग्न अधिकरण बताओ।
उत्तर:
खनिज के अन्वेषण में संलग्न अधिकरण-भारत में, खनिजों का व्यवस्थित सर्वेक्षण, पूर्वेक्षण (Prospecting) तथा अन्वेषण के कार्य भारतीय भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग (ONGC), खनिज अन्वेषण निगम लि. (MECL), राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC), इंडियन ब्यूरो ऑफ माइन्स (IBM), भारत गोल्डमाइन्स लि० (BGML), राष्ट्रीय एल्यूमिनियम कं० लि. (NALU) और विभिन्न राज्यों के खद्यान एवं भू-विज्ञान विभाग करते हैं।

प्रश्न 3.
‘मुम्बई हाई’ और ‘सागर सम्राट्’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
खाड़ी कैम्बे के निकट अरब सागर में खनिज तेल के भण्डार प्राप्त हुए हैं। सागर तट से 120 कि० मी० दूर ‘मुम्बई हाई’ (Mumbai High) नामक तेल क्षेत्र में 19 फरवरी, 1974 को सागर सम्राट नामक जहाज द्वारा खुदाई से तेल प्राप्त हुआ है। भारत में यह पहला क्षेत्र है जिसका समुद्री क्षेत्र में विकास किया गया है। यह क्षेत्र भारत में सबसे अधिक तेल उत्पन्न करता है।

प्रश्न 4.
भारत के कितने क्षेत्र में तेलधारी (Oil Bearing) बेसिन हैं ? विभिन्न तेलधारी बेसिनों के नाम लिखो।
उत्तर:
भारत में लगभग 17 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर तेलधारी पर्त वाले 13 महत्त्वपूर्ण बेसिन हैं। इसमें 3 लाख 20 हज़ार वर्ग किलोमीटर का अवसादी तट क्षेत्र है जहां तेल मिलता है। कैम्बे बेसिन, ऊपरी असम तथा बॉम्बे हाई बेसिन में से तेल प्राप्त किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त कई क्षेत्र पेट्रोलियम उत्पादन के भावी क्षेत्र हैं, जैसे कावेरी-कृष्णा-गोदावरी बेसिन, राजस्थान, अण्डमान, शिवालिक पहाड़ियां, गंगा घाटी, कच्छ-सौराष्ट्र, केरल-कोंकण तट तथा महानदी बेसिन।

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प्रश्न 5.
भारत में खनिज तेल के उत्पादन, उपभोग तथा आयात का वर्णन करो।।
उत्तर:
देश में खनिज तेल का उत्पादन उपभोग को देखते हुए कम है। सन् 2005-06 में खनिज तेल का उत्पादन 329 लाख टन था। यह हमारी केवल 35% आवश्यकताओं की पूर्ति करता है जबकि उपभोग लगभग 750 लाख टन हो गया है। इस प्रकार गत वर्ष 500 लाख टन खनिज़ तेल तथा पेट्रोलियम पदार्थों का आयात किया गया। यह आयात लगभग 35 हज़ार करोड़ के मूल्य का था। इस वृद्धि का मुख्य कारण खपत में वृद्धि, मूल्यों में वृद्धि तथा रुपए के मूल्य का कम होना है।

प्रश्न 6.
देश में विभिन्न तेल शोधन शालाओं के नाम लिखो तथा भविष्य में स्थापित की जाने वाली तेल शोधन शालाओं के नाम बताओ।
उत्तर:
भारत में 12 तेल शोधन शालाएं हैं। इन तेल शोधन शालाओं की कुल क्षमता 500 लाख टन प्रतिवर्ष है। मुम्बई, कोयाली, ट्राम्बे, मथुरा, नूनमती, बोगाई गांव, बरौनी, हल्दिया, विशाखापट्टनम, चेन्नई तथा कोचीन प्रमुख तेल शोधन शालाएं हैं। भविष्य में तीन तेल शोधन शालाएं करनाल (हरियाणा) तथा मंगलौर (कर्नाटक) व भटिंडा (पंजाब) में स्थापित की जाएंगी।

प्रश्न 7.
भारत में खनिजों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ? हम उनका संरक्षण किस प्रकार कर सकते हैं ? दो बिन्दुओं में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता –

  1. खनन को परम्परागत विधियां बड़ी मात्रा में खनिजों को नष्ट कर देती हैं तथा कई पर्यावरणीय समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
  2. देश का आर्थिक विकास खनिजों के उपभोग पर निर्भर करता है।
  3. खनिज समाप्त होने वाले संसाधन हैं। एक बार निकाले जाने पर खनिज पुनः निर्माण नहीं होते। भावी पीढ़ियों द्वारा प्रयोग के लिए खनिज आवश्यक है।

खनिजों के संरक्षण की विधियां –

  1. स्क्रैप धातुओं का उपयोग करना जैसे तांबा, जिस्ता आदि।
  2. सामरिक तथा कम उपलब्धता वाले खनिजों के उपयोग को कम किया जाए।
  3. कम मात्रा में उपलब्ध धात्विक खनिजों के लिए पूरक वस्तुओं का उपयोग किया जाए।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत में खनिजों के बड़े भण्डार क्यों पाए जाते हैं ? निम्नलिखित के उत्तर दें –
(क) उच्च कोटि की गुणवत्ता वाले कौन-से खनिज मिलते हैं ?
(ख) किन खनिजों की भारत में कमी है ?
(ग) ऊर्जा खनिजों की स्थिति के बारे में बताओ।
उत्तर:
खनिजों के पर्याप्त भण्डार-विशाल आकार तथा विविध प्रकार की भू-वैज्ञानिक संरचनाओं के कारण भारत में औद्योगिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण खनिजों के बहुत बड़े और उत्तम कोटि के भण्डार पाए जाते हैं।

(क) उच्च कोटि के भण्डार – उच्च कोटि के लौह-अयस्क के भण्डारों के अलावा भारत में अनेक प्रकार के उच्च कोटि की गुणवत्ता वाले निम्न खनिज पाए जाते हैं-मिश्रधातु खनिज जैसे मैंगनीज, क्रोमाइट और टिटैनियम के काफ़ी बड़े भण्डार, गालक खनिज जैसे चूने का पत्थर, डोलोमाइट, जिप्सम आदि, ऊष्मसह जैसे मैग्नेसाइट, क्यानाइट और सिलिमेनाइट।

(ख) कमी वाले खनिज भण्डार – लेकिन भारत में कुछ अलौह खनिजों जैसे-तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, ग्रेफाइट, टंग्सटन और पारे की अपेक्षाकृत कमी है। बॉक्साइट और अभ्रक का पर्याप्त भण्डार हैं। भारत में रासायनिक उर्वरक उद्योगों में काम आने वाले खनिजों; जैसे गन्धक, पोटाश और शैल फास्फेट की भी कमी है।

(ग) ऊर्जा खनिज – बिटुमिनस कोयले के भारत में विशाल भण्डार हैं, लेकिन देश में कोकिंग कोयले और पेट्रोलियम का अभाव है। फिर भी परमाणु खनिजों; जैसे-यूरेनियम और थोरियम के सन्दर्भ में भारत की स्थिति काफ़ी सुदृढ़ है।

प्रश्न 2.
भारत में प्राकृतिक गैस के क्षेत्र बताओ तथा एच० बी० जे० पाइप लाइन का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में प्राकृतिक गैस का कुल उत्पादन 22000 करोड़ घन मीटर है। इस समय कैम्बे बेसिन, कावेरी तट, जैसलमेर तथा बॉम्बे हाई से प्राकृतिक गैस प्राप्त की जा रही है। भारत में गैस के परिवहन के लिए हज़ीरा विजयपुर जगदीशपुर (H.B.J.) पाइप लाइन बनाई गई है। यह पाइप लाइन 1700 किलोमीटर लम्बी है।

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यह पाइप लाइन गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश राज्यों में से गुजरती है। इस गैस से विजयपुर, सवाई माधोपुर, जगदीशपुर, शाहजहांपुर, आमला तथा बबराला उर्वरक कारखाने बनाने की योजना है। भारत में Gas Authority of India LTD. (GAIL), Oil and National Gas Commission (ONGC), Indian Oil Corporation (IOC), Hindustan Petroleum Corporation (HPC) नामक संस्थाएं गैस की खोज तथा प्रबन्ध का कार्य कर रही हैं।

प्रश्न 3.
भारत में ‘लौह पट्टी’ (Iron Belt) में स्थित इस्पात कारखाने बताओ।
उत्तर:
हमारे देश में 2004-05 में लौह अयस्क के आरक्षित भण्डार लगभग 200 करोड़ टन थे। लौह अयस्क के कुल आरक्षित भण्डारों का लगभग 95 प्रतिशत भाग उड़ीसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, गोआ, आन्ध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु राज्यों में स्थित हैं।
(1) उड़ीसा में लौह अयस्क सुन्दरगढ़, मयूरभंज, झार स्थित पहाड़ी श्रृंखलाओं में पाया जाता है। यहां की महत्त्वपूर्ण खदानें गुरुमहिसानी, सुलाएपत, बादामपहाड़ (मयूरभन्ज), किरुबुरू (केन्दूझार) तथा बोनाई (सुन्दरगढ़) है।

(2) झारखण्ड की ऐसी ही पहाड़ी श्रृंखलाओं में कुछ सबसे पुरानी लौह अयस्क की खदानें हैं तथा अधिकतर लौह एवं इस्पात संयन्त्र इनके आसपास ही स्थित हैं। नोआमण्डी और गुआ जैसी अधिकतर महत्त्वपूर्ण खदानें पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम जिलों में स्थित हैं।

(3) यह पट्टी और आगे दुर्ग, दांतेवाड़ा और बैलाडीला तक विस्तृत हैं। डल्ली तथा दुर्ग में राजहरा की खदानें देश की लौह अयस्क की महत्त्वपूर्ण खदानें हैं।

(4) कर्नाटक में, लौह अयस्क के निक्षेप बेलारी जिले के सन्दूर-होस्पेट क्षेत्र में तथा चिकमंगलूर जिले की बाबा बुदन पहाड़ियों और कुद्रेमुख तथा शिमोगा, चित्रदुर्ग और तुमकुर जिलों के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं।

(5) महाराष्ट्र के चन्द्रपुर भण्डारा और रत्नागिरि जिले, आन्ध्र प्रदेश के करीम नगर, वारंगल, कुरूनूल, कडप्पा तथा अनन्तपुर ज़िले और

(6) तमिलनाडु राज्य के सेलम तथा नीलगिरी ज़िले लौह अयस्क खनन के अन्य प्रदेश हैं।

(7) गोआ भी लौह अयस्क के महत्त्वपूर्ण उत्पादक के रूप में उभरा है।

प्रश्न 4.
ऐसे कौन मूल्य आधारित कारक हैं जिनके चलते खनिजों का संरक्षण आवश्यक है ? खनिजों का संरक्षण हम किस प्रकार कर सकते हैं ?
उत्तर:
खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता:

  • खनन की परम्परागत विधियां बड़ी मात्रा में खनिजों को नष्ट कर देती हैं तथा कई पर्यावरणीय समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
  • देश का आर्थिक विकास खनिजों के उपभोग पर निर्भर करता है।
  • खनिज समाप्त होने वाले संसाधन हैं। एक बार निकाले जाने पर खनिज पुनः निर्माण नहीं होते। भावी पीढ़ियों द्वारा प्रयोग के लिए खनिज आवश्यक है।

खनिजों का संरक्षण:

  • स्क्रैप धातुओं जैसे कि तांबा, जस्ता आदि का उपयोग करके।
  • सामरिक तथा कम उपलब्धता वाले खनिजों का उपयोग कम करके।
  • कम मात्रा में उपलब्ध धात्विक खनिजों के लिए पूरक वस्तुओं का उपयोग किया जाए।

प्रश्न 5.
लौह तथा अलौह खनिज में किन कारणों के आधार पर अन्तर स्पष्ट किया जा सकता है ?
उत्तर:

कारण अतर
लौह खनिज (Ferrous Minerals) अलौह खनिज (Non-ferrous Minerals)
प्रमुख धातु अंश जिन खनिज पदार्थों में लौह धातु का अंश पाया जाता है, उन्हें लौह खनिज कहते हैं। जिन खनिज पदार्थों में लौह धातु का अभाव होता है, उन्हें अलौह खनिज कहते हैं।
मुख्य खनिज लोहा, मैंगनीज़, क्रोमाइट, कोबाल्ट आदि लौह खनिज हैं। सोना, तांबा, सीसा, निकल आदि अलौह खनिज हैं।
उपयोग/प्रयोग उपयोगिता इन खनिजों को लोहा-इस्पात उद्योग में प्रयोग किया जाता है। इस लोहे को कड़ा करने के लिए कई धातुओं को मिलाया जाता है। अलौह खनिजों की अपनी-अपनी उपयोगिता उपयोगिता  होती है तथा कई कीमती धातुएं मिलती हैं।

प्रश्न 6.
लौह तथा अलौह खनिज में अन्तर स्पष्ट करो।

लौह खनिज (Ferrous Minerals) अलौह खनिज (Non-ferrous Minerals)
(1) जिन खनिज पदार्थों में लौह धातु का अंश पाया। जाता है, उन्हें लौह खनिज कहते हैं। (1) जिन खनिज पदार्थों में लौह धातु का अभाव होता है, उन्हें अलौह खनिज कहते हैं।
(2) लोहा, मैंगनीज़, क्रोमाइट, कोबाल्ट आदि लौह खनिज हैं। (2) सोना, तांबा, सीसा, निकल आदि अलौह खनिज हैं।
(3) इन खनिजों को लोहा-इस्पात उद्योग में प्रयोग किया जाता है। इस लोहे को कड़ा करने के लिए कई धातुओं को मिलाया जाता है। (3) अलौह खनिजों की अपनी-अपनी उपयोगिता होती है तथा कई कीमती धातुएं मिलती हैं।

प्रश्न 7.
धात्विक खनिज तथा अधात्विक खनिज में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

धात्विक खनिज (Metallic Minerals) अधात्विक खनिज (Non-metallic Minerals)
(1) धात्विक खनिज ऐसे खनिज पदार्थ हैं जिनको गलाने से विभिन्न धातुओं की प्राप्ति होती है। (1) अधात्विक खनिजों को गलाने से किसी धातु की प्राप्ति नहीं होती।
(2) लोहा, तांबा, बॉक्साइट, मैंगनीज़ धात्विक खनिज हैं। (2) कोयला, नमक, संगमरमर, पोटाश अधात्विक खनिज हैं।
(3) ये खनिज प्राय: तलछटी चट्टानों में पाए जाते हैं। (3) ये खनिज प्रायः आग्नेय चट्टानों में पाए जाते हैं।
(4) इन्हें पिघला कर प्रयोग नहीं किया जा सकता। हैं। (4) इन्हें दोबारा पिघला कर भी प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
चट्टान तथा खनिज अयस्क में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

चट्टान (Rock) खनिज अयस्क (Mineral Ore)
(1) पृथ्वी के भू-पटल का निर्माण करने वाले सभी प्राकृतिक तथा ठोस पदार्थों को चट्टान कहते हैं। (1) खनिज एक अजैव यौगिक है जो प्राकृतिक अवस्था में पाया जाता है।
(2) चट्टान कई प्रकार के खनिजों का समूह होते हैं। (2) खनिज अयस्क प्रायः एक प्रकार के खनिज से बने होते हैं, जैसे-लोहा।
(3) इनका कोई निश्चित रासायनिक संगठन नहीं होता। (3) इनका एक निश्चित रासायनिक संघटन होता है।
(4) चट्टानें मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं-आग्नेय, तलछटी, रूपान्तरित। (4) खनिज प्राय: 2000 प्रकार के पाए जाते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत में लौह-अयस्क के उत्पादन तथा वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
लौह-अयस्क (Iron-ore):
महत्त्व (Importance) – “कोयला और लोहा किसी देश के औद्योगिक विकास की आधारशिला हैं।” (“Coal and iron are the twin pillars of modern industrialisation.”) यह धातु अत्यन्त सस्ती व टिकाऊ है। वर्तमान युग यन्त्रों
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन - 1
का युग है। सभी मशीनों व यन्त्रों के निर्माण का आधार लोहा है। लोहे से भारी मशीनें, रेल, मोटर, हवाई जहाज, पुल, डैम, खेतीबाड़ी आदि के यन्त्र बनाए जाते हैं। इसीलिए इस युग को ‘लौह-इस्पात का युग’ (Steel age) कहते हैं। लोहा हमारी आधुनिक सभ्यता का प्रतीक है। लोहे को औद्योगिक विकास की कुञ्जी भी कहा जाता है।

भारत में चार प्रकार का लोहा मिलता है –
1. मैगनेटाइट (Magnetite) – इस बढ़िया प्रकार के लोहे में 72% धातु अंश होते हैं। चुम्बकीय गुणों के कारण इसे मैगनेटाइट कहा जाता है।
2. हैमेटाइट (Hematite) – इस लाल रंग के लोहे में 60% से 70% तक धातु अंश होता है। यह रक्त की तरह लाल रंग का होता है।
3. लिमोनाइट (Limonite) – इस पीले रंग के लोहे में 40% से 60% तक लोहे का अंश होता है।
4. सिडेराइट (Siderite) – इस भूरे रंग के लोहे में धातु अंश 48% होता है। इस लोहे में अशुद्धियां अधिक होती हैं।

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भारत संसार का 5% लोहा उत्पन्न करता है तथा आठवें स्थान पर है। भारतीय लोहे में कम अशुद्धियां हैं तथा इसमें 65% धातु का अंश होता है। देश में एक लम्बे समय के प्रयोग के लिए 2300 करोड़ टन लोहे के भण्डार हैं। इस प्रकार संसार के 20% भण्डार भारत में हैं। भारत में अधिकतर लोहा हैमेटाइट (Haematite) जाति का मिलता है जिसमें 60% से अधिक लोहा-अंश मिलता है। उत्पादन 2.2 करोड़ टन है।

लोहा क्षेत्रों का वितरण (Distribution) – झारखण्ड तथा उड़ीसा भारत का 75% लोहा उत्पन्न करता है। इसे भारत का लोहा क्षेत्र (Iron Ore belt of India) कहते हैं। इस क्षेत्र में भारत के मुख्य इस्पात कारखाने हैं।

विभिन्न राज्यों में उत्पादन निम्नलिखित है –
1. गोआ-गोआ राज्य भारत में लौह-अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक है। गोआ में लौह-अयस्क के नए भण्डारों के पता लगने से उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई है। यहाँ घटिया प्रकार का लोहा पाया जाता है। उत्तरी गोआ तथा दक्षिणी गोआ में प्रमुख खानें हैं। यहां से लोहा जापान को निर्यात किया जाता है।

2. झारखण्ड-यह भारत में 98 लाख टन लोहा उत्पन्न करता है। इस राज्य में कोल्हन जागीर (Kolhan Estate) में सिंहभूम क्षेत्र प्रमुख क्षेत्र है। प्रमुख खानें निम्नलिखित हैं –
(क) नोआ मण्डी
(ख) पन सिरा बुडु
(ग) वुडाबुरू। नोआ मण्डी खान एशिया में सबसे बड़ी लोहे की खान है। इस लोहे को जमशेदपुर व दुर्गापुर कारखानों में भेजा जाता है।

3. उड़ीसा-यह राज्य देश का 13% लोहा उत्पन्न करता है। इस राज्य के मयूरभंज, क्योंझर तथा बोनाई जिलों में प्रमुख खानें हैं।
(क) मयूरभंज में गुरमहासिनी, सुलेपत, बादाम पहाड़ खाने हैं।
(ख) क्योंझर में बगिया बुडु खान है।
(ग) बोनाई में किरिबुरू खान से प्राप्त लोहा जापान को निर्यात किया जाता है तथा रूरकेला इस्पात कारखाने में प्रयोग किया जाता है।

4. छत्तीसगढ़ – इस राज्य में धाली-राजहरा की पहाड़ियां लोहे के प्रसिद्ध क्षेत्र हैं। बस्तर क्षेत्र में बैलाडिला (Bailadila) तथा रावघाट (Rawghat) के नये क्षेत्रों में लोहे की खानें हैं। यहां से लोहा जापान को निर्यात किया जाता है तथा भिलाई कारखाने में प्रयोग होता है।

5. तमिलनाडु – इस राज्य में सेलम तथा मदुराई क्षेत्रों में लोहे की खानें हैं। इस लोहे को प्रयोग करने के लिए सेलम में एक इस्पात कारखाना लगाया जा रहा है।
6. कर्नाटक – इस राज्य में बाबा बूदन पहाड़ियों में केमनगुण्डी तथा चिकमंगलूर में कुद्रेमुख क्षेत्र प्रसिद्ध हैं। यह लोहा भद्रावती इस्पात कारखाने में प्रयोग होता है।
7. आन्ध्र प्रदेश – आन्ध्र प्रदेश में कुडप्पा तथा करनूल क्षेत्र।
8. महाराष्ट्र-महाराष्ट्र में चांदा तथा रत्नागिरी क्षेत्र में लौहारा तथा पीपल गांव खान क्षेत्र।
9. राजस्थान राजस्थान में धनौरा व धनचोली क्षेत्र।
10. हरियाणा-हरियाणा में महेन्द्रगढ़ क्षेत्र।
11. जम्मू-कश्मीर-जम्मू-कश्मीर में ऊधमपुर क्षेत्र।

व्यापार (Trade) – भारत लौह-अयस्क का प्रमुख निर्यातक देश है। भारत से लोहा मारमागांव, विशाखापट्टनम, पाराद्वीप तथा मंगलौर बन्दरगाहों से निर्यात किया जाता है। भारत से जापान, जर्मनी, इटली, कोरिया देशों को काफ़ी मात्रा में लोहा निर्यात किया जाता है। 2010-11 में लगभग 28366 करोड़ रुपये का लोहा (276 लाख टन) निर्यात किया गया।

प्रश्न 2.
भारत में मैंगनीज़ के उत्पादन तथा वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
मैंगनीज़ (Manganese) – मैंगनीज़ एक लौहपूरक धातु है। इसका उपयोग लोहा, इस्पात उद्योग तथा रासायनिक उद्योग में किया जाता है। इससे ब्लीचिंग पाऊडर, रंग-रोगन, चीनी मिट्टी के बर्तन, शुष्क बैटरियां, बिजली तथा शीशे के सामान तैयार किए जाते हैं। इस धातु का मुख्य उपयोग इस्पात बनाने में होता है। लोहे तथा मैंगनीज़ का धातु मेल किया जाता है. जिसे फैरो मैंगनीज़ (Ferro-Manganese) कहते हैं।

उत्पादन (Production) – भारत संसार का 30% मैंगनीज़ उत्पन्न करता है तथा तीसरे स्थान पर है। देश में 18 करोड़ टन मैंगनीज़ के भण्डार हैं। 2000-01 में भारत में मैंगनीज का उत्पादन 15.86 लाख टन था। यह उत्पादन विदेशी मांग के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है।
उत्पादन क्षेत्र – भारत में मैंगनीज़ निम्नलिखित चट्टानों में मिलता है –

  1. कर्नाटक प्रदेश में धारवाड़ चट्टानों में।
  2. छोटा नागपुर के पठार में लेटराइट चट्टानों में।
  3. छत्तीसगढ़ में प्राचीन आग्नेय चट्टानों में।
  4. मध्य प्रदेश में बालाघाट, छिंदवाड़ा तथा जबलपुर क्षेत्र।
  5. महाराष्ट्र में नागपुर तथा भण्डारा क्षेत्र।
  6. उड़ीसा में गंगपुर, कालाहांडी तथा कोरापुट व बोनाई क्षेत्र।
  7. कर्नाटक में बिलारी, शिमोगा, चितलदुर्ग क्षेत्र।
  8. आन्ध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम क्षेत्र।
  9. झारखण्ड में सिंहभूम का चायबासा क्षेत्र।
  10. राजस्थान में उदयपुर तथा बांसवाड़ा क्षेत्र।

विभिन्न राज्यों में उत्पादन इस प्रकार है –
व्यापार-देश के कुल उत्पादन का 30% मैंगनीज़ विदेशों को (ग्रेट ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी तथा जापान) निर्यात कर दिया जाता है। इसका मुख्य कारण देश में खपत कम होना है। देश में मैंगनीज़ साफ़ करने के 6 कारखाने हैं। देश में लोहा-इस्पात उद्योग में मांग बढ़ जाने से तथा विदेशी मुकाबले के कारण निर्यात प्रति वर्ष कम हो रहा है। विशाखापट्टनम देश से मैंगनीज़ निर्यात की सबसे बड़ी बन्दरगाह है। भारत लगभग 4 लाख टन मैंगनीज़ निर्यात करके 17 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा कमाता है।

प्रश्न 3.
भारत के कोयले के भण्डार, उत्पादन तथा वितरण का वर्णन करो। उत्तर
कोयला
(Coal) महत्त्व (Importance) – आधुनिक युग में कोयला शक्ति का प्रमुख साधन (Prime Source of Energy) है। कोयले को उद्योग की जननी (Mother of Industry) भी कहा गया है। कई उद्योगों के लिए कोयला एक कच्चे माल का पदार्थ है। कोयले से बचे-खुचे पदार्थ बैनज़ोल, कोलतार, मैथनोल आदि का प्रयोग कई रासायनिक उद्योगों में किया जाता है। रंग-रोगन, नकली रबड़, प्लास्टिक, रिबन, लैम्प आदि अनेक वस्तुएं कोयले से तैयार की जाती हैं। इस उपयोगिता के कारण कोयले को काला सोना भी कहा जाता है। कोयले को औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) का आधार माना जाता है। संसार के अधिकांश औद्योगिक प्रदेश कोयला क्षेत्रों के निकट स्थित हैं, किसी सीमा तक आधुनिक सभ्यता कोयले पर निर्भर करती है।

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रचना तथा कोयले की किस्में (Formation and Types of Coal) – भूमि के नीचे दबी हुई वनस्पति एक लम्बे समय के पश्चात् कोयले में बदल जाती है। अधिक ताप व दबाव के कारण वनस्पति कार्बन में बदल जाती है।

कार्बन की मात्रा के अनुसार कोयले की निम्नलिखित किस्में हैं –

  1. पीट (Peat) – यह घटिया किस्म का भूरे रंग का कोयला है जिसमें 30% से कम कार्बन होता है। यह कोयला निर्माण की प्रथम अवस्था है। इसकी जलन क्षमता कम होने के कारण इसका प्रयोग कम होता है।
  2. लिगनाइट (Lignite) – इस कोयले में 45% से 60% तक कार्बन की मात्रा होती है। इसका प्रयोग ताप विद्युत् में किया जाता है। इसमें से धुआं बहुत निकलता है।
  3. बिटुमिनस (Bituminus) – इस मध्यम श्रेणी के कोयले में 50% से 70% तक कार्बन होता है। 70% तक कार्बन होता है। कोकिंग कोयला इस प्रकार का होता है। इसे धातु गलाने तथा जलयानों में प्रयोग किया जाता है।
  4. एंथेसाइट (Anthracite) – यह उत्तम प्रकार का कोयला होता है जिसमें 80% से 95% तक कार्बन होता है। इसमें धुएं की कमी होती है। इसका रंग काला होता है। इस कठोर कोयले के भण्डार कम मिलते हैं।

भारत में कोयले के भण्डार (Coal Reserves in India) – भू-सर्वेक्षण विभाग (Geological Survey of India) के अनुसार भारत में कोयले के भण्डार 19235 करोड़ टन से अधिक हैं। भण्डारों की दृष्टि से भारत का विश्व में सातवां स्थान है। भारत में 98% भण्डार गोंडवाना क्षेत्र में है जबकि टरशरी क्षेत्र में केवल 2% कोयला भण्डार है। ये कोयला भण्डार अधिक देर तक के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इनमें से कोकिंग कोयला केवल 200 करोड़ टन की मात्रा में है। इसलिए इस कोयले का संरक्षण आवश्यक है।

कोयले का उत्पादन (Production of Coal) – भारत में सबसे पहले कोयले का उत्पादन 1774 में पश्चिमी बंगाल में रानीगंज खान से आरम्भ हुआ। निरन्तर कोयले के उत्पादन में वृद्धि होती रही। स्वतन्त्रता के पश्चात् 30 वर्षों में कोयले के उत्पादन में 6 गुना वृद्धि हुई। भारत में कोयला चालक शक्ति का प्रमुख साधन है। कोयला सबसे महत्त्वपूर्ण शक्ति खनिज है। समस्त खनिजों के कुल मूल्य का 70% भाग कोयले से प्राप्त होता है।

इस व्यवसाय में 650 करोड़ रुपये की पूंजी लगी हुई है तथा 6 लाख से अधिक लोग काम करते हैं। भारत में कोयले की मांग के मुख्य क्षेत्र इस्पात उद्योग, शक्ति उत्पादन, रेलवे, घरेलू खपत तथा अन्य उद्योग हैं। सन् 1972 में भारत ने कोयले की खानों का राष्ट्रीयकरण (Nationalisation) कर दिया है तथा कोल इण्डिया लिमिटेड (Coal India LTD.) नामक सरकारी संस्था स्थापित की है। इस समय देश में लगभग 800 कोयला खानों से 3500 लाख टन कोयला निकाला जाता है। भारत में कोयला प्राप्ति के दो प्रकार के क्षेत्र हैं –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन - 2

1. गोंडवाना कोयला क्षेत्र (Gondwana Coal fields) – इस क्षेत्र में भारत का उच्चकोटि का 98% कोयला मिलता है।
2. टरशरी कोयला क्षेत्र (Tertiary Coal fields) – इस क्षेत्र में केवल 2% कोयला मिलता है। यह कोयला निम्न कोटि का है।

कोयले का वितरण (Distribution of Coal) –
1. गोंडवाना कोयला क्षेत्र (Gondwana Coal fields) –
(i) झारखण्ड-यह राज्य भारत का 50% कोयला उत्पन्न करता है। यहां दामोदर घाटी में झरिया, बोकारो, कर्णपुर, गिरिडीह तथा डालटनगंज प्रमुख खाने हैं। झरिया का कोयला क्षेत्र सबसे बड़ी खान है। यहां बढ़िया प्रकार का कोक कोयला (Coaking Coal) मिलता है जो इस प्रकार के इस्पात के उद्योग में जमशेदपुर, आसनसोल, दुर्गापुर तथा बोकारो के कारखानों में प्रयोग होता है।

(ii) छत्तीसगढ़-इस राज्य का कोयला उत्पादन में दूसरा स्थान है। यहां कई नदी घाटियों में कोयला खानें हैं। यहां सिंगरौली कोयला क्षेत्र तथा कोरबा क्षेत्र प्रसिद्ध हैं। यहां से ताप बिजली घरों तथा भिलाई इस्पात केन्द्र को कोयला भेजा
जाता है। इसके अतिरिक्त सुहागपुर, रामपुर, पत्थर खेड़ा, सोनहट अन्य प्रमुख कोयला खानें हैं।

(iii) पश्चिमी बंगाल-इस राज्य का कोयला उत्पादन में तीसरा स्थान है। यहां 1267 वर्ग कि० मी० में फैली हुई रानीगंज की प्राचीन तथा सबसे गहरी खान है। यहां उच्च कोटि के कोयला भण्डार हैं।

(iv) अन्य क्षेत्र (Other Areas) –

  • आन्ध्र प्रदेश में गोदावरी नदी घाटी में सिंगरौली, कोठगुडम तथा तन्दूर खानें हैं।
  • महाराष्ट्र में वार्धा घाटी में चन्द्रपुर तथा बल्लारपुर।
  • उड़ीसा में महानदी घाटी में तलेचर तथा रामपुर हिमगीर।

2. टरशरी कोयला क्षेत्र (Tertiary Coal fields) –

  • असम-असम में लिग्नाइट कोयला लखीमपुर तथा माकूम क्षेत्र में मिलता है।
  • मेघालय-मेघालय में गारो, खासी, जयंतिया पहाड़ियों में।
  • राजस्थान राजस्थान में बीकानेर जिले में पालना नामक क्षेत्र में लिग्नाइट कोयला मिलता था।
  • तमिलनाडु-यहां दक्षिणी अरकाट में नेवेली में लिग्नाइट कोयला खान है।
  • जम्मू-कश्मीर-यहां पुंछ, रियासी तथा ऊधमपुर में निम्न कोटि का कोयला मिलता है।

प्रश्न 4.
भारतीय खनिज तेल के उत्पादन, भण्डार तथा वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:

पेट्रोलियम (Petroleum)
महत्त्व (Importance) – प्राचीन काल में पेट्रोलियम का प्रयोग दवाइयों, प्रकाश व लेप आदि कार्यों के लिए किया जाता है। आधुनिक युग में खनिज तेल का व्यापारिक उपयोग सन् 1859 में शुरू हुआ जबकि संसार में खनिज तेल का पहला कुआं 22 मीटर गहरा U.S.A. में द्विसविलें नामक स्थान पर खोदा गया। आधुनिक युग में पेट्रोलियम शक्ति का सबसे बड़ा साधन है। इसे खनिज तेल (Mineral Oil) भी कहते हैं। इसका प्रयोग मोटर-गाड़ियों, वायुयान, जलयान, रेल इंजन, कृषि यन्त्रों में किया जाता है। इससे दैनिक प्रयोग की लगभग 5,000 वस्तुएं तैयार की जाती हैं। इससे स्नेहक, “रंग, दवाइयां, नकली रबड़ व प्लास्टिक, नाइलोन, खाद आदि पदार्थों का उत्पादन होता है।

तेल की उत्पत्ति (Formation of Petroleum) – पेट्रोलियम शब्द दो शब्दों के जोड़ से बना है (Petra = rock + oleum = oil) इसलिए इसे चट्टानी तेल भी कहते हैं। खनिज तेल कार्बन तथा हाइड्रोजन का मिश्रण है। पृथ्वी के नीचे दबी हुई समुद्री वनस्पति तथा जीव जन्तुओं से लाखों वर्षों के बाद अधिक ताप तथा दबाव के कारण खनिज तेल बन जाता है। खनिज तेल प्रायः रेत तथा चूने की परतदार चट्टानों में मिलता है।

भारत में खनिज तेल की खोज (Exploration of Oil in India):
भारत में सबसे पहला कुआं असम में नहोर पोंग नामक स्थान पर सन् 1857 में खोदा गया। यह कुआं 36 मीटर गहरा था। सन् 1893 में असम में डिगबोई तेल शोधनशाला स्थापित की गई। स्वतन्त्रता से पहले केवल असम राज्य से ही तेल प्राप्त होता था। सन् 1955 में तेल तथा प्राकृतिक गैस आयोग (Natural Gas Commission) की स्थापना हुई। इस आयोग द्वारा देश के भीतरी तटवर्ती क्षेत्रों में तेल की खोज का कार्य किया जाता है।

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तेल के भण्डार (Oil Reserves) – भारत में तेल के भण्डार टरशरी युग की तलछटी चट्टानों में मिलते हैं। भारत में 10 लाख वर्ग कि. मी. क्षेत्र में तेल मिलने की आशा है। एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 17 अरब टन तेल के भण्डार हैं। ये भण्डार असम, बम्बई हाई तथा गुजरात में स्थित हैं। देश में तेल की बढ़ती खपत को देखते हुए हम कह सकते हैं कि ये भण्डार अधिक देर तक नहीं चलेंगे। इसलिए तेल के नये क्षेत्रों की खोज तथा संरक्षण आवश्यक है।

तेल का उत्पादन (Production of oil)-भारत में दिन-प्रतिदिन तेल की खपत बढ़ती जा रही है। साथ ही साथ तेल का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है ताकि देश की तेल की मांग पूरी की जा सके।
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भारत में मुख्य तेल क्षेत्र (Major oil fields in India)
1. असम-असम राज्य में उत्तर-पूर्वी भाग में लखीमपुर जिले में पाया जाता है। यह भारत का सबसे प्राचीन तेल क्षेत्र है। इस राज्य में निम्नलिखित तेल क्षेत्र महत्त्वपूर्ण हैं –

  • डिगबोई क्षेत्र (Digboi Oil Field) – यह असम प्रदेश में भारत का सबसे प्राचीन तथा अधिक तेल वाला क्षेत्र है। यहां सन् 1882 में तेल का उत्पादन आरम्भ हुआ। 21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 3 तेलकूप हैं-डिगबोई, बापापुंग तथा हंसापुंग। इस क्षेत्र में भारत का 30% खनिज तेल प्राप्त होता है।
  • सुरमा घाटी (Surma Valley) – इस क्षेत्र में बदरपुर, मसीमपुर पथरिया नामक कूपों में घटिया किस्म का तेल थोड़ी मात्रा में पैदा किया जाता है।
  • नाहरकटिया क्षेत्र (Naharkatiya Oil Fields) असम में यह एक नवीन तेल क्षेत्र है जिसमें नहरकटिया, लकवा प्रमुख तेलकूप हैं।
  • हुगरीजन-मोरान तेल क्षेत्र (Hugrijan-Moran oil fields)
  • शिव सागर तेल क्षेत्र (Sibsagar oil fields)

2. गुजरात तेल क्षेत्र (Gujarat oil fields) – कैम्बे तथा कच्छ की खाड़ी के निकट अंकलेश्वर, लयुनेज, कलोल नामक स्थान पर तेल का उत्पादन आरम्भ हो गया है। इस क्षेत्र से प्रति वर्ष 30 लाख टन तेल प्राप्त होता है। इस राज्य में तेल क्षेत्र बड़ौदा, सूरत, मेहसना ज़िलों में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में मेहासना, ढोल्का, नवगाम, सानन्द आदि कई स्थानों पर तेल मिला है। यहां से तेल ट्राम्बे तथा कोयली के तेल शोधन कारखानों को भेजा जाता है।

3. अपतटीय तेल क्षेत्र (Off shore oil fields) – भारत के महाद्वीपीय निमग्न तट (Continental shelf) के 200 मीटर गहरे पानी में लगभग 4 लाख वर्ग कि० मी० क्षेत्र में तेल मिलने की सम्भावना है।

(i) बम्बई हाई क्षेत्र (Bombay High Fields) – खाड़ी कच्छ के कम गहरे समुद्री भाग (Off Shore region) में भी तेल मिल गया है। यहां बम्बई हाई क्षेत्र में 19 फरवरी, 1974 को ‘सागर सम्राट’ नामक जहाज़ द्वारा की गई खुदाई से Bombay High के क्षेत्र में तेल मिला है। इस क्षेत्र से 21 मई, 1976 से तेल निकलना आरम्भ हो गया। यहां से प्रतिवर्ष 150 लाख टन तेल निकालने का लक्ष्य है। यह क्षेत्र बम्बई (मुम्बई) से उत्तर-पश्चिमी में 176 कि० मी० दूरी पर स्थित है।

(ii) बसीन तेल क्षेत्र (Bassein Oil Field) बम्बई हाई के दक्षिण में स्थित इस क्षेत्र से तेल निकालना शुरू हो गया है।
प्रभावित क्षेत्र (Potential Areas) – देश के कई भागों में कुओं द्वारा खुदाई से तेल के भण्डारों का पता चला है। कावेरी घाटी तथा महानदी घाटी में तेल की खोज की गई है। कृष्णा-गोदावरी डेल्टा, असम-अराकान सीमा क्षेत्र में, अण्डमान-निकोबार द्वीप के समीपवर्ती तटीय क्षेत्र, खाड़ी कच्छ तथा खाड़ी खम्बात में तेल के सम्भावित क्षेत्र पाए गए हैं।
पाइप लाइनें (Pipe lines) – पाइप लाइनों द्वारा तेल क्षेत्रों से तेल शोधनशालाओं तक तेल भेजा जाता है। भारत में तेल पाइप लाइनों का निर्माण इस प्रकार किया गया है –

  • डिगबोई से बरौनी तक 1152 कि० मी० लम्बी पाइप लाइन।
  • लकवा-रुद्रसागर से बरौनी पाइप लाइन।
  • बरौनी से हल्दिया पाइप लाइन।
  • बरौनी से कानपुर, मथुरा, जालन्धर पाइप लाइन।
  • कोयली-मथुरा पाइप लाइन।
  • मुम्बई हाई से उरन तथा ट्राम्बे तक 210 कि० मी० पाइप लाइन।
  • हज़ीरा (गुजरात) विजयपुर-जगदीशपुर (उत्तर प्रदेश) (HBJ) पाइप लाइन।
  • कांडला से भटिंडा तक प्रस्ताविक तेल पाइप लाइन।

तेल शोधनशालाएं (Oil Refineries) – भारत में इस समय 18 तेल शोधनशालाएं हैं। इन कारखानों में तेल शोधन क्षमता लगभग 500 लाख टन है। डिगबोई, ट्राम्बे, विशाखापट्टनम, नूनमती, बरौनी, कोचीन, कोयली, चेन्नई, हल्दिया, बोंगई गांव तथा मथुरा में तेल शोधन कारखाने स्थित हैं। हरियाणा में करनाल तथा कर्नाटक में मंगलौर में तेल शोधनशालाएं स्थापित करने के प्रस्ताव हैं।
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H.P.C.L. तथा B.P.C.L. में परिष्करणशालाएं मुम्बई में हैं। तातीपाका (आंध्र प्रदेश) में ONGC की परिष्करण शाला है। देश में सबसे बड़ी परिष्करणशाला जामनगर में रिलायंस की निजी क्षेत्र की परिष्करणशाला है।

व्यापार (Trade) – भारत में खनिज तेल का उत्पादन मांग की तुलना में कम है। इसलिए हमें तेल आयात करना पड़ता है। तेल का आयात मुख्यतः सऊदी अरब, ईरान, इराक, बर्मा, रूस आदि देशों से किया जाता है। एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 700 लाख टन तेल की खपत है। सन् 2000-2001 में विदेशों से 400 लाख टन तेल तथा सम्बन्धित पदार्थ आयात किए गए जिनका मूल्य 50000 करोड़ ₹ था। तेल की खपत को कम करने तथा आयात कम करने के लिए सरकार कई प्रयत्न कर रही है। नए क्षेत्रों में तेल का उत्पादन आरम्भ होने से भारत में तेल का उत्पादन पर्याप्त हो जाएगा।

प्रश्न 5.
भारत में खनिज पेटियों के वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
पठारों में तीन प्रमुख खनिज पेटियों की पहचान की जा सकती है –
1. उत्तर पूर्वी पठार-इस पट्टी में छोटा नागपुर का पठार, उड़ीसा का पठार और पूर्वी आंध्र प्रदेश का पठार शामिल हैं। धातु उद्योग में काम आने वाले विविध प्रकार के खनिजों के उत्तम कोटि के भण्डार इस पेटी में पाए जाते हैं। इनमें लौह-अयस्क, मैंगनीज़, अभ्रक, बॉक्साइट, चूने के पत्थर और डोलोमाइट के विशाल भण्डार हैं तथा ये व्यापक रूप में वितरित हैं। इस प्रदेश में तांबे, थोरियम, यूरेनियम, क्रोमियम, सिलिमेनाइट और फॉस्फेट के भण्डार भी हैं। इनके साथ ही दामोदर घाटी और छत्तीसगढ़ के कोयले के भण्डार भी हैं, जिन्होंने भारी उद्योगों के विकास में बहुत योगदान दिया है। समन्वित लोहा और इस्पात संयंत्र अधिकतर इसी पेटी में स्थित हैं। एल्यूमीनियम संयन्त्र भी यहीं स्थित हैं।

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2. दक्षिण-पश्चिमी पठार – यह पेटी कर्नाटक के पठार और निकटवर्ती तमिलनाडु के पठार तक फैली है तथा धात्विक खनिजों से सम्पन्न है। यहां पाए जाने वाले धात्विक खनिज हैं-लौह-अयस्क, मैंगनीज़ और बॉक्साइट। कुछ अधात्विक खनिज भी यहां मिलते हैं। परन्तु यहां शक्ति के संसाधनों विशेष रूप से कोयले की कमी है। इसी कारण इस प्रदेश में भारी उद्योगों का विकास नहीं हो सका। इस देश की सोने की तीनों खानें इसी पेटी में स्थित हैं।

3. उत्तर – पश्चिमी प्रदेश-यह पेटी गुजरात में खंभात की खाड़ी से लेकर राजस्थान में अरावली की श्रेणियों तक फैली है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस इस पेटी के प्रमुख संसाधन हैं। अन्य खनिजों के भण्डार कम और बिखरे हुए हैं। लेकिन यह पेटी अनेक अलौह धातओं जैसे-तांबा, चांदी, सीसा और जस्ता के भण्डारों और उत्पादन के लिए विख्यात है।

4. अन्य क्षेत्र – खनिजों की इन पेटियों के बाहर, ऊपरी ब्रह्मपुत्र-घाटी उल्लेखनीय पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र है। केरल में भारी खनिज बालू के विशाल संकेंद्रण हैं। देश के अन्य भागों में भी खनिज पाए जाते हैं, लेकिन बिखरे हुए हैं और उनके भण्डार आर्थिक दृष्टि दोहन के योग्य नहीं हैं।

प्रश्न 6.
भारत में अणु शक्ति पर एक लेख लिखो।
उत्तर:
अणु शक्ति (Atomic Energy):
अणु शक्ति आधुनिक युग में एक नवीन साधन है। द्वितीय विश्व युद्ध में परमाणु-विस्फोट के पश्चात् इस साधन का विकास हुआ। इसके लिए कुछ परमाणु खनिज आवश्यक है। यूरेनियम, थोरियम, जिरकोन तथा मोनोजाइट जैसे विघट नाभिक (Radio Active) तत्त्वों का प्रयोग किया जाता है। अणु शक्ति में बहुत कम ईंधन से बहुत अधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। इसलिए यह एक सस्ता साधन है।

अणु खनिज (Atomic Minerals) – भारत में मोनोजाइट के विशाल भण्डार केरल तट पर मिलते हैं। जिरकोन केरल तथा तमिलनाडु तट पर पाई जाती है। यूरेनियम के खनिज भण्डार बिहार तथा राजस्थान में पाए जाते हैं। भारत में बिहार राज्य में थोरियम के भण्डार विश्व में सबसे अधिक हैं। इस प्रकार भारत में अणु-खनिज पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। भारत में अणु-शक्ति-भारत में 10 अगस्त, 1948 को अणु-शक्ति आयोग की स्थापना की गई।

इस आयोग के प्रथम अध्यक्ष डॉ० एच० जे० भाभा थे। भारत में पहली अणु भट्टी (Atomic Reactor) ‘अप्सरा’ मुम्बई के निकट ट्राम्बे में लगाई गई। 18 मई, 1974 को भारत में पहला अणु-विस्फोट राजस्थान में पोखरण नामक स्थान पर किया गया। भारत में अणु-शक्ति का प्रयोग विकास कार्यों के लिए ही किया जाता है। भारत में कई स्थानों पर भारी पानी (Heavy water) के यन्त्र लगाए गए तथा अनुसंधान केन्द्र बनाए गए हैं।

भारत के परमाणु विद्युत् गृह –

  • तारापुर अणु शक्ति गृह-भारत में पहली परमाणु भट्टी मुम्बई के निकट तारापुर में कनाड़ा के सहयोग से लगाई गई। इसमें 200-200 MW के दो रिएक्टर हैं।
  • राणा प्रताप सागर विद्युत् गृह-भारत में दूसरा परमाणु विद्युत् गृह राजस्थान में कोटा के निकट राणा प्रताप सागर में लगाया गया है।
  • कल्पक्कम अणु शक्ति गृह-तमिलनाडु में कल्पक्कम में दो रिएक्टर 235-235 MW शक्ति के लगाए गए हैं।
  • नरौरा अणु शक्ति गृह-यह शक्ति गृह उत्तर प्रदेश में बुलन्दशहर के निकट नरौरा स्थान पर लगाया जा रहा है।
  • काकरापाडा अणु शक्ति गृह-यह शक्ति गृह गुजरात में काकरापाडा नामक स्थान पर लगाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त कर्नाटक में कैगा (Kaiga) तथा राजस्थान में कोटा के निकट रावत भाटा (Rawat Bhata) में दो अणु शक्ति गृह लगाने का प्रस्ताव है।

प्रश्न 7.
भारत में अपरम्परागत ऊर्जा के साधनों पर नोट लिखो।
उत्तर:
ऊर्जा के परम्परागत साधन समाप्य साधन हैं, इसलिए औद्योगिक विकास के लिए अपरम्परागत संसाधनों का विकास आवश्यक है। इनमें सौर ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, बायोगैस तथा पवन ऊर्जा महत्त्वपूर्ण हैं।
1. पवन ऊजो (Wind Energy) – इस साधन का प्रयोग पानी निकालने, जल सिंचाई तथा विद्युत् उत्पादन के लिए किया जाता है। पवन ऊर्जा से 2000 MW विद्युत् उत्पन्न की जा सकती है। गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र तथा उड़ीसा राज्यों में तेज़ पवनों के कारण सुविधाएं हैं। भारत में पहली पवन चक्की (Wind Mill) 1986 में माँडवी (गुजरात में) स्थापित की गई।

2. ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy) – इस संसाधन से उच्च ज्वार की लहरों को उत्पन्न किया जाता है। खाड़ी कच्छ में 900 MW विद्युत् उत्पादन का एक प्लांट लगाया गया है।
3. भूतापीय ऊर्जा (Geo Thermal Energy) – भारत में हिमाचल प्रदेश में मणीकरण में गर्म पानी के स्रोतों से भूतापीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
4. जैव ऊर्जा (Bio Energy) – खेती से बचे-खुचे पदार्थों का प्रयोग करके विद्युत् उत्पन्न की जाती है।
5. सौर ऊर्जा (Solar Energy) – यह एक सस्ता साधन है। सौर-कुकरों का प्रयोग खाना पकाने, पानी गर्म करने, फ़सलें सुखाने आदि के लिए किया जाता है। सौर ऊर्जा भविष्य का संसाधन है।
6. ऊर्जा ग्राम (Urja Gram) – ग्रामों में गोबर गैस प्लांट विद्युत् उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।

भारत में अपरम्परागत ऊर्जा विकास

  • पवन ऊर्जा – 900 MW
  • बायोगैस – 83 ,,
  • सौर ऊर्जा – 28 ,,
  • कूड़ा-कर्कट ऊर्जा – 93 ,,
  • सौर कुकर – 4 लाख

प्रश्न 8.
हिमाचल प्रदेश में शक्ति के साधनों के विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत् शक्ति का प्रमुख साधन है। यहां पांच नदियां जल विद्युत् उत्पादन में अधिक क्षमता पूर्ण है-चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज तथा यमुना। ये नदियां इस राज्य से निकलती हैं। इन नदियों की उत्पादित जल विद्युत् क्षमता 20744 मेगावाट है। परन्तु इसमें से केवल 6 हजार मेगावाट ही प्रयोग की जाती है। यहां कई महत्त्वपूर्ण जल विद्युत् परियोजनाएं है।

  1. नाथपा-झाखड़ी परियोजना-सतलुज नदी पर
  2. कोल डैम परियोजना-सतलुज नदी पर
  3. घानवी जल विद्युत् परियोजना-घानवी नदी पर
  4. संजय विद्युत् परियोजना-भावा नदी पर
  5. रोंगटोंग परियोजना-रौंगटौंग नदी पर
  6. आन्ध्र योजना-आन्ध्र नदी पर
  7. गज योजना
  8. बिनवा योजना
  9. बनेर योजना
  10. बास्पा योजना
  11. खौली योजना
  12. चमेरा योजना रावी नदी पर
  13. लारजी योजना ब्यास नदी पर
  14. पार्वती योजना
  15. कड़छम योजना

मानचित्र कौशल (Map Skills)
प्रश्न-भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित अंकित करो।
(1) सर्वाधिक कोयला उत्पादक राज्य
(2) भारत का सबसे बड़ा तेल क्षेत्र
(3) भारत का सबसे प्राचीन तेल क्षेत्र।
(4) भारत में सबसे बड़ी तेल शोधन शाला
(5) भारत में सर्वाधिक लोहा उत्पादक राज्य
(6) राजस्थान में एक तांबा क्षेत्र
(7) अंकलेश्वर तेल क्षेत्र।
(8) एक लिग्नाइट क्षेत्र
(9) कुद्रेमुख लोह खनिज क्षेत्र
(10) भटिण्डा तेल शोधनशाला।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन - 5

 

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

1. प्रदेशीय नियोजन का सम्बन्ध है
(क) आर्थिक व्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों का विकास
(ख) क्षेत्र विशेष के विकास का उपागम
(ग) परिवहन जल तंत्र में क्षेत्रीय अंतर
(घ) ग्रामीण क्षेत्रों का विकास।
उत्तर:
(ख) क्षेत्र विशेष के विकास का उपागम।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

2. आई० टी० डी० पी० निम्नलिखित में से किस सन्दर्भ में वर्णित है?
(क) समन्वित पर्यटन विकास प्रोग्राम
(ख) समन्वित यात्रा विकास प्रोग्राम
(ग) समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम
(घ) समन्वित परिवहन विकास प्रोग्राम।
उत्तर:
समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम।

3. इन्दिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र में सतत पोषणीय विकास के लिए इनमें से कौन-सा सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है?
(क) कृषि विकास
(ग) परिवहन विकास
(ख) पारितंत्र-विकास
(घ) भूमि उपनिवेशन।
उत्तर:
(क) कृषि विकास।

अति लघु उरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
भरमौर जन-जातीय क्षेत्र में समन्वित जन-जातीय विकास कार्यक्रम के सामाजिक लाभ क्या हैं?
उत्तर:
इस क्षेत्र में समन्वित विकास से विद्यालयों, स्वास्थ्य सेवाओं, पेय जल, सड़कों, संचार में विकास हुआ है। गद्दी लोगों का जीवन स्तर ऊँचा हुआ है। स्त्री साक्षरता दर बढ़ी है। ऋतु प्रवास कम हुआ है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

प्रश्न 2.
सतत् पोषणीय विकास की संकल्पना को परिभाषित करें।
उत्तर;
सतत् पोषणीय एक ऐसा विकास है जिसमें भविष्य में आनी वाली पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति करना है।

प्रश्न 3.
इन्दिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र का सिंचाई पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
यह नहर इस कमान क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करेगी। नहर सिंचाई से इस शुष्क क्षेत्र की पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और सामाजिक दशाओं में परिवर्तन होगा। सिंचाई से कृषि अर्थव्यवस्था में सफलतापूर्वक फ़सलें उगाई जाएंगी। जैसे-गेहूँ, कपास, मूंगफली और चावल की कृषि होगी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
सूखा सम्भावी क्षेत्र कार्यक्रम और कृषि जलवायु नियोजन पर संक्षिप्त टिप्पणियां लिखो। ये कार्यक्रम देश के शुष्क भूमि कृषि विकास में कैसे सहायता करते हैं ?
उत्तर:
जिन क्षेत्रों में वर्षा 50 से०मी० वार्षिक से कम है तथा सिंचाई क्षेत्र 30% से कम है, ऐसे क्षेत्रों में सूखा सम्भावी विकास कार्यक्रम आरम्भ किए गए हैं। इनमें सिंचाई, भू-विकास, वनीकरण, चरागाह विकास तथा आधारभूत ग्रामीण अवसंरचना, सड़कें, बाज़ार, विद्युत् सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

इन क्षेत्रों में जलवायु की कमी को पूरा करने के उपाय किए जाएंगे। जल सम्भव विकास के कार्यक्रम आरम्भ होंगे। यहाँ सिंचाई के विस्तार से यह यह क्षेत्र सूखे के प्रभाव से बच जाते हैं। शुष्क कृषि के अधीन ऐसी फसलों की कृषि की जाती है जो कम नमी में पनप सकें।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

प्रश्न 2.
इन्दिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र में सतत् पोषणीय विकास को बढ़ावा देने वाले उपाय सझाओ।
उत्तर:
सतत् पोषणीय विकास को बढ़ावा देने वाले उपाय इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना क्षेत्र में विकास हुआ है और इससे भौतिक पर्यावरण का भी निम्नीकरण हुआ है। यह एक मान्य तथ्य है कि इस कमान क्षेत्र में सतत् पोषणीय विकास का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मुख्य रूप से पारिस्थितिकीय सतत् पोषणता पर बल देना होगा। इसलिए, इस कमान क्षेत्र में सतत् पोषणीय विकास को बढ़ावा देने वाले प्रस्तावित सात उपायों में से पाँच उपाय पारिस्थितिकीय सन्तुलन पुनः स्थापित करने पर बल देते हैं।

1. जल प्रबंधन:
पहली और सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है जल प्रबन्धन नीति का कठोरता से कार्यान्वयन करना। इस नहर परियोजना के चरण-1 में कमान क्षेत्र में फसल रक्षण सिंचाई और चरण-2 में फसल उगाने और चरागाह विकास के लिए विस्तारित सिंचाई का प्रावधान है।

2. बागाती कृषि:
इस क्षेत्र के शस्य प्रतिरूप में सामान्यतः जल सघन फसलों को नहीं बोया जाना चाहिए। इसका पालन करते हुए किसानों का बागाती कृषि के अंतर्गत खट्टे फलों की खेती करनी चाहिए।

3. जल का समान वितरण:
कमान क्षेत्र विकास कार्यक्रम जैसे नालों को पक्का करना, भूमि विकास तथा समतलन और वारबंदी (ओसरा) पद्धति (निकास के कमान क्षेत्र में नहर के जल का समान वितरण) प्रभावी रूप से कार्यान्वित की जाए ताकि बहते जल की क्षति मार्ग में कम हो सके।

4. भू-सुधार:
इस प्रकार जलक्रान्तता एवं लवण से प्रभावित भूमि पुनः सुधार किया जाएगा।

5. वन विकास:
वनीकरण वृक्षों का रक्षण मेखला का निर्माण और चरागाह विकास। इस क्षेत्र, विशेषकर चरण2 के भंगुर पर्यावरण में, पारितंत्र-विकास के लिए अति आवश्यक है।

6. कृषि विकास:
इस प्रदेश में सामाजिक सतत् पोषणता का लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है यदि निर्धन आर्थिक स्थिति वाले भूआवंटियों को कृषि के लिए पर्याप्त मात्रा में वित्तीय और संस्थागत सहायता उपलब्ध
करवाई जाए।

7. आर्थिक विविधीकरण:
मात्र कृषि और पशुपालन के विकास से इस क्षेत्रों में आर्थिक सतत् पोषणीय विकास की अवधारणा को साकार नहीं किया जा सकता। कृषि और इससे सम्बन्धित क्रियाकलापों को अर्थव्यवस्था के अन्य सेक्टरों के साथ विकसित करना पड़ेगा। इनसे इस क्षेत्र में आर्थिक विविधीकरण होगा तथा मूल आबादी गाँवों, कृषिसेवा केंद्रों (सुविधा गाँवों) और विपणन केंद्रों (मंडी कस्बों) के बीच प्रकार्यात्मक सम्बन्ध स्थापित होगा।

 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास JAC Class 12 Geography Notes

→ विकास (Development): विकास का तात्पर्य है कि लोगों के रहन-सहन स्तर की सामान्य दशाओं को बेहतर बनाना।

→ प्रदेश (Region): प्रदेश एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें सामान्य दशाओं की समानता हो।

→ नियोजन (Planning): भविष्य की समस्याओं के समाधान के लिए बनाए गए क्रियाओं के क्रम को विकसित करने की प्रक्रिया है।

→ विभिन्न योजनाएं (Different plans): स्वतंत्रता के पश्चात् योजना आयोग ने विभिन्न योजनाएं बनाईं। प्रथम पंचवर्षीय योजना 1952 में तथा दसवीं पंचवर्षीय योजना 2002 में बनाई गई।

→ योजनाओं के लक्ष्य (Aims of plans): इन योजनाओं के लक्ष्य थे-राष्ट्रीय उत्पादों में वृद्धि, अर्थव्यवस्था में वृद्धि, उपभोग की स्थिति में सुधार, ग़रीबी, उन्मूलन तथा रोज़गार के अवसर प्रदान करना।

→ समन्वित जन-जातीय क्षेत्र (I. T. D. P.): भरमौर (हिमाचल प्रदेश) में यह विकास कार्यक्रम हो रहा है।

→ इन्दिरा गांधी नहर: यह नहर हरि के पतन बैरेज स्थान से निकाली गई है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. कौन-सा औद्योगिक अवस्थापना का एक कारण नहीं है?
(क) बाज़ार
(ग) जनसंख्या घनत्व
(ख) पूँजी
(घ) ऊर्जा।
उत्तर;
(ग) जनसंख्या घनत्व।

2. भारत में सबसे पहले स्थापित की गई लौह-इस्पात कम्पनी निम्नलिखित में से कौन-सी है?
(क) भारतीय लौह एवं इस्पात कम्पनी (आई० आई० एस० सी० ओ०)
(ख) टाटा लौह एवं इस्पात कम्पनी (टी० आई० एस० सी० ओ०)
(ग) विश्वेश्वरैया लौह तथा इस्पात कारखाना
(घ) मैसूर लोहा तथा इस्पात कारखाना।
उत्तर:
(क) भारतीय लौह एवं इस्पात कम्पनी।

3. मुम्बई में सबसे पहला सूती वस्त्र कारखाना स्थापित किया गया, क्योंकि
(क) मुम्बई एक पत्तन है।
(ख) यह कपास उत्पादक क्षेत्र के निकट स्थित है
(ग) मुम्बई एक वित्तीय केन्द्र था
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

4. हुगली औद्योगिक प्रदेश का केन्द्र है
(क) कोलकाता-हावड़ा
(ग) कोलकाता-मेदनीपुर
(ख) कोलकाता रिशरा
(घ) कोलकाता-कोन नगर।
उत्तर;
(क) कोलकाता-हावड़ा।

5. निम्नलिखित में से कौन-सा चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है?
(क) महाराष्ट्र
(ग) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश
(घ) तमिलनाडु।
उत्तर;
(ख) उत्तर प्रदेश।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
लोहा-इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है। ऐसा क्यों?
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग आधुनिक औद्योगीकरण की नींव है। यह उद्योग कई उद्योगों का आधारभूत सामान प्रदान करता है। यह आधुनिक मशीनों, परिवहन तथा यन्त्रों का आधार है। इसे आधारभूत उद्योग तथा उद्योगों की कुंजी भी कहा जाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 2.
सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टरों के नाम बताइए। वे किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
भारतीय सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टर हैं-हथकरघा सेक्टर तथा विद्युत् करघा सेक्टर। हथकरघा सेक्टर स्थानिक श्रम तथा कच्चे माल पर निर्भर करता है। उसका उत्पादन भी सीमित है। विद्युत् करघा सेक्टर में कपड़ा मशीनों द्वारा उत्पादित किया जाता है। यह सेक्टर देश के कुल उत्पादन का 50% भाग उत्पादन करता है।

प्रश्न 3.
चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों है?
उत्तर:
चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है, क्योंकि गन्ने को खेत से काटने के 24 घण्टे के अन्दर ही पेरा जाए तो अधिक चीनी की मात्रा प्राप्त होती है। शुष्क ऋतु में गन्ने को खेत में खड़ा नहीं रखा जा सकता। इसे काट कर मिलों तक भेजा जाता है। इसलिए मिलें केवल उस मौसम में ही कार्य करती है, जब गन्ने को काटा जाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 4.
पेट्रो रासायनिक उद्योग के लिए कच्चा माल क्या है? इस उद्योग के कुछ उत्पादों के नाम बताइए।
उत्तर:
पेट्रो रासायनिक उद्योग के लिए खनिज तेल ही कच्चा माल है। इसलिए यह उद्योग तेल-शोधन शालाओं के निकट ही लगाया जाता है। इसके उत्पाद चार उप-वर्गों में बांटे जाते हैं। पालीमा, कृत्रिम रेशे, इलैस्टोमर्स, पृष्ठ संक्रियक।

प्रश्न 5.
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति के प्रमुख प्रभाव क्या हैं?
उत्तर;
सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति ने देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। इसने आर्थिक और सामाजिक रूपान्तरण के लिए कई सम्भावनाएं उत्पन्न कर दी हैं। सॉफ़्टवेयर उद्योग भारत में सबसे तीव्र गति से बढ़ने वाला उद्योग है। लगभग 78,230 करोड़ रुपए का सामान निर्यात किया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
स्वदेशी आंदोलन के सूती वस्त्र उद्योग को किस प्रकार विशेष प्रोत्साहित किया?
उत्तर:
19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में मुम्बई और अहमदाबाद में पहली मिल की स्थापना के पश्चात् सूती वस्त्र उद्योग का तेजी से विस्तार हआ। मिलों की संख्या आकस्मिक रूप से बढ़ गई। स्वदेशी आन्दोलन ने उद्योग को प्रमुख रूप से प्रोत्साहित किया क्योंकि ब्रिटेन के बने सामानों का बहिष्कार कर बदले में भारतीय सामानों को उपयोग में लाने का आह्वान किया गया।

1921 के बाद रेलमार्गों के विकास के साथ हो दूसरे सूती वस्त्र केन्द्रों का तेजी से विस्तार हुआ। दक्षिणी भारत में, कोयंबटूर, मदुरई और बंगलौर में मिलों की स्थापना की गई। मध्य भारत में नागपुर, इन्दौर के अतिरिक्त शोलापुर और वडोदरा सूती वस्त्र केन्द्र बन गए। कानपुर में स्थानिक निवेश के आधार पर सूती वस्त्र मिलों की स्थापना की गई। पत्तन की सुविधा के कारण कोलकाता में भी मिलें स्थापित की गईं।

जल-विद्युत् शक्ति के विकास से कपास उत्पादक क्षेत्रों से दूर सूती वस्त्र मिलों की अवस्थिति में भी सहयोग मिला। तमिलनाडु में इस उद्योग के तेजी से विकास का कारण मिलों के लिए प्रचुर मात्रा में जल-विद्युत् शक्ति की उपलब्धता है। उज्जैन, भड़ौच, आगरा, हाथरस, कोयम्बटूर और तिरुनेलवेली आदि केन्द्रों में, कम श्रम लागत के कारण कपास उत्पादक क्षेत्रों से उनके दूर होते हुए भी उद्योगों की स्थापना की गई।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 2.
आप उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से क्या समझते हैं? इन्होंने भारत के औद्योगिक विकास में किस प्रकार सहायता की है?
उत्तर:
भारत में नई उद्योगीकरण नीति के अन्तर्गत औद्योगिक क्षेत्र में उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण की नीति अपनाई गई है। नई औद्योगिक नीति की घोषणा 1991 में की गई। इस नीति के मुख्य उद्देश्य थे-अब तक प्राप्त किए गए लाभ को बढ़ाना, इसमें विकृति अथवा कमियों को दूर करना, उत्पादकता और लाभकारी रोज़गार में स्वपोषित वृद्धि को बनाए रखना और अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता प्राप्त करना।

इस नीति के अन्तर्गत किए गए उपाय हैं:

  1. औद्योगिक लाइसेंस व्यवस्था का समापन,
  2. विदेशी तकनीकी का नि:शुल्क प्रवेश,
  3. विदेशी निवेश नीति,
  4. पूँजी बाज़ार में अभिगम्यता,
  5. खुला व्यापार,
  6. प्रावस्थबद्ध निर्माण कार्यक्रम का उन्मूलन,
  7. औद्योगिक अवस्थिति कार्यक्रम का उदारीकरण। नीति के तीन मुख्य लक्ष्य हैंउदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण।

उदारीकरण (Liberalisation):
उदारीकरण से अभिप्राय है कि उद्योगों पर से प्रतिबन्ध हटाए जाएं या कम किए जाएं। नई नीति के अनुसार 9 महत्त्वपूर्ण उद्योगों को छोड़ कर शेष सभी उद्योगों पर लाइसेंस प्रणाली समाप्त कर दी गई है। इसमें उद्योग उद्यमी अपनी इच्छा से उद्योग लगा सकते हैं। इससे अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारतीय उद्योग स्पर्धा प्राप्त कर सकते हैं।

निजीकरण (Privatisation):
निजीकरण से अभिप्राय है कि सरकार द्वारा लगाए गए उद्योगों को निजी क्षेत्र में स्थापित किया जाए। इससे सार्वजनिक क्षेत्र का महत्त्व कम होगा।

वैश्वीकरण (Globalisation):
वैश्वीकरण से अभिप्राय है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समायोजन किया जाए। इसके अधीन आयात पर प्रतिबन्ध तथा आयात शुल्क में कमी की गई है।

8 निर्माण उद्योग JAC Class 12 Geography Notes

→ अध्याय के मुख्य तथ्य निर्माण उद्योग (Manufacturing): इस क्रिया में जिसमें कच्चे माल को मशीनों की सहायता से रूप बदल कर अधिक उपयोगी बनाया जाता है।

→ उद्योगों के प्रकार (Types of Industries):

  • भारी उद्योग तथा हल्के उद्योग।
  • बड़े पैमाने तथा छोटे पैमाने के उद्योग।
  • कुटीर उद्योग तथा मिल उद्योग।
  • सार्वजनिक तथा निजी उद्योग।
  • कृषि आधारित तथा खनिज आधारित उद्योग।

→ उद्योगों का स्थानीयकरण (Location of Industries): उद्योगों का स्थानीयकरण निम्नलिखित भौगोलिक कारकों पर निर्भर करता है

  • कच्चे माल की निकटता,
  • शक्ति के साधन,
  • यातायात के साधन,
  • कुशल श्रमिक,
  • जलवायु,
  • बाज़ार।

→ पहला इस्पात कारखाना (Steel plant): भारत में पहला इस्पात यन्त्र 1907 में जमशेदपुर में स्थापित किया गया।

→ भारत का मानचेस्टर (Manchester of India): अहमदाबाद को सूती वस्त्र उद्योग के कारण भारत का मानचेस्टर कहा जाता है।

→ उर्वरक उद्योग (Fertilizer): सिन्द्री उर्वरक कारखाना एशिया में सबसे बड़ा कारखाना है।

→ भारत औद्योगिक आत्मनिर्भरता के पथ पर अग्रसर है।

JAC Class 12 History Important Questions in Hindi & English Jharkhand Board

JAC Jharkhand Board Class 12th History Important Questions in Hindi & English Medium

JAC Board Class 12th History Important Questions in Hindi Medium

JAC Board Class 12th History Important Questions in English Medium

  • Chapter 1 Bricks, Beads and Bones: The Harappan Civilisation Important Questions
  • Chapter 2 Kings, Farmers and Towns: Early States and Economies Important Questions
  • Chapter 3 Kinship, Caste and Class: Early Societies Important Questions
  • Chapter 4 Thinkers, Beliefs and Buildings: Cultural Developments Important Questions
  • Chapter 5 Through the Eyes of Travellers: Perceptions of Society Important Questions
  • Chapter 6 Bhakti-Sufi Traditions: Changes in Religious Beliefs and Devotional Texts Important Questions
  • Chapter 7 An Imperial Capital: Vijayanagara Important Questions
  • Chapter 8 Peasants, Zamindars and the State: Agrarian Society and the Mughal Empire Important Questions
  • Chapter 9 Kings and Chronicles: The Mughal Courts Important Questions
  • Chapter 10 Colonialism and the Countryside: Exploring Official Archives Important Questions
  • Chapter 11 Rebels and the Raj: 1857 Revolt and its Representations Important Questions
  • Chapter 12 Colonial Cities: Urbanisation, Planning and Architecture Important Questions
  • Chapter 13 Mahatma Gandhi and The Nationalist Movement: Civil Disobedience and Beyond Important Questions
  • Chapter 14 Understanding Partition: Politics, Memories, Experiences Important Questions
  • Chapter 15 Framing the Constitution: The Beginning of a New Era Important Questions

JAC Class 12 History Solutions in Hindi & English Jharkhand Board

JAC Jharkhand Board Class 12th History Solutions in Hindi & English Medium

JAC Board Class 12th History Solutions in Hindi Medium

JAC Board Class 12th History Solutions in English Medium

  • Chapter 1 Bricks, Beads and Bones: The Harappan Civilisation
  • Chapter 2 Kings, Farmers and Towns: Early States and Economies
  • Chapter 3 Kinship, Caste and Class: Early Societies
  • Chapter 4 Thinkers, Beliefs and Buildings: Cultural Developments
  • Chapter 5 Through the Eyes of Travellers: Perceptions of Society
  • Chapter 6 Bhakti-Sufi Traditions: Changes in Religious Beliefs and Devotional Texts
  • Chapter 7 An Imperial Capital: Vijayanagara
  • Chapter 8 Peasants, Zamindars and the State: Agrarian Society and the Mughal Empire
  • Chapter 9 Kings and Chronicles: The Mughal Courts
  • Chapter 10 Colonialism and the Countryside: Exploring Official Archives
  • Chapter 11 Rebels and the Raj: 1857 Revolt and its Representations
  • Chapter 12 Colonial Cities: Urbanisation, Planning and Architecture
  • Chapter 13 Mahatma Gandhi and The Nationalist Movement: Civil Disobedience and Beyond
  • Chapter 14 Understanding Partition: Politics, Memories, Experiences
  • Chapter 15 Framing the Constitution: The Beginning of a New Era

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से किस राज्य में प्रमुख तेल क्षेत्र स्थित हैं?
(क) असम
(ग) राजस्थान
(ख) बिहार
(घ) तमिलनाडु।
उत्तर:
(क) असम।

2. निम्नलिखित में से किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था?
(क) कलपक्कम
(ग) राणाप्रताप सागर
(ख) नरोरा
(घ) तारापुर।
उत्तर:
(घ) तारापुर।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

3. निम्नलिखित में कौन-सा खनिज ‘भूरा हीरा’ के नाम से जाना जाता है?
(क) लौह
(ग) मैंगनीज़
(ख) लिगनाइट
(घ) अभ्रक।
उत्तर:
(ख)लिगनाइट।

4. निम्नलिखित में कौन-सा ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है?
(क) जल
(ग) ताप
(ख) सौर
(घ) पवन।
उत्तर;
वाप।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत में अभ्रक के वितरण का विवरण दें।
उत्तर:
भारत में अभ्रक मुख्तया झारखण्ड, आन्ध्र प्रदेश व राजस्थान में पाया जाता है। इसके पश्चात् तमिलनाडु, पं. बंगाल और मध्य प्रदेश भी आते हैं।

  1. झारखण्ड में उच्च गुणवत्ता वाला अभ्रक निचले हज़ारीबाग पठार की 150 कि० मी० लम्बी व 22 कि० मी० चौड़ी पट्टी में जाता है।
  2. आन्ध्र प्रदेश में, नेल्लोर जिले में सर्वोत्तम प्रकार के अभ्रक का उत्पादन किया जाता है।
  3. राजस्थान में अभ्रक की पट्टी लगभग 320 कि० मी० लम्बाई में जयपुर से भीलवाड़ा और उदयपुर के आसपास विस्तृत है।
  4. कर्नाटक के मैसूर व हासन जिले।
  5. तमिलनाडु के कोयम्बटूर, तिरूचिरापल्ली, मदुरई तथा कन्याकुमारी ज़िले।
  6. महाराष्ट्र के रत्नागिरी तथा पश्चिमी बंगाल के पुरुलिया एवं बाकुरा ज़िलों में भी अभ्रक के निक्षेप पाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
नाभिकीय ऊर्जा क्या है? भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केन्द्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
भारत में अणु-शक्ति उत्पन्न करने के लिए 1948 में अण-शक्ति आयोग स्थापित किया गया। देश में चार परमाणु बिजली घर हैं। अणु शक्ति यूरोनियम तथा थोरियम खनिजों के विघटन से उत्पन्न की जाती है।

  1. तारापुर (महाराष्ट्र में)
  2. राणा प्रताप सागर (राजस्थान में कोटा के समीप
  3. कल्पक्कम (चेन्नई के निकट)
  4. नरोरा (उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर के निकट)। ककरपारा (गुजरात) तथा कैगा (कर्नाटक) में अणु केन्द्र योजना स्तर पर ही है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 3.
अलौह धातुओं के नाम बताएं। उनके स्थानिक वितरण की विवेचना करें।
उत्तर:
(i) तांबा तथा बॉक्साइड प्रमुख अलौह धातुएँ हैं बॉक्साइट:

  1. उड़ीसा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक है। कालाहांडी तथा संभलपुर अग्रणी उत्पादन हैं। दो अन्य क्षेत्र जो अपने उत्पादन को बढ़ा रहे हैं वे बोलनगीर तथा कोरापुट हैं।
  2. झारखण्ड में लोहारडागा जिले की पैटलैंड्स में इसके समृद्ध निक्षेप हैं। गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।
  3. गुजरात के भावनगर और जामनगर में इसके प्रमुख निक्षेप हैं।
  4. छत्तीसगढ़ में बॉक्साइट निक्षेप अमरकंटक के पठार में पाए जाते हैं।
  5. मध्य प्रदेश में कटनी, जबलपुर तथा बालाघाट में बॉक्साइट के महत्त्वपूर्ण निक्षेप हैं।
  6. महाराष्ट्र में कोलाबा, थाणे, रत्नागिरी, सतारा, पुणे तथा कोल्हापुर महत्त्वपूर्ण उत्पादक हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु तथा गोआ बॉक्साइट के गौण उत्पादक हैं।

(ii) तांबा-देश के तांबे के कुल भण्डार 54 करोड़ टन हैं। मुख्य रूप से ये भण्डार झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान में हैं। तांबे का उत्पादन 31 लाख टन है। मध्य प्रदेश में मलंजखण्ड-बालाघाट, राजस्थान में झुनझुनु, अलवर, खेतड़ी, झारखण्ड में सिंहभूम प्रमुख उत्पादक हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 4.
ऊर्जा के अपारम्परिक स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर:
कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस तथा परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा के पारम्परिक स्रोत हैं जबकि सौर ऊर्जा, पवन, भूतापीय, बायोगैस, ज्वारीय ऊर्जा अपरम्परागत ऊर्जा स्रोत हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न। (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत के पेट्रोलियम संसाधनों पर विस्तृत टिप्पणी लिखें।
उत्तर:

भारत में खनिज तेल की खोज
(Exploration of Oil in India)

भारत में सबसे पहला कुआं असम में नहोर पोंग नामक स्थान पर सन् 1857 में खोदा गया। यह कुआं 36 मीटर गहरा था। सन् 1893 में असम में डिगबोई तेल शोधनशाला स्थापित की गई। स्वतन्त्रता से पहले केवल असम राज्य से ही तेल प्राप्त होता था। सन् 1955 में तेल तथा प्राकृतिक गैस आयोग (Natural Gas Commission) की स्थापना हुई। इस आयोग द्वारा देश के भीतरी तथा तटवर्ती क्षेत्रों में तेल की खोज का कार्य किया जाता है।

तेल के भण्डार (Oil Reserves):
भारत में तेल के भण्डार टरशरी युग की तलछटी चट्टानों में मिलते हैं। भारत में 10 लाख वर्ग कि० मी० क्षेत्र में तेल मिलने की आशा है। एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 17 अरब टन तेल के भण्डार हैं। ये भण्डार असम, बम्बई हाई तथा गुजरात में स्थित हैं। देश में तेल की बढ़ती खपत को देखते हुए हम कह सकते हैं ये भण्डार अधिक देर तक नहीं चलेंगे। इसलिए तेल के नये क्षेत्रों की खोज तथा संरक्षण आवश्यक है।

भारत में मुख्य तेल-क्षेत्र (Major oil fields in India):
1. असम-असम राज्य में उत्तर-पूर्वी भाग में लखीमपुर जिले में पाया जाता है। यह भारत का सबसे प्राचीन तेल क्षेत्र है। इस राज्य में निम्नलिखित तेल क्षेत्र महत्त्वपूर्ण हैं

  • डिगबोई क्षेत्र (Digboi oil field): यह असम प्रदेश में भारत का सबसे प्राचीन तथा अधिक तेल वाला क्षेत्र है। यहां सन् 1882 में तेल का उत्पादन आरम्भ हुआ। 21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 3 तेलकूप हैं-डिगबोई, बापापुंग तथा हुंसापुंग। इस क्षेत्र में भारत का 30 % खनिज तेल प्राप्त होता है।
  • सुरमा घाटी (Surma Valley): इस क्षेत्र में बदरपुर, मसीमपुर पथरिया नामक कूपों में घटिया किस्म का तेल थोड़ी मात्रा में पैदा किया जाता है।
  • नाहरकटिया क्षेत्र (Naharkatiya oil fields): असम में यह एक नवीन तेल क्षेत्र है जिसमें नहरकटिया, लकवा प्रमुख तेलकूप हैं।
  • हुगरीजन-मोरान तेल क्षेत्र (Hugrijan-Moran oil fields)
  • शिव सागर तेल क्षेत्र (Sibsagar oil fields)

2. गुजरात तेल क्षेत्र (Gujarat oil fields):
कैम्बे तथा कच्छ की खाड़ी के निकट अंकलेश्वर, लयुनेज, कलोल नामक स्थान पर तेल का उत्पादन आरम्भ हो गया है। इस क्षेत्र से प्रति वर्ष 30 लाख टन तेल प्राप्त होता है। इस राज्य में तेल क्षेत्र बड़ौदा, सूरत, मेहसना ज़िलों में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में मेहसना, ढोल्का, नवगाम, सानन्द आदि कई स्थानों पर तेल मिला है। यहां से तेल ट्राम्बे तथा कोयली के तेल शोधन कारखानों को भी भेजा जाता है।

3. अपतटीय तेल क्षेत्र (Off shore oil fields):
भारत के महाद्वीपीय निमग्न तट (Continental shelf) के 200 मीटर गहरे पानी में लगभग 4 लाख वर्ग कि० मी० क्षेत्र में तेल मिलने की सम्भावना है।

(i) बम्बई हाई क्षेत्र (Bombay High Fields) (खाड़ी कच्छ के कम गहरे समुद्री भाग (Off Shore region) में भी तेल मिल गया है। यहां बम्बई हाई क्षेत्र में 19 फरवरी, 1974 को ‘सागर सम्राट्’ नामक जहाज़ द्वारा की गई खुदाई से (Bombay High) के क्षेत्र में तेल मिला है।

(ii) इस क्षेत्र से 21 मई, 1976 से तेल निकलना आरम्भ हो गया। यहां से प्रतिवर्ष 150 लाख टन तेल निकालने का लक्ष्य है। यह क्षेत्र बम्बई (मुम्बई) के उत्तर-पश्चिमी में 176 कि० मी० दूरी पर स्थित है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 2.
भारत में जल विद्युत् पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर:

जल विद्युत्
(Hydel Power)

आधुनिक युग में कृषि तथा उद्योगों में विद्युत् शक्ति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। कोयला तथा खनिज शीघ्र ही समाप्त हो जाने वाले साधन हैं। परन्तु विद्युत् शक्ति एक असमाप्य साधन है। विद्युत् शक्ति मुख्यतः तीन प्रकार से प्राप्त होती है-जल विद्युत्, ताप विद्युत्, परमाणु विद्युत्। भारत में जल विद्युत् शक्ति का मुख्य स्रोत है। पहला विद्युत् गृह कर्नाटक में शिव समुद्रम् नामक स्थान पर स्थापित किया गया था। स्वतन्त्रता के पश्चात् देश में कई विद्युत् ग्रिड स्थापित किए गये हैं।

भौगोलिक कारक (Geographical Factors): जल विद्युत् का उत्पादन निम्नलिखित भौगोलिक कारकों पर निर्भर करता है

  1. ऊंची नीची भूमि (Uneven-Relief): जल विद्युत् के विकास के लिए ऊंची-नीची तथा ढालू भूमि होनी चाहिए।
  2. अधिक वर्षा (Abundant Rainfall): जल विद्युत् के लिए सारा वर्ष निरन्तर जल की मात्रा उपलब्ध होनी चाहिए।
  3. विशाल नदियों तथा जल-प्रपातों का होना (Water falls and huge rivers): नदियों में जल की मात्रा अधिक होनी चाहिए ताकि वर्ष भर समान रूप से जल प्राप्त हो सके।
  4. मार्ग में झीलों का होना (Presence of Lakes): नदी मार्ग में झीलें अनुकूल होती हैं। यह रेत के कणों को रोककर मशीनों को हानि से बचाती हैं।

आर्थिक कारक (Economic factors)
(क) बाजार की समीपता
(ख) अधिक मांग का होना
(ग) पूंजी का होना

भारत की स्थिति: भारत में जल-विद्युत् उत्पादन की सभी दशाएं सामान्य रूप से अनुकूल हैं। देश में वर्ष-पर्यन्त बहने वाली नदियां हैं। पठारी धरातल और प्राकृतिक झरने मिलते हैं। बांध निर्माण के लिए श्रमिक, तकनीकी ज्ञान उपलब्ध है। जल-विद्युत् के पश्चात् जल का सिंचाई में प्रयोग किया जाता है। परन्तु देश में वर्षा का वितरण मौसमी, अनिश्चित तथा दोषपूर्ण है। इसलिए बांध बनाकर कृत्रिम झीलों से बिजली घरों को जल प्रदान किया जाता है।

जल विद्युत् का उत्पादन भारत में आवश्यक है क्योंकि देश में कोयले तथा तेल के भण्डार पर्याप्त नहीं हैं। उद्योगों के विकेन्द्रीकरण के लिए जल-विद्युत् का उत्पादन आवश्यक है। एक अनुमान के अनुसार देश में कुल जल राशि में लगभग 90,000 M.W. शक्ति प्राप्त करने की क्षमता है। भारत में प्रति वर्ष 322 Billion KWH शक्ति उत्पन्न की जाती है।

भारत में जल-विद्युत् उत्पादन
(Hydel Power in India):

भारत में जल विद्युत् का उत्पादन दक्षिणी पठार पर अधिक है। यहां कोयले की कमी है। कई भागों में जल प्रपात पाए जाते हैं। औद्योगिक विकास के कारण मांग भी अधिक है।
(i) कर्नाटक:
इस राज्य को विद्युत् उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त है। इस राज्य की मुख्य योजनाएं निम्नलिखित हैं

  1. महात्मा गांधी जल विद्युत् केन्द्र
  2. शिव समुद्रम जल-विद्युत् केन्द्र
  3. शिमसा परियोजना
  4. शराबती जल-विद्युत् केन्द्र

(ii) तमिलनाडु:
इस राज्य की मुख्य जल-विद्युत् योजनाएं निम्नलिखित हैं

  1. कावेरी नदी पर मैटूर योजना।
  2. पायकारा नदी पर पायकारा योजना।
  3. ताम्र परनी नदी पर पापनसाम योजना।
  4. पेरियार योजना तथा कुण्डा परियोजना।

(iii) महाराष्ट्र:

  1. टाटा जल विद्युत् योजना
  2. कोयना योजना
  3. ककरपारा योजना

(iv) उत्तर प्रदेश:
इस राज्य में ऊपरी गंगा नहर पर गंगा विद्युत् संगठन क्रम बनाया गया है। इस नहर पर 12 स्थानों पर जल प्रपात बनते हैं। इन सभी केन्द्रों से लगभग 23,800 किलोवाट विद्युत् उत्पन्न की जाती है।

(v) पंजाब:
पंजाब राज्य में भाखड़ा नंगल योजना तथा ब्यास योजना मुख्य जल-विद्युत् योजनाएं हैं।

  1. भाखड़ा नंगल परियोजना
  2. ब्यास परियोजना
  3. थीन योजना-रावी नदी पर।

(iv) अन्य प्रदेश:
1. हिमाचल प्रदेश:
इस राज्य की प्रमुख विद्युत् योजना मण्डी योजना है। ब्यास नदी की सहायक नदी उहल का जल 609 मीटर ऊंचाई से गिराकर जोगिन्दर नगर नामक स्थान पर जल-विद्युत् पर जल-विद्युत् उत्पन्न की जाती है। चमेरा योजना तथा बैरा सियोल योजना अन्य योजनाएं हैं।

2. जम्मू-कश्मीर:
जम्मू-कश्मीर में जेहलम नदी बारामूला विद्युत् तथा लिद्र नदी पर पहलगांव योजना महत्त्वपूर्ण है।

खनिज तथा ऊर्जा संसाधन JAC Class 12 Geography Notes

→ खनिज संसाधन (Mineral Resources): भारत खनिज पदार्थों में लगभग आत्मनिर्भर है।

→ खनिज भण्डार (Mineral Reserves): भारत में खनिजों के पर्याप्त भण्डार मिलते हैं।

→ खनिजों की संख्या (Number of Minerals): भारत में लगभग 100 खनिज पाए जाते हैं।

→ खनिजों का मूल्य (Value of Minerals): भारत में निकाले गए खनिजों का मूल्य 4.80 अरब रुपए है।

→ खनिजों का वितरण (Distribution of Minerals): भारत में अधिकतर खनिज दामोदर घाटी में पाए जाते हैं।

→ खनिज पेटियां (Mineral Belts): भारत में तीन खनिज पेटियां हैं-उत्तरी पूर्वी पठार, दक्षिण-पश्चिमी पठार, उत्तर-पश्चिमी प्रदेश।

→ ऊर्जा संसाधन (Energy Resources): भारत में कोयला, खनिज तेल, जलविद्युत् गैस तथा अणुशक्ति प्रमुख ऊर्जा संसाधन हैं।

→ अपारम्परिक ऊर्जा के स्रोत (Non-Conventional Sources of Energy): भारत में सौर ऊर्जा, पवन शक्ति, बायोगैस, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा प्रमुख स्रोत हैं।

JAC Board Solutions Class 12 in Hindi & English Jharkhand Board

JAC Jharkhand Board Class 12th Solutions in Hindi & English Medium

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो

1. किस क्रिया द्वारा प्राकृतिक साधनों को बहुमूल्य पदार्थों में बदला जाता है?
(A) प्राथमिक
(B) द्वितीयक
(C) तृतीयक
(D) चतुर्थक।
उत्तर:
(B) द्वितीयक

2. विनिर्माण में किस तत्त्व का प्रयोग नहीं होता?
(A) शक्ति
(B) मशीनरी
(C) विशेषीकरण
(D) आदिमकालीन औज़ार।
उत्तर:
(D) आदिमकालीन औज़ार।

3. किस उद्योग का विश्व स्तरीय बाजार है? .
(A) शस्त्र निर्माण
(B) एल्यूमीनियम
(C) तेलों के बीज़
(D) घरेलू उद्योग।
उत्तर:
(A) शस्त्र निर्माण

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

4. कौन-सा उद्योग कच्चे माल के निकट लगाए जाते हैं ?
(A) डेयरी
(B) सूती वस्त्र
(C) हस्तकला
(D) वायुयान।
उत्तर:
(A) डेयरी

5. एल्यूमिनियम उद्योग किस कारक के निकट लगाया जाता है?
(A) बाज़ार
(B) कच्चे माल
(C) कुशलश्रम
(D) ऊर्जा।
उत्तर:
(D) ऊर्जा।

6. कृत्रिम रेशों का उद्योग किस प्रकार का उद्योग है?
(A) जीव आधारित
(B) रासायनिक
(C) खनिज आधारित
(D) कृषि आधारित।
उत्तर:
(B) रासायनिक

7. TIsco किस क्षेत्र का उद्योग है?
(A) सार्वजनिक
(B) निजी
(C) संयुक्त
(D) बहुराष्ट्रीय।
उत्तर:
(B) निजी

8. रुहर औद्योगिक प्रदेश किस देश में है?
(A) इंग्लैण्ड
(B) जर्मनी
(C) फ्रांस
(D) यू० एस० ए०।
उत्तर:
(B) जर्मनी

9. सिलीकॉन घाटी किस नगर के निकट स्थित है?
(A) न्यूयार्क
(B) मांट्रियाल
(C) सेन फ्रांससिस्को
(D) बोस्टन।
उत्तर:
(C) सेन फ्रांससिस्को

10. किस केन्द्र को संयुक्त राज्य का ‘जंग का कटोरा’ कहते हैं ?
(A) पिट्टसबर्ग
(B) शिकागो
(C) गैरी
(D) बुफ़ैलो।
उत्तर:
(A) पिट्टसबर्ग

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
आर्थिक क्रियाकलाप क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए।

प्रश्न 2.
निर्माण उद्योग की सबसे छोटी इकाई क्या है?
उत्तर:
कुटीर उद्योग।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 3.
सिलिकन घाटी कहां स्थित है ?
उत्तर:
कैलिफोर्निया (संयुक्त राज्य में)।

प्रश्न 4.
विनिर्माण उद्योग का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग।

प्रश्न 5.
बडे पैमाने के उद्योगों का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
लोहा-इस्पात।

प्रश्न 6.
किस उद्योग को आधारभूत उद्योग कहते हैं?
उत्तर:
लोहा-इस्पात।

प्रश्न 7.
कृषि-आधारित उद्योग का उदाहरण दो।
उत्तर:
चीनी उद्योग।

प्रश्न 8.
प्लास्टिक उद्योग किस वर्ग का उद्योग है?
उत्तर:
पेट्रो रसायन।

प्रश्न 9.
सार्वजनिक क्षेत्र का एक उद्योग बताओ।
उत्तर:
बोकारो इस्पात कारखाना।

प्रश्न 10.
भारत के किस नगर में हीरे की कटाई का कार्य होता है?
उत्तर:
सूरत में।

प्रश्न 11.
संयुक्त राज्य में सबसे बड़ा लोहा-इस्पात क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
महान् झीलों का क्षेत्र।

प्रश्न 12.
किस क्रिया से आदेशानुसार सामान तैयार किया जाता था?
उत्तर:
शिल्प (Craft)।

प्रश्न 13.
यन्त्रीकरण की विकसित अवस्था क्या है?
उत्तर:
स्वचालित क्रिया।

प्रश्न 14.
विश्व के कितने प्रतिशत भाग पर विनिर्माण उद्योग है?
उत्तर:
10% भाग पर।

प्रश्न 15.
उद्योगों का स्थानीकरण कहां होना चाहिए?
उत्तर:
उस स्थान पर जहां उत्पादन लागत कम हो।

प्रश्न 16.
सन्तुलित विकास कैसे प्राप्त होता है?
उत्तर:
प्रादेशिक नीतियों द्वारा।

प्रश्न 17.
कृषि आधारित उद्योगों के उदाहरण दो।
उत्तर:
भोजन तैयार करना, शक्कर, अचार तथा फूलों के रस।

प्रश्न 18.
वनों पर आधारित दो उद्योग बताओ।
उत्तर:
कागज़ तथा लाख।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 19.
धुएं की चिमनी वाले उद्योग बताओ।
उत्तर:
धातु पिघलाने वाले उद्योग।

प्रश्न 20.
जर्मनी का सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
रुहर।

प्रश्न 21.
उस उद्योग का प्रकार बताइए जिसे निम्नलिखित विशेषताएं प्राप्त है? एकत्रित करके, बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीक, उन्नत प्रौद्योगिकी, कई कच्चे मालों का प्रयोग तथा विशाल ऊर्जा का प्रयोग।
उत्तर:
बड़े पैमाने के विनिर्माण उद्योग।

प्रश्न 22.
अफ्रीका का एक खनिज क्षेत्र बताइए जहां घनी जनसंख्या है।
उत्तर:
कटंगा-जम्बिया तांबा क्षेत्र।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
द्वितीयक क्रियाकलापों में कौन-सी क्रियाएं सहायक होती हैं ?
उत्तर:
द्वितीय क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक कच्चे माल का रूप बदल कर उसे मूल्यवान बनाया जाता है। इसमें निम्नलिखित क्रियाएं सहायक हैं

  1. विनिर्माण
  2. प्रसंस्करण
  3. निर्माण।

प्रश्न 2.
विनिर्माण में कौन-सी प्रक्रियाएं सम्मिलित होती हैं?
उत्तर:

  1. आधुनिक शक्ति का उपयोग
  2. मशीनरी का उपयोग
  3. विशिष्ट श्रमिक
  4. बड़े पैमाने पर उत्पादन
  5. मानक वस्तुओं का उत्पादन।

प्रश्न 3.
द्वितीयक क्रियाकलापों को द्वितीयक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाकलाप कच्चे माल का प्रयोग करते हैं। द्वितीयक क्रियाकलाप व निर्माण उद्योग इन वस्तुओं का प्रयोग करके इनका रूप तथा मूल्य बदलते हैं। इसलिए इन्हें द्वितीयक क्रियाकलाप कहते हैं। प्रश्न 4. आधारभूत उद्योगों तथा उपभोग वस्तु निर्माण उद्योगों के दो-दो उदाहरण दें। उत्तर-लोहा-इस्पात, तांबा. उद्योग आधारभूत उद्योग हैं जब कि चाय, साबुन, उपभोग वस्तु निर्माण उद्योग है।

प्रश्न 5.
लोहा-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग अन्य सभी उद्योगों को आधार प्रदान करता है। इसलिए इसे आधारभूत उद्योग कहा जाता है। लोहा कठोरता, प्रबलता तथा सस्ता होने के कारण अन्य धातुओं की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण है। इससे मशीनें, परिवहन साधन, कृषि उपकरण, सैनिक अस्त्र-शस्त्र आदि बनाए जाते हैं, वर्तमान युग को ‘इस्पात युग’ भी कहा जाता है।

प्रश्न 6.
संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो-रसायन कम्पलैक्स अधिकतर तटीय क्षेत्र में क्यों है?
उत्तर:
अधिकतर पैट्रो रसायन कम्पलैक्सों की स्थिति तटीय है क्योंकि खनिज तेल लैटिन अमेरिका तथा पश्चिम एशिया से आयात किया जाता है।

प्रश्न 7.
स्वचालित यन्त्रीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब यन्त्रीकरण में (मानव के बिना) मशीनों का प्रयोग किया जाता है तो इसे स्वचालित यन्त्रीकरण कहते हैं। यह यन्त्रीकरण की विकसित अवस्था है। इससे कम्प्यूटर नियन्त्रण प्रणाली (CAD) प्रयोग की जाती है।

प्रश्न 8.
प्रौद्योगिक ध्रुव से क्या अभिप्रायः है?
उत्तर:
विज्ञान पार्क, विज्ञान नगर तथा अन्य उच्च तकनीकी औद्योगिक कम्पलैक्स को प्रौद्योगिक ध्रुव कहते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 9.
बाजार से क्या अभिप्रायः है?
उत्तर:
बाजार से तात्पर्य उसे क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की मांग हो एवं वहां के निवासियों में खरीदने की शक्ति, (क्रय शक्ति) हो।

प्रश्न 10.
किन कारकों के कारण उद्योगों में श्रम पर निर्भरता को कम कर दिया है
उत्तर:

  1. यन्त्रीकरण में बढ़ती स्थिति
  2. स्वचालित यन्त्रीकरण
  3. औद्योगिक प्रक्रिया का लचीलापन।

प्रश्न 11.
लघु पैमाने के उद्योगों में किन तत्त्वों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:

  1. स्थानीय कच्चे माल
  2. साधारण शक्ति से चलने वाले यन्त्र
  3. अर्द्ध-कुशल श्रमिक।

प्रश्न 12.
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्णन करो।
उत्तर:
उद्योगों के लिए कच्चा माल सरलता से उपलब्ध होना चाहिए। भारी कच्चे माल पर आधारित उद्योग हैं इस्पात, चीनी, सीमेंट उद्योग। डेयरी उत्पादन दुग्ध-आपूर्ति स्रोतों के निकट लगाए जाते हैं ताकि ये नष्ट न हों।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘द्वितीयक क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है।’ दो उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
द्वितीयक क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है। प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप बदलकर यह उसे मूल्यवान बना देती है। खेतों, वनों, खदानों एवं समुद्रों से प्राप्त पदार्थों के विषय में भी यह बात सत्य है। इस प्रकार द्वितीयक क्रियाएं विनिर्माण, प्रसंस्करण और निर्माण (अवसंरचना) उद्योग से सम्बन्धित हैं।
उदाहरण:
(1) कपास का सीमित उपयोग है परन्तु तन्तु में परिवर्तित होने के बाद यह और अधिक मूल्यवान हो जाता है और इसका उपयोग वस्त्र बनाने में किया जा सकता है।
(2) खदानों से प्राप्त लौह-अयस्क का हम प्रत्यक्ष उपयोग नहीं कर सकते, परन्तु अयस्क से इस्पात बनाने के बाद यह मूल्यवान हो जाता है, और इसका उपयोग कई प्रकार की मशीनें एवं औजार बनाने में होता है।

प्रश्न 2.
आधुनिक निर्माण की क्या विशेषताएं हैं ?
उत्तर:
आधुनिक निर्माण की विशेषताएं हैं –

  1. एक जटिल प्रौद्योगिकी यन्त्र
  2. अत्यधिक विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन के द्वारा कम प्रयास एवं अल्प लागत से अधिक माल का उत्पादन करना।
  3. अधिक पूंजी
  4. बड़े संगठन एवं
  5. प्रशासकीय अधिकारी-वर्ग।

प्रश्न 3.
कुटीर उद्योगों द्वारा निर्मित दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुएं बताओ।
उत्तर:
इस उद्योग में दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाली वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थ, कपड़ा, चटाइयां, बर्तन, औज़ार, फर्नीचर, जूते एवं लघु मूर्तियां उत्पादित की जाती हैं। इसके अतिरिक्त पत्थर एवं मिट्टी के बर्तन एवं ईंट, चमड़े से कई प्रकार का सामान बनाया जाता है। सुनार सोना, चांदी एवं तांबे से आभूषण बनाता है। कुछ शिल्प की वस्तुएं बांस एवं स्थानीय वन से प्राप्त लकड़ी से बनाई जाती है।.

प्रश्न 4.
बड़े पैमाने के उद्योगों के लिए किन कारकों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
बड़े पैमाने के उद्योगों के लिए विशाल बाज़ार, विभिन्न प्रकार का कच्चा माल, शक्ति के साधन, कुशल श्रमिक, विकसित प्रौद्योगिकी, अधिक उत्पादन एवं अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5.
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेशों की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेश –
यह भारी उद्योग के क्षेत्र होते हैं जिसमें कोयला खदानों के समीप स्थित धातु पिघलाने वाले उद्योग, भारी इंजीनियरिंग, रसायन निर्माण, वस्त्र उत्पादन इत्यादि का कार्य किया जाता है। इन्हें धुएं की चिमनी वाला उद्योग भी कहते हैं। परम्परागत औद्योगिक प्रदेशों के निम्न पहचान बिन्दु हैं।

  1. निर्माण उद्योगों में रोजगार का अनुपात ऊंचा होता है।
  2. उच्च गृह घनत्व जिसमें हर घटिया प्रकार के होते हैं एवं सेवाएं अपर्याप्त होती हैं।
  3. वातावरण अनाकर्षक होता है जिसमें गन्दगी के ढेर व प्रदूषण होता है।
  4. बेरोज़गारी की समस्या, उत्प्रवास, विश्वव्यापी मांग कम होने से कारखाने बन्द होने के कारण परित्यक्त भूमि का क्षेत्र।

प्रश्न 6.
यूरोप का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक संकुल कौन-सा है तथा क्यों?
उत्तर:
यूरोप में सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक संकुल राइन नदी घाटी क्षेत्र है। यह संकुल स्विट्ज़रलैण्ड से लेकर जर्मन संघीय गणराज्य तक विस्तृत है। यहां पर कोयला क्षेत्र स्थित है। यहां रेलमार्गों, नदियों तथा नहरों के जलमार्गों . द्वारा यातायात सुविधाएं हैं। यहां श्रम के साथ-साथ स्थानीय मांग भी है। यहां जल विद्युत् विकास की सुविधा भी है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 7.
कच्चे माल के निकट कौन-से उद्योग लगाए जाते हैं? उदाहरण दो।
उत्तर:
कच्चा माल निर्माण उद्योगों का आधार है। जिन उद्योगों का निर्माण के पश्चात् भार कम हो जाता है, वे. उद्योग कच्चे माल के निकट लगाए जाते हैं, जैसे गन्ने से चीनी बनाना। जिन उद्योगों में भारी कच्चे माल प्रयोग किए जाते हैं, वे उद्योग कच्चे माल के निकट लगाए जाते हैं, जैसे-लोहा-इस्पात उद्योग।

प्रश्न 8.
उद्योगों की स्थापना के लिए किस प्रकार के श्रम की आवश्यकता होती है? उदाहरण दें।
उत्तर:
उद्योगों के विकास के लिए सस्ते कुशल तथा प्रचुर श्रम की आवश्यकता होती है। जगाधरी तथा मुरादाबाद . में पीतल के बर्तन बनाने का उद्योग, फिरोजाबाद में शीशे का उद्योग तथा जापान में खिलौने बनाने का उद्योग कुशल श्रमिकों के कारण है। ..

प्रश्न 9.
विकासशील देशों में निर्माण उद्योगों की कमी क्यों है?
उत्तर:
निर्माण उद्योगों के लिए पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। इन उद्योगों के लिए मांग क्षेत्र तथा बाजार का होना भी ज़रूरी है। परन्तु विकासशील देशों में पूंजी की कमी है तथा लोगों की क्रय शक्ति कम है। इसलिए मांग भी कम है। इसीलिए विकासशील देशों में भारी उद्योगों की कमी है।

प्रश्न 10.
प्रौद्योगिक ध्रुव से क्या अभिप्राय है? .
उत्तर;
प्रौद्योगिक ध्रुव-इन उच्च-प्रौद्योगिकी क्रिया-कलापों के अवस्थितिक प्रभाव विकसित औद्योगिक देशों में पहले ही देखने को मिल रहे हैं। सर्वाधिक ध्यान देने योग्य घटना नवीन प्रौद्योगिकी संकुलों या प्रौद्योगिक ध्रुव का उद्भव होना है। एक प्रौद्योगिक ध्रुव एक संकेन्द्रित क्षेत्र के भीतर अभिनव प्रौद्योगिकी व उद्योगों से सम्बन्धित उत्पादन के लिए नियोजित विकास है। प्रौद्योगिक ध्रुव में विज्ञान अथा प्रौद्योगिकी-पार्क, विज्ञान नगर (साइंस-सिटी) तथा दूसरी उच्च तकनीक औद्योगिक संकुल सम्मिलित किये जाते हैं।

प्रश्न 11.
गृह उद्योग क्या हैं ?
उत्तर:
कुटीर उद्योगों को गृह उद्योग कहते हैं। यह निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर दैनिक जीवन के उपभोग की वस्तुएं तैयार करते हैं। इन वस्तुओं का वे स्वयं उपभोग करते हैं या इसे स्थानीय बाजार में विक्रय कर देते हैं। इनमें कम पूँजी लगी होती है। इन उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं का व्यापारिक महत्त्व कम होता है। इस उद्योग में खाद्य पदार्थ, कपड़ा, बर्तन, औज़ार, जूते आदि शामिल होते हैं। मिट्टी के बर्तन, चमड़े का सामान,
आभूषण बनाना, बांस से शिल्प वस्तुएं भी तैयार की जाती हैं।

अन्तर स्पष्ट करने वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत तथा सार्वजनिक क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

व्यक्तिगत क्षेत्र (Private Sector) सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector)
1. जब किसी उद्योग की सारी पूंजी, लाभ, हानि तथा सम्पत्ति एक ही व्यक्ति की होती है तो उसे व्यक्तिगत क्षेत्र कहते हैं। 1. जब किसी उद्योग की पूंजी और सम्पत्ति के अधिकार जनता तथा समुदाय के हाथ में होते हैं तो उसे सार्वजनिक क्षेत्र कहा जाता है।
2. भारत में कई पूंजीपतियों द्वारा चलाए गए उद्योग जैसे टाटा लोहा इस्पात कारखाना व्यक्तिगत क्षेत्र में गिने जाते हैं। 2. सरकारी भवन, स्कूल, उद्योग इसी क्षेत्र में गिने जाते  हैं जैसे भिलाई इस्पात कारखाना।
3. व्यक्तिगत क्षेत्र के उद्योग जापान, संयुक्त राज्य देशों में प्रचलित हैं, जहां कड़ा मुकाबला होता है। 3. सार्वजनिक क्षेत्र समाजवादी देशों में जैसे भारत, रूस में प्रचलित है।
4. इसमें अधिकतर छोटे पैमाने के उद्योग गिने जाते हैं। 4. इसमें प्रायः भारी उद्योग गिने जाते हैं।

प्रश्न 2.
बड़े तथा लघु पैमाने के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

बड़े पैमाने के उद्योग (Large Scale Industries) लघु पैमाने के उद्योग (Small Scale Industries)
1. इन उद्योगों में ऊर्जा चालित मशीनों से उत्पादन होता हैं। 1. इन उद्योगों में छोटी-छोटी मशीनें लगाई जाती हैं।
2. इसमें बड़ी मात्रा में पूंजी निवेश किया जाता है। 2. इनमें कम पूंजी निवेश के उद्योग लगाए जाते हैं।
3. ये उद्योग विकसित देशों के विकास का आधार होते हैं। 3. ये उद्योग विकासशील देशों में रोजगार उपलब्ध करवाते हैं।

प्रश्न 3.
भारी उद्योग तथा कृषि उद्योगों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

कृषि उद्योग (Agro-Industries) भारी उद्योग  (Heavy Industries)
1. वे प्रायः प्राथमिक उद्योग होते हैं। 1. ये प्रायः आधारभूत उद्योग होते हैं।
2. ये उद्योग कृषि पदार्थों पर आधारित होते हैं। 2. इन उद्योगों में शक्ति-चलित मशीनों का अधिक प्रयोग होता है।
3. इनसे कृषि पदार्थों का रूप बदलकर अधिक उपयोगी पदार्थ जैसे कपास से कपड़े बनाए जाते हैं। 3. इन उद्योगों में बड़े पैमाने पर विषय यन्त्र तथा मशीनें – बनाई जाती हैं।
4. ये श्रम-प्रधान उद्योग होते हैं। 4. ये पूंजी प्रधान उद्योग होते हैं।
5. इसमें प्रायः छोटे तथा मध्यम वर्ग के उद्योग लगाये जाते हैं। 5. इसमें प्राय: बड़े पैमाने के उद्योग लगाये जाते हैं।
6. पटसन उद्योग, चीनी उद्योग, वस्त्र उद्योग कृषि उद्योग हैं। 6. लोहा-इस्पात, वायुयान, जलयान उद्योग भारी उद्योग हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
विभिन्न आधारों पर उद्योगों का वर्गीकरण करो।
उत्तर:
उद्योगों को आकार, उत्पादन, कच्चे माल तथा स्वामित्व के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांटा जाता है।

1. आकार के आधार पर वर्गीकरण-किसी उद्योग के आकार का निश्चय उसमें लगाई गई पूँजी की मात्रा, कार्यरत लोगों की संख्या, उत्पादन की मात्रा आदि के आधार पर किया जाता है। तदानुसार उद्योगों का वर्गीकरण कुटीर उद्योग, लघु पैमाने के उद्योग तथा बड़े पैमाने के उद्योग में किया जा सकता है।

(क) कुटीर उद्योग-कुटीर या गृह उद्योग विनिर्माण की सबसे छोटी इकाइयाँ हैं। इसके हस्तकार या शिल्पकार अपने परिवार के सदस्यों की सहायता से, स्थानीय कच्चे माल तथा साधारण उपकरणों का उपयोग करके अपने घरों में ही वस्तुओं का निर्माण करते हैं। उत्पादन की दक्षता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होती है। इनमें उत्पादन छोटे पैमाने पर होता है। औजार तथा उपकरण साधारण होते हैं। उत्पादित वस्तुओं को सामान्यतः स्थानीय बाज़ार में बेचा जाता है। इस प्रकार कुम्हार, बढ़ई, बुनकर, लुहार आदि गृह उद्योग क्षेत्र में ही वस्तुएँ बनाते हैं।

(ख) छोटे पैमाने के उद्योग-इनमें आधुनिक ऊर्जा से चलने वाली मशीनों तथा श्रमिकों की भी सहायता ली जाती है। ये उद्योग कच्चा माल बाहर से भी मंगाते हैं यदि ये स्थानीय बाज़ार में उपलब्ध नहीं है। ये कुटीर उद्योगों की तुलना में आकार में बड़े होते हैं। इन उद्योगों द्वारा उत्पादित माल को व्यापारियों के माध्यम से स्थानीय बाजारों है। छोटे पैमाने के उद्योग विशेष रूप से विकासशील देशों की घनी जनसंख्या को रोज़गार उपलब्ध कराने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उदाहरण-कुछ देशों जैसे भारत तथा चीन में, कपड़े, खिलौने, फर्नीचर, खाद्य-तेल तथा चमड़े के सामान आदि का उत्पादन छोटे पैमाने के उद्योगों में किया जा रहा है।

(ग) बड़े पैमाने के उद्योग-इनमें भारी उद्योग तथा पूँजी-प्रधान उद्योग सम्मिलित किए जाते हैं, जो भारी मशीनों का प्रयोग करते हैं, बड़ी संख्या में श्रमिकों को लगाते हैं तथा काफ़ी बड़े बाज़ार के लिए सामानों का उत्पादन करते हैं। इन उद्योगों में उत्पाद की गुणवत्ता तथा विशिष्टीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इन उद्योगों में बहुत बड़े संसाधन-आधार की आवश्यकता पड़ती है। अत: कच्चा माल दर-दर स्थित विभिन्न स्थानों से मँगाया जाता है। वस्तओं का उत्पादन भी बडे पैमाने पर करते हैं तथा उत्पाद दूर-दूर बाजारों में भेजा जाता है। इस प्रकार इन उद्योगों को, अनेक सुविधाओं जैसे सड़क, रेल तथा ऊर्जा आपूर्ति की आवश्यकता पड़ती है।

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उदाहरण:
लोहा एवं इस्पात-उद्योग, पेट्रो-रसायन उद्योग, वस्त्र निर्माण उद्योग तथा मोटर कार निर्माण उद्योग आदि इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। संयुक्त राज्य, इंग्लैंड तथा यूरोप में से उद्योग उच्च तकनीकी क्षेत्रों में स्थित हैं।

2. आकार तथा उत्पादों की प्रकृति-कुछ भूगोलवेत्ता विनिर्माण उद्योग का विभाजन इनमें कार्य के आकार तथा उत्पादों की प्रकृति दोनों को मिलाकर ही करते हैं।

इस प्रकार, उद्योगों के दो वर्ग होते हैं –
(i) भारी उद्योग बड़े पैमाने के उद्योग हैं। इनके कच्चे माल व तैयार माल दोनों ही भारी होते हैं। अतः इन्हें कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित किया जाता है।
उदाहरण:
जैसे लौह-इस्पात उद्योग

(ii) हल्के उद्योग सामान्यतः छोटे पैमाने के उद्योग हैं। ये हल्के तथा संहत वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। इन उद्योगों के लिए बाज़ार की निकटता सबसे महत्त्वपूर्ण कारक होता है।
उदाहरण:
इलेक्ट्रोनिक उद्योग इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।

3. उत्पादन के आधार पर वर्गीकरण –
(क) आधारभूत उद्योग-कुछ उद्योग ऐसे होते हैं जिनके उत्पादों का प्रयोग अन्य प्रकार के उत्पादन प्राप्त करने के. लिए किया जाता है। इन्हें आधारभूत उद्योग कहा जाता है। लोहा-इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है क्योंकि इसमें उत्पादित इस्पात का उपयोग अन्य उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। कुछ आधारभूत उद्योगों में मशीनें बनायी जाती हैं, जो अन्य उत्पादों को बनाने के लिये प्रयोग की जाती हैं।

(ख) वस्तु निर्माण उद्योग-कुछ उद्योग उन उत्पादों का निर्माण करते हैं, जिन्हें सीधे उपभोग के लिए प्रयोग किया जाता है, जैसे चाय, डबल रोटी, साबुन तथा टेलीविज़न । इन्हें उपभोक्ता वस्तु निर्माण उद्योग कहते हैं।

4. कच्चे माल के आधार पर वर्गीकरण-उद्योगों का वर्गीकरण उनके द्वारा प्रयुक्त कच्चे माल के आधार पर किया जा सकता है। इस प्रकार इन्हें कृषि आधारित उद्योग, वन आधारित उद्योग, धातु उद्योग तथा रासायनिक उद्योग के रूप में भी विभाजित किया जा सकता है।
(क) कृषि पर आधारित उद्योग-इनमें कृषि से प्राप्त उत्पादों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं। सूती वस्त्र, चाय, चीनी एवं वनस्पति तेल उद्योग इसके उदाहरण हैं।

(ख) वन आधारित उद्योग-जिन उद्योगों में वनों से प्राप्त उत्पादों का कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है उन्हें वन आधारित उद्योग कहते हैं जैसे कागज़ एवं फर्नीचर उद्योग।

(ग) खनिज आधारित उद्योग-जिन उद्योगों में खनिज पदार्थों का उपयोग कच्चे माल के रूप में होता है, उन्हें खनिज आधारित उद्योग कहते हैं। धातुओं पर आधारित उद्योग को धातु उद्योग कहते हैं। इन्हें पुनः लौह धात्विक उद्योगों एवं अलौह धातु उद्योगों में बाँटते हैं। ऐसी धातुओं पर आधारित उद्योग जिनमें लौहांश होता है, लौह धातु उद्योग कहलाते हैं, जैसे लोहा-इस्पात उद्योग। दूसरी ओर ऐसी धातुओं पर आधारित उद्योग जिनमें लौहांश नहीं होता है, उन्हें अलौह-धातु उद्योग कहते हैं, जैसे तांबा तथा एल्यूमीनियम।

(घ) रासायनिक पदार्थों पर आधारित उद्योग-रासायनिक पदार्थों पर आधारित उद्योगों को रासायनिक उद्योग की संज्ञा दी जाती है, जैसे पेट्रो-रसायन, प्लास्टिक, कृत्रिम रेशे तथा औषधि निर्माण उद्योग आदि। कुछ रसायन उद्योगों में प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं, जैसे खनिज-तेल, नमक, गंधक, पोटाश तथा वनस्पति उत्पाद आदि। कुछ रासायनिक उद्योगों में अन्य उद्योगों के उत्पादों का प्रयोग किया जाता है।

5. स्वामित्व के आधार पर वर्गीकरण उद्योगों को स्वामित्व तथा प्रबंधन के आधार पर सरकारी या सार्वजनिक, निजी और संयुक्त क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है। जब किसी उद्योग का स्वामित्व तथा प्रबंधन राज्य सरकार के हाथ में हो तो इसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग की संज्ञा दी जाती है। राज्य या सरकारें ही ऐसी इकाइयों की स्थापना तथा संचालन करती हैं।

किसी एक व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों के समूह (निगम) के स्वामित्व तथा प्रबंधन में संचालित उद्योग निजी क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं जब एक व्यक्ति अपनी पूँजी लगाकर उद्योग स्थापित करता है, वह उस उद्योग का प्रबंधन निजी उद्योगपति के रूप में करता है। कभी-कभी कुछ व्यक्ति मिलकर सांझेदारी के आधार पर उद्योग स्थापित करते हैं। वे भी निजी उद्योग हैं। ऐसे उद्योगों में पूँजी तथा काम के हिस्से का समझौता पहले ही कर लिया जाता है।

उद्योगों की स्थापना निगमों द्वारा की जाती है। निगम कई व्यक्तियों अथवा संगठनों द्वारा बनाया हुआ ऐसा संघ होता है, जो पूर्व निर्धारित उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करता है। निगम जनता में शेयर बेचकर पूँजी जुटाता है। बड़े बहुराष्ट्रीय निगमों, जैसे पेप्सी हिन्दुस्तान लीवर तथा जनेरल इलेक्ट्रिक ने भूमंडलीय स्तर पर अनेक देशों में अपने उद्योग स्थापित किए हैं।

प्रश्न 2.
उद्योगों का स्थानीयकरण किन तत्त्वों पर निर्भर करता है ? उदाहरण सहित व्याख्या करो।
उत्तर:
किसी स्थान पर उद्योगों की स्थापना के लिए कुछ भौगोलिक, सामाजिक तथा आर्थिक तत्त्वों का होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए कच्चा माल, शक्ति के साधन, श्रम, पूंजी और बाज़ार उद्योगों के महत्त्वपूर्ण निर्धारक हैं। इन्हें उद्योगों के आधारभूत कारक भी कहते हैं। ये सभी कारक मिल-जुल कर प्रभाव डालते हैं। प्रत्येक कारक का महत्त्व समय, स्थान और उद्योगों के अनुसार बदलता रहता है। इन अनुकूल तत्त्वों के कारण किसी स्थान पर अनेक उद्योग स्थापित हो जाते हैं। यह क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Region) बन जाता है।

उद्योगों के स्थानीयकरण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
1. कच्चे माल की निकटता (Nearness of Raw Material) उद्योग कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित कच्चा माल उद्योगों की आत्मा है। उद्योग वहीं पर स्थापित किए जाते हैं, जहाँ कच्चा माल अधिक मात्रा में कम लागत पर, आसानी से उपलब्ध हो सके। इसलिए लोहे और चीनी के कारखाने कच्चे माल की प्राप्ति-स्थान के निकट लगाए जाते हैं। शीघ्र खराब होने वाली वस्तुएं जैसे डेयरी उद्योग भी उत्पादक केन्द्रों के निकट लगाए जाते हैं। भारी कच्चे माल के उद्योग उन वस्तुओं के मिलने के स्थान के निकट ही लगाए जाते हैं। इस्पात उद्योग कोयला तथा लोहा खानों के निकट स्थित हैं। कागज़ की लुगदी के कारखाने तथा आरा मिलें कोणधारी वन प्रदेशों में स्थित हैं। जापान तथा ब्रिटेन में सूती वस्त्र उद्योग के लिए हल्के कच्चे माल कपास आदि आयात कर लिए जाते हैं।
उदाहरण:
कच्चे माल की प्राप्ति के कारण ही चीनी उद्योग उत्तर प्रदेश में, पटसन उद्योग पश्चिमी बंगाल में तथा सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र में लगे हुए हैं।

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2. शक्ति के साधन (Power Resources)-कोयला, पेट्रोलियम तथा जल-विद्युत् प्रमुख साधन हैं। भारी उद्योगों में शक्ति के साधनों का अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता है। इसलिए अधिकतर उद्योग उन स्थानों पर लगाए जाते हैं जहाँ कोयले की खाने समीप हों या पेट्रोलियम अथवा जल-विद्युत् उपलब्ध हो। भारत में दामोदर घाटी, जर्मनी में रूहर घाटी कोयले के कारण ही प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है। खाद व रासायनिक उद्योग, एल्यूमीनियम उद्योग, कागज़ उद्योग, जल विद्युत् शक्ति केन्द्रों के निकट लगाए जाते हैं, क्योंकि इनमें अधिक मात्रा में सस्ती बिजली की आवश्यकता होती है।
उदाहरण:
भारत के इस्पात उद्योग झरिया तथा रानीगंज की कोयला खानों के समीप स्थित हैं। पंजाब में भाखडा योजना से जल-विद्युत् प्राप्ति के कारण खाद का कारखाना नंगल में स्थित है। इसी कारण रूस में डोनबास औद्योगिक क्षेत्र, यू० एस० ए० में झील क्षेत्र, कोयला खानों के निकट ही स्थित हैं।

3. यातायात के साधन (Means of Transport):
उन स्थानों पर उद्योग लगाए जाते हैं, जहाँ सस्ते, उत्तम, कुशल और शीघ्रगामी यातायात के साधन उपलब्ध हों। कच्चा माल, श्रमिक तथा मशीनों को कारखानों तक पहुँचाने के लिए सस्ते साधन चाहिए। तैयार किए हुए माल को कम खर्च पर बाज़ार तक पहुंचाने के लिए उत्तम परिवहन साधन बहुत सहायक होते हैं।
उदाहरण:
जल यातायात सबसे सस्ता साधन है। इसलिए अधिक उद्योग कोलकाता, चेन्नई आदि बन्दरगाहों के स्थान पर हैं। संसार के दो बड़े औद्योगिक क्षेत्र यूरोप तथा यू० एस० ए० उत्तरी अन्धमहासागरीय मार्ग के सिरों पर स्थित हैं।

4. जलवायु (Climate):
कुछ उद्योगों में जलवायु का मुख्य स्थान होता है। उत्तम जलवायु मनुष्य की कार्य-कुशलता पर भी प्रभाव डालती है। सूती कपड़े के उद्योग के लिए आर्द्र जलवायु अनुकूल होती है। इस जलवायु में धागा बार-बार नहीं टता। वाययान उद्योग के लिए शुष्क जलवाय की आवश्यकता होती है।
उदाहरण:
मुम्बई में सूती कपड़ा उद्योग आर्द्र जलवायु के कारण तथा बंगलौर में वायुयान उद्योग (Aircraft) शुष्क जलवायु के कारण स्थित है। कैलीफोर्निया में हालीवुड में चलचित्र उद्योग के विकास का एक महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि वहां बाह्य शूटिंग के लिए अधिकतर मेघरहित आकाश मिलता है।

5. पूंजी की सुविधा (Capital):
उद्योग उन स्थानों पर लगाए जाते हैं जहां पूंजी पर्याप्त मात्रा में ठीक समय पर तथा उचित दर पर मिल सके। निर्माण उद्योग को बड़े पैमाने पर चलाने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों में पूंजी लगाने के कारण उद्योगों का विकास हुआ है। राजनीतिक स्थिरता और बिना डर के पूंजी विनियोग उद्योगों के विकास में सहायक हैं।
उदाहरण:
दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता आदि नगरों में बड़े-बड़े पूंजीपतियों और बैंकों की सुविधा के कारण ही औद्योगिक विकास हुआ है।

6. कुशल श्रमिक (Skilled Labour):
कुशल श्रमिक अधिक और अच्छा काम कर सकते हैं जिससे उत्तम तथा सस्ता माल बनता है। किसी स्थान पर लम्बे समय से एक ही उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के कारण औद्योगिक केन्द्र बन जाते हैं । आधुनिक मिल उद्योग में अधिक कार्य मशीनों द्वारा होता है, इसलिए कम श्रमिकों की आवश्यकता होती है। लंकाशायर में सूती कपड़ा उद्योग कुशल श्रमिकों के कारण ही उन्नत हुआ है। कुछ उद्योगों में अत्यन्त कुशल तथा कुछ उद्योगों में अर्द्ध-कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। स्विट्ज़रलैंड के लोग घड़ियां, जापान के लोग विद्युत् यन्त्र तथा ब्रिटेन के लोग विशेष वस्त्र निर्माण में प्रवीण होते हैं।
उदाहरण:
मेरठ और जालन्धर में खेलों का सामान बनाने, लुधियाना में हौजरी उद्योग तथा वाराणसी में जरी उद्योग कुशल श्रमिकों के कारण ही हैं।

7. सस्ती व समतल भूमि (Cheap and Level Land):
भारी उद्योगों के लिए समतल भूमि आवश्यक होती है। इसी कारण जमशेदपुर का इस्पात उद्योग दामोदर नदी घाटी के मैदानी क्षेत्र में स्थित है।

8. सरकारी नीति (Government Policy):
सरकार के संरक्षण में कई उद्योग विकास कर जाते हैं, जैसे देश में चीनी उद्योग सन् 1932 के पश्चात् सरकारी संरक्षण से ही उन्नत हुआ है। सरकारी सहायता से कई उद्योगों को बहुत-सी सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। सरकार द्वारा लगाए टैक्सों से भी उद्योग पर प्रभाव पड़ता है।

9. सस्ते श्रमिक (Cheap Labour):
सस्ते श्रमिक उद्योगों के लिए आवश्यक हैं ताकि कम लागत पर उत्पादन हो सके। इसलिए अधिकतर उद्योग घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों के निकट लगाए जाते हैं।

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10. बाजार से निकटता (Nearness to Market):
मांग क्षेत्रों का उद्योग के निकट होना आवश्यक है। इससे कम तैयार माल बाजारों में भेजा जाता है। माल की खपत जल्दी हो जाती है तथा लाभ प्राप्त होता है। शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं के उद्योग जैसे डेयरी उद्योग, खाद्य पदार्थ उद्योग बड़े नगरों के निकट लगाए जाते हैं। यहाँ अधिक जनसंख्या के कारण लोगों की माल खरीदने की शक्ति अधिक होती है। एशिया के देशों में अधिक जनसंख्या है, परन्तु निर्धन लोगों के कारण ऊँचे मूल्य वाली वस्तुओं की मांग कम है। यही कारण है कि विकासशील देशों में निर्माण उद्योगों की कमी है। छोटे-छोटे पुर्जे तैयार करने वाले उद्योग बड़े कारखानों के निकट लगाए जाते हैं जहाँ इन पुों का प्रयोग होता है। वायुयान उद्योग तथा शस्त्र उद्योग का विश्व बाज़ार है।

11. पूर्व आरम्भ (Early Start):
जिस स्थान पर कोई उद्योग पहले से ही स्थापित हो, उसी स्थान पर उस उद्योग के अनेक कारखाने स्थापित हो जाते हैं। मुम्बई में सूती कपड़े के उद्योग तथा कोलकाता में जूट उद्योग इसी कारण से केन्द्रित हैं। किसी स्थान पर अचानक किसी ऐतिहासिक घटना के कारण सफल उद्योग स्थापित हो जाते हैं। जल पूर्ति के लिए कई उद्योग नदियों या झीलों के तटों पर लगाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
संसार के विभिन्न देशों में लोहा-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण तथा विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग (Iron and Steel Industry):
लोहा-इस्पात उद्योग आधुनिक औद्योगिक युग की आधारशिला है। लोहा कठोरता, प्रबलता तथा सस्ता होने के कारण अन्य धातुओं की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण है। इससे अनेक प्रकार की मशीनें, परिवहन के साधन, कृषि यन्त्र, ऊँचे-ऊँचे भवन, सैनिक अस्त्र-शस्त्र, टेंक, रॉकेट तथा दैनिक प्रयोग की अनेक वस्तुएं तैयार की जाती हैं। लोहा-इस्पात का उत्पादन ही किसी देश के आर्थिक विकास का मापदण्ड है। आधुनिक सभ्यता लोहा-इस्पात पर निर्भर करती है, इसीलिए वर्तमान युग को “इस्पात युग” (Steel Age) कहते हैं।

लोहा-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के तत्त्व (Locational factors) –
लोहा-इस्पात उद्योग निम्नलिखित दशाओं पर निर्भर करता है –
1. कच्चा माल (Raw-Material):
यह उद्योग लोहे तथा कोयले की खानों के निकट लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त मैंगनीज़, चूने के पत्थर, पानी तथा रद्दी लोहा (Scrap Iron) आदि कच्चे माल भी निकट ही प्राप्त हौं।

2. कोक कोयला (Coking Coal):
लोहा-इस्पात उद्योग की भट्टियों में लोहा साफ करने के लिए ईंधन के रूप में कोक कोयला प्राप्त हो। कई बार लकड़ी का कोयला भी प्रयोग किया जाता है।

3. सस्ती भूमि (Cheap Land):
इस उद्योग से कोक भट्टियों, गोदामों, इमारतों आदि के बनाने के लिए सस्ती तथा पर्याप्त भूमि चाहिए ताकि कारखानों का विस्तार भी किया जा सके।

4. बाज़ार की निकटता-इस उद्योग से बनी मशीनें तथा यन्त्र भारी होते हैं इसलिए यह उद्योग मांग क्षेत्रों के निकट
लगाए जाते हैं।

5. पूँजी-इस उद्योग को आधुनिक स्तर पर लगाने के लिए पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। इसलिए उन्नत देशों की सहायता से विकासशील देशों में इस्पात कारखाने लगाए जाते हैं।

6. इस उद्योग के लिए परिवहन के सस्ते साधन, कुशल श्रमिक, सुरक्षित स्थान तथा तकनीकी ज्ञान की सुविधाएं प्राप्त होनी चाहिएं।

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विश्व उत्पादन (World Production):
संसार में लोहा-इस्पात उद्योग का वितरण असमान है। केवल छ: देश संसार का 60% लोहा-इस्पात उत्पन्न करते हैं। पिछले 50 वर्षों में इस्पात का उत्पादन 6 गुना बढ़ गया है।

मुख्य उत्पादक देश
(Main Countries)

1. रूस-रूस संसार में लोहे के उत्पादन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
मुख्य क्षेत्र –
(क) यूक्रेन क्षेत्र-यह रूस का सबसे बड़ा प्राचीन तथा महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। किवाइरोग यहां का प्रसिद्ध केन्द्र है।
(ख) यूराल क्षेत्र-यहां मैगनीटोगोर्क (Magnito- gorsk) तथा स्वर्डलोवस्क (Sverdlovsk) चिलियाबिन्सक प्रसिद्ध केन्द्र है।
(ग) मास्को क्षेत्र-इस क्षेत्र में मास्को, तुला, गोर्की में इस्पात के कई कारखाने हैं।
(घ) अन्य क्षेत्र (Other Centres) इसके अतिरिक्त पूर्व में स्टालनिसक वालादिवास्टक, ताशकन्द, सैंट पीट्सबर्ग तथा रोसटोव प्रमुख केन्द्र हैं।

2. संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A.):
यह देश लोहा-इस्पात के उत्पादन में संसार में दूसरे स्थान पर है।
मुख्य क्षेत्र –
(1) पिट्सबर्ग-यंगस्टाऊन क्षेत्र (जंग का प्रदेश)।
(2) महान् झीलों के क्षेत्र।
(क) सुपीरियर झील के किनारे डयूलथ केन्द्र।
(ख) मिशीगन झील के किनारे शिकागो तथा गैरी।
(ग) इरी झील के किनारे डेट्राइट, इरी, क्लीवलैंड तथा बफैलो।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ - 1
(3) बर्मिंघम-अलबामा क्षेत्र।
(4) मध्य अटलांटिक तट क्षेत्र पर स्पेरोज पोइण्ट, बीथिलहेम तथा मोरिसविले केन्द्र हैं।
(5) पश्चिमी राज्यों में प्यूएबेलो, टेकोमा, सानफ्रांसिस्को, लॉसएंजेल्स और फोण्टाना प्रसिद्ध केन्द्र हैं।

3. जापान (Japan):
जापान संसार का 15% लोहा-इस्पात उत्पन्न करता है तथा संसार में तीसरे स्थान पर है।
मुख्य क्षेत्र –
(1) मोजी नागासाकी क्षेत्र जहां यावाता प्रसिद्ध केन्द्र है।
(2) दक्षिण हांशू में कामैशी क्षेत्र।
(3) होकेडो द्वीप में मुरोरान केन्द्र।
(4) कोबे-ओसाका क्षेत्र।
(5) टोकियो याकोहामा क्षेत्र।

4. पश्चिमी जर्मनी (West Germany):
लोहा-इस्पात उद्योग में संसार में इस देश का चौथा स्थान है। अधिकतर उद्योग रूहर घाटी (Ruhr Valley) में स्थापित हैं। इसके अतिरिक्त सार क्षेत्र तथा दक्षिण में भी इस्पात केन्द्र हैं। मुख्य-केन्द्र-ऐसेन (Essen), बोखम (Bochum), डार्टमण्ड (Dortmund), डुसेलडोर्फ (Dusseldorf) तथा सोलिजन (Solingen) प्रसिद्ध केन्द्र हैं।

5. ग्रेट ब्रिटेन (Great Britain):
लोहा-इस्पात उद्योग का विकास संसार में सबसे पहले ग्रेट ब्रिटेन में हुआ। मुख्य-केन्द्र-लोहा-इस्पात उद्योग के मुख्य केन्द्र तटों पर स्थित हैं –

  • दक्षिण वेल्ज में कार्डिफ तथा स्वांसी।
  • उत्तर-पूर्वी तट पर न्यू कासिल, मिडिल्सबरो तथा डालिंगटन।
  • यार्कशायर क्षेत्र में शैफील्ड जो चाकू-छुरियों (Cutlery) आदि के लिए संसार भर में प्रसिद्ध है।
  • मिडलैंड क्षेत्र में बर्मिंघम जिसे अधिक कारखानों के कारण काला प्रदेश (Black Country) भी कहते हैं।
  • स्कॉटलैंड क्षेत्र में कलाईड घाटी में ग्लास्गो।
  • लंकाशायर में फोर्डिघम।

6. चीन-पिछले तीस सालों में चीन ने इस्पात निर्माण में बहुत तेजी से विकास किया है।
मुख्य क्षेत्र –
(क) मंचूरिया में अन्शान तथा मुकडेन।
(ख) यंगसी घाटी में वुहान, शंघाई।
(ग)शान्सी में बीजिंग, टिटसिन, तियानशान।
(घ) वेण्टन, सिंगटाओ, चिनलिंग चेन तथा होपे अन्य प्रसिद्ध केन्द्र हैं।

8. भारत (India):
भारत में लोहा-इस्पात उद्योग बहुत पुराना है। भारत में इस्पात उद्योग के लिए अनुकूल साधन मौजूद हैं। पर्याप्त मात्रा में उत्तम लोहा, कोयला, मैंगनीज़ और चूने का पत्थर मिलता है। भारत में संसार का सबसे सस्ता इस्पात बनता है। भारत में लोहा-इस्पात उद्योग में आधुनिक ढंग का कारखाना सन् 1907 में जमशेदपुर (बिहार) में जमशेद जी टाटा द्वारा लगाया गया। दामोदर घाटी में कोयले के विशाल क्षेत्र झरिया, रानीगंज, बोकारो में तथा लोहा सिंहभूमि, मयूरभंज क्योंझर, बोनाई क्षेत्र में मिलता है। इन सुविधाओं के कारण आसनसोल, भद्रावती, दुर्गापुर, भिलाई, बोकारो, राउरकेला में इस्पात के कारखाने हैं। विशाखापट्टनम, हास्पेट, सेलम में नए इस्पात के कारखाने लगाए जा रहे हैं। देश के कई भागों में इस्पात बनाने के छोटे छोटे कारखाने लगाकर उत्पादन बढ़ाया जा रहा है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 4.
सिलिकन घाटी पर एक नोट लिखो।
उत्तर:
सिलिकन घाटी-एक प्रौद्योगिक संनगर सिलिकन घाटी का विकास फ्रेडरिक टरमान के कार्यों का प्रतिफल है। वे एक प्रोफेसर थे और बाद में वे कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (सांता क्लारा काउंटी के उत्तरी पश्चिमी भाग में पालो आल्टो नगर स्थित) के उपाध्यक्ष बने। वर्ष 1930 में टरमान ने अपने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्रों को उसी क्षेत्र में रहकर अपने कारखाने स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया। ऐसी पहली कम्पनी विलियम हयूलिट और डेविड पैकर्ड द्वारा विश्वविद्यालय परिसर के निकट एक गेराज में स्थापित की गई थी। आज यह विश्व की एक सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक फर्म है।1950 के दशक के अन्त में टरमान ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय को ऐसी नवीन उच्च तकनीकी फर्मों के लिए एक विशेष औद्योगिक पार्क विकसित करने के लिए राजी किया।

इसने अभिनव विचारों और महत्त्वपूर्ण विशिष्टीकृत कार्यशक्ति (लोग) तथा उत्पादन सम्बन्धी सेवाएं विकसित करने के लिए एक हाट हाउस (संस्थान) का निर्माण किया। इसमें उच्च तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक्स का सतत् समूहन जारी है तथा इसने दूसरे उच्च तकनीकी उद्योगों को भी आकर्षित किया है। उदाहरणार्थ संयुक्त राज्य अमेरिका में जैव प्रौद्योगिकी में कार्यरत सम्पूर्ण रोज़गार का एक तिहाई भाग कैलिफोर्निया में अवस्थित है। इसमें से 90 प्रतिशत से अधिक से अधिक सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र में स्थित हैं। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय को आभारी कम्पनियों द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में दान राशि प्राप्त हो रही है जो प्रतिवर्ष करोड़ों डॉलर होती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो

1. इनमें से मानव की प्राथमिक क्रिया कौन-सी नहीं है ?
(A) मत्स्यन
(B) वानिकी
(C) शिकार करना
(D) उद्योग।
उत्तर:
(D) उद्योग।

2. इनमें से मानव की प्राचीनतम क्रिया कौन-सी है?
(A) मत्स्य न
(B) एकत्रीकरण
(C) कृषि
(D) उद्योग।
उत्तर:
(B) एकत्रीकरण

3. एकत्रीकरण की क्रिया किस प्रदेश में है?
(A) अमेज़न बेसिन
(B) गंगा बेसिन
(C) हवांग-हो बेसिन
(D) नील बेसिन।
उत्तर:
(A) अमेज़न बेसिन

4. सिनकोना वृक्ष की छाल से प्राप्त होती है
(A) रबड़
(B) टैनिन
(C) कुनीन
(D) गम।
उत्तर:
(C) कुनीन

5. कौन-सी जनजाति मौसमी पशुचारण की प्रथा करता है?
(A) पिग्मी
(B) रेड इण्डियन
(C) बकरवाल
(D) मसाई।
उत्तर:
(C) बकरवाल

6. गहन निर्वाह कृषि की मुख्य फ़सल कौन-सी है?
(A) चावल
(B) गेहूँ
(C) मक्का
(D) कपास।
उत्तर:
(A) चावल

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7. विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि में कौन-सी मुख्य फ़सल है?
(A) गेहूँ
(B) चावल
(C) मक्का
(D) पटसन।
उत्तर:
(A) गेहूँ

8. फ़ैजण्डा खेतों पर किस फ़सल की कृषि होती है?
(A) चाय
(B) कहवा
(D) गन्ना।
(C) कोको
उत्तर:
(B) कहवा

9. केलों की रोपण कृषि किस प्रदेश में है ?
(A) अफ्रीका
(B) पश्चिमी द्वीप समूह
(C) ब्राज़ील
(D) जापान।
उत्तर:
(B) पश्चिमी द्वीप समूह

10. डेनमार्क किस कृषि के लिए प्रसिद्ध है?
(A) मिश्रित कृषि
(B) पशुपालन
(C) डेयरी उद्योग
(D) अनाज कृषि।
उत्तर:
(C) डेयरी उद्योग

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
‘आर्थिक क्रियाओं’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मानव के वे क्रियाकलाप, जिनसे आय प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
कोई चार प्राथमिक क्रियाओं के नाम लिखो।
उत्तर:
आखेट, मत्स्यन, वानिकी, कृषि।।

प्रश्न 3.
आदिम कालीन मानव के दो क्रियाकलाप बताओ।
उत्तर:
आखेट तथा एकत्रीकरण ।

प्रश्न 4.
भारत में शिकार पर क्यों प्रतिबन्ध लगाया गया है?
उत्तर:
जंगली जीवों के संरक्षण के लिए।

प्रश्न 5.
चिकल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यह ज़ोपोरा वृक्ष के दूध से बनता है।

प्रश्न 6.
उस वृक्ष का नाम लिखें जिसकी छाल से कनीन बनती है।
उत्तर:
सिनकोना।

प्रश्न 7.
व्यापारिक उद्देश्य के लिए एकत्रीकरण द्वारा प्राप्त तीन वस्तुओं के नाम लिखो। .
उत्तर:
कुनीन, रबड़, बलाटा, गम।

प्रश्न 8.
पशुधन पालन का आरम्भ क्यों हुआ?
उत्तर:
केवल आखेट से जीवन का भरण पोषण न होने के कारण पशुधन पालन आरम्भ हुआ।

प्रश्न 9.
सहारा क्षेत्र तथा एशिया के मरुस्थल में कौन-से पशु पाले जाते हैं ?
उत्तर:
भेड़ें, बकरियां, ऊंट।

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प्रश्न 10.
पर्वतीय क्षेत्र तथा टुण्ड्रा प्रदेश में कौन-से जीव पाले जाते हैं?
उत्तर:
तिब्बत में याक, एण्डीज़ में लामा, टुण्ड्रा में रेण्डियर।

प्रश्न 11.
कौन-से जाति समूह हिमालय पर्वत में मौसमी स्थानान्तरण करते हैं?
उत्तर:
गुज्जर, बकरवाल, गद्दी, भोटिया।

प्रश्न 12.
किस प्रकार के क्षेत्र में गहन निर्वाहक कृषि की जाती है?
उत्तर:
मानसून प्रदेश के सघन बसे प्रदेशों में।

प्रश्न 13.
रोपण कृषि का आरम्भ किसने किया?
उत्तर:
यूरोपियन लोगों ने अपनी कालोनियों में रोपण कृषि आरम्भ की।

प्रश्न 14.
वे तीन युग बताओ जिनमें सभ्यता खनिजों पर आधारित थी?
उत्तर:
तांबा युग, कांसा युग, लौह युग।

प्रश्न 15.
उस देश का नाम बताइए जहां व्यावहारिक रूप से हर किसान सहकारी समिति का सदस्य है।
उत्तर:
डेनमार्क जिसे सहकारिता का देश कहते हैं।

प्रश्न 16.
मानव की सबसे पुरानी दो आर्थिक क्रियाएं लिखो।
उत्तर:
आखेट तथा मत्स्यन।

प्रश्न 17.
सोवियत संघ में सामूहिक कृषि को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
कोल खहोज़।

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प्रश्न 18.
भूमध्य सागरीय कषि के एक उत्पादन का नाम लिखिए।
उत्तर:
अंगूर।

प्रश्न 19.
भारत व श्रीलंका में चाय बागानों का विकास सर्वप्रथम किस देश ने किया था ?
उत्तर:
ब्रिटेन।

प्रश्न 20.
प्राथमिक व्यवसाय में लगे हुए श्रमिक किस रंग (कलर) वाले श्रमिक कहलाते हैं ?
उत्तर:
लाल कलर श्रमिक।

प्रश्न 21.
रेडियर कहां पाला जाता है ?
उत्तर:
टुंड्रा (Tundra) प्रदेश में।

प्रश्न 22.
रोपन कृषि किन प्रदेशों में की जाती है ?
उत्तर:
पश्चिमी द्वीप समूह, भारत, श्रीलंका।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आर्थिक क्रियाकलाप क्या है? इनके विभिन्न वर्ग बताओ।
उत्तर:
मनुष्य अपने जीवन यापन के लिए कुछ क्रियाकलाप अपनाता है। मानवीय क्रियाकलाप जिनसे आय प्राप्त होती है, आर्थिक क्रियाकलाप कहलाते हैं। इसे मुख्यतः चार वर्गों में बांटा जाता है –

  1. प्राथमिक
  2. द्वितीयक
  3. तृतीयक
  4. चतुर्थक।

प्रश्न 2.
आदिम कालीन मानव के जीवन निर्वाह के दो साधन बताओ।
उत्तर:
आदिम कालीन मानव अपने जीवन निर्वाह के लिए पूर्णतः पर्यावरण पर निर्भर था। पर्यावरण से दो प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध थे

  1. पशुओं का आखेट करके।
  2. खाने योग्य जंगली पौधे एवं कन्द मूल एकत्रित करके।

प्रश्न 3.
उन तीन प्रदेशों के नाम लिखो जहां वर्तमान समय में भोजन संग्रह (एकत्रीकरण) प्रचलित है।
उत्तर:
भोजन संग्रह (एकत्रीकरण) विश्व के इन प्रदेशों में किया जाता है –

  1. उच्च अक्षांश के क्षेत्र जिसमें उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरेशिया एवं दक्षिणी चिली।
  2. निम्न अक्षांश के क्षेत्र जिसमें अमेजन बेसिन, उष्णकटिबन्धीय अफ्रीका।
  3. ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिणी पूर्वी एशिया का आन्तरिक प्रदेश।

प्रश्न 4.
चलवासी पशुचारण से क्या अभिप्राय है? इससे मूल आवश्यकताओं की पूर्ति कैसे होती है?
उत्तर:
चलवासी पशुचारण एक प्राचीन जीवन निर्वाह व्यवसाय रहा है। पशुचारक अपने भोजन, वस्त्र, शरण, औजार एवं यातायात के लिए पशुओं पर निर्भर रहते थे। वे अपने पालतू पशुओं के साथ पानी एवं चरागाहों की उपलब्धता की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान तक फिरते रहते थे। ये पशु इन्हें कपड़े, शरण, औज़ार तथा यातायात की मूल आवश्यकताएं प्रदान करते थे।

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प्रश्न 5.
चलवासी पशुचारकों की संख्या अब घट रही है। क्यों ? दो कारण दो।
उत्तर:
विश्व में लगभग 10 मिलियन पशु चारक हैं जो चलवासी हैं। इनकी संख्या दिन प्रतिदिन दो कारणों से घट रही है।

  1. राजनीतिक सीमाओं का अधिरोपण
  2. कई देशों द्वारा नई बस्तियों की योजना बनाना।

प्रश्न 6.
वाणिज्य पशुधन पालन से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
वाणिज्य पशुधन पालन एक बड़े पैमाने पर अधिक व्यवस्थित पशुपालन व्यवसाय है। इसमें भेड़, बकरी, गाय, बैल, घोड़े पाले जाते हैं जो मानव को मांस, खालें एवं ऊन प्रदान करते हैं।
विशेषताएं:

  1. यह एक पूंजी प्रधान क्रिया है तथा वैज्ञानिक ढंगों पर व्यवस्थित क्रिया है।
  2. पशुपालन विशाल क्षेत्र पर रैंचों पर होता है।
  3. इसमें मुख्य ध्यान पशुओं के प्रजनन, जननिक सुधार, बीमारियों पर नियन्त्रण तथा स्वास्थ्य पर दिया जाता है।
  4. उत्पादित वस्तुओं को विश्व बाजारों में निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 7.
महत्त्वपूर्ण रोपण कृषि के अधीन फ़सलों के नाम लिखो।
उत्तर:
महत्त्वपूर्ण रोपण फ़सलें निम्नलिखित हैं चाय, कहवा तथा कोको; रबड़, कपास, नारियल, गन्ना, केले तथा अनानास।

प्रश्न 8.
‘बुश-फैलो’ कृषि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्थानान्तरी कृषि को बुश-फैलो कृषि कहते हैं। वन क्षेत्रों को काटकर या जलाकर भूमि का एक टुकड़ा कृषि के लिए साफ़ किया जाता है। इसे कर्तन एवं दहन कृषि (‘Slash and Burn’) या Bush fallow कृषि कहते हैं।

प्रश्न 9.
झूमिंग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थानान्तरी कृषि को झूमिंग (Jhumming) कहते हैं। असम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड में आदिकालीन निर्वाह कृषि की जाती है, वृक्षों को काटकर, जलाकर, कृषि के लिए एक टुकड़ा साफ किया जाता है। कुछ वर्षों के पश्चात् जब खेतों की उर्वरता कम हो जाती है तो नए टुकड़े पर कृषि आरम्भ की जाती है। इससे खेतों का हेर-फेर होता है।

प्रश्न 10.
डेयरी फार्मिंग का विकास नगरीकरण के कारण हुआ है। सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
डेयरी उद्योग मांग क्षेत्रों के समीप लगाया जाता है। यह उद्योग अधिकतर नगरों, औद्योगिक तथा व्यापारिक क्षेत्रों के निकट लगाया जाता है। इसका औद्योगिकीकरण तथा नगरीकरण से गहरा सम्बन्ध है। नगरों में जनसंख्या की वृद्धि के कारण दुग्ध पदार्थों की मांग अधिक होती है। इसीलिए यूरोप के औद्योगिक क्षेत्रों के निकट तथा महानगरों के निकट डेयरी उद्योग का विकास हुआ है।

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प्रश्न 11.
धान की गहन जीविकोपार्जी कृषि के क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक क्यों है?
उत्तर:
धान की कृषि मानसून क्षेत्रों में की जाती है। कृषि के सभी कार्य मानवीय हाथों से किए जाते हैं। इसलिए सस्ते तथा अधिक श्रम की आवश्यकता होती है। श्रम की अधिक मांग के कारण इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व उच्च रहता है।

प्रश्न 12.
विस्तृत भूमि अधिकांशतः मशीनों की सहायता से क्यों की जाती है?
उत्तर:
बड़ी-बड़ी जोतों पर मशीनों की सहायता से, बड़े पैमाने पर कृषि की जाती है। इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व कम है। भूमि एवं मनुष्य अनुपात अधिक है। श्रम महंगा है तथा कम उपलब्ध है। इसलिए कृषि कार्यों में बड़े पैमाने पर कृषि यन्त्रों का प्रयोग होता है।

प्रश्न 13.
खनन को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
खनन कार्य को प्रभावित करने वाले कारक-खनन कार्य की लाभप्रदता दो बातों पर निर्भर करती है –

  1. भौतिक कारकों में खनिज निक्षेपों के आकार, श्रेणी एवं उपस्थिति की अवस्था को सम्मिलित करते हैं।
  2. आर्थिक कारकों जिसमें खनिज की मांग, विद्यमान तकनीकी ज्ञान एवं उसका उपयोग, अवसंरचना के विकास के लिए उपलब्ध पूंजी एवं यातायात व श्रम पर होने वाला व्यय आता है।

प्रश्न 14.
धरातलीय एवं भूमिगत खनन में अन्तर. स्पष्ट करो।
उत्तर:
खनन की विधियां उपस्थिति की अवस्था एवं अयस्क की प्रकृति के आधार पर खनन के दो प्रकार हैं धरातलीय एवं भूमिगत खनन।

धरातलीय खनन (Open cast Mining):
धरातलीय खनन को विवृत खनन.भी कहा जाता है। यह खनिजों के खनन का सबसे सस्ता तरीका है, क्योंकि इस विधि में सुरक्षात्मक पूर्वोपायों एवं उपकरणों पर अतिरिक्त खर्च अपेक्षाकृत निम्न कम होता है एवं उत्पादन शीघ्र व अधिक होता है।

भूमिगत खनन (Underground Mining):
जब अयस्क धरातल के नीचे गहराई में होता है तब भूमिगत अथवा कूपकी खनन विधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में लंबवत् कूपक गहराई तक स्थित हैं, जहां से भूमिगत गैलरियां खनिजों तक पहुंचने के लिए फैली हैं। इन मार्गों से होकर खनिजों का निष्कर्षण एवं परिवहन धरातल तक किया जाता है। खदान में कार्य करने वाले श्रमिकों तथा निकाले जाने वाले खनिजों के सुरक्षित और प्रभावी आवागमन हेतु इसमें विशेष प्रकार की लिफ्ट बोधक (बरमा), माल ढोने की गाड़ियां तथा वायु संचार प्रणाली की आवश्यकता होती है। खनन का यह तरीका जोखिम भरा है क्योंकि जहरीली गैसें, आग एवं बाढ़ के कारण कई बार दुर्घटनाएं होने का भय रहता है। भारत की कोयला खदानों में आग लगने एवं बाढ़ आने की कई दुर्घटनाएँ हुई हैं।

प्रश्न 15.
विकसित देश खनन कार्य से पीछे क्यों हट रहे हैं?
उत्तर:
विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश उत्पादन की खनन, प्रसंस्करण एवं शोधन कार्य से पीछे हट रहे हैं क्योंकि इसमें श्रमिक लागत अधिक आने लगी है। जबकि विकासशील देश अपने विशाल श्रमिक शक्ति के बल पर अपने देशवासियों के ऊंचे रहन-सहन को बनाए रखने के लिए खनन कार्य को महत्त्व दे रहे हैं। अफ्रीका के कई देश, दक्षिण अमेरिका के कुछ देश एवं एशिया में आय के साधनों का पचास प्रतिशत तक खनन कार्य से प्राप्त होता है।

प्रश्न 16.
ऋतु प्रवास क्या होता है ?
उत्तर:
जब ग्रीष्म ऋतु में चरवाहे पहाड़ी ढलानों पर चले जाते हैं परन्तु शीत ऋतु में मैदानी भागों में प्रवास करते हैं।

प्रश्न 17.
प्राथमिक क्रियाएँ क्या हैं ?
उत्तर:
प्र.यमिक क्रियाकलाप-इस क्रियाकलाप में मुख्य उत्पाद पर्यावरण से सीधे रूप से प्राप्त किए जाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्राथमिक क्रियाकलापों से क्या अभिप्राय है? ये किस प्रकार पर्यावरण पर निर्भर हैं ? उदाहरण दें।
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाकलाप (Primary Activities)-प्राथमिक क्रियाकलाप वे क्रियाएं हैं जिसमें मुख्य उत्पाद पर्यावरण से सीधे-रूप से प्राप्त किए जाते हैं। इस प्रकार ये क्रियाएं प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण पर निर्भर हैं क्योंकि ये पृथ्वी के संसाधनों जैसे भूमि, जल, वनस्पति, भवन निर्माण सामग्री एवं खनिजों का उपयोग करती है।

उदाहरण:
इन क्रियाकलापों में आखेट; भोजन संग्रह, पशुचारण, मत्स्यन, वानिकी, कृषि एवं खनन।

प्रश्न 2.
‘आदिमकालीन समाज जंगली पशुओं पर निर्भर था।’ उदाहरण सहित व्याख्या करो।
उत्तर:
(i) आदिमकालीन समाज जंगली पशुओं पर निर्भर था। अतिशीत एवं अत्यधिक गर्म प्रदेशों के रहने वाले लोग आखेट द्वारा जीवन-यापन करते थे। प्राचीन-काल के आखेटक पत्थर या लकड़ी के बने औज़ार एवं तीर इत्यादि का प्रयोग करते थे, जिससे मारे जाने वाले पशुओं की संख्या सीमित रहती थी।

(ii) तकनीकी विकास के कारण यद्यपि मत्स्य-ग्रहण आधुनिकीकरण से युक्त हो गया है, तथापि तटवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग अब भी मछली पकड़ने का कार्य करते हैं। अवैध शिकार के कारण जीवों की कई जातियां या तो लुप्त हो गई हैं या संकटापन्न हैं।

प्रश्न 3.
आदिमकालीन निर्वाह कृषि (स्थानान्तरी कृषि) से क्या अभिप्रायः है? इसके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
स्थानान्तरी कृषि (आदिमकालीन निर्वाह कृषि) (Shifting Agriculture) यह कृषि का बहुत प्राचीन ढंग है। यह कृषि उष्ण कटिबन्धीय वन प्रदेशों में आदिवासियों का मुख्य धन्धा है।

वनों को काट कर तथा:
झाड़ियों को जला कर भूमि को साफ कर लिया जाता है। वर्षा काल के पश्चात् उसमें फ़सलें बोई जाती हैं। जब दो तीन फ़सलों के पश्चात् उस भूमि का उपजाऊपन नष्ट हो जाता है, तो उस क्षेत्र को छोड़कर दूसरी भूमि में कृषि की जाती है। यहां खेत बिखरे-बिखरे होते हैं, यह कृषि छोटे पैमाने पर होती है तथा स्थानीय मांग को ही पूरा कर पाती है। यह कृषि प्राकृतिक दशाओं के अनुकूल होने के कारण ही होती है। इसमें खाद, उत्तम बीजों या यन्त्रों का कोई प्रयोग नहीं होता। इस प्रकार की कृषि में खेतों का हेरफेर होता है। इस कृषि पर लागत कम होती है। संसार में इस कृषि के क्षेत्रों का विस्तार कम होता जा रहा है। क्योंकि उपज कम होने तथा मृदा उर्वरता घटने की समस्याएं हैं।

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प्रदेश तथा फ़सलें-प्रायः
इस कृषि में मोटे अनाजों की कृषि होती है जैसे चावल, मक्की, शकरकन्द, ज्वार आदि। भारत में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड तथा मिज़ोरम प्रदेश में झूमिंग (Jhumming) नामक कृषि की जाती है। मध्य अमेरिका में उसे मिलपा (Milpa), मलेशिया तथा इन्डोनेशिया में लदांग (Ladang) कहते हैं।

प्रश्न 4.
गहन निर्वाह कृषि से क्या अभिप्राय है? इसके दो मुख्य प्रकार बताओ। (H.B. 2013)
उत्तर:
गहन निर्वाह कृषि (Intensive Subsistance Farming) गहन निर्वाह कृषि मानसून प्रदेशों में घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों में की जाती है। इसमें छोटे-छोटे खेतों पर प्रचुर मात्रा में श्रम लगाकर, उच्च उपज प्रति हेक्टेयर प्राप्त करके वर्ष में कई फ़सलें प्राप्त की जाती हैं।

गहन निर्वाह कृषि के प्रकार-गहन निर्वाह कृषि के दो प्रकार हैं –
(i) चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि-इसमें चावल प्रमुख फसल होती है। अधिक जनसंख्या घनत्व के कारण खेतों का आकार छोटा होता है एवं कृषि कार्य में कृषक का सम्पूर्ण परिवार लगा रहता है। भूमि का गहन उपयोग होता है एवं यन्त्रों की अपेक्षा मानव श्रम का अधिक महत्त्व है। उर्वरता बनाए रखने के लिए पशुओं के गोबर का खाद एवं हरी खाद का उपयोग किया जाता है। इस कृषि में प्रति इकाई उत्पादन अधिक होता है, परन्तु प्रति कृषक उत्पादन कम है।

(ii) चावल रहित गहन निर्वाह कृषि-मानसून एशिया के अनेक भागों में उच्चावच, जलवायु, मृदा तथा अन्य भौगोलिक कारकों की भिन्नता के कारण धान की फ़सल उगाना प्रायः सम्भव नहीं है। उत्तरी चीन, मंचूरिया, उत्तरी कोरिया एवं उत्तरी जापान में गेहं, सोयाबीन, जौ एवं सरघम बोया जाता है। भारत में सिंध-गंगा के मैदान के पश्चिमी भाग में गेहूं एवं दक्षिणी व पश्चिमी शुष्क प्रदेश में ज्वार-बाजरा प्रमुख रूप से उगाया जाता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखें
(i) उद्यान कृषि
(ii) बाज़ार के लिए सब्जी खेती
(ii) ट्रक कृषि
(iv) पुष्प कृषि
(v) फल उद्यान।।
उत्तर:
(i) उद्यान कृषि (Horticulture) – उद्यान कृषि व्यापारिक कृषि का एक सघन रूप है। इसमें मुख्यतः। सब्जियां, फल और फूलों का उत्पादन होता है। इस कृषि का विकास संसार के औद्योगिक तथा नगरीय क्षेत्रों के पास होता है। यह कृषि छोटे पैमाने पर की जाती है। परन्तु इसमें उच्च स्तर का विशेषीकरण होता है। भूमि पर सघन कृषि होती है। सिंचाई तथा खाद का प्रयोग किया जाता है। वैज्ञानिक ढंग, उत्तम बीज तथा कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। उत्पादों को बाजार में तुरन्त बिक्री करने के लिए यातायात की अच्छी सुविधाएं होती हैं। इस प्रकार प्रति व्यक्ति आय बहुत अधिक होती है।

(ii) बाज़ार के लिए सब्जी खेती (Market Gardening) – बड़े-बड़े नगरों की सीमाओं पर सब्जियों की कृषि की जाती है।
(ii) ट्रक कृषि (Truck Farming) – नगरों से दूर, अनुकूल जलवायु तथा मिट्टी के कारण कई प्रदेशों में सब्जियों या फलों की कृषि की जाती है।
(iv) पुष्प कृषि (Flower Culture) – इस कृषि द्वारा विकसित प्रदेशों में फूलों की मांग को पूरा किया जाता है।
(v) फल उद्यान (Fruit Culture) – उपयुक्त जलवायु के कारण कई क्षेत्रों में विशेष प्रकार के फलों की कृषि की जाती है।

प्रश्न 6.
खाद्यान्न की बड़े पैमाने पर की जाने वाली यान्त्रिक कृषि में प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता है, परन्तु प्रति व्यक्ति उत्पादन ऊंचा होता है। क्यों?
उत्तर:
(1) खाद्यान्न की बड़े पैमाने पर कृषि शीत-उष्ण घास के मैदानों में की जाती है। इसे विस्तृत कृषि कहते हैं। यह कृषि बड़े-बड़े फ़ार्मों पर मुख्यतः यान्त्रिक कृषि होती है। इसमें ट्रैक्टर, कम्बाईन, हारवेस्टर आदि मशीनों द्वारा सभी कार्य किए जाते हैं। एक मशीन प्रायः 50 से 100 मानवीय श्रमिकों का कार्य कर सकती है। इसलिए उपज पर उत्पादन खर्च कम होता है। परन्तु प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता है।

(2) इन क्षेत्रों में औसत प्रति हेक्टेयर उत्पादन 15 क्विटल होता है। जबकि यूरोप में खाद्यान्न की सघन कृषि द्वारा नीदरलैण्ड, बेल्जियम आदि देशों में प्रति हेक्टेयर उत्पादन 50 क्विटल से अधिक होता है।

(3) यह कृषि कम जनसंख्या वाले प्रदेशों में होती है, जैसे कनाडा, अर्जेन्टाइना, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में कम जनसंख्या वाले क्षेत्र गेहूं उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं। यहां प्रति व्यक्ति उत्पादन बहुत अधिक है क्योंकि श्रमिकों की संख्या कम होती है।

(4) यहां काफ़ी मात्रा में गेहूं निर्यात के लिए बच जाता है। इसलिए इन प्रदेशों को संसार का अन्न भण्डार (Granaries of the world) कहा जाता है।

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प्रश्न 7.
सामूहिक कृषि तथा सहकारी कृषि में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

सहकारी कृषि: सामूहिक कृषि:
(i) जब कृषकों का एक समूह अपनी कृषि से अधिक लाभ कमाने के लिए स्वेच्छा से एक सहकारी संस्था बनाकर कृषि कार्य सम्पन्न करे उसे सहकारी |कृषि कहते हैं।

इसमें व्यक्तिगत फार्म अक्षुण्ण रहते हुए सहकारी रूप में कृषि की जाती है।

(i) इस प्रकार की कृषि का आधारभूत सिद्धान्त अह। होता है कि इसमें उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सम्पूर्ण समाज एवं सामूहिक श्रम पर आधारित होता है। कृषि का यह प्रकार पूर्व सोवियत संघ में प्रारम्भ हुआ था जहां कृषि की दशा सुधारने एवं उत्पादन में वृद्धि व आत्मनिर्भरता प्राप्ति के लिए सामूहिक कृषि प्रारम्भ की गई। इस प्रकार की सामूहिक कृषि को सोवियत संघ में कोलखहोज़ का नाम दिया गया।
(ii) सहकारी संस्था कृषकों को सभी रूप में सहायता करती है। यह सहायता कृषि कार्य में आने वाली सभी चीजों की खरीद करने, कृषि उत्पाद को | उचित मूल्य पर बेचने एवं सस्ती दरों पर प्रसंस्कृत साधनों को जुटाने के लिए होती है। (ii) सभी कृषक अपने संसाधन जैसे भूमि, पशुधन एवं श्रम को मिलाकर कृषि कार्य करते हैं। ये अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि का छोटा-सा भाग अपने अधिकार में भी रखते हैं। सरकार उत्पादन का वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करती है एवं उत्पादन को सरकार ही निर्धारित मूल्य पर खरीदती है। लक्ष्य से अधिक उत्पन्न होने वाला

भाग सभी सदस्यों को वितरित कर दिया जाता है या बाजार | में बेच दिया जाता है।

(iii) सहकारी आन्दोलन एक शताब्दी पूर्व प्रारम्भ हुआ था एवं पश्चिमी यूरोप के डेनमार्क, नीदरलैण्ड, बेल्जियम, स्वीडन एवं इटली में यह सफलतापूर्वक चला। सबसे अधिक सफलता इसे डेनमार्क में मिली जहां प्रत्येक कृषक इसका सदस्य है। (iii) उत्पादन एवं भाड़े पर ली गई मशीनों पर कृषकों को कर चुकाना पड़ता है। सभी सदस्यों को उनके द्वारा किए गए कार्य की प्रकृति के आधार पर भुगतान किया जाता है। असाधारण कार्य करने वाले सदस्य को नकद या । माल के रूप में पुरस्कृत किया जाता है। पूर्व सोवियत संघ की समाजवादी सरकार ने इसे प्रारम्भ किया जिसे अन्य समाजवादी देशों ने भी अपनाया। सोवियत संघ के विघटन के बाद इस प्रकार की कृषि में भी संशोधन किया गया है।

प्रश्न 8.
संसार की रोपण कृषि की किन्हीं छः फसलों के नाम बताइए। रोपण कृषि की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोपण फसलें

  1. चाय .
  2. कॉफी
  3. कोको
  4. कपास
  5. गन्ना
  6. केला

रोपण कृषि की विशेषताएं:

  1. रोपण कृषि में कृषि खेत को बागान कहा जाता है।
  2. इसमें अधिक पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है।
  3. इस कृषि में उच्च प्रबन्ध एवं तकनीकी नितांत आवश्यक है।
  4. इसमें वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है।
  5. यह एक फसली कृषि है जिसका निर्यात किया जाता है।
  6. इस फसल की उपज के लिए सस्ते श्रमिक आवश्यक हैं।
  7. इसके लिए यातायात विकसित होता है, जिसके द्वारा बागान एवं बाज़ार सुचारु रूप से जुड़े रहते हैं क्योंकि यह व्यावहारिक कृषि है।

प्रश्न 9.
निर्वाह कृषि किसे कहते हैं ? इस प्रकार की कृषि के दो वर्गों के नाम बताइए। एक वर्ग की तीन तीन मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
निर्वाह कृषि से अभिप्राय ऐसी कृषि से है जिसके सम्पूर्ण अथवा अधिकतर उत्पादों का उपयोग स्वयं कृषक परिवार करता है। कृषि उत्पादों का कम भाग निर्यात होता है।
निर्वाह कृषि को दो वर्गों में बांटा जा सकता है –
(i) आदिकालीन निर्वाह कृषि
(ii) गहन निर्वाह कृषि मुख्य विशेषताएं

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

(i) आदिकालीन निर्वाह कृषि

  1. इस कृषि को कर्तन एवं दहन कृषि (Slash and Burn) भी कहते हैं।
  2. इसका चलन उष्ण कटिबंधीय वन क्षेत्रों में है। जहां विभिन्न जनजातियां इस प्रकार की खेती अफ्रीका और दक्षिण पूर्वी एशिया में करती हैं।
  3. वन जलाकर कृषि के लिए भूमि तैयार की जाती है। (4) खेत बहुत छोटे-छोटे होते हैं। प्रति एकड़ उपज बहुत कम है।
  4. खेती पुराने औजारों जैसे-लकड़ी, कुदाल, फावड़े आदि से की जाती है।
  5. कुछ समय पश्चात् जब मिट्टी का उपजाऊपन कम हो जाता है तब कृषक पुराने खेत छोड़ कर नए. क्षेत्र में वन लाकर कृषि के लिए भूमि तैयार करता है।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न-निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट करो
(क) जीविका कृषि तथा व्यापारिक कृषि।
(ख) गहन कृषि तथा विस्तृत कृषि।
उत्तर:
(क) जीविका कृषि (Subsistance Agriculture):
इस कृषि-प्रणाली द्वारा स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है। इस कृषि का मुख्य उद्देश्य भूमि के उत्पादन से अधिक-से-अधिक जनसंख्या का भरण-पोषण किया जा सके। इसे निर्वाहक कृषि भी कहते हैं। स्थानान्तरी कृषि, स्थानबद्ध कृषि तथा गहन कृषि जीविका कृषि कहलाती है। इस कृषि द्वारा बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग को पूरा किया जाता है।

प्रदेश (Areas):
यह कृषि एशिया के मानसूनी प्रदेशों में होती है। चीन, जापान, कोरिया, भारत, बंगला देश, बर्मा (म्यनमार), इण्डोनेशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया में गहन जीविका कृषि होती है। भारत में जीविका कृषि मध्य प्रदेश, बुन्देलखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा दक्षिणी बिहार के पिछड़े हुए भागों में होती है।

विशेषताएं (Characteristics):
इस कृषि में आई प्रदेशों में चावल की फसल प्रमुख होती है, परन्तु कम वर्षा या सिंचित क्षेत्रों में मोटे अनाज, गेहूं, दालें, सोयाबीन, तिलहन उत्पन्न की जाती है।

  1. खेत छोटे आकार के होते हैं।
  2. साधारण यन्त्र प्रयोग करके मानव श्रम पर अधिक जोर दिया जाता है।
  3. खेतों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने तथा मिट्टी का उपजाऊपन कायम रखने के लिए हर प्रकार की खाद, रासायनिक उर्वरक का प्रयोग किया जाता है।
  4. भूमि का पूरा उपयोग करने के लिए साल में दो, तीन या चार-चार फसलें भी प्राप्त की जाती हैं। शुष्क ऋतु में अन्य खाद्य फसलों की भी कृषि की जाती है।
  5. भूमि के चप्पे-चप्पे पर कृषि की जाती है। पहाड़ी ढलानों पर सीढ़ीदार खेत बनाए जाते हैं। अधिकतर कार्य मानव-श्रम द्वारा किए जाते हैं।
  6. चरागाहों के भूमि प्राप्त न होने के कारण पशुपालन कम होता है।

व्यापारिक कृषि (Commercial Agriculture):
इस कृषि में व्यापार के उद्देश्य से फ़सलों की कृषि की जाती है। यह जीविका कृषि से इस प्रकार भिन्न है कि इस कृषि द्वारा संसार के दूसरे देशों को कृषि पदार्थ निर्यात किए जाते हैं। अनुकूल भौगोलिक. दशाओं में एक ही मुख्य फ़सल के उत्पादन पर जोर दिया जाता है ताकि व्यापार के लिए अधिक-से-अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके।

प्रदेश (Areas):
व्यापारिक कृषि में कई प्रकार से कृषि पदार्थ बिक्री के लिए प्राप्त किए जाते हैं –

  1. इस प्रकार की कृषि शीत-उष्ण घास के मैदानों में अधिक है जहां गेहूं की कृषि बड़े पैमाने पर की जाती है।
  2. उष्ण कटिबन्ध में रोपण कृषि द्वारा चाय, गन्ना, कहवा आदि फ़सलों की कृषि की जाती है।
  3. यूरोप में मिश्रित कृषि द्वारा कृषि तथा पशुपालन पर जोर दिया जाता है।
  4. उद्यान कृषि तथा डेयरी फार्मिंग भी व्यापारिक कृषि का ही एक अंग है।

विशेषताएं (Characteristics):

  1. यह आधुनिक कृषि की एक प्रकार है।
  2. इसमें उत्पादन मुख्यतः बिक्री के लिए किया जाता है।
  3. यह कृषि केवल उन्नत देशों में ही होती है।
  4. यह बड़े पैमाने पर की जाती है।
  5. इस कृषि में फ़सलों तथा पशुओं के विशेषीकरण पर ध्यान दिया जाता है।
  6. इसमें रासायनिक खाद, उत्तम बीज, मशीनों तथा जल-सिंचाई साधनों का प्रयोग किया जाता है।
  7. यह कृषि क्षेत्र यातायात के उत्तम साधनों द्वारा मांग क्षेत्रों से.जुड़े होते हैं।
  8. इस कृषि पर अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का बहुत प्रभाव पड़ता है।

(ख) गहन कृषि (Intensive Agriculture):
थोड़ी भूमि से अधिक उपज प्राप्त करने के ढंग को गहन कृषि कहते हैं। इस उद्देश्य के लिए प्रति इकाई भूमि पर अधिक मात्रा में श्रम और पूंजी लगाई जाती है। अधिक जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति कृषि योग्य भूमि कम होती है। इस सीमित भूमि से अधिक-से-अधिक उपज प्राप्त करके स्थानीय खपत की पूर्ति की जाती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

प्रदेश (Areas):
यह कृषि प्राय: मानसून देशों में की जाती है। जापान, चीन, बंगला देश, भारत, फिलपाइन्स, हिन्द, चीन के देशों में गहन कृषि की जाती है। इन देशों में जनसंख्या घनत्व अधिक है। कृषि योग्य भूमि सीमित है। इन देशों में अधिक वर्षा वाले भागों में धान प्रधान गहन कृषि की जाती है। इस कृषि में एक वर्ष में, एक खेत से, धान की तीन चार फ़सलें उत्पन्न की जाती हैं। कम वर्षा वाले, कम उपजाऊ क्षेत्रों में अन्य फ़सलों के हेर-फेर के साथ धान की कृषि की जाती है।

विशेषताएं (Characteristics) –

  1. यह प्राचीन देशों की कषि प्रणाली है।
  2. खेतों का आकार बहुत छोटा होता है।
  3. कृषि में मानव श्रम अधिक मात्रा में लगाया जाता है। मशीनों का प्रयोग कम होता है।
  4. चरागाहों की कमी के कारण पशुचारण का कम विकास होता है।
  5. खाद, उत्तम बीज, कीटनाशक दवाइयां, सिंचाई के साधन तथा फ़सलों का हेर-फेर का प्रयोग किया जाता है।
  6. इस कृषि में खाद्यान्नों की अधिक कृषि की जाती है।
  7. इससे प्रति हेक्टेयर उपज काफ़ी अधिक होती है; परन्तु प्रति व्यक्ति उपज कम रहती है।
  8. यह कृषि स्थानीय खपत को पूरा करने के उद्देश्य से की जाती है ताकि घनी जनसंख्या वाले देश आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकें।
  9. इस कृषि में खेतों पर ही भारवाहक पशु पाले जाते हैं तथा मछली पकड़ने का धन्धा भी किया जाता है।
  10. भूमि कटाव रोकने के उपाय किए जाते हैं, मिट्टी का उपजाऊपन कायम रखा जाता है, पर्वतीय ढलानों पर सीढ़ीदार खेत बनाए जाते हैं।
  11. किसान लोग कई सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी इस प्रकार की कृषि करने के कारण बहुत कुशल होते हैं।

विस्तृत कृषि (Extensive Agriculture):
कम जनसंख्या वाले प्रदेशों में कृषि योग्य भूमि अधिक होने के कारण बड़े-बड़े फार्मों पर होने वाली कृषि को विस्तृत कृषि कहते हैं। कृषि यन्त्रों के अधिक प्रयोग के कारण इसे यान्त्रिक कृषि भी कहते हैं। इस कृषि में एक ही फ़सल के उत्पादन पर जोर दिया जाता है ताकि उपज को निर्यात किया जा सके। इसलिए इसका दूसरा नाम व्यापारिक कृषि भी है। यह कृषि मुख्यत: नए देशों में की जाती है। इसमें अधिक-से-अधिक क्षेत्र में कृषि करके अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह एक आधुनिक कृषि प्रणाली है जिसका विकास औद्योगिक क्षेत्रों में खाद्यान्नों की मांग बढ़ने के कारण हुआ है।

प्रदेश (Areas):
यह कृषि मध्य अक्षांशों में शीत-उष्ण कटिबन्धीय घास के मैदानों में की जाती है। रूस में स्टैप प्रदेश उत्तरी अमेरिका में प्रेयरीज़, अर्जेन्टाइना में पम्पास के मैदानों तथा ऑस्ट्रेलिया में डाऊनज़ क्षेत्र में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इन प्रदेशों में प्राचीन काल में चलवासी चरवाहे घूमा करते थे। भूमि का मूल्य बढ़ जाने के कारण विस्तृत खेती के क्षेत्र धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं।

विशेषताएं (Characteristics):

  1. यह कृषि समतल भूमि वाले क्षेत्रों पर की जाती है जहां खेतों का आकार बहुत बड़ा होता है।
  2. कृषि यन्त्रों का अधिक प्रयोग किया जाता है। जैसे ट्रैक्टर, हारवैस्टर, कम्बाईन, धैशर आदि।
  3. खाद्यान्नों को सुरक्षित रखने के लिए बड़े-बड़े गोदाम या ऐलीवेटरज़ बनाए जाते हैं। इस कृषि में प्रति हेक्टेयर उपज कम होती है, परन्तु कम जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति उपज अधिक होती है।
  4. यह कृषि व्यापारिक दृष्टिकोण से की जाती है ताकि खाद्यान्नों को मांग क्षेत्रों को निर्यात किया जा सके।
  5. इसमें श्रमिकों का उपयोग कम किया जाता है।
  6. इस कृषि में कम वर्षा के कारण जल सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं।
  7. इस कृषि में रासायनिक खाद का अधिक प्रयोग किया जाता है ताकि कुल उत्पादन में अधिक वृद्धि हो सके।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
भोजन संग्रहण से क्या अभिप्राय है? इसकी मुख्य विशेषताएं तथा क्षेत्र बताओ। इन कार्यकलाप से एकत्र होने वाले उत्पाद लिखो। भोजन संग्रहण का विश्व में क्या भविष्य है ?
उत्तर:
भोजन संग्रहण मानव का प्राचीनतम कार्यकलाप है। मानव खाने योग्य पौधों एवं कन्दमूल पर निर्वाह करता था।

विशेषताएं:

  1. यह कठोर जलवायुविक दशाओं में किया जाता है।
  2. इसे अधिकतर आदिमकालीन समाज के लोग करते हैं जो भोजन, वस्त्र एवं शरण की आवश्यकता की पूर्ति हेतु पशुओं और वनस्पति का संग्रह करते हैं।
  3. इस कार्य के लिए बहुत कम पूंजी एवं निम्न स्तरीय तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है।
  4. इसमें भोजन अधिशेष भी नहीं रहता है एवं प्रति व्यक्ति उत्पादकता भी कम होती है।

क्षेत्र-भोजन संग्रह विश्व के दो भागों में किया जाता है –

  1. उच्च अक्षांश के क्षेत्र जिसमें उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरेशिया एवं दक्षिणी चिली आते हैं।
  2. निम्न अक्षांश के क्षेत्र जिसमें अमेजन बेसिन, उष्णकटिबन्धीय अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिणी पूर्वी एशिया का आन्तरिक प्रदेश आता है।

उत्पाद-आधुनिक समय में भोजन संग्रह के कार्य का कुछ भागों में व्यापारीकरण भी हो गया है।

  1. ये लोग कीमती पौधों की पत्तियां, छाल एवं औषधीय पौधों को सामान्य रूप से संशोधित कर बाजार में बेचने का कार्य भी करते हैं।
  2. पौधे के विभिन्न भागों का ये उपयोग करते हैं। उदाहरण के तौर पर छाल का उपयोग कुनैन, चमड़ा तैयार करना एवं कार्क के लिए;
  3. पत्तियों का उपयोग, पेय पदार्थ, दवाइयां एवं कांतिवर्द्धक वस्तुएं बनाने के लिए; रेशे को कपड़ा बनाने; दृढ़फल को भोजन एवं तेल के लिए
  4. पेड़ के तने का उपयोग रबड़, बलाटा, गोंद व राल बनाने के लिए करते हैं।
  5. संग्रहण का भविष्य-विश्व स्तर पर संग्रहण का अधिक महत्त्व नहीं है। इन क्रियाओं के द्वारा प्राप्त उत्पाद विश्व बाज़ार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। कई प्रकार की अच्छी किस्म एवं कम दाम वाले कृत्रिम उत्पादों ने कई उत्पादों का स्थान ले लिया है।
    JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ - 1

प्रश्न 2.
विचरणशील पशुपालन की मुख्य विशेषताओं तथा क्षेत्रों का वर्णन करो।
उत्तर:
पशुपालन (Pastoralism):
सभ्यता के विकास में पशुओं का पालन एक महत्त्वपूर्ण कार्य था। विभिन्न जलवायु में रहने वाले लोगों ने अपने प्रदेशों के जानवरों को चुना तथा पशुपालन के लिए अपनाया जैसे घास के मैदानों में पशु तथा घोड़े; टुण्ड्रा प्रदेश में भेड़ें तथा रेडियर, ऊष्ण मरुस्थलों में ऊंट; एण्डीज़ तथा हिमालय के ऊंचे पर्वतों पर
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ - 2
लामा तथा याक। ये पशु दूध, मांस, ऊन तथा खालों के प्रमुख साधन थे। आज भी शीतोष्ण तथा ऊष्ण घास के मैदानों में विचरणशील पशुचारण प्रचलित है।

विचरणशील पशुचारण (Pastoral Nomadism):
यह पशुओं पर निर्वाहक क्रिया है। ये लोग स्थायी तौर पर नहीं रहते। उन्हें खानाबदोश कहते हैं। प्रत्येक जाति का एक निश्चित क्षेत्र होता है। पशु प्रकृति वनस्पति पर निर्भर करते हैं। जिन घास के मैदानों में अधिक वर्षा तथा लम्बी घास होती है वहां पशु पाले जाते हैं। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भेड़ें पाली जाती हैं। ऊंची-नीची ढलानों पर भेड़ें पाली जाती हैं। 6 प्रकार के पशु मुख्य रूप से पाले जाते हैं, भेड़ें, बकरियां, ऊंट, पशु, घोड़े तथा गधे।

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क्षेत्र (Areas):
पशुपालन के 7 बड़े क्षेत्र हैं-उच्च अक्षांशीय ध्रुवीय क्षेत्र, स्टैप, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया पर्वतीय क्षेत्र, सहारा, अरब मरुस्थल, उप-सहारा सवाना, एण्डीज़ तथा एशिया के उच्च पठार।

  1. सबसे बड़ा क्षेत्र सहारा के मंगोलिया तक 13000 कि० मी० लम्बा है।
  2. एशियाई टुण्ड्रा के दक्षिणी भाग में ।
  3. दक्षिणी पश्चिमी अफ्रीका। ये प्रदेश अधिक गर्म, अति शुष्क, अति टण्टे हैं ! आजकल 15 से 20 मिलियन लोम विचरालाल पशचारण में लगे हैं।

प्रश्न 3.
संसार के विभिन्न प्रदेशों में वाणिज्यिक पश पालन का वर्णन करो।
उत्तर:
व्यापारिक पशु पालन (Commercial Grazing)-संसार में विभिन्न घास के मैदानों में बड़े पैमाने पर, वैज्ञानिक ढंगों द्वारा, चारे की फसलों की सहायता से पशु पालन होता है। इसे व्यापारिक पशु पालन कहते हैं। शीत उष्ण घास के मैदानों में विचरणशील पशु चारण का स्थान व्यापारिक पशु पालन ने ले लिया है। इन प्रदेशों में 20 सें. मी. वर्षा के कारण घास के मैदान मिलते हैं। ये मैदान सभी महाद्वीपों में बिखरे हुए हैं।

निम्नलिखित शीत उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में व्यापारिक पशु पालन का विकास हुआ है –

1. उत्तरी अमेरिका का प्रेयरी क्षेत्र (Prairies):
संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में शीत-उष्ण घास के मैदानों को प्रेयरी के मैदान कहते हैं। इस प्रदेश में थोड़ी वर्षा के कारण घास अधिक होती है। सैंकड़ों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विशाल चरागाहों पर रैंच (Ranch) बनाए गए हैं। यहां उत्तम नस्ल की जरसी तथा फ्रिजीयन गाय पाली जाती हैं। इस विशाल मैदान पर मिश्रित खेती के रूप में पशु पालन होता है। यहां गोश्त के लिए पशु तथा ऊन के लिए भेड़ें पाली जाती हैं। ऐडवर्ड पठार तथा मैक्सिको पठार में भेड़ें चराई जाती हैं। मांस प्रदान करने वाले पशु अधिकतर मक्का क्षेत्र (Corn belt) में मिलते हैं। यहां पशुओं को मोटा-ताजा बनाने के लिए मक्की की फसल प्रयोग की जाती है। इसलिए DET GICT “In U.S.A., corn goes to the market on hoofs.”

2. पम्पास क्षेत्र:
दक्षिणी अमेरिका में अर्जेन्टाइना, ब्राज़ील तथा युरुगए देशों में शीत-उष्ण घास के मैदानों में व्यापारिक पशु पालन होता है। अर्जेन्टाइना में पम्पास क्षेत्र पैटागोनिया तथा टेराडेल फ्यूगो क्षेत्र में पशु तथा भेड़ें चराई जाती हैं। यहां समशीत जलवायु, 50 सें० मी० से 100 सें० मी० वर्षा, एल्फा-एल्फा (Alafa-Alafa) घास तथा विशाल चरागाहों की सुविधाएं प्राप्त हैं। बड़े-बड़े रैंच (Ranch) बनाकर चारों तरफ तारों की बाड़ लगाई जाती है। अधिकतर पशु मांस के लिए पाले जाते हैं। दक्षिणी भाग में पहाड़ी ढलानों पर ऊन के लिए भेड़ें पाली जाती हैं।

3. ऑस्ट्रेलिया:
ऑस्ट्रेलिया संसार का महत्त्वपूर्ण व्यापारिक पशु पालन क्षेत्र है। यहां शीत-उष्ण घास के मैदानों को डाऊन्स (Downs) कहते हैं। यहां पशु पालन के प्रमुख क्षेत्र दक्षिण-पूर्वी भाग तथा पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में हैं। यहां ऊन तथा मांस के लिए भेड़ें पाली जाती हैं। न्यू साऊथ वेल्ज़, विक्टोरिया तथा दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया राज्यों में पशु पालन के लिए अनुकूल दशाएं प्राप्त हैं। यहां विशाल घास के मैदान उपलब्ध हैं। सारा वर्ष सम-शीत जलवायु के कारण पशु खुले क्षेत्रों तथा बड़े-बड़े फार्मों पर रखे जा सकते हैं। आर्टिजियन कुओं द्वारा जल प्राप्त हो जाता है। ऑस्ट्रेलिया संसार में ऊन का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश है। परन्तु इन प्रदेशों में शुष्क जलवायु के कारण पानी की कमी की समस्या है। जंगली कुत्ते तथा चूहे भी पशु पालन में बहुत बड़ी रुकावट हैं।

4. न्यूजीलैण्ड:
इस देश का आर्थिक विकास पशु पालन पर आधारित है। यहां प्रति व्यक्ति पशुओं का घनत्व संसार में सबसे अधिक है। यहां पर्याप्त वर्षा, सम-शीत उष्ण जलवायु, विशाल पर्वतीय ढलानों पर सारा साल उपलब्ध विशाल चरागाहें, उत्तम नस्ल के पशु, चारे की फसलों का प्राप्त होना आदि अनुकूल दशाओं के कारण व्यापारिक पशु पालन का विकास हुआ है। यह देश उत्तम भेड़ों के मांस (Mutton) के लिए प्रसिद्ध है। उत्तरी टापू तथा दक्षिणी टापू में भेड़ों के अतिरिक्त दूध देने वाले पशु भी पाले जाते हैं। यहां से मांस, ऊन, मक्खन, पनीर भी निर्यात किया जाता है।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ - 3

5. दक्षिणी अफ्रीका:
दक्षिणी अफ्रीका के पठार पर मिलने वाले घास के मैदान को वैल्ड (Veld) कहते हैं। यहां औसत वार्षिक वर्षा 75 सें० मी० के लगभग है। समुद्र के प्रभाव के कारण सामान्य तापमान मिलते हैं। दक्षिणी अफ्रीका में अधिकतर भेड़ें तथा अंगोरा बकरियां मांस एवं ऊन के लिए पाली जाती हैं। यहां दूध के लिए स्थानीय नस्ल के पशु पाले जाते हैं। यहां आदिवासी लोग पशु चारण का काम करते हैं। परन्तु श्वेत जातियों के सम्पर्क के कारण ही व्यापारिक पशु पालन का विकास सम्भव हुआ है।

प्रश्न 4.
रोपण कृषि से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताएं, क्षेत्र तथा फ़सलों का वर्णन करो।
उत्तर:
रोपण कृषि (Plantation Farming):
यह एक विशेष प्रकार की व्यापारिक कृषि है। इसमें किसी एक नकदी की फ़सल की बड़े पैमाने पर कृषि की जाती है। यह कृषि बड़े-बड़े आकार से खेतों या बाग़ान पर की जाती है इसलिए इसे बाग़ाती कृषि भी कहते हैं। रोपण कृषि की मुख्य फ़सलें रबड़, चाय, कहवा, कोको, गन्ना, नारियल, केला आदि हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

प्रदेश (Areas):
रोपण कृषि के मुख्य क्षेत्र उष्ण कटिबन्ध में मिलते हैं –

  1. पश्चिमी द्वीपसमूह, क्यूबा, जमैका आदि।
  2. पश्चिमी अफ्रीका में गिनी तट।
  3. एशिया में भारत, श्रीलंका, मलेशिया तथा इण्डोनेशिया।

विशेषताएं (Characteristics)

  1. यह कृषि बड़े-बड़े आकार के फ़ार्मों पर की जाती है। इन बागानों का आकार 40 हेक्टेयर से 60,000 हेक्टेयर तक होता है।
  2. इसमें केवल एक फ़सल पर बिक्री के लिए कृषि पर जोर दिया जाता है। इसका अधिकतर भाग निर्यात कर दिया जाता है।
  3. इस कृषि में वैज्ञानिक विधियों, मशीनों, उर्वरक, अधिक पूंजी का प्रयोग होता है ताकि प्रति हेक्टेयर उपज को बढ़ाया जा सके, उत्तम कोटि का अधिक मात्रा में उत्पादन हो।
  4. इन बागानों पर बड़ी संख्या में कुशल श्रमिक काम करते हैं। ये श्रमिक स्थानीय होते हैं। कुछ प्रदेशों में दास श्रमिकों या नीग्रो लोग भी काम करते हैं। श्रीलंका के चाय के बागान तथा मलेशिया में रबड़ के बागान पर भारत के तमिल लोग काम करते हैं।
  5. इन बागानों पर अधिकतर पूंजी, प्रबन्ध व संगठन यूरोपियन लोगों के हाथ में है।
  6. रोपण कृषि के प्रमुख क्षेत्र समुद्र के किनारे स्थित हैं जहां सड़कों, रेलों, नदियों तथा बन्दरगाहों की यातायात की सुविधाएं प्राप्त हैं।
  7. रोपण कृषि के बाग़ान विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों में अधिक भूमि प्राप्त होने के कारण लगाए जाते हैं।
  8. रोपण कृषि में वार्षिक फ़सलों की बजाय चिरस्थायी वृक्षों या झाड़ी वाली फ़सलों की कृषि की जाती है।

क्षेत्र –

  1. अधिकतर रोपण कृषि ब्रिटिश लोगों द्वारा स्थापित की गई। मलेशिया में रबड़, भारत और श्रीलंका में चाय के बागान हैं।
  2. फ्रांसीसी लोगों ने पश्चिमी अफ्रीका में कोको तथा कहवा के बाग़ लगाए।
  3. ब्रिटिश लोगों के पश्चिमी द्वीप समूह में गन्ने व केले के बाग़ लगाए।
  4. स्पेनिश तथा अमरीकी लोगों ने नारियल तथा गन्ने के बाग़ान फिलीपाइन्ज़ में लगाए।

प्रश्न 5.
मिश्रित कृषि तथा डेयरी फार्मिंग में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर
मिश्रित कृषि
(Mixed Agriculture)
जब फ़सलों की कृषि के साथ-साथ पशु पालन आदि सहायक धन्धे भी अपनाए जाते हैं तो उसे मिश्रित कृषि कहते हैं। इस कृषि में दो प्रकार की फ़सलें उत्पन्न की जाती हैं-खाद्यान्न तथा चारे की फ़सलें। संयुक्त राज्य अमेरिका में मक्का पट्टी (Corn Belt) में मांस प्राप्त करने के लिए पशुओं को मक्का खिलाया जाता है।

प्रदेश (Areas):
यह कृषि समस्त यूरोप में, उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भाग में, पम्पास, दक्षिणी अफ्रीका, दक्षिण पूर्वी ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूज़ीलैंड में अपनाई जाती है।

विशेषताएं (Characteristics):

  1. इस कृषि में खाद्यान्नों को चारे की फ़सलों के साथ हेर-फेर के साथ उगाते हैं।
  2. कृषि के लिए वैज्ञानिक ढंग प्रयोग किए जाते हैं।
  3. इस कृषि में यन्त्रों, मकानों, गोदामों, खाद तथा श्रमिकों आदि पर बहुत अधिक धन व्यय किया जाता है।
  4. इस कृषि में किसानों की आय के कई साधन बन जाते हैं। बाजार में गिरावट आने से हानि से रक्षा होती है। श्रमिकों को पूरा वर्ष नियमित रूप से काम मिलता रहता है।

डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming):
दूध तथा दूध से बने पदार्थ जैसे मक्खन, पनीर, जमाया हुआ दूध, पाऊडर दूध आदि प्राप्त करने के लिए दुधारू पशुओं को पालने के धन्धे को डेयरी फार्मिंग कहते हैं।

आवश्यक भौगोलिक दशाएं (Geographical Conditions):
डेयरी उद्योग के विकास के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाएं अनुकूल होती हैं –

  1. जलवायु-डेयरी उद्योग के लिए सम-शीत-उष्ण जलवायु अनुकूल रहती है।
  2. चरागाहों का होना-दुधारू पशुओं के लिए विशाल प्राकृतिक चरागाहों की आवश्यकता होती है।
  3. मांग क्षेत्रों से समीपता-दूध के शीघ्र खराब होने के कारण डेयरी उद्योग अधिकतर नगरों, औद्योगिक तथा व्यापारिक क्षेत्रों के निकट लगाया जाता है।
  4. निपुण श्रमिक-पशुओं की नस्ल सुधार, दूध दोहने के यन्त्रों का प्रयोग, अनुसन्धान तथा वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग के लिए निपुण श्रमिक चाहिए।
  5. पूंजी-पशुओं के लिए शैड बनाना, डॉक्टरी सहायता देना, चारे की फ़सल उगाने, गोदाम बनाने तथा मशीनों के निर्माण के लिए काफ़ी पूंजी की आवश्यकता होती है।

प्रमुख क्षेत्र (Areas):
संसार के बड़े-बड़े डेयरी क्षेत्र सम-शीत-उष्ण कटिबन्ध में स्थित देशों में हैं।

  1. उत्तर-पश्चिमी यूरोप में इंग्लैण्ड, आयरलैंड, बैल्जियम, डेनमार्क, नीदरलैण्ड, स्विट्ज़रलैण्ड, फ्रांस आदि देशों में डेयरी उद्योग बहुत उन्नत है।
  2. उत्तर-पूर्वी अमेरिकन क्षेत्रों में अन्धमहासागर से लेकर महान् झीलों तक यू० एस० ए० तथा कनाडा में डेयरी उद्योग मिलता है।
  3. ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी भाग न्यूज़ीलैण्ड में।
  4. दक्षिणी अफ्रीका में।
  5. पम्पास घास के मैदानों में।
  6. एशिया में जापान तथा भारत में

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ - 4

विशेषताएं (Characteristics):

  1.  इस कृषि में खाद्यान्नों को चारे की फ़सलों के साथ हेर-फेर के साथ उगाते हैं।
  2. कृषि के लिए वैज्ञानिकादंग प्रयोग किए जाते हैं।
  3. इस कृषि में यन्त्रों, मकानों, गोदामों, खाद तथा श्रमिकों आदि पर बहुत अधिक धन व्यय किया जाता है।
  4. इस कृषि में किसानों की आय के कई साधन बन जाते हैं। बाजार में गिरावट आने से हानि से रक्षा होती है। श्रमिकों को पूरा वर्ष नियमित रूप से काम मिलता रहता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming):
दूध तथा दूध से बने पदार्थ जैसे मक्खन, पनीर, जमाया हुआ दूध, पाऊडर दूध आदि प्राप्त करने के लिए दुधारू पशुओं को पालने के धन्धे को डेयरी फार्मिंग कहते हैं।

आवश्यक भौगोलिक दशाएं (Geographical Conditions):
डेयरी उद्योग के विकास के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाएं अनुकूल होती हैं –

  1. जलवायु-डेयरी उद्योग के लिए सम-शीत-उष्ण जलवायु अनुकूल रहती है।
  2. चरागाहों का होना-दुधारू पशुओं के लिए विशाल प्राकृतिक चरागाहों की आवश्यकता होती है।
  3. मांग क्षेत्रों से समीपता-दूध के शीघ्र खराब होने के कारण डेयरी उद्योग अधिकतर नगरों, औद्योगिक तथा व्यापारिक क्षेत्रों के निकट लगाया जाता है।
  4. निपुण श्रमिक-पशुओं की नस्ल सुधार, दूध दोहने के यन्त्रों का प्रयोग, अनुसन्धान तथा वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग के लिए निपुण श्रमिक चाहिए।
  5. पूंजी-पशुओं के लिए शैड बनाना, डॉक्टरी सहायता देना, चारे की फ़सल उगाने, गोदाम बनाने तथा मशीनों के निर्माण के लिए काफ़ी पूंजी की आवश्यकता होती है।

प्रमुख क्षेत्र (Areas):
संसार के बड़े-बड़े डेयरी क्षेत्र सम-शीत-उष्ण कटिबन्ध में स्थित देशों में हैं।

  1. उत्तर-पश्चिमी यूरोप में इंग्लैण्ड, आयरलैंड, बैल्जियम, डेनमार्क, नीदरलैण्ड, स्विट्ज़रलैण्ड, फ्रांस आदि देशों में डेयरी उद्योग बहुत उन्नत है।
  2. उत्तर-पूर्वी अमेरिकन क्षेत्रों में अन्धमहासागर से लेकर महान् झीलों तक यू० एस० ए० तथा कनाडा में डेयरी उद्योग मिलता है।
  3. ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी भाग न्यूज़ीलैण्ड में।
  4. दक्षिणी अफ्रीका में।
  5. पम्पास घास के मैदानों में।
  6. एशिया में जापान तथा भारत में
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JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो

1. विकास का अर्थ है
(A) गुणात्मक परिवर्तन
(B) ऋणात्मक परिवर्तन
(C) गुणों में कमी
(D) साधारण परिवर्तन।
उत्तर:
(A) गुणात्मक परिवर्तन

2. आरम्भिक काल में विकास के माप का क्या मापदण्ड था ?
(A) औद्योगिक विकास
(B) कृषि विकास
(C) आर्थिक विकास
(D) जनसंख्या वृद्धि।
उत्तर:
(C) आर्थिक विकास

3. मानवीय विकास का कौन-सा अंग नहीं है ?
(A) अवसर
(B) स्वतन्त्रता
(C) स्वास्थ्य
(D) लोगों की संख्या।
उत्तर:
(D) लोगों की संख्या।

4. मानव विकास सूचकांक का प्रतिपादन कब किया गया ?
(A) 1980
(B) 1985
(C) 1990
(D) 1995.
उत्तर:
(C) 1990

5. मानव विकास का कौन-सा मूल बिन्दु नहीं है ?
(A) संसाधनों तक पहुंच
(B) उत्तम स्वास्थ्य
(C) शिक्षा
(D) उद्योग।
उत्तर:
(D) उद्योग।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

6. समता की राह में कौन-सी बाधा नहीं है ?
(A) लिंग
(B) प्रजाति
(C) जाति
(D) स्वतन्त्रता।
उत्तर:
(D) स्वतन्त्रता।

7. कितने देशों का उच्च विकास सूचकांक है ?
(A) 37
(B) 47
(C) 57
(D) 67
उत्तर:
(C) 57

8. कितने देशों में निम्न सूचकांक है ?
(A) 12
(B) 22
(C) 32
(D) 42.
उत्तर:
(C) 32

9. उच्च विकास सूचकांक का स्कोर क्या है ?
(A) 0.6 से ऊपर
(B) 0.7 से ऊपर
(C) 0.8 से ऊपर
(D) 0.9 से ऊपर।
उत्तर:
(C) 0.8 से ऊपर

10. भारत का सन् 2003 के अनुसार विश्व में मानव सूचकांक के आधार पर स्थान है
(A) 107
(B) 117
(C) 126
(D) 137
उत्तर:
(C) 126

11. कौन-सा देश मानव विकास सूचकांक में विश्व में पहले स्थान पर है ?
(A) कनाडा
(B) नार्वे
(C) आइसलैंड
(D) ऑस्ट्रेलिया।
उत्तर:
(D) ऑस्ट्रेलिया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
समाज के किस वर्ग से मानव विकास की अवधारणा सम्बन्धित है ?
उत्तर:
राष्ट्रों तथा समुदायों से।

प्रश्न 2.
दक्षिण पूर्वी एशिया के दो अर्थशास्त्रियों के नाम लिखो जिन्होंने मानवीय विकास की अवधारणा प्रस्तुत की ?
उत्तर:
डॉ० महबूब-उल-हक तथा प्रो० अमर्त्य सेन।

प्रश्न 3.
किसने मानव सूचकांक का विचार प्रस्तुत किया ?
उत्तर:
पाकिस्तान के अर्थशास्त्री डॉ० महबूब-उल-हक ने 1990 में।

प्रश्न 4.
धनात्मक वृद्धि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
जब धनात्मक रूप से गणों में वद्धि होती है। यह वर्तमान दशाओं में वद्धि से होती है।

प्रश्न 5.
विकास का क्या मापदण्ड था ?
उत्तर:
आर्थिक वृद्धि।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

प्रश्न 6.
मानव विकास के चार स्तम्भों के नाम लिखो।
उत्तर:

  1. समता
  2. सतत् पोषणीयता
  3. उत्पादकता
  4. सशक्तिकरण।

प्रश्न 7.
भारत के किस वर्ग के लोगों के बच्चे विद्यालयों से विरत होते हैं ?
उत्तर:
सामाजिक तथा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग।

प्रश्न 8.
सशक्तिकरण के दो आवश्यक तत्त्व बताओ।
उत्तर:
सुशासन तथा लोकोन्मुखी नीतियां।

प्रश्न 9.
संसाधनों की पहुंच का मापदण्ड बताओ।
उत्तर:
क्रय शक्ति एवं मानव ज्ञान शक्ति।

प्रश्न 10.
ILO को विस्तृत करो।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour or Organisation)।

प्रश्न 11.
UNDP को विस्तत करो।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme)।

प्रश्न 12.
GNH को विस्तृत करो।
उत्तर:
सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (Gross National Happiness)।

प्रश्न 13.
किस देश ने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता की अवधारणा प्रस्तुत की ?
उत्तर;
भूटान।

प्रश्न 14.
कितने देशों में उच्च मानवीय विकास सूचकांक है ?
उत्तर:

प्रश्न 15.
भारत का विश्व में सन् 2005 के अनुसार मानव विकास सूचकांक में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
126.

प्रश्न 16.
सन् 2018 की मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट में भारत का क्या स्थान है ?
उत्तर:
130 वां।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विकास से क्या अभिप्राय है ? इसके तीन मूल बिन्दु बताओ।
उत्तर:
विकास का अर्थ है गुणात्मक परिवर्तन। इसके तीन मूल बिन्दु हैं –
(1) लोगों के जीवन की गुणवत्ता
(2) अवसरों तक पहुंच
(3) लोगों की स्वतन्त्रता।

प्रश्न 2.
डॉ० हक द्वारा प्रस्तुत मानव विकास अवधारणा का वर्णन करो।
उत्तर:
डॉ० महबूब-उल-हक के अनुसार मानव विकास लोगों के उत्तम जीवन के विकल्पों में वृद्धि करता है तथा उनके जीवन में सुधार लाता है। सभी प्रकार के विकास का केन्द्र बिन्दु मानव है। इनके विकल्प स्थिर नहीं हैं बल्कि परिवर्तनशील हैं। विकास का मूल उद्देश्य सभी दशाओं को उत्पन्न करना है जिसमें लोग सार्थक जीवन व्यतीत कर सकते हैं। लोग स्वस्थ हों, अपने विवेक और बुद्धि का विकास कर सके तथा अपने उद्देश्य को पूरा करने में स्वतन्त्र हों।

प्रश्न 3.
एक सार्थक जीवन की प्रमुख विशेषताएँ बताओ।
उत्तर:
सार्थक जीवन की प्रमुख विशेषताएं हैं –

  1. दीर्घ तथा स्वस्थ जीवन
  2. ज्ञान में वृद्धि
  3. एक सार्थक जीवन के पर्याप्त साधन।
  4. संसाधनों तक पहुंच।

प्रश्न 4.
कुछ लोगों में आधारभूत विकल्पों को तय करने की क्षमता और स्वतन्त्रता नहीं होती। क्यों ?
उत्तर:
कुछ लोगों में क्षमता तथा स्वतन्त्रता नहीं होती कि वह अपने विकल्प तय कर सकें क्योंकि

  1. उनमें ज्ञान प्राप्त करने की अक्षमता
  2. भौतिक निर्धनता
  3. सामाजिक भेदभाव
  4. संस्थाओं की अक्षमता।

उदाहरण:
एक अशिक्षित बच्चा डॉक्टर बनने का विकल्प नहीं चुन सकता। एक निर्धन बीमारी के लिए चिकित्सा उपचार नहीं चुन सकता क्योंकि उसके संसाधन कम होते हैं।

प्रश्न 5.
प्रो० अमर्त्य सेन के अनुसार मानव विकास की अवधारणा क्या है ?
उत्तर:
अमर्त्य सेन ने विकास का मुख्य ध्येय स्वतन्त्रता में वृद्धि के रूप में देखा। स्वतन्त्रता में वृद्धि ही विकास लाने वाला सर्वाधिक प्रभावशाली माध्यम है। इनका कार्य स्वतन्त्रता की वृद्धि में सामाजिक और राजनीतिक संस्थाओं तथा प्रक्रियाओं की भूमिका का अन्वेषण करता है।

प्रश्न 6.
वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
वृद्धि और विकास दोनों समय के संदर्भ में परिवर्तन को प्रकट करते हैं। वृद्धि मात्रात्मक तथा मूल्य निरपेक्ष है। यह धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों हैं। इसमें वृद्धि तथा ह्रास दोनों हो सकते हैं। विकास का अर्थ गुणात्मक परिवर्तन है। यह मूल्य सापेक्ष होता है। विकास का अर्थ है वर्तमान दशाओं में वृद्धि का होना। विकास का अर्थ है सकारात्मक वृद्धि।

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प्रश्न 7.
सार्थक जीवन की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
सार्थक जीवन केवल दीर्घ नहीं होता। जीवन का कोई उद्देश्य होना आवश्यक है।

  1. लोग स्वस्थ हो।
  2. लोग अपने विवेक और बुद्धि का विकास कर सके।
  3. वे समाज में प्रतिभागिता करें।
  4. अपने उद्देश्य की पूर्ति में स्वतन्त्र हों।

प्रश्न 8.
समता से क्या अभिप्राय है ? इसकी आपूर्ति में क्या रुकावटें हैं ?
उत्तर:
समता का अर्थ है सबको समान अवसर उपलब्ध कराना। यह अवसर समान हों। परन्तु इसके मार्ग में कई अवरोध हैं। जैसे

  1. लिंग
  2. प्रजाति
  3. आय
  4. जाति।

प्रश्न 9.
सतत पोषणीयता का अर्थ क्या है ? इसके लिए किन-किन साधनों का उपयोग आवश्यक है ?
उत्तर:
सतत पोषणीयता का अर्थ है अवसरों में निरन्तरता रखना। प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर प्राप्त हों। इसके लिए निम्न संसाधनों का उपयोग आवश्यक है –

  1. पर्यावरणीय संसाधन
  2. वित्तीय संसाधन
  3. मानव संसाधन।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादकता से क्या अभिप्राय है ? इसमें किस प्रकार वृद्धि की जा सकती है ?
उत्तर:
उत्पादकता का अर्थ है मानव श्रम सेवाओं या सामग्री द्वारा उत्पादन करना अथवा मानव कार्य के सन्दर्भ में उत्पादन क्षमता को बढ़ाना। इसमें वृद्धि करने के उपाय हैं –

  1. लोगों में क्षमताओं का निर्माण करना
  2. लोगों के ज्ञान में वृद्धि करना
  3. बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करके
  4. कार्यक्षमता बेहतर करके।

प्रश्न 2.
सशक्तिकरण से क्या अभिप्राय है ? लोगों को कैसे सशक्त किया जा सकता है ?
उत्तर:
सशक्तिकरण का अर्थ है-अपने विकल्प चुनने के लिए शक्ति प्राप्त करना। ऐसी शक्ति से स्वतन्त्रता और क्षमता बढ़ती है। लोगों को सशक्त करने के उपाय हैं –

  1. सुशासन
  2. लोकोन्मुखी नीतियां
  3. बढ़ती स्वतन्त्रता
  4. बढ़ती क्षमता।

प्रश्न 3.
मानव विकास के चार उपागम बताओ।
उत्तर:

  1. आय उपागम
  2. कल्याण उपागम
  3. आधारभूत आवश्यकता उपागम
  4. क्षमता उपागम।

प्रश्न 4.
Human Development Index (HDI) किन तत्त्वों द्वारा मापा जाता है ? इसका स्कोर क्या है ?
उत्तर:
HDI के मूल सूचक हैं –

  1. स्वास्थ्य
  2. शिक्षा
  3. संसाधनों तक पहुंच इसका स्कोर 0-1 तक है।

प्रश्न 5.
Human Development Index (HDI) सर्वाधिक विश्वसनीय माप नहीं है। क्यों ?
उत्तर:

  1. यह मानव ग़रीबी का सही मापक नहीं है।
  2. यह बिना आय वाला माप है।
  3. प्रौढ़ निरक्षरता तथा ग़रीबी सूचकांक मानव विकास का अधिक उद्घाटित करने वाला है।

प्रश्न 6.
सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (GNH) से क्या अभिप्राय है ? इसके प्रमुख तत्त्व बताओ।
उत्तर:
भूटान विश्व में अकेला देश है जिसमें (GNH) की अवधारणा प्रस्तुत की जोकि विकास का मापक है। प्रसन्नता की कीमत पर भौतिक प्रगति नहीं होती। (GNH) हमें विकास के आध्यात्मिक, भौतिकता, गुणात्मक पक्षों के सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

प्रश्न 7.
मानव विकास के मापन के तीन प्रमुख क्षेत्रों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास के मापन के क्षेत्र
1. स्वास्थ्य- यह सूचक जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) को दर्शाता है। विश्व की औसत जीवन प्रत्याशा 65 वर्ष है।
2. शिक्षा-प्रौढ़ साक्षरता दर पढ़ और लिख सकने वाले व वयस्कों की संख्या और विद्यालयों में नामांकित बच्चों की संख्या दर्शाती है।
3. संसाधनों तक पहुंच को क्रय शक्ति तथा प्रति व्यक्ति आय के संदर्भ में मापा जाता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
मानवीय विकास से क्या अभिप्राय है? इस विचारधारा को प्रष्ट करो। मानवीय विकास के निर्धारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
मानवीय विकास (Human Development):
विकास एक प्रगतिशील विचारधारा है। यह किसी प्रदेश के संसाधनों के विकास के लिए अधिकतम शोषण की प्रक्रिया है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी प्रदेश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इस सन्दर्भ में भूगोल वेत्ता विकसित देशों तथा विकासशील देशों के शब्द प्रयोग करते हैं। मानव भूतल पर सर्वोत्तम प्राणी है। मानव ने भूतल पर अनेक परिवर्तन किए हैं। विज्ञान, शिक्षा तथा प्रौद्योगिकी में बहुत विकास हुआ है।

फिर भी सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में अन्तर-प्रादेशिक विभिन्नताएं पाई जाती हैं। विकास से अभिप्राय एक ऐसे वातावरण की रचना करना है जिसमें प्रत्येक शिशु को शिक्षा प्राप्त हो, कोई भी मानव स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित न हो, जहां प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमताओं को पूरा कर प्रयोग कर सके। मानवीय विकास के सूचक (Indicators of Human Development) विश्व बैंक प्रति वर्ष विश्व विकास करके प्रस्तुत करता है।

इसमें उत्पादन, खपत, मांग, ऊर्जा, वित्त, व्यापार, जनसंख्या वृद्धि, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के 177 देशों के आँकड़े एकत्रित किए जाते हैं। यह रिपोर्ट कुछ सूचकों पर आधारित होती है। मानवीय विकास के तीन मूल घटक हैं –
(1) जीवन अवधि
(2) ज्ञान
(3) रहन-सहन का स्तर।

सन् 2018 में भारत का विश्व में मानवीय विकास में 130वां स्थान है जबकि नार्वे का पहला स्थान है। मानवीय विकास के प्रमुख सूचक निम्नलिखित हैं –
(1) जन्म पर जीवन अवधि
(2) साक्षरता
(3) प्रति व्यक्ति आय
(4) जनसंख्यात्मक विशेषताएं जैसे कि शिशु मृत्यु-दर, प्राकृतिक वृद्धि दर, आयु वर्ग आदि।

1.जन्म पर जीवन अवधि (Life expectancy at Birth):
जीवन अवधि से अभिप्राय है कि एक नवजात शिश के कितने वर्ष तक जीने की आशा है। यह विभिन्न देशों में विभिन्न है। विकसित तथा विकासशील देशों के लोगों की जीवन अवधि में अन्तर मिलते हैं। विश्व में औसत रूप से यह आयु 65 वर्ष है। उत्तरी अमेरिका में जीवन अवधि 77 वर्ष है जो कि सबसे अधिक है।

अफ्रीका में सबसे कम जीवन अवधि 54 वर्ष है। विकसित देशों में शिक्षा, पौष्टिक भोजन, चिकित्सा तथा रहन-सहन स्तर अधिक होने से जीवन अवधि अधिक है। भारत में यह 69 वर्ष हैं। विकासशील देशों में कम जीवन अवधि, बीमारियों, अशिक्षा, बेकारी तथा निर्धनता के कारण हैं। विकसित देशों में सीनीयर नागरिकों का प्रतिशत अधिक है जबकि विकासशील देशों में 65 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों की संख्या कम है।

2. साक्षरता (Literacy):
किसी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक विकास का साक्षरता एक विश्वसनीय तथा महत्त्वपूर्ण सूचक है। निर्धनता को दूर करने के लिए साक्षरता अनिवार्य है। साक्षरता जनसांख्यिकीय विशेषताओं जैसे जन्म-दर, मृत्यु-दर, व्यवसाय आदि पर प्रभाव डालती है। विकसित देशों में साक्षरता दर 90% से अधिक है जबकि विकासशील देशों में साक्षरता दर 60% से भी कम है। अधिकतर विकासशील देशों में स्त्रियों की साक्षरता दर कम है तथा समाज में स्त्रियों का स्थान निम्न है। स्त्रियों के लिए रोज़गार के अवसर भी कम हैं। भारत में स्त्रियों की साक्षरता दर 54% है जबकि पुरुषों की साक्षरता दर 75% है।

3. प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income):
किसी देश में प्रति व्यक्ति आय के मापदण्ड GDP तथा GNP मानवीय विकास के प्रमुख सूचक हैं। उच्च प्रति व्यक्ति आय के कारण देश में अधिक विकास होता है। विकसित देशों में श्रमिक विकासशील देशों के श्रमिकों की अपेक्षा अधिक कमाते हैं। यूरोप के कई देशों में GDP का मूल्य $2000 अधिक है जबकि एशिया तथा अफ्रीका के कई देशों में यह मूल्य $100 से भी कम है। विकासशील देशों में कम GDP मूल्य के कारण वस्तु-उत्पादन निम्न है तथा सेवाएं कम प्राप्त हैं।

4. जनसांख्यिकीय विशेषताएं (Demographic Characteristics):
किसी देश के जनसांख्यिकीय लक्षणों पर देश के आर्थिक विकास का विशेष प्रभाव पड़ता है। इसीलिए विकसित तथा विकासशील देशों की जनसंख्या में विशेष अन्तर पाए जाते हैं।
(क) शिशु मृत्यु दर विकासशील देशों में अधिक होती है। लोगों को भोजन तथा दवाइयों की प्राप्ति नहीं होती। कम साक्षरता दर भी एक कारण है।
(ख) जनसंख्या वृद्धि दर-जन्म-दर तथा मृत्यु-दर में अन्तर के कारण जनसंख्या वृद्धि दर भी विकासशील देशों में अधिक होती है। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ता है। अफ्रीका के देशों में जन्म-दर 40 प्रति हजार से भी अधिक है। जबकि विकसित देशों में जन्म-दर 10 प्रति हज़ार से भी कम है।
(ग) आयु वर्ग (Age Group)-विकासशील देशों तथा विकसित देशों के आयु वर्गों में भी अन्तर मिलता है। विकासशील देशों में आश्रित वर्ग (बच्चों) का अनुपात अधिक होता है। परन्तु विकसित देशों में आश्रित वर्ग की जनसंख्या कम होती है। – इस प्रकार उपरोक्त कारकों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि विश्व में मानवीय विकास असमान है।

इससे विभिन्न प्रकार के समाज तथा आर्थिकता का जन्म होता है, इसलिए दो प्रकार देश पाए जाते हैं –
(1) विकसित देश
(2) विकासशील देश।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

प्रश्न 2.
प्रवास से क्या अभिप्राय है ? इसके क्या कारण हैं ? इसके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
प्रवास (Migration):
जनसंख्या की गतिशीलता का एक महत्त्वपूर्ण घटक प्रवास है। यह जनसंख्या तथा संसाधनों में एक सन्तुलन स्थापित करने का प्रयत्न है। सामान्यतः प्रवास मानव को अपने निवास स्थान से किसी दूसरे स्थान पर जा कर निवास करने से होता है। प्रजननता (Fertility) तथा मृत्यु क्रम (Motality) की अपेक्षा जनसंख्या संरचना में प्रवास का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रवास स्थायी अथवा अस्थाई हो सकता है।

प्रवास की धाराएं (Streams of Migration):
प्रवास के निम्नलिखित प्रकार हैं –

  1. ग्रामों से नगर की ओर।
  2. नगर से ग्राम की ओर।
  3. ग्राम से ग्राम की ओर।
  4. नगर से नगर की ओर।

इसके अतिरिक्त प्रवास के सामान्य प्रकार अग्रलिखित हैं –
1. मौसमी प्रवास (Seasonal Migration):
अस्थायी प्रवास मौसमी होता है। गहन कृषि में श्रमिकों की आवश्यकता के लिए श्रमिक प्रवास कर जाते हैं। कई बार एक मौसम से अधिक समय के प्रवास स्थायी रूप धारण कर लेता है।

2. अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास (International IvMigration):
यह प्रवास अन्तर्राष्ट्रीय होता है। यह थोड़े समय में जनसंख्या संरचना में परिवर्तन कर देता है। पिछले दशकों में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में बहुत वृद्धि हुई है। युद्धों के कारण कई क्षेत्रों में शरणार्थी प्रवास कर रहे हैं। इस शताब्दी के शुरू में U.N.O. के अनुसार 12 करोड़ लोग विदेशों में बस गए हैं जिनमें 1.5 करोड़ शरणार्थी हैं।

3. आन्तरिक प्रवास (Internal Migration):
यह प्रवास व्यापक रूप से होता है। लाखों लोग ग्राम रोज़गार की तलाश में प्रवास करते हैं। यह आकर्षक कारक (Pull Factors) तथा प्रत्याकर्षक कारकों (Push factors) द्वारा होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता, बेरोजगारी, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण लोग नगरों की ओर प्रवास करते हैं जहाँ उच्च वेतन. सस्ती भमि. रहन-सहन तथा विकास की उच्च सेवाएं प्राप्त होती हैं। नगरों में कई झुग्गी-झोंपड़ी क्षेत्र बन जाते हैं।

4. ग्रामीण प्रवास (Rural Niigatiers):
कई बार एक ग्रामीण क्षेत्र से दूसरे ग्रामीण क्षेत्र में प्रवास होता है जहां उन्नत कृषि होती है तथा नई तकनीकों के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।

प्रश्न 3.
विकसित तथा विकासशील देशों में विकास की तुलना करो।
उत्तर:

विकासशील देश (Developing Countries) विकसित देश (Developed Countries)
(1) इन देशों में प्रति व्यक्ति आय कम है तथा पूंजी की कमी है। (1) इन देशों में प्रति व्यक्ति आय अधिक है तथा पूंजी सुविधापूर्वक प्राप्त है।
(2) प्राथमिक उद्योग जैसे कृषि वानिकी, खान खोदना, मत्स्यन राष्ट्रीय आर्थिकता में प्रमुख हैं। (2) निर्माण उद्योग प्रमुख हैं।
(3) कृषि में लगभग 70% लोग कार्य करते हैं। (3) लगभग 10% जनसंख्या कृषि में लगी है।
(4) निर्वाह कृषि प्रचलित है जिसमें छोटे-छोटे खेत हैं तथा प्रति हेक्टेयर उपज कम है। (4) व्यापारिक कृछि प्रचलित है, खेतों का आकार बड़ा है तथा उपज अधिक है।
(5) लगभग 80% जनसंख्या ग्रामीण है। (5) 80% जनसंख्या नगरीय है।
(6) जन्म-दर तथा मृत्यु-दर उच्च है, जीवन प्रत्याशा अवधि कम है तथा जनसंख्या वृद्धि दर अधिक (6) जन्म-दर तथा मृत्यु-दर कम है, जीवन प्रत्याशा अवधि अधिक है तथा जनसंख्या वृद्धि दर कम
(7) असन्तुलित भोजन के कारण भुखमरी है। (7) सन्तुलित भोजन प्राप्त है।
(8) बीमारियों की अधिकता है तथा चिकित्सा सुविधाएं कम हैं। (8) उत्तम चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त हैं।
(9) आवास की कमी तथा सफ़ाई की कमी के कारण सामाजिक हालत अच्छी नहीं है। (9) सामाजिक हालत अच्छी हैं क्योंकि सफ़ाई तथा आवास सुविधाएं हैं।
(10) शिक्षा की कमी है तथा वैज्ञानिक उन्नति कम है। (10) शिक्षा का अधिक प्रसार है तथा विज्ञान तथा तकनीकी ज्ञान अधिक है।
(11) स्त्रियों को समाज में उत्तम स्थान प्राप्त नहीं है। (11) स्त्रियों तथा पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त हैं।

प्रश्न 4.
मानव विकास के चार स्तम्भों के नाम लिखो। प्रत्येक का उदाहरण सहित वर्णन करें।
उत्तर:
मानव विकास के चार स्तम्भ
(Four Pillars of Human Development)
जिस प्रकार किसी इमारत को स्तम्भों का सहारा होता है उसी प्रकार मानव विकास का विचार भी
(1) समता
(2) सतत् पोषणीयता
(3) उत्पादकता और
(4) सशक्तिकरण की संकल्पनाओं पर आश्रित है।

1. समता (Equity):
समता का आशय प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुंच की व्यवस्था करना है। लोगों को उपलब्ध अवसर लिंग, प्रजाति, आय और भारत के सन्दर्भ में जाति के भेदभाव के विचार के बिना समान होने चाहिए।
उदाहरण:
भारत में स्त्रियाँ और सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए वर्गों के व्यक्ति बड़ी संख्या में विद्यालय से विरत होते हैं।

2. सतत् पोषणीयता (Sustainability):
सतत् पोषणीय मानव विकास के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिले। समस्त पर्यावरणीय वित्तीय एवं मानव संसाधनों का उपयोग भविष्य को ध्यान में रख कर करना चाहिए। निर्वहन का अर्थ है अवसरों की उपलब्धता में निरन्तरता। इन संसाधनों में से किसी भी एक का दुरुपयोग भावी पीढ़ियों के लिए अवसरों को कम करेगा।
उदाहरण:
बालिकाओं का विद्यालय भेजा जाना एक अच्छा उदाहरण है।

3. उत्पादकता (Productivity):
यहाँ उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम द्वारा अवसरों का उत्पादन अथवा मानव कार्य के सन्दर्भ में सेवा अथवा सामग्री का उत्पादन है। लोगों में क्षमताओं का निर्माण करके ऐसी उत्पादकता में निरन्तर वद्धि की जानी चाहिए। अंतत: जन-समदाय ही राष्ट्रों के वास्तविक धन होते हैं। इस प्रकार उनके ज्ञान को बढ़ाने के प्रयास अथवा उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने में उनकी कार्यक्षमता बेहतर होगी।

4. सशक्तिकरण (Empowerment):
सशक्तिकरण का अर्थ है-अपने विकल्प चुनने के लिए शक्ति प्राप्त करना। ऐसी शक्ति बढ़ती हुई स्वतन्त्रता और क्षमता से आती है। लोगों को सशक्त करने के लिए सुशासन एवं लोकोन्मुखी नीतियों की आवश्यकता होती है। सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए समूहों के सशक्तिकरण का विशेष महत्त्व है।

प्रश्न 5.
मानव विकास के विभिन्न उपागमों का वर्णन करो।
उत्तर:
मानव विकास के उपागम-मानवक विकास की समस्या को देखने के अनेक ढंग हैं।

कुछ महत्त्वपूर्ण उपागम हैं –
(क) आय उपागम
(ख) कल्याण उपागम
(ग) न्यूनतम आवश्यकता उपागम
(घ) क्षमता उपागम।
मानव विकास का मापन-मानव विकास सूचकांक (HDI) स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुंच जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निष्पादन के आधार पर देशों का क्रम तैयार करता है। यह क्रम 0 से 1 के बीच के स्कोर पर आधारित होता है जो एक देश, मानव विकास के महत्त्वपूर्ण सूचकों में अपने रिकार्ड से प्राप्त करता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 4 मानव विकास

मानव विकास के सूचक (Indicators):
(1) जन्म के समय जीवन-प्रत्याशा।
(2) प्रौढ़ साक्षरता दर और सकल नामांकन अनुपात ज्ञान तक पहुँच को प्रदर्शित करते हैं।
(3) संसाधनों तक पहुंच को क्रय शक्ति के सन्दर्भ में मापा जाता है।

इनमें से प्रत्येक आयाम को 1/3 भारिता दी जाती है। मानव विकास सूचकांक इन सभी आयामों को दिए गए भारों का कुल योग होता है। स्कोर, 1 के जितना निकट होता है मानव विकास का स्तर उतना ही अधिक होता है। इस प्रकार 0.983 का स्कोर अति उच्च स्तर का जबकि 0.268 मानव विकास का अत्यन्त निम्न स्तर का माना जाएगा।

मानव विकास के उपागम
(Approaches of Human Development):

(i) आय उपागम (Income Approach):
यह मानव विकास के सबसे पुराने उपागमों में से एक है। इसमें मानव विकास को आय के साथ जोड़ कर देखा जाता है। विचार यह है कि आय का स्तर किसी व्यक्ति द्वारा भोगी जा रही स्वतन्त्रता के स्तर को परिलक्षित करता है। आय का स्तर ऊँचा होने पर, मानव विकास का स्तर भी ऊंचा होगा।

(ii) कल्याण उपागम (Welfare Approach):
यह उपागम मानव को लाभार्थी अथवा सभी विकासात्मक गतिविधियों के लक्ष्य के रूप में देखता है। यह उपागम शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सुख-साधनों पर उच्चतर सरकारी व्यय का तर्क देता है। लोग विकास में प्रतिभोगी नहीं हैं किन्तु वे केवल निष्क्रिय प्राप्तकर्ता हैं। सरकार कल्याण पर अधिकतम व्यय करके मानव विकास के स्तरों में वृद्धि करने के लिए जिम्मेदार है।

(iii) आधारभूत आवश्यकता उपागम (Basic Needs Approach):
इस उपागम को मूल रूप से अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने प्रस्तावित किया था। इसमें छ: न्यूनतम आवश्यकताओं जैसे-स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जलापूर्ति, स्वच्छता और आवास की पहचान की गई थी। इसमें मानव विकल्पों के प्रश्न की उपेक्षा की गई है और पारिभाषित वर्गों की मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्था पर जोर दिया गया है।

(iv) क्षमता उपागम (Capability Approach);
इस उपागम का सम्बन्ध प्रो० अमर्त्य सेन से है। संसाधनों तक पहुँच के क्षेत्रों में मानव क्षमताओं का निर्माण बढ़ते मानव विकास की कुंजी है।

प्रश्न 6.
मानव विकास सूचकांक का वितरण उच्च, मध्य तथा निम्न मूल्य के आधार पर करो।
उत्तर:
प्रदेश देश के आकार और प्रति व्यक्ति आय का मानव विकास से प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं है। प्रायः मानव विकास में बड़े देशों की अपेक्षा छोटे देशों का कार्य बेहतर रहा है। इसी प्रकार मानव विकास में अपेक्षाकृत निर्धन राष्ट्रों का कोटि-क्रम धनी पड़ोसियों से ऊँचा रहा है।
उदाहरण:
अपेक्षाकृत छोटी अर्थव्यवस्थाएँ होते हुए भी श्रीलंका, ट्रिनिडाड और टोबैगो का मानव विकास सूचकांक भारत से ऊँचा है। इसी प्रकार कम प्रति व्यक्ति आय के बावजूद मानव विकास में केरल का प्रदर्शन पंजाब और गुजरात से कहीं बेहतर है।

वितरण (Distribution):
अर्जित मानव विकास स्कोर के आधार पर देशों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
मानव विकास : संवर्ग, मानदण्ड और देश-2005

मानव विकास
का स्तर
मानव विकास
सूचकांक का स्कोर
देशों की
संख्या
उच्च 0.8 से ऊपर 57
मध्यम 0.5 से 0.799 के बीच 88
निम्न 0.5 से नीचे 32

(क) उच्च मानव विकास सूचकांक मूल्य वाले देश-उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देश वे हैं जिनका स्कोर.0.8 से ऊपर है। मानव विकास प्रतिवेदन 2005 के अनुसार इस वर्ग में 57 देश सम्मिलित हैं।
सर्वाधिक उच्च मूल्य सूचकांक वाले 10 देश-2005

क्रम सं० देश
1 नार्वे
2 आइसलैंड
3 ऑस्ट्रेलिया
4 लक्ज़मबर्ग
5 कनाडा
6 स्वीडन
7 स्विट्ज़रलैंड
8 आयरलैण्ड
9 बेल्जियम
10 संयुक्त राष्ट्र।

कारण:

  1. शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है।
  2. उच्च मानव विकास वाले देशों में सामाजिक खंड में बहुत निवेश हुआ है।
  3. यहां सुशासन है।

(ख) मध्यम मानव विकास सूचकांक मूल्य. वाले देश-मानव विकास में मध्यम स्तरों वाले देशों का वर्ग विशाल है। इस वर्ग में कुल 88 देश हैं।
कारण:

  1. इस वर्ग के अधिकतर देश विकासशील देश हैं।
  2. कुछ देश पूर्वकालीन उपनिवेश थे।
  3. अनेक देशों का विकास 1990 ई० में तत्कालीन सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् हुआ।
  4. इन देशों में लोकोन्मुखी नीतियां हैं तथा सामाजिक भेदभाव नहीं।
  5. इन देशों में सामाजिक विविधता अधिक है।
  6. अधिकतर देशों को राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक विद्रोह का सामना करना पड़ा है।

(ग) निम्न मानव विकास सूचकांक वाले देश-इस वर्ग में 32 देश हैं।
कारण:

  1. अधिकतर छोटे-छोटे देश हैं।
  2. इन देशों में राजनीतिक उपद्रव, गृहयुद्ध, सामाजिक स्थिरता, अकाल तथा बीमारियां होती रही हैं। इन देशों में . मानव विकास को बेहतर बनाने की आवश्यकता है।
  3. निम्न स्तर के लिए संस्कृति या धर्म या समुदाय को दोष देना ग़लत है।
  4. निम्न स्तर वाले देशों में सुरक्षा पर अधिक व्यय होता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. वस्तुओं की गुणवत्ता किस कारक पर निर्भर नहीं
(A) परिवहन
(B) संचार
(C) व्यापार
(D) उत्पादन मात्रा।
उत्तर:
(D) उत्पादन मात्रा।

2. परिवहन किस को सहायक नहीं है ?
(A) सहकारिता
(B) एकता
(C) सुरक्षा
(D) आखेट।
उत्तर:
(D) आखेट।

3. कौन-सा साधन एक द्वार से दूसरे द्वार तक सेवा प्रदान करता है ?
(A) रेलें
(B) सड़कें
(C) वायुमार्ग
(D) पाईप लाइनें।
उत्तर:
(B) सड़कें

4. किस साधन द्वारा उच्च मूल्य वाली हल्की वस्तुओं का परिवहन होता है ?
(A) रेलें
(B) सड़कें
(C) वायुमार्ग
(D) जलमार्ग।
उत्तर:
(C) वायुमार्ग

5. कौन-सा परिवहन साधन भारी वस्तुएं अधिक मात्रा में ले जाने के लिए उपयुक्त है ?
(A) सड़कें
(B) रेलें
(C) वायुमार्ग
(D) पाइपलाइनें।
उत्तर:
(B) रेलें

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6. प्रथम सार्वजनिक रेलमार्ग कब आरम्भ की गई ?
(A) 1815
(B) 1825
(C) 1830
(D) 1835.
उत्तर:
(B) 1825

7. किस वस्तु का पाइपलाइनों द्वारा परिवहन नहीं होता है ?
(A) खनिज तेल
(B) गैस
(C) जल
(D) कोयला।
उत्तर:
(D) कोयला।

8. कौन-सा साधन भारी सामान वाहक है ? .
(A) नाव
(B) वैगन
(C) ऊंट
(D) बारज।
उत्तर:
(D) बारज।

9. किस देश में अब भी मानव द्वारा गाड़ियां खींची जाती हैं
(A) कोरिया
(B) जापान
(C) चीन
(D) रूस।
उत्तर:
(C) चीन

10. किस प्रदेश में रेडियर बोझा ढोने वाला पशु है
(A) अफ्रीका
(B) ऑस्ट्रेलिया
(C) साइबेरिया
(D) दक्षिणी अमेरिका।
उत्तर:
(C) साइबेरिया

11. भारत में सबसे लम्बा राष्ट्रीय महामार्ग कौन-सा है ?
(A) NH 5
(B) NH6
(C) NH 7
(D) NH 8.
उत्तर:
(C) NH 7

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12. मानक मापक की रेल की पटरी की चौड़ाई है
(A) 1.5 मीटर
(B) 1.44 मीटर
(C) 1 मीटर
(D) 0.75 मीटर।
उत्तर:
(C) 1 मीटर

13. ऑस्ट्रेलियन राष्ट्रीय रेलमार्ग इन स्थानों को जोड़ती है ?
(A) पर्थ से सिडनी।
(B) डारविन से मेलबोर्न
(C) ब्रिसबेन से एडीलेड
(D) सिडनी से कालगुर्ली।
उत्तर:
(A) पर्थ से सिडनी।

14. उस्पलाटा दर्रा कहां स्थित है ?
(A) एंडीज़ पर्वत
(B) राकी पर्वत
(C) आल्पस पर्वत
(D) हिमालय पर्वत।
उत्तर:
(A) एंडीज़ पर्वत

15. क्टांगा-जांबिया तांबा क्षेत्र में रेलमार्ग है ?
(A) तंजानिया
(B) बेग्रेएला
(C) ज़िम्बाब्बे
(D) ब्लू रेल।
उत्तर:
(B) बेग्रेएला

16. ट्रांस कनेडियन रेलमार्ग कब आरम्भ हुआ ?
(A) 1876
(B) 1886
(C) 1896
(D) 1898.
उत्तर:
(B) 1886

17. स्वेज नहर का निर्माण कब हुआ ?
(A) 1849
(B) 1859
(C) 1869
(D) 1879.
उत्तर:
(C) 1869

18. संसार में सब से लम्बा महामार्ग कौन-सा है ?
(A) पैन अमेरिकन
(B) ट्रांस कनेडियन
(C) ग्रांड ट्रंक
(D) ग्रेट दक्कन।
उत्तर:
(A) पैन अमेरिकन

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19. संसार में सबसे लम्बा रेलमार्ग कौन-सा है ?
(A) यूनियन पैसिफ़िक
(B) कनेडियन नैशनल
(C) ट्रांस साइबेरियन
(D) ट्रांस एण्डियन।
उत्तर:
(C) ट्रांस साइबेरियन

20. स्वेज नहर किन सागरों को जोड़ती है ?
(A) भूमध्य सागर तथा रक्त सागर
(B) काला सागर तथा भूमध्य सागर
(C) उत्तरी सागर तथा बाल्टिक सागर
(D) बाल्टिक तथा श्वेत सागर।
उत्तर:
(A) भूमध्य सागर तथा रक्त सागर

21. पनामा नहर किन सागरों को जोड़ती है ?
(A) अन्ध महासागर तथा हिन्द महासागर
(B) प्रशान्त तथा हिन्द महासागर
(C) अन्ध महासागर तथा प्रशान्त महासागर
(D) भूमध्य सागर तथा रक्त सागर।
उत्तर:
(C) अन्ध महासागर तथा प्रशान्त महासागर

22. महामार्गों की चौड़ाई है
(A) 50 मीटर
(B) 60 मीटर
(C) 70 मीटर
(D) 80 मीटर।
उत्तर:
(D) 80 मीटर।

23. ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग के पूर्वी छोर पर स्थित स्टेशन है ?
(A) हनोई
(B) शंघाई
(C) टोक्यिो
(D) व्लाडी वास्टेक।
उत्तर:
(D) व्लाडी वास्टेक।

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24. ट्रांस कनेडियन रेलमार्ग के पश्चिमी छोर पर स्थित स्टेशन है ?
(A) मांट्रियाल
(B) सेन फ्रांसिस्को
(C) वेनकूवर
(D) सेंट जॉन।
उत्तर:
(C) वेनकूवर

25. ‘आर्य भट्ट’ कब अंतरिक्ष में छोड़ा गया ?
(A) 1980
(B) 1979
(C) 1981
(D) 1975.
उत्तर:
(D) 1975

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
उन तीन तत्त्वों के नाम लिखो जो एक स्थान पर इकट्ठे नहीं मिलते।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधन, आर्थिक क्रियाएं तथा बाजार।

प्रश्न 2.
कौन-से तीन कारक उत्पादक केन्द्रों तथा खपत केन्द्रों को जोड़ते हैं ?
उत्तर:
परिवहन, संचार तथा व्यापार।

प्रश्न 3.
परिवहन ने किस प्रकार एक विशिष्ट रूप धारण किया है ?
उत्तर:
परिवहन योजक तथा वाहक उपलब्ध कराता है जिनके माध्यम से व्यापार सम्भव होता है।

प्रश्न 4.
परिवहन जाल क्या होता है ?
उत्तर:
अनेक स्थान जिन्हें परस्पर मार्गों की श्रेणियों द्वारा जोड़ दिए जाने पर जिस प्रारूप का निर्माण होता है, उसे परिवहन जाल कहते हैं।

प्रश्न 5.
विश्व में परिवहन के मुख्य साधन बताओ।
उत्तर:
स्थल, जल, वायु और पाईप-लाइन।

प्रश्न 6.
आरम्भिक दिनों में किन पशुओं को बोझा ढोने के लिए प्रयोग किया जाता था ?
उत्तर:
खच्चर, घोड़े, ऊंट।

प्रश्न 7.
पहिए के आविष्कार से पूर्व कौन-से परिवहन साधन थे ?
उत्तर:
पालतू पशुओं द्वारा परिवहन का कार्य किया जाता था।

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प्रश्न 8.
सर्वप्रथम रेल कब और कहां आरम्भ हुई ?
उत्तर:
पहली सार्वजनिक रेलवे 1825 में सटॉक्टन तथा डार्लिंगटन के मध्य आरम्भ हुई।

प्रश्न 9.
सड़क परिवहन में किस आविष्कार के कारण क्रान्ति हुई ?
उत्तर:
अंतर्दहन इंजन।

प्रश्न 10.
उन तीन आर्थिक पक्षों के नाम बताओ जहां सड़कें महत्त्वपूर्ण हैं ?
उत्तर:
व्यापार, वाणिज्य, पर्यटन।

प्रश्न 11.
संसार में मोटर वाहन सड़कों की कुल लम्बाई बताओ।
उत्तर:
लगभग 15 मिलियन कि० मी०।।

प्रश्न 12.
नगरों में सड़कों पर ट्रैफिक शीर्ष बिन्दु पर कब होता है ?
उत्तर:
काम के समय से पहले तथा पश्चात्।

प्रश्न 13.
उत्तरी अमेरिका में महामार्गों का घनत्व क्या है ?
उत्तर:
0.65 कि० मी० प्रति वर्ग कि० मी०।

प्रश्न 14.
ट्रांस कनेडियन महामार्ग किन दो नगरों को जोड़ता है ?
उत्तर:
वेनकूवर तथा सेंट जॉन।

प्रश्न 15.
अलास्का महामार्ग किन दो नगरों को जोड़ता है ?
उत्तर:
एडमंटन तथा एनकोरेज।

प्रश्न 16.
डार्विन तथा मेलबोर्न को जोड़ने वाले महामार्ग का नाम लिखो।
उत्तर:
ट्रांस महाद्वीपीय स्टुअरट महामार्ग।

प्रश्न 17.
चीन तथा तिब्बत में बने नए महामार्ग द्वारा किन स्थानों को जोड़ा गया है ?
उत्तर:
चेंगटू तथा ल्हासा।

प्रश्न 18.
अफ्रीका के किन दो महानगरों को एक महाद्वीपीय महामार्ग जोड़ता है ?
उत्तर:
काहिरा तथा केपटाऊन।

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प्रश्न 19.
रेलमार्गों की विभिन्न गेजों की चौड़ाई कितनी है ?
उत्तर:
(1) बड़ी लाइन-1.5 मीटर से अधिक
(2) मानक लाइन-1.44 मीटर
(3) मीटर लाइन–1 मीटर।

प्रश्न 20.
किन देशों में कंप्यूटर रेलें लोकप्रिय हैं ?
उत्तर:
इंग्लैंड, संयुक्त राज्य, जापान तथा भारत में लाखों यात्री प्रतिदिन नगरों की ओर तथा वापिस यात्रा करते हैं।

प्रश्न 21.
किस देश में सर्वाधिक रेल घनत्व है ?
उत्तर:
बेल्जियम-1 कि० मी० प्रति 6.5 वर्ग कि० मी०।

प्रश्न 22.
यूरोप के किन तीन नगरों में भूमिगत रेलमार्ग हैं ?
उत्तर:
लन्दन, पेरिस, मास्को।

प्रश्न 23.
लन्दन तथा पेरिस को जोड़ने वाली सुरंग बताओ।
उत्तर:
यूरो चैनल सुरंग।

प्रश्न 24.
पश्चिम-पूर्व ऑस्ट्रेलियन द्वारा कौन-से दो नगर जोड़े गए हैं ?
उत्तर:
पर्थ तथा सिडनी।

प्रश्न 25.
दक्षिणी अमेरिका की एक पार महाद्वीपीय रेलमार्ग बताओ। यह किस दर्रे से गुजरती है ?
उत्तर:
ट्रांस एण्डियन रेलमार्ग जो वालप्रेसो तथा ब्यूनस आयर्स को जोड़ती है तथा उस्पलाटा ! (3900 मीटर) से गुज़रती है।

प्रश्न 26.
ब्लू ट्रेन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
एक रेलमार्ग जो दक्षिण अफ्रीका में केपटाऊन से प्रीटोरिया तक जाता है।

प्रश्न 27.
ऑस्टेलियन पार महाद्वीपीय रेलमार्ग पर स्थित दो खनन नगर बताओ।
उत्तर:
कालगुर्ली तथा ब्रोकन हिल।

प्रश्न 28.
आरियंट एक्सप्रेस रेलमार्ग किन स्थानों को जोड़ती है ?
उत्तर:
पेरिस तथा इस्तंबुल।।

प्रश्न 29.
प्रस्तावित ट्रांस एशियाटिक रेलमार्ग किन देशों को जोड़ेगी ?
उत्तर:
इरान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, म्यानमार।

प्रश्न 30.
स्वेज नहर के दो छोरों पर स्थित पत्तन बताओ।
उत्तर:
पोर्ट सईद (उत्तर) तथा पोर्ट स्वेज़ (दक्षिण)।

प्रश्न 31.
स्वेज नहर पर स्थित तीन झीलें बताओ।
उत्तर:
तिमशा झील, ग्रेट बिटर झील, लिटल बिटर झील।

प्रश्न 32.
पनामा नहर के दो छोरों पर स्थित पत्तन बताओ।
उत्तर:
कोलोन अन्ध महासागर तथा पनामा प्रशान्त महासागर।

प्रश्न 33.
पनामा नहर की तीन द्वार प्रणालियां बताओ।
उत्तर:
गातुन, पेडरो मिकुएल, मीरा फ्लोरज़।

प्रश्न 34.
किस देश में राईन जलमार्ग बहता है ?
उत्तर:
जर्मनी तथा नीदरलैंड में (रोटरडम) से बेसिल (स्विट्ज़रलैंड) तक।

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प्रश्न 35.
कौन-सी नहर मास्को को काला सागर तक जोड़ती है ?
उत्तर:
बाल्गा-मास्को नहर तथा वाल्गा-डान नहर।

प्रश्न 36.
उत्तरी अमेरिका में एक आन्तरिक जलमार्ग बताओ।
उत्तर:
सेंट लारेंस नदी-महान् झीलें।

प्रश्न 37.
विश्व में कितनी वाणिज्यक एयर लाइनें हैं ?
उत्तर:
लगभग 250.

प्रश्न 38.
एशिया में एक प्रस्तावित पाइपलाइन बताओ।
उत्तर:
प्रस्तावित पाइपलाइन इरान-पाकिस्तान-भारत तेल गैस पाइपलाइन है।

प्रश्न 39.
इंटरनेट से कितने लोग विश्व से जुड़े हैं ?
उत्तर:
लगभग 1000 मिलियन।

प्रश्न 40.
APPLE का विस्तार करें।
उत्तर:
Asian Passenger Pay Load Experiment.

प्रश्न 41.
किस प्रकार का परिवहन भारी तथा बड़ी वस्तुओं के कम मूल्य पर अधिक दूरी के परिवहन के लिए उपयुक्त है?
उत्तर:
जल मार्ग।

प्रश्न 42.
निम्नलिखित में से किस जलमार्ग ने भारत तथा यूरोप के मध्य दूरी अत्यधिक कम की है –
(i) राईन जल मार्ग
(ii) आशा अन्तरीय मार्ग
(iii) स्वेज नहर
(iv) पनामा नहर।
उत्तर:
स्वेज नहर।

प्रश्न 43.
उस रेलवे लाईन जो एक महाद्वीप के आर-पार गुजरती है तथा इसके दोनों सिरों को जोड़ती है, को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग।

प्रश्न 44.
उस प्रसिद्ध पेट्रोलियम पाइप लाईन का नाम लिखो जो खाड़ी मैक्सिको के तेल कुओं को उत्तरी पूर्वी राज्यों (यू-एस-ए) से जोड़ती है?
उत्तर:
बिग इंच पाईप लाईन।

प्रश्न 45.
वैश्विक संचार तंत्र के किस ग्रन्थ ने क्रान्ति ला दी है ?
उत्तर:
विद्युतीय प्रौद्योगिकी।

प्रश्न 46.
स्वेज नहर किन दो सागरों को मिलाती है ?
उत्तर:
भूमध्य सागर तथा रक्त सागर।

प्रश्न 47.
वृहद् ट्रंक मार्ग किन दो क्षेत्रों को मिलाता है ?
उत्तर:
पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका।

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प्रश्न 48.
बिंग इंच क्या है ?
उत्तर:
बिंग इंच एक तेल पाइप लाइन है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘विशाल उत्पादन और विनिमय की प्रणाली अत्यन्त जटिल है’ व्याख्या करें।
उत्तर:
प्रत्येक देश उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन करता है जिसके लिए वहां आदर्श दशाएं उपलब्ध होती हैं। ऐसी वस्तुओं का व्यापार एवं विनिमय परिवहन और संचार पर निर्भर करता है। इसी प्रकार जीवन स्तर व जीवन की गुणवत्ता भी दक्ष परिवहन, संचार एवं व्यापार पर निर्भर है।

प्रश्न 2.
परिवहन के विभिन्न साधन बताओ। इनके द्वारा विभिन्न वस्तुओं का परिवहन बताओ।
उत्तर:
परिवहन व्यक्तियों और वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक वहन करने की सेवा को कहते हैं। इसमें मनुष्य, पशु तथा विभिन्न प्रकार की गाड़ियों का प्रयोग किया जाता है। ये परिवहन साधन स्थल, जल तथा वायु पर कार्य करते हैं।

  1. स्थल परिवहन-इनमें सड़कें तथा रेलें शामिल हैं।
  2. जल परिवहन-इनमें जहाज़ी मार्ग तथा जलमार्ग शामिल हैं।
  3. वायु परिवहन-ये उच्च मूल्य वस्तुओं का परिवहन करते हैं।
  4. पाइप लाइनें– इनके द्वारा पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा तरल पदार्थों का परिवहन होता है।

प्रश्न 3.
परिवहन साधन का महत्त्व किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
परिवहन साधनों का महत्त्व निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –

  1. परिवहन की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार।
  2. परिवहन की लागत।
  3. उपलब्ध परिवहन साधन।

प्रश्न 4.
स्थल परिवहन तथा जल परिवहन साधनों में नए परिवर्तनों का वर्णन करें।
उत्तर:
पाइपलाइनें, राजमार्गों तथा तार मार्गों का प्रयोग स्थल परिवहन में होने लगा है। पाइपलाइनों द्वारा तरल पदार्थों-खनिज तेल, जल, अवतल और नाली मल का परिवहन होता है। रेलमार्ग, समुद्री पोत, बजरे, नौकाएं, मोटर, ट्रक बड़े मालवाहक हैं।

प्रश्न 5.
पक्की सड़कों तथा कच्ची सड़कों की उपयोगिता की तुलना करो।
उत्तर:
सड़कें दो प्रकार की हैं –
(i) कच्ची
(ii) पक्की।
(i) कच्ची सड़कें – ये सरल सड़कें हैं, जो सतह पर बनाई जाती हैं। ये सभी ऋतुओं में अधिक प्रभावशाली तथा वाहन योग्य नहीं हैं। वर्षा ऋतु में ये वहन योग्य नहीं होती।
(ii) पक्की सड़कें – ये ईंटों तथा पत्थरों से बनाई जाती हैं। ये ठोस होती हैं। परन्तु वर्षा ऋतु में तथा बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में इनको हानि पहुंचती है। इनके किनारों के साथ ऊंची दीवारें बना कर सुरक्षित किया जाता है।

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प्रश्न 6.
चीन में प्रमुख नगरों को जोड़ने वाले महामार्गों का वर्णन करो।
उत्तर:
चीन में महामार्ग प्रमुख नगरों को जोड़ते हुए देश में क्रिस-क्रॉस करते हैं।
उदाहरण:

  1. ये शांसो (वियतनाम सीमा के समीप)
  2. शंघाई (मध्य चीन)
  3. ग्वांगजाओ (दक्षिण) एवं बीजिंग उत्तर को परस्पर जोड़ते हैं। एक नवीन महामार्ग तिब्बती क्षेत्र में चेगडू को ल्हासा से जोड़ता है।

प्रश्न 7.
भारत के दो प्रमुख महामार्गों का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में अनेक महामार्ग पाए जाते हैं जो प्रमुख शहरों और नगरों को जोड़ते हैं।

  1. उदाहरणस्वरूप राष्ट्रीय महामार्ग संख्या 7 जो वाराणसी को कन्याकुमारी से जोड़ता है, देश का सबसे लम्बा राष्ट्रीय महामार्ग है।
  2. निर्माणाधीन स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral) अथवा द्रुतमार्गों के द्वारा प्रमुख महानगरों नयी दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई, कोलकाता तथा हैदराबाद को जोड़ने की योजना है।

प्रश्न 8.
सीमावर्ती सड़कों से क्या अभिप्राय है ? इनके क्या कार्य हैं ?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के सहारे बनाई गई सड़कों को सीमावर्ती सड़कें कहा जाता है। ये सड़कें सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रमुख नगरों से जोड़ने और प्रतिरक्षा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रायः सभी देशों में गाँवों एवं सैन्य शिविरों तक वस्तुओं को पहुँचाने के लिए ऐसी सड़कें पाई जाती हैं।

प्रश्न 9.
ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग को जोड़ने वाले योजक मार्ग बताओ।
उत्तर:
इस रेलमार्ग को दक्षिण से जोड़ने वाले योजक मार्ग भी हैं, जैसे ओडेसा (यूक्रेन), कैस्पियन तट पर बाकू, ताशकंद (उज़्बेकिस्तान), उलन बटोर (मंगोलिया) और रोनयांग (मक्देन) चीन में बीजिंग की ओर।।

प्रश्न 10.
जल मार्गों के लाभ बताओ।
उत्तर:
जल परिवहन के महत्त्वपूर्ण लाभों में से एक यह है कि इसमें मार्गों का निर्माण नहीं करना पड़ता। महासागर एक-दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। इनमें विभिन्न आकार के जहाज़ चल सकते हैं। आवश्यकता केवल दोनों छोरों पर पत्तन सुविधाएं प्रदान करने की हैं। यह परिवहन बहुत सस्ता पड़ता है क्योंकि जल का घर्षण स्थल की अपेक्षा बहुत कम होता है। जल परिवहन की ऊर्जा लागत की अपेक्षाकृत कम होती है।

प्रश्न 11.
कई नदियों की नौगम्यता को किस प्रकार बढ़ाया गया है ?
उत्तर:

  1. नदी तल को गहरा करके
  2. नदी तल को स्थिर करके
  3. नदियों पर बांध बना कर इस जल प्रवाह को नियन्त्रित करके।

प्रश्न 12.
महान् झीलों तथा सेंटलारेंस समुद्री मार्ग का वर्णन करो।
उत्तर:
वृहद झीलें सेंटलारेंस समुद्री मार्ग-उत्तरी अमेरिका की वृहद् झीलें सुपीरियर, यूरन, इरी तथा ओंटारियो, सू नहर तथा वलैंड नहर के द्वारा जुड़े हुए हैं, तथा आन्तरिक जलमार्ग की सुविधा प्रदान करते हैं। सेंट लॉरेंस नदी की एश्चुअरी वृहद् झीलों के साथ उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग में विशिष्ट वाणिज्यिक जलमार्ग का निर्माण करती है।

प्रश्न 13.
दक्षिणी गोलार्द्ध में 10-35° अक्षांश के मध्य वायु सेवाएं सीमित क्यों हैं ?
उत्तर:

  1. विरल जनसंख्या के कारण
  2. सीमित स्थल खण्ड के कारण
  3. सीमित आर्थिक विकास के कारण।

प्रश्न 14.
अंतःस्थलीय जलमार्गों के विकास के लिए उत्तरदायी तीन कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नदियां, नहरें तथा झीलें महत्त्वपूर्ण अंत: स्थलीय जलमार्ग हैं। अंत:स्थलीय जलमार्गों का विकास निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –

  1. जलधारा की चौड़ाई एवं गहराई-कई नदियों में नाव्यता बढ़ाने के लिए सुधार किए गए हैं।
  2. जल प्रवाह की निरंतरता-जल प्रवाह की निरंतरता को बनाए रखने के लिए बांधों तथा बराजों का निर्माण किया गया है।
  3. परिवहन प्रौद्योगिकी का प्रयोग नदी में पानी की एक निश्चित गहराई को बनाए रखने के लिए उसकी तलहटी से सिल्ट तथा बालू निकालकर सफ़ाई करना।

प्रश्न 15.
सड़क परिवहन सुविधाजनक क्यों होता है ?
उत्तर:
आधुनिक युग में सड़कें स्थल यातायात का मुख्य साधन हैं। छोटी दूरी के लिए सड़कें एक सस्ता परिवहन साधन है। सड़कों द्वारा तीव्र गति से परिवहन सम्भव है। सड़क परिवहन द्वारा उत्पादन वस्तुएं उपभोक्ता के द्वार तक पहँचाई जा सकती हैं। ऊँचे-नीचे प्रदेशों पर भी सड़क परिवहन सम्भव है। सड़कों द्वारा थोड़े में निर्मित माल बाजारों तक भेजा जा सकता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

प्रश्न 16.
ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग के आर्थिक महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
टांस-साइबेरियन रेलमार्ग रूस के पर्वी भाग, साइबेरिया तथा यराल प्रदेश को जोड़ती है। इस रेल मार्ग से साइबेरिया के आर्थिक विकास में सहायता मिली है। इस रेलमार्ग द्वारा पूर्वी क्षेत्र को मशीनरी तथा लोहा भेजा जाता है। साइबेरिया से पश्चिम की ओर खाद्यान्न, लकड़ी तथा कोयला भेजा जाता है। इस रेलमार्ग के उत्तर तथा दक्षिण की ओर नदियों द्वारा माल ढोया जाता है। इस व्यापारिक मार्ग पर साइबेरिया के मुख्य नगर स्थित हैं। इस रेलमार्ग के विकास से साइबेरिया में जनसंख्या की घनत्व बढ़ी है।

प्रश्न 17.
परिवहन जाल को संक्षिप्त में परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अनेक स्थान जिन्हें परस्पर मार्गों की श्रेणियों द्वारा जोड़ दिए जाने पर जिस प्रारूप का निर्माण होता है उसे परिवहन जाल कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘परिवहन एक संगठित सेक उद्योग है’ व्याख्या करो।
उत्तर:

  1. परिवहन समाज की आधारभूत आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए रचा गया एक संगठित सेवा उद्योग है।
  2. इसके अन्तर्गत परिवहन मार्गों, लोगों और वस्तुओं के वहन हेतु गाड़ियों, मार्गों के रख-रखाव और लदान, उतराव तथा वितरण का निपटान करने के लिए संस्थाओं का समावेश किया जाता है।
  3. प्रत्येक देश ने प्रतिरक्षा उद्देश्यों के लिए विभिन्न प्रकार के परिवहन का विकास किया है।
  4. दक्ष संचार व्यवस्था से युक्त आश्वासित एवं तीव्रगामी परिवहन प्रकीर्ण लोगों के बीच सहयोग एवं एकता को प्रोन्नत करता है।

प्रश्न 2.
विभिन्न देशों में बोझा ढोने वाले पशुओं का वर्णन करो। उत्तर-बोझा ढोने वाले पशु

  1. घोड़ा (Horse) – घोड़ों का प्रयोग पश्चिमी देशों में भी भारवाही पशुओं के रूप में किया जाता है।
  2. कुत्ते एवं रेडियर (Dogs and Reindeer) – कुत्तों एव रेडियरों का प्रयोग उत्तरी अमेरिका, उत्तरी यूरोप और साइबेरिया के हिमाच्छादित मैदानों में स्लेज को खींचने के लिए किया जाता है।
  3. खच्चर (Mules) – पर्वतीय प्रदेशों में खच्चरों को वरीयता दी जाती है।
  4. ऊँट (Camel) – ऊँटों का प्रयोग मरुस्थलीय क्षेत्रों में कारवानों के संचालन में किया जाता है।
  5. बैल (Bullock) – भारत में बैलों का प्रयोग छकड़ों को खींचने में किया जाता है।

प्रश्न 3.
अफ्रीका महाद्वीप के प्रमुख रेलमार्गों का वर्णन करो। ये किन-किन खनन क्षेत्रों को जोड़ती हैं ?
उत्तर:
दूसरा विशालतम महाद्वीप होने के बावजूद अफ्रीका में केवल 40,000 कि०मी० लम्बे रेलमार्ग हैं जिनमें से सोने, हीरे के सान्द्रण और ताँबा-खनन क्रियाकलापों के कारण अकेले दक्षिण अफ्रीका में 18,000 कि०मी० लम्बे रेलमार्ग हैं।

महाद्वीप के प्रमुख रेलमार्ग हैं –

  1. बेंगुएला रेलमार्ग जो अंगोला से कटंगा-जांबिया ताँबे की पेटी से होकर जाता है;
  2. तंजानिया रेलमार्ग जांबिया ताम्र पेटी से तट पर स्थित दार-ए-सलाम तक;
  3. बोसवाना और जिंबाब्वे से होते हुए रेलमार्ग जो स्थलरुद्ध राज्यों को दक्षिण अफ्रीकी रेलतन्त्र से जोड़ता है; और
  4. दक्षिण अफ्रीका गणतन्त्र में केपटाउन से प्रेटोरिया तक ब्लू ट्रेन।

प्रश्न 4.
महामार्गों से क्या अभिप्राय है ? इनकी विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
महामार्ग (Highway) – महामार्ग दूरस्थ स्थानों को जोड़ने वाली पक्की सड़कें होती हैं जो कि अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाए जाते हैं। इनका रख-रखाव केन्द्र एवं राज्य सरकारें करती हैं।

विशेषताएं:

  1. इनका निर्माण इस प्रकार से किया जाता है कि अबाधित रूप से यातायात का आवागमन हो सके।
  2. यातायात के अबाधित प्रवाह की सुविधा के लिए अलग-अलग यातायात लेन बनाए जाते हैं।
  3. ये पुलों, फ्लाईओवरों और दोहरे वाहन मार्गों से युक्त होते हैं।
  4. ये 80 मीटर चौड़ी सड़कें होती हैं।
  5. विकसित देशों में प्रत्येक नगर और पत्तन नगर महामार्गों द्वारा जुड़े हुए हैं।

प्रश्न 5.
राइन जलमार्ग का वर्णन करो।
उत्तर:
राइन जलमार्ग (Rhine Waterway):
राइन नदी जर्मनी और नीदरलैंड से होकर प्रवाहित होती है। नीदरलैण्ड में रोटरर्डम में अपने मुहाने से लेकर स्विटज़लैण्ड में बेसल तक यह 700 कि०मी० लम्बाई में नौकायन योग्य हैं। सामुद्रिक पोत कोलोन तक पहुँच सकते हैं। रूर नदी पूर्व से आकर राइन नदी में मिलती है। यह नदी एक सम्पन्न यला क्षेत्र से होकर प्रवाहित होती है तथा सम्पूर्ण नदी बेसिन विनिर्माण क्षेत्र की दृष्टि से अत्यधिक सम्पन्न है। इस प्रदेश में डसलडोर्क राइन नदी पर स्थित पत्तन है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

रूर के दक्षिण में फैली पट्टी से होकर भारी वस्तुओं का आवागमन होता है। यह जलमार्ग विश्व का अत्यधिक प्रयोग में लाया जाने वाला जलमार्ग है। प्रतिवर्ष 20,000 से अधिक समुद्री जलयान तथा लगभग 2 लाख आन्तरिक मालवाहक पोत वस्तुओं एवं सामग्रियों का आदान-प्रदान करते हैं। यह जलमार्ग स्विटरज़लैण्ड, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम तथा नीदरलैण्ड के औद्योगिक क्षेत्रों को उत्तरी अटलांटिक समुद्री मार्ग से जोड़ता है।

प्रश्न 6.
पाइप लाइनों का विस्तृत उपभोग खनिज तेल और प्राकृतिक गैस जैसी सामग्रियों का परिवहन करने के लिए क्यों होता है ?
उत्तर:
पाइप लाइन-पाइप लाइनों का अधिक प्रयोग तरल तथा गैस पदार्थों, जैसे जल, खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस, के परिवहन के लिए किया जाता है, क्योंकि इसमें इनका प्रवाह सतत् बना रहता है। हम लोग पाइप लाइनों द्वारा जल तथा खनिज तेल की आपूर्ति के बारे में पहले से परिचित हैं। संसार के अनेक भागों में खाना-पकाने की गैस (एल०पी०जी०) की आपूर्ति पाइप लाइनों द्वारा ही की जाती है। पानी के साथ मिलाकर कोयले के चूर्ण का परिवहन भी पाइप लाइनों के द्वारा किया जा सकता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में तेल को उत्पादन क्षेत्रों से उपभोग क्षेत्रों तक ले जाने के लिए पाइप लाइनों का सघन जाल बिछा हुआ है।इनमें सबसे प्रसिद्ध पाइप लाइन ‘बिग इंच’ है, जो कि खाड़ी के तटीय कुओं से प्राप्त तेल को उत्तरी-पूर्वी भाग में पहुँचाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में कुल प्रति टन किलोमीटर माल ढुलाई का 17 प्रतिशत पाइप लाइन द्वारा ही ढोया जाता है।

यूरोप, पश्चिमी एशिया, रूस और भारत में तेल कुओं को परिष्करणशालाओं एवं आन्तरिक बाज़ार से जोड़ने के लिए पाइप लाइनों का ही प्रयोग किया जाता है। एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्राकृतिक गैस पहुँचाने के लिए भी पाइप लाइन का अधिक प्रयोग होता है। पूर्वी यूरोपीय देशों में यूराल और वोल्गा के बीच के तेल कुओं को जोड़ने के लिए बनाई गई कामेकान नामक पाइप लाइन 4800 कि० मी० लम्बी है, जो संसार की एक सबसे लम्बी पाइप लाइन है।

प्रश्न 7.
यातायात के साधन किसी देश की जीवन रेखाएं क्यों कही जाती हैं ?
उत्तर:
यातायात के साधन राष्ट्ररूपी शरीर की धमनियां हैं। किसी भी देश की आर्थिक व सामाजिक उन्नति यातायात के साधनों के विकास पर निर्भर है। देश के प्राकृतिक साधनों का पूरा लाभ उठाने के लिए इन साधनों का विकास आवश्यक है। परिवहन साधन व्यापार तथा उद्योगों की आधारशिला हैं।

देश के दूर-दूर स्थित भागों को यातायात साधनों द्वारा मिलाकर एक राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का निर्माण होता है। इस प्रकार यातायात के साधन राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में सहायक होते हैं। विभिन्न प्रदेशों में मानव तथा पदार्थों की गतिशीलता यातायात के साधनों पर निर्भर करती है। जिस प्रकार शरीर में नाड़ियों द्वारा रक्त प्रवाह होता है उसी प्रकार किसी देश में सड़कों, रेलमार्गों, जलमार्गों आदि द्वारा व्यापारिक वस्तुओं का आदान-प्रदान होता है। इसलिए यातायात के साधनों को देश की जीवन रेखाएं कहा जाता है।

प्रश्न 8.
“यातायात और संचार साधनों के आधुनिक विकास ने संसार को छोटा कर दिया है,” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यातायात और संचार साधनों के विकास से मानव ने समय और दूरी पर विजय प्राप्त कर ली है। तेज गति वाले परिवहन साधनों द्वारा दूरस्थ स्थानों को कम समय में पहुंचा जा सकता है। पृथ्वी पर दूर-दूर स्थित भू-भाग एक-दूसरे के निकट आ रहे हैं। आधुनिक साधनों विशेषकर वायुयानों के कारण परिवहन भूगोल में दूरी के तत्त्व में बहुत परिवर्तन हुए हैं। प्राचीन समय में यातायात के प्रमुख साधन स्थलमार्ग थे। ये साधन कठिन तथा धीमी गति वाले थे जिससे दूर-दूर स्थित देशों के साथ कोई सम्पर्क नहीं था।

जल-यातायात के विकास के कारण नये-नये क्षेत्रों की खोज की गई, नए समुद्री मार्गों का विकास हुआ तथा दूर-दूर के क्षेत्रों में आना-जाना तथा व्यापार सम्भव हो सका। स्टीम इंजन, तेल इंजन, प्रशीतन भण्डार वाले जलयानों के प्रयोग से जल यातायात अधिक सुविधाजनक हो गया है। वायुयान के आविष्कार से हज़ारों मील दूर स्थित स्थान बिल्कुल पड़ोस में मालूम दिखाई देते हैं और ऐसा लगता है विश्व अब सिकुड़ रहा है। इस प्रकार यातायात तथा संचार के आधुनिक साधनों ने विशाल संसार को इतना छोटा बना दिया है कि दूर से दूर स्थानों तक पहुंचने में मनुष्य को कुछ ही समय लगता है।

प्रश्न 9.
रेलमार्गों के विकास का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
स्थलीय परिवहन में रेलमार्ग एक महत्त्वपूर्ण साधन है। आधुनिक युग में किसी देश में आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक दृष्टि से रेलों का बड़ा महत्त्व है।
महत्त्व –

  1. रेलमार्ग किसी क्षेत्र के खनिज पदार्थों के विकास में सहायता करते हैं।
  2. रेलमार्ग औद्योगिक क्षेत्रों में कच्चे माल तथा तैयार माल के वितरण में सहायता करते हैं।
  3. रेलमार्ग व्यापार को उन्नत करते हैं।
  4. रेलमार्ग राजनीतिक एकता व स्थिरता लाने में योगदान देते हैं।
  5. रेलमार्ग संकट काल में सहायता कार्यों में महत्त्वपूर्ण हैं।
  6. कम जनसंख्या वाले प्रदेशों में रेलमार्ग जनसंख्या वृद्धि का आधार बनते हैं।
  7. लम्बी-लम्बी दूरियों को जोड़ने में रेलों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वास्तव में रेलमार्गों के विकास से मानव ने दूरी और समय पर विजय प्राप्त कर ली है।

प्रश्न 10.
‘परिवहन’ शब्द की परिभाषा दीजिए। उत्तरी अमेरिका के महामार्गों की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिभाषा-व्यक्तियों और वस्तुओं का एक स्थान से दूसरे स्थान तक वहन करने की सेवा को परिवहन कहते हैं जिसमें स्थल, जल तथा वायु परिवहन साधनों का प्रयोग होता है।
उत्तरी अमेरिका के महामार्गों की विशेषताएं –

  1. उत्तरी अमेरिका में महामार्गों का घनत्व उच्च है। यह 0.65 कि० मी० प्रति वर्ग कि०. मी० है। प्रत्येक स्थान महामार्ग से 20 कि० मी० की दूरी पर स्थित हैं।
  2. पश्चिमी प्रशान्त महासागरीय तट पर स्थित नगर पूर्व में अटलांटिक महासागरीय तट पर स्थित नगरों से भली भांति जुड़े हुए हैं।
  3. उत्तर में कनाडा के नगर दक्षिण में मैक्सिको के नगरों से जुड़े हैं। (उत्तर-दक्षिण परिवहन मार्गों द्वारा)
  4. पार कनाडियन महामार्ग, अलास्का महामार्ग तथा पान अमेरिका महामार्ग महत्त्वपूर्ण महामार्ग हैं।

प्रश्न 11.
विश्व का व्यस्ततम समुद्री जल मार्ग कौन-सा है ? इस मार्ग की चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उत्तर अटलांटिक समुद्री जलमार्ग विश्व का व्यस्ततम समुद्री मार्ग है जिस पर विश्व का लगभग \(\frac {1}{4}\) व्यापार होता है।

विशेषताएं –

  1. यह मार्ग विश्व के दो औद्योगिक प्रदेशों-उत्तर पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी यूरोप को मिलाता है।
  2. इसे ‘वृहद् ट्रंक मार्ग’ (Big trunk route) कहा जाता है क्योंकि यह एक लम्बा मार्ग है।
  3. दोनों तटों पर पत्तनों और पोताश्रयों की उन्नत सुविधाएं उपलब्ध हैं। जैसे न्यूयार्क, लन्दन आदि।
  4. किसी भी अन्य मार्ग की अपेक्षा अधिक देशों और लोगों की सेवाएं प्रदान करना है।

अन्तर स्पष्ट करने वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पोताश्रय तथा पत्तन में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

पोताश्रय (Harbour) पत्तन (Port)
(1) पोताश्रय समुद्र में जहाजों के प्रवेश करने का प्राकृतिक स्थान होता है। (1) पत्तन समुद्री तट पर जहाज़ों के ठहरने के स्थान होते हैं।
(2) यहां जहाज़ लहरों तथा तूफ़ान से सुरक्षा प्राप्त  करते हैं। (2) यहां जहाज़ों पर सामान लादने-उतारने की सुविधाएं होती हैं।
(3) ज्वार नद मुख तथा कटे-फटे तट, खाड़ियां  प्राकृतिक पोताश्रय बनाते हैं, जैसे मुम्बई में। (3) यहां कई बस्तियों होती हैं जहां गोदामों की सुविधाएं होती हैं।
(4) जलतोड़ दीवारें बनाकर कृत्रिम पोताश्रय बनाये  जाते हैं। (4) पत्तन व्यापार के द्वार कहे जाते हैं। यहां स्थल तथा समुद्री भाग मिलते हैं।
(5) पोताश्रय में एक विशाल जल क्षेत्र में जहाजों के  आगमन की सुविधाएं होती हैं। (5) पत्तन प्रायः अपनी पृष्ठ-भूमि से रेलों व सड़कों द्वारा जुड़े होते हैं।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय महामार्ग तथा राज्य महामार्गों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

राष्ट्रीय महामार्ग राज्य महामार्ग
(1) यह महामार्ग देश के विभिन्न राज्यों की  राजधानियों को आपस में जोड़ते हैं। (1) यह महामार्ग किसी राज्य के मुख्य नगरों को आपस में जोड़ते हैं।
(2) इन महामार्गों की देखभाल केन्द्रीय सरकार करती है। (2) इन महामार्गों की देखभाल राज्य सरकार करती है।
(3) शेरशाह सूरी मार्ग एक राष्ट्रीय महामार्ग है। (3) अमृतसर-चण्डीगढ़ मार्ग एक राज्य मार्ग है।
राष्ट्रीय महामार्ग राज्य महामार्ग

प्रश्न 3.
परिवहन एवं संचार में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

परिवहन संचार
(1) सन्देश तथा विचारों के भेजने के माध्यमों को संचार दूसरे स्थान तक भेजने के साधनों को परिवहन साधन कहते हैं। (1) उपयोगी वस्तुओं व यात्रियों को एक स्थान से साधन कहते हैं।
(2) रेलें, सड़कें, जलमार्ग तथा वायुमार्ग परिवहन साधन हैं। (2) तार, टेलीफोन, रेडियो आदि संचार साधन हैं।

प्रश्न 4.
स्वेज़ एवं पनामा नहर मार्गों के आर्थिक महत्त्व की तुलनात्मक व्याख्या करो।
उत्तर:
स्वेज़ नहर तथा पनामा नहरों में कई प्रकार की समानताएं तथा विभिन्नताएं मिलती हैं –

स्वेज नहर (Suez. Canal) पनामा नहर (Panama Canal)
(1) स्थिति (Location) – यह मिस्र देश में स्थित है। (1) यह पनामा देश में स्थित है।
(2) अधिकार (Rights) इस नहर पर मिस्त्र देश काअधिकार है। (2) इस नहर पर संयुक्त राज्य का अधिकार है।
(3) देश (Countries) – इसके आसपास उन्नत देश (3) इसके आस-पास कम उन्नत देश हैं।
(4) यातायात (Traffic) – इस में एक तरफ़ा यातायात होता है। (4) इसमें दोनों तरफ से यातायात होता है।
(5) लम्बाई (Length) स्वेज नहर की लम्बाई अधिक (5) पनामा नहर की लम्बाई कम है।
(6) द्वार (Locks) – इस नहर में कोई द्वार प्रणाली नहीं है। (6) इस नहर में जहाज़ द्वार प्रणाली द्वारा ही आ-जा सकते हैं।
(7) धरातल (Relief) – इस नहर का धरातल समतल (7) इस नहर का धरातल पहाड़ी है।
(8) कर (Taxes) – इस नहर से गुजरने वाले जहाजों पर भारी कर लगते हैं। (8) इस नहर से गुजरने वाले जहाज़ों पर कम कर लगते हैं।
(9) यातायात (Traffic) – इस मार्ग पर अधिकयातायात हैं। (9) इस मार्ग पर कम यातायात हैं।
(10) महासागर (Oceans)-यह नहर रूम सागर तथा रक्त सागर को मिलाती है। (10) यह नहर प्रशान्त महासागर तथा अन्धमहासागर को मिलाती है।
(11) प्रयोग (Use)-इसका अधिकतर प्रयोग इंग्लैण्ड द्वारा होता है। (11) इसका अधिकतर प्रयोग अमेरिका से होता है।
(12) कोयला (Coal)-इस मार्ग पर कोयले के पर्याप्त साधन हैं। (12) इस मार्ग पर कोयले के कम साधन हैं।
(13) बन्दरगाह (Ports)-इस मार्ग पर अधिक बन्दरगाह हैं। (13) इस मार्ग पर कम बन्दरगाह हैं।

निबन्धामक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
संसार के प्रमुख समुद्री मार्गों का वर्णन करो। इन मार्गों की विशेषताएं, व्यापार तथा महत्त्व बताओ।
उत्तर:
यातायात के साधनों में समुद्री यातायात सबसे सस्ता तथा महत्त्वपूर्ण साधन है। संसार का अधिकतर व्यापार समुद्री मार्गों द्वारा होता है। जब बहुत से जहाज़ एक निश्चित मार्ग का अनुसरण करते हैं तो उसे समुद्री मार्ग (Ocean Route) कहते हैं। इन मार्गों द्वारा दूर-दूर के देशों से सम्पर्क बढ़े हैं तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि हुई है। संसार के प्रमुख समुद्री मार्ग (Chief Ocean Routes of the World) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मुख्यतः समुद्री मार्ग द्वारा ही होता है। स्थल भाग की अधिकता के कारण मुख्य समुद्री मार्ग मध्य अक्षांशों में स्थित है। संसार के मुख्य समुद्री मार्ग अग्रलिखित हैं –
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार - 1
(1) उत्तरी अन्ध महासागरीय मार्ग।
(2) स्वेज नहर मार्ग।
(3) पनामा नहर मार्ग।
(4) आशा अन्तरीप मार्ग।
(5) प्रशान्त महासागरीय मार्ग।
(6) दक्षिणी अन्ध महासागरीय मार्ग।

1. उत्तरी अन्ध महासागरीय मार्ग (North Atlantic Route)

(i) महत्त्व (Importance):
यह मार्ग 40°-50° उत्तर अक्षांशों में यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका के बीच स्थित है। यह संसार का सबसे व्यस्त व्यापारिक मार्ग है। (This is the busiest route of the world.) संसार के 75% जलयान इस मार्ग पर चलते हैं। संसार के आधे से अधिक बन्दरगाह इस मार्ग पर स्थित हैं। इस मार्ग के सिरों या उत्तरी अमेरिका के उन्नत औद्योगिक प्रदेश हैं। इसलिए संसार का 25% व्यापार इसी मार्ग से होता है। इसे वृहद ट्रंक मार्ग (Big Trunk Route) भी कहते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

(ii) सुविधाएं (Facilities):
यह मार्ग एक महान् वृत्त (Great Circle) है। इस पर कोयला व तेल की सुविधाएं हैं। संसार के गहरे, सुरक्षित बन्दरगाह हैं। यहां बड़े-बड़े शिपयार्ड (Ship Yards) स्थित हैं। परन्तु न्यूयार्क के निकट रेतीले तट, न्यूफाउण्डलैंड के निकट कोहरा (Fog) व हिमखण्ड (Icebergs) की कठिनाइयां हैं।

(iii) बन्दरगाह (Ports):
यूरोप की ओर लन्दन (London), लिवरपूल (Liverpool), ग्लासगो (Glasgow), ओसलो (Oslo), हैम्बर्ग (Hamburg), रोटरडम (Rottardam), लिस्बन (Lisbon) प्रमुख बन्दरगाह हैं। उत्तरी अमेरिका की ओर क्यूबैक (Qubec), मौंट्रियल (Montreal), हैलिफैक्स (Halifax), बोस्टन (Boston), फिलाडैलफिया (Philadelphia) तथा न्यूयार्क (Newyork) प्रमुख बन्दरगाह हैं।

(iv) व्यापार (Trade) पूर्व की ओर (East Bound):
पूर्व की ओर व्यापार अधिक है। कनाडा व संयुक्त राज्य से यूरोप को गेहूं, कपास, कागज़ की लुगदी, पेट्रोल, फल, माँस व डेयरी पदार्थ भेजे जाते हैं।
पश्चिम की ओर (West Bound) यूरोप से उत्तरी अमेरिका की दवाइयां, चाक, चीनी मिट्टी, पाईराइट व अखबारी कागज़ भेजा गया है।

2. स्वेज नहर मार्ग (Suez Canal Route)
(i) महत्त्व (Importance) – यह मार्ग रूम सागर तथा लाल सागर को जोड़ने वाली स्वेज नहर के कारण महत्त्वपूर्ण मार्ग है। यह संसार का दूसरा बड़ा मार्ग है। इसे सबसे अधिक लम्बा मार्ग होने के कारण ग्रांड ट्रंक मार्ग (Grand Trunk Route) कहते हैं। इस मार्ग पर संसार की घनी जनसंख्या वाले प्रदेश स्थित हैं।

(ii) सुविधाएं (Facilities) – इस मार्ग पर कोयला व तेल की सुविधाएं प्राप्त हैं। इस मार्ग के कारण यूरोप तथा एशिया में लगभग 8,000 किलोमीटर की दूरी कम हो गई है। इस नहर द्वारा इंग्लैण्ड के साम्राज्य व व्यापार को बहुत सुरक्षा प्राप्त थी। इसे ब्रिटिश साम्राज्य की जीवन रेखा कहा जाता है। (Suez Route has been called the Life Line of British Empire)।

(iii) बन्दरगाह. (Ports):
रूम सागर व लाल सागर को पार करने के पश्चात् इसकी तीन शाखाएं हो जाती हैं –
(1) अफ्रीका की ओर।
(2) ऑस्ट्रेलिया की ओर।
(3) एशिया की ओर।

पश्चिम की ओर – लन्दन, लिवरपूल, मोर्सेल्ज, लिस्बन, नेपल्स, सिकन्दरिया प्रमुख बन्दरगाह हैं। पूर्व की ओर-अदन (Aden), कराची (Karachi), मुम्बई (Mumbai), कोलकाता (Kolkata), चेन्नई (Chennai), कोलम्बो (Colombo), रंगून (Rangoon), सिंगापुर (Singapore), हांगकांग (Hongkong), शंघाई (Shanghai), याकोहामा (Yokohama), मैल्बोर्न (Melbourne), विलिंगटन (Wellington) प्रमुख बन्दरगाह हैं।

(iv) व्यापार (Trade) पूर्व की ओर (East Bound) – तैयार माल, मशीनें, दवाइयां, रसायन, परिवहन का समान भेजा जाता है। पश्चिम की ओर (West Bound) – पटसन, रेशम, चाय, ऊन, मांस, टिन, रबड़, गर्म मसाले, पेट्रोल, चीनी भेजी जाती है।

3. पनामा नहर मार्ग (Panama Canal Route)
(i) महत्त्व (Importance) – अन्ध महासागर तथा प्रशांत महासागर को मिलाने वाली पनामा नहर के 1914 में निर्माण होने से इस मार्ग का महत्त्व बढ़ गया है। इस मार्ग का विशेष महत्त्व संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड को है।
(ii) सुविधाएं (Facilities) – इस मार्ग के खुल जाने के कारण दक्षिणी अमेरिका के Cape Horn का चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं रही। इस प्रकार अमेरिका के पूर्वी तथा पश्चिमी तटों के बीच 10,000 किलोमीटर दूरी कम हो गई।
(iii) बन्दरगाह (Ports) – पश्चिम की ओर (West Bound)-आकलैंड (Aukland), वालपरेसो (Valpraiso), लॉस ऐंजल्स (Los Angeles), सैन फ्रांसिस्को (San Francisco), वैनकूवर (Vancouver) तथा प्रिंस रूपर्ट (Prince Rupert) प्रमुख बन्दरगाह हैं। पूर्व की ओर (East Bound)-किंगस्टन (Kingston), हवाना (Havana), रियो-डी-जैनेरो (Rio-De-Janeiro), पनामा (Panama), न्यू ओरलियनज (New Orleans) प्रमुख बन्दरगाह हैं।

4. आशा अन्तरीप मार्ग (Cape of Good Hope Route)
(i) महत्त्व (Importance) – यह एक प्राचीन समुद्री मार्ग है। 1498 में वास्कोडिगामा (Vasco Degama) ने इस मार्ग की खोज की। स्वेज़ नहर के बन्द हो जाने के कारण इस मार्ग का महत्त्व बढ़ गया है। यह मार्ग दक्षिणी अफ्रीका,
ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड के लिए महत्त्वपूर्ण है।
(ii) सुविधाएं (Facilities) – यह मार्ग एक महान् वृत्त वाला मार्ग है। इस मार्ग पर कोयला व तेल की सुविधाएं प्राप्त हैं। यह मार्ग स्वेज़ मार्ग की अपेक्षा सस्ता व ठण्डा है तथा बड़े-बड़े जहाज इस मार्ग पर गुज़र सकते हैं।
(iii) बन्दरगाह (Ports)-आशा अन्तरीप से पूर्व की ओर मार्ग के तीन भाग हैं –
(1) अफ्रीका के पूर्वी तट के साथ।
(2) एशिया की ओर।
(3) ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूज़ीलैंड की ओर।

पश्चिम की ओर (West Bound) – लन्दन, लिवरपूल, लिस्बन, लागोस, मानचेस्टर आदि यूरोप के बन्दरगाह हैं।
पूर्व की ओर (East Bound) – केपटाउन (Capetown), एलिजाबेथ (Elizabeth), डरबन (Durban), दार इस्लाम (Dar-e-Slam) एशिया व ऑस्ट्रेलिया के बन्दरगाह हैं।

(iv) व्यापार (Trade) –
पूर्व की ओर (East Bound) – तैयार माल, मशीनें, दवाइयां, मोटरें व कपड़ा भेजा जाता है।
पश्चिम की ओर (West Bound) – गेहूं, पटसन, चाय, चमड़ा, रबड़, डेयरी पदार्थ सोना, ऊन, कपास, तांबा, तम्बाकू आदि भेजा जाता है।

5. प्रशान्त महासागरीय मार्ग (Trans-Pacific Route)
(i) महत्त्व (Importance) – यह मार्ग एशिया तथा अमेरिका महाद्वीपों को मिलाता है। यह मार्ग कम महत्त्वपूर्ण है। इस मार्ग की लम्बाई बहुत अधिक है तथा इसके सिरों पर कम उन्नत प्रदेश हैं।
(ii) सविधाएँ (Facilities) – यह एक महान वत्त है। इस मार्ग पर हिमशिलाओं का अभाव है। इस मार्ग की कई शाखाएं होनोलुल (Honolulu) नामक स्थान पर मिलती हैं, जैसे –
(1) उत्तरी अमेरिका से जापान मार्ग।
(2) उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट से न्यूजीलैंड मार्ग।
(3) उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट से न्यूजीलैंड मार्ग।

(iii) बन्दरगाह (Ports) – पूर्व की ओर-याकोहामा, हांगकांग, शंघाई, मनीला, सिडनी व ऑकलैंड प्रमुख बन्दरगाह हैं। पश्चिम की ओर-वैंकूवर, प्रिंस रूपर्ट, सैन फ्रांसिस्को, लास एंजल्स प्रमुख बन्दरगाह हैं।
(iv) व्यापार (Trade) – एशिया की ओर लकड़ी, लुगदी, गेहूं, मशीनें, पेट्रोल, कागज़, फल तथा दवाइयां भेजी जाती हैं। उत्तरी अमेरिका की ओर-चीनी, पटसन, चाय, रेशम, तेल व खिलौने भेजे जाते हैं।

6. दक्षिणी अन्ध महासागरीय मार्ग (South Atlantic Route) –
(i) महत्त्व (Importance) – यह मार्ग दक्षिणी अमेरिका तथा यूरोप के देशों को मिलाता है।
(ii) सुविधाएं (Facilities) – ब्राजील के केप सन राक (Cape San Roque) से आगे इस मार्ग के दो भाग हो जाते हैं। एक यूरोप को तथा दूसरा उत्तरी अमेरिका की ओर। यहां दक्षिणी अफ्रीका से आने वाले मार्ग भी मिलते हैं।
(iii) बन्दरगाह (Ports) – उत्तर की ओर यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका के प्रसिद्ध बन्दरगाह तथा दक्षिण की ओर ब्यूनस आयर्स (Buenos Aires), मोण्टी-विडियो (Monte-Video), रीयो-डी-जैनेरो (Rio-De-Janeiro), बहिया (Bahia), सैन्टाज़ (Santos) हैं।
(iv) व्यापार (Trade) – दक्षिण की ओर-कोयला, मशीनरी तथा तैयार माल भेजा जाता है। उत्तर की ओर- रबड़, कहवा, चीनी, मांस, शोरा व गेहूं भेजा जाता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

प्रश्न 2.
स्वेज नहर के भौगोलिक, आर्थिक तथा सैनिक महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
स्वेज नहर (Suez Canal):
1. स्थिति (Location) – स्वेज नहर संसार की सबसे भूमध्य सागर बड़ी जहाज़ी नहर (Nevigation Canal) है । यह नहर मित्र (Egypt) में स्थित है। यह नहर स्वेज़ के स्थलडमरू मध्य (Suez Isthmus) को काट कर बनाई गई है।

2. इतिहास (History) – इस नहर का निर्माण एक फ्रांसीसी इन्जीनियर फर्डीनेण्ड डी लैसैप्स (Ferdinand De Lesseps)
मंचाला की देख-रेख में सन् 1859 ई० में शुरू हुआ। इस निर्माण में लगभग 10 वर्ष लगे। इस नहर को 17 नवम्बर, 1869 को चालू किया गया। इसके निर्माण काल में 1 जानें नष्ट हुईं। इस नहर के निर्माण पर 180 लाख पौंड खर्च हुए।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार - 2

इस नहर का निर्माण स्वेज नहर कम्पनी (Suez Canal काहिरा इस्माइलिया ! Company) द्वारा किया गया। इस कम्पनी के अधिकतर हिस्से तिमसा झील (Shares) फ्रांस तथा इंग्लैण्ड के थे। इसके प्रकार इस नहर पर ग्रेट बिटर इंग्लैण्ड तथा फ्रांस को अधिकार था। यह नहर 99 वर्षों के पट्टे पर दी गई थी। परन्तु मिस्र के राष्ट्रपति कर्नल नासिर ने 26 जुलाई, लिटल बिटर 1956 को इस नहर के राष्ट्रीयकरण की घोषणा कर दी। 1967 में मिस्र व इज़राइल में युद्ध हुआ तथा स्वेज़ नहर जहाज़ों के लिए बन्द हो गई। 1975 से स्वेज नहर पुनः खुल गई। -ताजे पानी की नहर पोर्ट स्वेज़

3. सागर तथा बन्दरगाह (Sea and Ports) – यह नहर 1+ रेलमार्ग रक्त सागर (Red Sea) तथा रूम सागर (Mediterranean Sea) स्वज का को मिलाती है। रूम सागर की ओर पोर्ट सईद (Port Said) तथा रक्त सागर की ओर पोर्ट स्वेज़ (Port Suez) के बन्दरगाह हैं। इस नहर की कुल लम्बाई 162 किलोमीटर, चौड़ाई, 60 से 65 मीटर तक तथा कम-से-कम गहराई 10 मीटर है। यह नहर पूरी लम्बाई में समुद्र तल पर बनी है।

इस नहर के मार्ग में नमकीन पानी की तीन झीलें हैं –
(1) लिटिल बिटर झील (Little Bitter Lake)।
(2) ग्रेट बिटर झील (Great Bitter Lake)।
(3) टिमशाह झील (Timshah Lake)।
इस नहर को पार करने में 12 घण्टे लग जाते हैं। जहाज़ औसत रूप से 14 किलोमीटर प्रति घण्टा की गति से चलते हैं। कम चौड़ाई के कारण एक साथ दो जहाज़ नहीं गुजर सकते हैं। इसलिए एक जहाज़ को झील में ठहरा लिया जाता है।

4. महत्त्व (Importance)

  • यह मार्ग संसार की घनी जनसंख्या वाले भाग के मध्य में से गुजरता है।
  • इस मार्ग पर बहुत अधिक देश स्थित हैं जिनके द्वारा विभिन्न वस्तुओं का व्यापार होता है।
  • इस मार्ग पर ईंधन के लिए कोयला व तेल मिल जाते हैं।
  • इस मार्ग पर छोटे-छोटे कई मार्ग मिल जाते हैं।
  • इस मार्ग पर कई उत्तम बन्दरगाहें स्थित हैं।
  • यह नहर तीन महाद्वीपों के केन्द्र पर स्थित है (It is located at the crossroads of three continents)। यहां यूरोप, अफ्रीका तथा एशिया महाद्वीप के लिए मार्ग निकलते हैं।
  • इस नहर द्वारा इंग्लैण्ड के साम्राज्य तथा व्यापार की रक्षा होती रही है। इसलिए इसे ब्रिटिश साम्राज्य की जीवन रेखा (Life Line of British Empire) भी कहते हैं।
  • इस नहर के खुल जाने से दक्षिणी अफ्रीका का चक्कर काटकर आने-जाने की आवश्यकता नहीं रही।

5. व्यापारिक महत्त्व (Commercial Importance) – इस नहर के बन जाने से यूरोप तथा एशिया व सुदूर पूर्व के बीच दूरी काफ़ी कम हो गई है। यह नहर हिन्द महासागर का (Gateway) द्वार है। कई देशों की दूरी की बचत इस प्रकार है –

स्थान से स्थान तक दूरी की बचत
(1) लन्दन खाड़ी फारस 8800 किलोमीटर
(2) लन्दन मुम्बई 8000 किलोमीटर
(3) लन्दन सिंगापुर 6000 किलोमीटर
(4) लन्दन मम्बासा 4800 किलोमीटर
(5) लन्दन जकार्ता 4700 किलोमीटर
(6) लन्दन सिडनी 1500 किलोमीटर
(7) न्यूयार्क मुम्बई 6000 किलोमीटर
(8) न्यूयार्क हांगकांग 4000 किलोमीटर

6. व्यापार (Trade):
इस नहर के कारण एशिया तथा यूरोप के बीच व्यापार अधिक हो गया है। नहर को चौड़ा व गहरा करने के कारण अब औसत रूप में 87 जहाज़ प्रतिदिन गुजर सकते हैं। 1976 में इस नहर से लगभग 20,000 जहाजों ने प्रवेश किया। इस मार्ग पर संसार का 25% व्यापार होता है। इसमें से अधिकतर जहाज़ ब्रिटेन को जाते हैं। 70% जहाज़ तेल वाहक जहाज़ (Oil Tankers) होते हैं। इस मार्ग से यूरोप को कच्चे माल (Raw Materials) जाते हैं तथा युरोप से तैयार माल व मशीनरी एशिया को भेजी जाती है। एशिया की ओर से कपास, पटसन, चाय, खांड, कहवा,’ , ऊन, मांग, डेयरी पदार्थ, रेशम, रबड़, चावल, तांबा, तम्बाकू, चमड़ा आदि पदार्थ यूरोप को भेजे जाते हैं। इस नहर द्वारा भारत का 60% निर्यात तथा 70% आयात व्यापार होता है। परन्तु अब यह व्यापार अन्तरीप मार्ग से होता है।

7. त्रुटियां (Drawbacks):
इस नहर में निम्नलिखित त्रुटियां भी हैं –
(1) यह नहर-कम चौड़ी व कम गहरी है। इसलिए बड़े-बड़े आधुनिक जहाज़ तथा बड़े-बड़े तेल वाहक जहाज़ (Oil Tankers) नहीं गुजर सकते हैं।
(2) यह पक्षीय यातायात होने के कारण नहर पार करने में समय अधिक लगता है।
(3) यह मार्ग बहुत महंगा है। जहाज़ों से बहुत अधिक चुंगी कर (Taxes) वसूल किया जाता है।
(4) दोनों ओर से मरुस्थल की रेत उड़-उड़ कर नहर में गिरती है। इसे साफ करने पर बहुत व्यय करना पड़ता है।

8. भविष्य (Future):
स्वेज़ नहर पर आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने की योजना है। कई बार मिस्र-इजराइल झगड़े के कारण यह नहर बन्द रही है। परन्तु अब संसार का अधिकतर व्यापार आशा अन्तरीप मार्ग पर तेज़ जहाज़ों से होने लग पड़ा है। भविष्य में स्वेज नहर इतनी महत्त्वपूर्ण नहीं होगी। (It will not be the same old romantic Suez Canal.)

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प्रश्न 3.
पनामा नहर के भौगोलिक, आर्थिक व राजनीतिक महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
पनामा नहर (Panama Canal):
1. स्थिति (Location):
यह नहर मध्य अमेरिका (Central America) के पनामा गणराज्य में स्थित है। यह नहर पनामा स्थल डमरू मध्य (Panama Isthmus) को काटकर बनाई गई है।

2. इतिहास (History):
स्वेज नहर की सफलता को देख कर पनामा नहर के निर्माण की योजना बनाई गई। 1882 ई० में फर्डिनेण्ड-डी-लैसैप्स ने इस नहर का निर्माण कार्य आरम्भ किया परन्तु पीले ज्वर तथा मलेरिया के कारण हजारों श्रमिक मर गए। अत: यह प्रयत्न असफल रहा। उसके पश्चात् सन् 1904 में संयुक्त राज्य (U.S.A.) सरकार ने इस नहर का निर्माण आरम्भ किया। यह नहर दस वर्ष में 15 अगस्त, 1914 को बन कर तैयार हुई। इसके निर्माण पर 772 करोड़ पौंड खर्च हुए। यह नहर संयुक्त राज्य के अधीन है। इस नहर के निर्माण में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। इसलिए नहर का सफलतापूर्वक निर्माण आधुनिक विज्ञान की बहुत बड़ी सफलता है। (“The construction of Panama Canal was a great feast of Engineering.”)

इस नहर का निर्माण दो खाड़ियों (Bays), एक कृत्रिम झील (Artificial Lake), एक प्राकृतिक झील (Natural Lake) तथा तीन द्वार प्रणालियों (Lock Systems) द्वारा किया गया है। इस नहर का तल समुद्र तल के समान नहीं है। इसका निर्माण कुलबेरा (Culbera) नामक पहाड़ी को काट कर किया गया है। गातुन (Gatun) नामक कृत्रिम झील बनाई. गई है। इस नहर में तीन स्थानों पर फाटक बनाए गए हैं।

(1) गातुन (Gatun) द्वार
(2) पैड्रो मिग्वल (Padromiguel) द्वार।
(3) मिरा फ्लोर्स (Miraflore) द्वारा।

इन द्वारों को खोलकर जल-स्तर समान किया जाता है। फिर जलयान ऊपर चढ़ाए या नीचे उतारे जाते हैं। यह दोहरी द्वार प्रणाली (Double Lock System) है। इसमें एक ही समय में दोनों ओर से यातायात सम्भव है। इस प्रकार जहाजों को इस नहर में 45 मीटर तक ऊपर चढ़ाना या नीचे उतारना पड़ता है, इस नहर को चार्जेस (Charges) नदी द्वारा जल-विद्युत् प्रदान की जाती है जिससे प्रकाश व जलयानों को खींचने की शक्ति मिलती है।

3. सागर तथा बन्दरगाह (Sea and Ports):
“यह नहर प्रशान्त महासागर (Pacific Ocean) तथा अन्ध महासागर Atlantic Ocean) को मिलाती है। इसे प्रशान्त महासागर का द्वार (Gateway of the Pacific) भी कहते हैं। प्रशान्त तट पर पनामा (Panama) तथा अन्धमहासागर तट पर कालोन (Colon) के बन्दरगाह हैं । यह नहर 81.6 किलोमीटर लम्बी, 12 मीटर गहरी तथा 90 से 300 मीटर चौड़ी है। इस नहर को पार करने में 8 घण्टे लगते हैं। इस नहर में से बड़े-बड़े जहाज़ नहीं गुज़र सकते।

4. महत्त्व (Importance):
(1) इस नहर के निर्माण में अन्ध महासागर तथा प्रशान्त महासागर के बीच दूरी कम हो गई है।” (Panama Canal has changed the element of distance in geography of transport.)” इससे पहले जहाज़ दक्षिणी अमेरिका के (सिरे) केप हार्न (Cape Horm) का चक्कर लगा कर जाते थे। इस नहर से सबसे अधिक लाभ संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A.) को हुआ है। इसके पश्चिमी व पूर्वी तट से ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, दक्षिणी अमेरिका, जापान के बन्दरगाहों की दूरी कम हो गई है। इस नहर के द्वारा यूरोप को कोई विशेष लाभ नहीं है। कई देशों की दूरी की बचत इस प्रकार है –
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स्थान तक दूरी की बचत
(1) न्यूयार्क सान फ्रांसिस्को 13000 किलोमीटर
(2) न्यूयार्क सिडनी 6000 किलोमीटर
(3) न्यूयार्क हांगकांग 7000 किलोमीटर
(4) न्यूयार्क वालपरेसो 6000 किलोमीटर
(5) न्यूयार्क टोकियो 6000 किलोमीटर
(6) न्यूयार्क सिडनी 700 किलोमीटर

(2) इस नहर के कारण पश्चिमी द्वीप समूह (West Indies) का महत्त्व बढ़ गया।
(3) इस नहर के कारण संयुक्त राज्य संकट के समय एक ही नौसेना (Navy) से पश्चिमी व पूर्वी तट की रक्षा कर सकता है।

5. व्यापार (Trade):
इस नहर द्वारा व्यापार में बहुत वृद्धि हुई है। औसत रूप से प्रतिदिन 50 जहाज़ गुजरते हैं। प्रति वर्ष लगभग 15,0000 जहाज़ प्रवेश करते हैं। अन्ध महासागर से प्रशान्त महासागर की ओर अधिक व्यापार होता है। पूर्व की ओर से संयुक्त राज्य व यूरोप को शिल्पी वस्तुएं, खनिज पदार्थ, तेल, मशीनें, दवाइयां, सूती व ऊनी कपड़ा भेजा जाता है। पश्चिम की ओर से डेयरी पदार्थ, मांस, रेशम, रबड़, चाय, तम्बाकू, नारियल, शोरा, तांबा भेजा जाता है।

6. त्रुटियां (Drawbacks):
इस मार्ग में निम्नलिखित दोष हैं –
(1) इस नहर में बड़े-बड़े जहाज़ नहीं गुज़र सकते।
(2) द्वार प्रणाली के कारण काफ़ी असुविधा रहती है।
(3) इस मार्ग पर बन्दरगाह बहुत कम है।
(4) इस नहर के साथ के देश उन्नत नहीं हैं।

7. भविष्य (Future):
दक्षिणी अमेरिका के देश बड़ी तेज़ी से उन्नति कर रहे हैं। इनके विकास के कारण इस मार्ग पर व्यापार बढ़ेगा।

प्रश्न 4.
संसार के प्रमुख रेलमार्गों का वर्णन करो।
उत्तर:
संसार के प्रमुख रेलमार्ग-स्थल मार्गों में रेलमार्ग सबसे महत्त्वपूर्ण है। रेलमार्ग वास्तव में औद्योगिक क्रान्ति की देन है। रेलमार्गों की सबसे अधिक लम्बाई संयुक्त राज्य अमेरिका में है। संसार के कई भागों में अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्गों का विकास हुआ है। यह रेलमार्ग महाद्वीपों के दो विपरीत तटों को मिलाकर देश की एकता को मज़बूत करते हैं । विभिन्न आर्थिक क्रियाओं वाले दूर-दूर स्थित स्थानों को जोड़ते हैं। अधिकतम ऐसे रेलमार्ग विरल जनसंख्या वाले प्रदेशों में मिलते हैं। प्राय: उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र वनों में, गर्म मरुस्थलों तथा शीत प्रदेशों में ऐसे रेलमार्ग मिलते हैं। यह रेलमार्ग इन प्रदेशों के कच्चे माल को औद्योगिक क्षेत्रों तक पहुंचाते हैं।

1.ट्रांस साइबेरियन रेल-मार्ग:
यह रेल मार्ग 9332 कि० मी० लम्बा है तथा संसार में सबसे बड़ा रेलमार्ग है। यह रेलमार्ग साइबेरिया तथा यूराल प्रदेश के आर्थिक तथा औद्योगिक विकास का आधार है। यह एक अन्तर्महाद्वीपीय मार्ग है। यह रेलमार्ग पश्चिम में बाल्टिक सागर पर स्थित सेंट पीटरसवर्ग बन्दरगाह को पूर्व में प्रशान्त महासागर पर स्थित ब्लाडीवोस्टक बन्दरगाह से जोड़ता है। इस रेलमार्ग के मुख्य स्टेशन मास्को, रयाजान, कुईबिशेव, चेलिया बिन्सक, ओमस्क, नोवो सिबीरस्क, चीता, इकूटस्क तथा खाबारोवस्क हैं। इस रेलमार्ग द्वारा कोयला, तेल, लकड़ी, खनिज, कृषि उत्पादन, मशीनरी तथा औद्योगिक उत्पादों का आदान-प्रदान पूर्व से पश्चिम को होता है। इकूटस्क एक फ़र का व्यापारिक केन्द्र है।

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2. कैनेडियन पैसेफिक रेलमार्ग:
यह रेलमार्ग कनाडा के पूर्वी भाग में हैलीफैक्स से चलकर पश्चिम में वैन्कूवर तक पहुंचता है। यह रेलमार्ग दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में से गुजरता है। इस रेलमार्ग में लकड़ी, खनिज पदार्थ, गेहूं व लोहे का परिवहन होता है। इस मार्ग की लम्बाई 7050 कि० मी० है। इस मार्ग पर सेंटजॉन, मांट्रियल, ओटावा, विनीपेग आदि नगर स्थित हैं। यह रेलमार्ग क्यूबेक-मांट्रियल के औद्योगिक क्षेत्र को कोणधारी वनों तथा प्रेयरीज़ के गेहूं प्रदेश से जोड़ता है। इस प्रकार यह रेलमार्ग राजनैतिक तथा आर्थिक रूप से एकता स्थापित करता है। यह क्यूबैक-मांट्रियल प्रेयरी, कोणधारी वन क्षेत्र को जोड़ता है।

3. यूनियन पैसेफिक रेलमार्ग:
यह रेलमार्ग अटलांटिक तट से न्यूयार्क से लेकर शिकागो तथा सानफ्रांसिस्को तथा प्रशांत महासागर तट तक जाता है। शिकागो संसार भर में सबसे बड़ा रेल केन्द्र है।

4. केप-काहिरा रेल-मार्ग:
यह रेल-मार्ग अफ्रीका के दक्षिणी सिरे को उत्तरी सिरे से जोड़ता है। यह रेलमार्ग केपटाऊन से प्रारम्भ होकर काहिरा तक जाता है।

5. ट्रांस एण्डियन रेलमार्ग:
यह रेलमार्ग दक्षिणी अमेरिका में चिल्ली के वालप्रेसो नगर तथा अर्जेन्टीना के ब्यूनस आयर्स नगर को मिलाता है। यह रेलमार्ग एण्डीज पर्वतों को 3485 मीटर की ऊंचाई से पार करके उस्पलाटा दर्रे तथा सुरंगों से गुजरता है। यह पम्पास से कृषि तथा पशुपालन क्षेत्रों को चिल्ली के खनिज तथा फल उत्पादन क्षेत्र से जोड़ता है।

6. ऑस्ट्रेलियन अन्तर्महाद्वीपीय मार्ग-यह मार्ग पूर्व में सिडनी को पश्चिमी तट पर स्थित पर्थ नगर से मिलाता है। यह रेलमार्ग पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के मरुस्थल से गुजरता है।

7. यूरोप – इस महाद्वीप में 4,40,000 कि०मी० लम्बा रेलमार्ग है। बेल्जियम में सर्वाधिक रेल घनत्व है, जो 1 कि० मी० प्रति 6.5 वर्ग कि. मी. है। लन्दन, पेरिस, मिलान, बर्लिन, वारसा मुख्य स्टेशन हैं। चैनल टनल यूरो लन्दन तथा पेरिस को जोड़ता है। लन्दन, पेरिस, मॉस्को में भूमिगत रेल मार्ग है।

8. ओरियण्ट एक्सप्रेस रेलमार्ग पेरिस से इस्तंबुल तक है । प्रस्तावित पारीय-एशिया रेलमार्ग इस्तंबुल से बंकाक तक गुजर कर ईरान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश तथा म्यानमार को मिलाएगी।

प्रश्न 5.
संसार के प्रमुख आन्तरिक जल-मार्गों का वर्णन करो।
उत्तर:
प्रमुख आन्तरिक जल-मार्ग
1. यूरोप –
(i) फ्रांस में सीन तथा रोन नदियां यातायात के लिए प्रयोग की जाती हैं।
(ii) पश्चिमी जर्मनी में राइन (Rhine) नदी सबसे महत्त्वपूर्ण जल-मार्ग है। यह नदी पश्चिमी जर्मनी के व्यापार की जीवन रेखा है। इस नदी द्वारा रूहर घाटी से खनिज पदार्थों का परिवहन किया जाता है।
(iii) यूरोप में कई अन्य नदियां डैन्यूब, वेसर, ऐल्ब, ओडर, विसचूला भी महत्त्वपूर्ण जल-मार्ग हैं।
(iv) रूस में वोल्गा, नीपर नदियां यातायात के साधन के रूप में प्रयोग की जाती हैं। वोल्गा नदी संसार में सबसे बड़ी जलप्रवाह प्रणाली है जो 11200 कि० मी० लम्बी है। वाल्गा-मास्को नहर तथा वाल्गा-डान महत्त्वपूर्ण नहरें हैं जो इसे काला सागर से जोड़ती हैं।

2. उत्तरी अमेरिका उत्तरी अमेरिका में महान् झीलें तथा मिसीसिपी नदी तथा सेंट-लारेंस जल-मार्ग महत्त्वपूर्ण हैं। ग्रेट-लेक सेंट लारेंस जल-मार्ग से जहाज़ 3760 कि० मी० अन्दर तक आ-जा सकते हैं।

3. एशिया-भारत में गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियाँ, चीन में यांगसी नदी तथा बर्मा में इरावदी नदी महत्त्वपूर्ण भीतरी जल-मार्ग है।

4. दक्षिणी अमेरिका-दक्षिणी अमेरिका में अमेजन नदी में तट से 1600 कि०मी० अन्दर तक जहाज चलाए जा सकते हैं। परन्तु कम जनसंख्या तथा पिछड़ेपन के कारण इस घाटी में इस जल-मार्ग का महत्त्व कम है। दक्षिणी अमेरिका में पराना-पेरागुए जल-मार्ग भी महत्त्वपूर्ण है।

5. अफ्रीका- अफ्रीका में नील, नाईजर, कांगो तथा जैम्बजी नदियां जल प्रपातों के कारण अधिक उपयोगी नहीं हैं।

6. अन्य मार्ग-संसार में कई देशों में नहरें भी यातायात के साधन के रूप में प्रयोग की जाती हैं। पश्चिमी जर्मनी में कील नहर और राइन नहर, रूस में वोल्गा-वाल्टिक नहर, उत्तरी अमेरिका में हडसन- मोहाक नहर, इंग्लैण्ड में मानचेस्टर लिवरपूल नहर, भारत में बकिंघम नहर यातायात के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 6.
संसार में सड़क मार्गों के वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
सड़कों का विश्व वितरण-संसार में उन्नत देशों में सड़कों का जाल बिछा हुआ है। औद्योगिक देश कच्चे माल के लिए सड़कों पर निर्भर करते हैं। सड़क मार्गों का विस्तार रेल मार्गों से अधिक है।

1. उत्तरी अमेरिका – उत्तरी अमेरिका के विकसित देशों संयुक्त राज्य तथा कनाडा में सड़कों का जाल बिछा हुआ है। यहां मोटर गाड़ियों की संख्या अधिक है। उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तथा पूर्वी तट पर स्थित नगरों को महामार्गों द्वारा जोड़ा गया है। उत्तर में अलास्का को दक्षिणी चिल्ली तक जोड़ने वाले महामार्ग को पैन अमेरिकन (Pan American) मार्ग कहा जाता है। यह 24500 कि०मी० लम्बा है तथा विश्व में सबसे लम्बा मार्ग है। ट्रांस केनेडियन महामार्ग न्यूफाऊंडलैंड के सेंटजॉन नगर को बैंकूवर नगर से जोड़ता है। इस महाद्वीप में सर्वाधिक सड़क घनत्व है जो 0.65 कि० मी० प्रति वर्ग कि० मी० है।

2. एशिया – एशिया में प्राचीनकाल से ही स्थलमार्गों का महत्त्व रहा है। यात्रियों के काफिले इन महामार्गों पर चलते थे जिन्हें कारवाँ मार्ग कहते थे। चीन में बीजिंग नगर से शंघाई तक सड़क मार्ग हैं। चैंगड़ से एक महामार्ग लहासा तक है।

3. भारत – भारत में अधिकतर पक्की सड़कें दक्षिणी भारत में स्थित हैं। भारत में शेरशाह सूरी मार्ग या ग्रैंड ट्रंक मार्ग (G.T. Road) बड़े-बड़े नगरों को जोड़ती हैं। यह अमृतसर, दिल्ली तथा कोलकाता के बीच राष्ट्रीय मार्ग नं0 1 तथा नं0 2 के रूप में 1856 कि०मी० लम्बी है। भारत का सबसे बड़ा मार्ग राष्ट्रीय मार्ग नं0 7 है जो वाराणसी से कन्याकुमारी तक 2325 कि०मी० लम्बा है। भारत में स्वर्णिम चतुर्भुज मार्ग महानगरों नई दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता को जोड़ता है।

4. अन्य मार्ग-यूरोप में सड़कों का जाल बिछा है। प्रत्येक नगर एवं पत्तन महामार्गों द्वारा जुड़े हुए हैं। अफ्रीका में काहिरा से केपटाऊन मार्ग महत्त्वपूर्ण है। रूस में मास्को नगर कई सड़क मार्गों का केन्द्र है। ऑस्ट्रेलिया में स्टुआर्ट मार्ग पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया को मिलाता है।

प्रश्न 7.
वायु मार्गों का विकास किन तत्त्वों पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
वायु मार्ग महान् वृत्तों के अनुसार बनाए जाते हैं ताकि कम दूरी हो। वायु-परिवहन के लिए अच्छा मौसम हो। धुन्ध, कोहरा, हिमपात और तूफ़ान आदि बाधाएं उत्पन्न कर देते हैं। हवाई अड्डों के लिए समतल भूमि प्राप्त हो। अधिक उन्नत देशों में लोगों के उच्च जीवन स्तर के कारण वाय मार्गों का विकास होता है। निर्धन देश इन साधनों पर अधिक खर्च नहीं कर सकते। आधुनिक युग में युद्ध तथा संकट के लिए वायु सेवा आवश्यक है।

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वायु मार्गों के गुण-दोष
(Merits-Demerits of Airways)

संसार में वायु मार्गों का विकास प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् हुआ। आजकल इस का बहुत बड़ा महत्त्व है। यह एक तीव्रगामी साधन है। इसमें मार्गों के निर्माण पर कोई खर्च नहीं होता, केवल हवाई अड्डों का निर्माण करना पड़ता है। इससे पर्वतों, विशाल महासागरों व मरुस्थलों के पार पहुंचा जा सकता है, जहां दूसरे साधन नहीं पहुँच सकते। विभिन्न संस्कृतियों के बड़े-बड़े नगरों के वायु मार्गों द्वारा जुड़े होने से अन्तर्राष्ट्रीय भावना का विकास होता है। परन्तु इस साधन पर व्यय बहुत होता है। इसका व्यापारिक महत्त्व भी अधिक नहीं है। वायुयानों द्वारा यात्रियों, डाक व शीघ्र खराब होने वाले पदार्थों का परिवहन होता है।

विश्व में नोडल बिन्दु (Nodal Point) – संयुक्त राज्य अमेरिका में संसार की 60% वायु सेवाएं उपलब्ध हैं। मुख्य नोडल बिन्दु है-न्यूयार्क, लन्दन, पेरिस, रोम, मास्कों, कराची, नई दिल्ली, मुम्बई, बैंकाक, सिंगापुर, टोकियो, सेन फ्रांसिस्को, लॉस एन्जलज, शिकागो।
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