JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

JAC Class 9 Hindi एक कुत्ता और एक मैना Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़ कहीं और रहने का मन क्यों बनाया?
उत्तर :
गुरुदेव का स्वास्थ्य ठीक नहीं था तथा शांतिनिकेतन में छुट्टियाँ भी चल रही थीं। इसलिए गुरुदेव ने शांतिनिकेतन छोड़कर कुछ दिन श्रीनिकेतन में रहने का मन बनाया। यह स्थान शांतिनिकेतन से दो मील दूर था। वे यहाँ कुछ समय एकांत में व्यतीत करना चाहते थे।

प्रश्न 2.
मूक प्राणी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जब गुरुदेव शांतिनिकेतन से श्रीनिकेतन रहने के लिए चले गए तो उनका कुत्ता दो मील की यात्रा करके तथा बिना किसी के राह दिखाए उनसे मिलने चला आया था। जब गुरुदेव ने उस पर अपना हाथ फेरा हो वह आँखें बंद करके आनंद के सागर में डूब गया था। जब गुरुदेव का चिताभस्म आश्रम में लाया गया तो यही कुत्ता आश्रम के द्वार से ‘उत्तरायण’ तक चिताभस्म के कलश के साथ गया और कुछ देर तक चुपचाप कलश के पास बैठा रहा। इसी प्रकार से एक लंगड़ी मैना बिना किसी भय के गुरुदेव के पास फुदकती रहती थी। इससे स्पष्ट है कि मूक प्राणी भी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते।

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प्रश्न 3.
गुरुदेव द्वारा मैना को लक्ष्य करके लिखी कविता के मर्म को लेखक कब समझ पाया ?
उत्तर :
जब लेखक ने गुरुदेव की इस बात पर विचार किया कि मैना में भी करुण भाव हो सकता है तो उसे लगा कि सचमुच ही उसके मुख पर एक करुण भाव था। उसने सोचा, वह शायद मैना का विधुर पति था जो स्वयंवर-सभा के युद्ध में घायल होकर पराजित हो गया था अथवा मैना पति की विधवा पत्नी थी जो बिडाल के आक्रमण में पति को खोकर स्वयं थोड़ी-सी चोट खाकर लंगड़ी होकर एकांत में रह रही थी। उसकी यही दशा गुरुदेव को कविता लिखने के लिए प्रेरित कर गई होगी। यह सब सोचकर ही लेखक गुरुदेव द्वारा मैना पर रचित कविता का मर्म समझ सका।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ एक निबंध है। निबंध गद्य – साहित्य की उत्कृष्ट किया है, जिसमें लेखक अपने भावों और विचारों को कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली में अभिव्यक्त करता है। इस निबंध में उपर्युक्त विशेषताएँ, कहाँ झलकती हैं ? किन्हीं चार का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
1. लेखक कब सपरिवार गुरुदेव से मिलने श्रीनिकेतन जाता है तो उस समय के वर्णन में कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली के दर्शन होते हैं, जैसे-“गुरुदेव बाहर एक कुर्सी पर चुपचाप बैठे अस्तगामी सूर्य की ओर ध्यान विस्मित नयनों से देख रहे थे। हम लोगों को देखकर मुस्कराए, बच्चों से जरा छेड़-छाड़ की, कुशल – प्रश्न पूछे और फिर चुप हो गए। ठीक उसी समय उनका कुत्ता धीरे-धीरे ऊपर आया और उनके पैरों के पास खड़ा होकर पूँछ हिलाने लगा। गुरुदेव ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा। वह आँखें मूँदकर अपने रोम-रोम से उस स्नेह – रस का अनुभव करने लगा। ”

2. लेखक हिंदी मुहावरों का बाँग्ला में अनुवाद कर जब गुरुदेव से बात किया करता था तो वे मन ही मन मुसकराते थे और जब लेखक कभी किसी अतिथि को साथ ले जाते थे, तो वे हँसकर पूछा करते थे ‘दर्शनार्थी लेकर आए हो क्या ?”

3. गुरुदेव सुबह अपने बगीचे में टहलने के लिए निकला करते थे। लेखक एक दिन उनके साथ था। उनके साथ एक और पुराने अध्यापक थे। गुरुदेव एक – एक फूल – पत्ते को ध्यान से देखते हुए अपने बगीचे में टहल रहे थे और अध्यापक महाशय से बातें करते जा रहे थे। लेखक चुपचाप सुनता जा रहा था। गुरुदेव ने बातचीत के सिलसिले में एक बार कहा, “अच्छा साहब, आश्रम के कौए क्या हो गए ? उनकी आवाज़ सुनाई ही नहीं देती ?” न तो अध्यापक महाशय को यह खबर थी और न लेखक को ही। बाद में लेखक लक्ष्य किया कि सचमुच कई दिनों से आश्रम में कौए नहीं दीख रहे हैं। लेखक ने तब तक कौओं को सर्वव्यापक पक्षी ही समझ रखा था। अचानक उस दिन मालूम हुआ कि ये भले आदमी भी कभी-कभी प्रयास को चले जाते थे या चले जाने को बाध्य होते थे।

4. लेखक के घर की दीवार में बने छेद में रहने वाले मैना का जोड़ा जब घर के लोगों को देखता तो चहक – चहक कर कुछ कहता। लेखक को पक्षियों की भाषा तो समझ में नहीं आती थी पर निश्चित विश्वास था कि उनमें कुछ इस तरह की बातें हो जाया करती होंगी –
पत्नी – ये लोग यहाँ कैसे आ गए जी ?
पति – उँह बेचारे आ गए हैं, तो रह जाने दो। क्या कर लेंगे !
पत्नी – लेकिन फिर भी इनको इतना तो ख्याल होना चाहिए कि यह हमारा प्राइवेट घर है।
पति – आदमी जो हैं, इतनी अकल कहाँ ?
पत्नी – जाने भी दो
पति – और क्या !

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प्रश्न 5.
आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस प्रकार कवि की मर्मभेदी दृष्टि ने इस भाषाहीन प्राणी की करुण दृष्टि के भीतर उस विशाल मानव-सत्य को देखा है, जो मनुष्य, मनुष्य के अंदर भी नहीं देख पाता। पशु-पक्षियों में अपने हित अनहित को पहचानने की एक अनुपम शक्ति होती है। अपने शुभेच्छु को देखकर उनका रोम-रोम स्नेह – रस का अनुभव करते लगता है तथा चेहरे से परितृप्ति झलकने लगती है। उस मूक प्राणी में कवि ने आत्मनिवेदन, दैन्य, करुणा और सहज बोध का जो भाव अपनी रहस्य- भेदिनी दृष्टि से देखा, वह मनुष्यों के भीतर भी दृष्टिगोचर नहीं होता।

मनुष्य ज्ञान संपन्न एवं अनुभूति प्रवण जीव है। किंतु विनय, दया, उदारता की जननी करुणा का दर्शन उसके भीतर भी नहीं होता, जिसका साक्षात्कार गुरुदेव ने उस मूक कुत्ते के भीतर किया तो उनके कर-स्पर्श से पुलकित हो परम तृप्ति का अनुभव करता था। इस प्रकार वह मूक प्राणी कुत्ता मानवों से भी कहीं अधिक संवेदनशील चित्रित किया गया है।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 6.
पशु-पक्षियों से प्रेम इस पाठ की मूल संवेदना है। अपने अनुभव के आधार पर ऐसे किसी प्रसंग से जुड़ी रोचक घटना को कलात्मक शैली में लिखिए।
उत्तर :
एक बार मैं स्कूल से घर आ रहा था। रास्ते में मुझे एक पिल्ला मिला। मुझे देखते ही वह मेरे पैरों से लिपट गया। वह बहुत प्यारा था। मैंने उसे प्यार से सहलाया और खाने के लिए बिस्कुट दिए। वह मेरे पीछे-पीछे मेरे घर आ गया। मेरी माँ ने देखा, तो उसे भी बड़ा प्यारा लगा। मैंने उसे पालने का निश्चय किया। मुझे तो ऐसा लगा जैसे मुझे कोई अनुपम साथी मिल गया हो। मैंने उसका नाम शेरू रखा।

वह सफ़ेद रंग का झबरेला सा बहुत प्यारा सा पिल्ला था। वह आज मेरे परिवार का सदस्य बन गया है। वह घर की रखवाली भी करता है और मेरे साथ खेलता भी है। जब भी मैं उसे आवाज लगाता हूँ, वह दौड़कर मेरे पास आता है। वह मेरे स्कूल से आने का इंतजार करता है। जैसे ही मुझे देखता है, अपनी पूँछ हिलाकर ‘कूँ कूँ’ की आवाज़ निकालकर मेरे पैरों पर लोटने लगता है।

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भाषा अध्ययन –

प्रश्न 7.
गुरुदेव जरा मुस्कुरा दिए।
मैं जब यह कविता पढ़ता हूँ।
ऊपर दिए गए वाक्यों में एक वाक्य में अकर्मक क्रिया है और दूसरे में सकर्मक है। इस पाठ को ध्यान से पढ़कर सकर्मक और अकर्मक क्रिया वाले चार-चार वाक्य छाँटिए।
उत्तर :
(क) अकर्मक क्रिया के वाक्य :
1. मैं चुपचाप सुनता जा रहा था।
2. देखते हो, यह यूथभ्रष्ट है।
3. रोज फुदकती है।
4. क्या कर लेंगे।

(ख) सकर्मक क्रिया के वाक्य :
1. शायद मौज में आकर ही उन्होंने यह निर्णय किया हो।
2. मैं मय बाल-बच्चों के एक दिन श्रीनिकेतन जा पहुँचा।
3. मैं जब यह कविता पढ़ता हूँ।
4. कुछ और पहले की घटना याद आ रही है।

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प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों में कर्म के आधार पर क्रिया-भेद बताइए –
(क) मीना कहानी सुनाती है।
(ख) अभिनव सो रहा है।
(ग) गाय घास खाती है।
(घ) मोहन ने भाई को गेंद दी।
(ङ) लड़कियाँ रोने लगीं।
उत्तर :
(क) सकर्मक क्रिया
(ख) अकर्मक क्रिया
(ग) सकर्मक क्रिया
(घ) सकर्मक क्रिया
(ङ) अकर्मक क्रिया।

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प्रश्न 9.
नीचे पाठ में से शब्द-युग्मों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। जैसे-
उत्तर :
समय-असमय, अवस्था – अनावस्था
इन शब्दों में ‘अ’ उपसर्ग लगाकर नया शब्द बनाया गया है।
पाठ में से कुछ शब्द चुनिए और उनमें ‘अ’ एवं ‘अन्’ उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाइए।
उत्तर :

  • निर्णय – अनिर्णय
  • कारण – अकारण
  • प्रचलित – अप्रचलित
  • सहज – असहज
  • देखा – अनदेखा
  • अंग – अनंग
  • कहा – अनकहा
  • अधिक – अनधिक।

JAC Class 9 Hindi एक कुत्ता और एक मैना Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
गुरुदेव मैना के मनोभावों को कैसे जान सके ?
उत्तर
गुरुदेव की संवेदनशील दृष्टि एक-एक वस्तु और पशु-पक्षी सब पर रहती है। यहाँ तक कि आश्रम में कौवे न रहने पर भी उन्हें यह पता चल जाता था कि वे प्रवास पर गए हैं। इसी प्रकार जब लेखक गुरुदेव के पास उपस्थित था तो उनके सामने एक लंगड़ी मैना फुदक रही थी। गुरुदेव की प्रत्येक वस्तु का इतना ध्यान रहता था कि अपने समूह से बिछुड़ी हुई मैना के फुदकने में उसके अंदर में छिपे करुण-भाव का ज्ञान हो गया और उन्होंने उसकी चर्चा की।

इसके पूर्व द्विवेदी जी यही जानते थे कि मैना में करुणा का भाव नहीं होता है। वह दूसरों पर कृपा ही किया करती है किंतु गुरुदेव की बात से उन्हें ज्ञात हुआ कि मैना में भी करुणा होती है। द्विवेदी जी और गुरुदेव दोनों के विचार मैना के विषय में भिन्न थे क्योंकि कवि होने के नाते उसमें संवेदनशील अधिक थी, अतएव वह मैना के मनोभाव को अधिक निकट से जान सके थे।

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प्रश्न 2.
‘एक कुत्ता और एक मैना’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
यह निबंध भावात्मक निबंध है। इस निबंध में एक कुत्ता और एक मैना के सहज-सरल जीवन की तरलता एवं करुण भावना पर प्रकाश डाला गया है। इस निबंध में एक कुत्ते की सहज गहरी स्वामिभक्ति तथा एक मैना की करुणाजनक कहानी की ओर संकेत किया है। कवींद्र रवींद्र ने कुत्ते की अनुपम ममता तथा मूक, किंतु गहरे स्नेह की चर्चा करते हुए कुत्ते के सहज स्नेह की अमिट रेखा खींचने का प्रयास किया गया है। उसी प्रकार से लेखक ने कवींद्र के विस्तृत जीवन-दर्शन पर प्रकाश डालते हुए, एक मैना के करुण -कलित जीवन की चिंता कर, उसके संबंध में कवींद्र को लिखी एक कविता के भाव-सौंदर्य को दिखाया है। लेखक ने इस संबंध में अपनी सबल शैली में एक कुत्ता और एक मैना के सरल और करुणामयी जीवन का सजीव चित्र खींचा है।

प्रश्न 3.
कुत्ते से संबंधित कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कुत्ते से संबंधित कविता में कवींद्र ने लिखा था कि प्रतिदिन यह कुत्ता उनके आसन के पास चुपचाप तब तक बैठा रहता है जब तक वे इसे अपने हाथों से स्पर्श नहीं करते। उनके हाथों का स्पर्श पाकर वह आनंदित हो उठता है। यह मूक प्राणी अपने हाव-भाव से अपना आत्मनिवेदन, दीनता, प्रेम, करुणा आदि सब कुछ व्यक्त कर देता है। वे इस मूक प्राणी की करुणा दृष्टि में उस विशाल मानव-सत्य को देखते हैं, जो मनुष्य में नहीं है।

प्रश्न 4.
लेखक ने सपरिवार कहाँ जाने का निश्चय किया और क्यों ?
उत्तर :
लेखक ने कुछ दिनों के लिए सपरिवार रवींद्रनाथ टैगोर के पास जाने का निश्चय किया। रवींद्रनाथ टैगोर कुछ दिनों के लिए शांति निकेतन छोड़कर श्रीनिकेतन रहने चले गए थे। शांति निकेतन में छुट्टियाँ चल रही थीं, इसलिए सभी लोग वहाँ से बाहर चले गए थे। उस समय टैगोर कुछ अस्वस्थ थे, इसलिए लेखक ने सपरिवार रवींद्रनाथ टैगोर के दर्शन के लिए जाने का निश्चय किया।

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प्रश्न 5.
गुरुदेव जी ने लेखक का ‘दर्शन’ शब्द क्यों पकड़ लिया था ?
उत्तर :
आरंभ में लेखक बाँग्ला भाषा में बात करते समय हिंदी मुहावरों के अनुवाद का प्रयोग करता था। जब कोई अतिथि उनसे मिलने आता था तो कहा करता था, ‘एक भद्र लोक आपनार दर्शनेर जन्य ऐसे छेन’। यह बात बाँग्ला की अपेक्षा हिंदी में अधिक प्रचलित थी। लेखक की बात सुनकर गुरुदेव मुस्करा देते थे क्योंकि लेखक की यह भाषा अधिक पुस्तकीय थी। इसी से गुरुदेव ने ‘दर्शन’ शब्द पकड़ लिया।

प्रश्न 6.
किस प्रसंग से पता चलता है कि गुरुदेव की पैनी दृष्टि अणु-अणु में पहुँचने वाली थी ?
उत्तर :
जब लेखक शांति निकेतन में नया आया था, उस समय वह गुरुदेव से ज्यादा खुला हुआ नहीं था। एक दिन गुरुदेव बगीचे में टहल रहे थे, लेखक उनके साथ थे, वे एक-एक फूल-पत्ते को ध्यान में देख रहे थे। अचानक गुरुदेव ने कहा कि आश्रम से कौए कहाँ गए, उनकी आवाज सुनाई नहीं पड़ती ? उससे पहले किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं आया था, परंतु गुरुदेव के निरीक्षण – निपुण नयन उनको भी देख सके थे। इस तरह उनकी पैनी दृष्टि अणु-अणु में पहुँचने वाली थी।

प्रश्न 7.
गुरुदेव ने किसे यूथभ्रष्ट कहा और क्यों ?
उत्तर :
गुरुदेव ने मैना को यूथभ्रष्ट कहा है। यूथभ्रष्ट से अभिप्राय है, जो अपने सजातीय जीवों के समूह से निकाली अथवा निकल गई हो। ऐसा उन्होंने इसलिए कहा है क्योंकि मैना लँगड़ी थी। वह एक टाँग पर फुदकती थी। उसके आस-पास अन्य मैनाएँ उछल-कूद करती थीं, दाना चुगती थी परंतु लँगड़ी मैना को उनसे कोई मतलब नहीं था। वह अकेली दाना चुगती और इधर-उधर घूमती रहती थी।

प्रश्न 8.
लेखक के अनुसार मैना कैसा पक्षी है ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार मैना अनुकंपा ही दिखाया करती है, उसे करुणा से कोई मतलब नहीं हैं। उन्होंने यह समझा था कि मैना नाच-गान और आनंद – नृत्य में समय बिताने वाला सुख – लोलुप पक्षी है परंतु गुरुदेव से बात करने के बाद लेखक को भी मैना करुणा भाव दिखाने वाला पक्षी लगा। उन्होंने देखा और समझा कि विषाद की वीथियाँ उस मैना को आँखों में तरंगें मारती हैं।

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प्रश्न 9.
मैना से संबंधित कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मैना से संबंधित कविता में गुरुदेव ने लिखा था कि मैना अपने दल से अलग होकर पता नहीं किस अपराध की सजा भोग रही है, जबकि कुछ ही दूरी पर अन्य मैनाएँ घास पर उछल-कूद करती हुई आनंद मना रही हैं। लँगड़ी मैना चुपचाप अपना आहार चुगती है। वह अपने अकेलेपन का दोष किसी को नहीं देती है। उसकी चाल में कोई अभिमान नहीं है और न ही उसकी आँखों में कोई आग दिखाई देती है। वह अपने अकेलेपन में मस्त होकर जीवन व्यतीत कर रही है।

प्रश्न 10.
लेखक कवींद्र की सोच-शक्ति पर हैरान क्यों ?
उत्तर :
लेखक कवींद्र की पक्षियों के प्रति संवेदन-शक्ति को देखकर हैरान है। उन्होंने मैना की व्यथा को व्यक्त करने के लिए कविता की रचना की थी। लेखक मैना की व्यथा को समझ नहीं सका था, जबकि कवींद्र कवि ने मैना के दर्द, अकेलेपन को समझ लिया है। मैना की मूक वाणी को आवाज़ देने के लिए एक कविता की रचना कर दी।

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प्रश्न 11.
मैना के जाने के बाद वातावरण कैसा हो गया था ?
उत्तर :
एक दिन मैना वहाँ से उड़ गई। सायंकाल के समय गुरुदेव ने उसे देखा नहीं था। जब वह अकेले कोने में जाया करती थी, उस समय अंधकार में झींगुर झनकारता था, हवा में बाँस के पत्ते आपस में झरझराते थे। पेड़ों को आवाज़ देता हुआ मध्य संध्या तारा भी दिखाई देता परंतु अब वहाँ मैना नहीं दिखाई देती। उसके जाने के बाद वातावरण वही था, परंतु अब वहाँ उदासी अधिक व्याप्त थी।

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. उन दिनों छुट्टियाँ थीं। आश्रम के अधिकांश लोग बाहर चले गए थे। एक दिन हमने सपरिवार उनके ‘दर्शन’ की ठानी। ‘दर्शन’ को मैं जो यहाँ विशेष रूप से दर्शनीय बनाकर लिख रहा हूँ, उसका कारण यह है कि गुरुदेव के पास जब कभी मैं जाता था तो प्रायः वे यह कहकर मुस्करा देते थे कि ‘ दर्शनार्थी हैं क्या ?’

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. लेखक ने सपरिवार किसके दर्शन की ठानी ?
2. लेखक ‘दर्शन’ को क्यों विशेष बना रहे हैं ?
3. लेखक किस आश्रम में गए ?
4. ‘उन दिनों’ से लेखक का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
1. लेखक ने सपरिवार रवींद्रनाथ ठाकुर के दर्शन का निश्चय किया।
2. लेखक ‘दर्शन’ को इसलिए विशेष बना रहे हैं क्योंकि उनके जाने पर गुरुदेव ‘ दर्शनार्थी हैं क्या’ कहकर मुसकरा देते थे।
3. लेखक गुरुदेव के आश्रम में गए।
4. ‘उन दिनों’ से लेखक का तात्पर्य उन दिनों से है जब लेखक आश्रम में गुरुदेव रवींद्रनाथ से मिलने गए।

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2. मैं जब यह कविता पढ़ता हूँ तब मेरे सामने श्रीनिकेतन के तितल्ले पर की वह घटना प्रत्यक्ष-सी हो जाती है। वह आँख मूँदकर अपरिसीम आनंद, वह ‘मूक हृदय का प्राणपत्र आत्मनिवेदन’ मूर्तिमान हो जाता है। उस दिन मेरे लिए वह एक छोटी-सी घटना थी, आज वह विश्व की अनेक महिमाशाली घटनाओं की श्रेणी में बैठ गई है। एक आश्चर्य की बात और इस प्रसंग में उल्लेख की जा सकती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. यह गद्यांश किस पाठ का है ?
2. लेखक के सामने किसका आत्मनिवेदन मूर्तिमान हो जाता है ?
3. कविता पढ़ते हुए लेखक के सामने कौन-सी घटना प्रत्यक्ष हो जाती है ?
4. ‘आज वह विश्व की अनेक घटनाओं की श्रेणी में है’ – यहाँ लेखक किस घटना की ओर संकेत करता है ?
उत्तर
1. यह गद्यांश ‘एक कुत्ता और मैना’ पाठ का है। यह आत्म – कथानक शैली में लिखा गया है
2. लेखक के सामने आँख मूँदकर अपरिमित आनंद, वह ‘मूक हृदय का प्राणपत्र आत्मनिवेदन’ मूर्तिमान हो जाता है।
3. कविता पढ़ते हुए लेखक के सामने श्रीनिकेतन के तितल्ले पर ही घटना प्रत्यक्ष – सी हो जाती है।
4. इस वाक्य में लेखक श्रीनिकेतन के तितल्ले पर की घटित घटना की ओर संकेत करता है।

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3. एक दूसरी बार मैं सबेरे गुरुदेव के पास उपस्थित था। उस समय एक लंगड़ी मैना फुदक रही थी। गुरुदेव ने कहा, “देखते हो, यह यूथभ्रष्ट है। रोज़ फुदकती है, ठीक यहीं आकर। मुझे इसकी चाल में एक करुण भाव दिखाई देता है।” गुरुदेव ने अगर कह न दिया होता तो मुझे उसका करुण भाव एकदम नहीं दीखता। मेरा अनुमान था कि मैना करुण भाव दिखाने वाला पक्षी है ही नहीं। वह दूसरों पर अनुकंपा ही दिखाया करती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. लंगड़ी मैना कब फुदक रही थी ?
2. ‘यूथभ्रष्ट’ किसे कहा गया है ?
3. लेखक को अचानक क्या दिखाई दिया ?
4. लेखक का ‘मैना’ पक्षी के प्रति क्या अनुमान था ?
उत्तर :
1. जब लेखक सबेरे गुरुदेव के पास उपस्थित थे। उस समय लंगड़ी मैना फुदक रही थी।
2. मैना को ‘यूथभ्रष्ट’ कहा गया है।
3. लेखक को मैना की चाल में करुण भाव दिखाई देता है।
4. लेखक का ‘मैना’ पक्षी के प्रति अनुमान यह था कि मैना करुण भाव दिखाने वाला पक्षी है ही नहीं। वह दूसरों पर अनुकंपा ही दिखाती है।

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4. उस मैना को क्या हो गया है, यही सोचता हूँ। क्यों वह दल से अलग होकर अकेली रहती है ? पहले दिन देखा था सेमर के पेड़ के नीचे मेरे बगीचे में। जान पड़ा जैसे एक पैर से लंगड़ा रही हो। इसके बाद उसे रोज़ सबेरे देखता हूँ- संगीहीन होकर कीड़ों का शिकार करती फिरती है। चढ़ जाती है बरामदें में। नाच-नाच कर चहलकदमी किया करती है, मुझसे ज़रा भी नहीं डरती।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. लेखक ने यह कथन किस आधार पर लिखा है ?
2. मैना को क्या हो गया था ? वह दल से अलग क्यों रहती है ?
3. मैना क्या करती रहती है ?
4. मैना का लंगड़ी होना कैसे ज्ञात हुआ ?
5. मैना किस प्रकार चहलकदमी किया करती थी ?
उत्तर
1. लेखक ने यह कथन मैना को लक्ष्य करके लिखी गई गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कविता के आधार पर लिखा है।
2. मैना लंगड़ी हो गई है। उसका सहयोगी बिड़ाल के आक्रमण में मारा गया था। इसी दुख से दुखी होने के कारण वह दल में न रहकर अकेली रहती है।
3. मैना कीड़ों का शिकार करती है। वह बरामदे में चढ़ जाती है और नाच-नाचकर चहलकदमी करती रहती है।
4. लेखक ने उसे सेमर के पेड़ के नीचे एक पैर से लंगड़ाते हुए देखकर समझ लिया था कि वह लंगड़ी है।
5. मैना नाच नाचकर चहल कदमी किया करती है।

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5. जब मैं इस कविता को पढ़ता हूँ तो उस मैना की करुण मूर्ति अत्यंत साफ़ होकर सामने आ जाती है। कैसे मैंने उसे देखकर भी नहीं देखा और किस प्रकार कवि की आँखें उस बेचारी के मर्मस्थल तक पहुँच गईं, सोचता हूँ तो हैरान हो जाता हूँ। एक दिन वह मैना उड़ गई। सायंकाल कवि ने उसे नहीं देखा। जब वह अकेले जाया करती है उस डाल के कोने में, जब झींगुर अंधकार में झनकारता रहता है, जब हवा में बाँस के पत्ते झरझराते रहते हैं, पेड़ों की फाँक में पुकारा करता है नींद तोड़ने वाला संध्यातारा ! कितना करुण है उसका गायब हो जाना!

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. लेखक किस कविता की बात कर रहा है ? यह कविता किसने और क्यों लिखी थी ?
2. लेखक हैरान क्यों है ?
3. इस कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
4. मैना के जाने के बाद के वातावरण का वर्णन कीजिए।
5. लेखक को कविता में किस भाव की प्रमुखता दिखाई देती है ?
उत्तर :
1. कवि मैना पर लिखी हुई कविता की बात कर रहा है। यह कविता गुरुदेव रवींद्रनाथ ने लंगड़ी मैना को देखकर उसकी व्यथा को व्यक्त करने के लिए लिखी थी।
2. कवि इस बात से हैरान है कि मैना को देखकर उसके मन में कुछ नहीं हुआ था जबकि गुरुदेव रवींद्रनाथ ने उस मैना के मन के दर्द को समझ लिया और उस पर कविता लिख दी।
3. मैना अपने दल से अलग होकर न मालूम किस अपराध का दंड भोग रही हैं। अन्य मैनाएँ आनंद मना रही है परंतु यह लंगड़ी मैना चुपचाप अपना आहार चुगती रहती है। वह अपने इस अकेलेपन का किसी पर दोष नहीं लगाती है। अपने में मस्त रहती है।
4. मैना के चले जाने के बाद भी अंधकार में झींगुर झनकारता है और हवा में बाँस के पत्ते झरझराते रहते हैं। पेड़ों के बीच में से सांध्यतारा भी दिखाई देता है परंतु मैना नहीं दिखाई देती। उसके जाने के बाद सारा वातावरण उदास दिखाई देता है।
5. लेखक को कविता में करुण-भाव की प्रमुखता दिखाई देती है।

एक कुत्ता और एक मैना Summary in Hindi

लेखक परिचय :

जीवन परिचय – आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म सन् 1907 में बलिया जिले के आरत दूबे का छपरा नामक गाँव में हुआ था। संस्कृत महाविद्यालय काशी से शास्त्री की परीक्षा पास करने के पश्चात् इन्होंने ज्योतिष विषय में सन् 1930 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ज्योतिषाचार्य की उपाधि प्राप्त की। सन् 1930 में शांति निकेतन में इन्हें हिंदी अध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया। सन् 1950 में इन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग का अध्यक्ष बनाया गया। इस पद पर दस वर्ष तक रहने के पश्चात् सन् 1960 में इन्हें पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग का अध्यक्ष बनाया गया। यहाँ से अवकाश प्राप्त करने के पश्चात् ये भारत सरकार की हिंदी विषयक अनेक योजनाओं से जुड़े रहे। लखनऊ विश्वविद्यालय ने इन्हें डी० लिट० और भारत सरकार ने पद्म भूषण की उपाधि से अलंकृत किया था। सन् 1979 में इनका देहावसान हो गया।

रचनाएँ – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने विभिन्न विधाओं पर सफलतापूर्वक लेखनी चलाई है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं –

समीक्षात्मक ग्रंथ – ‘सूर साहित्य’, ‘हिंदी साहित्य की भूमिका’, ‘मध्यकालीन धर्म साधना’, ‘सूर और उनका काव्य’, ‘नाथ-संप्रदाय’, ‘कबीर’, ‘मेघदूत’, ‘एक पुरानी कहानी’, ‘हिंदी साहित्य का आदिकाल’ तथा ‘लालित्य मीमांसा’।
उपन्यास – ‘वाणभट्ट की आत्मकथा’ तथा ‘चारु चंद्रलेख’।
निबंध – संग्रह – ‘ अशोक के फूल’, ‘विचार प्रवाह’, ‘विचार और वितर्क’ तथा ‘कल्पलता’।

भाषा शैली – भाषा विधान की दृष्टि से इनका तत्सम शब्दों के प्रति विशेष लगाव है। संस्कृत भाषा के साथ-साथ, संस्कृत साहित्य की गहरी छाप इनकी रचनाओं में मिलती है। इनका आदर्श दुरूहता नहीं है और न ही पांडित्य प्रदर्शन को इन्होंने अपने साहित्य में कहीं भी स्थान दिया है। सुबोध, सरल, स्वच्छ और सार्थक शब्दावली का प्रयोग इनकी रचनाओं में सर्वत्र प्राप्त होता है। वे सरल वाक्यों में ही अपनी बात कहते हैं।

संस्कृत शब्दों के साथ उर्दू के बोलचाल के शब्दों का प्रयोग भी इन्होंने किया है। इनकी शैली विचारात्मक, भावनात्मक, आत्मकथात्मक तथा व्यंग्यात्मक होती है। ‘एक कुत्ता और मैना’ पाठ में भी लेखक ने क्षीणवपु, प्रगल्भ, परितृप्ति, स्तब्ध, ईषत्, मर्मस्थल, अस्तगामी जैसे तत्सम शब्दों के साथ-साथ मौज, मालूम, परवा, मुखातिब, लापरवाही, प्राइवेट, अकल, चहलकदमी जैसे विदेशी शब्दों का भी भरपूर प्रयोग किया है।

इससे इनकी भाषा में प्रवाहमयता बनी रहती है। इस पाठ में लेखक ने आत्मकथात्मक शैली का प्रयोग किया है, जैसे- ‘जब मैं इस कविता को पढ़ता हूँ तो उस मैना की करुणा मूर्ति अत्यंत साफ होकर सामने आ जाती है। कैसे मैंने उसे देखकर भी नहीं देखा।’ लेखक की भाषा-शैली कुछ स्थलों पर काव्यमय भी हो गई है, जैसे- ‘जब झींगुर अंधकार में झनकारता रहता है, जब हवा में बाँस के पत्ते झरझराते रहते हैं, पेड़ों की फाँक से पुकारा करता है नींद तोड़ने वाला संध्यतारा ! ‘ इस प्रकार इस पाठ में लेखक ने भावानुकूल भाषा का प्रयोग करते हुए अत्यंत रोचक शैली में गुरुदेव रवींद्रनाथ से संबंधित अपनी स्मृतियों को प्रस्तुत किया है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

पाठ का सार :

एक कुत्ता और एक मैना’ पाठ में हजारीप्रसाद द्विवेदी ने गुरुदेव रवींद्रनाथ से संबंधित अपनी स्मृतियों को आत्मकथात्मक शैली में प्रस्तुत किया है।
लेखक सपरिवार गुरुदेव के दर्शनार्थ उनके आश्रम में पहुँचा करते थे। गुरुदेव के प्रति लेखक की बड़ी श्रद्धा थी। गुरुदेव कुछ दिनों के लिए शांति निकेतन छोड़कर श्री निकेतन में रहने लगे थे। एक दिन लेखक सपरिवार कवींद्र के दर्शन के लिए वहाँ पहुँच गए। गुरुदेव ने बच्चों के साथ छेड़-छाड़ की, कुशल प्रश्न पूछे, फिर मूक हो गए। उसी समय एक कुत्ता वहाँ आ गया। वह अपनी पूँछ हिलाने लगा। गुरुदेव ने उसकी पीठ पर हाथ फेर दिया।

वह मूक प्राणी उस स्नेह रस के अनुभव से आनंदित हो गया। किसी भी मनुष्य की सहायता के बिना वह कुत्ता दो मील की यात्रा करके वहाँ आ पहुँचा था। अपने स्नेहदाता के वियोग से विह्वल हो वहाँ आने की तकलीफ उसने उठाई थी। उस मूक कुत्ते के संबंध में कवींद्र रवींद्र ने ‘आरोग्य’ में एक कविता लिखी थी। उस वाक्यहीन प्राणी के नीरव लोचनों के अंदर ‘भावों का भवन’ समाया हुआ था।

कवि ने उस प्राणी की करुण दृष्टि के भीतर विशाल मानव-सत्य का सौंदर्य देखा और दिखाया। वह कुत्ता गुरुदेव की मृत्यु होने पर उनके चिता भस्म के साथ ‘उत्तरायण’ तक जाने को भी तैयार हो गया। उस मूक प्राणी का हृदय भी अनुपम स्नेह का अजस्र स्रोत था। उस मूक पशु की अक्षुण्ण ममता ने कवींद्र की मानस – वीणा को झंकृत कर दिया और वहाँ से मनोहर कविता का मोहक नाद सुनाई दिया।

दूसरी बार की बात है; बगीचे में गुरुदेव फल-फूल, पत्ते पत्तों को ध्यान से देखते हुए टहल रहे थे। एक अध्यापक महोदय भी उनके साथ थे। बीच में गुरुदेव ने पूछा कि आश्रम से कौए कहाँ गए, उनकी आवाज़ क्यों नहीं सुनाई पड़ती ? सर्वव्यापक पक्षी समझते हुए किसी ने भी कौओं की ओर ध्यान नहीं दिया था। अतः कोई भी कौओं के अभाव को समझ न सका था। परंतु गुरुदेव के निरीक्षण-निपुण नयन उनको भी देख सके थे। उनकी पैनी दृष्टि अणु-अणु में पहुँचने वाली थी।

एक दिन लेखक गुरुदेव के निकट बैठे थे। उस समय एक लंगड़ी मैना फुदक रही थी। उसे देखकर रवि बाबू ने कहा कि मुझे उसकी चाल में करुण भाव दिखाई देता है। परंतु लेखक मैना को करुण भाव दिखाने वाला पक्षी न समझ सके थे। उनके दृष्टिकोण में वह अनुकंपा ही दिखाया करती है, न कि करुणा। उन्होंने यह समझा था कि मैना नाच-गान और आनंद-नृत्य में समय बिताने वाला सूख-लोलुच पक्षी है। अब गुरुदेव की बात उनके मन में बैठ गई। उन्होंने देखा और समझा कि विवाद की वीथियाँ उस मैना की आँखों में तरंगें मारती हैं।

शायद इसी मैना को सामने देखकर ही कवींद्र के मन की मैना बोली थी जो एक कविता के रूप में बाहर आई थी। कविता पढ़ने पर लेखक के सामने मैना की मूर्ति साफ़ हो गई। लेखक को अचंभा हुआ, साथ-ही-साथ खेद भी कि मैना को देखने पर भी उन्होंने नहीं देखा, परंतु कवि की सूक्ष्म दृष्टि मैना के मर्मस्थल तक पहुँच गई। कवि की आँखें कहाँ नहीं पहुँचती ? एक दिन वह मैना उड़ गई, न जाने कहाँ ? उसका गायब होना भी अत्यंत करुणाजनक था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • अन्यत्र – दूसरी ओर
  • क्षीणवपु – कमज़ोर शरीर
  • असमय – बेवक्त
  • भीत – डरा
  • ध्यान स्तिमित – ध्यान में लोन
  • अहैतुक – निःस्वार्थ, बिना किसी मतलब के
  • मर्मभेदी – हुदय को भेदने वाली
  • अपरिसीमा – असीमित
  • सर्वव्यापक – सब जगह रहनेवाला
  • यूथभ्रष्ट – झुंड या समूह से निकला या निकाला गया
  • अंबार – ढेर
  • मुखातिब – संबोधित होकर
  • परास्त – पराजित, हार
  • ईशत् – कुछ, थोड़ी
  • अविचार – बुरा विचार
  • मर्मस्थल – हृदय
  • तै पाया – निश्चित किया
  • दर्शनार्थी – दर्शन करनेवाला
  • प्रगल्भ – चतुर, होशियार, उत्साही, निर्लज्ज, बहुत बोलनेवाले
  • अस्तगामी – अस्त होते हुए, ड्रबते हुए
  • परितृप्ति – पूरा संतोष
  • प्राणपण – जान की बाज़ी
  • तितल्ला – तीसरी मंज़िल
  • कलश – घड़ा
  • प्रवास – दूसरी जगह जाना, यात्रा
  • अनुकंपा – दया
  • मुखरित – ध्वनि से गूँजन
  • आहत – घायल
  • बिड़ाल – बिलाव
  • निर्वासन – देश निकाला
  • अभियोग – आरोप

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

JAC Class 9 Hindi मेरे बचपन के दिन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
“मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।”
इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि –
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी ?
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं ?
उत्तर :
(क) जब लेखिका का जन्म हुआ, उन दिनों किसी परिवार में लड़की का जन्म लेना अच्छा नहीं माना जाता था। लोग लड़की के जन्म को परिवार के लिए बोझ मानते थे। इसलिए कुछ लोग तो लड़की के पैदा होते ही उसका गला दबाकर उसे मार देते थे। लड़की को जन्म देने वाली माँ को भी बुरा-भला कहा जाता था तथा उसकी भी ठीक से देखभाल नहीं की जाती थी।

(ख) आजकल लड़की और लड़के में कोई अंतर नहीं किया जाता है। लड़की के जन्म पर भी लड़की को जन्म देने वाली माँ की अच्छी प्रकार से देखभाल की जाती है। कुछ परंपरावादी परिवारों में अभी भी लड़की का जन्म अच्छा नहीं माना जाता है। वे लोग लड़की के पैदा होते ही उसे मार देते हैं। कुछ लोग गर्भ में लड़की का पता चलते ही गर्भपात करा देते हैं। अभी भी लड़की के जन्म को सहज रूप से नहीं लिया जाता। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 2.
लेखिका उर्दू – फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई ?
उत्तर :
लेखिका के बाबा उर्दू-फारसी जानते थे। वे लेखिका को भी उर्दू-फारसी की विदुषी बनाना चाहते थे। उन्हें उर्दू-फारसी पढ़ाने के लिए एक मौलवी साहब को नियुक्त किया गया। जब मौलवी साहब लेखिका को पढ़ाने के लिए आए तो वह चारपाई के नीचे जा छिपी। वह मौलवी साहब से पढ़ने नहीं आई। इस प्रकार लेखिका उर्दू – फ़ारसी नहीं सीख पाई थी।

प्रश्न 3.
लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर :
लेखिका की माँ हिंदी पढ़ी-लिखी थी। वह पूजा-पाठ बहुत अधिक करती थी। माँ ने लेखिका को पंचतंत्र पढ़ना सिखाया था। माँ संस्कृत भी जानती थी। माँ को गीता पढ़ने में विशेष रुचि थी। माँ लिखती भी थी। वह मीरा के पद गाती थी। प्रभाती के रूप में वह ‘जागिए कृपानिधान पंछी बन बोले’ पद गाती थी। कुल मिलाकर वह एक धार्मिक महिला थी।

प्रश्न 4.
जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है ?
उत्तर :
लेखिका ने जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को अत्यंत मधुर बताया है। वे उनके लड़के को राखी बाँधती थीं तथा उनकी पत्नी को ताई कहती थीं। नवाब के बच्चे इनकी माता जी को चचीजान कहते थे। वे आपस में मिल-जुलकर सभी त्योहार मनाते थे। दोनों परिवारों के बच्चों के जन्मदिन एक-दूसरे के घर मनाए जाते थे। आज का वातावरण इतना अधिक विषाक्त हो गया है कि सभी अपने-अपने संप्रदाय के संकुचित दायरों तक सीमित हो गए हैं। इसलिए लेखिका को अपने बचपन के दिनों में जवारा के नवाब के साथ अपने परिवार के आत्मिक संबंध स्वप्न जैसे लगते हैं।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 5.
जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती ?
उत्तर :
जेबुन्निसा के स्थान पर यदि मैं होती तो मैं चाहती कि महादेवी मेरे साथ अच्छा व्यवहार करे। वह मुझे अपनी प्रिय सखी माने और अपनी लिखी हुई कविता सबसे पहले मुझे सुनाए। वह मुझे अपने साथ कवि-सम्मेलनों में भी ले जाए। हम आपस में अपने सुख- दुख बाँटते रहें।

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प्रश्न 6.
महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको कोई इस तरह का पुरस्कार मिला हो और उसे देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे करेंगी ?
उत्तर :
यदि मुझे इस तरह का कोई पुरस्कार मिला होता और वह पुरस्कार मुझे देशहित में किसी को देना पड़ता तो मेरा मन प्रसन्नता से भर उठता। मुझे गर्व होता कि मेरी छोटी-सी भेंट देश के किसी कार्य में काम आएगी।

प्रश्न 7.
लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर :
लेखिका के छात्रावास में हिंदू, मुसलमान, ईसाई सभी धर्मों की लड़कियाँ रहती थीं। इनमें मराठी, हिंदी, उर्दू, अवधी, बुंदेली आदि अनेक भाषाएँ बोलने वाली लड़कियाँ थीं। इस प्रकार से धर्म और भाषा का भेद होते हुए भी उनकी पढ़ाई में कोई कठिनाई नहीं आती थी। सब हिंदी में पढ़ती थीं। उन्हें उर्दू भी पढ़ाई जाती थी परंतु आपस में वे अपनी ही भाषा में बातचीत करती थीं। सबमें परस्पर बहुत प्रेम-भाव था।

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प्रश्न 8.
महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपको भी अपने बचपन की स्मृति मानस पटल पर उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर :
मैं तब दस वर्ष की थी जब माता जी के साथ सेलम से चेन्नई जा रही थी। पिता जी गाड़ी में बैठाकर चले गए थे। गाड़ी में बहुत भीड़ थी। गर्मी का मौसम था। ठसाठस लोग भरे हुए थे। मुझे बहुत प्यास लग रही थी। मैंने माँ से पानी माँगा तो उन्हें याद आया कि पानी लाना तो वे भूल गई हैं। मैं प्यास से रोने लगी। आस-पास भी किसी के पास पानी नहीं था। एक स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो माँ पानी लेने स्टेशन पर उतर गईं। इसी बीच गाड़ी चल पड़ी। माँ अभी तक लौट कर नहीं आई थीं। मैं ज़ोर-ज़ोर से माँ, माँ कहकर रो रही थी। आस-पास वाले मुझे चुप करा रहे थे। मैं और भी अधिक जोर से रोने लगी कि अचानक पीछे से आकर माँ ने मुझे कहा, ‘रोती क्यों है, ले पानी पी।’ माँ दूसरे डिब्बे में चढ़ गई थी और डिब्बे आपस में जुड़े थे इसलिए वह मेरे तक आ पहुँची थी। यदि माँ न आती तो ? यह सोचकर ही मैं सिहर उठती हूँ।

प्रश्न 9.
महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर :
कल मेरे विद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया जाना है। मुझे इसमें अपनी कक्षा की ओर से भाषण देना है। मेरा दिल काँप रहा है। पता नहीं मुझे, क्या हो रहा है? मैंने भाषण लिख लिया है; बोलने का अभ्यास भी किया है पर मुझे डर लग रहा है। यदि मैं इसे भूल गया तो सब मेरा मजाक बनाएँगे। सारे विद्यालय के सामने इस प्रकार बोलने का यह मेरा पहला अवसर होगा।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 10.
पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूंढकर लिखिए –
विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।
उत्तर :

  • विद्वान मूर्ख।
  • अनंत अंत।
  • निरपराधी – अपराधी।
  • दंड – पुरस्कार।
  • शांति – अशांति।

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प्रश्न 11.
निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग / प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए-
उत्तर :
JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन 1

प्रश्न 12.
निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए –
उपसर्ग – अनू, अ, सत्, स्व, दुर्
प्रत्यय – दार, हार, वाला, अनीय
उत्तर :
उपसर्ग : अन् – अनपढ़, अनमोल।
अ – अगाध, अचेत।
सत् सज्जन, सत्कार।
स्व – स्वभाव, स्वराज्य।
दुर् – दुर्गम, दुर्दशा।

प्रत्यय : दार – समझदार, चमकदार।
हार – होनहार, समाहार।
वाला – घरवाला, दूधवाला।
अनीय – माननीय, पूजनीय।

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प्रश्न 13.
सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए –
उत्तर :

  • पूजा-पाठ – पूजा और पाठ
  • परमधाम – परम है जो धाम
  • दुर्गा- पूजा – दुर्गा की पूजा
  • कुल- देवी – कुल की देवी
  • चारपाई – चार हैं पाँव जिसके
  • कृपानिधान – कृपा का निधान
  • कवि-सम्मेलन – कवियों का सम्मेलन
  • मनमोहन – जो मन को मोहित करे।

यह भी जानें –

स्त्री दर्पण – इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली यह पत्रिका श्रीमती रामेश्वरी नेहरू के संपादन में सन् 1909 से 1924 तक लगातार प्रकाशित होती रही। स्त्रियों में व्याप्त अशिक्षा और कुरीतियों के प्रति जागृति पैदा करना उसका मुख्य उद्देश्य था।

JAC Class 9 Hindi मेरे बचपन के दिन Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखिका के जन्म की कथा क्या है ?
उत्तर :
लेखिका का जन्म जिस परिवार में हुआ था, उस परिवार में कई पीढ़ियों से कोई लड़की पैदा नहीं हुई थी। इनके परिवार में प्रायः दो सौ वर्षों तक किसी लड़की ने जन्म नहीं लिया था। ऐसा भी सुना जाता था कि पहले लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था। लेखिका के परिवार की कुल देवी दुर्गा थीं। इसके बाबा ने दुर्गा की बहुत पूजा की थी। परिणामस्वरूप परिवार में लेखिका का जन्म हुआ। लेखिका के जन्म पर उसका बहुत स्वागत किया गया था तथा उसे वह सब कुछ सहन नहीं करना पड़ा था, जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता था।

प्रश्न 2.
सुभद्रा कुमारी के साथ लेखिका का परिचय कैसे हुआ और वे कैसे साथ रहती थीं ?
उत्तर :
लेखिका का सुभद्रा कुमारी के साथ परिचय तब हुआ, जब उसे क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज की कक्षा पाँच में दाखिल कराया गया। वहाँ के छात्रावास के जिस कमरे में लेखिका को स्थान मिला, उस कमरे में सुभद्रा कुमारी पहले से रहती थीं और वे कक्षा सात में पढ़ती धीं। सुभद्रा जी कविताएँ लिखती थीं तथा लेखिका भी कविताएँ लिखती थी। लेखिका की कविताओं की चर्चा सारे छात्रावास में सुभद्रा जी ने की थी। इस प्रकार दोनों में मित्रता हो गई। जब अन्य लड़कियाँ खेलती थीं तब ये दोनों कॉलेज के किसी वृक्ष की डाल पर बैठकर कविताएँ लिखती थीं और ‘स्त्री दर्पण’ में प्रकाशनार्थ भेजती थीं। इनकी कविताएँ छप भी जाती थीं। ये कवि-सम्मेलनों में भी जाती थीं।

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प्रश्न 3.
आनंद भवन में बापू के आने पर लेखिका ने क्या किया ?
उत्तर :
जब बापू आनंद भवन में आए तो लोग उनके दर्शनार्थ वहाँ जाने लगे। वे उन्हें देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के रूप में कुछ राशि भी देते थे। लेखिका भी अपने जेब खर्च में से कुछ बचाकर उन्हें देने गई तथा कवि सम्मेलन में पुरस्कार स्वरूप प्राप्त चाँदी का कटोरा भी उन्हें दिखाने के लिए साथ ले गई। बापू ने उससे वह कटोरा माँग लिया और लेखिका ने वह कटोरा उन्हें दे दिया। उसे कटोरा देने पर यह दुख हुआ कि कटोरा लेकर भी बापू ने उससे वह कविता सुनाने के लिए नहीं कहा, जिस पर उसे यह पुरस्कार मिला था। फिर भी वह प्रसन्न थी कि उसने पुरस्कार में मिला कटोरा बापू को दे दिया।

प्रश्न 4.
लेखिका ने सांप्रदायिक सद्भाव का क्या उदाहरण प्रस्तुत किया है ?
उत्तर :
लेखिका का परिवार उसके बचपन में जहाँ रहता था, वहाँ जवारा के नवाब भी रहते थे। उनकी पत्नी को ये लोग ताई साहिबा कहते थे तथा नवाब साहब के बच्चे लेखिका की माता जी को चचीजान कहते थे। दोनों परिवारों के बच्चों के जन्म-दिन एक-दूसरे के घरों में मनाए जाते थे। लेखिका नवाब के पुत्र को राखी बाँधती थी। तीज-त्योहार दोनों परिवार मिलकर मनाते थे। लेखिका के छोटे भाई के जन्म पर ताई साहिबा बच्चे के लिए कपड़े आदि लाई और बच्चे का नाम अपनी तरफ़ से मनमोहन रखा, जो सदा यही रहा। इस प्रकार, दोनों परिवार अलग-अलग धर्मों को मानने वाले होते हुए भी बहुत निकट थे। यह निकटता सांप्रदायिक सद्भाव का सुंदर उदाहरण है।

प्रश्न 5.
सुभद्रा के जाने के बाद लेखिका के कमरे की साथिन कौन थी और कैसी थी ?
उत्तर :
सुभद्रा के छात्रावास छोड़ने के बाद लेखिका के कमरे की साथिन एक मराठी लड़की जेबुन्निसा थी। वह कोल्हापुर से आई थी। जेबुन लेखिका के साथ घुल-मिल गई थी। वह लेखिका का बहुत सारा काम कर देती थी जिससे लेखिका को कविता लिखने का बहुत-सा समय मिल जाता था। जेबुन मराठी मिश्रित हिंदी भाषा बोलती थी। उसका पहनावा भी मराठी था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 6.
लेखिका के समय का वातावरण कैसा था ?
उत्तर :
लेखिका के समय सांप्रदायिकता नहीं थी। विद्यालय में भी अलग-अलग स्थान से आई लड़कियाँ आपस में मिल-जुलकर रहती थीं। सभी प्रार्थना में और मेस में इकट्ठा काम करती थीं; उनमें कोई विवाद नहीं होता था। हिंदू-मुसलमान सब मिल-जुलकर रहते थे। तीज-त्योहार मिल-जुलकर मनाते थे। आपस में विश्वास और प्रेम का भाव था।

प्रश्न 7.
आज की स्थिति देखकर लेखिका को क्या लगता है ?
उत्तर :
पहले और आज के वातावरण में बहुत अंतर आ गया है। पहले लोगों में सांप्रदायिकता की अपेक्षा मिल-जुलकर रहने की भावना थी परंतु आज स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग एक-दूसरे के प्रति अपना विश्वास खो बैठे हैं। उनके मन में एक-दूसरे के प्रति घृणा ने जन्म से लिया है। लेखिका वर्तमान समय में भी हिंदू-मुसलमान की एकता और मेल-जोल की भावना देखना चाहती, जो संभव नहीं लगता है। उन्हें पहले का समय एक सपना लगता है, जो अब खो गया है। यदि आज भी लोग सँभल जाएँ और एक हो जाएँ तो भारत की स्थिति बदल सकती है।

प्रश्न 8.
लेखिका को किस विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया और वहाँ उसकी क्या दशा थी ?
उत्तर :
लेखिका के पिता उन्हें विदुषी बनाना चाहते थे। इसलिए उनकी पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया गया। बचपन में उन्हें घर पर ही शिक्षा दी गई। बाद में उन्हें मिशन स्कूल में दाखिल करवाया गया। वहाँ का वातावरण लेखिका को पसंद नहीं आया। इसलिए उसने वहाँ जाना बंद कर दिया। उनके पिता ने उन्हें क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में पाँचवीं कक्षा में भर्ती करवाया। वहाँ का वातावरण लेखिका को बहुत अच्छा लगा। वहाँ हिंदू और ईसाई लड़कियाँ थीं। सबके लिए इकट्ठा भोजन बनता था। लेखिका का वहाँ मन लग गया था।

प्रश्न 9.
लेखिका की लेखन प्रतिभा को किसने पहचाना और उसे कैसे प्रोत्साहन दिया ?
उत्तर :
छात्रावास में लेखिका की साथिन सातवीं कक्षा की छात्रा सुभद्रा कुमारी चौहान थीं। उन्होंने लेखिका को छिप-छिप कर लिखते देखा। एक दिन उन्होंने उसकी एक कविता पूरे छात्रावास में दिखाई। सबको बता दिया कि यह कविता भी लिखती है। सुभद्रा कुमारी चौहान स्वयं भी कविता लिखती थीं। खाली समय में दोनों कविता लिखतीं और ( स्त्री दर्पण) पत्रिका में छपने के लिए भेज देती थीं। वे दोनों कवि-सम्मेलनों में भी भाग लेने लगीं। लेखिका को प्रायः प्रथम पुरस्कार मिलता था। इस प्रकार लेखिका की लेखन कला को प्रोत्साहन मिला। इसका श्रेय सुभद्रा कुमारी चौहान को जाता है।

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प्रश्न 10.
लेखिका को किस बात का दुःख था और क्यों ?
उत्तर :
उन दिनों सत्याग्रह आंदोलन जोरों पर चल रहा था। जब बापू आनंद भवन आए तभी सभी ने अपने पास से पैसे इकट्ठे करके उन्हें दिए। लेखिका को एक कविता सम्मेलन में नक्काशीदार चाँदी का कटोरा मिला था। वह कटोरा लेकर बापू के पास गई। बापू के आग्रह पर उसने वह कटोरा बापू जी को दे दिया। उसे बापू को कटोरा देने का दुःख नहीं था। उसे दुःख इस बात का था कि बापू ने उससे यह भी नहीं पूछा कि किस कविता पर उसे यह पुरस्कार मिला था। उन्होंने उसकी कविता भी नहीं सुनी। यदि बापू उसकी कविता सुन लेते तो वह प्रसन्न हो जाती।

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. बाबा कहते थे, इसको हम विदुषी बनाएँगे। मेरे संबंध में उनका विचार बहुत ऊँचा रहा। इसलिए ‘पंचतंत्र’ भी पढ़ा मैंने, संस्कृत भी पढ़ी। ये अवश्य चाहते थे कि मैं उर्दू-फारसी सीख लूँ, लेकिन वह मेरे वश की नहीं थी। मैंने जब एक दिन मौलवी साहब को देखा तो बस, दूसरे दिन मैं चारपाई के नीचे जा छिपी। तब पंडित जी आए संस्कृत पढ़ाने। माँ थोड़ी संस्कृत जानती थीं। गीता में उन्हें विशेष रुचि थी। पूजा-पाठ के समय मैं भी बैठ जाती थी और संस्कृत सुनती थी। उसके उपरांत उन्होंने मिशन स्कूल में रख दिया मुझको। मिशन स्कूल में वातावरण दूसरा था, प्रार्थना दूसरी थी। मेरा मन नहीं लगा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. ‘बाबा’ किसे विदुषी बनाना चाहते थे ?
2. लेखिका चारपाई के नीचे क्यों छिप गई थी ?
3. गीता में विशेष रुचि किन्हें थी ?
4. मिशन स्कूल का वातावरण था-
5. लेखिका का मिशन स्कूल में मन क्यों नहीं लगा ?
उत्तर :
1. बाबा महादेवी वर्मा को विदुषी बनाना चाहते थे। महादेवी जी के संबंध में उनके विचार ऊँचे थे। वे चाहते थे कि महादेवी जी उर्दू-फारसी भी सीखें।
2. उर्दू-फारसी पढ़ना लेखिका के वश की नहीं थी। उर्दू-फारसी पढ़ने के डर से लेखिका चारपाई के नीचे जाकर छिप गई थी।
3. गीता में लेखिका को विशेष रुचि थी। पूजा-पाठ के समय वह बैठ जाती थी और संस्कृत सुनती थी।
4. मिशन स्कूल का वातावरण आस्थामय था।
5. मिशन स्कूल का वातावरण लेखिका को पसंद नहीं था, इसलिए उसका मन वहाँ नहीं लगा।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

2. उसी बीच आनंद भवन में बापू आए। हम लोग तब अपने जेब खर्च में से हमेशा एक-एक, दो-दो आने देश के लिए बचाते थे और जब बापू आते थे तो वह पैसा उन्हें दे देते थे। उस दिन जब बापू के पास मैं गई तो अपना कटोरा भी लेती गई। मैंने निकालकर बापू को दिखाया। मैंने कहा, ‘कविता सुनाने पर मुझको यह कटोरा मिला है।’ कहने लगे, ‘अच्छा, दिखा तो मुझको।’ मैंने कटोरा उनकी ओर बढ़ा दिया तो उसे हाथ में लेकर बोले, ‘तू देती है इसे ?’ अब मैं क्या कहती ? मैंने दे दिया और लौट आई। दुख यह हुआ कि कटोरा लेकर कहते, कविता क्या है ?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. जब बापू आनंद भवन आते थे तो सब क्या करते थे ?
2. लेखिका को उपहार में क्या और क्यों मिला ?
3. लेखिका से कटोरा किसने ले लिया ?
4. लेखिका को किस बात का दुख हुआ ?
5. यह गद्यांश किस पाठ का है ? इसकी लेखिका कौन है ?
उत्तर
1. जब बापू आनंद भवन में आते थे तो सब जेब खर्च में बचाए हुए पैसे उन्हें देते थे।
2. कविता सुनाने पर लेखिका को उपहार में एक कटोरा मिला।
3. महात्मा गांधी ने लेखिका से कटोरा ले लिया।
4. गांधी जी ने लेखिका से उपहार में मिला कटोरा ले लिया और कविता के विषय में भी कुछ नहीं पूछा। इस बात से लेखिका दुखी हुई।
5. यह गद्यांश ‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ का है। इसकी लेखिका महादेवी वर्मा जी हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

3. उस समय यह देखा मैंने कि सांप्रदायिकता नहीं थी। जो अवध की लड़कियाँ थीं, वे आपस में अवधी बोलती थीं; बुंदेलखंड की आती थीं, वे बुंदेली में बोलती थीं। कोई अंतर नहीं आता था और हम पढ़ते हिंदी थे। उर्दू भी हमको पढ़ाई जाती थी, परंतु आपस में हम अपनी भाषा में ही बोलती थीं। यह बहुत बड़ी बात थी। हम एक मेस में खाते थे, एक प्रार्थना में खड़े होते थे; कोई विवाद नहीं होता था।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. उन दिनों छात्रावास का वातावरण कैसा था ?
2. छात्रावास में रहने वाली लड़कियाँ कौन-कौन सी भाषाएँ बोलती थीं ?
3. इन छात्राओं के अध्ययन-अध्यापन का माध्यम क्या था ? इनके विद्यालय में अन्य कौन-सी भाषा पढ़ाई जाती थी ?
4. छात्राओं का परस्पर व्यवहार कैसा था ?
5. लड़कियाँ आपस में कौन-सी भाषा बोलती थीं ?
उत्तर :
1. उन दिनों छात्रावास का वातावरण सांप्रदायिक सद्भाव से युक्त था। हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि विभिन्न धर्म-संप्रदाय को मानने वाली लड़कियाँ आपस में मिल-जुलकर रहती थीं। उनमें कोई भेदभाव नहीं था।
2. छात्रावास में रहने वाली अवध की लड़कियाँ अवधी, बुंदेलखंड की रहने वाली बुंदेली, महाराष्ट्र की मराठी भाषा बोलती थीं। भाषा की विविधता का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था।
3. इन छात्राओं के अध्ययन-अध्यापन का माध्यम हिंदी था। इन्हें उर्दू भी पढ़ाई जाती थी। इन्हें हिंदी माध्यम से पढ़ने में कोई कठिनाई नहीं होती थी।
4. छात्राओं का परस्पर व्यवहार बहुत ही स्नेहपूर्ण तथा मित्रता का था। वे एक ही मेस में मिल-जुलकर खाना खाती थीं। वे प्रार्थना सभा में एक साथ खड़ी होती थीं। उनमें आपस में कोई मतभेद नहीं था। वे सदा एक-दूसरे की सहायता करने के लिए तैयार रहती थीं।
5. लड़कियाँ आपस में अपनी भाषा बोलती थीं।

4. राखी के दिन बहनें राखी बाँध जाएँ तब तक भाई को निराहार रहना चाहिए। बार-बार कहलाती थीं- ‘ भाई भूखा बैठा है राखी बंधवाने के लिए।’ फिर हम लोग जाते थे। हमको लहरिए या कुछ मिलते थे। इसी तरह मुहर्रम में हरे कपड़े उनके बनते थे तो हमारे भी बनते थे। फिर एक हमारा छोटा भाई हुआ वहाँ, तो ताई साहिबा ने पिताजी से कहा, ‘देवर साहब से कहो, वो मेरा नेग ठीक करके रखें। मैं शाम को आऊँगी। ‘ वे कपड़े-पड़े लेकर आईं। हमारी माँ को वे दुलहन कहती थीं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. राखी बाँधने का क्या नियम था ?
2. राखी और मुहर्रम पर इन्हें क्या उपहार मिलते थे ?
3. लेखिका के छोटे भाई के जन्म पर ताई साहिबा ने क्या किया ?
4. लेखिका की माँ को ताई साहिबा क्या कहती थीं ? लेखिका के पिता को उन्होंने क्या संदेश भेजा ?
5. ‘निराहार’ का संधि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर :
1. राखी बँधवाने का यह नियम था कि राखी के दिन जब तक बहनें भाई को राखी न बाँध जाएँ तब तक भाई को कुछ भी नहीं खाना चाहिए। उसे भूखा रहना चाहिए।
2. राखी पर लहरिए और मुहर्रम पर हरे कपड़े उपहार में मिलते थे।
3. लेखिका के छोटे भाई के जन्म पर ताई साहिबा ने इन्हें कपड़े आदि दिए और कहा कि नए बच्चे को छह महीने तक चाची – ताई के कपड़े पहनाए जाते हैं।
4. लेखिका की माँ को ताई साहिबा दुलहन कहती थीं। लेखिका के पिता को उन्होंने कहा कि देवर साहब से कहो कि वे उनका नेग तैयार करके रखें।
5. निर् + आहार।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

5. वही प्रोफ़ेसर मनमोहन वर्मा आगे चलकर जम्मू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे, गोरखपुर यूनिवर्सिटी के भी रहे। कहने का तात्पर्य यह है कि मेरे छोटे भाई का नाम वही चला जो ताई साहिबा ने दिया। उनके यहाँ भी हिंदी चलती थी, उर्दू भी चलती थी। यों, अपने घर में वे अवधी बोलते थे। वातावरण ऐसा था उस समय कि हम लोग बहुत निकट थे। आज की स्थिति देखकर लगता है, जैसे वह सपना ही था। आज वह सपना खो गया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. मनमोहन वर्मा और लेखिका का क्या संबंध था ? उनका नाम किसने रखा था ?
2. ताई साहिबा का परिचय दीजिए।
3. लेखिका के समय का वातावरण कैसा था ?
4. लेखिका का कौन-सा सपना खो गया है ?
5. ताई साहिबा के घर कौन-सी भाषा बोली जाती थी ?
उत्तर :
1. मनमोहन वर्मा लेखिका के छोटे भाई थे। उनका नाम उनके पड़ोस में रहने वाली मुसलमान बेगम साहिबा ने रखा था, जिन्हें वे ताई साहिबा कहते थे।
2. ताई साहिबा लेखिका के पड़ोस में रहने वाले जवारा के नवाब की पत्नी थीं। वे मुसलमान होते हुए भी लेखिका के परिवार से घुल-मिल गई थीं और लेखिका के पिता को अपना देवर मानती थीं।
3. लेखिका के समय देश का सांप्रदायिक वातावरण अत्यंत सहज तथा मेलजोल से परिपूर्ण था। हिंदू-मुसलमान मिल-जुलकर रहते थे। तीज-त्योहार मिलकर मनाते थे। आपस में विश्वास और प्रेम का भाव रहता था।
4. लेखिका वर्तमान समय में भी हिंदू-मुसलमान की एकता तथा मेलजोल की भावना का सपना देखती है, परंतु इन दिनों के सांप्रदायिक भेदभावों को देखकर उसे लगता है कि उसका सपना खो गया है।
5. ताई साहिबा के घर उर्दू और हिंदी बोली जाती है। वे अपने घर में अवधी बोलते थे।

मेरे बचपन के दिन Summary in Hindi

लेखिका-परिचय :

जीवन परिचय – श्रीमती महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य में आधुनिक युग की मीरा के नाम से विख्यात हैं। इसका कारण यह है कि मीरा की तरह महादेवी जी ने अपनी विरह-वेदना को कला के रूप में वाणी दी है। महादेवी जी का जन्म सन् 1907 में उत्तर प्रदेश के फरुर्खाबाद नामक नगर में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में हुई। माता के प्रभाव ने इनके हृदय में भक्ति – भावना के अंकुर को जन्म दिया।

शैशवावस्था में ही इनका विवाह हो गया था। आस्थामय जीवन की साधिका होने के कारण ये शीघ्र ही विवाह बंधन से मुक्त हो गईं। सन् 1933 में इन्होंने प्रयाग में संस्कृत विषय में एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। प्रयाग महिला विद्यापीठ के आचार्य पद के उत्तरदायित्व को निभाते हुए वे साहित्य – साधना में लीन रहीं। सन् 1987 ई० में इनका निधन हो गया। इन्हें साहित्य अकादमी एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया था।

काव्य – महादेवी जी ने पद्य एवं गद्य दोनों में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। कविता में अनुभूति तत्व की प्रधानता है तो गद्य में चिंतन की। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्य गीत तथा दीपशिखा। गद्य – श्रृंखला की कड़ियाँ, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, क्षणदा।

भाषा-शैली – महादेवी वर्मा मूलरूप से कवयित्री हैं। इनकी भाषा-शैली अत्यंत सरल, भावपूर्ण, प्रवाहमयी तथा सहज है। ‘मेरे बचपन के दिन’ लेखिका की बचपन की स्मृतियों को प्रस्तुत करनेवाला आलेख है। इसमें लेखिका ने सहज-सरल भाषा का प्रयोग किया है जिसमें कहीं- कहीं तत्सम शब्दों का प्रयोग भी दिखाई देता है, जैसे- स्मृति, विचित्र, आकर्षण, रुचि, विद्यापीठ आदि। विदेशी शब्द दर्जा, नक्काशीदार, उस्तानी, तुकबंदी, डेस्क, कंपाउंड आदि का भी कहीं-कहीं प्रयोग किया गया है। इस प्रकार के शब्द प्रयोग से भाषा में प्रवाहमयता आ गई है।

लेखिका की शैली आत्मकथात्मक है जिसमें लेखिका का व्यक्तित्व तथा स्वभाव उभर आता है। जैसे लेखिका लिखती है-” बाबा चाहते थे कि मैं उर्दू – फ़ारसी सीख लूँ, लेकिन वह मेरे वश की नहीं थी। मैंने जब एक दिन मौलवी साहब को देखा तो बस, दूसरे दिन मैं चारपाई के नीचे जा छिपी।” बीच-बीच में संवादात्मकता से पाठ में रोचकता आ गई है। इस प्रकार लेखिका की भाषा-शैली रोचक, स्पष्ट, प्रभावपूर्ण तथा भावानुरूप है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

पाठ का सार :

‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ में महादेवी वर्मा ने अपने बचपन की स्मृतियों को प्रस्तुत किया है। लेखिका का मानना है कि बचपन की स्मृतियाँ विचित्र आकर्षण से युक्त होती हैं। लेखिका अपने परिवार में लगभग दो सौ वर्ष बाद पैदा होने वाली लड़की थी। इसलिए उसके जन्म पर सबको बहुत प्रसन्नता हुई। लेखिका के बाबा दुर्गा के भक्त थे तथा फ़ारसी और उर्दू जानते थे। इनकी माता जबलपुर की थीं तथा हिंदी पढ़ी- लिखी थीं।

वे पूजा-पाठ बहुत करती थीं। माता जी ने इन्हें पंचतंत्र पढ़ना सिखाया था। बाबा इन्हें विदुषी बनाना चाहते थे। बाबा इन्हें उर्दू- फ़ारसी पढ़ाना चाहते थे परंतु इन्हें संस्कृत पढ़ने में रुचि थी। इन्हें पहले मिशन स्कूल में भेजा गया परंतु इनका वहाँ मन नहीं लगा तो इन्हें क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में कक्षा पाँच में दाखिल कराया गया। यहाँ का वातावरण बहुत अच्छा था। छात्रावास के हर कमरे में चार छात्राएँ रहती थीं। इनके कमरे में सुभद्रा कुमारी थीं। वे लेखिका से दो कक्षाएँ आगे कक्षा सात में थीं।

वे कविता लिखती थीं और लेखिका ने भी कविताएँ लिखना शुरू कर दिया था। लेखिका की माता जी मीरा के पद गाती थीं जिन्हें सुनकर वह भी ब्रजभाषा में कविता लिखने लग गई थी परंतु यहाँ आकर सुभद्रा कुमारी को देखकर वह भी खड़ी बोली में कविता लिखने लगी। जब पहली बार सुभद्रा कुमारी ने लेखिका से पूछा कि क्या वह कविता लिखती है तब लेखिका ने डरकर ‘नहीं’ में उत्तर दिया था। जब सुभद्रा कुमारी ने उसकी किताबों की तलाशी ली तो उसमें से कविता लिखा हुआ कागज निकल पड़ा जिसे वे सारे छात्रावास में दिखा आईं कि महादेवी कविता लिखती है। इसके बाद दोनों में मित्रता हो गई।

क्रास्थवेट कॉलेज में एक पेड़ की डाल बहुत नीची थी। जब अन्य लड़कियाँ खेलती थीं तब ये दोनों पेड़ की डाल पर बैठकर तुकबंदी करती थीं। इनकी कविताएँ ‘स्त्री- दर्पण’ नामक पत्रिका में छप जाती थीं। वे कवि-सम्मेलनों में भी जाने लगीं। लेखिका 1917 में यहाँ आई थी। इन दिनों गांधी जी का सत्याग्रह आरंभ हो गया था तथा आनंद भवन स्वतंत्रता के संघर्ष का केंद्र बन गया था। इन दिनों होने वाले कवि सम्मेलनों की अध्यक्षता हरिऔध, श्रीधर पाठक, रत्नाकर आदि करते थे। लेखिका को प्रायः प्रथम पुरस्कार मिलता था। इन्हें सौ के लगभग पदक मिले थे। एक बार इन्हें पुरस्कार में चाँदी का कटोरा मिला, जिसे इन्होंने सुभद्रा को दिखाया तो उसने कहा कि एक दिन खीर बनाकर इस कटोरे में मुझे खिलाना।

जब आनंद भवन में बापू आए तो अपने जेब खर्च में से बचाई राशि उन्हें देने के लिए लेखिका वहाँ गई और उन्हें पुरस्कार में मिला चाँदी का कटोरा भी दिखाया। गांधी जी ने उसे कहा कि यह कटोरा मुझे दे दो। लेखिका ने वह उन्हें दे दिया और लौटकर सुभद्रा से कहा कि चाँदी का कटोरा तो गांधी जी ने ले लिया। सुभद्रा ने कहा कि और जाओ दिखाने पर खीर तो तुम्हें बनानी ही होगी, चाहे पीतल की कटोरी में ही खिलाओ। लेखिका को यह प्रसन्नता थी कि पुरस्कार में मिला कटोरा उसने गांधी जी को दिया था।

सुभद्रा जी के जाने के बाद लेखिका के साथ एक मराठी लड़की जेबुन्निसा रहने लगी। वह कोल्हापुर की रहने वाली थी। वह लेखिका के बहुत से काम भी कर देती थी। जेबुन्निसा मराठी शब्दों से मिली-जुली हिंदी बोलती थी। लेखिका ने भी उससे कुछ मराठी शब्द सीखे। उनकी अध्यापिका जेबुन के ‘इकडे तिकड़े’ जैसे मराठी शब्द सुनकर उसे टोकती कि ‘वाह! देसी कौवा, मराठी बोली !’ इस पर जेबुन कहती ‘यह मराठी कौवा मराठी बोलता है।’ जेबुन की वेशभूषा भी मराठी महिलाओं जैसे थी। वहाँ कोई सांप्रदायिक भेदभाव नहीं था। अवध की लड़कियाँ अवधी, बुंदेलखंड की बुंदेली बोलती थीं। यहाँ हिंदी, उर्दू आदि सब कुछ पढ़ाया जाता था परंतु आपस में बातचीत वे अपनी ही भाषा में करती थीं।

लेखिका जब विद्यापीठ आई तब तक उसका बचपन का क्रम ही चलता रहा। बचपन में वे जहाँ रहती थीं, वहीं जवारा के नवाब भी रहते थे। उनकी नवाबी समाप्त हो गई थी। उनकी पत्नी इन्हें कहती थी कि वे इन्हें ताई कहें। बच्चे उन्हें ‘ताई साहिब’ कहते थे। उनके बच्चे इनकी माता जी को चचीजान कहते थे। इनके जन्मदिन नवाब साहब के घर और नवाब साहब के बच्चों के इनके घर मनाए जाते थे।

उनके एक लड़का था जिसे ये राखी बांधती थीं। जब लेखिका का छोटा भाई हुआ तो वे उसके लिए कपड़े आदि लाई और उसका नाम मनमोहन रखा। वही आगे चलकर प्रोफेसर मनमोहन वर्मा जम्मू विश्वविद्यालय और गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बने। उनके घर में हिंदी, उर्दू, अवधी आदि भाषाओं का प्रयोग होता था। उस वातावरण में दोनों परिवार एक-दूसरे के बहुत निकट थे। लेखिका को लगता है कि यदि आज भी ऐसा ही वातावरण बन जाता तो भारत की कथा ही कुछ और होती।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • स्मृतियाँ – यादें
  • खातिर – सेवा, सत्कार
  • दर्जा – कक्षा
  • उपरांत – बाद
  • इकड़े-तिकड़े – इधर-उधर
  • निराहार – भूखा, बिना खाए-पिए
  • वाइस चांसलर – कुलपति
  • परमधाम – स्वर्ग
  • विदुषी – विद्वान स्त्री
  • प्रतिष्ठित – सम्मानित
  • नक्काशीदार – चित्रकारी से युक्त
  • लोकर-लोकर – शीघ्र-शीघ्र
  • लहरिए – रंगीन साड़ी

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

JAC Class 9 Hindi दो बैलों की कथा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
काँजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी ?
उत्तर :
काँजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी जिससे यह पता चल सके कि वहाँ कैद किए गए सभी पशु वहाँ उपस्थित हैं। उनमें से कोई भाग अथवा मर तो नहीं गया है।

प्रश्न 2.
छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया ?
उत्तर :
छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। सौतेली माँ उसे मारती रहती थी। बैल दिनभर जोते जाते थे और उन्हें डंडे भी मारे जाते थे। उन्हें खाने को सूखा भूसा दिया जाता था। बैलों की इस दुर्दशा पर छोटी बच्ची को दया आ गई थी। उसे लगा कि बैलों के साथ भी उसके समान सौतेला व्यवहार हो रहा है। इसलिए उसके मन में बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया था। वह रात को उन्हें एक-एक रोटी खिला आती थी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 3.
कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं ?
उत्तर :
इस कहानी के माध्यम से लेखक ने किसानों और पशुओं के भावात्मक संबंधों का वर्णन किया है। हीरा और मोती नामक बैल अपने स्वामी झूरी से बहुत स्नेह करते हैं तथा जी-जान से उसके काम करते हैं परंतु झूरी के साले गया के घर जाना उन्हें अच्छा नहीं लगता। यहाँ तक कि वहाँ जाकर चारा भी नहीं खाते और रात होने पर रस्सी तुड़ाकर वापस झूरी के घर आ जाते हैं। उन्हें फिर गया के घर आना पडता है तो इसे ही अपनी नियति मानकर कहते हैं कि बैल का जन्म लिया है तो मार से कहाँ तक बचना ? वे अपनी जाति के धर्म को निभाते हैं तथा बदले में मनुष्यों को नहीं मारते। काँजीहौस में मित्रता निभाते हैं तथा मिलकर साँड़ का मुकाबला करते हैं। दढ़ियल द्वारा खरीदे जाने के बाद अपने घर का रास्ता पहचानकर झूरी के घर आ जाते हैं और अपनी स्वामी भक्ति का परिचय देते हैं।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ ‘मूर्ख’ का प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है ?
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे को सीधा, सहनशील, अक्रोधी, सुख – दुःख में समभाव से रहनेवाला प्राणी बताते हुए उसे ऋषियों- मुनियों के सद्गुणों से युक्त बताया है। वे उसे एक सीधा-साधा पशु बताते हैं, जिसके चेहरे पर कभी भी असंतोष की छाया तक नहीं दिखाई देती है और रूखा-सूखा खाकर भी संतुष्ट रहता है।

प्रश्न 5.
किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी ?
उत्तर :
बहुत दिनों से साथ रहते-रहते हीरा और मोती में गहरी दोस्ती हो गई थी। दोनों मूक-भाषा में एक-दूसरे के मन की बात समझ लेते थे। आपस में सींग मिलाकर, एक-दूसरे को चाट अथवा सूँघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। दोनों एक साथ नाँद में मुँह डालते। यदि एक मुँह हटा लेता तो दूसरा भी हटा लेता था। हल या गाड़ी में जोत दिए जाने पर दोनों का यह प्रयास रहता था कि अधिक बोझ उसकी गरदन पर रहे। गया के घर से दोनों मिलकर भागे थे। गया के घर दोनों ही भूखे रहे थे। साँड़ को दोनों ने मिलकर भगा दिया था। मटर के खेत में मोती जब कीचड़ में धँस गया तो हीरा स्वयं ही रखवालों के पास आ गया था जिससे दोनों को एक साथ सजा मिले। काँजीहौस में मोती हीरा के बँधे होने के कारण बाड़े की दीवार टूट जाने पर भी नहीं भागा था। इन सब घटनाओं से हीरा और मोती की गहरी दोस्ती का पता चलता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 6.
‘लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो। ‘ हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने हीरा के इस कथन के माध्यम से इस ओर संकेत किया है कि हमारे समाज में स्त्री को सदा प्रताड़ित किया जाता है। उसे पुरुष की दासी के रूप में चित्रित किया जाता है, जिसे सब प्रकार से मारने-पीटने का अधिकार पुरुष के पास होता है। उसका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है। उसे पुरुष की इच्छानुसार अपना जीवन व्यतीत करना होता है। स्त्री को सदा पुरुष पर आश्रित रहना पड़ता है।

प्रश्न 7.
किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है ?
उत्तर :
इस कहानी में किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को अत्यंत भावात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। झूरी को अपने बैलों हीरा और मोती से बहुत लगाव है। वह उन्हें अच्छा भोजन देता है। जब वे गया के घर से भागकर आते हैं तो उन्हें दौड़कर गले लगा लेता है। गया के घर जाते हुए बैलों को भी झूरी से बिछुड़ने का दुख है। वे समझते हैं कि उन्हें बेच दिया गया है। वे और अधिक मेहनत करके झूरी के पास ही रहना चाहते हैं। गया के घर की छोटी बच्ची के हाथ से एक-एक रोटी खाकर उन्हें उस बच्ची से स्नेह हो जाता है और बच्ची पर अत्याचार करनेवाली उसकी सौतेली माँ को मोती मारना चाहता है। अंत में जब हीरा और मोती कॉंजीहौस से दढ़ियल के साथ घर पहुँचते हैं, तो झूरी उन्हें गले लगा लेता है और झूरी की पत्नी भी उन दोनों के माथे चूम लेती है।

प्रश्न 8.
‘इतना तो हो गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे।’ मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
इस कथन से स्पष्ट होता है कि मोती में परोपकार की भावना है। वह काँजीहौस के बाड़े की कच्ची दीवार तोड़ देता है जिससे नौ-दस जानवर निकलकर भाग जाते हैं। गधों को तो वह स्वयं धकेलकर बाहर निकालता है। मोती सच्चा मित्र भी है। हीरा की रस्सी वह तोड़ नहीं सका था इसलिए वह स्वयं बाड़े से भागकर नहीं गया बल्कि हीरा के पास ही बैठा रहा और सुबह होने पर उसे भी चौकीदार ने मोटी रस्सी से बाँध दिया और खूब मारा। मोती बहादुर भी है। अपने बल पर वह सींग मार-मारकर बाड़े की कच्ची दीवार तोड़ देता है जिससे बाड़े में कैद जानवर बाहर भाग जाते हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 9.
आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करनेवाला मनुष्य वंचित है।
उत्तर :
इस कथन के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि पशु भी परस्पर मूक भाषा में एक-दूसरे से वार्तालाप कर लेते हैं तथा एक-दूसरे के मन की बात समझ लेते हैं। उनकी इस प्रकार से एक-दूसरे की मन की बात को जानने की जो शक्ति है वह केवल उन्हीं में है। मनुष्य, जोकि स्वयं को समस्त प्राणियों में श्रेष्ठ समझता है, उसमें भी ऐसी शक्ति नहीं है। यह विशेषता केवल पशुओं में ही होती है।

(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
उत्तर :
गया के घर आने के बाद हीरा-मोती को केवल सूखा चारा खाने को मिलता था। उन्हें सारा दिन खेतों में जोता जाता था तथा उनकी डंडों से पिटाई होती थी। उन्हें प्रेम करनेवाला कोई नहीं था। छोटी बच्ची रात के समय उन्हें एक-एक रोटी खिला देती थी। इस एक रोटी को खाकर ही वे संतुष्ट हो जाते थे। क्योंकि इस एक रोटी के माध्यम से वह बच्ची उन्हें अपना स्नेह दे देती थी जिनसे उनका स्नेह के लिए भूखा हृदय संतुष्ट हो जाता था।

प्रश्न 10.
गया ने हीरा – मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि –
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरा – मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी।
उत्तर :
(ग) वह हीरा – मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 11.
हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर :
हीरा-मोती झूरी के घर आराम से रह रहे थे। वे पूरी मेहनत से झूरी के सब काम करते थे तथा जो मिलता था खा लेते थे। उन्होंने झूरी को कभी शिकायत का मौका नहीं दिया था। जब उन्हें झूरी का साला गया ले जाने लगा तो उन्हें लगा कि उसे झूरी ने गया के हाथों बेच दिया है। उन्हें गया के साथ जाना पसंद नहीं आया। गया ने उन्हें डंडों से मारा, खाने के लिए सूखा चारा दिया। वे इसे अपना अपमान समझकर रस्सी तुड़ाकर झूरी के पास लौट आए। उन्हें फिर गया के पास जाना पड़ा।

वहाँ उन पर फिर अत्याचार हुए। इस बार छोटी बच्ची ने उन्हें आज़ाद कराया। वे अपने घर जा रहे थे कि साँड़ से हुए झगड़े में वे रास्ता भटक गए। मटर खाने के चक्कर में उन्हें काँजीहौस में बंद होना पड़ा। वहाँ दीवार तोड़ने के आरोप में इन पर डंडे बरसाए गए और अंत में एक दढ़ियल के हाथों बिक गए। जब वह दढ़ियल इन्हें ले जा रहा था तो इन्हें अपना घर दिखाई दिया तो वे भागकर वहाँ आ गए और दढ़ियल को मोती ने सींग चलाकर भगा दिया। इस प्रकार अपनी आज़ादी तथा अपनी घर वापसी के लिए किए गए हीरा-मोती के प्रयत्न सार्थक सिद्ध हुए। उन्होंने अनेक मुसीबतें उठाकर भी अपना अधिकार प्राप्त कर लिया।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 12.
क्या आपको लगता है कि यह कहानी आज़ादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है ?
उत्तर :
इस कहानी में लेखक ने हीरा – मोती को दूसरे की परतंत्रता से स्वयं को मुक्त करने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाया है। हीरा-मोती अपने बल से गया के स्थान से रस्सी तुड़ाकर अपने घर आ जाते हैं। दूसरी बार अनेक मुसीबतें सहन करते हुए भी गया के खेतों में काम नहीं करते और छोटी बच्ची के सहयोग से आज़ाद हो जाते हैं। अंत में काँजीहौस से अन्य जानवरों को आज़ाद कराते हैं तथा स्वयं दंड पाकर भी दढ़ियल के चंगुल से छूटकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रकार यह कहानी भारत की आज़ादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है कि किस प्रकार भारतवासियों ने अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए अंत में आज़ादी प्राप्त की है।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 13.
बस इतना ही काफ़ी है।
फिर मैं भी ज़ोर लगाता हूँ।
‘ही’, ‘भी’ वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी में से पाँच ऐसे वाक्य छाँटिए जिसमें निपात का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर :
(क) एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।
(ख) कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है।
(ग) बैल कभी-कभी मारता भी है।
(घ) न दादा, पीछे से तुम भी उन्हीं की-सी कहोगे
(ङ) ब्याही हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

‘प्रश्न 14.
रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए-
(क) दीवार का गिरना था कि अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
(ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
(ग) हीरा ने कहा – गया के घर से नाहक भागे।
(घ) मैं बेचूँगा, तो बिकेंगे।
(ङ) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे ना छोड़ता।
उत्तर :
(क) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
भेद – संज्ञा उपवाक्य।
(ख) संयुक्त वाक्य –
उपवाक्य – जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा कठोर।
भेद – विशेषण उपवाक्य।
(ग) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – गया के घर से नाहक भागे।
भेद – संज्ञा उपवाक्य।
(घ) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – तो बिकेंगे।
भेद – क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(ङ) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
भेद – क्रिया-विशेषण उपवाक्य।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 15.
कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
(क) गम खाना-मोहन अपने मित्र सोहन की चार बातें सुनकर भी गम खा गया क्योंकि वह उससे लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहता था।
(ख) ईंट का जवाब पत्थर से- भारतीय सेना ने शत्रु सेना के आक्रमण का जवाब ईंट का जवाब पत्थर से देकर शत्रु सेना को पराजित कर दिया।
(ग) दाँतों पसीना आना-गणित का प्रश्न-पत्र इतना कठिन था कि इसे हल करते हुए परीक्षार्थियों को दाँतों पसीना आ गया।
(घ) बगलें झाँकना- साहूकार को देखते ही हलकू बगलें झाँकने लगा।
(ङ) नौ-दो ग्यारह होना-पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गए।

पाठेतर सक्रियता –

प्रश्न :
पशु-पक्षियों से संबंधित अन्य रचनाएँ ढूँढ़कर पढ़िए और कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 9 Hindi दो बैलों की कथा Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखक ने गधे का छोटा भाई किसे और क्यों कहा है ?
उत्तर :
लेखक ने गधे का छोटा भाई बैल को कहा है। बैल को गधे का छोटा भाई इसलिए कहा है क्योंकि वह गधे से कम बेवकूफ़ है। वह अपना असंतोष प्रकट करने के लिए कभी-कभी मारता भी है और अपनी ज़िद्द पर अड़ जाने के कारण अड़ियल बैल कहलाने लगता है। बैल को बछिया का ताऊ भी कहते हैं।

प्रश्न 2.
गया जब हीरा-मोती को झूरी के घर से लेकर चला तो हीरा-मोती ने क्या सोचा ?
उत्तर :
गया जब हीरा-मोती को झूरी के घर से लेकर चला तो उन्हें लगा कि झूरी ने उन्हें गया के हाथों बेच दिया है। वे सोच रहे थे कि झूरी ने उन्हें निकाल दिया है। वे मन लगाकर उसकी सेवा करते थे। वे और भी अधिक मेहनत करने के लिए तैयार हैं। वे झूरी की सेवा करते हुए मर जाना ही अच्छा समझते हैं उन्होंने झूरी से कभी दाने-चारे की भी शिकायत नहीं की थी। उन्हें गया जैसे जालिम के हाथों अपना बेचा जाना अच्छा नहीं लगा था।

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प्रश्न 3.
झूरी जब प्रातः काल सोकर उठा तो उसने क्या देखा ? उसकी तथा गाँववालों की प्रतिक्रिया क्या थी ?
उत्तर :
झूरी ने देखा कि गया द्वारा ले जाए गए दोनों बैल चरनी पर खड़े हैं। उनके गले में आधी-आधी फुंदेदार रस्सी लटक रही थी और उनके पाँव कीचड़ से सने हुए थे। दोनों की आँखों में विद्रोह और स्नेह झलक रहा था। झूरी ने दौड़कर उन्हें गले से लगा लिया। घर और गाँव के लड़कों ने तालियाँ बजा-बजाकर उनका स्वागत किया। बच्चों ने इन दोनों वीर – पशुओं का अभिनंदन करना चाहा क्योंकि ये दोनों इतनी दूर से अकेले अपने घर आ गए थे। उन्हें लगता था कि ये बैल नहीं किसी जन्म के इनसान हैं। झूरी की पत्नी को इनका गया के घर से भाग आना अच्छा नहीं लगा था।

प्रश्न 4.
गया ने जब बैलों को हल में जोता तो बैलों पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
गया ने जब बैलों को हल में जोता तो बैलों ने काम करने से मना कर दिया। वे दोनों अड़ियल बन गए। गया उन्हें मारत मारते थक गया, परंतु दोनों बैलों ने पाँव न उठाए। गया ने हीरा की नाक पर खूब डंडे मारे तो मोती गुस्से में भरकर हल लेकर भागा तो हल, रस्सी, जुआ, जोत सब टूट गए। गले में बड़ी-बड़ी रस्सियाँ बँधी होने के कारण दोनों को पकड़ लिया गया था।

प्रश्न 5.
हीरा – मोती ने स्वयं को साँड़ से कैसे बचाया ?
उत्तर :
साँड़ को देखकर पहले तो हीरा – मोती घबरा गए थे फिर उन्होंने यह सोचा कि दोनों उस पर एक साथ चोट करें। एक आगे से दूसरा पीछे से उसपर चोट करेगा। जैसे ही साँड़ हीरा पर झपटा मोती ने उस पर पीछे से वार किया। साँड़ उसकी तरफ़ दौड़ा तो हीरा ने उस पर आक्रमण कर दिया। साँड़ झल्लाकर हीरा का अंत कर देने के लिए चला तो मोती ने बगल से आकर उसके पेट में सींग भोंक दिया तो दूसरी ओर से हीरा ने उसे सींग चुभो दिया। घायल होकर साँड़ भागा तथा इनका पीछा करने पर साँड़ बेदम होकर गिर पड़ा।

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प्रश्न 6.
काँजीहौस के अंदर के दृश्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
काँजीहौस के अंदर कई भैंसें, कई बकरियाँ, कई घोड़े और कई गधे बंद थे। हीरा और मोती को भी यहीं बंद कर दिया गया। यहाँ बंद जानवरों के सामने चारा नहीं था। सभी ज़मीन पर मुरदों के समान पड़े थे। कई तो इतने अधिक कमज़ोर हो गए थे कि उनसे खड़ा भी नहीं हुआ जाता था। हीरा-मोती सारा दिन फाटक की ओर देखते रहे कि कोई चारा लेकर आएगा, पर कोई भी न आया तो दोनों ने दीवार की नमकीन मिट्टी ही चाटकर गुज़ारा किया।

प्रश्न 7.
दढ़ियल आदमी के बंधन से हीरा-मोती कैसे आज़ाद हुए ?
उत्तर :
काँजीहौस से एक दढ़ियल आदमी ने हीरा – मोती को खरीद लिया और उन्हें अपने साथ ले चला। उस आदमी की भयानक मुद्रा से ही हीरा – मोती ने समझ लिया था कि वह आदमी उन पर छुरी चलाकर उन्हें मार डालेगा। वे उसके साथ काँपते हुए जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें गाय-बैलों का एक झुंड चरता हुआ नज़र आया। सहसा उन्हें लगा कि यह तो उनकी जानी पहचानी राह है। दोनों दौड़कर अपने स्थान पर आ गए। वह दढ़ियल भी उनके पीछे भागकर आया और उन पर अपना अधिकार जमाने लगा। झूरी ने दोनों बैलों को गले लगा लिया और उस दढ़ियल को कहा कि ये उसके बैल हैं। दढ़ियल ने जब ज़बरदस्ती बैलों को पकड़कर ले जाना चाहा तो मोती ने सींग चलाया। दढ़ियल पीछे हटा। मोती ने फिर पीछा किया तो दढ़ियल भाग गया। इस प्रकार वे दढ़ियल के बंधन से आज़ाद हुए।

प्रश्न 8.
‘दो बैलों की कथा’ कहानी में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘दो बैलों की कथा’ कहानी में प्रेमचंद ने स्पष्ट किया है कि किस प्रकार पशु और मानव में परस्पर प्रेम होता है तथा पशु अपने मालिक के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। हीरा-मोती का झूरी से प्रेम यही सिद्ध करता है। इसी प्रकार से गया के घर में छोटी बच्ची से रोटी प्राप्त कर वे उसके प्रति भी सद्भाव से भर उठते हैं। पशुओं को भी स्वतंत्रता प्रिय है, इसलिए वे गया के घर के बंधनों को तोड़कर, साँड़ से लड़कर, काँजीहौस के बाड़े की दीवार को तोड़कर तथा दढ़ियल के बंधन से भाग निकलते हैं। इस प्रकार इस कहानी का मूल संदेश पशु और मानव के भावात्मक संबंधों को उजागर करते हुए स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देना है।

प्रश्न 9.
झूरी कौन था ? उसका हीरा-मोती के साथ क्या संबंध था ?
उत्तर :
झूरी एक किसान था। उसे पशुओं से बहुत प्रेम था। हीरा – मोती उसके दो बैल थे। वह उन्हें जान से ज़्यादा प्यार करता था। दोनों बैल बहुत ही सुंदर और तंदरुस्त थे। उन दोनों का भी अपने मालिक झूरी से बहुत प्यार और लगाव था। झूरी बड़े ही चाव और प्यार से उनकी देखभाल करता था।

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प्रश्न 10.
मजदूर ने झूरी की किस आज्ञा का और क्यों उल्लंघन किया ?
उत्तर :
गया जब झूरी के दोनों बैलों को हाँककर अपने घर ले गया, तो बैल वहाँ नहीं रुके। दोनों रस्सी तोड़कर भाग आए। गाँववालों तथा बच्चों ने तालियाँ बजाकर उनका स्वागत किया। झूरी की पत्नी को हीरा मोती का वापिस आना तनिक भी अच्छा नहीं लगा। उसने मज़दूर से बैलों को सूखा भूसा देने को कहा। जब झूरी ने भूसा खली डालने को कहा तो मज़दूर ने मालकिन की आज्ञा का हवाला देकर झूरी की आज्ञा की अवज्ञा कर दी।

प्रश्न 11.
दूसरी बार गया बैलों को कैसे लेकर जाता है ? घर में वह उनके साथ क्या करता है ?
उत्तर :
दूसरी बार गया हीरा – मोती को बैलगाड़ी में जोतकर ले जाता है। दोनों बैल रास्ते में सड़क की खाई में बैलगाड़ी को गिराना चाहते हैं, लेकिन गया किसी तरह गाड़ी को गिरने से बचा लेता है। घर ले जाकर वह दोनों बैलों को मोटी रस्सी से बाँध देता है। उन्हें खाने के लिए सूखा भूसा देता है।

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर – 

1. जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) जानवरों में किसे सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है ?
(ख) हम किसी आदमी को गधा कब कहते हैं ?
(ग) किस बात का निश्चय नहीं किया जा सकता ?
उत्तर :
(क) जानवरों में गधे को सबसे ज़्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है।
(ख) हम किसी आदमी को गधा तब कहते हैं जब हम उसे परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं।
(ग) इस बात का निश्चय नहीं किया जा सकता कि गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन और उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दी है।

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2. उसके चेहरे पर एक स्थायी विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गए हैं; पर आदमी उसे बेवकूफ़ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है। देखिए न, भारतवासियों की अफ्रीका में क्या दुर्दशा हो रही है ? क्यों अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता ? बेचारे शराब नहीं पीते, चार पैसे कुसमय के लिए बचाकर रखते हैं, जी तोड़कर काम करते हैं, किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करते, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं फिर भी बदनाम हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) गधे के चेहरे पर कौन-सा भाव स्थायी रूप से छाया रहता है और किन परिस्थितियों में भी नहीं बदलता ?
(ख) गधे में किनके गुण पहुँच गए हैं ? गधे के सद्गुणों का अनादार कैसे होता है ?
(ग) ‘सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है” – क्यों ?
उत्तर :
(क) गधे के चेहरे पर एक निषाद् का भाव स्थायी रूप से छाया रहता है। यह भाव सुख-दुःख, हानि-लाभ किसी भी दशा में नहीं बदलता।
(ख) गधे में ऋषियों-मुनियों के गुण पराकाष्ठा तक पहुँच गए हैं पर आदमी तब भी उसे बेवकूफ कहकर उसके सद्गुणों का अनादर करता है।
(ग) सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं क्योंकि सीधे-सादे भारतवासियों की अफ्रीका में दुर्दशा हो रही है, अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता। वे शराब नहीं पीते, जरूरत के लिए पैसे बचाकर रखते हैं, जीतोड़ मेहनत करते हैं, शांतिप्रिय हैं फिर भी बदनाम हैं।

3. लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा है, और वह है ‘बैल’। जिस अर्थ में हम गधे का प्रयोग करते हैं, कुछ उसी से मिलते-जुलते अर्थ में ‘बछिया के ताऊ’ का भी प्रयोग करते हैं। कुछ लोग बैल को शायद बेवकूफ़ों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे, मगर हमारा विचार ऐसा नहीं है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) गधे का छोटा भाई किसे कहा गया है ?
(ख) गधे के मिलते-जुलते अर्थ में हम किस शब्द का प्रयोग करते हैं ?
(ग) “लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा है, और वह है ‘बैल’। ” – तात्पर्य समझाइए।
(घ) लेखक के अनुसार कुछ लोग बैल को क्या कहेंगे ?
उत्तर :
(क) गधे का छोटा भाई बैल को कहा गया है।
ख) गधे के मिलते-जुलते अर्थ में हम ‘बछिया के ताऊ’ शब्द का प्रयोग करते हैं।
(ग) इसका तात्पर्य है कि बैल भी लगभग गधे के समान ही सीधा होता है, इसीलिए उसे गधे का छोटा भाई कहते हैं। बैल सीधा होने पर भी कभी – कभी अड़ियल हो जाता है, इसलिए उसे गधे से कम गधा कहा जाता है।
(घ) लेखक के अनुसार कुछ लोग बैल को बेवकूफ़ों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे।

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4. दोनों आमने-सामने या आस-पास बैठे हुए एक-दूसरे से मूक- भाषा में विचार-विनिमय करते थे। एक, दूसरे के मन की बात कैसे समझ जाता था, हम नहीं कह सकते। अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करनेवाला मनुष्य वंचित है। दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सूँघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते थे – विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे दोस्तों में घनिष्ठता होते ही धौल धप्पा होने लगता है। इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हलकी-सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) दोनों बैल आपस में विचार-विनिमय कैसे करते थे ?
(ख) मनुष्य किससे वंचित है ?
(ग) दोनों बैल आपस में दोस्ती की घनिष्ठता दिखाने के लिए क्या करते थे ?
(घ) बैलों द्वारा आपस में दोस्ती की घनिष्ठता दिखाने का क्या कारण था ?
उत्तर :
(क) दोनों बैल आपस में मूक भाषा में विचार-विनिमय करते थे।
(ख) दोनों बैलों में कोई ऐसी गुप्तशक्ति थी जिससे वे दोनों बिना बोले ही एक-दूसरे की बात समझ जाते थे। ऐसी शक्ति से मनुष्य वंचित है।
(ग) आपस में दोस्ती की घनिष्ठता दिखाने के लिए दोनों बैल एक-दूसरे को चाटने, सूँघते थे तथा कभी-कभी सींग भी मिलाते थे।
(घ) दोनों बैल दोस्ती की घनिष्ठता इसलिए दिखाते थे क्योंकि इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हलकी-सी रहती है, जिस पर ज़्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता। ऐसा करके वे विनोद व आत्मीयता के भाव को प्रकट करते हैं।

5. अगर ईश्वर ने उन्हें वाणी दी होती, तो झूरी से पूछते – तुम हम गरीबों को क्यों निकाल – तुम हम गरीबों को क्यों निकाल रहे हो ? हमने तो तुम्हारी सेवा करने में कोई कसर नहीं उठा रखी। अगर इतनी मेहनत से काम नहीं चलता था तो और काम ले लेते। हमें तो तुम्हारी चाकरी में मर जाना कबूल था। हमने कभी दाने – चारे की शिकायत नहीं की। तुमने जो कुछ खिलाया, वह सिर झुकाकर खा लिया, फिर तुमने हमें इस ज़ालिम के हाथ क्यों बेच दिया ?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) हीरा-मोती किसे ज़ालिम कह रहे हैं और क्यों ?
(ख) हीरा – मोती क्यों परेशान हैं ?
(ग) हीरा – मोती का अपने स्वामी के प्रति क्या भाव है ?
(घ) हीरा – मोती किसी दूसरे के साथ क्यों नहीं जाना चाहते ?
(ङ) दो विदेशी शब्द चुनकर लिखिए।
उत्तर :
(क) हीरा – मोती गया को ज़ालिम कह रहे हैं क्योंकि वे अपने मालिक झूरी का घर छोड़कर नहीं जाना चाहते थे। जब वे रास्ते में अड़कर खड़े हो जाते हैं तो गया उन्हें मार-पीटकर घसीटकर ले जाता है।
(ख) हीरा – मोती इस बात से परेशान हैं कि उनके मालिक ने उन्हें किसी दूसरे के हाथ बेच दिया है जबकि उनका कोई दोष भी नहीं था। वे जी-जान से अपने मालिक का कार्य करते थे।
(ग) हीरा – मोती को अपने स्वामी से बहुत स्नेह है। वे पूरी मेहनत से उसके लिए कार्य करते थे तथा जो भी दाना – चारा मिलता था, उसे ही बिना किसी शिकायत के खा लेते थे।
(घ) उन्हें अपने स्वामी से बहुत स्नेह है। वे अपने स्वामी के अतिरिक्त अन्य कहीं नहीं जाना चाहते। यहाँ के वातावरण तथा खान-पान से भी वे संतुष्ट हैं। गया के मारने-पीटने से भी वे उसके साथ नहीं जाना चाहते तथा स्वामी के पास ही रहना चाहते हैं।
(ङ) कबूल, ज़ालिम।

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6. दोनों ने अपनी मूक- भाषा में सलाह की, एक-दूसरे को कनखियों से देखा और लेट गए। जब गाँव में सोता पड़ गया, तो दोनों ने जोर मारकर पहे तुड़ा डाले और घर की तरफ़ चले। पगहे बहुत मज़बूत थे। अनुमान न हो सकता था कि कोई बैल उन्हें तोड़ सकेगा; पर इन दोनों में इस समय दूनी शक्ति आ गई थी। एक-एक झटके में रस्सियाँ टूट गईं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) दोनों ने क्या सलाह की और क्यों ?
(ख) ‘सोता पड़ गया’ और ‘पगहे तुड़ा डाले’ से क्या तात्पर्य है ?
(ग) दोनों कहाँ आ गए थे और क्यों ?
(घ) उन दोनों में ‘दूनी शक्ति’ कैसे आ गई थी ?
(ङ) बैलों ने कितने झटकों में अपनी रस्सियाँ तोड़ दी थीं ?
उत्तर :
(क) दोनों बैलों ने झूरी के साले गया के घर से भागने की सलाह की क्योंकि उन्हें यहाँ आना अच्छा नहीं लगा था। दिन-भर के भूखे होने पर भी उन्होंने कुछ नहीं खाया था। यहाँ सभी कुछ उन्हें बेगाना लग रहा था।
(ख) ‘सोता पड़ गया’ से तात्पर्य यह है कि रात हो गई थी। गाँव के सभी लोग सो गए थे। चारों ओर एकांत था। ‘पगहे तुड़ा डाले’ से तात्पर्य यह है कि जिन रस्सियों से बैलों को खूँटों से बाँधा गया था, उन्होंने उन रस्सियों को तोड़ दिया था।
(ग) दोनों बैलों को झूरी का साला गया अपने गाँव ले आया था। वह उन्हें अपने खेतों में जोतना चाहता था।
(घ) उन दोनों बैलों ने गया के घर आकर कुछ भी नहीं खाया था। जब उन्होंने वहाँ से भाग जाने का निश्चय कर लिया तो इसी निश्चय के उत्साह के कारण कि ‘वे यहाँ से निकलकर अपने पुराने घर जा सकते हैं बहुत मज़बूत रस्सियों को भी उन्होंने तोड़ डाला था। उनमें दुगुनी शक्ति इस विचार से आ गई थी कि वे यहाँ से आज़ाद होकर अपने घर जा सकेंगे।’
(ङ) बैलों ने एक-एक झटके में अपने रस्सियाँ तोड़ दी थीं।

7. ‘मुझे मारेगा, तो मैं भी एक-दो को गिरा दूँगा।’
‘नहीं। हमारी जाति का यह धर्म नहीं है।’
मोती दिल में ऐंठकर रह गया। गया आ पहुँचा और दोनों को पकड़कर ले चला। कुशल हुई कि उसने इस वक्त मारपीट न की, नहीं तो मोती भी पलट पड़ता। उसके तेवर देखकर गया और उसके सहायक समझ गए कि इस वक्त जाना ही मसलहत है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) यह किसने और क्यों कहा कि हमारी जाति का यह धर्म नहीं है ? इस जाति का क्या धर्म है ?
(ख) मोती दिल ही दिल में ऐंठकर क्यों रह गया ?
(ग) गया ने बैलों को क्यों नहीं मारा ?
(घ) बैलों ने क्या अपराध किया था ?
(ङ) किस बैल के मन में बदला लेने के विद्रोही भाग उग्र थे ?
उत्तर :
(क) यह कथन हीरा ने मोती को उस समय कहा जब वह गया और उसके सहायकों को मारने की बात कहता है। इस जाति का धर्म परिश्रम करना है। ये मनुष्य जाति के लिए अत्यंत उपयोगी पशु हैं। ये खेत जोतते हैं तथा गाड़ियों को खींचते हैं।
(ख) मोती गया और उसके सहायकों को सबक सिखाना चाहता था कि बैलों को मारने से बैल भी क्रोधित होकर उन्हें मार सकते हैं। हीरा के मना करने पर वह ऐसा नहीं कर सका। इसलिए उसकी इच्छा मन में ही रह गई तथा उसे दिल ही दिल में ऐंठकर रह जाना पड़ा।
(ग) गया ने बैलों को इसलिए नहीं मारा क्योंकि वह बैलों की क्रोध – से भरी हुई मुद्रा को देखकर समझ गया था कि यदि उसने बैलों को मारा तो वे भी बदले में उस पर आक्रमण कर सकते हैं।
(घ) गया ने बैलों को हल में जोता था, पर इन दोनों बैलों ने खेत नहीं जोता था। गया ने इन्हें डंडों से खूब मारा तथा हीरा की नाक पर भी डंडे मारे। इस पर मोती को क्रोध आ गया और वह हल लेकर भागा। इस प्रकार भागने से हल, रस्सी, जुआ, जोत आदि सब टूट गए थे।
(ङ) मोती के हृदय में बदला लेने के उग्र भाव थे।

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8. मोती ने आँखों में आँसू लाकर कहा- तुम मुझे स्वार्थी समझते हो, हीरा ? हम और तुम इतने दिनों एक साथ रहे हैं। आज तुम विपत्ति में पड़ गए, तो मैं तुम्हें छोड़कर अलग हो जाऊँ।
हीरा ने कहा – बहुत मार पड़ेगी। लोग समझ जाएँगे, यह तुम्हारी शरारत है।
मोती गर्व से बोला – जिस अपराध के लिए तुम्हारे गले में बंधन पड़ा, उसके लिए अगर मुझ पर मार पड़े, तो क्या चिंता। इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) मोती स्वयं को स्वार्थी समझने की बात क्यों कह रहा है ?
(ख) मोती की शरारत क्या है ?
(ग) हीरा ने क्या अपराध किया था और क्यों ?
(घ) कौन आशीर्वाद देंगे और क्यों ?
(ङ) गर्व का भाव किसके स्वर से प्रकट हो रहा था ?
उत्तर :
(क) काँजीहौस के चौकीदार ने हीरा को बाड़े की कच्ची दीवार तोड़ने की कोशिश करने के अपराध में मोटी रस्सी से बाँध दिया था। मोती ने दीवार को अपने बल से गिरा दिया। दीवार के गिरते ही कई जानवर भाग गए। मोती हीरा की रस्सी नहीं तोड़ पाया तो हीरा ने मोती को वहाँ से भाग जाने के लिए कहा। मोती हीरा के बिना वहाँ से नहीं जाना चाहता। इसलिए वह हीरा को कहता है कि क्या उसने उसे इतना स्वार्थी समझ लिया है।
(ख) मोती ने काँजीहौस की कच्ची दीवार को सींग अड़ाकर गिरा दिया था। दीवार के गिरते ही काँजीहौस में बंद जानवर भाग गए थे। काँजी हौस से दीवार तोड़कर जानवरों को भगाने की शरारत मोती की ही समझी जाएगी क्योंकि हीरा मोटी रस्सी से बँधा हुआ था तथा अन्य जानवर ऐसी शरारत नहीं कर सकते थे।
(ग) हीरा भूख से व्याकुल हो गया था। जब रात को भी उसे खाने को कुछ नहीं मिला तो हीरा के दिल में विद्रोह की ज्वाला दहक उठी। उसने काँजीहौस से निकलने के लिए बाड़े की कच्ची दीवार को अपने नुकीले सींगों से तोड़ने का प्रयास किया। दीवार की मिट्टी गिरने लगी थी। तभी काँजीहौस का चौकीदार आ गया और हीरा के इस काम को देखकर उसने हीरा को कई डंडे मारे और उसे मोटी-सी रस्सी से बाँध दिया। हीरा ने यह अपराध अपनी आज़ादी के लिए किया था।
(घ) जो जानवर काँजीहौस के बाड़े से निकलकर भाग गए हैं वे आशीर्वाद देंगे क्योंकि काँजीहौस में उन्हें खाने-पीने के लिए कुछ नहीं मिलता था। वे भूख-प्यास के कारण अधमरे हो गए थे। बाहर निकलकर वे आज़ादी से खा-पी सकते थे।
(ङ) मोती के स्वर से गर्व का भाव प्रकट हो रहा था।

दो बैलों की कथा Summary in Hindi

लेखक परिचय :

जीवन – प्रेमचंद हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कथाकार हैं। इस महान कथा – शिल्पी का जन्म वाराणसी जिले के लमही ग्राम में 31 जुलाई, सन् 1880 ई० को हुआ था। इनका मूल नाम धनपत राय था। इनके पिता का नाम मुंशी अजायब राय था। जब प्रेमचंद आठ वर्ष के थे तब इनकी माता का देहांत हो गया था और इसके आठ वर्ष बाद इनके पिता चल बसे थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में हुई और मैट्रिक के बाद अध्यापन का कार्य करने लगे। शिक्षा- विभाग में अध्यापन का कार्य करते हुए इनकी पदोन्नति स्कूल इंस्पेक्टर के पद तक हुई थी। गांधी जी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर इन्होंने सरकारी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया और पूरी तरह लेखन कार्य के प्रति समर्पित हो गए। इन्होंने कुछ फ़िल्मों की पटकथाएँ भी लिखीं, लेकिन फ़िल्मी नगरी इन्हें ज़्यादा दिनों तक रास नहीं आई और वापस बनारस लौट आए। इन्होंने ‘हंस’, ‘मर्यादा’, ‘जागरण’ और ‘माधुरी’ नामक पत्रिकाओं का संपादन किया था। इनका देहावसान 8 अक्तूबर, सन् 1936 ई० को हुआ।

रचनाएँ – साहित्यिक जगत में उन्होंने नवाब राय से पदार्पण किया था। ये पहले उर्दू में लिखा करते थे। सन 1907 में प्रकाशित इनकी ‘सोजे – वतन’ नामक पुस्तक को अंग्रेज़ सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। बाद में इन्होंने प्रेमचंद नाम से हिंदी में लिखना आरंभ कर दिया। इन्होंने अनेक उपन्यास, तीन सौ से अधिक कहानियाँ, नाटक और निबंध लिखे हैं। इनके प्रसिद्ध उपन्यास – निर्मला, प्रतिज्ञा, वरदान, रंगभूमि, कर्मभूमि, सेवासदन, प्रेमाश्रम, गबन और गोदान हैं। इनका कहानी – साहित्य का रचनाकाल सन् 1907 से 1936 तक है। उर्दू में इनकी पहली कहानी ‘दुनिया का सबसे अनमोल रत्न’ थी। हिंदी में इनका पहला कहानी संग्रह ‘सप्त- सरोज’ था। इसके पश्चात् इनके जो अन्य कहानी-संग्रह प्रकाशित हुए, उनमें नवनिधि, प्रेम-पूर्णिमा, प्रेम-पचीसी, प्रेम- द्वादसी, प्रेम-तीर्थ, प्रेम – चतुर्थी, प्रेम-प्रसून, प्रेम-प्रतिमा, प्रेरणा, समाधि, प्रेम – पंचमी आदि प्रसिद्ध हैं। इनकी समस्त कहानियाँ ‘मानसरोवर’ के आठ भागों में संकलित हैं।

भाषा-शैली – प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में सहज, सरल तथा प्रचलित लोकभाषा के साहित्यिक रूप का प्रयोग किया है। ‘दो बैलों की कथा’ कहानी की भाषा अत्यंत सरल, सहज, स्वाभाविक तथा मुहावरेदार है। इसमें उर्दू, तत्सम तद्भव तथा देशज शब्दों का लेखक ने खुलकर प्रयोग किया है, जिससे भाषा की संप्रेषणीयता में वृद्धि हुई है। उर्दू के दरजे, खुश, बदनाम, जवाब, मिसाल, शिकायत, ताकीद, बेदम आदि शब्दों के साथ – साथ निरापद, सहिष्णुता, दुर्दशा, वंचित, आक्षेप, विद्रोह आदि तत्सम तथा बधिया, ताऊ, छप्पा, नाँद, पगहे, जुआ, जोत, रगेदा आदि देशज शब्दों का सटीक प्रयोग किया है। लेखक ने ईंट का जवाब पत्थर से देना, नौ-दो ग्यारह होना, जान से हाथ धोना, बगले झाँकना आदि मुहावरों के प्रयोग से भाषा में निखार उत्पन्न कर दिया है। कहानी वर्णनात्मक तथा संवादात्मक शैली में लिखी गई है। संवादों से कहानी की रोचकता में वृद्धि हुई है। संवाद सहज, संक्षिप्त, प्रसंगानुकूल तथा भावपूर्ण हैं, जैसे-
मोती ने कहा – ‘ हमारा घर नगीच आ गया। ‘
हीरा बोला – ‘ भगवान की दया है।’
‘मैं तो अब घर भागता हूँ।’
‘यह जाने देगा ?’
‘इसे मैं मार गिराता हूँ। ‘
‘नहीं – नहीं दौड़कर थान पर चलो वहाँ से हम आगे न जाएँगे।’
इस प्रकार लेखक ने सहज एवं भावपूर्ण भाषा – शैली का प्रयोग किया है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

पाठ का सार :

प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी ‘दो बैलों की कथा’ में मनुष्य के पशु-प्रेम तथा पशुओं का अपने स्वामी के प्रति लगाव का सजीव चित्रण किया गया है। लेखक ने मूक पशुओं की एक-दूसरे के प्रति सद्भावनाओं तथा स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष का भी स्वाभाविक वर्णन किया है।

लेखक का मानना है कि जानवरों में गधा सबसे अधिक बुद्धिहीन समझा जाता है, इसलिए जब हम किसी व्यक्ति को बहुत अधिक बेवकूफ़ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहकर संबोधित करते हैं। गधे का चेहरा सदा उदास दिखाई देता है। गाय और कुत्ता भी अवसर आने पर खतरनाक हो जाते हैं। गधे को कभी भी किसी अन्य रूप में नहीं देखा जाता। गधे का यही सीधापन अफ्रीका में दुर्दशा झेल रहे भारतवासियों में भी है। बैल को लेखक ने गधे से कम बेवकूफ़ माना है क्योंकि वह कभी-कभी अड़ियल बन जाता है और मारने भी लगता है।

झूरी के पास हीरा और मोती नामक दो बैल थे। दोनों बैल बहुत सुंदर और तंदरुस्त थे। वे आपस में मूक-भाषा में बातचीत करते रहते थे। झूरी उनकी प्यार से देखभाल करता था। इन बैलों को भी झूरी से बहुत स्नेह था। एक बार झूरी का साला उन दोनों बैलों को अपने गाँव ले गया। वे उसके साथ नहीं जाना चाहते थे इसलिए उन्होंने रास्ते में इधर-उधर भागने की कोशिश भी की थी परंतु झूरी का साला उन्हें किसी प्रकार से हाँककर अपने घर तक ले आया था। उसने इन्हें बाँधकर रखा और सूखा चारा खाने के लिए दिया।

रात को दोनों रस्सी तोड़कर सुबह होने तक अपने ठिकाने पर वापस आ गए। झूरी ने जब उन्हें सुबह अपने स्थान पर खड़े देखा तो इन्हें अपने गले लगा लिया। आस-पास अन्य लोग भी वहाँ एकत्र हो गए तथा तालियाँ बजा-बजाकर उन बैलों का स्वागत करने लगे। झूरी की पत्नी को यह अच्छा नहीं लगा और उसने मज़दूर को इन्हें सूखा भूसा खाने के लिए देने को कहा। झूरी ने भूसे में खली डालने के लिए कहा तो मज़दूर ने मालकिन की आज्ञा सुना दी।

अगले दिन झूरी का साला फिर आकर हीरा और मोती को ले जाता है। वह इस बार इन दोनों बैलों को बैलगाड़ी में जोतकर ले जाता है। रास्ते में हीरा गाड़ी को सड़क की खाई में गिराना चाहता है। परंतु हीरा सँभाल लेता है। घर पहुँचकर वह दोनों को मोटी रस्सियों से बाँधता है और उन्हें सूखा भूसा ही खाने को देता है। वह अपने बैलों को खली, चूनी आदि सब कुछ देता है। वह हीरा और मोती से खूब काम लेता है। गया की लड़की को इन पर दया आती है। वह चोरी-छुपे उन्हें एक-एक रोटी खिला देती है। एक रात ये दोनों रस्सी चबाकर भागने की सोच रहे होते हैं तो गया की लड़की इन्हें खोलकर भगा देती है और चिल्लाने लगती है कि फूफावाले बैल भागे जा रहे हैं। गया गाँव के अन्य लोगों के साथ इन्हें पकड़ने की कोशिश करता है परंतु ये दोनों भाग जाते हैं।

भागते-भागते दोनों बैल रास्ता भूल जाते हैं। उन्हें भूख लगती है तो मटर के खेत से मटर चरने लगते हैं। पेट भर जाने पर आनंद मनाने लगते हैं। तभी एक साँड़ इनकी तरफ आता है। दोनों मिलकर साँड़ का मुकाबला करते हैं और उसे मारकर भगा देते हैं। थककर वे खाने के लिए मटर के खेत में घुस जाते हैं। तभी दो आदमी लाठियाँ लेकर दोनों को घेर लेते हैं। हीरा निकल जाता है पर मोती फँस जाता है। मोती को फँसा देखकर हीरा भी रुक जाता है। दोनों को पकड़कर काँजीहौस में बंद कर दिया जाता है।

वहाँ उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं मिलता। वहाँ अन्य जानवर गधे, भैंसें, बकरियाँ, घोड़े आदि भी बंद थे। हीरा-मोती कोशिश करके काँजीहौस की दीवार को तोड़ देते हैं। सभी जानवर भाग जाते हैं परंतु गधे नहीं भागते तो मोती दोनों गधों को सींगों से मार-मारकर बाड़े से बाहर निकाल देता है। वे दोनों इसलिए नहीं भाग पाते क्योंकि हीरा की रस्सी नहीं टूट सकी थी।

सुबह होने पर काँजीहौस के चौकीदार आदि मोती की खूब मरम्मत करते हैं और उसे मोटी रस्सी से बाँध देते हैं। एक सप्ताह तक उन्हें पानी के अतिरिक्त कुछ खाने के लिए नहीं दिया गया। एक दिन एक दढ़ियल व्यक्ति ने इन्हें नीलामी में खरीद लिया और अपने साथ ले चला। रास्ते में वह उन्हें डंडे मारता जा रहा था। अचानक उन्हें लगा कि यह तो उनका परिचित रास्ता है। यहीं से झूरी के घर से गया उन्हें ले गया था। वे तेज गति से चलने लगे। उन्हें अपना गाँव, खेत, कुआँ दिखाई देने लगे।

दोनों मस्त बछड़ों की तरह कूदते हुए अपने घर की ओर दौड़ने लगे तथा अपने निश्चित स्थान पर आकर खड़े हो गए। दढ़ियल भी उनके पीछे आकर खड़ा हो गया और बैलों की रस्सियाँ पकड़कर बोला ये बैल मैं मवेशीखाने से खरीदकर लाया हूँ। झूरी ने कहा कि ये उसके बैल हैं। दढ़ियल जबरदस्ती बैलों को पकड़कर ले जाने लगा तो मोती ने सींग चलाया। दढ़ियल पीछे हटा। मोती ने उसका पीछा किया तो दढ़ियल भाग गया। गाँव के लोगों ने भी झूरी का साथ दिया। दोनों को खूब खली, भूसा, चोकर और दाना खाने के लिए दिया गया। झूरी उन्हें सहला रहा था. और झूरी की पत्नी ने आकर दोनों के माथे चूम लिए।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • परले दरजे का बेवकूफ़ – एकदम मूर्ख
  • सहिष्णुता – सहनशीलता
  • विषाद – उदासी, खेद, दुख
  • उपयुक्त – उचित
  • कुसमय – बुरा समय
  • गम खाना – सहन करना
  • पछाई – पश्चिम प्रदेश का, पालतू पशुओं की एक नस्ल
  • वंचित – रहित, विमुख
  • नाँद – पशुओं के लिए चारा डालनेवाला बरतन अथवा स्थान
  • कबूल – स्वीकार
  • बेगाने – पराए
  • सोता पड़ना – सबका सो जाना
  • चरनी – वह नाँद जिसमें पशुओं को चारा खिलाया जाता है
  • प्रतिवाद – विरोध, खंडन
  • मजूर – मादूर
  • टिटकार – टिक-टिक की आवाज़
  • व्यथा – पीड़ा, दुख
  • मसलहत – सही, उचित
  • आत्मीयता – अपनापन
  • नौ-दो-ग्यारह होना – भाग जाना
  • मल्लयुद्ध – कुश्ती
  • साबिका – वास्ता
  • प्रतिद्वंद्वी – शत्रु, विरोधी
  • ठठरियाँ – हड्डियाँ, अस्थि-पिंजर
  • हार – चरागाह
  • नगीच – नादीक
  • शूर – बहादुर
  • निरापद – सुरक्षित, जिससे कोई आपत्ति न हो
  • कुलेल – उछल-कूद करना, क्रीड़ा करना
  • परा का ठठा – चरम-सीमा
  • दुर्दशा – बुरी दशा
  • जी तोड़कर काम करना – बहुत मेहनत से काम करना गण्य – सम्मान के योग्य
  • डील – शरीर का विस्तार, कद
  • विग्रह – अलग होना, कलह, झगड़ा, लड़ाई
  • पगहिया – पशुओं को बाँधने की रस्सी
  • ज्ञालिम – क्रूर, कठोर
  • कनखियों – तिरछी नारों से
  • पगहे तुड़ाना – रस्सियाँ तोड़ना
  • गराँव – फुँदेदार रस्सी जो बैल के गले में बाँधी जाती है
  • आक्षेप – आरोप, लांछन
  • कड़ी ताकीद – पक्का आदेश
  • आहत – चोट खाया हुआ, घायल
  • तेवर – क्रोध भरी दृष्टि
  • वास – निवास
  • आरजू – इच्छा
  • तजुरबा – अनुभव
  • रगेदा – भागना, खदेड़ना
  • काँजीहैस – लावारिस पशुओं का बंदी-गृह
  • खेड़ – पशुओं का झुंड
  • अंतर्जान – मन का ज्ञान
  • थान – पशुओं को बाँधने का स्थान
  • अखितयार – अधिकार
  • उछाह – उत्साह

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials

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JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials

Polynomials:
An algebraic expression f(x) of the form f(x) = a0 + a1x + a2x2 + …… + anxn, where a0, a1, a2 ……, an are real numbers and all the index of x’ are nonnegative integers is called a polynomial in x.
→ Degree of a Polynomial: Highest Index of x in algebraic expression is called the degree of the polynomial, here a0, a1x, a2x2 ….. anxn, are called the terms of the polynomial and a0, a1, a2, …… an are called various coefficients of the polynomial f(x).
Note: A polynomial in x is said to be in standard form when the terms are written either in increasing order or decreasing order of the indices of x in various terms.

→ Different Types of Polynomials: Generally, we divide the polynomials in the following categories.
→ Based on degrees:
There are four types of polynomials based on degrees. These are listed below:

  • Linear Polynomials: A polynomial of degree one is called a linear polynomial. The general form of linear polynomial is ax + b, where a and b are any real constant and a ≠ 0.
  • Quadratic Polynomials: A polynomial of degree two is called a quadratic polynomial. The general form of a quadratic polynomial is ax2 + bx + c, where a ≠ 0, a, b, c ∈ R.
  • Cubic Polynomials: A polynomial of degree three is called a cubic polynomial. The general form of a cubic polynomial is ax3 + bx2 + cx + d, where a ≠ 0 and a, b, c, d ∈ R.
  • Biquadratic (or quadric) Polynomials: A polynomial of degree four is called a biquadratic (quadric) polynomial. The general form of a biquadratic polynomial is ax4 + bx3 + cx2 + dx + e, where a ≠ 0 and a, b, c, d, e are real numbers.

Note: A polynomial of degree five or more than five does not have any particular name. Such a polynomial usually called a polynomial of degree five or six or ….etc.

→ Based on number of terms:
There are three types of polynomials based on number of terms. These are as follow:

  • Monomial: A polynomial is said to be monomial if it has only one term. e.g. x, 9x2, 5x3 all are monomials.
  • Binomial: A polynomial is said to be binomial if it contains only two terms e.g. 2x2 + 3x, \(\sqrt{3}\)x + 5x3, -8x3 + 3, all are binomials.
  • Trinomial: A polynomial is said to be a trinomial if it contains only three terms.e.g. 3x3 – 8x + \(\frac{1}{2}\), \(\sqrt{7}\) x10 + 8x4 – 3x2, 5 – 7x + 8x9, are all trinomials.

Note: A polynomial having four or more than four terms does not have particular name. These are simply called polynomials.

→ Zero degree polynomial: Any non-zero number (constant) is regarded as polynomial of degree zero or zero degree polynomial. i.e. f(x) = a. where a ≠ 0 is a zero degree polynomial, since we can write f(x) = a, as f(x) = ax0.

→ Zero polynomial: A polynomial whose all coefficients are zero is called as zero polynomial i.e. f(x) = 0, we cannot determine the degree of zero polynomial.

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Algebraic Identities:
An identity is an equality which is true for all values of the variables.
Some important identities are:
(i) (a + b)2 = a2 + 2ab + b2
(ii) (a – b)2 = a2 – 2ab + b2
(iii) a2 – b2 = (a + b)(a – b)
(iv) a3 + b3 = (a + b)(a2 – ab + b2)
(v) a3 – b3 = (a – b)(a2 + ab + b2)
(vi) (a + b)3 = a3 + b3 + 3ab (a + b)
(vii) (a – b)3 = a3 – b3 – 3ab (a – b)
(viii) a4 + a2b2 + b4 = (a2 + ab + b2)(a2 – ab + b2)
(ix) a3 + b3 + c3 – 3abc = (a + b + c)(a2 + b2 + c2 – ab – bc – ac)

Special case: if a + b + c = 0 then a3 + b3 + c3 = 3abc.
Other Important Identities
(i) a2 + b2 = (a + b)2 – 2ab,
if a + b and ab are given
(ii) a2 + b2 = (a – b)2 + 2ab
if a – b and ab are given
(iii) a + b = \(\sqrt{(a-b)^2+4 a b}\)
if a – b and ab are given
(iv) a – b = \(\sqrt{(a+b)^2-4 a b}\)
if a + b and ab are given
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JAC Class 9 Maths Notes Chapter 2 Polynomials 2

Factors Of A Polynomial:
→ If a polynomial f(x) can be written as a product of two or more other polynomials f1(x), f2(x), f3(x)…. then each of the polynomials f1(x), f2(x), f3(x)….. is called a factor of polynomial f(x). The method of finding the factors of a polynomial is called factorisation.

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Zeroes Of A Polynomial:
→ A real number α is a zero of polynomial f(x) = anxn + an-1xn-1 + an-2xn-2 + ….. +a1x + a0, if f(α) = 0. i.e. anαn + an-1αn-1 + an-2αn-2+ ….. + a1α + a0 = 0.
For example x = 3 is a zero of the polynomial f(x) = x3 – 6x2 + 11x – 6, because f(3) = (3)3 – 6(3)2 + 11(3) – 6 = 27 – 54 + 33 – 6 = 0.
but x = -2 is not a zero of the above mentioned polynomial,
∵ f(-2) = (-2)3 – 6(-2)2 + 11(-2) – 6
f(-2) = -8 – 24 – 22 – 6
f(-2) = -60 ≠ 0.

→ Value of a Polynomial: The value of a polynomial f(x) at x = a is obtained by substituting x a in the given polynomial and is denoted by f(a). Eg if f(x) = 2x3 – 13x2 + 17x + 12 then its value at x = 1 is
f(1) = 2(1)3 – 13(1)2 + 17(1) + 12
= 2 – 13 + 17 + 12 = 18.

Remainder Theorem:
Let ‘p(x)’ be any polynomial of degree greater than or equal to one and ‘a’ be any real number and if p(x) is divided by (x – a). then the remainder is equal to p(a). Let q(x) be the quotient and r(x) be the remainder when p(x) is divided by (x – a), then
Dividend = Divisor × Quotient + Remainder
∴ p(x) = (x – a) × q(x) + [r(x) or r], where r(x) = 0 or degree of r(x) < degree of (x – a). But (x – 2) is a polynomial of degree 1 and a polynomial of degree less than 1 is a constant. Therefore, either r(x) = 0 or r(x) = Constant. Let r(x) = r, then p(x) = (x – a)q(x) + r.
Putting x = a in above equation, p(a)
p(a) = (a – a)q(a) + r = 0 × q(a) + r
p(a) = 0 + r
⇒ p(a) = r
This shows that the remainder is p(a) when p(x) is divided by (x – a).
Remark: If a polynomial p(x) is divided by (x + a),(ax – b), (ax + b), (b – ax) then the remainder is the value of p(x) at x.
= \(-a, \frac{b}{a},-\frac{b}{a}, \frac{b}{a} \text { i.e. } p(-a)\)
\(p\left(\frac{b}{a}\right), p\left(-\frac{b}{a}\right), p\left(\frac{b}{a}\right)\) respectively.

Factor Theorem:
Let ‘p(x)’ be a polynomial of degree greater than or equal to 1 and ‘a’ be a real number such that p(a) = 0, then (x – a) is a factor of p(x). Conversely, if(x – a) is a factor of p(x). then p(a) = 0.

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Factorisation Of A Quadratic Polynomial:
→ For factorisation of a quadratic expression ax2 + bx + c where a ≠ 0, there are two methods.
→ By Method of Completion of Square:
In the form ax2 + bx + c where a ≠ 0, firstly we take ‘a’ common in the whole expression then factorise by converting the expression \(a\left\{x^2+\frac{b}{a} x+\frac{c}{a}\right\}\) as the difference of two squares, which is
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→ By Splitting the Middle Term:
→ x2 + lx + m = x2 + (a + b)x + ab
Where l = a + b and m = ab, such that a and b are real numbers
= x2 + ax + bx + ab
= x (x + a) + b (x + a)
= (x + a) (x + b)
Method: We express l as the sum of two such numbers whose product is m.

→ ax2 + bx + c = prx2 + (ps + qr)x + qs
where b = ps + qr, a = pr, c = qs
so that (ps) (gr) (pr) (qs) = ac
∴ prx2 + (ps + qr)x + qs
= prx2 + psx + qrx + qs
= px (rx + s) + q(rx + s)
= (px + q) (rx + x)
Method: We express b as the sum of two such numbers whose product is ac.

→ Integral Root Theorem:
If f(x) is a polynomial with integral coefficient and the leading coefficient is 1, then any integral root of f(x) is a factor of the constant term. Thus if f(x) = x3 – 6x2 + 11x – 6 has an Integral root, then it is one of the factors of 6 which are ±1, ±2, ±3, ±6.
Now in fact,
f(1) = (1)3 – 6(1)2 + 11(1) – 6 = 1 – 6 + 11 – 6 = 0
f(2) = (2)3 – 6(2)2 + 11(2) – 6
= 8 – 24 + 22 – 6 = 0
f(3) = (3)3 – 6(3)2 + 11(3) – 6
27 – 54 + 33 – 6 = 0
Therefore Integral roots of f(x) are 1, 2, 3.

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→ Rational Root Theorem:
Let \(\frac{b}{c}\) be a rational fraction in lowest terms. If \(\frac{b}{c}\) is a rational root of the polynomial f(x) = anxn + an-1xn-1 +…+ a1x + a0, an ≠ 0 with integral coefficients, then b is a factor of constant term a0, and C is a factor of the leading coefficient an.
For example: If \(\frac{b}{c}\) is a rational root of the polynomial f(x) = 6x3 + 5x2 – 3x – 2, then the values of b are limited to the factors of -2, which are ±1, ±2 and the values of care limited to the factors of 6, which are ±1, ±2, ±3, ±6. Hence, the possible rational roots of f(x) are ±1, ±2, \(\pm \frac{1}{2}, \pm \frac{1}{3}, \pm \frac{1}{6}, \pm \frac{2}{3}\). In fact -1 is an integral root and \(\frac{2}{3}\), –\(\frac{1}{2}\) are the rational roots of f(x) = 6x3 + 5x2 – 3x – 2.
Note: (i) nth degree polynomial can have at most n real roots.
→ Finding a zero of polynomial f(x) means solving the polynomial equation f(x) = 0. It follows from the above discussion that if f(x) = ax + b, a ≠ 0 is a linear polynomial, then it has only one zero given by
f(x) = 0 i.e. f(x) = ax + b = 0
⇒ ax = -b
⇒ x = –\(\frac{b}{a}\)
Thus, x = –\(\frac{b}{a}\) is the only zero of f(x) = ax + b.
→ If a polynomial of degree n has more than n zeros then all the coefficients of powers of x including constant term of polynomial are zero.

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

Jharkhand Board JAC Class 9 Sanskrit Solutions रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9th Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

(अ) लघुकथा

सामान्य-परिचय-लघुकथा दो प्रकार से लिखी जाती है- मञ्जूषा

में दिये गये शब्दों में से उचित शब्दों का चयन करके रिक्त स्थानों की पूर्ति करके कथा-लेखन पूरा करना होता है अथवा दिये गये कथा-चित्रों के अनुसार कथा-लेखन करना होता है। चित्र-वर्णन में कोई भी सामान्य चित्र देकर उसका वर्णन करने को कहा जाता है। यह वर्णन मञ्जूषा में दिये गये शब्दों की सहायता से करना होता है। अत: इस प्रश्न का उत्तर लिखने के लिए छात्रों को निरन्तर अभ्यास करना चाहिए।
यहाँ पर लघुकथा तथा चित्र-वर्णन को कुछ उदाहरणों द्वारा समझाया गया है। इनका अभ्यास करने से इस विषय में निपुणता प्राप्त की जा सकती है।

अभ्यास:

प्रश्न: 1.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकदा राजा विक्रमादित्य: योगिवेश…….. राज्यपर्यटन कर्तुम् अगच्छत्। परिभ्रमन् स: एक नगरं …………..। तत्र नदीतटे एक:…………… आसीत्। तत्र…………….. पुराणकथां शृण्वन्ति स्म। तदानीम् एव एक: वृद्धः स्वपुत्रेण सह नद्याः ………………. प्रवाहितः। स: ……………… त्राहि माम् इति आकारितवान् किन्तु तत्र उपस्थित-……………. सविस्मयं तं वृद्धं पश्यन्ति। तस्य ……………. श्रत्वाऽपि तयोः प्राणरक्षा ………………… न करोति। तदा नप: विक्रमादित्य : नदी…………….”पुत्रेण सह तं वृद्धम् अतिप्रवाहात् …………… तटम् आनीतवान्। स्वस्थो ……………….. वृद्धः विक्रमाय आशिषं दत्वा पुत्रेण सह ……………. गतः। सत्यम् एव उक्तम्- “यस्तु ………………”पुरुषः, सः विद्वान्।”

[संकेतसूची/मञ्जूषा- देवालयः, प्रवाहेणं, धृत्वा, त्राहि माम्, प्राप्तवान्, नगरवासिनः, प्रविश्य, स्वगृहं, आकृष्य, चीत्कार, नगरजनाः, कोऽपि, क्रियावान्, भूत्वा।]

एकदा राजा विक्रमादित्यः योगिवेशं धृत्वा राज्यपर्यटनं कर्तुम् अगच्छत्। परिभ्रमन् स: एक नगरं प्राप्तवान्। तत्र नदीतटे एक: देवालयः आसीत्। तत्र नगरबासिनः पुराणकथां शृण्वन्ति स्म। तदानीम् एव एक वृद्धः स्वपुत्रेण सह नद्या: प्रवाहेण प्रवाहितः सः त्राहि माम् इति आकारितवान् किन्तु, तत्र उपस्थित-नगरजना: सविस्मयं तं वृद्धं पश्यन्ति। तस्य चीत्कार श्रुत्वाऽपि तयोः प्राणरक्षा कोऽपि न करोति। तदा नृपः विक्रमादित्यः नीं प्रविश्य पुत्रेण सह तं वृद्धम् अतिप्रवाहात् आकृष्य तटम् आनीतवान्। स्वस्थो भूत्वा वृद्ध: विक्रमाय आशिष दत्वा पुत्रेण सह स्वगृहं गतः। सत्यम् एव उक्तम्-“यस्तु क्रियावान् पुरुषः, सः विद्वान्।”

हिन्दी-अनुवाद – एक समय राजा विक्रमादित्य योगी का वेश धारण करके राज्य का पर्यटन करने के लिए गए। घूमते हुए वे एक नगर में पहुँचे। वहाँ नदी के किनारे पर एक मन्दिर था। वहाँ नगरवासी पुराण-कथा सुन रहे थे। उसी समय एक वृद्ध अपने पुत्र के साथ नदी के प्रवाह में बह गया। वह “मुझे बचाओ” “मुझे बचाओं” इस प्रकार जोर-जोर से चिल्लाने लगा, परन्तु वहाँ उपस्थित नगर के लोग उसे आश्चर्य से देखते रहे। उसकी चीत्कार सुनकर किसी ने भी उन दोनों के प्राणों की रक्षा नहीं की। तब राजा विक्रमादित्य नदी में प्रवेश करके पुत्र सहित उस वृद्ध को महाप्रवाह से खींचकर किनारे पर लाये। स्वस्थ होकर वृद्ध, राजा विक्रमादित्य को आशीर्वाद देकर, अपने पुत्र के साथ अपने घर चला गया। सत्य ही कहा गया है कि “जो क्रियावान् पुरुष है, वही विद्वान् है।”

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 2.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिये गये शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
……… एक : वृक्षः आसीत्। तत्र स्वपरिश्रमेण निर्मितेषु…………….. खगा: वसन्ति स्म। तस्मिन्। ……….. कश्चित् वानरः अपि निवसति स्म। एकदा महती………………. अभवत्। सः वानर : जलेन अतीब……………… च अभवत्। खगा: ………….’कम्पमानं वानरम् अवदन् – “भो बानर ! त्वं कष्टम् अनुभवसि। तत् कथं ………….. निर्माण न करोषि?” वानरः तेषां खगानाम् एतत् वचनं श्रुत्वा अचिन्तयत्-अहो! एते…………. खगा: मां निन्दन्ति। अत: स: वानर : खगानां ………….. वृक्षात् अध: ………..। खगानां नीडै: सह तेषाम् अण्डानि अपि नष्यनि।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – गृहस्य, गंगातीरे, वृक्षतले, वृष्टिः, शीतेन, गृहस्य, नीडेषु, आई: कम्पितः, अपातयत्, नीडानि, क्षुद्राः]
उत्तरम् :
गंगातीरे एक: वृक्ष: आसीत्। तत्र स्वपरिश्रमेण निर्मितेषु नीडेषु खगा: बसन्ति स्म। तस्मिन् वृक्षतले कश्चित् वानरः अपि निवसति स्म। एकदा महती वृष्टिः अभवत्। स: वानर : जलेन अतीव आर्द्रः कम्पित: च अभवत्। खगा: शीतेन कम्पमान वानरम् अवदन्-“भो वानर! त्वं कष्ट अनुभवसि। तत् कथं गृहस्य निर्माण न करोषि?” वानरः एतत् वचनं श्रुत्वा अचिन्तयत्-“अहो! एते क्षद्राः खगा: मां निन्दन्ति।” अत: स: वानर : खगानां नीडानि वृक्षात् अध: अपातयत्। खगानां नीडैः सह तेषाम् अण्डानि अपि नष्टानि।

हिन्दी-अनुवाद – गंगा नदी के तट पर एक वृक्ष था। वहाँ पर अपने परिश्रम से बनाये हुए घोंसलों में पक्षी रहते थे। उस वृक्ष के नीचे एक बन्दर भी रहता था। एक बार बहुत जोर की वर्षा हुई। वर्षा के जल से वह बन्दर बहुत भीग गया और काँपने लगा। पक्षियों ने ठण्ड से काँपते हुए उस अन्दर से कहा-“हे वानर ! तुम कष्ट का अनुभव करते हो। अपना घर क्यों नहीं बना लेते?” बन्दर ने उन पक्षियों के इस प्रकार के वचन सुनकर सोचा-“अरे! ये क्षुद्र पक्षी मेरी निन्दा करते हैं।” अत: उस बन्दर ने पक्षियों के घोंसले वृक्ष से नीचे गिरा दिये। पक्षियों के घोंसले गिर जाने से उनके अण्डे भी नष्ट हो गये।

प्रश्न: 3.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा में (दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
महात्मागान्धिन: जन्म गुर्जर …………… पोरबन्दरे अभवत्। तस्य …………. कर्मचन्दगांधी माता च पुतलीबाई आसीत्। तौ ……………… आस्ताम्। गांधिन: स्वभाव: अपि ………………. एव अतिसरल: आसीत्। सः भारतवर्षे अन्यदेशे च शिक्षा प्राप्य देशसेवाया: कार्ये ………………. अभवत्। तस्य भगीरथ ………. …….अद्य भारतवर्ष: स्वतन्त्रः अस्ति। अतएव सः …………….. उच्यते। स: सत्यस्य अहिंसाया: च साक्षात् मूर्तिः आसीत्। सः जनान् प्रति सत्यम् अहिंसां च ……………….। स: हरिजनोद्धार-स्त्रीशिक्षा भारतीयकलाकौशलस्योन्नत्यादिभ्यः बहूनि कार्याणि अकरोत्। भारतदेश: ………………. तं ऋणी भविष्यति।
[संकेतसूची/मञ्जूषा-सरलस्वभावौ, राष्ट्रपिता, प्रदेशे, संलग्नः, जनकः, प्रयत्नेन, सदैव, बहूनि, उपदिष्टवान्, बाल्यकालेन]
उत्तरम् :
महात्मागान्धिनः जन्म गुर्जरप्रदेशे पोरबन्दरे अभवत्। तस्य जनकः कर्मचन्दगांधी माता च पुतलीबाई आसीत्। तौ सरलस्वभावी आस्ताम्। गान्धिनः स्वभावः अपि बाल्यकालेन एव अतिसरल: आसीत्। सः भारतवर्षे अन्यदेशे च शिक्षा प्राप्य देशसेवाया: कायें संलग्नः अभवत्। तस्य भगीरथप्रयत्नेन अद्य भारतवर्षः स्वतन्त्रः अस्ति। अतएव सः ‘राष्ट्रपिता’ उच्यते। सः सत्यस्य अहिंसायाः च साक्षात् मूर्ति : आसीत्। सः जनान् प्रति सत्यम् अहिंसा च उपदिष्टवान्। स: हरिजनोद्धार-स्त्रीशिक्षा-भारतीय कलाकौशलस्योन्नत्यादिभ्यः बहूनि कार्याणि अकरोत्। भारतदेश: सदैव तं ऋणी भविष्यति।

हिन्दी-अनुवाद – महात्मागाँधी का जन्म गुजरात प्रदेश में पोरबन्दर में हुआ था। उनके पिता कर्मचन्दगाँधी और माता पुतलीबाई थी। वे दोनों सरल स्वभाव के थे। गाँधी जी का स्वभाव भी बचपन से ही अत्यन्त सरल था। भारतवर्ष एवं विदेश में शिक्षा प्राप्त करके वे देश-सेवा के कार्य में संलग्न हो गये। उनके भगीरथ प्रयास से आज भारतवर्ष स्वतन्त्र है। अतएव उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता है। वे सत्य और अहिंसा की साक्षात् मूर्ति थे। उन्होंने लोगों को सत्य और अहिंसा का उपदेश दिया। उन्होंने हरिजनों का उद्धार, स्त्रीशिक्षा, भारतीय कला-कौशल की उन्नति आदि के लिए बहुत से कार्य किये। भारत देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 4.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकदा गरु: द्रोणाचार्य: स्वस्य सर्वांन शिष्यान धनर्विद्या………….। स: वक्ष स्थितं कञ्चित ……………… दर्शयित्वा शिष्यान अवदत्-अस्य नेत्रे लक्ष्य……….। गुरोः आज्ञा ………….. सर्वे शिष्याः लक्ष्यं”…”प्रयत्नम् अकुर्वन्। तदानीम् द्रोणाचार्य: तान्….”यूयं किं पश्यथ? शिष्याः उत्तरं दत्तवन्त:-गुरुदेव! वयं खगं……..। इति उत्तरं श्रुत्वा गुरोः सन्तोष: न अभवत्। तदा सः अर्जुनम् ………. अपृच्छत्- ‘भो अर्जुन! त्व किं पश्यसि? अर्जुनः अवदत्-हे गुरो! अहं खगस्य नेत्रं

पश्यामि। अर्जुनस्य लक्ष्य प्रति …………… दृष्ट्वा गुरु: द्रोणाचार्य : अतिप्रसन्नः भूत्वा तस्मै”……….. दत्तवान् यत् त्वं श्रेष्ठ: ……………. भविष्यसि। अर्जुन: गुरवे अनमत्। अतएव अर्जुनः द्रोणाचार्यस्य प्रियः शिष्यः अभवत्।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – साधयत, प्राप्य, अशिक्षयत्, पश्यामः, धनुर्धरः, खगं, साधितुम, आशिषं, एकाग्रता, आहूय, अपृच्छत्।
उत्तरम् :
एकदा गुरुः द्रोणाचार्यः स्वस्य सर्वान् शिष्यान् धनुर्विद्याम् अशिक्षत। सः वृक्षे स्थितं कञ्चित् खगं दर्शयित्वा शिष्यान् अवदत्-“अस्य नेत्रे लक्ष्य सिध्यत।” गुरोः आज्ञां प्राप्य सर्वे शिष्या: लक्ष्य साधितुं प्रबत्नम् अकुर्वन्। तदानी द्रोणाचार्य: तान अपृच्छत-“यूयं किं पश्यथ?” शिष्या: उत्तरं दत्तवन्त:-“गुरुदेव! वयं खगं पश्यामः।” इति उत्तरं श्रुत्वा गुरुः सन्तुष्ट; न अभवत्। तदा सः अर्जुनम् आहूय अपृच्छत् – “भो अर्जुन ! त्वं किं पश्यसि?” अर्जुनः अवदत्- “हे गुरो! अहं खगस्य नेत्रं पश्यामि।”
अर्जुनस्य लक्ष्य प्रति एकाग्रतां दृष्ट्वा गुरु: द्रोणाचार्य: अतिप्रसन्नः भूत्वा तस्मै आशिषं दत्तवान् यत् त्वं श्रेष्ठः धनुर्धरः भविष्यसि। अर्जुन: गुरवे अनमत्। अतएव अर्जुन: द्रोणाचार्यस्य प्रिय: शिष्यः अभवत्।

हिन्दी-अनुवाद – एक समय गुरु द्रोणाचार्य अपने सभी शिष्यों को धनुर्विद्या सिखा रहे थे। वृक्ष पर स्थित किसी पक्षी को दिखाकर वह बोले-इसकी आँख पर निशाना लगाओ। गुरु की आज्ञा पाकर सभी शिष्यों ने निशाना लगाने का प्रयास किया। उस समय द्रोणाचार्य ने उनसे पूछा-“तुम सब क्या देख रहे हो?” शिष्यों ने उत्तर दिया-“गुरुदेव! हम पक्षी को देख रहे हैं।” इस उत्तर को सुनकर गुरु को सन्तोष नहीं हुआ। तब उन्होंने अर्जुन को बुलाकर पुछा-“हे अर्जुन ! तुम क्या देख रहे हो?” अर्जुन ने कहा-“हे गुरुदेव! मैं पक्षी की आँख देख रहा हूँ।” अर्जुन की लक्ष्य के प्रति एकाग्रता देखकर गुरु द्रोणाचार्य ने अतिप्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद दिया कि तुम श्रेष्ठ धनुर्धर होओगे। अर्जन ने गरु को प्रणाम किया। अतएव अर्जन द्रोणाचार्य का प्रिय शिष्य हो गया।

प्रश्न: 5.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (के शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
कस्मिश्चित् ग्रामे एक:……………….. निवसति स्म। सः नित्यमेव रात्रौ क्षेत्रं गत्वा पशभ्यः शस्य रक्षति स्म। एकदा सः …………….. प्रत्यागच्छति स्म। दिवस: अति ……………. आसीत्। …………….. तु शीत: अतितरः आसीत्। स: मार्गे एक………सर्पम् अपश्यत्। करुणोपेतः कृषक: तं ……………. गृहीत्वा गृहम् आनयत्। सः तम् अग्ने: समीपं …………। शीघ्रमेव असौ ………….. प्राप्य गतिमान् अभवत्। कृषकस्य…….तत्रैव क्रीडति स्म।. सर्प: तं द्रष्टुम् ऐच्छत्। भीतो कृषक: पुत्ररक्षार्थं दण्डेन अहन्।
[संकेतसूची/मञ्जूषा-पुत्रोऽपि, स्थापितवान्, शीत:, उष्णता, कृषकः, शीतपीडितं, सर्प, हस्ते, कृतघ्नः, क्षेत्रात्, प्रात:काले]
उत्तरम् :
कस्मिश्चित् ग्रामे एक: कृषकः निवसति स्म। स: नित्यमेव रात्रौ क्षेत्रं गत्वा पशुभ्यः शस्यं रक्षति स्म। एकदा स: क्षेत्रात् प्रत्यागच्छति स्म। दिवस: अति शीत: आसीत्। प्रात:काले तु शीत: अतितरः आसीत्। सः मार्गे एक शीतपीडितं सर्पम् अपश्यत्। करुणोपेतः कृषक: तं हस्ते गृहीत्वा गृहम् आनयत्। सः तम् अग्ने: समीपं स्थापितवान्। शीघ्रमेव असौ उष्णतां प्राप्य गतिमान् अभवत्। कृषकस्य पुत्रोऽपि तत्रैव क्रीडति स्म। कृतघ्नः सर्प: तं दष्टुम् ऐच्छत्। भीतो कृषक: पुत्ररक्षार्थं दण्डेन सर्पम् अहन्।

हिन्दी-अनुवाद – किसी गाँव में एक किसान रहता था। वह रोज ही रात में खेत में जाकर पशुओं से फसल की रक्षा करता था। एक समय वह खेत से लौट रहा था। उस दिन अधिक ठण्ड थी। सुबह तो ठण्ड बहुत अधिक थी। उसने मार्ग में ठण्ड से पीड़ित एक सर्प को देखा। करुणायुक्त किसान उसे हाथ में लेकर घर आया। उसने उसको (सर्प को) अग्नि के समीप रख दिया। गर्मी पाकर वह सर्प शीघ्र ही गतिमान हो गया। किसान का पत्र भी वहीं खेल रहा था। कृतघ्न सर्प ने उसे डसना चाहा। डरे हुए किसान ने पुत्र की रक्षा के लिए डण्डे से सर्प को मार दिया।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 6.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः चितपदैः पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
कस्मिंश्चित् ग्रामे एका विडाली……….. सा प्रतिदिनं बहू ………….. अभक्षत्। एवं स्वविनाशं दृष्ट्वा ………… स्वप्राणरक्षार्थम् एकां सभाम् आयोजितवन्तः। सभायां मूषका: इम …………… अकुर्वन् यत् यदि विडाल्या: …………… घण्टिकाबन्धनं भविष्यति तदा तस्याः श्रुत्वां वयं स्वबिलं गामिष्यामः। एवं श्रुत्वा तेषु मूषकेषु एक; वृद्धः मूषक: किञ्चित् विचारयन् तान् ………….. क: तस्याः ग्रीवायां ……………. करिष्यति?” तदानीम् एव विडाली आगता। मूषकाः स्वबिलं ……………..।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – निर्णयम्, मूषकाः, अभवत्, अपृच्छत्, नादं, मूषकान्, घण्टिकाबन्धनं, ग्रीवायां, पलायिताः]
उत्तरम् :
कस्मिंश्चित् ग्रामे एका विडाली अवसत्। सा प्रतिदिनं बहून मूषकान् अभक्षत्। एवं स्वविनाशं दृष्ट्वा मूषका: स्वप्राणरक्षार्थम् एका सभाम् आयोजितवन्तः। सभायां मूषका: इमं निर्णयम् अकुर्वन् यत् यदि विडाल्या: ग्रीवायां घण्टिकाबन्धन भविष्यति तदा तस्याः नादं श्रुत्वा वयं स्वबिलं गमिष्यामः। एवं श्रुत्वा तेषु मूषकेषु एक: वृद्धः मूषक: किञ्चित् विचारयन् तान् अपृच्छत्-“क: तस्या: ग्रीवायां घण्टिकाबन्धनं करिष्यति?” तदानीम् एव विडाली आगता। ता दृष्ट्वैव सर्वे मूषकाः स्वबिलं पलायिताः।

हिन्दी-अनुवाद – किसी गाँव में एक बिल्ली रहती थी। वह हर रोज बहुत से चूहों को खाती थी। इस प्रकार अपना विनाश देखकर चूहों ने अपने प्राणों की रक्षा के लिए एक सभा का आयोजन किया। सभा में चूहों ने यह निर्णय किया कि यदि बिल्ली के गले में घण्टी बँध जायेगी तो हम सब उसकी आवाज सुनकर अपने बिल में चले जायेंगे। यह सुनकर उन चूहों में से एक बूढ़े चूहे ने कुछ सोचते हुए उन सबसे पूछा-“उस बिल्ली के गले में घण्टी कौन बाँधेगा?” तभी बिल्ली आ गयी। उसे देखते ही सब चूहे अपने-अपने बिल में भाग गये।

प्रश्न: 7.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो
कस्मिंश्चित् बने………….. वसति स्म। एकदा स: ………….. अभवत्। सः ………….. अन्वेष्टुम् वने इतस्तत: अनमत् किन्तु सुदूरं यावत् ……………. कमपि जलाशयं न अपश्यत्। तदानीमेव सः………….. अलभत। तस्मिन् घटे…………… आसीत्। अत: स: जलं……….. असमर्थ: अभवत्। सः एकम् …………. अचिन्तयत्। सः दूरात् पाषाणखण्डानि …………… घटे अक्षिपत्। एवं क्रमेण जलम् उपरि …………. जलं च पीत्वा सः…………”अभवत्। उद्यमेन काक: स्वप्रयोजने सफलः अभवत्। उक्तं च “उद्यमेन हि …………”कार्याणि न मनोरथैः।’
[संकेतसूची/मञ्जूषा- जलाशयम्, एकः काकः, कुत्रापि, स्वल्पं जलं, पिपासया आकुलः, आनीय, एकं घटं, समागच्छत्, – | पातुम्, सिध्यन्ति, सुखी, उपायम्।]
उत्तरम् :
कस्मिंश्चित् वने एकः काकः वसति स्म। एकदा सः पिपासया आकुलः अभवत्। सः जलाशयम् अन्वेष्टुं वने इतस्ततः अभ्रमत् किन्तु सुदूरं यावत् कुत्रापि कमपि जलाशयं न अपश्यत्। तदानीमेव सः एक घटम् अलभत। तस्मिन् घटे स्वल्पं जलम् आसीत्। अतः सः जलं पातुम् असमर्थः अभवत्। सः एकम् उपायम् अचिन्तयत्। सः दूरात् पाषाणखण्डानि आनीय घटे अक्षिपत्। एवं क्रमेण जलम् उपरि समागच्छत् जलं च पीत्वा सः सुखी अभवत्। उद्यमेन काकः स्वप्नयोजने सफल: अभवत्। उक्तं च-‘उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।’

हिन्दी-अनुवाद – किसी वन में एक कौआ रहता था। एक बार वह प्यास से व्याकुल हुआ। वह जलाशय की खोज में वन में इधर-उधर घूमा किन्तु दूर तक कहीं भी कोई भी जलाशय न मिला। उसी समय उसे एक घड़ा मिला। उस घड़े में बहुत कम जल था। अत: वह जल पीने में असमर्थ था। उसने एक उपाय सोचा। उसने दूर से कंकड़ लाकर घड़े में डाल दिये। इस प्रकार जल क्रमशः ऊपर आ गया और जल पीकर वह सुखी हुआ। उद्यम से कौआ अपने प्रयोजन में सफल हुआ। कहा गया है-‘उद्यम करने से ही कार्य सिद्ध होते हैं, मनोरथों से नहीं।’

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 8.
मञ्जूषायाः सहायतया रिक्तस्थानानि पूरयित्वा कथां उत्तरपुस्तिकायां लिखत (मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से रिक्त स्थानों को पूर्ण कर कथा को उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकस्मिन् वने एका …………..:वसति स्म। एकदा सा भोजनस्य अभावे ……………….. अभवत्। भोजनार्थं सा बने ……………… भ्रमन्ती उद्यानम् आगच्छत्। तत्र एकां ………… अपश्यत्। तस्यां लतायां …………….. द्राक्षाफलानि आसन्। तानि दृष्ट्वा सा ………… अभवत्। सा उत्लुत्य नैकवारं द्राक्षाफलानि…………”प्रयत्नम् अकरोत् किन्तु………….”सा सफला न अभवत्। निराशां प्राप्य लोमशा प्रत्यागच्छत् अवदत् च-“द्राक्षाफलानि अहं न खादामि, तानि तु अम्लानि सन्ति।”
संकेतसूची/मञ्जूषा-इतस्ततः, अतिप्रसन्ना, लोमशा, अनेकानि, क्षुधापीडिता, द्राक्षालताम्, दूरस्थात्, खादितुम्, द्राक्षाफलानि
उत्तरम् :
एकस्मिन् वने एका लोमशा वसति स्म। एकदा सा भोजनस्य अभावे क्षुधापीडिता अभवत्। भोजनार्थ सा बने ती उद्यानम् आगच्छत्। तत्र एका द्राक्षालताम् अपश्यत्। तस्या लतायाम् अनेकानि द्राक्षाफलानि आसन्। तानि दृष्ट्वा सा अतिप्रसन्ना अभवत्। सा उत्प्लुत्य नैकवारं द्राक्षाफलानि खादितुम् प्रयत्नम् अकरोत् किन्तु दूरस्थात् सा सफला न अभवत्। निराशां प्राप्य लोमशा प्रत्यागच्छत् अवदत् च-द्राक्षाफलानि अहं न खादामि तानि तु अम्लानि सन्ति।

हिन्दी-अनुवाद – एक वन में एक लोमड़ी रहती थी। एक समय भोजन के अभाव में वह भूख से पीड़ित हुई। भोजन के लिए वन में इधर-उधर घूमती हुई वह बगीचे में आई। वहाँ उसने एक अंगूर की बेल को देखा। उस बेल पर अनेक अंगूर थे। उन्हें देखकर वह अति प्रसन्न हुई। उसने अनेक बार उछलकर अंगूरों को खाने का प्रयत्न किया किन्तु दूर होने से वह सफल न हुई। निराश होकर लोमड़ी लौट आयो और बोली, “मैं अगर नही खाता हूँ, व तो खट्ट है।”

प्रश्न: 9.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण करके उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
प्राचीनकाले शिवि: नाम राजा अभवत्। स: ………… आसीत्। सः अनेकान् यज्ञान् कृत्वा ………. प्राप्तवान्। इन्द्रः तस्य कीर्ति श्रुत्वा ……………. आप्तवान्। एकदा स: नृपस्य धर्म…………. अचिन्तयत्। सः अग्निना सह नृपस्य ………… आगच्छत्। इन्द्रः श्येन: अग्निः च ………….. भूत्वा भक्ष्य-भक्षकरूपेण उभौ तत्र आगच्छताम्। कपोत: नृपं …………… येन प्रभो! श्येन: मां खादितुम् इच्छति। त्वं धर्मतत्वज्ञः असि, मां शरणागतं रक्ष। श्येनः अवदत्- अयं कपोत: मम ……………. अस्ति। यदि अहम् इमं न खादिष्यामि तर्हि ……………. मरिष्यामि। ततः नृपः स्वशरीरात् मांसम्……….. श्येनाय अयच्छत्। तुलायां धृतं मांस तु कपोतात् न्यूनम् आसीत्। तदा शिविः स्वस्य सर्वम् एव…………. अर्पयत्। नृपस्य धर्मव्रतं दृष्ट्वा इन्द्रः अग्नि: च प्रसन्नौ भूत्वा……… अगच्छताम्। तस्मात् कालात् अस्मिन् संसारे नृपस्य शिवः धर्मपरायणस्य ……………. श्रेष्ठा ख्यातिः जाता।
[संकेतसूची/मञ्जूषा-परीक्षितुम, धर्मपरायणः, ग्लानिं, समक्षम्, ख्यातिम्, निश्चयमेव, कपोतः, देह, प्रार्थयते, उत्कृत्य, शरणागत-रक्षकस्य, स्वर्गलोक, भोजनम्]
उत्तरम् :
प्राचीनकाले शिविः नाम राजा अभवत्। सः धर्मपरायणः आसीत्। सः अनेकान् यज्ञान् कृत्वा ख्याति प्राप्तवान्। इन्द्रः तस्य कीर्ति श्रुत्वा ग्लानिम् आप्तवान्। एकदा सः नृपस्य धर्म परीक्षितुम् अचिन्तयत्। सः अग्निना सह नृपस्य समक्षम् आगच्छत्। इन्द्रः श्येन: अग्नि: च कपोत: भूत्वा भक्ष्यभक्षकरूपेण उभौ तत्र आगच्छताम्। कपोत: नृपं प्रार्थयते “प्रभो! श्येनः मां खादितुम् इच्छति। त्वं धर्मतत्वज्ञः असि, मां शरणागतं रक्षा” श्येनः अवदत्-“अयं कपोत: मम भोजनम् अस्ति। यदि अहम् इमं न खादिष्यामि तर्हि निश्चयमेव मरिष्यामि।” तत: नृपः स्वशरीरात् मांसम् उत्कृत्य श्येनाय अयच्छत्। तुलाया धृतं मासं तु कपोतात् न्यूनम् आसीत्। तदा शिविः स्वस्य सर्वम् एव देहम् अर्पयत्। नृपस्य धर्मव्रतं दृष्ट्वा इन्द्रः अग्नि: च प्रसन्नौ भूत्वा स्वर्गलोकम् अगच्छताम्। तस्मात् कालात् अस्मिन् संसारे नपस्य शिवे: धर्मपरायणस्य शरणागतरक्षकस्य च रूपेण श्रेष्ठा ख्याति: जाता।

हिन्दी-अनुवाद – प्राचीनकाल में शिवि नाम के राजा हुए। वह धर्मपरायण थे। उन्होंने अनेक यज्ञ करके ख्याति प्राप्त की। इन्द्र उनकी कीर्ति को सुनकर ग्लानि से भर गया। एक बार उसने राजा की परीक्षा करने के लिए सोचा। वह अग्नि के थ राजा के पास आया। इन्द्र बाज और अग्नि कबूतर बनकर भक्ष्य और भक्षक रूप में वे दोनों वहाँ आये। कबूतर ने राजा से विनती की – “प्रभु! बाज मुझे खाना चाहता है। तुम धर्म को जानने वाले हो, मुझ शरण आये हुए की रक्षा करो।” बाज बोला-“यह कबूतर मेरा भोजन है। यदि मैं इसे नहीं खाऊँगा तो मैं निश्चय ही मर जाऊँगा।” तब राजा ने अपने शरीर से मांस काटकर बाज को दिया। मांस तराजू पर रखा तो कबूतर से कम था। तब शिवि ने अपना पूरा शरीर ही अर्पण कर दिया। राजा का धर्मव्रत देखकर अग्नि और इन्द्र प्रसन्न होकर स्वर्गलोक चले गये। उसी समय से इस संसार में राजा शिवि की धर्मपरायण, शरणागतरक्षक के रूप में श्रेष्ठ ख्याति हो गयी।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 10.
अधोलिखितायां लघकथायां विलप्तानि पदानि मञ्जषायाः चित्वा रिक्तस्थानानि पुरयत (निम्नलिखित लघुकथा में विलुप्त शब्दों को मञ्जूषा में दिए गए शब्दों से चुनकर रिक्त स्थानों को भरो-)
कस्यचित् मनुष्यस्य ………………. एक: गजः आसीत्। सः जलं पातुं स्नातुं च …………….. सरित: तटम् अगच्छत्। तत्र – आपणिकाः मार्गे तस्मै किमपि. “यच्छन्ति स्म। मार्गे एकस्य ……………… आपणम् आसीत्। सः वस्त्राणि सीव्यति स्म। ……………… एकदा सौचिकस्य पुत्र: गजस्य करे ………………… अभिनत्। क्रुद्धः सन् गज: सरितः तटम् अगच्छत्। तत्र स्नात्वा जलं च पीत्वा ……………. पङ्किलं जलम् आनयत्। सौचिकस्य आपणे ……………. वस्त्रेषु असिंचत्। तदा सौचिकस्य पुत्रः …………. अनुभूय अतिखिन्नः अभवत्। सः गजं क्षमाम् अयाचत्।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – सौचिकस्य, प्रतिदिनं, खादितुं, गृहे, स्वकरे, आत्मग्लानि, सूचिकाम्, स्यूतेषु]
उत्तरम् :
कस्यचित् मनुष्यस्य गृहे एक: गजः आसीत्। सः जलं पातुं स्नातुं च प्रतिदिनं सरितः तटम् अगच्छत्। तत्र आपणिका: मार्गे तस्मै किमपि खादितुं यच्छन्ति स्म। मार्गे एकस्य सौचिकस्य आपणम् आसीत्। सः वस्त्राणि सीव्यति स्म। एकदा सौचिकस्य पुत्र: गजस्य करे सूचिकाम् अभिनत्। क्रुद्धः सन् गजः सरित: तटम् अगच्छत्। तत्र स्नात्वा जलं च पीत्वा स्वकरे पङ्किलं जलम् आनयत्। सौचिकस्य आपणे स्यूतेषु वस्त्रेषु असिंचत्। तदा सौचिकस्य पुत्रः आत्मग्लानिम् अनुभूय अतिखिन्नः अभवत्। सः गजं क्षमाम् अयाचत्।

हिन्दी-अनुवाद: – किसी मनुष्य के घर में एक हाथी था। वह जल पीने के लिए और नहाने के लिए प्रतिदिन नदी के तट पर जाता था। वहाँ मार्ग में दुकानदार उसे कुछ भी खाने के लिए देत थे। मार्ग में एक दर्जी की दुकान थी। वह कपड़े सिलता था। एक बार दर्जी के पुत्र ने हाथी की सैंड में सुई चुभो दी। क्रोधित होकर हाथी नदी के तट पर गया। वह नहाकर और जल पीकर अपनी सँड़ में कीचड़युक्त जल ले आया और दर्जी की दुकान पर सिले हुए वस्त्रों पर छिड़क दिया। तब दर्जी का पुत्र आत्मग्लानि का अनुभव कर बहुत दु:खी हुआ। उसने हाथी से क्षमायाचना की।

प्रश्न: 11.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण कर उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकदा सप्तर्षय: …………….. अगच्छन्। एक ……………. स्वरं तेषां कर्णेषु अपतत् “तिष्ठन्तु। युष्माकं सर्वाणि …………….. मह्यं यच्छ।” ऋषयः तम् अपृच्छन्-“क: त्वम्?” सः अवदत्-“अहं रत्नाकर: नाम…………..”अस्मि।” ऋषयः पुन: अपृच्छन्-“केषां कृते त्व………………”करोषि? इदं निन्दितं कर्म येषां कृते करोषि तान् पृच्छ कि तेऽपि दस्युकर्मणः …………….. “लप्स्यन्ते? गच्छ वत्स! अस्मासु विश्वासं कुरु। वयं अत्रैव त्वां…………”करिष्याम:” स: दस्यु: सर्वान् परिवारजनान् अपृच्छत्। ते सर्वे उत्तरम् अददुः- “य: घोरतमं पापं……………. स एव अधं फलं प्राप्यति।” रत्नाकर: विस्मितः अभवत्। सः कम्पितपादाभ्यां सप्तर्षीणां ……………. अपतत्। ऋषयः रत्नाकराय ……………… अयच्छन्। त्रयोदशवर्षाणि अनन्तरम् ऋषयः पुनः तत्र आगताः। सर्वत्र रामनाम ……………… भवति स्म। सः मन्त्रध्वनिः वल्मीकात् आगच्छति स्म। ऋषयः वल्मीकात् रत्नाकर’……………… अवदन-पुत्र! त्वं धन्य: असि। त्वम् एतावत् वर्षाणि…………….. निवसन राममन्त्रम् अजपः। अत: त्वं वाल्मीकिः इति नाम्ना अस्मिन् संसारे ……………….. भविष्यति। कालान्तरेण सः एव आदिकविवाल्मीकिनाम्ना प्रसिद्धोऽभवत्। आदिकाव्यस्य ………………… रचयिता अयम् एव आसीत्।।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – दस्युः, सघनवनम्, पापफलं, वस्तूनि, घोरतम, प्रतीक्षा, दस्युकर्म, चरणेषु, राममन्त्रं, करिष्यति,। वल्मीके, प्रसिद्धः, गुञ्जायमानं, रामायणस्य, समुद्धृत्य।]
उत्तरम् :
एकदा सप्तर्षयः सघनवनम् अगच्छन्। एक घोरतमं स्वरं तेषां कर्णेषु अपतत्-“तिष्ठन्तु ! युष्माकं सर्वाणि वस्तूनि मह्यं यच्छ।” ऋषयः तम् अपृच्छन्-“क: त्वम् ?” सः अवदत्-“अहं रत्नाकरः नाम दस्युः अस्मि।” ऋषयः पुनः अपृच्छन्-“केषां कृते त्वं दस्युकर्म करोषि! इदं निन्दितं कर्म येषां कृते करोषि तान् प्रच्छ कि तेऽपि दस्युकर्मण: पापफल लप्सयन्ते ? गच्छ वत्स! अस्मासु विश्वासं कुरु। वर्य अत्रैव त्वां प्रतीक्षा करिष्यामः।” सः दस्युः सर्वान् परिवारजनान् अपृच्छत्। ते सर्वे उत्तरम् अददात् “य: घोरतमं पापं करिष्यति।

सः एव अधं फलं प्राप्स्यति।” रत्नाकरः विस्मितः अभवत्। स: कम्पितपादाभ्यां सप्तर्षीणां चरणेषु अपतत्। ऋषयः रत्नाकराय राममन्त्रम् अयच्छन्। त्रयोदशवर्षाणि अनन्तरम् ऋषयः पुनः तत्र आगताः। सर्वत्र रामनाम गुञ्जायमानं भवति स्म। स मन्त्रध्वनि: वल्मीकात् आगच्छति स्म। ऋषयः वल्मीकात् रत्नाकरं समुद्धृत्य अवदन्- “पुत्र त्वं धन्यः असि। त्वम् एतावत् वर्षाणि वल्मीके निवसन् राममन्त्रम् अजपः। अत: त्वं वाल्मीकिः इति नाम्ना अस्मिन् संसारे प्रसिद्धः भविष्यति।” कालान्तरेण स: एव आदिकविवाल्मीकिनाम्ना प्रसिद्धोऽभवत् आदिकाव्यस्य रामायणस्य रचयिता अयम् एव आसीत्।

हिन्दी-अनुवाद – एक बार सप्त ऋषि घने जंगल में जा रहे थे। एक भयंकर शब्द उनके कानों में पड़ा-“रुको! अपनी सभी वस्तुएँ मुझे दे दो।” ऋषियों ने उससे पूछा-“तुम कौन हो?” वह बोला-“मैं रत्नाकर नाम का डाकू हूँ।” ऋषियों ने पुनः पूछा-“तुम किनके लिए डाकूका काम करते हो? यह निन्दित काम जिनके लिए करते हो उन्हें पूछो कि क्या वे भी डाकू के कार्य करने से प्राप्त होने वाले पापरूपी फल को भोगेंगे। जाओ पुत्र! हम पर विश्वास करो। हम सब यहीं तुम्हारी प्रतीक्षा करेंगे।” उस डाकू ने सभी परिवारीजनों से पूछा।

उन सभी ने उत्तर दिया-“जो घोर पाप करेगा, वही नीच फल भोगेगा।” रत्नाकर विस्मित हो गया। वह कौपते पैरों से ऋषियों के चरणों में गिर पड़ा। ऋषियों ने रत्नाकर को राममन्त्र दिया। तेरह वर्ष बाद ऋषि पुन: वहाँ आये। सर्वत्र रामनाम गुञ्जायमान हो रहा था। वह मन्त्रध्वनि मिट्टी के ढेर से आ रही थी। ऋषियों ने मिट्टी के ढेर से रत्नाकर को निकालकर कहा-“पुत्र! तुम धन्य हो! तुमने इतने वर्ष मिट्टी के ढेर में रहकर राममन्त्र का जाप किया। अत: तुम इस संसार में वाल्मीकि के नाम से प्रसिद्ध होओगे।” कुछ समय बाद वही आदिकवि वाल्मीकि के नाम से प्रसिद्ध हुए। आदिकाव्य रामायण के रचयिता ये ही थे।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 12.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) के उचित शब्दों से पूर्ण कर उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकस्मिन् वनप्रदेशे एक: सिंहः …………… स्म। एकदा स: वृक्षस्य …………….. स्वपिति स्म। तस्य वृक्षस्य अधः एक: ……………….. अपि बिलं कृत्वा वसति स्म। तौ अतिस्नेहेन तत्र निवसतः स्म। एकदा मूषक : ………………… निष्कृत्य सुप्तस्य सिंहस्य पृष्ठमारुह्य तस्य केशान् अकृन्तत्। जाग्रतः सिहं मूषकं हस्ते …………. अवदत्। “को असि? मम् केशान् कृन्तसि अहं त्वां हनिष्यामि।” मूषकोऽपि भीत: सन् अकथयत् – “विपत्काले अहं तव साहाय्यं करिष्यामि।” एकदा सिंहः …………… जातः। सः तदा आत्मानम् असहायं मत्वा अति दुःखी …………….। अस्मिन् विपत्काले स: ……………… अस्मरत्। तस्य गर्जनं ………………. मूषक: स्वबिलात् बहिः ………………… सिंहस्य समीपम् आगच्छत्। सः पाशं स्वतीक्ष्णदन्तः छित्वा तं मित्रं …………….. अकरोत। तदा सिंह: मषक: च प्रसन्नौ अभवताम।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – पाशमुक्तम्, वसति, निर्गत्य, छयायां, बिलात्, श्रुत्वा, पाशबद्धः, अभवत्, गृहीत्वा, स्वमित्रं, मूषक:]
उत्तरम् :
एकस्मिन् वनप्रदेशे एक: सिंहः वसति स्म। एकदा स: वृक्षस्य छायायां स्वपिति स्म। तस्य वृक्षस्य अध: एक: मूषकः अपि बिलं कृत्वा वसति स्म। तौ अतिस्नेहेन तत्र निवसतः स्म। एकदा मूषक: बिलात् निष्कृत्य सुप्तस्य सिंहस्य पृष्ठमारुह्य तस्य केशान् अकृन्तत्। जाग्रतः सिंहः मूषकं हस्ते गृहीत्वा अवदत्-“को असि? मम् केशान् कृन्तसि। अहं त्वां हनिष्यामि।” मुषको अपि भीत: सन् अकथयत-“विपत्काले अहं तव साहाय्यं करिष्यामि।” एकदा सिंहः पाशब सः तदा आत्मानम् असहायं मत्वा अति दु:खी अभवत्। अस्मिन् विपत्काले स: स्वमित्रम् अस्मरत्। तस्य गर्जनं श्र त्वा मूषक: स्वबिलात् बहिः निर्गत्य सिंहस्य समीपम् आगच्छत्। स: पाशं स्वतीक्ष्णदन्तैः छित्त्वा तं मित्रं पाशमुक्तम् अकरोत्। तदा सिंह: मृषक: च प्रसन्नौ अभवताम्।

हिन्दी-अनुवाद – एक वन प्रदेश में एक शेर रहता था। एक समय वह वक्ष की छाया में सो रहा था। उस वृक्ष के नीचे एक चूहा भी बिल बनाकर रहता था। वे दोनों वहाँ बहुत प्रेम से रहते थे। एक समय चूहा अपने बिल से निकलकर सोते हुए शेर की पीठ पर चढ़कर उसके बाल काटने लगा। जागकर शेर ने चूहे को हाथ में पकड़कर कहा-“कौन हो? मेरे बालों को काटते हो? मैं तुम्हें मार दूंगा।” चूहा भी डरता हुआ बोला-“विपत्ति में मैं तुम्हारी सहायता करूँगा।” एक बार शेर जाल में फंस गया। उस समय वह स्वयं को असहाय मानकर बहुत दु:खी हुआ। इस विपत्ति काल में उसने अपने मित्र को याद किया। उसकी गर्जना सुनकर चूहा अपने बिल से बाहर निकलकर शेर के पास आया। उसने जाल को अपने तेज दाँतों से काटकर मित्र को जाल से मुक्त कर दिया। तब शेर और चूहा दोनों प्रसन्न हुए।

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प्रश्न 13.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण कर उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकस्मिन् …………. एकः काकः निवसति स्म। तस्य वृक्षस्य समीपे एका लोमशा अपि निवसति स्म। एकदा सः काक: एका ………….. आनयत्। लोमशा तं दृष्ट्वा केनापि ……………. रोटिकां गृहीतुम् ऐच्छत्। सा वृक्षस्य अधः ………….. काकं च अवदत्-‘तात! मया श्रुतं त्वम् अति मधुरं गायसि।” काक : आत्मनः ……………….. श्रुत्वा प्रसन्न: अभवत्। सगर्वोऽयं काकः यावत् गायति तावत् विवृतात् ………………. रोटिका भूमौ अपतत्। लोमशा तां नीत्वा ततः अगच्छत्। मूर्खः काकः ……………… पश्चात्तापम् अकरोत्।
[संकेतसूची/मञ्जूषा- प्रशंसां, रोटिका, मुखात्, वृक्षे, स्वमूर्खतायाः, अतिष्ठत्, उपायेन]
उत्तरम् :
एकस्मिन् वक्षे एकः काकः निवसति स्म। तस्य वृक्षस्य समीपे एका लोमशा अपि निवसति स्म। एकदा सः काक: एका रोटिकाम् आनयत्। लोमशा तं दृष्ट्वा केनापि उपायेन रोटिकां गृहीतुम् ऐच्छत्। सा वृक्षस्य अधः अतिष्ठत् कार्क च अवदत्-‘तात! मया श्रुतं त्वम् अति मधुरं गायसि।’ काकः आत्मनः प्रशंसां श्रुत्वा प्रसन्नः अभवत्। सगर्वोऽयं काकः विवृतात् मुखात् रोटिका भूमौ अपतत्। लोमशा तां नीत्वा ततः अगच्छत्। मूर्खकाकः स्वमूर्खताया: पश्चात्तापम् अकरोत्।

हिन्दी-अनुवाद – एक वृक्ष पर एक कौआ रहता था। उस वृक्ष के समीप एक लोमड़ी भी रहती थी। एक दिन वह कौआ एक रोटी लाया। लोमड़ी ने उसे देखकर किसी भी उपाय से रोटी को लेना चाहा। वह वृक्ष के नीचे बैठ गई और कौए से बोली-‘तात! मैंने सुना है तुम बहुत मीठा गाते हो।’ कौआ अपनी प्रशंसा सुनकर प्रसन्न हो गया। गर्व के साथ कौए ने गाने के लिए जैसे ही मुख खोला, वैसे ही रोटी जमीन पर गिर गई। लोमड़ी उसे लेकर वहाँ से चली गई। मुर्ख कौआ ने अपनी मूर्खता पर पश्चात्ताप किया।

प्रश्न 14.
अधोलिखितां कथां मञ्जूषायाः सहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा (में दिए गए शब्दों) की सहायता से पूर्ण कर उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
उत्तरप्रदेशे अयोध्या नगरी अस्ति। तत्र प्राचीनकाले …………… नृपः राज्यम् अकरोत्। तस्य चत्वारः ……………. आसन् रामः, लक्ष्मणः, भरत: शत्रुघ्नः च। ऋषिः …………… रामलक्ष्मणौ स्वस्य आश्रमम् अनयत्। तौ ………….. विश्वामित्रात् अशिक्षेतां, ततः मिथिलायां चतुर्णाम् अपि राजपुत्राणां विवाहः अभवत्। मिथिलानृपः ………….. रामाय अयच्छत्। तस्याः नाम सीता आसीत्। पितुः आज्ञया राज्यं ……………. राम: वनम् अगच्छत्। तेन सह सीता लक्ष्मणश्च अगच्छन्ताम्। ऋषिभिः सह ते वने …………..। तत्र रावण: सीतां ………… अहरत्। सीताम् अन्वेष्टुम् रामलक्ष्मणौ वने अभ्रमताम्। तौ बालिनः नगरी ……………… अगच्छताम्। वानरराजः सुग्रीव : तयोः मित्रम् अभवत्। ………… हनुमान् सागरपारं गत्वा लंकायां ……………. अपश्यत्। वानरा: सागरे …………….. अकुर्वन्। राम-रावण-युद्धः अभवत्। युद्धे रावण: हतः।
[संकेतसूची/मञ्जूषा – शास्त्रविद्या, स्वज्येष्ठां सुतां, दशरथः, त्यक्त्वा, पुत्राः, अवसन्, विश्वामित्रः, पवनपुत्रः, सेतुनिर्माण, | सीतां, किष्किन्धाम्, कपटेन]
उत्तरम् :
उत्तरप्रदेशे अयोध्या नगरी अस्ति। तत्र प्राचीनकाले दशरथः नृपः राज्यम् अकरोत्। तस्य चत्वारः पुत्राः आसन्-राम:, लक्ष्मणः, भरतः शत्रुघ्नः च। ऋषिः विश्वामित्र: रामलक्ष्मणौ स्वस्य आश्रमम् अनयत्। तौ शास्त्रविद्यां विश्वामित्रात् अशिक्षेताम् ततः मिथिलायां चतुर्णाम् अपि राजपुत्राणां विवाहः अभवत्। मिथिलानृपः स्वज्येष्ठां सुतां रामाय अयच्छत्। तस्याः नाम सीता आसीत्।

पितुः आज्ञया राज्यं त्यक्त्वा राम: वनम् अगच्छत्। तेन सह सीता लक्ष्मणश्च अगच्छताम्। ऋषिभिः सह ते वने अवसन्। तत्र रावणः सीतां कपटेन अहरत्। सीताम् अन्वेष्टुम् रामलक्ष्मणौ वने अभ्रमताम्। तौ बालिन: नगरौं किष्किन्धाम् अगच्छताम्। वानरराजः सुग्रीवः तयोः मित्रम् अभवत्। पवनपुत्रः हनुमान् सागरपारं गत्वा लंकायां सीताम् अपश्यत्। वानराः सागरे सेतुनिर्माणम् अकुर्वन्। राम-रावण-युद्धः अभवत्। युद्धे रावणः हतः।

हिन्दी-अनुवाद – उत्तरप्रदेश में अयोध्या नगरी है। प्राचीनकाल में वहाँ राजा दशरथ राज्य करते थे। उनके चार पुत्र थे-राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को अपने आश्रम ले गये। उन दोनों ने शास्त्रविद्या विश्वामित्र से सीखी। तब जनकपुरी में चारों राजकुमारों का विवाह हुआ। राजा जनक ने अपनी बड़ी पुत्री को श्री राम को दिया। उसका नाम सीता था।

पिता की आज्ञा से राज्य को त्यागकर राम वन में गये। उनके साथ सीता और लक्ष्मण गये। ऋषियों के साथ वे वन में रहते थे। वहाँ रावण ने कपट से सीता का हरण कर लिया। सीता को खोजने के लिए राम-लक्ष्मण वन-वन घूमे। वे दोनों बालि की नगरी किष्किन्धा गये। वानरराज सुग्रीव उनके मित्र हुए। पवनपुत्र हनुमान् ने सागर पार जाकर लंका में सीता को देखा। वानरों ने समुद्र पर सेतु-निर्माण किया। राम-रावण का युद्ध हुआ। युद्ध में रावण मारा गया।

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 15.
अधोलिखितां कथा मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत (निम्नलिखित कथा को मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कर उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
एकस्मिन् ………… वने एक: वटवृक्षः आसीत्। तस्मिन् वृक्षे एकः ………….. आसीत्। तस्मिन् वायस-दम्पतिः ………. निवसति स्म। तस्य वृक्षस्य अधस्तात् एव एकस्मिन् बिले कृष्णसर्पः आसीत्। सः तयोः ………… अपत्यानि अखादत्। एकदा काकः शृगालेन महाराज्ञा: रत्नजटितं स्वर्णहारम् अपहत्य आनयत्। मित्रेण शृगालेन परामृष्टः काकः तं ……….. सर्पस्य बिले अक्षिपत्। राजपुरुषाः हारम् ………… इतस्तत: भ्रमन्तः वृक्षस्य समीपम् आगच्छन्। सर्पस्य बिले हारं दृष्ट्वा तं चौर ……….. बिलं च खनित्वा ते सर्पम् …………..। एवं मित्रस्य सत्यपरामर्शेन सदुपायेन च वायसदम्पती स्वशावकान् अरक्षताम्।
[संकेतसूची/मञ्जूषा-नवजातानि, कोटरः, स्वर्णहारं, निर्जने, अन्वेष्टुम्, सुखेन, परामृष्टः, अनन्, मत्वा।]
उत्तरम् :
एकस्मिन् निर्जने वने एक: वटवृक्षः आसीत्। तस्मिन् वृक्षे एकः कोटरः आसीत्। तस्मिन् वायस-दम्पती: सुखेन न्यबसताम्। तस्य वृक्षस्य अधस्तात् एव एकस्मिन् बिले कृष्णसर्पः आसीत्। सः तयोः नवजातानि अपत्यानि अखादत्। एकदा काकः शृगालेन परामृष्टः महाराज्ञा: रत्नजटितं स्वर्णहारम् अपहत्य आनयत्। मित्रेण शृगालेन परामृष्टः काकः तं स्वर्णहरं सर्पस्य बिले अक्षिपत्। राजपुरुषाः हारम् अन्वेष्टुम् इतस्ततः भ्रमन्तः वृक्षस्य समीपम् आगच्छन्। सर्पस्य बिले हारं दृष्ट्वा तं चौरं मत्वा बिलं च खनित्वा ते सर्पम् अनन्। एवं मित्रस्य सत्यपरामर्शेन सदुपायेन च वायसदम्पती स्वशावकान् अरक्षताम्।

हिन्दी-अनुवाद – एक निर्जन वन में एक बरगद का पेड़ था। उस वृक्ष पर एक कोटर था। उसमें काक-दम्पति सुख से रहते थे। उस वृक्ष के नीचे ही एक बिल में काला सर्प था। वह काक दम्पति के नवजात बच्चों को खा जाता था। एक दिन कौआ गीदड़ के परामर्श से महारानी का रत्नजटित सोने का हार चुराकर लाया। मित्र गीदड़ के परामर्श से कौए ने उस हार को सर्प के बिल पर फेंक दिया। राजा के आदमी उस हार को खोजने के लिए इधर-उधर घूमते हुए वृक्ष के समीप आये। सर्प के बिल पर हार देखकर उसको चोर समझकर और बिल को खोदकर उन्होंने सर्प को मार दिया। इस प्रकार मित्र की सच्ची सलाह से और सही उपाय से काक-दम्पति ने अपने शावकों की रक्षा की।

(ब) चित्रवर्णनम्

चित्र वर्णन में कोई भी सामान्य चित्र देकर उसका वर्णन करने के लिए कहा जाता है। यह वर्णन मञ्जूषा शब्द-सूची में दिये गये शब्दों की सहायता से करना होता है। इस तरह के प्रश्नों का उत्तर लिखते समय निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए –

  1. वर्णन में भूमिका अथवा उपसंहार नहीं देना चाहिए।
  2. चित्र में दिये गये विषय पर ही वर्णन करना चाहिए।
  3. विषय का आरम्भ शीघ्र करना चाहिए।
  4. वाक्यों में परस्पर सम्बन्ध होना चाहिए।
  5. भाषा-शैली सरल, रोचक तथा प्रवाहमयी होनी चाहिए।

आपके अभ्यासार्थ हमने ‘चित्रवर्णनम्’ से सम्बन्धित कुछ प्रश्न एवं उनके उत्तर (हिन्दी अनुवाद सहित) यहाँ दिये हैं –

प्रश्न: 1.
इदं चित्रं पश्य। चित्रम् आधृत्य शब्द-सूच्या:/मञ्जूषायाः सहायतया पञ्चवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(इस चित्र को देखो। चित्र को आधार बनाकर शब्द-सूची/मञ्जूषा की सहायता से पाँच वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 1
[शब्दसूची/मञ्जूषा-अयम्, विद्यालयः, सुन्दरः, समीपे, वृक्षाः, कक्षाः, गच्छामि, मित्रेण सह, प्रतिदिनं]
उत्तरम् :
1. अयं मम विद्यालयः अस्ति। (यह मेरा विद्यालय है।)
2. मम विद्यालयः सुन्दरः अस्ति। (मेरा विद्यालय सुन्दर है।)
3. विद्यालयः मम गृहस्य समीपे अस्ति। (विद्यालय मेरे घर के पास है।)
4. विद्यालयं परितः बहवः वृक्षाः सन्ति। (विद्यालय के चारों और बहुत से पेड़ हैं।)
5. विद्यालये पञ्चविंशतिः (25) कक्षा: सन्ति, अहं प्रतिदिनं मित्रेण सह विद्यालयं गच्छामि।
(विद्यालय में 25 कक्षायें हैं, मैं प्रतिदिन मित्र के साथ विद्यालय जाता हूँ।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 2.
चित्रम् आधृत्य अधः प्रदत्तशब्दसूच्या:/मञ्जूषायाः सहायतया उत्तरपुस्तिकायां पञ्चवाक्यानि लिखत –
(चित्र के आधार पर नीचे दी गई मञ्जुषा/शब्द-सूची की सहायता से उत्तरपुस्तिका में पाँच वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 2
[शब्दसूची/मञ्जूषा – इद, गृहम्, सर्वतः, पुष्पाणि, वृक्षेषु, मन्दिरं, प्रात:काले, पूजा, वयं कुर्मः]
उत्तरम् :
1. इदं मम गृहम् अस्ति। (यह मेरा घर है।)
2. गृहं सर्वतः सुन्दरवृक्षाः सन्ति। (घर के चारों ओर सुन्दर पेड़ है।)
3. वृक्षेषु बहूनि पुष्पाणि भवन्ति। (पेड़ों पर बहुत से फूल हैं।)
4. मम गृहे मन्दिरम् अस्ति। ( मेरे घर में मन्दिर है।)
5. वयं प्रात:काले तत्र पूजां कुर्मः। (हम सुबह वहाँ पूजा करते हैं।)

प्रश्न: 3.
अधः प्रदत्तं चित्रम् आधृत्व मञ्जूषायां शब्दसूच्यां प्रदत्तशब्दानां सहायतया पञ्चसंस्कृतवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र के आधार पर मंजूषा/शब्दसूची में दिये गये शब्दों की सहायता से संस्कृत के पाँच वाक्य उत्तर पुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 3
[शब्दसूची/मञ्जूषा- कृषकः, क्षेत्रेषु, वृषभाभ्यां, हलं, कर्षति, बीजेभ्यः, कर्तति, अन्नदाता, उद्भवन्ति, शस्यानि]
उत्तरम् :
1. कृषकः क्षेत्रेषु वृषभाभ्यां हलं कर्षति। (किसान खेतों में दो बैलों से हल चलाता है।)
2. स: क्षेत्रेषु बीजानि वपति। (वह खेतों में बीजों को बोता है।)
3. बीजेभ्यः शस्यानि उद्भवन्ति। (बीजों से फसल उत्पन्न होती है।)
4. यदा शस्यानि पक्वन्ति तदा कृषक: तानि कर्तति। (जब फसल पकती है तब किसान उन्हें काटता
5. कृषक: ‘अन्नदाता’ कथ्यते। (किसान ‘अन्नदाता’ कहा जाता है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 4.
चित्रम् आधृत्य अध: प्रदत्त शब्द-सूच्या/मञ्जूषायाः सहायतया उत्तरपुस्तिकायां पञ्चवाक्यानि लिखत –
(चित्र के आधार पर नीचे दी गई शब्द-सूची/मञ्जूषा की सहायता से उत्तरपुस्तिका में पाँच वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 4
[शब्दसूची/मञ्जूषा-वर्षाकाले, वृक्षः, भवति, शुद्ध, अस्माकं , वृक्षारोपणं, पर्यावरणं, मित्राणि, कर्तव्यम्, रक्षणम्।]
उत्तरम् :
1. वृक्षाः अस्माकं मित्राणि सन्ति। (पेड़ हमारे मित्र है।)
2. वृक्षः पर्यावरणं शुद्धं भवति। (पेड़ों से पर्यावरण शुद्ध होता है।)
3. वृक्षैः भूमेः रक्षणं भवति। (पेड़ों से भूमि की रक्षा होती है।)
4. वृक्षारोपणम् अस्माक कर्तव्यम्। (पेड़ उगाना हमारा कर्तव्य है।)
5. प्रतिवर्ष वर्षाकाले जनाः वृक्षारोपणं कुर्वन्ति। (प्रत्येक वर्ष वर्षा के समय में लोग पेड़ उगाते हैं।)

प्रश्नः 5.
अधः प्रदत्तं चित्रं दृष्ट्वा उत्तरपुस्तिकायां मञ्जूषायाः/शब्द-सूच्या: सहायतया पञ्चवाक्यानि लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र को देखकर उत्तरपुस्तिका में मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से पाँच वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 5
[शब्दसूची/मञ्जूषा-क्रीडाक्षेत्रम्, बालकाः, कन्दुकेन, अत्र, प्रतिदिनम्, कोड़ार्थम्, आगच्छन्ति, त्रयः, पश्यामः, अतिप्रसन्नाः] उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे वयम् एकं क्रीडाक्षेत्रं पश्यामः। (इस चित्र में हम एक खेल का मैदान देखते हैं।)
2. अन त्रयः बालका: कन्दुकेन क्रीडन्ति। (यहाँ तीन लड़के गेंद से खेल रहे हैं।)
3. क्रीडाक्षेत्रे प्रतिदिनं बालकाः क्रीडार्थम् आगच्छन्ति। (खेल के मैदान में प्रतिदिन लड़के खेलने के लिए आते हैं।)
4. बालकाः अत्र क्रीडित्वा अतिप्रसन्नाः भवन्ति। (लड़के यहाँ खेलकर अत्यधिक खुश होते हैं।)
5. क्रीडाक्षेत्रं परितः अनेकाः वृक्षाः सन्ति। (खेल के मैदान के चारों ओर बहुत से पेड़ हैं।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 6.
इदं चित्रं पश्यतु। चित्रम् आधृत्य मञ्जूषायाः/शब्द-सूच्या: सहायतया पञ्चवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत-(इस चित्र को देखो। चित्र के आधार पर दी गई मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से पाँच वाक्य उत्तरपुस्तिका में – लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 6
[मञ्जूषा/शब्दसूची-जनाः, परस्परं, फाल्गुनमासस्य, गायन्ति, नृत्यन्ति च, गलेन मिलन्ति, रक्तपीतादिवर्णैः, मिष्ठान्नं, द्वेष, विस्मृत्य]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे होलिकोत्सवः आयोज्यते। (इस चित्र में होली का त्योहार मनाया जा रहा है।)
2. इदं महापर्व फाल्गुनमासस्य पौर्णमास्यां भवति। (यह महान् त्योहार फाल्गन के महीने की पूर्णिमा में होता
3. अस्मिन् दिने जनाः रक्तपीतादिवर्णैः क्रीडन्ति, गायन्ति, नृत्यन्ति च। (इस दिन लोग लाल-पीले आदि रंगों से खेलते हैं, गाते हैं और नाचते हैं।)
4. अस्मिन् दिने गृहे-गृहे मिष्ठान्नं पच्यते। (इस दिन घर-घर में मिठाई बनती है।)
5. जनाः परस्परं द्वेषं विस्मृत्य गलेन मिलन्ति। (लोग आपस में ईर्ष्या को भुलाकर गले से मिलते हैं।)

प्रश्न: 7.
अधः दत्तं चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषा/शब्दसूच्याः सहायतया पञ्चवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र को देखकर, दी गयी मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से पाँच वाक्य उत्तर पुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 7
[मञ्जूषा/शब्दसूची-कार्यालयं, मोहनः, ग्रामात्, आगच्छति, यतः, पादपाः, ग्रामे, बसयानं, परिवारजनैः, रेणुपूर्णः, वातावरणम्]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे मोहनः कार्यालयं गच्छति। (इस चित्र में मोहन कार्यालय जा रहा है।)
2. स: ग्रामात् आगच्छति, तत्र सः परिवारजनैः सह निवसति। (वह गाँव से आता है, वहाँ बह
परिवार के लोगों के साथ रहता है।)
3. अस्मिन् ग्रामे बसयानं न चलति यतः अयं मार्ग: रेणुपूर्णः अस्ति। (इस गाँव में बस-गाड़ी नहीं चलती है क्योंकि यह रास्ता धूल से भरा हुआ है।)
4. मार्गे बहवः पादपाः सन्ति। (रास्ता में बहुत से पेड़ हैं।)
5. ग्रामस्य वातावरणं शुद्धं भवति। (गाँव का वातावरण शुद्ध होता है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 8.
अधः प्रदत्त चित्रस्य वर्णनं मञ्जूषायां/शब्दसूच्यां लिखितपदानां प्रयोगं कृत्वा पञ्चवाक्येषु संस्कृतेन कुरु –
(नीचे दिये गये चित्र का वर्णन मञ्जूषा/शब्दसूची में लिखित पदों का प्रयोग करके पाँच वाक्यों में संस्कृत में करो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 8
[मञ्जूषा/शब्दसूची-द्वे बालिके, नृत्यशाला, नृत्यतः, पश्यामः, ते, प्रतिदिनम्, आगच्छतः, गृहात्, कुरुतः, शिक्षिका]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे वयं नृत्यशाला पश्यामः। (इस चित्र में हम नाच-घर को देख रहे हैं।)
2. अत्र द्वे बालिके नृत्यतः। (यहाँ दो लड़कियाँ नाच रही हैं।)
3. शिक्षिका ते नृत्यं शिक्षयति। (अध्यापिका उन दोनों को नाच सिखा रही है।)
4. ते प्रतिदिनं गृहात् आगच्छतः नृत्यस्य अभ्यासं च कुरुतः। (वे दोनों प्रतिदिन घर से आती हैं और नृत्य का अभ्यास करती हैं।)
5. ते नृत्यं कुरुतः। (वे दोनों नाच रही हैं।)

प्रश्न: 9.
चित्रम् आधृत्य अधः प्रदत्त शब्दसूच्याः/मञ्जूषाः सहायतया उत्तरपुस्तिकायां पञ्चवाक्यानि लिखत –
(चित्र के आधार पर नीचे दी गई मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से उत्तरपुस्तिका में पाँच वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 9
[मञ्जूषा/शब्दसूची-सरस्वती, हस्ते, धारयति, कमलासने, सूर्योदयसमये, अस्माकं, सरोवरे, राष्ट्रियपुष्पं, विष्णुः, विकसति]
उत्तरम् :
1. अस्मिन चित्रे कमलपष्यम् अस्ति। (इस चित्र में कमल का फूल है।)
2. कमलम् अस्माकं राष्ट्रियपुष्पम् अस्ति। (कमल हमारा राष्ट्रीय फूल है।)
3. सूर्योदयसमये सरोवरे कमलं विकसति। (सूर्योदय के समय में तालाब में कमल खिलता है।)
4. माता सरस्वती कमलासने तिष्ठति। (माँ सरस्वती कमल के आसन पर विराजती है।)
5. भगवान् विष्णुः कमल हस्ते धारयति। (भगवान् विष्णु कमल को हाथ में धारण करते हैं।)

प्रश्न: 10.
अध: प्रदत्तं चित्रम् आधृत्य मञ्जूषायां/शब्दसूच्यां प्रदत्त शब्दानां सहायतया पञ्चसंस्कृतवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र के आधार पर मञ्जूषा/शब्दसूची में दिये गये शब्दों की सहायता से पाँच संस्कृत वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 10
[मञ्जूषा/शब्दसूची-कुम्भकारः, घट, शीतलं, मृत्तिका, नामात्, विक्रेतुम्, नगरम्, गच्छति, आनयति, वनात् सुन्न।]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे एक: कुम्भकारः अस्ति। (इस चित्र में एक कुम्हार है।)
2. सः घटम् अन्यानि पात्राणि च रचयति। (वह घड़ा और बर्तनों को बना रहा है।)
3. घटे जलं शीतलं भवति। (घड़े में पानी ठंडा रहता है।)
4. कुम्भकार : वनात् मृत्तिकाम् आनयति। (कुम्हार जंगल से मिट्टी लाता है।)
5. सः घटं विक्रेतुं ग्रामात् नगरं गच्छति। (वह घड़ा बेचने को गाँव से शहर जाता है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 11.
अधोदतं चित्रं पश्यत। मञ्जूषा/शब्द-सूच्या सहायतया चित्रम् आधृत्य संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र को देखो। मञ्जूषा/शब्दसूची की सहायता से चित्र के आधार पर संस्कृत के पाँच वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 11
[मञ्जूषा/शब्दसूची-जलाशयः, तरन्ति, मनोरमम्, दृश्य, वर्तिकाः रमणीयः, बहवः वृक्षा पर्वतः, शीतलवायुः]
उत्तरम् :
1. एतस्मिन् चित्रे एक: जलाशयः रमणीय: पर्वतः च स्तः। (इस चित्र में एक तालाब और सुन्दर पर्वत है।)
2. जलाशये वर्तिकाः तरन्ति। (तालाब में बतखें तैर रही हैं।)
3. जलाशयस्य तटे बहवः वृक्षाः सन्ति। (तालाब के किनारे पर बहुत से पेड़ हैं।)
4. अत्र शीतलवायुः प्रवहति। (यहाँ ठंडी हवा चल रही है।)
5. जलाशयस्य दृश्यं मनोरमम् अस्ति। (तालाब का दृश्य मन को हरने वाला है।)

प्रश्न: 12.
अधः दत्तं चित्रम् दृष्ट्वा उत्तरपुस्तिकायां मञ्जूषा/शब्द-सूच्यां सहायतया पञ्चवाक्यानि लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र को देखकर उत्तरपुस्तिका में मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से पाँच वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 12
[मञ्जूषा/शब्दसूची-शिक्षिका, श्यामपट्ट, शाटिका, व्यक्तित्वम्, वयं, सर्वे, कुर्मः, पाठयति, सम्मान, अस्मान्।]
उत्तरम् :
1. इयम् अस्माकं शिक्षिका अस्ति। (यह हमारी अध्यापिका है।)
2. सा शाटिकां धारयति। (वह साड़ी पहने हुयी है।)
3. सा अस्मान् श्यामपट्ट-सहायतया पाठयति। (वह हमको श्यामपट्ट की सहायता से पढ़ा रही है।)
4. तस्याः व्यक्तित्वम् आकर्षकम् अस्ति। (उसका व्यक्तित्व आकर्षक है।)
5. वयं सर्वे छात्रा: तस्याः सम्मानं कुर्मः। (हम सभी विद्यार्थी उसका आदर करते हैं।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 13.
अधः प्रदत्तं चित्रम् आधृत्य मञ्जूषायां/शब्दसूच्यां प्रदत्तशब्दानां सहायतया पञ्चसंस्कृतवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(नीचे दिये गये चित्र के आधार पर मञ्जूषा/शब्दसूची में दिये गये शब्दों की सहायता से पाँच संस्कृत के वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 13
[मञ्जूषा/शब्दसूची – चित्रकारी, नारी, प्रकृतिचित्रणं, कुरुतः, वार्तालापं, चित्रयति, अपरं, परस्परं, तूलिकया]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे द्वौ चित्रकारौ स्तः। (इस चित्र में दो चित्रकार हैं।)
2. अत्र एक: चित्रकार: नारी चित्रयति अपरः च प्रकृतिचित्रणं करोति। (यहाँ एक चित्रकार स्त्री का
चित्र बना रहा है और दूसरा प्रकृति का चित्र बना रहा है।)
3. तौ परस्परं वार्तालापं कुरुतः। (वे दोनों आपस में बात-चीत कर रहे हैं।)
4. तौ तलिकया चित्रं पुरयतः। (वे दोनों तूलिका (ब्रश) से चित्र पूरा बना रहे हैं।)
5. तयो: चित्रणं सुन्दरम् अस्ति। (उन दोनों का चित्रण सुन्दर है।)

प्रश्न: 14.
अधः प्रदत्त चित्रस्य वर्णनं मञ्जूषायां लिखितपदानां प्रयोगं कृत्वा पञ्चवाक्यैः क्रियताम् –
(नीचे दिये गये चित्र का वर्णन मञ्जूषा (शब्दसूची) में लिखित शब्दों का प्रयोग करके पाँच वाक्यों द्वारा करो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 14
[मञ्जूषा/शब्दसूची-माता, पुत्रः, पृच्छति, भोजनकक्षे, अद्य, मोदकम्, यच्छति, मह्यम्, उपस्थिता, रोचते]
उत्तरम् :
1. माता पुत्रेण सह भोजनकक्षे उपस्थिता। (माँ पुत्र के साथ भोजन-कक्ष में उपस्थित है।)
2. सा पुत्राय भोजनं यच्छति। (बह पुत्र के लिये खाना दे रही है।)
3. पुत्र: जननी पृच्छति-अद्य किं पचसि? (पुत्र माँ से पूछता है-आज क्या बना रही हो?)
4. जननी कथयति-अद्य मिष्ठान्नम् पचामि। (माँ कहती है-आज मिठाई बना रही हूँ।)
5. पुत्र: जननी कथयति-महयं मोदकं रोचते। (पुत्र माँ से कहता है-मुझे लड्डू अच्छा लगता है।)

प्रश्न: 15.
पञ्चसु संस्कृतवाक्येषु मञ्जूषायां/शब्दसूच्या प्रदत्तानां पदसहायतया अधः दत्तस्य चित्रस्य वर्णनं कुरुत-
(पाँच संस्कृत वाक्यों में मञ्जूषा/शब्दसूची में दिये हुए शब्दों की सहायता से नीचे दिये गये चित्र का वर्णन करो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 15
[मञ्जूषा/शब्दसूची-महापर्व, मिष्ठान्नम्, लक्ष्मीपूजनम्, अमावस्यायां, स्फोटक पदार्थान्, प्रज्ज्वालयति, गृहं, अलङ्कुर्वन्ति]
उत्तरम् :
1. इदं चित्रं हिन्दूनां महापर्व दीपावल्याः अस्ति। (यह चित्र हिन्दुओं के महान् त्योहार दीपावली का है।)
2. इदं पर्व कार्तिकमासस्य अमावस्यायां भवति। (यह त्योहार कार्तिक महीने की अमावस्या को होता है।)
3. अस्मिन् दिवसे जनाः स्वगृहाणि अलङ्कुर्वन्ति, दीपकान् प्रज्ज्वालयन्ति लक्ष्मीपूजनं च कुन्ति।
(इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, दीपकों को जलाते हैं और लक्ष्मी का पूजन करते हैं।)
4. सर्वे जनाः परस्परं मिष्ठान्न वितरन्ति। (सभी लोग आपस में मिठाई बाँटते हैं।)
5. अस्मिन चित्रे एका महिला स्वगृहे दीपान प्रज्ज्वालयति एक: बालक:च स्फोटकपदार्थान विस्फोटयति।
(इस चित्र में एक औरत अपने घर में दीपकों को जला रही है और एक बालक पराखे चला रहा है)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 16.
पञ्चसंस्कृतवाक्येषु मञ्जूषायां प्रदत्तानां पदानां सहायतया चित्रस्य वर्णनं कुरुत –
(पाँच संस्कृत के वाक्यों में मञ्जूषा (शब्दसूची) में दिये शब्दों की सहायता से चित्र का वर्णन करो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 16
[मञ्जूषा/शब्दसूची-अतिविस्तृतः, धर्माणां, भारतवर्षे , षड्ऋतवः, उत्सवाः, पृथक्-पृथक्, आयोज्यन्ते, अस्माकम्]
उत्तरम् :
1. भारतबर्षम् अस्माकं देशः अस्ति। (भारत हमारा देश है।)
2. अयं देश: अतिविस्तृतः अस्ति। (यह देश अत्यधिक फैला हुआ है।)
3. अत्र षड्ऋतवः भवन्ति। (यहाँ छ: ऋतुएँ होती है।)
4. भारतवर्षे पृथक-पृथक धर्माणां जनाः निवसन्ति। (भारत में अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं।)
5. अत्र बहवः उत्सवाः आयोज्यन्ते। (यहाँ बहुत से त्योहार मनाये जाते हैं।)

प्रश्न: 17.
चित्रं दृष्ट्वा दत्तानां शब्दानां सहायतया चित्रस्य वर्णनं पञ्चसंस्कृतवाक्येषु कुरुत –
(चित्र को देखकर दिये गये शब्दों की सहायता से चित्र का वर्णन पाँच संस्कृत वाक्यों में करो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 17
[मञ्जूषा/शब्दसूची-गृहस्य, दूरदर्शनम्, साधारण:. आसन्दिकायां, कुरुतः, वार्तालापं, स्वमित्रेण, आयाति]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे मोहन: स्वमित्रेण सह दूरदर्शनं पश्यति। (इस चित्र में मोहन अपने मित्र के साथ दूरदर्शन (टी. वी.) देख रहा है।)
2. दूरदर्शने कश्चित् समाचार: आयाति। (दूरदर्शन में कोई समाचार आ रहा है।)
3. तौ आसन्दिकायां तिष्ठतः। (वे दोनों कुर्सी पर बैठे हुए हैं।)
4. गृहस्य अयं कक्ष: साधारणः अस्ति। (घर का यह साधारण कमरा है)
5. तो दूरदर्शने आगतस्य समाचारस्य विषये वार्तालापं कुरुतः। (वे दोनों दूरदर्शन में आये समाचार के बारे में बात-चीत कर रहे हैं।)

प्रश्न: 18.
इदं चित्रम् आधृत्य मञ्जूषायाः/शब्दसूच्याः सहायतया उत्तरपुस्तिकायां पञ्च-संस्कृतवाक्यानि लिखत (इस चित्र के आधार पर मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से उत्तरपुस्तिका में पाँच संस्कृत-वाक्य लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 18
[मञ्जूषा/शब्दसूची-रमा, पोलिकाः, पाकशालायां, पचति, सूप-ओदनं, स्वपरिवारेण, कृत्वा, तृप्तं, स्थिता, जनाः]
उत्तरम् :
1. इयं रमा अस्ति। (यह रमा है।)
2. सा पाकशालायां स्थिता। (वह रसोईघर में स्थित है।)
3. सा पोलिकाः सूप-ओदनं च पचति। (वह झोल और भात बना रही है।)
4. सा प्रतिदिनं स्वपरिवारेण सह भोजनं करोति। (वह प्रतिदिन अपने परिवार के साथ खाना खाती है।)
5. सर्वेः जनाः भोजनं कृत्वा तृप्तं भवन्ति। (सब लोग भोजन करके सन्तुष्ट हो जाते हैं।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 19.
अधोदत्तं चित्रम् आधृत्य मञ्जूषाया:/शब्दसूच्या: सहायतया उत्तरपुस्तिकायां पञ्चवाक्यानि सस्कृतभाषाया लिखत-नाचे दिये गये चित्र के आधार पर मञ्जूषा/शब्दसूची की सहायता से उत्तरपुस्तिका में पांच वाक्य संस्कृत भाषा में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 19
[मञ्जूषा/शब्दसूची – कञ्चुकं, सीव्यति, पादयाम, निपुणा, वस्त्राणि, सूचिकया, क्रीणन्ति, निर्मितानि]
उत्तरम् :
1. इयम् उमा अस्ति। (यह उमा है।)
2. सा सूचिकया वस्त्राणि सीव्यति। (वह सूई से (मशीन से) कपड़ों को सी रही है।)
3. सा कञ्चुकं पादयामं च सीव्यति। (वह कुर्ता और पाजामा सी रही है।)
4. सा स्वकार्ये निपुणा अस्ति। (वह अपने काम में होशियार है।)
5. जनाः तया निर्मितानि वस्त्राणि कीणन्ति। (लोग उसके द्वारा बने वस्त्रों को खरीदते हैं।)

प्रश्न: 20.
अध: दत्तं चित्रम् आधृत्य शब्दसूच्याः सहायतया पञ्च संस्कृतवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत (नीचे दिये गये चित्र के आधार पर शब्द-सूची की सहायता से पाँच संस्कृत के वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 20
[मञ्जूषा/शब्दसूची-आकाशे, खगान्, वृक्षे, निवसन्ति, नीडेषु, विचरन्ति, स्वनिर्मितेषु, सायंकाले, शोभते, स्वनीडान्।]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे वयं खगान् पश्यामः। (इस चित्र में हम चिड़ियों को देख रहे हैं।)
2. ते वृक्षे स्वनिर्मितेषु नीडेषु निवसन्ति। (वे पेड़ पर घोंसलों में रहती हैं।)
3. अस्मिन् चित्रे खगा: आकाशे विचरन्ति। (इस चित्र में चिड़ियाँ आकाश में उड़ रही हैं।)
4. सायंकाले ते सर्वे स्वनीडान् गच्छन्ति। (सन्ध्या के समय वे सब अपने घोंसलों को चली जाती हैं।)
5. खग: आकाशः शोभते। (पक्षियों से आकाश शोभित हो रहा है।)

प्रश्न: 21.
अधोदत्तं चित्रं पश्यत। मजषायाः/शब्दसच्याः सहायतया चित्रम् आधुत्य संस्कृतेन पञ्चवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत-(नीचे दिये गये चित्र को देखो। मञ्जूषा/शब्द-सूची की सहायता से चित्र के आधार पर संस्कृत में पाँच बाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 21
[मञ्जूषा/शब्दसूची-वृष्टिजलेन, विद्यालयात्, आर्द्रः, मयूराः, मधुरगीतं, मेघाः, कोकिलः, वर्षाकाले, गायति]
उत्तरम् :
1. अस्मिन् चित्रे वृष्टिः भवति। (इस चित्र में वर्षा हो रही है।)
2. स: बालक: विद्यालयात् गृहं गच्छति। (वह बालक विद्यालय से घर जा रहा है।) 3. स: वृष्टिजलेन आईः भवति। (वह वर्षा के पानी से भीग रहा है।)
4. आकाशे मेघाः गर्जन्ति तान् च दृष्ट्वा मयूराः नृत्यन्ति। (आकाश में बादल गरजते हैं। उनको देखकर मोर नाच रहे हैं।)
5. वर्षाकाले कोकिल: मधुरंगीतं गायति। (वर्षा के समय में कोयल मीठा गाना गाती है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 22.
अधः प्रदत्त चित्रम् आधृत्य मञ्जूषायां/शब्दसूच्यां सहायतया पञ्चसंस्कृतवाक्यानि उत्तरपुस्तिकायां लिखत-(नीचे दिये गये चित्र के आधार पर मञ्जूषा/शब्द-सूची में दिये गये शब्दों की सहायता से पाँच संस्कृत के वाक्य उत्तरपुस्तिका में लिखो।)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 22
[मञ्जूषा/शब्दसूची-शिक्षकः, बालकाः, श्यामपट्टे, आदरं, छात्रान्, त्रयः, पाठयति, कुर्वन्ति, शिक्षकस्य, कक्षायाम्।]
उत्तरम् :
1. इयं एक कक्षा कक्षः अस्ति। (यह एक कक्षा कक्ष है।)
2. कक्षायां त्रयः बालकाः पठन्ति। (कक्षा में तीन लड़के पढ़ रहे हैं।)
3. शिक्षकः तान् छात्रान् पाठयति। (अध्यापक उन विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं।)
4. स: श्यामपट्टे लिखति। (बह श्यामपट्ट पर लिख रहे हैं।)
5. सर्वे छात्रा: शिक्षकस्य आदरं कुर्वन्ति। (सब विद्यार्थी अध्यापक जी का सम्मान करते हैं।)

प्रश्न: 23.
अधः मञ्जूषायां/शब्दसूच्यां प्रदत्तशब्दानां सहायतया ‘ग्राम्य जीवनम्’ इति विषयम् अधिकृत्य पञ्चवाक्येषु संस्कृतेन एकम् अनुच्छेदं लिखत-(नीचे मञ्जूषा/शब्द-सूची में दिये गये शब्दों की सहायता से ‘ग्राम्य जीवनम्’ विषय पर संस्कृत में पाँच वाक्यों का एक अनुच्छेद लिखो।)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 23
[मञ्जूषा/शब्दसूची- ग्रामीणाः, शुद्धं, स्वास्थ्यप्रदं, निश्छलं, ग्रामप्रधानः, जलवायुः, वस्तूनि, अतिसरलम्, लभन्ते]
उत्तरम् :
1. भारतवर्षम् ग्रामप्रधान: देशः अस्ति। (भारतवर्ष ग्राम प्रधान देश है।)
2. ये जनाः नामेषु निवसन्ति, ते ग्रामीणाः कथ्यन्ते। (जो लोग गाँव में रहते हैं, उन्हें ग्रामीण कहते हैं।)
3. ग्रामीणानां जीवनं निश्छलम् अतिसरलञ्च भवति। (ग्रामीणों का जीवन निश्छल और अति सरल होता है।)
4. अत्र जलवायुः शुद्धं स्वास्थ्यप्रदं च भवति। (यहाँ जलवायु शुद्ध और स्वास्थ्यप्रद होती है।)
5. अत: ते सदैव स्वास्थ्यप्रदानि वस्तूनि लभन्ते। (अत: वे सदैव स्वास्थ्यप्रद वस्तुएँ प्राप्त करते हैं।)

प्रश्न: 24.
‘वृक्षाणां महत्त्वम्’ इति विषयम् अधिकृत्य मञ्जूषाया/शब्दसूच्याः पदानि चित्त्वा पञ्चवाक्यानि संस्कृतभाषायां लिखत –
(‘वृक्षों का महत्त्व’ इस विषय पर मञ्जूषा /शब्द-सूची से शब्दों को चुनकर पाँच बाक्य संस्कृत भाषा में लिखो-)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 24
[मञ्जूषा/शब्दसूची-पर्यावरणं, प्रयच्छन्ति, काष्ठानि, आघातं, गृहीत्वा, विमुञ्चन्ति, प्रसन्नाः, अस्मभ्यम्, औषधिम्।]
उत्तरम् :
1. वृक्षा: पर्यावरणं शुद्धं कुर्वन्ति। (वृक्ष पर्यावरण को शुद्ध करते हैं।)
2. वृक्षः वयं फलानि औषधिं च प्राप्नुमः। (वृक्षों से हम फल और औषधि प्राप्त करते हैं।)
3. देवदारुनिम्बादिवृक्षाः अस्मभ्यं काष्ठानि प्रयच्छन्ति ! (देवदारु, नीम आदि के वृक्ष हमें लकड़ी देते हैं।)
4. वृक्षाः परोपकाराय फलन्ति, आघातं सहन्ते तथापि प्रसन्नाः भवन्ति। (वृक्ष परोपकार के लिए फलते हैं, आघात सहते हैं फिर भी प्रसन्न होते हैं।)
5. वृक्षाः दूषितवायु गृहीत्वा शुद्धप्राणवायुं विमुञ्चन्ति। (वृक्ष दूषित वायु ग्रहण करके शुद्ध ऑक्सीजन छोड़ते हैं।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम्

प्रश्न: 25.
‘धेनुः’ इति विषयम् अधिकृत्य मञ्जूषायां प्रदत्तपदानां सहायतया पञ्चवाक्यानि संस्कृतेन लिखत –
(‘धेनु:’ विषय पर मञ्जूषा में दिये गये शब्दों की सहायता से पाँच वाक्य संस्कृत में लिखो-)
JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारितलघुकथा, चित्रवर्णनम् 25
[मञ्जूषा/शब्दसूची-शास्त्रेषु, नवनीतम्, गोमयेन, दधि, क्षेत्रस्य, भूमि:, घृतं, पोषयति, निदानं]
उत्तरम् :
1. धेनुः अस्मभ्यम् अति उपयोगी पशुः अस्ति। (गाय हमारे लिए अति उपयोगी पशु है।)
2. अस्याः महत्त्व शास्त्रेषु अपि वर्णितम्। (इसका महत्त्व शास्त्रों में भी वर्णित है।)
3. यथा माता बालकान् पालयति तथैव धेनुरपि स्वदुग्धेन अस्मान् पोषयति। (जैसे माता अपने बालक का पालन करती है वैसे ही गाय अपने दूध से हमारा पोषण करती है।)
4. अस्याः दुग्धेन दधि, घृतं नवनीतं च प्राप्यन्ते। (इसके दूध से दही, घी और मक्खन प्राप्त होता है।)
5. अस्याः गोमयेन क्षेत्रस्य भूमिः उर्वरा भवति, गोमूत्रेण च नानाविध-रोगाणां निदानं क्रियते। (इसके गोबर से खेत की भूमि उपजाऊ होती है और गोमूत्र से अनेक रोगों का निदान किया जाता है।)

JAC Class 9 Maths Notes in Hindi & English Jharkhand Board

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JAC Board Class 9th Maths Notes in English Medium

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JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

Jharkhand Board JAC Class 9 Sanskrit Solutions रचना अनुवाद-प्रकरणम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9th Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय कर्ता, कर्म, क्रिया तथा अन्य शब्दों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कर्ता जिस पुरुष या वचन में हो, उसी के अनुरूप पुरुष, वचन तथा काल के अनुसार क्रिया का प्रयोग करना चाहिए। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए –

1. कारक:

संज्ञा और सर्वनाम के वे रूप जो वाक्य में आये अन्य शब्दों के साथ उनके सम्बन्ध को बताते हैं, ‘कारक’ कहलाते हैं। मुख्य रूप से कारक छः प्रकार के होते हैं, किन्तु ‘सम्बन्ध’ और ‘सम्बोधन’ सहित ये आठ प्रकार के होते हैं। संस्कृत में इन्हें ‘विभक्ति’ भी कहते हैं। इन विभक्तियों के चिह्न प्रकार हैं –

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 1

नोट – जिस शब्द के आगे जो चिह्न लगा हो, उसके अनुसार विभक्ति का प्रयोग करते हैं। जैसे राम ने यहाँ पर राम के आगे ‘ने’ चिह्न है। अतः राम शब्द में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग करते हुए ‘रामः’ लिखा जायेगा। ‘रावण को’ यहाँ पर रावण के आगे ‘को’ यह द्वितीया विभक्ति का चिह्न है। अतः ‘रावण’ शब्द में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग करके ‘रावणम्’ लिखा जायेगा।

‘बाण के द्वारा’ यहाँ पर बाण शब्द के बाद ‘के द्वारा यह तृतीया का चिह्न लगा है। अतः ‘बाणेन’ का प्रयोग किया जायेगा। इसी प्रकार अन्य विभक्तियों के प्रयोग के विषय में समझना चाहिए।

यह बात विशेष ध्यान रखने की है कि जिस पुरुष तथा वचन का कर्ता होगा, उसी पुरुष तथा वचन की क्रिया भी प्रयोग की जायेगी। जैसे –
‘पठमि’ इस वाक्य में कर्ता, ‘अहम्’ उत्तम पुरुष तथा एकवचन है तो क्रिया भी उत्तम पुरुष, एकवचन की है। अतः ‘पठामि’ का प्रयोग किया गया है।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

2. पुरुष

पुरुष तीन होते हैं, जो निम्न हैं –
(अ) प्रथम पुरुष – जिस व्यक्ति के विषय में बात की जाय, उसे प्रथम पुरुष कहते हैं। इसे अन्य पुरुष भी कहते हैं। जैसे – सः = वह। तौ = वे दोनों। ते = वे सब। रामः = राम। बालकः = बालक। कः = कौन। भवान् = आप (पुं.)। भवती = आप (स्त्री.)।
(ब) मध्यम पुरुष – जिस व्यक्ति से बात की जाती है, उसे मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे
अहम् = मैं। आवाम् = हम दोनों। वयम् = हम सब।

3. वचन।

संस्कत में तीन वचन माने गये हैं –
(अ) एकवचन जो केवल एक व्यक्ति अथवा एक वस्तु का बोध कराये, उसे एकवचन कहते हैं। एकवचन के कर्ता के साथ एकवचन की क्रिया का प्रयोग किया जाता है। जैसे – ‘ अहं गच्छामि’ इस वाक्य में एकवचन कर्ता, ‘अहम्’ तथा एकवचन की क्रिया ‘गच्छामि’ का प्रयोग किया गया है।

(ब) द्विवचन – दो व्यक्ति अथवा वस्तुओं का बोध कराने के लिए द्विवचन का प्रयोग होता है। जैसे ‘आवाम’ तथा क्रिया ‘पठावः’ दोनों ही द्विवचन में प्रयुक्त हैं।।

(स) बहुवचन – तीन या तीन से अधिक व्यक्ति अथवा वस्तुओं का बोध कराने के लिये बहुवचन का प्रयोग किया जाता है। जैसे-‘वयम् पठामः’ इस वाक्य में अनेक का बोध होता है। अतः कर्ता ‘वयम्’ तथा क्रिया ‘पठामः’ दोनों ही बहुवचन में प्रयुक्त हैं।

4. लिंग

संस्कृत में लिंग तीन होते हैं –
(अ) पुल्लिंग – जो शब्द पुरुष-जाति का बोध कराता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं। जैसे ‘रामः काशी गच्छति’ (राम काशी जाता है) में ‘राम’ पुल्लिंग है।
(ब) स्त्रीलिंग – जो शब्द स्त्री-जाति का बोध कराये, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे गीता गृहं गच्छति’ (गीता घर जाती है।) इस वाक्य में ‘गीता’ स्त्रीलिंग है।
(स) नपुंसकलिंग – जो शब्द नपुंसकत्व (न स्त्री, न पुरुष) का बोध कराये, उसे नपुंसक-लिंग कहते हैं। जैसे धनम्, वनम्, फलम्, पुस्तकम, ज्ञानम्, दधि, मधु आदि।

5. धातु

क्रिया अपने मूल रूप में धातु कही जाती है। जैसे-गम् = जाना, हस् = हँसना। कृ – करना, पृच्छ = पूछना। ‘भ्वादयो धातवः’ सूत्र के अनुसार क्रियावाची-‘भू’, ‘गम्’, ‘पठ्’ आदि की धातु संज्ञा होती है।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

6. लकार

लकार – ये क्रिया की विभिन्न अवस्थाओं तथा कालों (भूत, भविष्य, वर्तमान) का बोध कराते हैं। लकार दस हैं, इनमें पाँच प्रमुख लकारों का विवरण निम्नवत् है :
(क) लट् लकार (वर्तमान काल) – इस काल में कोई भी कार्य प्रचलित अवस्था में ही रहता है। कार्य की समाप्ति नहीं होती। वर्तमान काल में लट् लकार का प्रयोग होता है। इस काल में वाक्य के अन्त में ‘ता है’, ‘ती है’, ‘ते हैं’ का प्रयोग होता है जैसे –

राम पुस्तक पढ़ता है। – (रामः पुस्तकं पठति।)
बालक हँसता है। – (बालकः हसति।)
हम गेंद से खेलते हैं। – (वयं कन्दुकेन क्रीडामः।)
छात्र दौड़ते हैं। – (छात्राः धावन्ति।)
गीता घर जाती है। – (गीता गृहं गच्छति।)

(ख) लङ् लकार (भूतकाल)-जिसमें कार्य की समाप्ति हो जाती है, उसे भूतकाल कहते हैं। भूतकाल में लङ् लकार का प्रयोग होता है। जैसे –
राम गाँव गया। – (रामः ग्रामम् अगच्छत् ।)
मैंने रामायण पढ़ी। – (अहम् रामायणम् अपठम्।)
मोहन वाराणसी गया। – (मोहनः वाराणीसम् अगच्छत्।)
राम राजा हुए। – (रामः राजा अभवत्।)
उसने यह कार्य किया। – (सः इदं कार्यम् अकरोत्।)।

(ग) लृट् लकार (भविष्यत् काल) – इसमें कार्य आगे आने वाले समय में होता है। इस काल के सूचक वर्ण गा, गी, गे आते हैं। जैसे –

राम आयेगा। (रामः आगमिष्यति।)
मोहन वाराणसी जायेगा। (मोहनः वाराणसीं गमिष्यति।)
वह पुस्तक पढ़ेगा। (सः पुस्तकं पठिष्यति।)
रमा जल पियेगी। (रमा जलं पास्यति।)

(घ) लोट् लकार (आज्ञार्थक) – इसमें आज्ञा या अनुमति का बोध होता है। आशीर्वाद आदि के अर्थ में भी इस लकार का प्रयोग होता है। जैसे –

वह विद्यालय जाये। (सः विद्यालयं गच्छतु।)
तुम घर जाओ। (त्वं गृहं गच्छ।)
तुम चिरंजीवी होओ। (त्वं चिरंजीवी भव।)
राम पुस्तक पढ़े। (रामः पुस्तकं पठतु।)
जल्दी आओ। (शीघ्रम् आगच्छ।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

(ङ) विधिलिङ् लकार – ‘चाहिए’ के अर्थ में इस लकार का प्रयोग किया जाता है। इससे निमन्त्रण, आमन्त्रण तथा सम्भावना आदि का भी बोध होता है। जैसे –

उसे वहाँ जाना चाहिए। (सः तत्र गच्छेत्।)
तुम्हें अपना पाठ पढ़ना चाहिए। (त्वं स्वपाठं पंठेः।)
मुझे वहाँ जाना चाहिए। (अहं तत्र गच्छेयम्।)

हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय सर्वप्रथम कर्ता को खोजना चाहिए। कर्ता जिस पुरुष एवं वचन का हो, उसी पुरुष एवं वचन की क्रिया भी प्रयोग करनी चाहिए।

कर्ता – कार्य करने वाले को कर्ता कहते हैं। जैसे-‘देवदत्तः पुस्तकं पठति’ यहाँ पर पढ़ने का काम करने वाला देवदत्त है। अतः देवदत्त कर्ता है।

कर्म – कर्ता जिस काम को करे वह कर्म है। जैसे ‘भक्तः हरिं भजति’ में भजन रूपी कार्य करने वाला भक्त है। वह हरि को भजता है। अतः हरि कर्म है।

क्रिया – जिससे किसी कार्य का करना या होना प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे-जाना, पढ़ना, हँसना, खेलना आदि क्रियाएँ हैं।

निम्न तालिका से पुरुष एवं वचनों के 3-3 प्रकारों का ज्ञान भलीभाँति सम्भव है –

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 2

इस प्रकार स्पष्ट है कि कर्ता के इन प्रारूपों के अनुसार प्रत्येक लकार में तीनों पुरुषों एवं तीनों वचनों के लिए क्रिया के भी ‘नौ’ ही रूप होते हैं। अब निम्नतालिका से कर्ता एवं क्रिया के समन्वय को समझिये –

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 3

नोट – संज्ञा शब्दों को प्रथम पुरुष मानकर उनके साथ क्रियाओं का प्रयोग करना चाहिए। निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा कर्ता के अनुरूप क्रिया-पदों का प्रयोग करना सीखें –

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 4

नोट भवान् एवं भवती को प्रथम पुरुष मानकर इनके साथ प्रथम पुरुष की ही क्रिया का प्रयोग करना चाहिए।

सर्वनामों का तीनों लिंगों में प्रयोग

संज्ञा के बदले में या संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किये जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। जैसे अहम् = मैं। त्वम् = तुम। अयम् = यह। कः = कौन। यः = जो। सा = वह। तत् = वह। सः = वह आदि। केवल ‘अपने और तुम्हारे’ बोधक ‘अस्मद् और ‘युष्मद्’ सर्वनामों का प्रयोग तीनों लिंगों में एक रूप ही रहता है, शेष का पृथक् रूप रहता है।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

प्रथम पुरुष तद् सर्वनाम (वह-वे) का प्रयोग

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 5

जब कर्ता प्रथम पुरुष का हो तो क्रिया भी प्रथम पुरुष की ही प्रयोग की जाती है। जैसे –

वे सब फल हैं।
तानि फलानि सन्ति।
वह जल पीता है। – सः जलं पिबति।
वे दोनों लिखते हैं। – तौ हसतः।
वे दोनों हँसते हैं। – ते लिखन्ति।

स्त्रीलिंग प्रथम पुरुष में –

वह पढ़ती है। – सा पठति।
वे दोनों जाती हैं। – ते गच्छतः।
वे सब हँसती हैं। – ताः हसन्ति।

नपुंसकलिंग प्रथम पुरुष में –

वह घर है। – तद् गृहम् अस्ति।
वे दोनों पुस्तकें हैं। – ते पुस्तके स्तः।
वे सब फल हैं। – तानि फलानि सन्ति।

विद्यार्थी इस श्लोक को कण्ठस्थ करें :

उत्तमाः पुरुषाः ज्ञेयाः – अहम् आवाम् वयम् सदा।
मध्यमाः त्वम् युवाम् यूयम्, अन्ये तु प्रथमाः स्मृताः।।

अर्थात् अहम्, आवाम्, वयम् – उत्तम पुरुषः; त्वम्, युवाम्, यूयम् – मध्यम पुरुष; (शेष) अन्य सभी सदा प्रथम पुरुष जानने चाहिए।

उदाहरण – लट् लकार (वर्तमान काल) (गम् धातु = जाना) का प्रयोग

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

प्रथम पुरुष

1 सः गच्छति। वह जाता है।
1 तौ गच्छतः। वे दोनों जाते हैं।
1 ते गच्छन्ति। वे सब जाते हैं।

मध्यम पुरुष

1. त्वं गच्छसि। तुम जाते हो।
2. युवां गच्छथः। तुम दोनों जाते हो।
3. यूयं गच्छथ। तुम सब जाते हो।

उत्तम पुरुष

1. अहं गच्छामि मैं जाता है।
2. आवां गच्छावः। हम दोनों जाते हैं।
3. वयं गच्छामः। हम सब जाते हैं।

उपर्युक्त उदाहरणों में ‘प्रथम पुरुष’ के कर्ता-पद क्रमशः ‘सः, तौ, ते’ दिये गये हैं। इनके स्थान पर किसी भी संज्ञा-सर्वनाम के रूप रखे जा सकते हैं। जैसे – गोविन्दः गच्छति, बालकौ गच्छतः, मयूराः नृत्यन्ति।

अभ्यास 1

  1. आलोक दौड़ता है।
  2. गोविन्द पढ़ता है।
  3. अर्चना खेलती है।
  4. बालक दौड़ता है।
  5. सिंह आता है।
  6. वह प्रात:काल उठता है।
  7. राधा दूध पीती है।
  8. श्याम हँसता है।
  9. बन्दर फल खाता है।
  10. हाथी जाते हैं।
  11. दो बालक पढते हैं।
  12. विनोद और प्रमोद पढ़ते हैं।
  13. दो किसान जोतते हैं।
  14. दो हिरन दौड़ते हैं।
  15. दो बालक क्या करते हैं?
  16. वे विद्यालय जाते हैं।
  17. ग्रामीण हृष्ट-पुष्ट होते हैं।
  18. सब मोर क्या करते हैं?
  19. सब बकरियाँ चरती हैं।
  20. ये सब फूल खिलते हैं।

उत्तर :

  1. आलोक: धावति।
  2. गोविन्दः पठति।
  3. अर्चना क्रीडति।
  4. बालकः धावति।
  5. सिंहः आगच्छति।
  6. स: प्रात:काले उत्तिष्ठति।
  7. राधा दुग्धं पिबति।
  8. श्यामः हसति।
  9. कपिः फलं खादति।
  10. करिण: गच्छन्ति।
  11. बालकौ पठतः।
  12. विनोदः प्रमोद पठतः
  13. कृषको कर्षतः।
  14. मृगौ धावतः।
  15. बालकौ किं कुरुतः?
  16. ते विद्यालयं गच्छन्ति।
  17. ग्रामीणाः हृष्ट-पुष्टाः भवन्ति।
  18. सर्वे मयूराः किं कुर्वन्ति ?
  19. सर्वाः अजाः चरन्तिः।
  20. एतानि सर्वाणि पुष्पाणि विकसन्ति।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 2

  1. तुम क्या देखते हो?
  2. तुम दोनों कब खेलते हो?
  3. तुम सब क्या पढ़ते हो?
  4. क्या तुम चित्र देखते हो?
  5. तुम दोनों क्या लिखते हो?
  6. तुम सब फल खाते हो।
  7. तुम बाजार जाते हो।
  8. तुम दोनों क्यों दौड़ते हो?
  9. तुम सब पानी क्यों पीते हो?
  10. तुम क्यों हँसते हो?
  11. क्या तुम दोनों गीत गाते हो?

उत्तर :

  1. त्वं कि पश्यसि?
  2. युवां कदा क्रीडथः?
  3. ययं किं पठथ?
  4. किं त्वं चित्रं पश्यसि?
  5. यवां किं लिखथः?
  6. यूयं फलं भक्षयथ।
  7. त्वम् आपणं गच्छसि।
  8. युवां किमर्थं धावथः?
  9. यूयं जलं किमर्थं पिबथ?
  10. त्वं किमर्थं हससि?
  11. किं युवां गीतं गायथः?
  12. यूयं कुत्र वसथ?

अभ्यास 3

  1. मैं फल खाता हूँ।
  2. हम दोनों बाजार जाते हैं।
  3. हम सब गीत गाते हैं।
  4. मैं कार्य करता हूँ।
  5. हम दोनों खेलते हैं।
  6. हम सब खेल के मैदान में खेलते हैं।
  7. मैं एक चित्र देखता हूँ।
  8. हम दोनों विद्यालय जाते हैं।
  9. हम सब दूध पीते हैं।
  10. मैं घर में पढ़ता हूँ।

उत्तर :

  1. अहं फलं भक्षयामि।
  2. आवाम आपणं गच्छावः।
  3. वयं गीतं गायामः।
  4. अहं कार्यं करोमि।
  5. आवां क्रीडावः।
  6. वयं क्रीडाक्षेत्रे क्रीडामः।
  7. अहम् एकं चित्रं पश्यामि।
  8. आवां विद्यालयं गच्छावः।
  9. वयं दुग्धं पिबामः।
  10. अहं गृहे पठामि।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 4

  1. आलोक कक्षा में पढ़ता है।
  2. वह बैठता है।
  3. तुम मैदान में खेलते हो।
  4. विनोद मेरा मित्र है।
  5. यही धर्म है।
  6. मैं पुल बनाता हूँ।
  7. देवता यहाँ जन्म लेना चाहते हैं।
  8. भाई उपहार देता है।
  9. कृष्ण सहायात करते हैं।
  10. हाथी मतवाला है।

उत्तर :

  1. आलोक: कक्षायां पठति।
  2. सः उपविशति।
  3. त्वं क्षेत्रे क्रीडसि।
  4. विनोदः मम मित्रम् अस्ति।
  5. एषः एव धर्मः अस्ति।
  6. अहं सेतुनिर्माणं करोमि।
  7. देवाः अत्र जन्म इच्छन्ति।
  8. भ्राता उपहारं यच्छति।
  9. कृष्ण: सहायता करोति।
  10. करी मत्तः अस्ति।

उदाहरण – लङ् लकार (भूतकाल) में (पठ् धातु = पढ़ना) का प्रयोग

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 6

अभ्यास 5

  1. ब्राह्मण गाँव को आया।
  2. तपोदत्त ब्राह्मण था।
  3. लड़की ने पुस्तक पढ़ी।
  4. वे दोनों कहाँ गये?
  5. वे सब कब दौड़े?
  6. हरि ने पानी पिया।
  7. वे दोनों विद्यालय गये।
  8. मैं वहाँ दौड़ा।
  9. छात्रों ने चित्र देखा।
  10. उसने पत्र लिखा।
  11. वह अपने घर गया।
  12. हम सबने पाठ पढ़ा।

उत्तर :

  1. विप्रः ग्रामम् आगछत्।
  2. तपोदत्तः विप्रः आसीत्।
  3. बालिका पुस्तकम् अपठत्।
  4. तौ कुत्र अगच्छताम्?
  5. ते कदा अधावन्?
  6. हरिः जलम् अपिबत्।
  7. तौ विद्यालयम् अगच्छताम्
  8. अहं तत्र अधावम्।
  9. छात्राः चित्रम् अपश्यन्।
  10. सः पत्रम् अलिखत्।
  11. सः स्वगृहम् अगच्छत्।
  12. वयं पाठम् अपठाम्।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 6

  1. ब्राह्मण कौन था?
  2. इन्द्र ने क्या किया?
  3. तपोदत्त ने तप किया।
  4. उसने नदी में स्नान किया।
  5. बालक भयभीत हो गये।
  6. अर्जुन ने कृष्ण से कहा।
  7. नल द्यूत में हार गया।
  8. दमयन्ती वन गयी।
  9. हाथी अन्धा हो गया।
  10. मेरा मित्र उपस्थित था।

उत्तर :

  1. ब्राह्मणः कः आसीत् ?
  2. इन्द्रः किम् अकरोत् ?
  3. तपोदत्तः तपः अकरोत्।
  4. सः नद्यां स्नानम् अकरोत्।
  5. बालकाः भयभीताः अभवन्।
  6. अर्जुनः कृष्णम् अकथय।
  7. नलः द्यूते पराजितः अभवत्।
  8. दमयन्ती वनम् अगच्छत्।
  9. करी अन्धः अभवत्।
  10. मम मित्रम् उपस्थितम् आसीत्।

नोट – लट् लकार की क्रिया में ‘स्म’ लगाकर लङ्लकार (भूतकाल) में अनुवाद किया जा सकता है। जैसे –
1. वन में सिंह रहता था।
2. बालक खेल रहा था। वने सिंहः निवसति स्म।
बालकः क्रीडति स्म।

उदाहरण – लट् लकार (भविष्यत् काल) (लिख धात् = लिखना) का प्रयोग

प्रथम पुरुष

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 7

अभ्यास 7

  1. लेखराज पढ़ेगा।
  2. हरीमोहन शाम को लिखेगा।
  3. लड़कियाँ खेलेंगी।
  4. मैं बाजार जाऊँगा।
  5. हम दोनों दूध पियेंगे।
  6. तुम यहाँ क्या करोगे?
  7. तुम दोनों चित्र देखोगे।
  8. तुम सब क्या खाओगे?
  9. मोर नृत्य करेगा।
  10. हम दोनों खेत को जायेंगे।
  11. किसान खेत जोतेगा।
  12. बालक खेल के मैदान खेलेंगे।

उत्तर :

  1. लेखरामः पठिष्यति।
  2. हरीमोहनः सायंकाले लेखिष्यति।
  3. बलिकाः क्रीडिष्यति।
  4. अहम् आपणं गमिष्यामि।
  5. आवां दुग्धं पास्यावः।
  6. त्वम् यत्र किं करियसि?
  7. युवा चित्रं द्रक्ष्यथः
  8. यूयं किं भक्षयिष्यथ?
  9. मयूरः नृत्यं करिष्यति।
  10. आवां क्षेत्रं गमिष्यावः।
  11. कृषकः क्षेत्र कमंति।
  12. बालकाः क्रीडाक्षेत्रे क्रीडिष्यन्ति।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 8

  1. तुम सुख अनुभव करोगे।
  2. वे दोनों गाँव में रहेंगे।
  3. वह कक्षा में प्रथम आयेगा।
  4. वह कहाँ जायेगी।
  5. मैं ब्रज की रक्षा करूँगा।
  6. मैं मित्र से मिलूँगा।
  7. मैं फिर नहीं आऊँगा।
  8. मैं प्रयत्न करूँगा।
  9. मैं गुणों को कहूँगा।
  10. वे सभी सुखी होंगे।

उत्तर :

  1. त्वं सुखम् अनुभविष्यसि।
  2. तौ ग्रामे वसिष्यतः।
  3. सः कक्षायां प्रथमः आगमिष्यति।
  4. सा कुत्र गमिष्यति?
  5. अहं व्रजं रक्षिष्यामि।
  6. अहं मित्रेण मेलिष्यामि।
  7. अहं पुनः न आगमिष्यामि।
  8. अहं प्रयत्न करिष्यामि।
  9. अहं गुणान् कथपिष्यामि।
  10. ते सर्वे सुखिनः भविष्यन्ति।

उदाहरण – लोट् लकार (आज्ञार्थक) (कथ् धातु = कहना)

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 8

अभ्यास 9

  1. सुशीला जाये।
  2. विद्यार्थी खेलें।
  3. ईश्वर रक्षा करे।
  4. तुम युद्ध करो।
  5. लड़कियाँ नाचें।
  6. क्या हम जायें?
  7. इस समय छात्र पढ़ें।
  8. नौकर जायें।
  9. लड़के दौड़ें।
  10. क्या मैं जाऊँ ?
  11. क्या हम सब खेलें?
  12. वे सब न हँसे।
  13. अब तुम खेलो।
  14. तुम दोनों पढ़ो।

उत्तर :

  1. सुशीला गच्छतु।
  2. छात्राः क्रीडन्तु।
  3. ईश्वरः रक्षतु।
  4. त्वं युद्धं कुरु।
  5. बालिकाः नृत्यं कुर्वन्तु।
  6. किं वयं गच्छाम?
  7. इदानी छात्राः पठन्तु।
  8. सेवकाः गच्छन्तु।
  9. बालकाः धावन्तु।
  10. किम् अहं गच्छानि?
  11. किं वयं क्रीडाम?
  12. ते न हसन्तु।
  13. इदानीं त्वं क्रीड।
  14. युवां पठतम्।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 10

  1. तुम दोनों मत हँसो।
  2. तुम सब दौड़ो।
  3. नर्तकियों नाचें।
  4. तुम मत हँसो।
  5. तुम यहाँ आओ।
  6. वहाँ मत जाओ।
  7. दौड़ो मत।
  8. मत हँसो।
  9. आओ, नाचो।
  10. पाठ पढ़ो।
  11. अब खेलो मत, पढ़ो।
  12. सबात्र पढ़ें।
  13. तुम वहाँ जाओ।
  14. दो छात्र दौड़ें।

उत्तर :

  1. युवां मा हसतम्।
  2. यूयं धावत।
  3. नर्तक्यः नृत्यन्तु।
  4. त्वं मा हस।
  5. त्वम् अत्र आगच्छ।
  6. तत्र मा गच्छ।
  7. मा धाव।
  8. मा हस।
  9. आगच्छ, नृत्यं कुरु।
  10. पाठं पठ।
  11. अधुना मा क्रीड, पठ।
  12. सर्वे छात्राः पठन्तु।
  13. त्वं तत्र गच्छ।
  14. छात्रौ धावताम्।

अभ्यास 11

  1. जलपान कीजिये।
  2. अब देश की रक्षा करो।
  3. आप स्वयम्वर में जायें।
  4. जुआ नहीं खेलो।
  5. रक्षाबन्धन उत्सव कब हो?
  6. बिना ज्ञा प्रवेश न करो।
  7. स्वामिभक्त बनो।
  8. कक्षा में झगड़ा मत करो।
  9. ब्रज की रक्षा करो।
  10. स्वच्छ जल पियो।

उत्तर :

  1. जलपानं कुरु।
  2. अधुना देशस्य रक्षां कुरु।
  3. भवान् स्वयंवरे गच्छतु।
  4. द्यूतं मा क्रीड।
  5. रक्षाबन्धनोत्सवः कदा भवतु?
  6. आज्ञां बिना मा प्रविश।
  7. स्वामिभक्तः भव।
  8. कक्षायां कलहं मा कुरु।
  9. व्रजस्य रक्षां कुरु।
  10. स्वच्छं जलं पिब।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

उदाहरण – विधिलिङ् लकार (प्रेरणार्थक-चाहिए के अर्थ में)
स्था (तिष्ठ) = ठहरना का प्रयोग

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम् 9

नोट – विधिलिङ् लकार में कर्ता में कर्म कारक जैसा चिह्न लगा रहता है। जैसे – उसे, उन दोनों को, तुमको आदि। किन्तु ये कार्य के करने वाले (कर्ता) हैं। अत: इनमें प्रथमा विभक्ति (कर्ता कारक) का ही प्रयोग किया जाता है।

अभ्यास 12

  1. उसे पढ़ना चाहिए।
  2. तुम्हें सत्य बोलना चाहिए।
  3. राजेश को खेलना चाहिए।
  4. उसे लज्जा नहीं करनी चाहिए।
  5. तुमको खाना चाहिए।
  6. उसे देश की रक्षा करनी चाहिए।
  7. तुमको चित्र देखना चाहिए।
  8. छात्रों को पढ़ना चाहिए।
  9. मुझे पत्र लिखना चाहिए।
  10. विमला को हँसना चाहिए।
  11. हम दोनों को गाना चाहिए।
  12. तुम्हें जाना चाहिए।

उत्तर :

  1. सः पठेत्।
  2. त्वं सत्यं वदेः।
  3. राजेश क्रीडेत्
  4. सः लज्जा न कुर्यात्।
  5. त्वं भक्षयः।
  6. सः देशस्य रक्षां कुर्यात्।
  7. त्वं चित्रं पश्येः
  8. छात्राः पठेयुः।
  9. अहं पत्रं लिखेयम्।
  10. विमला हसेत्।
  11. आवां गायेव।
  12. त्वं गच्छेः।

JAC Class 9 Sanskrit रचना अनुवाद-प्रकरणम्

अभ्यास 13

  1. हमें देश की रक्षा करनी चाहिए।
  2. उसे घर जाना चाहिए।
  3. उसे सदैव सत्य बोलना चाहिए।
  4. उसे हरिजनों का उद्धार करना चाहिए।
  5. छात्रों को हमेशा खेलना चाहिए।
  6. विद्वान् की पूजा करनी चाहिए।
  7. तुम्हें कक्षा में पढ़ना चाहिए।
  8. तुम्हें डरना नहीं चाहिए।
  9. मुझे कलह नहीं करनी चाहिए।
  10. हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए।

उत्तर :

  1. वयं देशस्य रक्षां कुर्याम्।
  2. सः गृहं गच्छेत्।
  3. सः सदैव सत्यं वदेत्।
  4. सः हरिजनानाम् उद्धार कुर्यात्।
  5. छात्राः सदैव क्रीडेयुः।
  6. प्राज्ञस्य पूजां कुर्यात्।
  7. त्वं कक्षायां पठेः।
  8. त्वं भयं न कुर्याः।
  9. अहं कलहं न कुर्याम्।
  10. वयं असत्यं न वदेम।

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

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JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

Classification Of Numbers:
→ Natural numbers: The numbers used for counting are called natural numbers. So, the number 1 and any other number obtained by adding 1 to it repeatedly. Hence 1, 2, 3 … represent natural numbers. Set of natural numbers is denoted by N.

→ Whole numbers: Natural numbers along with 0 are termed as whole numbers. So, the smallest whole number is 0. The set of whole numbers is represented by W.

→ Integers: All positive and negative whole numbers that do not include any fractional or decimal parts are called integers. The set of integers is expressed as Z = {……-3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, ……}, where Z is the symbol used to denote the set of integers.

→ Rational numbers: These are numbers which can be expressed in the form of p/q, where p and q are integers and q ≠ 0. e.g. 2/3, 37/15, -17/19. The set of rational numbers is represented by the symbol Q.

  • All natural numbers, whole numbers and integers are rational numbers.
  • Rational numbers include all Integers (without any decimal part to it), terminating decimals (e.g. 0.75, -0.02 etc.) and also non-terminating but recurring decimals (e.g. 0.666…, -2.333…… etc.)
  • All fractions are rational numbers but every rational number is not a fraction, Since both numerator and denominator are always positive in a fraction but a rational number can have both numerator and denominator as negative.

Fractions:
→ Common fraction: A common fraction is a fraction in which numerator and denominator are both integers, eg, \(\frac{2}{5}\), \(\frac{1}{2}\) etc.
→ Decimal fraction: Fractions whose denominator is 10 or any power of 10.
→ Proper fraction: It is a fraction whose numerator is smaller than its denominator eg. \(\frac{3}{5}\).
→ Improper fraction: It is a fraction whose numerator is greater than its denominator eg. \(\frac{5}{3}\).
→ Mixed fraction: A combination of a proper fraction and a whole number is called mixed fraction eg. 3\(\frac{2}{7}\) etc. Improper fraction can be written in the form of mixed fractions.
→ Compound fraction: A fraction in which the numerator or the denominator or both contain one or more fractions eg \(\frac{2 / 3}{5 / 7}\).

→ Irrational numbers. These are numbers which cannot be expressed in the form of p/q, where p and q are integers and q≠0. These are non-recurring as well as non-terminating type of decimal numbers eg \(\sqrt{2}\), π, 0.202002000…… etc.

→ Real numbers: Numbers which can represent actual physical quantities in a meaningful way are known as real numbers. These can be represented on the number line Number line is geometrical straight line with arbitrarily defined zero (origin). The set of real number is denoted by the symbol R.

→ Prime numbers: All natural numbers that have one and themselves only as their factors are called prime numbers le prime numbers are divisible by 1 and themselves only e.g. 2 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19, 23….etc.

→ Composite numbers: All natural numbers, which has three or more different factors are called composite numbers. E.g. 4, 6, 8, 9, 10, 12,… etc.

  • 1 is neither prime nor composite.

→ Co-prime numbers: If the H.C.F. of the given numbers (not necessarily prime) is 1 then they are known as co-prime numbers. e.g. 4, 9 are Co-prime as H.C.F of (4, 9) = 1.

  • Any two consecutive integer numbers will always be co-prime.

→ Even numbers: All integers which are divisible by 2 are called even numbers. Even numbers are denoted by the expression 2n, where n is any integer. e.g ….., 4, -2, 0, 2, 4…..

→ Odd numbers: All integers which are not divisible by 2 are called odd numbers. Odd numbers are denoted by the general expression 2n – 1 or 2n + 1, where is any integer. e.g. ……,-5, -3, -1, 1, 3, 5,….

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

Identification Of Prime Number:
Step 1: Find approximate square root of given number.
Step 2: Divide the given number by prime numbers less than approximate square root of number. If given number is not divisible by any of these prime numbers then the number is prime otherwise not.

Example:
571, is it prime?
Solution:
Approximate square foot of 571 = 24.
Prime number < 24 are 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19 and 23. But 571 is not divisible by any of these prime numbers, so 571 is a prime number.

Example:
Is 1 prime or composite number?
Solution:
1 is neither a prime nor a composite number.

Representation For Rational Number On A Real Number Line:
Divide 0 to 1 into 7 equal parts on real number line.
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 1
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 2
Note:

  • In a positive rational number, if numerator is smaller than its denominator then it lies between 0 and 1 on the number line.
  • In a negative rational number if absolute value of numerator less than its denominator then it lies between -1 and 0.

Decimal Number (Terminating):
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Here, A represents 2.65 on the number line.

Example:
Visualize the representation of \(5.3 \overline{7}\) on the number line upto 5 decimal places. i.e. 5.37777.
Solution:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 4
Here, B represents 5.7777 on the number line upto 5 places of decimal.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

Rational Number In Decimal Representation:
→ Terminating Decimal:
In this, a finite number of digits occurs after decimal point i.e. 0.5, 0.6875, 0.15 etc.
→ Non-Terminating and Repeating (Recurring) Decimal:
In this a set of digits or a digit is repeated continuously
Ex. \(\frac{2}{3}\) = 0.6666… = \(0 . \overline{6}\)
Ex. \(\frac{1}{2}\) = 0.454545… = \(0 . \overline{45}\).

Properties Of Rational Numbers:
Let a, b, c be three rational numbers.

  • Commutative property of addition: a + b = b + a
  • Associative property of addition: (a + b) + c = a + (b + c)
  • Additive identity: a + 0 = a is called an identity element of a.
  • Additive inverse a + (-a) = 0, 0 is identity element, -a is called additive inverse of a.
  • Commutative property of multiplications: a.b = b.a
  • Associative property of multiplication: (a × b) × c = a × (b × c)
  • Multiplicative Identity: 2 × 1 = 2, 1 is called multiplicative identity of a.
  • Multiplicative inverse: (a) × (\(\frac{1}{a}\)) = 1. 1 is called multiplicative identity and \(\frac{1}{a}\) is called multiplicative inverse of a or reciprocal of a.
  • Distributive property: a × (b + c) = a × b + a × c

Example:
Prove that \(\sqrt{3}-\sqrt{2}\) is an irrational number.
Solution:
Let, \(\sqrt{3}-\sqrt{2}\) = r where r, be a rational number.
Squaring both sides,
(\(\sqrt{3}-\sqrt{2}\))2 = r2
⇒ 3 + 2 – 2\(\sqrt{6}\) = r2
⇒ 5 – 2\(\sqrt{6}\) = r2
⇒ \(\frac{5-r^2}{2}\) = \(\sqrt{6}\)
Here, \(\sqrt{6}\) is an irrational number but \(\frac{5-r^2}{2}\) is a rational number
∴ LH.S. ≠ R.H.S.
Hence, it contradicts our assumption that \(\sqrt{3}-\sqrt{2}\) is a rational number.
Therefore, \(\sqrt{3}-\sqrt{2}\) is an irrational number.

Irrational Numbers:
These are real numbers which cannot be expressed in the form of p/q, where p and q are integers and q ≠ 0.
→ Irrational Number in Decimal Form:
\(\sqrt{2}\) = 1.414213..ie. it is non-recurring as well as non-terminating
\(\sqrt{3}\) = 1.732050807….. i.e. It is non-recurring as well as non-terminating.

Example:
Insert an irrational number between 2 and 3.
Solution:
\(\sqrt{2 \times 3}=\sqrt{6}\) is an irrational number between 2 and 3.

→ Irrational Numbers on a Number Line:
Example:
Plot \(\sqrt{2}\), \(\sqrt{3}\), \(\sqrt{5}\), \(\sqrt{6}\) on the same number line.
Solution:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 5

→ Properties of Irrational Numbers:

  • Negative of an irrational number is an irrational number eg. \(\sqrt{3}\) and –\(\sqrt{3}\) are irrational numbers.
  • Sum and difference of a rational and an irrational number is always an irrational number.
  • Sum and difference of two irrational numbers is either rational or irrational number.
  • Product of a rational number with an irrational number is either rational or irrational number.
  • Product of an irrational with an irrational is not always irrational.

Ex. Two numbers are 2 and \(\sqrt{3}\). then Sum = 2 + \(\sqrt{3}\), is an irrational number Difference = 2 – \(\sqrt{3}\) is an irrational number
Also \(\sqrt{3}\) – 2 is an irrational number.

Ex. Two numbers are 4 and \(\sqrt[3]{3}\), then Sum = 4 + \(\sqrt[3]{3}\), is an irrational number. Difference = 4 – \(\sqrt[3]{3}\), is an irrational number.

Ex. Two irrational numbers are 13, –\(\sqrt{3}\), then
Sum = \(\sqrt{3}\) + (-\(\sqrt{3}\)) = 0, which is rational.
Difference = \(\sqrt{3}\) – (-\(\sqrt{3}\)) = 2\(\sqrt{3}\), which is irrational.

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems

Geometrical Representation Of Irrational Numbers On The Number Line
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 6
To represent \(\sqrt{2}\) on number line we follow the following steps:
Step I: Draw a number line and mark the centre point as zero.
Step II: Mark right side of the zero as (1) and the left side as (-1).
Step III: We won’t be considering (-1) for our purpose.
Step IV: With same length as between 0 and 1, draw a line perpendicular to point (1), such that new line has a length of 1 unit.
Step V: Now join the point (0) and the end of new line of unit length.
Step VI: A right angled triangle is constructed.
Step VII: Now let us name the triangle as ABC such that AB is the beight (perpendicular), BC is the base of triangle and AC is the hypotenuse of the right angled triangle ABC.
Step VIII: Now length of hypotenuse, i.e., AC can be found by applying pythagoras theorem to the right triangle ABC.
AC2 = AB2 + BC2
⇒ AC2 = 12 + 12
⇒ AC2 = 2
⇒ AC = \(\sqrt{2}\)
Step IX: Now with AC as radius and C as the centre cut an arc on the same number line and name the point as D.
Step X: Since AC is the radius of the arc and hence, CD will also be the radius of the arc whose length is \(\sqrt{2}\).
Step XI: Hence, D is the representation of \(\sqrt{2}\) on the number line.

Surds:
Any irrational number of the form \(\sqrt[n]{a}\) is given a special name surd, where is called radicand it should always be a positive rational number. Also the symbol \(\sqrt[n]{ }\) is called the radical sign and the index n is called order of the surd.
\(\sqrt[n]{a}\) is read as ‘nth root d’ and can also be written as an \(\mathrm{a}^{\frac{1}{n}}\)

→ Some Identical Surds:

  • \(\sqrt[3]{4}\) is a surd as radicand is a rational number.
    Similar examples \(\sqrt[3]{5}, \sqrt[4]{12}, \sqrt[5]{7}, \sqrt{12} . .\)
  • 2 + 2\(\sqrt{3}\) is a surd (as rational + surd number will give a surd)
    Similar examples: \(\sqrt{3}+1, \sqrt[3]{3}+1, \ldots\)
  • \(\sqrt{7-4 \sqrt{3}}\) is a surd as 7-4\(\sqrt{3}\) is a perfect square of (2 – \(\sqrt{3}\)).
    Similar examples: \(\sqrt{7+4 \sqrt{3}}, \sqrt{9-4 \sqrt{5}}, \sqrt{9+4 \sqrt{5}}, \ldots\)
  • \(\sqrt[3]{\sqrt{3}}\) is a surd as \(\sqrt[3]{\sqrt{3}}=\left(3^{\frac{1}{2}}\right)^{\frac{1}{3}}\)
    = \(3^{\frac{1}{6}}=\sqrt[6]{3}\)
    Similar examples : \(15 \sqrt{6}-\sqrt{216}+\sqrt{96}\)

→ Some Expressions are not Surds:

  • \(\sqrt[3]{8}\) is not a surd because \(\sqrt[3]{8}=\sqrt[3]{2^3}\) = 2. which is a rational number.
  • \(\sqrt{2+\sqrt{3}}\) is not a surd because 2 + \(\sqrt{3}\) is not a perfect square.
  • \(\sqrt[3]{1+\sqrt{3}}\) is not a surd because radicand is an irrational number.

Laws Of Surds:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 7
[Important for changing order of surds]
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Operation Of Surds:
→ Addition and Subtraction of Surds: Addition and subtraction of surds are possible only when order and radicand are same i.e. only for surds.
Example: Simplify
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→ Multiplication and Division of Surds:
Example:
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 11
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 12

→ Comparison of Surds: It is clear that if x > y > 0 and n > 1 is a positive integer then \(\sqrt[n]{x}>\sqrt[n]{y}\).
Example:
Which is greater in each of the following:
(i) \(\sqrt[3]{6} \text { and } \sqrt[5]{8}\)
(ii) \(\sqrt{\frac{1}{2}} \text { and } \sqrt[3]{\frac{1}{3}}\)
Solution:
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Exponents Of Real Number:
→ Positive Integral Power: For any real number a and a positive integer ‘n’ we define: an = a × a × a × … × a (n times).
an is called nth power of a. The real number ‘a’ is called the base and ‘n’ is called power of a.
e.g. 23 = 2 × 2 × 2 = 8
Note: For any non-zero real number ‘a’ we define a0 = 1.
e.g, thus 30 = 1, 50 = 1, \(\left(\frac{3}{4}\right)^0\) = 1 and so on.

→ Negative Integral Power: For any non-zero real number ‘a’ and a positive integer ‘n’ we define \(a^{-\mathrm{n}}=\frac{1}{a^n}\).

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Rational Exponents Of A Real Number:
→ Principal nth Root of a Positive Real Number: If ‘a’ is a positive real number and ‘n’ is a positive integer, then the principal nth root of a is the unique positive real number x such that xn = a.
The principal root of a positive real number a1/n denoted by \(\sqrt[n]{a}\).

→ Principal nth Root of a Negative Real Number: If ‘a’ is a negative real number and ‘n’ is an odd positive integer, then the principal nth root of a is define as \(-|\mathrm{a}|^{1 / \mathrm{n}}\) i.e. the principal nth root of -a is negative of the principal nth root of |a|.

Remark: If ‘a’ is negative real number and ‘n’ is an even positive integer, then the principal nth root of a is not defined, because an even power of real number is always positive. Therefore, (-9)1/2 is a meaningless quantity, if we confine ourselves to the set of real numbers only.

→ Rational Power (Exponents): For any positive real number ‘a’ and a rational number \(\frac{p}{q}\) where q ≠ 0, p, q ∈ Z. We define ap/q = (ap)1/q i.e. ap/qis the principal qth root of ap.

Laws Of Rational Exponents:
The following laws hold for the rational exponents
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 14
JAC Class 9 Maths Notes Chapter 1 Number Systems 15
where a, b are positive real numbers and m, n are rational numbers.

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

Jharkhand Board JAC Class 9 Sanskrit Solutions रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 9th Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

प्रदत्त संकेतानुसारं अनुच्छेदलेखनम् कुरुत – (दिये गए संकेतों के अनुसार अनुच्छेद लेखन करिए-)

1. महाकविः कालिदासः
[संकेतसूची-महाकविः कालिदासः श्रेष्ठतमः कविः, सप्त-कृतयः, प्रसिद्धतमं नाटक, उपमा-प्रयोगः, वैदर्भी रीतिः, महाकाव्यद्वयं, खण्डकाव्यद्वयं, कलापक्ष:, भावपक्षः, विश्वसाहित्ये स्थानम्।]
उत्तरम् :
महाकविः कालिदासः संस्कृत-साहित्यस्य श्रेष्ठतम कविः अस्ति। तस्य स्थानं विश्वस्य उत्कृष्टेषु कविषु गण्यते। महाकवि कालिदासस्य प्रतिभा सर्वतोमुखी आसीत्। एषः महाकविः कदा कुत्र च अभवत् इत्यपि न निश्चितम्। श्रत्यानुसारेण कालिदासः महाराज्ञः विक्रमादित्यस्य नवरत्नेषु अन्यतमः आसीत्। तेन महाकाव्यद्वयं लिखितम् कुमारसम्भवम्, रघुवंशम् च। खण्डकाव्यद्वयं लिखितम्-ऋतु संहारम्, मेघदूतम् च। नाटक त्रयमपि लिखितम् मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम् अभिज्ञान शाकुन्तलम् च।

उपमाप्रयोगे प्रकृतिचित्रणे च कालिदासः निपुणः अस्ति। अभिज्ञान शाकुन्तलं नाटकं कालिदासस्य सर्वश्रेष्ठः कृति अस्ति। अस्मिन् नाटके कलापक्षः भावपक्षश्च नैपुण्येन प्रस्तुतं कुर्वते। अतः अभिज्ञान शाकुन्तलं नाटकास्य विश्वसाहित्ये महत्वपूर्ण स्थानं स्वीकृतः। कालिदास्य काव्येषु वैदर्भीरीतिः प्रसादगुणश्च स्तः। कथितमपि वैदर्भीरीतिसंदर्भ कालिदासो विशिष्यते। तस्य शैली लालित्ययुक्ता परिष्कृता च अस्ति। कालिदासस्य कवितायां क्लिष्टता कृत्रिमता च न स्तः। तस्य भाषा समास रहिता अथवा अल्प समास युक्ता भवति।

(महाकवि कालिदास संस्कृत साहित्य के श्रेष्ठतम कवि हैं। उनका स्थान विश्व के उत्कृष्ट कवियों में गिना जाता है। महाकवि कालीदास की प्रतिभा सर्वतोमुखी थी। ये महाकवि कब कहाँ हुए-यह भी निश्चित नहीं है लेकिन भारतीय जनश्रुति के अनुसार कलिदास महाराज विक्रमादित्य के नवरत्नों में अन्यतम थे। अब कालिदास की सात कृतियाँ उपलब्ध हैं। उन्होंने दो महाकाव्य-कुमारसम्भवम् और रघुवंशम् लिखे। दो खण्डकाव्य-ऋतुसंहार और मेघदूत लिखे। तीन नाटक भी लिखे-मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम् और अभिज्ञान शाकुलन्तलम्। अभिज्ञान शाकुन्तलम् नाटक कालिदास की सर्वश्रेष्ठ कृति है।

इस नाटक में कलापक्ष तथा भावपक्ष निपुणता से प्रस्तुत हैं। अत: अभिज्ञान शाकुन्तलम् नाटक का विश्व साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान स्वीकार किया गया है। उपमा के प्रयोग और प्रकृति के चित्रण में कालिदास निपुण हैं। कालिदास के काव्यों में वैदर्भी रीति और प्रसाद गुण हैं। कहा भी है-वैदर्भी रीति के संदर्भ में कालिदास विशिष्ट हैं। उनकी शैली लालित्ययुक्त और परिष्कृत है। कालिदास की कविता में क्लिष्टता और कृत्रिमता नहीं हैं। उनकी भाषा समासरहित अथवा अल्प समासयुक्त होती है।)

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2. जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
[संकेतसूची – जगति, जन्मभूमिश्च, महत्वपूर्णे, सर्वे मानवाः, स्नेहं भवति, स्वजन्मभूमि, स्मरत्येव, स्वाभाविकोऽनुरागः, मातृभूमिः भारत, ‘दुर्लभं भारते जन्म’, रामकृष्णादयः, प्रकृते: मधुरतराणि।]
उत्तरम् :
एतस्मिन् जगति जननी जन्मभूमिश्च एव सर्वोत्तमे भवतः। बालकस्य कृते एते एव अतीव महत्वपूर्णे भवतः। सर्वे मानवाः जानन्त्येव यत् मातरि मातृभूमौ च यादृशं स्नेहं भवति न तादृशमन्यस्मिन् कस्मिन्नपि वस्तुनि। यत्र कुत्रापि गत्वा नानाविधानि सुखानि च लब्ध्वा अपि मानवः स्वजन्मभूमि स्मरत्येव। कथं न स्मरिष्यति, भवति हि स्वाभाविको स्नेहः तस्य। सर्वस्यापि स्वदेशे स्वाभाविकोऽनुराग: जायते। अस्माकं मातृभूमिः भारत देशोऽस्ति। देवाः अपि अत्र जन्म कांक्षन्ते। ‘दुर्लभं भारते जन्म’ इत्यपि कथयन्ति। रामकृष्णादयः परमेश्वराः अत्रैव जन्म लेभिरे। अत्र सर्वत्र प्रकृतेः मधुरतराणि दृश्यानि सन्ति।

(इस संसार में माता और मातृभूमि ही सबसे बढ़कर होती हैं। बालक के लिए ये दोनों ही अत्यधिक महत्वपूर्ण होती हैं। सभी लोग जानते हैं कि माता और मातृभूमि पर जैसा स्नेह होता है, वैसा किसी भी अन्य वस्तु पर नहीं। किसी भी स्थान पर जाकर भी अनेक प्रकार के सुख प्राप्त करके भी मनुष्य अपनी जन्मभूमि का स्मरण करता ही है। क्यों नहीं स्मरण करेगा उसका मातृभूमि पर स्वाभाविक स्नेह जो होता है। सभी का अपने देश पर स्वाभाविक अनुराग होता है। भारतवर्ष हमारी मातृभूमि है। देवता भी यहां पर जन्म की अभिलाषा रखते हैं। ‘भारतवर्ष में जन्म दुर्लभ है’ ऐसा भी कहते हैं। राम-कृष्ण आदि परमेश्वर के अवतार यहीं पर हुए थे। यहां सर्वत्र प्रकृति के मनोहर दृश्य हैं।)

3. यथादृष्टिः तथा सृष्टिः
[संकेतसूची-गुणवन्तं, अहङ्कारी, गुरुः द्रोणाचार्यः, अन्विष्य, आहूय, भ्रान्त्वा, आदिष्टवान्, आनय, मत्तः युधिष्ठिरांय, गुणहीनं।]
उत्तरम् :
एकदा गुरुः द्रोणाचार्य: दुर्योधनम् आय आदिशत्- “वत्स! नगरे सर्वाधिकं गुणवन्तं जनम् अन्विष्य आन्य।’ दुर्योधनः अहङ्कारी आसीत्। सः सर्वत्र भ्रान्त्वा आगच्छत् अवदत् च-“भगवन् ! मत्तः गुणवत्तरः कोऽपि नास्ति इति।” आचार्यः पुनः युधिष्ठिरम् आहूय आदिष्टवान्-“वत्स! नगरे सर्वाधिक गुणहीनं जनम् अन्विष्य आनय इति।” युधिष्ठिरः आगत्य अवदत्-“प्रभो! मत्तः गुणहीनः नगरे कोऽपि नास्ति।” आचार्यः युधिष्ठिराय आशिषम् अयच्छत् “प्रियपुत्र! तव कीर्तिः कदापि न नंक्ष्यति। नूनं सत्यमेव उच्यते – यथा दृष्टिः तथा सृष्टिः। (एक दिन गुरु द्रोणाचार्य ने दुर्योधन को बुलाकर आदेश दिया-“पुत्र! नगर में सबसे अधिक गुणवान मनुष्य को ढूँढ़कर लाओ।”दुर्योधन अहंकारी था। वह सब जगह घूमकर आया और बोला-“भगवन् ! मुझसे अधिक गुणवान् कोई नहीं है।” आचार्य ने फिर युधिष्ठिर को बुलाकर आदेश दिया-“पुत्र! नगर में सबसे अधिक गुणहीन व्यक्ति ढूँढ़कर लाओ।” युधिष्ठिर आकर बोला-“प्रभो! मुझसे अधिक गुणहीन नगर में कोई नहीं है।” आचार्य ने युधिष्ठिर को आशीर्वाद दिया – “प्रियपुत्र! तुम्हारी कीर्ति कभी भी नष्ट नहीं होगी।” निश्चित रूप से सत्य ही कहा जाता है-जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

4. अम्लानि द्राक्षाफलानि।
[सकतसची जम्बक अतिशय कः, अतिश्रान्त, अन्वेषणे, द्राक्षाफलानि, लतायाम्, विशालवृक्षे, लम्बितानि, प्रायतत् उत्प्लुत्य: द्राक्षास्तवकम्, अम्लानि, मह्यं।]
उत्तरम् :
एकस्मिन् उद्याने विशालवृक्षे द्राक्षालता आरूढा आसीत्। एकः जम्बुक: भोजनस्य अन्वेषणे इतस्ततः अभ्रमत्। लतायां द्राक्षाफलानि उच्चतरे स्थाने लम्बितानि आसन्। शृगालः अनेकशः प्रायतत परञ्च सर्वं व्यर्थमेव अभवत्। पुनः पुनः उत्प्लुत्य अपि सः द्राक्षाफलानि न प्राप्नोत्। सः अतिश्रान्तः अभवत्। निराशः शृगालः द्राक्षास्तवकम् अप्राप्यं मत्वा लानि अनिन्दत्। सः अवदत्- “अम्लानि सन्ति द्राक्षाफलानि, नैतानि मह्य रोचन्ते।” इत्युक्त्वा शृगाल: वनम् अगच्छत्।

(एक बाग में एक विशाल वृक्ष पर अंगूर की बेल चढ़ी हुई थी। एक गीदड़ भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था। बेल में अंगूर ऊँचे स्थान पर लटक रहे थे। गीदड़ ने अनेक बार प्रयत्न किया, परन्तु सब व्यर्थ रहा। बार-बार उछलकर भी वह अंगूर न पा सका। वह बहुत थक गया। निराश गीदड़ अंगूर के गुच्छे को अप्राप्य मानकर अंगूरों की निन्दा करने लगा। वह बोला-“अंगूर खट्टे हैं, मुझे ये अच्छे नहीं लगते।” यह कहकर गीदड़ वन में चला गया।)

5. चतुरः काकः
[सङ्केत सूची-घटम्, अन्वेषणे, पिपासितः, तत्र, अल्पम्, अपश्यत्, उपरि, उपायम्, इतस्ततः, अक्षिपत् पाषाणखण्डानि, पीत्वा।]
उत्तरम् :
एकः काकः पिपासितः आसीत्। जलस्य अन्वेषणे सः इतस्ततः अभ्रमत्। सः दूरे एकं घटम् अपश्यत्। काकः तत्र अगच्छत्। सः घटस्य उपरि अतिष्ठत् घटे च अपश्यत्। घटे अल्पम् जलम् आसीत्। सः एकम् उपायम् अचिन्तयत् पाषाणखण्डानि च आनयत्। तानि पाषाणखण्डानि स: घटे अक्षिपत्। जलम् उपरि आगच्छत्। जलं पीत्वा सन्तुष्टः स उड्डयन् अचिन्तयत् च-“उद्यमेन हि कार्याणि सिद्धयन्ति।”

(एक कौआ प्यासा था। जल की खोज में वह इधर-उधर घूम रहा था। उसने दूर एक घड़ा देखा। कौआ वहाँ गया। वह घड़े के ऊपर बैठ गया और घड़े में देखा। घड़े में थोड़ा पानी था। उसने एक उपाय सोचा और पत्थर के टुकड़े लाया। उसने उन पत्थर के टुकड़ों को घड़े में डाला। पानी ऊपर आ गया। पानी पीकर वह सन्तुष्ट हुआ और उड़ता हुआ सोचने लगा-“परिश्रम से ही कार्य सिद्ध होते हैं।”)

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6. देवः सर्वत्र वर्तते
[सङ्केत सूची – एक गुरुकुलम्। तत्र एकः गुरुः। गुरुः महापण्डितः। एकः बालकः आगच्छति, वदति-‘अहं भवतः। शिष्यः भवितम इच्छामि।’ गुरुः वदति-तदर्थम एका परीक्षा अस्ति। शिष्यः वदति -भवत्। गरुः प्रच्छति-देवः कुत्र पपास। अस्ति? शिष्य वदति-देवः सर्वत्र अस्ति। सः कुत्र नास्ति इति भवान् एव वदतु’ इति। गुरुः सन्तुष्टः भवति। बालकः।। तस्य शिष्यः भवति।]
उत्तरम् :
वृक्षैः आच्छादितस्य नागपर्वतस्य सुरम्यायाम् उपत्यकायाम् एक पवित्रं सुविशाल च। गुरुकुलमस्ति श्रीउपेन्द्रसरस्वतीमहोदयः तत्र गुरुः। तस्य पाण्डित्यस्य प्रसिद्धिः सुदूरप्रदेशेषु अपि विश्रुता। आश्रमस्थितानां बालकानां योगक्षेमं चिन्तयति स्म स गुरुः। एकदा एकः बालकः श्री उपेन्द्रसरस्वतीम् आगत्य वदति-‘अहं भवतः शिष्यः भवितुम् इच्छामि।’ गुरुः सूक्ष्मदृष्ट्या आपादमस्तकं तं बालकं पश्यति वदति च-‘तदर्थम् एका परीक्षा अस्ति’। बालकः वदति-‘अहं परीक्षायै सन्नद्धो अस्मि, भवत् सा परीक्षा।’ गुरुः पृच्छति-‘देवः कुत्र अस्ति ?’ बालकः वदति-‘देवः सर्वत्र अस्ति’। “सः कुत्र नास्ति इति भवान् एव वदतु।” गुरुः उत्तरेण सन्तुष्टः भवति। सः बालकं शिष्यं स्वीकरोति। बालकः तस्य शिष्यः भवति। शिक्षाप्राप्त्यनन्तरं सः विश्रुतः न्यायाप्रियः न्यायाधीशः भवति।

(वृक्षों से ढके हुए नागपर्वत की सुरम्य उपत्यका में एक पवित्र और विशाल गुरुकुल है। श्री उपेन्द्र सरस्वती महोदय वहाँ गुरु हैं। उनके पाण्डित्य की प्रसिद्धि सुदूर प्रदेश में सुनी जाती थी। आश्रम में स्थित बालकों के योग-क्षेम को ही वे गुरुजी सोचते रहते थे। एक दिन एक बालक श्री उपेन्द्र सरस्वती के पास आकर कहता है-“मैं आपका शिष्य होना चाहता हूँ।” गुरु सूक्ष्म दृष्टि से पैरों से सिर तक बालक को देखता है और कहता है-“उसके वास्ते एक परीक्षा है।” बालक कहता है-“मैं परीक्षा के लिए तैयार हूँ। होने दो वह परीक्षा।” गुरु पूछता है-‘ईश्वर कहाँ है ?’ बालक कहता है-“ईश्वर सब जगह है। वह कहाँ नहीं है। यह बात आप ही बताएँ।” गुरुजी उत्तर से सन्तुष्ट हो जाते हैं। वे बालक को शिष्य स्वीकार कर लेते हैं। बालक उनका शिष्य हो जाता है। शिक्षा प्राप्ति के बाद वह प्रसिद्ध न्यायप्रिय न्यायाधीश होता है।)

7. सन्तोषः परमं धनम्
[सहतसूची-एक: धनिकः। अपारम् ऐश्वर्यम्। किन्तु सुख नास्ति। निर्धनस्य गृहे धनं नास्ति। प्रतिदिनं भोजनं नास्ति। नास्ता। एकदा निर्धनः सन्तोषेण गायति। धनिकः पृच्छति-धनं नास्ति भोजनं नास्ति तथापि सन्तोषः अस्ति। एतत किमर्थम्। निर्धनः वदति-“एषः वसन्तकालः सर्वत्र सौन्दर्यम्। अतः सन्तोषेण गायामि। भवान् यत् नास्ति तत् पश्यति। अतः। सर्वदा चिन्तां करोति इति।”]
उत्तरम् :
राजनगरे एक धनिकः प्रतिवसित स्म। तस्य धनिकस्य सुविशालं शोभनं गृहम् आसीत्। तस्य अपारम् ऐश्वर्यम् आसीत्। गृहे व्यापारे च कापि न्यूनता नासीत्। तथापि सः धनिकः सुखी नासीत्। सः सर्वदा चिन्तितः अभवत् तस्य व्यापारस्य उत्तरोत्तर विवर्धनाय। तस्य गृहस्य पार्वे एव एकस्य निर्धनस्य कुटीरम् आसीत्, तदपि जीर्णम् आसीत्, गृहोपकरणानि अपि न सन्ति एव। निर्धनस्य धनमपि नासीत्। प्रतिदिनं तेन भोजनमपि न लभ्यते स्म। एकदा निर्धनेन कुत्रापि भोजनं न लब्धं। गृहं प्रतिनिवृत्य सः कुटीरस्य अग्रे उपविष्टः।

प्रकृतिसौन्दर्य, पक्षिशावकान्, हरित्पर्णानि पुष्पाणि च वीक्ष्य तेन गानम् आरब्धम्। तद्गानं श्रुत्वा धनिकः अपि तत्र आयातः। किञ्चिद् विचिन्त्य सः धनिकः तं पृष्टवान्-‘किं भोजनं लब्धमद्य।’ निर्धनेन कथितम्-‘भोजनं तु न लब्धमेव। किन्तु तेन किम्, कदाचित् भोजनं न लभ्यते अपि।’ धनिकः आश्चर्यान्वितः जातः। तेन कथितम्-‘भवतः धनं नास्ति भोजनं नास्ति तथापि सन्तोषः अस्ति। मम पार्वे धनम् अस्ति। ऐश्वर्यम् अस्ति तथापि अहं सुखं न लभे। एतत् किमर्थम्? इति।’

तदा निर्धनेन उक्तम्-“महोदय! एषः वसन्तकालः, सर्वत्र सौन्दर्यम् अस्ति। अहं तत् पश्यामि गायामि च। यत् अस्ति तत् अहं पश्यामि। यद् लभ्यते तेनैव सन्तोष अनुभवामि। भवान् तु यत् नास्ति तस्य चिन्तां करोति। सर्वदा यत् न लब्धं तस्य विषये चिन्तयति, अप्राप्य च तं सदा दुःखितो भवति। यद् भवत्सन्निधे अस्ति तत् न पश्यति भवान्, इति दुःखस्य कारणम्।”

(राजनगर में एक धनवान रहता था। उस धनवान का विशाल सुन्दर घर था। उसके पास अपार ऐश्वर्य था। घर में और व्यापार में कोई भी कमी नहीं थी। फिर भी वह धनवान सुखी नहीं था। वह हमेशा चिन्तित रहता अपने उसके व्यापार को निरन्तर बढ़ाने के लिए। उसके घर के पास ही एक गरीब की कटिया थी। वह भी जीर्ण-शीर्ण उपकरण भी नहीं थे। निर्धन के घर में धन भी नहीं था।

प्रत्येक दिन उसे भोजन भी नहीं मिलता था। एक दिन निर्धन को कहीं भोजन प्राप्त नहीं हुआ। घर लौटकर वह कुटिया के आगे बैठ गया। प्रकृति की सुन्दरता पक्षियों के बच्चों, हरे पत्तों और फूलों को देखकर उसने गाना आरम्भ कर दिया। उस गाने को सुनकर धनिक भी वहाँ आ गया। कुछ सोचकर उस धनवान ने उससे पूछा-‘क्या आज भोजन मिल गया ? निर्धन ने कहा- भोजन तो प्राप्त नहीं हुआ।

लेकिन उससे क्या?। कभी भोजन नहीं भी मिलता है। धनवान आश्चर्यचकित हो गया, उसने कहा-“आपके पास धन नहीं है, भोजन नहीं है फिर भी सन्तोष है। मेरे पास में धन है, ऐश्वर्य है, फिर भी मैं सुख प्राप्त नहीं करता। ऐसा क्यों है ?”

तब निर्धन ने कहा-“महोदय! यह बसन्त काल है, सर्वत्र सौन्दर्य है। मैं उसे देखता हूँ और गाता हूँ। जो है उसे मैं देखता हूँ। जो प्राप्त हो जाता है, उसी पर सन्तोष करता हूँ। आप जो नहीं है, उसकी चिन्ता करते हैं। हमेशा जो प्राप्त नहीं हुआ है, उसके विषय में सोचते हैं। उसे न पाकर दुःखी रहते हैं। जो तुम्हारे पास है उसे नहीं देखते हैं आप। यही दुःख का कारण है।”)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

8. विचित्रा गतिः कर्मणाम्
[सङ्केतसूची-भिक्षाटनं, सम्पादयति, विश्वनाथदर्शनाय, गङ्गानदी, अपहरणभया स्थापयति, शिवलिङ्ग, स्नानात् पूर्व। तटम् आगच्छति, शिवलिङ्गान्, खेदम् अनुभवति, दैवहतकस्तत्रैष।]
उत्तरम् :
एकः भिक्षुकः आसीत्। सः गृहं गृहं गत्वा प्रतिदिनं भिक्षां याचते स्म। शनैः शनैः सः अधिकं धनं सम्पादितवान्। अधुना काशी गत्वा विश्वनाथदर्शनं कर्तव्यम् इति सः चिन्तितवान्। विश्वनाथदर्शनार्थ सः काशी गच्छति। देवदर्शनात्पूर्वं सः स्नानं कर्तुं गङ्गा नदीं गच्छति। किन्तु स्नानसमये चौरः मम धनम् अपहिरष्यति इति चिन्ता आसीत् तस्य। अनन्तरः तेन एक: उपायः चिन्तितः। गङ्गातटे सिकतायां गर्तं कृत्वा तत्र तेन धनपात्रं स्थापितम्। उपरि एक सिकतानिर्मितं शिवलिंगम् अभिज्ञानाय स्थापितं च। तस्य विचार आसीत् अनेन मम धनपात्रं कोऽपि न स्पृक्ष्यति इति। सः स्नानार्थं गतवान्। तदा एव एकः अन्यः यात्रिकः तत्र आगतः।

तेन दृष्टं यत् एकः नद्यां स्नानं करोति तीरे च शिवलिङ्ग स्थापितमस्ति। सः मनसि चिन्तित्वान यत् काश्यां जनाः तटे शिवलिगं स्थाप्य स्नानार्थं गच्छन्ति इति परम्परा स्यात्। सः अपि शिवलिङ्ग स्थाप्य स्नातुं अगच्छत्। अनेनैव प्रकारेण अन्येऽपि यात्रिका: शिवलिङ्गस्थापनां अकुर्वन्। यदा भिक्षुकः स्नानं कृत्वा तटे आगतः तेन अनेकानि शिवलिङ्गानि दृष्टानि। तेन स्थापितं शिवलिङ्गं कुत्रास्ति इति अभिज्ञानम् असम्भवं जातम्। तेन अवगतं-मम धनं नष्टमिति। खेदं अनुभवन सः चिन्तितवान-“प्रायो गच्छति यत्र दैवहतकस्तत्रैव यान्त्यापदः”। अहो विचित्रा कर्मणां गतिः।

(एक भिक्षुक था। वह प्रतिदिन घर-घर जाकर भीख मांगा करता था। धीरे-धीरे उसने अधिक धन इकट्ठा कर लिया। अब काशी जाकर विश्वनाथजी के दर्शन करने चाहिए. ऐसा उसने सोचा। विश्वनाथ दर्शन के लिए वह काशी जाता है। देवदर्शन से पूर्व वह स्नान करने के लिए गंगा नदी पर जाता है। किन्तु स्नान के समय चोर मेरा धन चुरा ले जायेंगे, ऐसी उसे चिन्ता थी। बाद में उसने एक उपाय सोचा। गंगा के किनारे बालू में एक गड्ढा खोद कर वहाँ उसने धन के पात्र को रख दिया, ऊपर एक बालू से बना शिवलिंग पहचान के लिए स्थापित कर दिया।

उसका विचार था-इससे मेरे धन पात्र को कोई स्पर्श नहीं करेगा। वह स्नान के लिए चला गया। तभी एक दुसरा यात्री वहाँ आ गया। उसने देखा स्नान करता है और किनारे पर शिवलिंग स्थापित है। वह मन में सोचता है कि काशी में मनुष्य किनारे पर शिवलिंग की स्थापना करके स्नान के लिए जाते हैं। यह एक परम्परा होगी। वह भी शिवलिंग की स्थापना करके स्नान के लिए चला गया। इसी प्रकार से अन्य यात्रियों ने शिवलिंग की स्थापना की।

जब भिक्षुक स्नान कर तट पर आया तो उसने अनेकों शिवलिंग देखे। उसके द्वारा स्थापित शिवलिंग कहाँ है।’ यह पहचानना मुश्किल हो गया। उसने जान लिया-मेरा धन नष्ट हो गया। खेद का अनुभव करते हुए वह सोचने लगा-प्रायः जहाँ दुर्भाग्य जाता है, वहीं आपत्ति आ जाती है। अरे कर्मों की गति बड़ी विचित्र है।)

9. संघे शक्तिः कलौयुगे

[सङ्केतसूची-कृषकः, चत्वारः पुत्राः, कलहप्रियाः, पिता शिक्षते, न शृण्वन्तिः, यष्टिकापुञ्चं त्रोटयितुं समर्थाः, एकका नोटयन्ते, जनकः शिक्षते, स्वीकुर्वन्ति।]
उत्तरम् :
एकस्मिन् ग्रामे एकः कृषक: निवसति स्म। तस्य चत्वारः पुत्राः आसन्। तेषु परस्परं कलहं प्रवर्तते स्म। कृषकः तान् कलहं न कर्तुम् अशिक्षयत। परन्तु ते उपेक्षमाणाः न शण्वन शिक्षाम। कृषकेण एकम उपायं चिन्तितम। सः यष्टिकानाम् एकं भारमानयत्। सः तं यष्टिकापुञ्चं त्रोटयितुम् पुत्रान् आदिशत्। क्रमशः सर्वेऽयतन्तः। परञ्च न त्रोटयितुम् अशक्नुवन्। कृषकः एकैकां यष्टिकां त्रोटयितु मादिशत्। सर्वेः अनेकाः यष्टिकाः त्रोटिताः। तदा कृषको ब्रूते-“यूयं चेत् कलहं कृत्वा असंगठिताः भविष्यन्ति तर्हि अन्याः दुर्जनाः युष्मान् हनिष्यन्ति।”

(एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके चार बेटे थे। उनमें आपस में झगड़ा रहता था। किसान ने उन्हें झगड़ा न करने की शिक्षा दी। परन्तु उन्होंने उपेक्षा करते हुए एक नहीं सुनी। किसान ने एक उपाय सोचा। वह लकड़ियों का एक भार (गट्ठर) लाया। उसने लकड़ियों के समूह (गट्ठर) को तोड़ने का आदेश दिया। क्रमशः सभी ने यत्न किया परन्तु नहीं तोड़ सके। किसान ने एक-एक लकड़ी को तोड़ने का आदेश दिया। सभी ने अनेकों लकड़ियाँ तोड़ र्दी। तब किसान ने कहा-“तुम यदि झगड़ा करके असंगठित रहोगे तो दूसरे दुर्जन तुम्हें मार देंगे।”

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

10. पञ्चमः पुत्रः नास्ति
[सङ्केतसूची-काचित् वृद्धा, चत्वार गावाः, सैन्ये योजयति, सैन्याय प्रेषितवती, मृतौ, ग्रामजनाः, कथयन्ति, किमिति ( रोदनम्, देशसेवार्थं]
उत्तरम् :
बाघशूरग्रामे एका एकाकिनी वृद्धा निवसति। सा सर्वेषां प्रीतिपात्रं, श्रद्धास्पदं च। सा सर्वदैव ईदृशी एकाकिनी नासीत्। तस्याः गृहमपि पुत्रैः सन्ततिभिः पूर्णम् तेषां क्रीडाभिः परिपूर्ण च आसीत्। तस्याः चत्वारः पुत्राः आसन्। सा देशसेवायै ज्येष्ठपुत्रं सैन्ये योजितवती। भारतपाकयुद्धे शत्रू मारयन् सः वीरगति प्राप्तवान्। तदैव सा स्वद्वितीयं तृतीयं चापि पुत्रौ देशसेवार्थं सैन्ये प्रेषितवती। भारतपाकयोः द्वितीयं युद्ध आसीत् तदा तस्याः एकः पुत्रः देशस्य उत्तरक्षेत्रे अपरः पुत्रः च छम्बक्षेत्रे सीमायाम् शत्रूणां हननं कुर्वन्तौ वीरगति प्राप्तवन्तौ।

तथापि एकः पुत्रः तस्याः समीपे आसीत्। सा वीरवृद्धा तमपि चतुर्थं पुत्रं सैन्ये योजनार्थं ग्रामप्रमुखं निवेदितवती। ग्रामप्रमुखः तां एतस्मात् कार्यात् निवारयन् अकथयत्-यत् भवत्याः एषः एकः एव पुत्रः अवशिष्टः। एनम् अन्यकार्ये योजयतु इति। किन्तु तया सः पुत्रः अपि सैन्ये प्रेषितः। कारगिलयुद्धे तस्य मरणवार्ता श्रुत्वा वृद्धायाः नेत्रे अश्रुपूर्णे जाते। ग्रामग्रमुखेन कथितं यत् अधुना किमर्थं रोदनम्। पूर्वं त्वया सैन्ये पुत्रप्रेषणं न करणीयम् आसीत्। तदा अनया वृद्धया कथितं यत् पुत्रस्य मरणवार्तां श्रुत्वा न रोदिमि। पञ्चमः पुत्रः देशसेवार्थं नास्ति खलु इति रोदामि। अद्यापि एषा वृद्धा वीरभावेन सर्वासां ग्रामस्त्रीणां बालिकानां च योगक्षेमाय प्रयतते।

(बाघशूर गाँव में एक अकेली वृद्धा निवास करती है। वह सबकी प्रेमपात्र और श्रद्धास्पद है। वह हमेशा ही इस प्रकार अकेली नहीं थी। उसका घर भी उसके पुत्रों, सन्तानों से परिपूर्ण और उनकी क्रीड़ाओं से भरपूर था। उसके चार पुत्र थे। उसने देशसेवा के लिए बड़े बेटे को सेना में भेज दिया। भारत-पाक युद्ध में शत्रुओं को मारता हुआ वह वीरगति को प्राप्त हो गया। तभी उसने अपने दूसरे और तीसरे पुत्रों को देशसेवा के लिए सेना में भेज दिया। भारत-पाक में दूसरा युद्ध था तब उसका एक पुत्र देश के उत्तर क्षेत्र में और दूसरा पुत्र छम्ब क्षेत्र में सीमा पर शत्रुओं को मारते हुए वीर गति को प्राप्त हो गये। फिर भी एक पुत्र उसके पास था।

उस वीर वृद्धा ने उस चौथे पुत्र को भी सेना में भेजने के लिए गाँव के मुखिया से निवेदन किया। ग्राम-प्रमुख ने उसको इस कार्य से रोकते हुए कहा कि आपका यह एक ही पुत्र शेष रह गया है। इसको अन्य कार्य में लगाओ। परन्तु उसने उस पुत्र को भी सेना में भेज दिया। कारगिल युद्ध में उसकी मृत्यु का समाचार सुनकर वृद्धा की आँखें अश्रुपूरित हो गईं। ग्राम-प्रमुख ने कहा कि अब रुदन क्यों। पहले तुम्हें पुत्र को सेना में नहीं भेजना चाहिए था। तब इस वृद्धा ने कहा-पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनकर नहीं रो रही हूँ। वास्तव में पाँचवा पुत्र देशसेवा के लिए नहीं है। इसलिए रो रही हूँ। आज भी यह वृद्धा वीरता के भाव से सारी ग्रामीण स्त्रियों और बालिकाओं के योग क्षेम का प्रयत्न करती है।)

11. कर्त्तव्यनिष्ठः गोपबन्धुदासः।
[सङ्केतसूची-महती वृष्टिः, विश्रान्ति, जलावेगः, हाहाकारः, प्राणान् रक्षित गृहगमनसमये, मुसलाधाररूपेण, दृढस्वरेण,। औषधं, आपद्ग्रस्ताः, गतवान्, बहुदिनेभ्यः, अङ्के।]
उत्तरम् :
एकदा महती वृष्टिः आरब्धा। आदिनं मेघाः विश्रान्तिः नैव प्राप्तवन्तः। निरन्तर वृष्टिकारणात् जलावेगः तीव्रः आसीत्। प्रवाहकारणात्: सर्वत्र जनानां हाहाकारः आसीत्। सर्वे स्वपरिवारजनानां स्वस्य च प्राणान् रक्षितुं प्रयत्नशीला: आसन्। एकः जनः सेवायां निरतः आसीत्। रात्रौ गृहगमनसमये वरुण: रुद्रावतारं प्राप्तवान्। वृष्टि मुसलाधार रूपेण वर्षति स्म। तस्य जनस्य गृहस्य परिस्थितिः अपि गंभीरा आसीत्।

तस्य एकः पुत्रः आसीत्। बहुदिनेभ्यः रुग्णः वेदनां सोढुम् अशक्तः सः मातुः अङ्के शयितवान् आसीत्। माता पुत्रस्य दशां दृष्ट्वा रोदति। पिता अपि द्वन्द्वे आसीत्। स्वीयः रुग्णः पुत्रः अपरत्र सहस्राधिकाः जनाः कष्टे सन्ति। कर्तव्यपरायणः सः छत्रं गृहीत्वा बहिः गतवान्। गमनसमये पत्नी रुदती पृष्टवती-पुत्रं पश्यतु. अहं किं करिष्यामि ? सः दृढ़स्वरेण उक्तवान्-अहमपि किं करिष्यामि? औषधं दत्तम्। इतः परं भगवदिच्छा। अयन्त्र अपि बाला: आपदग्रस्ताः। भगवतः इच्छानुसारं भवतु-इत्युक्त्वा गतवान्। रात्रौ पुत्रः मृतः। रुदन्त्याः मातुः समीपम् आगत्य अन्ये सान्त्वनं कृतवन्तः। एतादृशः कर्तव्यनिष्ठः आसीत् श्री गोपबन्धुदासः, उत्कलमणि : ओरिस्साजनपदीयः।

(एक दिन महान् वृष्टि आरम्भ हुई। पूरे दिन मेघ रुके नहीं। निरन्तर वर्षा के कारण जल का आवेग तीव्र हो गया। प्रवाह के कारण सब जगह लोगों में हाहाकार मचा था। सभी अपने परिवार-जनों और अपने प्राणों की रक्षा करने में प्रयत्नशील थे। एक व्यक्ति सेवा में निरत था। रात में घर जाने के समय वरुण ने रुद्रावतार प्राप्त किया। वर्षा मूसलाधार होने लगी। उस व्यक्ति के घर की परिस्थिति भी गम्भीर थी। उसका एक बेटा था। बहुत दिनों से बीमार था। वह वेदना को सहन करने में असमर्थ था। माँ की गोद में सो रहा था।

माता पुत्र की दशा को देखकर रोती है। पिता भी द्वन्द्ध में था। एक ओर अपना बीमार पुत्र और दूसरी ओर हजारों से अधिक लोग कष्ट में हैं। वह कर्तव्य-परायण छाता लेकर बाहर गया। जाते समय रोती हुई पत्नी पूछ बैठी। पुत्र को देखो, मैं क्या करूंगी ? उसने दृढ़ स्वर में कहा-मैं भी क्या करूंगा ? दवाई दे दी है। इसके बाद ईश्वर इच्छा। और जगह भी बालक आपद्ग्रस्त हैं। ईश्वर की इच्छानुसार हो, ऐसा कहकर चला गया। रात में पुत्र मर गया। रोती हुई माता के समीप आकर अन्य लोग सान्वना देने लगे। ऐसे कर्तव्यनिष्ठ थे श्री गोपबन्धुदास, उड़ीसा के रत्न (उत्कलमणि), उड़ीसा जनपदवासी।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

12. कालातिक्रमं त्याज्यम्
लीक सङ्केतसूची-श्रेष्ठी, कर्मचारिणः, विलम्बेन, आयाति, पृच्छति, घटिकायन्त्रस्य, कथयति, नवीनं क्रीणीष्व, नियोजमिष्यामि।
उत्तरम् :
कर्णपुर नाम्नि नगरे एकः श्रेष्ठी आसीत्। तस्य प्रभूतं धनम् आसीत्। तस्य बहवः उद्योगशालाः आसन्। तासु उद्योग शालासु अनेके कर्मचारिणः आसन्। श्रेष्ठी नियमपालने दृढ़ः आसीत्। स कणं क्षणं वा व्यर्थं न करोति। सः सर्वान् काल-पालनम् अपेक्षते स्म। तस्य कर्मचारिषु आसीत् एकः काल-पालनं प्रति उदासीनः। सः सदैव विलम्बेन कार्यालयम् आयाति। किमपि मिथ्या निमित्तं कथयति।

एकदा असौ कर्मचारी विलम्बेन कार्यालयम् आगच्छत्। श्रेष्ठी तम् आयान्तम् अपश्यत्। श्रेष्ठी तम् अपृच्छत्-कथं विलम्बेन आयाति ? किमत्र विलम्बस्य कारणम् ? कर्मचारी प्रकोष्टे बद्धं घटिकायन्त्रं पश्यति कथयति च-“अहो! मे घटिकायन्त्रं विलम्बेन चलति। अनेन कारणेन एव मम कालानिपातः। श्रेष्ठी कथयति-त्वं नवीनं घटिकायन्त्रं क्रीणीष्व अथवा अहं नवीनं कर्मचारिणं नियोजयिष्यामि। कर्मचारी क्षमाम् अयाचयत् प्रत्यश्रणोत् च यत् भविष्ये अहं कदापि विलम्बेन न आयास्यामि।

(कर्णपुर नामक नगर में एक सेठ था। उसके पास बहुत-सा धन था। उसकी बहुत-सी उद्योगशालाएँ थीं। उन उद्योगशालाओं में अनेक कर्मचारी थे। सेठ नियमपालन में दृढ़ था। वह कण और क्षण को व्यर्थ नहीं गँवाता था। वह सबसे समय पर आने की अपेक्षा करता था। उन कर्मचारियों में एक समय-पालन के प्रति उदासीन था। वह सदैव देर से आता है और कोई भी मिथ्या बहाना बना देता है।

एक दिन वह कर्मचारी विलम्ब से कार्यालय आया। सेठ ने उसे आते हुए देख लिया। सेठ ने उससे पूछा-‘देर से कैसे आ रहे हो ? देर का क्या कारण है? कर्मचारी कलाई में बँधी घड़ी को देखता है और कहता है-अरे, मेरी घड़ी तो विलम्ब से (लेट) चल रही है। इसी कारण से विलम्ब हो गया है। सेठ कहता है-तुम नयी घड़ी खरीद लो अथवा मैं नया कर्मचारी नियुक्त कर लूँगा। कर्मचारी ने क्षमा-याचना कर ली और वायदा किया कि भविष्य में मैं देर से नहीं आऊँगा।

13. गुप्तधनस्य रहस्यम्
[सङ्केतसूची-मृत्युशय्यायां, तस्य पुत्राः, कलहशीलाः, वृद्धः, गुप्तं धनमिति, प्राप्नोति, क्षेत्रेषु, खननं कुर्वन्ति, धनं न प्राप्तम्, बीजानि वन्ति, वृष्टिः समीचीना। प्रभूतं धान्यं, गुप्तधनस्य।]
उत्तरम् :
रामपुर ग्रामे एकः कृषक: निवसति स्म। सः अतिजीर्णः आसीत् रुग्णश्च। तस्य चत्वारः पुत्राः आसन्। ते कलहशीलाः निरुद्योगिनः च आसन्। क्षेत्रापि अकृष्टानि अनुप्तबीजानि च तिष्ठन्ति। कृषक: तान् मुहुर्मुहुः कथयति कृषि . कर्मणि निरताय। परञ्च ते: तु कलहम् एव कुर्वन्ति। एकदा वृद्धः कृषक: मरणासन्नः भवति। सः स्वात्मजान् आहूय कथयति-पुत्राः इदानीम् अहं प्राणान् त्युक्तमपि इच्छामि। न मे सन्निधम् किञ्चिद् धनम्। यत् किञ्चिद् धनम् अस्ति तत्तु मे क्षेत्रेषु निखातम् अस्ति। एवं त्रुरुन्नेव असौ वृद्धः दिवंगतः।

पुत्राः अन्तिमसंस्कारं श्राद्धम् च विधाय अचिन्तयन्-क्षेत्रेषु धनमस्ति अतः तानि खनितव्यानि। चत्वारः एव भ्रातरः क्षेत्राणि खनितुम् आरब्धाः। सर्वत्र एव खनितं गम्भीरतम परञ्च न किञ्चिद् धनम् प्राप्तम्। धन-प्राप्तेः आशा त्यक्त्वा ते मौनम् अतिष्ठन्। तदा एव तत्र आगच्छत् एकः अन्यः वृद्धः। सोऽवदत्-‘क्षेत्राणि तु युष्माभिः कृष्टानि खनितानि एव। यदि धनं नोपलब्धवन्तः तर्हि एतेषु बीजानि एव वपन्तु। किञ्चित् शस्यं लप्स्यन्ति एव।

ते तथा एव अकुर्वन्। सर्वेषु क्षेत्रेषु बीजानि वपन्ति। वृष्टिः समीचीना आसीत्। तेन क्षेत्रेषु समृद्धं शस्यम् अजायत्। काले प्राप्ते प्रभूतं धान्यम् अभवत्। अन्नराशिम् अवलोक्य ते प्रसन्नाः अभवन्, पितुः वचनस्य अभिप्राय ज्ञातम्। तदा केनापि वृद्धन कथितम्-भूमौ तु प्रभूत धन निखात परञ्च उद्यमेन (परिश्रमेण) एव लब्धु शक्यते।

(रामपुर गाँव में एक किसान रहता था। वह बहत वृद्ध था और बीमार था। उसके चार बेटे थे। वे झगडालू और थे। खेत बिना जुते और बिना बुवे पड़े थे। किसान उनसे बार-बार कहता है-खेती का काम करो, परन्तु वे तो कलह ही करते रहते हैं। एक दिन वृद्ध किसान मरणासन्न होता है। वह मृत्युशय्या पर ही सोता हुआ अपने बेटों को बुलाकर कहता है- पुत्रो! अब मैं प्राण त्यागना चाहता हूँ। मेरे पास धन नहीं है, जो-कुछ धन है वह खेतों में गड़ा हुआ है। इस प्रकार कहता हुआ वह वृद्ध दिवंगत हो गया।

बेटे अन्तिम संस्कार और श्राद्ध करके सोचने लगे-खेतों में धन है, अतः उन्हें खोदना चाहिए। चारों भाई खेतों को खोदने लगे। सब जगह गहरा से गहरा खोदा परन्तु कोई धन प्राप्त नहीं हुआ। धन प्राप्ति की आशा त्याग कर वे मौन बैठ गये। तभी वहाँ एक अन्य वृद्ध आ गया। वह बोला-खेत तो तुमने जोत और खोद ही दिये हैं, यदि हआ तो इनमें बीज ही बो दो। कछ तो फसल प्राप्त कर ही लोगे।

उन्होंने वैसा ही किया। सभी खेतों में बीज बोते हैं। वर्षा अच्छी हो गई थी। उससे खेतों में अच्छी फसल हुई। बहुत सा धान्य प्राप्त हुआ। अन्न राशि को देखकर वे प्रसन्न हो गये तथा पिता के वचनों का अभिप्राय समझे। तब किसी वृद्ध ने कहा-धरती में बहुत सारा धन गड़ा है, परन्तु परिश्रम से ही प्राप्त किया जा सकता है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

14. अहिंसा परमोधर्मः
[सङ्केतसूची-अहिंसाधर्मस्यैव, निन्दनीयम्, कर्त्तव्यम्, बुद्धस्य, धर्मेऽहिंसायाः, आततायिरूपेणायान्तम्, कटुवाकप्रयोगश्च,। अहिंसापालनस्य, भगवता, हन्यात्, पूज्यस्थानमासीत्, दुर्भावः, निरपराधानां।]
उत्तरम् :
निरपराधानां प्राणिनां हिंसनं न कर्त्तव्यम्, इत्यहिंसायाः भावः। अस्माकं धर्मेऽहिंसाया: स्थानं महत्त्वपूर्णमस्ति। अहिंसाधर्मस्यैव पालनेन भगवतः बुद्धस्य गणना दशावतारेषु क्रियते। भगवान् महावीरोऽपि अहिंसाधर्मस्यैव पालनेन सर्वेषां पूज्यस्थानमासीत्। निरपराधस्य कस्यापि जन्तोः हिंसनं नूनं निन्दनीयम्। अहिंसायाः पालनं मनसा, वाचा कर्मणा च कर्त्तव्यम्। कस्यापि विषये दुर्भावः कटुवाक्प्रयोगश्च हिंसैव गण्यते। भारतीयसंस्कृतौ केवलं धार्मिक-क्षेत्रे अहिंसापालनस्य महिमा गीत: नहि राजनीतिके व्यवहारे। स्मृतिकृता भगवता मनुना स्पष्टमेवोल्लिखितं यत् गुरूं, बालं वृद्धं वापि आततायिः रूपेणायान्तम् अविचारयन्नेव हन्यात्।

(निरपराध प्राणियों की हिंसा नहीं करनी चाहिए, यह अहिंसा का भाव है। हमारे धर्म में अहिंसा का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। अहिंसा-धर्म के पालन से ही भगवान बुद्ध की गणना दस अवतारों में की जाती है। भगवान् महावीर भी अहिंसा का ही पालन करने से सभी लोगों के सम्मान के पात्र थे। किसी भी निरपराध प्राणी की हिंसा करना निश्चय ही निन्दा करने योग्य है। अहिंसा का पालन मन से, वाणी से और कर्म से करना चाहिए।

किसी के भी बारे में बुरा विचार रखना और कठोर वचनों का प्रयोग करना हिंसा ही गिनी जाती है। भारतीय संस्कृति में केवल धर्म के क्षेत्र में अहिंसा-पालन की महिमा गाई गई है, न कि राजनीति के व्यवहार में। स्मृति-ग्रन्थ के रचनाकार भगवान् मनु ने स्पष्ट ही उल्लेख किया है कि आतातायी के रूप में आये हुए गुरु, बालक अथवा वृद्ध को भी बिना हुए सोचे ही मार देना चाहिए।)

15. वृक्षाणां महत्वम्
[कुर्वन्ति, बुभुक्षिातनां, खगमृगजलचरनराः, वर्षाशीतातपैः, सुखानि प्राणिनः,। पुष्पन्ति, नियन्ते, विचरन्ति, समाश्रयो।]
उत्तरम् :
वृक्षाः भूमौ उद्भवन्ति। वृक्षाः अपि मनुष्य इव भुक्त्वा पीत्वा च जीवन्ति। मूलानि वृक्षाणां मुखानि भवन्ति। ते पादैः जल पिबन्ति अतएव ‘पादपाः’ कथ्यन्ते। तेषां मूलानि भूमितः रसं गृहीत्वा सर्वान् अवयवान् नयन्ति, तेन ते प्रवर्धन्ते, पुष्पन्ति, फलन्ति च। वृक्षाः अपि वर्षाशीतातपैः प्रभाविताः भवन्ति। तेऽपि सुखानि दुःखानि च अनुभवन्ति। तेषु अपि प्राणा: भवन्ति, अतएव ते प्राणिनः इव जायन्ते, वर्धन्ते, पुष्पन्ति, फलन्ति म्रियन्ते च।

ते कदापि खगमगजलचरनराः इव न विचरन्ति अतः अचराः कथ्यन्ते। बहूपकारं कुर्वन्ति वृक्षाः प्राणिनाम्। ते अशरणानां शरणम्, बुभुक्षितानां भोजनम्, संतप्तानां समाश्रयाः, वश्रामगृहाणि सुखिना सोख्योपकरणानि अच्छत्रिणा छत्रम्, निरालम्बिना आलम्बनम्, प्राणवायुभिः प्राणदातारः, वृष्टिकारकाः, मृद्रक्षकाः, सुहृदश्च जगतः। वृक्षारोपणं वृक्षरक्षणं च अस्माकं रक्षायै परमावश्यकम्।

(वृक्ष भूमि पर उगते हैं। वृक्ष भी मनुष्य की तरह खाकर और पीकर जीवित रहते हैं। जड़ें वृक्षों की मुख होती हैं। वे पैरों से जल पीते हैं, इसलिए ‘पादप’ कहलाते हैं। उनकी जड़ें धरती से रस ग्रहण करके सभी अंगों में ले जाती हैं, उससे वे बढ़ते हैं, खिलते हैं और फलते हैं। वृक्ष भी वर्षा, सर्दी, धूप से प्रभावित होते हैं। वे भी सुख और दुःख का अनुभव करते हैं। उनमें भी प्राण होते हैं। अतएव वे प्राणियों की भाँति जन्म लेते हैं, बढ़ते हैं, फूलते, फलते और मरते हैं।

वे कभी भी पक्षी, पशु, जलचर और मनुष्यों की तरह विचरण नहीं करते हैं, अत: अचर कहलाते हैं। वृक्ष प्राणियों का बहुत उपकार करते हैं। वे अशरणों के शरण दाता हैं, भूखों के भोजन, संतप्तों के आश्रय, थके हुओं के विश्रामगृह, सुखियों के सुख-उपकरण, छत्ररहितों के छत्र, बेसहारों के सहारे, प्राणवायु द्वारा प्राण देने वाले, वर्षा करने वाले, मिट्टी की रक्षा करने वाले और जगत् के मित्र हैं। वृक्षारोपण और वृक्षों की रक्षा करना हमारी रक्षा के लिए परम आवश्यक है।)

16. प्रभातदृश्यम्।
[सङ्केतसूची-सर्वजीवान्, वृक्षशाखासु, स्फूर्तिमान्, प्रकृतिप्राङ्गणे, सत्त्वगुणस्य, साम्राज्य, भ्रमणार्थ, भवति, सूर्योदयात्, ओषधिः परमानंद, सर्वप्राणिषु, साफल्याय।]
उत्तरम् :
प्रभातकालः अतिमनोरमः भवति। सूर्योदयात् प्राक् उत्थाय प्रकोष्ठात् बहिः आगत्य प्रकृतिप्राङ्गणे विचरणम् उत्तमः ओषधिः। ये जनाः सूर्योदयात् प्राक् उत्थाय भ्रमणार्थं गच्छन्ति ते अरुणोदयं प्रेक्ष्य परमानन्दं अनुभवन्ति। रात्रौ वृक्षशाखासु निलीनाः खगाः अरुणोदयकाले कलरवं कुवन्ति। आकाशपटले लालिमायाः साम्राज्यं भवति। शनैः शनैः भगवान् भास्करः रक्तस्थालीवत् दृष्टिगोचरः भवति। प्रभातकालः सर्वजीवान् स्व-स्व कार्येषु योजयति। प्रभाते शरीरं स्फूर्तिमान् भवति। धार्मिकाः कथयन्ति यत् प्रात:काले सर्वप्राणिषु सत्वगुणस्य विवृद्धिर्भवति। एतस्मिन् काले कृतं कार्यं साफल्याय भवति।

समय अत्यन्त मनोरम होता है। सूर्योदय से पूर्व उठकर कमरे से बाहर आकर प्रकृति के आँगन में विचरण करना उत्तम औषधि है। जो लोग सूर्योदय से पहले उठकर घूमने के लिए जाते हैं, वे सूर्योदय देखकर परम आनन्द का अनुभव करते हैं। रात में वृक्षों की शाखाओं में छुपे हुए पक्षी सूर्योदय के समय कलरव करते हैं। आकाशपटल में लालिमा का साम्राज्य होता है। धीरे-धीरे भगवान भास्कर लाल थाली की तरह दृष्टिगोचर होते हैं। प्रभातकाल सभी जीवों को अपने-अपने कार्यों में लगा देता है। प्रभात में शरीर फुर्तीला होता है। धार्मिक (लोग) कहते हैं कि प्रभात काल में सभी प्राणियों में सत्वगुण की. वृद्धि होती है। इस समय में किया हुआ कार्य सफलता के लिए होता है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

17. होलिकोत्सवः
[सङ्केतसूची-होलिकोत्सवस्य, अग्निना, तेषु प्रमुखः, स्वयमेव, निर्देशन, भूत्वा, आयोजिताः, दहनेन, हिरण्यकशिपोः,। सम्बद्धः, वरप्रभावेण, प्रह्लाद, प्रज्ज्वलितेन, स्मृतिरूपेण।]
उत्तरम् :
अस्माकं देशे अनेके उत्सवाः आयोजिताः भवन्ति, होलिकोत्सवः तेषु प्रमुखः अस्ति। भारतीयसंस्कृती होलिकोत्सवस्य विशिष्टं महत्वं वर्तते। हिरण्यकशिपोः भगिन्या: होलिकायाः दहनेन अयम् उत्सवः सम्बद्धः अस्ति। सा देवस्य वरप्रभावेण अग्निना दग्धा न भवति स्म। अतएव हिरण्यकशिपोः निर्देशेन सा प्रहलादम् अङ्के उपावेश्य अग्नौ उपविष्टवती।

परन्तु प्रह्लादस्य भक्त्या प्रसन्नो भूत्वा नारायणः प्रहलादं रक्षितवान्। प्रज्ज्वलितेन अग्निना सा स्वयमेव दग्धा। तस्याः घटनायाः स्मृतिरूपेण प्रतिवर्ष फाल्गुन-पूर्णिमावसरे होलिकोत्सवः भवति। – (हमारे देश में अनेक उत्सव आयोजित होते हैं। होलिकोत्सव उनमें से प्रमुख है। भारतीय संस्कृति में होली के उत्सव का विशेष महत्व होता है। हिरण्यकशिपु की बहिन होलिका के दहन से यह उत्सव सम्बन्ध रखता है।

वह देवता के वर के से अग्नि से जलती नहीं थी। अतः हिरण्यकशिपु के निर्देशानुसार वह प्रहलाद को गोद में बैठाकर आग में बैठ गई। परन्तु प्रहलाद की भक्ति से प्रसन्न होकर नारायण ने प्रहलाद की रक्षा की। जलती हुई आग के द्वारा वह स्वयं ही जला दी गई। उस घटना की स्मृति के रूप में फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर होली का उत्सव होता है।)

18. विद्यालयस्य वार्षिकोत्सवः
[सङ्केतसूची-प्रतियोगितासु, वार्षिकोत्सवः, राजकीयः, अस्माकं, व्यवस्था, विद्यालयस्य, शतप्रतिशतः, मुख्यातिथिः।]
उत्तरम् :
अस्माकं विद्यालयः राजकीयः विद्यालयः अस्ति। अत्र पठनस्य तु श्रेष्ठा व्यवस्था अस्ति. एव, युगपदेव क्रीडानामपि सुलभा व्यवस्था अस्ति। अतएव अस्माकं विद्यालयस्य सर्वासां कक्षाणां परिणामः शतप्रतिशतं भवति। क्रीडानां प्रतियोगितासु अपि अस्माकं विद्यालयस्य छात्राः बहून् पुरस्कारान् अलभन्त। अस्माकं विद्यालयस्य वार्षिकोत्सवः परह्यः सम्पन्नो जातः। अस्माक प्रदेशस्य राज्यपाल: मुख्यातिथिः आसीत्।

(हमारा विद्यालय राजकीय विद्यालय है। यहाँ पढ़ाई की तो श्रेष्ठ व्यवस्था है ही साथ-साथ खेलों की भी व्यवस्था सुलभ है। इसलिए हमारे विद्यालय की सभी कक्षाओं का परिणाम शत-प्रतिशत रहता है। खेल प्रतियोगिताओं में भी हमारे विद्यालय के छात्रों ने बहुत पुरस्कार प्राप्त किये। हमारे विद्यालय का वार्षिक उत्सव परसों सम्पन्न हुआ। हमारे प्रदेश के राज्यपाल मुख्य अतिथि थे।)

19. चलभाषितयंत्रम्।
[सङ्केतसूची-आरूढाः, युवकाः, कक्षासु, यन्त्रम्, चलन्तः, आविष्कारः, नवीनतमान्, कार्येषु, अधिकतमा, लोकप्रियं,। कर्मकराः, कर्णभूषणं, प्रवचनं, अविवेकपूर्णः, दुर्घटना, दुष्प्रयोगेण।]
उत्तरम् :
वैज्ञानिकाः सञ्चारसाधनेषु प्रतिदिनं नवीनतमान् आविष्कारान् कुर्वन्ति येन सन्देशप्रेषणे अधिकतमा सुविधा स्यात्। चलभाषितयन्त्रम् (मोबाइल-सैलफोन) तादृशमेव लोकप्रियं यन्त्रम्। बालोः, वृद्धाः, युवकाः, पुरुषाः, महिलाः नागरिकाः, ग्रामीणाः कर्मकराः च सर्वेषाम् एव एतत् कर्णभूषणं जातम्। यानानि आरूढाः, कार्यालयेषु कार्य कुर्वन्तः, मार्गेषु चलन्तः, सभागारेषु प्रवचनं शृण्वन्तः जनाः अस्य ध्वनिं श्रुत्वा वार्तामग्नाः भवन्ति। अविवेकपूर्णः अस्य प्रयोगः कार्येषु व्यवधानं करोति। मार्गेषु दुर्घटनाः भवन्ति। सभागारेषु, कक्षासु अन्य स्थानेषु च अव्यवस्था भवति। सत्यमस्ति यत् आविष्कार: कदापि हानिकरः न, परन्तु तस्य दुष्प्रयोगेण जीवनस्य शान्ति: नश्यति।

(वैज्ञानिक संचार के साधनों में प्रतिदिन नवीनतम आविष्कार कर रहे हैं जिससे सन्देश भेजने में अधिकतम सुविधा हो। मोबाइल-सैलफोन इसी प्रकार का लोकप्रिय यन्त्र है। बच्चे, वृद्ध, युवा, पुरुष, स्त्रियाँ, नगरवासी, ग्रामीण और कर्मचारी (नौकर) सभी का यह कान का आभूषण बन गया है। वाहनों पर आरूढ़, कार्यालय में काम करते हुए, मार्गों पर चलते हुए सभागारों में प्रवचन सुनते हुए लोग इसकी आवाज सुनकर बात करने में मग्न हो जाते हैं। इसका अविवेकपूर्ण प्रयोग कार्यों में अड़चन पैदा करता है। मार्गों में दुर्घटनाएँ होती हैं। सभागारों में, कक्षाओं में और अन्य स्थानों पर अव्यवस्था होती है। यह सच है कि आविष्कार कभी हानिकारक नहीं’ परन्तु उसका दुष्प्रयोग करने से जीवन की शान्ति नष्ट हो जाती है।)

JAC Class 9 Sanskrit रचना संकेताधारित अनुच्छेदलेखनम्

20. धनस्य महत्त्वम्
[सङ्केतसूची-हरिष्यति, महत्वम्, भोजनम्, धनस्य, धनार्जन, अधिकाधिक, प्रच्छादनाय, प्रयोग, जीवननिवहिः, लोभेन,। दु:खमेव, रक्षणे, उचितसाधनैः, कुर्याम, असहायाः।]
उत्तरम् :
जीवने धनस्य अत्यधिक महत्वम् अस्ति। धनेन जीवननिर्वाहः भवति। धनं विना वयं कथं भोजनम् अपि प्राप्तुं शक्नुमः? परन्तु यदि लोभेन वयम् अन्धः भूत्वा अधिकाधिकं धनं प्राप्तुम् इच्छामः, अनुचितसाधनानां प्रयोगं कुर्मः, तर्हि तेन धनेन दुःखमेव भविष्यति। तस्य रक्षणे एव समय: व्यतीतः भवति। कोऽपि तद् हरिष्यति इति चिन्ताप्रतिक्षणं वर्धते। धनाभिमानं विवेकं नाशयति। कृष्णधनस्य प्रच्छादनाय महान् क्लेशः भवति। अतः वयम् उचितसाधनैः एवं धनार्जनं कुर्याम, कस्मै अपि ईां न कुर्याम अपितु यथाशक्ति ये असहाया: सन्ति-तेषां-साहाय्यं कुर्याम। त्यागेन एव धनस्य संरक्षणं भवति।

(जीवन में धन का अत्यधिक महत्व होता है। धन से जीवन-निर्वाह होता है। धन के बिना हम भोजन भी कैसे प्राप्त कर सकते हैं? परन्तु यदि हम लोभ से अन्धे होकर अधिकाधिक धन प्राप्त करना चाहते हैं, अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं, होगा। उसके संरक्षण में ही समय व्यतीत होता है। कोई उसका हरण कर लेगा, इस प्रकार की चिन्ता प्रतिक्षण बढ़ती है। धन का अभिमान विवेक का नाश करता है। काले धन को छिपाने में महान् कष्ट होता है। अतः हमें उचित साधनों से ही धनार्जन करना चाहिए, किसी से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए, अपितु जो असहाय हैं-उनकी यथाशक्तिक सहायता करनी चाहिए। त्याग से ही धन की रक्षा होती है।)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Question 1.
Plot the point (3, 4) on a graph paper.
Solution :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry - 1
Let XX’ and YY’ be the coordinate axes. Here given point is P(3, 4). First we move 3 units along OX as 3 is positive and we arrive at a point M. Now from M we move 4 units vertically upward as 4 is positive. Then we arrive at P(3, 4).

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Question 2.
Write the quadrants for the following points.
(i) A(3, 4)
(ii) B(-2, 3)
(iii) C(-5, -2)
(iv) D(4, -3)
(v) E(-5, -5)
Solution :
(i) Here both coordinates are positive therefore point A lies in Ist quadrant.
(ii) Here x-coordinate is negative and y-coordinate is positive therefore point B lies in 2nd quadrant.
(iii) Here both coordinates are negative therefore point lies in 3rd quadrant.
(iv) Here x-coordinate is positive and y-coordinate is negative therefore point D lies in 4th quadrant.
(v) Here both corrdinates are negative therfore point E lies in 3rd quadrant.

Question 3.
Plot the following points on the graph paper.
(i) A(2, 5)
(ii) B(-5, -7)
(iii) C(3, -2)
(iv) D(0, 5)
(v) E(5, 0)
Solution :
Let XOX’ and YOY’ be the coordinate axes.
Then the given points may be plotted as given below:
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry - 2

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Question 4.
Find the distance between
(i) (5, 3) and (3, 2)
(ii) (-1, 4) and (2, -3)
(iii) (a, b) and (-b, a)
Solution :
Let d1, d2, d3 be the required distances. By using the distance formula, we have
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry - 3

Multiple Choice Questions

Question 1.
The abscissa of a point is the distance of the point from :
(a) x-axis
(b) y-axis
(c) Origin
(d) None of these
Solution :
(b) y-axis

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Question 2.
The y-coordinate of a point is the distance of that point from:
(a) x-axis
(b) y-axis
(c) Origin
(d) None of these
Solution :
(a) x-axis

Question 3.
If both coordinates of any point are negative then that point will lie in:
(a) First quadrant
(b) Second quadrant
(c) Third quadrant
(d) Fourth quadrant
Solution :
(c) Third quadrant

Question 4.
If the abscissa of any point is zero then that point will lie:
(a) on x-axis
(b) on y-axis
(c) at origin
(d) None of these
Solution :
(b) on y-axis

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 3 Coordinate Geometry

Question 5.
The distance of the point (3, 5) from x-axis is:
(a) \(\sqrt{34}\)
(b) 3
(c) 5
(d) None of these
Solution :
(c) 5

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 1.
Find the value of:
(i) 36x2 + 49y2 + 84xy, when x = 3, y = 6
(ii) 25x2 + 16y2 – 40xy, when x = 6, y = 7
Solution :
(i) 36x2 + 49y2 + 84xy
= (6x)2 + (7y)2 + 2 × (6x) × (7y)
= (6x + 7y)2
= (6 × 3 + 7 × 6)2 [When x = 3, y = 6]
= (18 + 42)2 = (60)2 = 3600

(ii) 25x2 + 16y2 – 40xy
= (5x)2 + (4y)2 – 2 × (5x) × (4y)
= (5x – 4y)2
= (5 × 6 – 4 × 7)2 [When x = 6, y = 7]
= (30 – 28)2 = 22 = 4

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 2.
If x2 + \(\frac{1}{x^2}\) = 23, find the value of (x + \(\frac {1}{x}\)), where x > 0
Solution :
x2 + \(\frac{1}{x^2}\) = 23 …. (i)
⇒ x2 + \(\frac{1}{x^2}\) + 2 = 25
[Adding 2 on both sides of (i)]
⇒ (x2) + (\(\frac {1}{x}\))2 + 2 × x × \(\frac {1}{x}\) = 25
⇒ (x + \(\frac {1}{x}\))2 = (5)2
⇒ x + \(\frac {1}{x}\) = 5 (∵ x > 0)

Question 3.
Prove that a2 + b2 + c2 – ab – bc – ca = \(\frac {1}{2}\) [(a – b)2 + (b – c)2 + (c – a)2].
Solution :
Here, L.H.S. = a2 + b2 + c2 – ab – bc – ca
= \(\frac {1}{2}\) [2a2 + 2b2 + 2c2 – 2ab – 2bc – 2ca]
= \(\frac {1}{2}\) [(a2 – 2ab + b2) + (b2 – 2bc + c2) + (c2 – 2ca + a2)]
= \(\frac {1}{2}\) [(a2 – 2ab + b2) + (b2 – 2bc + c2) + (c2 – 2ca + a2)]
= \(\frac {1}{2}\) [(a – b)2 + (b – c)2 + (c – a)2]
= R.H.S
Hence, proved.

Question 4.
Evaluate :
(i) (107)2
(ii) (94)2
(iii) (0.99)2
Solution :
(i) (107)2 = (100 + 7)2
= (100)2 + (7)2 + 2 × 100 × 7
= 10000 + 49 + 1400 = 11449

(ii) (94)2
= (100 – 6)2 = (100)2 + (6)2 – 2 × 100 × 6
= 10000 + 36 – 1200 = 8836

(iii) (0.99)2
= (1 – 0.01)2 = (1)2 + (0.01)2 – 2 × 1 × 0.01
= 1 + 0.0001 -0.02 = 0.9801

NOTE: We may extend the formula for squaring a binomial to the squaring of a trinomial as given below. (a + b + c) = (a + (b + c)]2 = a2 + (b + c)2 + 2 × a × (b + c)
[Using the identity for the square of binomial]
= a2 + b2 + c2 + 2bc + 2a (b + c)
[Using (b + c)2 = b2 + c2 + 2bc]
= a2 + b2 + d2 + 2bc + 2ab + 2ac
[Using the distributive law]
= a2 + b2 + c2 + 2ab + 2bc + 2ac
∴ (a + b + c)2 = a2 + b2 + c2 + 2ab + 2bc + 2ac

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 5.
Simplify : (3x + 4)3 – (3x – 4)3.
Solution :
We have
(3x + 4)3 – (3x – 4)3 = [(3x)3 + (4)3 + 3 × 3x × 4 × (3x + 4)] – [(3x)3 – (4)3 – 3 × 3x × 4 × (3x – 4)]
= [27x3 + 64 + 36x (3x + 4)] – [27x3 – 64 – 36x (3x – 4)]
= [27x3 + 64 + 108x2 + 144x] – [27x3 – 64 – 108x2 + 144x]
= 27x3 + 64 + 108x2 + 144x – 27x3 + 64 + 108x2 – 144x
= 128 + 216x2
∴ (3x + 4)3 – (3x – 4)3 = 128 + 216x2

Question 6.
Evaluate:
(i) (1005)3
(ii) (997)3
Solution :
(i) (1005)3 = (1000 + 5)3
= (1000)3 + (5)3 + 3 × 1000 × 5 × (1000 + 5)
= 1000000000 + 125 + 15000 × (1000 + 5)
= 1000000000 + 125 + 15000000 + 75000
= 1015075125

(ii) (997)3 = (1000 – 3)3
= (1000)3 – (3)3 – 3 × 1000 × 3 × (1000 – 3)
= 1000000000 – 27 – 9000 × (1000 – 3)
= 1000000000 – 27 – 9000000 + 27000
= 991026973

Question 7.
If x – \(\frac {1}{x}\) = 5, find the value of x3 – \(\frac{1}{\mathrm{x}^3}\).
Solution :
We have, x – \(\frac {1}{x}\) = 5 ……….(i)
(x – \(\frac {1}{x}\))3 = (5)3
[Cubing both sides of (i)]
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 1

Question 8.
Find the products of the following expressions :
(i) (4x + 3y) (16x2 – 12xy + 9y2)
(ii) (5x – 2y) (25x2 + 10xy + 4y2)
Solution :
(i) (4x + 3y) (16x2 – 12xy + 9y2)
= (4x + 3y) [(4x)2 – (4x) × (3y) + (3y)2]
We know that (a + b) (a2 – ab + b2)
= a3 + b3 [Where a = 4x, b = 3y]
= (4x)3 + (3y)3 = 64x3 + 27y3

(ii) (5x – 2y) (25x2 + 10xy + 4y2)
= (5x – 2y) [(5x)2 + (5x) × (2y) + (2y)2]
We know that (a – b)(a2 + ab + b2)
= a3 – b3 [Where a = 5x, b = 2y]
= (5x)3 – (2y)3 = 125x3 – 8y3

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 9.
Simplify:
\(\frac{\left(a^2-b^2\right)^3+\left(b^2-c^2\right)^3+\left(c^2-a^2\right)^3}{(a-b)^3+(b-c)^3+(c-a)^3}\)
Solution :
Here (a2 – b2) + (b2 – c2) + (c2 – a2) = 0
∴ (a2 – b2)3 + (b2 – c2)3 + (c2 – a2)3
= 3(a2 – b2)(b2 – c2) (c2 – a2)
= 3(a – b)(a + b)(b – c)(b + c) (c – a) (c + a)
Also, (a – b) + (b – c) + (c – a) = 0
∴ (a – b)3 + (b – c)3 + (c – a)3
= 3(a – b)(b – c)(c – a)
∴ Given expression
= \(\frac{3(a-b)(a+b)(b-c)(b+c)(c-a)(c-b)}{3(a-b)(b-c)(c-b)}\)
= (a + b)(b + c)(c + a)

Question 10.
Prove that : (x – y)3 + (y – z)3 + (z – x)3 = 3(x – y) (y – z) (z – x).
Solution :
Let (x – y) = a, (y – z) = b and (z – x) = c.
Then, a + b + c
= (x – y) + (y – z) + (z – x) = 0
∴ a3 + b3 + c3 = 3abc
Or (x – y)3 + (y – z)3 + (z – x)3
= 3(x – y) (y – z) (z – x)

Question 11.
Find the value of (28)3 + (-78)3 + (50)3
Solution :
Let a = 28, b = – 78, c = 50
Then, a + b + c = 28 – 78 + 50 = 0
∴ a3 + b3 + c3 = 3abc
So, (28)3 + (-78)3 + (50)3 = 3 × 28 × (-78) × 50
= – 327600

Question 12.
If a + b + c = 9 and ab + bc + ac = 26, find the value of a3 + b3 + c3 – 3abc.
Solution :
We have a + b + c = 9 ……(i)
⇒ (a + b + c)2 = 81
[On squaring both sides of (i)]
⇒ a2 + b2 + c2 + 2(ab + bc + ac) = 81
⇒ a2 + b2 + c2 + 2 × 26 = 81
[∵ ab + bc + ac = 26]
⇒ a2 + b2 + c2 = (81 – 52)
⇒ a2 + b2 + c2 = 29
Now, we have
a3 + b3 + c3 – 3abc
= (a + b + c)(a2 + b2 + c2 – ab – bc – ac)
= (a + b + c)[(a2 + b2 + c2) – (ab + bc + ac)]
= 9 × [(29 – 26)] = (9 × 3) = 27

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 13.
Find the following products:
(i) (x + 2) (x + 3)
(ii) (x + 7) (x – 2)
(iii) (y – 4) (y – 3)
(iv) (y – 7) (y + 3)
(v) (2x – 3) (2x + 5)
(vi) (3x + 4) (3x – 5)
Solution :
Using the identity: (x + a) (x + b)
= x2 + (a + b) x + ab, we have
(i) (x + 2)(x + 3) = x2 + (2 + 3) x + 2 × 3
= x2 + 5x + 6,

(ii) (x + 7)(x – 2) = (x + 7)(x + (-2))
= x2 + {7 + (-2)} x + 7 × (-2)
= x2 + 5x – 14.

(iii) (y – 4) (y – 3) = {y + (-4)} {y + (-3)
= y2 + {(-4) + (-3)} y + (-4) × (-3)
= y2 – 7y + 12

(iv) (y – 7)(y + 3) = {y + (-7)} (y + 3)
= y2 +{(-7) + 3} y + (-7) × 3
= y2 – 4y – 21

(v) (2x – 3) (2x + 5)
= (y – 3) (y + 5), where y = 2x
= {y + (-3)} (y + 5)
= y2 + {(-3) + 5} y + (-3) × 5
= y2 + 2y – 15
= (2x)2 + 2 × 2x – 15
= 4x2 + 4x – 15.

(vi) (3x + 4) (3x – 5)
= (y + 4) (y – 5), where y = 3x
= (y + 4) {y + (-5)}
= y2 + {4 + (-5)} y + 4 × (-5)
= y2 – y – 20 = (3x)2 – 3x – 20
= 9x2 – 3x – 20

Question 14.
Evaluate:
(i) 35 × 37
(ii) 103 × 96
Solution :
(i) 35 × 37 = (40 – 5) (40 – 3)
= (40 + (-5)) (40+ (-3))
= 402 + (- 5 – 3) × 40 + (- 5 × – 3)
= 1600 – 320 + 15
= 1615 – 320
= 1295

(ii) 103 × 96 = (100 + 3) [100 + (-4)]
= 1002 + (3 + (-4)) × 100 + (3 × – 4)
= 10000 – 100 – 12
= 9888

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 15.
Factorise : 81a2b2c2 + 64a2b2 – 144a2b2c
Solution :
81a2b2c2 + 64a6b2 – 144a2b2c
= [9abc]2 – 2 [9abc][8a3b] + [8a3b]2
= [9abc – 8a3b]2 = a2b2 [9c – 8a2]2
= a2b2(9c – 8a2) (9c – 8a2)

Question 16.
Factorise :
(3a – \(\frac {1}{b}\))2 – 6(3a – \(\frac {1}{b}\)) + 9 + (c + \(\frac {1}{b}\) – 2a) (3a – \(\frac {1}{b}\) – 3)
Solution :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 2

Question 17.
Factorise: 4(2a + 3b – 4c)2 – (a – 4b + 5c)2
Solution :
4(2a + 3b – 4c)2 – (a – 4b + 5c)2
= [2(2a + 3b – 4c)]2 – (a – 4b + 5c)2
= (4a + 6b – 8c)2 – (a – 4b + 5c)2
= [4a + 6b – 8c + a – 4b + 5c] [4a + 6b – 8c – a + 4b – 5c]
= (5a + 2b – 3c) (3a + 10b – 13c)

Question 18.
Factorise: 4x2 + \(\frac{1}{4 x^2}\) + 2 – 9y2
Solution :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 3

Question 19.
Factorise :
a4 + \(\frac{1}{a^4}\) – 3.
Solution :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 4

Question 20.
Factorise : x4 + x2y2 + y4
Solution :
x4 + x2y2 + y4 = (x2)2 + 2.x2.y2 + (y2)2 – x2y2
= (x2 + y2)2 – (xy)2
= (x2 + y2 + xy) (x2 + y2 – xy)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 21.
Factorise: 64a13b + 343ab13.
Solution :
64a13b + 343ab13 = ab[64a12 + 343b12)
= ab[(4a4)3 + (7b4)3]
= ab[4a4 + 7b4) [(4a4)2 – (4a4) (7b4) + (7b4)2]
= ab[4a4 + 7b4][16a8 – 28a4b4 + 49b8]

Question 22.
Factorise : p3q2x4 + 3p2qx3 + 3px2 + \(\frac {x}{q}\) – q2r3x
Solution :
In above question, if we take common then it may become in the form of a3 + b3.
∴ p3q2x4 + 3p2qx3 + 3px2 + \(\frac {x}{q}\) – q2r3x
= \(\frac {x}{q}\) [p3q3x3 + 3p2q2x2 + 3pqx + 1 – q3r3]
= \(\frac {x}{q}\)(pqx)3 + 3(pqx)2 × 1 + 3pqx × (1)2 + (1)3 – q3r3]
Let pqx = A and 1 = B
= \(\frac {x}{q}\) [A3 + 3A2B + 3AB2 + B3 – q3r3]
= \(\frac {x}{q}\) [(pqx + 1) – (qr)3]
= [pqx + 1 – qr] (pqx + 1)2 + (pqx + 1)qr + (ar)]
= [pqx + 1 – qr] [p2q2x + 1 + 2pqx + pqxr + 4r + q2r2]

Question 23.
Factorise : x3 – 6x2 + 32
Solution :
x3 + 32 – 6x2 = x3 + 8 + 24 – 6x2
= [(x)3 + (2)3] + 6[4 – x2]
= (x + 2) [x2 – 2x + 4] + 6[2 + x] [2 – x]
= (x + 2) [x2 – 2x + 4 + 6(2 – x)]
= (x + 2) [x2 – 2x + 4 + 12 – 6x]
= (x + 2) (x2 – 8x + 16)
= (x + 2) (x – 4)2
= (x + 2) (x – 4) (x – 4)

Question 24.
Show that x = 2 is a zero of 2x3 + x2 – 7x – 6.
Solution :
p(x) = 2x3 + x2 – 7x – 6
p(2) = 2(2)3 + (2)2 – 7(2) – 6
= 16 + 4 – 14 – 6 = 0
Hence x = 2 is a zero of p(x).

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 25.
If x = \(\frac {4}{3}\) is a zero of the polynomial f(x) = 6x3 – 11x2 + kx – 20 then find the value of k.
Solution :
f(x) = 6x3 – 11x + kx – 20
x = \(\frac {4}{3}\) is a zero of f(x)
⇒ f(\(\frac {4}{3}\)) = 0
⇒ 6(\(\frac {4}{3}\))3 – 11(\(\frac {4}{3}\))2 + k(\(\frac {4}{3}\)) – 20 = 0
⇒ 6 × \(\frac{64}{9 \times 3}\) – 11 × \(\frac {16}{9}\) + \(\frac {4k}{3}\) – 20 = 0
⇒ 128 – 176 + 12k – 180 = 0
⇒ 12k + 128 – 356 = 0
⇒ 12k = 228
⇒ k = 19

Question 26.
If x = 2 and x = 0 are two zeroes of the polynomial f(x) = 2x3 – 5x2 + ax + b, find the values of a and b.
Solution :
f(2) = 2(2)3 – 5(2)2 + a(2) + b = 0
⇒ 16 – 20 + 2a + b = 0
⇒ 2a + b = 4 ………..(i)
⇒ f(0) = 2(0)3 – 5(0)2 + a(0) + b = 0
⇒ b = 0
So, 2a = 4 ⇒ a = 2 [using (i)]
Hence, a = 2, b = 0

Question 27.
Find the remainder when f(x) = x3 – 6x2 + 2x – 4 is divided by g(x) = 1 – 2x.
Solution :
1 – 2x = 0
2x = 1
x = \(\frac {1}{2}\)
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 5

Question 28.
The polynomials ax3 + 3x2 – 13 and 2x3 – 5x + a are divided by x + 2 if the remainder in each case is the same, find the value of a.
Solution :
p(x) = ax3 + 3x2 – 13 and q(x) = 2x3 – 5x + a
x + 2 = 0
⇒ x = – 2
p(-2) = q(-2)
⇒ a(-2)3 + 3(-2)2 – 13 = 2(-2)3 – 5(-2) + a
⇒ – 8a + 12 – 13 = – 16 + 10 + a
⇒ – 9a = -5
⇒ a = \(\frac {5}{9}\)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 29.
Show that x + 1 and 2x – 3 are factors of 2x3 – 9x2 + x + 12.
Solution :
To prove that (x + 1) and (2x – 3) are factors of p(x) = 2x3 – 9x2 + x + 12, it is sufficient to show that p(-1) and P(\(\frac {3}{2}\)) both are equal to zero.
p(-1) = 2(-1)3 – 9(-1)2 + (-1) + 12
= – 2 – 9 – 1 + 12 = – 12 + 12 = 0
p(\(\frac {3}{2}\)) = 2(\(\frac {3}{2}\))3 – 9(\(\frac {3}{2}\))2 + \(\frac {3}{2}\) + 12
= \(\frac{27}{4}-\frac{81}{4}+\frac{3}{2}\) + 12
= \(\frac{27-81+6+48}{4}=\frac{81-81}{4}\) = 0
Hence, (x + 1) and (2x – 3) are the factors
2x3 – 9x2 + x + 12.

Question 30.
Find α and β if x + 1 and x + 2 are factors of p(x) = x3 + 3x2 – 2αx + β.
Solution :
When we put x + 1 = 0 or x = – 1 and x + 2 = 0 or x = – 2 in p(x)
Then, p(-1) = 0 and p(-2) = 0 as x + 1 and x + 2 are factors of p(x)
Therefore, p(-1) = (-1)3 + 3(-1)2 – 2α(-1) + β = 0
⇒ – 1 + 3 + 2α + B = 0
⇒ β = – 2α – 2 ….(i)
And, p(-2) = (-2)3 + 3(-2)2 – 2α(-2) + β = 0
⇒ – 8 + 12 + 4α + β = 0
⇒ β = – 4α – 4 ….(ii)
From equations (i) and (ii),
– 2α – 2 = – 4α – 4
⇒ 2α = -2
⇒ α = – 1
Put α = -1 in equation (i)
⇒ β = – 2(-1) – 2 = 2 – 2 =0.
Hence, α = – 1, β = 0.

Question 31.
Using factor theorem, factorize:
p(x) = 2x4 – 7x3 – 13x2 + 63x – 45
Solution :
45 has ± 1, ± 3, ± 5, ± 9, ± 15, ± 45 as its factors
If we put x = 1 in p(x)
p(1) = 2(1)4 – 7(1)3 – 13(1)2 + 63(1) – 45
= 2 – 7 – 13 + 63 – 45
= 65 – 65 = 0
∴ x – 1 is a factor of p(x) by factor theorem
Similarly, if we put x = 3 in p(x)
p(3) = 2(3)4 – 7(3)3 – 13(3)2 + 63(3) – 45
= 162 – 189 – 117 + 189 – 45
= 162 – 162 = 0
Hence, x – 3 is the factor of p(x) by factor theorem.
p(x) = 2x4 – 7x3 – 13x2 + 63x – 45
= 2x4 – 2x3 – 5x3 + 5x2 – 18x2 + 18x + 45x – 45
∴ p(x) = 2x3(x – 1) – 5x2(x – 1) – 18x(x – 1) + 45(x – 1)
⇒ p(x) = (x – 1)(2x3 – 5x2 – 18x + 45)
⇒ p(x)= (x – 1)(2x3 – 6x2 + x2 – 3x – 15x + 45]
⇒ p(x) =(x – 1)[2x3(x – 3) + x(x – 3) – 15(x – 3)]
⇒ p(x) = (x – 1)(x – 3)(2x2 + x – 15)
⇒ p(x) = (x – 1)(x – 3)(2x2 + 6x – 5x – 15)
⇒ p(x) = (x – 1)(x – 3)[2x(x + 3) – 5(x + 3)]
⇒ p(x) = (x – 1)(x – 3)(x + 3)(2x – 5)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 32.
Factorise : x2 – 31x + 220.
Solution :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials - 6

Question 33.
Factorise :
2x2 + 12\(\sqrt{2}\)x + 35.
Solution :
2x2 + 12\(\sqrt{2}\)x + 35
Product ac = 70 and b = 12\(\sqrt{2}\)
∴ Split the middle term as 7\(\sqrt{2}\) and 5\(\sqrt{2}\).
⇒ 2x2 + 12\(\sqrt{2}\) x + 35
= 2x2 + 7\(\sqrt{2}\)x + 5\(\sqrt{2}\)x + 35
= \(\sqrt{2}\)x[\(\sqrt{2}\)x + 7] + 5[\(\sqrt{2}\)x + 7]
= [\(\sqrt{2}\)x + 5]\(\sqrt{2}\)x + 7]

Question 34.
Factorise: x2 – 14x + 24.
Solution :
Product ac = 24 and b = – 14
∴ Split the middle term as – 12 and – 2
⇒ x2 – 14x + 24 = x2 – 12x – 2x + 24
⇒ x(x – 12) – 2(x – 12) = (x – 12)(x – 2)

Question 35.
Factorise :
x2 – \(\frac {13}{24}\)x – \(\frac {1}{12}\)
Solution :
x2 – \(\frac {13}{24}\)x – \(\frac {1}{12}\) = \(\frac {1}{24}\) (24x2 – 13x – 2)
ac = – 48 and b = – 13
∴ Wesplit the middle term as – 16x + 3x.
= \(\frac {1}{24}\)(24x2 – 16x + 3x – 2)
= \(\frac {1}{24}\)[8x(3x – 2) + 1(3x – 2)]
= \(\frac {1}{24}\)(3x – 2)(8x + 1)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 36.
Factorise : \(\frac {3}{2}\)x2 – 8x – \(\frac {35}{2}\)
Solution :
= \(\frac {1}{2}\)(3x2 – 16x – 35)
= \(\frac {1}{2}\)(3x2 – 21x + 5x – 35)
= \(\frac {1}{2}\)[3x(x – 7) + 5(x – 7)]
= \(\frac {1}{2}\)(x – 7)(3x + 5)

Question 37.
If f(x) = 2x3 – 13x2 + 17x + 12 then find out the value of f(-2) and f(3).
Solution :
f(x) = 2x2 – 13x2 + 17x + 12
f(-2) = 2(-2)3 – 13(-2)2 + 17 (-2) + 12
= – 16 – 52 – 34 + 12
= – 90
f(3) = 2(3)3 – 13(3)2 + 17(3) + 12
= 54 – 117 + 51 + 12
= 0

Question 8.
Factorise: – 8 + 9(a – b)6 – (a – b)12
Solution :
– 8 + 9(a – b)6 – (a – b)12
Let (a – b)6 = x
Then – 8 + 9x – x2 = – (x2 – 9x + 8)
= – (x2 – 8x – x + 8)
= – (x – 8)(x – 1)
= – [(a – b)6 – 8][(a – b)6 – 1]
= [1 – (a – b)6][(a – b)6 – 8]
= [(1)3 – {(a – b)2}3][{(a – b)2}3 – (2)3]
= [1 – (a – b)2][1 + (a – b)4 + (a – b)2][(a – b)2 – 2][(a – b)4 + 4 + 2(a – b)2]

Multiple Choice Questions

Question 1.
The product of (x + a) (x + b) is:
(a) x2 + (a + b) x + ab
(b) x2 – (a – b) x + ab
(c) a2 + (a – b)x + ab
(d) x2 + (a – b)x – ab
Solution :
(a) x2 + (a + b) x + ab

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 2.
The value of 150 × 98 is :
(a) 10047
(b) 14800
(c) 14700
(d) 10470
Solution :
(c) 14700

Question 3.
The expansion of (x + y – z)2 is :
(a) x2 + y2 + z2 + 2xy + 2yz + 2zx
(b) x2 + y2 – z2 – 2xy + yz + 2zx
(c) x2 + y2 + z2 + 2xy – 2yz – 2zx
(d) x2 + y2 – z2 + 2zy – 2yz – 2zx
Solution :
(c) x2 + y2 + z2 + 2xy – 2yz – 2zx

Question 4.
The value of (x + 2y + 2z)2 + (x – 2y – 2z)2 is :
(a) 2x2 + 8y2 + 8z2
(b) 2x2 + 8y2 + 8z2 + 8xyz
(c) 2x2 + 8y2 + 8z2 – 8yz
(d) 2x2 + 8y2 + 8z2 + 16yz
Solution :
(d) 2x2 + 8y2 + 8z2 + 16yz

Question 5.
The value of 25x2 + 16y2 + 40xy at x = 1 and y = – 1 is :
(a) 81
(b) – 49
(c) 1
(d) None of these
Solution :
(c) 1

Question 6.
On simplifying (a + b)3 + (a – b)3 + 6a(a2 – b2) we get:
(a) 8a2
(b) 8a2b
(c) 8a3b
(d) 8a3
Solution :
(d) 8a3

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 7.
Find the value of \(\frac{a^3+b^3+c^3-3 a b c}{a b+b c+c a-a^2-b^2-c^2}\) when a = – 5, b = – 6, c = 10.
(a) 1
(b) -1
(c) 2
(d) -2
Solution :
(a) 1

Question 8.
In method of factorisation of an algebraic expression, which of the following statements is false?
(a) Taking out a common factor from two or more terms.
(b) Taking out a common factor from a group of terms.
(c) By using remainder theorem.
(d) By using standard identities.
Solution :
(c) By using remainder theorem.

Question 9.
Factors of (a + b)3 – (a – b)3 is:
(a) 2ab(3a2 + b2)
(b) ab(3a2 + b2)
(c) 2b(3a2 + b2)
(d) 3a2 + b2
Solution :
(c) 2b(3a2 + b2)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 10.
Degree of zero polynomial is :
(a) 0
(b) 1
(c) Both 0 and 1
(d) Not defined
Solution :
(d) Not defined

Question 11.
Factors of (42 – x – x2) are:
(a) (x – 7)(x – 6)
(b) (x + 7)(x – 6)
(c) (x + 7)(6 – x)
(d) (x + 7) (x + 6)
Solution :
(c) (x + 7)(6 – x)

Question 12.
Factors of (x2 + \(\frac{x}{6}-\frac{1}{6}\)) are :
(a) \(\frac {1}{6}\)(2x + 1)(3x + 1)
(b) \(\frac {1}{6}\)(2x + 1)(3x – 1)
(c) \(\frac {1}{6}\)(2x – 1) (3x – 1)
(d) \(\frac {1}{6}\)(2x – 1)(3x + 1)
Solution :
(d) \(\frac {1}{6}\)(2x – 1)(3x + 1)

Question 13.
Factors of polynomial x3 – 3x2 – 10x + 24 are:
(a) (x – 2)(x + 3)(x – 4)
(b) (x + 2)(x + 3)(x + 4)
(c) (x + 2)(x – 3)(x – 4)
(d) (x – 2)(x – 3)(x – 4)
Solution :
(a) (x – 2)(x + 3)(x – 4)

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 2 Polynomials

Question 14.
If (x + a) is a factor of x2 + px + q and x2 + mx + n then the value of a is :
(a) \(\frac{m-p}{n-q}\)
(b) \(\frac{n-q}{m-p}\)
(c) \(\frac{n+q}{m+p}\)
(d) \(\frac{m+p}{n+q}\)
Solution :
(b) \(\frac{n-q}{m-p}\)