JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 परिवहन एवं संचा

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 परिवहन एवं संचा Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए

1. पारमहाद्वीपीय स्टुवर्ट महामार्ग किनके मध्य से गुज़रता है?
(क) डार्विन और मेलबोर्न
(ख) एडमंटन और एंकारेज
(ग) बैंकूवर और सेंट जॉन नगर
(घ) चेगडू और ल्हासा।
उत्तर:
(क) डार्विन और मेलबोर्न।

2. किस देश में रेलमार्गों के जाल का सघनतम घनत्व पाया जाता है?
(क) ब्राजील
(ख) कनाडा
(ग) संयुक्त राज्य अमेरिका
(घ) रूस।
उत्तर:
(ग) संयुक्त राज्य अमेरिका।

3. बृहद ट्रंक मार्ग होकर जाता है
(क) भूमध्य सागर हिंद महासागर से होकर
(ख) उत्तर अटलांटिक महासागर से होकर
(ग) दक्षिण अटलांटिक महासागर से होकर
(घ) उत्तर प्रशान्त महासागर से होकर।
उत्तर:
(स) उत्तर अटलांटिक महासागर से होकर।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 परिवहन एवं संचा

4. ‘बिग इंच’ पाइप लाइन के द्वारा परिवहित किया जाता है?
(क) दूध
(ख) जल
(ग) तरल पेट्रोलियम गैस
(घ) पेट्रोलियम।
उत्तर;
(घ) पेट्रोलियम।

5. चैनल टनल जोड़ता है
(क) लंदन-बर्लिन
(ग) पेरिस-लंदन
(ख) बर्लिन-पेरिस
(घ) बार्सीलोना-बर्लिन।
उत्तर:
(ग) पेरिस-लंदन।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
पर्वतों, मरुस्थलों तथा बाढ़ संभावित प्रदेशों में स्थल परिवहन की क्या-क्या समस्याएं हैं ?
उत्तर:
पर्वतीय भागों में सड़क निर्माण एक कठिन प्रक्रिया है, क्योंकि इस प्रदेश में कई पुलों का निर्माण करना पड़ता है। मरुस्थलों में रेतीली भूमि के कारण सड़कें बनाना कठिन है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में पुल बह जाते हैं। इस ऋतु में सड़कें मोटर वाहन के योग्य नहीं होती।

प्रश्न 2.
पारमहाद्वीपीय रेलमार्ग क्या होता है?
उत्तर:
पारमहाद्वीपीय रेलमार्ग पूरे महाद्वीप से गुजरते हुए इसके दोनों छोरों को जोड़ते हैं। ये रेलमार्ग महाद्वीपों के विपरीत तटों को आपस में जोड़ते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 परिवहन एवं संचा

प्रश्न 3.
जल परिवहन के क्या लाभ हैं?
अथवा
तटीय नौ परिवहन से क्या लाभ है?
उत्तर:

  1. इसमें मार्गों का निर्माण नहीं करना पड़ता।
  2. महासागर एक-दूसरे से जुड़े हुए होते हैं।
  3. इनमें विभिन्न प्रकार के जहाज़ चलाए जा सकते हैं।
  4. यह परिवहन का सबसे सस्ता साधन है।
  5. जल परिवहन की ऊर्जा लागत अपेक्षाकृत कम होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों से अधिक न हों

प्रश्न 1.
एक सुप्रबंधित परिवहन प्रणाली में विभिन्न साधन एक-दूसरे के संपूरक होते हैं। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अंतादेशिक (Inter Regional) तथा अंतरा-प्रादेशिक (Intra-Regional) परिवहन के लिए विभिन्न साधनों का प्रयोग किया जाता है, ये यात्रियों तथा माल दोनों का वहन करते हैं। विभिन्न साधन इस प्रकार कार्य करते हैं

  1. वस्तुओं के अंतर्राष्ट्रीय संचालन का निपटान भारवाही जलयानों द्वारा किया जाता है।
  2. कम दूरी एवं एक घर से, दूसरे घर की सेवाएं प्रदान करने में सड़क परिवहन सस्ता एवं तीव्रगामी साधन है।
  3. लंबी दूरियों तक परिवहन करने के लिए रेल सर्वाधिक अनुकूल साधन है।
  4. उच्च मूल्य वाली हल्की तथा नाशवान वस्तुओं का वायुमार्गों द्वारा परिवहन सर्वश्रेष्ठ होता है। इस प्रकार विभिन्न साधन एक सुप्रबंधित परिवहन प्रणाली में पूरक होते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 8 परिवहन एवं संचा

प्रश्न 2.
विश्व के कौन-कौन से प्रमुख प्रदेश हैं जहां वायुमार्ग का सघन तंत्र पाया जाता है?
उत्तर:
विश्व के कुल वायुमार्गों के 60 प्रतिशत भाग का प्रयोग अकेला संयुक्त राज्य अमेरिका करता है। वायुमार्गों के सघन जाल अग्रलिखित क्षेत्रों में पाए जाते हैं

  1. पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. पश्चिमी यूरोप
  3. दक्षिण-पूर्वी एशिया।

प्रश्न 3.
वे कौन-सी विधियां हैं जिनके द्वारा साइबर स्पेस मनुष्यों के समकालीन और सामाजिक स्पेस की वृद्धि करेगा?
उत्तर:
साइबर-स्पेस इंटरनेट (Cyber Space Internet):
साईबर स्पेस विद्युत् द्वारा कंप्यूटरीकृत स्पेस का संसार है। यह वर्ल्ड वाइड वेबसाइट (WorldWide Website) (www) जैसे इंटरनेट द्वारा आवृत हैं। सरल शब्दों में यह भेजने वाले और प्राप्त करने वाले के शारीरिक संचलन के बिना कंप्यूटर पर सूचनाओं के प्रेषण और प्राप्ति की विद्युतीय अंकीय (Digital) दुनिया ह । यो इंटरनेट के नाम से भी जाना जाता है।

साइबर स्पेस हर जगह विद्यमान है। यह किसी कार्यालय में, जल में चलती नौका में, उड़ते जहाज़ों में और वास्तव में कहीं भी हो सकता है। साइबर स्पेस में प्रगति: जिस गति से इलैक्ट्रॉनिक नेटवर्क का विस्तार हुआ है वह मानव इतिहास में अभूतपूर्व है।

  1. इंटरनेट प्रयोक्ता 1995 में 5 करोड़, 2000 में 40 करोड़ और 2005 में 100 करोड़ हैं।
  2. अगले 100 करोड़ प्रयोक्ता 2010 तक जुड़ जाएंगे।
  3. विगत 5 वर्षों में वैश्विक प्रयोक्ताओं का संयुक्त राज्य अमेरिका से विकासशील देशों में स्थानांतरण हुआ है। संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रयोक्ताओं का प्रतिशत अंश 1995 में 66 प्रतिशत रह गया।
  4. अब विश्व के अधिकांश प्रयोक्ता संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, चीन और भारत में है।

भविष्य (Future):
जैसे कि करोड़ों लोग प्रतिवर्ष इंटरनेट का प्रयोग करते हैं। साइबर स्पेस लोगों के समकालीन आर्थिक और सामाजिक स्पेस का

  1. ई० मेल,
  2. ई० वाणिज्य,
  3. ई० शिक्षा और
  4. ई० प्रशासन के माध्यम से विस्तृत करेगा।
  5. फैक्स,
  6. टेलीविजन और
  7. रेडियो के साथ इंटरनेट समय और स्थान की सीमाओं को लाँघते हुए अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँचेगा। ये आधुनिक संचार प्रणालियाँ हैं जिन्होंने परिवहन से कहीं ज्यादा वैश्विक ग्राम की संकल्पना को साकार किया है।

 परिवहन एवं संचा JAC Class 12 Geography Notes

→ परिवहन के साधन: परिवहन साधनों को किसी देश की जीवन रेखाएं कहते हैं।

→ परिवहन के प्रकार: स्थल, जल तथा वायु परिवहन।

→ ट्रांस: साईबेरियन रेलमार्ग-ट्रांस-साईबेरियन रेलमार्ग (8880 km लम्बा) विश्व में सबसे लम्बा रेलमार्ग है।

→ उत्तरी अन्ध महासागरीय मार्ग: यह मार्ग विश्व में सबसे व्यस्त जलमार्ग है।

→ स्वेज नहर: स्वेज नहर सबसे लम्बी जहाज़ी नहर है।

→ संचार साधन; आधुनिक प्रौद्योगिकी ने दूरसंचार को आसान बना दिया है।

→ उपग्रह संचार: भारत में आर्यभट्ट उपग्रह 19 अप्रैल, 1975 को अन्तरिक्ष में छोड़ा गया।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
1. निम्नलिखित में से कौन-सा एक तृतीयक क्रियाकलाप है?
(क) खेती
(ख) बुनाई
(ग) व्यापार
(घ) आखेट।
उत्तर:
(ग) व्यापार।

2. निम्नलिखित क्रियाकलापों में से कौन-सा एक द्वितीयक सेक्टर का क्रियाकलाप नहीं है?
(क) इस्पात प्रगलन
(ख) वस्त्र निर्माण
(ग) मछली पकड़ना
(घ) टोकरी बुनना।
उत्तर:
(ग) मछली पकड़ना।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा एक क्षेत्र दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता में सर्वाधिक रोजगार प्रदान करता है?
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) पर्यटन
(घ) सेवा।
उत्तर:
(क) सेवा।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

4. वे काम जिनमें उच्च परिणाम और स्तर वाले अन्वेषण सम्मिलित होते हैं, कहलाते हैं
(क) द्वितीयक क्रियाकलाप
(ख) पंचम क्रियाकलाप
(ग) चतुर्थ क्रियाकलाप
(घ) प्राथमिक क्रियाकलाप।
उत्तर:
(ख) पंचम क्रियाकलाप।

5. निम्नलिखित में से कौन-सा क्रियाकलाप चतुर्थ क्षेत्र से सम्बन्धित है?
(क) संगणक विनिर्माण
(ख) विश्वविद्यालयी अध्यापन
(ग) कागज़ और कच्ची लुगदी निर्माण
(घ) पुस्तकों का मुद्रण।
उत्तर:
(ख) विश्वविद्यालयी अध्यापन।

6. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सत्य नहीं है?
(क) बाह्यस्रोतन दक्षता को बढ़ाता है और लागतों को घटाता है।
(ख) कभी-कभार अभियांत्रिकी और विनिर्माण कार्यों की भी बाह्यस्रोतन की जा सकती है।
(ग) बी० पी० ओज़ के पास के० पी० ओज़ की तुलना में बेहतर व्यावसायिक अवसर होते हैं।
(घ) कामों के बाह्यस्रोतन करने वाले देशों में काम की तलाश करने वालों में असन्तोष पाया जाता है।
उत्तर:
(ग) बी० पी० ओज़ के पास के० पी० ओज़ की तुलना में बेहतर व्यावसायिक अवसर होते हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
फुटकर व्यापार सेवा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फुटकर व्यापार सेवा (Retail Trading Service):
ये वह व्यापारिक क्रियाकलाप हैं जो उपभोक्ताओं को वस्तुओं के प्रत्यक्ष विक्रय से सम्बन्धित हैं। अधिकांश फुटकर व्यापार केवल विक्रय से नियत प्रतिष्ठानों और भण्डारों (Stores) में सम्पन्न होता है। उदाहरण-फेरी, रेहड़ी, द्वार से द्वार (Door to Door) डाक आदेश, दूरभाष, स्वचालित बिक्री मशीनें तथा इंटरनेट फुटकर बिक्री के भण्डार रहित उदाहरण हैं।

प्रश्न 2.
चतुर्थ सेवाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चतुर्थ सेवाएं ज्ञान आधारित सेवाएं हैं, ये सेवाएं शोध, विकास तथा उच्च सेवाओं पर केन्द्रित हैं जिनमें विशिष्ट ज्ञान, तकनीकी कुशलता तथा प्रबन्धकीय कुशलता की विशेषताएं हो।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 3.
विश्व के चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से उभरते हुए देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
चिकित्सा पर्यटन (Medical Tourism) अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन से सम्बन्धित चिकित्सा उपचार है। भारत, थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, स्विट्ज़रलैण्ड तथा ऑस्ट्रेलिया में यह क्रियाकलाप तेज़ी से बढ़ रहा है।

प्रश्न 4.
अंकीय विभाजक क्या है?
उत्तर:
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित विकास से मिलने वाले अवसरों का वितरण पूरे ग्लोब पर असमान रूप से वितरित है। विकसित देश इस दिशा में आगे बढ़ गए हैं जबकि विकासशील देश पिछड़ गए हैं। इस प्रकार देशों में इस विभाजन को अंकीय विभाजन (Digital divide) कहते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
आधुनिक आर्थिक विकास में सेवा क्षेत्र की सार्थकता और वृद्धि की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
सेवाएं (Services) आधुनिक विकास में सेवाएं एक महत्त्वपूर्ण घटक हैं। इसमें सभी प्रकार की सेवाएंशिक्षा, स्वास्थ्य, भलाई, आराम, मनोरंजन, व्यापार आदि शामिल हैं। इनसे उत्पादन की क्षमता बढ़ती है। इनमें रोज़गार के साधन बढ़ते हैं। सेवाओं के प्रकार

  1. उद्योगों में लोगों तथा परिवहन का प्रयोग होता है।
  2. निम्न स्तरीय सेवाओं में दुकानदार, लांडरी शामिल हैं।
  3. उच्च स्तरीय सेवाओं में लेखाकार, परामर्शदाता तथा चिकित्सक है।
  4. शारीरिक बल प्रयोग करने वालों में माली, नाई आदि शामिल हैं।
  5. मानसिक परिचय के अध्यापक, वकील, संगीतकार शामिल हैं।

नई प्रवृत्तियां:

  1. महामार्गों, पुलों का निर्माण करना
  2. परिवहन, दूर संचार, बिजली तथा जल की बिक्री
  3. स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग, वकील, प्रबन्ध आदि
  4. मनोरंजन सेवाएं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप

प्रश्न 2.
परिवहन एवं संचार सेवाओं की सार्थकता को विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवहन सेवाएं: ये लोगों, वस्तुओं, सम्पत्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजते हैं। ये मूलभूत वस्तुओं को गतिशीलता प्रदान करते हैं। इससे वस्तुओं का उत्पाद, वितरण तथा खपत बढ़ती है तथा मूल्य बढ़ता है। संचार साधन: संचार साधन शब्दों संदेशों, विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। प्रायः परिवहन साधन इनके लिए प्रयोग किए जाते हैं जैसे-रेलें, सड़कें, वायुमार्ग, मोबाइल दूरभाष सबसे तेज़ साधन हैं जो इसे गति प्रदान करते हैं। अन्य महत्वपूर्ण परीक्षाशैली प्रश्न

तृतीयक और चतर्थ क्रियाकलाप JAC Class 12 Geography Notes

→ सेवा क्षेत्र (Service Area): आर्थिक विकास के लिए सेवाएं बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।

→ सेवाओं के प्रकार (Types of Services): शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण, मनोरंजन तथा वाणिज्यिक सेवाएं।

→ चतुर्थक क्रिया-कलाप (Quarternary activities): इस वर्ग में वे क्रियाएं शामिल हैं जो ज्ञान, शिक्षा, सूचना, शोध तथा विकास से सम्बन्धित हैं।

→ उच्च स्तरीय सेवाएं (Advanced Services): इनमें वित्त, बीमा, परामर्श, बचत तथा सूचना सेवाएं शामिल हैं।

→ सेवाओं के घटक (Components of Services): विज्ञापन, परामर्श, वित्त, बीमा, बचत, परिवहन, मनोरंजन, शिक्षा, वातावरण तथा ग्रामीण विकास।

→ वैश्विक नगर (Global cities): ये विश्व तंत्र में आर्थिक सम्बन्धों को जोड़ते हैं तथा नियन्त्रक केन्द्रों के रूप में काम करते हैं।

→ सूचना प्रौद्योगिकी (Information technology): यह कम्प्यूटर, दूर संचार, प्रसारण आदि का संयुक्त रूप है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

1. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(क) हुगली के सारे जूट के कारखाने सस्ती जल यातायात की सुविधा के कारण स्थापित हुए।
(ख) चीनी. सूती वस्त्र एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग है।
(ग) खनिज तेल एवं जलविद्युत् शक्ति के विकास ने उद्योगों की अवस्थिति कारक के रूप में कोयला शक्ति के महत्व को कम किया है।
(घ) पत्तन नगरों ने भारत में उद्योगों को आकर्षित किया है। उत्तर-(ख) चीनी. सती वस्त्र, एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग है।

2. निम्न में से कौन-सी एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन का स्वामित्व व्यक्तिगत होता है?
(क) पूंजीवाद
(ख) मिश्रित
(ग) समाजवाद
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर:
(क) पंजीवाद

3. निम्न में से कौन-सा एक प्रकार का उद्योग अन्य उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन करता है?
(क) कुटीर उद्योग
(ख) छोटे पैमाने के उद्योग
(ग) आधारभूत उद्योग
(घ) स्वच्छंद उद्योग
उत्तर:
(ग) आधारभूत

4. निम्नलिखित में से कौन-सा एक जोड़ा सही मेल खाता है?
(क) स्वचालित वाहन उद्योग – लॉस एंजिल्स
(ख) पोत निर्माण उद्योग – लुसाका
(ग) वायुयान निर्माण उद्योग – फलोरेंस
(घ) लौह-इस्पात उद्योग – पिर्ट्सबर्ग।
उत्तर:
(क) लौह-इस्पात उद्योग-पिर्ट्सबर्ग। |

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग (High Tech. Industries) क्या है?
उत्तर:
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों का विकास उन्नत वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग उत्पादकों का निर्माण गहन शोध एवं विकास (Research and Development) के प्रयोग द्वारा किया जाता है। इसे (R & D) भी कहते हैं। उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग में यन्त्र मानव, कम्प्यूटर आधारित डिज़ाईन (CAD), धातु पिघलाने एवं शोधन के इलेक्ट्रोनिक नियन्त्रण एवं नए रासायनिक उत्पाद प्रमुख स्थान रखते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 2.
निर्माण (Manufacturing) किसे कहते हैं?
उत्तर:
कच्चे माल (Raw Material) का मशीनों की सहायता के रूप बदल कर अधिक उपयोगी तैयार माल प्राप्त करने की क्रिया को निर्माण उद्योग कहते हैं। यह मनुष्य का एक सहायक या गौण या द्वितीयक (Secondary) व्यवसाय है। इसलिए निर्माण उद्योग में जिस वस्तु का रूप बदल जाता है, वह वस्तु अधिक उपयोगी हो जाती है तथा निर्माण द्वारा उस पदार्थ की मूल्य-वृद्धि हो जाती है। जैसे लकड़ी से लुगदी तथा कागज़ बनाया जाता है। कपास से धागा और कपड़ा बनाया जाता है। खनिज लोहे से इस्पात तथा कल-पुर्जे बनाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
स्वछन्द उद्योग (Foot loose Industries) किसे कहते हैं?
उत्तर:
विगत कुछ दशकों में उच्च प्रौद्योगिक क्रियाओं का तीव्रता से विस्तार हो रहा है। अत्यन्त परिष्कृत उत्पादों को विकसित करने में वैज्ञानिक शोध व विकास का बहुत योगदान होता है। ये उद्योग अपने उत्पादों को बाजार की मांग के अनुरूप बड़ी तेजी से सुधारते रहते हैं तथा उच्च कुशलता प्राप्त श्रमिकों की भर्ती करते हैं। ऐसे उद्योगों को स्वच्छंद उद्योग कहते हैं क्योंकि ये उद्योग अवस्थित का चुनाव करने में अपेक्षाकृत स्वतन्त्र होते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
प्राथमिक एवं द्वितीयक क्रियाकलापों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाकलाप (Primary activities):
जब प्राकृतिक साधनों से प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं सीधे रूप से पर्यावरण से प्राप्त हो जाएं तो उन क्रियाओं को प्राथमिक क्रियाएं कहते हैं। इनमें संग्रहण, आखेट, मत्स्यन, वानिकी, खनन, पशुपालन तथा कृषि शामिल है। द्वितीयक गतिविधियां (Secondary activities)-जब किसी प्राकृतिक पदार्थ का रूप या स्थान बदल दिया जाए तो उसका मूल्य बढ़ जाता है। इन्हें द्वितीयक क्रियाएं कहते हैं। इनसे पदार्थों का मूल्य तथा उपयोगिता बढ़ जाती है जैसे विनिर्माण, डेयरी उद्योग तथा व्यापारिक मत्स्यन शामिल हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 2.
विश्व के विकसित देशों के उद्योगों के सन्दर्भ में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विकसित देशों में औद्योगिक विकास में निम्नलिखित प्रवृत्तियां अनुभव की जा रही हैं

  1. उच्च तकनीकी उद्योगों का विकास हो रहा है जब निम्न तकनीकी तथा श्रम-गहन उद्योग विकासशील देशों में विकसित हो रहे हैं।
  2. बड़े-बड़े कारखानों का स्थान छोटे पैमाने के कारखाने ले रहे हैं।
  3. डिज़ाइन तथा उत्पादन में बड़ी तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं।
  4. बड़े पैमाने पर उत्पादन तथा उच्च स्तरीय उत्पादन की विचारधारा पर अत्यधिक बल दिया जा रहा है।
  5. अवस्थितिक कारकों के महत्त्व में निरन्तर कमी आ रही है।
  6. अवशिष्ट पदार्थों में कमी, पुनः-चक्रण, प्रतिस्थापन तथा विकल्पों का योगदान अधिक है।

प्रश्न 3.
अधिकतर देशों में उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग प्रमुख महानगरों के परिधि क्षेत्रों में ही क्यों विकसित हो रहे हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
उच्च तकनीकी औद्योगिक एस्टेट एवं प्रौद्योगिकी पार्क-स्वच्छंद उद्योग की प्रवृत्ति उद्देश्य आधारित औद्योगिक क्षेत्र अथवा प्रौद्योगिकी पार्कों के रूप में कस्बों व नगरों को सीमाओं पर स्थापित होने की होती है जैसा लन्दन और टोकियो में है। ये स्थान, नगर के आन्तरिक भागों की तुलना में कई प्रकार के लाभ प्रदान करते हैं

  1. एक मंज़िले कारखानों तथा भविष्य में विस्तार के लिए स्थान।
  2. नगर-परिधि पर सस्ता भू-मूल्य,
  3. मुख्य सड़कों तथा वाहन मार्गों तक सभ्यता।
  4. सुखद पर्यावरण (बहुधा एक हरितक्षेत्र पर अवस्थित)
  5. निकटवर्ती आवासीय क्षेत्रों एवं पड़ोसी ग्रामों से प्रतिदिन आने जाने वाले लोगों से श्रम की आपूर्ति।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 4.
अफ्रीका के अपरिमित प्राकृतिक संसाधन है फिर भी औद्योगिक दृष्टि से यह बहुत पिछड़ा महाद्वीप है। समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
अफ्रीका महाद्वीप संभाव्य, जल विद्युत् तथा खनिज संसाधनों में बहुत धनी हैं। यहां विश्व की संभाव्य जल विद्युत् शक्ति का 40% भाग है परन्तु केवल 1% ही विकसित है। इसका मुख्य कारण प्रौद्योगिकी की कमी तथा लोगों की निम्न क्रय शक्ति है। अफ्रीका में खनिज भण्डार अपरिमित हैं, परन्तु इनका प्रयोग नहीं हो रहा है क्योंकि यहां उद्योगों की कमी है। किसी भी संसाधन का जब तक प्रयोग न हो, वह संसाधन नहीं कहलाता। इसलिए अफ्रीका अभी तक एक पिछड़ा हुआ महाद्वीप है।

द्वितीयक क्रियाएँ JAC Class 12 Geography Notes

→ द्वितीयक क्रियाएँ (Secondary Activities): मशीनों एवं प्रौद्योगिकी की सहायता से कच्चे माल का रूप बदल कर उपयोगी वस्तुएं तैयार करने की क्रिया को द्वितीयक क्रियाएँ कहते हैं।

→ निर्माण उद्योग (Manufacturing): यान्त्रिक अथवा रासायनिक विधियों द्वारा जैविक तथा अजैविक तत्त्वों से नए उत्पाद तैयार करने की क्रिया को निर्माण उद्योग कहते हैं।

→ उद्योगों का वर्गीकरण (Classification of Industries):

  • कुटीर उद्योग तथा बड़े पैमाने के उद्योग
  • भारी तथा हल्के उद्योग
  • आधारभूत उद्योग तथा वस्तु निर्माण उद्योग
  • कृषि आधारित उद्योग तथा खनिज आधारित उद्योग
  • सार्वजनिक क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र।

→ उद्योगों का स्थानीयकरण (Location of Industries): उद्योगों का स्थानीयकरण निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है

  • कच्चे माल,
  • ऊर्जा संसाधन,
  • जल,
  • श्रमिक,
  • मांग,
  • पूंजी,
  • वातावरण।

→ स्वच्छंद उद्योग (Foot-loose Industries): उच्च कुशलता प्राप्त उद्योगों को स्वच्छंद उद्योग कहते हैं।

→ प्रौद्योगिक ध्रुव (Technopoles): ये उच्च तकनीक औद्योगिक संकल है। ये उद्योग अपनी अवस्थिति का चुनाव करने में अन्य उद्योगों की अपेक्षा स्वतन्त्र होते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

1. निम्न में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है?
(क) कॉफी
(ख) गन्ना
(ग) गेहूँ
(घ) रबड़।
उत्तर;
(ग) गेहूँ।

2. निम्न देशों में से किस देश में सहकारी कृषि का सफल परीक्षण किया गया है?
(क) रूस
(ख) डेनमार्क
(ग) भारत
(घ) नीदरलैंड।
उत्तर:
(ख) डेनमार्क।

3. फूलों की कृषि कहलाती है
(क) ट्रक फार्मिंग
(ख) कारखाना कृषि
(ग) मिश्रित कृषिका
(घ) पुष्पोत्पादन। उत्तर-(घ) पुष्पोत्पादन।

4. निम्न में से कौन-सी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक समूहों द्वारा किया गया?
(क) कोलखोज़र
(ख) अंगूरोत्पादन
(ग) मिश्रित कृषि
(घ) रोपण कृषि।
उत्तर:
(घ) रोपण कृषि।

5. निम्न प्रदेशों में से किसमें विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि नहीं की जाती है?
(क) अमेरिका एवं कनाडा के प्रेयरी क्षेत्र
(ख) अर्जेंटाइना के पंपास क्षेत्र
(ग) यूरोपीय स्टैपीज़ क्षेत्र
(घ) अमेजन बेसिन।
उत्तर:
(घ) अमेजन बेसिन।

6. निम्न में से किस प्रकार की कृषि में खट्टे रसदार फलों की कृषि की जाती है?
(क) बाजारीय सब्जी कृषि
(ख) भूमध्यसागरीय कृषि
(ग) रोपण कृषि
(घ) सहकारी कृषि।
उत्तर:
(ख) भूमध्यसागरीय कृषि।

7. निम्न कृषि के प्रकारों में से कौन-सा प्रकार कर्तन-दहन कृषि का प्रकार है?
(क) विस्तृत जीवन निर्वाह कृषि
(ख) आदिकालीन निर्वाहक कृषि
(ग) विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि
(घ) मिश्रित कृषि।
उत्तर:
(ख) आदिकालीन निर्वाहक कृषि।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

8. निम्न में से कौन-सी एकल कृषि नहीं है?
(क) डेयरी कृषि
(ख) मिश्रित कृषि
(ग) रोपण कृषि
(घ) वाणिज्य अनाज कृषि।
उत्तर:
(ख) मिश्रित कृषि।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्न प्रश्नों का 30 शब्दों में उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
स्थानांतरी कृषि का भविष्य उज्ज्वल नहीं है। विवेचना कीजिए।
उत्तर:
घास के मैदानों में कठोर भौतिक वातावरण में चलवासी पशुचारण जीवन-निर्वाह की एक पद्धति है। यह पशुचारण पुराने ढंगों द्वारा किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में चलवासी पशुचारण में बहुत परिवर्तन आए हैं। रूस तथा ऑस्ट्रेलिया के घास के मैदानों में कृषि का विस्तार किया गया है। चलवासी पशुचारकों को स्थायी रूप से बसाया गया है।

कजाखस्तान, उज्बेक देशों में सिंचाई की सहायता से कपास की कृषि की जा रही है, औद्योगिक विकास ने लोगों को रोजगार प्रदान किया है। धीरे-धीरे चलवासी पशुपालकों की संख्या कम हो रही है तथा चलवासी पशुचारण क्षेत्र समाप्त हो रहा है।

प्रश्न 2.
बाज़ारीय सब्जी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही क्यों की जाती है?
उत्तर:
सब्जी कृषि (Market Gardening): यह कृषि औद्योगिक क्षेत्रों के उपनगरों में विकसित है। जैसे लन्दन, मास्को, कैलिफोर्निया आदि। इन नगरीय केन्द्रों में ऊंची आय वाले उपभोक्ता रहते हैं। यहां गहन श्रम, सिंचाई, उर्वरक, कीटनाशी सुलभ है। यह मांग क्षेत्रों के निकट ही विकसित होती है क्योंकि इस कृषि के उत्पाद शीघ्रता से खराब हो जाते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

प्रश्न 3.
विस्तृत पैमाने पर डेयरी कृषि का विकास यातायात के साधनों एवं प्रशीतकों को विकास के बाद ही क्यों सम्भव हो सका है?
उतार:
डेयरी कृषि में दुग्ध पदार्थ शीघ्र ही मांग क्षेत्रों तक पहुंचाए जाते हैं। ट्रक कृषि में साग-सब्जी को शहरों तक पहुंचने के लिए तेज़ यातायात के साधन प्रयोग किए जाते हैं। कई देशों में ट्रकों का प्रयोग किया जाता है ताकि ये पदार्थ रूराब न हों। इसलिए इस कृषि की सफलता तीव्र, अच्छे यातायात के साधनों पर निर्भर है। वर्तमान समय में विकसित यातायात के साधन, प्रशीतकों का प्रयोग, पास्तेरीकरण की सुविधा के कारण ही विभिन्न डेयरी उत्पादों को अधिक समय तक रखा जा सकता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न – (Short Answer Type Questions)

निजलिखित प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
चलवासी पशुतरह और वाणिज्य पशुधन पालन में अन्तर कीजिए।
उत्तर:

चलवासी पशुचारण (Nomadic Herding) वाणिज्य पशुधन पालन (Commercial Grazing)
1. इस पशुपालन में कई आदिवासी जातियों के लोग पशुओं के साथ जल तथा चरागाहों की तलाश में घूमते-फिरते रहते हैं। 1. यह एक बड़े पैमाने पर चारे की फसलों की सहायता से घास के मैदानों में स्थायी रूप से पशुपालन है।
2. यह पशुपालन विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों में होता है जहां विशाल भूमि क्षेत्र उपलब्ध हैं। 2. यह पशुपालन कम जंनसंख्या वाले क्षेत्रों में बड़ेबड़े फार्म (Ranches) बनाकर किया जाता है।
3. यह प्राय: मध्य एशिया, अफ्रीका तथा दक्षिणीपश्चिमी एशिया के अर्द्ध-शुष्क प्रदेशों में होता है। 3. यह पशुपालन शीतोष्ण घास के मैदानों में प्रचलित है जहाँ सम जलवायु पाई जाती है।
4. यहां विभिन्न जातियों के लोग भोजन, आवास, वस्त्र आदि के लिए पशुओं पर निर्भर करते हैं। 4. यह एक व्यापारिक पशुपालन है जहां विभिन्न वस्तुएं जैसे ऊन, डेयरी पदार्थ, मांस आदि निर्यात किए जाते हैं।
5. यह खिरगीज, मसाई, फलानी आदि चलवासी पशुचारकों में प्रचोलत़ है। 5. यह प्राय: विकसित देशों में जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड आदि प्रदेशों में प्रचलित है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ

प्रश्न 2.
रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएं बतलाइए एवं भिन्न-भिन्न देशों में उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख रोपण फसलों के नाम बतलाइए।
उत्तर:
रोपण कृषि (Plantation Agriculture):
यह एक विशेष प्रकार की व्यापारिक कृषि है। इसमें किसी एक नकदी फसल की बड़े पैमाने पर कृषि की जाती है। यह कृषि बड़े-बड़े आकार से खेतों या बागानों पर की जाती है इसलिए इसे बाग़ाती कृषि भी कहते हैं। रोपण कृषि की मुख्य फसलें रबड़, चाय, कहवा, कोको, गन्ना, नारियल, केला आदि हैं।

विशेषताएं (Characteristics):

  1. यह कृषि बड़े-बड़े आकार के फार्मों पर की जाती है।
  2. इसका अधिकतर भाग निर्यात कर दिया जाता है।
  3. इस कृषि में वैज्ञानिक विधियों, मशीनों, उर्वरक, अधिक पूंजी का प्रयोग होता है।
  4. इन बागानों में बड़ी संख्या में कुशल श्रमिक काम करते हैं। ये श्रमिक स्थानीय होते हैं। कुछ प्रदेशों में दास श्रमिक या नीग्रो लोग भी काम करते हैं। श्रीलंका के चाय के बागान तथा मलेशिया में रबड़ के बागान पर भारत के तमिल लोग काम करते हैं।
  5. रोपण कृषि के बागान विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों में अधिक भूमि प्राप्त होने के कारण लगाए जाते हैं।

प्रमुख फ़सलें (Main Crops):
उष्ण कटिबन्ध के विरल जनसंख्या वाले बड़े क्षेत्रों पर एक ही फ़सल की व्यापारिक कृषि को रोपण कृषि कहते हैं। रोपण कृषि की मुख्य फ़सलें हैं:

  1. रबड़ (मलेशिया तथा इन्डोनेशिया में)
  2. कोको (पश्चिमी अफ्रीका में)
  3. कहवा (ब्राज़ील में)
  4. चाय (भारत तथा श्रीलंका में)
  5. गन्ना (क्यूबा तथा जावा में)।

प्राथमिक क्रियाएँ JAC Class 12 Geography Notes

→ मानव क्रियाएं (Human Activities): मानव अपनी जीविका कमाने के लिए कुछ क्रियाएं अपनाता है जिन्हें मानव-क्रियाएं कहते हैं।

→ मानव क्रियाओं को चार वर्गों में बांटा जाता है

  • प्राथमिक क्रियाएं (Primary Activities): शिकार करना, मत्स्यन, संग्रहण, लकड़ी काटना, पशुपालन, खनन तथा कृषि।
  • द्वितीयक (सहायक) क्रियाएं (Secondary Activities): निर्माण उद्योग।
  • तृतीयक (टरशरी) क्रियाएं (Tertiary Activities): परिवहन तथा व्यापार।
  • चतुर्थ क्रियाएं (Quarternary Activities): शिक्षा, प्रबन्ध, सुरक्षा आदि।

→ मत्स्यन (Fishing): ताज़ा पानी मत्स्य क्षेत्र, सागरीय क्षेत्र।

→ व्यापारिक मत्स्यन: यह क्षेत्र शीतोष्ण कटिबन्ध में पाए जाते हैं।

→ पशुपालन (Pastoralism): व्यापारिक पशुपालन, शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदानों, स्टैप, प्रेयरीज़, डाऊनज आदि में प्रचलित है।

→ लकड़ी काटना (Lumbering): यह क्रिया शीतोष्ण वन क्षेत्रों में होती है।

→ खनन (Mining): भू-पर्पटी की ऊपरी सतह से विभिन्न उपकरणों की मदद के खनिज पदार्थ या सामग्री निकालना, खनन कहलाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

1. निम्नलिखित में से कौन-सा विकास का सर्वोत्तम वर्णन है?
(क) आकार में वृद्धि
(ख) गुणों में धनात्मक परिवर्तन
(ग) आकार में स्थिरता
(घ) गुणों में साधारण परिवर्तन।
उत्तर:
(ख) गुणों में धनात्मक परिवर्तन।

2. मानव विकास की अवधारणा निम्नलिखित में से किस विद्वान् की देन है?
(क) प्रो० अमर्त्य सेन
(ख) डॉ० महबूब-उल-हक
(ग) एलेन सी० सेम्पुल
(घ) रैट्ज़ेल।
उत्तर:
(ख) डॉ० महबूब-उल-हक।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा देश उच्च मानव विकास वाला नहीं है?
(क) नार्वे
(ख) अर्जेनटाइना
(घ) मिस्र।
(ग) जापान
उत्तर:
(घ) मिस्र।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
मानव विकास के तीन मूलभूत क्षेत्र कौन-से हैं?
उत्तर:
संसाधनों तक पहुँच, स्वास्थ्य एवं शिक्षा मानव विकास के तीन मूलभूत क्षेत्र हैं।

प्रश्न 2.
मानव विकास के चार प्रमुख कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मानव विकास के चार प्रमुख घटक हैं-समता, सतत् पोषणीयता, उत्पादकता एवं सशक्तिकरण।

प्रश्न 3.
मानव विकास सूचकांक के आधार पर देशों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
मानव विकास स्कोर के आधार पर देशों को तीन समूहों में बाँटा जाता है

मानव विकास स्तर | मानव विकास सूचकांक का स्कोर देशों की संख्या उच्च
उच्व 0.8 से ऊपर 57
मध्यम 0.5 से 3.99 तक 88
निम्न 0.5 से नीचे 32


JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों से अधिक न दीजिए

प्रश्न 1.
मानवीय विकास क्या है? इसके सूचक बताओ।
उत्तर:
मानवीय विकास (Human Development):
विकास एक प्रगतिशील विचारधारा है। यह किसी प्रदेश के संसाधनों के विकास के लिए अधिकतम शोषण की प्रक्रिया है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी प्रदेश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इस सन्दर्भ में भूगोल वेत्ता विकसित देशों तथा विकासशील देशों के शब्द प्रयोग करते हैं। मानव भूतल पर सर्वोत्तम प्राणी है। मानव ने भूतल पर अनेक परिवर्तन किए हैं।

विज्ञान, शिक्षा तथा प्रौद्योगिकी में बहुत विकास हुआ है। फिर भी सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक क्षेत्र में अन्तर-प्रादेशिक विभिन्नताएं पाई जाती हैं। विकास से अभिप्राय एक ऐसे वातावरण की रचना करना है जिसमें प्रत्येक शिशु को शिक्षा प्राप्त हो, कोई भी मानव स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित न हो, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा प्रयोग कर सके।

मानवीय विकास के सूचक (Indicators of Human Development):
विश्व बैंक प्रति वर्ष विश्व विकास रिपोर्ट तैयार करके प्रस्तुत करता है। इसमें उत्पादन, खपत, मांग, ऊर्जा, वित्त, व्यापार, जनसंख्या वृद्धि, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के 177 देशों के आँकड़े एकत्रित किए जाते हैं। यह रिपोर्ट कुछ सूचकों पर आधारित होती है। मानवीय विकास के तीन मूल घटक हैं

  1. जीवन अवधि,
  2. ज्ञान
  3. रहन-सहन का स्तर।

भारत का विश्व में मानवीय विकास में 126वां स्थान है। मानवीय विकास के प्रमुख सूचक निम्नलिखित हैं

  1. जीवन प्रत्याशा
  2. साक्षरता
  3. प्रति व्यक्ति आय
  4. जनसंख्यात्मक विशेषताएं जैसे कि शिशु मृत्यु-दर, प्राकृतिक वृद्धि दर, आयु वर्ग आदि।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव विकास

प्रश्न 2.
मानव विकास अवधारणा के अन्तर्गत समता और सतत पोषणीयता से आप क्या समझते हो ?
उत्तर:
समता से अभिप्राय प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुंच की व्यवस्था करना है। लोगों को समान अवसर मिलने चाहिए। इसमें लिंग प्रजाति, आय तथा जाति के भेदभाव न हो। सतत् पोषणीयता का अर्थ है कि अवसरों की उपलब्धता निरन्तर हो। प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिलें। समस्त संसाधनों का उपयोग भविष्य की पीढ़ियों के लिए समान रूप से हो।

मानव विकास JAC Class 12 Geography Notes

→ मानव विकास (Human Development)

→ मानव विकास (Human Development): मानवीय विकास, मानव जीवन में उत्तम गुण एवं संसाधन सम्पन्नता उत्पन्न करने की धनात्मक क्रिया है।

→ मानव विकास के सूचक: जीवन प्रत्याशा, साक्षरता, प्रति व्यक्ति आय मुख्य सूचक हैं।

→ भारत विश्व में मानवीय विकास के 126वें स्थान पर है।

→ मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन डॉ० महबूब-उल-हक (पाकिस्तान) के द्वारा तथा प्रो० अमर्त्य सेन के सहयोग से किया गया।

→ मानव विकास प्रतिवेदन सर्वप्रथम 1990 में प्रकाशित की गई।

→ समता, सतत पोषणीयता, उत्पादकता और सशक्तिकरण मानव विकास के चार स्तम्भ हैं।

→ मानव विकास सूचकांक (HDI): का मूल्य 0 से 1 तक है।

→ 57 देशों में उच्च मानव विकास स्तर है जबकि 32 देशों में निम्न विकास स्तर है।

→ मानव विकास प्रतिवेदन 2005 के अनुसार नार्वे, आइसलैंड, ऑस्ट्रेलिया, लक्ज़मबर्ग तथा कनाडा उच्च सूचकांक वाले 5 सर्वोच्च देश हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से किसने संयुक्त अरब अमीरात के लिंग अनुपात को निम्न किया है?
(क) पुरुष कार्यशील जनसंख्या का चयनित प्रवास
(ख) पुरुषों की उच्च जन्म दर
(ग) स्त्रियों की निम्न जन्म दर
(घ) स्त्रियों का उच्च उत्प्रवास।
उत्तर:
(घ) स्त्रियों का उच्च उत्प्रवास।

2. निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या जनसंख्या के कार्यशील आयु वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है?
(क) 15 से 65 वर्ष
(ख) 15 से 66 वर्ष
(ग) 15 से 64 वर्ष
(घ) 15 से 59 वर्ष।
उत्तर:
(घ) 15 से 59 वर्ष।

3. निम्नलिखित में से किस देश का लिंग अनुपात विश्व में सर्वाधिक है?
(क) लैटविया
(ख) जापान
(ग) संयुक्त अरब अमीरात
(घ) फ्रांस।
उत्तर:
(क) लैटविया।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जनसंख्या संघटन से आप क्या समझते हो?
उत्तर:
जनसंख्या संघटन से अभिप्राय: है कि जनांकिकीय विशेषताओं का अध्ययन करना। इसमें लिंगानुपात, साक्षरता, जीवन प्रत्याशा व्यवसाय आदि का अध्ययन किया जाता है। इन तत्त्वों के आधार पर लोगों की पहचान की जाती है।

प्रश्न 2.
आयु संरचना का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
आयु संरचना विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या को प्रदर्शित करती है। जनसंख्या संघटन का यह एक महत्त्वपूर्ण घटक है। इससे किसी प्रदेश की श्रम शक्ति का ज्ञान होता है। इससे रोज़गार की स्थिति तथा आश्रित जनसंख्या का पता चलता है। इससे भविष्य में जनसंख्या वृद्धि का अनुमान होता है।

प्रश्न 3.
लिंगानुपात कैसे मापा जाता है ?
उत्तर:
लिंगानुपात किसी देश की जनसंख्या में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या के बीच अनुपात है। इसकी गणना निम्न सूत्र द्वारा की जाती है
JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन 1
कुल पुरुषों की संख्या इस प्रकार लिंगानुपात प्रति एक हज़ार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या है।

लघु उत्तरीय प्रश्न। (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
(i) जनसंख्या के ग्रामीण-नगरीय संघटन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
निवास के आधार पर जनसंख्या को दो वर्गों में बांटा जाता है
(क) ग्रामीण जनसंख्या
(ख) नगरीय जनसंख्या।
तुलना (Comparison)-दोनों वर्ग एक-दूसरे से कई पक्ष से भिन्न हैं

  1. (जीवन शैली
  2. आजीविका
  3. सामाजिक दशाएं
  4. जनसंख्या घनत्व
  5. विकास स्तर।

(a) ग्रामीण क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जहां लोग प्राथमिक व्यवसायों में संलग्न होते हैं।
(b) नगरीय क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जहां अधिकतर कार्यशील जनसंख्या गैर-प्राथमिक कार्यों में लगे होते हैं।

  1. कारण: नगरीय क्षेत्रों में स्त्रियों की संख्या अधिक होने का कारण यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों से स्त्रियां नौकरियों के लिए प्रवास कर जाती हैं।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में पुरुषों का प्रभुत्व होता है।
  3. विकासशील देशों में कृषि कार्यों में महिलाओं की सहभागिता की दर काफ़ी ऊंची है।
  4. महिलाएं गांवों से नगरों की ओर प्रवास से डरती हैं क्योंकि वहां सुरक्षा की कमी है तथा रहन-सहन की उच्च लागत है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

(ii) विश्व के विभिन्न भागों में आयु लिंग में असन्तुलन के लिए उत्तरदायी कारकों तथा व्यावसायिक संरचना की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
लिंगानुपात स्त्रियों तथा पुरुषों की संख्या का अनुपात है। विकासशील देशों तथा विकसित देशों में लिंग संरचना में काफ़ी अन्तर मिलते हैं।

  1. ये अन्तर लिंग भेदभाव के कारण हैं।
  2. लिंगानुपात प्रतिकूल है जहां स्त्री भ्रूण हत्या तथा स्त्री शिशु हत्या तथा स्त्रियों के प्रति घरेलू हिंसा प्रचलित है।
  3. कई प्रदेशों में स्त्रियों का सामाजिक-आर्थिक स्तर निम्न है।

व्यावसायिक संरचना (Occupational Structure):
कार्यशील जनसंख्या (15 से 59 वर्ष की आयु) कई आर्थिक क्रियाओं में संलग्न रहती है जैसे कृषि, वानिकी, उद्योग, निर्माण, परिवहन, सेवाएं आदि इन व्यवसायों या क्रियाओं को प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुर्थक क्रियाओं में बांटा जाता है। आर्थिक विकास में विभिन्नता के कारण विभिन्न प्रदेशों में ये क्रियाएं अलग-अलग हैं। आदिम आर्थिकता में लोग प्राथमिक क्रियाओं में अधिक कार्य करते हैं जबकि विकसित आर्थिकता में उद्योगों तथा अवसंरचना कार्यों से अधिक लोग सम्बन्धित होते हैं जो द्वितीयक तथा तृतीयक क्रियाओं में लगे होते हैं।

जनसंख्या संघटन JAC Class 12 Geography Notes

→ अध्याय के मुख्य तथ्य लिंगानुपात (Sex Ratio): स्त्रियों तथा पुरुषों की संख्या के बीच अनुपात।

→ औसत विश्व लिंगानुपात (Average World Sex Ratio): 990 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष।

→ उच्चतम लिंगानुपात (Highest Sex Ratio): लैट विया में 1187 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष।

→ निम्नतम लिंगानुपात (Lowest Sex Ratio): U.A.E. में 468 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष।

→ आयु संरचना (Age Structure): विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या।

→ जनसंख्या पिरामिड (Population Pyramid): जो आयु-लिंग संरचना प्रकट करे।

→ आयु वर्ग (Age groups): 0-14 वर्ष, 15-59 वर्ष, 60 वर्ष से अधिक।

→ जनसंख्या पिरामिड के प्रकार (Types of Population Pyramid): विस्तृत, स्थिर, ह्रासमान।

→ साक्षरता दर (Literacy Rate): सात वर्ष से अधिक आयु वाली जनसंख्या जो पढ़-लिख सके।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
1. निम्नलिखित में से किस महाद्वीप में जनसंख्या वृद्धि दर सर्वाधिक है?
(क) अफ्रीका
(ख) एशिया
(ग) दक्षिण अमेरिका
(घ) उत्तर अमेरिका।
उत्तर:
(क) अफ्रीका।

2. निम्नलिखित में से कौन-सा एक विरल जनसंख्या वाला क्षेत्र नहीं है?
(क) अटाकामा
(ख) भूमध्यरेखीय प्रदेश
(ग) दक्षिण-पूर्वी एशिया
(घ) ध्रुवीय प्रदेश।
उत्तर:
(ग) दक्षिण-पूर्वी एशिया।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रतिकर्ष कारक नहीं है?
(क) जलाभाव
(ख) बेरोज़गारी
(ग) चिकित्सा/शैक्षणिक सुविधाएँ
(घ) महामारियाँ।
उत्तर:
(ग) चिकित्सा/शैक्षणिक सुविधाएँ।

4. निम्नलिखित में से कौन-सा एक तथ्य नहीं है?
(क) विगत 500 वर्षों में मानव जनसंख्या 10 गुणा से अधिक बढ़ी है।
(ख) विश्व जनसंख्या में प्रतिवर्ष 8 करोड़ लोग जुड़ जाते हैं।
(ग) 5 अरब से 6 अरब तक बढ़ने में जनसंख्या को 100 वर्ष लगे।
(घ) जनांकिकीय संक्रमण की प्रथम अवस्था में जनसंख्या वृद्धि उच्च होती है।
उत्तर:
(ग) 5 अरब से 6 अरब तक बढ़ने में जनसंख्या को 100 वर्ष लगे।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले तीन भौगोलिक कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. जल की उपलब्धता-नदी घाटियां विश्व में सबसे सघन बसे हुए क्षेत्र हैं।
  2. भू-आकृति-पर्वत तथा पठार विरल जनसंख्या वाले प्रदेश हैं परन्तु मैदानों में जनसंख्या घनत्व अधिक है।
  3. जलवायु-मरुस्थल तथा शीत ध्रुवीय प्रदेश विरल जनसंख्या के प्रदेश हैं, परन्तु शीतोष्ण प्रदेश घने बसे हुए प्रदेश हैं।

प्रश्न 2.
“विश्व में उच्च जनसंख्या घनत्व वाले अनेक क्षेत्र हैं” ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
अनेक क्षेत्रों में उच्च जनसंख्या घनत्व निम्नलिखित कारणों से है

  1. दक्षिण-पूर्वी एशिया तथा पूर्वी एशिया में विकसित कृषि: इन क्षेत्रों में अनुकूल जलवायु, उपजाऊ मृदा, लम्बावर्धन काल, जल सिंचाई सुविधाएं हैं।
  2. पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरपूर्वी संयुक्त राज्य में औद्योगिक विकास: इन प्रदेशों में पर्याप्त खनिज भण्डार, उद्योग, औद्योगीकरण, तथा रहन-सहन स्तर ऊंचा है।

प्रश्न 3.
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक कौन-से हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक हैं।
JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि 2
(iii) प्रवास-प्रवास के कारण लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं।

अन्तर स्पष्ट करो

प्रश्न 1.
जन्म दर तथा मृत्यु दर में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

जन्म दर (Birth Rate) मृत्यु दर (Death Rate)
1. प्रति एक हज़ार व्यक्तियों के पीछे जीवित शिशुओं की दर को जन्म दर कहते हैं। 1. प्रति एक हज़ार व्यक्तियों के पीछे मृतक शिशुओं की दर को मृत्यु दर कहते हैं।
2. इसकी गणना प्रति हजार प्रति वर्ष की दर से की जाती है। 2. इसकी गणना प्रति हज़ार प्रति वर्ष की दर से की जाती है।
3. जब जन्मदर मृत्यु दर से अधिक हो तो इसे धनात्मक वृद्धि दर कहते हैं। 3. जब मृत्यु दर जन्म दर से अधिक हो तो इसे ऋणात्मक वृद्धि दर कहते हैं।

प्रश्न 2.
प्रवास के प्रतिकर्ष कारक तथा अपकर्ष कारकों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

प्रतिकर्ष कारक (Push Factors) अपकर्ष कारक (Pull Factors)
1. प्रतिकर्ष कारकों के कारण लोग अपने उद्गम स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं। 1. अपकर्ष कारक गन्तव्य स्थान को आकर्षक बनाते हैं।
2. बेरोज़गारी, रहन-सहन की निम्न दशाएँ, राजनीतिक उपद्रव, प्रतिकूल जलवायु, प्राकृतिक विपदाएं महामारियां प्रतिकर्ष कारक हैं। 2. कार्य के बेहतर अवसर, रहन-सहन की अच्छी दशाएँ, शान्ति तथा स्थायित्व, जीवन व सम्पत्ति की सुरक्षा, अनुकूल जलवायु अपकर्ष कारक हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

लघुतरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
विश्व जनसंख्या के वितरण तथा घनत्व को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या का घनत्व (Density of Population):
किसी प्रदेश की जनसंख्या और भूमि के क्षेत्रफल के अनुपात को जनसंख्या का घनत्व कहते हैं। इससे किसी प्रदेश में लोगों की सघनता का पता चलता है। यह घनत्व प्रति वर्ग मील या वर्ग किलोमीटर द्वारा प्रकट किया जाता है।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि 3

जनसंख्या घनत्व से जनसंख्या वितरण का पता चलता है। जनसंख्या का घनत्व प्रायः खाद्य पदार्थों की सुविधा तथा रोजगार की प्राप्ति पर निर्भर करता है। प्राकृतिक सुविधाओं का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है परन्तु कई प्रकार के भौतिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक कारण मिलकर जनसंख्या के घनत्व पर प्रभाव डालते हैं।

(क) भौगोलिक कारक (Geographical Factors)
1. धरातल (Land):
किसी देश में पर्वत, मैदान तथा पठार जनसंख्या के घनत्व पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। पर्वतीय भागों में समतल भूमि की कमी, कठोर जलवायु, यातायात के कम साधनों तथा कृषि के अभाव के कारण जनसंख्या कम होती है। इसीलिए रॉकी, एण्डीज़ तथा हिमालय पर्वत कम जनसंख्या वाले प्रदेश हैं।

मैदानी प्रदेशों में कृषि, जल-सिंचाई, यातायात, व्यापार तथा जीवन निर्वाह की सुविधाओं के कारण घनी जनसंख्या मिलती है। संसार की 80% जनसंख्या मैदानों में निवास करती है। गंगा का मैदान, चीन में ह्वांग-हो का मैदान विश्व में घनी जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं।

2. जलवायु (Climate):
तापमान तथा वर्षा जनसंख्या के घनत्व पर स्पष्ट प्रभाव डालते हैं। अधिक ठण्डे या अधिक गर्म क्षेत्रों में कम जनसंख्या होती है। इसीलिए संसार के ऊष्ण तथा शीत मरुस्थल व ध्रुवीय प्रदेश लगभग खाली हैं। सहारा मरुस्थल, एण्टार्कटिका महाद्वीप तथा टुण्ड्रा क्षेत्र में कम जनसंख्या मिलती है। यहां सम-शीतोष्ण भूमध्य सागरी तथा मानसूनी जलवायु के प्रदेशों में घनी जनसंख्या मिलती है। यहां पर्याप्त वर्षा कृषि के लिए उपयुक्त होती है। पश्चिमी यूरोप तथा दक्षिण पूर्वी एशिया में उत्तम जलवायु के कारण जनसंख्या का भारी केन्द्रीयकरण हुआ है। मध्य अक्षांशों में शीत-ऊष्ण जलवायु के कारण ही संसार की कुल जनसंख्या का 4/5 भाग निवास करता है।

3. मिट्टी (Soil):
गहरी उपजाऊ मिट्टी में कृषि उत्पादन अधिक होता है। इन प्रदेशों में अधिक लोगों को भोजन प्राप्त करने की क्षमता है। मानसूनी एशिया की नदी घाटियों में कछारी मिट्टी में चावल का अधिक उत्पादन होने के कारण अधिक जनसंख्या मिलती है। गंगा, सिन्धु तथा नील नदियों के उपजाऊ मैदानों में जनसंख्या का अधिक जमाव है। लावा मिट्टी के उपजाऊपन के कारण ही जावा द्वीप में इण्डोनेशिया की कुल जनसंख्या का 70% भाग मिलता है।

4. नदियां और जल प्राप्ति (River and Water Supply):
नदियां जल का मुख्य साधन होती हैं। इनका जल पीने, जल-सिंचाई, उद्योग-धन्धों तथा यातायात के लिए प्रयोग किया जाता है। इन सुविधाओं के कारण नदियों के किनारों पर अधिक जनसंख्या मिलती है। संसार की प्राचीन सभ्यताओं का जन्म नदी-घाटियों में हुआ। इसीलिए कई प्राचीन शहर, जैसे-कोलकाता, दिल्ली, आगरा तथा इलाहाबाद नदियों के किनारे ही स्थित हैं। मरुस्थल जल के अभाव के कारण विरल जनसंख्या प्रदेश है।

(ख) ऐतिहासिक कारण (Historical Factors):
कई बार ऐतिहासिक महत्त्व के स्थान पर जनसंख्या के केन्द्र बन जाते हैं। गंगा के मैदान में, सिन्धु के मैदान में तथा चीन में प्राचीन सभ्यता के कई केन्द्रों में जनसंख्या अधिक है। नील नदी में जनसंख्या का अधिक घनत्व ऐतिहासिक कारणों से ही है।

(ग) राजनीतिक कारण (Political Factors):
राजनीतिक कारणों का भी जनसंख्या पर प्रभाव पड़ता है। ऑस्ट्रेलिया में सरकार की “श्वेत नीति” (White Policy) के कारण गोरे लोगों के अतिरिक्त किसी जाति के लोग नहीं रह सके तथा ऑस्ट्रेलिया एक अल्प जनसंख्या वाला महाद्वीप है।

(घ) धार्मिक तथा सामाजिक कारण (Religious and Social Factors):
सामाजिक रीति-रिवाजों तथा धार्मिक विश्वासों का जनसंख्या के वितरण पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। इस्लाम धर्म में चार विवाहों की आज्ञा, चीन तथा भारत में बाल-विवाह जनसंख्या की वृद्धि के कारण हैं। कई तीर्थ स्थान अधिक जनसंख्या के केन्द्र बन जाते हैं। परिवार कल्याण अपनाने वाले देशों में जनसंख्या की वृद्धि दर कम होती है। यहूदी लोग भी धार्मिक अत्याचारों से तंग आकर इज़राइल देश में जा बसे हैं।

(ङ) आर्थिक कारण (Economic Factors)
1. खेतीबाड़ी (Agriculture):
अधिक कृषि उत्पादन वाले क्षेत्रों में अधिक भोजन प्राप्ति के कारण घनी जनसंख्या होती है। चावल उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में साल में तीन-तीन फसलों के कारण अधिक लोगों का निर्वाह हो सकता है। इसीलिए मानसूनी एशिया में अधिक जनसंख्या है। इसकी तुलना में गेहूँ की कृषि वाले क्षेत्रों में साल में एक फसल के कारण कम जनसंख्या होती है। कृषि में उत्तम बीज, कृषि यन्त्र, खाद, जल-सिंचाई की सुविधाओं के कारण
अधिक उत्पादन से कई क्षेत्रों में जनसंख्या बढ़ गई है।

2. उद्योग (Industries):
औद्योगिक विकास से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। औद्योगिक नगरों के निकट बहुत-सी बस्तियां बस जाती हैं तथा जनसंख्या अधिक हो जाती है। यूरोप, जापान में कोब-ओसाका प्रदेश के औद्योगिक विकास के कारण ही अधिक जनसंख्या है। इन क्षेत्रों में अधिक व्यापार के कारण भी घनी जनसंख्या होती है।

3. यातायात के साधनों की सुविधा (Easy Means of Transportation):
यातायात के साधनों की सुविधाओं के कारण उद्योग, कृषि तथा व्यापार का विकास होता है। साइबेरिया में ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग के विकास के कारण कई नगर बस गए हैं। पर्वतीय भागों में यातायात के साधनों की कमी के कारण कम जनसंख्या होती है।
JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि 4

4. नगरीय विकास (Urban Development):
किसी नगर के विकास के कारण उद्योग, व्यापार तथा परिवहन का विकास होता है। शिक्षा, मनोरंजन आदि सुविधाओं के कारण लोग ग्रामों से मैगा नगरों को प्रवास करते हैं।

JAC Class 12 Geography Solutions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 2.
जनसंख्या के जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त पर नोट लिखो।
उत्तर:
जनसंख्या का जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त
(Demographic Transition) वर्तमान जनसंख्या प्रवृत्तियों को देख कर कहा जाता है कि विकासशील देशों में जनसंख्या वृद्धि विकसित देशों की तुलना में 20 गुणा अधिक है। दोनों प्रकार के देशों में मृत्यु दर कम है परन्तु विकासशील देशों में जन्म दर विकसित देशों की तुलना में तीन गुणा अधिक है। E.W. Notestein नामक विद्वान् ने जनांकिकी संक्रमण मॉडल प्रस्तुत किया है कि जनसंख्या वृद्धि सामाजिक, आर्थिक, औद्योगिक विकास द्वारा निर्धारित होती है।

1. प्रथम अवस्था (First Stage):
इस पिछड़ी अर्थ-व्यवस्था में जनसंख्या कम होती है। जन्म-दर तथा मृत्यु दर बहुत ऊंचे होते हैं, परन्तु खुशहाली के समय मृत्यु दर कम होती है तथा आपदा के समय (जंग, अकाल, महामारी के समय) मृत्यु दर अधिक होती है। लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि होता है। जीवन प्रत्याशा निम्न होती है। प्रौद्योगिकी स्तर निम्न होता है। साक्षरता कम होती है।

2. द्वितीय अवस्था (Second Stage):
औद्योगिक क्रान्ति के कारण लोगों का रहन-सहन स्तर ऊँचा हो गया है। नगरों में स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त हो गई हैं। इससे मृत्यु दर धीरे-धीरे कम हो गई है। जन्म-दर ऊंची है। ज्यों-ज्यों जन्मदर तथा मृत्यु-दर में अन्तर बढ़ता है, जनसंख्या वृद्धि होती है।

3. तृतीय अवस्था (Third Stage):
इस अवस्था में जन्म-दर तथा मृत्यु-दर दोनों कम हो जाते हैं। जन्म-दर घटती-बढ़ती रहती है। नगरीयकरण में वृद्धि होती है तथा तकनीकी ज्ञान उच्च स्तर का होता है।

विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि JAC Class 12 Geography Notes

→ मानव (Man): मानव को भूतल पर केन्द्रीय स्थान प्राप्त है।

→ विश्व जनसंख्या (World Population): विश्व की इस समय कुल जनसंख्या 700 करोड़ है।

→ चीन (China): चीन 138 करोड़ जनसंख्या के साथ विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है।

→ जनसंख्या घनत्व (Density of Population): जनसंख्या घनत्व मानव-भूमि का अनुपात है। विश्व में औसत घनत्व 41 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।

→ जनसंख्या घनत्व नियन्त्रण करने वाले कारक (Factors controlling Density of Population): धरातल, जलवायु, मिट्टी, खनिज, नदियां, जल प्राप्ति, कृषि परिवहन तथा उद्योग।

→ एशिया (Asia): एशिया में विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या (60%) निवास करती है।

→ भारत (India): भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ है, जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है तथा जनसंख्या वृद्धि दर 1.7 प्रतिशत है।

→ जनसंख्या वृद्धि के निर्धारक (Determinants of Population Growth): जन्म दर, मृत्यु-दर,जनसंख्या की गतिशीलता।

→ जनसंख्या वृद्धि (Growth of Population): गत 500 वर्षों में जनसंख्या में 10 गुणा वृद्धि हुई है।

→ जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर (Annual Growth rate of population): प्रतिवर्ष कुल जनसंख्या में 8 करोड़ की वृद्धि होती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

JAC Class 10 Hindi नौबतखाने में इबादत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर :
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को इसलिए याद किया जाता है, क्योंकि यहाँ सोन नदी के किनारे पाई जाने वाली नरकट नामक घास से शहनाई की रीड बनाई जाती है। इसी रीड से शहनाई को फूंका जाता है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म भी डुमराँव में हुआ था। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ भी डुमराँव के निवासी थे।

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
जहाँ कहीं भी कोई उत्सव अथवा समारोह होता है, सबसे पहले बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई की ध्वनि सुनाई देती है। इन समारोहों में बिस्मिल्ला खाँ से तात्पर्य उनकी शहनाई की गूंज से होता है। इनकी शहनाई की आवाज़ लोगों के सिर चढ़कर बोलती है। गंगा तट, बालाजी का मंदिर, बाबा विश्वनाथ अथवा संकटमोचन मंदिर में प्रभाती का मंगलस्वर बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई का ही होता है। समस्त मांगलिक विधि-विधानों के अवसरों पर भी यह वाद्य मंगलध्वनि का परिवेश प्रतिष्ठित कर देता है। इसलिए बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा जाता है।

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प्रश्न 3.
‘सुषिर-वाद्यों’ से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?
उत्तर :
बाँस अथवा मुँह से फूंककर बजाए जाने वाले वाद्यों में से निकलने वाली ध्वनि को ‘सुषिर’ कहते हैं। इस आधार पर ‘सुषिर-वायों’ से तात्पर्य उन वाद्य-यंत्रों से है, जो फूंककर बजाए जाने पर ध्वनि उत्पन्न करते हैं। अरब देश में फूंककर बजाए जाने वाले वाद्य; जिनमें नाड़ी अथवा सरकट या रीड होती है; को ‘नय’ कहते हैं। वे शहनाई को ‘शाहेनय’ अर्थात् ‘सुषिर-वाद्यों में शाह’ कहते हैं। इस कारण शहनाई को सुषिर-वाद्यों में शाह की उपाधि दी गई होगी।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) ‘फटा सुर न बखों। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल-सी जाएगी।’
(ख) मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।
उत्तर :
(क) बिस्मिल्ला खाँ को उनकी शिष्या फटी तहमद न पहनने के लिए कहती है, तो खाँ साहब कहते हैं कि सुर नहीं फटना चाहिए फटी हुई लुंगी तो सिल सकती है, परंतु सुर यदि फट जाए तो वह कभी ठीक नहीं हो सकता। इसलिए वे परमात्मा से यही प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें फटा सुर न दे।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी वर्षों से शहनाई बजा रहे है। वे शहनाई के बादशाह माने जाते हैं, फिर भी नमाज़ पढ़ने के बाद वे परमात्मा से यही प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें मधुर सुर प्रदान करे। उनके सुरों में ऐसा प्रभाव भर दे, जिससे लोग भावविभोर हो जाएँ और भाव-वेश में सच्चे मोतियों के समान आँखों से अनायास आँसुओं की झड़ी लग जाए।

प्रश्न 5.
काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?
उत्तर :
काशी के पक्का महल क्षेत्र से मलाई बरफ़ बेचने वालों का चले जाना बिस्मिल्ला खाँ को बहुत खलता था। उन्हें यह भी अच्छा नहीं लगता था कि अब काशी में पहले जैसी देशी घी की जलेबियाँ और कचौड़ियाँ नहीं बनती हैं। वे गायकों के मन में अपने संगतियों के प्रति अनादर के भाव से भी व्यथित रहते थे। गायकों द्वारा रियाज़ न करना भी उन्हें अच्छा नहीं लगता। काशी में संगीत, साहित्य और अदब के क्षेत्र में निरंतर हो रही गिरावट ने बिस्मिल्ला खाँ को बहुत व्यथित कर दिया था।

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प्रश्न 6.
पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि –
(क) बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे?
(ख) वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इनसान थे?
उत्तर :
(क) बिस्मिल्ला खाँ गंगा किनारे, बालाजी के मंदिर, काशी विश्वनाथ के मंदिर तथा संकटमोचन मंदिर में शहनाई बजाते थे। वे मुहर्रम के दिनों में आठवीं तारीख पर खड़े होकर शहनाई बजाते थे तथा दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल जाते थे। इस प्रकार उनके द्वारा हिंदू-मुस्लिम धर्मों में भेदभाव न करते हुए समान रूप से सबका आदर करना यही सिद्ध करता है कि बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।

(ख) बिस्मिल्ला खाँ को भारत रत्न, पद्मविभूषण, डॉक्टरेट आदि अनेक उपाधियाँ मिली थीं; परंतु वे सदा सीधे-साधे सच्चे इनसान की तरह जीवन व्यतीत करते रहे। उनकी एक शिष्या उन्हें फटा तहमद पहनने पर टोकती थी तो वे स्पष्ट कह देते थे कि सम्मान उनकी शहनाई को मिला है फटे तहमद को नहीं। वे परमात्मा से भी ‘सच्चा सुर’ माँगते रहे; उनसे कभी भौतिक सुविधाएँ नहीं माँगी।

प्रश्न 7.
उत्तर
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया? बिस्मिल्ला खाँ छ: वर्ष की अवस्था में ही अपने ननिहाल काशी आ गए थे, जहाँ उनके दोनों मामा सादिक हुसैन और अलीबख्श खाँ शहनाई के विभिन्न सुरों को अलापते थे। यहीं से उनका शहनाई के प्रति लगाव उत्पन्न हो गया था। इन्हें सम का ज्ञान भी यही हुआ था। जब इनके मामा अलीबख्श खाँ सम पर आते थे, तो ये धड़ से एक पत्थर ज़मीन पर मारते थे।

चौदह वर्ष की आयु में रसूलन और बतूलन बहनों के गायन ने इन्हें संगीत के प्रति आकर्षित किया था। इन्हें कुलसुम हलवाइन द्वारा कलकलाते घी में कचौड़ी डालते समय उत्पन्न छन्न की आवाज़ में भी संगीत के आरोह-अवरोह सुनाई देते थे। इससे स्पष्ट है कि बिस्मिल्ला खाँ को उनके आसपास के परिवेश तथा व्यक्तियों ने शहनाई-वादन के लिए प्रेरित किया था। इनके नाना, दादा तथा पिता भी सुप्रसिद्ध शहनाई-वादक थे।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 8.
बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन-सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ भारत के सच्चे सपूत थे। वे मुसलमान होते हुए भी हिंदू थे। उनके लिए धर्म, जाति आदि विशेष महत्व नहीं रखते थे। उनके लिए धर्म वह था, जो मन को शांति प्रदान करता था। जीवन को सरल, सहज और सादगी से व्यतीत करना खाँ साहब को आता था। उनके अनुसार जीवन की आवश्यकताओं को उतना ही बढ़ाना चाहिए, जितनी इन्सान पूरी कर सकता हो। दूसरों की संस्कृति की नकल न करके व्यक्ति को अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए और उसे अपनाना चाहिए। अकेले रहकर शान और ठाठ से जीने से अच्छा है कि अपनों के साथ खुशी-खुशी सीमित आवश्यकताओं के साथ जीएँ। बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की इन्हीं विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया है।

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प्रश्न 9.
मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
मुहर्रम के दिनों में बिस्मिल्ला खाँ तथा उनके परिवार का कोई भी सदस्य न तो शहनाई बजाता था और न ही किसी संगीत सम्मेलन में भाग लेता था। मुहर्रम की आठवीं तारीख को बिस्मिल्ला खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते थे तथा दालमंडी में फातमान तक करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए तथा नौहा बजाते हुए जाते थे। इस दिन वे कोई भी राग-रागिनी नहीं बजाते थे। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवारजन के बलिदान को स्मरण कर भीगी रहती थी।

प्रश्न 10.
बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क साहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ साहब को भारत सरकार ने भारतरत्न तथा पद्मविभूषण के सम्मानों से सम्मानित किया था। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के अतिरिक्त अनेक विश्वविद्यालयों ने इनकी संगीत साधना के लिए इन्हें डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की थीं। इन्हें इतना सम्मान मिला, फिर भी खाँ साहब सामान्य जीवन व्यतीत करते रहे और परमात्मा से सच्चा सुर प्रदान करने की प्रार्थना करते रहे।

इन्हें कड़ाही में ‘छन्न’ करती हुई कचौड़ी में संगीत का आरोह-अवरोह सुनाई देता था। रसूलनबाई और बतूलनबाई के गानों ने इन्हें संगीत के प्रति आकर्षित किया था। इन विवरणों से स्पष्ट है कि बिस्मिल्ला खाँ साहब कला के अनन्य उपासक थे। उनके सामने कोई छोटा-बड़ा नहीं था। वे धर्म-भेद भुलाकर मुहर्रम और बालाजी के मंदिर में समान रूप से शहनाई बजाते थे। कला ही उनका धर्म था और सुर की साधना करना उनके जीवन का उद्देश्य था।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 11.
निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए –
(क) यह जरूर है कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
(ख) रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है।
(ग) रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।
(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।
(ङ) हिरन अपनी ही महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है।
(च) खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णतया व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।
उत्तर :
(क) उपवाक्य-शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। – संज्ञा उपवाक्य
(ख) उपवाक्य-जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है। – विशेषण, उपवाक्य
(ग) उपवाक्य-जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। – विशेषण उपवाक्य
(घ) उपवाक्य-कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा। – संज्ञा उपवाक्य
(ङ) उपवाक्य-जिसकी गमक उसी में समाई है। – विशेषण उपवाक्य
(च) उपवाक्य-पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा। – संज्ञा उपवाक्य

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प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए
(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद हैं।
(ख) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(ग) धत्! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।
(घ) काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।
उत्तर :
(क) यह वैसी ही बालसुलभ हँसी है, जिसमें कई यादै बेद हैं।
(ख) काशी में जो संगीत आयोजन होते हैं, उनकी एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(ग) धत् ! पगली ई भारतरत्न शहनाई पे मिला है न कि लुंगिया पे।
(घ) काशी का जो नायाब हीरा है, वह हमेशा दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

पाठेतर सक्रियता –

1. कल्पना कीजिए कि आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध संगीतकार के शहनाईवादन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की सूचना देते हुए बुलेटिन बोर्ड के लिए नोटिस बनाइए।
उत्तर :

सूचना

राजकीय उच्च विद्यालय,
नासिक
दिनांक : ……….

समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि सोमवार दिनांक …….. को प्रातः 11.00 बजे विद्यालय के सभागार में सुप्रसिद्ध शहनाई-वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब की स्मृति में शहनाई-वादन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में सभी विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य है।

हस्ताक्षर ……..
प्रधानाचार्य
राजकीय उच्च विद्यालय, नासिक।

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2. आप अपने मनपसंद संगीतकार के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
मेरे मनपसंद संगीतकार उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ हैं। उनका जीवन अभावों, तंगहाली व उपेक्षाओं में व्यतीत हुआ। परंतु उन्होंने कभी भी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया। उनका सिद्धांत था कि भगवान जिस स्थिति में रखे, उसी स्थिति में मनुष्य को प्रसन्न रहना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी जिस पश्चिमी चकाचौंध को अपना आदर्श मानकर अपने देश और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, उन्हें बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए कि अपना देश और संस्कृति दूसरों से कम नहीं है। मनुष्य अपने देश और उसकी संस्कृति से ही अपना विकास कर सकता है।

बिस्मिल्ला खाँ के लिए कहा गया है कि न वे हिंदू थे और न ही मुसलमान। उनके लिए सभी धर्म समान थे। वे गंगा-जमनी तहज़ीब के प्रतीक थे। आज के समय में बिस्मिल्ला खाँ का आदर्श बहुत महत्व रखता है। उनके आदर्शों का अनुसरण करते हुए मनुष्य को किसी धर्म विशेष के प्रति स्नेह होने पर भी सभी धर्मों को समान आदर देना चाहिए। इससे देश में सद्भावना और एकता के वातावरण का निर्माण होगा, जिससे देश प्रगति की ओर अग्रसर होगा।

3. हमारे साहित्य, कला, संगीत और नृत्य को समृद्ध करने में काशी (आज के वाराणसी) के योगदान पर चर्चा कीजिए।
उत्तर :
काशी ने संगीत के क्षेत्र में उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब जैसे महान शहनाई-वादक दिए। सादिक हुसैन, अलीबख्श खाँ, उस्ताद सलार हुसैन खाँ, उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ आदि शहनाई-वादक भी काशी की ही देन हैं। नृत्य और गायन के क्षेत्र में काशी ने रसूलनबाई तथा बतूलनबाई जैसी प्रतिभाओं को जन्म दिया है। इनके गायन से प्रभावित होकर बिस्मिल्ला खाँ संगीत की ओर आकर्षित हुए थे। काशी की देशी घी की जलेबियाँ और कचौड़ियाँ प्रसिद्ध हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय एवं संपूर्णानंद विश्वविद्यालयों ने शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त योगदान दिया है। संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन का केंद्र काशी ही है। काशी के अन्य प्रसिद्ध कलाकार नृत्यांगना सितारा देवी, ठुमरी गायिका गिरिजा देवी, तबला वादक कंठे महाराज, गुदई महाराज, नर्तक बिरजू महाराज और गोपी कृष्ण हैं।

4. काशी का नाम आते ही हमारी आँखों के सामने काशी की बहुत-सी चीजें उभरने लगती हैं, वे कौन-कौन सी हैं?
उत्तर :
काशी का नाम आते ही हमें काशी विश्वनाथ की याद आ जाती है। गंगा के विशाल घाट, गंगा में स्नान करते श्रद्धालुओं की भीड़, आरती के समय जगमगाती गंगा, गंगा में नौकाविहार आदि का स्मरण हो आता है। बालाजी और संकटमोचन मंदिर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, संपूर्णानंद विश्वविद्यालय, गंगा घाट की छतरियाँ, पंडे, उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई की गूंज-यह सबकुछ आँखों के सामने तैर जाता है।

यह भी जाने –

  • सम – ताल का एक अंग, संगीत में वह स्थान जहाँ लय की समाप्ति और ताल का आरंभ होता है।
  • श्रुति – एक स्वर से दूसरे स्वर पर जाते समय का अत्यंत सूक्ष्म स्वरांश।
  • वाद्ययंत्र – हमारे देश में वाद्य यंत्रों की मुख्य चार श्रेणियाँ मानी जाती हैं।
  • तत-वितत – तार वाले वाद्य-वीणा, सितार, सारंगी।
  • सुषिर – फूंक कर बजाए जाने वाले वाद्य-बांसुरी, शहनाई, नागस्वरम, बीन।
  • घनवाद्य – आघात से बजाए जाने वाले धातु वाद्य-झाँझ, मंजीरा, धुंघरू।
  • अवनद्ध – चमड़े से मढ़े वाद्य-तबला, ढोलक, मृदंग आदि।

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चैती – एक तरह का चलता गाना। चैती-चढ़ल चइत चित लागे ना रामा

बाबा के भवनवा
बीर बमनवा सगुन बिचारो
कब होइहैं पिया से मिलनवा हो रामा
चढ़ल चइत चित लागे ना रामा

ठुमरी – एक प्रकार का गीत जो केवल एक स्थायी और एक ही अंतरे में समाप्त होता है।

ठुमरी बाजुबंद खुल-खुल जाए
जादू की पुड़िया भर-भर मारी
हे ! बाजुबंद खुल-खुल जाए

टप्पा – यह भी एक प्रकार का चलता गाना ही कहा जाता है। ध्रुपद एवं ख्याल की अपेक्षा जो गायन संक्षिप्त है, वही टप्पा है।

टप्पा
बागां विच आया करो
बागां विच आया करो
मक्खियाँ तो डर लगदा
गुड़ ज़रा कम खाया करो।

दादरा – एक प्रकार का चलता गाना। दो अर्धमात्राओं के ताल को भी दादरा कहा जाता है।

दादरा
तड़प तड़प जिया जाए
सांवरियां बिना
गोकुल छाड़े मथुरा में छाए
किन संग प्रीत लगाए
तड़प तड़प जिया जाए

JAC Class 10 Hindi नौबतखाने में इबादत Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
बिस्मिल्ला खाँ की जीवन-पद्धति कैसी थी?
उत्तर :
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के लिए जीने का अर्थ शानदार कोठियाँ, गाड़ियाँ या बैंक-बैलेंस नहीं था। उनके लिए ठाठ और शान से जीने का अर्थ था-अपनों के साथ बनारस में रहते हुए जीना। उनके लिए उनका परिवार ही सर्वोपरि था। उसमें उनके परिवार के सदस्य ही नहीं अपितु उनके संगतकार साजिंदों के परिवार भी सम्मिलित थे। उनके भरण-पोषण का उत्तरदायित्व बिस्मिल्ला खाँ ने अपने ऊपर ले रखा था। यह उनके लिए अनचाहा बोझ नहीं था। यह उनके जीवन जीने का एक तरीका था। उन्हें अपनों के साथ सादगी से रहने में सुख मिलता था।

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प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में गंगा का क्या महत्व था?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में अपना कहने के लिए उनके परिवार के सदस्यों तथा संगतकार साजिंदों के अतिरिक्त बनारस शहर तथा गंगा नदी थी। उन्हें बनारस और गंगा नदी के बदले में जीवन का कोई भी अन्य सुख आनंद नहीं देता था। उन्हें जितना आनंद और सुख बनारस व गंगा नदी के किनारे रहते हुए मिलता था, वैसा सुख और कहीं नहीं मिलता था। एक बार अमेरिका का राक फेलर फाउंडेशन उन्हें उनके संगतकार साजिंदों के साथ कुछ दिन अमेरिका में रखना चाहता था।

वे लोग उनके लिए वहाँ पर बनारस जैसा वातावरण बनाने के लिए भी तैयार थे, परंतु खाँ साहब ने इन्कार कर दिया। उनका उत्तर था कि वे लोग उन्हें अमेरिका में सबकुछ दे देंगे, परंतु वहाँ गंगा नदी कहाँ से लाएँगे? उनके कहने का अर्थ था कि उनके लिए संसार के सभी ऐशो-आराम गंगा नदी के सामने व्यर्थ हैं। उनका जीवन वहीं है, जहाँ गंगा नदी है।

प्रश्न 3.
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कहाँ हुआ? उनका खानदानी पेशा क्या था?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म बिहार के डुमराँव गाँव में हुआ था। शहनाई बजाना उनका खानदानी पेशा और कौशल था। उनके परिवार के सदस्य राजघराने के नौबतखाने में शहनाई बजाते थे।

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प्रश्न 4.
बिस्मिल्ला खाँ की ऐतिहासिक उपलब्धि क्या है?
उत्तर :
आज तक किसी भी महान से महान संगीतकार को भी वह गौरव नहीं मिला, जो कि बिस्मिल्ला खाँ को मिला था। बिस्मिल्ला खाँ को आज़ाद भारत की पहली सुबह 15 अगस्त, 1947 को लाल किले पर शहनाई बजाने का अवसर मिला था। दूसरा ऐतिहासिक क्षण वह था, जब 26 जनवरी, 1950 को बिस्मिल्ला खाँ ने लाल किले पर शहनाई बजाकर लोकतांत्रिक गणराज्य के मंगल प्रभात के रथ की अगुवाई की थी।

प्रश्न 5.
बिस्मिल्ला खाँ को कौन-कौन से राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ को पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण और भारतरत्न से सम्मानित किया गया है। उनका सबसे बड़ा पुरस्कार था – भारत के इतिहास की दो महत्वपूर्ण तिथियों 15 अगस्त, 1947 और 26 जनवरी, 1950 को लाल किले पर शहनाई की मंगल धुनें बजाना। ऐसा पुरस्कार आज तक किसी भी संगीतकार को नहीं मिला।

प्रश्न 6.
बिस्मिल्ला खाँ की संगीत की प्रतिभा और उपलब्धि कैसी थी?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ की जीवन-शैली साधारण थी। उसमें कोई तड़क-भड़क नहीं थी। उन्होंने सदा उतना ही सहेजा, जितना उनकी तथा उनके परिवार की आवश्यकताओं के लिए जरूरी था। इससे हम उन्हें किसी से कम नहीं कह सकते। उनकी उपलब्धि का इससे पता चलता है कि एक बार अमेरिका का राकफेलर फाउंडेशन उन्हें और उनके संगतकार साजिंदों को परिवार सहित उनकी जीवन-शैली के अनुसार अमेरिका में रखना चाहता था। परंतु बिस्मिल्ला खाँ ने अमेरिका के ऐश्वर्य की चाह न रखते हुए उनसे पूछा कि वहाँ वे गंगा नदी कहाँ से लाएँगे? वे चाहते तो अपने लिए सभी प्रकार के भौतिक सुख इकट्ठे कर सकते थे, परंतु उन्होंने अपना जीवन अपनी इच्छा से सादगी और सरलता से व्यतीत किया था।

प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ काशी क्यों नहीं छोड़ना चाहते थे? कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ अनेक कारणों से काशी नहीं छोड़ना चाहते थे। इसमें से एक कारण ‘गंगा नदी’ थी, जिसके बिना बिस्मिल्ला खाँ नहीं रह सकते थे। दूसरा कारण यह था कि उनके पूर्वज वर्षों से वहाँ शहनाई बजाते रहे थे। वे यह परंपरा तोड़ना नहीं चाहते थे।

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प्रश्न 8.
बिस्मिल्ला खाँ साहब का निधन कब हुआ?
उत्तर :
21 अगस्त, 2006 को बिस्मिल्ला खाँ ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। टी०वी० पर उनके देहांत का समाचार बार-बार प्रसारित होता रहा। उस समाचार को सुनकर मन में एक टीस उठ रही थी कि इनके जैसा मानव हमारी धरती पर फिर पैदा नहीं हो सकता। उस दिन . सबकी आँखें नम थीं। उनके घर पर आज भी शहनाई की धुनें लगातार बज रही थीं। परंतु यह शहनाई उनकी यादों को ताज़ा कर रही थी।

प्रश्न 9.
शहनाई बजाने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है, जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है।

प्रश्न 10.
रीड कहाँ पाई जाती है? यह किससे बनाई जाती है?
उत्तर :
रीड डुमराँव में सोन नदी के किनारे पर पाई जाती है। यह नरकट से बनाई जाती है, जो एक प्रकार की घास होती है।

प्रश्न 11.
शहनाई और डुमराँव का रिश्ता गहरा कैसे है?
उत्तर :
शहनाई डुमराँव में सोन नदी के किनारे मिलने वाली रीड से बनती है, वहीं दूसरी ओर सर्वश्रेष्ठ शहनाई-वादक बिस्मिल्ला खाँ का जन्म भी डुमराँव में हुआ था। इसलिए दोनों में गहरा रिश्ता है।

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प्रश्न 12.
बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर ईश्वर से क्या माँगते रहे, और क्यों? इससे उनकी किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर ईश्वर से यही प्रार्थना करते रहे कि वे उन्हें मधुर सुर प्रदान करें; वे अपने सुरों से लोगों में ऐसा प्रभाव भर दें, जिससे लोग भावविभोर हो जाए। शहनाई-वादन में अति कुशल बिस्मिल्ला खाँ के इस व्यवहार से पता चलता है कि वे स्वयं पर व अपनी कला पर कभी अभिमान नहीं किया। वे इसे ईश्वर की कृपा मानते थे और जीवनपर्यंत अपनी कला को निखारने के लिए प्रयासरत रहे।

प्रश्न 13.
खाँ साहब के लिए आठवीं तारीख खास क्यों है?
उत्तर :
खाँ साहब के लिए आठवीं तारीख का अपना विशेष महत्व है। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं और दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता। इस दिन राग-रागिनियों की अदायगी का निषेध है।

प्रश्न 14.
काशी में ऐसा कौन-सा आयोजन होता है, जिसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य शामिल होते थे?
उत्तर :
काशी में संगीत आयोजन की एक अद्भुत एवं प्राचीन परम्परा है। यह आयोजन संकटमोचन मंदिर में पिछले कई वर्षों से हो रहा है। यहाँ हनुमान जयंती के अवसर पर पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य शामिल होते थे।

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प्रश्न 15.
शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फेंका जाता है। रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। इतनी ही महत्ता है इस समय डुमराँव की जिसके कारण शहनाई जैसा वाद्य बजता है। फिर अमीरुद्दीन जो हम सबके प्रिय हैं, अपने उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब हैं। उनका जन्म-स्थान भी डुमराँव ही है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं।
(क) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक हैं, कैसे?
(ख) यहाँ रीड के बारे में क्या-क्या जानकारियाँ मिलती हैं?
(ग) अमीरुद्दीन के माता-पिता कौन थे?
उत्तर :
(क) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक हैं क्योंकि यहाँ सोन नदी के किनारे पाई जाने वाली नरकट नामक घास से शहनाई की रीड बनाई जाती है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म भी डुमराँव में हुआ था। इनके परदादा और पिता भी डुमराँव के निवासी थे।
(ख) रीड अंदर से पोली होती है। इसके द्वारा शहनाई को बजाया जाता है। रीड नरकट नामक घास से बनाई जाती है।
(ग) अमीरुद्दीन के पिता का नाम पैगंबरबख्श खाँ तथा माता का नाम मिट्ठन था।

पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पी प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

1. शहनाई के इसी मंगलध्वनि के नायक बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी बरस से सुर माँग रहे हैं। सच्चे सुर की नेमत। अस्सी बरस की पाँचों वक्त वाली नमाज इसी सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती है। लाखों सज़दे, इसी एक सच्चेसुर की इबादत में खुदा के आगे झुकते हैं। वे नमाज़ के बाद सज़दे में गिड़गिड़ाते हैं-‘मेरे मालिक एक सुर’ बख दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आए।’

(क) लेखक ने मंगल ध्वनि किसे कहा है?
(i) सितार की ध्वनि को
(ii) शंखनाद को
(iii) शहनाई की ध्वनि को
(iv) बाँसुरी की ध्वनि को
उत्तर :
(iii) शहनाई की ध्वनि को

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(ख) बिस्मिल्ला खाँ कितने वर्षों से शहनाई बजा रहे थे?
(i) बीस वर्षों से
(ii) तीस वर्षों से
(iii) पचास वर्षों से
(iv) अस्सी वर्षों से
उत्तर :
(iv) अस्सी वर्षों से

(ग) बिस्मिल्ला खाँ दिन में कितनी बार शहनाई बजाते थे?
(i) दो बार
(ii) तीन बार
(iii) चार बार
(iv) पाँच बार
उत्तर :
(iv) पाँच बार

(घ) बिस्मिल्ला खाँ खुदा से क्या माँगते थे?
(i) मान-सम्मान
(ii) धन-दौलत
(iii) एक सुर
(iv) सुख-संपत्ति
उत्तर :
(iii) एक सुर

(ङ) बिस्मिल्ला खाँ की इच्छा क्या थी?
(i) अच्छी से अच्छी शहनाई बजाना
(ii) अच्छे घर में रहना
(iii) अच्छे कपड़े पहनना
(iv) अच्छा खाना खाना
उत्तर :
(i) अच्छी से अच्छी शहनाई बजाना

उच्च चिंतन क्षमताओं एवं अभिव्यक्ति पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

पाठ पर आधारित प्रश्नों को पढ़कर सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए –

(क) बिस्मिल्ला खाँ किस शहर को नहीं छोड़ना चाहते थे?
(i) काशी को
(ii) लखनऊ को
(iii) मुंबई को
(iv) कोलकाता को
उत्तर :
(i) काशी को

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(ख) बिस्मिल्ला खाँ के अनुसार शहनाई और काशी क्या है?
(i) मन बहलाने का साधन
(ii) जन्नत
(iii) जीने का ज़रिया
(iv) कमाने का ज़रिया
उत्तर :
(ii) जन्नत

(ग) काशी में क्या मंगलमय माना गया है?
(i) काशी में रहना
(ii) काशी में गंगा स्नान करना
(iii) काशी में पूजा करना
(iv) काशी में मरना
उत्तर :
(iv) काशी में मरना

(घ) बिस्मिल्ला खाँ काशीवासियों को क्या प्रेरणा देते हैं?
(i) शहनाई बजाने की
(ii) संगीत सीखने की
(iii) मिल-जुलकर रहने की
(iv) पूजा-पाठ करने की
उत्तर :
(ii) मिल-जुलकर रहने की

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अमीरुद्दीन अभी सिर्फ छः साल का है और बड़ा भाई शम्सुददीन नौ साल का। अमीरुद्दीन को पता नहीं है कि राग किस चिड़िया को कहते हैं और ये लोग हैं मामूजान वगैरह जो बात-बात पर भीमपलासी और मुलतानी कहते रहते हैं। क्या वाज़िब मतलब हो सकता है इन शब्दों का, इस लिहाज से अभी उम्र नहीं है अमीरुद्दीन की, जान सके इन भारी शब्दों का वजन कितना होगा। गोया, इतना ज़रूर है कि अमीरुद्दीन व शम्सुद्दीन के मामाद्वय सादिक हुसैन तथा अलीबख्श देश के जाने-माने शहनाईवादक हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
2. अमीरुद्दीन कौन था?
3. भीमपलासी और मुलतानी क्या हैं ? अमीरुद्दीन को इनका पता क्यों नहीं था?
4. लेखक ने किन्हें देश के जाने-माने शहनाईवादक कहा है?
5. ‘वाजिब’ शब्द का क्या अर्थ है? यहाँ इस शब्द का प्रयोग किसलिए किया गया है?
उत्तर :
1. पाठ-नौबतखाने में इबादत, लेखक-यतींद्र मिश्र।
2. अमीरुद्दीन उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का नाम था।
3. भीमपलासी और मुलतानी शास्त्रीय संगीत के दो प्रसिद्ध राग हैं। अमीरुद्दीन केवल छह वर्ष का बालक था, इसलिए उसे इन रागों का ज्ञान नहीं था।
4. लेखक ने अमीरुद्दीन के दोनों मामाओं-सादिक हुसैन और अलीबख्श को देश के जाने-माने शहनाईवादक कहा है।
5. ‘वाजिब’ शब्द का अर्थ ‘उचित’ है। यहाँ इस शब्द का प्रयोग यह स्पष्ट करने के लिए किया गया है कि अमीरुद्दीन को अपने दोनों मामा द्वारा बार-बार भीम पलासी और मुलतानी जैसे शब्दों का प्रयोग सुनकर यह समझ नहीं आता था कि इन शब्दों का सही अर्थ क्या हो सकता है?

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2. खाँ साहब को बड़ी शिद्दत से कमी खलती है। अब संगतियों के लिए गायकों के मन में कोई आदर नहीं रहा। खाँ साहब अफ़सोस जताते हैं। अब घंटों रियाज़ को कौन पूछता है? हैरान हैं बिस्मिल्ला खाँ। कहाँ वह मजली, चैती और अदब का ज़माना? सचमुच हैरान करती है काशी-पक्का महाल से जैसे मलाई बरफ़ गया, संगीत, साहित्य और अदब की बहुत सारी परंपराएँ लुप्त हो गई। एक सच्चे सुर-साधक और सामाजिक की भाँति बिस्मिल्ला खाँ एक-दूसरे के पूरक रहे हैं, उसी तरह मुहर्रम-ताज़िया और होली-अबीर, गुलाल की गंगा-जमुनी संस्कृति भी एक-दूसरे के पूरक रहे हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. संगीत की कौन-सी परंपराएँ बदलते समय के अनुसार विलुप्त हो गई?
2. बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्ला खाँ को एक-दूसरे का पूरक क्यों कहा गया है?
3. ‘गंगा-जमुनी संस्कृति’ से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1. संगीत की कुछ परंपराएं बदलते समय के साथ लुप्त होती जा रही है जैसे संगतियों के लिए गायकों के मन में अब कोई आदर, नहीं रहा, अब कोई गायक या वादक घंटों तक रियाज नहीं करता, चैती और अदब का ज़माना भी अब नहीं रहा।

2. उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ काशी के बाबा विश्वनाथ मंदिर में बैठकर घंटों रियाज़ किया बरते अथवा गंगा के किनारे पर शहनाई बजाया करते थे। जब भी वह किसी कार्यक्रम में शहनाई वादन के लिए काशी से बाहर जाते तो भी बाबा विश्वनाथ के मंदिर की ओर मुंह करके शहनाई वादन आरंभ करते थे। इससे पता चलता है कि वे दोनों एक-दूसरे से अंतर्मन से जुड़े हुए थे और एक-दूसरे के पूरक थे।

3. भारत अनेक प्रकार के धर्मों तथा जातियों की मिली-जुली संस्कृति वाला देश है। काशी संस्कृति की पाठशाला है क्योंकि काशी में संगीत की अद्भुत परंपरा रही है। यहां के लोगों की अलग ही तहजीब है, बोली, अपने विशिष्ट विचार है। इनके अपने उत्सव है और अपने गम है। यहाँ सभी धर्मों के लोग शांत वातावरण में मिलजुल कर रहते हैं। इसका सबसे उत्तम उदाहरण है कि बिस्मिल्ला खाँ तथा बाबा विश्वनाथ अलग-अलग धर्मों से संबंध रखते हुए भी एक-दूसरे से जुड़े हुए थे।

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3. काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है। यह आयोजन पिछले कई बरसों से संकटमोचन मंदिर में होता आया है। यह मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है व हनुमान जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायनवादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य रहते हैं। अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी के प्रति भी अपार है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. काशी में संगीत आयोजन की क्या परंपरा है ?
2. हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित संगीत सभा का परिचय दीजिए।
3. बिस्मिल्ला खाँ की काशी विश्वनाथ के प्रति कैसी भावनाएँ थीं?
4. काशी में संकटमोचन मंदिर कहाँ स्थित है और उसका क्या महत्व है?
उत्तर :
1. काशी में संगीत आयोजन की बहुत प्राचीन और विचित्र परंपरा है। यह आयोजन काशी में विगत कई वर्षों से हो रहा है। यह संकटमोचन मंदिर में होता है। इस आयोजन में शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन होता है।
2. हनुमान जयंती के अवसर पर काशी के संकटमोचन मंदिर में पाँच दिनों तक शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत की श्रेष्ठ सभा का आयोजन किया जाता है। इस सभा में बिस्मिल्ला खाँ का शहनाई-वादन अवश्य होता है।
3. बिस्मिल्ला खाँ अपने धर्म के प्रति पूर्णरूप से समर्पित हैं। वे पाँचों समय नमाज़ पढ़ते हैं। इसके साथ ही वे बालाजी मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर में भी शहनाई बजाते हैं। उनकी काशी विश्वनाथजी के प्रति अपार श्रद्धा है।
4. काशी में संकटमोचन मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है। यहाँ हनुमान जयंती के अवसर पर पाँच दिनों का संगीत सम्मेलन होता है। इस अवसर पर बिस्मिल्ला खाँ का शहनाईवादन होता है।

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4. अक्सर कहते हैं-‘क्या करें मियाँ, ई काशी छोड़कर कहाँ जाएँ, गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्वनाथ यहाँ, बालाजी का मंदिर यहाँ, यहाँ हमारे खानदान की कई पुश्तों ने शहनाई बजाई है, हमारे नाना तो वहीं बालाजी मंदिर में बड़े प्रतिष्ठित शहनाईवाज़ रह चुके हैं। अब हम क्या करें, मरते दम तक न यह शहनाई छूटेगी न काशी। जिस ज़मीन ने हमें तालीम दी, जहाँ से अदब पाई, वो कहाँ और मिलेगी? शहनाई और काशी से बढ़कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर हमारे लिए।’

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहते थे?
2. बिस्मिल्ला खाँ के परिवार में और कौन-कौन शहनाई बजाते थे?
3. बिस्मिल्ला खाँ के लिए शहनाई और काशी क्या हैं?
4. बिस्मिल्ला खाँ मरते दम तक क्या और क्यों नहीं छोड़ना चाहते ?
उत्तर :
1. बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर इसलिए नहीं जाना चाहते थे क्योंकि यहाँ गंगा है; बाबा विश्वनाथ हैं; बालाजी का मंदिर है और उनके परिवार की कई पीढ़ियों ने यहाँ शहनाई बजाई है। उन्हें इन सबसे बहुत लगाव है।
2. बिस्मिल्ला खाँ के नाना काशी के बालाजी के मंदिर में शहनाई बजाते थे। उनके मामा सादिम हुसैन और अलीबख्श देश के जाने माने शहनाई वादक थे। इनके दादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ भी प्रसिद्ध शहनाई-वादक थे।
3. बिस्मिल्ला खाँ के लिए इस धरती पर शहनाई और काशी से बढ़कर अन्य कोई जन्नत ही नहीं है।
4. बिस्मिल्ला खाँ मरते दम तक काशी में रहना और शहनाई बजाना नहीं छोड़ना चाहते, क्योंकि इसी काशी नगरी में उन्हें शहनाई बजाने की शिक्षा मिली।

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5. काशी आज भी संगीत के स्वर पर जगती और उसी की थापों पर सोती है। काशी में मरण भी मंगल माना गया है। काशी आनंदकानन है। सबसे बड़ी बात है कि काशी के पास उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ जैसा लय और सुर की तमीज़ सिखाने वाला नायाब हीरा रहा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होने व आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. आज की काशी कैसी है?
2. काशी में मरण मंगलमय क्यों माना गया है?
3. काशी के पास कौन-सा नायाब हीरा रहा है?
4. काशी आनंदकानन कैसे है?
उत्तर :
1. आज की काशी भी संगीत के स्वरों से जागती है और संगीत की थपकियाँ उसे सुलाती हैं। बिस्मिल्ला खाँ के शहनाईवादन की प्रभाती काशी को जगाती है।
2. काशी में मरना इसलिए मंगलमय माना गया है, क्योंकि हिंदू धर्मग्रंथों में इसे शिव की नगरी कहा गया है। उनके अनुसार यहाँ मरने से मनुष्य को शिवलोक प्राप्त हो जाता है और वह जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
3. काशी के पास बिस्मिल्ला खाँ जैसा लय और सुर का नायाब हीरा रहा है, जो अपने सुरों से काशी में प्रेमरस बरसाता रहा है। उसने सदा काशीवासियों को मिल-जुल कर रहने की प्रेरणा दी है।
4. काशी को आनंदकानन इसलिए कहते हैं, क्योंकि यहाँ विश्वनाथ अर्थात् भगवान शिव विराजमान हैं। उनकी कृपा से यहाँ सदा आनंद-मंगल की वर्षा होती रहती है। विभिन्न संगीत-सभाओं के आयोजनों से सदा उत्सवों का वातावरण बना रहता है। यहाँ सदैव आनंद ही आनंद छाया रहता है।

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6. वही पुराना बालाजी का मंदिर जहाँ बिस्मिल्ला खाँ को नौबतखाने रियाज़ के लिए जाना पड़ता है। मगर एक रास्ता है बालाजी मंदिर तक जाने का। यह रास्ता रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर जाता है। इस रास्ते में अमीरुद्दीन को जाना अच्छा लगता है। इस रास्ते न जाने कितने तरह के बोल-बनाव कभी ठुमरी, कभी टप्पे, कभी दादरा के मार्फत ड्योढ़ी तक पहुँचते रहते हैं। रसूलन और बतूलन जब गाती हैं तब अमीरुद्दीन को खुशी मिलती है। अपने ढेरों साक्षात्कारों में बिस्मिल्ला खाँ साहब ने स्वीकार किया है कि उन्हें अपने जीवन के आरंभिक दिनों में संगीत के प्रति आसक्ति इन्हीं गायिका बहनों को सुनकर मिली है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. बिस्मिल्ला खाँ कौन थे ? बालाजी मंदिर से उनका क्या संबंध है?
2. रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर बालाजी के मंदिर जाना बिस्मिल्ला खाँ को क्यों अच्छा लगता था?
3. ‘रियाज़’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
1. बिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादक थे जिनके बचपन का नाम अमीरुद्दीन था। बचपन से ही वे बालाजी के मंदिर के रास्ते से नौबतखाने में रियाज़ के लिए जाते थे।
2. रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर बालाजी के मन्दिर जाना बिस्मिल्ला खाँ को इसलिए अच्छा लगता था क्योंकि वहाँ वे दोनों बहनों के गाए ठुमरी, टप्पे, दादरा के बोल इन्हें बहुत अच्छे लगते थे।
3. ‘रियाज’ से तात्पर्य है-किसी सुर या वाद्ययंत्र का बार-बार अभ्यास करना। गीतकार एवं संगीतकार रियाज़ कर स्वयं को उत्तम बनाने का – प्रयास करते हैं।

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7. किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, “बाबा! आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं।” खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, “धत्! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं। तुम लोगों की तरह बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज़ हो पाता?”

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों?
2. खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया?
3. इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर :
1. एक दिन खाँ साहब की शिष्या ने डरते-डरते उनसे कहा कि वे फटी हुई लुंगी/तहमद को न पहना करें। उनकी प्रतिष्ठा पर फटी तहमद अच्छी नहीं लगती। उन्हें भारतरत्न पुरस्कार भी मिल चुका है।
2. खाँ साहब ने शिष्या को समझाया कि भारत रत्न पुरस्कार उन्हें शहनाई पर मिला है न कि लुंगी पर। अतः हमें शारीरिक सौंदर्य पर ध्यान न देकर अपनी कला पर ध्यान देना चाहिए।
3. उक्त वाक्यों से खाँ साहब के सरल, सहज स्वभाव के बारे में पता चलता है। उनके मन में शहनाई ही सर्वोपरि है। वे कला के सच्चे उपासक

नौबतखाने में इबादत Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-यतींद्र मिश्र का जन्म सन 1977 ई० में उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगर में हुआ था। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एम०ए० (हिंदी) की परीक्षा उत्तीर्ण की। कविता, संगीत एवं अन्य ललित कलाओं में इन्हें विशेष रुचि है। इन्होंने सन 1999 ई० में ‘विमला देवी फाउंडेशन’ नामक सांस्कृतिक न्यास की स्थापना की। ‘थाती’ और अर्धवार्षिक पत्रिका ‘सरित’ का इन्होंने संपादन किया है। इन्हें इनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए भारतभूषण अग्रवाल कविता सम्मान, हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार ऋतुराज सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इन दिनों ये स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। रचनाएँ-यतींद्र मिश्र की प्रमुख रचनाएँ ‘ यदा-कदा, अयोध्या तथा अन्य कविताएँ, ड्योढ़ी पर आलाप और गिरिजा’ हैं। इन्होंने ‘कवि द्विजदेव ग्रंथावली’ का सह-संपादन भी किया है।

भाषा-शैली – यतींद्र मिश्र की भाषा-शैली सहज, प्रवाहमयी, व्यावहारिक तथा प्रसंगानुकूल है। ‘नौबतखाने में इबादत’ प्रसिद्ध शहनाईवादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब के जीवन के विभिन्न पक्षों को उजागर करने वाला शब्दचित्र है, जिसमें लेखक ने शास्त्रीय परंपरा के विभिन्न प्रसंगों को कुशलता से उजागर किया है। इसके लिए लेखक ने संगीत जगत में प्रचलित शब्दावली का भी प्रयोग किया है; जैसे-सम, सुर, ताल, ठुमरी, टप्पा, दादरा, रीड, कल्याण, मुलतानी, भीम पलासी आदि भाषा में लोक प्रचलित विदेशी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया गया है; जैसे-रोज़नामचे, दरबार, पेशा, खानदानी, साहबजादे, शाहेनय, मुराद, ग़मज़दा, बदस्तूर आदि।

कहीं-कहीं तत्सम प्रधान शब्दावली के भी दर्शन हो जाते हैं; जैसे-‘अपने अहापोहों से बचने के लिए हम स्वयं किसी शरण, किसी गुफ़ा को खोजते हैं जहाँ अपनी दुश्चिताओं, दुर्बलताओं को छोड़ सकें और वहाँ फिर अपने लिए एक नया तिलस्म गढ़ सकें।’ संवादों में स्थानीय भाषा का चमत्कार देखा जा सकता है; जैसे ‘धत् ! पगली ई भारत रत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।’ शैली में सर्वत्र रोचकता बनी रही है जो कभी भावात्मक, कभी वर्णनात्मक और कभी चित्रात्मक हो जाती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

पाठ का सार :

‘नौबतखाने में इबादत’ यतींद्र मिश्र द्वारा रचित सुप्रसिद्ध शहनाईवादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के जीवन के विभिन्न पक्षों को उजागर करने वाला व्यक्ति-चित्र है। सन 1916 से 1922 के आसपास की काशी में छह वर्ष का अमीरुद्दीन अपने नौ साल के बड़े भाई शम्सुद्दीन के साथ अपने दोनों मामा सादिक हुसैन और अलीबख्श के पास रहने आ जाते हैं। इनके दोनों मामा देश के प्रसिद्ध शहनाईवादक हैं। वे दिन की शुरुआत पंचगंगा घाट स्थित बालाजी मंदिर की ड्योढ़ी पर शहनाई बजाकर करते हैं। अमीरुद्दीन ही उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का नाम है।

इनका जन्म बिहार के डुमराँव नामक गाँव में हुआ था। डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाने वाली नरकट नामक घास से शहनाई की रीड बनाई जाती है, जिससे शहनाई बजती है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ थे। इनकी माता का नाम मिट्ठन था। अमीरुद्दीन अर्थात बिस्मिल्ला खाँ चौदह वर्ष की उम्र में बालाजी के मंदिर में जाते समय रसूलनबाई और बतूलनबाई के घर के रास्ते से होकर जाते थे। इन दोनों बहनों के गाए हुए ठुमरी, टप्पे, दादरा के बोल इन्हें बहुत अच्छे लगते थे।

इन्होंने स्वयं माना है कि इन दोनों बहनों के कारण ही उन्हें अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों में संगीत के प्रति लगाव हुआ था। वैदिक साहित्य में शहनाई का कोई वर्णन प्राप्त नहीं होता। शहनाई को ‘मुँह से फूंककर बजाए जाने वाले वाद्यों में गिना जाता है, जिसे ‘सुषिरवाद्य’ कहते हैं। शहनाई को ‘शाहेनय’ अर्थात ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि दी गई है।

सोलहवीं शताब्दी के अंत में तानसेन द्वारा रचित राग कल्पद्रुम की बंदिश में शहनाई, मुरली, वंशी, शृंगी और मुरछंग का वर्णन मिलता है। अवधी के लोकगीतों में भी शहनाई का उल्लेख प्राप्त होता है। मांगलिक अवसरों पर शहनाई का प्रयोग किया जाता है। दक्षिण भारत के मंगलवाद्य ‘नागस्वरम’ के समान शहनाई भी प्रभाती की मंगल ध्वनि का प्रतीक है।

अस्सी वर्ष के होकर भी उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ परमात्मा से सदा ‘सुर में तासीर’ पैदा करने की दुआ माँगते हैं। उन्हें लगता है कि वे अभी तक सातों सुरों का ढंग से प्रयोग करना नहीं सीख पाए हैं। बिस्मिल्ला खाँ मुहर्रम के दिनों की आठवीं तारीख को खड़े होकर शहनाई बजाते हैं और दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल ही रोते हुए नौहा बजाते हुए जाते हैं। उनकी आँखें हज़रत इमाम हुसैन और उनके परिवारवालों के बलिदान की स्मृति में भीगी रहती हैं।

अपने खाली समय में वे जवानी के उन दिनों को याद करते हैं जब रियाज़ से अधिक उन पर कुलसुम हलवाइन की दुकान की कचौड़ियाँ खाने तथा गीताबाली और सुलोचना की फ़िल्में देखने का जुनून सवार रहता था। वे बचपन में मामू, मौसी और नानी से दो-दो पैसे लेकर छह पैसे के टिकट से थर्ड क्लास में फ़िल्म देखने जाते थे। जब बालाजी मंदिर में शहनाई बजाने के बदले अट्ठनी मिलती थी, तो उसे भी वे कचौड़ी खाने और सुलोचना की फ़िल्म देखने में खर्च कर देते थे।

उन्हें कुलसुम की कड़ाई में कचौड़ी डालकर तलते समय उत्पन्न होने वाली छन्न की ध्वनि में संगीत सुनाई देता था। विगत कई वर्षों से काशी में संगीत का आयोजन संकटमोचन मंदिर में होता है। हनुमान जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय संगीत सम्मेलन होता है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य रहते हैं। उन्हें काशी विश्वनाथ के प्रति भी अपार श्रद्धा है। वे जब भी काशी से बाहर होते हैं, तो विश्वनाथ एवं बालाजी मंदिर की ओर मुँह करके थोड़ी देर के लिए शहनाई अवश्य बजाते हैं। उन्हें काशी से बहुत मोह है। वे गंगा, विश्वनाथ, बालाजी की काशी को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते।

उन्हें इस धरती पर काशी और शहनाई से बढ़कर कहीं भी स्वर्ग नहीं दिखाई देता। काशी की अपनी ही संस्कृति है। बिस्मिल्ला खाँ का पर्याय उनकी शहनाई है और शहनाई का पर्याय बिस्मिल्ला खाँ हो गए हैं। इनकी फूंक से शहनाई में जादुई ध्वनि उत्पन्न हो जाती है। एक दिन इनकी एक शिष्या ने इन्हें कहा कि ‘आपको भारत-रत्न मिल चुका है। आप फटी हुई तहमद न पहना करें।’ इस पर इनका उत्तर था कि ‘भारत-रत्न हमें शहनाई पर मिला है न कि तहमद पर।

हम तो मालिक से यही दुआ करते हैं कि फटा सुर नं दे, तहमद चाहे फटा रहे।’ सन 2000 की बात स्मरण करते हुए लेखक कहता है कि उन्हें इस बात की कमी खलती थी कि पक्का महाल क्षेत्र में मलाई बरफ़ बेचने वाले चले गए हैं। देशी घी की कचौड़ी-जलेबी भी पहले जैसी नहीं बनती। संगीत, साहित्य और अदब की प्राचीन परंपराएँ लुप्त होती जा रही हैं। काशी में आज भी संगत के स्वर गूंजते हैं। यहाँ का मरण मंगलमय माना जाता है। काशी आनंदकानन है।

यहाँ बिस्मिल्ला खाँ और विश्वनाथ एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। यहाँ की गंगा-जमुनी संस्कृति का अपना ही महत्व है। भारत-रत्न व अनेक उपाधियों, पुरस्कारों, सम्मानों आदि से सम्मानित बिस्मिल्ला खाँ सदा संगीत के अजेय नायक बने रहेंगे। नब्बे वर्ष की आयु में दिनांक 21 अगस्त, 2006 को संगीत की दुनिया का अनमोल साधक संगीत-प्रेमियों के संसार से विदा हो गया।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

किठिन शब्दों के अर्थ :

तिलिस्म – जादू। गमक – खुशबू, सुगंध। अज़ादारी – मातम करना, दुख मनाना। बदस्तूर – कायदे से, तरीके से। नैसर्गिक – स्वाभाविक, प्राकृतिक। दाद – शाबासी। तालीम – शिक्षा। अदब – कायदा, साहित्य। अलहमदुलिल्लाह- तमाम तारीफ़ ईश्वर के लिए। जिजीविषा – जीने की इच्छा। शिरकत – शामिल होना। ड्योढ़ी – दहलीज़। नौबतखाना – प्रवेश द्वार के ऊपर मंगल ध्वनि बजाने का स्थान। रियाज़ – अभ्यास। मार्फत – द्वारा। श्रृंगी – सींग का बना वायंत्र। मुरदंग – एक प्रकार का लोक वाद्ययंत्र। नेमत – ईश्वर की देन, सुख, धन-दौलत। सज़दा – माथा टेकना। इबादत – उपासना। तासीर – गुण, प्रभाव, असर। श्रुति – शब्द-ध्वनि। ऊहापोह – उलझन, अनिश्चितता।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

JAC Class 10 Hindi मीरा के पद Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती हैं कि हे श्रीकृष्ण! आप सदैव अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करते हैं। वे कहती हैं कि जब-जब भी भक्तों पर मुसीबतें आई हैं, तब-तब श्रीकृष्ण ने स्वयं आकर अपने भक्तों की पीड़ा को हरा है। जब कौरवों ने भरी सभा में द्रौपदी को अपमानित करने का प्रयास किया, तो भगवान श्रीकृष्ण ने उसके मान-सम्मान की रक्षा की। इसी प्रकार भक्त का प्रहलाद के लिए नृसिंह अवतार धारण किया; हाथी की मगरमच्छ से रक्षा की। हरि से इन सभी दृष्टांतों के माध्यम से अपनी पीड़ा को भी हरने की मीराबाई ने विनती की है।

प्रश्न 2.
दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण की सेविका बनकर उनके आस-पास रहना चाहती हैं और उनके बार-बार दर्शन करना चाहती हैं। सेवक सदा अपने स्वामी के आस-पास रहता है; मीराबाई भी श्रीकृष्ण के आस-पास रहकर उनकी लीला का गुणगान करना चाहती हैं। वे श्रीकृष्ण की सेवा में उनके दर्शन और नाम-स्मरण को पाना चाहती हैं। मीराबाई श्रीकृष्ण की सेविका बनकर भक्तिरूपी धन-दौलत को प्राप्त करना चाहती हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

प्रश्न 3.
उत्तर
मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण की सुंदरता का वर्णन करते हुए कहती हैं कि श्रीकृष्ण के माथे पर मोर के पंखों का मुकुट सुशोभित है। उनके शरीर पर पीतांबर उनकी शोभा को और अधिक बढ़ा रहा है। श्रीकृष्ण के गले में वैजंती माला अत्यंत शोभा पा रही है। ऐसी वेशभूषा से सुशोभित श्रीकृष्ण वृंदावन में गाय चराते हुए और बाँसुरी बजाते हुए अत्यंत आकर्षक लगते हैं।

प्रश्न 4.
मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
मीराबाई के काव्य की भाषा उनके प्रेमी हृदय का सौंदर्य है। उन्होंने अपने काव्य में मुख्य रूप से ब्रजभाषा, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती आदि शब्दों का प्रयोग में किया है। मीरा का अधिकांश समय राजस्थान में बीता था, इसलिए उनके काव्य में राजस्थानी शब्दों का प्रयोग अधिक मिलता है। मीरा की भाषा में प्रवाहात्मकता का गुण सर्वत्र विद्यमान है। उनकी भावानुकूल शब्द-योजना द्रष्टव्य है।

अपनी प्रेम की पीड़ा को अभिव्यक्त करने के लिए उन्होंने अत्यंत भावानुकूल शब्दावली का प्रयोग किया है। भाषा पर राजस्थानी प्रभाव के कारण उन्होंने ‘न’ के स्थान पर ‘ण’ का प्रयोग किया है। इसके साथ-साथ मीराबाई की भाषा में अनेक अलंकारों का सफल एवं स्वाभाविक प्रयोग हुआ है। उनके द्वारा प्रयुक्त अलंकारों में अनुप्रास, वीप्सा, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा तथा उदाहरण अलंकार प्रमुख हैं। मीराबाई के काव्य की शैली गीति शैली है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

प्रश्न 5.
वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तैयार हैं?
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण को अपने प्रियतम के रूप में देखती हैं। वे बार-बार श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहती हैं। उन्हें पाने के लिए मीराबाई उनकी सेविका बनने के लिए तैयार हैं। वे सेविका बनकर श्रीकृष्ण का निरंतर सामीप्य चाहती हैं। वे बड़े-बड़े महलों का निर्माण करवाकर उनके बीच में खिड़कियाँ बनवाना चाहती हैं। इन खिड़कियों से वे श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य को निहारना चाहती हैं। श्रीकृष्ण को पाने के लिए मीरा भली प्रकार से श्रृंगार करके आधी रात को यमुना के तट पर उनकी प्रतीक्षा करती हैं। वे श्रीकृष्ण के दर्शन की प्यासी हैं और किसी भी प्रकार से उन्हें पा लेना चाहती हैं।

(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
(लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1.
हरि आप हरो जन री भीर।
द्रौपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धरयो आप सरीर॥
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग किया है। अनुप्रास एवं उदाहरण अलंकार हैं। भाषा में प्रवाहमयता तथा सरसता का गुण विद्यमान है। दैन्य भाव की भक्ति है तथा शांत रस की प्रधानता है। कवयित्री ने अभिधात्मक शैली का प्रयोग करते हुए अपने भावों की सुंदर अभिव्यक्ति की है।

प्रश्न 2.
बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।
उत्तर :
इन पंक्तियों में कवयित्री ने राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। तत्सम और तद्भव शब्दों का सुंदर मिश्रण है। अनुप्रास तथा दृष्टांत अलंकार का प्रयोग है। दास्य भाव की भक्ति है तथा शांत रस की प्रधानता है। कवयित्री की भाषा में प्रवाहात्मकता, संगीतात्मकता तथा गेयता का गुण विद्यमान है। अत्यंत सरल शब्दों में भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति हुई है।

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प्रश्न 3.
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बातां सरसी॥
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियों की भाषा राजस्थानी है। भाषा में लयात्मकता, संगीतात्मकता तथा गेयता का गुण सर्वत्र विद्यमान है। सरलता, सरसता और माधुर्य से युक्त भाषा द्रष्टव्य है। दास्य भाव की भक्ति है, जिसमें शांत रस की प्रधानता है। कवयित्री ने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी कोमल भावनाओं की सुंदर ढंग से अभिव्यक्ति की है।

भाषा अध्ययन –

प्रश्न :
उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए
उदाहरण – भीर – पीड़ा/कष्ट/दुख; री – की
चीर, बूढ़ता, धरयो, लगास्यूँ, कुण्जर, घणा, बिन्दरावन, सरसी, रहस्यूँ, हिवड़ा, राखो, कुसुम्बी
उत्तर :

  • चीर – वस्त्र, कपड़ा
  • धरयो – धारण किया
  • कुण्जर – हाथी
  • बिन्दरावन – वृंदावन
  • रहस्यूँ – रहकर
  • राखो – रखना
  • बूढ़ता – डूबते हुए
  • लगास्यूँ – लगाऊँगी
  • घणा – बहुत अधिक
  • सरसी – अच्छी, रस से युक्त
  • हिवड़ा – हृदय
  • कुसुम्बी – लाल रंग की

योग्यता विस्तार –

प्रश्न 1.
मीरा के अन्य पदों को याद करके कक्षा में सुनाइए।
उत्तर
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

प्रश्न 2.
यदि आपको मीरा के पदों के कैसेट मिल सकें तो अवसर मिलने पर उन्हें सुनिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
मीरा के पदों का संकलन करके उन पदों को चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर लगाइए।
उत्तर :
चार्ट बनाने का कार्य विदयार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
पहले हमारे यहाँ दस अवतार माने जाते थे। विष्णु के अवतार राम और कृष्ण प्रमुख हैं।
अन्य अवतारों के बारे में जानकारी प्राप्त करके एक चार्ट बनाइए।
उत्तर :
चार्ट बनाने का कार्य विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi मीरा के पद Important Questions and Answers

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
मीरा की दृष्टि में उनके प्रभु श्रीकृष्ण कैसे हैं ?
उत्तर :
मीरा की दृष्टि में उनके प्रभु श्रीकृष्ण दयालु और भक्त-वत्सल हैं। वे अपने भक्तों पर अपनी विशेष अनुकम्पा रखते हैं; उनकी सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, फिर चाहे इसके लिए उन्हें नृसिंह अवतार ही क्यों न लेना पड़े। वे अपने भक्तों को बीच मझधार में नहीं छोड़ते। वे अपने भक्तों की परीक्षा अवश्य लेते हैं, लेकिन यह परीक्षा धैर्य और भक्ति की पराकाष्ठा को देखने के लिए होती है।

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प्रश्न 2.
मीरा को श्रीकृष्ण की सेवा करते हुए भक्ति के कौन-से तीन रूप मिलने वाले थे?
उत्तर :
मीरा को श्रीकृष्ण की सेवा करते हुए भक्ति के तीन रूप-भावमग्न भक्ति, प्रभु-दर्शन तथा नाम-स्मरण प्राप्त होने वाले थे। मीरा कहती हैं कि जब वे दासी बनकर श्रीकृष्ण की सेवा करेंगी, तो प्रतिदिन उन्हें प्रभु के दर्शन होंगे। उनके लिए प्रभु की सेवा करने की कमाई मेरे लिए प्रभु का नाम-स्मरण होगा। प्रभु के रूप-सौंदर्य की लालसा में जब वे उनका इंतज़ार करेंगी तो वह भाव-मग्न भक्ति होगी।

प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज किस प्रकार बचाई थी?
उत्तर :
जब दुःशासन भरी सभा में द्रौपदी को सबके समक्ष निर्वस्त्र करने का प्रयास कर रहा था, तब श्रीकृष्ण प्रकट हुए और उन्होंने द्रौपदी के वस्त्र को बढ़ाकर उसे अपमानित होने से बचा लिया था। श्रीकृष्ण के इस कार्य से ही द्रौपदी के मान-सम्मान की रक्षा हुई थी।

प्रश्न 4.
श्रीविष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा किस रूप में और क्यों की थी?
उत्तर :
श्रीविष्णु ने प्रहलाद की रक्षा नृसिंह रूप में अवतरित होकर की थी। प्रहलाद उनका भक्त था। अपने भक्त की रक्षा के लिए उन्होंने अत्याचारी एवं अनाचारी दैत्य हिरण्यकशिपु का वध किया था। उनका यह कार्य उनकी भक्त-वत्सलता का प्रमाण है कि वे कभी भी अपने भक्तों को अकेला व असहाय नहीं छोड़ते।

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प्रश्न 5.
मीरा श्रीकृष्ण की सेवा करके वेतन रूप में क्या पाना चाहती हैं?
उत्तर :
मीरा अपने आराध्य श्रीकृष्ण की सेवा करके उनके नाम-स्मरण को वेतन के रूप में पाना चाहती हैं, ताकि वे प्रभु को प्रतिपल याद करती रहे। एक क्षण के लिए भी वे प्रभु से दूर न हों। उनका भाव एवं विचार सदैव प्रभु-भक्ति में लीन रहे।

प्रश्न 6.
मीरा का हृदय क्यों व्याकुल है?
उत्तर :
मीरा श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्व मानती हैं। उनके सिवाय मीरा को संसार में कोई अपना नहीं लगता। संसार का कण-कण मीरा को श्रीकृष्ण की याद दिलाता है। श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति एवं तल्लीनता के कारण वे श्रीकृष्ण के दर्शनों की प्यासी हैं। इसलिए श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए उनका हृदय बहुत व्याकुल है।

प्रश्न 7.
मीरा श्रीकृष्ण से क्या प्रार्थना करती हैं ?
उत्तर :
मीरा श्रीकृष्ण की अनन्य उपासिका हैं। मीरा का मन सारा दिन श्रीकृष्ण के नाम का भजन करता है। वे श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा को दूर करने की प्रार्थना करती हैं। वे मानती हैं कि उनके प्रभु भक्त-वत्सल हैं। वे भक्तों की विनती को कभी नहीं ठुकराते। भक्तों पर उनकी दया-दृष्टि सदैव बनी रहती है, इसलिए वे श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा को दूर करने के लिए प्रार्थना करती हैं।

मीरा के पद Summary in Hindi

कवयित्री-परिचय :

जीवन – राजस्थान के भक्तों में सर्वोपरि, कृष्ण भक्तों में सम्माननीय और मध्ययुगीन हिंदी काव्य में विशिष्ट स्थान की अधिकारिणी मीराबाई का सारा साहित्य कृष्ण भक्ति से संबंधित है। वह आँसुओं के जल से सिंचा और आहों से सुवासित हुआ है। मीरा का संबंध राठौड़ों की एक उपशाखा मेड़तिया वंश से था। मीराबाई राव दूदा जी के चौथे पुत्र रत्नसिंह की पुत्री थीं। इनका जन्म जोधपुर के चोकड़ी (कुड़की) नामक ग्राम में सन 1503 के आसपास हुआ था। मीरा के दादा अत्यंत धर्मात्मा व्यक्ति थे, जिनके कारण इनके परिवार में धार्मिक भावनाओं की प्रधानता स्वाभाविक थी। बचपन से ही मीरा कृष्ण भक्त थीं। इन्होंने अधिक दिनों तक लौकिक सुहाग का सुख नहीं भोगा।

विवाह के कुछ वर्षों बाद राणा सांगा के जीवनकाल में ही इनके पति भोजराज की मृत्यु हो गई। इससे इनके जीवन में एक नया मोड़ आ गया। लेकिन सिंदूर लुट जाने पर भी गिरधर के अखंड सौभाग्य का रंग सदा के लिए इन पर छा गया। सभी राग-विरागों से मुक्त हो वे अपने आराध्य कृष्ण में ही एकनिष्ठ हो गईं। इनका विरह कृष्ण-प्रेम का रूप लेकर गीतों में फूट पड़ा।

मीरा के श्वसुर उदार और स्नेही व्यक्ति थे, इसलिए उनके रहते हुए मीरा को कोई कष्ट नहीं हुआ। लेकिन उनके देहांत के बाद मीरा को अनेक परेशानियाँ हुईं। इन्हें विष देकर एवं पिटारी में साँप भेजकर मारने का प्रयास किया गया। कालांतर में मीरा पूर्ण वैरागिन होकर साधुओं की मंडली में मिल गई और वृंदावन चली गईं। लगभग सन 1546 में श्री रणछोड़ के मंदिर में कीर्तन-भजन करते-करते इनकी मृत्यु हो गई।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

रचनाएँ – मीरा की रचनाएँ निम्नलिखित मानी जाती हैं – नरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग सोरठ के पद, राग गोविंद व मीरा के पद। मीरा के पद गुजराती, राजस्थानी, पंजाबी, खड़ी बोली आदि में मिलते हैं। इनके गीत ‘मीराबाई पदावली’ में संकलित हैं।

साहित्यिक प्रवृत्तियाँ – मीरा का काव्य कृष्ण-प्रेम से ओत-प्रोत है। वे सच्ची प्रेमिका हैं। इनकी भक्ति दैन्य और माधुर्य भाव की है। इनके काव्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. प्रेम-भावना – मीरा के काव्य का मूल स्वर प्रेम है। उनके प्रिय श्रीकृष्ण हैं। मीरा का प्रेम, उनकी भक्ति सगुण लीलाधारी कृष्ण के प्रति निवेदित है। ‘मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई’ इसी की सहज अभिव्यक्ति है। मीरा के आराध्य वही कृष्ण हैं, जिनके नयन विशाल हैं; जो मुरली और वैजयंती माला धारण करते हैं। कृष्ण उनके जीवन के आधार हैं। ‘हरि मेरे जीवन प्राणाधार,’ ‘मैं गिरधर रंग राती’ तथा ‘मीरा लागो रंग हरी और न रंग अरथ परी’ आदि उनकी प्रेम-भावना के परिचायक हैं।

2. कृष्ण का अवतारी रूप – मीरा ने कृष्ण के अवतारी और लोकोपकारक स्वरूप का चित्रण किया है। वह भगवान को लोक हितकारी एवं शरणागत वत्सल रूप का भी स्मरण दिलाती है –

हरि तुम हरो जन की भीर,
द्रौपदी की लाज राखी आप बढ़ायो चीर।

3. विरह-वेदना का आधिक्य – प्रेम और भक्ति चिरसंगी है और प्रेम के संयोग-वियोग पक्षों में विरह-वेदना की अनुभूति अधिक बलवती है। विरह प्रेम की एकमात्र कसौटी है। मीरा का सारा काव्य विरह की तीव्र वेदनानुभूति से परिपूर्ण है। मीरा एक सच्ची प्रेमिका की भाँति प्रियतम की ‘बाट’ जोहती है; प्रिय के आगमन के दिन गिनती रहती है।

रात दिवस कल नाहिं परत है,
तुम मिलियाँ बिन मोई।

4. भक्ति का स्वरूप – मीरा की भक्ति अनेक पद्धतियों और सिद्धांतों से युक्त है। इन्होंने किसी भी संप्रदाय से दीक्षा नहीं ली थी। इन्हें अपने भक्ति-क्षेत्र में जो भी अच्छा लगा, उसे अपना लिया। मीरा पर सगुण और निर्गुण दोनों का प्रभाव है। मीरा की भक्ति में समर्पण भाव है। उनके काव्य में अनुभूति की गहनता है।

5. गीति काव्य – मीरा के पदों में गेयता के सभी तत्व-आत्माभिव्यक्ति, संक्षिप्तता, तीव्रता, संगीतात्मकता, भावात्मक एकता और भावना की पूर्णता है। उनकी पीड़ा की अभिव्यक्ति व्यक्तिगत न होकर समष्टिगत है। सभी पद संगीत के शास्त्रीय पक्ष पर खरे उतरते हैं। इनके पदों का आकार संक्षिप्त है और इनमें भावों की पूर्णता भी है।

भाषा-शैली-मीरा के काव्य में किसी एक भाषा का प्रयोग नहीं है; इसमें ब्रज, राजस्थानी, पंजाबी, गुजराती, हरियाणवी आदि भाषाओं के शब्दों का प्रयोग है। परंतु राजस्थानी इनकी मुख्य भाषा रही है। इनके काव्य में भाव पक्ष को प्रमुखता दी गई है, इसलिए कला पक्ष अधिक मुखरित नहीं हो पाया। इन्होंने भावानुकूल शब्दों का प्रयोग किया है। इनमें राजस्थानी के तद्भव और देशज शब्दों की संख्या बहुत अधिक है। भाषा में अलंकारों और छंदों का प्रयोग सहज रूप में हुआ है। शांत, भक्ति और करुण रसों के प्रयोग से काव्य में सरसता आ गई है। अनुभूति की गहनता और अभिव्यक्ति की प्रखरता के कारण मीरा का गीतिकाव्य आज भी सर्वोच्च स्थान रखता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

पदों का सार :

इन पदों में मीराबाई ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति-भावना व्यक्त की है। वे श्रीकृष्ण को सबकी पीड़ा को दूर करने वाला बताती हैं। – मीरा श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती है कि हैं श्रीकृष्ण! आप सदैव अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करते हैं। आपने ही भरी सभा में द्रौपदी को अपमानित होने से बचाया था। भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए ही आपने नृसिंह अवतार लिया। इसके साथ-साथ आपने मगरमच्छ को दूसरे पद में मीरा स्वयं को श्रीकृष्ण की सेविका के रूप में प्रस्तुत करती हैं।

वे कहती है कि हे कृष्ण ! मुझे अपनी सेविका बना लो। आपकी सेवा में रहते हुए मैं प्रतिदिन उठते ही आपके दर्शन पा सकूँगी और निरंतर वृंदावन की गलियों में आपकी लीला का गुणगान करूँग सेवा करते हुए आपके दर्शन करना और नाम-स्मरण करना ही मेरी कमाई होगी। हे श्रीकृष्ण ! आपके माथे पर मोर के पंखों का मुकुट, शरीर पर पीतांबर तथा गले में वैजयंती माला अत्यंत सुशोभित होती है। मैं लाल रंग की साड़ी पहनकर आधी रात को यमुना के तट पर आपके दर्शनों की प्यासी खड़ी हूँ। आप मुझे दर्शन दीजिए। मीराबाई कहती हैं कि प्रभु श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए उसका हृदय अत्यंत व्याकुल हो उठता है। वे बार-बार प्रभु श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहती हैं।

सप्रसंग व्याख्या –

1. हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर।
बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर॥

शब्दार्थ : हरो – दूर करो। जन – भक्त। बढ़ायो – बढ़ाया। चीर – वस्त्र। नरहरि – भगवान विष्णु का नृसिंह अवतार। धरयो – धारण किया। गजराज – हाथी। कुंजर – हाथी। पीर – पीड़ा। म्हारी – हमारी। भीर – विपत्ति, दुख, संकट।

प्रसंग : प्रस्तुत पद प्रसिद्ध कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है। इस पद में उन्होंने अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना की है।

व्याख्या : मीराबाई श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती हैं कि आप सदा अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करते हैं। कौरवों ने जब भरी सभा में द्रौपदी को निर्वस्त्र कर अपमानित करना चाहा, तो आपने उसके वस्त्र-बढ़ाकर उसके मान-सम्मान की रक्षा की। भक्त प्रह्लाद को हिरण्यकशिपु ने मारने का प्रयास किया, तो आपने नृसिंह अवतार धारण करके प्रहलाद की रक्षा की। जब एक हाथी को जल के भीतर मगरमच्छ ने मारने का प्रयास किया, तो आपने मगरमच्छ को मारकर शरणागत हाथी के प्राणों की रक्षा की। मीराबाई कहती हैं कि वह तो ऐसे श्रीकृष्ण की दासी है, जो सदा भक्तों की रक्षा करते हैं। वे उनसे अपनी पीड़ा को भी दूर करने की प्रार्थना करती हैं। वे श्रीकृष्ण के दर्शनों की प्यासी है। श्रीकृष्ण के दर्शन पाकर ही उनकी पीड़ा दूर हो सकती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

2. स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाला म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिन्दरावन री कुज गली में, गोविन्द लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
मोर मुगट पीताम्बर सौहे, गल वैजन्ती माला।
बिन्दरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।
ऊँचा ऊँचा महल बणावं बिच बिच राखूँ बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ, पहर कुसुम्बी साड़ी।
आधी रात प्रभु दरसणा, दीज्यो जमनाजी रे तीरां।
मीराँ रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीराँ॥

शब्दार्थ : स्याम – श्रीकृष्ण। म्हाने – हमें। चाकर – सेवक। नित – प्रतिदिन। लीला – विविध रूप। सरसी – अच्छी। पीतांबर – पीले वस्त्र। सोहै – सुशोभित होना। धेनु – गाय। बारी – खिड़की। साँवरिया – प्रियतम, श्रीकृष्ण। कुसुंबी – लाल रंग की। तीरां – तट, किनारा। हिवड़ो – हृदय। घणो – बहुत अधिक। अधीरां – व्याकुल, बेचैन।

प्रसंग : प्रस्तुत पद श्रीकृष्ण की प्रेम दीवानी मीराबाई द्वारा रचित है। इस पद में उन्होंने श्रीकृष्ण की सेविका बनने की इच्छा प्रकट की है। वे श्रीकृष्ण की सेविका बनकर निरंतर उनके समीप रहना चाहती हैं।

व्याख्या : मीराबाई श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती हैं कि हे श्रीकृष्ण ! मुझे अपनी सेविका के रूप में रख लो। मैं आपकी सेवा करते हुए बाग बगीचे लगाऊँगी और प्रातः उठकर प्रतिदिन आपके दर्शन किया करूँगी। मैं तो आपकी सेविका बनकर वृंदावन की गलियों में आपकी लीला का गुणगान करूँगी। आपकी सेवा में रहते हुए मैं आपके दर्शन और नाम-स्मरण को वेतन के रूप में पाऊँगी और भक्तिरूपी संपत्ति को प्राप्त करूँगी। मेरे लिए ये तीनों बातें अच्छी हो जाएँगी।

मैं आपकी सेवा से दर्शन, नाम-स्मरण और भक्ति-तीनों प्राप्त करूँगी। मीरा श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहती हैं कि श्रीकृष्ण के मस्तक पर मोर के पंखों का मुकुट तथा शरीर पर पीतांबर सुशोभित है। उनके। बजाते हुए गाय चराते हैं। मीरा कहती है कि वह ऊँचे-ऊँचे महलों का निर्माण करवाकर उनके बीच में खिड़कियाँ रखना चाहती है, ताकि वह श्रीकृष्ण के दर्शन कर सके।

वह लाल रंग की साड़ी पहनकर अपने प्रियतम श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए आधी रात के समय यमुना के तट पर उनकी प्रतीक्षा करती है। अंत में मीरा कहती हैं कि वह अपने प्रिय श्रीकृष्ण के दर्शनों की प्यासी है। श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए उनका हृदय बहुत व्याकुल है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

JAC Class 10 Hindi कबीर की साखी Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(निबंधात्मक प्रश्न)

प्रश्न 1.
मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त
अथवा
कबीर ने कैसी वाणी बोलने की सलाह दी है ?
उत्तर :
कबीरदास कहते हैं कि मनुष्य को सदैव मधुर वचन बोलने चाहिए। मीठी वाणी बोलने से उसे सुनने वाला सुख का अनुभव करता है, क्योंकि मीठी वाणी जब हमारे कानों तक पहुँचती है तो उसका प्रभाव हमारे हृदय पर होता है। इसके विपरीत किसी के द्वारा कहे गए कड़वे वचन तीर की भाँति हृदय में चुभने वाले होते हैं। जब हम मीठे वचनों का प्रयोग करते हैं, तो हमारा अहंकार नष्ट हो जाता है। अहंकार के नष्ट होने पर हमें शीतलता प्राप्त होती है। इस प्रकार मीठी वाणी बोलने से न केवल दूसरों को हम सुख प्रदान करते हैं, अपितु स्वयं भी शीतलता को अनुभव करते हैं।

प्रश्न 2.
दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कबीरदास के अनुसार जिस प्रकार दीपक के जलने पर अंधकार अपने आप दूर हो जाता है, उसी प्रकार हृदय में ज्ञानरूपी दीपक के जलने कबीरदास के अना पर अज्ञानरूपी अंधकार दूर हो जाता है। जब तक मनुष्य में अज्ञान रहता है, तब तक उसमें अहंकार और अन्य दुर्गुण होते हैं। वह अपने ही हृदय में निवास करने वाले ईश्वर को पहचान नहीं पाता। अज्ञानी मनुष्य अपने आप में डूबा रहता है। लेकिन जैसे ही उसके हृदय में ज्ञानरूपी दीपक जलता है, उसका हृदय प्रकाशित हो उठता है। ज्ञानरूपी दीपक के जलते ही मनुष्य का अज्ञानरूपी अंधकार नष्ट हो जाता है। ज्ञान के दीपक के जलने पर मनुष्य ईश्वर-प्राप्ति के मार्ग पर चल पड़ता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

प्रश्न 3.
ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर :
कबीरदास का मानना है कि निर्गुण ब्रह्म कण-कण में समाया हुआ है, किंतु अपनी अज्ञानता के कारण हम उसे नहीं देख पाते। जिस प्रकार कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ हिरण की अपनी नाभि में ही विद्यमान होता है लेकिन वह उसे जंगल में इधर-उधर ढूँढ़ता है; उसी प्रकार मनुष्य भी अपने हृदय में छिपे ईश्वर को अपनी अज्ञानता के कारण पहचान नहीं पाता। वह ईश्वर को धर्म के अन्य साधनों जैसे मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर, गुरुद्वारा आदि में व्यर्थ ढूँढ़ता है। कबीरदास का मत है कि कण-कण में छिपे परमात्मा को देखने के लिए ज्ञान का होना अति आवश्यक है।

प्रश्न 4.
संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतीक हैं ? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कबीरदास के अनुसार जो व्यक्ति केवल सांसारिक सुखों में डूबा रहता है और जिसके जीवन का उद्देश्य केवल खाना, पीना और सोना है, वही व्यक्ति सुखी है। इसके विपरीत जो व्यक्ति संसार की नश्वरता को देखकर ईश्वर प्राप्ति के लिए रोता है, वह दखी है। यहाँ ‘सोना’ शब्द सांसारिक सुखों में डूबे रहने का प्रतीक है तथा ‘जागना’ ज्ञान प्राप्त होने का प्रतीक है। इन शब्दों का प्रयोग कवि ने यह बताने के लिए किया है कि मूर्ख व्यक्ति अपना जीवन यूँ ही निश्चित रहकर नष्ट कर देता है। दूसरी ओर ज्ञानी व्यक्ति जानता है कि संसार नश्वर है। वह ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रयत्न करता है और दुखी रहता है। वह चाहता है कि मनुष्य भौतिक सुखों को त्यागकर ईश्वर-प्राप्ति की ओर अग्रसर हो।

प्रश्न 5.
अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है ?
अथवा
कबीर के विचार से निंदक को निकट रखने के क्या-क्या लाभ हैं?
उत्तर :
कबीर का मानना है कि अपने स्वभाव को निर्मल रखने का सबसे अच्छा उपाय निंदा करने वाले को अपने साथ रखना है। निंदा करने वाले को घर में अपने आस-पास रखना चाहिए। ऐसा करने से हमारा स्वभाव अपने आप ही निर्मल हो जाएगा, क्योंकि निंदा करने वाला व्यक्ति हमारे गलत कार्यों की निंदा करेगा तो हम अपने आप को सुधारने का प्रयास करेंगे। इस प्रकार निंदा करने वाले व्यक्ति के पास रहने पर हम धीरे-धीरे अपने स्वभाव को बिलकुल निर्मल कर लेंगे। इस तरह उसके द्वारा बताए गए अपने अवगुणों को दूर करके हम अपने स्वभाव को निर्मल बनाने में सफल हो सकते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

प्रश्न 6.
‘एकै आषिर पीव का, पढे स पंडित होइ’-इस पंक्ति के दवारा कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर :
इस पंक्ति के द्वारा कवि स्पष्ट करना चाहता है कि जो व्यक्ति अपने प्रिय परमात्मा के प्रेम का अक्षर पढ़ लेता है, वही ज्ञानवान है। कुछ लोग बड़े-बड़े धर्मग्रंथों को पढ़कर अपने आपको विद्वान और ज्ञानवान सिद्ध करने का प्रयास करते हैं। कबीर का मत है कि वेदों, पुराणों और उपनिषदों को पढ़ने से कोई लाभ नहीं होता। इनको पढ़ना व्यर्थ है। इसके विपरीत जो ईश्वर-प्रेम के मार्ग को अपनाकर उसमें डूब जाता है, वही वास्तविक विद्वान और ज्ञानवान है।

प्रश्न 7.
कबीर की उद्धत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रयोग हुआ है। कहीं-कहीं इन्होंने पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग किया है, किंतु अधिकांश साखियों में प्राय: बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है। इन साखियों में कबीरदास ने सामान्य भाषा में भी लोक व्यवहार की शिक्षा दी है। जैसे –

ऐसी बाँणी बोलिए, मन का आपा खोइ।
अपना तन सीतल करै, औरन कौं सुख होई॥

कबीर की भाषा में कहीं-कहीं बौद्धिकता के भी दर्शन होते हैं। यह बौद्धिकता प्राय: उपदेशात्मक साखियों में अधिक है। दोहा छंद में लिखी गई इन साखियों में मुक्तक शैली का प्रयोग है तथा गीति-तत्व के सभी गुण विद्यमान हैं। भाषा पर कबीर के अधिकार को देखते हुए ही डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इन्हें ‘वाणी का डिक्टेटर’ कहा है।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –
(लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1.
बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।
उत्तर :
कबीरदास का कहना है कि जब विरहरूपी सर्प शरीर में बैठ जाता है, तो विरही व्यक्ति सदा तड़पता है। उस पर किसी प्रकार के मंत्र का कोई प्रभाव नहीं होता। जब आत्मा अपने प्रिय परमात्मा की विरह में तड़पती है, तो वह केवल अपने प्रिय परमात्मा के दर्शन पाकर होती है। विरहरूपी सर्प आत्मा को तब तक तड़पाता है, जब तक परमात्मा के दर्शन नहीं हो जाते।

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प्रश्न 2.
कस्तूरी कुंडलि बसैं, मृग ढूँढ़े बन माँहि।
उत्तर :
कवि यहाँ यह स्पष्ट करना चाहता है कि हिरण की अपनी नाभि में ही कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ होता है। जब हिरण को उसकी सुगंध आती है तो वह उसे इधर-उधर खोजता है, किंतु वह उसे ढूँढ़ नहीं पाता। इसी प्रकार ईश्वर भी मनुष्य के हृदय में विद्यमान है, किंतु मनुष्य अज्ञानतावश उसे पहचान नहीं पाता। वह ईश्वर को अन्य स्थानों पर खोज रहा है, जोकि व्यर्थ है।

प्रश्न 3.
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
उत्तर :
यहाँ कबीरदास के कहने का भाव है कि जब तक मनुष्य में ‘मैं’ अर्थात अहंकार की भावना होती है, तब तक वह ईश्वर को प्राप्त नहीं कर सकता। मनुष्य जैसे ही अपने भीतर से अहंकार की भावना को नष्ट कर देता है, ईश्वर को सहजता से पा लेता है। ईश्वर को पाने के लिए अहंकार को त्यागना आवश्यक है।

प्रश्न 4.
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।
उत्तर :
कबीरदास का मत है कि धार्मिक ग्रंथ आदि पढ़ने से कोई व्यक्ति विद्वान अथवा बुद्धिमान नहीं बनता। जो व्यक्ति ईश्वर-प्रेम को जान लेता है, वही सच्चा विद्वान है। धार्मिक ग्रंथों को पढ़कर स्वयं को विद्वान और ज्ञानी कहने वाले अनेक लोग मिट जाते हैं, किंतु ईश्वर-प्रेम के एक अक्षर को समझने वाला व्यक्ति अमर हो जाता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

भाषा अध्ययन –

प्रश्न :
पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप उदाहरण के अनुसार लिखिए –
उदाहरणः जिवै – जीना
औरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणि, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास।
उत्तर :

  • औरन – दूसरे को/अन्य को
  • माँहि – में
  • देख्या – देखा
  • भुवंगम – भुजंग/साँप
  • नेड़ा – निकट/समीप
  • आँगणि – आँगन
  • साबण – साबुन
  • मुवा – मरा
  • पीव – पिया, प्रिय, प्रियतम
  • तास – उस
  • जालौं – जलाऊँ

योग्यता विस्तार –

प्रश्न 1.
‘साधु में निंदा सहन करने से विनयशीलता आती है’ तथा ‘व्यक्ति को मीठी व कल्याणकारी वाणी बोलनी चाहिए’-इन विषयों पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

प्रश्न 2.
कस्तूरी के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
कस्तूरी एक सुगंधित पदार्थ होता है, जो ‘कस्तूरी’ नामक मृग की नाभि में होता है। भारत में यह मृग हिमालय के वन्य क्षेत्र में पाया जाता है। वर्तमान समय में अनेक लोग कस्तूरी के लिए इस मृग का शिकार कर रहे हैं, जिससे उनकी संख्या तेजी से कम हो रही है। यही कारण है कि कस्तूरी मृग को दुर्लभ और संरक्षित प्रजाति घोषित किया गया है।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
मीठी वाणी/बोली संबंधी व ईश्वर प्रेम संबंधी दोहों का संकलन कर चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर लगाइए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
कबीर की साखियों को याद कीजिए और कक्षा में अंत्याक्षरी में उनका प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi कबीर की साखी Important Questions and Answers

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
‘साखी’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
‘साखी’ शब्द साक्षी शब्द से बिगड़कर बना है, जिसका अर्थ है-‘गवाही’। कबीर ने जिन बातों को अपने अनुभव से जाना और सत्य पाया, उन्हें ‘साक्षी’ या साखी रूप में लिखा है। साखियाँ अनुभूत सत्य की प्रतीक हैं और कबीर उस सच्चाई के गवाह हैं।

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प्रश्न 2.
ईश्वर के प्रति भक्ति कब दृढ़ हो जाती है?
उत्तर :
कबीरदास का मत है कि जब ईश्वर की विरह में जलने वाला व्यक्ति ऐसे ही दूसरे व्यक्ति से मिलता है, तो ईश्वर के प्रति भक्ति और दृढ़ हो जाती है। ईश्वर के प्रेम में घायल व्यक्ति जब ईश्वर के प्रेम में तड़पने वाले अपने ही समान अन्य व्यक्ति से मिलता है, तो उनमें विचारों का आदान-प्रदान होता है। दोनों अपने अनुभवों को बताते हैं और इस प्रकार दोनों के हृदयों में ईश्वर के प्रति भक्ति-भाव और अधिक प्रगाढ़ हो जाता है। इससे ईश्वर के प्रति भक्ति को दृढ़ता मिलती है।

प्रश्न 3.
हम घर जाल्या आपणाँ, लिया मुराड़ा हाथि।
अब घर जालौ तास का, जे चलै हमारे साथि।
प्रस्तुत साखी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कबीर ने क्रांतिकारी स्वर में क्या कहा?
उत्तर :
संत कबीर ने जनमानस में चेतना लाने के लिए क्रांतिकारी स्वरों में कहा कि उन्होंने विषय-वासनाओं से युक्त अपने शरीर को जलाकर नष्ट कर दिया है। अब उन्हें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हो गई है। इस सच्चे ज्ञान की मशाल को लेकर वे निकल पड़े हैं। जिसे भी उनके साथ चलना है, वह उनके साथ आ जाए। कबीर उनके सभी विकारों को समाप्त कर देंगे।

प्रश्न 4.
‘बिरह भुवंगम तन बसै …. जिवै तो बौरा होइ’ दोहे में कबीर ने विरह के विषय में क्या कहा है?
उत्तर :
कबीर ने प्रस्तुत दोहे में विरह की पीड़ा और प्रभाव को व्यक्त किया है। उन्होंने विरह को साँप की संज्ञा देते हुए कहा है कि विरहरूपी साँप शरीररूपी बिल में घुसा बैठा है। विरहाग्नि दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कोई भी मंत्र इस विरहरूपी जहर पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पा रहा। जो व्यक्ति परमात्मा के विरह में तड़पने वाला है, वह उस पीड़ा से जीवित नहीं रह पाता। यदि किसी कारणवश वह जीवित रह भी जाता है, तो भी उसकी स्थिति पागलों के समान हो जाती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

प्रश्न 5.
“लिया मुराड़ा हाथि’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर :
‘मुराड़ा’ से कवि का अर्थ ‘ज्ञानरूपी मशाल’ से है। कवि का मानना है कि जिस प्रकार जलती हुई लकड़ी या मशाल से अंधकार का नाश होता है; चारों ओर उजाला एवं रोशनी फैलती है, ठीक उसी प्रकार ज्ञानरूपी मशाल से मनुष्य के मन का अज्ञानरूपी अंधकार दूर होता है।

प्रश्न 6.
कबीर ने ईश्वर प्राप्ति हेतु किसे त्यागने की बात कही है?
उत्तर :
कबीर ने ईश्वर प्राप्ति हेतु अहंकार को त्यागने की बात कही है। जब तक मनुष्य के मन में अहंकार होता है, तब तक उसे परमात्मा की प्राप्ति संभव नहीं हो सकती। परमात्मा उसे ही मिलता है, जिसका हृदय अहंकार रहित होता है।

प्रश्न 7.
कबीर ने जीवित रहते हुए भी किस प्रकार के व्यक्ति को मृतक समान माना है?
उत्तर :
कबीरदास ने प्रभु-भक्ति में लीन उन भक्तों को जीवित रहते हुए भी मृतक माना है, जो सांसारिक सुख-सुविधाओं को त्याग चुके हैं; जो परमात्मा की भक्ति में स्वयं को भुला चुके हैं। जिन्हें भौतिक वस्तुओं से कोई लेना-देना नहीं; जिन्होंने सांसारिक सुखों को पाने की इच्छा को त्याग दिया है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

प्रश्न 8.
कबीर की भाषा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
कबीरदास की भाषा सधुक्कड़ी अथवा खिचड़ी भाषा है। इनकी भाषा-शैली मुक्त है। इनके पदों में अनेक राग-रागनियों का प्रयोग हुआ है। इन्होंने अपनी भाषा में ब्रज, अवधी, खड़ी बोली, राजस्थानी आदि शब्दों का खूब प्रयोग किया है। इन्हें भाषा डिक्टेटर कवि भी कहा जाता है। अलंकारों तथा प्रतीकों के प्रयोग ने इनकी भाषा को सुंदरता प्रदान की है।

कबीर की साखी Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन – कबीर भक्तिकाल की ज्ञानमार्गी शाखा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। उनकी जन्म-तिथि और जन्म-स्थान के विषय में विद्वानों के भिन्न-भिन्न मत हैं। बहुमत के अनुसार कबीर का जन्म सन 1398 में काशी में हुआ था। उनका पालन-पोषण ‘नीरु-नीमा’ नामक दंपति ने किया। कबीर के गुरु का नाम स्वामी रामानंद था। कुछ लोग शेख तकी को भी कबीर का गुरु मानते हैं। रामानंद के विषय में कबीर ने स्वयं कहा है –

काशी में हम प्रकट भए, रामानंद चेताये।

कबीर का विवाह भी हुआ था। उनकी पत्नी का नाम लोई था। उनके ‘कमाल’ एवं ‘कमाली’ नाम के बेटा-बेटी थे। स्वभाव से वैरागी होने के कारण कबीर साधुओं की संगति में रहने लगे। सन 1518 में काशी के निकट मगहर में उनका निधन हुआ। रचनाएँ-कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे। वे बहुश्रुत थे। उन्होंने जो कुछ कहा, अपने अनुभव के बल पर कहा। एक स्थान पर उन्होंने शास्त्र-ज्ञाता पंडित को कहा भी है –

मैं कहता आँखिन की देखी, तू कहता कागद की लेखी।

कबीर की वाणी ‘बीजक’ नामक ग्रंथ में संकलित है। इस रचना में कबीर द्वारा रचित साखी, रमैनी एवं सबद संग्रहीत हैं।

काव्यगत विशेषताएँ – कबीर के काव्य की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है –
1. समन्वय-भावना – कबीर के समय में हिंदू एवं मुस्लिम संप्रदायों में संघर्ष की भावना तीव्र हो चुकी थी। कबीर ने हिंदू-मुस्लिम एकता तथा विभिन्न धर्मों एवं संप्रदायों में समन्वय लाने का प्रयत्न किया। उन्होंने एक ऐसे धर्म की नींव रखी, जिस पर मुसलमानों के एकेश्वरवाद, शंकर के अद्वैतवाद, सिद्धों के हठ योग, वैष्णवों की भक्ति एवं सूफ़ियों के पीर-प्रेम का प्रभाव था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

2. ईश्वर के निर्गुण रूप की उपासना – कबीर ईश्वर के निर्गुण रूप के उपासक थे। उनके अनुसार ईश्वर प्रत्येक हृदय में वास करते हैं, उन्हें मंदिर-मस्जिद में ढूँढ़ना व्यर्थ है। भगवान की भक्ति के लिए आडंबर की अपेक्षा मन की शुद्धता एवं पवित्र आचरण की आवश्यकता है –

कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढे बन माँहि।
ऐसैं घटि घटि राँम है, दुनियाँ देखै नाँहि ॥

3. समाज-सुधार की भावना – कबीर उच्च कोटि के कवि होने के साथ-साथ समाज-सुधारक भी थे। उन्होंने अपने काव्य के द्वारा धर्म एवं जाति के नाम पर होने वाले अत्याचारों का डटकर विरोध किया। जाति-पाँति की भेद-रेखा खींचने वाले पंडितों एवं मौलवियों की उन्होंने खूब खबर ली –

ऊँचे कुल क्या जनमिया, जो करनी ऊँच न होय।
सवरन कलस सुरइ भरा, साधु निंदै सोय॥

4. गुरु महिमा – कबीर ने सच्चे गुरु को भगवान के समान ही मानकर उनकी वंदना की है। उनके अनुसार गुरु ही ईश्वर तक पहुँचने की राह दिखाता है –

गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपण, गोबिंद दियो बताय॥

5. सत्संगति का महत्त्व – सत्संगति का प्रभाव अटल होता है। कबीर ने सत्संग की महिमा में अनेक दोहों एवं शब्दों की रचना की है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

6. रहस्यवाद – आत्मा एवं परमात्मा के मध्य चलने वाली प्रणय लीला को रहस्यवाद कहते हैं। इस विषय में कबीर ने कहा है
कि आत्मा एवं परमात्मा के मिलने में माया सबसे बड़ी बाधा है। माया का पर्दा हटते ही आत्मा-परमात्मा एक हो जाते हैं।
कबीर ने प्रेम-पक्ष की तीव्रता का भी बड़ा मार्मिक चित्रण किया है।

भाषा-शैली – कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे, इसलिए उनके काव्य में कला-पक्ष का अधिक निखार नहीं है। दूसरा कारण यह है कि कबीर सुधारक पहले थे और कवि बाद में। फिर भी उनके काव्य में भाषा का सहज सौंदर्य दिखाई देता है। कबीर की भाषा सधुक्कड़ी अथवा खिचड़ी भाषा है। उसमें ब्रज, पंजाबी, खड़ी बोली, अवधी आदि भाषाओं के अनेक शब्दों का मिश्रण एवं अलंकारों ने भी सहयोग दिया है। शैली मुक्तक है। कबीर के पदों में अनेक राग-रागनियों का प्रयोग भी हुआ है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि कबीर हिंदी साहित्य की महान विभूति हैं। उनकी कविता में क्रांति का स्वर, समाज-सुधार की भावना और एक सच्चे भक्त की पुकार है।

साखियों का सार :

प्रस्तुत साखियाँ कबीरदास द्वारा रचित हैं। इन साखियों में कवि ने विभिन्न विषयों पर अपने विचारों को सुंदर ढंग से अभिव्यक्त किया है। कबीरदास के अनुसार हमें ऐसे मधुर वचनों का प्रयोग करना चाहिए, जिससे दूसरों को भी सुख का अनुभव हो। उनका मानना है कि ईश्वर प्रत्येक हृदय में विद्यमान है, किंतु मनुष्य कस्तूरी मृग की तरह उसे इधर-उधर ढूँढ़ता फिरता है। ईश्वर को प्राप्त करने के लिए अहंकार को नष्ट करना आवश्यक है और मन को पूर्ण एकाग्र करके ही ईश्वर को पाया जा सकता है।

कबीरदास कहते हैं कि सांसारिक लोग विषय – वासनाओं में डूबे रहते हैं, वे खाने-पीने और सोने में सुख अनुभव करते हैं। इसके विपरीत ज्ञानी व्यक्ति जीवन की नश्वरता को देखकर दुखी रहता है। ईश्वर की विरह में तड़पने वाला व्यक्ति अत्यंत कष्टमय जीवन व्यतीत करता है। उनका मानना है कि मनुष्य को अपने आलोचकों को भी अपने आस-पास रखना चाहिए, क्योंकि निंदा करने वाले व्यक्ति के सभी दोषों को दूर कर देते हैं। कवि के अनुसार वेदों, उपनिषदों आदि ग्रंथों को पढ़कर कोई व्यक्ति विद्वान नहीं होता। जो व्यक्ति ईश्वर-प्रेम के मार्ग पर चलता है, वही वास्तविक विद्वान होता है। ईश्वर-प्रेम के प्रकाशित होने पर एक विचित्र-सा प्रकाश फैल जाता है। उसके बाद मनुष्य की वाणी से भी सुगंध आने लगती है। अंत में कबीरदास क्रांतिकारी स्वर में कहते हैं कि ईश्वर-प्रेम के मार्ग पर चलना सरल नहीं है। इस मार्ग में चलने के लिए तो अपना सर्वस्व न्योछावर करना पड़ता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

सप्रसंग व्याख्या :

1. ऐसी बॉणी बोलिये, मन का आपा खोइ।
अपना तन सीतल करै, औरन कौं सुख होइ।।

शब्दार्थ : बाँणी – वाणी, शब्द, वचन। आपा – अहंकार, घमंड। खोइ – नष्ट होना। तन – शरीर। सीतल – शीतलता, सुख, आनंद।

प्रसंग : प्रस्तुत साखी महान संत कबीरदास द्वारा रचित है। इस साखी में कवि ने मनुष्य को मधुर वचनों के लाभ बताए हैं।

व्याख्या : कबीर मधुर वचन बोलने के संबंध में कहते हैं कि मनुष्य को ऐसे मीठे वचन बोलने चाहिए, जिससे मन का अहंकार समाप्त हो जाए। मनुष्य के द्वारा बोले गए मीठे वचनों से वह स्वयं तो आनंद का अनुभव करता ही है, उसे सुनने वाला भी सुख प्राप्त करता है। कहने का भाव यह है कि मनुष्य को सदैव मधुर वचन बोलने चाहिए।

2. कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढ़े बन माँहि।
ऐसें घटि घटि राँम है, दुनियाँ देखै नाँहि॥

शब्दार्थ : कस्तूरी – एक सुंगधित पदार्थ। मृग – हिरण। बन – वन, जंगल। माँहि – में। घटि – हृदय। दुनियाँ – संसार, विश्व।

प्रसंग : प्रस्तुत साखी महाकवि कबीरदास द्वारा रचित है। इस साखी में उन्होंने बताया है कि ईश्वर सर्वत्र विद्यमान है। वह प्रत्येक हुदय में निवास करता है।

व्याख्या : कबीरदास कहते हैं कि कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ हिरण की अपनी नाभि में ही विद्यमान होता है, किंतु वह इस तथ्य से अनजान होकर उसे जंगल में इधर-उधर खोजता है। इसी प्रकार ईश्वर भी सभी के हृदय में विद्यमान है, किंतु लोग इस बात को नहीं समझते। वे ईश्वर को दुनिया भर में खोजते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

3. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि।

शब्दार्थ : हरि – परमात्मा, ईश्वर। अँधियारा – अंधेरा। दीपक – दीया। मिटि – समाप्त। देख्या – देखा।

प्रसंग : प्रस्तुत साखी कवि कबीरदास द्वारा रचित है। इसमें उन्होंने ईश्वर-प्राप्ति के लिए अहंकार को त्यागने पर बल दिया है।

व्याख्या : कबीर कहते हैं कि जब तक मुझमें अहंकार था, तब तक प्रभु मुझसे दूर थे। अब अहंकार के मिट जाने पर मुझे प्रभु मिल गए हैं। जब मैंने ज्ञानरूपी दीपक को लेकर अपने अंत:करण में देखा, तो मेरे हृदय का अज्ञानरूपी अंधकार पूरी तरह से नष्ट हो गया। भाव यह है कि ईश्वर-प्राप्ति के लिए अहंकार को त्यागना आवश्यक है।

4. सुखिया सब संसार है, खायै अरू सोवै।
दुखिया दास कबीर है, जागै अरू रोवै॥

शब्दार्थ : सुखिया – सुखी। अरू – और। सोवै – सोना। दुखिया – दुखी। रोवै – रोना।

प्रसंग : प्रस्तुत साखी कबीरदास द्वारा रचित है। इसमें उन्होंने सांसारिक और ज्ञानी व्यक्ति के अंतर को स्पष्ट किया है।

व्याख्या : कबीर कहते हैं कि सारा संसार सुखी है। सांसारिक व्यक्ति खाने-पीने और सोने में जीवन व्यतीत कर देता है। वह इसी को सच्चा सुख मानकर इसमें डूबा हुआ है। दूसरी ओर मैं संसार की नश्वरता को समझ चुका हूँ और ईश्वर की प्राप्ति के लिए प्रयास कर रहा हूँ। उसके वियोग में रो रहा हूँ और उदास हूँ।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

5. बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।
राम बियोगी ना जिवै, जिवै तो बौरा होइ॥

शब्दार्थ : भुवंगम – भुजंग, साँप । तन – शरीर। वियोगी – विरह में तड़पने वाला। जिवै – जीवित। बौरा – पागल।

प्रसंग : प्रस्तुत साखी कबीरदास द्वारा रचित है। इसमें उन्होंने ईश्वरीय विरह की पीड़ा और प्रभाव को व्यक्त किया है।

व्याख्या : कबीर कहते हैं कि विरहरूपी साँप शरीररूपी बिल में घुसा बैठा है। कोई भी मंत्र उस पर अपना प्रभाव नहीं डाल पा रहा। ईश्वर के प्रेम की विरह में तड़पने वाला व्यक्ति विरह की पीड़ा के कारण जीवित नहीं रहता और यदि वह जीवित रह जाता है, तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है। वह स्वयं में ही डूबा रहता है।

6. निंदक नेड़ा राखिये, आँगणि कुटी बंधाइ।
बिन साबण पाणी बिना, निरमल करै सुभाइ॥

शब्दार्थ : निंदक – निंदा करने वाला। नेड़ा – समीप, निकट। आँगणि – आँगन। कुटी – कुटिया। साबण – साबुन। पाँणी – पानी। निरमल – स्वच्छ। सुभाइ – स्वभाव।

प्रसंग : प्रस्तुत साखी कबीरदास द्वारा रचित है। इसमें उन्होंने निंदा करने वाले व्यक्ति की उपयोगिता बताई है।

व्याख्या : कबीरदास कहते हैं कि निंदा करने वाले व्यक्ति का भी महत्व होता है। निंदक व्यक्ति बार-बार हमारे अवगुणों को बताता है और इस प्रकार वह साबुन और पानी के बिना ही हमारे स्वभाव को निर्मल एवं स्वच्छ बना देता है। अत: उसे अपने आस-पास ही रखना चाहिए। यदि संभव हो तो अपने घर के आँगन में ही उसके लिए छप्पर डाल देना चाहिए।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

7. पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।
ऐकै अषिर पीव का, पढ़े सु पंडित होइ।

शब्दार्थ : पोथी – ग्रंथ, पुस्तक। जग – संसार। पंडित – विद्वान। भया – होना। ऐकै – एक। आषिर – अक्षर। पीव – प्रियतम, ईश्वर। सु – वही।

प्रसंग : प्रस्तुत साखी कबीरदास द्वारा रचित है। इसमें उन्होंने बताया है कि जो व्यक्ति ईश्वर-प्रेम के सच्चे रस में डूब जाता है, वही वास्तविक विद्वान है।

व्याख्या : कबीर कहते हैं कि इस संसार में धार्मिक ग्रंथों को पढ़-पढ़कर अनेक सांसारिक लोग मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं, किंतु कोई भी सच्चा विद्वान नहीं बन सका। दूसरी ओर जो व्यक्ति प्रेम के अक्षर को पढ़ लेता है अर्थात् प्रेम को स्वयं में समाहित कर लेता है, वही सच्चा विद्वान बन जाता है। ईश्वर- प्रेम में डूबने वाला व्यक्ति ही ईश्वर को प्राप्त करने में सफल होता है। धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने से कोई लाभ नहीं होता।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 1 कबीर की साखी

8. हम घर जाल्या आपणाँ, लिया मुराड़ा हाथि।
अब घर जालौं तास का, जे चलै हमारे साथि॥

शब्दार्थ : जाल्या – जलाया। आपणाँ – अपना। मुराड़ा – जलती हुई लकड़ी, मशाल। तास का – उसका। साथि – साथ।

प्रसंग : प्रस्तुत साखी कवि कबीर द्वारा रचित है। इस साखी में उन्होंने समस्त विकारों को त्यागकर ज्ञान-प्राप्ति की बात कही है।

व्याख्या : कबीरदास कहते हैं कि उन्होंने विषय-वासनाओं और अन्य विकारों से युक्त अपने शरीररूपी घर को जलाकर नष्ट कर दिया है। अब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई है। अब वे ज्ञानरूपी मशाल को लेकर निकल पड़े हैं और जो उनके साथ चलने के लिए तैयार होगा, वे उसके भी अज्ञान को जलाकर नष्ट कर देंगे।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ? Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

JAC Class 10 Hindi मैं क्यों लिखता हूँ? Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखक के अनसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनभति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों?
उत्तर :
लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति गहरी चीज़ है। प्रत्यक्ष अनुभव सामने घटित हुई घटना का होता है, किंतु अनुभूति संवेदना और कल्पना पर आधारित होती है। यह संवेदना और कल्पना के सहारे उस सत्य को ग्रहण कर लेती है, जो रचनाकार के सामने घटित नहीं हुआ। लेखक को भी यह अनुभूति सदा प्रभावित करती रही है। इस अनुभूति से ही उसके भीतर एक ज्वलंत प्रकाश आता है और उसे सबकुछ साफ़-साफ़ दिखाई देने लगता है। अनुभूति से ही वह अपने सामने घटित न होने वाली घटनाओं को भी स्पष्ट देखता है। यह अनुभूति ही उसे भीतर से व्याकुल कर देती है और वह लिखने के लिए बाध्य हो जाता है। इसी कारण लेखक को लिखने में प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति अधिक मदद करती है।

प्रश्न 2.
लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?
उत्तर :
जापान में घूमते हुए लेखक ने एक दिन एक जले हुए पत्थर पर एक लंबी उजली छाया देखी। यह छाया विस्फोट के समय वहाँ खड़े किसी व्यक्ति की थी, जो विस्फोटक पदार्थ के कारण भाप बन गया होगा। वह विस्फोट इतना भयंकर था कि पत्थर भी उससे झुलस गया था। लेखक ने जब उस पत्थर को देखा, तो वह हैरान रह गया। उसके मन-मस्तिष्क में अणु-विस्फोट के समय हुई सारी घटना कल्पना के माध्यम से घूम गई। उसने मन-ही-मन उस सारी घटना को महसूस कर लिया। उसे ऐसा लगा, जैसे उस अणु-विस्फोट के समय वह वहाँ मौजूद है और वह विस्फोट उसके सामने हुआ है। इस प्रकार लेखक अपनी अनुभूति से हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता बन गया।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

प्रश्न 3.
मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि –
(क) लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं?
(ख) किसी रचनाकार के प्रेरणा-स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं ?
उत्तर :
(क) लेखक के अनुसार वह स्वयं जानना चाहता है कि वह क्यों लिखता है और यही जानने की इच्छा ही उसे लिखने के लिए प्रेरित करती है। वह अपने भीतर उमड़ने वाली एक विवशता से मुक्ति पाने के लिए भी लिखता है। यह विवशता ही उसे लिखने के लिए बाध्य करती है। लेखक को उसकी आंतरिक विवशता से मुक्ति पाने की इच्छा तथा तटस्थ होकर उसे देखने और पहचानने की भावना ही लिखने के लिए प्रेरित करती है।

(ख) निश्चित रूप से किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए उत्साहित करते हैं। जापान के हिरोशिमा नामक स्थान पर अणु-बम गिराने वाले ने भी लेखक को उत्साहित किया। इसके अतिरिक्त हिरोशिमा में जब लेखक ने झुलसे पत्थर को देखा, तो उससे भी कुछ लिखने के लिए उत्साहित हुआ था। उसकी कोमल भावनाओं को उस निर्जीव पत्थर ने भी प्रेरित किया था।

प्रश्न 4.
कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाहृय दबाव भी महत्वपूर्ण होता है। ये बाहूय दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं ?
उत्तर :
सामान्य तौर पर लेखक आत्मानुभूति के कारण ही लिखते हैं। वे स्वयं को अपनी आंतरिक विवशता से मुक्ति दिलाने के लिए ही रचनाओं का निर्माण करते हैं। इसके साथ-साथ कुछ लेखकों के लिए स्वयं के अनुभव के अतिरिक्त कुछ बाहय दबाव भी महत्वपूर्ण होते हैं। ये बाहय दबाव संपादकों का आग्रह, प्रकाशक का तकाजा तथा उनकी आर्थिक आवश्यकता आदि हो सकते हैं।

प्रश्न 5.
क्या बाहूय दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे?
उत्तर :
बाहय दबाव सभी क्षेत्रों से जुड़े लोगों को प्रभावित करते हैं। जो व्यक्ति प्रसिद्धि पा लेता है, अन्य लोगों की उससे अपेक्षाएँ बढ़ जाती हैं। फिर वह लोगों के बाहय दबाव से प्रभावित होकर कार्य करता है। इसके साथ-साथ प्रत्येक कार्य में धन की आवश्यकता होती है। वर्तमान में धन के बिना किसी कार्य की सफलता संभव नहीं है। इसी कारण धन की आवश्यकता जैसा बाहय दबाव भी प्रत्येक क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति को प्रभावित करता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि केवल रचनाकारों को ही नहीं, अपितु अन्य सभी क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी बाह्य दबाव प्रभावित करते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

प्रश्न 6.
हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंतः व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं?
उत्तर :
लेखक जब जापान गया तो उसने हिरोशिमा के अस्पताल में जाकर अनेक ऐसे घायल लोगों को देखा, जो हिरोशिमा पर गिराए गए अणु बम का शिकार हुए थे। वहीं एक दिन उसने झुलसे हुए पत्थर पर एक मानव की छाया भी देखी, जो अणु-बम से भाप बन गया था। यह देखकर उसका हृदय व्यथित हो उठा। उसने अनुमान लगा लिया कि वह घटना कितनी दुःखद और व्यथापूर्ण रही होगी।

इसी व्यथा ने उसे झकझोर कर रख दिया और अपने इसी अंत: दबाव से मुक्ति पाने के लिए उसने हिरोशिमा पर कविता लिखी। इसके अतिरिक्त लेखक जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति पर यह बाहरी दबाव भी था कि वह अपनी जापान-यात्रा से लौटकर कुछ लिखे। इस प्रकार कहा जा सकता है कि हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंत और बाह्य दोनों दबाव का ही परिणाम है।

प्रश्न 7.
हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है?
उत्तर :
आज विज्ञान का दुरुपयोग करके मानव विश्व का संहार करने में व्यस्त है। विज्ञान का दुरुपयोग करके परमाणु बम, एटम बम, हाइड्रोजन बम, मिसाइल्स तथा अनेक ऐसे विनाशकारी अस्त्र-शस्त्र बनाए जा रहे हैं, जिनसे संसार क्षण भर में नष्ट हो सकता है। विज्ञान द्वारा अनेक विषैली गैसें तैयार की जा रही हैं। इन गैसों से किसी भी देश की जलवायु को विषाक्त करके लोगों को समाप्त किया जा सकता है। इसके साथ-साथ विज्ञान का दुरुपयोग लोगों को आलसी, निकम्मा, चरित्रहीन आदि बनाने में भी हो रहा है। विज्ञान के नए-नए प्रयोग मनुष्य को हिंसा और अनेक कुवृत्तियों की ओर धकेल रहे हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

प्रश्न 8.
एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है?
उत्तर :
वर्तमान युग में विज्ञान का दुरुपयोग करके पॉलिथीन का निर्माण हो रहा है। यह पॉलिथीन पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है। इससे वातावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ जीवों का जीवन भी संकट में आ चुका है। इससे प्रभावित होकर कई पशु-पक्षी मर रहे हैं। अत: सबसे पहले हमें पॉलिथीन के निर्माण पर रोक लगानी होगी। इसके साथ-साथ पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक पदार्थों का प्रयोग हो रहा है। इनसे बहुत अधिक ज़हर हमारे शरीर में जा रहा है। अतः इसके स्थान पर वही पुरानी गोबर खाद अथवा खाद का प्रयोग करके विज्ञान का दुरुपयोग रोका जा सकता है।

JAC Class 10 Hindi मैं क्यों लिखता हूँ? Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखक ने अपने लिखने का कारण क्या बताया है ?
उत्तर :
लेखक कहता है कि कोई भी लेखक अपने भीतर की विवशता से मुक्त होने के लिए लिखता है। वह भी अपनी आंतरिक विवशता से मुक्ति पाने के लिए तथा तटस्थ होकर उसे देखने और पहचानने के लिए लिखता है। लेखक का मानना है कि वह बाहरी दबावों से प्रभावित होकर बहुत कम लिखता है। उसके लिखने का मुख्य कारण उसकी आंतरिक विवशता है और लिखकर ही वह स्वयं को उससे मुक्त कर पाता है।

प्रश्न 2.
लेखक ने बाहरी दबाव की तुलना किससे की है ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार कुछ रचनाकार बाहरी दबाव के बिना नहीं लिख पाते। उनकी स्थिति ठीक वैसी ही है, जैसे कोई व्यक्ति सुबह नींद खुल जाने पर भी अलार्म बजने तक बिस्तर पर पड़ा रहे। जब अलार्म बजता है, तभी वह उठता है। कुछ रचनाकार भी ऐसे ही होते हैं। जब तक बाहरी दबाव उन पर हावी नहीं हो जाता, वे नहीं लिखते हैं। ऐसे रचनाकार बाहरी दबाव के बिना लिख ही नहीं पाते।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

प्रश्न 3.
लेखक ने अणु-बम द्वारा होने वाले व्यर्थ जीव-नाश का अनुभव कैसे किया?
उत्तर :
लेखक ने युद्ध के समय देखा कि भारत की पूर्वी सीमा पर सैनिक ब्रह्मपुत्र नदी में बम फेंककर हजारों मछलियाँ मार रहे थे। यद्यपि उन्हें कुछ ही मछलियों की आवश्यकता थी, किंतु वे इस प्रकार बम फेंककर हजारों जीवों को नष्ट कर रहे थे। यह देखकर ही लेखक ने अनुभव किया कि अणु-बम के द्वारा भी ऐसे ही असंख्य लोगों को व्यर्थ में ही मारा जा रहा है। हिरोशिमा पर गिराया गया अणु-बम इसका स्पष्ट उदाहरण है।

प्रश्न 4.
लेखक ने ‘हिरोशिमा’ कविता कहाँ लिखी? यह कब प्रकाशित हुई तथा यह उनके किस काव्य-संग्रह में संकलित है?
उत्तर :
लेखक ने ‘हिरोशिमा’ कविता भारत लौटकर रेलगाड़ी में बैठे-बैठे लिखी। यह कविता सन 1959 में प्रकाशित हुई तथा यह उनके ‘अरी ओ करुणा प्रभामय’ नामक काव्य-संग्रह में संकलित है।

प्रश्न 5.
हिरोशिमा में हुए विस्फोट की भयावहता को देखकर भी लेखक ने इस विषय पर क्यों नहीं लिखा?
उत्तर :
लेखक ने जब हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने की घटना के बारे में पढ़ा और सुना, तो भी उसने तत्काल इस विषय पर कुछ न लिखा। इस घटना से लेखक विचलित हुआ था, परंतु इस घटना से उसे आंतरिक अनुभूति पैदा नहीं हुई। वह व्याकुल व दुखी तो हुआ, परंतु केवल बौद्धिक रूप से। किसी भी विषय को कोई तभी लिख सकता है, जब उसे वह विषय आंतरिक रूप से प्रभावित करे; संवेदनाओं को उभारे। हिरोशिमा की यह भयानक घटना लेखक को आकुल न कर सकी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

प्रश्न 6.
लेखक ने किन बाह्य दबावों का वर्णन किया है, जो रचनाकार को लिखने के लिए बाध्य करते हैं ?
उत्तर :
आत्मानुभूति के साथ-साथ कुछ बाह्य दबाव भी लेखकों को लिखने के लिए बाध्य करते हैं; जैसे-संपादक का आग्रह, पाठकों की इच्छा, प्रकाशक का दबाव, आर्थिक विवशताएँ आदि।

प्रश्न 7.
प्रत्यक्ष अनुभव तथा अनुभूति में क्या अंतर है?
उत्तर :
कभी-कभी लेखक के मन में किसी विषय को लेकर कल्पनाएँ उठती हैं, जो उसे अभिभूत कर देती हैं। प्रत्यक्ष रूप से यह लेखक की कल्पना ही होती है, परंतु वह कल्पना भी किसी प्रत्यक्ष घटना के कारण ही उसके मन में संवेदना जगाती है। प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित लेखन तभी जन्म लेता है, जब लेखक की आँखों के सामने कोई वास्तविक घटना घटी हो। यही लेखक का प्रत्यक्ष अनुभव है। अनुभूति मन की गहराइयों में जन्म लेती है और प्रत्यक्ष अनुभव आँखों के सामने घटित होता है।

प्रश्न 8.
किसी भी लेखक के लिए यह प्रश्न कठिन क्यों माना जाता है कि वह क्यों लिखता है?
उत्तर :
किसी भी विषय पर कुछ लिखना लेखक के अंतर्मन से जुड़ा होता है, जहाँ समय-समय पर अलग-अलग भाव उत्पन्न होते हैं। हर लेखक के मन का स्तर अलग होता है और वह भी परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है। उनकी प्रेरणाएँ भिन्न होती हैं; उनकी रुचियाँ और मानसिकता अलग होती हैं, इसलिए यह जानना कि ‘वह लिखता क्यों है’ अति कठिन प्रश्न है।

प्रश्न 9.
लेखक और कृतिकार में क्या अंतर होता है?
उत्तर :
लेखक के अनसार जो साहित्य भीतरी दबाव के कारण लिखा जाए: जिसमें मन की सच्ची छटपटाहट छिपी हुई हो, उसे ‘कति’ कहते हैं। उसका रचयिता कृतिकार कहलाता है। इसके विपरीत धन, यश, विवशता आदि की प्रेरणा से लिखा जाने वाला साहित्य लेखन कहलाता है और इस स्थिति में लिखने वाला लेखक कहलाता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

प्रश्न 10.
ब्रह्मपुत्र नदी में बम फेंकने और हिरोशिमा के विस्फोट में लेखक ने किस समानता को देखा है ?
उत्तर :
लेखक ने कुछ मछलियों को प्राप्त करने के लिए सैनिकों के द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी में बम फेंकने की बात कही है, जिससे हज़ारों मछलियाँ मर जाती थीं। वे दो-चार मछलियों के लिए हज़ारों मछलियों को मार देते थे। हिरोशिमा में भी इसलिए लाखों इनसान मार डाले गए थे। दोनों ही प्रसंग प्राणियों के अकारण नाश से जुड़े हुए हैं। अतः दोनों में समानता है।

मैं क्यों लिखता हूँ? Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

हिंदी के सुप्रसिद्ध प्रयोगवादी कवि, मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार, प्रखर चिंतक एवं प्रतिष्ठित निबंध लेखक अज्ञेय जी का जन्म 7 मार्च, सन् 1911 में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के कसिया (कुशीनगर) नामक स्थान पर हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। इन्होंने लाहौर से बी०एससी० की डिग्री प्राप्त की। क्रांतिकारी आंदोलनों में भाग लेने के कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। इन्होंने सेना, आकाशवाणी तथा शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रदान की।

अज्ञेय जीवन-भर साहित्य और पत्रकारिता के प्रति पूर्णतः समर्पित रहे। सन् 1987 में दिल्ली में इनका देहांत हो गया। रचनाएँ-अज्ञेय की रचनाओं में बौद्धिकता की स्पष्ट छाप है। इनकी प्रमुख रचनाओं में भग्नदूत, चिंता, अरी ओ करुणा प्रभामय, इंद्रधनुष रौदे हुए थे, आँगन के पार द्वार (काव्य-संग्रह), शेखर एक जीवनी, नदी के द्वीप (उपन्यास), विपथगा, शरणार्थी, जयदोल (कहानी-संग्रह), त्रिशंकु, आत्मनेपद (निबंध) तथा अरे यायावर रहेगा याद (यात्रा-वृत्तांत) आदि हैं। इसके अतिरिक्त इनके द्वारा संपादित ‘तार सप्तक’ सहित चार सप्तकों का हिंदी साहित्य की समकालीन हिंदी कविता में महत्वपूर्ण योगदान है।

इनकी विभिन्न रचनाओं के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत-भारती सम्मान तथा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भाषा-शैली-अज्ञेय की भाषा-शैली में सर्वत्र नवीनता के दर्शन होते हैं। इन्होंने शब्दों को नया अर्थ देने का प्रयास करते हुए हिंदी भाषा का विकास किया है। प्रस्तुत पाठ ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ में इनकी भाषा सरल एवं बोधगम्य है। कहीं-कहीं इनकी भाषा में बौद्धिकता के कारण दुरुहता भी दिखाई देती है। इनकी भाषा में चित्रात्मकता और प्रभावोत्पादकता का गुण सर्वत्र विद्यमान है। यहाँ इनकी शैली कहीं-कहीं आत्मकथात्मक तथा कहीं वर्णनात्मक है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

पाठ का सार :

‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ में लेखक ने अपने लिखने के कारणों के साथ-साथ एक लेखक के प्रेरणा-स्रोतों पर भी प्रकाश डाला है। लेखक के अनुसार वह अपनी आंतरिक व्याकुलता से मुक्ति पाने तथा तटस्थ होकर उसे देखने और पहचानने के लिए लिखता है। प्रायः प्रत्येक रचनाकार की आत्मानुभूति ही उसे लेखन-कार्य के लिए प्रेरित करती है, किंतु कुछ बाहरी दबाव भी होते हैं। ये बाहरी दबाव भी कई बार रचनाकार को लिखने के लिए बाध्य करते हैं। इन बाहरी दबावों में संपादकों का आग्रह, प्रकाशक का तकाजा तथा आर्थिक आवश्यकता आदि प्रमुख हैं। लेखक का मत है कि वह बाहरी दबावों से कम प्रभावित होता है।

उसे तो उसकी भीतरी विवशता ही लिखने की ओर प्रेरित करती है। उसका मानना है कि प्रत्यक्ष अनुभव से अनुभूति गहरी चीज़ है। एक रचनाकार को अनुभव सामने घटित घटना को देखकर होता है, किंतु अनुभूति संवेदना और कल्पना के द्वारा उस सत्य को भी ग्रहण कर लेती है जो रचनाकार के सामने घटित नहीं हुआ। फिर वह सत्य आत्मा के सामने ज्वलंत प्रकाश में आ जाता है और रचनाकार उसका वर्णन करता है। लेखक बताता है कि उसके द्वारा लिखी ‘हिरोशिमा’ नामक कविता भी ऐसी ही है।

एक बार जब वह जापान गया, तो वहाँ हिरोशिमा में उसने देखा कि एक पत्थर बुरी तरह झुलसा हुआ है और उस पर एक व्यक्ति की लंबी उजली छाया है। उसे देखकर उसने अनुमान लगाया कि जब हिरोशिमा पर अणु-बम गिराया गया होगा, तो उस समय वह व्यक्ति इस पत्थर के पास खड़ा होगा। अणु-बम के प्रभाव से वह भाप बनकर उड़ गया, किंतु उसकी छाया उस पत्थर पर ही रह गई।

लेखक को उस झुलसे हुए पत्थर ने झकझोर कर रख दिया। वह हिरोशिमा पर गिराए गए अणु-बम की भयानकता की कल्पना करके बहुत दुखी हुआ। उस समय उसे ऐसे लगा, मानो वह उस दुःखद घटना के समय वहाँ मौजूद रहा हो। इस त्रासदी से उसके भीतर जो व्याकुलता पैदा हुई, उसी का परिणाम उसके द्वारा हिरोशिमा पर लिखी कविता थी। लेखक कहता है कि यह कविता ‘हिरोशिमा’ जैसी भी हो, वह उसकी अनुभूति से पैदा हुई थी। यही उसके लिए महत्वपूर्ण था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

कठिन शब्दों के अर्थ :

आंतरिक – भीतरी। आभ्यंतर – अंदरूनी, भीतर का। विवशता – मज़बूरी। मुक्त – आजाद। कृतिकार – रचनाकार। ख्याति – प्रसिद्धि, यश। उन्मेष – प्रकाश। निमित्त – कारण। बिछौना – बिस्तर। बाधा – रुकावट। बखानना – वर्णन करना। पुस्तकीय – पुस्तकों में लिखा। परवर्ती प्रभाव – बाद में पड़ने वाले प्रभाव। युद्धकाल – युद्ध के समय। ब्रह्मपुत्र – एक नदी का नाम। व्यथा – पीड़ा, दुख। व्यर्थ – बेकार में। अवसर – मौका। आहत – घायल। प्रत्यक्ष – स्पष्ट देखना। तत्काल – उसी क्षण। झुलसाना – जला देना। समूची – सारी। ट्रेजडी – त्रासदी, दुखद घटना। अवाक् – मौन। सहसा – अचानक। भोक्ता – भोगने वाला। आकुलता – बेचैनी।