JAC Class 11 History Solutions Chapter 7 बदलती हुई सांस्कृतिक परम्पराएँ

Jharkhand Board JAC Class 11 History Solutions Chapter 7 बदलती हुई सांस्कृतिक परम्पराएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Solutions Chapter 7 बदलती हुई सांस्कृतिक परम्पराएँ

Jharkhand Board Class 11 History बदलती हुई सांस्कृतिक परम्पराएँ In-text Questions and Answers

पृष्ठ 159

क्रियाकलाप 2 : सोलहवीं शताब्दी के इंटली के कलाकारों की कृतियों के विभिन्न वैज्ञानिक तत्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इटली के कलाकारों की कृतियों में वैज्ञानिक तत्त्व – मध्य युग में कला पर धर्म का बहुत अधिक प्रभाव था परन्तु सोलहवीं शताब्दी में कला, धर्म के प्राचीन बन्धनों से मुक्त हो गई। अब कलाकार यथार्थवादी बन गए और स्वतन्त्र रूप से कलाकृति रचने लगे। अतः कला में मौलिकता तथा वास्तविकता पाई जाने लगी। अब कलाकार हूबहू मूल आकृति जैसी मूर्त्तियाँ बनाना चाहते थे। उनकी इस प्रवृत्ति से वैज्ञानिकों के कार्यों में बड़ी सहायता मिली। नरकंकालों का अध्ययन करने के लिए कलाकार आयुर्विज्ञान कालेजों की प्रयोगशालाओं में गए। बेल्जियम मूल के आन्ड्रीयस वेसेलियस पादुआ विश्वविद्यालय में आयुर्विज्ञान के प्राध्यापक थे।

वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सूक्ष्म परीक्षण के लिए मनुष्य के शरीर की चीर-फाड़ की। इसी समय से आधुनिक शरीर क्रिया विज्ञान की शुरुआत हुई । चित्रकारों को अब ज्ञात हो गया कि रेखागणित के ज्ञान से चित्रकार अपने परिदृश्य को ठीक तरह से समझ सकता है तथा प्रकाश के बदलते गुणों का अध्ययन करने से उनके चित्रों में त्रि-आयामी रूप दिया जा सकता है। बनाया।

चित्र के लिए तेल के एक माध्यम के रूप में प्रयोग के चित्रों को पूर्व की तुलना में अधिक रंगीन और चटख लियानार्डो दा विंची इटली का प्रसिद्ध चित्रकार था । उसकी अभिरुचि वनस्पति विज्ञान और शरीर रचना विज्ञान से लेकर गणित शास्त्र तथा कला तक विस्तृत थी। वह वर्षों तक आकाश में पक्षियों के उड़ने का परीक्षण करता रहा और उसने एक उड़न-मशीन का प्रतिरूप बनाया। उसने अपना नाम ‘लियोनार्डो दा विंची, परीक्षण का अनुयायी’ रखा।

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उसने मोनालिसा तथा लास्ट सपर नामक चित्र बनाए। माइकेल एंजिलो भी इटली का एक प्रसिद्ध मूर्त्तिकार, चित्रकार और वास्तुकार था। उसने अपने चित्रों में यथार्थता लाने के लिए शरीर – विज्ञान का गहन अध्ययन किया। उसने पोप के सिस्टाइन चैपल की छत पर लेपचित्र बनाए। इस प्रकार शरीर – विज्ञान, रेखा गणित, भौतिकी और सौन्दर्य की उत्कृष्ट भावना ने इतालवी कला को नया रूप प्रदान किया, जिसे बाद में ‘यथार्थवाद’ कहा गया। यथार्थवाद की यह परम्परा उन्नीसवीं सदी तक चलती रही । पृष्ठ 162

क्रियाकलाप 3 : महिलाओं की आकांक्षाओं के संदर्भ में एक महिला (फेदेले) तथा एक पुरुष (कास्टिल्योनी) द्वारा अभिव्यक्त भावों की तुलना कीजिये। उन लोगों की सोच में क्या महिलाओं का एक निर्दिष्ट वर्ग ही था ?
उत्तर:
(1) महिलाओं की आकांक्षाओं के संदर्भ में फेदेले नामक महिला के विचार – सोलहवीं शताब्दी की .. कुछ महिलाएँ बौद्धिक रूप से बहुत रचनात्मक थीं और मानवतावादी शिक्षा की समर्थक थीं। वेनिस निवासी कसान्द्रा फेदेले ने महिलाओं के बारे में अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए लिखा था कि ” यद्यपि महिलाओं को शिक्षा न तो पुरस्कार देती है और न किसी सम्मान का आश्वासन, तथापि प्रत्येक महिला को सभी प्रकार की शिक्षा को प्राप्त करने की इच्छा रखनी चाहिए और उसे ग्रहण करना चाहिए।” फेदेला ने तत्कालीन इस विचारधारा को चुनौती दी कि एक मानवतावादी विद्वान के गुण एक महिला के पास नहीं हो सकते। फ

ेदेले ने गणतन्त्र की आलोचना “स्वतन्त्रता की एक बहुत सीमित परिभाषा निर्धारित करने के लिए की, जो महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की इच्छा का अधिक समर्थन करती थी। ” फेदेले के विचारों से यह स्पष्ट होता है कि उस काल में सब लोग शिक्षा को बहुत महत्त्व देते थे। चाहे वे पुरुष हों या महिला। इससे ज्ञात होता है कि महिलाओं को पुरुष-प्रधान समाज में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए अधिक आर्थिक स्वतन्त्रता, सम्पत्ति और शिक्षा मिलनी चाहिए।

(2) महिलाओं की आकांक्षाओं के संदर्भ में कास्टिल्योनी नामक पुरुष के विचार – प्रसिद्ध लेखक और कूटनीतिज्ञ बाल्थासार कास्टिल्योनी ने अपनी पुस्तक ‘दि कोर्टियर’ में लिखा है कि ” मेरे विचार से अपने तौर-तरीके, व्यवहार, बातचीत के तरीके, भाव-भंगिमा और छवि में एक महिला पुरुष के सदृश नहीं होनी चाहिए।

जैसे कि यह कहना बिल्कुल उपयुक्त होगा कि पुरुषों को हट्टा-कट्टा और पौरुष – सम्पन्न होना चाहिए, इसी तरह एक स्त्री के लिए यह अच्छा ही है कि उसमें कोमलता और सहृदयता हो, एक स्त्रियोचित मधुरता का आभास उसके हर हाव-भाव में हो और यह उसके चाल-चलन, रहन-सहन और हर ऐसे कार्य में हो जो वह करती है, ताकि ये सारे गुण उसे हर हाल में एक स्त्री के रूप में ही दिखाएँ, न कि किसी पुरुष के सदृश।

यदि उन महानुभावों द्वारा दरबारियों को सिखाए गए नियमों में इन नीति वचनों को जोड़ दिया जाए, तो महिलाएँ इनमें से अनेक को अपनाकर स्वयं को श्रेष्ठ गुणों से सुसज्जित कर सकेंगी। मेरा यह मानना है कि मस्तिष्क के कुछ ऐसे गुण हैं जो महिलाओं के लिए उतने ही आवश्यक हैं जितने कि पुरुष के लिए जैसे कि अच्छे कुल का होना, दिखावे का परित्याग करना, सहज रूप से शालीन होना, आचरणवान, चतुर और बुद्धिमान होना, गर्वी, ईर्ष्यालु, कटु और उद्दण्ड न होना ” ” जिससे महिलाएँ उन क्रीड़ाओं को, शिष्टता और मनोहरता के साथ सम्पन्न कर सकें, जो उनके लिए उपयुक्त हैं।”

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उपर्युक्त विचारों से यह ज्ञात होता है कि उस युग में प्रायः सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी बहुत सीमित थी और उनमें शिक्षा का प्रसार बहुत कम था। व्यापारी परिवारों में महिलाओं में शिक्षा का प्रसार अधिक था जबकि अभिजात वर्ग के परिवारों की महिलाओं में शिक्षा का प्रसार कम था। उस युग की प्रबुद्ध महिलाओं ने इस बात पर बल दिया कि महिलाओं की शिक्षा पर उचित ध्यान दिया जाना चाहिए।

पृष्ठ 164

क्रियाकलाप 4: वे कौनसे मुद्दे थे जिनको लेकर प्रोटेस्टेन्ट धर्म के अनुयायी कैथोलिक चर्च की आलोचना करते थे?
उत्तर:
र – प्रोटेस्टेन्ट धर्म के अनुयायियों द्वारा कैथोलिक चर्च की आलोचना करना – प्रोटैस्टेन्ट धर्म के अनुयायी निम्नलिखित मुद्दों को लेकर कैथोलिक चर्च की आलोचना करते थे –

  1.  कैथोलिक चर्च के अनुयायी अपने पुराने धर्मग्रन्थों में बताए गए तरीकों से धर्म का पालन नहीं कर रहे थे।
  2. कैथोलिक चर्च में अनेक अनावश्यक कर्मकाण्ड, अन्धविश्वास और आडम्बरों का समावेश हो गया था।
  3. कैथोलिक चर्च एक लालची तथा साधारण लोगों से बात-बात पर लूट-खसोट करने वाली संस्था बन गई थी।
  4. पादरी लोगों से धन ऐंठते रहते थे। उनका लोगों से धन ठगने का सबसे आसान तरीका ‘पाप-स्वीकारोक्ति’-नामक दस्तावेज था। इसे खरीदने वाला व्यक्ति अपने समस्त पापों से मुक्ति पा सकता था।
  5. चर्च द्वारा लगाए गए अनेक करों के कारण किसानों में असन्तोष था। उन्होंने इन करों का विरोध किया।
  6. यूरोप के शासक भी राज-काज में चर्च के हस्तक्षेप से नाराज थे।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
चौदहवीं और पन्द्रहवीं शताब्दियों में यूनानी और रोमन संस्कृति के किन तत्वों को पुनर्जीवित किया गया?
उत्तर:
चौदहवीं तथा पन्द्रहवीं शताब्दियों में यूनानी और रोमन संस्कृति के तत्वों को पुनर्जीवित करना- चौदहवीं तथा पन्द्रहवीं शताब्दियों में यूनानी तथा रोमन संस्कृतियों के निम्नलिखित तत्वों को पुनर्जीवित किया गया –
(1) साहित्य के क्षेत्र में – प्राचीन यूनानी एवं रोमन साहित्य के अध्ययन पर बल दिया गया। पेट्रार्क ने प्राचीन यूनानी तथा रोमन ग्रन्थों के अध्ययन पर बल दिया।

(2) कला के क्षेत्र में – चौदहवीं तथा पन्द्रहवीं शताब्दियों में स्थापत्य कला की एक नई शैली का जन्म हुआ जिसमें यूनानी, रोमन तथा अरबी शैलियों का समन्वय था । इस नवीन शैली में शृंगार, सजावट तथा डिजाइन पर विशेष बल दिया गया। इस शैली में मेहराबों, गुम्बदों तथा स्तम्भों की प्रधानता थी।

यह नवीन शैली रोमन साम्राज्यकालीन शैली का पुनरुद्धार थी, जिसे बाद में ‘शास्त्रीय शैली’ कहा गया। “मूर्त्तिकला में भी नवीन शैली अपनाई गई। अब मूर्त्तिकला धर्म के प्राचीन बन्धनों से मुक्त हो गई तथा अब साधारण मनुष्य की मूर्त्तियाँ बनाई जाने लगीं। चित्रकला पर से भी धर्म का प्रभाव समाप्त हो गया। अब धार्मिक चित्रों के स्थान पर जन-जीवन से सम्बन्धित मौलिक एवं यथार्थ चित्र बनने लगे। जियटो ने जीते-जागते रूपचित्र (पोर्ट्रेट) बनाए।

(3) विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में – चौदहवीं शताब्दी में यूरोप के अनेक विद्वानों ने प्लेटो और अरस्तू के ग्रन्थों से अनुवादों का अध्ययन करना शुरू किया। यूरोप के विद्वानों ने यूनानी ग्रन्थों के अरबी अनुवादों का अध्ययन किया। ये ग्रन्थ प्राकृतिक विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, औषधि विज्ञान और रसायन विज्ञान से सम्बन्धित थे।

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(4) मावतावाद – यूनानी और रोमन संस्कृतियों के प्रभाव से यूरोप में मानवतावादी विचारों का व्यापक प्रसार हुआ। मानवतावादी धार्मिक पाखण्डों, रूढ़ियों और अन्धविश्वासों में विश्वास नहीं करते थे। वे मानव जीवन पर धर्म का नियन्त्रण नहीं चाहते थे। वे भौतिक सुखों पर बल देते थे तथा वर्तमान जीवन को सुखी और आनन्ददायक बनाने पर बल देते थे।

प्रश्न 2.
इस काल में इटली की वास्तुकला और इस्लामी वास्तुकला की विशिष्टताओं की तुलना कीजिए।
उत्तर:
इटली की वास्तुकला की विशिष्टताएँ – पन्द्रहवीं शताब्दी में इटली में स्थापत्य कला की एक नई शैली का जन्म हुआ, जिसमें यूनानी, रोमन तथा अरबी शैलियों का समन्वय था। इस नवीन शैली में श्रृंगार, सजावट तथा डिजाइन पर विशेष बल दिया गया। इस शैली में मेहराबों, गुम्बदों तथा स्तम्भों की प्रधानता थी। यह नई शैली वास्तव मे रोमन साम्राज्यकालीन शैली का पुनरुद्धार थी जिसे ‘शास्त्रीय शैली’ कहा गया।

चित्रकारों और शिल्पकारों ने भवनों को लेपचित्र, मूर्तियों तथा उभरे चित्रों से सुसज्जित किया। प्रसिद्ध वास्तुकार ब्रुनेलेशी ने फ्लोरेन्स के भव्य गुम्बद का परिरूप प्रस्तुत किया था। रोम का सन्त पीटर का गिरजाघर तत्कालीन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। लन्दन का सन्त पाल का गिरजाघर तथा वेनिस का सन्त मार्क का गिरजाघर आदि भी तत्कालीन वास्तुकला के श्रेष्ठ नमूने हैं।

इस्लामी वास्तुकला की विशिष्टताएँ – इस्लामी वास्तुकला में अनेक मस्जिदों, राजमहलों, इबादतगाहों तथा मकबरों का निर्माण किया गया। इनका आधारभूत नमूना एक जैसा था। मेहराब, गुम्बद, मीनार और खुले सहन इन इमारतों की विशेषताएँ थीं। ये इमारतें मुसलमानों की आध्यात्मिक और व्यावहारिक आवश्यकताओं को प्रकट करती थीं। मस्जिदों में एक खुला प्रांगण होता था।

इसमें एक फव्वारा अथवा जलाशय बनाया जाता था। बड़े कमरे की दो विशेषताएँ थीं –

  1. दीवार में मेहराब तथा
  2. एक मंच इसमें एक मीनार होती थी।

इस्लाम में सजीव चित्रों के निर्माण पर प्रतिबन्ध था परन्तु इससे कला के दो रूपों को प्रोत्साहन मिला-खुशनवीसी (सुन्दर लेखन की कला) तथा अरबेस्क (ज्यामितीय और वनस्पतीय डिजाइन)। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि इटली की वास्तुकला और इस्लामी वास्तुकला में हमें कुछ समानताएँ और कुछ अन्तर दिखाई देते हैं। इस्लामी वास्तुकला पर जहाँ धर्म का अधिक प्रभाव दिखाई देता है, वहीं इटली की वास्तुकला में मानवतावादी यथार्थ का अधिक प्रभाव दिखाई देता है।

प्रश्न 3.
मानवतावादी विचारों का अनुभव सबसे पहले इतालवी शहरों में क्यों हुआ?
उत्तर:
इतालवी शहरों में मानवतावादी विचारों का अनुभव – इतालवी शहरों में मानवतावादी विचारों का अनुभव सबसे पहले निम्नलिखित कारणों से हुआ –
(1) व्यापार एवं वाणिज्य की उन्नति के कारण इटली में बड़े-बड़े नगरों का उदय हुआ। वेनिस, जिनेवा, फ्लोरेन्स आदि प्रसिद्ध नगर थे। ये नगर यूनान के नगर – राज्य जैसे बन गए। ये यूरोप के अन्य नगरों से इस दृष्टि से अलग .थे कि यहाँ पर धर्माधिकारी और सामन्त वर्ग राजनीतिक दृष्टि से शक्तिशाली नहीं थे। नगरों के धनी व्यापारी और महाजन नगरों के शासन में स्वतन्त्रतापूर्वक भाग लेते थे। ये नगर शिक्षा, कला और व्यापार के केन्द्र बन गए।

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(2) यूरोप में सबसे पहले विश्वविद्यालय इटली के शहरों में स्थापित हुए। इन विश्वविद्यालयों में रोमन कानून, चिकित्साशास्त्र, प्राकृतिक विज्ञान, गणित, रसायन विज्ञान, व्याकरण आदि विषय पढ़ाए जाते थे। ये विषय धार्मिक नहीं थे, बल्कि उस कौशल पर बल देते थे जो व्यक्ति चर्चा और वाद-1 द- विवाद से विकसित करता है।

(3) पन्द्रहवीं शताब्दी तक रोम तथा यूनानी विद्वानों ने अनेक क्लासिकी ग्रन्थ लिखे । ये ग्रन्थ प्राकृतिक विज्ञान, . गणित, खगोल विज्ञान आदि से सम्बन्धित थे। छापेखाने के निर्माण के बाद इन ग्रन्थों का मुद्रण इटली में हुआ था। इन पुस्तकों ने नये विचारों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण आदि मानवतावादी विचारधारा का इतालवी नगरों में प्रसार करने में योगदान दिया।

(4) पेट्रार्क, दोनातेलो, माइकेल एंजेलो, लियोनार्दो दी विन्ची आदि मानवतावादी विचारकों ने इतालवी नगरों में मानवतावादी विचारधारा के प्रसार में योगदान दिया।

प्रश्न 4.
वेनिस और समकालीन फ्रांस में ‘अच्छी सरकार’ के विचारों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
(1) वेनिस में ‘अच्छी सरकार’ के विचार- इटली में अनेक नगरों का उदय हुआ। ये नगर अपने आपको स्वतन्त्र नगर-राज्यों का एक समूह मानते थे। इन नगरों में वेनिस प्रमुख था । वेनिस एक गणराज्य था। यहाँ पर धर्माधिकारी तथा सामन्त वर्ग राजनीतिक दृष्टि से शक्तिशाली नहीं थे। अतः प्रशासन और राजनीति में उनका कोई प्रभाव नहीं था। नगर के धनी व्यापारी और महाजन नगर के शासकों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे जिससे वहाँ नागरिकता की भावना विकसित हुई। इन नगरों के शासन सैनिक तानाशाहों के हाथ में आने के बाद भी इन नगरों के निवासी अपने को यहाँ का नागरिक कहने में गर्व का अनुभव करते थे

(2) फ्रांस में अच्छी सरकार के विचार – समकालीन फ्रांस में निरंकुश राजतन्त्र स्थापित था। वहाँ प्रशासन और राजनीति में धर्माधिकारियों तथा सामन्तों का बोलबाला था। सभी उच्च तथा महत्वपूर्ण पदों पर सामन्त वर्ग के लोग आसीन थे। ये लोग जन-साधारण का शोषण करते थे तथा अपने स्वार्थों की पूर्ति में लगे रहते थे।

यद्यपि फ्रांस में एस्टेट्स जनरल (परामर्शदात्री सभा) बनी हुई थी, परन्तु 1614 के बाद 175 वर्षों तक इसका अधिवेशन नहीं बुलाया गया था। इसका कारण यह था कि फ्रांस के शासक जन साधारण के साथ अपनी शक्ति बाँटना नहीं चाहते थे। फ्रांस में स्वतन्त्र किसानों, कृषि – दासों की बहुत बड़ी संख्या थी, परन्तु उन्हें किसी प्रकार के राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं थे । वहाँ मध्यम वर्ग की भी घोर उपेक्षा की जाती थी।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 5.
मानवतावादी विचारों के क्या अभिलक्षण थे?
उत्तर:
मानवतावादी विचारों के अभिलक्षण – मानवतावादी विचारों के अभिलक्षण निम्नलिखित थे –
(1) उन्नत ज्ञान प्राप्त करना – मानवतावाद का शाब्दिक अर्थ है – उन्नत ज्ञान। ‘मानवतावाद’ की विचारधारा के अनुसार ज्ञान असीमित है, बहुत कुछ जानना बाकी है और यह सब हम केवल धार्मिक शिक्षण से नहीं सीखते । इसी नयी संस्कृति को इतिहासकारों ने ‘मानवतावाद’ की संज्ञा दी।

(2) ‘मानवतावादी’ शब्द का प्रयोग – पन्द्रहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ‘मानवतावादी’ शब्द उन अध्यापकों के लिए प्रयुक्त होता था जो व्याकरण, ‘अलंकारशास्त्र’, कविता, इतिहास और नीति दर्शन पढ़ाते थे। लैटिन शब्द ‘ह्यूमेनिटास’ से ‘ह्यूमेनिटिज’ शब्द अर्थात् ‘मानवतावाद’ की उत्पत्ति हुई है, जिसे कई शताब्दियों पूर्व रोम के वकील तथा निबन्धकार सिसरो ने ‘संस्कृति’ के अर्थ में लिया था। ये विषय धार्मिक नहीं थे, वरन् उस कौशल पर बल देते थे, जो व्यक्ति चर्चा और वाद-विवाद से विकसित करता है।

(3) धार्मिक कर्मकाण्डों और अन्धविश्वासों में अविश्वास – मानवतावादी धार्मिक कर्मकाण्डों, पाखण्डों तथा अन्धविश्वासों में विश्वास नहीं करते थे। मानवतावादी संस्कृति की विशेषताओं में से एक था-मानव जीवन पर धर्म का नियन्त्रण कमजोर होना।

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(4) भौतिक सुखों पर बल देना – मानवतावादी भौतिक सम्पत्ति, शक्ति तथा गौरव पर बल देते थे। वेनिस के मानवतावादी फ्रेनचेस्को बरबारो ने अपनी एक पुस्तिका में सम्पत्ति प्राप्त करने को एक विशेष गुण बताकर उसका पक्ष लिया। लोरेन्जो वल्ला ने अपनी पुस्तक ‘आन प्लेजर’ में भोग-विलासों पर लगाई गई ईसाई धर्म की निषेधाज्ञा की आलोचना की ।

(5) अच्छे व्यवहारों पर बल – मानवतावादी अच्छे व्यवहारों पर बल देते थे। उनकी अच्छे व्यवहारों के प्रति रुचि थी-व्यक्ति को किस प्रकार विनम्रता से बोलना चाहिए, कैसे वस्त्र पहनने चाहिए तथा एक सभ्य व्यक्ति को किसमें दक्षता प्राप्त करनी चाहिए।

(6) मनुष्य का स्वभाव बहुमुखी है – मानवतावादियों की मान्यता थी कि मनुष्य का स्वभाव बहुमुखी है। सामन्ती समाज तीन भिन्न-भिन्न वर्गों (पादरी, अभिजात तथा कृषक) में विश्वास करता था परन्तु मानवतावादियों ने इस विचार को नकार दिया।

(7) वर्तमान जीवन को सुन्दर और उपयोगी बनाना – मानवतावादी वर्तमान जीवन को सुन्दर, आनन्ददायक और उपयोगी बनाने पर बल देते थे। वे परलोक की बजाय इस लोक को सफल और सुखी बनाने पर बल देते थे।

(8) सत्य, तर्क और नवीन दृष्टिकोण पर बल देना – मानवतावादी स्वतन्त्र चिन्तन, सत्य, तर्क और नवीन दृष्टिकोण का प्रचार करते थे।

प्रश्न 6.
सत्रहवीं शताब्दी के यूरोपियों को विश्व किस प्रकार भिन्न लगा? उसका एक सुचिन्तित विवरण दीजिए।
उत्तर:
सत्रहवीं शताब्दी के यूरोपियों की दृष्टि में विश्व – सत्रहवीं शताब्दी तक विश्व में कला, विज्ञान, साहित्य, धर्म, समाज, राजनीति आदि सभी क्षेत्रों में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन हो चुके थे। अतः सत्रहवीं शताब्दी के यूरोपियों की दृष्टि में विश्व निम्नलिखित बातों में भिन्न लगा-

(1) साहित्य के क्षेत्र में –
(i) मध्य युग में विद्वान लैटिन और यूनानी भाषाओं में अपनी पुस्तकों की रचना करते थे, परन्तु आधुनिक युग में बोलचाल की भाषा में साहित्य की रचना की जाने लगी। अब अंग्रेजी, फ्रांसीसी, जर्मन, इतालवी, स्पेनिश, डच आदि भाषाओं का विकास हुआ। अब समस्त विश्व में लोक भाषाओं तथा राष्ट्रीय . साहित्य की रचना होने लगी।
(ii) अब साहित्य पर से धर्म का प्रभाव समाप्त हो गया । अब साहित्य में मानव जीवन से सम्बन्धित विषयों पर विवेचन किया जाता था। अब साहित्य आलोचना – प्रधान, मानववादी और व्यक्तिवादी हो गया। इस युग में काव्य, महाकाव्य, नाटक, उपन्यास, कहानी, निबन्ध आदि पर उच्च कोटि के ग्रन्थ लिखे गए।

(2) कला के क्षेत्र में – मध्ययुग में कला पर धर्म का बहुत अधिक प्रभाव था तथा उस समय कलाकार स्वतन्त्र रूप से कलाकृति नहीं रच सकता था, परन्तु आधुनिक युग में कला धर्म के बन्धनों से मुक्त हो गई। अब कलाकार यथार्थवादी बन गए और स्वतन्त्र रूप से कलाकृति रचने लगे। अतः कला में मौलिकता तथा वास्तविकता पाई जाने लगी।

(3) विज्ञान के क्षेत्र में – आधुनिक युग में विज्ञान के क्षेत्र में पर्याप्त उन्नति हुई। इस युग में नये सिद्धान्त प्रतिपादित किए गए. तथा नवीन आविष्कार किए गए। कोपरनिकस ने इस मत का प्रतिपादन किया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है जिससे दिन-रात होते हैं। केपलर ने कोपरनिकस के सिद्धान्त को गणित के प्रमाणों से पुष्ट किया। इसी प्रकार चिकित्साशास्त्र, रसायनशास्त्र, भौतिकशास्त्र आदि क्षेत्रों में भी पर्याप्त उन्नति हुई।

(4) भौगोलिक खोजें- आधुनिक युग में सामुद्रिक यात्राओं तथा भौगोलिक खोजों को प्रोत्साहन मिला। 1498 में वास्कोडिगामा उत्तमाशा अन्तरीप होता हुआ भारत के समुद्रतट पर स्थित कालीकट बन्दरगाह पहुँचा। कोलम्बस एक द्वीप पर पहुँचा जिसे यूरोपवासियों ने वेस्टइण्डीज कहा। कोलम्बस की इस यात्रा से ‘नये विश्व’ की खोज करना सरल हो गया। मेगलान के साथियों ने पृथ्वी का सर्वप्रथम चक्कर लगाया। अमेरिगो ने दक्षिणी अमेरिका का पता लगाया।

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(5) सामाजिक क्षेत्र – व्यापारिक वर्ग के प्रभाव में वृद्धि हुई तथा कुलीन लोगों के सम्मान में कमी हुई। साधारण जनता में शिक्षा का प्रसार हुआ तथा दास- कृषकों को मुक्ति मिली।

(6) धार्मिक क्षेत्र में – कैथोलिक चर्च में व्याप्त धार्मिक पाखण्डों, कर्मकाण्डों और अन्धविश्वासों के विरुद्ध सोलहवीं शताब्दी में धर्म सुधार आन्दोलन हुआ।

(7) आर्थिक क्षेत्र में – उद्योग-धन्धों का विकास शुरू हुआ, जिसके फलस्वरूप औद्योगिक क्रान्ति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न हो गईं। व्यापारी वर्ग धनी वर्ग बन गया और पूंजीवाद का विकास हुआ।

(8) राजनीतिक क्षेत्र में – विश्व के विभिन्न देशों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। यूरोप में अनेक राष्ट्रीय राज्यों का उदय हुआ। पोप की राजनीतिक शक्ति में कमी हुई और राजाओं की शक्ति में वृद्धि हुई। भाषा के आधार पर यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों ने अपनी पहचान बनानी शुरू की।

(9) बौद्धिक क्षेत्र में – अब लोग स्वतन्त्रतापूर्वक चिन्तन करने लगे। सत्य की खोज, वाद-विवाद, तार्किक दृष्टिकोण आदि को बढ़ावा मिला। इससे वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास हुआ।

(10) भौतिकवादी दृष्टिकोण – आधुनिक युग में मनुष्य की धर्म एवं परलोक में रुचि कम हो गई तथा वह अपने वर्तमान जीवन को सुखी एवं सम्पन्न बनाने के लिए अधिक प्रयत्न करने लगा। अब मनुष्य का भौतिक जीवन महत्वपूर्ण हो गया। परिणामस्वरूप अधिक आकर्षक नगरों तथा सुविधाजनक घरों का निर्माण किया जाने लगा। अब मानव का रहन-सहन तथा खान-पान का स्तर बढ़ गया।

(11) नगरीय संस्कृति – 17वीं शताब्दी में अनेक नगरों की संख्या बढ़ रही थी। एक विशेष प्रकार की ‘नगरीय संस्कृति’ विकसित हो रही थी। नगर के लोग गाँवों के लोगों से अपने आपको अधिक सभ्य मानते थे। फ्लोरेन्स, वेनिस, रोम आदि नगर कला और विद्या के केन्द्र बन गए थे। अब नगर कला और ज्ञान के केन्द्र बन गए।

बदलती हुई सांस्कृतिक परम्पराएँ JAC Class 11 History Notes

पाठ- सार

1. इटली के नगरों का पुनरुत्थान- जब पश्चिमी यूरोप सामन्ती सम्बन्धों के कारण नया रूप ले रहा था तथा चर्च के नेतृत्व में उसका एकीकरण हो रहा था, पूर्वी यूरोप बाइजेंटाइन साम्राज्य के शासन में बदल रहा था, तब पश्चिम में इस्लाम एक साझी सभ्यता का निर्माण कर रहा था। इन्हीं परिवर्तनों ने इतालवी संस्कृति के पुनरुत्थान में सहायता प्रदान की । इससे इटली के तटवर्ती बंदरगाह पुनर्जीवित हो गए । बारहवीं शताब्दी से जब मंगोलों ने चीन के साथ व्यापार आरम्भ किया, तो इसके कारण पश्चिमी यूरोपीय देशों के व्यापार को बढ़ावा मिला। इसमें इटली के नगरों ने मुख्य भूमिका निभाई। अब वे अपने आपको स्वतन्त्र नगर- राज्यों का एक समूह मानते थे ।

2. विश्वविद्यालय – यूरोप में सबसे पहले विश्वविद्यालय इटली के शहरों में स्थापित हुए। ग्यारहवीं शताब्दी से पादुआ तथा बोलोनिया विश्वविद्यालय विधिशास्त्र के अध्ययन केन्द्र रहे थे। पेट्रार्क ने इस बात पर बल दिया कि प्राचीन यूनानी और रोमन लेखकों की रचनाओं का भली-भाँति अध्ययन किया जाना चाहिए।

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3. मानवतावाद –
(i) पन्द्रहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ‘मानवतावादी’ शब्द उन अध्यापकों के लिए प्रयुक्त होता था जो व्याकरण, अलंकारशास्त्र, कविता, इतिहास और नीति दर्शन विषय पढ़ाते थे। ये विषय धार्मिक नहीं थे वरन् उस कौशल पर बल देते थे जो व्यक्ति चर्चा और वाद-विवाद से विकसित करता है। इन क्रान्तिकारी विचारों ने अनेक विश्वविद्यालयों का ध्यान आकर्षित किया। फ्लोरेन्स धीरे-धीरे एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय बन गया । वह इटली के सबसे जीवन्त बौद्धिक नगर के रूप में जाना जाने लगा।

(ii) फ्लोरेन्स नगर की प्रसिद्धि में दो व्यक्तियों का प्रमुख हाथ था। ये दो व्यक्ति थे –
(1) दाँते
(2) जोटो।
(iii) ‘रेनेसाँ व्यक्ति’ शब्द का प्रयोग प्रायः उस मनुष्य के लिए किया जाता है जिसकी अनेक रुचियाँ हों और अनेक कलाओं में उसे निपुणता प्राप्त हो।

4. इतिहास का मानवतावादी दृष्टिकोण – मानवतावादियों ने पाँचवीं सदी से लेकर चौदहवीं सदी तक के युग को ‘मध्ययुग’ की संज्ञा दी। उनके अनुसार 15वीं शताब्दी से ‘आधुनिक युग’ की शुरुआत हुई।

5. विज्ञान और दर्शन – अरबों का योगदान – एक ओर यूरोप के विद्वान यूनानी ग्रन्थों के अरबी अनुवादों का अध्ययन कर रहे थे, दूसरी ओर यूनानी विद्वान अरबी और फारसी विद्वानों की रचनाओं को अन्य यूरोपीय लोगों के बीच प्रसार के लिए अनुवाद कर रहे थे। ये ग्रन्थ प्राकृतिक विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, औषधि विज्ञान और रसायन विज्ञान से सम्बन्धित थे। मुस्लिम लेखकों में अरबी के हकीम और बुखारा के दार्शनिक इब्न-सिना तथा आयुर्विज्ञान विश्वकोश के लेखक अल-राजी उल्लेखनीय थे।

6. कलाकार और यथार्थवाद – कला, वास्तुकला और ग्रन्थों ने मानवतावादी विचारों के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

  • मूर्तिकला – 1416 में दोनातल्लो ने सजीव मूर्त्तियाँ बनाकर नई परम्परा स्थापित की। नर कंकालों का अध्ययन करने के लिए कलाकार आयुर्विज्ञान कालेजों की प्रयोगशालाओं में गए।
  • चित्रकला – चित्रकारों ने मूर्तिकारों की भाँति यथार्थ चित्र बनाने का प्रयास किया। लियानार्डो दा विन्ची नामक चित्रकार ने ‘मोनालिसा’ तथा ‘द लॉस्ट सपर’ नामक चित्रों का निर्माण किया।
  • यथार्थवाद – शरीर विज्ञान, रेखागणित, भौतिकी और सौन्दर्य की उत्कृष्ट भावना ने इतालवी कला को नया रूप दिया जिसे बाद में ‘यथार्थवाद’ कहा गया। यथार्थवाद की यह परम्परा उन्नीसवीं शताब्दी तक चलती रही।

7. वास्तुकला – पुरातत्वविदों द्वारा रोम के अवशेषों का उत्खनन किया गया। इसने वास्तुकला की एक ‘नई शैली’ को बढ़ावा दिया जिसे ‘शास्त्रीय शैली’ कहा गया। पोप, धनी व्यापारियों और अभिजात वर्ग के लोगों ने उन वास्तुविदों को अपने भवन बनाने के लिए नियुक्त किया, जो शास्त्रीय वास्तुकला से परिचित थे। चित्रकारों और शिल्पकारों ने भवनों को लेपचित्रों, मूर्त्तियों और उभरे चित्रों से भी सुसज्जित किया। ब्रुनेलेशी ने फ्लोरेन्स के गुम्बद का परिरूप तैयार किया।

8. प्रथम मुद्रित पुस्तकें – 1455 में जर्मन मूल के जोहानेस गुटनबर्ग ने पहले छापेखाने का निर्माण किया। पन्द्रहवीं शताब्दी तक अनेक क्लासिकी ग्रन्थों का मुद्रण इटली में हुआ था। नये विचारों को बढ़ावा देने वाली एक मुद्रित पुस्तक सैकड़ों पाठकों के पास शीघ्रतापूर्वक पहुँच सकती थी। छपी हुई पुस्तकों के वितरण के कारण पन्द्रहवीं शताब्दी के अन्त से इटली की मानवतावादी संस्कृति का आल्पस पर्वत के पार तीव्रगति से प्रसार हुआ।

JAC Class 11 History Solutions Chapter 7 बदलती हुई सांस्कृतिक परम्पराएँ

9. मनुष्य की एक नई संकल्पना – मानवतावादी संस्कृति की विशेषताओं में से एक था – मानव जीवन पर धर्म का नियंत्रण कमजोर होना। इटली के निवासी भौतिक सम्पत्ति, शक्ति और गौरव से बहुत ज्यादा आकृष्ट थे। लोरेन्जो वल्ला ने भोग-विलास पर ईसाई धर्म की निषेधाज्ञा की आलोचना की तथा अच्छे व्यवहारों की वकालत की।

10. महिलाओं की आकांक्षाएँ – मध्ययुगीन यूरोप में प्रायः सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी अत्यन्त सीमित थी और उन्हें घर-परिवार की देखभाल करने वाले के रूप में देखा जाता था। परन्तु व्यापारी परिवारों में महिलाओं की स्थिति भिन्न थी। दुकानदारों की स्त्रियाँ दुकानों को चलाने में प्रायः उनकी सहायता करती थीं। आधुनिक युग में कुछ महिलाएँ बौद्धिक रूप से रचनात्मक थीं और मानवतावादी शिक्षा से प्रभावित थीं। वेनिस निवासी कसान्द्रा फेरेले के अनुसार प्रत्येक महिला को सभी प्रकार की शिक्षा को प्राप्त करने की इच्छा रखनी चाहिए और उसे ग्रहण करना चाहिए। मंटुआ की मार्चिसा इसाबेल दि इस्ते ने अपने पति की अनुपस्थिति में अपने राज्य पर शासन किया।

11. ईसाई धर्म के अन्तर्गत वाद-विवाद –
(1) उत्तरी यूरोप में मानवतावादियों ने ईसाइयों को अपने पुराने धर्मग्रन्थों में बताए गए तरीकों से धर्म का पालन करने का आह्वान किया। उन्होंने अनावश्यक कर्मकाण्डों को त्यागने पर बल दिया। इसके बाद दार्शनिकों ने भी कहा कि मनुष्य को अपनी खुशी इसी विश्व में वर्तमान में ढूँढ़नी चाहिए।

(2) इंगलैण्ड के टॉमस मोर तथा हालैण्ड के इरैस्मस ने कहा कि चर्च एक लालची और साधारण लोगों से बात-बात पर लूट-खसोट करने वाली संस्था बन गई है।

(3) पादरी लोगों से धन लूटने के लिए ‘पाप-स्वीकारोक्ति’ नामक दस्तावेज का लाभ उठा रहे थे जिससे जन- साधारण में असन्तोष व्याप्त था।

(4) चर्च द्वारा लगाए गए करों से किसानों में भी असन्तोष था । उन्होंने इन करों का विरोध किया।

(5) यूरोप के शासक भी राज-काज में चर्च के हस्तक्षेप से नाराज थे।

(6) 1517 में एक जर्मन युवा भिक्षु मार्टिन लूथर ने कैथोलिक चर्च के विरुद्ध अभियान छेड़ा। इस आन्दोलन को ‘प्रोटेस्टेन्ट सुधारवाद’ की संज्ञा दी गई। फ्रांस में कैथोलिक चर्च ने प्रोटैस्टेन्ट लोगों को अपनी इच्छा के अनुसार उपासना करने की छूट दी। इंग्लैण्ड के शासकों ने पोप से अपने सम्बन्ध तोड़ दिए। इसके बाद राजा / रानी इंग्लैण्ड के चर्च के प्रमुख बन गए।

(7) प्रोटैस्टेन्ट धर्म सुधार आन्दोलन की बढ़ती हुई प्रगति से कैथोलिक चर्च बड़ा चिन्तित हुआ और उसने भी अनेक आन्तरिक सुधार करने शुरू कर दिये।

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12. कोपरनिकसीय क्रान्ति – पोलैण्ड के वैज्ञानिक कोपरनिकस ने यह घोषणा की कि पृथ्वी समेत सारे ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। इसके बाद खगोलशास्त्री जोहानेस कैप्लर ने अपने ग्रन्थ में कोपरनिकस के सिद्धान्त को लोकप्रिय बनाया। गैलिलियो ने गतिशील विश्व के सिद्धान्त की पुष्टि की। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।

13. ब्रह्माण्ड का अध्ययन – गैलिलियो तथा अन्य विचारकों ने बताया कि ज्ञान विश्वास से हटकर अवलोकन एवं प्रयोगों पर आधारित है। शीघ्र ही भौतिकी, रसायनशास्त्र तथा जीव-विज्ञान के क्षेत्र में अनेक प्रयोग और खोज- कार्य तीव्र गति से होने लगे। परिणामस्वरूप सन्देहवादियों तथा नास्तिकों के मन में समस्त सृष्टि की रचना के स्रोत के रूप में प्रकृति ईश्वर का स्थान लेने लगी। वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर बल दिया जाने लगा और सार्वजनिक क्षेत्र में एक नई वैज्ञानिक संस्कृति की स्थापना हुई।

14. क्या चौदहवीं शताब्दी में पुनर्जागरण हुआ था ?
पुनर्जागरण की अवधारणा –
(1) यूरोप में इस समय आए सांस्कृतिक परिवर्तन में रोम और यूनान की ‘क्लासिकी’ सभ्यता का ही केवल हाथ नहीं था। यूरोपियों ने न केवल यूनानियों तथा रोमनवासियों से सीखा, बल्कि भारत, अरब, ईरान, मध्य एशिया और चीन से भी ज्ञान प्राप्त किया।

(2) इस काल में जो महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए, उनमें धीरे-धीरे ‘निजी’ और ‘सार्वजनिक’ दो अलग-अलग क्षेत्र बनने लगे। व्यक्ति की दो भूमिकाएँ थीं – निजी और सार्वजनिक। वह न केवल तीन वर्गों (पादरी, अभिजात, कृषक ) में से किसी एक वर्ग का सदस्य ही था, बल्कि अपने आप में एक स्वतन्त्र व्यक्ति था।

(3) इस काल की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि भाषा के आधार पर यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों ने अपनी पहचान बनानी शुरू की। इन राज्यों के आंतरिक जुड़ाव का कारण समान भाषा का होना था।

चौदहवीं तथा पन्द्रहवीं शताब्दियाँ:

तिथि घटना
1300 इटली के पादुआ विश्वविद्यालय में मानवतावाद पढ़ाया जाने लगा।
1341 पेट्रार्क को रोम में ‘राजकवि’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
1349 फ्लोरेन्स में विश्वविद्यालय की स्थापना।
1390 जेफ्री चॉसर की ‘केन्टरबरी टेल्स’ का प्रकाशन।
1436 ब्रुनेलेशी ने फ्लोरेन्स में ड्यूमा का परिरूप तैयार किया।
1453 कुस्तुन्तुनिया के बाइजेन्टाइन शासक को ऑटोमन तुर्कों ने पराजित किया।
1454 गुटेनबर्ग ने विभाज्य टाइप से बाइबल का प्रकाशन किया।
1484 पुर्तगाली गणितज्ञों ने सूर्य का अध्ययन कर अक्षांश की गणना की।
1492 कोलम्बस अमरीका पहुँचे।
1495 लियोनार्डो दा विंची ने ‘द लास्ट सपर’ (अन्तिम भोज) चित्र बनाया।
1512 माइकल एंजिलो ने सिस्टीन चैपल की छत पर चित्र बनाए।
सोलहवीं तथा सत्रहवीं शताब्दियाँ
1516 टामस मोर की ‘यूटोपिया’ का प्रकाशन।
1517 मार्टिन लूथर द्वारा नाइन्टी – फाइव थीसेज की रचना।
1522 मार्टिन लूथर द्वारा बाइबल का जर्मन में अनुवाद।
1525 जर्मनी में किसान विद्रोह।
1543 एन्ड्रीयास वसेलियस द्वारा ‘ऑन एनाटमी’ ग्रन्थ की रचना।
1559 इंग्लैण्ड में आंग्ल – चर्च की स्थापना जिसके प्रमुख राजा / रानी थे।
1569 गेरहार्डस मरकेटर ने पृथ्वी का पहला बेलनाकार मानचित्र बनाया।
1582 पोप ग्रेगरी – XIII के द्वारा ग्रेगोरियन कैलेंडर का प्रचलन।
1628 विलियम हार्वे ने हृदय को रुधिर – परिसंचरण से जोड़ा।
1673 पेरिस में ‘अकादमी ऑफ साइंसेज’ की स्थापना।
1687 आइजक न्यूटन के ‘प्रिन्सिपिया मैथेमेटिका’ का प्रकाशन।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

बहुच्चयनात्मक प्रश्न

1. भारतीय दलीय व्यवस्था का स्वरूप है।
(क) एकदलीय
(ख) द्विदलीय
(ग) बहुदलीय
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) बहुदलीय

2. निर्बल व अस्थिर शासन जिस प्रणाली का दोष है, वह है।
(क) एकदल की तानाशाही
(ख) द्विदलीय प्रणाली
(ग) बहुदलीय प्रणाली
(घ) दलविहीन प्रणाली
उत्तर:
(ग) बहुदलीय प्रणाली

3. जनता पार्टी का उदय कब हुआ?
(क) 1980
(ख) 1998
(ग) 1999
(घ) 1977
उत्तर:
(घ) 1977

4. निम्न में कौनसा दल अखिल भारतीय दल है?
(क) तेलुगूदेशम
(ख) कांग्रेस
(ग) समाजवादी पार्टी
(घ) राष्ट्रीय जनता दल।
उत्तर:
(ख) कांग्रेस

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5. निम्न में से किस राज्य में क्षेत्रीय दल प्रभावी है।
(क) तमिलनाडु
(ख) उत्तरप्रदेश
(ग) राजस्थान
(घ) मध्यप्रदेश
उत्तर:
(क) तमिलनाडु

6. निम्न में दक्षिण भारत की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी कौनसी है?
(क) डी. एम. के.
(ख) राष्ट्रीय जनता दल
(ग) इनैलो
(घ) नेशनल कांफ्रेंस
उत्तर:
(क) डी. एम. के.

7. 1980 के दशक के आखिर के सालों में देश की राष्ट्रीय राजनीति में किस मुद्दे का उदय हुआ?
(क) काँग्रेस प्रणाली
(ख) अन्य पिछड़ा वर्ग
(ग) मंडल मुद्दे
(घ) राष्ट्रीय मोर्चा
उत्तर:
(ग) मंडल मुद्दे

8. राजीव गाँधी की हत्या कब हुई थी?
(क) 1983
(ख) 1990
(ग) 1985
(घ) 1991
उत्तर:
(घ) 1991

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9. राजीव गाँधी की मृत्यु के पश्चात् प्रधानमंत्री किसको चुना गया?
(क) संजय गाँधी
(ख) नरसिम्हा राव
(ग) गुलजारी लाल नंदा
(घ) मोरारजी देसाई
उत्तर:
(ख) नरसिम्हा राव

10. बामसेफ का गठन हुआ-
(क) 1978
(ख) 1980
(ग) 1991
(घ) 1989
उत्तर:
(क) 1978

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए 

1. 1978 में ………….. का गठन हुआ।
उत्तर:
बामसेफ

2. बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक ……………. थे।
उत्तर:
कांशीराम

3. मुस्लिम महिला अधिनियम ………………में पास किया गया।
उत्तर:
1986

4. अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का प्रस्ताव …………….. मुद्दे में किया गया था।
उत्तर:
मंडल

5. बाबरी मस्जिद के विवादित ढाँचे को विध्वंस करने की घटना ………………… के दिसंबर महीने में घटी।
उत्तर:
1992

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में गठबन्धन की राजनीति की शुरुआत कौनसे दशक में शुरू हुई?
उत्तर:
1990 के दशक में।

प्रश्न 2.
जनता दल का गठन कब किया गया?
उत्तर:
सन् 1988 में।

प्रश्न 3.
राजग का गठन हुआ
उत्तर:
1999 में।

प्रश्न 4.
संप्रग सरकार का गठन कब हुआ?
उत्तर:
2004 में।

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प्रश्न 5.
सन् 1989 की प्रमुख राजनैतिक घटना क्या थी?
उत्तर:
कांग्रेस की हार।

प्रश्न 6.
किसी भी दल को बहुमत प्राप्त नहीं हो ऐसी संसद को कहते हैं।
उत्तर:
त्रिशंकु संसद।

प्रश्न 7.
2004 के लोकसभा चुनावों में किस गठबन्धन की सरकार बनी?
उत्तर:
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन।

प्रश्न 8.
भारत में सन् 2009 में किस गठबंधन की सरकार केंन्द्र में दोबारा बनी थी?
उत्तर:
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की।

प्रश्न 9.
संयुक्त मोर्चा की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1996 में।

प्रश्न 10.
मण्डल आयोग की सिफारिशों को कब लागू किया गया?
उत्तर:
1990 में।

प्रश्न 11.
1989 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को कितनी सीटों पर विजय मिली?
उत्तर:
1989 के चुनाव में काँग्रेस पार्टी को 197 सीटों पर विजय मिली थी।

प्रश्न 12.
कौनसा क्षेत्रीय दल है जो राष्ट्रभाषा हिन्दी का विरोध और राज्यों की स्वायत्तता का हिमायती है?
उत्तर:
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डी.एम.के.)।

प्रश्न 13.
भारत में राजनीतिक दलों को मान्यता देने वाली संस्था का नाम बताइये।
उत्तर:
निर्वाचन आयोग।

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प्रश्न 14.
भारतीय दलीय व्यवस्था का वह कौनसा स्वरूप है जो राजनीतिक अस्थायित्व और अवसरवादिता को जन्म देता है?
उत्तर:
राजनीतिक दल-बदल।

प्रश्न 15.
राजनीतिक दलों के ध्रुवीकरण के प्रमुख बाधक तत्त्व क्या हैं?
उत्तर:
विचारधाराओं की विभिन्नता।

प्रश्न 16.
भारतीय दलीय व्यवस्था की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: बहुदलीय व्यवस्था, शासन सत्ता को मर्यादित करना।

प्रश्न 17.
राजनीतिक दलों के दो कार्य बताइए।
उत्तर:
,राजनीतिक चेतना का प्रसार, शासन सत्ता को मर्यादित करना।

प्रश्न 18.
क्षेत्रीय दल किसे कहते हैं?
उत्तर:
क्षेत्रीय दल वे दल कहलाते हैं जिनका संगठन एवं प्रभाव क्षेत्र प्रायः केवल एक राज्य या प्रदेश तक सीमित होता है।

प्रश्न 19.
वर्तमान दलीय व्यवस्था की उभरती हुई दो प्रवृत्तियाँ बताइए।
उत्तर:

  1. जाति आधारित दलों का गठन
  2. राजनीतिक अपराधीकरण।

प्रश्न 20.
भारतीय दलीय व्यवस्था के दो दोष बताइए।
उत्तर:

  1. साम्प्रदायिकता तथा क्षेत्रवाद की प्रबलता।
  2. नैतिकता का अभाव।

प्रश्न 21.
राजनीतिक दलों के दो आवश्यक तत्त्व बताइये।
उत्तर:
संगठन, सामान्य सिद्धान्तों में एकता।

प्रश्न 22.
किन्हीं चार क्षेत्रीय दलों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. डी. एम. के.
  2. ए. डी. एम. के.
  3. अकाली दल
  4. तेलगूदेशम।

प्रश्न 23.
किस चुनाव के बाद लोकसभा में किसी भी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला?
उत्तर:
1989 के लोकसभा चुनावों के बाद किसी भी एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ।

प्रश्न 24.
1989 के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में जनता दल ने किसके नेतृत्व में सरकार बनाई?
उत्तर:
1989 के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में जनता दल ने वी. पी. सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई।

प्रश्न 25.
1989 से 2004 के चुनावों तक लोकसभा में किस पार्टी के स्थान बढ़ते रहे हैं?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी के।

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प्रश्न 26.
लोकतान्त्रिक सरकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक सरकार वह सरकार होती है जिसमें सत्ता के बारे में अन्तिम निर्णय जनता द्वारा लिया जाता है।

प्रश्न 27.
संयुक्त मोर्चा की एक विशेषता लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त मोर्चा का गठन कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए किया गया।

प्रश्न 28.
मंडल मुद्दा से आपका क्या आशय है?
उत्तर:
अन्य पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण के समर्थक और विरोधियों के बीच चले विवाद को मंडल मुद्दा कहा गया।

प्रश्न 29.
भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार से समर्थन वापस कब लिया?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार से 23 अक्टूबर, 1990 को समर्थन वापस लिया।

प्रश्न 30.
भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में गठबन्धन युग के उदय का कोई एक कारण लिखें।
उत्तर:
भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में गठबन्धनवादी युग के उदय का महत्त्वपूर्ण कारण क्षेत्रीय दलों में वृद्धि है।

प्रश्न 31.
गठबन्धन की राजनीति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
गठबन्धन की राजनीति का अर्थ कई दलों द्वारा सरकार का निर्माण करने से लिया जाता है।

प्रश्न 32.
गठबन्धनवादी राजनीति की प्रमुख समस्या क्या है?
उत्तर:
गठबन्धनवादी राजनीति की प्रमुख समस्या है। इसमें क्षेत्रीय पार्टियाँ राजनीतिक सौदेबाजी तथा अवसरवादिता की राजनीति करती हैं।

प्रश्न 33.
बाबरी मस्जिद कब गिराई गई, उस समय केन्द्र में किस पार्टी की सरकार थी?
उत्तर:
बाबरी मस्जिद 6 दिसम्बर, 1992 को गिराई गई, उस समय केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तथा पी. वी. नरसिम्हा राव प्रधानमन्त्री थे।

प्रश्न 34.
2014 के लोकसभा चुनावों में किस दल को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ है?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी को।

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प्रश्न 35.
वैचारिक प्रतिबद्धता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वैचारिक प्रतिबद्धता: वैचारिक प्रतिबद्धता से अभिप्राय है। राजनीतिक दलों का आर्थिक तथा राजनीतिक विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध होना।

प्रश्न 36.
चुनावों में क्षेत्रीय दलों की शक्ति में वृद्धि के फलस्वरूप होने वाले तीन राजनैतिक परिणाम बताइये।
उत्तर:
चुनावों में क्षेत्रीय दलों की शक्ति में वृद्धि के फलस्वरूप होने वाले तीन राजनैतिक परिणाम हैं।

  1. राजनीतिक अस्थिरता में वृद्धि
  2. क्षेत्रवाद को बढ़ावा
  3. मिली-जुली राजनीति का प्रारंभ।

प्रश्न 37.
भारत के किन्हीं तीन क्षेत्रीय दलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय दल हैं।

  1. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डी.एम.के.)।
  2. अखिल भातीय अन्ना द्रविड़ मुनैत्र कड़गम (ए. आई. अन्ना डी. एम. के.) तथा।
  3. तेलगूदेशम।

प्रश्न 38.
भारत के दो राष्ट्रीय दलों के नाम लिखिये।
उत्तर:
राष्ट्रीय दल हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी।

प्रश्न 39.
भारत में दलीय व्यवस्था की कोई तीन समस्याएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय दलीय व्यवस्था की तीन समस्याएँ ये हैं।

  1. दलों की सरकार
  2. दलों में वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव
  3. दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव।

प्रश्न 40.
निम्न को सुमेलित कीजिए:
(i) राष्ट्रीय मोर्चा – कांग्रेस व क्षेत्रीय दल
(ii) संयुक्त मोर्चा – भाजपा व क्षेत्रीय दल
(iii) राजग – कांग्रेस व राष्ट्रीय मोर्चा
(iv) संप्रग – जनता दल व क्षेत्रीय दल
उत्तर:
(i) राष्ट्रीय मोर्चा – जनता दल व क्षेत्रीय दल
(ii) संयुक्त मोर्चा – कांग्रेस व राष्ट्रीय मोर्चा
(iii) राजग – भाजपा व क्षेत्रीय दल
(iv) संप्रग – कांग्रेस व क्षेत्रीय दल

प्रश्न 41.
राजीव गाँधी की हत्या के जिम्मेदार कौन थे?
उत्तर:
राजीव गाँधी की हत्या के जिम्मेदार लिट्टे से जुड़े श्रीलंकाई तमिल थे

प्रश्न 42.
अन्य पिछड़ा वर्ग को और क्या बोल कर संकेत किया जाता है?
उत्तर:
अदर बैकवर्ड क्लासेज।

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प्रश्न 43.
मंडल आयोग को आधिकारिक रूप से क्या कहा गया?
उत्तर:
मंडल आयोग को आधिकारिक रूप से दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग कहा गया।

प्रश्न 44.
बामसेफ का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्पलाइज फेडरेशन।

प्रश्न 45.
हिन्दुत्व अथवा हिंदूपन शब्द को किसने गढ़ा था?
उत्तर:
हिन्दुत्व अथवा हिंदूपन शब्द को वी. डी. सावरकर ने गढ़ा था।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किस वर्ष भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई और इसके प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना सन् 1980 में हुई। पहले यह जनता पार्टी का घटक थी लेकिन दोहरी सदस्यता के प्रश्न पर जनता पार्टी से मतभेद हो गया और पूर्व जनसंघ अलग हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के प्रथम अध्यक्ष थे।

प्रश्न 2.
राजनीतिक दल-बदल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कोई जनप्रतिनिधि किसी खास दल के चुनाव चिह्न को लेकर चुनाव लड़े और चुनाव जीतने के बाद इस दल को छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल हो जाए, तो इसे राजनीतिक दल-बदल कहते हैं।

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प्रश्न 3.
संयुक्त मोर्चा सरकार की प्रमुख विशेषता बताइये।
उत्तर:
संयुक्त मोर्चा सरकार 1 जून, 1996 में देवेगौड़ा के नेतृत्व में बनी। इस सरकार की महत्त्वपूर्ण विशेषता यह थी कि केन्द्र में बनी सरकार क्षेत्रीय पार्टियों के समर्थन पर टिकी हुई थी और भारतीय राजव्यवस्था के इतिहास में पहली बार भारतीय साम्यवादी दल केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में शामिल हुआ।

प्रश्न 4.
1989 में भारत में गठबन्धन सरकार की आवश्यकता क्यों पड़ी? एक उदाहरण दें।
उत्तर:
1989 में भारत में गठबन्धन सरकार की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि लोकसभा के चुनाव में त्रिशंकु लोकसभा का गठन हुआ था। किसी भी एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ और यह समय की आवश्यकता थी।

प्रश्न 5.
गठबंधन सरकार का क्या अर्थ है? गठबंधन सरकार सबसे पहले केन्द्र में कब बनी?
उत्तर:
गठबंधन सरकार: विभिन्न दल एक गठबंधन बनाकर जब एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अन्तर्गत सरकार का गठन करते हैं तो उसे गठबंधन सरकार कहा जाता है। केन्द्र में पहली गठबंधन सरकार सन् 1989 में वी. पी. सिंह के नेतृत्व में बनी थी।

प्रश्न 6.
पोखरण नाभिकीय परीक्षण कब किए गये और उस समय किस दल की सरकार थी?
उत्तर:
पोखरण में पहली बार 1974 में नाभिकीय परीक्षण किये गये। उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। इन्दिरा गांधी प्रधानमन्त्री थीं। पोखरण – II नाभिकीय परीक्षण 11 मई और 13 मई, 1999 में किए गए, उस समय राजग की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे।

प्रश्न 7.
1988 का वर्ष भारतीय राजनीति में क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
1988 का वर्ष भारतीय राजनीति में विशेष स्थान रखता है क्योंकि इस वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर एक नए राजनीतिक दल – जनता दल का निर्माण हुआ था। वी. पी. सिंह को जनता दल का सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया था।

प्रश्न 8.
क्या क्षेत्रीय दल आवश्यक हैं? अपने उत्तर के पक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर:
भारत में क्षेत्रीय दल आवश्यक हैं, क्योंकि।

  1. भारत एक विशाल देश है जिसमें विभिन्न भाषाओं, धर्मों तथा जातियों के लोग रहते हैं। अनेक क्षेत्रीय दलों का निर्माण जाति, धर्म एवं भाषा के आधार पर हुआ है।
  2. भारत में विभिन्न क्षेत्रों की अपनी समस्याएँ तथा आवश्यकताएँ हैं। इनके हितों की पूर्ति के लिए विभिन्न क्षेत्रीय दलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।

प्रश्न 9.
भारत में गठबन्धन सरकारों के निर्माण के दो कारण बताइए।
उत्तर:

  1. 1989 के बाद राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस का आधिपत्य समाप्त हो गया और कांग्रेस के विरुद्ध अनेक राजनीतिक दल आये जिससे गठबन्धनवादी सरकारों का दौर शुरू हुआ।
  2. क्षेत्रीय दलों की बढ़ती संख्या के कारण भी एक राष्ट्रीय दल को लोकसभा या विधानसभा में बहुमत मिलना कठिन हो गया, जिससे गठबन्धन की राजनीति शुरू हुई।

प्रश्न 10.
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग): संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण मई, 2004 में कांग्रेस एवं उसके सहयोगी दलों ने किया। इस दल की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को बनाया गया तथा कांग्रेस के नेता डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय लिया गया जिन्होंने 2004 और 2009 में अपनी सरकार बनाई।

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प्रश्न 11.
कांग्रेस प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कांग्रेस पार्टी की स्थापना 1885 में हुई। उसके कई वर्षों बाद तक भी कांग्रेस स्वयं में एक गठबन्धन पार्टी के रूप में कार्य करती रही क्योंकि इसमें कई धर्मों, जातियों, भाषाओं तथा क्षेत्रों के लोग शामिल थे। इसे ही कांग्रेस प्रणाली कहते हैं।

प्रश्न 12.
मंडल मुद्दा क्या था?
उत्तर: मंडल मुद्दा – सन् 1990 में वी. पी. सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए यह प्रावधान किया कि केन्द्र सरकार की नौकरियों ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जायेगा। इससे अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के समर्थक और विरोधियों के बीच एक विवाद चला। इस विवाद को ही मंडल मुद्दा कहा गया।

प्रश्न 13.
अयोध्या में विवादित ढाँचे को कब गिराया गया था? राज्य सरकार को कैसे दंडित किया गया?
उत्तर:
6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढाँचे को गिराया गया था। इसके दंड स्वरूप प्रथमतः उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार को बर्खास्त किया गया। दूसरे, मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यायालय के अवमानना के विरोध में मुकदमा दर्ज किया गया। तीसरे, जिन-जिन राज्यों में भाजपा सरकारें थीं उन्हें बर्खास्त कर वहाँ राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।

प्रश्न 14.
वी. पी. मंडल पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वी.पी. मंडल का जन्म 1918 में हुआ था। ये 1967-1970 तथा 1977 – 1979 में बिहार से सांसद चुने गए। इन्होंने दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग की अध्यक्षता की। इस आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने की सिफारिश समाजवादी नेता बने। 1968 में ये डेढ़ माह के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने। 1977 में ये जनता पार्टी में शामिल हुए।

प्रश्न 15.
मिली-जुली सरकारों के दुष्परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
साझा सरकारों के दुष्परिणाम निम्न हैं।

  1. विभाजन व विघटन की प्रवृत्ति
  2. अवसरवादिता की प्रवृत्ति
  3. उत्तरदायित्व की प्रवृत्ति
  4. राजनीतिक दलों की नीतियों और कार्यक्रमों में अनिश्चितता और अस्पष्टता।

प्रश्न 16.
निर्दलीय उम्मीदवार की वर्तमान समय में बढ़ती संख्या एक चुनौती है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चुनावों में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि हो रही है। यह निर्दलीय उम्मीदवार भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं। यह भारतीय दलीय व्यवस्था के हित में नहीं है।

प्रश्न 17.
राजनीतिक अपराधीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
राजनीतिक दलों द्वारा अपराध जगत के माफिया सरदारों को चुनावों में उम्मीदवार बनाकर धन-बल, बल के आधार पर लोकसभा और विधानसभाओं में पहुँचाया जाना राजनीतिक अपराधीकरण कहलाता है।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 18.
स्पष्ट जनादेश और खण्डित जनादेश में क्या अन्तर है?
उत्तर:
स्पष्ट जनादेश का अभिप्राय है। किसी एक राजनैतिक दल को लोकसभा के चुनावों में स्पष्ट बहुमत मिलना और खण्डित जनादेश का अभिप्राय है। लोकसभा के चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत न मिलना।

प्रश्न 19.
बहुदलीय प्रणाली से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
बहुदलीय व्यवस्था: बहुदलीय व्यवस्था से अभिप्राय है। लोकसभा या राज्य विधानसभाओं में अनेक राजनीतिक दल विद्यमान होना जैसे आज लोकसभा में 50 से भी अधिक राजनीतिक दल हैं।

प्रश्न 20.
भारत की नई आर्थिक नीति कब शुरू की गई थी? इसका मुख्य वास्तुकार कौन था?
उत्तर:
भारत की नई आर्थिक नीति को 1991 में संरचना समायोजन कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था और इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव द्वारा शुरू किया गया था।

  1. भारत की नई आर्थिक नीति का शुभारंभ तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने किया था।
  2. आर्थिक परिवर्तन पहली बार 1991 में दिखाई दिए और मौलिक रूप से उस दिशा को बदल दिया जो भारतीय अर्थव्यवस्था ने आजादी के बाद से उदारीकृत और खुली अर्थव्यवस्था के लिए अपनायी थी।

प्रश्न 21.
शाहबानो मामला क्या था? इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस विरोधी रुख क्यों अपनाया?
उत्तर:
शाहबानो मामला: शाहबानो मामला एक 62 वर्षीया तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो का है। उसने अपने भूतपूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत में एक अर्जी दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाया। पुरातनपंथी मुसलमानों ने अदालत के इस फैसले को अपने ‘पर्सनल लॉ’ में हस्तक्षेप माना । कुछ मुस्लिम नेताओं की माँग पर सरकार ने मुस्लिम महिला अधिनियम, 1986 पास किया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया गया।

प्रश्न 12.
मंडल मुद्दा क्या था?
उत्तर:
मंडल मुद्दा: सन् 1990 में वी. पी. सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए यह प्रावधान किया कि केन्द्र सरकार की नौकरियों ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जायेगा। इससे अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के समर्थक और विरोधियों के बीच एक विवाद चला। इस विवाद को ही मंडल मुद्दा कहा गया।

प्रश्न 13.
अयोध्या में विवादित ढाँचे को कब गिराया गया था? राज्य सरकार को कैसे दंडित किया गया?
उत्तर:
6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढाँचे को गिराया गया था। इसके दंड स्वरूप प्रथमतः उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार को बर्खास्त किया गया। दूसरे, मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यायालय के अवमानना के विरोध में मुकदमा दर्ज किया गया। तीसरे, जिन-जिन राज्यों में भाजपा सरकारें थीं उन्हें बर्खास्त कर वहाँ राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।

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प्रश्न 14.
वी. पी. मंडल पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वी.पी. मंडल का जन्म 1918 में हुआ था। ये 1967-1970 तथा 1977 – 1979 में बिहार से सांसद चुने गए। इन्होंने दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग की अध्यक्षता की। इस आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने की सिफारिश समाजवादी नेता बने। 1968 में ये डेढ़ माह के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने। 1977 में ये जनता पार्टी में शामिल हुए।

प्रश्न 15.
मिली-जुली सरकारों के दुष्परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
साझा सरकारों के दुष्परिणाम निम्न हैं।

  1. विभाजन व विघटन की प्रवृत्ति
  2. अवसरवादिता की प्रवृत्ति
  3. उत्तरदायित्व की प्रवृत्ति
  4. राजनीतिक दलों की नीतियों और कार्यक्रमों में अनिश्चितता और अस्पष्टता।

प्रश्न 16.
निर्दलीय उम्मीदवार की वर्तमान समय में बढ़ती संख्या एक चुनौती है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चुनावों में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि हो रही है। यह निर्दलीय उम्मीदवार भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं। यह भारतीय दलीय व्यवस्था के हित में नहीं है।

प्रश्न 17.
राजनीतिक अपराधीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
राजनीतिक दलों द्वारा अपराध जगत के माफिया सरदारों को चुनावों में उम्मीदवार बनाकर धन-बल, बल के आधार पर लोकसभा और विधानसभाओं में पहुँचाया जाना राजनीतिक अपराधीकरण कहलाता है।

प्रश्न 18.
स्पष्ट जनादेश और खण्डित जनादेश में क्या अन्तर है?
उत्तर:
स्पष्ट जनादेश का अभिप्राय है। किसी एक राजनैतिक दल को लोकसभा के चुनावों में स्पष्ट बहुमत मिलना और खण्डित जनादेश का अभिप्राय है। लोकसभा के चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत न मिलना।

प्रश्न 19.
बहुदलीय प्रणाली से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
बहुदलीय व्यवस्था: बहुदलीय व्यवस्था से अभिप्राय है। लोकसभा या राज्य विधानसभाओं में अनेक राजनीतिक दल विद्यमान होना जैसे आज लोकसभा में 50 से भी अधिक राजनीतिक दल हैं।

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प्रश्न 20.
भारत की नई आर्थिक नीति कब शुरू की गई थी? इसका मुख्य वास्तुकार कौन था?
उत्तर:
भारत की नई आर्थिक नीति को 1991 में संरचना समायोजन कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था और इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव द्वारा शुरू किया गया था।

  1. भारत की नई आर्थिक नीति का शुभारंभ तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने किया था।
  2. आर्थिक परिवर्तन पहली बार 1991 में दिखाई दिए और मौलिक रूप से उस दिशा को बदल दिया जो भारतीय अर्थव्यवस्था ने आजादी के बाद से उदारीकृत और खुली अर्थव्यवस्था के लिए अपनायी थी।

प्रश्न 21.
शाहबानो मामला क्या था? इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस विरोधी रुख क्यों अपनाया?
उत्तर:
शाहबानो मामला: शाहबानो मामला एक 62 वर्षीया तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो का है। उसने अपने भूतपूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत में एक अर्जी दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाया। पुरातनपंथी मुसलमानों ने अदालत के इस फैसले को अपने ‘पर्सनल लॉ’ में हस्तक्षेप माना।

कुछ मुस्लिम नेताओं की माँग पर सरकार ने मुस्लिम महिला अधिनियम, 1986 पास किया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया गया। भाजपा ने कांग्रेस सरकार के इस कदम की आलोचना की और इसे अल्पसंख्यक समुदाय को दी गई अनावश्यक रियायत तथा तुष्टिकरण करार दिया।

प्रश्न 22.
भारत में वामपंथी एवं दक्षिणपंथी राजनीतिक दलों का उल्लेख कीजिए तथा उनकी विचारधारा में कोई दो अन्तर लिखिये।
उत्तर:
प्रमुख वामपंथी तथा दक्षिण पंथी राजनैतिक दल: भारत में वामपंथी विचारधारा के पोषक दल हैं। सीपीएम, सीपीआई, रिपब्लिक पार्टी, फारवर्ड ब्लाक एवं समाजवादी पार्टी, जबकि दक्षिणपंथी विचारधारा का पोषक दल भारतीय जनता पार्टी है। वामपंथी तथा दक्षिणपंथी राजनैतिक दलों की विचारधारा में अन्तर:

  1. वामपंथी दल धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक- आर्थिक न्याय, राष्ट्रीयकरण आदि का समर्थन करते हैं, जबकि दक्षिणपंथी दल भारतीय संस्कृति, प्रबल राष्ट्रवाद, उदारीकरण, भूमंडलीकरण की नीतियों का समर्थन करते हैं।
  2. वामपंथी दल सार्वजनिक क्षेत्र के समर्थक हैं जबकि दक्षिणपंथी दल निजी क्षेत्र के समर्थक हैं ।

प्रश्न 23.
राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र के अभाव से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव: भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव है। यथा – प्रथमतः 1997 तक अधिकांश राजनीतिक दलों में लम्बे समय से संगठनात्मक चुनाव नहीं हुए। 1997 में चुनाव आयोग के निर्देश पर ही ये चुनाव हो सके। दूसरे, भारतीय राजनीतिक दलों का निर्माण किन्हीं प्रक्रियाओं, मर्यादाओं, सिद्धान्तों या कानूनों के आधार पर नहीं होता है। तीसरे, भारतीय राजनीतिक दलों के आय-व्यय का कोई लेखा-जोखा सदस्यों के सामने प्रस्तुत नहीं किया जाता।

प्रश्न 24.
भारत की बहुदलीय व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बहुदलीय व्यवस्था: भारत में बहुदलीय व्यवस्था है अर्थात् लोकसभा में अनेक राजनैतिक दलों के सदस्य हैं। वर्तमान में लोकसभा में कुल मिलाकर 50 से भी अधिक राजनैतिक दल हैं। कुछ राजनैतिक दल राष्ट्रीय या अखिल भारतीय राजनैतिक दल हैं तो कुछ राज्य स्तरीय तथा क्षेत्रीय दल हैं। 1989 तक भारत की बहुदलीय व्यवस्था में एक राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रधानता की स्थिति बनी रही, लेकिन धीरे-धीरे कांग्रेस का वर्चस्व समाप्त हो गया और वर्तमान में किसी एक राजनैतिक दल का वर्चस्व नहीं है। यद्यपि 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है तथापि अनेक क्षेत्रीय दलों को भी अपने राज्यों में अच्छी सफलता मिली है।

प्रश्न 25.
जनता दल का निर्माण किन कारणों से हुआ? इसके मुख्य घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जनता दल: जनता दल का निर्माण 1988 में हुआ। 1987 में कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं ने पार्टी का त्याग करके जनमोर्चा का निर्माण किया। इसके साथ ही अनेक नेता एक ऐसे नये राजनीतिक दल का निर्माण करने का प्रयास कर रहे थे, जो कांग्रेस का विकल्प बन सके। 26 जुलाई, 1988 को चार विपक्षी दलों जनता पार्टी, लोकदल, कांग्रेस (स) और जनमोर्चा के विलय से एक नये राजनीतिक दल की स्थापना की गई। इस नये दल का नाम समाजवादी जनता दल रखा गया। 11 अक्टूबर, 1988 को बैंगलोर में समाजवादी जनता दल का नाम बदलकर जनता दल कर दिया गया। श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को जनता दल का प्रधान मनोनीत किया गया।

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प्रश्न 26.
जनता दल के कार्यक्रमों एवं नीतियों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जनता दल के कार्यक्रम एवं नीतियाँ – जनता दल के प्रमुख कार्यक्रम एवं नीतियाँ निम्नलिखित हैं।

  1. जनता दल का लोकतन्त्र में दृढ़ विश्वास है और उत्तरदायी प्रशासनिक व्यवस्था को अपनाने के पक्ष में है।
  2. जनता दल ने भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सात सूत्रीय कार्यक्रम अपनाने की बात कही है।
  3.  पार्टी राजनीति में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोकपाल की नियुक्ति के पक्ष में है।
  4. पार्टी पंचायती राज संस्थाओं को अधिक स्वायत्तता देने के पक्ष में है।
  5. जनता दल महिलाओं को संसद और राज्य विधानमण्डलों में 33 प्रतिशत और सरकारी, सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के पक्ष में है।

प्रश्न 27.
1990 के पश्चात् भारत में राजनीतिक दलों के कौनसे गठबंधन उभरे? इस परिवर्तन के किन्हीं दो परिणामों को उजागर कीजिये।
उत्तर:

  • 1990 के पश्चात् भारत में केन्द्र में राजनीतिक दलों के तीन गठबंधन उभरे
    1. 1996 और 1997 में देवेगोड़ा और इन्द्रकुमार गुजराल के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा सरकार बनी जिसे कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया।
    2. 1998 और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपानीत राजग की गठबंधन सरकार बनी।
    3. 2004 तथा 2009 में कांग्रेसनीत संप्रग सरकार का गठन हुआ।
    4. 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपानीत राजग की सरकार बनी।
  • गठबंधन राजनीति के परिणाम इस प्रकार रहे।
    1. गठबंधन की राजनीति के परिणामस्वरूप पिछड़ी जातियों के राजनीतिक और सामाजिक दावे को सभी दलों ने स्वीकार कर लिया।
    2. गठबंधन की राजनीति के परिणामस्वरूप केन्द्रीय शासन में क्षेत्रीय दलों का प्रभुत्व बढ़ा।

प्रश्न 28.
भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में गठबन्धनवादी युग के उदय के किन्हीं चार कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में गठबन्धनवादी राजनीति के उदय के कारण – भारत में गठबन्धनवादी राजनीति के उदय के कारण निम्नलिखित हैं।

  1. कांग्रेसी प्रभुत्व का अन्त: 1989 के बाद कांग्रेस पार्टी की स्थिति पहले जैसी नहीं रही जिससे गठबन्धनवादी सरकारों का दौर शुरू हुआ।
  2. क्षेत्रीय दलों की संख्या में वृद्धि: क्षेत्रीय दलों की बढ़ती संख्या के कारण किसी भी एक राष्ट्रीय दल को लोक सभा या विधानसभा में बहुमत मिलना कठिन हो गया। इससे राजनीतिक दल गठबन्धन बनाने लगे हैं।
  3. दलबदल -दल-बदल के कारण सरकारों का अनेक बार पतन हुआ और जो नई सरकारें बनीं वे भी गठबन्धन करके बनीं।
  4. क्षेत्रीय हितों की उपेक्षा: प्रायः केन्द्र में बनी राष्ट्रीय दलों की सरकारों ने क्षेत्रीय हितों की उपेक्षा की है। इससे क्षेत्रीय स्तर के दलों ने मुद्दों पर आधारित राजनीति के अनुसार गठबन्धनकारी दौर की शुरुआत की।

प्रश्न 29.
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन के उदय का वर्णन करें।
उत्तर:
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन;
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (NDA) का निर्माण मई, 1999 में भारतीय जनता पार्टी एवं इसके सहयोगी दलों ने किया। इस गठबन्धन में अधिकतर वे दल ही सम्मिलित थे जो बारहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के गठबन्धन में सम्मिलित थे। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमन्त्री के रूप में पेश किया। इस गठबन्धन ने 1999 में हुए 13वीं लोकसभा के चुनावों में 297 सीटों पर विजय प्राप्त की तथा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाई, परन्तु 2004 में 14वीं और 2009 में 15वीं लोकसभा के चुनावों में इस गठबन्धन को हार का सामना करना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनावों में पुन: इस गठबन्धन ने विजय प्राप्त की और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान में राजग की ही सरकार है।

प्रश्न 30.
1989 के बाद कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी के निर्वाचित प्रदर्शन का क्या रुझान रहा? उत्तर-1989 के बाद कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी के निर्वाचन प्रदर्शन का रुझान इस प्रकार रहा-
1. कांग्रेस:
1989 के बाद कांग्रेस के निर्वाचन प्रदर्शन में गिरावट आई है तथा प्रत्येक चुनाव में कांग्रेस के वोट एवं सीटें कम होती चली गईं तथा जो पार्टी 1960 एवं 70 के दशक में दो-तिहाई बहुमत प्राप्त कर लेती थी वह अपने दम पर इतनी सीट भी नहीं जीत पाती कि वह अपनी सरकार बना ले। 2004 के 14वीं और 2009 के 15वीं लोकसभा के चुनावों के पश्चात् कांग्रेस अन्य दलों के सहयोग से केन्द्र में सरकार बनाने में सफल रही है, लेकिन 2014 के 16वीं लोकसभा चुनावों में उसे केवल 44 सीटें ही प्राप्त हुई हैं।

2. भारतीय जनता पार्टी:
1989 के बाद भारतीय जनता पार्टी की वोट एवं सीटें बढ़ती गईं तथा भारतीय राजनीति में इसने महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया तथा 1998, 1999 तथा 2014 के लोकसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और इसने केन्द्र में सरकार बनाई।

प्रश्न 31.
यह कहना कहाँ तक उचित है कि भारत में कुछ सहमति बनाने में गठबंधन सरकार ने सहायता की है?
उत्तर:
गठबंधन सरकार की सहमति बनाने में भूमिका:

  1. नयी आर्थिक नीति पर सहमति: अधिकतर दलों का मानना है कि नई आर्थिक नीतियों से देश समृद्ध होगा और भारत विश्व की एक आर्थिक शक्ति बनेगा।
  2. पिछड़ी जातियों के राजनीतिक और सामाजिक दावे की स्वीकृति: गठबंधन सरकारों में शामिल राजनीतिक दलों में यह सहमति बनी है कि पिछड़ी जातियों को शिक्षा तथा रोजगार में आरक्षण दिया जाए।
  3. केन्द्रीय शासन में प्रान्तीय दलों की भूमिका की स्वीकृति: गठबंधन सरकारों में प्रान्तीय दल केन्द्रीय सरकार में साझेदार बन रहे हैं। अब प्रान्तीय और केन्द्रीय दलों का भेद कम हो रहा है।
  4. विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर-गठबंधन सरकार में एक साझा कार्यक्रम होता है और इस कार्यक्रम की क्रियान्विति पर अधिक जोर दिया जाता है। विचारधारा का तत्त्व इस सरकार में गौण हो गया है।

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प्रश्न 32.
कांशीराम के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
कांशीराम का जन्म 1934 में हुआ था। ये बहुजन समाज के सशक्तीकरण के प्रतिपादक और बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक थे। इन्होंने सामाजिक और राजनीतिक कार्य के लिए केन्द्र सरकार की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इन्होंने डीएस-4 की स्थापना की। ये एक कुशाग्र रणनीतिकार थे। इनके अनुसार राजनीतिक सत्ता, सामाजिक समानता का आधार है। ये उत्तर भारत के राज्यों में दलित राजनीति के संगठनकर्ता की भूमिका निभा चुके हैं।

प्रश्न 33.
गठबन्धन की राजनीति के उदय का हमारे लोकतंत्र पर क्या असर पड़ा है?
अथवा
भारत में गठबन्धन की राजनीति के प्रभाव समझाइये।
उत्तर:
गठबन्धन की राजनीति के लोकतन्त्र पर प्रभाव: भारत में गठबन्धन की राजनीति का भारतीय लोकतंत्र पर निम्न प्रमुख प्रभाव पड़े-

  1. एकदलीय प्रभुत्व की समाप्ति: गठबन्धन की राजनीति से भारतीय लोकतंत्र में कांग्रेस के दबदबे की समाप्ति हुई और बहुदलीय प्रणाली का युग शुरू हुआ।
  2. क्षेत्रीय पार्टियों का बढ़ता प्रभाव: क्षेत्रीय पार्टियों ने गठबन्धन सरकार बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। अब प्रान्तीय दल केन्द्रीय सरकार में साझेदार बन रहे हैं तथा उनका दृष्टिकोण व्यापक हुआ है।
  3. विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर-गठबंधन की राजनीति के इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारागत की जगह सत्ता में हिस्सेदारी पर जोर दे रहे हैं।
  4. जन-आंदोलन और संगठन विकास के नये रूप-गठबंधन की राजनीति में जन-आंदोलन और संगठन विकास के नये रूप सामने आ रहे हैं। ये रूप गरीबी, विस्थापन, न्यूनतम मजदूरी, भ्रष्टाचार विरोध, आजीविका और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों पर जन-आंदोलन के जरिये राजनीति में उभर रहे हैं।

प्रश्न 34.
भारतीय जनता पार्टी के उदय पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी: भारतीय जनता पार्टी का उदय 1980 में जनता पार्टी में दोहरी सदस्यता के मुद्दे को लेकर असहमति के कारण हुआ। 19 मार्च, 1980 को जनता पार्टी के केन्द्रीय संसदीय बोर्ड ने बहुमत से फैसला किया कि जनता पार्टी का कोई भी अधिकारी, विधायक और सांसद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की दैनिक गतिविधियों में भाग नहीं ले सकता। परन्तु बोर्ड की बैठक में श्री अटल बिहारी वाजपेयी और श्री लालकृष्ण आडवाणी तथा नाना जी देशमुख ने इस निर्णय का विरोध किया।

5 अप्रैल, 1980 को भूतपूर्व जनसंघ के सदस्यों ने नई दिल्ली में दो दिन का सम्मेलन किया और एक नई पार्टी बनाने का निश्चय किया। 6 अप्रैल, 1980 को भूतपूर्व विदेशमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में भारतीय जनता पार्टी के नाम से एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल का गठन किया गया।

प्रश्न 35.
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की नीतियों एवं कार्यक्रमों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) के नीति एवं कार्यक्रम-संप्रग की प्रमुख नीतियाँ एवं कार्यक्रम निम्नलिखित हैं।

  1. सामाजिक सद्भावना को बनाए रखना और उसमें वृद्धि करना।
  2. आने वाले दशकों में आर्थिक विकास की दर 7% से 8% के मध्य बनाए रखना ताकि रोजगार के अवसर पैदा हो सकें।
  3. कृषकों, कृषि श्रमिकों व विशेष तौर पर असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों के कल्याण में वृद्धि करना और उनके परिवार के भविष्य को विश्वसनीय व सुरक्षित बनाना
  4. स्त्रियों को राजनीतिक, शैक्षणिक, आर्थिक और कानूनी पक्ष से सुदृढ़ करना।
  5. अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ी जातियों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों को पूर्ण अवसर की समानता, विशेषकर शिक्षा तथा रोजगार के क्षेत्र में दी जाए।

प्रश्न 36.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में लोकसभा चुनाव, 2004 में निम्नांकित को दर्शाइये।
1. ऐसे दो राज्य जहाँ राजग को संप्रग से अधिक सीटें मिलीं।
2. ऐसे दो राज्य जहाँ संप्रग को राजग से अधिक सीटें मिलीं।
उत्तर:
(नोट- मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नों में प्रश्न संख्या 5 का उत्तर देखें।)

प्रश्न 37.
गठबन्धन की राजनीति पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
गठबन्धन सरकार की शुरुआत केन्द्रीय स्तर पर 1977 में हुई जब केन्द्र में जनता पार्टी की सरकार बनी। इसी दौरान केन्द्र स्तर पर काँग्रेस का एकाधिकार समाप्त हो चुका था। आगे चलकर भारत में कई गठबन्धन की सरकारें बनीं। 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 तथा 2014 के चुनावों में गठबंधन की सरकार बनी। 1999 में भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन का निर्माण किया तो 2004 में काँग्रेस ने सत्ता प्राप्ति के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का निर्माण किया।

प्रश्न 38.
बामसेफ पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बामसेफ का गठन 1978 में हुआ। इसका पूरा नाम बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्पलाइज फेडरेशन है। यह सरकारी कर्मचारियों का कोई साधारण – सा ट्रेड यूनियन नहीं था। इस संगठन ने ‘बहुजन’ अर्थात् अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों की राजनीतिक सत्ता की जबरदस्त तरफदारी की।

प्रश्न 39.
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद राज्य सरकार का क्या हुआ?
उत्तर:

  1. भाजपा की राज्य सरकार बर्खास्त कर दी गई थी।
  2. इसके साथ ही, अन्य राज्य जहाँ भाजपा सत्ता में थी, उन्हें भी राष्ट्रपति शासन के तहत रखा गया था।
  3. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज किया गया था।

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प्रश्न 40.
‘हिन्दुत्व’ अथवा ‘हिंदूपन’ शब्द को परिभाषित करते हुए वी.डी. सावरकर का क्या आशय था?
उत्तर:
‘हिन्दुत्व’ अथवा ‘हिन्दूपन’ शब्द को वी. डी. सावरकर ने गढ़ा था और इसको परिभाषित करते हुए उन्होंने इसे भारतीय राष्ट्र की बुनियाद बताया। उनके कहने का आशय यह था कि भारत राष्ट्र का नागरिक वही हो सकता है, जो भारतभूमि को न सिर्फ ‘पितृभूमि’ बल्कि अपनी ‘पुण्यभूमि’ भी स्वीकार करें। हिन्दुत्व के समर्थकों का तर्क है कि मजबूत राष्ट्र सिर्फ एकीकृत राष्ट्रीय संस्कृति की बुनियाद पर ही बनाया जा सकता है।

प्रश्न 41.
भारत में गठबंधन राजनीति का।
उत्तर:
भारत में गठबंधन का युग 1989 के लंबा दौर कब और क्यों शुरू हुआ?
चुनावों के बाद देखा जा सकता है। काँग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन उसने एक भी बार बहुमत हासिल नहीं किया, इसलिए उसने विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाई। इसके कारण राष्ट्रीय मोर्चा (जनता दल और अन्य क्षेत्रीय दलों का गठबंधन) अस्तित्व में आया। इसको बीजेपी और लेफ्ट फ्रंट का समर्थन मिला। बीजेपी और लेफ्ट फ्रंट सरकार में शामिल नहीं हुए लेकिन उन्होंने बाहर से अपना समर्थन दिया। गठबंधन के दौर में कई प्रधानमंत्री बने और उनमें से कुछ के पास छोटी अवधि के लिए कार्यालय था।

प्रश्न 42.
मंडल आयोग को लागू करने का समाज और राजनीति पर क्या प्रभाव हुआ?
उत्तर:
मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार द्वारा लिया गया। इससे अन्य पिछड़ा वर्ग की राजनीति को सुगठित रूप देने में मदद मिली। नौकरी में आरक्षण के सवाल पर बहस हुई और इनसे’अन्य पिछड़ा वर्ग अपनी पहचान लेकर सजग हुआ। जो इस तबके को लामबंद करना चाहते थे उनका फायदा हुआ। इस दौर में अनेक पार्टियाँ आगे आयीं, जिन्होंने रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग को बेहतर अवसर उपलब्ध कराने की माँग की। इन दलों ने सत्ता में ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ की हिस्सेदारी का सवाल भी उठाया।

प्रश्न 43.
मंडल आयोग का गठन क्यों किया गया था?
उत्तर:
मंडल आयोग का गठन भारतीय समाज के विभिन्न तबकों के बीच शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन की व्यापकता का पता लगाने और इन पिछड़े वर्गों की पहचान के तरीके बताने के लिए किया गया था। आयोग से यह भी अपेक्षा की गई थी कि वह इन वर्गों के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय सुझाएगा।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 44.
बसपा पार्टी के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
1978 में दलितों के राजनीतिक संगठन बामसेफ का उदय हुआ । इस संगठन ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों की राजनीतिक सत्ता की जबरदस्त तरफदारी की। इसी का परवर्ती विकास ‘दलित-शोषित समाज संघर्ष समिति’ है, जिससे बाद के समय में बहुजन समाज पार्टी का उदय हुआ। इस पार्टी की अगुवाई कांशीराम ने की। यह पार्टी अपने शुरुआती दौर में एक छोटी पार्टी थी और इसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के दलित मतदाताओं का समर्थन हासिल था, लेकिन 1989 और 1991 के चुनावों में इस पार्टी को उत्तर प्रदेश में सफलता मिली। आजाद भारत में यह पहला मौका था, जब कोई राजनीतिक दल मुख्यतया दलित मतदाताओं के समर्थन के बूते ऐसी राजनीतिक सफलता हासिल कर पाया था। इस पार्टी का समर्थन सबसे ज्यादा दलित मतदाता करते हैं।

प्रश्न 45.
इंदिरा साहनी केस के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
1990 के अगस्त में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों में से एक को लागू करने का फैसला लिया। यह सिफारिश केन्द्रीय सरकार और उसके उपक्रमों की नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के संबंध में थी। सरकार के फैसले से उत्तर भारत के कई शहरों में हिंसक विरोध का स्वर उमड़ा। इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में भी चुनौती दी गई और यह प्रकरण ‘इंदिरा साहनी केस’ के नाम से जाना जाता है। क्योंकि सरकार के फैसले के खिलाफ अदालत में जिन लोगों ने अर्जी दायर की थी, उनमें एक नाम इंदिरा साहनी का भी था।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में क्षेत्रीय दलों का महत्त्व क्यों बढ़ता जा रहा है?
अथवा
भारत में राज्य स्तरीय (क्षेत्रीय) पार्टियों की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में क्षेत्रीय दलों की बढ़ती भूमिका: भारत में अनेक राजनैतिक दल क्षेत्रीय आधार पर गठित हैं। ऐसे दलों में द्रमुक, अन्ना द्रमुक, अकाली दल मुस्लिम लीग, नेशनल कांफ्रेंन्स, असम गण परिषद्, सिक्किम संग्राम परिषद्, तेलगूदेशम, तमिल मनीला कांग्रेस, नगालैण्ड लोकतान्त्रिक दल, मणिपुर पीपुल्स पार्टी – सपा, बीजद, राष्ट्रीय लोकदल, एकीकृत जनता दल, राजद आदि प्रमुख हैं। अपने-अपने क्षेत्रों में यह दल प्रभावी हैं और राष्ट्रीय दलों का कुछ राज्यों को छोड़कर शेष में प्रभाव नगण्य है।

1989 से 2009 तक के चुनावों में किसी भी एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाने के कारण भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का महत्त्व बढ़ गया। जहाँ-जहाँ क्षेत्रीय दल प्रभावी हैं, वहाँ-वहाँ राष्ट्रीय दल, विशेषकर कांग्रेस और भाजपा उखड़ गये हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि लोकसभा में राजनैतिक दल चार समूहों में विभाजित हो गए।

  1. भाजपा और उसके क्षेत्रीय सहयोगी दल
  2. कांग्रेस और उसके सहयोगी दल
  3. वामपंथी दल और उसके सहयोगी क्षेत्रीय दल
  4. तीनों मोर्चों से तटस्थ क्षेत्रीय व राष्ट्रीय दल (सपा तथा बसपा आदि)।

इस प्रकार अब सरकार बनाने के लिए राष्ट्रीय दलों को क्षेत्रीय दलों के साथ गठबन्धन करना तथा सरकार निर्माण में तथा सत्ता की भागीदारी में उनको शामिल करना संसद में आवश्यक बहुमत प्राप्त करने के लिए आवश्यक हो गया है।

प्रश्न 2.
1980 के दशक के आखिर के सालों में आए उन बदलावों का उल्लेख कीजिये, जिनका हमारी भावी राजनीति पर गहरा असर पड़ा।
उत्तर:
1980 के दशक के आखिर के सालों में देश में ऐसे पांच बदलाव आए, जिनका हमारी आगे की राजनीति पर गहरा असर पड़ा। यथा।

  1. 1989 के चुनावों में कांग्रेस की हार: 1989 के इस चुनाव में कांग्रेस लोकसभा की 197 सीटें ही जीत की और केन्द्र में भी एकदलीय प्रभुत्व की स्थिति समाप्त हो गई।
  2. मंडल मुद्दे का उदय: 1990 में राष्ट्रीय मोर्चा की नयी सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया जिसमें प्रावधान किया गया कि केन्द्र सरकार की नौकरियों में ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ को 27% आरक्षण दिया जायेगा। इसके बाद की देश की राजनीति में पिछड़ी जातियों के आरक्षण का यह मुद्दा, जिसे ‘मंडल मुद्दा’ कहा गया, छाया रहा।
  3. नये आर्थिक सुधार की नीतियाँ: इस दौर में विभिन्न सरकारों ने आर्थिक सुधार की नीतियाँ अपनायीं। इसकी शुरुआत राजीव गाँधी की सरकार के समय हुई। बाद की सभी सरकारों ने इस नयी आर्थिक नीति पर अमल जारी रखा।
  4. अयोध्या के विवादित ढाँचे का बिध्वंस: 1992 में अयोध्या के विवादित ढाँचे को ध्वस्त करने की घटना ने राजनीति में कई परिवर्तनों को जन्म दिया। इन बदलावों का संबंध भाजपा के उदय और हिंदुत्वं की राजनीति से है।
  5. राजीव गाँधी की हत्या; मई, 1991 में राजीव गाँधी की हत्या के परिणामस्वरूप कांग्रेस के प्रति चुनावों में सहानुभूति लहर ने कांग्रेस को लाभ पहुँचाया तथा केन्द्र में कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ हुई।

प्रश्न 3.
भारत में मिली-जुली या गठबन्धन सरकारों की राजनीति की व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत में मिली-जुली या गठबन्धन की राजनीति मिली-जुली सरकार का साधारण अर्थ है। कई दलों द्वारा मिलकर सरकार का निर्माण करना। मिली-जुली सरकार का निर्माण प्रायः उस स्थिति में किया जाता है। जब किसी एक दल को चुनावों के बाद स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हुआ हो। तब दो या दो से अधिक दल मिलकर संयुक्त सरकार का निर्माण करते हैं। इन मिली-जुली सरकारों की राजनीति की अपनी कुछ विशेषताएँ होती हैं। जिनका वर्णन निम्नलिखित है।

  1. समझौतावादी कार्यक्रम: ऐसी सरकारों का राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक कार्यक्रम समझौतावादी होता है, जिसमें कि प्रत्येक दल की बातों को व कार्यक्रम को ध्यान में रखा जाता है।
  2. सर्वसम्मत नेता: मिली-जुली सरकार के निर्माण से पूर्व यद्यपि सभी दल मिलकर अपने नेता का चुनाव करते हैं, नेता का चुनाव प्रायः सर्वसम्मति के आधार पर किया जाता है तथापि घटक दलों के नेता व उनके अस्तित्व को नकारा नहीं जाता। इसके कारण सरकार में एकता बनी रहती है।
  3. सर्वसम्मत निर्णय: मिली-जुली सरकार में शामिल घटक दल किसी भी राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय समस्या का हल सर्वसम्मति से करते हैं।
  4. मिल-जुलकर कार्य करना: मिली-जुली सरकार में शामिल सभी घटक दल मिल-जुलकर कार्य करते हैं। एक दल द्वारा किया गया गलत कार्य सभी दलों द्वारा किया गया गलत कार्य समझा जाएगा, इसलिए सभी दल मिल-जुल कर कार्य करते हैं।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की नीतियों एवं कार्यक्रमों का वर्णन करें।
उत्तर:
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन: अप्रैल, 1999 में वाजपेयी की सरकार मात्र 13 दिन की अवधि में ही गिर जाने के बाद मई, 1999 में 24 राजनीतिक दलों ने मिलकर राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (राजग) के नाम से एक गठबन्धन बनाया। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमन्त्री के रूप में पेश किया। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की नीतियाँ एवं कार्यक्रम – राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की प्रमुख नीतियाँ व कार्यक्रम निम्नलिखित हैं।

  1. लोकपाल; घोषणा पत्र में वायदा किया गया कि प्रधानमन्त्री समेत सभी व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच के लिए लोकपाल विधेयक पारित किया जाएगा।
  2. आर्थिक उदारीकरण-: देश में आर्थिक उदारीकरण की नीति को जारी रखा जायेगा।
  3. निर्धनता: घोषणा पत्र में निर्धनता के निवारण पर बल दिया गया।
  4. आम सहमति से शासन: घोषणा पत्र में सभी प्रमुख मुद्दों पर विपक्ष के साथ मिलकर आम सहमति से शासन चलाने की बात कही गयी।
  5. नए राज्य: छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड तथा झारखण्ड नए राज्य बनाए गए।
  6. प्रसार भारती: प्रसार भारती अधिनियम की समीक्षा की जाएगी। इसके साथ भारतीय हितों के संरक्षण के लिए व्यापक प्रसारण विधेयक पारित किया जाएगा।
  7. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को विभिन्न सामाजिक- आर्थिक क्षेत्रों में विकास कार्यक्रम के साथ जोड़ने के प्रयास किए जाएंगे।
  8. राष्ट्रीय सुरक्षा: गठबन्धन ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि महत्त्व देने का वायदा किया।
  9. अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध: अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पड़ौसी व मित्र राष्ट्रों के सम्बन्धों में प्रगाढ़ता लाई जाएगी तथा सार्क और आसियान की तरह क्षेत्रीय और समूहीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 5.
वर्तमान में भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती प्रवृत्तियाँ वर्तमान में भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती हुई प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं।

  1. एक दल से साझा सरकारों की ओर: 1989 के बाद के लोकसभा के चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला परिणामतः साझा सरकारें अस्तित्व में आईं।
  2. क्षेत्रीय दलों का बढ़ता वर्चस्व: वर्तमान राजनीतिक दलीय स्थिति में सत्ता की जोड़-तोड़ में क्षेत्रीय दलों की भूमिका बढ़ी है।
  3. निर्दलीय सदस्यों की बढ़ती भूमिका: किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में निर्दलीय उम्मीदवारों की भी भूमिका बढ़ जाती है।
  4. दलीय प्रणाली का सत्ता केन्द्रित स्वरूप: वर्तमान समय में राजनीतिक दलों का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना रह गया है तथा उनके लिए विचारधाराएँ, समस्याएँ गौण हो गई हैं।
  5. भाषावाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद का प्रभाव: सत्ता प्राप्ति के लिए राजनीतिक दल भाषा, जाति एवं सम्प्रदायों का भी सहारा लेते हैं।
  6. दलों में आन्तरिक गुटबन्दी: भारत के सभी राजनीतिक दल आन्तरिक गुटबन्दी की समस्या से पीड़ित हैं।
  7. राजनीतिक अपराधीकरण: प्रायः सभी राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को चुनावों में खड़ा किया जा रहा है जो धन-बल व भुज-बल के आधार पर मत प्राप्त करते हैं।
  8. दल की कथनी व करनी में अन्तर: पिछले कुछ वर्षों में भारतं में दलों की कथनी व करनी में अन्तर अपने भीषणतम रूप में उभरा है।
  9. केन्द्र व राज्य में टकराहट:  केन्द्र व राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें होती हैं जिससे केन्द्र व राज्यों के मध्य विभिन्न राजनीतिक मुद्दों को लेकर टकराहट की स्थिति बनी रहती है।

प्रश्न 6.
भारतीय दलीय व्यवस्था की प्रमुख समस्याओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय दलीय व्यवस्था की: समस्याएँ भारतीय दलीय व्यवस्था की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं।

  1. दलों की संख्या में वृद्धि: भारत में बहुदलीय व्यवस्था है। राजनीतिक दलों की इस प्रकार की भरमार ने अस्थिर राजनैतिक स्थिति के साथ-साथ अन्य समस्याओं को भी जन्म दिया है।
  2. वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव: भारतीय राजनीतिक दलों में वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव है। वैचारिक प्रतिबद्धता से रहित इन दलों का मुख्य उद्देश्य येन-केन-प्रकारेण सत्ता प्राप्त करना होता है।
  3. दलीय व्यवस्था में अस्थायित्व: भारतीय राजनीतिक दल निरन्तर बिखराव और विभाजन के शिकार हैं। इस कारण इन दलों में तथा भारतीय दलीय व्यवस्था में स्थायित्व का अभाव है।
  4. दलों में आन्तरिक लोकतंत्र का अभाव: भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है और वे घोर अनुशासनहीनता से पीड़ित हैं।
  5. राजनीतिक दलों में गुटीय राजनीति: लगभग सभी राजनीतिक दल तीव्र आंतरिक गुटबन्दी की समस्या से पीड़ित हैं।
  6. सत्ता के लिए संविधानेतर और विघटनकारी प्रवृत्तियों को अपनाना: राजनीतिक दलों ने पिछले दशक की राजनीति में बहुत अधिक मात्रा में संविधानेतर और विघटनकारी प्रवृत्तियों को अपना लिया है।
  7. नेतृत्व का संकट: भारत में वर्तमान में राजनीतिक दलों के समक्ष नेतृत्व का संकट भी बना हुआ है। अधिकांश राजनीतिक दलों के पास ऐसा नेतृत्व नहीं है, जिसका अपना ऊँचा राजनैतिक कद हो।

प्रश्न 7.
” भारतीय राजनीतिक दलों में अत्यधिक प्रतियोगिता एवं विरोध होने के बावजूद भी कई विषयों में सर्वसहमति है।” इस कथन के संदर्भ में सर्व- सहमति के बिन्दुओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था की यह एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है कि ” भारतीय राजनीतिक दलों में अत्यधिक प्रतियोगिता एवं विरोध होने के बावजूद भी कई विषयों में सर्वसहमति है।” यथा।

  1. संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास; भारत का प्रत्येक राजनीतिक दल भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास रखता हैं तथा विभिन्न मुद्दों का संवैधानिक दायरे के अन्तर्गत ही हल चाहता है।
  2. राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता बनाये रखना: भारत के सभी राजनीतिक दल देश की एकता व अखण्डता को बनाये रखने पर सहमत हैं।
  3. मौलिक अधिकार एवं स्वतन्त्रताओं की रक्षा: भारत के सभी राजनीतिक दल लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के प्रति एकमत रहते हैं।
  4. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ी जातियों के राजनीतिक तथा सामाजिक दावे की स्वीकृति: आज सभी राजनीतिक दल शिक्षा और रोजगार में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ी जातियों के लिए सीटों के आरक्षण के पक्ष में हैं।
  5. नई आर्थिक नीतियों पर सहमति: ज्यादातर राजनीतिक दल नई आर्थिक नीतियों के पक्ष में हैं। इनका मानना है कि नई आर्थिक नीतियों से देश समृद्ध होगा और भारत विश्व की एक आर्थिक शक्ति बनेगा।
  6. राष्ट्र के शासन में प्रान्तीय दलों की भूमिका की स्वीकृति -गठबंधन सरकारों में प्रान्तीय दल केन्द्रीय सरकार में साझेदार बन रहे हैं।
  7. विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर- अब राजनीतिक दलों में विचारधारा के स्थान पर सत्ता प्राप्ति तथा कार्यसिद्धि पर सहमति बनती जा रही है।

प्रश्न 8.
मंडल आयोग पर विस्तार में लेख लिखिए।
उत्तर:
1977-79 की जनता पार्टी की सरकार के समय उत्तर भारत में पिछड़े वर्ग के आरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से आवाज उठाई गई। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर इस दिशा में अग्रणी थे। उनकी सरकार ने बिहार में ‘ओबीसी’ को आरक्षण देने के लिए एक नीति लागू की। इसके बाद केन्द्र सरकार ने 1978 में एक आयोग बैठाया। इस आयोग को पिछड़ा वर्ग की स्थिति को सुधारने के उपाय बताने का काम दिया गया। इसी कारण आधिकारिक रूप से इस आयोग को ‘दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग’ कहा गया। इस आयोग को इसके अध्यक्ष बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल के नाम पर ‘मंडल कमीशन’ कहा गया।

मंडल आयोग का गठन भारतीय समाज के विभिन्न तबकों के बीच शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन की व्यापकता का पता लगाने और इन पिछड़े वर्गों की पहचान के तरीके बताने के लिए किया गया था। आयोग से यह भी अपेक्षा की गई थी कि वह इन वर्गों के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय सुझाएगा। आयोग ने 1980 में अपनी सिफारिशें पेश कीं। आयोग का मशविरा था कि पिछड़ा वर्ग को पिछड़ी जाति के अर्थ में स्वीकार किया जाए, क्योंकि अनुसूचित जातियों से इतर ऐसी अनेक जातियाँ हैं, जिन्हें वर्ण व्यवस्था में ‘नीच’ समझा जाता है।

आयोग ने एक सर्वेक्षण किया और पाया कि इन पिछड़ी जातियों की शिक्षा संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में बड़ी कम मौजूदगी है। इस वजह से आयोग ने इन समूहों के लिए शिक्षा संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत सीट आरक्षित करने की सिफारिश की। मंडल आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग की स्थिति सुधारने के लिए कई और समाधान सुझाए जिनमें भूमि सुधार भी एक था।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 9.
अयोध्या विवाद के बारे में विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर:
बाबरी विवाद पर फैजाबाद जिला न्यायालय द्वारा फरवरी, 1986 में एक फैसला सुनाया गया। इस अदालत ने फैसला सुनाया था कि बाबरी मस्जिद के अहाते का ताला खोल दिया जाना चाहिए ताकि हिन्दू यहाँ पूजा कर सकें संजीव पास बुक्स क्योंकि वे इस जगह को पवित्र मानते हैं। अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को लेकर दशकों से विवाद चला आ रहा था। बाबरी मस्जिद 16वीं सदी में बनी थी। कुछ हिन्दुओं के मतानुसार यह मस्जिद एक राम मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी।

इस विवाद ने अदालती मुकदमे का रूप ले लिया और मुकदमा कई दशकों तक जारी रहा। 1940 के दशक के आखिरी सालों में मस्जिद में ताला लगा दिया गया क्योंकि मामला अदालत में था। जैसे ही बाबरी मस्जिद के अहाते का ताला खुला वैसे ही दोनों पक्षों में लामबंदी होने लगी। अनेक हिन्दू और मुस्लिम संगठन इस मसले पर अपने-अपने समुदाय को लामबंद करने की कोशिश में जुट गए। भाजपा ने इसे अपना बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया।

प्रश्न 10.
कड़े मुकाबले और कई संघर्षों के बावजूद अधिकतर दलों के बीच सहमति उभरती सी दिखती है। इस कथन की पुष्टि के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:

  1. नयी आर्थिक नीति पर सहमति: कई समूह नयी आर्थिक नीति के खिलाफ हैं, लेकिन ज्यादातर राजनीतिक दल इन नीतियों के पक्ष में हैं। इन दलों का मानना है कि नई आर्थिक नीतियों से देश समृद्ध होगा और भारत, विश्व की एक आर्थिक शक्ति बनेगा।
  2. पिछड़ी जातियों के राजनीतिक और सामाजिक दावे की स्वीकृति: राजनीतिक दलों ने पहचान लिया है कि पिछड़ी जातियों के सामाजिक और राजनीतिक दावे को स्वीकार करने की जरूरत है। इस कारण आज सभी राजनीतिक दल शिक्षा और रोजगार में पिछड़ी जातियों के लिए सीटों के आरक्षण के पक्ष में हैं। राजनीतिक दल यह भी सुनिश्चित करने के लिए तैयार हैं कि ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ को सत्ता में समुचित हिस्सेदारी मिले।
  3. देश के शासन में प्रांतीय दलों की भूमिका की स्वीकृति: प्रांतीय दल और राष्ट्रीय दल का भेद लगातार कम होते जा रहा है। प्रांतीय दल केन्द्रीय सरकार में साझीदार बन रहे हैं और इन दलों ने पिछले बीस सालों में देश की राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  4. विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर और विचारधारागत सहमति के बगैर राजनीतिक गठजोड़: गठबंधन की राजनीति के इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारागत अंतर की जगह सत्ता में हिस्सेदारी की बातों पर जोर दे रहे हैं। उदाहरण: अनेक दल भाजपा की ‘हिन्दुत्व’ की विचारधारा से सहमत नहीं हैं, लेकिन ये दल भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल हुए और सरकार बनाई, जो पाँच सालों तक चली।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. विविधता के सवाल पर भारत ने कौन-सा दृष्टिकोण अपनाया?
(क) लोकतांत्रिक
(ख) राजनीतिक
(ग) सामाजिक
(घ) सांस्कृतिक
उत्तर:
(क) लोकतांत्रिक

2. इन्दिरा गाँधी की हत्या कब हुई थी?
(क) 24 जून, 1982
(ख) 25 अगस्त, 1974
(ग) 31 अक्टूबर, 1983
(घ) 31 अक्टूबर, 1984
उत्तर:
(घ) 31 अक्टूबर, 1984

3. किस राज्य में असम गण परिषद् सक्रिय है?
(क) गुजरात
(ख) तमिलनाडु
(ग) पंजाब
(घ) असम
उत्तर:
(घ) असम

4. द्रविड़ आंदोलन के प्रणेता कौन थे-
(क) हामिद अंसारी
(ख) लाल डेंगा
(ग) ई.वी. रामास्वामी नायकर
(घ) शेख मोहम्मद अब्दुल्ला
उत्तर:
(ग) ई.वी. रामास्वामी नायकर

5. पंजाब और हरियाणा राज्य बने
(क) 1950
(ख) 1966
(ग) 1965
(घ) 1947
उत्तर:
(ख) 1966

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

6. जम्मू और कश्मीर को संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत विशेष दर्जा दिया गया था?
(क) अनुच्छेद 370
(ख) अनुच्छेद 371
(ग) अनुच्छेद 375
उत्तर:
(क) अनुच्छेद 370

7. डी. एम. के. किस राज्य में सक्रिय है?
(क) तमिलनाडु
(ख) आन्ध्रप्रदेश
(ग) पंजाब
(घ) उत्तरप्रदेश
उत्तर:
(क) तमिलनाडु

8. नेशनल कान्फ्रेंस किस राज्य में सक्रिय है?
(क) जम्मू-कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) पंजाब
(घ) हिमाचल प्रदेश
उत्तर:
(क) जम्मू-कश्मीर

9. शेख अब्दुल्ला के निधन के पश्चात् नेशनल कॉन्फेरेंस का नेतृत्व किसके पास गया?
(क) उमर अब्दुल्ला
(ख) गुलाम मोहम्मद सादिक
(ग) फारूक अब्दुल्ला
(घ) महबूबा मुफ्ती
उत्तर:
(ग) फारूक अब्दुल्ला

10. जम्मू और कश्मीर राज्य को पुनर्गठित करके किन दो केन्द्र शासित प्रदेशों का गठन किया?
और कश्मीर
(क) लेह और लद्दाख
(ख) जम्मू
(ग) जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख
(घ) लद्दाख और कश्मीर
उत्तर:
(ग) जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

1. सिखों की राजनीतिक शाखा के रूप में 1920 के दशक में …………………. दल का गठन किया गया।
उत्तर:
अकाली

2. ………………… को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया।
उत्तर:
5 अगस्त, 2019

3. भारत सरकार द्वारा ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ ………………. में चलाया गया।
उत्तर:
जून, 1984

4. पूर्वोत्तर क्षेत्र को भारत से जोड़ने वाली राहदारी ………………….. किलोमीटर लंबी है।
उत्तर:
22

5. नागालैंड को राज्य का दर्जा …………………में दिया गया।
उत्तर:
1963

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय भू-भाग में किस क्षेत्र को सात बहनों का भाग कहा जाता है?
उत्तर:
पूर्वोत्तर के सात राज्यों को।

प्रश्न 2.
भारत और पाकिस्तान के मध्य विवाद का मुख्य मुद्दा क्या रहा है?
उत्तर:
कश्मीर मुद्दा।

प्रश्न 3.
1947 से पहले जम्मू-कश्मीर का शासक कौन था ?
उत्तर:
हरि सिंह।

प्रश्न 4.
नेशनल कांफ्रेंस ने किसके नेतृत्व में आन्दोलन चलाया?
उत्तर:
शेख अब्दुल्ला।

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प्रश्न 5.
ई. वी. रामास्वामी नायकर किस नाम से प्रसिद्ध थे?
उत्तर:
पेरियार।

प्रश्न 6.
जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी ताकतों का बोलबाला कब से शुरू हुआ?
उत्तर:
1989 से।

प्रश्न 7.
धारा 370 किस राज्य से सम्बन्धित है?
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर।

प्रश्न 8.
धारा 370 को समाप्त करने के पक्ष में कौनसी पार्टी रही है?
उत्तर;
भारतीय जनता पार्टी।

प्रश्न 9.
दक्षिण भारत का सबसे बड़ा आन्दोलन किसे माना जाता है?
उत्तर:
द्रविड़ आन्दोलन।

प्रश्न 10.
1984 में स्वर्ण मन्दिर में हुई सैनिक कार्यवाही को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
ऑपरेशन ब्लू स्टार।

प्रश्न 11.
असम को बाँटकर किन प्रदेशों को बनाया गया?
उत्तर:
मेघालय, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश।

प्रश्न 12.
लाल डेंगा किस दल के नेता थे?
उत्तर:
मीजो नेशनल फ्रंट|

प्रश्न 13.
सिक्किम विधानसभा के लिए पहला लोकतांत्रिक चुनाव कब हुआ?
उत्तर:
1974 में।

प्रश्न 14.
अंगमी जापू फिजो किसकी आजादी के आन्दोलन के नेता थे?
उत्तर:
नगालैण्ड|

प्रश्न 15.
असम आन्दोलन आसू ( AASU) का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
ऑल असम स्टूडेन्ट यूनियन।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 16.
पूर्वोत्तर के किन राज्यों को सात बहनों के नाम से जाना जाता है?
उत्तर:

  1. असम
  2. नगालैंड
  3. मेघालय,
  4. मिजोरम,
  5. अरुणाचल प्रदेश,
  6. त्रिपुरा और
  7. मणिपुर।

प्रश्न 17.
जम्मू-कश्मीर में कौनसे तीन राजनीतिक क्षेत्र शामिल हैं?
उत्तर:
जम्मू, कश्मीर और लद्दाख।

प्रश्न 18.
नेशनल कांफ्रेन्स किस राज्य में सक्रिय क्षेत्रीय दल है?
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर।

प्रश्न 19.
अकाली दल और जनसंघ ने किस वर्ष पंजाब में गठबन्धन सरकार का निर्माण किया?
उत्तर:
1967 में।

प्रश्न 20.
पूर्वोत्तर भारत के किन्हीं दो पड़ौसी देशों के नाम बताइए।
उत्तर: म्यांमार, चीन।

प्रश्न 21.
क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने वाला कोई एक कारण बतायें।
उत्तर:
क्षेत्र का असन्तुलित आर्थिक विकास।

प्रश्न 22.
ऑपरेशन ब्लू स्टार कब और किसके द्वारा चलाया गया?
उत्तर:
ऑपरेशन ब्लू स्टार 1984 में इंदिरा गाँधी द्वारा चलाया गया।

प्रश्न 23.
क्षेत्रीय आकांक्षाओं का एक आधारभूत सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतान्त्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं।

प्रश्न 24.
अकाली दल किस राज्य से सम्बन्धित है?
उत्तर:
अकाली दल पंजाब से सम्बन्धित है।

प्रश्न 25.
किन्हीं दो क्षेत्रीय दलों के नाम लिखिए।
उत्तर:  नेशनल कान्फ्रेंस, डी. एम. के.।.

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प्रश्न 26.
1979 से 1985 तक चला असम आन्दोलन किसके विरुद्ध चला?
उत्तर:
यह आन्दोलन विदेशियों के विरुद्ध चला।

प्रश्न 27.
गोवा, दमन और दीव पुर्तगाल से कब स्वतन्त्र हुए?
उत्तर:
दिसम्बर, 1961 में गोवा, दमन और दीव पुर्तगाल से स्वतन्त्र हुए।

प्रश्न 28.
सिक्किम विधानसभा के लिए प्रथम लोकतान्त्रिक चुनाव कब हुए?
उत्तर:
सिक्किम विधानसभा के लिए प्रथम लोकतान्त्रिक चुनाव 1974 में हुए।

प्रश्न 29.
आनन्दपुर साहिब प्रस्ताव कब पास किया गया और इसका सम्बन्ध किसके साथ है?
उत्तर:
आनन्दपुर साहिब प्रस्ताव 1973 में पास किया गया और इसका सम्बन्ध राज्यों की स्वायत्तता से है।

प्रश्न 30.
पंजाब में किस दल ने पंजाबी सूबा के लिए आन्दोलन चलाया?
उत्तर:
पंजाब में अकाली दल ने पंजाबी सूबा के लिए आन्दोलन चलाया।

प्रश्न 31.
जम्मू-कश्मीर के उग्रवादियों की सहायता कौनसा देश कर रहा था?
उत्तर:
कश्मीर के उग्रवादियों को पाकिस्तान भौतिक और सैन्य सहायता दे रहा था।

प्रश्न 32.
अनुच्छेद 370 किस राज्य को अन्य राज्यों के मुकाबले में अधिक स्वायत्तता देता है?
उत्तर:
अनुच्छेद 370 में जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक स्वायत्तता दी गई है।

प्रश्न 33.
विविधता की चुनौती से निपटने के लिए क्या किया गया?
उत्तर:
विविधता की चुनौती से निपटने के लिए देश की अंदरूनी सीमा रेखाओं का पुनर्निर्धारण किया गया।

प्रश्न 34.
भारत में किस दशक को स्वायत्तता की माँग के दशक के रूप में देखा जाता है?
उत्तर:
भारत में 1980 के दशक को स्वायत्तता की माँग के दशक के रूप में देखा जाता है।

प्रश्न 35.
डी.एम. के. ने किस भाषा का विरोध किया?
उत्तर:
डी. एम. के. ने हिन्दी भाषा का विरोध किया।

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प्रश्न 36.
क्षेत्रवाद को रोकने के कोई दो उपाय बताइये।
उत्तर:
क्षेत्रवाद को रोकने के दो उपाय हैं।

  1. राष्ट्रीय नीति का निर्धारण करना तथा
  2. सांस्कृतिक एकीकरण के लिए प्रयास करना।

प्रश्न 37.
भाषा के आधार पर राज्यों के गठन की माँग करते हुए जनआंदोलन कहाँ चले?
उत्तर:
आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात।

प्रश्न 38.
जम्मू और कश्मीर किन तीन सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों को मिलाकर बना है?
उत्तर:
जम्मू, कश्मीर और लद्दाख।

प्रश्न 39.
द्रविड़ आंदोलन का लोकप्रिय नारा क्या था?
उत्तर:
‘उत्तर हर दिन बढ़ता जाए, दक्षिण दिन – दिन घटता जाए’।

प्रश्न 40.
डी. एम. के. के संस्थापक कौन थे?
उत्तर”:
सी. अन्नादुरै।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षेत्रवाद से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
क्षेत्रवाद: क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी भी देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो औद्योगिक, सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। क्षेत्रवाद केन्द्रीयकरण के विरुद्ध क्षेत्रीय इकाइयों को अधिक शक्ति व स्वायत्तता प्रदान करने के पक्ष में है।

प्रश्न 2.
क्षेत्रवाद के उदय के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
क्षेत्रवाद के उदय के कारण – क्षेत्रवाद के उदय के कारण हैं।

  1. भाषावाद: भारत में सदैव ही अनेक भाषाएँ बोलने वालों ने कई बार अलग-अलग राज्य के निर्माण के लिए व्यापक आन्दोलन किया।
  2. जातिवाद: जिन क्षेत्रों में किसी एक जाति की प्रधानता रही है, वहीं पर क्षेत्रवाद का उग्र रूप देखने को मिलता है।

प्रश्न 3.
क्षेत्रवादी आन्दोलन से हमें क्या सबक मिलता है?
उत्तर:
क्षेत्रीय आन्दोलन से हमें

  1. यह सबक मिलता है कि क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोक राजनीति का अभिन्न अंग हैं तथा
  2. लोकतान्त्रिक वार्ता करके क्षेत्रीय आकांक्षाओं का हल निकालना चाहिए।

प्रश्न 4.
क्षेत्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
क्षेत्र-क्षेत्र उस भू-भाग को कहते हैं जिसके निवासी सामान्य भाषा, धर्म, परम्पराएँ, सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विकास आदि की दृष्टि से भावनात्मक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हुए हों। यह भूभाग सीमावर्ती राज्य, राज्य का एक या अधिक भाग भी हो सकते हैं। भारतीय संदर्भ में प्रान्तों तथा संघीय प्रदेश को क्षेत्र कहा जाता है।

प्रश्न 5.
अलगाववाद का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अलगाववाद: अलगाववाद से अभिप्राय एक राज्य से कुछ क्षेत्र को अलग-अलग करके स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की माँग है। अर्थात् सम्पूर्ण इकाई से अलग अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बनाए रखने की माँग अलगाववाद है। अलगाववाद का उदय उस समय होता है जब क्षेत्रवाद की भावना उग्र रूप धारण कर लेती है।

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प्रश्न 6.
भारत में अलगाववाद के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
अलगाववाद के उदाहरण- भारत में अलगाववाद के उदाहरण हैं।

  1. 1960 में डी. एम. के. तथा अन्य तमिल दलों ने तमिलनाडु को भारत से अलग करवाने का आन्दोलन किया।
  2. असम के मिजो हिल के लिए जिले के लोगों ने भारत से अलग होने की माँग की और इस मांग को पूरा करवाने के लिए उन्होंने मिजो फ्रंट की स्थापना की।

प्रश्न 7.
अलगाववाद के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:

  1. राजनीतिक कारण: अलगाववाद की भावना को भड़काने में राजनीतिक दलों की संकीर्ण मनोवृत्ति को प्रमुख कारण माना जा सकता है।
  2. आर्थिक पिछड़ापन: असमान आर्थिक विकास और पिछड़ापन भी अलगाववाद को बढ़ावा देता है। पिछड़े क्षेत्रों में पृथकतावाद की भावना जन्म लेती है।

प्रश्न 8.
भारत और पाकिस्तान का मसला सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 21 अप्रैल, 1948 के प्रस्ताव में किन तीन चरणों वाली प्रक्रिया की अनुशंसा की?
उत्तर:
पाकिस्तान ने कश्मीर राज्य के बड़े हिस्से पर नियंत्रण जारी रखा इसलिए इस मामले को संयुक्त राष्ट्रसंघ में ले जाया गया। 21 अप्रेल, 1948 के अपने प्रस्ताव में निम्न तीन चरणों वाली प्रक्रिया की अनुशंसा की

  1. पाकिस्तान को अपने वे सारे नागरिक वापस बुलाने थे जो कश्मीर में घुस गए थे।
  2. भारत को धीरे-धीरे अपनी फौज कम करनी थी ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे।
  3. स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से जनमत संग्रह कराया जाए।

प्रश्न 9.
भारत में क्षेत्रीय दलों के विकास के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  1. भारत एक विशाल देश है। इसकी बनावट में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। भौगोलिक विभिन्नता के कारण अलग-अलग क्षेत्रीय दल भी पाये जाते हैं।
  2. राजनीतिक दलों की महत्त्वाकांक्षी प्रवृत्ति व अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए क्षेत्रीय भावनाओं को अपने स्वार्थ के लिए प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 10.
रामास्वामी नायकर ( अथवा पेरियार ) के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
उत्तर:
रामास्वामी नायकर का जन्म सन् 1879 में हुआ। वे पेरियार के नाम से प्रसिद्ध हुए। वे जाति विरोधी आंदोलन और द्रविड़ संस्कृति और पहचान के पुनः संस्थापक के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने दक्षिण में ब्राह्मण विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया तथा द्रविड़ कषगम नामक संस्था स्थापित की।

प्रश्न 11.
डी. एम. के. दल पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
डी. एम. के. – डी. एम. के. तमिलनाडु का महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है। वर्तमान समय में इस दल के अध्यक्ष करुणानिधि हैं। इस दल की स्थापना 1949 में चेन्नई में श्री सी. एम. अन्नादुराय ने की। डी. एम. के. का पूरा नाम द्रविड़ – मुनेत्र कषगम है। इसमें द्रविड़ शब्द द्रविड़ जाति का प्रतीक है, मुनेत्र का अर्थ है प्रगतिशीलता और कषगम का अर्थ है- संगठन।

प्रश्न 12.
तेलगूदेशम् पार्टी का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
तेलगूदेशम् पार्टी: तेलगूदेशम् पार्टी आन्ध्रप्रदेश का महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है। इस दल के वर्तमान अध्यक्ष चन्द्रबाबू नायडू हैं। इस दल की स्थापना 1982 में फिल्म अभिनेता एन. टी. रामाराव ने की। तेलगूदेशम् पार्टी की स्थापना कांग्रेस शासन की प्रतिक्रियास्वरूप हुई। तेलगूदेशम विकेन्द्रित संघवाद का समर्थक है।

प्रश्न 13.
अन्ना डी. एम. के. पार्टी के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
अन्ना डी. एम. के. – अन्ना डी. एम. के. पार्टी भी तमिलनाडु का महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है। इस दल की वर्तमान अध्यक्ष सुश्री जयललिता हैं। इस दल की स्थापना रामचन्द्रन ने 1972 में की। यह दल हिन्दी भाषा को दक्षिण के राज्यों पर थोपने के विरुद्ध है। यह दल द्विभाषा फार्मूला का समर्थन करता है।

प्रश्न 14.
आनंदपुर साहिब प्रस्ताव का सिखों तथा देश पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के निम्न प्रभाव पड़े चलाया।

  1. इसके प्रभावस्वरूप अकाली दल ने पंजाब और पड़ौसी राज्यों के मध्य पानी के बँटवारे के मुद्दे पर आंदोलन
  2. इसके प्रभावस्वरूप स्वायत्त सिख पहचान की बात उठी।
  3. इसके प्रभावस्वरूप ही चरमपंथी सिखों ने भारत से अलग होकर खालिस्तान की माँग की।

प्रश्न 15.
1980 में अकाली दल की प्रमुख मांगों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. चण्डीगढ़ को पंजाब की राजधानी बनाया जाए।
  2. दूसरे राज्यों के पंजाबी भाषी क्षेत्रों को पंजाब में मिलाया जाए।
  3. पंजाब का औद्योगिक विकास किया जाए।
  4. भाखड़ा नांगल योजना पंजाब के नियन्त्रणाधीन हो।
  5. देश के सभी गुरुद्वारे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्ध कमेटी के प्रबन्ध में हों।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 16.
ऑपरेशन ब्लू स्टार से क्या आशय है?
उत्तर:
ऑपरेशन ब्लू स्टार: 1980 के दशक में पंजाब में सन्त भिण्डरावाले ने स्वर्ण मन्दिर को अपने कब्जे में लेकर वहाँ पर अस्त्र-शस्त्र एकत्र करना शुरू कर दिये जिसके कारण श्रीमती इन्दिरा गाँधी की सरकार को भिण्डरावाले के विरुद्ध ऑपरेशन ब्लू स्टार के अन्तर्गत कार्यवाही करनी पड़ी। सरकार ने स्वर्ण मन्दिर में सेना भेजकर उसे भिण्डरावाला से मुक्त करवाया।

प्रश्न 17.
1985 के पंजाब समझौते के किन्हीं दो महत्त्वपूर्ण पक्षों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. एक सितम्बर, 1982 के बाद हुई किसी कार्यवाही के दौरान आन्दोलन में मारे गये लोगों को अनुग्रह राशि के भुगतान के साथ-साथ सम्पत्ति की क्षति के लिए मुआवजा दिया जायेगा।
  2. दिल्ली में नवम्बर में हुए दंगों की जाँच कर रहे रंगनाथ मिश्र आयोग का कार्यक्षेत्र बढ़ाकर उसमें बोकारो और में उपद्रवों की जांच को भी शामिल किया जायेगा।

प्रश्न 18.
सिख विरोधी दंगे कब और क्यों हुए?
उत्तर:
सिख विरोधी दंगे 1984 में हुए। यह दंगे 31 अक्टूबर, 1984 में श्रीमती गांधी की हत्या के विरोध में हुए जिसमें 2000 से अधिक सिख स्त्री-पुरुष व बच्चे मारे गये। इन दंगों से देश की एकता व अखण्डता के लिए खतरा उत्पन्न हो गया। इसलिए राजीव गांधी ने पंजाब में शान्ति बनाये रखने के लिए अकाली नेताओं से समझौता किया जिसे पंजाब समझौता कहा जाता है।

प्रश्न 19.
नेशनल कान्फ्रेंस के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
नेशनल कान्फ्रेंस: नेशनल कान्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर का महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है। इस दल के वर्तमान अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला हैं। इस दल की स्थापना 1920 में हुई। नेशनल कान्फ्रेंस धारा 370 को बनाये रखने के पक्ष में है। तथा जम्मू-कश्मीर को और अधिक स्वायत्तता देने के पक्ष में है। इस पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को स्थायी माना है।

प्रश्न 20.
1980 के दशक में पंजाब एवं असम संकट में एक समानता एवं एक असमानता बताइए।
उत्तर:

  1. समानता: 1980 के दशक में पंजाब एवं असम में होने वाले दोनों संकट क्षेत्रीय स्तर के थे।
  2. असमानता: पंजाब संकट केवल एक धर्म एवं समुदाय से सम्बन्धित था, जबकि असम संकट अलग धर्मों एवं समुदायों से सम्बन्धित था।

प्रश्न 21.
क्षेत्रवाद राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती है। समझाइये|
उत्तर:
संकीर्ण क्षेत्रवाद राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती बन जाता है। क्षेत्रवाद के फलस्वरूप विभिन्न क्षेत्र के लोग कभी प्रादेशिक भाषा, कभी राजनीतिक स्वशासन, कभी क्षेत्रीय स्वार्थ को लेकर पृथक् राज्य की माँग करने लगते हैं, जो राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती होती है।

प्रश्न 22.
नये राज्यों के निर्माण के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
नये राज्यों के निर्माण के पक्ष में तर्क।

  1. पिछड़े क्षेत्रों का विकास तीव्र गति से होने लगता है।
  2. लोगों की शासन में सहभागिता बढ़ती है।
  3. राजनीतिक चेतना का विकास होता है।
  4. केन्द्रीय शासन के प्रशासनिक दबाव से मुक्ति मिल जाती है।
  5. नये राज्यों का गठन राष्ट्रविरोधी गतिविधि नहीं है।

प्रश्न 23.
नये राज्यों के निर्माण के विपक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
नये राज्यों के निर्माण के विपक्ष में तर्क।

  1. नये राज्यों की माँग विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष तथा तनाब पैदा करती है।
  2. पिछड़े क्षेत्रों का विकास नये राज्यों के गठन मात्र से सम्भव नहीं है।
  3. नये राज्यों के गठन से अनावश्यक प्रशासनिक तन्त्र में वृद्धि होती है।
  4. नये राज्यों के गठन से क्षेत्रवाद की भावना को बल मिलता है।

प्रश्न 24.
द्रविड आन्दोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए द्रविड़ आन्दोलन।
उत्तर:
द्रविड आन्दोलन की बागडोर तमिल समाज सुधारक ई.वी. रामा स्वामी नायकर ‘पेरियार’ के हाथों में थी। इस आन्दोलन से एक राजनीतिक संगठन ‘द्रविड – कषगम’ का सूत्रपात हुआ। यह संगठन ब्राह्मणों के वर्चस्व तथा हिन्दी का विरोध करता था तथा उत्तरी भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभुत्व को नकारते हुए क्षेत्रीय गौरव की प्रतिष्ठा पर जोर देता था। प्रारम्भ में द्रविड आन्दोलन समग्र दक्षिण भारतीय सन्दर्भ में अपनी बात रखता था लेकिन अन्य दक्षिणी राज्यों से समर्थन न मिलने के कारण धीरे-धीरे तमिलनाडु तक ही सिमट कर रह गया। बाद में द्रविड कषगम दो धड़ों में बँट गया और आन्दोलन की समूची राजनीतिक विरासत द्रविड मुनेत्र कषगम के पाले में केन्द्रित हो गयी।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 25.
क्षेत्रवाद क्या है? यह भारत की राज्य व्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर:
क्षेत्रवाद: क्षेत्रवाद का अर्थ किसी ऐसे छोटे से क्षेत्र से है जो भाषायी धार्मिक, भौगोलिक, सामाजिक अथवा ऐसे ही अन्य कारक के आधार पर अपने पृथक् अस्तित्व के लिए प्रयत्नशील है। इस प्रकार क्षेत्रवाद से अभिप्राय है राज्य की तुलना में किसी क्षेत्र विशेष से लगाव| क्षेत्रवाद के प्रभाव: भारत की राज्य व्यवस्था को क्षेत्रवाद निम्न प्रकार से प्रभावित करता है।

  1. क्षेत्रवाद के आधार पर राज्य केन्द्र सरकार से सौदेबाजी करते हैं।
  2. क्षेत्रवाद ने कुछ हद तक भारतीय राजनीति में हिंसक गतिविधियों को उभारा है।
  3. चुनावों के समय क्षेत्रवाद के आधार पर राजनीतिक दल उम्मीदवारों का चुनाव करते हैं और क्षेत्रीय भावनाओं को भड़काकर वोट प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं।
  4. मन्त्रिमण्डल का निर्माण करते समय मन्त्रिमण्डल में प्रायः सभी मुख्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को लिया जाता है।

प्रश्न 26. भारत में क्षेत्रवाद के उदय के चार कारण बताइये।
उत्तर:
क्षेत्रवाद के कारण: क्षेत्रवाद के उदय के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।

  1. आर्थिक असन्तुलन:क्षेत्र विशेष के लोगों की यह धारणा है कि पिछड़ेपन के कारण उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है तथा उनके आर्थिक विकास की उपेक्षा की जा रही है, यह भावना भी क्षेत्रवाद को बढ़ावा देती है।
  2. भाषागत विभिन्नताएँ: भारत में भाषा के आधार पर अनेक राज्यों का निर्माण हुआ है।
  3. राज्यों के आकार में असमानता: राज्यों का विशाल आकार भी क्षेत्रवाद को बढ़ावा देता है।
  4. प्रशासनिक कारण: प्रशासनिक कारणों से भी विभिन्न राज्यों की प्रगति में अन्तर रहा है, पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा भी राज्यों का समान विकास नहीं हुआ। यह अन्तर भी क्षेत्रवाद को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 27.
संविधान की धारा 370 क्या है? इस प्रावधान का विरोध क्यों हो रहा है?
उत्तर:
संविधान की धारा 370: कश्मीर को संविधान में धारा 370 के तहत विशेष दर्जा दिया गया है। धारा 370 के अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक स्वायत्तता दी गई है। राज्य का अपना संविधान है। धारा 370 का विरोध: धारा 370 का विरोध लोगों का एक समूह इस आधार पर कर रहा है कि जम्मू-कश्मीर राज्य को धारा 370 के अन्तर्गत विशेष दर्जा देने से यह भारत के साथ नहीं जुड़ पाया है। अतः धारा 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर राज्य को भी अन्य राज्यों के समान होना चाहिए।

प्रश्न 28.
क्षेत्रीय असन्तुलन से आप क्या समझते हैं? भारतीय राजनीतिक व्यवस्था पर इसके प्रभावों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन: क्षेत्रीय असन्तुलन का अर्थ यह है कि भारत के विभिन्न राज्यों तथा क्षेत्रों का विकास एक जैसा नहीं है। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के विकास स्तर और लोगों के जीवन स्तर में पाये जाने वाले अन्तर को क्षेत्रीय असन्तुलन का नाम दिया जाता है। क्षेत्रीय असन्तुलन के प्रभाव: क्षेत्रीय असन्तुलन भारतीय लोकतन्त्र पर मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रभाव डाल रहा

  1. पिछड़े क्षेत्रों में असन्तुष्टता की भावना बड़ी तेजी से बढ़ रही है।
  2. क्षेत्रीय असन्तुलन से क्षेत्रवाद की भावना को बल मिला है।
  3. क्षेत्रीय असन्तुलन ने अनेक क्षेत्रीय दलों को जन्म दिया है।
  4. क्षेत्रीय असन्तुलन से पृथकतावाद तथा आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा मिला है।

प्रश्न 29.
भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के प्रमुख कारणों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण: भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के प्रमुख कारण अग्रलिखित हैं।

  1. भौगोलिक विषमताओं ने क्षेत्रीय असन्तुलन पैदा किया है। परिस्थितियों के कारण भारत में एक ओर राजस्थान जैसा मरुस्थल है। जो कम उपजाऊ है तो दूसरी ओर पंजाब जैसे उपजाऊ क्षेत्र हैं।
  2. भाषा की विभिन्नता ने क्षेत्रीय असन्तुलन को बढ़ावा दिया है।
  3. ब्रिटिश सरकार ने कुछ क्षेत्रों का विकास किया और कुछ का नहीं किया, जिससे क्षेत्रीय असन्तुलन पैदा हुआ।
  4. क्षेत्रीय असन्तुलन का एक महत्त्वपूर्ण कारण नेताओं की अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास पर अधिक बल देने की प्रवृत्ति भी है।

प्रश्न 30.
क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करने के सुझाव दीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करने के उपाय: क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करने हेतु निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं।

  1. पिछड़े हुए क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जाएँ। पिछड़े क्षेत्रों में विशेषकर बिजली, यातायात व संचार के साधनों का विकास किया जाए।
  2. पिछड़े लोगों व जन-जातियों के विकास के लिए विशेष कदम उठाए जाएँ।
  3. जो प्रशासनिक अधिकारी आदिवासी क्षेत्रों में नियुक्त किए जाएँ उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाए और उन्हीं को नियुक्त किया जाए जो इन क्षेत्रों के बारे में थोड़ा-बहुत ज्ञान भी रखते हों।
  4. केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में सभी क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए।

प्रश्न 31.
क्षेत्रीय असन्तुलन क्षेत्रवाद का जनक है। व्याख्या कीजिए।
अथवा
क्षेत्रीय असन्तुलन भारत में क्षेत्रवाद का प्रमुख कारण है। समझाइये
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन क्षेत्रवाद के जनक के रूप में – क्षेत्रीय असन्तुलन से अभिप्राय विभिन्न क्षेत्रों के बीच प्रति व्यक्ति आय, साक्षरता दरों, स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता, औद्योगीकरण का स्तर आदि के आधार पर अन्तर पाया जाना है। भारत में विभिन्न राज्यों के बीच बड़े पैमाने पर असन्तुलन पाया जाता है। क्षेत्रीय असन्तुलन ने भारत में निम्न रूप में क्षेत्रवाद को पैदा किया है।

  1. क्षेत्रीय विभिन्नताओं एवं असन्तुलन के कारण क्षेत्रीय भेदभाव को बढ़ावा मिला है।
  2. भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण क्षेत्रवादी भावनाओं को बल मिला है। इसके कारण कई क्षेत्रों ने पृथक् राज्य की मांग की है।
  3. क्षेत्रीय असन्तुलन ने क्षेत्रवादी हिंसा, आन्दोलनों व तोड़-फोड़ को बढ़ावा दिया है।
  4. अनेक क्षेत्रीय दल क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण ही बने हैं जो अब क्षेत्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।

प्रश्न 32.
भारत में दबाव की प्रक्रिया के रूप में क्षेत्रवाद की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में दबाव की प्रक्रिया के रूप में क्षेत्रवाद की भूमिका- भारत में दबाव की प्रक्रिया के रूप में क्षेत्रवाद को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।

  1. दबाव की प्रक्रिया के रूप में क्षेत्रवाद एक सीमा तक भारत के विकास में गति प्रदान करता है। क्षेत्रवादी नेतृत्व सत्ता में रहकर अपने राज्यों के विकास के लिए विशेष प्रयत्न करता है। तमिलनाडु, पंजाब व हरियाणा इसके प्रमाण हैं।
  2. दबाव की प्रक्रिया के रूप में क्षेत्रवाद अनेक बार पूर्ण या पृथक् राज्य की मांग के रूप में उभरता है। इसके कारण अनेक आन्दोलन हुए और अनेक पृथक् राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा आदि का जन्म हुआ।
  3. दबाव की प्रक्रिया की भूमिका में क्षेत्रवाद का एक अन्य रूप अन्तर्राज्यीय नदी विवादों के रूप में सामने आया है। कावेरी, रावी, व्यास नदियों का पानी आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 33.
” क्षेत्रवाद का अभिप्राय पृथकतावाद नहीं है ।” व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
क्षेत्रवाद क्षेत्रीय असन्तुलन का परिणाम है। क्षेत्रीय हितों के संरक्षण हेतु यह लोकतंत्र की प्राणवायु है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में काफी समय से अनेक क्षेत्रवादी आंदोलन चल रहे हैं। ये आंदोलन अपने क्षेत्र को भारतीय संघ में एक अलग राज्य की माँग करते हैं। झारखण्ड, छत्तीसगढ़ के क्षेत्रवादी आंदोलन इसी तरह के थे। क्षेत्रवादी आंदोलन अपने क्षेत्र में आर्थिक विकास की गति को तेज करना चाहते हैं तथा अपनी सांस्कृतिक भाषायी पहचान भी बनाए रखना चाहते हैं। इस प्रकार क्षेत्रवाद का अभिप्राय पृथकतावाद नहीं है।

प्रश्न 34.
लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भारत ने विविधता के सवाल पर लोकतांत्रिक दृष्टिकोण को अपनाया। लोकतंत्र में क्षेत्रीय आकांक्षाओं की राजनीतिक अभिव्यक्ति की अनुमति है और लोकतंत्र क्षेत्रीयता को राष्ट्र-विरोधी नहीं मानता। लोकतांत्रिक राजनीति में इस बात के पूरे अवसर होते हैं कि विभिन्न दल और समूह क्षेत्रीय पहचान, आकांक्षा अथवा किसी खास क्षेत्रीय समस्या को आधार बनाकर लोगों की भावनाओं की नुमाइंदगी करें। इस तरह लोकतांत्रिक राजनीति की प्रक्रिया में क्षेत्रीय आकांक्षाएँ और बलवती होती हैं। लोकतांत्रिक राजनीति का एक अर्थ यह भी है कि क्षेत्रीय मुद्दों और समस्याओं पर नीति-निर्माण की प्रक्रिया में समुचित ध्यान दिया जाएगा और उन्हें इसमें भागीदारी दी जाएगी।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 35.
जम्मू और कश्मीर के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों के बारे में बताइए।
उत्तर:
जम्मू और कश्मीर तीन सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों: जम्मू, कश्मीर और लद्दाख से बना हुआ है।

  1. जम्मू: इस क्षेत्र में छोटी पहाड़ियाँ और मैदानी भाग हैं। इसमें मुख्य रूप से हिन्दू रहते हैं। मुसलमान, सिख और अन्य मतों के लोग भी रहते हैं।
  2. कश्मीर: यह क्षेत्र मुख्य रूप से कश्मीर घाटी है। यहाँ रहने वाले अधिकतर कश्मीरी मुसलमान हैं और शेष हिन्दू, सिख, बौद्ध तथा अन्य हैं।
  3. लद्दाख: यह पहाड़ी क्षेत्र है। इसकी जनसंख्या बहुत कम है, जिसमें बराबर संख्या में बौद्ध और मुसलमान रहते हैं।

प्रश्न 36.
कश्मीरियत से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जम्मू और कश्मीर एक राजसी रियासत थी। यहाँ हिन्दू राजा हरिसिंह का शासन था। हरिसिंह भारत या पाकिस्तान में न शामिल होकर अपना स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहते थे। पाकिस्तानी नेताओं के अनुसार कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा है क्योंकि वहाँ अधिकांश आबादी मुसलमान थी। परंतु उस रियासत के लोगों ने इसे इस तरह नहीं देखा उन्होंने सोचा कि सबसे पहले वे कश्मीरी हैं। क्षेत्रीय अभिलाषा का यह मुद्दा कश्मीरियत कहलाता है।

प्रश्न 37.
पंजाब समझौते के मुख्य प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पंजाब समझौता: पंजाब समझौते के महत्त्वपूर्ण प्रावधान निम्न हैं।

  1. मारे गये निरपराध व्यक्तियों के लिए मुआवजा: एक सितम्बर, 1982 के बाद हुई किसी कार्यवाही में आन्दोलन में मारे गये लोगों को अनुग्रह राशि के भुगतान के साथ सम्पत्ति की क्षति के लिए मुआवजा दिया जायेगा।
  2. सेना में भर्ती: देश के सभी नागरिकों को सेना में भर्ती का अधिकार होगा और चयन के लिए केवल योग्यता ही आधार होगा।
  3. नवम्बर दंगों की जाँच: दिल्ली में नवम्बर में हुए दंगों की जांच कर रहे रंगनाथ मिश्र आयोग का कार्यक्षेत्र बढ़ाकर उसमें बोकारो और कानपुर में हुए उपद्रवों की जाँच को शामिल किया जायेगा।
  4. सेना से निकाले हुए व्यक्तियों का पुनर्वास – सेना से निकाले हुए व्यक्तियों को पुनर्वास और उन्हें लाभकारी रोजगार दिलाने के प्रयास किये जायेंगे।

प्रश्न 38.
असम समझौता क्या था और इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
असम समझौता: 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और आसू के बीच एक समझौता हुआ जिसमें यह तय किया गया कि जो लोग बांग्लादेश युद्ध के दौरान या उसके बाद के वर्षों में असम आए हैं, उनकी पहचान की जाएगी और . उन्हें वापस भेजा जायेगा। समझौते के परिणाम: समझौते के निम्न प्रमुख परिणाम निकले

  1. समझौते के बाद ‘आसू’ और असम-गण-संग्राम परिषद् ने साथ मिलकर ‘असम-गण- क्षेत्रीय राजनीतिक दल बनाया।
  2. असम गण परिषद् 1985 में इस वायदे के साथ सत्ता में आया कि विदेशी लोगों की समस्या का समाधान कर लिया जायेगा।
  3. असम समझौते से प्रदेश में शान्ति कायम हुई तथा प्रदेश की राजनीति का चेहरा बदल गया।

प्रश्न 39.
शेख अब्दुल्ला के जीवन के कुछ प्रमुख पहलुओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
शेख अब्दुल्ला:
शेख अब्दुल्ला का जन्म 1905 में हुआ। वे भारतीय स्वतन्त्रता से पूर्व ही जम्मू एवं कश्मीर के नेता के रूप में उभरे। वे जम्मू-कश्मीर को स्वायत्तता दिलाने के साथ-साथ वहाँ धर्मनिरपेक्षता की स्थापना के समर्थक थे। उन्होंने राजशाही के विरुद्ध राज्य में जन-आन्दोलन का नेतृत्व किया। वे धर्मनिरपेक्षता के आधार पर जीवन भर पाकिस्तान का विरोध करते रहे। वे नेशनल कान्फ्रेंस के संगठनकर्ता और प्रमुख नेता थे।

वे भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय के उपरान्त जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री (1947 में) बने। उनके मन्त्रिमण्डल को भारत सरकार की कांग्रेस सरकार ने 1953 में बर्खास्त कर दिया था तभी से 1968 तक उन्हें कारावास में ही रखा। 1974 में इन्दिरा गाँधी की कांग्रेस सरकार से समझौता हुआ। वे राज्य के मुख्यमन्त्री पद पर आरूढ़ हुए। 1982 में उनका देहान्त हो गया।

प्रश्न 40.
लालडेंगा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
लालडेंगा-लालडेंगा का जन्म 1937 में हुआ। वे मिजो नेशनल फ्रंट के संस्थापक और सबसे ख्याति प्राप्त नेता थे। 1959 में मिजोरम में पड़े भयंकर अकाल और उस समय की असम सरकार द्वारा उस समय के अकाल की समस्या के समाधान में विफल होने के कारण वे देश-विद्रोही बन गए। वे अनेक वर्षों तक भारत के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष करते रहे। यह संघर्ष लगभग बीस वर्षों तक चला। वे पाकिस्तान में एक राज्य शरणार्थी के रूप में रहते हुए भी भारत विरोधी गतिविधियाँ चलाते रहे।

अंत में वे प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के बुलाने पर स्वदेश लौटे और 1986 में राजीव गाँधी के साथ उन्होंने सुलह की और दोनों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये और मिजोरम को नया राज्य बनाया गया। लालडेंगा नवनिर्मित मिजोरम के मुख्यमन्त्री बने। 1990 में उनका निधन हो गया।

प्रश्न 41.
राजीव गाँधी का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
राजीव गाँधी फिरोज गाँधी और इन्दिरा गाँधी के पुत्र थे। उनका जन्म 1944 में हुआ। 1980 के बाद वे देश की सक्रिय राजनीति में शामिल हुए। अपनी माँ इन्दिरा गाँधी की हत्या के बाद वे राष्ट्रव्यापी सहानुभूति के वातावरण में भारी बहुमत से 1984 में देश के प्रधानमंत्री बने और 1989 के बीच वह प्रधानमंत्री पद पर रहे। उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के विरुद्ध उदारपंथी नीतियों के समर्थक लोंगोवाल से समझौता किया।

उन्हें मिजो विद्रोहियों और असम के छात्र संघों में समझौता करने में सफलता मिली। राजीव देश में उदारवाद या खुली अर्थव्यवस्था एवं कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के प्रणेता थे। श्रीलंका नक्सलीय समस्या को सुलझाने के लिए उन्होंने भारतीय शांति सेना को श्रीलंका भेजा। संभवत: ऐसा माना जाता है कि श्रीलंका के विद्रोही तमिल संगठन (एल.टी.टी.ई.) ने आत्मघाती हमले द्वारा 1991 में उनकी हत्या कर दी।

प्रश्न 42.
गोवा को संघ शासित प्रदेश तथा पूर्ण राज्य का दर्जा किस प्रकार प्राप्त हुआ? संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा: 1961 में पुर्तगालियों से गोवा को मुक्त कराने के बाद महाराष्ट्रवादी पार्टी ने गोवा को महाराष्ट्र में मिलाने की माँग रखी जबकि यूनाइटेड गोअन पार्टी ने गोवा को स्वतन्त्र या पृथक् राज्य बनाने की माँग की। फलतः 1967 की जनवरी में केन्द्र सरकार ने गोवा में एक विशेष जनमत सर्वेक्षण कराया। इसमें गोवा के लोगों से पूछा गया कि आप लोग महाराष्ट्र में शामिल होना चाहते हैं अथवा अलग बने रहना चाहते हैं। भारत में यही एकमात्र अवसर था जब किसी मसले पर सरकार ने जनमत की इच्छा को जानने के लिए जनमत संग्रह जैसी प्रक्रिया अपनायी थी। अधिकतर लोगों ने महाराष्ट्र से अलग रहने के पक्ष में मत डाला। इस तरह गोवा संघ शासित प्रदेश बना रहा। अन्ततः 1987 में गोवा भारत संघ का एक राज्य बना।

प्रश्न 43.
1980 के दशक में उत्पन्न पंजाब और असम संकट के बीच एक समानता और एक अन्तर बताइये।
उत्तर:
पंजाब व असम संकट के बीच समानता: 1980 के दशक में पंजाब और असम दोनों में भाषा के आधार पर नवीन राज्य गठन की माँग उठाई गई। इसके तहत पंजाबी और हिन्दी भाषा के आधार पर पंजाब का तीन राज्यों- पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में विभाजन हुआ। इसी प्रकार असम भी क्षेत्रीय भाषाओं के आधार पर क्रमशः नगालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश व मिजोरम और असम सात राज्यों में विभाजित हुआ। पंजाब व असम के विभाजन के बीच अन्तर: पंजाब, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश की मांग पूर्णत: भाषा पर आधारित थी जबकि असम से पृथक् हुए राज्यों का आधार भाषा के साथ-साथ संस्कृति और क्षेत्रीय परिवेश भी थे।

प्रश्न 44.
भारत में पूर्वोत्तर की क्षेत्रीय आकांक्षा स्वायत्तता की माँग रही है ।” इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में पूर्वोत्तर में स्वायत्तता की माँग भारत में पूर्वोत्तर की क्षेत्रीय आकांक्षा स्वायत्तता की माँग रही है। स्वतंत्रता के समय मणिपुर और त्रिपुरा को छोड़कर पूर्वोत्तर का सारा हिस्सा असम कहलाता था। इस क्षेत्र के गैर असमी लोगों को जब लगा कि असम सरकार उन पर असमी भाषा थोप रही है तो इस क्षेत्र से राजनीतिक स्वायत्तता की माँग उठी। 1970 के दशक में पूरे राज्य में असमी भाषा लादने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और दंगे हुए।

इन्होंने ‘आल पार्टी हिल्स कांफ्रेंस’ का गठन किया और माँग की कि असम से अलग जनजातीय राज्य बनाये जाएं। अन्ततः केन्द्र सरकार ने असम को बाँट कर मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश बनाया तथा त्रिपुरा और मणिपुर को भी राज्य का दर्जा दिया करबी और दिमसा समुदायों को जिला परिषद् के अन्तर्गत स्वायत्तता दी गई तथा बोड़ो जनजाति को स्वायत्त परिषद् का दर्जा दिया गया।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 45.
मास्टर तारा सिंह का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
मास्टर तारा सिंह: मास्टर तारा सिंह 1885 में जन्मे। वे युवा अवस्था में ही प्रमुख सिख धार्मिक एवं राजनैतिक नेता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त कर सके। वे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्ध कमेटी (एस.पी.डी.) के शुरुआती नेताओं में से एक थे। उन्हें इतिहास में अकाली आन्दोलन के सबसे महान नेता के रूप में याद किया जाता है। वे देश की स्वतन्त्रता आन्दोलन के समर्थक, ब्रिटिश सत्ता के विरोधी थे लेकिन उन्होंने केवल मुसलमानों के साथ समझौते की कांग्रेस
नीति का डटकर विरोध किया। वे देश की आजादी के बाद अलग पंजाबी राज्य के निर्माण के समर्थक रहे। 1967 में उनका निधन हो गया।

प्रश्न 46.
कश्मीर का भारत में विलय किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
अक्टूबर 1947 में, पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए अपनी तरफ से कबायली घुसपैठिए भेजे। इसने महाराजा को भारतीय सैनिक सहायता लेने के लिए बाध्य किया। भारत ने सैनिक सहायता दी और कश्मीर घाटी से. घुसपैठियों को वापस खदेड़ दिया, परंतु भारत ने सहायता देने से पहले महाराजा से विलय प्रपत्र पर हस्ताक्षर करवा लिये। इस प्रकार कश्मीर का भारत में विलय हुआ।

प्रश्न 47.
भारत सरकार ने सन् 2000 में कौनसे तीन नये राज्यों का गठन किया? इनके गठन का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए। नये राज्यों के निर्माण के दो उद्देश्य बताइये|
अथवा
उत्तर:
नये राज्यों के निर्माण के उद्देश्य: भारत सरकार ने सन् 2000 में उत्तरांचल (उत्तराखण्ड), झारखण्ड और छत्तीसगढ़ नामक तीन नये राज्यों का गठन किया। इन राज्यों के गठन के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं।
1. ऐतिहासिक कारण: स्वतन्त्र भारत में विभिन्न देशी रियासतों और प्रान्तों को मिलाकर राज्यों का पुनर्गठन किया गया था। लेकिन कुछ रियासतों को यह महसूस होता था कि यदि उनका पृथक् अस्तित्व रहता तो वे न केवल अपनी मौलिक संस्कृति तथा क्षेत्रीय विशिष्टता को बनाये रखते बल्कि सीमित क्षेत्र होने के कारण उनका विकास भी बेहतर और तीव्र गति से सम्भव हो पाता।

2. राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाएँ: स्थानीय नेताओं और राजनीतिक दलों ने अपनी राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए जनता को उज्ज्वल भविष्य के नाम पर पृथक् राज्य निर्माण के लिए भड़काया।

प्रश्न 48.
भारत में सिक्किम का विलय किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
भारत में सिक्किम का विलय: स्वतंत्रता के समय सिक्किम भारत का अंग तो नहीं था लेकिन उसकी रक्षा और विदेशी मामलों का जिम्मा भारत सरकार का था और वहाँ के आंतरिक प्रशासन की बागडोर यहाँ के राजा चोग्याल के हाथों में थीं। लेकिन सिक्किम के राजा स्थानीय जनता की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को संभाल नहीं सके। वहाँ की नेपाली मूल की जनता में यह भाव घर कर गया कि चोग्याल अल्पसंख्यक लेवचा भूटिया के छोटे से अभिजन तबके का शासन उन पर लाद रहा है। 1975 में अप्रैल में भारत के साथ सिक्किम के पूर्ण विलय का एक प्रस्ताव सिक्किम विधानसभा ने पारित किया। इस प्रस्ताव के बाद सिक्किम में जनमत संग्रह कराया गया जिसमें जनता ने प्रस्ताव के पक्ष में मुहर लगा दी। भारत सरकार ने सिक्किम विधानसभा के अनुरोध को तुरन्त मान लिया तथा सिक्किम भारत का 22वाँ राज्य बन गया।

प्रश्न 49.
भारत में मणिपुर के विलय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में मणिपुर का विलय: वर्तमान में पूर्वोत्तर क्षेत्र में सात राज्य हैं। असम, मेघालय, मिजोरम, नगालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मणिपुर। इन सात राज्यों को ‘सात बहनें’ कहा जाता है। 1947 के भारत विभाजन से पूर्वोत्तर के इलाके भारत के शेष भागों से एकदम अलग-थलग पड़ गये। अलग-थलग पड़ जाने के कारण इस इलाके में विकास नहीं हो सका। स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय मणिपुर भी ब्रिटिश शासन के अधीन था। 15 अक्टूबर, 1949 को भारतीय संघ में भाग ‘ग’ के राज्य के रूप में शामिल हुआ। इसके बाद 1963 में केन्द्र शासित प्रदेश अधिनियम के अन्तर्गत विधानसभा गठित की गयी। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।

प्रश्न 50.
संत हरचंद सिंह लोंगोवाल का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
हरचंद सिंह का जन्म 1932 में हुआ था। ये सिखों के धार्मिक एवं राजनीतिक नेता थे। इन्होंने छठे दशक के दौरान राजनीतिक जीवन की शुरुआत अकाली नेता के रूप में की। 1980 में अकाली दल के अध्यक्ष बने। इन्होंने अकालियों की प्रमुख माँगों को लेकर प्रधानमंत्री राजीव गाँधी से समझौता किया। 1985 में एक अज्ञात युवक ने इनकी हत्या कर दी।

प्रश्न 51.
अंगमी जापू फिजो कौन थे? संक्षेप में परिचय दीजिए।
उत्तर:
अंगमी जापू फिजो का जन्म 1904 में हुआ था। वे पूर्वोत्तर भारत में नागालैंड की आजादी के आंदोलन के नेता के रूप में प्रसिद्ध हुए। वे नागा नेशनल काउंसिल के अध्यक्ष बने। उन्होंने नागालैंड को भारत से अलग देश बनाने के लिए भारत सरकार के विरुद्ध अनेक वर्षों तक सशस्त्र संघर्ष चलाया। वे भूमिगत हो गए और पाकिस्तान में शरण ली अपने जीवन के अंतिम तीन वर्ष ब्रिटेन में गुजारें। 1990 में इनका निधन हो गया।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 52.
1990 के दशक के मध्यवर्ती वर्षों में पंजाब में किस प्रकार शांति आई? इसके अच्छे परिणाम क्या थे?
उत्तर:
यद्यपि 1992 में पंजाब राज्य में आम चुनाव हुए लेकिन गुस्से में आई जनता ने मतदान में सहयोग नहीं दिया। महज 24 फीसदी मतदाता वोट डालने आए। हालाँकि उग्रवाद को सुरक्षा बलों ने दबा दिया था परंतु पंजाब के लोगों ने, चाहे वे सिख हों या हिन्दू, इस क्रम में अनेक कष्ट और यातनाएँ सहीं। 1990 के दशक के मध्यवर्ती वर्षों में पंजाब में शांति बहाल हुई। इसके पश्चात् 1997 में अकाली दल और भाजपा के गठबंधन को बड़ी विजय मिली। उग्रवाद के खात्मे के बाद के दौर में यह पंजाब का पहला चुनाव था। राज्य में एक बार फिर आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन के सवाल प्रमुख हो उठे। हालांकि धार्मिक पहचान यहाँ की जनता के लिए लगातार प्रमुख बनी हुई है लेकिन राजनीति अब धर्मनिरपेक्षता की राह पर चल पड़ी है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सिक्किम का भारत में विलय किस प्रकार हुआ? विस्तार में लिखिए।
उत्तर:
आजादी के समय सिक्किम को भारत की ‘शरणागति’ प्राप्त थी। इसका मतलब यह था कि सिक्किम भारत का अंग नहीं था लेकिन वह पूरी तरह संप्रभु राष्ट्र भी नहीं था। सिक्किम की रक्षा और विदेशी मामलों का जिम्मा भारत सरकार का था जबकि सिक्किम के आंतरिक प्रशासन की बागडोर यहाँ के राजा चोग्याल के हाथों में थी। यह व्यवस्था टिक नहीं पायी क्योंकि सिक्किम के राजा स्थानीय जनता की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को संभाल नहीं सके। यहाँ की आबादी में एक बड़ा हिस्सा नेपालियों का था। नेपाल मूल की जनता के मन में यह भाव घर कर गया कि चोग्याल अल्पसंख्यक लेपचा-भूटिया के एक छोटे से अभिजन तबके का शासन उन पर लाद रहा है। चोग्याल विरोधी दोनों समुदायों के नेताओं ने भारत सरकार से मदद माँगी और भारत सरकार का समर्थन हासिल किया।

सिक्किम विधानसभा के लिए पहला लोकतांत्रिक चुनाव 1974 में हुआ और इसमें सिक्किम काँग्रेस को जीत मिली। यह पार्टी भारत में सिक्किम विलय की पक्षधर थी। सिक्किम विधानसभा ने पहले भारत के सह-प्रान्त बनने की कोशिश की और 1975 के अप्रैल में एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव में भारत के साथ सिक्किम विलय की बात कही गई थी। इसके बाद तुरंत सिक्किम में जनमत-संग्रह कराया गया और जनमत संग्रह में जनता ने विधानसभा के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी। भारत सरकार ने सिक्किम विधानसभा की बात तुरंत मान ली और इस प्रकार सिक्किम, भारत का 22वाँ राज्य बना।

प्रश्न 2.
भारत में नए राज्यों के निर्माण सम्बन्धी दृष्टिकोण का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में नए राज्यों के निर्माण सम्बन्धी दृष्टिकोण भारत में नए राज्यों के निर्माण की माँग के प्रमुख कारण व दृष्टिकोण निम्नलिखित हैं।
1. आर्थिक असन्तुलन एवं विषमताएँ: स्वतन्त्रता के पश्चात् देश की विकास योजनाओं तथा कार्यक्रमों का लाभ सभी राज्यों को समान रूप से नहीं मिल पाया। परिणामस्वरूप क्षेत्र आर्थिक रूप से पिछड़ गये। उन्होंने नए राज्यों की माँग प्रारम्भ कर दी। विदर्भ, तेलंगाना, उत्तराखण्ड आदि राज्य इसी के अन्तर्गत आते हैं।

2. भाषायी और सांस्कृतिक कारण: भारत भाषायी तथा सांस्कृतिक विविधता वाला देश है। अतः स्वतन्त्रता के बाद इसी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की माँग उठने लगी और इसी आधार पर आंध्रप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा. आदि राज्यों का गठन हुआ।

3. ऐतिहासिक कारण: स्वतन्त्र भारत में किसी राज्य में विलीन हुई कुछ रियासतों को यह महसूस होता था कि उनका अलग अस्तित्व रहता तो वे अपनी मौलिक संस्कृति और क्षेत्रीय विशिष्टता को बनाये रखतीं।

4. राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाएँ: कुछ स्थानीय नेताओं तथा राजनीतिक दलों ने अपनी महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए स्थानीय जनता को पृथक् राज्य निर्माण के लिए भड़काया। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, नगा राष्ट्रीय मोर्चा, गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट इसी श्रेणी में आते हैं।

5. विशिष्ट क्षेत्रीय मुद्दे: उत्तराखण्ड राज्य की माँग पहाड़ी क्षेत्र के विकास के सन्दर्भ में तथा झारखण्ड और छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण की माँग आदिवासी बहुल क्षेत्र के विकास के सन्दर्भ में उठी।

प्रश्न 3.
पुर्तगाल से गोवा मुक्ति का संक्षेप में विवरण दीजिए।
अथवा
गोवा का भारत में विलय किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
1974 में भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का खात्मा हो गया था लेकिन पुर्तगाल ने गोवा, दमन और दीव से अपना शासन हटाने से इनकार कर दिया। यह क्षेत्र सोलहवीं सदी से ही औपनिवेशिक शासन में था। अपने लंबे शासनकाल में पुर्तगाल ने गोवा की जनता का दमन किया था। उसने यहाँ के लोगों को नागरिक के अधिकार से वंचित रखा और जबरदस्ती धर्म-परिवर्तन कराया। आजादी के बाद भारत सरकार ने बड़े धैर्यपूर्वक पुर्तगाल को गोवा से शासन हटाने के लिए रजामंद करने का प्रयत्न किया। गोवा में आजादी के लिए मजबूत जन आंदोलन चला। इस आंदोलन को महाराष्ट्र के समाजवादी सत्याग्रहियों का साथ मिला।

दिसंबर, 1961 में भारत सरकार ने गोवा में अपनी सेना भेज दी। दो दिन की कार्यवाही में भारतीय सेना ने गोवा मुक्त करा लिया। जल्दी ही एक और समस्या उठ खड़ी हुई। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के नेतृत्व में एक तबके ने माँग रखी कि गोवा को महाराष्ट्र में मिला दिया जाए क्योंकि यह मराठी भाषी क्षेत्र है। परंतु बहुत से गोवावासी गोवानी पहचान और संस्कृति की स्वतंत्र अहमियत बनाए रखना चाहते थे। कोंकणी भाषा के लिए भी इनके मन में आग्रह था। इस तबके का नेतृत्व यूनाइटेड गोअन पार्टी ने किया। 1967 के जनवरी में केन्द्र सरकार ने गोवा में एक विशेष जनमत सर्वेक्षण कराया। अधिकतर लोगों ने महाराष्ट्र से अलग रहने के पक्ष में मत डाला। इस तरह गोवा संघ शासित प्रदेश बना रहा। अंततः 1987 में गोवा भारत संघ का एक राज्य बना।

प्रश्न 4.
संक्षेप में स्वतंत्र भारत के समक्ष 1947 से 1991 के मध्य तनाव के दायरे के नामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
तनाव के दायरे निम्नलिखित हैं।

  1. आजादी के तुरंत बाद ही हमारे देश को विभाजन, विस्थापन, देसी रियासतों के विलय और राज्यों के पुनर्गठन जैसे कठिन मसलों का सामना करना पड़ा। देश और विदेश के अनेक पर्यवेक्षकों का अनुमान था कि भारत एकीकृत राष्ट्र के रूप में ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएगा।
  2. आजादी के तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर का मसला सामने आया। यह मद्दा सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष का नहीं था। कश्मीर घाटी के लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं का सवाल भी इससे जुड़ा हुआ था।
  3. पूर्वोत्तर के कुछ भागों में भारत का अंग होने के मसले पर सहमति नहीं थी। पहले नागालैंड में और फिर मिजोरम में भारत से अलग होने की माँग उठी । दक्षिण भारत में भी द्रविड़ आंदोलन से जुड़े कुछ समूहों ने अलग राष्ट्र की बात उठायी थी।
  4. अलगाव के इन आंदोलनों के अतिरिक्त देश में भाषा के आधार पर राज्यों के गठन की मांग करते हुए जन आंदोलन चले। मौजूदा आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात ऐसे ही आंदोलनों वाले राज्य हैं। दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों खासकर तमिलनाडु में हिन्दी को राजभाषा बनाने के खिलाफ विरोध आंदोलन चला।
  5. 1950 के दशक के उत्तरार्द्ध से पंजाबी भाषी लोगों ने अलग राज्य बनाने की आवाज उठानी शुरू कर दी। उनकी माँग आखिरकार मान ली गई और 1966 में पंजाब और हरियाणा नाम से राज्य बनाए गए। बाद में छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड का गठन हुआ। विविधता की चुनौती से निपटने के लिए देश की अंदरूनी सीमा रेखाओं का पुनर्निर्धारण किया गया।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 5.
भारत के उत्तर पूर्वी भाग में बढ़ती राजनीतिक हिंसा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में बढ़ती राजनीतिक हिंसा: भारत के उत्तर-1 – पूर्वी भाग में बढ़ती राजनीतिक हिंसा के मूल में निम्नलिखित तीन मुद्दे प्रमुख रहे हैं। यथा
1. स्वायत्तता की माँग:
स्वतंत्रता के समय मणिपुर और त्रिपुरा को छोड़कर पूर्वोत्तर का सारा हिस्सा असम कहलाता था। इस क्षेत्र के गैर- असमी लोगों को जब लगा कि असम की सरकार उन पर असमी भाषा थोप रही है तो इस इलाके से राजनीतिक स्वायत्तता की माँग उठी। 1970 के दशक में पूरे राज्य में असमी भाषा लादने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और दंगे हुए। इन्होंने ‘आल पार्टी हिल्स कांफ्रेंस’ का गठन किया और माँग की कि असम से अलग एक जनजातीय राज्य बनाया जाये। संजीव पास बुक्स अन्ततः केन्द्र सरकार ने असम को बाँटकर मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश बनाया तथा त्रिपुरा और मणिपुर को भी राज्य का दर्जा दिया गया।

2. अलगाववादी आंदोलन:
पूर्वोत्तर के कुछ समूहों ने सिद्धान्तगत तैयारी के साथ अलग देश बनाने की माँग भी की। 1966 में लालडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने आजादी की माँग करते हुए सशस्त्र अभियान शुरू किया और भारतीय सेना और मिजो विद्रोहियों के बीच दो दशक तक लड़ाई चली। अन्ततः 1986 में राजीव गाँधी और लालडेंगा के बीच शांति समझौता हुआ।

3. बाहरी लोगों के खिलाफ आंदोलन:
बांग्लादेश से बहुत सी मुस्लिम आबादी असम में आकर बसी। इससे असमी लोगों के मन में यह भावना घर कर गई कि इन विदेशी लोगों को पहचान कर उन्हें अपने देश नहीं भेजा गया तो स्थानीय जनता अल्पसंख्यक हो जायेगी।
1979 में ‘आसू’ नामक छात्र संगठन ने विदेशियों के विरोध में एक आंदोलन चलाया जिसे पूरे असम का समर्थन मिला। आंदोलन के दौरान हिंसक और त्रासद घटनाएँ भी हुईं। अन्ततः 1985 में सरकार के साथ एक समझौता हुआ और हिंसक आन्दोलन समाप्त हुआ।

प्रश्न 6.
जम्मू-कश्मीर की 1948 से 1986 के मध्य राजनीति से जुड़ी प्रमुख घटनाओं का विवरण लिखिए।
उत्तर:

  1. जम्मू-कश्मीर में 1948 के उपरांत तथा 1952 तक की राजनीति: प्रधानमंत्री बनने के बाद, शेख अब्दुल्ला ने भूमि सुधार और अन्य नीतियाँ शुरू कीं जिनसे सामान्य जन को लाभ पहुँचा। हालाँकि कश्मीर के दर्जे पर उनकी स्थिति के विषय में उनके और केन्द्र सरकार के बीच मतभेद बढ़ता गया।
  2. शेख अब्दुल्ला की बर्खास्तगी एवं चुनाव: 1953 में शेख अब्दुल्ला को बर्खास्त कर दिया गया और कई वर्षों तक कैद रखा गया। शेख अब्दुल्ला के बाद जो नेता सत्तासीन हुए उनको उतना लोकप्रिय समर्थन नहीं मिला और वह राज्य में शासन नहीं चला पाए जिसका मुख्य कारण केन्द्र का समर्थन था। विभिन्न चुनावों में अनाचार और हेरफेर संबंधी गंभीर आरोप थे।
  3. जम्मू-कश्मीर में 1953 से 1977 तक की राजनीतिक घटनाएँ
    • 1953 से 1974 के बीच की अवधध में कांग्रेस पार्टी मे राज्य की नीतियों पर प्रभाव डाला। विभाजित हो चुकी नेशनल कांफ्रेंस काँग्रेस के समर्थन से राज्य में कुछ समय तक सत्तासीन रही लेकिन बाद में वह काँग्रेस में मिल गई। इस तरह राज्य की सत्ता सीधे काँग्रेस के नियंत्रण में आ गई। इसी बीच शेख अब्दुल्ला और भारत सरकार के बीच समझौते की कोशिश जारी रही।
    • 1965 में जम्मू और कश्मीर के संविधान में परिवर्तन करके राज्य के प्रधानमंत्री का पदनाम बदलकर मुख्यमंत्री कर दिया गया। इसके अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के गुलाम मोहम्मद सादिक राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने।
    • 1974 में इंदिरा गाँधी का शेख अब्दुल्ला के साथ समझौता हुआ और वे राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस को फिर से खड़ा किया और 1977 के विधानसभा चुनाव में बहुमत से जीत हासिल की।
  4. जम्मू-कश्मीर फारूख अब्दुल्ला के प्रथम कार्यकाल में (1982-1986): सन् 1982 में शेख अब्दुल्ला की मृत्यु के पश्चात् नेशनल कांफ्रेंस के नेतृत्व की कमान उनके पुत्र फारूख अब्दुल्ला ने संभाली और मुख्यमंत्री बने। परंतु कुछ ही समय बाद उन्हें पदच्युत कर दिया गया और नेशनल कांफ्रेंस से अलग हुआ एक गुट अल्प अवधि के लिए सत्ता में आया । केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप से फारूख अब्दुल्ला की सरकार को हटाने पर कश्मीर में नाराजगी की भावना पैदा हुई। 1986 में नेशनल कांफ्रेंस ने केन्द्र में सत्तासीन पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन किया।

प्रश्न 7.
भारत के कुछ भागों में व्याप्त अलगाववादी आंदोलन से हम क्या सबक सीख सकते हैं?
उत्तर:
1980 के बाद के दौर में भारत के कुछ भागों में व्याप्त अलगाववादी आन्दोलन से हम अग्रलिखित सबक सीख सकते हैं।

  1. क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतांत्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं। क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतांत्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं। अतः भारत को क्षेत्रीय आकांक्षाओं से निपटने की तैयारी लगातार रखनी होगी।
  2. क्षेत्रीय आकांक्षाओं के लिए लोकतांत्रिक बातचीत का रास्ता ही उचित है – क्षेत्रीय आकांक्षाओं को दबाने की जगह उनके साथ लोकतांत्रिक बातचीत का तरीका अपनाना सबसे अच्छा होता है। उदाहरण के लिए पंजाब के उग्रवाद, पूर्वोत्तर के अलगाववादी आन्दोलन तथा कश्मीर समस्या पर बातचीत के जरिये सरकार ने क्षेत्रीय आंदोलनों के साथ समझौता किया। इससे सौहार्द का माहौल बना और कई क्षेत्रों में तनाव कम हुआ।
  3. साझेदारी के महत्त्व को समझना: केवल लोकतांत्रिक ढाँचा खड़ा कर लेना ही पर्याप्त नहीं है। इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के दलों और समूहों को केन्द्रीय राजव्यवस्था में हिस्सेदारी बनाना भी जरूरी है। यदि राष्ट्रीय स्तर के निर्णयों में क्षेत्रों को वजन नहीं दिया गया तो उनमें अन्याय और अलगाव का बोध पनपेगा।
  4. आर्थिक विकास की प्रक्रिया में पिछड़ेपन को प्राथमिकता दें: भारत में आर्थिक विकास की प्रक्रिया का एक तथ्य क्षेत्रीय असंतुलन भी है। ऐसे में पिछड़े इलाकों को लगता है कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है। ऐसी स्थिति में यह प्रयास किया जाना चाहिए कि पिछड़े इलाकों को लगे कि उनके पिछड़ेपन को प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जा रहा है।

प्रश्न 8.
उत्तर-पूर्वी राज्यों की चुनौतियों एवं उसकी अनुक्रियाओं पर एक नोट लिखिए।
उत्तर:
उत्तर-पूर्वी राज्यों की चुनौतियाँ भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सात राज्यों (असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नगालैण्ड, मिजोरम एवं त्रिपुरा) से मिलकर बनता है। इन सात राज्यों को सात बहनें भी कहकर पुकारा जाता है। इन राज्यों की चुनौतियों तथा उनकी अनुक्रियाओं को निम्न प्रकार वर्णित किया गया है।

  1. नगालैण्ड: नगालैण्ड की जनसंख्या लगभग 20 लाख है। नगालैण्ड में अनेक जातियाँ एवं कबीले पाये जाते हैं। इसमें यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, नंगा नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी तथा नगा नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल जैसे राजनीतिक दल पाये जाते हैं। ये दल अलगाववादियों से सम्बन्धित हैं।
  2. मिजोरम: मिजोरम राज्य की जनसंख्या लगभग 10 लाख है। मिजोरम के मुख्य क्षेत्रीय दल पीपुल्स कान्फ्रेंस तथा मिजो यूनियन पार्टी, मिजोरम में एक अलगाववादी संगठन मिजो नेशनल फ्रंट भी है, जो हिंसक कार्यवाहियों में संलग्न रहता है।
  3. त्रिपुरा: त्रिपुरा की जनसंख्या लगभग 32 लाख है। त्रिपुरा में चार जिले हैं। यहाँ पर छोटे-छोटे क्षेत्रीय राजनीतिक दल हैं। इनमें त्रिपुरा उपजाति युवा समिति तथा त्रिपुरा जन मुक्ति संगठन सेना प्रमुख हैं।
  4. मणिपुर: मणिपुर की जनसंख्या लगभग 32 लाख है। इसमें मणिपुर हिल यूनियन, कूरी नेशनल एसेम्बली तथा मणिपुर जन मुक्ति सेना जैसे क्षेत्रीय दल हैं। अन्तिम दल अलगाववादी दल है।
  5. मेघालय: मेघालय की जनसंख्या लगभग 24 लाख है। मेघालय के कुछ क्षेत्रीय दल ऑल पार्टी हिल लीडर्स कान्फ्रेंस तथा हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी हैं।
  6. असम: असम की जनसंख्या 2 करोड़ 70 लाख से भी अधिक है। असम में उल्फा नामक एक उग्रवादी एवं अलगाववादी संगठन पाया जाता है।

प्रश्न 9.
द्रविड़ आन्दोलन पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
द्रविड़ आन्दोलन: द्रविड़ आन्दोलन भारत के क्षेत्रीय आन्दोलनों में एक शक्तिशाली आन्दोलन था। देश की राजनीति में यह आन्दोलन क्षेत्रीय भावनाओं की सर्वप्रथम और सबसे प्रबल अभिव्यक्ति था। द्रविड़ आन्दोलन को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत समझा जा सकता

  1. आन्दोलन का स्वरूप: सर्वप्रथम इस आन्दोलन के नेतृत्व में एक हिस्से की आकांक्षा एक स्वतन्त्र द्रविड़ राज्य बनाने की थी, परन्तु आन्दोलन ने कभी सशस्त्र संघर्ष का मार्ग नहीं अपनाया। अन्य दक्षिणी राज्यों का समर्थन न मिलने के कारण यह आन्दोलन तमिलनाडु तक ही सीमित रहा।
  2. नेतृत्व के साधन: द्रविड़ आन्दोलन का नेतृत्व तमिल सुधारक नेता ई. वी. रामास्वामी नायकर के हाथों में था।
  3. आन्दोलन का संगठन: द्रविड़ आन्दोलन की प्रक्रिया से एक राजनैतिक संगठन द्रविड़ कषगम का सूत्रपात हुआ। यह संगठन ब्राह्मणों के वर्चस्व की खिलाफत (विरोध) करता था। उत्तरी भारत के राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक प्रभुत्व को नकारते हुए क्षेत्रीय गौरव की प्रतिष्ठा पर जोर देता था।
  4. डी. एम. के. की सफलताएँ: 1965 के हिन्दी विरोधी आन्दोलन की सफलता ने डी.एम. के. को जनता के बीच और भी लोकप्रिय बना दिया। 1967 के विधानसभा चुनावों में उसे सफलता मिली।
  5. डी.एम.के. का विभाजन एवं कालान्तर की राजनीतिक घटनाएँ: सी. अन्नादुरै की मृत्यु के बाद डी.एम.के. दल के दो टुकड़े हो गये। इसमें एक दल मूल नाम डी.एम. के. को लेकर आगे चला जबकि दूसरा दल खुद को ऑल इण्डिया अन्नाद्रमुक कहने लगा। तमिलनाडु की राजनीति में ये दोनों दल चार दशकों से दबदबा बनाए हुए हैं।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 10.
भारतीय राजनीति में अलगाववादी आंदोलन का वर्णन कीजिये। भारतीय राजनीति में अलगाववादी आंदोलन
उत्तर:
भारतीय राजनीति में अलगाववादी आन्दोलन का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।
1. अलगाववाद से आशय: अलगाववाद से अभिप्राय एक राज्य से कुछ क्षेत्र को अलग करके स्वतंत्र राज्य की स्थापना की माँग है अर्थात् सम्पूर्ण इकाई से अलग अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखने की माँग अलगाववाद है। अलगाववाद का उदय उस समय होता है, जब क्षेत्रवाद की भावना उग्र रूप धारण कर लेती है।

2. भारत में हुए प्रमुख अलगाववादी आंदोलन: भारत में प्रमुख अलगाववादी आंदोलन निम्नलिखित रहे

  • जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन: स्वतंत्रता के तुरन्त बाद जम्मू-कश्मीर का मामला सामने आया। यह सिर्फ भारत – पाकिस्तान के मध्य संघर्ष का मामला नहीं था। कश्मीर घाटी के लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं का सवाल भी इससे जुड़ा हुआ था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में पुनः अलगाववादी राजनीति ने सिर उठाया। अलगाववादियों का एक वर्ग कश्मीर को अलग राष्ट्र बनाना चाहता था जो न तो भारत का हिस्सा हो और न पाक का। केन्द्र ने विभिन्न अलगाववादी समूहों से बातचीत शुरू कर दी है। अलग राष्ट्र की माँग की जगह अब अलगाववादी समूह अपनी बातचीत में भारत संघ के साथ कश्मीर के रिश्ते को पुनर्परिभाषित करने पर जोर दे रहे हैं।
  • पूर्वोत्तर में अलगाववादी आंदोलन: पूर्वोत्तर के कुछ भागों में भारत का अंग होने के मुद्दे पर सहमति नहीं थी। पहले नागालैंड में और फिर मिजोरम में भारत से अलग होने की माँग करते हुए जोरदार आंदोलन चले। भारत के पूर्वोत्तर के राज्य असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा में इस प्रकार की मागें उठती रहती हैं।
  • द्रविड़ आंदोलन: दक्षिण भारत में द्रविड़ आंदोलन से जुड़े कुछ समूहों ने एक समय अलग राष्ट्र की बात उठायी थी। लेकिन कुछ समय बाद ही दक्षिणी राज्यों का यह आंदोलन समाप्त हो गया ।

3. लगाववादी आंदोलन के कारण: भारतीय राजनीति में अलगाववादी आंदोलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित

  • राजनीतिक कारण: भारतीय राजनीति में अलगाववादी भावना को भड़काने में राजनीतिक दलों की संकीर्ण मनोवृत्ति प्रमुख कारण रही है। पूर्वोत्तर के अलगाववादी आंदोलन के पीछे उनकी क्षेत्रीय आकांक्षा रही है।
  • आर्थिक पिछड़ापन: असमान आर्थिक विकास और पिछड़ापन भी अलगाववाद को बढ़ावा देता है। पिछड़े क्षेत्रों में पृथकतावाद की भावना जन्म लेती है।

4. भारतीय राजनीति में अलगाववादी आंदोलन में सबक- भारतीय राजनीति को अलगाववादी आंदोलनों से निम्न शिक्षाएँ मिली हैं।

  • क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतांत्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं। भारत सरकार को इनसे निपटने की तैयारी लगातार रखनी होगी।
  • क्षेत्रीय आकांक्षाओं के लिए लोकतांत्रिक बातचीत का रास्ता ही उचित है।
  • विभिन्न क्षेत्रीय दलों को केन्द्रीय राजनीति का हिस्सा बनाना भी आवश्यक है।
  • आर्थिक विकास में पिछड़े राज्यों को प्राथमिकता दी जाये।

प्रश्न 11.
जम्मू और कश्मीर में 2002 और इससे आगे की राजनीति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:

  1. 2002 में जम्मू और कश्मीर राज्य में चुनाव हुए जिसमें नेशनल कांफ्रेंस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और कॉंग्रेस की मिली-जुली सरकार आ गई। मुफ्ती मोहम्मद पहले तीन वर्ष सरकार के मुखिया बनें और बाद में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के गुलामनबी आजाद मुखिया बने। परंतु 2008 में राष्ट्रपति शासन लगने के कारण वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।
  2. अगला चुनाव नवंबर: दिसंबर के 2008 में हुआ। एक और मिली-जुली सरकार 2009 में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सत्ता में आई। परन्तु, राज्य को लगातार हुर्रियत कॉन्फ्रेंस द्वारा पैदा की गई गड़बड़ियों का सामना करना पड़ा।
  3. 2014 में, राज्य में फिर चुनाव हुए, जिसमें पिछले 25 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हुआ। परिणामस्वरूप पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन वाली सरकार सत्ता में आई। मुफ्ती मोहम्मद सईद के बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती
    अप्रैल, 2016 में राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनी। महबूबा मुफ्ती के कार्यकाल में बाहरी और भीतरी तनाव बढ़ाने वाली बड़ी आतंकवादी घटनाएँ हुईं।
  4. जून, 2018 में बीजेपी द्वारा मुफ्ती सरकार को दिया समर्थन वापस लेने पर वहाँ राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 द्वारा अनुच्छेद 370 समाप्त कर दिया और राज्य को पुनर्गठित कर दो केन्द्र शासित प्रदेश – जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख बना दिए गए।

प्रश्न 12.
1980 के बाद के दौर में भारत की राजनीति तनावों के घेरे में रही और समाज के विभिन्न तबकों की माँगों में पटरी बैठा पाने की लोकतांत्रिक राजनीति की क्षमता की परीक्षा हुई। इन उदाहरणों से क्या सबक मिलता है?
उत्तर:

  1. पहला और बुनियादी सबक यह है कि क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतांत्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं। क्षेत्रीय मुद्दे की अभिव्यक्ति कोई असामान्य अथवा लोकतांत्रिक राजनीति के व्याकरण से बाहर की घटना नहीं है। भारत एक बड़ा लोकतंत्र है और यहां विभिन्नताएँ भी बड़े पैमाने पर हैं। अतः भारत को क्षेत्रीय आकांक्षाओं से निपटने की तैयारी लगातार रखनी होगी।
  2. दूसरा सबक यह है कि क्षेत्रीय आकांक्षाओं को दबाने की जगह उनके साथ लोकतांत्रिक बातचीत का तरीका अपनाना सबसे अच्छा होता है।
  3. तीसरा सबक है सत्ता की साझेदारी के महत्त्व को समझना। सिर्फ लोकतांत्रिक ढाँचा खड़ा कर लेना ही काफी नहीं होता बल्कि इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के दलों और समूहों को केन्द्रीय राजव्यवस्था में हिस्सेदार बनाना भी जरूरी है।
  4. चौथा सबक यह है कि आर्थिक विकास के ऐतबार से विभिन्न इलाकों के बीच असमानता हुई तो पिछड़े क्षेत्रों को लगेगा कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है। भारत में आर्थिक विकास प्रक्रिया का एक तथ्य क्षेत्रीय असंतुलन भी है। ऐसे में स्वाभाविक है कि पिछड़े प्रदेशों अथवा कुछ प्रदेशों के पिछड़े इलाकों को लगे कि उनके पिछड़ेपन को प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाना चाहिए।
  5. सबसे आखिरी और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इन मामलों से हमें अपने संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि का पता चलता है। वे विभिन्नताओं को लेकर अत्यंत सजग थे। हमारे संविधान के प्रावधान इस बात के साक्ष्य हैं। संविधान की छठी अनुसूची में विभिन्न जनजातियों को अपने आचार-व्यवहार और पारंपरिक नियमों को संरक्षित रखने की पूर्ण स्वायत्तता दी गई है। पूर्वोत्तर की कुछ जटिल राजनीतिक समस्याओं को सुलझाने में ये प्रावधान बड़े निर्णायक साबित हुए।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

JAC Class 9 Hindi माटी वाली Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘शहरवासी सिर्फ़ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं, आपकी समझ में वे कौन-से कारण रहे
होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे ?
उत्तर :
भागीरथी और भीलांगना नामक दो नदियों के तटों पर बसे टिहरी शहर की मिट्टी पूरी तरह रेतीली है जिससे चूल्हों पर लिपाई का काम नहीं हो सकता। शहर के हर घर में सुबह-दोपहर-शाम चूल्हा जलता है और हर बार उसकी लिपाई-पुताई के लिए लाल मिट्टी की आवश्यकता होती है। कभी-कभी घरों के कमरों की दीवारों की गोबरी- लिपाई में भी लाल मिट्टी की आवश्यकता अनुभव होती थी। सारे शहर में ‘माटी वाली’ ही एक ऐसी औरत है जो हर घर जाकर लाल मिट्टी पहुँचाती है। शहर का हर वासी उसे और उसके कंटर लगभग रोज़ देखता है। वर्षों से लगातार प्रतिदिन माटी वाली और उसके ढक्कन-कटे कंटर को देखने के कारण सारे शहरवासी उन दोनों को भली-भाँति पहचानते हैं।

प्रश्न 2.
माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था ?
उत्तर :
माटी वाली का गाँव टिहरी नगर से इतना दूर था कि उसे वहाँ पहुँचने में कम-से-कम एक घंटा अवश्य लगता था। इतना ही समय उसे घर वापिस आने में लगता था। वह सारा दिन माटाखान से खोद – खोदकर लाल मिट्टी अपने कनस्तर में भरती और फिर उसे अपने सिर पर रखकर घर-घर बेचती। उसे अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने का समय ही नहीं था। वैसे भी उसके पास न कोई ज़मीन थी और न झोंपड़ी। सारे टिहरी नगर में वह अकेली ही थी जो लाल मिट्टी पहुँचाती थी। अति व्यस्तता और अपने विशिष्ट स्वभाव के कारण उसके पास ज्यादा सोचने का समय ही नहीं था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 3.
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
भूख किसी स्वाद को नहीं पहचानती। जब कोई व्यक्ति वास्तव में ही भूखा हो, उसका पेट पूरी तरह लंबे समय से खाली हो तो वह उसे भरने के लिए स्वाद नहीं माँगता। वह किसी भी तरह भरना चाहता है। उसे रूखी-सूखी रोटी भी अच्छी लगती है। उसे तब किसी दाल-सब्जी की आवश्यकता नहीं होती। जब पेट भरा हो तो व्यक्ति को स्वाद सूझता है और वह स्वाद को अच्छा या बुरा बताता है।
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से यही तात्पर्य है कि जब भूख सता रही हो तो हर प्रकार का रूखा-सूखा भी मीठा लगता है

प्रश्न 4.
‘पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीज़ों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।’ – मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
मध्यवर्गीय या निम्नवर्गीय परिवारों में धन कमाने के लिए खूब पसीना बहाना पड़ता है। एक-एक पैसा जोड़कर घर के लिए उपयोगी और आवश्यक सामान खरीदा जाता है। उसे ठोक-बजा कर खरीदा जाता है कि वह लंबे समय तक टिकाऊ बना रहे। घर की मालकिन ने घर में पीतल और काँसे के बर्तनों को सहेजकर रखा हुआ था क्योंकि वह पुरखों की मेहनत से कमाई हुई संपत्ति के महत्व को भली-भाँति समझती थी। पता नहीं उन्होंने कितनी कठिनाई से उन बर्तनों को खरीदा होगा। वह अपने पुरखों की मेहनत की कमाई को मिट्टी के भाव नहीं बेचना चाहती थी। विरासत में प्राप्त धन-संपत्ति का उपयोग मानव के द्वारा सोच-समझकर किया जाना चाहिए। उसके साथ पूर्वजों का स्नेह, यादें और मान भी जुड़ा होता है। वे उनके परिश्रम, पसंद और भविष्य के प्रति लगाव के प्रतीक होते हैं। उसका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। नयेपन के मोह में अपनों की स्मृतियों को नहीं भुलाया जाना चाहिए।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 5.
माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?
उत्तर :
माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी निर्धनता, अभावग्रस्तता और असहायता को प्रकट करता है। उसका पति बहुत कमज़ोर और बुड्ढा था। अशक्त होने के कारण वह काम नहीं कर सकता था इसीलिए माटी वाली को जी-तोड़ शारीरिक मेहनत करनी पड़ती थी, फिर भी वह पेट भर रोटी नहीं कमा पाती थी।

प्रश्न 6.
आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी – इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
माटी वाली आर्थिक दृष्टि से असहाय है। वह अति निर्धन है और चाहकर भी अपने बुड्ढे पति के लिए ठीक से रोटी नहीं कमा पाती। बुड्ढा अति कमज़ोर था और इस कारण वह डेढ़ से अधिक रोटी नहीं खा सकता था। आज बुढ़िया के पास तीन रोटियाँ थीं। उसके पास मिट्टी बेचने से प्राप्त कुछ पैसे भी थे। वह आज गठरी में बाँधे गए अपने बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं खिलाएगी। उसने एक पाव प्याज खरीदे और सोच लिया कि वह उन्हें कूटकर जल्दी-जल्दी तल लेगी। वह पहले उसे रोटियाँ दिखाएगी ही नहीं। सब्ज़ी तैयार होते ही दो रोटियाँ उसे परोस देगी। माटी वाली के हृदय में अपने पति के प्रति गहरा लगाव था। वह उसकी पीड़ा से पीड़ित थी, पर चाहकर भी उसकी भूख और पीड़ा को दूर नहीं कर पाती थी। उसका इस दुनिया में सिवाय बुड्ढे के कोई भी नहीं था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 7.
‘गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
गरीब आदमी के पास रहने और सिर छिपाने के लिए अपना कोई सहारा नहीं होता। कुछ भी तो नहीं होता उसके पास, जिसे वह अपना कह सके। श्मशान ही एक ऐसी जगह है जहाँ मरने के बाद उसे जगह अवश्य मिलती है-चाहे अपने वहाँ छोड़ आएँ या पराए। ऐसा नहीं होता कि गरीब की लाश सदा के लिए वहीं पड़ी रहे जहाँ वह मरा हो। माटी वाली का बुड्ढा मरा और उसे श्मशान में जगह मिली, चाहे माटी वाली के पास पैसे नहीं थे। अब जब टिहरी में पानी भरने लगा तो सबसे पहले पानी में श्मशान डूबा। माटी वाली को लगा कि अब तो उसे वहाँ भी स्थान नहीं मिल पाएगा। इसीलिए उसने अपने हृदय की व्यथा को प्रकट करते हुए कहा कि ‘ग़रीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।’

प्रश्न 8.
‘विस्थापन की समस्या’ पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
विस्थापन है – अपना घर और स्थान छोड़ना। दो-चार दिन के लिए नहीं बल्कि हमेशा के लिए। यह बहुत दुखदायी स्थिति है जिससे कोई भी व्यक्ति अपने जीवन काल में नहीं गुज़रना चाहता। अपने घर से सभी को लगाव होता है, चाहे वह टूटा-फूटा और दूसरों की दृष्टि में बेकार ही क्यों न हो। वह उसे सिर छिपाने की जगह देता है। जब-जब कोई राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक या प्राकृतिक विपदा आती है तब-तब विस्थापन की समस्या लोगों के सामने सिर उठा कर खड़ी हो जाती है। बाढ़, तूफान, भूकंप आदि की स्थितियों में लोगों को अपने घर से विस्थापित होना पड़ता है, पर सदा के लिए नहीं बल्कि कुछ देर के लिए।

इन स्थितियों में आर्थिक नुकसान होता है पर व्यक्ति फिर सामान्य स्थिति हो जाने पर वापिस लौट आता है। अपना टूटा-फूटा और उजड़ा आशियाना फिर से तैयार कर लेता है, पर राजनीतिक कारणों से कभी-कभी स्थायी रूप से विस्थापन हो जाता है। जब हमारे देश का बँटवारा अंग्रेज़ सरकार ने कर दिया था तब लाखों परिवारों को अपना बसा-बसाया घर छोड़ रातों-रात दूसरी जगह जाना पड़ा था। तब आसमान ही सिर पर छत का काम करता है। सन 1972 में जब बांग्लादेश बना था तब भी लाखों लोग विस्थापित होकर भारत आ गए थे। राजनीतिक अशांति के कारण लोग अपना घर छोड़ अन्यत्र विस्थापित होने के लिए विवश होते हैं।

विस्थापन की स्थिति मनुष्य को मानसिक रूप से तोड़ देती है। व्यक्ति जहाँ कहीं भी बसने के लिए जाता है उसे वहाँ की परिस्थितियों में स्वयं को ढालना पड़ता है, नये सिरे से स्थापित होना पड़ता है। किसी पौधे को उखाड़कर दूसरी जगह लगाया जाए तो वह भी कई दिनों तक मुर्झाया रहता है। उसकी पुरानी पत्तियाँ पीली होकर झड़ जाती हैं और फिर धीरे-धीरे नई पत्तियाँ निकलनी शुरू होती हैं। बाहर से घर के भीतर आ जाने वाले किसी कीड़े-मकोड़े को भी जगह ढूँढ़ने में परेशानी होती है। मनुष्य तो अति संवेदनशील प्राणी है इसलिए विस्थापन की स्थिति में उसका विचलित हो जाना सहज – स्वाभाविक है। टिहरी नगर के डूब जाने से लोग विस्थापित हुए हैं। चाहे सरकार ने उनके पुनर्वास का प्रबंध किया है, उनकी हुई क्षति की पूर्ति की है पर वे लोग इस विस्थापन को कभी नहीं भूल पाएँगे।

JAC Class 9 Hindi माटी वाली Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘माटी वाली’ के आधार पर मुख्य पात्रा की चरित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
‘माटी वाली’ कहानी की मुख्य पात्रा है-बुढ़िया। कहानीकार ने पूरी कहानी में उसका नाम नहीं लिया है। मुख्य पात्रा होकर भी वह नाम-रहित है। उसकी चरित्रगत प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. बाह्य व्यक्तित्व-बुढ़िया मैली-कुचैली छोटे कद की महिला थी जो अति साधारण व्यक्तित्व की स्वामिनी थी। सारे नगरवासियों को उसकी अच्छी पहचान है क्योंकि वह टिहरी नगर के हर घर में जाती थी। उसका जन्म हरिजन परिवार में हुआ था।

2. परिश्रमी – माटी वाली बहुत परिश्रमी औरत थी। वृद्धावस्था में भी वह दिन-भर कठोर परिश्रम करती थी। माटाखान से मिट्टी खोदना और सिर पर कनस्तर रख शहर में जगह-जगह जाना उसका कार्य था।

3. अभावग्रस्त और असहाय- माटी वाली पूर्ण रूप से अभावग्रस्त थी। उसके पास धन के नाम पर कुछ नहीं था। वह जिस झोंपड़ी में रहती थी वह ठाकुर की ज़मीन पर बनी थी। उसके लिए भी उसे बेगार करनी पड़ती थी। अपनी असहायावस्था के कारण ही वह कहती है-
“गरीब, आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।”

4. डरपोक माटी वाली स्वभाव से डरपोक थी। जब वह ठकुराइन के घर मिट्टी देने के लिए गई तो उसे वहाँ दो रोटियाँ दी गईं और ठकुराइन उसके लिए चाय लेने गई। माटी वाली ने एक रोटी झट से छिपाकर अपने डिल्ले में बाँध ली और झूठ-मूठ ही मुँह हिलाने लगी जैसे वह रोटी को चबा-चबाकर खा रही हो। जब गृहस्वामिनी ने स्वयं ही उसे रोटी दी थी, तो उसे रोटी छिपाने और डरने की क्या बात थी।

5. पति के प्रति लगाव – बुढ़िया का बुड्ढा पति बहुत कमज़ोर था। वह अपनी झोंपड़ी में पड़ा रहता था पर बुढ़िया का मन उसके आस-पास मँडराता रहता था। वह स्वयं रोटी न खा उसके लिए रोटी लाने का प्रयत्न करती थी। उसके प्रति उसके हृदय में अगाध लगाव था। तभी तो वह उसके लिए एक पाव प्याज खरीदती है ताकि वह कोरी रोटी न खाए। उसकी बात ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा ?’ उसके कानों में गूँजता रहता है।
वास्तव में बुढ़िया गरीबी, असहायावस्था और पीड़ा की प्रतीक है जिसके जीवन में दुख ही दुख हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 2.
कहानी के आधार पर बुड्ढे की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
1. बीमार और अशक्त – माटी वाली का पति बहुत अशक्त और बीमार था। वह चलने-फिरने के योग्य नहीं था। इसलिए ठाकुर की ज़मीन पर बनी झोंपड़ी में दिन-रात पड़ा रहता था।
2. सचेत – बुड्ढा चाहे कमज़ोर और विवश था, पर सचेत था। जब माटी वाली बुढ़िया वापिस झोंपड़ी में पहुँचती तो आहट होते ही वह चौंक जाया करता था और नारें उठाकर उसकी तरफ देखा करता था।
3. भूख से त्रस्त – बुड्ढा भूख से त्रस्त रहता था। जब बुढ़िया उसके लिए रोटी लेकर पहुँचती थी तो वह खिल उठता था। सब्ज़ी न मिलने पर भी वह संतुष्ट रहता था और कहता था-

‘भूख मीठी कि भोजन मीठा। ”

प्रश्न 3.
टिहरी शहर के पास गाँव में रहने वाली बुढ़िया को विस्थापित क्यों होना पड़ा ?
उत्तर :
भागीरथी और भीलांगना नदियों के तटों पर टिहरी शहर बसा हुआ था। बिजली उत्पादन के लिए जब वहाँ बाँध बनाया गया तो टिहरी शहर को मानव निर्मित झील में समा जाना था। जिन लोगों की जमीन थी, उन्हें तो उनकी संपत्ति के आधार पर सरकार ने पुनर्वास दे दिया, पर बुढ़िया के पास तो कुछ भी नहीं था इसलिए उसे विस्थापित होना पड़ा।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 4.
ठकुराइन ने बुढ़िया को भाग्यवान क्यों कहा था ?
उत्तर :
जब ठकुराइन के घर ‘माटी वाली’ मिट्टी का कनस्तर लेकर पहुँची तब चाय का समय हो चुका था। भारतीय संस्कृति में मेहमान को भगवान का ही रूप मानते हैं। इसलिए उसने कहा था, ” तू बहुत भाग्यवान है। चाय के टैम पर आई है हमारे घर। भाग्यवान आए खाते वक्त।”

प्रश्न 5.
शहर वालों को लाल मिट्टी की जरूरत क्यों होती थी ?
उत्तर :
दो नदियों के बीच बसे टिहरी शहर की ज़मीन रेतीली थी। वे लोग खाना पकाने के लिए चूल्हा जलाते थे और हर बार उन्हें चूल्हों की लाल मिट्टी से पुताई करनी पड़ती थी क्योंकि रेतीली मिट्टी से पुताई नहीं हो सकती। साथ ही वे कमरों और दीवारों की गोबरी- लिपाई करने के लिए भी लाल मिट्टी का प्रयोग करते थे।

प्रश्न 6.
टिहरी शहर में आपाधापी कब मची थी ?
उत्तर :
जब टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया तो शहर में पानी भरने लगा। शहरवासी अपने घरों को छोड़कर वहाँ से भागने लगे। इस कारण सारे शहर में आपाधापी मच गई थी।

प्रश्न 7.
नगर वालों के लिए माटी वाली क्या महत्व रखती थी ?
उत्तर :
नगर वालों के लिए माटी वाली बहुत महत्व रखती थी। माटी वाली की मिट्टी से नगर वालों के चूल्हे जलते थे। लोगों को रसोई के चूल्हे-चौकों की लिपाई के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती थी। इसलिए घर में साफ़ लाल मिट्टी का होना जरूरी थी। साल दो साल में मकान की दीवारों को गोबरी- लिपाई करने के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती थी। इसलिए नगर वालों के लिए माटी वाली उनके जीवन में बहुत महत्व रखती थी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 8.
माटी वाली ने मालकिन द्वारा दी गई दो रोटियों का क्या किया ?
उत्तर :
माटी वाली जिस घर में मिट्टी डालने गई थी, उस घर की मालकिन ने उसे रोटी खाने के लिए दी। मालकिन के घर के अंदर जाते ही उसने अपने सिर पर रखने वाला कपड़ा निकाला, उसमें से एक रोटी मोड़ कर अपने पति के लिए उस कपड़े में रख लिया। मालकिन के आने पर वह ऐसे मुँह चलाने लगी जैसे उसने एक रोटी समाप्त कर ली है। दूसरी रोटी उसने चाय के साथ खाई।

प्रश्न 9.
आजकल घरों में से कौन बरतन दिखाई नहीं देते हैं और उनकी जगह किस धातु के बरतन आ गए हैं ?
उत्तर :
आजकल घरों में पीतल, काँसे और ताँबे के बरतन दिखाई नहीं देते हैं। किसी-किसी के घर में सजावट के रूप में यह बरतन दिखाई देते हैं। आजकल अधिकतर घरों में स्टील, काँच और ऐल्युमीनियम ने बरतन दिखाई देते हैं।

प्रश्न 10.
घर की मालकिन ने यह क्यों कहा कि अपनी चीज का मोह बहुत बुरा होता है ?
उत्तर :
घर की मालकिन दूर की बात सोचने वाली महिला थी। उसके घर में पीतल के बरतन थे। वह सोचती थी कि उसके पूर्वजों ने यह बरतन पता नहीं किस प्रकार पेट काट-काट कर इकट्ठे किए होंगे। उसे इन बरतनों से बहुत लगाव था। वह उसके पुरखों की गाढ़ी कमाई के थे। अब टिहरी पर बाँध बन रहा था जिस कारण उसे मकान छोड़ना पड़ेगा। वह इस उम्र में दूसरी नई जगह जाने को तैयार नहीं है। इसलिए वह माटी वाली से कहती है कि अपनी चीज़ का मोह बहुत बुरा होता है।

प्रश्न 11.
माटी वाली चाय किस ढंग से पी रही थी ?
उत्तर :
घर की मालकिन माटी वाली के लिए पीतल के गिलास में चाय लेकर आई थी। माटी वाली ने खुले कपड़े से पूरी गोलाई में गरम चाय का गिलास पकड़ लिया। गरम चाय पीने से पहले, वह गिलास के अंदर रखी चाय को ठंडा करने के लिए सू-सू करके, उस पर लंबी-लंबी फूकें मारने लगी। फिर धीरे-धीरे रोटी के साथ चाय सुड़कने लगी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 12.
मादी वाली की आर्थिक स्थिति कैसी थी ?
उत्तर :
माटी वाली की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उसका पति बीमार तथा कमज़ोर था। उससे कोई काम नहीं होता था। माटी वाली मिट्टी ढोकर घर का गुजारा चलाती थी। उसके पास अपना कोई खेत भी नहीं था। जिस जमीन पर उसकी झोंपड़ी थी वह गाँव के ठाकुर की थी। ठाकुर ज़मीन के एवज में उससे कई तरह के काम करवा लेता था। उसके पैसे भी नहीं देता था। इस प्रकार माटी वाली बड़ी तंगी से अपने घर का निर्वाह करती थी।

प्रश्न 13.
माटी वाली के बुड्ढे को अब रोटी की ज़रूरत क्यों नहीं थी ?
उत्तर :
माटी वाली रोटियों का हिसाब लगाते हुए घर पहुँची। उसने सोचा था कि आज वह बुड्ढे को सूखी रोटी नहीं देगी। उसने एक पाव प्याज खरीद लिए। उसने सोचा कि वह प्याज की सब्ज़ी बनाकर अपने पति को रोटी के साथ देगी। परंतु घर पहुँचकर प्रतिदिन की तरह बुड्ढे ने उसकी आहट सुनकर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। माटी वाली ने उसका बदन छूकर देखा तो उसका पति अपनी मिट्टी छोड़कर जा चुका था अर्थात् मर गया था। इसलिए, अब उसके बुड्ढे को रोटी की ज़रूरत नहीं थी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 14.
टिहरी बाँध पुनर्वास वाले साहब किन लोगों को मुआवजा दे रहे थे ?
उत्तर :
टिहरी बाँध बनने से नीचे के शहरों में पानी भर गया था, इसलिए वहाँ के लोगों को दूसरी जगह विस्थापित किया गया। टिहरी बाँध वाले साहब उन लोगों का मुआवजा दे रहे थे जिनके पास जमीन, घर और दुकान संबंधी कागज थे। जिन लोगों के पास कुछ नहीं था उनके लिए सरकार कुछ नहीं कर रही थी। माटी वाली के पास भी किसी प्रकार की संपत्ति नहीं थी, इसलिए बाँध बनने के बाद वह अपना गुजारा कैसे करे, उसे इस बात की चिंता सताने लगी।

माटी वाली Summary in Hindi

पाठ का सार :

विस्थापन की समस्या पर आधारित ‘माटी वाली’ स्वतंत्र भारत के अनियोजित विकास और उससे प्रभावित आम आदमी की पीड़ा से संबंधित कहानी है। बड़ी-बड़ी योजनाएँ किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए अनिवार्य होती हैं पर उनकी बलिवेदी पर न जाने कितने निरीह प्राणियों को स्वयं को मिटाना पड़ता है। उनकी पीड़ा को कोई नहीं समझता, कोई नहीं जानना चाहता।
‘माटी वाली’ सारे टिहरी शहर में जगह-जगह घूमकर लाल मिट्टी बेचती थी। नगर में कोई भी ऐसा घर नहीं था जहाँ वह लाल मिट्टी बेचने न जाती हो। सारे टिहरीवासी उसे बरसों से जानते-पहचानते थे क्योंकि हर घर में चूल्हों के लिए लाल मिट्टी वही पहुँचाती थी 4 हर बार खाने पकाने के बाद चूल्हे पर इस मिट्टी को पोता जाता था। उस सारे क्षेत्र में रेतीली मिट्टी पाई जाती थी, उससे चूल्हों पर लिपाई नहीं की जा सकती थी।

लोग इस मिट्टी को अपने घरों की गोबरी-लिपाई में भी प्रयुक्त करते थे। शहर के सेमल का तप्पड़ मोहल्ले की ओर बने आखिरी खोली में पहुँचकर मिट्टी वाली हरिजन बुढ़िया अपने सिर पर रखे मिट्टी से भरे कनस्तर को नीचे उतारा। कनस्तर पर कोई ढक्कन नहीं था। ढक्कन को वह काटकर उतार देती थी क्योंकि वह मिट्टी भरने और फिर खाली करने में रुकावट बनता था। घर की मालकिन ने मिट्टी वाली से मिट्टी का कनस्तर कच्चे आँगन के एक कोने में उड़ेलने के लिए कहा। उसने मिट्टी वाली को खाने के लिए दो रोटियाँ दीं।

उसने एक रोटी को अपने सिर पर रखे डिल्ले को खोलकर उसके कपड़े में लपेट लिया और दूसरी को घर की मालकिन के द्वारा दी गई पीतल के गिलास में चाय के साथ निगल लिया। चाय के साथ रोटी खाते हुए उसने कहा कि चाय तो बहुत अच्छा साग है तो मालकिन ने कहा कि भूख तो अपने आप में एक साग होती है। सामान्य बातचीत में घर की मालकिन ने उसे बताया कि चाहे बाकी लोगों ने अपने घर की पीतल और काँसे के बर्तन बेचकर स्टील और चीनी मिट्टी के बर्तन खरीद लिए थे, पर वह अपने पूर्वजों की मेहनत से खरीदे बर्तनों को नहीं बेचेगी।

उसे पुरानी चीज़ों के प्रति मोह था पर अब वह सोच-सोचकर परेशान थी कि अब जब टिहरी बाँध के कारण यह जगह उसे छोड़कर जाना पड़ेगा तो वह क्या करेगी। मिट्टी वाली वहाँ से दूसरे घर में गई जहाँ उसे अगले दिन मिट्टी लाने का आदेश मिला। वहाँ से उसे दो रोटियाँ भी मिलीं जिन्हें उसने अपने कपड़े के दूसरे छोर में बाँध लिया। लोग नहीं जानते थे कि उसने रोटियाँ अपने साथ ले जाने के लिए क्यों बाँधी थीं। घर में उसका बुड्ढा पति था। वह रोटी का इंतज़ार कर रहा होगा। आज तो उसे खाने के लिए तीन रोटियाँ मिल जाएँगी जिन्हें देख वह प्रसन्न हो जाएगा।

उसका गाँव टिहरी शहर से दूर था। तो चलने पर भी एक घंटा तो लग ही जाता है। वह हर रोज अपने घर से माटाखान में मिट्टी खोदने जाती। फिर वहाँ से उसे सिर पर ढोकर दूर-दूर बेचने जाती। उसके पास अपना कोई झोंपड़ी या जमीन का टुकड़ा नहीं था। वह तो ठाकुर की जमीन पर झोंपड़ी बनाकर रहती थी जिसके बदले उसे कई काम बेगार करने पड़ते थे।

माटी वाली ने रास्ते में एक पाव प्याज खरीदे ताकि वह अपने बुड्ढे को रोटियों के साथ तले हुए प्याज दे सके। उसका बुड्ढा बहुत कमजोर हो चुका था। अब तो वह डेढ़ से अधिक रोटी खा ही नहीं सकता था। वह अपनी झोंपड़ी में पहुँची। रोज की तरह आज उसका बुड्ढा आहट सुनकर चौंका नहीं। माटी वाली ने घबराकर उसे छू कर देखा। वह तो सदा के लिए जा चुका था। अब उसे किसी रोटी की आवश्यकता नहीं थी।

टिहरी बाँध के पुनर्वास के साहब ने उसे बता दिया था कि जब वहाँ पानी भर जाएगा तो उसके पास रहने के लिए कोई स्थान नहीं होगा। उसे रहने-खाने के लिए स्वयं कहीं प्रबंध करना होगा। टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया। शहर में पानी भरने लगा। सारे शहर में आपाधापी मच गई। लोग वहाँ से भागने लगे। सबसे पहले पानी में श्मशान डूब गए। माटी वाली अपनी झोंपड़ी के बाहर हर आने-जाने वाले से यही कहती रही- “गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।”

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • धरा – रखा
  • तलक – तक
  • अलावा – अतिरिक्त
  • माटी – मिट्टी
  • टैम – समय
  • बेगार – बिना मज़दूरी काम करना
  • कंटर – कनस्तर
  • मुशिकल – कठिन
  • नाटे – छोटे, ठिगने
  • डिल्ले – सिर पर बोझे के नीचे रखने के लिए कपड़े की गद्दी
  • गाढ़ी कमाई – परिश्रम से कमाया हुआ धन
  • तमाम – सारी

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

JAC Class 9 Hindi रीढ़ की हड्डी Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा जमाना था….” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है ?
उत्तर :
मनुष्य का स्वभाव होता है कि वह अपने अतीत से चिपका रहना चाहता है। सबको अपना अतीत सदैव सुखदायी लगता है। अपने अतीत की बातों को याद करके वह मन-ही-मन प्रसन्न होता रहता है। रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद भी अपने अतीत को याद करते हैं। किंतु उनका अपने अतीत की तुलना वर्तमान से करना उचित नहीं है। समय सदा एक-सा नहीं रहता। उसमें परिवर्तन आता रहता है। यह आवश्यक नहीं कि जो पहले था, वह आज भी रहे। इसी प्रकार अतीत में भी सभी चीजें अच्छी नहीं होतीं। कुछ चीजें अतीत में अच्छी रही होंगी तो कुछ चीजें वर्तमान में भी अच्छी होती हैं। केवल अतीत से चिपके रहकर वर्तमान की बुराई करना तर्कसंगत नहीं है। अतीत और वर्तमान में सदा सामंजस्य बिठाकर चलना चाहिए।

प्रश्न 2.
रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है ?
उत्तर :
रामस्वरूप अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाता है। वह मानता है कि लड़कियों के लिए भी शिक्षा उतनी ही जरूरी है जितनी लड़कों के लिए होती है। वह नारी – शिक्षा का पक्षधर हैं किंतु जब उसे गोपाल प्रसाद के लड़के के साथ अपनी बेटी का रिश्ता करना होता है तो वह अपनी बेटी की शिक्षा छिपाता है। एक लड़की का पिता होने की विवशता उससे ऐसा करवाती है। रामस्वरूप चाहता है कि उसकी बेटी का विवाह गोपाल प्रसाद के लड़के शंकर से हो जाए, परंतु गोपाल प्रसाद चाहते हैं कि उनकी बहू अधिक पढ़ी-लिखी न हो, अतः रामस्वरूप को विवश होकर अपनी लड़की की उच्च शिक्षा को छिपाना पड़ता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

प्रश्न 3.
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है ?
उत्तर :
रामस्वरूप अपनी बेटी का रिश्ता गोपाल प्रसाद के बेटे शंकर से तय करना चाहते हैं। गोपाल प्रसाद उनकी बेटी से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। रामस्वरूप चाहता है कि उसकी बेटी उमा उनके सभी सवालों का उत्तर बड़े सहज भाव से दे। वह यह भी चाहता है कि गोपाल प्रसाद के द्वारा पूछे गए बेहूदा प्रश्नों के भी वह चुपचाप उत्तर देती जाए और उनके द्वारा किए गए अपने अपमान को चुपचाप सहन कर ले, क्योंकि वे लड़के वाले हैं। रामस्वरूप का अपनी बेटी से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा करना बिल्कुल गलत है। आजकल लड़का और लड़की दोनों में किसी प्रकार का कोई भेद नहीं रह गया है। दोनों ही बराबर की शिक्षा के अधिकारी हैं और विवाह के समय केवल लड़की होने के कारण उसे चुपचाप अपमान सहना पड़े, यह उचित नहीं है। लड़का और लड़की बराबर सम्मान के अधिकारी हैं।

प्रश्न 4.
गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं ? अपने विचार लिखें।
उत्तर :
गोपाल प्रसाद अपने लड़के शंकर का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप के घर आते हैं। वे विवाह की बातचीत आरंभ करते हुए विवाह को ‘बिजनेस’ कहते हैं। ‘बिजनेस’ का अर्थ होता है – व्यापार। व्यापार में निर्जीव वस्तुओं को खरीदा – बेचा जाता है। अतः उनके द्वारा विवाह जैसे पवित्र बंधन को ‘बिजनेस’ कहना सरासर अनुचित है। दूसरी ओर रामस्वरूप गोपाल प्रसाद के पुत्र के साथ रिश्ता जोड़ने के लिए अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाते हैं।

गोपाल प्रसाद अपने बेटे के लिए कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते हैं। अतः रामस्वरूप अपनी बेटी की शिक्षा मैट्रिक तक बताकर जैसे-तैसे इस रिश्ते को जोड़ने का प्रयास करते हैं। रामस्वरूप द्वारा अपनी बेटी की पसंद और नापसंद का ध्यान न रखना और जबरन उसका विवाह करना भी उचित नहीं है। अतः गोपाल प्रसाद और रामस्वरूप दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं। उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की

प्रश्न 5.
आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं.. ओर संकेत करना चाहती है ?
उत्तर :
गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर का रिश्ता तय करने से पहले उमा से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। उमा स्वयं को अपमानित अनुभव करती है। वह शंकर को भी पहचान लेती है। शंकर का चरित्र ठीक नहीं था। वह लड़कियों के छात्रावास के आस-पास घूमता रहता था और कई बार वहाँ से भगाया भी गया था। इसके साथ-साथ सबसे बड़ी बात यह थी कि जिस लड़के लिए गोपाल प्रसाद हर प्रकार से परिपूर्ण लड़की चाहते थे, वह उनका अपना लड़का शंकर स्वयं रीढ़ की हड्डी से रहित था अर्थात पूर्ण रूप से अपने पिता पर आश्रित था। साथ ही वह तथा झुककर चलता था। शंकर अपने लिए अत्यंत सुंदर लड़की की तलाश में था, जबकि उसमें अपने में बहुत सारी कमियाँ थीं। उसकी रीढ़ की हड्डी न होना और ठीक प्रकार से खड़ा न हो पाना, उसकी सबसे बड़ी कमी थी। उमा ने यहाँ उसकी इसी कमी की ओर संकेत किया है।

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प्रश्न 6.
शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की – समाज को कैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
आज समाज को उमा जैसी लड़की की आवश्यकता है। शंकर जैसे लड़के समाज को किसी भी रूप में ऊँचा उठाने में योगदान नहीं दे सकते। वह पढ़ा-लिखा तो अवश्य है किंतु वह चारित्रिक एवं मानसिक रूप से इतना दृढ़ नहीं है कि समाज को एक नई दिशा दे सके। दूसरी ओर उमा वर्तमान नारी की साक्षात् प्रतिमूर्ति है। वह अन्याय का डटकर विरोध करने वाली है। उसमें रूढ़ियों और कुरीतियों से लड़ने का साहस है। वह अन्याय को चुपचाप सहन करके उसे बढ़ावा देने वाली नहीं है। वह लड़का और लड़की के भेदभाव को समाप्त कर देना चाहती है। वह स्पष्ट करती है कि रिश्ता तय करते समय लड़की से तरह-तरह के सवाल पूछकर उसे अपमानित करना उचित नहीं है। उमा समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम है, अतः आज समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है।

प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है। इस एकांकी में लेखक ने समाज की रूढ़ियों पर प्रहार किया है। गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर के लिए कम पढ़ी-लिखी किंतु अत्यंत सुंदर बहू चाहते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि लड़की प्रत्येक कार्य में निपुण हो। उसे गाना- बजाना, सिलाई-कढ़ाई, बुनाई और अन्य सभी कार्य आते हों। वे उमा से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। उनमें लड़के का पिता होने की ऐंठ है। वे चाहते हैं कि लड़की सर्वगुण संपन्न हो किंतु एकांकी के अंत में पता चलता है कि उनका अपना लड़का शंकर तो किसी प्रकार भी पूर्ण नहीं है। वह चरित्रहीन तो है ही साथ ही शारीरिक दृष्टि से अपंग भी है तथा पूर्ण रूप से अपने पिता पर आश्रित है। वह ठीक प्रकार से खड़ा नहीं हो पाता क्योंकि उसकी रीढ़ की हड्डी ही नहीं है। इस प्रकार इस एकांकी का शीर्षक ‘रीढ़ की हड्डी’ अत्यंत सार्थक है।

प्रश्न 8.
कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों ?
उत्तर :
कथावस्तु के आधार पर एकांकी की मुख्य पात्र उमा है। कोई भी लेखक जिस पात्र के माध्यम से अपने उद्देश्य की पूर्ति करता है, वही कथावस्तु का मुख्य पात्र होता है। इस एकांकी में भी लेखक ने अपने उद्देश्य की पूर्ति उमा के माध्यम से की है। उमा ही स्पष्ट करती है कि वर्तमान समाज में लड़का और लड़की का भेदभाव करना उचित नहीं है। दोनों को समान अधिकार और बराबर सम्मान मिलना चाहिए अब वह समय नहीं रहा जब लड़की घर की चारदीवारी में बंद रहती थी। रिश्ता करते समय लड़की से तरह-तरह के सवाल करके उसे अपमानित करना भी उचित नहीं है। इस प्रकार लेखक ने उमा के माध्यम से हमारे समाज के कुछ लोगों की दकियानूसी विचारधारा पर चोट की है। अतः उमा ही इस एकांकी की मुख्य पात्रा है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

प्रश्न 9.
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
एकांकी में रामस्वरूप एक लड़की का पिता है और गोपाल प्रसाद एक लड़के का पिता है। रामस्वरूप में जहाँ एक ओर लड़की का पिता होने के कारण एक अनावश्यक विवशता है वहीं गोपाल प्रसाद में लड़के का पिता होने की ऐंठ है। रामस्वरूप अधेड़ उम्र का व्यक्ति है। वह किसी भी प्रकार अपनी बेटी का रिश्ता गोपाल प्रसाद के बेटे से कर देना चाहता है, इसी कारण वह अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को भी छिपाता है। वह जरा-जरा सी बात पर झुंझलाने वाला व्यक्ति है। उसके नौकर और उसके बीच हुई बातचीत में उसकी झुंझलाहट को देखा जा सकता है।

वह नारी शिक्षा का पक्षधर तो है किंतु नारी को पूर्ण अधिकार देने के पक्ष में नहीं है। इसी कारण वह उमा द्वारा गोपाल प्रसाद को खरी-खोटी सुनाने पर परेशान हो उठता है। दूसरी ओर गोपाल प्रसाद तो नारी का शत्रु ही दिखाई देता है। वह नारी की शिक्षा का प्रबल विरोधी है। वह आज भी नारी को घर की चारदीवारी में बंद करके रखना चाहता है। वह अत्यंत दकियानूसी और अपने अतीत से चिपका रहने वाला व्यक्ति है। उसके मत में इस संसार में समस्त सम्मान और अधिकारों का एकमात्र हकदार पुरुष है। गोपाल प्रसाद एक आत्मप्रशंसक व्यक्ति भी है। उसे अपनी प्रशंसा स्वयं करके आनंद की अनुभूति होती है।

प्रश्न 10.
इस एकांकी का क्या उद्देश्य है ? लिखिए।
उत्तर :
‘रीढ़ की हड्डी’ एक उद्देश्यपूर्ण एकांकी है। इस एकांकी में लेखक ने स्पष्ट किया है कि लड़के और लड़की में भेदभाव करना उचित नहीं है। लड़की भी उच्च शिक्षा के साथ-साथ सम्मान की अधिकारिणी है। विवाह के नाम पर उससे तरह-तरह के सवाल पूछकर उसे अपमानित करना उचित नहीं है। आज लड़कियाँ भी लड़कों के ही समान उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं, अतः उन्हें भी उचित सम्मान मिलना चाहिए। लेखक ने गोपाल प्रसाद जैसे रूढ़िवादी विचारधारा के लोगों पर प्रहार भी किया है। ऐसे लोग जो नारी को समस्त अधिकारों से वंचित रखना चाहते हैं और उसे अपमानित करते हैं, उन्हें स्वयं अपमानित होना पड़ता है। इस प्रकार लेखक ने इस एकांकी में लड़के और लड़की का भेदभाव समाप्त करते हुए शंकर जैसे लड़कों की अपेक्षा उमा जैसी लड़की की समाज की आवश्यकता बताई है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

प्रश्न 11.
समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं ?
उत्तर :
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ अर्थात् जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, लेकिन आज भी गाँव की महिलाओं की स्थिति दयनीय है। नारी की प्रगति का मुख्य आधार शिक्षा है। जब तक महिलाएँ शिक्षित नहीं होंगी वे न तो अपना विकास कर सकती हैं और न ही देश की उन्नति में अपना योगदान दे पाएँगी।

अतः सर्वप्रथम नारी को शिक्षित किया जाना चाहिए। नारी को पुरुष के समान अधिकार और सम्मान दिलाने के लिए समाज को जागरूक किया जाना चाहिए। महिलाएँ किसी भी मायने में पुरुष से कम नहीं हैं। महिलाओं के कल्याण के लिए सरकार द्वारा बनाई गई सभी योजनाओं को लागू करवाने के लिए प्रयास करना चाहिए और प्रत्येक महिला को इसका लाभ मिलना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि यदि महिलाएँ विकसित और उन्नत नहीं हैं तो देश के उज्ज्वल भविष्य की कामना नहीं की जा सकती।

JAC Class 9 Hindi रीढ़ की हड्डी Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
रतन कौन है ? वह कैसा है ?
उत्तर :
रतन रामस्वरूप का नौकर है। वह बार-बार गलतियाँ करता रहता है और मालिक की डाँट फटकार सुनता रहता है। वह भुलक्कड़ प्रवृत्ति का है। वह कभी कुछ तो कभी कुछ भूलता ही रहता है। रामस्वरूप बाबू उसे उल्लू, कमबख्त और अन्य कई प्रकार की गालियाँ देकर फटकारते रहते हैं।

प्रश्न 2.
उमा अपने कमरे में मुँह फुलाकर क्यों लेटी हुई थी ?
उत्तर :
उमा आधुनिक लड़की है। वह पढ़-लिखकर जीवन में कुछ बनना चाहती है। उसके माता-पिता उसका विवाह करना चाहते थे। वह अभी विवाह नहीं करना चाहती। इसी कारण वह मुँह फुलाकर लेटी हुई थी। इसके साथ-साथ उमा को खूब सज-सँवरकर लड़के वालों के समक्ष आना बिल्कुल उचित नहीं लगता था। वह छोटी आयु में विवाह करके अपने भविष्य को भी चौपट नहीं करना चाहती थी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

प्रश्न 3.
रामस्वरूप अपनी पत्नी प्रेमा को गोपाल प्रसाद और शंकर के विषय में क्या बताता है?
उत्तर :
रामस्वरूप प्रेमा को बताता है कि उनकी लड़की उमा को देखने दो व्यक्ति आ रहे हैं। उनमें से एक लड़के का पिता बाबू गोपाल प्रसाद है जो दकियानूसी विचारों का है। वह स्वयं पढ़ा-लिखा है और पेशे से वकील है। बड़ी-बड़ी सभा सोसाइटियों में जाता है किंतु अपने लड़के के लिए ऐसी लड़की चाहता है जो अधिक पढ़ी-लिखी न हो। उनका लड़का शंकर बी०एससी० करने के बाद लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है। वह भी लड़कियों की उच्च शिक्षा के पक्ष में नहीं है। रामस्वरूप अपनी पत्नी को समझाता है कि वह उनके सामने उमा की उच्च शिक्षा की बात को छिपाकर ही रखे।

प्रश्न 4.
“अच्छा तो साहब, ‘बिजनेस’ की बातचीत हो जाए।” यह कथन किसका है ? इससे उसके चरित्र की किस विशेषता का पता
चलता है ?
उत्तर :
यह कथन बाबू गोपाल प्रसाद का है। वह विवाह को बिजनेस कहता है। उसकी दृष्टि में विवाह एक व्यापार है। वह उमा से भी इस प्रकार व्यवहार करता है जैसे वह अपने लड़के के लिए बहू नहीं अपितु घर के लिए कोई जानवर खरीद रहा हो। गोपाल प्रसाद बिजनेस के समान ही विवाह में भी लेन-देन की बात अवश्य करता किंतु उमा द्वारा फटकारने पर उसे वहाँ से उठने के लिए विवश होना पड़ता है। वह निश्चित रूप से अपने लड़के के लिए दहेज की माँग भी करता।

प्रश्न 5.
उमा गाना गाने के बाद गोपाल प्रसाद द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर क्यों नहीं देती हैं ?
उत्तर :
उमा जब गाना गाती है तो गाते-गाते उसका झुका हुआ मस्तक उठ जाता है और वह शंकर को देख लेती है। वह शंकर को पहचान लेती है। शंकर कुछ ही दिनों पहले लड़कियों के हॉस्टल के इर्द-गिर्द तांक-झाँक करता पकड़ा गया था और उसे वहाँ से भगाया गया था। उसे देखने के बाद उमा निश्चय कर लेती है कि वह उसके साथ किसी भी स्थिति में विवाह नहीं करेगी। इसी कारण बाबू गोपाल प्रसाद द्वारा पूछे गए सवालों का वह उत्तर नहीं देती।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

प्रश्न 6.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
रीढ़ की हड्डी एकांकी में लेखक ने अत्यंत सरल एवं बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है। भाषा प्रसंगानुकूल, भावानुकूल एवं पात्रों के अनुरूप है। लेखक ने अंग्रेजी के अनेक शब्दों को बड़े सहज भाव से प्रयोग किया है। एकांकी में आए अंग्रेजी के शब्द हैं- बैकबोन, हॉस्टल, मैट्रिक, वीक एंड पॉलिटिक्स, कॉलेज आदि। इसके साथ-साथ उर्दू-फारसी के शब्दों की भरमार है; जैसे-मर्ज, दकियानूसी, तकदीर, काबिल, जायका, निहायत, बेइज्जती, दगा, बेढब आदि। लेखक ने कहीं-कहीं मुहावरों का भी प्रयोग किया है। जैसे-भीगी बिल्ली बनना, चौपट कर देना आदि।

‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की शैली संवादात्मक है। लेखक ने छोटे-छोटे संवादों का प्रयोग करते हुए कथावस्तु को गति प्रदान की है। भाषा-शैली में नाटकीयता और चित्रात्मक का गुण सर्वत्र विद्यमान है।

प्रश्न 7.
रामस्वरूप बाबू के घर में साज-सज्जा क्यों हो रही थी ?
उत्तर :
रामस्वरूप बाबू के घर में सुबह से साज-सज्जा हो रही थी। इसका कारण यह था कि उनकी लड़की उमा को देखने के लिए लड़के वाले आ रहे थे। रामस्वरूप बाबू लड़के वालों की खातिरदारी की तैयारियाँ कर रहे थे क्योंकि वह यहाँ पर अपनी लड़की का रिश्ता पक्का करना चाहते थे।

प्रश्न 8.
उमा को देखने कौन-कौन आया ?
उत्तर :
उमा को देखने लड़के वाले आए। लड़के शंकर के साथ उसके पिता गोपाल प्रसाद आए।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

प्रश्न 9.
शंकर का व्यक्तित्व कैसा है ?
उत्तर :
शंकर खींसे निपोरने वाला नौजवान है। उसकी आवाज़ पतली और खिसियाहट से भरी हुई है। कमर झुकी हुई है इसलिए उसके मित्र उसे ‘बैक बोन’ बुलाते हैं। वह बी०एससी० के बाद लखनऊ मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है। उसका चरित्र ठीक नहीं है, वह गर्ल्स कॉलेज हॉस्टल की लड़कियों को छेड़ते हुए पकड़ा गया था।

प्रश्न 10.
गोपाल बाबू के पढ़ी-लिखी लड़की के लिए कैसे विचार थे ?
उत्तर :
गोपाल बाबू वकील थे। वे सभा-सोसाइटियों में जाते थे। उनका लड़का भी पढ़ा-लिखा था। परंतु उन्हें लड़के के लिए बहू कम पढ़ी-लिखी चाहिए थी। पढ़ी-लिखी लड़कियाँ उन्हें पसंद नहीं थी। उनके अनुसार पढ़ी-लिखी लड़कियों के नखरे बहुत होते हैं। वे घर का काम नहीं कर सकतीं। वे अंग्रेजी अखबार पढ़ने लगती हैं और पॉलिटिक्स पर बहस करती हैं। इसलिए उन्हें केवल गृहस्थी सँभालने वाली कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए।

प्रश्न 11.
रामस्वरूप ने उमा की शादी के लिए क्या झूठ बोला ?
उत्तर :
रामस्वरूप को भी एक आम पिता की तरह अपनी लड़की के विवाह की चिंता थी। उनकी लड़की उमा पढ़ी-लिखी थी। परंतु जो रिश्ता उसके लिए आया था, वे लोग कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते थे। इसलिए रामस्वरूप ने अपनी पढ़ी-लिखी लड़की को कम पढ़ी-लिखी बताया। उसके चश्मे का कारण आँख का दुखना बताया था। यह झूठ एक लड़की के पिता की मजबूरी भी दिखाता है।

प्रश्न 12.
उमा गोपाल प्रसाद की बातों का क्या जवाब देती है ?
उत्तर :
गोपाल प्रसाद उमा से कई तरह के सवाल पूछते हैं जिसका जवाब रामस्वरूप देते हैं। जब गोपाल प्रसाद कहते हैं कि उमा को जवाब देने दें। उस पर उमा के अंदर की मजबूरी बाहर आती है कि वह क्या जवाब दे। जब कोई मेज- कुर्सी बिकती है तो दुकानदार मेज – कुर्सी की मर्ज़ी नहीं पूछते, केवल उसे खरीददार को दिखा देते हैं। अब यह खरीददार की इच्छा पर होता है कि पसंद है या नहीं। वह भी एक मेज़ – कुर्सी की तरह है। उसके पिता ने उसे लड़के वालों के समक्ष प्रस्तुत किया है। उमा कहती है कि लड़कियों के भी दिल होते हैं। उन्हें भी चोट लगती है, वे लाचार भेड़-बकरियाँ नहीं हैं जिन्हें कसाई को अच्छी तरह दिखाया जाए। उमा के शब्दों में हर उस लड़की की मजबूरी है जिसे लड़के वालों के सामने सजावटी वस्तु बनाकर पेश किया जाता है।

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प्रश्न 13.
उमा ने शंकर के विषय में क्या सच्चाई बताई ?
उत्तर :
गोपाल प्रसाद को उमा के जवाब पसंद नहीं आए। उन्हें क्रोध आ जाता है। उन्हें लगता है कि उमा उनकी बेइज्जती कर रही है। उस समय उमा शंकर की असलियत बताती है कि शंकर पिछली फरवरी को लड़कियों के हॉस्टल के चक्कर लगाते हुए पकड़ा गया था। उसे वहाँ से कैसे भगाया गया था। एक बार वह नौकरानी के पैरों में गिरकर माफ़ी माँगते हुए भागा था। उमा कहती है कि उनके लड़के की तो बैक-बोन ही नहीं है। वह उनके लड़के की तरह नहीं है, उसे अपने माता-पिता की इज्ज़त का ध्यान है।

प्रश्न 14.
गोपाल बाबू अपने लड़के शंकर की कमियों को किस प्रकार ढकते हैं ?
उत्तर :
उमा ने सबके सामने शंकर की असलियत खोल दी। इस पर गोपाल प्रसाद बाबू को अपनी बेइज्जती लगती है। वह गुस्से में खड़े हो जाते हैं। वह रामस्वरूप बाबू से कहते हैं कि उन्होंने उनसे झूठ बोला है। उनकी लड़की ने हॉस्टल में रहकर बी०ए० किया है। उन्हें कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए थी। ऐसे झूठे लोगों से वह संबंध नहीं जोड़ना चाहते और घर से बाहर निकल जाते हैं। इस प्रकार एक घमंडी लड़के का पिता लड़की में कमी ढूँढ़ता हुआ अपने लड़के की कमियों को छिपाता है।

प्रश्न 15.
एकांकी के आधार पर उमा की चारित्रिक विशेषताएँ लिखें।
उत्तर :
एकांकी में उमा वह लड़की है जिसे लड़के वाले देखने आते हैं। उमा वर्तमान नारी का प्रतीक है। वह बी०ए० पढ़ी हुई है। उसे प्रदर्शन की वस्तु बनना पसंद नहीं है। वह गृह कार्य में दक्ष है। वह संगीत विद्या में भी निपुण है। उसे अन्याय सहन नहीं होता है। जब गोपाल प्रसाद बाबू उसके विषय में तरह-तरह के सवाल पूछते हैं तो उसे अपना अपमान लगता है। इसके लिए वह अपनी बातों से अपना विरोध प्रकट करती है। उसे यह पसंद नहीं है कि लड़की को उसकी इच्छा के बिना सजावटी वस्तु की तरह लड़के वालों के सामने प्रस्तुत कर दिए गए। इस प्रकार उमा एक वर्तमान नारी का उदाहरण प्रस्तुत करती है जो अपने अधिकार के लिए लड़ना जानती है। गलत का विरोध करती है और लड़के वालों को उनकी असलियत का आईना दिखाती है।

रीढ़ की हड्डी Summary in Hindi

पाठ का सार :

एकांकी ‘रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है। इस एकांकी के लेखक श्री जगदीश चंद्र माथुर हैं। इसमें उन्होंने लड़के और लड़की में भेदभाव करने वाले लोगों पर प्रहार करते हुए दोनों को समान सामाजिक प्रतिष्ठा देने की बात कही है। एकांकी का संक्षिप्त सार इस प्रकार है –

एकांकी का आरंभ रामस्वरूप बाबू के घर में होने वाली साज-सज्जा से होता है। उनकी लड़की उमा को देखने के लिए बाबू गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर आने वाले हैं। बावू रामस्वरूप, उनकी पत्नी प्रेमा और उनका नौकर रतन कमरे को सजाते हैं। बीच-बीच में बाबू रामस्वरूप अपने नौकर पर झुंझलाते भी हैं, तभी प्रेमा उन्हें बताती है कि उनकी लड़की उमा को जब से लड़के वालों के आने की बात कही है, तभी से वह मुँह फुलाए पड़ी है। रामस्वरूप अपनी पत्नी को कहते हैं कि वह उमा को जैसे-तैसे समझाकर तैयार कर दे। साथ ही वे अपनी पत्नी से कहते हैं कि लड़के वालों के सामने उमा की उच्च शिक्षा की बात नहीं बतानी है। वे कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते हैं, अतः वे उमा को मैट्रिक तक पढ़ा-लिखा ही बताएँगे।

उसी समय लड़के वालों का आगमन होता है। बाबू गोपाल प्रसाद पढ़े-लिखे और पेशे से वकील हैं। उनका बेटा शंकर बी० एससी० के बाद लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है। उसकी आवाज़ पतली और खिसियाहट भरी है। झुकी हुई कमर उसकी खासियत है रामस्वरूप अतिथियों की आवभगत करते हैं। गोपाल प्रसाद अपने अतीत की बातें करते हैं और आत्म-प्रशंसा करते हुए अपने आप को महान साबित करने की कोशिश करते हैं।

कुछ ही देर बाद गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ कहकर विवाह की बात छेड़ते हैं। रामस्वरूप उनके लिए नाश्ता लाकर उनकी सेवा करते हैं। कुछ इधर-उधर की बातों के बाद गोपाल प्रसाद स्पष्ट कहते हैं कि उन्हें कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए। उनका मत है कि लड़कियों को अधिक पढ़ाना बेकार है। पढ़ना और कमाकर लाना तो केवल पुरुषों का काम है। स्त्रियों का कार्य तो केवल घर-गृहस्थी संभालना है। गोपाल प्रसाद कहते हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त करना केवल लड़कों का अधिकार है, लड़कियों का नहीं। उनका लड़का शंकर भी उनकी इस विचारधारा का समर्थन करता है।

थोड़ी दी देर बाद रामस्वरूप अपनी बेटी उमा को आवाज़ लगाते हैं। पान की तश्तरी हाथों में लिए उमा अत्यंत सादे कपड़ों में आती है। उसकी आँखों पर लगे चश्मे को देखते ही गोपाल प्रसाद और शंकर चौंक पड़ते हैं। रामस्वरूप बताता है कि कुछ दिन पहले ही आँखों में आई कुछ खराबी के कारण ही वह चश्मा लगा रही है। गोपाल प्रसाद उससे गाने-बजाने के बारे में पूछते हैं। रामस्वरूप भी उमा को गाने के लिए कहते हैं। उमा सितार उठाकर मीरा का मशहूर गीत ‘मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई’ गाने लगती है।

वह गीत में इतना तल्लीन हो जाती है कि उसकी झुकी गर्दन ऊपर उठती है तो वह शंकर को देखती है। शंकर को देखते ही वह गाना बंद कर देती है। तब गोपाल प्रसाद उससे पेंटिंग, सिलाई और अन्य चीज़ों से संबंधित सवाल पूछते हैं किंतु उमा कोई उत्तर नहीं देती। गोपाल प्रसाद उसे बोलने के लिए कहते हैं। रामस्वरूप भी अपनी बेटी को जवाब देने के लिए कहता है। तरह-तरह के सवालों से अपमानित उमा कहती है कि लड़कियाँ केवल निर्जीव वस्तुएँ अथवा बेबस जानवर नहीं होतीं। उनका भी मान-सम्मान होता है। इस प्रकार तरह-तरह के सवाल पूछकर उन्हें अपमानित करना उचित नहीं है।

गोपाल प्रसाद जाने के लिए उठते हैं। तब उमा उन्हें बताती है कि जिस लड़के के लिए वे सर्वगुणसंपन्न लड़की चाहते हैं उनका वह लड़का लड़कियों के हॉस्टल के इर्द-गिर्द ताक-झाँक करता हुआ कई बार पकड़ा गया है। गोपाल प्रसाद को पता चल जाता है कि उमा पढ़ी-लिखी लड़की है। वे रामस्वरूप को कहते हैं कि उन्होंने उनके साथ धोखा किया है। यह कहकर वे दरवाज़े की ओर बढ़ते हैं। तब उमा कहती है कि जाइए और घर जाकर यह ज़रूर पता लगा लेना कि आपके लाडले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं।

बाबू गोपाल प्रसाद के चेहरे पर बेबसी का गुस्सा और शंकर के चेहरे पर रुआँसापन आ जाता है। दोनों बाहर चले जाते हैं। रामस्वरूप वहीं कुर्सी पर धम से बैठ जाते हैं। उमा रोने लगती है। घबराई हुई प्रेमा वहाँ पहुँचती है। तभी उनका नौकर रतन भी वहाँ आ जाता है। वह मेहमानों के लिए मक्खन लेने गया हुआ था। सभी रतन की ओर देखते हैं। यहीं एकांकी समाप्त हो जाती है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • सहसा – अचानक
  • मर्प्र – बीमारी
  • टीम-टाम – साज-सज्जा, शृंगार
  • तालीम – शिक्षा
  • खासियत – विशेषता
  • वीक-एंड – सप्ताह का अंतिम दिन
  • तकदीर – भाग्य
  • बैकबोन – रीढ़ की हड्डी
  • आमदनी – आय
  • तश्तरी – प्लेट
  • जायचा – जन्म-पत्री
  • पालिटिक्स – राजनीति
  • अधीर – बेचैन
  • बेबस – माबूर
  • होस्टल – छात्रावास
  • दगा – धोखा
  • भीगी बिल्ली की तरह – डरा-डरा सा जतन – यत्न, प्रयास
  • दकियानूसी – रूढ़िवादी
  • सब चौपट कर देना – काम बिगाड़ देना तकलीफ – परेशानी
  • मार्जिन – अंतर
  • काबिल – योग्य
  • जायका – स्वाद
  • बेढब – अजीव, विचित्र
  • निहायत – बहुत ही
  • खुद-ब-खुद – अपने आप
  • ज़ाहिर – पता चलना
  • खरीददार – चीज खरीदने वाला
  • बेइज्जती – अपमान
  • इर्द-गिर्द – आस-पास

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.1

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Exercise 1.1

प्रश्न 1.
क्या शून्य एक परिमेय संख्या है ? क्या इसे आप \(\frac{p}{q}\) के रूप में लिख सकते हैं, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q ≠ 0 है ?
हल:
हाँ, शून्य एक परिमेय संख्या है, जिसे \(\frac{p}{q}\) के रूप में लिख सकते हैं, जैसे
⇒ \(\frac{0}{1}, \frac{0}{-1}, \frac{0}{2}, \frac{0}{-2}\) आदि।
जहाँ p तथा q पूर्णांक हैं तथा q ≠ 0
अतः 0 एक परिमेय संख्या है।

प्रश्न 2.
3 और 4 के मध्य में छः परिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रथम विधि : हम जानते हैं कि दो परिमेय संख्याओं के मध्य परिमेय संख्या
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.1 1
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अथवा
द्वितीय विधि : ∵ 3 और 4 के मध्य 6 परिमेय संख्याएँ ज्ञात करनी हैं।
इसलिए अंश व हर में (6 + 1) 7 से गुणा करने पर 3 और 4 को निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है :
3 = \(\frac{3 \times 7}{1 \times 7}=\frac{21}{7}\)
4 = \(\frac{4 \times 7}{1 \times 7}=\frac{28}{7}\)
हम जानते हैं कि
21 < 22 < 23 < 24 < 25 < 26 < 27 < 28
अत: 3 = \(\frac{21}{7}\) और 4 = \(\frac{28}{7}\) के मध्य परिमेय संख्याएँ
\(\frac{22}{7}, \frac{23}{7}, \frac{24}{7}, \frac{25}{7}, \frac{26}{7}\) और \(\frac{27}{2}\) हैं।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.1

प्रश्न 3.
\(\frac{3}{5}\) और \(\frac{4}{5}\) के बीच पाँच परिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
∵ \(\frac{3}{5}\) व \(\frac{4}{5}\) के बीच पाँच परिमेय संख्याएँ ज्ञात करनी हैं।
\(\frac{3}{5}\) और \(\frac{4}{5}\)
लाक
और के अंश व हर में (5 + 1) = 6 से गुणा करने पर \(\frac{3}{5}\) व \(\frac{4}{5}\) को निम्न प्रकार लिख सकते हैं:
\(\frac{3}{5}=\frac{3 \times 6}{5 \times 6}=\frac{18}{30}\), \(\frac{4}{5}=\frac{4 \times 6}{5 \times 6}=\frac{24}{30}\)
हम जानते हैं कि
18 < 19 < 20 < 21 < 22 < 23 < 24
अतः \(\frac{3}{5}=\frac{18}{30}\) और \(\frac{4}{5}=\frac{24}{30}\) के मध्य पाँच परिमेय संख्याएँ
\(\frac{19}{30}, \frac{2}{3}, \frac{7}{10}, \frac{11}{15}, \frac{23}{30}\) हैं।

प्रश्न 4.
नीचे दिये गये कथन सत्य हैं या असत्य? कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए:
(i) प्रत्येक प्राकृत संख्या एक पूर्ण संख्या होती है ?
हल:
सत्य, प्रत्येक प्राकृत संख्या एक पूर्ण संख्या होती है।

(ii) प्रत्येक पूर्णांक एक पूर्ण संख्या होती है।
हल:
असत्य, क्योंकि पूर्णांक संख्याओं में ऋण संख्याओं को भी सम्मिलित किया जाता है जबकि पूर्ण संख्याएँ धनात्मक होती हैं। अतः प्रत्येक पूर्णांक एक पूर्ण संख्या नहीं है।

(iii) प्रत्येक परिमेय संख्या एक पूर्ण संख्या होती है।
हल:
असत्य, परिमेय संख्या धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों ही हो सकती हैं, जबकि पूर्ण संख्या में केवल धनात्मक संख्या ही आती हैं।

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 5 युक्लिड के ज्यामिति का परिचय

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JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 5 युक्लिड के ज्यामिति का परिचय

प्रस्तावना : शब्द ज्यामिति (geometry) यूनानी भाषा के दो शब्दों ‘जियो’ (geo) और ‘मेट्रन’ (metrein) से मिलकर बना है। जियो का अर्थ है ‘पृथ्वी’ और मेटून का अर्थ है ‘मापना’ अर्थात् ज्यामिति का उदय भूमि मापने की आवश्यकता के कारण हुआ होना प्रतीत होता है।

→ यद्यपि यूक्लिड ने ज्यामिति के बिन्दु, रेखा और तल को अपने शब्दों में परिभाषित किया था, परन्तु गणितज्ञों ने इन परिभाषाओं को आज तक पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है। इसलिए ज्यामिति में इन्हें अपरिभाषित पदों के रूप में ही लिया जाता है।

बिन्दु-रेखा-पृष्ठ पर यूक्लिड की परिभाषाएँ :

  • बिन्दु (Point) वह है जिसका कोई भाग नहीं होता।
  • रेखा (Line) चौड़ाई रहित लम्बाई होती है।
  • किसी रेखा के अन्तिम सिरे बिन्दु होते हैं ।
  • सीधी रेखा (Straight line) ऐसी रेखा है जो स्वयं पर बिन्दुओं के साथ सपाट रूप से स्थित होती है।
  • पृष्ठ (Surface) वह है जिसकी केवल लम्बाई और चौड़ाई होती है।
  • प्रत्येक पृष्ठ के किनारे (edges) रेखाएँ होती हैं।
  • समतल पृष्ठ (Plane Surface) स्वयं पर सीधी रेखाओं के साथ सपाट रूप से स्थित होता है।

→ अभिगृहीत और अभिधारणाएँ ऐसी कल्पनाएँ हैं जो स्पष्टतः सार्वभौमिक सत्य होती हैं। इन्हें सिद्ध नहीं किया जाता है।

JAC Class 9 Maths Notes Chapter 5 युक्लिड के ज्यामिति का परिचय

→ यूक्लिड के कुछ अभिगृहीत :

  • वे वस्तुएँ, जो किसी अन्य वस्तु के बराबर हों, आपस में भी बराबर होती हैं।
  • यदि भिन्न-भिन्न प्रकृति की समान वस्तुओं को अलग-अलग जोड़ा जाये, तो उनके योग भी बराबर होते हैं।
  • यदि बराबर वस्तुओं में से एक दूसरे को घटाया जाये, तो शेषफल भी बराबर होते हैं।
  • वे वस्तुएँ जो संपाती होती हैं, एक-दूसरे के बराबर होती हैं।
  • पूर्ण अपने किसी भी भाग से बड़ा होता है।
  • बराबर वस्तुओं के दुगुने भी परस्पर बराबर होते हैं।
  • किसी वस्तु के आधे भाग परस्पर बराबर होते हैं।

→ यूक्लिड की अभिधारणाएँ :
अभिधारणा 1. एक बिन्दु से एक अन्य बिन्दु तक एक रेखा खींची जा सकती है।
अभिधारणा 2. एक सांत रेखा को अनिश्चित रूप से बढ़ाया जा सकता है।
अभिधारणा 3. किसी बिन्दु को केन्द्र मानकर समान त्रिज्या से केवल एक वृत्त खींचा जा सकता है।
अभिधारणा 4. सभी समकोण एक-दूसरे के बराबर होते हैं।
अभिधारणा 5. यदि एक सीधी रेखा दो सीधी रेखाओं पर गिरकर अपने एक ही ओर दो अंत: कोण इस प्रकार बनाए कि इन दोनों कोणों का योग मिलकर दो समकोणों से कम हो, तो वे दोनों सीधी रेखाएँ अनिश्चित रूप से बढ़ाये जाने पर उसी ओर मिलती हैं जिस ओर यह योग दो समकोणों से कम होता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

JAC Class 9 Hindi मेरे संग की औरतें Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं ?
उत्तर :
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा नहीं था, परंतु अपनी नानी के संबंध में उसने जो कुछ भी सुना था, उसके कारण वह उनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुई थी। उसकी नानी ने पारंपरिक, अनपढ़ और परदे में रहने वाली स्त्री होते हुए भी विलायती ढंग से जीवन व्यतीत करने वाले बैरिस्टर पति के साथ बिना किसी शिकवे-शिकायत के जीवन व्यतीत किया था। मरने से पूर्व वे परदे का लिहाज़ छोड़कर पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से मिली और उनसे से वचन लिया था कि वे उनकी पुत्री का विवाह किसी स्वतंत्रता सेनानी से ही करवाएँगे। उनके इन्हीं क्रांतिकारी कदमों ने लेखिका को प्रभावित किया था।

प्रश्न 2.
लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही ?
उत्तर :
लेखिका की नानी ने जब स्वयं को मौत के करीब पाया, तो उन्हें अपनी पंद्रह वर्षीय इकलौती पुत्री के विवाह की चिंता होने लगी। वे अपने पति के अनुसार किसी साहबों के फ़रमा बरदार के साथ अपनी बेटी का विवाह नहीं होने देना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने अपने पति के मित्र प्यारेलाल शर्मा से वचन लिया कि वे उनकी बेटी का विवाह किसी स्वतंत्रता सेनानी से करवाएँगे। इस प्रकार अपनी बेटी का विवाह स्वतंत्रता सेनानी के साथ करवाकर उन्होंने आज़ादी के आंदोलन में योगदान दिया था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

प्रश्न 3.
लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी ? इस कथन के आलोक में-
(क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व विशेषताएँ लिखिए।
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर :
(क) लेखिका की माँ बहुत सुंदर, कोमल, व्यवहारिक, ईमानदार तथा निष्पक्ष भाव की महिला थीं। लेखिका की दादी के अनुसार, ‘हमारी बहू तो ऐसी है कि धोई, पोंछी और छींके पर टाँग दी।’ पति के गांधीवादी होने के कारण उन्हें खद्दर की साड़ी पहननी पड़ती थी। वे बच्चों से लाड़-प्यार नहीं करती थीं तथा उनके लिए खाना भी नहीं पकाती थीं। वे अपना अधिकांश समय पुस्तकें पढ़ने, साहित्य-चर्चा तथा संगीत सुनने में व्यतीत करती थीं। वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं और एक की गोपनीय बात दूसरे को नहीं बताती थीं। उन्हें घरवालों से आदर तथा बाहरवालों से स्नेह मिलता था।

(ख) लेखिका की दादी के घर का माहौल गांधीवादी था। उसके पिता की जेब में पुश्तैनी पैसा धेला एक नहीं था, पर वे होनहार थे। उनके घर में खादी के वस्त्र पहने जाते थे। लेखिका की माँ को खादी की साड़ी इतनी भारी लगती थी कि उनकी कमर चनका खा जाती थी। उसकी दादी का परिवार उसके नाना के विलायती रहन-सहन से बहुत प्रभावित था। इसलिए लेखिका की माँ से कोई ठोस काम नहीं करवाया जाता था, परंतु उनकी राय माँगकर उसे पूरी तरह निभाया जाता था। लेखिका की माँ को दादी के घर में पूरा सम्मान मिलता था। बच्चों की देखभाल भी लेखिका की माँ के अतिरिक्त दादी, जिठानियाँ, पिताजी आदि करते थे। घर में सबको पूरी आज़ादी थी। कोई किसी के पत्र के आने पर उससे उस विषय में प्रत्येक व्यक्ति को अपना निजत्व बनाए रखने की पूरी छूट थी। घर में परदादी भी थी।

प्रश्न 4.
आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी ?
उत्तर :
परदादी को सदा लीक से हटकर चलने की आदत थी। परिवार में परदादी के पुत्र तथा पोते की भी बहनें थीं, इसलिए कोई ऐसा कारण नहीं था कि परदादी पतोहू के लिए पहली संतान के रूप में लड़के के स्थान पर लड़की की मन्नत मानती। उन्होंने समाज में प्रचलित इस परंपरा को तोड़ने के लिए ही पतोहू की पहली संतान लड़की होने की मन्नत माँगी थी, क्योंकि आम लोग पहली संतान के रूप में लड़का माँगते हैं। वह संसार में प्रचलित परंपराओं के विरुद्ध चलना चाहती हैं, इसलिए वे लड़की के जन्म की मन्नत माँगती हैं।

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प्रश्न 5.
डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
लेखिका की बहन रेणु बी०ए० की परीक्षा न देने पर अड़ गई थी। वह बार-बार यही कहती थी कि पहले मुझे समझाओ कि बी०ए० करना क्यों ज़रूरी हैं। इसके बाद ही मैं बी०ए० करूँगी। सबने अनेक तर्क दिए, पर वह नहीं मानी। पिताजी ने उसे समझाया कि बी०ए० करके उसे नौकरी मिल सकती है; अच्छी शादी हो जाएगी; समाज में सम्मान मिलेगा आदि। ये सब तर्क रेणु और स्वयं पिताजी को भी ठीक नहीं लगे। तब पिताजी ने उसे कहा कि बी०ए० करो, क्योंकि मैं कह रहा हूँ। इस प्रकार से सहज भाव से कहने पर रेणु ने बी०ए० पास कर लिया। अतः स्पष्ट है कि डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की अपेक्षा सहजता से किसी से भी कोई कार्य करवाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’ – इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
लेखिका जब कर्नाटक के छोटे-से कस्बे बागलकोट पहुँची तो उसके दो बच्चे हो चुके थे, जो स्कूल जाने योग्य थे। बागलकोट में कोई स्कूल नहीं था। उसने पास के कैथोलिक बिशप से मिशन और वहाँ के सीमेंट कारखाने की आर्थिक सहायता से बागलकोट में प्राइमरी स्कूल खोलने का अनुरोध किया। क्योंकि वहाँ क्रिश्चियनों की संख्या कम थी, इसलिए उन्होंने स्कूल खोलने में असमर्थता व्यक्त की। तब लेखिका ने अपने जैसे विचार वाले लोगों की सहायता से वहाँ अंग्रेज़ी – कन्नड़ – हिंदी भाषाएँ पढ़ाने वाला प्राइमरी स्कूल खोला और बाद में उसे कर्नाटक सरकार से मान्यता भी दिलवाई।

प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इनसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है ?
उत्तर :
इस पाठ में लोग अपनी-अपनी पसंद के अनुसार किसी-किसी को अधिक श्रद्धा भाव से देखते हैं। लेखिका की नानी परंपरावादी होते हुए भी मरने से पहले अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से अपनी इकलौती बेटी का विवाह अंग्रेज सरकार के गुलामों से न करके किसी स्वतंत्रता सेनानी से करवाने का वायदा लेती है। इस प्रकार आज़ादी की लड़ाई में किसी भी रूप से सहयोग देने के कारण वह श्रद्धा की पात्र है। लेखिका की परदादी चोर को खेतीहर बनाकर श्रद्धा योग्य बनती है। लेखिका के नाना के प्रति लेखिका की माँ का ससुराल पक्ष श्रद्धावान है, क्योंकि उनका साहबी दबदबा है। हम लेखिका के प्रति श्रद्धावान हैं, क्योंकि उसने विषम परिस्थितियों में जीवन जीया है तथा औरों को भी जीना सिखाया है। डालमिया नगर में नाटक मंडली बनाना तथा बागलकोट में प्राइमरी स्कूल खुलवाना लेखिका के प्रति हमें नतमस्तक कर देता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

प्रश्न 8.
‘सच, अकेलेपन का मज़ा ही कुछ और है – इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
लेखिका की बहन रेणु – लेखिका की बहन रेणु अत्यंत संवेदनशील तथा ज़िद्दी स्वभाव की है। स्कूल से बस स्टैंड तक वह बस से आती है, परंतु बस स्टैंड से घर तक घर से आई हुई गाड़ी में न बैठकर पैदल जाती है क्योंकि उसे इस प्रकार गाड़ी में बैठना सामंतशाही लगता है। वह सबकी चुनौतियाँ भी स्वीकार कर लेती है। बचपन में किसी की चुनौती स्वीकार कर उसने जनरल थिमैया को पत्र लिखकर उनका चित्र मँगवाया था, जो उसे मिल भी गया था। उसे परीक्षाएँ देना अच्छा नहीं लगता था। बी०ए० की परीक्षा उसने पिता के कहने पर ही उत्तीर्ण की थी।

एक दिन तेज वर्षा में भी वह सबके मना करने पर दो मील पैदल चलकर स्कूल गई और स्कूल बंद देखकर लौट आई थी। लेखिका – लेखिका पाँच बहनों में दूसरे नंबर पर है। वह दिल्ली के कॉलेज में पढ़ाती थी, परंतु विवाह के बाद उसे डालमियानगर तथा बागलकोट जैसे छोटे कस्बों में रहना पड़ा था। वहाँ अकेले होते हुए भी उसने अपने प्रयासों से डालमियानगर में अपने जैसे विचारों वालों से मिलकर नाटक मंडली बनाई और नाटकों का मंचन कर विभिन्न सहायता कोषों में सहयोग राशि दी। अपने प्रयत्नों से बागलकोट में बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल भी खुलवाया। इस प्रकार स्पष्ट है कि ये दोनों बहनें अकेले चलकर भी बहुत कुछ कर सकीं, क्योंकि अकेलेपन का मज़ा ही कुछ और होता है।

JAC Class 9 Hindi मेरे संग की औरतें Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखिका की नानी ने किससे क्या वचन लिया और क्यों ?
उत्तर :
लेखिका की नानी ने अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से यह वचन लिया कि वे उनकी इकलौती बेटी का विवाह किसी उन जैसे स्वतंत्रता सेनानी से करवा देंगे, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी बेटी का विवाह साहबों के किसी आज्ञाकारी व्यक्ति से हो।

प्रश्न 2.
जिस लड़के से लेखिका की माँ का विवाह हुआ, वह कौन था ?
उत्तर :
लेखिका की माँ का विवाह जिस लड़के से हुआ था, वह बहुत पढ़ा-लिखा तथा होनहार था। आर्थिक दृष्टि से उसके पास कोई पुश्तैनी जायदाद अथवा जमा पूँजी नहीं थी। वह गांधीवादी था और खादी पहनता था। आज़ादी के आंदोलनों में भाग लेने के कारण उसे आई० सी० एस० की परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

प्रश्न 3.
लेखिका की परदादी का तार भगवान से कैसे जुड़ा हुआ था ?
उत्तर :
लेखिका की परदादी बहुत ही धार्मिक विचारों की महिला थी तथा उसका जीवन अत्यंत सीधा-सादा था। नकुड़ गाँव के लोगों की मान्यता थी कि उनका भगवान के साथ सीधा तार जुड़ा है, इधर वे तार खींचती और उधर उनकी मुराद पूरी हो जाती थी। उन्होंने जब पतोहू की पहली संतान लड़की माँगी, तो भगवान ने उनकी इच्छा पूरी करते हुए पतोहू को एक नहीं बल्कि पाँच लड़कियाँ दे दी थीं। परदादी की हर इच्छा को भगवान पूरी कर देते थे, इसलिए उनके तार भगवान से जुड़े हुए माने जाते थे।

प्रश्न 4.
लेखिका के परिवार में कौन-कौन किस-किस नाम से लिखता है ?
उत्तर :
लेखिका के परिवार में उसकी बड़ी बहन रानी ‘मंजुल भगत’ के नाम से लिखती हैं। उन्होंने अपने विवाह के बाद लिखना आरंभ किया था, इसलिए अपना नाम बदलकर पति का ग्रहण किया। लेखिका का घर का नाम ही उमा था। उसने भी शादी के बाद लिखना शुरू किया और अपना नाम मृदुला गर्ग रख लिया। सबसे छोटी बहन अचला ने अपने नाम से लिखा, परंतु वह अंग्रेजी में लिखती है। लेखिका का छोटा भाई राजीव भी लिखता है, लेकिन वह हिंदी में ही लिखता है। इस प्रकार लेखिका के परिवार के चार सदस्य लिखते हैं।

प्रश्न 5.
लेखिका और उसकी बहनों में कौन-सी बात एक-सी रही ?
उत्तर :
लेखिका और उसकी बहनों में एक बात एक-सी रही थी। सभी बहनों ने अपना घर-बार चाहे परंपरागत ढंग से न चलाया हो परंतु उन्होंने अपने घरों को तोड़ा भी नहीं है। वे मानती हैं कि विवाह एक बार किया जाता है और उसे उन्होंने पूरी तरह से निभाया है। उन सबकी यह मान्यता रही है कि ‘मर्द बदलने से कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं होता। घर के भीतर रहते हुए भी, अपनी मर्जी से जी लो, तो काफ़ी है।’

प्रश्न 6.
लेखिका ने बागलकोट में कैथोलिक बिशप से जब प्राइमरी स्कूल खोलने का आग्रह किया, तो उनका क्या उत्तर था ?
उत्तर :
लेखिका ने जब बागलकोट के कैथोलिक बिशप से प्रार्थना की कि वे मिशन और सीमेंट कारखाने की आर्थिक सहायता से वहाँ प्राइमरी स्कूल खुलवा दें, तो उन्होंने कहा कि यहाँ क्रिश्चियन जनसंख्या कम है इसलिए वे स्कूल खोलने में असमर्थ हैं। जब लेखिका ने अपना अनुरोध बार-बार दोहराया तो उन्होंने कहा कि हम कोशिश कर सकते हैं, यदि आप यह विश्वास दिलाएँ कि यह स्कूल अगले सौ वर्षों तक चलेगा। इस पर लेखिका को क्रोध आ गया और उसने कहा कि किसी के संबंध में भी यह विश्वास नहीं दिलाया जा सकता कि वह अगले सौ वर्ष तक चलेगा। इस पर वे भी गुस्से में भरकर बोले कि खुदा का लाख शुक्र है; बच्चों के न पढ़ पाने की समस्या आपकी है, मेरी नहीं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

प्रश्न 7.
लेखिका के नाना नानी से किस प्रकार भिन्न थे ?
उत्तर :
लेखिका की नानी परंपरावादी, अनपढ़ और परदेवाली औरत थी; परंतु उसके नाना ने विलायत से बैरिस्ट्री पढ़ी थी। उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त की थी। विलायत से वापस आने के बाद वे विलायती रीति-रिवाज़ के साथ जिंदगी गुज़ारने लगे थे। वे अंग्रेज़ों के प्रशंसक थे। वे अपनी पैदाइश के कारण हिंदुस्तानी थे, नहीं तो चेहरे-मोहरे, रंग-ढंग, पढ़ाई-लिखाई सबमें अंग्रेज़ लगते थे।

प्रश्न 8.
लेखिका की माँ आम भारतीय महिलाओं से कैसे भिन्न थी ?
उत्तर :
लेखिका की माँ आम भारतीय महिलाओं की तरह नहीं थी। उन्हें घरेलू काम करने की आदत नहीं थी। उन्होंने कभी भी लेखिका और उसके अन्य भाई-बहनों से लाड़-दुलार नहीं किया। उन्होंने कभी अपने बच्चों के लिए खाना नहीं बनाया और न ही अपनी बेटियों को अच्छी पत्नी, माँ और बहू बनने की सीख दी। उन्हें घर-परिवार सँभालने की आदत नहीं थी। उनका ज्यादा समय किताबें पढ़ने, संगीत सुनने और साहित्यिक चर्चा में व्यतीत होता था। उन्होंने कभी भी किसी के काम में हस्तक्षेप नहीं किया था। इस प्रकार वे आम महिलाओं से बिल्कुल अलग थी।

प्रश्न 9.
लेखिका की माँ कोई भी काम नहीं करती थी, फिर भी सबकी उनके प्रति इतनी श्रद्धा क्यों थी ?
उत्तर :
लेखिका के अनुसार उसकी माँ ने कभी भी आम महिलाओं की तरह घर में कोई कार्य नहीं किया था। वह पत्नी, माँ और बहू के किसी भी प्रचारित कर्तव्य का पालन नहीं करती थी। फिर भी परिवार के अन्य सदस्य उन्हें पूरी इज्जत देते थे। इसके दो कारण थे। एक तो वे साहबी खानदान से थीं तथा दूसरा वे कभी भी झूठ नहीं बोलती थीं। वे दूसरों की गोपनीय बातों को किसी पर भी जाहिर नहीं करती थी।

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प्रश्न 10.
लेखिका आज़ादी का पहला जश्न देखने क्यों नहीं जा सकी ?
उत्तर :
15 अगस्त, सन् 1947 को देश को आज़ादी मिली थी। चारों ओर आनंद का वातावरण था। सभी लोग आज़ादी का जश्न मना रहे थे। परंतु लेखिका बीमार थी। उसे टायफाइड हो गया था। उसका घर से निकलना बंद था। उसके रोने का किसी पर भी प्रभाव नहीं पड़ा। उसे और उसके पिताजी को छोड़कर सभी लोग आज़ादी का जश्न देखने चले गए। इस बात का लेखिका को बहुत दुःख था।

प्रश्न 11.
लेखिका को कौन-सा पहला उपन्यास पढ़ने को मिला था और उसका लेखिका पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर :
लेखिका आज़ादी के जश्न में नहीं गई थी। उसके पिताजी ने उसे पढ़ने के लिए ‘ब्रदर्स कारामजोव’ का उपन्यास दिया। उस समय उसकी आयु नौ वर्ष थी। उस समय लेखिका को वह उपन्यास समझ में नहीं आया था। लेकिन उसका एक अध्याय जो बच्चों पर होने वाले अनाचार अत्याचार का था, वह उसे कंठस्थ हो गया था। उसका लेखिका पर इतना प्रभाव था कि वह उम्र के हर पड़ाव में उनके साथ रहा तथा उनकी लेखनी को प्रभावित करता रहा।

प्रश्न 12.
लेखिका की बहन रेणु का स्वभाव कैसा था ?
उत्तर :
लेखिका की बहन रेणु का स्वभाव सबसे अलग था। वह अपने काम के लिए किसी को परेशान नहीं करती थी। उसे किसी भी तरह के ऐशो-आराम से परहेज था। उसका स्वभाव बहुत जिद्दी था। घर से कार उसे बस अड्डे पर लेने जाती, तो वह पैदल चलने में विश्वास करती। जिस काम के लिए उसे कहा जाता, वह उसका उल्टा करती थी। उसे पढ़ने के लिए कहा जाता, तो वह पूछती कि पढ़कर क्या मिलेगा, जो अब उसके पास नहीं है। कहने का अभिप्राय है कि वह अपने ढंग से जीवन व्यतीत करने में विश्वास करती थी। उसे दखल पसंद नहीं था। वह सच बोलने में माँ से भी दो कदम आगे थी। अधिकतर लोग उसके सच को मज़ाक समझ लेते थे। वह स्वतंत्र विचारों वाली थी।

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प्रश्न 13.
लेखिका की बहन चित्रा का स्वभाव कैसा था ?
उत्तर :
लेखिका की बहन चित्रा का स्वभाव भी अलग था। वह जो काम सोच लेती थी, उसे अवश्य पूरा करती थी। वह अपनी पढ़ाई की अपेक्षा दूसरों को पढ़ाने में अधिक दिलचस्पी दिखाती थी। इससे उसके नंबर कम और दूसरों के नंबर अधिक आते थे। उसने शादी अपनी पसंद से की थी। यहाँ तक कि उसने लड़के से भी उसकी पसंद नहीं पूछी। लड़के से साफ कह दिया कि वह उससे शादी करना चाहती है। लड़के ने उसके आगे पहली मुलाकात में हथियार डाल दिए थे। चित्रा भी स्वतंत्र विचारों वाली थी।

प्रश्न 14.
क्या सबसे छोटी बहन अचला ने भी अपनी बहनों का अनुसरण किया था ?
उत्तर :
सबसे छोटी बहन अचला प्रारंभ से ही पिताजी के विचारों पर चलने वाली लगी थी। पिता की आज्ञा मानकर उसने अर्थशास्त्र और पत्रकारिता की। फिर पिता की पसंद के लड़के से शादी की। परंतु उसका मन घर-परिवार में अधिक नहीं लगा। उसने भी अपनी दोनों बड़ी बहनों की तरह लिखना शुरू कर दिया। वह अंग्रेज़ी में लिखती थी।

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प्रश्न 15.
पाँचों बहनों में क्या बात सामान्य थी ?
उत्तर :
पाँचों बहनों में एक बात सामान्य थी। उन्होंने शादी के बाद अपने घर-परिवार को परंपरागत तरीके से नहीं चलाया था, परंतु अपने परिवार को तोड़ा भी नहीं था। एक बार शादी की और उसे निभाया। उनके वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव रहे। बात तलाक तक भी पहुँची, परंतु शादी को टूटने नहीं दिया। लगभग सभी ने अपने-आप को व्यस्त रखने के लिए लिखना आरंभ कर दिया था। उनका विश्वास था कि मर्द बदलने से कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं होता। घर के अंदर भी अपने ढंग से जीवन व्यतीत कर लो, वह बहुत है।

मेरे संग की औरतें Summary in Hindi

पाठ का सार :

‘मेरे संग की औरतें’ मृदुला गर्ग द्वारा रचित संस्मरण है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि परंपरागत रूप से जीवन व्यतीत करते कैसे लीक से हटकर जीया जाता है। लेखिका की एक नानी थीं, जिन्हें उसने देखा नहीं था। लेखिका की माँ के विवाह से पूर्व ही उनकी मृत्यु हो गई थी। लेखिका की नानी एक परंपरागत, अनपढ़ तथा परदे में रहने वाली स्त्री थीं। नाना शादी के तुरंत बाद बैरिस्ट्री पढ़ने विलायत चले गए थे और लौटकर विलायती ढंग से जीवन जीने लगे थे, जबकि नानी अपने ही ढंग से जी रही थीं।

उन्होंने अपनी पसंद-नापसंद कभी भी अपने पति पर व्यक्त नहीं की। जब नानी मरने वाली थीं, तो उन्हें अपनी पंद्रह वर्षीय अविवाहिता बेटी की चिंता ने परदे का लिहाज़ छोड़ने पर विवश कर दिया। उन्होंने अपने पति से कहा कि वे उनके मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से मिलना चाहती हैं। सब उनके इस कथन से हैरान थे, पर नाना ने उन्हें प्यारेलाल शर्मा से मिलाया। नानी ने उनसे वचन ले लिया कि वे उनकी बेटी का विवाह किसी स्वतंत्रता सेनानी से ही करवाएँगे।

नानी की मृत्यु हो गई, परंतु लेखिका की माँ का विवाह एक ऐसे पढ़े-लिखे युवक से हुआ जिसे आई० सी० एस० की परीक्षा में इसलिए बैठने नही दिया गया था क्योंकि वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेता था। लेखिका की माँ बहुत ही कोमल तथा सुकुमारी महिला थीं। उन्हें पति के स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण गांधी जी के आदर्शों का पालन करते हुए तथा सादा जीवन व्यतीत करते हुए खादी पहननी पड़ती थी। ससुराल वालों की आर्थिक स्थिति अधिक सुदृढ़ नहीं थी, परंतु वे इसी बात से प्रसन्न थे कि उनके समधी पक्के साहब हैं।

लेखिका की माँ की सुंदरता, नजाकत, गैर-दुनियादारी और ईमानदारी का भी इस परिवार पर बहुत प्रभाव पड़ा था। उनसे कोई ठोस काम नहीं करवाया जाता था। वे बच्चों की देखभाल, लाड़-प्यार आदि पर ध्यान नहीं देती थीं तथा बच्चों के लिए खाना भी नहीं पकाती थीं। वे बीमार रहती थीं। उन्हें पुस्तक पढ़ने, साहित्य-चर्चा तथा संगीत सुनने में बहुत रुचि थी। परिवार वाले उन्हें कुछ नहीं कहते थे, क्योंकि वे साहबी परिवार से थीं। वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं और एक की गोपनीय बात दूसरे को नहीं बताती थीं।

इन्हीं विशेषताओं के कारण उन्हें घरवालों से आदर मिलता था तथा बाहरवालों से मित्रता। वे लेखिका तथा अन्य बच्चों की भी मित्र थीं। माँ के सारे काम लेखिका के पिता निभा देते थे। उनके पत्रों को भी घर में कोई नहीं खोलता था। घर में सबको अपना निजत्व बनाए रखने की पूरी छूट थी, जिस कारण वे तीन बहनें और छोटा भाई लेखन कार्य में लग सके। परंपरा से हटकर जीने वाली लेखिका की परदादी भी थीं। उनका व्रत था कि यदि कभी उनके पास दो से तीन धोतियाँ हो गईं, तो वे तीसरी धोती दान कर देंगी।

उन्होंने लेखिका की माँ के पहली बार गर्भवती होने पर मंदिर में जाकर लड़की की कामना की, जबकि सब पहली संतान लड़का चाहते हैं। उन्होंने अपनी इस इच्छा को सबके सामने भी व्यक्त कर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि माँ ने पाँच कन्याओं को जन्म दिया। लोगों का मानना था कि मेरी परदादी के भगवान से सीधे तार जुड़े हुए हैं। एक बार किसी विवाह के संदर्भ में सभी पुरुष गाँव से बाहर गए हुए थे तथा औरतें रतजगा मना रही थीं। एक चोर सेंध लगाकर परदादी के कमरे में घुस गया, तो उन्होंने पूछा कि कौन है ? उत्तर ‘जी मैं’ मिलने पर परदादी ने उसे पानी पिलाने के लिए कहा और लोटा पकड़ा दिया।

उसने घबराकर कहा कि मैं तो चोर हूँ। परदादी ने उसे अच्छी तरह से हाथ धोकर पानी लाने के लिए भेज दिया। पहरेदार ने उसे कुएँ पर देखकर पकड़ लिया, तो परदादी ने लोटे का आधा पानी स्वयं पीकर शेष उस चोर को पिला दिया और उसे अपना बेटा कहकर चोरी छोड़कर खेती करने की सलाह दे डाली। 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिलने पर लेखिका इंडिया गेट पर जाकर आज़ादी का समारोह देखना चाहती थी, परंतु टाइफाइड के कारण न जा सकी। उस समय वह नौ वर्ष की थी। वह रोने लगी, तो पिता ने उसे ‘ब्रदर्स कारामजोव’ उपन्यास पढ़ने के लिए दिया।

लेखिका को पुस्तकें पढ़ने का विशेष शौक था। वह रोना छोड़कर पढ़ने लगी। इस पुस्तक में निहित बच्चों पर होने वाले अत्याचार- अनाचार का अध्याय उसे कंठस्थ हो गया था। लेखिका व उसकी चारों बहनें लड़कियाँ होते हुए भी कभी हीनभावना से ग्रस्त नहीं हुईं और सदा लीक पर चलने से इनकार करती रहीं। पहली लड़की लेखिका की बड़ी बहन मंजुल भगत थी, जिनका घर का नाम रानी था। इन्होंने ये नाम विवाह के बाद लेखिका बनने पर रखा था। लेखिका का घर का नाम उमा था, परंतु साहित्य जगत में मृदुला गर्ग हुआ।

लेखिका से छोटी लड़की का घर का नाम गौरी और बाहर का चित्रा है, पर वह लिखती नहीं थी। चौथी रेणु और पाँचवीं अचला थी। इन पाँचों के बाद भाई पैदा हुआ, जिसका नाम राजीव रखा गया। अचला और राजीव भी लिखते हैं। अचला अंग्रेज़ी में लिखती थी, परंतु राजीव हिंदी में ही लिखता था। इन चारों का लिखा परिवार में सभी पढ़ते हैं, परंतु लेखिका को उसकी ससुराल में कोई नहीं पढ़ता। इससे वह प्रसन्न है कि घर में तो कोई उसकी आलोचना नहीं करेगा।

लेखिका अपनी उन बहनों की चर्चा करती है, जो लिखती नहीं थीं। चौथी बहन रेणु कार में बैठना सामंतशाही का प्रतीक मानकर गरमी की दुपहरी में भी बस अड्डे से घर पैदल आती थी, जबकि अचला गाड़ी में बैठकर आती थी। रेणु ने बचपन में एक बार चुनौती दिए जाने पर जनरल थिमैया को पत्र लिखकर उनका चित्र मँगवा लिया था, जो एक मोटर सवार फौजी उसे घर आकर दे गया था। तब से आस-पास के सभी बच्चे उसे मानने लगे थे।

उसे परीक्षा देना भी पसंद नहीं था। स्कूल कक्षाएँ तो उसने पास कर ली थीं, परंतु बी०ए० की परीक्षा न देने के लिए अड़ गई थी। उसका मानना था कि बी०ए० करने से क्या लाभ? उसे नौकरी व समाज में सम्मान पाने आदि के तर्क भी बी०ए० करने के लिए प्रभावित न कर सके तो पिताजी की खुशी के लिए उसने बी०ए० पास किया। सच बोलने में तो वह माँ से भी आगे थी। किसी की भेंट भी उसे अच्छी नहीं लगती थी।

यदि कोई उसे इत्र भेंट करता, तो वह कहती मुझे नहीं चाहिए क्योंकि मैं तो रोज नहाती हूँ। लेखिका की तीसरे नंबर की बहन चित्रा थी। वह कॉलेज में पढ़ती थी। वह स्वयं पढ़ने के स्थान पर दूसरों को पढ़ाने में अधिक रुचि रखती थी। इस कारण उसे परीक्षा में कम अंक मिलते थे। उसने स्वयं एक लड़के को पसंद करके अपने विवाह का निर्णय लिया था, जबकि उस लड़के, लड़के के माता-पिता तथा लेखिका के माता-पिता को भी यह पता नहीं था। उसने उस लड़के को पहली मुलाकात में ही अपना निर्णय बता दिया था और वह उससे विवाह करने के लिए तैयार हो गया था।

लेखिका की सबसे छोटी बहन अचला ने पिता के कथनानुसार अर्थशास्त्र, पत्रकारिता आदि की पढ़ाई करके उनकी इच्छा के अनुरूप ही विवाह किया। वह भी परंपरा के अनुसार न चलकर तीस वर्ष की होते ही लिखने लग गई थी। उन सब बहनों में एक बात एक-सी रही कि उन सबने घर-परिवार परंपरागत रूप से न चलाते हुए भी परिवार को तोड़ा नहीं। शादी एक बार की और उसे कायम रखा। शादी के बाद लेखिका को बिहार के छोटे-से कस्बे डालमिया नगर में रहना पड़ा, जहाँ फ़िल्म देखते समय स्त्री-पुरुष को पति-पत्नी होते हुए भी अलग-अलग बैठना पड़ता था।

वह वहाँ दिल्ली के कॉलेज में नौकरी छोड़कर गई थी। उसे नाटकों में अभिनय करने का शौक था। वहाँ उसने साल भर में ही अकाल राहत कोष के लिए नाटक किया था। कर्नाटक के बागलकोट में रहते हुए उसने बच्चों के लिए स्कूल भी चलाया और उसे कर्नाटक सरकार से मान्यता भी दिलवाई। लेखिका बहुत ज़िद्दी थी। अपने लेखन को भी उसने अपनी ज़िद्द से ही आगे चलाया था। लेकिन वह स्वयं को अपनी छोटी बहन रेणु के बराबर नहीं पहुँचा पाई थी। उदाहरणस्वरूप उन्नीस सौ पचास के आखिरी दिनों में दिल्ली में खूब वर्षा हो रही थी। सब यातायात ठप्प था।

रेणु को स्कूल बस लेने नहीं आई थी। सबने उसे समझाया कि स्कूल बंद होगा, मत जाओ। स्कूल में फोन था, पर वह भी ठप्प था। किसी का कहना न मानकर वह पैदल ही स्कूल चल दी। वह सड़क पर फैले पानी में दो मील पैदल चलकर स्कूल पहुँची और स्कूल बंद देखकर दो मील चलकर वापस घर पहुँची। सबने उसे कहा कि हमने तो पहले ही कह दिया था। उसने उसे भी नहीं माना। लेखिका को लगा कि रेणु का इस प्रकार पानी में लब-लब करते, सुनसान शहर में निपट अकेले अपनी ही धुन में मंज़िल की तरफ चले जाना-इस अकेलेपन का मजा ही और था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • ज्ञाहिर – स्पष्ट
  • मर्म – रहस्य, भेद
  • परदानर्शी – परदा करने वाली
  • इज़हार – व्यक्त करना, प्रकट करना
  • मुहज्तोर – बहुत बोलने वाली
  • लिहाज़ – व्यवहार
  • नज़ाकत – सुकुमारता
  • हैरतअंगेज़ – आश्चर्यजनक
  • फ़रमा बरदार – आज्ञाकारी
  • जुनून – सनक
  • दरअसल – वास्तव में
  • बाशिंदों – निवासियों
  • अभिभूत – वशीभूत
  • ख्वाहिश – इच्छा
  • रज़ामंदी – स्वीकार करना
  • मुस्तैद – चुस्त
  • फ़ायदा – लाभ
  • फ़ज़ल – कृपा, दया
  • अपरिग्रह – संग्रह न करना
  • पोशीदा – गुप्त रखना, छिपाना
  • वाजिब – उचित
  • बदस्तूर – नियमपूर्वक
  • आरजू – इच्छा
  • गुमान – अनुमान, कल्पना
  • जुस्तजू – तलाश, खोज
  • जुगराफ़िया – भूगोल, नक्शा
  • अकबकाया – घबराया
  • जश्न – समारोह
  • शिरकत – शामिल होना, भाग लेना
  • इजाज़त – आज्ञा
  • मोहलत – अवकाश
  • फ़ारिग – काम से खाली होना
  • खरामा-खरामा – धीरे-धीरे
  • इसरार – आग्रह
  • मलाल – खेद, दुख

JAC Class 12 Political Science Solutions in Hindi & English Jharkhand Board

JAC Jharkhand Board Class 12th Political Science Solutions in Hindi & English Medium

JAC Board Class 12th Political Science Solutions in Hindi Medium

Jharkhand Board Class 12th Political Science Part 1 Contemporary World Politics (समकालीन विश्व राजनीति भाग-1)

Jharkhand Board Class 12th Political Science Part 2 Politics in India since Independence (स्वतंत्र भारत में राजनीति भाग-2)

JAC Board Class 12th Political Science Solutions in English Medium

JAC Board Class 12th Political Science Part 1 Contemporary World Politics

  • Chapter 1 The Cold War Era
  • Chapter 2 The End of Bipolarity
  • Chapter 3 US Hegemony in World Politics
  • Chapter 4 Alternative Centres of Power
  • Chapter 5 Contemporary South Asia
  • Chapter 6 International Organisations
  • Chapter 7 Security in the Contemporary World
  • Chapter 8 Environment and Natural Resources
  • Chapter 9 Globalisation

JAC Board Class 12th Political Science Part 2 Politics in India since Independence

  • Chapter 1 Challenges of Nation Building
  • Chapter 2 Era of One-party Dominance
  • Chapter 3 Politics of Planned Development
  • Chapter 4 India’s External Relations
  • Chapter 5 Challenges to and Restoration of the Congress System
  • Chapter 6 The Crisis of Democratic Order
  • Chapter 7 Rise of Popular Movements
  • Chapter 8 Regional Aspirations
  • Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics

JAC Class 12 Political Science Important Questions in Hindi & English Jharkhand Board

JAC Jharkhand Board Class 12th Political Science Important Questions in Hindi & English Medium

JAC Board Class 12th Political Science Important Questions in Hindi Medium

Jharkhand Board Class 12th Political Science Important Questions: समकालीन विश्व राजनीति

Jharkhand Board Class 12th Political Science Important Questions: स्वतंत्र भारत में राजनीति

JAC Board Class 12th Political Science Important Questions in English Medium

JAC Board Class 12th Political Science Important Questions: Contemporary World Politics

  • Chapter 1 The Cold War Era Important Questions
  • Chapter 2 The End of Bipolarity Important Questions
  • Chapter 3 US Hegemony in World Politics Important Questions
  • Chapter 4 Alternative Centres of Power Important Questions
  • Chapter 5 Contemporary South Asia Important Questions
  • Chapter 6 International Organisations Important Questions
  • Chapter 7 Security in the Contemporary World Important Questions
  • Chapter 8 Environment and Natural Resources Important Questions
  • Chapter 9 Globalisation Important Questions

JAC Board Class 12th Political Science Important Questions: Politics in India since Independence

  • Chapter 1 Challenges of Nation Building Important Questions
  • Chapter 2 Era of One-party Dominance Important Questions
  • Chapter 3 Politics of Planned Development Important Questions
  • Chapter 4 India’s External Relations Important Questions
  • Chapter 5 Challenges to and Restoration of the Congress System Important Questions
  • Chapter 6 The Crisis of Democratic Order Important Questions
  • Chapter 7 Rise of Popular Movements Important Questions
  • Chapter 8 Regional Aspirations Important Questions
  • Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics Important Questions

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

JAC Class 9 Hindi इस जल प्रलय में Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे ?
उत्तर :
बाढ़ की खबर सुनकर लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने लगे। लोगों ने अपने घर में ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, पीने का पानी, कांपोज़ की गोलियाँ, पत्र-पत्रिकाएँ आदि एकत्र करके रख ली, जिससे बाढ़ के दिनों में उन्हें खाने-पीने की तकलीफ़ न हो तथा बाढ़ के कारण घर से न निकल पाने की स्थिति में पत्रिकाएँ पढ़कर समय व्यतीत किया जा सके।

प्रश्न 2.
बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था ?
उत्तर :
लेखक बचपन से ही बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में ब्वॉय स्काउट, स्वयंसेवक, राजनीतिक कार्यकर्ता अथवा रिलीफ़ वर्कर के रूप में कार्य करता रहा है। इसलिए जब उसने सुना कि पटना के राजभवन, मुख्यमंत्री – निवास, राजेंद्रनगर, कंकड़बाग आदि क्षेत्रों में बाढ़ का पानी घुस आया है, तो वह बाढ़ के इस रूप को देखने के लिए उत्सुक हो उठा। अपनी इसी मनोवृत्ति के कारण बाढ़ की सही स्थिति जानने के लिए लेखक स्वयं अपनी आँखों से बाढ़ को देखना चाहता था।

प्रश्न 3.
सबकी जबान पर एक ही जिज्ञासा-‘पानी कहाँ तक आ गया है ?’- इस कथन से जनसमूह की कौन-सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं ?
उत्तर :
‘पानी कहाँ तक आ गया है’- लोगों के इस कथन से यह ज्ञात होता है कि लोग बाढ़ की विभीषिका से चिंतित थे। उनमें यह जानने की इच्छा भी थी कि बाढ़ का पानी कहाँ तक पहुँचा है, जिससे वे यह अनुमान लगा सकें कि उनका क्षेत्र बाढ़ से कितना सुरक्षित है अथवा क्या उन तक भी बाढ़ का पानी पहुँच सकता है। वे अपनी तथा अपने परिवार की बाढ़ से सुरक्षा करने के लिए प्रयत्नशील थे।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

प्रश्न 4.
‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा गया है और क्यों ?
उत्तर :
मृत्यु का तरल दूत बाढ़ के उफनते तथा तेज़ी से सबको अपने अंदर डुबोते हुए पानी को कहा गया है। बाढ़ का पानी जिस-जिस क्षेत्र में जा रहा था, वहाँ अपनी गति और तेज़ी से सबको डुबोता जा रहा था। इसलिए जब लेखक अपने मित्र के साथ रिक्शा पर बैठकर बाढ़ देख रहा था, तो भीड़ में से एक आदमी ने उन्हें सावधान करते हुए कहा था कि करेंट बहुत तेज़ है; आगे मत जाओ।

प्रश्न 5.
आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ़ से कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर :
आपदाओं से निपटने के लिए हमें सदा सचेत रहना चाहिए। पानी की निकासी के लिए नगर के नालों की सफ़ाई वर्षा ऋतु से पहले ही करवा देनी चाहिए। प्लास्टिक, पोलीथीन आदि से निर्मित वस्तुओं को नालों, सीवरों आदि में नहीं डालना चाहिए। नदियों में गंदगी प्रवाहित नहीं करनी चाहिए। इससे नदियों की गहराई कम हो जाती है। अपने घर में पर्याप्त खाद्य सामग्री, पेयजल, ईंधन, आवश्यक दवाइयाँ आदि रख लेनी चाहिए।

प्रश्न 6.
‘ईह ! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए… अब बूझो !’ – इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है ?
उत्तर :
इस कथन के द्वारा लेखक ने उन लोगों की मानसिकता पर चोट की है, जो अपनी चिंता तो करते हैं परंतु उन्हें दूसरों की कोई परवाह नहीं होती। पटना में बाढ़ आने पर सब लोग चिंतित थे तथा अपने-अपने बचाव में लगे हुए थे। लेकिन कुछ तमाशबीन बाढ़ का नज़ारा देखकर अपना मन बहला रहे थे। इसके विपरीत जब बिहार के किसी अन्य क्षेत्र में बाढ़ आती है, तो उन लोगों की दयनीय दशा की कोई चिंता नहीं करता और न ही कोई वहाँ की दुर्दशा देखने जाता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

प्रश्न 7.
खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी ?
उत्तर :
जब पटना में बाढ़ आई, तो दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद करके दुकान का सामान सुरक्षित स्थानों अथवा दुकान की ऊपर की मंज़िल पर पहुँचाना शुरू कर दिया था। इससे समस्त व्यापारियों की खरीद-बिक्री बंद हो गई थी। इस स्थिति में भी पानवालों की बिक्री अचानक इसलिए बढ़ गई थी, क्योंकि लोग पान वाले की दुकान पर लगे ट्रांजिस्टर से आकाशवाणी पटना द्वारा प्रसारित बाढ़ से संबंधित समाचारों को सुन रहे थे। इन समाचारों को सुनते हुए वे पान भी चबा रहे थे।

प्रश्न 8.
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए ?
उत्तर :
लेखक को जनसंपर्क विभाग की घोषणा से ज्ञात हुआ कि बाढ़ का पानी रात्रि के बारह बजे तक लोहानीपुर, कंकड़बाग और राजेंद्रनगर में घुस जाएगा। उसे अहसास हुआ कि उसके क्षेत्र में भी बाढ़ का पानी आ सकता है, इसलिए वह अपनी पत्नी से पूछता है कि गैस की क्या स्थिति है ? पत्नी के उत्तर से लगता है कि फिलहाल काम चल जाएगा। वह घर में खाद्य सामग्री, पीने का पानी, पढ़ने के लिए पत्रिकाओं, दवा आदि का प्रबंध भी कर लेता है।

प्रश्न 9.
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है ?
उत्तर :
बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में मलेरिया, हैजा, प्लेग, पैर की उँगलियों के सड़ने, तलवों में घाव होने, दस्त लगने, बुखार आदि बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है।

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प्रश्न 10.
नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कूद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया ?
उत्तर :
सन् 1949 में महानंदा की बाढ़ से घिरे वापसी थाना के एक गाँव में लेखक रिलीफ़ कार्य के लिए नौका लेकर गया। नौका पर एक डॉक्टर साहब भी थे। उन्हें गाँव के कई बीमारों को नाव पर चढ़ाकर कैंप लाना था। एक बीमार नौजवान के साथ उसका कुत्ता भी नाव पर चढ़ आया। जब डॉक्टर साहब ने नौजवान के साथ कुत्ते को ले जाने से मना कर दिया, तो नौजवान कहकर पानी में उतर गया कि कुत्ता नहीं जाएगा तो मैं भी नहीं जाऊँगा उसके पीछे-पीछे कुत्ता भी पानी में कूद गया। इससे इन दोनों की एक-दूसरे के प्रति असीम स्नेह की भावना व्यक्त होती है।

प्रश्न 11.
‘अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं-मेरे पास।’ मूवी कैमरा, टेप रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा ?
उत्तर :
लेखक चाहता था कि यदि उसके पास मूवी कैमरा होता, तो वह इस बाढ़ के दृश्य की फ़िल्म बनाता और टेप रिकॉर्डर में वह उन सब ध्वनियों को रिकॉर्ड करता जो इस बाढ़ के कारण उत्पन्न हो रही थीं। इनके अभाव में वह बाढ़ पर लेख लिखना चाहता था, परंतु कलम चोरी हो जाने से वह ऐसा भी नहीं कर पाया। अंत में वह ‘अच्छा हैं, कुछ भी नहीं – मेरे पास’ इसलिए कहता है क्योंकि इन सबके अभाव में वह इस बाढ़ की विभीषिका को पूर्ण रूप से अपने मन में संजोकर रख सका है।

प्रश्न 12.
आपने भी देखा होगा कि मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती हैं, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
मीडिया द्वारा पूरी तरह से जाँचे – परखे बिना प्रस्तुत की गई घटनाएँ ही समस्याएँ बन जाती हैं। अभी – अभी समस्त संचार माध्यम यह प्रसारित कर रहे हैं कि ‘क’ देश का एक निर्दोष व्यक्ति गलती से सीमा पार कर ‘ख’ देश में चला गया है, जिसे वहाँ की सरकार आतंकवादी मानकर फाँसी की सज़ा दे रही है। ‘क’ देश उस निर्दोष को छोड़ने के लिए ‘ख’ देश से अनुरोध करता है, तो ‘ख’ देश उसके बदले में ‘क’ देश में फाँसी की सजा पाए हुए अपने नागरिक को देने के लिए कहता है। ‘ख’ देश का वह व्यक्ति अपराधी है। जब ‘ख’ देश से पूछा गया, तो उन्होंने इस प्रकार के किसी भी प्रस्ताव से इनकार कर दिया। इस प्रकार मीडिया द्वारा प्रस्तुत यह अस्पष्ट घटना समस्या बन गई।

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प्रश्न 13.
अपनी देखी-सुनी किसी आपदा का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
26 जनवरी का वह दर्दनाक दिन कभी भी भुलाया नहीं जा सकता, जब गुजरात के सब लोग दूरदर्शन पर गणतंत्र दिवस की परेड देख रहे थे कि अचानक आए भूकंप ने सारे प्रदेश को ही नहीं देश-विदेश को भी हिलाकर रख दिया। बड़े-बड़े भवन धराशायी हो गए थे और उनमें दबे हुए लोगों की चीख-पुकार से वातावरण त्रस्त था। हज़ारों दबकर मर गए। घायलों की संख्या भी अनगिनत थी। एक दुधमुँहा बालक सीढ़ियों के नीचे से सुरक्षित निकल आया था, पर उसे दूध पिलाने वाली माँ जीवित नहीं थी। राहत कार्य युद्ध- स्तर पर हो रहे थे। आवाज़ के भंडार खोल दिए गए थे। जगह-जगह राहत सामग्री पहुँचाई जा रही थी। रोते-बिलखते लोगों की दयनीय दशा सभी को व्यथित कर रही थी।

JAC Class 9 Hindi इस जल प्रलय में Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखक का गाँव किस क्षेत्र में था ? वहाँ लोग क्यों आते थे ?
उत्तर :
लेखक का गाँव बिहार राज्य के ऐसे क्षेत्र में था जहाँ प्रतिवर्ष पश्चिम, पूर्व और दक्षिण की कोसी, पनार, महानंदा व गंगा की बाढ़ से पीड़ित प्राणियों के समूह सावन-भादों में आकर वहाँ शरण लेते थे क्योंकि लेखक के गाँव की धरती परती थी।

प्रश्न 2.
लेखक को बाढ़ से घिरने का पहली बार अनुभव कब और कहाँ हुआ ?
उत्तर :
लेखक को बाढ़ से घिरने का पहली बार अनुभव सन् 1967 ई० में पटना में हुआ था। तब वहाँ लगातार अट्ठारह घंटे वर्षा हुई थी। इस वर्षा के कारण पुनपुन नदी का पानी पटना के राजेंद्रनगर, कंकड़बाग आदि निचले क्षेत्रों में घुस गया था। लेखक इसी क्षेत्र में रहता था, इसलिए उसने बाढ की इस विभीषिका को एक आम शहरी आदमी के रूप में भोगा था।

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प्रश्न 3.
मनिहारी में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए लेखक द्वारा क्या ले जाना आवश्यक था ?
उत्तर :
सन् 1947 ई० में लेखक गुरुजी अर्थात् सतीनाथ भादुड़ी के साथ गंगा की बाढ़ से पीड़ित मनिहारी क्षेत्र के लोगों की सहायता के लिए नाव पर गया। वहाँ लोगों के पैरों की उँगलियाँ पानी में रहने के कारण सड़ गई थीं तथा उनके तलवों में भी घाव हो गए थे, जिसके इलाज के लिए सबने इनसे ‘पकाही घाव’ की दवा माँगी। इसके अतिरिक्त उन लोगों को किरासन तेल और दियासलाई की भी ज़रूरत होती थी। इसलिए लेखक इन तीनों वस्तुओं को बाढ़ पीड़ितों में बाँटने के लिए अपनी नाव पर अवश्य रखता था।

प्रश्न 4.
परमान नदी की बाढ़ में डूबे हुए मुसहरों की बस्ती में जब लेखक राहत सामग्री बाँटने गया, तो वहाँ कैसा दृश्य था ?
उत्तर :
लेखक जब अपने साथियों के साथ मुसहरों की बस्ती में राहत सामग्री बाँटने गया, तो वहाँ ढोलक और मंज़ीरा बजने की आवाज़ आ रही थी। वहाँ एक ऊँचे मंच पर बलवाही नाच हो रहा था। कीचड़ भरे पानी में लथपथ भूखे-प्यासे नर-नारियों का झुंड खिलखिला रहा था।

प्रश्न 5.
सन् 1967 में पुनपुन नदी के पानी के राजेंद्रनगर में घुस आने पर वहाँ के सजे-धजे युवक-युवतियों ने क्या किया था ?
उत्तर :
सन् 1967 में जब पुनपुन नदी का पानी राजेंद्रनगर में आ गया था, तब वहाँ के कुछ सजे-धजे युवक-युवतियों ने नौका विहार करने का मन बनाया। वे नौका में बैठकर स्टोव पर केतली चढ़ाकर कॉफी बना रहे थे; साथ में बिस्कुट थे तथा ट्रांजिस्टर पर फ़िल्मी गाने बज रहे थे। एक लड़की कोई सचित्र पत्रिका पढ़ रही थी। जब यह नौका लेखक के ब्लॉक के पास पहुँची, तो छतों पर खड़े लड़कों ने इन पर छींटाकसी करके उन्हें वहाँ से भगा दिया।

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प्रश्न 6.
लेखक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से किस प्रकार जुड़ा हुआ था ?
उत्तर :
लेखक का जन्म परती क्षेत्र अर्थात् जहाँ की भूमि खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती, वहाँ हुआ था। अन्य क्षेत्रों में बाढ़ आने पर लोग उनके क्षेत्र की ओर आते थे। उस समय वह ब्वॉय स्काउट, स्वयंसेवक, राजनीतिक कार्यकर्ता अथवा रिलीफ़ वर्कर की हैसियत से बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए काम करता था। उस समय वह बाढ़ से पीड़ित लोगों की मानसिकता को समझने की कोशिश करता था। बाढ़ में संबंधित कई बातों का वर्णन लेखक ने अपने साहित्य में भी किया है।

प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने बाढ़ पर क्या-क्या लिखा है ?
उत्तर :
लेखक ने सबसे पहले हाई स्कूल में बाढ़ पर एक लेख लिखा था, जिस पर उसे प्रथम पुरस्कार मिला था। बड़े होने पर उसने धर्मयुग में ‘कथा – दशक’ के अंतर्गत बाढ़ की पुरानी कहानी को नए रूप के साथ लिखा था। लेखक ने जय गंगा (1947), कोसी (1948), हड्डियों का पुल (1948) आदि छोटे-छोटे रिपोर्ताज लिखे हैं। उन्होंने अपने उपन्यासों में बाढ़ की विनाशलीला के अनेक चित्र अंकित किए हैं।

प्रश्न 8.
जिन लोगों का बाढ़ से पहली बार सामना होता है, उनकी बाढ़ के पानी को लेकर कैसी उत्सुकता होती है ?
उत्तर :
लेखक ने वैसे तो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बहुत काम किया था, परंतु सन् 1967 में पटना में लेखक को बाढ़ के अनुभव से गुज़रना पड़ा। लोगों में बाढ़ के पानी को लेकर उत्सुकता थी। वह उसका जायजा लेने के लिए मौके पर पहुँचना चाहते थे। इसलिए लोग मोटर, स्कूटर, ट्रैक्टर, मोटर साइकिल, ट्रक, टमटम, साइकिल, रिक्शा आदि पर बैठकर पानी देखने जा रहे थे। जो लोग पानी देखकर लौट रहे थे, उनसे पानी देखने जाने वाले पूछते कि पानी कहाँ तक आ गया है ? जितने लोग होते उतने ही सवालों के जवाबों में पानी आगे बढ़ता जाता था। सबकी जुबान पर एक ही बात होती थी कि पानी आ गया है; घुस गया; डूब गया; बह गया।

प्रश्न 9.
बाढ़ वाले दिन गाँधी मैदान का दृश्य कैसा था ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
बाढ़ वाले दिन सब तरफ पानी ही पानी था। गाँधी मैदान में पानी भर गया था। पानी की तेज़ धाराओं में दीवारों पर लगे लाल-पीले रंग के विज्ञापनों की परछाइयाँ रंगीन साँपों के समान लग रही थीं। हज़ारों की संख्या में लोग गाँधी मैदान की रेलिंग के सहारे खड़े पानी की तेज धाराओं को इस प्रकार उत्सुकता से देख रहे थे, जैसे कि दशहरे के दिन रामलीला के ‘राम’ के रथ की प्रतीक्षा करते हैं। गाँधी मैदान में होने वाले आनंद उत्सव, सभा-सम्मेलन और खेलकूद की यादों को गेरुए रंग के पानी ने ढक लिया था। वहाँ की हरियाली भी धीरे-धीरे पानी में विलीन हो रही थी। यह सब देखना लेखक के लिए एक नया अनुभव था।

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प्रश्न 10.
‘बाढ़ तो बचपन से ही देखता आया हूँ, किंतु पानी का इस तरह आना कभी नहीं देखा।’ लेखक ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर :
लेखक बचपन से ही बाढ़ को देखता आ रहा था, बाढ़ पीड़ितों के लिए काम करता रहा था, परंतु उसने कभी बाढ़ के पानी को आते नहीं देखा था। उसने अपने जीवन में पहली बार बाढ़ के अनुभव को भोगा था। उसने पानी के आने का इंतजार किया था। लेखक सोचता है कि यदि यह पानी रात के समय आता तो उसका बुरा हाल हो जाता, क्योंकि रात के अँधेरे में पानी विकराल रूप धारण कर लेता है।

इस जल प्रलय में Summary in Hindi

पाठ का सार :

‘इस जल प्रलय में’ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा रचित एक मर्मस्पर्शी रिपोर्ताज है, जिसमें उन्होंने सन् 1975 ई० में पटना में आई प्रलयंकारी बाढ़ का आँखों देखे हाल का वर्णन किया है। लेखक का गाँव एक ऐसे क्षेत्र में था, जहाँ की विशाल और परती जमीन पर सावन-भादों के महीनों में पश्चिम, पूर्व और दक्षिण में बहने वाली कोसी, पनार, महानंदा और गंगा की बाढ़ से पीड़ित मानव और पशुओं का समूह शरण लेता था। उन्हें देखने से ही उनके क्षेत्र में आई बाढ़ के भयंकर रूप का अनुमान हो जाता था।

परती क्षेत्र में जन्म लेने के कारण लेखक तैरना नहीं जानता, परंतु दस वर्ष की आयु से ही वह ब्वॉय स्काउट, स्वयंसेवक आदि के रूप में बाढ़ पीड़ितों की सहायता करता रहा है। हाई-स्कूल में बाढ़ पर लिखे लेख पर उसे प्रथम पुरस्कार मिला था। लेखक ने धर्मयुग में ‘कथा – दशक’, ‘जय गंगा’, ‘डायन कोसी’, ‘हड्डियों का प्रलय’ आदि अपनी रचनाओं में बाढ़ की विनाश-लीलाओं का वर्णन किया है। सन् 1967 ई० में जब पटना में अट्ठारह घंटे लगातार वर्षा होती रही, तो एक शहरी आदमी की हैसियत से लेखक ने भी इस बाढ़ की विभीषिका को झेला था।

पटना का पश्चिमी क्षेत्र जब छातीभर पानी में डूब गया, तो वह घर में खाद्य सामग्री, पीने का पानी आदि समेट कर बाढ़ के उतरने की प्रतीक्षा करने लगा। सुबह उसने सुना कि राजभवन और मुख्यमंत्री निवास में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। दोपहर को पता चला कि गोलघर में भी पानी घुस आया है। सायं पाँच बजे लेखक अपने एक मित्र के साथ रिक्शे में बैठकर कॉफी हाउस तक बाढ़ के पानी की दशा देखने निकल पड़ा।

अन्य लोग भी अपने-अपने वाहनों पर पानी देखने निकल पड़े थे और सबकी एक ही जिज्ञासा थी कि पानी कहाँ तक आ गया है ? लोगों की बातचीत से लेखक को ज्ञात हुआ कि बाढ़ का पानी फ्रेजर रोड, श्रीकृष्णापुरी, पाटलिपुत्र कॉलोनी, बोरिंग रोड, वीमेंस कॉलेज आदि तक पहुँच गया था। कॉफी हाउस बंद था। पानी तेजी से उनकी ओर आ रहा था। वे रिक्शा मुड़वाकर अप्सरा सिनेमा हॉल से गांधी मैदान की ओर से निकले, तो देखा कि गांधी मैदान भी पानी से भर चुका था।

शाम को साढ़े सात बजे पटना के आकाशवाणी केंद्र ने घोषणा की कि पानी आकाशवाणी के स्टूडियो की सीढ़ियों तक पहुँच गया है। बाढ़ का पानी देखकर आ रहे लोग पान की दुकानों पर खड़े हँस-बोलकर समाचार सुन रहे थे, परंतु लेखक और उसके मित्र के चेहरों पर उदासी थी। कुछ लोग ताश खेलने की तैयारी कर रहे थे। राजेंद्रनगर चौराहे पर मैगजीन कॉर्नर पर पूर्ववत पत्र-पत्रिकाएँ बिक रही थीं।

लेखक कुछ पत्रिकाएँ लेकर तथा अपने मित्र से विदा लेकर अपने फ़्लैट में आ गया। वहाँ उसे जनसंपर्क विभाग की गाड़ी से लाउडस्पीकर पर की गई बाढ़ से संबंधित घोषणाएँ सुनाई दीं। उसमें सबको सावधान रहने के लिए कहा गया। लेखक पत्नी से गैस की स्थिति पूछता है तो वह बताती है कि फिलहाल बहुत है। रात गहरा रही है, परंतु बाढ़ के पानी के वहाँ तक आ जाने के भय से कोई सो नहीं पा रहा।

लेखक को सन् 1947 ई० में मनिहारी के क्षेत्र में गुरुजी के साथ गंगा की बाढ़ से पीड़ित क्षेत्र में नाव से जाने की याद आती है। चारों ओर पानी ही पानी था। एक द्वीप जैसे स्थान पर वह टाँगें सीधी करना चाहता था, तो गुरुजी ने उसे सावधान करते हुए कहा था कि पता नहीं वहाँ पहले से मौजूद लोग कुछ माँग न लें। इसके बाद लेखक को सन् 1949 ई० में महानंदा की बाढ़ से घिरे वापसी थाना के एक गाँव की याद आ जाती है।

इनकी नौका पर डॉक्टर भी थे। गाँव के कई बीमारों को नाव पर चढ़ाकर कैंप ले जाना था। वहाँ का एक बीमार नौजवान अपने साथ अपना कुत्ता भी ले जाना चाहता था। कुत्ता नहीं गया, तो वह भी नहीं गया। इसी प्रकार से परमान नदी की बाढ़ में डूबे मुसहरों की बस्ती में जब वे राहत सामग्री बाँटने गए, तो वहाँ के लोग भूखे-प्यासे होते हुए भी हँस-हँसकर ‘बलवाही’ नृत्य देख रहे थे। इसी संदर्भ में उसे सन् 1937 ई० की सिमरवनी-शंकरपुर की बाढ़ याद आ जाती है, जहाँ गाँव के लोग नाव के अभाव में केले के पौधे का भेला बनाकर काम चला रहे थे तथा जमींदार के लड़के नाव पर हारमोनियम-तबला के साथ जल-विहार कर रहे थे। गाँव के नौजवानों ने उनसे नाव छीन ली थी।

सन् 1967 ई० में जब पुनपुन का पानी राजेंद्रनगर में घुस गया, तो कुछ सजे-धजे युवक-युवतियों की टोली नाव पर स्टोव, केतली, बिस्कुट आदि लेकर जल-विहार करने निकले। उनके ट्रांजिस्टर पर ‘हवा में उड़ता जाए’ गाना बज रहा था। जैसे ही उनकी नाव गोलंबर पहुँची और ब्लॉकों की छतों पर खड़े लड़कों ने उनकी खिल्ली उड़ानी शुरू कर दी, तो वे दुम दबाकर हवा हो गए। रात के ढाई बज गए थे, पर पानी अभी तक वहाँ नहीं आया था।

लेखक को लगा कि शायद इंजीनियरों ने तटबंध ठीक कर दिया हो। चारों ब्लॉकों के लोग सोए नहीं थे, क्योंकि फ़्लैटों की रोशनियाँ जल-बुझ रही थीं। कुत्ते रह-रहकर भौंक रहे थे। लेखक को अपने उन मित्रों-संबंधियों की याद आ जाती है, जो पाटलिपुत्र कॉलोनी, श्रीकृष्णपुरी, बोरिंग रोड आदि क्षेत्रों में जल से घिरे हुए हैं। वह उनसे टेलीफ़ोन पर संपर्क करना चाहता है, पर टेलीफ़ोन डेड था।

बिस्तर पर करवटें बदलते हुए लेखक कुछ लिखने की सोचता रहा। उसे पिछले साल अगस्त में नरपतगंज थाना के चकरदाहा गाँव के पास छातीभर पानी में खड़ी उस गाय की याद आ जाती है, जो आजकल में ही बच्चा जनने वाली थी तथा उनकी ओर निरीह दृष्टि से देख रही थी। वह आँखें बंदकर उजले सफ़ेद भेड़ों के झुंड देखता है, जो कभी काले हो जाते हैं। तभी उसे झकझोर कर जगा दिया गया।

सुबह के साढ़े पाँच बज रहे थे। वह उठकर देखता है कि पश्चिम की ओर से थाने के सामने सड़क पर झाग-फेन लिए हुए बाढ़ का पानी आ रहा था। इसके साथ ही बच्चों का शोर भी सुनाई दे रहा था। लेकिन वह शोर बच्चों का न होकर मोड़ पर पानी के उछलने का स्वर था। पानी का पहला रेला ब्लॉक नंबर एक के पास पुलिस चौंकी के पीछे आया। फिर ब्लॉक नंबर चार के नीचे सेठ की दुकान की बायी तरफ लहरें पहुँच गईं।

लेखक दौड़कर छत पर चला गया। चारों ओर शोर और पानी की कलकल आवाज़ थी। सामने का फुटपाथ पार कर पानी अब तेज़ी से लेखक के फ़्लैट के पीछे बहने लगा। गोलंबर के पार्क के चारों ओर भी पानी था। पानी बहुत तेज़ गति से चढ़ रहा था। लेखक के घर के सामने की दीवार की ईंटें शीघ्रता से डूबती जा रही थीं। बिजली के खंभे का काला हिस्सा और ताड़ के पेड़ का तना भी डूब रहा था।

लेखक सोचता है कि यदि उसके पास मूवी कैमरा और टेप रिकॉर्डर होता, तो वह यह सारा दृश्य फ़िल्मा लेता। वह बाढ़ तो बचपन से देख रहा था, परंतु पानी का इस तरह आना उसने कभी नहीं देखा था। धीरे-धीरे गोल पार्क पानी में डूब गया। अब उनके चारों ओर पानी-ही-पानी था। वह बार-बार यही सोचता है कि काश उसके पास मूवी कैमरा, टेप रिकॉर्डर होता, कलम होती पर उसकी तो कलम भी चोरी हो गई थी। वह सोचता है कि अच्छा है कि आज उसके पास कुछ भी नहीं है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • इलाका – क्षेत्र
  • पनाह – शरण
  • परती – जिस ज़मीन पर कुछ भी बोया-जोता नहीं जाता
  • विभीषिका – भयानकता, भयंकरता
  • अंदाज्ञा – अनुमान
  • अविराम – लगातार, बिना रुके, निरंतर
  • वृष्टि – वर्षा
  • प्लावित – पानी में डूब जाना
  • अबले – अब तक
  • अनवरत – लगातार
  • अनर्गल – व्यर्थ, बेतुकी
  • अनगढ़ – बेडौल
  • स्वगतोक्ति – अपने आप में बोलना
  • जिज्ञासा – जानने की इच्छा
  • तरल – द्रव्य
  • अस्पुट – अस्पष्ट
  • अनुनय – प्रार्थना, विनय
  • गैरिक – गेरुए रंग का
  • आच्छादित – ढका हुआ
  • शनै: शनै: – धीरे-धीरे
  • सर्वथा – बिलकुल
  • उत्कर्ण – सुनने को उत्सुक
  • आसन्न – निकट आया हुआ
  • माकूल – उचित
  • कारबारियों – व्यापारियों
  • प्रतिध्वनि – गूंज
  • सन्नाटा – खामोशी
  • स्मृतियाँ – यादें
  • आकुल – व्याकुल
  • बालू – रेत
  • बलवाही – एक लोक-नृत्य
  • रूदन – रोना
  • आसन्न प्रसवा – जो शीघ्र ही संतान उत्पन्न करने वाली हो
  • आ रहलौ है – आ गया है
  • अवरोध – रुकावट
  • पिछवाड़े – पिछला हिस्सा
  • कलरव – शोर
  • सशक्त – तेज़ी से
  • लोप – छिपना, दिखाई न देना