JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग

वस्तुनिष्ठ

प्रश्न 1.
कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को कहा जाता है
(क) विनिर्माण
(ख) उद्योग
(ग) निर्माण
(घ) व्यापार
उत्तर:
(क) विनिर्माण

2. निम्न में से कौन-सा कृषि आधारित उद्योग नहीं है?
(क) पटसन उद्योग
(ख) रबर उद्योग
(ग) सीमेंट उद्योग
(घ) चीनी उद्योग
उत्तर:
(ग) सीमेंट उद्योग

3. निम्नलिखित में से कृषि के पश्चात् किस उद्योग ने सबसे अधिक रोजगार प्रदान किए हैं?
(क) चीनी उद्योग
(ख) लोहा-इस्पात उद्योग
(ग) वस्त्र उद्योग
(घ) पटसन उद्योग
उत्तर:
(ग) वस्त्र उद्योग

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4. चीनी मिलों का 60 प्रतिशत किन राज्यों में है?
(क) उत्तर प्रदेश व बिहार
(ख)बिहार व महाराष्ट्र
(ग) कर्नाटक व उत्तर प्रदेश
(घ) गुजरात व पंजाब
उत्तर:
(क) उत्तर प्रदेश व बिहार

5. निम्नलिखित में से कौन-सा आधारभूत उद्योग है?
(क). लोहा इस्पात
(ख) ताँबा प्रगलन
(ग) एल्यूमिनियम प्रगलन
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी

6. लोहा-इस्पात उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में लौह अयस्क, कोकिंग कोल एवं चूना पत्थर का क्रमशः अनुपात आवश्यक है
(क) 4 : 1 : 2
(ख) 4 : 2 : 1
(ग) 6 : 3 : 2
(घ) 3 : 2 : 5
उत्तर:
(ख) 4 : 2 : 1

7. उत्तेजना एवं मानसिक चिंता का स्रोत है
(क) ध्वनि प्रदूषण
(ख) वायु प्रदूषण
(ग) तापीय प्रदूषण
(घ) जल प्रदूषण
उत्तर:
(क) ध्वनि प्रदूषण

रिक्त स्थान सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. विनिर्माण क्षेत्र का विकास करने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय……की स्थापना की
उत्तर:
विनिर्माण प्रतिस्पर्धा परिषद्

2. भारत………को सूत निर्यात करता है।
उत्तर:
जापान,

3. भारत……..एवं……….सामान का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। ..
उत्तर:
पटसन, पटसन निर्मित,

4. भारत का पहला सीमेंट उद्योग सन्………में. चेन्नई में स्थापित किया गया है।
उत्तर:
1904,

5. बंगलूरू को भारत की……….के रूप में जाना जाता है।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक राजधानी

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी देश की आध्थिक उन्नति किन उद्योगों के विकास से मापी जाती है ?
उत्तर:
किसी देश की अर्थिक उन्नति विनिर्माण उद्योंगों के विकास से मापी जाती है।

प्रश्न 2.
राष्टीय विनिमाण प्रतिस्पधाँ परिषद् की स्थापना क्यों की गई है?
उत्तर:
देश की आर्थिक उन्नति में बृद्धि करने के लिए ताकि विनिर्माण उद्योग अपना लक्ष्य पूरा कर सकें

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प्रश्न 3.
प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर विनिर्माण उद्योगों को वर्गीकृत्त कीजिए।
उत्तर:
प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर विन्माण उद्नोग दो प्रकार के होते है

  1. कृषि आध्रारित,
  2. खनिज आधारित।

प्रश्न 4.
कोई दो खनिज आथारित उद्धोग बताइए।
उत्तर:
खनिज आधारित उस्रोग

  1. लोहा एवं इस्पात उद्योग,
  2. सीमेंट उद्योग।

प्रश्न 5.
आधारभूत उद्धोग क्या है?
उत्तर:
वह उद्योग जिनके उत्पादन पर दूसरे उहोग निर्भर रहंते हैं, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
उपभोक्ता उद्योग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
बे उद्योग जो उपभोक्ताओं के सीधे उपभोग हैतु उत्पाद्न करते है, उपभोकता उद्योग कहलाते है

प्रश्न 7.
पूँजी निवेश के आधार पर उद्मोगों को कितने में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
पूँजी निवेश के आधार पर उद्योगों को दो भागों में बॉटा जा सकता है:

  1. लघु उद्योग,
  2. वृहत उद्योग।

प्रश्न 8.
स्वामित्व के आधार पर उद्योर्गों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को तीन भार्गों में बाँटा जा सकता है

  1. सार्वरनिक क्षेत्र के उद्योग,
  2. संयुक्त उद्योग,
  3. सहकारी उद्योग।

प्रश्न 9.
सार्वजनिक उद्योग क्या है?
उत्तर:
धे उद्योग जो सरकार द्वारा निर्यंत्रित एवं संदालित होते है, सार्ब्जनिक उद्योग कहलाते हैं।

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प्रश्न 10.
सार्यंजनिक क्षेत्र के उद्योग के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग के उदाहरण-

  1. भारत हैवी इलैक्ट्रकल लिमिटेड (BHEL),
  2. स्टील अथारिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेह (SAIL)

प्रश्न 11.
संयुक्त उद्धोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
राज्य सरकार व निजी क्षेत्र के संखुक्त प्रयास से चलाये जाने वाले उद्योगों को संखुक्त उद्रोग कहते हैं।

प्रश्न 12.
सहकारी उद्योग किन्हें कहते है?
उत्तर:
वे उद्योग जिनका स्वामित्व कचे माल की पूर्ति करने वाले उत्पादकों, भ्रमिकों अथवा दोरों के हलथों में होता है, सहकारी उद्होग कहलाते हैं।

प्रश्न 13.
कृषि आधारित उद्योग किहें कहते हैं?
उत्तर:
चे उद्घोग जिन्हे अपना कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है; कृषि आधारित उद्योग कहलाते हैं।

प्रश्न 14.
भारत का पहला सफल सूती वस्त्र उद्योग कद्य व कहोँ लगा था?
उत्तर:
भारत का पहला सफल सूती वस्त्र उद्योग सन् 1854 में मुम्बईई में लगा था।

प्रश्न 15.
भारत में किन राज्यों में सूती वस्त्न उद्धोग का सर्वाजिक विकास हुआ है?
उत्तर:
भारत के महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्यों में सूती बस्त्र उयोग का सर्वाधिक विकास हुआ है।

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प्रश्न 16.
किन्हीं दो देशों के नाम बताइए जो भारत से सूती वस्त्रों का आयात करते है?
उत्तर:
भारत से सूती वस्तों का आयात करने वाले देश:

  1. जापान,
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका ।

प्रश्न 17.
पटसन वा पटसन निर्मित सामान का सबसे बड़ा उत्पादक है तथा बांग्लादेश के पश्चात् दूसरा बड़ा निर्चाँतक भी है।
उत्तर:
भारत।

प्रश्न 18.
प्रथम पटसन उद्योग कहाँ व कद्य स्थापित्त किया गाया?
उत्तर:
प्रथम पटसन उद्योग कोलकाता के निकट रिशरा में 1855 है. नें स्थापित किया गया।

प्रश्न 19.
विश्व स्तर पर भारत का चीनी उत्तादन में कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
विश्व स्तर पर भारत का चीनी उत्पदन में द्वितीय स्थान है।

प्रश्न 20.
पिछले कुछ वर्षों से दब्षिणी-पशिचमी राज्यों में चीनी मिलों की बकृती हुई संख्या का क्या कारण है?
उत्तर:

  1. दक्षिण-पशिचम भारत के गन्ने में सूक्रोस की मात्रा का अधिक होना।
  2. दक्षिण-पश्चिम भारत की जलवायु का अपेक्षाकृत उण्डा होना ।

प्रश्न 21.
लोहा-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
क्योंकि अन्य सभी भारी, हल्के पवं मध्यम उद्योग लोहा-इस्पात उद्योग से बनी मशीनरी पर निर्भर होते हैं।

प्रश्न 22.
लोहा-इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक कच्चा माल कौन-कौन सा है?
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग के लिए-आवश्यक कच्चा माल लौह अयस्क, कोकिंग कोल, चूना पत्थर एवं मेंगनीज़ हैं।

प्रश्न 23.
इस्पात को कठोर बनाने के लिए किस खनिज की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
इस्पात को कठोर बनाने के लिए मैंगनीज़ की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 24.
इस्पात का सबसे बड़ा उपभोक्ता एवं उत्पादक देश कौन-सा है?
उत्तर:
इस्पात का सबसे बड़ा उपभोक्ता एवं उत्पादक देश चीन है।

प्रश्न 25.
भारत का द्वितीय सर्वाधिक महत्वपूर्ण धातु शोधन उद्योग कौन-सा है?
उत्तर:
भारत का द्वितीय सर्वाधिक महत्वपूर्ण धातु शोधन उद्योग ऐल्यूमिनियम प्रगलन है।

प्रश्न 26.
………….. उद्योग का उपयोग हवाई जहाज बनाने में, बर्तन तथा तार बनाने में किया जाता है।
उत्तर:
ऐल्यूमिनियम।

प्रश्न 27.
ऐल्युमिनियम किससे निम्मित होता है?
उत्तर:
ऐल्यूमिनयिम बॉक्साइट से निर्मित होता है।

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प्रश्न 28.
अकार्बनिक रसायनों के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अकार्बनिक रसायनों के उदाहरण-

  1. सल्फ्यूरिक अम्ल,
  2. नाइट्रिक अम्ल।

प्रश्न 29.
पेट्रो रसायन का क्या उपयोग है?
उत्तर:
पेट्रो रसायन कृत्रिम रबर, प्लास्टिक, रंजक पदार्थ, दवाइयाँ, औषध रसायनों के निर्माण में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 30.
चूना पत्थर, सिलिका, एल्युमिना और जिप्सम ………… उद्योग के कच्चे माल हैं।
उत्तर:
सीमेंट।

प्रश्न 31.
सीमेंट बनाने के लिए काम में आने वाले किन्हीं दो कच्चे मालों का नाम लिखिए।
उत्तर:
सीमेंट बनाने में काम में आने वाले कच्चे माल

  1. चूना पत्थर,
  2. सिलिका,
  3. जिप्सम आदि हैं।

प्रश्न 32.
कौन-सा शहर भारत की इलैक्ट्रॉनिक राजधानी कहलाता है?
उत्तर:
बंगलौर (बैंगलूरु) भारत की इलैक्ट्रॉनिक राजधानी कहलाता है।

प्रश्न 33.
कर्नाटक राज्य में स्थित प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क का नाम लिखिए।
उत्तर:
बंगलौर (बैंगलूरु)।

प्रश्न 34.
उद्योग कौन-कौन से प्रदूषण के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
उद्योग चार प्रकार के प्रदूषण के लिए उत्तरदायी हैं:

  1. वायु,
  2. जल,
  3. भूमि एवं
  4. ध्वनि प्रदूषण।

प्रश्न 35.
जल प्रदूषण के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
जल प्रदूषण के प्रमुख कारकों में कागज, लुग्दी, रसायन, वस्त्र व रैंगई उद्योग, तेलशोधन शालाएँ, चमड़ा उद्योग एवं इलेक्ट्रॉप्लेटिंग उद्योग आदि हैं

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प्रश्न 36.
कारखानों द्वारा निष्कासित एक लीटर अपशिष्ट से कितना जल दूषित होता है?
उत्तर:
कारखानों द्वारा निष्कासित एक लीटर अपशिष्ट से लगभग आठ गुना स्वच्च जल दूषित होता है।

प्रश्न 37.
भारत में विद्युत प्रदान करने वाले प्रमुख निगम का नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रीय ताप विद्युत गृह कॉरपोरेशन विद्युत् प्रदान करने वाला मुख्य निगम है।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
विनिर्माण उद्योग को आर्थिक विकास की रीढ़ क्यों कहा जाता है?
अथवा
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विनिर्माण उद्योगों का क्या महत्व है?
अथवा विनिर्माण उद्योग के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विनिर्माण उद्योग को निम्न कारणों से विकास की रीढ़ माना जाता है

  1. यह द्वितीयक एवं तृतीयक सेवाओं में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर कृषि पर जनसंख्या की निर्भरता को कम करता है।
  2. देश के विभिन्न भागों में स्थापित बिनिर्माण उद्योग लोगों को रोजगार उपलब्ध कराकर गरीबी को कम करने का प्रयास करते हैं।
  3. जनजातीय एवं पिछड़े क्षेत्रों में स्थापित विनिर्माण उद्योग क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने में सहायक होते हैं।
  4. विनिर्माण उद्योगों से प्राप्त उत्पादों के निर्माण से व्यापार और वाणिज्य का विस्तार होता है तथा देश को विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
निजी एवं सहकारी क्षेत्र के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए। उत्तर-निजी एवं सहकारी क्षेत्र के उद्योगों में निम्नलिखित अन्तर हैं

निजी क्षेत्र के उद्योग सहकारी क्षेत्र के उद्योग
1. इन उद्योगों का स्वामित्व किसी व्यक्ति, फर्म अथवा समूह के पास होता है। 1. ये उद्योग कुछ लोगों के समूह द्वारा सहकारिता के आधार पर चलाए जाते हैं।
2. इन उद्योगों में व्यक्ति. फर्म अथवा समूह पूँजी का निवेश करते हैं। 2. इन उद्योगों में हिस्सेदार पूँजी का निवेश करते हैं।
3. इन उद्योगों में लाभ या हानि व्यक्ति, फर्म अथवा समूह को होती है। 3. इन उद्योगों में लाभ-हानि का विभाजन हिस्सेदारों में भी आनुपातिक होता है।

प्रश्न 3.
सूती वस्त्र उद्योग किस प्रकार से स्थानीय लोगों के लिए लाभदायक है?
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग कृषि से जुड़ा हुआ उद्योग है। यह उद्योग किसानों, कपास चुनने वालों, गाँठ बनाने वालों, कताई करने वालों, रँगाई करने वालों, डिज़ायन बनाने वालों, पैकेट बनाने एवं सिलाई करने वालों को आजीविका प्रदान करता है। इस तरह सूती वस्त्र उद्योग स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक संख्या में रोजगार उपलब्ध कराकर उन्हें लाभ पहुँचाता है।

प्रश्न 4.
सूती वस्त्र उद्योग की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं?
अथवा
सूती वस्त्र उद्योग को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?
अथवा.
“भारत में सूती वस्त्र उद्योग संकट में है।” पक्ष में कोई दो कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है-

  1. सूती वस्त्र मिलों का पुरानी व रुग्ण होना।
  2. सूती वस्त्र मिलों की मशीनों का अक्षम व तकनीक का पुराना होना।
  3. श्रम उत्पादकता का कम होना।
  4. कृत्रिम वस्त्र उद्योग से कड़ी प्रतिस्पर्धा।
  5. विद्युत की अनियमित आपूर्ति का उत्पादन पर प्रभाव पड़ना।

प्रश्न 5.
पटसन उद्योग के समक्ष उपस्थित समस्याओं की चर्चा कीजिए।
अथवा
जूट उद्योग के सामने उपस्थित चुनौतियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत के पटसन उद्योग के सम्मुख किन्हीं दो प्रमुख चुनौतियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पटसन (जूट) उद्योग को निम्नलिखित समस्याओं/चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है

  1. कम कीमत वाले कृत्रिम रूप से निर्मित पदार्थों से पटसन उद्योग को कड़ी चुनौती मिल रही है। जूट के प्राकृतिक रेशों की अपेक्षा कृत्रिम रेशे सस्ती कीमतों पर उपलब्ध हैं।
  2. पुरानी तकनीक के कारण इसके उत्पादन की कीमत अधिक है, जिसके कारण पटसन से बनी वस्तुओं की माँग कम हो जाती है।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भारत के पटसन उद्योग को बांग्लादेश, ब्राजील, मिस्र, फिलीपीन्स व थाईलैंड आदि देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है।

प्रश्न 6.
पिछले कुछ वर्षों से अधिकतर चीनी मिलें दक्षिणी एवं पश्चिमी राज्यों में स्थानान्तरित हो रही हैं? कारण बताइए।
अथवा
भारत के दक्षिणी राज्यों में चीनी उद्योग के विस्तार के तीन कारण बताइए।
उत्तर:
पिछले कुछ वर्षों में चीनी मिलों के दक्षिणी एवं पश्चिमी राज्यों में स्थानान्तरित होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  1. दक्षिणी व पश्चिमी राज्यों में गन्ने में सुक्रोस की अधिक मात्रा का होना।
  2. अपेक्षाकृत ठण्डी जलवायु का होना भी गुणकारी है
  3. यहाँ स्थित चीनी मिलें सहकारिता क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। यहाँ गन्ने की खेती एवं चीनी मिलों को सहकारिता के अन्तर्गत एकीकृत किया गया है।
  4. उत्तर भारत की तुलना में यहाँ गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज का अधिक होना। भारत की तुलना में यहाँ सिंचाई सुविधाओं का पर्याप्त होना।

प्रश्न 7.
इस्पात निर्माण प्रक्रिया को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
इस्पात निर्माण की प्रक्रिया है

  1. कच्चा माल (लौह-अयस्क) को लोहा एवं इस्पात संयंत्रों तक लाया जाता है।
  2. लौह-अयस्क को भट्टी में डालकर गलाया जाता है, फिर इसमें चूना पत्थर मिलाया जाता है तथा धातु के मैल को हटाया जाता है।
  3. पिघले हुए लोहे को साँचों में डालकर ढलवाँ लोहा तैयार किया जाता है।
  4. ढलवाँ लोहे को पुन: गलाकर ऑक्सीकरण द्वारा उसकी अशुद्धि को हटाकर तथा मैंगनीज़, निकल, क्रोमियम मिलाकर शुद्ध किया जाता है।
  5. इसकी रोलिंग, प्रेसिंग, ढलाई एवं गढ़ाई के द्वारा धातुको आकार दिया जाता है।

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प्रश्न 8.
छोटा नागपुर पठारी क्षेत्र में लोहा और इस्पात के अधिकांश उद्योग संकेन्द्रित क्यों हैं? कारणों का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
छोटा-नागपुर के क्षेत्र में और इसके चारों ओर लोहा और इस्पात उद्योगों के संकेन्द्रित होने के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
लोह तथा इस्पात उद्योग के मुख्यतः ‘छोटा नागपुर’ पठारी क्षेत्र में संकेन्द्रण के लिए उत्तरदायी किन्हीं चार कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
क्योंकि छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में लोहा तथा इस्पात उद्योग के लिए अधिक अनुकूल सापेक्षिक परिस्थितियाँ उपलब्ध हैं, जिनमें

  1. लौह अयस्क की कम लागत,
  2. उच्च कोटि के कच्चे माल की निकटता,
  3. सस्ते श्रमिक एवं
  4. स्थानीय बाजार में इनके माल की विशाल संभाव्यता सम्मिलित है।

प्रश्न 9.
“भारत में लौह इस्पात उद्योग का पूर्ण विकास नहीं हो सका।”कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
भारत में लौह इस्पात उद्योग का पूर्ण विकास नहीं होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  1. देश में कोकिंग कोयले की सीमित उपलब्धता।
  2. लौह इस्पात उद्योग में कार्यरत श्रमिकों की न्यून श्रमिक उत्पादकता।
  3. ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति।
  4. देश में लौह इस्पात उद्योग की अविकसित संरचना।

प्रश्न 10.
भारत में औद्योगिक प्रदूषण से होने वाले कोई दो प्रभाव बताइए।
उत्तर:

  1. औद्योगिक प्रदूषण वायु को प्रदूषित करता है। अधिक अनुपात में अनचाही गैसों; जैसे-सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड की उपस्थिति के कारण वायु प्रदूषण होता है।
  2. औद्योगिक प्रदूषण, जल प्रदूषण का मुख्य कारक है। उद्योगों द्वारा कार्बनिक और अकार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों के नदी में विसर्जित होने से जल प्रदूषित होता है।

प्रश्न 11.
उद्योग वायु को किस प्रकार प्रदूषित करते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उद्योग वायु को निम्न प्रकार प्रदूषित करते हैं

  1. अधिक अनुपात में अनचाही गैसों की उपस्थिति जैसे सल्फर डाइऑक्साइड व कार्बन मोनोऑक्साइड वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।
  2. जीवाश्म ईंधन का उपयोग सदैव वायु में इन गैसों के अनुपात में वृद्धि करता रहता है।
  3. रसायन एवं कागज, ईंट के भट्टे, तेल शोधनशालाएँ, प्रगलन उद्योग एवं जीवाश्म ईंधन को जलाने से धुआँ निष्कासित होता है।
  4. उद्योगों से निकलने वाली जहरीली गैसों का रिसाव बहुत भयानक एवं दूरगामी प्रभाव वाला हो सकता है।

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प्रश्न 12.
ध्वनि प्रदूषण के कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण के चार कारण निम्नलिखित हैं

  1. औद्योगिक एवं निर्माण कार्य
  2. कारखानों के उपकरण
  3. लकड़ी चीरने के कारखाने
  4. विद्युत ड्रिल

प्रश्न 13.
औद्योगिक प्रदूषण से स्वच्छ जल को किस प्रकार बचाया जा सकता है? कोई तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक प्रदूषण से स्वच्छ जल को निम्न प्रकार बचाया जा सकता है

  1. विभिन्न प्रक्रियाओं में जल का न्यूनतम उपयोग एवं जल का दो या दो से अधिक उत्तरोत्तर अवस्थाओं में पुनर्चक्रण द्वारा पुनः उपयोग किया जाना।
  2. जल की आवश्यकता पूर्ति हेतु वर्षा जल का संग्रहण करना।
  3. नदियों व तालाबों में गर्म जल तथा अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका शोधन करना।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
‘कृषि और उद्योग एक-दूसरे के पूरक हैं।’ स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘कृषि एवं उद्योग एक-दूसरे को चलाते हैं।’ व्याख्या कीजिए।
अथवा
“कृषि और उद्योग साथ-साथ चलते हैं।” तीन उदाहरणों सहित इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
निम्नलिखित उदाहरणों से यह स्पष्ट हो जाता है कि कृषि और उद्योग एक दूसरे के पूरक साथ-साथ चलते हैं।

  1. कृषि उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराती हैं। जैसे-कपास, गन्ना, जूट, रबर आदि।
  2. उद्योग कृषि को विभिन्न सहायक वस्तुएँ; जैसे-कृषि औजार, मशीनें, उर्वरक, कीटनाशक आदि उपलब्ध कराते हैं। इससे फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है।
  3. उद्योग कृषि के अतिरिक्त श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराते हैं, जिससे कृषि पर दबाव कम होता है।
  4. उद्योग कृषि से प्राप्त कच्चे मालों को विभिन्न उच्च कीमतों वाली तैयार वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं, जिससे देश में आर्थिक समृद्धि आती है।
  5. उद्योग विभिन्न कृषि उपकरणों द्वारा कृषि के आधुनिकीकरण में सहायता करते हैं, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ता है।
  6. कृषि औद्योगिक श्रमिकों को खाद्यान्न उपलब्ध कराती है।

प्रश्न 2.
भारत में कृषि आधारित किन्हीं पाँच उद्योगों के नाम लिखिए। भारतीय अर्थव्यवस्था में इनका क्या महत्व है? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
1. कृषि आधारित उद्योग:
वे उद्योग जिन्हें अपना कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, कृषि आधारित उद्योग कहलाते हैं। प्रमुख कृषि आधारित उद्योग निम्न हैं

  1. सूती वस्त्र उद्योग,
  2. पटसन उद्योग,
  3. ऊनी वस्त्र उद्योग,
  4. रेशम वस्त्र उद्योग,
  5. चीनी उद्योग।

2. भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्व:
कृषि विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चे माल का एक प्रमुख स्रोत है। कृषि पर आधारित विभिन्न उद्योगों से देश की बहुसंख्यक जनसंख्या को रोजगार मिला हुआ है। कृषि पर आधारित उद्योगों का कुल औद्योगिक उत्पादन में सबसे अधिक भाग है। वस्त्र उद्योग में सबसे अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। सूती वस्त्र, पटसन, रेशम, ऊनी वस्त्र, चीनी, वनस्पति तेल, चाय, कॉफी आदि उद्योग कृषि से प्राप्त कच्चे माल पर आधारित हैं। कृषि पर आधारित उद्योग विदेशी मुद्रा अर्जित कर देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में भी योगदान प्रदान करते हैं।

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प्रश्न 3.
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले किन्हीं चार कारकों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले उत्तरदायी कारकों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
औद्योगिक अवस्थिति के लिए उत्तरदायी किन्हीं पाँच कारकों की उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले चार कारक निम्नलिखित हैं

  1. कच्चे माल की उपलब्धता: कच्चे माल की उपलब्धता किसी उद्योग को स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण कारक है। लोहा एवं इस्पात तथा सीमेंट जैसे भारी उद्योग प्रायः कच्चे माल की उपलब्धता वाले क्षेत्रों के नजदीक ही स्थापित होते हैं। इससे परिवहन लागत में कमी आती है।
  2. ऊर्जा: ऊर्जा की नियमित आपूर्ति उद्योग के केन्द्रीकरण के लिए एक आवश्यक कारक है। अधिकांश उद्योग ऊर्जा के साधनों के निकट ही केन्द्रित होते हैं।
  3. श्रम: उद्योगों की स्थापना में श्रम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उद्योगों की अधिक संख्या में सस्ते श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
  4. जलवायु: किसी स्थान विशेष पर किसी उद्योग की स्थापना में जलवायु की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सूती वस्त्र उद्योग को नमी वाली जलवायु की आवश्यकता होती है परिणामस्वरूप अधिकांश सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र एवं गुजरात में ही केन्द्रित हैं।

प्रश्न 4.
समूहन बचत क्या है? विभिन्न आयामों के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
समूहन बचत-नगरीय केन्द्रों द्वारा दी गयी सुविधाओं; यथा-बैंकिंग, बीमा, परिवहन, श्रमिक व वित्तीय सलाह आदि के कारण अनेक उद्योग नगरीय केन्द्रों के समीप ही केन्द्रित हो जाते हैं, जिसे समूहन बचत कहते हैं। ऐसे स्थानों पर धीरे-धीरे बड़ा औद्योगिक समूहन स्थापित हो जाता है। विभिन्न आयामों के आधार पर उद्योगों को पाँच वर्गों में बाँटा जा सकता है

  • प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर:
    1. कृषि आधारित उद्योग,
    2. खनिज आधारित उद्योग।
  • प्रमुख भूमिका के आधार पर:
    1. आधारभूत उद्योग,
    2. उपभोक्ता उद्योग।
  • पूँजी निवेश के आधार पर:
    1. लघु उद्योग,
    2. वृहत उद्योग।
  • स्वामित्व के आधार पर:
    1. सार्वजनिक उद्योग,
    2. निजी उद्योग,
    3. संयुक्त उद्योग,
    4. सहकारी उद्योग।
  • कच्चे माल तथा तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर:
    1. हल्के उद्योग,
    2. भारी उद्योग।

प्रश्न 5.
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग एवं सहकारी क्षेत्र के उद्योग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग एवं सहकारी क्षेत्र के उद्योग में निम्नलिखित अन्तर है।

सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग सहकारी क्षेत्र के उब्योग
1. वे उधोग जो सरकारी एजेन्सियों द्वारा प्रबंधित एवं सरकार द्वारा संचालित होते हैं, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहलाते है। 1. वे उद्योग जिनका स्वामित्व एवं प्रबन्ध कृच्चे माल की आपूर्ति करने वाले उत्पादकों, श्रमिकों अथवा दोनों के हाथों में होता है, सहकारी क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं।
2. इन उद्योगों में भारी पूँजी निवेश की आवश्यकता होती है। जिसका प्रबन्ध सरकार करती है। 2. इन उद्योगों को संचालित करने के लिए पूँजी आपसी सहयोग एवं स्वेच्छा से मिलकर लगायी जाती है।
3. इन उद्योगों में प्रबंधक व सभी कर्मचारी वेतनभोगी होते हैं। 3. इन उद्योगों में कुछ कर्मचारी ही वेतनभोगी होते हैं।
4. इस प्रकार के उद्योर्गों में होने वाली लाभ-हानि का संबंध सरकारी एजेन्सियों अथवा सरकार से होता है। उदाहरण: भारत हैवी इलेक्ट्रकल लिमिटेड (BHEL), स्टील अर्थॉरिटी ऑफ इण्डिया लिमिटेड (SAIL). 4. इस प्रकार के उचयोगों में लाभ-हानि का विभाजन आनुपातिक रूप से सदस्यों में होता है। उदाहरण: महाराष्ट्र का चीनी उद्योग, केरल का नारियल उद्योग।

प्रश्न 6.
सूती वस्त्र उद्योग का केन्द्रीयकरण महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्यों में है? कारण दीजिए।
अथवा
सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र और गुजरात में अधिक विकसित क्यों है? कारण दीजिए।
अथवा
आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग कपास उत्पादन क्षेत्रों तक ही क्यों संकेन्द्रित था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आरिम्भक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग कपास उत्पादन क्षेत्रों (महाराष्ट्र एवं गुजरात) में ही संकेन्द्रित था। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  1. कच्चे माल की उपलब्धता: इस क्षेत्र में काली मृदा पायी जाती है जिस कारण कपास उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। इसलिए कच्चे माल की नियमित आपूर्ति होती है।
  2. अनुकूल जलवायु: इन क्षेत्रों की जलवायविक परिस्थितियाँ भी कपास की फसल के अनुकूल हैं।
  3. पूँजी की उपलब्धता: इस उद्योग के लिए पर्याप्त पूँजी की भी आवश्यकता होती है, जो यहाँ उपलब्ध है।
  4.  बाजार: ये राज्य भारत के सर्वाधिक आधुनिक राज्यों में सम्मिलित हैं। यहाँ वस्त्र उत्पादों के लिए विस्तृत बाजार उपलब्ध है।
  5. परिवहन: इन राज्यों में विकसित परिवहन सुविधा होने से कच्चे एवं तैयार माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाना-ले जाना आसान है।
  6.  बंदरगाह: मुम्बई व कांडला के बंदरगाहों की सुविधा ने यहाँ सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना में सहायता प्रदान की है। इन बन्दरगाहों के माध्यम से विभिन्न मशीनें, कपास आदि आयात एवं तैयार माल विदेशों को निर्यात किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
भारत की अधिकांश जूट मिलें पश्चिम बंगाल में ही क्यों स्थित हैं? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
अधिकतर पटसन उद्योग हुगली नदी तट पर ही क्यों अवस्थित हैं? कारण दीजिए।
अथवा
पटसन उद्योग के मुख्यतः हुगली नदी के तटों के साथ-साथ स्थित होने के लिए उत्तरदायी किन्हीं पाँच कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पटसन (जूट) उद्योग के अधिकतर पश्चिम बंगाल में हुगली नदी तट पर स्थित होने के निम्नलिखित कारण हैं

  1. पटसन उत्पादक क्षेत्रों की निकटता के कारण जूट मिलों के लिए कच्चे जूट की पर्याप्त व नियमित आपूर्ति बनी रहती है।
  2. इस क्षेत्र में जल परिवहन की पर्याप्त व्यवस्था है। सड़कों व रेलवे के जाल से जुड़ा हुआ सस्ता जल-परिवहन मिलों को पटसन उत्पादक क्षेत्रों से आसानी से जोड़ देता है।
  3. इस उद्योग में रँगाई एवं प्रसंस्करण प्रक्रिया के लिए बड़ी मात्रा में जल का उपयोग होता है जो कि हुगली नदी से आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
  4. सस्ते व कुशल श्रम की स्थानीय स्तर पर उपलब्धता एवं समीपवर्ती राज्य ओडिशा, बिहार व उत्तर प्रदेश से भी श्रम की आपूर्ति ने इस उद्योग के यहाँ पर स्थानीयकरण में सहायता प्रदान की है।
  5. कोलकाता का एक बड़े नगरीय केन्द्र के रूप में बैंकिंग, बीमा एवं जूट के निर्यात के लिए पत्तन की सुविधाएँ प्रदान करने से प. बंगाल में पटसन उद्योग का पर्याप्त केन्द्रीकरण हुआ है।

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प्रश्न 8.
चीनी उद्योग की प्रमुख समस्याएँ कौन-कौन सी हैं?
अथवा
“भारत में चीनी उद्योग चुनौतियों का सामना कर रहा है।” उपयुक्त तर्कों सहित इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
चीनी मिलें गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में क्यों केन्द्रित हैं? भारत में चीनी उद्योग के समक्ष उपस्थित किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत का चीनी उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान है। हमारे देश में चीनी उद्योग का तीव्र गति से विकास हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों से दक्षिणी-पश्चिमी राज्यों विशेषकर महाराष्ट्र में चीनी मिलों की संख्या बढ़ी है। इसका मुख्य कारण यहाँ के गन्ने में अधिक सुक्रोस की मात्रा का मिलना तथा इस क्षेत्र में अपेक्षाकृत ठण्डी जलवायु का होना आदि है, लेकिन इस उद्योग को कई चुनौतियों (समस्याओं) का भी सामना करना पड़ रहा है। चीनी उद्योग की प्रमुख समस्याएँ/चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं

  1. चीनी उद्योग का अल्पकालिक होना:
    चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है। यह वर्ष में 4 से 7 महीने के लिए ही होता है। वर्ष के शेष महीनों में मिल व श्रमिक बेकार रहते हैं। इससे उद्योग को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है।
  2. पुरानी तथा अक्षम तकनीक का प्रयोग:
    भारतीय चीनी मिलों में पुरानी तथा अक्षम मशीनरी व तकनीक के प्रयोग से उत्पादन कम होता है।
  3. परिवहन की पर्याप्त सुविधा का अभाव:
    गन्ना उत्पादक क्षेत्रों से चीनी मिलों तक पर्याप्त परिवहन की सुविधाओं के अभाव के कारण गन्ना समय पर कारखानों में नहीं पहुंच पाता है।
  4. खोई का अधिकतम उपयोग न हो पाना।

प्रश्न 9.
लोहा और इस्पात उद्योग आधारभूत उद्योग क्यों कहलाता है?
अथवा
लोहा एवं इस्पात उद्योग को आधारभूत एवं भारी उद्योग क्यों कहा जाता है? कारण दीजिए।
उत्तर:
लोहा और इस्पात उद्योग एक खनिज आधारित उद्योग है। इस उद्योग को आधारभूत एवं भारी उद्योग इसलिए कहा जाता है क्योंकि

  1. यह उद्योग अन्य सभी भारी, हल्के एवं मध्यम उद्योगों को आधार प्रदान करता है। अन्य उद्योग इनसे बनी मशीनरी पर निर्भर हैं।
  2. इस्पात का उपयोग विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग सामान, निर्माण सामग्री, रक्षा, चिकित्सा, टेलीफोन, वैज्ञानिक उपकरण, कृषि उपकरण, मशीनें एवं विभिन्न प्रकार की उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माण के लिए किया जाता है।
  3. इस्पात के उत्पादन एवं खपत को प्रायः एक देश के विकास का पैमाना माना जाता है।
  4. यह एक भारी उद्योग है क्योंकि सभी कच्चे माल एवं तैयार माल भारी एवं अधिक परिमाण वाले होते हैं।

प्रश्न 10.
रसायन उद्योग अपने आप में एक बड़ा उपभोक्ता किस प्रकार है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में रसायन उद्योग तीव्र गति से विकसित हो रहा है। इसकी सकल घरेलू उत्पाद में भागीदारी लगभग 3 प्रतिशत है। एशिया में इस उद्योग का तीसरा तथा विश्व में आकार के हिसाब से 12 वाँ स्थान है। इसमें लघु और वृहत् दोनों तरह की विनिर्माण इकाइयाँ सम्मिलित हैं। इस उद्योग में कार्बनिक व अकार्बनिक दोनों प्रकार के रसायन निर्मित होते हैं। इसके साथ ही रसायन उद्योग अपने आप में एक बड़ा उपभोक्ता भी है, जो निम्न तथ्यों द्वारा स्पष्ट है

  1. आधारभूत रसायन एक प्रक्रिया द्वारा अन्य रसायन उत्पन्न करते हैं जिनका उपयोग औद्योगिक अनुप्रयोग, कृषि अथवा उपभोक्ता बाजारों के लिए किया जाता है।
  2. सल्फ्यूरिक अम्ल का प्रयोग उर्वरक उद्योग, रंग-रोगन, कृत्रिम वस्त्र, प्लास्टिक, गोंद एवं डाई आदि उद्योग में किया जाता है।
  3. नाइट्रिक अम्ल, क्षार, सोडा ऐश आदि का प्रयोग साबुन, शोधक या अपमार्जक एवं कागज में प्रयुक्त होने वाले रसायनों में किया जाता है।
  4. पेट्रो-रसायन का प्रयोग रंजक पदार्थ, दवाइयाँ, औषधि रसायनों के निर्माण में किया जाता है। इस तरह के उद्योगों का विकास तेल शोधनशालाओं अथवा पेट्रो-रसायन संयंत्रों के समीप के क्षेत्र में देखा जा सकता है।

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प्रश्न 11.
उद्योग जल को किस प्रकार प्रदूषित करते हैं? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
यद्यपि उद्योगों ने भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि एवं विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है लेकिन इनके द्वारा बढ़ते भूमि, वायु, जल एवं पर्यावरण प्रदूषण को भी नकारा नहीं जा सकता।
(i) उद्योग चार प्रकार के प्रदूषण के लिए उत्तरदायी हैं:
(अ) वायु,
(ब) जल,
(स) भूमि,
(द) ध्वनि।

(ii) लेकिन वायु के साथ-साथ उद्योगों से जल भी सर्वाधिक प्रदूषित हो रहा है। उद्योग जल को निम्न प्रकार प्रदूषित करते हैं:

  1. उद्योगों द्वारा कार्बनिक एवं अकार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों के नदी में छोड़ने से जल प्रदूषण फैलता है।
  2. जल के कुछ सामान्य प्रदूषकों में रंग, अपमार्जक, अम्ल, लवण तथा भारी धातुएँ; जैसे-सीसा, पारा, कीटनाशक, उर्वरक, कार्बनिक प्लास्टिक व रबर सहित कृत्रिम रसायन आदि सम्मिलित हैं।
  3. भारत में जल प्रदूषण के लिए उत्तरदायी प्रमुख अपशिष्टों में फ्लाई ऐश, फोस्फो-जिप्सम एवं लोहा-इस्पात की अशुद्धियाँ सम्मिलित हैं।
  4. सर्वाधिक प्रदूषक उद्योगों में कागज उद्योग, लुग्दी उद्योग, रसायन उद्योग, वस्त्र उद्योग, रँगाई उद्योग, तेल शोधनशालाएँ एवं इलेक्ट्रोप्लेटिंग उद्योग आदि हैं।

प्रश्न 12.
उद्योग तापीय प्रदूषण के लिए किस प्रकार उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
उद्योगों ने देश की अर्थव्यवस्था के विकास के साथ-साथ पर्यावरण को भी प्रदूषित किया है। उद्योग कई प्रकार के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं, जिनमें में से एक तापीय प्रदूषण है। उद्योग तापीय प्रदूषण के लिए निम्न प्रकार उत्तरदायी हैं

  1. जब कारखानों एवं तापघरों से गर्म जल को बिना ठंडा किये नदियों एवं तालाबों में छोड़ दिया जाता है तो जल में तापीय प्रदूषण होता है। इसका जलीय जीवों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
  2. परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अपशिष्ट एवं परमाणु शस्त्र उत्पादकं कारखानों से कैंसर, जन्मजात विकार एवं अकाल प्रसव जैसी बीमारियाँ उत्पन्न करते हैं।
  3. मलबे का ढेर विशेषकर काँच, हानिकारक रसायन, औद्योगिक बहाव, पैकिंग, लवण एवं कूड़ा-करकट आदि मृदा को अनुपजाऊ बनाते हैं। ये प्रदूषक वर्षाजल के साथ मिलकर जमीन से रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुँच कर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।

प्रश्न 13.
यद्यपि उद्योगों ने भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि एवं विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है किन्तु पर्यावरणीय निम्नीकरण को भी बढ़ावा दिया है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों ने भारत के आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है परन्तु उद्योगों ने प्रदूषण एवं पर्यावरणीय निम्नीकरण को भी बढ़ावा दिया है, जो निम्न प्रकार से है

  1. उद्योगों से निकला धुआँ, कार्बन मोनोऑक्साइड व सल्फर डाइऑक्साइड आदि गैसें वायु को प्रदूषित करती हैं।
  2. उद्योगों द्वारा कार्बनिक व अकार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों को नदियों एवं अन्य जल स्रोतों में लगातार छोड़ा जा रहा है। इससे बड़े पैमाने पर जल का प्रदूषण होता है।
  3. औद्योगिक तथा विनिर्माण गतिविधियाँ, कारखानों के उपकरण, जेनरेटर, लकड़ी चीरने के कारखाने, गैस यांत्रिकी व विद्युत ड्रिल आदि ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।
  4. औद्योगिक अपशिष्टों में बहुत अधिक विषैले धातुकण उपस्थित होते हैं जिनसे मृदा प्रदूषित होती है और उसकी उर्वरा शक्ति निरन्तर कम होती जाती है।
  5. जहरीले औद्योगिक अपशिष्ट जमीन से रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुँचकर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।
  6. परमाणु ऊर्जा संयन्त्रों एवं परमाणु उत्पादक कारखानों एवं तापघरों ने जल को भी प्रदूषित किया है।

प्रश्न 14.
औद्योगिक अपशिष्टों का शोधन कितने चरणों में किया जा सकता है?
अथवा
उद्योगों से निष्कासित अपशिष्ट पदार्थों को किन-किन स्तरों पर उपचारित किया जाता है?
उत्तर:
औद्योगिक प्रदूषण से स्वच्छ जल को बचाने हेतु नदियों एवं तालाबों में गर्म जल एवं अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका शोधन करना अति आवश्यक है। औद्योगिक अपशिष्टों का शोधन निम्नलिखित तीन चरणों में किया जा सकता है

  1. यांत्रिक साधनों द्वारा प्राथमिक शोधन-इसके अन्तर्गत अपशिष्ट पदार्थों की छंटाई करना, उनके छोटे-छोटे टुकड़े करना, ढकना एवं तलछट जमाव आदि को सम्मिलित किया जाता है।
  2. उद्योगों से निष्कासित अपशिष्ट पदार्थों का जैविक प्रक्रियाओं द्वारा द्वितीयक शोधन किया जा सकता है।
  3. जैविक, रासायनिक व भौतिक प्रक्रियाओं द्वारा तृतीयक शोधन-इसके अन्तर्गत अपशिष्ट जल को पुनर्चक्रण के द्वारा पुनः प्रयोग के योग्य बनाया जाता है।

प्रश्न 15.
पर्यावरणीय निम्नीकरण की रोकथाम हेतु कोई छः उपाय बताइए।
उत्तर:
पर्यावरणीय निम्नीकरण की रोकथाम हेतु छः उपाय निम्नलिखित हैं

  1. नदियों व तालाबों में गर्म जल व अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका समुचित शोधन कर जल प्रदूषण को नियन्त्रित किया जा सकता है।
  2. कम भूमिगत जल स्तर वाले क्षेत्रों में उद्योगों द्वारा इसके अधिक जल निष्कासन पर कानूनी प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए।
  3. वायु में निलम्बित प्रदपण को कम करने के लिए कारखानों में ऊँची चिमनियाँ, इलेक्ट्रॉस्टैटिक अवक्षेपण, स्क्रबर उपकरण एवं गैसीय प्रदूपण पदार्थों को जड़त्वीय रूप से पृथक करने वाले उपकरण लगाये जाने चाहिए।
  4. कारखानों में कोयले की अपेक्षा तेल व गैस के प्रयोग से धएँ के निष्कासन में कमी लायी जा सकती है।
  5. जल की आवश्यकता पूर्ति हेतु वर्षाजल का संग्रहण किया जाना चाहिए।
  6. मशीनों एवं उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है एवं जेनरेटरों में साइलेंसर लगाया जा सकता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उद्योगों का विभिन्न आधारों पर वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
उद्योगों के वर्गीकरण के विभिन्न आधारों की विस्तार से चर्चा कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधारों पर किया जा सकता है

  • प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर:
    1. कृषि आधारित उद्योग: वे उद्योग जिन्हें अपना कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, कृषि आधारित उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण: सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, पटसन, रेशम वस्त्र, चीनी, चाय, कॉफी एवं वनस्पति तेल. उद्योग आदि।
    2. खनिज आधारित उद्योग: वे उद्योग जिन्हें अपना कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है, खनिज आधारित उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण: लोहा व इस्पात, सीमेंट, एल्यूमिनियम, मशीन, औजार एवं पेट्रो-रसायन उद्योग।
  • प्रमुख भूमिका के आधार पर:
    1. आधारभूत उद्योग: वे उद्योग जिनके उत्पादन या कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर रहते हैं, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण: लोहा-इस्पात, ताँबा-प्रगलन एवं एल्यूमिनियम-प्रगलन उद्योग।
    2. उपभोक्ता उद्योग: वे उद्योग जो उपभोक्ताओं के सीधे उपयोग हेतु उत्पादन करते हैं, उपभोक्ता उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण: चीनी, दंत-मंजन, कागज, पंखे, सिलाई मशीन आदि।
  • पूँजी निवेश के आधार पर:
    1. लघु उद्योग: यदि उद्योग में निवेशित पूँजी एक करोड़ रुपये से कम हो तो यह लघु उद्योग कहलाता है।
    2. वृहत उद्योग: यदि उद्योग में निवेशित पूँजी की सीमा एक करोड़ से अधिक हो तो उसे वृहत उद्योग कहते हैं।
  • स्वमित्व के आधार पर:
    1. उद्योगों से निकला धुआँ, कार्बन मोनोऑक्साइड व सल्फर डाइऑक्साइड आदि गैसें वायु को प्रदूषित करती हैं।
    2. उद्योगों द्वारा कार्बनिक व अकार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों को नदियों एवं अन्य जल स्रोतों में लगातार छोड़ा जा रहा है। इससे बड़े पैमाने पर जल का प्रदूषण होता है।
    3. औद्योगिक तथा विनिर्माण गतिविधियाँ, कारखानों के उपकरण, जेनरेटर, लकड़ी चीरने के कारखाने, गैस यांत्रिकी व विद्युत ड्रिल आदि ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।
    4. औद्योगिक अपशिष्टों में बहुत अधिक विषैले धातुकण उपस्थित होते हैं जिनसे मृदा प्रदूषित होती है और उसकी उर्वरा शक्ति निरन्तर कम होती जाती है।
    5. जहरीले औद्योगिक अपशिष्ट जमीन से रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुँचकर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।
    6. परमाणु ऊर्जा संयन्त्रों एवं परमाणु उत्पादक कारखानों एवं तापघरों ने जल को भी प्रदूषित किया है।

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प्रश्न 14.
औद्योगिक अपशिष्टों का शोधन कितने चरणों में किया जा सकता है?
अथवा
उद्योगों से निष्कासित अपशिष्ट पदार्थों को किन-किन स्तरों पर उपचारित किया जाता है?
उत्तर:
औद्योगिक प्रदूषण से स्वच्छ जल को बचाने हेतु नदियों एवं तालाबों में गर्म जल एवं अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका शोधन करना अति आवश्यक है। औद्योगिक अपशिष्टों का शोधन निम्नलिखित तीन चरणों में किया जा सकता है

  1. यांत्रिक साधनों द्वारा प्राथमिक शोधन-इसके अन्तर्गत अपशिष्ट पदार्थों की छंटाई करना, उनके छोटे-छोटे टुकड़े करना, ढकना एवं तलछट जमाव आदि को सम्मिलित किया जाता है।
  2. उद्योगों से निष्कासित अपशिष्ट पदार्थों का जैविक प्रक्रियाओं द्वारा द्वितीयक शोधन किया जा सकता है।
  3. जैविक, रासायनिक व भौतिक प्रक्रियाओं द्वारा तृतीयक शोधन-इसके अन्तर्गत अपशिष्ट जल को पुनर्चक्रण के द्वारा पुनः प्रयोग के योग्य बनाया जाता है।

प्रश्न 15.
पर्यावरणीय निम्नीकरण की रोकथाम हेतु कोई छउपाय बताइए।
उत्तर:
पर्यावरणीय निम्नीकरण की रोकथाम हेतु छः उपाय निम्नलिखित हैं

  1. नदियों व तालाबों में गर्म जल व अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका समुचित शोधन कर जल प्रदूषण को नियन्त्रित किया जा सकता है।
  2. कम भूमिगत जल स्तर वाले क्षेत्रों में उद्योगों द्वारा इसके अधिक जल निष्कासन पर कानूनी प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए।
  3. वायु में निलम्बित प्रदपण को कम करने के लिए कारखानों में ऊँची चिमनियाँ, इलेक्ट्रॉस्टैटिक अवक्षेपण, स्क्रबर उपकरण एवं गैसीय प्रदूपण पदार्थों को जड़त्वीय रूप से पृथक करने वाले उपकरण लगाये जाने चाहिए।
  4. कारखानों में कोयले की अपेक्षा तेल व गैस के प्रयोग से धएँ के निष्कासन में कमी लायी जा सकती है।
  5. जल की आवश्यकता पूर्ति हेतु वर्षाजल का संग्रहण किया जाना चाहिए।
  6. मशीनों एवं उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है एवं जेनरेटरों में साइलेंसर लगाया जा सकता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उद्योगों का विभिन्न आधारों पर वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
उद्योगों के वर्गीकरण के विभिन्न आधारों की विस्तार से चर्चा कीजिए। .
उत्तर:
उद्योगों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधारों पर किया जा सकता है

  • प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर:
    1. कृषि आधारित उद्योग: वे उद्योग जिन्हें अपना कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, कृषि आधारित उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण- सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, पटसन, रेशम वस्त्र, चीनी, चाय, कॉफी एवं वनस्पति तेल. उद्योग आदि।
    2. खनिज आधारित उद्योग: वे उद्योग जिन्हें अपना कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है, खनिज आधारित उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण- लोहा व इस्पात, सीमेंट, एल्यूमिनियम, मशीन, औजार एवं पेट्रो-रसायन उद्योग।
  • प्रमुख भूमिका के आधार पर:
    1. आधारभूत उद्योग: वे उद्योग जिनके उत्पादन या कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर रहते हैं, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण- लोहा-इस्पात, ताँबा-प्रगलन एवं एल्यूमिनियम-प्रगलन उद्योग।
    2. उपभोक्ता उद्योग: वे उद्योग जो उपभोक्ताओं के सीधे उपयोग हेतु उत्पादन करते हैं, उपभोक्ता उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण- चीनी, दंत-मंजन, कागज, पंखे, सिलाई मशीन आदि।
  • पूँजी निवेश के आधार पर:
    1. लघु उद्योग: यदि उद्योग में निवेशित पूँजी एक करोड़ रुपये से कम हो तो यह लघु उद्योग कहलाता है।
    2. वृहत उद्योग: यदि उद्योग में निवेशित पूँजी की सीमा एक करोड़ से अधिक हो तो उसे वृहत उद्योग कहते हैं।
  • स्वामित्व के आधार पर:
    1. उद्योगों से निकला धुआँ, कार्बन मोनोऑक्साइड व सल्फर डाइऑक्साइड आदि गैसें वायु को प्रदूषित करती हैं।
    2. उद्योगों द्वारा कार्बनिक व अकार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों को नदियों एवं अन्य जल स्रोतों में लगातार छोड़ा जा रहा है। इससे बड़े पैमाने पर जल का प्रदूषण होता है।
    3. औद्योगिक तथा विनिर्माण गतिविधियाँ, कारखानों के उपकरण, जेनरेटर, लकड़ी चीरने के कारखाने, गैस यांत्रिकी व विद्युत ड्रिल आदि ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।
    4. औद्योगिक अपशिष्टों में बहुत अधिक विषैले धातुकण उपस्थित होते हैं जिनसे मृदा प्रदूषित होती है और उसकी उर्वरा शक्ति निरन्तर कम होती जाती है।
    5. जहरीले औद्योगिक अपशिष्ट जमीन से रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुँचकर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।
    6. परमाणु ऊर्जा संयन्त्रों एवं परमाणु उत्पादक कारखानों एवं तापघरों ने जल को भी प्रदूषित किया है।
  • कच्चे तथा तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर:
    1. भारी उद्योग: ये उद्योग भारी व अधिक मात्रा में कंच्चे माल का उपयोग कर भारी उत्पाद तैयार करते हैं। उदाहरण- लीहा इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग।
    2. हल्के उद्योग: ये उद्योग कम भार वाले कच्चे माल का प्रयोग कर हल्के तैयार माल का उत्पादन करते हैं। उदाहरण- विद्युत सामान उद्योग, घड़ी उद्योग आदि।

प्रश्न 2.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग भारत का सबसे बड़ा कृषि आधारित परम्परागत उद्योग है। प्राचीनकाल में सूती वस्त्र हाथ से कताई एवं हथकरघा बुनाई तकनीकों से बनाये जाते थे। 18 वी शताब्दी में विद्युतीय करघों का उपयोग प्रारम्भ हो गया। औपनिवेशिक काल में हमारे परम्परागत उद्योगों को बहुत हानि हुई, क्योंकि हमारे उद्योग इंग्लैण्ड के मशीन निर्मित वस्त्रों से प्रतियोगिता करने में असमर्थ थे। भारत में सूती वस्त्र उद्योग का विकास-भारत में सर्वप्रथम आधुनिक सूती वस्त्र मिल की स्थापना सन् 1854 ई. में मुम्बई में की गयी।
1. सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के कारक:
आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग का विकास महाराष्ट्र एवं गुजरात के कपास उत्पादक क्षेत्रों तक ही सीमित था। कपास की उपलब्धता, बाजार, परिवहन, बन्दरगाहों की समीपता, नमीयुक्त जलवायु एवं श्रम आदि कारकों ने सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण को बढ़ावा दिया। चूँकि कपास एक शुद्ध कच्चा माल है जिसका वजन निर्माण प्रक्रिया में घटता नहीं है।

2. अतः अन्य कारक:
जैसे-करघों को चलाने के लिए शक्ति, श्रमिक, पूँजी अथवा बाजार आदि उद्योग की स्थिति को निर्धारित करते हैं। वर्तमान में इस उद्योग को बाजार में या बाजार के निकट स्थापित करने की प्रवृत्ति पायी जाती है।

3. उत्पादक राज्य:
भारत में सूती धागों की कताई का कार्य महाराष्ट्र, गुजरात व तमिलनाडु राज्यों में मुख्य रूप से होता है, लेकिन सूती, रेशम, जरी एवं कशीदाकारी आदि की बुनाई में परम्परागत कौशल एवं डिज़ाइन देने के लिए बुनाई अत्यधिक विकेन्द्रित है। भारत में सूती वस्त्र उत्पादन में महाराष्ट्र राज्य का प्रथम स्थान है।

इस राज्य में इस उद्योग के विकास का मुख्य कारण मुम्बई के पृष्ठ प्रदेश में कपास उत्पादक क्षेत्रों का होना है। गुजरात द्वितीय एवं तमिलनांडु सूती वस्त्र उत्पादन में तृतीय स्थान पर है। अन्य सूती वस्त्र उत्पादक राज़्य उत्तर प्रदेश, कर्नाटक तेलंगाना आन्ध्र प्रदेश एवं पशिचम बंगाल आदि हैं।
JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग  1
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार:
भारत में सूती वस्त्रों का निर्यात भी किया जाता है। भारत से सूती वस्त्रों का निर्यात जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, पूर्वी यूरोपीय देश, श्रीलंका, नेपाल, सिंगापुर एवं अफ्रीकी देशों को किया जाता है।

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प्रश्न 3.
भारत में लोहा और इस्पात उद्योग का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लोहा और इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है, क्योंकि अन्य सभी भारी, हल्के एवं मध्यम उद्योग इससे बनी मशीनरी पर निर्भर हैं। वर्तमान युग को इस्पात युग कहा जाता है। लौह इस्पात उद्योग से ही सभी उद्योगों में कार्यरत मशीनों, परिवहन के साधनों एवं इंजीनियरिंग का सामान तैयार किया जाता है।
1. लोहा और इस्पात उद्योग के विकास की दशाएँ:
इस्पात के उत्पादन एवं खपत को प्रायः एक देश के विकास का पैमाना माना जाता है। लोहा और इस्पात उद्योग एक भारी उद्योग है क्योंकि प्रयुक्त कच्चा एवं तैयार माल दोनों ही भारी व स्थूल होते हैं तथा इसके लिए अधिक परिवहन लागत की आवश्यकता होती है।

इस उद्योग के लिए लौह अयस्क एवं कोकिंग कोयले के अतिरिक्त चूना-पत्थर, डोलोमाइट, मैंगनीज एवं अग्निसह मृत्तिका आदि कच्चे माल की आवश्यकता होती है। इस उद्योग के लिए लौह अयस्क, कोकिंग कोयले एवं चूना पत्थर का अनुपात लगभग 4 : 2 : 1 का है। इस उद्योग की स्थापना में सक्षम परिवहन की आवश्यकता होती है।

2. लोहा और इस्पात निर्माण की प्रक्रिया:
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3. लोहा इस्पात उद्योग का स्थानीयकरण:
भारत में लोहा और इस्पात उद्योग का सर्वाधिक केन्द्रीकरण छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में हुआ है। छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में इस उद्योग के विकास के लिए अधिक अनुकूल सापेक्षिक परिस्थितियाँ हैं। इनमें लौह अयस्क की कम लागत, उच्च किस्म के कच्चे माल की निकटता, सस्ते श्रमिक एवं स्थानीय बाजार में इसकी माँग की विशाल सम्भाव्यता आदि हैं।

4. भारत में लोहा और इस्पात के कारखाने:
वर्तमान में भारत में 10 मुख्य संकलित उद्योग एवं अनेक छोटे इस्पात संयन्त्र हैं। भारत में लोहा इस्पात उद्योग की प्रमुख इकाइयाँ निम्नलिखित हैं

  1. टाटा लौह इस्पात कम्पनी (टिस्को)-जमशेदपुर (झारखण्ड),
  2. भारतीय लोहा और इस्पात कम्पनी (इसरो)-हीरापुर, कुल्टी व बर्नपुर,
  3. विश्वेश्वरैया, आयरन एण्ड स्टील वर्क्स-भद्रावती (कर्नाटक),
  4. राउरकेला इस्पात संयन्त्र-राउरकेला (ओडिशा),
  5. भिलाई इस्पात संयन्त्र, भिलाई (छत्तीसगढ़),
  6. दुर्गापुर इस्पात संयन्त्र-दुर्गापुर (प. बंगाल),
  7. बोकारो इस्पात संयन्त्र-बोकारो (झारखण्ड),
  8. सलेम इस्पात संयन्त्र-सेलम (तमिलनाडु),
  9. विजाग इस्पात संयन्त्र- विशाखापट्टनम् (आन्ध्र प्रदेश),
  10. विजयनगर इस्पात संयन्त्र-विजयनगर (कर्नाटक)। सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग समस्त. कारखाने अपने इस्पात को स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया (सेल-SAIL) के माध्यम से बेचते हैं जबकि टिस्को (TISCO) टाटा स्टील के नाम से अपने उत्पाद को स्वयं बेचती है।

5. उत्पादन एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार:
वर्ष 2019 में भारत 111.5 मिलियन टन इस्पात का विनिर्माण करके विश्व में कच्चे इस्पात उत्पादक देशों में दूसरे स्थान पर था। यह स्पंज लौह का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। सन् 1950 के दशक में भारत एवं चीन ने लगभग एक समान मात्रा में इस्पात उत्पादित किया था। वर्तमान समय में चीन इस्पात का सबसे बड़ा उत्पादक एवं खपत वाला देश है।

6. लोहा और इस्पात उद्योग की समस्याएँ:
यद्यपि भारत विश्व का एक महत्वपूर्ण लोहा और इस्पात उत्पादक देश है लेकिन हम इसके पूर्ण सम्भाव्य का विकास नहीं कर पाये हैं। इसके प्रमुख कारण निम्न हैं

  1. उच्च लागत एवं कोकिंग कोयले की सीमित उपलब्धता।
  2. न्यून श्रमिक उत्पादकता।
  3. ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति।
  4. अविकसित अवसंरचना आदि।

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प्रश्न 4.
जल प्रदूषण के क्या कारण हैं? इसे दूर करने के उपाय सुझाइए।
उत्तर:

  • जल प्रदूषण के निम्नलिखित कारण हैं
    1. औद्योगिक कारखानों की गन्दगी से नदियों का जल अशुद्ध हो जाता है।
    2. नदियों में मृत जानवरों की लाशों तथा मृत व्यक्तियों की अस्थियों से जल अशुद्ध हो जाता है।
    3. मल-मूत्र का त्याग करने से व पशुओं को नदियों में नहलाने से जल दूषित हो जाता है।
    4. नदी के किनारे के खेतों में दी गई खाद से भी जल दूषित होता है।
    5. नदी व तालाबों में चारों ओर धूल व पेड़ों की पत्तियाँ आदि पड़ी रहती हैं जिससे जल प्रदूषित होता है।
    6. तालाब का जल स्थिर होता है अत: उसमें कीड़े व मकोड़ों की संभावना काफी रहती है इसलिए जल प्रदूषित होता है।
  • (जल प्रदूषण को दूर करने के उपाय:
    1. जो शहर नदियों के किनारे बसे हुए हैं, उन शहरों की जल आपूर्ति का मुख्य साधन नदियाँ हैं। अत: उनमें गन्दे नालों को गिरने से रोकना चाहिए।
    2. जहाँ हम जल का संग्रह करें वहाँ पर नहाने, धोने, जानवर नहलाने व गन्दे नाले मिलाने की मनाही होनी चाहिए।
    3. नदियों में कारखानों के रसायनयुक्त पानी को बहाने से रोकना चाहिए।
    4. तालाब ऐसे स्थान पर बनाने चाहिये जिसके आस-पास श्मशान, गन्दे पानी के गड्ढे, शौचालय व नालियाँ आदि न हों।
    5. तालाबों का बाहरी किनारा ऊँचा करवा देना चाहिए; जिससे बाहर का गन्दा जल उनमें न पहुँच पाये।
    6. तालाबों व नदियों में नहाने व कपड़े धोने पर रोक लगानी चाहिए; जिससे जल प्रदूषित न हो सके।
    7. नदियों व तालाबों के किनारे पर काँटों के तारों की रोक लगा देनी चाहिये; जिससे उनमें जानवर प्रवेश न कर सकें।
    8. प्रत्येक घर में प्राकृतिक जल संग्रहण हेतु व्यवस्था होनी चाहिए।
    9. पम्प द्वारा पानी लेने की व्यवस्था करनी चाहिए।
    10. तालाब में लाल दवाई का प्रयोग करते रहना चाहिए।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
दिए गए भारत के रेखा मानचित्र का अध्ययन कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
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(i) किन्हीं चार सूती वस्त्र केन्द्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मुम्बई, अहमदाबाद, कानपुर, मदुरई।

(ii) भारत के दो ऊनी वस्त्र केन्द्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
मुम्बई, लुधियाना।

(iii) भारत के किन्हीं दो रेशम वस्त्र केन्द्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
श्रीनगर, मैसूर।

(iv) किन दो राज्यों में सूती वस्त्र मिलों की अधिकतम संख्या है।
उत्तर:
महाराष्ट्र, गुजरात।

(v) दिए गये भारत के रेखा मानचित्र में निम्न को अंकित कीजिए
उत्तर:

  1. सूती वस्त्र उद्योग- पोरबन्दर।
  2. ऊनी वस्त्र उद्योग-बीकानेर।

(vi) भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए तथा उसका नाम लिखिए
उत्तर:
(क) इंदौर – सूती वस्त्र उद्योग
(ख) अहमदाबाद – सूती वस्त्र उद्योग केन्द्र
(ग) मुरादाबाद – सूती वस्त्र उद्योग
(घ) कोयम्बटूर – सूती वस्त्र उद्योग

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प्रश्न 2.
दिए गए भारत के रेखा मानचित्र का अध्ययन कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए(i) छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक एवं झारखण्ड प्रत्येक राज्य के एक-एक लोहा-इस्पात संयंत्र का नाम लिखिए।
(ii) निम्नलिखित राज्यों के लौह एवं इस्पात केन्द्रों को मानचित्र में पहचानें
(अ) कर्नाटक का एक इस्पात केन्द्र
(ब) छत्तीसगढ़ का एक इस्पात केन्द्र।
(iii) भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए:
(क) राउरकेला।

(iv) भारत के रेखा-मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए तथा उसका नाम लिखिए
1. भिलाई – लोहा और इस्पात संयंत्र
2. विजयनगर — लोह व इमामोद्योगिक केन्द्र
3. जमशेदपुर — लोहा और समान संयंत्र
4. भद्रावती – लोहा एवं इस्पात संयंत्र
5. दुर्गापुर – लोहा और इस्पात संयंत्र
6. बोकारो – लोहा और इस्पात संयंत्र ।

(v) दिए गए भारत के रेखा-मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
सेलम, दुर्गापुर
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उत्तर:
विभिन्न राज्यों में स्थित लोहा और इस्पात संयंत्र:

  1. छत्तीसगढ़-भिलाई, पश्चिम बंगाल दुर्गापुर, बर्नपुर, तमिलनाडु सेलम, कर्नाटक भद्रावती, विजय नगर, झारखण्ड बोकारो, जमशेदपुर।
  2. (अ) कर्नाटक का एक इस्पात केन्द्र भद्रावती।
    (ब) छत्तीसगढ़ का एक इस्पात केन्द्र भिलाई।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को भारत के मानचित्र में अंकित कीजिए।
(अ) सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क:
मोहाली, नोएडा, जयपुर, गांधीनगर, दौर, मुम्बई, पुणे, कोलकाता, भुवनेश्वर, विशाखापत्तनम्, हैदराबाद, बेंगलूरु, मैसूरु, चेन्नई और थिरूवनंथपुरम।
अथवा
(ब) निम्नलिखित को भारत के राजनीतिक रेखा मानचित्र पर दर्शाइए और उसका नाम लिखिए। विशाखापट्टनम- सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क।
(स) निम्नलिखित को भारत के राजनीतिक रेखा मानचित्र पर दर्शाइए और उसका नाम लिखिए। पश्चिमी बंगाल का सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क
उत्तर:
कोलकाता
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तालिका सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
उद्योग-बाजार सम्बन्ध को दर्शाने वाली तालिका के रिक्त 1 और 2 स्थानों की पूर्ति कीजिए।
उत्तर:
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1. कारखाना, 2. पूँजी।

प्रश्न 2.
उद्योग की आदर्श अवस्थिति दर्शाने वाली तालिका के रिक्त स्थान 1 की पूर्ति कीजिए।
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उत्तर:
उस स्थान पर कच्च माल प्राप्त करने की लगत ।

प्रश्न 3.
वस्त्र उद्योग में अतिरिक्त मूल्य उत्पाद दर्शाने वाली तालिका के रिक्त 1 व 2 स्थानों की पूर्ति कीजिए। उत्तर वस्त्र उद्योग में अतिरिक्त मूल्य उत्पाद:
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उत्तर:
1. रेशा उत्पादन, 2. कपड़ा।

प्रश्न 4.
इस्पात निर्माण प्रक्रिया दर्शाने वाली तालिका के रिक्त स्थान 1 व 2 की पूर्ति कीजिए।
उत्तर:
इस्पात निर्माण प्रक्रिया:
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उत्तर:
1. कच्चे माल का कारखानों तक परिवहन,
2. रोलिंग, प्रेसिंग, ढलाई और गढ़ाई।

प्रश्न 5.
एल्यूमिनियम उद्योग में विनिर्माण की प्रक्रिया को आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एल्यूमिनियम उद्योग में विनिर्माण की प्रक्रिया
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JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन

वस्तुनिष्ठ

प्रश्न 1.
विभिन्न खनिजों के योग से बनी चट्टानों से निर्मित है
(क) भू-पर्पटी
(ख) वायुमण्डल
(ग) जलमण्डल
(घ) अंतरिक्ष
उत्तर:
(क) भू-पर्पटी

2. निम्न में से धात्विक खनिज का उदाहरण है
(क) लौह अयस्क
(ख) अभ्रक
(ग) कोयला
(घ) नमक।
उत्तर:
(क) लौह अयस्क

3. सर्वोत्तम प्रकार का लौह अयस्क है
(क) मैग्नेटाइट
(ख) हेमेटाइट
(ग) सिडेराइट
(घ) लिमोनाइट।
उत्तर:
(क) मैग्नेटाइट

4. निम्न में से भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक राज्य है
(क) गुजरात
(ख) राजस्थान
(ग) असम
(घ) बिहार।
उत्तर:
(ग) असम

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5. पृथ्वी के आन्तरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को कहा जाता है
(क) बायो गैस
(ख) ज्वारीय ऊर्जा
(ग) भूतापीय ऊर्जा
(घ) पवन ऊर्जा।
उत्तर:
(ग) भूतापीय ऊर्जा

6. अणुओं की संरचना को बदलने से किस प्रकार की ऊर्जा प्राप्त होती है?
(क) सौर ऊर्जा
(ख) पवन ऊर्जा
(ग) ज्वारीय
(घ) परमाणु ऊर्जा
उत्तर:
(घ) परमाणु ऊर्जा

7. हजीरा – विजयपुर – जगदीशपुर गैस पाइप लाइन की सही लम्बाई कितनी है?
(क) 1400 किमी.
(ख) 1700 किमी.
(ग) 1900 किमी.
(घ) 2100 किमी.
उत्तर:
(ख) 1700 किमी.

8. भारत का सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक राज्य कौन-सा है?
(क) राजस्थान
(ख) ओडिशा
(ग) उत्तर-प्रदेश
(घ) गुजरात
उत्तर:
(ख) ओडिशा

9. रावतभाटा आणविक ऊर्जा संयंत्र निम्न में से किस राज्य में स्थित है?
(क) गुजरात
(ख) केरल
(ग) पंजाब
(घ) राजस्थान
उत्तर:
(क) गुजरात

रिक्त स्थान सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. खनिज सामान्यतः………में पाए जाते हैं।
उत्तर:
अयस्कों,

2. नमक, मैगनीशियम………में मिलने वाले खनिज हैं।
उत्तर:
समुद्र,

3. ……….भारत का सबसे बड़ा मैंगनीज उत्पादक राज्य है।
उत्तर:
ओडिशा,

4. ……….सीमेंट उद्योग का एक आधारभूत कच्चा माल है।
उत्तर:
चूना पत्थर,

5. मुम्बई हाई, गुजरात तथा असम भारत के प्रमुख………. उत्पादक क्षेत्र हैं।
उत्तर:
पेट्रोलियम।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्तमान तक कितने खनिजों की पहचान की जा चुकी है?
उत्तर:
वर्तमान तक लगभग 2000 से अधिक खनिजों की पहचान की जा चुकी है।

प्रश्न 2.
भू-वैज्ञानिक किन विशेषताओं के आधार पर खनिजों का वर्गीकरण करते हैं?
उत्तर:
खनिजों का रंग, कठोरता, चमक, घनत्व एवं विविध क्रिस्टलों के आधार पर।

प्रश्न 3.
लौह खनिज (धातु) किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे खनिज जिनमें लौह की मात्रा अधिक होती है, लौह खनिज या लौह धातु कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
अलौह धातु किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे खनिज जिनमें लोहे का अंश नहीं होता, अलौह धातु कहलाते हैं।

प्रश्न 5.
‘अयस्क’ शब्द की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
खनिज में अन्य अवयवों अथवा तत्वों के मिश्रण या संचयन के लिए अयस्क शब्द का प्रयोग किया जाता है।

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प्रश्न 6.
उस शैल का नाम बताइए जिसमें कोयला पाया जाता है।
उत्तर:
अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है।

प्रश्न 7.
शुष्क प्रदेशों में वाष्पीकरण से किन-किन खनिजों का निर्माण होता है?
उत्तर:
शुष्क प्रदेशों में वाष्पीकरण से निम्न खनिजों का निर्माण होता है

  1. जिप्सम,
  2. पोटाश,
  3. नमक,
  4. सोडियम।

प्रश्न 8.
प्लेसर निक्षेप किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो खनिज पहाड़ियों के आधार एवं घाटी तल की रेत में जलोढ़ जमाव के रूप में पाये जाते हैं, प्लेसर निक्षेप कहलाते हैं।

प्रश्न 9.
भारत में लौह अयस्क की किन्हीं दो पेटियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में लॉह अयस्क की दो प्रमुख पेटियाँ हैं:

  1. ओडिशा-श्शारखण्ड फेटी,
  2. दुर्ण-बस्तर-चन्द्रपुर पेटी।

प्रश्न 10.
किस पत्तन से लौह अयस्क जापान और कोरिया को निर्यांत किया जाता है?
उत्तर:
विशाखापट्टनम पत्तन से’ लौह अयस्क जापान और कोरिया को निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 11.
बेलाडिला लौह अयस्क खानें किस राज़्य में स्थित है?
उत्तर:
छत्तीसगढ़ राज्य में।

प्रश्न 12.
भारत में मैंगनीज का सक्रसे ब्रड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है? राज्य कौन सा है?
उत्तर:
भारत में मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य ओडिशा है।

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प्रश्न 13.
किन्हीं दो अलौह खनिजों के नाम बताइए।
उत्तर:
ताँबा, बौक्साइट।

प्रश्न 14.
राजस्थान की कौनसी खदानें ताबे के लिए प्रसिद्ध हैं?
उत्तर:
खोतड़ी खादानें।

प्रश्न 15.
एल्युमिनियम किस अयस्क से प्राप्त किया जाता है?
उत्तर:
एल्युमिनियम बॉक्साइट अयस्क से प्राप्त किया ज्ञाता है। आता है।

प्रश्न 16.
भारत में बॉक्साइट के निक्षेप कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:

  1. अमरकंटक पठार,
  2. मैकाल पहाड़ियाँ,
  3. बिलासपुर-कटनी के पठारी क्षेत्र।

प्रश्न 17.
कौन-सा खनिज प्लेटों अथवा पत्रण क्रम में पाया जाता है?
उत्तर:
अभ्रक प्लेरों अथया पत्रण क्रम में पाया जाता है।

प्रश्न 18.
भारत के दो अभ्रक उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में अभ्रक उत्पादक राज्य:  बिहार,  झारखण्ड

प्रश्न 19.
चूना पत्थर किस उद्योग का आधारभूत कच्चा माल है? कच्चा माल है?
उत्तर:
चूना पत्थर सीमेंट उद्योग का आधारभूत कच्चा माल है।

प्रश्न 20.
परम्परागत ऊर्जा संसाधनों के कोई चार उदाहरण बताइए।
उत्तर:

  1. लकड़ी,
  2. कोयला,
  3. पेट्रोलियम,
  4. प्राकृतिक गैस।

प्रश्न 21.
ऊर्जा के गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाथनों के चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  1. सौर ऊर्जा,
  2. पवन ऊर्जा,
  3. ज्वारीय कर्जा तथा
  4. बायो गैस।

प्रश्न 22.
लिग्नाइट के पर्याप्त भण्डार कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
लिग्नाइट के पर्याप्त ।ण्डार तमिलनाडु के नैवेली में मिलते हैं।

प्रश्न 23.
निम्न कोटि का कोयला कौन-सा है?
उत्तर:
लिग्नाइट कोयल निम्न कोटि का कोयला है।

प्रश्न 24.
किन दो प्रमुख भूर्गर्भिक युगों की शैलों में कोयला पाया जाता है? नाम बताइए।
उत्तर:
भारत में कोयला गोंडवाना एवं टरीशियरी भूगर्भिक युगों की शौलों में पाया जाता है।

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प्रश्न 25.
भारत की किन नदी घाटियों में कोयले के जमाय पाये जाते है?
उत्तर:

  1. दामोदर
  2. गोदावरी
  3. महानदी
  4. सोन
  5. वर्धा नदी घाटियों में कोयले के जमाव पाये जाते हैं।

प्रश्न 26.
टरशियरी कोयला के प्रमुख प्राप्त क्षेत्र कौन-कौन से है?
उत्तर:
मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैण्ड।

प्रश्न 27.
भारत में पेट्रोलियम किस युग की चट्टानों से प्राप्त होता है?
उत्तर:
भारत में पेट्रोलियम टरशियरी युग की चट्टानों से प्राप्त होता है।

प्रश्न 28.
मुंबई हाई क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:
मुंबई हाई भारत का सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण खनिज तेल उत्पादक क्षेत्र है।

प्रश्न 29.
भारत्त का सबसे पुराना तेल उत्पादक राज्य कौन सा है?
उत्तर:
असम भारत का सबसे, पुराना तेल उत्पादक राज्य है।

प्रश्न 30.
स्तम्भ A और B में से सही विकल्प का चयन कीजिए:

A B
(क) चन्द्रपुर तापीय ऊर्जा संयंख्र ओडिशा (1) ओडिशा
(ख) मयूरभंज लौह अयस्क की अमरकंटक खान (2) अमरकंटक
(ग) कलोल तेल क्षेत्र (3) गुजरात
(घ) बॉंक्साइट खदान (4) गारख्नण्ड

उत्तर:
(ग) कलोल तेल क्षेत्र – गुजरात

प्रश्न 31.
प्राकृतिक गैस को पयावाएण के अनुकूल इंधन क्यों माना जाता है?
उत्तर:
कार्बन ड्वाइऑक्साइड के कम उत्सर्जन के कारण प्राकृतिक गैस को पर्यावरण के अनुकूल इैधन माना जाता है।

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प्रश्न 32.
किस नदी बेसिन में प्राकृतिक गैस के विशाल भण्डार खोजे गये हैं?
उत्तर:
कुण्ण-गोदावरी नदी बेसिन में प्राकृतिक गैस के विशाल भण्डार खोजे गये हैं।

प्रश्न 33.
संपीडित प्राकृतिक गैस (C.N.G) का एक उपयोग बताइए।
उत्तर:
मोटर गाड़ियों में तरल इंधन के रूप में संपीडित प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 34.
विद्युत कितने प्रकार से उत्पन्न की जाती है?
उत्तर:
विद्युत प्रवाही जल से या अन्य ईंधन, जैसे-कोयला, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस को जलाने से उत्पन्न की आती है।

प्रश्न 35.
भारत में विद्युत ऊर्जा उत्यन्न करने वाली किन्हीं दो बहुउछ्देशीय परियोजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. भाखड़ा नाँगल परियोजना,
  2. दामोदर घाटी परियोजना।

प्रश्न 36.
परमाणु ऊर्जा कैसे प्राप्त की जाती है?
उत्तर:
परमाणु ऊज्जी अणुओं की संरचना को बदलने से प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 37.
परमाणु ऊर्जा के दो प्रमुख खनिज कौन से है?
उत्तर:
बूरेनियम तथा. थोरियम। प्रश्न 38. भारत में यूरेनियम व थोरियम किन-किन राज्यों से प्राप्त होता है ?
उत्तर:
झारखण्ड तथा राजस्थान।

प्रश्न 39.
किस राज्य में मिलने वाली मोनोजाइट रेत में थोरियम पाया ज्ञाता है? बायो गैस कहते हैं।
उत्तर:
केरल।

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प्रश्न 40.
बायो गैस क्या है?
उत्तर:
जैविक पदार्थों के अपघटन से प्राप्त ऊर्जा को बायो गैस कहते हैं।

प्रश्न 41.
किसानों के लिए गोबर गैस संयंत्र के लाभ ब्बताइए।
उत्तर:

  1. ऊर्जा की प्राप्ति,
  2. उन्नत प्रकार के उर्वरक की प्राप्ति।

प्रश्न 42.
भारत में संचालित दो भूतापीय ऊर्जा परियोजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. पार्वती घाटी-मणिकरण ( हिमाचल प्रदेश)
  2. पूगा घाटी-लहाख।

प्रश्न 43.
पोषणीय ऊर्जा के दो आधार क्या हैं?
उत्तर:

  1. ऊर्जा संरक्षण की प्रोन्नति,
  2. नवीकरणीय ऊर्जा संसाधर्नों का बद्शता प्रयोग। पोषणीय ऊर्जा के दो प्रमुख आधार हैं।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
खनिज को परिभाषित कीजिए। ये इतनी विविधता लिए हुए क्यों होते हैं? भू-वैज्ञानिक किस आधार पर इनका वर्गीकरण करते हैं?
उत्तर;
खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्व है, जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना होती है। खनिज विशेष निश्चित तत्वों का योग होता है। चूंकि इन तत्वों का निर्माण विभिन्न भौतिक व रासायनिक गतिविधियों का परिणाम है, अतः खनिज इतनी विविधता लिए हुए होते हैं। भूवैज्ञानिकों द्वारा निम्नलिखित आधारों पर खनिजों का वर्गीकरण किया जाता है

  1. खनिजों के विविध रंग,
  2. कठोरता,
  3. चमक,
  4. घनत्व,
  5. क्रिस्टल का रूप।

प्रश्न 2.
अवसादी चट्टानों में खनिज किस प्रकार पाये जाते हैं?
अथवा
परतदार शैलों में खनिज किस प्रकार मिलते हैं?
उत्तर:
अनेक खनिज अवसादी (परतदार) चट्टानों के संस्तरों अथवा परतों में पाये जाते हैं। इनका निर्माण क्षैतिज परतों में निक्षेपण, संचलन व जमाव का परिणाम है। कोयला व अन्य प्रकार के लौह अयस्कों का निर्माण लम्बी अवधि तक अत्यधिक ऊष्मा व दबाव का परिणाम है। अवसादी चट्टानों में दूसरी श्रेणी के खनिजों में जिप्सम, पोटाश, नमक व सोडियम सम्मिलित हैं। इनका निर्माण विशेषकर शुष्क क्षेत्रों में वाष्पीकरण के परिणामस्वरूप होता है।

प्रश्न 3.
जलोढ़ जमाव के रूप में खनिज किस प्रकार पाये जाते हैं?
उत्तर:
पहाड़ियों के आधार एवं घाटी तल की बालू में जलोढ़ जमाव के रूप में भी कुछ मात्रा में खनिज पाये जाते हैं। खनिजों के इस प्रकार के निक्षेप प्लेसर निक्षेप के नाम से जाने जाते हैं। जलोढ़ जमाव के रूप से प्राप्त खनिजों में प्रायः ऐसे खनिज होते हैं जो जल द्वारा घर्षित नहीं होते हैं। प्लेसर निक्षेप के रूप में प्राप्त खनिजों में सोना, चाँदी, टिन एवं प्लेटिनम आदि प्रमुख हैं।

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प्रश्न 4.
रैट होल खनन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भारत में अधिकांश खनिज राष्ट्रीयकृत हैं, जिनका निष्कर्षण राजकीय अनुमति से ही सम्भव है, लेकिन उत्तरी-पूर्वी भारत के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में खनिजों का स्वामित्व व्यक्तिगत एवं समुदायों को प्राप्त है। मेघालय में जोवाई व चेरापूंजी में कोयले का खनन जनजातीय परिवारों के सदस्यों द्वारा एक लम्बी संकीर्ण सुरंग के रूप में किया जाता है, जिसे रैट होल खनन कहते हैं।

प्रश्न 5.
लौह अयस्क के दो सबसे महत्वपूर्ण प्रकार कौन-से हैं?
उत्तर:
1. मैग्नेटाइट:
यह सर्वोत्तम प्रकार का अयस्क है, जिसमें लगभग 70 प्रतिशत लौह धातु का अंश पाया जाता है। इस लोहे में सर्वश्रेष्ठ चुम्बकीय गुण होता है, जो विद्युत उद्योगों में विशेष रूप से उपयोगी है।

2. हेमेटाइट:
हेमेटाइट सर्वाधिक महत्वपूर्ण औद्योगिक लौह अयस्क है। इसका अधिकांशतया उपयोग उद्योगों में होता । है। इसमें लौह अंश की मात्रा 50 से 60 प्रतिशत तक होती है।

प्रश्न 6.
मैंगनीज़ की क्या उपयोगिता है? भारत में इसके वितरण को बताइए।
उत्तर:
मैंगनीज़ एक महत्वपूर्ण धात्विक खनिज है। इसका मुख्य उपयोग इस्पात के निर्माण में होता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशक दवाएँ, पेंट, बिजली की बैटरियों, काँच का रंग उड़ाने, वार्निश सुखाने एवं पोटेशियम परमैंगनेट आदि बनाने में होता है। भारत में मैंगनीज़ का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य ओडिशा है। इसके अतिरिक्त मैंगनीज़ मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश से भी प्राप्त होता है।

प्रश्न 7.
किन दो समान गुणों के कारण ताँवा और एल्युमिनियम अत्यन्त उपयोगी खनिज माना जाता है?
उत्तर:
ताँबा एवं एल्युमिनियम दोनों ही अलौह खनिज हैं। ताँबा खनिज, ताँबा अयस्क से तथा एल्युमिनियम, बॉक्साइट अयस्क से प्राप्त होता है। ताप सुचालक एवं घातवर्ध्यता ऐसे दो गुण हैं जो ताँबा एवं ऐल्युमिनियम में समान रूप से पाये जाते हैं, जिस कारण इन्हें अत्यन्त उपयोगी खनिज माना जाता है। .

प्रश्न 8.
बॉक्साइट का उपयोग एवं वितरण बताइए।
उत्तर:
बॉक्साइट एल्युमिनियम धातु का खनिज अयस्क है। यह एक हल्की एवं विद्युत की कुचालक धातु है। वायुयान निर्माण, बिजली से सम्बन्धित उद्योगों एवं दैनिक जीवन में इस धातु का बहुत अधिक उपयोग होता है। भारत में बॉक्साइट के निक्षेप मुख्य रूप से अमरकंटक पठार, मैकाल पहाड़ियाँ एवं बिलासपुर-कटनी के पठारी प्रदेशों में पाये जाते हैं। ओडिशा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इस राज्य के कोरापुट जिले में पंचपतमाली में इसके निक्षेप पाये जाते हैं।

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प्रश्न 9.
अभ्रक की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
अभ्रक की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. अभ्रक प्लेटों अथवा पत्रण क्रम में पाया जाता है।
  2. इसका चादरों में विपाटन (Split) आसानी से हो सकता है।
  3. अभ्रक पारदर्शी हो सकता है।
  4. अभ्रक काले, हरे, लाल, पीले एवं भूरे रंग का भी हो सकता है।
  5. इसका उपयोग विद्युत प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, रेडियो व टेलीफोन आदि में भी किया जाता है।

प्रश्न 10.
अभ्रक का क्या उपयोग है?
उत्तर:
अभ्रक के निम्नलिखित उपयोग हैं

  1. विद्युत का कुचालक होने के कारण अभ्रक का उपयोग मुख्य रूप से विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में होता है।
  2. अभ्रक का उपयोग औषधि निर्माण में होता है।
  3. तार व टेलीफोन, रेडियो, चश्मे एवं बेतार का तार निर्माण में अभ्रक का उपयोग किया जाता है।
  4. मोटर, वायुयान, सजावट एवं धमन भट्टियों की ईंट निर्माण में भी अभ्रक का उपयोग होता है।

प्रश्न 11.
भारत में अभ्रक उत्पादक क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारत में अभ्रक उत्पादक क्षेत्र निम्नलिखित हैं:

  1. छोटा नागपुर पठार के उत्तरी पठारी किनारे।
  2. बिहार- झारखण्ड की कोडरमा-गया-हजारीबाग पेटी
  3. राजस्थान में अजमेर के आस-पास का क्षेत्र
  4. आन्ध्र प्रदेश की नेल्लोर अभ्रक पेटी।

प्रश्न 12.

खनिज सुमेलित कीजिए
(क) लौह अयस्क खान 1. अमरकंटक
(ख) अभ्रक 2. मयूरभंज
(ग) बॉक्साइट 3. नागपुर
(घ) मैंगनीज 4. नेल्लोर

उत्तर:

खनिज सुमेलित कीजिए
(क) लौह अयस्क खान 1. मयूरभंज
(ख) अभ्रक 2. नेल्लोर
(ग) बॉक्साइट 3. अमरकंटक
(घ) मैंगनीज 4. नागपुर

प्रश्न 13.
चूना पत्थर के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
चूना पत्थर कैल्शियम या कैल्शियम कार्बोनेट तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट से बनी चट्टानों में पाया जाता है। चूना पत्थर सीमेंट उद्योग का एक आधारभूत कच्चा माल है। इसका उपयोग लौह प्रगलन की भट्टियों में भी होता है। चूना पत्थर की प्राप्ति राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात व तमिलनाडु आदि राज्यों से होती है। 2016-17 में चूना पत्थर का उत्पादन सबसे अधिक राजस्थान (21%) में हुआ।

प्रश्न 14.
खनिजों को कौन-कौन से उपायों से सुरक्षित रखा जा सकता है?
उत्तर:
खनिजों को निम्नलिखित उपायों से सुरक्षित रखा जा सकता है

  1. खनिजों का प्रयोग नियोजित ढंग से किया जाना चाहिए।
  2. खनिजों के दुरुपयोग को कम करने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग करना चाहिए।
  3. धातुओं के पुनः चक्रण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  4. खनिजों को बचाने के लिए हमें इनके अन्य विकल्पों के प्रयोग के बारे में सोचना चाहिए।

प्रश्न 15.
उत्खनन का खदान श्रमिकों के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
अथवा
खान मजदूरों तथा वातावरण पर खनन का क्या प्रभाव पड़ता है? किन्हीं तीन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्खनन का खदान श्रमिकों के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है

  1. खदान श्रमिक लगातार धूल एवं हानिकारक धुएँ में साँस लेते हुए फेफड़ों सम्बन्धी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
  2. श्रमिकों के लिए जल प्लावित होने का खतरा सदैव बना रहता है।
  3. खदान क्षेत्रों में खनन के कारण जल स्रोत प्रदूषित हो जाते हैं।
  4. अवशिष्ट पदार्थों एवं खनिज तरल के मलबे का ढेर लगने से भूमि व मिट्टी का अवय होता है तथा नदियों का जल प्रदूषित होता है।

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प्रश्न 16.
सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:

सूची-I (कोयले के प्रकार) सूची-II (कार्बन की मात्रा)
(क) बिटुमिनस 1. 35 से 50%
(ख) लिग्नाइट 2. 15 से 35%
(ग) पीट 3. 80 से 90%
(घ) ऐन्थ्रेसाइट 4. 75 से 80%

उत्तर:

सूची-I (कोयले के प्रकार) सूची-II (कार्बन की मात्रा)
(क) बिटुमिनस 4. 75 से 80%
(ख लिग्नाइट 1. 35 से 50%
(ग) पीट 2. 15 से 35%
(घ) ऐन्थ्रेसाइट 3. 80 से 90%

प्रश्न 17.
पेट्रोलियम हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर:
पेट्रोलियम निम्नलिखित कारणों से हमारे लिए महत्वपूर्ण है

  1. पेट्रोलियम हमारे देश में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है।
  2. यह ताप व प्रकाश के लिए ईंधन, मशीनों को स्नेहक एवं अनेक विनिर्माण उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करता है।
  3. तेलशोधन शालाएँ, संश्लेषित वस्त्र, उर्वरक एवं असंख्य रसायन उद्योगों में यह एक नोडीय बिन्दु का काम करता है।

प्रश्न 18.
भारत में पेट्रोलियम की उपस्थिति किस प्रकार की शैल संरचनाओं में पायी जाती है ?
उत्तर:
भारत में अधिकांश पेट्रोलियम की उपस्थिति टरशियरी युग की शैल संरचनाओं के अपनति एवं भ्रंश ट्रेप में पायी जाती है। पेट्रोलियम वलन, अपनति तथा गुम्बदों वाले उन क्षेत्रों में पाया जाता है जहाँ उद्धवलन के शीर्ष में तेल ट्रेप हुआ होता है। तेल धारक परत सरंध्र चूना पत्थर या बालू पत्थर होता है जिसमें से तेल प्रवाहित हो सकता है। मध्यवर्ती असरंध्र परतें तेल को ऊपर उतने एवं नीचे रिसने से रोकती हैं। पेट्रोलियम सरंध्र और असरंध्र चट्टानों के मध्य भ्रंश ट्रेप में भी पाया जाता है।

प्रश्न 19.
भारत में खनिज तेल के वितरण को संक्षेप में बताइए। हजार
अथवा
भारत में पेट्रोलियम के प्राप्ति क्षेत्रों को बताइए।
उत्तर:
असम भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है। यहाँ के प्रमुख तेल क्षेत्रों में डिगबोई, नहरकटिया, मोरन-हुगरीजन आदि हैं। इसके अतिरिक्त गुजरात एवं मुंबई हाई तेल क्षेत्र भी प्रमुख हैं। भारत में कुल खनिज तेल उत्पादन का 63 प्रतिशत मुम्बई हाई से, 18 प्रतिशत गुजरात से एवं 16 प्रतिशत असम से प्राप्त होता है।

प्रश्न 20.
प्राकृतिक गैस के क्या उपयोग हैं? इसे पर्यावरण के अनुकूल क्यों माना जाता है?
उत्तर:
प्राकृतिक गैस के निम्न उपयोग हैं

  1. ऊर्जा के एक साधन के रूप में।
  2. पेट्रो रसायन उद्योग में एक औद्योगिक कच्चे माल के रूप में।
  3. गाड़ियों में संपीडित प्राकृतिक गैस (C.N.G.) के रूप में। जलने पर बहुत कम मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त होने के कारण प्राकृतिक गैस को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है।

प्रश्न 21.
भारत में परमाणु ऊर्जा का उपयोग किसलिए किया जाता है? दो परमाणु ऊर्जा संयन्त्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत में परमाणु ऊर्जा का उपयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। भारत के दो परमाणु ऊर्जा संयन्त्र निम्न हैं

  1. रावतभाटा (राजस्थान),
  2. तारापुर (महाराष्ट्र)।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत अवस्थित क्षेत्र

गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत अवस्थित क्षेत्र
1. सौर ऊर्जा (अ) कच्छ की खाड़ी
2. पवन ऊर्जा (ब) भुज-माधापुर
3. ज्वारीय ऊर्जा (स) लद्दाख
4. भूतापीय ऊर्जा (द) जैसलमेर

उत्तर:

गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत अवस्थित क्षेत्र
1. सौर ऊर्जा (ब) भुज-माधापुर
2. पवन ऊर्जा (द) जैसलमेर
3. ज्वारीय ऊर्जा (अ) कच्छ की खाड़ी
4. भूतापीय ऊर्जा (स) लद्दाख

प्रश्न 23.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए राज्य परमाणु ऊर्जा संयन्त्र

राज्य परमाणु ऊर्जा संयन्त्र
(अ) उत्तर प्रदेश (i) कलपक्कम
(ब) कर्नाटक (ii) काकरापारा
(स) गुजरात (iii) नरोरा
(द) तमिलनाडु (iv) कैगा

उत्तर:

राज्य परमाणु ऊर्जा संयन्त्र
(अ) उत्तर प्रदेश (iii) नरोरा
(ब) कर्नाटक (iv) कैगा
(स) गुजरात (ii) काकरापारा
(द) तमिलनाडु (i) कलपक्कम

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प्रश्न 24.
बायो गैस के उपयोग से होने वाले लाभ बताइए।
उत्तर:
बायो गैस के उपयोग से होने वाले प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं

  1. बायो गैस का उपयोग घरेलू आवश्यकताओं के लिए विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
  2. पशुओं के गोबर का उपयोग करने का यह एक सर्वाधिक उपयुक्त तरीका है।
  3. यह खाद की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
  4. यह उपलों तथा लकड़ी के जलने से होने वाले वृक्षों के नुकसान को रोकता है।

प्रश्न 25.
‘भारत गाँवों का देश है’ ऊर्जा संकट को कम करने के लिए आप किस प्रकार के ऊर्जा स्रोत का सुझाव देंगे?
उत्तर:
ऊर्जा संकट को कम करने के लिए बायोगैस को उपयोग में लाने का सुझाव देना हितकर रहेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के गोबर का प्रयोग ‘गोबर गैस प्लांट’ संयंत्र में किया जाता है। जिससे विद्युत ऊर्जा भी प्राप्त होती है।

प्रश्न 26.
गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों का महत्व बताइए।
उत्तर:
गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों का महत्व निम्नलिखित है

  1. इन संसाधनों का नवीनीकरण किया जा सकता है।
  2. इनकी मात्रा असीमित है।
  3. ये संसाधन हमें प्रकृति से निःशुल्क प्राप्त हैं।
  4. ये प्रदूषण मुक्त ऊर्जा संसाधन हैं।
  5. इनका प्रयोग भविष्य में अधिकाधिक होगा।

प्रश्न 27.
व्यक्तिगत रूप से हमें ऊर्जा संरक्षण हेतु क्या उपाय करने चाहिए?
उत्तर:
व्यक्तिगत रूप से हम ऊर्जा के संरक्षण हेतु निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं

  1. हमें यातायात के लिए व्यक्तिगत अथवा निजी वाहन के स्थान पर सार्वजनिक वाहन का उपयोग करना चाहिए।
  2. जब प्रयोग में नहीं आ रही हो तो बिजली बंद कर देनी चाहिए।
  3. हमें विद्युत की बचत करने वाले उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए।
  4. हमें गैर-पारम्परिक ऊर्जा साधनों का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
खनिज हमारे जीवन के अति अनिवार्य भाग हैं।’ इस कथन को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
अथवा
खनिजों का मानव के लिए क्या उपयोग है? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
खनिज हमारे जीवन के अति अनिवार्य भाग हैं क्योंकि हमारे विकास के लिए आवश्यक विभिन्न वस्तुओं के निर्माण में उनका प्रयोग होता है। उदाहरण के लिए:

  1. दैनिक जीवन में काम आने वाली प्रत्येक वस्तु का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से खनिजों से सम्बन्ध जुड़ा है।
  2. यातायात के सभी साधन, मशीनें, उपकरण, कृषि मशीनें व यंत्र, पटरियाँ, पेट्रोलियम से बने सभी पदार्थ, सोने, चाँदी व हीरे से.बने आभूषण आदि अनगिनत पदार्थ हमें खनिजों से प्राप्त होते हैं।
  3. औद्योगिक विकास का आधार खनिज ही है। लोहा व कोयला, दो ऐसे खनिज हैं जिनके बिना औद्योगिक प्रगति संभव नहीं।
  4. खनिजों का शक्ति के साधनों में महत्वपूर्ण स्थान है। बस, रेलगाड़ियाँ, कारें, हवाई जहाज व अन्य दूसरे वाहन खनिजों से बने होते हैं तथा धरती से प्राप्त ऊर्जा के साधनों द्वारा चालित होते हैं।
  5. हम भोजन में भी खनिजों का प्रयोग करते हैं।
  6. मनुष्य ने विकास की सभी अवस्थाओं में, अपनी जीविका, सजावट, त्यौहारों एवं धार्मिक अनुष्ठान के लिए खनिजों का प्रयोग किया है।

प्रश्न 2.
खनिज क्या हैं? खनिजों को वर्गीकृत कीजिए।
अथवा
सामान्य एवं वाणिज्यिक उद्देश्य हेतु खनिजों को कितने भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है?
उत्तर:
खनिज- भूवैज्ञानिकों के अनुसार खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्व है जिसकी एक निश्चित आन्तरिक संरचना होती है। खनिज प्रकृति में अनेक रूपों में पाये जाते हैं, जिसमें कठोर हीरा से लेकर नरम चूना तक सम्मिलित हैं। सामान्य एवं वाणिज्यिक उद्देश्य हेतु खनिजों को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है
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  1. धात्विक खनिज-वे खनिज जिसमें धातु अंश प्रधानता पायी जाती है, धात्विक खनिज कहलाते हैं। धात्विक खनिज तीन प्रकार के होते हैं
    • लौह खनिज-इन खनिजों में लोहे का अंश होता है, जैसे-लौह अयस्क, मैंगनीज़, निकिल व कोबाल्ट आदि।
    • अलौह खनिज-इन खनिजों में लोहे का अंश नहीं होता है, जैसे-ताँबा, सीसा, जस्ता व बॉक्साइट आदि।
    • बहुमूल्य खनिज-सोना, चाँदी, प्लेटिनम आदि।
  2. अधात्विक खनिज-वे खनिज जिनमें धातु अंश नहीं पाया जाता है, अधात्विक खनिज कहलाते हैं, जैसेअभ्रक, नमक, पोटाश, सल्फर, चूना पत्थर, संगमरमर एवं बलुआ पत्थर आदि।
  3. ऊर्जा खनिज-वे खनिज जिनसे ऊर्जा की प्राप्ति होती है, ऊर्जा खनिज कहलाते हैं, जैसे-कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस आदि।

प्रश्न 3.
धात्विक और अधात्विक खनिजों में अन्तर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
धात्विक और अधात्विक खनिजों में अन्तर निम्नलिखित हैंधात्विक खनिज अधात्विक खनिज

धात्विक खनिज अधात्विक खनिज
1. वे खनिज जिनमें धातु अंश की प्रधानता पायी जाती हैं, धात्विक खनिज कहलाते हैं। 1. वे खनिज जिनमें धातु अंश नहीं पाया जाता है, अधात्विक खनिज कहलाते हैं।
2. लौह अयस्क, मैंगनीज़, निकल, ताँबा, जस्ता, सीसा, टंगस्टन व कोबाल्ट आदि धात्विक खनिजों के उदाहरण हैं। 2. अभ्रक, पोटाश, नमक, सल्फर, चूना पत्थर, संगमरमर, बलुआ पत्थर आदि अधात्विक खनिजों के उदाहरण हैं।
3. खानों से निकाले जाने पर इनमें अनेक अशुद्धियों का मिश्रण रहता है। अतः इन्हें प्रयोग करने से पूर्व इनका परिष्करण करना आवंश्यक होता है। 3. इन खनिजों में अशुद्धियाँ बहुत कम होती हैं। अतः इनके परिष्करण की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती है।
4. धात्विक खनिज ताप व विद्युत के सुचालक होते हैं। 4. अधात्विक खनिज ताप एवं विद्युत के कुचालक होते हैं।
5. यह खनिज प्रायः आग्नेय शैलों में पाये जाते हैं। 5. यह खनिज प्राय: अवसादी शैलों में पाये जाते हैं।
6. इन खनिजों को गलाकर पुनः प्रयोग में लाया जा सकता है। 6. इन खनिजों को सिर्फ एक बार ही प्रयोग में लिया जा सकता है।

प्रश्न 4.
लौह अयस्क में बेलारी-चित्रदुर्ग-चिक्कमंगलूरु-तुमकूस पेटी के विशिष्ट लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लौह अयस्क में बेलारी-चित्रदुर्ग-चिक्कमंगलूरु-तुमकूरु पेटी के विशिष्ट लक्षण इस प्रकार से हैं

  1. लौह अयस्क की वृहत् राशि कर्नाटक की बेलारी-चित्रदुर्ग-चिक्कमंगलूरू-तुमकूरु पेटी में संचित है।
  2. कर्नाटक के पश्चिमी घाट में अवस्थित कुद्रेमुख की खानों से लौह अयस्क निर्यात किया जाता है। यहाँ से लौह अयस्क कर्दम (Slurry) के रूप में पाइपलाइल द्वारा मंगलूरू के निकट एक पत्तन पर भेजा जाता है।

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प्रश्न 5.
ताँबा का प्रमुख उपयोग क्या है? भारत में यह कहाँ-कहाँ पाया जाता है?
अथवा
ताँबा खनिज के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ताँबा एक अलौह धातु है। भारत में इसका उपयोग प्राचीनकाल से होता आ रहा है। इसकी सुचालकता के कारण इसका मुख्य रूप से उपयोग बिजली के तार बनाने, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं रसायन उद्योगों में किया जाता है। इसका अन्य वस्तुओं के साथ मिलाकर रासायनिक कार्यों व बर्तन बनाने आदि में उपयोग किया जाता है।

ताँबा व जस्ता मिलाकर पीतल, ताँबा व सोना मिलाकर रोल्ड गोल्ड एवं ताँबा व राँगा को मिलाकर काँसा बनाया जाता है। भारत में ताँबे के निक्षेप व उत्पादन कम है। देश का अधिकांश ताँबा मध्य प्रदेश के बालाघाट एवं झारखण्ड के सिंहभूमि जिलों व राजस्थान के खेतड़ी से प्राप्त किया जाता है। मध्य प्रदेश की बालाघाट खदानें देश का लगभग 52 प्रतिशत ताँबा उत्पादित करती हैं।

प्रश्न 6.
“खनिज संसाधनों को सुनियोजित एवं सतत् पोषणीय ढंग से प्रयोग करने के लिए तालमेल युक्त प्रयास करना होगा।” कोई तीन उपाय सुझाइए और उनका स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर:

  1. निम्न कोटि के अयस्कों का कम लागतों पर प्रयोग करने हेतु उन्नत प्रौद्योगिकियों का सतत् विकास करते रहना होगा।
  2. धातुओं का पुनः चक्रण अपनाना होगा।
  3. रद्दी धातुओं का प्रयोग और अन्य प्रतिस्थापनों का उपयोग करने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा।

प्रश्न 7.
पवन, ज्वारीय, सौर तथा अन्य नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का प्रयोग क्यों बढ़ता जा रहा है? कारण लिखिए।
उत्तर:

  1. आज दिन-प्रतिदिन गैस व तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, जो भविष्य में ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा के प्रति अनिश्चितताएँ उत्पन्न कर रही हैं।
  2. इसके अलावा हम जीवाश्मी ईंधनों का जो प्रयोग करते हैं वह गम्भीर पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न करते हैं ।
  3. ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधनों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैविक ऊर्जा तथा अवशिष्ट पदार्थ जनित ऊर्जा है, जिनका आसानी से उपयोग किया जा सकता है।
  4. धूप, जल तथा जीवभार साधनों में भारत समृद्ध है। यही कारण है कि नवीकरण योग्य ऊर्जा संसाधनों के विकास हेतु भारत में अनेक कार्यक्रम बनाये गये हैं ।

प्रश्न 8.
बायो गैस क्या है? इसका उत्पादन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
बायो गैस-बायो गैस ऊर्जा का एक गैर-परम्परागत साधन है। इसे जैव ऊर्जा भी कहते हैं। कृषि अपशिष्टों, पशु एवं मानवजनित अपशिष्टों व झाड़ियों आदि के उपयोग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बायो गैस का उत्पादन किया जाता है। बायो गैस का उत्पादन एक विशेष प्रकार के संयंत्र में किया जाता है, जिसे बायो गैस संयंत्र कहते हैं। इस संयंत्र में कार्बनिक पदार्थों के विघटन से गैस उत्पन्न होती है।

यह बायोगैस एक ज्वलनशील गैसीय मिश्रण है जिसमें मुख्यतः मीथेन, कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन गैस होती है, जिसकी तापीय क्षमता मिट्टी के तेल, उपलों व चारकोल की अपेक्षा अधिक होती है। इस ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा, ताप ऊर्जा एवं खाना बनाने के लिए गैस में परिवर्तित किया जा सकता है। भारत जैसे देश में, जहाँ कृषि एवं पशुपालन मुख्य व्यवसाय है, वहाँ बायो गैस के विकास की अपार सम्भावनाएँ हैं। बायो गैस संयंत्र नगरपालिका, सहकारिता एवं निजी स्तर पर लगाये जाते हैं।

प्रश्न 9.
प्राकृतिक गैस एवं बायो गैस में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

प्राकृतिक गैस बायो गैस
1. प्राकृतिक गैस के भण्डार भूगर्भ में पाये जाते हैं। 1. बायो गैस मानव द्वारा धरातल पर निर्मित की जाती है।
2. यह अधिकतर भूगर्भ की चट्टानों में पेट्रोलियम के साथ पायी जाती है। 2. यह झाड़-झंखाड़ों, कृषि के अपशिष्टों, जीव-जन्तुओं
3. इसका उपयोग वाहनों के ईंधन के रूप में तथा बिजली उत्पादन में भी किया जाता है। व मानव के मलमूत्र के उपयोग से पैदा की जाती है।
4. भूगर्भ में मिलने के कारण इसके भण्डार सीमित हैं, जो कभी भी समाप्त हो सकते हैं। 3. इसका केवल घरेलू उपयोग होता है।
5. इससे कोई अवशिष्ट प्राप्त नहीं होता है जिसका पुन: उपयोग किया जा सके। 4. इसके निर्माण में प्रयुक्त कच्चे पदार्थ भारी मात्रा में उपलब्ध हैं जिनका विकास तकनीक द्वारा किया जा सकता है।

प्रश्न 10.
ज्वारीय ऊर्जा क्या है? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ज्वारीय ऊर्जा-महासागरीय तरंगें ऊर्जा का अपरिमित भण्डार गृह हैं। महासागरीय तरंगों का उपयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है। सँकरी खाड़ी के आर-पार बाढ़ द्वार बनाकर बाँध बनाये जाते हैं। उच्च ज्वार में इस संकरे खाड़ीनुमा प्रवेश द्वार से पानी भीतर भर जाता है तथा द्वार बन्द होने पर बाँध में ही रह जाता है।

बाढ़ द्वार के बाहर ज्वार उतरने पर बाँध के पानी को इसी रास्ते पाइप द्वारा समुद्र की तरफ बहाया जाता है जो इसे ऊर्जा उत्पादक टरबाइन की ओर ले जाता है। टरबाइन के माध्यम से गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। भारत में खम्भात की खाड़ी एवं कच्छ की खाड़ी में ज्वारीय तरंगों द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने की आदर्श दशाएँ उपस्थित हैं।

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प्रश्न 11.
भूतापीय ऊर्जा क्या है? किन्हीं दो परियोजनाओं के नाम बताइए, जो भूतापीय ऊर्जा के दोहन के लिए प्रारम्भ की गयी हैं?
अथवा
पर्वतीय क्षेत्रों पर बिजली की समस्या को भू-तापीय ऊर्जा द्वारा किस सीमा तक हल किया जा सकता है?
अथवा
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए- भूतापीय ऊर्जा।
उत्तर:
भूतापीय ऊर्जा-पृथ्वी का आन्तरिक भाग अत्यन्त तरल’ है। अतः पृथ्वी के भीतर से कभी-कभी कई स्थानों पर एक सूखी भाप या गर्म पानी के स्रोत के रूप में ऊर्जा बाहर निकलती रहती है। पृथ्वी के आन्तरिक भागों के ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं। भूतापीय ऊर्जा इसलिए अस्तित्व में होती है क्योंकि बढ़ती गहराई के साथ पृथ्वी प्रगामी ढंग से तप्त होती जाती है। जहाँ भी भूतापीय प्रवणता अधिक होती है, वहाँ उथली गहराइयों पर भी अधिक तापमान मिलता है। ऐसे क्षेत्रों में भूमिगत जल चट्टानों से ऊष्मा का अवशोषण कर गर्म हो जाता है।

यह जल इतना अधिक गर्म हो जाता है कि पृथ्वी की सतह की ओर उठता है तो यह भाप में परिवर्तित हो जाता है। इसी भाप का उपयोग टरबाइन को चलाने एवं विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। भारत में भूतापीय ऊर्जा के दोहन के लिए दो प्रायोगिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं। एक हिमाचल प्रदेश में मणिकरण – के निकट पार्वती घाटी में स्थित है तथा दूसरी परियोजना लद्दाख में पूगा घाटी में स्थापित है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में लौह अयस्क का वितरण समझाइए।
अथवा भारत में लौह अयस्क की पेटियाँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
आधुनिक यांत्रिक युग में लोहा प्रत्येक देश के आर्थिक विकास की धुरी है। इससे सुई से लेकर विशालकाय जलपोत एवं विभिन्न संयन्त्र आदि का निर्माण किया जाता है। इसलिए आधुनिक युग को लौह-इस्पात का युग भी कहा जा, सकता है। लोहे की कच्ची धातुं लौह अयस्क कहलाती है। भारत में लौह अयस्क का वितरण- भारत में लौह अयस्क के प्रचुर भंडार हैं। देश में लौह अयस्क के दो प्रमुख प्रकार-हेमेटाइट एवं मैग्नेटाइट पाये जाते हैं। हमारे देश के लौह अयस्क में लोहे की मात्रा 70-72 प्रतिशत तक होती है।

लौह अयस्क की खदानें देश के उत्तर-पूर्वी पठारी प्रदेश में कोयला क्षेत्रों के निकट स्थित हैं। लौह अयस्क के कुल आरक्षित भण्डारों का लगभग 95 प्रतिशत भाग ओडिशा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ एवं कर्नाटक राज्यों में स्थित है। 2016-17 में लौह-अयस्क का उत्पादन सबसे अधिक ओडिशा (52%), इसके पश्चात्, छत्तीसगढ़ (16%), कर्नाटक (14%), झारखण्ड (11.%) व अन्य (7%) में हुआ। भारत में लौह अयस्क की प्रमुख पेटियाँ निम्नलिखित हैं
1. ओडिशा झारखण्ड पेटी:
ओडिशा में उच्चकोटि का हेमेटाइट किस्म का लौह अयस्क मयूरभंज व केंदूझर जिलों में बादाम पहाड़ की खदानों से निकाला जाता है। झारखण्ड राज्य के सिंहभूमि जिले में गुआ एवं नोआमुंडी से हेमेटाइट अयस्क प्राप्त किया जाता है।
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2. दुर्ग-बस्तर चंद्रपुर पेटी:
लौह अयस्क की यह पेटी महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ राज्यों में फैली हुई है। छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले में बेलाडिला पहाड़ी श्रृंखलाओं से उत्तम किस्म का हेमेटाइट लौह अयस्क प्राप्त होता है। यहाँ लौह अयस्क के 14 जमाव मिलते हैं। इन खदानों से लौह अयस्क विशाखापट्टनम बन्दरगाह से जापान एवं दक्षिण कोरिया को निर्यात किया जाता है।

3. बेलारी चित्रदुर्ग, चिक्कमंगलूरू:
तुमकूरू पेटी-लौह अयस्क की यह पेटी कर्नाटक राज्य में स्थित है। इस पेटी में लौह अयस्क की विशाल राशि संचित है। कर्नाटक के पश्चिमी घाट में स्थित कुद्रेमुख की खानों से सम्पूर्ण लौह अयस्क का निर्यात कर दिया जाता है। कुद्रेमुख विश्व के सबसे बड़े लौह अयस्क निक्षेपों में से एक है।

4. महाराष्ट्र गोवा पेटी:
यह पेटी गोवा एवं महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरि जिले में स्थित है। इस पेटी से प्राप्त लौह अयस्क उत्तम किस्म का नहीं होता है। मार्मागाओ बन्दरगाह से इसका निर्यात कर दिया जाता है।

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प्रश्न 2.
अनवीकरणीय ऊर्जा को संरक्षित रखने की आवश्यकता के पक्ष में दो तर्क दीजिए। इसके संसाधनों के संरक्षण के लिए किन्हीं तीन उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • अनवीकरणीय ऊर्जा को संरक्षित रखने की आवश्यकता
    1. कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि से अनवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। ये सभी खनिज समाप्त होने की स्थिति में हैं। इनको हम पुनः उत्पादित नहीं कर सकते हैं। इसलिए इनको संरक्षित रखना अत्यन्त आवश्यक है ।
    2. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र (कृषि, उद्योग, परिवहन, वाणिज्य आदि) में तथा घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यदि हम ऊर्जा के अनवीकरणीय साधनों का सही उपयोग नहीं करेंगे तो हमें भविष्य में अति आवश्यक कार्यों के लिए भी ऊर्जा प्राप्त नहीं होगी।
  • ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण के उपाय
    1. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र जैसे- कृषि, उद्योग, परिवहन, वाणिज्य व घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हमें ऊर्जा के निवेश की आवश्यकता होती है। इसलिए हमें उसका नियोजित प्रयोग करना चाहिए।
    2. स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद क्रियान्वित आर्थिक विकास की योजनाओं को चलाए रखने के लिए ऊर्जा की बड़ी मात्रा की आवश्यकता थी। परिणामस्वरूप पूरे देश में ऊर्जा के सभी प्रकारों का उपयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इसकी पूर्ति हेतु ऊर्जा के नवीकरणीय साधनों के प्रयोग पर बल देना चाहिए।
    3. वर्तमान में भारत विश्व के अल्पतम ऊर्जा दक्ष देशों में गिना जाता है। हमें सावधानीपूर्वक उपागम को ऊर्जा के सीमित संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग के लिए अपनाना होगा। हमें एक जागरूक नागरिक के रूप में यातायात के लिए निजी वाहन की अपेक्षा सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना चाहिए। जब हम बिजली के उपकरणों का प्रयोग नहीं कर रहे। हों तब हमें बिजली को बन्द करके विद्युत की बचत करनी चाहिए।

प्रश्न 3.
भारत में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन कोयला है। इसके विभिन्न रूपों के महत्व का आकलन कीजिए।
अथवा
परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए एवं किसी एक पर लेख लिखिए।
उत्तर:
परम्परागत ऊर्जा स्रोत-लकड़ी, कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, जल व तापीय विद्युत आदि। कोयला-भारत में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन कोयला है।
कोयला के विभिन्न रूप एवं उनका महत्व-कोयले का उपयोग विद्युत उत्पादन, उद्योगों एवं घरेलू आवश्यकता के लिए ऊर्जा की आपूर्ति के लिए किया जाता है। भारत अपनी वाणिज्यिक ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति हेतु मुख्य रूप से कोयले पर निर्भर है। कोयला मुख्य रूप से निम्नलिखित चार प्रकार का होता है
1. एन्थेसाइट:
यह सर्वोत्तम गुण वाला कठोर कोयला है। इसमें कार्बन की मात्रा सर्वाधिक होती है।

2. बिटुमिनस:
गहराई में दबे तथा अधिक तापमान से प्रभावित कोयला को बिटुमिनस के नाम से जाना जाता है। वाणिज्यिक उपयोग में यह कोयला सर्वाधिक लोकप्रिय है। परन्तु शोधन में उच्च श्रेणी के बिटुमिनस कोयले का उपयोग किया जाता है। लोहे के प्रगलन में इस कोयले का विशेष महत्व है।

3. लिग्नाइट:
यह निम्न किस्म का भूरा कोयला होता है। यह मुलायम होने के साथ अधिक नमीयुक्त होता है। भारत में लिग्नाइट के मुख्य भण्डार तमिलनाडु के नैवेली क्षेत्र में पाये जाते हैं। लिग्नाइट कोयले का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है।

4. पीट:
इस प्रकार का कोयला दलदली भागों में क्षय होने वाले पेड़-पौधों से उत्पन्न होता है। इसमें कार्बन की मात्रा कम एवं नमी की मात्रा अधिक होती है। अधिक नमी के कारण पीट कोयले की ताप क्षमता कम होती है।

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प्रश्न 4.
भारत में गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में प्रमुख गैर-परम्परागत शक्ति के साधन कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों से अभिप्राय ऐसे ऊर्जा संसाधनों से है जो आधुनिक वैज्ञानिक युग की देन हैं। इनके अन्तर्गत सौर-ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, बायो गैस एवं परमाणु ऊर्जा को सम्मिलित किया जाता है। इनमें से अधिकांश सतत् एवं सनातन हैं। आणविक ऊर्जा ऐसा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत है, जो असमाप्य है। भारत में प्रमुख गैर परम्परागत ऊर्जा संसाधन (शक्ति के साधन) निम्नलिखित हैं
1. सौर ऊर्जा-गैर:
परम्परागत ऊर्जा स्रोतों में सौर-ऊर्जा सर्वोपरि है। सौर-ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होती है। भारत में सौर ऊर्जा के विकास की असीम सम्भावनाएँ हैं। फोटोवोल्टाइक विधि से धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। भारत के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

2. पवन ऊर्जा:
पवन की गति से उत्पन्न ऊर्जा पवन ऊर्जा कहलाती है। यह पूर्ण रूप से प्रदूषणमुक्त एवं ऊर्जा का असमाप्य स्रोत है। पवन ऊर्जा को पवनचक्कियों से प्राप्त किया जाता है। पवन की गतिज ऊर्जा को टरबाइन के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। इस ऊर्जा का मुख्य उपयोग कुओं से पानी निकालने, सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन में किया जाता है। भारत में पवन ऊर्जा फार्म की विशालतम पेटी तमिलनाडु में नागरकोइल से मदुरई तक फैली हुई है। इसके अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र एवं लक्षद्वीप में भी महत्वपूर्ण पवन ऊर्जा फार्म स्थापित हैं। तमिलनाडु में नागरकोइल एवं राजस्थान का जैसलमेर देश में पवन ऊर्जा के प्रभावी उपयोग के लिए जाने जाते पा

3. बायो गैस:
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में झाड़ियों, कृषि अपशिष्टों, पशुओं और मानवजनित अपशिष्टों के उपयोग से घरेलू उपयोग हेतु बायो गैस उत्पन्न की जाती है। यह गैस जैविक पदार्थों के अपघटन से उत्पन्न होती है। भारत में पशुओं का गोबर प्रयोग करने वाले संयंत्र गोबर गैस संयंत्र के नाम से जाने जाते हैं। ऊर्जा प्राप्ति का यह साधन पर्यावरण को संरक्षित करने वाला है।

4. भू-तापीय ऊर्जा:
पृथ्वी के आंतरिक भागों में ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं। भारत में सैकड़ों गर्म पानी के झरने हैं जिनका विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है। भू-तापीय ऊर्जा के दोहन के लिए भारत में दो प्रौद्योगिक परियोजनाएँ प्रारम्भ की गयी हैं

  1. पार्वती घाटी-मणिकरण (हिमाचल प्रदेश),
  2. पूगा घाटी-लद्दाख।

5. ज्वारीय ऊर्जा:
महासागरों में उठने वाली तरंगों का प्रयोग विद्युत उत्पादन में किया जा सकता है। भारत में ज्वारीय तरंगों द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने की आदर्श दशाएँ खम्भात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी और पश्चिमी तट पर गुजरात में तथा पश्चिम बंगाल में सुन्दरवन क्षेत्र में गंगा के डेल्टा में पाई जाती है।

6. परमाणु ऊर्जा:
परमाणु ऊर्जा अथवा आणविक ऊर्जा अणुओं की संरचना को बदलने से प्राप्त की जाती है। भारत के झारखण्ड एवं राजस्थान में मिलने वाले यूरेनियम व थोरियम का प्रयोग परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है। भारत में आणविक ऊर्जा के उत्पादन हेतु तारापुर (महाराष्ट्र), रावतभाटा (राजस्थान), कलपक्कम (तमिलनाडु), नरोरा (उत्तर प्रदेश), काकरापारा (गुजरात) एवं कैगा (कर्नाटक) में अणु विद्युत गृहों की स्थापना की गई है।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
दिए गए रेखा मानचित्र का अध्ययन कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1. 1, 2, 3, 4 पर चिह्नित लौह अयस्क पेटियों को पहचानें।
2. क, ख, ग, घ पर चिह्नित लौह अयस्क निर्यातक पत्तनों को पहचानें।
3. विशाखापट्टनम को मानचित्र में अंकित कीजिए।
4. पारादीप को मानचित्र में अंकित कीजिए।
5. मैंगनीज उत्पादक क्षेत्रों को मानचित्र में अंकित कीजिए।
6. बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्र
7. अभ्रक उत्पादक क्षेत्र
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उत्तर:
(i) 1. बेलारी-चित्रदुर्ग, चिक्कमंगलूरू-तुमकूरू-लौह अयस्क पेटी,
2. महाराष्ट्र-गोवा लौह अयस्क पेटी,
3. दुर्ग-बस्तर- चन्द्रपुर लौह अयस्क पेटी,
4. उड़ीसा-झारखण्ड लौह अयस्क पेटी

(ii) (क) मार्मागाओ,
(ख) मंगलूरू,
(ग) विशाखापट्टनम,
(घ) पारादीप।

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प्रश्न 2.
केवल चिह्नित करें
उत्तर:

  1. लौह अयस्क खानें – बेलाडिला, बेलारी, कुद्रेमुख, दुर्ग, मयूरभंज।
  2. अभ्रक खानें – अजमेर, बेवर, नैल्लोर, गया और हजारीबाग।

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प्रश्न 3.
केवल चिह्नित करें
उत्तर:

  1. कोयला खानें – रानीगंज, झरिया बोकारो, तलचर, कोरबा, सिंगरौली, सिंगरेनी, नेवेली।
  2. खनिज तेल क्षेत्र – डिगबोई, नाहरकटिया, मुम्बई हाई, बसीन, कलोल और अंकलेश्वर।

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प्रश्न 4.
केवल चिन्हित करें
उत्तर:

  1. तापीय ऊर्जा संयंत्र बरौनी, पनकी, रामागुंडम विजयवाड़ा नेवेली, ट्रॉम्बे, दुर्गापुर कोरबा, तलचर, तूतीकोरिन
  2. आणविक ऊर्जा संयंत्र, नरोरा, रावतभाटा, काकरापारा, कैगा, कलपक्कम

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JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 4 औद्योगीकरण का युग 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions History Chapter 4 औद्योगीकरण का युग

वस्तुनिष्ठ

प्रश्न 1.
वह शब्द कौन-सा है जो आमतौर पर एशिया के लिए इस्तेमाल किया जाता है?
(क) सौदागर
(ख) आदि
(ग) प्राच्य
(घ) जादुई चिराग
उत्तर:
(ग) प्राच्य

2. विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में उच्च वर्ग के लोग निम्न में से किससे निर्मित वस्तुओं को महत्त्व देते थे?
(क) मशीनों से
(ख) हाथों से
(ग) (क) और
(ख) दोनों से
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) हाथों से

3. कौन-से बन्दरगाह 1780 के दशक से व्यापारिक बन्दरगाह के रूप में विकसित होने लगे थे?
(क) बम्बई व कलकत्ता
(ख) सूर व मछलीपट्टनम
(ग) कांडला व तूतीकोरिन
(घ) चेन्नई व कांडला
उत्तर:
(क) बम्बई व कलकत्ता

4. “भारतीय कपड़े की माँग कभी कम नहीं हो सकती क्योंकि दुनिया के किसी और देश में इतना अच्छा माल नहीं बनता।” यह कथन किसका है?
(क) हेनरी पतूलो
(ख) जे.एल.हैमंड
(ग) टी.ई.निकल्सन
(घ) माइकलः वुल्फ
उत्तर:
(क) हेनरी पतूलो

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5. भारत में सन् 1854 में पहली कपड़ा मिल कहाँ लगी थी?
(क) सूरत
(ख) पुणे
(ग) बंबई
(घ) अहमदाबाद
उत्तर:
(ग) बंबई

6. जे. एन. टाटा ने किस वर्ष जमशेदपुर में भारत का प्रथम लौह एवं इस्पात संयन्त्र स्थापित किया?
(क) 1729 ई.
(ख) 1854 ई.
(ग) 1912 ई.
(घ) 1855 ई.
उत्तर:
(ग) 1912 ई.

7. किस वस्तु के विज्ञापन में भगवान विष्णु आकाश से रोशनी लाते दिखाए गए हैं?
(क) साबुन
(ख) ग्राइप वाटर
(ग) कपड़ा
(घ) इस्पात
उत्तर:
(क) साबुन

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. इंग्लैण्ड में ………. के दशक में कारखानों का खुलना प्रारंभ हुआ।
उत्तर:
1730,

2. ……….. ने न्यूकॉमेन द्वारा बनाए गए भाप के इंजन में सुधार किए और ………… में नए इंजन का पेटेंट करा लिया।
उत्तर:
जेम्स वॉट,

3. ………….. में पहली कपड़ा मिल 1854 में लगी।
उत्तर:
बंबई,

4. देश की पहली जूट मिल …………. में और दूसरी 7 साल बाद ……………. में चालू हुई।
उत्तर:
1855, 1862

5. उद्योगपति नए मजदूरों की भर्ती के लिए प्रायः एक …………… रखते थे।
उत्तर:
जॉबर।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किस म्यूजिक कम्पनी ने अपनी पुस्तक की जिल्द पर दी गयी तस्वीर में नयी सदी के उदय का ऐलान किया था?
उत्तर:
ई. टी. पॉल म्यूजिक कम्पनी ने अपनी पुस्तक की जिल्द पर दी गयी तस्वीर में ‘नयी सदी के उदय’ का ऐलान किया था।

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प्रश्न 2.
गिल्ड्स से आप क्या रमझते हैं ?
उत्तर:
गिल्ड्स उत्पादकों के संगटन होते थे। गिल्ड्स से जुड़े उत्पादक कारीगरों को प्रशिक्षण प्रदान करते थे, उत्पादकों पर नियन्त्रण रख्बते थं, प्रातिम्पर्नीं और गुल्य तय करते थे।

प्रश्न 3.
इंग्लैण्ड के कपड़ा व्यापारी किससे ऊन खरीदते थे ?
उत्तर:
इंग्लेण्ड के कपड़ा व्यापारी स्टेप्लर्स (Staplers) से ऊन खरीदते थे।

प्रश्न 4.
इंग्लैणंड का कौन-सा शहर फिनिशिंग सेंटर के नाम से जाना जाता था ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड का लंदन शहर फिनिशिंग सेंटर के नाम से जाना जाता था।

प्रश्न 5.
आदि-औद्योगिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषता क्या थी ?
उत्तर:
आदि औद्योगिक व्यवस्था पर मौंदागतों का: नंत्रण था और वस्तुओं का उत्पादन कासमानें की जनग गंमें गोड़ा ग।

प्रश्न 6.
कार्डिंग क्या है ?
अथवा
‘कार्डिंग’ शब्द को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
कार्डिंग वह प्रक्रिया थी जिसमें कपास या ऊन आदि रेशों को कताई के लिए तैयार किया जाता था।

प्रश्न 7.
सूती कपड़ा मिल की रूपरेखा किसने तैयार की थी?
उत्तर:
रिचर्ड आर्कराइट ने सूती कपड़ा मिल की रूपरेखा तैयार की थी।

प्रश्न 8.
ब्रिटेन के सबसे अधिक विकसित उद्योग कौन-कौन से थे?
उत्तर:
ब्रिटेन के सबसे अधिक विकसित उद्योग सूती कपड़ा उद्योग एवं कपास उद्योग थे।

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प्रश्न 9.
ब्रिटेन का कौन-सा उद्योग 1840 ई. के दशक तक औद्योगीकरण के प्रथम चरण में सबसे बड़ा उद्योग बन चुका था ?
उत्तर:
ब्रिटेन का कपास उद्योग 1840 ई. के दशक तक औद्योगिकीकरण के प्रथम चरण में सबसे बड़ा उद्योग बन चुका था।

प्रश्न 10.
स्पिनिंग जेनी मशीन का निर्माण कब व किसने किया?
उत्तर:
जेम्स हरग्रीव्ज ने 1764 ई. में स्पिर्तिंग जेनी मशीन का निर्माण किया। नियुक्ति क्यों की?
उत्तर:
बुनकरों का निरीक्षण करने के लिए।

प्रश्न 12.
भारत के स्थानीय बाजार में कहाँ के आयातित मालों की भरमार थी ?
उत्तर:
भारत के स्थानीय बाजार में मैनचेस्टर के आयातित मालों की भरमार थी।

प्रश्न 13.
1860 के दशक में बुनकरों के समक्ष कौन-सी समस्या उत्पन्न हो गयी ?
उत्तर:
1860 के दशक में बुनकरों के समक्ष अच्छी कृपास के न मिलने की समस्या उत्पन्न हो गयी।

प्रश्न 14.
देश की पहली जूट मिल कब व किस राज्य में स्थापित हुई ?
उत्तर:
देश की पहली जूट मिल 1855 ई. में बंगाल में स्थापित हुई।

प्रश्न 15.
किस वर्ष मद्रास में पहली कताई और बुनाई मिल स्थापित हुई ?
उत्तर:
सन् 1874 ई. में मद्रास में पहली कताई और बुनाई मिल स्थापित हुई।

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प्रश्न 16.
बंबई के उन दो उद्योगपतियों के नाम लिखिए, जिन्होंने 19 वीं सदी में विशाल औद्योगिक साम्राज्य स्थापित किया?
उत्तर:

  1. डिनशॉ पेटिट व
  2. जमशेदजी नुसरवान जी टाटा।

प्रश्न 17.
प्रथम विश्वयुद्ध तक कौन-कौन सी यूरोपीय प्रबन्धकीय एजेंसियाँ भारतीय उद्योगों के विशाल क्षेत्र का नियन्त्रण करती थीं?
उत्तर:

  1. बर्ड हीगलार्स एण्ड कम्पनी,
  2. एंड्रयू यूल,
  3. जार्डीन स्किनर एण्ड कम्पनी।

प्रश्न 18.
जॉबर कौन थे?
उत्तर:
उद्यमी, मिलों में नये मजंदूरों की भर्ती के लिए विश्वस्त कर्मचारी रखते थे, जो जॉबर कहलाता था। इन्हें अलग-अलग प्रदेशों में सरदार या मिस्त्री आदि भी कहते थे।

प्रश्न 19.
फ्लाई शटल के प्रयोग से कौन-कौन से लाभ प्राप्त हुए?
उत्तर:
फ्लाई शटल के प्रयोग से कामगारों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई. उत्पादन तीव्र हुआ तथा श्रम की माँग में कमी आयी।

प्रश्न 20.
बच्चों की वस्तुओं का प्रचार करने के लिए किसकी छवि का अधिक उपयोग किया जाता था ?
उत्तर:
बच्चों की वस्तुओं का प्रचार करने के लिए बाल कृष्ण की छवि का सबसे अधिक उपयोग किया जाता था।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1 )

प्रश्न 1.
17वीं व 18वीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों में सौदागर माँग के होते हुए भी उत्पादन नहीं बढ़ा सकते थे क्यों?
अथवा
औद्योगिक क्रान्ति से पूर्व यूरोप के नए व्यापारियों को नगरों में औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित करने में आई किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
17वीं व 18वीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों में सौदागर माँग के होते हुए निम्न कारणों से उत्पादन नहीं बढ़ा सकते थे था।

  1. शहरी दस्तकार व व्यापारिक गिल्ड्स बहुत अधिक ताकतवर थे।
  2. गिल्ड्स से जुड़े उत्पादक कारीगरों को प्रशिक्षण देते थे, उत्पादनों पर नियन्त्रण रखते थे, प्रतिस्पर्धा तथा मूल्य तय करते थे तथा व्यवसाय में आने वाले नये लोगों को रोकते थे।
  3. शासकों ने भी विभिन्न गिल्ड्स को विशेष उत्पादों के उत्पादन व व्यापार को एकाधिकार प्रदान कर रखा था।

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प्रश्न 2.
19वीं शताब्दी के अन्त में कपास के उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई। यह वृद्धि उत्पादन प्रक्रिया में कौन-कौन से बदलावों का परिणाम थी ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
कपास के उत्पादन में अधिक वृद्धि उत्पादन प्रक्रिया में निम्नलिखित बदलावों का परिणाम थी:

  1. 18वीं शताब्दी में कुछ नये आविष्कारों ने उत्पादन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण (कार्डिंग, ऐंठना, कताई व लपेटना) की कुशलता बढ़ा दी।
  2. महँगी नयी मशीनें कारखानों में लगने लगीं।
  3. कारखानों में समस्त प्रक्रियाएँ एक ही छत के नीचे और एक मालिक के हाथों में आ गयी थीं।
  4. अब उत्पादन प्रक्रिया पर निगरानी, गुणवत्ता पर ध्यान व श्रमिकों पर ध्यान रखना सम्भव हो गया था। पहले यह सम्भव नहीं था क्योंकि उत्पादन का कार्य गाँवों में होता था।

प्रश्न 3.
इंग्लैण्ड में औद्योगीकरण के दौरान प्रौद्योगिकीय बदलावों की गति धीमी थी? कारण दीजिए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड में औद्योगीकरण के दौरान प्रौद्योगिकीय बदलावों की गति धीमी होने के निम्नलिखित कारण थे

  1. नवीन तकनीक बहुत अधिक महँगी थी। सौदागर व उद्योगपति इनके उद्योग को लेकर बहुत सावधान रहा करते थे।
  2. मशीनें प्रायः खराब हो जाती थीं तथा उनकी मरम्मत पर बहुत अधिक खर्च आता था।
  3. 19वीं शताब्दी के मध्य का औसत श्रमिक मशीनों पर काम करने वाला नहीं बल्कि परम्परागत कारीगर एवं श्रमिक ही होता था।
  4. आविष्कारकों एवं निर्माताओं के दावे के अनुसार मशीनें उतनी अच्छी भी नहीं होती थीं।

प्रश्न 4.
विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में उद्योगपति आधुनिक मशीनों का प्रयोग क्यों नहीं करना चाहते थे ? कारण दीजिए।
उत्तर:
विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में उद्योगपति निम्न कारणों से आधुनिक मशीनों का प्रयोग नहीं करना चाहते थे

  1. विक्टोरया कालीन ब्रिटेन में मानव श्रम प्रचुर मात्रा में उपलब्ध था। बड़ी संख्या में गरीब किसान व बेकार लोग नौकरियों की खोज में शहरों की ओर आते थे।
  2. मशीनें बहुत अधिक महँगी आती थीं तथा उनके रख-रखाव पर अधिक व्यय होता था।
  3. जिन उद्योगों में मौसम के साथ उत्पादन घटता-बढ़ता रहता था वहाँ उद्योगपति मशीनों की बजाय मजदूरों को ही काम पर रखना पसन्द करते थे।

प्रश्न 5.
विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में उच्च वर्ग के लोग हाथ से बनी चीजों को महत्त्व प्रदान करते थे, क्यों?
अथवा
ब्रिटेन के कुलीन व पूँजीपति वर्ग द्वारा हस्तनिर्मित वस्तुओं को प्राथमिकता क्यों दी जाती थी, कारण दीजिए।
अथवा
19वीं सदी के मध्य में, ब्रिटेन के अभिजात वर्ग के लोगों नेथों से बनी चीजों को प्राथमिकता क्यों दी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में उच्च वर्ग के लोग हाथ से बनी वस्तुओं को अधिक प्राथमिकता देते थे क्योंकि

  1. हाथ से बनी चीजों को परिष्कार तथा सुरुचि का प्रतीक माना जाता था।
  2. हाथ से बनी हुई वस्तुओं को एक-एक करके बनाया जाता था जिससे उनकी डिजायन व फिनिशिंग अच्छी आती थी।
  3. मशीनों से बनने वाले उत्पादों को उपनिवेशों में निर्यात कर दिया जाता था।

प्रश्न 6.
1760 ई. के दशक के पश्चात् ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारत से होने वाले कपड़े के निर्यात को और अधिक क्यों फैलाना चाहती थी ?
उत्तर:
1760 ई. के दशक के पश्चात् ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सत्ता सुदृढ़ीकरण की शुरुआत में भारत के कपड़ा निर्यात में गिरावट नहीं आयी। ब्रिटिश कपड़ा उद्योग का अभी विस्तार होना प्रारम्भ नहीं हुआ था। यूरोप में बारीक भारतीय कपड़ों की बहुत अधिक माँग थी इसलिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी भी भारत से होने वाले कपड़े के निर्यात को ही और अधिक फैलाना चाहती थी।

प्रश्न 7.
1760 ई. और 1770 ई. के दशकों में बंगाल और कर्नाटक में राजनीतिक सत्ता स्थापित करने से पहले ईस्ट इण्डिया कम्पनी को निर्यात के लिए लगातार वस्तुओं की आपूर्ति आसानी से नहीं हो पाती थी, क्यों ?
उत्तर:
बुने हुए कपड़ों को हासिल करने के लिए फ्रांसीसी, डच तथा पुर्तगालियों के साथ-साथ स्थानीय व्यापारी भी होड़ में रहते थे। इस प्रकार बुनकर और आपूर्ति सौदागर बहुत अधिक मोलभाव करते थे और अपना माल सर्वाधिक ऊँची बोली लगाने वाले खरीददार को ही बेचते थे। यही कारण था कि ईस्ट इण्डिया कम्पनी को निर्यात के लिए लगातार वस्तुओं की आपूर्ति आसानी से नहीं हो पाती थी।

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प्रश्न 8.
गुमाश्ता कौन थे? बुनकरों और गुमाश्तों के बीच झड़पें क्यों हुईं?
अथवा
गुमाश्ता के कार्य बताइए।
अथवा
गाँव में गुमाश्ता और बुनकरों के मध्य संघर्ष अधिक क्यों थे?
उत्तर:
गुमाश्ता ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा नियुक्त किये जाने वाले वेतनभोगी कर्मचारी होते थे, जो बुकनरों पर निगरानी रखने, माल इकट्ठा करने एवं कपड़ों की गुणवत्ता जाँचने का कार्य करते थे। ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा नियुक्त. गुमाश्ते बाहर के लोग थे जिनका गाँव से कोई सामाजिक सम्बन्ध नहीं था। वे दोषपूर्ण व्यवहार करते थे।

माल समय पर तैयार न होने की स्थिति में बुनकरों को सजा देते थे। सजा के तौर पर बुनकरों को पीटा जाता था और कोड़े बरसाये जाते थे। कर्नाटक और बंगाल में कई स्थानों से बुनकर गाँव छोड़कर चले गये। अतः रोजाना ही बुनकरों व गुमाश्तों के मध्य झड़पों के समाचार आते रहते थे।।

प्रश्न 9.
भारत के औद्योगिक विकास पर प्रथम विश्वयुद्ध का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
भारत के औद्योगिक विकास पर प्रथम विश्वयुद्ध का निम्नलिखित प्रभाव पड़ा:

  1. भारत में मैनचेस्टर के माल का आयात कम हो गया।
  2. युद्ध के पश्चात् भारतीय बाजार में मैनचेस्टर अपनी पहले वाली स्थिति प्राप्त न कर सका।
  3. स्थानीय उद्योगपतियों ने घरेलू बाजारों पर नियन्त्रण स्थापित कर लिया।
  4. ब्रिटिश सूती वस्त्र उद्योग अपना आधुनिकीकरण नहीं कर सका।

प्रश्न 10.
जॉबर कौन होते थे? उनका क्या कार्य था?
अथवा
जॉबर किसे कहते हैं ? उसके कार्यों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में भारत में ‘जॉबर्स’ की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उद्योगपति अपने कारखानों में नये मजदूरों की भर्ती का कार्य अपने किसी पुराने व विश्वस्त कर्मचारी के माध्यम से कराते थे जिसे जॉबर कहा जाता था। इन्हें अलग-अलग इलाकों में सरदार या मिस्त्री आदि भी कहते थे। इनका प्रमुख कार्य अपने गाँव से लोगों को लाना होता था। वह अपने गाँव से लोगों को लाता था, उन्हें काम का भरोसा दिलाता था, उन्हें शहरों में जमने के लिए मदद देता था तथा मुसीबत में पैसे से मदद करता था। इस प्रकार जॉबर ताकतवर और मजबूत व्यक्ति बन गया। बाद में जॉबर मदद के बदले पैसे माँगने लगे और श्रमिकों की जिन्दगी को नियन्त्रित करने लगे।

प्रश्न 11.
बीसवीं शताब्दी में अपनी उत्पादकता बढ़ाने एवं मिलों से मुकाबला करने के लिए भारतीय बुनकरों ने किस प्रकार नई तकनीक को अपनाया ?
उत्तर:
बीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक में कई बुनकर फ्लाई शटल का प्रयोग करने लगे। फ्लाई शटल बुनाई के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक यान्त्रिक औजार था। फ्लाई शटल के प्रयोग से कामगारों की उत्पादन क्षमता बढ़ी, उत्पादन तीव्र गति से होने लगा एवं श्रम की माँग में कमी आई। सन् 1941 ई. तक भारत में 35 प्रतिशत से अधिक हथकरघों में फ्लाई शटल लगे हुए थे।

त्रावणकोर, मद्रास, मैसूर, कोचीन, बंगाल आदि क्षेत्रों में तो ऐसे हथकरघे 70-80 प्रतिशत तक थे। इसके अतिरिक्त कई छोटे-छोटे सुधार किये गये जिनसे बुनकरों को अपनी उत्पादकता बढ़ाने एवं मिलों से मुकाबला करने में मदद मिली।

प्रश्न 12.
नये उपभोक्ता पैदा करने में विज्ञापनों का क्या महत्त्व है?
अथवा
नये उपभोक्ता बनाने में विज्ञापनों की भूमिका को संक्षेप में बताइए।
अथवा
वस्तुओं के लिए बाजार में विज्ञापन के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
विज्ञापन विभिन्न उत्पादों को आवश्यक एवं वांछनीय बना देते हैं। वे लोगों की सोच बदल देते हैं तथा नयी आवश्यकताएँ पैदा कर देते हैं। समाचार-पत्र-पत्रिकाओं, होर्डिंग्स, दीवारों, टेलीविजन के परदे पर सभी जगह विज्ञापन छाये हुए हैं। यदि हम इतिहास में पीछे .मुड़कर देखें तो पता चलता है कि औद्योगीकरण की शुरुआत से ही विज्ञापनों ने विभिन्न उत्पादों के बाजार के विस्तार में एवं एक नयी उपभोक्ता संस्कृति के निर्माण में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है।

प्रश्न 13.
मैनचेस्टर के उद्योगपतियों ने भारत में कपड़े बेचने के लिए लेबल का प्रयोग क्यों किया?
उत्तर:
मैनचेस्टर के उद्योगपतियों ने भारत में कपड़ा बेचना प्रारम्भ किया तो वे कपड़ों के बण्डलों पर लेबल लगाते थे। लेबल का लाभ यह होता था कि क्रेता को कम्पनी का नाम व उत्पादन के स्थान का पता चल जाता था। लेबल ही वस्तुओं की गुणवत्ता का प्रतीक था। जब किसी लेबल पर मोटे अक्षरों में ‘मेड इन मैनचेस्टर’ लिखा दिखाई देता था तो खरीददारों को कपड़ा खरीदने में किसी प्रकार का डर नहीं रहता था।

लघूत्तरात्मक (SA2)

प्रश्न 1.
यूरोप में आदि-औद्योगीकरण के दौरान किसानों ने सौदागरों के लिए कार्य करना क्यों प्रारम्भ किया?
अथवा
गाँवों के गरीब किसान एवं दस्तकार यूरोप के शहरी सौदागरों के लिए काम करने के लिए क्यों तैयार हो गये?
अथवा
“17वीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यूरोप में आदि-औद्योगीकरण के दौरान किसानों ने सौदागरों के लिए निम्नलिखित कारणों से काम करना प्रारम्भ किया:

  1. सत्रहवीं व अठारहवीं शताब्दी में यूरोप में गाँवों के खुले खेत समाप्त होते जा रहे थे तथा कॉमन्स की बाडावन्दी की जा रही थी। गरीब किसान जो इन्हीं जमीनों पर आश्रित थे उनकी आजीविका छिन गई।
  2. कई किसानों के पास छोटे-छोटे खेत थे जिनसे उनके समस्त परिवार का पालन-पोषण नहीं किया जा सकता था।
  3. ऐसी स्थिति में शहरी सौदागरों ने किसानों को काम का प्रस्ताव दिया एवं पेशगी के रूप में रकम भी दी तो वे तैयार हो गये।
  4. सौदागरों के लिए काम करते हुए वे गाँव में ही रहते हुए अपने छोटे-छोटे खेतों को भी सम्भाल सकते थे।
  5. इस आदि औद्योगिक उत्पादन से होने वाली आय ने खेती के कारण सिमटती आय में किसानों को बहुत सहारा दिया। इससे उन्हें अपने सम्पूर्ण परिवार के श्रम संसाधनों के उपयोग करने का अवसर भी मिल गया।
  6. इस व्यवस्था से शहरों एवं गाँवों के मध्य एक घनिष्ठ सम्बन्ध विकसित हुआ।

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प्रश्न 2.
“विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में कुलीन और पूँजीपति वर्ग द्वारा हस्तनिर्मित वस्तुओं को पसन्द किया जाता था।” स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में मानव श्रम प्रचुर मात्रा में उपलब्ध था। बड़ी संख्. में गरीब किसान व बेकार लोग कामकाज की तलाश में शहरों में आते थे। उद्योगपतियों को ऐसी मशीनों में कोई रुचि नहीं थी जिनके कारण श्रमिकों से तो छुटकारा मिल जाये परन्तु जिन पर बहुत अधिक व्यय होता हो। अनेक उत्पाद केवल हाथ से ही तैयार किये जाते थे। मशीनों से एक जैसे तथा एक किस्म के उत्पाद ही बड़ी संख्या में बनाये जा सकते थे।

लेकिन बाजार में अक्सर बारीक डिजाइन वाली एवं विशेष आकारों वाली वस्तुओं की बहुत अधिक माँग रहती थी। विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में उच्च वर्ग के लोग, कुलीन एवं पूँजीपति वर्ग हस्तनिर्मित वस्तुओं को अधिक महत्त्व देते थे, क्योंकि हाथ से बनी वस्तुओं को परिष्कार एवं सुरुचि का प्रतीक माना जाता था। उनकी फिनिशिंग अच्छी होती थी। उनको एक-एक करके बनाया जाता ६ तथा उनका डिजाइन अच्छा होता था।

मशीनों से बनने वाले उत्पादों को उपनिवेशों में निर्यात कर दिया जाता था। बाजार में हाथ से बनी वस्तुओं की बहुत अधिक माँग रहती थी। कई वस्तुओं के लिए यांत्रिक प्रौद्योगिकी की अपेक्षा मानवीय निपुणता की अधिक आवश्यकता पड़ती थी, जैसे-हथौड़ी, कुल्हाड़ियों का निर्माण। इसके अतिरिक्त हाथ से बनी वस्तुएँ उच्चवर्गीय लोगों की अभिरुचि को भी सन्तुष्ट करती थीं। .

प्रश्न 3.
बाजार में श्रम की बहुतायत से मजदूर वर्ग के जीवन पर पड़ने वाले कोई तीन प्रभाव बताइए।
उत्तर:
बाजार में श्रम की बहुतायत से मजदूर वर्ग के जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े
1. काम पाने के लिए गाँवों से बड़ी संख्या में मजदूर शहरों में आने ल। नौकरी मिलने की सम्भावना मित्रता तथा परिवारों के द्वारा जान-पहचान पर निर्भर करती थी। यदि किसी कारखाने में किसी व्यक्ति का सम्बन्धी या मित्र नौकरी करता था तो उसे नौकरी मिलने की सम्भावना अधिक रहती थी। सभी के पास ऐसे सामाजिक सम्पर्क नहीं होते थे। इसलिए रोजगार चाहने वाले बहुत से मजदूरों को कई सप्ताह तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। वे पुलों के नीचे अथवा रैनबसेरों में रातें काटते थे।

2. अनेक उद्योगों में मौसमी कार्य की वजह से मजदूरों को बीच-बीच में बहुत समय तक खाली बैठना पड़ता था। कार्य का मौसम समाप्त हो जाने के पश्चात् मजदूर पुनः बेरोजगार हो जाते थे।

3. लम्बे नेपोलियनी युद्ध के दौरान कीमतों में तीव्र गति से वृद्धि होने पर मजदूरों की आय के वास्तविक मूल्य में भारी कमी आ गयी। अब उन्हें वेतन तो पहले जितना मिलता था लेकिन उससे वे पहले जितनी वस्तुएँ नहीं खरीद सकते थे।

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प्रश्न 4.
19वीं शताब्दी में “औद्योगिक क्रांति, मिश्रित वरदान सिद्ध हुई।” इस कथन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
19वीं सदी में औद्योगिक क्रांति, मिश्रित वरदान सिद्ध हुई” इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
1. उद्योगों का विकास:
औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप उत्पादन अब कारखानों में होने लगा। कपड़ा बुनने, सूत कातने के लिए कारखाने स्थापित हुए। मशीनों का उपयोग कर कपड़ा, लोहा एवं इस्पात, कोयला, सीमेण्ट, चीनी, कागज, शीशा और अन्य उद्योग स्थापित किए गए, जिनका बड़े स्तर पर उत्पादन हुआ। इस प्रकार औद्योगिक क्रांति से उद्योगों का विकास हुआ।

2. नगरीकरण को बढ़ावा:
औद्योगीकरण ने नगरीकरण को बढ़ावा दिया। औद्योगिक केन्द्र नगर के रूप में परिवर्तित हुए। वहाँ बाहर के लोग आकर बसने लगे, जिससे नगरीय जनसंख्या में वृद्धि हुई।

3. कुटीर उद्योगों की अवनति:
कारखानों की स्थापना होने से परम्परागत कुटीर एवं लघु उद्योगों का पतन हो गया।

4. सामाजिक विभाजन:
भारत में औद्योगीकरण के विकास के साथ ही नए-नए सामाजिक वर्गों का उदय और विकास हुआ। अधिक कल-कारखानों के विकसित होने से समाज में पूँजीपति वर्ग तथा श्रमिक वर्ग का उदय हुआ। निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि उत्पादन अच्छा तथा सस्ता होने लगा लेकिन सामाजिक असमानता में वृद्धि, नगरों की समस्या में वृद्धि, कुटीर एवं लघु उद्योगों की समाप्ति के कारण “औद्योगिक क्रांति मिश्रित वरदान सिद्ध हुई।”

प्रश्न 5.
मशीन आधारित उद्योगों के युग से पहले अन्तर्राष्ट्रीय वस्त्र बाजार में भारतीय वस्त्र उत्पादों की क्या स्थिति थी? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मशीन आधारित उद्योगों के युग से पहले अन्तर्राष्ट्रीय वस्त्र बाजार में भारत के रेशम व सूती वस्त्र उत्पादों का बोलबाला था। अधिकांश देशों में मोटा कपास पैदा होता था जबकि भारत में उत्पन्न होने वाला कपास बारीक था जिससे अच्छे वस्त्र बनते थे। यहाँ से स्थल व जलमार्गों द्वारा वस्त्र उत्पादों को विदेशों में भेजा जाता था। आर्मीनियन एवं फारसी सौदागर पंजाब से अफगानिस्तान, पूर्वी फारस एवं मध्य एशिया के रास्ते यहाँ से विभिन्न वस्तुएँ लेकर जाते थे।

भारत से बने बारीक कपड़ों के शाल ऊँटों की पीठ पर लादकर पश्चिमोत्तर सीमा से पहाड़ी दरों एवं मरुस्थल के पार ले जाये जाते थे। मुख्य पूर्व औपनिवेशिक बन्दरगाहों से पर्याप्त समुद्री व्यापार संचालित होता था। गुजरात के तट पर स्थित सूरत बन्दरगाह के माध्यम से भारत खाड़ी एवं लाल सागर के बन्दरगाहों से जुड़ा हुआ था। कोरोमण्डल तट पर स्थित मछलीपट्टम व बंगाल में हुगली के माध्यम से दक्षिण-पूर्वी एशियाई बन्दरगाहों के साथ पर्याप्त व्यापार होता था।

प्रश्न 6.
1750 ई. के दशक तक भारतीय सौदागरों के नियन्त्रण वाला व्यापारिक नेटवर्क टूटने लगा था, क्यों?
उत्तर:
1750 ई. के दशक तक भारतीय सौदागरों के नियन्त्रण वाला व्यापारिक नेटवर्क टटने लगा था क्योकि

  1. 1750 के दशक तक यूरोपीय कम्पनियाँ स्थानीय दरबारों से व्यापारिक छूट तथा एकाधिकार प्राप्त कर शक्तिशाली होने लगी थीं।
  2. सूरत व हुगली जैसे बन्दरगाहों, जहाँ से भारतीय सौदागर अपनी व्यापारिक गतिविधियों को संचालित करते थे उनका पतन हो चुका था। इन बन्दरगाहों से होने वाले निर्यात में नाटकीय कमी आई। अब बम्बई व कलकत्ता जैसे नये बन्दरगाह उभरकर सामने आये जो यूरोपीय व्यापारियों के कब्जे में थे।
  3. पुराने बन्दरगाहों के स्थान पर नये बन्दरगाहों का बढ़ता महत्त्व औपनिवेशिक सत्ता की बढ़ती ताकत का संकेत था। नये बन्दरगाहों से होने वाला व्यापार यूरोपीय कम्पनियों के नियन्त्रण में था और यूरोपीय जहाजों के माध्यम से ही होता था।
  4.  निर्यात में कमी आने के कारण भारतीय व्यापारिक घराने दिवालिया होते गये। शेष बचे व्यापारिक घरानों को यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के नियन्त्रण में कार्य करने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं बचा था।

प्रश्न 7.
‘आदि-औद्योगीकरण’ क्या है? भारतीय बुनकरों पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने किस प्रकार नियन्त्रण स्थापित किया?
उत्तर:
आदि-औद्योगीकरण का अर्थ-हॉलैण्ड और यूरोप में कारखानों की स्थापना से पहले अन्तर्राष्ट्रीय बाजार के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा था। यह उत्पादन कारखानों में नहीं होता था। ‘आदि’ किसी वस्तु की पहली प्रारम्भिक अवस्था का संकेत है।

अतः अनेक इतिहासकारों ने औद्योगीकरण में इस चरण को आदि-औद्योगीकरण का नाम दिया। आदि-औद्योगीकरण काल में औद्योगिक बाजार के लिए उत्पादन कारखानों की बजाय घरों पर हाथों से निर्मित किये जाते थे। भारतीय बुनकरों पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी का नियन्त्रण-ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारतीय बुनकरों पर निम्न प्रकार से अपना नियन्त्रण स्थापित किया

  1. कम्पनी ने कपड़ा व्यापारियों एवं दलालों को समाप्त करके बुनकरों पर प्रत्यक्ष नियन्त्रण स्थापित किया।
  2. कम्पनी को माल बेचने वाले बुनकरों को अन्य खरीददारों के साथ कारोबार करने पर पाबन्दी लगा दी।
  3. कम्पनी ने बुनकरों पर निगरानी रखने, माल एकत्रित करने एवं कपड़ों की गुणवत्ता जाँचने के लिए वेतनभोगी कर्मचारी नियुक्त किये, जिन्हें गुमाश्ता कहा जाता था।
  4. जिन बुनकरों द्वारा कम्पनी से ऋण लिया जाता था उन्हें अपना बनाया कपड़ा गुमाश्ता को ही देना पड़ता था। उसे वे किसी अन्य व्यापारी को नहीं बेच सकत थे।

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प्रश्न 8.
19वीं सदी की शुरुआत में भारत के कपड़ा निर्यात में क्यों गिरावट आने लगी?
अथवा
19वीं सदी के प्रारम्भ में भारतीय कपड़ा निर्यात बाजार क्यों ठप्प हुआ और स्थानीय बाजार क्यों सिकुड़ने लगे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
19वीं सदी के शुरुआत में भारत के कपड़ा निर्यात में निम्नांकित कारणों से गिरावट आने लगी

  1. इंग्लैण्ड में कपास उद्योग के विकास के साथ वहाँ के स्थानीय व्यापारियों ने आयातित कपड़े पर आयात शुल्क लगाने की माँग करनी प्रारम्भ कर दी जिससे कि मैनचेस्टर में बने कपड़े प्रतिस्पर्धा के बिना इंग्लैण्ड में आराम से बिक सकें।
  2. इंग्लैण्ड के व्यापारियों ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी पर दबाव डाला कि वह ब्रिटिश कपड़ों का भारतीय बाजार में भी विक्रय करें।
  3. 1860 ई. के दशक में भारतीय बुनकरों को अच्छी किस्म की कपास की पर्याप्त आपूर्ति में बाधा का सामना करना पड़ा।
  4. इंग्लैण्ड से भारत में आने वाला कपड़ा सस्ता एवं सुन्दर था। भारतीय वस्त्र उसका मुकाबला नहीं कर सके।

प्रश्न 9.
19वीं सदी में भारतीय बुनकरों को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ा? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
ब्रिटिश औद्योगीकरण के कारण भारतीय बुनकरों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ा?
अथवा
19वीं शताब्दी में भारतीय बुनकरों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
18वीं सदी के प्रारम्भ में भारतीय बुनकरों की क्या-क्या समस्याएँ थीं?
अथवा
19वीं शताब्दी में भारतीय बुनकरों की किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
19वीं सदी में भारतीय बुनकरों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा:

  1. बुनकरों का निर्यात बाजार समाप्ति की ओर था तथा स्थानीय बाजार भी सिकुड़ रहा था।
  2. स्थानीय बाजार में मैनचेस्टर से आयातित मालों की अधिकता थी। कम लागत पर मशीनों से निर्मित आयातित कपास उत्पाद इतने सस्ते थे कि बुनकर उनका मुकाबला नहीं कर सकते थे। 1850 के दशक तक देश के अधिकांश बुनकर प्रदेशों में गरीबी व बेरोजगारी फैल गयी थी।
  3. 1860 के दशक में अमेरिका में गृह युद्ध प्रारम्भ होने से वहाँ से कपास का आना बन्द हो गया। इस पर ब्रिटेन भारत से कपास मँगाने लगा जिससे कपास की कीमतें अत्यधिक बढ़ गयीं। भारतीय बुनकरों को कपास मिलना मुश्किल हो गया। उन्हें मनमानी कीमत पर कपास खरीदनी पड़ती थी। इस कारण उनका इस व्यवसाय में बने रहना मुश्किल हो गया।
  4. 19वीं सदी के अन्त में भारतीय कारखानों में उत्पादन होने लगा तथा बाजार मशीनों से निर्मित वस्तुओं से भर गये थे फलस्वरूप भारतीय बुनकर उद्योग पतन के कगार पर पहुँच गया।

प्रश्न 10.
20वीं सदी के प्रथम दशक तक भारत में औद्योगीकरण की व्यवस्था में आये परिवर्तनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
“20वीं शताब्दी के पहले दशक तक भारत में औद्योगीकरण का स्वरूप कई बदलावों की चपेट में आ चुका था” इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
20वीं सदी के प्रथम दशक तक भारत में औद्योगीकरण की व्यवस्था कई परिवर्तनों की चपेट में आ चुकी थी। देश में स्वदेशी आन्दोलन को गति मिलने से राष्ट्रवादियों ने लोगों को विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित किया। औद्योगिक समूह अपने सामूहिक हितों की रक्षा के लिए संगठित हो गये तथा उन्होंने आयात शुल्क बढ़ाने एवं अन्य रियायतें देने के लिए सरकार पर दबाव डाला।

1906 ई. के पश्चात् चीन भेजे जाने वाले भारतीय धागे के निर्यात में भी कमी आना प्रारम्भ हो गया। चीनी बाजार में चीन व जापान के कारखानों से निर्मित सामग्री की पर्याप्तता हो गयी थी परिणामस्वरूप भारत के उद्योगपति धागे की बजाय कपड़े का निर्माण करने लगे। अत: 1900 से 1912 ई. के मध्य सूती कपड़े का उत्पादन दोगुना हो गया। प्रथम विश्व युद्ध के प्रारम्भ में औद्योगिक विकास मन्द रहा लेकिन युद्ध के दौरान औद्योगिक उत्पादन तीव्र गति से बढ़ा।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 4 औद्योगीकरण का युग 

प्रश्न 11.
“प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् भारतीय बाजार में मैनचेस्टर की पहले वाली हैसियत नहीं रही।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश कारखाने सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए युद्ध सम्बन्धी उत्पादन में व्यस्त थे इसलिए भारत में मैनचेस्टर के माल का आयात कम हो गया। युद्ध के दौरान भारत में औद्योगिक उत्पादन तेजी से बढ़ा। प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् भारतीय बाजार में मैनचेस्टर की पहले वाली स्थिति नहीं रही।

आधुनिकीकरण न कर पाने एवं अमेरिका, जर्मनी व जापान के मुकाबले कमजोर पड़ जाने के कारण ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी। कपास का उत्पादन बहुत कम रह गया था तथा ब्रिटेन से होने वाले सूती कपड़े के निर्यात में भारी गिरावट आ गयी। परिणामस्वरूप ब्रिटेन के उपनिवेशों में विदेशी उत्पादों को हटाकर स्थानीय उद्योगपतियों ने घरेलू बाजारों पर नियन्त्रण स्थापित कर लिया तथा धीरे-धीरे अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली।

प्रश्न 12.
लेबलों ने मैनचेस्टर के कपड़ों के लिए भारत में बाजार तैयार करने में किस प्रकार सहायता पहुँचाई ?
उत्तर:
लेबलों ने मैनचेस्टर के कपड़ों के लिए भारत में बाजार तैयार करने में बहुत अधिक सहायता पहुँचायी। जब मैनचेस्टर के उद्योगपतियों ने भारत में कपड़ा बेचना प्रारम्भ किया तो वे कपड़ों के बंडलों पर लेबल लगाते थे। लेबल से औद्योगीकरण का युग 890 क्रेताओं को कम्पनी का नाम व उत्पादन के स्थान की जानकारी प्राप्त हो जाती थी। लेबल वस्त्रों की गुणवत्ता का प्रतीक भी था। जब किसी लेबल पर मोटे अक्षरों में ‘मेड इन मैनचेस्टर’ लिखा दिखाई देता था तो क्रेता को कपड़े खरीदने में किसी भी प्रकार का कोई संकोच नहीं होता था।

लेबलों पर केवल शब्द एवं अक्षर नहीं होते थे, बल्कि उन पर सुन्दर तस्वीरें भी बनी होती थीं। इन लेबलों पर प्रायः भारतीय देवी-देवताओं की तस्वीरें होती थीं। इन तस्वीरों के माध्यम से वस्त्र निर्माता यह दर्शाना चाहते थे कि ईश्वर की भी यह इच्छा है कि लोग उन वस्तुओं को खरीदें। लेबलों पर कृष्ण या सरस्वती की तस्वीर बनी होने का लाभ यह होता था कि विदेशों में बनी वस्तुएँ भी भारतीयों को जानी-पहचानी सी लगती थीं।

प्रश्न 14.
उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में कैलेण्डर किस प्रकार सहायक थे?
उत्तर:
अखबार एवं पत्र-पत्रिकाओं को तो शिक्षित लोग ही समझ सकते थे लेकिन कैलेण्डर निरक्षर लोगों की समझ में भी आ जाते थे। चाय की दुकानों, कार्यालयों एवं मध्यवर्गीय लोगों के घरों में ये कैलेण्डर लटके रहते थे। इन कैलेण्डरों को लगाने वाले लोग विज्ञापनों को भी प्रतिदिन पूरे वर्षभर देखते रहते थे। इन कैलेण्डरों में भी नये उत्पादों को बेचने के लिए देवताओं के चित्र अंकित होते थे जिस कारण लोग इन उत्पादों को खरीदने को प्रेरित हो जाते थे।

इसके अतिरिक्त महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों, सम्राटों एवं नवाबों के चित्रों का भी कैलेण्डरों में भरपूर प्रयोग होता था। इनका सन्देश प्रायः यह होता था कि यदि आप इस शाही व्यक्ति का सम्मान करते हैं तो इस उत्पाद का भी सम्मान कीजिए, यदि इस उत्पाद का राजा प्रयोग करते हैं अथवा उसे शाही निर्देश से बनाया गया है तो उसकी गुणवत्ता पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता था। इस प्रकार उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में कैलेण्डर महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करते थे।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
औद्योगीकरण से आप क्या समझते हैं? इसका प्रारम्भ इंग्लैण्ड से ही क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
औद्योगिक क्रांति के तीन कारक लिखिए।
उत्तर:
औद्योगीकरण यानी उद्योगों की वृहत रूप से स्थापना उस औद्योगिक क्रांति की देन है जिसमें वस्तुओं का उत्पादन मशीनों द्वारा किया जाता है, मानव श्रम द्वारा नहीं। उत्पादन बड़े स्तर पर होने के कारण उसकी खपत के लिए बड़े बाजार की आवश्यकता होती है। औद्योगीकरण का प्रारंभ इंग्लैण्ड से ही होने के निम्नलिखित कारण थे:
1. इंग्लैण्ड की भौगोलिक स्थिति:
इंग्लैण्ड की भौगोलिक स्थिति उद्योग-धंधों के विकास के लिए अनुकूल थी। इंग्लैण्ड बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित था तथा इसके पास अच्छे बंदरगाह थे, जो औद्योगीकरण के आवश्यक तत्व हैं।

2. खनिज पदार्थों की उपलब्धता:
इंग्लैण्ड के पास प्राकृतिक साधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे। इंग्लैण्ड के उत्तरी और पश्चिमी भाग में लोहे और कोयले की खाने उपलब्ध थीं, जिनसे आवश्यक सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाती थी।

3. नयी-नयी मशीनों का आविष्कार:
औद्योगिक क्रांति के लिए इंग्लैण्ड के वैज्ञानिकों ने नयी-नयी मशीनों का आविष्कार किया, जिनसे वस्त्र उद्योग, परिवहन, संचार व्यवस्था एवं खनन उद्योगों की प्रगति हुई।

4. मजदूरों की उपलब्धता:
बाड़ाबंदी कानून से छोटे किसान अपनी भूमि से बेदखल हो गए। अब उनके सामने रोजी-रोटी का प्रश्न उठ खड़ा हुआ। ये लोग कारखानों में काम करने के लिए विवश हो गए। इसलिए इंग्लैण्ड में कल-कारखानों के लिए सस्ते मजदूर सुलभ हो गए।

5. परिवहन की सुविधा:
कारखानों में उत्पादित वस्तुओं तथा कारखानों तक कच्चा माल पहुँचाने के लिए आवागमन के साधनों का विकास किया गया। सड़कों एवं जहाजरानी का विकास हुआ। बाद में रेलवे का भी विकास हुआ, जिससे औद्योगीकरण में सुविधा आई। इस प्रकार इंग्लैण्ड में अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में ऐसी परिस्थितियाँ विद्यमान थीं जिनसे औद्योगिक क्रांति हुई।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 4 औद्योगीकरण का युग 

प्रश्न 2.
उन्नीसवीं शताब्दी में यूरोप में औद्योगीकरण की प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताओं को विस्तार से बताइए। उत्तर-उन्नीसवीं शताब्दी में यूरोप में औद्योगीकरण की प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. मुख्य उद्योग:
ब्रिटेन के प्रमुख उद्योगों में सूती उद्योग एवं कपास उद्योग दोनों सबसे अधिक विकसित उद्योग थे। कपास उद्योग सन् 1840 ई. तक औद्योगीकरण के प्रथम चरण में सबसे बड़ा उद्योग बन चुका था। इसके पश्चात् लोहा इस्पात उद्योग आगे निकल गया।

1840 ई. के दशक में इंग्लैण्ड में तथा 1860 ई. के दशक में उसके उपनिवेशों में रेलवे का विस्तार तीव्र गति से होने लगा। रेलवे के प्रसार के कारण लोहे व स्टील की माँग तेज गति से बढ़ी। सन् 1873 ई. तक ब्रिटेन के लोहा और स्टील निर्यात का मूल्य लगभग 7.7 करोड़ पौंड हो गया। यह राशि इंग्लैण्ड के कपास निर्यात के मूल्य से दोगुनी थी।

2. परम्परागत उद्योगों का आधिपत्य:
नये उद्योग परम्परागत उद्योगों को इतनी आसानी से हाशिये पर नहीं पहुँचा सकते थे। 19वीं शताब्दी के अन्त में प्रौद्योगिकीय रूप से विकसित औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या कुल श्रमिकों की 20 प्रतिशत से अधिक नहीं थी। कपड़ा उद्योग एक गतिशील उद्योग था लेकिन इसके उत्पादन का एक बड़ा भाग कारखानों में न होकर घरेलू इकाइयों में बनता था।

3. विकास के लिए आधार:
यद्यपि परम्परागत उद्योगों में परिवर्तन की गति माप से संचालित होने वाले सूती व धातु उद्योगों से निश्चित नहीं हो पा रही थी लेकिन ये परम्परागत उद्योगों पूरी तरह ठहराव की अवस्था में भी नहीं थे। खाद्य प्रसंस्करण, निर्माण, पॉटरी, काँच के काम, चर्म शोधन, फर्नीचर तथा औजारों के उत्पादन जैसे अनेक गैर-मशीनी क्षेत्र में तीव्र गति से विकास का कारण साधारण व छोटे-छोटे आविष्कारों का अधिक होना था।

4. प्रौद्योगिकीय बदलावों की धीमी गति:
ब्रिटेन में कई प्रौद्योगिकीय बदलाव हुए परन्तु उनकी गति बहुत धीमी थी। औद्योगिक भूदृश्य पर ये परिवर्तन तीव्र गति से नहीं फैले। नवीन प्रौद्योगिकी बहुत महँगी थी जिस कारण सौदागर व व्यापारी इसके प्रयोग के प्रश्न पर फूंक-फूंककर कदम रखते थे। मशीनें प्रायः खराब हो जाती थीं तो उनकी मरम्म्त पर बहुत अधिक व्यय आता था। नवीन मशीनें उनके आविष्कारों एवं निर्माताओं के दावे के अनुरूप उतनी अच्छी भी नहीं थीं।

प्रश्न 3.
“बाजार में श्रम की अधिकता से मजदूरों की जिंदगी भी प्रभावित हुई।” इस कथन की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
19वीं शताब्दी में बाजार में कामगारों की अधिकता ने ब्रिटेन में कामगारों की जिन्दगी को किस प्रकार प्रभावित किया? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
19वीं शताब्दी में बाजार में श्रम की अधिकता ने ब्रिटेन के कामगारों की जिंदगी को निम्न प्रकार से प्रभावित किया
1. माँग की तुलना में श्रमिकों की अधिकता:
19वीं शताब्दी में बाजार में आवश्यकता से अधिक श्रमिक उपलब्ध थे इससे श्रमिकों के जीवन पर बहुत अधिक बुरा प्रभाव पड़ा। काम की कमी के कारण अधिकांश श्रमिकों को काम नहीं मिलता था। अतः वे कम वेतन पर काम करने को तैयार हो जाते थे। कुछ लोग वापस अपने गाँव लौट जाते थे।

2. मौसमी काम:
कई उद्योगों में वर्ष भर श्रमिकों को काम नहीं मिल पाता था। अनेक उद्योगों में मौसमी काम की वजह से श्रमिकों को बीच-बीच में बहुत समय तक खाली बैठना पड़ता था। जब काम का मौसम समाप्त हो जाता था तो श्रमिक पुनः सड़क पर आ जाते थे। कुछ श्रमिक सर्दियों के पश्चात् गाँव चले जाते थे जहाँ हर समय काम निकलने लगता था। लेकिन अधिकांश श्रमिक शहरों में ही रहकर छोटा-मोटा कोई काम ढूँढने की कोशिश करते थे जो उन्नीसवीं सदी के मध्य तक कोई आसान काम नहीं था।

3. कम वास्तविक वेतन:
यद्यपि 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ में श्रमिकों के वेतन में कुछ वृद्धि की गयी लेकिन इससे श्रमिकों की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ। कीमतों में वृद्धि के कारण वेतन में हुई वृद्धि निरर्थक हो गयी। श्रमिकों की औसत दैनिक आय का निर्धारण इस बात से होता था कि उन्होंने कितने दिन काम किया है।

4. निर्धनता तथा बेरोजगारी:
19वीं शताब्दी के मध्य में सबसे अच्छे समय में भी लगभग 10 प्रतिशत शहरी जनसंख्या अति निर्धन थी। सन् 1830 ई. के दशक में आयी आर्थिक मंदी में बेरोजगारों की संख्या बढ़कर विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 35 से 75 प्रतिशत तक पहुँच गयी थी।

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प्रश्न 4.
भारत के प्रारंभिक उद्यमियों की उद्योगों के विकास में भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के प्रारंभिक उद्यमियों में द्वारकानाथ टैगोर, डिनशॉ पेटिट, जमशेदजी नुसरवानजी टाटा, तथा सेठ हुकुमचंद का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। 18वीं सदी के अंत में अंग्रेजों ने भारतीय अफीम का चीन को निर्यात शुरू कर दिया था। बदले में अंग्रेज इंग्लैंड ले जाने के लिए चीन से चाय खरीदते थे। इस व्यापार में बहुत-से भारतीय कारोबारियों ने सहायक के तौर पर प्रवेश किया। वे पैसा उपलब्ध कराना, आपूर्ति सुनिश्चित करना तथा माल को जहाजों में लदवाकर औद्योगीकरण का युग 1 रवाना करवाने जैसे कार्य करते थे।

उनमें से कुछ व्यवसायी पैसा कमाकर भारत में औद्योगिक उद्यम स्थापित करने की इच्छा रखते थे। बंगाल में द्वारकानाथ टैगोर ने चीन में व्यापार कर खूब पैसा कमाया तथा उद्योगों में निवेश करने लगे। उन्होंने 18301840 के दशक के दौरान 6 संयुक्त उद्यम कंपनियाँ लगाने में सफलता हासिल की। हालाँकि 1840 के दशक में आए व्यापक व्यावसायिक संकटों में बाकी व्यवसायियों की तरह उनके उद्यम भी डूब गए। 19वीं सदी में चीन के साथ व्यापार करने वाले बहुत-से व्यवसायी सफल उद्योगपति बनने में सफल रहे।

बंबई में डिनशॉ पेटिट तथा जमशेदजी नुसरवानजी टाटा (जिन्होंने बाद में देश में विशाल औद्योगिक साम्राज्य स्थापित किया) जैसे पारसियों ने चीन को आंशिक रूप से निर्यात कर तथा इंग्लैंड को कच्ची कपास आंशिक रूप से निर्यात कर पर्याप्त पैसा कमाया। मारवाड़ी व्यवसायी सेठ हुकुमचंद (1917 में कलकत्ता में देश की पहली जूट मिल के संस्थापक) ने भी चीन के साथ व्यापार किया। प्रसिद्ध उद्योगपति जी.डी.बिड़ला के पिता व दादा ने भी यही काम किया।

प्रश्न 5.
ब्रिटिश निर्माताओं ने विज्ञापनों के माध्यम से भारतीय बाजार पर किस प्रकार नियन्त्रण स्थापित करने का प्रयास किया? उदाहरण देकर समझाइए।
अथवा
उन्नीसवीं शताब्दी में उत्पादकों द्वारा बाजार के फैलाव के लिए प्रयुक्त विधियों को विस्तार से बताइए।
अथवा
भारतीय एवं ब्रिटिश निर्माताओं ने नये उपभोक्ता पैदा करने के लिए किन तरीकों को अपनाया ? लिखिए।
उत्तर:
उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटिश उत्पादकों द्वारा बाजार के फैलाव के लिए प्रयुक्त विधियाँ निम्नलिखित हैं–
1. विज्ञापन:
बाजार के फैलाव व नये उपभोक्ताओं को अपने माल से जोड़ने के लिए उत्पादक, समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं, होर्डिंग्स आदि के माध्यम से विज्ञापन देते थे। विज्ञापनों ने विभिन्न उत्पादनों के बाजार को विस्तार -प्रदान करने एवं नयी उपभोक्ता संस्कृति का निर्माण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। विज्ञापनों ने उत्पादों को अति आवश्यक एवं वांछनीय बना दिया था।

2. लेबल लगाना:
अपने उत्पादों के बाजार को फैलाने के लिए उत्पादक लेबल लगाने की विधि का प्रयोग करते थे। जब मैनचेस्टर के उद्योगपतियों ने भारत में कपड़ा बेचना प्रारम्भ किया तो वे कपड़ों के बण्डलों पर लेबल लगाते थे। लेबल लगाने का यह लाभ होता था कि क्रेताओं को निर्माता कम्पनी का नाम व उत्पादन के स्थान के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती थी। लेबल ही वस्तुओं की गुणवत्ता का प्रतीक भी होता था। जब किसी वस्तु के लेबल पर मोटे अक्षरों में ‘मेड इन मैनचेस्टर’ लिखा दिखाई देता तो खरीददारों को कपड़ा खरीदने में किसी भी प्रकार का कोई डर नहीं रहता था। लेबलों पर केवल शब्द व अक्षर ही नहीं होते थे बल्कि उन पर मुख्यतः भारतीय देवी-देवताओं की तस्वीरें बनी होती थीं।

3. कैलेण्डर:
उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में निर्माता उत्पादों को बेचने के लिए कैलेण्डर अपनाने लगे थे। समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं को तो शिक्षित लोग ही समझ सकते थे लेकिन कैलेण्डर निरक्षरों की समझ में भी आ जाते थे। उन्हें पान की दुकान, दफ्तरों व मध्यमवर्गीय घरों में लटकाया जाता था। जो लोग इन कैलेण्डरों को लगाते थे वे विज्ञापनों को भी सम्पूर्ण वर्ष देखते थे। इन कैलेण्डरों में भी नये उत्पादों को बेचने के लिए देवताओं के चित्र प्रयुक्त किये जाते थे।

4. महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के चित्र:
देवी-देवताओं के चित्रों के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों, सम्राटों व नबावों के चित्र भी विज्ञापनों व कैलेण्डरों में बहुत अधिक प्रयोग किये जाते थे। इनका प्रायः यह संदेश होता था कि यदि आप इस शाही व्यक्ति का सम्मान करते हैं तो इस उत्पाद का भी सम्मान कीजिए। यदि इस उत्पाद को महत्त्वपूर्ण व्यक्ति, सम्राट या नबाव प्रयोग करते हैं तो इसकी गुणवत्ता पर प्रश्न-चिह्न नहीं लगाया जा सकता था।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1.
वे मार्ग जो न केवल एशिया के विशाल क्षेत्रों को एक दूसरे से जोड़ने का कार्य करते थे बल्कि एशिया को यूरोप और उत्तरी अफ्रीका से भी जोड़ते थे। कहलाते थे
(क) रेशम मार्ग
(ख) राजमार्ग
(ग) स्वर्णिम चतुर्भुज मार्ग
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) रेशम मार्ग

2. अठारहवीं शताब्दी में विश्व व्यापार का सबसे बड़ा केन्द्र था
(क) यूरोप
(ख) अमेरिका
(ग) अफ्रीका
(घ) ऑस्ट्रेलिया
उत्तर:
(क) यूरोप

3. जमीन को उपजाऊ बनाकर गेहूँ और कपास की खेती हेतु ‘केनाल कॉलोनी’ (नहर बस्ती) निम्न में से कहाँ बसायी
गयी?
(क) हरियाणा
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) गुजरात
(घ) पंजाब
उत्तर:
(घ) पंजाब

4. सन् 1885 में यूरोपीय देशों ने मानचित्र पर लकीरें खींचकर किस महाद्वीप को आपस में बाँट लिया?
(क) अमेरिका
(ख) ऑस्ट्रेलिया
(ग) अफ्रीका
(घ) एशिया
उत्तर:
(ग) अफ्रीका

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना

5. रिंडरपेस्ट नामक पशुओं की बीमारी निम्न में से किस महाद्वीप में फैली थी?
(क) यूरोप
(ख) एशिया
(ग) अफ्रीका
(घ) अमेरिका
उत्तर:
(ग) अफ्रीका

6. भारत से विदेशों को जाने वाले अनुबन्धित श्रमिक कहलाते थे
(क) गिरमिटिया
(ख) पूर्णकालिक श्रमिक
(ग) सफेदिया
(घ) एग्रीमेन्ट श्रमिक
उत्तर:
(क) गिरमिटिया

7. महामन्दी का प्रारम्भ किस वर्ष हुआ?
(क) 1919 में
(ख) 1925 में
(ग) 1929 में
(घ) 1931 में
उत्तर:
(ग) 1929 में

8. जी-77 किस प्रकार के देशों का समूह है
(क) विकासशील देशों का
(ख) विकसित देशों का
(ग) अविकसित देशों का
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) विकासशील देशों का

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. चेचक जैसे कीटाणु ………. सैनिकों के सबसे बड़े हथियार थे।
उत्तर:
स्पेनिश,

2. अठारहवीं सदी में मक्का के आयात पर लगी पाबंदी को ………. के नाम से जाना जाता है।
उत्तर:
कॉर्न लॉ,

3. ………. तक एक वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था सामने आ चुकी थी।
उत्तर:
1890,

4. 1890 ई. में अफ्रीका में ………. नामक बीमारी बहुत तेजी से फैल गई।
उत्तर:
रिंडरपेस्ट,

5. प्रथम विश्व युद्ध आधुनिक ………. युद्ध था।
उत्तर:
औद्योगिक।

अति लयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. भूमण्डलीय विश्व के बनने की प्रक्रिया में कौन-कौन से तत्व सहायक हुए ?
उत्तर- भूमण्डलीय विश्व के बनने की प्रक्रिया में निम्नलिखित तत्व सहायक हुए-(i) व्यापार, (ii) काम की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना, (iii) पूँजी, (iv) अनेक वस्तुओं का वैश्विक आदान-प्रदान।

प्रश्न 2.
रेशम मार्ग क्या थे?
उत्तर:
ये ऐसे मार्ग थे जो एशिया के विशाल भूभागों को परस्पर जोड़ने के साथ ही यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका से जा मिलते थे। ऐसे मार्ग ईसा पूर्व के समय में ही सामने आ चुके थे और लगभग पन्द्रहवीं शताब्दी तक अस्तित्व में थे।

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प्रश्न 3.
पाँच सौ वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों के पास कौन-कौन से खाद्य पदार्थ नहीं थे?
उत्तर:
पाँच सौ वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों के पास आलू, सोया, मूँगफली, मक्का, टमाटर, मिच्च, शकरकन्द आदि खाद्य पदार्थ नहीं थे।

प्रश्न 4.
अमेरिका का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका एवं कैरीबियन द्वीप समूह को सम्मिलित रूप से अमेरिका कहा जाता है।

प्रश्न 5.
किस्टोफर कोलम्बस गलती से किस अज्ञात मह्हद्वीप में पहुँच गया ?
उत्तर:
क्रिस्टोफर कोलम्बस गलती से अमेरिका महाद्वीप में पहतुच गया था।

प्रश्न 6.
1840 के दशक में किस देश में आलू की फसल खराब होने पर लाखों लोग भुखमरी के कारण मौत के शिकार हो गए ?
उत्तर:
1840 के दशक में आयरलैण्ड में आलू की फसल खराब होने पर लाखों लोग भुखमरी के कारण मौत के शिकार हो गये।

प्रश्न 7.
एल डोराडो शहर को यूरोप के लोग किस नाम से सम्बोधित करते थे?
उत्तर:
एल डोराड्डो शहर को यूरोप के लोग सोने का इहर के नाम से सम्बोधित करते थे।

प्रश्न 8.
जीतने के लिए स्पेनिश सेनाओं द्वारा प्रयोग किया गया सबसे शक्तिशाली हथियार कौन-सा था?
उत्तर:
जीतने के लिए स्पेनिश सेनाओं द्वारा प्रयोग किया गया सबसे शक्तिशाली हथियार चेचक जैसे कीटाणु घो।

प्रश्न 9.
कौन सी बीमारी अमेरिका में स्पेनिश सैनिकों द्वारा फैलनी थी?
उत्तर:
चेचक अमेरिका में स्पेनिश सैनिकों द्वारा फैली थी।

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प्रश्न 10.
उस कानून का नाम बताइए जिसके अन्तर्गत ब्रिटिश सरकार ने मक्का के आयात पर पाबन्दी लगा दी थी ?
उत्तर:
कॉर्न लों कानून के अन्तांत ब्रिटिश सरकार ने मक्का पर पाबन्दी लगा दी थी।

प्रश्न 11.
कोर्न लॉं किस देश में लागू किया गया?
उत्तर:
कॉन लां ब्रिटेन में लागू किया गया।

प्रश्न 12.
19 वी शताब्दी में यूरोप से लगभग पाँच करोड़ लोग किन-किन महाद्वीपों में जाकर बसे ?
उत्तर:
19वी शताब्दी में यूरोप से लगभग पाँच करोड़ लोग अमेरिका एवं अस्ट्रेलिया महद्वीप में जाकर बसे।

प्रश्न 13.
उस तकनोक का नाम बताइए जिससे शीघ खराब होने वाली वस्तुओं को भी लम्बी बात्राओं पर से जाया जा सकता है?
उत्तर:
जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक से शीभ्र खराब होने वाली वस्तुओं को भी लम्बी यात्राओं पर ले जाया जा सकता है।

प्रश्न 14.
अधिकांश अफ्रीकी देशों की सीमाएँ बिल्कुल सीधी लकीर जैसी क्यों है ?
उत्तर:
क्योंकि यूरोप के ताकतवर देशों ने 1885 ई., में बर्लिन में एक बैउक कर अफ्रीका के नक्शे पर लकीरें र्ष्रीचकर आपस में बाँट लिया था।

प्रश्न 15.
किस बीमारी से 1890 के दशक में अफ्रीका के लोगों की आजीचिका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा?
उत्तर:
रिंडरपेस्ट नामक बीमारी ने 1890 के दशक में अफ्रीका के लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर द्वाला।

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प्रश्न 16.
भारत से अनुबन्धित श्रमिक रोजगार के लिए कहाँ जाते थे?
अथवा
भारत से अनुबन्धित श्रमिकों को मुख्य रूप से कहाँ ले जाया जाता धा?
उत्तर:
भारत के अनुबन्धित भ्रमिक रोजगार के लिए कैरीबियाई द्वीप समूह (त्रिनिदाद, गुयाना और सूरीनाम) मॉरीशस ख फिजी, सीलोन व मलाया आदि देशों में जाते थे।

प्रश्न 17.
होसे से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
त्रिनिदाद में मुहर्रम के वार्षिक जुलूस को एक विशाल उत्सवी मेले का रूप दे दिया गया। इसमें सभी धर्मों व नस्लों के मजदूर हिस्सा लेते थे। इस उत्सव को इमाम हुसैन के नाम पर होसे नाम दिया गया।

प्रश्न 18.
चटनी म्यूजिक कहाँ लोकप्रिय था?
उत्तर:
चटनी म्यूजिक त्रिनिदाद एवं गुयाना में लोकप्रिय था।

प्रश्न 19.
भारत से गये अनुर्वन्धित श्रमिकों के एक वंशज का नाम बताइए।
उत्तर:
साहित्यकार वी. एस. नायपॉल नोबेल पुरस्कार विजेता।

प्रश्न 20.
भारत में अनुबन्धित श्रमिक सम्बन्धी प्राव थान को कब समाप्त किया गया था?
उत्तर:
भारत में अनुबन्धत श्रमिक सम्बन्धी प्रावधानों को सन् 1921 ई. में समाप्त किया गया था।

प्रश्न 21.
प्रथम विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों में कौन-कौन से देश सम्मिलित थे?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों में ब्रिटेन, फ्रांस वर्स सम्मिलित थे।

प्रश्न 22.
प्रथम विश्वयुद्ध में केन्द्रीय शक्तियों में कौन-कौन देश सम्मिलित थे?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध में केन्द्रीय शक्तियों में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी व ऑटोमन तुर्की सम्मिलित थे।

प्रश्न 23.
हेनरी फॉर्ड कौन था?
उत्तर:
हेनरी फॉर्ड विश्वप्रसिद्ध कार फोर्ड का निर्माता था।

प्रश्न 24.
आर्थिक महामन्दी के समय महात्मा गाँधी ने कौन-सा आन्दोलन प्रारम्भ किया था?
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन।

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प्रश्न 25.
ऐसी दो संस्थाओं के नाम बताइए जो ब्रेटन वुड्स समझौते के तहत स्थापित की गयीं।
उत्तर:

  1. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, तथा
  2. विश्व बैंक।

प्रश्न 26.
ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ सन्तान किसे कहा जाता है?
उत्तर:
विश्व बैंक एवं अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ सन्तान कहा जाता है।

प्रश्न 27.
विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने औपचारिक रूप से कार्य करना कब शुरू किया ?
उत्तर:
विश्व बैंक एवं अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने सन् 1947 से कार्य करना प्रारम्भ किया।

प्रश्न 28.
जी- 77 की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर:
पचास और साठ के दशक में विकासशील देशों को पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्थाओं की प्रगति से कोई लाभ नहीं मिल रहा था इसलिए देशों ने अपना एक समूह बना लिया जो जी- 77 के नाम से जाना जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
“हमारे खाद्य पदार्थ दूर देशों के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कई उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।” कथन की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
अथवा
“खाद्य पदार्थों ने दूर देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया।” इस कथन को तीन उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब भी व्यापारी एवं यात्री किसी नये देश में जाते थे तो वहाँ जाने-अनजाने नई फसलों के बीज बो आते थे। उदाहरणस्वरूप; नूडल्स चीन से पश्चिमी देशों में पहुँचे और वहाँ उन्हीं से स्पैघेत्ती का जन्म हुआ। यह भी सम्भव है कि पास्ता अरब यात्रियों के साथ पाँचवीं शताब्दी में सिसली (इटली) पहुँचा। आलू, सोयाबीन, टमाटर, मूंगफली, मक्का, मिर्च व शकरकन्द आदि खाद्य पदार्थ कोलम्बस द्वारा अमेरिका की खोज के पश्चात् अमेरिका से यूरोप व एशिया के देशों में पहुँचे।

प्रश्न 2.
“आधुनिक काल से पूर्व का विश्व 16वीं शताब्दी में तीव्र गति से सिकुड़ता गया ?” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निम्न तथ्य इस कथन की पुष्टि करते हैं

  1. 16वीं शताब्दी में यूरोपीय नाविकों ने एशिया के लिए समुद्री मार्ग खोज लिया था तथा पश्चिमी सागर को पार करके अमेरिका तक पहुँच गये थे।
  2. 16वीं शताब्दी के मध्य तक आते-आते पुर्तगाली एवं स्पेनिश सेनाओं की विजयों का क्रम प्रारम्भ हो चुका था तथा उन्होंने अमेरिका में उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था।

प्रश्न 3.
अठारहवीं सदी के आखिरी दशक में ब्रिटेन की तेजी से बढ़ती हुई आबादी के किन्हीं तीन प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अठारहवीं सदी के आखिरी दशक में ब्रिटेन की तेजी से बढ़ती हुई आबादी के तीन प्रभाव निम्नलिखित हैं

  1. देश में भोजन की माँग में वृद्धि हो गई।
  2. शहरों के विस्तार होने तथा उद्योगों के बढ़ने से कृषि उत्पादों की माँग में भी वृद्धि हो गई।
  3. माँग में वृद्धि होने से कृषि उत्पाद महँगे हो गए।

प्रश्न 4. कॉर्न लॉ क्या था? इसे फौरन क्यों समाप्त करना पड़ा?
अथवा
कॉर्न लॉ क्या था? उसे क्यों समाप्त किया गया? उसकी समाप्ति के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
जिन कानूनों के तहत ब्रिटिश सरकार ने मक्का के आयात पर पाबन्दी लगाई थी उन्हें कॉर्न लॉ कहा जाता था। बड़े भू-स्वामियों के दबाव में सरकार ने मक्का के आयात पर पाबन्दी लगायी थी। कॉर्न लॉ के लागू हो जाने के पश्चात् खाद्य पदार्थों की ऊँची कीमतों से परेशान होकर उपभोक्ताओं और शहरी निवासियों ने ब्रिटिश सरकार को कॉर्न लॉ को समाप्त करने के लिए मजबूर कर दिया। कॉर्न लॉ के समाप्त होने पर खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी आ गई तथा ब्रिटेन की खाद्य समस्या दूर हो गई।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना

प्रश्न 5.
केनाल कॉलोनी से क्या अभिप्राय है?
अथवा
नहर बस्ती किसे कहा जाता था?
उत्तर:
19वीं शताब्दी में ब्रिटिश भारतीय सरकार ने रेगिस्तानी परती जमीनों को उपजाऊ बनाने के लिए नहरों का जाल बिछा दिया जिससे कि निर्यात के लिए गेहूँ और कपास की खेती की जा सके। नई नहरों की सिंचाई वाले क्षेत्रों में पंजाब के अन्य स्थानों से लोगों को लाकर बसाया गया। उनकी बस्तियों को केनाल कॉलोनी अथवा नहर बस्ती कहा जाता था।

प्रश्न 6.
अफ्रीका में 1890 ई. के दशक में फैली रिंडरपेस्ट (मवेशी प्लेग) नामक बीमारी के प्रभावों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
रिंडरपेस्ट क्या है? इसका पशुओं पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
रिंडरपेस्ट अथवा मवेशी प्लेग के अफ्रीका पर क्या-क्या प्रभाव पड़े?
अथवा
‘रिंडरपेस्ट’ का 1890 के दशक में अफ्रीका के लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अफ्रीका में 1890 ई. के दशक में पशुओं में रिंडरपेस्ट नामक बीमारी बहुत तेजी से फैल गई। अफ्रीकी लोग अपनी आजीविका के लिए पशुओं पर ही निर्भर थे जिससे लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। रिंडरपेस्ट के कारण लगभग 90 प्रतिशत मवेशियों की मौत से अफ्रीका के निवासियों की आजीविका का मुख्य साधन समाप्त हो गया जिसके परिणामस्वरूप सम्पूर्ण अफ्रीका धीरे-धीरे यूरोपीय उपनिवेशकारों का गुलाम बनकर रह गया।

प्रश्न 7.
भर्ती करने वाले एजेंटों द्वारा अनुबन्धित श्रमिकों का किस प्रकार शोषण होता था?
उत्तर:
श्रमिकों की भर्ती का काम मालिकों के एजेंटों द्वारा किया जाता था। इस कार्य हेतु एजेंटों को कमीशन प्राप्त होता था। एजेंट श्रमिकों को फुसलाने के लिए झूठी जानकारियाँ प्रदान करते थे। उन्हें कहाँ जाना है, यात्रा के साधन क्या होंगे? क्या काम करना और नयी जगह पर काम व जीवन के हालात कैसे होंगे, इस बारे में उन्हें सही जानकारी नहीं दी जाती थी। कभी-कभी तो एजेंट जाने के लिए सहमत न होने वाले श्रमिकों का अपहरण तक कर लेते थे।

प्रश्न 8.
अधिकांश अनुबन्धित श्रमिक अनुबन्ध समाप्त हो जाने के बाद भी वापस नहीं लौटे। इसकी कैरीबियाई संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
“गिरमिटिया मजदूरों ने कैरीबियन क्षेत्र में एक नई संस्कृति को जन्म दिया।” इस कथन को तीन उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनुबन्धित श्रमिकों ने अपनी पुरानी और नयी संस्कृतियों का सम्मिश्रण करते हुए व्यक्तिगत और सामूहिक आत्मविश्वास के नये रूप खोज लिए। त्रिनिदाद में मुहर्रम के वार्षिक जुलूस को होसे नामक विशाल मेले का रूप दे दिया गया। इसी प्रकार ‘रास्ताफारियानवाद’ नामक विद्रोही धर्म की भी भारतीय अप्रवासियों एवं कैरीबियाई द्वीप समूह के बीच इन सम्बन्धों की एक झलक देखी जा सकती है। त्रिनिदाद और गुयाना में प्रसिद्ध ‘चटनी म्यूजिक’ भी भारतीय अप्रवासियों के वहाँ पहुँचने के बाद सामने आयी रचनात्मक अभिव्यक्तियों का ही उदाहरण है।

प्रश्न 9.
उन्नीसवीं सदी की अनुबन्ध व्यवस्था को ‘नयी दास प्रथा’ का नाम क्यों दिया गया?
उत्तर:
क्योंकि अप्रवासी अनुबन्धित श्रमिकों को बहुत कम कानूनी अधिकार दिये गये थे। उनको रहने व कार्य करने की कठोर परिस्थितियों का सामना करना पड़ता था। वे वहाँ से भयभीत होकर यदि जंगलों में भाग जाते तो उन्हें पकड़कर कठोर दण्ड दिया जाता था। यही कारण है कि उन्नीसवीं सदी की अनुबन्ध व्यवस्था को नई दास प्रथा का नाम दिया गया।

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प्रश्न 10.
उन्नीसवीं सदी में भारत के कपड़ा निर्यात में गिरावट आने के कारणों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
उन्नीसवीं सदी के मध्य में भारत में सूती कपड़ा उद्योग में गिरावट के लिए उत्तरदायी किन्हीं पाँच कारकों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में भारत के कपड़ा निर्यात में कमी क्यों आने लगी? किन्हीं तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उन्नीसवीं शताब्दी की शुरुआत से ही ब्रिटिश कपड़ा उत्पादक दूसरे देशों में भी अपने कपड़े के लिए नए-नए बाजार ढूँढ़ने लगे थे। सीमा शुल्क की व्यवस्था के कारण ब्रिटिश बाजारों से बेदखल हो जाने के बाद भारतीय कपड़ों को दूसरे अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में भी भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।

यदि भारतीय निर्यात के आँकड़ों का अध्ययन करें तो पता चलता है कि सूती कपड़े के निर्यात में लगातार गिरावट का ही रुझान दिखाई देता है। सन् 1800 के आसपास निर्यात में सूती कपड़े का प्रतिशत 30 था जो 1815 में घटकर 15 प्रतिशत रह गया। 1870 तक तो यह अनुपात केवल 3 प्रतिशत ही रह गया था। लेकिन इसके विपरीत कपास का निर्यात सन् 1812 से 1871 के बीच 5 से 35% तक बढ़ गया।

प्रश्न 11.
भारतीय कृषक वैश्विक आर्थिक महामंदी से किस तरह प्रभावित हुए?
उत्तर:
भारतीय कृषक वैश्विक आर्थिक महामंदी से निम्न प्रकार प्रभावित हुए

  1. कृषि उत्पादों की कीमतों में तेजी से कमी आई लेकिन सरकार ने लगान वसूली में छूट देने से साफ इंकार कर दिया। इससे किसान कर्ज में डूब गये।
  2. कच्चे पटसन की कीमतों में 60 प्रतिशत से भी अधिक गिरावट आने से किसान बुरी तरह प्रभावित हुए।
  3. किसानों के अत्यधिक मात्रा में कर्ज में डूब जाने से उनके सोने, चाँदी के आभूषण बिक गये, जमीन सूदखोरों के पास गिरवी रख दी गई।

प्रश्न 12.
युद्धोत्तर अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य क्या था? इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु किन-किन संस्थाओं की स्थापना की गई?
उत्तर:
युद्धोत्तर अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थायित्व एवं पूर्ण रोजगार की स्थिति बनाये रखना था। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में बनी सहमति के आधार पर अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) एवं विश्व बैंक की स्थापना की गई जिन्होंने 1947 में औपचारिक रूप से कार्य करना प्रारम्भ कर दिया।

प्रश्न 13.
भारत ने उन्नीसवीं शताब्दी की विश्व अर्थव्यवस्था का रूप तय करने में एक अहम् भूमिका अदा की थी। इस कथन का ‘पष्ट कीजिए।
अथवा
‘उन्नीसवीं शताब्दी की विश्व अर्थव्यवस्था का रूप तय करने में भारतीय व्यापार ने एक अहम भूमिका अदा की थी।’ इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश था। भारत के अतिरिक्त ब्रिटेन ने कई देशों को अपना उपनिवेश बना रखा था। ब्रिटेन ने भारत के साथ व्यापार में लाभ अर्जित किया जबकि अन्य उपनिवेशों में उसे घाटे का सामना करना पड़ा। भारत के साथ व्यापारिक लाभ ने ब्रिटेन को उससे अन्य उपनिवेशों के साथ हुए व्यापारिक घाटे को सन्तुलित करने में मदद की। इस तरह कहा जा सकता है कि ब्रिटेन के घाटे की भरपाई में मदद करते हुए भारत ने उन्नीसवीं सदी की विश्व अर्थव्यवस्था का रूप तय करने में एक अहम् भूमिका अदा की थी।

प्रश्न 14.
समूह-77 के देशों ने नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली की माँग क्यों की ?
उत्तर:
शक्तिशाली औद्योगिक राष्ट्रों के विरुद्ध विकासशील देश समूह-77 के रूप में संगठित हुए। इन विकासशील देशों ने एक नई आर्थिक प्रणाली की माँग की। इस नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे

  1. विकासशील देश एक ऐसी व्यवस्था चाहते थे जो उन्हें उनके संसाधनों पर ऋण दिला सके।
  2. विकासशील देश ऐसी व्यवस्था निश्चित करना चाहते थे जिसे उन्हें कच्चे माल के सही दाम मिलें और अपने तैयार माल को विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर पहुँच मिले।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
आधुनिक युग से पहले मानव समाज किस प्रकार एक-दूसरे के नजदीक आया?
अथवा.
“भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया के चिह्न आधुनिक युग से पहले के समय में भी देखे जा सकते हैं ?” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया के चिह्न आधुनिक युग से पहले के समय में भी देखे जा सकते हैं। इस प्रक्रिया के द्वारा मानव समाज एक-दूसरे के नजदीक आया यह निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट है

  1. इतिहास के प्रत्येक दौर में मानव समाज एक-दूसरे के अधिक नजदीक आते गये हैं।
  2. प्राचीनकाल से ही यात्री, व्यापारी, पुजारी, तीर्थयात्री आदि ज्ञान, अवसरों एवं आध्यात्मिक शान्ति के लिए या उत्पीड़न अथवा यातनापूर्ण जीवन से बचने के लिए दूर-दूर की यात्राएँ करते थे।
  3. ये लोग अपनी यात्राओं में विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ धन, वेशभूषा, मान्यताएँ, हुनर, विचार, अधिकार और यहाँ तक कि बीमारियाँ एवं कीटाणु भी साथ लेकर चलते थे।
  4. 3000 ई. पू. में समुद्री तटों पर होने वाले व्यापार के माध्यम से सिन्धु घाटी की सभ्यता युद्ध क्षेत्र से जुड़ी हुई थी जिसे आज हम पश्चिमी एशिया के नाम से जानते हैं।
  5. मालदीव के समुद्र में पाई जाने वाली कौड़ियाँ चीन और पूर्वी अफ्रीका तक पहुँचती रही हैं। इन्हें पैसे या मुद्रा के रूप में मालदीव में प्रयोग किया जाता था।
  6. बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं का दूर-दूर तक पहुँचने का इतिहास भी सातर्वी सदी तक ढूँढ़ा जा सकता है। तेरहवीं शताब्दी के पश्चात् तो इनके प्रसार को निश्चित रूप से साफ देखा जा सकता है।

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प्रश्न 2.
सिल्क मार्ग से संसार के कौन-कौन से भाग जुड़े हुए थे?
अथवा
सिल्क रूट क्या है?
अथवा
‘सिल्क रूट’ क्या है? इसका महत्व बताइए।
अथवा
विश्व को जोड़ने में रेशम मार्ग (सिल्क रूट) की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक काल से पहले के युग में विश्व के विभिन्न भागों के मध्य व्यापारिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान का सबसे जीवंत उदाहरण रेशम (सिल्क) मार्गों के रूप में दिखाई देता है। इस मार्ग का यह नामकरण चीनी रेशम के पश्चिम की ओर भेजे जाने से पड़ा। इतिहासकारों ने अनेक सिल्क मार्गों के बारे में बताया है। जमीन अथवा से होकर गुजरने वाले ये मार्ग न केवल एशिया के विशाल क्षेत्रों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करते थे बल्कि एशि को यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका से भी जोड़ते थे।

ये मार्ग ईसा पूर्व के समय से ही सामने आ चुके थे तथा लगभग पन्द्रहवीं ताब्दी तक अस्तित्व में थे। इसी मार्ग से चीनी पादरी, भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले संसार के विभिन्न भागों में पहुँचाते थे। वापसी में व्यापारी यूरोप से एशिया में सोने-चाँदी तथा कीमती धातुएँ लाते थे। इन मार्गों से व्यापार व सांस्कृतिक आदान-प्रदान दोनों प्रक्रियाएँ साथ-साथ चलती थीं।

प्रश्न 3.
“आधुनिक युग से पहले के युग में व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान दोनों प्रक्रियाएँ साथ-साथ चलती थीं।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब व्यापारी रेशम मार्ग के द्वारा विश्व के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुँचते थे तो वे अपने साथ केवल वस्तुएँ ही नहीं ले जाते थे बल्कि उनके साथ विभिन्न सांस्कृतिक तत्व; जैसे-धर्म, वेशभूषा, भाषा, ज्ञान, विचार, अधिकार, मूल्य-मान्यताएँ आदि भी पहुँचते थे। रेशम मार्ग की विभिन्न शाखाओं से होकर कई दिशाओं में प्रारम्भ से ईसाई मिशनरियों ने एशिया में ईसाई धर्म का प्रचार किया। इसी रास्ते से ही मुस्लिम धर्म का विश्व में प्रचार-प्रसार हुआ।

बौद्ध धर्म का प्रचार भी इसी प्रकार हुआ। विभिन्न खाद्य पदार्थों; जैसे-स्पैघेत्ती, (नूडल्स) चीन से तथा पास्ता अरब से यूरोपीय देशों तक पहुँचा। आलू, सोया, मूंगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद आदि खाद्य पदार्थों के बारे में हम जानते भी नहीं थे। ये खाद्य पदार्थ कोलम्बस की अमेरिका यात्रा के पश्चात् वहाँ के मूल निवासियों से यूरोप व एशिया में पहुँचे, जो इस कथन की पुष्टि करता है कि व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान दोनों प्रक्रियाएँ साथ-साथ चलती थीं।

प्रश्न 4.
“1890 ई. तक एक वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था हमारे समक्ष आ चुकी थी।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
19वीं शताब्दी में वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था में एक बहुत बड़ा बदलाव देखा गया एवं इसका एक नया रूप उभरकर हमारे सामने आया। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
19वीं शताब्दी के अन्तिम दौर में श्रम विस्थापन रुझानों, पूँजी प्रवाह, पारिस्थितिकी एवं तकनीक में गहरे परिवर्तन आने प्रारम्भ हो गये थे जिससे कृषि के क्षेत्र में भी एक बड़ा बदलाव आया। कृषक विभिन्न देशों के होते थे, अब भोजन भी किसी आसपास के कस्बे या गाँव से नहीं बल्कि हजारों मील दूर से आने लगा था। अब अपने खेतों पर स्वयं कार्य करने वाले किसान ही खाद्य पदार्थ पैदा नहीं कर रहे थे बल्कि अब यह कार्य ऐसे औद्योगिक मजदूर भी करने लगे जो सम्भवतः कुछ समय पूर्व में ही वहाँ आये थे।

वे ऐसे खेतों में काम कर रहे थे जो एक पीढ़ी पूर्व सम्भवतः जंगल रहे होंगे। उत्पादन बढ़ाने के लिए नई-नई तकनीकों का प्रयोग किया जाने लगा। रेलवे तथा पानी के जहाज जैसे परिवहन के नये साधनों का प्रयोग कृषि उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने-ले जाने के लिए किया जाने लगा। इस तरह वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था हमारे समक्ष आ चुकी थी।

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प्रश्न 5.
उन्नीसवीं सदी के दौरान भारत से अनुबंधित प्रवासी श्रमिकों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी के दौरान भारत से अनुबंधित (गिरमिटिया) प्रवासी श्रमिकों में अधिकांश मौजूदा पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य भारत तथा तमिलनाडु के सूखे क्षेत्रों से जाते थे। इन श्रमिकों को बागानों, खदानों तथा सड़क व रेलवे निर्माण परियोजनाओं में काम करने के लिए ले जाया जाता था। इन्हें बागानों में या कार्यस्थल पर पहुँचने पर ही पता चलता था कि वे जैसी आशा कर रहे थे वहाँ वैसी स्थिति नहीं है।

इनके लिए नए स्थान पर जीवन तथा कार्य स्थितियाँ कठोर थीं तथा इनके पास कानूनी अधिकार नाममात्र भी नहीं थे। यद्यपि इन श्रमिकों ने भी जिन्दगी बसर करने के अपने तरीकों को खोज लिया। अनेक तो जंगलों में ही भाग गए। हालाँकि पकड़े जाने पर इन्हें कठोर सजा मिलती थी। अनेक श्रमिकों ने पुरानी एवं नयी संस्कृतियों का सम्मिश्रण कर निजी एवं सामूहिक आत्माभिव्यक्ति के नए रूपों को खोज लिया।

प्रश्न 6.
अफ्रीका में यूरोपीय लोगों को आरम्भ में किन समस्याओं का सामना करना पड़ा? समस्या के समाधान हेतु उन्होंने क्या कार्य किए?
उत्तर:
अफ्रीका के स्थानीय निवासी अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि एवं पशुपालन पर निर्भर थे। वहाँ पैसे व वेतन पर काम करने का प्रचलन नहीं था अर्थात् श्रमिक का कार्य कोई भी नहीं करता था। अतः प्रारम्भ में ही यूरोपीय लोगों को मजदूरी के लिए काम करने वाले श्रमिकों की भारी कमी का सामना करना पड़ा। उन्होंने श्रमिकों की भर्ती करने तथा उन्हें रोके रखने हेतु अनेक प्रयत्न किये लेकिन उनके समस्त प्रयास विफल हो गये। उन्होंने कई भारी कर लगा दिये जिसे बागानों एवं खदानों में मजदूरी करके ही चुकाया जा सकता था।

यूरोपीय उपनिवेशकारों ने स्थानीय काश्तकारों को उनकी जमीन से हटाने के लिए उत्तराधिकार कानून में भी परिवर्तन कर दिया। नये कानून में यह व्यवस्था की गयी कि परिवार के केवल एक सदस्य को ही पैतृक सम्पत्ति प्राप्त होगी। इस कानून के माध्यम से परिवार के शेष लोगों को श्रम बाजार में ढकेलने का प्रयास किया गया। खानों में कार्य करने वाले लोगों को बाड़ों में बन्द कर दिया जाता था, उनके स्वतन्त्र रूप से घूमने पर भी पाबन्दी लगा दी गयी। इस प्रकार यूरोपीय लोगों ने अफ्रीका में समस्या समाधान के प्रयास किये।

प्रश्न 7.
भारत के साथ व्यापार अधिशेष से ब्रिटेन को किस प्रकार लाभ पहुँचा? संक्षेप में बताइए।
अथवा
भारत के साथ व्यापार अधिशेष से प्राप्त आय का ब्रिटेन किस प्रकार उपयोग करता था?
अथवा
भारत के साथ ब्रिटेन सदैव ‘व्यापार अधिशेष’ की अवस्था में ही रहता था। कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
19वीं सदी में भारतीय बाजारों में ब्रिटिश औद्योगिक उत्पादों की बाढ़-सी आ गयी थी। भारतीय बाजार ब्रिटेन के औद्योगिक उत्पादों से भर गये थे। भारत से ब्रिटेन व अन्य देशों को भेजे जाने वाले खाद्यान्न व कच्चे मालों के निर्यात में वृद्धि हुई। ब्रिटेन से भारत भेजे जाने वाले माल की कीमत, भारत से ब्रिटेन भेजे जाने वाले माल की कीमत से सदैव अधिक होती थी, इस प्रकार भारत के साथ ब्रिटेन हमेशा व्यापार अधिशेष की अवस्था में रहता था। इसका अर्थ है कि आपसी व्यापार में सदैव ब्रिटेन को ही लाभ रहता था।

भारत में ब्रिटेन के व्यापार अधिशेष ने इसे दूसरे देशों के साथ हुए व्यापारिक घाटे को सन्तुलित करने में सहायता की। इस अधिशेष से तथाकथित होम चार्जेज (देसी खर्च) का निपटारा होता था जिसमें अंग्रेज अफसरों और व्यापारियों द्वारा अपने घर में भेजी गई व्यक्तिगत राशि, भारतीय बाहरी खर्चे पर ब्याज व भारत में कार्य कर चुके अंग्रेज अफसरों की पेंशन आदि सम्मिलित थे। इस प्रकार भारत के साथ व्यापार पर अधिशेष ने भारतीय बाजारों पर ब्रिटिश प्रभुत्व स्थापित करने में मदद करने के लिए ब्रिटिश निर्माताओं एवं निर्यातकों को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।

प्रश्न 8.
प्रथम विश्व युद्ध किन दो यूरोपीय ताकतवर खेमों के बीच लड़ा गया? ‘यह पहला आधुनिक औद्योगिक युद्ध था।’ इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध-प्रथम विश्व युद्ध अगस्त 1914 में प्रारम्भ हुआ। यह युद्ध दो यूरोपीय ताकतवर खेमों के बीच लड़ा गया था। एक खेमे में मित्र राष्ट्र अर्थात् ब्रिटेन-फ्रांस व रूस थे तो दूसरे खेमे में केन्द्रीय शक्तियाँ अर्थात् जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी व तुर्की थे। यह युद्ध चार वर्ष से भी अधिक समय तक चला और अन्त में मित्र राष्ट्रों की विजय हुई। – पहला आधुनिक औद्योगिक युद्ध-मैं इस कथन से सहमत हूँ कि प्रथम विश्व युद्ध पहला आधुनिक औद्योगिक युद्ध था।

मानव सभ्यता के इतिहास में ऐसा भीषण युद्ध पहले कभी नहीं हुआ था। इस युद्ध में मशीनगनों, टैंकों, हवाईजहाजों व रासायनिक हथियारों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया। ये सभी हथियार आधुनिक विशाल उद्योगों की देन थे। युद्ध के लिए सम्पूर्ण विश्व से असंख्य सैनिकों की भर्ती की गई जिन्हें विशाल जलपोतों व रेलगाड़ियों में भरकर युद्ध के मोर्चों पर ले जाया गया। इस युद्ध में जो भीषण जनहानि व विनाशलीला देखने को मिली, उसकी औद्योगिक युग से पहले और औद्योगिक शक्ति के बिना कल्पना नहीं की जा सकती थी। इस युद्ध में 90 लाख से अधिक लोग मारे गये व 2 करोड़ लोग घायल हुए।

प्रश्न 9.
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् ब्रिटेन को आर्थिक संकट का सामना क्यों करना पड़ा? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
‘प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की आर्थिक दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् ब्रिटेन को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा, जिसके निम्नलिखित कारण थे:
1. युद्ध से पहले ब्रिटेन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। युद्ध के पश्चात् सबसे लम्बा संकट उसे ही झेलना पड़ा। जिस समय ब्रिटेन युद्ध में व्यस्त था, उसी समय भारत व जापान में उद्योग विकसित होने लगे थे। अतः युद्धोपरान्त ब्रिटेन के लिए भारतीय बाजार में पहले वाली स्थिति प्राप्त करना अत्यधिक कठिन हो गया था।

2. प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् जापान भी ब्रिटेन का विरोधी हो गया। उस समय जापान औद्योगिक क्षेत्र में बहुत अधिक विकास कर रहा था। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर औद्योगिक क्षेत्र में उसे जापान से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।
3. युद्ध के खर्चे की पूर्ति करने के लिये ब्रिटेन ने अमेरिका से पर्याप्त मात्रा में ऋण लिया था। इसके परिणामस्वरूप युद्ध समाप्त होने तक ब्रिटेन भारी विदेशी ऋणों से दब चुका था।

4. युद्ध के पश्चात् ब्रिटेन की सरकार ने युद्ध सम्बन्धी खर्चे में भी कटौती प्रारम्भ कर दी थी ताकि शांतिकालीन करों के सहारे ही उनकी भरपाई की जा सके। इन प्रयासों से रोजगारों के अवसरों में भारी कमी आयी। सन् 1921 में प्रत्येक पाँच ब्रिटिश मजदूरों में से एक मजदूर के पास काम नहीं था। रोजगार के बारे में बेचैनी एवं अनिश्चितता युद्धोत्तर वातावरण का अंग बन गई थी।

प्रश्न 10.
“औद्योगिक देशों में महामंदी का सबसे बुरा प्रभाव अमेरिका को ही झेलना पड़ा।” कथन की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक देशों में महामंदी का सबसे बुरा प्रभाव अमेरिका को ही झेलना पड़ा, इसे निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. कीमतों में कमी एवं मंदी के कारण अमेरिकी बैंकों ने घरेलू ऋण देना बन्द कर दिया था। पहले लोगों को जो ऋण दिये गये थे, उनकी वसूली तेज कर दी गई।
  2. किसानों को अपनी कृषि उपज बेचने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। परिणामस्वरूप अनेक परिवार नष्ट हो गये तथा व्यवसाय चौपट हो गये।
  3. आमदनी में गिरावट आने पर अनेक अमेरिकी परिवार ऋण चुकाने में असमर्थ हो गये। परिणामस्वरूप उनके मकान, कार व अन्य आवश्यक वस्तुएँ कुर्क कर ली गईं।
  4. बेरोजगारी में निरन्तर वृद्धि होने लगी फलस्वरूप अनेक अमेरिकी लोगों को रोजगार की तलाश में दूर-दूर के स्थानों पर जाना पड़ा।
  5. अन्ततः अमेरिकी बैंकिंग व्यवस्था भी धराशायी हो गयी। निवेश से अपेक्षित लाभ न पा सकने, ऋण वसूली न कर पाने एवं जमाकर्ताओं की जमा पूँजी न लौटा पाने के कारण हजारों अमेरिकी बैंक दिवालिया हो गये तथा अन्ततः बन्द कर दिये गये।

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प्रश्न 11.
ब्रेटन वुड्स व्यवस्था का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या-क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
जुलाई 1944 में विकसित ब्रेटन वुड्स व्यवस्था ने पश्चिमी औद्योगिक राष्ट्रों एवं जापान के लिए व्यापार व आय में वृद्धि का मार्ग खोल दिया। 1950 से 1970 के मध्य विश्व व्यापार की विकास दर 8 प्रतिशत वार्षिक से भी अधिक रही। इस अवधि के दौरान वैश्विक आय में लगभग 5 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही थी। विकास दर भी लगभग स्थिर ही थी। उसमें अधिक उतार-चढ़ाव नहीं आये।

इस दौरान अधिकांश औद्योगिक देशों में बेरोजगारी औसतन 5 प्रतिशत से भी कम ही रही, इन दशकों के दौरान तकनीक एवं उद्यम का वैश्विक प्रसार हुआ। विकासशील देश विकसित एवं औद्योगिक देशों की बराबरी करने का लगातार प्रयास करने लगे। उन्होंने आधुनिक तकनीकी ज्ञान के सहयोग से संचालित संयन्त्रों एवं उपकरणों के आयात पर पर्याप्त पूँजी का निवेश किया।

प्रश्न 12.
नई आर्थिक प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
1960 के दौरान अधिकतर विकासशील देशों ने अपने आपको समूह 77 में क्यों संगठित किया?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् विकासशील देशों को पाँचवें एवं छठे दशक में अर्थव्यवस्था की तीव्र गति से हुई प्रगति का कोई लाभ प्राप्त नहीं हुआ। अतः विकासशील देशों ने परेशान होकर एकमत से नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली (NIEO) के लिए आवाज उठाना प्रारम्भ कर दिया। ये राष्ट्र समूह-77 (जी-77) के रूप में संगठित हो गये।

नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली से उनका अभिप्राय ऐसी व्यवस्था से था जिसमें उन्हें अपने संसाधनों पर वास्तविक अर्थों में नियन्त्रण मिल सके तथा उनसे उन्हें विकास के लिए अधिक मात्रा में सहायता प्राप्त हो सके, कच्चे माल की सही कीमत प्राप्त हो सके तथा अपने निर्मित माल को विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए उचित पहुँच मिल सके।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक युग से पहले भूमण्डलीकृत विश्व बनाने की प्रक्रिया में विजय अभियान, बीमारी एवं व्यापार ने किस प्रकार पृष्ठभूमि का निर्माण किया ? विस्तार से बताइए।
उत्तर:
आधुनिक युग से पहले भूमण्डलीकृत विश्व बनाने की प्रक्रिया में विजय अभियान, बीमारी एवं व्यापार ने निम्न प्रकार से पृष्ठभूमि का निर्माण किया
1. विजय अभियान:
सोलहवीं शताब्दी के मध्य तक आते-आते पुर्तगाली व स्पेनिश सेनाओं की विजय का अभियान प्रारम्भ हो चुका था। उन्होंने अमेरिका को उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था। इसके अतिरिक्त अन्य यूरोपीय देश; जैसे-इंग्लैण्ड आदि भी एशिया व अफ्रीका आदि क्षेत्रों में अपने उपनिवेश स्थापित करने में लगे हुए थे।

2. बीमारी:
यूरोपीय सेनाएँ केवल अपने सैनिक बल पर ही नहीं जीतती थीं। स्पेनिश सेनाओं के सबसे शक्तिशाली हथियारों में परम्परागत किस्म के सैनिक हथियार कोई नहीं थे बल्कि ये हथियार चेचक जैसे कीटाणु थे जो स्पेनिश सैनिकों व अफसरों के साथ अमेरिका पहुँचे। अमेरिका जो लाखों वर्षों से शेष विश्व से अलग-थलग था उसके निवासियों के शरीर में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की कोई रोग निरोधक क्षमता नहीं थी।

फलस्वरूप इस नये स्थान पर चेचक बहुत भयंकर सिद्ध हुआ। एक बार संक्रमण हो जाने के पश्चात् यह बीमारी सम्पूर्ण महाद्वीप में फैल गयी। जहाँ यूरोपीय लोग नहीं पहुँचे वहाँ भी इस बीमारी के चपेट में लोग आने लगे। इस बीमारी से पूरा का पूरा समुदाय ही समाप्त हो गया। इस तरह यूरोपियनों की जीत का रास्ता आसान हो गया।

3. व्यापार:
पेरू तथा मैक्सिको की खानों से निकलने वाली कीमती धातुओं विशेषकर चाँदी ने भी यूरोप की सम्पदा को बढ़ाया और पश्चिमी एशिया के साथ होने वाले व्यापार को गति प्रदान की। सत्रहवीं शताब्दी तक सम्पूर्ण यूरोप में दक्षिण अमेरिका की धन-सम्पदा के बारे में विभिन्न प्रकार की किस्से-कहानियाँ बनने लगे थे, इन्हीं किंवदंतियों की बदौलत वहाँ . के लोग एल डोराडो को सोने का शहर मानने लगे और उसकी खोज में अनेक खोजी अभियान शुरू किये गये।

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प्रश्न 2.
1920 के दशक से अमेरिका की अर्थव्यवस्था में किस प्रकार तेजी आयी? विस्तार से बताइए।
अथवा
1920 के दशक की अमेरिकी अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
अथवा
1920 के दशक में अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर फोर्ड कम्पनी का क्या प्रभाव था? सविस्तार बताइए।
उत्तर:
1. 1920 के दशक की अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता थी-वृहत् उत्पादन का चलन। इसकी शुरुआत कार निर्माता हेनरी फोर्ड द्वारा की गयी। वृहत उत्पादन की प्रक्रिया 19वीं शताब्दी के अन्त में प्रारम्भ हो चुकी थी लेकिन 1920 के दशक में यह अमेरिकी औद्योगिक उत्पादन की विशेषता ही बन गया था।

2. अमेरिका के विख्यात कार निर्माता वृहत उत्पादन के प्रणेता थे। उन्होंने शिकागो के एक बूचड़खाने की असेंबली लाइन की तर्ज पर डेट्रॉयट के अपने कार कारखाने में भी आधुनिक असेंबली लाइन स्थापित की थी।

3. इस प्रकार की व्यवस्था का यह परिणाम हुआ कि हेनरी फोर्ड के कारखाने की असेंबली लाइन में प्रत्येक तीन मिनट में एक कार तैयार होकर निकलने लगी। इससे पहले की पद्धतियों के मुकाबले यह गति कई गुना अधिक थी। टी मॉडल नामक कार वृहत उत्पादन पद्धति से बनी प्रथम कार थी।

4. प्रारम्भ में कम्पनी के श्रमिकों को असेम्बली लाइन से उत्पन्न होने वाली थकान का सामना करना पड़ा क्योंकि वे उसकी गति पर नियन्त्रण नहीं रख पा रहे थे। अनेक श्रमिकों ने कार्य छोड़ दिया। इस चुनौती से निपटने के लिए फोर्ड ने जनवरी 1914 में श्रमिकों का वेतन दोगुना अर्थात् 5 डॉलर प्रतिदिन कर दिया। साथ ही अपने कारखानों में ट्रेड यूनियन गतिविधियों पर भी पाबंदी लगा दी।

5. सन् 1919 में अमेरिका में 20 लाख कारों का उत्पादन होता था जो 1929 ई. में बढ़कर 50 लाख प्रतिवर्ष से भी अधिक हो गया। इसके साथ ही अनेक लोग फ्रिज, वाशिंग मशीन, रेडियो, ग्रामोफोन, प्लेयर्स आदि को क्रय करने लगे। ये समस्त वस्तुएँ ‘हायर परचेज’ व्यवस्था के तहत खरीदी जाती थी अर्थात् लोग इन सब वस्तुओं कर्ज पर खरीदते थे और उनकी कीमत साप्ताहिक, मासिक किस्तों में चुकाते थे।

6. मकानों के निर्माण और निजी मकानों की संख्या में वृद्धि से भी फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि उपकरणों की मांग में वृद्धि हुई। घरों का निर्माण अथवा खरीददारी भी कर्ज पर ही की जाती थी।

7. 1920 के दशक में आवास एवं निर्माण क्षेत्र में वृद्धि अमेरिकी सम्पन्नता का आधार बन गयी। बढ़ते उपयोग के लिए और अधिक निवेश की जरूरत थी, जिससे नये रोजगार तथा आमदनी में वृद्धि होने लगी।

प्रश्न 3.
1929 की महामंदी से क्या अभिप्राय है?
अथवा
‘महामंदी’ क्या थी? संक्षेप में इसके परिणाम लिखिए।
अथवा
आर्थिक महामंदी में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
विश्व महामंदी के प्रभावों की व्याख्या कीजिए भूमंडलीकृत विश्व का बनना उत्तर-आर्थिक महामंदी का अभिप्राय किसी देश की ऐसी आर्थिक दशा से है जब उत्पादन में भारी वृद्धि तथा क्रय शक्ति में तीव्र गिरावट एवं मुद्रा के वास्तविक मूल्य में कमी आ जाती है। ऐसी आर्थिक महामंदी 1929 ई. में अमेरिका में आयी थी और इसने समस्त विश्व को अपने चंगुल में ले लिया जिसके कारण इसे महामंदी कहा जाता है।

आर्थिक महामंदी का प्रभाव/परिणाम:
1. औद्योगिक देशों में आर्थिक महामंदी का सबसे बुरा प्रभाव अमेरिका को ही झेलना पड़ा। कीमतों में कमी एवं मंदी की आशंका को देखते हुए अमेरिकी बैंकों ने घरेलू कर्ज देना बन्द कर दिया। इसके अतिरिक्त जो कर्जे दिये जा चुके थे, उनकी वसूली तेज कर दी गई।

2.किसान उपज नहीं बेच पा रहे थे। उनके कारोबार समाप्त हो गये, जिससे उनके परिवार तबाह हो गये।

3. आय में कमी आने पर अमेरिका के बहुत से परिवार कर्जा चुकाने में असफल हो गये जिसके कारण उनके मकान, कार और समस्त आवश्यक वस्तुएँ कुर्क कर ली गयीं।

4. 1920 के दशक में जो उपभोक्तावादी सम्पन्नता दिखाई दे रही थी, वह अचानक गायब हो गई।

5. बेरोजगारी में तीव्र गति से वृद्धि होने लगी। लोग काम की तलाश में इधर-उधर भटकने लगे।

6. अमेरिकी बैंकिंग व्यवस्था धराशायी हो गयी। निवेश से अपेक्षित लाभ नहीं मिलने के कारण, कर्जे की वसूली न होने एवं जमाकर्ताओं की जमा पूँजी नहीं लौटा पाने के कारण हजारों की संख्या में बैंक दिवालिया हो गये और बन्द कर दिये गये। एक अनुमान के अनुसार 1933 ई. तक 4000 से ज्यादा बैंक बन्द हो चुके थे तथा 1929 से 1932 के मध्य लगभग 1,10,000 कम्पनियाँ चौपट हो चुकी थीं।

7. अमेरिकी सरकार अपनी अर्थव्यवस्था को इस महामंदी से बचाने के लिए आयातित पदार्थों पर दोगुना सीमा शुल्क लगाकर वसूल करने लगी। इस फैसले ने तो विश्व व्यापार की कमर ही तोड़ दी।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना

प्रश्न 4.
वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण में ब्रेटन-वुड्स संस्थान की भूमिका को विस्तार से बताइए।
उत्तर:
वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण में ब्रेटन वुड्स संस्थान की भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
1. युद्धोत्तर आर्थिक अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह था कि औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार बनाये रखा जाये। इस फ्रेमवर्क पर जुलाई 1944 ई. में अमेरिका में स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति हुई थी।

2. सदस्य देशों के विदेशी व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई. एम. एफ.) की स्थापना की गयी।

3. युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए धन की व्यवस्था करने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक का गठन किया गया। इसे विश्व बैंक के नाम से भी जाना जाता है। इसी कारण विश्व बैंक एवं अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को ब्रेटन वुड्स संस्थान या ब्रेटन वुड्स ट्विन (ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संस्था) भी कहा जाता है।

4. विश्व बैंक तथा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 1947 ई. में औपचारिक रूप से कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। इन संस्थानों की निर्णय प्रक्रिया पर पश्चिमी औद्योगिक देशों का नियन्त्रण रहता है। अमेरिका विश्व बैंक व अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के किसी भी फैसले को ‘वीटो’ कर सकता है।

5.अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था राष्ट्रीय मुद्राओं और मौद्रिक व्यवस्थाओं को एक-दूसरे से जोड़ने वाली व्यवस्था है। ब्रेटन वुड्स व्यवस्था निश्चित विनिमय दरों पर आधारित होती थी। इस व्यवस्था में राष्ट्रीय मुद्राएँ, जैसे- भारतीय मुद्रा-रुपया-डॉलर के साथ एक निश्चित विनिमय दर में बँधा हुआ है। एक डॉलर के बदले में कितने रुपये प्राप्त होंगे, यह स्थिर रहता था। डॉलर का मूल्य भी सोने से बँधा हुआ था। एक डॉलर की कीमत 35 औंस सोने के बराबर निर्धारित की गई थी।

प्रश्न 5.
ब्रेटन वुड्स प्रणाली के समाप्त होने के लिए उत्तरदायी कारकों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
ब्रेटन वुड्स का समापन एवं वैश्वीकरण का शुमआत पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ब्रेटन वुड्स प्रणाली के समाप्त होने के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं
1. अमेरिकी मुद्रा में गिरावट:
1960 ई. के दशक के पश्चात् अमेरिका का आर्थिक शक्ति के रूप में पहले जैसा वर्चस्व नहीं रहा। अमेरिकी डॉलर अब विश्व की प्रधान मुद्रा के रूप में पहले जितना सम्मानित एवं निर्विवाद नहीं रह गया था। सोने की तुलना में डॉलर की कीमत गिरने लगी थी।

2. पश्चिमी व्यावसायिक बैंकों का उदय:
1970 ई. के मध्य से अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की नीति में भी बहुत अधिक परिवर्तन आ चुके थे। पहले विकासशील देश ऋण एवं विकास सम्बन्धी सहायता के लिए अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहायता ले सकते थे लेकिन अब उन्हें पश्चिम के व्यावसायिक बैंकों और निजी ऋणदाता संस्थानों से ऋण न लेने के लिए विवश किया जाने लगा। विकासशील विश्व में समय-समय पर ऋण संकट उत्पन्न होने लगा जिससे आय में गिरावट आती थी एवं निर्धनता में वृद्धि होने लगती थी। यह समस्या अफ्रीका व लैटिन अमेरिका में सर्वाधिक दिखाई दी।

3. बेरोजगारी की समस्या:
औद्योगिक विश्व भी बेरोजगारी की समस्या से ग्रसित होने लगा था। 1970 के दशक के मध्य से बेरोजगारी बढ़ने लगी। 1990 के दशक के प्रारम्भिक वर्षों तक बहुत अधिक बेरोजगारी रही। 1970 के दशक के अन्तिम वर्षों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भी एशिया के ऐसे देशों में उत्पादन केन्द्रित करने लगीं जहाँ वेतन कम थे।

4. चीन में अल्प लागत अर्थव्यवस्था:
अल्प लागत अर्थव्यवस्था के कारण चीनी अर्थव्यवस्था एक नयी महाशक्ति के रूप में उभरी। चीन जैसे देश में वेतन अपेक्षाकृत कम थे। अत: विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने चीन में पर्याप्त निवेश करना प्रारम्भ कर दिया।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
अफ्रीका के राजनीतिक रेखा मानचित्र में 19वीं सदी के दो ब्रिटिश उपनिवेश दर्शाइए।
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना  1

प्रश्न 2.
अफ्रीका के राजनीतिक रेखा मानचित्र में 19वीं सदी के दो-दो स्पेनिश, पुर्तगाली व फ्रेंच उपनिवेश दर्शाइए।
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना  2

प्रश्न 3.
अफ्रीका के राजनीतिक रेखा मानचित्र में 19वीं सदी के दो इतालवी व दो जर्मन उपनिवेश दर्शाइए। उत्तर
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना  1

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 9 Social Science Solutions in Hindi & English Jharkhand Board

JAC Jharkhand Board Class 9th Social Science Solutions in Hindi & English Medium

JAC Board Class 9th Social Science Solutions in English Medium

Jharkhand Board Class 9th Social Science History: India and the Contemporary World – I

Jharkhand Board Class 9th Social Science Geography: Contemporary India – I

Jharkhand Board Class 9th Social Science Civics: Democratic Politics – I

Jharkhand Board Class 9th Social Science Economics

JAC Board Class 9th Social Science Solutions in Hindi Medium

JAC Board Class 9th Social Science History: India and The Contemporary World – I (इतिहास : भारत और समकालीन विश्व-I)

JAC Board Class 9th Social Science Geography: Contemporary India – I (भूगोल : समकालीन भारत-I)

JAC Board Class 9th Social Science Civics: Democratic Politics – I (राजनीति विज्ञान : लोकतांत्रिक राजनीति-I)

JAC Board Class 9th Social Science Economics (अर्थशास्त्र)

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. अधिकारों और अवसरों के मामले में स्त्री और पुरुष की समानता मानने वाला व्यक्ति कहलाता है
(क) नारीवादी
(ख) जातिवादी
(ग) साम्प्रदायिक
(घ) धर्मनिरपेक्ष
उत्तर:
(क) नारीवादी

2. निम्न में से किस देश में सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी का स्तर बहुत ऊँचा है?
(क) नॉर्वे
(ख) स्वीडन
(ग) फिनलैण्ड
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

3. भारत में जनगणना कितने वर्ष पश्चात् होती है ?
(क) 5 वर्ष
(ख) 10 वर्ष
(ग) 11 वर्ष
(घ) 20 वर्ष
उत्तर:
(ख) 10 वर्ष

4. निम्न में से किस देश ने किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में अंगीकार नहीं किया है?
(क) भारत
(ख) नेपाल
(ग) पाकिस्तान
(घ) श्रीलंका
उत्तर:
(क) भारत

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

5. निम्न में से किस समाज सुधारक ने जातिगत भेदभाव से मुक्त समाज व्यवस्था बनाने की बात की और उसके लिए काम भी किया?
(क) ज्योतिबा फुले
(ख) महात्मा गाँधी
(ग) डॉ. अम्बेडकर
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. संविधान ने किसी भी प्रकार के………….भेदभाव पर रोक लगाई है।
उत्तर:
जातिगत,

2. ग्रामीण क्षेत्रों से निकलकर लोगों का शहरों में बसना………….कहलाता है।
उत्तर:
शहरीकरण,

3. भारतीय संघ ने किसी भी धर्म को……….के रूप में स्वीकार नहीं किया है।
उत्तर:
राजकीय धर्म,

4. भारत में महिला की साक्षरता दर…….प्रतिशत तथा पुरुषों की साक्षारता दर……..प्रतिशत है।
उत्तर:
54,761

अतिलयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक असमानता का कौन-सा रूप प्रत्येक स्थान पर दिखाई देता है?
उत्तर:
लँगिक असमानता।

प्रश्न 2.
नारीवादी आन्दोलन क्या है?
उत्तर:
वे आन्दोलन जिनका उद्देश्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों एवं महिलाओं में समानता लाना है।

प्रश्न 3.
नारीवादी आन्दोलन क्यों हुए?
उत्तर:
पुरुष एवं महिलाओं के असमान अधिकार एवं अवसरों के कारण नारीवादी आन्दोलन हुए।

प्रश्न 4.
समान मजदूरी से सम्बन्धित अधिनियम का प्रमुख प्रावधान क्या है?
उंत्तर:
समान कार्य के लिए समान मजदूरी होनी चाहिए।

प्रश्न 5.
महिला संगठनों एवं कार्यकर्ताओं की क्या माँग है?
उत्तर:
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में भी एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जानी चाहिए।

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प्रश्न 6.
महिलाओं को घरेलू उत्पीड़न से बचाने के लिए कोई एक तरीका सुझाइए।
उत्तर:
घरेलू हिंसा अधिनियम, कानूनी नियमों की जानकारी देना।

प्रश्न 7.
पारिवारिक कानून से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विवाह, तलाक, गोद लेना एवं उत्तराधिकार जैसे परिवार से जुड़े मसलों से सम्बन्धित कानून को पारिवारिक कानून कहते हैं।

प्रश्न 8.
विवाह, तलाक, उत्तराधिकार से सम्बन्धित कानून क्या कहलाता है?
उत्तर:
पारिवारिक कानून।

प्रश्न 9.
साम्प्रदायिक राजनीति कौन-सी सोच पर आधारित होती है?
उत्तर:
साम्प्रदायिक राजनीति इस सोच पर आधारित होती है कि धर्म ही गतमाजिक समुदाय का निर्माण करता है।

प्रश्न 10.
हमारे देश के लोकतन्त्र के लिए एक बड़ी चुनौती क्या रही है?
उत्तर:
हमारे देश के लोकतंत्र के लिए एक बड़ी समस्या साम्र्रदायिकता रही है।

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प्रश्न 11.
भारत में विभिन्न समुदायों के बीच साम्प्रदायिक सद्भाव बनाने का कोई एक तरीका सुझाइए।
उत्तर:
बड़े सार्वजनिक हितों तथा धार्मिक मामलों में राज्य का हस्तक्षेप।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित जानकारी को पढ़िए और उसके लिए एक पारिभाषिक शब्द लिखिए। भारतीय संविधान अपने सभी नागरिकों को किसी धर्म का पालन करने और प्रचार करने की आजादी देता है। भारतीय संविधान धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी तरह के भेदभाव को अमान्य करता है।
उत्तर :
धर्मनिरपेक्षता।

प्रश्न 13.
इंग्लैण्ड के राजकीय धर्म का नाम बताइये।
उत्तर:
इंग्लैण्ड का राजकीय धर्म ईसाई धर्म है।

प्रश्न 14.
जातिवाद किस मान्यता पर आंधारित है?
उत्तर:
जातिवाद इस मान्यता पर आधारित है कि जाति ही सामाजिक समुदाय के गठन का एकमात्र आधार है।

प्रश्न 15.
धर्म तथा राजनीति का सम्बन्ध कब समस्या उत्पन्न करता है?
उत्तर:
जब धर्म को राष्ट्र के आधार के रूप में देखा जाता है।

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प्रश्न 16.
जनगणना में किन दो विशिष्ट समूहों की गिनती अ़लग से की जाती है?
उत्तर:
जनगणना के दो विशिष्ट समूह:

  1. अनुसूचित जाति,
  2. अनुसूचित जनजाति।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
क्या कुछ खास किस्म के सामाजिक विभाजनों को राजनीतिक रूप देने की ज़रूरत है?
उत्तर:
हाँ, कुछ खास किस्म के सामाजिक विभाजनों को राजनीतिक रूप देने की ज़रूरत है क्योंकि इससे यह भी पता चलता है कि जब सामाजिक विभाजन राजनीतिक मुद्दा बन जाता है तो वंचित समूहों को किस तरह लाभ होता है। इससे वंचित समूहों को बराबरी का दर्जा मिलता है। उदाहरण के रूप में, यदि महिलाओं से भेदभाव. और व्यवहार का मुद्दा राजनीतिक तौर पर न उठता तो उन्हें सार्वजनिक जीवन में भागीदारी नहीं मिलती। .

प्रश्न 2.
भारत में महिलाओं की राजनीति में भागीदारी अभी भी पुरुषों के मुकाबले कम है। इस भागीदारी को किस तरह बढ़ाया जा सकता है?
उत्तर:
भारत में विधायिका में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है। उदाहरण के लिए, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या पहली बार 2019 में ही 14.36 फीसदी तक पहुँची है। राज्यों की विधानसभाओं में इनका प्रतिनिधित्व 5 प्रतिशत से भी कम है। महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बढ़ाने हेतु सबसे अच्छा तरीका यह है कि निर्वाचित संस्थाओं में महिलाओं के लिए कानूनी रूप से एक उचित प्रतिशत तय कर दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 3.
साम्प्रदायिक राजनीतिक विचार बुनियादी रूप से गलत क्यों है?
उत्तर:
साम्प्रदायिक राजनीति की मान्यताएँ ठीक नहीं हैं। एक धर्म के लोगों के हित तथा उनकी आकांक्षाएँ प्रत्येक मामले में एक जैसी हों यह सम्भव नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति कई तरह की भूमिका निभाता है, उसकी हैसियत व पहचान भिन्न-भिन्न होती हैं। प्रत्येक समुदाय में तरह-तरह के विचार के लोग होते हैं। इन सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है। इसलिए एक धर्म से जुड़े सभी लोगों को किसी धार्मिक सन्दर्भ में एक करके देखना उस समुदाय से उठने वाली विभिन्न आवाज़ों को दबाना है।

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प्रश्न 4.
साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक गोलबंदी साम्प्रदायिकता का दूसरा रूप है। इस कथन की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक गोलबन्दी में धर्म के पवित्र प्रतीकों, धर्म गुरुओं की भावनात्मक अपील तथा अपने ही लोगों के मन में डर बैठाने जैसे तरीकों का उपयोग बहुत अधिक देखने को मिलता है ताकि एक धर्म को मानने वालों को राजनीति में एक मंच पर लाया जा सके। चुनावी राजनीति में एक धर्म के मतदाताओं की भावनाओं या हितों की बात उठाने जैसे तरीके अपनाये जाते हैं।

प्रश्न 5.
धर्मनिरपेक्ष राज्य से आप क्या समझते हैं? भारत ने धर्मनिरपेक्ष शासन का मॉडल क्यों अपनाया?
अथवा
भारत में धर्मनिरपेक्ष राज्य से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धर्मनिरपेक्ष राज्य वह राज्य है जिसमें नागरिकों को कोई भी धर्म अपनाने की स्वतन्त्रता होती है तथा किसी भी धर्म को कोई विशेष दर्जा नहीं दिया जाता है। साम्प्रदायिकता हमारे देश के लोकतन्त्र के लिए एक बड़ी चुनौती रही है। विभाजन के समय भारत-पाकिस्तान में भयावह साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। हमारे संविधान निर्माता इस चुनौती के प्रति पूर्णरूप से सचेत थे। इसी कारण उन्होंने धर्मनिरपेक्ष शासन का मॉडल अपनाया।

प्रश्न 6.
भारतीय संविधान में कौन-कौन से प्रावधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाते हैं?
अथवा
भारतीय संविधान में वर्णित ‘धर्मनिरपेक्षता’ के किन्हीं तीन लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
“धर्मनिरपेक्षता कुछ व्यक्तियों या पार्टियों की एक विचारधारा नहीं है, बल्कि यह हमारे देश की नीवों में से एक है।” कथन की परख कीजिए।
अथवा
किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र कीजिए जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।
अथवा
ऐसे प्रमुख प्रावधानों की व्याख्या कीजिए जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश मानते हैं।
उत्तर:
भारतीय संविधान के निम्नलिखित प्रावधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाते हैं

  1. भारत का संविधान किसी धर्म को विशेष दर्जा नहीं देता है।
  2. हमारा संविधान सभी व्यक्तियों एवं समुदायों को उनको अपनी इच्छा के धर्म को मानने एवं उसका प्रचार करने की स्वतन्त्रता प्रदान करता है।
  3. भारतीय संविधान धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी भी प्रकार के भेदभाव को प्रतिबंधित करता है।
  4. संविधान राज्य को धार्मिक समुदायों के अन्दर समानता सुनिश्चित करने के लिए धर्म के मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार प्रदान करता है। स्पष्ट है कि धर्मनिरपेक्षता कुछ व्यक्तियों या पार्टियों की एक विचारधारा नहीं है, बल्कि यह हमारे संविधान की ‘बुनियाद है अर्थात् हमारे देश की नीवों में से एक है।

प्रश्न 7.
भारतीय राजनीति में जातिवाद’ की प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतीय राजनीति में ‘जातिवाद’ की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं

  1. जातिवाद से उच्च व निम्न की भावना उत्पन्न होती है जिसके कारण अस्पृश्यता को बढ़ावा मिलता है।
  2. जातिवाद से गरीबी, विकास, भ्रष्टाचार जैसे प्रमुख मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकता है।
  3. जातिवाद तनाव, टकराव और हिंसा को भी बढ़ावा देता है।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
लैंगिक विभाजन से क्या आशय है? अधिकांश समाजों में इसे श्रम विभाजन से कैसे जोड़ा जाता है २
अथवा
भारत में लैंगिक विषमता को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
लैंगिक विभाजन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लैंगिक विभाजन से आशय पुरुषों एवं महिलाओं के मध्य कार्य के विभाजन से है। कुछ कार्य विशेषकर घरेलू कार्य; जैसे-खाना बनाना, सिलाई करना, कपड़े धोना एवं सफाई करना आदि केवल महिलाओं द्वारा किए जाते हैं, जबकि पुरुष कुछ विशेष प्रकार के कार्य करते हैं। अधिकांश समाजों में इसे निम्न प्रकार से श्रम विभाजन से जोड़ा जाता है

1. पुरुषों एवं महिलाओं के मध्य लैंगिक विभाजन का यह अर्थ है कि पुरुष घरेलू कार्य नहीं कर सकते हैं। वे केवल इतना सोचते हैं कि घरेलू कार्य करना महिलाओं का कार्य है। जब इन कार्यों हेतु पारिश्रमिक दिया जाता है तो पुरुष भी इन कार्यों को करने के लिए तैयार हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, अधिकांश दर्जी या होटलों में रसोइए पुरुष ही होते हैं।

2. लैंगिक विभाजन का यह अर्थ भी नहीं होता कि महिलाएं अपने घर से बाहर कार्य नहीं करती हैं। गाँव में महिलाएँ पानी लाती हैं, जलावन की लकड़ी लाती हैं। शहरों में गरीब महिलाएँ घरेलू नौकरानी का कार्य करती हैं तथा मध्यमवर्गीय महिलाएँ कार्य करने के लिए कार्यालय जाती हैं।

3. अधिकांश महिलाएँ घरेलू कार्यों के अतिरिक्त कुछ कार्य मजदूरी पर भी करती हैं। परन्तु उनके कार्यों की उचित मजदूरी प्रदान नहीं की जाती है. तथा न ही उचित महत्त्व दिया जाता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

प्रश्न 2.
सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है:

  1. महिलाएँ घर के अन्दर का सारा काम-काज; जैसे-खाना बनाना, सफाई करना, कपड़े धोना एवं बच्चों की देखरेख करना आदि करती है।
  2. गाँवों में स्त्रियाँ पानी और जलावन की लकड़ी जुटाने से लेकर खेती सम्बन्धी कार्य भी करती हैं।
  3. शहरों में भी निर्धन महिलाएँ किसी मध्यमवर्गीय परिवार में नौकरानी का कार्य कर रही हैं और मध्यमवर्गीय महिलाएँ काम करने के लिए दफ्तर जाती हैं।
  4. आज हम वैज्ञानिक, इंजीनियर, डॉक्टर, प्रबन्धक, महाविद्यालयी एवं विश्वविद्यालयी शिक्षक जैसे व्यवसायों में बहुत-सी महिलाओं को पाते हैं, जबकि पहले इन कार्यों को महिलाओं के लायक नहीं माना जाता था।
  5. विश्व के कुछ हिस्सों; जैसे-स्वीडन, नॉर्वे व फिनलैंड जैसे देशों में सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी का स्तर बहुत ऊँचा हैं।
  6. लैंगिक विभाजन को राजनीतिक अभिव्यक्ति एवं इस प्रश्न पर राजनीतिक गोलबंदी ने सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने में सहायता की है।

प्रश्न 3.
साम्प्रदायिकता से क्या अभिप्राय है? इसे लोकतंत्र के लिए खतरा क्यों माना जाता है?
उत्तर:
साम्प्रदायिकता का बोलचाल की भाषा में अर्थ है-अपने धर्म को अन्य धर्मों से ऊँचा मानना। अपने धार्मिक हितों के लिए राष्ट्रहित का भी बलिदान कर देना साम्प्रदायिकता है। धर्म के नाम पर यह घृणा का संचार करती है। यह एक विष के समान है जो मनुष्य को मनुष्य से घृणा करना सिखाती है।

इस संकुचित मनोवृत्ति के कारण एक धर्म के अनुयायी दूसरे धर्म के अनुयायियों की जान के प्यासे हो जाते हैं व लड़ाई-झगड़ों को अंजाम देते हैं। साम्प्रदायिकता के कारण एक समुदाय के लोग दूसरे समुदाय के लोगों से दुश्मनों जैसा व्यवहार करने लगते हैं जिससे साम्प्रदायिक दंगे होने लगते हैं। इसके कारण राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता खतरे में पड़ जाती है इसलिए साम्प्रदायिकता को लोकतंत्र के लिए खतरा माना जाता है।

प्रश्न 4.
जाति व्यवस्था के प्राचीन स्वरूप में बदलाव लाने वाले किन्हीं तीन कारकों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत में जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिए उत्तरदायी किन्हीं तीन कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जाति व्यवस्था के प्राचीन स्वरूप में बदलाव लाने वाले तीन कारक निम्नलिखित हैं
1. साक्षरता व शिक्षा के विकास, व्यवसाय चयन की स्वतन्त्रता एवं गाँवों में जमींदारी व्यवस्था के कमजोर पड़ने से जाति व्यवस्था के पुराने स्वरूप एवं वर्ण व्यवस्था पर टिकी मानसिकता में परिवर्तन आ रहा है। आज अधिकांशतः इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है कि आपके साथ ट्रेन या बस में किस जाति का व्यक्ति बैठा है या रेस्तराँ में आपकी मेज पर बैठकर खाना खा रहे व्यक्ति की जाति क्या है?

2. संविधान में किसी भी प्रकार के जातिगत भेदभाव का विरोध किया गया है।

3. ज्योतिबा फुले, महात्मा गाँधी, डॉ. अम्बेडकर एवं पेरियार रामास्वामी नायर जैसे राजनेताओं व समाज सुधारकों के प्रयासों एवं सामाजिक-आर्थिक बदलावों के कारण आधुनिक भारत में जाति संरचना व जाति व्यवस्था में बहुत अधिक परिवर्तन आया है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नारीवादी आन्दोलन की व्याख्या कीजिए और भारत में महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा
कोकिन भारत में महिलाओं को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने हेतु क्या प्रयास किये गये हैं? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
नारीवादी आन्दोलन-विश्व के अलग-अलग भागों में महिलाओं ने अपने संगठन बनाये तथा बराबरी का अधिकार प्राप्त करने के लिए आन्दोलन किए। विभिन्न देशों में महिलाओं को वोट का अधिकार प्रदान करने के लिए आन्दोलन हुए। इन आन्दोलनों में महिलाओं के राजनैतिक एवं वैधानिक दर्जे को ऊँचा उठाने एवं उनके लिए शिक्षा व रोज़गार के अवसर बढ़ाने की मांग की गई।

इन महिला आन्दोलनों ने महिलाओं के व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जीवन में भी बराबरी की माँग उठाई। इन आन्दोलनों को ही नारीवादी आन्दोलन कहा जाता है। भारत में महिलाओं को राजनीतिक प्रतिनिधित्व-भारत की विधायिका में महिलाओं का अनुपात बहुत कम है। उदाहरण के लिए; लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या पहली बार 2019 में 14.36 फीसदी पहुँची है।

विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं में भी महिला सदस्यों का अनुपात जनसंख्या में उनके अनुपात से बहुत कम है। राज्य की विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 5 प्रतिशत से भी कम है। इस मामले में भारत का स्थान विश्व के अन्य देशों से बहुत नीचे है। भारत इस मामले में अफ्रीका व लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों से भी नीचे है। इस समस्या के समाधान का सबसे अच्छा तरीका यह है कि चुनावी निकायों में महिलाओं के समुचित अनुपात को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाए। ऐसा भारत में पंचायती राज्य के अन्तर्गत हुआ है।

स्थानीय निकायों; जैसे-पंचायतों व नगरपालिकाओं में कुल सीटों का एक-तिहाई भाग महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है। आज भारत के ग्रामीण एवं शहरी स्थानीय निकायों में निर्वाचित महिलाओं की संख्या 10 लाख से भी अधिक है। महिला संगठनों एवं कार्यकर्ताओं की माँग पर लोकसभा और राज्यसभा में भी एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने हेतु संसद में एक विधेयक प्रस्तुत किया गया है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

प्रश्न 2.
साम्प्रदायिकता की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। भारतीय राजनीति में इसकी अभिव्यक्ति के विभिन्न रूप क्या हैं? गावा “साम्प्रदायिकता, राजनीति में अनेक रूप धारण के सकती है।” किन्हीं चार रूपों की विवेचना कीजिए।
अथवा
“साम्प्रदायिकता राजनीति में अनेक रूप धारण कर सकती है।” कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
साम्प्रदायिकता-साम्प्रदायिकता समाज की वह स्थिति है जिसमें विभिन्न धार्मिक समूह अन्य समूहों पर अपनी श्रेष्ठता स्थापित करने का प्रयास करते हैं। किसी एक धार्मिक समूह की सत्ता एवं वर्चस्व तथा अन्य समूहों की उपेक्षा पर आधारित राजनीति; साम्प्रदायिक राजनीति कहलाती है। साम्प्रदायिकता राजनीति में निम्नलिखित रूप धारण कर सकती है
1. दैनिक जीवन में साम्प्रदायिकता:
साम्प्रदायिकता की सबसे आम अभिव्यक्ति दैनिक जीवन में ही देखने को मिलती है। इसमें धार्मिक पूर्वाग्रह, धार्मिक समुदायों के बारे में बनी-बनाई धारणाएँ एवं एक धर्म को दूसरे धर्म से श्रेष्ठ मानने की मान्यताएँ सम्मिलित हैं। ये चीजें इतनी सामान्य हैं कि सामान्यतया हमारा ध्यान इस ओर नहीं जाता है, जबकि ये हमारे अन्दर ही बैठी हुई होती हैं।

2. समुदायों के आधार पर राजनीतिक दलों का गठन:
साम्प्रदायिक सोच अक्सर अपने धार्मिक समुदाय का राजनैतिक प्रभुत्व स्थापित करने की फिराक में रहती है। जो लोग बहुसंख्यक समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं उनकी यह कोशिश बहुसंख्यकवाद का रूप ले लेती है। जो लोग अल्पसंख्यक समुदाय के होते हैं, उनमें यह विश्वास अलग राजनीतिक इकाई बनाने की इच्छा का रूप ले लेता है।

3. साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक गोलबंदी-साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक गोलबंदी साम्प्रदायिकता का दूसरा रूप है। इसके अन्तर्गत धर्म के पवित्र प्रतीकों, धर्म गुरुओं, भावनात्मक अपील एवं अपने ही लोगों के मन में डर बैठाने जैसे तरीकों का उपयोग किया जाना एक सामान्य बात है। चुनावी राजनीति में एक धर्म के मतदाताओं की भावनाओं अथवा हितों की बात उठाने जैसे तरीके सामान्यतया अपनाए जाते हैं।

4. साम्प्रदायिक दंगे-कभी:
कभी साम्प्रदायिकता, साम्प्रदायिक हिंसा, दंगा, नरसंहार के रूप में अपना सबसे बुरा रूप अपना लेती है। उदाहरण के लिए, देश विभाजन के समय भारत व पाकिस्तान में भयावह साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। स्वतन्त्रता के पश्चात् भी बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी।

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प्रश्न 3.
साम्प्रदायिकता से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख विश्वास क्या हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साम्प्रदायिकता का आशय-साम्प्रदायिकता समाज की वह स्थिति है जिसमें विभिन्न धार्मिक समूह अन्य समूहों पर अपनी श्रेष्ठता स्थापित करने का प्रयास करते हैं। साम्प्रदायिक सोच के अनुसार एक विशेष धर्म में आस्था रखने वाले लोग एक ही समुदाय के होते हैं। उनके मौलिक हित एक जैसे होते हैं तथा समुदाय के लोगों के आपसी मतभेद सामुदायिक जीवन में कोई महत्त्व नहीं रखते। इस सोच में यह बात भी सम्मिलित है कि किसी अलंग धर्म को मानने वाले लोग दूसरे सामाजिक समुदाय का हिस्सा नहीं हो सकते। यदि विभिन्न धर्मों की सोच में कोई समानता दिखाई देती है तो यह ऊपरी और बेमानी होती है।

साम्प्रदायिक सोच इस मान्यता पर आधारित है कि दूसरे धर्मों के अनुयायी एक ही राष्ट्र में समान नागरिक के रूप में नहीं रह सकते। इस मानसिकता के अनुसार या तो एक समुदाय के लोगों को दूसरे समुदाय के वर्चस्व में रहना होगा अथवा फिर उनके लिए अलग राष्ट्र बनाना होगा। अतः साम्प्रदायिकता एक ऐसी स्थिति है जब एक विशेष समुदाय के लोग अन्य समुदायों की कीमत पर अपने हितों को बढ़ावा देते हैं। साम्प्रदायिक राजनीति इस सोच पर आधारित होती है कि धर्म ही सामाजिक समुदाय का निर्माण करता है। साम्प्रदायिकता के प्रमुख विश्वास-साम्प्रदायिकता के प्रमुख विश्वास निम्नलिखित हैं

  1. एक विशेष धर्म में आस्था रखने वाले लोग एक है. समुदाय के हों।
  2. उनके मौलिक हित एक जैसे हों तथा समुदाय के लोगों के आपसी मतभेद सामुदायिक जीवन में कोई महत्त्वपूर्ण स्थान न रखें।
  3. इस सोच में यह बात सम्मिलित है कि किसी अलग धर्म को मानने वाले लोग दूसरे समुदाय का हिस्सा नहीं हो सकते। यदि विभिन्न धर्मों के लोगों की सोच में कोई समानता दिखती है तो यह ऊपरी बेमानी होती है। उनके हित भी अलग-अलग होंगे और उनमें टकराव भी होगा।
  4. कभी-कभी साम्प्रदायिकता में यह विचार भी जुड़ने लगता है कि दूसरे धर्मों के अनुयायी एक ही राष्ट्र के समान नागरिक के तौर पर नहीं रह सकते या तो एक समुदाय के लोगों को दूसरे समुदाय के वर्चस्व में रहना होगा या फिर उनके लिए. अलग राष्ट्र का निर्माण करना होगा।

प्रश्न 4.
जातिवाद क्या है? राजनीति में जाति अनेक रूप ले सकती है। किन्हीं चार रूपों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय राजनीति में ‘जाति’ की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत में ‘राजनीति में जाति’ और ‘जाति के अन्दर राजनीति’ है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? दो-दो तर्क दीजिए।
अथवा
“सिर्फ राजनीति ही जातिग्रस्त नहीं होती, जाति भी राजनीति ग्रस्त हो जाती है।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जातिवाद-जातिवाद अन्य जाति समूहों के विरुद्ध भेदभाव एवं उनके निष्कासन पर आधारित सामाजिक व्यवहार है। समान जाति समूह के लोग एक सामाजिक समुदाय का निर्माण करते हैं। वे एक ही व्यवसाय अपनाते हैं। अपनी . जाति के भीतर ही शादी करते हैं एवं अन्य जाति समूहों के सदस्यों के साथ खाना नहीं खाते हैं। राजनीति में जाति अनेक रूप ले सकती है। भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
1. उम्मीदवारों का नाम तय करते समय:
जब राजनीतिक दल चुनाव के लिए उम्मीदवारों का नाम तय करते हैं तो चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं की जातियों का हिसाब ध्यान में रखा जाता है ताकि उन्हें जीतने के लिए आवश्यक वोट मिल जाएँ।

2. सरकार का गठन करते समय:
जैब सरकार का गठन किया जाता है तो राजनीतिक दल इस बात का ध्यान रखते हैं कि उसमें विभिन्न जातियों तथा कबीलों के लोगों को उचित स्थान प्रदान किया जाए।

3. चुनाव प्रचार करते समय:
राजनीतिक दल एवं चुनाव में खड़े हुए उम्मीदवार जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए जातिगत भावनाओं को उकसाते हैं। कुछ राजनीतिक दलों को कुछ जातियों के सहयोगी एवं प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है।

4. जातियों में नयी चेतना:
सार्वभौम वयस्क मताधिकार एवं एक व्यक्ति एक वोट की व्यवस्था ने राजनीतिक दलों को विवश किया कि वे राजनीतिक समर्थन पाने एवं लोगों को गोलबंद करने के लिए सक्रिय हों। इससे उप-जातियों के लोगों में नवीन चेतना का संचार हुआ है जिन्हें अभी तक छोटा और निम्न स्तर का माना जाता था। भारत में ‘जाति में राजनीति’ को निम्न तर्कों द्वारा भी बताया जा सकता है

  1. प्रत्येक जाति स्वयं को बड़ा बनाना चाहती है। पहले वह अपने समूह की जिन उपजातियों को छोटा या नीचा बताकर अपने से बाहर रखना चाहती थी, अब उन्हें अपने साथ लाने की कोशिश करती है।
  2. चूँकि एक जाति अपने दम पर सत्ता पर कब्जा नहीं कर सकती इसलिए वह ज्यादा राजनीतिक ताकत पाने के लिए दूसरी जातियों अथवा समुदायों को साथ लेने की कोशिश करती है और इस प्रकार उनके मध्य संवाद और मोल-तोल होता है।
  3. राजनीति में नई किस्म की जातिगत गोलबंदी भी हुई है, जिसे अगड़ा और पिछड़ा कहा जाता है।

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प्रश्न 5.
“राजनीति में जाति पर जोर देने के कारण कई बार लोगों में यह धारणा बन सकती है कि चुनाव जातियों का खेल है, कुछ और नहीं। यह बात सच नहीं है।” उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राजनीति में जाति पर जोर देने के कारण कई बार लोगों में यह धारणा बन सकती है कि चुनाव जातियों का खेल है, कुछ और नहीं। यह बात वास्तव में सत्य नहीं होती है, जिसे निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
1. चुनाव क्षेत्र विभिन्न:
जातियों से सम्बन्धित लोगों का मिश्रण होते हैं-देश के किसी भी एक संसदीय चुनाव क्षेत्र में किसी एक जाति के लोगों का बहुमत नहीं होता है इसलिए प्रत्येक राजनैतिक दल एवं उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए एक जाति एवं समुदाय के अधिक लोगों का विश्वास प्राप्त करना पड़ता है।

2. चुनावों का इतिहास:
हमारे देश के चुनावों का इतिहास देखने से पता चलता है कि सत्ताधारी दल, वर्तमान सांसदों एवं विधायकों को अक्सर पराजय का सामना करना पड़ता है। जो यह सिद्ध करता है कि चुनाव में जातिवाद यद्यपि महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है परन्तु चुनाव केवल जातिवाद पर ही निर्भर नहीं होते। .

3. प्रभुता सम्पन्न जातियों के लिए खोज:
अधिकांश राजनीतिक दल बहुसंख्यक जाति से अपना उम्मीदवार चुनाव में खड़ा करते हैं। परन्तु इससे भी उनकी जीत की गारण्टी नहीं हो सकती क्योंकि ऐसे में कुछ उम्मीदवारों के सामने उनकी जाति के एक से अधिक उम्मीदवार होते हैं तो किसी जाति के मतदाताओं के सामने उनकी जाति का एक भी उम्मीदवार नहीं होता है।

4. एक जाति में भी विभिन्न विकल्प उपलब्ध:
कोई भी राजनीतिक दल किसी एक जाति या समुदाय के समस्त लोगों का वोट प्राप्त नहीं कर सकता क्योंकि एक समुदाय में भी लोगों के पास विकल्प उपलब्ध होते हैं। जब लोग किसी जाति विशेष को किसी एक पार्टी का ‘वोट बैंक’ कहते हैं तो इसका यह अर्थ होता है कि उस जाति के अधिकांश लोग उस पार्टी को वोट देते हैं। .

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. निम्न में से किस वर्ष मैक्सिको सिटी में ओलंपिक खेल हुए?
(क) 1968 में
(ख) 1975 ई.
(ग) 2009 ई.
(घ) 2005 ई.
उत्तर:
(क) 1968 में

2. सामाजिक विभाजन अधिकांशतः आधारित होता है
(क) मृत्यु पर
(ख) वंश पर
(ग) परिवार पर
(घ) जन्म पर
उत्तर:
(घ) जन्म पर

3. संयुक्त राज्य अमेरिका में 1954 से 1968 ई. के मध्य संचालित आन्दोलन का नाम था
(क) नागरिक अधिकार आन्दोलन
(ख) अश्वेत शक्ति आन्दोलन
(ग) सत्याग्रह आन्दोलन
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) नागरिक अधिकार आन्दोलन

4. ग्रेट ब्रिटेन की अधिकांश जनसंख्या किस धर्म को मानने वालों की है?
(क) ईसाई
(ख) हिन्दू
(ग) बौद्ध
(घ) मुस्लिम
उत्तर:
(क) ईसाई

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5. श्रीलंका में श्रीलंका केवल सिंहलियों के लिए’ की मांग किस समुदाय की पहचान एवं हितों के खिलाफ थी?
(क) तमिल समुदाय के
(ख) सिंहली समुदाय के
(ग) हिन्दू समुदाय के
(घ) मुस्लिम समुदाय के
उत्तर:
(क) तमिल समुदाय के

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
1. ओलम्पिक खेलों में एफ्रो-अमेरिकी ऑमी स्मिथ न जॉन कार्लोप के……….व……पदक जीता था।
उत्तर:
स्वर्ण, रजत,

2. सामाजिक अन्तर दूसरी अन्य से विभिन्नताओं में ऊपर और बड़े हो जाने पर………होता है।
उत्तर:
सामाजिक विभाजन,

3. ……..में सामाजिक विभाजन की अभिव्यक्ति एक सामान्य बात है।
उत्तर:
लोकतंत्र,

4. अश्वेत शक्ति आन्दोलन सन्……………….के मध्य चला।
उत्तर:
1966, 1975।

अति लयूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मैक्सिको ओलंपिक में टॉमी स्मिथ एवं जॉन कार्लोस ने बिना जूतों के मोजे पहनकर पदक क्यों प्राप्त किए?
उत्तर:
अमेरिकी अश्वेत लोगों की गरीबी को जताने के लिए।

प्रश्न 2.
टॉमी स्मिथ एवं जॉन कार्लोस में समानता बताइये।
उत्तर:
टॉमी स्मिथ एवं जॉन कार्लोस दोनों ही एफ्रो अमेरिकी खिलाड़ी थे।

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प्रश्न 3.
एफ्रो-अमेरिकन से आप क्या समझते हो?
उत्तर:
एफ्रो-अमेरिकन, अश्वेत अमेरिकी या अश्वेत शब्द उन अफ्रीकी लोगों के वंशजों के लिए प्रयुक्त होता है जिन्हें 17 वीं सदी से लेकर 19 वीं सदी की शुरुआत तक अमरीका में गुलाम बनाकर लाया गया था।

प्रश्न 4.
मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अमेरिका में किस आन्दोलन का नेतृत्व किया था?
उत्तर:
मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अमेरिका में नागरिक अधिकार आन्दोलन का नेतृत्व किया था।

प्रश्न 5.
स्मिथ और कार्लोस का ओलंपिक पदक क्यों वापस ले लिया गया?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने कार्लोस और स्मिथ को राजनीतिक बयान देकर ओलंपिक भावना का उल्लंघन करने का दोषी माना था।

प्रश्न 6.
सामाजिक भेदभाव की उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. जन्म,
  2. पसन्द या चुनाव,
  3. धर्म,
  4. आर्थिक स्थिति।

प्रश्न 7.
किस देश में वर्ग और धर्म के मध्य गहरी समानता है?
उत्तर:
उत्तरी आयरलैंण्ड में वर्ग और धर्म के मध्य गहरी ‘समानता है।

प्रश्न 8.
स्वीडन व जर्मनी में किस प्रकार का समाज है?
उत्तर:
स्वीडन व जर्मनी में समरूप समाज है।

प्रश्न 9.
उत्तरी आयरलैण्ड में प्रोटेस्टेंटों की प्रमुख माँग क्या है?
उत्तर:
उत्तरी आयरलैण्ड को आयरलैण्ड गणराज्य के साथ मिलाना।

प्रश्न 10.
बेल्जियम में किस प्रकार की सामाजिक विभिन्नता देखने को मिलती है?
उत्तर:
बेल्जियम में भाषायी विभिन्नता देखने को मिलती है।

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प्रश्न 11.
सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर:

  1. लोगों को अपनी महचान के प्रति आग्रह की भावना,
  2. राजनीतिक दलों की माँगें,
  3. सरकार का दृष्टिकोण।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
टॉमी स्मिथ व जॉन कार्लोस ने 1968 ई. में मैक्सिको सिटी में हुए ओलंपिक खेलों के समय संयुक्त राज्य अमेरिका में होने वाले रंगभेद मसले के प्रति अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान किस प्रकार आकर्षित किया?
उत्तर:
टॉमी स्मिथ व जॉन कार्लोस ने निम्नलिखित प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया था:

  1. उन्होंने अमेरिकी अथवा अश्वेत लोगों की गरीबी जताने के लिए बिना जूतों के केवल मोजे पहनकर पुरस्कार लिया था।
  2. टॉमी स्मिथ ने अश्वेत लोगों के आत्मगौरव का प्रतीक काले मफलर जैसा परिधान अपने गले में पहना था।
  3. जॉन कार्लोस ने मारे गये अश्वेत लोगों की याद में काले मनकों की माला पहनी थी।

प्रश्न 2.
“सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है- सामान्य तौर पर अपना समुदाय चुनना हमारे वश में नहीं होता। हम सिर्फ इस आधार पर किसी विशेष समुदाय के सदस्य हो जाते हैं कि हमारा जन्म उस समुदाय के एक परिवार में हुआ होता है। जन्म पर आधारित सामाजिक विभाजन का अनुभव हम अपने दैनिक जीवन में लगभग प्रतिदिन करते हैं। हम अपने आस-पास देखते हैं कि चाहे कोई स्त्री है या पुरुष, लम्बा है या छोटा, सबकी चमड़ी का रंग अलग-अलग है। उनकी शारीरिक क्षमताएँ व अक्षमताएँ अलग-अलग हैं।

प्रश्न 3.
पहली नज़र में “राजनीति और सामाजिक विभाजनों का मेल बहुत खतरनाक और विस्फोटक लगता है।” कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यदि राजनीतिक दल समाज में मौजूद विभाजनों के हिसाब से राजनीतिक होड़ करने लगें तो इससे सामाजिक विभाजन, राजनीतिक विभाजन में बदल सकता है और ऐसी स्थिति में विखण्डन की ओर जा सकता है, ऐसा कई देशों में हो चुका है। उदाहरण के लिए, आयरलैंण्ड के विद्रोह में सुरक्षा बलों सहित सैकड़ों लोग मारे गये। इसी प्रकार की स्थिति यूगोस्लाविया में हुई थी, जो कई टुकड़ों में बँट गया था।

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प्रश्न 4.
“लोकतन्त्र में सामाजिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति एक सामान्य बात है और यह एक स्वस्थ राजनीतिक लक्षण भी हो सकता है।” कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
किस प्रकार सामाजिक अंतरों में लोकतंत्र सुदृढ़ होता है?
उत्तर:
लोकतंत्र में सामाजिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति एक स्वस्थ राजनीतिक लक्ष्य भी हो सकता है। इससे विभिन्न छोटे सामाजिक समूह हाशिए पर पड़ी जरूरतों और परेशानियों को जाहिर करते हैं तथा सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। राजनीति में विभिन्न प्रकार के सामाजिक विभाजनों के बीच की अभिव्यक्ति ऐसे विभाजनों के मध्य संतुलन उत्पन्न करने का कार्य भी करती है। इसके चलते कोई भी सामाजिक विभाजन एक सीमा से अधिक उग्र नहीं हो पाता। इस स्थिति में लोकतंत्र मजबूत ही होता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
सामाजिक भेदभाव की उत्पत्ति कैसे होती है? संक्षेप में बताइए।
अथवा
किस प्रकार हमारे समाज में सामाजिक अंतर उत्पन्न होते हैं?
अथवा
सामाजिक भेदभाव की उत्पत्ति के कारणों का विवेचना कीजिए।
अथवा
सामाजिक भेदभाव के आधारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक भेदभाव की उत्पत्ति निम्न प्रकार से होती है

  1. सामाजिक विभाजन अधिकांशतः जन्म पर आधारित होता है। सामान्यतः हम अपने समुदाय को नहीं चुनते हैं। हम केवल इस आधार पर किसी विशेष समुदाय के सदस्य हो जाते हैं कि हमारा जन्म उस समुदाय के एक परिवार में हुआ होता है। उदाहरण के लिए जातीय एवं नस्लवादी अंतर ।
  2. कुछ सामाजिक अन्तर हमारी पसन्द या चुनावों पर आधारित होते हैं। कई लोग अपने माँ-बाप और परिवार से अलग अपनी पसन्द का धर्म चुन लेते हैं।
  3. सामाजिक अन्तर समाज में विद्यमान आर्थिक असमानताओं के कारण भी उत्पन्न होता है। उदाहरण के लिए एक ही परिवार में धनी एवं गरीब व्यक्ति प्रायः एक-दूसरे से घनिष्ठ सम्बन्ध नहीं रखते हैं क्योंकि वे अपने को अलग अनुभव करते हैं।
  4. हम सभी लोग पढ़ाई के विषय, व्यवसाय, खेल या सांस्कृतिक गतिविधियों का चुनाव अपनी पसंद से करते हैं।

प्रश्न 2.
क्या सभी सामाजिक अन्तरों से सामाजिक विभाजन उत्पन्न होता है? चर्चा कीजिए।
अथवा
क्या सभी सामाजिक अन्तर समाज में सामाजिक विभाजन उत्पन्न करते हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
सामाजिक विभिन्नताएँ समान लोगों को एक-दूसरे से अलग करती हैं, परन्तु वही विभिन्नताएँ अलग-अलग तरह के लोगों को मिलाती भी हैं। कार्लोस, स्मिथ और पीटर नार्मन का उदाहरण देते हुए, इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सभी सामाजिक अन्तरों के कारण सामाजिक विभाजन नहीं होता। सामाजिक विभिन्नताएँ एक ही प्रकार के लोगों को एक-दूसरे से अलग करते हैं परन्तु वे बिल्कुल भिन्न प्रकार के लोगों को एक-दूसरे से मिलाते भी हैं। विभिन्न सामाजिक समूहों से सम्बद्ध लोग अपने समूहों की सीमाओं से परे भी समानताओं और असमानताओं का अनुभव करते हैं। उदाहरण के रूप में, कार्लोस व स्मिथ दोनों एफ्रो-अमेरिकी थे जबकि नार्मन श्वेत थे।

इन तीनों में एक समानता थी कि वे सभी नस्ल आधारित भेदभाव के विरुद्ध थे। इसी प्रकार यह भी संभव है कि भिन्न-भिन्न धर्म के अनुयायी होकर भी एक जाति वाले लोग स्वयं एक-दूसरे के अधिक समीप महसूस करें। एक ही परिवार के धनी व गरीब सदस्य प्रायः एक-दूसरे से घनिष्ठ सम्बन्ध नहीं रखते हैं क्योंकि वे अपने को बहुत अलग अनुभव करते हैं। इस प्रकार हम सभी की एक से अधिक पहचान होती है और हम एक से अधिक सामाजिक समूहों से सम्बन्धित हो सकते हैं।

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प्रश्न 3.
किस प्रकार सामाजिक अन्तर समाज में विभाजन उत्पन्न करते हैं?
अथवा
“टकराव सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा करता है और सामंजस्य सँभालना अपेक्षाकृत आसान होता है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक अन्तर से तात्पर्य समाज में जन्मजात एवं सामाजिक रूप से उत्पन्न असमानताओं से है। सामाजिक अन्तर निम्न प्रकार से समाज में विभाजन उत्पन्न करते हैं

  1. सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अन्तर अन्य कुछ विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका में श्वेत व अश्वेत का अन्तर सामाजिक विभाजन का एक कारण हो गया क्योंकि अश्वेत लोग गरीब हैं, बेघर हैं तथा भेदभाव के शिकार हैं।
  2. वे समूह जो किसी मुद्दे पर सामूहिक हित की बात करते हैं अन्य मुद्दों पर उनके विचार अलग-अलगे हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तरी आयरलैंड तथा नीदरलैंड में मुख्य रूप से ईसाई धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं परन्तु यहाँ के लोग कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेंट समुदायों में विभाजित हैं।
  3. जब सामाजिक विभिन्नताएँ एक-दूसरे से गुँथ जाती हैं तो एक गहरे सामाजिक विभाजन एवं तनावों की सम्भावनाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। जहाँ ये सामाजिक विभिन्नताएँ एक साथ कई समूहों में विद्यमान होती हैं वहाँ उन्हें सँभालना अपेक्षाकृत सरल होता है।

प्रश्न 4.
“राजनीति और सामाजिक विभाजन को मिलने नहीं दिया जाना चाहिए।” इस कथन की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
“सामाजिक विभाजन राजनीति को प्रभावित करते हैं।” इस कथन की परख कीजिए।
अथवा
सामाजिक विभाजन राजनीति को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
राजनीति और सामाजिक विभाजन का संयोग बहुत खतरनाक एवं विस्फोटक होता है। प्रजातंत्र में कई राजनीतिक दल होते हैं जिनके बीच प्रतिद्वंद्विता का माहौल होता है। इस प्रतिद्वंद्विता के कारण कोई भी समाज विभाजित हो सकता है। सामाजिक विभाजन से राजनीतिक विभाजन उत्पन्न होता है जिससे संघर्ष, हिंसा और अन्ततः देश का विभाजन भी हो जाता है।

उदाहरण के लिए, उत्तरी आयरलैंड में कैथोलिक समुदाय का नेतृत्व कर रही नेशनलिस्ट पार्टी ने मांग की कि उत्तरी आयरलैंड को आयरलैंड गणराज्य के साथ मिला दिया जाए जबकि प्रोटेस्टेंट समुदाय इंग्लैण्ड की यूनियनिस्ट पार्टी के साथ रहा क्योंकि ब्रिटेन मुख्य रूप से प्रोटेस्टेंट देश है।

यूनियनिस्टों व नेशनलिस्टों के बीच चलने वाले हिंसक टकराव में ब्रिटेन के सुरक्षा बलों सहित सैकड़ों लोग व सेना के जवान मारे जा चुके हैं। लेकिन इस समस्या का समाधान 1998 ई. में ब्रिटेन की सरकार और नेशनलिस्टों के मध्य शांति समझौता द्वारा हुआ, जिसमें दोनों पक्षों ने हिंसक आन्दोलन बंद करने की बात स्वीकार की।

ऐसा ही यूगोस्लाविया में हुआ, वहाँ धार्मिक व जातीय विभाजन के आधार पर शुरू हुई राजनीतिक होड़ में यूगोस्लाविया कई टुकड़ों में बँट गया। इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि राजनीति और सामाजिक विभाजन का मेल नहीं होना चाहिए। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि सामाजिक विभाजन राजनीति को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 5.
“राजनीति में सामाजिक विभाजन की प्रत्येक अभिव्यक्ति फूट उत्पन्न नहीं करती।” इस कथन के समर्थन में तर्क दीजिएं।
उत्तर:
राजनीति में सामाजिक विभाजन की प्रत्येक अभिव्यक्ति फूट उत्पन्न नहीं करती, इस कथन के पक्ष में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत हैं

  1. विश्व में अधिकांश देशों में किसी-न-किसी प्रकार का सामाजिक विभाजन है एवं ऐसे विभाजन राजनीतिक आकार भी ग्रहण करते ही हैं।
  2. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के लिए सामाजिक विभाजनों की बात करना एवं विभिन्न समूहों से अलग-अलग वायदे करना एक स्वाभाविक बात है। विभिन्न समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व देने का प्रयास करना एवं विभिन्न समुदायों की उचित माँगों एवं जरूरतों को पूरा करने वाली नीतियाँ बनाना भी इसी कड़ी का एक भाग है।
  3. अधिकांश देशों में मतदान के स्वरूप व सामाजिक विभाजनों के मध्य एक प्रत्यक्ष संबंध दिखाई देता है। इसके तहत एक समुदाय के लोग आमतौर पर किसी एक दल को दूसरे के मुकाबले पसंद करते हैं एवं उसी को मत देते हैं।
  4. कई देशों में ऐसी पार्टियाँ हैं जो केवल एक ही समुदाय पर ध्यान देती हैं और उसी के हित में राजनीति करती हैं लेकिन इन सबकी परिणति देश के विभाजन के रूप में नहीं होती।

प्रश्न 6.
भारत में सामाजिक विभाजनों के राजनीतिक परिणाम पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सामाजिक विभेद लोकतांत्रिक राजनीति को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि किसी-किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था को सामाजिक विभेद इतना अधिक प्रभावित कर देते हैं कि वहाँ सामाजिक विभेदों पर ही राजनीति हावी हो जाती है। भारतीय समाज जाति, धर्म, भाषा आदि के आधार पर विभाजित है। इसके परिणामस्वरूप राजनेता विभिन्न जाति, धर्म एवं भाषा के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ कर वोट बैंक की राजनीति करते हैं। इससे पूरे देश को हानि पहुँचती है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अश्वेत शक्ति आन्दोलन क्या था? क्या मैक्सिको ओलंपिक में कार्लोस व स्मिथ द्वारा अमेरिकी समाज के आन्तरिक मामलों को अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उठाना उचित था? इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
अश्वेत शक्ति आन्दोलन-यह आन्दोलन संयुक्त राज्य अमेरिका में सन् 1966 में प्रारम्भ हुआ था तथा 1975 ई. तक चलता रहा। नस्लवाद को लेकर इस आन्दोलन का रवैया ज्यादा उग्र था। इस आन्दोलन के समर्थकों का मत था कि संयुक्त राज्य अमेरिका से नस्लवाद मिटाने के लिए हिंसा का सहारा लेने में भी कुछ गलत नहीं है। मैक्सिको ओलम्पिक की घटना-मैक्सिको ओलम्पिक का आयोजन, मैक्सिको में सन् 1968 ई. में हुआ था।

इस प्रतियोगिता में एफ्रो-अमेरिकी धावक टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस ने भाग लेकर क्रमशः स्वर्ण व रजत पदक जीता था। इन्होंने पुरस्कार ग्रहण करते समय जूते नहीं पहने थे सिर्फ मोजे पहनकर पुरस्कार ग्रहण कर यह जताने की कोशिश की कि अमेरिकी अश्वेत गरीब हैं। स्मिथ ने अपने गले में एक काला मफलर जैसा परिधान पहना था जो अश्वेत लोगों के आत्मगौरव का प्रतीक था।

कार्लोस ने मारे गये अश्वेत लोगों की याद में काले मनकों की माला पहनी थी। अपने इन प्रतीकों और तौर-तरीकों से उन्होंने अमरीका में होने वाले रंगभेद के प्रति अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने का प्रयास किया। क्या ऐसा करना उचित था। कथन के पक्ष में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत हैं कथन के पक्ष में तर्क-हाँ,

1. कार्लोस व स्मिथ का अमेरिका में एफ्रो:
अमेरिकन या अश्वेतों के साथ किये जा रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार के विरुद्ध आवाज उठाना न्यायोचित है। एफ्रो अमेरिकन (अश्वेत अमेरिकी), अफ्रीकी लोगों के वंशज हैं जिन्हें 17वीं सदी से लेकर 19वीं सदी की शुरुआत तक संयुक्त राज्य अमेरिका में गुलाम बनाकर लाया गया था।

  1. किसी भी रूप में अपने ही देश में भेदभावपूर्ण व्यवहार को सहना अन्याय है।
  2. अमेरिका अपने आपको विश्व का सबसे बड़ा लोकतन्त्र बताता है, वहीं लोकतांत्रिक व मानवीय मूल्यों का हनन हो रहा है। अतः सम्पूर्ण विश्व को इसकी जानकारी देना अनुचित नहीं था।
  3. मानवाधिकार किसी भी देश के आन्तरिक मामले से अधिक महत्त्वपूर्ण है। अत: मानवाधिकारों के हनन को अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उठाना किसी भी प्रकार से अनुचित नहीं है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

प्रश्न 2.
विभिन्नताओं में सामंजस्य एवं टकराव का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विभिन्नताओं में सामंजस्य व टकराव का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है

  1. सामाजिक विभाजन तब होता है, जब कुछ सामाजिक अन्तर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं।
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका में श्वेत और अश्वेत का अन्तर एक सामाजिक विभाजन बन जाता है क्योंकि अश्वेत सामान्यतया गरीब हैं, बेरोजगार तथा भेदभाव के शिकार हैं।
  3. हमारे देश में भी दलित आमतौर पर गरीब एवं भूमिहीन हैं। उन्हें भी अक्सर भेदभाव और अन्याय का सामना करना पड़ता है।
  4. जब एक तरह का सामाजिक अन्तर अन्य अन्तरों से अधिक महत्त्वपूर्ण बन जाता है एवं लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं तो इससे एक सामाजिक विभाजन की स्थित पैदा हो जाती है।
  5. विभिन्नताओं में टकराव के अन्तर्गत किसी एक मुद्दे पर लोगों के हित समान हो जाते हैं, परन्तु किन्हीं अन्य मुद्दों पर उनके नजरिए में अन्तर होता है।
  6. सामाजिक विभिन्नताओं में टकराव को आसानी से समायोजित किया जा सकता है।
  7. नीदरलैण्ड व उत्तरी आयरलैंड दोनों ही ईसाई देश हैं जो कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेंट गुटों में बँटे हुए हैं।
  8. नीदरलैंड में वर्ग और धर्म के मध्य ऐसा मेल दिखाई नहीं देता, वहाँ कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेंट दोनों वर्ग में अमीर व गरीब लोग हैं।
  9. उत्तरी आयरलैंड में वर्ग और धर्म एक-दूसरे से गुँथ जाते हैं अर्थात् एक कैथोलिक है तो सम्भव है, वह गरीब होगा।
  10. यदि एक-सी सामाजिक विभिन्नताएँ कई समूहों में मौजूद हैं तो फिर समूह के लोगों के लिए दूसरे समूह से अलग पहचान बनाना मुश्किल हो जाता है। इसका अभिप्राय यह है कि किसी एक मुद्दे पर कई समूहों के हित एक जैसे हो जाते हैं, जबकि एक-दूसरे मुद्दे पर उनके नजरिए में अन्तर हो सकता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संघात्मक शासन प्रणाली में अधिकारों का विभाजन होता है
(क) केन्द्र एवं राज्यों (इकाइयों) के बीच
(ख) एक राज्य एवं अन्य राज्यों के बीच
(ग) व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के बीच
(घ) व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका के बीच
उत्तर:
(क) केन्द्र एवं राज्यों (इकाइयों) के बीच

2. शासन की किस व्यवस्था में सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है?
(क) एकात्मक व्यवस्था
(ख) संघीय व्यवस्था
(ग) सामुदायिक व्यवस्था
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) संघीय व्यवस्था

3. संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार किसके पास होता है?
(क) न्यायालय
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) राष्ट्रपति
(घ) मुख्यमन्त्री
उत्तर:
(क) न्यायालय

4. निम्नलिखित में से कौन-सा विषय समवर्ती सूची में शामिल है?
(क) पुलिस
(ख) रक्षा
(ग) कृषि
(घ) शिक्षा
उत्तर:
(घ) शिक्षा

5. निम्नलिखित में किस राज्य को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत विशेष शक्तियाँ प्राप्त हैं?
(क) असम
(ख) नागालैण्ड
(ग). मिजोरम
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी

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6. निम्नलिखित में से कौन-सा संघीय राज्य नहीं है?
(क) दिल्ली
(ख) मणिपुर
(ग) राजस्थान
(घ) तेलंगाना
उत्तर:
(घ) तेलंगाना

7. निम्नलिखित में से किस राज्य का गठन भाषा के आधार पर नहीं हुआ है?
(क) नागालैण्ड
(ख) उत्तराखण्ड
(ग) झारखण्ड
(घ) ये सभी।
उत्तर:
(क) नागालैण्ड

8. भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में कितनी भाषाओं का समावेश है? .
(क) 20
(ख) 21
(ग) 22
(घ) 23
उत्तर:
(ग) 22

9. वास्तविक विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक नया कदम किस वर्ष उठाया गया?
(क) 1991 ई. में
(ख) 1992 ई. में
(ग) 1995 ई. में
(घ) 1998 ई. में
उत्तर:
(ख) 1992 ई. में

10. निम्न में से नगर निगम के अध्यक्ष को कहा जाता है?
(क) मेयर
(ख) सभापति
(ग) राज्यपाल
(घ) सरपंच
उत्तर:
(क) मेयर

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. बेल्जियम सरकार ने एकात्मक शासन प्रणाली के स्थान पर ………………… को अपनाया।
उत्तर:
संघीय शासन प्रणाली,

2. पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि, सिंचाई…………….के प्रमुख विषय है।
उत्तर:
राज्य सूची

3. …………………. और ………………. केन्द्रशासित प्रदेश हैं।
उत्तर:
चण्डीगढ़, लक्षद्वीप,

4. सन् 1947 से भारत में ……………. की स्थापना हुई।
उत्तर:
लोकतंत्र,

5. हमारे संविधान में हिन्दी के अतिरिक्त …………. अन्य भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है।
उत्तर:
21.

अतिलयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
संघवाद से क्या अभिप्राय है?
अथवा
संघवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
संघवाद शासन की वह प्रणाली है जिसमें सत्ता का विभाजन केन्द्रीय प्राधिकार और सरकार की अंगीभूत इकाइयों के मध्य होता है।

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प्रश्न 2.
बेल्जियम ने एकात्मक शासन प्रणाली के स्थान पर कौन-सी शासन प्रणाली को अपनाया है?
उत्तर:
बेल्जियम ने एकात्मक शासन प्रणाली के स्थान पर संघीय शासन प्रणाली को अपनाया है।

प्रश्न 3.
एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन के कितने स्तर होते हैं?
उत्तर:
एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन का एक स्तर होता है।

प्रश्न 4.
संघीय सरकार की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. यह सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है।
  2. विभिन्न स्तरों की सरकारों के अधिकार क्षेत्र संविधान में समान रूप से वर्णित होते हैं।

प्रश्न 5.
संघीय शासन व्यवस्था के कोई दो उद्हेश्य बताइए।
उत्तर:

  1. देश की एकता की सुरक्षा करना व बढ़ावा देना।
  2. क्षेत्रीय विविधताओं को पूर्ण सम्मान देना।

प्रश्न 6.
सम्पूर्ण भारतीय संघ का प्रतिनिधित्व कौन-सी सरकार करती है?
उत्तर:
सम्पूर्ण भारतीय संघ का प्रतिनिधित्व केन्द्र सरकार करती है।

प्रश्न 7.
संघ सूची के प्रमुख विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. प्रतिरक्षा,
  2. विदेशी मामले,
  3. बैंकिंग,
  4. संचार,
  5. मुद्रा।

प्रश्न 8.
राज्य सूची के प्रमुख विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. पुलिस,
  2. व्यापार,
  3. वाणिज्य,
  4. कृषि,
  5. सिचाई।

प्रश्न 9.
समवर्ती सूची के प्रमुख विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. शिक्षा,
  2. वन,
  3. मजदूर संघ,
  4. विवाह,
  5. गोद लेना,
  6. उत्तराधिकार,।

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प्रश्न 10.
केन्द्र-शासित प्रदेश के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
केन्द्र-शासित प्रदेश के उदाहरण-

  1. चण्डीगढ़,
  2. लक्षद्वीप।

प्रश्न 11.
संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में सरकार का कौन-सा अंग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है?
उत्तर:
संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में सरकार का न्यायपालिका अंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 12.
हमारे देश की लोकंतान्त्रिक राजनीति के लिए प्रथम और एक कठिन परीक्षा क्रौन-सी थी?
उत्तर:
भाषा के आधार पर प्रान्तों का गठन।

प्रश्न 13.
भारत ने लोकतन्त्र की राह पर अपनी जीवन यात्रा कब प्रारम्भ की?
उत्तर:
सन् 1947 ई. में, भारत ने लोकतन्त्र की राह पर अपनी जीवन यात्रा प्रारम्भ की।

प्रश्न 14.
भारतीय संविधान में कितनी भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है?
अथवा
भारतीय संविधान में कितनी भाषाओं को भारतीय संविधान की आठवी अनुसूची में रखा गया है ?
उत्तर:
भारतीय संविधानं में 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है।

प्रश्न 15.
भाषा के आधार पर दुनिया का सम्भवतः सबसे अधिक विविधता वाला देश कौन-सा है?
उत्तर:
भाषा के आधार पर दुनिया का सम्भवत: सबसे अधिक विविधता वाला देश भारत है।

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प्रश्न 16.
सत्ता का विकेन्द्रीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब केन्द्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं तो इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं।

प्रश्न 17.
भारत में तीसरे स्तर की सरकार को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
भारत में तीसरे स्तर की सरकार को स्थानीय सरकार के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 18.
ग्रामीण स्थानीय सरकार को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
पंचायती राज।

प्रश्न 19.
ग्राम पंचायत के अध्यक्ष को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत के अध्यक्ष को प्रधान या सरपंच के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 20.
पंचायत समिति का गठन कैसे होता है?
उत्तर:
कई ग्राम पंचायतों से मिलकर पंचायत समिति का गठन होता है।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
“केन्द्र व राज्य सरकारों के मध्य सत्ता का यह बँटवारा हमारे संविधान की बुनियादी बात है।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारतीय संविधान में केन्द्र व राज्य सरकारों के बीच सत्ता के बँटवारे में किस प्रकार परिवर्तन किया जा सकता है?
अथवा
केन्द्र तथा राज्य सरकार के बीच सत्ता के बँटवारे में कैसे परिवर्तन लाया जा सकता है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में भारत को राज्यों का संघ घोषित किया है। भारतीय संघ का गठन संघीय शासन व्यवस्था के सिद्धान्त पर हुआ है। संघीय सरकार के अन्तर्गत मौलिक प्रावधानों को सरकार के एक स्तर द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता। अकेले संसद संविधान की मौलिक व्यवस्था में परिवर्तन नहीं कर सकती। ऐसे किसी परिवर्तन को पहले संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से मंजूर किया जाना होता है। फिर कम-से-कम आधे राज्यों की विधानसभाओं से सहमति लेनी होती है।

प्रश्न 2.
संघ सूची एवं राज्य सूची में अन्तर बताइये।
उत्तर:
संघ सूची एवं राज्य सूची में निम्नलिखित अन्तर

संघ सूची राज्य सूची
1. संघ सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ केन्द्र सरकार को होता है। राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकारों को होता है।
2. संघ सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार एवं मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के विषय सम्मिलित होते हैं। राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि एवं सिचाई जैसे प्रान्तीय एवं स्थानीय महत्त्व के विषय सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 3.
भाषायी राज्यों का गठन क्यों हुआ? इनके लाभ बताइए।
उत्तर:
भारत में भाषायी राज्यों का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि एक भाषा बोलने वाले लोग एक राज्य में आ जाएँ। भाषायी राज्यों से लाभ:

  1. भाषावार राज्य बनाने से देश अधिक एकीकृत एवं मजबूत हुआ है
  2. इससे प्रशासन भी पहले की अपेक्षा कहीं अधिक सुविधाजनक हो गया है।

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प्रश्न 4.
भारत सरकार की भाषा नीति को संक्षेप में बताइए।
अथवा
भारत की भाषा नीति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. हमारे संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। हिन्दी को राजभाषा माना गया है पर अन्य भाषाओं के संरक्षण के उपाय भी किये गये हैं।
  2. भाषा नीति के अन्तर्गत संविधान में 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है। इन्हें संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज किया गया है।
  3. केन्द्र सरकार के किसी पद का उम्मीदवार संविधान की 8वीं अनुसूची में दर्ज किसी भी भाषा में परीक्षा दे सकता है बशर्ते उम्मीदवार इसको विकल्प के रूप में चुने।
  4. राज्यों की भी अपनी राजभाषाएँ हैं। राज्यों का अधिकांश कार्य राजभाषा में ही होता है।

प्रश्न 6.
सत्ता के विकेन्द्रीकरण के कोई दो लाभ बताइए।
उत्तर:
सत्ता के विकेन्द्रीकरण के दो लाभ निम्नलिखित हैं

  1. स्थानीय सरकारों को संवैधानिक दर्जा दिए जाने से लोकतन्त्र की जड़ें और मजबूत हुई हैं।
  2. अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा पिछड़ी जातियों के लिए स्थानीय निकायों में सदस्य एवं पदाधिकारी पदों के आरक्षण से वंचित लोगों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त हुआ है।

प्रश्न 7.
पंचायती राज क्या है? इसका महत्व बताइए।
उत्तर:
ग्राम स्तर पर मौजूद स्थानीय शासन व्यवस्था को पंचायती राज के नाम से जाना जाता है। महत्व:

  1. पंचायती राज लोगों को प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर निर्णय लेने में सहायता करता है।
  2. यह सत्ता के विकेन्द्रीकरण में सहायता करता है।
  3. यह केन्द्रीय सरकार के काम के दबाव को कम करने में सहायता करता है।

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प्रश्न 8.
पंचायती राज का उच्चतम स्तर कौन-सा होता है? इसके गठन के बारे में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
पंचायती राज्य का उच्चतम स्तर जिला परिषद् होता है। किसी जिले की समस्त पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद् का गठन होता है। जिला परिषद् के अधिकांश सदस्यों का चुनाव होता है। निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त जिले के लोकसभा सदस्य एवं जिला स्तर की संस्थाओं के कुछ अधिकारी भी जिला परिषद् के सदस्य होते हैं। जिला परिषद् का प्रमुख, परिषद् का प्रधान होता है। जिला परिषद् जिले की सम्पूर्ण पंचायत समितियों की गतिविधियों में तालमेल बैठाकर सम्पूर्ण जिले के विकास को अग्रसर करती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
संघवाद ने जातीय समस्या को सुलझाने में बेल्जियम की सहायता किस प्रकार की?
अथवा
संघीय शासन प्रणाली बेल्जियम के लिए किस प्रकार लाभदायक रही है?
उत्तर:
बेल्जियम यूरोप महाद्वीप का एक देश है। सन् 1993 ई. से पहले बेल्जियम में अधिकांश शक्तियाँ केन्द्र सरकार के हाथों में थीं। प्रान्तीय सरकारों को नाममात्र के अधिकार प्राप्त थे, पर ये अधिकार उमको केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए थे और इन्हें केन्द्र सरकार वापस भी ले सकती थी अर्थात् बेल्जियम में एकात्मक सरकार थी।

1993 ई. में संविधान संशोधन करने के पश्चात् बेल्जियम में प्रान्तीय सरकारों को कुछ संवैधानिक अधिकार प्रदान किये गये। इन अधिकारों के लिए प्रान्तीय सरकारें अब केन्द्र पर निर्भर नहीं रहीं। इस प्रकार बेल्जियम ने एकात्मक शासन के स्थान पर संघीय शासन प्रणाली को अपनाया जिससे जातीय समस्या के समाधान में सहायता प्राप्त हुई।

प्रश्न 2.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के मध्य सत्ता का बँटवारा प्रत्येक संघीय सरकार में भिन्न क्यों होता है? दो उदाहरण देकर समझाइए।
अथवा
संघीय शासन व्यवस्था के गठन के तरीकों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
अथवा
केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों के बीच सही सन्तुलन एक संघीय व्यवस्था का दूसरी संघीय व्यवस्था से भिन्न क्यों होता है? दो तर्क देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के मध्य सत्ता का बँटवारा मुख्य रूप से ऐतिहासिक सन्दर्भो पर निर्भर करता है जिन पर संघ की स्थापना हुई है। संघीय शासन व्यवस्था आमतौर पर दो तरीकों से गठित होती है
1. साथ आकर संघ बनाना:
इसके अन्तर्गत दो या अधिक स्वतन्त्र राष्ट्रों को साथ लाकर एक बड़ी इकाई का गठन किया जाता है तथा सभी स्वतन्त्र राष्ट्र अपनी सम्प्रभुता को साथ रखते हैं, अपनी अलग-अलग पहचान को भी बनाए रखते हैं। साथ आकर संघ बनाने के प्रमुख उदाहरण-संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया आदि हैं।

2. साथ लेकर चलने वाला संघ:
इसके अन्तर्गत एक बड़े देश द्वारा अपनी आन्तरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए राज्यों का गठन किया जाता है तथा फिर राज्य और राष्ट्रीय सरकार के बीच सत्ता का बँटवारा कर दिया जाता है। इसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार अधिक शक्तिशाली होती है। भारत, बेल्जियम और जापान इस प्रकार की संघीय शासन व्यवस्था के उदाहरण हैं।

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प्रश्न 3.
संघवाद क्या है? भारत में संघवाद का स्वरूप कैसा है? बताइए।
उत्तर:
संघवाद का आशय-संघवाद शासन की वह प्रणाली है जिसमें सत्ता का विभाजन केन्द्रीय प्राधिकार और सरकार की अंगीभूत इकाइयों के मध्य होता है। भारत में संघवाद का स्वरूप

  1. राज्यों का संघ-भारत में अपनी आन्तरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए विभिन्न राज्यों के संघ का गठन किया गया है।
  2. त्रिस्तरीय शासन व्यवस्था- भारतीय संविधान में मूल रूप से दो स्तर की शासन व्यवस्था का प्रावधान किया गया है
    • (अ) संघ या केन्द्र सरकार और
    • (ब) राज्य सरकारें। बाद में स्थानीय शासन की संस्थाओं को तीसरे स्तर के रूप में संविधान में मान्यता दी गई। किसी भी देश की तरह यहाँ भी तीनों स्तरों की शासन व्यवस्थाओं के अलग-अलग अधिकार क्षेत्र हैं।
  3. शक्तियों का विभाजन-भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से केन्द्र और राज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को तीन सूचियों के द्वारा विभाजित किया गया है
    • (अ) संघ सूची,
    • (ब) राज्य सूची,
    • (स) समवर्ती सूची।
  4. न्यायपालिका की सर्वोच्चता-भारतीय संघीय व्यवस्था में न्यायपालिका स्वतन्त्र व सर्वोच्च है। शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने पर उसका फैसला सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है।
  5. समस्त राज्यों को बराबर के अधिकार प्राप्त नहीं-भारतीय संविधान में सभी राज्यों को समान अधिकार नहीं दिये गये हैं, जैसे-असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश व मिजोरम को अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार दिये गये हैं।

प्रश्न 4.
भारतीय संविधान में केन्द्र और सज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को कितने भागों में बाँटा गया है? विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान में केन्द्र और राज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को तीन भागों में बाँटा गया है

  1. संघ सूची,
  2. राज्य सूची,
  3. समवर्ती सूची।

1. संघ सूची:
संघ सूची में राष्ट्रीय महत्व के विषयों को रखा गया है। इसमें वर्णित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल केन्द्र सरकार को है। इस सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार व मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय सम्मिलित हैं। सम्पूर्ण देश के लिए इन मामलों में एक तरह की नीतियों की जरूरत होने के कारण इन विषयों को संघ सूची में रखा गया है।

2. राज्य सूची:
राज्य सूची में प्रान्तीय व स्थानीय महत्व के विषयों को रखा गया है। इस सूची में वर्णित विषयों के बारे में कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य सरकारों को है। राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि एवं सिंचाई जैसे प्रान्तीय व स्थानीय महत्व के विषय सम्मिलित हैं।

3. समवर्ती सूची:
समवर्ती सूची में वे विषय सम्मिलित हैं जो केन्द्र के साथ राज्य सरकारों को भी कानून बनाने का अधिकार प्रदान करते हैं। लेकिन जब दोनों (केन्द्र एवं राज्य) के कानूनों में टकराव हो तो केन्द्र सरकार द्वारा निर्मित कानून ही मान्य होता है। समवर्ती सूची में शिक्षा, वन, मजदूर संघ, विवाह, गोद लेना एवं उत्तराधिकार जैसे विषय सम्मिलित हैं। जो विषय इनमें से किसी भी सूची में नहीं आते हैं, उन पर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है।.

प्रश्न 6.
भारत में संविधान संशोधन करके भारतीय लोकतन्त्र के स्वशासी निकायों को अधिक शक्तिशाली तथा प्रभावी बनाने हेतु क्या कदम उठाए गये?
अथवा
लोकतांत्रिक व्यवस्था के तीसरे स्तर को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा 1992 में उठाए गए किन्हीं तीन कदमों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
तीसरे प्रकार की शासन व्यवस्था को अधिक प्रभावी और शक्तिशाली बनाने लिए 1992 में भारतीय संविधान’ में किए गए संशोधनों के किन्हीं तीन प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विकेन्द्रीकरण की दिशा में 1992 में क्या कदम लिया गया था?
उत्तर:
भारत में 1992 ई. में संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा भारतीय लोकतंत्र के स्थानीय स्वशासी निकायों को अधिक शक्तिशाली एवं प्रभावी बनाने हेतु निम्नलिखित कदम उठाए गये

  1. अब स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव 5 वर्ष में लिखित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता है।
  2. अब इन निकायों के सदस्यों एवं पदाधिकारियों के निर्वाचन में अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं पिछड़ी जातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं।
  3. कम से कम एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
  4. प्रत्येक राज्य में इन निकायों के चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग’ नामक स्वतन्त्र संस्था का गठन किया गया है।
  5. राज्य सरकारों को अपने राजस्व और अधिकारों का कुछ हिस्सा इन निकायों को देना पड़ता है। सत्ता में भागीदारी की प्रकृति प्रत्येक राज्य में अलग-अलग है।

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प्रश्न 5.
सत्ता के विकेन्द्रीकरण से क्या अभिप्राय है? विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच क्या है?
अथवा
भारत में विकेन्द्रीकरण लागू करने के औचित्य का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में राजनीतिक सत्ता के विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब केन्द्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं तो इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं। भारत में संघीय सत्ता की साझेदारी तीन स्तरों पर की गई है:

  1. केन्द्रीय स्तर,
  2. राज्य स्तर,
  3. स्थानीय स्तर।

सत्ता के विकेन्द्रीकरण में प्रथम दो स्तरों केन्द्रीय स्तर व राज्य स्तर से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को प्रदान की जाती हैं। भारत में स्थानीय सरकारों को सन् 1992 में संविधान संशोधन के माध्यम से अधिक शक्तिशाली बनाया गया है। प्रत्येक राज्य में इन संस्थाओं के चुनाव हेतु चुनाव आयोग की व्यवस्था की गयी है। विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच

1. विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच यह है कि अनेक मुद्दों एवं समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर ही अच्छे तरीके से हो सकता है। लोगों को अपने क्षेत्रों की समस्याओं की अच्छी समझ होती है। लोगों को इस बात की भी जानकारी होती है कि पैसा कहाँ खर्च किया जाए और चीजों का अधिक कुशलता से उपयोग किस तरह किया जा सकता है।

2. स्थानीय स्तर पर लोगों का नीतिगत फैसलों में सीधे भागीदार बनना भी सम्भव हो जाता है, इससे लोकतान्त्रिक भागीदारी की आदत पड़ती है। स्थानीय सरकारों की स्थापना स्वशासन के लोकतान्त्रिक सिद्धान्त को वास्तविक बनाने का सबसे अच्छा तरीका है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
संघवाद क्या है? संघवाद की मुख्य विशेषताओं को लिखिए।
अथवा
संघीय व्यवस्था की महत्वपूर्ण विशेषताओं को रेखांकित कीजिए।
अथवा
संविधान की संघीय व्यवस्था क्या है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
‘संघीय शासन’ की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत किस प्रकार की संघीय व्यवस्था के अन्तर्गत आता है? इस प्रकार की संघीय व्यवस्था की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संघीय शासन व्यवस्था/संघवाद-संघवाद सरकार की एक व्यवस्था है जिसमें सर्वोच्च सत्ता केन्द्रीय प्राधिकरण एवं उसकी विभिन्न अनुषांगिक इकाइयों के बीच बँट जाती है। आमतौर पर संघीय व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती हैं। इसमें एक सरकार सम्पूर्ण देश के लिए होती है जिसके जिम्मे राष्ट्रीय महत्व के विषय होते हैं फिर राज्य या प्रान्तों के स्तर की सरकारें होती हैं जो शासन के दैनिक काम-काज को देखती हैं।

सत्ता के इन दोनों स्तरों की सरकारें अपने-अपने स्तर पर स्वतन्त्र होकर अपना कार्य करती हैं। उदाहरणार्थ-भारत। संघीय शासन व्यवस्था/संघवाद की विशेषताएँ-प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. सरकार के दो या अधिक स्तर:
संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च सत्ता केन्द्रीय प्राधिकरण और उसकी विभिन्न अनुषांगिक इकाइयों के मध्य बँट जाती है। सामान्यतः संघीय शासन व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती हैं। एक सरकार सम्पूर्ण देश के लिए होती है एवं दूसरी सरकार राज्य स्तर की होती है। भारत में सरकार का तीसरा स्तर स्थानीय स्वशासन भी है।

2. एक नागरिक समूह, अलग-अलग अधिकार:
संघीय शासन व्यवस्था में अलग-अलग स्तर की सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती हैं, पर कानून बनाने, कर वसूलने एवं प्रशासन का उनका अपना-अपना अधिकार क्षेत्र होता है।

3. सुदृढ़ संविधान:
संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार स्वयं अकेले नहीं बदल सकती। ऐसे बदलाव दोनों स्तर की सरकारों-केन्द्र व राज्य की सहमति से ही हो सकते हैं।

4. संविधान की सर्वोच्चता:
संविधान में सरकार के विभिन्न स्तरों के अधिकार क्षेत्र स्पष्ट रूप से वर्णित होते हैं इसलिए संविधान सरकार के प्रत्येक स्तर के अस्तित्व एवं प्राधिकार की गारण्टी एवं सुरक्षा देता है।

5. दोहरे उद्देश्य:
संघीय शासन व्यवस्था के दोहरे उद्देश्य हैं-देश की एकता की सुरक्षा करना एवं उसे बढ़ावा देना। इसके साथ ही क्षेत्रीय विभिन्नताओं का पूर्ण सम्मान करना।

6. न्यायालयों के सर्वोच्च अधिकार:
न्यायालयों को संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार है। विभिन्न स्तर की सरकारों के मध्य अधिकारों के विवाद की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय निर्णायक की भूमिका निभाता है।

7. वित्तीय स्वायत्तता:
संघीय शासन व्यवस्था में वित्तीय स्वायत्तता निश्चित करने के लिए विभिन्न स्तर की सरकारों के लिए राजस्व के भिन्न-भिन्न स्रोत निर्धारित हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

प्रश्न 2.
‘भारत एक संघीय देश है। उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
1. भारत एक संघीय देश है।’ इसका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है

  1. सत्ता का विभाजन:
    भारतीय संविधान स्पष्ट रूप से केन्द्र व राज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को तीन सूचियों में बाँटता है। ये तीन सूचियाँ निम्नलिखित हैं
  2. संघ सूची:
    संघ सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार और मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय हैं। पूरे देश के लिए इन मामलों में एक तरह की नीतियों की जरूरत है। इसी कारण इन विषयों को संघ सूची में डाला गया है। संघ सूची में वर्णित विषयों के बारे में कानून बनाने का अधिकार केवल केन्द्र सरकार को है।
  3. राज्य सूची:
    राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि और सिंचाई जैसे प्रान्तीय और स्थानीय महत्व के विषय हैं। राज्य सूची में वर्णित विषयों के बारे में सिर्फ राज्य सरकार ही कानून बना सकती है।
  4. समवर्ती सूची:
    समवर्ती सूची में शिक्षा, वन, मजदूर संघ, विवाह, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे विषय हैं, जो केन्द्र के साथ राज्य सरकारों की साझी दिलचस्पी में आते हैं।

2. त्रिस्तरीय व्यवस्था:
भारतीय संविधान में तीन स्तर की शासन व्यवस्थाओं का उल्लेख किया गया है:

  1. संघ सरकार, जिसे हम केन्द्र सरकार के नाम से जानते हैं।
  2. राज्य सरकारें।
  3. स्थानीय सरकारें।

किसी भी संघीय व्यवस्था की तरह हमारे देश में भी तीनों स्तरों की शासन व्यवस्थाओं के अपने अलग-अलग अधिकार क्षेत्र हैं।

3. सभी प्रशासनिक इकाइयों को समान अधिकार नहीं:
सबको साथ लेकर चलने की नीति मानकर बनी अधिकांश बड़ी संघीय व्यवस्थाओं में साथी इकाइयों को बराबर के अधिकार नहीं मिलते। भारतीय संघ के सभी राज्यों को भी बराबर-बराबर के अधिकार नहीं मिले हैं। असम, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम जैसे कुछ राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है।

4. सरकार के दोनों स्तरों की सहमति:
संघीय सरकार के अन्तर्गत संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल सकती और यह भारत के लिए भी सही है। अकेली संसद इस व्यवस्था में बदलाव नहीं कर सकती।

5. न्यायालय का क्षेत्र अधिकार:
संघीय शासन व्यवस्था में संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में न्यायपालिका महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने की हालत में फैसला उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है।

6. आय के विभिन्न साधन:
सरकार के संचालन एवं अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करने के लिए आवश्यक राजस्व की उगाही के सम्बन्ध में केन्द्र व राज्य सरकारों को विभिन्न प्रकार के कर लगाने एवं संसाधन जमा करने के अधिकार प्राप्त हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद

प्रश्न 3.
स्थानीय शासन व्यवस्था के विभिन्न स्तर कौन-कौन से हैं? इसके गठन की प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
पंचायती राज व्यवस्था की व्याख्या कीजिए। शहरों की स्थानीय शासन व्यवस्था का भी संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
स्थानीय शासन व्यवस्था गाँवों एवं शहरों दोनों पर स्थापित है। गाँवों में इसे पंचायती राज के नाम से जाना जाता है। शहरों में नगरपालिका, नगर परिषद एवं नगर निगम जैसी संस्थाओं द्वारा इनका नेतृत्व किया जाता हैं।
1. ग्राम स्तर पर:
प्रत्येक गाँव या ग्राम समूह के लिए एक ग्राम पंचायत का प्रावधान किया गया है। यह एक तरह की परिषद् होती है जिसके कई सदस्य एवं एक अध्यक्ष होता है। सदस्य वार्डों से चुने जाते हैं तथा उन्हें सामान्यतया पंच कहा जाता है। इसके अध्यक्ष को सरपंच या प्रधान कहा जाता है। इसका चुनाव गाँव या वार्ड में रहने वाले सभी वयस्क लोग मतदान के माध्यम से करते हैं।

2. खण्ड स्तर पर:
कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर पंचायत समिति का गठन होता है। इसे मण्डल या प्रखण्ड स्तरीय पंचायत भी कहा जाता है। इसके सदस्यों का चुनाव सम्बन्धित क्षेत्र के सभी पंचायत सदस्य करते हैं।

3. जिला स्तर पर:
किसी जिले की समस्त पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद् का गठन होता है। यह पंचायती राज की सर्वोच्च संस्था है। जिला परिषद् के अधिकांश सदस्यों का चुनाव होता है। जिला परिषद् के उस जिले से लोकसभा व राज्यसभा के लिए चुने गये सांसद, विधायक तथा जिला स्तर की संस्थाओं के कुछ अधिकारी भी इसके सदस्य होते हैं।

4. शहरी स्तर पर:
स्थानीय स्वायत्त संस्थाएँ शहरों में भी कार्य करती हैं। शहरों में जनसंख्या के आधार पर नगरपालिका, नगरपरिषद् एवं नगरनिगम का गठन किया गया है। इन संस्थाओं का काम-काज निर्वाचित प्रतिनिधि करते हैं। नगरपालिका के अध्यक्ष को नगरपालिका अध्यक्ष, नगर परिषद् में सभापति एवं नगर निगम में इन्हें मेयर (महापौर) कहा जाता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. बेल्जियम निम्न में से किस महाद्वीप का देश है?
(क) यूरोप
(ख) उत्तरी अमेरिका
(ग) एशिया
(घ) ऑस्ट्रेलिया
उत्तर:
(क) यूरोप

2. निम्न में से किस देश ने 1970 से 1993 ई. के मध्य अपने संविधान में चार संशोधन किये?
(क), भारत
(ख) श्रीलंका
(ग) बेल्जियम
(घ) चीन
उत्तर:
(ग) बेल्जियम

3. श्रीलंका का सबसे प्रमुख सामाजिक समूह है
(क) तमिलों का
(ख) सिंहलियों का
(ग) डचों का
(घ) हिन्दुस्तानी तमिलों का
उत्तर:
(ख) सिंहलियों का

4. श्रीलंका कब स्वतन्त्र राष्ट्र बना?
(क) 1948 ई. में
(ख) 1949 ई. में
(ग) 1956 ई. में
(घ) 1961 ई. में
उत्तर:
(क) 1948 ई. में

5. किस देश में दो समुदायों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने बड़े टकराव का रूप ले लिया?
(क) श्रीलंका में
(ख) बेल्जियम में
(ग) ब्रिटेन में
(घ) भारत में
उत्तर:
(क) श्रीलंका में

6. श्रीलंका के जातीय समूह में निम्न में से कौन-से प्रमुख हैं
(क) ईसाई व तमिल
(ख) बौद्ध व हिन्दू
(ग) सिंहली व तमिल
(घ) सिंहली व ईसाई
उत्तर:
(ग) सिंहली व तमिल

7. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ नियन्त्रण और सन्तुलन बनाए रखती हैं। क्षैतिज सत्ता की साझेदारी के आधार पर सही विकल्प की पहचान कीजिए।
(क) केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय
(ख) विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका
(ग) विभिन्न सामाजिक समूहों के मध्य
(घ) विभिन्न दबाव समूहों के मध्य
उत्तर:
(क) केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. सन् ……………… में श्रीलंका एक स्वतंत्र राष्ट्र बना।
उत्तर:
1948 ई.

2. बेल्जियम की राजधानी …………….. है।
उत्तर:
ब्रूसेल्स

3. ……………….. श्रीलंका का सबसे प्रमुख सामाजिक समूह है।
उत्तर:
सिंहली,

4. ….. ………. भारत का पड़ोसी द्वीपीय देश है।
उत्तर:
श्रीलंका,

5. … में दो समुदायों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने बड़े टकराव का रूप ले लिया।
उत्तर:
श्रीलंका।

अतिलयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बेल्जियम की राजधानी का नाम बताओ।
उत्तर:
बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स है।

प्रश्न 2.
बेल्जियम में कौन-सी भाषा बोलने वाले लोग समृद्ध व ताकतवर रहे हैं?
उत्तर:
बेल्जियम में फ्रेंचभाषी लोग अधिक समृद्ध व ताकतवर रहे हैं।

प्रश्न 3.
1950 और 1960 के दशकों के बीच बूसेल्स में दो समुदायों के बीच प्रखर समस्या क्या थी?
उत्तर:
भाषाई विविधता।

प्रश्न 4.
भारत का पड़ोसी द्वीपीय देश कौन-सा है?
उत्तर:
श्रीलंका भारत का पड़ोसी द्वीपीय देश है।

प्रश्न 5.
श्रीलंका में सबसे प्रमुख सामाजिक समूह किसका है?
उत्तर:
श्रीलंका में सिहलियों का सबसे प्रमुख सामाजिक समूह है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 6.
श्रीलंका की कुल जनसंख्या में सिहलियों का प्रतिशत कितना है?
उत्तर:
श्रीलंका की कुल जनसंख्या में सिहलियों का 74 प्रतिशत है।

प्रश्न 7.
बहुसंख्यकवाद कायम करने के लिए श्रीलंका सरकार द्वारा उठाये गये एक कदम का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
श्रीलंका सरकार ने 1956 ई. में एक कानून बनाया जिसके तहत सिहली को एकमात्र राजभाषा घोषित किया गया।

प्रश्न 8.
उस देश का नाम लिखिए, जहाँ 1956 के बाद जातीय संघर्ष ने हिंसा और विद्रोह का रूप ले लिया।
उत्तर:
श्रीलंका।

प्रश्न 9.
श्रीलंका के नये संविधान में क्या प्रावधान किया गया?
उत्तर:
श्रीलंका के नये संविधान में प्रावधान किया गया है कि देश की सरकार बौद्ध मत को संरक्षण व बढ़ावा देगी।

प्रश्न 10.
सिंहली और तमिल समुदायों के सम्बन्ध क्यों बिगड़ते चले गये?
उत्तर:
तमिलों को लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही है।

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प्रश्न 11.
बेल्जियम की सामुदायिक सरकार और श्रीलंका की बहुसंख्यकवादी सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बेल्जियम की सामुदायिक सरकार का चयन एक ही भाषा (डच, फ्रेंच व जर्मन) बोलने वाले लोग करते हैं जबकि श्रीलंका की बहुसंख्यकवादी सरकार में एक (सिंहली) समुदाय का ही प्रभुत्व रहता है।

प्रश्न 12.
लोकतन्त्र का बुनियादी सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
लोकतन्त्र का बुनियादी सिद्धान्त यह है कि जनता ही समस्त राजनीतिक शक्तियों का स्तोत्त है। इसमें लोग स्वशासन की संस्थाओं के माध्यम से शासन चलाते हैं।

प्रश्न 13.
लोकतन्त्र में सत्ता की साझेदारी क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी संघर्ष की सम्भावनाओं को कम करती है तथा प्रजातान्त्रिक भावनाओं के अनुकूल है।

प्रश्न 14.
सत्ता का क्षैतिज वितरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
सरकार के विभिन्न अंगों; जैसे-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता के बँटवारे को सत्ता का क्षैतिज वितरण कहते हैं।

प्रश्न 15.
सरकार के विभिन्न अंगों के मध्य सत्ता की साझेदारी को सत्ता का क्षैतिज वितरण क्यों कहते हैं?
उत्तर:
क्योंकि इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 16.
नियन्त्रण और सन्तुलन की व्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह व्यवस्था जिसमें सरकार का प्रत्येक अंग एक-दूसरे को नियन्त्रित करता है जिससे सत्ता का सन्तुलन स्थापित बना रहता है।

प्रश्न 17.
सत्ता का ऊध्ध्वाधर वितरण क्या है?
उत्तर:
उच्चतर एवं निम्नतर स्तर की सरकारों के मध्य सत्ता का विभाजन सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण कहलाता है।

प्रश्न 18.
किस देश की सामुदायिक सरकार सत्ता के बँटवारे का एक अच्छा उदाहरण है?
उत्तर:
बेल्जियम की सामुदायिक सरकार सत्ता के बैंटवारे का एक अच्छा उदाहरण है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
बेल्जियम की जातीय बुनावट कैसी है?
उत्तर:
बेल्जियम की जातीय बुनावट बहुत जटिल है। देश की कुल आबादी का 59 प्रतिशत हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है तथा डच भाषी है। 40 प्रतिशत लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते हैं तथा फ्रेंच भाषी हैं। शेष 1 प्रतिशत लोग जर्मन बोलते हैं। राजधानी ब्रूसेल्स के 80 प्रतिशत लोग फ्रेंच बोलते हैं तथा 20 प्रतिशत लोग डच भाषा बोलते हैं।

प्रश्न 2.
श्रीलंका की जातीय बुनावट का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
श्रीलंका में अनेक जातीय समूहों के लोग हैं। सबसे प्रमुख सामाजिक समूह सिंहलियों का है जिनकी आबादी कुल जनसंख्या की 74 प्रतिशत है। दूसरा स्थान तमिलों का है जिनकी आबादी कुल जनसंख्या की 18 प्रतिशत है। 7 प्रतिशत ईसाई लोग भी श्रीलंका में रहते हैं। शेष 1 प्रतिशत अन्य समुदायों के लोग श्रीलंका में निवास करते हैं।

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प्रश्न 3.
श्रीलंका में तमिलों के दो समूह कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
श्रीलंका में तमिलों के दो समूह-श्रीलंका मूल के तमिल व हिन्दुस्तानी तमिल हैं।

  1. श्रीलंका मूल के तमिल: श्रीलंका के तमिल निवासियों को श्रीलंका मूल के तमिल कहते हैं। यहाँ की कुल जनसंख्या में इनका प्रतिशत 13 है।
  2. हिन्दुस्तानी तमिल: औपनिवेशिक शासनकाल में बागानों में काम करने के लिए भारत से लाये गये तमिल लोगों की सन्तानों को हिन्दुस्तानी तमिल कहा जाता है। यहाँ इनका प्रतिशत 5 है।

प्रश्न 4.
बहुसंख्यकवाद से क्या तात्पर्य है? उस देश का नाम बताइये जहाँ बहुसंख्यकवाद है।
अथवा
बहुसंख्यकवाद से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
बहुसंख्यकवाद-यह एक प्रकार का मत है कि बहुसंख्यक समुदाय, जिस प्रकार चाहे देश में शासन कर सकता है। बहुसंख्यक सामान्यतः अल्पसंख्यकों की इच्छाओं और आवश्यकताओं की अवहेलना करते हैं। श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद की स्थिति देखने को मिलती है, जहाँ सिंहलियों का वर्चस्व है।

प्रश्न 5.
श्रीलंकाई तमिलों ने किन प्रमुख माँगों को लेकर आन्दोलन किया?
उत्तर:
श्रीलंकाई तमिलों की कई माँगें थीं, जिनमें राजनीतिक, धार्मिक, भाषायी, सामाजिक एवं आर्थिक आदि सभी माँगें सम्मिलित थीं। श्रीलंका में सिंहली भाषा को प्रोत्साहन दिया जा रहा था। तमिलों ने तमिल को भी राजभाषा बनाने की माँग की। उन्होंने क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा व रोजगार में समान अवसरों की मांग को लेकर भी संघर्ष किया।

प्रश्न 6.
“श्रीलंका में दो समुदायों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने एक बड़े टकराव का रूप ले लिया।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
श्रीलंका में सिंहली एवं तमिल लोगों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने एक बड़े टकराव का रूप ले लिया। यह टकराव गृहयुद्ध में परिणित हो गया, परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के हजारों लोग मारे गये। अनेक परिवार अपने देश से भाग कर शरणार्थी बन गए। अनेक लोगों का व्यवसाय चौपट हो गया। इस गृहयुद्ध ने श्रीलंका के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन में अनेक परेशानियाँ उत्पन्न की हैं।

प्रश्न 7.
सत्ता की साझेदारी क्या है? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी एक नीति है जिसके अन्तर्गत देश के शासन में समाज के सभी प्रमुख समूहों को सत्ता का एक स्थायी भाग प्रदान किया जाता है। जातीय एवं सांस्कृतिक विभिन्नताओं के कारण विभाजित समाज में झगड़े सुलझाने का यह एक सामर्थ्यवान हथियार है। इसमें राजनीतिक आयोजन की व्यापक रूप से व्यवस्था होती है, जिसमें समाज के प्रमुख तत्वों को शासन में उचित स्थान व सम्मान प्रदान किया जाता है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 8.
सत्ता की साझेदारी के पक्ष में कोई तीन तर्क दीजिए।
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी के पक्ष में तीन तर्क निम्नलिखित हैं

  1. सत्ता की साझेदारी से विभिन्न सामाजिक समूहों के मध्य टकराव की सम्भावना कम हो जाती है।
  2. सामाजिक टकराव आगे बढ़कर सामान्यतया हिंसा व राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है। इसलिए सत्ता में साझेदारी राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छी है।
  3. सत्ता की साझेदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
बेल्जियम व श्रीलंका की स्थितियाँ भिन्न कैसे हैं?
उत्तर:
बेल्जियम के समाज की जातीय बुनावट बहुत जटिल है। यहाँ बहुसंख्यक अर्थात् 59 प्रतिशत लोग डच भाषा बोलते हैं, 40 प्रतिशत लोग फ्रेंच बोलते हैं जो अल्पसंख्यक हैं। 1 प्रतिशत लोग जर्मन बोलते हैं। यहाँ फ्रेंच बोलने वाले अल्पसंख्यक लोग तुलनात्मक रूप से धनी व शक्तिशाली हैं, जबकि डच बोलने वाले लोग बहुसंख्यक होने के बावजूद गरीब हैं। बहुत बाद में जाकर आर्थिक विकास एवं शिक्षा का लाभ पाने वाले डच भाषी लोगों में इस स्थिति से नाराज़गी है।

जबकि श्रीलंका में सिंहली भाषी लोगों की आबादी कुल जनसंख्या की 74 प्रतिशत है तथा तमिल भाषी लोग केवल 18 प्रतिशत हैं। यहाँ बहुसंख्यक सिंहली लोग धनी व शक्तिशाली हैं। इन्हें अपेक्षाकृत अधिक संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं, जबकि अल्पसंख्यक तमिल आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक क्षेत्रों में पिछड़े हुए हैं। यहाँ बहुसंख्यक लोग अल्पसंख्यकों पर हावी हैं। इस प्रकार बेल्जियम व श्रीलंका की स्थितियाँ भिन्न हैं।

प्रश्न 2.
बहुसंख्यकवाद को बनाए रखने के लिए श्रीलंका की सरकार द्वारा कौन-कौन से कदम उठाए गए?
उत्तर:
बहुसंख्यकवाद को बनाए रखने के लिए श्रीलंका की सरकार द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए

  1. श्रीलंकाई सरकार ने सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में सिंहली वर्चस्व स्थापित करने के लिए कई प्रकार के उपाय अपनाए।
  2. 1956 ई. में श्रीलंका सरकार ने एक कानून बनाया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
  3. नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी। यह तमिल हिन्दुओं के लिए अपमानजनक कदम था।
  4. विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी चली।

प्रश्न 3.
श्रीलंका में तमिलों की क्या माँगें थीं? अपनी मांगों के लिए उन्होंने किस प्रकार संघर्ष किया? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
श्रीलंका में हुए जातीय संघर्ष की विवेचना कीजिए।
अथवा
श्रीलंकाई तमिलों की किन्हीं तीन माँगों का वर्णन कीजिए। उन्होंने अपनी मांगों के लिए किस प्रकार संघर्ष किया?
उत्तर:
श्रीलंका के तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टियों का निर्माण किया तथा श्रीलंका सरकार के समक्ष तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने एवं शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग की। लेकिन तमिलों की आबादी वाले क्षेत्रों की स्वायत्तता की माँगों को लगातार नकारा गया! 1980 ई. के दशक तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतन्त्र तमिल ईलम (राज्य) बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठनों का निर्माण हुआ।

श्रीलंका सरकार ने तमिलों की माँगों को ठुकरा दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि तमिलों और सरकारी सेनाओं में निरन्तर युद्ध चलता रहा। इस हिंसा में हजारों लोग मारे गये तथा बहुमूल्य सम्पत्ति नष्ट हो चुकी है। इस गृहयुद्ध से श्रीलंका के सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक जीवन में बहुत अधिक परेशानियाँ उत्पन्न हुई हैं।

प्रश्न 4.
बेल्जियम अपनी जातीय समस्याओं को किस प्रकार हल कर सका? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
देश में जातीय संघर्ष को समाप्त करने के लिए बेल्जियम सरकार द्वारा किये गये प्रयासों के बारे में संक्षेप में बताइए।
अथवा
बेल्जियम में क्षेत्रीय अन्तर एवं सांस्कृतिक विविधता की समस्या के समाधान हेतु उठाए गए किसी एक कदम का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
बेल्जियम अपनी जातीय समस्याओं को निम्न प्रयासों से हल कर सका

  1. अवसर की समानता:
    संविधान में इस बात का स्पष्ट प्रावधान किया गया कि केन्द्र सरकार में डच व फ्रेंच भाषी मन्त्रियों की संख्या समान रहेगी अर्थात् दोनों समुदायों को समान प्रतिनिधित्व दिया जायेगा। किसी एक समुदाय के लोग एकतरफा फैसला नहीं कर सकते।
  2. शक्ति का विकेन्द्रीकरण:
    केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो क्षेत्रों की क्षेत्रीय सरकारों को प्रदान कर दी गयीं।
  3. स्वायत्त राज्य सरकार:
    राज्य सरकारें केन्द्र सरकार के अधीन नहीं हैं।
  4. समान राजनीतिक:
    प्रतिनिधित्व ब्रूसेल्स में अलग सरकार है तथा इसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है।
  5. सामुदायिक सरकार:
    केन्द्रीय और राज्य सरकारों के अतिरिक्त किसी एक भाषा के लोगों द्वारा चुनी गई सामुदायिक सरकार की भी व्यवस्था की गयी है। इस सरकार को सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं भाषा सम्बन्धी अधिकार दिए गए हैं।

प्रश्न 5.
सत्ता के क्षैतिज वितरण एवं ऊर्ध्वाधर वितरण में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सत्ता के क्षैतिज वितरण एवं ऊर्ध्वाधर वितरण में निम्नलिखित अन्तर हैं

सत्ता का क्षैतिज वितरण सत्ता का ऊध्र्वाधर वितरण
1. क्षैतिज वितरण के अन्तर्गत शासन के विभिन्न अंग, जैसे-विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के मध्य सत्ता का बँटवारा रहता है। ऊर्ध्वाधर वितरण के अन्तर्गत सरकार के विभिन्न स्तरों में सत्ता का बँटवारा होता है।
2. इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं। इसमें उच्चतर एवं निम्नतर स्तर की सरकारें होती हैं।
3. इसमें शासन का प्रत्येक अंग एक-दूसरे पर नियन्त्रण रखता है। इसमें निम्नतर स्तर के अंग उच्चतर स्तर के अंगों के अधीन कार्य करते हैं।
4. भारत में कार्यपालिका संसद के अधीन कार्य करती है। न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है पर न्यायपालिका ही कार्यपालिका पर और विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों पर अंकुश रखती है। इस व्यवस्था को नियन्त्रण व सन्तुलन की व्यवस्था भी कहते हैं। भारत में सम्पूर्ण देश की सरकार को संघ या केन्द्रीय सरकार कहते हैं। प्रान्तीय स्तर की सरकार को राज्य सरकार एवं स्थानीय सरकारों को नगरपालिका और पंचायतें कहा जाता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थिति, आकार और सांस्कृतिक पहलुओं के आधार पर बेल्जियम और श्रीलंका की स्थिति की तुलना कीजिए।
उत्तर:
1. स्थिति:
बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी व लक्समबर्ग की सीमाओं से लगता हुआ एक छोटा-सा यूरोपीय देश है जबकि श्रीलंका एक द्वीपीय देश है जो भारत के तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी तट से कुछ किमी दूर स्थित है।

2. आकार:
बेल्जियम क्षेत्रफल में भारत के हरियाणा राज्य से भी छोटा है तथा यहाँ की आबादी एक करोड़ से कुछ अधिक है यानि हरियाणा की आवादी से लगभग आधी जबकि श्रीलंका की आबादी लगभग दो करोड़ है यानी हरियाणा की आबादी के बराबर।

3. सांस्कृतिक पहलू:
बेल्जियम की जातीय बुनावट बहुत जटिल है। यहाँ की कुल आबादी का 59 प्रतिशत भाग फ्लेमिश क्षेत्र में रहता है व डच बोलता है, 40 प्रतिशत बेलोनिया क्षेत्र में तथा फ्रेंच बोलता है जबकि शेष 1 प्रतिशत जर्मन बोलता है। इसकी राजधानी ब्रूसेल्स में 80 प्रतिशत लोग फ्रेंच तथा 20 प्रतिशत लोग डच भाषा बोलते हैं।

श्रीलंका में भी कई जातीय समूह के लोग रहते हैं जिनमें सबसे प्रमुख सामाजिक समूह सिंहलियों का है। इनकी आबादी कुल जनसंख्या की 74 प्रतिशत है। तमिलों की आबादी कुल जनसंख्या की 18 फीसदी है जिसमें 13 फीसदी श्रीलंकाई मूल के हैं। यहाँ की आबादी में 7 प्रतिशत ईसाई हैं जो सिंहली व तमिल दोनों भाषाएँ बोलते हैं। अधिकांश सिंहली भाषी लोग बौद्ध हैं वहीं तमिल भाषी लोगों में कुछ हिन्दू तथा कुछ मुसलमान हैं।

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प्रश्न 2.
बेल्जियम के दो प्रमुख समुदायों में परस्पर संघर्ष के क्या कारण थे? इस समस्या का समाधान किस प्रकार किया गया? विस्तार से बताइये।
उत्तर:
बेल्जियम के दो प्रमुख समुदायों में परस्पर संघर्ष के कारण
1. बेल्जियम की जातीय बुनावट बहुत जटिल है। इस देश की कुल जनसंख्या का 59 प्रतिशत भाग फ्लेमिश क्षेत्र में रहता है तथा डच भाषा बोलता है। शेष 40 प्रतिशत लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते हैं तथा फ्रेंच भाषा बोलते हैं। शेष 1 प्रतिशत लोग जर्मन भाषा बोलने वाले हैं। देश की राजधानी ब्रूसेल्स की 80 प्रतिशत जनता फ्रेंच भाषा बोलती है, जबकि 20 प्रतिशत लोग डच भाषा बोलते हैं। .

2. बेल्जियम में फ्रेंच भाषी (अल्पसंख्यक) समूह अधिक धनी व शक्तिशाली है। आर्थिक एवं शिक्षा के विकास के प्रश्न को लेकर डच भाषीय समूह ने फ्रेंच भाषीय समूह का विरोध किया। इस कारण दोनों समुदायों के मध्य 1950 से 1960 ई. के दशक में परस्पर तनाव एवं संघर्ष बढ़ते चले गये। देश की राजधानी ब्रूसेल्स में यह स्थिति और अधिक गम्भीर हो गयी।

3. समस्या का समाधान
बेल्जियम के नेताओं ने दो भाषायी समुदायों के मध्य बढ़ते संघर्ष के समाधान हेतु एकता के प्रयास किये। उन्होंने क्षेत्रीय अन्तरों एवं सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार किया तथा इस सम्बन्ध में 1970 से 1993 ई. के मध्य संविधान में चार महत्वपूर्ण संशोधन कर निम्न व्यवस्था को लागू किया

  1. संविधान में यह व्यवस्था की गई कि केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मन्त्रियों की संख्या बराबर होगी जिससे कुछ विशेष प्रकार के कानूनों को पारित करने में दोनों भाषायी समुदायों के बहुमत के समर्थन की आवश्यकता होगी।
  2. केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो स्तरों पर कार्य करने वाली राज्य सरकारों को प्रदान कर दी गयी हैं। ये राज्य सरकारें, केन्द्र सरकार के नियन्त्रण में कार्य नहीं करती हैं।
  3. बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में अलग सरकार की व्यवस्था की गई। इस सरकार में दोनों भाषायी समुदायों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है।
  4. बेल्जियम में केन्द्र तथा राज्य सरकारों के अतिरिक्त एक तीसरे प्रकार की सरकार भी कार्य करती है। इस सरकार को सामुदायिक सरकार कहा जाता है। इस सरकार को तीन समूहों-डचों, फ्रांसीसियों एवं जर्मन बोलने वाले समुदायों द्वारा मिलकर चुन लिया जाता है। इस सरकार को शिक्षा, संस्कृति एवं भाषा जैसे मामलों पर फैसला लेने का अधिकार प्राप्त है।

प्रश्न 3.
सत्ता की साझेदारी क्यों वांछनीय है? उदाहरण द्वारा समझाइए। उत्तर-सत्ता की साझेदारी निम्नलिखित कारणों से वांछनीय है
1. टकराव को रोकने के लिए:
सत्ता की साझेदारी वांछनीय है क्योंकि यह सामूहिक समूहों के मध्य संघर्ष की सम्भावना को कम करती है। चूँकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है।

2. लोकतन्त्र की आत्मा:
सत्ता की साझेदारी प्रजातन्त्र का आधार है, यह इसके विकास के लिए आवश्यक है। आधुनिक प्रजातन्त्र में शक्ति जनता के हाथों में निहित रहती है। इसका प्रयोग जनता निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा करती है। इस प्रकार समस्त समूह सत्ता में भागीदारी के माध्यम से शासन व्यवस्था से जुड़े रहते हैं।

उदाहरण: निम्नलिखित उदाहरण सत्ता की साझेदारी की वांछनीयता को दर्शाते हैं
1. बेल्जियम में अल्पसंख्यक फ्रेंच भाषी लोग अधिक धनी व शक्तिशाली थे, सत्ता उन्हीं के पास थी। यहाँ सत्ता की साझेदारी बहुसंख्यक डच भाषी समुदाय द्वारा नहीं होती थी. यह एक अप्रजातान्त्रिक बात थी। फलस्वरूप समाज में संघर्ष उत्पन्न हो गया।

2. श्रीलंका में सत्ता बहुसंख्यक सिंहलियों के पास थी, जबकि अल्पसंख्यक तमिल इससे वंचित थे फलस्वरूप तमिलों ने सिंहलियों के विरुद्ध संघर्ष प्रारम्भ कर दिया। यह संघर्ष ही श्रीलंका में गृहयुद्ध का कारण बना। इस प्रकार समाज के विकास एवं कल्याण के लिए सत्ता की साझेदारी वांछनीय है।

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प्रश्न 4.
आधुनिक लोकतान्त्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत सरकार में साझेदारी के चार रूपों का वर्णन कीजिए।
अथवा
सरकार के विभिन्न अंगों में सत्ता की साझेदारी कैसे होती है ? वर्णन करें।
अथवा
आधुनिक लोकतन्त्र में सत्ता में भागीदारी के विभिन्न रूपों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
सामान्य रूप से प्रचलित सत्ता की साझेदारी के विभिन्न स्वरूपों की व्याख्या कीजिए।
अथवा भारत में सत्ता की साझेदारी पद्धति का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक लोकतान्त्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत सरकार में साझेदारी के चार रूप निम्नलिखित हैं
1. सरकार के विभिन्न अंगों के मध्य सत्ता की साझेदारी:
लोकतन्त्र में सरकार के विभिन्न अंग, जैसे-विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के मध्य सत्ता का बँटवारा रहता हैं। इन सभी के पास शक्ति होती है तथा वे आपस में एक-दूसरे पर नियन्त्रण रखते हैं। इसे ही सत्ता का क्षैतिज वितरण कहा जाता है। इस प्रकार के बँटवारे से यह सुनिश्चित हो जाता है कि कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित उपयोग नहीं कर सकता। प्रत्येक अंग एक-दूसरे पर अंकुश रखता है। इससे विभिन्न संस्थाओं के मध्य सत्ता का सन्तुलन बना रहता है।
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2. सरकार के मध्य विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी:
इसके अन्तर्गत सत्ता का विभाजन केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों के मध्य तथा इससे आगे स्थानीय निकायों के बीच होता है। उच्चतर एवं निम्नतर स्तर की सरकारों के मध्य सत्ता की इस साझेदारी को सरकार का ऊर्ध्वाधर वितरण कहते हैं।
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3. विभिन्न सामाजिक समूहों के मध्य सत्ता की साझेदारी:
लोकतन्त्र में विशेष रूप से विभिन्न धार्मिक, भाषायी, आदिवासी एवं अल्पसंख्यक समूह विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी करते हैं। सत्ता की साझेदारी का यह रूप या तो प्रजातान्त्रिक हो सकता है जैसे कि बेल्जियम में अथवा फिर संवैधानिक हो सकता है जैसे कि भारत में।

इस प्रकार की व्यवस्था विधायिका एवं प्रशासन में अलग- अलग सामाजिक समूहों को हिस्सेदारी देने के लिए की जाती है ताकि वे स्वयं को शासन से अलग न समझने लगें। कुछ देशों के संविधान एवं कानून में इस बात का प्रावधान है कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय एवं महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए।

4. राजनीतिक दलों, दबाव समूहों एवं आन्दोलनों के मध्य सत्ता की साझेदारी-लोकतन्त्र में विभिन्न राजनीतिक दलों, दबाव समूहों एवं आन्दोलनों के मध्य भी सत्ता की साझेदारी होती है। लोकतन्त्र लोगों के समक्ष. सत्ता के दावेदारों के बीच चुनाव का विकल्प देता है। यह विकल्प विभिन्न राजनीतिक दलों के रूप में उपलब्ध होता है, जोकि चुनाव लड़ते हैं। राजनीतिक दलों की यह प्रतिद्वन्द्विता ही यह सुनिश्चित करती है कि सत्ता एक व्यक्ति या समूह के हाथ में न रहे।

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JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1.
स्वर्णिम चतुर्भज महाराजमार्ग सम्बन्धित है
(क) सड़क परिवहन से
(ख) जल परिवहन से
(ग) रेल परिवहन से
(घ) वायु परिवहन से।
उत्तर:
(क) सड़क परिवहन से

2. सीमा सड़क संगठन का गठन किया गया था
(क) सन् 1960 में
(ख) सन् 1970 में
(ग) सन् 1990 में
(घ) सन् 2008 में
उत्तर:
(क) सन् 1960 में

3. भारत में प्रथम रेलगाड़ी चलायी गयी थी
(क) सन् 1853 में
(ख) सन् 1857 में
(ग) सन् 1863 में
(घ) सन् 2010 में
उत्तर:
(क) सन् 1853 में

4. देश का प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है
(क) विशाखापट्टनम
(ख) हल्दिया
(ग) चेन्नई
(घ) मुम्बई
उत्तर:
(ग) चेन्नई

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5. दो देशों के मध्य व्यापार कहलाता है
(क) राष्ट्रीय व्यापार
(ख) स्थानीय व्यापार
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
(घ) राज्यस्तरीय व्यापार
उत्तर:
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार

रिक्त स्थान सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1……..विश्व के सर्वाधिक सड़क जाल वाले देशों में से एक है।
उत्तर:
भारत, 2.7516.6 किमी,

2. भारत का……….विश्व का सबसे वृहत्तम संचार तंत्र है।
उत्तर:
डाक संचार तंत्र,

3. विश्व में……….ही सबसे अधिक फिल्में बनाता है।
उत्तर:
भारत,

4. ……….राज्य हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइपलाइन से जुड़ा है।
उत्तर:
गुजरात।

अति लयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
परिवहन किसे कहते हैं ?
उत्तर;
एक स्थान से दूसरे स्थान पर यात्रियों एवं वस्तुओं के आवागमन के साधनों को परिवहन कहते हैं।

प्रश्न 2.
व्यापारी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति उत्पाद को परिवहन द्वारा उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं, उन्हें व्यापारी कहते हैं।

प्रश्न 3.
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग योजना किन-किन स्थानों को मिलाती है ?
उत्तर:
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग योजना दिल्लीकोलकाता-चेन्नई व मुम्बई को मिलाती है।

प्रश्न 4.
पूर्व-पश्चिम गलियारे के पश्चिमी सिरे के स्टेशन का नाम लिखिए।
उत्तर:
पोरबन्दर (गुजरात)।

प्रश्न 5.
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का मुख्य उद्देश्य भारत के मेगासिटियों के मध्य दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम करना है।

प्रश्न 6.
स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग परियोजना किस संस्था के अधिकार क्षेत्र में है?
उत्तर:
स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग परियोजना भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकार क्षेत्र में है।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण व रखाखाव का दायित्व किसका होता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण व रखरखाव का दायित्व केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) का होता है।

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प्रश्न 8.
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 के मार्ग में आने वाले प्रमुख स्थानों के नाम बताइए।
उत्तर:
कोलकाता आसनसोल-धनबाद-वाराणसीइलाहाबाद-कानपुर-आगरा-दिल्ली-अम्बाला-अमृतसर।

प्रश्न 9.
जिला मार्ग क्या हैं ?
उत्तर-
जिले के विभिन्न प्रशासनिक केन्द्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़कों को जिला मार्ग कहते हैं।

प्रश्न 10.
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना का प्रमुख प्रावधान क्या है?
उत्तर:
इस परियोजना के अन्तर्गत कुछ विशेष प्रावधान हैं, जिसमें देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है, जिन पर वर्षभर वाहन चल सकें।

प्रश्न 11.
भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण कौन-सा है?
उत्तर:
भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण भारतीय रेल है।

प्रश्न 12.
भारत में प्रथम रेलगाड़ी कब व कहाँ चलायी गयी?
उत्तर:
भारत मे प्रथम रेलगाड़ी सन् 1853 में मुम्बई और थाणे के मध्य 34 किमी. की दूरी में चलायी गयी।

प्रश्न 13.
भारत में तीन रेल गेज कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. बड़ी लाइन (ब्रॉडगेज)
  2. मीटर लाइन (स्मॉल गेज)
  3. सँकरी लाइन (नैरो गेज)।

प्रश्न 14.
बड़ी लाइन के गेज में दो पटरियों के मध्य की दूरी कितनी होती है?
उत्तर:
बड़ी लाइन के गेज में दो पटरियों के मध्य की दूरी $1.676$ मीटर होती है।

प्रश्न 15.
मीटर लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी कितनी होती है?
उत्तर:
मीटर लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी 1.000 मीटर होती है।

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प्रश्न 16.
सँकरी लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी बताइए।
उत्तर:
सँकरी लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी $0.762$ अथवा $0.610$ मीटर होती है।

प्रश्न 17.
हम अपनी रेलगाड़ियों को निर्धारित समय पर चलने में कैसे मद्व कर सकते हैं?
उत्तर:
यात्री जंजीर खींचकर अनावश्यक रूप से गाड़ी न रोकें तथा टिकट लेकर ही यात्रा करें।

प्रश्न 18.
जल परिवहन को किन दो वर्गों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:

  1. आंतरिक जल परिवहन,
  2. समुद्री परिवहन।

प्रश्न 19.
भारत के किन्हीं दो राष्ट्रीय जलमार्गों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत के दो प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग निम्न हैं:

  1. गंगा नदी जलमार्ग,
  2. ब्रह्मपुत्र नदी जलमार्ग।

प्रश्न 20.
उस नदी का नाम लिखिए जिसका संबंध ‘राष्ट्रीय नौगम्य जलमार्ग’ संख्या-1 से है।
उत्तर:
गंगा नदी।

प्रश्न 21.
भारत के एक प्रमुख प्राकृतिक एवं एक कृत्रिम पत्तन का नाम बताइए।
उत्तर:
प्राकृतिक पत्तन – मुम्बई, कृत्रिम पत्तन-चेन्नई।

प्रश्न 22.
लोह अयस्क के निर्यांत की दृष्टि से देश का प्रमुख पत्तन कौन-सा है?
उत्तन:
लोह अयस्क के निर्यात की दृष्टि से देश का प्रमुख पत्तन गाओ है।

प्रश्न 23.
कौन-से पत्तन के माध्यम से कुद्मेमुख खानों से निकले लोह अयस्क का निर्यात होता है?
उत्तर:
न्यू मंगलौर पत्तन के माध्यम से कुद्रेभुख खानों से निकले लोह अयस्क का निर्यात होता है।

प्रश्न 24.
कर्नाटक एवं केरल राज्य में स्थित एकएक पत्तन का नाम लिखिए।
उत्तर:
कर्नाटक-न्यू मंगलौर, केरल-कोच्चि।

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प्रश्न 25.
लैंगून के मुहाने पर स्थित प्राकृतिक पोताश्रय कौन-सा है?
उत्तर:
लैगृन के मुहाने पर स्थित प्राकृतिक पोताश्रय कोच्चि पत्तन है।

प्रश्न 26.
भारत का सबसे प्रार्घीनतम कृत्रिम समुद्री पत्तन कॉन-सा है?
उत्तर:
बन्न्न

प्रश्न 27.
भाग्त का मखम गहरा, स्थिल से धिरा व सुरक्षित समुद्री पत्तन कौन-सा है?
उत्तर:
विशाखापद्टनम।

प्रश्न 28.
भारत के एक अंतःस्थलीय नदीय पत्तन का नाम लिखिए।
उत्तर:
कोलकाता पत्तन एक अंत:स्थलीय नदीय पत्तन है।

प्रश्न 29.
कौन-सा पत्तन गंगा-ब्रहपुत्र बेसिन की वृहत व समुद्र पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है?
उत्तर:
कोलकाता पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन की वृहत व समुद्र पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है।

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प्रश्न 30.
विश्व का वृहत्तम डाक संचार तंत्र किस देश का है?
उत्तर:
विश्व का वृहत्तम डाक संचार तंत्र भारत का है।

प्रश्न 31.
जनसंचार क्या है?
उत्तर:
लोगों तक महत्वपूर्ण घटना या किसी समाचार को नियोजित ढंग से पहुँचाना जनसंचार कहलाता है। जनसंचार में माध्यम का होना आवश्यक होता है। यह कोई सन्देशवाहक,
रेडियो, टेलीविजन और समाचारपत्र आदि कुछ भी हो सकता है।

प्रश्न 32.
भारत के छः डाक मार्गों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. राजधानी मार्ग,
  2. मेट्रो चैनल,
  3. ग्रीन चैनल,
  4. व्यापार चैनल,
  5. भारी चैनल,
  6.  दस्तावेज़ चैनल।

प्रश्न 33.
भारत में भारतीय व विदेशी फिल्मों को प्रमाणित करने का अधिकतर किस संस्था को है?
उत्तर:
केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड।

प्रश्न 34.
व्यापार क्या है?
उत्तर:
राज्यों व देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं व सेवाओं का आदान-प्रदान व्यापार कहलाता है।

प्रश्न 35.
बाजार क्या है?
उत्तर:
बाजार एक ऐसा स्थान है, जहाँ वस्तुओं व सेवाओं का विनिमय होता है।

प्रश्न 36.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो या दो से अधिक देशों के मध्य वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।

प्रश्न 37.
व्यापार संतुलन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
एक देश के आयात व नियांत के अन्तर को व्यापार संतुलन कहते हैं।

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प्रश्न 38.
अनुकूल व्यापार संतुलन से क्या अभिप्राय? आशय है?
उत्तर:
यद्ध किसों देश का आयात मूल्य नियांत मूल्य से अधिक हो तो व्यापार संतुलन प्रतिकृल होता है।

प्रश्न 39.
पर्यटन का क्या महत्व है?
उत्तर:
पर्यटन राप्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है तथा स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को संरक्षण प्रदान करना है।

प्रश्न 40.
भारत में विदेशी पर्यटक क्यों आते हैं?
उत्तर:
भारत में विदेशी पर्यटक विरासत पर्यटन, पारि-पर्यटन, रोमांचकारी पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन एवं व्यापारिक पर्यटन आदि के लिए आते हैं।

लघुत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
परिवहन, संचार एवं व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वस्तुओं एवं सेवाओं को आपूर्ति स्थानों से माँग स्थानों तक ले जाने हेतु परिवहन की आवश्यकता होती है। परिवहन के विभिन्न साधनों के माध्यम से व्यापारी विभिन्न उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं। सक्षम व तीव्र गति वाले परिवहन से आज सम्पूर्ण विश्व एक बड़े गाँव में परिवर्तित हो, गया है। परिवहन का यह विकास संचार-साधनों के विकास की सहायता से ही सम्भव हो सकता है। इसलिए कहा जा सकता है कि परिवहन, संचार एवं व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय राजमार्ग से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
राष्ट्रीय राजमार्ग की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय राजमार्ग देश की प्रमुख पक्की सड़कें हैं जो देश के दूरस्थ मार्गों को जोड़ती हैं। ये प्राथमिक सड़क तंत्र हैं जिनका निर्माण व रखरखाव केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। ये सड़कें देश के एक-सिरे से दूसरे-सिरे तक कई राज्यों से होकर जाती हैं तथा देश के प्रमुख नगरों, राजधानियों एवं महत्वपूर्ण पत्तनों को आपस में जोड़ती हैं। उदाहरण-ग्रांड ट्रंक रोड।

प्रश्न 3.
राज्य राजमार्ग क्या हैं? इनके निर्माण व रखरखाव के लिए कौन उत्तरदायी होता है?
उत्तर:
राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़कें राज्य राजमार्ग कहलाती हैं। सड़कें राष्ट्रीय राजमार्गों को भी आपस में जोड़ने का कार्य करती हैं। राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में राज्य राजमार्गों के निर्माण एवं . रखरखाव का दायित्व वहाँ के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) का होता है।

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प्रश्न 4.
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राज्य राजमार्ग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राज्य राजमार्ग में निम्नलिखित अन्तर

राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य राजमार्ग
1. ये राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं। 1. ये राजमार्ग राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ते हैं।
2. इन सड़कों के निर्माण व रखरखाव का दायित्व केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग का होता है। 2. इन सड़कों के निर्माण व रखरखाव का दायित्व सम्बन्धित राज्य व केन्द्रशासित प्रदेश के सार्वजनिक निर्माण विभाग का होता है।
3. ये राष्ट्रीय महत्व की सड़कें हैं। 3. ये राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 5.
सीमा सड़क संगठन के प्रमुख कार्य क्या हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
सीमा सड़क संगठन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
सीमा सड़क संगठन भारत सरकार के अन्तर्गत एक ऐसा संगठन है, जो देश के सीमान्त क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण व उनकी देखरेख करता है। सीमा सड़क संगठन की स्थापना सन् 1960 में की गयी थी। इस संगठन का प्रमुख उद्देश्य उत्तर तथा उत्तरी-पूर्वी क्षेत्रों में सामरिक महत्व की सड़कों का विकास करना है। ये सड़कें दुर्गम क्षेत्रों एवं प्रतिकूल जलवायविक परिस्थितियों में भी आपूर्ति बनाये रखने में सहायता करती हैं।

प्रश्न 6.
भारत में सड़क परिवहन की समस्याएँ कौन-कौन सी हैं?
अथवा
‘भारतीय सड़क परिवहन समस्याओं से ग्रसित है।’ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत में सड़क परिवहन से सम्बन्धित किन्हीं चार समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा
भारत में सड़क परिवहन की किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में सड़क परिवहन की समस्याएँ निम्न प्रकार हैं

  1. देश के आकार तथा यात्रियों की संख्या को देखते हुए भारत में सड़कों का जाल अपर्याप्त है।
  2. देश की लगभग 50 प्रतिशत सड़कें कच्ची हैं। वर्षा ऋतु के दौरान कीचड़ हो जाने के कारण इनका प्रयोग सीमित हो जाता है।
  3. शहरों में सड़कें अत्यन्त तंग व भीड़भरी हैं तथा इन पर निर्मित पुल व पुलिया पुरानी एवं तंग हैं।
  4. राष्ट्रीय राजमार्ग भी अपर्याप्त हैं।

प्रश्न 7.
भारत में रेलमार्ग के विकास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पिछले 150 वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय रेल एक महत्वपूर्ण परिवहन साधन के रूप में जानी जाती है। भारत में सर्वप्रथम 16 अप्रैल 1853 को पुराने ढंग की एक रेलगाड़ी मुम्बई से थाणे के मध्य 34 किमी. लम्बे रेलमार्ग पर चलायी गयी। इसके बाद भारतीय रेलवे का कार्यक्षेत्र बढ़ता गया। भारतीय रेल वार्षिक पुस्तिका 2017-18 के अनुसार भारत में रेलमार्गों की लम्बाई 68,442 किमी. है। भारत में रेलमार्गों के प्रकारों में बड़ी लाइनें, मीटर लाइनें एवं सँकरी लाइन हैं। भारत में 16 नवीन रेल मण्डल बनाये गये हैं। इसके अतिरिक्त छोटी व मीटर लाइनों को बड़ी रेल लाइनों में तीव्र गति से बदला जा रहा है।

प्रश्न 8.
हमारे देश में कौन-कौन से क्षेत्र रेलवे लाइन के निर्माण के लिए अनुकूल नहीं हैं? संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:

  1. हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र दुर्लभ उच्चावच, विरल जनसंख्या एवं आर्थिक अवसरों की कमी के कारण रेलवे लाइन निर्माण के लिए अनुकूल नहीं हैं।
  2. राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र, गुजरात के दलदली भाग, मध्य प्रदेश के वन क्षेत्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा व झारखण्ड में रेलवे लाइन स्थापित करना कठिन है। अतः यहाँ रेलवे का विकास कम हुआ है।
  3. पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पहाड़ी क्षेत्रों में भी रेलवे का बहुत कम विकास हुआ है।

प्रश्न 9.
रेल परिवहन की समस्याएँ लिखिए।
अथवा
भारत में रेलवे परिवहन की प्रमुख समस्याओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में रेल परिवहन की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं

  1. बहुत बड़ी संख्या में यात्रियों द्वारा बिना टिकट यात्रा करना।
  2. कुछ लोगों द्वारा अनावश्यक रूप से आपात जंजीर खींचना जिससे ट्रेनों के चलने में देर होती है तथा यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है।
  3. रेलवे की सम्पत्ति को क्षति पहुँचाना।
  4. रेलवे की सम्पत्ति की चोरी करना।
  5. पुरानी पटरियों का होना।
  6. मानवीय गलतियों के कारण रेल दुर्घटनाएँ होना।
  7. किसी-किसी भाग में भूस्खलन के कारण रेलवे ट्रैक का धंसना।

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प्रश्न 10.
जल परिवहन का क्या महत्व है?
अथवा
भारत में जल परिवहन के किन्हीं चार महत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में जल परिवहन का निम्नलिखित महत्त्व है

  1. जल परिवहन, परिवहन का सबसे सस्ता साधन है।
  2. यह परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम एवं पर्यावरण अनुकूल है।
  3. यह लौह अयस्क, कोयला, सीमेंट आदि स्थूल व भारी वस्तुओं की सस्ती ढुलाई के अनुकूल है।
  4. देश का 95 प्रतिशत व्यापार जल परिवहन द्वारा होता है।

प्रश्न 11.
भारत के प्रमुख जलमार्गों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग निम्नलिखित हैं

  1. नौगम्य जलमार्ग संख्या-1: हल्दिया तथा इलाहाबाद के मध्य गंगा जलमार्ग जो 1,620 किमी. लम्बा है।
  2. नौगम्य जलमार्ग संख्या-2: सदिया व धुबरी के मध्य 891 किमी. लम्बा ब्रह्मपुत्र नदी जलमार्ग।
  3. नौगम्य जलमार्ग संख्या-3: केरल में पश्चिमी तटीय नहर (कोट्टापुरम से कोम्मान तक, उद्योगमंडल तथा चंपक्कारा नहरें 205 किमी)।

प्रश्न 12.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में किस पत्तन को पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया और क्यों?
अथवा
कांडला बंदरगाह के विकास की आवश्यकता क्यों पड़ी?
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् कच्छ में कांडला पत्तन (अब दीनदयाल पत्तन) को पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया क्योंकि देश विभाजन के पश्चात् कराची पत्तन पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। अतः कराची पत्तन की कमी को पूरा करने एवं मुम्बई से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करने के लिए कांडला पत्तन का विकास किया गया। कांडला एक ज्वारीय पत्तन है। यह पत्तन जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात व राजस्थान के औद्योगिक एवं खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।

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प्रश्न 13.
भारत का सबसे वृहत्तम पत्तन कौन-सा है? जवाहरलाल नेहरू पत्तन के विकास का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
मुम्बई भारत का प्रमुख पत्तन है। यह देश का वृहत्तम पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत एवं सुचारु पोताश्रय हैं। देश के समुद्री व्यापार का अधिकांश भाग मुम्बई पत्तन के माध्यम से ही होता है। जवाहरलाल नेहरू पत्तन के विकास का उद्देश्य था मुम्बई पत्तन पर पड़ने वाले परिवहन के दबाव को कम करना एवं इस सम्पूर्ण क्षेत्र को एक समूह पत्तन की सुविधा प्रदान करना।

प्रश्न 14.
आज वायु परिवहन अधिक उपयोगी क्यों हो रहा है? कारण दीजिए।
अथवा
वायु परिवहन का महत्व बताइए।
उत्तर:
आज वायु परिवहन के अधिक उपयोगी होने के निम्नलिखित कारण हैं

  1. वायु परिवहन यातायात का सबसे तीव्रतम साधन है, जिससे समय की बहुत बचत होती है।
  2. यह आरामदायक एवं प्रतिष्ठित परिवहन साधन है।
  3. इसके द्वारा अति दुर्गम स्थानों; जैसे-ऊँचे पहाड़ों, मरुस्थलों, बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों, घने जंगलों व लम्बे समुद्री रास्तों को आसानी से पार किया जा सकता है।
  4. वायु परिवहन के कारण शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं का आवागमन सुगम हुआ है, जिससे व्यापार में वृद्धि हुई हैं।

प्रश्न 15.
निजी दूरसंचार एवं जनसंचार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निजी दूरसंचार एवं जनसंचार में निम्नलिखित अन्तर हैं

निजी दूरसंचार जनसंच्वर
1. निजी दूरसंचार द्वारा केवल निजी संदेशों का आदान- प्रदान होता है। 1. जनसंचार के साधनों से एक साथ अनेक्क व्यक्तियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान होता है।
2. इनका प्रयोग एक व्यक्ति केवल अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए करता है। 2. इनका प्रयोग सरकार जनसाधारण में विभित्र राष्ट्रीय कार्यक्रमों व नीतियों के बारे में जागरूकता लाने के लिए कर सकती है।
3. टेलीफॉन, मोबाइल, डाक-सेवाएँ, पोस्टकार्ड आदि निजी दूरसंचार के साधनों में सम्मिलित हैं। 3. रेडियो, टेलीविजन, समाचारपत्र, पत्रिकाएँ आदि जनसंचार के प्रमुख साधन हैं।

प्रश्न 16.
भारत के दूरसंचार तंत्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
भारत के दूरसंचार तंत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

  1. दूरसंचार तंत्र में भारत एशिया महाद्वीप में अग्रणी है।
  2. शहरी क्षेत्रों के अतिरिक्त देश के दो-तिहाई से अधिक गाँव एस. टी. डी. दूरभाष सेवा से जुड़े हुए हैं।
  3. सूचनाओं के प्रसार को आधार स्तर से उच्च स्तर तक विकिसित करने हेतु भारत सरकार ने देश के प्रत्येक गाँव में चौबीस घंटे एस. टी. डी. सुविधा के विशेष प्रबन्ध किये हैं।
  4. सम्पूर्ण देश में एस. टी. डी. की दरों को भी नियन्त्रित किया है।

प्रश्न 17.
किसी देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को उसका आर्थिक बैरोमीटर क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार दो या दो से अधिक देशों के मध्य किया जाता है। व्यापार के दो घटक होते हैं-आयात एवं निर्यात। एक देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की प्राप्ति उसके निर्यातों से आँकी जाती है। जिस देश के निर्यात आयात की अपेक्षा जितने अधिक होंगे, उसे विदेशी मुद्रा भी उतनी ही अधिक प्राप्त होगी तथा देश आर्थिक रूप से समृद्ध होता चला जायेगा। एक देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की यही प्रगति उसके आर्थिक वैभव का सूचक मानी जाती है। इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को एक राष्ट्र का आर्थिक बैरोमीटर भी कहा जाता है।

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प्रश्न 18.
व्यापार सन्तुलन क्या है? यह अनुकूल अथवा प्रतिकूल कब माना जाता है?
उत्तर:
आयात और निर्यात मिलकर किसी देश के विदेशी व्यापार की रचना करते हैं। आयात एवं निर्यात के अन्तर को व्यापार सन्तुलन कहते हैं। व्यापार सन्तुलन पक्ष एवं विपक्ष दोनों में हो सकता है। यदि आयात की अपेक्षा निर्यात की मात्रा अधिक है तो व्यापार सन्तुलन पक्ष में अर्थात् अनुकूल रहता है। इसके विपरीत यदि निर्यात की अपेक्षा आयात की मात्रा अधिक है तो व्यापार सन्तुलन विपक्ष में अर्थात् प्रतिकूल रहता है।

प्रश्न 19.
पर्यटन का क्या महत्व है?
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में पर्यटन का महत्व बताइए।
उत्तर:
भारत में पर्यटन उद्योग के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पर्यटन राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है।
  2. पर्यटन स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को प्रोत्साहित करता है।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह हमें संस्कृति एवं विरासत की समझ विकसित करने में सहायक होता है।
  4. यह लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है।
  5. यह विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सहायक है।

प्रश्न 20.
पर्यटन किस प्रकार से एक व्यापार है? बताइए।
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। यहाँ के अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य, ऐतिहासिक धरोहरों एवं धार्मिक स्थलों ने विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। अतः यहाँ प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में विदेशी पर्यटक विभिन्न प्राकृतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, व्यापारिक, चिकित्सा, रोमांचकारी एवं पारि-पर्यटन के लिए आते हैं। इससे देश के विदेशी मुद्रा भण्डार में वृद्धि होती है तथा स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है। इस प्रकार पर्यटन एक व्यापार के रूप में उभरा है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
सड़क परिवहन, रेल परिवहन से अधिक महत्वपूर्ण क्यों है?
अथवा
रेल परिवहन की तुलना में सड़क परिवहन के बढ़ते महत्व के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सड़क परिवहन की उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“रेल परिवहन की अपेक्षा सड़क परिवहन की महत्ता अधिक है।” इस कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए।
अथवा
“भारत में सड़क परिवहन, रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है।” कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए।
अथवा
“भारत में सड़क परिवहन अभी भी रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है।” तर्कों सहित इस कथन का समर्थन कीजिए।
उत्तर:
रेल परिवहन की तुलना में सड़क परिवहन की बढ़ती महत्ता निम्नलिखित कारणों से है:

  1. रेलवे लाइन बिछाने की तुलना में बहुत कम व्यय में सड़कों का निर्माण किया जा सकता है।
  2. रेगिस्तानी, पहाड़ी, ऊबड़-खाबड़ एवं विच्छिन्न भू-भागों पर भी रेलमार्गों की अपेक्षा सड़कें आसानी से बनायी जा सकती हैं।
  3. तेज ढाल वाले स्थानों पर भी सड़कें बनायी जा सकती हैं।
  4. रेलमार्गों की तुलना में सड़कों की देखभाल की लागत कम आती है।
  5. अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों, कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में सड़क मितव्ययी है।
  6. शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं के परिवहन के लिए सड़क मार्ग अधिक उपयोगी सेवाएं प्रदान करते हैं।
  7. सड़क मार्ग खेतों, मंडियों व कारखानों को आपस में जोड़ते हैं एवं सरलतापूर्वक घर-घर तक सामान पहुँचाते हैं।
  8. सड़क परिवहन, अन्य परिवहन के साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में कार्य करता है। उदाहरणार्थ-सड़कें, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डों व समुद्री पत्तनों को आपस में जोड़ती हैं।

प्रश्न 2.
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग से क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का वर्णन कीजिए।
अथवा
महाराजमार्ग क्या हैं? किन्हीं दो सड़कों के नाम बताइए जिनका निर्माण इस परियोजना के तहत किया गया है।
अथवा
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत के वृहद् नगरों के मध्य की दूरी एवं परिवहन समय को न्यूनतम करने के लिए भारत सरकार ने दिल्ली-कोलकाता-चेन्नई-मुम्बई व दिल्ली को जोड़ने के लिए 6 लेन वाले महा राजमार्गों की सड़क परियोजना प्रारम्भ की है जिसे स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग के नाम से जाना जाता है। यह राजमार्ग परियोजना भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में है। इस परियोजना के तहत दो सड़कें बनायी गयी हैं जिन्हें गलियारे कहा जाता है।

  1. उत्तर-दक्षिण गलियारा जो श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) को कन्याकुमारी (तमिलनाडु) से जोड़ती है।
  2. पूर्व-पश्चिम गलियारा जो सिलचर (असम) को पोरबंदर (गुजरात) से जोड़ता है।

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प्रश्न 3.
भारत में रेल परिवहन का क्या महत्व है?
अथवा
भारत में वस्तुओं और यात्रियों के लिए परिवहन के मुख्य साधन के रूप में रेल परिवहन का महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में रेल परिवहन का महत्व निम्न कारणों से है

  1. भारत में रेल परिवहन, वस्तुओं एवं यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है।
  2. रेल परिवहन अनेक कार्यों में सहायक है; जैसे-व्यापार, भ्रमण, तीर्थयात्राएँ तथा लम्बी दूरी तक सामान का परिवहन आदि
  3. भारतीय रेलवे ने विभिन्न लोगों एवं राज्यों को एक साथ जोड़कर एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  4. भारतीय रेलवे ने देश की अर्थव्यवस्था, कृषि व उद्योगों के तीव्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  5. रेलवे ने बहत बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान किया है।
  6. रेलवे खनिज अवक. कोयना यामेंट व खाद्यान्न आदि जैसे भारी व स्थूल वस्तुओं के परिवहन का सबसे सुगम साधन है।

प्रश्न 4.
पाइप लाइन परिवहन के प्रमुख लाभ क्या हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
पाइप लाइन परिवहन के महत्व को बताइए।
अथवा
परिवहन साधनों के रूप में पाइपलाइनों के महत्व को उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से उजागर कीजिए।
उत्तर:
पाइपलाइन परिवहन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं

  1. सस्ता साधन-यह अपेक्षाकृत सस्ता साधन है। पाइपलाइनों के निर्माण के पश्चात् इनके संचालन में व्यय बहुत कम होता है।
  2. सुगम परिवहन-इसमें ट्रकों या रेलों की भाँति सामान को उतारने-चढ़ाने का झंझट नहीं है।
  3. ऊबड़-खाबड़ मार्ग से परिवहन-पाइप लाइनें ऊबड़-खाबड़ व दुर्गम मार्गों में भी बनायी जा सकती हैं।
  4. ऊर्जा की बचत-इस परिवहन में पम्पिंग में ऊर्जा की थोड़ी खपत के कारण अतिरिक्त ऊर्जा की बचत होती है।
  5. समुद्री जल में भी पाइपलाइनें-समुद्री जल में भी पाइपलाइनें बिछायी जा सकती हैं। अपतटीय क्षेत्रों में कच्चा तेल पाइपलाइनों द्वारा ही स्थल तक आता है।
  6. सुनिश्चित आपूर्ति-पाइपलाइन परिवहन द्वारा तेल की आपूर्ति सुनिश्चित बनी रहती है।
  7. समय की बचत-पाइपलाइन परिवहन में ट्रक एवं रेलों की तुलना में परिवहन बहुत कम समय में होता है।
  8. प्रदूषण का कम खतरा-खनिज तेल जैसे पदार्थों का अन्य साधनों द्वारा परिवहन होने से तेल रिसाव के दौरान प्रदूषण का खतरा बना रहता है। पाइपलाइनों द्वारा तेल का परिवहन प्रदूषणरहित ढंग से होता है।
  9. ठोस पदार्थों का परिवहन-पाइपलाइनों द्वारा ठोस पदार्थों को तरल अवस्था में बदलकर भी परिवहन किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
भारत में जलमार्गों की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में जलमार्गों की विशेषताएँ-भारत में जलमार्गों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. जल परिवहन, परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। यह सभी परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम एवं पर्यावरण अनुकूल है।
  2. यह लोह अयस्क, कोयला, सीमेंट आदि स्थूल व भारी वस्तुओं की सस्ती ढुलाई के अनुकूल है।
  3. भारत का 95 प्रतिशत व्यापार जल परिवहन द्वारा होता है।

प्रश्न 6.
भारत में पश्चिमी तट पर स्थित किन्हीं पाँच पत्तनों के नाम लिखिए। प्रत्येक की प्रमुख विशेषता लिखें।
उत्तर:
भारत के पश्चिमी तट के प्रमुख पत्तन निम्नलिखित हैं
1. कांडला पत्तन:
यह एक ज्वारीय पत्तन है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कच्छ में कांङला पत्तन पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया। इसके निर्माण का कारण विभाजन के फलस्वरूप कराची पत्तन के पाकिस्तान में चले जाने की कमी को पूरा करना एवं मुम्बई से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करना था। यह जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के औद्योगिक व खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।

2. मुम्बई पत्तन:
मुम्बई वृहत्तम पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत व सुचारू पोताश्रय हैं। मुम्बई पत्तन के अधिक परिवहन को ध्यान में रखकर इसके सामने जवाहरलाल नेहरू पत्तन विकसित किया गया है ताकि इस सम्पूर्ण क्षेत्र को एक समूह पत्तन की सुविधा भी प्रदान कर सके।

3. मार्मागाओ पत्तन:
गोवा राज्य में स्थित यह पत्तन लोह अयस्क के निर्यात के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह देश के कुल निर्यात का 50 प्रतिशत लोह अयस्क निर्यात करता है।

4. न्यू मंगलौर पत्तन:
यह पत्तन कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह पत्तन कुद्रेमुख खानों से निकले लोह अयस्क का निर्यात करता है।

5. कोच्चि पत्तन-केरल राज्य में स्थित यह पत्तन लैगून के मुहाने पर स्थित एक प्राकृतिक पोताश्रय है।

प्रश्न 7.
पूर्वी तट पर स्थित किन्हीं पाँच पत्तनों के नाम बताएँ। प्रत्येक की प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
अथवा
भारत के पूर्वी तट पर स्थित प्रमुख पत्तन कौन-कौन से हैं? प्रत्येक के विकास का एक उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
भारत के पूर्वी तट पर स्थित प्रमुख पत्तन निम्नलिखित हैं
1. कोलकाता पत्तन:
यह एक अन्तःस्थलीय नदीय पत्तन है। यह एक ज्वारीय पत्तन है। यह पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के वृहत व समृद्ध पृष्ठभूमि को सेवाएं प्रदान करता है। ज्वारीय पत्तन होने के कारण एवं हुगली के तलछट जमाव से इसे नियमित रूप से साफ करना पड़ता है।

2. पारादीप पत्तन:
यह पत्तन ओडिशा राज्य में स्थित है। इसे मुख्य रूप से लोह अयस्क के निर्यात के लिए। विकसित किया गया है।

3. विशाखापट्टनम पत्तन-यह पत्तन स्थल से घिरा, गहरा व सुरक्षित पत्तन है। प्रारम्भ में इसे लोह अयस्क निर्यातक पत्तन के रूप में विकसित किया गया। इस पत्तन को ठोस चट्टान एवं बालू को काटकर एक नहर द्वारा समुद्र से जोड़ा गया है।

4. चेन्नई पत्तन:
यह हमारे देश का प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है। व्यापार की मात्रा एवं लदे सामान की दृष्टि से इस पत्तन का मुम्बई के पश्चात् दूसरा स्थान है।

5. हल्दिया:
कोलकाता पत्तन पर बढ़ते व्यापार के दबाव को कम करने के लिए इसका सहायक पत्तन के रूप में। विकास किया गया है।

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प्रश्न 8.
जनसंचार क्या है? जनसंचार के विभिन्न साधन (माध्यम) कौन से हैं? भारत जैसे देश में जनसंचार का क्या महत्व है?
उत्तर:
जनसंचार-जनसंचार से तात्पर्य एक ही समय में बहुत अधिक संख्या में व्यक्तियों के साथ संवाद स्थापित करने से है। दूसरे शब्दों में, जब जनसाधारण तक संदेश या सूचनाएँ भेजनी हों तो उसे जनसंचार कहते हैं। जनसंचार के प्रमुख साधनों में रेडियो, टेलीविजन, उपग्रह संचार, समाचारपत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें एवं चलचित्र आदि सम्मिलित हैं।

  1. जनसंचार माध्यम लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ बहुत से राष्ट्रीय कार्यक्रमों एवं नीतियों के विषय में जागरूक करते हैं।
  2. जनसंचार माध्यम से लोगों के लिए दूरस्थ शिक्षा प्रदान की जाती है।
  3. जनसंचार माध्यम से लोगों के लिए अनेक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं।
  4. जनसंचार माध्यम से व्यक्तियों के स्वास्थ्य व अन्य समस्याओं से सम्बन्धित कार्यक्रम भी दिखाये जाते हैं।
  5. कृषि एवं औद्योगिक उत्पादकता से सम्बन्धित कार्यक्रम भी दिखाये जाते हैं। ..
  6. जनसंचार तंत्र विभिन्न साधनों के माध्यम से सूचना और शिक्षा प्रदान करके लोगों में राष्ट्रीय नीति एवं कार्यक्रमों के विषय में जागरूकता उत्पन्न करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  7. आकाशवाणी (All India Radio), राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा स्थानीय भाषा में देश के विभिन्न भागों में अनेक वर्गों के व्यक्तियों के लिए विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित करता है।
  8. दूरदर्शन देश का राष्ट्रीय समाचार व संदेश देने का माध्यम है तथा विश्व के वृहतम् समाचार-तन्त्रों में से एक है। यह विभिन्न आयु वर्ग के व्यक्तियों हेतु मनोरंजक, खेल-जगत सम्बन्धी व ज्ञानवर्धक कार्यक्रम प्रसारित करता है।

प्रश्न 9.
भारतीय डाक व्यवस्था की तीन मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय डाक व्यवस्था की तीन मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार से हैं

  1. भारत का डाक:
    संचार तंत्र विश्व का वृहत्तम संचार तंत्र है। यह निजी पत्र-व्यवहार, पार्सल तथा मनीआर्डर आदि को संचालित करता है। लिफाफा, बंद चिट्ठी, कार्ड, पहली श्रेणी की डाक समझी जाती है तथा विभिन्न स्थानों पर रेल तथा वायुयान द्वारा पहुँचाये जाते हैं।
  2. द्वितीय श्रेणी:
    की डाक में किताबें, रजिस्टर्ड पैकेट, अखबार तथा मैगज़ीन शामिल हैं। इनके लिए स्थल व जल परिवहन का उपयोग किया जाता है।
  3. हाल ही में बड़े शहरों व नगरों में डाक:
    संचार में शीघ्रता हेतु छः डाक मार्ग बनाए गए हैं। इन्हें राजधानी मार्ग, मैट्रो चैनल, ग्रीन चैनल, व्यापार चैनल, भारी चैनल तथा दस्तावेज चैनल के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 10.
परिवहन और संचार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवहन और संचार में निम्नलिखित अन्तर हैं

परिवहन संचार
1. परिवहन द्वारा व्यक्तियों एवं माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जाता है। 1. संचार के साधन व्यक्तिगत संचार एवं जनसंचार के माध्यम से व्यक्तियों को सूचनाएँ उपलब्ध कराते हैं।
2. परिवहन जल, थल एवं वायु के माध्यम से किया जा सकता है। 2. संचार के साधनों में डाकतार, टेलीफोन, रेडियो, दूरदर्शन, समाचार पत्र, पत्र-पत्रिकाओं एवं चलचित्रों को सम्मिलित किया जाता है।
3. परिवहन के साधनों का आर्थिक विकास में योगदान है। 3. संचार के साधन भी आर्थिक विकास में योगदान देते हैं।
4. औद्योगिक विकास, व्यापार व आवागमन पूर्णतः परिवहन साधनों पर निर्भर है। 4. संचार के साधन औद्योगिक विकास एवं परिवहन को सुव्यवस्थित बनाने में मदद करते हैं।
5. परिवहन के साधन समय एवं स्थान के अनुसार बदलते रहते हैं। 5. संचार के साधनों पर समय व स्थान का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में सड़कों को सक्षमता के आधार पर कितने भागों में बाँटा जा सकता है? विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत की विभिन्न प्रकार की सड़कों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में सड़कों को सक्षमता के 84. 88 आधार पर छ: भागों में बाँटा जा सकता है
1. स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग भारत दिल्ली:
कोलकाता, चेन्नई-मुम्बई व दिल्ली को राष्ट्रीय महा राजपार्ग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग जोड़ने वाली 6 लेन वाली सड़क को महा किश्तवाड़ राजमार्ग के नाम से जाना जाता है। इस महा पाकिस्तान राजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य भारत के वृहद नगरों फिरोजपुर जालंधर चीन के मध्य की दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम (तिब्बत) करना है। इस महाराजमार्ग के अन्तर्गत दो गलियारे निर्मित किये गये हैं:

  1. उत्तर-दक्षिण गलियारा जो श्रीनगर को कन्याकुमारी से जोड़ता है।
  2. पूर्व-पश्चिम गलियारा जो सिल्चर को बड़ौदादी भोपाल पोरबंदर से जोड़ता है। यह महा राजमार्ग परियोजना भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में है।

2. राष्ट्रीय राजमार्ग:
राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं। ये प्राथमिक संकेत सड़क तंत्र हैं जिनका निर्माण व रखरखाव स्वर्णिम चतुर्भुज केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। इन भागों की पहचान राष्ट्रीय राजमार्ग विनापल्ली संख्या के आधार पर की जाती है। उदाहरण- दिल्ली व अमृतसर के मध्य ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 के नाम से जाना जाता है।

3. राज्य राजमार्ग:
राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़कें राज्य राजमार्ग कहलाती हैं। ये राष्ट्रीय राजमार्गों को भी आपस में जोड़ने का कार्य करती हैं। राज्य राजमार्गों के निर्माण एवं रखरखाव का दायित्व राज्यों के सार्वजनिक निर्माण विभाग का होता है।

4. जिला मार्ग:
ये सड़कें जिला मुख्यालयों को जिले की तहसीलों, प्रमुख नगरीय केन्द्रों एवं कस्बों से जोड़ती हैं। इन सड़कों के निर्माण एवं रखरखाव का दायित्व जिला परिषद् का होता है।

5. ग्रामीण सड़कें:
इस वर्ग के अन्तर्गत वे सड़कें आती हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों एवं गाँवों को शहरों से जोड़ती हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत इन सड़कों के विकास को विशेष प्रोत्साहन मिला है। इस परियोजना के कुछ विशेष प्रावधान हैं जिनके तहत देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है।

6. सीमांत सड़कें:
भारत सरकार प्राधिकरण के अन्तर्गत सीमा सड़क संगठन देश के सीमांत क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण व रखरखाव करता है। इन सड़कों के विकास से दुर्गम क्षेत्रों में अभिगम्यता बढ़ी है एवं ये सड़कें इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सहायक हुई हैं।
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प्रश्न 2.
भारत में रेल परिवहन को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
भारत में रेल परिवहन का विकास:
भारत में रेल परिवहन का इतिहास सन् 1853 से प्रारम्भ होता है। भारत में सर्वप्रथम 16 अप्रैल, 1853 को पुराने ढंग की एक रेलगाड़ी मुम्बई से थाणे के मध्य 34 किमी. लम्बे रेलमार्ग पर चलायी गयी। इसके पश्चात् भारतीय रेल का कार्यक्षेत्र बढ़ता चला गया। भारतीय रेल वार्षिक पुस्तिका 2017-18 के अनुसार भारत में रेलमार्गों की कुल लम्बाई 68,442 किमी है।

1. रेलमार्ग के प्रकार:
पटरियों के मध्य दूरी अथवा गेज की दृष्टि से भारत में तीन प्रकार के रेलमार्ग पाये जाते हैं

2. सँकरी लाइन:
ये मार्ग अधिकांशतः पर्वतीय भागों में मिलते हैं। छोटी लाइन की चौड़ाई 0.762 व 0.610 मीटर होती है।

3. मीटर गेज लाइन:
इसकी चौड़ाई 1 मीटर होती है। भारत में तीव्रगति से औद्योगिक विकास के कारण इन लाइनों को बड़ी लाइनों में परिवर्तित किया जा रहा है।

4. बड़ी लाइन:
बड़ी लाइन की चौड़ाई 1.676 मीटर होती है। ये रेलमार्ग देश के सभी महत्वपूर्ण नगरों, व्यापारिक औद्योगिक केन्द्रों व बन्दरगाहों को जोड़ते हैं। रेल परिवहन का महत्व- भारत में रेल परिवहन के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है

  1. भारतीय रेलवे वस्तुओं और यात्रियों के परिवहन का एक प्रमुख साधन है। यह वस्तुओं के परिवहन का लगभग तीन चौथाई हिस्सा अकेले ढोता है, जबकि कुल यात्री परिवहन में इसका लगभग 60 प्रतिशत योगदान है।
  2. भारतीय रेलवे लोह अयस्क, कोयला, खाद्यान्न, खनिज अयस्क एवं सीमेंट आदि जैसे भारी एवं स्थूल वस्तुओं के परिवहन का सबसे सुगम साधन है।
  3. रेलवे ने भारत में कृषि एवं उद्योगों के विकास में भी विशेष योगदान दिया है।
  4. रेलवे ने श्रमिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में भी योगदान दिया है।
  5. भारतीय रेलवे ने देश के लोगों को बहुत बड़ी संख्या में रोजगार प्रदान किये हैं।
  6. रेलवे लोगों एवं राज्यों को एक साथ जोड़कर देश में एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

1. भारत में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक:
भारत में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में भू-आकृतिक, आर्थिक व प्रशासकीय कारक प्रमुख हैं। भारत के विशाल उत्तरी मैदान में विस्तृत भूमि एवं सघन जनसंख्या के कारण रेलवे का सघन जाल है। प्रायद्वीपीय भारत में रेलमार्ग ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्रों में छोटी पहाड़ियों एवं सुरंगों आदि से होकर गुजरते हैं।
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हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में दुर्लभ उच्चावच एवं विरल जनसंख्या के कारण रेलमार्गों का बहुत कम विकास हुआ है। राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र एवं गुजरात के कच्छ क्षेत्र में भी रेलवे का विकास बहुत कम हुआ है। रेल परिवहन के प्रखण्ड: भारतीय रेल परिवहन को निम्नलिखित रेल प्रखण्डों में बाँटा गया है

नाम रेल प्रखण्ड मुख्यालय
1. उत्तरी-पूर्वी सीमान्त रेलमण्डल मालेगाँव (गुवाहाटी)
2. उत्तरी-पूर्वी रेल मण्डल गोरखपुर
3. पूर्वी रेल मण्डल कोलकाता
4. दक्षिणी-पूर्वी रेल मण्डल कोलकाता
5. पूर्वी तटीय रेल मण्डल भुवनेश्वर
6. पूर्वी-मध्य रेल मण्डल हाजीपुर
7. दक्षिणी-पूर्वी-मध्य रेल मण्डल बिलासपुर
8. उत्तर-मध्य रेल मण्डल इलाहाबाद
9. पश्चिम-मध्य रेल मण्डल जबलपुर
10. उत्तरी रेल मण्डल नई दिल्ली
11. उत्तरी-पश्चिमी रेल मण्डल जयपुर
12. पश्चिमी रेल मण्डल मुम्बई (चर्चगेट)
13. दक्षिणी-मध्य रेल मण्डल सिकन्दराबाद
14. मध्य रेल मण्डल मुम्बई (टर्मिनस)
15. दक्षिणी-पशिचमी रेल मण्डल हुबली
16. दक्षिणी रेल मण्डल मेट्रो रेलमण्डल चेन्नई
17. दक्षिणी तटीय रेलमण्डल मार्कस्ट्रीट कोलकाता

2. भारत में रेल परिवहन की समस्याएँ भारत में रेल परिवहन की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं:

  1. बहुत बड़ी संख्या में यात्रियों द्वारा बिना टिकट यात्रा करना।
  2. कुछ लोगों द्वारा अनावश्यक रूप से आपात जंजीर खींचना।
  3. रेलवे की सम्पत्ति की चोरी करना।
  4. रेलवे की सम्पत्ति को क्षति पहुँचाना।
  5. मानवीय गलतियों के कारण रेल दुर्घटनाएँ होना।
  6. भूस्खलन के कारण प्रायः देश के किसी-न-किसी भाग में रेलवे ट्रैक का धंसना आदि।

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प्रश्न 3.
भारत में पाइपलाइन परिवहन के विकास को समझाइए।
अथवा
भारत में पाइपलाइन परिवहन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पाइपलाइन परिवहन का एक नवीन साधन है। खनिज तेल, पेट्रोलियम, पैट्रो उत्पाद, प्राकृतिक गैस आदि के परिवहन के लिए पाइपलाइनें सस्ता एवं द्रुतगामी साधन हैं।

(i) पाइपलाइन परिवहन का उपयोग:
वर्तमान में पाइपलाइनों का प्रयोग परिवहन हेतु विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है, जिसका विवरण निम्नलिखित है

  1. शहरों एवं उद्योगों को जल परिवहन के लिए पाइपलाइन का प्रयोग किया जाता है।
  2. कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पादों तथा तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र से प्राप्त होने वाली प्राकृतिक गैस को तेल शोधनशालाओं, कारखानों तथा बड़े तापीय विद्युतगृहों तक पहुँचाने के लिए पाइपलाइन का उपयोग किया जाता है।
  3. ठोस पदार्थों को तरल अवस्था में परिवर्तित कर पाइपलाइनों द्वारा ले जाया जाता है।

(ii) पाइपलाइन परिवहन का महत्व:
पाइपलाइन परिवहन के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है

  1. पाइपलाइनों का विस्तार स्थल व जल क्षेत्रों में समान रूप से किया जा सकता है।
  2. पाइपलाइनों को बिछाने में बहुत धन व्यय करना पड़ता है लेकिन इनके संचालन की लागत न्यूनतम है।
  3. पाइपलाइन सबसे सुरक्षित एवं सुनिश्चित आपूर्ति का महत्वपूर्ण साधन है।
  4. पाइपलाइन द्वारा पदार्थों के परिवहनं से समय एवं ऊर्जा की बचत होती है।
  5. पाइपलाइन के माध्यम से परिवहन प्रदूषण रहित होता है।

(iii) भारत में पाइपलाइन परिवहन:
भारत में पाइपलाइन परिवहन के तीन प्रमुख जाल हैं, जो निम्नलिखित हैं
1. ऊपरी असम के तेल क्षेत्रों से इलाहाबाद तक:
यह पाइपलाइन असम के डिग्बोई नामक स्थान से प्रारम्भ होती है तथा गुवाहाटी व बरौनी होती हुई इलाहाबाद के रास्ते कानपुर तक जाती है। इस पाइपलाइन की तीन अन्य शाखाएँ हैं

  1. बरौनी से राजबंध होती हुई हल्दिया तक।
  2. राजबंध से मोरीग्राम तक।
  3. गुवाहाटी से सिलीगुड़ी तक।

2. सलाया (गुजरात) से जालंधर (पंजाब) तक:
यह पाइपलाइन गुजरात में सलाया नामक स्थान से प्रारम्भ होकर वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली व सोनीपत होती हुई पंजाब में जालंधर तक जाती है। इस पाइप लाइन की शाखाएँ
कोयली, चक्शु व अन्य स्थानों को भी जोड़ती हैं।

3. एच. बी. जे. गैस पाइपलाइन:
यह मैस पाइपलाइन हजीरा (गुजरात) से प्रारम्भ होकर विजयपुर (मध्य प्रदेश) होती हुई उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर नामक स्थान तक जाती है। इस गैस पाइपलाइन की कई शाखाएँ हैं। ये शाखाएँ राजस्थान में कोटा, उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर, बबराला व अन्य स्थानों तक जाती हैं।

प्रश्न 4.
भारत के प्रमुख समुद्री पत्तन कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत के प्रमुख बन्दरगाहों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख समुद्री पत्तन (बंदरगाह) निम्नलिखित हैं:
1. कांडला पत्तन:
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित यह एक ज्वारीय पत्तन है। मुम्बई पत्तन से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करने के लिए इस पत्तन का निर्माण किया गया था। यह पत्तन जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के औद्योगिक एवं खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।

2. मुम्बई पत्तन:
मुम्बई भारत का सबसे बड़ा पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत व सुचारू पोताश्रय हैं। इस पत्तन के अधिक परिवहन को ध्यान में रखते हुए इसके सामने जवाहरलाल नेहरू पत्तन विकसित किया गया है, जो इस सम्पूर्ण क्षेत्र को एक समूह पत्तन की सुविधा प्रदान करता है।

3. मार्मागाओ पत्तन:
यह पत्तन गोवा राज्य में स्थित है। लोह अयस्क के निर्यात के सन्दर्भ में यह देश का एक महत्वपूर्ण पत्तन है। यहाँ से देश के कुल निर्यात का लगभग 50 प्रतिशत लौह अयस्क निर्यात किया जाता है।,

4. न्यू मंगलौर पत्तन:
यह पत्तन कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह पत्तन कुद्रेमुख खानों से निकले लौह अयस्क का निर्यात करता है।

5. कोच्चि पत्तन:
यह पत्तन केरल राज्य में स्थित है। यह सुदूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह पत्तन एक लेगून के मुहाने पर स्थित एक प्राकृतिक पोताश्रय है।

6. तूतीकोरिन पत्तन:
यह पत्तन तमिलनाडु के दक्षिणी-पूर्वी छोर पर स्थित है। यह एक प्राकृतिक पोताश्रय है। इस पत्तन की पृष्ठभूमि अत्यन्त समृद्ध है। यह पत्तन हमारे पड़ोसी देशों; जैसे-श्रीलंका, मालदीव एवं भारत के तटीय क्षेत्रों की विभिन्न वस्तुओं के व्यापार को  चालित करता है।
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7. चेन्नई:
भारत के पूर्वी तट पर स्थित यह पत्तन तमिलनाडु में स्थित है। यह देश का प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है। व्यापार की मात्रा एवं लदे सामान की दृष्टि से इसका मुम्बई पत्तन के बाद द्वितीय स्थान है।

8. विशाखापट्टनम पत्तन:
यह आन्ध्र प्रदेश में स्थित है। यह पत्तन स्थल से घिरा, गहरा व सुरक्षित पत्तन है। प्रारम्भ में यह पत्तन लोह अयस्क निर्यातक के रूप में विकसित किया गया था।

9. पारादीप पत्तन:
ओडिशा राज्य में स्थित यह पत्तन लोह अयस्क का निर्यात करता है।

10. कोलकाता पत्तन:
यह एक अन्त:स्थलीय नदीय पत्तन है। यह पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के वृहत व समृद्ध पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है। यह एक ज्वारीय पत्तन है। हुगली नदी के तलछट जमाव से इसे नियमित रूप से साफ करना पड़ता है।

11. हल्दिया पत्तन:
कोलकाता पत्तन पर बढ़ते व्यापार के दबाव को कम करने के लिए हल्दिया को सहायक पत्तन के रूप में विकसित किया गया है।

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प्रश्न 5.
व्यापार का अर्थ, प्रकार, घटक एवं महत्व बताइए।
अथवा
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार।
उत्तर:
व्यापार का अर्थ:
व्यापार से अभिप्राय राज्यों व देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं, सेवाओं व विचारों के आदान-प्रदान से है। व्यापार के अन्तर्गत वस्तुओं व सेवाओं का परिवहन व संचलन लोगों व स्थानों के मध्य होता है। जब किसी देश में किसी वस्तु का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता है तो उस वस्तु का परिवहन कम उत्पत्ति व अधिक आवश्यकता वाले स्थानों की ओर कुछ नियम व शर्तों के अधीन होता है। वस्तुओं के स्थानान्तरण की यही प्रवृत्ति व्यापार कहलाती है। दूसरे शब्दों में, वस्तुओं व सेवाओं के लेन-देन, आदान-प्रदान, विनिमय अथवा आयात-निर्यात को व्यापार कहते हैं।
1. व्यापार के प्रकार-क्षेत्र के आधार पर व्यापार को तीन भागों में बाँटा जा सकता है:

  1. स्थानीय व्यापार-जब कच्चे माल, निर्मित वस्तुओं व सेवाओं का आदान-प्रदान एक क्षेत्र विशेष के लोगों द्वारा स्थानीय रूप से किया जाता है, तो उसे स्थानीय व्यापार कहते हैं।
  2. राज्यस्तरीय व्यापार-जब कच्चे माल, निर्मित वस्तुओं और सेवाओं का आधार दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य होता है तो उसे राज्यस्तरीय, क्षेत्रीय अथवा प्रादेशिक व्यापार कहा जाता है।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार-जब कच्चा माल, तैयार माल और सेवाओं का आदान-प्रदान दो देशों के मध्य होता है तो उसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।

2. व्यापार के घटक:
व्यापार के दो घटक होते हैं: आयात, निर्यात। आयात व निर्यात का अन्तर ही देश के व्यापार संतुलन का निर्धारण करता है। यदि निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक हो तो उसे अनुकूल व्यापार सन्तुलन कहते हैं। इसके विपरीत निर्यात की अपेक्षा अधिक आयात असन्तुलित व्यापार कहलाता है।

3. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व:
विभिन्न देशों की भौगोलिक परिस्थितियाँ समान नहीं हैं, जिस कारण वस्तुओं के उत्पादन एवं औद्योगिक विकास में भिन्नता पायी जाती है। आवश्यकता की विभिन्न वस्तुओं की आपूर्ति दूसरे देशों व स्थानों से आयात-निर्यात द्वारा की जाती है। यही प्रक्रिया व्यापार कहलाती है। व्यापार का महत्व प्रत्येक देश के लिए होता है। व्यापार का महत्व निम्न प्रकार है

  1. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसी भी देश के आर्थिक विकास स्तर को मापने में बैरोमीटर का काम करता है।
  2. इससे देश-विदेश के निवासियों के जीवन-स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा देश की माँग की पूर्ति के साथ-साथ सूचनाओं का विस्तार भी होता है।
  4. इससे सम्बन्धित देशों के मध्य सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक सम्बन्ध मजबूत होते हैं।
  5. देश के आर्थिक विकास और नागरिकों के जीवन-स्तर को उन्नत बनाने में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  6. इससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है तथा उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
  7. इससे उत्पादक व उपभोक्ता देशों के मध्य सम्बन्ध प्रगाढ़ होते हैं।
  8. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा भूमण्डलीकरण में सहायता प्राप्त होती है।
  9. इससे देशों की अर्थव्यवस्था के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। उच्चस्तरीय सन्तुलित आयात-निर्यात मूल्य विकसित व सम्पन्न अर्थव्यवस्था के प्रतीक हैं, जबकि निम्नस्तरीय असन्तुलित आयात-निर्यात मूल्य पिछड़ेपन और विपन्न अर्थव्यवस्था को सूचित करते हैं।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
दिए गए भारत के रेखा-मानचित्र में निम्न को दर्शाइए
1. प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों की स्थिति।
2. पूर्वी तथा पश्चिमी तटों पर स्थित पत्तनों की स्थिति
3. जवाहरलाल नेहरू समुद्री पत्तन।
4. पूर्व-पश्चिम गलियारे का’ सिरे का स्टेशन।
5. थिरूवनंथपुरम – अन्तर्राष्ट्रीय हवाई पत्तन।
6. हल्दिया – प्रमुख समुद्री पत्तन।
7. कोच्चि – प्रमुख समुद्री पत्तन।
8. पारादीप – समुद्री पत्तन।
9. राजा साँसी – अन्तर्राष्ट्रीय हवाई पत्तन।
10. कांडला – प्रमुख समुद्री पत्तन।
11. मीनाम्बक्कम – अन्तर्राष्ट्रीय हवाई पत्तन।
उत्तर:
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आरेख सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1.
परिवहन के साधनों को आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित तालिका को A और B स्थानों पर उपयुक्त शब्द लिखते हुए पूरा कीजिए परिवहन के साधन
उत्तर:
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JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

JAC Board Class 10th Social Science Solutions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

JAC Class 10th History भारत में राष्ट्रवाद Textbook Questions and Answers

व्याख्या करें

प्रश्न 1.
(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ?
(ख) पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन के विकास में किस तरह योगदान दिया ?
(ग) भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे ?
(घ) गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया ?
उत्तर:
(क)

  1. भारत में वियतनाम एवं अन्य कई देशों की तरह आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया का उपनिवेश विरोधी आन्दोलन से घनिष्ठ रूप से सम्बन्ध रहा है।
  2. उपनिवेश विरोधी आन्दोलन में सभी जाति, वर्ग एवं सम्प्रदायों के लोगों को विदेशी शासन के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए एकजुट किया गया। इस संगठित संघर्ष ने भी राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया।
  3. यूरोपीय शक्तियों अपनी संस्कृति को श्रेष्ठ समझती थीं। उन्होंने अपने उपनिवेशों में अपनी संस्कृति को जबरदस्ती लादना प्रारम्भ कर दिया जैसा कि फ्रांस ने वियतनाम में किया था। इससे भी राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरणा मिली।
  4. उपनिवेश विरोधी आन्दोलन ने राष्ट्रवादी एवं उदारवादी विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मजबूत मंच प्रदान किया।

(ख)

  1. प्रथम विश्वयुद्ध ने भारत में नई आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति पैदा कर दी।
  2. प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारत में तेजी से कीमतों में वृद्धि हुई जिससे जनता के समक्ष कठिन स्थितियाँ उत्पन्न हो गईं।
  3. ग्रामीणों को सेना में भर्ती होने के लिए बाध्य किया गया जिससे जनता में व्यापक रोष उत्पन्न हो गया।
  4. देश के अधिकांश भागों में फसल खराब हो गई, जिसके कारण खाद्यानों की अत्यधिक कमी हो गई।
  5. सन् 1918 से 1921 ई. के मध्य देश को अकाल, सूखा एवं बाढ़ के कारण भयंकर संकट का सामना करना पड़ रहा था। चारों तरफ महामारी के कारण अनेक लोग मारे गये। ब्रिटिश शासन ने इस संकट की स्थिति में भारतीयों की कोई मदद नहीं की। अत: भारतीयों ने एकजुट होकर राष्ट्रीय आन्दोलन में सहयोग दिया।

(ग) भारत में क्रान्तिकारी गतिविधियों को रोकने के लिए ब्रिटिश शासन ने 1919 ई. में रॉलेट एक्ट के नाम से कानून बनाया। इस कानून के तहत सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने एवं राजनीतिक कैदियों को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाये जेलों में बन्द रखने का अधिकार मिल गया था। इसलिए भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोधी थे।

(घ) गोरखपुर स्थित चौरी-चौरा नामक स्थान पर 5 फरवरी, 1922 की घटना के कारण गाँधीजी को असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का फैसला लेना पड़ा। चौरी-चौरा में बाजार से गुजर रहा एक शान्तिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया। जनता ने आवेश में आकर कई पुलिसकर्मियों की हत्या कर थाने को आग लगा दी। इस घटना के बारे में सुनते ही महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन रोकने का आह्वान किया।

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प्रश्न 2.
सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है ?
उत्तर:

  1. सत्याग्रह जन आन्दोलन का एक नया तरीका था।
  2. सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह एवं सत्य की खोज पर बल दिया जाता था। इसका अर्थ यह था कि यदि आपका उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के विरुद्ध है तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है।
  3. प्रतिशोध की भावना अथवा आक्रामकता का सहारा लिये बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए।
  4. उत्पीड़क शत्रु को ही नहीं वरन् समस्त लोगों को हिंसा के माध्यम से सत्य को स्वीकार करने की बजाय सच्चाई को देखने एवं सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
  5. इस संघर्ष में अंतत: सत्य की ही विजय होनी है। गाँधीजी का दृढ़ विश्वास था कि अहिंसा का यह धर्म समस्त भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें
(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड,
(ख) साइमन कमीशन। जलियाँवाला बाग हत्याकांड पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
(क) 13 अप्रैल, 1919 ई. को जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ। इस दिन अमृतसर के आस-पास के कई गाँवों से लोग सालाना वैशाखी मेले में भाग लेने जलियाँवाला बाग मैदान में एकत्रित हुए। इनमें से कई लोग तो सरकार द्वारा लागू किये गये दमनकारी कानून रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एकत्रित हुए। यह मैदान चारों ओर से बन्द था। शहर से बाहर होने के कारण वहाँ एकत्रित लोगों को शहर में मार्शल लॉ लागू होने की जानकारी नहीं थी।

अंग्रेज अफसर जनरल डायर अपने हथियारबन्द सैनिकों के साथ वहाँ पहुँचा और उसने मैदान से बाहर निकलने के समस्त रास्तों को बन्द करवा दिया। इसके पश्चात् जनरल डायर के आदेश पर सिपाहियों ने भीड़ पर अन्धाधुन्ध गोलियाँ चला दीं। इस हत्याकांड में सैकड़ों लोग मारे गये तथा अनेक घायल हुए, जलियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास की सर्वाधिक दर्दनाक घटना है। इस घटना ने समस्त भारत को अंग्रेज विरोधी बना दिया।

(ख) ब्रिटेन की गोरी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन किया। राष्ट्रवादी आन्दोलन के जवाब में गठित किए गए इस आयोग को भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना था तथा उसके बारे में सुझाव प्रस्तुत करने थे। इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था, इसके समस्त सदस्य अंग्रेज थे। अतः सन् 1928 ई. में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत ‘साइमन कमीशन वापस जाओ’ (साइमन कमीशन गो बैक) के नारों के साथ किया गया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस व मुस्लिम लीग सहित अन्य कई पार्टियों ने भी भाग लिया।

प्रश्न 4.
इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।
उत्तर:
इस अध्याय में दी भारत में राष्ट्रवाद 33 इन माँगों में सबसे महत्वपूर्ण माँग नमक कर को समाप्त करने से सम्बन्धित थी। नमक का उपयोग धनिक-निर्धन सभी वर्ग के लोग करते हैं। यह हमारे भोजन का एक अभिन्न हिस्सा है। अत: नमक पर कर एवं उसके उत्पादन पर राजकीय अंकुश को महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया था। गाँधीजी ने अपने इस पत्र के माध्यम से अंग्रेज सरकार को यह चेतावनी दी थी कि यदि 11 मार्च तक उनकी माँग पूरी नहीं हुई तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आन्दोलन को शुरू कर देगी।

इरविन द्वारा उनके प्रस्तावों को ठुकरा दिया गया तब गाँधीजी ने अपने 78 सहयोगियों के साथ नमक-यात्रा प्रारम्भ कर दी। यह यात्रा साबरमती में गाँधीजी के आश्रम से प्रारंभ होकर 240 किमी. दूर दांडी नामक स्थान पर 6 अप्रैल 1930 को समाप्त हुई। गाँधीजी ने दांडी पहुँचकर समुद्र के पानी को उबालकर नमक बनाना प्रारम्भ कर दिया। यह कानून का उल्लंघन था। इस तरह गाँधी ने औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार के कानून की शान्तिपूर्ण तरीके से अवज्ञा की। इस तरह कहा जा सकता है कि गाँधीजी की नमक यात्रा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक थी।

प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफरमानी आन्दोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता ?
उत्तर:
सिविल नाफरमानी आन्दोलन में अनेक महिलाओं के साथ मैंने भी भाग लिया। मैंने देखा कि गाँधीजी के सत्याग्रह के समय उनकी बातों को सुनने के लिए सभी महिलाएँ अपने-अपने घरों से बाहर आ जाती थीं। मैंने अन्य महिलाओं के साथ उस समय अनेक जुलूसों में भाग लिया, नमक बनाया, विदेशी कपड़ों एवं शराब की दुकानों की पिकेटिंग की। अनेक महिलाओं के साथ मैंने भी जेल-यात्राएँ की।

मैंने इस आन्दोलन के दौरान पाया कि शहरी क्षेत्रों में अधिकांश उच्च वर्गीय महिलाएँ सक्रिय थीं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पन्न कृषक परिवारों की महिलाएँ ही आन्दोलन में भाग ले रही थीं। गाँधीजी के आह्वान पर मैंने भी राष्ट्र सेवा को अपना प्रथम कर्त्तव्य स्वीकार किया। मुझे अन्य महिलाओं की तरह लगने लगा कि हमारे जीवन में बदलाव आने वाला है। घर चलाना, चूल्हा-चौका सँभालना, अच्छी माँ एवं पत्नी के अतिरिक्त हम महिलाएँ देश की सेवा में अपना दायित्व भली-भाँति निभा सकती हैं। अब मुझे लगने लगा था कि हमें भी पुरुषों के समान महत्त्व मिलने लगेगा।

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प्रश्न 4.
राजनैतिक नेता पृथक् निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे ?
उत्तर:
विभिन्न राजनैतिक नेता भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों एवं समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे। ये नेता विशेष राजनीतिक अधिकारों तथा पृथक् निर्वाचन क्षेत्रों की माँग कर अपने समर्थकों का जीवन स्तर ऊँचा उठाना चाहते थे। ऐसे नेताओं में प्रमुख रूप से डॉ. बी. आर. अम्बेडकर एवं मोहम्मद अली जिन्ना आदि थे। डॉ. अम्बेडकर भारत के दलित वर्गों का तथा मोहम्मद अली जिन्ना अनेक मुसलमान सामाजिक समूहों का प्रतिनिधित्व करते थे। इसके विपरीत गाँधीजी इन नेताओं की माँग से सहमत नहीं थे। उनका मत था कि पृथक् निर्वाचन क्षेत्र भारत की एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। उन्होंने आमरण अनशन किया। यही कारण था कि राजनीतिक नेता पृथक् निर्वाचन क्षेत्रों के सवाल पर बँटे हुए थे।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
इंड वाइना के उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन का अध्ययन करें। भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन की तुलना इंडो-चाइन. स्वतन्त्रता संघर्ष से करें।
उत्तर:
विद्यार्थी इस प्रश्न को अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं हल करें।

क्रियाकलाप सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

गतिविधि आधारित प्रश्न (पृष्ठ संख्या  31)

प्रश्न 1.
स्रोत-(क) को ध्यान से पढ़ें। जब महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह को सक्रिय प्रतिरोध कहा तो इससे उनका क्या आशय था ?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह को सक्रिय प्रतिरोध कहा है। इससे उनका आशय था कि सत्याग्रह शुद्ध आत्मबल है, यह अपने शत्रु को कष्ट नहीं पहुँचाता है। सत्य ही आत्मा का आधार होता है। अत: यह सत्याग्रह का भी आधार होता है। सत्याग्रह द्वारा शत्रु के मस्तिष्क को प्रेम, करुणा एवं सत्य के द्वारा विध्वंसक विचारों से हटाकर उसमें रचनात्मक विचारों को आरोपित करना है।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 34)

प्रश्न 2.
मान लीजिए कि साल 1920 चल रहा है। आप सरकारी स्कूल के विद्यार्थी हैं। विद्यार्थियों को असहयोग आंदोलन से जुड़ने का आह्वान करते हुए एक पोस्टर बनाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी शिक्षक के निर्देशन पोस्टर बनायें।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या  35)

प्रश्न 3.
अगर आप 1920 में उत्तर प्रदेश में किसान होते तो स्वराज के लिए गाँधीजी के आह्वान पर क्या प्रतिक्रिया देते ? अपने उत्तर के साथ कारण भी बताइए।
उत्तर:
अगर मैं 1920 में उत्तर प्रदेश में एक किसान होता तो गाँधीजी के स्वराज के आह्वान पर सकारात्मक अहिंसात्मक आन्दोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेता क्योंकि स्थानीय नेताओं ने बताया है कि गाँधीजी किसानों का कर माफ करा देंगे तथा जमीन गरीबों में बाँट दी जायेगी।

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 36)

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल ऐसे अन्य लोगों के बारे में पता लगाइए, जिन्हें अंग्रेजों ने पकड़कर मौत के घाट उतार दिया था।
उत्तर:
भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव, चापेकर बंधु (दामोदर हरि व बालकृष्ण हरि) मंगल पांडे, खुदीराम बोस, ऊधम सिंह, अवध बिहारी, मास्टर अमीचंद, मदन लाल धींगरा, ब्रजकिशोर, असित भट्टाचार्य, सूर्यसेन आदि।

चर्चा करें (पृष्ठ संख्या 43)

प्रश्न 5.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने क्यों हिस्सा लिया ?
उत्तर:
अपने सीमित हितों की पूर्ति करने के लिए अनेक वर्गों और समूहों के भारतीय लोगों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में हिस्सा लिया। उनके लिए स्वराज के मायने अलग-अलग थे, जैसे-

  1. धनी किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था, भारी लगान के विरुद्ध लड़ाई।
  2. गरीब किसानों के लिए स्वाज का अर्थ था-उनके पास जमीनें होंगी, उन्हें जमीन का किराया नहीं देना पड़ेगा व बेगार भी नहीं करनी पड़ेगी।
  3. अधिकांश व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे जहाँ व्यापार पर औपनिवेशिक पाबन्दियाँ नहीं होंगी तथा व्यापार व उद्योग बिना किसी रुकावट के प्रगति कर सकेंगे। (iv) औद्योगिक श्रमिक इसे उच्च वेतन एवं अच्छी कार्य स्थितियों के रूप में देखते थे।
  4. महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था भारतीय समाज में पुरुषों के साथ बराबरी एवं स्तरीय जीवन की प्राप्ति होना था।

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

चर्चा करें (पृष्ठ संख्या 45)

प्रश्न 6.
स्रोत (घ) को ध्यान से पढ़ें। क्या आप साम्प्रदायिकता के बारे में इकबाल के विचारों से सहमत हैं ? क्या आप साम्प्रदायिकता को अलग प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं ?
उत्तर:
नहीं, मैं साम्प्रदायिकता के बारे में इकबाल के विचारों से सहमत नहीं हैं, क्योंकि इकबाल की विचारधारा थी कि भारत एक विविधतापूर्ण नस्ली एवं धार्मिक विशिष्टताओं वाला देश है। अतः मुसलमानों हेतु पृथक् निर्वाचिका की जरूरत है। मेरे विचार में सम्प्रदायवाद को स्थानीय समुदाय द्वारा नियन्त्रित किया जाता है। इसमें राष्ट्र जैसा कोई तत्व सम्मिलित नहीं होता है जो कि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में राष्ट्रवादियों के संघर्ष का प्रेरणा स्रोत बना हो।

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